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421 (678 ई) में सर्वप्रथम ‘पद्मपुराण' लिखा। आचार्य हेमचन्द्र आसग, सकलकीर्ति, जिनदास ब्रह्मजिनदास, शुभचंद्र आदि के पुराण संस्कृत साहित्य के अनुपम ग्रंथ हैं ।' जिनसेन के 'हरिवंशपुराण' को जैन संस्कृत साहित्य का महाभारत कहा जा सकता है। चरितकाव्यों में अधिकतर तीर्थंकरों की जीवनियां हैं। कथाकाव्यों में महेन्द्रसूरि की नर्मदासुन्दरी कथा', नरचन्द्रसूरि की कथारत्नसार', राजशेखर की कथा संग्रह', सोमचन्द्र गणी की कथा महोदय' सोमकीर्ति की 'सप्तव्यसन कथा' गुणसुन्दर सूरि की ‘सम्यक्त्व कौमुदी' मुख्य है। नाटकों में रामचन्द्रगुणचन्द्र का रघुविलास, नवलविलास', जयसिंह सूरि का ‘हमीर मदमर्दन', मेघप्रभाचार्य का धर्माभ्युदय' मुख्य है। प्रमुख राजस्थानी साहित्य
राजस्थानी जैन साहित्यकारों में शालिभद्रसूरि (भरतेश्वर बाहुबलिरास), आसगु (चन्दनवालारास), सुमतिगणि (नेमिनाथ रास), देल्हड (गयसुकुमालरास), ऋषिवर्धन सूरि (नलदमयन्ती रास), धर्मषुन्दर गणी (सुमितकुमार रास), पार्श्वनाथसूरि (तेजपालरस), कुशललाभ (माघवावल कामकन्दला चडपइ, ढोलामरवणी चउपइ), आसकरण (तिंवरी के बोथरा- दस श्रावकों की ढाल, केशी गौतमचर्चा, साधु गुणमाला, भरतजी री सिद्धि, छोटी साधु वन्दना), सवलदास (सुपुत्र आनन्दराज लूणिया), नेमिचन्द्र (पिता देवीलाल लोढा- नेमवाणी) श्रावक कवि विनयचन्द्र (पिता गोकुलचंद कुम्भट- विनयचन्द्र चौबीस, पूज्य हमीर चरित, आत्मनिन्दा पट्टावली), कवयित्री विद्यागिरि- (सामसुखा गोत्रीय कर्मचन्द की पुत्री- विमल सिद्धि गुरुणी जीतम), भूरसुन्दरी (पिता अखमचंद रांका- भूरसुन्दरी जैन भजनोद्धार, भूरसुन्दरी विवेकविलास
और भूरसुन्दरी बोध विनोद, भूरसुन्दरी अध्यात्म बोध, भूर सुन्दरी ज्ञान प्रकाश, भूरसुन्दरी विलास) आदि प्रमुख हिन्दी साहित्य हैं।
___ आधुनिक जैन साहित्य में नैनमल जैन (पवनांजना), मिश्रीमलजी महाराज (पाण्डवयशोरसायन मरुधर केसरी ग्रंथावली), आचार्य श्री हस्तीमलजी (जैन आचार्य चरितावली) गणेशमुनि (वीणा वाणी, सुबह के भूले, गीतों का मधुवन, संगीत रश्मि, गीत गुंजार), आचार्य तुलसी श्री कालू उपदेश वाटिका), मुनि महेन्द्र कुमार कमल, संस्कृति के ढाई हजार स्वर, प्यासे स्वर, मन के मोती, प्रकाश के पथ पर, फूल और अंगारे), मुनि बुधमल (मंथन, आवर्त), मुनि रूपचंद (कला अकला, अर्द्धविराम, खुले आकाश में, गुलदस्ता, इन्द्रधनुष), मुनि चन्दनमल (मंजूषा), साध्वी मंजुला (चेहरा एक, दर्पण हजार), साध्वी संघमित्र (साक्षी है शब्दों की, बूंद बन गई गंगा), साध्वी सुमन (सांसो का अनुवाद, संशय का चौराहा), मरुधर केसरी मिश्रीमलजी (उपदेश बावनी, बुधविलास), केवल मुनि (गीतगुंजार, मेरे गीत, गीतावली, गीत लहरिया, गीत सौरभ), प्रकाश जैन (अन्तर्यात्रा), आचार्य हस्तीमल जी (गजेन्द्र मुक्तावली), मुनि मधुकर (गुंजन) आदि।
उपन्यास में डा. प्रेमकुमार सुमन (चितोरों के महावीर), महावीर कोटिया टीका, आत्मजयी, कुणीक आदि हैं।
1. Dr. K.C. Kasliwal, Jain Granth Bhandars in Rajasthan, Page 138 2. जैन संस्कृति और राजस्थान (सम्पादक डा. नरेन्द्र भानावत) पृ235
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