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437 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर की लगभग तीन दर्जन संस्थाएं है।
लाडनू में 'जैन विश्व भारती ने स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर जैन विद्या के अध्ययन-अध्यापन के द्वारा नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। जैन पत्रकारिता
· श्वेताम्बर परम्परा के जैन पत्रकारिता के द्वारा भीओसवंशियों ने जैनमत के सांस्कृतिक प्रतिमानों के सम्प्रेषण में योग दिया है। राजस्थान में प्राचीनतम जैनपत्र 'जैन गजट' (1895 ई) अजमेर से प्रकाशित होता था। 1923 ई में दुर्गाप्रसाद ने अहिंसा प्रचारिक, साप्ताहिक का अजमेर से प्रकाशन प्रारम्भ किया। 1924 में 'कांफ्रेस प्रकाश' के रूप में भारतीय श्वेताम्बर स्थानकवासी कांफ्रेंस के मुख पत्र के रूप में प्रकाशित हुआ। 1925 में आबूरोड़ से मारवाड़ जैन सुधारक' का प्रकाशन हुआ और उसी वर्ष अजमेर से 'जैन जगत' का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। 1943 में आचार्य हस्तीमलजी महाराज की प्रेरणा से जैनरत्न विद्यालय भोपालगढ में 'जिनवाणी' का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। फिर इसका प्रकाशन जोधपुर से और विगत कई दशकों से जयपुर से अनवरत रूप में हो रहा है। सर्वश्री चम्पालाल कर्णावट, शांतिचन्द्र मेहता, चांदमल कर्नावट, पारसमल प्रसून और नरेन्द्र भानावत इसके सम्पादक हैं। इसके वर्तमान सम्पादक डॉ. धर्मचन्द जैन हैं। जयपुर में डॉ. नरेन्द्र भानावत ने इसको साहित्यिक स्वरूप प्रदान किया और अनेक अविस्मरणीय विशेषांक इसकी उपलब्धियां रही।'
स्वातंत्र्योत्तर भारत में प्रकाशित मुख्य-मुख्य श्वेताम्बर जैन सम्बन्धी पत्र-पत्रिकाओं की सूची प्रस्तुत हैपत्र-पत्रिकाएं
स्थान प्रारम्भिक वर्ष सम्पादक प्रकाशक 1. जिनवाणी (मासिक)
जयपुर 1943 डा. धर्मचंद जैन 2. शाश्वतधर्म (मासिक) निवाहेड़ा 1952 सौभाग्यसिंह गोखरू 3. ओसवाल
1954 मानमल जैन 4. जैनकल्याण (मासिक)
1954 सी.एल. कोठारी 5. ओसवाल समाज (मासिक)
1964 माणक चोरडिया 6. महात्मा संदेश (मासिक)
चित्तोड़गढ़
फतहचंद महात्मा 7. श्रेष्ठिसमाज (त्रैमासिक) अजमेर 1967 मिश्रीलाल 8. तरुण जैन (साप्ताहिक)
1952 पदमसिंह जैन 9. वीर लोंकाशाह (साप्ताहिक) बिलाडा
विजयमोहन जैन 10. अभयसंदेश
बीकानेर 1955 बख्शी चम्पालाल जैन 11. मरुधर केशरी (आजकल बंद है) जालोर 1956 12. जैन प्रहरी (आजकल बंद है) जोधपुर 1964 -
जोधपुर
1. जैन संस्कृति और राजस्थान, पृ291 2. वही, पृ291 3. वही, पृ292
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