Book Title: Osvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Author(s): Mahavirmal Lodha
Publisher: Lodha Bandhu Prakashan

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Page 473
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समाजशास्त्र के क्षेत्र में डॉ. नरेन्द्र सिंघी (सेवानिवृत्त) और जोधपुर विश्वविद्यालय के डॉ. उम्मेदराज नाहर की उपलब्धियां उल्लेखनीय है। जोधपुर विश्वविद्यालय में तो अनेक विषयों में अनेक ओसवंशी आचार्य पदों पर प्रतिष्ठित रहे है। इस संदर्भ में सर्वश्री डॉ. पुष्पेन्द्र सुराणा (समाजशास्त्र) डॉ. अक्षयमल भण्डारी (रसायनविज्ञान) डॉ. घाडीवाल (भौतिक विज्ञान) डॉ. पी.सी. मोहनोत (सेवानिवृत्त, गणित) डॉ. एस.आर. भण्डारी (सेवानिवृत्त, कानून) और डॉ. सुशील ललवाणी (वाणिज्य) मुख्य है। जोधपुर विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी संकाय में अनेक ओसवंशी आचार्य पद पर प्रतिष्ठित रहे हैं, इनमें मुख्य हैं- डॉ. डी.सी. सुराणा (सेवानिवृत्त),प्रो. वी.के. भंसाली, डॉ. डी.एस. भण्डारी, डॉ. सुशील भण्डारी, प्रो. एम.सी. सेठिया, प्रो. एस.एल. सुराणा, प्रो. डी.एम. सुराणा और अभियांत्रिकी महाविद्यालय कोटा के प्रो. नरेश भण्डारी आदि। ओसवंश में दानवीरों की भी कमी नहीं है। भामाशाह कावड़िया ने जिस परम्परा को आगे बढ़ाया, उसे ओसवंशी दानवीरों ने अक्षुण्ण रखा है। ओसवंशियों ने रुग्ण मानवता की सेवा के लिये कितना दान किया, धर्म और शिक्षा के लिये कितना दान किया, इसकी थाह पाना कठिन है। कोट्याधिपति ओसवाल श्रेष्ठि प्रेमचंद रायचंद गांधी जी के ट्रस्टीशिव सिद्धान्त के मानने वाले थे। 'गुजरात के ओसवंशियों में आपकी गाथा अद्वितीय है।'' ओसवंशी लोढ़ा गोत्रीय यशरूपमल ने नाकौड़ा महाविद्यालय, जोधपुर और जोधपुर में ही शववाहन के द्वारा दान की परम्परा को आगे बढ़ाया है। ओसवंशियों ने कितना दान किया, यह अनुसंधान का विषय है। इस ग्रंथ की सीमा में इसे आबद्ध नहीं किया जा सकता। न्याय के क्षेत्र में मुख्य न्यायाधिपति चांदमल लोढ़ा (सेवानिवृत्त) और श्री गुमानमल लोढ़ा (सेवानिवृत्त) के अतिरिक्त न्यायविदों में श्री रणजीत सिंह बच्छावत (सेवानिवृत्त), श्री कृष्णमल लोढ़ा (सेवानिवृत्त), श्री किशोरसिंह लोढ़ा (सेवानिवृत्त), श्री जसराज चोपड़ा, श्री राजेश वालिया, श्री राजेन्द्र लोढ़ा (बम्बई उच्च न्यायालय) श्री सिंघवी (पंजाब उच्च न्यायालय) के नाम महत्वपूर्ण है जिन्होंने न्याय के क्षेत्र में मूल्य आधारित न्याय की अवधारणा प्रस्तुत की है। __ कानूनविदों में तो ओसवंशियों का वर्चस्व रहा है। संविधान विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी को कौन भूल सकता है ! राजस्थान उच्च न्यायालय में ओसवंशी कानूनविदों की भरमार चिकित्सा के क्षेत्र में डा. शीतल राज मेहता (चिकित्सक) डा. सूरजमल दूगड़ (विधि विज्ञान और निदान विज्ञान), डा. सुखदेव लोढा (शल्य ज्ञान), डा. अजीतमल सिंघवी (शल्यचिकित्सा) डा. एल.एम. सिंघवी (चिकित्सा) डा. जगदीश मेहता (शल्य चिकित्सा), डा. अरुण बोर्दिया (हृदयरोग) नरेन्द्र भण्डारी (मूलरोगविज्ञान) और डा. नरपतमल सिंघवी (चिकित्सा) की सेवाएं उल्लेखनीय रही है। ओसवंशीअभियांत्रिकों में सर्व श्री सायरमल दूगड़, रमेश भण्डारी, सूरजराज मेहता, 1. इतिहास की अमरबेल, ओसवाल, द्वितीय भाग, पृ423 For Private and Personal Use Only

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