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19वीं शताब्दी में काश्मीर में ओसवंश की कीर्तिपताका फहराने वाले मेजर जनरल विशनदास दूगड़ का नाम इतिहास के पन्नों में अमर रहेगा।'
स्वातंत्र्योत्तर काल में प्रशासनिक क्षेत्र में ओसवंशी प्रशासकों में सर्वश्री डा. मोहनसिंह मेहता, सत्यप्रसन्नसिंह भण्डारी, गोकुललाल मेहता, जगन्नाथसिंह मेहता, नारायणदास मेहता, देवेन्द्रराज मेहता, रणजीतसिंह कुमट, अनिल बोर्दिया, श्रीमती ओतिमा बोर्दिया, मीठलाल मेहता, जसवंतसिंह सिंघवी, पशुपतिनाथ भण्डारी, बाबूलाल पानगड़िया, हिम्मतसिंह गलूण्डिया, हिम्मतसिंह सरुपूरिया, कन्हैयालाल कोचर, श्री अर्जुनराज भण्डारी, पदमचंद सिंघी, सम्पतराज सिंघी, सवाई सिंह सिंघवी, हरकराज भण्डारी, हीरालाल सिंघवी, चन्द्रराज सिंघवी, नरपतसिंह भण्डारी, अजीतसिंह सिंघवी और महेन्द्र सुराणा और पुलिस में खुली जेल की दृष्टि से अरूण दूगड़ और आई. बी. के सेवानिवृत्त महानिदेशक सुरेश मेहता आदि ने अपनी मूल्यपरक प्रशासनिक दृष्टिकोणसे ओसवंश के गौरव में अभिवृद्धि की।
साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में अनेक ओसवंशी पुरुषों और महिलाओं ने ओसवंश के गौरव में अभिवृद्धि की। ओसवंशी श्रेष्ठियों ने अमूल्य हस्तलिखित ग्रंथ लिखवाकर नष्ट होती सांस्कृतिक धरोहर को बचाया। ज्ञान भण्डारों की स्थापना की, सरस्वती भण्डार खोले, मौलिक साहित्य का सृजन किया। ओसवंशीय सोनी संग्रामसिंह ने 'बुद्धिसंग्राम' (संस्कृत) पद्य रचना की। महाकवि रयधू संघवी भट्टारक कमलकीर्ति (1506-1536) के शिष्य थे। 'सावड चरिड (श्रावक चरित्र) आपकी प्रधानकृति मानी जाती है । ओसवंशीय मुकीम गोत्र के आगरा सेठ हीराचंद ने 'अध्यात्म बावनी' की रचना की, गोरा बादल की कथा के रचयिता ओसवाल जाति के नाहर गोत्रीय सिबुला ग्राम के रहने वाले श्रेष्ठि धरमसी के पुत्र जटमल थे। कवि भगवती प्रसाद भैया- ओसवाल जाति के कटारिया गोत्रीय दशरथसाहू के पौत्र और लालजी साहू के पुत्र प्रतिभाशाली आध्यात्मिक कवि थे। ब्रह्मविलास में आपकी 67 कृतियों का संग्रह है।'
इसके अतिरिक्त भण्डारी उत्तमचंद (1857) का अलंकार आशय', भण्डारी उदयचंद का 'साहित्यसार', हाजराम ओसवाल की 'साधु गुणरत्नमाला' और देव रचना, कुम्भट विनयचंद के 'चौबीस स्तवन', जेठमल चोर्डिया की जम्बूगुण रत्नमाला, सुखसम्पतराज भण्डारी की 'भारत के देशी राज्य', 'अंग्रेजी हिन्दी कोश' और 'ओसवाल जाति का इतिहास' महत्वपूर्ण कृतियां है। श्री पूरणचंद्र नाहर के “जैन शिलालेख संग्रह' (पाँच भाग), बेचरदास डोसी का जैन साहित्य का बृहत इतिहास', श्री अगरचंद नाहटा का ‘बीकानेर जैन लेख संग्रह' श्री दौलतसिंह लोढ़ा का 'जैन प्रतिमा लेख संग्रह', मुनि विनयसागर का प्रतिष्ठा लेख संग्रह, स्यालकोट के भावड़ा ओसवाल लाला ठाकुरदास का 'अज्ञान तिमिर भास्कर', मुनि ज्ञानसुन्दरजी (वेद मुहता) का जैन जाति महोदय', ओसवंशीय परमानन्द भाई कापड़िया का 'पूर्दूपण व्याख्यानमाला' संघवी गोत्रीय पण्डित
1. इतिहास की अमरबेल- ओसवाल, द्वितीय भाग, पृ425 2.वही, भाग 2, पृ404 ? वही. 9405
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