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सिरोही राज्य में दीवान के रूप में सिंघी श्रीवंतजी, सिंघी श्यामजी, सिंघी सुन्दर जी, सिंघी अमरसिंह जी, सिंघी हेमराज जी, सिंघी कानजी, सिंघी पोमाजी, सिंघी जोरजी, सिंधी कस्तूरचंदजी और रायबहादुर सिंघी जवाहरचंदजी की सेवाएं उल्लेखनीय रही।
इसके अतिरिक्त सुजानमलजी बांठिया दीवान के पद पर, झालावाड़ में सुराणा गंगाप्रसाद जी फोजबख्शी रहे और बांसवाड़ा में कोठारी परिवार के अनेक सदस्य दीवान पद पर रहे।
जयपुर राज्य में अधिकतर दिगम्बर पद पर रहे। मानकचंद ओसवाल (संवत 1906 -1912) और नथमल गोलछा माधोसिंहजी के समय में दीवान रहे। स्वाधीनता सैनानी
ओसवंशियों ने स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण योग दिया। राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम को दिशा देने वालों में जोधपुर राज्य के श्री आनन्दराज सुराणा का नाम अग्रगण्य माना जाता है। मेवाड़ प्रजामण्डल के प्रथम अध्यक्ष मेहता बलवंतसिंह मेहता ने भारत छोड़ो आन्दोलन' में भाग लिया और स्वाधीनता के पश्चात् उद्योग मंत्री के पद पर भी रहे। श्री भूरेलाल बयाने नमक सत्याग्रह में भाग लिया, आर्थरोड और यरवदा जेल में जेल भुगती, आदिवासियों और किसानों के सत्याग्रहों के साथ रचनात्मक कार्यक्रमों में भाग लिया। भीलवाड़ा के उमरावसिंह ढाबरिया मेवाड़ प्रजामण्डल के आन्दोलनों से सम्बद्ध रहे । कुशलगढ़ के डाडमचन्द दोषी, झब्बालाल कावड़िया, उच्छवलाल मेहता, भेरूलाल तलेसरा, कन्हैयालाल मेहता, किशनलाल दोषी और सोभागमल दोषी आदि प्रमुख है। कोटा के बागमल बांठिया ने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया।
जयपुर में स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने वाले ओसवंशियों में श्री दौलतमल भण्डारी और सिद्धराज ढढा का नाम उल्लेखनीय है । इसके अतिरिक्त नथमल लोढ़ा, भंवरलाल बोथरा, रतनचंद कांसटिया आदि ने कृष्ण मंदिर की यातनाएं सही।
जोधपुर में अभयमल जैन, मानमल जैन, उगमराज मोहनोत, अमृत नाहटा, गुमानमललोढ़ा और विरदमल सिंघवी ने आजादी के आन्दोलनों से सक्रिय भाग लिया।
लाडनूं के चम्पालाल फूलफगर, बिलाड़ा के श्री पुखराज, फलौदी के सिंघी सम्पतलाल (लूंकड़), सरदार शहर के आंचलिया नेमीचंद, सिरोही के धर्मचन्द सुराणा, दुलीचंद सिंघी, रूपराज सिंघी, शोभाराम सिंघी, हजारीमल जैन आदि मुख्य रहे । पाली जिले में सादड़ी के फूलचंद बाफना, कोटा के रिखबचंद धाडीवाल, भीलवाड़ा के मनोहरसिंह मेहता, अजमेर के जीतमल लूणिया की स्वाधीनता आन्दोलन की सेवाएं भुलाई नहीं जा सकती।
भीलवाड़ा के रोशनलाल चोरड़िया, अजमेर केकालूराम लोढ़ा, अमोलकचन्द सुराणा, वीरसिंह मेहता, उदयपुर के हुकमराज जैन, जयपुर के श्री सरदारमल गोलेछा, सोहनलाल लोढ़ा, पाली के तेजराज सिंघवी, सिरोही के धनराज सिंघी, जोधपुर के श्री सुगनचंद भण्डारी, ऋषभराज जैन, पारसमल खिंवसरा, करोड़ीमल मेहता, सम्पमल लूंकड़, पी.एम.लूंकड़, इन्द्रमल जैन और रिखबराज कर्णावट आदि अनेक स्वाधीनता संग्राम के सेनानी रहे।
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