Book Title: Osvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Author(s): Mahavirmal Lodha
Publisher: Lodha Bandhu Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 472
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 443 सुखलाल का “दर्शन और चिन्तन (तीन खण्ड) बेचरदास दोसी की 'व्याख्यान मालाएं', अगरचंद नाहटा के असंख्य अनुसंधान परक लेख के अतिरिक्त सरदार शहर के कन्हैयालाल सेठिया और अजमेर के प्रकाश जैन (लोढ़ा) के नाम लिये जा सकते हैं। तीन दशकों तक श्री प्रकाश जैन 'लहर के सम्पादन के द्वारा हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता को नया आयाम दिया। इनका काव्यसंग्रह “अन्तर्यात्रा' जैनमत पर लिखी कविताएं है। श्रीमती मनमोहिनी ने 'ओसवाल दर्शन : दिग्दर्शन में पहली बार "ओसवाल कौन क्या?' (Whose who) पहली बार प्रस्तुत किया। इस ग्रंथ में भूमिका के अतिरिक्त समस्त सामग्री जुटाने का श्रेय लोढ़ा कुलभूषण चंचलमल को दिया जा सकता है। लोढ़ा चंचलमाला ने इस देश के एक छोर से दूसरे छोर तक यात्रा करके अथक परिश्रम से एक एक व्यक्ति का परिचय प्राप्त कर समस्त ओसवाल जाति को एक सूत्र में बांधने का प्रयत्न किया। श्री सोहनराज भंसाली की 'ओसवाल अनुसंधान के आलोक में' और श्री मांगीलाल भूतोड़िया का “इतिहास की अमरबेल' (दो खण्ड) महत्वपूर्ण कृतियां है जिसमें ओसवंश के उद्भव और विकास को पूरी प्रतिबद्धता से महिमामण्डित किया गया है। पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रकाशक सेठ कपूरचंद कुलिश (कोठारी) भंवर सुराणा, अनिल लोढा और डॉ. महेन्द्र मधुपकी सेवाएं भी प्रशंसनीय रही है। तीन दशकों तक लहर' (साहित्यिक मासिक) के प्रकाशन से श्री प्रकाश जैन ने हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता को नया आयाम दिया। श्री 'कुलिश' की राजस्थान पत्रिका' पत्रकारिता की दृष्टि से महत्वपूर्ण घटना है। प्रस्तुत ग्रंथ के लेखक की कृति “नैतिक शिक्षा: विविध आयाम' में मूल्यपरक नैतिक शिक्षा का सैद्धान्तिक और व्यावहारिक विवेचन है। यह कृति जैनमत के सांस्कृतिक प्रतिमानों और आचारशास्त्र के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। अनगिनत ओसवंशी लेखक हैं, जिनकी उपलब्धियां सराहनीय है। भारत की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और संवर्धन के लिये ओसवाल श्रेष्ठि बाबू बहादुरसिंह जी सिंघी हमेशा याद किये जाएंगे। जैनमत के प्राचीन ग्रंथों के शोध के लिये आपके ही कारण शांति निकेतन में सिंघवी जैन विद्यापीठ है।'' ओसवंशीय शिक्षाविरों में विश्व विद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. दौलतसिंह कोठारी, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. वीरेन्द्रराज मेहता, उस्मानिया विश्वविद्यालय के डॉ. गोवर्धन मेहता और जोधपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. कल्याणमल लोढ़ा के नाम उल्लेखनीय है। अनेक ओसवंशी पुरुषों और महिलाओं ने विद्यालयों से लेकर महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में अपनी उल्लेखनीय सेवाओं के द्वारा मूल्यपरक शिक्षा के दायित्व का निर्वाह किया है। पूर्व निदेशक कॉलेज शिक्षा राजस्थान और पूर्व कुलपति जैन विश्वभरती लाडनू के डा. महावीर राज गेलडा ने उल्लेखनीय सेवाएं प्रदान की है। हिन्दी के अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र में सर्वश्री प्रो. कल्याणमल लोढ़ा, गणपतिचंद्र भण्डारी, नरपतचंद सिंघवी, मूलचंद सेठिया और स्वर्गीय डॉ. नरेन्द्र भानावत की उपलब्धियां सराहनीय रही है। 1. इतिहास की अमरबेल-ओसवाल, द्वितीय भाग, पृ432 For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482