________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
446 जैनमत और ओसवंशः सांस्कृतिक संदर्भ
__ जैनमत और ओसवंश के बीच सांस्कृतिक सेतु है। जैनमत ने जिन जिन सांस्कृतिक प्रतिमानों की संस्थापना की, उनके संरक्षण (conservation), संवर्धन (growth), सम्प्रेषण (communication) और सृजन (creation) में ओसवंश ने जैन साहित्य और जैन ग्रंथागार, जैनकला चित्रकला, मूर्तिकला, वास्तुकला और जैनतीर्थों द्वारा योग दिया। ओसवंशी पुरुषों और महिलाओं ने जैनमत द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक प्रतिमानों को अक्षुण्ण रखने के लिये उनके संरक्षण, संवर्धन, सम्प्रेषण और सृजन में योग दिया।
जैनमत के सांस्कृतिक प्रतिमानों के संरक्षण, संवर्धन, सम्प्रेषण और सृजन के कारण ओसवंश को जैनमत की सांस्कृतिक प्रयोगशाला (Cultural Laboratory) कहा जा सकता
अंत में कहा जा सकता है कि जैनमत और ओसवंश के बीच सांस्कृतिक सेतु है और यह भी कहना उचित ही है कि ओसवंश जैनमत के सांस्कृतिक प्रतिमानों का केवल प्रतिरूप (Replica) न होकर सार, निचोड़ और आदर्शात्मक प्रतीक (ideelized epitome) है।
For Private and Personal Use Only