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327 तंवरवंश का नाम महाभारत के युद्ध के उपरान्त आया। इस वंश के बारे में कथा है कि परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने नागजाति को ही समाप्त करने का निश्चय किया। उस समय एक नागवंशीय ऋषि ने जनमेजय को समझाया तब एक यज्ञ में जनमेजय का पुत्र पौत्रादि दीक्षित हुए। उन्हें महर्षि ‘तुर' ने दीक्षित किया, इसलिये वे तंवर (तोमर) कहलाये। ‘पृथ्वीराज रासो' में भी तेवरों को चन्द्रवंशीय माना है। राजस्थान के सीकर की तहसील नीम का थाना, जयपुर की तहसील कोटपुतली और अलवर के कुछ क्षेत्रों में तंवर अधिक है इसलिये इसे तोरावाटी (तंवरवटी) भी कहते हैं। इसकी कई शाखाएं हैं।
सेंगरवंश के सबसे प्रसिद्ध राजा बलि थे। इनके पांच पुत्र बालेय कहलाए 1. अंग 2. बंग 3. सहय 4. कलिंग 5. पुण्डूक अंगदेश
कलिंग देश की स्थापना की
की स्थापना की अंगवंश परम्परा में 20वाँ विकर्ण हुआ। विकर्ण के 100 पुत्र होने से वे शतकर्णी कहलाए। शतकर्णी का ही अपभ्रंश सेंगरी सिंगर, सेंगर हुआ। चेदि इनका राज्य था। इस वंश का सिंरोज (मालवा) पर कई वर्षों तक राज्य रहा।
गहरवार वंश को कुछ विद्वान राठौड़ों से उत्पन्न मानते हैं। कर्नल टाड इसे विदेशी मानते हैं। वस्तुत: यह विशुद्ध चंद्रवंशी है । इस वंश का उदय ग्यारहवीं शताब्दी में मिर्जापुर के पहाड़ी क्षेत्रों में हुए। गुफा में रहने के कारण ये गुहावाल या गहरवार कहलाए। जयचंद इसी वंश का राजा था। जयचंद के साथ ही यह वंश समाप्त हो गया। इस वंश के क्षत्रिय अब उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद, बनारस, मिर्जापुर, गाजीपुर, तथा बिहार के रांची रामगढ, पलागू, गया, दरभंगा, शालाबाद, वैशाली और मुजफ्फरपुर जिलों में बसते हैं।
बुन्दैला गहरवार वंश की शाखा है
झालावंश की उत्पत्ति के बारे में मतभेद है। कर्नल टाड न इसे सूर्यवंशी, न चंद्रवंशी और न अग्निवंशी मानते हैं। वास्तव में यह वंश चन्द्रवंशीय है, जो मकवाना क्षत्रियों से उत्पन्न है। झालावाड़ पर झाला नरेशों का राज्य रहा।
सोलंकी वंश को प्राचीन ग्रंथों, ताम्रपत्रों और शिलालेखों में चोलुक्य, चुलुक्य, चलुक्य, चालुवध, चुलुवक और चुलुग वंश माना है। कर्नल टाड इसे अग्निवंशी मानते हैं। सोलंकी क्षत्रियों के दो वंश हैं- उत्तर के सोलंकी, दक्षिण के सोलंकी। बघेलवंश भी इसी की शाखा है।
__ बनाफरवंशको कर्नल टाड ने यदुवंश की शाखा माना है। अम्बिकाप्रसाद दिव्य इसे लक्ष्मण का वंश मानते हैं। इनके अनुसार बनाफर इनकी उपाधि थी। वह्विदेव की अच्छी सेवा करने के कारण ये बनाफरवंशी कहलाए। वास्तव में यह पाण्डुपुत्र भीम का वंश है। हिडिम्बा के पुत्र से यह वंश चला। इस वंश के लोग अब उत्तरप्रदेश में जादौन, हम्मीरपुर, बांदा, बनारस,
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