Book Title: Osvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Author(s): Mahavirmal Lodha
Publisher: Lodha Bandhu Prakashan

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Page 381
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 352 चाहमानों का मूल स्थान चित्तोडगढ के मानमोरी 713 ई. के शिलालेख में दी गई वंशावली में महेश्वरदास और भीमदास नाम आते हैं, जो चहमान शासक भर्तृवृद्ध द्वितीय के भी पूर्व पुरुष थे। चाहमान और मोरी वंश की वंशावलियों के नाम या नामान्त की ही साम्यता नहीं है, वरन् इनके समय में भी साम्यता दीख पड़ती है। ऐसी हालत में चाहमानों का मोरियों से वंश सम्बन्ध हो सकता है और उनका मूल निवास स्थान चित्तोड़ माना जा सकता है। यह माना जाता है कि यदि छठी और सातवीं शताब्दी में भडौंच प्रान्त में चाहमान थे तो वे प्रतिहारों के सामन्त थे। 'पृथ्वीराज विजय', 'शब्दकल्पद्रम' आदि लेखों में चाहमानों के निवास स्थान विशेष का वर्णन मिलता है। इससे स्पष्ट है कि चाहमान जांगलदेश (बीकानेर, जयपुर, उत्तरी मारवाड़) के रहने वाले थे और उनके राज्य का प्रमुख भाग सपादलक्ष (सांभर) था और उनकी राजधानी अहिछत्रपुर (नागौर) थी।' ___ राजस्थान के इतिहास में ही चौहान दृष्टिगत होते हैं। अहिछत्रपुर (नागौर) इनका मूल स्थान है। बिजोलिया के शिलालेख में इसके प्रारम्भिक सामन्त को विप्र वत्स गोत्र का ब्राह्मण माना है। आरम्भिक शासकों में सिंहराज का उत्तराधिकारी विग्रहराज द्वितीय चौहान के प्रारम्भिक शासकों में सबसे शक्तिशाली था। रणथम्भौर के चौहान 1211 ई. में इस्लामी आक्रमण के पश्चात् सपादलक्ष और नाडोल के साम्राज्य लुप्त हो गये, किन्तु इनके ही परिवार के एक व्यक्ति ने जबलिपुर (जालौर) पर आधिपत्य कर लिया। यह गोविन्द था, जिसे हमीर काव्य' में पृथ्वीराज का पौत्र माना है। रणथम्भौर के चौहान राज विरण्यारण को दिल्ली के बादशाह अल्तमश ने जहर दिया, किन्तु अल्तमश की मृत्यु के पश्चात् इसका चाचा ने रणथम्भोर को अधीन करके सात वर्ष तक राज्य किया। वागभट्ट के काल में चौहान परमार संघर्ष प्रारम्भ हो गया था। हमीर रणथम्भौर का अंतिम चौहान राजा था। नयचंद्र सूरि के हमीर महाकाव्य' और भांदू व्यास के हमीरायण' भाट खेना की हरीरादो राकवित्त', मल्ला का हमीरादे रा कवित्त', चन्द्रशेखर का हमीर हठ', ग्वाल का हमीर हठ' आदि हमीर पर लिखी रचनाएं है। हमीर ने एक प्रकार से दिग्विजय यात्रा प्रारम्भ कर दी थी। हमीर एक विशिष्ट प्रकार का राजपूत था । यह अपने मित्रों के प्रति निष्ठावान और वीर, हिन्दू संस्थाओं का रक्षक शौर्यवान और राजपूतों की प्रतिष्ठा का रक्षक था। __ जैन कवि नयचन्द्र ने हमीर की प्रशस्ति गाई है । नयचन्द्र ने नहीं माना कि हमीर की मृत्यु हो गई क्योंकि उसकी उपलब्धियाँ हमेशा ऊपर रहेगी। हमीर का पतन जुलाई 12, 1301 1. डा. गोपीनाथ शर्मा, राजस्थान का इतिहास, पृ89 2. वही, पृ 10 3. Dr. Dashrath Sharma, Early Chauhan Dynasties, Page 10-12. 4. Dr. Dasharath Sharma, Rajasthan through the Ages, Page 231 This would suggest save Naga Connections though in the Bijolia inscription, their early ruler Samanta is called Vipra, is a Brahman of Vatsa gotra. For Private and Personal Use Only

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