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मोरिपुर
महानगर
350 परमार राजपूतों से निसृत कुछ ओसवंश के गोत्र (तालिका रूप में) गोत्र संवत आचार्य गच्छ स्थान पूर्वपुरुष 1. करणिया 1176 जिनदत्तसूरि खरतर कच्छ गदाधर 2. गांग 13वीं शताब्दी जिनचन्द्रसूरि खरतर
गंगासिंह 3. डीडू सिंघवी 14वीं शताब्दी जिनप्रभसूरि खरतर डीडर माधवजी 4. नाहर - मानदेवसूरि -
आसपीर 5. बरडिया/दरड़ा 954 उद्योतनसूरि -
लखनसी 6. बरमेचा/ब्रह्मेचा 1175 जिनदत्तसूरि खरतर अंबागढ बोरड 7. हरखावत/कुवाड़ 1167 जिनवल्लभसूरि खरतर रणथम्भौर हरखाजी 8. सुराणा 1132 धर्मघोष सूरि - अजयगढ रावसूर 9. बांठिया 1167 जिनवल्लभसूरि खरतर रणथम्भोर बंठ । 10. ललवाणी 1167 जिनवल्लभसूरि खरतर रणथम्भोर लालसिंह 3. बाफना बहुफणा 1177 जिनदत्तसूरि खरतर धार जयपाल 13. मल्लावत 1167 जिनवल्लभसूरि खरतर रणथम्भौर मल्ल । 14. बावेल 1371 जिनकुशलसूरि खरतर बावेला रणधीर 15. छावत 1073 सिद्धसूरि उपकेश धारा रावछाहड़ चौहान राजपूतों से निसृत ओसवंश के गोत्र चौहान -
चौहानों का इतिहास राजस्थान के उत्तरी पश्चिमी भाग में समृद्धि और प्रसिद्धि का युग था। इस वंश में वासदेव चौहान से लेकर पृथ्वीराज चौहान के पुत्रों के समय तक पाँच सौ वर्षों तक उत्तर और पश्चिमी भारत में चौहानों का राज्य था। चौहान जांगल देश (मरुभूमि) के राजा थे। उन्होंने गुर्जर राज्य के पतन के बाद 736 ई में अपना राज्य स्थापित कर लिया था। वास्तव में चौहानों का आदि स्थान सीकर है और इनके आदि पुरुष सीकर में ही रहते थे। चौहान सामन्त प्रतिहारों के अधीन थे । चौहानों का सबसे पहले शिलालेख बीजोलिया में प्राप्त हुआ है जो 1169 ई का है। 'प्रबन्धकोश' के अनुसार चौहानों का पहला शासक वासदेव 608 वि में सांभर में राज्य करता था और सांभर झील उसने खुद बनवाई थी। डा. दशरथ शर्मा इस राजा की उत्पत्ति के बारे में लिखते हैं यह वत्स गोत्र का अहिछत्रपुर (नागौर) का ब्राह्मण था। नागौर से
1.बी.एम. दिवाकर, राजस्थान का इतिहास, 153 2. वही, पृ53
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