Book Title: Osvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Author(s): Mahavirmal Lodha
Publisher: Lodha Bandhu Prakashan

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Page 421
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 392 81. सादनाड से हूण्ड 82. हल्दानगर से हलद 83. हाकगड से हाकरिया इसी तरह गुजरात देश की चौरासी, दक्षिण देव की चौरासी और मध्यप्रदेश की भी चौरासी न्यात है। खण्डेलवाल खण्डेलवाल वैश्य दो श्रेणियों के हैं कुछ गौत्र डीडू माहेश्वरियों के हैं और कुछ खण्डेलवाल श्रावकों के हैं। बारह न्यातों में खण्डेलवाल भी सम्मिलित हैं। मध्यप्रदेश मालवे में निम्नांकित 12 न्यात मानी जाती है। श्रीश्रीमाल श्रीमाल अग्रवाल ओसवाल खण्डेलवा बघेरबाल पल्लीवाल पौरवाल जेसवाल माहेश्वरी- डीडू हूमड़ी चौराडिया गौड़वाड़ गुजरात काठियावाड़ में 12 न्यातों में ओसवालों के स्थान पर खण्डेलवाल जैनी है। यहाँ अग्रवाल नहीं है चोसवाल श्रीश्रीमाल श्रीमाल बघेरवाल पल्लीवाल चिमवाल पौलवाल मेड़तवाल खण्डेलवा ठंठवात माहेश्वरी हरसौरा जयपुर नगर के खण्डेलानगर के नाग से इस जाति का नाम खण्डेलवाल पड़ा। एक समय खण्डेला नगरी शेखावत राजपूतों का केन्द्रस्थली था। एक कथा के अनुसार विक्रमसम्वत् के प्रारम्भ में जिन शैनाचार्य 507 मुनिराज के साथ लेकर माघ सुदी पंचमी को खण्डेलानगर में पधारे, उस समय वहाँ खण्डेलागिरि नाम का सूर्यवंशी चौहान राज्य करता था। उस समय वहाँ महामारी विसूचिका फैल रही थी। जिसके कारण हाहाकार मच रहा था। अनेक उपाय करने पर भी जब महामारी शान्त न हुई तब राजा उन मुनिराजों की शरण में गया और बड़ी प्रार्थना की। तब ऋषिराज ने कहा, जैनधर्म स्वीकार करो और देश में शांति हुई, 82 क्षत्रिय और 2 सुनार थे, वे श्रावक धर्म में दीक्षित हुए। माहेश्वरी जाति से बने ओसवाल गोत्र 1. कोचर 2. डागा 1. इतिहास की अमरबेल, ओसवाल, द्वितीय खण्ड, पृ231 For Private and Personal Use Only

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