________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
358 12. ममैया
जिनेश्वरसूरि
13. संखलेचा/संखवालेचा 1175 रत्नप्रभसूरि
14. संखवाल
16. पीलिया
www.kobatirth.org
17. बावेल
18. भण्डारी
खरतर
कोरंट
जिनेश्वरसूरि
खरतर
जिनदत्तमूरि खरतर
जिनकुशलसूरि खरतर
यशोभद्रसूरि
सण्डेर
सिद्धसूरि
उपकेश
जिनदत्तसूरि खरतर
1313
1197
1371
11 वीं शती
19. सफला
1197
20. बोहित्थरा / बोथरा 1197
21. दस्साणी
4. बच्छावत
चौहानों की उपशाखा खींची से निसृत ओसवंश के गोत्र
गोत्र
संवत
आचार्य
गच्छ
स्थान
आचार्य गच्छ
जिनदत्तसूरि खरतर
संखवाल
लखमसी
संखवाल कोचरशा
विक्रमपुर
पीउला
बावेला
रणवीर
नाडोल
जालोर
देहवाड़ा
1. गेलड़ा / गेहलड़ा 1552
जिनहंससूरि
खरंतर
खजवाणा
चौहानों की उपशाखा देवड़ा से निसृत ओसवंश के गोत्र
गोत्र
संवत आचार्य
गच्छ
स्थान
1. कमाणी/सिंघी/सिंघवी 1026 वर्द्धमानसूरि
खरतर
मांडवगढ
2. लोढ़ा 1172 रविप्रभसूर
खरतर
बडनगर
चौहानों की उपशाखा सोनगरा से निसृत ओसवंश के गोत्र
गोत्र
संवत
1. दोसी / दोषी
1197
राठौड़ राजपूतों से निसृत ओसवंश के गोत्र
राठौड़
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
स्थान
विक्रमपुर
For Private and Personal Use Only
दूराराव
लाखणसी
बोहित्थ
दस्सू
बच्छो
पूर्वपुरुष
गिरधारी
पूर्वपुरुष
समरसंघ
लाखन
पूर्वपुरुष
हीरसेन
राठौड़ों की उत्पत्ति के विषय में मतभेद है । इनके भाट इन्हें हिरण्यकश्यप की रानी दिति से उत्पन्न मानते हैं । इनका कहना है कि राजा मुचकन्द का नाम राठौड़ था, जिसके वंशज राठौड़ कहलाए। कुछ विद्वान इन्हें इन्द्र की रीढ़ से उत्पन्न मानते हैं। कर्नल टाड इन्हें शक आदि अनार्यों की तथा वी. ए. स्मिथ इन्हें असभ्य जातियों से उत्पन्न मानते हैं । कुछ विद्वान इनकी उत्पत्ति द्रविड़ों से मानते हैं । एक दयालदास इन्हें ब्राह्मणवंशीय भल्लराव की संतान मानता है । ईश्वरसिंह