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364 के बड़गूचर क्षत्रियों के यहाँ ब्याहे गये, किन्तु उन्होंने बड़गूजरों को निकालकर स्वतंत्र शासक बन गये । इस प्रकार धीरे धीरे व समस्त ढूंढाणा (वर्तमान) जयपुर राज्य के स्वामी बन गये । इनके पुत्र काकिलदेव ने 1027 वि.स. में मीणों से आमेर छीनकर अपनी राजधानी बनाया।
इनकी वंशावली निम्नानुसार है - 1. ढोलाराब 2. काकिलदेव 3. हुणुदेव 4. जान्हडदेव 5. पजवणदेवा 6. मालसी 7. विजलदेव 8. राजदेव 9. किल्हण 10. कुन्तल 11. जाणसी 12. उदयकरण 13. नरसिंह 14. बनवीर 15. उदयराज 16. चन्द्रसेन
17. पृथ्वीराज 18. पूर्णमल 19. भीमदेव 20. रत्नसिंह 21. आसकरण 22. भारमल (बिहारीमल) 23. भगवेतदास 24. मानसिंह 25. भावसिंह 26. जयसिंह 27. बिशनसिंह 28. सवाईजयसिंह। 29. ईश्वरीसिंह 30. माधवसिंह 31. पृथ्वीसिंह 32. प्रतापसिंह 33. जगतसिंह 34. जयसिंह 35. रामसिंह 36. माधवसिंह 37. मानसिंह 38. भवानीसिंह
28 वे शासक जयसिंह II ने जयपुर नगर बसया । यह नरेश बड़ा ही विद्वान और खगोलविद था। इन्होंने जयपुर के अतिरिक्त दिल्ली, आगरा, मथुरा, उज्जैन और बनारस मैं पाँच वैद्यशालाएं स्थापित की।
अलवर के नरेश भी कछवाहा हैं। इनकी वंशावली निम्नानुसार है1. प्रतापसिंह (1775-1790) 2. बखतावसिंह (1790-1815) 3. बन्नेसिंह (1815-1857) 4. शिवदान सिंह (1857-1874) 5. मंगलसिंह (1874-1892) 6. जयसिंह (1892-1933) 7. तेजसिंह (1933
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