Book Title: Osvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Author(s): Mahavirmal Lodha
Publisher: Lodha Bandhu Prakashan

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Page 400
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 371 विजयराज शक्ति का उपासक था, जिसने चाहनदेवी मठ का निर्माण करवाया। जैसल ने फोर्ट अपने नाम बनवाया, जिसका नाम जैसल मेरु रखा गया। पांच वर्ष पश्चात् उसकी मृत्यु हो गई। इसके पुत्र शालिवाहन ने इसे 1244 वि.स. के लगभग पूर्ण करवाया, खरतरगच्छ की वृहद विरुदावली में इसका संदर्भ है । शालिवाहन के पश्चात् उसका पुत्र वैजल हुआ, जो विजयराज कदापि नहीं है। वैजल का उत्तराधिकारी पिता का अनुज केलना था, जिसने 18 वर्ष राज किया। __ केल्हण का उत्तराधिकारी चीचगदेव हुआ जिसने 28 वर्ष 5 महीने राज्य किया। चीचगदेव के पुत्र रावलकर्णा का राज्य लम्बे समय तक चला। 'खरतरगच्छ वृहद गुरुवावली' के अनुसार यह वि.सं 1340 में रावलकर्ण के समय में खरतरगच्छ के आचार्य जिनप्रभ सूरि वहाँ पधारे थे। उन्होंने राजा के अनुरोध पर चातुर्मास किया था। 'खरतरगच्छ वृहदावली' के ही अनुसार राजाधिराज श्री जेत्रसिंह के निवेदन पर जिनचंद्रसूरि जैसलमेर पधारे थे और उनका अधिकारियों और प्रजाजनों द्वारा भव्य स्वागत हआथा। वि.स. 1357 (1300 ई) में जैत्रसिंह ने सूरी के तत्वावधान में आयोजित एक धार्मिक समारोह के लिये कुछ वाद्ययंत्र भेजे थे। __ जैत्रसिंह के पुत्र पुण्यपाल ने केवल 2 वर्ष और 5 माह तक राज्य किया। यह जेतसी के द्वारा हटाया गया, जो चीचड़देव के पुत्र तेजा का पुत्र था। पुण्यपाल को अपनी सौतेली मा के साथ प्रतिबन्धित सम्बन्ध होने के कारण हटा दिया गया। अनेक शिलालेखों आदि से यह प्रमाणित होता है कि अलाउद्दीन खिलजीका जैसलमेर पर आक्रमण 1308 ई में हुआ। जैतसी के पश्चात् दूदा शासक बना, जो राव कल्हण का प्रपौत्र था। उस समय के पार्श्वनाथ और सम्भवनाथ मंदिरों के शिलालेख उपलब्ध होते हैं। दूदा का राज्यकाल सम्भवत: 1309-1331 ई. के बीच रहा। जैसलमेर पर दूसरी बार आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी द्वारान होकर गयासुद्दीन तुगलक द्वारा हुआ। दूदा काशत्रु तुगलक सुल्तान था, अलाउद्दीन खिलजी नहीं। यह भी सम्भव है कि यह गयासुद्दीन तुगलक न होकर उसका पुत्र मोहम्मद बिन तुगलक हो। 1. मेहता नथमल, जैसलमेर की तवारीख, 27 2. Dr. Dashrath Sharma, Rajasthan Through the Ages, Page 680. Chachigdeve"s son Ravad Karna had a long reign and according to Khartargachachhabraha gurvavali, he was on the thone of Jaisalmer in V. 1340 (1283 AD) when the place was visited by Khortargachchha Acharya Jinprabha Suri. He had chatumars there at the request of the ruler. 3. Dr. Dashrath Sharma, Rajasthan Through the Ages, page 680. ..... at the request of Rajadhiraj Sri Jaitrasimha Jinchandra Sur went to Jaiselmer and had a splendid reception at the hands of officials as well as public. 4. वही, पृ680 In V. 1357 (1300 AD) Jaitrasimha sent musical instruments for certain religious functions performed under the aegis of Suri. For Private and Personal Use Only

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