Book Title: Osvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Author(s): Mahavirmal Lodha
Publisher: Lodha Bandhu Prakashan

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Page 414
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 385 अनुसार सरस्वती तीरवासी सारस्वत देश में रहने वाले सारस्वत ब्राह्मण कहे जाते हैं। श्री हर्षचरित' के अनुसार ब्रह्मलोक में एक समय जब दुर्वासा के मुख से जब अशुद्ध शब्द निकल गया, तब सरस्वती हंसी, तब दुर्वाशा ने श्राप दिया कि तुम मर्त्यलोक में मानुषी हो, तब सरस्वती मानुषी होकर दधीचि से ब्याही गई, उसकी संतान सारस्वत ब्राह्मण के नाम से विख्यात हुई। यह जाति लाहौर अमृतसर प्रान्त से गुरुदासपुर बटाला, जलंधर, मुलतान, लुधियाना, उच्च झंग और शाहरपुर तक निवास करती है। कान्यकुब्ज ब्राह्मणों के बारे में वाल्मीकि रामायण में एक कथा के अनुसार महोदयपुर निवासी महात्मा कुंशनाम राजा से सौ कन्या जन्मी। वह रूपगुण सम्पन्न यौवना जब बाग में विहार कर रही थी तब सर्वात्म वायु ने विवाह की इच्छा प्रकट की। वायुदेवता का निराकरण कर उसने कहा, आप हमारे प्रभु और हमारे देवता हैं । यह सुनकर वायुदेवता ने उसे कुबड़ा कर दिया। लौटने पर पिता को जब यह ज्ञात हुआ तब राजा ने ब्रह्मदत्त को बुलाकर सौ कन्याओं को देने का विचार किया। तब ऋषि के कर ग्रहण करते ही उन कन्याओं का समस्त रोग और कुबड़ापन जाता रहा। वाल्मीकि कहते हैं, हे राम! जिस देश में वह कान्यकुब्जा हुई, उसी दिन से वह ब्रह्मर्षि सेवित देश कान्यकुब्ज के नाम से विख्यात हुआऔर इस देश के निवासी ब्राह्मण कान्यकुब्ज नाम से विख्यात ___ अयोध्यापुरी के दक्षिण में कान्यकुब्ज देश कहलाता है। कानपुर, फतहपुर, फर्रुखाबाद, इटावा आदि में कान्यकुब्ज बहुतायत में फैले हैं। इनके छ: गौत्र- कश्यप, भरद्वाज, शांडिल्य, सांकृत और कात्यायन बहुत प्रसिद्ध हैं और शेष गौत्र हैं- कश्यप, धनंजय, कविस्त, गौतम, गर्ग, कौशिक, वशिष्ट, वत्स, और पाराशर धारसंज्ञक हैं। इनमें ही वेद पाठी- द्विवेदी, त्रिवेदी, अध्यापकउपाध्यापक और पाठक, कर्मानुष्ठान करने वाले वाजपेयी, अवस्थी, अग्निहोत्री और दीक्षित, श्रोत स्मार्त कर्मानुष्ठान करने वाले शुक्ल कहलाते हैं। ब्रह्मा के पुत्र मरीचि और मरीचि के कश्यप हुए, उन्हीं से कश्यप या काश्यप के यज्ञ करने से अग्निकुण्ड से शाण्डिल्य ऋषि हुए, उन्हीं से शाण्डिल्य गौत्र चला। श्री ब्रह्मर्षि विश्वामित्र के वंश में कात्यायन ऋषि उत्पन्न हुए, जिनसे कात्यायन गौत्र चला। ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा, अंगिरा के बृहस्पति, और बृहस्पति के भरद्वाज हुए, जिनसे भरद्वाज गौत्र चला। भरद्वाज के ही वंश में द्रोणाचार्य हुए। ब्रह्माजी के पुत्र वशिष्ट जी, वशिष्ट जी के पुत्र व्याघ्रपद और उनके उपमन्यु हुआ जिनसे उपमन्यु गौत्र चला। ब्रह्माजी के पुत्र भृगु जी के वंश में सांख्यायन मुनि हुए, इनके पुत्र गगन हुए और गगन के पुत्र सांकृत से सांकृत गौत्र चला। यह सभी कान्यकुब्ज ब्राह्मण हैं। सरयू नदी के उत्तर किनारे को लोक में साख कहते हैं, वहाँ उत्पन्न हुए ब्राह्मणों की साख संज्ञा जो साखापारीण, सरयूपारीय या सरवरिया नाम से विख्यात है। बंग देश से लेकर - - 1.जाति भास्कर (सम्पादक श्री जालाप्रसाद मिश्र) पृ48 2. वाल्मीकि रामायण कन्या कुब्जाऽभवन् यत्र कान्यकुब्जस्ततोऽभवत् । देशोऽयं कान्यकुब्जाख्य: सदा ब्रह्म सेवित।। For Private and Personal Use Only

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