________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
383 ब्राह्मण (गोत्र अज्ञात) से निसृत ओसवंश के गोत्र वर्ण/जातिपरिवर्तन की प्रक्रिया
ऋग्वेद के पुरुष सूक्त में चारों वर्णों- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के जन्म का उल्लेख है। प्रजापति द्वारा जिस समय पुरुष विभक्त हुए, उनको कितने भागों में विभक्त किया गया, उनके मुख, बाहू, उरू और चरण कहे जाते हैं ? ब्राह्मण जाति इस पुरुष के मुख से क्षत्रिय जाति भुजा से, वैश्य जाति उरूद्वय से और शूद्र जाति चरणों से उत्पन्न हुई है।'
शतपथ ब्राह्मण के अनुसार भू: शब्द उच्चारण करके ब्रह्माजी ने ब्राह्मण को उत्पन्न किया, भुव: शब्द कहकर क्षत्रिय को और स्व: शब्द कहकर वैश्य को उत्पन्न किया।
'हरिवंशपुराण के अनुसार दक्षप्रजापति अनेक प्रकार की प्रजा उत्पन्न करता है। अक्षर रूप से सौम्यगुण विशिष्ट ब्राह्मण, क्षररूप से क्षत्रिय, विकार रूप से वैश्य और धूम विकार से शूद्र हुए।
___ भारतीय वाङमय के अनुसार ब्राह्मणों का श्वेतवर्ण, क्षत्रियों का लोहित वर्ण, वैश्यों का पीत वर्ण और शूद्रों का नीलवर्ण माना गया है।
वर्णपरिवर्तन भारतीय समाज में परिवर्तन की चिरकाल से प्रक्रिया रही है। मत्स्यपुराण' के अनुसार गर्ग, संकृत और काव्य को क्षत्रोवेता कहा गया है।
गर्गा: संकृतय: काव्या: क्षत्रोवेता द्विजातयः 'ब्राह्मण पुराण के अनुसार गर्ग से शिनि और शिनि से गाये उत्पन्न हुए। यह गार्म्यगण क्षत्रिय से ब्राह्मणत्व में परिवर्तित हो गये । 'मत्स्यपुराण' के अनुसार भी उरुक्षय के तीन पुत्रऋय्यरुण, पुष्करा और कपि क्षत्रिय होकर ब्राह्मण हुए। 1. ऋग्वेद- 10 सू. 9 मं/3/12
उत्पुरुषं व्यदधु कतिधा व्यकल्पयन्। मुख किमरयकौ बाहू कावूरू पादा उच्यते। ब्राह्मवोऽस्य मुखमासी द्वाहू राजन्य कृतः ।
उरू तदाय यद्वैस्य, पद्यां शूद्रोऽजायत। 2. शतपथब्राह्मण 2/1/4/13
भूरिति वै प्रजापतिर्ब्रहम् अजयनत भुव: क्षयूँछ स्वरिति।
विशम एतावद्वै इदं सर्वं यावद्वह्य क्षत्रं विट। 3. हरिवंशपुराण
दक्षप्रजापतिर्मू त्वासृजते विपुल: प्रजा। अक्षराद्वब्राह्यः सोम्याक्षरात्क्षत्रि बांधवा।
वैश्वा विकारत श्वैव शूद्रा धर्म विकारतः ।। 4. ब्रह्मपुराण 9/21/39
गार्गाच्छि निस्ततो गार्ग्य: क्षत्राद्रह्म त्यवर्तन। 5. मत्स्यपुराण
उरुक्षयसुता ह्येते सर्वे ब्राह्मणतां गतः ।
For Private and Personal Use Only