Book Title: Osvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Author(s): Mahavirmal Lodha
Publisher: Lodha Bandhu Prakashan

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Page 409
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खरतर 380 सोलंकी राजपूतों से निसृत ओसवंश के गोत्र (तालिका रूप में) गोत्र संवत आचार्य गच्छ स्थान पूर्वपुरुष 1. भण्डसाली/ सोलंकी/आभू 12वीं सदी जिनवल्लभसूरि भंडसाल 2. श्रीपति ..1101 जिनेश्वरसूरि खरतर नाणा गोविन्द 3. ढढा 17वीं सदी - - सिंध सारंगजी 4.तिलेरा ___13वीं सदी . . कुमारपाल 5. लूकड़. 1001 धनेश्वरसूरि . नाणा 6. सालेचा 912 सिद्धसूरि उपकेश पाटन सालमसिंह गौड़ वंश से निसृत ओसवंश के गोत्र नरवाहन गौड़ यह भगवान राम के लघु भ्राता भरत का वंश है। राज्य विभाजन के पश्चात् भरत गंधर्व देश के स्वामी बने थे, जहाँ उनके पुत्र तक्ष ने तक्षशिला और पुष्कल ने पुष्कलावती बसा कर, उन्हें अपनी राजधानी बनाया। यह गंधर्व देश ही अपभ्रंश होकर गौड़ बना । महाभारतकाल में जयद्रथ यहाँ का शासकथा। जयद्रथ ने अभिमन्यु को मारा था और वह स्वयं अर्जुन के गाण्डीव से मारा गया था। इसके पश्चात् इस वंश में सिंहादित्य और लक्ष्मणादित्य राजा हुए। इसी वंश के किसी क्षत्रिय ने बंगाल में अपना राज्य स्थापित किया, इसलिये बंगाल को गौड़ बंगाल कहा जाने लगा। पूज्य गोपीचंद इसी वंश के थे। यहीं से इनकी शाखा मथुरा आई। अनंगपाल तंवर के दो सगे भाई- सूर और घौट थे। यहाँ गौड़ों के बारह गाँव है, यह गौड़ों का बाहर गाँव कहलाता है। उदयपुर जिले के घाटी सादडी से दो मील दूर एक पहाड़ी पर एक शिलालेख अंकित है, जिसका आशय है, 547 सं. की माघ सुदी दशमी के दिन राज्यवर्द्धन के पौत्र प्रथम गुप्त गौड़वंशी नरेश के द्वारा अपने माता-पिता की पुण्य स्मृति में यह मंदिर बनवाया था। शाखाएँ कर्नल टाड के अनुसार- अन्तरि, सिलाता, तूरन्तूड, दुसैना और बोडाना इसकी शाखाएँ हैं। विभिन्न गौड़ निम्नानुसार हैं। 1. ब्रह्मगौड़ (ब्राह्मण गौड़) 2. चमर गौड़ (चमार गौड़) 3. गौड़हर (गौड़वाड़ मारवाड़ के, दो भाई नाहरदेव में नाहरदेव को कालपी की जागीर दी गई और नाहरदेव ने नार (कानपुर) को राज्य बनाया।) For Private and Personal Use Only

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