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माढ इन्हें राम के द्वितीय पुत्र कुश का वंश मानते हैं।' इस वंश का प्राचीन नाम राष्ट्रकूट है, जो विकृत होकर राइठड़ राठौद, राठौड़, राठौर हुआ।
ऐलोरा की गुफाओं में राष्ट्रकूट नरेश दंतिदुर्ग के लेख में लिखा है :तख कः क्षितो प्रकट राष्ट्रकूटा न्वयम्
भगवान राम के पुत्र कुश के किसी वंशज ने दक्षिण में जाकर राज्य स्थापित किया। वहाँ इनकी राजधानी मालखेट थी। यहीं से इनकी एक शाखा मध्यभारत में आई, जहाँ इनके राज्य को महाराष्ट्र कहा गया। यहीं से ये काठियावाड़, बदायूं और कन्नौज में फैल गये । बदायूं से राव सीहा पाली आए और वहाँ के पल्लीवाल ब्राह्मणों की सहायता से सन् 1243 में उसने मारवाड़ राज्य की स्थापना की ।
4. गांगा
7. रामसिंह
राव सीहा की मृत्यु के बाद अस्थान ने खेडगढ छीन कर राज्य बढ़ाया । अस्थान के पुत्र धूहड़ ने नगाणा (जिला बाडमेर) में कुलदेवी स्थापित की। धूहड़ के बाद क्रमश: कानपाल, राजपा, जालणणी, छाड़, तीड़ा, सलखा खेडगढ की गद्दी पर बैठे। सलखा के पुत्र मल्लीनाथ भी लोकदेव हैं, जिनका तिलवाड़ा (बाड़मेर) में मंदिर है। राव सलखा के वंशज क्रमश: वीरम, चुण्डा, कान्हा, सत्ता, रणमल और जोधाजी हुए। जोधाजी ने जोधपुर बसाकर वहाँ अपनी राजधानी बसाई ।
जोधपुर राज्य की वंशावली इस प्रकार है :
1. रावजोधा
10. सूरसिंह
13. अजीत सिंह
16. बख्तसिंह
19. मानसिंह
22. सरदारसिंह
25. हनवंतसिंह
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2. सातल
5. मालदेव
8.
उदयसिंह
11. गजसिंह
14. अनयसीह
17. विजयसिंह
20. तरवतसिंह
23. सुमेरसिंह 26. गजसिंह ।
3. सूजा
6. चन्द्रसेन
9. किशनसिंह
12. जसवंतसिंह
15. रामसिंह
18. भीमसिंह
21. जसवंतसिंह ॥
24. उम्मेदसिंह
राव जोधाजी के दूसरे पुत्र बीका ने 1485 में बीकानेर राज्य स्थापित किया। जोधाजी तीसरे पुत्र दूदा को मेड़ता की जागीर दी गई। दूदा के बड़े पुत्र वीरम का पुत्र वीर जयमल था। दूदा के पुत्र रत्नसिंह को कुड़की ग्राम मिला, जिनकी पुत्री भक्तिमती मीराबाई थी। जोधपुर के राजा उदयसिंह के पुत्र किशनसिंह ने सन् 1609 में किशनगढ़ राज्य की स्थापना की।
बीकानेर राज्य के राठौड़ शासकों की वंशावाली
1. राव बीका
2. रावनराजी
1. ठा. ईश्वरसिंह मडाढ, राजपूत वंशावली, पृ 74
3. लूणकरण
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