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351 रवाना होकर यह सामन्त शेखावाटी (सीकर) में महाजनों की सेवा करने लगा।' यहीं इसने हर्षादेवी का मंदिर बनवाया और शासक बन बैठा । ‘पृथ्वीराज रासो' के अनुसार चौहान वैदिककालीन ब्राह्मण थे, किन्तु यह मत मान्य नहीं है। डॉ. भण्डारकर ने Indian Antiquary में माना है कि चौहान लोग खंजर नामक विदेशी जाति के थे। चारण और भाट चौहानों को सूर्यवंशी बताते हैं। चौहानों ने ही अजमेर नगर बसाया था। इस वंश के अणैराज ने मुसलमानों को हराकर आनासागर झील बनाई थी।
__कर्नल टाडके अनुसार आठवीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी तक चौहान राज्य अजमेर से सिन्ध प्रदेश तक फैला हुआ था। उनकी राजधानियां अजमेर, नागौर, जालौर, सिरोही और चोटन में थी। यों तो साधारण तौर पर वे सभी स्वतंत्रता का जीवन व्यतीत करते थे, परन्तु कुछ बातों में अजमेर की अधीनता स्वीकार करनी पड़ती है।'2 नरदेव के बाद चौहानों की छ पीढ़ियों में विग्रहराज उल्लेखनीय है। चौहान शिलालेखों में विग्रहराज को मतंगा (मुसलमानों का विनाशक) कहा गया है। विग्रहराज ने मुसलमानों को हराया, दुर्लभराज ने चालुक्यों को, अजयराज ने गजनी की सेना को और अर्नेराज ने दिल्ली को ही अपने अधीन कर लिया।
___ चौहान शब्द 'चाहमान' का विकृत रूप है। इनकी उत्पत्ति विवादास्पद है। भाटों और चारणों ने इन्हें अग्निवंशीय, ओझा सूर्यवंशी, यूरोप के विद्वान आर्य मानकर विदेशी और दशरथ शर्मा इनकी उत्पत्ति ब्राह्मणों से मानते हैं।
जिन भाटों और चारणों ने इन्हें अग्निवंशीय माना इसका आधार चन्दरबरदाई का 'पृथ्वीराज रासो' है। इसमें कहा गया है कि सब ऋषियों ने आबू में यज्ञ करना प्रारम्भ किया तब राक्षसों ने उनमें मलमूत्र, हड्डियां आदि अपवित्र वस्तुओं को डालकर भ्रष्ट करने की चेष्टा की। वशिष्ठ ऋषि ने यज्ञ की रक्षा के लिये मंत्रसिद्धि से अग्नि से चार पुरुषों को जन्म दिया जो प्रतिहार, परमार, चालुक्य और चौहान कहलाये।' पृथ्वीराज विजय, हमीर महाकाव्य हमीर रासों आदि ग्रंथ चौहानों को सूर्यवंशीय मानते हैं। कर्नल टाड ने चौहानों को विदेशी माना।' डा. स्मिथ और कुक ने इसी मत को स्वीकार किया।
डा. भण्डारकर' ने चाहमानों को खज्र जाति से सम्बन्धित बताया। डा. दशरथ शर्मा ने बिजोलिया के लेख के आधार पर ब्राह्मण वंश की संतान हैं । “विप्रः श्रीवत्स गोत्रे भूत्' अंकित पंक्ति इस विचार की पुष्टि करती है। कायमखाँरासों' और चंद्रावती के लेख में इनका ब्राह्मणवंशीय होना माना गया है।
1. Dr. Dashrath Sharma, Early Chauhan Dynasties, Page 9-10 2. Col Tod, Annals & Antiquities of Rajasthan, Page 608. 3.डा. गोपीनाथ शर्मा. राजस्थान का इतिहास, 187 4. वही, पृ87-88 5. टाड, राजपूताने का इतिहास , भाग 1, 480 6. Dr. Smith Early History of India, III, Page 412. 7. Dr. Bhandarkar, Indian Antiquary, Page 41, 25-29. 8. Dr. Dashrath Sharma, Early Chauhan Dynasties, Page 9-10
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