________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
337
हुआ। नागभट्ट के बाद रामभद्र और भोजदेव इस वंश के शासक थे। इनके उत्तराधिकारी महेन्द्रपाल के भी 893-900 ई के ताम्रपत्र मिलते हैं। इनके गुरु राजशेखर थे जिन्होंने 'काव्यमीमांसा', 'कर्पूर मंजरी' आदि की रचना की । इसका पुत्र महिपाल बड़ा विजेता रहा, जिसके 914 ई से 917 ई. के दानपत्र मिले हैं। 1093 ई में कन्नोज के प्रतिहार राज्य का पतन हो गया फिर भी राजस्थान में कुछ प्रतिहार गहड़वालों, राठौड़ों और चौहानों के सामन्त रहे । जैन परम्परा के अनुसार भोज जैनाचार्य बप्पभट्ट का मित्र था । '
राजगढ़ के प्रतिहार
अलवर राज्य के राजगढ़ (राजगढ़) में 960 ई के शिलालेख से पता चलता है कि सावट का पुत्र मथनदेव राज्य करता था। इस शिलालेख से पता चलता है कि गुर्जर (गूजर ) जाति के किसान भी वहाँ रहते थे ।
प्रतिहारों की वंशावली
साम्राज्यवादी प्रतिहार
1. नागभट्ट प्रथम 756 ई
2. कक्कुक
9. महिपाल कार्तिकेय (914, 917, 923 )
13. देवपाल (948 ई)
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
3. देवराज
4. वत्सराज (778 ई, 783 ई)
5. नागभट्ट द्वितीय ( 815, 813 ई )
6. रामभद्र
7. भोजमिहिर ( 836, 843, 862, 865, 875, 876, 882)
8. महेन्द्रपाल प्रथम 893, 898,899,903, 907 ई
10. भोज द्वितीय
14. विजयपाल
(950 ई) |
11. विनायकपाल (931, 932, 942 $)
12. महेन्द्रपाल द्वितीय (946)
For Private and Personal Use Only
15. राज्यपाल (1018ई)
1. Dr. Dashrath Sharma, Rajasthan Through the Ages, Page 159