________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
344 जालौर के परमार
जालौर के परमार नरेश निम्नानुसार हुए 1. वाक्पतिराज 2. चन्दन 3. देवराज 4. अपराजित 5. विज्जल 6. धारावर्ष 7. वीसल
यह सम्भव है कि इस शाखा के परमार धरणीवाल के वंशज रहे हो । इसे आबू के परमारों की छोटी शाखा माना जाना चाहिये । वाकपतिराज इस वंशक्रम में प्रथम 960-985 ई. के लगभग जालौर का राजा रहा। सम्भवत: वह आबू शाखा के ध्रुवभट्ट का समकालीन था। इस वंश के सातवें राजा की रानी मेलरदेवी ने सिंधु राजेश्वर के मंदिर में सुवर्ण कलश 1087 ई में चढ़ाया। किराडू के परमार
किराडू के शासक निम्नानुसार हुए 1. सौच्छराज 2. उदयराज 3. सोमेश्वर
किराडू के शिवालय पर उत्कीर्ण 1 161 ई के एक शिलालेख से यहाँ के राजाओं के नाम मिलते हैं। उदयराज सोलंकियों का सामन्त था। उसने कई युद्ध लड़े। मालवा के परमार
मालवा के परमार नरेश निम्नानुसार है1. कृष्णराव 2. वेरिसिंह। 3. सीमर 4. वाकपतिराज 5. वेरिसिंह। 6. श्री हर्षरिवह 7. भुंज
8. सिंधुराज 9. भोज। 10. जयसिंह। 11. उदयादित्य 12. लक्ष्मणदेव 13. नरवर्मा 14. यशोवर्मा 15. जयवर्मा 16. अजयवर्मा 17. विंध्यवर्मा 18. सुभटवर्मा 19. अर्जुनवर्मा। 20. देवपाल 21. जातकिद्रव 22. जयवर्मा II 23. जयसिंह 24. अर्जुनवर्मा 25. भोज II 26. जयसिंह ॥
मालवा के परमार बड़े ही शक्ति सम्पन्नथे। इस शाखा के शासक वीर, साहसी, विद्या सम्पन्न और धन सम्पन्न थे। मुंज के बाद सिंधुराज और उसके बाद भोज परमार हुए। भोज अपनी विजयों और विद्यानुराग के लिये प्रसिद्ध हुआ। उसने स्वयं कई ग्रंथ लिखे और अनेक विद्वान 1. ओझा, राजपूताने का इतिहास, पृ204
For Private and Personal Use Only