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17. शिवसेन सूरि- मुहणोत
18. धनेश्वर सूरि- लूंकड
19. रविप्रभ सूरि- लोढ़ा
20. देवगुप्त सूरि- लूणावत
21. हेमसूरि- सुराणा आदि आदि ।
2. गच्छ के आधार पर
गच्छ के आधार पर ओसवाल के गोत्रों का वर्गीकरण किया जा सकता है। गच्छ के अनुसार ओसवंश के गोत्रों का वर्गीकरण निम्नानुसार है
1. उपकेशगच्छ- प्रारंभिक अट्ठारह गोत्र
2. खरतरगच्छ- कटारिया, कांकरिया, करणिया, कठोतिया, खजांची, चोपडाकूकड, चोपडा, गुणधर, चोरडिया, गोतेछा, सांवसुखा, पारख, छाजेड, झाबक, डागा, डोसी, पीथलिया, दूगड- सूगड, धाडिया, टाटिया, पगारिया, पोकरणा, पीपाडा, बाबेला, बोरड, बाफणा (बहूफणा), नाहटा, बोथरा (बोहित्थरा), बच्छावत, फोफलिया, मूकीम, भामू, भंसाली, मालू, मुहणोत, राखेचा, पुंगलिया, ललवाणी, बांठिया, ब्रह्येचा, हरखावत, मल्लावत, रांका, बांका, रुणवाल, लूणिया, लोढ़ा, आयरिया, लूणावत, कासटिया, मैमेया, सालेचाबोहरा, श्रीपति ढढ्ढा, तिलेरा, सींधी, सिंधवी कमाणी, सिंधी, सुचन्ती, आवेडा, खाटेड और खण्डेलवाल ओसवालआदि
3. सांडेर गच्छ भण्डारी
4. तपागच्छ- मुहणोत आदि
5. उपकेश गच्छ - लूणावत आदि
6. कोरंट गच्छ - संकलेचा
7. रुद्रपल्लीगच्छ- छजलानी / घोड़ावत
8. संखैश्वर गच्छ - सेठ
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3. प्रतिबोध के स्थान के आधार पर -
धर्म के आचार्यों ने अलग अलग स्थानों पर अनेक जाति के लोगों को अलग अलग स्थानों पर प्रतिबोध देकर उन्हें जैन बनाया और इस प्रकारनये गोत्रों के उद्भव में योग दिया
1. रतनपुर - कटारिया, मालू, रीहड
2. कांकरोत- कांकरिया
3. कच्छ - करणिया
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