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317 क्षत्रियों (गोत्र अज्ञात) से निसृत ओसवंश के गोत्र
क्षत्रिय क्षत्रिय जाति के मूलत: दो वंश है- सूर्यवंश और चन्द्रवंश । महाकवि कल्हण ने राजतरंगिणी में क्षत्रियों के 36 वंशों की चर्चा की है। 'पृथ्वीराज रासो' में चन्दरबरदाई ने निम्न पद में छत्तीस वंश वर्णित किये हैं
बंस छत्तीस गनीजे भारी, च्यार कुली कुल तीन अधिकारी। सब सुजात जोनीभग दिणिएं, ए ब्रह्मा अविशेष विसिष्यिये ।। रवि ससि जादव वंश, काकुस्थ परमार सदावर।
चाहुमान चालुक्य, छंद सिलार आभीयर ।। दोयमत मकवान, गरुज गोहिल गोहिलपुत।
चापोत्कट परिहार, राव राठौर रोस जुत॥ देवरा टांक सैंधव अनिग, येतिक प्रतिहार दुघिषट, कारट्टपाल कारपाल हुल, हरितर गोतर कलाव मद ।। धन्य पालक निकुंभ वर, राजपाल कविनीस।
काल छरक्के आदि है, वरनै वंस छत्तीस ।। मोहनलाल पांड्या ने काकुस्त्स्थ को कछवाहा, सदावर को तंवर, छंद को चंदेल और दोयमत को दायमा लिखा है। इस सूची में वर्णित रोजसुत, अनंग, योतिका, दधिष्ट, कारट्टपाल, कोटपाल, हरीतट, कैमाश, धान्यपाल और राजपाल आदि नहीं मिलते जबकि वैस, भाटी, झाला और सेंगर आदि वंश इस सूची में नहीं है।
कर्नल टाड को छत्तीस कुलों की भिन्न पांच सूचियां मिली -
(1) नाडोल के जैन मंदिर के यति से, (2) पृथ्वीराज रासो से, (3) कुमारपाल चरित से, (4) खीचियों के भाट से और (5) भाटियों के भाट से। इसके आधार पर कर्नल टाड की संशोधित सूची निम्नानुसार है1. गहलोत 2.यादव
3. तुआर 4. राठौर
5. कछवाहा 6. परमार 7. चौहान 8. चालुक या सोलंकी 9. प्रतिहार (परिहार) 10. चावड़ा 11. टांक
12. जिट 13. हूण 14. कट्टी
15. बल्ला 16. झाला 17. जैटवा
18. गोहिल 19. सर्वया
20. सिलट 21. डाबी 22. गौर 23. डोड़ा
24. गेहरवाल
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