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हाल इसका है विस्तार । के ता लिखू नहीं आवे पार । वर्तमान जो प्रचलीत है वात। जिसका ही लिख दू अबदाता ।।38॥ मतमतिर निकले नहीं मान । ले ले जातियां मांडी दुकान । जातियों ने उनका साथ दिया। उनके ही इतिहास का खून किया। तोड़ संगठन अपनी की थाप । कृतघ्नी बन किया वज्र पाप । पतन दशा का कारण यही । अनुभव से सब जाणी सही ।। भवितव्यता टारी नहीं टरे । होन हार अन्यथा कोन करे । अन्य गच्छ के कहलावे गोत्र । वंशावलियों से पाई जोत ।। मंडोत सुंघेचलने रातडिया । बोत्थरा बछावत व फोफलिया । कोठारी कोटड़िया कपुरिया । घाड़िवाल धाकढ़ा सेठिया ।। धूवगोता नागगोता वली नाहर । धाकड़ और खीबसरा सार । मथुना मिन्नी सोनेचा सुजाण । मकवाणा फितुरिया को जाण ॥ खाबिया सुखियाने संखलेचा। ढाकलिया पाडूगोत पोसालेचा। बाकुलिया सहुचेती नागणा । खीवांणदिया वडेरा वडपणा ।। कोरंटगच्छ के ये श्रावक जाण । वंशावलियों में हैं प्रमाण । नन्नप्रभसूरि आदि प्रभाविक । जिन्होंने बनाये जैनी भाविक ॥ गोहलाणि ने नवलखा गण । भुतोडिया ये एक ही प्रमाण । पीपाड़ा हिरण ने गोगढ़ा। शिशोदिया है इसमें बड़ा 145।। रूणीवाल ने वेगाणी दानी । हिंगड़ लिंगा ने रायस नी ।। झामड़ झाबक दूधेडिया कही। छजलाणी छलाणी सही ॥46।। घोडावत हरिया कल्हाणी । गोखरू चोधरी नागड जाणी। छोरिया सामड़ा लोडावड वीर । सूरिया मीठा नाहर गंभीर ॥471 जड़िया आदि ओर विवेक । नागपुरिया तपा सूरि नेक । दुर्व्यसन छोडाइ जैन बनाया। उनका उपकार सदा सवाया॥48।। वरदिया-वरडिया वंश जतावे । वर दिया शिलालेखबतावे । बांठिया कवाड थे बड़े ही वीर । शाह-हरखावत साहस सधीर ।।491 छत्रिया लालाणी ने रणधीर । ललबाणी हुए वडे गंभीर । गान्धीराज वैदबलगान्धी। जिन्होंने प्रीत प्रभु से सान्धी ॥5॥ खजानची और डफरिया जाण । युरड संघी मुनौत पहचान । पगारिया चौधरी व सौलंकी। गुजरांणी कच्छोला जिनकी ।।51।। मरडेचा सोलेचा और खटोल । विनायकिया लुंकड सराफ अमोल। अंचलिया मिनी ने गोलिया, ओस्तवाल गोठी दोलिया ।।52॥ मादरेचा लोलेचा व भाला । गुरु प्याल पी लो मतवाला। घृहद तपागच्छ के सूरि सधीर । जैन बनाये क्षत्री वीर ।।53।। गिरते नरक से स्वर्ग बताया । परम्परा हम चलते आये ।।
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