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चित्रावाला धारापद्रीय गच्छ - इस गच्छ का उल्लेख नागौर से 1504 ई. का मिला
___ छहितरा गच्छ - इस गच्छ का उल्लेख जयपुर के सुमतिनाथ मंदिर की पंचतीर्थी पर 1555 ई का मिला है।
जाखड़िया गच्छ - इस गच्छ का उल्लेख नागौर के शीतलनाथ मंदिर के पंचतीर्थी के 1477 ई का उपलब्ध है।
जालोहरीय गच्छ - मालपुरा के मुनि सुव्रत मंदिर में इस गच्छ का उल्लेख है।
देकात्रीय गच्छ - कोटा के चंद्रप्रभु मंदिर की पार्श्वनाथ पंचतीर्थी पर 1351 ई के लेख में इस गच्छ का नाम है।
द्विवंदनीक गच्छ - इस गच्छ का उल्लेख 1390 ई 1466 ई और 1468 ई के लेखों में मिलता है।
नागर गच्छ - इसकी उत्पत्ति राजस्थान के प्राचीन नाम नगर में हुई है। इसका उल्लेख केकड़ी के चंद्रप्रभु मंदिर की पार्श्वनाथ की पंचतीर्थी पर 1236 ई का मिलता है।'
नागौरी तपागच्छ - तपागच्छ की यह शाखा नागौर में अस्तित्व में आई। इसका उल्लेख 1494 ई के एक मूर्ति लेख में मिलता है।
नाणकीय/ज्ञानकीय गच्छ - इसकी उत्पत्ति नाणा नामक प्राचीन तीर्थ से हुई है। इसका नाणकीय नाम से 1253 ई से 1473 ई के मध्य 4 मूर्तिलेखों और ज्ञानकीय नाम से 1444 ई से 1504 ई के मध्य 3 मूर्तिलेखों में मिलता है।'
___नाणावल गच्छ - इसकी प्रसिद्धि भी नाणा तीर्थ से हुई। इसके उल्लेख 7 प्रतिमा लेखों में 1472 ई से 1513 ई के मध्य मिलते हैं।
पल्लीगच्छ - पाली से उत्पन्न इस गच्छ के 3 अभिलेख 1378 ई से 1518 ई के मध्य मिलते हैं।
1. प्रतिष्ठा लेखसंग्रह, क्रमांक 913 2. वही, क्रमांक 1010 3. वही, क्रमांक 773 4. वही, क्रमांक 23 5. वही, क्रमांक 146 6. वही, क्रमांक 173,372, 652 7. वही, क्रमांक 57 8. वही, क्रमांक 865 9. वही, क्रमांक 68, 89, 139, 301, 349, 381, 467, 519, 675, 697 आदि। 10. वही, क्रमांक 713, 783, 819, 930, 932, 934, 943 11. वही, क्रमांक 162, 177, 183, 261, 262, 197, 430 759, 863, 906, 956
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