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रामदेव
12. काकलदेव
13. विक्रमसिंह
14. येशोधवल (1144 ई) 15. धार वर्ष (1663, 1176, 1180, 1183, 1188, 1190, 1192, 1198, 1208,
1214, 1217, 1219 ई.) 16. सोमसिंह (1230, 1233, 1236 ई.))
17. कृष्णराज।। 18. प्रतापासिंह 1287 ई.
19. अर्जुन (1290 ई.)
20. विक्रम सिंह (1200 ई.) श्री भण्डारी जी ने अटकल लगाई, “इससे यह पता चलता है कि सम्भव है धूमराज के पीछे और उत्पलराज के पहले बीच में कुछ गड़बड़ी हुई हो और उत्पलराज से फिर राज्य कायम हुआ हो। क्या आश्चर्य है कि इसी उत्पलराज को मण्डोवर के पड़िहार राजा की शरण में आना पड़ा हो। इससे जहाँ तक हमारी समझ है कि ओसिया का बसाने वाला उपलदेव ही आबू का उपलदेव हो।" खींचतान कर पहले श्री पूर्णचंद नाहर ने और फिर भण्डारी जी ने आबू के उत्पलराज को बिना किसी प्रमाण के ओसिया का संस्थापक उपलराज मान लिया।
मालवा के परमार राजाओं की वंशावली भण्डारी जी ने दी हैउपेन्द्र
वैरीसिंह
सीयक वाकपतिराज सीयकहर्य वाकपतिराज पुंजराज (सं 1031) सिन्धुराज (संवत् 1036-1050) भोजराज
भोजराज की सातवीं पीढी में एक राजा उपलदेव हुआ, यथा- 1. राजाभोज, 2. राजा विद, 3. राजा उदयचंद, 4. राजा जगदेव, 5. राजा डाबरिख, 6. राजा धूमरिख,
1. ओसवाल जाति का इतिहास, पृ 10
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