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से आया और कुछ किराडू से आना मानते हैं । भीनमाल के पुराने मंदिरों में जो संस्कृत लेख पत्थरों पर खुदे मिले हैं, उसमें दो लेख कृष्णराज परमार के हैं। एक संवत् 1113 का और दूसरा 1123 का है। पिछले लेख में कृष्णराज के पिता का नाम धंधुक मिलता है। यह धंधुक आबू का राजा था। इसके दो पुत्र थे - एक पूर्णपाल, दूसरा कृष्णराज । पूर्णपाल के समय का एक लेख संवत् 1098 का सिरोही जिले के एक वीरान गांव बसन्तगढ से मिला है और दूसरा संवत 1102 का मारवाड़ के भडूंद नामक गांव में मिला है। इन दोनों लेखों से यह बात पाई जाती है कि धंधुक का बड़ा पुत्र पूर्णपाल अपने पिता की गद्दी पर बैठा और कृष्णराज को भीनमाल का राज्य मिला । कृष्णराज के पीछे भीनमाल का राज्य उसके वंश में रहा, , जिसका उल्लेख संवत् 1239 के लेख में पाया जाता है जिसमें महाराजपुत्र जैतसिंह का नाम आया है। नाम के साथ यद्यपि जाति नहीं लिखी हुई है, पर सम्भव है कि यह भीनमाल का अंतिम राजा या युवराज रहा होगा। क्योंकि इसके पीछे संवत् 1262 के लेख में चौहान राजा उदयसिंह का नाम आता है। भीनमाल के परमार राजाओं में उत्पलराज का नाम नहीं है । '
6. घुरभट
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दूसरा मत किराडू के सम्बन्ध में है । यहाँ एक लेख 1218 का मिला है, जो परमारों से सम्बन्ध रखता है । इस लेख से पता चलता है कि मारवाड़ का पहला पंवार राजा सिंधुराज था। इनके वंश में क्रमश: सूरजराज, देवराज, सोभराज और उदयराज हुए। यहाँ भी उपलदेव का पता कहीं नहीं चलता है।' यह भ्रामक धारणा है। वस्तुत: आबू और किराडू के परमार राजाओं की वंशावली में इस वंश का प्रारम्भ धूमराज से हुआ, किन्तु वंशावली सिंधुराज से प्रारम्भ मानी जाती है। सिंधुराज के पश्चात् उत्पलराज शासक माना जाता है। यह वंशावली निम्नानुसार है
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धूमराज 1. सिंधुराज
9. पूर्णपाल लोहिभीदेव
2. उत्पलराज
1. ओसवाल जाति का इतिहास, पृ9 2. वही, पृ 10
3. अरण्यराज
4. उद्भुत कृष्णराज (967 ई.)
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1
5. घरणिटराह
7. महिपाल देवराज (1002 ई.)
8. धुंधुक
10. दंतिवर्धन ॥
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योगराज
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11. कृष्णदेव ।। (1060 -1066 ई.)
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