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175 अंचल गच्छ (ओसवाल संवत् 1528-1574)
अंचल गच्छाचार्यों में आचार्य जयसिंह सूरि, धर्मघोष सूरि, महेन्द्रसूरि, सिंहप्रभसूरि, अजितदेवसूरि आदि प्रभाविक आचार्य हो गये हैं, उन्होंने भी हजारों अजैनों को जैन बनाकर महाजन संघ की खूब उन्नति की थी। यह जातियां हैं1. गाल्ह
2. अथगोता । 3. बुहड़ 4. सुभद्रा
5. बोहरा 6. सियाल 7. कटारिया, कोरेचा, रत्नपुरा, बोहरा 8. नाडयोल 9. मिटडिया बोहरा 10. घरवेला 11. वडेर 12. गोधी
13. देवानंदा 14. गोतमगोत 15. डोसी
16. सोनीगरा 17. कोटिया 18. हरिया 19. देडिया 20. बोरेचा
इन जातियों का विवरण जामनगर के पण्डित हंसराज हीरालाल के पास है। मलधार गच्छ (1528 - 1574 ओसवाल संवत्)
इस गच्छ में पूर्णचंद सूरि, देवानंदसूरि, नारचंद्रसूरि, देवानन्दसूरि, नारचंद सूरि, तिलकसूरि आदि महान् प्रतायी आचार्य हुए। इन आचार्यों ने भूभ्रमण कर हजारों जैनेत्तरों को प्रतिबोध श्रावक बनाया। यह गौत्र हैं -
1. पगारिया (गोलिया, कोठारी, संघी) 2. कोठारी 3. गीरिया 4. बम्ब 5. गंग
6. गेहलड़ा 7.खींवसरा पूर्णियागच्छ (1528-1574) ओसवाल संवत्
इस गच्छ में महान् विद्वान एवं प्रभाविक आचार्य हुए, जिसमें चंद्रसूरि, धर्मघोषसूरि, मुनिरत्नसूरि, सोमतिलक सूरि आदि आचार्य हुए। उन्होंने भी हजारों जैनेत्तरों को उपदेश देकर जैन बनाकर महाजन संघ की खूब वृद्धि की। गौत्र निम्नानुसार है1. साव
2. सियाल 3. सालेचा 4. पुनमिया 5. मेघाणी 6. घनेरा। नाणावल गच्छ (ओसवाल संवत् 1528-1574)
1. भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास, उत्तरार्द्ध, 11504 2. वही, 41504 3. वही,91504
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