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7. केलड़ी मंदिर ग्रंथागार
8. गुर्रा सा गणपतरायजी का गुटका (अधूरा) 1. पूर्णचंद्र नाहर ग्रंथागार -
प्रसिद्ध इतिहासकार और पुरातत्ववेता और जैन लेखसंग्रह के प्रसिद्ध लेखक भी पूरणचंद्र नाहर के कलकत्ता स्थित ग्रंथागार में एक अनाथ भाट का गुटका मिला है। यह ओसवालों की उत्पत्ति कथा और कीर्ति का व्याख्याता है। इसमें स्पष्ट कहा है 'उत्पत्ति कहुं उसवाल।' इसके अनुसार भीनमाल में भीम राज्य करता था। उसके दो पुत्र थे- सुरसुन्दर और उपल। मंत्री के भी दो पुत्र थे - धरण और उहड़। धरण की पत्नी ने देवर को उपालम्भ दिया। ऊहड़ को भावज की बात लग गई और दोनों ने नया दुर्ग बनाने की योजना बनाई -
कवित्त
श्री सुरसती देज्यो मुदा आसै बहुत विशाल नासै सब संकट परो, उत्पत्ति कहुँ उसवाल ।।1।। देश किसे किण नगर में, जात हुई छै एह सुगुरु धरम सिखावियो, कहिस्यु अब ससने ह ।।2।। पुर सुन्दर धाम बसै सकलं, किरन्यावत पावस होय भलं चऊटा चउराशि विराज खरे, पगभेलय जोर सुग्यान धरै ।।1।। भिनमाल करै नित राजपरं, भल भीम नरेन्द्र उपंति वरं पटराणी के दोय सुतन्न भरं, सुर सुन्दर ऊपल मत्त धरं ।।2।। अलका नगरी जिह रीत खरी, अठबीस बबाकरी सोभ धरी तस नारी बसै बहु सुख कही, दुख जाब न पासै सुदूर टरी।।3।। त्रिय सुन्दर ओपम फूल कली, कनआ मयॉं उतरी बिजली मुगताम्बर जेम चले पधरम, बहुरूप भलो मनु कामहरं ।।4।। सुर सुन्दर जेठ सहोदर छै, लघु ऊपल राव जोधार अछै सुर लोक में भी गया पधरा, भिनमील को राज बड़ी जुकरा ॥5॥ पुन दोय सहोदर मित्र भला, सम रूप मयंक सुधार कला नलराल मनमथ रूप जिसा, महिरांण अथग्ग सोभाय इसा।।6।। किरणाल तपै पुन भाग भलं, अरिदूर भजै इक आप बलं अंगराग उदार दीपंति खरा, किल छाता पंवारमुगट्ट खरा ।।7।। दुरग मांहि मंत्री तणा बेटा दोय सरूप बड़ो दुरग मांहि रहै रुपिया कोड अनूप ।।1।। सहर मांहि छोटो बसै लाख घाट छै कोड बडै भ्रात नै इस कहै करू कोड री जोड़ ।।2।।
1. इतिहास की अमरबेल, ओसवाल, प्रथम खण्ड, पृ 80-81
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