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229 कृष्णराज के पीछे भीनमाल का राज्य 150 वर्षों तक उसके वंश में रहा, जिसका उल्लेख संवत् 1239 के लेख में पाया जाता है, जिसमें महाराज पुत्र जैतसिंह' नाम आया है। नाम के साथ यद्यपि जाति नहीं लिखी हुई है, पर ऐसा सम्भव है कि यह भीनमाल का अंतिम राजा या युवराज रहा होगा। क्योंकि इसके पीछे संवत् 1262 के लेख में चौहान राजा उदयसिंह का नाम आता है और उसके पश्चात् संवत् 1362 तक के लेखों में चौहान राजाओं के ही नाम आते हैं, जिनका मूल पुरुष नाडोल के राजा अल्हणदेव का पुत्र कीतू था और जिसने पंवारों से जालोर लेकर अपना अलग राज्य जमाया था।'
उपरोक्त दलीलों से यह बात सहज ही मालूम हो जाती है कि भीनमाल का पहला पंवार राजा कृष्णराज संवत् 1100 के पश्चात् हुआ। उपलदेव का इन लेखों में पता नहीं है।'
दूसरा मत किराडू के सम्बन्ध में है। यहाँ पर एक लेख संवत् 1218 का मिला है, जो पंवारों से सम्बन्ध रखता है। इस लेख से यह पता चलता है कि मारवाड़ का पहला राजा सिंधुराज था। उसका राज्य पहाड़ों में था। उसके वंश में क्रमश: सूरजराज, देवराज, सोभराजऔर उदयराज हुए। उदयराज संवत् 1218 में मौजूद था। यहाँ भी उपलदेव का पता नहीं चलता।'
श्री पूरनचंद नाहर के अनुसार पंवारों का जन्म स्थान आबू है। वहाँ के एक लेख में धंधुक के पांच पुश्त ऊपर उत्पलराज का नाम मिलता है। इन लेखों में यद्यपि पंवारों का मूल पुरुष धूमराज को माना है, मगर वंशवृक्ष उत्पलराज से ही शुरू किया गया है। इससे पता चलता है कि सम्भव है, धूमराज के पीछे और उत्पलराज के पहले कुछ राजनीतिक गड़बड़ हुई हो और उत्पलराज से फिर राज्य कायम हुआ हो। क्या आश्चर्य है, इसी कारण उत्पलराज को मण्डोवर के पड़िहार राजा की शरण में आना पड़ा हो। इससे जहाँ तक हमारी समझ है ओसिया का बसाने वाला आबू का उत्पलराज हो।
मुहणोत नेणसी ने अपनी ख्यात में उपलदेव का कोई साल संवत तो नहीं बताया मगर उपलदेव को धारा नगरी के राजा भोज की सातवीं पुश्त में माना है- 1. राज जगदेव, 2. राजा विद 3. राजा उदयचंद 4. राजा जगदेव 5. राजा डाबरिख 6. राजा घमरिख 7. राजा उपलदेव ।'
भण्डारी ने मालवा और आबू के पंवार राजाओं की वंशावली दी है1. मालवा 2. उपेन्द्र 3. बैरिसिंह 4.सीयक 5. वाक्पतिराज
1. ओसवाल जाति का इतिहास, पृ9-10 2. वही, पृ 10 3. वही, पृ10 4. वही, पृ10 5. वही, पृ11
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