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132 संघाड़े या बाईस सम्प्रदाय या बाईस टोला के नाम से प्रसिद्ध हुए।
आचार्य हस्तीमल जी म.सा. ने बाईस समुदाय के नायक मुनि निम्नानुसार माने हैं। 1. पूज्य श्री मूलचंद जी महाराज 2. पूज्य श्री धना जी महाराज 3. पूज्य श्री लालचंद जी महाराज 4. पूज्य श्री मन्नाजी महाराज 5. पूज्य श्री मोटा पृथ्वीचंद जी महाराज 6. पूज्य श्री छोटा पृथ्वीचंद जी महाराज 7. पूज्य श्री बालचंद जी महाराज 8. पूज्य श्री ताराचंद जी महाराज 9. पूज्य श्री प्रेमचंद जी महाराज 10. पूज्य श्री रेवतसी जी महाराज 11. पूज्य श्री पदार्थ जी महाराज 12. पूज्य श्री लोकमल जी महाराज 13. पूज्य श्री भवानीदास जी महाराज 14. पूज्य श्री मलूकचंद जी महाराज 15. पूज्य श्री पुरुषोत्तमजी महाराज 16. पूज्य श्री मुकुटराम जी महाराज 17. पूज्य श्री मनोहरदास जी महाराज 18. पूज्य श्री रामचंद्र जी महाराज 19. पूज्य श्री गुरुसदा साहिबजी महाराज 20. पूज्य श्री बाघजी महाराज 21. पूज्य श्री रामरतन जी महाराज 22. पूज्य श्री मूलचंद जी महाराज
आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा. ने स्वीकार किया कि हस्तलिखित पट्टावली में 4 नामों का उल्लेख कुछ भिन्न तरह से मिलता है। उसमें पहले श्री धर्मदास जी महाराज और इक्कीसवें समरथ जी का उल्लेख है। रामरतन जी का नाम नहीं मिलता, मूलचंद जी का नाम दो बार भ्रांति से लिखा मालूम होता है। इन 4 नामों में 1,2,6,17 और 18 के समुदाय आज भी वर्तमान है।'
धर्मदासजी मलराज के शिष्य श्री मूलचंद जी महाराज के 7 शिष्यों में से 6 शाखाएं अभी भी विद्यमान है
1. लीमडी 2. गोंडल 3. बखाला 4. वोटाद 5. सायला 6. कच्छ
1. आचार्य श्री हस्तीमलजी महाराज. आचार्य चरितावली, पृ. 147-148
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