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गृहस्थ नाम आत्मानंद था । श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा के पहले आप स्थानकवासी परम्परा में थे । 'जैनतत्वदर्शन', 'तत्वनिर्णय प्रसाद', 'अज्ञान तिमिर भास्कर', 'सम्यकत्व शल्योद्धार', 'जैनधर्म विषयक प्रश्नोत्तर', 'नवरत्न', 'जैनमत वृक्ष' और 'जैन धर्म का स्वरूप' आदि आपके प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। पंजाब का श्वेताम्बर समाज आपका भक्त है ।
विजयशांति सूरीपूवर - आपने 16 वर्ष की अवस्था में संवत् 1961 में आचार्य तीर्थ विजय से दीक्षा ग्रहण की। आप 16 वर्षों तक मालवा के बीहड़ जंगलों में घूम-घूमकर जैन की अलख जगाते रहे । संवत् 1990 में वामनवाड़ी में पोरवाल समाज ने आपको जीव या प्रतिपादक राज राजेश्वर की उपाधि प्रदान की। आपको आचार्य सूरि सम्राट के पद पर अभिषिक्त कर जगद्गुरू से सम्मान से सम्मानित किया । नेपाल के डेपुटेशन ने आपको नेपाल राजगुरु की संज्ञा से विभूषित किया । '
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आचार्य विजयवल्लभ सूरि - आचार्य विजयवल्लभ सूरि ने जैनमत की एकता के लिए दिगम्बर श्वेताम्बर विशेषणों को त्यागने के लिये बीड़ा उठाया। देश के कौने कौने में आत्मानन्द जी के नाम से अनेक शिक्षण संस्थाएँ स्थापित करने के लिये प्रेरणा दी। आपका स्वर्गवास बम्बई में हुआ । आपकी शवयात्रा में और धर्म की सीमाएं टूट गई ।
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खरतरगच्छीय परम्परा के आचार्य और सूरि- आधुनिक काल में खरतरगच्छीय आचार्यों और मुनियों में सर्वश्री धर्मसागर, विजयसमुद्र, यशोविजय, जनकविजय, कांतिसागर, कल्याणविजय, भद्रंकरविजय, भानुविजय, विशाल विजय आदि प्रमुख आचार्य और मुनि हैं । मुनि कांतिसागर मुनि कांतिसागर जैनमत के महान् अध्येता और शेधार्थी हैं पुस्तकें इनके लिये अमूल्य निधि रही है। उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी 'खोज की पगडंडियां' चर्चित रही है। इनके विचारपूर्ण और शोधपूर्ण लेख पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
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साध्वी श्री विचक्षणजी- साध्वी श्री विचक्षण जी ने जैन सम्प्रदायों को एकता के सूत्रों में बाँधने का प्रयत्न किया। आप एक प्रभावशाली उपदेशिका हैं।
श्री अंचलगच्छ श्री खरतरगच्छ कऔर श्री तपागच्छ की आचार्य परम्पराएँ प्रस्तुत की जा रही है।
1. ओसवाल, दर्शन, दिग्दर्शन, पृ 162
अंचल गच्छ की आचार्य परम्परा आर्यरक्षित सूरि (वि.स. 1236 में स्वर्गस्थ ) जयसिंह सूरि (वि. स.
1258 में स्वर्गस्थ ) धर्मघोष सूरि (वि. स. 1268 में स्वर्गस्थ ) महेन्द्रसिंह सूरि (वि.स. 1309 में स्वर्गस्थ ) सिंहप्रभसूरि (वि.स. 1313 में स्वर्गस्थ )
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