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109 पल्लीवालगच्छ - पल्लीवाल जाति से सम्बन्धित इस गच्छ के प्रतिमा लेख 1453 ई से 1526 ई के मध्य मिलते हैं।'
काशद्रह गच्छ - कोटा के आदिनाथ मंदिर में 1565 ई के प्रतिमा लेख में इसका नाम मिलता है।
पिप्पपल गच्छ - इसका उल्लेख 1459 ई, 1473 ई और 1480 ई के मूर्तिलेखों में मिलता है।
पिप्पपल गच्छेतलाजीय - हरसूली के पार्श्वनाथ मंदिर के सुमतिनाथ पंचतीर्थी पर इसका उल्लेख है।
पिप्पलगच्छे त्रिभवीया - पिप्पल गच्छ की इस शाखा के प्रतिमा लेख 1419 ई, 1467 ई और 1468 ई. के उपलब्ध हुए हैं।'
वृहदगच्छे जिनेरावटके - वृहदगच्छ की इस शाखा का उल्लेख नागौर में सुविधिनाथ पंचतीर्थी पर 1456 ई का उपलब्ध है।
वृहदगच्छे जीरापल्लीगच्छ - वृहदगच्छ की यह शाखा जीरापल्ली में विकसित हुई। सवाई माधोपुर के विमलनाथ मंदिर में मुनि सुव्रत पंचतीर्थी पर 1462 ई में इसका उल्लेख मिलता
बोंकड़िया गच्छ - इस गच्छ का उल्लेख 4 मूर्तिलेखों पर 1439 ई से 1505 ई के मध्य मिलता है।
बोंकड़िया वृहद्गच्छ - वृहदगच्छ की इस शाखा का उल्लेख पनवाड़ के महावीर मंदिर की धर्मनाथ पंचतीर्थी पर 1473 ई के लेख में मिलता है।
भीनमाल गच्छ - भीनमाल के नाम से उत्पन्न भिनाय के केसरियानाथ मंदिर में सुविधिनाथ की पंचतीर्थी पर 1456 ई का एक लेख प्राप्त होता है।
राजगच्छ - तीन प्रतिमा लेखों- 1447 ई, 1452 ई और 1453 ई में इसका नाम मिलता है।
1. प्रतिष्ठा लेख संग्रह, क्रमांक 470, 472, 723, 823, 973 2. वही, क्रमांक 1021 3. वही, क्रमांक 553,723, 813 4. वही, क्रमांक 778 5. वही, क्रमांक 217, 640,677 6. वही, क्रमांक 514 7. वही, क्रमांक 594 8. वहीं, क्रमांक 315,714,716, 916 9. वही, क्रमांक 725 10. वही, क्रमांक 509 11.वही, क्रमांक 379,441,458
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