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128 हुआ। आपके शिष्यों में प्रमुख शिष्य थे- लोढा गोत्रीय रामवक्ष जी अलवर निवासी थे। मालेरकोटला में आप आचार्य पद पर अभिषिक्त हुए। इनके चार मुख्य परिवार निकले -
1. काशीराम जी महाराज 2. मोतीराम जी महाराज - आप संवत् 1939 में आचार्य बने। 3. मयाराम जी महाराज- आपका प्रभाव मारवाड़ से अम्बाला तक था। 4. लालचंद जी महाराज- सर्वाधिक प्रभाव पश्चिमी पंजाब में था।
रामस्वरूप जी महाराज - लालजी महाराज के शिष्य लक्ष्मीचंद जी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा में चले गये, किन्तु इन लक्ष्मीचंदजी के शिष्य रामस्वरूप जी स्थानकवासी समाज में ही रहे । इनके शिष्य अमरमुनि समाज विभूति थे। वे अहिंसा के प्रचारक, शांति के प्रकाशक, आत्मा के उजारक और हृदय के धनी महात्मा थे।
सोहनलाल जीमहाराज - अमरसिंह जी महाराज के चरणों में आपने संवत् 1933 में दीक्षा ली। आपकी संगठन शक्ति असाधारण थी। आपकी प्रेरणा से काशी में उच्चस्तरीय जैन शिक्षण के लिये पार्श्वनाथ विद्याश्रम की स्थापना हुई। आपको पंजाब केशरी कहा जाता है।
उदयचंद जी महाराज - ब्राह्मणकुल में उत्पन्न हुए और फिर जैनागमों का गम्भीर अध्ययन किया। अजमेर सम्मेलन में आप शांतिरक्षक थे।
काशीरामजी महाराज - आपका जन्म पसरूर (स्यालकोट) में हुआ। आपका जन्म संवत् 1960 में हुआ। आपकी आवाज बुलंद थी।
(3) लवजी ऋषि महाराज का सम्प्रदाय
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ताराऋषि
रामरतनजी
अमर सिंहजी का सम्प्रदाय
कानजी ऋषि का सम्प्रदाय
का सम्प्रदाय
का सम्प्रदाय
(1) अमरसिंह जी का सम्प्रदाय
1. लवजी ऋषि
सोमजी ऋषि हरिदास जी
वृन्दावन जी स्वामी 5. भगवानदास जी
मलूकचंद जी 7. महासिंहजी 8. कुशलचंदजी 9. छजमल जी 10. रामलालजी
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