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21. हाधोजी महाराज 22. उत्तमचंद जी महाराज 23. ईश्वरलाल महाराज
24. चुन्नीलाल जी महाराज (3) लवजी महाराज का सम्प्रदाय
कान्हजी ऋषि - लवजी ऋषि की परम्परा कान्ह जी ऋषि के सम्प्रदाय के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस सम्प्रदाय के सन्त दक्षिण, बराट, खानदेश और कर्नाटक में विचरते हैं। आपके शिष्यों में मंगलजी ऋषि गुजरात में खम्भात में पधारे।
तिलोक ऋषि जी - आपका जन्म वि.सं 1904 में सेठ दुलीचंद जी सुराणा की सहधर्मिणी नानूबाई की कुक्षि से रतलाम हुआ। आपने दक्षिण में जैन धर्म का प्रचार प्रसार किया। आप 70 हजार श्लोकों की रचना की। आव 'उत्तराध्ययन सूत्र' का सम्पूर्ण स्वाध्याय ध्यान में कर लेते थे। अहमदनगर में आपका स्वर्गवास हुआ।
रत्नऋषि जी महाराज - मारवाड़ में बोता में जन्में रत्नऋषि जी ने त्रिलोक महाराज की सेवा में 12 वर्ष की आयु में दीक्षित हुए। अलीपुर (बंगाल) में 1884 के ज्येष्ठ कृष्ण 8 को आपका स्वर्गवास हुआ।
___ अमिऋषिजी महाराज - दलोट (मालवा) में संवत् 1930 में आपका जन्म हुआ। 13 आगमग्रंथ आपको मौखिक यादथे। संवत् 1988 में शुजालपुर में वैसाख शुक्ला 14 को आपका स्वर्गवास हुआ।
__अमोलक ऋषिजी महाराज- वि.सं. 1944 में आप दीक्षित हुए। आपने कर्नाटक में धर्मप्रचार किया। स्थानकवासी समाज में आगमों का हिन्दी में अनुवाद कार्य सर्वप्रथम आपने ही किया। संवत् 1982 में आप आचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुए। संवत् 1993 भाद्रपद कृष्ण 14 को धुलिया में आप स्वर्ग सिधारे।
देवऋषि जी महाराज - कच्छ के पुकड़ी के निवासी सेठ जेठानी सिंघवी के यहाँ संवत् 1929 की दीपावली को श्वेताम्बर जैन कुटुम्ब में आपका जन्म हुआ। संवत् 1993 में माघकृष्ण 6 को आपको आचार्य पद पर अभिषिक्त किया गया। आपका स्वर्गवास संवत् 1999 मार्गशीर्ष 9 को नागपुर में हुआ।
ताराचंद जी महाराज - आप लवजी ऋषि के चतुर्थपद पर आचार्य हुए। आप प्रतिभाशाली प्रवचनकार थे।
छगनलाल जी महाराज - निर्भय वक्ता और शुभ्र हृदय के संत पुरुष छगनलाल जी महाराज की दीक्षा वि.सं 1945 में हुई।
अमरसिंह जी महाराज - लवजी ऋषि के दशवें पट्ट पर आप आचार्य रूप में विराजे। अमृतसर में जन्में अमरसिंह जी महाराज की दीक्षा संवत् 1898 को वैसाख कृष्ण द्वितीय को हुई। आप तातेड़ गोत्रीय ओसवाल थे। आपका स्वर्गवास अमृतसर में वि.स. 1913 में
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