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वचन विशाल थे। डा. याकोबी के अनुसार वैशालिक का अर्थ स्पष्ट रूप से वैशालीवासी होता है और जब कुण्डग्राम वैशाली का बाह्यभाग था, तो महावीर को वैशालिक कहना उचित ही है।
__डा. याकोबी के अनुसार बौद्ध ग्रंथ 'महावग्ग' में हम पढते हैं कि जब बुद्ध कोटिग्गान में थे, तो राजधानी वैशाली के तिच्छवी और गणिका अम्बपाली उनके दर्शनार्थ आए थे। वहाँ वे नातिका भाग में ठहरे । अत: यह बहुत कुछ सम्भव है कि बौद्धों का कोटिग्गाम ही जैनों का कुण्डग्राम हो। नामों की समानता के साथ नातिकाओं का निर्देश भी इसी का समर्थन करता है, क्योंकि नातिका स्पष्ट रूप से ज्ञात्रिक क्षत्रियों का सूचक है। महावीर इन्हीं ज्ञात्रिक क्षत्रियों के वंशजथे।
जैन और बौद्ध उल्लेखों के अनुसार कुण्डपुर या कुण्डग्राम विदेह देश में वैशाली के निकट होना चाहिए। ज्ञातृवंश लिच्छिवियों के कुल में महावीर ने जन्म लिया था, उनके वंशज
आज भी जथरिया जाति के रूप में बिहार के मुजफ्फर जिले के इसी परगना में निवास करते थे तथा वह मुजफ्फर जिले का वसाढ ही वैशाली था तथा कुण्डग्राम भी उसी के निकट होना चाहिये। अब कुण्डग्राम को वासकुण्ड कहते हैं, जो प्राचीन वैशाली का ही एक भाग था। वैशाली के तीन भाग थे- एकखास वैशाली (वसाढ), एक कुण्डपुर (वासकुण्ड) और एक बनियाग्राम। उनमें ब्राह्मण, क्षत्रिय और बनिये रहते थे।
उस समय लिच्छिवियों के गणतंत्र का प्रधान राजा चेटक था। दिगम्बर परम्परा के अनुसार चेटक की पुत्री और श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार चेटक की बहन त्रिशला या प्रियकारिणी का विवाह सिद्धार्थ से हुआ था। अगुत्तर निकाय' अद्धकथा में वैशाली की समृद्धि का वर्णन है।
महावीर के पितृकुल की अपेक्षा मातृकुल का राजवंशानुगत सम्बन्ध अधिक व्यापक और अधिक प्रभावक था। बौद्ध ग्रंथों में चेटक का नाम नहीं है। डा. याकोबी के अनुसार “जैनों ने अपने तीर्थंकर भगवान महावीर के परमभक्त तथा सम्बन्धी चेटक की स्मृति को सुरक्षित रखा है। उन्हीं के प्रभाव के कारण वैशाली जैनधर्म का गढी बनी हुई थी, जब कि बौद्ध उसे पाखण्डियों या विद्रोहियों का शिक्षालय मानते थे।"
चेटक के सात पुत्रियां थी। सबसे बड़ी त्रिशला सिद्धार्थ से ब्याहीथी और छठी चेलना मगध के राजा श्रेणिक राजा बिम्बसार से ब्याही थी। अत: मगध के साथ महावीर का निकट का सम्बन्ध था। बिम्बसार बौद्ध था, किन्तु चेलना के प्रभाव से वह महावीर का भक्त बना।
चेटक की अन्य पुत्रियों में मृगावती वत्स देश के कौशाम्बी नगरी के राजा शतानीक से, सुप्रभा दशार्क देश के हेमकच्छपुर के राजा दशरथ से, प्रभावती कच्छदेश के रोरुक नगर के राजा उदयन से ब्याही थी। महीपुर के राजा सत्यकी ने ज्येष्टा की मांग की, किन्तु मना करने पर चेटक पर चढ़ाई की। युद्ध में हारने पर वह साधु हो गया और बाद में ज्येष्ठाऔर चन्दनाभी साध्वी हो गई।
1. Dr. H. Yakobi, The Second Books of the East, Part 22, Page 11 2. वही, पृ. 22-23
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