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अनुयोगद्वारात्रे
तस्ते लालजालं मुञ्चन्ति । तेन निष्पन्नं सूत्रं कृमिगगमुच्यते । तच्च रक्तवर्णकृमिसमुन्नत्वात् स्वाभाविकर क्तवर्ण भवति ।
अथ वालजस्त्ररूपं चतुर्थभेदं प्ररूपयति- 'बालगं' इत्यादि । बाजं - बालाः = रोमाणि बालेभ्यः = ऊरणिकादि लामभ्यो जातम् तत् पञ्चविधं प्रज्ञप्तम् = प्ररूपितम्, तद्यथा - और्णिकम् - ऊर्णाया इदमौर्णिकम् मेष रामनिप्पन्नम् ||१|| ओष्टिकम्-उष्ट्राणामिदम्, औष्ट्रि कम्-उष्ट्र रोमनिप्पन्न सूत्रम् ||२|| मृगलौकिकम्-मृगराममिनिं ०१न्नं, मृगलौमिकम् । मृगसदृशा मृगेभ्यो ह्रस्वाकारा आरण्यजीव वशेषा इह मृग शब्देन विवक्षिताः तेषां रामभिर्निष्पन्नं सूत्रं मृगलौमिकम् ॥३॥ कौतम - उन्दु र रोम निष्पन्नं सूत्रम् | ४|| किट्टिसम - और णिकादिसत्र निर्माणानन्तरं यदवशिष्ट'
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बाहर निकलते हैं तो वह आसपास के प्रदेश में घूमते हुए वहां अपनी लार छोड़ते हैं । इस लार से जो सूत्र बनता है वह कृमिराग सूत्रे कहलाता है । इसकी रक्तवर्णवाले कृमियों से उत्पन्न होने के कारण वर्ण स्वभावतः लाल रहता है। (बालथं पंचविह पण्णत्त) भेड आदि के बालों से उत्पन्न हुवा सूत्रत्रका नाम बालज सूत्र है । यह भी पांच प्रकारका है- (त जहा ) जैसे - ( उणिए) मेप आदि के रोम से उत्पन्न हुआ सूत्र और्णिक (उट्टिए) उष्ट्र के रोम से उत्पन्न हुआ मृत्रा औष्ट्रिक (मियलोमिए) मृग के रेशम से उत्पन्न हुआ सूत्र मृगलोमिक (कोतवे) चूहे के रोम से उत्पन्न हुआ सूत्र कौतव, (किट्टि से) और्णिक आदि सूत्रों के निर्माण करते समय जो बाल इधरउधर गिर जाते हैं उसका नाम किट्टिस है । इस किट्टिस से जो सूत्र बनाया તે પાત્રની આસપાસ ભમવા માંડે છે અને તે પાત્ર પર પેાતાની લાળ છેડયા કરે છે. તે લાળને લેાકેા એકત્ર કરી લે છે, અને તેમાંથી જે સૂત્ર બનાવવામાં આવે છે તેને કૃમિરાગસૂત્ર કહે છે. લાલવવાળા કૃમીઓમાંથી ઉત્પન્ન થવાને કારણે તેના રગમાં સ્વાભાવિક રતાશના સદૂભાવ હાય છે.
( बालयं पंचविहं पण्णत्तं) घेटां महिना वाजभांथी उत्पन्न थयेला सूत्र नाभ 'मासन्सूत्र' छ. तेना पशु पांय प्रकार छे (तंजहा) प्रेम ! उष्णिए) (1) સણિક-ઘેટાં આદિના વાળમાંથી બનેલા સૂત્રને ઓણિ`ક (ઉનનું બનેલુ) સુત્ર કહે छ. (उट्टिए) (२) मौष्ट्रि४ जना वाणमांथी उत्पन्न थयेसा सुत्रने 'मोष्ट्रमसूत्र' ४ छ (मिवलोमिए) भृगना वाजभांथी मनावेला सूत्रने 'भृगखेोभिसूत्र' हे छे. (कोतवे) (४) हरनी वाटीभांथी मनावेला सूत्रने तव सुत्र आहे छे. (किट्टिए) (૫) આરણિક આદિ સૂત્રનું નિર્માણ કરતી વખતે જે વાળ ઉડીને આમતેમ જઈ પડયાં ડાય છે તે વાળને ‘કિટ્ટિસ’ કહે છે, કિટ્ટિસમાંથી (વેસ્ટમાંથી જે સૂત્ર અના