Book Title: Anuyogdwar Sutra Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 816
________________ भनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १६५ स्वराणां ग्रामान मूर्च्छनांश्चनिरूपणम् ८०३ अथैषां स्वराणां ग्रामान् एकैकग्रामस्य मूछनाश्चाह मूलम्-एएसिं गं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पण्णत्ता, तं जहा-सजगामे मज्झिमगामे गंधारगामे। सजगामस्सणं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-मंगीकोरवीया हरी य, रयणी य सारकंता य। छट्ठी य सारसी नाम, सुद्धसज्जा य सत्तमा॥१॥ मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-उत्तर मंदा रयणी, उत्तरा उत्तरा समा। समोकंता य सोवीरा, अभीरू हवइ सत्तमा ॥२॥ गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-नंदी य खुड्डिया पूरिमा य, चउत्थी य सुद्धगंधारा । उत्तरगंधारा वि य, पंचमिया हवइ मुच्छा उ॥३॥ सुदुत्तर मायामा, सा छट्ठी नियमसो उ णायव्वा। अह उत्तरायया कोडिमा य सा सत्तमी मुच्छा ॥४॥सू०१६५॥ छाया-एतेषां खलु सप्तानां स्वराणां त्रयो ग्रामा प्रज्ञप्ताः, तद्यथा षड्ज: प्रामः मध्यमग्रामः गान्धारग्रामः । षड्जग्रामस्य खलु सप्त मूच्र्छनाः प्रज्ञप्ता, अब सूत्रकार इन स्वरों के ग्रामों को और एक एक ग्राम की मूळ. नाओं को कहते हैं-"एएसिं णं सत्तण्हं सराणं" इत्यादि । शब्दार्थ-(एएसि णं सत्तण्हं सराणं) इन सातस्वरों के (तओ गामा पण्णत्ता) तीन ग्राम कहे गये हैं । (तं जहा) वे इसप्रकार हैं-(सज्जगोमे, मझिमगामे गंधारगामे) १ षड्ज ग्राम, २, मध्यमग्राम, ३ गान्धारग्राम, । (सज्जगामस्स णं सत्तमुच्छणाओ पण्णताओ) षड्ज-ग्राम की सात હવે સૂવકાર આ સ્વરના ગ્રામ અને દરેકે દરેક ગ્રામની મચ્છનાઓ विष प्रयन रे ठे-" एएसिं णं सत्तण्हं सराणं "त्याह साथ-(एएसि णं सत्तण्हं सराणं) मा सात १शना (तओ गामा पण्णचा) १ आभा उपाय छे (तंजहा) ते मा प्रभारी छ. (सज्जगामे, मनिममगामे गंधारगामे) १५० ग्राम, २ मध्यम श्राम, 3 गान्धाराम. (सन्ज. गामस्म णं सत्तमुच्छणा ओ पगत्ताओ) पर आमनी सात भूछना। .

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