Book Title: Anuyogdwar Sutra Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 817
________________ ८०४ अनुयोगद्वारस्ये तद्यथा -मङ्गी कौरवीया हरिश्च, रजनी च सारकान्ता च । षष्ठी च सारसीनाम, शुद्धषड्जा च सप्तमी ॥१॥ मध्यमग्रामस्य खलु सप्त मूर्च्छनाः प्रज्ञताः, तद्यथाउत्तरमन्दा रजनी उत्तरा उत्तरसमा । समवक्रान्ता च सौवीरा, अमीरुभवति सप्तमी ॥२॥ गान्धारग्रामस्य खलु सप्तमूर्च्छनाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-नन्दी च क्षुद्रिका पूरिमा च चतुर्थी च शुद्धगान्धारा । उत्तरगान्धाराऽपि च सा पञ्चमिका भवति मृ. ॥३॥ सुष्ठूत्तरायामा सा षष्ठी नियमशस्तु ज्ञातव्या । अथ उत्तरायता कोटिमा च सा सप्तमीमूर्छा ॥४॥त्र०१६५॥ मूर्छनाएँ कही हैं। (तं जहा) वे इसप्रकार से हैं-(मंगी कोरव्वीया हरी य, रयणीय सारकंताय छट्ठी य सारसीनाम सुद्धसज्जाय सत्तमा)१ मंगी, २ कौरवीया, ३ हरि, ४ रजनी, ५ सारकान्ता, छठीसारसी और सातवीं शुद्ध षड्जा । (मज्झिमगामस्त णं सत्तमुच्छणाओ पण्णत्ताओ) मध्यम ग्राम की सात मूर्छनाएँ कही हैं । (तं जहा) वे इस प्रकार से हैं-(उत्तरमंदा रयणी उत्तरा उत्तरा समा समोकंता य सोवीरा, अभीरू हवइ सत्तमा) १ उत्तर मंदा, २ रजनी, ३ उत्तरा ४ उत्तरसमा, समवक्रान्ता, ६सौवीरा और सातवीं अभीरू । (गंधारगामस्स णं सत्तमुच्छणाओ पण्णत्ताओ) गांधार ग्रामकी सात मुर्छनाएँ कही हैं। (तं जहा-) वे इसप्रकार से हैं. (नंदीय खुड्डिया, पूरिमा य, चउत्थीय सुद्धगंधारा । उत्तरगंधारा विय पंचमिया हवइ मुच्छाउ) नन्दी, क्षुदिका, पूरिमा, चौथी, शुद्ध गान्धारा, पांचवीं उत्तरगांधारा (सुटु त्तरमायासा छट्ठी नियमसो उ णा मा भावी छ. (तंजहा) ते भा प्रभारी छ (मंगी कोरव्वीया हरी य, रयणीय मारकंता य छट्ठीय सारसी नाम सुद्धमज्जा य सत्तमा) १ मा, २ १२वीया, ३७२, ४ २गनी ५ सान्ता , ६ सरसी भने ७ शुद्धघडू (मझिम मामस्प णं सत्तमुच्छणाओ पण्णताओ) मध्यम प्रामनी सात भूछना। ४उपाय छे. (तंजहा) ते 41 प्रमाणे छे (उत्तर-मंदा रयणी उत्तरा उत्तरा समा समोकंता य सोवीरा, अभीरू हवइ सत्तमा) १ उत्तरमा, २ २०४नी, 3 ઉત્તરા, ૪ ઉત્તરસમા, ૫ સમવક્રાંતા ૬ સૌવીરા, ૭ અને અભીરું (गंधारग्रामस्सणं सत्तमुच्छणाओ पण्णत्ताओ) गांधार श्रामनी सात भूछ. नाम उपामा माकी छे. (तजहा) a मा प्रमाणे छ:-(नंदी य खुड्डिया, पूरिमा य, च उत्यीय, सुद्धगंधारा उत्तरगंधारा वि य पंचमिया हवइ मुच्छा) नही, २६द्रिा, 3 ५RI, ४ शुद्ध धा२, ५त्तर गांधा। (सुठुत्तरयामा सा छट्ठी नियमसो उ णायव्वा अहं उत्तरायया कोडिमा यसा खत्तमी मुच्छा) ૬ સુડુત્તરાયામ અને ૭ મૂછ ઉત્તરાયતા કટિમા.

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