________________
૪૦૨
अनुयोगद्वार
शिकाद्यनन्तप्रदेशिकपर्यन्तानां स्कन्धानाम् आनुपूर्वीत्वसामान्याभेदात् सर्वाsप्यानुपूर्वी एकैव । एवमनानुपूर्वीत्वसामान्याव्यतिरेकात् सर्वेऽपि परमाणुपुला एकैवानानुपूर्वी, अवक्तव्यकत्वरूपसामान्यान्यतिरेकात् सर्वे द्विपदेशिकाः स्कन्धा अपि एकमेव वक्तव्यम्, अतोऽत्र - ' तिप्पएसिए आणुपृथ्वी' इत्यादि एकत्वेनैव निर्दिष्टम्, न तु बहुत्वेनेति । प्रकृतमुपसंहर माह ' से तं' इत्यादि । सेवा संग्रहनयसम्मताऽर्थपदप्ररूपण ते ति १ ॥ म्र० ९२ ॥
समस्त त्रिप्रदेशिकादि स्कंध से लेकर अनंत प्रदेशिक स्कंध पर्यन्त के स्कंधों की जीतनी भी आनुपूर्वियां हैं वे सब आनुपूर्वीत्व रूप सामान्य से अभिन्न होने के कारण एकही अनानुपूर्वीरूप है। इसी प्रकार अनानुपूर्वीत्व रूप सामान्य से अभिन्न होने के कारण समस्त परमाणु पुल रूप अनानुपूर्वी एकही अनानुपूर्वी रूप हैं । इसी प्रकार से अवक्तव्यक स्वरूप सामान्य से अव्यतिरिक्त होने के कारण समस्त द्विप्रदेशिक स्कंध भी एकही अवक्तव्यकरूप हैं। इसलिये यहां सूत्र में "तिप्पसिए आणुपुच्ची" इत्यादि रूप से एकस्व का निर्देश सूत्रकार ने किया है। बहुत्व का नहीं । ( से तं संगहस्स अट्ठपथपरूवणया) इस प्रकार पह संग्रहनय मान्य अर्थपद् प्ररूपणता का स्वरूप है ।
भावार्थ - संग्रहनय दो प्रकार का है- १ अविशुद्ध संग्रहनय और दूसरा विशुद्ध संग्रहनय । अविशुद्ध संग्रहनय की मान्यतानुसार जितने भी त्रिप्रदेशिक वाले स्कंध हैं वे एक आनुपूर्वी है तथा जितने भी સમસ્ત ત્રિપ્રદેશિક આદિ કધથી લઈને અનત પ્રદેશિક પન્તના સ્મ્રુધાની જેટલી આનુપૂર્વી એ છે, તે બધી આનુપૂર્વીએ પણ આનુપૂર્વી ત્ય રૂપસ્રામાન્યની અપેક્ષાએ અભિન્ન હેાત્રાથી એક જ આનુપૂર્વી રૂપ છે. એજ પ્રમાણે અનાનુપૂર્વી ત્વ રૂપ સામાન્યની અપેક્ષાએ અભિન્ન હોવાને કારણે સમસ્ત પરમાણુ પુદ્ગલરૂપ અનાનુપૂર્વી એ પણ એક જ અનાનુપૂર્વી' રૂપ છે. એજ પ્રમાણે અવકતવ્યક રૂપ સામાન્યની અપેક્ષાએ અભિન્ન હેાવાને કારણે સમસ્ત દ્વિપ્રદેશી કધા પણ એક જ વ્યવક્તવ્યક રૂપ છે. તેથી જ સૂત્રકારે આ सूत्रभां “ तिप्पलिए आणुपुरुषी ” त्रिप्रदेशि भानुपूर्वी त्यादि ३ये त्वन निर्देश यो छे, महुत्वनो निर्देश यो नथी. ( से व संगइस्व अत्यपयपरूवणया) मा अठार अनयस'भत अर्थ यहा २१३५ ४. ल.वार्थ-सभèनय मे अमरनो छे - ( १ ) अविशुद्ध सभनय भने (२) વિશુદ્ધ સ`ગ્રડનય અવિશુદ્ધ સગ્રહનયની માન્યતા અનુસાર સમસ્ત ત્રિપ્રદેશી કધા એક આનુપૂર્વી રૂપ છે, એજ પ્રમાણે જેટલા ચાર પ્રવેશીથી લઈને