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मनुचोगचन्द्रिका टीका सूत्र १२९ नैगमन्यवहारपसंमतभङ्गोपदर्शनामि. ५५१
मूलम्-से किं तं गमववहाराणं भंगोवदंसणया? जेगम भंगोवदंसणया-तिसमयहिइए आणुपुच्ची, एगसमयटिइए अणाणुपुत्वी, दुसमयहिइए अवत्तव्वगं। तिसमयहिइया अणाणुपुबीओ एगसमयहिइया अणाणुपुष्वीओ, दुसमयट्रिइया अवत्तव्वयाई, अहवा-तिलमयट्रिइए य एगसमयटिइए य आणुपुत्वी य अणाणुपुत्वीया एवं तहा चेव दवाणुपुवीगमेणं छठवीसंभंगाभाणि. कना जाव से तं गमववहाराणं भंगोवदंसणया ॥सू० १२९॥
छाया-अथ का सा नैगमव्यवहारयो भङ्गोपदर्शनता ? नैगम. भङ्गोषदर्श नता-त्रिसस्यस्थितिक आनुपूर्वी, एकसमयस्थितिक अनानुपूर्वी, द्विसमयस्थितिक अवक्तव्यकम् । त्रिपमयस्थितिका आनुपूर्व्यः। एकसमयस्थितिका आनुपूर्व्यः ।
" से किं तं गमयवहाराणं" इत्यादि।
शब्दार्थः-(णेगमववहाराणं) हे भदन्त ! नैगमव्यवहार नयसंमत (त) पूर्वप्रक्रान्त (से) वह-(भंगोषदंसणया) भंगोषपदर्शन्ता (कि)क्या है? ___ उत्तर:-(णेगम. भंगोवदंसणया) नैगमव्यवहारमयसंमत भंगोपदर्शनता इस प्रकार से है-(तिसमयष्टिाए आणुपुत्री) तीन समय की स्थितिवाला एक एक परमाणु आदि द्रव्य आनुपूर्वी है । (एगसमयहिहए अणाणुपुव्वी) एक समय की स्थितिवाला एक परमाणु आदि द्रव्य अनानुपूर्वी है । (दुसमयटिइए अवत्सव्वग) दो समय की स्थितिवाला एक परमाणु आदि द्रव्य अवक्तव्यक है । (तिसमयट्टिया आणुपुब्बीओ)
" से किं तं गमववहाराणं" त्य:
शहाथ-(णेगमववहाराणं) ३ भाप ! नरामय१६०२ नयस मत (i) ५ id (से) ते (भगोवदंसणया) aahsundlनु (किं) ३ २१३५ - १
उत्तर-(णेगमववहाराणं भंगोवदंगणया) नाम०५५७२नयस मत गो. ५नता मा ४.२नी छे
(तिसमयटिइए आणुपुब्बी) समनी स्थितिवाणु प्रत्ये: ५२॥ भात द्रव्य मानु५वी' ३५ . (एगसमयदिइए अणाणुपुव्वी) समयनी स्थितिवाणु मे ५२मा मा द्र०य मनानुषी ३५ छे. (दुसमयदिइए भवत्तवर्ग) मे समयनी स्थितिवाणु मे ५२मा मा6ि द्र०य भातव्य ३५ . (तिसमयदिइया आणुपुव्वीओ) ३५ समय स्थितिmi भने।