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अनुयोगचन्द्रिका टोका सूत्र १५९ त्रिकसंयोगनिरूपणम्
७६३ सम्यक्त्व क्षायिक भाव में है-(एसणं से णामे उदइयउवसमियखहपनिफण्णे) इस प्रकार यह औदयिक औपशमिक क्षायिक निष्पन्न नाम सान्निपातिक भाव है। ( कयरे से जामे उदइयउवसमियखओव. समियनिष्फण्णे) हे भदन्त ! औदयिक क्षायोपशमिक सान्निपातिक भाव कैसा है ?
उत्तर-(उदइय उवसमियख ओवसमियनिप्फण्णे) औदयिक औप. शमिक क्षायोपशमिक नामको सान्निपातिकभाव ऐसा है (उदइए त्तिमणुस्से उवसंता कसाया ख मोवसमियाइं इंदियाई) मनुष्यगति औदयिक, उपशांतकषायें औपशमिक, और इन्द्रियाँ क्षायोपशमिक (एसणं से णामे उदइय उवसमियखओवसमियनिष्फण्णे) इस प्रकार यह औदयिकौपशमिक क्षायोपमिक सान्निपतिक भाव है। (कयरे से णामे उदहपउवसमियपारिणामियनिष्फण्णे ?) हे भदन्त ! औदयिकोपशमिक पारिणामिक नाम का तीसरा सान्निपातिक भाव कैसा है ? (उदइय उवसमियपारिणामियनिष्फण्णे) ___ उत्तर-औदयिकौपशमिक पारिणामिक नामका जो तीसरा सोन्नि. पातिक भाव है वह ऐसा है-(उदइयएत्ति मणुस्से उपसंता कसाया पारि. सायि माप छ. (एसणं से णामे उदइयउपसमियखइयनिष्फण्णे) मा प्रारना આ ઔદયિકૌપશમિક ક્ષાયિક નિષ્પન્ન નામને સાન્નિપાતિક ભાવ છે.
प्रश्न-कयरे से णामे उदइयउवसमियखओवसमियनिष्फण्णे ? उसन! ઔદયિકૌપશમિક સાન્નિપાતિક ભાવ કે છે?
उत्तर-(उदइयउवममियख ओवसमियनिष्कण्णे) मोहयो ५मि४-माया५शमिड नामन। सान्निपाति: साप ॥ ५॥२॥ छ- (उदएत्ति मणुस्से, उवसंताकमाया, खओवसमियाइं इंदियाइं) मनुष्य गति मोहयि भाव छ, शान्त पाया औ५शमि मा छ भने न्द्रिय क्षाया५शभि माप छ. (एसणं से णामे उदइय उवम्रमियख प्रोवनमियनिष्फण्णे) मा ४२ मा सोयिसमा ક્ષાપશમિક સાન્નિપાતિક ભાવ છે.
प्रश्न-(कयरे से णामे उदय वसमियपारिणामियनिष्फण्णे १ उमापन। ઔદયિકૌપશમિક પરિણામિક નામને ત્રીજે સાન્નિપાતિક ભાવ કે છે?
उत्तर-(उदइय उवसमियपारिणामियनिष्फण्णे १) मौयिटीपथभिः पारिता भिड नाभना त्रीले सान्निपातिमाप मा प्रा२नो छे-(उदायएचि मगुस्से, उपसंता कसाया, पारिणामिए जोवे) मनुष्य गति मो.यि मा