Book Title: Anuyogdwar Sutra Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
७७३
मनुयोगवन्द्रिका टीका सूत्र १६० चतुष्कसंयोगनिरूपणम् उवसंता कसाया, खइअं सम्मत्तं, खओवसमियाइं इंदियाइं। एस णं से णामे उदइयउवसमियखइयखओवसमियनिष्फण्णे ?, कयरे से गामे उदइयउपसमियखइयपरिणामियनिष्फण्णे?, उदइयउवसमियखइयपारिणामियनिष्फण्णे-उदइएत्ति मणुस्से, उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं, पारिणामिए जीवे। एस गं से णामे उदइयउवसमियखइयपारिणामियनिष्फण्णे२। 'कयरे से णामे उदइयउवसमियखओवसमियपारिणामियनिष्फण्णेउदइयउवसमियखओवसमियपारिणामियनिष्फन्ने उदइएत्ति मणुस्से, उवसंता कसाया, खओवसमियाइं इंदियाई, पारिणामिए जीवे । एस णं से णामे उदइयउवसमियखओवसमियपारिणामियनिप्फण्णे३। कयरे से णामे उदइयखइयखओवसमियपारिणामियनिप्फपणे? उदइयखइयखओवसमियपारिणामियनिष्फण्णे-उदइएत्ति मणुस्से, खइयं सम्मत्तं, खओवसमियाइं इंदियाइं, पारिणामिए जीवे। एस णं से नामे उदइयखइयखओवसमियपारिणामियनिष्फपणे४। कयरे से नामे उवसमियखइयखओवसमियपारिणामियनिप्फपणे?, उवसमियखइयखओवसमियपारिणामियनिष्फण्गे-उवसंता कलाया, खइयं सम्मत्तं, खओवसमियाइं इंदियाई, पारिणामिए जीवे । एस णं से नामे उवसमियखइयखओवसमियपारिणामियनिप्फण्णे५॥सू०१६०॥
छाया-तत्र खलु ये ते पञ्च चतुष्कसंयोगाः, ते खलु इमे-अस्ति नाम बौदयिकौपशमिकक्षायिकक्षायोपशमिकनिष्पन्नम् ? अस्ति नाम औदपिकापशमिकक्षायिकपारिणामिकनिष्पन्नम् २, अस्ति नाम औदयिकौपशमिकक्षायोपशमिकपारिणा.

Page Navigation
1 ... 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861