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पपुवोगचन्द्रिका टीका सूत्र १२० औपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वीनिरूपणम् ५१७ पच्छाणुपुवी ? पच्छाणुपुत्री उडुलोए तिरिएलोए अहोलोए। से तं पच्छाणुपुवी। से किं तं अणाणुपुब्बी ? अणाणुपुवी एयाए व एगाइयाए एगुत्तरियाए तिगच्छगयाए सेढीए मन्नमन्नन्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुची ॥सू० १२०॥
छाया-अथ का सा औपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी ? औपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी विविधा मनप्ता, तपथा-पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी, अनानुपूर्वी । अथ का सा पूर्वानुपूर्ण? पूर्वानुपूर्ती-अधोलोकः, तिर्यग्लोकः ऊर्ध्वलोकः । सैषा पूर्वानुपूर्वी । अथ का
इस प्रकार अनौपनिधि की क्षेत्रानुपूर्वी का कथन करके अध सूत्र कार औपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी का कथन करते हैं
“से किं तं ओवणिहिया" इत्यादि।
शब्दार्थ- (से कि तं ओवणिहिया खेत्ताणुपुच्ची? ) हे भदन्त ! संग्रहनय मान्य औपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी का क्या स्वरूप हैं ?
उत्तर-(ओवणिहिया खेत्ताणुपुब्बी तिविहा पण्णत्ता) औपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी तीन प्रकार की कही गई है-(तं जहो) वे उसके प्रकार ये हैं-(पुव्वाणुपुत्री, पच्छाणुपुची अणाणुपुत्री) १ पूर्वानुपूर्वी २ पश्चानुः पूर्वी (३) अनानुपूर्वी (वे किं तं पुव्वाणुपुव्वी) पूर्वानुपूर्वी क्या है ? _उत्तर- (पुवाणुगुब्बी) पूर्वानुपूर्वी इस प्रकार से है- (अहो लोए, तिरियलोए, उडुलोए) अधोलोक लियंग्लोक अवलोक । (से तं पुरवणु. पुब्बी) यह पूर्वानुपूर्वी है। (से किं तं पच्छाणुपुञ्ची) पश्चानुपूर्वी क्या है ?
આ પ્રમાણે અનૌપનિધિક ક્ષેત્રાનુપૂર્વીનું કથન કરીને હવે સૂત્રકાર "Rोपनिषि क्षेत्रनुपूवी नुं धन ४२ छ– “से किं तं ओवणिहिगा" त्या
___ शहा-(से किं तं ओवणिहिया खेत्ताणुपुत्री ?) भगवन् ! स48. નયમાન્ય ઔપનિધિકી ક્ષેત્રાનુપૂર્વીનું સ્વરૂપ કેવું છે?
उत्तर-(ओवणिहिया खेवाणुपुची तिविहा पण्णत्ता) मोपनिधिही क्षेत्रानु. पूर्वी १५ ॥२नी ही छे. (तंजहा) ते प्रा। नाय प्रमाणे छ-(पुवाणुपुव्वी, पच्छाणुपुत्री, अणाणुपु०वी) (१) पूर्वानुभूती', (२) ५श्वानुषी (3) मनानुका
प्रश्न-(से किं तं पुव्वाणुपुब्बो) भूषानुपूवी मेट शु?
उत्तर-(पुठवाणुपुव्वी) पूर्वानु५ ११३५ मा नुं छे-(अहोलोए, तिरियलोए, उलोए) अधोखा, तिय अने sarals, (से तं पुव्वाणुपुव्वी) પ કરે કહેવું તેનું નામ પૂર્વાનુમૂવી છે.