Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ==== ग्रंथ-सची = (पंचम भाग) ( राजस्थान के विभिन्न नगरों एवं ग्रामों के ४५ शास्त्र मण्डारों में संग्रहीत २० हजार से मी अधिक पाण्डुलिपियों का परिचयात्मक विवरण) आशीर्वाद : मुनि प्रवर १०८ श्री विद्यानन्दजी महाराज पुरोश : डा० हजारीप्रसाद द्विवेदी सम्पादक : डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल एम. ए., पी.-एच, डी., शास्त्री ५० अनूपचन्द न्यायतीर्थ साहित्यरत्न प्रकाशक : सोहनलाल सोगाणी मन्त्री : प्रबन्ध कारिणी कमेटी श्री दि० जैन अ. क्षेत्र श्रीमहावीरजी Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ = विषय-सूची = १ शास्त्र मण्डारों की नामावली २ प्रकाशकीय - सोहनलाल सोगाणी ३ आशीर्वाद मुनि श्री विद्यानन्द जी महाराज ४ पुरोवार डाक हजारी प्रसाद द्विवेदी ५ आभार एवं प्रस्तावना आदि ६ श्रामम सिद्धान्त एवं चर्वा ७ वर्म एव आचार शास्त्र ८ प्रध्यात्म, चितन एवं योगशास्त्र हव्याय एवं दर्शन शास्त्र १० पुराण साहित्य ११ काम्य एवं चरित १२ कथा साहित्य १३ व्याकरण शास्त्र अन्य संस्था ८६७ १२२ ७२३ १७५ ४५७ २२४ पत्र संख्या १-८२ ९०-१७६ १८०-२४७ २४०-२६३ २५४-३१३ ३१४-४२० ४२१-५०६ ५१०-५३० ५३१-५४. ५४१-५७२ ५७३-५६२ ५६३-६०२ ६०३-६० ६१०-६११ ६२०-६२५ ६२६-६२६ ६३०-६५० ३५२ २०४ १५ ज्योतिष, शकुन एच निमित्त शास्त्र १६ आयुर्वेद १७ अलंकार एवं छन्द शास्त्र १८ नाटक एवं संगीत १९ लोक विज्ञान २० मंत्र शास्त्र २१ शृगार एवं कामशास्त्र २२ रास फागु वेलि २३ इतिहास २४ विलास एवं संग्रह कृतियां २५ नीति एवं सुभाषित २६ स्तोत्र साहित्य २७ पूजा एवं विधान साहित्य २८ गुटका संग्रह २६ अवशिष्ट साहित्य २७३ ६५८-६८० ६८१-७०८ ७०६-७७६ ४७७७-६३६ १४०-१९७२ १९७३-१२०८ १६७५ १२३५ Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३. प्रधानुक्रमणिका ३१ प्रथ एवं प्रयकार १२ शासकों की नामावलि ३३ ग्राम एवं नगर नामावलि ३४ शुद्धाशुद्धि विवरण १२०६-१३०० १३०१-१३६४ १३६५-१३६७ १३६८-१३५० १३८१-१३८६ Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शास्त्र भण्डारों की नामावलि शास्त्र भण्डार - Vrixy.vu. xe. भ० दि० जैन मन्दिर, (बड़ा पड़ा) अजमेर दि० जन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर, अलवर दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर, अलवर दि० जन मन्दिर, दुनी दि. जैन बघेरवाल मन्दिर, ग्रांवा दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ, बूदी दि -गहिर शदिनाथ, बूंदी दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी दि० जैन मन्दिर महावीर स्वामी, दो दि जैन मन्दिर नेमिनाय स्वामी, बूदी दि. जैन मन्दिर बघेरवाल,नैणवा दि० जैन मन्दिर तेरापंथी, नैणवा दि० जैन मन्दिर अग्रवाल, नगवा दि. जैन मन्दिर, दबलाना दि. जैन मन्दिर पाबनाय, इन्दरगड़ दिन अग्रवाल मन्दिर. फतेहपुर (सेखावाटी दि. जैन पचायती मन्दिर, भरतपुर दि. जैन मन्दिर फौजूराम, भरतपुर दि. जैन पंचायती मन्दिर, नयी डोग दि. जैन बद्धो पंचायती मन्दिर, नयो 'डोग दि. जैन मन्दिर, पुरानो डीग दिन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर, कामा दि० जैन अग्रवाल मन्दिर, कामां दि. जैन नेमिनाथ मन्दिर, टोडारायसिंह दि० जैन पानाथ मन्दिर, टोडारायसिंह दि. जैन मन्दिर, राजमहल दि जैन मन्दिर, चोरसली कोटा दि. जैन पंचायती मन्दिर, बयाना दि० जैन छोटा मन्दिर, बयाना दि. जैन मन्दिर, वैर दि. जैन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शास्त्र भण्डार दि. जैम खण्डेलवाल मन्दिर, उदयपुर दिन संभवनाथ मन्दिर, उदयपुर दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर, बसथा दि जैन पंचायती मन्दिर, बसवा दि जैन मन्दिर कोटड़ियोंका, डूगरपुर दि. जैन मन्दिर, भादवा दि जैन मन्दिर सोधरियान, मालपुरा वि० जन प्रादिनाथ स्वामी, मालपुरा दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी, मालपुरा दि जैन पंचायती मन्दिर, करोली दिन मन्दिर सोगारणीयों का, करोली दि. जैन बसपंची मन्दिर, दौसा वि जैन तेरहपंथी मन्दिर, दौसा दि जैन मन्दिर लश्कर, अयपुर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी की प्रबन्धकारिणी कमेटी की ओर से गत २४ वर्षों से साहित्य अनुसंधान का कार्य हो रहा है। सन् १९६१ में राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों को ग्रंप सूची का चतुर्थ भाग प्रकाशित हुषा था। तत्पश्चात जिगदस चरित, राजस्थान के जैन सन्त-व्यक्तित्व एवं कृतिस्व, हिन्दी पद संग्रह, जैन प्रय भंडासं इन राजस्थान, जन शोष और समीक्षा आदि रसर्च से सम्बन्धित पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है । जैन साहित्य के शोधाथियों के लिये विद्वानों की दृष्टि में वे सभी गुरुत महत्वपूर्ण सिद्ध हुई है। शास्त्र मण्डारों की नथ सूची पंचम भाग के प्रकाशनार्थ विद्वानों के प्राग्रह को ध्यान में राते हुये और भगवान महावीर की २५०० वी निर्धारण शताब्दि समारोह हेतु गठित अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन समिति द्वारा साह माम्निप्रसाद जी की अध्यक्षता में देहली अधिवेशन में राजस्थान के जैन ग्रन्यायारों की सूचियां प्रकाशन के कार्य को वीर निर्वाण संवत् २५७० तक पूर्ण करने हेतु पारित प्रस्ताव का भी ध्यान रखते हुये क्षेत्र कमेटी ने ग्रंथ सूची के पंचम भाग के प्रकाशन के कार्य को और गति दी और मुझे यह लिखते हुये प्रसन्नता है कि महावीर क्षेत्र कमेटी ने दिगम्बर जैन समिति के प्रस्ताव को क्रियान्वित करने में सर्व प्रथम पहल की है। नच सूची के इस पंचम भाग में राजस्ान के विभिन्न नगरों व कस्बों में स्थित ४५ शास्त्र भण्डारों के संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रश, हिन्दी एवं राजस्थानी भाषा के ग्रंथों का विवरण दिया गया है। यदि गुटकों में संग्रहीत पाण्डुलिपियों की संख्या को जोड़ा जाय तो इस सूची में बीस हजार से अधिक प्रचों का विवरण प्राप्त होगा । समूचे साहित्यिक जगत् में ऐसी विशाल ग्रन्थ सूची का प्रकाशन सभवतःप्रथम घटना है। ये हस्तलिखित अप राजस्थान के प्रमुख नगर जयपुर, अजमेर, उदयपुर, डूंगरपुर, कोटा, बूदो, प्रलवर, भरतपुर, एवं प्रमुख कस्बे टोडारायसिंह, मालपुरा, नैरणवा, इन्द्र गह, बयाना, बेर, दवलाना, फतेहपुर, दूनी राजमहल, बसबा, मावा, दौसा आदि के दिगम्बर जैन मन्दिरों में स्थापित शास्त्र भण्डारों में संग्रहीत हैं। इसकी ग्रोथ सूचो बनाने का कार्य हमारे साहित्य शोघ विभाग के विद्वान् म कातूरचंद जी कासलीवाल एवं अनुपचन्द जी न्यायतीर्थ ने स्वयं स्थान स्थान पर जाकर अवलोकन कर पूर्ण किया है । यह उनको लगन एवं साहित्यिक रुचि का मुफल है। यह सूबी साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। प्रथ सूची के अन्त में दी गई अनुक्रमणिकाए प्राचीन साहित्य पर कार्य करने वाले शोधार्थियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होंगी। शोधाथियों एवं विद्वानों को कितनी ही अमात एवं अनुपलब्ध ग्रंथों का प्रथम बार परिचय प्राप्त होगा तथा भाषा के इतिहास में कितनी ही लुप्त कमियां और जुड़ सकेंगी, ऐसा मेरा विश्वास है। भगवान महावीर के जीवन पर निबद्ध नबलराम फवि का "बदमान पुराण" कामा के शास्त्र भंडार में उपलब्ध हुमा है वह १७ वीं शताब्दी की कृति है सथा भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित हिन्दी कृतियों में अत्यधिक प्राचीन है। श्रीमहामोर जी क्षेत्र की मोर से भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित प्रमुख हिन्दी काव्यों के शीघ प्रकाशन की योजना विचाराधीन है। Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभी राजस्थान में नागरेर कुचामन, प्रतापगड, सागवाड़ा, आदि स्थानों के महत्वपूर्ण ग्रंथ भण्डारों की सूची का कार्य प्रविष्ट है इनकी सूची दो भागों में समाप्त हो जायगी ऐसो धाशा है। इस प्रकार राजस्थान के रूप मण्डारों की ग्रंथ सूची के ७ भाग प्रकाशित हो जाने के पश्चात् ग्रंथ सूची प्रकाशन की हमारी योजना हीदी तक पूरी हो सकेगी। प्रकयकारिणी कमेडी उन विभिन्न नगरों एवं कस्बों के शास्त्र भण्डारों के व्यवस्यापकों की बामारी है जिन्होंने विद्वानों को ग्रंथ सूची बनाने के कार्य में पूर्ण सहयोग प्रदान किया है। प्राशता है भविष्य में भी साहित्य सेवा के पुनीत कार्य में उनका सहयोग प्राप्त होता रहेगा। क्षेत्र कमेटी पूज्य १०८ मुनिवर श्री विद्यानन्दजी महाराज की भी आभारी है जिन्होंने दस सूची में प्रकाशनार्थ अपना पुनीत आर्शीर्वाद प्रदान करने की महती कृपा की है। साहित्योद्धार के कार्य में मुनिश्री द्वारा हमें बराबर प्रेरणा मिलती रहती है। हम साहित्य के मून्य विद्वान् डा० हजारीप्रसादजी द्विवेदी के भी आभारी है जिन्होंने इसका पुरोवाक् लिखने की कृपा की है । महावीर भवन जयपुर सोहनलाल सोगारपी मंत्री Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राशीर्वाद धर्म, जाति और समाज की स्थिति में जहां संस्कृति मुल कारण है, वहां इनके संवर्धन मोर संरक्षण में साहित्य का मी महत्वपूर्ण स्थान है । संस्कृति एवं साहित्य दोनों जीवन और प्राणवायु सदृश परस्परावेनी हैं। एक के बिना दूसरे की स्थिति संभव नहीं । अतः दोनों का संरक्षण अावश्यक है। आदि युगपुरुष तीर्थ कर वृषभदेव से प्रतित दिव्य देशना ने तीर्घ कर वर्तमान पर्यम्त भौर पदावधि जो स्थिरता धारण की, वह साहित्य की ही देन है। यदि आज युग में प्राचीन साहित्य हमारे बीच न होता तो हमारा अस्तित्व ही समाप्त प्राय था। भारत के प्रभून शास्त्रागारों में आज भी विपुल साहित्य सुरक्षित है । न जाने, किन किन महापुरुषों, धर्मप्रेमियों ने इस साहित्य की कैसे कैसे प्रयत्नों से रक्षा की। पिछले समयों में बड़े बड़े उतार चढाव प्राये । मुगल साम्राज्य और विद्वेषियों के कम कब कितने कितने धर्मद्रोही झंझावात चले, इसका तो अतीत इतिहास साक्षी है । पर हां यह अवश्य है कि उस काल में यदि संस्कृति, साहित्य और धर्म में प्रेमी न होते सो प्राज के भण्डारों में विपुल माहित्य सर्वथा दुर्लभ होता । संतोष है कि ऐसे साहित्य पर विद्वानों का ध्यान गया और प्रब धीरे धीरे तीव्रगति से उसके उद्धार का कार्य जनता के समक्ष प्राने नगा, यह सुखद प्रसंग है। राजस्थान के शास्त्र मण्हारों की मय सूत्री का पंचम भाग हमारे समक्ष है । इसके पूर्व पार भागों में लगभग पच्चीस हजार यों की सूची प्रकाशित हो चुकी है। इस भाग में भी लगभग बीस हजार प्रथों को नामावली है । प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत, राजस्थानी और हिन्दी सभी भाषामों में लगभग एक हजार लेखकों, प्राचार्यो, मुनियों और विद्वानों को रचनायें हैं। इन रचनामों में दोहा, चोपई, रास, फागु, लि, सतसई, बावनी, तक मादि के माध्यम से तत्व, पाचार विचार एक कथा संबंधी विविध ध है। श्री डा० कस्तुरचन्द कासलीवास समाज के जाने माने शोध विद्वान हैं । भंडारों के शोष कार्य पर इन्हें पो--एच. डी. भी प्राप्त है। हरसूची के उक्त संकलन, संपादन में इन्हें लगभग बीस वर्ष लग चुके हैं और प्रभी कायं शेष है । इस प्रसंग में डा० साहब एवं उनके सहयोगियों को पैदल, ऊट गाड़ी व कंटों पर सैकड़ों मीलों की यात्रा करनी पड़ी है, उन्होंने अथक परिथम किया है। यह ऐसा कार्य है जो परम पावश्यक था और किसी का इस पर कार्य रूप में ध्यान नहीं गया। डा० साहब के इस कार्य से वर्तमान एवं भावी पीढी के शोधार्थियों को पूरा पूरा लाभ मिलेगा ऐसा हमारा विश्वास है । साथ ही तीर्थ कर महावीर की २५०० की निर्वाण शती के प्रसंग में इस नथ का उपयोग और भी बढ़ जाता है। प्रथ भण्डारों में उपलब्ध तीर्थकर महावीर सम्बन्धी अनेक प्रथाका सल्लेख भी इस सूची में है जिनके भाचार पर तीर्थंकर महावीर का प्रामाणिक जीवन प्रकास में लाया जा सकता है । और भी भनेक ष प्रकाशित किये जा सकते हैं। समाज को इधर ध्यान देना उचित है। ग. साह्य का प्रयास सर्वया उपयोगी एवं अनुकरणीय है । Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तुत प्रकाशन के महत्वपूर्ण कार्य से श्रीमहावीरजी अतिशय क्षेत्र कमेटी, उसके तत्तकालीन मंत्रियों थी शानपन्द्र सिन्दूका व श्री सोहनलाल सोगाणी के साहित्योद्धार प्रेम की झलक सहज ही मिल जाती है। अन्य तो क्षेत्रों के प्रबन्धकों को इनका अनुकरण कर साहित्योद्वार में रुचि लेना सर्वथा उपयोगी है। मंच संपादन के कार्य में श्री पं. अनुपच द न्यायतीर्थ, साहित्यरत्न से... साहब को पूरा पुरा सहयोग मिला है। हमारी भावना है कि समाज मौर देश इस अमूल्य सूची का अधिकाधिक लाम ले सके। विद्यानन्द मुनि सज्जैन ३०-१२-७१ Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुरोवाक् मुझे राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों को इस पांचवीं पंच मुची को देख कर बड़ी प्रसन्नता हुई। डा० कासलीवालजी ने विभिन्न नगरो एवं ग्रामों के ४५ शास्त्र भण्डारों का पालोडन करके इस ग्रंथ सूची को तैयार किया है । इसमें लगभग छौस हमार पाण्डलिपियों का विवरण दिया हुआ है। इस ग्रंथ सूची में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण पुस्तके भी हैं जिनका अमो तक प्रकाशन नहीं हुधा है । मुझे यह कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि डा० कस्तूरचन्द जी एवं पं० अनूपचन्द जी ने इस ग्रंथ सूची का प्रकाशन करके मारी शोध कत्रिों और शास्त्र जिज्ञासुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रध दिया है । इस प्रकार की ग्रंथ सूचियों में भिन्न भिन्न स्थानों में सुरक्षित और प्रक्षात तथा अल्पज्ञात पुस्तकों का परिचय मिलता है और शोथ कर्मा को अपने अभीष्ट मार्ग की सूचना में सहायता मिलती है । इसके पूर्व भी डा० कासलीवालजी ने नथ सूचियों का प्रकाशन किया है । वे इस क्षेत्र में चुपचाप महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं । मेरा विश्वास है कि विद्वत् समाज उनके प्रयत्नों का पूरा लाभ उठाएगा। यद्यपि इन ग्रंथों की सूची जैन भण्डारों से संग्रह की गई तयापि यह नहीं समझना चाहिए कि इसमें केवल जैन धर्म से संबद्ध ग्रंय ही है। ऐसे बहुत से ग्रंथ हैं जो कि जैन धर्म क्षेत्र के बाहर भी पड़ते हैं और कई ग्रंथ हिन्दी साहित्य के शोध कानों के लिए बहुत उपयोगी जान पड़ते हैं । इस महत्वपूर्ण ग्रंथ सूची के प्रकाशन के लिए श्री महायोर तीर्थ क्षेत्र कमेटी के मन्त्री श्री सोहनलाल जी सोगारणी तथा डा० कस्तूरचन्द जी और पं० अनूपचन्द जी न्यायतीर्थ साहित्य और विद्या प्रेमियों के हार्दिक धन्यवाद के अधिकारी हैं। हजारो प्रसाद द्विवेदी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ सूची-एक झलक कम संख्या नाम संख्या प्रय संख्या पाण्डुलिपि संख्या २०, अषकार ग्राम एवं नगर ६२० शासकों की संख्या प्रजात एवं अप्रकाशित ग्रंथ विवरण प्रय भण्डारों की संस्था Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राभार हम सर्वप्रथम क्षेत्र की प्रबन्ध कारिणी कमेटी के सभी माननीय सदस्यों तथा विशेषतः निवर्तमान मंत्री श्रीज्ञानचन्द्र जी खिन्दूका एवं वर्तमान अध्यक्ष श्री मोहनलाल जी काला तथा मंत्री श्री सोहनलालजी सोगाणो के आभारी है जिन्होंने ग्रय सूची के इस भाभ को प्रकाशित करवाकर साहित्य जगत् का महान उपकार किया है। क्षेत्र कमेटी द्वारा साहित्य शोध एवं साहित्य प्रकाशन के क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण कार्य किया गया है वह अत्यधिक प्रशंसनीय एवं श्नापती-है। ग्राशासनिय मामिला मात्र को और भी प्राथमिकता मिलेगी। हम राजस्थान के उन सभी दि. जैन मन्दिरों के व्यवस्थापकों के प्राभारी हैं जिन्होंने अपने यहा स्थित शास्त्र भण्डारों की नथ सूची बनाने में हमें पूर्ण सहयोग दिया । वास्तव में यदि उनका महयोग नहीं मिलता तो हम इस कार्य में प्रगति नहीं कर सकते थे। ऐसे व्यस्थापक महानुभावों में निम्न लिखित सज्जनों के नाम विशेषतः उल्लेखनीय है गरपुर फतेहपुरप्रममेरकोटा नेणवा स्व. श्री भीराचन्द जी गांधी स्व. श्री रतलालजी कोटडिया सूरजमलजी नन्दलालजी इ सर्राफ श्री बाबू गिनीलालजी जैन समस्त समाज दि जैन मन्दिर बडाघडा (मट्टारक) अजमेर, श्रीडा नेमीचन्द जी श्री स्व० ज्ञानचन्द जी श्री बाबू जयकुमार जो ककोल श्री सेठ मदनमोहन जी कासलीवान श्री केशरीमल जी गगवाल श्री मदनलाल जी श्री समीरमल जी लावड़ा श्री मोहनलालजी जैन श्री रतनलाल जी जैन श्री बा० शिखरचन्द जी गोषा श्री सेठ पत्रालाल जी जैन श्री मोतीलाल जी महा श्री रोशनलाल जी ठेकेदार श्री मुंशी गेंदोलाल जी साह दूनीमालपुराटोडारायसिंह भरतपुरउदयपुर बयाना... जयपुर Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इस अवसर पर स्व. गुरुवयं पं० चनसुखदासजी सा० न्यायतीर्थ के चरणों में सादर श्रद्धान्जलि मर्पित है जिनकी सतत प्रेरणा से ही राजस्थान के इन शास्त्र भण्डारों की नथ सूची का कार्य किया जा सका । हम हमारे सहयोगी स्व. सुगनचन्द जी जैन की सेवायों को भी नहीं भुला सकते जिन्होंने हमारे साथ रह कर शास्त्र भण्डारों की पंथ सूखी बनाने में हमें पूरा सहयोग दिया था। उनके प्राकस्मिक स्वर्गवास से साहित्यिक कार्यों में हमें काफी क्षति पहुंची है। हम उदीयमान शोधार्थी श्री प्रेमचंद रावका के भी यामारी हैं जिन्होंने नय सूची की अनुक्रमणिकायें तैयार करने में पूरा सहयोग दिया है। हिन्दी का मूलभ कि 1 हमारी प्रसाद जी द्विवेदी के हम अत्यधिक प्रामारी हैं जिन्होने हमारे निवेदन पर ग्रेच सूची पर पुरोधाक लिखने की महती कृपा की है । जैन साहित्य की भोर आपकी विशेष रूचि रही है और हमें प्राशा है कि प्रापकी प्रेरणा से हिन्दी के इतिहास में जैन विद्वानों को कृतियों को उचित स्थान प्राप्त होगा। राष्ट्रसंत मुनिप्रवर श्री विद्यानदजी महाराज का हम किन शब्दों में आभार प्रकट करें। मुनि श्री कर प्रायोर्वाद ही हमारी साहित्यिक साधना का संबल है। १-१-७२ कस्तूरचन्द्र कासलीवाल अनूपचन्द न्यायतीर्थ Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तावना राजस्थान एक विशाल प्रदेश है। इसकी यह विशालता केवल क्षेत्रफल की दृष्टि से ही नहीं है किन्तु साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से भी राजस्थान की गणना सर्वोपरि है । जिस प्रकार यहां के वीर शासकों एवं योद्धाओं ने अपने बहादुरी के कार्यों से देश के इतिहास को नयी दिशा प्रदान करने में महत्वपू योग दिया है उसी प्रकार यहां के साहित्य सेवी समूचे भारत का गौरवमय वातावरण बनाने में सक्षम रहे हैं । यहां की संस्कृति भारत की आत्मा है जो अहिता, सहअस्तित्वं एवं समन्वय की भावना से प्रोतप्रोत है। यही कारण है कि इस प्रदेश में युद्ध के समय में भी शांति रही और सभी वर्ग भारतीय संस्कृति के विकास में अपना अपना योग देते रहे। भारतीय साहित्य के विकास में, उसको सुरक्षा एवं प्रचार प्रसार में राजस्थानवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। संस्कृत भाषा के साथ-साथ यहां के निवासियों ने प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी, राजस्थानी एवं गुजराती के विकास में मी सर्वाधिक योग दिया। राजस्थानी यहां की जन भाषा रही और उसके माध्यम से "हिन्दी का खून विकास हुया । इसीलिये हिन्दी के प्राचीनतम कवियों की कृतियां यहीं के ग्रंथागारों में उपलब्ध होती हैं । यही स्थिति अन्य भाषाओं के सम्बन्ध में भी कही जा सकती है। साहित्यिक प्रेम की जितनी भी प्रशंसा की जावे वही कम रहेगी। निर्माण के साथ साथ उसकी सुरक्षा की प्रोर भी ध्यान दिया और का संग्रह कर लिया। मुसलिम शासन काल में जिस प्रकार उन्होंने अधिक प्रिय समझ कर सुरक्षित रखा वह ग्रांज एक कहानी बन गयी है। यहां के शासक एवं जनता दोनों ने ही राजस्थान के शास्त्र भण्डारों का यदि मूल्यांकन किया जाये तो हमारे पूर्वजों की बुद्धिमत्ता एवं उनके उन्होंने समय की गति को पहिचाना, साहित्य धीरे-धीरे लाखों की संख्या में पाण्डुलिपियों साहित्यिक धरोहर को अपने प्राणों से भी इसलिये यहां के शासकों ने जश ने अपने-अपने मन्त्रिरों मिल कर अथक प्रयासों से साहित्य की प्रमूल्य निधि को नष्ट होने से बचा लिया । जहां राज्य स्तर पर ग्रंथ संग्रहालयों एवं पोचीखानों की स्थापना की, वहां यहां की जर एवं निवास स्थानों पर भी पाण्डुलिपियों का अपूर्व सग्रह किया। बीकानेर की अनूप संस्कृत लायब्रेरी एवं जयपुर का जिस प्रकार प्राचीन पाण्डुलिपियों के संग्रह के लिये विश्वविख्यात हैं उसी प्रकार नागोर, जैसलमेर, अजमेर, श्रमेर, बीकानेर एवं उदयपुर के जैन ग्रंथालय भी हम दृष्टि से सर्वोपरि हैं। एद्यपि अभी तक विद्वानों द्वारा इन शास्त्र भण्डारों का पूर्णतः मूल्यांकन नहीं हो सका हैं फिर भी गत २० वर्षो में इन संग्रहालयों की जो सुचियां सामने आयी हैं उनसे विद्वान इस ओर आकृष्ट होने लगे हैं और अब शनैः शनैः इनमें संग्रहीत साहित्य का उपयोग होने लगा है । जनता द्वारा स्थापित राजस्थान के इन शास्त्र भण्डारों में जैन शास्त्र भण्डारों की सबसे बड़ी संख्या है। ये शास्त्र भण्डार राजस्थान के सभी प्रमुख नगरों एवं कस्बों में मिलते हैं। यद्यपि अभी तक इन शास्त्र austi की पूरी सूची तैयार नहीं हो सकी है। मैंने अपने Jain Granth Bhandars in Rajasthan में ऐसे १०० शास्त्र भण्डारों का परिचय दिया है लेकिन उसके पश्चात् और भी कितने ही यथागारों का Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अस्तित्व हमारे सामने आया है, इसलिये राजस्थान में दिगम्बर एवं श्वेताम्बर शास्त्र भण्डारों की संख्या की जाये तो वह २०. से कम नहीं होनी चाहिये। श्वेताम्बर शास्त्र भण्डारों की ध सूचियां एवं उनका सामान्य परिचय तो बहुत पहिले मुनि पुष्यविजय जी, मुनि जिनविजयजी एवं थी अगरचन्द जी नाहटा प्रति विद्वानों ने साहित्यिक जगत को दे दिया था लेकिन दिगम्बर जैन मन्दिरों में स्थापित शास्त्र भण्डारों का परिचय देने एवं उनकी ग्रंथ सूची बनाने का कार्य अनेक प्रयत्नों के बावजूद सन् १९४७ के पूर्व तक योजना बट तरीके से प्रारम्भ नहीं किया जा सका। यद्यपि पं० परमानन्द जी शास्त्री, स्व. पं० जुगलकिशोर जो मुख्तार एवं श्रद्धेय स्व० पं० चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ द्वारा इस पोर लोगों को बराबर प्ररशाए' दी जाती रही लेकिन फिर भी कोई ठोस कार्य प्रारम्भ नहीं किया जा सका । पाखिर ५०चनसूखदासजी न्यायतीर्थ को बार बार प्रेरणानों के फलस्वरूप श्रीमहावीर क्षेत्र के तत्कालीन मंत्री श्री रामचन्द्रजी साखिन्यूका ने इस दिशा में पहल की तथा क्षेत्र की भोर से साहित्य शोध विभाग की की गयी। मार मार दिनों में स्थित शास्त्र भण्डारों को अंथ सूची का कार्य प्रारम्भ हवा । इसके पश्चात व सुचियों के प्रकाशन का कार्य प्रारम्भ किया गया और सन् १९४६ में सर्व प्रथम राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की मष सूची प्रथम माग (मामेर शास्त्र महार की अथ सूखी) प्रकाशित हुपा। इसके पश्चात् तीन भाग और प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें बीस हजार से भी अधिक मथों का परिचयात्मक विवरण दिया जा चुका है। प्रय सूची का पांचवां भाग विद्वानों एवं पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। इसमें जयपुर नगर के शास्त्र मण्डार दि. जैन मन्दिर लश्कर को अतिरिक्त सभी शास्त्र भण्डार राजस्थान के विभित्र नगरों एवं कस्बों में स्थित है। प्रस्तुत माग में ४५ शास्त्र भण्डारों में संग्रहीत २० हजार से भी अधिक पाण्डुलिपियों का परिचयात्मक विवरण दिया गया है। एक ही भाग में इतनी अधिक पाण्डुलिपियों का परिचय देने का हमारा यह प्रथम प्रयास है। इन शास्त्र भण्डारों की सूचीकरण के कार्य में हमें दस वर्ष से भी अधिक समय लगा। एक एक भण्डार को देखना, वहां के ग्रथों की धूल साफ करना, उन्हें सूची बद्ध करना, अस्तव्यस्त पत्रों को व्यवस्थित करना, पुराने एवं जीणं शीर वेष्टनों को नये वेष्टनों में परिवर्तित करना, महत्वपूर्ण पाठों एवं प्रशस्तियों को प्रति लिपि तैयार करना, पूरे ग्रंथ भण्डार को व्यवस्थित करना आदि सभी कार्य हमें करने पड़े और यह कार्य कितना श्रम साध्य है इसे मुक्त भोगी ही जान सकता है। फिर भी, यह कार्य सम्पन्न हो गया हम तो इसे ही पर्याप्त समझते हैं क्योंकि कुछ ऐसे शास्त्र भण्डार भी हैं जिन्हें पचासों वर्षों से नहीं खोला गया और उनमें कितनी २ साहित्यिक निधियां विद्यमान हैं इसे जानने का कभी प्रयास ही नहीं किया । इस प्रथ सूची में बीस हजार पाण्डुलिपियों के परिचय के अतिरिक्त सैकड़ों प्रध प्रशस्तियों, लेखक प्रशस्तियों तथा प्रसभ्य एवं प्राचीनतम पाण्डुलिगियों का परिचय भी दिया गया है। इस सूची के अवलोकन के पश्चात विद्वानों को इसका पता लग मकेगा कि सैकड़ों ग्रयों की कितनी २ महत्त्वपूर्ण पालिनियों की जानकारी मिली है जिनके बारे में साहित्यिक जगत अभी तक अन्धेरे में था। कुछ ऐसे ग्र'थ है जिनकी पाण्डुलिपियां राजस्थान के प्रायः सभी शास्त्र भण्डारों में उपलब्ध होती है जो उनकी लोकप्रियता को द्योतक है। स्वयं ग्रयकारों की मूल पाण्टुलिपियों की उपलब्धि भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। इन पाण्डुलिपियों के प्राधार पर प्रकाशन के समय पाठ भेद जैसा दुरूह कार्य कम हो जायेगा और पाठ को प्रामाणिकता में उहापोह नहीं करना पड़ेगा 1 महापंडित टोडरमल के प्रात्मानुशासन गाषा को विभिन्न भण्डारों में ४८ प्रतिलिपियां संग्रहीत हैं इसी प्रकार मनोहरदास सोनी की धर्मपरीक्षा की ४७ पाण्डुलिपियां, किशनसिह के क्रियाकोश की ४५, यानतराय के चर्चाशतक की ३७, Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( तीन ) पचनन्दि पंचविंशनि की ३५, ऋपमदास निगोत्या के मूलाचार भाषा की ३३, शुमचन्द्र के ज्ञानारणव की ३४, भूधरदास के वासभावान को २५. पापियां उपलब्ध हुई है। सबसे अधिक महाकवि भूबरदास के पार्श्वपुराण की पागडुलिपियां हैं जिनकी संख्या ५३ है । पाण्यपुराण का समाज में कितना अधिक प्रचार या और स्वाध्याय प्रेमी इसका कितनी उत्सुकता से स्वाध्याय करते होंगे यह इन पाण्टुलिपियों की संख्या से अच्छी तरह जाना आ सकता है । पारवपुराण की सबसे प्राचीन पाण्डुलिपि संवई १७६४ को है जो रचना काल के पांच वर्ष पश्चात् ही लिखी गयी थी । इसी तरह प्रस्तुत भाग में एक हजार से भी अधिक ग्रंथ प्रशस्तियां एवं लेखक प्रशस्तियां मी दी गयी है जिनमें कवि एवं काव्य परिचय के अतिरिल कितनी ही ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी मिलती है । इतिहास लेहन में ये प्रशस्तियां अत्यधिक महत्वपूर्ण सहायक सिद्ध होती है। उनमें जो तिथि, काल, बार नगर एवं शासकों का नामोल्लेख किया गया है वह अत्यधिक प्रामाणिक है और उन पर सहमा अविश्वास नहीं किया जा सकता। प्रस्तुत ग्रंथ सूची में सैकड़ों शासकों का उल्लेख है जिनमें केन्द्रीय, प्रान्तीय एवं प्रादेशिक शासकों के शासन का वर्णन मिलता है। इसी तरह इन प्रशस्तियों में अनेकों ग्राम एवं नगरों का भी उल्लेख मिलता है जो इतिहास की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस भाग में राजस्थान के विभिन्न नगरों एवं ग्रामों में स्थित दिगम्बर जैन मन्दिरों में संग्रहीत ४५ शास्त्र मण्डारों की हस्तलिखित पाहुलिपियों का परिचय दिया गया है । ये शाम भण्डार छोटे बड़े सभी स्तर के हैं । कुछ ऐसे पथ भण्डार हैं जिनमें दो हजार से भी अधिक पाण्डुलिपियों का संग्रह मिलता है तथा कुछ शास्त्र भण्डारों में १०० से भी कम हस्तलिखित ग्रंथ हैं । इन भण्डारों के अवलोकन के पश्चात् इतना कहा जा सकता है कि १५ वीं शताब्दी से लेकर १८ वीं शताब्दी तक ग्रंथों को प्रतिलिपि तथा उनके संग्रह का अत्यधिक जोर रहा । मुसलिम काल में प्रतिलिपि की गयी पाण्डुलिपियों की सबसे अधिक संख्या है। प्रथ भण्डारों के लिये इन शताब्दियों को हम उनका स्वर्णकाल कह सकते हैं। आमेर, नागौर, अजमेर, सागवाड़ा, कामां, मोजमावाद, दी. टोडारायसिंह, चमावती ( चाटमू ) प्रादि स्थानों के शास्त्र भण्डार इन पातान्दियों में स्थापित किये गये और इन्हीं स्यानों पर ग्रयों की तेजी से प्रतिलिपि की गयी। यह सुग भट्टारक संस्था का स्वर्ण युग था । हत्य लेखन एवं उनकी सुरक्षा एवं प्रचार प्रसार में जितना इन भट्रारकों का योगदान रहा उतना योगदान किसी साधु संस्था एवं समाज का नहीं रहा । भट्टारक सकलफीति से लेकर १८ वीं शताब्दी तक होने वाले भट्टारक सुरेन्द्रकीर्ति तक इन भट्टारकों ने देश में जबरदस्त साहित्य प्रचार किया और जन जन को इस पोर मोड़ने का प्रयास किया। लेकिन राजस्थान में महापंडित टोडरमल जी के क्रान्तिकारी विचारों के कारण इस सस्था को जबरदस्त प्राधास पहुंचा और फिर साहित्य लेखन का कार्य अवरुद्ध सा हो गया। जयपुर नगर ने सारे जैन समाज का मार्गदर्शन किया और यहां पर होने वाले पं. दौलतराम कासलीवाल, पं. टोडरमल. भाई रायमल्ल, ५० जय चन्द छाबड़ा, पं सदासुम्सदास कासलीयाल जैसे विद्वानों की कृतियों की पाबुलिपियां तो होती रही किन्तु प्राकृत, संस्कत, अपभ्रंश एवं हिन्दी राजस्थानी भाषा कृतियों की सर्वथा उपेक्षा कर दी गयी। यही नहीं ग्रंथों की सुरक्षा की ओर भी काई ध्यान नहीं दिया गया। पोर हमारी हमी उपेक्षा मृत्ति से पथ भण्डारों के ताले लग गये। सैंकडों नथ चूहों और दीमकों के शिकार हो गये और संस्कृत एवं प्राकृत की हजारों पाण्डुलिपियों को नहीं समझ सकने के कारण जल प्रवाहित कर दिया गया । Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( चार ) लेकिन २५-३० वर्षों से समाज में एक पुनः साहित्यिक चेतना जाग्रत हुई और साहित्य सुरक्षा एवं उसके प्रकाशन की ओर उनका ध्यान जाने या यही कारण है कि या सारे देश में पुनः जैन ग्रंथाकारों के'च सूचियों की मांग होने लगी है। क्योंकि प्रादेशिक भयाओं का महत्वपूर्ण संग्रह पान भी इन्हीं भण्डारों में सुरक्षित है। विश्वविद्यालयों में जेन मावायों एवं उनके साहित्य पर रिसर्च होने लगी है क्योंकि माज के विज्ञान एवं शोधार्थी साम्प्रदायिकता की परिधि से निकल कर कुछ काम करना चाहता है। इसलिये ऐसे समय में ग्रंथ यूनियों का प्रकाशन एक महत्वपूर्ण कार्य है प्रस्तुतप्रभ सूची में राजस्थान के जिन शास्त्र भण्डारों का विवरण दिया गया है उनका परिचय निम्न प्रकार है- शास्त्र भण्डार भट्टारकीय वि० जैन मन्दिर अजमेर भट्टारकीय वि० जैन मन्दिर अजमेर का शास्त्र भण्डार राजस्थान के प्राचीनतम ग्रंथ भण्डारों में से एक है। इस ग्रंथ भण्डार की स्थापना कब हुई थी तो निश्चित खोज नहीं हो सकी है किन्तु यदि भट्टारकों की गादी के साथ शास्त्र भण्डारों की स्थापना का संबंध जोड़ा जाये तो यहां का शास्त्र भण्डार १२ वीं शताब्दी में ही स्थापित हो जाना चाहिये, ऐसी हमागे मान्यता है क्योंकि संवत् १९६० में मट्टाएक विशाल कीर्ति प्रथम मट्टारक के रूप में यहां की गादी पर बैठे थे। इसके पश्चात् १६ वी शताब्दी से तो अजमेर भट्टारकों का पूर्णतः केंद्र बन गया इस भट्टारकों ने पाण्डुलिपियों के लिखने लिखाने में अत्यधिक योग दिया और इस ममद्वार की अभिवृद्धि की मोर खून कार्य किया। इस भण्डार को सर्व प्रथम स्व० श्री जुगलकिशोरी मुकार एवं पं० परमानन्दजी शास्त्री ने वहां कुछ समय ठहरकर देखा था किन्तु वे इस की ग्रंथ सूची नहीं बना पाये इसलिए इसके पश्चात् विलम्वर १६५ मैं हम लोग वहां गये और पूरे पाठ दिन तक ठहर कर इस हार की ग्रंथ सूची तैयार की। F इस मण्डार में २०१५ हस्तलिखित ग्रंथ एवं गुटके हैं। कुछ ऐसे अपूर्ण एवं स्फुट पत्र वाले भ भी हैं जो सम्पूकों में भरे हुए हैं लेकिन समयाभाव के कारण उन्हें नहीं देखा जा सका। शास्त्र भण्डार मैं संस्कृत, प्राकृत अपन एवं हिन्दी इन चारों भाषायों के ही अच्छे मंच हैं। इनमें प्राचीन पांडुलिपि समयसार प्राभृत की है जो संवत् १४९३ की लिखी हुई है। यह प्राकृत भाषा का ग्रंथ है और आचार्य कुंदकुद की मौलिक कृति है। इसके अतिरिक्त त्मानुशासन टीका (प्रमाचन्द्राचार्य) हरिवंश पुराण (ब्रह्म दास) सागार धर्मामृत (आहार), धर्मपरीक्षा (पति), सुकुमाल चरित्र (२० सकल कीर्ति) की प्राचीन पा लिपियां महापं घासावर का 'अध्यारव रहस्य' एव भीतसार समय (युवनदास विजयस्तोत्र (मेथी) पासचरित्र (जपान) की ऐसी पाटलिपियां हैं जो प्रथम बार इस भण्डार में उपलब्ध हुई हैं। हिन्दी की कितनी हो ऐसी कृतियां उपलब्ध हुई हैं जो साहित्य की दृष्टि में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं । भगवतीदास की रचनाएं जिनमें 'श्रीतारातु' 'शील बसीसी' रात्रमती गीत, धर्मलपुर जिन बंदना, सजावली, मनमा गीव' 'राज बनजारा मती नेमीश्वररास' के नाम उल्लेखनीय हैं, और एक ही गुटके में अन्य हुई है। ठाकुर कवि का शांति पुराण (संवत् १६५२) हिन्दी का एक अच्छा काव्य है कवि का बुद्धि प्राण' तथा दूधशन का 'सृजनकीर्ति गीत' एवं 'धर्मकीर्ति गोत' इतिहास की दृष्टि से भी अच्छी रचनाएं है। इसके अतिरिक्त भण्डार में 'सामुद्रिक पुरुष लक्षण' की है, दिराको लेखक प्रमास्ति संवत् १७२२ भादवा सुदी १४ की है और उसमें यह लिखा हुआ है कि इस प्रति को ओवनेर में पंडित टोडरमल के पहनाये प्रतिलिपि की गई थी। इससे महा पं० टोडरमलजी के Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( पाच ) जीवन एवं ग्रायु के सम् में विशेष प्रकाश पड़ता है । यदि इस प्रशस्ति का सम्बन्ध पं० टोडरमलजी से हो हैं तो फिर टोडरमलजी की आयु के सम्बन्ध में सभी मान्यताएं (धारण:ए। गलत सिद्ध हो जाती हैं। यदि संवत् १७९३ में पंडितजी की आयु १५-१६ वर्ष की भी मान ली जाये तो उनके जीवन की नयी कहानी प्रारम्भ हो जाती है, और उनकी श्रायु २५ २६ वर्ष को न रहकर ५० वर्ष से भी ऊपर पहुंच जाती है लेकिन अभी इस की खोज होना शेष है । अलवर अलवर प्रान्त का नाम पहिले मत्स्य प्रदेश था जो महाभारत कालीन राजा विराट का राज्य था । मछेरी के नाम से अब भी यहां एक ग्राम है। जो मत्स्य का ही अपभ्रंश शब्द है । यही कारण है कि राजस्थान निर्माण के पूर्व अलवर, भरतपुर, बीलपुर और करौली राज्यों के एकीकरण के पश्चात् इस प्रदेश का नाम मत्स्य देश रखा गया था। १९ वीं शताब्दी के पूर्व अलवर भी जयपुर के राज्य में सम्मिलित था लेकिन महाराजा प्रतापसिंह ने अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित किया और उसका अलवर नाम दिया। अलवर नगर और देहली जयपुर के मध्य में बसा हुआ है । जैन साहित्य और संस्कृति का भी अलवर प्रदेश अच्छा केन्द्र रहा है । इस प्रदेश में अलवर के प्रतिरिक्त तिजारा, अजबगढ़, राजगढ, आदि प्राचीन स्थान हैं और जिनमें शास्त्र भण्डार भी स्थापित है। यहां ७ मन्दिर हैं और सभी में ग्रंथ भण्डार हैं। सबसे श्रधिक ग्रंथ खण्डेलवाल पंचायती मंदिर एवं अग्रवाल पंचायती मंदिर में हैं दि० जैन खण्डेलवाल पंचायती मंदिर में कामर स्तोष एवं तत्र को स्वणसरी प्रतियां हैं जो कला की दृष्टि से उल्लेखनीय हैं। जयपुर के महाराजा सवाई प्रतापसिंह द्वारा लिखित आयुर्वेदिक ग्रंथ अमृतसागर' की भी एक उत्तम प्रति है इसका लेखन काल सं० १७६१ है । खण्डेलवाल पंचायती मंदिर के शास्त्र भण्डार में २११ हस्तलिखित ग्रंथ एवं ४६ गुटके हैं जिनमें अध्यात्म बारहखडी (दौलतराम कासलीवाल), यशोधर चरित (परिहानन्द) राजवासिक (भट्टाकलंक) की प्रतियां विशेषतः उल्लेखनीय है । शास्त्र भण्डार दि० जैन मंदिर ती जयपुर से देवली जाने E वाली सड़क पर स्थित बूमी एक प्राचीन कस्बा है । यह टोंक से १२ मील एवं देवली से मोल है । जयपुर राज्य का यह जागीरी गांव था जिसके ठाकुर रावराजा कहलाते थे । यहाँ एक दि० जैन मंदिर है 1 मंदिर के एक भाग पर एक जो लेख प्रकित है उसके अनुसार इस मन्दिर का निर्माण सं० १५८५ में हुआ था और इसीलिये यहां का ग्रंथ भण्डार भी उसी समय का स्थापित किया हुआ है। यहां के प्रध भण्डार में १४३ हस्तलिखित ग्रंथ हैं। जिनमें अधिकांश ग्रंथ हिन्दी भाषा के हैं । ग्रंथ भण्डार में सबसे प्राचीन पाण्डुलिपि संवत् १५०० में लिपि को हुई. जिनदत्त कथा है। विद्यासागार को हिन्दी रचनाएं भी यहां संसद्धीत हैं जिनमें सोलह स्वप्न, जिनराज महोत्सव, सप्तव्यसन सवैया, श्रादि के नाम उल्लेखनीय है । इसी तरह तानुशाह का भूलना, गंग कवि का 'राजुल का बारह मासा' हिन्दी की अज्ञात रचनाएं हैं। गंग कवि पर्वत धर्मार्थी के पुत्र थे । भट्टारक शुभचन्द्र के जीवंधर स्वामी चरित्र की संवत् १६१५ में लिखी हुई पाण्डुलिपि भी उल्लेखनीय है। बाए कवि कृत कलियुगचरित्र ( संवत् १६७४ ) की हिन्दी को कृति है । Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शास्त्र भण्डार दिन बधेरवाल मंदिर माया टोंक प्रांत का प्रावो एक प्राचीन नगर है। साहित्य एवं संस्कृति की दृष्टि से १६-१७ वीं शताब्दी में यह गौरव पूर्ण स्थान रहा। चारों ओर छोटी २ पहाड़ियों के मध्य में स्थित होने के कारण जैन साधुनों के लिये चिन्तन करने का यह एक अच्छा केन्द्र रहा । संवत् १५१६ में यहां मंडलाचार्य धर्मकीति के नेतृत्व में एक विम्न प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न हुआ था जिसका एक विस्तृत लेज मंदिर में अंकित है। लेख में सोलंकी वंश के महाराजा सूर्यसेन के शासन की प्रशसा की गयी है इसी लेख में महाराजा पृथ्वीराज के नाम के का उल्लेख हुआ है । नगर के बाहर समीप ही छोटी सी पहाड़ी पर भ. प्रभाचन्द्र, म मिनचन्द्र, एवं भ० धर्मचन्द्र की तीन निषेधिकाएं जिनपर लेख भी अंकित हैं। ऐसी निषेधिकाए' इस क्षेत्र में प्रथम बार उपलब्ध हुई हैं जो अपने युग में भद्रारकों के जबरदस्त प्रभाव की होता हैं। यहां दो मंदिर हैं एक बंधेरखान दि० जैन मंदिर तथा दुसरा खण्डेलवाल दि. जैन मंदिर। दोनों ही मंदिरों में हस्तलिखित ग्रथों का उल्लेखनीय संग्रह नहीं है केवल स्वाध्याय में काम पाने वाले प्रा ही उपलब्ध है। बूदी बूदी राजस्थान का प्राचीन नगर है जो प्राचीन काल के वृन्दावसी में नाम से प्रसिद्ध था। कोटा से बोस मील पश्चिम को पोर स्थित बूदो एवं झालावाड़ का क्षेत्र हाहौती प्रदेश कहलाता है। मुगल शासन में खूदी के शासकों का देश की राजस्थान की राजनीति में विशेष स्थान रहा । साहित्यिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से भी १७ वी १८ वीं एवं १६ वीं शताब्दी में यहां पर्याप्त गतिविधियां चलती रही । १७ वीं शताब्दी में होने वाले जैन कवि पद्मनाभने बंदी का निम्न शब्दों में उल्लेख किया है बूदी इन्द्रपुरी जखिपुरी कि कुबेरपुरी रिद्धि सिद्धि भरी द्वारिकि कासी धरीघर में धौमहर घाम, घर घर विचित्र घाम न र कामदेव जैसे सेधे मुख सर में वापी बाग पारुए बाजार बीथी विद्या वेद विधु विनोद वानी घोल मुखि नर में सहां करे राज भावस्पंध महाराज हिन्दू धर्मनाज पाससाहि भाज कर में १८ वीं शतादी में कवि दिलाराम और हीग के नाम उल्लेखनीय है। ब्रदी नगर में ५ ग्रन्थ भण्डार हैं जिनके नाम निम्न प्रकार है १ मंच भण्डार दि जैन मंदिर पार्श्वनाथ यादिनाथ भभिनन्दन स्वामी महावीर स्वामी नागवी (नेमिनाथ) ____ -- - - - - - - -- .... - .... -... Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( सात ) . ग्गंध भाडार दिन मन्दिर पार्श्वनाथ इस भण्डार में ३३४ हस्तलिखित प्रष एवं गुटके हैं । अधिकांश ग्रंथ संस्कृत एवं हिन्दी भाषा के है तथा पूजा, कथा प्रधान एवं स्तोत्र व्याकरण विषयक है । इस भण्डार में ब्रह्म जिनदास विरचित रामचन्द्र रास' की एक सुन्दर पाण्डुलिपि है। इसी तरह मनामरस्तोत्र हिन्दी गद्य टीका की प्रति भी यहां उपलब्ध हुई है जो हेमराज कृत है। प्रथ भण्डार दि० जैन मंदिर प्राविनाथ इस मन्दिर के ग्रम भण्डार में १६८ हस्तलिखित ग्रथों का संग्रह है इस संग्रह में ज्योतिष रत्नमाला की सबसे प्राचीन प्रतिलिपि है जो संवत् १५१६ में लिपि की गई थी। इसी तरह समारनर्मामृत, त्रिलोकसार एवं उपदेशमाला को भी प्राचीन प्रतियां हैं। प्रय भण्डार दि० जन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी इस नय भण्डार में ३६८ हस्तलिखित प्रथों का संग्रह है । यह मंदिर भट्टारकों का केन्द्र रहा पा और यहां भट्टारका गादी भी थी, और संभवतः इसी कारण यहाँ ग्रंथों का अच्छा संग्रह है। भण्डार मे अपभ्रंश भाषा की कृति 'करकण्ड चरिउ को' अपूर्ण प्रति है ओ संस्कृत टीका सहित है । संग्रह अच्छा है तथा ग्रंथों की प्राचीन प्रप्तियां भी उल्लेखनीय हैं। प्रथ मार दि. जैन मंदिर महावीर स्वामी यह मन्दिर विद्वानों का केन्द्र रहा है। यहाँ के नथों का अधिकांश संग्रह हिन्दी भाषा के प्रयों का है । इसमें पुराण, कथा, पूजा एवं स्तोत्र साहित्य का बाहुल्य है । ग्रयों की संख्या गुटकों सहित १७२ है । अधिकांश ग्रंथ १५-१६ वीं शताब्दी के हैं । ग्रंथ भण्डार दि. जैन मंदिर नागवी (नेमिनाथ) नेमिनाथ के मंदिर में स्थित यह नय मण्डार नगर का महत्वपूर्ण भण्डार है। यहां पूर्ण ग्रयों की संख्या २२२ है जो सभी अच्छी दशा में है । लेकिन कुछ प्रय अपूर्ण अवस्था में हैं जिनके पत्र इधर उधर हो गये हैं इस संग्रहालय में 'माधवानल प्रबन्ध' ज. गोकुल के सुत नरसी की हिन्दी कृति है, की संवत् १६५५ की अच्छी प्रति है । श्रेणिक चरित्र (र० काल सं० १८२४-दौलत प्रोसेरी) चतुर्गतिनाटक (डालूराम), आराधनासार (विमलकीति), भागवत पुराण (श्रीधर) प्रादि के नाम उल्लेखनीय है । इस संग्रह में एक गुटके में बुचराज कषि की हिन्दी रचनामों का अच्छा संग्रह है। इस प्रकार बूदी नगर में हस्तलिखित ग्रंथों का महत्वपूर्ण संग्रह हैं । नैरणवा बूदी प्रांत का नैणवा एक प्राचीन नगर है जो बूदी से ३२ मील है और रोड से जुड़ा हुआ है। यह नगर प्रारम्भ से ही साहित्य का केन्द्र रहा है । उपलब्ध हस्तलिखित ग्रंथों में प्रद्युम्नचरित की सबसे प्राचीन पाण्डुलिपि Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ '6) में है जो सद् १४९१ में इसी नगर लिखी गई थी। भट्टारक सकलकीति के गुरु भट्टारक नदि का मुख्य स्थान था और लकति नेपाठ वर्ष यहीं रह कर उनसे शिक्षा प्राप्त की थी। भट्टारक पचनधि द्वारा प्रतिष्ठापित सं १४०० की दिन प्रतिमायें टॉक के बाहर जैन नक्षियां में विराजमान हैं। इसी तरह सन् १७१६ कवि ने भद्रबाहुचरित की वहीं बैठ कर रचना की थी लेकिन वर्तमान में प्रीत के महत्व को देखते हुए यहां कोई अच्छा संग्रह नहीं है। यहां तीन जैन मन्दिर हैं और इन तीनों में करीब २२० हस्तलिखित ग्रंथों का संग्रह है । लेकिन यहां पर प्रतिलिपि किये हुए ग्रंथ श्राज भी बूंदी, कोटा, दबलाना, इन्दरगढ़, आमेर, इससे यहां की साहित्यिक गतिविधियों का सहज एवं सिद्धचकथा की प्राचीन पालियां जयपुर के मद में सुरक्षित है। इसी तरह मन्त्रि भाषा (२०१६) त्रिवाको मायाकिशनसिंह (सन् १७५७ ) पार्श्वपुराण भूधरदास (संवत् १८०६ ) समयसार नाटक- बनारसीदास (सन् १८४१ ) आदि कुछ ऐसी पाण्डुलिपिया है जिनका लेखन इसी नगर में हुआ था। जयपुर, भरतपुर एवं कामों के भण्डारों में उपलब्ध होते हैं। ही में पता चल जाता है शास्त्र भण्डार दि० जैन बघेरवाल मंदिर यह यहां का प्राचीन एवं प्रसिद्ध मन्दिर है जिसके शास्त्र भण्डार में १०४ हस्तलिखित ग्रंथों का संग्रह है। सभी सामान्य विषयों से सम्बन्धित हैं। इसी भण्डार में एक गुटका भी है जिसमें हिन्दी की कितनी ही अज्ञात रचनाओं का संग्रह है। कुछ रचनायों के नाम निम्न प्रकार है सारसीखामणिराम नेमिराजमतिगीत पचेद्रियगीत नेमिराजमति बेलि पंगग्य गीत ( इस मन्दिर में कोई सम्बन्धित है। भट्टारक सकलकीवि ब्रह्म यशोधर जिनसेन सिंहदास महा मणोपर शास्त्र भण्डार वि० जैन तेरापंथी मन्दिर १५ वीं शताब्दी १६ वी शताब्दी इस शास्त्र भण्डार में दुग्गल, पूजा, कथा एवं चरित सम्बन्धी रचनाओं का संग्रह मिलता है। भट्टारक कीर्ति के शिष्य श्री लालचन्द द्वारा निर्मित सम्मेदशिखर पूजा की एक प्रति है जो सं १८४२ में देवदा नगर में छन्दोबद्ध की गयी थी। वहां तीन मन्त्र हैं जो कपड़े पर लिखे हुए हैं। ऋपिमंडल मंत्र संवत् १५८५ का लिखा हुआ है तथा २२४२३ इन्कार का है। मंत्र पर दी हुई प्रति निम्न प्रकार है 31 श्री श्री श्री मद्रसूरिभ्यो नमः संवत्सरेस्मद् [श्री नृपविक्रमादित्य गताः सं १५८५ वर्षे कातिक बंदी ३ शुभ दिने श्री रिषीमंडल यंत्र ब्रह्म० ग्रहसित विष्य पं० गजमल्लेन मिति ग्रंथ भवतु वृहद् सिद्धचक यंत्र का लेखन काल संवत् १६१९ है और धर्मचक यंत्र का लेखन काल संवत् १६०४ है। | ग्रंथ भण्डार दि जैन अग्रवाल मन्दिर नहीं है। केवल 23 दिया है जो पुराल एवं कथा से Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( नो ) शास्त्र भण्डार दि० जैन मंदिर दबलाना बूदी से १० मील पश्चिम की ओर स्थित दबलाना एक छोटा सा गांव है, लेकिन हस्तलिखित प्रथों के संग्रह की दृष्टि से महत्वपूरण है । यहां के भण्डार में ४२३ हस्तलिखित ग्र'थों का संग्रह है। संग्रह से ऐसा पता लगता है कि यह सारा भण्डार किसी भट्टारक अथवा साधु के पास था। जिसने यहां लाकर मंदिर में विराजमान कर दिया । भण्डार में काव्य, परित, कथा, रास, व्याकरण, आयुर्वेद एय ज्योतिष विषयक ग्रथों का अच्छा संग्रह है। बूदी, नणवा, गोठड़ा, इन्दरगढ़, जयपुर, जोधपुर सागवाडा एवं सीसवाली में लिखे हुए ग्रंथों को प्रमुखता है। सबसे प्राचीन प्रति षडावश्यक बालावबोध' को पाण्डुलिपि है जो संवत् १५२१ में मालवा मंडल की राजधानी उज्जैन में लिखी गयी थी। संवत् १४९६ में थिरिचत मेहउ कवि का प्रादिनाथ स्तवन, लालदास का इतिहाससार समुच्चय, साधु ज्ञानचन्द द्वारा रचित सिंहासन बनीसी, रामयश (केशवदास) रचना काल सं० १६८०, ग्रादि ग्रंथों के नाम उल्लेखनीय हैं । भण्डार में संग्रहीत पाषटुलिपियां भी प्राचीन एवं शुद्ध है। शास्त्र भण्डार दि० जंन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगद इन्दरगह कोटा राज्य का प्राचीन शहर है। यह परिचमी रेलवे की बड़ो लाइन पर सवाईमाधोपुर और कोटा के मध्य में स्थित है । यहां के दि० जन पावताय मन्दिर में हस्तलिखिन ग्रंथों का एक संग्रह उपलब्ध है शास्त्र मण्डार में हस्तलिखित प्रयों की संख्या २८६ है। इसमें सिद्धान्त, स्तोत्र, प्र. चार शास्त्र, से सम्बधित पाण्डुलिपियों को सख्या मात्राधिक हैं कुछ ग्रंथ ऐसे भी है । जिनका लेखन इस नगर में हुपा था। शास्त्र भण्डार दि० जन अग्रवाल मन्दिर फतेहपुर (शेखावाटी) फतेहपुर सीकर जिले का एक सुन्दरतम नगर है । चुरु से सीकर जाने वाली रेल्वे लाइन पर यह पश्चिमी रेल्वे का स्टेशन है । जैन साहित्य और कला की दृष्टि से फतेहपुर प्रारम्भ से ही केन्द्र रहा । देहली के भट्टारकों का इस नगर से सीधा सम्पर्क रहा और वे यहां की व्यवस्था एवं साहित्य संग्रह की भोर विशेष ध्यान देते रहे । यहां का शास्त्र भण्डार इन्हीं भट्टारकों की देन है । शास्त्र भण्डार में हस्तलिखित बयों एवं गुटकों की संख्या २७५ हैं । इनमें गुटकों की संख्या ७३ हैं जिनमें कितने ही महत्वपूर्ण कृतियां संग्रहीत है । पं.जीवनराम द्वारा लिखा हुआ यहां एक महत्वपूर्ण गुटका है जिसके १२२२ पृष्ठ है अभी तक शास्त्र भण्डारों में उपलब्ध गुटकों में यह सबसे बड़ा गुटका है इसमें ज्योतिष एवं आयुर्वेद के पाठों का संग्रह हैं। जिनकी एक लाख श्लोक प्रमाण संख्या है । इस गुटके को लिखने में जीवनराम को २२.वर्ष (संवत् १८३८ से १८६२) लगे थे। इसका लेखन चुरु में प्रारम्भ करके फतेहपुर में समाप्त हुमा था। इसी तरह भण्डार में एक णमोकार महारम्य कथा" को एक पाण्डुलिपि है जिसमें १३"x७३" प्राकार काले ७८१ पत्र हैं। यह पाण्डुलिपि शामित्र है जिसमें ७६ चित्र हैं जो जैन पौराणिक पुरुषों के जीवन कथानों पर तैयार किये गये है। प्रध मण्डार में हस्तलिखित प्रथ की अधिक संख्या न होते हुये भी कितने ही हिन्दी के मय प्रथम वार उपलब्ध हुए जिनका परिचय आगे दिया गया है । यहां मयों की लिपि का कार्य भी होता था। पिलोकसार भाषा (संवत् १८०३), हरिवंश पुराण (संवत् १८२४) महावीर पुराण, समयसार नाटक एवं मानाराव मादि की कितनी ही प्रतियों के नाम गिनाये जा सकते हैं । प्रय सूत्री के कार्य में नगर के प्रसिद्ध समाज सेवी एवं साहित्य प्रेमी श्री गिनीलाल जी जन का.सहयोग मिला उनके हम प्रभारी है। Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भरतपुर राजस्थान प्रदेश का भरतपुर एक जिला है। जो पर्याप्त समय तक साहित्यिक केन्द्र रहा था । बज भूमि भूमि में होने के कारण यहां की भाषा भी पूर्णतः व्रज प्रभावित है। भरतपुर जिले में भरतपुर, डीग, कामा, वयाना,बैर, कुम्हेर प्रादि स्थानों में हस्तलिखित गथों का अच्छा संग्रह है। भरतपुर नगर की स्थापना मूरजमल जाट द्वारा की गयी थी। १८ वी शताब्दी को एक कवि शुतसागर ने नगर की स्थापना का निम्न प्रकार वर्णन किया है - देशा काठड्ड विजि मैं, वदनस्यंघ राजान । ताके पुत्र है भलो, सुरिजमल गुरधाम । तेज पुज रांध है भयो लाभ कीति गुणवान । ताको सुजस है जगत मैं, तपै दूसरों मान । ठिनह नगर अब साइयो नाम भरतपुर तास । शास्त्र भण्डार दि. जैन पंचायतो मंदिर भरतपुर ग्रंथों के संकलन की दृष्टि से इस मन्दिर का शास्त्र भण्डार इस जिले का प्रमुख मण्डार है। सभी प्रथ कागज पर लिखे हए हैं। शास्त्र भण्डार की स्थापना कब हुई थी, इसकी निश्चत तिथि का तो कहीं उल्लेख नहीं मिलता लेकिन मन्दिर निर्माण के बाद ही जिले के अन्य स्थानों से लाकर यहां ग्रथों का संग्रह किया गया। १६ वीं शताब्दी में मथों का सबसे अधिक संबह हुमा । भण्डार में हस्तलिखित ग्रथों की संख्या ८१ है जिनमें संस्कृत एवं हिन्दी भाषा के हो अधिक मथ हैं। सबसे प्राचीन पाण्डुलिपि बृहद तपागच्छ गुर्वावली को जो मुनि सुन्दरसूरि द्वारा निर्मित है तथा जिसका लेखन काल संवत् १४६० है । इसी भण्डार में संवत् १४६२ की दूसरी पाण्डुलिपि है। इसके अतिरिक्त गंगाराम कवि का सभाभूषण, हर्षचन्द का पद सग्रह, विश्वभूषण का जिनदत्त भाषा, जोधराज कासलीवाल का सुख विलास को पाण्डुलिपियां उल्लेखनीय है। इसी भण्डार में भक्तामर स्तोत्र की एक सचित्र पाण्डुलिपि हैं जिसमें ५१ चित्र है । मध्यकाल को शैली पर चित्रित सभी चित्र कला, शैली एवं कलम की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं । इम पाण्डुनि का लेखन काल संवत् १८२६ है। जैन कला की हाधि से कलाकारों को इस पर विशद प्रकाश डालना चाहिये । शास्त्र भण्डार दि० जन मन्दिर फौजूम भरतपुर नगर का यह दूसरा जैन मन्दिर है जहाँ हस्तलिखित न'थों का संग्रह है। मन्दिर के निर्माण को अभी अधिक समय नही हुया इसलिये हस्तलिखित पंपों का संग्रह भी करीब १०० वर्ष पुराना है। इस भण्डार में ६५ हस्तलिखित प्रथों का संग्रह है। इसी भण्डार में कुम्हेर के गिरावरसिंह की तत्वार्थसूत्र पर हिन्दी गद्य टोका उल्लेखनीय कृति है। इसकी रचना संबत् १९३५ में की गयी थी। शास्त्र भण्डार पंचायती मन्दिर, 'डोग (नयी) 'डीग' पहिले भरतपुर राज्य को राजधानी थी । अाज भी फवारों की नगरी के नाम से यह नयर प्रसिद्ध है। पंचायती मन्दिर में हस्तलिखित ग्रंथों का छोटा सा संग्रह है जिसमें १ पाण्डुलिपियां उपलब्ध होती Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ग्यारह ) हैं। हिन्दी के प्रसिद्ध कवि सेवाराम पाटनी इसी नगर के थे। उनके द्वारा रचित मरिसमाषचरित की मूल पापडुलिपि इसी भण्डार में सुरक्षित है इस चरित काव्य का रचना काल संवत् १५५० है । शास्त्र भण्डार वि० जैन बड़ा पंचायती मन्दिर डोग इस मन्दिर में पहिले हस्तलिखित ग्रयों का अच्छा संग्रह था। लेकिन मन्दिर के प्रबन्धकों की इस भोर उदासीनता के कारण अधिकांश संग्रह सदा के लिये समाप्त हो गया। वर्तमान में यहाँ ५६ मथ तो पूर्ण एवं प्रच्छी स्थिति में है और शेष अपरणं एवं टित दशा में संग्रहीत है। भण्डार में भगवती प्राराधना मी सबसे प्राचीन पाण्डुलिपि है । जिसका लेखन काल संवत् १५११ बैशाख शुक्ला सप्तमी है । इसकी प्रतिलिपि मांडलगढ़ में महाराणा कुभकरणं के शासन काल में हुई थी। इसके अतिरिक्त राजहंस के षट्दर्शन समुच्चय, अपभ्रंश कान्य भविसयत्त चरिउ (श्रीधर), प्रास्मा नृशासन (गुण भद्र) एवं सकलकीति के जम्बुस्वामी चरित की भी अच्छी पाण्डुलिपियां हैं। शा त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर पुरानो डोग पुरानी डीग का दि जैन मन्दिर अत्यधिक प्राचीन है और ऐसा मालूम देता है कि इसका निर्माण १४ वीं सताब्दी पूर्वही हो चुका होगा । मन्दिर की प्राचीनता को देखते हुए यहाँ अच्छा शास्त्र भण्डार होना चाहिए लेकिन नयी झीग एवं भरतपुर बनने के पश्चात् यहां से बहुत से अथ इधर उधर चले गये। वीमान में यहां के भण्डार में हस्तलिखित ग्रंथों की संख्या १७१ है लेकिन वे भी अच्छी तरह रखे हुए नहीं है । भण्डार के अधिकांश ग्रंथ हिन्दी माषा के हैं। नथमल कहि ने जिण गुणविलास (रचना काच सं. १८६५) की एक पाण्डुलिपि यहां संवद १८६६ की लिली हुई है। मुकुन्ददास कवि के म्रमरगीत की पागडुलिपि भी उल्लेखनीय हैं। कवि चुन्नीलाल की चौबीस तीर्थकर पूजा को पाण्डुलिपि इस भण्डार में सर्व प्रथम उपलब्ध हुई है। पूजा का रचना काल संवत् १९१४ है। इसकी रचना करोली में हुई थी। इसी भण्डार में खुशाल चन्द्र काला की जन्म पत्री की प्रति भी संग्रहीत है । शास्त्र भण्डार दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर कामा राजस्थान के प्राचीन नगरों में कामा नगर का भी नाम लिया जाता है। पहिले यह भरसपुर राज्य का प्रसिद्ध नगर था लेकिन प्राअकल राहसील का प्रधान कार्यालय है । उक्त मन्दिर के शास्त्र भण्डार में संगहीत ग्रयों के आधार पर इतना अवश्य कहा जा सकता है कि यह नगर १५-१६ वीं शताब्दी में साहित्यक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र रहा ! हिन्दी के प्रसिद्ध महाकवि दौलतराम कासलीवाल के सुपुत्र जोत्रराज कासलीवाल यहां प्राकर रहने लगे थे जिन्होंने संवत् १८८४ में सुखबिलाम की रचना की थी। इसी तरह इनसे भी पूर्व पंचास्तिकाय एव प्रवननसार की हेमराज के हिन्दी टीका की पापडुलिपियों भी इसी भण्डार में उपलब्ध होती है। भण्डार में गुटकों सहित ५७८ पाण्डुलिपियां उपलब्ध होती हैं । ये पाण्डुलिपियां संस्कृत, प्राकृत अपभ्रश, हिन्दी, अज एवं राजस्थानी भाषा से सम्बधित रचनायें हैं। यह भण्डार महत्वपूर्ण एवं प्रज्ञात तथा प्राचीन पाण्डलिपियों की दृषि से राजस्थान के प्रमख भण्डारों में से है। कामा नगर और फिर यह शास्त्र भन्डार साहित्यिक गतिविधियों का बड़ा भारी केन्द्र रहा। आगरा के पश्चात् और सांगानेर एवं जयपुर के पूर्व कामा में ही एक अच्छा संग्रहालय या । जहां विद्वानों का समादर था इसलिए भण्डार में संवत् १४०५ तक की पाण्डलिपियां मिलती है । यहां की कुछ महत्वपूर्ण पाण्डुलिपिया के नाम निम्न प्रकार है Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (बारह ) संस्कृत लिपि संबत् १४०५, १४६१ १५४७ १ प्रबोध चितामणि २. प्रात्मानुशासन टीक ३. प्रात्मप्रबोध ४. धर्मपंचविपाति १. पार्श्व पुराण ६. यशस्तिलक उम्पू ७. प्रद्युम्न चरित राजशेखर सुरि प्रभाचन्द्र कुमार कवि ब्रह्म जिनदास पद्यकीति सोमदेव संघारू कवि अपना संस्कृत अब भाषा १५७४ १४६० १४११ (रचना कास) उक्त पाण्डुलिपियों के अतिरिक्त भंडार में और भी अज्ञात, प्राचीन एवं अप्रकाशित रचनाएं हैं। शास्त्र भण्डार अग्रवाल पंचायती मन्दिर कामां इस मन्दिर में ग्रंथों की संख्या अधिक नहीं हैं। पहिले ये सभी ग्रंच खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर में ही थे लेकिन करीब ०० वर्ष पूर्व इस मन्दिर में से कुछ पंच अग्रेशल पंचायती मन्दिर में स्थापित कर दिये गये। यही १५ हस्तलिखित ग्रन है। इस भण्डार में सवारू कवि कृत एक प्रद्य म्न चरित की भी पपडुलिपि है। जिसमें उसका रचना काल सं० १३११ दिया हुमा है। किन्तु यह प्रति अपूर्ण है। इसी भण्डार में नवलराम कूत पर्द्धमान पुराण भाषा की पाण्डुलिपि है जो प्रथम बार उपलब्ध हुई है। इसका रचना काल सं० १६११ है। शास्त्र भण्डार दि० जन मन्दिर पाश्वताय टोपारायसिंह टोडारायसिंह का प्राचीन नाम तक्षकगढ था । अन प्रयों को प्रशस्तियों, शिलालेखों एवं मूर्ति लेखों में तक्षकगढ का काफी नाम प्राता है । इसकी स्थापना नागाओं ने की थी तथा १५ वीं शताब्दी लक यह प्रदेश उदयपुर के महाराखाओं के अधीन रहा । जैन धर्म एवं साहित्य का ताकगढ से काफी सम्बन्ध रहा। बिजोलिया के एक लेख में वर्णन पाता है कि टोडामगर में राजा तक्षक के पूर्वजों ने एक जैन मन्दिर बनाया था 1 जब से यह नगर सालंकी वंशी राजपूतों के अधीन हुना बस उसी समय से जैन साहित्य के विकास में इन राजारों का काफी योगदान रहा । महागजा रामचन्द्र राव के शासनकाल में यहां बहुत से प्रयों को प्रतिलिपियां सम्पन्न हुई। इनमें उपसकाध्ययन, गायकुमार परिज (सं० १६१२). यशोधर चरित्र (सं० १५५५) जम्बूस्वामी जरिउ (सं० १६१०) आदि नयों के नाम उल्लेखनीय हैं। यहां दो मन्दिरों में हस्तलिखित 'थों का संग्रह मिलता है। जिनका परिचय निम्न प्रकार है शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह नेमिनाय स्वामी के मन्दिर के शास्त्रमण्डार में २१६ हस्तलिखित प्रथों का संग्रह है। इस अण्डार में सबसे प्राचीन पाण्डलिपि त्रिलोकसार टीका माश्रवचन्द्र वैद्य की है जो सं० १५८८ सावण सुमी १४ की लिखी हुई है एक प्रवचनसार की संस्कृत टीका है जो सं० १६०५ की है। इनके अतिरिक्त चौबीस तीर्थ करपूजा (देवीदास), प्रास्रवत्रिभंगी टीका (पं० सोमदेव), गुणस्थान चौपई (१० जिनदास) रविवसकथा (विद्यासागर) आदि प्रमों की पाण्डुलिपियां भी उल्लेखनीय हैं । भण्डार में ऐसी कितनी ही रचन जिनकी लिपि तक्षकपुर । (टोडारायसिंह) में हुई थी। इससे इस नगर की सांस्कृतिक महत्ता का स्वतःही पता चल जाता है। Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( तेरह } शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह इस मन्दिर में छोटा सा ग्रथं भण्डार है जिसमें केवल ८१ पालिपियां हैं जिनमें गुटके भी सम्मिलित हैं। यहाँ विलास संज्ञक रचनाओं का अच्छा संग्रह है जिनमें धर्म विलास (यानतराय) ब्रह्मविदास (भगवतीदास) सभाविलास, बनारसीविलास (बनारसीदास ) आदि के नाम उल्लेखनीय हैं वैसे यहां पर ग्रंथों का सामान्य संग्रह है । शास्त्र मण्डार दि० जंन मन्दिर राजमहल राजमहल बनास नदी के किनारे पर टोंक जिले का एक प्राचीन कस्बा है। संवत् १६६१ में जब महाराजा मानसिंह का आमेर पर शासन था तब राजमहल भी उन्हीं के अधीन था। इसी संबद में राजमहल में ब्रह्मजिनदास कृत हरिवंशपुराण की प्रति का लेखन हुआ था । इस मन्दिर के शास्त्र भण्डार में २२५ हस्तलिखित पाण्डुलिपियां हैं जिनमें बह्य जिनदास कृत करमण्डुस, मुनि शुभचन्द्र की होली कथा, विजोक पाटनी का इन्द्रिय नाटक आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । भण्डार में हिन्दी के अधिक ग्रंथ है । शास्त्र भण्डार वि० जंन मन्दिर बोरसलो कोटा दि० जैन मन्दिर में स्थित शास्त्र भण्डार नगर के प्रमुख ग्रंथ संग्रहालयों में से है । इस मण्डार में ४०५ हस्तलिखित ग्रंथों का अच्छा संग्रह है। वैसे तो यहां प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, राजस्थानी एवं हिन्दी सभी प्रार्थी के प्रयों का संग्रह है लेकिन हिन्दी के ग्रंथों की अधिकता है। १५वीं शताब्दी में लिखे गये ग्रंथों का यहाँ अधिक संग्रह है इससे यह प्रतीत होता है कि इस शताब्दी में यहां का साहित्यिक वातावरण श्रखा था । महीपाल चरित ( संवत् १८५६ ), पर्वरत्नावली ( संवत् १८५१) समाघितन्त्र भाषा ( संवत् १८३३ ) ज्ञानदीपचन्द्र (संवत् १८३५ ) याद कितनी ही पाण्डुलिपियां यहीं लिखी गयी थी। भण्डार में सबसे प्राचीन पाण्डुलिपि आचार्य शुभचन्द्र के शानाय की है जिसका लेखन काल संसद १५४८ है । पल्यविधानरास ( भ० शुभचन्द्र ) चन्द्रप्रभस्वामी विवाहलो ( भ० नरेन्द्रकीर्ति ) चेतावणी, रविव्रत कथा ( मुनि सकलकीति ), पश्वादशे परशीलराम (कुमुदचन्द्र ) नेमिविवाह पच्चीसी (बेगराज ) आदि कुछ हिन्दी रचनायें इस शास्त्र भण्डार की महत्वपूर्ण कृतियां हैं जो भाषा, शैली एवं काव्यात्मक दृष्टि से अच्छी रचनायें हैं । शास्त्र भण्डार दि० जेन मन्दिर बयाना राजस्थान प्रदेश का बयाना नगर प्राचीनतम नगरों में से है। यहां का किला चतुर्थ शतादि से पूर्व ही निर्मित हो चुका था। डा० ग्रस्तेकर को यहां गुप्ता कालीन स्वर्ण मुद्राएं प्राप्त हुई थी। जैन संस्कृति और मन्दिर १० वीं शताब्दि के पूर्व लेकिन मुसलिम शासकों का यह साहित्य की दृष्टि से भी यह प्रदेश अत्यधिक समृद्ध रहा था। यहाँ के दि० जैन के माने जाते हैं इस दृष्टि से यहां के शास्त्र भण्डार भी प्राचीन होने चाहिये थे प्रदेश सदैव कोप भाजन रहा इसलिये यहाँ बहुमुल्य अन्य सुरक्षित नहीं रह सके । पंचायती मन्दिर का शास्त्र भण्डार यद्यपि ग्रन्थ संख्या की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन भण्डार पूर्ण व्यवस्थित है और प्रमुख रूप में हिन्दी पाण्डुलिपियों का अच्छा संग्रह है जिनकी संख्या १५० है । Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इनमें प्रत बिधान पूजा (हीरालाल लुहारिया), पयप्रभपुराण (जिनेंद्र भूषण) बाहुबलि छन्य (कुमुदचन्द्र) नेमिनाथ का छन्द (हेमचन्द) नेमिराजुलगीत (गुणचन्न) उदरगीत (छोहल) के नाम उल्लेखनीय हैं । मार दिम छोटा मन्दिर बयाना इस मन्दिर के शास्त्र भण्डार में १५१ पाण्डलिपियों का संग्रह है। मोर जो प्रायः सभी हिन्दी भाषा की है । षोडशकारणावापनपूजा (सुमतिसागर) समोसरन पाठ (लल्लू लाल-रचना स. १८३४) लीलावती भाषा (लालचन्द रचना सं. १७३६) प्रक्षरबावनी (केशब दास रचना गंवत् १७३६) हिन्दी पद (खान मुहम्मद), पादि पाण्डुलिपियों के नाम विशेषतः उल्लेखनीय है । शास्त्र मण्डार दि. जैन मन्दिर बर बयाना से पूर्व की और वैर' नामक एक प्राचीन कस्बा है, जो प्राजकल तहसील कार्यालय है। यह स्थान नारों पोर परकोटे से परिवेष्टित है । मुगल एवं मर हा शासन में यह उल्लेखनीय स्थान माना जाता था। यहां एक दिन मन्दिर है जिसका शास्त्र भण्डार पूर्णतः अव्यवस्थित है। कुछ कृतियां महत्वपूर्ण अवषय हैं इसमें साघु-वंदना (ग्रानायं कुवर जी रचना काल सं० १६२४) अध्यात्मक बारहखडी (दौलतराम कासलीवाल) के भतिरिक्त पं० टोडरमल, भगवतीदास, रामचन्द्र, खुशालचन्द्र प्रादि का कृतियों का अच्छा संग्रह है। उक्यपुर उदयपुर अपने निर्माण काल से ही राजस्थान की सम्मानित रियासत रही। महाराणा उदयसिंह ने इस नगर की स्थापना संवत् १८२६ में की थी। भारतीय संस्कृति एवं साहित्य को यहां के शासकों द्वारा जो विशेष प्रोत्साहन मिला वह विशेषतः उल्लेखनीय है । जैन-धर्म और साहित्य के विकास की दृष्टि से भी उदयपुर का विशिष्ट स्थान है। वित्तीह के बाद में इसे हो सभी दृष्टियों से प्रमुख स्थान मिला । मेवाड के शासकों में भी जन-धर्म संस्कृति एवं साहित्य के प्रचार एवं प्रसार में अत्यधिक योग दिया और उन्हीं के प्राग्रह पर नगर में मन्दिरों का निर्माण कराया गया। शास्त्र भण्डारों में हस्तलिखित ग्रन्थों का संग्रह किया गया। इस नगर में जिन ग्रन्थों की पालिपियां की गयी वे अाज राजस्थान के कितने ही शास्त्र भण्डारों में संग्रहीत है। महाकवि दौलतराम कासलीवाल ने अपने जीवन की १५ शरद ऋतुए इसी नगर में ब्बतीत की थी। और जीबंधर चरित, क्रियाकोश, श्रीपात्रचरित जैसी रचनायें इसी नगर में रची थी। कवि ने दम्नन्दि थावकाचार एथ जीबंधर चरित में यहां का अच्छा उल्लेख किया है। यहां तीन मन्दिरों में शास्त्र भण्डार स्थापित किये हुए मिलते हैं। जिनका परिचय निम्न प्रकार है। शास्त्र भण्डार वि० जैन अग्रवाल मन्दिर दि. जैन अग्रवाल मन्दिर के शास्त्र भण्डार में हस्तलिखित पाण्डुलिपियों का अच्छा संग्रह हैं जिनकी संख्या ३८८ है। इनमें हिन्दी के ग्रन्थों की संख्या सबसे प्रथिक है। पूज्यपाद को सर्वार्थसिवि की सबसे प्राचीन पाण्डुलिपि है जो संवत् १३७० की है । इसकी प्रतिलिपि योगिनीपुर में हुई थी। महाकवि दौलतराम कासली. वाल का यह मन्दिर साहित्यिक केन्द्र था। उनके जीवंधर चरित की मूल पाण्डुलिपि इसी भण्डार में सुरक्षित है। इस शास्त्र भण्डार में वर्धमान कवि के वर्धमानरास की एक महत्वपूर्ण पाण्डुलिपि है। इसके अतिरिक्त Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( पन्द्रह ) कलंकयतिराम (जयकीन) प्रजितनाथरास, श्रविकारास (ब्र० जिनदास) श्रावकाचार (धर्मविनोद) पंचकल्याणक पाठ ( भानभूषरण ) चेतन मोहराज संवाद (खेम सागर ) यदि इस भण्डार की अलंकृत प्रतियां हैं। शास्त्र भण्डार दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर इस शास्त्र भण्डार में १५५ हस्तलिखित ग्रन्थों का संग्रह है जिनमें अधिकांश हिन्दी के ग्रन्थ हैं। इनमें मीना (ब्रह्म बिनदास परमहंस राम ( ब्रह्मजिनदास) ब्रह्म विलास (भैया भगवतीदास) बराजा रागीत (कुमुदचन्द्र) दानफल रास (व्र० जिनवास) भविष्यदत्त रास (ब्र० जिनदास) रामराम (माधवदास) आदि के नाम विशेषतः उल्लेखनीय है । भण्डार में भ० सकलकीर्ति की परम्परा के भट्टारकों एवं ब्रह्मचारियों की अधिक ऋतियां है। शास्त्र भण्डार वि० जैन मन्दिर संभवनाथ, उदयपुर नगर के तीनों शास्त्रों में इस मन्दिर का शास्त्र भण्डार सबसे प्राचीन महत्वपूर्ण एवं बडा है । भण्डार में संग्रहीत सैकड़ों पण्डुलिपिय अत्यधिक प्राचीन है एवं उनको प्रशस्तियां नवीन तथ्यों का उद्घाटन करने वाली है । तथा साहित्यिक दृष्टि से इतिहास को नयी दिशा देने वाली है । वैसे यहां के हस्तलिखित ग्रन्थों की संख्या ५२४ है लेकिन faria पाण्डुलिपियां १५ वीं १६ वीं, १७ वीं एवं १८ वीं शताब्दि की हैं। भ० ज्ञानभूषण, ० जिनदास के प्रों को शतियों का उपसंद है। मट्टारक सकलकोति रास एक ऐतिहासिक कृति है जिसमें भ० सकलकोति एवं भुवनकीति का जीवन वृत्त दिया हुआ है । श्राचार्य जयकीति द्वारा रचित रचना "सीताशोलपताकागुणबेलि" की एक सुन्दर प्रति है जिसका रचना काल सं० १६२४ है । इसी तरह द्र० वस्तुपाल का रोहिणी व्रत ( रचना संवत् १६५४) हरिवंशपुराण- अपभ्रंश (यशःकीति) धर्मशर्माभ्युदय (महाकवि हरिचन्द्र) संवत् १५१४ रामोकाररास (श्र० जिनदास) जसहरचरित टीका प्रभाचन्द्र (सं० १५७४) आदि पाण्डुलिपियों के नाम उल्लेखनीय है । इसी शास्त्र भण्डार में एक ऐसा गुटका भी है जिसमें ब्रह्मजिनदाय की रचनाओं का प्रमुख संग्रह मिलता है । शास्त्र भण्डार दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा बसवा जयपुर प्रदेश का एक प्राचीन नगर है। इसमें हिन्दी के कितने ही विद्वानों ने जन्म लिया और अपनी कृतियों से हिन्दी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन विद्वानों में महाकवि पं० दोलतराम कासलीवाल का नाम प्रमुख है। पंडित जी ने २० से भी अधिक ग्रंथों की रचना करके इस क्षेत्र में अपना एक नया कीर्तिमान स्थापित किया । सेठ अमरचन्द बिलाला भी यहीं के रहने वाले थे। यहां कितनी ही हस्तलिखित ग्रंथों की प्रतिलिपि हुई थी जो राजस्थान के विभिन्न भण्डारों में एवं विशेषतः जयपुर के भण्डारों में संग्रहीत हैं । तेरहपंथी मन्दिर के शास्त्र भण्डार में यद्यपि ग्रंथों का संग्रह १०० से अधिक नहीं है किन्तु दस लघु संग्रह में भी कितनी हो पाण्डुलिपियां उल्लेखनीय हैं। इनमें पार्श्वनाथस्तुति ( पासकवि ) राजनीति सध्या (देवदास) प्रध्यात्म बारहखडी (दौलतराम ) ग्रादि रचनायें उल्लेनीय है । Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । सोलह ) शास्त्र मण्डार वि० जैन पंचायती मंदिर बसका इसी तरह यहां का पंचायती मंदिर पुराना मंदिर है जिसमें १२ वीं शताब्दी की एक विशाल जिन प्रतिमा है। यहाँ कल्पसूत्र की दो पाण्डुलिपियां है जो स्त्र क्षरी हैं तथा सार्थक हैं। इनमें एक में ३६ चित्र तथा दूसरे में ४२ चित्र है। दोनों ही प्रलियो संवत् १: १५२८ की लिखी गई है। गायनन्ति महाकाव्य की एक सटीक प्रति हैं जिसके टीकाकार प्रहलाद हैं। इस प्रकी प्रतिलिपि संवत १७६८ में बसबा में ही हुई थी। महाकवि श्रीधर को अपभ्रंश कृति भविसयत चरिउ की संवत् १४६२ की पाण्डुलिपि एवं समयसार की तात्पर्यवृत्ति को संवत् १४४० की पाण्डविपि उल्लेखनीय है। प्राचीन काल में यह भण्डार और महत्वपूर्ण रहा होगा ऐसी पूर्ण संभावना है। शास्त्र भण्डार दि. जैन मन्दिर भावना भादवा फुलेरा तहसील का एक छोटा सा ग्राम है। पश्चिमी रेल्वे की रिवाडी फुलेरा ब्रांच लाइन पर भैसलाना स्देशन है। जहां से यह ग्राम तीन मोल दूरी पर स्थित है। जैन दर्शन के प्रकापड बिद्धान स्व. पं० चैनसुखदास न्यायतीर्थ का जन्म यहीं हमा था। यहां के दि० जैन मन्दिर में एक शास्त्र है जिसमें १५० से अधिक हस्तलिखित ग्रंथों का संग्रह है। शास्त्र भण्डार में हिन्दी कृतियों की अच्छी संख्या है। इनमें धामतराय का धर्म विलास, भैय्या भगवतीदास का 'ब्रह्म विलास' तथा श्रमदास का 'श्रावकाचार' के नाम विशेषतः उल्लेखनीय हैं। गुटकों में भी छोटी छोटी हिन्दी कृतियों का अच्छा संग्रह है। शारत्र भण्डार दि. जैन मन्दिर डूगरपुर डूंगरपुर नगर प्रारम्भ से ही जन साहित्य एवं संस्कृति का केन्द्र रहा । १५ वीं शताब्दी में अब से भट्टारक सकल कीति ने यहां अपनी गादी की स्थापना की, उसी समय से यह नगर २-३ शताब्दियों तक भट्टारकों एवं समारोहों का केन्द्र रहा । संवा १४८२ में यहां एक भव्य समारोह में सकलकीति को मारक के प्रत्यन्त सम्माननीय पद की दीक्षा दी गयी। घऊदय व्यासीय संवति कुल दीपक नरपाल संधपति । हूंगरपुर दीक्षा महोछव तोरिए कीया ए। श्री सकलकीति सह गुरि सुकरि दीधी दीक्षा पाणंदभरि । जय जय कार सपलि सचराचर गणधार ।। म. सकलकोति के पश्चात यहां भुवनकीति, शानभूषरण. विजयकोति एवं शुभचन्द जैसे महान व्यक्तित्व के धनी भट्टारकों का यहां सम्मेलन रहा और इस प्रकार २०० वर्षों तक यह नगर जैन समाज की गतिविधियों का केन्द्र रहा । इसलिए नगरके महत्व को देखते हुए वर्तमान में जो यहां शास्त्र भण्डार है वह उतना महत्वपूर्ण नहीं है। यहां का शहर मंण्डार दि. जैन कोटडिया मन्दिर में स्थापित किया हपा है जिसमें हस्तलिखित प्रथों की संख्या ५५३ है। जिनमें चन्दनमलयगिरि कथा, आदित्यवार कथा, एवं राग रागनियों की सचित्र पाण्डुलिपियों है । इसी मण्डार में ब. जिनदास कृत रामरास को पाण्डुलिपि है जो प्रत्यधिक महत्वपूर्ण हैं | इसके Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अतिरिक्त जिनदास को भी रासक कृतियों का यहां अच्छा संग्रह है। वेसीदास का सुकौशलरास, यशोधर परित ( परिहानन्द ) सम्मेदशिखर पूजा (रामपाल) जिनदत्तरास (रत्लभूषणसूरि) रामायण छप्पय (जयसागर) आदि और भी पाण्डुलिपियों के नाम उल्लेखनीय हैं। यहां भट्टारका द्वारा रचित रचनाओं का अच्छा संग्रह है। शास्त्र भण्डार दि० औम मस्बिर मालपुरा मालपुरा अपने क्षेत्र का प्राचीन नगर रहा था। तत्कालीन साहित्य एवं पुरातत्व को देखने से मालूम होसा है कि टोडारायसिंह (तक्षकगर) एवं चाटसू (चम्पावती) के समान ही मालपुरा भी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का अच्छा केन्द्र रहा । जयपुर के पाटोदी के मंदिर के शास्त्र भण्डार में एक गुटका संवत् १६१६ का है जो यहीं लिखा गया था । मालपुरा का दूसरा नाम द्रव्यपुर भी था। यहां सभी जैन मन्दिर विशाल ही नहीं किन्तु प्राचीन एवं कला पूर्ण भी हैं तथा दर्शनीय हैं । ये मन्दिर नगर के प्राचीन वैभव की ओर संकेत करते हैं। यहां की दादाबाड़ी ओसवाल समाज ना तीर्थ स्थान के रूप में प्रसिद्ध है। यहां तीन मन्दिरों में मुख्य रूप से शास्त्र भण्डार हैं । इनके नाम हैं चौधरियों का मन्दिर, आदिनाय स्वामी का मन्दिर तथा सेरापंथी मन्दिर । यद्यपि इन मन्दिरों में प्रथों की संख्या अधिक नहीं है किन्तु कुछ पाण्डुलिपियो अवश्य उल्लेखनीय हैं। इनमें ब्रह्म कपूरचन्द का पाश्वनाथरास तथा षेकीर्ति के पद हैं । शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर करौलो करौली राजस्थान की एक रियासत थी । अाजकल यह सवाईमाधोपुर जिले का उपजिला है । १८ वीं १६ वीं शताब्दी में यहां अच्छी साहित्यिक गतिविधियां रहीं । नथमल बिलाला, विनोदीलाल, लालबन्द प्रादि कवियों का यह नगर केन्द्र रहा था। यहां दो मन्दिर है और दोनों में ही शास्त्रों का संग्रह है। इन मन्दिरों के नाम हैं दि० जैन पंचायती मन्दिर एवं दि० जैन सौगाणी मन्दिर । इन दोनों ग्रंथ भण्डारों में २७५ हस्तलिखित पाण्डुलिपियों का संग्रह है । अधिकांश हिन्दी की पाण्डुलिपियां हैं । अपभ्रंश भाषा की दरोग चरित्र की पाण्डुलिपि का भी यहां संग्रह है । संवत् १८४८ में समोसरजमंगल चौबीसी पाठ की रचना करौली में हुई थी। इसकी छन्द संख्या ४०५ है । यह संभवतः नथमल बिलाला की कृति है। प्रथ भण्डार पूर्णतः व्यवस्थित एवं उत्तम । स्थिति में है। शास्त्र भण्डार दि० जैन बीस पंथी मंदिर दौसा दौसा ढूंढाहर प्रदेश का प्राचीन नगर रहा है। यहां पहिले मीणा झाति का शासन था और उसके पश्चात् यह कछवाहा राजपूतों की राजधानी रहा । इसका प्राचीन नाम देवगिरि था। यहां दो जैन मन्दिर है और दोनों में ही हस्तलिखित ग्रथों का संकलन है। __इस मन्दिर के प्रमुख वेदो के पिछले भाग में अंकित लेखानुसार इस मन्दिर का निर्माण संवत् १७०१ में हुमा था। यहां के शास्त्र भण्डार में हस्तलिखित ग्रयों की संख्या १७७ है जिनमें गुटके भी सम्मिलित है। अधिकांश नय हिन्दी भाषा के हैं जिनमें परमहंस चौपई ( रायमल्ल) श्रावकाचार रास (जिरादास) यशोधर परित्र (संस्कृत-पूर्णदेव) सम्यकत्वकौमुदी भाषा (मुनि दयानन्द) रामयश रसायन (केश राज) प्रादि यों के नाम विशेषतः उल्लेखनीय हैं। Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( अधारह ) शास्त्र भण्डार वि जैन सेरहपंथी मन्दिर बौसा इस मन्दिर के शास्त्र भण्डार में हस्तलिखित ग्रथों की संख्या १५० है लेकिन संग्रह को दष्टि से भण्डार की सभी पाण्डुलिपियां महत्वपूर्ण हैं। अधिकांश ग्रथ अपभ्रश एवं हिन्दी के हैं । अपभ्रश ग्रथों में जिरायत्त चरिउ (लाखू सुकुमाल चरिः (श्रीधर) वड्छमापकहा (जयमित्तहल) भत्रिमयत्तकहा (धनपाल) महापुराण (पुष्पदंत) के नाम उल्लेखनीय हैं। हिन्दी भाषा के प्रमों में कोहरा स्थान चर्चा (प्रजयराज श्रीमाल) चिल्हरण कौपई (सारंग) प्रिय लक चौपई (समममुन्दर. सिंहासन बत्तीसी (हीर कलश) की महत्वपूर्ण पापडुलिपिमा हैं। इसी भण्डार में तत्वार्थसूत्र की एक संस्कृत टीका संवत् १५७७की पाण्डुलिपि भी उपलब्ध है। शास्त्रमण्डार दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर जयपुर के प्रत्रिकाश भास्त्र भण्डारी को सुथो इससे पूर्व चार भागों में प्रकाशित हो चुकी है लेकिन अब भी कुछ शास्त्र भण्डार बच गये हैं। दि. जैन मन्दिर लश्कर नगर का प्रसिद्ध एवं विशाल मन्दिर है। यहां का शास्त्र भण्डार भी अच्छा है तथा सुव्यवस्थित है । पाण्डुलिपियों की संख्या ८२८ है । संग्रह प्रत्याधिक महत्व पूर्ण है। यह मन्दिर वर्षों तक साहित्यिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है। स्तराम साह ने अपने बुद्धिविलास एवं मिथ्यात्व खंडन की रचना इसी मन्दिर में बैठ कर की थी । केशरीसिंह ने भी वर्द्धमान पुराण ( संवत् १८२५ ) की भाषा टीका इसी मन्दिर में पूर्ण की थी। यह मन्दिर बीस पंथ आम्नाय वालो का प्राश्रय दाता था। यहां सस्कृत ग्रंथों का भी अच्छा संग्रह उपलब्ध होता है। प्रमाणनयतत्वालोक्रालंकार टीका (रत्नप्रमाणार्य) प्रात्मप्रबोष (कुमार कषि) प्राप्तपरीक्षा (विद्यानन्दि) रत्नकरण्डश्रावकाचार टीका (प्रभाच-द्र) शांतिपुराण (पं० प्रशग) ग्रादि के नाम उल्लेखनीय है । मट्टारक ज्ञानभूषण के प्रादीश्वरफाग की मंवत् १५८७ की एक सुन्दर प्रति यहां के संग्रह में है। विषय विभाजन प्रस्तुत प्रत्य सूची में हस्तलिखित ग्रन्थों को २४ विषयों में विभाजित किया गया है। धर्म, प्राचार स्त्र, सिद्धान्त एवं स्तोत्र तथा पूजा विषयों के पतिरिक्त पुराण, काव्य, चरित, कथा, व्याकरण, कोग, ज्योतिष, आयुर्वेद, नीति एवं मुभाषित विषों के आधार पर ग्रन्थों को पापहलिपियों का परिचय दिया गया है। इस बार संगीत. रास, फागु, दलि एवं विलास जैसे पूर्णतः साहित्यिक विषयों से सम्बन्धित ग्रन्थों का विशेष विवरण मिलेगा । जैन भण्डारों में इन विषयों के सार्वजनिक उपयोग के ग्रन्थों की पलब्धि से इन भण्डारी को सहज उपादेयता सिद्ध होती है । साहित्य की ऐसी एक भी विधा नहीं है जिस पर इन भण्डारों के अन्य नहीं मिलते हो इसलिये शोधाथियों के लिये तो ये शास्त्र भण्डार साक्षात सरस्वती के बरदान के समान है। चाहे कोई विषय हो अथवा साहित्य की कोई विधा, ग्रन्थ भण्डारों में उन पर हस्तलिखित ग्रन्थ अवश्य मिलेंगे। रास, फाग, बेलि, गीत, विलासात्मक कृतियों के अतिरिक्त चौहाल्पा, अष्टक, बारहमासा,द्वादशा, पच्चीसी, छत्तीसी, पातक, सलसई, प्रादि पचासों संख्यावाचक काव्यों का अपरिमित साहित्य इन शास्त्र भण्डारों में उपलब्ध होते हैं । यही नहीं कुछ ऐसे काव्यात्मक विषय हैं जिन पर अन्यत्र इतने विशाल रूप मे साहित्य पिलना कठिन है। इनमें धमाल एवं संवादात्मक प्रमुख हैं। जैन कवियों ने अपने काव्यों की लोकप्रियता बहाने के लिये उसको नये नये नाम दिये । यह सब उनकी सूझ-जूझ का ही परिणाम है। Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( उनीस } सैकडों ऐसी कृतियां हैं जो अभी तक प्रकाश में नहीं श्रा सकी हैं और जो कुछ कृतियां प्रकाश में प्रायी है उनकी मी प्राचीनतम पाण्डुलिपि का विवरण हमें ग्रन्थ सूखी के इस भाग में मिलेगा। किसी भी ग्रन्थ को एक से अधिक पाण्डुलिपि मिलना निःसन्देह हो उसकी लोकप्रियता का द्योतक है। क्योंकि उस युग में ग्रन्थों का लिखवाना, शास्त्र भण्डारों में विराजमान करना एवं उन्हें जन जन को पढ़ने के लिये देना जनाचायों की एक विशेषता रहीं श्री ने प्रत्य जप्यार हमारी सतत बावना के प हैं । महत्वपूर्ण साहित्य की उपलब्धि प्रस्तुत ग्रन्थ सूची में सैंकडों ऐसी कृतियां पायी है जिनका हमें प्रथम बार परिचय प्राप्त हो रहा है। ये कृतियां मुख्यतः संस्कृत, हिन्दी तथा राजस्थानी भाषा की हैं। इनमें भी सबसे अधिक कृतियां हिन्दी की हैं। वास्तव में जैन कवियों ने हिन्दी के विकास में जो योगदान दिया उसका श्रमो कुछ भी मूल्यांकन नहीं हो सका है। भले ब्रह्म निवास की ६० से भी अधिक रचनाओं का विवरणास सूची में मिलेगा। इसी तरह और भी कितने ही कवि हैं जिनकी बीस से अधिक रचनाएँ उपलब्ध होती हैं लेकिन अभी तक उनका विशद परिचय हम नहीं जान सके । यहां हम उन सभी कृतियों का संक्षिप्त रूप से परिचय उपस्थित कर रहे हैं जो हमारी दृष्टि में में नयी श्रवथा अज्ञात रचनायें हैं। हो सकता है उनमें से कुछ कृतियों का परिचय विद्वानों को मालुम हो। यहां इन कृतियों का परिचय मुख्यतः विषयानुसार दिया जा रहा है । १ कर्मविपाक सूत्र चौपई (८१) प्रस्तुत कृति किस कवि द्वारा लिखो गयी थी इसके बारे में रचना में कोई उल्लेख नहीं मिलता। लेकिन कर्म सिद्धांत पर यह एक अच्छी कृति है जिसमें २४११ पद्मों में विषय का वर्णन किया गया है। चौपाई की भाषा हिन्दी है जिस पर गुजराती का प्रभाव है। इसकी एकमात्र पाण्डुलिपि अजमेर के मट्टारकीय शास्त्र भण्डार में संग्रहीत हैं । २ कर्मविपाक रास (८२ कर्म सिद्धान्त पर आधारित रास शैली में निबद्ध यह दूसरी रखना है जिसकी दो पण्डुलिपियां राजमहल (टोंक) के कास्त्र भण्डार में उपलब्ध होती हैं। रचना काफी बड़ी है तथा इसका रचना काल संवत् १८२४ है । ३ चौदह गुणा स्थान वचनिका (३३२) प्रखयराज श्रीमाल १८ वीं शताब्दि के प्रमुख हिन्दी गद्य लेखक थे । 'चौदह गुरु-ज्यान जवनिका' की कितनी हो पाण्डुलिपियां मिलती हैं लेकिन उनका आकार अलग अलग है । दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा में इ-की एक पण्डुलिपि है जिसमें ३६६ । इसमें गोम्मटसार, त्रिलोकसार एवं नबिसार के आधार पर गुथानों सहित पम्प सिद्धान्नों पर चर्चा की गयी है। वचनिका को भाषा राजस्थानी है । खमराज ने रचना के भन्त में निम्न प्रकार दोहा लिख कर उसकी समाप्ति की है । Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ { बीस ) चौदह गुरास्थान कथन, भाषा सूनि सुख होय । प्रखयराज योमाल ने, करी जयामति जोय ।। ४ चौबीस गुणस्थान छर्श (३४१) दादूपंथ के साधु गोविन्द दास को इस कृति की उपलब्धि टोडारायसिंह के दि. जैन नेमिनाथ मन्दिर के शास्त्र भण्डार में हुई है। गोविन्द दास नासरदा में रहते थे और उसी नगर में संवत १८५१ फागुण सुदी १० के दिन इसे समाप्त की गयी थी। रचना अधिक बड़ा नहीं है लेकिन कधि ने लिखा है कि संस्कृत और गाथा (प्राकृत) को समझाना कठिन है इसलिये उसने हिन्दी में रचना की है। प्रारम्भ में उसने पंच परमेष्टि को नमस्कार किया है। ५ तस्वार्थ सूत्र भाषा (५३०) सत्दार्थ सूत्र जैनधर्म का सबसे श्रद्धास्पद ग्रन्थ है। संस्कृत एवं हिन्दी भाषा में इस पर पचासों टीकार्ये उपलब्ध होती है। प्रस्तुत ग्रंथ सूत्री में २०० से अधिक पाण्डुलिपियां पायी है जो विभिन्न विद्धानों की टोफानों के रूप में है। प्रस्तुत कृति साहिबराम पाटनी की है जो दूदी के रहने वाले थे तथा जिन्होंने तत्वार्थ सूत्र पर विस्तृत व्याख्या संवत १८१८ में लिखी थी। बयाना के शास्त्र भाण्डार से जो पाण्डलिपि उपलब्ध हुई है वह भी उसी समय की है जिस वर्ष पाटनी द्वारा मूल कृति लिखी गयी थी । कवि ने अपने पूर्ववर्ती विद्वानों को रीकानों का अध्ययन करने के पश्चात् इसे लिखा था। ६ त्रिभंगी सुबोधिनी टीका (६२३) विभंगीसार पर यह पंडित याशाधर की संस्कृत टीका है जिसकी दो प्रतियां जयपुर के दि. जैन मन्दिर, सश्कर के शास्त्र भगहार में संग्रहीत है। नाथूराम प्रेमी से याशाघर के मिन १६ अन्यों का उल्लेख किया है उसमें इस रचना का नाम नहीं है । टीका की जो दो पाण्डुलिपियां मिली है उनमें एक संवत् १५८१ की लिखी हुई है तथा दूसरी प्रसिद्ध हिन्दी विद्वान जोधराज गोदीका की स्वयं की पाण्डुलिपि है जिसे उन्होंने मालपुरा में स्थित किसी श्वेताम्बर बन्धु से ली थी। धर्म एवं आचार शास्त्र ७ क्रियाकोस भाषा (E६६) यह महाकवि दौलतगम कासलीवाल की रचना हैं जिसे उन्होंने संवत १७६५ में उदयपुर मगर में लिखा था । प्रस्तुत पालिपि स्वयं महाकथि की मूल प्रति है जो इतिहास एवं साहित्य की अमूल्य धरोहर है । उस समय कवि उदयपुर नगर में जयपुर महाराजा को भोर से वकील की पद पर नियुक्त थे। ८ चतुर चितारणी (१०५८) प्रस्तुत लघु कृति महाकवि दौलतराम की कृति है जिसकी एक मात्र पाशुलिपि उदयपुर के दि. जैन अग्रवाल मन्दिर में उपलब्ध हुई है। महाकवि का यही मन्दिर काव्य साधना का केन्द्र था । रसमा का दूसरा नाम भवजसतारिणी भी दिया हुआ है । यह कवि की संबोधनात्मक कुक्ति है। Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( इक्रीस ) ब्रह्म बावनी (१४५७) बह्म नाबनी एक प्राध्यात्मिक कृति है। इसके कवि निहालचन्द है जो संभवतः बंगाल में किसी कार्यवश गमे थे और वहीं मामूदाबाद में उन्होंने इसकी रचना की थी। वैसे कधि कानपुर के पास की छावनी में रहते थे इनकी एक मोर कृति नयचक्रभाषा प्रस्तुस सूची के २३३४ संख्या पर पायी है जिसमें कवि ने अपना संक्षिप्त परिचय दिया है। नयचकभाषा संवत् १५६७ की कृति है इसलिने ब्रा बायनी इसके पूर्व की रचना होनी चाहिये पोंकि उन्होंने उसे धैर्य के साथ बैट कर लिखने का उल्लेख किया है। बावनी एक लघुकृति है लेकिन आध्यात्मिक रस में ओत प्रोत है। १० मुक्ति स्वयंबर (१५३६) मुत्तिः स्त्रयंबर एक रूपक काव्य है जिसमें मोन टपी लक्ष्मी को प्राप्त करने के लिये स्वयंबर रचे जाने का रूपक बांधा गया है। यह रचना काफी बड़ी है तथा ३१८ पृष्ठों में समाप्त होती है । रूपककार वेणीचन्द कवि है जिन्होंने इसे लश्कर में प्रारम्भ किया था और जिसको समाप्ति इन्दौर नगर में हुई थी। वैसे कवि ने अपने को फलटन का निवासी लिस्था है और मलूकचन्द का पुत्र बतलाया हैं । रूपक काव्यं का रचना काल संवत् १९३४ है। इस प्रकार ऋवि ने हिन्दी न रूक काथ्यों की परम्परा में अपनी एक रचना और जोड़ कर उसके विकास में योग दिया है। ११ वसुमन्दि श्रावकाचार भाषा (१६६४) वमुनन्दि श्रावकाचार पर प्रस्तुत भाषा वधनिका ऋषमदास कृत है जो झामरापाटन (राजस्थान) के निवासी थे । कवि हूंम जाति के आबक थे । इनके पिता का नाम नाभिदास था । इस ग्रन्थ की रचना करने में पामेर के मट्टारक देवेन्द्र कीत्ति की प्रेरणा का कवि ने उल्लेख किया है । भाषा टीका विस्तृत है जो ३४७ पृष्ठों में पुगों होती है । इसका रचनाकल संवत १९०७ है, जिसका उल्लेख निम्न प्रकार हमार है ऋषि पुग्ण नव एक पुनि, माघ पूनि शुम श्वेत । जया प्रथा प्रथम कुजवार, मम मंगल होय निकेत ॥ कवि ने झालरापाटन स्थित गांतिनाथ स्वामी तथा पार्श्वनाय एवं ऋषभदेव के मन्दिरका भी उल्लेख किया है। १२ श्रावकाचार रास (१७०२) पदमा कवि ने श्रावकाचार रास की रचना कब की थी उसने इसका कोई उल्लेख नहीं किया है । इसमें पद्यात्मक रूप से श्राबक धर्म का वर्णन किया गया है । रास भाषा, पीली एवं विषय वर्णन की दृष्टि से उत्तम कृति है । इसकी एक अपूर्ण प्रति दि जैन मन्दिर कोटा के शास्त्र मण्डार में संग्रहीत है। १३ सुख विलास (१७६१) जोधराज कासलीवाल हिन्दी के प्रसिद्ध महाकवि दौलतराम कासलीवाल के सुपुत्र थे। अपने पिता के सामम ही जोपराब भी हिन्दी के अच्छे कवि थे । सुख विलास में कवि की रचनाओं का संकलन है । उनका यह Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । बाईस ) काव्य संवत् १८८४ में समाप्त हमाथा जब कवि की अन्तिम अवस्था थी । दौलतरामजी के मरने के पश्चात् जोधराज किसी समय कामा नगर में चले गये होंगे। कदि ने मामां नगर के शान के साथ ही यहां के जैन मन्दिरों का भी उल्लेख किया है। कामा उस समय राजस्थान का अच्छा व्यापारिक केन्द्र था इसलिए कितने ही विद्वान भी वहां जाकर रहने लगे थे। सूख विलास को तीनों ही प्रतियां भरतपूर के पंचायती मन्दिर के शास्त्र भण्डार में सग्रहीत हैं। सुख विलान गम्य पद्य दोनों में हो निबद्ध है । कवि ने इसे जीवन को सुखी करने वाले की संज्ञा दी है । सुख विलास इह नाम है सब जीवन सुखकार । या प्रसाद हम हूँ लहं निज प्रासम सुखकार ।। अध्यात्म चिंतन एवं योग १४ गुण विलास (१९८८) दिलास संज्ञक रचनाओं में नथमल विसाला कृत गुण विलास का नाम उल्लेखनीय है । गुण विलास के अतिरिक्त इनकी 'बोर बिलास' संज्ञक एक कृति और है जो एक गुटके में (पृष्ठ संख्या ६६२) संग्रहीत है । गुण बिलास में कवि को लघु रचनामों का संग्रह है। यह संकलन संवत् १६२२ में समाप्त हुमा था। कवि की कुछ प्रमुख रचनाओं में जीवन्धर चरित्र, नागकुमार चरित्र, सिद्धान्तसार दोषक आदि के नाम उल्लेखनीय है। वैसे कवि भरतपुर में प्रॉपार्जन के लिए पाकर रहने लगे थे और संघ के साथ श्रीमहावीरजी की यात्रा पर गये थे। १४ समयसार टीका (२२८५) • मट्टारक शुभचन्द्र १६-१७ वी शताब्दी के महान विद्वान थे। संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, गुजरातो भाषा पर उनका पूर्ण अधिकार था। मम तक शुभचन्द्र की जितनी कृतियां मिली हैं उनमें समयसार टीका का नाम नहीं लिया जाता था। इसलिए प्रस्तुत टीका को उपलब्धि प्रथम बार हई है। टीका विस्तृत है और कवि ने इसका नाम प्रध्यात्मतरंगिणी दिया है। कवि ने टीका के अन्त में विस्तृत प्रशस्ति दी है जिसके अनुसार इसका रचना काल संवत् १५७३ है। इस टोकर की एक मात्र प्रति शास्त्र महार दि. जैन मन्दिर कामां में संग्रहीत है। इसका प्रकाशन होना आवश्यक है। १५ षटपाहुड भाषा (२२५६) षट्पाहुड पर प्रस्तुत टीका पं. देवीदास छाबड़ा कृत है । जिसे इन्होंने संबत् १८०१ साबरा सुदी १३ के दिन समाप्त की थी। देवीसिंह प्राकृत, संस्कृत एवं हिन्दी के अच्छे विद्वान थे तथा भाषा टीकाए' लिखने में उन्हें विशेष रुचि थी। षट्पाहुड पर उनकी यह रीका हिन्दी पद्य में हैं। जिसमें कवि ने प्राचार्य कुन्दकुन्द के भावों को ज्यों का त्यों मरने का प्रयास किया है। भाषा, भाशेली की दृष्टि से यह टीका अत्यधिक महत्व पूर्ण है। Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( aser ) १६ ज्ञानाय गद्य टोका आचार्य शुभचन्द्र के ज्ञानावि पर संस्कृत और हिन्दी की कितनी ही क्रियाएं उपलब्ध होती है। इनमें चन्द द्वारा रवित हिन्दी गद्य टीका उल्लेखनीय है । टीका का रचना काल सं० १८६० माघ सुदी २ है । टीका की भाषा पर राजस्थानी का स्पष्ट प्रभाव है। इसकी एक प्रति दि० जैन मन्दिर कोटडियान हूंगरपुर संग्रहीत है । में १७ चैतावरण ग्रंथ (२००२) यह कविवर रामचरा को कृषि है जो राजस्थानी भाषा में निबद्ध है । कवि ने इसमें प्रत्येक व्यक्ति को सजग रहने की चेतावनी दी है। कृति का उद्देश्य सोते हुए प्ररियों को जगाने जा रहा है। इसमें २१ पद्म हैं जिसमें कवि ने स्पष्ट शब्दों में विषय का विवेचन किया है। भाषा भाव एवं शैली की दृष्टि से रचना उत्तम है । इसकी एक मात्र प्रति दि० जैन मन्दिर कोटा के शास्त्र भण्डार में सग्रहोत है । १८ परमार्थशतक (२०६६) परमार्थं शतक भैय्या भगवतीदास की है जो प्रथम बार उपलब्ध हुई है । रचना पूर्णतः श्राध्यात्मिक है जिसकी एक मात्र पाण्डुलिपि पंचायती मन्दिर भरतपुर में संग्रहीत है 1 १६ समयसार वृति (२३०५ ) समयसार पर पं० प्रभाचन्द्र कृत संस्कृत टीका की एक मात्र पाण्डुलिपि मट्टारकीय दि० जंन मन्दिर अजमेर के शास्त्र भण्डार में उपलब्ध हुई है । प० प्रभाचन्द्र ने कितने ही ग्रंथों पर संस्कृत टीकायें लिखकर अपनी विद्वता का प्रदर्शन ही नहीं किया किन्तु स्वाध्याय प्रेमियों के लिये भी कठिन ग्रंथों के अर्थ को सरल बना दिया । श्री नाथूराम प्रेमी ने समयसार वृत्ति का " जैन साहित्य और इतिहास " में उल्लेख अवश्य किया है, लेकिन उन्हें भी इसकी पाण्डुलिपि उपलब्ध नहीं हो सकी थी। प्रस्तुत प्रति संवत् १६०२ मंगसिर मुदी की लिपिवद्ध ८ की हुई है। वृति प्रकाशन योग्य है । · २० समयसार टोका (२३०६) भ० देवेन्द्रकीति बामेर गादी भट्टारक थे। वे भट्टारक के साथ २ साहित्य प्रेमो भी थे । ग्रामेर भण्डार की स्थापना एवं उनके विकास में म० देवेन्द्र कीर्ति का प्रमुख हाथ रहा था। समयसार पर उनकी यह टीका यद्यपि अधिक बड़ी नहीं है । किन्तु मौलिक तथा सार गर्भित है। इस टीका से पता लगता है कि समयसार जैसे प्राध्यात्मिक प्रथ का भी इस युग में कितना प्रचार था 1 इसकी एक मात्र पाण्डुलिपि शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी में संग्रहीत है। इसका टीका काल संवत् १७८८ भादवा सुदी १४ है । २१ सामायिक पाठ भाषा (२५२१) श्यामराम कृत साभाविक पाठ भाषा की पाण्डुलिपि प्रथम बार उपलब्ध हुई है। इसका रचनाकाल सं० १७४६ है । कृति को पाण्डुलिपि दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर में संग्रहीत है। रचना अच्छी है । Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ पद्मचरित टिप्पण (२०७१) रविषेामं कृत पद्मचरित पर श्रौर कुछ प्रमुख एवं कठिन शब्दों लिखा लश्कर के मन्दिर में संग्रहीत है। श्रीचन्द्र शताब्दी के विद्वान थे। ( बोबेस ) पुराण साहित्य श्रीषन्द मुनि द्वारा लिखा हुआ यह टिप्पण है। टिप्परण संक्षिप्त है गया है। प्रस्तुत पाण्डुलिपि संवत् १५११ की है जो जयपुर के मुनि अपभ्रंश भाषा की रचना रत्नकरण्ड के कर्ता थे जो १२ वीं २३ पार्श्व पुराण (३००६ अपश के प्रसिद्ध कवि र विरचित पार्श्वपुराण की एक प्रति शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर शेरवी कोटा में संग्रहीत है। पार्श्वपुराण अगम की सुन्दर कृति है। २४ पुरारपसार (३०१३) सागर सेन द्वारा रचित पुराणसार की एक मात्र पाण्डुलिपि वा में संग्रहीत है। कवि ने रचनाकाल का उल्लेख नहीं किया है लेकिन यह पड़ती है। कृति अच्छी है। महारक सकलकीति ने जो पुराणसार ग्रंथ भावार पर ही लिखा गया था। भण्डार दि० जैन मन्दिर अजमेर ११ वीं शताब्दि की रचना मालूम लिखा है संभवतः वह इस कृति के २५ वर्धमानपुराण मावा (३०८२) बर्द्धन स्वामी के जीवन पर हिन्दी में जो काव्य सिखे गये हैं अभी तक प्रकाश में नहीं बाये हैं । इसी ग्रंथ सूची में वर्द्धमान पर कुछ काव्य मिले हैं और उनमें नवलरामविरचित षमान पुराण भाषा भी एक काव्य है । यह काव्य संवत् १६६१ का है | महाकवि बनारसीदास जब समयसार नाटक लिख रहे थे तभी भगवान महावीर पर यह काव्य लिखा जा रहा था। नवलराम बुदेलखंड के निवासी थे और मुनि सकलकोति के उपदेश से नवलराम एवं उनके पुत्र दोनों ने मिल कर इस काव्य की रचना की मी पाव्य विस्तृत है तथा उसकी एक प्रतिदिनी मन्दिर कामां में उपलब्ध होती है। २६ वर्षमानपुराण (२०७०) वर्षमान स्वामी के जीवन पर यह दूसरी कृति है जिसे कविवर नवल शाह ने संवत् १८२५ में समाप्त की थी। इसमें १६ अधिकार हैं । पुराण में भगवान महावीर के जीवन पर अत्यधिक सुन्दर रीति से वर्णन किया गया है। इस पुराण की प्रति बयाना एवं दो प्रतियां फतेहपुर शेखावाटी के शास्त्र भण्डार में उपलब्ध होती हैं कवि ने पुराण के अन्त में रचना काल निम्न प्रकार दिया है | उज्जयंत विक्रम नृपति, संवत्सर गिनि तेह | संत बहार पफीस अधिक समय विकारी एह ॥ E Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( पचीस ) २७ शांतिनाथ पुराण (३०६५) यह ठाकुर कवि को रचना है जिसकी जानकारी हमें प्रथम बार शान्ति पर यह पुराण सर्वाधिक प्राचीन कृति है जिसका रचनाकाल संवत् मात्र पाण्डुलिपि अजमेर के भट्टारकीय शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। २८ कान्तिपुराण (३०६४) प्राप्त हुई है। हिन्दी भाषा में १६५२ है । इस पुराण की एक महापंडित प्राणावर विरचित शास्त्रिपुराण संस्कृत का अच्छा काव्य है । कवि ने इसकी प्रशस्ति मैं अपना विस्तृत परिचय दिया है। श्री नाथूराम प्रेमी ने प्राणाधर की जिन रचनाओं के नाम गिनाये हैं उसमें इस पुराण का नाम नहीं लिया गया है। इसकी एक प्रति जयपुर के दि० जैन मन्दिर लश्कर में संग्रहीत है। पुराण प्रकाशन योग्य है । काव्य एवं परिश्र २६ जीवनभर चरित (३३५६) महाकवि बोलतराम कासलीवाल की पहिले जिन कृतियों एवं काव्योंका उल्लेख मिलता था उनमें जीवन्वर चरित का नाम नहीं था | उदयपुर के मनवाल दि० जैन मन्दिर में जब हम लोग ग्रंथों की सूची का कार्य कर रहे थे। तभी इसकी एक प्रस्त व्यस्त प्रति पं० अनुपचंद जो न्यायतीचं को प्राप्त हुई । कवि का यह एक हिन्दी का घच्छा काव्य है जो पांच अध्यायों में विभक्त है । कवि ने अपने इस काव्य को नवरस पूर्ण कहा है जिसे कालाडेरा के श्री चतुरसुज भप्रवाश एवं पृथ्वीराज तथा सागवाडा के निवासी श्रीवेलजी हूं वह के अनुरोध पर उदयपुर प्रवास में संवत् १८०५ लिखकर मां भारती को भेंट की थी। उदयपुर में भरवाल दि० जैन मन्दिर के शास्त्र मण्डार में जो प्रति प्राप्त हुई थी, वह कवि को मूल पांडुलिपि है जिससे इसका महत्व और भी बढ गया है । काव्य प्रकाशन होने योग्य है । ३० जीवंषर चरित (३३५८) | महाकवि रद्द द्वारा विरचित जीवन्धर चरित अपभ्रंश को विशिष्ट रचना है। इस काव्य की एक प्रति दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी के गास्त्र भण्डार में संग्रहीत है । पाण्डुलिपि प्राचीन है और संवद १९५८ में मिमि बद्ध की हुई है। यह काव्य प्रकाशन योग्य है । ११ जीवनपर चरित्र प्रबन्ध (३३६० ) जीवन्धर चरित्र हिन्दी भाषा का प्रवन्ध काव्य है जिसे भट्टारक यश कीर्ति ने छन्दोबद्ध किया था यतः कीर्ति भट्टारक चन्द्रकीति के प्रशिष्य एवं भट्टारक रामकीति के शिष्य थे। ये हिन्दी के अच्छे विद्वान थे। प्रस्तुत काव्य हिन्दी को कोई बडा काव्य नहीं है किन्तु भाषा एवं शैली की दृष्टि से काव्य उल्लेखनीय है । इसकी एक पाण्डुलिपि उदयपुर के संभवनाथ मन्दिर के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत । इसकी रचना संवत् १८७१ में हुई थी। कवि ने गुजरात देश के ईश्वर दुर्ग के पास भोलोडा ग्राम में इसे समाप्त किया था। उस ग्राम में चन्द्रप्रभ स्वामी का मन्दिर था श्रीर वही इस प्रबन्ध का रचना स्थल था। Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( छत्रीस ) संवत पठारास इकहोत्तर भादया सुदी दशमी गुरुवार रे । एप्रबध पुरी करो प्रणामी जिन गुरु पाय रे । गुर्जर देश में सोमतो ईडर गढ़ ने पास रे । नीलोखी नुग्राम है तिहा श्रावक नो सुमवासरे । चन्द्रमा जिनधाम है ते भव्य पूजे जिन पाय रे । तिहा रहिने रचना करी, यशकीति सुरी राय रे । ३२ धर्मशर्माम्युदय टीका (३४६१) धर्मशर्माभ्युदय संस्कृत भाषा के श्रेष्ठ महाकाव्यों में से है। यह महाकवि हरिचन्द की रचना है पौर प्राचीन काल में इसके पठन पाठन का अच्छा प्रचार था। इसी महाकाव्य पर भवारक यशःकोति की एक विस्तृत टीका अजमेर के शास्त्र भण्डार में उपलब्ध हुई है जिसका संदेहध्वान्त दीपिका नाम दिया गया है। टीका विद्वत्तापूर्ण है तथा उसमें काव्य के कठिन शब्दों का अच्छा खुलासा किया गया है। ३३ नागकुमार चरित (३४८०) " नषमल बिलाला कृत नागकुमार चरित हिन्दी की अच्छी कृति है जिसकी पाण्डुलिपियां राजस्थान के विाि भण्डालों में काम होता है। प्रत लिन स्वयं नथमल विलावा द्वारा लिपिबद्ध है । इसका लेखन काल संवत् १९३९ है। प्रथम जेठ पूनम सुदी सहस्त्र रात्रा पर वार । 'नथ सुलिख पूरन कियो हीरापुरी मझार । नयमल ने निजकर श्रकी नथ लिस्यो धर प्रीत । भुल चूक याम लखो तो सुध कोजो मीत । ३४ वारा प्रारा महा चौपई बंध (३६६०) ट्रारक सकलकीर्ति की परम्परा में होने वाले सद्रारक रामकीर्ति के प्रशिष्य एवं पचनन्दि के शिष्य 5. रूपजी की उक्त कृति एक ऐतिहासिक कृति है जिसमें २४ तीर्थकरों का शरीर, प्रायू वर्ग प्रादि का वर्णन है। इसमें तीन उल्लास है । यह कवि की मूल पाण्डुलिपि है जिसे उसे महिसाना नगर के श्रादि जिन चैत्यालय में बन्दोबद्ध किया था। इस चौपई की एक प्रति उदयपूर के संभवनाथ मन्दिर में उपलब्ध होती है। ३५ मोज चरित्र (३७२१। हिन्दी भाषा में भोज चरित्र भवानीदास ब्यास की रचना है। यह एक ऐतिहासिक कृति है जिसमें राजा मोष का जीवन निबद्ध हैं। कवि ने इसका निम्न प्रकार उस्लेख किया है गढ़ जोधारण सतोल धाम याई विलाई । पीर पाठ कल्यास मुजस गण गीत गवाडे।। Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( सताईस भोज चरित तिन सौ को कवियण सुख पावे || व्यास भवानीदास कवित कर बात सुगावे | सुखी प्रबंध चारण मते भोजराज बीन कह्यो । कल्याणदास भूपाल को धर्म ध्वजा धारी को । ३६ यशोधर चरित्र (३८२४) महाराजा यथोवर के जीवन पर सभी माषाओं में अनेक काव्य लिखे गये हैं। हिन्दी में भी विभिन्न कवियों ने रचना करके इस कथा के लोकप्रियता में अभिवृद्धि की है। इन्हीं काव्यों में हिन्दी कवि देवेन्द्र कृत यशोधर चरित की है जिसकी पाण्डुलिपियां डूंगरपुर के शास्त्र मण्डार में उपलब्ध हुई है। काव्य काफी बड़ा है। इसका रचनाकाल संवत् १६८३ है । देवेन्द्र की संस्कृत एवं हिन्दी के अच्छे कवि थे । विक्रम एवं गंगाधर दो भाई थे जो जैन ब्राह्मण थे। गुजरात के कुत लुखां के दरबार में जैनधर्म की प्रतिष्ठा बढाने का श्रेय ० शांतिदास को था और उसी के प्रभाव के कारण विक्रम के माता पिता ने जैनधर्म स्वीकार किया या । इन्हीं के सुत देवेन्द्र में महुआ नगर में यशोर की रचना की थी । संवत १६ आठ श्रीसि यसो सुदी वीज शुक्रवार सो रास रच्यो नवरस भयो महुदा नगर मभार तो । कवि ने अपनी कृति को नवरस से परिपूर्ण कहा है। ३७ रत्नपाल प्रबन्ध (३८६८) रत्नपाल प्रबन्ध हिन्दी की अच्छो कृति है जो ब्र० श्रोपती द्वारा रची गयी थी । इसका रचनाकाल सं०] १७३२ है । भाषा एवं शैली की दृष्टि से रचना उत्तम प्रबन्ध काव्य है तथा प्रकाशन योग्य है । ३८ विक्रम चरित्र चौपई (२०३१) भाउ कषि हिन्दी के लोकप्रिय कवि थे। उनको रविप्रतकथा हिन्दी की अत्यधिक लोकप्रिय रचना रही है । विक्रमचरित्र चौपई उनकी नवीन रचना है। जिसकी एक पाण्डुलिपि दबलाना के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है |रचना काल संवत् १५५८ है । इस रचना से भाउ कवि का समय भी निश्चित हो जाता है । कवि में रचना काल का उल्लेख निम्न प्रकार किया है संवत् पनर श्रठा सिंह तिथि बलि तेरह हुति मंगसिर मास जाण्पी रविवार जते हुति । चडी तर पसाउ सच प्रबन्ध प्रभारण । उबा भावे भरइ वातज भाषा या ३६ शांतिनाथ चरित्र भाषा (३६६५) सेवाराम पाटी हिन्दी के अच्छे विद्वान् थे । शांतिनाथ चरित्र उनके द्वारा लिखा हुआ विशिष्ट काव्य है। कवि महापंडित टोडरमल के समकालीन विद्वान थे । उनको उन्होंने पूर्ण श्रादर के साथ उल्लेख किया Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( अठाइस ) है। इन्हीं के उपदेश से सेवाराम काव्य रचना को ओर प्रवृत्त हुए थे। शांतिनाथ चरित्र हिन्दी का अच्छा काव्य है जो २३० पत्रों में समाप्त होता है। सेवागमदडाइड देश में स्थित देव्याद (देवली) नगर के रहने वाले थे। कवि ने काव्य के अन्त में निम्न प्रकार उल्लेख किया है-- देश ढाड आदि के संबोधे बहुदेश । रची रची ग्रन्थ कठिन टोडरमल महेश। ता उपदेश लवांस लही होबाराम सयान । रच्यो अंष रुचिमान के हर्ष हर्ष अधिकाम ।।२३।। संवत् अष्टादश शतक पृनि चौतीस महान । सावन कृषणा अष्टमी पूरन कियो पुरान । अति अपार सुखसो बसे नगर वेव्याह सार । यापक बसे महाधनी दान पूज्य मतिषार ॥२४॥ ४० भोपाल वरिश (४०५०) श्रीपाल चरित्र ब्रह्म चन्द्रसागर की कृति है जो मट्टारक सुरेन्द्रक ति के प्रशिष्य एवं सकलकीति के शिष्य थे । जो काष्ठासंघ के रामसेन के परम्परा के मट्टारक थे । कवि ने सुरेन्द्रकीति एवं सकलकीति दोनों की प्रशंसा की है तथा अपनी लधुता प्रकट की है। काव्य की रचना सोजत नगर में सवत् १८२३ में समाप्त हुई थी। सोजण्या नगर सोहामा दोसे ते मनोहार । सासन देवी ने . देहरे परतापुरे अपार । सकलकीति तिहाँ राजता छाजता गुण भंडार । बहा चन्दसागर रचना रची तिहा वेसीमानाहार ।।३।। चरित्र की भाषा एवं शैली दोनों ही उत्तम है तथा वह विविध छन्दों में निर्मित की गयी है। इसकी एक प्रति फतेहपुर के शास्त्र भण्डार में उपलब्ध होती है। ४१ श्रेणिक चरित्र (४१०३) श्रेणिक चरित्र महाकवि दौलतराम कासलीवाल को कृति है। अब तक जिन कात्यों का विद्वत जगत को पता नहीं था उनमें कवि की यह कृति भी सम्मिलित है। लेकिन ऐसा मालूम पड़ता है कि कवि के पद्मपुराण, हरिठांशपुराण, मादिपुराण, पुण्शस्त्रद कथाकोश एड अध्यात्मवारहखड़ी जैसी वृहद कतियों के सामने इस कृति का अधिक प्रचार नहीं हो सका इसलिए इसकी पाण्डुलिपियां भी राजस्थान के बहुत कम भण्डारों में मिलती है। श्रेणिक चरित्र कवि का लघु काश्य है जिसका रचनाकाल संवत् १७८२ चैत्र सुदी पंचमी है। संवत सतरंस वीत्रासी, श्री चैत्र सुकल तिथि जान । पंचमी दीने पूरण करी, वार चंद्र पंचान ।। Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । उनतीस ) ऋति ५०० पद्यों में समाप्त होती है जिसमें दोहा, चौपई, छन्द प्रमुख है । रचना की भाषा अधिक परिष्कत नहीं है। इसकी एक प्रति दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर में संग्रहीत है। ४२ सुवर्शन चरित माषा (४१८८) ___ सुदर्शन के जीवन पर महाकवि नयनन्दि ने अपभ्रंश भाषा में संवत् ११०० में महाकाव्य लिखा था। उसी को देख कर जैनन्द ने संवत् १६३३ में आगरा नगर में प्रस्तुत काव्य को पूर्ण किया था। जैनन्द ने मट्टारक यणःकीति क्षेमकीति तथा त्रिभुवनकीति का उल्लेख किया है। इसी तरह बादशाह अकबर एक अहांगीर के शासन का भी वर्णन किया है। काव्य यधपि अधिक बड़ा नहीं है किन्तु भाषा एवं वर्णन की दृष्टि से काव्य प्रन्हा है। काव्य की छन्द संस्था २०६ है। कान के पशुम दोहा, गौरव एवं सोरठा है। कवि ने निम्न छन्द लिख कर अपनी लघता प्रकट की है। छंद भेद पद भेद हौं, तो कछु जाने नांहि । ताको कियो न खेद, कथा मई निज मसि बस ॥ ४३ णिक प्रबन्ध (४१०५) कल्याएकीति की एक रचना चारुदत्त चरित्र का परिचम हभ ग्रंथ सूची के चतुर्थ भाग में दे चुके हैं। यह कवि की दूसरी रचना है जिसकी उपलब्धि राजस्थान के फतेहपुर एवं दूदी के भण्डारों में हुई है। कवि भट्टारक सकलकीति की परम्परा में होने वाले भट्टारक देवकीर्ति के सिष्य थे । कवि ने इस प्रबन्ध को मागह प्रदेश के फोटनगर के श्रावक विमल के प्राग्रह से प्रादिनाथ मन्दिर में समाप्त की थी। रचना गीतात्मक है तथा प्रकाशन योग्य है। कथा साहित्य ४४ अनिरुद्ध हरण-उषा हरण (४२२३) यह रलभूषण की कृति है जो भट्टारक ज्ञानभूषण के शिष्य एवं भ० सुमतिकीति के परम प्रशंसक थे। अनिरुद्ध हरण की रचना भ० ज्ञानभूषण के उपदेश से ही हो सकी थी ऐसा ऋषि ने उल्लेख किया है । कवि ने कृति का रचनाकाल नहीं दिया है लेकिन भट्टारक शानभूषण के समय को देखते ही. हुए सह कृति संवत् १५६० से पूर्व की होनी चाहिए । मनिरुद्ध हरण की भाषा पर मराठी भाषा का प्रभाव है कवि ने रचना को "रचना बहुरस कहु" महरस भरी कहा है । अनिरुद्ध प्रद्युम्न के पुत्र थे । कवि ने काव्य का नाम ऊषा हरण न देकर अनिरुदहरण दिया है। ४५ अनिरुद्ध हरण (४२२४) भनिरुद्ध के जीवन पर यह दूसरा हिन्दी काव्य है जो ब्रह्म जयसागर की कृति है। ब्रह्म जयसागर मट्टारक महीचन्द्र के शिष्य थे । ये सिंहपुरा जाति के श्रावक थे तथा इसोर नगर में इन्होंने इस काव्य को संवत् १७३२ में समाप्त किया था। इसमें चार अधिकार है । इस रचना की भाषा राजस्थानी है तथा उस पर गुजराती झा प्रभाव है । रस्मभूषण सूरि के अनिरूद्ध हरण से यह रचना बष्टी है। Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( तोस ) अनिरूद्ध हरणज में कर्यु दुःख हरण ए सार । सामला सुख ऊपजे कहे जयसागर ब्रह्मचार जी ॥ ४६ अभयकुमार प्रबन्ध (४२२६) उक्त प्रवन्ध पदमराज कृत हिन्दी काव्य है जिसमें अभयकुमार के जीवन पर प्रकाश डाला गया है। पदमराज खरतर मच्छ के याचार्य जिनहंस के प्रशिष्य एवं पुण्य सागर के शिष्य थे। जैसलमेर नगर में ही इसकी रचना समाप्त हुई थी। प्रबन्ध का रचनाकाल संवत १६५० है। रचना राजस्थानी भाषा की है। ४७ प्रादित्यवार कथा (४२५१] प्रस्तुत कथा पं० गंगादास की रचना है जो कारंजा के मद्रारक घमंचन्द्र के शिष्य थे । ग्रादित्यबार कथा एक लोकप्रिय कृति है जिसे उन्होंने संवत १७५० में समाप्त किया था। कथा की दो सचित्र प्रतियां उपलब्ध हुई हैं जिनमें एक भट्टारकीय दिजैन मन्दिर अजमेर में तथा दूसरी डूगरपुर के शास्त्र भण्डार में उपलब्ध हुई है । दोनों ही सचित्र प्रतियां अत्यधिक कलात्मक हैं। डुगरपुर वाली प्रति में स्वय प०अंगादास एवं भ.धमन्द्र के चित्र भी हैं। कथा की रचना शैली एवं वर्णन शैली दोनों ही अच्छी है 1 ४८ कथा संग्रह (४३५८) भद्रारक विमयकीति अजमेर गादी के प्रसिष्ठ भद्रारक थे। ये मत के साथ साथ विद्वान् एवं कवि भी ये इनकी दो रचनायें कर्णामृत पुराण एवं श्रेणिक चरित्र पहिले ही उपलब्ध हो चुकी हैं । कथा संग्रह इनकी तीसरी रचना है। इसका रचनाकाल संबत १८२७ है। इस कथा संग्रह में कनक कुमार, पय कुमार, तथा शालिभद्र की कथाएं चौपई छन्द में निबद्ध हैं। रचना की एक पाडलपि भट्रारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर में संग्रहीत है। ४६ चन्द्रप्रभ स्वामीनो विवाह (४३२६) । प्रस्तुत कृति भ. नरेन्द्रकीति की है जिसे उन्होंने संबत १६०२ में छन्दोबद्ध किया था। कवि ने इस काब्य को गुजरात प्रदेश के महसाना नगर में समाप्त किया था। ये भट्टारक सुमलिकीर्ति के गुरू भ्राता भट्टारक सकलभूषण के शिष्य थे। विवाहसो भाषा एवं वर्णन शैली की दृष्टि से सामान्य है इसकी एक पाण्डुलिपि कोटा के बोरसली के मन्दिर में उपलल्ध हुई है। ५० सम्यक्त्व कौमुदी (४८२८) जगतराय की सम्यक्त्व कौमुदी कथा हिन्दी कथा कृतियों में अच्छी कृति है। इसमें विभिन्न कथानों का संग्रह है। कवि आगरे के निवासी थे । कवि को पद्मनदि पंचविंशतिका, भागमविलास भादि पहिले हो उपलब्ध हो चुकी हैं। रचना सामान्यतः प्रन्छी है। Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१. होली कथा । ४६०० ) ( इकतीस } ; जो यह मुनि शुभचन्द्र की कृति हैं। प्रदेश के कुजपुर में रहते थे। वहां चन्द्र आमेर गादी के भट्टारक जगतकीति के शिष्य थे। मुनि श्री स्वामी का मानय था और उसी में इस रचना को दोबद्ध किया गया था । रखना भाषा की दृष्टि से अच्छी कथा कृति है । इसकी रचना धर्मपरीक्षा में वर्णित कथा के अनुसार की गयी है । मुनि शुभचन्द्र करी या कथा, धर्म परीक्षा में लो बया । होली कथा सुने जे कोई मुक्ति तशा सूख पावे सोय । संत सतरा पर जोर, वर्ष पचाबन अधिक प्रोर ।। १२६ ॥ ५२ वचन कोश (५२३२) बुलाकीदास कृत वचनकोश हिन्दी भाषा को अच्छी कृति है । कवि की पण्डवपुराण एवं प्रश्नोत्तरोपासकाचार हिन्दी जगत की उत्तम कृतियां है जिन पर ग्रन्थ सूत्री के पूर्व भागों में प्रकाश डाला जा चुका है । वनकोण के माध्यम से जैन सिद्धान्त को कोश के रूप में प्रस्तुत करके कवि ने हिन्दी जगत की महान सेवा को है। इन कुसिका रचनाकाल संवत १७३७ है । यह कवि की प्रारम्भिक कृति है । रचना प्रकाशन योग्य है । श्रायुर्वेद ५३ प्रजी मंजरी (५५६२) न्यामतखां फतेहपुर (शेखावाटी) के शासक क्यामखां के शासन काल के हिन्दी कवि थे । उन्होंने युर्वेद की इस कृति को वैद्यक शास्त्र के अन्य ग्रन्थों के अध्ययन के पश्चात लिखी थी। इससे ज्ञात होता है कि न्यामतवां संस्कृत एवं हिन्दी दोनों ही भाषाओं के विद्वान थे। इसकी रचना संवत १७०४ है । कवि ने लिखा है कि उसने यह रचना दूसरों के उपकारार्थं लिखी है । वैद्यक शास्त्र को देखि करो, नित यह कियो बखान । पर उपकार के कारणे, सो यह ग्रन्थ सुखदान ।। १०२ ।। ५४ स्वरोदय (५७९४) प्रायुर्वेद विषय पर मह मोहनदास कायस्थ की रचना है । यद्यपि इस विषय की यह लघु रक्ता है । नाडी परीक्षा पर भी स्वर के साथ इसमें विशेष वर्णन है। संवत १६५७ में इस रचना को कन्नोज प्रदेश में स्थित नैमखार के समीप के ग्राम कुरस्य के समाप्त किया गया था । रास, फागु वेलि ५५ ब्रह्म जिनवास करा संशक रचनायें ब्रह्म जिनदारों संस्कृत एवं हिन्दी दोनों के ही महाकवि थे। दोनों ही भाषाओं पर इनका समान अधिकार था। इसलिये जहां इन्होंने संस्कृत में बड़े बड़े पुराण एवं चरित्र ग्रन्थ लिखे वहां हिन्दी में रास संज्ञक ' Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (weiter) • रचनायें लिख कर १५ वीं शताब्दी में हिन्दी के पठन पाठन में घपना अपूर्व योग दिया। प्रस्तुत ग्रन्थ सूची में हो इनकी ६१ रचनाओं का परिचय दिया गया है। इनमें संस्कृत की प्राकृत की एक तथा शेष ५२ रचनायें हिन्दी भाषा की है। प्रस्तुत ग्रन्थ सूची में सबसे अधिक कृतियां इन्हीं को है इसलिये ब्रह्म निवास साहित्यिक सेवा की दृष्टि से सर्वोपरि है। कवि की विरासतक रचनाओं की उपलब्धि हुई है इनके नाम निम्न प्रकार है १. अजितनाथ रास ३. कर्मविपाकरास ५. जीवंधर रास ७. नवकार रास ६. नागकुमार रा ११. परमहंस १३. यशोधर रास १५. राम रास १७. श्रावकाचार रास १६. श्रतकेवलि रास २१. सहकार रा २३. रास २५. करकंडुन राम २७. धन्यकुमार राम २६. पानीपाल रास ३१. मविष्यदत्त राख ३३. सुदर्शन रास (९१२३) (६१४६) (६१५७) (६१७१) (६१७२) (१९६०) (६११७) (६२०३) (६२१४) (६२२३) (६२३९) (१०२३९) (६१४७) (६२६३) (१०१२० ) (६१८०) (१०२३१) २. प्रादिपुराण रास स्वामी प ६. दानफल रास धर्मपरीक्षा राम १०. नेमीश्वर राम १२. भद्रबास १४. रामचन्द्र रास १६. रोहिणी राम १५. श्रीपाल रास २०. किस २२. हनुमंत रास २४. पठान राम २६. चारुदत प्रबंध रास २०. नागधीरास ३०. बंकर सि ३२. सम्यक्त्व रास १४. होली रास (६१३५) १६१५२) ब्रह्मजिनदास की रचनाओं का भी मूल्यांकन विश्वविद्यालय में शोध कार्य चल रहा है लेकिन अभी तक घने का मूल्यांकन किया जा सकता है। एक ही नहीं बीसों शोध निबन्ध लिखे जा सकते हैं। (६१६१) (६१६५) (६१७३) (६१९१) (६२०२) (६२०६) (६२१५) (६२२५) (६२४३) (१०१२० ) (१०२१८० (१०२३१) (६१६०) (१०२३६) १५ वीं शताब्दी में होने वाले एक ही कवि के इतनी अधिक रास संकृतियों का उपलब्धि हिन्दी साहित्य के इतिहास में सचमुच एक महत्वपूर्ण कहानी है। कवि का रामसीताराम ही महाकवि तुलसीदास की रामायण से बढी रामायण है से कवि की कुछ कृतियों को छोड़ कर सभी रचनायें महत्वपूर्ण तथा भाषा एवं शैली की दृष्टि से उल्लेखनीय है। कवि का राजस्थान का बाग प्रदेश एवं गुजरात मुख्य कार्य स्थान रहा था। इसलिये इनकी रचनाओं पर गुजराती भाषा एवं शैली का भी अधिक प्रभाव है। नहीं हो पाया है। यद्यपि कवि पर राजस्थान साहित्यिक दृष्टियां है जिनके आधार पर कवि मिट्टारक सकलकीर्ति के भाई ही नहीं किन्तु उनके प्रमुख शिष्य भी थे। इन्होंने अपनी कृतियों में पहिले सकलकीति की और उनकी मृत्यु के पश्चात भ० भुवनकीति का स्मरण किया है को उनके पश्चात मट्टारक गादी पर बैठे थे जिनदास राय संज्ञक रचनाओं के अतिरिक्त दौर भी रचनायें लिखी है। जिनके चाचार पर यह कहा जा सकता है कि कवि सर्वतोमुखी प्रतिमा वाले विद्वान थे। Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( सेलीस ) ५६ चतुगंति रास (६१४६) परिचन्द हिन्दी के अच्छे कवि थे। इनकी अब तक कितनी ही रचनानों का परिचय मिल चुका है। इन रखनामों में चतुर्गति रास इनकी एक लघु रचना है। जिसकी एक पाण्डुलिपि कोटा के बोरसली के मन्दिर के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है । रचना प्रकाशन योग्य है। ५७ वर्धमान रास (६२०७) भगवान महवीर पर यह प्राचीनतम रास संज्ञक काव्य है जिसका रचना काल संवत १६६५ है तथा जिसके निर्माता हैं पद्धमान कवि । रास यद्यपि अधिक बड़ा नहीं है फिर भी महावीर पर लिखी जाने वाली यह उल्लेखनीय रचना है । काश्य की दृष्टी से भी यह अच्छी रचना है । बर्धमान कवि ब्रह्मचारी थे और भट्टारका पादिभुषण के शिष्य थे। संवत सोल पासहि मार्गसिर सुदि पंचमी सार । ब्रह्म वर्धमानि रास रच्यो तो साभलो तम्हे नरनारि ।। ५८ सीताशील पताका गुरगवेलि (६२३२) वेलि संज्ञक रचनाओं में प्राचार्य जयकीति की इस रचना का उल्लेखनीय स्थान है। इसमें महासती सोता के उत्कृष्ट चरित्र का यशोगान गाया गया है। प्राचार्य जयोति हिन्दी के अच्छे कवि थे। प्रस्तुत ग्रन्थ सूची में ही उनकी ६ रचनाओं का परिचय दिया गया है। इनमें अकलंकयतिरास, अमरदत्त मित्रानन्द रासो, रश्वित कथा, वसुदेव प्रथम्प, शोलसून्दरी प्रबन्ध उक्त वेलि के अतिरिक्त हैं। कवि ने काव्य के विवध रूपों में रचनायें लिखी श्री तथा अपनी कृतियों को विविध रूपों में लिख कर पाठकों की इस ओर रुचि जाग्रत किया करते थे। मा. जयकीति ने मट्टारकीय युग में भट्टारक सकलकीति की परम्परा में होने वाले म० रामकोति के शिष्य ब्रह्म हरखा के प्राग्रह से यह वेलि लिखी थी। इस का रचना काल तंवत १६७४ ज्येष्ठ सुदी १३ बुधवार है। यह गुजरात प्रदेश के कोटनगर के प्रादिनाथ चैत्यामप में लिखी गयी थी । प्रस्तुत प्रति को एक और विशेषता है कि वह स्वयं ग्रन्थकार के हाथ से लिखी हई है जैसा कि निम्न प्रशस्ति में स्पष्ट है संवत १६७४ आषाढ सुदी ७ गुरो श्री कोटनगरे स्वज्ञानावरणी कर्मक्षयार्थ प्रा० श्री जयकीसिना स्वहस्ताम्यां लिखितेयं । ५८ जम्बूस्वामीरास (५१५४) प्रस्तुत रास नयविमल की रचना है। इसमें अन्तिम केवली जम्बूस्वामी के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। यह रास माषा एवं खली की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है । रास में रचनाकाल नहीं दिया है लेकिन यह १८ वी प्रसादी का मासूम देता है । इसको एक प्रति शास्त्र मण्डार दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा में संग्रहीत है। Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौतीस ) ६० ध्यानामृतरास (६१७०। यह एक प्राध्यात्मिक रास है जिसमें ध्यान के उपयोग एवं उसकी विशेषताओं के बारे में विस्तृत प्रकाश डाला गया है। रास के निर्माता है व करमसी। जो भद्रारक शुभचन्द्र के प्रशिष्य एवं मुनि दिनयचन्द्र के शिष्य थे। रास की भाषा एवं शैली सामान्य है। कवि ने अपना परिचय निम्न प्रकार दिया है...- : : जिन सासरण चिरंजीवि पत्र पयासरा सूर । खउबिह संष सदा जयो विधन जायो तुम्हें दूर ।। श्री शुभचन्द्र मूरि नमी समरी विनयचन्द्र मुनिराय । निज बुद्धि अनुसरि रास क्रियो ब्रह्म करमसी हरसाय ।। ६१ रामरास (६२०४} रामरास कविवर माधवदास की कृत्ति है। यह कृति वाल्मीकि रामायण पर प्राधारित है। रचना संबस नहीं दिया हुआ है लेकिन रास १७ वीं शताब्दी का मालूम पड़ता है। मंवत् १७६८ की लिखी हुयी एक 'याण्डलिपि दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर में संग्रहीत है। ६२ प्रेरिणकप्रबंधरास (६२२४) यह ब्रह्म संघजी की रचना है जिसे उन्होंने संवत् १७७५ में समाप्त की थी। कवि ने अपनी कृति को प्रबंध एवं रास दोनों लिखा है। यह एक प्रबंध काव्य है और भाषा एवं शैली की दृष्टि में काव्य उल्लेखनीय है। भगवान महावीर के प्रमुख उपासक महाराजा रिपक का जीवन का विस्तृत वर्णन किया गया है। रचना प्रकाशन योग्य है। ६३ सुकौशलरास (६२३५) धपीदास भट्टारक विश्वसेन के शिष्य थे। सुकोमल रास उन्हीं की रचना है जिसे उन्होंने १७ वी सातादी में निबद्ध किया था। यद्यपि यह एक लघु रास है लेकिन काव्यत्व की दृष्टि से यह एक अच्छी कुति है।रास की पाण्डुलिपि प्रहमदाबाद के शान्तिनाथ चैत्यालय में संवत् १७१४ की माप मुदी पंचमी को की गयी यी जो याजकलहूंगरपुर के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। ६४ वृहदतपागच्छ गुरावली (६२६८, ६२६६) __ श्वेताम्बरीय तपागच्छ में होने वाले साधुनों की विस्तृत पट्टावली की एक प्रति दि. जैन अग्रवाल पचायती मन्दिर अलवर और एक प्रति पंचायतो मन्दिर भरतपुर के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। दोनों ही पाण्युनिपियां प्राचीन है लेकिन भरतपुर वाली प्रति अधिक बड़ी है और ४४ पत्रों में पूर्ण होती है। प्रलवर काली प्रति में मुनि सुन्दरमूरि सब के गुरुषों को पट्टावली दी हुई है। जबकि भ्ररतपुर वाली प्रति स्वयं मुनि सुन्दर मूरि की लिखी हुई है और उसका लेखन काल संवत् १४६७ फागुण सुदी १० है। Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५ भट्टारक संकलकीसिनुरास (६३१०) भट्टारक सकलकीर्ति १५ वीं शताब्दी के जबरदस्स विद्वान संत थे। जैन वाङ् मय के निष्णात ज्ञाता थे । उनकी वाणी में सरस्वती का बास था एवं ये तेजोमय व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने बांगड देश में भट्टारक संस्था की इतनी गहरी नींव लगायी कि वह श्रागामी ३०० वर्षों तक उसने समस्त समाज पर एक छत्र राज्य किया । भट्टारक सकलकोति स्वयं ऊंचे विद्वान एवं प्रक शास्त्रों के रचयिता थे। इसके प्रशिष्य भी बड़े भारी साहित्य सेवी होते रहे । प्रस्तुत रास में भट्टारक सकलकीर्ति एवं उनके शिष्य भ० भुवनकीर्ति का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। रास ऐतिहासिक है और यह उनके जीवन की कितनी घटनाओं का उद्घाटित करता है । रास के प्रारम्भ में प्राचार्यो की परम्परा दी है। और फिर म० सकलकोति के जन्म, माता, पिता, श्रध्ययन, विवाह, संयम ग्रहण, भट्टारक पद ग्रहण ग्रंथ रचना यदि के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया गया है । इसके पश्चात् २४ पद्यों में भ० भुवनकीति के गुणों का वर्णन किया गया है । भ० भुवनकीति की सर्व प्रथम संवत् १४८२ में हंगरपुर में दीक्षा हुई थी। रास पूर्णतः ऐतिहासिक हैं । 1 (. पैंतीस ) ब्र० सामल की यह रचना अत्यधिक महत्वपूर्ण है जिसको एक पाण्डुलिपि उदयपुर के संभवनाथ मन्दिर में संग्रहीत है । विलास एवं संग्रह कृतियां ६६ बाहुबलि छन्द (६४७९) यह लघु रचना भ० प्रभाचन्द्र के शिष्य वादिषन्द्र की कृति है । इसमें केवल ६० पय है जिसमें भरत सम्राट के छोटे भाई बाहुबलि की प्रमुख जीवन घटनाओं का वर्णन है । रणना अच्छी है तथा एक संग्रह ग्रंथ में संग्रहीत है। 1 ६७ चतुर्गति नाटक (६५०४) डालूराम हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे । ग्रंथ सूची के उसी भाग में उनकी है और रचनाओं का विवरण तिर्यञ्च श्रौर नरकगति में सट्टे जाने वाले 'दुःखों का नायक है जो विभिन्न योनियों को बारण करता हुआ दिया गया है । चतु गति नाटक में चार गति देव, मनुष्य, वर्णन किया गया है । यह जीव स्वयं जगत् रूपी नाटक का संसार परिभ्रमण करता रहता है। रचना अच्छी है तथा पठनीय है । ६८ संबोध संत्तारयतु दूहा (६७७६) यह वीरचन्द की रचना है जो संयोधनात्मक है । वीरबन्द का परिचय पहिले दिया जा चुंका है। भाषा एवं शैली की दृष्टि में रचना सामान्य है । स्तोत्र ६६ अकलंकदेव स्तोत्र भाषा (६७६४) Prat कलंक स्तोत्र संस्कृत का प्रसिद्ध स्तोत्र है और यह उसी स्तोत्र की परमतखंडिनी नास की भाषा टीका । इस टीका के टीकाकार चंपालाल बागडिया है जो झालरापाटण (राजस्थान) के निवासी थे। टीका विस्तृत Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( छतीस ) है तथा वह पद्यमय है । टीकाकाल संवत् १९१३ श्रावण सुदो ३ है। टीका की एक प्रति वदोके पार्चनाथ मन्दिर के मास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। ७० प्रादिनाथ स्तवन (६८०७) यह स्तवन तपागाछीय साधु सोमसून्दर सूरि के शिष्य मेहल द्वारा निर्मित है। इसका रचनाकाल संवत १४६ है भाषा हिन्दी एवं पद्य संख्या ४८ है। इसमें रासाकपुर के मन्दिर का सून्दर वर्णन किया गया है रचना ऐतिहासिक है। स्तवन का अन्तिम पद्य निम्न प्रकार है भगति करू' सामी तणी ए वह दरसरण दाण। चिहदिसि कीरति विस्तरी, ए धन धरण प्रधान । संवत बदनवागवद ए धुरि काती मासे । मेह कहन मह स्तवन कीज मनि रंगि लासे॥ ४०॥ इति श्री राणपुर मंडण श्री प्रादिमाय स्तवन संपुर्ण ।। ७१ भक्तामर स्तोत्र भाषा टीका (७१७३) भक्तामर स्तोत्र की हेमराज कृत भाषा टोका उल्लेखनीय कृति है । दि जैन मन्दिर कामा के खान भण्डार में २६ पृष्ठों वाली एक पाण्डुलिपि है जो स्वयं हेमराज की प्रति थी ऐसा उस पर उल्लेख मिलता है। यह प्रति संवत् १७२७ की है । स्वयं प्रथकार की पाण्डुलिपियों में इसका उल्लेखनीय स्थान है। ७२ मक्तामर स्तोत्र वृत्ति (७१८५) । भक्तामर स्तोत्र पर भ० रलचन्द्र को यह संस्कृत टीका है । टोका विस्तृत है तथा सरल एवं सुबोध है । अजमेर की एक प्रति के अनुसार इसकी टीका सिद्ध नदी के तट पर स्थित ग्रीवापुर नगर के पार्थनाप बस्यालय में की गई थी। टीका करने में थावक करमसी ने विशेष प्राग्रह किया था। ७३ वर्षमान विलास स्तोत्र (७२८७) प्रस्तुत स्तोत्र भट्टारक ज्ञानभूषण के प्रमुख शिष्य भ. जगभूषाण द्वारा विरचित है। इसमें ४०१ पद्ध है स्तोत्र विस्तृत है तथा उसमें भगवान महावीर के जीवन पर भी प्रकाश डाला गया है। पाण्डविपि अपूरणं है तया प्रारम्भ के ३ पत्र नहीं है फिर भी स्तोत्र प्रकाशन होने योग्य है। ७४ समवशरण पाठ (७३५४) संस्कृत भाषा में निबद्ध उक्त समवशरण पाठ रेखराज की कृति है। रेखराज कवि ने इसे कब समाप्त किया था इसके बारे में कोई उल्लेख नहीं मिलता है। रचना सामान्यतः अच्छी है। इसी तरह समवशरण मंगल महाकवि मायाराम का (७:५५) तथा समवसरण स्तोत्र (विष्णुसेन) भी इस विषय की उल्लेखनीय कृतियां है। Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( संतील ) पूजा एवं विधान साहित्य उक्त विषय के अन्तर्गत उन रचनाओं को दिया गया है जो या तो पूजा साहित्य में सम्बन्धित हैं अथवा प्रतिष्ठा विधान श्रादि पर लिखी गयी है। प्रस्तुत विषय की १६७५ पाण्डुलिपियों का परिचय इस भाग में दिया गया है ग्रंथ सूची के भाग में सबसे अधिक कृतियां इन्हीं विषयों की है । ये पूजाए' मुख्यतः संस्कृत एवं हिन्दी भाषा की है। पूजा साहित्य का मध्यकाल में कितना अधिक प्रचार था वह इन पाण्डुलिपियों की संख्या से जाना जा सकता है। इस विषय की कुछ अज्ञात एवं उल्लेखनीय रचनायें निम्न प्रकार है--- महिलसागर १ अकृत्रिम चैत्यालय पूजा २ अनलचतुर्दशी पूजा ३ ४ धनन्तनाथ पूजा मंडल विधान ग्रनन्तग्रत कथा पूजा ५ श्रनन्तव्रत पूजा ६ श्रनन्तव्रत पूजा उद्यापन e श्रष्टालिका व्रतोद्यापन पूजा द श्रादित्यवार व्रतोद्यापन पूजा कल्याण मन्दिर पूजा चतुर्दशी व्रतोद्यापन पूजा चौबीस तीर्थ कर पूजा Ĉ १० ११ १२ चतुविशंति तीर्थंकर पंचकल्याणक पूजा १३ जम्बूद्वीप पूजा १४ तोस चोबीस पूजा १५ त्रिकाल चतुविशंति पूजा १६ त्रिलोकसार पूजा १७ १८ दशलक्ष व्रतोद्यापन पूजा " १६ नन्दीश्वर द्वीप पूजा २० नन्दीश्वर द्वीप पूजा २१ पंच कल्यारक पूजा उद्यापन २२ पंच कल्याणक पूजा २३ पंच कल्याणक २४ पंच कल्याणक विधान २५ पद्मावती पूजा २६ पूजाष्टक २७ प्रतिष्ठा पाठ टीका २८ लघु पंच कल्याणक पूजा श चन्द्रा ललितकीर्ति पाण्डे धर्मदास सकलकीर्ति पं० नेमिचन्द्र जयसागर देवेन्द्रकीति विद्यानन्दि देवीदास जयकीति पं० जना पं० साधारण त्रिभुवनचन्द्र नेमीचन्द सुमतिसंगर म० ज्ञानभूषण पं० जिनेश्वदास विरधीचन्द गुजरमल ग प्रभावन्द वाविभूषण हरी किशन टोपण ज्ञान भूषण परशुराम हरिभान (७४६४) (७४६१) (७५०८) (७५१६) (७५१७) (७५३१) (७५५९) (७५७१) (७६४७ (७६८१) (७७२७) (७८४४) (७८६८) (७६२५) (७६४६) (७६६२) (७६७२) (८०६५) (८२२६) (८२३१) (८२३१) (८२४१) (६२४४) (८२८० ) (5350) (८४५२) (८६२३) ( ८७६०) संस्कृत 33 1, ३ 13 M " हिन्दी संस्कृत 2 *" हिन्दी संस्कृत संस्कृत "A हिम्दी संस्कृत 10 हिन्दी संस्कृत " ,; हिदी Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( मातीस ) २१ व्रत विधान पूजा ३२. बोटशकारण व्रतोद्यापन पूजा ३१ सम्मेदशिखर पूजा ३२. सम्मेदशिखर पुजा अमरचन्द सुमतिसागर ज्ञानचन्द रामपाल (१८७८) (२०१३) (११) (८६६८) हिन्दी संस्कृत हिन्दी गुटकासंग्रह ७६ सोता सतु (६१६६) यह कविवर भगौतीक्षास की रचना है जो बेहली के अपनश एवं हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। अजमेर के भट्टारकीय शास्त्र भण्डार में एक बडा गुटका है जिसमें सभी रचनायें भगौलीदास विरचित हैं। सीतासतु मी उन्हीं में से एक रथमा है जो दुसरे गुटके में भी संग्रहीत है। यह संवत १६८४ की रचना है कवि ने जो अपना परिचय दिया है वह निम्न प्रकार है गुरु मुनि महिंदसण भगौती, रिति पद पकज रेणु भगौती । , कृष्णदास पनि तनुज भगौती, तुरिय गह्मो वतु मनुज भगौती । , नगरि चूडिये वासि भगौती, जन्म भूमि चिर प्रासि भगों नी । । अप्रवाल कुल वसं लगि, पंडित पद निरखि भमि भगोती । सीतासातु को कुस' पद्य संख्या ७७ है । ७७ मृगी संवाद (६१६६} यह कवि देवराज को कृति है जिसे उन्होंने संवत् १६६३ में लिखी थी। संवाद रूप में यह एक सुन्दर काव्य है जिसकी पद्य सख्या २५० हैं। कवि देवराज पासचन्द सूरि के शिष्य थे। . ७८ रत्नचूटरास (१३००) . रनचूडरास संवत् १५०१ को रचना है । इसको पद्य संख्या १३२ है । इसकी माषा राजस्थानी है तथा काव्यत्व की दृष्टि से यह एक अच्छी रचना है । कवि अडतपगच्छ के साधु रत्नसूरि के शिष्य थे। ७६ बुद्धि प्रकाश (६३०१) धेल्ह हिन्दी के प्रच्छे कवि थे। बुद्धिप्रकाश इनकी एक लघ रचना है जिसमें केवल २७ पद्य है। रचना अपदेशात्मक एवं सुमाषित विषय से सम्बद्ध है। ८० वीरचन्द दूहा (६३६६) यह लक्ष्मीचन्द की कृति है जिसमें भट्टारक वीरचन्द के बारे में ६६ पद्यों में परिचय प्रस्तुत किया है। रचना १६ वीं शताब्दी को मालूम पड़ती है। यह एक प्रकाशन योग्य कृति है। . -- _. .. .. ... ... ...___.._. _. _. Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । उनतालीस ) ८१ अर्गलपुर जिन बन्दना (६३७१) . यह रचना मी कविवर भगकतीदास की है जो देहली निवासी थे । इसमें प्रागरे में संवत् १६५१ में जसने भी जिन मन्दिर एवं चैत्यालय थे उन्हों का वर्णन किया गया है। रचना ऐतिहासिक है. तथा “अर्गलपुर पट्टणि जिरण मन्दिर जो प्रतिमा रिमि गई" यह प्रत्येक पद्म की टेक है। प्रत्येक पद्य १२ पंक्ति वाला है। पूरी रचना में २१ पद्य है। आगरा में तत्कालीन श्रावकों के भी किसने ही नामों का उल्लेख किया गया है। एक उदाहरण देखिये.... साहु नराइनी करिउ जिनालय अति उत्तग धुज सोहह हो । गधकुटी जिन विब विराजल अमर खबर सोहा हो । जगभूषनु भट्टारक तिह थलि काम करि छमइ यो हो। श्रत सिद्धान्त उदधि बुधि गण हंस पंचम काल दिसिंद हो। . तिनि इकु प्रलोकु सुनायो मुख भानी रामपुरी धनि लोक हो। बिह सरवरि निस हंस विराअइ सोम खस घर स्लोक हो। नूप मगल उडि जाति जहां से तिह सरि सोभा नाही हो। . जानी अझ दानी जग मंडरग समुझि लखो मनमाही हो। समझि लखहि मन माहि समुरण जण सुनि वानी गुरु देवा । :: मुर सुम्बु देखि भर्भ पदु पावहि करहि साधु रिसि सेवा ॥१६॥ ८२ संतोष जयतिलक (९४२१) : यह बुचराज कवि का रूपक काब्य है जिसमें संतोष की लोम पर विजय का वर्णन किया गया है। संतोष के प्रमुख अंग हैं शील, सदाचार, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र, वैराग्य, तप, करुणा क्षमा एवं संयम । लोम के प्रमुख अंगों में मान, क्रोध, मोह, माया कलह नादि है । कवि ने इन पात्रों की संयोजना करके प्रकाश और प्रम्पकार पक्ष की मौलिक सद्भावना प्रस्तुत की है। इसमें १३१ गदा हैं जो सारिक, रह रंगिक्का, माथा, दोहा, पद्धडी, भडिल्ल, रासा, आदि छन्दों में विभक्त है। इस काव्य की एक प्रति वि० जैन मन्दिर नेमिनाथ बूंदी के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। ३ चेतन पुद्गल धमालि ९४२१) यह कवि का दूसरा रूपक काव्य है । वैसे तो कवि का 'मयपजुझ अत्यधिक प्रसिद्ध रूपक काव्य है। लेकिन भाषा एवं शैली की दृष्टि से वेतन पुद्गल श्रमालि सबसे उत्तम काम्य है। इसमें कवि ने जीव और पुद्गल के पारस्परिक सम्बन्धों का तुलनात्मक वर्णन किया है । वास्तव में यह एक संवादात्मक रूपक काव्य है। जिसके जश एवं जीव दोनों नायक है । काव्य का पूरा संवाद रोचक है तथा कवि ने उसे बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है। इसमें १३६ पद्य हैं जिनमें १२१ पञ्च दीपक राग के सथा ५ पद्य प्रष्ट छप्पय छन्द के हैं। रचना में रचनाकाल का उल्लेख नहीं है । अन्तिम पद्य निम्न प्रकार है जे वचन श्रीजिरण पीरि मासे, तास नित धारह हीया ।' इव भणइ बूचा सदा निम्मल, मुकति सरूपी जिया ॥ .:. Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ I ( बालीस ) ८४ श्राराधना प्रतिबोधसार (६६४९) यह कृति भ० विमलकीति की है जो संभवतः भ० सफलकीति के पश्चात् गादी पर बैठे थे लेकिन अधिक दिनों तक उस पर टिके नहीं रह सके। इस कृति में ५५ छन्द है कृतिना पर अच्छी सामग्री प्रस्तुत करती है। इसकी भाषा अपभ्रंश मय है । 1 ८५ सुकौशल रास (१६४९) हो हो अप्पा गुण गंभीर हो, परमध्या परमवछेद परमप्पा देवल देव, हो, श्रप्पा संयम जाण । अप्पा शिव पद वार ।।५१|| परमणा अकल प्रभेद इस जारी मप्या सेव । ५२ ।। मह सांसू कवि की रचना है जो प्रमुख रूप से चौपई छन्द में निबद्ध है। प्रारम्भ में कवि का नाम सांगु भी दिया गया है। इसी तरह कृति का नाम भी "सुकोमल रास च दिया है। कवि ने धपने नामोल्लेख के पतिरिक्त अन्य परिचय नहीं दिया है और न अपने गुरु परम्परा का ही उल्लेख किया है। राम की भाषा सरस एवं मुबोध है। एक उदाहरण देखिये- भजोध्या नगरी प्रति मली. उत्तम कहीइ ठाम । राज करि परिवार सु, कीसि बबल तस नाम ।।१०।। तस पारि राणी रूपी रूपयंत सुद से सहि देखी नामि सुग्गु भक्ति मरतार विवेक ॥१११ ८६ बलिभद्र चौपई (९६४६) यह चीप काव्य ब्रह्म शोवर की कृति है जिसमें हालाका महापुरुषों में से बलिभद्रों पर प्रका डाला गया है। इसका रचना काल सवत १५८५ है । स्कंध नगर के प्रजित नाथ चैत्यालय में इसकी रचना की गयी थी । व० यशोधर म० रामदेव के अनुक्रम में होने वाले भट्टारक यशः कीर्ति के शिष्य थे । चपई में १०६ पद्य है । संवत पनर पच्यासई, स्कंत्र नगर मारि । भवणि प्रजित जिनवर र ए गुण गाया सार ॥१८॥ ८७ यशोधरस (१६४६) यह सोमकीति का हिन्दी काव्य है जिसमें महाराजा यशोधर के जीवन पर प्रकाश डाला गया है । रचना गुढली नगर के शीतलनाथ स्वामी के मन्दिर में की गयी थी । सारा काव्य दश ढालों से जिभक्त है । ये डा एक रूप से सर्ग का ही काम देती है इसकी भाषा राजस्थानी है जिसमें कहीं कहीं गुजराती के शब्दो का भी प्रयोग हुधा है। रास की संवत १६०५ की पाण्डुलिपि दीनगर के मन्दिर केगुटके में उपलब्ध होती है। + Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " इकतालीस ) ६० खूनड़ी. ज्ञान खूनडो भावि (६७०८) चूनडी एवं ज्ञान चूनही पद संग्रह, नेमि व्याह पच्चीसी, बारहखड़ी एवं शारदा लक्ष्मी संवाद प्रदि सभी रचनायें बेगराज कवि की हैं। कवि १६ वीं शताब्दी के थे । ६१ मेमिनाथ को छन्द (६६२२) 'नेमिनाथ को छंद' कृति हेमचन्द्र की है जो श्रोभूषण के शिष्य थे। इसमें नेमिनाथ का जीवन चित्रित किया गया है। राव विभक्त छन्दको भाषा संस्कृत निष्ठ है लेकिन वह सरल एवं सामान्य है । इसकी पथ संख्या २०५ है । रचना प्रकाशन होने योग्य है। ८ शालिभद्ररास (६६७८) यह धावक फकीर की रचना है जो वधेरवाल जाति के खंडीय्या गोत्र के श्रावक थे। इसका रचना 'काल संवत् १७४३ है १ रास की पद्य संख्या २२१ है । रचना काल निम्न प्रकार दिग्रा सा है 1 f ग्रहो संवत् समरासै मास बैसाख पूरि जोग नीखतर सब भल्या मिल्या पूरणवास रखते अनरण अहो सगली मन की पूगजी प्रास सालिभद्र गुप चरणउ ।।२२१|| वरस सोशल । प्रतिपाल । गुडामभी। राजई । ८६- मुराष्ठागा गोल (६६८३) गुणठाणा गीत ( गुणस्थान गीत ) बा बर्द्धन की कृति है जो शोभाचन्द सूरि के शिष्य थे । गीत बहुत छोटा है और १७ छन्दों में ही समाप्त हो जाता है। इसमें गुरणस्थान के बारे में अच्छा प्रकाश डाला गया है। भाषा राजस्थानी है । ६२ पद (६६३६) यह एक मुसलिम कवि की रखता है जिसमें नेमिनाथ का गुणानुवाद किया गया है। नेमिनाथ के atre पर किसी मुसलिम कवि द्वारा यह प्रथम पद है । कवि नेमिनाथ के जीवन से परिचित ही नहीं था किन्तु बह उनका मक्त भी था। जैसा कि पद की निम्न पंक्ति से जाना जा सकता है - छपन कोटि जादो तुम सीन लोक तेरी खान मुहम्मद करत राखिने शरण मुकुट मनि । करत सेवा | ही बीनती । देवाभिदेवा || ६ | Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( बियालीस) ६३ धनकुमार चरित (१०,०००) ": :न्यकुमार भरिउ महाकवि रहव की कृति है । रइधू अपभ्रंश के १५ वीं शताब्दि के जबरदस्त महा कवि थे। अब तक इनकी २० से भी अधिक रचनायें उपलब्ध हो चुकी हैं । धन्यकुमार चरित इसी कवि की रचना है जिसकी पाण्डुलिपि कामा के दि. जैन मन्दिर के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। ६४ तोध कर माता पिता वर्णन (१०१३७) . यह संवत् १५४८ फी रचना है जिम में १. पद हैं। इसके कवि है हेमलु जिसके पिता का नाम जिनदास एवं माता का नाम बेल्हा था। वे योलापूर्ण जाति के वणिक थे। इसमें २४ तीर्थ करों के माता पिता, शरीर, भायू आदि का वर्णन मिलता है 1 वर्णन के भाषा एग शैली सामान्य है। यह एक गुटके में संग्रहीत है जो जयपुर के लश्कर के दि. जैन मन्दिर में संग्रहीत है। . १५ यशोधर चरित (१०१८१) मनसुखसागर हिन्दी के अच्छे कवि थे । इनका सम्मेदशिखर महात्म्य हिन्दी कृप्ति पहिले ही मिल चुकी है। प्रस्तुत कृति में यशोधर के जीवन पर वर्शन किया गया है। यह संवत् १८५७ की कृति है। इसी संवत् की एक प्रति शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर फतेहपुर में संग्रहीत है । यह हिन्दी की अच्छी रचना है। मनसुखसागर को अभी और भी रचना मिलने की संभावना है। ६६ गुटका (१०२३१) दि. जैम अग्रवाल मन्दिर उदयपुर में एक गुटका पत्र संख्या १८-२९८ है। यह गुटका संवत् १६११ से १६४३ तक विभिन्न वर्षों में लिखा गया था। इसमें १९८ रचनामों का संग्रह है। गुटका के प्रमुख लेखक भट्टारक श्री विद्याभूषण के प्रशिष्य एवं विनयकीति के शिष्य न. धन्ना ये इसमें जितनी भी हिन्दी कुतियां है वे समी महत्वपूर्ण एवं अप्रकाशित हैं। उन्हें कवि ने भिरि, देवपल्ली नगरों में लिखा था। गुटके में कुछ महत्वपुर्ण पाठ निम्न प्रकार है-. ... १ जीयंघररास निबनकीति रचना काल संवत् १६०६ २. श्रावकाचार प्रतापकीति ३ सुकमाल स्वामीरास धर्मरूचि - ४ बाहुबलिवोलि . शांतिदास ५ सुकौशलरास सांगु ६ यशोधरवास सोमकीति ७ भविष्यदत्तरास विद्याभूषण । । । । । । ६७ सट्टारक परम्परा गरपुर के शास्त्र भण्डार में एक गुटका है जिसमें १४७१ से १८२२ तक भट्टारक सकलकीति की परम्परा में होने वाले भट्टारकों का विस्तृत परिचय दिया गया है। मन प्रथम पागड देश के अभच राज्य में Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( तियालीस । होने वाले देहली पट्टस्य मट्टारक पनचन्द से परम्परा दी गयी है। उसके पश्चात् भ. पमनाम्द एवं उसके पश्चात् भ० सालकीर्ति का उल्लेख किया गया है । भ. सकलकोति एव भुवनकीति के मध्य में होने वाले भ. विमलेन्द्रकीर्ति का भी उत्सव हुमा है । पट्टावली महत्वपूर्ण है तथा कितने ही नये तथ्यों को उद्घाटित करती है। ६८ भट्टारक पट्टावलि (६२८६) उदयपुर के संभवनाथ में ही यह एक दूसरी पट्टावली हैं जिसमें जो १६६७ मार्गशीर्ष सुदी ३ शुक्रवार से प्रारम्भ को गयी है इस दिन पं० क्षमा का गाना था लोभनमारम देवेन्टकीति के पश्चात् भटटारक बने थे। इसके पश्चाइ विभिन्न मगरों में बिहार एवं घालुसि करते हुए, श्रावकों को उपदेश देते हुए सन् १७५७ को मार्गशीर्ष बुदी ४ के दिन अहमदाबाद नगर में ही स्वर्गलाभ लिया। उस समय उनको पायु ६० वर्ष की थी। . पूरी पट्टावली क्षमेन्द्रकोति की है। ऐसी विस्तृत पट्टावली बहुत कम देखने में प्रायी है। उनकी ६० वर्ष । जो जीवन गाथा कही गयी है वह पूर्णतः ऐतिहासिक है। १६ मोक्षमार्ग बावनी (१५६३) यह मोहनदास की बावनी है । मोहनदास कौन थे तथा कहां के निवासी थे इस सम्बन्ध में कवि ने कोई परिचय नहीं दिया है । इसमें सौय्या, दोहा, कुडलिया एवं छप्पय प्रादि छन्दों का प्रयोग हमा है। मावनी पूर्णतः आध्यात्मिक है तथा भाषा एवं शैली की दृष्टि से रचना उत्तम है। है नाही आमैं नहीं, नहिं उताति विनास । सो प्रभेद प्रातम दरब, एक भाव परगास ।। १३ ।। चित थिरता नहि मेर सम.अधिरज पत्र समान ।। ज्यो तर सन झकोलतं ठोर न तजत सुजान ।। १४ ॥ १०० सुमतिनाथ पुराण (३१०४ ) दीक्षित देवदत्त संस्कृत एवं हिन्दी के अनछ विद्वान थे। उनकी संस्कृत रचनाओं में सगर चरित्र, सम्मेदशिखर महात्म्य एवं सुदर्णन चरित्र उल्लेखनीय रचनायें है। सुमतिनाथ पुतरण हिन्दी कृति है जिसमें पांचवे तीर्थकर सुमतिनाथ के जीवन पर प्रकाश डाला गया है । इसमें पांचं प्रध्याय है। कपि जिनेन्द्र भूधरण के शिष्य थे । पुराण के बीच में संस्कृत के इलोकों का प्रयोग किया गया है। अथ सची के सम्बन्ध में प्रस्तुत ग्रंथ सूची में योस हजार से भी अधिक पाण्डुलिपियों का वर्णन है । जिनमें भूल प्रब ५०५० हैं। ये प्रथ सभी भाषामों के हैं लेकिन मुख्य भाषा संस्कृत, प्राकृत एवं हिन्दी है। प्राकृत भाषा के मी उन ही ग्रंथों की पाण्डुलिपियां हैं जो राजस्थान के अन्य भण्डारों में मिलती है । अपभ्रश को बहुत कम रचनायें इस सूची में आयी हैं । अबमेर एवं कामा जैसे ग्रंथागारों को छोड़कर अन्यत्र इस भाषा की रचनायें बहुत कम मिलती है Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( पचालीस ) संस्कृत भाषा में सबसे अधिक रचनायें स्तोष एवं पूजा सम्बन्धी हैं। बाकी रचनायें वही सामान्य हैं। समयसार पर संस्कृत भाषा की जो तीन संस्कृत टीकाएं उपलब्ध हई है और जिनका ऊपर परिचय भी दिया जा चुका है वे महत्त्वपूर्ण है। कन स पन. चार जी की प्रामा दुई हैं। वस्तुतः अब तक जो हिन्दी जैन माहित्य प्रकाश में आया है वह तो ग्रय सूची में वाणा साहित्य का एक भाम है। अभी तो संकड़ो ऐसी रचनाय हैं जिनका विद्वानों को परिचय भी प्राप्त नहीं हुआ है और जो हिन्दी की महत्वपूर्ण रचनायें हैं। संकड़ों की संख्या में गीत मिले हैं जो गुटकों में संग्रहीत हैं। इन गीतों में नेमि राजुल गीत पर्याप्त संख्या में हैं। इनके अतिरिक्त हिन्दी की अन्य विधाओं की भी रचनायें उपलब्ध हुई हैं वास्तव में जैन विद्वानों ने काव्य के विभिन्न रूपों में अपनी रचनायें प्रस्तुत करके अपनी विद्वत्ता का ही प्रदर्शन नहीं किया किन्तु हिन्दी को भी जनप्रिय बनाने में अत्यधिक योग दिया। य सूची के इस विशालकाय भाग में बीस हजार पाण्डुलिपियों के परिचय में यदि कहीं कोई कमी रह गयी हो अथवा लेखक का नाम रचनाकाल प्रादि देने में कोई गल्ती हो गयी हो तो विद्वान उन्हें हमें सूचित करने का कष्ट करेंगे । जिससे मविष्य के लिये उन पर ध्यान रखा जा सके। शास्त्र भण्डारों के परिचय हमने उनकी सूची बनाते समय लिया था उसी प्राधार पर इस सूची में परिचय दिया गया है। हमने समी पाण्डसिपियों का अधिक से अधिक परिचय देने का प्रयास किया है। सभी महत्वपूर्ण संथ एक लेखक प्रशस्तियां भी दे दी गयी है जिनकी संख्या एक हजार से कम नहीं होगी। इन प्रशास्तियों के आधार पर साहित्य एवं इतिहास के कितने ही नये तथ्य उद्घाटित हो सकेंगे तथा राजस्थान के कितने ही विद्वानों, थावकों एजशासकों के बम्बाव में नवीन जानकारी मिल भ केगी। राजस्थान के विभिन्न नगरों एवं ग्रामों में स्थापित कुछ भण्डारों को छोड़कर शेष की स्थिति अच्छी नहीं है और यही स्थिति रही तो थोड़े ही वर्षों में इन पाण्डुलिपियों का नष्ट होने का भय है। इन भण्डारों के व्यवस्थापकों को चाहिये कि वे इन्हें व्यवस्थित करके वेष्टनों में बांधकर विराजमान कर दें जिससे वे भविष्य में खराब भी नहीं हों और समय २ पर उनका उपयोग भी होता रहे। महावीर भवन जयपुर दिनांक २५-१२-७१ कस्तूरबग्द कासलीवाल अनुपचन्द न्यायतीर्थ Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कतिपय अज्ञात एवं अप्रकाशित ग्रंथों को नामावलि क्रम संख्या अथ सूची क्रमांक प्रय नाम प्रकार भाषा हिन्दी १ २ ६७६४ ५५६२ ४२२३ ६ ७ ४२२६ ४२५१ चंपालाल बाटिया न्यामतखां ब. जिनदास रत्नभूषण जयसागर पदमराज गंगाराम अ० जिनदास भगवतीदास ल. जिनदास मेहाउ अजिनदास सकनकीति विजयकोलि . १० ९३७१ ६१३५ ७८०७ संस्कृत 02.26%E07 अकलंकादेव स्तोत्र भाषा अजीर्ण मंजरी अजितनाथ रास अनिरूद्ध हरण (उषाहरण) अनिरूद्ध हरण नभयकुमार प्रबन्ध यादित्यवार कथा अठाईस मूलगुणरास अर्गलपुर जिनधन्दना प्रादिपुराण रास आदिनाथ स्तवन प्रादिपुराण रास . यमन्तव्रत पूजा च्यापन कथा संग्रह कर्मविपास मुत्र चोपई कर्मविपाक रास क्रियाकोश भाषा कर्मविपाक सस करकण्डुनोरास्त्र गुण विलास गुणठाणागीत चतुर्दशी व्रतोद्यापन पूजा चौबीस तीर्थ कर पूजा चतुरचितारणी चतुर्गतिरास चतुर्गति नाटक चन्द्रप्रभ स्वामीनो विवाह चौदह गुणस्थान वश्चनिका चौवीस गुणस्थान पर्चा ६६६ दौलतराम कासलीवात बजिनवास : :: : : १९५८ ६६८३ ७६८१ ७७२७ १०५८ नथमल बिनाला ब्रह्म बर्सन विद्यानन्द देवीदास दौलतराम कासलीवान कीरचन्द डालूराम नरेन्द्रकीति प्रखगराज गोविन्दराम ६५०४ ४३२६ ३३२ : :: : Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( छियासीस ) कम संख्या नप सूची क्रमांक ग्र पनाम ग्रयकार भाषा हिन्दो ३. १०२३६ ७८६६ ३३५८ रइधू संस्कृत अपभ्रंश हिन्दी हिन्दी ਵਿਈ ३८ ६१५७ . ६१५३ ४. ५१५४ ४१ २०५५ ४२५३० संस्कृत ४४ १.१३७ ४५ १०.००० ४६. ३४६६१ ४७ ६१६५ चारदत्त प्रबन्धरास 4. जिमदास चेतावएपी नथ रामवरण चेतन पुद्गल धमालि व० खुचराज चूनडी एव ज्ञान चूनही वेगराज जम्बूद्वीप पूजा पं. जिनदास जीवंभर चरित जीदंधर चरित दौलतराम कासलीवाल जीवंधर चरित्र प्रब भ. यश कीति सीनघर गस 4. जिनदास जम्बूस्वामीरास ७० जिनदास नविमल ज्ञानार्गव गद्य टीका ज्ञानचन्द तत्वार्थ सूत्र भाषा साहिवराम पाटनी त्रिभंगी सुबोधिनी टीका प्राशापर तीर्थकर माता पिता वर्णन हेमलु धनकुमार चरित्र . रयू धर्मधर्माभ्युदय टोका यश:क्रीनि धर्मपरीक्षा रास बजिनदास ध्यानामृरा रास अ. करमसी नागकुमार रित नवमल बिन्नाला नयकार रास म. जिमदास नागकुमार रास ब्र० मिनदास नेमीश्वररास नागश्री रास नेमिनाथ को छन्द हेमचन्द परमात्मप्रकाश भाषा बुधजन परमात्मप्रकाश टीका बाजीवराज पद्मचरित टिप्परण श्रीचन्द मुनि पाव चरित्र तेजपाल पानीगाला गस अ. जिनदास पुरारपसार सागरसेन परमार्थासक भगवतीदास परमहंस रास अ. जिनदास ब्रह्म बावनी निहाल चन्द संस्कृत हिन्दी अपभ्रश संस्कृत हिन्दी ३४८० हिन्दी .MM xxx .. MAK हिन्दी २०७१ .५६ १०१२० ३०१३ हिन्दी सस्कृत अपभ्रश हिन्दी संस्कृत हिन्दी हिन्दी Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ { संतालीत ) क्रम संख्या मंथ सूची क्रमांक हाश पथकार अंय नाम . . ...... : ६४ १६४९ धेल्ह . ७१०५ 20. orm हिन्दी हिन्दी हिन्दी ६१६४ १५६३ ३८२४ हिन्दो हिन्दी ८०६६४६ ८१ १०१८१ ८२ ६३०० ३०८ बलिभद्र चौपई द्र० यशोवर बाहुबलिबेलि प्रालिदास .. बारा मारा महाचौपाई बंध ब्र यशोधर, .. बुद्धि प्रकाश मक्तामर स्तोत्र भाषा टीका हेमराज भक्तामर स्तोत्र वृत्ति म. रतनचन्द. भट्टारक परम्परा भट्टारफ पट्टावलि भविष्यदत्त रास विद्याभूषण भोजचरित्र भवानीदास व्यास मृगीसंवाद देवराज भोजमायावती मोइनाम मुक्ति स्वयंबर वेसीचन्द यशोधर चरित्र देवेन्द्र यशोधर रास व.जिनदास यशोधर रास सोमकीति यशोधर चरित मनसुखसागर रत्नचुरास रत्नपालप्रवन्ध श्रीपति . .. रामरास • जिमंदास रामचन्द्ररास रामरास माधवदास वचनकोश बुलाकीदास वसुनन्दि श्रापकावार भाषा ऋषभदास बर्द्धमानपुराण भाषा नवलराम . वर्द्धमानपुराण नबलशाह बर्धमानरास ० जिनदास रिचन्द दूहा लक्ष्मीचन्द विक्रम चरित्र पौपई बसुनन्दि श्रावकाचार माषा वृहद तपागच्छ पट्टावली बर्थमान विलास स्तोत्र में जगभूषण शांतिपुराण पं. प्राशापर शांतिनाथपुराण हिन्दी ५५ ६२०४ 9 ..MY ३०७० ६२०७ हिन्दी हिन्दी ३६३१ भाउ संस्कृत ६२६८ ७२८७ संस्कृत हिन्दी Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( प्रनतालीस ) प्रय नाम क्रम संख्या मच सूचीमा ग्रंथकार ९ १०. ३९६५ १३७८ हिन्दी १०२ १०२३१ शांतिनाथ चरिय भाषा मालिभद्ररास वावकाचार श्रावकाचार श्रीपानचरित्र श्रेणिक चरित्र কিন্তু श्रुतकेवलीरास समयसार टीका समयसार टीका समयसार सि सम्यक्त्व को दी समवसरणपाठ सेवाराम पाटनी फकीर प्रजिनदास प्रतापकात्ति अ बन्दसागर दौलतराम कासलीवास कल्याणकीसि प्र.जिनदास भ० शुभचन्द्र देवन्ट्र कोनि १०६ संस्कृत १२२३ २२८७ २३०६ २३०३ ४:२८ प्रभाषन्द्र हिन्दी ६७७६ ११४ ११५ सकलकोसिनुरास संबरेप संतागदहा स्वरोदय संतोष तिलक जयमाल सामायिक पाठ भाषा सुकौशखराप्त ११७२५२१ ११८ ६२३५ ११९११४९ १२० ३१.४ १२१ ४१५६ १२२ १०२३१ १२३ १०२३१ १२४ १७६१ जगतराय रेखराज मायाराम व० सामल वीरचन्द मोहनदास युचराउ श्यामराम वेणीदास सांग दीक्षित देवदत जैनन्द समावि ग्र जिनदास जोधराज कासलीवाल देवीसिंह मुनि शुभचन्द्र सुमतिनाथ पुराण सुदर्शन चरित्र भाषा सुकुमास स्वामी राम सुदर्शन रास सुखविलास पद पाहुए भाषा होली कथा १२६ ४६.. हिन्दी Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारी ग्रंथ सूची-पंचम भाग विषय-मागम, सिद्धान्त एवं चर्चा १. अनुयोगद्वार सूत्र--x । पत्र संख्या ५६ । भाषा-प्राकृत । विषय-पागम | रचना - काल ४ । लेखन काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुरः । विशेष—यह पांच भूल सूत्रा में से एक सूत्र है। २. अर्थप्रकाशिका-सवासुख कासलीवाल । पन सं० ४६८ । प्रा० १५४७१ इञ्च । भाषा-राजस्थानी (बहारी गद्य)। विषय-सिद्धान्त । रचना काल सं० १९१४ वैशास्त्र सुदी १० । लेखन काल X । पूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । बेष्टन सं० १। विशेष- इसका रचना कार्य सं० १६१२ में प्रारम्भ हुआ था । यह तस्वार्थसूत्र पर सदासुस्त्र जी की वृहद् गध टीका है। ३. प्रति सं० २। पत्र सं० ३६५ । ले. काल सं० १९२६ वैशाख सुदी ११ । पूर्ण। धेष्टन सं० २ प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मंदिर । ४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४१६ । प्रा० १२४७१ इन्च । ले० काल X । पूर्ण । प्राप्ति स्थानदि. जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर, अलवर । वे० सं० १४३ । ५. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ३७६ । प्रा० १३४६१ इञ्च । ले० काल सं० १९६१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर महावीर, दी। ६. प्रति सं०५ । पत्र सं० २८६ । मा० १०१x६ इञ्च । ले. काल सं० १६५० वैशाख बुढी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्नि स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ, टोडारायसिंह । ७. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ३२१ । पा० ११३४७१ इच। ले. काल सं० १९३७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७७ । प्राप्ति स्थान--पार्श्वनाथ दि जैन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) । विशेष—गणेशलाल पाण्ड्या चौधरी चाटसू वाले ने प्रतिलिपि कराई। पुस्तक साह भैरूबगसजी कस्य धन्नालाल जी इन्द्रगढ़ वालों ने मथुरालाल जी अनदाल कोटा वालों को मारफत लिखाई । ६. प्रति सं० ७। पत्र सं० ३१२ । पा. १२४७६ इन्च । लेखन काल सं० १९३३ कार्तिक बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर बनाना । Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-श्रावक माधोदास ने इसी मन्दिर में अन्य को चढ़ाया था। ६. प्रति सं० ८ । पत्र सं० ६१६ । प्रा० १.१४७ इ । लेखन काल x। पूर्ण 1 वेष्टन संख्या ५६ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन छोटा मन्दिर बयाना । १०. प्रति सं० । पत्र संख्या १६३ । प्रा० १२३४७ दच । लेखन काल १६३० । पूर्ण । वेशन संस्मा ५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा । ११. प्रति सं० १० प संख्या १२१ । भा०१०४६३ इञ्च । लेखन काल संवत् १९५५ सावरण सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन संख्या ४१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटियोंका नणवा , १२. प्रति सं० ११ । पत्र सं० १०१। लेखन काल सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन संख्या ८५ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष-~-रिखबदास जैसवाल रहने वाला हवेली पालम जिला दिल्ली वाले ने प्रतिलिपि कराई थी । १३. प्रति सं० १२ । पत्र संख्या १०६ | प्रा. ११६४५१ इञ्च । लेखन काल सं० १९४० भादवा बुदी है। पूर्ण । वेष्टन संख्या ४६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष--रिखबचन्द बिन्दायक्पा ने प्रतिलिपि की थी तथा संवत् ११६६ कार्तिक कृष्णा ८ को लश्कर के मंदिर में विराजमान किया था। . १४. अर्थसंदृष्टि-x। पत्र संख्या ५ । आ० १२४४ इञ्च। भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय-. भागम । र० काल x । लेखन काल X । अपूर्ण । वेष्टन संख्या २१२ । ६५५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । १५. श्रागमसारोद्धार-देवीचन्द । पत्र संख्या ८० । प्रा० ८१४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । र० काल सं१७४६ । लेखन काल XI पूर्ण । वेष्टन संख्या ३७० 1 प्राप्ति स्थान-- दि. जैन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर । विशेष--गुटका के रूप में है । टीका का नाम सुखबोध टीका है। १३. प्रति सं० २। पत्र संख्या १६ । आ० १०४५ इञ्च । लेखन काल X । वेष्टन संख्या १६९/१२६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) इति श्री खरतरगच्छे श्री देवेन्द्रचन्द्रमणि विरचिता श्री अागमसारोद्वार बालावबोध संपूर्ण । . १७. अन्तगडवसानो-x। पत्र संख्या २१ । प्राकार १०x४३ इञ्च । भाषा--प्राकृत विषय-आगम । रचना काल X । लेखन काल X । पूर्ण । वेष्टन संख्या ५३६ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष—इसका संस्कृत में अन्तकृद्दशासुत्र नाम है । यह जैनागम का पाठयां अङ्ग है । १८. 'अन्तकृतदशांग वृति-४ । पत्र सं ८ । प्रा० १.१४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषम-मागम 1 र. कालX । लेखन काल सं० १६७५ । पूर्ण । वेटन सं० ८६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष---- प्रशस्ति निम्न प्रकार है-सं० १६७५ बर्ष शाके १५४० प्रवर्तमाने प्राविनिमासे शुक्ल Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं धर्धा ] पक्षे पूर्णमास्यां तिथौ मुधवात श्री चन्द्रगच्छे श्री हीराचन्द हरि शिष्य गंगादास लिखितमलं । १६. प्राचारांग सत्र-x पत्र सं० २८ । आ० १०४४३ इञ्च । भा. पाकृत । विषयआगम । र० काल X । लेखन काल X। पूर्ण । वेष्टन संख्या २०६ । प्राप्ति स्था....: जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। विशेष—प्रति प्राचीन है कहीं कहीं हिन्दी टीका भी है । प्रथम श्रुतरह: :: है। प्राचारांगसूत्र प्रथम आगम ग्रन्थ है। २०. प्रति सं० २ । पत्र संख्या ५ । लेखन काल X1 वेष्टन सं० ६६८। प्राप्ति स्थान20 जैन पंचायसी मभिर, भरतपुर। २१. प्राचारांग सूत्र वृत्ति-अभयदेव सूरि । पत्र सं० १-१६५ । हाल १०६.४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-आगम । र. काल X । लेखन काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. २५३ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मंदिर अभिनन्दन रवामी, दी। विशेष-प्रति प्राचीन है पर बीच के कितने ही पत्र नहीं हैं । २२. प्राचारांग सूत्र वृत्ति-X । पत्र सं० १०० । प्रा० १०३४१ इञ्च । भाषा-प्राकृत हिन्दी ! विषय-आगम | र० काल-X । ले. काल-x। पूर्ण। वे. सं. १५२। प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर प्रादिनाथ, दी। २३. यावश्यक सूत्र ... पत्र सं०.-.-१० से ४४ । भाषा-प्राकृत । विषय-पागम । रचना काल४ । लेखन काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं०७४१ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष—इसका दूसरा नाम षडावश्यक सूत्र भी है । प्रय में प्रतिदिन पाली जानी योग्य कियाओं का वर्णन है। २४. आवश्यक सूत्र नियुक्ति ज्ञान विभव सूरि—पत्र संख्या-४४ । भाषा-संस्कृत । विषयमागम । रचना काल-X । लेखन काल-सं० १८८३३ पूर्ण । वेष्टन सं० ६३७ । प्राप्ति स्थान--दि० चन पंचायती मन्दिर, भरतपुर २५. पाश्रव त्रिभंगी-नेमिचन्द्राचार्य–पत्र सं० २-३२ 1 मा. १०४४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय- सिद्धांत । र. काल । ले. काल ४ । अपूर्ण । वे. सं. ३०८ । प्राप्ति स्थान-दि, जैन मन्दिर दीवानजी, कामा। विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। २६. प्रति सं. २. । पत्र सं० १० । प्रा. १२४५३ च । ले. काल । ४ ० ० ६३३ । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लशकर, जयपुर । विशेष-प्रति टीका राहित है। : २७. अति सं. ३. । पत्र सं. ८७ । प्रा० १२४६ इञ्च । ले० काल ४ । अपूर्ण । ये. सं. १४८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ, बूदी। . विशेष-७ से आगे के पत्र नहीं है । २८. प्रति सं. ४. । पत्र सं. ६० । आ० १३४५६ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० १३१ (२) प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-अन्तिम पुष्पिका-इति श्रीनेमिचन्द्रसिद्धान्त चक्रवर्तीविरचितायां श्री सोमदेव पण्डितेन कृत टीकायां श्रीमाश्रवबंधउदय उदीरण सत्व प्रभृति लाटी भाषायां माता । प्रति सटीक है । टीकाकार पं० सोमदेव है। २६. इक्कीस ठाणाप्रकरण-नेमिचंद्राचार्य । पत्र सं०७ । मा०-१०x४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत विषय-सिद्धान्त 1 10 काल X । ले० काल सं० १५२० 1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चोगान, दी। विशेष-नरपसागर ने प्रतिलिपि की थी। ३०. प्रति सं २.। । १४ । . . ! नाल ४ ! । वे० सं० १८६ प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर लशकर, जयपुर । ३१. प्रति सं. ३. । पत्र सं० ८ । आ. १०x४ इच। लेखन काल ४ । पूर्ण 1 वे० सं०६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ३२. उक्तिनिरूपण-४ । पत्र सं० २१ । मा० १०.४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयप्रामम । र० काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । बे० सं० १७६ । ५१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पाश्वनाथ मन्दिर, इन्दरगढ़ । ३३. उत्तरप्रकृतिवर्णन-x | पत्र सं० १२ । आ०-१०४७१ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-सिद्धान्त 1 र. काल-४ । ले० काल-४ । पूर्ण । वे० सं० १३७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी, बूंदी। विशेष पं० विरधीचन्द ने स्वपठनार्थ सुदारा में प्रतिलिपि की थी। ३४. उत्तराध्ययन सत्र-x पत्र सं०३६ । प्राकार-१०५४३ चा भाषा-प्राकृत । विषयपागम शास्त्र । २० काल । ले. काल । पूर्ण 1 वे० सं० ३३२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना ( दी। विशेष - प्रति जीर्ण है । गुजराती गद्य टीका सहित है । लिपि देवनागरी है । ३५. प्रति सं. २ । पत्र संख्या-७ । भाषा-प्राकृत । लेखन काल-x। पूर्ण । वेष्टन सं० ७१६ । प्राप्ति स्थान-दायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-वीसवां अध्याय संस्कृत छाया सहित है। ३६. उत्तराध्ययन टोका-५ । पत्र सं. ११४ । पा०१०x४, इच। भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय-पागम । २० काल x। ले. काल x अपूर्ण । वे० सं० ५४४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३७. प्रति सं. २ । पत्र सं० ७६-२२८ । प्रा० १०.४५. इस । ले. काल x 1 अपूर्ण । दे. सं० ११२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली, कोटा । विशेष-प्रति प्राचीन है। ३८. उत्तराध्ययन सूत्र बृत्ति-x | पत्र सं.२-२१६ । भाषा-संस्कृत । विषय-भागम । । काल-X । ले. काल -x । अपूर्ण । वे० सं० ४५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] विशेष-बीच के बहुत से पत्र नहीं है । ३६. उत्तराध्ययनसूत्र बलावबोघटोका-४ । पत्र सं. २-२०५ । आ० १०४५ इञ्च । भाषाप्राकृत-संस्कृत । विषय--प्रागम । र. काल । ले. काल । सं० १६४१ कार्तिक सुदी १३ । अपूर्ण । वे. सं० ३१६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति- संवन १६४१ वर्षे कार्तिक सुदी १३ वारसोमे श्री जैसलमेरमध्ये लिपिकृता श्रावकेः ऋषि श्री ज्येठा पठनार्थ । ४०. उत्तराध्ययन सूत्र बालावबोध टीका ५ । पत्र सं० २१६ । श्रा०१०४४ इञ्च । भाषाहिन्दी (गद्य) । विषय-पागम । र. कान ४ । ले० काल x 1 पुर्ण | दे० सं०४६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर दबलाना ( दी ) विशेष प्रति प्राचीन है। ४१. उपासकादशांग-पत्र सं. ७ | प्रा. १०४४६ इञ्च । भाषा-प्रावृत | विषय- आगम । र० काल ४ । लेक काल सं० १६०७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दखलाना (बूदी) । विशेष - मूल के नीचे गुजराती प्रभावित राजस्थानी गद्य टीका है। संवत् १६०७ में फागुण मुदी २ को साधु माणक चन्द ने ग्राम नाथद्वारा में प्रतिलिपि की थी। ४२. प्रति सं० २। पत्र सं०७ । प्रा० १०१४४३ इञ्च । ले० काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० २५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) । विशेष-प्रति प्राचीन है। ४३. उचाई सूत्र--X । पत्र सं० ७८ | आ. १.४ ४ इ । भाषा-प्राकृत | विषय-प्रागम । १० काल-xले. काल-४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ४४. प्रति सं० २१ पत्र सं० ३८ 1 ले. काल सं० १६२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मन्दिर बसवा । विशेष-राजपाटिका नगर प्रतिलिपि कृत' । • ४५. प्रति सं०३। पत्र सं० ८४ । प्रा० १०१ ४४३ इञ्च । ले. काल । पूर्ण । वेष्टन सं० २०० । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर बोरसली, कोटा । विशेष प्रति प्राचीन है तथा सटीक है । ४६. एकषष्ठि प्रकरण x पत्र सं० २१ । ग्रा० १११४५१ इन्च । भाषा - प्राकत । विषय-- सिद्धांत । २० काल ४ । ले. काल सं० १७९४ फागुण बुदी १३ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १२३ । प्राप्ति स्थानदि० जैन पंचायती मन्दिर, बवाना । विशेष-जिनेश्वरमूरि कुत गुजराती टीका सहित है । अर्थ गायानों के ऊपर ही दिया है । Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ४७. एकसौपड़तालीस प्रकृति का व्यौरा-५ । पत्र सं० ३ । आः ११X४ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय-सिद्धांत । १० काल ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ४८. अनपण्पत्ती-X । पत्र सं० २५ 1 प्रा. १०४४ इभ । का-प्राकृत । विषय-प्रागमः। २० काल ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान-- दिन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। ४६. प्रति सं०२। पत्र सं०५-८ । आ० १२४५६ इञ्च । मो० काल सं० १५६६ 1 अपूर्ण । बेष्टन सं० ४८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है। संवत् १५६६ वर्षे पौष दुधी ५ भौमवासरे श्रीगिरिपुरे श्री पादिनाथ चैत्यालये श्री मूल संचे भट्टारक श्री शुभचन्द्र गुरुपदेशात् लिखितं न तेजपाल पटनार्थ । ५. कई प्रकृति नेमिनमा । अर, १६ । प्रा. ११ x ४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत विषय-सिद्धांत । र० काल-X । लेकाल---सं० १६८८ पौष बुदी अमावस । पूर्ण । वेष्टन सं० १३८१ । प्राप्ति स्थान--भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है-- संवत् १६८८ वर्षे मिति पौषमासे असितपक्षे अमावस्या तिथौ शुभनक्षवे श्रीकुन्दकुन्दाचार्यान्वये मंडलाचार्य श्री ५ श्रीयणःकौतिस्तच्छिष्य ब्र० गोपालदासस्तेन स्वयमर्थ लिपिकृसं स्वात्मपठनार्य नगरे श्रीमहाराष्ट्र राजा थीचीठलदास राज्ये । ५१. प्रतिसं०२ । पन सं. ३० । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०३१८ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर। ५२. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० १२ । आ.० १०१४४३ ञ्च (ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०२ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ५३. प्रति सं०४ । पत्रसं०२८ । ले० काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं० ४७२ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर ! ५४. प्रतिसं०५१ पत्र सं० ५ । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १००० । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ५५. प्रति सं०६. पसं० १३ । पा.१०४५ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३८३ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ५६. प्रति सं०७ 1 पत्र सं० ११ । ले काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ, बू'दी। विशेष—प्रति संस्कृत टीका सहित है । ५७. प्रति सं०८ । पत्रसं०१२ | ले. कास-सं. १७०२। पूर्ण। वेष्टनसं० ५१२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । विषय-त्रिलोक चन्द के पटनार्थ लिखा गया था। Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्धा ] - ५८, प्रति सं० ६ । पत्र सं० १२ । प्रा० १२४४६ इञ्च । ले० काल x । पूर्ण । थेष्टन सं० १४२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ५६. प्रतिसं पत्र सं० २ । प्रा० १.४ दृश्य ! लेखन सं० १८०६ माघ बुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-कामा में जिनसिह के शासन काल में पार्श्वनाथ चैत्यालय में सनचन्द्र ने स्य पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ६०. प्रतिसं० ११। पत्रस० १४ । प्रा० ११४५ इश्व । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दीवान जी कामा । ६१. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ४२ । लेकाल सं० १५५६ चैत्र बुदी ६ । पूर्ण । थेटन सं० १७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है । इस प्रति की खंडेलवालान्वय वैद गो वाले पं० लाला भार्या लालसिरि ने प्रतिलिपि करवायी थी। ६२. अतिसं० १३ । पत्र सं० १६ । ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थानदि.जैन पंचायती मन्दिर करौली। ६३. प्रति सं० १४ । पत्रसं० १२ । ले० काल सं० १७०० । पूर्ण । वेष्टन स० २५.२ -१०१ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर कोटडियों का, हुगरपुर । प्रशस्ति-सं० १७०० वर्षे फागुणमासे कृष्णपश्चे ११ दिने गुरुवासरे उडफाग्रामे श्रीयादिनाथचैत्यालये श्रीमूलसंचे सरस्वती गच्छे बलात्कारगरणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भ. श्री रत्नचन्द्राम्नाये ब्रह्म केशवा तत् शिष्य . श्री गंगदास तत शिष्य नदेवराजास्य पुस्तकं कर्मकांडसिद्धान्त लिखितमस्ति स्वज्ञानावर्गकर्मक्षयार्थ । ६४. प्रतिसं० १५ । पत्र सं० १-१७ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ७४ । प्राप्तिस्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६५. प्रति सं० १६ । पत्रसं० १० । प्रा० ११४५ । वेष्टन सं० १० । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ६६. प्रतिसं० १७ । पत्रसं. १८ । प्रा० ११४५ । लिपिकाल सं० १७६५ पौष मुदी २ । वेटन सं. ११ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-प्रति टवा टीका सहित है । महाराजा श्री जयसिंह के शासन काल में अम्बावती नगर में पं० पोखचन्द ने प्रतिलिपि की थी। ६७. बेष्टन सं० । १८ । पत्र सं० १६ । प्रा० १०४४ । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ६८. क्रर्मप्रकृति टोका-अभयचन्द्राबार्य । पत्रसं० १५ । या० १०३४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय-सिद्धांत । र० काल x | लेकाल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जंन मन्दिर अजमेर । Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६६. कर्मप्रकृति टीका-भ० सुमतिकीति एवं ज्ञानभूषरए । पत्रसं० ५५ । मा० १०१४४३ । भाषा-संस्कृन । विषय-सिद्धान्त । र०काल-x । लिपिकाल-सं० १६४५ चैत्र बुदी । बेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष - लेखक प्रशस्ति प्रपूर्ण है । ७०. कर्मप्रकृति वर्णन-x पत्र सं० १२०१ आ०.४३४४ इच्च । भाषा - हिन्दी संस्कृत । विषय - सिद्धान्त । २० काल-४ । ले. काल -- । पूर्ण । वेष्टन सं० १८४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी, दी। विशेष - अन्य पाठ भी हैं। ७१. कर्मप्रकृति वर्णन-X । पत्रसं० २ । आ० ११४४१ इञ्च । भाषा -- संस्कृत । विषयसिद्धान्त । र० काल। लेकाल x । पूर्ण । देवन सं० १२०६ । प्राप्ति स्थान - भ. दि जैन मन्दिर अजमेर। विशेष.-१४८ प्रकृतियों का ब्यौरा है। ७२. कर्मप्रकृति वर्णन--- । पत्रसं० २४-८३ । पा. ११४४३ हश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । र० काल x | ल० काल x | अपूर्ण । वेष्टलसं.-२५११ प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। ७३. कर्मप्रकृति वर्णन --- । पत्रसं० ११ । प्रा० ६४५ इन्च । भाषा-हिन्दी भद्य । विषय-सिद्धान्त । २० काल-४ । ले० काल सं० १९११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान, दी। ७४. प्रति सं०२। पत्रसं. ३५ । लेकाल सं० १९२० 1 पूर्ण । वेष्टन सं०-२३ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ७५. प्रति सं० ३ । पत्रसं० ६ । ले० काल x । अपूर्ण । धेष्टन सं०६६ । २७६ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर टोडारायसिह ।। ७६. कर्मविपाक--XI पत्रसं०१५ । प्रा०-१२४५२ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषयसिद्धान्त । र० काल-४ ले० काल-४ । पुर्ण । वेष्टन सं० १५८ । प्राप्ति स्थान....दि. जैन मंदिर आदि- नाथ दी। ७७. कर्मविपाक-बनारसीदास । पत्रसं० १० । आ०-१x६३ इन्न । भाषा-हिन्दी • पब । निषय-सिद्धान । २० काल-.१७०० । लेकाल-x। पूर्ण । बेष्टन सं० २६२ । प्राप्ति स्थानदि जैन मंदिर पाश्वनाथ चौगान, दी। ७८. कर्मविपाक-भ० सालकीति । पत्र सं० १६ । प्रा० १० x ४३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-सिद्धान्न । २० काल | ले. काल ४ | अपूर्ण । वेष्टन सं०२३९ । प्राप्ति स्थान-भ० दिगम्बर जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-कर्मों के विपाक (फल) का वर्णन है। ७६. प्रति सं० २। पत्र सं० ३३ । ले०काल ४ । प्रथे । वेष्टन सं.६१ प्राप्ति स्थान-दि. .. जैन मंदिर आदिनाथ दी। . - - - - - - - - -- -.- -'- - - - - - - Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] ८०. प्रतिसं० ३–पत्रसं० २४ । ले० सं० १६१७ ज्येष्ठ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २१. कर्मविपाकसूत्र चौपई-४ । पत्रसं० १२७ । प्रा० १११४५ इञ्च । भाषा -पी ( पद्य ) । विषय-सिद्धान्त । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७ । प्राप्ति स्थान- To दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष—प्रय का प्रादि अन्त भाग निम्न प्रकार है :श्री परमात्मने नमः । श्री सरस्वत्यै नमः । देव निरन्जरणने नमु, अलस्य अजर अभिराम । घट घट अन्तर पातमा, परम जोल परणाम ॥१॥ सावद वचन सवे तजि, राजरिष भंडार । वनदासी मुनीवर नमु, जे सुद्धा अणगार ॥ २ ।। जिनवर वारपी ने नमु, भविक जीव हितकार । जनम मरण ना दुख थकी, छुटे ले निरचार ॥ ३॥ शीलवंत नर नार नै, समकीत दरत सहित । हरष घरी तेहने नमु, कर्म सुभट जेणें जीत ॥ ४ ॥ मध्यभाग (पत्र ७१) देव तीरीय मनुष्य ते जाय ! लेप काष्ट अने पाषाण । ए च्यारे नो करूं बखाण, पण थे सृण जो चतुर सुजान ॥ १४०३ ।। मन बचन काया ये जाण । एह मोकले घरमनी हाण । ए पणे चोगणा च्यार । लेखे करता था ये वार ।। १४०४।। करत करावत अनमोदना, तिगणावार करो एक मना। एम करता छती से भया । इन्धी पंच गणा ते मया ॥ १४०५ ॥ अन्तिमसंतोषी कवले सदा समता सहित सुजाण । हर्या विमा रहे सदा ते पहुँचे निरवाए ।। २४०७ ।। मागमवाणी उचर उर ने बोले बोल । दयापरुपै रात दिन हसाये रहे प्रबोल ॥२४०८ ।। एक भगत चूके नहीं पाछे जल नो त्याग । मातम हेत जाणे सही ते समझे जिनमाग ॥ २४०६ !! पर निद्या मुखनवि गमें हास्यादि न करत । संका कांक्षा कोए नहीं जीत्यो ते शिवमंत ।। २४१० ।। • एहने मारग जे चले ते नर जारणो साष । एण थी योजा जे नरा ते सब जाणो वाध ॥ २४११ ।। इति श्री कर्मविपाक सूत्र चौपई संपूर्णम् । श्री उदयपुर नगर मध्ये लिपि कृता । Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० ] ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ८२. कर्मविपाक रास-- । पत्रसं. १८३ । प्रा० x ५५ । भाषा- हिन्दी पच । विपर--सिद्धांल । २० काल सं १८२४ । पूर्ण । वेष्टन सं०८ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मंदिर राजमहल { टोंक ) । ८३. प्रतिसं० २। पत्र संख्या १५६ पाx६ इञ्च । ले०काल सं० १८५२ फागुग सुदी ६ । पूर्स । बेष्टन सं०८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर राजमहल (टोंक)। ८४. कर्मविपाक सूत्र--पत्र सं०१४ से १७ । आ. १. x ४ इ'च' । भाषा-प्राकृत । विषयसिद्धान्त । र० काल । ले काल सं० १५१२ भादवा सुदी १३ । अपूर्ण । वे० सं० ५४५ । प्राप्लि स्थान-म० दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-श्रीखानपेरोजविजयग़ज्ये श्रीनागपुरमध्ये बृहद्गो सागरभूतसुरिसिप्य श्रीदेशतिलक तच्छिष्य मुनि थ तमेरुणा लेखि। रा० देल्हा पुत्र संघप मेधा पठनार्थ । ८५. कर्मविपाक सूत्र-देवेन्द्रसूरि— 'ज्ञानचन्द्रसरि के शिष्य' । पत्रसं० ११ । ग्रा० १०४४ इच। सपा-पाद । ए-बिद्धाः ! २० काल सं० x | ले०काल ४ । पुर्ण । वेष्टन सं० १९६ । प्रान्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बुदी) । विशेष प्रति हिन्दी टव्वा टीका सहित है । ८६. प्रतिसं० २। पत्र सं०५६ । प्रा० १०.४६६ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । येष्टन सं०१७२। प्राप्ति स्थान दि जैन मंदिर बलाना । विशेष-प्रति टवाटीका सहित है। ८७. कर्मसिद्धान्त मांडणी-X । पत्रसं०६ । ग्रा०-१०x४१ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषयसिद्धान्त । २० काल-X । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३-१। पूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर बाड़ा बीस पंथी दौसा । विशेष-हिन्दी (गद्य) अर्थ सहित है। ८८. कल्पसूत्र-भद्रबाहु स्वामी । पत्र सं० २०.५० । मा०-६१४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत विषय आगम । र०कास x। ले०काल सं० १६१३ चैत्र सुदी ७ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६५। प्राप्ति स्थानदि.जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-श्रीपत्तननगरे भटारक श्री धर्मत्तिमरिलिखापितं जयमंडनगरि पठनार्थ । ६.प्रतिसं०२ । पत्रसं. १५ । आ०१०४४ इञ्च । लेकालX । अपूर्ण । वेष्टन सं०६५५ । प्राप्ति स्थान-भ दि० जैन मन्दिर अजमेर । १०. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० २-१५६ 1 ले०काल सं० १८२३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३३७ । . प्राप्तिस्थान-उपरोक्त मन्दिर । १. प्रतिसं०४ । पत्रसं०६ । ले. काल सं० १५८४ चैत्र सुदी ५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३३ । प्राप्लिस्थान-दि जैन मन्दिर प्रादिनाथ दी । २. प्रतिसं०५। पत्र सं०१४६ । ले०काल में X । अपूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थानदि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] ६३. प्रतिसं०६ । पत्र सं० १३४ । ले। काल X । पूर्ण ( ८ अध्याय तक ) । वेष्टन सं० १६।५५ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी, दौसा । विशेष-पथसं० २५ तक गाथाओं के ऊपर हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है । इसके बाद बीच में जगह २ अर्थ दिया है । भाषा पर गुजराती का अधिक प्रभाव है । ६४, प्रतिसं०७–पत्रसं० ७५ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६४ । प्राप्ति स्थान-- दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६५. प्रति सं०८ । पथसं० २-१३ । प्रा० १२४४ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण | वेष्टन सं० २८८ । ६५५ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रति प्राचीन है । अन्तिम पत्र के प्राधे हिस्से पर चित्र है। २६. प्रतिसं०६पत्र सं० १२२ । ले० काल सं० १५३६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर बसवा। विशेष-- प्रति सचित्र है नया चित्र बहुत सुन्दर हैं । अधिकतर चित्रों पर स्वर्ण का पानी या रंग चढ़ाया गया है । चित्रों की संख्या ३६ है। शप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर बसन्ना ।। ६७. कल्पसूत्र टीका-X । सं० १२ । पा० १०४४ इथ। भाषा-गुजराती । विषयप्रागम । र० काल-x। ले० काल-- । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०१ । प्राप्ति स्थान----दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। विशेष-प्रति प्राचीन है लिपि देवनागरी है । ६८. कल्पसूत्र बालावबोध-X । पत्रसं० १२८ । पा० १०४४ इन्च । भाषा-प्राकृत हिन्दी । विषय-पागम । र० काल-x। ले० काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५५० 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का, डूगरपुर । ६६. कल्पसूत्र वृत्ति-X । पत्रसं० १४० ।। प्रा० १०४४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय-प्रागम ! २० काल-४ । ले० काल---४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २५४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बून्दी । विशेष-१४० से मागे पत्र नहीं है । प्रति प्राचीन है । प्रथम पत्र पर सरस्वती का चित्र है । १००. कल्पसूत्र वृत्ति-X । पत्रसं० १८३ । भाषा-प्राकृत-गुजराती लिपि देवनागरी । विषय-आगम । २० काल-x। ले० काल-x। अपूर्ण । वेष्टन सं० ५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर बसना । विशेष-श्री जिनन्वन्द्रमुरि तेह तरणी मालाइ एवंविध श्री पyषणीपर्व आराधनउ हुतउ श्रीसंध प्राचन्द्रार्फ जयवंत घराउ । १०१. कल्पाध्ययन सूत्र-x 1 पत्र सं० १०२ । भाषा-प्राकृत । विषय-पागम 1 र० काल- । लेकाल सं १५२८ कातिक बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०-२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर बसवा । विशेष-संवत् १५२८ वर्षे कार्तिक बुदी ५ शनौ तदिने लिलिखे । प्रति सचित्र है तथा इसमें ४२ चित्र हैं जो बहुत ही सुन्दर हैं । Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ A १२ ] १०२. कल्पावर - X | पत्र सं० ४० २० कॉम X | ले० काल X 1 अपूर्ण इन्दरगढ़ (कोटा) । पेन सं० ० १० X ४ १०३. कल्पावर - X पत्र०१४१ आगम । २० काल – ले० काल संवत् १६११ असोज बुदी ४ स्थान – दि० जैन मन्दिर दबाना (बूंदी) १०४. कल्पलता टीका —समयसुन्दर उपाध्याय विषय - आगम २० काल - X। ले० काल - X अपूर्ण जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०५. कषायमागंणा सिद्धान्त मन्दिर लश्कर, जयपुर [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग प्रा० १०३ ४४ ४ । भाषा प्राकृत विषय यागम | १० प्राप्ति स्थान पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर २० काल - X ले० काल १०६. कार्मारणकाययोग प्रसंग - X १० काल - X ले० काल x पूर्ण वेष्टन [सं० भरतपुर । १०७. कुटप्रकार - X | पत्र सं० २ । २० काल - X | ले० काल - X पूर्ण वेष्टन सं० मन्दिर, उदयपुर । ० १ २५ आ० १२३ ७ इन्च वेष्टन सं० ७३७ अपूरो पत्र सं०-५ ६७८ वशेष तत्वार्थ सूत्र टीका बत सागरी में से दिया गया है। ० १२५ २१७ – ६४ विशेष – प्रतानुबंधी कषायों का कूट वर्णन है । AAJ इछ । पूर्ण भाषा – संस्कृत विषय वेष्टन सं० २०८ प्राप्ति पत्र० १२४ वेटन सं० – ६२१ । ११२. गुणस्थान चर्चा - X पत्र० २० । विषय चर्चा २० का X० काल पूर्ण 1 भाषा - संस्कृत । प्राप्ति स्थान- दि० भाषा-संस्कृत विषय प्राप्ति स्थान दि० जन भाषा-संस्कृत विषय सिद्धान्त प्राप्ति स्थान वि० पंचायती जैन मन्दिर १०८. क्षपणासार माधवचन्द्र त्रैविद्यदेव पसं०] १४२ । प्रा० ११६ इस भाषा - संस्कृत | विषय - सिद्धान्त । २० काल । ले० काल XI पूर्ण । थेष्टन सं० ५१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा fore -- १०६. गर्भचक संख्यापरिमाण - X पसं० २ ० १२४ संस्कृत विषय --- प्रागम । २० काल X ले० काल X। पपू । वेष्टन सं० २१६ ६४६ दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । L भाषा संस्कृत विषय- सिद्धान्त । प्राप्ति स्थान – दि०जैन भवनाथ । ११०. गुरुस्थान चर्चा -X | पत्रसं० ३० । ० – १०३ X ४१ इव विषय – सिद्धान्त चर्चा २० कास - X ले० काल सं० २००५ माघ सुदी १ पूर्ण प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर नेमिनाथ, टोडारायसिंह | १११. गुणस्थान चर्चा - X पत्रसं०] १५० ग्रा०-६५४४ भाषा - हिन्दी । | | " विषय- सिद्धान्त । २० काल - X १ ले० काल वेष्टन [सं० ७७ प्राप्ति स्थान दि० जैन 1 मंदिर आदिनाथ, बूंदी | X। पूर्ण । भाषा प्राकृत प्राप्ति स्थान--- भाषा – संस्कृत | वेष्टन सं० २०३ ॥ ० ११५३ इव । भाषा - हिन्दी । ०४६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल । | । Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ १३ विशेष-पंचकल्याणकों की तिथि भी दी हुई है । गुटका साइज में ग्रन्थ है। ११३. गुरणस्थान चर्चा- ४ । पत्र सं०५१ । प्रा०-१२३ ४ ५ इञ्च | भाषा हिन्दी गद्य । विषय-सिद्धान्त चर्चा । २० काल-x। ले• काल- ४ । अपूर्ण । वेटन सं० ५० । प्राप्ति स्थानदि जैन मंदिर बड़ा बीस पंथी दौसा । ११४. गुणस्थान चर्चा -४ । पत्रसं० ५२ । प्रा० १२१ x ७३ इञ्च । भाषा -हिन्दी । विषय-सिद्धान्त चर्चा । र० काल ४ । ले. काल x । पूर्ण । वेधन सं० ११७-७५-प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर भादवा । ११५. गुरणस्थान चर्चा- x | पत्र सं० २-६७ । आ० १० ४ ४१ । भाषा-हिन्दी । विषयसिद्धान्त । र० काल - । ले० काल x । वेष्टन सं० २५ । अपूर्ण- प्रथम पत्र नहीं है । प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ११६. प्रति सं०२। पत्रसं० १-१८ । प्रा० १०१ x ४३। ले. काल X । वेष्टन सं० २६ । अपूर्ण-१८ से आगे के पत्र नहीं है । प्राप्ति स्थान---उपरोक्त मन्दिर । ११७. गुणस्थान चर्चा- ४ । पत्रसं० १-- । श्रा० ११ x ५ । भाषा--हिन्दी । विषय-- चर्चा 1 र० काल X । ले० काल x | वेष्टन सं०७०१ । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान दिगम्बर जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ११५. गुणस्थान क्रमारोह- - । पत्र सं० २ । पा० १२ x ५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चर्चा । र० काल ५ । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६५१ । प्राप्ति स्थान-भ. दि० जन मंदिर अजमेर 1 ११६. गुरणस्थान गाथा-X । पत्रसं० ३ । प्रा. ११४४१६च । भाषा - प्राकृत । विषयसिद्धांत । २० काल - । ले० काल X । पूर्ण । थेष्टन सं० ३४० । प्राप्ति स्थान-भ०दि० जन मन्दिर अजमेरः । १२०. गुरणस्थानचर्चा-x। पत्रसं० १३ । प्रा० १.३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चर्चा । र० काल X । ले० काल' X । पूर्ण । वेष्टन सं० २३४ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर, अजमेर। १२१. प्रतिसं० २। पत्रसं० ३० । ले०काल सं० १७०५ माघ सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०३। प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नेमिनाध, टोडारायसिंह । १२२. पतिसं०३ । पत्रसं० १८० 1 ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७७ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ, बूदी ! १२३. प्रति सं०.४ । पत्रसं० २० । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान ... दि० जन मन्दिर, राजमहल विशेष---पंच कल्याणकों की तिथियां भी दी हुई हैं । गुटका साइज में ग्रन्थ है। १२४. प्रतिसं०५। पत्रसं० ५१ । ले० काल X । अपूर्ण । श्रेष्ठत सं०५० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ ] [ थ सूची-पंचम भाग १२५. प्रतिसं०६। पत्र सं० ५२ । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११७/७५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर मादना (राज) १२६. प्रतिसं०७ । पथरां० २६५ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्रा1िदि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर विशेष-- प्रथम पत्र नहीं है। १२७. प्रति सं०५ । पत्रसं० १-१८ । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टनसं० २६ । प्रानि -- उपरोक्त मन्दिर । विशेष-१८ से आगे के पत्र नहीं हैं। १२८. प्रतिसं०६ । पत्रसं० १८ । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०७०१ । प्रारिमान-- उपरोक्त मन्दिर। , १२६. गुरणस्थान चौपई ब्रह्म जिनदास । पत्रसं०४ | श्रा०-११:४४ इश्च । भाषा-हिन्दी पद्य | विषय-जची । २० काल-xले०काल-x | पूर्ण । येष्टन सं०१६२। प्राप्तिस्थान—दि जैन मन्दिर नेमिनाथ, टोडारायसिंह (टोंक) । १३०. गुरणस्थान मार्गशा वर्णन-नेमिचन्द्राचार्य । पत्र सं०-५८ । आ०-१०x४३ इञ्च । भाषा-प्रान्त । विषय-सिद्धान्त । २० काल-x | ले. काल-सं० १८८४ चैत्र सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४४-५६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष... ानेर में प्रतिलिपि की गई थी। १३१. गुरास्थान मारणा चर्चा-- । पत्र सं०-१२१ । प्रा०-१२४५६ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय--चळ । काल-.x | ले. काल-X | अपूर्ण । वेहन सं० २८१ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष—इसमें अन्य पाठ भी हैं। १३२. गुस्तस्थान मारणा वर्णन --X । पत्रसं०-- ७५ । प्रा०-६४५६ञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्न । र० काल-X । ले. काल-४ । पूर्ण । वेष्टन सं०-१७६-३३ । प्राप्ति स्थानदि० जेन पार्श्वनाथ मन्दिर, इन्दरगढ़ (कोटा) । विशेष-यंत्र सहित वर्णन है । पंच परावर्तन का स्वरूप भी दिया है । १३३. गुणस्थान वरांन...X । पत्रसं०-८०४४ | प्रा०-११४४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत। विषय-सिद्धान्न । १० काल-X । ले० काल-X । अपूर्ण । वेष्टन सं०-२६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्थामी, दी।। १३४. गुणस्थान वर्णन-x। पत्रसं०-- । प्रा०-१०४४१ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । ( काल-X । ले० काल-सं० १७८७ । भादवा बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं०-६३७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । १३५. गुणस्थान रचना--- । पपसं०-२० । आ०-१२x६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषयं Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] सिद्धान्त । र० काश- -X । ले० बाल-X । अपूर्ण ! बेष्टन सं०-१६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर भादवा। १३६. गुणस्थान वृत्ति-रत्नशेखर सूरि । पत्रसं०-३५ । प्रा०-१६x४३ च । भाषासंस्कृत । विषय-सिद्धान्त । र० काल-X । ले. काल .X । अपूर्ण । वेपन सं०-४६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर पैः। विशेष-सुत्र सं० २-६-८ नहीं है । अन्तिम प्रायः पूर्वर्षिरनित श्लोकै रुद्धतो 'रत्नशेषर:सुरिभिः । बृहद्गच्छीय श्रीवज़सेनसूरिशियः । श्रीहेमतिनकारिपट्टप्रतिवृत्तः श्रीरत्नशेखरगरिः स्वपरोपकाराय प्रकरणरूप तथा ।। ग्रन्थानन्ध सं० ६६० । १३७. गोम्मटसार--नेमिचन्द्राचार्य । पत्रसं०-१५ । आ०.१११४४३ इञ्च । भाषा-- प्राकृत । दिषय-सिद्धान्त । र० काल--X । ले० काल--X । पूर्ण । देष्टन सं०-१३५ । प्राप्ति स्थानवि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान, दी। १३८. प्रति सं० २- पत्र सं०-१४० । ले. काल सं० १९४६ । पुर्ण । बेष्टन रां०--१४५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर महावीरजी दी। विशेष-चर्मभूषण के शिष्य जगमोहन के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी । मति संस्कृत टीका सहित है । १३६. प्रतिसं०-३. पत्रसं०-२३ । ले० झाल–x । पूर्ण । वेष्टन सं०-२०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन गन्दिर नेमिनाय टोडारायसिंह । विशेष—मतिम तीन पत्रों में जीन एवं धर्म द्रव्यों का वर्णन है । . १४०. प्रतिसं०-४. पत्रसं०-८७ । ले. काल-सं० १०५६ (शक सं. १६२४) पूर्ण । वेष्टन सं०६४ । प्राप्ति स्थान-पंचायती मन्दिर बयाना । १४१. प्रति सं०-५. पत्र सं०-८७ । ले० काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं०-१६ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन बड़ा पंचायती मन्दिर, डीग विशेष-प्रति प्राचीन है। १४२. प्रति सं०-६. पत्रसं०-६७ 1 ले. काल-x1 अपूर्ण । वेहन सं०-१७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर विशेष—प्रतिक्रमण पाठ के भी कुछ पत्र हैं। १४३. प्रतिसं०-७ । पत्रसं०-३-४५ 1 ले० काल सं0--४ । 'अपूर्ण । वेष्टन सं०-२३ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मदिर तेरहपंथी दौसा विशेष---प्रति संस्कृत टीका माहित है । १४४. प्रतिसं०-८ । पत्र सं०... ८७ । ले० काल-सं० १६११ । पूर्ण । बेहन सं०-१८२.७७ । Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का, टूगरपुर । विशेष--लेखक प्रशस्ति कटी हुई है । १४५. गोम्मट्टसार-नेमिचन्द्राचार्य । पत्रसं०-५३७ । भाषा-प्राकृत । विषय -सिद्धान्त । २० काल-- । ले० काल--१७६८ द्वि० भादवा मुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं०-३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन बड़ा पंचायती मन्दिर, डीग । विशेष-श्री हेमराज ने लिखी थी। प्रति संस्कृत टीका सहित है। १४६. प्रतिसं०२। पत्रसं०-२८१ । प्रा०-१२४५१ इञ्च । ले० काल-x। अपूर्ण । वेष्टनसं०-१६२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष—प्रति संस्कृत टीका सहित है । १४७. प्रतिसं०३ । पत्रसं०-२४१ । मा० १२३४८ इञ्च । ले० काल-X । अपूर्ण । वेष्टन सं०-२७९ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर दीवानजी, कामा । विशेष-प्रति तत्व प्रदीपिका टीका सहित है । १४८. गोम्मटसार-नेमिचन्द्राचार्य x । पत्रसं० ३८७ । प्रा० १२३४ ६ इन्च । भाषाप्राकृत--संस्कृत । विषय -सिद्धान्त । र०काल ४ । ले. काल सं० १७०५ ३ अपूरणं । वेष्टन सं० १५२ प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-बहुत से पत्र नहीं है । प्रति संस्कृत टीका सहित है । प्रशास्ति निम्न प्रकार है संवत् १७०५ भादवा सुदी ५ श्रीरायदेशे श्रीजगन्नाथजी विजयराज्ये भीलोडा नगरे चन्द्रप्रभ पत्यालवे. . . . . . . . . । १४६. गोम्मटसार टीका-सुमतिकोति । पत्रसं० ३४७ । प्रा० १४४७ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-सिद्धान्त । र० काल-सं० १६२० भाद्रपद सुदी १२ ले. काल--सं० १६६७ । पूर्ण । बेष्टन सं० १४४-२११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष लेखक प्रशस्ति विस्तृत है । १५०. प्रति सं० २। पत्र सं० ३२ । प्रा०- १२ x ४२ इञ्च । ले० कास-सं० १७६५ प्रासोज सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर प्रादिनाथ दी। विशेष—वसुपर में पंडित दोदराज ने पार्श्वनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। १५१. प्रति सं०३ । पत्रसं० ६५ । ले० काल सं० १८०६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८०६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर दीवानजी ४ कामा । १५२. प्रति सं०४ । पत्रसं० ४८ । ले० काल ४ । पूर्ण । येष्टन सं० १६२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दीवानजी, कामा । १५३, प्रति सं० ५। पत्र सं० ६० । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थानखण्डेलवाल दि. जैन मन्दिर उदयपुर । Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] विशेष-प्रति जीणं है । ग्रन्थ का नाम कर्म प्रकृति भी दिया है । १५४. प्रतिसं० ५ । पत्र सं ०१ से ६९ । ले० काल - X . । प्रपूर्ण वेष्टन सं० स्थान- fr० जैन तेरह पन्थी मन्दिर, बसवा । १५५ प्रतिसं० ६ । पत्रसं० ४७ | श्र० १११४५ इश्व । ले० काल सं० १ १४ । पूर्ण वेष्टन सं० १९९८ | प्राप्ति स्थान - म०दि० जैन मन्दिर अजमेर | १५६. गोम्मटसार (कर्म काण्ड टीका ) - तेमिचन्द्र । पत्र सं० १४ । श्रा भाषा – प्राकृत संस्कृत विषय – सिद्धान्त । २० काल - X | ले० काल १७५१ मार्गशीर्ष देष्टन सं० २७९ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष - प्रति संस्कृत टीका सहित है । १५६. गोम्मटसार कर्मकाण्ड - X | पत्र सं० २० काल --- X । ले०काल - X : अपूर्ण वेष्टन सं०८०६ भरतपुर । ? विशेष - प्रशस्ति संवत १७५१ वर्षे मार्ग सुदी १५ बुधे श्री मूलसंधे बलात्कार सरस्वतीग कुदकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री सकलकीर्तिदेव तगट्टे मट्टारक श्री ३ सुरेन्द्रकीर्तिदेव तद्गुरु भ्राता पं० बिहारीदासेन लिखितं स्वहस्तेन ज्ञानावर्णी कर्मार्थं । प्रति संस्कृत टीका सहित है। १६०. गोम्मटसार चर्चा - X : पत्रसं० ४ विषय - सिद्धांत | १० काल -- x | ले० काल --- x । पूर्मा । जैन मन्दिर कोटडियों का, डूगरपुर 1 [ १७ १५७ प्रति सं० २ । पत्रसं० ५२ । ले० काल - सं० १७६४ जेष्ठ बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा | | प्राप्ति दवा सुदी १५८ प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ३-११६ | ले० काल - X। श्रपूर्ण । वेष्टन सं० २४ | प्राप्तिस्थान - दि० जैन मंदिर तेरह पंथी दौसा | ८.४३ इव । - १५ पूर्ण १६१. गोम्मटसार चूलिका - X । पत्रसं० ७ । भाषा – संस्कृत | र० काल - X | ले० काल - X पूर्ण । वेष्टन सं० ६६७ प्राप्ति स्थान दि०जैन भरतपुर । १० । भाषा – प्राकृत विषय – सिद्धान्त | प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर, विशेष - प्रति संस्कृत टीका सहित है । १६३. गोम्मटसार ( कर्मकाण्ड ) भाषा टीका - X | पत्र सं० ४० । भाषा - प्राकृत हिन्दी । विषय- सिद्धांत । र० काल - X | ले० काल - X। पूर्णं । प्राप्ति स्थान - भ० दि० जन मन्दिर, अजमेर 1 श्र० १२४६ इश्व | भाषा - हिन्दी गद्य । वेष्टन सं० ३२ १८ । प्राप्ति स्थान - दि० 1 विषम सिद्धांत | पंचायती मन्दिर, विशेष-हेमराज ने लिखा था । १६२. गोम्मटसार पूर्वाद्ध (जीवकांड)- X | पत्रसं० १९३ | ग्रा० ११३४५ इश्व भाषा – संस्कृत | विषय - सिद्धांत । २० काल - × । ले० काल - X। पूर्ण । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर, अजमेर चेष्टन सं० १०४३ ० १०×५ इव । वेष्टन सं० ६६६ ॥ Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ ] [प्रन्थ सूची-पंचम भाग १६४. गोम्मटसार ( जीवकाण्ड ) भाषा-महा पं० टोडरमल । पत्रसं० १०० । प्रा० १३४.३ इञ्च । भाषा-राजस्थानी (हारी गद्य) । विषय-सिद्धांत । २० काल-X । से० काल-XI अपूर्ण । श्रेष्टन सं० १६७ प्राप्ति स्थान—दि जैन ब्लांटा मन्दिर बयाना । १६५. प्रतिसं०२ । पत्र सं० ४८० । प्रा० १२४८१ इञ्च । ले. काल---X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६- १ । प्राप्लिस्थान-दिस जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । १६६. प्रति सं०३ । पसं०६ । प्रा०१०१४४१ इञ्च । ले० काल सं०४ । पुर्ण । वेष्टन सं. ६१४ । प्राप्तिस्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष--केवल प्रथम गाथा की टीका ही है। १६७. प्रति सं०४ । पत्रसं० २६ । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी बालपुर।। १६८. गोम्मटसार भाषा-महा पं० टोडरमल । पत्रसं० १-० । प्रा० १२१४६ । भाषाराजस्थानी गद्य । विषय-सिद्धान्त । १० काल-x। ले०काल--X । वेष्टन सं० ७३६ । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । १६६. गोम्मटसार भाषा-महा पं० टोडरमल । पत्रसं० ५७२ । प्रा० १३४८ इभ । भाषा-राजस्थानी (ढारी) गद्य विषय--सिद्धांत । २० काल-सं० १८१८ मात्र सुदी ५ लेकाल-x | अपूर्ण । वेष्टन सं० १५७५ प्राप्लिस्थान-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । १७०. प्रति सं० २ । पत्रसं० २१० । ले. काल-४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १४०० । प्राप्तिस्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-भभ्यक्ज्ञान -चन्द्रिका टीका सहित है। १७१. प्रतिसं०२। पत्रसं० १०२० । लेकाल सं०-x। अपूर्ण । वेष्टन सं०५५-५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन बीस पंथी मन्दिर दौसा ।। विशेष-सम्यकज्ञान-चन्द्रिका टीका सहित है। १७२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १०२१ । ले० काल स०-X । पूर्ण । वेन सं० २५२ । प्राप्तिस्थान:-दि जैन मन्दिर दीवानजी, कामा। विशेष-प्रति सुन्दर है। १७३. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० १०२६ । ले० काल सं० १६५६ भादया सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६। प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर महावीर स्वामी, दी। - १७४. प्रतिसं०५। परसं० ३२५ । ले० काल-X । अपूर्ण । बेष्टन सं० ४२३ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १७५. प्रति सं०६ । पत्रसं० ७६४ । ले० काल सं० १८६० भादवा सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं. ४२३ । प्राप्ति स्थान—ारोक्त मन्दिर । विशेष प्रति लब्धिसारक्षपणासार सहित है । कुम्हेर में रणजीत के राज्य में प्रतिलिपि हुई थी। Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ १ १७६. प्रतिसं० ७ पत्र० ९८२ | ले० काल सं० x पूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्तिस्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । १७७. प्रतिसं० ८ पत्रसं० ३०६ । ले० काल -- x । पूर्ण वेष्टन सं० १ प्राप्सि स्थानदि० जैन मन्दिर चेतनदास पुरानी डीग | विशेष - प्रति संदृष्टि सहित है। पत्र सं० १५६ तक लब्धिसार क्षपणासार है । ६७ वें पत्र में irit भूमिका तथा अन्तिम ५० पत्रों में लब्धिसार, क्षपरासार तथा गोम्मटसार की भाषा है । १७८ प्रतिसं० ६ । पत्र सं ० ५०४ । से० काल ० – १८१६ | पूर्ण वेष्टनसं । प्राप्तिस्थान – उपरोक्त मन्दिर । विशेष - पत्र सं० २७० से ५०४ तक दूसरे वेष्टन सं० में है । १७६. प्रतिसं० १० । पत्र सं० १००० | ले० काल स० १६५८ कार्तिक सुदी १० । पूर्ण । नेष्टन सं ५७ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर कोट्योका नेवा (वृदी) | विशेष – सम्यक्ज्ञान चन्द्रिका टीका सहित है । १०. प्रतिसं० ११ । पत्र सं० ७३२ । ले० काल स० - X। पूर्ण । वेष्टन सं० १५ १७१ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । १८१. प्रतिसं० १२ । पत्रसं० ६६१ । ले० काल - X 1 अपूर्ण देन सं० १४५ | प्राप्तिस्थान – दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोड़ा रासिह टोंक । विशेष - ६५० के प्रागे के पत्र नहीं हैं । १८२ प्रति सं० १३ । पत्रसं० १३४६ । ले० काल सं० १९९२ सहवा बुदी ८ । पूर्ण । नेतृन सं० १ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन बड़ा मन्दिर फतेहपुर (शेखावाटी ) विशेष- यह ग्रन्थ ४ वेष्टनों में क्षपणासार सहित है । पं० सदासुखदासजी करवाई थी । बंधा है । टीका का नाम सम्यक्ज्ञान चन्द्रिका है। लब्धिसार कासलीवाल ने उधव लाल पाण्डे चाकसू वालों से प्रतिलिपि १८३. प्रतिसं० १४ । पत्र सं० १२६५ । ले० काल सं० १८६० मात्र बुदी ११ । पूर्ण । वेटन सं० १५/६१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ । विशेष- सम्यक्ज्ञान चन्द्रिका टीका है संदृष्टि भी पूरी दी हुई है। यह ग्रन्थ तीन वेष्टनों में बंधा हुआ है। १८४. प्रतिसं० १५ । पत्रसं० ७६-३६५ । आ० – १२x६ इच । ले० काल - X । अपूर्ण वेष्टन सं०४-३८ । प्राप्तिस्थान - दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । १८५. गोम्मटसार भाषा - X। पत्र सं० २५ । ले० काल - X | अपूर्ण वेष्टन सं० ७८५६ प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर भावना (राज० ) i व १८६. गोम्मटसार ( कर्मकाण्ड) भाषा - हेमराज | पत्रसं० ६६ । आ० १४८ भाषा - हिन्दी | विषय - सिद्धांत । २० काल - १७३४ श्रासोज सुदी ११ ले० काल सं० १६५४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४/१६ | प्राप्तिस्थान | दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर | Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० ] [प्राथ सूची-पंचम भाग १८७. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ६६ । ले. काल-.X । पूर्ण । वेष्टन स. ५१ । प्राप्ति स्थानदि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ... १८८. प्रतिसं० ३१ पत्र सं० ६६ । ले० काल सं० १८६४ पौष बुधः ५ । पूरणं । येष्टन सं. ११४ । प्राप्ति स्थान --दि० जन अग्रवाल पचायती मन्दिर अलबर । १८६. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० १०७ । ले। काल-४ । पूर्ण । श्रेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थानदि० जन मन्दिर महावीर स्वामी बून्दी। ११०. प्रति सं० ५। परसं०४६ । ले० काल सं. १८२४ । पूर्ण । वेष्टनसं० १२५ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी । १६१. प्रति सं० ६ १ पत्रसं० ५६ । ले० काल सं० १९३१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-रसिक लाल मुशी ने प्रतिलिपि करवायी थी। १६२. प्रतिसं०७। पत्रसं०१७ । ले. काल-X । पूर्ण । बेन सं० ३१ । प्राप्ति स्थानदि.जैन मन्दिर, बयाना । विशेष संवत् १९४१ में गूजरमल गिरधरवाका ने ग्रन्थ को मन्दिर में चढ़ाया था। १६३. प्रतिसं० ८ । पम सं० ६५ । ले. काल --X । पूर्ण । नेपन सं०७ । प्राप्तिस्थानदि. जैन मन्दिर बीस पंथी दौसा । विशेष-धयक खेमचन्द ने प्रतिलिपि की थी। १६४. प्रतिसं० । पत्रसं० ७६ । ले. काल- सं० १८६० । पूर्ण 1 वेष्टन सं०६६ । दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली.। विशेष- अनन्तराम ने प्रतिलिपि की थी । १६५. प्रतिसं०१० । पत्र सं० १२७ । ले० काल-X । वेष्टन सं० १२७ । प्राप्तिस्थानदि० जन पंचायती मन्दिर करौली। १६६. प्रतिसं० ११ । पत्र सं०६२ । ले० काल सं० १८२३ प्रथम माघबुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८०२२ प्राप्तिस्थान—दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । १६७. गोम्मटसार 'पंचसंग्रह धनि-x | पत्रसं०-२३८ । ग्रा०-१४४७ इञ्च । भाषाप्रावृत-संस्कत । विषय-सिद्धान्त । २० काल-x | ले० काल-x। अपूर्ण । वेष्टन सं०-११४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बु'दी। विशेष-संस्कृत टीक सहित है । २३८ के आगे पत्र नहीं हैं। १६. प्रतिसं० २१ पत्रसं०-३२० । श्रा०-१४४६१ इञ्च । ले० काल-सं. १८२५ । पूर्ण । वेष्टन सं०-५३-३४ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डुगरपुर । विशेष—प्रति संस्कृत दीका सहित है। १६६. गोम्मटसार (पंथसंग्रह) वृत्ति-अभयचन्द्र । पत्र सं० ४०१ । प्रा० १४४६ इच। HOM Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ २१ भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । २० काल----X ले० काल-X । पूर्ण । वेष्टनस-५३७ । प्राप्ति स्थान--भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । २००. प्रतिसं०-२ । पत्रसं०-१-१५७ 1 प्रा०.१०३४५६ इञ्च । ले० काल-- वेष्टन सं०७६४ । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर | - २०१. प्रतिसं०-३ । पत्र सं.---१४६ । पा–१२४५३ इञ्च । ले० काल-x ! पूर्ण । बेष्टन सं०-१८७ । प्राप्दि स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर । २०२. प्रति सं०-४। पत्र सं–३३० । आ–१४४६ इञ्च । ले० काल-सं० १७१७ भादवा बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं०-३४४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष प्रतिका में ए० धर्मघोष ने प्रतिलिपि की धी । २०३. गोम्मटसार वृत्ति—केशववों । पत्रसं०-३७६ ! प्रा.-१४४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-सिद्धान्त । र० काल----X । ले० काल-बीर सं० २१७७ ज्येष्ठ सुदी ५ । वेष्टन सं०--- ६ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष—सहसमल्ल के कहने से प्रति लिखी गई थी। २०४. गोम्मटसार वृत्ति- x 1 पत्र सं० ४२६ । आ० १२ x ५३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । २० काल X । ले० काल सं० १७०५ । पूर्ण । नेष्टन सं०७१ प्राप्ति स्थान-दि. जन अग्रवाल मंदिर, उदयपुर । विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है-संवत् १७०५ वर्षे वैशाख शुक्ला द्वितीया भौमवासरे राय देशस्य श्री पुलिदगुरे श्री चन्द्रप्रभुचैत्यालय धीमूलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे ... .............." भटारक सकल कीतिदेवारसत्सभ भुवनकीति ... ... ... ... ... ... ....... "तर शिष्य मुनि श्री देव कीति तत् शिष्याचार्य जी कल्याणकीति तत् शिष्य ब्रह्म नेजपालेन स्त्रज्ञानाबरणीयकर्मक्षयार्थ...." 1 . कल्याण कीर्ति तव शिष्याचार्य श्री त्रिभुवनचन्द्र-पउनार्थ । २०५. गोम्मटसार जीवकाण्ड वृत्ति ( सत्यप्रदीपिका ) -- । पत्रसं० २९ से १६८ । प्रा०-१० x ४ इञ्च । भाषा - संस्कृति | विषय-सिद्धान्त । र० काल-~~। ले० काल -- ४ । अपुर्ण । वेष्टन सं० ११८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर नागदी, बू दी। २०६. गोम्पसार संदृष्टि ...प्रा० नेमिचन्द्र । पत्रसं० ११ । पा. १०१ x ४५ इञ्च | भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । १० काल ५ । ले० काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० २०५ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर दीवानजी कामा। २०७. गौतमपृच्छा सूत्र- ४ । पत्रसं०१३ । आ०१० x ४ इन् । भाषा--प्राकृत -- हिन्दी । विषय-आगम । र०काल x । ले. काल x. मयूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राधिः स्थानदि. जैन मंदिर दबलाना। विशेष–१२ वा पत्र नहीं है। प्राकृत के सूत्र सामने हिन्दी अर्थ सूत्र रूप में है । सूत्र स० ६४ । २०८. गौतमपृच्छा- ४ । पत्रसं० १८ । प्रा० ११४४१ इन्च । भाषा संस्कृत । विषप Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग पागम । २० काल -- । ले काल-संवत् १७८१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर पंचायती, दूनी ( टोंक )। विशेष-पंडित शिवजीराम ने शिष्य ने भिचन्द्र के पठनार्थ दूरणी नगर में प्रतिलिपि की थी। २०६. प्रतिसं० २। पत्रसं० १६ । आ. ८ x ६ ३ ३ भाषा-हिन्दी । २० काल-x। ले. काल-x | पूरी । वेएन सं०५७ । प्रापिद स्थान(दि. जैन मंदिर पंचायती दूगी । टोंक)। विशेष-ध| फतेहचन्द के शिष्य वृन्दावन उनके शिष्य शीतापति शिष्य पं० शिवजीलाल तर शिष्य नेमिचन्द प्रात्मकल्याणार्धं । २१०. प्रति सं०३ । पत्रसं० ७६ । ले० काल सं० १८७५ । पूर्ण । बेष्टन सं०७४२ । प्राप्क्षिस्थान--दि० जंन पंचायती मंदिर भरतपुर । २११. प्रतिसं०४ । एत्रसं० ४२ । ले० काल - I पूर्ण । वेष्टन सं०७४५ । प्राप्ति स्थानदि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । २१२. गौतम प्रच्छा . x । पत्र सं०-७६ । भाषा -संस्तुति । विषय -- सिद्धान्त । र०काल x । ले. काल-१८७५ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४२ । प्राप्ति स्थान- दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २१३. प्रतिसं०२ । पत्रसं. ४२ । भाषा-संस्कृत । लेकाल-X1 पूर्ण । वेष्टन सं० ७४ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मंदिर । २१४. गौतम पृच्छा -४ । पत्रसं० ४ । मा० १०० x ४ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-मिद्धान्त र काल र । ले० काल ४ । अपूर्ण । येष्टन सं०५४२ । प्राप्लिस्थान-भ० दि० जन मंदिर अजमेर । विशेष-.-११६ पद्य हैं। २१५. प्रतिसं० २- पत्रसं० ६ । ले. काल X । पूर्ण । वेटन सं० ११ । प्राप्ति स्थानदि० जैन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । २१६. चतुःशरणप्रकीर्ण रगप्रकारएक सत्र-पत्रसं०.- ४ । भाषा-संस्कृत | विषय-सिद्धान्त । र० काल -x । ले• काल-सं० १७०३ । पुणं । वेष्टन सं० १४ । शप्ति स्थान दि० ज० पंचायती मदिर डीग। । २१७. चतुःसरण प्रशप्ति-- - । पत्र सं० २ से५ । आ०१०x४३ इञ्च | भाषा-प्राकृत । विषय-पागम । र० काल x । ले. काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान--म० दि.. जैन मंदिर अजमेर । २१८. चर्चा-भ० सुरेन्द्रकोति । पत्र सं० १३ । मा०६४ ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चत्रों । बेष्टन स० ४६ । प्राध्दिद स्थान-दि०जैन मंदिर राजमहल टोंक। विशेष—जैन सिद्धान्तों को पर्या के माध्यम में समझाया गया है । २१६. अर्था- ४ । पत्रसं० ३ । प्रा० x ४३ । भाषा-संस्कृत 1 र० काल ४ | ले. काल x । वेष्टन सं०६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २३ २२०. चर्चा - पत्र० ३ ० १३६ । भाषा - हिन्दी (गद्य) । २० काल x | ले० काल x ३ श्रपूर्ण । वेष्टन सं० ३७ | प्राप्तिस्थान- दि० जैन मंदिर राजमहल टोंक । श्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] २२१. चर्चाकोश- ४ । पत्रसं० १२४ । भाषा - हिन्दी | विषय - वर्चा । २० काल - X । लेखन काल - X | अ वेन० सं० ८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरह पंथी मंदिर बसव | । भाषा - हिन्दी | मन्दिर प्राप्ति स्थान दि० जैन २२२. चर्चा ग्रन्थ -- x | पत्र सं० २६ | आ० ११४५१ इञ्च विषय - चर्चा | ले० काल - X | र० काल- ४ । वेष्टन सं० ७१४ | अपूर्ण लटकर, जयपुर । २२३. चर्चा नामावली ---X | सं० ३३ । ० १२४७ इव । भाषा - हिन्दी । विषय - चर्चा २० काल - X | ले० काल० सं० १९७६ मात्र सुदी ११ । पूर्ण | वेष्ठन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान - प्रग्रवाल पंचावती मन्दिर अलवर | विशेष जैन सिद्धान्तों की चरचाओं का वर्णन है । २२४. चर्चा नामावली हिन्दी टोका सहित - X | पत्र सं० ५७ | झा० – १०४५ इव । भाषा - प्राकृत हिन्दी | विषय - सिद्धान्त चर्चा । २० काल - X | ले० काल- सं० १६३६ सावन बुदी १० । पुणं । वेष्टन सं० ११८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी | २२५. चर्चा सिद्धान्त । २० काल - X प्रादिनाथ बूंदी | -X | पत्र [सं० १० १ | ले० काल -- x | पूर्ण ० ३ X ७ इव । भाषा - हिन्दी गद्य । विषयवेष्टन सं० ४७ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर ' २२६. चर्चाबोध - X | पत्र सं० १४ । आ० १३ X ८ इश्व | भाषा - हिन्दी विषय वर्त्रा । ० काल - X | ले० काल - X सं०१६७३ । पूर्ण । वेष्टन सं० | ११ | २२ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर भादवा (राज०) २२७. चर्चा -X | पत्र सं० ४० । ० ११४५ इंच । भाषा हिन्दी | विषय - चर्चा | र० काल - X | ले० काल - सं० १८०२ ३ पूर्ण । वेष्टन सं० १४५५ | प्राप्ति स्थान भट्टारकीय शास्त्र भण्डार अजमेर | २२८. चर्चाशतक - द्यानतराय । पत्र सं० ६ | श्र० १० र० काल - X ॥ ले० काल -- X | अपूर्ण । वेष्टन सं० ४५७ प्राप्ति श्रजमेर | ५६ | भाषा - हिन्दी (पद्य) | स्थान- भट्टारकीय शास्त्र भण्डार विशेष – सैद्धान्तिक चर्चाओं का वर्णन है । २२६. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ६२ । ले० काल सं० १९४० काती सुदी ५। भू । वेनसं० १४७७ | प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय शास्त्र भण्डार अजमेर । विशेष - प्रति टव्वा टीका सहित है । २३०, प्रतिसं० ३ पत्र सं० १७ । ले० काल० -X | पू । बेधन सं० २२६ ॥ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर गार्श्वनाथ चौगान बूंदी । Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ ] [ प्रन्थ सूचो-पंचम भाग Papa " २३१. अतिसं०४ । पत्रसं० १०२ । लेकाल सं० १९५२ आसोज सुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१ । प्राप्तिस्थान--दि० जैन मन्दिर पार्चनाथ चौगान मुदी। विशेष-झगड़ावत कस्तूरचन्द जी तत् पुत्र चोखचन्द ने प्रताप के चन्द्राप्रभ चत्यालय में लिखवाया था। २३२. प्रति सं० ५ । पत्रसं० १६ । लेकाल--X पूर्ण । बेहः . ० ७६ । प्राप्टि स्थानदिनद मिरी , दी। २३३. प्रति सं०६। पत्रसं० २६ । लेकाल----X । पूर्ण । ६ष्टन सं० १३६ । प्राप्तिस्थान—दि जैन मन्दिर नागदा बूदो । २३४. प्रतिसं०७। पत्र सं०७१ । लेकाल-x। अपूर्ण 1 वेष्टन सं०१६३ । प्राप्तिस्थान—दि० जन मन्दिर श्री महावीर दी। विशेष -प्रथम पत्र नहीं है । २३५. प्रतिसं० । पत्रसं० १०० । ले० काल- सं० १६४२ । पूर्ण । वेष्टन स० २७ । प्राप्तिस्थान-दि जैन मन्दिर श्री महावीर खुदी। विशेष--प्रति टीका सहित है। २३६. प्रतिसं०६ । पत्रसं० १५ । लेकाल-X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २२३ । प्राप्तिस्थान—दि जैन मन्दिर राजमहल टोंक। २३७. प्रति सं०१०। पत्र सं० १६ । लेकाल-सं० १९४३ । पूर्ण । वेष्टन स० ३६ । प्राप्तिस्थान-दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह टोंक । २३८. प्रतिसं०११ । पत्रस० १६ । लेकाल सं० १८६२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा । २३६. प्रति सं०१२। पत्रसं० १०२ । लेकाल सं० १९२७ । प्रामोज बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं४० । प्राप्ति स्थान पार्श्वनाथ जैन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) । विशेष प्रति दीका सहित है। २४०. प्रतिसं० १३ । पत्रसं० ६३ । लेकाल सं० १९३८ । ज्येष्ठ सुदी ३ । वेष्टन स० १२४/२० । प्राप्ति स्थान-पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़ । विशेष प्रति बहुत सुन्दर है तथा हिन्दी गद्य टीका सहित है। २४१. प्रति सं० १४३ पत्र सं० १६ । लेकाल-X । अपूर्ण । बेष्टन सं० १४३।१६ । प्राप्ति स्थान पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़ । २४२. प्रतिसं०१५ । पत्रसं० २५ । लेकाल संs-X । अपूर्ण । बेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान-पानाथ दि. जैन मन्दिर इन्दरगढ़ । २४३. प्रति सं० १६। पत्रसं० १५ । लेकाल--- । प्ररणं । वेष्टन सं० १७० । प्राप्तिस्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर । A mritamRAMACHAR Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] विशेष - १६ में पत्र से द्रव्य संग्रह है । २४४. प्रतिसं० १७ । एत्रसं० ६६१ ले ०काल सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७६ | प्राप्तिस्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष - प्रति हिन्दी गद्य टीका सहिल है। टीकाकार राजमल्ल पाटनी है । २४५. प्रतिसं० १८ । सं० ७५ । ले० काल - X | वेष्टन सं० ४२ | प्राप्तिस्थानदि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर विशेष- हिन्दी गद्यामं सहित है । २४६. प्रतिसं० १६ । पत्रसं० सुदी ८ । पूणं । वे० सं० ६० [ २५ ५६ | आ० १०३ X ७ इस । ले० काल सं० १९३८ वैशाख प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर बयाना । पूर्ण वेष्टन सं० १३ । प्राप्तिस्थान- २४७. प्रतिसं० २० । पत्र० ६५ । ले०काल - X दि० जैन दीवानजी का मन्दिर भरतपुर । विशेष- हिन्दी टीका सहित है । २४० प्रति मं० २१ । पत्रसं०-५३ । ले० काल - १८६४ : पूर्ण । वेष्टन सं०-- ३५८ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर | विशेष-- हिन्दी टीका सहित है । २४६. प्रतिसं० - २२ | पत्र विशेष – हिन्दी टीका सहित है । -- ५५ । ले० काल - X। पूरणं । वेष्टन सं०- ३६४ | प्राप्ति स्थान – उपरोक्त मन्दिर | पूर्णं । २५० प्रतिसं०-२३ । प१८ १ ले० काल - १५१८ श्रासोज सुदी वेष्टन सं०- ३६५ | प्राप्ति स्थान -उपरोक्त मन्दिर । विशेष – भरतपुर में प्रतिलिपि की गई थी। मूल पाठ हैं। २५१. प्रतिसं० २४ । सं-- ५३ । ले० काल - १६६६ । पूर्ण वेष्टन सं० – ३६६ ॥ विशेष – हिन्दी टीका है । उपरोक्त दिर | २५२. प्रति सं० २५ । त्रसं०-५३ । ले० काल - X 1 पूर्ण वेष्टन सं०-४२२ | प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । २५.३ प्रति सं०- २६ । पत्रसं०-१० । ० काल- सं० १९२२ । पू । वेष्टन सं०- ११६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना विशेष लश्कर में प्रतिलिपि हुई थी । २५४. प्रति सं०-२७ । सं० भाषा - हिन्दी । ले० काल- सं० १९२८ भादवा सुदी ५ । पूर्णं । बेष्टन ०६२ प्राप्ति स्थान- दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । २५५. प्रतिसं० – २८ । प० ५४ | ले० काल सं० १८२० । पू । वेष्टन सं०- २०१ प्राप्ति स्थान- वि० जैन मन्दिर दीनजी कामा । २५६. प्रतिसं०- २६ । प० - ५३ | ले० काल - १६३१ माघ सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं १२ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डौग | Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्य सूची-पंचम भाग २५७. प्रतिसं०-३० । पत्रसं०-५६ । ले० काल-१९३२ । पूर्ण । वेष्टन सं०-५५ । प्राप्ति स्थान दि जैन पचायती मन्दिर हण्डावालों का, डीग । २५८, प्रतिसं०-३१ । पत्र सं०--५६ । लेकाल-x । अपूर्ण । वेष्टन सं०-६ । प्रारिल. स्थान—द जैन मन्दिर दीदान चेतनदास, पुरानी डीग । विशेष प्रति प्रशुद्ध एवं व्यवस्थित है। २५६. प्रतिसं०-३२ । पत्र सं०-१०४ । ने० काल-० १६४७ अपाढ़ बुदी ७ । पूर्ण । धन सं०-६३ । प्राप्ति स्थान दिजैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । विशेष-हिन्दी गद्य में टीका भी है। जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। २६०. प्रतिसं०-३३ । पत्र सं० ७७ । ले. काल सं० १९३४ बैशास्त्र सुदी । । पूर्ण । वेटन सं ३० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) वशेष—लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है कास्टासि माधुरधि पुष्करगरणे लोहाचार्य प्राम्नाय भट्टारक जी श्री श्री १०८ श्री ललितकीति भट्टारकी श्री श्री १०८ श्री राजेन्द्रकोति जी तत् शिष्य पंलित जोरावर चंद जी लिखायो फतेहपुर मध्ये लिपिकृतं प्रेममुख भोजक । २६१. प्रतिसं० ३४ । पत्र सं० १२ । ले. काल--10 १६०० कार्तिक बुदी १४ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान-द. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी । विशेष-पाची लूलचन्द ने लिपि की थी। २६२. प्रति सं० ३५ । पत्र स० ६३ । ले० काल-सं० १९३६ । पूर्ण । वेष्टन सं०-६४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । २५३. प्रति सं० ३६ । पत्र सं०२६ । ले०काल-१६०३ । पूर्ण । अन सं० २२५...६१ । प्राप्ति स्थान-२० जन मन्दिर कोटड़ियों का, डूंगरपुर । २६४, प्रतिसं० ३७ । पत्र सं०-३८ । ले० काल--- सं० १६६६ कातिक बुदी ८ । पूरा । वेष्टन सं० . ५१३ । विशेष-रिषभचन्द बिन्दायक्या ने प्रतिलिपि कर लश्कर के मंदिर में विराजमान किया। प्राप्ति स्थान— यिन मन्दिर लश्कर, जयपुर । २६५. चर्चाशतक टीका हरजोमल । पत्र सं० ५६ । आ. १३. एच ! भाषाहिन्दी (पश्य तथा गद्य)। विषय-चर्चा । र काल-X । ले. काल-सं० १९३० । पूर्ण । वेषन मं०-३४ प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर बयाना । विशेष--हरजीमल पानीपत वाले की टीका सहित है। १०४ पद्य हैं। मिश्र ठाकुरदास हिण्डौन बाल ने प्रतिलिपि की थी। मिखाइत लालाजी माधोसिंहजी पठनार्थ सुखलाल काननगो का बेटा नाती हलाखी राम का, गोत्र चांदुवार दवाना वाले ने माधोदास श्रावक उदासीन चांदवाड कारगा प्राप घर से रिक्त होकर यह ग्रन्थ लिखवाकर चन्नप्रभू के पुराने मन्दिर में चढ़ाया। २६६. प्रतिसं०२ पसं०७६ । विषय-चर्चा । २७ काल .x | ले. काल-x | पुणे । Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ २७ वेष्टन सं० १०३ । प्राप्तिस्थान- दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी । विशेष—इनि चर्चाशतक भाषा कविन रानताय कृति तिनको अर्थ टिप्पशा इरजीमल पाणीपथ की बणाई संपूर्ण । यह पुस्तक श्री अभिनंदनजी का मंदिर की छ । २६७. प्रतिसं०३ । पत्रसं० ६७ । ले. काल-सं० १६४६ पौष सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन • १४० । प्राप्ति स्थान--दि• जैन मंदिर नागदी, बू दो। २६८. प्रति सं०४ । पत्रसं० ८ ० । ले० काल-.X । पूर्ण । वेष्टन सं०६६। प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर महावीर स्वामी, बूदी। २६६. प्रति सं०५। एत्रसं० ५३ । ले. काल सं० १९५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२१ । प्राप्तिस्थान-दि० जन मन्दिर महावीर स्वामी, बूदी। २७०. चर्चाशतक टीका- · नाथूलाल बोसी । पत्र सं०८६ । ० १२१ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय--सिद्धांत-चर्चा । र०काल-X । लेकाल-x। पूर्ण । वेष्टन सं6-८६ | प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर महावीर स्वामी, बूदी। विशेष प्रति टब्वा टीका सहित है। २७१. चर्चा समाधान-..x। पत्र सं० १३ । प्रा० ६३४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चर्चा | लेकाल-X । र काल -* । पूर्ण । वेष्टन सं० २६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। २७२. चर्चासमाधान - भूधरदास । पत्र सं० १५५ । प्रा०५६x४३ इञ्च | भाषाहिन्दी (पद्य) | विषय-मर्चा । र० काल -.सं० १८०६ माघ सुदी ५ । लेकाल-सं० १९८७ सावरण सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०८४ । प्राप्ति स्थान -भट्टारकीय शास्त्र भण्डार अजमेर । २७३. प्रति सं०२ । पत्र सं. ८७ । खे०काल—सं. १६३६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान: बूदी । विशेष:- संवत् १९३६ भाद्रपद कृष्णा २ जुधवारे सिलायतं पंडित छोगालाल लिखितं मिन रूपनारायण भोलाय मय्वे । . २७४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ६१ । लेकाल----। पूर्ण । वेष्टन सं० ११७ । प्राप्तिस्थान--दि० जन मन्दिर महावीर स्वामी बूदी । २७५. प्रति सं० ४। पत्र सं० ४७ । प्रा.---११४५६ इञ्च । लेकाल--सं० १६६७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर महावीर स्वामी दूदी । . २७६. प्रति सं० ५। एत्र सं० १११ । आ.० --१२६x६ इन्च । लेकाल सं० १८८७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर मोडियों का, सदा 1 विशेष. “धर्ममूर्ति रोद ने खीवसी विप्र से लोचनपुर में प्रतिलिपि कराई थी। २७७. प्रतिसं०६ । पत्र सं० ११४ । प्रा० x ६ इञ्च । ले०काल-सं० १९७४ । वैशाख बुद्धी १३ । पूर्ण । वेपन सं० १११ । प्राप्ति स्थान ---दि० जन पंचायती मन्दिर दूरणी । Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८.] [ अन्य सूची-पंचम भाग २७८. प्रतिसं०७ । पत्र सं० १२३ । प्रा०EX५: इञ्च । लेकाल-० १८८६ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६ । प्राप्ति स्थान-द जैन मन्दिर राजमहल । विशेष–राजमहल वा दूरणी मध्ये लिखितं । कटार्वा मोजीराम ने राजमहल के चन्द्रप्रभ मन्दिर को भेंट किया था । २७६. प्रतिसं०८ । पत्र सं० ८६ । प्रा० ११३४५३ इञ्च । ले०काल - - सं० १८५० चंत्र सुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहान । विशेष- विजयकीति जी तत् शिष्य पंडित देवचन्दजी ने तक्षकपुर में आदिनाथ चैत्यालय में व्यास सहजराम से प्रतिलिपि कराई थी। २८०. प्रति सं०६। पत्र सं० १६ । प्रा. १०३४५३ इच। ले०काल सं० १८८२ । पौष सुदी ३। पूर्ण । वेष्टन सं० १५-३१ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह विशेष-तक्षकपुर में गुमानीराम ने प्रतिलिपि की थी । २८१. प्रतिसं० १०1 पर सं ८४ । प्रा० ११४४६ । लेकाल-सं० १९७८ अपाढ़ बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टम सं० १५१ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी । विशेष- बाबूलाल जैन ने मार्फत बाबू बेद भास्कर से आगरे में लिखवाया था । २८२. प्रतिसं०११। पत्र सं०७१-१०८ । प्रा०-११४६ इञ्च । लेकाल #. १८४८ ! पौष वदी ५ । अपूर्ण । वेष्टन सं०६४।८२ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ 1 २८३. प्रति सं० १२। पत्र सं० १३५ । प्रा० १२४७ इञ्च । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन स. ६३७ । प्राप्ति स्थान -दि जैन पंचायती मन्दिर अलवर। २८४. प्रति सं० १३ । पत्र सं० ८५ । आः १२४६ इञ्च । लेकाल सं० १८०६। पूर्ण । देष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष-जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। २५. प्रतिसं० १४१ पत्र सं० १९८ । लेकाल--- । पूर्ण । वेष्टन सं. ४१२ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन पंचायती भन्दिर भरतपुर । २८६. प्रतिसं० १५ । पत्र सं.--१६१ । ले०काल सं० १८२३ जेठ सूदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१७ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-पुस्तक कामा में लिखी गई थी। २८७. प्रतिसं०१६ । पत्र सं० ११८ | ले. काल सं० १९२४ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० ४१८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर मरतपुर । विशेष-जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी तथा दो प्रतियों का मिश्रण है। २८८, प्रतिसं० १७ । पत्र सं० ११ । लेकाल. --सं० १८५४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ २६ २८६, प्रतिसं० १८ । पत्र सं० १३१ । प्रा० १०३४५ इञ्च । लेकाल- सं. १८१५ । माह बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर बयाना । २६०. प्रति सं० १९ । पत्र सं०६६ । प्रा० १२४५ इत्र । ले०काल--- । पूर्ण । वेष्टन सं०७ । प्राप्ति स्थान-१८ पंचायती पन्दिर गया ।।। २६१, प्रति सं० २० । पत्र सं० १५८ । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का 'डोग । २६२. प्रति सं० २१ पत्र सं० ११८ । आ. ११३४५१ इञ्च । ले काल-- सं० १५३४ कार्तिक :: सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२० । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर करौली 1 विशेष-बंगालीमल छाबड़ा ने करौली नगर में प्रतिलिपि करवाई थी 1 २६३. प्रतिसं० २२ । पत्र सं० १३५ । प्रा० ११४५१ इञ्च 1 ले० कान-.- ० १८१४ प्रायिन सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर करोनी । २६४. प्रति सं० २३ । पत्र सं० १०३ । आ० १२१४६ इन्च । ले काल-१८७७ सुदी १३ । पूर्ण । बेष्टन सं० १२१२० । प्राप्ति स्थान--दि जैन सौगाणी मन्दिोर करौली । विशेष--चंद्रप्रभ चैत्यालय करौली में साहिबशम ने प्रतिलिपि की थी । २६५ प्रतिसं० २४ । पत्र सं० १३२ । ले० कौल-सं० १८५२ ज्येष्ठ मुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०-३४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बड़ा बीस पंथी दौसा । "२६६. प्रतिसं० २५ । पत्र सं०६ । प्रा० x ६ इञ्च | ले. काल-सं० १५१५ । पूर्ण । बेखन सं०१३१-६१ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन मन्दिर तेरह पंथी दौसा ।। थिशेष-चिमन लाल छाबडा ने प्रतिलिपि की थी। २६७. प्रति सं० २६ । पत्र सं० १२६ । ले० काल सं० १८२३ फागुण सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७/४० प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर भादवा ( राजस्थान ।। २६८. प्रतिसं० २७ । पत्र सं० १६७ । ले० काल-सं० १९२० । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४/ १०६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर मादया { राज ! । विशेष-भंवरलाल पाटौदी ने प्रतिलिपि की थी। २६६. प्रतिसं० २८ । पत्र सं० ११७ । प्रा० १३ x ५ इञ्च । ले० काल-सं० १९३१ आषाउ सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५० । प्राप्ति स्थान –दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी ( सीकर) । विशेष-ईश्वरीम प्रसाद शर्मा ने प्रतिलिपि की थी। ३००. प्रतिसं० २६ । पत्र सं० १११ । ले. काल-सं. १८२८ फागुण सुदी २ । पूर्ण । बैलून सं० ४६६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष साह रतननन्द ने स्वयं के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ३०१. चर्चा समाधान-भूधर मिश्र । पत्र सं० ५३ । आ० १२४.६ इञ्च । भाषा-हिन्दी Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग गद्य । विषय- -सिद्धांत चर्चा । २० काल-X । लेकाल-सं० १७५५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५-४७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोड़ियों का डूगरपुर । विशेष—हूँ बड ज्ञातीय लघु शाखा के पाडलीव नवलचन्द ने प्रतिलिपि कराई थी। ३०२. चर्चासागर–५० चम्पालाल। पत्र सं०-३६० | आ. १३४६ इश्च । भाषाहिन्दी गद्य । विषय-सिद्धांत चर्चा । र०काल--सं० १९१० । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं०४४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर फतेहपुर, शेखावाटी। ३०३. चर्चासागर बचनिका---पत्र सं० ३५६ । प्रा० ११४७१ इञ्च । भाषा--- हिन्दी । विषय-चर्चा । २० काल-X । लेकाल--X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२५२ । प्राप्तिस्थान....म, दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३०४, चर्चासार-धन्नालाल-पत्र सं० २७ । प्रा० १०३४६१ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषय-सिद्धांत । र० कास--सं० १९४७ फागुण सुदी १० । लेकाल-सं० १९४७ फागुण सुदी १२ । प्राप्तिस्थान—पाश्र्वनाथ दि. जैन मन्दिर इन्दरगढ़ कोटा । ३०५. चर्चासार–पं० शिवजीलाल । पत्र सं० १५० । आः ११३४६ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-चर्चा । र०काल-सं० १९१३ । लेकाल—सं० १९५२ । पुर्ण । बेष्टन सं० ८ । प्राप्तिस्थान-दि जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान, दी। विशेष—पंडित शिवजीलाल ने ग्रंथ रचा यह सार । सकल शास्त्र की साखि नै देखि कीयो निराधर ।। ३०६. प्रतिसं०२। पत्र सं० १०७ । ले. काल सं. १९३३ । पूर्ण । वेष्टन सं०४ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, वू दी। ३०७. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १११ । ले०काल-x। पूर्ण । वेष्टन सं०६६ । प्राप्तिस्थानदि जैन पंचायती मन्दिर दूनी, टोंक । ३०८. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ५८ | लेकाल-xi पूर्ण । वेष्टन सं० ११२-५५ । प्राप्तिस्थान--दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह, टोंक । ३०९. प्रति सं० ५। पत्र सं० ६६ । लेकाल-सं० १९२६ । अपूर्ण । बेधन म०७६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । ३१०. प्रतिसं०६ । गत्र सं. १२७ । लेकाल----X । अपूरणं । वेष्टन सं० २० । प्राप्तिस्थान—दि जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । ३११. चर्चासार-X । पत्र सं० ४० | प्रा. १०४५ इञ्च । भाषा--हिन्दी । विषय-- सिद्धांत । २० काल-X । मे०काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं०१४७ । प्राप्ति स्थान--भद्रारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३१२. चर्चासार-X । पत्र सं १६ । ग्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषयमिद्धांश । २० काल-x लेकाल-X । पूरण । वेष्टन सं०१५८०१ प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जन मन्दिर अजमेर । Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ ३१ ३१३. 'चर्चासार-X । गत्र सं०७६ । प्रा० १०११५ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य | विषय - सिद्धांत चर्चा । र०का-४ । ले० काल— सं० १९२६ फागुन चुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पार्थनाथ चौगान, बू दी। ३१४. वर्धासार- । पत्र सं० ५३ । आ० x ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-- सिद्धांत । र० कास-x लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन म २४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर श्रीमहावीर बूदी। ३१५. चर्चासार संग्रह-भ० सुरेन्द्र भूषण । पत्र सं० ६ । आ० १०.४! इस | भागासंस्कृत | विषय-सिद्धांत चर्चा | २० काल ..| लेकाल-सं० १७३४ । पूर्ण । वेष्टन मं० १३० । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बदी ! विशेष-- ब्राह्मग चो ने बूदी में छोगालाल के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ३१६. च सार संग्रह-पत्र सं० २६९ । प्रा० १४१४७३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय- . चर्चा । र० काल-सं० १६.०० | ले कान---सं० १६६० । पूर्ण । वेष्टम सं० ७४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर फतेहपुर, सीकर । ३१७. चर्चा संग्रह-४ । पत्र सं० १० । ग्रा. ७ इञ्च । भाषा - प्राकृत । विषयसिद्धांत । र काल..... X । लेकाल-र । अपूणे । वेष्टन सं०६३ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर सेरहपंथी मालपुरा । विशेष-- प्रति हिन्दी टीका सहित है। ३१८. चर्चा संग्रह–x | पत्र सं० २१ । प्रा० १२५६ इञ्ज । भाषा - संस्कृत । हिन्दी । विषय-चर्चा । र० काल-X । ले अल - .: । वेष्टन मं. ७३४ । प्राप्ति स्थान-द जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ३१६, चर्चासंग्रह-४ । पत्र में० २५ । भाषा-हिन्दी । र• काल X । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ३६१ । प्राप्ति स्थरन .दिजैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३२०. प्रति सं० २६ पत्र सं० २६ । लेकाल- । पूर्ण । वेष्टन सं० ३.१ । प्राप्तिस्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३२१. चर्चा संग्रह-.x। पत्र सं० १५३ । आ० १२३४.६६ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषय-चर्चा | र० काल-X । लेकाल-मं० १८५२ माघ सुदी १ । पूर्ण । वपन स० १३० । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर, अजमेर । विशेष-विविध प्रकार की त्रिों का संग्रह है। ३२२. चर्चा संग्रह- पत्र सं० ६२ । आ०११:५४ इश्च । भाषा हिन्दी । विषय-चर्चा । अपूर्ण । २० काल--- । लेकाल-- । वेष्टन सं० ५५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर प्राधिनाथ स्वामी, मालपुग। ३२३. चौदह गुणस्थान वर्णन-नेमिचन्नाचार्य है पत्र सं० १४ । प्रात १०४५इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-मिद्धांत छन । ४० काल-- । लेकाल-सं० १५३० पाषा बी १ । पूर्म । Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रत्य सूची-पंचम भाग वेष्टन सं. ११३६ । प्राप्ति स्थान-म. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-चौदह मुग्णस्थानों का वर्णन है । ३२४. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३८ । लेकाल सं० १२४८ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ६२३ । प्राप्तिस्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३२५. प्रति सं०३। पत्र सं० ११ । लेकाल-४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६१ । प्राप्तिस्थान-म० दि जैन मन्दिर अजमेर । ३२६. चौदह गुणस्थान वर्णन-पत्र सं० २१ भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धांत । र० कालX । लेकाल-X । पूरगं । वेटन सं०७१५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३२७. चौदह गुणस्थान चर्चा-x। पत्र सं० ३९ । प्रा. ११४६३ इन्च । भाषाहिन्दी । विषय-सिद्धांत । र०काल-x | लेकाल-पं०१८४५ माघ सुदी ६ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर बर। विशेष-भूरामल की पुस्तक से महादास ने प्रतिलिपि की थी। ३२८. चौवह गुणस्थान चर्चा-X । पत्र सं० ३७ । श्रा० ६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-मर्च । र० काल-X । लेकाल-सं०१८४४ कार्तिक सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर बयाना। ३२६. चौदह गुणस्थान चर्चा .X । पत्र सं० ६ । आ० १०४४३ इच। भाषा हिन्दी । विषय-सिद्धांत । र० काल-X । लेकाल--- । पूर्ण । वेष्टन सं०५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ३३०. चौदह गुरास्थान चर्चा X ! पत्र सं० २६६ । प्रा० EX६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-चर्चा । र०कास-X । लेकाल-x | पुर्ण । बेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानगी कामा । विशेष सहायों के रूप में गुस्थानों एवं मार्गणाओं का वर्णन किया हुआ है । ३३१. चौदह गुणस्थान बचनिका-प्रखयराज श्रीमाल–पत्र सं० १०२ । प्रा. १०३४ ४ इञ्च । मापा राजस्थानी (टवारी)-श । विषय -चर्चा । सिद्धांत । २० काल-X लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान-भदारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३३२. प्रतिसं० २। पत्र सं० ३६१ । पा० ११x६ इञ्च । लेकाल-४ । पूर्ण । वेष्टन सं. १२७ । प्राप्ति स्थान--दि० हैन मन्दिर तेरह पंथी दौसा । विशेष... नाराम तेरह पंथीन चिमनलाल तेरहपंथी से प्रतिलिपि कराई थी। प्रारम्भ धर्म धुरन्धर प्रादि जिन, आदि धर्म करतार । में नमौं अध हशा तै. सव विधि मंगल सार ॥१॥ अजिन आदि पाग्य प्रभू, जयवन्ते जिनराय । शालि चतुष्क कमल, पीछे नये शिवराय । Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] वरघमान वर्ती सवा जिन शासन सुख सार पाये यह उपगार तुम तर्जी, मैं सुखकार । X X X 1X अथ शास्त्र गोमट्टसार जी वा त्रिलोकसार जी वा लब्धिसार जी के अनुसारि वा किंचत और शास्त्रां के अनुसारि चर्चा लिखिये हैं सो हे मध्य तु जानि सो ज्यान जाण्यां पदारथा का सरूप जयार्थ जाण्यां जाय । श्रर पदारथ का सरूप जरिए वा करि सम्यक्त्व की प्राप्ति होय । घर सम्यक्त्व की प्रापति से शुद्ध स्वरूप की ' प्रापति होय सो एही बात उपादेय जारिए मव्य जीवन के चर्चा सीखना उचित है । अन्तिम पुष्पिका इति श्री चीदह गुणस्थानक की वचनिका करी श्री जिनेसर की वाणी के अनुसार संपूर्ण । दोहा -- चौदह गुणस्थानक कथन, भाषा सुनि सुख होय । अस्वयराज श्रीमाल नं, करी जथामति जोय || [ ३३ इति श्री गुणस्थान टीका संपूर्ण | ग्रन्थ कर्त्ता अखय राज श्रीमाल । ३३३. प्रतिसं०- ३ | पत्र सं० २९ १ ० काल - X। भपूर्ण । वेष्टन स० - ६४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दोमा । विशेष- - पत्र सं० ३० से ३४ व २६ से आगे नहीं हैं । ३३४. प्रति सं० ४ । पत्र सं०-५२ | ले० काल सं० १७४१ कार्तिक बुदी ६ । नेष्टन सं० ६०६ ॥ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ३३५. प्रति सं०- ५ | पत्र सं० २० १ ० - ६ x ४३ इव । प्रपूर्ण वेष्टन सं० -- २६६ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ३३६. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० ४२ | ले० काल सं० १५१२ । पूर्ण । येन सं० ६१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन श्रग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष - प्रशस्ति निम्न प्रकार है सं० १८१२ वर्षे पौषमासे उदयपुर मध्ये | कृष्णपक्षे तीज तिथी शनिवासरे गुसस्थान की भाषा टीका लिखी ग्रन्थ प्रमारण - प्रति पत्र १२ पंक्ति एवं प्रति पंक्ति ३५ अक्षर ३३७. प्रतिसं० ७ । पत्र [सं० ५३ । ले० काल सं० १८५४ : पूर्ण वेष्टन सं० ११६/२८ । प्राप्ति स्थान - पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ । ३३८. प्रतिसं० ८ । पत्र सं० ५२ । ले० काल सं० १७५० कार्तिक ख़ुदी । पूर्ण वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष- -कामा में गोपाल ब्राह्मण ने प्रतिलिपि की थी । ३३६. प्रतिसं० । पत्र सं० ६५ ० १० X ४३ इव । ले० काल सं० १७५८ पूर्ण घेन सं० ७० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम माग ३४०. प्रति सं० १० । पत्र सं० ६६ । ले० काल सं० १७४१ भादवा खुदी १३ । 'पूरणं । वेष्टन सं० २१६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजीकामा । ३४१. चौबीस गुणस्थान चर्चा-- गोबिन्द दास । पत्र सं० । प्रा. १०४४ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-गुरगस्थानों की चर्चा । र० काल सं० १८८१ फाल्गुन सुदी १० । लेकाल सं०१५....) पुरणं । वेष्टन सं०४३-११६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाम टोडारायसिंह (टोंक) । प्रारम्भ गुण छियालीस करि सहित, देव परहंत नमामि । त्यो आठ गुण लिये, सिद्ध सब हित के स्वामी ।। पछत्तीस गुणां करि, विमल माप प्राचारिज सोहत । नमो जोरि कर ताहि, सुनत बानी मन मोहत । अरु उपाध्याय गच्चीस गुण सदा बसत अभिराम है। गुरण पाठ बीस फिरि साधु हैं, नमो पंच मुम्न घाम है ॥ अन्तिम संस्कृत गाथा कठिन, अरब न समझ्यो जाय । ता कारण गोबिंद कवि, भाषा रथी बनाय ।। जो या को सीथे सुरण, अरथ विचार जोष । सभा मांह अादर लहै, मूरिख कह न कोय ।। अक्षर प्ररथ वाम घटि बढि होम । बुधजन सबै सुधारज्यो माफ कीजिये सोय ॥ अठारास ऊपर गनू, इक्यासी और फागूण सुदी दशमी मुतिथि, शशि वासर शिरमोर ५६ ।। दाबुजी को साधु है, नाम जो गोबिन्ददास । तान वह भाषा रची, मनमाहि धारि उल्लास ।। नासरदा ही नगर में रच्योजू, माषा ग्रंथ । जो याकू सीखे सुर्ण लहे जैन मत पंथ ।। ३४२. चौदह मार्गरणा टीका-४ । पत्र से० ८६ । आ Ex५३ इन्च । भाषा--हिन्दी । विषयः- सिन्हांन । र०काल x | ले. कास ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ३४३. चौबीस ठाणा-४ । पत्र सं० २४ । मा०६x४इन । भाषा संस्कृत । विषय-चर्चा। र. कालः । ले० काल४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६१०। प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर, अजमेर । ३४४. चौबीस ठाणा चर्चा- नेमिचन्द्राचार्य । टिप्पणकार- दयातिलक-पत्र सं. १२३ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त। र०काल X । ले. काल सं०१८४०-अगहन । वेपन सं. ३२ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर सस्कर जयपुर । । पत्र सं० १४११ ००१ प्राप्ति स्थान-- Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] विशेष महाराजा सवाई प्रतापसिंह के शासन काल में पं० रनचन्द्र ने जयपुर के लश्कर के मन्दिर में पूर्ण किरण तथा प्रारम्भ "चम्पाप्रती नगर में किया । ग्रन्थ का नाम "जैन सिद्धान्त सार" भी दिया है जिसको दवालिलक ने प्रानन्द राय के लिये रचा था । ३४५. चौबीस ठाणा चर्चा-X. पत्र सं० १० । आ० १६४ ११३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय---सिद्धान्त । २० काल । ले० काल सं० १९४३ आषाढ सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८८ । प्राप्ति स्थान--पाश्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगड, (कोटा) विशेष-.-बड़ा नक्शा दिया हुआ है। . ३४६. चौबीस ठाणा चर्चा-श्रा० नेमिचन्द्र । पत्र सं० २६ । याः १०३४४६ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धांत । र०काल x 1 ले० कालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १६२७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३४७. प्रतिसं०-२ पत्र सं. ३०। मा० १.१४४, इव । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ९६६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ३४८, प्रतिसं०३ पत्र सं० २८ । ले० काल-सं० १६२८ श्रावणं बुदी ५ । वेष्टम सं २२ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर लपकर जयपुर । विशेष-ठाकुरसी ने ब्राह्मण चिरंजीव राजाराम से प्रतिलिपि कराई थी। ३४६. प्रति सं० ४ पत्र सं० ३२ । ले० काल-। वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर। विशेष प्रति संस्कृत टिप्परण सहित है । कृष्णगढ़ के चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। ३५०. प्रतिसं० ५। पत्र सं० ५२ । लेकाल-सं० १७८४-फागुण सुदी १२ । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है - - संवत्सरे १७८४ फागुणमासे शुक्लपक्ष द्वादशतिथौ रविवारे उदयपुरनगरे श्रीपार्श्वनाथ चैत्यालये श्री मलसंत्रे भट्टारकेन्द्र भट्टारकजी श्री १०८ देवेन्द्रकीतिजी प्राचार्य श्री शुभचन्द्रजी तत् शिष्याचार्यवर्मावार्यजी श्री १०८ क्षेमकीत्ति जी तद्रिष्य पांडे गोर्द्धनात्यस्तेनेदं पुस्तकं लिस्तितं । ३५१. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० ३० । ले० काल सं० १५५ । पूर्ण 1 वेशन सं० १७५-७५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । ३५२. प्रति सं०७ पत्र सं० २६ । ले० काल म०. १७३१ । पूर्ण । देष्टत सं० ११०/११ । प्राप्ति स्थान--अग्रवाल दि० जनमन्दिर उदयपुर ।। विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है- संवत् १७३१ वर्षे प्राषाढ़मासे खुदी ६ शुक्र श्री गिरिपुरे श्री आदिनाथ चैत्यालये श्री काष्टासंधे नंदीतटगच्छे विधागणे भट्टारक श्री राजकीर्ति व श्री अमयरुचि पठनार्थ । ३५३. प्रतिसं०८ । पत्र सं० २६ ! ले. काल सं० १७१३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१२ । १६७ । प्राप्ति स्थान--संभवनाथ दि० जन मन्दिर उदयपुर । Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग प्रशस्ति-सं०१७१३ कार्तिक सूदी ७ सोमवार को सागवाडा के मन्दिर में रावल श्री पूज विजय के शासन में पल्याणकीति के शिष्य सेजपाल ने प्रतिलिपि की थी। ३५४. प्रति सं०६। पत्र सं.२५ । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं.४१३ । १६ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । ३५५. प्रतिसं०१० पत्र सं.३० ।ले. काल सं० १७७४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१४/१६१ प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति-सं०१७७४ मंगसिर सूदी ४ रविवार को श्री सागपत्तन नगर में आदिनाथ चैत्यालय में नौतम चैत्यालय मध्ये न केशव ने प्रतिलिपि की थी। ३५६. प्रति सं० ११ । पत्र सं० १९ । ले० काल X । अपूर्ण 1 वेष्टन सं० २०० 1 प्राप्ति स्थान--संभवनाथ दि० जन मन्दिर उदयपुर । ३५७. प्रतिसं० १२ । पत्र सं० ४ । ले० काल X । पूर्ण । देत १-११४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मदर तेरहपंथी दौसा । ३५८. प्रतिसं० १३ । पत्र सं० ३४ । ले. काल X । प्रपूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान द. जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा। विशेष-हिन्दी व्या टीका सहित है । ३५६. प्रति सं० १४ । पत्र सं० १३ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन स० १९४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ३६०. प्रतिसं० १५ । पत्र सं०२३ । लेकाल x 1 पुणं । वेटन सं० ५४ प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर दीवानजी कामा । ३६१. प्रति सं० १६ । पत्र सं० ३१ । ले. काल सं० १७३६ मंगसिर सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ३६२. प्रति सं०१७। पत्र सं० २४ । ले. काल X । पूर्ण । वेटन सं ८६ । प्राप्ति स्थानदिन मन्दिर दीवानजी कामा । ३६३. प्रति सं० १८ । पत्र सं० २५ । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३२४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दीवानजी कामा । ३६४. प्रति सं० १९ । पत्र सं० ६७ । ले. काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० ११२/४ प्राप्ति स्थान-यापनाथ दि०जन मन्दिर इन्दरगढ़ ( कोटा) ३६५. प्रति सं० २० । पत्र सं० ३० । ले० फाल सं० १८४७ । पूर्ण । जीर्ण । वेष्टन सं. ३८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दवलाना अदी। ३६६. प्रति सं० २१ । पश्च सं० २४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर नागदी बूदी । ३६७. प्रतिसं० २२ । पत्र सं०१७ । प्रा०११४५१ इञ्च ले काल-संग १६१७ श्रावण Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] सुदी । पूर्ण । वे० सं० ३१४ । प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मन्दिर अभिनन्दनस्वामी बूंदी | प्रशास्ति - अथ संवतस रेस्मिन् श्रीविक्रमादित्य राज्ये संवत् १६१७ श्रावणमासे शुक्लपक्षे नक्षत्रे श्रीमूलसंघे सरस्वती गच्छे बलात्कारगणे तदाम्नाये प्रा० श्री कुन्दचार्यान्वये भ० जिनचंद्रदेश कतार्किक - चूडामणि श्री सिंघको दियराम कवारीत त्रयोदशविविचारित्रप्रतिपालक भव्यजनकुमुदप्रतिबोधित चंद्रोदये मेनार याचार्य श्री मदनबंद तत्शष्य पंडिताचार्य श्रीध्यानचंदेन इदं चतुर्दशस्थान लिपिकृतं । प्रतितत्परः पुस्तकं कृत्वा लेखकानां श्रीमोह्तवास्तव्येन सा० अरदास पठनार्थं कर्मक्षयनिमित्त' । [ ३७ ३६८, प्रति सं० २३ । पत्र सं० ४२ ले० काल x । पूर्ण वेष्टन सं० ३४६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर अभिनन्दनस्वामी बूंदी | ३६६. प्रतिसं० २४ । पत्र सं० ४८ । ले० काल - पं० १६५६ आसोज सुदी १३ । पूर्ण । न सं० १२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्रादिनाथ बूंदी | विशेष-संस्कृत टीका सहित है । ३७०. प्रतिसं० २५ । पत्र सं० २३ । आ० ११x४३ इव । ले० काल X। अपूणं । वेष्टन सं० १६ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर आदीमाथ बूंदी | ३७१. प्रतिसं० २६ । पत्र सं० ३० । ले० काल x । पु । वेष्टन सं० ४२ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूंदी | ३७२. चौबीसठारणा चर्चा- - पत्र संख्या २१ । आ० १०३५३ इन्च भाषा संस्कृत | विषय - चर्चा । र० काल X | ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ६४ : प्राप्ति स्थान - वि० जैन मन्दिर श्रभिनन्दन स्वामी, बुंदी | ३७३. चौबीसठाणा चर्चा -X | पत्र सं० २६४ । ग्रा० ११७ एव । भाषा - हिन्दी | विषय - चर्चा | २० काल X | ले० काज़ सं० १७५५ कार्त्तिकं सुदी १५ । पूर्ण वेष्टन सं० १४५७ । प्राप्ति स्थान -- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | ३७४. चौबीसठाला चर्चा - ४ । पत्र सं० १६२ | आ० विषय - चर्चा । २० काल X 1 ले० काल X | पूर्ण न ० १४५८ जैन मन्दिर अजमेर । १२४६३ इव । भाषा - हिन्दी | प्राप्ति स्थान- भट्टारकी दि० ३७५. चौबीसठारणा चर्चा - x । पत्र सं० १५० १ ० ( गद्य ) | विषय - चर्चा । २० काल X 1 ले० काल सं० १६१५ आसोज सुदी १५ १ सं० २/४५ | प्राप्ति स्थान-र्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़ । विशेष - नालाल ने माधोगढ में प्रतिलिपि कराई थी। ११३४६३ इश्व | भाषा - हिन्दी पूर्ण । वेष्टन ३७६. चौबीसठारणा चर्चा - X | पत्र सं० ७५ । आ०८३ X ४ इन्च भाषा - हिन्दी | विषय-चर्चा । १० काल X 1 ले० काल - पूर्ण । वेष्टन सं० ७३ । प्राप्ति स्थान—पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ । ३७७. चौबीसठारणा चर्चा -X | पत्र सं० १ ० ४८ X १४ इश्व भाषा - हिन्दी Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [प्रन्थ सूची-पंचम भाग विषय-सिद्धांना वर्षा । से० काल X । २० काल X । पूर्णः । वेष्टन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन पंचायती मन्दिर दुनी ( टोंक ) ३७८, चौबीसकारणा वर्धा-X 1 पत्र सं०-६ | पा०-१०४६३ इञ्च । विषय-हिन्दी । (पद्य) विषय-सिद्धान्त चर्चा । २० काल-X ! ले० काल--X । अपूर्ण । वेष्टन सं०-३७५ । प्राप्ति स्थान-दिजैन मन्दिर दबलाना बूदी।। ३७९. चौबीसठाणा चर्चा-४ । पत्र सं०-२३ । प्रा6-१.४७ इञ्च । भाषा - हिन्दी। विषय-सिद्धान्त--चर्चा । र०काल-४ । ले० कास-सं० १८७४ । पुर्ण । वेष्टन सं०.४१ प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक)। ३८०, चौबीसठारणा चर्चा-४ । पत्र सं०-४२ । प्रा०-१०१४५३ इस भाषा-हिन्दी। विषय-सिद्धान्त-चर्चा । २० काल-X । ले० काल-x पूर्ण । ३० सं०--१६७ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर नागदी, बू दी। ३८१. प्रति सं–२। पत्र सं०-४५ । ले० काल-X । पूर्ण । वे० सं०-१४३ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन पंचायती मन्दिर करौली।। ३८२. प्रति सं०-३। पत्र सं०-५६ । ले. काल-सं० १८२६1 पूरा । थे० सं०- २४-१८ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर, भादवा (राज.) विशेष-भादया ग्राम में प्रतिलिपि हुई थी। .. ३८३. चौबीसठाणा चर्चा x। पत्र सं.-५४ । मा....११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी ।। विषय-सिद्धान्त चर्चा र०काल-x I ले. काल-X | अपूर्ण । वे० सं०-१४०-६३ । प्राप्ति स्थान—दि जन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ३०४. चौबीस ठाणा .-X । पत्र सं०८ 1 पा० ११४३४ इश्च । भापा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्त चर्चा । ले० काल-xपूर्ण । बे० सं०-१३२। प्राप्ति स्थान दि. जैन श्रा पंचायती मन्दिर अलवर। विशेष-बसत्रा में पं0 परसराम ने चि० अनंतराम के पठनार्थ प्रतिलिपि फी थी । ३८५. प्रति सं०-२१ पत्रसं०-६ | प्रा०-१०३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले० कालx | पूर्ण । वे० सं०-२६१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दबलाना (ब्रूदी)। ३८६. प्रति सं०-३।४ । पत्र सं.-१४ । लेकाल- ४ । पूर्ण । वे० सं०-१८६। प्राप्ति स्थान --दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (गीकर) ३८७. चौबीसी ठारणा पोठिका-X । पत्र सं०-२-६५ । प्रा०-८३४५६ इञ्च । विषय -सिद्धान्त । '२० का- ले. काल- । पूर्ण | थे० सं०-३८२-१४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ३८८. चौरासी बोल-X । पत्र सं०-८ 1 प्रा.-११३४४३ इञ्च । भाषा--हिन्दी । विषय-बची । ५० काल-x: ले. काल-सं० १७२८ वैशाख बुदी ६ । पूर्ण । बे० सं० १६० । प्राप्ति स्थान -दि० जन साण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ ३६ विशेष—लिखित पं० जगन्नाथ ब्राह्मण लघुदेवगिरी वास्तव्य । ३८६. छियालीस ठाणा चर्चा--- । पत्र सं.... १५ । आ–१०१४५. इञ्च 1 भाषाहिन्दी । विषय-सिद्धान्त । र० काल-X । ले. काल-सं० १८५ आषाद वुदी १२ । पूर्ण 1 वे० सं०-- १६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। . विशेष- नेपक शलाका पुरुषों के नाम भी दिये हुये हैं । शेरगढ़ में पार्श्वनाथ चैत्यालय में लिखा गश था । ३६०. छत्तीसी ग्रन्थ-४ । पत्र सं० ११.६६ । प्रा० ११३ ४ ५ इञ्च । भाषा---संस्कृत । विषय-गुरगस्थान चर्चा । र०काल ४ । ले० काल सं० १६४८ । अपुरी । वेष्टन सं० ५५ । प्राप्ति स्थान--दि० जन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । प्रशस्ति निम्न प्रकार है संबन् १६४८ वर्षे आसोज ख़ुदी १३ दिने श्री मूलसंधै कुन्दकुन्दाचार्यान्वये नट्टारक श्री त्रादिभूषण गुरूपदेशात् नागदा जातीय सा. अचला भार्या वंछा पुषी राजा एतैः स्वज्ञानानरणीय कर्मक्षयार्थ इदं छत्तीसी नाम पात्रं लिखाप्य ब्रह्म म ट्रारक श्री विजयकीति अहा नारायणाय दत्तमिदं । ..." ..... पठनार्थ दत्त । गुभं भवतु । छत्तीसी ग्रन्थ समाप्त । पंक्ति १२ प्रति पंक्ति २६ अक्षर है । :३६१. जीव उत्पत्ति सझाय-हर खसरि । पत्र सं० २ । या- x ४१ इञ्च । भाला--हिन्दी । विषय --- सिद्धान्त । २० काल- ४ । ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २७३ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मंदिर बोरसली कोटा। विशेष- नंदवेगा सम्झाय मी है। ३६२. जीक्तत्वस्वरूप..- - । पत्र सं० १० । भाषा --- संस्कृत । विषय । सिद्धान्त । २० काल x | ले. काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ६४ । २५१ । प्राप्ति स्थान- दि जन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । ३६३. जीवविचार सूत्र - पत्र सं० १० । प्रा०६४ ४१ इन्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय- सिद्धान्ल । २० काल x । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर दबलाना दी। विशेष-प्रनि प्राचीन है तथा शांतिसूरि कृत हिन्दी व्या टीका सहित है । ३६४. जीवस्वरूप . ४ । पत्र सं०७ । प्रा० x ६ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय - सिद्धान्त । र काल X । ले० बाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दबलाना दी। विशेष ---प्रति हिन्दी टब्बा टीका सहित है। ३६५, जीवाजीव विचार–x । पत्र सं० ८ । आ... १० x ४: इत्र । भाषाप्राकृत । विषय- सिद्धान्त । र० का x । लेग काल सं० १८१६ । पूर्ण । वेष्टन मं० ७६ ४६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर कोधियों का डूंगरपुर । Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ पन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-हिन्दी टब्बा टीका सहित है । - X । पत्र सं.१०२ । आ. १.४४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-प्रागम । र० काल x 1 लेकाल सं १९३६ पौष गुटी १३ । । देष्टर सं. प्राप्ति स्थान दि० जै० मंदिर दीवानजी कामा | ३६७. जीवविचार प्रकरण- शांतिसूरि । पत्र सं०८ । प्रा० १० x ४३ च । भाषा--प्राकृत । विषय-सिद्धांत । २० काल x | ले. काल सं० १७२६ ज्येष्ठ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर दबलाना बूदी। विशेष-भूल के नीचे हिन्दी की टीका है। ३६८. प्रति सं०-२१ पत्र सं०-७ । प्रा०-१.४४ इञ्च । ले० काल सं० १७६३ पौष सुदी २ । पूर्ण । बेष्टन सं० १४० । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर दबलाना (दी)। विशेष-प्रति हिन्दी टीका सहित है। ३६६ प्रति सं०-३ । पत्र सं०-- लेकाल-x । पूर्ण । देष्टन सं०-५१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना । विशेष-भूल के नीचे हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है। ४००. प्रति सं०-४। पत्र सं0--७ । मे० काल--४ । पूर्ण । वे० सं०-४१ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर दबनाना (बुदी)। विशेष-मूल के नीचे हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है। पत्र ७ में दिशाशूल वर्णन भी है। ४०१. प्रति सं–५। पत्र सं०-७ । ले. काल-x 1 पूर्ण । वे० सं०-२१ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इभरगढ़ | विशेष-यति हिन्दी व्या टीका सहित है। ४०२. प्रति सं०-६ । पत्र सं०-८ ! प्रा०-१०४४ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०। प्राप्ति स्थान—दि जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । . ४०३. जीवसमास विचार--x। पत्र सं०.. ६ । प्रा० १०४४१६च । भाषा-प्राकृतसंस्कृत । विषय---सिद्धान्त । र०काल-: । ले० काल xपूर्ण । वे० सं०-१२५ । प्राप्तिस्थानदि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ४०४. जीवस्वरूप वर्णन-x। पत्र सं0-१ से १५ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषासंस्कृत-प्राकृत । विषय---सिद्धात । र०काल-X । ले० काल---४ । ३० सं०-७५८ । भपूर्ण । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है। गोम्मटसार जीवकांड में से जीव स्वरूप का वर्णन किया गया है। ४०५. ज्ञान चर्चा-x | र०काल-x1 ले. काल-x Iपूर्ण । ० सं०-१३२६ ॥ Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [४१ प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । ४०६. प्रति सं०-२। पत्र सं०-२-५५ । ले. काल सं० १८२८ भादों सुदी ४ 1 पूर्ण । वै० सं०-२१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) ४०७. प्रति सं०-६। पत्र सं.-३७ । ले. काल-X । पुर्ण । वे० सं०-३५/११५ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष-विभिन्न चर्यानों का संग्रह है । ४०८. ज्ञानसार—मुनि पोमसिंह । पत्र सं०५ । प्रा० १०x४३ । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धांत । २० काल--१०८१ श्रावण सूदी है । ले० काल-सं० १८२१ भादवा सुदी ११ । बेष्टन सं० ८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जगपुर । विशेष-पंडित श्री चोखचन्द्र के शिष्य श्री सुखराम ने नरगसागर से प्रतिलिपि कराई थी। ४०६.ठाराांग सूत्त-X । पत्र सं०--१,१३.-२३३ । ग्रा० १.४३१ इच। भाषा-प्राकृत । विषय-...पागम । र० काल-५ । ले०काल सं० १६५६ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३३४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर दबलाना दी। विशेष-प्रति हिन्दी टम्वा टीका सहित हैं । प्रशस्ति निम्न प्रकार है । टीका विस्तृत है । संवत् १६५६ वर्षे कातिक सुदी द्वितीया भौमे लिपिकृतं भामर्थे । अभयदेव सूरि विरचिसे स्थानाख्य तृतीयांग विवरणस्थानकाव्ये । अन्त में-ठाणांग बालावबोध समाप्तं च डीडवारणा स्थाने । २ से १२ तक पत्र नहीं है । इस ग्रंथ के पथ १,१३-२३२ तक घेण्टन सं० १५२ में है। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना ४१०. प्रतिसं० २ . पत्र सं०-१ से १६ । लेप काल-X ! प्रपूर्ण । वेष्टन सं० ३५० । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४११. ढाढसो गाथा-दाढसो। पत्र सं०-२-६ । प्रा० ११४४ इंच ] भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । २० काल X । लेकाल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० ४८० | २४७ । संस्कृत टीका सहित है । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर, उपयपुर । ४१२. तत्वकौस्तुभ-पं० पन्नालाल पांडया। पत्र सं०-८७४ । प्रा० १२४७१ च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-सिद्धान्त । २० काल सं० १९३४ । ले०काल-xपूर्ण । वेष्टन सं. १३६१३७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर। विशेष तत्वार्थराजवार्तिक की हिन्दी टीका है। प्रति दो वेष्टनों में है-पत्र सं०-१-४०० सक वेतृत सं० १३६ पत्र सं०-४०१-८७४ तक वेष्टन सं० १३७ । ४१३. तत्वज्ञानतरंगिणी-भ० ज्ञानभूषण । पत्र सं०७६ । प्रा० १३४७६ च । भाषासंस्कृत, हिन्दी। विषय-सिद्धान्त । र० काल-सं० १५६० 1 ले. काल सं०-१६७६ । पूर्ण । वेष्टन सं०-१६६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नागदी, बूदी । Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भागे - ~ ४१४. प्रतिसं० २ । पत्र सं०-३० । प्रा० १०४६ च । ले. काल स०१८४४.1 पूर्ण । वेष्टन सं०६८/४२ । प्राप्ति स्थान-दि मन्दिर कोटडिगों का, डूगरपुर । ४१५. तत्ववर्णन-x। पत्रसं० ३ ३६ । प्रा० १.४४१ इच। भाषा हिन्दी । विषयसिद्धान्त । २. काल-xले काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं०६०। प्राति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष-गुजराती मिश्रित हिन्दी गद्य है। .४१६. तत्वसार-देवसेन । पत्र सं० ४ मा० १३१x६ । भाषा-अपभ्रश । विषयसिद्धाल । २० कासर । ले० काल४ । वेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ४१७. तत्वानुशासन-रामसेन । पत्र सं०१७ । प्रा० १०x४६च । भाषा-संस्कृत । विषयसिद्धात । र० काल-X ।ले. काल-X ।पूर्ण । वेष्टन सं०७६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ४१८. प्रति सं० २। पत्र सं० १६ । ले० काल-X । वेष्टन सं० ५२ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ४१६. तत्वार्थबोध-बुधजन । पत्र सं० १०६ । प्रा०-११४७ इंच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-सिद्धान्त । 70 काल सं० १५७६ कातिक सुदी५ । से० काल सं० १८८२ फाल्गुन बुद्दी ४ । वेट्टन सं०७१। प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ४२०. प्रति सं० २ । पत्र सं०७४ । प्रा० १३४ ईच। ले. काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ 1 ५। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा । ४२१. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १४४ । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर नागदी बूदी। . ४२२. प्रति सं० ४ । पत्र सं०-८१। ले. काल-सं. १९८० फाल्गुण सुदी ५ । पूर्ण। वेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बु दी । विशेष-पं. हरगोबिन्द चौबे ने प्रतिलिपि की थी। - ४२३. तत्वार्थ रत्नप्रभाकर---भ० प्रभाचन्द्र । पत्र सं० १२६ 1 प्रा० १११४४३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । र०काल सं०-१४५६ भादवा सुदी ५ । लेकाल-X । पूरणं । वेष्टन सं. ३३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष-तत्वार्थ मूत्र को प्रभान'द्र कृत टीका है। ४२४. प्रति सं २। पत्र सं० १७२। ले० काल-x1 पूर्ण । बेष्टन नं. ५४६ । प्राप्ति स्थान-दि०. जैन पंबायती मन्दिर, भरतपुर । - ४२५. प्रति सं३ । पत्र सं० ११८ । ले० काल सं०-१५८० कार्तिक बुदी ११। पूर्ण । वेष्टनं सं० २२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर, करौली। ___ __ . _ ...--. Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] ..४२६. प्रति सं०४ । पत्र. सं० ७८ । प्रा० ११४८ इंच । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०-७२ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर दीवानजी, कामा । ४२७. प्रति सं०५। पत्र सं० १४३ । प्रा० १२४४ । ले०काल सं० १६८३ बैशाख बुदी ५ । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति.स्थान - दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ४२८. तस्वार्थराजवातिक--भट्टाकलंक । पत्रसं० ८७४ । भाषा - संस्कृत । विषय-- सिद्धान्त । २० काल--- ले० काल-x पूर्ण । वेष्टन सं०३:१३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर, अलवर । ४२६. प्रति सं०.-२ । पत्र सं० ६२ । आ–१३ X + इञ्च । ले. काल- -- 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० १२४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर, अलवर । ४३० प्रति सं०३भा० १४४ इञ्च । पत्रसं०-४१२। ले०काल १९६२ पौष वदी १३ पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । - विशेष—प्रति उत्तम है। ४३१. प्रति सं०- ४ । पत्र सं० १२ । ले० काल-X । वेष्टन सं० ३३ । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लपकर, जयपुर । विशेष—-१२ स आगे पत्र नहीं लिखे गये हैं । . ४३२. प्रति सं०-५ । पनसं० ५५० । आv–११४४ इश्च 1 ले. काल -X । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान—दि० जन मन्दिर दीवानजी कामा। ४३३. तत्वार्थवृति -पं० योगदेव । पत्रसं० १ मे १४६ । पा.–१२४४१ इन। भाषासंस्कृत । विषय - सिद्धान्त । 'र० काल--X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५७ । प्रारित स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रति प्राचीन है। प्रति पत्र में : पंक्ति एवं प्रति पंक्ति में ३२ प्रक्षर हैं । १०० - ११६ तक अन्य प्रति के गम है। ४३४. तत्वार्थश्लोकवातिक आ० विद्यानन्दि । पत्रसं० ५४३ । प्रा०-१२४८ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषम- सिद्धान्त । २० काल-x। ले. काल सं० १९७६ पौष सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं०३८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बू दी। ४३५. तत्थार्थसार–प्रमतचन्द्राचार्य । पत्र सं० ३३ । याः-११४५३ इच। भाषासंस्कृत । विषय-सिद्धान्त । २० काल X । ले०काल सं०.१६३६ पासोज सुदी ३ । पूणे । वेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर. । . विशेष—इति अमृतचन्द्रसूरीला कृति सुतत्वार्थसारो नाम मोक्ष शास्त्रं समाप्त। अथ ग्रन्धानन्यश्लोक सं०७२४ । . प्रशस्ति संवत् १६३६ वर्षे पासोज सुदी ३ बुधे श्री मोजिमपुर चैत्यालये श्रीमूलसंचे सरस्वती गच्छे बलात्कारगणे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये म. श्री सुमतिदेवास्तत्पट्टे भ० गुणकीतिदेवा नः कर्मसी पठनार्थ देवे माहवी लक्ष्मी त..... । Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ ] - [अन्य सूची-पंचम भाग ४३६ प्रति सं० २ । पत्र सं० ५६ । ले. काल १८१४ प्राषाढ खुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन स २१४ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-भरतपुर में लिखा गया था । ४३७. तत्त्वार्थसारदीपक-भ० सकलकत्ति । एषसं०६३ 1 प्रा०- १०.४५ इन्च । भाषा-संस्कृत 1 विषय-सिद्धान्त । र०काल- ४ । लेकाल--X । पूर्ण । वेष्टन सं०७६-४३ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष प्रति प्राचीन है। अन्तिम प्रशस्ति-सामथा। वारला जाबकनार्या बाई भिमरणादे तयोः पुत्री बाई अरम अरिक्सा पठनार्थ । ४३८. प्रति सं० २। पत्र सं०६६ । आ० १२४५३ । ले० काल-सं० १८२६ । वेष्टन सं० ४५ । दि० जन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष- महाराजा सवाई पृथ्वीसिंह के शासनकाल में जयपुर नगर में केशव ने प्रतिलिपि की थी। गल--X । पत्रसं०४ । प्रा० ११३४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धांत । र०काल x 1 ले काल ४ । पूर्ण । देष्टन सं० ५६५1 प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष-हिन्दी में तत्वार्थ मूत्र का सार दिया हुआ है। ४४०. तत्वार्थसत्र-उमास्वामि । पत्र सं० ३३। आ० ११ x ५ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धांत । २० कालX । ले०काल सं०x पूर्ण । वेष्टन सं० ११०६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि.जैन मन्दिर, अजमेर । विशेष.-इसी का दूसरा नाम भोक्षशास्त्र भी है । ४४१. प्रति सं० २। पत्र सं०११ । प्रा० १०२४४३ इञ्च । ले काल सं० १९५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० सं०६८४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। ४४२. प्रतिसं०३ । पत्र सं० १६ । प्रा०६४ ५ इञ्च । ले. काल सं०१८२५ वैशाख बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३२३ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ४४३. प्रति सं०४। पत्रसं०५ । ग्रा० १०x४३ इञ्च । ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टनसं. १००३ । प्राप्ति स्थान.-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर, अजमेर। . ४४४. प्रति सं०५ । पथ सं० ४७ । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० २२७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी । हिन्दी टीका सहित है । ४४५. प्रति सं०--६ । पत्र सं० १७ । ले०काल ४ । पूर्ण वेष्टन सं०-२२८ प्राप्ति स्थान--- 'दि जैन मंदिर पाण्वनाथ चौगान बूंदी। विशेष- मूल के नीचे हिन्दी टोका भी है। ४४६. प्रति सं०–७ । पत्र सं० ४८ । लेकाल- ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान--उक्त मन्दिर । विशेष-हिन्दी टवा टीका सहित है। Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पागम, सिद्धान्त एवं धर्वा ] [ ४५ ४४७. प्रति सं० ८ । पत्र सं. ७ । प्रा० १३ ४ ५२ इन्च । लेकाल-- ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. २३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अभिनन्दनस्वामी बू दी। ४४८. प्रति सं०६ । पत्र स० २६ । ले काल- ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अभिनन्दनस्वामी, दी। विशेष-हिन्दी टच्चा टीका सहित है । ४४६. दि १० । २४ : नेपाल -: १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५० प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । विशेष-हिन्दी टव्या टीका सहित है। पं० रतनलाल चिमनलाल की पुस्तक है। ४५०. प्रतिसं०-११। पत्र सं० १६। ले० काल सं० १९४७ चैत्र सुदी ७ । पूर्ण । वेश्न • १२१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्रीमहावीर बू दी। विशेष प्रति स्वर्णाक्षरों में लिखी हुई है । चंपालाल श्रावक ने प्रतिलिपि की थी। ४५१. प्रति सं०-१२ । पत्र सं० ५० । प्रा० ...१०४५१ इञ्च । ले० काल-। र्गा । वेष्टन सं–४२ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर कोट्योंका नैरणवां । विशेष – इसके अतिरिक्त निम्न पाठों का संग्रह और हैजिनसहस्रनाम- (संस्कृत) आदिनाथजी की वीनही किशोर-(हिन्दी)। श्री सकलकीति मुरु बंदी काति स्याम देसेसी। विनती रचीय किशोर पुर केथोण बसे जी। जो गावे नर नारि सुस्वर भाव धरेजी। त्यां धरि नोनधि होई धन कोष भरे जी। पाश्वनाथ स्तुति-बलु-हिन्दी (२० काल सं० १७०४ अषाढ़ बुदी ५) आदिनाथ स्तुति-कुमदचन्द्र-हिन्दी । प्रारम्भ--प्रभु पायि लागु कर सेव थारी । तुम्हे सांभलो श्री जिनराज महारी । अन्तिम-घरण विनउ हूँ जगनाथ देवो । मोहि राजि जे भयं भर्य स्वामी सेवो ।। था विनती भावसु जे भणीजे । कुमुदचन्द्र स्वामी जिसो हो खमीजे ।। . प्रक्षर माला-मनराम-हिन्दी । विषापहार स्तोत्र भाषा-अचलकीति-हिन्दी (२० काल सं०- १७१५) विशेष-नारनौल में इस ग्रन्थ की रचना हुई थी। ४५२, प्रतिसं०-१३। पत्र सं० ४५। पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राति स्थान--दि० जन मन्दिर राजमहल । Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : [ प्रस्थ सूची-पंचम भाग विशेष प्रति हिन्दी टवा टीका सहित है। ४५३, प्रतिसं० १४ । पत्र सं० ८ । ले० फाल-... X । अपूर्ण । बेष्टन सं० १४४. प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर, राजमहल ।। ४५४. प्रति सं०१५। पत्रसं०-५२ । ले० काल-.x । पूर्ण । वेष्टन सं०-५०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह । विशेष-हिन्दी टीका सहित है। ४५५. प्रतिसं० १६ । पत्रसं०-३३ । ले० काल' सं० १८५३ । पूर्ण । वेष्टन सं०-५६। प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष – भक्तामर स्तोत्र भी दिया हुआ है ४५६. प्रति सं०१७। पत्रसं०-५४ । ले काल-X । पूर्स । वेष्टन सं०-१४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । हिन्दी टीका सहित है। ४५७. प्रतिसं० १८ । पत्रसं०-१२-३० । लेकाल सं० १८१६ पूर्ण । वेष्टन सं०-२८६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दबलाना (बू'दी)। विशेष ---इसी मन्दिर के शास्त्र भण्डार में तत्वार्थ सूत्र की पांच प्रतियां और हैं। ४५८. प्रति सं० १६ । पत्रसं०-३८। ले. काल सं० १९४० आषाढ़ चुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७८१४० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर, इन्दरगढ़ (कोटा) 1 विशेष –प्रति हिन्दी टच्चा टीका सहित है । नसीराबाद की छावनी में प्रतिलिपि की गई थी। इस ग्रन्थ की दो प्रतियां और हैं। ४५६. प्रति सं० २० । पत्रसं०-२ से १० | विषय-सिद्धान्त । २० काल -x | ले०काल सं. १९३०। अपुरा । थेवन सं०-२१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ४६०. प्रतिसं० २१ । पत्र सं० ११ । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० २२४। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। विशेष - संस्कुत टवा टीका सहित है । ४६१. प्रतिसं० २२ । पत्र सं० १४ । लें काल-सं० १७६७ कार्तिक बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । ४६२. प्रतिसं०-२३ । पत्र सं० १५ । ले०काल - X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५४ । प्राप्तिस्थान-दि जैन मंदिर बोरसली कोटा । ४६३. प्रति सं० -२४ । पत्र सं० २० । ले०काल---सं० १९४८ पौष शुक्ला १२ । पूर्ण 1 वेष्टन सं०१५३ । प्राप्ति स्थान दि जैन खण्डेलवाल पञ्चायती मंदिर प्रलचर । विशेष- स्वाक्षरों में बहुत सुन्दर प्रति है । ४६४. प्रति सं० २५। पत्र सं० २०। ले०काल-सं० १६४८ फाल्गुन सुदी १० । पूर्ण । देवनसं०३२ । प्राप्ति स्थान--दि०जन अग्रवाल पञ्चावती मंदिर अलवर । Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रांगम, सिद्धान्त एवं चर्चा 1 I. विशेष—प्रति स्वर्णाक्षरों में लिखी हुई है। बिम्मनलाल ने प्रतिलिपिकी थी । ४६५ प्रतिसं० २६ । पत्र सं० ३४ | ० काल - X। पूर्ण वेष्टन सं०६२ प्राप्ति स्थान--- I दि० जैन मन्दिर दीवानजी, भरतपुर । :. उपरोक्त मंदिर | बहुत सुन्दर है 1 विशेष-- हिन्दी वा टीका सहित है। ४६६. प्रतिसं० २७ । पत्र सं० १५ । ले० काल - % । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४ प्राप्ति स्थान [ ४७ ४६७ प्रतिसं० २८ । पत्र सं० ४७ । ले० काल सं० १८८१ । पूर्ण वेषुन सं० २५७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । विशेष -- हिन्दी अर्थ सहित है तथा अक्षर मोटे हैं। ' ४६८ प्रतिसं० २६ | पत्र० ६ | स्थान- दि० जैन पश्चामती मंदिर, भरतपुर । विशेष – सामान्य अर्थ दिया हुआ है। इस मन्दिर में तत्वार्थ सूत्र की ४६६ प्रतिसं० ३० । पत्र सं० १६ । ले० काल -- X पूर्णं । स्थान- दि० जैन पञ्चायती मन्दिर, बयाना | ४७० प्रति सं० ३१ । पत्रसं० २७ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पश्चायती मंदिर, बयाना । विशेष-- प्रति हिन्दी तथा टीका सहित है । काल । पूर्ण वेष्टन सं० १८४ प्राप्ति १३ प्रतियां और हैं। वेष्टन सं० १२१ । प्राप्तिः ले० काल - सं०] १८३८ । पूर्ण श्रेन सं० ७२ । ४७१ प्रतिसं० ३२ । यत्रसं० २१ । ले० काल - सं० १९०४ । पूर्ण | बेष्टन सं० ८६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन छोटा मन्दिर, बयाना । विशेष – इसी मन्दिर में दो प्रतियों और हैं । ४७२. प्रतिसं० ३३ । पत्र सं० ३० । ले० काल - X पूर्ण वेष्टन सं० ६४ | प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर, कामा । विशेष - प्रति हिन्दी टव्वा टीका सहित है । इसी मंदिर में दो प्रतियां और हैं । . ४७३. प्रतिसं० ३४ । पत्र सं० २० । ले० काल -- x । पूर्णे । वेन सं० ३०९ । प्राप्तिस्थान- दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष – प्रति हिन्दी टीका सहित है । ४७४ प्रतिसं० ३५ । पत्र सं० १२ । ले० काल - । पुणं । बेष्टन सं० १९ । प्राप्तिस्थान- दि० जैन मन्दिर दीवानजी, कामा विशेष-नीले रङ्ग के पत्रों पर स्वरपक्षिरों की प्रति है । ४७५ प्रतिसं० ३६ । पत्र सं० १२ । ले० काल - X। पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्तिस्थान- दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग । ४७६. प्रतिसं० ३७ | पत्रसं० १२१ से १६२ । ले०का - X धपूर्ण येथून सं० ११० ॥ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । विशेष प्रति हिन्दी अर्थ सहित है। - ४७७ प्रतिसं० ३८ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । पत्रसं० २२० काल० १६६०: पेन सं० ३३५ ॥ ' । । ४७८ प्रतिसं० ३६ । पत्रसं०] १२ । ०काल - XI पूर्ण वेष्टन ०६८ प्राप्तिस्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । ४७६ प्रतिसं० ४० 1 पत्रसं० ७० | ले०काल - १६५४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्तिस्थान – उपरोक्त मन्दिर विशेष- हिन्दी अर्थ सहित है । । । ४८० प्रतिसं० ४१ पत्रसं०] १२ ले काल पूछें। बेष्ट सं० ३७ प्राप्ति४ । स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करौ । ४८१. प्रतिसं० ४२०२-१२ ले काल x अपूर्ण वेष्टन सं० ७७ । जीर्णं । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बदा बीसपंथी दोग़ा । । । ४८२ प्रतिसं० ४३ । पत्र० ८ ले काल- ४ पूर्ण वेष्टन सं० ५२ प्राप्ति स्थान। । दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा • ४८२ प्रतिसं० ४४ | । । ०२०। ०काल x पूर्ण वेष्टन ०६४ से १०१ ॥ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर भादवा (राज०) | ४८४ प्रतिसं० ४५० ११०फाल स० १६६७ पूर्ण वेष्टन सं० ६५ से १०१ । प्राप्ति स्थान – उपरोक्त मन्दिर । विशेष – ईश्वरलाल चांदवाड ने प्रतिलिपि की थी। | ४८५. प्रतिसं० ४६ । पत्रसं० २८ दि० जैन मन्दिर फतहपुर शेखावाटी (सीकर) । 1 ले०का पूर्ण सं० १५ प्राप्ति स्थान★ । वेष्टन | - - विशेष - लिपि सुन्दर है। प्रक्षर मोटे हैं। हिन्दी गद्य में अर्थ दिया हुआ है । ४८६. प्रति सं० ४७ | पत्रसं० २० | ले-काल । पूर्ण । येष्टन सं० १३२ । प्राप्तिस्थान - दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष - प्रति सुनही है पर किसी २ पत्र के अक्षर मिट से गये हैं । ४८७ प्रतिसं० ४८ पत्रसं० १३ ले काल सं० १८४३ प्रासीज बंदी ७ पूरी । | । । वेशन सं०] १४३ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । - । I ४८८ प्रतिसं० ४९ । पनसं०] १६ ०काल- X पूर्ण वेष्टन ०.१५५ प्राप्तिस्थान- दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष-ऋषिमंडल स्तोत्र गौतम स्वामी कृत और है जिसके पांच पत्र है। Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ ४ ४८. प्रतिसं० ५० | पत्रसं० ४२ । ले० काल X | पूर्ण । वेष्टन सं० १५८ प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर मलेकपुर (कर) 1 विशेष - एक प्रति और है । प्रति हिन्दी अर्थ सहित है । ४०. प्रतिसं० ५१ । पत्र सं० १० । (ले० काल X। प्रपूर्ण । वेष्टन सं० ४० ॥ स्थान - दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । प्राप्ति ४६१. प्रतिसं० ५२ । पत्र सं० ६- १३० । ले०काल सं० १८७७ चैत बुदी २ पूर्ण वेन सं० ८५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरहूपंथी दौरा । विशेष – संस्कृत टीका सहित है। लेकिन वह शुद्ध है । प्रमाण नधेरधिगम :- चत्वारि सजीवादीनां नव पदार्थ तस्य प्रमाण भेद द्वकरि । नय कथिते भेद द्वयं प्रमारणं भवति । नय भवति विकल्प द्वयं । तत्र प्रमाण कोऽर्थः । प्रमारमं भेद द्वयं । स्वार्थ प्रमाणं परार्थ प्रमाणं । तत्र च अयं प्रमाणं को विशेषः । प्रधान तज्ञानगरिष्टसिद्धांतशास्त्र स्वार्थ प्रमाणं भवति । यत् ज्ञानात्मकं भावश्रुतं श्रुतसूक्ष्म जल्पना अभ्यंतर आत्मज्ञान - यस्य परमार्थं भवति । स्वार्थ प्रमाणं वचनत्मकं । परमार्थ प्रमारणं तस्य वचनात्मकं श्रुत ज्ञानस्य विकल्पना एवं प्रभारण विशेषः । नय कोsर्थः । नयस्य भेदद्वयं । द्रव्यार्थनय व्यवहारमय अधिगम्य कोर्थः उपयांतरं प्रमाणनयस्य । इति भावार्थः ।। ले० काल X | अपूर्ण । वेष्टन सं० १५१ । प्राप्ति ४६२. प्रतिसं० ५३ । पत्रसं० २६ । स्थान - दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर, उदयपुर । विशेष - प्रति प्राचीन है एवं हिन्दी टव्वा टीका सहित है । ४६३. प्रति सं० ५४ । पत्रसं० २२ । ले० काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन खंडेलवाल मंदिर उदयपुर । विशेष - प्रति दव्या टीका सहित है । ४६४. प्रति सं० ५५ । पत्र सं० १८ । ले० काल X | पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ – ६२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का हुगरपुर ४५. प्रति सं० ५६ । पत्र सं ८ । ले०काल X | वेष्टन स० ४०७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लड़कर जयपुर । ४६६, प्रति सं० ५७ । सं० २३ । ले० काल ४ । बेटन सं० ४२ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ४६७. प्रतिसं० ५८ । पत्रसं० ६२ । ० ११x४ इन्च | ले० काल X। वेष्टन सं० ४३ ॥ प्राप्तिस्थान - दि० जैन मंदिर लाकर जयपुर । विशेष—प्रति हिन्दी टीका सहित है । ४९८ प्रतिसं० ५६ । पत्रसं० ८६ । ले० काल X। वेष्टन सं० ४४ प्राप्ति स्थानउपरोक्त मंदिर | विशेष- प्रति संस्कृत टीका सहित है. 1 Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५० ] [ ग्रन्थ सूखी-पंचम भाग ४६६. प्रति सं० ६० । पत्रसं० २० । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५७ । १६० प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर संभवनाथ उदयपुर । विशेष –प्रति संस्कृत टीका सहित है। ५००. प्रति सं०६१। पत्रसं० २४ । ले० काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ३५८ । १६१ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । प्रति प्राचीन है। ५०१. प्रति सं० ६२ । पषसं० ८४ । प्रा० ११ - ४१ इञ्च । ले• काल सं० १६१२ नंग दुदी भ रोष्टः सं . कास्थिता । दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष—प्रति संस्कृत टीका सहित है । भरतपुर में प्रतिलिपि करायी गयी थी। श्री मुखदेव को मार्फत गोपाल से यह पुस्तक खरीदी गयी थी। चढायतं जैन मंदिर कामा के रामसिंह कासलीवाल दीवान उमराव सिंह का बेटा वासी कामा के सावण सुदी ५ सं० १९२९ में। ५०२, प्रति सं० ६३ । पत्र सं० ६२ । ले. काल सं० १९४१ ज्येष्ठ सुदी २ । पुस । येपन सं० २१० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष प्रति हिन्दी टीका सहित है । आनंदीलाल दीवान कामावाले ने प्रतिलिपि कराकर दीवान जी के मंदिर में चढ़ायी थी। ५०३. प्रति सं० ६४ । पत्रसं० ७८ | ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ७२ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयगुर । विशेष प्रति प्राचीन है तथा संस्कृत टीका सहित है। ५०४. तत्वार्थ सूत्र भाषा X । पत्र सं० ५३ । प्रा० १२३४७१ इञ्च । भाषा-हिन्दी गा । विषय-सिद्धान्त । १० काल ४ । लेकाल सं० १९१३ भादवा सुदी ६ । अपूर्ण । वेष्टनसं.२३ प्र स्थान---दि० जन अग्रवाल मन्दिर.अलवर । ५०५. प्रतिसं०२ पत्र सं. ३३ 1 मा० १२:४८ ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन यसवाल पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष - हिन्दी में टिप्पण दिया हुआ है। ५०६. तत्वार्थ सूत्र टीका-श्रु ससागर । पत्र सं० ३१६ । पा.-११४५ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय-सिद्धान्त । र..काल x | ले. काल सं० १७९५ । पुर्ण । वेष्टन सं०६३। प्राप्ति स्थान -- दि. जैन मन्दिर अभिनन्दनस्वामी दी। विशेष-जयपुर में श्वे. प्रयागदास ने प्रतिलिपि की थी। ५०७. प्रतिसं०२। पत्रसं० ३६६ । ले०काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक)। विशेष-अन्तिम पत्र नहीं है। ग्रन्थ के दोनों पूठे सचित्र हैं। ५०८. प्रतिसं०३। पत्रसं० ४७६ । ले० काल स०१८७६। पूर्ण । वेष्टन सं० २६१४ । Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] | प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पंत्रायती दूनी (टोंक)। ५०६. प्रति सं० ४। पत्रसं० ३३३ । ले० काल सं. १८४६ माघ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष-ग्रन्थाग्रन्थ सं० १.०० । लिखायज्ञ टोड़ानगर मध्ये । ५१०. प्रति सं० ५। पत्र सं० ३१५ । ले० काल सं० १५२१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ५११. प्रति सं० ६। पत्रसं० ४६३ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान-द० जैन मन्दिर क्षवानजी कामा। विशेष-प्रति अशुद्ध है। ५१२. तत्यार्थ सूत्र भाषा-महाचन्द्र । पत्र सं० ४ । या० १२४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-सिद्धान्त। र० काल ४ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २३०-६३ । प्राप्ति स्थानदिन मन्दिर कोटड़ियों का इंगरपुर । अन्तिम--सप्त तत्व वर्णन कियो, उमास्वामी मुनिराय । देशाध्याय करिके सकल शास्त्र रहस्य बताय । स्वल्प बचनिका इम पढ़ी, स्वल्प मती बुध चिन्ह । महाचन्द्र सोलापुर रहि, पंचन कद्दे अधीन ।। ५१३. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ३७ । ले० काल सं० १६५५ काती बुदी है। पूर्ण । वेष्टन सं. २३३-५८३ । प्राप्ति स्थान --दि० जन संभवनाथ मन्दिर, उदयपुर । . विशेष-भट्टारक कनककीति के उपदेश से हुबडजातीय मला फलेलाल के पुत्र ने उदयपुर के संभवनाथ चायालय में इस प्रति को चढ़ाई थी। भीडर में गोकुल प्रसाद ने प्रतिलिपि की थी। ५१४. तत्यासूत्र भाषा-कनककीति । पत्रसं० २-६३ । प्रा० ११६४५ इञ्च । भाषाहिन्दी गद्य । विषय --सिद्धान्त । र० काल X। ले०काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० १६०४ । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। ५१५. प्रति सं० २। पत्र सं० ५५ । लेकाल x । पूर्ण। वेष्टन सं० ३५१३८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर भादवा (राज.) । ५१६. प्रतिसं० ३। पत्र सं० ११८ । लेकाल सं० १८४४ पौष बुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। विशेष प्राचार्य विजयीति के शिष्य पं० देवीचन्द ने प्रति लिखाई थी। लिखतं माली मन्दू मालपुरा का। ५१७. प्रति सं०४। पत्र सं० २२० । ले०काल X । पूर्ण । वेपन सं० २७ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर बैर । ___५१८. प्रतिसं० ५। पत्र सं० ६८ । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ७ । प्राप्तिस्थान-उपरोक्त मन्दिर । Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२ ] विशेष-प्रतिम पत्र नहीं है। ५१६. प्रतिसं० ६ पत्र सं० १९७ । ले० काल x पूर्ण वेन ० ४०६ - १५२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का इंगरपुर । ५२० प्रतिसं० ७ पत्र [सं० ८४ । ले०काल x पूर्ण वेष्टन ० ७६ प्राप्तिस्थानदि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंची दौता । [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग - ५२१ प्रतिसं०] प ० १९६० ११४७३ इस से ०काल X पूर्ण वेष्टन सं० २३ ५० प्राप्तिस्थान दि० जैन मन्दिर थड़ा बीसपंथी दौसा | विशेष – रतनचन्द पाटनी ने दौसा में प्रतिलिपि की थी । ५२२ प्रतिसं० १ पत्र सं० १२३ । ४० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंची दौता । ०काल सं० १७०५ जेठ सुदी १ । पूर्ण बेष्ट सं० २५ विशेष- पंडित ईसर अजमेरा लालसोट वाले ने प्रतिलिपि की थी । ५२३. प्रतिसं० १० । पत्र सं० ३७ श्रा० १२५३ इव । लेव्काल सं० १८६१ । पू i बेटन सं० १७ प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर दोसा | विशेष - भवानीराम से प्रतिलिपि कराई थी । ५२४. प्रतिसं० ११ । प० १२९ । सुदी ११ वेष्टन सं० २०-२५ प्राप्ति स्थान ० १०३ X ७३ इव । ले०काल सं० १८५६ चैत्र दि० जैन मन्दिर तेरही दौसा । विशेष प्रति उत्तम है। सेवाराम ने दौसा में प्रतिलिपि की थी। ५२५. प्रतिसं०] १२ । प० २४ प्राप्ति स्थान दि०जैनगन्दर वादिना ले काल सं०१८१२ ज्येष्ठ यी १३ पू वेष्टन सं०बूंदी ५२६. प्रतिसं० १३ । मत्रसं० ४-६५ । ले० काल X | अपूर्ण वेन सं० १५० । प्राप्ति स्थान दि० जंन मन्दिर दबलाना (बूंदी)। विशेष - - इसका नाम तत्वार्थरत्नप्रभाकर भाषा भी दिया है । ५२७. प्रतिसं० १४ पत्रसं० २० । ले० काल सं० १७५५ माघ सुदी १२ पूर्ण वेष्टन ० ३१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर चेतनदास दीवान पुरानी डीग । ५२६. प्रतिसं० १५ पत्रसं० ७६ । ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ३२ प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर | विशेष तत्वायंसूत्र को श्रतसागरी टीका के प्रथम अध्याय की भाषा है। ५२४. तत्वार्थसूत्र टीका गिरिवरसिंह पत्र सं०- ७७ | भाषा-हिन्दी विषयसिद्धांत । २० काल १९३५ । ले-काल ४ । पूर्णं । वेष्टन सं० ६३ | प्राप्तिस्थान -- दि० जैन मन्दिर दीवानी, भरतपुर । विशेष - टीका बही में लिखी हुई है । Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिमान्त एवं वर्धा ] [ ५३ अन्तमें-ऐसे स्वामी उमास्वामी प्राचार्य कृत दशाध्यायी मूल सुत्र की सर्वार्थसिद्धि नामा संस्कृत टीका ताकी भाषावनिका ते संक्षेप मात्र अर्थ लैके दीवान बालमुकन्द के पुत्र गिरिवरसिंह वासी कुमेर के ने अपनी तुच्छ बुद्धि के अनुसार मल सूवनि को अर्थ जानिने के लिए यह बचनिका रची और स. १६३५ के ज्येष्ठ सुदी २ रविवार के दिन संपूर्ण कोनी। ५३०. तत्वार्थसूत्र भाषा --साहिबराम पाटनी। पत्रसं० ४० । आ० ११:४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पञ्च) । विषय-सिद्धांत । र० काल में० १८१८ | ले०काल सं० १८१८ । पूर्ण | वेष्टन सं० ६६ । प्राप्तिस्थान दि जैन छोटा मंदिर बवाना। विशेष—ग्रन्थ गुटका साइज में हैं। अन्य का प्रादि अन्त भाग निम्न प्रकार हैप्रादि भाग-सुमरण करि गुरु देव द्वादशांगवाणी प्रणाम । सुरगमुक्ति मग मेव, मुत्र शब्द भाषा कहाँ । पूर्वकृत मुनिराय, लिस्त्री विविध विधि वचनिका। जिनहूँ अर्थ समुदाय लिस्लो अन्त न लख्यौ परे । टीका-शिवमग मिलवन कर्मगिर भंजन सर्वं तत्वज्ञ । बंदौ तिहगुण लब्धिको वीतराग सर्वज्ञ ।। अन्तिम---कवि परिचय --हैं प्रजाना जिन प्राश्रमी वर्ण वनिक व्यवहार । गोल पाटणी वंश गिरि है बूदो प्रागार ॥२१ ।। बमुदश शन पार दसरुवमु माघ विशति गुणग्राम । ग्रन्थरच्यौ गुरुजन कृपा सेवक साहिवराम ।। २२ ।। ऋषि खुशालचन्द ने बयाना में प्रतिलिपि की थी । ५३१. तत्वार्थ सूत्र भाषा-छोटेलाल । पत्रसं० ७५ । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषयसिद्धान्त । र० कान सं० १९५८ । ले० काल सं० १९५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । विशेष—प्रोटेलाल जी अलीगढ़ वालों ने रचा था ! कवि का पूर्ण परिचय दिया हुआ है तथा गुटका साइज है । ५३२. तत्वार्थ सूत्र भाषा-२० सदासुख कासलीवाल । पत्रसं० २० । प्रा० १२:४५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी (गद्य) । विषय-सिद्धांत । २० काल सं० १९१० फाल्गुण बुदी १० । ले. काल सं० १९१० । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर पाश्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ५३३. प्रति सं०२। परसं० ८८ ले • काल-सं० १९७९ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्तिस्थान-दिजैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ५३४, प्रति सं०३ । पत्र सं० १७७ । प्रा० १०१४५१ इञ्च ले०काल सं० १६५२ 1 अपूर्ण । वेष्ठन सं०-३६.५ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मंदिर दबलाना दी । ___५३५. प्रति सं०४। पत्र सं० ३७ । प्रा० १०६४५३ इञ्च ! ले०काल सं १९१४ आसोज सुदी १४ । पूर्ण । वेष्ठन सं० ६।६४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़, कोटा । Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्ध सूची-पंचम भाग ५३६. प्रति सं० ५ । पत्रसं० ७३ । लेकाल-सं० १९१३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२-३६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) विशेष-भैरववश ने प्रतिलिपि करायी थी। ५३७. प्रति सं०६ । पत्रसं० १५ । प्रा० १२४ ५इच । लेकाल सं० १६१३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ५३८. प्रतिसं०७ । पत्रसं० ६६ । प्रा० १२५५ श्च । ले० कास सं० १९२५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११२ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ५३९. प्रति सं० । परसं० ६७। ले० काल सं० १९६२ । पूर्ण । चेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान -उपरोत मन्दिर ५४०. प्रति सं०६ । पत्रसं० १०७ । ले०कास १९६२ चैत्र बुदी ४ । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर। ५४१. प्रतिसं० १० । पत्र सं०६७ । प्रा० १४४६ इन्छ । लेकाल सं० १९५६ भादवा बुदी २१ पूर्ण । वेष्टन सं० २६ प्राप्ति स्थान – उपरोक्त मन्दिर । ५४२. प्रतिसं० ११ । पत्रसं०५६ । प्रा० १५१४५३ इच। ले. काल सं० १९२३ । पूर्ण । देष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । ५४३. प्रतिसं० १२। पत्रसं० ७३ । प्रा० १४४८ इच। ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । ५४४. प्रतिसं० १३ । पत्रसं० ७३ । ले०काल सं० १९५५ । पूर्ण । वेष्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर हण्डाबालों का डीग। ५४५. प्रतिसं०१४ । पत्रसं० ६३ । प्रा० १३४७ इश्च । ले० काल ४ । पूर्ण । देष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान –दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ५४६. प्रतिसं०१५। पत्र सं० ३० । प्रा० १२४७ इञ्च । ले० काल सं० १९४३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३० । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर पाश्र्वनाथ चौगान, बूदी। ५४७. तत्वार्थसूत्र भाषा -(वचनिका)—पन्नालाल संघी। पत्र सं० ५५ । आ० १:४८ इश्च । भाषा-राजस्थानी (दारी) गद्य । विषय-सिद्धांत । र०कान सं. ११३८ । ले. काल सं.१६४६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्री महावीरजी बूदी। विशेष-बीअलपुर में प्रतिलिपि हुई । ५४८. प्रति सं. २ । पत्र सं० ६४ । ले. काल सं० १९४२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४४ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर श्रीमहावीर दी। ५४६. तत्वार्थसूत्र भाषा-(वचनिका)-जयचन्द छाबडा । पत्र सं० ३६३ । प्रा० १११४ ६ इन्च । भाषा-राजस्थानी (ढारी) गद्य । विषय-सिद्धांत । र०कास सं० १९६५ चैत्र सुदी ५ । ले०कालसं० १८८० माघ सुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर करौली 1 ___ - - Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] ५५०, प्रतिसं० २। पत्रसं० २६६ । प्रा० १३४७ इञ्च। ले०काल सं० १९४१ माघ सुदी १४ पूर्ण । वेष्टन सं० ११-३७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगद (कोटा)। विशेष—पन्नालाल मांगीलाल के पठनार्थं लिखी गयी थी। ५५१. प्रति सं०३। पत्रसं० ३५४ । प्रा० १३ x ८६ इञ्च | ले. काल सं० १९४५ वैशाख सुधी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ५५२. प्रतिसं० ४। पत्रसं० ३५४ । ग्रा. ११४६ इञ्च । ले० काला सं० १६१५ । पूर्ण । वेष्टन से ० १४२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्रीमहावीर कूदी। ५५३. प्रति सं० ५। पत्रसं० ३१० । आ. १४४६३ इञ्च । ले काल सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं०६ 1 प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर श्रीमहावीर बूदी । ५५४. प्रति सं०६। पत्रसं० ३५४ । प्रा० १०४६ । ले० काल सं० १८१५ । पूर्ण । वेष्ठन संग २१७ । प्राप्ति स्थान--दि० जन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ५५५. प्रतिसं०७. ० ५३ । १ . बाल सं० १६६७ । पूर्ण । श्रेश्टनसं० १०३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ५५६. प्रतिसं०८। पत्र सं० २६। प्रा० ११६४५६ इञ्च। ने०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) । ५५७. प्रतिसं०६। पत्र सं० ४४७ 1 मा० १०३४७२ इञ्च । ले०काल स० १९५८ । पूर्ण । बेटन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि० अन मन्दिर कोव्योंका, नगा या । ५५८. प्रति सं० १०॥ पत्र सं० ३७१ । प्रा० •३ x ६ इन्च | ले. काल सं० १९३२ आषाढ़ बुदी २। पूर्ण । वेष्टन सं० ५१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पञ्चायती मन्दिर बयाना । ५५६. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ३२१ । या० १२३४५१ इञ्च । ले०काल सं० १६११ आषाढ़ बुदी ६ । पूर्ण । बेष्टन सं० ५.६ । प्राप्ति स्थाल–दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । ५६०. तत्वार्थसूत्र भाषा-X। पत्रसं० ३८ 1 आ०११४६३ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषयसिद्धान्त। र० काल-x। लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६२ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मंन्दिर दीवानजी, कामा । ५६१. तस्वार्थसूत्र भाषा....... पत्रसं० ६ | भाषा-हिन्दी । विषय:--सिद्धांत । २० काल - X । लेकाल १७५५ आषाढ दी है। पूर्ण । वेष्टन सं०४ । प्राप्ति स्थान –दि जैन पंचायती मन्दिर दीग। ५६२. तत्वार्थसूत्र भाषा.......। पत्रसं. ८४ । प्रा० १२४६३ इञ्च । भाषा -हिन्दी । विषय-सिद्धांत । र०काल ४ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८२ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर दीबान चेतनदास पुरानी डीग । ५६३: तत्वार्थसूत्र भाषा.... । पत्र सं० ४३ । मा० ११४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृतहिन्दी । विषय---सिद्धांत 1 र० काल x । लेकाल १६५३ । पूर्ण: । बेष्टन सं० ३५ । शान्ति स्थान--- वि. जैन मंदिर दीवान वेतनदास पूरानी डीग । Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है। या...। पत्रसं० २२ । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धांत । र०कालX । ले०काल सं० १५२६ माह' मुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३८ । प्राप्ति स्थान दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ५६५. तत्वार्थसूत्र भाषा । पत्रसं० ३४ । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय -सिद्धांत ।२० काल x। ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५४८ । प्राप्ति स्थान दि० जनपंचायती मन्दिर, भरतपुर । ५६६. तत्वार्थसूत्र भाषा ....... । पत्रसं० ४१ । भाषा-हिन्दी । ले. काल XI पूर्ण । वेष्टन-सं० ५५० । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ५६७. तत्वार्थसूत्र भाषा ........ । पत्रसं० ५५ । भाषा-हिन्दी । लेकाल १६६६ । पूर्ण । । बेष्टन सं० ५५१ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्ता मन्दिर । - ५६८. तत्वार्थसूत्र टीका...... पत्रसं० ८३ । भापा-हिन्दी। ले०काल 'x | पूर्ण । वेष्टन सं० ५५२ । प्राप्ति स्थान - उपरोक्त मन्दिर । शिशेत --का ३८ । ५६६. तत्वार्थसूत्र भाषा....." । पत्रसं०-१५ । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । ले० कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५५५ ।। विशेष-हासिये के चारों ओर टीका लिखी है । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ५७०. तत्वार्थमूत्र माषा X । पत्रसं०६२ । भाषा-हिन्दी। र०काल--Xiले. काल१७६६ । पूर्ण । वेधन सं० ५५६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-थलसागरी टोकानुसार कनककीति ने लिखा था। ५७१. तत्वार्थसूत्र माषा X । पत्रसं० ६५ । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धांत । र० काल ४ । ले०काल १९२४ । पूगी । बेष्टन सं० ५५८ । प्रारिष्ट स्थान - उपरोक्त मन्दिर । विशेष-मूल सहित है। ५७२. तत्वार्थसूत्र भाषा X । पत्रसं० ३० । प्रा० x ४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत- ' हिन्दी । विषय-सिद्धांत । २० काल - । ले०काल सं० १८१६ माह सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६६ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । ५७३. तत्वार्थसूत्र-भाषा X । पत्र सं० ७६ । प्रा०७३ - ५ इच । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय- सिद्धान्त । र० काल- ४ । लेकाल सं० १६०५ यासोज, खुदी १ । पूर्ण । वेष्टन स०७२६ ॥ प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर गजमेर । ५७४. तत्वार्थ सूत्र भाषा X । पत्रसं०६६ । प्रा० ११३ x ६३ इञ्च । भाषा-संस्कृतहिन्दी । विषय-सिद्धान्त । र० काल - । ले०काल x । पूर्ण । बेष्टन सं० १०२७ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५७५. तत्वार्यसूत्र भाषा । पत्रसं० २० । प्रा० १२ x ५३इन् । भाषा-हिन्दी । Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] विषय-सिद्धांत । २७ काल -४ । लेकाल-२०१८४६ साबन सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२१ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि जैन मंदिर, अजमेर । ५७६. तत्वार्थसूत्र भाषा ४ । पत्रसं० ११६ । प्रा. ११३ ४ ५ इच । भाषा-संस्कृत हिन्दी विषय-सिनांत । २० काल-x। लेकाल सं० १६७ ज्येष्ठ सदी १३ । पूर्ण । वेष्टन स. ७७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन तेरहपंथी मंदिर, नैरंगवा । विशेष-जीवराज उदयराम ठोल्या ने तोलाराम वैद्य से नैणवा में प्रतिलिपि कराई थी। ५७७. तत्वार्थसूत्र-भाषा X । -पत्रसं० ४२ । आ०७५ x ५३ इच। भाषा-संस्कृतहिन्दी । विषय-सिद्धांत । २० कास ४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५४ । प्राप्ति स्थानखण्डेलवाल दि जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ५७८. तत्वार्थसूत्र भाषा X । पत्रसं० १४३ आ०१.४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । विषय-सिद्धान्त। र काल x | लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३-४४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर बड़ा बीसपंथी दौसा । ५७६. तत्वार्थसूत्र भाषा X । पत्रसं० ६ से ५३ । प्रा० १२ ४ ५ इच । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-सिद्धात । २० कान -। ले०काल - । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०६-६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर बड़ा बीसपंथी दौसा। ५७. सत्यार्थ सूत्र भाषा । पत्रसं० ११८ । मा०१० x ६१ इन्च । भाषा संस्कृत हिन्दी। विषय-मिद्धांत । र० काल ४ । ले०काल सं० १६१३ मंगसिर बुदी १३ । पूर्ण । चेन सं० २३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर कोव्यों का, नणवां । ५८१, तत्वार्थसूत्र भाषा X । पत्रसं० १५७ । प्रा०६४ ६ इञ्च । भाषा-संस्कृति, हिन्दी । विषय-सिद्धांत । र० काल सं. ४ । ले०काल सं० १९८८ चैत्र सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर कोटयों का, नैणवां । विशेष-नणयां नगर में लछमीनारायण ने टोडूराम जी हंध के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ५८२. तत्वार्थसूत्र भाषा X । पत्रसं० २७ । प्रा० १२ ४७१ इश्च । भाषा - संस्कृत, हिन्दी । विषय-सिद्धांत । २० काल' X । लेकाल । पूर्ण । देष्टन सं० ३० । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर कोटयों का, नैरावा । विशेष—प्रति टब्बा टीका सहित है। ५८३. तत्वार्थसूत्र भाषा x। पत्रसं० १३ । प्रा० १० x ५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषय-सिद्धांत । २० काल X । ले०काल सं० १७८३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३८ । प्राप्ति स्थान- दि जैन अग्रवाल मंदिर, उदयपुर । ५८४. तत्वार्थसूत्र-भाषा X । पत्रसं० १००। मा० = x ५३ इञ्च । भाषासंस्कृत-हिन्दी (गद्य) । विषय-सिद्धान्त । २० काल ४ । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर बोरसली कोटा । विशेष-हिन्दी गद्य टीका दी हुई है। Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५८५. तत्वार्थसूत्र भाषा x | पत्र सं० ६० । आ० १०३ x ४ इञ्च । भाषासंस्कृत-हिन्दी (पद्य) : विषय सिद्धान्त । र० काल x | ले०काल सं० १८५२ । पूर्ण । वेष्टन सं०११५ । प्राप्ति स्थान... दि जेन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर, अलवर । ५८६. तत्वार्थसूत्र भाषा X । पत्रसं० ३४ । आ. १.१४५१ इञ्च । भाषासंस्कृत हिन्दी (गद्य) | विषय-सिद्धान्त । र० कालX । काल में० १९२३ । पूर्ण । वेष्टन संस्था ११३ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ५८७. तस्वार्थसूत्र-भाषा X । पत्र सं० २-३८ । प्रा० १४ x ६३ इञ्च । भाषाहिन्दी (गद्य) । विषय-सिद्धान्त । र०काल X । ले०काल X 1श्रपुरण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर श्रीमहावीर दी। ५८८. तत्वार्थसूत्र भाषा X । पत्र सं०६१ । या०६x४३ इञ्च । भाषा-सस्कृतहिन्दी गद्य । विषय-सिद्धांत । र०कालX । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर अभिनन्दनस्वामी दी। विशेष---लेखक प्रशस्ति का पत्र नहीं है । ५८. तत्वार्थसूत्र भाषा X । पत्र सं० ४० । मा० १३ x ५ इञ्च । भाषाहिन्दी गद्य | विषय-सिद्धांत । १० काल X । लेकाल सं० १९०७ द्वि० जेठ बुदी १४ । पूर्ण । येन सं०३.1 प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर.नागदी, दी। ५९०. तत्वार्थसत्र भाषा X । पत्र सं० ३१ । प्रा० ११४५ च । भाषा-हिन्दी। विषय-सिद्धांत । र०काल-x ले०काल सं० १९६५ भादवा बुदी५ । पुर्ण । वेष्टन सं० १४१० । प्राप्ति स्थान-भट्ठारकीय दि० जैन मन्दिर, अजमेर । ५६१.तस्वार्थसत्र भाषा र । पत्र सं०६५ । आ०१२४८ इन। भाषा-संस्कृत । हिन्दी । विषय-सिद्धांत । २० काल X । लेकाल सं० १९५४ कार्तिक सुदी ४ । पूरणं । बेष्टन सं. १५७२ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५६२. तत्वार्थसूत्र भाषा X । पत्र सं ४३ । प्रा० ११४५ इन्छ । भाषा--संस्कृत । हिन्दी । विषय-सिद्धांत । र० काल-X ।ले. काल-- १६०१ श्रावण सुदी ५ । पुर्ण । वेष्टत सं०१४-११ । प्राप्ति स्थान—महारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । ५६३. तत्वार्थसूत्र-भाषा X । पत्र सं० १२ । प्रा० ११४५ इञ्ज । भाषा--हिन्दी । विषय---सिद्धांत । २० काल सं० १८१८ । लेकाल सं० १५२६ । पूरणं । वेटन सं० १४६७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५६४. तत्वार्थसूत्र भाषा X ।।पत्र सं० २१ । आ. १२ x ७६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय--सिद्धांत । र० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५३० । प्राप्ति स्थान - मट्टारकीय दि. जैम मन्दिर, अजमेर । ५४५, तत्वार्थसत्र भाषा x 1 पत्र सं० १५१ । याः १२१X८ इञ्च । भाषा-संस्कृत. हिन्दी | विषय-सिद्धांत । र०काल X । लेकाल सं०१८४२ माह सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धान्त प्रागम एवं चर्चा ] [५६ सं० १५७६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय शास्त्र भण्डार अजमेर । ५६६. तत्वार्थसूत्र भाषा । पत्र' सं० १६६ । श्रा० ६ x + इश्व | भाषा - हिन्दी । विषय-सिमांस । काल र । लेकाल सं १८४३ चैत सदी । पग । देषन सं प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन मन्दिर, अजमेर : विशेष-किशनगढ़ में पं० चिमनलाल ने प्रतिलिपि की । ५६७. सत्यार्थसूत्र भाषा · ·X । पत्रसं० ६१ । आकार १०४ ७१ इञ्च । भाषा-हिन्दी गष्ट । विषय-सिद्धान्त । ० काल--X । लेकाल-सं० १६३२ । पूर्ण । बेष्टन सं ११४ । प्राप्ति स्थान–खण्डेलवाल दि. जैन पंचायती मन्दिर, अलवर । ५६८. तत्वार्थसुत्र भाषा X । पत्रसं० १२७ । प्रा० १० x ५ इञ्च । भाषा - हिन्दी{ गद्य ) । विषय - सिद्धांत । २० काल-x | लेकाल सं० १८७७ प्राषाढ़ दुदी २ । पूर्ग वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर, राजमहल (टोंक) । विशेष श्लोक सं० ३००० प्रमाण ग्रन्थ है । ५६६. तत्वार्थसूत्र भाषा X । पत्र सं० २५० । मा० १४४६६ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य विषय सिद्धान्त । र० काल - ४ । से०काल सं० १८९३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान दिन जैन मंदिर तेरहपंथी मालपुरा । टोंक ) । ६००. तत्वार्थसूत्र. भाषा X । पत्रसं। १२६ । प्रा०, ५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य | विषय - सिद्धांत । २० काल-X । लेकाल सं० १९१० 1 पूर्ण । येष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान-खगहलवाल दि० जन पंचायती मन्दिर, अलबर । ६०१. तस्वार्थसूत्र भाषा X 1 पत्रसं० ६० । आ० ११] x ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) विषय- सिद्धांत । '२० काल .. X । लेकाल सं. १८०० मंगसिर सुदी ५ । पूर्ण। देहन स०८/३३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर मादत्रा राज) । विशेष—मालपुरा में प्रतिलिपि की गमी थी। ६०२. तत्वार्थसूत्र भाषा---X । पत्रसं०३८ । आo.--१० x ५१ इञ्च । भाषाहिन्दी गद्य । विषय- सिद्धान्त । र काल--X । ले० काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६-२३ । प्राप्ति: स्थान ---दि० जन मंदिर कोरहियों का डूगरपुर । ६०३. तत्वार्थसूत्र भाषा X । पत्र सं० ७६ । प्रा०-१२३ ४ ६२ इञ्च । भाषा- हिन्दी गछ । विषय- सिद्धान्त । २० कार-X । ले०काल-सं० १८८७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थाचं-दि० जैन मंदिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । ६०४. तस्वार्थसूत्र भाषा X पसं० २६ । मा० ११ x ७ इञ्च । भाषा संस्कृतहिन्दी । विषय-सिद्धान्त । २० काल-X । लेकाल X पूर्ण बेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन खंडेलवाल मन्दिर, उदयपुर । विशेष प्रति दन्वा टीका सहित है । Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६० ] [ प्रग्य सूची पंचम भाग ० १०६ X ४३ इ । । । भाषा - X ले काल - X पूर्ण वेष्टन सं० १५६ प्राप्ति । । ६०५ तत्वार्थ सूत्र भाषा -X | पत्रसं० ५१ हिन्दी गद्य विषय सिद्धाय २० काश - । | स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर करौली । विशेष – केवल प्रथम अध्याय तक है । ६०६. तत्वार्थसूत्र भाषा विषय - सिद्धान्त । २० काल - X | जैन खण्डेलवाल मन्दिर, उदयपुर । पसं० ४९ पा० १०३ X ६ भाषा - हिन्दी । | पत्रसं० | इञ्च ले० काल x । पूर्णं । वेष्टन सं०–६६ प्राप्ति स्थान- दि० । ६०७ तत्वार्थसूत्र भाषा - X | पत्रसं० १०० । आ० - ११३ X १५३ भाषा - हिने गया विधव सिद्धान्त २० काल - X से काल - अपूर्ण वेष्टन सं० २६ | ले० X | । । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर तेरहृपंथी दौसा । विशेष – केवल प्रथम अध्याय की टीका है और वह भी अपूर्ण है। - पषसं० ३२ ० १२३ x ६इ र काम । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मंदिर | ६०७ (क) तत्वार्थसूत्र भाषा X ले० काल सं० १९१९ । पूर्ण वेष्टन सं० ३८ विशेष- हिन्दी टव्वा टीका सहिल हैं। ६०८. तत्वार्थसूत्र वृत्ति - X / विषय - सिद्धान्त । २० काल - X | ले० काल मन्दिर राजमहल टोंक । ज्ञानचंद तेरापंथी ने दोखा में प्रतिलिपि की थी । पत्रसं० ४० पा० ०x४३ इव । भाषा–संस्कृत । । X पूर्णं । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन | विशेष- अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है- इति श्रीमदुमास्वामी त्रिरचितं तत्वार्धसूत्र तस्य वृत्तिस्तवार्थदीपिका नाम्भी समाप्तम् इस वृत्ति का नाम तत्वार्थ दीपिका भी है। I ६०६. तवार्थसूत्र वृद्धि - X पत्रसं० ३८४०१० X १३ इञ्च भाषा–संस्कृत | विषय- सिद्धांत २० काल X | से० काल सं० १७६१ फागु मुदी १३ पूर्ण बेन सं० ३५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ६१०. तत्त्वार्थसूत्र वृत्ति - X विषय- सिद्धात २० काल X ०काल । | स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का डूंगरपुर । ६११. सत्वार्थ सूत्रवृत्ति - x ० ६५ । भाषा संस्कृत २० काल --- X। ले० काल - X पूर्ण वेष्टन सं० १९०१२५ मंदिर उदयपुर । प्राप्ति स्थान विशेष - प्रति प्राचीन है । ६१२. त्रिभंगीसार नेमिचन्द्राचार्य । पत्रसं० ७४ १ ० ११४५ इव विषयसिद्धांत १० काल X ले०काल सं० १२०७ बुदी १० पूर्ण । वैशाख । प्राप्ति स्थान । भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । - पत्र० २१ ० १२४६ इञ्च भाषा-संस्कृत । x धपूर्ण वेटन सं० २२२ ८० प्राप्तिX । । । विषय सिद्धान्त । दि० जैन पंचायती । भाषा प्राकृत । वेष्टन सं० १६२ । ६१३. प्रतिसं० २ पत्रसं० ११ ते ०काल सं० १९३३ पूर्णां । वेष्टन सं० २९२ । प्राप्ति Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ! स्थान - दिन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । विशेष-हिन्दी टीका सहित है तथा टीकाकार स्वरचन्द ने सं० १९३३ में टीका की थीं। ६१४. प्रतिसं० ३ 1 पत्रसं० ३३ । लेकाल-x। पूर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान- यि जैन पंचायती मन्दिर, डीग । विशेष—कठिन शब्दों का अर्थ भी है। ६१५. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० ५६ । लेकाल-x । अपूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ६१६. प्रति सं० ५। पत्र सं० ४४ । प्रा० ११३ ४ ५३ । र० काल-X । लिपिकाल-x। प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर लशकर, जयपुर। ६१७. त्रिभंगीसार टीका--विवेकनन्दि । पत्रसं० ५६ । प्रा० १२ x ५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -- सिद्धान्त । टीकाकाल-x | लेकाल सं० १७२७ पासोज बुदी ३ । पूर्ण । बेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी खूदी । ६१८, प्रतिसं०२। पत्रसं० ६७ । आ. १.x ४५ इञ्च । ले. कान . X । पुर्ण वेष्टन स० ११६ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन मन्दिर दीवानजी, फामा । ६१६. प्रति सं०३। पत्र सं० ६७ । प्रा० ११ x ४५ इञ्च । लेकाल-.X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिरर दीवान जी, कामा । ६२०. त्रिभंगीसार भाषा X । पत्रसं०५८ । प्रा० x ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य)। विषय-सिद्धांत र० काल-x। लेकाल सं---X । अप्तरणं । वेष्टन सं० १७१ । प्राप्ति स्थानदि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६२१. प्रतिसं०२। पत्रसं. ६ । लेकाल-x। अपूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्तिस्थान—दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ दी। ६२२. त्रिभंगीसार भाषा X । पत्रसं० २२ । भाषा-हिन्दी । विषय- २० काल-XI ले० काल-४। पूर्ण । वेष्टन स० ३७५ । प्राप्तिस्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । ६२३. विभगी सुयोधिनी टीका-पं० प्राशाधर । पत्रसं० २७ । आ० ११३ X ५। भाषा संस्कृत । विषय-सिद्धांत । २० काल--X । लिपिकाल-सं० १७२१ माह सुदी १० । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-प्रय समाप्ति के पश्चात् निम्न पंक्ति लिखी हुई है ''यह पोथी मालपुरा का सेतावर पासि लई छ। तात यह पोथी साल जोधराज गोदीका सांगानेर बालों को छ ।" ६२४. प्रति सं० २१ पत्रसं० ८६ । लिपिकाल-सं० १५८१ भासोज सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन स. २१ । प्राप्तिस्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-हस्तिकान्तिपुर में मंगादास ने प्रतिलिपि की श्री । Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६२५. अपनभाव चर्चा-- ४ । पत्र स ४ । प्रा०-६३ ४ ५३ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय - चर्चा । र० काल-X । ले०काल सं० १८७३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४ । प्राप्तिस्थान... दि. जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) । विशेष-अजमेर में प्रतिलिपि की गयी थी। ६२६. दशवकालिक सूत्र-X । पत्रसं० ५८ | भाषा--प्राकृत । विषय-मागम । २० काल । ले०काल सं० १७५३ । पूर्ण । वेटन सं०७४७ प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । विशेष—गुजराती लिपि हिन्दी) टीका सहित है गाघानों पर अर्थ है । ६२७. प्रति सं० २ । पत्रसं. १७ । लेकाल-सं. १८२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६० । उपरोक्त मदिर । दि. जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । ६२८. प्रतिसं०३। पत्रसं०१६ । आ०x४१।ले०काल सं० १६७६ माह बुदी ११ । पूर्ण । बंटन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष-- प्रति हिन्दी टव्वा टीका सहित है । ६२६. प्रति सं०४। पत्रसं० २०1 पा.१२१x६ इञ्च । ले०काल सं० १५९१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर । विशेष संवत् १५६१ वर्षे प्रथम श्रावण सुदि ३ शनी ज्ञानावरणादिक कर्मक्षयार्थं तेजपासेन इदं ग्रंथ स्वहरलेन निखितं । ६३०. प्रतिसं०५ । पत्रसं० ६१ । प्रा. १० x ४३ इन्च । ले०काल सं० १७४१. मात्र सुदी२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५१ । प्राप्ति स्थान -- दि० जन मन्दिर बोरसली कोटा । ६३१. द्रव्यसमुच्चय-कंजकीर्ति । पत्र सं० २ । प्रा० १२ x ५ । भाषा--संस्कृत । विषय सिद्धान्त । 'र०काल x । लिपि काल०-४। वेष्टन सं० ६ प्राप्ति स्थान....दि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष --शुभचन्द्र की प्रेरणा से कंजक्रीति ने रचना की थी। ६३२. प्रतिसं०२ पसं. ६ । प्रा. ११ x ५। भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । २० का X । लिपिकाल · X । वेष्टन सं०७ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ६३३. द्रव्यसंग्रह नेमिचन्द्राचार्य । पत्रसं० ६ । प्रा० १०३४५. इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । १० काल--X । से०काल-सं १९४५। पूर्ण । श्रेपन सं. ६२२ 1 प्राप्ति भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष प्रति टन्दा टीका सहित है । ६३४. प्रति सं० २। पत्रस० ५ ! ग्रा० ११४५ इञ्च । लेकाल- ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २। प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है । इस मन्दिर में संस्कृत टीका सहित ४ प्रतियां और हैं। ६३५. प्रतिसं०३। पत्रसं०७। या०११४५ इञ्च । लिपि सं.१९६८ । वेटनसं०५) प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] विशेष प्रति सस्कृत टीका सहित है । प्राचार्य हरीचन्द नागपुरीय तपागच्छ के पठनार्थ प्रतिलिपि की गई थी। ६३६. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० ४ । ले काल--X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्तिस्थान-- दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष—इस मन्दिर के शास्त्र भण्डार में ४ प्रतियां और है। ६३७. प्रतिसं०५ । पसं०५ । ले० काल -- सं० १७५० । पूर्ण । वेष्टन सं. ३१४ । प्राप्ति-- स्थान—दि जैन मंदिर दीवानजी कामा। विशेष-इस मन्दिर में ४ प्रतियां श्रार है जो सस्कृत टीका सहित है। ६३८. प्रतिसं० ६ । पत्रसं० २१ । ले० काल -सं० १७२६ फाल्गुन सुदी १३ । पूर्ण । वेन सं. २२ । प्रालि स्थान ... दि० जैन पंचायती मंदिर हण्डावालों का डीग । विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है । ६३६. प्रति सं० ७ । पत्र सं० ५ । ले० काल-x1 पूर्ण । वेष्टन सं०७ । २० । प्रापिटस्थान--दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ६४०. प्रति सं०८ । पत्रसं० ४ । ले० काल-सं० १७६८ जेठ मुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं०५९-१६६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडार।असिंह (टोंक) . विशेष--गोनेर में महात्मा साहिमल ने प्रतिलिपि की थी। ६४१. प्रतिसं०६ । पत्रसं० ४ । ले० काल-सं० १६०० माह वुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं0२७ । प्राप्ति स्थान---दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ६४२. प्रतिसं० १०। पत्रसं० २४ । लेकाल ... X । पूर्ण । वेशन सं० ८।१६१ । प्राप्ति स्थान दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६४३. प्रति सं० ११ । पत्रसं० ४ । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं०६८ ! प्राप्तिस्थानदि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। ६४४. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ५६ । ले०काल- ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४५ । प्राप्ति स्थान-.-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बून्दी । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है। ६४५. प्रति सं०१३ । पत्र सं० १० । लेकाल-सं० १९५२ भावन सुदी ६ । पूरणं । वेष्टन सं०१०८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। विशेष-झगडावत कस्तूरचन्द के पुत्र चोकचन्द ने लिखी थी। ६४६. प्रति सं० १४ । पत्रसं० ५ । लेकाल-सं० १८७६ माह बुदी । पुणे । येन सं० . २६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर वोरसली कोटा । विशेष-० हीरानन्द ने प्रतिलिपि की थी। ६४७. प्रति सं०१५। पत्रसं० ५ १ ले काल-x 1 अपूर्ण । बेष्टन सं०१३ । अप्तिस्थान Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - [अन्य सूची-पंचम भाग दि० जैन मंदिर देवलाना (बून्दी) । ६४८. प्रतिसं०१६। पत्र सं० ११ । प्रा०६x४६च । लेकाल-x पूर्ण । वेष्टन सं१११-६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पाशवनाथ मन्दिर, इन्दरगढ़ । विशेष ---एक प्रति और है । ६४६. अतिसं० १७ । पत्रसं० १४ । ले०काल-सं० १७१३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६८-१४१ । प्रातः कान-नादः संगि कागपू: विशेष-पांडे जसा ने नागपुर में प्रतिलिपि की थी । ६५०. प्रतिसं०१८। पत्रसं० १८ । आ. १२४५ इच। लेकाल---x पूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान-दि० जन खण्डेलवाल मन्दिर अलवर । ६५१. प्रतिसं० १६ । पत्रसं० १७ । प्रा०८३.४१ इञ्च । ले०काल-सं० १९४६ सावन बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५० । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-प्रति स्वाक्षरी है । तथा सुन्दर है | चम्पालाल ने प्रतिलिपि की थी। ६५२. द्रव्यसंग्रह टीका-प्रभाचन्द्र । पत्रसं० १५ । प्रा० ११४५३ इच। भाषा-संस्कृप्त । विषय-सिद्धान्त । र० काल-X1 ले काल-सं. १८२० माघ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५० । प्राप्ति स्थान--भदि जैन मन्दिर अजमेर । ६५३. द्रव्य संग्रह टीका-सं०१५ । प्रा० १०.४५१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयसिद्धान्त । २० काल :- X । लेकाल-सं० १८२२ । पूर्ण । वेष्टनसं० १३३ 1 प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दू दो। . ६५४. द्रव्यसंग्रह बृत्ति--ब्रह्मदेव । पत्र सं० ११६ । पा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । २० काल-X । लेकाल-४ । पूर्ण । वेष्टनसं० ३११। प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर, अजमेर । ६५५. प्रतिसं० २ । पषसं० ११७ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० ६६ । प्राप्ति स्थानदिन मन्दिर दीवानजी कामा । ६५६. प्रति सं०३। पत्रसं०५१ । लेकाल-सं० १७५३ चैत्र सुदी २ । पूर्ण । वेष्टनसं०६ । प्राप्तिस्थान--दि० जन मन्दिर नेरहपंथी मालपुरा (टोंक) । ६५७. प्रति सं०४ । पत्रसं० ६ । आ०१२३४५ इञ्च । ले०काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं०१४२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन अग्रवाल मंदिर, उदयपुर । ६५८. प्रति सं० ५। पत्रसं० १०१ । ले काल-सं०१७१० जेष्ठ बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं०१२२ । प्राप्तिस्थान. ---दि• जैन मन्दिर, प्रादिनाथ बून्दी । विशेष -सं० १७१० ज्येष्ठ बुदी १ को प्राचार्य महेन्द्रकीत्ति के गठनार्थ वियागुरु श्री सेजपाल के उपदेश से दावती में जयसिंह के राज्य में प्रतिलिपि हई श्री। ६५६. प्रतिसं०६ । पत्रसं० १४ । प्रा० १३:४१ इञ्च । लेकाल-सं० १८०७ प्राषाढ़ सुदी ३1 पूर्ण । वेष्टन सं०६६३१। प्राप्तिस्थान--दिल जैन सोगरिणयों का मन्दिर, करौली। Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ ६५ ६६०. प्रतिसं०७ । पत्रसं० १०६ । प्रा० १०४५३ इञ्च । ले०काल -- 4 अपूर्ण । वेष्टन सं०२४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ६६१. प्रतिसं०८। पत्रसं०- १७१ । प्रा० ११४४३ इञ्च । ले०काल–x | पूर्ण । वेष्टनसं० १२२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ६६२. द्रव्यसंग्रह वृसि-x। पत्र सं० ८६ । मा० ११x६१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- सिद्धान्त । र० काल--- । लेकाल- ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३३ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ६६३. द्रव्यसंग्रह टोका-४ । पत्र सं० ८ । या० १.४४ इञ्च । भाषा--प्राकृत हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । र काल- ४ । लेकाल--सं० १७६० ज्येप्ट सुदी ४ । पूर्ण । वेपन से० ६८३ । प्राषित स्थान-40 दि जैन मन्दिर अजमेर । ६६४. द्रव्यसंग्रह टीका--X । पत्र सं० ४७ । प्रा०—११३४७ इञ्च । भाषा-संस्कृतहिन्दी । विषय -सिद्धांत । २० काल-- । लेकाल-60 १८.५ अंशाख सुदी १. । पूर्ण । वेष्टन सं० २३।२२ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन सौगाणी मन्दिर करोली। ६६५. द्रव्यसंग्रह भाषा-४ । पत्र सं०१६ । लेकाल-सं० १८६७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२।१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पचायती मन्दिर दूनी, टोंक | विशेष टोडा के नेमिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी । प्रति हिन्दी टीका सहित है । ६६६. द्रव्यसंग्रह माषा टोका। पत्र सं०५-१० । श्रा० १०.४४ इञ्च । लेकालसं० १७१६ । वैशाख सुदी १३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ दी। विशेष—लेखक प्रशस्ति । सम्बत १७१६ वर्षे बैसाख मासे शुक्लपक्षे १३ रवी सागपत्तन शुभस्थाने श्री आदिनाथ चैत्यालगे श्री काष्टासंचे नंदीनटगो, विद्यागरणे भ० रामसेनान्वये तदनुक्रमेण म० श्री रत्नभूषण भ० श्री जयकीति भ. श्री कनलकीति तपट्टे म भुवनीति विद्यमाने भ० श्री कमलकीति तत् शिष्य ब्रह्म श्री गंगसागर लिखितं स्वयं पठनार्थ । ६६७. द्रव्यसंग्रह भाषा –x। पत्र संक-१७ । पा० १०३४ ६३ इक्ष । भाषा-प्राकृत हिन्दी । विषय-सिद्धांत । रघना फाल-४ । लेखन काल सं० १९५० ज्येष्ठ बुदी प्रमावस । पूर्ण । वैप्टन सं०१३८ । प्राप्ति स्थान-- दिन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़, कोटा । विशेष-श्रीधन्नालाल बघेरवाल पुत्र जिनदास नेइग्दरसह को अपने हाथ से प्रतिलिपि की थी । प्रशस्ति निम्न प्रकार हैसम्बत् उन्नीस-सं-पचास शुभ ज्येष्ठ हि मासा । कृष्णा साबस चन्द्र पूर्ण करि चित्तहुलासा ।। धन्नालाल बघेरवाल में गोत्र सभंघर । लघ सत मै जिनदास लिली इन्दरगढ़ निजकर । पठनार्थ अात्महित मुद्ध चित्त सदा रहो सुभा भावना । हो मूल सुद्ध करियो तहां मो परि क्षमा रखावना । ६६८. द्रव्य संग्रह टीका x । पत्र संख्या -५० प्रा० १०४ ४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्य सूचो-पंचम भाग सिद्धांत । रचना काल- ४ । लेखन काल-सं० १८६३ । पूर्ण । येष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा। विशेष-बखतलाल ने प्रतिलिपि की थी। ६६६. बव्यसंग्रह सटीक-x। पत्र सं० २६ । पा. ११४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत-हिन्दी (गद्य) । विषय-सिद्धांत । र. काल ५ । ले० काल सं० १९९१ माह बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ६७०. द्रव्यांग्रह भाषा--तधर्मार्थी । पत्र सं० ४३ । ग्रा० १२४४१ इन्च । भाषागुजराती । लिपि हिन्दी। विषय-सिद्धांत । र०काल-x। ले. काल सं १७७० । वेष्टन स०२१६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर नागदी थी। • ६७१. प्रति सं० २ । पत्र सं० २३ । प्रा० ११४५ इश्व । ले. काल सं० १७५१ चत्र बुदी ६ ! प्रतां । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर बलाना, दी। ६७२. प्रति सं०३ । पत्र सं०७२ । लेखन काल सं० १७६२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४०६-१५३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर कोड़ियान, झंगरपुर । ६७३, द्रव्यसंग्रह भाषा-४ । पत्र संख्या १६ । श्रा० १३४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी विषय-सिद्धांत : र: काल .. ४ ! लेखन कानु-- -४. ! पुर्ण । वेपन मुं० १५७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेषगाथानों के नीचे हिन्दी अद्य में अनुवाद हैअन्तिम- सर्वगुन के निधान दडे पंडित प्रधान । बहु दूषन रहित, गुन भूषण सहित है । तिन प्रति विनवत, नेमिचन्द मुनि नाथ । सोधियो जु जाको, तुम अर्य जे अहित है । ग्रन्थ द्रव्य संग्रह, सुकीर्ति में बहुत थोरो। मेरी कक्ष बुद्धि अल्प, शास्त्र सोमहित है। ताते मैं जु यह सच रचना करी है। कुछ गुन गहि लीजो एती वीनती कहित है। ६७४. द्रव्यसंग्रह भाषा--- । पत्र सं० २६ । प्रा० Ex७३ इन्च । भाषा-संस्कृत । हिन्दी । विषय-सिद्धांत । र० काललेखन कालx। वेष्टन सं०६४८। प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर लरकर, जयपुर । विशेष-गणेशलाल बिन्दापक्या ने स्वयं पठनार्थ लिखी थी। ६७५. द्रव्यसंग्रह भाषा---X । पत्र सं० ३६ । पा. १०३४४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । ले० काल-४। पूर्ण वि. सं. ६४1 प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर बोरसली कोटा। ६७६. व्यसंग्रह भाषा-र । पत्रसं० ६१ । प्रा० १०१ ४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । र०काल-x1ले०कास पूर्ण । वेश्नसं० २५८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर दीवानजी, कामा। Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] ६७७. द्रव्यसंग्रह भाषा-x। पत्र सं० २५ । प्रा० १०४ ४ इन्च । भाषा हिन्दी । विषय-सिद्धांत । र० काल X I ले काल सं० १७२१ फागुण बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७७.५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर भादवा (राज) । विशेष -ब्रह्मगुण सागर ने प्रतिलिपि की थी। ६७५. द्रव्यसंग्रह भाषा-- | पत्रसं० २० । प्रा०-१२ ४५६ इञ्च । भाषा - हिन्दी। विषय-सिद्धान्त । र० काल-x। ले. कालः सं० १८२२ चैत्र सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर कामा । विशेष—साहिबी पाण्डे ने भरतपुर में इच्छाराम से प्रतिलिपि कराई । ६७६. तव्यसंग्रह भाषा X । पत्रसं० १३ । भाषा - हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । र० काल-x। ले०काल १९३१ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर हण्डावालों का डीग । वशेष-मधुपुरी में लिपि की गई थी। ६८०, द्रव्यसंग्रह भाषा टीका - बंसीधर । पत्रसं० ५१ । प्रा. x५३ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-सिद्धान्त । २० काल-X । ले०काल सं०-१८१४ ज्येष्ठ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान-पंचायती दि जैग मंदिर करौली। विशेष-पंडित लालचंद ने करौली में प्रतिलिपि की थी। ६८१. प्रति सं० २। पत्र सं० २८ । ले. काल-सं० १८६२ वैशाख खुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं०७०--२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बढ़ा बीस पंथी दौसा । विशेष—महात्मा गुलाबचंद जी ने प्रतिलिपि की थी। ६८२. द्रव्यसंग्रह भाषा-पं० जयचन्द श्राबड़ा। पत्रसं०-१५, २०-४५ । प्रा० ८४६ इञ्च भाषा-राजस्थानी (दूढारी) गद्य | विषय-सिद्धान्त । २० काल सं० १८६३ । ले. काल x | वेष्टन सं० ६६७ । अपूरणं । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर, जयपुर ।। ६८३. प्रतिसं०२ । पत्रसं०-६४ । । ले० काल x | अपूर्ण । देष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ६८४, प्रति सं०३ । पत्रसं० १३ । ले. काल ४ । अपूर्ण वेष्टन सं० १० । प्राप्ति स्थान दि जैन, मंदिर श्री महावीर दी। ६८५. प्रति सं० ४ । एत्र सं० १३ । प्रा०६३ ५ ६ इञ्च । ले० काल x । पूर्ण । घेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान- दिगम्बर जैन मंदिर श्री महावीर दी। ६८६. प्रतिसं०५। पत्र सं० १३ । ले. कारन सं० १६४० । पूर्ण । बेष्टन सं०७२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर थी महावीर बूदी । ६८७. प्रतिसं० ६ । पत्रसं० ४० । लेकाल सं० १९४५। पूर्ण। येष्टन सं० १४६ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी। ६८८, प्रतिसं० ७ । पत्रसं० ५० । ले०कास सं० १९५२ । पूर्ण । वेटन सं० ४८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर, पार्श्वनाथ चौगान बूदी। Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ६८६. प्रति सं०८ । एष सं० ४४ 4 र० काल X । ले० काल सं० १९४० । पूर्ण । वेष्टन सं० १३२/३३ प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पाश्वनाथ इन्दरगढ़ (कोटा)। ६६०. प्रति सं०६। पत्र सं० ४७ । ले० कास सं० १८७६ कातिक दुदी ७ । पूर्ण । बैशन सं० २५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरह पंथी दौसा। विशेष : मैजराम गोधा यासी भाजी का थाना का टोडाभीम में आत्मवाचनार्थ प्रतिलिपि की थी। ६६१. प्रति सं० १० । पत्रसं० ५० । ले० काल सं० १८७० । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२ । प्राप्ति स्थान--प्रनवाल पंचायती दि० जैन मन्दिर, अलवर। विशेष-जहानाबाद में प्रतिलिपि हुई थी। ६६२. प्रतिसं० ११ । पत्र सं० ४६ । ने०काल सं० १८७६ कातिक वदी २ । पूर्ण । वेहन सं०११७1 प्राप्ति स्थान-वारावास पंचायती हि चैन पन्दिर अलवर। ६६३. प्रति सं० १२ . पत्रसं०-६६ । मा० ८३ x ५३ इञ्च । ले० काल सं० १५०। पूर्ण । वेष्ठन सं० १६१ । प्राप्ति स्थान -खण्डेलवाल दि० जन पंचायती मंदिर अलवर । ६६४. प्रति सं० १३ । पत्रसं०-४७ । ले• काल सं० १९८३ पूर्ण । वेष्टन सं०-१६१ (म)। प्राप्ति स्थान उपरोक्त मन्दिर ६६५. प्रति सं० १४ । पत्रसं०-३६ । ने० काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं०-३६॥२१ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा । ६६६. धर्मचर्चा ......| पत्रसं० ४ । प्रा० १०३४ ४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयसिद्धान्त । १० काल ४ । ले० काल ४ । वेष्टन सं०७७ प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६६७. धर्मकथा चर्चाx । पत्रसं० २२ । प्रा० ६x४३ इन। भाषा-हिन्दी प० । विषय-सिद्धान्त । र०काल-x | ले० काल-सं० १२३ । पुर्ण । वेष्टन सं० ४३४-१६४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष—प्रश्नोत्तर के रूपमें चर्चाएं हैं । भट्टारक धर्मचन्द्र के शिष्य पं० सुन्दराम के पनार्थ भीलोडा में लिखा गया था । ६९८. नवतत्व गाथा ...। पत्र सं० २४ । पा.-१00 x ४० इञ्च । भाषा -माकृत विषय-नी तत्वों का वर्णन । र० काल x | ले० काल ५ । मपूर्ण । वेष्टन सं० २५५ । प्राप्तिस्थान-दि जैन मंदिर दीवान जी कामा। विशेष-हिन्दी टीका सहित है। ६६६ प्रति सं०२ । पत्रसं० । या.१० x ४३ इञ्च । द. काल x वेष्टन सं० १०७ । प्राप्ति स्थानदि जैन मंदिर बड़ा बीस पंथी दौसा ।। विशेष-बालावबोध हिन्दी टीका सहित है। ७००., नवतत्व गाथा भाषा-पन्नालाल चौधरी-पत्रसं० ४१ । प्रा० १०. ७ इन्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय -सिद्धांत । र०काल १९३४। ले० काल सं० १९३५ वैशाखबुदी । पूर्ण । Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] . वेष्टन सं० ३८।१७८ | प्राप्ति स्थान--पंचायती दि० जैन मंदिर अलवर । विशेष-मूलगाथाएं भी दी हुई हैं । ७०१. नवतत्व प्रकरण-x। पत्रसं. ६ । प्रा. १०३४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-नव तत्वों का वर्णन ! २० काल ४ !ले काल । पूर्ण । वेष्टन सं०५४६ । प्राप्ति स्थान-भ० दिक जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-जीन अजीव आश्रव बंध संवर निर्जरा मोक्ष एवं पुण्य लया पाप इन नव तत्वों का वर्णन है । इस भण्डार में ३ प्रतियां और हैं। ७०२. प्रतिसं०२। पत्रसं० ६ । प्रा०–११:५५ इञ्च । ले० सं० १५८५ वैशाख बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष--हिन्दी दम्वा टीका सहित है। ७०३. प्रतिसं०३ । पत्र सं. ४ । ले. काल x। पुणे । वेष्टन सं० १४४ । प्राप्ति स्थान4. जैन मन्दिर दबसाना (बूदी)। विशेष-४४ गाथायें हैं। ७०४. प्रति सं० ४ । पत्रसं० ११ । लेकाल-x पूर्ण । वेष्टन सं० ३४२ । प्राप्ति स्थान-- उपरोक्त मन्दिर । विशेष- मूल के नीने गुजराती गद्य में उल्या दिया है। मुनि श्री नेमिथिमल ने शिव त्रिमल के पठनार्थ इन्द्रगढ़ में प्रतिलिपि की थी । इस भण्डार में चार प्रतियां और हैं। ७०५. प्रतिसं० ५। पत्रसं०१० । प्रा० १०१४५ इञ्च । लेकाल-x । पूर्ण । वेष्टन सं० १७८-७५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का हूगरपुर । विशेष प्रति हिन्दी टवा टीका सहित है । इस भण्डार में एक प्रति और है । ७०६. प्रतिसं०६ । पत्रसं० ४ । ले. काल सं० १७७६ । पूर्ण । वेष्टन सं०-१२१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ७०७. प्रति सं० ७ । पत्र सं०-८ । प्रा० १०४ ४ इश्च । से० काल-x । पूर्ण वेष्टन सं०५६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर खण्डेलवाल उदयपुर । विशेष प्रति हिन्दी अर्थ राहित है। ७०६, नयतत्व प्रकरण टोका-टीकाकार पं० भान विजय। पत्र सं०-३१ । प्रा. eX४ इञ्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय - सिद्धान्त । २० काख -४ । ले काल सं० १७४६ माध सुदी १३ । पूर्ण 1 वेष्टनसं०-२१-१६ | प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष-- मुल गाए भी दी हुई है। ' ७०९. नयतत्व शबर्थ-x। पत्रसं०-१६ । प्रा० १०१४४. इथे । भाषा---प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । २. काल-X । ले. काल सं० १६६८ बैशाख सुदी १ ! पूर्ण । वेष्टन सं० . ५१ विशेष-रचना का अादि अन्त भाग निम्न प्रकार है Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७० ] १४५६७। बंदी की तहान तत्ता इतिनायन्या ॥ १ ॥ C हयाख्यासाची वस्तुनउ स्वरूप ते तत्व कहिये । ते सम्यगटिन जाण्या चाहियउ | तेह भरणी पहिली तेहना नाम लिखियइ छ । पहिलिउ जीव तत्र वीजउ श्रजीव तत्व पुण्य तत्व ३ पाप लव ४ प्राश्रव तत्व ५ संवर तत्व ६ निर्जरा तस्य ७ । बंच तत्व मोल तत्व तथा ए नव तत्व होंहि विवेकीण जाणिवा अन्तिम प्रनउसपिणी प्रतापुरगाल परिश्रट्टो मुन्यो । तालिम प्रदा श्रग गया मरणंतुगुणा || व्याख्या - अनंत उत्सर्पिणी बसरिणी एक युगल परावर्त होइ । मुख्यव्वो कहतां जाणिवउ 1 ते पुगल परावतीत कालि अनंता अनागत कालि अनंतगुरणा इहां कहि उपग्रह थी जिन वचन हुई प्रमाणं इति नद तत्व सध्दार्थ समाप्तः । से ग्रन्थ सं० २७५ संत १६६० व वैशाल मासे कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथी सोमवासरे धर्गसापुर मध्ये फोफलिया गोत्रे सा० रेखा तद्भार्यां रायजादी पठनार्थ ७१०. भवतत्व सूत्र X। काल - X लेशान - X पूर्ण भरतपुर । [ प्रस्थ सूची- पंचम भाव पत्रसं० ८ भाषा वेटन सं०-६१४ - ७११. नाम एवं मेव संग्रह - ०.२१ भाषा हिन्दी विषय सिद्धांत र०काल — X। ले० काल - X | वेष्टन सं० ४५४ प्राप्ति स्थान दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । प्राकृत विषय नत्र तत्वों का वर्णन १० प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर, ७१२. नियलाबति मुत्त X पत्रसं० २८० १० X ४ ३ भाषा प्राकृत - | विषय - आगम | र० काल X 1 ले० काल सं० १३०१ फागुन बुदी १४ । पूर्ण । देन सं० १ । प्राि स्थान- दि० जैन मंदिर खंडेलवाल उदयपुर । - विशेष सं० १९४० में भीमराज की बहू ने पढ़ाया था ७१४. प्रतिसं० २० १६४ मा ६३६ ॥ वेष्टन सं० १४२१ | प्राप्ति स्थान – उपरोक्त मन्दिर । 11 www व सं० १०३ ७१३. नियमसार टीका- पद्मप्रभमलधारिदेव ० ११३४५१ इच भाषा संस्कृत विषय सिद्धांत २० काम x ले० काल x पूर्ण [सं०] १५२ प्राप्ति| । १ स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । - -- | - सूक्ष्म १५. ४४ पैसे इव | -- ते० काल सं० २०३५ पूर्ण । । ७१५ प्रतिसं० ३ । पत्रसं० ८३ । प्रा० १०३ ४ ५ इव । ले० काल सं० १७६५ मङ्गसिर ख़ुदी ५ पूर्ण वेष्टन सं० १२ प्राप्ति स्थान दि० अंन मन्दिर दीवानजी कामा । । ७१६. नियमसार भाषा जयचन्द हावडा । पत्रसं० १५२ । ० १२३४७ इच भाषा - हिन्दी गद्य विषय सिद्धान्त १०का वीर सं० २४३८ । ले० काल सं० १६६४ पूर्ण बेटन सं० ११२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बृदी । विशेष – चंदेरी में प्रतिलिपि हुई थी । Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ ७१ ७१७. पंचपरावर्तन टीका x | पत्रसं० ४ | आ० १०x४ इञ्च । भाषा संस्कृत विषय - सिद्धांत । २० काल x । ले० काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ४३ | प्राप्तिस्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर | ७१८. पंचपरावर्तन यन X | पत्रसं० २ ० १०४४३ इश्व भाषा संस्कृत । विषय- सिद्धांत । २० काल X। ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २०६५ । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । पत्र सं० ३ । ग्रा० ८३ ४ ५ इव । भाषा - हिन्दी | विषय - न सं० १०३८ । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर | ७१६. पंचपरावर्त्तन वर्णन x | सिद्धांत । १० काल x । ले० काल X | पूरखं । ७२० पंचपरावर्तन स्वरूप x 1 पत्र सं ० ४ । आ० १ ० ३ ४ ५ इव । भाषा-संस्कृत । विषयसिद्धांत । २० काल - X | लेकाल X | पूर्णं । वेष्टनसं० ५५ प्राप्ति स्थान – उपरोक्त मन्दिर । ७२१. पंचसंग्रह - नेमिचन्द्राचार्य | पत्र सं० २० ॥ विषय -- सिद्धांत | र० काल - x । ले० काल - सं० १८३१ । म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । श्र० ११÷४५ इश्व | भाषा - प्राकृत । । वेष्टनसं० १६२ | प्राप्ति स्थान ७२२. प्रति सं० २ । प० ६३ । श्र० १११४५३ । लेकान -- x पुणे। वेष्टनसं० ३०० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कामा । G ७२३. प्रतिसं. ३ । पत्रसं० १७२ । ० ११३४४ । ले० काल - सं० १७६७ चैत्र वुदी ११ | पूर्ण | बेष्टनसं० १०१ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बून्दी | विशेष - जती नै सागर ने पांडे खींवसी से जयपुर में लिखबायी भी प्रति जी है। ७२४. पंचसंग्रह वृत्ति - सुमतिकोति । पत्र सं० २७४ | ग्रा० १२४६ । भाषाप्राकृत संस्कृत | विषय - सिद्धांत । २० काल सं० १६२० भादवा सुदी १० । ले० काल० १८१२ श्रावण धुंदी ५ पूर्ण | वेष्टनसं० २४६ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष – इसका दूसरा नाम लघु गोम्मटसार टीका है । ७२५ प्रतिसं० २ । पत्रसं० २०५ । ले०काल - सं० १७८४ सावन सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टनसं०-२६६ / प्राप्ति स्थान—उपरोक्त मन्दिर विशेष- आगरा में केसरीसिंह ने प्रतिलिपि की थी । ७२६. पंच संसार स्वरूप निरूपण । पत्रसं० ५ । आ० १०३ ४४ इन्च | भाषा - संस्कृत विषय - सिद्धांत । २० काल - x 1 ले० काल - सं० १६३६ | पूर्ण | वेष्टनसं० १७६-७५ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष - स० १६३६ वर्षे आसोज सुदी १२ उपाध्याम श्री नरेन्द्रकीति पढनार्थ ब्रह्मदेवान | ७२७. पंचास्तिकाघ- प्रा० कुन्दकुन्द | पत्रसं० ३५ । आ० ६ x ४ इन | भाषा प्राकृत । विषय – सिद्धांत । २० काल x 1 ले०काल X। पूर्ण । वेशन सं० १५ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर, बैर । विशेष – प्रति प्राचीन है । Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ७२८. प्रतिसं० २ । पत्रसं० १९ । प्रा० १०५ x ६ इञ्च । लेकाल सं० १६०६ । वेष्टन सं० ५० १६६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष प्रति संस्कृत व्वा टीका सहित है। . ७२६. पंचास्तिकाय-कुदकुंदाचार्य । पत्रसं० १४८ । प्रा० ११५ x ४६ इञ्च । भाषा--- प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । 'म । गाल सं० १.१ पत्र हुदा । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर प्रजमेर । विशेष-प्रति अमृत चन्द्राचार्यकृत संस्कृत टीका एवं पाण्डे हेमराज कृत हिन्दी टीका सहित है। श्री रूपचन्द गुरु के प्रसाद श्री । पाण्डे श्री हेमराज ने अपनी बुद्धि माफिक लिखित कीना । जे बहश्रत हैं ते संवारिक पहियो ।।६।। इति पंचास्तिकाय नष समाप्त । संवत् १७१८ वर्षे चैत सूदी ११ दीतवार रामपुर मध्ये पंचास्तिकाय ग्रंथ स्वहस्तेन लिपी कृता पाण्डे सेखेन इदं पात्मपठनार्थ । ७३०. प्रति सं० २। पत्रसं० ७६ । प्रा० १२४ ५ इञ्च । ले काल सं० १५१३ । पूर्ण । वेधन-सं० १७५/२४१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर संभवनाथ उदयपुर । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है । प्रशस्ति-संवत्सरेस्मिन १५१३ वर्षे प्राश्विन शुदि ७ शुक्रवासरे श्री आदिनाय चैत्यालये मलसंचे....." इससे पागे का पत्र नहीं है। ७३१. प्रति सं०३ । पत्रसं० ३० । प्रा० १० x ४३ इञ्च । लेकाल-x । पूर्ण । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पाश्र्वनाथ चौगान दी। ७३२. पञ्चास्तिकाय टीका-दीकाकार-अमृतचन्द्राचार्य । पत्रसं०५० । प्रा० ११३४ ५१ । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय -- सिद्धान्त । २०काल ४ । लेकाल सं० १५७३ माघ मुदी १३ । वेष्टन सं० २८ । दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ७३३. प्रति सं०२। पत्रसं०११५ । लेकाल-सं० १७४७ माघ बुदी | वेष्टन सं० २६ प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-महात्मा विद्याविनोद ने फागी में लिखा था । ७३४. प्रति सं०३ । पत्रसं० ४६ । लेकाल सं० १५७७ पासोज बुदी ६ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २२३ । प्राप्ति स्थान--.दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १५७७ वर्षे प्राश्विन बुदि । बुधबारे लिखितं तिजारास्थाने अल्लावलखान राज्यप्रवत माने श्रीकाष्ठासंघे माथुरान्वये पुष्करमणे स्ट्रारक श्रीहेमचन्द्र सदाम्नाये अगरवालान्वये मीतल गोत्र सा० महादास तत्पुत्र सा० चौपाल तेनेदं पंचास्तिकाय पुस्तकं लिखाप्य पंडित श्री साधारणाय पठनार्थ दस । ७३५. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० ७७ । लेकाल सं० १६१४ फागुण सुदी ६ । पूर्ण । श्रेष्टनसं०१६६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष–राजपाटिकायां लिखितोयं प्रथः Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] ७३६. अतिसं०५ । पत्रसं० १३७ । प्रा० १३ ४ ५ इञ्च । लेकाल संवत् १६३२ भादवा खुदी ५ । पूर्ण । न सं० २६२ । शालि हान- निमदिनकी कार । विशेष -कुरुजांगलदेश सुवर्णपथ सुमस्थान योगिनीपुर में अकबर बादशाह के शासनकाल में अग्रवाल जातीय गोयल गोत्रीय साहु चांदण तथा पुत्र प्रजराजु ने प्रतिलिपि कराई । लिखितं पाण्डे चंटू हरिचंद पुत्र "" । प्रशस्ति विस्तृत है । पत्र चूहे काट गये हैं। ७३७. पंचास्तिकाय टोका-प्रभृतचन्द्र । पत्रसं० ४१ । पा० १०१ ४४ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-सिद्धान्त । र० काल - । ले०काल x | पूर्ण। वेष्टन संर २१२ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ७३८. पंचास्तिकाय टोका--..X । पत्रसं० ४७ । प्रा० १० x ४ इटच । भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । र० काल- ४ ।ले०काल सं० १७४८ कात्तिक बुदी ७ पूर्ण । वेष्टन सं० २०९ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १७४८ वर्षे कार्तिकमासे कृष्णपक्षे ससम्यांतिथौ शनिवासरे श्री विजय गच्छे श्री भट्टारक श्रीसुमतिसागरमरि तत् शिष्य मुनि वीरचंद लिपीकृतं श्रीअकबराबादमध्ये । ७३६. पंचास्तिकाय हव्वा टीका-x | पत्र सं० ३० । ग्रा० १० X ६ इञ्च । भाषा-प्रा हिन्दी। विषय-प्रध्यात्म । र०काल--X । लेकाल--X । पूर्ण । वेष्टन सं० २०३-८४ । प्राप्ति- स्थान--म• दिजैन मन्दिर कोटडियों का हंगरपुर। ७४०, पंचास्तिकाय बालावबोध-X । पत्र सं० १३५ । प्रा० ८३ x ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत। हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६८१ । प्राप्ति स्थान- मट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ७४१: पंचास्तिकाय भाषा-हीरानंद । पत्रसं० १८६ । पा. ६x ४३ इन्च । भाषा-हिन्दीपद्य । विषय-सिद्धान्त । २०काल सं० १७०० ज्येष्ठ सुदी ७ । लेकाल-सं० १७११ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान--दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-बीच के कितने ही पत्र नहीं हैं। ७४२. पचास्तिकाय भाषा-पाण्डे हेमराज। पत्र सं० १३८ । भाषा-हिन्दी पद्य । विषयसिद्धान्त । २० काल-X । लेकाल--सं० १८७४ मंगसिर सुदी १४ । पूर्ण । वेटन सं० ३०१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७४३. प्रति सं० २ 1 पत्र सं० १५४ ।ले काल----सं० १८१४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३०४ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ७४४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १७६ । ले०काल-१७२७ कातिक बुदी १४ । पूर्ण । थेष्टन सं० १६८ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर कामा। विशेष--लिखाइत साह श्री देवीदास लिखतं महात्मा दयालदास महाराजा श्री कमसिंह जी विजयराज्ये गढ़ कामावती मध्ये । Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ __७४ ] _ [ ग्रन्थ सूत्री-पंचम भाग ७४५, प्रति सं०४ । पत्र सं० १४५ । लेकाल---- । पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर कामा। ७४६. प्रतिसं०५। पत्र सं० ११० । प्रा. १२ x ५१ इञ्च । लेकाल--.सं. १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं०. १२२ । प्राप्ति-स्थान-दि जैन मन्दिर, बयाना । ४७. प्रति सं०६ । ....: 10: ६ इन्च 1 ले० काल सं० १७४६ 1 पूर्ण । वेष्टेन सं० ३३७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ___७४८. प्रति सं० ७। पत्र सं० १६ 1 श्रा० १२ x ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । २० कालX । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० २८/२३ । जैन भन्दिर मादवा (राज.) - ७४६. प्रति सं० ८ पत्र । सं० १७ । प्राय १११ x १ इन्च । भाषाहिन्दी । विषम-सिद्धान । २० कास ४ । लेकाल-सं० १६३६ आसोज सुनी । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान -सदारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। ७५०. प्रति सं०६पत्र सं० १३६ । श्रा०१११४५ च । भाषा-हिन्दी (गद्य) विषयसिद्धाड र०काल X । ले०काल सं० १९४१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ___७५१. प्रति सं०१०। पत्र सं० १५० । प्रा. १० X ५३ इञ्च । भाषाहिन्दी गद्य । दिषय-सिद्वान्न । र० काल-X । लेकाल-सं. १८०५ । पूर्ण । वेष्टन सं०२४०-६५। प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष- अन्तिम दो पत्रों में ब्रह्म जिनदास कृत शास्त्र पूजा है। ७५२. प्रति सं. ११ । पत्र सं० ११० । प्रा० १२३ ४ ५३ इञ्च । भाषा--- हिन्दी । विषय-सिद्धान्त र काल-x1 ले काल- सं. १७४६ पौष सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन #९ २४-६० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा । ७५३. प्रति सं०१२ । पत्र सं. १८१.। प्रा.-१२४५ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषम-सिद्धान्त । र०काल-४ । ले०काल सं. १८६२ माघ सुदी १३ पूर्ण । वेष्टन सं० ३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरह पंथी मालपुरा ( टोंक ) । विशेष धनराज गोधा सुत रामवंद ने टोडा में मालपुरा के लिये प्रतिलिपि करवाई थी। ७५४. पंचास्तिकाय भाषा-बुधजन-पत्र सं०६३ । प्रा० ११४५६ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्म | विषय-सिद्धांत । २० काल सं. १८८२ । लेकाल-x। पूर्ण । धेष्टन स०७३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलबर । . विशेष-.-दीवान अमरचन्द की प्रेरणा से पथ लिखा गया । ७५५. । परिकर्माष्टक--- पत्र सं० १० प्रा० १२५ x ६. इन। भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय---सिद्धांत । र०काल x 1 लेकाल-X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५१७ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [७५ विशेष-गोम्मटसार की संदृष्टि आदि का वर्णन है । ७५६. पक्षिय सुत्त- - । पत्र सं० । प्रा० ७.४३३ इञ्च । भाषा - प्राकृत । विषय-प्रागम । २० काल X । लेकाल --सं० १६५५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८० 1 प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर दबलाना ( बूदी)। विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६५५ वर्षे धावणा बुदि द्वितीयायां सोमवासरे श्रीवहत्वरतरगच्छे गारहार श्रीमज्जिनसिहरि राजेश्वराणां शिष्य कवि लालचन्द पठनार्थ लिखितं श्री लाभपुर महानगरे । इसके प्रागे श्री जिनपद्मसूरि का पार्श्वनाथ स्तवन ( संस्कृत ) मी लिखा हुअा है। ७५७. प्रति सं० २ । पत्र सं १५ । पा० १० x ४६ इञ्च । लेकाल-x। पूर्ण । वेष्टन मं० १५५ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ७५८. अतिसं० ३ । पत्रसं०८ । प्रा. ११४४१ इञ्च । लेकाल-सं० १६५५ वैशाख सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टनररं० ६५३ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष - इसी भण्डार में इसकी एक प्रति और है । ७५६, प्रतिसं०४। पत्र सं० २ से ५। प्रा० ८१४५ इञ्च । लेकाल-x। अपूर्ण । वेष्टनसं० २०४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-प्रथम पत्र नहीं है । लिपीकृतं जती कल्याणेन विजय गच्छे महिमा पुरे मकसूसावादमध्ये । ७६०. प्रति सं० ५। पत्रसं० १८ | आ० ११X४ इञ्च । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन :१११ । प्रारित स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना । विशेष १० पत्र में साधू अक्षिार एवं २४वें तीर्थ कर दिया हुआ है। ७६१. प्रति सं० ५। पत्र सं०६ । प्रा०१०१ ४४१ इश्च । लेकाल-सं० १५६५ कार्तिक सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टनसं० ५१८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबखाना (बून्दी) विशेष प्रशास्ति निम्न प्रकार है ---- संवत १५६५ वर्षे कार्तिक मुदी १४ सोमदासरे श्रीयोगिनीपुरे । श्रीखरतर गच्छ ! श्री उहेम निधान तत्पहे श्री श्रीपाल सत्प्रहे श्री श्री मेदि ऋषि मुनि तत् शिष्य महासती रूप सुन्दरी तथा गुण सुन्दरी पठिनार्थ कर्मक्षय निमित्त । लिखितं विशून। ७६२. पारखी सूत्र-x। पत्रसं० १४ । प्रा. ११४४ इथे । भाषा --प्राकृत । विषय(चिंतन) । २० काल-x | लेकाल –x | अपूर्ण । वेष्टनसं० २५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष--१४ से ग्रागे पत्र नहीं है । प्रति प्राचीन है। ७६३. प्रज्ञायना सूत्र (उपांग)-.x। पत्र सं० ५४१ । प्रा० १०१४४३ इञ्च । भाषा-- प्राकृत । विषय-अागम ग्रन्थ । र० काल- ४ । लेकाल सं० १५२२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४-२। प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-- मलयागिरि सूरि विरचित संस्कृत टीका के अनुसार सव्वा टीका है। पं० जीवविजय ने गुजराती भाषा टीका की है। टीकाकाल सं० १७८४ | - ७६४. प्रश्नमाला -४ । पत्रसा२१.०१.१४ - मामा--हिन्दी। विषयचर्चा र०काल-X । लेकाल-..-। पूर्ण । वेष्टनसं. १४४५ । प्राप्ति स्थान-भ० दिन मन्दिर अजमेर। विशेष-सुदृष्टि तरंगिणी ग्रादि ग्रन्थों में से संग्रह किया गया है। ७६५. प्रतिसं० २ । पत्रस० २८ । प्रा० १२१४६३ ३ञ्च । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टनसं. ४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर फतेहपुर ( सीकर) ७६६. प्रश्नमाला वचमिका-X । पत्र सं०-२८ । था. १२४ इञ्च। भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-सिद्धांत । ८० काल-x | लेकाल-सं० १९३७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७ । प्राप्तिस्थान--दि० जैन मंदिर नागदी (नेमिनाथ) बूदी। ७६७. प्रश्नव्याकरण सूत्र-x | पत्रसं० ५१ । भाषा--प्राकृत। विषय-पागम । र०काल: । ले०काल XI पूर्ण । वेहन सं० ६३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७६८. प्रति सं० २१ पत्रसं०६७। प्रा० १०x४३ इन्च । ले०काल-x। अपूर्ण । वेष्टनसं० २४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर बैर । । विशेष—प्रति संस्कृत टव्वा टीका सहित है। ७७६. प्रश्नव्याकरण सूत्र वृत्ति-प्रभयदेव गरिए । पत्र सं० ११६ । प्रा० १०.४५इच । भाषा--प्राकृत संस्कृत । विषय-आगम । र० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेटनसं० १३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष- श्री सविग्रहविहारिंग श्रुतनिधि चारित्रचूडामरिण प्रशिष्येणाभयदेवाल्यमूरिगा विवृति कृता प्रश्नव्याकरणांगस्य श्रत भत्तया समासता निवृत्ति कुलनभसून चन्द्रद्रोणाख्यसरि सुख्येन" पंडित गरणेन गुणावतप्रियेया न गुरपवरा प्रियेना संशोधिता वयं । ७७०. प्रश्नशतक—जिनवल्लभसरि। पत्रसं०४७ [ प्रा०११४४४ञ्च। भाषा-संकृत। विषय-चर्चा । २० काल X । ले०काल सं०१७१४ अषाढ़ सुदो २। पूर्ण । वेष्टन सं० ३०२ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। प्रशस्ति-सं० १७१४ वर्षे अषाढ सुदी २ शुक्रबासरे श्री पार्श्वनाथ चैत्यालवे श्री सरोजपुर नगरे भद्रारक थी जगत्कीत्ति देवस्य शिष्य गुणदासेन इदं पुस्तक लिखितं । ७७१. प्रश्नोत्तरमाला-'x। पत्र सं० ५३ 1 प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय--चर्चा । २० काल ४ । लेकाल-सं० १९१७ । पूर्ण । वेष्टनसं०८६ | प्राप्ति स्थान दि० जन अग्रवाल मन्दिर फतेपुर शेखावाटी सीकर । - विशेष-सुदृष्टितरङ्गिरिंग के आधार पर है। .७७२. प्रति सं० २ । पत्रसं० ३८ । आ. १.४५६ इञ्च । लेकाल-सं० १९२४ । पूर्ण । थेष्टन सं०६३ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मंदिर । Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ ৩৬ ७७३. प्रश्नोतर रत्नमाला अमोघवर्ष । पत्रसं० २। प्रा० १२४४ इञ्च । भाषासंस्कृत। विषय - चर्चा | र०काल ४ । लेकाल-सं० १७८६ | पूर्ण । वेपन सं० १२० । प्राप्ति स्थानदि जैन मदिर बोरसली कोटा। ७७४. प्रश्नोत्तरी-X । पत्रसं० २६ । प्रा० १०६x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयसिद्धांत । र० कार x । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६३-१०५ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर कोटडियों का, 'इगरपुर । ७७५. बासठ मार्गरणा खोल । पत्रसं०४ से ६ । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धांत । र०कालx ले काल ४ । अपूरणे । वेष्टनसं० ६२६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७७६, बियालीस ढाणी-X । पत्रसं० २३ । प्रा० १०४७३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय - सिद्धांत चर्चा | र०काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०५४ । प्राप्ति स्थान - पार्श्वनाथ दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ, टोडारायनिह (टोंक) ७७७. बंधतत्व- देवेन्द्रसूरि । पत्रसं० ३ । भाषा-प्राकृत । विषय-- सिद्धांत (बंध) । २०काल x | लेकाल xपूर्ण । बेष्टनस ७०६ प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७७८. प्रति सं० २। पत्रसं० ५ 1 ले०काल X । पूर्ण । श्रेष्टनसं० ७२६ । प्राप्ति स्थान-- उपरोक्त मन्दिर । ७७६. भगवती सत्र x पत्रसं० ६६० । ना० १.३४५ इञ्च । भाषा– प्राकृत । विषयपागम । र०काल x । ले०काल-सं० १९१४ कातिक सूदी १०। वेष्टन सं०१४१ । प्राप्ति स्थानदिजैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ७८०, भगवती सूत्र वृत्ति-४ । पत्रसं० ३५-५२२ । प्रा० ११३४४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय- प्रागम ! र०काल ४ । से काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० ३९१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-प्रारम्भ के ३४ तथा ५२२ से यागे पत्र नहीं हैं 1 ७८१. भावत्रिभंगी-नेमिचन्द्राचार्य । पत्रसं० ३३५ । पा. १०३४६ इश्व । भाषा - प्राकृत | विषय-सिद्धांत । र०काल X । लेकालX । अपूर्ण । वेष्टन सं २१६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर । विशेष-प्रति टन्या टीका सहित है। ७८२. प्रति सं० २। पत्रसं० ५१ । प्रा. ११४५ इन्च । भाषा-प्राकृत 1 विषय-सिद्धांत । र०काल ४ । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टनम०८१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ७८३. प्रति सं०.३ । पत्रसं० ३७ । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ८२ । प्राप्ति स्थानउपरोक्त मन्दिर । * ७६४. प्रति सं० ४। पत्र १४३ । लेकाल सं० १७२६ । पूर्ण । वेष्टन सं ८३ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७. [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७८५. भावसंग्रह-श्र तमुनि । पत्रसं० १३ । प्रा० ११३ ४ ५१ । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान । र०काल-x | लिपिकाल-सं० १७३४ । वेष्टन सं०१७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर । विशेष - अंबायती कोट में साह श्री बिहारीदास ने महात्मा हूगरसी की प्रेरणा से प्रतिलिपि की यी। ७८६. प्रतिसं०२। पत्र सं० ६ लिपिकाल सं० १७८७ माह बृदी ५। वेष्टन सं०१८ । प्राप्ति स्थान - उपरोत मन्दिर । विशेष केरिण नगर में दुर्जनशाल के राज्य में लिखा गया था । त्रिभंगीसार भी इसका नाम है । ७८७. प्रति सं०३। पत्र सं५-५१ । प्रा० १२५ x ५ इञ्च । लिपि काल. सं०१६६७ भाषाड़ बुदि १२ । बेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर ।। ७८८. प्रतिसं० ४ । पत्रसं. ४६ । ले०काल सं० १७४७ कार्तिक बुदी २१ पूर्ण । वेष्टन सं०-२१६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ___७८६. मार्गणासत्तात्रिभंगी-नेमिचन्द्राचार्य-पत्रसं० १७ । भाषा-प्राकृत । विषयसिद्धांत । 'र० काल - x | लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६/२०१ । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । विशेष-तीन प्रतियां और हैं । जिनके वेष्टन सं० १००:२०२, १०१:२०३ एवं १०२१ ७६०. मार्गरणास्वरूप- ४ | पत्र सं. ६१। ग्रा० १० ४ ४२ इञ्च । भाषा-प्राकृत संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । र काल-x | ले. काल--- । पूर्ण । वेष्टन सं०-२५८ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-संस्कृत टब्बा टीका सहित है। ७६१. रत्नकोश . x 1 पत्र सं. १२ | प्रा० १२ x ४ च । भाषा-संस्कृत । विषमसिद्धान्त । २० काल-x | लेकाल र । पूर्ण । देधन सं० ४४७ । २८१ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन संभवनाथ मन्दिर, उदयपुर । प्रारंभ जयति रणधवलदेव सकलकलकेलिकोविद : कुशलविचित्रवस्तुविज्ञान रत्नकोषमु दाहृतं । ७६२. रयणसार-कुदकुदाचार्य । पत्रसं० ११ । भा०-११४५३ इञ्च । भाषाप्राकृत । विषय-सिद्धान्त । र० काल-x। ले० काल-। पूर्ण । बेष्टन सं० १२५४ । प्राप्ति स्थानभ० दि जैन मंदिर अजमेर। ७६३. प्रतिसं०२। पत्र सं० ११ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर दीनानजी कामा। ७६४. अतिसं०३ । पत्रसं०४-६ । ग्रा० १०x४१ इञ्च । लेकालx। मपूर्ण 1 बेन सं. १६६-६ । प्राप्ति स्थान - दिगम्बर जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा। Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] [ ७६ ७६५. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ११ । प्रा० १०x४१ इञ्च । ले० काल सं० १८२१ भादवा 'बुदी ७ । वेष्टन सं७ ८२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष-६० चोखत्रद के शिष्य सुखराम ने मेणसागर तपागच्छी से जयपुर में प्रादीश्वर जिनालय में प्रतिलिपि करायी थी । . . .७६६. लधु संग्रहणी सुत्र । यत्रसं० ४ । आ० १०४ ४३ इन् । भाषा-प्राकृत । विषय--- पागम । २० काल ४ । ले. काल सं०४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) । विशेष --- मूल गायानों के नीचे हिन्दी में टीका है । ७६७. लघुक्षेत्रसमासविवरण रत्नशेखर सूरि । पत्रसं० ४१ । प्रा० १२ x ४ इन्ध । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धांत । २० काल X । ले. काल सं० १५३२ सावरण बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीयानजी, कामा । विशेष-प्रति मलयगिरि कृत टीका सहित है । कुल २६४ गाथाए हैं । प्रशस्ति निम्न प्रकार है । संवत् १५३२ संवत्सर प्रवत माने थारण बदि पंचम्यां शनी प्रद्य ह श्रीपत्तनवास्तव्या दोसावाल जातीय म० देवदासेन लिखितं । श्री नागेन्द्रगच्ने ५० जिनदत्त मुनि गृहीता। ७९८, लब्धिसार भाषा बचनिका-पं० टोडरमल । पत्र सं. १८४ । प्रा० १७४७५ इञ्च । भाषा-राजस्थामी (हारी) गद्य । विषय-सिद्धांत । र. काल ४ । ले. काल । ४ । पूर्ण । वे० सं० १५६१ । प्राप्ति स्थान-भा० दि० जन' मन्दिर अजमेर। ७६६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १५ । प्रा० १५ x ७ इञ्च । ले० काल । अपूर्ण । वे० सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर । ८००. प्रतिसं०३ । पत्र सं० १६६ । प्राः १२ x ५१ इञ्च । ले. काल ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान (दी)। ८०१. प्रति सं०४। पत्र सं० २२७ । ले. काल x। पूर्ण । बेष्टन सं० १४६ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर उदयपुर । ८०२. लविधसार क्षपारणासार भाषा धनिका-पं० टोडरमल । पत्र सं० ३३२ । मा० १०१ x ७३ इञ्ज । भाषा-राजस्थानी (हारी) गा । विषय-सिद्धांत । २० काल सं० १८१८ माघ सुदी ५। ले० फाल--सं० १८६६ चैत्र बुदी १। पूर्ण । वेष्टन सं० ११६६ । प्राप्तिस्थान---भ० दि० जन मन्दिर अजमेर । . . ९०३. प्रति सं० २। पत्र सं० २२७ । ले० काल सं० १८७४ मावन बदो । पूर्ण । वेष्टन सं० ७१ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर करौली।। 'विशेष-अन्तिम दो पृष्ठों पर गोम्मटसार पूजा संस्कृत में भी है । ८०४. प्रति सं० ३। पत्र सं० २५४ । प्रा ११ ४ ८ इन्च । ले० काल .. १८६० । पूर्ण ! वेष्टन सं० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । विशेष-नाउलाल. तेरापंथी ने प्रतिलिपि कराई थी । Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८० ] ८०५. विचारसंग्रहणी वृत्ति पत्रसं० २४ प्राकृत विषय - प्रागम २० काल सं० १६०० । ले० काल सं० १७१२ प्राप्ति स्थान दि० जंग मन्दिर कोटडियान डूंगरपुर । विशेष- प्रति संस्कृत टवा टीका सहित हैं। टीका काल सं० १६६३ है । ० ८०६. विपाक सूत्र - X पत्र० १० से ४६ भाषा प्राकृत विषय प्रागम १० काल X ले० काल - x 1 पूर्ण वेष्टन सं० ७५२ दि० जंग पंचायती मंदिर भरतपुर । ग्रन्थ सूची- पंचम माग १० X ४६ भाषा पूर्ण । वेष्टन सं० ४६३ × । ८०७. विशेषसत्ता त्रिभंगी - तेमिचन्द्राचार्य । पत्र० ५-३७ तक । ० ११३ X ५३ भाषा - प्राकुल । । विषय सिद्धान्त र० काल - X से काल - X। अपून सं० १५० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर आदिनाथ बूंदी। । ८०८. प्रति सं० २ । पत्रसं० ३० ले०काल सं० १६०६ ज्येष्ट बुदी ४ पूर्ण वेष्टन सं० / १२४ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । विशेष- श्री मूतने बलात्कार सरस्वतीमध्ये कुन्दकुन्दाचार्यान्विये म० शुभचन्द्रदेवा ० ० जिनचंद्र देवा त म सिद्धकीतित. म. श्री धर्मकीर्ति तदान्नाये वाई महासिरि ने लिखवाया था ८०८. शतश्लोकी टीका त्रिमल पत्रसं० १० ० X ४३ इञ्च भाषा विषय- सिद्धांत २० काल X ले०का सं० १८६४ श्रेष्ठ बुदी ७ । पूर्वं न सं० स्थान दि० जैन मन्दिर तबलाना। - विशेष- पं० रनखौभाग्येन चिरदेवेन्द्र विमल पावनार्थ सं १८६४ वर्षे ज्येष्ठ कृष्ण ७ गुरुबसे महाराजा जी विदानसिंह की विजयराज्ये । ८१०. श्लोकवार्तिक - विद्यानंदि । एवं सं० ११६० ११४ इञ्च संस्कृत विषय सिद्धान्त १० काल X से काल सं० १७२० पूर्ण पेन सं० १४० ७ पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़। विशेष – प्रशस्ति निम्न प्रकार है- - ८११ श्लोकवातिकालंकार पत्र सं० ७ प्रा० १२४५ इ सिद्धांत र०का X से काल X पूर्ण वेटन सं० १७६ / २१० संभवनाथ उदयपुर । संस्कृत प्राप्ति भाषादि० जैन - संवत् १७२० वर्षे कार्तिकमा कृष्ण पंचम्या रविदिने श्री मूलसंघ सरस्वतीगच्छे बलात्कार गणे महारक श्री सकलकीर्ति तत्प भट्टारक कोहिनुमान मट्टारक श्री ५ रामचन्द्र शिष्य पंडित कुशला लिखितं दो गरे भनन्दन या तत्वार्थ टीकासमाप्तः । च t भाषा-संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर १२. ससात्रिभंगी - प्रा० नेमिचन्द्र । पत्र सं० ४० । प्रा० १०x६ इश्व | भाषा - प्राकृत हिदी ए० काल X। ले०काल [सं०] १८७० पूर्णा वेटन सं० ४५५-१६४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का इंदरपुर । विशेष हिन्दी गद्य में अर्थ दिया हुआ है। गार्माओं के चित्र भी दिये हुये हैं। Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम, सिद्धान्त एवं धर्श ] [८१ ८१३. सत्तास्वरूप-X । पत्र सं० ४३ । १३४७ इञ्च । माषा-हिन्दी पद्य । बिषयसिद्धांत । र० काल x | लेकाल सं० १६३३ कार्तिक सुदी ५ पूर्ण । वेष्टन सं०१०५ | प्राप्ति स्थान-- दि० जन अग्रवाल पचायती मन्दिर अलवर । म. प्रतिरो, २ :: :: : ० १ इञ्च । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा (राज.) । ८१५. सप्ततिका ४ । पत्र सं०३०-३६ । प्रा० ११४४३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषयसिद्धांत । र काल x। लेकाल-x। अपूर्ण । बेष्टन सं० २२८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । इति कर्मग्रन्थ षटक सूत्र समास ।। ८१६. सप्तपदार्थ वृत्ति ४ । पत्र सं० २६ । आ० ११३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - सिद्धांत । र० काल-४ । लेकाल सं० १५४१ आसोज बुदी ११ । वेष्टन स० १४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर लपकर, जयपुर । विशेष-रलशेखर ने स्वयं के पथनार्थ लिखी थी। ८१७. सप्तपदार्थी टीका-भावविद्यश्वर । पत्र सं० ३७ । प्रा० १: ५५५ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-सिद्धांत । र० कास-x। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २०७ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर अग्रवाल उपयपुर। विशेष---इति भावनिय प्रवर रनिता चमत्कार ..." नाम सरलपदार्थी टीका । ८१८. समयभूषण---इन्द्रनंदि । पत्र सं० । आ० १३४ ४ इन 1 भाषा -- सस्त । विषय - सिद्धांत । र०काल-x। लेकाल-x 1 पुर्ण। वेधन सं०४६:४३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । विशेष इति श्री गदिन्द्धनाचार्य विरचितो नाम समय भूषणापरयेयं ग्रन्थ । ८१९, समवायांग सूत्र । पत्र सं०७७ । भाषा--प्राकृत । विषय-सिद्धांत । २० काल-x। ले०काल –X । अपूर्ण । त्रेहन सं० ४६ ४१५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ८२०. सर्वार्थसिद्धि-पूज्यपाद । पत्र सं०-१४० । मा०६४ ४३ इन। भाषा-संस्कृत । विषय. सिद्धांत । र० काल-X । ले० काल सं १८३१ कार्तिक सुदी १०। पूरा । वेष्टन सं०-८६ । प्राप्तिस्थान--भ.दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष--- अजमेर में भट्टारक श्री त्रिलोकेन्दुकीति ने प्रतिलिपि करवायी थी । ८२१. प्रतिसं० २। पत्र सं०-१ से १६१ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०--११३२ । प्राप्ति स्थान-उपरोक मन्दिर । २२. प्रतिसं०३। पर सं०-४ से १०४ । आ. ११६४४१ इञ्च । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०–१०३८ । प्राप्ति स्थान परोक्त मन्दिर । ८२३. प्रतिसं० ४ । पत्रसं०-२१२ । ले. काल सं० १७४५ अाषाढ सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं०-१७०। प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची- पंचम माग ८२४. प्रति सं० ५ । पत्र०-१८५ से० काल X अपूर्ण न ०६ प्राप्ति स्थान- बड़ा पंच मंदिर डीन ! ८२ ] २५. प्रति सं० ६ । पत्रसं०- १६६० ११ X १३ । ले० काल य० १७७६ वासोय मुदी । पूर्ण । देष्टन मं०-३० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष हिण्डौन में पं० नरसिंह ने प्रतिलिपि की थी। — ८२६. प्रतिसं० ७ ०२१६०३६३० का पूर्ण २०६६। प्रा स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करोली | ८२७ प्रतिसं००१११० १०५६ इच दी ११ । पूर्ण वेष्टन सं० १८० प्राप्तिस्थान दि० जैन मन्दिर पंचायती करौली । विशेष - लेखक प्रशस्ति विस्तृत है। २८. प्रतिसं० । पत्र सं० – १५४ ॥ प्र० ११३४ ६ | पूर्ण | वेष्टन सं०/१२ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर सौगारियों का करौली । ले०कान सं०-१६०० कार्तिक ० काल १६७० पौष सुदी ८२६. प्रतिसं० १०० १८-२०७ ०काल सं० १७० पोष बुद्दी अपूर्ण वेष्टन सं० १०१-१०: प्राप्तिस्थान- दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रत्येक पत्र में १० पंक्ति एवं प्रति पंक्ति में ३१३४ अक्षर हैं। प्रशस्ति निम्न प्रकार है- संवत १३७० प बुदी १० मा श्री योगिमीपुरस्थितेन साधु श्री नारायण सृत भीम गुप्त श्रावक देवधरेण स्वपठनार्थ तत्वार्थवृति पुस्तकं तिखापितं । तिखितं गोडावय कायस्थ पं० व पुत्र वाडदेवन निष्णवीकृत जितविहगाः पंचाप्यध्यांका। ध्यानश्वस्तसमस्तकिल्विषविया, यास्त्रां बुध पारगः । खोन्यूकिम्वदनिचयाः कारव्य पुष्याः । यो भवनीयताः कुर्वन्तु वो मंगणं ॥1 लेखक पाठयोः शुभं भवतु इसके पश्चात् दूसरो ने निम्न प्रशस्ति और दी हुई है--- श्रीमूतमंचे म० श्री सकलकीतिदेवास्तत्पट्टे श्री मुनीतिदेवाः बेली श्री गौतमथी पहल शुभं भवतु । ८३०. प्रतिसं० ११ ० १७० | या १०३४ २३ इव । ले० काल -- पूर्ण वे सं० ४८ प्राप्ति स्थान वि० जैन मन्दिर दरवालों का विशेष - १० १९६२ आसोज सुदी ४ कोटडियों का मन्दिर में ग्रन्य चढ़ाया। -- ८३१. सर्वार्थसिद्ध भाषा पं० जयचन्द पसं० २६६ | आ० १३४७ इव । भाषा२० काल सं० १८६१ चैत्र सुदी ५। काल संख्या १०६६ प्राप्तिस्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । राजस्थानी (ढारी) गद्य विषय सिद्धांत माघ खुदी १२ । पूर्ण वेष्टन ० १५६६ (क) ८३२ प्रतिसं० २०२६४ ० का ० १०० पूर्ण मे० [सं०] ५३४ । Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्राम, सिद्धान्त एवं चचां ] प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । विशेष लालसिंह बडजात्या ने दिलवायी थी । ८३३. प्रतिसं० ३ । पत्र संख्या ३१३ | लेखन काल सं० १८७३ । पूर्ण वेष्टन गं० १३५ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष — जोधराज कासलीवाल कामावाने ने लिखवाया था । ८३४. प्रति सं. ४ । पत्र स. २४३ । ले०काल - ४ । पूर्ण । वे०सं० ५३६ प्राप्ति स्थान - उपरोक्त मन्दिर । [ ३ ८३५ प्रति सं. ५ पत्र सं० २०२ । ० काल सं० १८७४ सावण बुदी १२ । पूर्ण । त्रे. सं० ८ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर | ८३६. सारसमुच्चय-- कुलभद्राचार्य । पत्र सं० १४ । भाषा संस्कृत ०काल - X | ले० काल सं० १८०२ वैशाख तु १३ । पूर्ण दे० सं० २४७ जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८३७, सिद्धांतसार - जिनचन्द्राचार्य । पत्रसं० ८ । प्रा० EX५ इव | भाषा - प्राकृत विषय— सिद्धांत । २० काल ५ । ले-काल सं० १९२४ आसोज सुदी ११ । पूर्णं । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर अजमेर | --- विषय - सिद्धांत | प्राप्ति स्थान - दि० विशेष-- सांभर में प्रतिलिपि हुई थी। लेखक प्रशस्ति अपूर्ण है । ३८. प्रतिसं० २०८ श्र० ८ X ३ इञ्च | लेकाल सं० १५२५ आसोज सुदी ११ । पू । वेष्टन सं० ५१० प्राप्ति स्थान – उपरोक्त मंदिर । विशेष केवल प्रशस्ति अप्पू है। ८३६. प्रति सं ३ । पत्र सं० ७ ॥ श्र० १०५४ इन्च । से० काल सं० १५२५ । पूर्ण । ० [सं० ३३६ | प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । विशेष – प्रशस्ति निम्न प्रकार है— सं० १५२५ वर्षे श्रावण मुदी १३ श्री मुलसंथे भ० श्री जिन चन्ददेवा वील्ही लिखायितं । ८४० प्रति सं० ४ । पत्र सं० १२ । सुदी १४ । पूर्ण । वे० सं० १३१ । प्राप्ति स्थान विशेष – फागी ग्राम प्रतिलिपि हुई थी । ०४३३श्च । लेखन काल सं० १५२४ कार्तिक दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष – कहीं कही संस्कृत में टिप्पणी भी हैं । ६४२. सिद्धान्तसार दीपक - भ० सकलकास भाषा - संस्कृत विषय - सिद्धान्त । र०काल X। ले० काल सं० वेष्टन सं ० - १०२३ : प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर, अजमेर | ८४१. प्रति सं. ५ पत्र ० ६ । प्रा० ११४५३ इव । ले० काल x सं । वे० सं० १७ | प्राप्ति स्थान - fr० जैन मन्दिर उदयपुर । पसं० १२५ ॥ श्र० १९ X ३४ इन्च ॥ १८१५ चैत सुदी १५ । पूर्णे । Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ८४३. प्रति सं० २। पत्रसं० ११ । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ११५४ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ८४४. प्रति सं० ३ । पत्र सं0- १२--१५१ । प्रा० १०३ x ४३ इञ्च । लेकाल- ४! भपूर्ण । वेष्टन सं०६५६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ४५. प्रति सं० ४ । पत्रसंग--१६० । आ. ६x६६च । लेकाल सं० १८४८ आषाड़ सुदी १३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ८१ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष--प्रारम्भ के ८१ पत्र वेष्टन सं० २२१ में है। ८४६. प्रति सं०५ । पत्रसं०-१-४५,१६६ । ले० काल-१५२३ माघ बदी ११1 अपूर्ण । बेटन सं० २५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-भरतपुर में प्रतिलिपि की गई थी। ८४७. प्रति सं०६। पत्रसं०-५२ से १५७. ले. काल - ४ । अपूर्ण वेष्टन मं० २.६४ ॥ .प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ८४८. प्रति सं०७। पत्र सं०-२३१ । ले० काल सं० १७९० पासोज सुदी १। पूर्ण । वेष्टन सं०२१३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-जिहानाबाद में प्रतिलिपि हुई थी । ८४६. प्रति स० ८। पत्र स. १६० । ले० काल --X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर र । २५०. प्रति सं०६ पत्र सं० १३६ । ले० काल-१६१७ कार्तिक मुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं०६७ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष-१० जीवनराम ने फतेहपुर में रामगोपाल ब्राह्मण मौजपुर वाले से प्रतिलिपि कराई थी। ८५१. प्रतिसं० १०। पत्र सं० ८२। ले० काल मं० १७२८ चैन बुरी ३ । अपूर्ण । वेन' सं० ३४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ८५२. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ३..१६४ | श्रा० १०x४३ इञ्च । ले० काल --- । अपूर्म । वेष्टन रा० १४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर उदयपुर । ८५३. प्रति सं० १२ । पत्र सं० २५७ । ले० काल सं० १८४३ । पर्गा । बेष्टन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल । विशेष-लोक सं ५५०० 1 प्रशस्ति निम्न प्रकार है-मिति पोष सुदी १ नोमी शुक्रवासरे लिपिवृतं प्राचार्य विजय कीतिजी चि० सदासुग्य चौत्रे रूपचन्द को बाई खुशाला मिति पौष सुदी ६ सम्बत् १८४३ का नन्दग्राम नगर हांडा राज्ये महारावजी श्री उम्मवस्पंधजी राज्ये एकसार झाला गोत्रे राज्य आलिमस्यंघ जी पंडितजी श्रीलाल जी नानाजी: तर म भौंमा गोरे साहजी श्री हीरानन्दजी तव पुत्र माहमी श्री धर्भमति कूल उधारणीक नुस्यानचन्द जो भार्या कसुम्भलदे तन् पुत्र शाहजी श्री धमति कुल उचारमीक साह छाजुरामजी भार्या छाजादे भाई चन्द्रा शास्त्र घटांपिस । शास्त्र जी दीन्ह पुण्य अर्थ । Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] ८५४. अतिसं० १३ । पत्र स. १६६ । ले० काल सं० १७६४ सावन मुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष - सवाई माधोपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ८५५. प्रति सं० १४ । पत्र सं० ३४६ । प्रा० १०x४१ 1 ले काल सं० १७८६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७ । प्राप्तिस्थान--दि जैन मन्दिर पाश्यनाथ चौगान बुदी। ८५६. प्रतिसं०१५। पत्र सं. २-२२६ । प्रा० १३४५ इन्च । ले. काल-१७५४ मंगसिर सुदी ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३२४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-प्रथम पत्र नहीं है। धर्मपुरी में प्रतिलिपि हुई थी। ५५७. प्रति सं० १६। पत्र सं० १४० 1 प्रा० १३४६। ले० काल सं० १६१६ 1 पूर्ण । वेवन सं० ६० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर तेरहपंथी नेणवा । दिशेष-सं० १६२८ में चन्दालाल बैद ने चढ़ाया था। ८५८. प्रति सं १७। पत्र सं० २७१ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले० काल में० १८८५ सावन सुदी २ पूर्ण बेष्टन मं० ५२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दबलाना बूदी। विशेष-श्री सामनिलजी सत् नि ६० मोती विमलजी तत् पिथ्य पं. देवेन्द्रबिमलजी तत् शिष्य सुखविमलेन लिपि कृतं । ५६. प्रति सं० १८ । पत्र सं० ११३ । प्रा० १० X ६ इञ्च । ले. काल -- । परम् । वेष्टन सं० ५० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पार्थनाथ मन्दिर बलाना (दी)। ८६०. सिद्धांत सारदीपक-नथमल बिलाला। पत्र सं०.३७८ । प्रा० १२ x ६१ इश्च । भाषा-हिन्दी (पाय)। विषय--सिद्धात । र० काल सं० १८२४ माह सुदी ५ । ले० काल सं० १८१५ कार्तिक सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६०६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर, अजमेर । ६१. प्रति सं० २। पत्र सं. २४६ । ले० कान--- | पुर्ण 1 वेष्टन सं० ५६३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । विशेष-२०१ तथा २०२ का पत्र नहीं है । ·८६२. प्रति सं०:३। पत्र सं० २०६ । लेकाल- । पूर्ण । वेष्टन स० ५६४ । प्राप्ति स्थान – दि जैन पंचायती मन्दिर मरतपुर । ८६३. प्रति सं०४। पत्र सं० २६६ । ले। काल सं० १७.७७ १ फागुण सुदी । पूर्ण । वेपन सं० २१७ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-जोधराज कासलीवाल के पुत्र उमरावसिंह व पात्र लालजीमान वासी कामा ने लिखवाया था। ८६४. प्रति सं० ५ । पत्र सं० १५८ । ले. काल-X । पूर्ण । वेष्टन मं० ५० 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । ८६५. प्रति सं०६। पत्र सं. ६ । ले. काल सं० १९५६ । पूर्ण । वेष्टन मं०३१ प्राप्ति Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ ] स्थान दि० जैन मन्दिर चैतनदास पुरानी डीग ।' ८६६. प्रति सं० ७ ० म० ४ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बवावा । 1 विशेष-२ प्रतियों के मिले हुए पत्र है। ३०२ तक है। | ८६७ प्रतिसं० पत्रसं० २३७ । झा० १२३ X ४ इव । ले० काल सं० १९२१ चैत मुदी ८ पूर्णाष्ट ० ५२ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष सं० १९३२ में इस ग्रन्थ को मंदिर में भेंट बढ़ाया वादा था । ८६८. प्रति सं० ले०कान ० १६२५ पूर्ण बेन सं०६५ प्राप्ति स्थान — नं० २११ ० १३७ इ दि० जैन छोटा मंदिर बयाना । [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ० का ० १८२५ वैशाख सुदी ५ पूर्ण बेन ८६६. प्रति सं०] १० । पत्र [सं० १३१ । ग्रा० १२८६ ले काल पूर्ण वेष्टन सं १३८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर करौली । प्रथम प्रति के २६० तक तथा दूरी प्रति के २६६ से ७०. प्रति सं० ११ १ पत्र सं० २२२ । श्रा० १३४५३ इव । ले०काल सं० १८६० चैत्र मुदी १४ पूर्ण पेन सं० ५३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) । ८७१. प्रति सं० १२ । पत्र स० २६५ | आ० ११४५ च । ले०काल सं० १६८८ चैत्र बुदी १२० १२ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर चौधरियों का मालपुरा (टोंक) ७२. प्रति स० १३ १४० १४३ ० १२६ x ६३ ०काल सं० १०२५ भादवा गुदी १ पूर्ण पेन सं० २० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पंचायती राजमहल (टोंक) विशेष – महात्मा स्यंभुराम ने जयपुर में प्रतिलिपि की । ८७३ प्रति सं० १४ । पत्र सं० २११ । आ० ११४६३ इच्च । ०काल सं० २००३ । पूर्णी देव मं० १८० प्राप्ति स्थान दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर, उदयपुर । ८७४. प्रति सं १५ पत्र सं० १७६ ० १६३४ ले०काल सं० १०७२ फागुन बुदी ३ पूर्ण वेष्टन सं० १२२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर महावीर स्वामी बूंदी ८७५. प्रति सं० १६ । पत्र [सं० २७२ १३ । पू । केन सं० २०८-११ प्राप्ति स्थान विसेन इन्दर में प्रतिलिपि हुई थी। ८७६. प्रति सं० १७ | पत्र सं० १२१ | वेष्टन सं० ११९-५६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियान इंगरपुर । -- प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरापंधी दौसा । ० १२४६६०काल सं० १९७० ती सुरो दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा) ८७७ प्रति सं० १८०२३६० ११७ ०११५ ०काल सं० २०६८ ०काल X। पूर्ण बेन सं० 1 ७८ प्रतिसं० १६ । पत्र सं० १५० ग्रा० ११७३ बुदी ५ पूर्ण वेष्टन सं० २०३-३४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर तेरी दोसा | | ०काल सं० १९९४ झालोज Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं चर्चा ] विशेष--श्री गौरीबाई ने पन्नालाल चुन्नीलाल साह से प्रतिलिपि करवाई थी। ५७६. प्रतिसं० २० । पत्र सं० २०६ । प्रा० ११४३ इञ्च । ले०काल सं० १८५९ । पूर्ण । वेष्टनसं० १२:१६ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर, भादवा । ८८०. प्रति सं० २१ । पत्र सं० १७७ । प्रा० १३४६ इञ्च । लेकाल- । पूर्ण । बेपन मं० २११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी नेमिनाथजी दी। ८८१, सिद्धांतसागरप्रदीप । पत्रसं० १२६ । ग्रा० १२४ ६ इञ्च । भाषा-स्त्रत । विषय - सिमांत । र०काल ४ लेककाल .. सं० १८७१ । पूर्ण । श्रेष्टन सं. १२५-५६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर कोटडियान डूगरपुर। ८८२. सिद्धांतसार संग्रह-नरेन्द्रलेन । पत्रसं० २६.७ । प्रा०:११४७ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय- सिद्धांत । २० काल X । लेकाल सं० १९३३ । पूरी ! बेष्टन सं० १५.। प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर नेमिनायटोडारायसिंह (टोंक) विशेष-प्रति हिन्दी टीका महित है । .. ८८३. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ७८ । आ० १०:४४६ इन्चे । ते काल मं० १८.२ आवण सूदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२० । प्राप्ति स्थान--भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-.. महासेठ नगर में राठौड वंशाधिपति महाराजाधिराज : महाराजा श्री विजासहजी के शासनकाल में रक्षणालबन्द पांड्या ने प्रतिलिपि की थी। ८८४. प्रतिसं०३ । पत्रसं० १०२। प्रा० १२४६ इञ्च । ले०काल सं १८०६ पागोज दी ५५ । पुर्ण । वेष्टन मं२१२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष -जिहानाबाद में प्रतिलिपि हुई थी। ८८५. प्रति सं० ४ । पत्रसं०५ | प्रा० १०३.४४३। रकाल x 1 ले०काल ... : वेन में ११३ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ... ८८६. सूत्र प्राकृत -कुदकुदाचार्य । पत्र सं०६ । ग्रा० १२.१५६३८ । भाषा--प्राकृत । विषय - अध्यात्म । र० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन में ३१० । प्राप्तिस्थान-दि जैन मंदिर दीवानजी कामा। ८८७. सूत्र सिद्धांत चौपई--X। पत्र सं० १० । भाषा--हिन्दी पक्ष । विधान--सिद्धान्न । र काल । ले० काल-र । पूर्ण । वेष्ट्रन सं०.४०२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर काड़ियों का दुगरपुर। ८८. सूत्र स्थान-X । पत्र सं० १३२ । श्रा०६४५ इञ्च भाषा--वित । विषयसिद्धांत । र काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेपन में० १६५ ! प्राप्तिस्थान –दि जन मन्दिर नारथी नेमिनाथ दी। ६. संग्रहणी सूत्र--- । पत्र सं० ६१ । प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषप-- आगम । २० काल X । ले. काल सं० १७७७ नंत्र बुदी । पूर्ण । वेष्टन सं०१८ ! प्राप्ति स्थानवि. जैन मन्दिर दबलानाबूदी । Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग १०. प्रति सं०२। पत्र सं० १२ । से काल सं० १७७१ । पूर्ण । वे मं० १७१-४६ । प्राप्तिस्थान—दि जनपार्श्वनाथ मन्दिर, इन्दरगढ़ । विशेष-संवत् १७७१ वर्षे माह बुदी - दिने लिपीकृतं कोटडामध्ये । ६१. संग्रह सूत्र-मल्लिषेण सूरि । पत्र सं० १२ । भाषा - प्राकृत । विषय-अागम । र०काल x ले०काल सं० १६५। पर्ण । वेष्टन सं०-४४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन संभवनाथ मन्दिर, उदयपुर। :: . .:. : . . प्रशति--संवम् १६५७ वर्षे यासौज बुधी १४ दिने शनिवासरे श्री मांगनउर नगरे वाणरति श्री नयरंग गरिग त शिभ्य जती तेजा-तत् शिष्य जती धासरण लिखितं । ८६२. प्रति सं०२। पत्र सं० ३१ । प्रा० ८४३३ इञ्च । ले. काल सं० १६०१ भादवा बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दबलाना । विशेष ----प्रशस्ति निम्न प्रकार है ... संतत् १६०१ वर्ष भाद्रपद बुदी ७ शनी भट्टारक श्री कमलसेन पठनार्थ लिखितं सम्मतं श्री बहोडा नगरे। मह३. संग्रहमी संत्र-देवभद्र सरि। पत्र सं० २६०-१०४४ दृश्च । भाषा-प्राक्रत । विषय-सिद्धान्त । २० कालx। ले०. काल सं० १७०७ । अपूर्ण । ० सं० २६६ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष-संस्कृत में चूरिंग सहित है। १४. संग्रहणी सूत्र-x। पत्र सं०८। ग्रा० १०४४ इच। भाषा-- पुरानी हिन्दी। विषय- अागम 1 र० काल X । ले० काल सं० १७०१ । । बे० सं० ६.१ । प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि जैन मंदिर अजमेर। . . विशेष संवत् १७०६ वर्षे आषाद मासे शुक्ल पक्षे १ दिने दवरे श्रीपोधपुरे मतिकीर्ति लिखित्यति । ८६५. प्रति सं० २१ पत्र सं० ४४ । लें काल सं० १७१३ कातिक बुदी २ । पूर्ण । ० सं० ३१४ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर दबलाना (बून्दी) ५६६. संग्रहणी सूत्र भाषा-दयासिंह गणि। पत्र सं० ४७ । प्रा० १०४४१ इच। भाषा-प्राकृत हिन्दी। विषय-:--पागम । र०काल X । ले० काल सं० १९४७ सावरा सुदी १४ । पूर्ण । वेव सं १९१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कामा । विशेष:- . बीयाइ सुयपरेंसु इगहीणाऊ हुँतिपतीउ । ससमि महिपयरे दिसि इवकरके विदिसिनात्य ॥ ८८ वीमा ऋहतां बीजइ प्रतरह। पंक्तई २ एके कउ उछल करणं । सातमह नरकइ उणचास मई प्रतर दिसई एकेकउ नरकाजास उछ । विदसा एकह नरकाबास उ नहीं ।।८८|| समाप्ति--संवत् १४६७ द्वितीय सावण सुदी चउदसि शुकवार तिराइ दिवसइ तपागच्छ Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रागम, सिद्धान्त एवं शर्मा ! [८९ नायक भट्टारक भी रत्नसिंहपूरि नई शिष्यदई पंडित याहेमगरण्इं ए बालावबोध रच्चउ सबसौम्य मांगलिक्य नह अर्थ हुवउ । ८६७. संघरण सूत्र-४। पत्र सं० १२ । मा.१०४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-- प्रागम । र०काल X । ले० फाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर प्रभिनन्दनस्वामी बून्दी । विशेष—गरिण श्री जीव विजयग रिण शिष्यारण गत जी विजयेन लिखितं मुनि जसविजय पठनार्थ । Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विध ... वर्ष एवं प्राचार शास्त्र ८६८. अर्चा निर्णय-x। पत्र सं० २५ । आ० ११३ x ५ इञ्च । भाषा-हिन्दः । विषय-चर्चा 1 र० काल X । से. काल सं० १९१४ मंगसिर सुदो १२। पूर्ण । वेटन सं०१ । प्राप्ति स्थान-मादि जैन मन्दिर, अजमेर । विशेष-सठशलाका पुरुषों की चर्चा है। ८६६. अतिचारवर्णन-पत्र सं० २ । भाषा ... हिन्दी । विषय-प्राचार शास्त्र । र. काल--X । लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६००. अनगारधर्मामृत-पं० प्राशाघर । पत्र सं. २२-२८७ 1 श्रा० ११४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-प्राचार शास्त्र । र काल X । ले. काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष—इसका नाम यत्याचार भी है। इसमें मुनि धर्म का वर्णन है प्रति स्वोपज्ञ टीका सहित है। ६०१. प्रति सं० २१ पत्र सं० २२४ । या० १.१४४६ञ्च । ले० कानX । अपूर्ण । वेष्टन सं. १०७। प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष--..२२४ से पागे पत्र नहीं हैं। प्रति स्वोपज टोवा सहित है। ६०२. अनित्यपंचाशत-त्रिभुवनचंद । पय सं०८ । प्रा० ११४५३ इञ्च । माषा-. . हिन्दी पद्म। विषय--धर्म । र०कास र । ले. काल-- । पूर्ण । वेष्टन सं० ५१ । प्राप्ति स्थानदि० जन तेरहपंथी मन्दिर दौराा। विशेष- मूलकर्ता परनंदि है। ६०३. अमितिगति श्रावकाचार भाषा--भागचंद। पत्र सं०-१६५ । या..-.१४४८ इनु । भा--हिन्दी गद्य । विषय--प्राचार शास्त्र । र०काल-सं० १९१२ आषाढ सुदी १५ । ले० काल- ४ । पूर्ण । ते ० सं०-१५१ । प्राप्ति स्थान --दि. जैन मन्दिर नागदी, दी। ९०४. प्रति सं० २। पत्र सं० २०११ मा १२ x ५१ इञ्च । नेक काल सं० १९८१ । पौष बुदी ११ । पुर्ण । वेष्टन सं० १४५ 1 प्राप्तिस्थान—दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ६०५. अहन प्रवचन- (पत्र सं० २ । प्रा.-११: xx, इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय---धर्म। र०काल- ४ । ले. काल ४ ! पुर्ण । वेष्टम म०२९७ । प्राप्ति स्थानमा दि.जैन मंदिर अजमेर। Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] ६०६, अष्टाह्निका व्याख्यान हृदयरंग ।पत्र सं० ११ । भाषा .. संस्कृत । विषय -- धर्म । २० काल x । ० काल x । पूर्गा । वेपन सं०७०७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायनी मंदिर १०७, अहिसाधर्म महात्म्य- x ! पत्र सं० | प्रा० ११ x ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । र० काल X । ले० काल सं० १८५१ फागण सुदी १० । पूर्ण । वेहन मं० १४६१ । प्राप्ति स्थान-भदि जैन मंदिर अजभरः । 80. प्राचारसार-मोरनन्दि । पत्र सं० ६21 ना .x; इन् । भाषा-संस्कृत । विषय-आचार शास्त्र । २० काल । ले. काल सं० १८२३ आषाढ सुदी १। पुरा । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान - भ० दि० अंच मंदिर अजमेर । ०६. प्रति सं० २१ पत्र मं० १२६ । श्रा० ११ x ४ इच। ले. काल सं० १५६५ । पुर्ण । वेष्टन सं० ११८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मदिर दीवानजी कामा । ६१०. आचारसार वचनिका-पन्नालाल चौधरी। पत्र सं० ६ | प्रा० १४४५५ च | भाषा-हिन्दी गद्य । विषय - प्राचार गास्त्र । र० का सं १९३४ वैशाख बुदी ६ । ले० काल म० १९७७ माघ वदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२१ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष- ग. हीरालाल ने बाबु वेद भास्कर जी जैन आगरा निवासी द्वारा बाबुलाल हाथरस वालों से प्रतिलिपि कराई। ६११. प्राचार्यगुणवर्णन-X । पत्रसं० ३३ भाषा--संस्कृत । विषय-याचार शास्त्र । २० काल .. ४ | लेकाल-र । अपूर्ण । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान----दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर वसवा । ६१२. प्राराधना प्रतिबोधसार-सकलकोति- पत्रसं०३ । भाषा-हिन्दी । विषय - प्राचार शास्त्र ।२० काल.-.-X । लेकाल-X । अपूरणं । वेष्टन सं०६१:२४८ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर, उदयपुर । विशेष-- मंतिम भाग निम्न प्रकार है जय भरगड्न मुगाई नर नार ते जाइ भवनइ पारि । श्री सकलकीति कहि सुविचारि पाराधना प्रतिबोधसार ॥ इति भाराधनासार समाप्त । दीक्षित वेणीदास लिखितं । ९१३. प्रतिसं.२ । पत्र सं० ४ । मा० ६.४५ इन्च । लेकाल- ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०३३४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । १४. प्रतिसं०३ । पत्रसं० ४ । आ० ११ x ५ इन्च । लेकाल-x पूर्ण । वेष्टन सं० २०३-१११ । प्राप्तिस्थाम–दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का नगरपुर । ९१५. पाराधनासार-वेवसेन । पत्रसं० ३-७६ । प्रा० १२५ ४ इन्च भाषा-प्राकृत । विषय-धर्म । र०काल-x। ले०काल-४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३१६ । प्राप्तिस्थामदि. जैन मन्दिर वोरसली कोटा । Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ J ९२] विशेष - प्रारम्भ के २ पत्र नहीं हैं। प्रति संस्कृत टीका सहित है । T१५. (क) प्रतिसं० २ । पत्र सं० ११ । भ० ११४५ इश्व । ले० काल - X अपूर्ण वेन सं० १०:३२५ | प्राप्तिस्थान दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । १६. आराधनासार- प्रमितिगति पत्रसं० २ १२ मा० १० X ४ इंच भाषासंस्कृत | विषय - श्राचार शास्त्र । २० काल - X। ले० काल - स० १५३७ श्रावण बुदी । श्रपूर्ण । वेष्टन सं० १४६६ प्राप्तिस्थान- मट्टारकी दि० जैन मन्दिर बजमेर | १७. श्राराधना -- x | पत्रसं० ६ । ०काल ----XI ले० काल - X पूर्ण उदयपुर । ० ६ x ४ इंच सं० २३१ प्राप्ति स्थान [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग - ६१८. आराधनासार भाषा टीका x ०२१ ० १० X ६३ च भाषा से० काल - सं० १६५३ श्रावण - - हिन्दी (गद्य) | विषय - आचार शास्त्र । र०काल सं० १९२१ । सुदी १५ । पू । सं० १६७/६६ प्राप्तिस्थान - दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ कोटा | भाषा - हिन्दी । विषम-धर्म । -- दि० जैन संभवनाथ मंदिर ६१६. श्राराधनासार टीका - X। पत्र सं० ३८ । आ० ११ X ४३ इव । भाषा-संस्कृत । विषय धर्म र काल X ले० काल – ० १६३२ । पूर्ण वेष्टन सं० ११७ | प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । 1 -- २०. आराधनासार टीका - नंदिगरण | पत्रसं० ४०३ । भाषा-संस्कृत विषय प्राचार शास्त्र | र० काल X। ले० काल X | पुर्ण स्थान- दि० जैन यम्रवास मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रति प्राचीन है। प्रशस्ति पूर्ण नहीं हैं । २१. श्राराधनासार टीका--- पं० जिनदास गंगवाल । पत्रसं० ६५ | प्रा० १०×५ इञ्च | भाषा - हिन्दी (ध) | विषय - ग्राचार शास्त्र । ०काल १८३० से० काल पं० १८२० चैत मुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) विशेष - १० १२४० में भरतपुर मन्दिर में बढाया गया था। इश्व । प्रा० ११ x ४ । वेष्टन सं० १५१ । प्राप्ति २२. प्रतिसं० २ । पत्रसं० १०६ । ग्रा० ११ X ६ । ले०काल सं० २०३१ ज्येष्ठ सुदी १ । पूर्ण वेष्टन सं०] ३३४ ॥ प्राप्ति स्थान दि०जैन मन्दिर बोरी, कोटा । विशेष— भानपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ६२३. आराधनासार भाषा- दुलीचन्द । प० २५ भाषा रचना काल २० वीं शताब्दी । ले० कालले० काल - X। पुन ०४३१ पंचायती मन्दिर भरतपुर । हिन्दी विषय धर्म प्राप्ति स्थान दि० जंत ४ इञ्च २४. आराधनासार वचनिका -- पनालाल चौधरी । पत्रसं० ३०० १२२ X | भाषा – हिन्दी (ग्रंथ) | विषय - आचार शास्त्र | २० काल सं० १९३१ चैत बुद्दी । ०काल । पूर्ण वेन सं० १८१६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर भागवा (राज) Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] ६२५. प्राराधना पंजिका--देवकीत्ति । पत्र सं० १७८ । प्रा० १२ x ५ । भाषासंस्कृत । विषय-धर्म । २० काल ४ । ले० काल सं० १७५० पौष सुदी । वेष्टन सं ७० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मं० लश्कर, जयपुर । विशेष-पूरत बन्दागाह के तट पर बद्रीदास ने लिम्बा था। ६२६. पाराधनासूत्र- सोमसूरि । पत्रसं. ३ । प्रा. १४४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत विषय-धर्म । र काल X । सेन्काल X । पूर्ण । वेष्टन सं १०१६ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष—लिखतं तिलकसुदरगरिंग । ६२७. प्रतिसं० २। पत्रसं० १२ । प्रा०६:४४१ इञ्च । ले०काल सं० १७४३ चैत्र सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५४० । प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर अजमेर । विशेष-६६ गाथाए हैं । प्रति टन्या टीका सहित है । ६२८. प्रतिसं० ३ । पत्रस० ५। ग्रा० १०४ ४ इञ्च । ले०काल सं० १६४८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७२६ । प्राप्तिस्थान–० दि. जैन मन्दिर, अजमेर । विशेष - सं० १६४८ वर्षे बंशाख सुदी १३ भृगुवारे लिखिता मु. हंसस्तेन . मुश्राविका सबीरा पठनार्थ । ६२६. प्रासादना कोश............ । पत्र सं० १५ या १२४४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-आधार शास्त्र । २० कास ४ । ले० काल | ० सं० ६३२। प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर । १३०. इक्कावन सूत्र--- । पत्र सं० २८ । प्रा.६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय धर्म । र० काल सं० १७८० चैत्र बुदी १ । ले० काल - । पूर्ण 1 ३० सं० २३८ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-धर्म का ५१ सूत्रों में वर्णन किया गया है ६३१. इन्द्रमहोत्सव - X । पत्र सं०४ । प्रा० १०x४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयभगवान के जन्मोत्सव पर ५६ कुमारी देवियां आदि के माने को वर्णन । र० काल । नेक काल । पूर्ण । बेष्टन सं० १०८१ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि० जंन भन्दिर अजमेर । ९३२. इष्ट छत्तीसी-बुधजन । पत्र सं० २। ग्रा० ७३४५, इच। भाषा-हिन्दी। विषय----धर्म । १० काल ४ । ले. काल X । बेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ६३३. प्रतिसं० २। पत्र मं० २. पा. १०४५६ इञ्च 1 र• काल X लेकाल । अपूर्ण । बेपन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान-पाश्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़, (कोटा) ३४. इष्टोपदेश-पूज्यपाद । पत्र सं० २-२७ । प्रा० १०१४५६ इञ्च । भाषा. -मस्त । विषय- धर्म । र काल X । ले. काल ४ । अपुर्ण । थेष्टन सं ११ । प्राप्ति स्थान. ..दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४ ] ६३५. प्रतिसं० २ । पत्र [सं० ६ पूर्ण वेष्टन सं० ३४-१३४ प्राप्ति स्थान ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ] I ० १२४७ इश्वर० काल X | ले० काल X दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-पं० तिलोक ने बुल्दी में प्रतिलिपि की थी कहीं २ संस्कृत में कठिन शब्दों के अर्थ भी दिए हुए है। । ३६. उपदेशरत्नमाला सकलभुवरण पत्र सं० ९७ ० १२५ इन्च भाषासंस्कृत विषय याभार शास्त्र २० काल मं० १६२७ श्रावण मुदी ६० सं० २०२१ I काल सारा। ख़ुदी २ पूर्ण न सं० १२४ प्राप्ति स्थान—मट्टारकोय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३७. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १४२ धा० ११४५ इथ ले०का सं० १६७४ भादवा सुदी ६। चेष्ट्रन सं० ६७९ प्राप्ति स्थान- मट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | ६३८. प्रति सं० ३ । गल सं० १४४ । ले० काल सं० १६६६ भादवा सुदी ३ पूर्ण वेष्टन सं० १५० प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० मन्दिर भजनेर । ९३९. प्रतिसं० ४ प ० १२६ प्रा० १०३४५६ ६५० सं० १०५६ पूर्ण सं० २२४ । प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष --- जोबनेर के मन्दिर जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी । ४०. प्रतिसं० ५ पत्र ० १०५ से १७० ० ६२X४३ इ० का ० १०५ अपूर्ण वेष्टन सं० ३२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दनस्वामी दी। विशेष पं० जिनदारा के लिये लिखी गई थी। ४१. प्रतिसं० ६ । गव सं० १२४ प्रा० ६३६ इस ते० काल सं० १८५५ मृदी १४ पूर्ण वेष्टन सं० १० प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर नागदी बूंदी। विशेष-संचारि में पं० सदासुख में प्रतिलिपि की थी। ४२. प्रति सं० ७ १० २१६ बा० ९३४३ । | ११ पूर्ण बेष्ट सं० २६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर चलाना (बून्दी) विशेष – त्रिमल ने इन्द्रगढ़ में शिवसिंह के राज्य में प्रतिलिपि की थी । ० का ० १८२६ष्ठ बुदी | से० २४३. प्रतिसं० ८ पत्रसं० ७२० १२६३ ले० काल सं० १८७१ पूर्ण न सं० ५.२ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष सं० १०७१ मासोज सुदी १३ बुधवासरे लिखितं सकलकीसिजी। भरतपुर मध्ये पोथी आचारण श्री ४४. प्रति सं० [सं०] १३० १०३४५ इ से० काल X पूर्ण पेन सं १४३ - ६५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ११ नेन सं० १७ प्राप्ति स्थान वि० जैन मन्दिर सरकर जयपुर । ४५. प्रति सं० १० । पत्रसं० १४४ । आ० १०३४५ । ले० काल सं० १७४० माह सुदी विशेष-अम्बावती कर्वटे नगर में महाराजा रामसिंह के शासन काल में प्रतिलिपि हुई थी। Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] ६५ 1 १४६. तिसं० ११ । पत्रसं० १०१-१३८ । आ०१५४५६ इन्च । लेक वाल रां० १.६ मपूर्ण । वेष्टन सं०७२२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-हीरापुर में पं. नरसिंह ने प्रतिलिपि की थी । ६४७. प्रति सं०१२। पत्र सं० ४२ । प्रा. १२४५३ । ले०काल ४ । अपूरणं । वेष्टन सं०६८८ । प्राप्ति स्थान. दि जैन मन्दिर लपकर जयपुर । ६४८. उपदेशसिद्धांतरस्नमाला-नेमिचन्द्र भण्डारी । (सं० १३ । प्रा० १०१४ ५३ इञ्च । भाषा-प्राकृन-संस्कृत । विषय -धर्म एवं प्राचार शास्त्र । र० काल X । लेकाल। पूरणं । बेन सं०५६। प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष-गाथानों पर संस्कृत में अर्थ दिया हुआ है। ९४९. प्रति सं० २ । पत्रसं० १३ । ले० बाल - । पूर्ण । वेष्टन से ६० प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर दीवानजी कामा। १५०. प्रति सं०३ । पत्रसं० १९ । ले० काल ५ । पूर्ण । बैतन सं०६१ । प्राप्ति स्थानअपरोक्त मन्दिर । विशेष - प्रति संस्कृत टीका सहित है। ६५१. प्रति सं० ४। पत्रसं० २१ । ले० काल सं० x ! पुष । वेष्टन स. ६२ । प्रहरित स्थान----उपरोक्त मन्दिर । विशेष—प्रति संस्कृत टीका सहित है। ६५२. उपदेशसिद्धान्तरत्नमाला-पाण्डे लालचन्द । पत्रा सं० ११४५ श्रा० १४x इच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-धर्म एवं याचार । र० काल सं० १८१८ । लेकाल सं० १६५२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान दि. जैन खण्डेलवाल पचायती मन्दिर, अलवर । ९५३. उपदेशरत्नमाला-धर्मदास गरिए । पत्रसं० ५५ । मा० १.४४ इञ्च । भाषा-- प्राकृत । विषय-धर्म । २० काल X । ले०काल । पूर्ण । वैन सं० २४४.। 1प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर, दवलाना ( दी) । विशेष-प्रतिजीग हैं । मूल गाथायों के नीचे हिन्दी में अर्थ विका है। ६५४. प्रतिसं० २ । पत्रसं० २७ । आ. १. ४ इञ्च । ले०कास यं. १२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०६ । प्राप्ति स्थान दि जेन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ । . . विशेष-प्रशसिंग निम्न प्रकार है- . श्री।। सं० १८६३ वर्षे कार्तिक सुदि ७ भौमदिने आगरा नगरमध्ये निखायित ऋपि टोहर । पउनार्थ सुश्रावक श्रीमाल गोत्र पारसान सु श्रावक भानसिंह तत्पुत्र श्रावक · महासिंह तस्य भार्या सुश्राविका पुण्य प्रभाषिका देवगुरुभक्तिकारिका श्राविका रंभा पठनार्थं । ६५५. उपदेशसिद्धांतरत्नमाला-भागचन्द । पत्र सं० २६ । प्रा० १२१ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य)। विषय-धर्म । २० कास सं० १९१२ ग्राषाढ बुदी २ । ले० काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १२१८ । प्राप्ति स्थान-भद्रारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६.] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाय ६५६, प्रतिसं०२। पत्र सं० ४५ | प्रा. Ex५ वञ्च । ले० काल सं० १९५४ भादवा सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०४० । प्राप्ति स्थान—दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । ६५७. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ७५ । ले. काल सं० १९४० । पूर्ण । वेष्टन X । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६५८. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० ३४ । प्रा० १४४ ८ इञ्च । ले. काल रां० १६३० चत्र बदी १४। पूरणं । बेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर दबलाना (चूदी) । विशेष ठाकुर चन्द मिथ ने प्रतिलिपि की थी। E५६ प्रतिसं० ५। पत्र सं० ३३ । प्रा० १२३ x ५३ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०१ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर, अजमेर । ६६०. प्रति सं०.६ । पत्रसं० २८ । पा० १३४८ इंच । लेकाल-सं० १९२१ । वंशाख सुदी ८ । पूर्ण। वेष्टन सं० ७० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पाश्वनाथ मन्दिर करौली । विशेष जती हरचंद के मंदिर विमाने में ठाकुर चंद मिश्र हिण्डौन वाल्वे ने प्रतिलिपि की। ६६१. प्रति सं०७ । पत्र सं० ६४ । भा० १२३ x ४ इश्व । ले०काल x | पूर्ण। वेष्टन सं०५१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ६६२. प्रतिसं । पत्रसं० ३४ । प्रा० १३४६ इच । ले० काल सं० १९१६ मंगसिर मुदी ६ । पूरणं । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति स्थान..-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर (शेखावाटी) । विशेष---इस प्रति में २०काल सं० १९१४ माघबुदी १३ दिया हुआ है । ६६३. प्रतिसं०६। पत्र सं० ४६ । प्रा० x ७ च । ले० काल सं० १९३८ फागुन बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं२.१०६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर श्री महावीर स्वामी बूदी। ६६४. प्रतिसं०१० । पत्र सं०४८ । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० X । प्राप्तिस्थानदि जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । १६५. प्रतिसं० ११ । पत्रसं० ४३ । आ० ११x६ इञ्च । ले०काल सं० १९३३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन खण्डेलवाल पंचायती मंदिर अलवर। ६६६. प्रतिसं० १२ । पत्र सं० ४० ! ले० काल सं० १६३४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३० । प्राप्ति स्थान-वि० जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर, अलवर । -४६७. प्रतिसं० १३ । पत्र सं० ७१ । प्रा० १२४ ४३ इन्च । ले० काल सं० १९४० मंगसिर बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लशकर, जयपुर । १६८. उपासकाचार-पूज्यपाद । पत्रसं० ६ । मा० ११४४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय---प्राचार शास्त्र । र०कालX ।ले०काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० २०६ । प्राप्ति स्थान-- भट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर। . ६९. उपासकाचार पमनंदि । पत्रसं० १०५ । प्रा. ११४५ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-प्राचार शास्त्र । १० काला X । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३६-६३ । प्राप्ति स्थान Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र] दि० जैन मंदिर कोटडिमों का डुगरपुर । विशेष–१०५ से माग पत्र नहीं हैं। ६७०. उपासकसंस्कार–पादि। पषसं० । आ०१२ x ४ इव । भाषा-मस्कृत विषय--पाचार । रालX । ले० कान मं० १५४२ । पूर्ण । वेपन सं०३.१ । १५८ प्राप्ति स्थानदि० जैन मंभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष.-. मुनक वृद्धिहानिभ्यां दिनानि प्रशद्वादश । प्रति-स्थान भारीकं वासरे पंच श्रोत्रिणं ।। प्रसूति च मृन्द नाले देशांतरमो रहो। सन्यारो मर चैन दिनेक सतकं भवेत ।। प्रशस्ति-सं० १५४२ वर्षे वैशाख सुदी ७ लिखनं । ६.७१. उपासकाध्ययन-पंडित श्री विमल श्रीमाल । पत्रसं० १८३ । प्रा०६ ५ । भापा हिन्दी पद्म। विषय - प्राचार शास्त्र । ९० काल ४ । ले. काल x। पुर्ण । देन सं० ३३३-१२१ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर कोटड़ियों का हंगापुर । ६७२. उपासकाध्ययन टिप्पण-४ । पयस ५-५ | प्रा. १२४५ इच। भाषासंत । विषः, - चार शाम । २७ फाल । काल सं० १५८७ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १४३१६३ प्राप्ति स्थान- दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेषः -प्रतिम पुष्पिका एवं प्रगस्नि निम्न प्रकार है-- इति श्री वसुनंदिसिद्धातविरचितमपासका वयनटिप्पणक समाप्त। संवत् १५८७ वर्षे चैत्र बुदी १ रत्री श्री मुजसने गरस्वतीगच्छे श्रीयुदकुदाचार्यान्वये प्राचार्य श्री रत्नकी तिस्तच्छिग्य मुनि श्रीहरिभूषणेनेदं लिखितं कर्मक्षयार्थ । ६७३. उपासकाध्ययन विवरण--X । पत्र सं० १७ । प्रा०xx इच । भाषासंस्कृत । विषय-माचार शास्त्र । १० काल » । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०५३६ । प्राप्ति स्थानभदारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । ६७४. उपासकाध्ययन श्रावकाचार-श्रीपाल । पत्रसं० १-२३.७ । आ० ११ X ४ इन्च । -भाषा-हिन्दी । विषय-आचार शास्त्र । १० काल: । लेकाल सं०१८२६ । पूर्स । वेष्टन सं० १७ १६१ । प्राप्ति स्थान–१० जन संगननाथ मन्दिर, उदयपुर । विशेष--अन्तिम छन्द--- वेपन क्रिया ए पन त्रिया ए रास अनोपम । शुभ नायकाचार मनोहर प्रबंध रच्यो गलियामगो सुललित वचन भविजन सुखकार । भरणे भरणाने मामलो भावमु लग्न जनाब सार । श्रोपाल कहे जे सांभलो तेह घर मंगल धरह जय जयकार ।। । .. . Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग इति उपासकाध्ययनाख्याने श्रीपालविरचिवे । संघपति रामजी नामांकित श्रावकाचार अभिधाने प्रबंध समाप्त। गांधी वर्तमान तत्पुत्र गांधी पूषालजी भार्या पानबाई पुत्र जोतिसर जबरचन्द्र गडाबचन्द्र एते कुटु'बपरवार श्रावकाचारनी नथ सखावो। १७५. उपासकाध्ययन सूत्र भाषा टीका-X । पत्रसं० ४४ । प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत हिन्दी । विषय -श्राबार शास्त्र । २० काल-ले०काल सं० १७०३ भाषाह सुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०२८। प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीन । विशेष- हिन्दी अर्थ माहित है । समगोपासक धावकमयपु निगत जिगधर्म पालत् वितरह । ति द्वादसंह गोसाल मखली पुएहनी । अश्रा वार्ता लाथा सांवली। इस खलु निश्चि सद्दान पुन्य आजीविकाना धर्म होटली नइ प्रोसा निग्रंथु धर्म तेह पंडित यो पादरसा । ६७६. कल्पार्थ-X । पत्रसं०४२ । प्रा० १.४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत' 1 विपर-धर्म । २० काल x। लेकालX । अपूरणं । देष्टन सं० १११-४ । प्राप्ति स्थान-वि. जैन मन्दिर बढा बीसपंथी दौसा। ६७७. कुदेव स्वरूप वर्णन--- पत्र सं० २४ । प्रा० १२ x ५६ ६ । भाषा-हिन्दी (गद्य)। विषय-धर्म । २० काल । ले०काल x 1 अपुर्ण । श्रेष्टत मं०५५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर बर (माना)। १७८, कुवेव स्वरूप वर्णन..-X । पत्र सं० ३७ । प्रा०६५ इञ्च । भाषा - हिन्दी नय विषय -धर्म । २०काल x | लेकाल१९११ डि. पापा सदी २ । पूर्व वेन सं०७२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । ६७६, कुदेव स्वरूप बरर्णन-४ । पत्र सं० २५ । प्रा० ११३ ४ ५ इञ्च । 'भापा. --हिन्दी । विषय -धर्म । र०काल X । ले०काल सं० १८६६ । यपूर्ण । श्रेष्ठन मं० ०४:४६ । प्राप्ति-स्थान दि० जैन मंदिर भादवा (राज.) ।। विशेष-घराज गंवका भादवा वाले ने प्रतिलिपि की थी। ९८०. कुदेवावि वर्णन । पत्र संच्या २१ । भादा-हिन्दी । विषय-धर्म । २.०काल ४ । लेखन काल । पूर्ण । वेतन म० ३८ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ८१. केशरचन्दन निर्णय x। पत्र सं० १६ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी गर्छ । विषय-प्राचार शास्त्र । र० काल x लेकालर । पूर्ण । वेष्टन सं० २१% प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदो दी। विशेष ---संग्रह प्रध है। . ६८२. क्रियाकलाप टीका---प्रमाचन्द्राचार्य । पसं.२-६० । पापा-संस्कृत | विषयप्राचार शास्त्र । २० बाल X । ले. काल सं० १८०७ । श्रपुमा । त्रेहन सं०६ । प्राप्ति स्थान-दि० बन तेरहाथी मन्दिर वसथा । Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] && ] ६८३. प्रतिसं० २ । ५० ४३ । ० १०३x४ इञ्च ले० काल० x पूर्ण । सं० २०.४६ प्रतिस्थान – दि० जैन मन्दिर कोटडियों का 'गरपुर । ६८४ प्रतिसं० ३ | पत्रसं० ४४ ० ११३४४) इव । ० काल x । प्रपूर्ण वेन सं० २२ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लाकर जयपुर | ६८५. क्रिवाकोश -दौलतराम कासलीवाल । पत्रसं० ११० । भाषा - हिन्दी पञ्च । विधव आचार शास्त्र । २० काल सं. १७९५ भादवा सुदी पूर्ण वेष्ठन सं०] ४५० । प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | विशेष- इसका दूसरा नाम त्रेपन क्रियाक्रोश भी है । ६८६. प्रतिसं० २ | पत्र सं० २३ श्रा० १२४६ इन्च । मंगसिर बुदी । पूर्ण वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बैर । विशेष-र में प्रतिलिपि की गई थी । ६८७ प्रतिसं० ३ | ० ११२ १२ । पूर्णेन सं० ४८१ । प्राप्ति स्थान ६८८ प्रति सं० ४ पूर्ण वेधन सं० १११ | प्राप्ति स्थान - दि० जेन मन्दिर आदिनाथ बूंदी ६८६ प्रति सं० ५ । बुटी ४ । पूर्ण वेष्टन नं० ११२ विशेष – सवाई माधोपुर ग्रा० १०x४ इञ्च 1 १२ । से० काल० X । ० ११७३६ । ले० काल सं० १९५४ भादवा सुदी दि० जैन मंदिर लाकर जयपुर । १०६ ० ९६ x ६ छ । जे० काल सं० १५७७ सावन बुदी काल सं १८६७ विशेष - भोपतराव बाकलीवाल बसवा वाले ने सवाई माधोपुर में प्रतिलिपि की थी। पत्र नं० १०६ । ग्रा० X ६ इस । ले०काल सं० १०६६ द्वि० आषाढ़ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर बादीनाथ बूंदी | में प्रतिलिपि की गई थी । वेष्ट्रन सं० २२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दनस्वामी बृ दी 1 ६०. प्रतिसं० ६ । प० १३० ॥ ग्रा० १०३४७॥ इव । ले० काल से १६४७ । पूर्ण । ६१. प्रतिसं० ७ । पत्र वेष्टन सं० १६८ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी | १२७ । आ० ११X५ इव । ले-काल सं० १६५२ । पूर्ण । विशेष—छड़ा में प्रतिलिपि हुई थी । ६२. प्रतिसं० ८ । प० १२५ । ले०काल शं० १६०१ । पूर्ण न सं० ११४ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) १६०४ पौष ६६३. प्रतिसं० ६ । ११२ । ० १०३ ४ ५ ३ । ले०काल सं० ? बुदी पूरन सं० २२२ । प्रामिस्थान – दि० जैन मन्दिर वोरसली कोटा । विशेष- गोमदलाल बटवाल ने सोचीलाल से कोटा के रामपुरा में लिखाया था । ६४. प्रति सं० १० | पत्रसं० ६० ग्रा० १६ X ६४ १२ । पूर्ण वेष्टन सं० ६६ प्रस्थान दि० जैन छोटा मंदिर बयाना । विशेष – गुमानीराम रांवका ने बयाना में प्रतिलिपि की थी। इस समय ईस्ट इण्डिया कम्पनी का ले काल सं०१५६६ प्रापाढ़ बुदी Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० ] शासन था। धावकों के ८० पर तथा १ मन्दिर था। ५. प्रति सं० ११ । पत्रसं०] ११० । बुदी २ पूरी बेटन सं० ११-३५ प्राणि स्थान विशेष - नानगराम द्वारा करौली में प्रतिलिपि की गई थी। ० २१ x १ इञ्च । ले० काल सं० १८६६ भादों दि० जैन सोमाली मन्दिर करौली । ६६. प्रतिसं० १२ । पत्रसं० १३६ । आ० १० X ७ इव । ले० काल सं० १७६५ । पूर्ण बेनस० २१८ प्राप्तिस्थान दि०जैन प्रवास मन्दिर उदयपुर । विशेष-स्वयं यकार के हाथ की मूल प्रति है प्रथ रचना उदयपुर में हुई थी। अन्तिम भाग निम्म प्रकार है— संवत् समास [पच्या भादवा सुदी बारस तिथि जारा। मङ्गलवार उदयपुर का है पूरन कीनी सेना है ।। १८७१ ।। आनन्दसुत जरासुको मन्त्री जय को अनुवार ज्याहि कहै । सो दौलति जिन दासनि दास जिन भारर्ग की मरण गहै ।। ६६ प्रति सं० १५ । पत्र सं० १०६ सुदी १२ । पूर्ण । बेष्टन सं० १२६ प्राप्तिस्थान [ ग्रन्थ सूची- पंथम भाग ९९७ प्रतिसं० १३० १७० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ४१२८९५६ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर | २८. प्रतिसं० १४ । पत्रसं० १६० १३३६० काल स० १९५७ पूर्ण ०६३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्रीमहावीर बूंदी। ० ६६ × ६ इव । ले-काल सं० १८६० असोज दिन मन्दिर र दा विशेष—दोनन्दराम छाबड़ा ने सवाई माधोपुर में प्रतिलिपि करवायी थी । १००१. क्रियाकोश भाषा (विदयमाचार शास्त्र मंगसिर सुदी १२ १००० प्रति सं० १६ पत्र [सं० ८५० आ० १२३X६ इव । ले० काल | अपूर्ण । येष्टन ०५२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसभी दोसा | किशनसिंह पत्र ०७० ० १२५ भाषा - हिन्दी २० काम सं० १७८४ भादवा सुदी १५ । ले० काल स० १८०३ वेष्टन ० १४०३ प्राप्ति स्थान- भट्टारकी दि०जैन मन्दिर अजमेर विशेष गृहों के आधार का वर्णन है। १००२. प्रति सं० २०७६ स० ५१६ | प्राप्ति-स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । श्र० १०x४ इञ्च लेकालX पूर्ण बैप्टन काल मं० १०३१ पू १००३. प्रति सं० ३प सं० २७० १६६३] इस न० १११ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बून्दी | १००४. प्रति सं० ४ पत्र सं० ११५ ० १०५ बेत सं० २४७-१९। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का मूंगरपुर ० ६०० १२३५ इश्व का सं० १०२२ पूर्ण । । । ०० १६८४ पूर्ण १००५. प्रतिसं० ५ प Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] बेष्टन सं०६२-४७ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर कोटरियों का डूगरपुर । १००६. प्रतिसं०६ । पन्त्रसं० ३४ । प्रा० X ६ इञ्च । लेकाल x | अपूर्ण । वेष्टन स० २६६१४६ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । १००७. प्रतिस०७ । पत्र स० ६६ । प्रा० १३४७ इन्च । ले०काल सं० १९३७ प्राषाढ़ युदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-- दिजैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष-लाला रामचन्द बेटे नालाराम रिखबदाम अग्रवाल श्रावक फतेहपुरवासी (दूकान शहर दिल्ली) ने प्रतिलिपि करवाई थी। १००८. प्रति सं० ८। पत्र सं०८० । श्रा० १२३४७ इञ्च । ले०काल सं० १८६५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान्त--दि जैन मन्दिर फतेहपुर (सीकर) विशेष -फतेहपुर वासी अग्रवाल लक्ष्मीचन्द्र के पुत्र मोहनलाल ने रतलाम में प्रतिलिपि करवाई थी। द. मंगलजी थावक । १००६. प्रति सं०६ । पत्रसं० १४५ । प्रा० १०४ ६ इञ्च । लेकाल सं. १८३१ वैशाख सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं०५:१५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर भादता (राज.) । १०१०. प्रति सं० १० । पत्रसं० १५१ । या० १० x ४ इञ्च । लेकाले सं० १८६६ फागुगा सुदी ७ । पुर्ण । वेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर सेरहपंथी दौमा । विशेष पन्नालाल भार ने प्रतिलिपि की थी। १०११. प्रति सं० ११ । पत्र सं० १४३ । आ. १० x ४३ इञ्च । ले०काल सं० १८१६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८५-५५५ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर तेरापंथी दौसा। विशेष-भीगने से अक्षरों पर स्याही फैल गई है । १०१२. प्रति सं० १२ । पत्रसं० २१४ । ले० काल ४ । पूर्ण । जुन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान दि० जन पंचायती मंदिर हावालों का डीन । १०१३. प्रति सं०१३ । पत्र सं० १९ । मा० १२५ x ६ इञ्च । ले० काल म. १८७४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन पंचायती मन्दिर, कामा । १०१४. प्रति सं० १४। पत्र सं० १२१ । प्रा०८ x ५६ इञ्च । ले. काल सं० १८५५ दिन अषाद बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६.२ । प्राप्ति-स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर कामा। १०१५. प्रति सं० १५ । पत्रसं० १५६ । प्रा० १६ x ५ इन । ने काल ४ । पूर्मा । वेष्टन सं० ४४७ । ४८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर, कामा । १०१६. प्रति सं० १६ । पत्रसं० ८७ । मा० १३४८ इञ्च । ले: काच सं० १८१६ फागण मूदी। पूर्ण । वैश्नसं३ । प्राप्ति स्थान--दिल जैन पंचामती मंदिर अयाना । विशेष बक्षीराम ने प्रतिलिपि करवायी थी। १०१७. प्रतिसं० १७ । पत्रसं० ११६ । आ०१३ ५ ८ इश्व । ले. काल म० १६७७ ज्येष्ठ बुद्धी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन पंचायती मंदिर क्याना। Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १०१८. अतिसं० १८ । पत्रलं० ५२ । ले०काल X । अपूर्ण । धेष्ठन सं० २८२ । प्राप्ति स्थानदिगम्बर जन पंचायती शन्दिर भरतपुर । १०१६. प्रति सं० १६ । पत्र सं० १३२ ३ से०काल--सं० १८७४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८३ । प्राप्ति स्थान -दि० पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष - इसे काम के जोघराज कासलीवास ने लिखयाची थी। १०२०. प्रति सं० २० । पत्र सं १९१ । स०काल x। पूर्ण । बेटन सं० २४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०२१. प्रतिसं० २१ । पत्र सं० ८३ । लेकाल--सं० १८११ ग्राषाढ़ दुदी १२ । पूर्ण । बेनर ०२५५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष- इरो जिहानाबाद में पं० भयाचन्द्र ने लिखवायी थी। १०२२. प्रतिसं० २२ । पत्रसं० १४२ । लेकाल सं० १५२५ बैसाख सुदी १ । पूर्ण बेष्टनस० २८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष.- भरतपुर निवासी ग्रजरमल के लिए धसवा में प्रतिलिपि की गई थी। १०२३. प्रतिसं० २३ । पत्रसं० ६४ 1 लेकाल-सं० १५४७ मावन सुदी ७ । पूर्ण । बेहन पं०२८७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-हुलाधराय चौधरी ने प्रतिलिपि करवायी थी । १०२४. प्रति सं० २४ । पप ५६ से १०४ । लेकालसं० १७८५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४१५ ॥ प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०२५. प्रति सं० २५ । परसं० ११२ । आ. १२४७ इञ्च । लेकाल-x। पूर्ण । वेटन ०६७। प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । १०२६. प्रतिसं० २६ । पत्रसं० ६२ । ग्रा० १२:४५: इञ्च । ले०काल-सं० १८०६ माह सुदी १२ । पूर्ण रेश्न सं० ४४: १६४ । प्राप्ति स्थान--दि• जैन पंचारती मन्दिर अलवर 1 १०२७. प्रति सं० २७ । पत्रराः १३४ । ले०काल सं० १९४६ | पूर्ण । वेष्टनसं० ४५:१४ । प्राप्ति स्थान --दि० जन पंचायती मन्दिर अलबर । १०२८ प्रतिसं० २८ । पत्रस० १०५ । लेकाल-सं० १८७४ भादवा सुदी २ । वेष्टनसं० ४६१५ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर। १.२६. प्रतिसं० २६ । पत्र सं.---३५-.-७४ । प्रा० १२x६ इञ्च । लेकाल-सं०१५८३ अपूर्स । बेधुन सं० १२० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर ओरससी कोटा । विशेष-कोटा में प्रतिलिपि हुई थी। १०३०. प्रतिसं०३० । पत्रसं. १५२ । ०१०-५ इञ्च ।। ले०काल सं० १९२२ । पूर्ण । वेष्टन में ११८/७७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पाश्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। विशेष—लिखाइतं भवानीलाल जी श्रावगी बासवान माधोपुर या लिखाई इन्द्रगढ मध्ये । Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] १०३१. प्रतिसं० ३१ । पत्रलं० २ मे ८४ | श्रा० १२४५१ इञ्च । ले०काल-सं० १६०८ मालिक बुदी १० । अपूर्ण । येष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरपंथी मानपुरा (टोंक) । १०३२. प्रतिसं० ३२ । पर० ११५ । प्रा० ११:४५६ इन्च । लेकाल सं० १८८६ पीप बुदी ११ । पूर्ण। वेनसं० ४० । प्राप्ति स्थान--दि० जन गन्दिर राजमहल टोंक । विशेष–राजमहल में प्रतिलिपि हुई थी। १०३३, प्रतिसं० ३३ । पत्र सं० ३१ । ना० १२४५ इन्च । ने०काल x । ग्रपूर्ण । देष्टन गं० १ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बबेरवालों का प्रावां (उरिणयारा)। १०३४. प्रति सं०३४ । पत्र सं० १२४ । या० १०x४३ इञ्च । लेकाल सं० १८५७ वैशाख सुदी १ । पूर्ण । बैष्टनम० ३५ । प्राप्ति स्थान-दि• जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) । १०३५. प्रति सं० ३५ । पत्रसं०६४ | प्रा० ११४५ च । ले०काल - सं० १८५६ माघ शुक्ला ५ । पूर्ण । यद्वन्द रा ० ६६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मंदिर कोटयों का, नगवा । १०३६. प्रतिसं०३६ । पत्रसं० १०२ । प्रा० ११ x ६ इन । लेकाल ५ । पूर्ण । बेटनसं०१८ 1 प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर कोटयों का नंगावा । १०३७. प्रतिसं० ३७ । पत्रसं०७३ मा० ११५५६ इञ्च । ल. कान रा १८१४ मंगमिर सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन रहाशी मन्दिर नैणवा । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है। मिति मंगसर सुदी १५, रवी संवत् १८१४ का माल की पोथी संगही सुखदेर मांगानेर का की से उतारी W : लियत लोलाराम स्युश्यानचन्द वैद की पोश्रो नग्र नैरवा मध्य वाचे जीनं श्री सबद बंचा । श्री तेरापंथी का मंदिर चटाया गिती फागुगा मुदी ६ संवा १६११ चिरजी काल ने बताया श्री गिरनार जो की यात्रा के चढ़ाया श्री सांवलयानाथ स्वामी के । ३८. प्रतिसं०३८ । पत्रसं. १६-२४ । या १०४७ इञ्च । लेकाल सं० १९ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान....दि ० जैन मन्दिर आदिनाथ दी। १०३६. प्रतिसं० ३९ । पत्रसं० ११८ । ग्रा० १२ x ५१ इञ्च । ले०काल ०१९३७ माहू सुदी १२१ पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर पाश्वनाथ टोडारावसिंह (टाक) । विशेष—मालपुरा निवासी पं. जौहरीलाल ने टोडा में सांबला जी के मंदिर में लिखा था। १०४०. प्रति सं० ३० । पत्रसं० १२३ । प्रा० ११४५ इञ्च । ने काल सं०१:४६ । पुर्ण । वेष्टन सं०५१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर पाश्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष - महजच व्यास ने प्रतिलिपि की थी। १०४१. प्रति सं०४१ । परसं० १५५ । प्रा०६ र ७१ इच। ले० कान यं० १६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३:६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) । विशेष- लाखेरी में प्रतिलिपि की गई थी । १०४२. प्रति सं० ४२१ पत्र सं० १२५ । प्रा०४. x ६ इञ्च । ले० काल मं. १६.१५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर बोरसकी कोटा । Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [प्रन्थ सूची-पंचम भाग १०४३. प्रतिसं० ४३ । पत्रसं०६५ । आ०१०४७ इन्चाले० काल सं० १५२६ फाल्गुन बुदी३ । पूर्ण । वेष्टन सं०११६-४७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बड़ा बीसषयी दौसा। विशेष. .. लालसोट में प्रतिलिपि की गई थी। १०४४. प्रति सं०४४ पसं०६४ । या १२ र ५ इञ्च । ले० काल-सं० १७९० फारशुरण बुदी ८ । पूर्ण । बेटन स. १२७: । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर बड़ा बीसपंथी दौसा । विशेष वशानीराम ने प्रतिलिपि की थी। १०४५. प्रति सं० ४५ । पत्रसं० १४१ । प्रा.-१२ इञ्च । ले० काम स० १८६१ चत सुदी ५ । । न सं० १८१ । प्राप्ति-स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर कगैली। १०४६, क्रियाकोष भाषा-दुलीचन्द । पत्रसं० ५७ । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-- गृहस्थ की क्रियाओं का बगान ।: का. ४ | ले. काल x | पुर्ण । वेष्टन सं०४ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर दीवानजी भरतपुर । १०४७. क्रियापद्धतिर । पपसं० ५। आप EX५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयपाचार णास्त्र । २० कासX । ल. काल X । 'पूर्ण । वेष्टन सं०४३ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर भागदी (बुदी)। विशेष जैगेतर ग्रन्थ है। १०४८. क्रियासार-भद्रबाह । पपसं.१८ | प्रा. ४४ इन्च । भाषा-प्राकृत। विषय-- प्राचार शास्त्र । र०कालxले०काल सं०४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६८ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । १०४६. क्षेत्रसमास ४ । पत्रसं० ५ । श्रा० १०६x४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषयधर्म । २० काल X । ले. काल सं० १७४३ । पूर्ण । बष्टम सं०४६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-अलवर नगर में प्रतिलिपि की गई थी। १०५०. क्षेत्रसमास प्रकरण-X। पत्र सं.८। या० १०४४. ध । भाषा--प्राकृत । विषय-धर्म । र० काल ४ । ने. काल x I पूर्ण । वे० सं० ५४१ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दिल जैन मन्दिर अजमेर । १०५१. गुरगदोषविचार--- । पत्र सं० ५। प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा संस्कृत ! विषय-ग्राचार । कालX । ले. काल ४ । पुर्ण । बे० सं०६३। प्राप्ति स्थान. म. EिO जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-- देवशास्त्र गुरु के गुण तथा दोषों पर विचार है। १०५२. गृरुपदेशश्रावकाचार-डालूराम । पक्ष सं० २०३ । प्रा० १३४७ इञ्च । भाषाहिन्यो । विषय-याचार शारत्र । २० काल सं० १८६७ । लेक काल सं. १९८४ । पूर्ण । चेष्टन सं० १५३१ । प्राप्ति स्थान-भ०दि. जैन मन्दिर अजमेर । ०५३. प्रति सं०२। पत्र सं० २२१ । प्रा० १०.४५ इञ्च । ले. काल सं० १९७० सावन सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४०७ । प्राप्ति स्थान--भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १०५ १०५४. प्रति सं०३। पत्र सं० १८५ । प्रा० १०४७१ च । ल काल सं० १६५७ 1 पूर्ण । वेष्टन मं०३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर श्रीमहावीरजी डू दी। १०५५. प्रतिसं० ४ 1 पन सं० २३६ । आ० १२:४७ इञ्च । ले. काल सं० १९४८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर काया का नया १०५६. गृहप्रतिक्रमण सूत्र टीका-रलशेखर गरिण। पत्र सं०५८ । भाषा संस्कृत । विषय---धर्म । २० काल ४ । ले• काल मं० १८७६ । गूगो । वेष्टन सं०५४१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०५७. चउसरगवृत्ति- पत्र सं० १२ । ग्रा० १०.४२ इच। भाषा--शत । विषय-धर्म । २० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेटन सं २६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन ग्वडलवाल मन्दिर उदयपुर । १०५८. चतुरचितारणो-दौलतरराम । पत्र सं०२-५ ! प्रा० १०४५६ इन्च 1 भाषाहिन्दी (पद्य) । निधय-धर्म । २० काल x | लेकाल X । अपूर्ण । वेल मं० ३०५ । प्राप्ति स्थानदि० जैन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर । विशेष--इह चतुरवितारिण, भवजल तारगि । कारणि शिवपुर साधक हैं आचौ अर राचो या में सांची दोलति अविनांगी........! इति श्री चतुरविताररणी समाप्त । १०५६. चर्तुदशी चौपई–चतुरमल । पत्र सं० २७ । भाषा -हिन्दी । विषय-धर्म । र काल x। ले. काल सं० १९५२ पोष सुदी १३ । पूरणं । वेष्टन सं० ३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर हण्डावालों का डीग) १०६०. चतुष्कशरण वर्णन-पत्र सं० ८ । मा० १०१४३३ इच । भाषा--प्राकृत हिन्दी । विषय-धर्म । र०कास र । ले. काल ४ । पुर्ण । वेष्टन सं ३०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दबलाना दी। विशेष-स्थानों के ऊपर हिन्दी अर्थ दिया हुआ है। १०६१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३ । प्रा०६:४४३ च । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बनाना दी। १०६२. चतुं मास धर्म व्याख्यान-: । पत्र सं० ५ से १२ । भाषा-हिन्दी। विषय---- धर्म । २० काल ४ । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन मं० ६२८ । प्राप्तिस्थान--- दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०६३. चर्तुमास घ्याख्यान-समयसुन्दर उपाध्याय । पत्र में० ५। भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । २० काल । ले. काल ४ । पूर्ण । वेपन सं० ६५३ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर भरतपुर । Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६ ] [ प्रस्थ सूची पंचम भाग १०६४, प्रतिसं० २। पत्र सं० ३-५ । ले० काल X । अपूर्ण । वन सं० ६६६ । प्राप्ति स्थान---उपरोक्त मन्दिर । १०६५. चारित्रसार–चामुण्डराय । पत्र सं० ५१ । प्रा० ११:४५३ । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याचार शास्त्र । २० काल X । ले. काल सं० १५२१ ज्येष्ठ सुदी । चेष्टन सं० १२८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। १०६६. प्रतिसं० २। पत्र सं० ६२ । प्रा. ११४५, दृश्च । ने• काल X । अपूर्ण । बेष्ठन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-५७ से ६२ पत्रों पर संस्कृत में टिप्पणी भी दी गई है। १०६७. चारित्रसार-वीरनंदि । पत्र सं० २-१६ । या. १०४४ इञ्च । भाषा--प्राकृत । विषय - यत्तार. शास्त्र । र०काल X । ले० काल सं० १५८८ चैत्र बुदी ११ । यपूर्ण । प्राप्ति स्थान६ि० जैन मन्दिर दीवानजी, कामा । लिए -फासणा गणित्ती बाई १० लिलते प्राचार्य श्रीसिंधनंदि देवास प्राचार्य श्रीधर्मकीर्ति देवा तत् शिष्यरणी सुल्लकीबाई पारो । लिक्षते ज्ञानावणी कर्म क्षयार्ध । सं० १५८८ वर्षे चैत्र बुदी एकादशी मङ्गलवारे ३ स्वात्मपठनार्थ लिक्षते क्षुल्लको पारो ।। . १०६८. प्रतिसं० २। पत्र सं०७८ । घाx४३ च । ले. काल x। अपूर्ण । वेष्न स० २३१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-७८ से आगे के पत्र नहीं है प्रति प्राचीन है। १०६६. चारित्रसार क्षचनिका मन्नालाल । पत्रसं० ३८ १२x६: इंच । भाषाहिन्दी गद्य । थिषय-प्राचार शास्त्र । २० काल सं०१५७१ माष मुदी ५ । लेकाल--सं० १६०३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३१-५६ । प्राप्ति स्थान---दि० जन मन्दिर कोटड़ियों का हूगरपुर ।. १०७०. प्रति सं०२- पत्रसं० १३ । प्रा० ११४५ इञ्च । लेकाल-सं० १८५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । १०७१. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० १६१ । लेकाल- ४ । पूर्ण । वेष्टनसं० ४१३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । १०७२. प्रतिसं० ४। पत्रसं० १००। ले०काल X । अपूर्ण । थेश्नसं०:४१४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पचायती मन्दिर, भरतपुर । २०७३. चारों गति का चौढालिया । पथसंक। भा.६४५ 'इन्छ । भाषा हिन्दी । विषय-धर्म । २० काल ' । लेकालX । पूर्ण । वेष्ठन सं.३४ । प्राप्तिस्यान-दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा । विशेष--गुटके में है तथा अन्य पाठों का संग्रह भी है। १०७४. चौबीस तीर्थकर माता पिता नाम-: । पत्रसं०३ । भाषा--हिन्दी। विषय -- धर्म । र०काल x 1ले०काल X । पूर्गा । देवन संश-६०६ । प्राप्ति स्थान--दिल जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १०७ १०७५. चौबीस दण्डक-धवलचन्द्र । पत्रसं०७ । प्रा० १०x४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत, हिन्दी। विषय-धर्म । र.काल ४ । लेकाल-सं० १८११ माघ सुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं०-१८० । प्राप्लिस्थान--दि० जन पाश्र्वनाथ मन्दिर, इन्दरगढ़ । विशेष---प्रति हिन्दी टल्या टीना सहित है। संवत् १८११ माघ सुदी ५ भगत विमल पठनार्थ रामपुरे लिपी तं--नेमिजिन चैत्यालये ।। १०७६, चौबीस वण्डक-सुरेन्द्रकोसि । पत्र सं० २ । प्रा० १०४ ४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म | र०काल X । ले-काल X । पूर्ण । वे०सं० २०४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ जौगान बून्दी। १०७७. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ३। प्रा० १०३५५ । लेकाल ४ । वेष्टन सं०-३१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष . एक पत्र और है। १०७८. चौबीस दंडक भाषा-पं. दौलतराम । पत्रसं० ३ । प्रा. ८.४५२ इन। भाषा--हिन्दी । विषय-धर्म । र०काल १८वीं शताब्दी। लेकाल' x ! पूर्ण । वेष्टन सं० १५०-६८ । प्राप्ति स्थान-दिजन मन्दिर कोरियों का डूंगरपुर । १०७६. प्रतिसं० २१ पत्रसं० ४ । प्रा० १२४६३ इय। लेकाल X । पूर्ण । थेष्टन सं० २५४-१०२ । प्राप्ति स्थान जपरोक्त मन्दिर । १०८०. प्रति सं०३ 1 पत्र सं० ६३ श्रा० ११४४१ इच 1 ले काल x । पूरणं । वेष्टन सं. ५८६ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। १०८१. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० १९ । प्रा० ६x६ इञ्च । से०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ५२२ । प्राप्ति स्थान- दिल जैन मन्दिर कोटड़ियों का रंगरपुर । विशेष-प्रथम र पत्र पर व्रत उद्यापन विधि है । १०८२. प्रति सं०५। पत्रसं० ४। प्रा० ११४५ इंच । लेकाल-x। पूर्ण । वेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पामीनाथ चौगान दी। १०८३. प्रतिसं०६। पत्र सं ४ । प्रा० १२ x ४ च । ले०काल सं० १८७८ ज्येष्ठ सुदी है। पूर्ण । बेटन सं० ३२ । १३८ । प्रापि स्थान--दि. जैन मंदिर नेमिनाच टोडारायसिंह (सक) । १०६४, प्रतिसं०७ । पत्र सं० ५ । पा० १०x४१ इन्न । लेवाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर, करौली । १०८५. चौबीस दण्डक ४ । पतं० १ । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । २० काल । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४०५-१५३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियान लूगरपुर। १०८६. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ३ । प्रा० ११४४३ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर, करौली । १०७. प्रति सं० ३ । पत्रसं० ११ । प्रा० ६३४५ इञ्च । से काल x I पूर्ण । वेष्टन सं. ३४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दमलाना दी । Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १०८८. प्रति सं० ।। पत्रसं० ११ । पा. १२४७ इञ्च । ले०काल सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर नागदी बबी। १०६. चौबीस वण्डक-x। पत्रसं० १० । प्रा० ११४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृतं । विषय-धर्म। र०काल-XI लेफाल २०१८२३ । पूरणं । बेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मदिर भागदी दी। विशेष—पाडे गुलाब सागवाडा वाले ने प्रतिलिपि की थी। १०१०. चउबोली को चौपई–चतरू शिष्य सांवलजी । पत्रसं०३७ । आ. १०x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । र० काल । ले०काल सं. १७९८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। १०९१. चौरासी बोल---X । पत्र सं० १ । भाषा - हिन्दी । विषय-धर्म । २० काल x। ले काल XI पूर्ण । वेष्टन स० ६७५ । विशेष स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १०६१, (क) चौरासी बोल- - 1 परसं. १६ । या० १.४६ इन्च । भाषा--हिन्दी। विषय-धर्म । र० काल ४ । ले०काल सं० १७५० पूर्ण । वेष्टन सं० १९२ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर फतेहपुर शेरवाती (मीकर) विशेष—काष्ठासंघ की उत्पत्ति, प्रतिष्ठा विवरण एवं मनि आहार के ४६ दोषों का वर्णन है । १०६२ छियालीस गुण वर्णन-X । पत्रसं०१ । प्रा०x५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-म । र काल x । लेकाल x | पूरणं । वेपन सं० १८४ । प्रादि स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । १०६३. जिनकल्पी स्थविर प्राचार विचार-X । पत्र सं० १३ । मा०१०-५ इञ्च । भाषा -प्राकृत, हिन्दी (पद्य)। विधय याचार शास्त्र । २० काल -x | लेकाल-सं० १८०५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १०९४. जिन कल्याणक-पं. प्राशाधर । पत्र सं०५ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । २० काल....४ । लेकाले पूर्ण । वेष्टन सं० ५५७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। १०६५. जिन प्रतिमा स्वरूप-.X । पत्रसं०६५ । प्रा० ११४७ इन्च । भाषा ...हिदी (गद्य । विषय- धर्म । २० काल ... X । ले०काल सं० १९४४ फागुण सुदी १० । पूरणं । वेष्टन सं०.३६ । प्राप्ति स्थान- पार्श्वनाथ दि. जैन मन्दिर एन्दरगढ़ (कोटा) । १०६६. जिन प्रतिमा स्वरूप--x पत्रसं०-५४ । या० १०४७६व । भाषा: हिन्दी। विषय-धर्म । रचना काल । लेखन काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर श्री महावीरजी भू दी। १०६७. जिन प्रतिमास्वरूप भाषा-छीतरमल काला। पत्र संख्या-८२ । प्रा० ३४५ इन । भाषा-हिन्दी पिद्य)। विषम- धर्म । २०काल सं० १९२५ बैशाख सुदी ३। लेकाल सं० १६३१ कातिक गुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६।३१ । प्राप्ति स्थान पार्श्वनाथ दि. जैन मन्दिर इन्दरगढ़, (कोटा। Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___धर्म एवं आचार शास्त्र ] [ १०६ विशेष–उत्तमचन्द व्यास ने मलारणा गर में प्रतिलिपि की थी । प्रश्नोत्तर रूप में है। १०९८. जोच विचार प्रकरण 1 पत्र सं० ६ । भाषा-प्राकृत । विषय --धर्म । र काल x । लेकाल-सं० १८६१ । पूर्ण । मेशा ६२४ । प्राप्ति स्थान दिन हाती मन्दिर भरतपुर । विशेष-अलयर में प्रतिलिपि की गई थी। १०६६, सीव विचार । पत्र सं० ३ । प्रा० १२४.५ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-धर्म । र० काल - X । ले० काल-x। पूर्ण । वेष्टन सं०- -१७६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पार्वनाथ, चौगान दी। ११००. जोवसार समुच्चय-X । पत्र सं०-२८ । प्रा० १२४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- धर्म । काल ४ । ले० काल-xt पूर्ण । वेष्टन सं० ३१३ । प्राप्ति स्थान- दिक जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ११०१. जैन प्रबोधिनी द्वितीय भाग----x । पत्रसं० २६ । प्रा० ८३ x = च । भाषा--हिन्दी (पद्य)। विषय-धर्म । र काल--x | ले. काल..-~~ । पूर्ण । वेष्टन सं०६९८ । प्राप्ति स्थान---- भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । ११०२. जैनश्रावक श्राम्नाय-समताराम । पत्र सं०...२८ । आ. १.३४७ इञ्च । भाषा - हिन्दी (पद्म) । विषय-आचार । १० काल X । ले कात सं० १६१५ आसोज जुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं. २६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दीवानजी, कामा । विशेष कवि भेलसा का रहने वाला था। रचना सम्वत निम्न प्रकार हैसंबल एका पर ची उभ पंचदश जानो सोय । कृष्प क्ष अष्टी मही. भृगु वैमास जो होय । पत्र २६ से २६ तक प्यारेलाल कृत अभिषेक बावनी है। ११०३. जन सदाचार मार्तण्ड नामक पत्र का उत्तर--- । पत्र सं० २७ । प्रा० ११३४ ८ इन | भाषा-हिन्दी । विषय-प्राचार शास्त्र । र०काल-~X । लेकाल-X । अपूर्ण । वेष्टन संग ६४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन छोटा मन्दिर बयाना । ११०४. ज्ञानचिन्तामरिण - मनोहरदास । पत्र सं० २ । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । र० काल म० १७०० । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ११०५. ज्ञानदर्पण दीपचन्द । पत्र सं० ३१ । 'मा० ११४६१ इञ्च | भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-धर्म । २० काल X । ले० काल सं० १८७० जेठ सुदी १४ । पूर्ण । वेपन सं० ४१ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर। ११०६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ८२ । प्रा०६४ ४ इञ्च । ले० काल-सं० १८६० माय बुदी । पूर्म । वे० सं०६६--१६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर तेरह पंयी दौसा । ११०७. ज्ञानदीपिका भाषा X । पत्र सं० ३० । प्रा० १२ x ६ इ । भाषा-हिन्दी गछ । विषय · धर्म । २० काल सं० १८३१ सावन बुवी ३ । ले० का सं० १८६५ फागुन श्रमी १३ । पुर्ण । वे. सं.--१२ । प्राप्ति स्थान -दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर करौली। Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-सवाई माधोपुर में ही रचना एवं प्रतिलिपि हुई थी । लेखक का नाम दिया हना नहीं है। ११०८. ज्ञानपच्चोसी-बनारसीदास । पत्र सं० १ । प्रा०-१०x४१ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय - धर्म । र० काल X । लेट फाल सं १७७८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२३ । प्राप्ति स्थान.-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर ।। विशेष--कोकिंद नगर में प्रतिलिपि हुई थी। ११०६. प्रति सं० २ । पत्र सं०- १ | ले. काल x । पूर्ण । वे०सं० ६५० । प्राप्ति स्थान..--दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १११०. ज्ञानपंचमी व्याख्यान-कमकशाल । पत्र सं०६ । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म। काल x। ले० काल-सं० १६५५ । पूर्ण। वे० सं० ७३७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष—मेडवा में लिपि हुई थी। । ११११. ज्ञानानंद श्रावकाचार-भाई रायमल्ल । पत्रसं० २२६ । प्रा० ११४७१ इञ्च । भाषा-राजस्थानी ढूढारी) गद्य । विषय-माचार शास्त्र । र०काल X । ले० काल X । पूर्ण । ० सं०-१६.८ प्रतिस्था ---'भट्टारका ६० अन मंदिर । अजमेर । १११२ प्रति सं० २। पत्र सं० १३५ । प्रा० १२ x ८ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन २०१३ । प्राप्ति स्थान-दि० ज० मंदिर अभिनन्दन स्वामी बूदी । १११३. प्रति सं०३१ पत्र सं० १२६ । मा० १२x६२ इव । ले. काल सं० १९५८ । पूरसं । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर श्री महावीर स्वामी दी। १११४. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ११७ । प्रा० १३.४५ इञ्च । ले. काल सं० १९५८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८ । प्राप्ति स्थान—दि जन तेरहपंथी मन्दिर, नैणवा । .१११५. प्रति सं० ५। पत्र सं० २०९ । मा. १२ x + इच। ले. काल सं० १९५२ पौष शक्लिा ११ । पुर्ण । देष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान–दि. जैन मन्दिर राजमहल दोक । विशेष-जयपुर में प्रतिलिपि की गई थी । लिपि कराने में १६॥) खर्च हुए थे। १११६. प्रतिसं०६। पत्र सं०१६ । आ. १२५ x ८ इन्च । लेकाल सं० १९५२ मंगसिर वदी १० । पर्ण । ० सं० २५४१ प्राप्ति स्थान दि०जन पंचायती मन्दिर अलबर । १११७. प्रति सं०७ । पत्र सं० १५६ । प्रा० १२३ x ७ इन । ले० काल सं० १९६२ अषाढ़ खुदी १ । पूर्ण । वेटन सं० ६६ । प्राप्तिस्थान--दि० जन अग्रवाल पंचायणी मन्दिर अलवर। विशेष-मुहस्थ धर्म का वर्णन है। १११८. प्रतिसं० ८ । पत्र सं० १६५ । प्रा० १०३ x ६३ इञ्च । ले. काल-सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन स.७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन संडेलवाल मन्दिर उदयपुर । १११६. प्रति सं०६ । पत्र सं० १६६ । पा० १२४६६ इञ्च । लेकाल १६०५ प्राषाढ़ बुदी ३ । पूरणं । वेष्टन सं०७१ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। . विशेष टोंक में प्रतिलिपि हुई थी। Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १११ ११२०. प्रति सं० १० X । पत्र सं० १४६ । ग्रा० १३ x ६.३० । लेकाल सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर अलवर । ११२१. प्रति सं०११। पत्र संख्या २६३ । प्रा० ११४ ५ इञ्च । ले० कान सं० १६०५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८.४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर भादवा, (राज.) । विशेष- रूघनाथगन में प्रतिलिपि हुई थी। ११२२. दलियामत उपवेश ४ । पत्र सं० १४ । प्रा. ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय -धर्म । र० काल X । ले. काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर दबलाना (दी।। ११२३. तश्वदीपिका x 1 पत्र सं० २२ । मा० १२५ x ६ इञ्च । भाषा--हिन्दी । विषय-धर्म । र० काल : । ले० काल * । पूर्ण । बेधुन सं. १५६० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ११२४. तस्वधर्मामत ४ । पत्र सं० २० । आ० ११३ ४ ५ इन्च । भाषा-संस्कृति ! विषय -धर्म । १० काल X । ले० काल X । अपूर्ण 1 वेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दवलाना (बू दी)। ११२५. तीर्थवमा पालोचन कथा x ५ ३ : : १० ६ इश्व । भाषा संस्कृत । विषय-धर्म । १० काल । ले० काल- ४ पूरणं । वेष्टन सं०६१-१७१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ११२६. तीस चौबीसी X । पत्र सं० ४ । आ. १.४ ६ च । भाषा--हिन्दी । विषय-धर्म । र० काल----X । ले० काल सं० १६३६ । पुर्ण । वेपन सं० ६१ । प्राप्तिस्थान-दि० जन मन्दिर कोटयों का नणवा। ११२७. सेरहपंथ खान-पन्नालाल दूनीवाले । पत्रस० १.६ । श्रा० १० र इञ्च । भाषा-हिन्दी गच। विषय- धर्म । २० काल x। ले०काल सं० १९४८ । पूर्ण । देगून सं० ३२५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर पार्षनाथ नौगान बदी । ११२८. त्रिवर्णाचार-श्री ब्रह्मरि । पत्र सं. ५७ । पा० ११ ४ ५ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-प्राचार शास्त्र । र० काल ४ । ले काल ४ । अपूर्स । वेष्टन सं० ५१६ । प्राप्ति स्थान-विजन मंदिर पंचायती दूनी (टोंक) । अन्य का प्रारम्भ--ॐ नमः श्रीमच्चविंशति तीर्थभ्यो नमः । अनोच्यते त्रिवराला शोचाचार विधि-मः । शौचाचार विधि प्रारौ. देह संस्कतु मईतेः ।। सन्धि समाप्ति पर इति श्री ब्रह्मगरि विचिते धीजिनसंहिता सारोद्वार प्रतिष्ठातिलक नाम्नि विचणिकाचा संग्रह सूत्र प्रसंगसंध्यावंदनदेवाराधभायात विश्वदेवसंतपणादि-विधानिय नाम चतुर्थं पर्व । Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग | ११२६. त्रिवाचार-सोमसेन । पत्रसं० १२१ । पा० १० x ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय ---प्राचार । २० काल सं० १६६७ कात्तिक सुदी १५ । ले०काल सं० १९६२ माह सुदी १० । पूर्ण अपन-सं० १३४ । प्रातिपदि जैन मंदिर पश्यनाय बगान की। ११३०. प्रति सं० २ । पत्रसं० १४४ । अ० १० x ४ च । ले०काल सं० १८१: । पुर्ण । वेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान ब्रूदी । विशेष-गोभ ने तक्षकगड टोडानगर के नेमिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। १९३१. प्रति सं० ३। पत्रसं० १०-१५३ । प्रा० १०३४५. ३ञ्च । २० कान र । ले.काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० १७१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर राजमहल टोक । ११३२. प्रति सं०४ । पत्रसं० १५२ । प्रा०६५ x ४ इञ्च । लेकाल सं० १८९५ सावन मुदी ५ । अपूर्ण । वेष्टन सं०५६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना (ब'दी)। - विशेष. १०१ से ४६ तक के पत्र नहीं हैं। इसका दूसरा नाम धर्म रसिक प्रथ भी है। ११३३. प्रति सं०५ । पत्रसं० ४२ । भाषा-संस्कृत । ले०काल सं० १८७१ पूर्ण । वेष्टन मत २६०। प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतप । इस मन्दिर में एक पूर्ण प्रति और है। विशेष--श्नीलाल ने भरतपुर में प्रतिलिपि कर इसे मन्दिर में चढ़ाया था । ११.४, प्रतिसं०६। पत्रसं० १०५ । प्रा० ११४५ इञ्च । ने०काल सं० १८५२ पूर्ण । वेष्टन मं० ७६ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मंदिर दीवान जी कामा । ११३५. प्रति सं०७ । पत्र सं० १०१ । ग्रा० १२ x ६१ इश्व । लेकाल सं० १८७३ नावन मदी ५ 1 पुर्ण । वेष्टन सं०१०। प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मंदिर करौली। विशेष- गुमानीराम ने कल्याणपूरी के पंचायती मंदिर नेमिनाथ में प्रतिनिपि की थी। ११३६. प्रति सं०६ । पत्रसं० १०३ । प्रा० १२ x ४६ इश्च । लेकाल से०१७ । १४ । पूर्ण । बेहन मं० १४-२१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का, नगरसुर । ११३७. दण्डक .. X । पत्रसर २१ । ग्रा० १०६४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। विषय आचारशास्त्र काल x | ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४१६ । प्राप्ति स्थानमद्रारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर। ११३८. दंडक -४ । पत्र सं०५ । पा. १०४ ४३ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत । विश्य -- प्राचार शास्त्र । २०कालले०काल X। पूर्ण । वेष्टन सं०१०१४ । प्राप्ति स्थान --भट्टारकीय दिन जैन मन्दिर अजमेर । ११३६. दंडक-x1 पत्र सं० १२ । प्रा० १०x४। भाषा-हिन्दी । विषय प्राचार शास्त्र । र० काल x ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१८ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। ११४०. दंडक- पत्र सं० ४। श्रा० ११ x ४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - धमं । काल xले० काल सं० १८१३ । गुग्णं । वेष्टन सं० ३१७। भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ ११३ ११४१. दंडक-X । पत्रसं० १.५ x ५ रच ! भाषा-हिन्दी ! विषयप्राचार शास्त्र । २० काल - X । ले काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ११४२. दंडक प्रकरण जिनहंस मुनि । यथसं० २६ । भाषा---प्राकृत | विषय - धर्म । र० काल---: । लेकाल --। पूर्ण । वेष्टन सं०६०। प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायनी मंदिर भरतगुर । ११४३. दंडक प्रकरण-वृन्दावन । पत्रसं० २.२६ । प्रा०६, २ ६ इन्च । भाषा--- हिन्दी । विषय-ग्राबार । २काल--.x | लेकाल-५ । अपूर्ण । वन सं०१२। प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर कोटया का नगगवा ।। ११४४. दंडक वर्णन X । पत्रलं० १६ । आ० ११४४१ इ-रू । भाषा हिन्दी गद्य । विषय-प्रासार । र०काल x | लेकाल: । झापगं । वेपन सं.११३। प्राप्ति स्थान | दिल जैन मन्दि बोरसली कोटा। विशेष-१६ से आगे पत्र नहीं हैं। ११४५. दंडक स्तवन-गजसार । पत्रसं०५३ प्रा० ११ x ५ इञ्च। भाषा-प्राकृत । विषय-आचार । २७काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन मं० २१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । विशेष-हिन्दी टब्बा टीका सहित है। लिखित ऋषि श्री ५ धोमरण तस्य शिष्य ऋषि श्री ५ गोपाल जी प्रसाद ऋषि जतसी लिखितं पठनार्थ बाई कुमरि बाई । ११४६. प्रति सं० २ । पत्रस०७ । आ० १०४५ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. २५४ । प्राप्ति स्थान-दि० अन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-संस्कृत टच्या टीका सहित है । ११४७. प्रति सं० ३ । गत्र सं०७ । आ० x ४१ इञ्च । ने० काल म. १७०६ । पूर्ण । चेष्टन सं० ३१६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर देवलाना (बूदी)। विशेष-- प्रति हिन्दी टवा टीका सहित है। ११४८. दशलक्षणधर्म वर्णन - . X । पत्र संः ३५ । आ०८/६३ इञ्च । भाषासंस्कृत, । विषय-धर्म । र० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५७ । प्राप्ति स्थानभ. दि. जैग मन्दिर अजमेर । ११४६. दशलक्षणधर्म वर्णन । परलं. ४३ । प्रा०४. ६. इञ्च । भाषा-- हिन्दी (गद्य)। विषय-धर्म। २. काल ४ । लौकाल X । पूर्ण । वष्टन सं० १५६५। प्राप्ति स्थान-भ. दि जैन मंदिर, अजमेर । ११५०. दशलक्षणधर्म वर्णन-xi पसं० १४ । प्रा० x ६. एत्त । भाषाहिन्दी । विषय-~-धर्म । २० कालX । ले०काल x | वेष्टन सं० ६६१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लरकर, जयपुर । Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ११५१. दशलक्षणधर्म वर्णन-रधू । पत्र सं० २१ । भाषा-अपभ्रश । विषय-धर्म । २० काश-४ । ने काल-र । अपूर्ण । वेष्टन सं०७८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन तेरहपंथी मंदिर, बसवा । ११५२. दशलक्षण भावना-पं० सवासुख कासलीवाल । पत्र सं० २६ । पा.–१४६ ४ + इच। भाषा - राजस्थानी पहाडी) गद्य । विषय - धर्म। र०काल---X । लेकाल सं० १६५५ । पुर्ण । वेष्टन सं०६१ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी दीसा। विशेष-मांगीराम शर्मा ने दौसा में प्रतिलिरि की थी । रतलकरण्ट श्रावकाचार में से उदघृत है । ११५३. प्रतिसं०२१ पत्र सं०८ ! प्रा० १२६.५ इञ्च । ले. काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं. १२४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ११५४. प्रतिसं. ३ । पत्र सं० २७ । प्रा० १२३४७ इञ्च । ले० काल सं० १६७७ फागुन सुदी १० पूर्ण । घेटन सं० १३७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ११५५. प्रतिसं०४। पसं. १ । ग्रा० ६x६ इञ्च । लेकाल- पूर्ण । वेष्टन सं. ३१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक)। ११५६. प्रति सं० ५। पत्रसं० ४६ । प्रा०१०३४४३ इञ्च । ले०काल X । पूरणं । वेष्टनसं. २८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १०५७. प्रतिसं०६। पत्रसं० ३०। प्रा० १३२४६३ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन मं० ३५८११३६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटटियों का डूंगरपुर । ११५८. प्रति सं०७१ पत्र सं० ३१ । ले०काल-४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ११५६. दर्शन विशुद्धि प्रकरण -- देवभट्टाचार्य । पत्रसं० १५६ । पा. १०x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-धर्म । र०काल X । लश्काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० २९.५८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा । . विशेष-सोलह कारण भावना का वर्णन है। ११६० दर्शनसप्तति ---x। पत्र सं० ३। प्रा० १२ x ५३ इञ्च । भाषा प्राकृत । विषय-धर्म। २०काल x 1 ले०काल सं० १७६३ वैशास्त्र सुदी । पूर्ण । वेष्टन सं १८५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर, दीवानजी कामा ।। ११६१. दर्शनसप्ततिका-४ । पत्रसं०७ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषयचर्म र वाल xले० काल X । पूर्ण | देष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बलाना (बूदी)। विशेष-मूल के नीचे हिन्दी गद्य में प्रथं दिया है। प्रल में लिखा हैइति श्री सम्यक्त्वराप्तातिका वचूरि । ११६२. दानशील भावना-भगौतीवास । पत्र सं०३-५ । पा० १०६x४ इञ्च । भाषाहिन्दी पह। विषय-धर्म। र काल ४ । लेकाल x। अपूर्ण । बैष्टन सं० ११०-६ । प्राप्ति स्थान ...दि. जैन मन्दिर बीसरंथी दौला । १२ । अव ४२ ३ ४ ५ ६२च । प्राप्त Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ ११५ ११६३. दानशीलतप भावना - मुनि प्रसोग । पत्रसं० ३। भाषा - प्राकृत विषय र० काल - x । ले० काल सं०- X | पूर्ण वेष्टन सं० ५० ६४२ प्राप्ति स्थान दिजैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । श्रतिम इस छायायां सोग नामा पुगवणं । सिद्धवनि स्मरेय दमि जिया होगाहियं सूरि खमंतु तरणं । इति ११६४. प्रतिसं० २०६० १०४ इञ्च | काल -- ४ । पूर्णे । बेप्टन स ५३-८४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बहा वीसपंथी दोसा | विशेष ४६ गाथाएँ हैं । ११६५. दानादिकुलकवृत्ति पत्र नं० २०४ | भाषा - संस्कृत विषय आचार शास्त्र । र० काल - X | ले० काल -- x । पूर्ण वेष्टन सं० ६२० प्राप्तिस्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । ११६६. द्विजमतसार । धर्म । २० काज़ – × । ले०काल x भादवा (राज० ) । 1 सं० २१ । प्रा० १२३४४३ इंच | भाषा – संस्कृत विषय - पूर्ण । बेप्टन सं० १२३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ११६७. धर्म कुंडलियां - बालमुकुन्द । पत्रसं० २६० १२३४८ इच । भाषा --- हिन्दी | विषय धर्म | र०काल X | ने काल सं० १९२१ आसोज सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्तिस्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर | ११६८. प्रति सं० २ । पत्र [सं०] १६ । ले० काल - X अपूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर दीवानजी भरतपुर । ---- १ । प्रा० ६१४५ इंच । प्राप्ति वेन सं० ३४५. ११६६. धर्महाल - X | पत्र [सं० धर्म | र०काल X । ले०का X 1 पूर्ण । (बूंदी) | विशेष - और भी दान दी हुई है । ११७०. धर्मपरीक्षा -- श्रमितिगति । पत्र सं० ७० श्र० ११४४५ च विषय-धर्म | र०काल सं० १०७० | ले० काल सं० १५३७ कातिक बुदी । पूर्ण प्राप्ति स्थानम दि० जैन मन्दिर (अजमेर) : प्रशस्ति निम्न प्रकार है भाषा - हिन्दी विषयमंदिर स्थान - वि० जन भाषा संस्कृत 1 वेष्टन सं० १५१ । संवत् १५३७ वर्षे कार्तिक दि ५ सोमे सवारी स्थाने श्री अजितनाथ चैत्यालय राजाधिराज श्री अजयमल्ल - विजयराज्ये श्रीमत् काष्ठासं नंदीन विद्यागत भट्टारक श्री रामसेनान्वये भक तत्पट्टे म. लखमसेन तत्पट्टे धरणधीर पट्टाचार्य भ. श्री सोमकीति तत् शिष्य आचार्य श्री वीरमेन याचा विमलरीन सु. विजयसेन मु. जयसेन व दीरम । व नाना व कान्हा । म्र. गणीत्रा व आमगी। याचिका बाई जिनमत आर्यिका विनयशिरि । आ जिनशिरि क्षुल्लिका आई नाई । भु. गाजी पनि ग्रहसी पंडित वेला | पं० जिनराज ० नर्गगह पंवीभपानी छावाना ! Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ११७१. प्रति सं०२। पत्र सं० १५५ । प्रा० १०३४ ४३ इञ्च । ले०काल सं० १७३३ प्रासोज बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५० । प्राप्ति स्थान–भा दि जैन मन्दिर, अजमेर । ११७२. प्रति सं. ३। पत्र सं० १०० 1 प्रा० ११३४४३ इञ्च | ले०काल सं० १७२१ । वेष्टन सं० १२३ । प्राप्ति स्थान- दि० हुन मन्दिर लश्कर जयपुर । ११७३. प्रति सं०४ । पत्र सं० । प्रा० ११४५६६ञ्च । न०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. १२०/१७ । प्राप्तिस्थान–दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ११७४. प्रति सं०५ । पत्र से १ से १६ । प्रा० १०४४६ इच। ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मनवाल मन्दिर उदयपुर । ११७५. प्रति सं०६। पत्र सं० ११६ । ले० काल सं० १६८७ कात्तिक बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६-१६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर सौगाणी करौली। विशेष—संवत् १६८५ वर्षे कात्तिक बर्बाद १३ शनिवासरे मोजमाबाद मध्ये लिखतं जोसी राधा। स्वस्ति श्री वीतारागायनमः संवत् १७१२ सांगानेरी मध्ये जीण चैत्याल ठोल्या के देहरै पार्यिका चन्द्रश्री बाई हीरा। चेलि नान्हि -द्रम्मप्रिक्षा (धर्मपरीक्षा) शास्त्र अठाई के अंत के निमति । अर्यका चन्द्र श्री दैहहरै भल्हो (कर्म) कृमस्वै के निमित मिति चैत्र वदी ८ भुमीवार । ११७६. प्रति सं०७ । पत्रसं० ११२ । प्रा० ११ x ४ इञ्च । ले० काल । अपूर्ण । वेष्टन सं०५१। प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर करीली। ११७७. प्रति सं०८ । पत्र सं० १०२ । ले. काल सं० १७६६ वैसाख सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन वडा पंचायती मन्दिर डीग । . ११७८. प्रति सं० । पत्र सं० ११० । प्रा० १२५ ५ इश्च । ले० काल सं०४ । पूर्ण। वैन सं० सं० ३३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-प्रति अशुद्ध है। ११७६ प्रतिसं०१०। पत्र सं. ८ । काल सं० १८५५ माठ सदी १६। प्रण। वेष्टन सं० २२७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतार । विशेष-फरुखाबाद में प्रतिलिपि की गई । सं० १९२२ में भरतपुर के मन्दिर में चढ़ाया था। ११.०. प्रलिसं० ११ । पत्र स० ५५ । र०काल x Iलेकाल सं०१७६२ मगसिर सदी । पम् । वेट्टन सं०२३४ । प्राप्ति स्थान-..दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ११८१. प्रति सं० १२। पत्र सं० ११६ । प्रा. १२.४४ च । भाषा-संस्कृत | विषय। ले०वाल सं०. १६६४ फागण सुदी 11 पूर्ण । बेधुन रां० ३२७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दोग्सली कोटा। __ प्रशस्ति-संवत् १६६४ वर्षे फागुग्ण बुदी गुवासरे मोजवा बास्तव्ये राजाधिराज महाराग) श्री मानसिंह राजप्रवर्तमाने अजनि नाथ जिनचैत्यालये थी मूलसंवेब. स. गच्छे कुन्द भ. शुभचन्द्र देवास्वपटे पद्मनंदिदेश खंडेलवाल दोसी गोत्र वाले संघदी रामा के वंशवालों में प्रतिलिपि कराई थी। मागे पत्र फट गया है। Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] । ११७ ११८२. प्रति सं० १३। पत्र सं० 13 | प्रा० १० x ५ इञ्च । लेकाल सं० १८३६ साषण सुद्री ६ | पूर्ण । वे० सं० १५६.३६ । प्राप्ति स्थान पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर, इन्दरगळ (कोटा)। ११८३. प्रति सं० १४१ पत्र सं० ८५ । प्रा० १२४६ इच । लेकाल सं० १८७८ माघ बुदी ७ । पुर्ण । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-वि० जन मन्दिर प्राधिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) । विशेष-ग्रन्य के पत्र एक कोने से फटे हुये हैं । ११५४. प्रतिसं०१५ । पत्र सं० ८१ । या० १२४६इ । ले० काल सं. १८७७ । पूर्ण । वे. सं० १०५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) । ११८५. तिसं०१६ । पथ सं० ५ । आ० १२४५ इच । ले. काल X । पूर्ण । बेष्टम सं० १७३ 1 पापिन स्थान--दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ नदी । ११८६. धर्मपरीक्षा - ४। पत्र सं० २८ । प्रा० १०५.४६ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । र० काल--X । ले०काल मं० १४४८ शाके फागुन शुदी ५ । पूर्ण। वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर वोरसली कोटा। विशेष—पार्थपुर नगर के पाशनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थीं। ११८७. धर्मपरीक्षा भाषा-मनोहरदास सोनी। पत्रसं० ६४ । याः १२४५३ च । भाषा--दी। विषय-धर्म । २० काल' सं० १७०० । ले०काल---X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ११८८. प्रतिसं०२। पत्र सं० १२१ । श्रार १२३४५१ च । लेकाल सं० १८५३ भादवा सुदी ६ । पूर्ण । वेपन नं० १०१८ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ११८६. प्रति सं०३ । पत्र में० १३८ । प्रा०६:४५ वश्च । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन मं० ७५-४३ । प्राप्ति स्थान - दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपर। ११६०. प्रतिसं०४ । पत्रसं०७३ । श्रा० ६.x७ इन्च । ले०काल सं० १७९८ । पूर्ण । वेटन सं० २६१ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष—गुटका रूप में है। ११६१ प्रति सं० ५ । 'पप्र सं० ११८ । श्रा० ११:४६ इछ । ले कारन मा० १९७२ । पूर्ण । बेष्टन मं० ३३ ।प्राप्ति स्थान-दि० जन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ११६२. प्रति सं० ६ । पत्रसं० १८३ । प्रा० ७.५६ इञ्च । लेकाल सं० १८५२ । पूर्ण । वेहन सं०१८ | प्राप्ति स्थान-दि जैन खण्डलबाल मन्दिर उदयपुर । ११६३. प्रति सं० ७ । पत्रसं० ८३ । प्रा० १३.४५, इञ्च । लेकाल सं० १८१० । पूर्ण । वेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर | विशेष- प्रशस्ति निम्न प्रकार है मिति गौष सुदी ६ बृहस्पतिवार सं० १८६० का श्रीमान परमपूज्य श्री राजनीति जी तत् शिष्य पण्डितोतम पण्डित श्री जगरूपदासजी तत् शिष्य पण्डितजी श्री दुलीचन्दजी तत् शिष्य लिपिकृतं पण्डित Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग C . देवकरणाम्माय अजयगढ़ का लिखायितं पुन्यपवित्तं दयावंत धर्मात्मा साहजी श्री तोलजी गोत्रे रांउका स्वात्मार्थ बोधनीय प्राप्ति भवतु । ग्राम इन्द्रपुरी मध्ये । ११६४. प्रति सं० ८ । पत्र सं० ६३ । प्रा० १११X ६ इञ्च । ले० काल सं० १६०७ बैशाख मुदी ३ । पुर्ण । वेष्टन सं०३७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावटी (सीकर)। ११८५. प्रति सं० । पत्रसं० ८५३ ग्रा० १२४६ इञ्च । लेकाल-सं० १८२५ कानिक सुदी ८ । पुर्ण । वेष्टन सं० ६२१५२ । प्राप्ति स्थान-भ० दि. जैन मन्दिर भादवा (राज.) । विशेष -- सीताराम के पठनाय परशुराम लुहाडिया । प्रतिलिपि की थी। ११६६. प्रति सं०१०। पत्र रा ८४ | प्रा० १२४६३ इञ्च । लेकाल २०१८२७ वैशाख गुदी ६ । पूर्ण । वेवन सं० ४६।४१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर सादवा (राज.) विशेष – सुखदाम 'रांवका ने भात्रा में प्रतिलिपि की थी । ११६७. प्रति सं०११। पत्र सं०१४४ । ग्रा० १.४५ इन् । लेकाल x ! पुर्ण । वेष्टन सं. ८०-७२ | सन्ति स्थान.. दिन मन्तिर मेथी दौमा । विशेष...दौलतराम तेरापंथी ने प्रतिलिपि करवायी थी। ११६८. प्रतिसं० १२। पत्रसं. ११३ । ले०काल सं०१८५१ । पुर्ण । वेष्टनसं० २२३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैम मन्दिर बड़ा बीमपंथी दौसा। विशेष-महाराजा प्रतापमिह जी के शासनकाल में दौसा में प्रतिलिपि की गई थी। ११६६. पति सं. १३ । पत्रसं. १३३ । श्रा० x ६३ इन्छ । ले०काल सं० ५-६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर मोगारगी करौली।। १२००. प्रतिसं० १४ । पत्र सं० १०२ । मा० १२४५३ इञ्च । ले काल । अपूर्ण । बेष्टन सं०१३० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिा करोली। १२०१. प्रतिसं० १५। पत्र सं०७० । ले. काल सं० १८१३ माषाह मुदी ७ । पूर्ण । थेष्टन सं०७ । प्राप्ति स्थान -दिल जैन बड़ा पंचायती मंदिर (डीग)। १२०२. प्रतिसं० १६। पत्र सं० १२६ । ने काल सं० १८१५। पूरी । बेधन सं० १५ । प्राप्ति-स्थान - दि. जैन वागती मंदिर हण्डावालों का डीग। विशेष-सेवाराम पाटनी न लिखवाया था। १२०३. प्रति सं०-१७। पत्र में० ११३ । लेकाल-सं० १९८३ मादों वदी ६ । पुर्ण । वेपत सं० ३६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पञ्चायती मंदिर हण्डा बालों का डीग । १२०४. तिसं० १८ । पत्र सं० १३३ । प्रा० १२ x ७१ इञ्च । ले० काल-सं० १८१६ पूर्ण । देष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पञ्चायती मंदिर कामा। १२०५. प्रतिसं० १९ । पत्रसं० १०४ । प्रा० ११ x ४३ इञ्च । लेकाल सं. १८४१ भादवा सूदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर बैर । विशेष-- बैर में प्रतिलिपि हुई थी। Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ ११६ १२०६. प्रतिसं० २० । पत्रसं० १३ । प्रा० ११ x ८ च । ले०काल सं० १८२० । मंगसिर सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थान- दि० मैन पंचायली मन्दिर बयाना। विशेष-६ पत्र के आगे भक्तामरस्तोष है । लेक झाल .. १८३४ दिया है । प्रति जीर्ण शीर्ण है। १२०७. प्रति सं० २१ । एक १८२ । भात ! पावर यदी २ ! पृां । येष्टन सं० ४४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-जोधराज ने प्रतिलिपि करवाई थी। १२०८. प्रतिसं० २२। पत्र सं० २२५ । ले०काल सं० १७४८ । पुर्ण । वेष्टन सं० ३२८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष—विद्यादिनोद ने सांगानेर में प्रतिलिपि की थी । गुटका साइज । १२.१. प्रति सं० २३ । पत्र सं० १५६ । लेखन काल १८२५ । पुर्ण । वेष्टन सं० ३२६ 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-भरतपुर में जवाहरसिंह जी के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई। १२१०. प्रतिसं० २४ । पत्रसं० ६६ । ले० काल सं० १७९१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १२११. प्रति सं०.२५ । पत्रसं० ६८ । ले०काल सं० १८१३ पूर्ण । वेयन सं० ३३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-तक्षकपुर में प्रतिलिपि हुई थी । १२१२. प्रति सं० २६ । गत्र सं० १२५ । ले० काल १८१३ । पूर्ण । बेन सं० ३३२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १२१३. प्रति सं० २७ । पत्र सं० १२३ 1 ले काल' X । पूर्ण | बेदम स० ३३३ । प्राप्ति स्थान--दि जैन पंचायती पन्दिर, भरतपुर । १२१४. प्रति सं० २८ । पत्र सं० १३६ । प्रा० ११ x ७ इ-। ले. काल सं० १६२७ । पूर्ण । वेष्टनसं० ८७ । प्राप्ति स्थान अग्रवाल दि० जैग पचायती मन्दिर, अलवर । १२१५. प्रति सं० २६ । पत्र सं० ११३ । प्रा० १२४६ इञ्च । लेकाल में० १८६६ ज्येष्ठ सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६:४७ । प्राप्ति स्थान दि० जन पंचायती मन्दिर, अनार । १२१६ प्रति सं० ३० । पत्र सं०-१०३ । ले०काल सं० १९२२ कातिक बुद्दी ७ । पूगी । वेष्टन सं० ५० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर, मलकर । १२१७. प्रति सं० ३१ । पत्र सं० २६ । प्रा० १२४६६ इञ्च । ले. काल .. X । गर्ग। वेधनसं० ३१५ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर बोरसनी कोटा । १२१८. प्रति सं०-३२ । पत्रसं० ८६ । प्रा० १२:४६ इन्च । लेकाल .. । पर्ग । वेष्टन सं० २१४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १२१६, प्रतिसं० ३३ । पत्रसं० १४२ । प्रा० १०३४५६ इञ्च । ले० काल सं० १८१२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर, दबलाना (दी)। १२२०. प्रति सं० ३४ । पत्रसंE७१ ले० कालX । पूर्ण । जीर्ण शीर्ण । वेष्टन सं०३८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर तेरह पंथी मालपुरा (टोंक) । १२२१. प्रतिसं० ३५ । एत्र सं० १२ । ले० काल सं० १६.१ ग्राषाढ़ सुदी १३ । अपुर्ण । बहन रा०-३३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) १२२२. प्रतिसं०३६ । पत्रसं०४८ । आ० ८६ x ६ इन्च | काल x । बेत काल X । अपूर्ण । चेष्टन सं०१०४ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर राजमल (टोंक) । १२२३. प्रतिसं० ३७ । पत्रसं0---१३४ । प्रा०६४ ५ इञ्च । ले० काल सं० १८८५ । पूर्ण । बेष्टन सं० - ६५ । प्राप्ति स्थान:-दि जैन मन्दिर गजमहल टोंक । विशेष-भद्र तोलाराम भवानीराम दसांग ने प्रतिलिपि की श्री। १२२४. प्रति सं० ३८ । पत्र सं० १५ । प्रा० १०४७ इक्ष । ले. काल- ४ । अपूर्ण । बहन 20५ । प्रान्ति स्थान--दि० जैन पडेलवाल मन्दिर प्रार्वा (उरिणयारा)। १२२५. प्रतिसं० ३९ । पत्रसं० २-१०४ । या०१०१x६० इञ्च | लेकाल सं० x 1 पूर्ण । वेष्टन न.-१५३ । प्राप्ति स्थान—दिल जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक)। १२२६. अतिसं० ४० । पत्र सं० १०६.। मा० ११४५ इञ्च । लेकालX । पूर्ण । थेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर पंवायनी दूनी (टोंक) १२२७. प्रति सं० ४१ । पत्र सं० १०७ । प्रा० १२४ ६६श्च । ले० काल में० १८४० फागुगा सदी २ । । वेष्ठन सं. १६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटयों का नैरावा । १२२८. प्रति सं०४२ । पत्र ० १.१ । श्रा० ११४५ इञ्च । ले०काल गं०१८४० फागूण बुदी ७ । पूर्ण । बेष्टन सं०१४ । प्राप्ति स्थानः . दि. जैन नेरह पंथीमंदिर, नैरगवा । १२२९. प्रति सं०४३ । पय सं० ११२। पा. १०४५इव । लेकाल मं० १८३४ । पूर्ग । वेशन म० ११६ । प्राप्ति स्थान -दिल जैन मंदिर श्री महावीर स्वामी दी। १२३०. प्रति सं०४४ । पत्र सं० ६ । प्रा० १.४४ इंच । ले० काल में० १७४० पौष सुदी १५ । पूर्ण । वेष्ट्रन ०१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर आदिनाथ वू'दी। विशेष · अरगनपुर में विनयसागर के शिष्य ऋषिदयाल ने प्रतिलिपि की थी। १२३१. प्रति सं०४५। पत्र i६ । श्रा० १० ६६ इञ्च । ले०काल-सं० १९२० पौष सुदी। पुर्ण । वेष्टन मं. ३३। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बृदी। विशेष-लोचनपुर में लिख गया था। १२३२. प्रति सं० ४६ । पत्र सं०६३ । प्रा० १२४ ६ इञ्च । ले. काल-सं० १८४६ अपाङ सुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त ।। विशेष-पवाई माधोपुर के २४ रणथम्भोर में प्राभेर के राजा प्रतापसिंह के शासन काल में रागही पांथुराम के पुत्र निहालचंद ने प्रतिलिगि कराई थी। Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र] [ १२१ पुस्तक पं० देवीलाल चि. विरघूचंद की है । १२३३. प्रति सं० ४७ । पत्र सं० १०५ । प्रा० १२३४७ इंच । लेकाल-सं १९७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी । विशेष--चंदेरी में प्रतिलिपि हुई थी। १२३४. धर्मपरीक्षा निका-पन्नालाल चौधरी। पत्रसं. १८२ । मा० १०४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय --- धर्म । २.० काल सं० १६३२ ।ले. काल-X । पुर्ण । वेष्टन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर श्री महावीर स्वामी, बू दी। १२३५. प्रति सं२। पत्र सं ११७ । आ० १२३ x ८ च । ले काल सं०-१६५१ १४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर, श्री महावीर स्वामी बूदी। १२३६. धर्मपरीक्षा भाषा-बावा दुलीचन्द । पत्र सं० २५१ । भाषा-हिन्दी । भाषाधर्म । र काल-. । लेकार सं० १६. साध सुदी । पूसा । वेपन सं० ३८ । प्राप्तिस्थानदि. जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । विशेष-भरतपुर में प्रतिलिपि हुई थी । १२३७, धर्मपरीक्षा भाषा सुमतिकीति । पत्र सं०७६ । आ. १.४४३ इञ्च । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय--धर्म । २० काल सं० १६२५ । ले० काल सं० १६४८ । पूर्ण । बेपन मं० १५ । प्राप्ति स्थान । दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । १२३८. धर्मपरीक्षा भाषा-वशरथ निगोत्या । पत्र सं० ११० । प्रा. १२४ ५ इञ्च । भाषा--हिन्दी गद्य । २० काल सं०-१७१८ फागुन बुदी ११ । लेकाल-सं० १७६० । पूर्ण । बेष्टन सं३३७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। १२३६. प्रतिसं०२ । पत्र सं० ३५ प्रा० १० x ४ इञ्च । लेकाल सं० १८२० माह दुदी ६ । पुरणं । वेष्टन सं०६४ । प्राप्हि स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर, करौली । १२४०. प्रतिसं०३ । पत्र सं० २३५ । ० १२४५६ इञ्च | लेखन काल- सं० १७५० । पूर्ण । वेष्टन सं० १९८ । प्राप्ति स्थान दि० अन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष –गद्यांश संसार में भतां जीवा के सुखदुम्ल को आतर होई केतौ मेर सिरस्पोजे तो जाणिज्यो । भावार्थ से योजु ससारी जीयाने दुखती मेरू बराबर पर सुख न सरसौं बराबरि जाणज्यौ ।। २१ ।। अन्तिम पाठ-- साह श्री हेमराज मुत मालु हमीर दे जारिख । कुल नि गोत श्रावक धर्म दशरथराज बखाणी ।। १॥ संवत् सतरास सही अष्टदश अधिकाय । फागुण तम एकादशी पूरण रणाम सुभाष ।। २ ।। धर्म परीक्षा बवनिका सुन्दरदास रहाय । माधी समझिव दशरथ कुति चित लाय !। ३ ।। Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ ] [ ग्रंथ सूची- पंचम भाग इति श्री अमितगति कृता धर्मपरीक्षा मूल तिहकी वचनिका बालबोध नाम पर नाम तात्पर्ययार्थं टीका तस्य धर्मार्थ दशरथेन कृता समाप्ता । १२४१. धर्मपंचविशतिका अ० जिरपदास पत्र [सं० ३ भाषा – प्राकृत | विषय -धर्म र० काल - X | ले० काल - X 1 पूर्ण विशेष यदि चन्त भाग निम्न प्रकार है श्रादि भाग- भव्व कमल मायंडं सिद्ध जिति हुयादि सद पुज्जं । मि उस गुरुवीर परमयतिय सुविभव महणं ॥ संसामभि जीवो हिडिममिच्छत विसयसंसत्तो । अलहंतो जिलधम्मं बहुविजाय बिहे ।। २ ।। चउरा दुष्ट संतो उसी वक्त जोखि कम्मफलं तो जिस धर्म जीवे ॥ ३ ।। प्रतिम — जिधम्मं मोबख अरण हवेहि हिसायरा । - इय जारि भव्वजीवा जिरणग्रमिखय थम्मु आयरहि ।। २० ।। लिम्मल दवणभक्ती वयधरपेहाय भावला परियः । ते राहणा करिज एहि मुनिवररमणी ।। २५ ।। मेहा कुमुदरिण चंदं भवतु साथ रह जालपन मिसां । धम्मंविलासद भरिएदं जिलदान म्हेण ॥ २ ॥ इतिधर्म पंचशितिका सम्पूर्ण प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर डीवनजी कामा । १२४२. धर्मप्रश्नोत्तरी पत्र सं० १ ० ०कास मं० १९८६ चा बुदी १२ पूर्ण वेष्टनसं० ७४ मालपुरा (टोंक) | विशेष— जन्म पत्र की साइज का लम्बा पत्र है । १२४३. धर्मन भाषा - साला नथमल हिन्दी विषय-धर्म र काल X लेखन काम सं० १२३ स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर | ० ११४५ इभाषावेष्टन सं० १६६ । ६३ इख भाषा हिन्दी २० काम – । प्राप्ति स्थान दि० जंग मन्दिर रही ०७० १२४४. धर्मरत्नाकर - जयसेन । पत्र सं० २०० विषय— धर्म र० काल सं० १०५५ दे० काम० १०३४ चैत सुदी स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । ० ६३४६३ वेष्टन ०१०-५६ विशेष-अजमेर मध्ये लिखितं । १२४५. प्रतिसं० २०६१ ० x ५ ८ ।। सं० १२०२ । प्राप्ति स्थान -भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष – पं० गोपालदास ने अजमेर में प्रतिलिपि की थी। भाषाप्राप्ति ११४५ इञ्च । भाषा-स्कृत । । पू. सं. १०२९ प्राप्ति ० सं० २०४० काकिदी Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आधार शास्त्र ] १२४६. प्रतिसं०३। पत्रसं० १६५ । मा० ६४४१ इञ्च ले. काल सं० १७७५ बैशाख सुदी ७ । वेष्टन सं०५७ । प्राप्ति स्थान-शास्त्र भण्डार दि. जैनमन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष---महात्मा धनराज ने स्वयं पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। १२४७. धर्मरसायन-पग्रनन्दि । पत्र संख्या १३ । भाषा-ग्राकृत । विषय- धर्म। २० काल-x लेखन काल –X । पूर्ण। बटन सं० ५०८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १२४८. प्रति सं० २। पत्र सं० १० । प्रा०५० : ५ इञ्च । नेक काल । पूर्ण । वेष्टन सं. १. ! प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा। १२४६. धर्मशुक्लध्यान निरूपण--x ! पत्र स५३ । भाषा संस्कृत । विषय---धर्म । र० काल-X । ले० काल ४ । पूर्णा । वेन सं० ६२६२४६ । प्राप्ति स्थान- संभवनाथ दि जैन मन्दिर उदयपुर । १२५०. धर्मसंग्रह श्रावकाचार-40 मेधावी । पत्र सं०६३ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-प्राचार । २. काल सं० १४४० । लेकाल मं० १५२६ । पुर्ण । वा सं० ३०१ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । १२५१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४५ । पा० १२४ ४३ इञ्च । ले. काल सं० १७८८ श्रावगा सुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान -६० जैन मन्दिर प्रादिनाथ दूदी। . विशेष---द्रव्यपुर नगर के चन्द्रप्रभ चैत्यालय में यशकीति के शिष्य छाजूराम ने प्रतिलिपि की श्री। १२५२. प्रति सं०३। पत्र सं०६६। प्रा. Ex५३ इञ्च । ले०काल सं० १९३५ 1 वेष्टन सं० ८० । प्राप्ति स्थान- शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष—महाराजा प्रतापसिंह के शासनकाल में यस्तराम के पुष गेवाराम में नेमिजिनालय में लिखा था। १२५३. धर्मसार-पं० शिरोमरिणदास । पत्र सं० ३६ । . ग्रा० १०३ ४ ५ ६ऊन । भाषा-हिन्दी । विषय धर्म । र० काल सं० १७३२ वैशाख मुदी ३ । लेकाल सं० १८५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६२२ । प्राप्तिस्थान-भ० दिन भण्डार अजमेर। .. . १२५४. प्रति सं० २ । पत्रसं० ५.६ । श्रा० १० x ५ इञ्च । से०काल सं० १७७६ प्रगान मृदी २ । पूर्ण । वेष्टन संख्या ५११ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि० जैन भण्डार अजमेर । १२५५. प्रति सं०३।, पत्र सं० ७२ । आ० ६ x ६ इञ्च । लेकाल सं०. १८४६ भादवा मुदी ८ । पूर्ण बिष्टन सं० ३१२ । प्राप्ति स्थान-भारकीव दि.०. जैन मन्दिर अजमेर । ' १२५६, प्रति सं०४। पत्रसं० ३५ । आ०.१२. x ६ इन्न । ले० काल मं० १८६१ चैत्र सुदी. १३ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६-६. प्राप्ति स्थात-दि० जैन मन्दिर तेरपंथी दौमा ! - विशेष-श्री नानुलाल दौसा वाले ने सदाई माधोपुर में पत्थ की प्रतिलिपि हुई थी। प्रथकर्ता ने . सकलकीति के उपदेश से ग्र'थ रचना होना लिया है। .. : १२५७. प्रति सं० ५। पत्रसं० ४४ । प्रा० १६ x ६ इञ्च । लेकास मं० १८५८ मावन . सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १२८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १२५८. प्रति सं०६। पत्र सं०५३ । प्रा० १३४६ इञ्च । से०कान x पूर्ण । वेष्टन स. १२८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर करौली । १२५६. प्रति सं०७। पत्र सं०५६ । मा०६१x६१ इन्च । ले० कल सं० १८५६ वैशाख सदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर करौली। १२६०. प्रति सं०८। पत्र सं०५५ । प्राsex ५३ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६.३१ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-७६३ पश्य हैं। १२६१. प्रति सं० । पत्रसं० ६६ । लेकाल स. १८९६ | पूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्तिस्थान—दि जैन मन्दिर दीवान जी कामा । १२६२. प्रति सं० १० । पत्रसं० ५६ 1 मा० ११ x ५ इञ्च । ले०काल सं० १८६५ : पूर्ण । बेशन सं०४३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर, कामा । विशेष-हेमराज अग्रवाल सूत मोतीलाल शेखावाटी उदयपुर में प्रतिलिपि करवामी थी। १२६३. प्रति सं० ११ । पत्रसं० ५३ । सेन्फाल-१८७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १२६४. प्रति सं० १२ । पत्रसं० ६६ । लेकाल-~X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७१ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । १२६५. प्रतिसं० १३ । पत्रसं०६८ ले०काल सं० १८७६ ज्येष्ठ सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन स. ३७२ । प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । विशेष-दीवान जोधराज के पठनार्थ लिखी गई थी। १२६६. प्रति सं० १४ । पत्रसं० ४६ । प्रा० x ५ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २। प्रारित स्थान दि० जन तेरहपंथी मंदिर नैणवां । विशेष सकलकीति के उपदेश से अन्य रचना की गई थी। १२६७. प्रतिसं०१५। पत्र सं० ४२ । प्रा० ११४५ इञ्च । लेकाल सं०-- १९५१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नागदी बू दी। १२६८. प्रतिसं०१६। पत्रसं०४७ । ग्रा० १.x७१ इञ्च । लेकाल सं० १९५१ पुरणं । वेन सं०२१० प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर नागदी बंदी। १२६६. प्रति सं० १७ । पत्र सं. ४८ । मा० १०४ ७ इञ्च । ले. काल सं १९५१ बैशाख शक्ला १५ । प्रणं । वेष्टन सं. २६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर मागदी बूदी। १२७०. धर्मसार- । पत्र सं० २६ । प्रा. १२४५३इश्च । भाषा-हिन्दी पिय)। विषयः-धर्म । २० काल... X । ले. काल स. x। पूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। १२७१. धर्मसारसंग्रह--सकलकोति । पत्र सं० २६ । आ. १२ x ५ इञ्च । भाषा-- संस्कृत । विषय-धर्म । र०काल x 1 लेकाल- सं० १८२२ । पूर्ण । वेहन सं०१३...४७ । प्राप्ति स्थान --दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । । पूर्ण विष्ट . ५.६२ । प्राप्त Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ]] [ १२५ १२७२. धमोपदेश-रत्नभूषण । पत्र सं० १५८ । आ० १०० x ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -- प्राचार | र०काल सं० १६६६ । ले० काल सं० १८०३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६६..११६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोढ़ियों का ईमरपुर । अन्तिम पुष्पिका-श्री धर्मोपदेशनाम्नि ग्रंथे श्रीमत्सकलकलापंडित कोटोरहीदं भूतभूतल विख्यातकीसि: भट्टारक श्री त्रिभुवनकीतिपदसंस्थित सूरिश्रीरत्नभूषण विरचिते प्रह नोदपादि सकल दीक्षाग्रहण शुभगतिः गमनोनाम एकादश सर्गः । देवगढ़ मध्ये भट्टारक देवचन्द जी हूंबड जाति लघु शाखायां । १२७३. प्रति सं०२। पत्र सं०७४ । मा० १२ x ५ इञ्च । लेखकाल सं० १७७६ वंशाख सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बू दी । विशेष—मालपुरा के श्री पार्श्वनाथ चैत्यालय में श्री भुवन भषण के शिष्य पंडित देवराज ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। १२७४. अर्मोपदेश-४ । पत्रसं० १९ । मा० X ६५ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-धर्म । र० काल X । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १६०। प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर, फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । १२७५. धम्मोपदेश रत्नमाला-भण्डारी नेमिचंद । पत्रसं० २३ । आ. X ४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-धर्म । २० काल x । ले० काल--- । पूर्ण । वेष्टन सं० १.० । प्राप्तिस्थान—दि जैन मन्दिर बोरसत्री कोटा। विशेष प्रति हिन्दी टब्बा टीका सहित है । १२७६. धर्मोपदेश श्रावकाचार-ब्र.नेमिदत्त । पत्रसं० २० । प्रा० १०१४५३ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषम-भाचार शास्त्र । र० कालX । ले०कास सं० १६५८ आषाढ़ सुदी १० । पूर्ण । बेन सं० १३२७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि जैन मंदिर, मजमेर । विशेष—इसका दूसरा नाम धर्मोपदेशपीपूष भी है। १२७७. प्रतिसं० २। पत्र सं० ३१ । ले. कालसं० १८२५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पञ्चायती मन्दिर, भरतपुर । विशेष धारणा में केमरीसिंह ने लिखी थी। १२७६. प्रतिसं०३ । पत्र सं० ३१ । या. Ex४, इश्य । लेकाल--- । पूर्ण । वेष्टन सं० २२४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर, दीवानजी कामा । १२७६. प्रतिसं० ४। पत्र सं० ३१ । लेकाल ४ । पर्स । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्तिस्थान- दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा। १२८०. प्रतिसं० ५ । पत्र सं० ६.२६ । लेकाल- X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६४ । प्राप्ति-स्थान-दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । १२८१. प्रतिसं०६ । पत्र सं० ३५ । प्रा० १० x ४ इञ्च । लेकाल – सं० १८१२ चैत बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० २ । प्राप्ति-स्थान -दि० जैन मन्दिर दीवानजी, कामा । Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ ] [ अन्थ सूची-पंचम भाग १२८२. प्रतिसं० ७ । पत्र सं० २३ । प्रा० १११४४१ इच । ले० काल स. १६८१ भाददा सुदी २ । वेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लष्कर, जयपुर । १२८३. प्रति सं०८ । पत्रसं० २३ । प्रा० ११५ x ५ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-प्राचार पास्त्र । र० काल-X । ल• काल X । वेष्टन सं० १२६ । प्राति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । १२६४. प्रति सं०। पत्र सं० २६ । प्रा० ११५४४१ । ले० काल- 4 वेटन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपूर । १२८५. प्रति सं०१०। पत्र सं० २४ । ते दाल-४ अपई बार पारित स्थान---दि जैन पञ्चायती मन्दिर हीग । १२८६. धर्मोपदेश श्रावकाचार-.-40 जिनदास । पत्र सं० ११७ । प्रा० १.४४ इञ्च । भाषा--संस्कृत । विषय-याचार शास्त्र । र० काल-x। ले० काल-X । पूर्ण । वेपन म०७४। प्रान्ति स्थान–६० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा । - विशेष साह टोडा के प्राग्रह से प्रथ रचना की गयी थी । पारम्भ में विस्तृत प्रशस्ति दी गई है। १२८७. धर्मोपदेश श्रावकाचार-धर्मदास । पत्र सं० ४५ । आ० १०१ x ४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-मानारशास्त्र । र०काल सं० १५७८ वैशाख सुदी ३ ले० काल सं० १६७४ कात्तिक अनी । प्रगं । वेपन सं० १२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर दीवान चेसनदास पुरानी रोग । विशेष-चंपावती में प्रतिलिपि की गयी थी। । १२८७. धर्मोपदेशसिद्धान्त रत्नमाला--भागबन्द । सं० ७.७ । प्रा० x ५ इञ्च । भाषा--हिन्दी गद्य । विषय-धर्म । रस काल सं १९१२ अाषाढ़ बदी २ । ले०कास सं० १९३१ भादवा सूदी १४ । पुणे । वेष्टन म ६७-११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । १२८६.प्रतिसं०२। पत्र सं० २ भाषा-हिन्दी। विषय-धर्म । ले। काल सं०१६५१ । अर्गा । वहन मं.७६४ | प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १२६०. लमरकार महात्म्य--. X । पत्रसं० २ । प्रा० १० x ४ इन्च । भाषामंस्कृत । विषय-- धर्म । २० काल---X । लेकाल-४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर। । १२६१. नरक दुःख वर्णन-भूधरवास । पम सं० ५ । प्रा० ७३ x ७ इञ्च । भाषा हिन्दी। निषष-धर्म । १० काल-x । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०५६६। प्राप्ति स्थान-दिक जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष—कविवर दानतराय की रचनायें भी हैं । १२६२, नवकार अर्थ-४ । पत्र सं० ३ । आ०६x४ इन्न । भाषा-हिन्दी (मथ)। विषय-धर्म । र काल ४ ले०काल सं० १७३३ कात्तिक बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दबलाना (दी)। Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्रचार शास्त्र ] [ १२७ १२६३. नवकार बालावबोध पत्रसं० ४ । भाषा - हिन्दी | विषय - धर्म । र० काल X ले० काल -- x । पूर्णं । वेष्टन सं० ७२२ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १२३४. नित्यकर्मपाठसंग्रह | पत्रसं० १० ग्रा० ११५३ इंच । भाषा - हिन्दी (पद्य) | विषय - धर्मं । २० काल - X | ले०काल सं० १६३७ । पूर्ण वेष्टन सं० १५२ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन श्रश्वाल मन्दिर उदयपुर । २३ | १२६५. पंच परमेठी गुण वन - X | पत्रसं० हिन्दी (पद्य) विषय धर्म । २७ काल X | ले० काल X | यपूर्ण दि० जैन मन्दिर तेरह पंथी दौसा । विशेष[ग्रन्थ बही की साइज में है । १२६६. पंचपरावर्तन वन X | पत्र सं० ४ विषय -- धर्म | र० काल -X | से० काल - X | पूर्ण । मन्दिर दबलाना (बूंदी) । १२६७. पंचपरावर्त्तन वर्णन - X | पत्रसं० ३ हिन्दी (ग) विषय – धर्म । २०काल - -X | लेकाल- ४ । पूर्ण स्थान - दि० जैन मन्दिर बरसती को १२६८. पंचपरावर्त्तं न वर्णन - । विषय - चितन धर्मं । र०काल - X | ले०काल --- दि० जैन मन्दिर भादवा ( राज० ) । X १२६६. पंचप्रकार संसार वर्णन - विषय धर्मं । र०काल - X | ले०काल -x दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ० १२९४१ इंच भाषा - हिन्दी (गद्य) | वैष्टन सं० २६६ प्राप्ति स्थान - दि० जैन अन्तिम ० १०३४६३' । भाषा वेन सं० १ प्राप्ति स्थान गिरे तो दम मैं पुर निवार पत्र० ६ ॥ ० ११:२७ इंच । भाषा - हिन्दी । पूर्ण वेष्टन सं० ७९/५६ । प्राप्ति स्थान १२६९ (क) प्रतिसं० २ । एत्रसं० ३ । श्र० १० १०३ X ५३ इन्च | ले०काल X। वेष्ट्रन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर | नमो देव अरिहंत की नमी सिद्ध शिवराय । नमें साध के भरण को जोग त्रित्रिध के भाव । पात्र कुपात्र अपात्र के पनरह भेद विचार । ताकी हूँ रचना कहूँ जिन आगम अनुसार || ० ११३४५३ इंच । भाषा। वेष्टन सं० २०७ । प्राप्ति पत्रसं० ४ | श्र० १० २४५ हा भाषा-संस्कृत । बेटन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान - शास्त्र भंडार १३००. पन्द्रहपात्र चौपई-- --भ, भगवतीदास | पत्रसं० ३ | आ० भाषा - हिन्दी | विषय - धर्म र० काल X | ले० काल -- x । पूर्ण वेष्टन सं० स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटडियों का इमरपुर | प्रादि मरण करे तो चोथे सार । १०x६३ इंच | २०४४ । प्राप्ति Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ ] ऐसे व जिनागम महि १२० त्रिलोकसार गोमतसार ग्रंथ की छांट । भाषा करहि भविक इहि हेत पछि पढत अर्थं कहि देत । बाल गोपाल दहि जे जीव भैया ते सुख लहि सदीव || १३०१. पद्मनंवि पंचविंशति-पद्मनंदि । पत्रसं०] १३२ ॥ श्र० | । | संस्कृत विषय - आचार शास्त्र १०काल - X ले०का - X पूर्ण स्थान- दि० जैन मन्दिर अजमेर | १३०२. प्रतिसं० २ | सं० १३१ । प्रा० १० X ४३ इंच ले० काल - X पूर्ण बेष्टन सं० ६७ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष - साहमल ने इस ग्रंथ की प्रतिलिपि करवाई थी । [ प्रन्थ सूची- पंचम भाग १३०३. प्रति सं० ३ पत्र [सं० ८५ पूर्ण प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर विशेष-६५ से ग्रागे पत्र नहीं है । १०३.४५ च । भाषाइंच वेष्टन सं० ११६४ प्राप्ति। । | प्रा० १२५ ४ ०काल देन सं० कर जयपुर । । १३०४. प्रति ०४ । पत्र सं० १-५० । ७६२ । अपूर्ण प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर | ० १०६४४३ । ले० काल ४ । वेष्टन सं० १३०५. प्रति सं० ५ पत्र [सं० ७६६ अपूर्ण वेष्टन सं० २२ प्राप्ति स्थान — उपरोक्त मन्दिर । विशेष - प्रति प्राचीन है १३०६. प्रतिसं० ६ ० १६०-७१ प्राप्ति स्थान १३०७ प्रतिसं० ७ वेष्टन सं० ३०५ २४६ । प्राप्ति स्थान- दि० जंन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रतिजी है तथा सभी पत्र सील से चिपके हुए हैं। ० ११४ । ले०का विषय प्राचार । पत्र मोटे है । प्रति १६वीं शताब्दी को प्रतीत होता है । ० ५२ । प्रा० १०३४५ इंच से०का --- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । . पूर्ण वेष्टन ० १४-१५ भा० १३३४५ इंच ले०का - X अपूर्ण । १३०८. प्रतिसं० ८ पत्र मं० १६२ | प्रा० १३४ १ ० का पूर्ण वेष्टन सं० ४०६ / २४४ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उध्यपुर | १३०. प्रति सं० [सं० ८०० काल x पूर्ण वेत सं० ४१०/२४५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ०काल सं० १५६१ पूर्ण वेष्टन सं० ४११ / २४३ १३१०. प्रतिसं० १० पत्र [सं० ७७ प्रतिजीर्ण है एवं प्रशस्ति निम्न प्रकार है । संवत् १५९१ वर्षे प्रथम श्रावण बुदी २ शुक्रवासरे स्वस्ति श्री मूलसंबे सरस्वती गच्छे बलात्कार गणे कुंदकुंदाचार्यांन्वये भट्टारक श्री समीति सत्पट्टे भुवनकीति तत्पट्टे श्री ज्ञानभूषण तत्पट्टे विजयकीर्ति Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राधार शास्त्र [ १२६ सत्प? शुभचन्द्र प्रवर्तमाने रायदेशे ईडर वास्तव्य हुंबड ज्ञातीय भोडा करमसी भार्या पुतलियो सुत हो भाडा मेषराजचात्रु डोभाडा यांपा भार्या चांपलदे लयो सुत डोभाडा सिंहराज भार्या दाडमदे एने स्वज्ञानादररणादि कर्म क्षमाणे स्वभावरुच्चते थीपद्ममंदि पंचविंशतिका लिखित्वा ईडर सुभस्थाने श्री संभवनाथालये सुस्थिताया श्री विजयकौलि शिन्याय प्रदत्त' । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथमन्दिर उदयपुर । १३११. प्रतिसं० ११ । पत्र मं० १४४ । प्राsex+ इच । ले. काल मं० १७८३ ग्रामोन सुदी १ । पूर्ण । बेष्टन सं0-~-६१-६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बडा बीमपंथी दौसा । विशेष - संस्कृत पयों के ऊपर हिन्दी अर्थ दिया हुया है । १३१२. प्रति सं० १२१ पत्रसं०८४ । आ० ६.५६ इन्च । मे काल ५ । पूर्ण । वेष्टन स०७५ | प्राप्ति स्थान-दि बन पंचायती मन्दिर करौली। १३१३. प्रतिसं० १३। त्रसं० १३१ । ले. काल सं० १६१४ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान : दि० जन पंचायती मंदिर gण्डावालों का डोग । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है । १३१४. प्रति सं० १४ । पत्र सं०७२ । प्रा० १.१४६५ च । ले० काल-सं० १८३२ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीयानजी कामा । १३१५. प्रतिसं० १५। पत्रसं० ५३ । मा० ११:४५ इञ्च । लेकाल-: । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । १३१६ प्रतिसं०१६। पत्र म० ५७ । प्रा० १३४५, इश्च । ने० काल सं० १७३२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दीवानजी कामा । १३१७. प्रति सं० १७ । पत्र म०३२। आ० EX६ इन्चे । नेकाल सं० १६३२ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ११८ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन छोटा मन्दिर अवाना । विशेष-प्रति हिन्दी गद्य टीका सहित है । १३१८. प्रति सं० १८ । पत्र में०६५। ले० काल सं० १७५० ग्रामोज गुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १३१६. प्रतिसं० १६ । पत्र स० १६४ । ले. काल X। पूर्ण । वेष्टन म०१८ । प्राप्ति स्थान:-दि० जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । १३२०. प्रति सं० २० । पत्र सं०८६ | आ० १२५ ५ ५ । ले० काल० । पुणं । वेष्टन सं. १७४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा । १३२१. प्रतिसं० २१ । पत्र सं० ११४ । आ० ११:४४, इच 1 ले. काल म० १२३५ पौष भूदी ५ । पूर्ण । श्रेष्टन मं० १७५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष—इस प्रति को प्राचार्य शुभकीति तत् शिष्य जगमान ने गिरधर के पठनार्थ निखी थी। १३२२. प्रति सं० २२ । पत्र सं० १७ । प्रा० ११४५ इञ्च । ने० काल । पूर्ण । वेष्टन मा. ३३८ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३० ] [ अन्य सूची-पंक्स मास १३२३. प्रति सं०२३ । यत्रसं० १६१ । प्रा० ५४ ६ इञ्च । ले०काल संवत् १८३१ प्राषाढ बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७१ । प्राप्ति स्थान-दिजैन मन्दिर बोरसली कोटा । १३२४. प्रतिसं २४ । पत्रसं०६७ | आ० १११ x ४ इञ्च । लेकाल सं० १५८० पौष सुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० २०८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष प्रशस्ति--सं० १५०० वर्षे पौषमासे शुक्लपक्ष पंचमी भृगो प्राय ह श्री घनद्देन्द्र में चन्द्रप्रभचैत्यालये श्री मूलसचे मारतीमच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्ठारक श्रीपयनंदि देवास्तत्प? भट्टारक श्री ३ देवेन्द्रकीतिदेवास्तपट्टे भ० विद्यानदिदेवास्तत्प? भट्टारक श्री श्री श्री ....."। १३२५. प्रतिसं० २५ । पत्रसं० १०८ । प्रा० १०२४५३ इञ्च 1 ले काल सं० १७१५ मंगसिर सुदी ११ । पूर्ण । देष्टन सं० २२१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । प्रशस्ति--सं० १७१५ मार्गशिर सुदी ११ लिखितं ब्रह्म सुखदेव स्वयमात्मा निमित्त नैरापुरमध्ये । सुरसिंह सोलंखी विजयराज्ये शूभ श्री मूलसने सरस्वतीगछे, बलात्कारगरणे म. श्रीपप्रकीति बह्म सुखदेव पठनार्थ । सिखितं सखदेव । १३२६. प्रतिसं० २६ । पत्र सं० ६६ । आ०१०x४३ इञ्च । ले०काल सं० १७६१ माघ बुदी ६ । पूर्ण विष्टन सं० ४४ । प्राप्तिस्थान -दि जैन मंदिर दवनामा (दी) विशेष- - प्रशस्ति । सं० १७६१ बर्षे शाके १६१८ प्रवर्तमान माघ मासे कृष्णपक्षे षष्टमिति को शुक्रवासरे पंडितोत्तमपंडित श्री १०४ धी अमरविमलजी तत् शिष्य गरी श्री ३५ श्री रत्नविमलजी तत् शिकय मुनि मेघविमलेन लिखितं नयावानगरमध्ये साहजी श्री जोधराजजी पुस्तकोपरि लिपि कृता दीदानश्री बुधराज्ये शुभं भवतु । श्री रस्तु । १३२७. प्रति सं० २७ । पत्र सं० ११३ । ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं ४५ । प्राप्ति स्थानदि० जन मन्दिर बबलाना (बू दी) विशेष- कठिन शब्दों के अर्थ दिये हुए हैं। प्रशस्ति वाला अन्तिम पत्र नहीं हैं। प्रति प्राचीन है। १३२८. प्रतिसं० २८ । पत्र सं० ६७ । प्रा० १३४६३ इन्च । ले० काल सं० १६३५ । पूर्ण । चेष्टन सं०४० । प्राप्ति स्थान दिय जैन तेरहपंथी. मन्दिर नगाथा । विशेष चन्दालाल बैद ने नैरणका के मंदिर में लिपि करवा कर चढ़ाया था । १३२६. प्रतिसं० २१ पत्रसं० ८२। प्रा० १० x ४ इस । लेकाल सं० १६०३ माष बदी । पूर्ण । बेष्टन सं० ३२३ । प्राप्तिस्थान-दि जैन मंदिर दबलाना (बूदी) । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है अथ संवत्सरेस्मिन श्रीविक्रमादित्यराज्य संवत् १६०३ वर्षे मात्र मदि २ शुक्रवासरे निज सोभास्पद्धितस्वर्ग श्रीमनश्वग्रामपुरे ।। श्री मूलसंधे मरम्तीगच्छे बलात्कारगरसे श्री कुदकुदाचार्यान्वय भट्टारक श्री पचनदिदेवास्तत्पट भट्टारक थी प्रभाचन्द्रदेवा : । लदाम्नाये मंडलाचार्य श्री धर्मकीतिदेवा दिगंतरालाचार-सैद्धांसिकचक्रवाचार्य श्रीनेमिचन्द्रदेवास्तत् प्रिवशिष्यालकाचार्य श्री जिनदासब्रह्म । तदाम्नाये महलयाल कुल कमलमानुसाहु पप तद्धार्या पल्हो तयो ज्येष्ठ पुत्र साहु लोला भार्या देवल। प्रथम पृष वाला तद्धार्या कपूरी। द्वितीय पुत्र इगर । तद्भार्या असमा । साहु पद्मा द्वितीय पुत्र साहु डाला सद्भार्या चाऊ प्रथम पुत्र धनपालु तद्धार्या रुडी द्वितीय पुत्र कोरू । तृतीय पुत्र खेता। चतुर्थ पत्र मणिदास Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पर्म एवं आचार शास्त्र 1 साह पा तृतीय पुत्र दूलह लद्भार्या सरो। तयो पुत्र ऊधा । एतेषां मध्ये साहु लोल पपनंदि पंचविशतिका कर्मयनिर्भिस लिख्यावि । १३. लि. ३ , " : : * ५३ इञ्च । ले०काल सं० १५६३ । पूर्ण । वेष्टन स० २४-५७ । प्रारि स्थान--दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-सं० १५६३ वर्षे चैत्र सुदी १ सोमे श्रीमूलसंघे भ० श्री विजयकीति तत् भ. श्री कुमुदचन्द्र (शुभचन्द्र) त, ब्रह्म भोजा पाठनार्थं । १३३१. प्रति संख्या ३१ । पत्रसं० ६७ । सा० १२ X ४ । लेकाल सं० १७६५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४७ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर राजमहल टोंक । १३३२. प्रति सं० ३२। पत्रसं० ५३ । प्रा० ११ x ६ इञ्च । लेकाल । अपूर्ण । वेष्टन सं०१८ । प्राप्ति स्थान दि. जंन मन्दिर, पंचायती दुनी। विशेष । स्वोबक्स दौसा वालों ने प्रतिलिपि की थी । शिवजीतम के शिष्य पं. नेमीचंद के पठनार्थ दूरणी में हीरालाल कोट्यारी ने इसे भेंट स्वरूप प्रदान की थी। पं० हीरालाल लेमीचंद की पुस्तक है । १३३३. प्रति सं० ३३ । पत्रसं० १६ । आः १११ * ५ इञ्च । ले. काल ४ । अपूर्ण । श्रेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, दी । विशेष--प्रति प्राचीन है। अन्तिम पत्र नहीं है। १३३४. प्रति सं० ३४ । पत्रसं० ४५-७६ । प्रा० ११ x ५ च । लेकाल X । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मंदिर अभिनंदन स्वामी, बूंदी, १३३५. प्रतिसं० ३५ । पनसं०६० । प्रा० १२ ४ ५ इञ्च । से०काल सं० १७८८ पौष सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर प्रादिनाथ दी। विशेष-- पं छान राम ने प्रतिलिपि की थी। १३३६. पचनविपंचविशति टीका-४ । पत्र सर १३५ । भा० १२५ x ७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-माचार शास्त्र । र०काल x | लेकाल सं० ११३८ । पुर्ण । बेष्टन सं० १२१५ । प्राप्ति स्थान ---भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर, अजमेर । १३३७. पद्मनंदिपंचविशति टीका--- X । पसं०१२ | प्रा० ११:४५ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-आचार शास्त्र । २० काल x 1 ले०काल ० १७५२ आसोज सुदी १० । पूरी । येष्टन सं० १०२२ । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीम दि० जैन मन्दिर अजमेर । १३३८. पचनन्दिपंचविंशतिका-पत्रसं० २४.५ । आ० ११ x ५ इञ्च । भाषा-- संस्कृत | विषय-प्राचार शास्त्र । र० काल ४ । ले० काच सं० १६७१ प्राषाढ़ बुदी २५ पूर्ण । वेष्टन सं० ११५ । प्राप्ति स्थान —दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बूटी। लेखक प्रशस्ति-संवत् १६७१ वर्षे पाषान बुटी २ बार सोमवासरे हरियाणादेसे पथ-वास्तव्ये अकब्बर सुत जहांगीर जलालदी सलेमसाहिं राजि प्रवर्त्तमाने श्री काष्ठासंघे माथुरान्त्रये पुरस्करगण भट्टारक श्री विजयसेनदेवास्तत्पनै सिद्धान्जलसमुद्रविबेककलाकमलिनी-विकाशनक-दिगामणि भट्टारक नसे नदेवा तस्पट्ट भट्टारक श्री अस्वसेनदेवा तत्पष्टै भट्टारक श्री अनंतकोत्तदेवा तत्प? भट्टारक श्री खेमकीनिदेया सस्पट्टे Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग श्री कलिदेवा मट्टारक श्रीकुमारसेनदेवा त भट्टारक श्री हेमचंद्रदेवा तत्पट्ट श्री पद्मनदिदेवा उत्पट्ट पंचमहाव्रतधारका पंचसमिति- त्रिगुसिगुप्तान् देश-विदेस-विज्ञानमानू पंच-रस-वामी भट्टारक यशः कीति तत्पट्टे निचुडामरि बाबीस- परीसह साहन सीला कमलम लिनगात्रान् चारित्रपात्रान् गिरतीरजात्रा लब्धि - विजयानय-रोपणी भट्टारक श्रीगुणचंद्र तत्पट्ट कुर्देहारहास- काश-संकाश जशोभर घनतरधनसार पूर-पूरित पदेश बह्मांड भी जनमासन उद्धरण परम भट्टारक-सस्य भट्टारक सकलचंद्र तदाम्नायेोकान्वये सिंघलगोत्रे बुल्लारिण स्वरपथ- वास्तव्ये साह पलसी तस्य : मार्या साध्वी चीमाही तस्य पुत्र एतेषां गोद गुणपर्याय बढाएर स्वदान निरंतरायकारी चतुषष्टिकलासुन्दर सुन्दरी किरीटा विहाराट्र राज्ञः समा सुकम-क-कामिनी मनः कांति-कंट-परा-हारिहाराद चौधरी भवानीदास ने पद्मनंदिपचारिका टीका लिया || १३३९, पद्ममदिपंचविशति टोका x 1 पत्रसं० २०७ । आ० ११ x भाषा -- संस्कृत । विषय-धर्म २० काश X। ले० काल X अपूर्ण वेष्टन सं० ७२ स्थान- दि० जैन मंदिर वहा बीसबंधी दीसा । एतेषामध्ये - १३४०. पद्मनंदिपच्चीसो माण- जगतराय । पत्र सं० १०४ । प्र० १० x ५ इव । भाषा - हिन्दी पद्य | विषय - थाचार शास्त्र २० काल सं० १७२२ फागुन सुदी १० । ले० काल नं० १८६१ फागुरा सुदी २ । पूर्ण । नेष्टन सं० २६४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरह पंथी दौसा । ले०फान X पूर्ण । देन १३४१. प्रतिसं० २ । १ ० ११० ग्रा० ११ X १ इन्च सं० प्राप्तिस्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर कसैली | १३४२. प्रतिसं० ३। पत्र सं० १०१ । सुदी १० पूर्ण पेन सं० २७० प्राप्ति स्थान १३४३. प्रति सं० ४ । पत्र [सं०] १३४ | ० ८७ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर सलवर । ५३ इश्व | प्राप्ति די १३४८ प्रतिसं० ५ बुदी १२ । पू । बेष्टन सं० १५६ प्रा० १२६७ इव ते०का सं० १९९२ प्रायोज दि० जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर पत्र०३८३ मा० १४० १३४४. पद्मनंदि पचीसो मावा-मग्नालाल विन्दुका भाषा राजानी (डारी) विषय धर्म (आचारा) १० का ० १९१५ मंगसिर बुदी । पूर्ण वेष्टन सं० १५७४ प्राप्ति स्थान भट्टारकी दि० जैन मंदिरयजमेर। विशेष - प्रति जीणं है । ५] जे० काल १३४५. प्रति सं० २ । पत्रसं० २४६ | आ० १३३ इंच ले०काल सं० १६६१ भावन ख़ुदी २ पूर्ण वेष्टन सं० २ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ० १०३४५ एव । ले० काल - ४ । पुणे । वेष्टन १३४६. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० २५ । आ० १४८ । ले० काल सं० १६५८ सावन बुदी २ । पूष्ट सं० २०९ प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर वर १३४७. प्रतिसं० ४ २८७ ० १२८०काल सं० १९३३ ६। पूर्ण टन सं० ४४ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टॉक) | विशेष - भैरलाल पहाडिया चूरखाने से मंदिरों के पंचों ने लिखवाया था । पन० २८३ । ० ११० इस ले०काल सं० १२३० भाषा प्राप्ति स्थान दि० जंन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] विशेष --पं० मिन नन्दलाल ने चन्द्रापुरी में प्रतिलिपि की थी। चुन्नीलाल रावका की बहु एवं मोतीलाल शाह की बेटी जानकी ने भेंट किया था । १३४६. पद्मनदि पच्चीसी भाषा X । पत्रसं० ४२ । प्रा. ६x४ इच। भाषा-हिन्दी (पद्य। । विषय - धर्म । १० काल x 1 ले. काल x । अपूर्ण । वेष्टनसं० १४७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर राजमहल टोक । १३५०. पद्मनंदि श्रावकाचार--पननन्दि । पत्रसं० १४ । प्रा० १३ x ८ इच। भाषासंस्कृत । विषयमाचार पाास्त्र ! र०काल ४ ले० काल X । पूर्ण । वेन सं० २०९ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर, ... नेर । १३५१. प्रति सं०२। पत्रसं०५८ । प्रा० ११३४४ इच । ले. काल सं० १७१३ भादवा बुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२०६ । प्राप्ति स्थान—भट्टारकीय दि० जैन, मंदिर अजमेर । १३५.२. प्रति सं० ३ । पत्रसं० ५७ । आ०१०१४४ इञ्च 1 ले. काल सं० १८५४ चैत्र बुदी ५। पूर्ण । बेष्टन सं०१४६८ । प्राप्ति स्थान-भ दिए जैन मंदिर, अजमेर । १३५३. प्रति सं०४ । पत्रसं० ११ । आ० ५.४७३ इक । ले. कालx पूर्ण । केष्टन सं० ११० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर मादत्रा (राज.) । १३५४. प्रसि सं० ५। पत्र सं० ५६ | लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बहा पंचायती डोग | १३५५. पुरुषार्थ सिद्धच पाय-अमृतचन्द्राचार्य । पत्रसं० ११ । ग्रा० ६४४३५ । भाषासंस्कृत । विषय-- । काल-X । काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४७२ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष---प्रन्थ का दूसरा नाम 'जिन प्रवचन रहस्यकोष' भी है। १३५६. प्रति सं० २। पत्र सं० २-१५ । प्रा० १२४५६ इञ्च । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०५ | प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष—प्रथम पत्र नहीं है । ८ पथ तक संस्कृत टिप्पणी भी हैं। १३५७. प्रति सं०३। पत्रसं०४६ । था. ११:५४३। ले०काल सं० १८१७ ज्येष्ठ सुदी १५ । वेष्टन सं०१० । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष प्रति नैगामी कृत मस्कृत टीका महित है। १३५८. प्रति सं० ४। पत्र सं०८ । आ० १०३४४ । ले० काल सं० १७४.७ भादवा सुदी १३ । वेष्टन सं० ६११५६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर 1 विशेष द्रव्यपुर पतन में खेमा मनोहर अमर के लिए प्रतिलिपि हुई थी । १३५६. प्रति सं०५। पत्र सं० ४२ । प्रा० १३४६३ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मंदिर से रहपंथी दौसा । १३६०, प्रति सं०६ । पत्रसं० २७ । ले० काल सं. १८८१ मङ्गसिर सूदी ३ पूर्ण । वेष्टन सं० २१८ । प्राप्ति स्थान दि० अन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ मन्थ सूची-पंचम भाग १३६१. प्रति सं०७। पत्रसं० २६ । श्री० १२४५६ इञ्च । ले० कान सं० १७५० । पूर्ण । वेष्टन सं० १५९ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष-कामा में प्रतिसिपि हुई थी। १३६२. प्रति सं०८ । पत्रसं० ११ । ने काल X । पूर्ण । धेष्टन सं० १४५ 1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । १३६३. पुरधार्थ सिद्धय पाय भाषा---महामंडित टोडरमल । पत्रसं० ८६ । ग्रा० १२३४ १३च्च । भाषा---राजस्थानी हूँढारी) गध। विषय-दर्म । २० काल सं० १८२७ । ले. काल सं० १८६५ मङ्गसिर सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५३४ । प्राप्ति स्थान-भः दि जन मन्दिर अजमेर । विशेष--- इस ग्रंथ की अधूरी टीका को पंडित दौलतरामजी कासलीवाल ने संयत १८२७ में पूरा किया था। १३६४. प्रति सं०२। पत्रसं० १२६ । ग्रा० ११३४६ इञ्च । ले. काल सं० १८४८ । पूर्ण । वेष्टनसं० ३४६ । प्राप्ति स्थान-भ• दि० जैन मंदिर अजमेर । १३६५. प्रति सं०३ । परसं० १२७ । धा० १२३४६ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० कः । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलबर । १३६६. प्रति सं०४। पत्र संग ७४ । ० १२ x ६ इञ्च । ले० काल सं० १८६१ । पुरणं । वेष्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर तेरहपंथी दौसा। १३६७. प्रति सं०५। पत्र सं. २१ । आ० १२१४७ । ले० काल-x। अपूर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन छोट। मंदिर बयाना । १३६८, प्रतिसं० ६ । पत्रसं० १०६ । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० १३२ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर (बयाना)। १३६६. प्रतिसं०७। पत्र सं०६९ भा० १२५ ३ इञ्च । लेकाल सं० १६११ माघ सुदी १५ । पूरणं । वेष्टन सं० २२० । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर नागदी, बदी । विशेष- चाकसू में प्रतिलिपि हुई थी। १३७०. प्रति सं० ८ । पत्र सं० १२ । मा० १x६ इञ्च । ले०काल सं० १८६१ । पूर्ण । वेष्टन--सं०७३ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर श्रीमहावीर दी । १३७१. प्रति सं०६ । पत्र सं०८ । आ० १२ x ६५ इञ्च । ले. काल स० १८६४ । पूर्ण । बष्टन संक २६ । प्राप्ति स्यान-दि. जैन तेरहपंथी मंदिर नगवा ।। विशेष श्राह्मण सीताराम नागपुर मध्ये लिपि कृतं ।। १३७२, प्रति सं०१०। पत्र सं०८१ । प्रा० १३ X ७.१ इन्च । ने० काल सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोट्यों का नणवा ।। विशेष-लोचनपुर में भोपतराम जी धागाराम जी ठग ने बलदेव भट्ट से प्रति कराकर कोटयों के मंदिर में भेंट की थी। १३७३. प्रति संख्या ११। पपसं० १२५ । या० ११३४६३ इञ्च बैंकाल x 1पूर्ण । वेधन सं५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर पार्वमाष टोडारायसिंह (टोंक)। Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] १३७४. प्रति सं०१२ । पत्रसं० ८७ । प्रा० १२:४५६ इञ्च । लेकाल सं० १८६२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६.२४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगड कोटा विरोख-ब्राह्मण भोपतराम ने सवाईमाधोपुर में प्रतिलिपि की श्री । यह प्रतिउ गियारा के मंदिर के वास्ते लिखी गयी थी। १३७५, प्रति सं.१३ पत्र सं०-१२८ । पा० १२ x ५३ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०७५ १७० । प्राप्ति स्थान- दि जैन पंचायती मंदिर अलबर । १३७६. प्रति सं०१४ । पत्र सं० १२४ । लेकाल सं० १९२० । पूर्ण । बेष्टन सं० ४८-१७० । प्राप्तिस्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । १३७७. प्रति सं० १५ । पत्र सं० १०४ । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६५-१०४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पंचायती अलवर । १३७८. प्रति सं० १६। पत्र सं० ६६ । ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । १३७६. प्रति स०१७ । पत्रसं० ८ । ले. काल सं० १५७२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । १३८०. प्रति सं० १८ । पत्रसं०७४ । ले. काल सं १८६५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १३८१. प्रति सं० १६ । पत्रसं०८ | प्रा० १२ x ५ इञ्च । ले काल- ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति-स्थान–दि जैन पंचायली मन्दिर कामा । १३५२. प्रति सं०२० । पत्र सं० १३ । प्रा० १२४ ७ इञ्च । ले. काल सं० १८७६ सावरण बुद्दी ५ । पूर्ण । वेष्टम सं० ३४६ । प्राप्ति स्थान दि जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष- -दौलतराम जी ने टीका पूर्ण की थी । जोश्रराज ने प्रतिलिपि कराई थी। १३८३. प्रति सं० २१ । पत्र सं० १२८ । लेखन काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान—दि० जन पंचायती मदिर हेण्डावालों का डीग । विशेष—प्रति जीग है। १३७४. प्रति सं २२ । पत्र सं० १२ । ना० १२ x ८ च । ले० कार सं० १८७८ क्वार सुर्दा २ पुर्ग । वेष्टन सं०२ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । १३८५. प्रति सं० २३ । पत्र सं० १०६ । आ० १२.४५ इञ्च | ले. काल सं० १८६० माघ बुद्दी 5 । पूर्ण । वेपन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर करौली । १३९६. प्रति सं० २४। पत्र सं० १०० | प्रा. ११६ x ८ । ले. काल सं० १६४१ । पूर्ण । बेन सं. ३४...४८ | प्राप्ति, स्थान- दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंधी दौसा । विशेष रतनचंद दीवान की प्रेरणा से दौलतराम ने टीका पूर्व की थी । शिवबक्स ने दौसा में प्रतिलिपि की। प्रस्तक छोटीलाल जी बिसाल ने दौसा के मन्दिर में चढ़ाई। Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग १३८७. प्रति सं० २५। पत्र सं० १५२ । ग्रा० १०.४५ इञ्च । ले. काल सं० १९१८ वैशाख सदी ४ । पूरण । वेष्टन सं० १२ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष--रघनाथ श्राह्मण ने प्रतिलिपि की थी। लाला सुखानन्द की धर्मपत्नी ने अनंतत्रत चतुर्दशी उद्यापन में सं० १९२६ भादवा सुदी १४ को बड़ा मन्दिर में चढ़ाई। . १३८८. प्रति सं० २६. । पत्र सं० १०८। या. १३६ ञ्च । ले० काल सं.-1 पूर्ण । वेष्टन सं. ३५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष - राजमहल मध्ये सा. तेजपाल जी भाई नाराम जी तस्य पुत्र नेमलाल जांति संडेलवाल गोत्र कटारा ने ब्राह्मण सुखलाल से प्रतिलिपि कराकर चन्द्रप्रम चैत्वालय में विराजमान कराया। १३८६. पुरुषार्थसिद्धय पाय भाषा-x। पत्र सं० २। ग्रा० १२४७ इच । भाषाहिन्दी गद्य विषय-- धर्म। र० काल---x | लेकाल सं० १९८१ । पूर्ण । वेष्टन सं०५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर स्वामी दी। विशेष चंदेरी में ( ग्वालियर राज्य ) प्रतिलिपि हुई । प्रति मूला साह केमन्दिर की है। १३६०. दरिकर्म विधि X । पत्र सं० ५३ । मा०१०४५ इञ्च । भाषा -संस्कृत (पा)। विषय. धर्म । र काल-X ।ले०काल X । पूर्ण। वेष्टन सं०१० । प्राप्ति स्थान-अमवाल दि. जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रत्येक पत्र पर १० पंक्ति एवं प्रति पंक्ति में ३४ अक्षर हैं। १३३६. पाण्डवी गीता-x। पत्र सं. ११ । या० ६४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- धर्म । र०कास-..XI ले. काल सं० १६६७ आषाढ़ सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन में० १२० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । १३६२. पुण्यफल--- । पत्र सं. १ । आ० १.३४ ४ इन्ध । भाषा-प्राकृत । विषय . चर्म । र० काल-X । ले. काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबनाना (दी)। १३९३. प्रतिज्ञापत्र । पत्र सं० १ । भाषा- हिन्दी । विषय-प्राचार । र० काल-। ले. काल सं० १८८८ | पुर्गा । वेपन सं० ४८ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १३६४. प्रतिमा बहतरी----यानतराय। पत्रसं०६। ग्रा० १०३४३ च । भाषाहिन्दी । विषय-धर्म । १० काल-X । ले०काल सं० १९०७ । पूर्गा । वेष्टन सं० ४५ | प्राप्ति स्थानदि० जैम छोटा मन्दिर बयाना। १३६५. प्रवज्याभिधान लघुपत्ति-४ | पत्र सं० २ से १० तक । प्रा० ११४५ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय- ग्रामार शास्त्र । २० काल-४ । लेकाल सं० १५८१ पासोज मुदी १३ । अपूर्ण । बटन सं० २११ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । १३६५. प्रश्नमाला भाषा-x। पत्र सं० २०। आ०१३-६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय - धर्म। र०काल-x। लेकाल सं० १९०७ पौष बुदी १२। पुर्ण । वेष्टन सं५ । प्राप्ति स्थाल–दि. जैन छोटा मंदिर बयाना विशेष-ला तेजराम से नथ की प्रतिलिपि करवायी थी। Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्रचार शास्त्र ] [ १३७ १३६७. प्रश्नमाला - X | पत्र सं०३८ । प्रा० ११३६३ इन्च भाषा - हिन्दी । विषयधर्म | २० काल - X | ले० काल - x । पुष्ट सं० ५३ प्राप्ति स्थान- दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना | विशेष -- सुदृष्टित र गली में से पाठ संग्रह किया गया है । १३६८. प्रश्नोत्तर मालिका - x । पत्र स० ४२ । आ० ६९५ इञ्च । भाषा – संस्कृत | विषय-धर्म | काल - x । ०काल सं० १८६० । पूर्ण न ० ५८ ३६ प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूगरपुर । प्रशस्ति- मंत्रत् १८६० वर्षे शाके १७५५ प्रवर्त्तमाने उत्तरगीले उत्तरायनगत सुर्य ग्रोप्म दिन महामंगल्य प्रवेशे मासोत्तममागे ज्येष्ठ मासे कृष्ण पक्ष तिथी २ रविवासरे उगर मध्ये ( कुशलगढ़) आदिनाथ त्यालये मंडाला श्री रामकीति जी लिखितं मम प्रश्नोत्तर मालिका सम्पूर्ण । १३६६. प्रश्नोत्तर रत्नमाला वृत्ति - प्राचार्य देवेन्द्र | पत्र सं० १४३०१० X ४ इश्व | भाषा संस्कृत विषय - प्रावार शास्त्र । २० काल X | ले० काल X | अपूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर प्रादिनाथ बूंदी | विशेष - प्रति प्राचीन एवं संस्कृत टीका सहित है । १४३ से भागे पत्र नहीं है । इत्याचार्य श्री देवेन्द्र विरचितायां प्रश्नोत्तर रत्नमाला वृत्ती परधनामधारणायां नागदत्ता कथा । १४०० प्रति सं० २ । वेष्टन २०५६ । प्रतिस्थान -- १४०३. प्रति सं० २ । सुदी । पू । वेष्टन सं० १२६५ ㄞ ०१४-१५१ | ०९४३ इव । ले० काल x | अपूर्ण । जैन मन्दिर आदिनाथ बूंदी | १४०१. प्रश्नोत्तर रस्तमाला - X ३ पत्र सं० १६ । ० ६३५ इव । भाषा - हिन्दी पद्म विषय - प्राचार शास्त्र । र० काल x । ले०काल सं० २०७१ । पूर्ण वेष्टन सं० ४३७- १६४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर, कोटडियों का डूंगरपुर । १४०२ प्रश्नोत्तर श्रावकाचार भ. सकलकोसि । पत्रसं० २०६ | आ० ११४५ इश्व । भाषा-संस्कृत विषय - आचार शास्त्र । ९० काल X | ० काल मं० १७०० फागुरम सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३३६ | प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष-ले० काल के अतिरिक्त निम्न प्रकार और लिखा है- सं० १००१ माह सुदी १४ को अजमेर में उक्त ग्रंथ को प्रतिलिपि हुई । सं० ११५ ॥ श्र० ६ ५ इव । ले० काल सं० १८४० आषाढ प्राप्ति स्थान - ४० दि० जैन मन्दिर अजमेर | १४०४. प्रति सं० ३ । १२०५ | प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। पत्रसं०] १५१ | लेकाल सं० १६६५ माघ सुदी ३ । पूर्ण । श्रुतसं० १४०५. प्रति सं० ४ । पत्रसं०] १३२ । ० १०३ X ४ । से० काल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं १०५४ । प्राप्ति स्थान भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | १४०६ । प्रति सं० ५ । पत्र सं० ६५ ले काल सं० १५५२ भादवा सुदी ११ भौम दिने । पूर्ण 1 टन सं० ६६० । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष – श्री मूलसंघे लिखितं नानू भोजराजा सूत । Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्ध सूची पंचम भाग १४०७. अति सं०६। पत्र सं०७३ । ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं०७४७ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मन्दिर अजमेर । १४०८. प्रति सं०७। पत्र सं०७२ । आ० १२४५ इन्च । ले०काल सं० १५५३ धावण बुदी। पूर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । प्रशस्ति-राउल गलदास विजयराज्य २१५३३ ६६ भादा मामा सामे मिस्रे श्री प्रादिनाथ चैत्यालय श्री मूलसंचे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे भट्टारक श्री ज्ञानमूषरा आचार्य थी रतन कीर्ति हुंघरजातीय नोट साकार माई रुपिाली सुत साइना भायों सहिजलदे एते धर्मप्रश्नोत्तर पुस्तकं लिखायितं । मुनि श्री माधनंदि दत्तं । १४०६, अतिसं०२। पर सं० १२४ । लेकाल XI पूर्ण । वेष्टन सं० १७२ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर, अजमेर । १४१०. प्रतिसं०३ । पत्र सं० १६४ । प्रा०३-४ इक्ष । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ३१ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । १४११. प्रति सं०४। पत्र सं०-१६। या१२-५२ इन्च । ले. काल x | अपूर्ण । वेष्टन १०–१४१७ । प्राप्ति स्थान – भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । १४१२. प्रति सं०५ । पत्रसं० १६ । प्रा० १०३.४ ४१ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण । वेधन सं०-१२६३ । प्राप्ति स्थान ---भट्रारकीय दि० जन मन्दिर अजमेर । १४१३. प्रतिसं०६ । पत्र सं० ५४ । प्रा०१५ इश्च । ले. काल-सं० १८६५ फागुण वुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं०...११८६ । प्राप्ति स्थान... भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । १४१४. प्रतिसं०७। पत्रस० १६०। प्रा० १२१४४३ इञ्च । विषय-प्राचार शास्त्र । र०कास ४ । ले०काल सं० १५१३ फागुन बुदी ११ । पुरंग । होटन स.७.१० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर सौगाणियों का करौली । विशेष---साहिबराम सौगाशी ने करौली में प्रतिलिपि की थी। १४१५. प्रतिसं० ८। पत्र सं. १३२ । आ ..x४६न । ले. काल सं० १६१४ पौष सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०८ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बुदी । प्रशस्ति संक्च १६६४ वर्षे पौंष मुदी १४ लिथी बुघवासरे मृगरिरनक्षत्रे महाराजाधिराज श्री मावसिंह जी राज्ये वोटा नगरे श्री महावीरचैत्यालये श्री मूलसंधे नाम्नाये बलात्का रंगसो सरस्वती गतः कुन्दकुन्दान्वये मट्टारक थी प्रभाचंददेबा तत्पट्टे भ० श्रीचंदकीभिदेवा तत्पभ. श्री देक्षेन्द्रकोनि देवा तत्पः भट्टारकेन्द्र मदारक श्री नरेन्द्रकीति तदाम्नाय खटलवालान्वये सौगागी गोत्र साह थी सांगा तद्भार्य दु... ... ऐलषां मध्ये साम्यवादालतगात्र-शांतिकांति-सौजन्ये दार्यवीर्यादिमुगालिभूषित साहनी नांदा तस्व भार्या चतुर्विध .. .... | १४१६. प्रति सं पत्रसं० ११ । प्रा० १२४ ५ इञ्च । लेकाल २०१७३२ । पूर्ण । वेष्टन स० २१ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष प्रवादिचन्द्र के पठनार्थ लिखा गया था। Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं श्ररचार शास्त्र [ १३६ १४१७. प्रतिसं० १० । पत्रसं० ८८ | ओ० ११४५ ३ । ले० काल- ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) । विशेष- चतुर्थ परिच्छेद तक हैं । १४१८. प्रति सं० ११ पत्रसं० १३४ १ ० १२५३४ । ले०काल संख्या १८५७ माघ बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४ । प्राप्तिस्थान- भ० दि० जैन मन्दिर पंचायती दूसणी (टोंक) । विशेष - श्री सन्तोषराम जी स्योजीराम जी ने पंडित सीताराम से प्रतिलिपि कराई थी । १४१६. प्रतिसं० १२ । पत्र सं० १०१ । आ० ११३ X ८ इश्व । ले० काल सं० १५२७ । पूर्ण । वे० सं० १४ । विशेष – प्रशस्ति निम्न प्रकार है स्वस्ति संवत् १५३७ वर्षे द्वितीय चैतमा शुक्लपक्षे द्वितीयादिने रविवासरे अह घिनोई दुर्गे श्री चन्द्रभयालये श्री मूलमंधे श्रीसरस्वतीगच्छे श्रीबलात्कार श्री कुन्दकुन्दाचार्यन्वये भट्टारक श्री पद्मनंदिदेवास्तप श्री देवेंद्रकीतितास्तत्पट्टे भ० विजानन्दिवेवास्तपट्टे म० श्री मल्लभूषणा देवास्तपट्टे भ० श्री लक्ष्मीचन्द्रदेवास्तपट्टे भ० श्री वीरचन्द्रदेवास्तत्पट्टे श्री भट्टारक श्री ज्ञानभूषणदेवाभ्य नमोस्तु । मुमुक्षुणा सुमतिकीर्तिना कम भयार्थ आवकाचारो प्रमोलिखितः सं० २६८० ॥ ले० काल सं० १९७५२ बैशाख १४२०. प्रति सं १३ । पत्र २० ११६ | आ० १०९४३ इस । बुद५ । पूर्ण वेष्टन सं० २० प्राप्ति स्थान - वि० जैन मंदिर दबलाना बूंदी। विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है. सं १७५२ वर्ष वैशाल बुदी ५ सोमवासरे श्री मूलसंधे सरस्वती गच्छे बलात्कार श्री कुंदकुंदाचार्यात्वमे भट्टारक श्री रत्ननन्द तत्पट्ट अट्टारक श्री हर्षचन्द्र लट्टे भट्टारक श्री शुभचन्द्र त सकलताकियूडामणी भट्टारक श्री अमरचन्द्र विजय राज्ये तदाम्नाये ब्रह्मचारी श्री नागराज तच्छिष्य रत्नजी विनयावनत पंडित शिरोमणीनां प्रश्नोत्तरनामा श्रावकाचारिय ग्रंथ स्वहस्तेन लिखितमस्ति श्री मद्यानपत्तने श्रीमज्जीर्णप्रामादे ग्रादिनाथ चैत्यालये तत्रस्थित्वा लिखितायं ग्रंथ १४२१. प्रति सं० १४ । पत्र सं० २१ । आ० १२४६ | ले० काल सं० १६१० पूर्णा । वेष्टन सं० १२० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर बोरसली (कोटा) । विशेव-प्रशस्ति संवत् १६५० समयं वैशाख बुझे ची ४ लिग्वायित पुस्तक जयगा पांडे श्रावक लिखतं खेमकरण सुत दुर्गादाम मुकाम हाजिपुर नगरे मध्य देवहरा सुभय । १४२२. प्रति सं० १५ । पत्र सं० १७० ग्रा० ११४५ हश्व । ०काल सं० १६११ । । वेन सं० १४९ । प्राप्ति स्थान- वि० जैन मन्दिर बोरसल. कोटा । विशेष – पंडित श्री भार्गववास के शिष्य नवनिधिराम नागरचाल देश में महाराज सरदारसिंह जी के शासनकाल में नगरग्राम में ऋतुविशति तीर्थंकर चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। १४२३. प्रति सं० १६ । पत्र स० १३० । ले० काल १-३२ । यासाउ ख़ुदी ४ पूर्ण न सं० २०७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १४२४. प्रति सं० १७ पत्र [सं०] १२७ । ले० काल सं० ४ । । वन सं० २१७ १ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४० ] १४२५. प्रतिसं० १८ पत्र संख्या ११६ लेखन काल X पू वेष्टन सं० २१७ । प्राप्ति स्थान दिन पंचायती मन्दिर भग्तपुर । । १४२६. प्रति सं. १६ । पत्र सं० १०८ ० ११४४ इस ले० कान - X पुर्ण । | । ले०कालव०सं० २६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवाजी कामा । १४२७. प्रति सं. २० पत्र सं० १४० । प्रा० ११५७ दश्च । बुदी ६ । पूर्ण वे. सं० २१६ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दोबानजी कामा । [ पन्थ सूबो पंचम भाग .. १२२६. प्रति सं० २१ पत्र सं० ०१ ० १२ २ ० काल सं० १६६२ भाद्रपद | पूर्ण । ० सं० २४७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) | १४२६. प्रति सं० २२३ पत्रसं० ८ । वेष्टन सं० ६६ प्राप्ति स्थान दि० जेन खण्डेलवाल १४३०. प्रतिसं० २३ ० १४८ वेष्टन सं० २५६-५०१ प्राप्ति स्थान - दि० जैन सम्भवनाथ मन्दिर भरतपुर । विशेष दो प्रतियों का मिश्ररण है। प्रति प्राचीन है। - - ले० काल सं० १८३६ माह ० ११४३०कान सं० १७०८ पूर्ण मन्दिर उदयपुर । ० १२ x ४ इञ्च ले०काल X अपूर्ण १४३१. प्रति सं २४ 1 पत्र सं० २१४ | ० ११X५ इव । ले० काल X 1 अपूर्ण । वे० सं० २३६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । - १४३२. प्रति सं० २५ । पत्र सं० ८३ - १५७ । ग्रा० १२ x ५३ इञ्च । लेखन काल सं १९०३ पौष सुदी १० | अपूर्ण वे० सं० ७४६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष- अलवरगढ़ महादुर्ग में सममाह के राज्य में प्रतिलिपि हुई थी प्र'च लिखवाने वाले की विस्तृत प्रशस्ति दी है। । १४३३. प्रति सं. २६ पत्र सं० १६७० ११३६ ० कान अपूर्ण ० सं० ७४७ प्राप्ति स्थान दि० न मन्दिर लश्कर, जयपुर । १४३४. प्रति सं० २७ पत्र० ६७ प्रा० ११७३ इञ्च । ले०काल सं० १८८२ मंगसिर सुदी १२ टन सं०-११७। प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष - किशनगढ़ निवासी महात्मा राधाकृष्ण ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। १४३५. प्रति सं० २८ प ० ४२० १२५३ ० ० १०१६ । फाल्गु बुदी ८० १४४ । प्राप्ति स्थान - शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर लकर, जयपुर । विशेष – सवाई जयपुर में व्यास गुमानीराम ने प्रतिलिपि की थो । १४३६. प्रति सं० २६ । पत्र ० ६० प्रा० १२३ x ५ ख से० काल X 1 पूर्ण वेन सं० १३१ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान (बूंदी)। १४३७. प्रति सं० ३० । पत्र सं० ६७ । प्रा० १०५ ४ ४३ इव । ले० काल NI पूवेन सं० ५६ प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर । विशेष – प्रति प्राचीन है। Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एव प्राचार शास्त्र ] [ १४१ १४३८. प्रति सं० ३१ । पत्र सं०६५। ले० काल ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६० । प्राप्ति स्थान · दि० जन अग्रवाल परिदर उदयपुर। विशेष-प्रति प्राचीन है। १४३६. प्रति सं० ३२ । पत्र सं०५६ । प्रा० ११४४६ इश्च । ले० काल सं० १६६४ पूर्ण । वेष्टन सं० ११६-५७ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । प्रशस्ति ..संवत् १६६४ वर्षे ज्येष्ठ मासे शुक्ल पक्षे १५ रचौ लिखितं न ० बाटाकरसी तत् शीष्य आचार्य श्री अमरेचन्द्र क्रीति " " | १४४०. प्रश्नोत्तरावकाचार भाषा धनिका- पथ सं० ८६ । प्रा० १४८६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी (गद्य) यि -आचार शास्त्र । २० काल X । लः काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। १४४१. प्रश्नोसर श्रावकाचार भाषा बच्चनिका-४। पत्र सं० ५४ । प्रा०१०३४४ इश्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय -आचार शास्त्र । र० काल । लेकाल-x। पूर्ण । वेष्टन सं. १६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर, फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । १४४२. प्रायश्चित ग्रंथ x 1 पत्र सं०३२। ग्रा6X४ इञ्च । भाश-प्राकृत-हिन्दी गद्य । विषय-ग्राबार शास्त्र । २० काल x | ले. काल मं० १६०४ माथ बुदीं । पूर्स । वेष्टन सं०३०। प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर नागदी व दी। १४४३. प्रायश्चित ग्रंथ ---XI पत्र सं० ३० । प्रा०६x४ इञ्च । माषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय... प्राचार शास्त्र । १७ काल ४ ।ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी दी। विशेष – झालरापाटनः के संभवनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। १४४४. प्रायश्चित शास्त्र—मुनि वीरसेन । पत्र मं० १८ : मा० ११४५३ । भाशसंस्कृत । विषय-आचार शास्त्र । २० काल x | ले० काल सं०१९०४ द्वितीय ज्येष्ठ शुक्ला १५ । पूर्ण । वेश्चन मं० १३० । प्राप्तिस्थान --दि जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष-गथ समाप्ति के बाद लिम्बा हुआ अंशतळव्याकरणे जिनेन्द्रवचने प्रख्यालमान्यो गुरू: । श्रीमलक्षणसेनपंडितमतिः श्री गौरसेनदभवः ।। सिद्धान्त जनि पदगुरुः सुविदितः श्री कीरसेनो मुनिः । रेतदचितं विशोयमखिलं श्री वीरसेनाभिधैः ।। सम्बत् १६०४ वर्षे ज्येष्ठ द्वितीय शुक्ल १५ सोमवारे । १४४३. प्रायश्चितशास्त्र—प्रकलकदेव। पत्र सं०६। प्रा० ११४४ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय - श्राचार । र० काल X| लेकाल सं० १४४८ फागुण सुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं. ११४१ । प्राप्तिस्थान-भट्टारकीय दि जैन भण्डार अजमेर । १४४६. प्रति सं० २।. पत्र म०७। प्रा० ३४५३ञ्च । ले. काल 1 पूर्ण । बेन सं. १६८ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ दी। Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२ } [ प सूची-पंच भाग १४४७. प्रति सं० ३ पत्र सं० १६ प्रा० ४५ इव । ले० काम X न सं० प्राप्तिस्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी १४४८. प्रतिसं० ४ । पत्र सं ० ८ । श्रा० ६३x४६ इश्व । ले० काल मं० १८८५ । पूर्ण । वेटन मं० ३ प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर दवलामा बूंदी। विशेष-सं० १६६५ लिपि कृतं पं० रतिरामेण श्री चन्द्रप्रभात्यालये । I १४४८. प्रायश्चित समुच्चय वृत्ति-नन्दिगुरु पत्र सं०] ५२ । ० १२४६ इन्च भाषा| | । ले० । संस्कृत विषय श्राचारशास्त्र का X ले०का सं० १५६४ पूर्ण वेष्टन मं० २०८ प्राप्ति स्थान- दि० जैन वाल मन्दिर उदयपुर | १४५०. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५४ । झा० १०३ X ५ एश्च । से० काल वेशन मं० ४७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लस्कर, जयपुर । | सं X प ० ६३ । X | ले० काल X 1 १४५१. बाईस प्रभव्य वर्णन हिन्दी | विषय - प्राचार शास्त्र । २० काल स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । १४५२. बाईस परीषह सुधरदास विषय धर्म १० काल x से० काल X छोटा मन्दिर अवाना | मा० १०३ पूर्ण अन्तिम भाग - १४५३. बालप्रबोध त्रिशतिका मोतीलाल पन्नालाल । पत्र [सं० हिन्दी | विषय - धर्म । ९० काल सं० १९७७ । ले ०काल x । पूर्ण वेष्टन सं० ६५ दि० जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । पत्र सं० २-१४ ० ६x४ भाषा - हिन्दी वेटन सं० ५५ प्राप्ति स्थान दि० जैन च मन दुख दूर कर शिवसुरां नरा सकल दुखदाय 1 हरा फर्म अष्टक परि ते मिश्र सदा सहाय ॥ त्रिभुवन सिक जिलोक पति विगुणात्मक फलदाय] ॥ त्रिभुवन फिर तिरकाल से तीर तिहारे बाप ॥२॥ x । श्रपूर्णं । भाषा७ ३ इ न सं० ६७ । प्राप्ति १४५४. बुद्धिप्रकाश - टेकचंद | पत्र सं० ६४ । प्रा० १३३ X ९ इश्व | भाषा - हिन्दी पंच 1 विषय-धर्म र काल ०१०२६ ज्येष्ठ खुदी ८०० १२०० फाल्गुण सुदी १० पूर्ण वेष्टन सं०] १३४ । प्राप्ति स्थान दि०जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) 1 प्रादिभाग संमत अष्टादश सत जोय, और छबीस मिलायो सोय । मास जेठ यदि आसार, च समापत को रि ॥२२॥ या पंच के बवचार विधि पूरय बुद्धि होष | बंद डाल जाने घनी समुझे दुधजन जो ॥२३॥ ताते मो निज हित नहीं, सौ यह सीख सनाय । बुधि प्रकास सुध्याय के बाई धर्म सुभाव ||२४ भाषा ६५ । प्राप्ति स्थान Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १४.३ पड़ो सुनी सीखो सफल, बुध प्रकास कहंस । ता फल शिख अघ नासिक टेक लहो शिवसंत ॥२५॥ इति श्री बुधप्रकाश नाम नथ संपूर्ण । पंडित कृपाराम चौबे ने प्रतिलिपि की थी। विवित्र धर्म सम्बन्धी विषयों का सुन्दर वर्णन है । २४५५. प्रति सं० २ । पन मं० ११५ । प्रा० १२३४६ इञ्च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४५ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर प्रादिनाथ बदी। विशेष—प्रथम यह इन्दौर में लिखा गया फिर भाउल में इसे पूरा किया गया । १४५६. बुद्धिवि. -बस्तराम । पत्र सं० १०१ । मा० १०३४५ इञ्च । भाषा-हिदी पच्छ । विषय-धर्म । १० काल सं० :२७ । ले० काले सं० १८६६ कातिक सृदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १२११०१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा ।। विशेष—इममें जयपुर नगर का ऐतिहासिक वर्णन भी है। १४५७. ब्रह्मवावनी-निहालचन्द । पत्र सं० ४ । भाषा--हिन्दी। विषय-धर्म । २० काल सं० १८०१ । ले० काल X । पुणे । वेष्टन सं०७१२ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष—मकसूदाबाद (बंगाल) में ग्रंथ रचा गया था। १४५९. प्रश्नोत्तरोपासकाचार-बुलाकीदास । पत्रसं० ११६ । प्रा० ११३ ४ ५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय--प्राचार शास्त्र । र० काल सं० १७४७ वैशाख सुदी २ । ले• कान सं० १८०३ माघ मुदी ७ । पुर्ण । वेष्टन स. २० । प्राप्ति स्थान--- भट्टारकीय दि० जैन शास्त्र भंडार अजमेर। १४५६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १६२ । ने• काल सं० १८५६ भादों सुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष—प्रति दीवान जोधराज कासलीवाल ने लिखवाई थी। १४६०. प्रति सं० ३ । पत्रसं० १४२ । से० काल सं० १८१३ आसोज वदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-निहालचन्द जी द्वारा लिखी गयी थी। १४६१. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० १२४ । प्रा० ११x६ इञ्च । से. काल सं० १८८८ कार्तिक वदी ८ 1 पूर्गा । वेष्टन सं०६४ । प्राप्ति स्थान –दि जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर प्रलवर । १४६२. प्रति सं०५ । पत्र सं० १२१ । लेखन काल सं० १८१३ पौष वदी ५ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन पंचायती मन्दिर पडावालों का डीग । १४६३. प्रति सं०६। पत्र सं० ११६ | ले. काल स. १८२७ । पूर्ण । वेष्टन स ४८ | प्रास्ति स्थान - दि० जन मन्दिर तेरहपंथी असवा । १४६४. प्रति सं०७ । पप सं० ११८ । प्रा० १०४५३ इञ्च । ले. काल में०.१८५७ आषाद सुदी १४ । पूर्ण । के० सं०१३-६० । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर, तेरहपंथी दौसा। Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग विशेष चिमनराय नेरापंथी ने इसकी प्रतिलिपि की तथा दौलतराम तेरापंथी ने इसे दौसा के मन्दिर में चढ़ाया था । १४६५. प्रति सं० ८ पत्र सं० १२६ । ले०काल सं० १७६१ कासिफ मुदी ३ । पू । वेष्टन सं० ४२-१५६ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर, अलवर | 1 १४६६. प्रतिसं० 8 । पत्र मं० १६१ । ले० काल सं० १८८५ पौष ख़ुदी १४ । । वेष्टन सं० ४३-१५९ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर अनवर । १४६७. प्रति सं० १० । पत्र सं० १४२ । ० २३६ इस ले० काल सं० १८०० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) । यंत सुदी १ पूर्ण । वेष्टन सं० १० १४६. प्रति सं० । अपूर्ण । वे० सं० १६६ । प्राप्ति स्थान ११ पत्र सं० १-५७ । श्र०-११३४५३ इश्व । ले० काल × । दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) 1 १४६६. प्रति सं० १२ पत्र मं० १२१ ० १२५ इस ६० सं० १४६ - ६ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) | विशेष-मालपुरा में शिवलाल ने लिपि की थी। सं० १६३६ में नंदलाल गोधा की बहू ने टांडा के मन्दिर में चढ़ाया था । । | । १४७० प्रति सं० १३ पत्र ० १२७ ० १०३ ४ ३ ३ इच। ले० काल सं० १५५० ॥ पुंर्णं । वे० सं० ३६६ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ददलाना (बून्दी ) - | १४७४. प्रति सं० १७ वैशाख सुदी ५ पूर्ण वेटन मं० ३३ १४७१. प्रति स० १४ । पत्र सं० १०६ । या० १२४६ इव । ले० काल । | ० सं० ३१६- ११६ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डुंगरपुर । I १४७२. प्रतिसं० १५० १५३ ० ११२५ इले० काल सं० १८२७ । । पूर्ण [न] [सं०] [२००-८१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर | १४७३. प्रतिसं० १६ । सुदी १। पू । वेष्टन सं० ४०-२७ १४७५. प्रति सं० १८ । बुदी १ पूर्ण वेष्टन सं० १०२ पत्रसं० २६ प्राप्ति स्थान का X पत्रसं० १३५ । प्राप्ति स्थान ० ० ११४७ ०कास सं १८२३ धावा दि० जैन मन्दिर भादवा (राज.) प्र० x ६ई इव । ले-काल सं० १७५५ दि० जैन मंदिर दीवान पेवनदास पुरानी दोग सं० १३६ । आ० १२ X ५ इव । ले० काल सं प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना | १७८४ १४७६. प्रतिसं० १६ । पत्रसं० ६७ । से० काल सं० १८७६ । पूर्ण । बेष्टन सं० २४८ ॥ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष - जी- पानी में भीग हुऐ पत्र हैं । १४७७. प्रति सं० २०० १४४ प्रा० १२X४] इव । ०काल मं० १७०२ पौष कुदी १० । पूष्टन सं० ४०३ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । १४७८ प्रतिसं० २१ पत्र सं० १२४ ० १२५ इन्द्र ले० काल सं० १६१० पूर्ण वेष्टन सं० ४६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) । Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १४५ विशेष - पं० गोविन्दराम ने प्रतिलिपि की थी । १४७६. प्रति सं० २२ । पत्रसं० १४१ । प्रा० १२ X ५ इव । ले० काल सं० १५४१ प air १२ । पू । न सं० २६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटयों का नैवा । विशेष—कोटयों के देहरा में व्रजवासी के पठनार्थं पंडित अखराम ने प्रतिलिपि की थी। १४८० प्रति सं० २३ । पत्रसं० ८० ॥ श्र० ११३ X ६ इ । ले०काल -- सं० ११० १ पूर्ण वेष्टन सं० १९ । प्राप्तिस्थान- दि० जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) । १४८१. भगवतीयाराधना- शिवार्य । पत्रसं० ११ । प्रा० ११X५ प्राकृत | विषय - आचार शास्त्र । २० काल X 1 ले० कास x | पूर्णं । वेष्टनसं० १२३ भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | इञ्च । भाषाप्राप्ति स्थान - १४८२ प्रतिसं० २ । पत्र सं० १२३ ॥ श्र० १२३४५३ इव । ले०काल सं० १७३२ चैत्र सुदी १ | वेधून मं० ५७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर 1 विशेष – मालपुरा में राजा रामसिंह के शासन काल में प्रतिलिपि हुई थी । ८। १४०३. प्रतिसं० ३ पत्र सं० ६५ । २० काल x । ले० काल सं० १५११ वैशाख सुदी पूर्ण बेनसं० २४ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर डीग । प्रशस्ति- संवत् १५११ वर्षे वैशाख वदि ७ गुरौ पुष्यनक्षत्रे सकलराज - शिरोमुकुट माणिक्य मरीचि पं० अरीकृत चरणकमलपादपीठस्य श्री राणा कुंभकर्ण सकल साम्राज्य-धुरी विभ्राणस्व समये श्री मंडलगढ शुभस्थाने ग्रादिनाथ वैत्यालये । १४८४. भगवती प्राराधना टोका । पत्र सं० २०८ ० १२१४६ इन्च भाषा - प्राकृतसंस्कृत विषय आचार । २० काल X 1 ले० काल सं० १९३२ मंगसिर सुदी । पूर्ण वेधन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान - महारकीय दिर जैन मन्दिर अजमेर | विशेष- प्रति टच्या टीका सहित है । - १४८५. भगवती प्राराधना टीका । पत्र [सं० २८१ । ग्रा० ११X५ इव । भाषा प्राकृत संस्कृत | विषय - आचार । र०काल X | लेकाल X | वेष्टन सं० १५४६ | प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर | विशेष- प्रति दव्वा टीका सहित है। सं० १६११ में यह प्रति तेठ जुहारमल जी सोनी के घर से घड़ाई गई थी । १४८६. भगवती श्राराधना (विजयोदया टीका) पराजित सूरि । पत्र संख्या ११८ से ५१४ | आ० ११ X ४ इव । भाषा-संस्कृत विषय- श्राचार। र०कास x । लेखन काल ×। अपूर्ण । वेष्टन सं० ४३८ प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । १४८७ प्रतिसं० २ । पत्रसं० ५१४ । ले० काल सं० १७९४ भादों वदी ६ । पूर्ण वेन सं० २०६ । प्राप्ति स्थान दि० जंत पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष – जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी । १४८८ प्रतिसं० ३ | पन्नसं० ३३३ । ग्रा० १२ × ६३ इञ्च । ले० काल सं० १८६४ चैत्र बुदी ७ | वेष्टन सं० ३० । प्राप्ति स्थान - शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष—महात्मा शंभुराम ने अयपुर में प्रति लपि की थी। १४८९. प्रतिसं०४। पत्रसं० २४ । ०.१४६ इ । ले०काल सं० १७८६ कार्तिक बुदी १ । पुर्ण । वेष्टन सं० १७५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । १४६०. भगवती पाराधना टीका-नन्दिमणि । पत्रसं० ४३८ । प्रा० १०.४७ इञ्च । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय-प्राचार शास्त्र । २. काल । लेकाल पूर्ण । वेपन सं०६४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० अन शास्त्र मन्दिर. अजमेर । १४६१. प्रति सं०२। पत्र सं० ३० । प्रा. ११४७ इन्च । लेकाल सं० १९८८ । पूर्ण । बंटन सं० ११३-७५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष—पं० शिवजीराम की दूणी के चैत्यालय की प्रति है। १४६२. प्रति सं०३ । पत्र सं० ६५२ । ग्रा० ११ x ५, इच। र०कास x | ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०५४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर दीवानजी कामा। १४६३. भगवती पाराधना भाषा-पं. सदासुख कासलीवाल । पत्र सं० १५८. ४.४७ । प्रा. १२:४७छ । भाषा-राजस्थानी (दहारी) गद्य । विषय-प्राचार । १० काल सं० १६०८ भादवा सुदी २ । ले०काल-सं० १९६१ कार्तिक बुदी १० । अपूरणं । वेष्टन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर। १४६४, प्रतिसं० २ । पत्रसं० ५२४ । प्रा० १४४.१ इन्च । ले बाल सं० १६६३ भादवा बुदी 55 । पूर्ण । येष्टन सं० ४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष—परमादोलाल गजाधरलाल 'पद्मावती पोरवाल ने सिकन्द्रा (आगरा) में प्रतिलिपि करवाई थी। १४६५. प्रतिसं०३ । पप्रसंक ४४८ । गा० ११५५ इञ्च । ले० काल में० १९१४ मङ्गसिर बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २/७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा (राज) १४६६. प्रति सं० ४। पत्र सं० २८३ से ६८१ । आ७ ११४१ इञ्च । ले. काल सं० १९१०। पापाद सुदी १४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर करौली । १४६७. अतिसं० ५। पथ सं०६४६ । प्रा० १०.४४ इञ्च । ले. काल सं०१६१० मझीसर बुदी १० । पूर्ग । वेपन सं. ७६ । प्राप्ति स्थान दि जैन छोरा मंदिर बयाना। १४६८. प्रति सं०६। पनसं०:०१-६७३ । ल कान १६१११ पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान... दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेन-जगपुर में लिखवाकर अन्य भरतपुर के मन्दिर में भंट किया गया । १४९९. अतिसं०७। पत्र सं० ५०० । प्रा०३४८ इच। लेकाल में. ११२७ । नेष्टलसं. ६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन गन्दिर, अलवर । १५०० प्रति सं०८। म सं० ६०० । था. १८: इम्य। 10 नाल १६१० । पूगां । यान स. १६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पसायता मंदिर पर । Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १४७ १५०१. प्रतिसं०६ । पत्र सं० ५१६ 1 आ० ११ x ५ इञ्च । ले० काल सं० १९१० । पूर्ण । वेष्टन सं० १४ १० ।प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) १५०२. प्रतिसं० १० । पत्र सं० ४६० । आ० १३४६ इञ्च । ले. काल सं० १६१२ । पूर्ण । वेष्ट सं० ४४ 1 प्रादि स्थान-दि० जैन मंदिर कोट्यों का नैणवा । ०६. प्रदि० 13. ६ । प्रा० ११३ ४ ४३ इन्च । ले०काल X । पूर्ण । येष्टन सं० ११० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर श्रीमहावीर दी। १५०४. प्रति सं० १२१ पत्र सं० ४२० । प्रा० १२३४७ इञ्च । ले०काल सं० १६३० मङ्गिसर. बुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर अयाना । विशेष । बया के पंच धावकों ने मिश्र गनेश महुआ वाले से प्रतिलिपि करायी थी। १५०५. प्रति सं० १३ । पत्र सं० ३०१ । ग्रा: १.१४७१ इन्च । ले०कास ४ । अपूर्ण । बेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर वयाना । १५०६. प्रति सं० १४ । पत्र सं० ४६५ । मा १२३४६ इञ्च । से काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं ४६-२८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का डूंगरपुर । १५०७. प्रति सं० १५ । पत्र सं० ४२४ । भा० १३४८ इञ्च । ले०काल 1 पूर्ण । बेष्टन सं० ८४ । प्राप्ति स्थान---दिस जन मंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । १५०८. प्रति सं० १६ । पत्र सं० २८२ । प्रा० ११४८ इञ्च । ले० काल: । पूर्ण । वेष्टन सं. १४ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर कसैली । १५०६. भाबाहु संहिता --भद्रबाहु । पत्र ७०। प्रा०८१४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषम'---याचार शास्त्र । ९. पाल x 1ले. काल-बीर निवारण सं० २४४६ । पूर्ण । देशन ५६/३५ । प्राप्ति स्थान वि० जैन मन्दिर भादवा (राज.) विशेष - फलानन्द बह जात्या ने प्रतिलिपि की थी। १५१०, प्रति स० २ । पत्र सं० २०-३२ । मा० १०१४४ इश्व । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन ०६:९ । प्राप्तिस्थान -दि. जैन मन्दिर भादवा (राजस्थान) १५११. भावदीपक भाषा-- X । 'पत्र सं० ५४ । प्रा० १३५६ इन्च । भाषा हिन्दी गद्य । विषय-धर्म । २.० काल ४ | वाल x | अपूर्ण । बेभ सं० २३१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। १५१२. भाव प्रदीपिका--X । पत्रसं० ५.० २१५ । प्रा० १२४५१ इञ्च । भाषासंस्कृत । विपकधर्म । र.. काल : 1 ले०काल X । अपूर्ण एवं जीएं । वेष्टन सं०६७ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर, तेरापंथ धौगा। । १५१३. भावशतक-नागराज । पत्र सं० ११ । प्रा. ११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । रकान x 4 ले. काल x | पूर्ण । बंगुन सं०६६१ । प्राप्ति स्थान ....दि. जैन मंदिर अजमेर । लिमितं ब्रहा डालू झांझरी । Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १५१४. भावसंग्रह-वामदेव । पत्र सं० ४२ । या० १४४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-धर्म । र.. काल-X । लेकाल-- । पूर्ण । बेग्टन सं०६१-३५ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर कोडियों का डूंगरपुर । विशेष-भ. विजयकीति की प्रति है। १५१५. प्रति सं० २ । पत्रसं० २३ । प्रा० १२४६६ इञ्च । ले०काल सं० १८६१ भादवा बुदो ३ । पूर्ण : वेन सं० ४६ । प्राप्ति स्यानदि जैन मन्दिर तेरहपंधी दौसा। विशेष—पत्रों को चूहों ने खा रखा है । नोनंदाम जी पुत्र हनुलाल जी ने दौसा के मन्दिर के वास्ते भोपत ब्राह्मण से सवाई माधोपुर में प्रतिलिपि करवाई थी। १५१६. प्रतिसं०३ । पत्रसं० ४१। प्रा० ११४४३ इञ्च । ले० काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा। १५१७. प्रतिसं०४। पत्रसं० ४६ । प्रा० ११४४० इच । ले. काल सं० १९०३ पौष मुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन स. २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर मागदी बूदी। १५१८. प्रतिसं०५। पत्र सं०६० । या० १३:४५३ इञ्च । ले० काल सं० १९३३ थावरण सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान, बूदी । १५१९. भावसंग्रह-देवसेन । पत्रसं० ३८ | आ० १०५ x ४३ इञ्च । भाषा--प्राकृत । विषय-धर्ग । र० का x 1 लेकाल सं० १५४१ पौष बुदी । वेष्टन सं० १३० । प्राप्ति स्थानदि. जैन शास्त्र भण्डार मन्दिर लश्कर जयपुर ।। विशेष-सु० गयासुद्दीन के राज्य में कोटा दुर्ग में श्री वर्धमान चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। १५२०. प्रतिसं० २। पत्र सं०३५ । या० ११४५। ले. काल सं० १६२२ प्राषाढ़ बुदी १४ । पूर । वेष्टन सं० १२४ । प्रारित स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-बड़वाल नगर के आदिनाथ चत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। १५२१. प्रतिसं०३। परसं०६१ । प्रा० ११४५ इच। ले०काल X । पूर्गा । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर दीवानजी (कामा) । विशेष प्रति प्राचीन है लिपिकाल के पत्र पर दूसरा पत्र चिपका दिया गया है। १५२२. भावसंग्रह- तमुनि । पत्र सं० ३८ | प्रा० ११४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । र०काल ४ । ले० काल x। पूर्ण । वेष्टन सं०६५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर शास्त्र भण्डार अजमेर । १५२३. भावसंग्रह टीका-- । पत्र सं० १६ । श्रा० १०४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । काल ४ । ले० काल -४। पुर्ण । वेष्टन सं० २४० । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर। १५२४. भावसंग्रह टीका--- । पत्र सं० १७ । प्रा० १०:२४, इव । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म 170 काल-xले० काल सं० १८३२ श्रावण शुक्ला । पुणे। वे०सं०-२५९ । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १४६ विशेष- सवाई जयपुर में पं० केशरीसिंह ने प्रतिलिपि की थी। १५२५, महावण्डक-विजयकीति । पत्र सं० ६६ । आotx४ इच। भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । २० काल-सं० १८२६ । ले• बाल सं० १८२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७०८ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-- सोरठा-संवत् जानि प्रवीन अठारास गुसातीस लखि । महादंडक सुभ दीन, ज्येष्ठ चोथि गुरु पुस्य शुक्ल ।। गढ़ अजमेर स्थान श्रावक सुख लीला करें जैन धर्म बहु मान देव शास्त्र गुरु भक्ति मन । इति श्री महादंडक कारणानुयोग भट्टारक श्री विजयकीर्ति विरचिते लघु दण्डक वर्णन इकतालीसमा अधिकार ४१ । सं० १८२६ का। १५२६. मिथ्यात्वखंडन--बख्तरराम ।पत्र सं० ६३ । प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) | विषय-धर्म। र० काल सं० १८२१ पोप नदी ! ले. काल सं० १८ भादवा सुदी १४ । पर्ण । वेथम सं०१४०१ । प्राप्ति स्थान-भः दि जन मन्दिर, शास्त्र भंडार अजमेर । १५२७. प्रतिसं० २। पत्र सं०६६ । प्रा० १२३४५३ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । १५२८. प्रतिसं०३। पत्र सं० ११८ । आ० ११४५ इञ्च । ले० काल सं० १५५३ यापान्ह सुदी ४ । पुर्ण । वेष्टन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर 1 विशेष –जयनगर में मन्नालाल सुहाडिया ने प्रतिलिपि की थी। १५२६. प्रति सं०४। पत्र सं० २५ । प्रा० ११४५३ इञ्च 1 ले० काल सं० १८६५ यापार शुदी १० । पूर्ण । वेष्टन २०२४ । प्राप्तिस्थान–दि जैन पंचायती मंदिर कामा । १५३०, मिथ्यामतखंडन । पत्र सं. ४ । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । १० काल-x ले काल-X । पू । वेष्टन सं०६८१ 1 प्राप्ति स्थान दि० जन पंचायनी मन्दिर भरतपुर । १५३१. मिश्वात्व निषेध । पत्र सं० १६ । प्रा० १३६४ इञ्च । भाषा-- हिन्दी गद्य । विषय- धर्म । र० काल X । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०४६ । प्राप्ति स्थान-दि जन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर 1 १५३२. मिथ्यात्व निषेध-x। पसं०४४ । प्रा० १२१४५ इन् । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय--धर्म । र.. काल--X । ले० काल-x। पूर्ण । वेष्टन सं०४। प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। विशेष--तनसुरत्र अजमेरा ने स्वयं परमार्थ प्रतिलिपि की थी । कुल लागत १ । १५३३. मिथ्यात्व निषेध -४ । पत्र सं० २७ । प्रा० १०६४ इञ्च । मापा-हिन्दी गद्य । विषय-धर्म । २० काल X1 ले०काल सं० १८९८ फागृा मुदी १० । पूर्ण । वेष्टन म२ ८३ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) । विशेष-पन्नालाल बंद अजमेरा ने लिम्रा । Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५० ] [ ग्रन्थ सूची- पश्चम भाग १५३४. मिथ्यात्व निषेध - × १ पत्रसं० ३१ । आ० १२४ X ७ इव । भाषा - हिन्दी (गद्य) | विषय-धर्म । र०काल — x ०काज सं० १८६८ प्रापाठ सुदी १३ ॥ पूर्णं । बेष्टन सं० ३२ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर बनाना। I विशेष मोहनलाल ने यह गोपाचल (ग्वालियर) में प्रतिलिपि की थी श्रीराम के पहनायें पुनः बलदेव ने ग्वालियर में पुस्तक तिसी भी १५३५. मिथ्यात्व निषेध विषय- धर्म । २० काल - X | ले० काल स्थान- दर्जन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। Xत्र सं० ३४ ० १२७ सं० १९६६ भादवा बुदी ५ | पूर्ण । १४३८. मिध्यात्व निषेध पत्र [सं० ३२ । ० १३४५ विषय धर्म० काम X काल - X पूर्ण बेन सं० १० मन्दिर क्याना । इञ्च -- न विशेष छुट्टीमाल चंदेरीवालों ने सुई में प्रतिलिपि की थी। १५३६. मिथ्यात्व निषेध पत्र सं० ३६ भाषा-हिन्दी विधवधर्म २० काम X ले० काल १८६४ । पूर्ण वेष्टन सं० १७५ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १५३७. मिध्यात्व निषेध पत्र सं० २० प्रा० १०५३ भाषा हिन्दी (पद्म) विषय चर्चा २० काल - X | ०कास सं० १९९६ ग्रासोज सुदी १२ स्थान- दि० जैन छोटा मंदिर बयाना । पूर्ण बटन प्राप्ति भाषा - हिन्दी स०४५ | प्राप्ति -~ इञ्ज । - भाषा हिन्दी (प) | प्राप्ति स्थान दि० न छोटा - १५३६. मुक्तिस्वयंवर वेणीचन्द । पत्र० ३१८० १२३४ च । भाया - [हिन्दी] गयय) विषय धर्म २० काल सं० १९३४ कार्तिक ख़ुदी १ ले० काल सं १९७६ बुद १४ । पूर्ण सं०-११६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी सोकर । । वे अन्तिम लसकर में याभियो पूरा इन्दौर जान कार्तिक वद नौमी दिना संवत उगनीरा चौतीस मान । जादि से प्रारंभयपुर के दिन मान । याही वरस मगसर वदी तेरस रवी प्रमान ॥ स्वात नक्षत्र जिल दिवस मिथुन लग्न मभार ॥ जय माता परसाद ते पूरा भयौ जु सार ॥ ३ ।। इति श्री मुक्ति स्वयंवर जी पंथ भाषा वचनिका संपूर्ण । बन्द मन्द का पुत्र फलटन का निवासी था । २ । ग्रा० १५४०. मुनिराज के छियालीस प्रस्तराय – भैय्या भगवतीवास । १२ २५३ इन्छ । भाषा - हिन्दी (पद्य) | विषय - आचार शास्त्र । र०काल सं० १७५० ज्येष्ठ सुदी ५ 1 ले० काल सं० २४ प्राप्ति स्थान- मट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । १५४१. मूलाचार सूत्र बटुकेराचार्य परस० ३० । ० ११४४ इस भोवाप्राकृत विषय - आचार शास्त्र । र०काल X 1 से० काल X 1 वेष्ट्रन सं० ४६ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर जाकर जयपुर Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एव प्राचार शास्त्र j [ १५१ . , १५४२. मुलाचार वृत्ति- वसुनंदि । पत्रसं० ६ से २४७ । प्रा० १२३४५६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-प्राचार। र० काल XI ले. काल x | अपूरणं । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । १५४३. प्रति सं० २ । पत्र सं० २६० । आ० १११४४, इञ्च । ले. काल सं० १७३० । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५-७० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । प्रशस्ति-मवर १७३० वर्षे पौष बुदी ५ बुधे" श्री मूलसचे सरस्वतीयक बलात्कारगरणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भ. श्री सकलकीलिस्तदन्वये भट्टारक श्री पभनंदि तत्प? श्री देवेन्द्रकीजिगुरूपदेशात थी उदयपुरे श्री संभवनाथपत्यालये हूंबडज्ञानीय वृहत्सांख्य गढीमा भीमा भार्या वाई पुरी तमोः पुत्र गीग्रा, रणछोड भार्या लक्ष्मी तयोः सुत लालजी राघवजी एतं स्त्रज्ञानावरण कर्मक्षयार्थ श्री मूलाबार थ: मृत्येन गृहीत्वा ब्रह्म श्री संघ जी तस्शिप्य ब्रह्म लायकायदतं ।। १५४४. मूलाचार प्रदीप-- सकलकोत्ति । पत्र सं० १९२ । प्रा० ६४४ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-पानार शास्त्र । र० काल x । ले० काल मं० १६७५ वैशास्त्र मुदी १६ । पुगां । बेष्टन सं० १६५ 1 प्राप्ति स्थान--भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-राजगढ़ में प्रादिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। १५४५. प्रति सं० २। पत्रसं० १०५ । प्रा. १३४ ६ इञ्च । लेकाल मं. १६६१ चैत्र बुदी । पुर्ण । वेधन में० २५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पाश्र्वनाथ चौगान बन्दी । १५४६. प्रतिसं०३। पत्र सं० १४०। श्रा० ११३ ४ ४३ इन्च । ले०काल १८२८ चैत्र बुद्धी १० । पुर्मा । बेष्टन सं० १२३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-श्वेताम्बर मोतीराम ने सवाई अयपुर में प्रतिलिपि की थी। १४४७. मूलाचार भाषा-ऋषभदास निगोत्या। पत्र सं० ३२३ । प्रा० १६:४८ इञ्च । भाषा--राजस्थानी धानी डिलारी) गद्य । . विषय--प्राचार शास्त्र । २० काल सं० .१८८८ कातिक मुदी ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०२२--१२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अनवर | विशेष असूनन्दिकी संस्कृत टीका के आधार पर भाषा टीका की गई थी। इस ग्रथ की भापा सर्व प्रथम नन्दलाल ने बारम्भ की श्री तथा ६ अधिकार ५ गाथा तक भाषा टीका पूर्ण करने के पश्चात् इसका स्वर्गवास हो गया था फिर इसे ऋषभदास ने पूर्ण किया । १५४८, प्रतिसं० २। पत्र सं० ४६४ । प्रात १४४८ इच। लेकाल म० १६७४ का या बुदी 55 । पूर्ण । वेष्टन सं० १०१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर गेम दारी (सीकर) । विशेष-जीर सं० २४४४ भादवा गुदी म सशराम गंगाबनम त्रासुदेवजी श्रावक नेहपुर निजी ने वटा मन्दिर में चढाया था । प्रति २ वेष्ठनों में है। १५४६. प्रति सं०३ । पभरा० ३८८ । प्रा० १:७. इञ्च । ले २३.! | .. । बहन । १। प्राप्ति स्थान--वि० ऑन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, यश । विशेष इसमें मुनियों के चरित्र का वर्णन है। प. सदाम के 'बिना चंदेशी मे १५ १. में प्रतिनो रोती थी। Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १५५०. प्रतिसं०४। पत्र सं० ३६१ । प्रा०१३ ४७ इञ्च । ले० काल सं० १९०२१ पूर्ण । वेष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर दी। १५५१. प्रति सं०५। पत्रसं० ४४८ । प्रा० १५४६ च । ले. काल सं० १९५५ । पूर्ण । वेशन सं०२० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटयों का नंगवा। १५५२. प्रतिसं०६ । पत्रसं० ४०८ । आ०११६x६ इच। लेकाल सं० १६०० । पूर्ण । वेष्टन सं० १२० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर राजमहल टोंक । विशेष-फामी में प्रतिलिपि हुई थी। १५५३, प्रतिसं०७। त्रसं० ४६२ । मा० ११४ इञ्च । ले०काल सं० १९४१ । वेष्टन सं० ८३२।आरित स्थान--पाश्वनाथ वि० जैन मन्दिर, इन्दरगढ़ (कोटा)। विशेष-मांगीलाल जिनदास ने गणेशलाल पाण्ड्या चाट वाले से प्रतिलिपि करवायी थी। १५५४. प्रति सं०८ । पत्रसं०३७२ । ले. काल १८६३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर भन्तपुर । विशेष-संगही अमरचन्द दीवान की प्रेरणा से यह नथ पूरा किया गया था। श्री कुन्दनलाल द्वारा इसकी जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। १५५५. प्रतिसं०६ । पश्र रा ० ४७४ ५प्रा० १२३ ४७१ इञ्च । ले. काल सं० १९३२ वैसाख सुदी १३ । पूर्ण । वेपन सं०३८ । प्राप्ति स्थान–वि. जैन पंचायती मन्दिर, बयाना । विशेष— गर्नेश महमा वालों ने प्रतिलिपि की थी। १५५६, प्रति सं० १० । पत्रसं० १-१५० । आ० १०१७ च । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०५.५। प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । १५५७. प्रतिसं०११ । पत्र सं० ४०० । श्रा०-१३३४७१ इञ्च । ले. काल सं० १९५१ फागुम बी १ । वेष्टन सं०१०। प्राप्ति स्थान-दि० जन पचायती मन्दिर, करौली । १५५८. प्रति सं० १२। सब सं० ४३० । प्रा० १२४८ इञ्च । ले० काल सं० १६०४ । अपूर्ण । ०सं०१०१६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर भादवा । १५५६. प्रतिसं० १३ । पत्र सं० ३६२ । प्रा० १.१४६६ इञ्च | ले० काल X । पूर्ण । व० सं०४५-२७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटडियान डूंगरपुर । प्रशस्ति-संवत् अठारहस अठ्यासी मास कातिग में । स्वेत पक्ष ससमी मुतिथि शुक्रवार है । टीका देश भाषा मय प्रारभ्मी सुनन्दलाल ॥ पूरन करी ऋषभवास निरचार है। जति श्री बट्टकेर स्वामी विरचित मूलाचार नांव प्राकृत थ की वसनन्दि सिद्धांत चक्रवत्ति विरचित प्रागार वृत्ति नाम संस्कृत टीका के अनुसार यह संक्षेपक भावार्थ मात्र देश भाषा मय बचानिका संपूर्ण । Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्रचार शास्त्र ] [ १५३ १५६०. मोक्षमार्ग प्रकाशक महापं० टोडरमल । पत्रसं० २०८ ० ८३४७ इंच भाषा – राजस्थानी (टारी) गद्य विपत्र -- धर्म । २०काल सं० १८२७ के आस पास । ले०काल सं०-१९२४ | अपूर्ण । त्रैष्टन ० १६०७ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | विशेष – इसमें मोक्ष मार्ग के स्वरूप का बहुत सुन्दर ढंग से वर्णन किया गया है टोडरमल जी की अन्तिम कृति है जिसे वे पूर्ण करने के पहले ही शहीद हो गये थे । १५६१. प्रति सं० २ । पत्रसं० २४३१ ० १० X ७ इव । लै काल - X पूर्ण । वेष्टन सं० १७२ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर श्रीमहावीर बूंदी | १५६२. प्रति सं० ३१ पत्रसं० २३७ | ० ११४५ इव । ले० काल - X। पू । वेष्टन सं० ७ | प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर नैरवा । १५६३. प्रतिसं० ४ । पयसं० १५० से ३२७ श्र० १३२४७ इव । ले० काल – X | अपूर्ण वेटन सं० १६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष - श्री प्रादिनाथ महाराज के मन्दिर में श्री जवाहरलाल जी कटारया ने अनंतव्रत जी के उपलक्ष में चाय मिली भाद्रपद शुक्ला सं० १९३६ । अपूर्ण । १५६४. प्रतिसं० ५। प० ६४१ । ० ११३४६ इंच | लेकाल - x वेष्टनसं० १२३ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर राजमहल, टॉक 1 विशेष - श्रन्तिम पत्र नहीं है । ० १५६५ प्रतिसं० ६ । पत्रस० १४६ । प्रा० १३ X ७ इंच । ले०काल - X 1 अपूर्ण वेष्टनखं ४३ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर पाउनाथ टोडारायसिंह (टोंक) 1 १५६६. प्रति सं० ७ । पत्रसं० २०६ । प्रा० १२५ x ६३ इञ्च । ले० काल० X | अपूर्णं । वेष्टन सं० २ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) | १५६७ प्रतिसं० ८ पत्रसं० ४४३ । आ० ९४६३ इव । ले० काल सं० १८८५ श्राषाढ ५ पूर्ण सं० ६० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरापन्थी मालपुरा (टोंक) । विशेष- पं० शिवप्रिय ने मालपुरा में प्रतिलिपि की थी । १५६८ प्रतिसं० ६ । पत्र स० २६७ । आ० ११८ | ले० काल सं० १६२२ पौष मु १२ | अ | वेष्टन सं० १४३ | प्राप्ति स्थान- खण्डेलवाल दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर | १५६६. प्रतिसं०] १० । पत्र सं० २४६ । ग्रा० १३३४७ इश्व । ०काल - X। श्रपूर्ण वेग सं० १० ७६ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर अलवर | १५७० प्रति सं० ११ । पत्रसं० २६७३ ले० काल -- x । प्रपूर्ण । वेष्टन सं० ११:२८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर | १५७१. प्रति सं० १२ । सं० २१२ । ०काल - X। पूर्ण । जीएं शीर्ण । वेष्टन सं० १४० । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १५७२ प्रतिसं० १३ । पत्र [सं० २०६ । ले० काल - X | पूर्ण । वेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४ ] विशेष— भागोसिह ने प्रतिलिपि करवाई थी । १५७३. प्रतिसं० १४३ पत्र सं० ३०५ । ले० काल X | अपूर्ण (२ मे १८४ तक पत्र नहीं हैं। वेष्टन [सं०] १३७ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचामनी मन्दिर भरतपुर 0 १५७४ प्रतिसं० १५ । पत्र सं०] १०८ । ०काल x । श्रपूर्णा । वेष्टन सं० १६९ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । [ ग्रन्थ सूची- पचम भाग १५७५ प्रतिसं० १६ | पत्रसं० २३६ । ग्रा० १३ X ६६ छ । ले०काल सं० १६३१ चैत २ पूर्ण वेष्टन सं० १ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष – हीरालालजी पोतेदार ने प्रतिनिधि करवायी की बयाना में प्रतिलिपि हुई थी। - १५७६. प्रति सं० १७ पूर्ण सं० १२६ प्राप्ति स्थान – दि० जैन छोटा मंदिर जाना। पत्रसं० २४०० १२३४७६ इच। ले०काल सं० १९०० : १५७७ प्रतिसं० १८ । पत्रसं० २३० । ले० काल X | अपूर्ण । वेष्टन सं० १२ (क) । प्राप्ति स्थान- दिगम्बर जैन मन्दिर बेर ( बयाना) | १५७८ प्रतिसं० १६ प ० १६-६७ | लेकालX अपूर्ण घटन[सं० ३२५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । १५७६. प्रतिसं० २०१ प सं २१० प्रा० ११.६ इव वे०काल सं० १६२७ । पू वेष्टन सं० २०५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी खाया। १५८० प्रति सं० २१ । पत्रसं० २०२ | ले० काल X। यपूर्ण । तेन सं ० १ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर हुण्डावालों का डींग १५८१. प्रतिसं० २२० २०२० काल X। म देष्टन सं०१ प्राप्ति स्थान – दि० जैन पंचायती मन्दिर हुण्डावालों का डोग । १५८२ प्रतिसं० २३ पूवेन सं० ५ प्राप्ति स्थान १५८३. प्रति सं० २४ । पत्रसं० १४३ । वे काल X। अपू । वेष्टन सं० ४३ प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर दीवान वेतनदास पुरानी डीग पत्रसं० १४४-२२४। ले० काल सं० १९९५ भाषा गुदी १३ । वि० जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । १५८४. प्रप्ति सं० २५ | पत्रसं० २७८ | ग्रा० १२३ X ५ ६ । ले० काल x । पूर्ण ०२ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर करौली १५८५ प्रति सं० २६० १५७ प्रा० ११३ x ६ इंच ने काल X शपूर्णं । वेष्टन सं० २४ / २४ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन सौगाणी मन्दिर करौली । १५८६. प्रति सं० २७ । यत्रसं० २४७ । घा० १२ X ५ इंच ले० काल सं० १८२६ । पूर्ण वेष्टन सं०७१/९ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर भादवा (राज०) विशेष साह जीवाराम ने भावना में प्रतिलिपि करवाई। दो प्रतियों का मिश्रण है। १५८७ प्रति सं० २८ । श्रावण सुदी ५ पूर्ण सं० ३४ पत्रसं०] १५० प्राप्ति स्थान ग्रा० १३३ x ६९ इच । ले० काल सं० १९१८ दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) | Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १५५ विशेष...किन सरकाययं मा व्यस सिवलाल माई (बम्बई) नगर में कराई। प्रति पूरी नकल नहीं हुई है। १५८८. प्रति सं० २६ । पत्रसं० २१२ । प्रा० १३३४-३ इशु । ले काल सं० १९७७ भाषाढ़ बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष--वीर सं० २४४६ भादवा सदी ७ को जरावरमल मटरूमल ने बडा मन्दिर में चढाया । १५८९. प्रति सं० ३०। पत्र सं० २१० । प्रा० १३४६१ इन्च । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १७५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बून्दी । विशेष -२१० से आगे पत्र नहीं है । १५६०. प्रति सं० ३१ । पत्र सं० २६१ । प्रा० ११x६३ इञ्च । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १७३ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । १५६१. प्रति सं० ३२ । पत्रसं०२१० । आ० १०६४५१ इञ्च । लेकाल । अपूरणं । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा। १५६२. प्रति सं० ३३ । पत्र सं० ४०३ । आ० १३४७ इन्च । ले. काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० १५३/१३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ (कोटा) १५६३. मोक्षमार्ग बावनी-मोहनदास। पत्र सं० ७ । प्रा० ६१४५ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय -धर्म । २७ काल X । ले० काल सं० १८३५ मङसिर सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली. कोटा । विशेष-ग्रंथ रामपुरा (कोटा) में लिखा गया था। . १५६४. मोक्ष स्वरूप-X। पत्र सं० २५ 1 प्रा० १०४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । र० काल X । ले। काल X । पूर्ण । वेहन सं० १३६२ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जन मन्दिर अजमेर । १५६५. यत्याचार वृत्ति-बसुनंदि। पत्र सं० १३-३८० । प्रा०९x४३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-प्राचार शास्त्र । र० काल । ले० काल सं० १५६५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २३४ । प्राप्ति स्थान-दि जेन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १५६६. रत्नकरण्ड श्रावकाचार--प्राचार्य समन्तभद्र। परसं० १३ । प्रा० ११X५ इञ्च । भाषा----संस्कृत । विषय-श्राक्क धर्म का वर्णन । र० काल । ले० कात' सं० १५८३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४२ । प्राप्ति स्थान- भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-संस्कृत में संक्षिप्त टीका सहित है । १५६७. प्रति सं० २। पत्र सं० १३ । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ११२३ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर । १५६८. प्रतिसं०३। पत्र सं० ३० । र० काल X । ले. काल सं० १६५.३ । पूर्ण । वेष्टन सं. ६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर हण्डावालों का डीग । १५६६. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० १८ । प्रा. ८६x४१ इञ्च । ले. काल सं० १७५६ ज्येष्ठ मुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग १६०० प्रति सं० ५। पत्र स० १५ । ले० काल सं० १९५४ | वेटन सं० ४४८ प्राप्ति स्थान दि० जैन पचावती मन्दिर भरतपुर । १६०१. प्रति सं० ६ पत्र [सं० ४ ० काल X अपूर्ण टन से ६० । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर दीवानजी भरतपुर । १६०२. प्रति सं० ७६ पत्रसं० ८ | श्र० १२४५ इश्व । ले० काल सं० १९९१ । पू दि० जैन सलवान पंचायती मन्दिर अलवर। वेष्टन [सं०] १५१ प्राप्ति स्थान १६०३. प्रतिसं० ८ बेटन सं० १५/११ | प्राप्ति स्थान पत्रसं० ११ | आ० १०५ x ५ इव । ले० काल X पूर्ण । दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टॉक) पत्र १६०४. प्रतिसं० बुदि १४ पूर्ण वेस्टन सं० ६२ १६०५ प्रति सं० १० वै० [सं० ३५ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बदी २७ प्राप्तिस्थान - ० १०३ X ४०काल सं० १९५४ वैशाख दि० जैन मन्दिर प्राधिनाथ बुंदी -- १५०६.०११ वे० सं० २४४ / १६० प्राप्ति स्थान दि० जैन संभावनाव मन्दिर उदयपुर । - - । पत्र सं० १५० १२५० x पूर्ण १६०७. प्रति सं० १२ । पत्र सं० १८ । ० X ४ इश्व | ले० काल सं० १६६६ । पू । बेटन सं० ४५० / १६२ प्राप्ति स्थान दि०जैन मन्दिरसाथ उदयपुर । ० १३० १३८५ १० काल पू विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है सन् १६६६ वर्षे फागुल गुदी १५ श्री मूजय भट्टारक श्री बादिभूषण शिव्य व वर्द्धमान पनार्थं । ग्रंथ का नाम उपासकाध्ययन भी है। १६०८. प्रति सं० १३ । पत्र सं० १६ । प्रा० १२४५ ] इव । ले० काल । पु बेन सं० २६८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवान जी कामा । १६०६ प्रतिसं० १४ । पत्र सं० ३५ । प्रा० ६६ × ५ इव । ले० काल x | वेष्टन सं० ६५२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लम्कर, जयपुर | विशेष -- प्रति संस्कृत व्याख्या सहित है । १६१०. रत्नकरण्डभावकाचार टीका प्रभाचन्द । पद सं० २५ ० ११९५ इव । ० काम० १४४६ पूर्ण वेन प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर १६११. प्रतिसं० २०५६०१० X ४.३ इन्छ । ले० कास X वेष्टन सं० ६६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। भाषा १६१२. प्रतिसं० ३ [सं०] १५१३ सामुदी ३ पत्र सं०] १० ग्रा० ११३ x ५ इन्छ । वेष्टन[सं०] १०० प्राप्ति स्थान दि०जैन मन्दिर १६१३. प्रतिसं० ४ १० ५६ । चा० १० X ४ वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मंदिर आदिनाथ बूंदी | । - x । ले० काल जयपुर । ०काल X अपूर्णे | | । Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १५७ . विशेष –अन्तिम पत्र नहीं है । प्रति प्राचीन है। १६१४. रस्नकरण्ड श्रावकाचार टीकाः ४ । पत्र सं० १-३० । श्रा० ११३४५, इन। भाषा-संस्कृत । विषय-श्राचार शास्त्र । २० काल। ले०काल X 1 वेष्टन सं० ७१६ । अपूरणं । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । १६१५. रत्नकरषष्ठ श्रावकाचार टीका । पत्र सं० ५६ । आ० x ५ इञ्च इञ्च । भाषा संस्कृत, हिन्दी । विषय--प्राचार शास्त्र । १० कालx | लेकाल सं० १९५६ पोष्ठ सदी १५ । पूर्ण । वेन सं०३३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर कोटयों का नरमवा । विशेष-मथुरा चौरासी में लिखा गया था। प्रति हिन्दो टीका सहित है । १६१६. रत्नकरण्ड श्रावकाचार भाषा-पं० सदासुख कासलीवाल । पत्र सं० २३१ । पा० १४x इत्र । भाषा - राजस्थानी ( दारी) गद्य । विषय-श्रावक धर्म वर्गन । र० काल सं० १९२० चैत्र बुधी १४ । ले० काल सं० १६४४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६८ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर, अजमेर । विशेष-आ० समन्तभद्र के रत्नकरण्ड थावकाचार की भाषा टीका है। १६१७. प्रति सं० २ । पत्रसं० ३५। आ० ११ X ७.. इञ्च । लेकाल x अपूर्ण । वेष्ट्रन सं० ६२६ । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि. जैन मदिर अजमेर । विशेष-भदामुख कासलीवाल की लघु वनिका है। १६१६. प्रति सं०३। पथसंक ४०१ । श्रा० १२:४७१ इञ्च । ले० काल सं० १९३५ जेठ बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिह (टोंक) । विशेष-अप्रैग में प्रतिलिपि हुई थी। १६१६. प्रति.सं०४ । पत्रसं० १६६ । ले०काल सं० १९२१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६७ प्राप्ति स्थान- दि० जन पंचायती मंदिर भरतपुर । १६२०, प्रति सं०५। पत्र सं० ३३२ । आ० ११४५३इन । ले काल ५ । अपूरण । श्रेष्टन सं० ३२१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १६२१. प्रतिसं०६ । पत्र सं० ५५७ । प्रा० १३ ४ ५ इञ्च । ले० काल सं० १९४३ । पूसो । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । १६२२. प्रतिसं० ७ । पत्र सं० ५७३ । ले. काल सं० १९२० । अपूर्ण । वेष्टन स० १० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । १६२३ प्रतिसं० ८ । पत्र सं० ३६४ । प्रा० १०६४ ८ इञ्च । ले०काल सं० १९४५ । पूर्ण । बेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान- दि० जन खण्डेलवाल मन्दिर, उदयपुर । १६२४. प्रतिसं ०६। पत्र सं० २६१ । प्रा० १०१ ८ इंच । लेकाल : । अपगं । बेष्टन सं० ७१ । प्राप्ति स्थान-दि जंन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर 1 १६२५. प्रति सं० १० । पय सं० ३२६ । प्रा० १४१ ४ ७१ च । लेकाल सं० १९२४ भादवा बुदी १४ । पूर्ण । वन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर फतेहपुर (शेखावाटी-सीकर) । Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-सदासुन की स्वर्थ की लिखी हुई प्रति से प्रतिलिपि की गई थी। यह य स्व० सेठ निहालचंद की स्मृति में उनके पुत्र धाकुरदास ने फतेहपुर के बड़े मंदिर में चढ़ाया संवत् १९८४ आषाढ़ मुदी १५ । १६२६. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ४१६ । प्रा० १३ x ८ इञ्च । ले०काल सं० १९५५ माध बुदी ११ । प्रग । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर फतेहपूर शेखावाटी (सीकर)। विशेष प्रति सुन्दर है। द्वारिकाप्रसाद ने प्रतिलिपि की थी। १६२७. प्रति सं० १२ । पत्र संख्या ५७० । ले. काल सं० १९२१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष—प्रति दो वेष्टनों में हैं । सदासुख कासलीवाल डेडाका ने गोरूलाल पांड्या चौधरी चाटसू दाल रो प्रतिलिथि कराई थी। १६२८, प्रतिसं० १३ । पत्र सं० ४३२ । या० १३४८ इञ्च । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ११/४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर भादवा (राज.) विशेष-स्वय ग्रयकार के हाथ की लिखी हुई प्रति प्रतीत होती है । १६२६. प्रति सं० १४ । पत्र सं० २६६ । आः १२ X इन्च । ले. काल सं० १६३१ आषाढ वदी २ । पूर्ण । वेटन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर करोली। १६३०. प्रति सं० १५ । पत्र सं० २२७ । प्रा० १२४ ७५ इञ्च । ले. काल । अपूर्ण । बटन सं० १३३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर करौली। १६३१. प्रति सं० १६। पत्र सं० ४५२ । आ. १२४७६ इञ्च । ले० काल- x पूर्ण । बेष्टन सं० ३३१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली। १६३२. प्रति सं० १७ । पत्र सं० ३०८-४५० । ग्रा० १२३४७ दश्च । ले. काल । मं० १९१२ । अगुण । वेष्टन सं० १ । प्राप्तिस्थान—दि. जैन पंचायती मन्दिर कामा। विशेष-अस्त्रयगढ में प्रतिलिपि की गई श्री। १६३३. प्रति सं० १८ ।। पत्रसं० २१२ । या. १२.४७१ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण । बेटन सं०१४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा । विशेष-पत्र सं० २१२ से पागे के पत्र नहीं है । १६३४, प्रति सं० १६ 1 पत्रसंग ३४० । प्रा० १२ x ७ इञ्च । लेकाल x | अपूर्ण । वन सं० १४५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मंदिर बयाना। १६३५. प्रति सं० २० । पत्र सं० ३६२ । श्रा० १३ ४७३ इञ्च । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०० । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष-३६२ के प्रागे के पत्र नहीं हैं। १६३६. प्रतिसं० २१ । पत्र सं० ४८० । ले. काल सं० १९२१ चैत बुद्दी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १६३७. प्रति सं० २२। पत्र सं० ३२६ । आ० १५ x ६ इन्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०२२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलबर। Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १५६ १६३८. प्रतिसं० २३ । पत्र सं० २५८ । प्रा० १२३४७३ इन्च । ले० काल सं० १६७५ । पूर्ण । वेहन सं० ७८ | प्राप्ति स्थान--दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर मलवर । १६३६. प्रति सं० २४ । पत्र सं० २६६ । श्रा० १३४ इञ्च । ले० काल सं० १६३१ । पूर्ण । वेतन सं० १२३ । प्राधिस्थान-दि जैन खंडेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । १६४०. प्रति सं० २५ । पत्र सं० ४०६ । प्रा० ११ x ८ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन मं० १३३ । प्राप्ति स्थान-- दि० जन स्थण्डेसवाल पंचायती मंदिर अलवर । १६४१. प्रति सं० २६ । पत्र सं. ३६० । प्रा० १३ X ८ इंच । ले० काल सं० १९२४ । अपूर्ण । देष्टन म० ४० । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मंदिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक)। १६४२. प्रति सं० २७ । पत्र सं० ४१४ । आ० १२ x च । ले० काल | अपूर्ण । वेष्टन सं. ३८ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टॉक)। विशेष-~-पत्र सं० ४१४ से आगे नहीं है। १६४३. प्रति सं० २८ । पत्र सं० ३६६ से ५५० । ग्रा० ११३:५७१ इञ्च । ले० काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० २३३ । पासिस्थान-- दिक। जै: गभिर जमलमांक . १६४४. प्रति सं० २६ । पत्रसं० ३८७ । आ० १२४७ इच । ले०काल-सं० १९६३ । पूर्ण । 'वेष्टन सं० १४ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बघेरवालों का, आवा (उरिणयारा)। विशेष-नंदेरी में प्रतिलिपि हुई थी। १६४५. प्रति सं० ३० । पत्रसं० २०० । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल मन्दिर नेगवा। १६४६. प्रतिसं० ३१ । पत्रसं० ५०६ । प्रा० ११ X ७३ इंच । लेकाल-सं० १९२४ । पूर्ण । वेटनसं० ३५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर, श्री महावीर स्वामी बू दी। १६४७. प्रतिसं०३२ । पत्रसं० ४६६ । प्राकार ११ X ७१ इञ्च । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर, श्री महावीर स्वामी बू दी। १६४८. प्रति सं०३३ । पयसं० २५६ । आ० १४४८ इञ्च । ले०काल X । पूर्ग । वेष्टन सं० १५० । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी, बूदी। १६४६.प्रति सं०३४ । पत्र सं० ४१३ । प्रा० १२१४६ इञ्च । ले०काल सं० १६५५ । पूर्ण । वेष्टन सं०-२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। १६५०. प्रति सं० ३५ । पत्र सं० ३२२ । ०६४x७१ इञ्च । लेक काल सं. १९६१ चत्र बदी । पूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बू दी। विशेष-चंदेरी में चोबे दामोदर ने प्रतिलिपि की थी। १६५१. रत्नकरण्ड श्रावकाचार भाषा यवनिका-पन्नालाल दूनीवाला। पत्र सं० ३४ । पा० १.१४६ स । भाषा-राजस्थानी (द्वारी) मद्य । विषय-...श्रावक धर्म का वनि । र काल सं० १९३१ पौष बुदी ७ । ले० काल सं० १६५६ । पूर्ण । ० सं० २० । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मंदिर राजमहल ( टोंक) Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० ] की भी। [ ग्रन्थ सूखी-पंचम भाग विशेष- पं० फतेहलाल ने इस टीका को शुद्ध किया और पं० रामनाथ शर्मा ने इसकी प्रतिलिपि १६५२. रत्नकोश सूत्र व्याख्या संस्कृत विषय धर्म र०काल X से० काल X दि० जैन मंदिर अजमेर - ४ । पत्र [सं० ७ । आ० १० X ४१ इव । भाषा -- पूर्ण वेष्टन सं० २०४ प्राप्ति स्थान- भ० १६५३. रत्नत्रय वर्णन - X ॥ पत्र सं० ३७ विषय- धर्म । र० काश X | ले० काल X : अ मन्दिर राजमहल टोंक 1 । विशेष-पव २२ से पाये दशलक्षण धर्म वन है पर वह अपूर्ण है । भाषा १६५४. लाटीसंहिता - पांडे राजमल्ल पत्र सं० ७०० ११४५३ संस्कृत विषय – प्राचार शास्त्र । र०काल सं० १६४९ । ले० काल सं०१६४ । पूर्ण वेन सं० १७८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । पा० १२५३ इस भाषा – संस्कृत वेष्टन सं० ८४ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन १६५५. प्रति सं० २ । पत्र ०६४ | ० ११४५ इख ले० काज सं० १७६० | पूर्ण | बेन सं० ५८ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर कामा । विशेष - पत्र भीगे हुए हैं । १६५६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ७८० १०५० काल सं० १८८६ फागु सुदी ४ । । वे० सं० १२१ । प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर पंचायती दूणी । विशेष- दूणी नगर में पार्श्वनाथ के मन्दिर में पंडित जी श्री १०८ श्री सीतारामजी के शिष्य शिवजी के महनार्थ लिखी गयी थी। १६५७. लोकांमत निराकरण रास- सुमतिकीति पत्र सं० १३ | ०१४४४६ भाषा हिंदी विषय-धर्म २०० १६२७ चैत्र वृदी ले० काल X पूर्ण बेन सं० २०१ प्राप्तिस्थान दि० जैन मन्दिर गोरमी कोठा १६५८. वसुनन्दि श्रावकाचार - प्र० बसुनन्दि । पत्र [सं०] १७ । भाषा संस्कृत विषय - ग्राचार शास्त्र र काल X | ले० काल सं० १८१० वेन सं० ३० । प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | बशेष -- इसका दूसरा नाम उपासकाध्ययन भी है। १६५६. प्रतिसं० २ । पत्र ०११ १३२० प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर। । १६६०. प्रति सं० ३ ७०२ | प्राप्ति स्थान दि० जैन १६६१. प्रति सं० ४ वेशन सं० ७२ प्राप्ति स्थान आ० १० X ५ इञ्च । माघ बुदी १० । पूर्ण | ० ११३५ इले० काल पूर्ण वेष्टन सं० ० १६० ११६३ इथ ले०काल X पूर्ण वेष्टनसं० मंदिर अजमेर । पत्र सं० ५५ | आ० दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष- महाराजा जगतसिंह के शासनकाल में साह श्री जीवणराम ने प्रायदास मोट्टाकावासी से सवाई जयपुर में प्रतिलिपि करवाई थी। X ६ इव ले० काल सं० १८६४ पौष बुदी ६ Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] १६६२. प्रतिसं०५ । पत्रसं० २० । श्रा०x४१ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. २२५ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष - प्रति प्राचीन है। १६६३. प्रति सं०६। पत्र स० ५३ । आ० १२४८ इञ्च । ले० काल सं० १९८४। पूर्ण । वेष्टन सं० १७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष प्रति टवा टीका सहित है कीमत ८|} है । १६६४. सुनन्दि थावकाचार भाषा-ऋषभदास । पत्र सं० ३४७ । प्रा०६x इश्च । भाषा-हिन्दी । विषम-प्राचार शास्त्र | २० काल सं० १९०७ । ले०काल सं० १९२४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५० 1 प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष-अन्तिम । गर्ग देश भल्लरि प्रथम पत्तन पूर सु अनूप । झालाबार सुहावनी मदनसिंह तसु भूप ॥ पृथ्वीराज सुत तास के सौभितु पद कू पाय । राजकर पालं प्रजा सबही कू सुखदाय ।! तिसि पसन में शांनि जिन राज सबकू शांति । प्राधि व्याधि हा सदा कर्म क्षोभ को भ्रांति ।। ताकी थुति तिय भवन की सोमा कही न जाय। देखत ही अब हरत है सुर सिव मग दरसाय ।। पार्श्वनाथ को भुवन इफ ऋषभदेव को और । नाना शोभा राहित पुनि राजत है इसि ठौर ।। भव्य जीव वंदै सदा पूज भाव लगाय । नर नारी गावें सदा थी जिन गुण हरषाय || तिसी पुरी में ज्ञाति के लोग वस जु पुनीत । तामैं हूंबड़ जाति के बगवर देस जनी ॥ श्री नेमिश्वर दस सुत बाल सोम प्राख्यात । सो चउ भ्रात नियुक्त है ताफे सुत विख्यात ।। नाभिजदास बखानिये ता; मुत दो जानि । तामै श्रेष्ट बखानिये पंडित सुनौ बखानि ।। वासु पूज्य जिन जनम की पुरी राज सुत जानि । .... "फुनि अरुण मुत लघु भ्राता जु कहानि ।। तामैं गुरू भ्राता सही मूल एक तुम जान । राब जैनी में बसत है दो सुत सुत अभिराम ।। ताकू श्री वसुनंदि कृत माम श्रावगाधार । माथा टोका बंध कू पढ़ि व कू सुख कारि ।। भट्टारक आमेर के देवेन्द्र कीति है नाम । Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ ] जयपुर राजे गुणनिधि देत भए प्रभिश्रम ।। ता वसि मन भयौ विचार | वो भूख कार कार ॥ सब ही वांचं सुनौ विचारे । सुगम जान नहीं मानस बारे || सो उपाय मन लहि करि लिखी । बालशेष टीका ति सुखी ॥ घामैं बुद्धी मंद बसाय 1 फुनि प्रमाद भुरखता लाय || ऋषि पूरण नय एक पुनि माघ पूनि शुभ श्वेत जया प्रथा प्रथम कुजवार, मम मंगल होय निकेत || १६६५. वसुनंदि श्रावकाचार वचनिका- ४ भाषा - हिन्दी गद्य विषय - प्राचार शास्त्र ६५० काल स० वेष्टन स० ४७-२६ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का इंगरपुर । । [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ऋषि पूरा नव एक पुनि माघ पूति शुभ खेत । जया प्रथा प्रथम कुजवार मम मंगल होय निकेत || पत्र सं० ४६६ । आ० १२३ ४ ६ इव १६०७ । ले० काल सं० १९२६ । पूर्ण | भाषा - हिन्दी विषय-माचार शास्त्र २० काल सं १८१६ प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । १६६६. वसुनन्वि आवकाचार भाषा-दौलतराम पत्र [सं० ५५० I ११३४५ ३४ । ० काल X पूरा वेष्टन सं० २४७ । वसुनन्दि है। प्रति वा टीका सहित है। । विशेष मूल कर्ता या १६६७. वसुनन्दि श्रावकाचार भाषा पश्नालाल । पत्र सं० १२७ । भाषा - हिन्दी | विषय – श्रावक धर्म । २० काल सं० १६३० कार्तिक सुदी ७ । सं० १५१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ले० काल सं० १९३० पूर्ण वेष्टन १६६८. वसुनन्दि श्रावकाचार भावा-पत्र सं० २७८ हिन्दी | विषय - आचार शास्त्र । र०काल । सेन्काल X | पूर्वं स्थान- भ० दि० फैन मन्दिर अजमेर । ० ११४५ इञ्च । । १६६६. वसुनन्दि श्रावकाचार भाषा । पत्र सं० ३५१ हिन्दी गद्य विषय - आचार शास्त्र । २० काल X | ले०काल स्थान – दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बून्दी | पूर्स । वेदन सं० १५८१ । प्राप्ति ० इश्र्न्च भाषा १२४५ इव । भाषावेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति सं० १२ । १६७०. वर्द्धमानसमवशरण वर्णन ब० गुलाल | पत्र भाषा - हिन्दी विषय- धर्म । २० काल सं० १६२८ माघ बुदी १०१ ले० कालसं० ३४ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बैर (वाना) | विशेष यादि पंत भाग निम्न प्रकार है श्रा० ६४३ इञ्च । X। पूर्ण । वेष्टन Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १६३ प्रारम्भ जिनराज हानन्त सुखनिधान भंगल सिय नत । जिनवाणी सुमरण मति बई । ज्यों मुगठारण त्रिपक बिण घई ॥ गुरू. निय पर पिस लाच । देव शास्त्र गुरू मंगल भाव ।। इनही सुमरि बगौ सुखकार । समोसरमा जे जे विस्तार ।। अन्तिम पाठ सोलहसै अठबीस में माघ दसै सूदी पेख । गुलाल ब्रह्म भनि नीत इती जयौ नंद को सौग्न ।। कुरु देश हथनापुरी राजा विक्रम साह । गुलाल अह्म जिन धर्म जय उपमा दीजे काह । १६७१. विचारविशकावरिण–पत्र सं० १३ । भाषा-सस्कुन । विषय -धर्म । २० काल स०१५७८ । ले०काल सं० १८८४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १६७२. विचार सूखड़ी- पत्र ४ । भाषा-सस्कृत । विषय-धर्म । र०काल X । ले०काल स० १६७२ । पूर्ण । बेष्टन स०७३२ । प्राप्ति स्थान-~-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १६७३. विद्वज्जन बोधक-संघी पन्नालाल दुनीवाला। पत्र सं० ६३७ । प्रा० १३. X व | भाषा- राजस्थानी ('द्वारी) पाय | विषय-धर्म । र०काल सं० १९३६ माघ सुदी ५ । लेकाल सं० १६६६ फागुन गुदी ८ । पूर्ण । येष्टन सं॥ ५ । प्राप्ति स्थान-दिजन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष- लिखाई, सुधाई स्वाही कागज वस्ता पट्टा डाकखर्च ४१।।। - ।। २०।- ।। ११- ६।। = टोटल–४७ । १६७४. प्रति सं०२। पत्र सं०५४८ । श्रा० १३. x । लेकाल सं० १६६२ श्रावरण बुदी ६ । पूर्गा । वेष्टन सं० ५०० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष रिषभचन्द बिन्दाग्रश्याने प्रतिलिपि की थी। १६७५. विवेक क्लिास-जिनवत्तमरि । पत्रसं० २३ । मा० x ५३ इन्च । भाषासस्कृत-हिली । विषय-धर्म । र० काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष-सस्कृत पद्यों के साथ हिन्दी अर्थ भी दिया है । २) Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १६७६. विशस्थान X । पत्रसं० ३६ । भाषा - हिन्दी । विषय -धर्म। र० काल x। ले०काल सं०१९७१ पूर्ण । वेष्टन सं०६३९ । प्राप्ति स्थान --- दि० जन पंचायती मंदिर भरतपुर । १६७७. व्रतनाम-x। पत्रसं० १२ । आ. १. x ४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-धर्म। र० काल X । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०१८६। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर राजमहल टोंक। १६७८ व्रतनिर्णय-x। पत्रसं० ५२ । प्रा० ११ x इच । भाषा - संस्कृत । विषय - काल X । पूरण । वेष्टन सं० १५४६ | प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि० जैन मंदिर प्रजमेर। १६७६. व्रतसमुच्चय-x। पत्रसं० ३१ । आ० ११ x ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-धर्म । र कालX । ले० काल सं० १५३३ सावन बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३००। प्राप्ति स्थान-दि० जंन मन्दिर बोरसली कोटा । १६६०. व्रतसार-x। पत्र सं०७ । आ. ४ ४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयधर्म । र काल । से०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ५४५ । प्राप्ति-स्थान-दि. जैन मन्दिर नश्कर जयपुर। १६८१. व्रतोद्योलन श्रावकाचार-अभ्रदेव । पत्रसं० ५५ । प्रा०६ x ३ च । भाषासंस्कृत । विषय-प्राचार शास्त्र । २० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । अष्टन सं० १८७। प्राप्ति स्थानदिन मन्दिर, पार्श्वनाथ चौगान वदी।। १६८२. प्रतिसं०२। पत्रसं० २६ । प्रा० १०.४४. इच। र० काल X । ले० कान सं० १५६३ पूर्ण । येष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन ग्रनवाल मंदिर उदयपुर । विशेष अर्थ सवत्सरेस्मिन संवत् १५६३ वर्षे पौय मुदी २ अादित्यवासरे भी मूलस धे सरस्वती रात्री कदकन्दाचार्यान्वये ब. मानिक लिखापितं आत्म पठनार्थ परोपकाराय । संवत् १६५७ वर्षे ब्रह्म श्री देवजी पठनार्थ इदं पुस्तक । १६८३. प्रतिसं०३ । पत्र सं० ३३ । प्रा० ११ x ५३ इञ्च । लेकाल सं० १८८२ श्रावण बदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं. ५४४ । प्राप्ति स्थान---दि जैन मंदिर लश्कर, जयपुर ।। १६८४. प्रतों का ब्यौरा-४ । पत्र सं०५। या०११. x ४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषम-धर्म। २० काल x। ले. काल x। पूर्ण 1 वेष्टन सं० १५८७ । प्राप्ति स्थान-भट्रारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । १६८५. वतो का ब्योरा---X1 पत्र सं० १६ । आ० ११४४३ इञ्च । माषा-हिन्दी । विषय-धर्म । २० कालX । लेकाल-1 पूर्ण । वेष्टन सं० १५८२ 1 प्राप्ति स्थान -भद्रारकीय दिन जैन मन्दिर अजमेर। १६८६. प्रत न्यौरा वर्णन । पत्रसं०७ । प्रा० ११. x ५ इश्च । भाषा--हिन्दी । विषय - माचार शास्त्र । र कालXI ले. काल XI पूरणं । येष्टन सं० ११५६ । प्राप्ति स्थान-भद्वारकीय दि. जन मन्दिर अजमेर । Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] १६८७. शलाका पुरुष नाम निर्णय-भरतदास । पत्रसं०.६१ । प्रा. १४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । र० काल सं० १७८८ बैशास्त्र सुदी १५। ले० काल सं० १८९८ सावरण सुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना दी। विशेष- कविनाम गोमुत केरो नाम तास में दास जुठानो । तासूत मोहि जान नाम या विधि मन मानो ।। मधुकर को प्ररी जोय, राग पुनि तामें हीजे । यह कर्ता को नाम अर्थ पंधित जन कीजे ॥ भालरापाटन के शांतिनाथ चल्यालय में प्रथरचना हुई थी। कधि झालरापाटन का निवासी था। २० काल सम्बन्धी दोहा निम्न प्रकार है शुभ एक गिला हीण शील उत्तर भेदन में । मदश्वसु ताप धरया भेद जो होवे इनमें ।। १६८८. शास्त्रसार समुच्चय-x। पत्र सं०५ । प्रा० १.४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय-धर्म । र काल । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन मं० ५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर दूनी (टोंक) प्रारम्भ :-श्रीमन्नाम्रामरस्तोत्र प्राप्तानंत चतुष्टय । नत्बा जिनाधिपं वक्ष्ये शास्त्रसार समुच्चय ॥१॥ अथ त्रियिधोकालः ।।१॥ द्विवियो वा ।।२।। पविधोवा ३॥ दशविधाः कल्पद्र माः । अन्तिम: चतुराध्यायसंपन्ने शास्त्रसार समुच्चये । पटते त्रयोपवासस्य फलं स्थानमुनिभाषते ।। श्रीमाघनन्धियोगीन्द्र सिद्धांत बोधिचन्द्रमा । अभिकर्तुं विचितार्थ शास्त्रसारसमुच्चये ॥२५ मुमुक्ष सुमतिकोति पठनार्थ । १६८९. शिव विधान टोका--- X । पत्रसं० । आ. ६४ ४ च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत | विषय-धर्म । र कालX । ले० कान X । पूर्ण । बेष्टन सं० १४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) । १६६०. शीलोपदेशमाला-सोमतिलक । पत्रसं० १३२। प्रा० ११४४ इञ्च । भाषासांस्कृत । विपय-धर्म । र काल X 1 ले० काल X । पूर्ण । वेटन सं० १४८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर बोरसली कोटा । विशेष-प्रति टीका सहित है । एवं प्राचीन है । १६६१. श्रावकक्रिया X । पत्रसं० २७ । प्रा० ११X५ इञ्च । भाषा-सस्कार । विषयश्राचार शास्त्र । र० काल X । ले. काल सं० १८८५ माह सुदी ६। पूर्ण । वेष्टन सं० १४७० । प्राप्ति स्थान-भदारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष—इति कल्पनाकरननथे श्रादक नित्य कर्म षट् तत्र षष्टमदान षष्टोऽध्यायः । १६६२. श्रावक क्रियrx पत्र सं० १६ । ग्रा०१०x४. इच। भाषा-हिन्दी गद्य । विषयश्राचार शास्त्र । १० काल ४ । ले. काल x | पूरी । वेष्टन सं० ४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। १६६३. धावक क्रियाx । पत्रसं० १६ । आ०६x६६ञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-धर्म । २० का ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६७५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ उधरगढ़ (कोटा) १६६४. श्रावक गुण वर्णन X । नत्रसं०३ [ भाषा-प्राकृत । विषय याचार शास्त्र । २॥ कालX ले० काल सं०४। पूर्ण । वेष्टन सं०१८ | प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । १६६५. श्रावक धर्म प्ररूपरणा-X । पत्रसं० ११ । या. १२४५ इञ्च । भाषा--प्राकृत । विषय-आचार शास्त्र । २० काल: । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २७९ । प्राप्ति स्थान--दि. जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १६६६. श्राचकाचार.............. | पत्र सं, १५ । प्रा० १०x४६ इञ्च । भापा-प्राइत । विषय-याचार शास्त्र । र० काल सं० १५१४ । ले० काल ४ । वे० सं०८१ । प्राप्ति स्थान - दि जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। विशेष-मंडल दुर्ग में रचना की गई । ग्रन्धकत्तों की प्रशस्ति अधुरी है। १६६७. श्रावकाचार-X । पत्र सं०५ । आ०१२ x ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- याचार शास्त्र । र०काल x ले. काल x श्रपूर्ण वे सं०३००/१५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । १६९८. श्रावकाचार-उमास्वामी। पत्र सं. १६1 प्रा. १४४१ञ्च ! भाषा-हिन्दी। विषय-आचार शास्त्र । र०कालX । ले. काल सं० १९६६ भादवा सूदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं०६५७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। विशेष प्रति हिन्दी टीका सहित है। १६६६. श्रावकाचार -अमितिगति । गत्र सं०७५ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-प्राचार शास्त्र । २० कामx। ले. काल ४ । वेष्टन सं० १४२ । प्रालि स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। १७००. प्रति सं० २ । पत्रसं०७४ । या० १० x ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयप्राचार शास्त्र । र० कालX । लेकाल सं. १६७० फाल्गुन सदी | देष्टन सं० १४३ । प्राप्ति स्थानउपरोक्त मन्दिर । विशेष—जहांगीर नरमोहम्मद के राज्य में-हिसार नगर में प्रतिलिपि करवाकर श्रीमती हेमरत्न ने त्रिभुवनकीति को भेंट की थी। १७०१. श्रावकाचार X । पत्र सं० २ । आ. १.४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय -प्राचार शास्त्र । र०काल xलेकाल सं० १८१७ असोज सुदी १० । प्रणं । वेष्टन सं.१८८-१२० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाय टोडारायसिंह (टोंक) Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १६७ १७०२. श्रावकाचार रास-पदमा । पत्रसं० ११६ । आः ११X ६ इञ्च | भाषा-हिन्दी। विषय. याचार शास्त्र । रस काल । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३३ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष.... प्रथम पत्र नहीं है। प्रारम्भ :समोसणं माहे जब गवा तिण यानन्द भत्रियाग मन भया । मुखिकन जिय जयकार, भेट्या जिनवर त्रिभुवन तार ।। नीन प्रदक्षणा भावे दीघ, अष्टपकारि पूजा कीध ।। जल गंध अक्षित पुष्प नैवेद । दीप धूप फल अग्ध यमु भेद ।। अन्तिम :श्रावकाचार तणु श्रावकाचार तण, रास कीउ मि सरणी परि । भविजन मनरंजन भंजन कर्म कठोर, निर्भर पञ्च परमेष्ट्री मन धरि । सभरि सदा गुरु निग्रंथ मनोहर अनुदिन जे धर्म पालाम हानी सर्व जतीचार जिन सेवक । पदमो काहि ते पाममि भवपार १२५ १७०३. श्रावकाराधन-समयसुन्दर । पन सं० ३ । भाषा---संस्कृत । विषय--- श्रावक धर्म । २ काल X । लेकाल x I पूर्ण । वेष्टन सं० ६५२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १७०४. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ४ । ले० काल X । अप्पूर्ण । वेष्टन सं० ६६१ । प्राप्ति स्थानदि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १७०५. षट्कर्मोपदेशरत्नमाला-अमरकोति । पत्रसं० ८१ । पा० १२३४६६ञ्च । भाषा-अपभ्रश । विषय-पाचार शास्त्र । र०काल सं० १२४७ । ले. काल सं० १६७० चैत्र बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६०२ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । . १७०६. प्रति सं० २। पत्र सं०८-८३ । प्रा० १२४ ४ इन्न । खे०काल। अपुरम् । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान–भट्टारकीय दिजैन मन्दिर अजमेर । .. . १७०७. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १०४ । श्रा० १० x ५ इञ्च । ले० काल ग. १६५२ फागुगा सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं०७८ | प्राप्ति स्थान-भा दि० जन मन्दिर अजमेर । .. विशेष –लेखक प्रशस्ति अपूर्ण है। Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग १७०८. षट्कर्मोपदेशरत्नमाला-सकल भूषस । पत्र सं० १३६ । प्रा० १X४१ इञ्च । भाषा-संस्कृन 1 विषय-प्राचार शास्त्र । २० काल सं० १६२७ । ले० काल सं० १८५७ पौष वदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२० । प्राप्ति स्थान--4 दि० जन मन्दिर अजमेर । १७०६. प्रति सं०२। पत्र सं० १०४ । ग्रा०१०४४च। ले०कास अपर्ण । वेश्न स०११६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-१०४ से भागे पत्र नहीं है । १७१०. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० १६५ । ले० काल स० १८२० चैत बुदी है। पूर्ण । बेष्टन सं. २१६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-विराट नगर में प्रतिलिपि की गई। १७११. प्रतिसं० ४। पभसं० १२४ । ले०काल-X1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १७१२. प्रति सं० ५। पत्र स० ११४ | ले. काल---X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान-विजन पंचायती मन्दिर अलवर। १७१३. षट्कर्मोपदेशरत्नमाला भाषा-पाण्डे लालचन्द । पत्र सं० १४६ । आ० ११४७ इच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-प्राचार । २. काल सं० १८१८ माह सुदी ५। ले०काल सं० १९८७ कार्तिक बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२२६ । प्राप्तिस्थान--भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-अजमेर पट्टे श्री १०८ श्री रत्नभूषण जी तत् शिष्य पण्डित पन्नालाल तत् शिष्य पं. चतुर्भुज इदं पुस्तकं लिखापितं । आहाण श्रीमाली सालगराम यासी किशनगढ़ ने अजयगढ़ (अजमेर) में चन्दप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। १७१४. प्रति सं०१ । पत्रसं० १७१ । प्रा० X ६३ इञ्च । ले० काल सं० १९४७ । पुर्ण । वेष्टन सं० १६१६ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीयदि जैन मन्दिर, अजमेर । १७१५. प्रति सं० ३ । परतं. १४२ । प्रा. ११४५३ इञ्च । ले. काल सं० १९११ मंगसिर बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) 1 विशेष - हरकिशम भगवानदास ने दिल्ली से मंगाया । १७१६ प्रति सं० ४। पत्रसं०-१६४ । प्रा० १०.४५ इंच। ले०काल x | परणं । बेटन सं० ७१.२६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अष्टा बीसपंथी दौसा। १७१७. प्रति सं०-५ । पत्रसं० १३५ । प्रा० १०१४७१ इञ्च । ले० काल - । पूर्ण । देष्टन सं० ११० । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर तेरहपंथी दीसा । १७१८. प्रति सं०-६ । पत्र सं० ८५ । प्रा० १३४६१ इच्च । ले. काल सं० १६०८ । पूर्ण । वेष्टन सं०११ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर अग्रवाल नणथा । १७१३. प्रतिसं०७। पत्र सं० १४ । लेखन काल सं० १९६३ । पूर्ण । बेन सं. ६५ | प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी बसवा । Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] १६९ १७२०. प्रति सं०८ । पत्र सं० १२४ । प्रा० १२४६.१च । लेकाल सं० १९८२ मंगसिर बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं०६४ । प्राप्ति स्थान - दि जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर प्रलवर । १७२१. प्रतिसं० । पत्रसं० १५३ । प्रा० १२४६ इंच। से०काल सं० १११ प्राषाढ सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८१ । प्राप्ति स्थान --दि० जैन मंदिर पंचायती बयाना । विशेष-थी मिट्ठूराम के पनार्थ ग्रन्थ की प्रतिलिपि की गयी थी। १७२२. प्रति सं० १० । पत्र सं० १०६ । प्रा० १२३४७, इच । ले. काल x1 अपूर्ण । वेष्टन रां० १५: । प्राप्ति स्थान- दि० जैन छोटा मन्दिर वयाना । १७२३. प्रति सं० ११ । पत्रसं० १३७ । ले० काल स. १८१९ वैसाख सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६ । प्राति स्थान-दि जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । विशेष प्रति प्राचीन है तथा प्रशस्ति बिस्तृत है । १७२४, प्रति सं० १२। पत्र सं० १६१ । प्रा० १११४७ इञ्च । ले. कालसं० १८१४ भादवा बुदी ७ । पूर्ग । धेन सं. १२६ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष राजमहल में वैद्यराज सन्तोषराम के पुत्र अमीचन्द, अभयचन्द्र सौगानी ने प्रतिलिपि करवायी थी। १७२५. प्रति सं० १३ । पत्र सं० १६६ । प्रा०६३ ४ ६१ इञ्च 1 ले. काल सं० १८५६ भाषाढ़ बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष-५० देवीचन्द ने ग्राम सहजराम से तक्षकपुर में प्रतिलिपि कराई। १७२६. प्रति सं० १४ । पत्र सं० १९१ | मा० ११ X ५३ इन्च । ले. काल सं० १८२७ जेठ सुदी ७ । पूर्ण । वन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पञ्चायती करोली। विशेष-टेकचंद विनायक्या ने करोली में प्रतिलिपि कराई थी। १७२७. प्रति सं० १५ । पत्र सं० १५६ 1 ग्रा० ११:४ ५१ इञ्च । ले. काल सं० ११९ सावन सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५८:३६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर सौगाणी करोली । १७२८, प्रति सं० १६ । पत्र सं० १८३ । प्रा० १०२ x ५ इञ्च । ने काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ४७-४२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर सौगारणी करौली। १७२६. प्रति सं० १७ । पत्रसं० २७ । प्रा० ११४५५ इच। ले. काल ४ । भपूर्ण । वेष्टन सं० १० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) १७३०, प्रति सं० १८ । पत्रसं० १२२ । प्रा. १२ x ७६ इञ्च । लेकाल-सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर श्रीमहावीर दी । १७३१. प्रति सं० १६ । पत्रसं० ११ । प्रा० १२३ ४ दश्च । नेकाल' सं० १९५४ । पूर्ण । वेधन सं० ४४ २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर। विशेष-संवत १९५४ भादव शुक्ल पक्ष रविवासरे लिखितं झगड़ावत कस्तूरचंद जी चोमर्षद्र । १७३२. प्रतिसं० २०। पत्र सं० १०५ । प्रा० १२ x ५६ इच। लेकाल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १६८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १७३३. षडशीतिक शास्त्र-XI पत्र सं० १२ । प्रा०१६x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय-धर्म । र०काल ले० काल सं० १७१५ मंगसिर दी। पूर्ण । वेपन सं०६४ । प्राप्ति स्थान-पि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष—सपागरिख के शिष्य तिलक गगि ने भरूदा नगर में प्रतिलिपि की थी। १७३४. षडावश्यक-X । पत्र संख्या ३० । ग्रा० १.४ ४ इन्छ । भाषा-प्राकृत । विषय-श्रम एवं प्राचार । र० काल-X । लेखन काल -..X । पुर्ण । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थानदिन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) । विशेष—प्रति हिन्दी टब्वा टीका सहित हैं १७३५. षडावश्यक बालावबोध टीका-X । पत्रसं०२५ । प्रा० १.x ३ इञ्च । भाषा-प्राकृत हिन्दी। विषय याचार शास्त्र । र०काल xले० काल में० १६१७ भादत्रा मुदी २ पूर्ण । वेष्टन सं.६८-८७ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दीसा। विशेष ---टव्वा टीका है । अहमदाबाद में प्रतिलिपि की गई थी। पथ १-नमो अरिहंतारा-प्ररिहत नह जामहारु नमस्कार । नमो सिद्धाणं-सिद्ध नइ नमस्कार । नमो भाग्याणं आचार्य नइ नमस्कार । नमो उमझाया-उपाध्याय गइ नमस्कार । नभो लोए सत्र सारण लोक कहितां मनुष्य लोक तेह माहि सर्व साधु नइ नमस्कार । पत्र ३- सिद्धारण बुद्धारण-सिद्ध कहीद आठ त छय करी सीया छइ । बुद्धारण कहीद ज्ञात तत्व छ । पार गयाग ससार त पारि गया छ। पर पार गवाणं चऊद गुणाकारणा नौ पनि पराई पृहता छई। लो अग्ग भवमा पीडा- लोकाग्र कहीइ मिश्रि नहां उबनयारण कही पुहता छः । नमोसवासच सिद्धारण सदैव सफलता सिडि नई नमस्कार हर। १७३६. षडावश्यक बालावबोध- पत्र सं०१३ । मा० १२४४ इद । भाषा--- प्राकृत-संस्कृत । विषण प्राचार शास्त्र । र०काल -.। ले. काल सं० १५७६ । पूर्गा । वेष्टन २०३२३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-भूल प्राकृत के नीचे संस्कृत में टीका है । प्रशस्ति-स'वन १५७६ वर्षे आश्वन शुदि १३ गुरौ । १७३७. षडावश्यक बालावबोध-हेमहंस गरिण । पत्र मं० ४५ । या. १०३४४३ इश्च । भाषा-हिन्दी (गुजराती मिश्चित) । र कालx। ले०काल सं० १५६१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना बूदी । विशेष-रचना का आदि अत भाग निम्न प्रकार हैप्रादिभाग . पहिलउ सकल मगलीक तर, मूल श्री जिनशासनऊ सार । इग्यारह अंग चऊद पूर्व नउद्धार, तो देत्र श्वास ननु धी पंच परमेष्टि महाम नकार । Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] श्रतिम पुष्पिका इति श्री लपागच्छ नायक सकल सुविहित पुरंदर श्रीसोमसुन्दरसूरि श्रीजयद्रतुरि पद-कमल पिंडात्मना कृतोऽयं षडावश्यक वालावबोध प्राचन्द्रार्क नंद्यात् । सं० ३३०० | सं० १५२१ वर्षे श्रावण वृदि ११ रविवासरे मालवमंडले उज्जयिन्यां लिखित | १७३८. षडावश्यक विवरण -- x । पत्र सं० २६ । प्रा० १० X ४] इव । भाषा संस्कृत विषय- भावार । २० काल x । ले० काल : न सं० १३६१ । प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | पूर्ण १७३६. षोडश कारण दशलक्षरण जयमाल - २इन् । भाषा - अपभ्रंश | विषय - धर्म । २० काल X 1 ले०काल सं० १८५ स्थान - दि० जैन मन्दिर पंचायती कामा I १७४१. प्रति सं० २ । वेष्टन संख्या ४९३ | प्राप्ति स्थान [ १७१ १७४०. षोडशकारण भावना पं० सदासुख कासलीवाल । पत्रसं० ७२ । ० १२३ X इञ्च । भाषा राजस्थानी (ढाडी) (ग०) । २० काल x 1 ले० काल सं० १६६४ भादवा सुदी १४ पूर्ण । वेष्टन सं० ५२७ । प्राप्तिस्थान- दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । पत्र सं० ३६ ॥ प्र० ८७ इञ्च । पूर्ण वेष्टन सं० ३५ प्राप्ति सं० ११० । ० ११३ x ५ इन्च ले०काल पूर्ण । दि० जैन मन्दिर लकर जयपुर । १७४२. प्रति सं० ३ । पूर्णं । वेष्ट सं० ६२ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर तेरहपथी दौसा | विशेष- मांगीराम शर्मा ने दौसा में प्रतिलिपि की थी । पत्रसं० ६० । ० १४३ X ८ इच। ले०काल सं० १९५५ १७४३. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २ से २१४ । ले० काल सं० १६६४ पूर्ण न सं० २६० प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर 1 विशेष -- रत्नकरड श्रावकाचार से उद्धत है। १७४५. सप्तदशबोल -- x धर्म । २० काल X | ले०काल X दाना (बूंदी) भाषा १७४४. संदेह समुच्चय - ज्ञान कलश | पत्र सं ० १६ । आ० १२ X ५ इञ्च । संस्कृत | विषय - धर्मं । र० काल X। ले०का X। पूर्वं । वेष्टन गं० ३२८ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) 1 । पत्र सं ० ४ । आ० ८९३ इश्व | भाषा - हिन्दी | विषय - पूर्ण | बेटन (सं० ३० । प्राप्तिस्थान - दि० जैन मन्दिर १७४६. सप्ततिका सूत्र सटीक - X । पत्र सं ० ५४ । था० X ४३ इञ्च । भाषा प्राकृत । विषय - धर्म 1 र० काल × । ले० काल सं० १७८३ फागुण सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४६ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर दबलाना ब्रदी | विशेष-गुजराती मिश्रित हिन्दी में गद्य में टीका है। बूंदी में प्रतिलिपि हुई थी । १७४७. समकित वर्णन x ० ११ । ० १०३ x ४ इस 1 भाषा - हिन्दी (गद्य)। विषय - धर्म । र० काल X | ले०काल ४ । पूर्णं । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर दाना बूंदी। Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १७४८. संबोध पंचासिका गौतम स्वामी। पत्रसं० १५ । भाषा-प्राकृत । विषय - धर्म । र० काल-भावन सुदी २ । ले०काल सं० १८६६ फागृन बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष----प्रति संस्कृत टीका माहित हैं तथा अखंगढ़ में प्रतिलिपि हुई। १७४४. संबोध पंचासिका -x पत्रसं० १४ । मा० १२४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । र० काल x 1 ले०काल स०१८२८ हि. ग्राषाढ़ बुदी २ । पुर्ण | देष्टन सं० १३६६ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मंदिर अजमेर । १७५०. संबोध पंचासिका x । पत्रसं० १३ । आ० १२... ७ इन्च । भाषा-प्राकृत, संस्कृत । विषम-धर्म। र काल X I ले काल x। अपूर्ण । बेष्टन सं०१४ । प्राप्ति स्थान-दिक जन पंचायती मन्दिर अलवर । १७५१. प्रति सं०२ । पत्रसं० २६ । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन रा०९५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । १७५२. संबोध पंचाशिका-द्यानतराय । पत्र सं०१२ । प्रा०६X ७ इन्च । भाषा-हिन्दी। विषय-धर्म । र०काल X । ले०काल ४ । पूर्ण। वेष्टन मं० ५७६ । प्राप्ति स्थान..... दि० जैन मंदिर नश्वर जयपुर। विशेष—इस रचना का दूसरा नाम संबोध अक्षर बावनी भी है। १७५३. संबोध सत्तरी-जयशेखर सूरि । पत्र सं०६ । प्रा० १.३ ४ ५ इञ्च । भाषाप्राकृत 1 विषय-धर्म । २० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २०२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष-हिन्दी टवा टीका सहित है। १७५४. संबोध सत्तरी-४ । पत्रसं०७ । अ० १०५ x ४५ इञ्च । मापा-प्राकृत । विषय -धर्म । र काल X । लेकाल x | पूर्ण । वेष्टन मं० १६० । प्राप्ति स्थान-fo जैन मंदिर दोवानजी कामा । १७५५. बोध सत्तरी प्रकरण- ४ । पत्रसं०२ । प्रा० x ४ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय -श्रमं । २० काल X । ले०काल सं० १६१५ । पूर्ण । वेपन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान:दि. जैन मंदिर दीवानजी कामा । १७५६. संबोध सत्तरी बालायबोध- पत्र ०८ । पा.१०x४,इन । भाषा हिन्दी (गद्य) । विषय --धर्म 4 १० कालxi लेकालX । पूर्ण । वेएन सं० ११० । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर दवलाना (दी) १७५७, सम्यक्त्व प्रकाश भाषा-डालूराम । पत्र सं. १२६ । भाषा ---- हिन्दी {पद्य) । विषय - धर्म । '१७ काल १८७१ चैत मुदी १५ । ले. काल १९३४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५४२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १७५८. सम्यक्त्व बत्तीसी कवरपाल । पत्र सं०६ । भाषा-हिन्दी । विषय - धर्म । २० काल । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] [ १७३ १७५६. सम्यक्त्व सप्तषष्टि भेद- ४ । पत्र सं०८ । आ. ६x४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय - म । मा ।। स . भूई: वेन सं० १८६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर दीवान जी कागा। १७६०. सागर धर्मामृत-पं० पाशाधा। पत्र सं०५६ । प्रा० ११४५१ इञ्च 1 भाषासंस्कृत । विषय-श्रावक धर्म वर्णन । र०काल सं० १२६६ । ले० काल सं० १५६५ । आषाढ़ चुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१७ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष-रितिवासानगरे मूर्वमन विजयराज्ये । १७६१. प्रति सं० २ । पत्र में० ३ रो १३७ । प्रा० १०x४१ इञ्च । ले० काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० १२७८ ! प्राप्ति स्थान-भट्टारचीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । १७६२. प्रति सं० ३ । पत्र सं०६३ । प्रा० १५१४४. इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०११ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० अन मन्दिर अजमेर । १७६३. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० ४६ | आ. १२४५५-अ । लेकाल । पर्ण । वेटन सं. १७६७ । प्राप्ति स्थान-- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष- प्रति संस्कृत टीका महिल है। १७६४, प्रतिसं०५ । पत्र सं० ४४ । ले०काल सं०४ । यपूर्ण । वेष्टन सं १०८६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जेन मन्दिर, अजमेर । १७६५. प्रति सं०६ । पत्रसं० ८२ । श्रा० ११४५ इश्व । ले. काल सं० १६५४ आषार सदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५१२ । प्राप्ति स्थान–भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । १७६६. प्रतिसं०७। पत्र में. ५८ ! आ० १११४५३ इञ्च । ने. काल सं० १६३५ कार्तिक सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७४५ । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि० जन मंदिर अजमेर । विशेष-मोजमाबाद में भा० हेमा प्रतिलिपि की थी। १७६७. प्रति सं० ८ । पत्रसं० ५३ । प्रा० ११४५ इन । ले कान X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०५२ । प्राप्ति स्थान – भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर' अजमेर । १७६८. प्रति सं०६ । पत्रसं० ४१ । लेकाल -४ । पूर्ण । वेष्टनसं० १५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन बड़ा पंचायती मन्दिर डीग । १७६६. प्रतिसं० १० । पत्रसं० ६६-१५२ । प्रा० १३ ४ ५३ इञ्च । ले०काल x 4 पुगे । वैष्टनसं० ३२६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-खोपज्ञ टीका सहित है । प्रारम्भ के ६५ पत्र नहीं। १७७०. प्रति सं० ११ । पत्रसं० ४३ 1 आ० १.४४२ इञ्च | लेकाल सं० १६.५६ चैत्र सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०१३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) । : विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है साह श्री भोटाकलस्य भांडागाने लिखाथिन । १७७१. प्रतिसं० १२ । पत्र सं० १३० । प्रा० १२४५६ इञ्च । लेकाल सं० १५२० चैत्र दुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर प्रादिनाय बून्दी । Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७४ ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग विशेष महाराज माषसिंह के शासन में चम्पावता नगरी में प्रतिलिपि की गयी थी प्रति सटीक है । १७७२. प्रतिसं० १३ । पत्रसं ३० । प्रा० १२ x ५ इन्च । ले०काल सं० १५५७ कार्तिक वदी । पूर्ण । वेष्टम सं०३६ 1 प्रादि स्थान- दि. जैन मन्दिर आदिनाथ बून्दी। १७७३. प्रति सं०१४। पत्रसं० ८६ । आ UX४ इच। ले०काल सं० १५६० बैशाख बुद्दी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है--- सांवत १५०० वर्षे शाश्व बुद्री ५ हवामरे श्री गलांघे थाम्नाये बलास्कारगरणे सरस्वतीगच्छे श्री कुदकुदाचार्यान्वये भ. श्री पश्मनंदिदेव नापट्टे भ. श्री शुभचन्द्रदेवा तत्पट्ट भ. श्री जिनचदेवा तत्प? भट्टारक श्री प्रमाचन्द्रदेवा नव शिप्य भ. श्री धर्मचन्द्रास्तदाम्नाये खण्डेलवालान्वये मूद गोत्रे सा. देव तदभार्या गौरी तत्पुत्र सानाला तद्भार्या होली । पुत्रा चत्वार प्रथम सा. सरवण स्योराज सा.डूगर सा. डाल । सा. सरवरा भार्या सरस्वती तत्पुत्र शा. हीला, नाल्ह । सा. हीला भार्या टपोत तत्पुत्र सा नाथू । सा.स्योराज भार्या साली । तत्पुत्रा. टला खीवा हीरा, मा. डूंगर भार्या लाडी एतेषां मध्ये साह डालू नामा इद शास्त्रं श्रावकाध्ययनं लिखाप्य धर्मचन्द्रपात्राय देतं । १७७४. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० ३८ 1 आ० १२४५६ । ले काल रा० १८१६ वैशास्त्र सुदी १५ । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष—महाराजा मावसिंह के शासनकाल में जयपुर में पंडित चोखचन्द के शिष्य सुखराम ने प्रतिलिपि करवाई थी। १७७५. प्रति सं० १७ । पत्रसं० १-४३ -१३३ । प्रा० ११:४ ५३ इन्च । लेकाल x अपूर्ण । वेष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। १७७६. प्रति सं० १८ । पर सं० ६-४० । आ० १११४५ इन्च । ले०कान सं० १७२५ । अपूर्ण । बेष्टन सं० ६४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन्च अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रशासित निम्न प्रकार है संवत् १७२५ वर्षे माध सुदी ८ शुक्र श्री मूलसंघ सरस्वती गच्छे म. श्री देवेन्द्रकीति तदाम्नाये प्राचार्य श्री कल्यागकीर्ति तव शिष्य अहा संश्र जिष्णोरिद पुस्तकं । १७७७. प्रति सं० १९ । पत्र सं० १३२ । ले. काल सं० १५५२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४:३५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष---संवत् १५५२ वर्षे कार्तिक दी ५ शनिवासरे शुभमस्तु पटेरा शातीय संघई नीउ भार्या नागथी तस्य पुत्र सबई दौसा भार्या रत्नाश्री सुत धनराज भार्या तस्य पुत्र सोनापाल एतै- फर्मक्षयार्थ लिखापिलं । १७७८. प्रति सं० २० । पत्र सं० १४५ । मा० १२ x ५ इञ्च । खे० काल सं० १६७१ ज्येष्ठ. बुदी ५ । पूर्ण । वेज्न सं० ६१ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर प्रलयर । १७७६. सागार धर्मामृत भाषा-X1 पत्र सं० २१२ । प्रा० ११४५३ इंच। भाषाहिन्दी गद्य । विषम-आचार शास्त्र । र कालX ।ले. काल सं० १९८० आषाढ बुदी १। पूर्ण । वेष्टन सं. १। प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] [ १७५ विशेष- चंदेरी में प्रतिलिपि हुई थी। १९८०. साध गाटार लक्षा -x पत्र सं. ६ | ग्रा०११४५ श । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-प्राचार शास्त्र 1 र०कालX । ले०काल x । पूर्ण । बेष्टन सं०२८। प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नागदी वूदी। १७८१. साधू समाचारी- । पत्र सं०५ भाषा-संस्कृत । विषय-साधु च । र०काल X । ले. काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ६५५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १७८२. सारचतुर्विशतिका-सकलकोत्ति । पसं० १५० । प्रा० १.१४४१ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-धर्म । २० काल X । ले० काल । पुर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महाबीर दी। १७८३. प्रति सं० २ । पत्र सं० १०४ । प्रा० ११३४४ च । ले० काल । पूर्ण । बेष्टन सं० 1 प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) 1 १७८४. अतिसं० ३ । पत्रसं० १०० प्रा० ११४५ इञ्च । ले० काल सं० १५७१ । पूर्ण । बेष्टन सं० २६१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष- . कोटा में प्रतिलिपि हुई थी। १७८५. सारचौबीसी.-पावदास निगोत्या। पत्रसं० ४०० । म १२:४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । ८० काल सं० १९१८ कार्तिक सुदी २। ले. काल सं० १९६८ माघ सुदी ८ । पुणे । येषून सं० ६ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर फतेहपुर खावाटी (सीकर) विशेष -जयगोविंद ताराचन्द की बहिन ने बड़ा मन्दिर में चढ़ाया था । १७८६. प्रति सं०२। पत्रसं०४३८ । आ० १२ .इञ्च । ले. काल स० १६४५ । पूर्गा । वेषन सं० १३८ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर सलवर। १७८७. सार समुच्चय--कूलभद्र । पत्रसं० १७। प्रा०१०x४१ इन्च । भाषा--संस्कृत । थिषय-धर्म । र कालx। लेकाल x + वैन सं० १२१ । प्राप्ति स्थान-- दिन मंदिर लश्कर, जयपुर। विशेष--पत्र बहुत जीर्ण है। १७८८. सारसमुच्य । पत्र सं० १६ । प्रा० ११Xx१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । र० काम X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। १७८६. सार समुच्य । पत्र सं०१६ । प्रा० ११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषय-धर्म । र० काल X । ले. कालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६...७० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर। १७६०. सार संग्रह-X । पत्र सं० २५७ । प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय - धर्म । र०काल X । लेक काल x। अपूर्ण। वेष्टन सं० ३१३ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा। Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६ ] विशेष-संस्कृत तथा हिन्दी में टीका भी दी हुई है। १७६१. सुखविलास - जोधराज कासलीवाल । पत्र सं० ६४ । भाषा - हिन्दी | विषय - धर्म । २० काल १८८४ मंगसिर सुदी १४ ० का ० १२३६५४५ प्राप्ति स्थान- ० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । । विशेष – पं० दौलतराम के पुत्र जोधराज ने कामा में सुखविलास की रचना की थी । १७६.२. प्रति सं० २ । प० ३११ ले काल १०८४ पूर्ण । । । स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष पोदकर ब्राह्मण से जोधराज ने कामा में लिपि कराई थी। पत्र० २६४० १७६३. प्रति सं० ३ प्राप्ति स्थान उपरोक्त मन्दिर । अन्तिम [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग X १८८६ पूर्ण वेष्टन सं० ५४५ । विशेष -- जो यामें अलग बुद्धि के जोग तें कहीं प्रक्षर अर्थ मात्रा की भूल होय तो विशेष ज्ञानी धर्म वृद्धि मोकू ल्प बुद्धि जानि क्षमा करि धर्म जानि वा को खोध के युद्ध करियो । प्रारम्भ शाम देव अरहन्त को नमीं सिद्ध महाराज । श्रुत तमि गुर को नमत हों सूख विलास के काज 11 येही उ मंगल महा ये च उत्तम सार । इन पत्र को चरणों यह होह सुमतिदावार वेष्टन सं० ५४४ प्राप्ति | जिन वाली धनुस्वार राव कवन महा खकार । खुले पंख अनादि ते मारग पात्रं सार ।। मारग दोयत में कहे मोक्ष और ससार । सुख विलास तो मोक्ष है दुख धानक संसार || जिनवाणी के ग्रन्थ सुनि समोर अपार । साते गुरू उच्च कियो चन के अनुसार ।। उद्यमकियों व्याकरणादिक पढ्यो नहीं, भाषा हूं नहीं ज्ञान । जिनमत सम्पत कियो, केवल भक्ति जु मानि ॥ भूल चूक अक्षर श्ररथ, जो कुछ यादें होय । पंडित सोय सुधारिये, धर्म बुद्धि धरि जोग 11 दौलत सुन कामा बसे, जोध कासलीवाल । निजसुख कारण यह कियो, सुख मिलारा गुणमाल || सुखविला सुखधान है। सुखकारण सुखाय । सुख का सेयों सदा शिव सुख पावो जाय || कामा नगर सुहावनं, प्रजा सुखी हरपंत नीत सहत सहा राज है, महाराज बलवन्त ।। Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं प्राचार शास्त्र ] जिन मन्दिर तहां चार हैं सोभा कहिय न जाय । श्री जिन दर्शन देस्त्र ते आनन्द उर न समाय ।। श्रावक जनी वह वसे प्रापस में बह प्रीति । जिन वागणी सरचा कर पात्रंडी नहीं रीत ।। एक सहम भर आठ सी ऊपरपार। मो संमत सुभ जानियो शुकल यक्ष भगृवार ॥ मंगसिर तिथि पांचों विषै उत्तराषाढ़ निहार । ता दिन यह पूरण कियाँ शिव सुख को करतार ॥ सुल विलास इह नाम है सब जीवन सुखकार । या प्रसाद हम हूं लहै निज प्रातम सुखकार ।। मुखी होहु राजा प्रजा सेवो धर्म सदीव । जैनी जन के भाव ये सुख पार्व सब जीव ।। अन्तिम मङ्गल-- देव नमो अरहन सकल सुखदायक नामी। _ नमो सिद्ध भगवान भये शिव निज सुख हामी ।। साध नमी निरपथ सकल परिग्रह के त्यागी। सकल सुख्य निज थान मोक्ष ताके अनुरागी ।। बन्दों सदा जिन धर्म को देय सर्व सुख सम्पदा । ये गार धार तिहूं लोक में करो क्षेम मङ्गल सदा ।। मंगसिर सुदी ५ सं १८४ में जोधराज कामलीवाल कामा के ने लिखवाया था । १७६४. सुदृष्टितरंगिरणी-टेकचन्द । पत्त० ६३४ । प्रा० १२३४५६ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-धर्म । र० काल सं० १७३८ । लेकाल सं० १९१० पूर्ण । वेष्टन सं. ३ । प्राप्ति स्थान-- दि० जन पंचायती मन्दिर दीवानजी कामा। १७६५. प्रति सं०२। पत्रसं० ५६.६ । ले. काल सं० १९१० । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३७ । प्राप्ति स्थान---उपरोक्त मन्दिर । १७९६. प्रति सं० ३। पत्रसं० २६६ । ले० काल ४ | अपूर्ण । बेष्टन सं० ५३८ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । १७९७. प्रति सं० ४ । पत्रसं० ३१० । या० १५४८ च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर। १७६८. प्रतिसं०५। पत्रसं० २-२००। प्रा० १२३४६१ इच। ले०काल । अपूर्ण । वेष्टन सं०३१६ । प्राप्ति स्थान-दि०.जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-२०० से आगे पत्र नहीं है। १७६६. प्रति सं०६। पत्र सं० १५० । प्रा० ११३४७१ इञ्च । लेकाल सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३.६८ । प्राप्ति स्थान दि. जैन पारनाथ मंदिर इन्दरगढ (कोटा) Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-सवाई माधोपुर में प्रतिलिपि की गयी थी। १८००, प्रति सं०७। पत्र सं० १७०७ । आ. १.६४५३। ले०काल सं० १६०८ ज्येष्ठ सदी ७ । पूर्ण । धेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) १८०१. प्रति सं० ८ । पत्र in गाने १६६३ : गुगपूर्ण । वेष्टन सं• '४८१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । १८०२. प्रति सं० १ पत्रसं० ५४७ । ग्रा० ११ X ७ इञ्च । काल सं० १६० । पूर्ण । वेधून सं० ११३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन खण्डेलवाल मन्दिर, उदयपुर । १८०३, प्रति सं० १० । पत्रसं० ४३५ । या० १.१४८ इञ्च । ते०काल स० १६१२ कार्तिक सुदी ६ । पुर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर. फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । १८०४. प्रति सं०१२। पत्र सं० ३०५ । श्रा० १४४११च । लेकाल सं० १८९१ असोज भुदी ५ । पूर्ण । बटन सं०६५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर, तेरहपंथी दौसा। विशेष नानूलाल तेरापंथी ने पन्नालाल लेरापंथी से प्रतिलिपि करवायी श्री। १८०५. प्रतिसं० १३ । पत्र सं० ३५३ । या० १३४७६ इच । काल X । अपूर्ण । बटन स० ४७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर, करौली । १८०६. प्रतिसं०१४ । पत्रसं० १ से ६३ । ले० काल ४ । यपूर्ण । वेष्टन सं०६६। प्राप्ति स्थान—दि जन पंचायती मंदिर हण्डावालों का डीग। १८०७. प्रतिसं० १५ । पत्र सं० ४६१ । प्रा० १३ ७ इञ्च | ले काल सं० १९६३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बघेरवालों का भावां, (अग्गियारा) । १८०८. प्रति सं० १६ । पत्रसं. २५७-४७५ । आ० १३३४७ इंच । लेकाल सं० १९२८ । अपूर्ण । बेपन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोक)। १८०६. प्रति सं० १७ । पत्र सं० २६५ । प्रा० १४ x ७ इलच। ले. काल x | अपूर्ण । प्टन सं० ४२:२३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) । १८१०. प्रतिसं०१८ । पत्रसं०४३०1 या० १३१४६ इंच । ले० काल सं० १९०८ पौष बृदी १३ । गुरम । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटयों का रेवा। विशेष-बल्देन गुजराती मोठ चतुर्वेदी नैन मध्ये लिखितं । १९११. प्रतिसं०१३। पत्र सं०३८ । आ० १२४६ इंच। ले०काल सं.१९४५ | अपुर्ण । वष्टन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर दी। १८१२. प्रतिसं० २० पत्र सं०५४४ । आ० १३४६६ । ले० काल सं० १९२५ । पुर्ण । वेपन सं० १३३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर श्री महावीर दी। विशेष-लोचनपुर (नैशवा) में लिखा गया था। १८१३. प्रतिसं० २१ पत्र सं०१६ । प्रा.१०४७ इञ्च । ले० काल । अपुर्ण । वेष्टन सं. ३२६ । प्राप्ति स्थान--वि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगात दी। Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्म एवं आचार शास्त्र ] [ ?9C भाषा - १८१४. सूतक वर्णन - भ० सोमसेन । पत्र सं० १७ । प्रा० १०९४१ इंच । संस्कृत | विषय - आचार शास्त्र । काल X 1 ० काल सं० १९२५ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १०० प्राप्ति स्थान - दि० जैन अग्रवाल पञ्चायती मंदिर अलवर | १८१५. सूतक वर्शन - X पत्र सं० २ । आ० ११X५ इव । भाषा – संस्कृत विषयआचार शास्त्र । ५० काल X | ले० काल X। पूर 1 बेष्टन सं० ५४७ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर | १८१६. सूर्य प्रकाश-- श्रा० नेमिचन्द्र । पत्र सं० १११ १ संस्कृत | विषय - आचार शास्त्र | २० काल । ले० काल x स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) पूर्ण -. १८१७. सोलहकारण भावनः विषय - धर्मं । १० काल । ले० काल X मन्दिर अजमेर | X। तब शे० ० १ १०४४३८ । भाषा - हिन्दी । पू । वेटन सं० ३३४ | प्राप्ति स्थान -म० दि० जैन १८१८. स्वरूप संबोधन पच्चीसी – X | पत्र सं० २ ॥ २० काल X | ले० काल X | पूर्ण । वेष्टन मं० ६५/२५२ मन्दिर, उदयपुर | ० १०३ x ४३ इव । भाषा – । वेष्टन सं० १५६ | प्राप्ति -e: F भाषा – संस्कृत प्राप्ति स्थान - दि० विषय - धर्म 1 न संभवनाथ भाषा - संस्कृत । १८१६. स्वाध्याय भक्ति - X | पत्र सं० २ । ० १०३ X ५६ इव । विषय- धर्म । र० काल । ले० काल सं० १८४४ अगहन खुदी १ । पूर्ण । वेन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक | Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय - अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र १८२०. अध्यात्मोपनिषद-हेमचंद्र । पत्र सं.२० । आ० १० x ४ इञ्च । भाषा -संस्कृत । विषय-अध्यात्म । र०काल X । लेकालX । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६२ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर, अभिनन्दन स्वामी, ब्रू दी। १८२१. अध्यात्म कल्पद्रम- मुनि सुन्दरसूरि । पत्र सं०७ । प्रा० १०१ ४ ४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-अध्यात्म । र० काल x | ले. काल X । वेष्टन सं० ६२२ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । १८२२. अध्यात्म तरंगिणी-प्राचार्य सोमदेव । पत्र सं० १०। प्रा० १११४५१ इच। भाषा-संस्कृत | विषय - अध्यात्म । २० कालX । ले० कालX । वेष्टन स६१ । प्राप्ति स्थान- दिन मन्दिर जाकर जयपुर । १८२३. अध्यात्म बारहखडो-दौलतराम कासलीवाल-पत्र सं० २०४ । भाषा-हिन्दी (पछ) । विषा-अध्यात्म । २० काल सं० १७१८ फागुण मृदी २ । ले०कालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान-दि जैन तेरहपंथी मन्दिर दसवा । विशेष. .-पांच हजार पद्यो से अधिक को यह कृति प्रध्यात्म विषय पर एक सुन्दर रचना है । यह अभी तक अप्रकाशित है। १८२४, प्रतिसं०२ । पत्र सं० २३ । ले. काल x । अपूर्ण । देवन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन लेरापंथी मन्दिर बसवा ।। १८२५, प्रति सं०३। पत्र सं० १३२ । या० १२४ ६ इन । ले. काल सं. १८६० पूर्स । बेहन सं० ४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौमा । विशेष-हवलाल जी तेरहपंधी ने माधोपुर निवासी श्राह्मण भोपत से प्रतिलिपि करवाकर दौसा के मन्दिर में विराजमान की थी। १८२६. प्रति सं०४ । पत्र सं० १५६ । प्रा० १२.४७ इञ्च । ले०काल सं० १८३१ कात्तिक बुदी ५ । पूर्ण । बेशन सं०११ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर, दीवान नेतनदास पुरानी डीग । १८२७. प्रतिसं०५। पत्र सं० २१६ । प्रा० १२४६ हज। ले. काल सं० १९७६ फागुरंग सदी । गुणं । वेष्टन सं०१७-२८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर। विशेष-भवानीगम ने अलवर में प्रतिलिपि की थी। १८२८. प्रति सं०६। पत्र सं० १२८ । ले० काल सं० १८०३ पासोज सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३३ । प्राप्ति स्थान-दि: जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १८२६. प्रति सं०७ । पत्र सं० २८० । पा. १६४८ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण । वे० सं० १७२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अग्रवाल उदयपूर । Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [ १८१ १८३०. प्रति सं०८ । पत्र सं० ३२ । आ० ११३४ ६३ इन्च । ले. काल x | अपुर्ण । वे० सं०५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर वैर (बयाना) विशेष-.४०० पश्य है। १८३१. अध्यात्म रामायरण-X । पत्र मं० ३३६ । या० १० x ६ च । भाषासंस्कृत । विषय -अध्यात्म । र० काल ४ । ले. काल में० १८५५ माघ सुदो १ । पूर्ण । थे० सं० ३५ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर नागदी बूदी। विशेष--यन्तिम पिका इति श्री अध्यात्मरामायणे ब्रह्मापुराणे उतर बंडे उमामहेश्वरसंवादे उत्तरपडे नवम सर्गः । अश्यात्मोत्तरकांडे ग्रह संयया परिक्षिप्ता । उत्तर कांड | १८३२. अनुप्रेक्षा संग्रह-४ । पत्र सं० ७ । प्रा. ११ x ४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (प.)। विषय-चिनन । २० काल X । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ७१० । प्राप्ति स्थान---भट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-तीन तरह से बारह भावनाओं का वर्णन है। १८३३. अनुभव प्रकाश-चीपचन्द कासलीवाल । पत्रसं० २५ । या० १०४५ इन्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषम-अध्यात्म। २० काल सं० १७८१ पौष बुदी' ५ । ले० काल : । पूर्ण । वेष्टन सं० २२-४५ । प्राप्ति स्थान--दिस जैन मन्दिर भादवा (राज.)। १८३४, प्रतिसं० २ । पत्र सं० ३६ । प्रा० १२ x ५६ इस । ले० काल सं० १८१२ चैत मुदी । । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर दीवानजी चेतनदास पुरानी डीग । १८३५. प्रति सं० ३ । पत्रसं० ४० । प्रा० १२३ ४७१ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । वेधनसं० ३० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मंदिर कामा। १५३६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ४३ । ले. काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १८३७. प्रतिसं० ५। पत्र सं० ५६ | आ. ८. x ५५ इञ्च । ले० काल-: । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । १५३८. असज्झाय नियुत्ती X । पत्रसं० ४ 1 आv १.४ ४ इश्च । भाषा-प्राकृत | विषय - अध्यात्म । २० काल X । लेकाल ---X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । १८३६. प्रष्ट पाहु--कुदकुंदाचार्य । पत्रसं०८२ प्रा० १२ x ४ इन्न । भाषा-प्राकृत । विषय-अध्यात्म । २० काल X । ले० काल सं० १८१२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी, कामा। १८४० प्रति सं० २। पत्रसं० ५६ । ले काल सं० १८१४ । पूर्ण । वेष्टन स. ३९३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १८४१. अष्टपाहड भाषा-जयचन्द छावडा । पत्रसं० १७० । प्रा० १३३४५३ च । भाषा-राजस्थानी (हंडारी) गठ । विषय-अध्यात्म । र० काल सं० १८६७ भादवा सुदी १३ । लेकाल Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग सं० १९७२ पौष मुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२७ । प्राप्तिस्थान-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-टीकमचन्द सोनी ने पुत्र दुलीवंद के प्रसाद बड़ाधड़ा के मंदिर में चढ़ाया । १९४२. प्रतिसं०२ । पत्र सं० १५२ । प्रा. ११४ ७१ च । ले० काल सं० १७७ वानिक सुदी १४ । पूर्ग । चे० सं० १५६८ । प्राप्ति स्थान -भट्टारकीय दिदैन मंदिर अजमेर । १९४३. प्रति सं०३। पत्र सं० २२० । ग्रा० ११ x ५ इञ्च । लेकाल सं० १९१६ आषाढ बुदी । पूर्ण । वन सं० २३ । प्राप्ति स्थान - दि जैन मंदिर पाशवनाथ चौगान दी। विशेष मध्य पीपली चौंठ बजार दौलतराम ने अपने पुत्र के पनार्थ प्रतिलिपि करायी थी। १८४४. प्रतिसं०४। पत्र सं० २०६ । मा० १३६ इञ्च । लेकाल सं० १६४० फागुन वी १२ । पूर्ण । वैन सं०६६/४७.शप्ति स्थान- दि जैन मंदिर सौगाणियों का करोखी। १८४५. प्रति सं०५ । पत्र सं० २६२ । प्रा० ११५६ इन्च । लेकाल सं० १८७२ सावन मुदी ११ । पूर्ण । वेपन सं. २१ । प्राप्ति स्थान-दि.जैन मन्दिीर पंचायती करौली । विशेष - अलवर नगर में अयनाराण ने प्रतिलिपि को थी। १८४६, प्रति सं०६। पत्र स० १७० । प्रा० १२:४७१इश्व । लेकाल सं० १९२० । पूर्ण । वेटन में० १४० | प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर वाटा बयाना । विशेष-धावक माधोदास ने यह नश मंदिर में भेंट किया था । १८४७. प्रतिसं०७1 पर सं० २२६ । आ०१२३४.७ इन्च । ले०काल x। पूर्ण । बेटन सं० ११५ 1 प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पंचायती कामा। १८४८, प्रति सं० । पत्र सं० २४५ । आ.११४७इच । लेकाल सं०१६५७ सावन मुदी ३ । पूर्ण। बेपन सं०७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर। विशेष—दिगम्बर जैन सरस्वती भण्डार मया के मार्फत प्रतिलिपि हुई थी। १८४६. प्रतिसं०६। पत्र स० १६१ । श्रा० १३४७३ इन्च । लेकाल सं० १९०६ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर पंचायती कामा। १८५०. प्रति सं० १० 1 पत्र सं० २२२ । लेकाल १८७३ ज्येष्ठ सुदौ १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । विशेष-जोधराज के पुत्र उमरासिंह ने लिखवायी थी। १८५१. प्रति सं० ११ । पत्र सं० २११ । ले. काल सं० १९७२ माह सुदी ५। पूर्ण । बेष्टन सं० ३९४ । प्राप्तिस्थान --..दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-भरतपुर में प्रतिलिपि की गई थी। १८५२. प्रति सं०१२ । पत्र सं०१६० ।ले. काल १८८७ । पूरणं । बेष्टन सं० ३६५ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन पंचायली मन्दिर भरतपुर । विशेष- भरतपुर में चिम्मन राम वजाज ने लिखवामी थी। १८५३. प्रति सं० १३ । पत्र सं० २१२ । प्रा० १३१४ इन्च । लेकाल सं० १६६२ ।। गुग । बेष्टन सं०५०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर सत्कर, जयपुर । Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [ १८३ विशेष-रिपभचन्द बिन्दायक्या ने लश्कर पाटोदी के मन्दिर जयपुर में महाराजा सवाई माधोसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि की थी। १८५४. प्रति सं० १४ । सत्र सं० २५६ । ग्रा०१९४६१ इञ्च । ले. काल सं० १८७२ सावन बुदी ६ । पू । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान-दिस जन डागकाल पंवायसी मन्दिर अलवर । १८५५. प्रति सं० १५ ! १० सं० १९६ । श्रा० १३४७.. इञ्च । ले० काल सं १९३८ सादा गुदी + । पूर्ण । श्रेष्ठन मं० २० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । १८५६. प्रतिसं० १६ । पत्र संख्या १८५ । प्रा० १२४ इञ्च । । लेखन काल सं० १६४६ 1 पूर्ण । बोष्टन सं० ११०-१२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पाश्वनाथ इन्दरगड, कोया १८५७. प्रति सं. १७। पत्र सं० २५४ । आ० १११४५१ इञ्च । लेकाल सं० १८८२ । पूर्ण । वे०सं० २४ । प्राप्ति स्थान-- दि. जन मन्दिर तेरपंधी मालपुरा (टोंक) । विशेष--प्राचार्य श्री मारणक्य नन्दि के शिष्य से लिखा था । १८५८. प्रति सं. १८ । पत्र सं०१६० । प्रा० १०४६३ इञ्च । ले. काल X । अपूर्ण । दे. सं. ११६ । प्राप्ति स्थान --- दि जैन मन्दिर राजमहल टोंक । १८५६. प्रति सं० १६ । पत्र सं० २५१ । आ० ११:४७१ इन । ले. काल सं० १९४५ : पुणं । ये० सं० २३ । प्राप्ति स्थान – दिल्जैन मन्दिर पाश्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । १८६०, प्रति सं० २०। पत्र सं० २२२। प्रा० ११४५ इन्ध । लेकाल सं १८८४ (शक सं० १७४६ } । पूर्मा । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन नेरहमश्री मन्दिर नैणवा । विशेष- जोशी गोपाल ने लोजनपुर (नगणवा) में लिखा है। १८६१. प्रति सं० २१ । पत्रसं० १७६ 1 श्रा० १३ ४ ६ इञ्च । ले०काल सं० १६२६ कातिक सुदी। पुर्ण । बेष्टन म०३८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) । विशेष-सदामुख बंद ने अपने पटनार्थ लिखी। १८६२. प्रति से २२। पत्र सं० २०५ । पा.१२१x६ इञ्च । ले. काल x। पूर्ण । वे० सं० १४० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर दी । १९६३. प्रात्म प्रबोध। पत्र सं०३। आ० १० x ४ इच। भाषा-संस्कृत | विषयअध्यात्म । २० काल X । लेखन काल सं० १८२० कातिक सुदी १ । अपूर्ण । ये०सं० ४ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-नंगासागर ने प्रतिलिपि की थी। १८६४. प्रात्म प्रबोध-कुमार कवि । पत्र सं० १४ । प्रा० १० ४ ४१ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-अध्यात्म । र०काल x। ले० काल सं० १५७२ अाश्विन बुदी १०। वे० सं०५३ 1 प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष-वीरदास ने दोक्लाग के पाश्र्वनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। १८६५. प्रति सं० २ । पत्रसं० ११ । प्रा० १०.४४ इञ्च । ले०काल सं० १५४७ फागुण सुदी ११ ।पूर्ण । वेष्टन सं0-46 | प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग विशेष-श्रीपथा नगरे खण्डेलवाल वंश गंगवाल गोत्र संघई मेलापाल लिखापितं । १८६६. प्रात्म संबोध-रघु। पत्र ०१भापा.-पाश! मिग-प्रध्यानम! २०काल ४ । काल सं० १६१०। पूर्ण । वेष्टन सं५१३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १८६७. प्रति सं० २। पत्र सं०६-२६ । आ०११४४ इञ्च । ले० काल सं० १५५३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है सं० १५५१ वर्षे चैत्र सुदी ६ पुष्य नक्षत्रे बुधे धृतिनाम्नियोगे गौणोलीय पत्तने राजाधिराजा श्री" राज्य प्रवर्त्तमान जोतिथीलाल तन्दुपुत्र जोति गोपाल लिखतं पुस्तकं लिखिमिति । शुभं भवतु । १८६८. प्रात्मानुशासन-गुरगभद्राचार्य। पत्र सं० १-२०। प्रा० १२३४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-अध्यात्म । २० काल-x। ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४० 1 प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर अग्रवाल उदयपुर । १८६६. प्रति सं० २। पत्रकं ३५ । लेकाल १६१० चैत सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ।। प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर डोग। विशेष प्रति जीणं है तथा संस्कृत टीका सहित है। १८७०. प्रतिसं०३। पत्रसं०५० । प्रा० ११:४६ इच। ले०काल x | वेशन सं०६०३ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । १८७१. प्रति सं०४ । पसं०४६। याः १०.४४ इश्क्ष । ले०काल XI पूरणं । वेष्टन सं. १०५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा। १८७२. प्रति सं० ५। पत्र सं० ५२ । प्रा० १०४४ इ'च । ले०काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । १८७३. प्रतिसं० ६ । पसं० ५८ ! आ० ११: x ४३ च । लेफाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान..-दि. जैन मन्दिर दीवानगी कामा । विशेष -प्रति के प्रारम्भ में प्राचार्य श्री श्री हेमचन्द्र परम गुरुभ्यो नमः ऐसा लिखा है। संस्कृत में कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हुए हैं। १८७४. प्रति सं०७१ पसं० ११ २६ । प्रा० १२४५ इंच । लेकाल सं० १७८३ मंगमिर खुदी ८ । यदर । वेष्टन सं० ३२७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-मनपाराम ने कामा में प्रतिलिपि की थी। १८७५. प्रतिसं० । पत्रता ४७ । प्रा० १.४५ इंच । लेकाल सं० १६८१ फागुरण खुदी है । अपूर्ण । वेष्टन मं. ४६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक)। १८७६. प्रात्मानुशासन टोका--टीकाकार पं० प्रभाचन्द्र। पत्रसं० । ग्रा० १०x४१ इंच। भाषा-संस्तृत । विषय-अध्यात्म । २.० काल X । ले०काल सं० १५८० ग्राषाढ़ सुदी । पूर्ण बेधुन सं० २ । प्राप्ति स्थान-भट्रारकीय दि.जैन मन्दिर अजमेर । Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] _ [ १८५ विशेष -हिसार नगर में प्रतिलिग की गई थी। १८७७. प्रतिसं० २१ पत्र सं० ११ । प्रा० १० x ४ इञ्च 1 ले०काल सं० १५४८ पौष बुदी ३ ॥ पूर्ण विश्नसं० २२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवान जी कामा । विशेष-योपाचल दुर्ग में महाराजा मानसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी। १८७८. प्रति से० ३ । पत्र सं० ३३ । प्रा० १०६४५ इञ्च । लेखन काल X । पूर्ग । वेष्टन सं. १०६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । १८७६. प्रात्मानुशासन भाषा" । पत्र सं० १-५८ । प्रा० १२४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-अध्यात्म । र०काल ४ | ले. कालX । वेष्न सं०७२४ । प्राप्ति स्थान-दित जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। १८८०. प्रात्मानुशासन भाषा .X । पत्र सं० १६१ । प्रा० १२ x ५ इञ्च । भाषा - हिन्दी (गद्य)। विषय-अध्यात्म । र० काल X । ले० काल सं० १९४२ फागुन सुदी ६ । पूर्ण । वेटन सं० ६७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन सौगाशी मंदिर करौली । १८८१. प्रात्मानुशासन भाषा टोका---- । पत्रसं० ११० । प्रा० ११३४ ६. इन।। भाषा--संरकल हिन्दी। विषय अध्यात्म । २०काल ४ ले०काल सं० १८६० वैशाख मुदी ३ । पूर्ण । बष्टन सं० १.१ । प्राप्ति स्थान ..हारकीय न दि . सगे । विशेष--रामलाल पहाझ्या ने हीरालाल के पठनार्थ पचेवर में प्रतिलिपि की थी। १८८२, अरमानुशासन भाषा - टोडरमल जो। पत्र सं० १४०। भाषा-हिन्दी । विषयअध्यात्म । २० काल । ले० काल १६३१ पूरी । वेष्टन सं० ४३ । प्राप्ति स्थान--दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष—प्रखंगढ़ में प्रतिलिपि हुई श्री । १८८३. प्रतिसं०२। पत्र सं० १४६ । आ. ११४ ६ हश्च । ले. काल सं० १८२४ । पूर्ण । वनसं० २३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर भादवा (राज.) । संग्रामपुर में प्रतिलिपि की गई थी। १८८४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १८ | या० १२३४६ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा। १८८५. प्रति सं०४। पत्र सं० १४५। ग्रा. १०.४५९ इञ्च । ले० काल सं० १८८७ सावन बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५ । प्राप्ति स्थान --दि० जैन तरहपंथी मंदिर मालपुरा (टोंक) विशेष- श्ली चन्द्रप्रभ के मन्दिर में जीवरण राम कासलीवाल ने मालपुरा में प्रतिलिपि की । १८८६, प्रति सं० ५। पत्र सं० ८७ । मा० ११३ x ५ इञ्च । ले काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन तेरह पथी मन्दिर मालपुरा (टोंक) १८५७, प्रति सं०६। पत्र सं० १३८ । प्रा०१३ x ७१ इन्च । ले. काल सं० १९५२ चैत्र सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-दिस जैन पंचायती मदिर बयाना । १८५८. प्रति सं०७ । पत्र सं० १३६ । प्रा० १३ x ६ इञ्च । ले०काल सं० १८७५ भादवा सुदी ८ । पूरणं । देष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर, अलवर । Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १८८६. प्रति सं० । पत्रसं० १६३ । प्रा५११४७ इञ्च । ले० काल सं० १९७० ज्येनु बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं०७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । १८९०. प्रतिसं०६ । पत्रसं० १६० । ले० काल सं० १८३० चैत मुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३९० । प्राप्ति स्थान-- दि जन पचासती मंदिर भरतपुर । विशेष-40 लालचन्द ने प्रतिलिपि की थी। १५११. प्रति सं० १० । एत्रसं० १०६ 1 ले. काल सं १८३० फागुन वुद्दी ५१ पूर्ण । वेष्टन सं. १११ प्राप्ति स्थान-दि० जन पञ्चायती मन्दिर, भरतपुर । विशेष... कुशलसिंह ने प्रतिलिपि करवाई थी तथा अमेर की गई थी। १८४२. प्रति सं०११ । पत्रसं० १४५ । लेकाल सं. १८५२। पूर्ण । वेष्टन सं० ४२६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष रूदावल की गद्दी में प्रतिलिपि की गई थी। १८६३. प्रति सं० १२ । पत्र सं० १७ । प्रा० ११४४१ इञ्च । खे०काल सं० १९२७ वैशाख सुदी ५ ।"पुर्ण । वेपन सं० ११७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर करौली । विशेष-बुधलाल ने प्रतिलिपि की थी। १८६४. प्रति सं० १३ । पत्रसं० ८६ । प्रा० ११३ x ६३ इश्व । लेकाल सं० १८३४ मावरण सुधी । पूर्ण । वेष्टन सं० ८३। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष-जयपुर में प्रतिलिपि की गई थी। १९१५. प्रति सं० १४ । पत्रसं०६७। आsex ६ इच। ले०काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान पाश्वनाथ दि० जैन मनिंदर इन्दरगढ़ (कोटा)। १८६६. प्रति सं०१५। पत्रसं०१५। ले.काल x। अपूर्ण । वेष्टन मं० २३ । प्राप्ति स्थान—पार्श्वनाथ दि० जैन मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा) १९६७. प्रति सं०१६। पत्रसं० १३९ । प्राय १२ x ५ इच। 'मेकास सं० १९६६ हो। सुदी ७ 1 पूर्ण । बेष्टन सं० १२५/७१ । प्राप्ति स्थान—पाश्र्वनाथ दि. जैन मंदिर इन्दरगड (कोटा) १८१८. प्रति सं०१६क, पन सं१५८ । या० १२४ इञ्च । ले०काल सं० १९४८ कार्तिक सुदी ६ । पूर्ण 1 वेन सं. १९ । प्राप्ति स्थान-पार्श्वनाथ दि० अन मन्दिर, इन्दर (कोटा) १८६६. प्रतिसं० १७ । पत्रसं० ४७1 पार १०x१ च । लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ७३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १६००. प्रति सं० १८ । पत्र सं० ११ । प्रा. १० x ५३इन । ले० काल X । पुर्ण । देष्टन सं०१२० । प्राप्ति स्थान-दि० जन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । १६०१. प्रतिसं०१६ । पत्रसं० ८५ । ग्रार ६x६ इञ्च । लेकाल सं० १८३७ मंत्र सुदी १२ । अपूर्ण । वेष्टन सं०५८। प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर बोरसली (कोटा) । १६०२. प्रति सं०२० । पत्र सं० २०३ । आ११४५ इञ्च । ले. काल सं० १८३६ आषाढ़ मुदी १५ ।पूरणं । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [ १७ विशेष - अलवर में प्रतिलिपि हुई थी। १ ३. प्रति १९ पट१३५ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती खण्डेल बाल मन्दिर अलवर । १९०४. प्रतिसं०२२ पत्र सं० १७३। प्रा० १२१x६ इञ्च । ले०काल सं० १९१ कात्तिक सुदी ११ । पूरा । वेष्टन सं० ३८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष-लाला रामदयाल फतेहपुर वासी ने ब्राह्मण हरसुख प्रोहित में मिर्जापुर नगर में प्रतिलिपि करवाई थी। १६०५. अति सं० २३ । पत्र सं० ११० । प्रा० ११४८ इञ्च । ले०काल सं० १८५७ । पूर्ण । वेष्टन सं०७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) १६०६. प्रप्तिसं० २४ । पत्रसं० १३२ । आ० १४४५ इञ्च । ले० काल सं० १८६० मंगसिर सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं०८-२० । प्राप्ति स्थान--..दि. जंन मंदिर बड़ा बीसपंथी दौसा । विशेष-उधेचन्द लुहाडिया देवगिरी कासी (दौसा) ने प्रतिलिपि की थी। १६०७. प्रति सं० २५ । पत्रसं०७१ । प्रा० १२५ x ५३ इञ्च । लेकाल सं० १८५५ वैशाख सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२-६२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर बड़ा बीसपंथी दौसा। १६०८. प्रति सं० २६ । पन सं० १७५ । आ० ११४५ इश्च । लेखन काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा । १६०६. प्रति सं० २७ । पत्रसं० १२६ । प्रा० १२३ ४ ५ इन्च । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०३ । प्राप्ति स्थान ... दि जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा । विशेष-तेरापंथी चिमनलाल ने प्रतिलिपि की थी। १९१०. प्रति सं०२८। पत्र सं० १२ । आ० ११Xञ्च । ले काल स. १६६२ चैत्र सुदी १ । पूर्ण । श्रेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पाश्र्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) १६११, प्रति सं० २६ । पन्न सं० १०६ । ग्रा० १२४५४ इञ्च । ले. काल सं० १८९८ । पुर्ण । वेष्टन सं० ६१-१०६ । प्राप्ति स्थान. दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष. . दसकत स्योबगस का व्यास फागीका । १६१२. प्रति संख्या ३० । पत्र सं० १२२ । प्रा० ६x६ इञ्च । लेकाल सं० १८३२ पौष बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८-११। प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-हरीसिंह टोंग्या ने रामपुरा (कोटा) में प्रतिलिपि करवाई थी। १६१३. प्रति सं०३१ । पत्रसं० ११६ । आ० १२४६ इञ्च । ले काल सं० १८६७ । पूर्ण । बहन सं०१७२ प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। १९१४. प्रति सं० ३२ । पत्र सं. १७४ । प्रा० १०:४५१ इञ्च ! ले. काल सं. १८६६ साब सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन स० २४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मंदिर नगवा । विशेष-लिखितं पं० श्री ब्राह्मन भगवानझम जो बांचं मुन को श्री जिनेन्द्र । Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८८ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम माग १६१५. प्रति सं०३३। पत्र सं० ११८ । ग्रा० १२१x६ इञ्च । ले०काल सं० १६१५ कार्तिक बुदी ११ । पुर्ण । वेष्टन सं०५०१ प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर तेरहपंथी नगया। विशेष-पुस्तक चंपालाल वैद ने की है। १६१६. प्रति सं०३४ । पत्र सं. ११४ । आ० १२३४६ इञ्च । ले० काल x 1 थपूर्ण । वेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान--दिजैन मन्दिर श्री महावीर, दी। विशेष-११४ स याग पत्र नहीं है । १६१७. प्रतिसं०३५। पत्र सं. १८२-२६२ । प्रा०.४५ ३ञ्च । ले०काल x 1 अपूर्ण । बेधन सं० २१७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नागदीबूदी। १६१८ प्रति सं० ३६ । पत्रसं० १२६ । प्रा. १०५४६ इञ्च । ले. काल X । पुर्ण । वेश्न सं०७-४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का रंगरपुर। १९१६. प्रति सं०३७ । पत्रसं० ११७ । आ० १२४५३इ । ले० काल मं० १८४८ भादया मदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०५०। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बदा। विशेष-नवाई प्रतापसिंह के राज्य में सन्नाई माधोपुर में प्रतिलिपि हुई। १९२०. प्रति सं० ३८ । परसं० ७८ । आ० १२ x ५३ इञ्च । ले०काल ४ । अपूर्ण । बेष्टन सं०५१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बू दी। १९२१. प्रति सं० ३६ । पत्रसं० १३१ । प्रा० १२४५५ इ-च। ले. काल सं० १८३५ श्रायसा सूदी १ । पूर्ण । देष्टनसं०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर मादिनाथ वू'दी। विशेष-सवाई माधोपुर में प्रतिलिपि हुई थी। १९२२. प्रति सं०४० । पत्र सं० १२८ । प्रा. १०-६३ इञ्च । ले० काल: । अपूर्ण । बेधन सं० १७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर अग्रवाल उदयपुर । १६२३. प्रतिसं०४१। पत्र सं. १०४ । प्रा० १२:४४ इञ्च । ले० काल x 1 अपूर्ण वन सं० २१५ । प्राप्ति स्थान-..दि.जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी जदी। विशेष-१०४ से प्रागे पत्र नहीं हैं । १९२४ प्रतिसं०४२। पत्र सं०६४। आ० १०xx.७१ इञ्च । ले० काल x । पूर्ण । वत सं० २१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनदन स्वामी बदी। विशेष प्रारम्भ के पत्र किनारे पर कुछ कटे हुये हैं। १६२५. प्रति सं० ४३ । पत्र सं० २४८ । प्रा०११४६ इन्च । ले. काल सं० १९१४ । पुणे । वेष्टन सं०७ । प्राप्ति स्थान—दि जंग मन्दिर पार्श्वनाश चौगात दी। विशेष-साहजी थी दौलतराम जी कासलीवाल ने लिखवाया था। १९२६. प्रति सं०४४ । पत्रसं०१-१३० । प्रा० ११ x ५३ इन्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६५ । अपुर्ण। प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर, जयपुर । १९२७. प्रतिसं०४५। पत्रसं. १७३ । प्रा. ११५८ । ले० कालX । श्रेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर 1 Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [ १८६ १९२८. प्रति सं० ४६ । एमसं० ११७ । ले० काल X । पूर्ण । वेधनसं० ८६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन तरहषधी मन्दिर बसवा । १९२६. प्रतिसं०४७ । पत्रसं० १०३ । पा० १.१४५ इञ्च । ले. काल सं० १८०४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-भ. दि जैन मन्दिर अजमेर । १९३०, प्रति सं०४८ । पत्र मं०६३ । प्रा० १०१ ४७३ इञ्च । लेखन काल सं० १९०७ । आसोज बुधी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३०६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० र मन्दिर अजमेर । १६३१. श्रात्मावलोकन-दीपचन्द कासलीवाल । पत्र सं० १०६ । आ० ११४४ इञ्च | भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-यायात्य । र काल ४ । ले० काल स०११२१ । पुगा । वेष्टन स० ८५ । प्रारित स्थान-पंचायती दि• जैन मन्दिर प्रलयर ।। १९३२. प्रति सं०२। पत्र सं० १८५ । ले काल सं० १९२५ आषाढ शुक्ला १ । अपूर्ण । वे० सं० १४ । प्राप्टिः स्थान- दि जैन मन्दिर, दीवा जी भरतपुर । १६३३. प्रति सं०३ । पत्र सं०५६ । आ० १२४६३ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०६३ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । १९३४. प्रति सं०४ । पत्र सं० ६१ : प्रा० १२३४७ इश्व । लेकाल सं० १८८३ अागोज बुदी १३ । पूणे । वेष्टन सं० ८५ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर पंचायती कामा । विशेष-- जोवराज उमरावसिंह कासलीवाल कामा ने प्रतिलिपि कराई थी। मेढमल दोहरा भरतपुर वाले ने अचनेरा में प्रतिलिपि की थी । श्लोक सं० २२५० । १६३५. प्रतिसं०५ । पत्र#० १०७ । ग्रा० १०.४४३ इञ्च । लेकाल सं० १७६६ आसोज सुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान- दि जैन पंचायती मंदिर, कामा । विशेष—थी केशरी सिंह जी के लिये पुस्तक लिखी गई थी। १६३६. आलोचना-1 पत्र सं० ७ । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-चितन । १० माल X । ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६७६ । प्राप्ति स्थान--दि० चैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १९३७. आलोचना-X: पत्रसं०.१ । आ. १०३ x ४१ इच। भाषा-हिन्दी । विषयचित्तन । 'र० काल ४ ।ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं०-१७४-१२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। १९३८, पालोचना जयमाल - ० जिनदास । पत्र सं० ३ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय - चितन ! २० काल X । ले० काल x'। पूर्ण । श्रेष्टन सं० ६१६ । प्राप्ति स्थान-- भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-किये हुए कार्यों का लेखा जोखा है । १९३९. आलोचनापाठ-४ । पत्रसं० १३ । प्रा. ११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -चिंतन ! २० काल X । ल० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०-१३७६ । प्राप्ति स्थान---भट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर | Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० ] [ ग्रन्थ सूत्री-पंचम भाग १६४०. इन्द्रिय विवरण--X । पत्रसं०३ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-चिंतन । २० काल X । लेकाल X । अपुर्ण । वेष्टन सं० २१४,८५१ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर 1 १६४१. इष्टोपवेश--पूज्यपाद । पत्रसं० ६ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषमअध्यात्म । र०कास ४ । ले० काल x। वेष्टन सं० ५१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तश्कर जयपुर । १६४२. कातिकेयानुप्रेक्षा-स्वामी कार्तिकेय : पत्रसं० २७ । प्रा० ६५ x ४१ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-अध्यात्म । १० काल | ले. काल x । पूर्ण । बेप्टन सं०५१। प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । १६४३. प्रतिसं० २। पत्रसं० ३२ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५१ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । १९४४. प्रतिसं०३ । पत्रसं० ३४ । लेकाल सं० १६१७ भादवा सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४१ । प्राप्ति स्थान-भारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । बिशेष-मंडसाचार्य भवनकीति के शिष्य मूनि विशाल कीति से साह जाट एवं उसकी भार्या जाटम दे खंडेलवाल भीसा ने प्रतिलिपि करवायी यी । १६४५. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० २८ । आ० १३४५ इञ्च । लेकाल सं० १६१० । पूर्ण । वेशन सं० १७८११७० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । विशेष --प्रतिजीणं है। प्रशस्ति-सं० १६१० वर्षे वैशाख जुदी १४ सोमे श्री मुलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगरो श्री कुदकू'दाचार्यान्वये भट्टारक श्री विजयको ति तत्प? भट्टारक श्री शुभचन्द्र सद् शिष्य ब. कृष्णा अ० लीषा पठनार्थ ईवध गोये द्या. राभा भा० रमादे सु० द्या. पंचायणि भा० परिमलदे इदं पुस्तकं कम क्षमार्थ लियापितं । कठिन शब्दों के अर्थ दिये हुए हैं। १६४६. प्रतिसं०५। पक्ष स. २३ । प्रा०१२३४५६ञ्च | लेकाल सं० १६३८ । पूर्ण । धेटन सं० १२५ । प्राप्ति स्थानदि जैन मंदिर अग्रवाल उदयपुर । विशेष- प्रशस्ति निम्न प्रकार है-- संवह १६३८ वर्षे मार्गशिर वदि २ भौमे जबताया- अमस्थाने श्री जिनचैत्यालये श्री मूलसंघे बलात्कारगणे श्री कुदकुदामाधिये श्री पनकीति, सकलकीति, भुवनकीति, ज्ञानभुषण, विजयकीति, शुभचन्द्र देवाः सुमतिकीतिदेवा थी गुणकीति देवास्तद् गुरु भ्राता ब्रह्म श्री सामल पठनार्थ । १९४७. प्रतिसं०६। पत्र सं०७६ । ग्रा०६x४ इन्च । ने० काल सं० १५७२ भादवा सुदी ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं २६२ । प्राप्ति स्थान- अग्रवाल दि. जैन मन्दिर उदयपुर ! १९४८. प्रतिसं०७ । पत्र सं० ५६ : ले० काल सं० १६१३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । विशेष-संस्कृत दबा टीका सहित है। Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [ १६१ १९४६. प्रति सं०८ । पत्रसं० १०५ । ग्राr x ६ इञ्च । ले०काल सं० १८६९ चैत बुद्दी ४ । पूरी । वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर वेर (बयाना) । १९५०. प्रति सं०६। पत्र सं० २१ । ० १.१४५६च । से०काल सं० १८११ चैत्र बुदी १३ । पूरणं । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (दो) । विशेष .. लिविमल के शिष्य २ रामविमल ने प्रतिलिपि की थी। १९५१. प्रति स. १० । पत्र सं०-X । या० १३ ४ ५ इञ्च । ले० बाल ४ । पूर्ण । वेष्टन पं० ३२१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । १९५२. प्रति सं० ११ । पत्र सं० २५ । प्रा० १.४६ इञ्च । लेकाल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी बूदी। १६५३. प्रति सं० १२ । पत्र में०६-५६ । ग्रा० ११३ ४ ५३ इञ्च । लेकाल ४ । अपूर्गा। वेष्टन सं० ५११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-प्रारभ के ८ पत्र नही है। १६५४. प्रति सं०१३ । पत्र सं० १३ । प्रा० x ५६ इन्च । ले०काल x. । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६६ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मान्दर लश्कर जयपुर । १९५५. प्रति स० १४ । पत्र सं० ६० । प्रा० १०४ ५ इञ्च । ले काल x 1 बेएन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर, लफ्फर, जयपुर। विशेष--कहीं २ कठिन शब्दों के संस्कृत में अर्थ एवं टिप्पणी दिये गए है।। १९५६. प्रति सं० १५१ पत्र सं० २६ । प्रा० १.१४४१ इञ्च। भाषा- प्राकृत । विषयअध्यात्म । २० काल.. | ले० काल x | नेष्टन सं०६३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर लपकर, जयपुर 1 विशेष-मुनि लक्ष्मीचन्द्र ने कर्मचन्द्र के पठनार्थ लिखा था। १९५७. प्रतिसं० १६ । पत्रसं० २४ । आ०१० x ५ मा ।ले. कास-सं० १५३५ मा शीर्ष सदी १५ । वेष्टन सं०६४ । प्राप्ति-स्थान—दि जैन मन्दिर लाकर, अयपूर ।। १६५८. प्रति सं० १७ । पत्र सं० २० । आ० ८३ x ४ इश्च । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३०-४६ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बढ़ा दीसपंथी दौसा । १६५६. प्रति सं०१८ ३ पत्र सं० ४१ । लेखन बाल ४ । पूर्ण । येष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मदिर डीग । १६६०. कार्तिकेयानुप्रेक्षा टीका-शुभचन्द्र। पत्र में० २५६ । आ० १० x ४३ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-चितन । र० काल सं० १६०० । ले० काल सं० १७६८ माघ सुदी ५। पूर्ण । बटन सं०१०७६ । प्राप्ति स्थान · भट्टारकीय दि० जैन मंदिर प्रजमेर । १६६१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ६०-१०४ । प्रा० १२ x ५३ इञ्च । ले० काल ४३ अपूर्ण । वेष्टन सं० ३०६ । प्राप्ति स्थान. --दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी वू दो। Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग १६६२. प्रति सं०३। पत्र सं० ३२६ । ले. काल सं० १५८० कातिक मुदी १३ । पूर्ण । वष्टन मं०२६०। प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । विशेष-सरसनगर में लिखा गया था । १९६३. प्रति सं०४। पत्र सं० २३९ । मा० १२ x ६ इञ्च । ले. काल सं० १७६० । पूर्ण । देष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष प्रति जीर्ण है। १६६४. प्रतिसं० ५। पतं५-१४५। ले. काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ८। प्राप्ति एतन- दिन भारती...ती। विशेष प्रति प्राचीन है। १६६५. प्रति सं० ६.। पत्र संख्या ५० प्रा० १४.४६ इञ्च । लेखन काल सं १६२४ पौष सूदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष लेखक प्रशस्ति स्वातिथी सबत १६२४ वर्षे पौष माने शुक्ल पक्षे दशभ्या १० तिथो थी बुधवारे श्री ई लाया शुभस्थाने श्री ऋषभ जिन चैत्यालये थी मूलमयेधी सरस्वती गन्छे श्री बलात्कारगरो श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री पद्यनंदि देवास्तत्प? भा थी देवेन्द्र कीर्ति देवास्तत्प? श्री विद्यानंदि वास्तत्पट्ट भ० श्री मल्लि भूषरणदेवास्तत्प? भ• श्री लक्ष्मीचन्द्र परमगुरु देवास्तत्प? भ० श्री दीरचन्द्र देवास्तत्प? भट्टारक श्री शान भूपरण गुरवो जयतु सथात्प भ० श्री प्रभाच-द्र गुरवोनंदन । श्री प्राचार्य श्री सुमति कीतिना लिखापिता स्वहस्तेन शोधितेयं टीका । आचार्य रत्नभूपण जयतु । श्री कातिकेयानुप्रेक्षा सटीका समाप्ता । १६६६. कानिकेयानुप्रेक्षा भाषा-जयचन्द्र छाबडा। पत्र सं० १०८ । प्रा० १२ X ८ इन्छ । भापा - राजस्थानी (दुवारी ) । दिषय - अध्यात्म। २० काल सं० १८६३ सावन वुदी ३. ले० काल मं० १९६४ वैशाख वुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं०१५७० । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-ग्रंथ रचना के ठीक ह माह बाद लिखी हुई प्रति है । १६६७. प्रतिसं० २। पत्र सं० १०६ । प्रा०८३४६५ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दि अयवालों का अलवर ।। १९६८. प्रतिसं० ३। पत्र सं० १०६ । था. १०१ x ७ इश्च । लेकाल १५७१ । पूर्ण । वेष्टन सं०७६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अग्रवालों का अलवर । १६६६. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० १.३६ : प्रा० ११३ ४ ५३ इञ्च । ले. काल स० १८८७ । पूर्ण । येषन सं०६। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरह पंथी मालपुरा (टोंक)। विशेष जीवनराम कासलीवाल ने प्रतिलिपि की थी। १६७०. प्रतिसं०५। पत्रसं० २३७ ।। आ० १०४७ इञ्च । ले० काल सं० १९५३ । पूर्ख । वेष्टन सं०८८1 प्राप्ति स्थान --दि०जन मन्दिर श्री महावीर खुदी। १९७१. प्रति सं०६। पत्रसं०६३ । प्रा० १३४८ इञ्च । ले०काल सं० १९६१ । पूर्ण । देन सं०। प्राप्ति स्थान-दि० जैन अगवाल मंदिर नखात्रा। Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ १६३ १६७२ प्रति सं० ७॥ पत्ररां० १७ । आ० ११ x ६ इव । ले० काल । पूर्ण वेधून सं० १२४ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक | १९७३ प्रति सं० ८ पत्र [सं० १४७ | आ० १२९८ इव । ले० काल स० १६४६ ज्येरठ बुदी ५ । पूर्णं । वेष्टन सं० १०४५ | प्राप्ति स्थान - पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़ ( कोटा ) | १६७४ प्रति सं० १२ अपूर्ण । वेष्टन सं० ५ पत्र सं० ६३ । प्रा० ९३४६३ इव । ले० काल सं० १०३७ चैत बुदी प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मंदिर वोरसली कोटा । १६७५. प्रति सं० १० । पत्रसं०] १०८ | श्रा० ११९५ इन्च | ले० काल X। पूर ं । वेष्टन सं० १६४ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर खण्डेलवाल अलवर | १६७६. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ८१ । ले० काल X। अपूणं । वेष्टन सं० १६५ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन खण्डेलवाल पचायती मन्दिर अलवर | १६७७. प्रति सं० १२ । पत्रसं० ५०१ । ले० काल सं० १८६० पूर्ण वेष्टन सं० १६२ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष - भरतपुर में हेतराम रामलाल ने बलवन्तसिंह जी के राज्य में तु १६७८. प्रतिसं० १३ । सं० २१५ । ले० काल X स्थान - दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १६८०. प्रति सं० १६ । पत्र [सं० २३२ । वेष्टन सं० ११४ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर छोटा बयाना । १६७६. प्रति सं० १४ । पत्रसं० २०८ । ले० काल X | पूर्ण वेष्टन सं० ५३३ प्राप्ति स्थान --- दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । प्रतिलिपि करवाई थी । येन सं० ५३२ । प्राप्ति १६८३. प्रति सं० १८ सुदी १ । । वेष्टन संख्या ८४ १६८१. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० ११२ । प्रा० १२९७ इञ्च । ले०काल सं० १८६८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर पंचायती कामा । विशेष – प्राकृत में मूल भी दिया हुआ है । प्रा० १० X ६२ इव । ले० काल X पूर्ण १६८२ प्रति सं० १७ । पत्र सं० १९२ । ले०कान X पू ं। वेष्टन ०७ प्राप्ति स्थान – दि० जैन पत्रायती मंदिर हुण्डावालों का डीग । १९८४ प्रतिसं० १६६ पत्र० १०९ । १६ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर तेरहवी दौसा । विशेष १०६ से आगे के पत्र नहीं है । पत्रसं० ४८ । ग्रा० १३ X ६१ इञ्च । ०काल स० १५६२ भादों प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करोली | विशेष – चिम्मनलाल बिलाला ने नेमिनाथ चैत्यालय में इस प्रति को लिखवाई थी। आ० १० X ७१ इ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६८५. प्रति सं० २० । पत्र सं० १५० । श्र० १२ x ५३ इञ्च । ले० काल स० १८६१ भादवा बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) | विशेष – श्री चौबेरामू ने वन्द्रपुरी में प्रतिलिपि की थी । Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९४ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग १९८६. प्रति सं० २१ । पत्र सं० ११२ । ० १२९६इन । ले० काल रां० १६१२ । पूर्ण विटन सं० २५३१२५ प्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का टूमरपुर। १६८७. गुरगतीसी भावना विषय-वितन र० काल X ले०काल जैन मन्दिर सम्भवनाथ उदयपुर | X 1 पत्र सं० ५ । श्र० ९४४३ इख । भाषा - हिन्दी | । प्रपूर्ण बेटन सं० २६० २९६ प्राप्तिस्थान दि० अन्तिम उगणीसोभावना लगोजे सत्य विचार जमनमाहि समरसि ते हरसे ससार ॥ १६८० गुण विलास नथमल दिलाला पत्र [सं० २१ अध्यात्म । रचना काल १८२२ अषाढ़ बुदी १० । ले०काल १८२२० २०१ प्राप्तिस्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । 1 १६८६. चारकषाय साथ पश्चसुन्दर हिन्दी विषय जितन २० काल X | - । ० का प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटर । विशेष- ऋषि रत्न ने उदयपुर में लिखा। प० । श्र० १० X ० १७१३ पौष नदी ३ १०. चिविलास - दीपचन्द कासलीवाल । पत्र सं० ४४ । भाषा हिन्दी (गद्य) विषय पध्या २० का ० १७७१ फानुगा बुद्दी ५ वेष्टन सं० १०५० प्राप्तिस्थान- भट्टारकी दि० जैन मन्दिर जनेर । भाषा - हिन्दी (पद्य) विषय... - षाड़ सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० विशेष – महात्मा जयदेव ने जोबनेर में प्रतिलिपि की थी। १९०२. प्रति सं० ३ | सुदी १३ । पू । वेष्टन सं० ३७/७ विशेष – प्रत्येक पत्र में १९६३. प्रति सं० ४ वेष्टन मं० ११४ प्राप्ति स्थान ४ इन् । भाषापूर्ण वेष्टन सं० २० १६६१. प्रति सं० २ । पत्र स० २४ प्रा० १२४४३ एच । ले० काल सं० १८६१ । पूर्ण बेष्टन सं० १२२ प्राप्ति स्थान दि०जैन मन्दिर भादवा (राज०)। । ७ पंक्ति एवं २२-२४ अक्षर हैं । आ० १०३ X ५ इञ्च । ले० कास । पूर्ख । पत्र सं० १४१ । प्रा० X ४ इञ्च । ले० काल स० १०५४ ज्येष्ठ प्राप्तिस्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर | पत्र सं० ६७ ०१४४३ इव दे०काल सं० १७७६ पूर्ण । । । । । दि० जंन मन्दिर दीवानी कामा । १९६५. प्रतिसं० ६ [सं०] १७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पंचायती बयाना । १६६४. प्रति सं० ५ । पत्रसं० ५१ प्रा० १३ X ७ इञ्च १ ले० काल सं० १६०६ । पूर्ण । वेश्र्न [सं० प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा । ० ५२ । धा० १०३.४७ एच ले० काल X पूर्व म विशेष- मोहनलाल कासलीवाल भरतपुर वाले ने प्रतिलिपि की थी। माह सुदी १४ सं० १६३२ में मौलदार श्रीराम बैनाडा ने बयाना के र चढ़ाया था । १९६६. प्रतिसं० ७३ पत्रसं० ६६ । ले० काल ४ । पूर्णं । वेटन सं० ४११ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र । [ १६५ विशेष-जोधराज कासलीवाल ने लिखवाया था। १९६७, प्रति सं०८१ पत्रसं०६५ । लेकाल सं० १९५४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१६ 1 प्राप्ति स्थान:-दि जैन मन्दिर पंचायती भरलपूर । विशेष-भुसावर वालों ने भरतपुर में चढ़ाया था । १९६८. प्रति सं०६। पत्र सं० १४१ । ग्रा. १४४१ इस । ले०काल सं० १५५५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १११ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा । १९६६. प्रति सं. १०। पत्र सं० ६८ । प्रा०८३५६ इञ्च । ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । २०००. प्रति सं०११ पत्रसं० १४ । प्रा०x४श्च । ले० काल सं० १७५१ । पूर्ण । वेत म०५३। प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर पंचायती खंडेलवास अलवर । विशेष - इस प्रति में रचनाकाल सं० १.५४६ तथा लेखनकाल सं. १७५१ दिया है जबकि अन्य प्रतियों में रचना काल सं० १७७६ दिया है। २००१. प्रतिसं० १२ । पत्र ० ६६ । ले कान x 1 पूर्वं । वेष्टन सं०८८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मंदिर खंडेलवाल अखबर । २००२. चेतावरणी ग्रंथ–रामचरण । पत्र सं०७ । ग्रा० १३ ४ ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सुभाषित एवं अध्यात्म | र कालX । ले०काल सं० १८३३ । पूर्ण । वेष्ठन सं० १०७ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा । विशेष—आदिमाग प्रथम नमो भगवंत कू, फेर नमो सब साध । कहूं एक चेतावणी सुवाशी विमल 'अगाध ।। बँधे स्वाद रम भोग सू' इम्प्रया तरणा प्ररथ । उन जीवन के चावे करू चितावरणी नथ 11 रामचरण उपदेश हित करू' ग्रथ विस्तार । पन्यो प्राण भव कूप में निवास अर्थ विचार ।। चौको-दिवाना चत' रे माई, तुज सिर गजव चलि पाई । जरा की फौज प्रति मारी, करे तन लूट के ख्यारी ।। अन्तिम–रामचरण जज राम संत कहे समझाय । सुख सागर कू छोड़ के मत छीलर दुख जाय ।। सोरठा-भरीयादक कलि जाय सबद ब्रह्म नाहीं कले। रामचरण रहत माहि चौरासी भट काटले ।। चोरासी की मार भजन विना छटे नहीं। ताते हो हुशियार एह सीम्य सतगुरू कही ।।१२१।। इति चेतावणी नथ । लिखितं सुनेल मध्ये पं० जिनदासेन परोपकारार्थ ॥ Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २००३. छहढाला-टेकवाद । पत्र सं० है । आ० x ५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयचिन्तन । २० काल ४ । ले०काल-X । पूर्ण । वेष्टम सं०८८। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर भादवा (राज.) । २००४. छाला-दौलतराम पल्लीवाल । गत्र सं० १२ । आ. x ५ । भाषा-हिन्दी । विषर-चिन्तन । २० काल सं० १८९१ वैशाख सुदी ३ । ले० काल-X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५५२ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जन मंदिर अजमेर । २००५. प्रतिसं० २ । पत्रसं० १५ । मा० ७६ x ५६ इञ्च । ले०काल x | पूर्ख । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष-अंत में बारहमासा भी दिया हुआ है जो अपूर्ण है । २००६. प्रति सं० ३ । पत्रसं० १७ । प्रा० ७. ४ ५३ इञ्च । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १० | प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर छोटा बयाना। २००७. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० १० । आG EX६ इब्न । ले काल--- 1 पूर्ण । वेष्टन सं०७२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान 'दी। २००८. प्रति सं०५। पत्र सं० २८ । मा० १२४६६ इञ्ज । ० काल-सं०१६६५ मंगसिर मुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११७ । प्राप्तिस्थान—दि जैन मन्दिर, फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष--६० जगनाथ चंदेरी वाले ने प्रतिलिपि की थी। २००६. प्रति सं०६। पत्रसं० १० । प्रा० x इच । लंकाल X । पमा । थप्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर भादवा (राज.)। २०१०. प्रति सं०७। पत्रसं०१०। प्रा० .४५१ इच । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८७:१२ । प्राप्तिस्थान—दि जैन मन्दिर भादवा (राज.) । २०११. प्रति सं०८। पत्र सं० १३ । प्रा० ११४७ इञ्च । ले० काल-सं० १९४३ । पुर्ण । वेष्टन सं० १३। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर श्रीमहावीर बूदी । २०१२. छहढाला-बुधजन | पत्र सं०२ । प्रा० १२x६ इच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-चितन । र०काल सं० १८५६ वैशाय मृदी ३ । ले०काल सं० १८६० आसोज सुदी १४ । पूर्ण । बेधत सं०३६:१४२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर नेमिनाथ जी टोडारायसिंह । बिशेष-पं० उदराम ने डिग्गी में प्रतिलिपि की थी। प्रति रचना के एक वर्ष बाद की ही है। २०१३. ज्ञानचर्चा-४ । पत्र सं०४७ । ग्रा० १२१x६इच । भाषा-संस्कृत । विषयअध्यात्म । र०काल X। लेकाल सं० १८५४ पौष सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५४ । प्राप्ति स्थान--मदारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । २०१४. ज्ञान दर्पण-वीपचंद कासलीवाल । पत्र सं० २८ । प्रा० ११ x ५ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-अध्यात्म । २० कार ।ले. काल सं० १८६५ कार्तिक सुदी ६ । पूर्ण । बेष्टन सं० ११४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-रामपुरा के कोटा में प्रतिलिपि हुई थी। Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ T t अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ kTA २०१५. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ३१ । श्रा० X ६३ इव । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन ०३६ प्रस्थान दि० जैन तेरापंथी मंदिर नंगावा । विशेष – ३१ से आगे के पत्र नहीं हैं । २०१६. ज्ञानसमुद्र - जोधराज गोदोका । पत्र स० ३४ ॥ श्र० १०३४५ इव । भाषा - हिन्दी | विषय - अध्यात्म २० काल सं० १७२२ मंत्र वृदी ५ ले०का पूर्ण वेष्टन सं० ४१ / २६ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर मादवा (राज० ।। २०१७. प्रति सं० २०२६० १०५ ले०काल स० १८६५ झापाड बुढी ७ । पु । वेष्टन मं० ६८ प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा । बिशेष – हेमराज अग्रवाल के सुत मोतीराम ने प्रतिलिपि की थी । कृपाराम कामा वाले ने प्रतितिति कराई थी। २०१८. ज्ञानाव- प्रधार्य शुभचन्द्र पत्रसं० १४२ ० १०४३ इव भाषासंस्कृत विषय योग। ए०का X ले० काल सं० १६५० ज्येष्ठ ख़ुदी ७ पूर्ण वेष्टन [सं० ४०८ ॥ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर अजमेर । - २०१६. प्रतिसं० २ २८ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन ० १४६ | प्रा० १०५ ० काल X। पूर्ण । जेन सं मन्दिर अजमेर | मावा बुदी २ पूर्ण वेष्टन सं० १२५ २०२०. प्रति सं० ३ । पत्रसं० १५१ । ० ११३ X ४३ इस । ले० काल सं० १५.१५ प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर धजमेर। विशेष—खक प्रशस्ति विस्तृत है। २०२१. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० २०६ । ० ६५३ इञ् । ले०काल सं० १८१२ पौष सुदी १५ पूर्ण बेष्टन सं० २०७८ प्राप्ति स्थान- मट्टारकीय दि०जैन मन्दिर भजमेर | विशेष—प्रति हिन्दी टीका सहित है। २०२२. प्रति सं० ५ ख़ुदी ४ पूर्ण वेष्टन १० ६८५ विशेष - तक्षकपुर में पं० कर्पूरचन्द्र ने ग्राम पठनार्थ बिटा था २०२३. प्रतिसं० ६ ख़ुदी १२ पूर्णा बेन सं० १२०० २०२४. प्रतिसं० ७ । ११५१ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० पत्रसं० ७५ प्रा० ११ ५३ इले० काल सं० १७७३ कार्तिक प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर ० १२०० १०३४४३ इञ्च । ले० काल सं० १७२७ फागु प्राप्ति स्थानम०वि० जैन मन्दिर अजमेर । पत्रसं० ८२ । ० ११५ जैन मन्दिर अजमेर । । ले० काल ४ । पू । वेष्टन सं० २०२५. प्रति सं० ८ पनसं०] १७ प्राप्ति स्थान—म० दि० जैन मन्दिर, अजमेर । विशेष ग्रंथ चिपका हुआ है। गुटका साइज में है । २०२६. प्रति सं० सं० ७०-१४०० ११४५ च । ०काल पूर्ण वेष्टन [सं०] १३० प्र. प्ति स्थान दि० जैन दाल मन्दिर भरतपुर । ० ७ ० काल x 1 अपू बेन सं Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ ] विशेष – प्रति हिन्दी टत्वा टीका सहित है । २०२७ प्रति सं० १० । पत्र० २ १५ । श्रा० १३ X ५३ ले० काल X 1 पूर्ण । वेष्टन ० ७९ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष – केवल योगप्रदीपाधिकार है प्रति प्राचीन है । २०२८. प्रतिसं० ११ पचसं०] १३ ० ६३.४४ इस ले०काल पूर्ण वेष्टन पं० ४१-६ प्राप्ति स्थान दि०जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग २०२६. प्रतिसं० १२ । पत्र सं० ७६ । आ० ६६ × ५३ इव । ले०काल X। पूर्ण वेष्टन सं०१६० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन प्रवाल मन्दिर उदयपुर । २०३०. प्रति सं० १३ । पत्र० ३ ४३ । श्र० १०३ X ८ इश्व । ले०काल X अपूर्ण । वेन सं० २१७ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २०३१. प्रति सं० १४०७९० ३x४ ए०काल X पूर्ण वेष्टन सं० १७२ प्राप्ति स्थान दि० जैन इग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति हिन्दी या टीका राहित है । - २०३२. प्रतिसं० १५ पत्र सं० १०७ ० १०५ इ ले०कान सं० १७२८ कार्तिक बुदी ५ पूर्ण न नं० ९० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेपटी (सीकर) विशेष- रामचन्द्र ने लक्ष्मीदास से जहांनाबाद सिहपुरा में प्रतिलिपि कराई। कालिक वदी 35 [सं०] १८७० में बहुमत के पुत्र ज्ञानीराम ने बड़ा मन्दिर फतेहपुर में चढाया। २०३३. प्रतिसं० १६ पत्र सं० ११ ० १०४ इच का X पूर्ण वेष्टन सं० १३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर तेरहपंची दौसा। विशेष – केवल योगप्रदीपाधिकार है । २०३४. प्रतिसं० १७ पूर्ण वेष्टन सं०] १५ प्राप्ति स्थान २०३५. प्रति सं० १८ । पत्र सं० १२७ । १७४ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानत्री कामा । ० ११७० १२५५३ इ काल सं० १७५२ दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । [अ०] १२४६ इन्च लेकाल X बेष्टन सं० २०३६. प्रति सं० १६ पत्र सं० १९० सुदी २ पुणे वन सं० ७१ । प्राप्ति स्थान ११५३ VVT दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ०० १६२६ काल सं० २००६ भादवा २०३७. प्रतिसं० २० एव सं० ६७ सं० २५६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । बिशेष – सरोज लिखा गया था । २०३८ प्रतिसं० २१ पत्र सं० १३६ ले० काल । पूर्ण वेष्टन सं० २५१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । वृदी १२ पूर्ण वेष्टन २०३९. प्रतिसं० २२ । एव सं०] १३२ ॥ से० काल । पूर्ण बेटन सं० २६० प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [ १६६ २०४०. प्रति सं० २३ । पत्र सं० ६३ । प्रा० १२४४ इच । ले०काल सं० १५४८ । पूर्ण । वन सं: १६५। पानिमार-- है। पन्दिर बोरसली कोटा । प्रशस्ति-संबई १५४८ वर्षे वैशाख सुदी २ गुरुवासरे गोपाचलगढ़ दुर्ग महाराजाधिराज थी मानसिंहदेव राज्यप्रवत्त माने श्री काष्ठासंघे मधुरान्वये पुष्करगरणे भट्टारक श्री गुणकीतिदेवा तत्प भटारक श्री यशकीतिदेवा तत्पष्ट भ. श्री मलवकीतिदेवा तत्पद महासिद्धांत मागम विद्यानवाद-उद्घाटन समशीतः तत्पंदिलाचार्य श्री गुणभद्रदेवा तस्य प्राम्नाये अग्रोकालये मगंगोत्रे सादिछ ज्ञानार्णव नथ लिखापित कर्मक्षयनिमित्तं। २०४१. प्रति सं० २४। पत्र सं० १६६। प्रा०५x ४ इन्च । ले० काल सं० १७१४ फागुग्ण सुदी १५ 1 पूर्ण । ० सं० १३८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दोरसली कोटा 1 विशेष चन्द्रपुरी में महाराजाधिराज श्री देवीसिंह के शासनकाल में श्री सांवला पाश्र्वनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की गई थी । सिरोजपुर मध्ये पंडिल मदारी लिखितं ।। २०४२. प्रतिसं० २५। पत्रसं० १७१ । आ० ६३४६ इञ्च । लेकास सं० १८३३ मङ्गसिर बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०५ 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर ददलाना (दी) २०४३. प्रतिसं० २६ । पत्र सं० ५८ । प्रा०६३४४३ इञ्च । लेकाल सं० १७५१ भादवा बुदी २ । पूर्ण । थेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (बू'दी)। २०४४. प्रति सं० २७ । पत्र सं० ६६ । प्रा० ११३४५ इन्च । लेकाल सं० १६४७ आसोज सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १००-७१ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह । विशेष-प्रशस्ति। संवत् १६४७ वर्षे आगो मासे शुक्ल पक्षे दशम्यां तिथौ सोमे । छह श्री बटाधा शुभस्थाने श्री पाश्वनाथ चैत्यालय मूलसंघे भारती गछे थी कुदकुदाम्चये भ. श्री लक्ष्मीचंद्र देवास्त भ० श्री वीरचंद्र देवास्तत्पट्ट भ श्री ज्ञानभूषण देवास्तत्प? भ. प्रभाचंद्र देवास्तत्प भ. श्री वादिचंद्र देवारतेषां शिष्य ब्रह्म थी कीत्तिसागरेण लिखितं। २०४५. प्रति सं०२८ । पत्र सं० १५४ । मा० ११.४५ इन्च । ले०काल x 1 पूर्ण । वेधत सं १२५ । प्राप्ति स्थान-दि जन मंदिर पंचायती दूनी (टोंक)। २०४६. प्रति सं० २६ । पत्र सं० ११५ । प्रा० १०६४६१ इञ्च । लेकाल सं० १९३४ अषाढ दी। पूर्ण । बेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोव्यों का नणवा । २०४७. प्रति सं० ३० । पत्र सं० ३४.७ । या० x ५६ इञ्च । ले० काल सं० १८१२ मंगसिर बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३ । प्राप्ति स्थान-तेरहपंथी दि. जैन मंदिर नगणवा । बिशेष प्रति टन्वा टीका सहित है। २०४८. प्रति सं० ३१ । पत्र सं० ११६ । प्रा० १२.४५ इन । ले० काल X । पूर्ण । बेशन सं०५३। प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर नागदी, बूदी। विशेष-अन्तिम पत्र दूसरी प्रति का है। २०४६. प्रति सं० ३२१ पत्र सं० १३७ । या० १०: ५३इच । ले०काल x। पूर्ण । बेष्टन सं०१ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर मागदी बूदी Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०० ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग २०५०. प्रतिसं० ३३ । पत्र सं०६६ | पा०१३४७ इव । ले० काल x। पूर्ग। वेत सं० १७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बू'दी । विशेष---४२ वीं संधि तक पूर्ण । २०५१. प्रति सं० ३४ । पत्रलं० ८३ । प्रा० १२४५१ इन्च । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं. ११५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर प्रादिनाथ बदी। विशेष-८३ रो आगे के पत्र नहीं हैं । २०५२. ज्ञानार्णव गद्य टीका- तसागर । पत्र सं० ११ । प्रा० ११४४१ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-योग । र०काल x ले० काल सं० १६६१ माघ मुदी ५। पूर्ण । वेष्ठन सं० १२०७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर। विशेष—जोबनेर में प्रतिलिपि हुई थी। २०५३. प्रति सं० २ । पत्रसं० ११ । आ० ११४४ इञ्च । ले० काल x। अपूर्ण । वेहनसं०४६/६ । प्राप्ति स्थान दि० जन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा)। २०५४. प्रतिसं०३ । पत्रसं०६ । श्रा० १३१४४ इन्न । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४७ । प्राप्तिस्थान—दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । २०५५. ज्ञानाराव गद्य टीका-ज्ञानचन्द । पत्र सं.४ । पा० ११३४५% इश्च । भाषाहिन्दी गद्य । विषय'-योग । 'र० काल सं० १८६० माघ बुदी २ । ले०काल सं० १८६० । पूर्ण । बेष्टन सं० २५९-६४ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । २०५६. ज्ञानारपव गद्य टीका-पत्र सं०५1 ग्रा० १०४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । वि० योग । र०का X । ले. काल x वेटन सं०४८ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेर-प्रति संस्कृत टिप्पण सहित हैं । २०५७. ज्ञानार्णव भाषा-टेकचंद । पत्रसं०२६९। प्रा० ११४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय - योग । काल।ले. काल-x | अपूर्ण । घेवन सं०५१। प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर श्री महावीर दी । विशेष - २६६ से प्रागे पत्र नहीं है । २०५८. ज्ञानार्गव भाषा- 1 गत्रसं० २५६ | प्रा० १.१४८ इञ्च । भाषा-संस्कृतहिन्दी । विषय - योग । र०काल X । लेवाल २०१६३० भादवा मुदी 51 पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्रारित स्थान-दि० जन मन्दिर पाश्र्धनाथ चौगान बू दी। २०५६ ज्ञानार्णव सारा-लब्धिविमल मरिण । पत्रसं० १६४ । आ. १०३ ५५३ रञ्च । भाषा-हिन्दी विषय-मध्यात्म । २० काल रा.१७२८ असोज सुदी १० । ले० काल सं० १७६.८ साबण सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं०७१ । प्रापिस्थाम---दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाता । विशेष-दूसरा नाम लक्ष्मीचंद भी है । २०६०. प्रति सं०.२। पत्र सं० २१ । या १२४६ इन्च । ले. काल सं० १८१६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर भादवा (गज.) Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] २०६१. प्रतिसं०३ । पत्र सं० १३६ । प्रा० १०४५३ इञ्च । ले० काल सं० १५२१ आषाढ़ सुदी ५। पूर्ण । येष्टन सं०५५। प्राप्ति स्थान पंचायती दि. जैन मंदिर करौली। विशेष प्रतिम-इति श्री ज्ञानाणत्रे योगप्रदीपाधिकारे गुण दोष विचारे या शुभचंद्र प्रणीतानुसारेण श्रीमालान्वये वदलिया गोत्रे भैया ताराचंद स्वाभ्याचं नया पंडित लक्ष्मीचंद्र विहिता सुखबोधनार्थ शुक्रध्यान वर्णन एकचत्वारिंशत प्रकरणां ।। अग्रवाल वंशीय शोभाराम सिंगल ने करौली में बुधलाल से प्रतिलिपि कराई। २०६२. मति ०४ मा ३: २११४ ६. हन्छ । लेकाल १७६६ माघ सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०६३ । प्राप्ति स्थान--पंचायती दि० जैन मन्दिर करौली । विशेष—किसनदास सोनी व शिन्य रतनचंद ने हीरापुरी में प्रतिलिपि की । २०६३. प्रति सं० ५। पत्रसं० १३५ । ग्रा० १२१४६ इन्च । लेकाल सं. १८५.४ १ पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर, कामा। २०६४ प्रतिसं०६ । पत्र सं० १४ । ले० काल सं० १७६१ माघ सुदी ४ । पूर्ण। बेष्टन सं०८३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन तेरहपंथी मंदिर बसबा 1 २०६५. प्रति सं०७ । पत्रसं० ११२ । ग्रा० १३४५१ इंच 1 ले. काल सं० १७८० फागुण बुदी ११ । अपूर्ण । देपुन सं० १८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। विशेष—१११ वा पत्र नहीं है । २०६६. प्रति सं०८ । पत्रसं० १५८ । लेकाल १७८२ अषाड़ सुदी १५ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३७८ 1 प्राप्ति स्थान.. दि० जैन पंचायनी मन्दिर, भरतपुर । विशेष-खोहरी में लिखी गई । २०६७. प्रति सं०६। पन सं० १११ । ले० कास गं० १७२४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन, पञ्चायती मंदिर भरतपुर । २०६८. प्रति सं० १० । पत्रसं० ४६ । ले. काल सं० १७८४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६८० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पन्चायती मंदिर भरतपुर । २०६६. ज्ञानार्णव भाषा--जयचन्द छाबडा । पत्रसं० २६० । प्रा० ११४७ इन्च । भाषाहिन्दी (गद्य) | विषय योग । २० काल सं० १८६६ माय सुदी ५ । ले. काल सं० १८८६ । पूर्ण । थेष्ट्रन सं० १६१५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर ।। २०७०. प्रति सं०२ । पत्रसं० ३३४ । प्रा० ११४७५ इञ्च । ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । २०७१. प्रति सं०३। पत्रसं० ३०२ । आ० १४x७, इश्च । ले० काल-सं० १९७१ माघ बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं०७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-परशादीलाल ने सिकन्द्रा (प्रागरे) में प्रतिलिपि की । २०७२. प्रति सं० ४। पत्र सं० २६६ । आ० १३४७ इष्य । लेकाल सं० १९०१ द्वि साबण बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २।२ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर सौगाणी करौली। Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष--मायोसिंह ने भरतपुर में सेहराम से प्रतिलिपि करवाई । २०७३. प्रतिसं० ५। पत्र सं० ३२६ । प्रा० १२३४६६ इन्च । लेकाल सं० १९०७ कार्तिक नदी १३ । पुस । वेष्टन सं० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर करीली । विशेष—कार करौली में श्रावक चिमनलाल विलाला ने नानिगराम से प्रतिलिपि करवाई। २०७४. प्रतिसं०६ । पत्रसं० २६.५ । प्रा०१३-७१ इन्च । ले०काल सं०१६ पूर्ण । थेष्टन सं० २३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २०७५. प्रति सं० ७ । पत्रसं० ६० । प्रा० १२३४८ इञ्च । ले०काल सं० १८६७ वैशाख बुदी १० । पम् । वेष्टन स०६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर कामा । २०७६. प्रति सं० ८ । पत्रसं० १३४ । प्रा० १२३४६३ इच । 6. काल : । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर, बोटा बयाना । २०७७. प्रतिसं० ।। पत्र सं० २१२ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०-१४२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर छोटा बचाना । २०७८. प्रति सं० १० । पत्रसं० २८८ । ले० काल १८७५ । ज्येष्ठ बुदी ५ । पूर्ण । 'बेष्टन स० ३६.६ । प्राप्ति स्थान -दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २०७६. प्रतिसं० ११ । घसं० २८५ । ले० काल सं० १८८३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दीवानजी भरतपुर । २०८०. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ३५७ । प्रा० १२४६ इच। ले० काल-सं० १५५० । पूर्ण । वेल सं० ७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । २०८१. प्रतिसं०१३ । पत्रसं३ ३५४ । आ१२.४७ इन्च । लेकाल-x पूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर 1 २०५२ प्रति सं०१४ । पत्र सं० २६० | आ०११४७६ञ्च । से. काल सं० १६०० आसोज मुदी १२ । पूर्ग । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक)। विशेष – पं० शिवलाल ने मालपुरा में प्रतिलिपि की । २०८३. प्रतिसं० १५ । पत्र सं० ३११ । आ० १३४७. इस । ले०काल सं० १६७० पौष सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पानाथ टोडारायसिंह (टोंक) २०८४. प्रतिसं०१६। पत्र सं०३९ । प्रा.१०४५१ इञ्च । ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १०४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष-प्रति उत्तम है। २१८५. प्रतिसं० १७ । पत्र सं० ४०० । प्रा० १०१ X ५३ इञ्च । खे० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०१२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) । २०६६. प्रतिसं० १९ । पत्र सं० १३२ । आ० १२४६च । ले. काल.X । 'पूर्ण 1 वेधत सं०४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन तेरहपंथी मन्दिर नगवा । Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ २०३ २०८७ प्रतिसं० १६ । पत्र सं० २७१ | आ० १३x६३ ६श्च । ले० काल x | अपूर्ण । वेन सं० ३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूँदी । विशेष- केवल अन्तिम पत्र नहीं है । २०६८ प्रतिसं० २० । पत्र सं० ४४० दुरी ८ । पू । ९० प्राप्ति · प्रा० ११X ले० काल सं० १८८३ सावरण दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष- कालूराम साह ने खुशाल के पुत्र सोनपाल मांवसा ने प्रतिलिपि करायी । २१८६. तत्वत्रय प्रकाशिनी टीका - X | पत्र सं० १२ | भाषा-संस्कृत | विषय - योग । र० काल x । ले० काल सं० १७५२ । पूणं । वेष्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर श्रभिनन्दन स्वामी बु I विशेष – ० १७५२ वर्षे माह शुक्ला त्रयोदसी तिथी लिखितमाचार्य कनक कीर्त्ति शिव्य पंडित राय मल्लेन गुरोति । ज्ञानारव से लिया गया है । २०६०. द्वादशानुमेक्षा - कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र ० ६ । ० १०३४४ इञ्च । भाषाप्राकृत विषय अध्यात्म । २० फाल x । ले० काल X 1 वेष्टन सं० ६३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लक्कर, जयपुर 1 २०६१ प्रति सं० २ । पत्र सं० १२ । ० १०३ ४ ५ इव । ले० काल गं० १८८८ वैशाख ख़ुदी २ । वेष्टन सं० ६७ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष - मारणकचन्द ने लिपि की । २०६२. द्वादशश्नुप्रेक्षा - गौतम । पत्र सं०५ । ० १०४४३ । भाषा – प्राकृतः । विषय – अध्यात्म | र काल- ४ | लेल X वेष्टन सं० ६६ प्राप्ति स्थान – अग्रवाल दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर । २०६३. ध्यानसार- -- 1 पत्र सं० प्रा० ६ X ६ योग । २० काल - X | ले० काल सं० १९०३ । पूर्ण | वेष्टन सं० १६ । मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान, बूंदी | २०६४. निर्जरानुप्रेक्षा -X विषय - सभ्यात्म | २० काल - X | दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) 1 । भाषा संस्कृत विषय प्राप्ति स्थान- दि० जैन | पत्र सं १ | प्रा० ६४४३ इश्व भाषा - हिन्दी । काल - XX | पूर्ण । श्रेष्टन सं० २०६ । प्राप्ति स्थान २०६६. परमार्थ शतक - भगवतीदास । पत्रसं० ७ र० काल -- X 1 ले०काल सं० १६०६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५०४ मन्दिर भरतपुर | | - २०६५. खासगभाष्य - X पत्र सं० २६ ॥ श्र० १० X ४३ इञ्च । भाषा - प्राकृत 1 विषय - चिंतन | र० काल X 1 ले० काल x पूर्ण । बेन सं० १८८ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी | भाषा - हिन्दी । विषम – अध्यात्म । प्राप्ति स्थान — दि० जैन पंचायती २०६७. परमात्मपुराण - दीपचन्द कासलीवाल । पत्र सं० ३७ ॥ श्र० ६ ६ ६ Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०४ ] [अन्य सूची-पंचम भाग भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-अध्यात्म । २७ काल-सं० १७८२ अषाढ सुदी ।। लेकाल ५ । पुर्ण । वेपन सं० ६० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर पंचायती कामा। विशेष-दीननंद पानी रेरगांशी कासलीवाल ने आमेर में सं. १७८२ में पूर्ण किया । प्रतिलिपि जयपुर में हुई थी। २०१८. प्रति सं० २। पत्र सं० २६ । आ६६४५.४ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०१४-४७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर कोडियों का डूगरपुर । विशेष-यामेर में लिखा गया । २०६६. परमात्मप्रकाश-योगीन्द्रदेव । पत्र सं० १२ । ० ११४४३ इञ्च । भाषाअपभ्रंश । विषम-अध्यात्म । र काल x ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६६० । प्राप्तिस्थानभट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । २१००. प्रति सं० २। पत्र सं० १८। आ६ x ५३ इञ्च । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० सं० १५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा। २१०१. प्रति सं०३ । पत्र सं० १७४ । या. ७.४५६च । ले०काल x पूर्ण । वेपन सं. ६६ 1 प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २१०२. प्रति सं०४। पत्र सं० १५ । आ० ११४५३ इंच। ले. काल X । पूर्ण । दे० सं० ११५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटष्टियों का इंगरपुर । २१०३. प्रतिसं० ५। पत्र सं० २३ । प्रा०६१४४३ इञ्च । ले. काल सं० १८२८ ज्येष्ठ मुदी । वेष्टन सं० ५५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। २१०४. प्रतिसं०६ । पत्र सं. २३। ग्रा. १४४१ इञ्च । ले० काल सं० १९२८ ज्येष्ठ वुदी १३ । दे० सं० ५६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष-रायपुरा में प्रतिलिपि हुई । २१०५. अतिसं०७ । पत्र सं० ४ । प्रा० १३३४६ इन। ले० काल ५ । अपूर्ण। बेप्टन सं० ४०५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । २१०६. प्रतिसं० ८। पत्र सं० २० 1 प्रा. ११४४, इञ्च । लेवाल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अभिनंदन स्वामी, वंदी, । विशेष-२४३ दोहे हैं। २१०७. परमात्म प्रकाश टीका–पाण्डवराम ।पत्र सं० १४३ । भाषा-संस्कृत | विषयअध्यात्म । र० काल X । लेकाल सं० १७५० वैशाख सुदी। पूर्मा । वेष्टन सं० २३६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन पंचायती मन्दिर मरतपुर । २१०८. प्रति सं० २ । पत्ररां० १७२ । ले०काल X । पूर्ण । बेष्टन स० २४२ । प्राप्ति स्थानदि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २१०६. परमात्मप्रकाश टीका-x। पत्रसं० १५५ । प्रा० १.४४३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-प्नध्यात्म । र०काल x 1 ले०काल सं० १७६४ मंगसिर सुदी २। पूर्ण । वेष्टन सं० १२१७ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [ २०५ २११०. परमात्मप्रकाश टीका-ब्राह्मदेव । पत्र सं० १७५ । ग्रा० १२ x ८ इञ्च 1 भाषाअपभ्रंश संस्कृत एवं हिन्दी (गद्य) । विषय---अध्यात्म । र० काल ४। लेकाल सं० १९६१ द्वि० चत्र सुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४-१७५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बड़ा बीसपंथी दौसा । विशेष-दौलतराम की हिन्दी टीका सहित है । देवगिरी निवासी दचन्द लुहाडिया ने दौसा में प्रतिलिपि की थी। २१११. परमात्मप्रकाश टीका-४ । पत्रसं० १८० । आ०४३ इञ्च । भाषासंस्कृत 1 विषय--अध्यात्म । २० कालX । ले०काल X । बेष्टन सं० १२६२ । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि. जैन मन्दिर, अजमेर । विशेष-लेखक प्रशस्ति अति प्राचीन हैं । अक्षर मिट गये हैं । २११२. परमात्मप्रकाश टीका-व. जीवराज । पत्रसं० ३५ । प्रा० ११४२ इञ्च । र० काल सं० १७६२ । ले०काल सं० १७६२ माघ सुदी ५ । पूर्ण । वेषन सं० ५३४। प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय वि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-बखतराम गोधा में चाटस में प्रतिलिपि की थी । टीका का नाम वालाधबोध टीका है। अन्तिम प्रशस्ति श्रावक कुल मोट मुजस, खण्डेलवाल बखारण । साहबड़ा साखा बडी, भीम जीव कुल भाग ।।१।। राज ससु सुत रेखजी, पुण्यवंत मुप्रमाण । ताको कुल सिंगार, सुत जीवराज सुवजाण ॥२।। पुर नोलाही में प्रसिद्ध राज सभा को रूप 1 जीवराज जिन धर्म में, समपातमरूप ॥३२॥ करि प्रादर बहु तिन करो, श्री भ्रमसी उयझाव । परमात्म परकास को, वात्तिक देह बनाय 11011 परमात्म परकास मो सास्त्र अथाह समुद्र । मेठा अर्थ गम्भीर भगिण, दल अग्यान लिद्र ।।।। सुगुरु ग्यान अंकक सजे पाये कीये प्रतद्य । अथं रत्न घरि जतन, देयो पराली गद्य ।।६।। सतरंस बासटिसम, पखवज सणसार। परमात्म परकास को, वानिक कह्यो बिचारि |७|| कीरति सुदर सुभकला, चिरंजीय जीवराज ।। थी जिन सासन सानधे, सुधर्म सुभिस्वसुराज 11|| इति श्री योगीन्दुदेव, विरचिते तीनसौपैतालीस. 'दोहा पद प्रमाण, परमात्म प्रकास को बालाबोध । सम्पूर्ण संवत् १७६२ वर्षे माह दी ५ दसकस बखतराम गोधा चाटम मध्ये लिखितं ।। Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०६ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग - २११३. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५१ । आ०१३ ६१ इञ्च । ले. काल सं० १८२७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५५६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। २११४. प्रति सं०३। पत्र सं०७४ । प्रा. १x६ इन्च । लेकालx। पूवं । वेष्टन सं० १०२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर नीटोंक) २११५. प्रति सं० ४। पत्र सं० ५-६६ । प्रा० १० ४ ४३ इञ्च ।। ले. काल सं० १८२६ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६. । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर राजमहल (टोंक) विशेष- सवाई जयपुर में आदिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई। जती मुसकीति ने प्रथ मन्दिर में पधराया सं०१८२८ में पं. देवीचन्द ने चढ़ाया। २११६. परमात्मप्रकाश टीका- ४ । पत्र सं० १२३ । प्रा० १०x४१ इञ्च । भाषाअपभ्रश-संस्कृत । विषय - अध्यात्म । २० काल x। ले० काल सं० १५२८ वैशास्त्र मुदी २। अपूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-१२२ नां पत्र नहीं है। टीका ४४०० श्लोक प्रमाण बताया गया है। गोपाचल में श्री कीनिसिंहदेव के शासन काल में प्रतिलिपि हुई। २११७. परमात्मप्रकाश भाषा-पांडे हेमराज । पर सं० १७४ । पा० ८१४९इञ्च । भाष्य--हिन्दी । विषय-अध्यात्म। र काल x | ले. काल रां०१८-६। पूरी । वेष्टन सं० २४६१०० । प्रादि: स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियोका दुगरपुर । २११८. परमात्मप्रकाश भाषा-x। पत्रसं० १०२। प्रा० १३४६३ इन्च । भाषा-- हिन्दी। विपय- अध्यात्म । र०कालxकाल x | अपर्ण । वेष्टन सं०६/४७ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर भादवा (राज) विशेष–अन्तिम पत्र नहीं है। २११६. परमात्म प्रकाश भाषा-x। पत्र सं० १-१४० । प्रा० १०.४४ इञ्च । भाषा--हिन्दी गद्य । विषय अध्यात्म । ०कास x | लेनालx। अपूर्ण | बेष्टन सं६१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है। २१२०. परमात्मप्रकाश भाषा-४ । पत्रसं० ३४ । प्रा०६x४ इन्द। भाषा-हिन्दी गय । विषय-हाध्यात्म । २. काल र । ले. काल X । अपुगे । वेष्टन सं०७७ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर पारर्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) रचयिता-वृन्दावनदास लिखा है। २१२१. परमात्म प्रकाश भाषा--बुधजन। पत्र सं० ५४ । भाषा - हिन्दी। विषय - नध्यात्म । २० काल ४ । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर हण्डाबालों का डीग । २१२२. परमात्मप्रकाश वृत्ति-४ । पत्र सं० ५६-१७८ । प्रा० ११३४३३ च । भाषासंस्कृत । विषय- अध्यात्म । र. कासx। ले०काल | अपूर्ण । वेटनस १३ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] विशेष - प्रति प्राचीन है । श्लोक सं० ४००० है । २१२३. परमात्मप्रकाश भाषा - दौलतराम कासलीवाल । पत्र सं० २६५ | आ० १०३X ६ इव । भाषा - हिन्दी विषय - श्रध्यात्म । २० काल x । ले० काल सं० १८६६ पोप बुदी ५ । पूर्णे । वेष्टनसं० १२६४ | प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | २१२४, प्रतिसं० २ । प० १६२ | या० ११४५ इ । ले० काल सं० १८८२ मङ्गसिर सुदी । पूर्ण वेष्टन सं० ७५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर | विशेष – ब्रह्मदेव की संस्कृत टीका का हिन्दी गद्य में अनुवाद है । [ २०७ २१२५ प्रतिसं० ३ | पत्र सं० १४५ ॥ श्र० १२३४७३ इन्च | ले० काल सं० १९०४ फागुसा सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पंचायती तया । विशेष --ग्र --ग्रंथ श्लोक सं० ६८९० मूलग्न कर्ता -- प्राचार्य योगीन्दु टीकाकार ब्रह्मदेव (संस्कृत) लालाजी माधोसिंहजी पठनार्थ प्रतिलिपि की गयी। २१२६. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० १४६ | मा० १२२७३२ इ | ले काल सं० १९३४ | पूर्णं । वेन सं० २३४ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर छोटा ( बयाना ) | २१२७. प्रतिसं० ५ । पत्र सं० २०२ । सुदी ११ पूर्ण । देष्टन सं० २०/६ । प्राप्ति स्थान २१२८. प्रति सं० ६ प ० १७६ | ७८ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मंदिर अलवर | ० ११५४५५ एव । ले० काल सं० १६२७ पौष दि० जैन मन्दिर पंचायती अलवर | २१३०. प्रति सं० ८ सुदी ११ । । वेष्टन सं० ११ विशेष – चिम्मनलाल ने २१२६. प्रति सं० ७ । पत्र०११६१ । ग्रा० १०३ X ५३ इन्च । ले-काल सं० १८५५ मंगसिर सुदी १४ । पूर्णं । वेष्टन मं० ७ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर तेरहपक्षी मालपुरा (टोंक) विशेष- मालपुरा में श्री चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि की गई । काल न० १६५६ ज्येष्ठ ख़ुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० पत्रसं० ११८० १२४८३ इश्व । ले०काल स० १८८२ मंगसिर प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहवी मन्दिर दौसा । दौसा में प्रतिलिपि की । २१३१. प्रति सं० ६ पत्र सं० २०७ । ग्रा० १२३ X ६ इव | ले० काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० १३२ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी । २१३२. प्रतिसं० १० । पत्र सं० ११ १२७ ॥ श्र० ११ x ८ शुख । ले० काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६७ | प्राप्ति स्थान – संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । २१३४. प्रति सं० १२ । पत्रसं० ५०७ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष- - अक्षर काफी मोटे हैं । २१३३. प्रतिसं० ११३ पत्र सं० १८४ ॥ भ० ११३८ इव । ले० काल सं० १८६४ । पूर्ण न सं० १५१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर राजमहल टोक विशेष प्रोहित रामगोपाल ने राजमहल में प्रतिलिपि की । ले० काल सं०] १८०६ । येष्टन सं० २१६ ॥ Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०८ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग २१३५. प्रतिसं० १३ । पत्र [सं०] १२० । बेन्काल x । पूर्ण वेष्टन सं० २६७ प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । २१३६. परमात्मस्वरूप - X | पत्र सं० २ । प्रा० १०४ विषय- अध्यात्म १० का X मे०कास X खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष- २४ पथ है २१३७. पाहुड दोहा - योगचन्द्र मुनि । अपभ्रंश | विषय— अध्यात्म । २० काल X | ले० काल दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसमंत्री दौसा । २१३८. प्रतिक्रमण - ४ । पत्र सं० ४ X - चिन्तन । १० काल X से काल । पूर्ण जैन मन्दिर उदयपुर । वेष्टन विशेष प्रति हिन्दी टीका सहित है । इव । भाषा-संस्कृत | पूर्ण वे सं० २४ प्राप्ति स्थान दि० जैन २१४२. (बृहद) प्रतिक्रमश 1 विषय— चिन्तन १० का ० काल x जैन मन्दिर अजमेर । पत्र सं० ८ । श्र० ई ४४ । भाषाX। पूर्ण । येन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान २१३६. प्रतिक्रमण- पत्र सं० १६ भाषा प्राकृत विषय चिन्तन २० काल ४ । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५ / ४१५ प्राप्ति स्थान -संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । | पत्र सं० - - १० २३० ११४५ द भाषा संस्कृत प्राकृत काल सं० २०६१ पूर्ण न सं० १७० प्राप्ति स्थान दि० २१४०. प्रतिक्रमण - X विषय विमान १० काल X से जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी । विशेष-संस्कृत टीका सहित है। २१४१. प्रतिक्रमण X पत्र० १३ । X | पत्रसं० १३ । श्रा० १०६ इस भाषा - हिन्दी (गद्य) | विषय - धर्म । २० काल' X | ले० काल X । प्रपूर्ण वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान—पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ ( कोटा ) — २१४३. (बृहद्द) प्रतिक्रमण - X विषय बितन २०फा X ले० काल सं० भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । ० ९९४ इस ०४५६/२०० ० ४० ग्रा० ११५ इन्च भाषा–संस्कृत X । । | पूर्ण वेष्टन सं० प्राप्ति स्थान -भट्टारकीय दि० १९५२ भाषा प्राकृत विषयप्राप्ति स्थान- संभवनाथ दि० पसं० १० १५७१ पूर्ण प्रा० १०x४३ ३४ । भाषा प्राकृत । वेष्टन सं० ६२१ प्राप्ति स्थान २१४४. (बृहद् प्रतिक्रमण । प० से २० प्रा० १०३५ एक भाषा - ) X ६ । । प्राकृत संस्कृत विषय - वितन २० काल x । ले० काल सं० १८८१ स्थान – दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । । पूर्ण । वेटन सं० १७६ । प्राप्ति विशेष - हीरानन्द ने प्रतिलिपि की थी । २१४४ (वृहत् ) प्रतिक्रमण पत्र [सं० ५-२० ॥ प्रतिक्रमण । पत्र सं० ५-२० । आ० विषय- चिन्तन २० काल X जे० काल अपूर्ण वेष्टन सं० संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । १२४५ इश्व । भाषा प्राकृत । १७१-४१७ प्राप्ति स्थान Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] २१४६. प्रतिक्रमण पाठ x सं० आ० x ६३ व विषय - चिंतन | र० काल ४ । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० १५०-२७७ मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) भाषा २१४७. प्रतिक्रमण - गौतमस्वामी । पत्रसं० १८० । ० १०३ X ५ व प्राकृत विषय धर्मं । १० काल x । ले० काल सं० १५६६ चैत सुदी १५ । पूर्ण वेष्टन सं० ११ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष – प्रति प्रभाचन्द्रदेव कृत संस्कृत टीका सहिल है । २१४८ प्रतिसं० २ । पत्रसं० ६६ । था० १०x४३ इव । ले० काल x पूर्ण बेष्टन सं० ४२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष प्रति पृष्ठ १० पंक्ति एवं प्रति पंक्ति ३५ अक्षर हैं । - [ २०६ भाषा - प्राकृत-हिन्दी प्राप्ति स्थान दि० जैन -- २१४६. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० ६६ । ० ११४३३ । ले० काल सं० १७२६ । पुखं बेन सं० ३१७ / ४१४ । प्राप्ति स्थान – संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष – श्री प्रभाचन्द्र कृत संस्कृत टीका राहित है। प्रति जीर्ण है । अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है । इति श्री गौतम स्वामी विरचित बृहत् प्रतिक्रमण टीका श्रीमत् प्रभाचन्द्रदेवेन कृतेयं । १०२६ कार्तिक वदि ३ शुभे श्री उदयपुरे श्री संभवनाथ चैत्यालये राजा श्रीराजमिह विजयराज्ये श्री मूलचे सरस्वती गच्छे बलात्कार गणे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक पद्मनंदिदेवा तत्पट्टे भट्टारक श्री कल्याणकीति शिष्य त्रिभुवनचन्द्र पठनार्थं लिपिकृतं । पत्रसं० ३१ । श्र० १० X ६ श्व 1 भाषा प्राकृत । विषयपूर्णं । वेष्टन सं० १५१ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कलकीत तत्पट्टे भट्टारक जनकीति २१५०. प्रतिक्रमण -- x | चितन । र० काल X | ले० काल x । फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष - १७ वां पत्र नहीं है । स्थान — दि० जैन मन्दिर २१५१. प्रतिक्रमण - x । पत्र सं० १७ । श्र० १० x ५ इस भाषा -- प्राकृत | विषय -- चिंतन । २० काल X | ले०काल सं० X | धपूर्ण वेप्टन सं० १४१ । प्राप्ति दमलाना (बून्दी) । २१५२. प्रतिक्रमण टीका - प्रभाचन्द्र । पत्र सं० २७ । भाषा – संस्कृत | विषय - मात्म चितन । र० काल X | लेकाल X | पुर्ण । वेष्टन सं० | २७ । ४१६ । प्राप्तिं स्थान - संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर २१५३. प्रतिक्रमण सूत्र ---- X । पत्र सं० ७ । श्र० १० X ४ इश्व | भाषा – प्राकृत | विषय - चितन । २० काल x । ले० काल सं० १७०३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५४३ । प्राप्ति स्थान - भट्टारकी य दि० अंन मंदिर अजमेर | २१५४. प्रतिक्रमण सूत्र - X | पत्रसं० २०१० X ४ इञ्च । भाषा - प्राकृत विषय— चितन । २० काल x । ले०काल X। पू । वेष्टनसं० ४२५ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१० ] २१५५. प्रतिक्रमण सूत्र - पत्र सं० ३ । विषय -- चितन । २० काल X | ले० काल ४ । पूर्ण । दि० जैन मंदिर अजमेर | विशेष गुजराती वा टीका सहित है। - २१५६. प्रतिक्रमण सूत्र - X | पत्र सं० विषय- श्रात्मनि । २० कार्य X । ले० काल x जैन मन्दिर दबाना बूंदी। [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ० १०३ X ५ इव । भाषा–शकृत । वेष्टन सं० ४६७ । प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय २० प्रा० १० X ४२ इव । भाषा – प्राक्रुत । । अपूर्ण । वेष्टन सं० २७६ प्राप्ति स्थान दि० एवं सं०६२ २१५७. प्रवचनसार - कुंदकुंदाचार्य भाषां प्राकृत विषय याम र० काल ४ । कल x । पू । बेष्टन ० ३१८ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । - २१५८. प्रवचनसार टीका - पं० प्रभाचन्द । पत्र [सं०] ५० । ० १३ X ६ ख भाषासंस्कृत | विषय - अध्यात्म । २० काल X | ले० काल सं० १६०५ मगसिर सुदी ११ । पू । बेन स० प्राणि स्थान - दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) | विद्यानंदीश्वर देवं मर्ध्नि भूपण सद्गुरु | लक्ष्मीचदं च बीरे वंदे भी ज्ञान भूषण ।। १ ।। प्रशस्ति - श्री संवत् १६०५ वर्षे मंगसिर सुदी ११ रखी । अह श्री बाल्मीकपुर शुभस्थाने श्री मुनिसुव्रत जिन त्याजये भी मूल सबै घी सरस्वतीगच्छे श्री बलात्कारगणे श्री कुरंदकुदाचार्यान्विये भट्टारक श्री नंददेव श्री देवेन्द्रको देवास्तपट्टे म० श्री विद्यानंद देवास्तपट्टे म० श्री मलिभूषण देवास्तपट्ट भ० श्री लक्ष्मी चन्द्र देवास्तपट्टे न० वीरचन्द देवारत म० ज्ञानभूषण गच्छविराज तदन्यये प्राचार्य श्री सुमति कीर्तिना मंद्रयार्थ स्वपरोपकाराय प्रवचनसार रत्नभूषणनां मित्र ( प्रति जी है) । यो लिखित परिपूर्ण प्रथ पा० श्री २१५६. प्रवचनसार टीका-- x । पत्र सं० ११७ | प्रा० ११४ ४ ३ ३ संस्कृत विषय अध्यात्म २० का X ०काल सं० १४६४ कार्तिक बुदी १३ १६२५ | प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | । भाषा – प्राकृत वेष्टन सं० पूर्ण २१६०. प्रयचनसार टीका -- पत्रसं० १२७ । श्र० ८ २३ ५३ ख । भाषा संस्कृत । विषय - अध्यात्म | र० काल X | लेकाल सं० १७४४ मंगसिर सुदी १२ । पू । न सं० ४१ । प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) । २१६१. प्रवचनसार भाषा -X | पत्रसं० १४२ । प्रा० १२ X ५५ इञ्च । भाषा - हिन्दी (म) विषय अध्यात्म ए० काल X ले० काल सं० बेटन सं० १४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरहवी दांखा । - | | १८५७ वैशाख सुदी ११ । पूर्ण । 1 विशेष-तेरापंथी विमनराम ने प्रतिलिपि की थी। २१६२. प्रवचनसार भाषा -X सं० १४६ प्रा० १२४६ एच (गद्य) 1 विषय - अध्यात्म | र० काल X | ले० काल सं० १७१७ आसोज सुदी ३ । पूर्ण ४४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर भादवा (राज० ) । भाषा - हिन्दी वेष्टन सं० ६० / Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्य चितन एवं योगशास्त्र ] [ २११ विशेष--श्री विमलेशजी ने डू गरसी से प्रतिलिपि करवायी । २१६३. प्रवचनसार भाषा-x। पत्रसं० २०१। प्रा० १२४५६ च । भाषा-हिन्दी (गद्य) 1 विषय अध्यात्म । २० का X 1 से. काल सं० १७४३ । पूर्ण । वेष्टन सं०४ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी लीग । २१६४. प्रवचनसार भाषा--X । एत्रसं०१७२ मा०x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--अध्यात्म । २० काल X । ले०काल x | वेष्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर ददलाना बूदी। २१६५. प्रवचनसार भाषा वचनिका हेमराज। पत्रसं. १७७ । पा. ११x६ इ. भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-अध्यात्म | र०काल सं० १७०६ माघ सुदी ५ । ले० काल सं० १८८ वेष्टन सं० ११७३ । प्राप्ति स्थान--भ० दि० सैन मन्दिर अजमेर । २१६६. प्रति सं० २। पत्रसं० २२० । आ० १२४५१६च । लेकाल सं० १८८६ प्राषाढ बुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-भ: दि. जैन मन्दिर अजमेर । २१६७. प्रति सं०३ पत्र सं० २८३ । आ० १०१४७, इञ्च | ले. काल सं० १९४१ अगहन बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६/६३ । प्राप्ति स्थान--पंचायती दि. जैन मन्दिर बलबर । २१६८. प्रतिसं० ४। पत्र सं० ३५४ । ले० काल x । पूर्ण । घेष्टन सं० २७९६३ । प्राप्ति स्थान-पचायती दि० जन मन्दिर अलगा। २१६६. प्रतिसं०५। पत्र सं० १७० । प्रा०१२४५६ इञ्च । ले. काल सं० १८४० माघ सुदी १३ । अपूर्ण । वेष्टन स० ५२ । प्राप्ति स्थान-तेरहपंथी दि० जैन मन्दिर नगवा । विशेष –बीच बीच में कुछ पत्र नहीं है । अगाविष्णु प्राह्मण ने प्रतिलिपि की थी। २१७०. प्रतिसं०६। पत्र सं० २८२ । आ०१२x६ इञ्च । ले०काल १७८५ पूर्ण । वेप्टन सं. ५४-३५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष-रामदास ने प्रतिलिपि की थी। २१७१. प्रतिसं०७ । पत्र सं० १६७ ग्रा०१४४५३ इंच । ले०काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० १३२। प्राप्सिस्थान --दि० जैन मंदिर राजमहल टोंक । २१७२. प्रति सं० ८। पत्र सं० २३० । प्रा० १२४५१ छ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२.५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । विशेष--पत्र १६० तक प्राचीन प्रति है तथा पागे के पत्र नबीन लिखवा कर ग्रथ पूरा किया गया है। २१७३. प्रतिसं०। पत्र संख्या १४४ १ प्रा० ११ x ७ इञ्च । लेखन काल सं० १८३८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१२ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । २१७४. प्रतिसं०१०। पषसं० १८०1 मा० १२:४६ इञ्च।। ले० काल सं० १७५८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११२/१७ । प्राप्ति स्थान-अग्रवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २१७५. प्रति सं०११। पत्रसं० ३०१ । या०११ x ४१ इञ्च । लेकाल सं. १८५६ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १.४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-.सं. १८५६ भादवा कृष्ण र रविवार उदयपुर मध्येसार जीवरादास खंडेलवाल के पटवार्थ लिस्यो। २१७६. प्रति सं० १२ । पत्रसं० १६५ । प्रा० १२ X ५ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०१३८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर महावीर स्वामी दी। २१७७. प्रति सं० १३ । पत्रसं० २०६ । ले० काल सं० १७२४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २१७८. प्रति सं० १४। पत्र सं० १६ । ले०काल सं० १७२४ । पूर्ण । वेष्टनसं० ३१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । मिशेन-हेमराज ने गथ कामगत में पुरण किया। साह अमरचन्द बाकलीवाल ने राय लिखाकर भरतपुर के मन्दिर में पढ़ाया था । २१७६, प्रतिसं० १५३ पत्र सं० १४८ । प्रा० १३४६ इन्च । लेकालX । अपूर्ण । वेष्टन सं०२०। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवान वेत्तनदास पुरानी डीग ।। २१८०. प्रति सं० १६। पत्र सं० २५१ । या० १० x १ इञ्च । ले०काल X 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ८१ । प्राप्ति स्थान-वि. जैन गन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । २१५१. प्रति सं० १७ । पत्र सं० २५५ । प्रा० ११३ ४ ५६ इन्च । ले. काल सं० १९७२ फागून सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं०११ । प्राप्ति स्थान-दि. जैम पंचायती मन्दिर करौली। विशेष-करौली में प्रतिलिपि हुई। २१८२. प्रतिसं०१८ । पत्र सं० २१३ । प्रा० १२ x ५ इञ्च । ले० काल सं० १७९५ । पुर्ण । वेपन सं० ६१ । प्रान्ति स्थान--दि जैन पंचायती मन्दिर करौली । २१८३. प्रति सं०१६। पत्र सं० १४८ । प्रा.११४५३ इञ्च । ले. काल सं०१७१९ क्षेत्र सुदी १३ । पूण 1 बेन सं० २४३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-कामावती नगर में प्रतिलिपि हुई। २१८४. प्रति सं० २० । पत्र सं० १७६ । लेकाल सं० १७४६ आसोज सुदी ७ । पूर्ण । बेष्टन सं० २४४। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २१८५. प्रति सं० २१ । पत्रसं० १६५ । ले. काल सं १७५२ ज्येष्ठ बुडी १३ । पूर्ण । बेन सं० २४५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। २१५६. प्रति सं० २२ । पत्रसं०२७१ । लेकाल--सं० १७८२ ज्येष्ठ बुदी १४१ पूर्ण । येशन सं०२४६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दीवान जी कामा । २१५७. प्रति सं०२३ । पत्रसं०२८६ । प्रा० १२ x ५६ इञ्च । ले-काल सं. १७५४ मासोज सुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३२ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २१५५. प्रतिसं० २४ । पत्र सं० २०६ । प्रा० १२.x.५१ इञ्च ।ले०काल सं० १५५४ । परी । देखन सं० १२० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी काया । Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [२१३ २१७६. प्रति सं०२५ ।पत्र सं. ७० । मा० १२४६३'च । ले०काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ६७ १.प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दीवामजी कामा । २१६०. प्रतिसं० २६ । पत्रसं० २२६ । प्रा० ११७१ इच । लेकाल x । अपूर्ण । वेष्टन सं०८८ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मंदिर कामा । २१६१. प्रति सं० २७ । पत्र सं० २१० । पाए १२३४५१ इ'छ । ले. काल सं० १९२६ फागुणबुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति स्यान-दि० जैन मन्दिर पंचायती कामा । विशेष—प्राकृत में मूल तथा संस्कृत में टीका दी हुई है । चुरागन जी पोदार गोत्र बनावरी बयाना वालों ने ग्रथ की प्रतिलिपि करवायी। यास स्यौवक्ष ने अस्थमा में प्रतिलिपि की। २१६२. प्रवचनसार माषा -हेमराज। पत्रसं० ११ । प्रा० ११ x ४१ इञ्च । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय अध्यात्म । २० काल सं० १७२४ आषाढ़ सुदी २ 1 ले. काल स. १८८५ भादवा बुदी है ! पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ । प्राति स्थान- दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । विशेष-प्रतिलिपि दौलतराम निरभचंद ने की थी। इसको बाद में काट दिया गया है। २१६३. प्रति सं० २ । पत्र सं० २२६ । ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग। २१६४. प्रति सं०३ । पत्रसं० ४१ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर प्रादिनाथ बूंदी। विशेष -अथ जीणं एवं पानी से भीगा हुआ है। २१६५. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० २११ । आ० ११३ X ७६ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ६० 1 प्राप्ति स्थान-भ० पंचाय दि. जैन मंदिर अयाना। २१६६. प्रवचनसार वृत्ति-अमृतचंद्र सूरि । पत्र सं० २-६६ । प्रा० ११३ ४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-अध्यात्म । र० काल' X । लेकाल: । अपूर्ण । वेष्टन सं०६४ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी । विशेष – प्रथम पत्र नहीं है। २१६७. प्रति सं०२ । पत्रसं० ७१ । ले०काल १८०३ । पूर्णं । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा पंचायती डीग । . २१६८. प्रवचनसार वृत्ति X । पत्र सं० १४३ । पा० १२ x ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-अध्यात्म । र०काल X। ले०काल सं० १५६० । अपूर्ण । वेष्टन सं० २४० । प्राप्ति स्थानअग्रवाल दि. जैन मंदिर उदयपुर। ... विशेष--प्रथम पत्र नहीं हैं। .. २१९६. प्रवचनसारोद्धार-x। पत्र सं १४८ । प्रा० १०४४ इन्छ । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-अध्यात्म । २० काल x | ले०काल सं० १६६६ । पूर्ण ! वेष्टन सं०.३२५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर दवलाना दी। .. विशेष- इति श्री प्रवचन सारोसार सूत्र। Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१४ ] [ ग्रन्थ सूचो-पंचम भाग २२००. प्रायश्चित पाठ-अकलंकदेव । पत्र सं०८-२७ । या० १० x ४२ इञ्च । भाषासंस्कृति । विषय-चितन । र०काल X । ले०काल X । अपुर्ण । बेष्टन सं० २६१।१५७ प्राप्ति स्थानसंभवनाथ दि० जैन मंदिर उदयपुर । २२०१. प्रायश्चिल विधि-पत्रसं०५। भाषा-संस्कृत । विषय-चितन । २० काल - लेकाल 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २३० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पञ्चायती मंदिर भरपुर । २२०२. प्रायश्चित समुच्चय ...धिगुरु पत्र सं. १ । 21 215 इ. । भाषासंस्कृत । विषय ...विसन । २० कालx1 लेकाल सं० १६८० पूर्ण । वेष्टन रांक २७०/२५६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । विशेषप्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६८० वर्षे पौष ददि रजौ श्री मूलसंधे सरस्वती मच्छे, बलात्कार गणे भट्टारक श्री वादिभूषण तत्प भट्टारक रामकीति विजयराज्ये ब्रह्मरायमल्लाय पाहार भय भैषज्य शास्त्र दान वितरगक तत्पराणां अनेक जीर्णनौड़न मासादोद्धरणधीरानां जिन विम्ब प्रतिष्ठाद्यनेक धर्म कर्म कर शोसक चिन्तानां । कोट नगरे हुँघडजालीय युट च्छात्री संघपति श्री लक्ष्मरणास्याना भार्या ललताद द्वितया भा० सं० शृगार दे लपाभ्रताः सं० जिनदास भा०सं० मोहशा दे सं० काहानजी मे० सं० करबे सं० मानजी भा० संकोयंबदे द्विभा० संत मनर'गदे सं• भीमजी भार्या सं० भत्ताद एतः स्वज्ञानावणं कर्म क्षयार्थ प्रायश्चित अथ लिखाप्य दत्तः । २२०३. प्रति सं०२ । पत्र सं० १-१०८ | ग्रा० ११: इन । ले काल X । वेष्टन सं० ७५७ अपुर्ण । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । २२०४. बारह भावना- x 1 पत्र सं० ४ । प्रा०६३४ ४:३ञ्च । भाषा-हिन्दी गय) । विषय - चितन । २० कालX 1 ले काल: । अपूर्ण । वेष्टन सं०६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दखलाना (दू दी)। २२०५. ब्रह्मज्योविस्वरूप --श्री धराचार्य । पत्र सं० ५ । प्रा० १०३४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय - अध्यारभ । २. काल । ले० काल X । वेष्टन सं०:२६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर ।। २२०६. भवदीपक भाषा-जोधराज गोदीका-पत्रसं० २१४ । आ० १७३४७६ इञ्च । भाषा--हिन्दी (गद्य)। विषय-योगशास्त्र। र०काल x | लेकाल-सं० १९४४ फागुण सुदी ८ 1. पूर्ण । वेष्टन सं०६१1 प्राप्ति स्थान -पार्श्वनाथ दि० जैन मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा)। २२०७. भव वैराग्यशतक-X । पत्र सं० ५ । प्रा० १.४६ इञ्च । भाषा प्राकृत। विषय-चितन 1रकाल । लेकाल-x। परम् । श्रेष्टन सं० ३७६-१४२ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । २२०८, भगवद्गीता--.x1 पत्रसं०६८ | भाषा-संस्कृत । विमय-मध्यात्म । रचना काल । ले०काल-- । अपुर्ण । वेष्टन सं.३० । प्राप्ति स्थान -पंचायती दि० जैन मन्दिर हण्डावालों का डीग । Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ २१५ २२०६. भावदीपिका--- पत्रसं० १७७ । भाषा-हिन्दी । विषय-अध्यात्म । र०काल X । लेकाल-X । अगरी। वेटन सं० १९ । प्राप्ति स्थान-पंचायती दि जैन मन्दिर हण्डावालों का डोग। २२१०. मोक्षपाड-कुदकुदाचार्य । पत्र सं०३८ । आ० १०४६ ईन । भाषा-प्रावृत्त । विषय- अध्यात्म । र काल x ! ले०काल सं १८१२ । पूर्ण । वेटन पं० २४१-६५ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का जुगरपुर । २२११. योगशास्त्र-हेमचन्द्र । पत्रसं० ४१ । आ० १०x४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-योग । र• काल X । ले०काल --- सं० १५८७ । पूर्ण । श्रेष्टन सं० ४१४ । प्राप्ति स्यानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । संवत् १५८७ वर्ष प्राषाह सुदी ११ रवों । आगमगन्दे श्री उदय झुरिभ्यो नम प्रवत्तंनी लडाधइ श्री गरिष्ठ शष्याणी जयश्रीगरिण लक्ष्यापित पठनार्थ प्रक्षेविकोबादधी। २२१२. प्रति सं० २। पर सं०७-१४ । आ० १०४४, ४ । लेकाल –x। पुर्ण । वेष्टन सं० २१५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर ददलाना (बुदी)। विशेष – इसमें द्वादश प्रकाश वर्णन है । यहां द्वादश प्रकाश में पंचम प्रकाश है । अंतिम पुष्पिका निम्न प्रकार है-- इति परमहित श्री कुमार.पाल भूपाल विरचिते शुडयषिते श्राचायं थी हेमचन्द विरचित अध्यात्भोधनिषन्नामि संजात पट्टबंधे श्री योगशास्त्र द्वादश प्रकाश समाप्तः । २२१३. प्रति सं० ३ । पत्रसं० १८ । आ० १.१४४५ इन्च । लेकाल सं० १५४५ पैसाख सुदी २ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३०७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर देवलाना (बू दी)। विशेष-संवत् १५४५ वर्षे वैशाख सुदी २ शुको । श्रीमति मंऊन दुर्ग नगरे । महोपाध्याय श्री याणन मंडन । शिष्येण लिखायिता सा० शिवदामा । संघविषि सहजलदे कृते । २२१४. प्रतिसं० ४1 पत्र स० १० । प्रा० १०x४३६न । लेकाल-x । पूर्ण । वेष्टन सं० ७०७ । प्राप्ति स्थान-- भट्टारकीय दि० अन मन्दिर अजमेर । २२१५. योगसार--योगोन्द्रदेव । पत्रस. ७ । पा. १२४५२ इंच । भाषा-अपनश । विषय-अध्यात्म । र.०काल x | लेकाल-स. १८३१ चैत मुदी १ । पूर्ण । देटग सं० ५२ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष.....मिति चैत्र सुदी १ सवत १८३१ का लिखितं आचार्य श्री राजनीति पंडित सवाई रोमण भेंसलाणा पध्ये । २२१६. प्रति सं०२ । पत्रसं० १७ । प्रा० ११४४३ इञ्च । ले० काल० सं० १६६३ माह बुदी १४ । पूरणं । वेष्टन सं० १४३ । प्रालि स्थान—दि० जैन मन्दिर दीवान जी कामा। विशेष-लिखायतं श्री १०८ प्राचार्य कृष्णदास वाचन हेतवे लिखितं सेवग आझाकारी सुलतान ऋषि कर्णपुरी स्थाने। २२१७, प्रतिसं०३ । पत्रसं० ११ । ले. काल सं० १७५५ आसोज सूदी ५1 पूर्ण । बेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवान जी कामा। विशेष-कामा में प्रतिलिपि हुई । Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१६ ] [ ग्रन्थ सूची-पश्चम भाग २२१८. प्रतिसं०४। पत्र सं. ३० । आ. ११४५ इञ्च । ले० काल x। पूर्ण । देष्टन सं० ४२६/२२६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन समवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष—प्रति हिन्दी टवा टीका सहित है । अंतिम पुष्पिका निम्न प्रकार हैइति श्री योगसार भाषा दब्या अर्थ सहित सम्पूरम् । २२१६. प्रति सं०५ । पत्र सं० २४ । प्रा० १.१४५३ इञ्च । ले० काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० १६२-७२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का लूगरपुर। २२२०. प्रति सं०६। पत्रसं० । ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टनसं०४७ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंवापती मंदिर भरतपुर । २२२१. योगसार बचनिका- पत्र मं०१७ । आ. ११४५ इन्च । भाषा--हिन्दी (गद्य) । विषय -योग । र०काल x।से काल सं० १५३२ । पूर्ण । बेष्टन सं० २९२-११५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटडियों का इगरपुर। विशेष नोर्गाबा नगर में आदिनाथ चैत्यालय में ब्रह्म करणोफल जी ने प्रतिलिपि की। २२२२. योगेन्दु सार-बुधजन । पत्रसं०७ | भाषा-हिन्दी । विषय-योग। र० काल १८६५ । ले० काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । २२२३. बचनाभि चक्रति की वैराया - सर ITE :X भाषा-हिन्दी । विषय-चितन्न । र०काल X ले० काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं०५८४ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर ।। विशेष-निम्न रचनाएँ और हैं-वैराग्य सजाय छाजु पंवार (हिन्दी) जिनती देवात्रह्म । २२२४. वैराग्य वर्णमाला ४ } पत्र सं० १० । आ० ८४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-वैराग्य चितन । २० कालले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान--दि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलबर । विशेष-अन्त में सज्जन चित्त बल्लभ का हिन्दी अर्थ दिया हुआ है। २२२५. बैराग्यशतक । पत्रसं० ।। भाषा-प्राकृत । विषय--वैराग्य । र० काल x। ले० काल सं० १६५७ पौष वदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६४१ प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । २२२६. प्रति सं० २१ पत्र सं०६ । ले० काल X । पुर्ण । वेष्टन सं० ५११ । शप्ति स्थान---- दि. जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । विशेष-टीका सहित है। २२२७. वैराग्य शतक-थानसिंह ठोल्या । पत्र सं० ३० । प्रा० १७१४६३ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-चितन । र०काल सं १८४६ वैशाल लदी ३। ले. काल सं० १६४९ जेष्ठ पदी । पूर्ण । वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर करौली। २२२८. शान्तिनाथ की बारह भावना X । पत्र सं० १२ । प्रा० १३ x ७ इन्च । भाषाहिन्दी । विषय-चितन । र०काल ४ । ले० काल सं० १६४४ चैत बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३ । Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [ २१७ प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर श्रीमहावीर दी। विशेष-दसकत छोगालाल लुहाड़या आकादी है। २२२६. शील प्राभृत-कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र सं०४ । मा० १.१४५ च । भाषाप्राकृत । विषय - अध्यात्म । र०काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं २५४ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मंदिर लस्कर जयपुर । विशेष प्रारंभ में लिंग पाहुच भी है। २२३०. प्रति सं० २ । पत्रसं० ४ । आ० १२१X६ इञ्च । ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ३११ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २२३१. श्रावक प्रतिक्रमरण-४ । पत्रसं० १३ । प्रा० १.४७ इञ्च । माषा संस्कृत । विषय --चिन्तन । र०काल x। ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १७७-१६३ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । २२३२. श्रावक प्रतिक्रमण-x। पत्र सं३-१५ । प्रा० EX४ इञ्च । भाषा-प्राकृत। विषय-चितन । 'र०काल ४ । ले०काल सं० १७४५ माघ वृदि ५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २७१ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर, दबलाना दी। विशेष-मूल के नीचे हिन्दी में अर्धं दिया है। २२३३. श्रावक प्रतिक्रमण-x। पत्र सं० ७ । प्रा० १.४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-चितन । र०काल X ।ले. काल x। पूर्ण । ये सं० ५६८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर भादवा (गज०) विशेष प्रति जीर्ण है। २२३४. श्रावक प्रतिकमण-X । पत्र सं०६ । प्रा० १३.४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चिंतन । र काल X । ले. काल x । पूर्ण । वे० सं० ४०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लम्कर जयपुर । २२३५. षट्पाहर-पा० कुन्दकुन्द । पत्र सं० ४८ । प्रा० १०१x६३ इश्च । भाषाविषय-अध्यात्म । र०काल xले. काल सं० १८८६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६० । प्राप्ति स्थान-दि. अन मन्दिर कोटड़ियों का हूगरपुर । २२३६. प्रति सं० २ । पत्र सं० २२ । । ले० काल सं० १७९७ मार्ग सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४० । प्राप्ति स्थान-वि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २२३७ प्रतिसं० ३ । पत्र सं० १६ । आ० १०१x६३ इञ्च । ले० का X । पूर्ण । वेष्टन सं० २५६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २२३८. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० २८ । प्रा० ११५ x ४३ पूछ । ले. काल सं० १७२३ । वेष्टन सं० १६४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष--सिरूजशहर मध्ये पण्डिन बिहारीदास स्वपठनार्थ सं० १७२३ वर्ष भादु सुदी ३ दिने । २२३९. प्रति सं०५। पत्र सं० २८ ! प्रा० १२३ x ३ इञ्च । ले० काल सं० १८१६ पौष सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं०४५/४३ । प्राप्लिस्थान-दि० जैन मंदिर भादवा (राज.) । Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २२४०. प्रति सं०६। पत्रसं०५८ । श्रा० १२ x ५९ इञ्च । ले० काल सं० १७५० । पूर्ण। वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा। २२४१. प्रति सं०७ । पत्रसं०६ । प्रा० १२३४६ इञ्च । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३१२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दीवानजी कामा। २२४२. प्रतिसं०८। पत्र सं०७४ । आ० १०x४, इञ्च । ले० काल x पुणे । वेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २२४३. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० २३ । ले० काल सं० १७२१ पौष मुदी १९ । पूर्ण । वेष्टन सं. १५८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष -सांगानेर में प्रतिलिपि हुई । ग्रन्धाग्रन्थ ६०८ मूलमात्र । २२४४. प्रतिसं० १०। पत्र सं०३७ । ले० काल सं०१७१२ मंगसिर बुदी। पूर्ण । वेष्ठन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-देहली में शाहजहां के शासनकाल में सुन्दरदास ने महात्मा दयाल से प्रतिलिपि कराई। २२४५. प्रति सं० १११ पर सं० २३ । आ० १२ x ५३ इञ्च । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १८० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २२४६. प्रतिसं १२१ पत्र सं० ३१ । प्रा० १०.४४३ इच । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६७ । प्राप्ति स्थान ... वि. जैन मन्दिर दीवाजी पार २२४७, प्रति सं०१३ । पत्र सं० १७ । प्रा० ११३ x च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १९७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर पोरसली कोटा ।। विशेष -- प्रति प्राचीन है। २२४८. प्रति सं० १४ । पत्र सं० ५४ । प्रा० ११४६इन ।ले. काल सं० १५५१ चैत्र भुदी १४ । पूर्ण । टन सं० १०४३६ । प्राप्ति स्थान-गनाथ दि जैन मन्दिर बिरगड (कोटा)। विशे-लिखतं ब्राह्मरण ग्रमेदावार बान यावदा का । लिखाइत बाबाजी ज्ञान विमलजी तत् शिष्य ध्यानविमलजी लिखतं इ'द्रगढ़ मध्ये । २२४६. प्रति सं०१५। पत्र सं०६२1 मा० १२४४१ इञ्च । ले० काल सं० १७६५ चैत सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७ । प्रादि स्थान ...दि. जैन मन्दिर श्री महावीर वू दी। विशेष-संस्कृत टीका सहित है। २२५०. प्रति सं० १६। पत्र सं०६५। प्रा० १०.४४ इन्ज । ले. काल सं० १७१७ मंगसिर बुदी १६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान दि० जन मंदिर आदिनाथ बूदी । विशेष-पं० मनोहर ने लिखा । २२५१. प्रति सं०१७। पत्र सं०६२ । ग्राहx ६ इंच। ले० काल सं० १७६६ जेठ सूदी । पूर्ण। वेष्टन सं०१२ | प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगाम बदी। २२५२. प्रति सं० १८ । पत्र सं० ३१। पा० ८.४ ४ इंच । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर भादवा (राज.) Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ २१६ २२५३. टपाहुड टीका - X | पत्र सं० ३-७३ ३ ० ११९७ इव । भाषा - हिन्दी गद्य । विषय - अध्यात्म | रक्काल X | ले० काल X 1 अपूर्ण वेष्टन सं० २०४ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर नागदी दी। २२५४. बटपाहुड टीका - पत्र सं० ६४ । आ० १०५ अध्यात्म | र० काल X | ले० काल सं० १७९३ पूर्ण । वेष्टन सं० मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी। इव । भाषा - हिन्दी | विषय -- १४४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन लेखक प्रशस्ति-संवत १३८६ का वर्षे माह बुदी १३ दिने । लिखतं जती गंगाराम जी मास्सपुर ग्रामे महाराजाविराज श्री सवाई जयसिंह जी राज्ये । विशेष- प्रति हिन्दी टीका सहित है । २२५५. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ५० । श्र० १०५ इन्च | ले०काल सं० १८२४ कार्तिक बुदी ३ | पूर्ण । वेष्टन सं० १४५ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी । संवत १८२४ वर्षे कार्तिक मासे कृष्ण पक्ष तिथि ३ बार सनीचर बासरे कोटा का रामपुरा मध्ये महाराजा हरिकृष्ण लिपि कृतां पांडेजी बखतराम जी पठन हेतवे । गुमानसिंघ जी महाराव राज्यं । प्रति हिन्दी टीका सहित है । २२५६. षट्पाहुड भाषा - देवीसिंह छाबडा । पत्र सं० ५० । आ० १३ X १ इव । भाषा - हिन्दी (पद्य । शिवय - अव्यात्म | र० काल सं० १८०१ सावरण सुदी १३ । ले० काल सं० १९४२ | पूर्ण । वेष्टन सं० ३१५/२२७ । प्राप्ति स्थान - सम्भवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर | विशेष - उदयपुर में प्रतिलिपि हुई । २२५७. प्रति सं० २ । पत्र सं० २७ । आ० ८x४३ इव । ले० काल सं० १८७७ | पूर्ण वे० सं० ११६/८६ | प्राप्ति स्थान- पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्यरगढ़ ( कोटा ) | विशेष- राजू गंगवाल ने इन्द्रगढ़ में प्रतिलिपि की । २२५८. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ३९ श्रा० ११X५ इव । ले० काल सं० १८५० । पूर्ण ० सं० ४३ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर यादिनाथ बूंदी | २२५६. षट् पाहुड भावा ( रचनिका ) |- जयचन्द छाबडा | पत्र [सं० १९३ | आ० ११x ७ इञ्च । भाषा - हिन्दी (गद्य) | विषय - अध्यात्म । २० काल सं० १५६७ भादवा सुदी १३ । लेखन काल x | वेष्टन ०७८ । प्राप्तिस्थान – तेरहपंथी दि० जैन मंदिर नवा । २२६०. प्रति सं० २ । पत्र सं० १६६ । ० १०३७ इव । ले० काल सं० १०२४ । पूर्ण वेन सं० ५० प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर तेरह पंथी दौसा 1 विशेषचढ़ाया । - पन्नालाल साहू बसवा वाले ने दौसा में प्रतिलिपि की । नानूलाल तेरापंथी की बहू ने २२६१- प्रतिसं० ३ ॥ पत्र सं० १५० । आ० १०३ X७ इञ्च । ले० काल x | पूर्णं । सं० २६ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर । घटवाड वृत्ति - श्रुतसागर । पत्र सं० १५३ । ग्रा० ११४५ इन्च भाषा - हिन्दी संस्कृत Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विषय-अध्यात्म । २० काल X । लेकाल. x 1 पूर्ण । बेष्टन सं० १०५३ । प्राप्ति स्थान ---भ७ दि० जन मन्दिर अजमेर । २२६२. प्रतिसं०२। पत्रसं० २०३ 1 प्रा० १२४५३ इ । लेकाल सं० १७८५, मंगसिर सुदी ३ पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-लेखक प्रशस्ति अपूर्ण है। २२६३. प्रतिसं०३। पत्र सं० ३४ । प्रा० १०० x ४६ च । भाषा-संस्कृत । विषयअध्यात्म । २० काल X । ले०काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० १८१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगात दी। २२६४. प्रतिसं०४। पत्रसं०६१। साxxश्च । ले. काल सं० १७७० । पूर्ण । चेष्टन सं० १५१:४० । प्राप्ति-स्थान–पार्श्वनाथ दि० जैन मंदिर इन्दरगढ़, कोटा। विशेष-लिखतं साह ईसर अजमेरा गैगोली मध्ये लिस्त्री सं० १७७० माह सुदी ५ शनीवारे । २२६५. प्रतिसं०५। पत्र सं० २३० । प्रा० १३४६१ च । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०६१ । प्राप्ति स्थान- दिजैन पंचायती मन्दिर, कामा । २२६६. प्रतिसं०६। पत्रसं० १६० । मा० १०३४५ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । २२६७. षोडशयोग टीका-x। पत्र सं० २०। प्रा०१.४५ च । भाषा-संस्कृत। विषय-योग । र० काल X ।ले. काल सं० १७८० पूर्ण । बेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर मादिनाथ बूदी। लेखक प्रशस्ति--संवत् १७८० वर्षे श्रावण वदि ७ श्वनी लिखतं श्री पीडझासीय श्रीमद् नरेश्वर सुत जयरामेण ओबेर ग्राम मध्ये जोसी जी श्री मल्लारि जी गृहे । २२६८, समयसार प्रामृत-कुदकुंदाचार्य । पत्र सं० १-५४ । श्रा० १०४६३ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-अध्यात्म । २० काल x। ले० कालX । अपूर्ण । वेष्ठन सं० २६३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कामा। विशेष प्रति प्रात्मख्याति टीका सहित है। २२६६. प्रति सं०२। पत्र सं० ३५। पा० १३१x६, च । ले०काल सं० १९३२ काती सुदी ५। पूर्ण । वेष्टनसं०४१ । प्राप्ति स्थान-तेरहपंथी दि० जैन मन्दिर नगवा।। विशेष—इसका नाम समयसार नाटक भी दिया है। प्रति संस्कृत टीका सहित है। २२७०. प्रति सं० ३ । पत्रसं० १०७ । आ० १२ X ४ इञ्च । ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १६८/२२७ । प्राप्ति स्थान--संभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष-ग्रन्थाग्रन्थ श्लोक सं० ४५०० । प्रति संस्कृत टीका सहित है। २२७१. समयसार कलशा-अमृतचन्द्राचार्य । पत्रसं० ६१ । प्रा० ११३ ४ ५ इंच । भाषा संस्कृत । विषय-अध्यात्म । र०कालX 1 ले०कालx। अपूर्ण । वेष्टनसं०४६२ । प्राप्ति स्थान-मदारकीय दि.जैन मन्दिर, अजमेर । Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [ २२१ २२७२. प्रतिसं०२। पपसं० २५ । प्रा० १०.४५ च । लेकाल सं० १६०१ वैशाख सुदी ६ । वेष्टन सं० १६४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर, अजमेर । २२७३. प्रति सं० ३। पत्र सं० १२ । आ० १०४५३ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण। वेष्टन सं० २५१-१०१ । प्राप्तिस्थान-दि० जन मन्दिर कोटडियों का हंगरपुर । विशेष-प्रति टब्बा टीका सहित है। २२७४. प्रति सं० ४। पत्रसं० ३३ । आ० ११ X ५१ इञ्च । ले०काल X । भपूर्ण । वेष्टन सं० १२४ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मंदिर अपवाल उदयपुर । विशेष—पत्र १६ तक हिन्दी में अर्थ भी है । ३३ से यागे के पत्र नहीं है । २२७५. प्रति सं०५। पत्र सं० ६६ । आ०१३ ४ ५६ इञ्च । ले० काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० २४५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अग्रवाल उदयपुर । विशेष-प्रति टब्बा टीका सहित है। २२७६. प्रति पत्र सं १४ ::FE A । अपूर्ण । वे० सं० ४३४ । प्राप्ति स्थान--संभवनाथ दि. जैन मंदिर उदयपुर । २२७७. प्रतिसं०७ । पन सं० १०१ । प्रा० १८४४ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३१२/२१८ । प्राप्ति स्थान-संभवदाय दि. जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रति बहुत प्राचीन है । पत्र मोटे हैं । २२७८. प्रतिसं० । पत्रसं० ३६ । प्रा० ११४५१ च । लेकाल सं० १७१६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरह पंथी दौसा । २२७९. प्रतिसं० ८ । पत्र सं० ८६ । लेकाल XI पूर्ण । वेष्टन सं० २१३ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २२८०. प्रतिसं०६। पत्र सं० २७ । श्रा० १०.४५, इञ्च । ले०काल सं० १६५० वंशास्त्र वृधी ७ । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान --दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । २२८१.प्रतिसं० १०। पत्रसं०५७ | आ. १.४४ इच। ले०काल XI पुर्ण । वेष्टन सं. १२३ । प्राप्ति स्थान-दिगम्बर जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक)। २२८२. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ६७ । आ० ११४४१ च । लेकाल--X । अपूर्ण । वेष्टन खं. ६८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटयों का नैणवा । विशेष-४४६ श्लोक तक है । प्राकृत मूल भी दिया हुआ है। २२८३. प्रतिसं० १२ । पत्र सं ४१ । प्रा० १.४६ इन्च । ले०काल सं० १६४६ कार्तिकी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६८ । प्राप्ति स्थान तेरहपंथी दि. जैन मन्दिर नगवा । विशेष नैनपुर में प्रतिलिपि की गयो । २२८४. प्रति सं०१३ । पत्रसं० १५ । प्रा० १०४४ इच। ले०कास सं. १६३४ भादवा बुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०३४४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२२ ॥ - [अन्य सूची-पंचम भाग २२८५. प्रति सं०.१४ । पत्रसं० ३३ । प्रा० १३ x ५१ इंच । ले० काल ४ । अपूर्ण । बेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर नागदी, दी। विशेष-टीका का नाम तत्वार्थ दीपिका है । २२८६. समयसार कलशा टीका--नित्य विजय । पत्रसं० १३२ । प्रा० १२४५३ इंच । भाषा-सस्कृत । विषय -अध्यात्म 1 २० काब X । ले। काल x 1 पूर्मा । श्रेष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष. अन्तिम प्रशस्ति निम्न प्रकार है-- इति श्री समयसार समाप्त ।। कुदकुदाचायें प्राकृत अश्र रूप मदिरं कृतं समयसार शास्त्रस्य मया अमृत चन्द्ररण संस्कृत रूप कलशः कृतस्तस्य मंदिरोपरि। . नित्य विजय लामाहं भाव सारस्य टिप्पण। आनन्द राम संज्ञस्य बाचनायलीलिखम् । प्रारम्भिक सिद्धान्नवालिसानीद मर्थ सारस्य टिप्पा । पाणंदराम संज्ञस्य वाचनाय च शुद्धये ।। प्रति टवा टीका सहित है 1 २२८७. समयसार टोका (अध्यात्म तरंगिणी)-भ. शुभचन्द्र । पत्र सं० १३० । प्रा०१०४४इन । भाषा -- संस्कृत । विषय-अध्यात्म । २०काल सं० १५७३ आसोज सुदी५ । लेकाल सं० १७६५। पूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-.. प्रारंभ-प्राविभाग .शुद्ध सच्चिद्र पं भव्यांबुजचन्द्रममृत भकलंक । ज्ञानामुषं वादे सर्व विभाव स्वमात्र संयुक्त । १ ।। सुधाचन्द्रमुने वक्या पद्यात्युद्ध त्य रम्माणि । विवृणोमि भक्तिसोहं चिद्र पे रक्त चित्तश्च । २ ॥ अन्तभाग जयतु जित विपक्ष: पालितामेषशिष्यो विदित निज स्वंतत्वरचोदितानेक सत्वः ।। अमृतविधुतीग: कुदबुदो गणेशः । थ तमुगिन विवादः स्माविवादाधिपाद: ।।१॥ सम्पक संसार वल्लीवलय-विदलनेमत्तमातंगमानी। • पापाताभकुम्मोद् गमन करा कुण्ठ कण्टीरवारिः ।। विद्वद्रियाविनोदा कलित मति रहो मोहतामल्य सार्था ।।१।। चिद्र पोझासिंचेता विदित शुभयतिीन भूषस्तु भूयात ।। २ ॥ विजयकीति यतिगत बिमल कति घरोधति घारकः । जपतु शासन सासत भारती मय मसिदलिता पर वादिनः ।। ३ ।। । १. गुरुविभूत धर्म धुरोद वृत्तिधर्मास्क : ऐसा भी पाठ है। Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ २२३ शिष्य स्तस्य विशिष्ट शास्त्र विणदः संसार भीताशयो। विवेक धाथि तर साद्वा विधानिधिः ॥ . .. दीका नाटक पद्यजा बरगुणाध्यात्मादि स्रोतस्विनी ।। श्रीमच्छी शुभचन्द्र एष विधिवत् संचकरीतिस्म है ।। ४ ।। . त्रिभुवन वरकीति जति रूपात्तसूर्तेः शमदम-मयपूर्तराग्रह राबहनाटकस्य विशद विभव वृत्तो वृत्तिमाविश्चकार: गतनयशुभचन्द्रो ध्यान सिद्धयर्थमेव ।। ५ ।। विक्रमवर भूषाला पंचत्रिशते त्रिसप्तति व्यधिके (१५७३) वर्षऽन्यप्रिवन मासे अक्ले पोऽथ पंचमी दिवसे ।।६।। रचितेयं वर टीका नाटक पद्यस्य पद्यगुषतस्य । नयमतांविद्यासबलं न पद्मपश्चांकात् ।। ७ ।। ............. पातनिकाभिाच भिन्न भिन्नाभिः । । ' जीयादाचन्द्रार्क स्वाध्यात्मतरंनिग्गी टीका || ८॥ इति श्री कुमतद् म मूलोन्मूलनमहानिर्भरणी श्रीमदभ्यात्मतरंगिणी टीका । सं० १७६५ वर्षे पौष वदी १ शनौ । लिखितः । २२८८. समयसार टीका (श्रात्मख्याति)-अमृतचन्द्राचार्य । पत्रसं० १६१ । आ० १०५४४६ इन्च । भाषा-प्राकृत संस्कृत। विषय-अध्यात्म । र काल xकाल गं० १४६३ मंगसिर चुदी १३ । पुर्ण । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान--- भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-ग्रन्थाग्रन्थ मं० ४५०० है । लेखक प्रशस्ति--- स्वस्ति श्री संवत् १४६३ वर्षे मार्ग कृष्ण त्रयोदश्यां सोमवारारे अधेह श्री कालपी गगरे समस्त राजाबली समालंकृत विनिजितारिवली प्रचंड महाराजाधिराज सुरत्राण श्री महादसाहि बिजयराज्य प्रवत्त माने अस्मिन राज्ये श्री काठासंघमाथुराम्वये पुरकर गन्ने लोहाचार्यान्वये प्रतिष्ठाचार्य श्री अनन्तको ति देवाः तस्य प? गगनांगरणे भट्टारक कल्पाः श्री क्षेमकीर्ति देवाः तत्प? श्री हेमकीति देवाः तत् शिष्य श्री धर्मचन्द्र देवः तस्य धर्मोपदेशाभृतेन हृदिस्थित मनोवल्ली सिच्यभानेनां रोहितास नगरे वास्तव्य श्री काल्पीनगर स्थिन प्रग्रोतकान्वय मौतरण (स) गोत्रीय पूर्व पुरुष साधु खेत नाम्नि तस्य बस दीदारण मा० प्रसिद्ध सर्वकार्य अझल साधु नयण तस्य द्वौ भायों कोकिला सांता नाम्नो एतेषां कुक्षे उत्पन्नः एकादश प्रतिमा धारकः सा. सहजपाल हदरति प्रसिद्ध साधु श्री नरपति कुलमंउरण साधु हेमराजी एतः साधु सहजपाल पुत्र 'गुरुदास हरिराम गा. नरपति भार्या साधु नमिइरा अन भो पुत्र जिरणदास वील्हा बीरदास । सा. हेमराज पुत्र गणराज गुरुदास पुत्र साधु नरपति पुत्र साधु श्री बालचन्द्र तस्य द्वौ भायौं साधुनी जौणगाल ही लहुवडि नाम्नी प्रनयो पुत्र मा देवराज तस्म भार्या रारही नाम्नी एतयोः पुत्र पल्हनन्द एत: जिनप्रणीत मार्ग रतः चतुर्विध दानदायकैः संघनायक: जिनपूजा पुरंदर : एतेषा मध्ये साधु नश्ण पौत्रेण साधु नरपति पुत्रेण साधु श्री बाल्हचन्द्र देवेन साधुनी जौणपास ही लहुवडिकांतेन साधु राज जातेन पौत्र साधु 'श्री पाल्हरणचन्द्र समुद्भवेन, श्री समयसार पुस्तकं Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग लिखाप्य संसार समुद्रो तारणार्थ दुरितदुष्ट विध्वंस नार्थ ज्ञानावरणाद्यक कर्मक्षयार्थ थी धमहेतोः सुगुरोः धर्मचन्द्र देवेभ्यः पुस्तकदान दत्त' । २२८६. प्रति सं०२। पत्रसं०१७१ 1 या १२४५३इच। ले०काल सं० १७३७ प्राषाढ सुदी १२ 1 पूर्ण । बेष्टन सं० २४० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा। २२६०. प्रति सं० ३। पत्र सं० १२६ । प्रा० १११४५ इञ्च । लेकाल सं० १५७५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६४ । प्राप्ति स्थान -दिन निः सौर गडी काम: विशेष प्रतिलिपि रोहितक ग्राम में हुई। श्री हेमराजजी के लिये प्रतिलिपि की गई। अन्तिम-वणिक कुल मंडन हेमराज सोयं चिरंजीवतु पुत्र पौत्री। तद्यर्थ मेलल्लिवितं च पुस्तं दातव्य मे तद्धि दुखे प्रयत्नात् ॥ २२६१. प्रति सं०४। पत्रसं० १४६ । ले०काल सं० १६५८ माघ सुदी ५। पूर्ण। वेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार हैं -- श्री मलसंघे भारती गच्छे बलात्कार मा विद्यानंद्याम्नाये श्री मल्लिभूषणदेवा त. प० भ० श्री लक्ष्मीचन्द्र देवा तत्पश्री अभय चन्द्र देवा तत्पभश्री रत्नकीर्ति तद्गुरु भ्राता ब्रह्म श्री कल्याणसागरस्येदं पुस्तकं काकुस्थपुरे विक्रियेल नीतं मुतफरीये देवनीतं अर्गलपुरस्थ कल्याण सागरेण पंडित स्वामाम प्रदत्त पठरणाय । २२६२. प्रतिसं० ५। पत्रसं० १६६ । श्रा० १२४५ इच। ले०काल X । वेष्टन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २२६३. प्रतिसं०६। पत्रसं० १४३ । प्रा० १०३४५ इच। ले० काल सं० १९२५ । पूर्ण । वेष्टन सं०६:५। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर सौगाणी करौली। २२६४. प्रतिसं०७। पत्र सं० १४३ । आः १०१x६ इञ्च । ले: काल सं० १७६८ वैशाख वदी ११॥ पूर्ण । वेष्टन सं० १३/२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर सौगाणी करोली । २२६५. प्रति सं० । पत्रसं० ११२। ले. काल x। अपूर्ण । देष्टन सं०४०। प्राप्ति स्थान-तेरहपंथी दि. जैन मंदिर बसवा । २२६६. प्रति सं०। पत्र सं० १६४ । पा. १- ५ इंच । ले. काल सं० १८३० । पूर्ण । बेष्टनसं०१४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर प्रादिनाथ बूदी। २२६७. प्रति सं०१०। पत्रसं. १९ । श्रा० ११४५ इंच । ले०काल सं० १७३६ । पूर्ण । वेष्टन सं०६० । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर अभिनन्दनस्वामी, बदी। विशेष—इस टीका का नाम आत्मख्याति है । लवारण में प्रा. ज्ञानकीर्ति ने प्रतिलिपि की। २३९८, प्रति सं०११। पत्र सं० १३२ । ले० काल । पूर्ण । बेष्टनसं० २६५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-तात्पर्य वृत्ति सहित है। २२६६. प्रतिसं०१२। परस० २०२ । भाषा--संस्कृत । विषय- अध्यात्म । २० काल XI ले. काल सं० १४४० । पूर्ण । श्रेप्टन सं०। प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर बसवा । Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] । २२५ विशेष-लात्पर्य वृत्ति सहित है। प्रशस्ति-संवन् १४४० वर्षे चैत्र सुदी १० सोभयासरे अद्य ह योगिनिपुर पेरोजसाहि राज्यप्रवर्तमाने श्री भिमनसेन श्री धर्मसन भात्रसेन सहस्रकीतिदेवाः तरुजजिनगरे श्री श्रेष्ठि कुलान्वये गगंगोत्र साह धना गच्छे ....... तेना समयसार, ब्रह्मदेव टीका कर्ता मूल कर्ता श्री कुन्कुन्दाचार्यदेव विरचितं लिखाप्म सहस्रकीति प्राचार्य प्रदत्तं । २३००. प्रतिसं० १३ । पत्र सं० २३ । प्रा० १४४५३ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. २६-६३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) २३०१. प्रतिसं० १४ । पत्र सं० ५० । प्रा० ११४५ इञ्च । ले०काल सं० १६०७ सावरण बुदी ६। पूर्ण । वेष्टन सं० ३३५ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। विशेष प्रशस्ति---संवत् १६०७ बर्षे सावण बुदि ६ खंक नाम गगरे पातिसाहि फ्लेमिसाहिं राज्ये प्रवर्तमाने श्री शांतिनाथ जिन चैत्यालये श्री मूलसंघे गंयाम्नाये बलात्कार गर सरस्वती गच्छे...... "" । .२३०२. प्रतिसं० १५ । पत्र सं० ६३ । आ. १११ x ५ इञ्च । ले. काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर, आदिनाथ बू दी। २३०३. प्रति सं० १६ । पत्रसं० ६८ । आ० १२४५१ च । लेकाल x । पूर्ण । वेन सं. ५४ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रतिपत्र १० पंक्ति एवं प्रति पंक्ति प्रक्षर ३७ हैं। प्रति प्राचीन है। २३०४. प्रतिसं० १७ । पत्र सं० १९७१ या११४४६ इञ्च । ले• काल.X । अपूरणं । वेष्टन सं० ५०१ । प्राप्ति-स्थान-दिल जैन मन्दिर लपकर जयपुर । विशेष—अन्तिम पृष्ट नहीं हैं पांडेराजमल्ल कृत टीका एवं पं० बनारसीदास कृत नाटक समयसार के पक्ष भी हैं। २३०५. समयसार वृत्ति-प्रभाचन्द । पत्रसं०६५। प्रा० १२३४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-अध्यात्म । २० काल x | ले. काल सं० १६०२ मंगमिर बुदी ५३ पूर्ण । वेष्टन सं० ११८१ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । २३०६. समयसार टीका-भ० देवेन्द्रकोति । पत्रसं० १५ । प्रा० ८१४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-अध्यात्म । र• काल सं० १७८८ भाश्वा सुदी १४ । लेकाल सं० १८०४ वैशाख सुदी १३ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३१८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बून्दी। विशेष-पा० कुन्दकुन्द के समयसार पर आमेर गादी के भ. देवेन्द्रकीत्ति की यह टीका है मो प्रथम बार उपलब्ध हुई है। . प्रशस्तिवास्थष्ट युक्त सप्लेन थुते वर्षे मनोहरे, शुषले भाद्रपदेमासे चतुर्दश्यां शुभे तिथौ । :: ईसरदेति सद्ग्रामे टीकेयं पूर्ण तामिवा। : : भट्टारक जगत्कोत्ति पट्टे देवेन्द्रकीतिना ॥२॥ Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची-पञ्चम भाग दुः कम्महानये शिष्य मनोहर गिराकृता । टीका समयसारस्य सुगमा तत्ववोधिनी ।।३॥ बुद्धिमदभिः बुधैः हास्यं कर्तव्यंनो विवेकभिः । शोधनीयं प्रयत्नेन यतो विस्तारता वृजेत् ||४|| दुधैः संपाट्यमानं च याच्यमानं श्रुतं सदा । शास्त्रमेतमं कारि चिर संतिष्टतांवि ॥५॥ पूज्यदेवेन्द्रकीति संशिष्येण स्वांत हारिमा । नाम्नेयं लिखिता स्वहस्तेन स्वबुद्धये ।।६।। संवत्सरे वसुनाग मुनींद्र द्रमिते १७८८ भाद्रमास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथौ सरदा नगरे श्रीराजि श्री अजीतसिंहजी राज्य प्रवर्तमाने श्री चन्द्रप्रभ चैत्यालये" .... | भद्रारकजी श्री १०८ देवेन्द्रकीत्तितेने समयसार टीका स्वशिष्य मनोहर कमनाइ पठनाय तत्ववोधिनी सुगमा निज बुद्धवा पूर्व दीका भवलोक्य निहिता बुद्धि मद्धि शोधनीया प्रमादाद्वा अल्पबुद्धया यत्र होनाधिकं भवेत् तद्वोधनीयं संभाभवीत् श्री जिन प्रत्यसत्ते। . संवत् सरेन्धवसू शून्यवेदयुते १८०४ युते वर्ष वैशाख मासे शुक्लपक्षे त्रयोदश्यां चद्वारे चन्द्रप्रभ चैत्यालये पंडितोत्तमपंडित श्री चोखचन्दजी तत शिष्य रामचन्देण टीका लिखितेयं स्वपठनार्थ झिलडी नगरे वाचकाना पाठकाना मंगलावली संबोभवत् ।। २३०७ समयसार प्रकरण-प्रतिबोध । पत्र सं० ६ 1 प्रा० १०२४४३ इञ्च । भाषाप्राकृत । विषय-अध्याम । २० काxले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७७/५८ । प्राप्ति स्थानपाश्र्वनाथ दि. जैन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। . .२३०८. समसार भाषा टीका-राजमल्ल । पत्र सं० २६८। मा० १.४४% इव । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-अध्यात्म । १० कालxले. काल X । परणं । येष्टन सं०१२० । प्राप्ति स्थान-मः दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-हिन्दी दम्बा टीका है। २३०६. प्रतिसं० २। पत्र सं०१७६ । आ० १२४७ इन्च । ले० काल सं० १९०७ वैशाख मुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) विशेष-अकबराबाद (आगरा) में प्रतिलिपि दुई। २३१०. प्रति सं०३। पत्रसं० २१० 1 ग्रा० ११४५१३। ले०काल सं० १७२५ भादवा सुदी १ । पूर्ण । बेष्टन सं० २९७ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर दीवान जी कापा । २३११. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० २१४ । प्रा० १०४४३ इञ्च । ले. काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं० ११५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २३१२. प्रति सं०५ । पत्र सं० १३ । प्रा० ३४४३ इन्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३० । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर आदिनाथ ढूंदी। २३१३. प्रति सं०६। पत्र सं० ५७-२६४ । ग्रा०६३ x ६ इञ्च 1 ले. काल X । अपूर्ण । वेशन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बदी। Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [ २२५ २३१४. प्रति सं०७। पत्र सं० २३७ । मा० १३ X ७१ इच। ले० काल सं० १८६६ प्राषाढ बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १० । प्राप्तिस्थान—दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा। विशेष—कामा में प्रतिलिपि हुई । २३१५. प्रतिसं०८ । पत्रसं० १४५ । प्रा० १११४४६ इञ्च । ले० काल सं० १७५० । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ प्राप्ति स्थान- दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । २३१६. समयसार टीका-x। पत्र सं० २५ । भाषा-संस्कृत । विषय-अध्यात्म | र० काल X । ले० काल - । अपूर्ण । बेन सं०५१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर सेरहपंथी नरपवा। २३१७, समयसार भाषा-जयचन्द छाबडा। पत्र संख्या ४१८ । प्रा० ११४७ इञ्च । भाषा--हिन्दी गद्य (डारी) । विषय-अध्यात्म । र० काल सं० १८६४ कात्तिक बुदी १० । ले० काल सं०१६११ फागुण बुदी २ । पूर्ण । बेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष—महानन्द के पुत्र रामदयाल ने सं० १६१३ भादवा सुदी १४ को मंदिर में चढाया था 1 २३१८, प्रति सं० २। पत्र सं० ३३६ । प्रा. १३०४ ७२ इञ्च । लेकाल सं० १९३७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२४ ३ प्राप्ति स्थान दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर ।। २३१६. प्रति सं०३ । पत्रसं० ३६० । प्रा० ११४६ इन्च । ले०काल सं १८६६ पौष बुरी १। पूर्ण । वेष्टन सं०७३-१७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । विशेष-बखतलाल तेरहपंथी ने कालूराम से प्रतिलिपि करवाई। २३२०. प्रति सं०४। पत्र सं० १६८ । आ. १२.४६ इन्च । ले० काल सं० १८७९ वैशाख बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर करीली । विशेष—यस्तराम जगराम तथा मूसे राम की प्रेरणा से गुमानीराम ने करोली में प्रतिलिपि को । २३२१. प्रतिर्स० ५। पत्र सं०२६ । ले०काल सं. १८६५। पूर्ण । देष्टन सं० ५२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष - भरतपुर नगर में लिखा गया। २३२२. प्रतिसं०६। पत्र सं० २१४। ले० काल सं० १७४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । २३२३. प्रति सं०७। पत्र सं० २५७ । श्रा० ११४७१ इञ्च । ले. काल सं. १८७६ माह सुदी ६ । पूर्ण । श्रेष्टन सं०८० प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर । विशेष-- जयपुर में प्रतिलिपि हुई। २३२४. प्रति सं०८ । पत्र सं० ३१८ । आ० १४ x ७१ इन्च । ले० काल सं० १९४३ माघ . सुक्षी २ । पूर्ण । वेष्टन ० ७७ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन पंचायत्ती मन्दिर अलबर । २३२५. प्रति सं०६। पत्रसं० ३७९ । आ. १३ x ५ इन्च। ले० काल x। पूर्ण । वेष्टनसं०८६ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । . २३२६. प्रतिसं० १०। पत्रसं०६७ । पा. १२१४७१ इञ्च । ले०काल सं० १९५४ | पूर्ण 1 वेष्टन सं० ११। प्राप्ति स्थान–पार्श्वनाथ दि जैन मन्दिर, इन्दरगड (कोटा) Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२५ ] विशेष मांगीलालजी जिनदासजी बाजार (मरिहारों का रास्ता) में मारफत लिखाई में पारिश्रमिक के ३२|| 5 || लगे थे [ प्रत्य सूची- पंचम भाग दरगढवालों ने सवाई जयपुर में जैन पाठशाला, शिल्प कम्पनी भोलीलालजी सेठी के सं० १९५४ में यह प्रति मिखाई २३२७. प्रति सं० ११ । पत्रसं० २४४ । प्रा० १०३४ ८ इ । पूर्णं । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) विशेष – पत्र सं० १ १५० एक तरह की तथा १५१ - २४४ दूसरी प्रकार की लिपि है । ५३ च । भाषा २३२०. समयसार भाषा-रूपचन्द पत्र सं० २२२ । आ० १२ × हिन्दी (गद्य) विषय प्रभ्यात्म ०१७००० लाई ४) पू प्राप्ति स्थान तेरी दि० जैन मंदिर नैणया । | - | : जेवन ०४७ । 3 विशेष महाकवि बनारसीदास कृत समयसार नाटक की हिन्दी गद्य में टीका हैं। - २३२९. प्रति सं० २ पण सं० ३११ ग्रा० १०३ ४] इ ले० काल सं० २०३५ सावण ख़ुद ५ पूर्ण वेष्टन ० ६७ प्राप्ति स्थान पाना दि० जैन मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा) 'विशेष - आगरा में भगवतीदास पोखाउ ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की । 1 २३३०. प्रति सं० ३ । प० १७३ | था० १०३ x ३३ इब्ब । ले० काल सं० १७९५ मा बुदी १ पूर्ण वेष्टन सं० २६७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) २३३१. समयसार नाटक - बनारसीदास । पत्र सं० १११ । मा० X १३ व भाषा - हिन्दी (पत्र) विषय अध्यात्म १० काल सं० १९९३ आसोज सुदी १३ ले शाल x पूर्ण पेटन सं० २००३ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | २३३२. प्रति सं० २ । वेष्टन सं० १४५६ | प्राप्ति स्थान- भट्टारकी दि० जैन मन्दिर अजमेर | - ०१४२० १२ x ५ इञ्च लेना x पूर्ण २३३३. प्रति सं० ३ सं० ९३ प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर ० २१४० ११३५३० काल पूर्ण वेष्टन २३३४. प्रति सं० ४ । पत्रसं० ६६ । ० ६४६ इ । ले० काल सं० १७३३ । वेष्टन सं० १५०० । प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष- (गुटका सं० २७६ ) २३३५. प्रति सं० ५। पत्र सं० १०८ ॥ श्र० ७४५३ इश्व | ले० काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ७९१ प्राप्ति स्थानमारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर २३३६. प्रतिसं० ६ ० १०२० काल सं० १०६८ पूर्ण वेष्टन सं० २३ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दीवानी भरतपुर । २३३७. प्रतिसं० ७ पत्रसं० १५६ से २३० । ० १०३ पूर्ण बैटन सं० १५-२० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का हूँगरपुर विशेष- ब्रह्म विलास तथा समयसार नाटक एक ही गुटके में हैं । — - इन् ले काल सं० १५१२४ २३३८. प्रति संपत्रसं० ७२ । घा० x ६५ इव । ले० काल सं० १५८० ॥ पूर्ण वेष्टन सं०] १०२ १०. प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का दरपुर।.. Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ २२६ .. २३३६. प्रति सं०६ । पन सं० ४२ । या. ८४६१ इञ्च । ले०काल सं० १५६४ । पूर्ण । वेष्टन सं. १३२-६० । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का इगरपुर । ... विशेष-~४२ पत्र के बाद कुछ पत्रों में कबीर साहब सथा निरंजन की गोष्टि दी हुई है। २३४०. प्रति सं०१०। पत्र सं० १४०। श्रा: ७४४१३चः । लेखन काल सं० १६०४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३८-६२ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मदिर कोहियों का ढूंगरपुर । . २३४१. प्रति सं० १०। पत्र सं० १० । प्राsex ५१ इञ्च । ले. कास x | अपूर्ण । बेष्टन सं० २१०-८४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष-१० से आगे पत्र नहीं है । २३४२. प्रतिसं० ११ । पत्र सं० ८६ । पा० १०४५ इन्च 1 ले० काल ४ | अपूर्ण । वेष्टन सं० ४.१ प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर अग्नदाल उदयपुर । २३४३. प्रतिसं०१२ । पत्र सं०६२। ग्रा० १.४४ इञ्च । ले. काल सं० १७२३ भादवा सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं ५१ । प्राप्ति स्थान अग्रवाल दि. जैन मंन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति पत्र ११ मा प्रति गति गर । खोखरा नगर में प्रतिलिपि हुई। २३४४. प्रति सं० १३ । पत्रसं० ७३ । आ० ११४५६ इञ्च । ले०काल सं० १७६६ । पूर्ण । घेष्टन सं० ७५ । प्राप्ति स्थान–अग्रवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । । : २३४५. प्रतिसं० १४ । पत्रसं० १६६ | आ० ११४७ इञ्च । ले०काल सं० १७२८ । पूर्ण । 'वेष्टन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान दिन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर ।. .. विशेष----प्रति टच्या टीका सहित है । (हिन्दी गद्य टीका) . - २३४६. प्रति सं०१५। पत्र सं०५८। प्रा० १०४४ इथं ले काल । पूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान दि० जैन भानवाल मन्दिर उदयपुर । ...... - विशेष-बनारसी पिलारा के भी पाठ हैं। २३४७. प्रति सं० १६ । पत्र सं० १२५ । या० ८x१३ इञ्च । ले. काल सं० १७५.६ कात्तिक सुपी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । . (गुटकाकार ने० १२) .. २३४८. प्रति सं० १७ । पत्र सं० ४६ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले. कालं X । अपूर्ण । पेटन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान- खण्डेलवाल दि. जैन मंदिर उदनपुर । २३४६. प्रतिसं०१८ । पत्र सं० १७४ । प्रा० ११३ X ७१ इन्च । ले. काल सं० १६२६ । पूर्ण विष्टन सं० ८८ । प्राप्ति स्थान-खंडेलवाल दि० जैन मंदिर उदयपुर । २३५०. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० ३-६७ । आ० १०x४१ छ । से. काल ४ । पपूर्ण । वेष्टन सं १५९ । प्राप्ति स्थान खण्डेलवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुरं । ....... २३५१. प्रति सं० २० । पत्र सं०६६ ! आ. १. x ६ ने काल सं० १८६६ सावण सुदी । पूर्ण । वेष्ट्रन सं प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर मातेहपुर-कावाटी (सीकर) । Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३० ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग विशेष-रारावगी लिखमीचंद ने लिखाया तथा भादया सुदी १४ सं० १५६३ में ब्रतोद्यापन पर फलेपुर के मंदिर में चढ़ाया। २३५२. प्रति सं० २१ । पत्र सं० १३० । आ० १४४८, इच । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-- हीरालाल जैन ने बाबूलाल आगरे बालों से प्रतिलिपि कराई। २३५३, प्रति सं० २२ । पत्र सं०५० । ग्रा० १३१४७ इञ्च । ले० काल सं० १९१४ माघ सूदी ५। पूर्ण । दे० सं० २१1 प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष--प्रति सुन्दर है। २३५४. प्रति सं०२३। पत्र सं०७० । मा० १३ x ६ इश्च । लेकाल-सं० १६१६ पौष वदी १३1 पूर्ण । वेष्टनसं० २६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-व्यास सिबलाल ने जै गोबिन्द के पटनायें प्रतिलिपि की । २३५५. प्रति सं० २४ । पत्रसं० १८० । श्रा० x ६ इञ्च । ले. काल-सं० १७४५ काती बुदी १० वेहन ........ माथा -- सिन मन्दिर भादवा (राज.)। विशेष - जोबनेर में प्रतिलिपि हुई।। २३५६. प्रति सं० २५ । पत्रसं० २२१ । ग्रा० १२३४ ६ इञ्च । ले० काल-सं० १८५७ कात्तिक बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं०-३४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर सेरहपंथी दौसा । विशेष—चिमनलाल तेरहतंथी नै प्रतिलिपि की। २३५७. प्रति सं० २६ । पत्रसं० ३-१० । आ० १०२४५२ इन्च । ले० काल-x। अपूर्ण । वेष्टन सं० १०५-६ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मन्दिर दडा वीस पंथी दौसा। २३५८. प्रति सं० २७ । पत्रसं० १३७ । प्रा०५.४ ५.१ इञ्च । ले काल सं० १९५६ ज्येष्ठ बुरी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर करौली। २३५६. प्रति सं० २८ । पत्र सं० ३--३६६ । प्रा० १२४५६ इन्च । लेकाल-४ अपूर्ण । वेष्टन सं०६५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग। विशेष-अमृतचन्द्र कृत कलशा तथा राजमल्ल कृत हिन्दी टीका सहित है । पत्र जीणं है। २३६०. प्रति सं० २६ । पत्रसं० ६० । श्रा० १० x ५. इञ्च । ले. काल ४ । अपूर्ण : बेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर दीवानजी कामा। २३६१. प्रति सं०३०। पत्रसं० ७९ । ले० काल सं. १६६७ ज्येष्ठ सुदी ५ । पूर्ण । घेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर दीवानजी, कामा । . २३६२. प्रति सं० ३१ । पत्र सं० १-१४५ । आ.६.४ ५ इञ्च । ले. काल-४। अपूर्ण । वे० सं० २५६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। २३६३. प्रतिसं० ३२. पत्र सं० २०६ । ग्रा० १११ ४६३ इञ्च । ले० काल सं १८१४ अषात सुदी ११ । पूर्ण । वे० सं०३.५० । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा। . विशेष-विषमदास कासलीवाल के पुत्र ने कामा में प्रतिलिपि कराई . . .... Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ २३१ २३६४. प्रति सं०३३ । परसं० १६५ । प्रा० १२३४५१ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर दीवानजी कामा । २३६५. प्रति सं० ३४३ पत्रसं० ७३ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २९८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मदिर दीवानजी कामा । २३६६. प्रति सं०३५ । पत्रसं० १०३ । ले०काल सं० १७२१ पासोज सुदी ६ । पूर्ण । वेष्ठन सं० २६८ क । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २३६७. प्रति सं०३६ । पत्र सं० ६३ । प्रा० १०४६६ बञ्च । लेकाल सं. १८६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर कामा । .. विशेष- जोधराज कासनीवाल ने प्रतिलिपि करायी थी। २३६८. प्रति सं०३७ । पप गं. १०६ । मा १:४६ . सेवन । अपूर्ण । वेपन सं० ८६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा। २३६६. प्रतिसं०३८ । पत्रसं० ३५७ । ले०काल सं. १७५२ साषण सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं०१८ | प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर कामा। विशेष—पहिले प्राकृत मूल, फिर संस्कृत तथा पीछे हिन्दी पद्यार्थ है । पन जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। २३७०. प्रति सं० ३६ । पत्र से० ६० । प्रा० १२१४६३ इञ्च । लेकाल.... X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान- दिन छोटा मंदिर बयाना । २३७१. प्रति सं०४०। पत्र सं० १२३ । प्रा १४५१ इञ्च । ले. काल सं० १७४८ मात्र बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान—दि चीन मन्दिर पंचायती बयाना। विशेष-बेगमपुर में भवानीदास ने प्रतिलिपि की थी। १२३ पत्र के प्रागे २१ पद्यों में बनारसीदास कृत सूक्ति मुक्तावली भाषा है। २३७२. प्रति सं०४१। परसं० १७ ।ले०काल सं० १८५५ पूर्ण । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर बयाना। विशेष-अयाना में प्रतिलिपि हुई। . . २३७३. प्रति सं०४२ । पत्रसं०-७० । लेखन काल सं० १९२६ फागुण सुदी २ ! पूर्ण । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर पंचायती बयाना। विशेष-श्री ठाकु रचन्द मित्र ने माधोसिंह जी के पठनार्थ प्रतिलिपि करवायी तथा सं० १९३२ में मंदिर में चढ़ाया। । २३७४. प्रतिसं० ४३ । पत्र संख्या-४१ । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पंचामती भरतपुर । ' विशेष-जीर्ण है। ।... २३७५. प्रतिसं०४४ पत्र सं० २-५६ । ले. काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४८३ । प्राप्ति स्वाम---दि जैन मन्दिर पंचायतती भरतपुर। . . .. . . Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३२ ] .. [प्रन्थ सूची-पंचम भाग २३७६. प्रति सं० ४५ । पत्रसं० १६२ । ले. काल सं० १८६६ पूर्ण । वेष्टन सं० ५२४ । प्रापित स्थान—दि जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । .२३७७. प्रतिसं१४६ । पत्र सं० १५ । से काल सं० १७०३ । पूर्ण । बेष्टन सं० ५२७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पंचायती भरतपुर । . २३७८. प्रतिसं० ४७ । पत्रसं० ६१ । लेकाल सं० १७३३ आसोज अंदी ५ । पूर्ण । बेष्टन मं० ५२८ । प्राप्ति स्थान - दि जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । . २३७९, प्रतिसं०.४६ । पत्र सं० २३ । ले०कास ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५४० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । २३८०, प्रति सं०४६ । पत्रसं. १५४ । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० २५८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है। २३८१. प्रति सं०५० ३ पत्र सं० २२३ । प्राः १२ x ५३ इञ्च । ले० काल सं० १७३४ पौष सुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान-खंडेलवाल पंचायती दि. जैन मन्दिर अलवर । २३८२. प्रतिसं०५१ । पत्र सं०६० । लेकाल सं० १७७६ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्तिस्थान-खंडेलवाल दि. जैन मन्दिर अलवर । विशेष-प्रन्नि का जीर्णोद्धार किया हुआ है। २३८३. प्रति सं०५२। पत्र सं० ११७ । ले०काल सं० १९०१ पूर्ण । वेष्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान--खंडेलवाल दि जैन मंदिर अलवर। २३८४, प्रति सं० ५३ । पत्र सं० ६३ । लेकाल-X । अपूर्ण । बेष्टम सं० १२८ । प्राप्ति स्थान- खडेलवाल दिजन मन्दिर अलवर । २३८५. द्रति सं०५४ । पत्र सं०६० । प्रा० ११३४५६ इञ्च । लेकाल ४ । अपूर्ण । बष्टन सं० ३३/१६१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर अलवर। २३८६. प्रति सं०५५ । पथ सं० १४६ । प्रा०७४५३ इञ्च । ले. काल सं० १९०३ पूरी। वेष्न सं० ३८१ । प्राप्लिस्थान-दि जैन मंदिर बोरसलो कोटा। । २३८७. प्रति सं० ५६ । पत्र सं० ३२-७१ । प्रा० १.४ ६ इन्च । ते काल सं. १८३१ द्वितीय वैशाख बुदी ८ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २०१ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दबलाना (बू दी) _ विशेष-दौलतराम चौधरी ने मनसाराम चौधरी की पुस्तक से उतारी । प्रतिलिपि टोडा में हुई। २३८८. प्रति सं० ५७ । पत्र सं० ११७ । प्रा० ६x६ इन्च । ले०काल सं० १७३३ भादवा सृदी ६ 1 पूर्ण । वेटन सं० ३० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरह पंथी मालपुरा (टोंक)। . . विशेष-कर्णपुरा में लिखा गया । .... २३८६. प्रति सं९५८ । पत्रसं०३-११८ । प्रा० ८.४ ४ इश्व 1. से कालः सं०.१८५० पौष सुदी ४ । अपूर्ण । वेशन सं० १०६-१३७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर, नेमिनाश्च टोडारायसिंह टोंक) । Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ २३३ विशेष—सहजराम व्यास ने सक्षमपुर में प्रतिलिपि की। २३६०. प्रति सं० २६ । पत्रसं०१८ | प्रा० १०४५ इन्च । ले०काल सं० १९६१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर पार्श्वनाम टोडारायसिंह (दौंक)। २३६१. प्रतिसं०६० । पत्र सं० ६१ : प्रा० ११ X ५१ इंच । ले०काल ४ । अपूर्ण । बेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर, राजमहल टोंक ।। विशेष-अंतिम पत्र नहीं है । २३६२. प्रतिसं०६१ । पत्रसं० २० । प्रा० १० x ४ इच । लेकाल सं० १८२५ । पूर्ण । वेष्टन सर ७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर, राजमहल (टोंक)। विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है। संवत् १८२५ वर्षे माह मासे कृष्ण पक्षे अष्टमी दिने बुधवारे कतु पारा ग्रामे श्री मूलसंधे सरस्वती गच्छे बलात्कार गणे श्री कुदकुदाचार्यान्वये भट्टारक . श्री ५ रत्नचन्द्र जी तत्प? भट्टारक श्री ५ देवचन्द जी भट्टारक श्री १०८ धर्मचन्द जी तत् शिष्य गोकलचन्द जी त लघु भ्राता ब्रह्म मेघजी । ग्रंथ के ऊपरी भाग पर लिखा हैश्री रूपचन्द जी शिष्य सदासुख बावाजी श्री विजयकीति जी। २३६३. प्रति सं० ६२ । पत्रसं० १३८ । प्रा० x ५६ इञ्च । ले. काल सं० १८४० । मपूर्ण । बेष्टन सं० ८८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोट्यों का मैण्वा । विशेष—प्रारंभ के ३० पत्र जिनोदय सूरि कृत हंसराज बच्छराज चौपई (रचना स. १६८०) के हैं। २३६४, प्रतिसं० ६३ । पत्ररां०८१ । प्रा० १० x ६३ इञ्च । ले०काल सं० १९३३ कार्तिक बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटयों का नैरावा । विशेष-नणया में प्रतिलिगि हुई । २३६५. प्रति सं०६४ । पत्र सं० ११६ । श्रा० १०.४५ च । ले०कास सं० १८९६ चैत्र बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १० । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर कोट्यों का नैरणवा । विशेष-नगवां नगर में चुन्नीलाल जी ने लिखवाया। २३६६. प्रतिसं० ६५ । पत्र सं ६५ । आ० १०६x४ इञ्च । ले. काल ० १७३३ प्रासोज सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५ । प्राप्ति स्थान-तेरहपंथी दि० जैन मन्दिर नैरगया । विशेष –पूजा की प्रतिलिपि पंडित श्री शिरोमरिणदास ने की थी। २३६७. प्रति सं०६६ । पत्रसं० ३३७ । ग्रा० १२४७ इच । ले. काल सं० १९४३ । पूणं । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर दी। .२३९८. अतिसं० ६७ । पत्र सं० १२ । लेकाल सं० १९६२ चैत मुदी ६ । पूर्ण । बेष्टन सं०१८ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर श्री महावीर स्वामी बूदी। . . २३६६ प्रप्ति सं० ६८ । पत्रसं०. १३२ । मा. १०.४४ इञ्च । ले • काल सं० १८८७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर मागदी दी। Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३४ ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग २४००. प्रति सं०६६। पत्रसं० १४०। मा० ११ X ७ इंच । ले. काल X । पूर्गा । बेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नागदी ब्रू दी। विशेष—हिन्दी गद्य टीका सहित है टोंक नगर में लिपि की गई थी। २४०१. प्रति सं०७० । पत्रसं०६-१०० । ग्रा०६x४ इंच। लेकाल सं० १८४४ वैशाख बुदी १ । अपूर्ण । वेष्टन सं०३२१ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर, अभिनन्दन स्वामी दी। २४०२. प्रति सं०७१। पत्रसं० ३१ । आ. x५ इञ्च । ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं. ७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर, पाश्वनाथ चौगान व दी। २४०३. प्रति सं०७२। पत्रसं०६६। ग्रा. EX६१ इन्च । ले० काल १८८२। पूर्ण । वेष्टन सं०५८ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर पाश्वनाथ दी। २४०४. प्रति सं०७३ पत्र सं० ६० । प्रा० १२४ ६६ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेग्टन संव २ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी । २४०५. प्रतिसं०७४ । पत्र सं०८१ । आ० ११४५३ इञ्च । ले० काल सं० १७-४ कार्तिक दुद्दी १३ । पुर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक)। विशेष-संवत् १७०४ कार्तिक बुदी १३ शुक्रवार सखि हरि जी शुभं भवतु। २४०६. प्रति सं०७५ । पत्र सं० ४ से ६४ । प्रा०३४२६ इंच । ले० काल सं० १८१४ कार्तिक । अपूर्ण । एस० 3 1 भाति स्थान --जि मंदिर चौधरियान (मानपुरा)। विशेष-- से आगे भक्तामर स्तोत्र है। २४०७. प्रति सं० ७६। पत्र सं.६६। पा.१११ ५ इच। ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं०४६६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । २४०८. प्रति सं० ७७ पत्र सं०६६ । आ० ११.४५ च । भाषा-हिन्दी। ले० काल सं. १६२६ । पूर्ण । वेतन सं० ५०३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर ! २४०६, प्रतिसं०७। पत्र सं० १०१-१२६ । आ०१२ x ५६ इञ्च । ले० काल १९४६ । वेष्टन सं०७५६ । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान ----दि० जैन मन्दिर, लश्कर, जयपुर । २४१०. समाधितंत्र-पूज्यपाद। पत्र सं०६। ०६४५४ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय--- 1 योग र० काल X । ल० काल x। पूर्ण । वेटन में० ४५५ । प्राप्ति स्थान-भ० दिक जैन मन्दिर, अजमेर । २४११. प्रतिसं० २ पत्रस० १४ । ३० काल ४ पूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्तिस्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २४१२. समाधितंत्र भाषा--पर्वतधर्मार्थी । पत्र सं. १५७ । प्रा० १३४६१ इञ्च । भाषाहिन्दी. गुजराती। विषय-योग । र काल x ले. काल सं० १७४५ फागुण बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर प्रजमेर । २४१३. प्रतिसं०२। पत्र सं० १००। प्रा० १२३४७१ च । ले० काल X 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ११६७ । प्राप्तिस्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ २३५ २४१४. प्रतिसं०३ । पत्र सं० १२८ । प्रा० ११४६ इ । ० काल १५८२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२२-६० । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर कोइियों का डूंगरपुर । २४१५. प्रति सं०४। पत्र सं० १५४ । प्रा० ११४५ च । ले०काल सं० १६६८ | पुर्ण । वेष्टन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान—अग्रवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६६८ में वर्ष फागुण बुदी १२ दिने श्री परतापपुर शुभस्थाने श्री नेमिनाथ चैत्यालये कूदकुंदा चार्यान्वये भ० श्री सकल कीर्ति तदारनाये भ रामकीर्ति तत्पट्ट भ. श्री पद्मनन्दिणां शिष्य ब्रह्म नामराजेन इदं पुस्तकं लिहितं । २४१६. प्रति सं० ५ । पत्रसं० १८७ । प्रा० ११३४५ इश्व । ले०काल सं० १७३७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान--अग्रवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष- सागवाडा के आदिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की गई थी। २४१७. प्रति सं० ६ । पत्र सं० १७९ । प्रा० ११४ ५ ६ । लेकाल सं० १७०६ मंगसिर बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१०/२२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन सम्भवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष-पं० मांगला पठनार्थ । २४१८. प्रति सं०७। पत्र सं० १७८ । प्रा० ११३४५६ इञ्च । लेकाल सं. १८५५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-खण्डेलवाल दि जैन मंदिर उदयपुर । २४१६. प्रति सं० । पत्र सं० २६६ । प्रा. १०३४५ इञ्च । ले०काल सं० १५० । पूर्ण । वेष्टन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान-खण्डेलवाल दि जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष--प्रशस्ति निम्न प्रकार हैसंवत १८०५ वर्षे शाके १६७३ प्रदत्त माने मासोत्तमे मासे फागुणमासे शुक्लपक्षे पंचमीतियौ। २४२०. प्रति सं० ।। पत्र सं० १३१ । आ. १०४५३ इन। ले कारन स. १८७५ काती सुदी १४ । पुर्ण । वेष्टन सं० ८८ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष-फतेहपुर के डेडराज के पुत्र बाबीराम हीराकणी ने प्रतिलिपि कराई। मालवा में अष्टा नगर है वहां पोरवार पद्मावती वासीराम श्रावक ने धाटतने कुण्ड नामक गांव में प्रतिलिपि की थी। २४२१. प्रति सं० १०। पत्र सं० ११३ । प्रा० १४४६ इन् । लेकाल १८२७ वैशाख बुदी । श्रेष्टन मं०१८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर भादवा (राज)। जोबनेर में प्रतिलिपि की गई। २४२२. प्रति सं० ११। पत्र सं० १८३ । आ० १२ X ६ इञ्च । ले० काल सं १८०५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर तेरहगंधी दौसा । विशेष—प्रारतिराम दौसा वाले ने प्रतिलिपि की थी। २४२३. प्रति सं० १२१ पत्रसं० ११६ । सा० १२ x ६ इञ्च । ले० काल सं० १८५२ सावन बुदी २ । पूरणं । बेष्टन सं० १३-३३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा । विशेष-हीरालाल चांदवाब मे चिमनराम दौसा निवासी से प्रतिलिपि करवाई थी। Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २४२४. प्रति म०१३ । पत्र सं० २०१ । प्रा०६४ इञ्च । ले० काल स. १७४८ साधन सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १४२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर करोली। विशेष-रामचन्द्र बज ने साह जयराम विलाला की पोथी से गानगढ़ मध्ये उतरवाई। २४२५. प्रति सं० १४ । पत्र सं० १३७ । प्रा० १२.४५६ इच। ले. काल सं० १९१२ ॥ पूर्ण । वेष्टन सं०३० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दीवान नेतनदारा पुरानी टीग । २४२६. प्रति सं०१५ । पप सं० ११३ । या० १३४६१ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० २०७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवान जी कामा ।। २४२७. प्रति सं० १६ । पत्र सं० ३०१ । मा० १०:४४१ इञ्च । ले० कान स० १९१७ । पूरणं । वेष्टन सं० ३५.१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २४२८. प्रति सं० १७ । पत्रसं० १३६ । लेन काल सं० १७४१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष वयाना में प्रतिलिपिहई थी। २४२६. प्रति सं०१८ । पत्र सं० २२० । प्रा० ११:४६ इत्र । ले०काल सं. १७२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। २४३०. प्रति सं० १६ । पत्र सं० १२ । मा० १२४५६ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण। वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर शेवानजी कामा । २४३१. प्रति सं०२०। पत्र सं० ३१६ । प्रा०११X४ इञ्च । ले. काल सं० १७०५ । पूर्ण । बेशन सं०२४ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर कामा । २४३२. प्रति सं०२१। पत्र रां० १३५ । प्रा०११ इञ्च 1 ले० काल सं १८७७ आसोज सूदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं. ८९ | प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पंचायती कामा विशेष-जोधराज कासलीवाल कामा वालों ने भरमल बोहरा भरतपुर वाले से प्रतिलिपि कराई थी। फ्लोक सं० ४५०१।। २४३३. प्रति सं०२२ । पत्र संख्या २०४ । आ० १११४४३ इञ्च । ले०काल सं० १७३० कार्तिक वदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष—काशीराम के पठनार्थ पुस्तक की प्रतिलिपि हुई थी। प्रति जीणं है । २४३४. प्रति सं. २३ । पत्र सं० १८२ । ले०कास मं० १७७४ । पूर्ण । ये०सं० २७० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-गुटका साइज है । २४३५. प्रति सं. २४ । पत्र सं० २०० । ले० काल सं० १७७७ । पुर्ण । दे. सं० ५६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २४३६. प्रति सं०२५ । पत्र सं० १५८ । प्रा०४५ इश्च । ले. काल सं० १.३५ । पूर्ण । वे० सं० ११६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर! Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ २३७ २४३७. प्रति सं० २६ । पत्रसं० १८३ । आ० ११X५ इव । ले०काल सं० १९८२ प्रषाद पूर्ण वेष्टन सं० १८/१०२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर | सुदी २४३८. प्रति सं० २७ । पत्रसं० २०८ । प्रा० ११७ च । ले०काल सं० १८२३ सावरण सुत्री ५। पूर्णं । वैन सं० १४० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा | विशेष - साहजी श्री मोहगुरामजी ज्ञाति बरवाल बागडिया ने बाकलीवाल से प्रतिलिपि कराई । कोटा नगर में स्वयंभूराम २४३६. प्रति सं २८ । पत्र सं० १७२ । ग्रा० १० १४६ इव । ले० काल रां० १७८१ आषार बुदी १ पूर्ण वे० ० १/६५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ ( कोटा ) | विशेष – कोटा नगर में चन्द्रभार ने बाई नान्हीं के पटनार्थ लिखा था । २४४० प्रति सं० २६ । पत्र सं० १८३ । श्र० ११३ x ५ ३ । लेखन काल सं० १७८१ आषाढ सुदी । पूर्णं । वे०सं० ७६ / ६६ | प्राप्ति स्थान - पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) | विशेष- अंतिम पत्र दूसरे ग्रंथ का है । धरणी व सागरे दुहायने नभतरे च । भासस्यासितपक्षे मनुतिथि सुरराजपुरोध ॥ लि० चन्द्रभान बाई नान्ही सति शिरोमणि जैनधर्मधारिणी पठनार्थ कोटा नगरे चौहान वंश हाडा दुर्जनसाल राज्ये प्रतिलिपि कृतं । पुस्तक बहा मंदिर इन्दरगड़ की है। २४४१. प्रति सं० ३० पत्र सं० १७६ । प्रा० १३ x ६३ इव । ले० काल सं० १६१८ पूर्ण वे० सं० ६० प्राप्ति स्थान- पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ ( कोटा ) | विशेष – राजाईमाधोपुर में प्रतिनिधि हुई थी । P । अपूर्ण । २४४२. प्रति सं० ३१ येन सं०-३४८ । प्राप्ति स्थान २४४३. प्रति सं० ३२३ सुदी = पूर्ण वेष्टन सं० ७०-११४ २४४४ प्रति सं० ३३ | पत्र० १८ । ग्रा० १० X इञ्च । ले० काल दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) | पत्रसं० ७१ । आ० १०x४३ ३'च । ले०कान सं० १७६५ चैत प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । पत्रसं० ३१७ | प्रा० १०३x४ इव । ले०काल सं० १७७६ पौष बुदी । पुणं । वेष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहांथी मन्दिर नैरावा । विशेष नाथूराम ब्राह्मण जोशी बगाहटे के ने प्रतिलिपि की । लिखाई साह मोहनदास ठोलिया के पुत्र जीवराज के पठनार्थ । चिमनलाल रसनलाल कोलिया ने सं० १९०८ में नेरवा में रथियों के मंदिर मैं प्रति चढ़ाई। २४४५. प्रति सं. ३४ | पत्रसं० १११ | आ० १३४६३ इ । ले०काल सं० १८८७ । पूर्ण वेष्टन सं० ७६ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर श्रीमहावीर बुदी । 1. २४४६. प्रतिसं० ३५ । पत्र सं० १५७ | था० १२४५३ इख ले० काल सं० १७३८ मंगसिर सुदी ३. । पू । ष्टन सं० १२० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बंदी | विशेष – सांवलदास ने बगरू में प्रतिलिपि की थी । Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३८ ] २४४७. प्रति सं० ३६ पत्र ० २६३ ० पूर्ण हुन सं०] ३७ प्राप्ति स्थान दि० वं मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। २४४८ प्रति सं० ३७ मुदी पूरी बेटन सं० सं० २११ ० ११५४] इन ले० काल सं० २०६३ वैशाख प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर कामा २४४६. समाधितंत्र भाषा- ताबूलाल दोसी । पत्र० १०१-१४२० १२३४ इव | भाषा - हिन्दी (गद्य) | विषय - योग २० काल १९२३ चैत सुदी १२ । ले० काल सं० १६५३ प्र. ज्येष्ठ सुदी ५ पूर्ण वेष्टन सं० ४६३ । प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । २४५०. समाधियंत्र भाषा - रायचंद । पत्रसं० ५७ गन्ध | विषय - योग शास्त्र ए० काल x ०काल ६० १०६३ स्थान दि० जैन मन्दिर पंचायती दुनो (टोंक) | ** [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ५ ० काम सं० १९२४ । विशेष-प्रतिम पद्म जैसी मूल श्री गुरु कही तैसी कही न जाय । पं परियोजन पाय के लखी जुह बंदराय || २४५२. समाधि तंत्र भाषा - X पत्र सं० २४ । (गद्य) विषय योग । र० काम X ले० काल । प्रपूर्ण | - | X । । दि० जैन प्रवास मन्दिर उदयपुर । मा० १० X ४३ पूर्ण भाषा - हिन्दी न ० ६३ प्राप्ति २४५१. समाधितंत्र भाषा XI पत्र सं० ६१ ० ११४४३ भाषा संस्कृत। इश्व हिन्दी (ग) विषय योग शास्त्र २० काल X से०काल X। मपूर्ण वेन सं० २५५ प्राप्ति स्थान- दि० जैन पत्रवाल मन्दिर उदयपुर । मा० १० X ४ वेव सं० २०७ वेष्टन | ३६ भाषा - हिन्दी । प्राप्ति स्थान विशेष – २४ से आगे पत्र नहीं है । २४५३. समाधितंत्र भाषा माणकचंद पर० १८० १२३७ इन्च भाषा - हिन्दी गद्य | विषय - दोश | र० काल X | लेकाल सं० १९५७ चैत सुदी १३ । पूर्ण वेष्टन सं० १५ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष -- तृपभदास निगोया ने संशोधन किया था । २४५४. प्रतिसं० २ पत्र [सं० ३ | ० २००७६० X ६ इ । ले०काल । पू । वेष्टन नं० १०८ प्राप्ति स्थान दि० जनप्रवाल पंजावती मन्दिर अलवर २४५५. समाधिमरण भाषा - धानतराय पत्र सं० २ । ग्रा० १x६३ इव । भाषाहिन्दी | विषय - चिंतन । २० काल X | लेकाल X। वेष्टन सं० ६४५ | प्राप्तिस्थान दि० जैन मंदिर लक्कर, जयपुर 1 २४५६. समाधिमरण भाषा सदासुख कासलीवाल । पत्र सं० १५ भाषा - हिन्दी (गद्य) विषयति । २० का X मेमात X प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर पूर्ण ० १२५५३ इव वेष्टन सं०] ४१२ Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ २३० २४५७, समाधिमरण भाषा x | पत्र सं० २७ । प्रा० ११X५३ इश्व । भाषाहिन्दी | विषय - चिन्तन । २० काल X : ले०काल सं० १९१६ पौष बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४४६ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | २४५८. समाधिमरण भाषा - X 1 पत्र सं० १४ । श्रा० १२ X ६ इव । भाषा - हिन्दी । विषय – चिलन । १० काश X | लेकाल X | पूर्ण वेष्टन सं० १६१३ | प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर 1 ३४५६. समाधिमरण भाषा -- x । हिन्दी ग० विषय - चितन । २० काल x । ले० काल सं० १९०६ । स्थान - दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) | पत्र सं० १७ । आ० १०३ ४ ५ । भाषा - । न सं० २२-६= | प्राप्ति २४६०. समाधिमरण भाषा - X | पत्र सं० १४ । भाषा - हिन्दी । विषय चिंतन | २० काल X | ले० काल । पूर्ण । वेधन सं० ५० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन तेरी मन्दिर । २४६१. समाधिमा भाषा -X | पत्र मं० १४ । पा० १२३ X ६ गद्य | विषय - चितन १० काल X ३ ले० काल सं० १९१६ कार्तिक मुदि १४ । पू प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) | विशेष - सरावगी हरिकिसन ने व्यास शिवलाल देवकृष्ण से बम्बई में प्रतिलिपि कराई थी । २४६२. समाधिमरण भाषा -- x । पत्र रां० १६ । ० ११ X ५ इव । भाषा - हिन्दी | (गद्य) | विषय - आत्मचिंतन | र०काल x 1० काल X | अपूर्ण । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २४६३. समाधिमरण स्वरूप - X । हिन्दी | विषय - योग । र० काल X | ले० काल सं० प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । २४६५. समाधिमरण स्वरूप - X गद्य विषय योग | र० काल X : ले० काल मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बुदी । - | भाषा - हिन्दी । वेष्टन सं० १०६ । २४६४. समाधि स्वरूप - X | पत्र सं० १६ । भाषा संस्कृत I विषय— चितन । १० काल - X 1 से० काल X अपूर्ण वेष्टन सं० ६३/२५० । प्राप्तिस्थान- दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विषय – अध्यात्म | र० काल X | ले० काल X 1 पूर्ण दि० जैन मन्दिर अजमेर | २४६८. प्रति सं० ३ । पत्रसं० ८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लम्कर, जयपुर । पत्र सं० १३ । ० १०३ X ७ इत्र । भाषा१८२० ज्येष्ठ सुदी ११ । पूर्ण वेष्टन सं० १४६ । - पत्र सं० २३ । प्रा० ११ x ५ ६श्व | भाषा हिन्दी । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन २४६६. समाधिशतक - पूज्यपाद । पत्रसं० ७ । या० १२४५३ इन | भाषा – संस्कृत | बेन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय २४६७, प्रति सं० २ । पत्रसं० ८ । प्रा० ६x४३ । ले०काल x । पूर्ण वेष्टन सं ० ५६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर पंचायती दूती (टोंक) । आ० १०३५ इंच । जेन्काल x । वेष्टन सं० ५५ Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग सामा। २४६६. समाधिशतक टीका-प्रभाचन्द्र । पत्र सं० १० । आः १२ x ५, 'च । भाषासंस्कृत । विषय--अध्यात्म 1 २० काल ४ । लेकाल X । पर्ण । वेषन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-- भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-प्रति प्राचीन है। २४७०. प्रति सं० २। पत्रसं० २६ । श्रा० १२४४ इच । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६२६ । प्राप्ति स्थान- भद्रारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । २४७१. प्रति सं०३ पत्रसं०३०मा० ११४५ इच । ले०काल सं० १७४७ । पुर्ण । वेन सं० २६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा। २४७२. प्रतिसं०४। पत्ररां०१-४१ । आ. १०४५ इच । ले०काल सं० १५८० । अपूर्ण । वेष्टन सं० २४० । प्राप्ति स्थान--- अग्नबाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष- प्रशस्ति निम्न प्रकार है - संवत् १५८० वर्षे ज्येष्ठ मासे १४ दिने श्री मूलसंधे मुनि श्रीभुवनकीर्ति लिखापितं कर्मयनिमित्तं । . २४७३, प्रति सं०५ । पत्र सं० २१ । प्रा० ११६ x ५ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण। वे० सं० १७२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर अमिनन्दन स्वामी, बूदी। विशेष—प्रसि प्राचीन है। २४७४. प्रति सं०६। पत्र सं० ८ । ले० काल X । पूर्स । वे० सं० ३०१२३० । प्राप्ति स्थान--दि० जन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । गलमात्र है। २४७५. प्रतिसं० ७ । पत्र सं० १२ । ग्रा० ११३४ ४ इञ्च । ले० काल सं० १७६१ कार्तिक सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष-बरावा में जगत्वीति के शिष्य दोदराज ने प्रतिलिपि की थी। २४७६. प्रति सं०८ । पत्र सं० ११ 1 प्रा. १० x ४ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । बेटन सं०६४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति प्राचीन है। २४७७, समाधि शतक-पन्नालाल चौधरी । पत्रसं० ६० । भाषा-हिन्दी। विषयअध्यात्म । र०काल x । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर २४७८. सामाधिक पाठ-x। पत्र सं० ८ । भाषा-प्राकृत । विषय-अध्यात्म । २० काल XI ले. काल ४ । पूर्ण । वेहन सं० २१८-१४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कोटडियों का हूगरपुर । २४७६. प्रति सं०.२ः। पत्रसं० ११ । श्रा० .१२.४ ५६ इन्च । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०४६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटष्ठियों का डूगरपुर । २४६७, प्रति.सं.२।३।। पत्रसं० १४ । या० १.० x ६ इञ्च । ले० काल-मुं० १९०६ सावरण सुदी' । पूर्ण । बेष्ठत सं० १६४ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) :: Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र ] [ २४१ विशेष- अन्त में दौलतराम जी कृत सामायिक पाठ के अन्तिम दोहे हैं जो सं० १८१४ की रचना है । संस्कृत में भी पाठ दिरे हैं। २४८१. प्रति सं० ४ , पत्र सं० है । प्रा० ७१४३३ इञ्च । लेकाल सं० १४८३ । पूर्ण । वहन सं० २५५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर बोरमली कोटा। सवत् १४८३ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ शनी नागपुर नगरे जवाणंद गणि लिखतं घिरनंद तात् श्री संघे प्रसादान् । २४८२. प्रति सं० ५। पत्र सं० १५६ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २४५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन पंचावती मन्दिर भरतपुर । विशेष--प्रति संस्कृत टीका सहित है। २४५३ प्रति सं०६ । पत्र सं० २५ । प्रा०८ x ५५ इन्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ । प्राप्ति स्थान--दि• जैन मन्दिर नदी दी । २४८४. प्रतिसं०७ । पत्र सं० १५ । ले०काल सं० १७६२ । पूर्ण । वेष्टन सं० । प्राप्ति स्शान-दि- जैन पंचायती मंदिर डींग। - विशेष-डीग में प्रतिलिपि हुई थी। २४८५. प्रति सं०८। पत्र सं. १४ । प्रा० ११४५ इञ्च । वेष्टन सं० ३७२ 1 प्राप्ति स्थान-- दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । २४०६. प्रतिसं० । पत्र सं० ५६ । आ० १११४५ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । विशेष प्रति हिन्दी गद्य टीका सहित है । सेठ बेलजी सृत बाघजी पठनार्थ लिखी गयी । २४८७. प्रतिसं० १० । पत्र सं० ११ । प्रा० ११४५ इन्न । लेखन बाल ४ । पूर्ण । वेष्टन रां० २८१-१११ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटडियों का (गरपुर । विशेष-संस्कृत में भी पाठ है । २४६८. प्रति सं० ११ । पत्रसं० २१ । या० १०१ ४ ५ इञ्च । ले० काल रां० १६१२ भादवा खुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७३.. १४२ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर कोटड़ियों का रंगरपुर। २४८६. प्रति सं० १२ । पत्रसं०७। या ६५ x ५३ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६० 1 प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर।। २४६०. सामाधिकपाठ - - । पत्र हैं. ३३ । प्रा० १२४६३ इ । भाषा--संस्कृत। विषय--अध्यात्म । २० काल x | ले०कास सं० १९१३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५१२ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-- प्रति हिन्दी अर्थ सहित है। । २४६१. सामायिक पाठ-४ । पत्र सं० ७२ । भाषा --संस्कृत । 'विषय-अध्यारम । toकाल ले०काल सं० १६४१ । पूर्ण । वेष्टन सं०.६४१८ । प्राप्तिस्थान--संभवनाथ दि० जैन मंदिर उदयपुर। Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४२ ] विशेष – प्रजारित निम्न प्रकार हैस्वस्ति त्रत् १६४१ वर्षे श्री मूलसं ज्ञानभूषण प्रनाचन्द्रा शिष्येण उपाध्याय श्री धर्मकीर्ति ब० श्री राजस् ि४० समजीस्त दर्शनविधि भी दी हुई है । २४६२. सामायिक पाठ । सं० विषय- अध्यात्म | २० काल x । ले० काल x । पूर्ण मन्दिर पार्श्वनाथ श्रीगान बद २४१३. सामायिक पाठ (लघु) विषय - अध्यात्म | र० काल X 1 ले० काल दि० जैन मन्दिर भागदी बूंदी विशेष सहस्रनाम खोट भी है। २४६५. सामायिक पाठ र० काल - X | ले० काल x । पूर्ण । भरतपुर । . सरस्वतीगच्छे मनोद दुगे चन्द्रनाथ चैत्यालये भ० श्री स्वहस्तेन लिखितं ब्रह्ममजित सागरस्य पुस्तके २४६६. सामायिक पाठ - अध्यात्म | २० काल X। ले० काल x 1 पूर्ण कोटा | XI पत्र सं० ४१ सं० १७४६ । पूरणं । । २४६४. सामायिक पाठ -X पत्र० १६० १४६३ इव । भाषा संस्कृत । विषय- प्यारकाल - X। ले० काल X। पूर्ण वेष्टन सं० २१ / १५ प्राप्ति स्थान दि० जन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) । | | । १६ प्रा० x ४ भाषा–संस्कृत । वेष्टन सं० २५६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन X | पत्र सं० वेष्टन स० ४६१ । [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग विषय अध्यात्म १० काल - X। ले० काल X - | दि० जैन मन्दिर पन्द्रगढ ( कोटा ) | ० १२४५ इन्च भाषा संस्कृत। वेष्टन सं० २२१ । प्राप्तिस्थान ० ११:५५ इन्च पत्र सं० ३ वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान भाषा संस्कृत | २० भाषा संस्कृत विषय अध्यात्म | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर २४६८. सामायिक पाठ-पत्र [सं० १७ विषय - अध्यात्म । २० काल X | ले० काल - X | पूर्ण जैन मन्दिर कोटडियों का हूरपुर । - ० २४६९. सामायिक पाठ - X पत्र० २३ विषय— प्रध्यात्म | १० काम X ले० काल सं० १९९६ पूर्ण दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर 1 - २४६७. सामायिक पाठ ४ । पत्र सं० १३ । आ० १०४४६ च । भाषा संस्कृत ! वेष्टन सं० २० प्राप्ति स्थान- पार्श्वनाथ पूर्ण । भाषा संस्कृत विषय दि० जैन मन्दिर बोरसली - मा० ६३५५ भाषा संस्कृत वेष्टन सं० २५६ - १०२ । प्राप्ति स्थान – दि० - १०५ इन वेष्टन ० ५१४ २५०० साधु प्रतिक्रमण सूत्र - ४ । प० ६ ० १०x४३ इन्च - । । विषय— चितन । र०काल X मे० काल सं० २०१० मा बुदी १२ पूर्ण प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दौसा । विशेष – हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है। संस्कृत | प्राप्ति स्थान भाषा - प्राकृत । वेष्टन सं० १०६ ६ । Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] [ २४३ २५०१. सामायिक पाठ (वृहद्)-। पत्रसं० १४ । आ० १०४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -- अध्यात्म । र काल X । लेकाल X । बेष्टन सं० १७६-१६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। २५०२. सामायिक पाठ (लघु)-X । पत्रसं० १ । प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-अत्यात्म । र० का X । ले० वा ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दबलामा (बुदी २५०३. सामायिक पाठ (लघु)-४ । पत्र सं०४ । पा. ८४६ इञ्च । भाषा -प्राकृत । विषय-अध्यात्म । र० काल ४ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०५-११७ : प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का इगरपुर । विशेष-संस्कृत में भी पाल दिये हैं। २५०४. सामायिक पाठ-बहुमुनि । पत्र सं . ५१ । प्रा० X ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-अध्यात्म । र०काल x 1ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। २५०५. प्रति सं०२। पर सं० १७ । प्रा० ११४५ इन्च । ले०काल सं० १९१७ बैशाख सुदी ४ । पूर्गा । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान-तेरहपंथी दि जैन मन्दिर नैणवा । २५०६, सामायिक पाठ । पत्रसं० ४ । भापा-हिन्दी । यिषय - अध्यात्म । २०काल X । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर मरतपुर । २५०७. सामायिक पम्ठ भाषा-जयचन्द छाबड़ा। पत्र सं०७० । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-अध्यात्म । २० काल सं० १८३२ वैशाख सुदी १४१ ले काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० १३६४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीन दि० जैन मन्दिर अजमेर । २५०८. प्रतिसं०२। पत्रसं० । आ० १११ x ५ इञ्च । लेकाल सं० १८८७ माघ मुदी १३ । पूर्ण । बेष्टन मं० ३०७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । २५०६. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ४५ । आ. ११४५३ इच । ले०काल X । पूर्ण । येलम सं० ६ । प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । २५१०. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १४ । आsax ६ इन्च । ले० काम , । पूर्ण । ० सं० ६१ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर श्री महाबीर बूदी । विशेष—जिनदास गोधा कृत सुगुरु शतक तथा देव शास्त्र गुरू पूजा और है। २५११. प्रतिसं० ५। पत्रसं० ६२ । या १०१४५१ इञ्च । ले बाल सं० १९१८ चैत बुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । २५१२. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ४४ । ग्रा6 Ex७ इञ्च । ले० काल सं० १९२६ पौष सुदी ६ . पूर्ण । बेष्टन सं० १०० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । २५१३. प्रति सं०७ । पत्र सं० ४३ । प्रा० १२४६ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन स. १३४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४४ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग २५१४. प्रति सं० ८ । पत्र सं० २५ । ले०काल X | पूर्ण । वेष्टन सं ४४१ । प्राप्ति स्थान दिगपंचायती मंदिर भरतपुर । २५१५ प्रति सं० स्थान --- दि० जैन पंचायती मन्दिर सं० २४ । काम पूर्ण । वेष्टनं सं० ४४२ प्राप्ति (भरतपुर) 1 २५१६. प्रति सं० १० पत्र ० ४४ । ले० काल x पूर्ण सं० ५५४ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । २५१७. प्रतिसं० ११ ३ पत्र सं० ४८ । आ० १३X६ इव । ले० काल सं० १८८१ । पूर्ण । वेन सं० ३५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) २५१८. सामायिक पाठ भाषा भाषा हिन्दी मध्यात्म २० - | विषय । न. दिलोकेन्दुकीति । प० १८ । ० ७५ । इव । काल सं० २०४९ सावण सुदी ७ X ०८३४ प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । २५१६. सामायिक पाठ भावा- धन्नालाल सं० ३१ था० २३६ इन्च भाषाहिन्दी | विषय | र० काल रा० १६४५ असोज बुद्दी ६ ले० काल सं० १९७१ ज्येष्ठ सुदी ६ । पूर्ण येन सं० १३६.२१ प्राप्ति स्थान पार्श्वनाथ दि० जैन मंदिर चरण (कोटा) विशेष गोविन्दकवि कृत चौबीस दारणा चर्चा सं० २७-२१ तक है। इसका २० काल सं० ११ फागु सुदी १२ है । की थी। । २५२०. प्रप्ति सं० २ ० २७ ० ९ ६ इन्च ०काल सं० १२४६ ना पत्र | ३ x । वैशाख सुदी १० पूर्ण न ०४ /४३ प्राप्ति स्थान–२० नाव मन्दिर इन्दरगड (कोटा) । विशेष- २५ मे २७ तक चौबीस ठाणा चर्चा भी है जिसकी दो सं० २०११ में रचना २५२१. सामायिक पाठ भाषा - श्यामराम र० काल १७४६ | लेकालX पूर्ण बेहन सं० ४५० भरतपुर । १ २५२२. सामाजिक पाठ विषयमध्यात्म र०काल x | ले० काल X दबलाना (बूंदी) | - २५२३. सामायिक पाठ - X विषय - यध्यात्म | र० काल X | ले० काल मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी २५२४. सागायिक पाठ - X अध्यात्म ए० काल x जे० काल X अभिनन्दन स्वामी, बूंदी | पूर्ण - ० ४ पू पत्र सं० २३ भाषा-हिन्दी विषय-प्रत्यात्म | प्राप्ति स्थान दि० पश्चात मन्दिर, ० X ४ भाषा - हिन्दी (गद्य) | येन सं० ७७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ० १ ० ६४५ इव भाषा हिन्दी प । पूर्ण वेष्टन सं० १८७ | प्राप्ति स्थान — दि० जैन ० ७६ ०२३१ स भाषा हिन्दी विषयबेत सं० २२६ प्राप्ति स्थान दि०जैन मन्दिर Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चिंतन एवं योग शास्त्र ] २५२५. सामायिक पाठ संग्रह -- x । पत्रसं० ६४ | ग्रा० १३३ ४ ६ ६ विषय -- अध्यात्म | र० काल x । ले० काल सं० १५२७ प्राषाढ़ सुदी ११ । प्राप्ति स्थान — दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । पूर्ण [ २४५ भाषा संस्कृत | वेष्टन सं० ४७७ । विशेष – सवाई जयपुर में महाराजा पृथ्वीसिंह के राज्म में चिमनराम दोषी की दादी सामाग से प्रतिलिपि करवाकर चढ़ाया था । मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है हद सामायिक, भक्ति पाठ, चौतीस प्रतिशयभक्ति, द्वितीय नंदीश्वर भक्ति, वृहद स्वयंभू स्तोत्र श्राराधना मार, लघु प्रतिक्रमण, वृहत् प्रतिक्रमण कायोत्सर्ग, पट्टावली एवं आराधना प्रतिबोध सार २५२६. सामाजिक प्रतिम/१३४७ इञ्च । भाषाहिन्दी | विषय - प्रध्यात्म । २० काल x | ले०काल सं० १९४४ पूर्ण । वेष्टन सं० ३४८ प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २५२७, सामायिक टीका - XI पत्रसं० ४७०७७ श्र० १३४५ इ । भाषा - संस्कृत । विषय - प्रध्यात्म | र० काल 1 ले० काल X | अपूर्ण । वेष्टन सं० १७६/४१६ । प्राप्ति स्थान - सम्भवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । २५२८. प्रति सं० २ ० २ २६ । ले० काल । अपूर्ण वेष्टन सं० १८० / ४२० | प्राप्ति स्थान संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । I.. २५२६ प्रतिसं० ३ । पत्र सं० २ १७ । ले० काल X। प्रपूर्ण वेष्टन सं० १८१ / ४२१ । प्राप्ति स्थान संभवनाथ दि० जैन मंदिर उदयपुर । २५३०. सुमायिक पाठ टीका- X 1 पत्रसं० ६८ | या० १२५३ इव । भाषा - हिन्दी संस्कृत | विषय - अध्यात्म । '२० काल x । ले०काल सं० १८२७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१-६५ प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर बड़ा बीसपंथी दोसा | विशेष योजीराम लुहाडिया ने आत्म पठनार्थ प्रतिलिपि की थी । २५३१. सामायिक टीका - X | पत्रसं० ७३ । भाषा - संस्कृत विषय - अध्यात्म । प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरापंथी मंदिर बना । २० काल X | ले० काल X। अपूर्ण । वेष्टन सं० ८५ २५३२. सामायिक पाठ टीका । संस्कृत | विषय - अध्यात्म | र० काल । ले०काल सं० प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर बोरराली कोटा । पठनार्थं । पत्र० ५१ । आ० ११३४४१ इ न | भाषा१८१४ बैल सुदी ५ पूर्ण वेष्टन सं० २०२ । विशेष- संवत् १८१४ चैत मासे शुक्लपक्षे पंचम्यां लिपिकृतं पंडित घालमचन्द तत् शिष्य जिनदास २५३३. सामायिक पाठ टीका - x । पत्रसं० ४५ । श्रा० १३४५६ | भाषा-संस्कृत । विषय - अध्यात्म | र० काल X | ले० काल सं० १७६० याषाढ़ बुदी ७ । पूर्णं । वेष्टन सं० २७३ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) 1 विशेष- प्रति जी है । Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २५३४. सामायिक पाठ टीका-४ । पत्र सं० ४५ । प्रा० १२५ x ७ इञ्च । भाषासंस्कृत-हिन्दो। विषय-अध्यात्म । २० काल x Iले०काल सं० १८३० ज्येष्ठ सुदी १३ । पूर्ण । बेष्टन सं. २४८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी, कामा। २५३५. सामायिक टीका -४ । पत्र सं०७५ । आ०६४७ इञ्च | भाषा-संस्कृत-हिन्दी। विषय --ध्यात्म । र०कास x | ले. काल सं० १८४१ चैत सुदी १३ । पुर्ण । वेष्टन सं० ३/७४ । प्राप्ति स्थान --दि जैन मंदिर बड़ा वीसपंथी दौसा ।। विशेष-रसनचन्द पाटनी ने दौसा में प्रतिलिपि की। ३५३६. सामायिक पास टीका सहित--X । पत्र सं० १०० । आ०६१४५ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-अध्यात्म । र०कालX । ले०काल सं० १७५७ ज्येष्ठ बुदी १३ । पूर्ण । धेटल सं० ११४ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन पंचायती मन्दिर कामा । विशेष- जहानाबाद में प्रतिलिपि हुई । २५३७, साम्यभावना- पसं० ३ । प्रा० १२४४४ । भाषा-संस्कृत । विषयअध्यात्म । र० काल ४ । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६२/१६८ । प्राप्ति स्थान--संभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर । २५३८. संवराअनुभप्रेक्षा–सूरत । पत्रसं० ३ । प्रा० १९४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय -चिन्तम । २० काल X 1 ले० काल X वेष्टन सं०८१५ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर मकर जयपुर । विशेष-द्वादश अनुप्रेक्षा क! भाग है । २५३६. संसार स्वरूप-x। पत्र सं० ६ । प्रा० ११ X ५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-विजन । र०काल x 1 ले० काल सं० १६४५ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मदिक्ष नागदी दी। विशेष --- प्राचार्य यश कीर्तिना स्वहस्तेन लिखितं । २५४०. सरवंगसार संत विचार–नवलराम । पसं० २७८ । प्रा० १०६ x ५३ इश्च ।' भाषा-हिन्दी। विषय अध्यात्म । र०कात सं० १८३४ पौष बुदी १४ । ले. काल सं०१८३७ । पूर्ण । वैप्टन मं० ५.५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर | विशेष--( गुटका में है। प्रारम्भ सतगुरु मुभि परि, महरि करि बनसो बुधि विचार । श्रवणसार एह ग्रंथ, जो ताको केरू उचार । ताको करू उच्चार. साखि संता की ल्याऊ । उकति जुकति परमाण, और अतिहास सुनाऊ । नबलराम सरण सदा, तुम पद हिरदै धारि । सतगुरु मुझपर महर करी, अगसों धि विचार । Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अध्यात्म चितन एवं योग शास्त्र । [ २४७ २५४१. सिद्धपंचासिका प्रकरण-x। पत्रसं० १० । प्रा. X४ इश्व | भाषा - प्राकृत । विषय-अध्यात्म । २० काल ४। लेकाल X । पूर्सा । वेष्टन सं०४९८ । प्राप्ति स्थान-- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । २५४२. स्वरूपानन्द-दीपचन्द। पत्र सं० ११ । प्रा० १०४४ इन्च । भाषा - हिन्दी । विषय - अध्यात्म 1 र० फाल सं० १७५१ । ले० काल सं० १८३५ कार्तिक मुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली (कोटा) । विशेष-कोटा के रामपुर में महावीर चैत्यालने में प्रतिलिपि हुई थी। Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय - न्याय एवं दर्शन शास्त्र २५४३. अवसहस्त्री-प्रा० विद्यानन्द । तत्र सं. २५१ । १२४५१ इन्च । भाषासंस्कृत । दिषय-जैन न्याय । २० काल x। ले०काल x। पूर्ण । वेन सं० १५६३ । प्राप्ति स्थान-- म. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष—देवागम स्तोत्र की विस्तृत टीका है। २५४४. प्रति सं० २१ पत्रसं० २८५ । पा० १२४४ इञ्च । लेकाल x पूर्ण। वेष्टन सं. ३८६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । २५४५. अतिसं०३ । पत्रसं० २५१ । आ०१३५ इन्च । लेकालx। अपूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । ४८६ । प्राप्ति स्थान दि जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष --प्रति जीर्ण है। बीच में कितने ही पत्र नहीं है। भ० बादिभूषण के शिष्य ब० नेमिदास ने प्रतिलिपि की थी। २५४६, अषसहस्री (टिप्पण)-X । पत्रसं०-५३ । प्रा० ११ X ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन शास्त्र । २० काल x | ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थानअग्रवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । २५४७. प्राप्त परीक्षा-विद्यानन्द । पत्रसं० १४३ । ग्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय दर्शन शास्त्र । र०कालX । ले० काल X । पूर्ण । अष्टन सं०२। प्राप्ति स्थान--दि० अन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। विशेष--मुनि श्री धर्म भुषण तव शिष्य ब्रह्म मोहन पठमा । २५४८. प्रति सं० २ । यश्र सं०७३ । आ. १२ x ५ इञ्च । ले०काल सं० १६३५ ज्येष्ठ सुदी ८ । पूर्ण । वेतन सं०५८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष-अकबर जलालुद्दीन के शासनकाल में अरगलपुर (आगरा) में प्रतिलिपि हुई थी। २५४६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ६३ । प्रा० १२४५ इन्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११८३ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीच दि० जैन मन्दिर अजमेर । २५५०. प्रतिसं०४ । परा०६ | प्रा० ११:५४३ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. २४४/२३४ । प्राप्ति स्थान:-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । २५५१. श्राप्तमीमांसा–प्राचार्य समन्तभद्र । पत्र सं०८० । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषासंस्वत । विषय न्याय । १० काल X ।ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं. ३५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयगुर। विशेष-गोविन्ददास ने प्रतिलिपि की थी । इसका दूसरा नाम देवागम स्तोत्र भी है। २५५२. प्रति सं० २ । पत्रसं०३५ । लेकाल : 1 अपूर्ण । बेष्टन सं० १५७/५१० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ याय एवं दर्शन शास्त्र ] विशेष – प्रति प्राचीन है। ". मेघराज सरावगी " लिखा है । २५५३. प्रति सं० ३ | पत्रसं० २९ । ग्रा० १२३४५ इव । ले० काल सं० १९५६ ज्येष्ठ खुदी ४१ पूर्ण । वेष्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान — दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ ( कोटा ) । [ २४६ २५५४. श्राप्तभीमांसा भाषा- जयचन्द छाबडा । पत्रसं० ११६ | श्र० १०३ X ११ इञ्च । भाषा -- राजस्थानी (हूँ द्वारी) गद्य । विषय-न्याय २०काल सं० १८६६ चैत्र बुदी १४ । ले०काल सं० ९८०६ माह बुदी १ ई सं १९८५ प्राप्ति स्थान — भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । नोट - इसका दूसरा नाम देवागम स्तोत्र भाषा भी है । २५५५. प्रति सं० २ । पत्रसं० १०४ । ग्रा० १०३ X ५ इव । से० काल X | पूर्ण । नेष्टनसं ० ७२ । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर | २५५६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ७६ | आ० १०३ X ७ इव । ले० काल सं० १९६१ । पूर्ण । बेन सं० ५६ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर श्री महाबीर बूंदी | विशेष – चन्देरी में प्रतिलिपि हुई थी । २५५७. प्रतिसं० ४ पत्र सं० ८२ । श्रा० ११४५ इव । ले० काल स० १८८० भादवा बुदी १ पूर्ण वेन सं० ५५ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर अग्रवाल पंचायती उदयपुर । २५५८. प्रति सं० ५ । पत्र सं० ६६ । ले० काल सं० १८६४ । पूर्ण । वेष्टत सं० ३१० । प्राप्ति स्थान- दि० जैम पंचायती मन्दिर भरतपुर । २५५६. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ६१ । ले० काल सं० १८९६ पूर्ण वेष्टन सं० ३११ । प्राप्ति स्थान दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २५६०. प्रति सं० ७ । पयसं०] १०१ । श्रा० ११ X १ इन्च ले० काल सं० १६२५ कार्तिक सुदी १ पूर्ण । वन सं० ५३/११७ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । २५६१. प्रतिसं० ८ पत्रसं० ६७ । प्रा० १२४६ इञ्च । ले० काफ सं० १८६८ | पूर्ण । वन सं० ८० २५ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ ( कोटा ) 1 विशेष - साह चालाल चिरन्जीम मांगीलाल जिनदास शुभंधर इन्दरगढ़ वालों ने जयपुर लिपि कराई थी । में प्रति २५६२. प्रति सं० ६ । पत्रसं० ५६ | आ० १२४५३ ६०४ : ले० काल सं० १८९७ । पूर्ण सं० ६७ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर (जमहल (टोंक) विशेष- कागी में प्रतिलिपि की गयी थी । २५६३. प्रति सं० १० । पत्रसं० ६९ श्र० १२५ इव । ले० काल । पुणे । वेष्टन सं० ७६ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर भादवा (राज) | २५६४. प्रति सं० १९ । पत्र सं० ५६ | ० १३ x ७३ इव । लेखन काल सं० १९४१ सावन ख़ुदी ३३ पूर्ण । न सं० ६६ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । 5 विशेष-सुन्नीलाल ब्राह्मण ने प्रतिलिपि की थी । Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २५६५. प्रति सं० १२ । पत्रसं० ६८ । प्रा० १२३:५१, इच। ले०काल सं० १६८२ चैत बुदी १३ । पूर्ण । वेतन सं० १०४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर कीली । विशेष-बसूदा में सोनपाल बिलाला ने प्रतिलिपि की थी। २५६६. प्राप्तस्वरूप विचार-x। पत्र सं०६। मा० ११४४३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-न्याय । १० काल x 1 ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन स. १७ । प्राप्ति स्थान- पंचायती दि० जैन भनिर अलवर। विशेष--अत में स्त्री गुण दोष विचार भी दिया हुया है । २५६७. पालाप पद्धति–देवसेन । पत्र सं०७ । प्रा० १२१ र ५१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । २० काल X । लेकाल स. १८६१ साबमा बुदी 55। पूर्ण । वेष्टन सं० ११७८ । प्राप्ति स्थान-मदारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर।। विशेष- ब्राहाण भोपतराम ने माधवपुर में ताराचन्द गोधा के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। २५६८, प्रति सं०११ पत्र स०५ । ले. काल सं० १.३० वैशाख दी। पूर्ण । वे० सं० ११७६ । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर, अजमेर । २५६६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ७ ! ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११८२ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । २५७०. प्रति सं०३ 1 पत्र सं० ११ । प्रा० १०४५ इञ्च । लेकाल । पूर्ण । श्रेष्ठन सं. २६ । प्राप्ति स्थान-- भ० दि जैन मंदिर अजमेर । २५७१. प्रतिसं०४। पत्र सं० ११ । आ. १X ७ इञ्च । ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०१७ | प्राप्तिस्थान- दि. जैन मंदिर नागदी, दी। विशेष-ले० काल पर स्याही फेर दी गयी है। २५७२. प्रति सं०५। पत्र सं० | प्रा० १.४५३ इन्च । ले०काल X । पुर्गा 1 वेष्टन मं०२३१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर पाश्र्वनाथ चौगान वदी। २५७३. प्रति सं०६। पत्र सं०६ । आ० १०६.४४ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। २५७४. प्रतिसं०७। पत्रसं०१०। प्रा० १३४५ इन्च । लेक काल सं० १७७२ मंगसिर सुदो १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर ओरसली कोटा। विशेष--संवत् १७७२ में सांगानेर (जयपुर) नगर मेंगरसी ने नेमिनाथ पत्यालय में प्रतिलिपि की थी। कटिन शब्दों के संकेत दिये है। अन्त में नवधा उपचार दिया है। २५७५. प्रतिसं०८ । पत्रसं०७ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७३१ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-संस्कृत टीका सहित है तथा प्रति प्राचीन है। २५७६. प्रति सं०९। पत्र सं०१०। १११४४४ इश्व । ले. काल सं०१७६४ । पूर्ण । वेशनसं०१४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दर्शन शास्त्र ] [ २५१ २५७७ प्रतिसं० १० । पत्र सं० ६ ० ११X५ इव । ले०काल सं० १७६८ भादवा बुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३६ | प्राप्ति स्थान — दि०जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २५७८. प्रति सं० ११ । पत्रसं० ८ । प्रा० १० X ४ इव । ले० काल x । पू । वेष्टन सं० २०१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन संभवनाथ मन्दिर, उदयपुर 1 २५७६. प्रतिसं० १२ । पत्रसं० २ । से० काल X। पूणं । वेष्टन सं० २१३ । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मंदिर | २५८० प्रति सं० र० काल x ले० काल कामा । १३ । पत्रसं० १६ | श्र० ८ १X५ इव । भाषा - संस्कृत विषय व्याय । । पूर्ण । वेष्टन सं० १३८ । प्राप्तिस्थान - दि० जैन मन्दिर दीवानजी २५८१. प्रति सं० १४ । पत्रसं० ५ ० काल X। पूर्ण वेष्टन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर | २५५२. प्रति सं० १५ । पत्रसं० ६ । या० ११३५३ | ०काल सं० १७८६ । वेष्टन सं० ६०७ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष – कोटा नगर में भट्टारक देवेन्द्र कीति के शिष्य मनोहर ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी । प्रति सटीक है । २५८३. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० १३ । श्र० ११३ X ५ इव । ले०काल- सं० १७७८ मंगसिर सुदी ५ । पूर्णा । वेष्टन सं० ५८८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर | विशेष – सांगानेर में म. देवेन्द्रकीति के शासन में पं० चोखचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी । २५८४. ईश्वर का सृष्टि कर्तृत्व खंडन - X पत्र सं० २ 1 आ० १३ x ४ एव । भाषा-संस्कृत विषय न्याय । २० काल ४ । ले काल - XI पूर्ण । वेष्टन सं० ४४४. ५०१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । २४८५. उपाधि प्रकररण- पत्र सं० ३ । श्र० १० x ४ इव । भाषा – संस्कृत विषय - दर्शन | र० काल X | लेकाल x 1 पूर्णं । वेष्टन सं० २१८६४७ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । २५८६. खंडनखाद्य प्रकरण - ४ । पत्र सं० ६५ ॥ श्र० ६ ३ ४ ४ ३ एञ्च । भाषा संस्कृत । विषय – न्याय । रे० काल X : ले० काल X। पूर्ख । वेष्टन सं० १४०८ । प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मंदिर अजमेर २५८७. चार्वाकमती झडो-- x 1 पत्र सं० १८ | आ० १०४६३ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषम न्याय । रज्काल x | ले० काल-सं० १८६३ ज्येष्ठ बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक | विशेष – जयचन्द छाबडा द्वारा प्रतिलिपि की गयी थी । — Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५२ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम नाग २५६०. तर्कदीपिका - विश्वनाथाश्रम । पत्रसं० ६ | श्र० १०९४३ इंच । भाषा - संस्कृत वेष्टन सं० १३ प्राप्ति स्थान - दि० | (गद्य) | । X (ग) विषय-वाय २० काल x । ले० काल x पूर्ण न प्रवाल मन्दिर उदयपुर । २४८६. तर्क परिभाषा – केशवमिश्र पत्रसं० ३५ संस्कृत विषय २० काल XX ले०काल X पूर्ण मन्दिर, अजमेर। भट्टारकीय दि० जैन २५६० प्रति सं० २ । पत्र सं० २६ । आ० १०x४ इञ्च । ले० काल - सं० १७२८ । पूर्ण वेटन सं० ४०६ प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर २५६१ प्रतिसं० ३ । पत्र सं० २२ । आ० १०x४ इंच ३ ले काल x पूर्णं । वेष्टन सं० १०५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बदलाना (बूंदी) | २५९२ प्रति ०४०५४ सुदी १४ । पूर्ण । न सं ० ४७३ । प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर लक्कर जयपुर । ० ११३५३ इंच भाषावेष्टन सं० १४९६ प्राप्ति स्थान २५६३. प्रतिसं० ५ पत्र ० ३-४४ । आ० १० x ४६ इव । ले० काल सं० १६६.४ । अपूर्ण देन सं० ११ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर । विशेष - प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६९४ वर्षे कृष्ण पक्षे वैशाख सुदी २ दिने माण्डवासरे भावविषये श्री सारंगपुर शुभ स्थाने श्री महावीर चैत्यालये सरस्वती गच्छे बलात्कार गणे कुरंदकुदाचार्यान्विये भट्टारक श्री रत्नचन्द्र तदाम्नाये ० श्री जेा वत् शिष्य प्र० श्री जसराज तत् शिष्य ब्रह्मचारी श्री रत्नपाल तर्कभाण लिखिता । २५६४ प्रतिसं० ६ ० १२० १०५ ६४ । ले० काल X अपूर्ण बेटन सं० १२ प्राप्ति स्थान-वि० जैन मंदिर दबलाना (बूंदी) विशेष – प्रति टीका सहित है । प्रतिलिपि की थी। ११६५५४चान ०१५६१ फागु D २५६५. तर्कभाषा X | पत्रसं० ११ । प्रा० १०x४] इव । भाषा संस्कृत । विषयन्याय १० काल X से काल x पूर्ण वेष्टन सं० ४०४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर अजमेर २५६६. तर्क परिभाषा प्रकाशिका - चेन्नभट्ट । पत्र सं० ६३ । आ० १० X ४३ इश्व । भाषा संस्कृत विषय याय २० काल । ले० काल सं० १७७५ ज्येष्ठ गुदी ५। पूर्वं बेष्टन सं० ४७४ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लगकर जयपुर । विशेष – सुस्थान नगर के चितामरिंग पार्श्वनाथ मंदिर में सुमति कुशल ने सिंह कुशल के पलनार्थ २५६७ तर्कभाषावात्तिक - X पत्र० ४ विषय- दर्शन । १० काल X जे० काल X अपूर्ण मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। २५६८. तर्कसंग्रह - विषय याय । ५० कॉल X । प्राप्ति स्थान- भ० वि० जैन मंदिर अजमेर । --- भट्ट | पत्रसं० २४ । ० १०x४३ वेष्टन सं० २६४ आ०१० X ४३ इव काल सं० १७६१ प्रावाद बुदी २ पूर्ण च भाषा-संस्कृत | प्राप्ति स्थान दि० जैन । भाषा – संस्कृत । वेष्टन सं० ३०२ । Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दर्शन शास्त्र ] [ २५३ २५६६, प्रति सं०१। पत्र सं० ३ । से काल सं० १८२० बैशाख मृदी है। पूर्ण । वेष्टम संख्या ३१४ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । २६००. प्रति सं० २१ पत्र सं० १७ । प्रा० ११४६३ इन्न। ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १७४-७४ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का हूगरपुर । २६०१. प्रति सं०३। पत्र सं० १६ । प्रा० १० x ५ इञ्च 1 ले. काल सं० १७५८ । पूर्ण । वेष्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान-.-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २६०२. प्रति सं० ४ । पत्रसं० १६ । आ० ६ x ४ इञ्च । ले० काल सं० १७६६ । पूर्ण । वेट्टन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान --दि जैन मन्दिर श्रादिनाथ चूदी। २६०३. प्रति सं० ५। पत्र संख्या १६ । आ. ६ x ४ इञ्च । लेखन काल सं० १८६६ माघ सुदी ११ । पूर्ण । वेषून सं० १३६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान बून्दी । २६०४. प्रति सं०६। पत्र सं०६ । प्रा० १२३ ४ ५३ इञ्च । से० काल सं० १८२१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लएकर, जयपुर।। विशेष –जयनगर में श्री क्षेमेन्द्रकीत्ति के शासन में प्रतिलिपि हुई थी। . २६०५. प्रति सं०७ । नत्र सं० ७ । प्रा० १२४५ इंच। ले० कालX । घेष्टन सं ४७२ । प्राप्ति स्थान–दि जन मन्दिर लश्कर जयपुर । २६०६. प्रति संख्या ८ । पत्रसं० ७ । ले०काल । पूर्ण । बेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) २६०७. प्रतिसं० १ । पत्रसं० १४ । आ. Ex ४३ इञ्च । ले. काल सं० १८०१ अगहन बुदी १२ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १ प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर द्रबलाना (बूदी) विशेष-लिखितं खातोली नगर मध्ये । प्रति संस्कृत टीका,सहित है । . २६०८. प्रति सं० १०३ पत्र सं० मा प्रा० ११४५ इन्ल । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ४७५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष-प्रति टीका सहित है। २६०६. प्रति सं० ११। पत्र सं० १७ । ले० काल । पूर्ण ४ । वेष्टन सं० ७५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २६१०. प्रति सं० १२ । पत्रसं० ११ । या० १० x ४१ इच। । ले०काल X । पूणं । वेष्टन सं० १३३२ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। विशेष—प्रति टीका सहित है। २६११. प्रसि सं० १३ । पत्र सं०६ । प्रा० ११४५ इश्च । ले० काल सं. १८६१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। २६१२. वर्शनसार-देवसेन। पत्र सं० ६ । प्रा. ११३ ४ ५३ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-दर्शन । र० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५६ । प्राप्ति स्थान-भ. वि जैन मन्दिर प्रापेर । Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ; २५४ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग २६१३. प्रति सं० २ । पत्र सं ० ४ ० १२४५ इञ्च । ले० काल X 1 पूर्णं । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी। २६१४ प्रति सं० ३० ४० १२x६०० १९२४ । । वेष्टन सं० २१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बुदी । विशेष देवीलाल के शिष्य मिरवी चन्द ने प्रतिलिपि कालरापाटन में की २६१५. प्रतिसं० ४ पत्र [सं० ५ या० १२ x ७ इन्च सं० प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर दीवानजी कामा । २६१६. प्रति सं० ५ ०२५६४० प्राप्ति स्थान 1 २६१७. प्रतिसं० ६०२० का स्थान- उपरोक्त मन्दिरः २६१९. द्रव्य पदार्थ तर्क (दर्शन) १० काल x ० का मंदिर अजमे एव सं० ४० १२X४० काल X पूर्ण दि० जैन भवनाथ मन्दिर उदयपुर । २६१५. प्रति सं० ७ पत्र [सं० २०१० X ४१० काल पूर्ण वेष्टन सं० ५४८ प्राप्ति स्थान दिन जैन मंदिर लश्कर, जयपुर | ०काल सं० १६२५ पूर्ण वेष्टन ध्यान जैन मन्दिर श्री प्रपू बेटन सं० २५७ / ८५ प्राप्ति M पत्र सं० १ ० १०४ इञ्च पू बेन सं० ११३ X २६२०. द्विजवदनचपेठा पत्र [सं० १०० १२ x ४ इस भाषा संस्कृत विषय- वादविवाद (न्मय दर्शन) | २० कात X | ले० काल सं० १७२५ वेष्टन सं० ४३२/५०७ । प्राप्ति स्थान- दि० न संभवनाथ मन्दिर उदयपुर अपूर्ण २६२१. प्रतिसं० २०११ ० काल X पूर्ण बेन ०४३३ / ५०६ प्राप्ति स्थान- उपरोक मंदिर २६२२. नयचत्र — वेयसेन । पत्र सं० १५ । श्र० १३४७ इञ्च । भाषा संस्कृत | विषय -- काल X ० का ० १९४४ माघ सुदी १० । पू । वेष्टन सं०११२ प्राप्ति स्थान --- दि० वृन्दी विशेष- प्रति जी है । भाषा संस्कृत विषय-प्राप्ति स्थानम० दि० जैन २६२३. प्रति सं० २०४० प्रा० १०० काल X बेटन सं २१२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर राजमहल टोंक । विशेष- प्रति जी है। २६२५. प्रतिसं० २०२७ ०६३ ६। प्राप्ति स्थान अग्रवाल पंचायती दि० जैन मन्दिर अलवर | - || २६२४. नववक भाषा वचनिका हेमराज पत्र ०११। । । प्रा० X ६ इव । भाषा - हिन्दी (गद्य) विषय दर्शन । २० काल सं० १७२६ फागुरण सुदी १० । ले० काल X 1 पूणं । ०४६ १५ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ले काल पूर्ण वेष्टन संच Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दर्शन शास्त्र ] [ २५५ २६२६. प्रतिसं० ३ | पत्र सं० १३ । ना० १० X य इञ्च । ले० काल :: । । वेष्टन सं०] १५६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर, अलवर । २६२७. प्रति सं० ४ । प० १२ । ० १२५ x ५३ इव । ले० काल X। पू । त मं० १६१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा अन्तिम पुष्पिका - इति श्री पंडित नरायणदासोपदेशान् साह हेमराज कृत नयचक्र की सामान्य वचनिका सम्पूरणं । २६२८. प्रति सं० ५ । पत्रसं० २२ । ग्रा० १०९ ६१ इञ्च । ले० काल सं० १९४६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६८ प्राप्ति स्थान – दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर, इन्दरगड (कोटा) २६२६. प्रतिसं० ६ । पत्र सं ० ६ ० १२३ X ६ ३ | ले० काल । पूर्ण 1 न सं० ३६/२= | प्राप्ति स्थान – त्रि० जैन मन्दिर भादवा (राज.) । २६३०. प्रतिसं० ७ । पत्र० १० ग्रा० ८३७३ इच । लेखन काल सं० १९३४ । अपु । बेन सं० २०८ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष – पत्र सं ० ४ नहीं है। लाला श्रीलाल जैन ने रतीराम ब्राह्मण कामवाले से प्रतिलिपि कराई थी । २६३१. प्रति सं० ८ | पत्र सं० १४ | आ० ११ X ५३ इञ्च । लै काल X | पूर्ण | वेष्टन सं०० प्रति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा । २६३२. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० १५ । श्र० ११४५३ इव । पूर्ण वेटन सं० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास, पुरानी डीग । २६३३. प्रति सं० १० । पत्रसं० १६ । या० १०३ ४ ५ इञ्च । ले० काल सं० १९३७ । पूर्णं । वेष्टन सं०७३ | प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर यजमेर 1 : २३३४. नयचक्र भाषा - निहालचन्द ? पत्र सं० ६५ । श्र० १२ X ७ इव । भाषाहिन्दी | विषय - न्याय । र०काल सं० १८६७ मार्गशीर्ष वदी ६ । ने० काल सं० १८३२ पूर्ण वेष्टन सं० १७३ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंबायती मंदिर करौली । विशेष सहर कानपुर के निकट कंपू फोज निवास । तहां बंठि टीका करी थिरता को अवकास || संवत भ्रष्टादश सतक ऊपर मठ सठि मान | मारग वदि षष्टी विषै बार सनीचर जान | ता दिन पूरन भयो बड़ी हर्ष चित न | रके मानू निधि लई त्यो सुख मो उर आन | . टीका का नाम स्वमति प्रकाशिनी टीका है । २६३५. प्रति सं० २ । पत्रसं० ४७ | घा० १४४ ५ इन्च | ले० काल X। पूर्ण । वेष्टन सं ● १३ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर बयाना । Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५६ ] २६३६. प्रतिसं० ३ पत्रसं० ४५ ० १२६७] । । वेष्टन सं० ३२ प्राप्ति स्थान दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । २६३०. न्याय प्रथ- X जैन न्याय । १० का X वे० काल X | संभवनाथ मंदिर उदयपुर । I ० २६३७. व्याय ग्रंथ - X ! पत्र सं० २६५३ १०३ X ५ इव । भाषा-संस्कृत । विषय - दर्शन । र काल x । लेव्कान X। अपूणं । वेष्टन सं० ३५७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दलाना (बूंदी) २६३६. न्याय ग्रंथ न्याय । २० काल | से० काल - X मंदिर उदयपुर । २६४०. न्यायचन्द्रिका भट्ट केदार विषय-न्याय १० काल X लेकास X पूर्ण मन्दिर अजमेर | पन मं० ६ ० १३ X ४ इछ । भाषा संस्कृत विषय अपूर्ण वेष्टन सं० ४४३ प्राप्ति स्थान दि० जैन | । २६४१. न्यायदीपिका- धर्मभूधरा विषय- जैन न्याय । १० काल x जे० काल x मन्दिर अजमेर | [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग दे०का पूर्ण इव । X 1 पत्रसं० ३-२३५ । मा० ११४५६४ भाषा-संस्कृत विषय जैन अपूर्ण वेष्टन ०४२० / २०१ प्राप्ति स्थान दि० जैन भवनाथ 1 २६४३. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ३५ । श्रा० सुदी १३ । पूर्णं । बेन सं० ६३ प्राप्ति स्थान विषयस्याय अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर । - २६४२. प्रति सं० १ पण सं० २० से० काल सं० २०२५ श्रापा बुदी ५ पूर्ण । बेन सं० ३२५ प्राप्ति स्थान—उपरोक्त मंदिर । - विषय याय प्राप्ति स्थान २६४८. न्यायावतारवृति - X ० का ४० का X पत्रसं० ३९ प्रा० ११४५ इन्च भाषा संस्कृत । वेष्टन सं० २०० प्राप्तिस्थान- भ० दि० जैन पूर्ण X ५ इञ्च । ले० काल सं० १८५३ श्रासोज दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी | विशेषस्योजीराम ने पं० जनास कोटे वाले के प्रसाद से लिखा । पण सं० १६० १०५४ इन्च भाषा-संस्कृत बेन सं० १४३७ । प्राधि स्थान- भ० दि० जैन २६४४. प्रति सं० ३ | पत्रसं० ३४ । प्रा० ११X५ इव । ले० काल सं० १७०५ । पूर्ण वेटन सं० १७० प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । सं० २१ २६४५. प्रति सं० ४ ० १२ X ६ इन से० काल x पेन सं० ३४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर सरकार जयपुर । २६४६. प्रति सं० ५। पंत्र सं० २६ बा० १२५३०फाल वेटन सं० ३५ ॥ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । । २६४७. न्याय दीपिका भाषा वचनिका- संघी पन्नालाल । पत्र सं० २१ । आ० १३३४ ५ भाषा संस्कृत हिन्दी २० काल सं० १९२५ मंगसिर यदी ७० काल सं०] १६५७ पूर्ण वेष्टन सं० ४२ दि० जैन मंदिर फतेहपुर खावाटी (सीकर) । पत्र सं० ५ ० १०३४४३ भाषा-संस्कृत पूर्ण बेटन सं० २३१ प्राप्ति स्थान दि० जैन - Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २५७ २६४६. न्याय बोधिनी । पत्र सं० १ १७ । ० ११७ x ५ इश्व | भाषा–संस्कृत | विषय - न्याय । र० काल x । ले० काल X 1 येष्टन सं० ७४४ । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर | विशेष प्रारंभ - निखिलागम संचारि श्री कृष्णाख्यं परंमदः । ध्यात्वा गोवन सुधीस्तनुते न्यायबोधिनीम् ॥ २६५०. न्यायविनिश्चय - श्राचार्य कलंकदेव | पत्रसं० ५३ भाषा - संस्कृत । विषयन्याय । २० काल X | लेकाल X | पूर्ण । वेष्टन सं० ३१ / ५०५ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । न्याय एवं दर्शन शास्त्र ] २६५१. न्यायसिद्धांत प्रभा-- अनंतसूरि । पत्र सं० २२ ॥ श्र० १० १४४ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय - न्याय । २० काल x । ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं ७१४ । प्राप्तिस्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । २६५२. सिद्धांत टोका-टीकाकार शशियर पत्रसं० १२७ ॥ श्र० १०X ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय – न्याय । २० काल x | ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ७१५ । प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर विशेष -- एक १८ पत्र की पूर्ण प्रति और है । २६५३. पत्रपरीक्षा - विधानन्दि | पत्रसं० ३३ । आ० विषय-दर्शन | २० काल X | ले० काल X || वोरसली कोटा | वेष्टन सं० ११५ । १३ X ५ इश्व | भाषा संस्कृत । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर २६५४. परीक्षामुख - माणिक्यनंदि । पत्रसं० ५ | आ० १२४५ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय - दर्शन | र० काल ४ । ले काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०२ / १५६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । २६५५. परीक्षामुख (लघुवृत्ति) -X | पत्र सं० २० । ० १०३ X ४ इन्च भाषा - संस्कृत विषय - न्याय । र० काल ४ । ले काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान – म० दि० जैन मन्दिर अजमेर | विशेष – पत्र सं० ७ से 'आप्तरीक्षा' दी गई है। २६५६ परीक्षामुख भाषा - जयचन्द छबड़ा पत्रसं० १२७ ॥ श्र० १४ X ८१ इन्च । भाषा - राजस्थानी (तू दारी) गद्य । विषय-दर्शन र०काल सं० १६६० ले काल सं० १६५६ । पूर्ण । येथून सं० १३ ६३ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मंदिर अलवर | २६५७. प्रतिसं० २ । पत्र सं० २०६ । ले० काल सं० १६२२ जेठ कृष्णा ११ । पूर्ण । बेष्टुर सं० १२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर दीवान जी भरतपुर । २६५८. प्रमाणनयतत्वालोकालंकार- याविदेय सूरि । पत्र सं० ६८-१६६ ० ११३ ४६ इश्व । भाषा संस्कृत | विषय - न्याय | २०काल X 1 ले० काल X | अपूर्ण । चेष्टन सं० ३२१ । विशेष- प्रति प्राचीन है । Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५८ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग २६५६. प्रमाणनयतत्वालोकालंकार वृत्ति--रत्नप्रभाचार्य । पत्र सं० ३-८७ । प्रा० ११४ ४३ इञ्ज । भाषा-संस्कृत ! विषय-न्याय । २० काल X । ले० काल X । अपूर्ग 1 चेष्टन सं० २६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष—दो प्रतियों का सम्मथमा है 1 टीका का नाम रत्नाकरावतारिका है। २६६०. प्रति सं०२। पत्रसं० ६६ । ग्रा० १०६४४३ । लेकाल सं० १५५२ श्रासोज बुदी ५ । पूर्ण । वेपन सं. १1 प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष-विन श्रीवत्स ने वीसलपुर नगर में प्रतिलिपि की थी और मुनि सुजाणनगर के शिष्य पं. श्री कल्याण सागर को भेंट की थी। २६६१. प्रति सं०३। पत्रसं० ७६ । ले०काल सं० १५.१ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ११४६३ 1 प्राप्ति स्थान - दि० जैन संभवनाथ मदिर उदयपुर । विशेष -प्रांत प्राचीन एवं जारी है स पुस्तिका नसार है प्रमाणनयातत्वालंकारे श्री रत्नप्रभविरचितायां रत्नावतारिकाख्य लघु टीकायं वादस्वरूप निरूपणीयानामष्टमः परिच्छेद समाप्ता। श्री रत्नावतारिकार लघुटीकेति । संवत् १५०१ माघ सुदि १. तिथी श्री ५ भट्टारक थी रत्नप्रमगरि शिष्येण लिखितमिदं । २६६२. प्रभागनय निर्णय-श्री यशःसागर गरिन् । पत्रसं० १६ । आ० १० x ४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । 'विषय-न्याय । र० कालX । से०काल X । वेष्टन सं० २७ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। २६६३. प्रमाण निर्णय-विद्यानंदि। पत्र सं० ५७ । प्रा० ११४५ इच । भाषासंस्कृत । विषय-न्याय । २० काल X । ले०काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० २१३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति प्राचीन है 1 मुनि धर्ममूषण के शिष्य अ. मोहन के पठनार्थ प्रति लिखावी गयीं थी। २६६४. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ५६ । लेकाल x पूर्ण । वेष्टन सं० २०८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष प्रति प्राचीन है पं० हर्षकल्याण की पुस्तक है। कठिन शब्दों के अर्थ भी है। २६६५. प्रमाण परीक्षा-विद्यानंद। पत्र सं० ७५ । आ. ११४५ इंच। भाषा-संस्कृन । विषय-न्याय । र०काल x ले. काल- 1 पूर्ण । वेष्टन सं. २२३ । प्राप्ति Fथान-दि. जैन अप्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-ग्रादिभाग-- जयति निजिताशेष सर्वकांतनीतयः । सत्यवाक्याधियाशश्वत विद्यानंदो जिनेश्वरा ॥ अथ प्रमाण परीक्षा सत्र प्रमाण लक्षण परीक्ष्यते । मुनि श्री धर्म भूषण के शिष्य ब्रह्म मोहन के पठनार्थ प्रतिलिपि की गयी थी। Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दर्शन शास्त्र ] [ २५६ २६६६. प्रति सं० २। पत्र सं० ४७ । प्रा० १४१ x ५ इन्च । ले. काल x। पूर्ण । वेट्टन सं० ३३१:४१८ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन स भवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-मट्टारक वादिभूषण के शिष्य ब्र. नेमीदास के पटनार्थ प्रतिलिपि की गयी थी। २६६७. प्रतिसं०३ । पत्र सं० ६३ । प्रा० १३४७३ इञ्च । ले. काल सं० ११.३७ । पूर्ण । बेटन सं० ३८ । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २६६५. प्रमाण परीक्षा भाषा-जयचन्द छाबड़ा । पत्र सं० १० 1 आ० १३४७ ईभ । भाषा-हिन्दी ग• 1 विषय दर्शन । र० काल सं० १९१३ । से०काल "X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर पार्वनाथ चौगान बुदी । २६६९. प्रमारण प्रमेय फलिका–नरेन्द्रसेन । पत्र सं० १० । मा० १११४४ इञ्च । भाषा----संस्कृत । विषय - दर्शन । र० काल x। ले० काल सं० १७१४ फाल्गुन मुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६.२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूदी विशेष- श्री गुणचंद्र मुनि ने प्रतिलिपि की थी। २६७०. प्रभारण मंजरी टिप्पणी-X पत्र सं० ४ । प्रा० १०x४ इश्च । माषा-संस्कृत । विषय-याय । र० काल X। ले०काल सं० १६१५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४८ । प्राप्ति स्थान दि. अन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर ।। विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार हैसं० १६१५ वर्षे भादवा सुदी १ रवी श्री शुभचन्द्र देवा तत् शिष्योपाध्याय श्री सकलभूषणाय पठनार्थ । २६७१. प्रति सं० २ । पत्र सं० २४ । ले. काल X । पूर्ण । घेष्टन सं० २२३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष प्रति अति प्राचीन है। २६७२. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० २७ । प्रा. ११४५ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. १६६। प्राप्ति स्थान-दि० जैग अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २६७३. प्रेमयरत्नमाला--अनन्तवीर्य । पत्रसं०७० । प्रा. ११४६ च । भाषासंस्कृत । विषय-न्याय । र० काल X । ले० काल सं० १८६१ कार्तिक बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११८० । प्राप्ति स्थान-- ५० दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष—परीक्षा मुख की विस्तृत टीका है । २६७४. प्रतिसं० २। पत्र सं०६३ । प्रा० ११४ ४१ इन्च । ले० काल सं० १७०४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६२ । प्राप्ति स्थान दि. जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष-उदयपुर में संभवनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई घो। धर्मभूषण के शिष्य १० मोहन ने प्रतिलिपि की थी । कहीं कहीं टीका भी दी हुई है। . . . २६७५. प्रति सं०.३ । पत्र सं० ५३ । प्रा० १३ ४ ५ इश्च । ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० ] [ ग्रन्थ सूची- पश्चम भाग २६७६. प्रति सं० ४ । पत्र स० ७५ । श्रपूर्णं । वेष्टन सं० २२४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-प्रति प्राचीन है । २६७७. प्रति सं० ५ सं० ६८७ प्रपूर्ण प्राप्ति स्थान २६७८. पंचपाविका विवरण- प्रकाशात्मज भगवत । पत्र सं० १८६ | आ० १०३४ ४१ इन्च | भाषा–संस्कृत विषय व्याय 1 र० काल X | ले० काल x । अभू । वेष्टन सं० १११ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर। विशेष पुष्पिका निम्न प्रकार है इति श्रीमत्परमहंस परिव्राजकान्यानुभव पूज्यपाद मिप्यस्य प्रकाशात्मज गवत्कृत पंचपादिका विवरणे द्वितीय सूत्रं समाप्तम् । पत्र [सं० ३२ । प्रा० १२४ ५ ६ का ४ दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । २६७६. भाषा परिदेव विश्वनाथ पंचानन भट्टाचार्य । पत्र सं० ७ ० १०४४३ इथ भाषा संस्कृत विषय न्याय २० काल - X ० ४६९ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर L ०काल ४ । पूर्ण वेष्टन ― -- २६८०. महाविद्या- XI पत्र खे० ५ ० १६४ इस भाषा संस्कृत विषयजैन न्याय । र० काल । ले०काल X। पूरणं । देष्टन सं० ४४५/५०० प्राप्ति स्थान - दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । अन्तिम पुष्पिका -Y इति तर्क प्रवारणीनां महाविद्याभियोगिनां । इति विश्वातकी शास्त्र समाप्तं ॥ २६८१. रत्नावली न्यायवृत्ति जिन सूरि भ्याय । र० काल X। हाल पूर्ण वेष्टन सं० ५०६ भरतपुर । — पत्रसं० ४७ भाषा-संस्कृत विषय प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर विशेष जिन पूरि बाचक दयारत्न के शिष्य थे। २६८२. विदग्ध मुखमंडन - धर्मदास । पत्र सं० १५ । आ० १२४५ इन्च भाषासंस्कृत विषय न्याय । २० काल- ४ । ले० काल सं० १७६३ माघ सुदी १० पूर्ण वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर मागदी बूंदी। विशेष केसीदास के शिष्य बा कृष्णदास ने प्रतिलिपि की थी। २६०३. प्रति सं० २ पत्रसं० १६० १२५ इ ते काल X पूर्ण वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) २६८४. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १ ० ११३४४३ इश्व । ले० काल सं० १७१४ चैत बुदी ३। पूर्ण । वेष्टन सं० २०१ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर बोरसली फोटा | २६८५. प्रतिसं० ४ पत्र [सं० २० प्रा० १२४५ इ ४६७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । वे कात X पूर्ण वेष्टन स० D Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दर्शन शास्त्र ] विशेष-प्रति संस्कृल टिप्पण सहित है। २६८६. प्रति सं० ५ । पश्व सं १४ १ श्री ११६४५ च । ro a 1८१५ बायमा सुदी १२ । वेष्टन सं. ४६८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष प्रति संस्कृत टिप्पण सहित है। २६८७. प्रति सं०६। पत्र सं० ५। पा. १३३४५६ इञ्च । ले०काल X । वेष्टन सं. ६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लपकर जयपुर । विशेष --प्रति प्राचीन है तथा संस्कृात टीका सहित है। २६८८. विदग्ध मुखमंडन-टीकाकार शिवचन्द । गन्न सं०. ११७ । आ. १.४ ४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-न्याय । र० कार x। ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३१८ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। २६८६. वेदान्त सांग्रह-x। पत्रसं० ५१ । भा० १२३४३३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन । र ७ काल x ले काल ४ । अपूर्स । बेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दीवानजी कामा। २६६०. षट दर्शन-x। पत्र सं० ४ । प्रा० १२४५ इच । भाषा-संस्कृत । विषयन्याय । र० काल x | ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं १७२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पाईनाथ चौगान, बूदी । २६६१. षट् दर्शन बचन--४। पत्र सं० ६ । भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन । २० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६/४६४ । प्राप्ति स्थान दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । २६६२. षट् दर्शन विचार । पत्र सं. ३ । या १०x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयदर्शन । २० काल X । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० २१६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। २६६३. षट् दर्शन समुच्य–x । पत्र सं०१० । मा० १०x४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयः-दर्शन । र० काल ४ । लेकाल X । वेष्टन सं १२०४। प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि० जैन मन्दिर, अजमेर। २६६४. षट् दर्शन समुच्चय--हरिचन्द्र सुरि । पत्र सं० २८ । मा० ११४५ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय - दर्शन । र० काल x 1 ले काल सं० १५५८ | अपूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-पत्र सं० १६ पर सं० १५५८ वर्षे आसोज वदि ८-ऐसा लिखा है पत्र २६ पर हेमचन्द्र ऋत 'वीर द्वात्रिशंतिका' भी दी हुई है। २६६५. प्रति सं० २। पत्र सं० २। ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०५:४६६ | प्राप्ति स्थान-दि० अन संमवनाथ मन्दिर उदयपुर । । २६६६. प्रति सं०३। पत्र सं०६ । प्रा १.४५१ इच। ले०कास सं० १८३१ प्रासोज सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बोरसली कोटा । Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६२ ] २६६८. प्रति सं० ४ पत्र सं० ३७ पा० १२४६ İ बेटन सं० २४४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी विशेष-सवाईमाधांपुर में मोदराने प्रतिपि की थी २६६६. प्रतिसं० ५। पत्रसं०] ६ ले०काल ० १६३५ पूर्ण बेन सं० २०४/५०२ । प्राप्ति स्थान- दि न संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-संवत् १६३५ वर्षे तथा नाके १४९६ प्रमाने मार्गसिर सुदी भनौ ० श्री निदासविद 1 पुस्तक है। २७०० घट दर्शन समुच्चय टीका- राजहंस पत्रसं० २२-२६ भाषा संस्कृत विषय| । । न्याय । २०काल X 1- जे०काल सं० १५१० प्रासीज बुदी ४ बेन सं० १३ प्राप्ति स्थानदि० जंन पंचायती मंदिर डोग । अपूर्ण " २७०२. घट् दर्शन समुच्चय सटीक संस्कृत विषय स्याय १० काल X से० काल X जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर t 1 २७०१ यद् दर्शन समुच्चय सूत्र टीका- X पण सं० ४५ ग्रा० ११३४५३ इव । भाषा – संस्कृत हिन्दी । र० काल X' । ले० काल स० १८१० वैशास बुदी । पूर्ण वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर, नामदी बूंदी [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाव ० का ० १९०१ । पूर्ण २७०६. सप्तभंगी न्याय न्याय २० काल X से माल मन्दिर उदयपुर | बूंदी विशेष- प्रति अपूर्ण है। चौथा पत्र नहीं है एवं पत्र जी है । २७०३. षट् दर्शन के छिनव पाखंड - x 1 पत्र सं० १ । भाषा - हिन्दी गद्य । विषय-दर्शन र० काल X से काल X पूर्ण वेष्टन सं० ४०-१५६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ ढोडारायसिंह (टोंक) B X । पूर्ण प्रति सटीक है। २७०४. सप्तपदार्थी - शिवादित्य । पत्र सं० १५० १२३ भाषा-संस्कृत विषय-दर्शन ० काल X से काल x पूर्ण वेष्टनसं० २४६ प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | O "।" २७०७. सप्तभंगी बन - X विषय स्वाय २० का X ते० काल x दीवान जी क मा । 2.J २७०५. प्रति सं० २ । प० । ० ६४५ इव । ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ६८० । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । | ॥ । -- ० ११४५३ इस भाषा पत्र [सं० ७ पूर्ण सं० १५ प्राप्ति स्थान दि० | पत्रसं० १२ । ० पूर्ण बेटन सं० १०२ — - देवासम् स्तोष की व्याख्या है। ० २ ० १२४४ इन्च भाषा-संस्कृत विषयवेष्टन सं० ४५१ / २६२ प्राप्ति स्थान दि० जन संभवनाथ ११५ । भाषा-संस्कृत । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ' २७०८. सर्वज्ञ महात्म्य - ० २ भाषा संस्कृत विषय दर्शन र०का % | | - । X कालवेष्टन सं० ५० ६४० प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष ! Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दर्शन शास्त्र ] [ २६३ २७०६. सर्वज्ञसिद्धि । पत्रसं० २०० ११४४ ख | भाषा-संस्कृत विषय न्याय | २० काल ४ । ले० काल । पूर्ण वेष्टन सं० ४५४ / २६४ | प्राप्ति स्थान – संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष - प्रति प्राचीन है । २७१०. सार संग्रह-बरदराज । संस्कृत (गद्य) | विषय - न्याय । २० काल X दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । की थी। पत्र सं० २ १०० । ० काल X। अपूर्ण आ० ११ X ५ ३ इश्च । भाषावेष्टनं सं० १२ | प्राप्ति स्थान २७११. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ७ । २६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष – इसका दूसरा नाम तार्किक रास भी है । २७१२. प्रति सं० ३ । पथ सं० ६३ । आ० ११३ X ४६ इव । ले० काल सं० १६५२ । पूपं । वेष्टन सं० ३२/३ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन प्रग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २७१३. सांख्य प्रवचन सूत्र - X | पत्र सं० १४० | आ०६ संस्कृत | विषय - न्याय ! २० काल x । ले० काल सं० १७६५ फागुन बुदी ११ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ० ११X५ इव । ले० काल X। अपूर्ण । बेटन सं० X ५६ | भाषावेष्टन सं० १७६ । पूर्ण २७१४. सांख्य सप्तति X | पत्र सं० ४ श्र० १० X ४३ इञ्च । विषय - दर्शन । २० काल X | ले० काल सं० १८२१ भादवा बुदी १४ । पूर्ण प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । भाषा-संस्कृत । वेष्टन सं० २६७ । विशेष - जयपुर नगर में पं० चोखचन्दजी के शिष्य पं० सुखराम ने नैणसागर के लिए प्रतिलिपि २७१५. सिद्धांत मुक्तावली - X। पत्र सं० ६८ | श्र० १० X ४३ इव । भाषासंस्कृत । विषय–न्याय | र० काल x । ले०कास सं० १८१० भादवा बुदी ३ । पूर्णे । वेष्टन सं० १३३७ । प्राप्ति स्थान – भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । २७१६. स्याद्वाद मंजरी - मल्लिवेण सूरी । पत्र सं० ३६ । श्रा० ११४४ इन्च | भाषासंस्कृत | विषय - दर्शन । २० काल X | ले० काल पूर्ण वेष्टन सं० ३६६ प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष- प्रति प्राचीन है । २७१७. प्रतिसं० २ । प० ६७ ॥ श्र० १० x ४१ इव । ले० काम X | पूर्ण । वेष्टन सं० १०५ / ६७ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेय- प्रति प्राचीन एवं टीका सहित है | Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ पूर्ण विषय-पुराण साहित्य २७१८. अजित जिनपुराण पंडिताचार्य अरुणमणि पत्र सं० २१६ भाषा-संस्कृत विषय पुराण २० काल सं० १७१६ ० काल सं० १७६७ वेष्टन सं० [सं०] ४२६ प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष- प्रति जीरणं शीर्ण हैं । - २७१६. प्रतिसं० २ । पद ० १४० X पूर्ण बेत सं० ४५६ प्राप्ति स्थान- दि० उपरोक्त मन्दिर । विशेष -- अजितनाथ द्वितीय तीर्थंकर है । इस पुराण में २७२०. आदि पुराण महात्म्य- पत्र सं० २ १ विषय— महात्म्य वर्णन २०X० काल जैन मन्दिर बनाना बूंदी पूर्ण ० १२३ x ज्ञाख सुदी५ । २७२१. आदिपुराण -- जिनसेनाचार्य । पत्र सं० ४४० । ० १० १ ४५३ इव । भाषासंस्कृत विषय -- पुराण' । २० काल x । ले० काल सं० १८७३ पोष बुदी । वेष्टन सं० १४० । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | । उनका जीवन चरित्र विस्तृत है। - ० १० X ४ इंच | भाषा – संस्कृत | वे० [सं० ७२ प्राप्ति स्थान दि० २७२२. प्रतिसं० २ पत्र सं. २६२ २० काल x । ले० कालः स० । १९५६ पूर्ण । वे० सं० २७२३. प्रतिसं० ३० ४०१ श्रावण सुदी १५ । पूर्ण वेष्टन सं० १५४३ | प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । २७२४ प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ४०५ | प्रा० १२३४७ सं० २११ । प्राप्ति स्थानम० वि० जैन मंदिर अजमेर । ० १२४६ इव भाषा-संस्कृत विषय पुरा । १४४३ । प्राप्ति स्थान - बरोक्त मन्दिर । बा० १०६x४ इंच वे० काल सं० १६०१ २७२७. प्रति सं० ६ ३९/६ प्राप्ति स्थान दि० २७२८. प्रति सं० ७ २७२५ प्रतिसं० ४ पत्र सं० ७९२ । ०११४६ इंच 1 ले०काल सं० १८८५ वैशाख सुदी १४ । । वेष्टन ० १५६७ | प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-प्रति हिन्दी टब्बा टीका सहित है । ०कास X पूर्ण वेष्टन पत्रसं० २८८ । आ० ११३ X ६ इञ्च । ले०काल X | अपूर्ण । वेष्टन स० २८३ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २७२६. प्रतिसं० ५ सं० ३ । प्राप्तिस्थान - पंचायती दि० जैन मंदिर करौली । पत्र० ७ ० १२x६ इश्व ले० काल X अपूर्ण वेष्टन सं नवान मन्दिर उदयपुर । पत्र [सं० ४४३ | श्र० १२४८ इश्व । ले० काल X पूर्ण । वेष्टन सं० ६ प्राप्ति स्थान दिए जैन प्रग्रवाल मंदिर उदयपुर । २७२६. प्रतिसं० ८ पत्र सं० ३५१ ० १२४ इथ निकाल x पूर्ण वेप्टम विशेष ले० प्रशस्ति अपूर्ण हैं । चांदनगांव महावीर में गुजर के राज्य में पाण्डे सुखलाल ने प्रतिलिपि की थी । Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य [ २६५ २७२६ (क) प्रति सं०६ । पत्र सं० ४२४ । प्रा० ११.४६ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेपन सं० ६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली। २७३०. प्रति सं०१० । पत्र सं० ४६४ । मा० १०.४५ इञ्च । ले० नाल सं० १६६६ फागुण सूची ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६.२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन साँगाणी मन्दिर करौली। २७३१. प्रति सं० ११। पत्र सं० ६०६ । ले। काल सं० १७३० कार्तिक मृदी १३ बुधवार । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंगवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति जी भीगा है। प्रशस्ति -श्री मूलसंचे सरस्वतीग ले बलात्कारगनो श्री कुदकुदाचार्यान्वये भट्टारक श्री सकल कीति गपहें भुवनकी नि त० ए० ज्ञानभूषण तत्प? गत विजयीति लत्प? भर शुभमन्द्र तपट्टे भ• मुमति कौलि तत्पदं भ० गुग कोनि तरपट्टे भ० वादिभुषण तत्पट्टे भ० राजकीति तत्प? भ• पद्मनंदि तत्प? देवेन्द्र कीर्ति तत्पट्ट क्षेमेन्द्रकोनि तदाम्नाय प्राचार्य कल्याणीति तई शिष्य ब्रह्म श्री ५ संघजीत तव शिव ब्रह्मचारि नारगभिगाये अहमदाबाद नगर मारिंगपुरे शीतल चैत्याल ये हुबडज्ञातीय लघु शाखायां अधियागोत्र साह श्री संघजी तत्पु साह श्री सूरजी भार्या बाल्बाई तयो पुत्र साह परक्षमन्दर भार्यां सिप्ताबाई तयोः पुओं द्वर प्रथम पुत्र सामदास द्वितीय पुत्र धर्मदास एसः स्वज्ञानावरणीय कर्मचवार्थ श्री बृहदादिपुराण लिम्बाय दत अब्दाचारयकासाहायान् । २७३२. प्रति सं० १२ । पत्र सं. १८७ 1 ले०काल X । अपूर्ण । वेप्टन सं० ५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन वड़ा पंचायती मन्दिर डीग । २७३३, प्रतिसं० १३ । पसं० २४२ । प्रा. १२ ५ इश् । ले. काल सं० १७४८ । पुर्ण । वेपर०४२ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दीवानजी कार। विशेष -मग्रामपुर निवासी साहजी श्री द्यानतरायजी श्रीमाल जातीय ने इसकी प्रतिलिपि कारवाही थी। २७३४. प्रति सं० १४। सं०३६६ । प्रा० ११३४५. इञ्च । ले० काल सं० १५२२ चन सुदी ६ । पूर्ण । श्रेयन सं० १३४ ! प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बुद, । लेखक प्रशस्ति .. श्री मदनमणीन स्वहस्तेन भट्टारक श्री जगत्कोतिजितरूपदेशात् मांगांवत्या गश्य संवत् १७२२ मधू मासे शुक्ल पक्षे पटी भृगुवासरे । २७३५. प्रति सं०१५ ३ पत्रसं० ३४१ । या० इन । लेकाल सं० १८६१ माघ सुदी ५ । 'पूर्ण । वेपन सं १४ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर नागदी, दी विशेष-- जयपुर में पन्नालाल सिद्का ने प्रतिनिपि करवायी थी। प्रारम्भ के १८५ पय दूसरी प्रति के हैं। २७३६. प्रति सं० १६ । पत्रसं० ६० । ग्रा० १२४ ५ ६ । ले. काल सं० १६७६ जेष्ठ वदि ८ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । २७३७. प्रति सं० १७ । पत्र सं० १६६ । प्रा० १२:४६ इश्च । ले० काल x । पूर्ण वेष्टत सं० १३६ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । EX Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सुनो-पंचम भाग विशेष प्रति प्राचीन है। २७३६. प्रादिपुराण-पुष्पदंत । पत्र सं० २३.४ । ग्रा० १२४५ रन । भाषा-अपभ्रंश । विषय-पुराण । २० काल X 1 ले. काल सं०१६३१ भादवा सुदी १२ । पुरण । अष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अजमेर मण्डार । विशेष-लेखक प्रशस्ति अपूर्ण है। मालपुरा नगर में प्रतिलिपि हुई श्री । इसमें प्रथम तीर्थकर आदिनाथ का जीवन है। २७३६. प्रति सं०२ ।पत्र सं० २०६। ग्रा०१२४५ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३०७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर, अभिनन्दन स्वामी वू दी। २७४०. श्रादिपुराण । पत्रसं० १७२ । मा० ११ ४ ५ । भाषा-सस्कृत । २० काल । ले० काल X । वेहन सं० १०३ । प्राप्ति स्थान-शास्त्र भण्डार दि० जन, मंदिर लश्कर जयपुर । विशेश-रत्नकीत्ति के शिष्य छ रत्न ने प्रतिलिपि करवाई थी। २७४१. प्रादिपुराण-म० सकल कोर्ति । गन्न सं० १६७ । आ० १०४४२ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पुराण । १० काल ४ । ले. काल सं १८५० चैत मुदी ८ । पूर्णे । वेष्टन सं०४६४। प्राप्ति स्थान- भ० दि. जैन मंदिर अजमेर। विशेष-श्री विद्यानंदि के प्रशिष्य रूडी ने प्रतिलिपि की थी। २७४२. प्रति सं० २। पत्रसं० २१८ | प्रा० १२४५ इञ्च । ले. काल सं० १७७६ । पूर्ण । वेशन सं०५२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर राजमहल' (टोंक) । विशेष -तशकपूर (टोडारायसिंह) में पं. विजयराम ने प्रादिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। २७४३. प्रति सं० ३ । पत्रसं० १८८! आ० १२४५३ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेशन सं०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पार्श्वनाथ दी। २७४४. प्रति सं०४ । पत्रसं० १४६ । प्रा० १२४६ इन्च । लेकाल-सं० १६०५ पूर्ण । वेशन सं० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दो। विशेष-बूदी में प्रतिलिपि की गई थी। २७४५. प्रति सं०५ । पत्र सं० २२७ । आ० १०३ ५ इन्च । लेकाल सं० १७५२ । पूर्ण । वंटन सं० १०। प्राप्ति स्थान-उपरोक्त । विशेष-भ० देवेन्द्रकीत्ति के शिप्य ब्र कल्याएमागर ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। २७४६. प्रति सं०६। पत्र सं० १६७ । आ० ११:४६ इञ्च । लेकाल सं. १७७६ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३३५ । प्राप्ति स्थान... -दि० जैन मन्दिर, अभिनन्दनस्वामी, बूदी। विशेष-मालपुरा में प्रतिलिपि हुई थी। २७४७ प्रति सं०७ । पत्र सं० १७६ | प्रा० १० x ६ इञ्च । ले. काल सं. १६१० बैशाख बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर नागदी बू दी। विशेष-दावती में नेमिनाथ चैत्यालय में पं० चिम्मनलाल ने प्रतिलिपि की थी। Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २६७ २७४८. प्रति सं०८। पत्र सं. २१५ । आ० १०३४६१ च । ले० काल सं० १८२५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२ । प्रारित स्थान–दि जैन मंदिर चौधरियान मालपुरा (टोंक)। २७४६. प्रति सं० । पत्र सं० २१४ । आ० १.१४५ इश्च । ले. काल सं० १६६७ बैशाख सुदी ७ । पूर्ण । येष्टन सं० ३२६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। प्रशस्ति - यों हीं स्वस्ति श्री संवत् १६६७ वर्षे वैशाखमासे शुक्लपक्षे सप्तमी बुधवासरे सहज नगरे श्री पार्वनाथ चैत्यालये श्रीमदिगंबर काष्टासंघे जल गच्छे चारित्रगणे भट्टारक श्री रामसेनान्वये तदनुक्रेमरा भ• सोमकीत्ति तदनुक्रमेण भ० रनभूषरण तलपट्टाभरण भट्टारजा जयीत्ति विजयराज्ये तन सिष्य ७० शिवदास तत् शिष्य पं० दशरथ लिखतं पठनार्धं । परमात्मप्रसादात् श्री गुरुप्रसादात् श्री पद्मावती प्रसादात् । २७५०. प्रति सं० १० । पत्रसं० १५१ । ले कान X । पूर्ण । वेष्टन से ० २२२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २७५१. प्रति सं०११। पत्र सं० २३८ । लेक काल सं. १६७६ मंगसिर बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७ । प्राप्ति स्थान--दि० जन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । २७५२. प्रति सं० १२ । पत्रसं० १-३२ । पा० १२४ ५३ इञ्च । लेकाल XI अपूर्ण । वेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर ।। २७५३. प्रादिपुराण-० जिनदास । पत्रसं० १८० । आ० १० x ५३ इञ्च । भाषाराजस्थानी पद्म । विषय -पुराण । र० काल ४ । ले: काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ३८८-१४५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । २७५४. प्रति सं० २ । पत्रसं० १६५ । मा० ११४६,इच । लेकाल सं० १८८२ । पूर्ण । बेशन सं०४२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष सरोला ग्राम में प्रतिलिपि की गई थी। २७५५. आदिपुराण भाषा-पं० दौलतराम कासलीवाल । पत्र सं० ६२५ । मा० ११:४८ इन्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-प्रथम तीर्थकर आदिनाथ के जीवन का बगान । २० काल सं० १५२४ । ले० काल सं० १९७१ । पुर्ण । बेष्टन सं० २२५ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जन मन्दिर अजमेर। ५६. प्रतिसं०२। पत्र सं० २०१ । आ०१४x७ इन्च । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५७३ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । २७५७. प्रति सं०३ । पर रा० १५० । प्रा० १०३४३ इञ्च । ले० काल X 1 अपुर्ण । वेष्टन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन भन्दिर तेरहपंथी दौसा । विशेष-आगे के पत्र नहीं हैं। २७५८. प्रति सं०४ । पत्र सं० ३१५ । आ० ११४६ इञ्च । लेकाल X। अपुर्ण । वेष्टन सं० १.७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन लडेलवाल मन्दिर उदयपुर । २७५६. प्रतिसं०५ । पत्र सं० ४३ । प्रा० १३४७ ३१ । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. ६० । प्राप्तिस्थान--दि० जैन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पश्चम भाग २७६०. प्रतिसं०७ । पत्र सं० ५५८ । प्रा० १३४७ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन 40 ८५ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । २७६१. प्रति सं०८। पत्र संख्या ६०१ । प्रा० १२४६६ । लेखन काल सं० १६१६ । पूरा । वेष्टन मं० २७८ - ११० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का डुगरपुर । विशेष-रतलाम में प्रतिलिपि की गई थी। २७६२. प्रति सं० । पत्रसं० २०४ | था. ११:४८ इन्न । ले. काल सं० १६४० 1 अपूर्ण । वेपन में० २६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पापर्वनाथ टोडारायसिह (टोंक)। विशेष-६६ अध्याय तक है । मल्लिनाथ तीर्थकर तत्र वर्णन है। २७६३ प्रति सख्या १०। पत्र सं० २६६.४२७ । याः १२४६ इन्च । ले० काल सं० १६१.७ आषाद मदी ८ । अपूर्ण । वेस्ट नं. २७ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर बडा बीसगंधी दौना। विशेष-रामचन्द बाबड़ा ने दौमा में प्रतिलिपि की की। २७६४. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ४.५३ । लेखक वानर । पूर्ण । वेष्टन संख्या ४२ । प्राप्ति स्थान- दि. जन पंचायती मंदिर भरतपुर । । २७६५. प्रति सं० १२ । पत्र संख्या २ से ३१८ । लेखन काल । अपूर्ण । वेष्टन संख्या ४२८ । प्राति स्थान—दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । २७६६. प्रति सं०१३ । पत्र संख्या ५१ से ४३१ । ०१५४.६३ इव । लेखन कालमं० १८६९ । अपूर्वा । वेष्ट्रन संख्या १११७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पचायती दूनी (टोंक) विशेष जयकुष्मा ब्यारा ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। २७६७ प्रति सं० १४ । पत्र सं० ४६६ । आ० १६.४१० इव । ले. काल सं० १९६७ पौष मुदी ५ । पूरा । ये टन मं० ४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मदिर पायर्वनाथ टोडारामिह (ट्रांक) २७६८. प्रतिस०१५। पत्र संख्या ८८८ । ग्रा० १२.४५ इन्च । ले. काल सं १८५३ कार्तिक दी।३ । अपूरण । वेष्टन मख्या २५ । प्राप्ति स्थान दि. जैन तेरहपंथी मंदिर, नगवा विशेष पत्र संख्या ७०२ मे ७७५. तक नहीं हैं । ब्राह्माा मालिनराम द्वारा प्रतिलिपि की गयी थी। २७६६ प्रति संख्या १६। पत्र संध्या ५८० | प्रा. १३:४७ इच । ले० काल संख्या १९२२ । पूर्ण । श्रेप्टन संख्या १५३ । प्रान्ति स्थान—दि. जैन मंदिर श्री गहानीर दी। विशेष लोचनपुर भैरखवा में प्रतिलिपि हुई थी। २७७०. शति स०१७ । पत्र संख्या ६३० | प्रा.-१३४६३ इच। ले० काल स० १८६७ । पुर्ण । वेष्टा सं०११ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर प्राधिनाथ दी।। विशेष-सेवाराम पहाड्या केशी वाले ने अपने मूत के लिये लिखवाया था। २७७१. प्रति स०१८ । पत्र संख्या ६२२ । प्रा० १४४६ इच। ले. काल सं० १९०७ । पुरंग । वेष्टन सं०५८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर अभिनन्दन रवामी, दी। विशेष-4. सदासुख जी अजमेरा ने प्रतिलिपि करवायी थी। २७७२. प्रति संख्या १६ । पत्र सं० १०१-५०७ । आ. १.७ इच । ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर दबलाना (खूदी) Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २६६ २७७३. प्रति सं० २० एस० ६०२ मा० १२३४५ इंच । ले० काल सं० १८६१ । पूर्ण । वेन सं० १६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) २७७४. प्रति सं० २१ पत्र ०८२६ । आ० १०५ ७ इंच । ले० काल सं० १९५६ | पूर्ण वेष्टन सं० ४३ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटयों का, रणवा - २७७५ प्रति सं० २२ । वेष्टन सं० ३३ प्राप्ति स्थान दि० जैन ०४८ से १३= ॥ ० १२६ इंच | ले० काल XI पूर्ण । पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (फोटा) २७७६ प्रति सं० २३ । ०६६२ | मा० १२३ ६ इंच । ले० काल वेष्टन सं० २५२ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा) २७७७ प्रति सं० २४ पत्र स० ७१६ । ग्रा० १२७३ इंच ले० काल स० १६.१६ माघ ११ || वेष्टन सं० १०७ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती अग्रवाल मन्दिर, अलवर | २७७८. प्रति सं० २५ । पत्र सं० ५१० प्रा० १५x७३ इंच | ले० काल सं० १९१० बैशाख सुदी १२ । पूष्टस्य अग्रवाल मंदिर, अलवर। विशेष – ग्रन्थ तीन वेष्टनों में है । २७७९. प्रति सं० २६ । पत्र स० ५५१ | ० १०३४६ इंच | ले० काल सं० १५७५ । पूर्ण वेष्टन सं० १३५ । विशेष - पांडे लालचन्द ने प्रतिलिपि की थी। प्राप्ति स्थान - दि० जैन छोटा मंदिर, बयाना । २७८० प्रतिसं० २७ । सं० ४५२ । ० १२४७ । ले० काल x । पूर स ं० १०५ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर कामा 1 २७८१. प्रति सं० २८ । पत्र सं ० ८४३ ० १२४७३ इंच | ले० काल स० १५६६ अपूर्ण | वेष्टन ० ३६ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर, कामा विशेष- -बीच के पत्र नहीं है । २७८२. प्रति सं० २६ पत्र सं० २२२ । ग्रा० १३४६३ इव । ले० काल X अपूर्ण । त्रे० सौं० ३३७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दीवानजी कश्मा २७८३. प्रतिसं० ३० । पत्र मं० ६१३ | ० १३.२६ इश्स 1 ले० काल० x पूर्ण । वेष्टन सं० १७४ | प्राप्ति स्थान—कि० जैन पंचायती मन्दिर की। २७८४ प्रति सं० ३१ । पत्र सं० ४८५ । प्रा० १२४ ७ इव । ले० काल ६० १६०६ वैशाख बुदी ६ । पू । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन सांगाणी मंदिर करौली । विशेष-करौली नगर में गार्निंगराम ने प्रतिलिपि की थी । २७८५ प्रतिसं० ३२ । पत्र सं० ७२८ | श्र० १२३ x ६ इव । सेन्काल X 1 पूर्ण सं० ४/४ प्राप्ति स्थान —उपरोक्त मन्दिर । २७८६. प्रतिसं० ३३ । पत्र सं० १९२३ । था० १२x६ इश्व । ले० काल X | अपूर्ण । वेन सं० २५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बड़ा बीसपंथी दोसा Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २७८७. प्रति सं० ३४ । पत्र सं० ८५६ । प्रा० १५ ४ ७ इञ्च । ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं०२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष—दो वेष्नों में है। इसे धी भगवानदास ने जयपुर से मंगवाया था। २७८८. प्रति सं०३५ । पत्र सं० ३१६ ! प्रा० १३४६४ इञ्च । ले. काल सं० १९०६ मंगसिर सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६। प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी । सीकर) । विशेष—पांडे जीवनराम के पठनार्थ रामगढ़ में ब्राह्मण गोपाल ने प्रतिलिपि की थी। २७८६. प्रति सं०३६। पत्र सं० २२३ से ४२६ । श्रा० १३४७ इञ्च । ले० काल ४ । अपूर्ण । येशन सं० ३८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । २७६०. प्रति सं०३७ । पत्र सं० ५२६ । प्रा० ११४६ इञ्च । वे काल सं० १९२८ सावन बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पचायती मन्दिर करौली । विशेष-करौली में लिखा गया था। २७६१. उत्तरपुराण · गुणभद्राचार्य । पत्र सं० ४५८ । आ० १०.४५ इश्व । भाषासंस्कृत । विषय---पुराण | २० काल । ले० काल सं० १७०५ । पूर्ण। वेष्टन सं०७५ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष - भगवान आदिनाथ के पश्चात् होने वाले २३ तीर्थकरों एवं यन्य शालाका महापुरुषों का जीवन चरित्र निबद्ध है । संवत्सरे बाण रंधमुनींमिते । २७६२. प्रति सं०२। पत्र सं० २२० । मार ११४५ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७२४ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । २७६३. प्रति सं०३। पत्रसं०४०६। प्रा० ११ x ५ इञ्च । ले०काल सं० १७५० फागुन बुदी = ! पूर्ण । वेष्टन सं२११७४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष प्रति जी है २७६४. प्रति सं०४। पत्र सं० ३१३ 1 या०१३-४ इञ्च । ले. काल सं० १८४६ फागुण बुदी १४ । अपूर्ण । वेपन सं० १२४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) । विशेष -गाचार्य श्री विजयवीति ने बाई गुमाना के लिए प्रतिलिपि करवायी श्री । २७६५. प्रति सं०५पत्रसं० ३२५ । प्रा० १२ x ५ इञ्च | लेकाल सं० १२३५ ग्राषाढ़ सुदी ११ । पूरी । येष्टनसं० १२१ । प्राप्ति स्थान --- दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान दो। विशेष - बूदी में ज्योतिविद पुरकरणे राबराजा दलसिंह के शासनकाल में प्रादिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की धी। २७६६. प्रति सं० ६ पत्र सं० ३१.८ | ग्रा० १२ x ५१ ३५ । लेकाल: । पूर्ण । वेष्टन सं० । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर मादिनाथ अन्दी। विशेष --प्रति प्राचीन है। २७६.७. प्रति सं०७। पत्रसं. ३००। प्रा० १११४५१ इन्च । लेकाल सं. १८२५ प्र, सावन सुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं०२५१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २७१ विशेष--पं० महाचन्द्र ने जीस पुस्तक से शोधकार प्रतिलिपि की थी। दो प्रतियों का मिश्रण है । २७६८. प्रतिसं० ८। पत्र सं० ३२४ । आ. १३ ४७ञ्च । ले०काल सं० १६५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर नागदी, दी। २७९६. प्रति सं०६। पत्रसं० २६४ । आ. १२३४५६ इञ्च । लेकाल सं० १८११ भादवा बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३८४:२८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) २८००. प्रति सं० १० । पत्रसं० ३६० । ले• काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १२४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । विशेष-कहीं २ कठिन शब्दों के अर्थ हैं। २८०१. प्रसि सं० ११ । पत्रसं० २३१ । या. १३४६ इंच । ले. काल x 1 पूर्गा । वेष्टन सं० १२७-५८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । २८०२. प्रति सं० १२ । पत्रसं० ११४ । या० १३४५ च । ले० काल: । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २८०३. प्रति सं० १३ । पत्र सं० १६२ । या० ११ ४ ५ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३३ । प्राप्ति स्थान--दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २००४. प्रति सं० १४ । पत्र सं० ३४७ से ५४८ । ग्रा० ११ X ५३ इञ्च । ले० काल सं. १६४४ कात्तिक सुदी है । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान—दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष- लेखक प्रशस्ति विस्तृत है। इसके अतिरिक्त एक प्रति और है जिसके १-१२२ तक पत्र हैं। २००५. प्रति सं०१५। पत्र सं० १५-३००। आ० १.३४५६ इञ्च । ले० काल सं० १८४० । पुर्ण । ० सं० २०८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगड (कोटा)। २८०६. प्रतिसं १६ । पत्र सं० ४०८ । आ० ११ X ४ च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३०६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर धोरसली कोटा । २८०७. प्रतिसं० १७ । पत्र सं० ३५४ । आ० १२४४ इन्त्र । से० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१० प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । २८०६. प्रति सं०१८ । पत्र सं.२-४५२ । डा० १२४६इच। ले. काल में० १८३३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३६३ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । प्रशस्ति-संवत् १८३३ वर्षे वैशाख मारो शुक्ल पक्षे पंचम्या तिथो भौमवासरे मालवदेश सुरानेर नगरे पंडित पालमचन्द तव शिष्य पं जिनदास लयोन मम्चे पं० सालमचन्देन पुस्तक उत्तरपुराण स्वयं.......| २८०६. प्रतिसं०१६। पत्रसं० २५५ । ग्रा० १४.४६ इञ्च । ले. काल सं० १७५३ फागुग्गा सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर धोरसली कोटा । विशेष-उदयपुर में महाराणा संग्रामसिंह के शासन काल में संभवनाथ चैयालय में प्रतिलिपि हुई थी। Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २८१०. प्रतिसं० २० । पत्र सं० २३१ । प्रा० १२ x ५ इञ्च । नेक काल X । अपूर्ण । घेटन सं० १२८ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष प्रति प्राचीन है। दो प्रतियों का मिथण है । कठिन शब्दों के अर्थ भी दिन हुए है । २८११. प्रति सं० २१ । पत्रसं० ४६४ । ले. काल सं० १६२६ । पूर्ण। वेष्टन सं० २७३ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर मरनपुर ।। २८१२. प्रति सं० २२ । पत्रसं० ११५ २२० । ले. काल १६६६ । अपूर्ण । वेन रा० ६७० । प्राप्ति स्थान -दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २८१३. प्रति सं० २३ । पत्रसं० ४१६ । ले. काल ४ । पूर्ण। वेष्टन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर दीवानजी भरतपुर। २८१४. प्रति सं० २४ । पत्ररू. ४३४ । ले०काल सं० १७२६ कात्तिक सुदी ६ । पूर्ण । बेन स०२२५ । प्राप्ति स्थान. उपरी: मन्दिर । २५१५, प्रति सं० २५ । पत्रस० ५२१ से ५.३६ । ले०काल सं० १८२९ । अपूर्ण । थेटन सं० २६१ । प्राप्ति स्थान--उपरोक्तः मन्दिर । २-१६. उत्तरपुराण-तुष्पदंत । पत्र सं० ३२५ । ग्रा० १२१X४३ इञ्च । भाषा-अपभ्रश। २० काल ४ । लेकाल सं० १५.३८ कार्तिक सुदी १३ । पू । वेटल में० ११२: ६५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर तरलपंथी दौसा । लेखक प्रशस्ति-रांबत १५३८ वर्षे कात्तिक सुदी १३ यादित्यवारे अश्यनिनक्षत्र सुलतान गयामुद्दीन राज्य प्रयतमान तोडागस्थाने श्री पाश्वनाथ चैत्यालये श्री मूलसंधे बलात्कारगणे रारस्वतीगन्ने श्री कुन्द-- कुन्दाचार्यान्वये भट्टारक भी पअनन्दि देवा । तत्पट्ट भट्टारक' श्री शुभचन्द्रदेवा तत्पट्टे भट्टारक थी जिरग चन्द्र देवा ननु शिष्य गुनि जयनन्द द्धितीय शिष्य मुनि श्री सनकीत्ति । मुनि निन्द सन शिष्य ब्रह्म अचलू इदं उत्तरपुनरण शास्त्र यात्म हस्तन लिखितं ज्ञानावर्णी कर्मक्षयार्थ मुनि श्री मंडल्याचार्य रत्नकीति तत् शिष्य ब्रह्म नरसिंह जोग्य नार्थ । २८१७. उत्तरपुराण- सकलकोत्ति । विसं० १६२ । १२x६ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय - पुराण | काल । ले०काल सं. १९८० पोप सदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान-- दि० अन मन्दिर मादास दीवान पुरानी होग।। २०१८. उसरपुराण भाषा-सुशालचन्द । पत्र सं० २७१ । आ० १५४७ इञ्च । भाषाहिन्दी ।प) । विषयपुराण । र पाल स. १७६६ । ले०काल सं० १८४६ । पूर्ण। वेष्टन सं०३२। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दीया । विशेष : जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। २८१६. प्रति सं० २। पत्र सं० २१७ । ग्रा० १५४३ इञ्च । ल• काल ४ ! पूर्गा । देष्टन सं० ११७ प्राप्ति स्थान दिजैन मन्दिर वड़ा बीरापंथी दौराा। विशेष भगवान आदिनाथ को छोड़कर शेप तेईरा तीर्थकरों का जीवन चरित्र है । २८२०. प्रतिसं०३। पत्र सं० ४८८ । प्रा. ११४५१३श्च । लेकाल' सं०१८२४ पौष बुदी है। पुरणं । धन सं०५६। प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर राजमहल टोंक Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २७३ विशेष-राजाराम के पुत्र हनीराम ने जयपुर में वस्यता से प्रतिलिपि कराई थी। २८२१. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २७१ । प्रा० १४४६.इञ्च । प्लेस काल सं० १६५ कार्तिक सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन में० ३३ । प्राप्ति स्थान--दि० जन सैरपथो भंदिर मेश्या । २६२२. प्रति सं०५१ पत्र सं०६१। ग्रा७ इञ्च । से. काल सं० १९५६ । पूर्ण। वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान--- दि जैन भन्दिर श्री महावीर दी । २०२३. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० ४४१ । ग्रा० १०५४६३ इन्च । ले. काल सं० १९४५ । पूर्ण । बैष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर श्री महावीर दी। २८२४. प्रति सं०७। पत्र सं० २०२-२५१ तक । प्रा० १४४६३ इञ्च । ले० काल सं. १८६६। अपूर्ण । वेष्टन सं० ३०० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष—प्रारम्भ के २०१ पत्र नहीं है। २८२५. प्रतिसं० ८। पत्र सं० २६८ । प्रा० ११३ ४७९ च । लेकाल X । पूर्ण । घेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक)। २८२६. प्रति सं० । पत्र सं० ४६१ । आ० १२ x ५६ इञ्च । ले. काल सं० १८८२ । पूर्ण । बेष्टन सं० ६३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर कोटयों का नैरणवा । २८२७. प्रति सं० १० । पत्र सं० ३३५ । प्रा० १२४६१ इंच । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०१४-२४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) २८२८. प्रति सं० ११ । पत्र सं० २६५ । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचावती मन्दिर हण्डावालों का डीग । विशेष-जीर्णोद्धार किया गया है । २८२६. प्रति सं०१२। पत्र सं0 ४६ । प्रा० १२x६ इन्ध । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १३१ प्राप्ति स्थान-दि० जेन पंचायती मन्दिर करौली । २८३०. प्रति स० १३ । पत्र सं० ४१२ । आ० १३४ ६ इञ्च । ले. काल सं. १८४२ माघ मदी ५। पा । वेन सं.६४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर करौली। विशेष-फौजीराम सिंगल ने स्व एवं पर के पठनार्थ प्रतिलिपि करवाई। २५३१. प्रति सं० १४ । पत्रसं० १०५ । प्रा० १२४४३ इञ्च । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११५ । प्राप्ति स्थान:- उपरोक्त मन्दिर । विशेष-शान्तिनाथ पुराण तक है। २८३२. प्रतिसं०१५ । पत्र सं. १८८ । प्रा. १३४६ इञ्च । से. काल सं. १९७८ श्रावण खुदी ६ । पूणे । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष- पांडे सांवसिह जी प्रापमनके देहरा में दयानन्द से प्रतिलिपि करवाई जो दिल्ली में रहते थे। २८३३. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० ३५६ । प्रा० १३४७ । ले० काल X । पूर्ण । देष्टन संc १६८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खंडेलवाल पंचायती मन्दिर अलवार । . Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७४ 1 [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २८३४. प्रति सं०१७। पत्र सं० ३५४ । ०१४४६३ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दिन खण्डेलवाल पंचायती मंदिर अलवर । २८३५, प्रति सं० १८ । पत्रसं० २६७ । ले. काल सं० १९५३ । पूर्ण । वेष्टन सं०४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी, भरतपुर । विषय-कुशलसिंह कासलीवाल ने प्रतिलिीि करवाई थी। २५३६, प्रति सं० १६ । वेष्टन सं० ४०५ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २०३७. उत्तरपुराण भाषा-पन्नालाल । पत्र सं०४८६ । प्रा० १३४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय पुराण ।र० काल स. १६३०। ले. काल सं.-। पूर्ण । वेधन सं० १५४ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मंदिर श्री महावीर दी। २८३८. कर्णामृत पुराण-म० विजयकोति । पत्रसं० ८६ । प्रा०६१x६ इन्च । भाया - हिन्दी (पद्य) विषय. पुराण । २० काल । लेकाल सं० १८२६ पौष सुदी ६ । पुर्ण । वेष्टन सं०१०१० । प्राप्ति स्थान-भ दि जैन मंदिर अजमेर । २८३६. प्रति सं० २ । पत्रसं० २४६ । ग्रा०५४४ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. २०१। प्राप्ति स्थान भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष - दूसरा नाम महादंडक करणानयोग भी दिया है। २८४०. प्रति स० ३ । पत्रसं० ५६ । ग्रा० १०x४५ इञ्च । लेकाल ४ । अपूरणं । वेष्टन सं० ११३५ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । २८४१. प्रति सं० ४३ पत्र सं० १३१ । या० १३४८ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१-३१५ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर, कोटड़ियों का टूगरपुर । २८४२. गरुडपुरारए । पत्रसं० ६५ । प्रा० १.४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय--पुरारण र०काल X । लेकाल सं १८२५ । पूर्ण । बैठत सं०६४ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौमान दी। विशेष-दशम अध्याय तक है । २८४३. गरुडपुराण x पत्र सं० ३२ गया. ११:४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूराण । र० काल X ।ले. कोम X । अपुर्ण । वेष्टन सं० ३१९ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, लू'दी। २८४४. चौबीस तीर्थकर भवान्तर । पत्रसं० २ । पा०१२३४५ इश्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) विषय-पुराण । २० काल X । ले०काल X । पूर्ण X । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक) २८४५. चन्द्रप्रभपुरा--भ.शुभचन्त । पत्रसं०७२ । पा.१०x४.xइंश्च । भाषा संस्कृत । विषय -पुराण । २०४ । ले०काल सं० १८२६ ज्येष्ठ सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२ प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर, अजमेर विशेष—पाठवें तीर्थकर चन्द्रप्रभ का जीवन चरित्र है। Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २७५ २८४६. प्रति सं० २ । प० ६० ॥ श्र० ११५ । ले०कास सं० १८३२ चैत्र सुदी १३ । सं० १७३ । पू । प्राप्ति स्थान - वि० जैन मं० लक्कर, जयपुर । विशेष – सवाई जयपुर नगर में भानूराम साहने प्रतिलिपि की थी । २८४७. चन्द्रप्रभपुराण – जिनेन्द्रभूषण | पत्रसं० २४ । प्रा० १२३ हिन्दी | विषय - पुराण | २०काल सयत १८४६ । ले० काल X पूर्ण । वेष्टन सं० ६ दि० जैन पंचायती मंदिर बयाना | विशेष—इटावा में ग्रंथ रचना की गयी थी । ग्रंथ का यदि अंत भाग निम्न प्रकार है प्रारंभ -- चिदानंद भगवान सब शिव सुख के दातार । श्री चन्द्रप्रभु नाम है तिन पुराण सुख खार ॥१॥ जिनके नाम प्रताप से कहे सकल जंजाल । ते चन्द्रप्रभ नाम है करो *पुर पार ॥२ अ ंतिम पाठ ¿ मूल संघ हैं मैं सरस्वति गच्छ ज्यू । बलात्कार गम्य को महाराज परल ज्यू । शामनाय कहै बीच कुन्दकुन्द ज्यू । कुन्दकुन्द मुनराज जानवर आपज्यू ।।२७।। भट्टारक गुणकार जगतभूषण भ विश्वभूषण सुभ प प्रान पूरन उथे । तिनके पत्र उद्धार देवेन्द्रभूषण कहे । सुरेन्द्रभूषण मुनराज भट्टारक पद लट्टे । जिनेन्द्र भूषण लघु शिष्य बुद्धिवरहीन ज्यू' । कह्यी पुराण सुज्ञान पुरा पद जान ज्यू संवत ठरायै इकतालीस खामले । सावन मास पवित्र भक्ति को गले ॥ सुदि च ज पुनीत चन्द्र रविवार है। पूरन पुण्य पुरा महा मुखदाई है । शहर इटाको मली तो बैठक भई । श्रावक गुन संयुक्त बुद्धि पूरन लई ॥ 1 इसके श्रापद्य और है जिनमें कोई विशेष परिचय नहीं है । ७३ इञ्च । भाषाप्राप्ति स्थान इति श्री हर्षसागरस्यात्मज नट्टारक श्री जिनेन्द्रभूषण विरचिते चन्द्रप्रभु पुराणे चन्द्रप्रभु स्वाभी निर्धारण गमनो नाम षष्टम सर्गः । श्लोक सं. प्रमाण १०६१ । मध्य भाग सब रितु के फल ले आया लिन भेंट करी मुखदायी । राजा मुनि मनि हरवावं तब आनन्द भोर बजावै ॥ २४ ॥ Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम माग सब नमर नारि नर याये बंदम चाले सूरख पाये । चन्द्री सब परिजन लेई जिनवर चरतन चित देई ।।२५।। २८४८. प्रति सं० २ । पत्रसं० १२३ x ७३ इञ्च । लेकाल सं० १८३३ । पूर्म । वेष्टन सं०१३९ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर ।। २८४६. चन्द्रप्रभचरित्र भाषा होरालाल । पत्र सं. १८२ । प्रा. ११४५ इञ्च । भाषा हिन्दी (गद्य) । विषय-पुराण । र० काल सं० १९०८ । ले-काल सं०११३८ । पूर्ण । वेष्टन सं०८७॥ प्राप्ति स्थान ---दि० जन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । २८५०. जयपुराण-७० कामराज । पत्र सं० २६ । प्रा० ११३ x ५ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-पुराण । र०काल X । ले काल सं० १७१३ । पूर्ण । वेष्टन सं. ६२ । प्राप्ति स्थान- दिन अग्रवाल मंदिर उदयपुर। प्रशस्ति-निम्न प्रकार है सं० १७१३ पौष सुदी २ रनी श्री भूगार सल्बीमादे माताले सो कुदकदाचार्यान्वये भधी सकलकति तदाम्नाये भ० श्री रामकीति तत्पद्र भ. श्री पद्मनंदि तत्प, भ. श्री देवेन्द्रकीति गुरुपदेशाल गुर्जरदेशे श्री अमदाबादनगरे हुबड ज्ञातीय गंगाउ गोत्र सा. धर्मदास भार्या धर्मादे तयो सूत सा कल्पा भार्या जसा गुत विमलादास प्रेमसी सहस्रबीर प्रतापसिंह एसः ज्ञानावरणीक्षयार्थ प्राचार्य नरेन्द्रकीति सत् शिष्य इल ब्र० चारी लाइवाकात............. ब. कामराजाय जयपुराग लिखाप्य दस। २०५१. प्रति सं० २। पत्र सं० ५६ । ले० काल सं० १८१८ मंगसिर सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-40 बस्तराम ने प्रतिलिपि की थी। २८५२. त्रिषष्टि स्मृति-४। पत्र सं० ३१ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-पुराण । र० काल X । ले० काल सं० १६०६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७७ । प्राप्लिस्थान--दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६०६ ब श्री मंगसिर सुदी ३ गुरदिने श्री मूलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री दक्दाचार्यान्वये भद्रारक थी पद्मनंदिदेवा तत्प? भ० श्री सकलकीर्ति देवा सदन्वये प्र.श्री जिनदास तत्पद्र 4. शांतिदास अ० श्री हंसराज अ० श्री राजपालस्तलिखाय कर्मशयार्थ निमित्तं । २८५३. त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित्र-हेमचन्द्राचार्य । पत्रसं० ६६ । प्रा० १४४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विपय पुराण । र० काल ४ । लेकाल-सं० १४६४ मंत्र मास । पूर्ण । वेष्टन सं. १२३ 1 प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । २८५४. श्रेसठशलाका पुरुष वर्णन-X । पत्रसं० ७ । प्रा० १०x४ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-पुराण । र० काल X । ले• काल-x। पूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान-- भट्रारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष—इसमें प्रेसठशलाका पुरुषों का अर्थात् २४ तीर्थकर ६ नारायण, ८ प्रतिनारायण, १ बलभद्र एवं १२ चक्रबत्तियों का जीवन चरित्र परिणत है। Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न्याय एवं दर्शन शास्त्र ] [ २७७ - २८५५. नेमिपुराण भाषा-भागचंद । पत्रसं० १८२ | आ० १२४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पुराण । रचना काल सं० १९०७ । लेकाल-- सं० १६१४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर श्री महावीर.बू'दी। २६५६. प्रति सं० २। पत्र सं० १६७ । प्रा० १३३४७ इञ्च । ले. काल सं० १९६१ । पूरी । वेष्टन सं० ८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी बूदी। विशेष-चंदेशी में लिखा गया था । नेमीश्वर के मंदिर में छोटेलाल पन्नालाल जी गढवाल बालों ने चढामा शा ! २८५७. प्रति सं०३ । पत्र सं० १७० । प्रा० १३४७६ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। २८५८. नेमिनाथ पुराण-व० मेमिदत्त । पत्रसं० २६८ । आ० १३४४. इच । भाषासंस्कृत । विषय-पुराण । र० काल X । ले०काल सं० १६४५ चैत बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३५ । प्राप्ति स्थान--भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष—इसका दूसरा नाम नेमिनाथ चरित्र है । २८५६. प्रति सं०२। पत्रसं० ६२ 1 पा० ११ x ५ इ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६७ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । २८६०. प्रति सं०३। पत्र सं० २२४ । प्रा. १०१ ४१ इंच । ले०काल सं० १८३० । पूर्ण । वेष्टनसं० ३४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। विशेष-प्रति जीणं है। प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १८३० ना वर्षे दितिय वैत्र मासे शुक्ल पक्षे श्री वाम्बर देशे पुलंदपुर मध्ये श्री शांतिनाथ चैत्यालये । भट्टारक श्री ५ रत्नचन्द्र जी तत्प? भट्टारक श्री ५ क्षेत्रचन्द्र जी तत्प? भट्टारक जी श्री १०८ श्री धर्मचन्द्र जी तसिष्य ब्रह्ममेधजी स्वयं हस्तेन लिपि कृतं 1 २८६१. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० २-२२० । प्रा० ki x४३ इञ्च । ले०काल x 1 अपूर्ण । वेष्टम सं०३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान, बूदी। २८६२. प्रतिसं०५ । पत्र सं० १६४ 1 या० १०१X७ इञ्च । ले० काल सं० १९२४ पौष बुदी = | पूर्ण : मेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नागदी, दी। विशेष-शिवलाल जी का चेला विरदीचंद ने प्रतिलिपि की थी। यह प्रति जो जोबनेर में खित्री गई सं० १६६६ वाली प्रति से लिखी गई थी। २८६३. प्रति सं० ५। पर सं० १२४ । प्रा० १०३ ४ ५१ इञ्च । ले० काल सं० १७६६ प्राषाढ़ वुदी ६ । पूर्ण । वेन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान--दित जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। विशेष--रत्नविमल के प्रशिष्य एवं मुक्तबिमल के शिष्य धर्मविभल ने प्रतिलिपि की थी। २८६४. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० १३५ 1 प्रा० १२३४ ६३ इञ्च । ले०काल सं० १९७३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१-७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का हूँगरपुर । Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७८ ] [ अन्य सूची-पंचम भाम् २८६५. प्रतिसं०.७ । पत्र सं० २४२ । पा० १०४ ४३ इञ्च । ले०काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर र । २८६६. प्रतिसं०८। पत्र सं० १४३ । श्रा० ११४४६ इञ्च । ले. काल x। पूर्ण । वेधन सं० २१४ । प्राप्ति-स्थान---धि जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष-प्रति प्राचीन है। २८६७. प्रतिसं०६ । पत्रसं० २४३ । लेकालसं० १६४६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान-दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर श्रीग। २८६८. प्रति । १.५ x काल सं० १९१७ द्वि. चैत मृदी १५ । वेष्टन सं०१७-१७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन सौगाणी मन्दिर करौली। विशेष-लालचंद के पुत्र खुशालचन्द ने करौली में प्रतिलिपि की थी। २८६६. प्रति सं०११ । पत्र १९८ । लेकाल सं० १६१४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन तेरहपंथी मन्दिर बसबा । २८७०. प्रति सं० १२। पथ सं० ८६ 1 प्रा० १३४६: इच । लेकाल सं० १८६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७२.. १०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । २८७१. पद्मचरित टिप्पण-श्रीचन्द मुनि । पत्रसं० २८ । प्रा० १०० x ५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराग । २० काल । लेकालम० १५११ चैत्र सुदी ११ । वेष्टन सं० १०२ 1 दि० जन मन्दिा लश्कर, जयपुर । लेखक प्रशस्ति-मंवत् १५११ वर्षे र भुदी २ श्री मूलसंधे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री पवनन्दिदेवास्तन पटे भट्टारक थी शुगचन्द्रदेवारतइप भट्टारक श्री जिनचंद्र देवा भट्टारक थी पद्मनन्दि गिज्य मुनि मदनबीति तद शिष्य ब्रह्म नरसिंथनिमित्तं खण्डेलवालान्वये नायक गोत्रे माह उधर तस्य भार्या उदयनी तयो पुत्र मारहा सोढ़ा डाल इदं शास्त्र कर्मक्षय निमित्त । २८७२. पद्मनाभ पुराण-भ० शुभचन्द्र । पत्रसं० ११० ३ श्रा० १२४४३ इञ्च । भाषा-- संस्कृत । विपय पुराण । र० काल ४ । लेकाल' X । वेहन सं० १८७ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष--प्रारम्भ के ६५ पत्र नवीन लिखे हुए हैं। २८७३. प्रति सं० २ । पत्रसं०७१ । प्रा० ११३ ४ ५ इन्च । लेकाल रां० १६५४ यासोज मदी । वेष्टन सं० १८८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष-भट्टारक अमरकीत्ति के शिष्य ब. जिनदास, पं० शान्तिदारा आदि ने प्रतिलिपि की थी। २०७४, प्रति सं०३ । पत्र सं० १०७ । प्रा०१००५ च । से. काल सं० १८२६ पागोट सुपी ३ । । श्रेष्टन सं० १४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दबलाना (बू'दी)। २८७५. पगपुराण-रविषेशाचार्य । पत्र सं० १७१२ । या० १.१४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय–पुगए । २० काल x | ले. काल सं० १६७७ साबरण बृदी ६ । पूर्ण । ० सं ४०१ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २७६ विशेष- संवत् १६७७ वर्षे शाके १५४२ प्रवर्तमाने थावरण ख़ुदी ६ शुक्रवारे उत्तरानक्षत्रे अतिगतनामजोगे महाराजाधिराज रात्रश्री भावसिंह प्रतापे लिखत जोसी अलाबक्स बुदिवाल अम्बानी मध्ये | २८७६ प्रतिसं० २० ४६० । ० ११५५ दव । ले०काल सं० १८७६ पौष ख़ुदी १४ । पूर्ण | वेष्टन सं० १०५६ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर 1 २८७७. प्रतिसं० ३ । पत्र० ५१२ । ० १२५ च । ले० काल सं० १८८३ । । बैटन सं० ६९ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर पंचायती दुनी (टोंक) | विशेष- पंडित शिवजीराम ने लिखा था । २८७८ प्रतिसं० ४ सं० ८७८ | प्राप्तिस्थान - दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दर । विशेष-रामपुर में प्रतिलिपि की गई थी। ० ५६० ग्रा० ११३४५३ इछ । ०काल सं० १८०३ । २८७६. प्रतिसं० ५ । पत्रसं० २८६ ले० काल X | पूर्ण । वेष्टन सं० २२२ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष शुद्ध प्रति है । २८८० प्रति सं० ६ १ सुदी १० । पू । वेष्टन सं० १५२ ० ३४० १ ० १०४५) इच । ले० काल सं० १८१० कार्तिक प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । पत्र सं० २७३ । या० ११३५३ इञ्च । ले० काल । पूर्णं । वेष्टन सं० ६५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पञ्चायती मन्दिर करौली । २८८१, प्रति सं० ७ । २०८२ प्रतिसं० ८ । पत्रसं० ७-४८३ । आ० ११X५ इव । ०काल सं० १५६२ । अपूर्ण वेष्टनसं० १७८ । प्राप्ति स्थान दिए जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । --- विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है- संवत् १५९२ वर्षे कार्तिक सुदी बुधे सह गोरिलि ग्रामपं नसा सुत देथा भ्रातृ भीकम लिखितं । :. २८८३. पापुराण- -व्र० जिनदास । पत्रसं० ४४३ | ०१२३ x ६३ । भाषासंस्कृत | विषय -- पुराण । २० काल x । ले०काल X। पूर्ण । बेष्टन सं० ११६६ | प्राप्तिस्थानभ० दि० जैन मंदिर, अजमेर । २८८४ प्रतिसं० २ पत्र सं ५३५ । प्रा० ११४५३ इञ्च । ले० काल सं० १९७१ नवार सुदी १२ । पूर्ण । न० १०६१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिरं पंचायती दूनी (टोंक) २०६४ प्रतिसं० ३। पत्र सं० २८८ ॥ श्र० १२x६ इंच से० काल सं० x पूर्ण प्राप्ति स्थान- वि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा) विशेष – संस्कृत में संकेतार्थं दिये हैं। सं० १७३६ में भट्टारक श्री महरचन्द्र जी को यह ग्रन्थ भेंट किया गया था । Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५० ] २८८६. पद्मपुराण - भ० धर्मकीर्ति पत्र [सं० ३२२ । संस्कृत विषय पुराण १२० काल X ०काल सं० २०१५ पूर्ण दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । प्रशस्ति-संवत् १७१५ बजे दमा शुक्लपक्षे पंचम्पा तिथी गुरुवासरे श्री सिरोज नगरे श्री चन्द्रप्रभ चरणात श्री 1 .... २८८७. पद्मपुराण-म० सोमसेन विशेष पुरा २० काल से० काल । पूर्ण मन्दिर, धजमेर 1 [ ग्रन्थ सूची- पन्चम भाग ० ११३४५ इव भाषावेष्टन सं०२७० प्राप्ति स्थान की थी। 1 २६८८ प्रति सं० २ । पत्रसं० २७६ | ले० काल X 1 पूर्णं । वेष्टन सं० २२८ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । ↓ सं० २०२० १०३४५ इन भाषा–संस्कृ वेष्टन सं० १५३२ प्राप्ति स्थान- म० दि० जैन विशेष :- जयपुर में प्रतिलिपि की गई थी । २८६६. प्रतिसं० ३ पत्र सं० २०९ ५ । पूर्ण । वे० सं० १७०१ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर, राजमहल । - ० १०६ ० का ० १८६८ माघ सुदी विशेष- राजमहल नगर में पं० जयचंद जी ने लिखवाया तथा बिहारीलाल शर्मा ने प्रतिलिपि २८०. पद्मपुराण भाषा - दौलतराम कासलीवाल पत्र सं० भाषा - हिन्दी पद्य विषय पुराण २० का ० १०२३ माघ सुदी १ सं० १४४२ प्राप्ति स्थान- भ० वि० जंग मन्दिर अजमेर । । १६६ | श्र० १३४८ इश्व | ले०काल X पूर्ण वेष्टन । | २८६१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ६४५ | प्रा० १२५३ इश्व । ले० काल सं० १८६० ज्येष्ठ ख़ुदी ६ । पूणं । वेष्टन सं०१७६ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । २८६२. प्रति सं० ३ पत्रसं० ६४३ ले ०काल सं० १९३१ । प्राप्ति स्थान भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । पूर्ण । चेष्टन सं० ॥ २६३ ॥ । २८६३. प्रति सं० ४ पत्रसं० १ २७१ या० ११४७३ ०काल X। मपूर्ण वेटन सं० ५५ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) । विशेष - २७५ से आने पत्र में नहीं है । २८१४. प्रतिसं० ५ पत्र० ७२७ । पा० १३४८ १४ सुदी ११ पूर्ण वेष्टनसं० १ प्राप्ति स्थान दि०जैनस मन्दिर धावां (उशियारा) विशेष-पं० रामदयाल ने चंदेरी में प्रतिलिपि की थी। ले०का सं० १९५५ कार्तिक २८६५. प्रतिसं० ६ ० २६० २३९३ ले० काल० १८४६ सुदी ११ पूर्ण बेटन सं०] १२५ x प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर बडा बीपंथी दौसा। २८६६. प्रतिसं० ७ । बा० १४४७१ इन्च ले० काल सं० । इव | ले० काल सं० १८७८ पूर्ण वेष्टन सं० ८७-७४ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर तेरहांथी दौसा । विशेष चिमनराम तेरहपंथी ने प्रतिलिपि की थी। Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण- साहित्य ] [ २८१ २८६७. प्रति सं० ६ । पत्रसं० २२४ - ५२१ श्र० १३७ इश्व । ले० काल सं ० X भष्टनसं० ८१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर भादवा (राज०) २८६८. प्रति सं० १० | पत्र सं० ६०७ | आ० ११४७ इन्च | ले० सं० १६१५ । पूर्ण । वे० काल सं० २८ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष शेष्टों में है । २८६६. प्रति सं० ११ | सुदी १० । पूर्ण वेष्टन सं० ७५ सं० ६३८ | ना० १२४६३ इव । ले० काल सं० १६२६ ज्येष्ठ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष दो षनों में है । — २६०० प्रतिसं० १२ | पत्रसं० ९२८ ॥ श्र० ११ ४६ इश्च । ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ | प्राप्ति स्थान दि० जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर | २९०१. प्रतिसं० १३ । पत्रसं० २४० । ० ११४५ इञ्च ले काल X ! प्रपूर्ण । वेष्टन सं ० प्राप्ति स्थान - दि० जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । २६०२. प्रति सं० १४ । पत्र सं० ५३३ | आ० १२३ X ६३ इव । ले काल X। पूर्वं । वेष्टन सं० १७६ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन खंडेलवाल मंदिर उदयपुर । २६०३. प्रति सं० पूर्णं । न सं० २०९/८२ १५ । पत्र सं० ७४७ 1 आ० १०४७३ इश्व 1 ले० काल सं० १८५३ ॥ प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । २६०४. प्रति सं० १६ । प० ५२८ । प्रा० १०३ X ७ इञ्च वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ले० काल सं० १८५१ । पूर्ण । २०५. प्रतिसं०] १७ । पत्रसं० ४५६ | या० १०३०३ इंच । ले० काल सं० १८५४ पूर्ण वेष्टन सं० ७१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन बाल मंदिर उदयपुर । विशेष— प्रशस्ति निम्न प्रकार है- सं० १८५४ पौष सुदी १३ महाराजाधिराज श्री सवाई प्रतापसिंहजी राज्ये सवाई जयनगरमध्ये लिखापितं साह श्री मानजीदासजी बाकलीवाल तत् पुत्र कंबर मनसाराम जी चिमनरामजी सेवारामजी नोनधराम जी मनोरथरामजी परमार्थ शुभं भूयात् । लिखित सवाईराम गोधा सत्राईजयनगरमध्ये अ'बाबतो बाजार मध्ये पाटोदी देहरे याद चैत्यालये जतीजी श्री कृष्णसागरजी के जायगा लिखी । २६०६. प्रतिसं० १८ पत्र संख्या ४७ । ० १०५६ ६ च । ले०काल सं० १८२३ । पू । वेष्टन सं० ७४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर । २६०७. प्रति सं० १६ | पत्र सं० ५६६ । श्र० १२ x इव । ले० काल सं० १९४३ । पूर्ण । न सं० १३६ । प्राप्तिस्थान- दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) विशेष-ऋषि हेमराज नागौरी गच्छवाले ने प्रतिलिपि की थी । I २६०८ प्रतिसं० २० । पत्र सं० १५२ ॥ श्र० ११४५ इञ्च । ले० काल सं० X अपूर्ण वेष्टन सं०] ४१।२२ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर पंचायती दूनी (टोंक) Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८२ ] [ ग्रन्थ सूचो-पंचम भाग २६०६. प्रति सं० २१ पत्र सं० ४४६ । प्रा० १४४६३ इन' । ले० काल सं० १६५६ कार्तिक सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि० अन अग्रवाल मंदिर, मैसावा २६१०. प्रतिसं० २२ । त्रसं० ६०८ । प्रा० १३४७ इञ्च । ले• काल X । पूर्ण वेष्टन सं०१३५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर श्री महावीर दी। २६११. प्रतिसं० २३। पत्रसं०५०५ मा० १३४८ इच। ले. काल सं० १९५६ । पूर्ण । बेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर थी महावीर दी। २६१२. प्रति सं० २४ (क) पत्र संख्या ३२४ रो ५१६ । प्रा० १३४७४ । ले० काल सं० १८६२ । अपूर्ण । बेन सं० २४८ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बदी । विशेष ---शेष पत्र अभिनन्दन जी के मंदिर में है । सवाईमाधोपुर में प्रतिलिपि हुई थी। २६१३, प्रति सं०२४१ पत्र सं०२-३२३ । आ०१३४७ इञ्ज । अपूर्ण । ले० काल X । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष-.-पत्र १ तथा ३२४ से अन्तिम पत्र तक पाश्र्वनाथ दि० जैन मंदिर में हैं। २६१४. प्रति सं. २५। पत्रसं० ८२८ । ग्रा० ११. x ५ इञ्च । ले. काल सं० १९८७ थाषाढ बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्तिस्थान-दि जैन मंदिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक)। २४१५. प्रति सं०२६। पत्र सं० ६१३ । प्रा० १२१४६..इञ्च । लेकाल० सं०४चत्र दी १० । पूर्ण । वन सं० १०१–१ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष-शांतिनाथ चैत्यालय में लिखा गया था। २६१६. प्रतिसं० २७ । पत्र सं० ६०६ । मा० १३४ इञ्च । ले० काल सं० १८३३ 1 पुर्ण । वेष्ठन सं०१६५/७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पारवनाथ मंदिर, इन्दरगढ़ (कोटा)) २६१७. प्रति सं० २८ । पत्रसं०७२ । प्रा० १२४७ इञ्च । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०३४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पावनाथ मंदिर इन्दरगड (कोटा) २६१८. प्रति सं० २६ । पत्रसं०६५३ । ग्रा० ११:४६ इञ्च । काल सं.१९६९ वंशाख सुदी १० । वेष्टन सं०१०१। पूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-गुलाबचंद पाटोदी से सवाई माधोपुर में प्रतिलिपि कराई थी। २६१६. प्रतिसं ३० । पत्र सं०५०८ । ग्रा० १५ x ७ इञ्च । लेकाल x 1 पूरी । वेष्टनसं०११० । प्राप्ति स्थान—दि. जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । २६२०. प्रति सं०३१ । पत्र सं० ४५० | प्रा. १५ x ५ इञ्च । ले० काल X । पूरणे । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । २६२१. प्रति स० ३२ । पत्रसं० ५८२ । ले० काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मंदिर । २६२२. प्रति सं०३३ । पत्र सं० ६७१ । खे० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १२० । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २८३ २६२३. प्रति सं० ३४ । पत्र सं० ५५१ । लेखन कान X । अपू। वेष्टन सं० १/६० प्राप्ति स्थान--दि० जन खगडेलवाल पञ्चायती मदिर अलवर । २९२४. प्रति सं० ३५। पत्र सं०५५१ । प्रा० ११ x 5 इञ्च । ले० काल x । पुर्ण । वेष्टन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन खण्डेलवाल मंदिर अलबर।। २९२५. प्रतिसं० ३६ । पत्र सं० ५१४ । ग्रा० १३१४८ इञ्च । ले० काल सं० १६५६ फागुन बुद। १२ । पुर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर । विशेष -- अलवर में लिखा गया था। २६२६. प्रतिसं० ३६ (क)। पत्र सं. ८४६ । श्रा० १०४७ इञ्च । ले० काल सं० १८७२ कातिक रादी २ । पूर्ग । बेष्टन सं ३५ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । २६२७. प्रति सं० ३७ । पत्रसं० ५३६ । ले०काल सं० १९६३ माघ शुक्ला ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवान जी, भरतपुर । विशेष प्रति जीणं है। २६२८, प्रतिसं०३८ । पत्र सं० २०१ । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान-उपरोक मन्दिर । विशेष प्रागे के पत्र नहीं हैं तथा जीर्ण है । २६२६. प्रति सं० ३६ । पर सं० ३०१ से ४८१ । से० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ३६३०. प्रति सं०४० । पत्र सं० ५९५। ले० काल सं० १८६३ । पूणे । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । २६३१. प्रति सं० ४१ । पत्र सं० २४३ । ले. काल ४ । अपूर्ण । बेष्टन सं० १८२ । प्राप्ति स्थान उपरोक मंदिर । २६३२. प्रति सं० ४२ । पत्र सं० ४४१ 1 ले० काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० १८३ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मंदिर। २९३३. प्रति सं०४३। पर सं० २११-१४४ । प्रा० १४१४६ । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर बयाना । २६३४. प्रति सं० ४४। पत्र म० ४७६ । श्रा१३ इन्च । ले. काल सं० १९२६ माघ सुदी २ । पुर्ण । वन सं० १९८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन छोटा मन्दिर, बयाना । २६३५. प्रति सं० ४५। पथ मं०५८१ । ग्रा० १४४६ इञ्च । मे० काल सं० १८८२ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर बयाना । विशेष-जी सुशाल ने वयादा में प्रथ की प्रतिलिपि की थी। २६३६. प्रति सं० ४५(क) । पत्र सं० ५१६ । प्रा० १४४६ इञ्च । ले. काल सं० १८४६ मंगसिर बृधी १० । पूर्ण । वेस्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बैर । विशेष-वर में प्रतिलिपि हुई थी. । Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८४ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग २६३७. प्रति सं० ४६ । पत्र सं० ७६७ । प्रा. १३ x ७ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पचायती मन्दिर कामा । २६३८. प्रति सं० ४७ । पत्रसं० ४३८ । प्रा. १५ x ८ इच। ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०-३५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २६३६. प्रति सं० ४८ । पत्रसं० ७२७ । ले० काल सं० १८२६ । पूर्ण । वेष्टन सं०५६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर हाडाबालों का डीग । २६४०. प्रति सं० ४६ । पत्रसं० ३०१ । ले० काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ६४। प्राप्ति स्थान--उपरोक्त मन्दिर । विशेष प्रति जीणं है। २६४१. प्रति सं० ५०। पर सं० ३६४ । ले. काल x | अपुर्ण । वेष्टन सं०७२। प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर हण्डाबालों का डीग । २६४२. प्रति सं०५१। पत्र सं० ४-१०५ । प्रा० १४४५३ इस । लेकाल--X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । २६४३. प्रति सं० ५२ । पत्रसं० ३२२ से ७०६ । पा० १३ x ५३ इञ्च । ले० काल ४ | अपूर्ण । वेष्टन सं०११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर कटौली । २६४४. प्रति सं०५३। पत्रसं० ३२१ । प्रा. १३४५ इञ्च । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०६५। प्राप्ति स्थान -दि० जैन पंचायती मंदिर करोली । २९४५. प्रति सं० ५४ । पत्र सं० ७४४ । पा० १२४७१ च । ले. काल-सं० १९५८ ज्येष्ठ सुदी ४ । पूर्ण । वे० सं० १५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन प'चायती मन्दिर करौली। विशेष:-अजमेर वालों के चौबारे जयपुर में लिखा गया या । २६४६. प्रतिसं० ५५1 पत्र सं० ५२८ । आ० १०६x६ इन्च । ले० काल सं० १९५५ प्राषाढ़ सुदी ११ । पूर्ण । व० सं०२१३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन सौगाणी मन्दिर करीली । विशेष- - छीतरमल सोगाणी ने प्रतिलिपि की थी। २६४७. प्रति सं० ५६ । पत्र सं० ६३६ । ले०काल सं० १८३५ । पूर्ण । वेष्टन सं०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा। २६४८. प्रति सं० ५७ । पत्रसं० ५२३ । प्रा. १४१४७ इञ्च । लेकाल सं० १८८२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५४१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष—प्रथम पत्र नहीं है। २६४६. पापुराए-खशालचन्द काला । पत्रसं० २६१ । आर १२ x ६३ हश्च । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-पूराण । र० काल सं० १७८३ पौष सुदी १० । लेकाल सं० १४। पूर्ण । वेष्टन सं० ७४२ 1 प्राप्ति स्थान-म. दि० जन मन्दिर अजमेर । २६५०. प्रति सं०२। पत्र सं० १४० । आ० १२४६ इञ्च । लेकाल सं० १९४१ । सं०५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोटयों का नणवा । Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २८५ विशेष - अर्थ राम ब्राह्मण ने मंगवा में प्रतिलिपि की थी। २६५१. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० २७२ । प्रा० १३ x x ६ इञ्च । ले. काल सं० १६०४ । मपूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर नैखदा । २६५२. प्रतिसं०४ । पत्र सं० २१६ । श्रा० १२४७१ इञ्च । लेकस सं०१८५१ थावरण बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०१ । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । विशेष–श्रीमन् श्री विजयगर श्रीपुनि श्री १०८ श्री विद्यासागर मूरि जी तत् शिस्य ऋषिजी श्री चतुर्भुज जी त सि० ऋषिजी श्री सावल जी तत्पी ऋषिजी श्री ५ रूपचंद जी त० शिष्य रिखव, बखतराम लखलं नानता ग्राम मध्ये राज्य श्री ५ जालिमसिंह राज्ये । कंवर जी श्री नातालाल माधोसिंह जी श्रीरस्तु । २६५३. प्रतिसं०५। पत्र सं० २५५ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०१८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का टीग । विशेष-प्रति जीर्ण है। २६५४. प्रति सं०६। पत्रसं० २३८ । पा० १२४६ च । ले. काल X । अपूर्ण 1 वेष्टन सं० ८८ | प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर श्रीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष--२२६ से २३% तक के पत्र सम्बे हैं। २६५५. प्रति सं०७ । पय सं० ४२१ । आ० ११ x ५६ इञ्च । ले० कारख सं० १९७६ सावन सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन स. १८७ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर । २६५६, प्रति सं०८। पत्र सं० १८५ । आ० १११४७५ इञ्च । ले०काल सं० १८७७ । पूर्ण । बेष्टन सं.८३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर तेरहपथी दासा । विशेष---तेरापंथी चिमनलाल ने प्रतिलिपि की थी। २६५७. प्रति सं० है। पत्र सं० ३२४ । आ० १२६ - ७६ इन्च । ले. काल सं० १७८८ आषाढ सुदी १। पूर्ण । वे० सं० १०० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर तेरहपंथी दौसा। विशेष-दौसा में प्रतिलिपि हुई थी। २६५८. प्रति सं० १० । पत्र सं० २६४ । श्रा० १३ x ६ इश्च । ले. काल सं० १७९२ सावरण सुदी । पूर्ण । वेष्टन सं०८० प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष—हिरराम ने प्रथ की प्रतिलिपि करवायी थी। २६५९. प्रति सं०११। पत्र सं० २६२ । सा. १२३ ४ ६ इञ्च । ले०काल सं० १८२४ बैशाख बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष-माधोसिंह के शासन काल में नाथूराम पोल्याका ने प्रतिलिपि की थी। २६६०. प्रति सं०१२ । पत्र सं० ३४८ : ले०काल सं० १८००। पूर्ण । वेष्टन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान- दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २६६१. पाण्डवपुराण-श्री भूषण (शिष्य विद्याभूषण सरि) । पत्र संख्या ३०८ । मा० १० x ५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--पुराण । २० काल मं० १५.७७ १ ले काल X । पूर्ण । वेदन सं० २५ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मन्दिर अजमेर । Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २६६२. प्रति सं०२। पत्र सं० २५२ । प्रा० १२५६ इच । ले० काल सं०.१८५४ चैत्र बुद्धी ९ । पुणे । श्रेन सं०६७। प्राप्ति स्थान-दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। २६६३. प्रतिसं०.३१ पत्र सं० २९ 1 ले०काल सं० १६१८ मगसिर सुदी । वेटन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष--ब्रह्म शामलाल के पठना प्रतिलिपि की गयी थी। २६६४. प्रति स०४। पत्र सं० ११५ । प्रा० १२४५ इञ्ज । लेकाल X । अपूर्ण । बैंक सं०१। प्राप्ति स्थान-दि. जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-वीच २ के.पच नहीं है। प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तिर्या एवं प्रत्येक पंक्ति में ४५ अक्षर है। 3 थ के अतिरिक्त भट्टारक सकलकाति स विरचित ववभनाय चरित्र एवं गुणभद्राचार्य कृत उत्तर पुराग के अटित पत्र भी हैं । २६६५. प्रति सं० ५। पपसं० २२६ । प्रा० १२४४ इञ्च 1 ले०काल सं० १७३२ मंगसिर खुदी ७ । पुर्ण । बेष्ट सं० १२३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना दी । विशेष-मनोहर ने नेशवा धाम में प्रतिलिपि की थी। २६६६. पाण्डवपुराग--भाशुभचन्द्र । पत्र स० ४१५ । प्रा० ११X४१ इश्व | भाषामंस्कृत । विषय--पुराण । १० काल सं० १६०८ । ले०काल सं० १७०४ चैत्र सुदी है। पूर्ण । वैधन सं. ६४ । प्राप्ति स्थान--भदि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष - खण्टेलवालगोत्रीय श्री खेतसी द्वारा गोवर्धनदास विजय राज्य में प्रतिलिपि की गयी थी। २६६७. प्रति सं० २। पत्रसं० २०४ । आ० १११x६३४ । लेकाल सं० १.६६ भादबा सूदी है। पूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पाश्र्वनाथ चौगान बूदी। विशेष : माधवपुर नगर के कटाक्षपूर में श्री महाराज जगतसिंह के शासन में भ० श्रीक्षेमेन्द्रकीति के पिप्य थी गरेन्द्र कीत्ति तत्प सुखेन्द्रकीति नदाम्नाये साह मलूकचन्द लुहाड़िया के वश में किशनदास के पुत्र विजयराम शभुसम मेगराज । शम्भुराम के पुत्र द्वौ-जोनदराम पन्नालाल | नौनदराम ने प्रतिलिपि करवाई थी। यह प्रति बूदी के छोगालाल जी के मन्दिर की है। २६६८. प्रतिसं०३। पत्र स. २२ । अ० १२४६६ । ले०काल सं० १६७७ माघ शुक्ला २ । पूर्ण । वेस्टन सं० ३११ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बून्दी। प्रशस्ति संवत् १६७७ वर्षे माघ मास शुक्लपक्षे द्वितीया तिर्धा अम्बात्रती वास्तध्ये श्री महाराजा भावशिष राज्य प्रवर्तमाने श्री मुलस....श्री देवीतिदेया तदाम्नाये खण्डेलवालाम्बये भौंसा गोत्र सा० हुदा भार्या लुदलद .| प्रशस्ति पूर्ण नहीं है । २६६६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २४८ । आ० १५ X ५६श्च । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं०. १६ । प्राप्ति स्थान - दि जैन मन्दिर नागदी, दी। २६७०. प्रति सं०। पत्र सं० ३०१ । आ० १०३४४५ ह । लेकाल सं० १६३६ । अपूर्ण । । बेष्टन सं०६३ ।' प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर नागदी बूदी । Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २८७ विशेष - वृन्दावती नगर में पं० सेवाराम ने लिखा । १-१५ तक के पत्र दूसरी प्रति के हैं । ९६ से १८४ तक पत्र नहीं हैं । २७१. प्रतिसं० ६ । पत्रसं० १३६ । प्रा० १०३ x ६ इव । ले० काल सं० १८३४ प्राषाढ़ सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं ० ६६-२७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष – चम्पावती नीवृदान् लिए था। सना के २६७२ प्रतिसं० ७ । पत्रसं० १५६ । प्रा० १२५ इंच । ले० काल x 1 पुस । बेष्टन सं ३१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । २६७३. प्रतिसं० ८ । पत्रसं० २४७ । ले० काल सं० १६२७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८ / २० । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति जीर्ण है । प्रशस्ति संवत् १६९७ वर्षे श्री शालिवाहन शके १५६२ प्रवर्तमाने मार्गशिर सीनात् ५ रविवासरे श्रीमालदेशे श्रीदयपुरनगरे श्रीशांतिनाथ चैत्यालये श्री मूलसंथे सरस्वतीग बलात्कारगी प्राचार्य श्री कुन्दक्रुन्दान्वये भट्टारकश्रीपद्मनंददेव तत्पट्ट भ० सकलकीसिदेवा त० भ० श्रीदेव आचार्य श्री ज्ञानकीर्त्तिदेवा तत्पट्टे भ० गुणकीसिदेवा तत्पट्टे भ० श्री जनमन्द्रदेवा तत्पट्टे भ. श्रीसकलचन्द्रदेवा त. भ. श्री रत्नचन्द्रदेवा त. भ. श्री हर्षचन्द्रदेवा तस्य ग्राम्नाये श्रीकपूरात् शिष्य श्रीसूरजी वत्रेरवाल ज्ञातीय पटोडगो सेनमरिण साह श्री राम्रो तद्भार्या गोजाई पुत्र सहु टोला गोत्रे साह श्री बाउ तद्भार्या गंगाई तयो पुत्र साह श्री पल्हा भार्या गोरा साह श्री श्राया हरतोरा गोत्रे साह श्री गांगु तार्या चंगाई तयो पुत्र साह श्री.......... एतेषां मध्ये ......इदं शास्त्र श्री सुरजीनी लिखाप्य दत्तं । पुनः संवत् १७१२ को प्रशस्ति दी है। संभवतः दुबारा यही ग्रंथ फिर किसी के द्वारा मंडलाचार्य सुमतिकीत्ति को भेंट किया गया था । २६७४ प्रतिसं० ६ । पत्र सं० ३५० प्रा० १०६ ४ ४] इव । ले० काल X। वेष्टन सं० १६१ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर | २६७५. पांडवपुराण - यशः कोति । पत्रसं० २० - ११०, २०५ - २४९ । श्रा० १२८५३७ । भाषा – अपभ्रंश | विषय - पुराण २० काल x । ले० काल x पूष्ट सं० २६ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । विशेष प्रति प्राचीन एवं जीर्ण है । २६७६. पाण्डवपुराण - ० जिनदास । पत्र सं० ५३१ । ग्रा० संस्कृत | विषय - पुराण । २० काल X | ले० काल सं० १५२६ मंगसिर सुदी ५ प्राप्ति स्थान—भ० दि० जैन मंदिर अजमेर | विशेष – प्रशस्ति महत्वपूर्ण है । २६७७. पाण्डवपुराण- देवप्रभसूरि । पत्र सं० ४९ से २६६ । भाषा - संस्कृत विषय - पुराण | र० काल X | ले०कान X | अपूर्ण स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । १३६ इव । भाषा - वेष्टन सं० १६०६ | पूर्ण ०६३४ इ न सं० ११२१ । प्राप्ति Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २६७८. पाण्डव पुराग .-X । पत्रसं० १७६ । प्रा. ११४४१ इन्च । भाषा--संस्कृत । बिषय--पुरण । २० काल x ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १३४१ । प्राप्ति स्थान-भदि० जैन मंदिर अजमेर। २६७६. पाण्डव पुराण..... X । पत्रसं० १०१ । प्रा० ११४८ इच । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-गुराप । र० काल X । लेकाल x | अपूर्ण । बेष्टन सं० ६३१ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । २६८०, पाण्डवपुराए- बुलाकीदास । पत्रस० १६२ । अ० १२४६ इंच । भाषाहिन्दी । विषय- पुराण 1 र. काल सं० १७५४ प्राषाढ़ सूदी २। ले०काल सं० १९४४ । पूर्ण । वेष्टन सं. १५-७७ । प्राप्ति स्थान-- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । २६८१. प्रति सं० २। पत्र न. २०४ । प्रा० १०१४४३ इच : ले०काल सं० १७६ । पूर्ण । वेधत सं० २१ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । २६८२. प्रति सं०३। पत्र सं० २१६ । प्रा० १३४७ इन्च । लेकाल सं० १९२५ । पूर्ण । वेष्टन सं०८३-१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) विशेष-सदासुख वैद्य ने दूनी में प्रतिलिपि की थी । २६८३. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० २४५ । प्रा० १० x ५३ इच। ले. काल सं० १९१७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी। २६८४. प्रति सं० ५। पत्र सं १८२ । आ. ११४७१ इंच । लेकाल सं० १९४६ चैत बुदी ८ 1 पूर्ण । वेपन सं २४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पापर्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष हीरालाल ने प्रतिलिपि की थी। २९८५. प्रति सं०६। पत्र सं० २२१ । प्रा० १२४५१ हश्व । ले. फाल सं० १८४१ । पूर्ण । वेष्टन सं ५४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर नेमावा २६८६. प्रति सं० ७१ पत्र सं० २६८ । आ. ११४५३ च । लेकाल १८४१ । प्राषाढ बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोट्यो का नगवा । विशेष - अक्षराम ने नगवा में प्रतिलिपि की थी। २६७. प्रतिसं०.८ । पत्र सं० ३७७ । आ० १५४७च । ले० काल सं० १८६६ भादवा सुदी। १० पूर्ण । बंटन सं२३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर । पूर्ण । २६८८. प्रति सं०६। पत्र सं० २३८ । ले. काल सं० १७८३ पासोष बदी बेष्टन सं०७६२ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मदिर भरतपुर । २६८९. प्रति सं० १०१ पत्र सं० १४७ । प्रा० १२३ ४ ५६ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४७ । प्राप्ति स्थान- दिन छोटा मन्दिर बयाना। . Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २८९ २६६०. प्रति सं० ११ । पत्रसं० १८६ । प्रा० १४ ४७३ञ्च । लेकाल १६६३ वैशाख सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२१ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर दीवानजी (कामा) २६६१. प्रति सं० १२ पत्रसं० २-१५ । मा० १२४६ इञ्च + ले०काल X1 अपूर्ण । वेष्टन सं० २१:१। प्राप्ति स्थान .. दि. जैन मन्दिर दीवान चेतनदास, पुरानीडीग २६६२. प्रतिसं०१३ । पत्र सं० १६१ । प्रा० । ११५५: इञ्च । ले काल सं०४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्रारित स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर करौली । विशेष - अतिप्प यो पत्र आधे फटे हुये है । २६६३. प्रलि सं० १४ । पत्रसं० २६० । प्रा० १२४६३ इञ्च । काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ४२ । प्राप्ति स्थान - दि० जत सौगारणी मन्दिर करौली । २६६४.प्रतिसं० १५ । पत्र सं० २३२ । प्रा. १३४६ इञ्च । ले. कान सं० १८६६ पासोज बुदी है। पूर्ण । वेष्टन सं० १२३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । विशेष—पन्नालाल माद ने प्रतिलिपि की थी। २६६५. प्रति सं० १६ । पत्र सं० १६५ । प्रा०१११४५१ इन्च । ले. काल सं० १८११ शाके १६७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२ प्रापि स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा। २६६६. प्रतिसं० १७ । पत्रसं० २४२ । प्रा. १२४५३ च । ले. काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० ३।५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा (राज) विशेष -अन्तिम दो पत्र नहीं है। २६६७. प्रति सं. १८ पत्रसं० २४३ । प्रा० १११४५३ इञ्च । ले०काल सं० १९२३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । २६६८. प्रतिसं० १९ । पत्र सं० २३५ । प्रा० १३३४७ इंच । ले. काल सं० १९५३ आषाढ खुदी । १४ । पूर्ण देष्टन सं० ४२ । प्राप्ति स्थान .. दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) २६६६. प्रति सं० २० । पत्रसं० ३२८ । प्रा० १२१४६ इंच । ले. काल सं० १९११ बैशाख सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६० प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मदिर। विशेष-- रामदयाल श्रावक फतेहपुर वासी ने मिर्जापुर नगर में प्रोहित भूरामल ब्राह्मण से प्रतिलिति कराई थी। ३००१. प्रतिसं० २१ । पत्र सं० १६० । प्रा० १४४६९ इन् । लेकाल सं० १९६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२४ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ३००२. अतिसं० २२ । पत्रसं० ११८ । प्रा० १२४७ इन्च । ले०काल सं० १९६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खंडेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर। ३००३. प्रतिसं०३३ । पत्र सं० १७६ । लेकाल सं० १९५६ पासोज । पूर्ण । वेष्टन मं० १७६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९० ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ३००४. पाण्डव पुराण वचनिका- पद्मालाल चौधरी पसं० २४६ ० १३४०३ इञ्च भाषा - हिन्दी (गद्य) | विषय - पुराण । २० काल सं० १६३३ । से० काल सं० १९६५ वैशाख बुदी २ पूवेन सं० १२१२ प्राप्ति स्थानमारकीय दि० जैन मन्दिर पजमेर। भाषा ३००५. पार्श्व पुराख-अकीति । पत्र मं० १२८ ॥ सा० १०५ इ४ । संस्कृत विषय - पुराण १ १० काल सं० १६५४ । ले०काल सं० १६८१ फागुण बुदी है। पूर्ण वेष्टन सं ४५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) | विशेष साचार्य चन्द्रकोति श्रीभूषण के शिष्य थे। पुराण में कुल १५ सगं हैं। पत्र १ से ५१ तक दूसरी लिपि है। ३००६. पार्श्वपुराण- पद्मकीति पत्र सं० १०० मा० १०४४ इञ्च विषय-पुराण २० का सं० १९२ ले० काल सं० १५७४ काली वृद्धी ३ पूर्ण प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष चित्रकूट राणाश्रीसंग्राम राज्ये भ० प्रभाषन्द्रदेवा सहेसवालान्वये भौसा गोणे साह महक भार्या महार्थी पुत्र साह मेघा भार्या मेघसी द्वितीय भा. सा. जीरा भार्या जोथी तृतीय भा. सा सूरज पूर्वादे एतेषां मध्ये साह मेघा पुष हीरा ईसर महेसर करमसी एवं पार्श्वनाथचरित्रं मुनिश्री नरेन्द्रकीति योग्य घटापि ।। .... विषय - चरित्र । १० काल X। ले० काल स्थान दि० जैन मंदिर बोरी कोटा । **** भाषा-अपश वेष्टन सं० १७७ भाषा-प्रपत्र श श्र० ११३ x ५ इन् ३००७. पार्श्वपुराण - रद्दधू । प० ८१ । सं० १७४३ मात्र बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०७ । प्राप्ति विशेष- १७४२ वर्षे माघ कृष्ण चन्द्रवारे लिखित महानन्द पुष्कर मत्मज पान निवासी । ३००८. पार्श्वपुराण - वादिचन्द्र । पत्र सं० १३२ । ० ११४४३ एव । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण १० का X वे० काल सं० १८१० मा सुदी १ पूर्ण व्म सं० २६० प्रापि स्थान- दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । विशेष- नरेन्द्रकीति के शिष्य पं० वूलचन्द ने इस मंच की प्रतिलिपि की थी। ३००६. प्रति सं० २ । पत्रसं० ७३ 1 श्र० १०४५ इंच । ले० काल सं० १८५० । पू । वेष्टन सं० २३४-६३ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर विशेष-सौतनपुर में पन्द्र ने ग्रंथ का जीर्णोद्वार किया था। ३०१०. पुराणसार ( उत्तरपुराण ) - भ० सकलकीति । पत्र सं० १६२ | श्र० १०४ ले० काल सं० १०६० मादबा बुदी १५ । पूर्ण । मन्दिर सजमेर । इश्व | भाषा-संस्कृत विषय - पुराण । २० काल x । वेष्टन सं० १५५६ प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन ३०११- प्रति सं० २ । पत्र सं० ३४ । आ० सुदी १२ पूर्णं । वेष्टन सं० १४५९ । प्राप्तिस्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । १२४५ इव । ले० काल सं० १८२९ श्रासोज विशेष-मंडलाचार्य भट्टारक विजयकोत की आम्नाय में सामरिनगर (सांभर ) में महाराजा पृथ्वीसिंह के राज्य में श्री हरिनारायणजी ने शास्त्र लिखवाकर पंडित माणकचन्द को भट किया था + Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २९१ ३०१२. अतिसं० ३। पत्र सं० २३६ 1 आ० १०४५ इश्च । ले० काल सं० १७७० पौष बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पार्वनाथ चौगान बूदी । ३०१३. पुरागसार-सागरसेन । पत्र सं २ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृति । विषय-पुराण । काल x | ले०काल सं० १६५७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०७३ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जन मन्दिर प्रजमेर । विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है सवत १६५७ वर्षे भाववा बुदी ६ वार शुक्रवार आजमेर गढ़ मध्ये श्रीमप्रकवरसाहिमहासुरत्राण राप्ये लिखितं च जोसी सूरदास राहि घाणा तत्पुत्र साह सिरमल । ३०१४. भागवत महापुराण--... X । पत्रसं० १३३ । प्रा० १२४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । २० काल X । ले। काल सं० १८१२ । पूर्ण । वेष्टन सं०७२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष . ३१ वें अध्याय तक पूर्ण है। ३०१५. भागवत महापुराण-X । पत्रसं० २०५। श्रा० १०३४४३ च । भाषासंस्कृत । विषय-पुराण । र० काम । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं०५३ । प्राप्ति स्यान-दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बुदी । विशेष - दशमरकंध पूर्वाद्ध तक है । ३०१६. भागवत महापुरारप-४ । पत्रसं० २-१४६ । प्रा० Ex५ इन्च । भाषाहिन्दी गद्य | विषय-पुराण । १० काल सं० १७०० श्रावण युदी १० । लेकाल x ! अपूर्ण । वेष्टन संग १० । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर, आदिनाय बू दी। ३०१७. भागवत महापुराण भावार्य दीपिका (एकादश स्कंघ)-श्रीधर । पत्रसंक १२६ । प्रा० १३ x ५ इच । भाषा-- संस्कृत । विषय--पुराण । र० काल x | ले. काल स० १८०१ । पूर्ण । बेष्टन सं० १०३ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर नागदी वूदी । ३०१८. प्रति सं०२। पत्रसं० ३५ । मा० १५४६ इन्च । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. ११७ । प्राप्ति स्थान-उपरोन मन्दिर । ३०१६. भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (तृतीय स्कंध)-श्रीधर । पत्रसं० १३२ । पा. १२४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय.. पुराण । २० का x 1 ले० काल x 1 पूर्ण | बेन सं. १०२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूदी । ३०२०, प्रति सं०२। पपसं० ७७ । प्रा० १२x६ च । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन संग ११५। प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर, नागदी दी । ३०२१. भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (द्वादश स्कंध)-...श्रीधर । पत्र सं० ४४ मा० १५४६ च 1 भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । र०काल । काल X । पूर्स । वेष्टन सं० ११४ 1 प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर नागदी, बूदी। Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३०२२. भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (चतुर्थ स्कंध)-श्रीधर । पत्र सं० १७ ॥ पा. १५४७ -ञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-पुराण । र० काल X । लेकमाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३ । शप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नानदी बूदी । ३०२३. भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (द्वितीय स्कंध)- श्रीधर । पत्र सं० ३२ । पा० १५४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--पुराण । २० काल X| लेकाल x । अपूर्ण । वेष्टन सं०११२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी दी। ३०२४. प्रति सं० २। पत्र सं०४३ । ग्रा० १५४६ च । लेकाल x | अपूर्ण । बेष्टन मं० ११६ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर नागदी बूदी । ३०२५. भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (सप्तम स्कंध)-श्रीधर । पत्र सं० ६४ । प्रा० १५ X ७ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषम-पुराण । १० काच X। ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं०११ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर नागदी बदी। ३०२६. भागवत महापुराण मायार्थ दीपिका (षष्टम स्कंध)- श्रीधर । पत्रसं० ६२ । मा०१५ x ६१ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूराण । र०काल x | ले. काल सं० १७७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर नागदी धूदौ । ३०२७. प्रति सं० २। पत्रसं० ६२ । श्रा० १५४७ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १११ । प्राप्ति स्थान-दि० जना मन्दिर नामदी बूदी। ३०२८. भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (अष्टम स्कंध)--श्रीधर । पत्रसं०५८ । पा० १५४६६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । 'र० काल X । ले० काल x । पूर्स । वेष्टन सं०१०। प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर नागदी बूदी। ३०२६. भागवत महा पराण भावार्थ दीपिका (नवम स्कंध)-श्रीधर । पत्र सं० ५१ । प्रा० १५४६६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । २० काल ४ । सेकास सं. १८६१। पूर्ण । वेष्टन सं०१०७१ प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर मागवी दी। ३०३०. भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (पंचम स्कंध)--श्रीधर । पत्र सं० ५३ । पा. १५४६३ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । रकानx।से काल सं० १७४६ । पूर्ण । बेष्टन सं० १०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी बूदी। ३०३१. प्रति सं० २ । पत्र सं० १६-२३ 1 आ० १५ x ६३ च । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ३०३२. भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (प्रथम स्कंध)-श्रीधर । पत्रसं० १० । प्रा. १३४६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । २०काल - । ले. काल सं० १८६६ । पूर्ण । बेष्टनसं० १०४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी दी। ३०३३. भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (वशम स्कंध)-श्रीधर । पत्रसं० ४३७ । मा० १२४५२ इच। भाषा संस्कृत । विषय-पुराग। र० काल सं.४ । लेकास स. १७४५ माय बुदी । पूर्ण । वेष्टनसं० १.१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी दी।" Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २६३ विशेष- इदं पुस्तक लिखितं ब्राह्मण जोशी प्रह्लाद तत्पुत्र चिरंजीव मथुरादास चिरंजीव भाई गंगाराम तेन इदं पुस्तकं लिखित | जंबूद्वीप पटस्थले । श्री केशव चरण सन्निघ्यौं । ३०३४. मल्लिनाथ पुराण - X 1 पत्रसं० २९ । ०१२३xx विषय- पुराण | र० काल x । ले०काल पू । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान - दि० जन भाषा-संस्कृत | । मन्दिर भादवा (राज० ) । ३०३५. मल्लिनाथ पुराण भाषा सेवाराम पाटनी पत्र सं० १०८ । प्रा० १०३४५ इंच | भाषा - हिन्दी | विषय- पुराण २० काल मं० १८५० १ ले०काल सं० १९६४ फागुण सुदी २ । पूर्ण । न सं० २०६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष लेखराज मिश्र ने कोसी में प्रतिलिपि की थी। सेवाराम का भी परिचय दिया है। वे दौसा के रहने वाले थे तथा फिर डीग में रहने लगे थे । ३०३६. महादण्डक X | पत्र सं० ४ विषय X २० का X | से० काल X | पूर्ण मन्दिर अजमेर | विशेष- इति श्री जैसलमेर दुर्गस्थ श्री पार्श्वनाथ स्तुतिश्चके नाम महादंडकेन सं० १६८३ प्रमाणे विजयदशमी दिवसे लिख्यतानि नगरमध्ये मिली ज्येष्ठ प्रतियदिवसे सं० १७८२ का । । प्रा० १०३ X ४ इ । भाषा – संस्कृत | वे० सं० ६०२ प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन -- ३०३७. महादंडक - भ० विजयकीति | पत्रसं० १७५ हिन्दी | विषय -- पुरारण २० काल सं० १८३६ । ले०काल सं० १८४० स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । स्थान चरण चेत साखाचक सहजकीय महादण्डक विदुषाक्षपरामेण सागा विशेष - किशनगढ़ में प्रतिलिपि हुई थी । ३०३८. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १५२ । श्र० ६ x ६ इव । जे० काल x । पूर्णं । वेष्टन सं०८१६ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-थ में ४१ अधिकार हैं तथा यजयगढ़ में प्रतिलिपि हुई थी 1 - श्र० ६३४ इन्च । भाषा - पूणं । वेष्टन सं० १४३८ | प्राप्ति ३०३६. महापुराण - जिनसेनाचार्य - गुणभद्राचार्य । पत्र सं० १-१४५ ॥ श्र० १३४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय-पुराण । २० काल x 1 ले० काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ३२१/२ प्राप्ति स्थान - दि० जैन संभवनाथ मन्दिर, उदयपुर । विशेष प्रति प्राचीन है । ३०४० प्रति सं० २ । प० ६-४१७ । प्रा० ११३ ४ ६ इन्च । ले० काल X 1 अपूर्ण । वेष्टन पं० ६६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी बोमा । विशेष - बीच २ में कई पत्र नहीं हैं। प्रति प्राचीन एवं जीएं है । २०४१. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ३६६ | आ० ११X५ ० १२८ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी ३०४२. प्रतिस ० ४ । पत्र सं० ६४० । ले० दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । । ले०काल १६८० | पूर्ण (टोंक) काल सं० १६६३ । पु । वे० सं ३ | प्राप्ति Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष – रणथंभौर के चल्यालय में प्रतिलिपि हुई थी । ३०४३. प्रति सं०५। पत्र सं० ३६२ । ले० कान सं० १७६५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर भरतपुर । ३०४४. प्रति सं०६। पत्र सं० १ से ४८४ । ले. काल सं•X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ३०४५. प्रति सं० ७ । पत्रसं० ४३५ । आ. १२४५३ इञ्च । ले०काल सं०४। अपूर्ण । वेष्टन सं० २३२ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी काया। विशेष-३७१से ४३४ तक तथा ४३५ से प्रागे के पत्र में नहीं है । । ३०४६. महापुराण-पुष्पदंत । पत्र सं० ३५७ । प्रा० ११४४, इस 1 भाषा-अपभ्रंपा। विषय | पूराण । र०काल । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन. ४३७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जन मन्दिर अजमेर। विशेष-५० भींव लिखितं । ३०४७. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ६४६ । प्रा. १०३४५३ इञ्च । ले०काल X। पूर्व । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्तिस्थान---उपरोक्त मदिर । ३०४८. प्रति सं०३। पत्र सं०३१५ ।मा० ११:४५ इञ्च । ले०काल X अपूर्ण । वेष्टन सं. २६४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा । विशेष—बहुत से पत्र नहीं है। ३०४६. प्रति सं०४ । पत्र सं० ११ । प्रा. ११३४५३ इच। ले०काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा। विशेष-प्रति प्राचीन एवं जीर्ण । पत्र पानी में भीगे हुये है। ३०५०. प्रति सं०५। पत्र सं० २५७ । पा० ११ x ४५ इन्च । ले० काल सं०४ । पुरणं । वेष्टन सं० ८३ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष-प्रतिप्राचीन है । प्रास्ति काफी बड़ी हैं। ३०५१. प्रतिसं०६ पत्र सं० १३८ । से० काल X । यपूर्ण । वेष्टन मं० २६/४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ३०५२. महापुराग चौपई-गंगावास (पर्वतसुत )। पत्रसं० ११ । प्रा० १०१ ४४३ च । भाषा--हिन्दी (गद्य)। विषय-पुराण । र० काल । ले० काल सं० १८२५ कार्तिक बुंदी ५ । परम् । वन सं० ३१३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबसाना बूवी । ३०५३. प्रति सं० २। पत्रसं० १० । ले०काल सं० ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०१ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर। ३०५४. महाभारत--X । पत्र सं० ६१ । आ. ११४४१ इच। भाषा-संस्कृत । विषय पुराण । र काt X । लेकाल- । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर, अभिनन्दन स्वामी, दी।" Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २६५ विशेष--कर्णपर्व द्राश्रिष संवाद तक है । ३०५५. मुनिव्रत पुराण-अ० कृष्णवास । पत्र सं० १८६ । पा०१०४५ इन्ध । भाषासंस्कृत । विधा--पुराण । र० काल X । ले. काल सं० १६८१ ! पूर्ण । वेष्टन सं० ३६५। प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर, दोरसली कोटा । विशेष-प्रन्तिम पत्र जोगण हो गया है। ३०५६. रामपुराण- सकलौति । पत्र सं० ३४५ । मा०१२ ५ ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण ! २०काल x 1 ले० काल सं० १७१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष - भट्टारक भवन कीर्ति उपदेशात दुशहर देशे दीर्धपुरे लिपीकृतं । ३०५७, रामपुराण-भ० सोमसेन । पत्र सं. १८८ । या० १२४६ इक्ष । भाषा-- संस्कृत | विषय -पुराण । २० काल X । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० १०५५ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३०५८. प्रति स०२। पत्र सं० २३० । या० १३:४६१ इञ्च । लेकाल सं० १९ माघ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४४ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर आदिनाथ वू दी। ३०५६. प्रतिस० ३१ पत्र सं० २७६ 1 मा ११४५ इञ्च । लेक काल सं०१७२३ । पूर वेष्टन सं० १८२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। प्रशस्ति-सं० १७२३ वर्षे शाके १५८५ चैत्र सुदी ५ शुक्रवासरे बावती महादुर्गे महाराजाधिराज श्री जयसिंह राज्य प्रवर्तमाने विमलनाथ चैल्यालये भट्टारक थी नरेन्धकीति के समय मोहनदास भौसा के वंशाओं ने प्रतिलिपि कराई थी। ३०६०. प्रति स ४ । पत्र सं० १९४ । प्रा० ११ x ५३ इञ्च । लेकाल १८५७ 1 पूर्ण । वेष्टन सं०६३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी बू दी। विशेष-दावती में पार्श्वनाथ चैल्यालय में सेवाराम ने प्रतिलिपि की थी। ३०६१. प्रतिस० ५। पत्रसं० २५० । ले०काल सं० १८४८ । अपूर्ण । वेपन सं० ११ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर दरसाना दी। ३०६२. प्रतिसं०६। पत्र सं० ३८-२५४ । प्रा० १२४५ इञ्च । ले. काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५३ । प्राप्तिस्थान-दि० जन अग्नवाल मन्दिर उदयपुर । ३०६३. प्रति सं०७। पत्रस० २३६ से ३६२ । प्रा० १२४५३ इञ्च । से०काल सं० १६४३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २१२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ । ३०६४. प्रति सं०८ । पत्र सं० २६० से ३४४ । प्रा० ११४५३ । लेकाल X । अपूर्ण । श्रेष्टन स० २१७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ .... ____३०६५. प्रति सं० है । पत्र सं० २३७ । प्रा. १६४५ इत । ले०कास ४ । 'पूर्ण । वेपन सं० ३२८ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर ओरसली कोटा । Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम माग ३०६६. वर्धमान पुराण - ४ । पत्र सं० १६६ । प्रा० ११३४७३ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषय-पुराण । २० काल-x। ले-काल सं० १९४१ ज्येष्ठ सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं०४८ 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर थी महावीर बू दी। ३०६७. बद्ध मान पुराश भाषा-४ । पत्र सं० १४७ । ना० ११४७३ इञ्च । भाषा--- • हिन्दी गद्य । विषय-पुराग । २० काल x | लेकाल -x। पूर्ण। वेटन सं०४१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी' दी। ३०६८. वर्द्धमान पुराण-कवि अशग । पत्रसं० १०५ । प्रा० १०३४४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय -- पुगण । २० काल सं० १००६ । ले. काल सं० १५४० फागुण सुदी है। पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १५४० वर्षे ॥ फाल्गुण शुल्क नबम्यां श्री भूलसंघे नंद्यम्नाये बलात्कारगणे भट्टारक श्री पद्मनंदिदेवास्तत्प? भट्टारक श्री शुभचन्द्रदेवास्तत्प? भट्टारक श्री जिनचन्द्रदेवास्तशिष्य मुनि रत्नकीति स्तनाम्नाये खण्डे लयालान्त्र पाटणी गोत्रे ....... " ३०६६. वर्तमान पराण-x। पत्रसं० २१४ । मा० १३१४८ इञ्च । भाषा--हिन्दी पद्य । विषय -पुराए । र फाल ४ | ले. काल सं० १९३६ फागुन वदी ६ । पूर्ण। वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान अग्रवाल पंचायती दि. जैन मन्दिर अलवर । ३०७०. बद्ध मानपुराग-नवलशाह । पत्र सं० १५७ ] प्रा० १२३४७६ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-पुराण । र०काल सं० १८२५ । लेकाल ५ । पूर्ण । बेन सं० २६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मंदिर अयाना । विशेष-पुराण में १६ अधिकार हैं। प्रारंभिक पाठ---. ऋषभादिमहावीर प्रणमामि जगद्गुरु । श्री वर्द्धमानपुराणोऽयं कथयामि अहं अवीत् । ओंकार उच्चारकरि ध्यावत मुनिगण सोइ। तामैं गरभित पंचगुरु तिचपद बंदी दोह। गुण अनन्त सागर विमल विश्वनाथ भगबान । धर्मचक मय वीर जिन बंदी सिर धरि ध्यान ||२|| तिम पाठ-. उज्जयंति विक्रम नृपति संवत्सर गिनि तेह् । सत अंठ स अधिक समय विकारी एह ।।३२॥ द्वादश में 'सुरज गिनै द्वादश अंशहि ऊन । द्वादशमौ मास हि भनौ शुक्ल पक्ष तिथि पन ।।३३।। द्वादशनक्षत्र बखानिये बुधवार वृद्धि जोग । द्वादश लगन प्रभात में श्री दिन लेख मनोग ॥३४॥ Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ २६. रितबसंत प्रफुल्ल अलि फागु समय शुभ होय । वर्तमान भगवान गुन प्रथ समापति कीय । भवि की लता द्रव्ध नवल क्षेत्रहि नश्ल काल नवल है और । भाव नवल भव नवल प्रति बुद्धि नवल इहि ठौर ॥ काम नवल मरु मन नवल बचन नपल विसराम । नब प्रकार जत नवल इह नवल साहि करिनाम ।। प्रतिम पाठ - दोहा-- पंच परम गुरु जुग चरण गालियन बुध गुन धाम । कुपायत दीजै भगति, दास गवल परनाम ।।४२।। ३०७१. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १३६ । प्रा० १२x६ इञ्च । ले० काल सं० १९९५ सावन बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१ । मा स्थान-दि० जन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। 20७२. प्रति स प ४२ . it {०१४५३ इञ्च । लेकाल सं० १९१७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी। विशेष-भगवानदास ने बंबई में प्रतिलिपि कराई थी। सं० १९२६ में श्री रामानंद जी की बहू ने फोपुर के मंदिर हो चढ़ाया था। ३०७३. वर्द्धमान पुराण -सकलकत्ति पत्र सं० १८ । प्रा० १.१४५ इन्छ । भाषासंस्कुस । विषय-पुराण । २० काल X । से०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११४। प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर श्री महावीर ब्रूदी। ३०७४. प्रतिसं० २ । पत्रसं० १२१ । प्रा० ११४५ हच । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ३०६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर दबनाना (बूदी) । ३०७५. प्रतिसं०३ । पत्रसं० १३८ । प्रा० १०० x ४३ इञ्च । ले. काल XI पूर्ण । बेष्टन सं० २३६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर वोरसली कोटा । ३०७६. प्रति सं०४ । पत्र सं० १३८ । प्रा० १२४७१ इञ्च । ले० काल सं० १७६५ । पूर्ण । वेष्टमसं० १ । प्रारित स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । विशेष-करौली नगर में किसनलाल श्रीमाल ने लिखा। ३०७७. प्रति सं० ५ । पत्र सं० १२६ । मा० ११४ ८ इच। ले०काल सं० १६०२ पूर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर भादवा (राज.) । ३०७८. प्रति सं०६ । पत्र सं० १०३ । प्रा० ११४४१ इञ्च । ले. काल सं० १५८८ । पूर्ण । वेष्टन स० २६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकारसंवत् १५८८ वर्षे ज्येष्ठ सुदी १२ गुरू पं० नला सुत पं. पेथा भ्रात किम... लिखितं । Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ [ अन्य सूची-पंचम भाग दूसरी प्रशस्तिस्थवीराचार्य श्री ६ चन्द्रकीर्ति देवा: ब्रह्म श्रीवंतं तत् शिष्य ब्रह्म श्री नाकरस्येदं पुस्तकं पठनार्थ । ३०७६. प्रति सं०४। पत्र सं० २०६ । ग्रा० १२४६ च। भाषा - हिन्दी । विषय---- पुराण । २० काल सं० १८२५ । ले. काल सं० १६०८गुग । वैन मं० २३० । प्राप्ति स्थान-. दि.जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेषकामा के मन्दिरीमान चुन्नीलोनिया! ३०८०. प्रति सं०५ । पत्रसं० १८८ । प्रा० ११४७३ इञ्च । ले० काल सं० १९५६ । पूर्ण । वेष्टन सं०७२ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मंदिर बोरसली (कोटा)। ३०८१. प्रति सं०६। पत्रसं० १३० । ले. काल सं० १८६६। पूर्ण । वेष्टन सं०७६२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ३०६२. वर्द्धमान पुराण भाषा-नवलराम । पत्रसं०२४३ । प्रा०११४७इ। भाषाहिन्दी पच । विषय-पुराण । रकाल सं० १६६१ अगहन सुदी। ले० काल सं० १६०३ । पूर्ण । वेधन सं.५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर कामा। विशेष-लेखक प्रशस्ति विस्तृत है वैश्य कुल की ८४ गोत्रों का वर्णन किया गया है। दोहा सोरहस इक्यावं प्रगहण सुभ तिथि बार। नृप जुझार बुदेल बुल जिनके राजमझार । यह संक्षेप बसाणकरि कही पतिष्ठा धर्म, परजाग जुत बाडी विभय तिण उत्पति बहुधर्म ॥ दोहरा सत्रसालवंती प्रबल नाती श्रीहरि देस । सभासिंह मुत हिद्दपति करहिं राज इहृदेस !! ईति भीति व्यापै नहीं परजा अति पाणंद । भाषा पढहि पढावहि षट् पुर श्रावक बृद । पद्धडी छंद ताहि समय करि मन में हुलास, - कीजे कथा श्री जिरा गुणहि दारा। वक्ताप्रभाव बड़ी उर मान । तब प्रमु वर्द्धमान गुरगखान । :करों अस्तवरण भाषा जोर । नवलसाह तज मदमरण मोर। सकलकीर्ति उपदेश प्रवाण । पितापुत्र मिलि रच्यो पुराण । Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [.२२५ अन्तिम दोहा पंच परम जग वरण नमि, भव जण बुद्ध जुत धाम । पावंत दीजे भगत दास नवल परणाम ।। प्रथ कामापुर के पंचायती मन्दिर में चढ़ाया गया । ३०८३. विमलनाथपुराण- कृष्णदास । पत्र सं० २६६ । आ० १२४७३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय --पुराण । र० काल सं० १६७४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ३०८४. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १५१ । प्रा० १.१४५६ इन्च । ले. काल XI पूर्ण । वेष्टन सं०५/११ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर सौगारणी करौली । ३०८५. विमलनाथ पुराण भाषा---पांडे लालचन्द । पत्र सं० १०० । प्रा० १४ ४ ८३ इश्च । भाषा--हिन्दी पञ्च । विषय-पराए । २० काल सं. १८३७ । ले. काल सं० १९३४ वैशाख बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान-अग्रवाल पंचायती दि जैन मन्दिर अलवर 1 ३०८६. प्रतिसं० २ । प* सं० ११८ । प्रा. ११४६ इञ्च 1 ले. काल सं० १८६० । पूर्ण । वेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर बयाना । ३०६७. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० १६७ । आ. १२ x ५१ इन्च । ले० काल सं० १९३३ आषार खुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७२ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन पंचायती मंदिर करोली। ३०८८ प्रतिसं०४३ पत्रसं० ११८ । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०.१७१ । प्राप्ति स्थान-दिजैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष—ब्रह्म कृष्णदास विरचित संस्कृत पुराण के आधार पर पारे लालचन्द ने करौली में प्रय रचना की थी। प्रशस्ति निम्न प्रकार हैअडिल्ल-- गह गोपाचल परम पुनीत प्रमानिये, __ तहां विश्वभूषण भट्टारक जानिए। सिनके शिष्य प्रसिद्ध ब्रह्म सागर सही, भग्रवार वर बंश विष उत्पसि लही। काज्य वन्य-- जात्रा करि गिरनार सिखर की अलि सुख दायक । फुनि आये हिंडौन जहां सब श्रावक लायक । जिन मत को परभाव देखि निज मन पिर कोनों । महावीर जिन चरए कमल को शरणी लीनौ । चौहा · ब्रह्म उदधि के शिष्य फुनि पांडेलाल प्रधान । छंद कोस पिगंल तनो जामें नाही शान | Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग प्रभु चरित्र किम मिस विषय कीनां जिन गुणगान । विमलनाथ जिनराज को पूरण भयो पुराण ।। पूर्व पुराम विलोकि के पांडेलाल अयान । भाषा बन्ध प्रबंध में रच्यो करोरी थान ।। चौपाई संवत् अष्टादश सत जान ताउपर नीस प्रमान । अस्विन सुदी देशमी सोमबार मय समापति कौनौ सार । ३०८६. विष्णु पराग--XI पत्रसं०-४० । ग्रा.११४५१ इन्च । भाषा-हिन्दी। -पराण। र०काल x | ले. काल x | अपूर्ण । वेपन सं०६८। प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर बनाना। विशेष--पत्र सं० ७.१ तक अठारहपुराण तथा ६-४० तक विष्णा पुराण जिसमें आदिनाथ का वर्णन भी दिया हुअा है। ३०१०. शरिषक पुराण-विजयकीत्ति । पत्र सं०८१। भाषा-हिन्दी । विषय-पुराण । र०काल रा० १८२७ फागुन बुदी ५। ले. काल स. १९०३ यासोज सूदी ५। पूगा । वेष्टम सं० ५४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३०६१. प्रति सं० २ । पत्र सं० १४५। मा० १११४५, इस भाषा---हिन्दी पा । विषय--- पुराण । र०काल सं० १८२७ फागुन बुदी ७ । ले. काल सं० १९८७ । वेष्टन सं० ६६४ ! पूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर ।। विशेष-भट्टारक परिचय दिया गया है। भट्टारक धर्मचन्द्र ठोल्या वैराठ के थे तथा मलमखेड के सिंहासन एवं कारंजा पट्ट के थे । ३०१२. शान्ति पुराण-श । पत्र सं० ८४ । प्रा० ११४५१ च । भाषा संस्कृत । विषय-पुराण। र० काम X । लेकाल सं० १८४१ आषाढ बुदी ५ । पूर्ण । वेल सं० ८ 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी। विशेष-उणियारा नगर में ब्रह्म नेतसीदास ने अपने शिष्य के पठानार्थ लिया था। ३०९३. प्रतिसं० २। पत्रसं० १२४ । प्रा० १११x६ इन्च | लेवाल सं० १५६४ फागुण सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं०५१७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । ३०६४. शान्ति पुराण-पं, प्राशाधर कवि । पत्र सं० १०५ | प्रा० १२ x ५ इञ्च । भाषा-- संस्कृत । विषय-पुराण । २० कालX ले. काल १५६१ आषाढ़ सदी १४। पूर्ण । वेष्टन सं०२०३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर ।। विशेष-प्रशस्ति अच्छी है । ३०६५. शांतिनाथ पुराण-ठाकुर । पत्र सं०७४ । आ. ११४५, इञ्च । भाषा-हिन्दी हिन्दी। विषय-पुराण । २० काल सं० १६५२ । ले. काल ४ | पूर्ण । बेष्टन सं १६०५ । प्राप्ति स्थान-म.दि. जैन मंदिर अजमेर । Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] | ३०१ .. ..मागिर गुमाए --पालनोति । पत्रसं० २०३ । प्रा० १० X ६ इश्च । भाषा--- विषय---पुराण । २० काल x 1 ले. काल सं० १८६३ आषाढ़ सुदी ३ पूर्ण । वेष्टन सं० १६५ 1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर राजमहल टॉक । ३०६७. प्रति सं० २१ पत्रसं० २२४ । ले०काल सं० १७६३ बैशाख सुदी १ । पूर्ण 1 येष्टन सं० २३७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । विशेष—इसे पं० नरसिंह ने लिखा था । ३०९८. प्रतिसं० ३ 1 पत्र सं० २२७ । मा० १२.४५ इञ्च । ले०काल सं० १५१८ मंगसिर सुदी १ । पूर्ण । देष्टन सं० २८/१४ । प्राप्ति स्थान---दि० जन सौगाणी मन्दिर करौली। विशेष---पं० नरसिंह ने प्रतिलिपि की थी। .. ३०६३. शान्तिनाथ पुराण-सेवाराम पाटनी । पत्र सं० १५७ । आ० १३३४८३ हन्ध । भाषा-हिन्दी । विषय-पुराण । २० काल सं० १८३४ सावन बुदी = | ले० काल सं० १९६५ चैत्र बुदी ४। पूर्ण । चेष्टन सं० १३-२ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ३१००. प्रतिस० २ । पत्र सं० १५६ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२३ । प्राप्ति स्थान--दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३१०१, प्रतिस०३ । पत्र सं०२२१ । प्रा. १३४८ इन्च । ले. काल * । पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर श्री महावीर बूदी। ३१०२. प्रति स०४ । पत्र सं० १६४ । प्रा० १३ x ८ इञ्च । लेकाल सं० १८९३ माष' सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना। विशेष-सेवाराम ने पं० टोडरमल्लजी के पंथ का अनुकरण किया तथा उनकी मृत्यु के पश्चात् जयपुर छोड़ के चले जाना लिखा है । कवि मालव देश के थे तथा मल्लिनाथ चल्यालय में ग्रंथ रचना की थी। मथ रचना देवगढ़ में हुई थी। कवि ने हुबड बंशीय य बावत की प्रेरणा से इस ग्रंथ की रचना करना लिखा है । आलमचन्द बैनाडा सिकन्दरा के रहने वाले थे । देवयोग से वे बयामा में आये और यहां ही बस गये । उनके दो पुत्र थे खेमचन्द और विजयराम । खेमचन्द के नथमल प्रोर चेतराम हुए। नथमल ने यह प्रय लिखाबार इस मन्दिर में चढ़ाया । ३१०३. शान्तिनाथ पुराण भापा-४ । पत्रसं० २४६ । पा. १३४६ इञ्च । भाषाहिन्दी गद्य । विषय--पुराण । र० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० १४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी। ३१०४. सुमतिनाथ पुराण-दीक्षित देवदत्त । पत्रसं० ३-४२ । पा० १२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पराण । २० काल ४ । ले०काल सं०१९४७चंत सुदी १०। पुर्ग । बेइल सं० १२७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ बूदी। विशेष प्रन्तिम- भगवान सुमति पदारविंदनि ध्याइमान सानंद के । कवि देव सुमति पुराण यह, विरच्ये ललित पद छंद के । जो पढ़ई पापु पढ़ाई औरनि सुनहि बाच सुनावही । कल्याण मनछित सुमति परसाद सो जन पांच ही। Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०२ ] [ अथ सूची- पंथम भाग इति श्री भगवद्गुणभद्राचार्यानुक्रमेण श्री भट्टारक विश्वभूषण पट्टाभरण श्री ब्रह्म हर्षसागरात्मज if भट्टारक जिनेोपदेया दीक्षित देवदत्त कवि रवितेन श्री उत्तरपुराणान्तर्गत सुमति पुराणे थी निर्वारण कल्याण अतो नाम पंचमो अधिकार भने टेलि प्रारम्भ में विभंगी सार का अंश है । ३१०५. हरिवंश पुराण - जिनसेनाचार्य । पत्रसं० ४२६ मा० ११३४५ इस भाषा संस्कृत विषय पुराण २० काल X वे० काल x पूर्ण बेकृत सं० १३०८ प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर । 1 ३१०६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४०० ०१२ ४ ४ इन ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं०१४ प्राप्ति स्थान–उपरोक मंदिर । विशेष—लेखक प्रशस्ति वाला पत्र नहीं है। ३१०७ प्रतिस० ३ ० १४०० १०५० काल पूर्ण ० सं० १२७६ । प्राप्ति स्थान — उपरोक्त मन्दिर । ३१०८. प्रति सं० ४ पत्रसं० २६४ | प्रा० १२४५ इन्च | से० कान X पू वेष्टन सं० ५०५ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी 1 ३१०६. प्रतिसं० ५ | पत्रसं० ३१४ | प्रा० १२४५ इंच | ले०काल १७५६ आसोज सुदी १२ पूर्ण देन सं० ६८ /११ प्राप्ति स्थान- दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ | - रावराजा बुधसिंह के बूंदी नगर में प्रतिलिपि हुई थी। विशेष ३११० प्रतिसं० ६ पत्र ० ३१२० काल X पूर्ण सं० २२० प्राप्ति | । वेष्टन । स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष: तीन चार प्रतियों का संग्रह है । ३१११ प्रतिसं० ७ । पश्च० ३६२ । श्रा० १२४५ इस । ले० काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० ३० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा 1. ३११२. प्रतिसं० ८ पत्रसं०] १६ आ० १२४५ इच। वे० का ० १७११ पूर्ण बेष्ट सं० १५१/७६ संभावमन्दिर उदयपुर । | प्रशस्ति- सं० १७११ वर्षे ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे श्री सागयत्तने श्री आदिनाथ चैस्यालये लिखितं । श्री सरस्वती गच्छे बलात्कार श्री कुंदकुंदाचार्यान्वये भ० श्री बादिभूषण तत्पट्ट भ० श्री रामकीर्ति पट्टे मारक श्री नदि ० . श्री देवेन्द्रकी तादाम्नाये प्राचार्य श्री महीचन्द्रस्तदशिष्य प्र० पीरा पठनार्थ ३११३. प्रतिसं० 1 पत्र सं० ६५ । प्रा० १२३४५६ । ले० काल ४ । श्रपूर्ण वेष्टन सं० २१७ | प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष – बीच के अनेक पत्र नहीं है तथा १५ से पत्र भी नहीं है। 1271 Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ ३०३ __ ३११४. प्रति सं०१० । पत्रसं० ३०२ । आ० १३४४२ इञ्च । खे० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन अग्रवाल मन्दिर, उदयपुर । विशेष--प्रति जीर्ण है। ३११५. हरिवंशपुराण भाषा---गसेन । पत्र० १७० । श्रा७ ११४३ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय - पुराण । र० काल X 1 ले० काल सं० १८१२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। . . विशेष-३१३३ पद्य हैं । गागरडु में प्रतिलिपि हुई थी। ३११६. हरिवंश पुराण- भट्टारक विद्याभूषण के शिष्य श्रीभूषण सूरि । पत्रसं० ३१५ । आ० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--पुरासा । र० काल ४ । ले० काल सं० १७०१ भादवा बुदी १ पूर्ण । वेपन सं० २५-१४ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष-राजनगर में लिया गया था। - ३११७. हरिवंशपराग-यशःकोति । पत्रसं० १८६ । प्रा० ११४५ इन्च । भाषा- . अपभ्रश । विषय-पुराण । लेकाल X । ले० काल सं० १६६१ । पूर्ण ! वेटन सं० २४८/२१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ' - प्रशस्ति-संयत् १६६१ चैत्र सुंदी २ रत्रियासरे पातिमाह थी अकबर जलालदीनराज्यप्रवर्तमान श्री प्रागरा नगरे श्रीमत् काष्टासंधे माथुरगच्छे पुष्करगणे लोहाचार्यान्वये भट्टारक श्री श्रीभलयकीर्तिसुरीश्वरान् तत्प? सुजसोराशिसुभ्रीकृतहगबलयानां प्रतिपक्षसिरिस्फोटान् प्रवीभव्याजविकासिनां सुमालिनां "कुवादैन्दीवरसंकोचनकशीतरूचीनां सवत्यषेचनजलमुचा वारूचारित्रचरितां ........ ... ...............भ. गुणभद्र देवा । तत्पट्ट वादीमकुभस्थल विदारक............म० श्री भानकीर्तिदेवा तत्प?............in. म. कुमारसेनदेवा तदाम्नाये अयोतकान्वये गोमलगोत्रे इदानीं प्रागरा वास्तव्यं सूदेसप्रदेसविख्यातमात्यान्न दानप्रतिधेयांसावतारान् दीपकराइबलू तस्य भार्या सील तोयतर गिनि बिनम्रकागेश्वरी साध्वी अर्जुनदे तयोःपुत्र पंच । प्रथम पुर देवीदास तस्यभार्या नागरदे सरपुत्र कुवर तस्य भार्या देवल तयोः पुत्र तुम प्रथम पुत्र चन्दसति द्वितीय पुत्र कपूर । राइवल द्वितीय पुत्र रामक्षास तस्यभार्या देवदत्ता । गइबलू तृतीय पुत्र लक्ष्मीदास तस्य भार्या अनामिका 1 राइवलू चतुर्थ पुत्र मकरण तस्य भार्या देवल । राइवल पंचम पुत्र दानदानेश्वरान जैनसभागार हारान जिनपूजापुर दरान............. साहु आसकरण तस्य भार्या....... ... साध्वी मोतिगदे तयोः पुत्र........ साह श्री स्वामीदास जही तस्य भार्या.......... साध्वी बैनमदे तयो पुत्र पंच । प्रथम पुत्र भवानी, द्वितीय पुत्र मुरारी तस्य मार्गा नारंगदे । तयोः तृतीय पुत्र लाहुरी भार्या नथरुदास तस्य भार्या लोहगमदे तयो पुत्र प्रम गोकलदास तस्य मायां कस्तूरी पुत्र मुरारि । स्वामिदास तृतीयपुत्र पंचमीप्रत उद्धरणधीरान....... साहु प्रभीमल तस्यभामा सुन्दरदे तस्य पुत्र मायौदास स्वामीदास चतुर्थ पुत्र साहु मथुरादास स्वामीदास पंचम पुत्र जिन शासन उद्धरणधीरान...... ...साह " ....इससे आगे प्रशस्ति पत्र नहीं है। ३११८. हरिवंश पुराण-- शालिवाहन । पत्र सं० १६७ । प्रा० १२ X ५ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय- पुराण । र० काल सं० १६६५ । से०काल-सं० १७८९ फागुसरा मुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मंदिर बयाना ।। . ३११९. प्रति सं० २'। पत्रसं० ५२ । १ काल १७६४ : पूर्ण। देण्टन सं० १७४ । प्रापित स्थान-विजन पंचायती मंदिर भरतपुर । Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०४ ] [ ग्रन्य सूची-पंचम भाग दहचल ३१२०, प्रति सं०३ । पत्रसं० १३० । आ० १२५ । ले०काल सं० १८०३ मंगसिर बुदी - । पूर्ण । वेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान दि. जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष- शाहजहांनाबाद में प्रतिलिपि हुई थी। अग्रवाल शातीय वंशल गोत्रे फतेपर वास्तध्ये वागड देशे साह लालचंद तत्पुत्र साह सदानंद तत्पुत्र साह राजाराम तत्पुत्र हरिनारायण पांडे स्वामी श्री देवेन्द्रकीत्ति जी फतेपुर मध्ये वास्तव्य तेन दिल्ली मध्ये पातनाद मोहम्मद साहि राज्ये संपूर्ण कारापितं । ३१२१. हरिवंश पुराग-दौलतराम कासलीवाल । पत्र सं० ३८६ । श्रा० १५४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-पुराण । २० काल सं० १८२६ । ले० काल सं० १९६५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५/ ११। प्राप्ति स्थान --दि० जनमन्दिर पंचायगो दूनी (टोंक) । विशेष-जयकुरण व्यास फागी वाले ने प्रतिलिपि बी थी। ३१२२. प्रतिसं० २। पत्रसं० ४६२ । प्रा० १३४५१ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । र० काल सं० १८२६ चैत मुदी १५ । ले० काल सं० १८७२ पासोज मुदी १३ । पूरणं । वेष्टन सं० ७१७ । प्राप्ति स्थान-f३०जैन मन्दिर अजमेर भण्डार । ३१२३. प्रति सं०३ । पत्रसं० ४६८ । प्रा० १२:४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषयग्य । र०काल सं१८२१ । ले० काल x । प्रलं । वेपन सं०४८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ३१२४, प्रति सं० ४ । पन सं. २०२ से ६१३ । मा० ११४७१ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य)। विषद-पुराण । र०कास स०१८२६ । ले. काल स० १८९३ । अपूर्ण । वेशन सं०१०६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल टोंक। विशेष-चौधरी डोटीराम पुत्र गोविन्दराम तथा सालगराम पुत्र भन्नालाल छाबड़ा ने राजमहल में टोडानिनामो ब्राह्मण सुखलाल से प्रतिलिपि कराकर च प्रभु स्वामी के मंदिर में विराजमान किया। ३१२५. प्रतिसं० ५। पत्र सं०५३८ । आ० १३४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषयपुराण । २० काल सं०१८२६ । लेखन काल सं० १९६१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान–दिक जैन मन्दिर श्री महावीर छ दी। ३१२६. प्रति सं०६। पत्रसं० ४४४ । प्रा० १३४६३ इञ्च । भाषा--हिन्दी गद्य । विषयपुराण । २० काल सं० १९२६ । ले. काल सं० १८६३ । पुरी । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष-थ का मूल्य १५) २० ऐसा लिखा है। ३१२७. प्रति ७ । पत्र सं० ४५४ । आ० १२३ X ७इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-पगण । २.०काल सं० १५२६ चैत सुदी १५ । लेकाल सं० १९६१ माघ बुदी १ । पूर्ण । वेणुनसं० ५६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर नागदी बूदी। ____३१२८. प्रति सं० ८ १ पत्रसं० ३८६ । श्रा० १५६४६ इञ्च । भाषा---हिन्दी गद्य । विषयपुराण ।, र० काश सं०.४६२ कान १८६४ वंशाख बुदी २ । पूर्ण । वेष्टनसं० २० । प्राप्ति स्थान:दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) । Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ ३०५ ३१२६. प्रति सं०६ । पत्र सं० ६१७ । आ० १२४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषयपुराण । '२० काल स. १८२६ । ले० फाल सं० १८८१ कार्तिक सुदी ५ ! पूर्ण । वेष्टन सं०८/८८ । प्राप्ति स्थान दि० पार्श्वनाथ जैन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) । ३१३०. प्रति सं०१० । पत्र सं० २१३ । आ० १२६४६ इन्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषयपुराण । २० काल स० १८२६ । ले. काल ४ । अपूर्ण । वेटन सं० ८८। प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ३१३१. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ४२७ । प्रा० १२ x इञ्च । भाषा - हिन्दी (गद्य)। २० काल स० १८२६ । ले० काल सं० १८५.३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खं० पंचायती मन्दिर अलवर | विशेष—कुभावती नगर में प्रतिलिपि की गई थी। ३१३२. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ३२६ । प्रा० १६ X ७५ञ्च । भाषा-हिन्दी ग ! विषय-- पुराण । ले० काल सं० १८८४ पौष वदी १३ । २० काल सं० १८२६ चैत सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३० । प्राप्ति स्थान–दि जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष प्रति दो बेष्टनों में है | ३१३३. प्रति सं० १३ । पत्र सं० ४०६ । भाषा-हिन्दी गध । विषय-पुराण । र० काल स. १८२६ । ले. काल सं० १८४२ मंगसिर सुदी ११ । पूर्ण । बेधन सं० १४३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-नवनिधिराय कासलीवाल प्रतिलिपि करवाई थी। ३१३४. प्रति सं० १४ । पत्रसं० ३५७ | भाषा-हिन्दी गद्य । विषमपुराण । २० काल सं० १८२९ चैत सुदी १५ । ले० काल सं० १८७५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३१३५. प्रति सं० १५ । पश्च सं० ४७५ । ले०काल १८४४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान:-दि० जन पंचायती मन्दिर, भरतपुर । विशेष—कुभावती में प्रतिलिपि हुई थी । स० १८६१ में मन्दिर में चढ़ाया गया । ३१३६. प्रतिसं० १६ । पत्र सं ४६३ । प्रा० १२३४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-पुराण । २० काल स० १८२६ चत सुदी १५ । लेकाल-सं. १८५५ कात्तिकसुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर बयाना ३१३७. प्रति सं० १७ । पत्र सं० ४६८ । ग्राः १३४७ इंच । भाषा-लेफाल x पूर्ण एवं जीरणं । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर वैर भरतपुर । .. ३१३८ प्रति सं० १८ । पत्र सं० २२४ । आ. १३१४५६ इंच। माषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-पुराण । र०कान X । लेकाल X| अपूरणे । बेधुन सं० ३५६. । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीयान जी कामा। Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०६ ] [ प्रन्थ सूची- पंचम भाव निषय पुराण ३१३. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० ४८० गापा - हिन्दी गद्य काल स १५२६ । से० काल सं० १८३४ । पूर्ण देन सं० ६३ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर, इण्डावालों का डीग | ३१४०. प्रति सं० २० पत्रसं० २ से २४९ । ले० काल X अपूर्ण नेन सं० ६० प्राप्ति स्थान- दिपंती मंदिर हण्डावालों का भी । ३१४१. प्रतिसं० २१ । पत्रसं० ६०२ १ पुराण १० का ० १८२६ चैत सुदी १५ ० का प्राप्ति स्थान दि०जैन पंचायती मंदिर करौली । विशेष नमक में न राम द्वारा लिया था। बीच के कुछ पत्र जी हैं । ३१४२ प्रतिसं० २२ । पत्र सं० १ २०५ । भाषा - हिन्दी (गथ) | विषय -- पुराण । २० काल ० १८२६ ० काल X अपूर्ण न ० १ प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरी मन्दिर बसवा ! ० १२३ ४५३ इव । भाषा - हिन्दी गद्य विषय० १०२५ वैशाख सुदी ५। बेष्ट सं० ५। ३१४३. प्रति सं० २३१ पत्र सं० ४४० | श्र० १२३४६ ३ इञ्च । भाषा - हिन्दी ग० । विषय-पुराण १० का ० १८२६ चैत सुदी १५०० १८६४ माघ बुदी १ वेष्ट सं० ४७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) | पूर्ण विशेष – जीवणराम जी ने ब्राह्मण विजाराम आराम से प्रतिलिपि कराई थी। ३१४४. प्रति सं० २४ । पत्रसं० ५०६ | श्र० १२ X ७ इश्व । भाषा - हिन्दी (गद्य) | विषय- पुराण २० कान X ले०का सं० २०२१ पूर्ण वेष्टन ० ६१९ | दि० जैन मंदिर बड़ा बीसभी दौया । प्राप्ति स्थान विशेष चिमनलाल तेरहपथी मे प्रतिलिपि की थी। ३१४५. प्रतिसं० २५ । पत्रसं० ३२७ । आ० १३४१० पुराण १० का ० १०२६ । ले० काल सं० १०६० दि० जैन मंदिर तेरहपंथी दौसा । पूर्ण विशेष- दौसा में प्रतिलिपि हुई थी । ३१४६. प्रति सं० २६ । ए० ३०० विषय - पुराण | २० काल सं० १८२६ चैत्र सुदी १५ । स्थान – दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ३१४७ प्रति सं० २७ पत्रस० ४४१ पुराण २० काल स० १६२९ ० काल सं० १८५९ जैन मन्दिर, कोटडियों का दूंगरपुर । - इञ्च । भाषा - हिन्दी ग० । विषयजेथून सं० ६४ प्राप्ति स्थान आ० ११ x ७ इच ले० काल सं० x । अपूर्ण भाषा - हिन्दी (गद्य) । वेष्टन सं० ८२ प्राप्ति ० १२२६३ भाषा हिन्दी गद्य विषय-पूर्ण न सं० २६-१५ प्राप्ति स्थान दि० 17 ३१४८. हरिवंश पुराण ६० जिनवास पसं० २४५ मा० ११६ । । इञ्च भाषा-संस्कृत विषय पुराण २० काल । ले० काल सं० १८४(१) फागुण मुदी १ पूर्ण वेष्टन सं०] १७४ प्राप्ति स्थान- शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर मस्कर, जयपुर। विशेष- बूंदी नगर में प्रतिलिपि हुई थी। Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ ३०४ ३१४६. प्रति सं० २ । पत्र सं० २७७ । प्रा० ११३४५ इञ्च । ले० काल X1 पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्रापि- स्थान-दि० जैन मंदिर पञ्चायती दूनी (टोंक) । विशेष-प्रति उत्तम है। ३१५०. प्रति सं०३ । पत्रसं० २०८ । प्रा० x ६ इञ्च । ले. काल x | अपूर्ण । पेष्टनसं० ३१ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३१५१. पति सं० ४ । पत्र सं० १८६ ! प्रा० १०४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय -पुराण। र काल x । ले०काल मं० १८४३ । पूर्ण । बेष्टन सं० २६२ । प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन मंदिर अजमेर । ३१५२. अतिसं०५ । पत्रसं० ३६५ । ग्रा० १३४६ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-पुरास । र०काल ४ · ले० काल सं० १५१३ । गाई । वेष्टन सं० ३४३ । प्राप्ति स्थान--म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३१५३ प्रतिसं०६ । पत्रसं० ३४३ । पा० १२४५% इञ्च । भाषा-हिन्दी । र० काल x। सैकाल सं० १५२६ । पूर्व । वेष्टन सं० १३०७ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३१५४. प्रतिसं०७ । पत्रसं० २०७ । प्रा० १३४५३ इन्छ । भाषा-संस्कृत 1 विषय -पुराण । र० काल X । ले०काल सं० १८२५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८०। प्राप्ति स्शान-दि० जैन मंदिर श्री महावीर दी। ३१५५. प्रतिसं०८ ! पत्रसं० ३०६ । प्रा० १११४५ इथ । माषा-सस्कृत । विषय-पुराण । २० काल x 1 ले० काल सं० १६५७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर आदिनाथ दी। विशेष-संवत् १६५७ वर्षे भाद्रव सुदि १३ बुधवापरे श्री मूलसंधे थीययावयानी शुभस्थाने राजाधिराज श्रीमद अकबरमादिराज्ये चंद्रप्रभ चैत्यालये खंडेलवाल शातीय समस्त पंचाइतु बयान को पुस्तक हरिवंश शास्त्रं पडिल बुरा प्रदत्तं । पुस्तक लिखित ब्राह्मनु परापर मोत्रे पांडे प्रहलादु तत्पुत्र मियमौनि लेखक पाठक ददातु । इन पुस्तक दुरसकृतवां पडित समाचन्द तदात्मज रधुनाथ सवत् १७६७ वर्षे अश्वनि मासे कृष्णा पक्षे तिथी हघवारे । ३१५६. प्रतिसं० । पत्रसं० २८५ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । र०काल X । ले० काल X । पूर्ण । धेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। ३१५७. प्रतिसं०१०। पत्रसं० २२१ । प्रा० १२x६ इव । भाषा-संस्कृत । विषयपुराण 1 र० काल ४ । ने०काल X । पूर्ण । येष्टन सं० ५१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैनमन्दिर दबलाना (दी)। विशेष-अन्तिम २ पत्र फट गये है। प्रतिजीर्ण है । सावड़ा गोत्र वाले श्रावक सुलतान ने प्रतिलिपि की थी। Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्य सूचो-पंचम भाग ३१५८. प्रति सं० ११ । पत्रसं० १२२ । ग्रा० १.४५ च ।भाषा-संस्कृत । विषय--- पुराण । र०काल x। ले०काल x अपूर्ण । बेष्टन सं० २०३४ 1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बुदी)। ३१५६. प्रतिसं० १२१ पत्रसं० १२३-२२५ । मा० १०४५ इंच | भाषा-संस्कृत । विषयपुराण। र० काल x ले० काल सं० १७९६ । पूर्ण । वे० सं० ३३७ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना बदी। विशेष- अन्तिम प्रशस्ति निम्न प्रकार है इति श्री हरिवंश संपुर्ण । लिस्त्रित मुनि धर्मबिमल धर्मोपदेशाय स्वयं वाचनार्थ सीसवाली नगर मध्ये श्री महावीर चत्ये ठागार श्री मानसिंहली सन्यायालय सा. श्री सुखरामाभी मोह छाबड़ा चिरंजीयात् । संवत् १७६६ वर्षे मिती चैत्र बुदी ७ रविवासरे। ३१६०. प्रतिसं०१३ । पत्रसं० ३७० । प्रा०१२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पराण । २० कामx ले०काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० २१७-६२ प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ३१६१. प्रतिसं०१४ । पत्रसं० २०६ । प्रा० १३४६ इव । भाषा-संस्कृत । विषय--- पराग ।र. काल x ले काल मं०१५५४ । पुर्ण । वेष्टन सं० १०२-७ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष:- तक्षकपुर में पं० शिवजीराम टोडा के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। ३१६२, प्रतिसं० १५ । पत्र सं० २२२ । आ० १०.४५ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषयपुराण । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६११२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ । ३१६३. प्रति सं०१६ । पत्रसं० २२५ । प्रा० १२४६६ च । भाषा--संस्कृत । विषय -पुराण । २० काल x | लेकाल x । पूर्ण । बेपन सं. ९७:१० । प्राप्ति स्थान- दि. जैनपाश्र्धनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। ३१६४. प्रतिसं० १७ । पत्र सं० २५४ । अ० ११४५ इच । भाषा-संस्कृत । विषय--- पुराण । र०कास x | लेकाल सं० १६५६ वैशास्त्र बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष---नैनवा वासी संगही श्री हरिराज खंटेलवाल ने गढ़नलपुर में प्रतिलिपि करवाई थी। ३१६५. प्रति सं० १८ । पत्र सं० २७१ । ग्रा० १०१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय - पुराण । २० काल x | ले० काल सं० १७७६ फागुन सुदी १० । पूर्ण । वे० सं० १६१ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-बादशाह फर्क कसाह के राज्य में परशुराम ने प्रतिलिपि की थी। ३१६६. प्रतिसं०१६ । पत्र सं० १से१२७ । भाषा-संस्कृत । विषम-पुराण । २० कार x । लेखन काल x अपूर्ण । वे०सं० १० प्राप्तिस्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर डोग । Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ ३०९ ३१६७. प्रति सं० २० । पत्र सं० ३१० । आ० १० x ४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयपुराण । र० काल x।ले. काल सं० १८१६ । पर्ण वे० सं० १६८। प्राप्ति स्थान.. दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ३१६८. प्रति सं० २१। पत्रसं० ३२३ । पा० ११४५ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-- पुरारण ।र० काल ४ । लेकाल X । पूर्ण | वेन सं० १३७ । थानय ६९६५ । प्राप्ति स्थानदि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ३१६६. प्रति सं० २२ । पत्र सं० ६१७ । सा० १०३.५४ है च । भाषा-संस्कृत । विषय - पुराण । र० काल ४ । लेकाल सं० १८१८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०८-५१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर। ३१७०. प्रति सं० २३ । पत्र सं० २१७ । आ० ११ X ५इन । भाषा--हिन्दी पद्य । विषय-- पुराण । २० काल' x 1 ले० काल १६६२ । पुर्ण । वै० सं० १५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खंडेलवाल मंदिर उदयपुर । ३१७१. प्रति सं० २४। पत्र सं० २६३-२६२ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा - हिन्दी पद्य । विषय -पुराण । २० काल x 1 ले० काल सं० १६५५ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३६५/७८ | प्राप्ति स्थानदि. जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष - सं० १६८५ वर्षे फागुण सुदी ११ शुक्रवासरे मालवदेशे श्री मूलसंघे सरस्वतीगच्छ कुदकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री सकलकोत्ति तत्प? मं० रनीति तत्पट्ट भ. यश:कौति तत्प? म० गुरपचन्द्र तत् भ०जिनचन्द्र तत् भ० सकलचन्द्र तत्पट्ट भ रत्नचन्द्र तदाम्नाये ७० श्री जैसा नव शिष्य प्राचार्य जयकीर्ति तत् शिष्य प्रा० मुनीचन्द्र कमश्शयार्थ लिख्यतं । वागडदेशे सागवाडा ग्राम हुबलज्ञातीय बजीपणा गोत्रे सा० गोसल भार्या दमती। तत् पुत्र सा चंपा भा० कलां तव पुत्र सा० गणेश भार्या नांगदे पुत्र आ० मुनीचन्द्र लिखीसं । सो १६८५ वर्षे फागुण वुदी १ सोमे सुजालपुरे पाश्र्वनाथ चैत्यालये व जेसा शिष्य जयकीति शिष्य मा० मुनि चन्द्र केन ब्रह्म भोगीदासाय गुरू भ्रात्रे हरिवंश पुराण स्वहस्तेन लिखित्वा स्वज्ञानावररणी कर्मक्षयार्थं दस । रणयर नगरे लिखितं । श्री प्राचार्य भुवनकीति तन शिष्य अ० श्री नारायणदासस्य इदं पुस्तकं । ३१७२. प्रति सं०२५ पत्र सं०३१४ । प्रा० ११४४१ इन। भाषा-संस्कत | विषयपुराण । र० काल ४ । ले० काल सं० १५५८ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २४७/८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष--१० से २७६ तक के पत्र नहीं है। प्रशस्ति--संवत् १५५८ वर्षे पौष सुदी २ रवौ श्री मुखांघे बलात्कारगणे कुदकुदाचार्यान्वये म० श्री पद्मनदिदेवा तत्प? भ० श्री सकलकीति तत्पष्टै भट्टारक श्री भुवनकीर्ति तत्प? ज्ञानभूषरण तत्प? श्री विजयकीर्ति गुरूपदेशात् वाम्बर देशे नुगामास्थाने राउल श्री उदयसिंहजी राज्पे श्री आदिनाचयालये हुनर जातीय विरजगोत्रे दोसी भ्राया भार्या सारू सुत सम्यक्त्वादिद्वादशव्रतप्रतिपालक दोसी झाइया भा० देसति सुत भागमवेत्ता दोसी नेमिदास भार्या टबकू भ्रातृ दो संतोषी मा० सरीयादे भ्रा दो० देवा भार्या देवलदे तेषां पुत्रा श्रीपाल रामारूडा एतै हरिवंश पुराणं लिखाप्य दत्तं । ब्रह्म रामा पठना) । Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१० ] [ ग्रन्थ सूची- पश्चम भाग ४०२ । ग्रा० १० X ४ ६ भाषा-संस्कृत विषय। पूर्ण | बेटन सं० १५४/१० । प्राप्तिस्थान- दि० जैन ३२०३६ प पुराण । २० काल X | ले० काल सं० १६० १ संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है-संवत् १६०१ वर्षे कांतिक माने शुक्ल ११ शुके श्री मूलचे सरस्वतीमच्छे बलात्कारणं श्री श्री कुन्दकुन्दाचान्विमे भट्टारक श्री भुवनकीत तत्पट्टे भट्टारक श्री ज्ञानभूषणदेवा तत्पठ्ठे म० विजयकी विदेशा पट्टे ४०] श्री शुभचन्द्रदेश व शिष्य व औरंगा ज्ञानानंकर्मशयाचं लक्षित्वा बागथाजीग्रामे श्री शांतिनाथालये शुभं भवति प्राचार्य श्री पद्मकीतिये दतं हरिवंशाक्य महापुराणं ज्ञानावया ॥ ३१७४ प्रति सं० २७ । पत्र सं० २३० पुराण । २० काल । ते० काल स० १६५३ । प्रवाल मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १९५३ वर्षे माप सुदी जुधे श्री मूलसं सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक भी कीतिदेवाता सुवनकीर्तिदेवा तत्पट्टे ज्ञानभूषणदेवास्तपट्टे भट्टारक श्री विजयकोतिस्त म० शुभचन्द्रदेवास्तु भ० सुतिकीर्तिदेवास्तत्पट्टे म० नुकीतिदेवास्त्पट्टे भट्टारक श्री वादिभूषण तादाम्बाये श्री प्रकारे की सम्भवनाथ वैद्यालये श्रीसंपेन इदं हरिवंशपुराणं विलादि स्वज्ञानावरणीकमंशा ब्रह्म लाडका दत्तं । ३१७५. हरिवंश पुराण- खुशालचन्द । पत्र सं० २२३ पुराण २० काल सं० १७८० २० काल ० १८५२ पूर्ण वेटन सं० जैन मंदिर पंचायती दूनी (टोंक) । विशेष – फागी में स्योदक्स में प्रतिलिपि की थी। ३१७६. प्रति सं० २ ० २१६ १७८० वैशाख सुदी ३ ले काल x | अपूर्ण मन्दिर अजमेर | आ० १०३ X ५३ इन्च वेष्टन सं० २११ पूर्ण ३१७८. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ३१४ | [सं०] १७८० ० काल पूर्ण बेत सं० १३ विशेष- प्रति जी है। ३१७७. प्रति ० ३ ० २३६ ० १९४६ इव पुरा । र० काल सं० १७८० । ० काल सं० १८२६ । पूर्ण । वेष्टनसं० दि० जैन मन्दिर अजमेर | विषय- पुराण पूर्ण वेष्टन सं० ५६ प्रा० १२x६ इन्य वेष्टनसं० ३५० ० १०३ X ५ प्राप्ति स्थान ३१७६ प्रति सं० ५। पत्रसं० २६६ । आ० २० काल सं० १७०० वैशाख सुंदी ३ प्राप्ति स्थान- तेरहपंयी दि० जैन भाषा संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन RAJ भाषा - हिन्दी पद्य विषय१०० प्राप्ति स्थान- दि० विषय पुराण १० काल सं० प्राप्तिस्थान - भ० दि० जैन भाषा हिन्दी (पद्य) विषय१६१८ | प्राप्ति स्थान – म इव । भाषा - हिन्दी (पद्य) र० काल दि० जैन मन्दिर राजमहल (टॉक) LAMMA - हिन्दी (पद्य) : पौष सुदी ११ । १०३४५३ इञ्च । भाषालेखन काल सं० १५३५ मन्दिर नैसवा | Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ ३११ विशेष – महाराजा विशन सिंह के शासन में सदासुख गोदीका सांगानेर वाले ने प्रतिलिपि की थी । ३१५०. प्रति सं० ६ । पत्र सं० २२२ | श्रा० १२३४६४. इश्व । भाषा - हिन्दी (पद्म) । विषय - पुराण | र० काल सं० १७८० । ले० काल सं० १८३१ चैत ख़ुदी १३ । पूर्ण वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बू दी । ३१८१. प्रति सं० ७ । पत्र मं० २३१ । प्रा० ११५१ इस र० काल सं० १७८० । ले० काल सं १९६० श्रावण सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं०६१ जैन मन्दिर नागदी बूंदी | ३१०२.० आ० विषय - पुराण | र० काल x | ले०काल मं० १८४० । पूर्ण जैन मन्दिर कोट्यों का नैरण वा । भाषा - हिन्दी पद्य 1 । प्राप्ति स्थान दि० १२००६ इन्च भाषा - हिन्दी (पद्य) | नेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति स्थान दि० ५ इञ्च भाषा - हिन्दी पद्य । विषय -- १०३६ माह सुदी ५। पूर्ण वेष्टन सं० सिंह (टोंक) ३१८३. प्रति सं० है । पत्रसं० २७६ | श्र० १० पुराण | २० काल सं० १७८० वैशाख सुदी ३ । ले० काल सं० १०३ - २०८ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडार विशेष संवत् १६१५ में साहू हीरालाल जी तत्पुत्र जैकुमार जी अभवन्द जी ने। एवं कर्मक्षयाचं टोडा के मन्दिर सांवलाजी (रैया) के में चढाया था । पुण्य के तिमिन ३१८४ प्रतिसं० १० | पत्र सं० २१७ | आ० ११x६ ख | से० काल सं० १८४५ कार्तिक सुदी ५ । पूर्ण वेष्टन सं० ११६ / ७३ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष - ब्रजभूमि मथुरा के पास में पटेल माहिब के लम्कर में पार्श्वनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। ३१८५. प्रति सं० ११ । पत्रसं० २०१ | श्र० १३४६६ च । भाषा - हिन्दी पथ | विषय - पुराण | र० काल सं० १७८०1 ले०काल मं० १८८४ । पूरणं । वेष्टनं सं० १४२ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर बोरराली कोटा । ३१८६. प्रति सं० १२ । पत्रसं० २२३ | ० १३४ ६ च । भाषा - हिन्दी पद्य । ले० काल X । अपूर्ण वेष्टन सं० १४३ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । विशेष – २२३ से प्रागे पत्र नहीं है । ३१८७. प्रति सं० १३ । पत्र सं० २४२ । ० ११३६६६ भाषा - हिन्दी गद्य । विषय-पुराण | २० काल सं० १७५० । ले० काल X 1 पूर्ण वेष्टन सं० १६ । प्राप्तिस्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली 1 ३१८८. प्रति सं० १४ । पत्र सं० २३१ | भाषा - हिन्दी | विषय-पुराण | २० काल सं० १७५० वैशाख सुदी २ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । विशेष संवत् १७६३ वर्षे वैशाख मासे शुक्ल पक्ष द्वितीया शन लिखितोय ग्रंथ । साधर्मी पंडित सुखलाल बेला श्री सुरेन्द्रकीर्ति का जानो । Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१२ ] विशेष—कुन्दनाय तेरापंथी ने प्रतिनिधि की थी। दोहा- देश छाड सुहावनो, महावीर संस्थान । जहां बैठ लेखन कीat धर्म ध्यान चित मन । तीन सिखिए मंडी अति सोभं । गीर वह कोर मन मोहे ॥ वन उपवन सोभत अधिकार । मानौं स्वर्गपुरी अवतार ॥ दर्शन करन जावी श्रवं । धर्म ध्यान अति प्रीति बढाये ॥ श्री जिनराज चरन खो नेह । करतं सकल सुख पाये ते ॥ चन्दनपुर अकबरपुर जानि । मन्दिर द्विग जैसिंहपुर प्रानि ।। eir verir पंडित दो नर है तिस थान || सुखानन्द सोभाचन्द जान ता उपदेश लिख पुरान ॥ मार्ग गुद दोज सो जान॥६॥ ता दिन लिख पूरन करौ सो हरवंश सोसार | सुनें जो भाव सौ जो भनि उतरे पार । -- ३१८६. प्रति सं० १५ । पत्रसं० २३८ ख़ुदी 55 पूर्ण नेष्टन सं० १४७ प्राप्ति स्थान ३११०. प्रतिसं०] १६३३७ ०१२३६३ इस मार्च- हिन्दी पद्य विषयपुरा । र० काल सं० १७८० वैशाख सुदी ३ | अपूर्ण । बे० सं० ४६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन सोगानी मन्दिर हरौली | | ३१६१. प्रतिसं० १७ । पत्र सं० २६७ सं० १७८० । ले० काल X 1 अ । वैष्न सं० मन्दिर बसवा । आ० १२३X६ इव । ले० काल सं० १८७८ भादवा दि० जैन पञ्चायती मन्दिर करोली । — ३१६२. प्रतिसं० १८ । पत्रसं०] १८५ । विषय - पुराण । २० काल सं० १७०० वैशाख सुदी । ले०कास X प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा । पुराण २० काल. १६० ले० काल सं० । मन्दिर तेरहवंची दौसा । [ प्रन्थ सूची- पंचम भाग भाषा - हिन्दी | विषय - पुराण । २० काल ८७ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन तेरहपंथी ३१६३. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० १४५ । ग्रा० x पूर्ण | ग्रा० १२४०१ इश्व भाषा - हिन्दी पेय । सं०५-१४ पूर्ण १२४८ च । भाषा - हिन्दी । विषयवेष्टन सं० ६३ । प्राप्तिस्थान दि० जन Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुराण साहित्य ] [ ३१३ ३ ३१६४, प्रति सं० २० । पत्रसं ३१५ । या० ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी विषयपुराण । २० काल सं० १७८० । लेकाल सं. १८२८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७१ । प्राप्ति स्थानदि० जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ३१६५. प्रतिसं० २० (क)। पत्र सं० २४० । प्रा० १.१४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषयः-पुराण । २० काल सं० १७८० । ले फालसं.१८१४ कार्तिक बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४-६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर। विशेष-झाबरापाटन मध्ये श्रीशांशिनाय पल्यालये श्रीमुल संमें बदमारगर श्रीदना वाधये। ३१६६. प्रति सं० २१ ! पत्र सं० १६० | प्रा० १२x६ ईञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पुराण । २० काल सं० १७८० । से०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२:२५ । प्राप्तिस्थान–दि. जैन मंदिर भादवा । ३१६७. प्रतिसं० २२ । पत्रसं० २२७ । श्रा० १०१४५१ इच । भाषा-हिन्दी । विषयः-- पुराण । १० काल सं १७८० । ले०काल सं० १८२८ । पूर्ण । बेष्टन सं० १७:२१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर, भादवा (राज०)1 ३१६. प्रतिसं०२३ । पत्रसं०२६५ । भाषा--हिन्दी। विषय -पुराण । र० काल १७ से०कालx गर्ण । देशन स. २३ । प्राप्ति स्थान दिल जैन बहा पंचायती मन्दिर. है विशेष-४-५ पंक्तियों का सम्मिश्रण है। ३१६६. प्रति सं० २४ । पत्रसं० २८६ । आ. १२३ ४ ५६ इञ्च ।भाषा-हिन्दी पद्य विषय- पुराण । २० काल सं० १७८ । ले० काल सं० १८१२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थानदि जैन मंदिर दीवानजी चेतनदास पुरानी डीग । ३२००. प्रति सं० २५ । पत्रसं० २३० । प्रा. १२३४५इञ्च । माषा--हिन्दी (पद्य) । विषय पुराण । र० काल सं० १७८० बैशाख मुदी ६ । ले०काल सं १७६२ कातिक सुदी....रविवार । पूर्ण । वेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष—य लोक सं० ७५०० । बयाना में पं० लालचन्दजी ने प्रतिलिपि की थी। श्री खुशाल ने पंथ की प्रतिलिपि करवायी थी। ३२०१. प्रतिसं०२६। पत्र सं० १५१ । भाषा--हिन्दी विषय- पुराण । २० काल १७८० बैशाख सुदी २ ले काल सं० १८६६ कार्तिक सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३९ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-सुखलाल बुधसिंह ने भरतपुर में प्रतिलिपि करवाई थी। ३२४२. प्रतिसं० २७ । पत्रसं०.३०३ । भाषा-हिन्दी पद्म । विषम -पुराण । र०काल सं०१७८० । ले० काल सं० १८१७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४२ । प्राप्ति स्थान--दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । · विशेष-सागरमल्ल ने भरतपुर में लिखवाया था। ३२०३. प्रति सं० २८ । पत्र सं० २६४ । भाषा-हिन्दी । विषय-पुराण । र० काल सं०११८० । वंशाख सुदी ३ । ले० काल सं० १७६२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती :: मंदिर भरतपुर । ३२०४ प्रति सं० २६। पत्र सं० २९२ | लेकाल सं० १८१४५ पूर्ण । वेष्टन सं. १८१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-काव्य एवं चरित ३२०५. प्रकलंक चरित्र-x पत्रसं० ४१ । प्रा.८.४६ इञ्च । भाषा--हिन्दी गद्य । विषय--चरित्र । र० काल X । ले० बाल सं० १९८२ बैशाख सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ३२०६. अमरुक शतक--x। पत्रसं० १-६। भा० १०.४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । २० काल X । ले०काल सं० १५२ । वेष्टनसं०७२३ । प्राप्ति स्थान- दिन मन्दिर लश्कर जयपुर। विशेष—देवकुमार कृत संस्कृत टीका सहित है । ३२०७. अजना चरित्रभुवनकीति । पत्र सं० २५ । भाषा-हिन्दी। विषय-चरित्र । र०काल १७०३ । लेकाल सं० १९६०। पूर्ण । वेष्टन सं०७१६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३२०८. अंजना सुन्दरी उपई - पुण्यसागर । पत्र सं० ३२ । आ० ६x४ इन्च ! भाषाहिन्दी (पद्य)। विषय-काव्य । र०कास सं० १६६ सावण सुदी ५। ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं. १३८५। प्राप्ति स्थान-म. दि. जैन मन्दिर अजमेर । अन्तिम भाग ते गछ दीपं दीपत उसाच उर मझार । वीर जिणेसर रो जिहाँ तीरथ प्रयइ उदार ।। तासुपाटि अनुक्रम पालस सागर सूर । विनयराज कभंसामरु वाचक दोह सनूर ।। सासु सीस पुण्यसागर वाचक भएँ एम। ___ अजनासुन्दर चउपई परणवचते प्रेम ।। संवत सोल निवासीय श्रावण मास रसान। सुदि तिथि पंचम निर्मली द्धि वद्धि मंगल माल ।। । सर्वगाथा २४६ ।। ३२०६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १७ ग्रा. १०४४ इञ्च । ले. काल सं० १७२१ कार्तिक सुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० ७३२ । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-मेहतापुर में प्रतिलिपि हुई थी। ३२१०. अंबड चरित्र-x। पत्र सं. ३-५० । मा०x४३ इच। माषा-हिन्दी (पद्य) विषय-चरित्र । र० का X । लेकाल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान--दि• जैन मन्दिर दखलाना (बूदी) Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कामाख्यंगरित [ ३१५ विशेष-अन्तिम पुरुिपका निम्न प्रकार है-- बड वतुर्थ अादेश समप्त ।। ३२११. प्रादिनाथ चरित्र-x। पत्र सं. ३५ । प्रा. ८:४४, इञ्च ! भाषा-संस्कृत । विषय - चरित्र । र० काख ४ । ले० काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११०। प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष . . रचना गुरका के प्राकार में है। ३२१२. आदिनाथ के इस भव-x। पत्रसं० १० 1 भाषा-हिन्दी । विषय-जीवन चरित्र । २० काल x 1 ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ४२ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । विशेष पत्र ४ के बाद पद संग्रह है। ३२१३, उत्तम चरित्र...... । पत्रसं० १३ । पा० १०x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपरित्र । २० फाल X । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लपकर जयपुर । विशेष—श्वेताम्बरनाथ के अनुसार 'पन्ना शालिमद्र' चरित्र दिया हुआ है ।। ३२१४. ऋतु संहार-कालिदास पत्र ।सं० २१ । पा० १०४४. इच। भाषा संस्कृत । विषय-काव्य । र० कान ४ । ले० काल सं० १८५२ आषाढ़ सुदी १। पूर्ण । येष्टग सं० २४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) । ३२१५. करकण्ड चरित्र-मुनि कनफामर । पत्र सं० ३-७७ । प्रा० १०.४५ इञ्च । भाषा-अपनश | विषय-चरित काव्य । २० काल ४ । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १८४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। ३२१६. करकण्डचरित्र-म०शुभचन्द्र। पत्रसं० ५८ । आ. ११४४१ इञ्च ) भाषासंस्कृत विश्व... चरित्र । र. काल सं० १६११ । से काल सं० १६७० । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दीवामजी कामा । विशेष - प्रति जाण है। ३२१७. प्रति सं०२। पत्रसं०६५-१६६ । मा० ११५४ इच। ले०काल सं० १५७३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६३:५४ । प्राप्ति स्थान दिल जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । प्रशस्ति-संवत् १५७३ वर्षे श्री आदिजिनचैत्यालये थी मूलसं सरस्वलीगच्दले बुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री पद्यनं ददेवा तत्प? भट्टारक देवेन्द्र कीतिदेवा तत्प? भ० विद्यानन्दिदेवा सत्प? म. लक्ष्मीचन्ददेवा स्तेषां पुरतकं ।। श्री मल्लिभूषण पुस्तकभिदं । ३२१५. काव्य संग्रह-४ । पत्र सं० १५ । प्रा० १०x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय . काव्य । र काल X । ले० काल सं० १९५८ सावन बुयी ५ । पूर्ण । बेष्टन सं० १८६-७७ । प्राप्ति स्थान-दिक जैन मन्दिर कोटडियों का हूंगरपुर । विशेष—मेधाभ्युदय, वृन्दावन, चन्द्रदूत एवं केलिकाव्य श्रादि टीका सहित है। Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१६ 1 [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३२१६, प्रति सं० २। पत्र सं० ६ । प्रा. ७४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय काव्य । २० काल x । से कान x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ६०। प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर कोट्यों का नरणबा। विशेष-नवरल सम्बन्धी पद्ध है। . ३२२०. प्रति सं०३ । पत्र सं० २ । ले०काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६४ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मंदिर कोट्यों का नगवा । ३२२१. किरातार्जुनीय-भारवि। पत्र सं० १०६ | आ०८६ x ४३ इञ्च । भाषा--- संस्कृत । विषय-काश्य । २० कालX । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७०। प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर।। ३२२२. प्रति सं० २१ पत्र सं० १०२ । प्रा. १०३४५ इञ्च । लेकाल X । पूर्व । वेष्टन सं. १२५ । प्राप्ति स्थान---भ. दि जैन मन्दिर अजमेर । ३२२३. अतिसं० ३ । पत्र सं० ४४ । आ० ११४४१ च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२३८ 1 प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । ३२२४. प्रति सं०४ । पत्रसं० १३४ । मा० x ६ इञ्च।। ले०काल सं० १७६८ वैशाख सुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर यजमेर । विशेष-अजमेर में प्रतिलिपि हई थी। ३२२५. प्रति-सं०५1 पत्र सं०४४ । प्रा० १०x४ इच। ले. कालX । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ३२२६. प्रति सं०६। पत्र सं० ११२ । प्रा० ११ x ४१ इञ्च । ले. काल x । वेष्टन सं. २६३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष –सामान्य टीका दी हुई है । ३२२७. प्रति सं०७। पत्र सं० १४४ । प्रा० १२३ ४ ६ इञ्च । ले० काल X । वेष्टन सं. २६४ । प्राप्ति स्थान-दिक जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष--मेधकुमार साधु की टीका सहित है । ३२२८. प्रतिसं० ८. सं० १.1ले. काल X । पूर्ण । (प्रथम सर्ग है।) वेष्टन सं. ४२.1 प्राप्ति स्थान--दि जैन पंचायती मन्दिर हाण्डावालों का डीग । ३२२६. प्रति सं०६। पत्रसं० ४३ । प्रा. ११४५३१। ले०काल - । पूर्ण । वेष्टन सं. २०३। प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-धर्ममूर्ति शालिगराम के पठनार्थ द्विज हरिनाराण ने प्रतिलिपि की थी। ३२३०. प्रतिसं० १०। पत्रसं० ५.७ । आ०४६ इञ्च । लेकाल । अपूर्ण वेष्टन सं०. २१७ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। . Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३१७ विशेष प्रारम्भ में लिखा है सत् १८६६ मिति पौष नुदी ११ को लिखी गई शिवराम के पदनार्थं । ३२३१. प्रति सं० ११ आषाढ सुदी २ । पुर्ण । वे० सं० ८४ विशेष प्रति व्याख्या सहित है । -- । पत्र सं० १५५ । आ० १२३४४३ इव । ले० काल सं० १७८५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर नागडी बूंदी | ३२३२. प्रतिसं० १२ ।। पत्रसं० ११४ प्र० ८ ६ x ४ इ । ले० काल १७५० ज्येष्ठ सुदी १३ । पूर्णं । वेष्टन सं० ४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर नागदी बूंदी ! विशेष – लिपि विकृत है - १८ सर्ग तक है । ३२३३. प्रतिसं० १३ । पत्रसं० ७६ । ग्रा० ६४५ इव । ले० काल सं० १९०७ चैत सुदी ७ 1 पूर्ण वेष्टन सं० ६ । प्राप्तिस्थान- दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी । विशेष – ११ सर्ग तक है । कहीं २ संस्कृत में शब्दार्थ दिये हुये हैं । . ३२३४. प्रतिसं० १४ । पत्र सं० १२१ | आ० ११४४३ इंच | ०काल x | अपूर्ण । चेष्टन सं० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरराली कोटा । ३२३५. प्रतिसं० १५ । पत्रसं० ४६ श्र० १०६ इच ले० काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १८४ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी । विशेष-- ११ सर्ग तक है । ३२३६. प्रतिसं० १६ पत्र सं० ३२ । ग्रा० १११४४३ इव । ले० काल x 1 पू । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बोरसुली कोटा ! ३२३७. प्रति सं० १७ । पत्रसं० ४ । ले० काल सं० १७१२ भादवा सुदी ३ । पूर्ण वेष्टन सं० २४२ - ६६ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का गरपुर । विशेष- पं० भट्टनाथ कृत संस्कृत टीका सहित है प्रशस्ति--संवत् १७१२ वर्षे भाद्रपद मासे शुक्ल पक्षे तृतीय ३२३८. कुमारपाल प्रबन्ध- - हेमचन्द्राचार्य । पत्रसं० भाषा संस्कृत | विषय - काव्य । २० काल x | ले० काल X | अपूर्ण दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूंदी । ३२३६. कुमारसंभव - कालिदास । पत्र सं० संस्कृत | विषय - काव्य । र०काल x लेखन काल सं० १७५६ दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर | : • विशेष—टॉक नगर में पं० रामचन्द ने प्रतिलिपि की थी । ३२४०. प्रति सं० २ । पत्रसं० ३२ ग्रा० १० सं० २०४ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर लफ्कर जयपुर । ३२४१. प्रति सं० ३ । पत्र सं ० ४३ । घा० सं० २०५ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । लिपि सूक्ष्म है । ६ २४ | ० १०३४४३ इश्व | वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान बा० १०३x४ । इव । भाषा — वेष्टन सं० २०३ प्राप्ति स्थान X ४ इख ले० काल X X ३. इच्छ । ले०काल x 1. खून Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१८ ] । अन्य सूची-पंधन माग ३२४२. प्रतिसं०४। पत्र सं० ७४ । प्रा० ११४४१ इञ्च । ले०काल सं० १८४० पौष सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर राजमहल (दौंक)। ३२४३. प्रति सं०५। पत्र सं० २४ । ग्रा० १२४५ इन्च । ले०काल सं० १८२२ । पूर्ण । वेधन २२४ 1 प्राप्तिस्थान:- दि. जैन मंदिर राजमहल (टॉक) । विशेष-श्री चंपापुरी नगरे दाह्य चैत्यालये पं. वृन्दावनेन लिपि कृतं । ३२४४. प्रति सं०६ । पत्र सं०५३ । प्रा० ११४५३ इञ्च । ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन मं० २४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर नागदी दी। विशेष-सात सर्ग तक है। ३२४५. प्रति सं०७। पत्र सं०६० । प्रा० १०.४४३ इञ्च लेकाल सं० १७१६ ज्येष्ठ सुदी है। पूर्ण 1 देष्टन सं०६१1 प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-शुक्रवासरे श्री मूलसंधै सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे भट्टारक जयकौत्ति के शिष्य पंडित गुणदास ने लिखा था। .. ३२४६. प्रप्ति सं० ८ । पत्र सं०३८ । आ११४४ इञ्च । ले. काल सं० १६६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर कोरसली कोटा । प्रशस्ति-संवत् १६६६ वर्षे प्राषाढ़ बुदी द्वितीया शुक्रे श्री खरतरगच्छे भट्टारक थी जिनचंद्र मूरिभिः तत् शिष्य सोमकोक्ति गणि तत् शिष्य कनकवर्द्धन मुनि सन शिष्य कमल तिलक पठनार्थ लेखि । ___ ३२४७. कुमारसंभव सटीक-मल्लिनाथ सूरि । यत्र सं० ११४ । प्रा. ११४५ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय-काव्य 1 7. काबX ।ले. काल ४ पूर्ण । वेष्टन सं० ८६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर आदिनाथ व दी। विशेष- सातसंग तक है। ३२४८. प्रति सं० २ । पत्रसं० ७६ । प्रा. ११४४ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६० । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर नागदी दी। ३२४ह. क्षत्रवडामणि-बादीसिंह। पत्र सं०४६ । प्रा० १३x ४ इञ्च 1 भाषासंस्कृत | विषय - काव्य । २० कार x | ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ३४६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ३२५०. खंडप्रशस्ति काव्य-- ४ । पत्र सं७४ । भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । र०काल X । ले. काल x 1 पूर्ण । बेष्टन सं० १६०:२६१ । प्राप्ति स्थान-- दिन संभवनाय मन्दिर उदयपुर । ३२५१. प्रति सं० २ । पत्रसं० ४ । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१/२७० । प्राप्ति स्थान- संभवनाथ दि० जैन मंदिर उदयपुर । ' ३२५२. गजसुकुमाल चरित्र--जिनसूरि । पत्र सं० २० । आ० १०x४१ इञ्च । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय - कथा . . 6 काल सं० १६६६ वैशाख सुदी १३ पूर्ण । वेष्टन सं० ७३१ । प्राप्ति स्थान-भद्रारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३१६ .. ३२५३. गजसिंहकुमार चरित्र-विनयचन्द्रसूरि । पत्र सं० २-३३ । प्रा०६x ४३ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र 1 १० काल । ले०काल सं० १७५४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०२। प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर राजमहल टौंक । विशेष-प्रथम पत्र नहीं है। अन्तिम पृष्पिका एवं प्रशस्ति निम्न प्रकार है. -- इति श्री चित्रकीयगच्छे श्री विनयचन्द्र मुरि विचिते गजसिंह कुमार गरिने बेत्रली देशना पूर्वभाषस्मृता वर्णन दीक्षा मोक्ष प्राप्तिवर्सनो नाम पचम विश्राम सम्पूर्ण । । सं० १७५४ वर्षे मणिः सुदी को भी बुहारमा मन्डे पोलारले श्री खेमडाधिशाखामा वाचक धर्मनाचना धर्म श्री १०८ ज्ञानराजजी तत् शिष्य सोहराजजी तत् विनय पंडित थी अमरचन्द जी शिष्य रामचन्द्रनालेनिभद्र भूयात् । श्रीमेदपाटदेशे विजय प्रधान महाराजाधिराज महाराणा श्री जैसिहजी कुवरश्री अमरसिंह जी विजय राज्ये बहुदिन थी पोटलग्रामु चतुर्मास । ३२५४. गुणवर्मा चरित्र-मारिणक्यासुन्दर सरि । पत्र सं० ७४ । भाषा-संस्थत । विषयचरित्र । र० काल X । से०काल स० १८७४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ६०१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-मिरजापुर में प्रति लिखी गई थी। ३२५५. गौतम स्वामी चरित्र-धर्मचन्द्र । पत्रसं० ५२ । प्रा. ११३४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय- चरित्र । र० काब स. १७२६ ज्येष्ठ सुदी २ । लेकाल.सं. १९१७ यशाख सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०५.० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर विशेष—अजयगढ़ में जिनचत्वालय में प्रतिलिपि हुई थी। ३२५६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५२ । डा. ११३४४३ च । ले. काल x पूर्ण । बेष्टन सं० १५६४ । प्राप्ति स्थान- भ० वि० जैन मंदिर अजमेर । ३२५७. प्रतिसं०३। पत्र सं० ४४ । आ० ११ ४ ५४ इच । ले०काल सं० १८४० माह बदी। वेष्टन संग १५१ । प्राप्ति स्थान---दि जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। विशेष-सवाई प्रतापसिंह के शासन काल में श्री अस्तराम के पुत्र सेवाराम स्वयं ने प्रतिलिपि की थी। २२५८. प्रति सं०४ । पत्र सं०.३४ । प्रा० १२१४४३ इञ्च । ले. काल सं० १७२६ ज्ये सुदी २ । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-प्रति रचनाकाल के समय ही प्रतिलिपि की हुई थी । प्रतिलिपिकार पं. दामोदर थे। .' ३२५९. प्रति सं० ५। पत्र सं. ५० प्रा० १२४३ इञ्च । ले०कास ४ । पूर्ण । मेहन सं०१८ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ३२५६. प्रति सं० ६। पत्रसं०५७ । पा० १०४५ इश्च । ने०काल । पूर्ण । वेपन सं.६८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) . विशेष-भगवन्ता तनसुखराय फतेहपुर वालों ने पुरोहित मोतीरम से प्रतिलिपि कराई थी। Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२० ] [ प्रन्थ सूची पञ्चम भाग ३२६०. अतिसं०६। पत्रसं०५६ । आ०११-५ इञ्च । ले. काल सं०.१८४२ । पुर्ण । वेष्टन सं० ३६४। प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-सवाई जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ३२६१. घटकर्ष र काव्य-घटकपर । पत्रसं० ४ । प्रा० १.३४५ इञ्च । भाषा-- संस्कृत | विषय--काव्य । र०काच x | ले काल xबेष्टन सं०३०६। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित हैं। ३२६२. प्रतिसं०२। पत्रसं०४ । आ०१०१-५ इंच । र०कालX । ले० काल x । वेष्टन सं० ३१० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ३२६३. प्रति सं त्र मं० आ. १.१४५. दक्ष काल । वैष्टन सं०३११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ३२६४. प्रतिसं० ४। पत्र सं० ५ । आरु १२ ४६ इञ्च । लेकाल सं० १६०४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी दी। ३२६५. चन्दनाचरित्र-भ० शुभचन्द । पत्रसं० ३० । मा० १.४४१ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-चरित्र । २० कालXI ले०काल पूर्ण । वेष्टन सं०१२३७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर . ३२६६. प्रति सं० २१ पत्रसं० ३३ । प्रा० ११४५ इंच । ले. काल स. १८३२ प्राषाढ बुदी ११ पूर्ण । वेष्टनसं०१७२ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन-मन्दिर, लश्कर जयपुर । विशेष----जयपुर के लश्कर के मन्दिर में सुखराम साह ने प्रतिलिपि की थी। __.. ३२६७. चन्द्रदूत काव्य-विनयप्रभ । पत्र सं० १ । मा० १०४५६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-काव्य । २० कालर ।ले० काल सं० १८२५ प्राषाउ । वेष्टन सं० १०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ३२६८. चन्द्रप्रमचरित्र--यश:कीति । पत्र सं० १२१ । आ०६१४४३ इन्च । भाषाअपभ्रंश । विषय-चरिय । २० काल ४ । ले. काल X । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर भादवा । ३२६६. चन्द्रप्रभु चरित्र-वीरनंदि । पत्र सं०६७ । प्रा० १०३ ४ ५१ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-काव्य । २०काल सं० १०८२ । से०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ४३७ । प्राप्ति स्थान-भद्रारकीय दि० जना मन्दिर अजमेर । विशेष- जीर्ण शीर्ण प्रति है। . ३२७०. प्रति सं२ । पत्र सं० १२२ । प्रा० ११:४५ च । ने.काल सं० १६७६ मादवा मुदी १२ । पूरर्म । वेष्टन सं०६४ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय वि० जैन मन्दिर मजमेर । ... . ...: ३२७१.. प्रति सं०३ । पत्र सं. १२ । प्रा० ८४६३ छ । लेकाल' X । वेष्टन सं० ६४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन लाकर मन्दिर जयपुर ! ...::.:... " . । केयस अधम द्वितीय सम: जिसमें न्याय प्रकरण है-दिय है । प्रथम सर्ग अपूर्ण है। Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३२१ ३२७२. प्रति सं०४ । पत्र सं० १३८ । आ० १.१४.६ इन्च । ले० काल सं० १८२६ बैशाख सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष-दीर्घ नगर जवाहरगंज में चेतराम खण्डेलवाल सेठी ने प्रतिलिपि कराई थी। ३२७३. प्रति सं०५। पत्र सं० १२३ । प्रा० १२४४३ इश्च । ले० काल X । पूर्ण । बेटन सं० २०१। प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर वीथानजी कामा । ३२७४. प्रति सं० ६ । पत्र से० १२० । ले० कालसं० X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८१ : प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर हृण्डावालों का डीग । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है तथा अलग २ अध्याय है। ३२७५. प्रति सं० ७ । पत्र सं० ११६ 1 ले० काल सं० १७२६ मादवा सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६-४१ । प्राप्ति स्थान - दि० जन संभयनाथ मन्दिर उदयपुर । ३२७६. प्रति सं०८ 1 पत्र सं० ३-२०४ । प्रा० ११४४ इच । ले. काल सं० १६०८ । पपूर्ण । वैश्न सं० ३८७/२२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाय मन्दिर उदयपुर । संवत् १६०८ वर्षे प्राषाढ मासे शुक्ल पक्षे ११ तिथी रविवासरे सुरत्राण श्री महमूद राज्य प्रवर्तमाने श्री गंधार मन्दिरे श्री पार्श्वनाथ चैत्यालये श्री मूलसंधे सरस्वती गरे बलात्कारगणे कुदकुदाचार्यान्वये-- इसके लागे का पत्र नहीं है । ३२७७. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ३-१५ ! आ० ११४४ इश्च । ले. काल सं १७२२ मासोज सुदी १३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६७:२५ । प्राप्ति स्थान----दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष--बीच २ में पत्र चिपके हुए है तथा कुछ पत्र भी नहीं है । प्रति जीर्ण है। प्रशस्ति-सं० १७२६ में कल्याणकीर्ति के शिष्य ब्रह्मचारी संघ जिष्णु ने सागपत्तन में श्री पुरुजिन चैत्यालय में स्वपठनार्थं प्रतिलिपि की थी। ३२७८. प्रति सं०१०। पत्र सं० ८४ । मा०E३४७ इञ्च । ले० काल सं० १८६६ ! पूर्ण । वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूधी। विशेष-प्रशस्ति-मिती बंशास्त्र बुदी ६ मंगलवार दिने संवत् १८६६ का शाके १७६४ का सास का । लिखी नगरणा रायसिंह का टोडा में श्री नेमिनाथ चल्पालमे लिखी प्राचार्य श्रीकीतिजी - ३२७६. प्रति सं०११ । पत्रसं० ८६ | प्रा० १२४.८३ च ।ले. काल सं० १९४६ आषार सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७६ : प्राप्ति स्यान-पाश्वनाथ दि० जन मन्दिर दरगढ़ । ३२८०. चन्द्रप्रभ चरित्र ---सकलकीति । पत्रसं०.२२-५२ । प्रा० १२३४५६ इस । भाषासंस्कृत विषय चरित्र । २० काल x | लेकाल सं०४ । अपूर्णः । वेष्टनसं० ३१६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । : !:३२८१ चन्द्रप्रभ चरित्र श्रीचन्द । पत्रसं० १२६ । प्रा० १०४४३ इञ्च । भाषा-अपभ्रंश । विषय--चरित्र । र० काल X । ०-काल सं १७२ कातिक बुदी । पूणे वेष्टन सं० २२१- प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का 'गरपर । Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२२] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३२८२. चन्द्रप्रम चरित्र हीरालाल । पत्र सं० २३२। प्रा० १२३४७७ इञ्च । भाषाहिन्दी प० । विषय-चरित्र। र. काल सं० १९१३ । ले०काल सं १९६३ । पूर्ण । थष्टन सं० ४२ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहप र शेखावाटी (सीकर) 1 विशेष-प्यारेलाल ने देवीदयाल पण्डित से बड़वत नगर में प्रतिलिपि कराई। ३२८३. चन्द्रप्रभ काव्य माषा टोका। पत्र सं० १३३ । भाषा-हिन्दी । विषयकाय । र० काल x ले०काल x | अपूरणं । वेष्टन सं० २५६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। ३२८४. चन्द्रप्रभ काव्य टीका। पत्र सं० ५० । भाषा--हिन्दी विषय-काव्य । १० काल x1 ले०काल X । पूर्ण । ०सं० १५ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । ३२८५. चारुदत्त चरित्र दीक्षित देवदत्त । पत्रसं० १ १४२ । भाषा-संस्कृत । विषयचरित्र । १० काल X ।ले. काल सं० १८४७ । पूर्ण । . सं० २७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-रामप्रसाद कायस्थ ने प्रतिलिपि की थी। ३२८६. जम्यूस्वामी धोरत (जम्बूसामि चारत)-महाकवि वीर। पत्र सं० ६६ । प्रा. १०४४३ इञ्च । भाषा-अपभ्रश । विषय-काव्य । र०काल सं०१०७६ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ११३। प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-प्रति प्राचीन है। ३२८७. जम्बूस्वामीचरित्र-भ० सकल कीति । पत्र सं० ६२ । प्रा. ११४४३ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल X । लेकाल सं०१६६६ चैत्र बुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं. १२६२ । प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जी मन्दिर अजमेर ।। ३२८८. प्रति सं०२। पत्र सं० ५३ । ग्रा० १.१४४३ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३३३ । प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर ।। ३२८६. प्रति सं०३। पत्रसं० ११२ । प्रा० १०.४४. इञ्च । ले०काल सं० १८०६ । पुर्ण । वेष्टन सं० ३४५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर 1 विशेष-उपवास मध्ये श्री नथमल बटायितं । खण्डेलवाल लहाडिया गोत्र। ३२६०. प्रति सं०४१ पत्र सं०८६ । ले. काल स ० १६८५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर डीग । ३२६१. प्रतिसं० ५। पत्र सं०७६ । प्रा० ११:४४ इञ्च । ने. काल सं. १७०० माघ दी। पूर्ण । वेष्टन सं०३२४/५२ । प्राप्ति स्थान--संभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपर। विशेष –प्रति जीणं है । बीच में कुछ पत्र नहीं हैं । संवत् १७०० में उदयपुर में संभवनाथ मदिर में प्रतिलिपि हुई थी। ३२६२. प्रति सं०६। पत्र सं०६६ । प्रा० ११४५ इच। ले. काल सं० १६६७ । पूर्ण । बेधन सं० १७४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर ।। प्रशस्ति निम्न प्रकार है Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करग्य एवं चरित ] [ ३२३ संवत् १६६७ वर्षे माटवा सुदी १ दिने श्री वाग्वरदेशे लिक्षितं पं० कृष्णदासेन । ३२६३. प्रति सं०७। पत्रसं०६१। आ० ११४५ इञ्च । लेकात X । पूर्ण वेष्टन सं० २५३ । प्राप्ति स्थान दि. जैन प्रत्रवाल मन्दिर, उदयपुर । ३२६४. जम्यूस्वामी चरित्र-ब्रह्म जिनदास । पत्र सं. ६३ । प्रा० ११४४२ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय परित । १० काल ४ । ले०काल सं० १७०६ बार्तिक सुदी ५ । वेष्टन सं० ३ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष-विस्तृत प्रशस्ति दी हुई है। ३२६५. प्रतिसं० २ । पत्रसं०५४ । प्रा० ११४५ इञ्च । ने०काल x I पूर्ण । वेष्टन सं० १४६० । प्राप्ति स्थान-- भट्टारकीय दि० जन मन्दिर अजमेर । ३२६६. प्रति सं३ । पत्र. १२१ । मा० x ४ इञ्च । ले०काल सं०१८२८ मंगसिर सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४०१ । प्राप्ति स्थान–भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३२६७. प्रतिसं० ४। पत्र सं० १०६ । आ० १११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- दरित्र । २० काल ४ । लेकाल X । वेधन सं० २०४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ३२६८. प्रति सं० ५। पत्रसं० ७५ 1 लेकाल X । अपूर्ण 1 वेष्टन सं० २३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३२६६. प्रतिसं०६। पत्र सं०६८ | प्रा. १०१ ४ ५३ वश्च । ले० काल सं० १६७० । पूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ३३००. प्रतिसं०७। पत्र सं० १२ | प्रा० ११ x ५ इञ्च । ले कान सं० १६५१ असोज सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, वूदी। प्रशस्ति--संवत् १६५१ वर्षे अाश्विन सुदी ६ शुक्रवासरे मगथाक्ष देशे राजाधिराज थी मानसिंह राज्य प्रवर्तमाने थी मूलसंधे सरस्वती गच्छे बलात्कार गणे श्री कुदकु'दाचार्यान्वये । ३३०१. प्रति सं०८। पत्र सं० १५४ । आ० x ५ इञ्च । से०काल सं० १८७४ आषाढ सुदी ५ । पूर्ण । वेस्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर नागदी दी। विशेष-भट्टारक सुरेन्द्रकीति के गुरू भ्राता कृष्णचन्द्र ने दौलतिराव महाराज के कटक में लिखा गया 1 ३३०२. प्रति सं०६ पत्र सं०६६ । वा १०४५ इन । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ८६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पाश्यनाथ, चौगान बूदी । ३३०३. प्रति सं० १० । पत्रसं० ११६ । प्रा० १० x ५ इन्च । ले० काम सं० १६३२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पाश्र्वनाथ चौगान 'दी। - विशेच-चम्पावती में प्रतिलिपि की गयी थी ! प्रशस्ति अपूर्ण है। ३३०४. प्रति सं०११ । पत्रसं० ८८ 1 मा० १०३ x ५ इञ्च । मे०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० २०४-८४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का हूंगरपुर । Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची- पंचम नाग ३३०५. जम्बूस्वामीचरित्र पाण्डे जिमवास प० ३-४६ प्रा० १०३५३ । माषा - हिन्दी (१०) | विषय - चरित्र र० काल सं० १६४२ भादवा बुदी ५। ले० काल । पू । वेष्टन सं० २६ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा । विशेष – प्रति अशुद्ध है । ३२४ ] ३३०६. प्रति सं० २। पत्रसं० ६७ ० X ४ इव । ले० काल सं० १८८९ अपूर्ण । वैन सं० ६७ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा । विशेष – प्रतिजीं है। कामा में प्रतिलिपि हुई थी। ३३०७. प्रति सं० ३ सं० १२० ग्रा० ४ x ४३ ले०का स० १६२२ मार्गशीर्ष प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । । ग्यानीराम ने सवाई जंपुर में प्रतिलिपि की थी । पत्र १२७ से चौबीसी बीनती विनोदीलाल लालचंद कृत बीर है। सुदी ११ पूछें बेटन सं० १०५ विशेष- प्रति गुटकाकार है ३३०८. प्रतिसं० ४ पत्र सं० १२५ । आ० x ५ इञ्च । ले०काल सं० १६२५ फागुन सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन ०५ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) । अन्तिम संवत सोलासं तौ भए, वियालीस ता उपरि गए । भादों बुदि पानी गुरुवार त दिन कथा कीयो उचार ॥ अकबर पातसाह कउ राज, कीन्ही कथा धर्म के काजु । कोर धर्म निधि पासा साह, टोडर सुत भामरे साहू || तार्क नाम कथा ईह घरी, मधुरा पासे नित ही करी ॥ रबदास पर मोहनदास, रूपमंगदु बरु लक्ष्मीदास । धर्म बुद्धि तुम्हारे हियो नित्य, राजकर परिवार संजुत ॥ पढ़ें सुने जे मन दे कोय, मन बछित फल पाव सोय ।।१।। मिती फागुन सुदी १ शुक्रवार सं० १६२५ को सदा सुख वेद ने पूर्ण नगर में प्रतिलिपि की थी। ३३०८. प्रति सं० ५ पत्र [सं० २६ । चा० ११३८ इच से०काल सं० १०५४ यपूर्ण दे० ० ४६ / २५ प्राप्ति स्वामदि० जैन मन्दिर भागती दूनी (टोंक)। ३३१०. प्रतिसं ६ ० २५२ ० १२४ ६३ च वेष्टन सं० ६९ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष- सं० १८४१ की प्रति से प्रतिलिपि की गई थी। ३३११. प्रतिसं० ७ 1 काल सं० १९२० । पूर्ण । ० २०० ११३६ इच। ते० काल सं० १९६४ मंगसिर गुदी पूर्ण वेष्टन ८० १५० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। - विशेष प्रति सुन्दर है । ३३१२. प्रति सं० ८ पत्र सं० ३६ ॥ श्र० ११४५३ इंच । ले० काल सं० १७४५ वैशाख सुदी १३- पूर्ण वेटन सं० ११७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । विशेष --- ताजगंज आगरा में प्रतिनिधि हुई । Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं परित ] . . [ ३२५ ३३१३. प्रतिसं० ।। पत्रसं० २० । प्रा. १०.४७ इच। ले० काल सं० १६५५ कात्तिक सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६/७ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर अलवर ३३१४. प्रति सं०१०। पत्र सं० २१ । लेकाल सं १९२९ । ज्येष्ठ बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ३३२५. प्रति सं० ११ पसं० ६२ । प्रा० ११४५१ इन्च 1 काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १८१ । प्राप्पि स्थान-दि० जन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-प्रति प्राचीन है। ३३१६. प्रति सं० १२ । पत्र सं. २३ । आ० १२५ ४६३ इञ्च । ले. काल सं० १६०७ । पूणे । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन छोटा मन्दिर वमाना। ३३१७. प्रति सं० १३ । पत्रसं० २४ । ले० काल सं० १९३७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । । ३३१८. प्रति सं०१४ । पत्र सं० १८ । मा० १२३४६ इच । ले० काल सं० १८०० माघ बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६,४३ । प्राप्ति स्थान दि० जेन मन्दिर भादवा (राज.) ३३१६. जम्बूस्वामी चरित्र - नाथूराम लमेनू । पत्र सं०.२८ । ० ११ x १ इञ्च । भाषा-हिन्दी ग० विषय-चरित्र । र० काल X । ले. काल सं० १९८६ अषाढ़ सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६८ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-हरदत्तराय ने सं० १९६१ कात्तिक सुदी १५ अष्टाहिन का पर चढ़ाया था । . : ३३२०. जम्बु स्वामी चरित्र-x। पत्र सं० = ! भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र । र० काल । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३३२१. जम्बू स्वामी चरित्र-X। पत्र सं० २० । प्रा० २०१४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य प्रभाब । विषय-चरित्र । २० काल X । ले. काल सं० १८२६ । पूर्ण। वेटन सं० २७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । . . विशेष--संवत् १८२६ जेष्ठ बुदी ५ वार. सोमे लषीने साजपुर मध्ये लोखतं पाराजा सोना । ३३२२. जम्बू स्वामी चरित्र- पत्र सं० ६ । प्रा० Ex४ इञ्च । भाषा-हिन्दी (ग.) 1 विषय-चरित्र । २० काल x 1 ले० काल सं० १७४८ गाह सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) । ३३२३.. जम्बू स्वामी चरित्र-४ । पत्र सं०७ । प्रा० ११४ ६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-अरित्र । र० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०६५/२। प्राप्ति स्थान-दि. जैन पार्थनाथ मन्दिर इन्दरगड (कोटा)। . . ३३२४. जम्बू स्वामी चरित्र-४। पत्र सं० १३४ । प्रा. १० ४ ४ इञ्च । भाषा-प्राकृतसंस्कृत । विषय-चरित्र । र० कालX Iले. काल X। अपूर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन खंडेलवाब मन्दिर उदयपुर । .. विशेष-बीच २ में पत्र नहीं है। .. Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३३२५. जयकुमार चरित्र-अ. कामराज । पत्र सं० ११ । श्रा० ११ ४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र। र०काल ले. काल X । अपुर्ण । वेष्टन सं० ३१० । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-६१ से आगे के पत्र नहीं है । ३३२६. प्रति सं०२। पत्र सं० १३२ । आ.०x४३ हन्ध । ले. काल सं० १८१८ पौष मुदी १२ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचावती मन्दिर करौली। विशेष-पत्र सं०८२ से ६५ व ११२ से १३१ तक नहीं हैं। भरतपुर नगर में पाण्डे बखतराम से माह श्री चूदामरिण ने प्रतिलिपि कराई थी। 2 . ३३२७. जसहरचरिउ-पुष्पदंत । पत्र सं० ६१ : आ० १०.४४ च । भाषा-अपभ्रंश । विषय-कान्य र०काल x । ०काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं०२७१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिरीमान जी कामा ! ३३२८. प्रतिसं०२। पत्रनं० ६३ । प्रा० १०३ ४ ४ इश्व 1 ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दबलाना (बदी)। ३३२६. जसहर चरिज-x। पत्रसं० २६ । मा० १११४५ इन्च । भाषा-अपन श । विषय-काव्य । २० काल x | लेकाल सं० १५७८ आसोज सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं.६७० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर। विशेष-प्रति संस्कृत टिप्पण सहित है। ३३३०. जिनदत्त चरित्र-गुणभद्राचार्य पथ सं० ५३ । प्रा० १२९४४३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-काश्य । २० काल X । ले. काल X । वेष्टन सं० १९४ । प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर लश्वर, जयपुर । ३३३१. प्रतिसं० २१ पत्र सं. ४५ । प्रा० ११४५३ इञ्च । ले०काल X । वेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ३३३२. प्रति सं०३। पत्रसं०५४। प्रा. ६४५ इञ्च । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टनसं० २२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ३३३३. प्रति सं०४ । पत्र सं० ३६ । प्रा० १२ x ५ इंध । ले० काल सं० १८६२ । पूर्ण । वे० सं० २३४ प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष--कोटा के रामपुरा में श्री उम्मेदसिंह के राज्यकाल में प्रतिलिपि हुई थी। ३३३४. प्रति संख्या ५। पत्रसं०.३८ । ग्रा० १२४५ इञ्च । लेकालX । पूर्ण : वेष्टन सं. १२१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बू'दी। विशेष—यह पुस्तक सदासूख जी ने जती रामसन्द को दी थी। ३३३५. प्रतिसं०६ । पत्र सं० ६१ । आ० ६३४.४३ इन्च । लेकाल ४ । अपूरणं । वेष्टन म.७८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। . Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३२७ ३३३६. प्रति सं० ७ । पत्र सं० ४३ । ० १०३ x ४१ इन्च । ले० काल X। पूरणं । बेन सं० ३४७ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन प्रवास मन्दिर उदयपुर । विशेष- प्रति प्राचीन है । ३३३७ प्रतिसं० ८ । पत्र सं० ५० । ० ११३५ इञ्ज । ले० काल X। पूर्ण वेष्टन सं १२६ । प्राप्ति स्थान — दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष - भगवतीदास ने प्रतिलिपि की तथा नेमिदास ने संशोधित की थी। ३३३८. प्रतिसं० ६ । पत्रसं० ३६ प्रा० १२३४५१ इव । ले० काल सं० १६१६ मंगसिर बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन रा० ११६ ॥ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष -- प्रशस्ति पूर्ण है । गिरिपुर में प्रतिलिपि हुई श्री । ३३३६. जिनदत्त चरित्र - पं० लाखू । पत्र सं० १६४ ॥ भ० ११X५ इव । भाषा-अपभ्रंश | विषय - चरित्र । र० काल सं० १२७४ 1 ले० काल ४ । प्रपूर्णं । जीणं शरणं । वेष्टन सं० ६८ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर बड़ा श्रीसपंथी दौसा | I ३३४० प्रतिसं० २ १ पन सं० १०० १५६ | श्र० १० ५ इव । ले० काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ६९ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बोसपंथी दौसा | ३३४१. जिनदत्त चरित्र - रस्नभूषरण सुरि । पत्रसं० चरित्र | १० काल x | ले० काल X | अपूर्ण वेष्टन सं० ८८ / ७३ मन्दिर उदयपुर । विशेष - हांसोट नगर में ग्रंथ रचना हुई थी । ३३४२, प्रति सं० २ । पत्रसं० २३ । ले० काल सं० १८०० । पूर्वं । वेष्टन सं० ९६ / ७२ । प्राप्ति स्थान दि० जैनः संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ३३४३. प्रतिसं० ३ | पत्र सं० ३६ । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २७:७१ । प्राप्सि स्थान- दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । ३३४४, जिनदत्त चरित्र - X | पत्र सं० ६२ । ० १२३ x ७ इञ्च । भाषा - हिन्दी पद्म । विषय - वरित्र । र० काल X | ले० काल सं० १९८६ ज्येष्ठ ख़ुदी ११ पू । वेष्टन सं १६७ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । २८ । भाषा - हिन्दी | विषय - प्राप्ति स्थान दि० जैन सम्भवनाथ ३३४५. जिनदत्त चरित्र विस्वभूषण । एत्रसं० ७१ ॥ श्र० ११३ x ४२ इव । ले०काल X । पूर्ण । बेन सं० ७७ प्राप्ति स्थान–दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । प्रारम्भ- - श्रीजिन कन्दी भावसों तोरि मदन को बाण 1 मोह महातम पटल कों प्रगट भयो मनु नानु ॥ १ मध्यम भाग बनितास बातें कहें आओ हमारो देल । सुमर ग्राम जम्पापुरी बन में कियो प्रवेश ।। Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग चौपई दम्पति बन में पहुंचे जाह सूर्य अस्त रजनी भई पाह। कही प्रिया वनवारि मिटाइ, समनु करी विस्मै सुखपाई ।।३६।। . अन्तिम पाय : संवत सत्रह अस्तीस, नाम प्रमोदा ब्रह्माबीस, । अंगहन वदि पांच रविवार, अश्लेष ऐन्द्र जोग मुवार । यह चरित्र पूर्ण जब भयौ, प्रति प्रमोद कविता चित ठयो, ___ यह जिनदत्त चरित्र रसाल, तामैं भासौ नाथा विशाल । भव्यकजन पढियो चितुलाइ परत सुनत सभ्यकत्व विठाई।। - धर्म विरुद्ध छन्द करि छीन, ताहि बनायो पम्यौ परवीन । भव्य हेत मैं रच्यो चरित्र, सुनौ भव्य चित द वृष मित्र । याकै सनत कुमति सब जाइ, सम्यदिष्टि सुश्र होइ भाइ ।।१४॥ याके सुनत पुण्य की वृद्धि, याके सुनत होई गृह रिद्धि । " पाते सुनौ मव्य चितलाइ, याके सुनत पाप मिट जाइ । याहिं सुनत सुख सम्पति होई, यात सुनत रोग नहीं कोई। या मुनत दुःख भिटि जाई, याकं सुनत सुख होई भाइ ।।६।। नर नारि मन देक सुनौ, जाको जसु तिलोक में गनौ । । यह चरित्र सुनियो मन लाइ, विश्वभूषण मुनि कहत बनाइ ।। छप्पै ... . गंगा सागर मेर खोट प्रासापति मंगा । प्रह्मा विष्ण महेस तोय निधि गौरी यंगा। जोलों जिनवर धर्म तारा भुष मंडल सोभा। . . . . जो नौं सिद्धसम मुक्ति रामा स्लोभा। . .. . तो लौ तिष्ठों नथ यह श्री जिनदत्त चरित्र । विश्वभषण भाषा करी मुनियों भविजन भित्त ॥९८|| .... .. ... .: १ संधियां दे ।। ३३४६. प्रति सं० २। पर सं०७८ । श्रा० ११४५ इञ्च । से. काल सं०.१८२३ चैत बुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान दिः जन पंचायती मंदिर करोली। .. ...... विशेष-सोमचन्द भोजीराम असाल जैन ने करीली में प्रतिलिपि करवाई थी। ३३४७. प्रतिसं०३३पन स० ५२ । प्रा०.१२६४४५ इश्च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन स०२२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बैर। ___३३४८, प्रति सं० ४ । पत्र सं. १०४ । ०१४४१ इन्च । से. काल सं० १८७४ अगहन चुदी १० । पूर्ण । दे० सं०६५: । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर सौगाणी करोली । Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३२९ विशेष -व्रजलास ने गुमानीराम से करोली में प्रतिलिपि करवाई थी। ३३४६. प्रतिसं०५। पप्रसं०७१। ले०काल सं० १८०० चैत सुदी १११ पूर्ण। वेष्टन सं० ३६०। प्राप्ति स्थान -दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३३५०. प्रति सं० ६ । पत्र स० ८७ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर।। ३३५१. प्रति सं०७ । पत्रल० ५१ . ३ x : : । ... : ६.५१: "मारेज खुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३/८ । प्राप्ति स्थान -- दि० जैन पंचामती मन्दिर, अलवर । ३३५२. जिनदत्त चरित्र भाषा-कमलनयन । पत्र सं० ६६ । आ. १.३४ इन्च । भाषा-हिन्दी 1 विषय - कथा । र० काल सं० १९७७ । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८३ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मदिर अजमेर । विशेष- ०७१ गगन ऋषीश्वर रंध्रफुनि चन्दतथा परमांन । सब मिल कीजे एकद्धे संवतसर पहिचान ।। ३३५३. जोवन्धर चरित्र-X । पत्र सं० १५० । प्रा०.११४५ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय --चरित्र । २० काल X । ले. काल सं० १६०४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर श्री महावीर बदी। ३३५४, जीवन्धर चरित्र-शुमचन्द्र । पत्र सं० ११६। ग्रा० ११४४३ इंच। भाषासंस्कृत । विषय - चरित्र 120 काल सं० १६०७ 1 ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४ । प्राप्ति स्थानभ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३३५५. प्रति सं० २। पत्रसं० ८३ । प्रा० १११ ४.५ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण' । वेष्टन स. ६६ । प्राप्ति स्थान-द जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ३३५६. प्रतिसं०३ । पत्रसं० ५६ । प्रा० १२४ ६३ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० २०६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ३३५७. प्रति सं० ४ । पत्रसं० ६१ । आ० ११४५ इञ्च । लेकाल सं० १६१५ । पूर्ण । वेष्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर पंचायती दनी (टोंक) प्रशस्ति--संवत् १६१५ वर्षे फाल्गुन बुदी ८ बुधे श्री मूलमवें बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री विजयीत्तिदेवा तत्स? भ० श्री शुभचन्द्र देवास्तस्य शिष्य आचार्य श्री विमलकीत्तिस्तस्य शिष्य ब्रह्म गोपाल पठनाथ जीयंवर चरित्र यनेक मीमंत राज सुसेवित चरणारविंद चतुरंगसेन्य सफल लमी लक्षित राउल आसकरण राजे श्रीमजिस प्रशादराजि विराजिते सकलद्धिस कुल श्रावकजन संभुत शुद्ध सम्यकत्वादि द्वादशत प्रतिपालक पर जीवनकाय योजलक्षित चातुर्य मुगालतविग्रह सदासद् गुर्वाजा प्रतिपालन पुरेगो विराजित गिरास गिरपुरे जिन पूजनाया गछद् गच्छदिभः बहुभि स्त्रीपुरष नित्योत्सवे विराजिते निर्दलित कलि लीला विलास श्री आदिनाथ चैत्यालये हुंबद्धान्वये स्वयंगमंडप मणिसमान संधवी धमसी तस्य भा० धम्मा लयो मुत प्रथम जिनयक्षमीत्रायज-नपत्तिसगं चतुर्विवदानचतुरसाधार्मिक जलदान महोत्सव धशत सतति विहित-पुण्य-परम्परा पविश्रितःनिजकुलाकाश सुर्यसम संघवी जीवा तस्य भ्राया जीवादे तयोपुत्र Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३० ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग जगमाल तस्य भातृ सं० जयमाल भार्या जयतादे तस्य भगनी पूर्व पुण्यार्पित पूर्ण चलित नभए सपना सभतृ मसोया पक्ष तिलकोपमा सीतेन सीता संमामाधाविका जयवंती द्वितीया मगनी मांका निमित्व जीवंघर चरित्र शास्त्रं लिखाप्यदत्तं कर्मक्षयार्थ ३३५८. जीवन्धर सरित्र - रघु । पत्र सं १८५ । मा० ११२४ इन्च भाषाअपभ्रंश | विषय - चरित्र । र ४ । संबुद ७ वेष्टन सं० ९४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष - अकबर के शासनकाल में रोहितगड दुर्ग में बातचन्द सिंगल ने मंडलाचा सहकीर्ति के लिए पांडे केसर से प्रतिलिपि करवायी थी। प्रशस्ति काफी बड़ी है। 1 ३३५९. जोनम्बर चरित्र- दौलतराम कासलीवाल । पत्रसं० ६० | इन्च भाषा हिन्दी (पच) विषय- चरित्र । १८०५ । पूर्णं । वेष्टन सं० २२० । प्राप्ति स्थान पा० १०x २० काल सं० १८०५ भाषा सुदी २ ले० काल सं० दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष – स्वयं अंधकार के हाथ की लिखि हुई मूलप्रति है। इस ग्रंथ की रचना उदयपुर धानमंडी अग्रवाल जैन मन्दिर में सं १८०५ में हुई थी। यह ग्रंथ यत्र तक प्राप्त रचनाओं के अतिरिक्त है तथा एक सुन्दर प्रबन्ध काव्य है । ३३६०. जीवन्धर चरित्र प्रबन्ध-भट्टारक यशः कीर्त्ति पत्र सं० २१ भाषा - हिन्दी । । । विषय - चरित्र । २० काल X | ले० काल सं० १८६३ भादवा बुदी १४ पूर्णं । वेष्टन सं० १०७ : ६१ । प्राप्ति स्थान वि० जैन भवनाथ मन्दिर उदयपुर । । विशेष- दक्षिणदेश में मुरमग्राम में चन्द्रप्रभु चंव्यानय में इंमज्ञातीय लघुशासा में शई ज्येष्ठी ताराचन्द बेटी श्री गुजरदे मुई (मुंबई) ग्रामे ज्ञानावरणकर्म अवार्थ वस्त्रदान करनाव । ३३६१. जीबन्धर चरित्र - तथमल विलाला । पत्रसं० २०५ | आ० १४६×८३ इंच । भाषा - हिन्दी पञ्च | विषय - चरित्र । र० काल सं० १८३५ कार्तिक सुदी 8 | ले० काल X | पूर्ण । वेष्टन सं०८ प्राप्ति स्थान वि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। I विषय—गोरखराम की धर्मपत्नी जया की माता ने बीर सं० २४४२ में बड़े मंदिर फतेहपुर में चढ़ाया था। ३३६२. प्रतिसं० २ पत्र सं० ४४ प्रा० ९४६ इन्च से० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ५७ ॥ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ जोगन बंदी ३३६३. प्रति सं० ३ ० १३ प्रा० १२४६ इले० काल X। पू । बेष्टन सं १५० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी। । । ३३६४, प्रति सं० ४ ० १६१ ० ११३५५३ इंच से भाल X। पूर्ण । ले०काल वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान--- दि० जैन मन्दिर पंचायती करौली । विशेष करौली में दुलाल ने जिवाया था। ३३६५. प्रतिसं० ५ पत्र सं० ११४० १२४६३ इच। वे० काल । पू । वेष्टन सं ०६५ - ११४ | प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दोसा । विशेष-तेरापंथी चिमनसान ने प्रतिलिपि की थी। Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काथ्य एवं चरित ] [ ३३१ ३३६६. प्रति सं०६। पत्र सं० २७ । प्रा० ११४ ८२ इञ्च । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । विशेष-दौसा में प्रतिलिपि हुई थी 1 ३३६७. प्रतिसं०७। पत्र सं० १०५ । ले काल सं० १९३२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन लेरहपंथी मन्दिर असधा । ३३६८. प्रति सं० ८ । पत्र सं० २१३ । प्रा० १३३४६ इञ्च । लेकाल सं० १६८ भदवा सुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर सौगानी करोली। ३३६६. प्रतिसं०६ । पत्र सं० १३७ । या० १३४६ इंच । लेकाल सं० १८३६ मादवा बुदी ३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६० । प्राप्तिस्थान दि. जैन पंचायती मंदिर करौली। विशेष-- पत्र २ से ४६ तक नहीं है । नथमल विलाला ने अपने हाथों रो हीरापुर में लिखा। ३३७०. प्रति सं०१० । पत्र सं १८४ ग्रा० ११३ ४ ५ इन्न । लेकाल सं० १८३६ भाददा बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली। . विशेष - संवत् अष्टादरा सलका गुनतालीस विचार । भादों वदी तृतीया दिवस सहरा रस्म वर वार ।। चरित्र सुलिख पूरन कियो हीरापुरी मझार । नयमल ने निजकर यकी, धर्म हेतु निरवार || ३३७१. प्रति सं० ११ । पत्रसं० १३० । ले० काल सं० १८९१ । पूर्ण ! वेष्टन सं० ६० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । विशेष -गोपालदासजी दीध (डीग) वालों ने प्रागरे में प्रतिलिपि कराई थी। ३३७२. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ११-१४६ । प्रा० १२३४७३ इञ्च । ले०काल XI अपूर्ण । वेष्टनसं० ७१ । प्राप्ति स्थान --दि जैन पंचायतो मन्दिर बघाना । ३३७३. प्रति सं० १३ । पत्र सं० १२७ । आ. १३४५६ इञ्च । ले. काल सं० १९६७ भादवा मुदी छ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर कामा । विशेष –पालमचन्य के पुत्र विमानंद तथा विजयराम खंडेलवाल बनाबरी गोत्रीय ने बयाना में प्रतिलिपि की । हीरापुर (हिण्डौन) के जती बसन्त ने बयाना में प्रतिलिपि की की थी। ३३७४. प्रति सं० १४ । पत्रसं० १५२ । प्रा० १२ x ६१६च । ले० काल x | अपूर्ण । पेष्टन सं० १२० ! प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष प्रशस्ति वाला अंतिम पत्र नहीं हैं। ३३७५. प्रतिसं०१५ । पत्रसं० १३५ । प्रा० १२३४७१ इञ्च । ले० काल १९५६ चैत्र बुदी ५ पूर्णं । वेष्टन सं० ४५० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन, मंदिर लश्कर जयपुर । .:: विशेष – बद्रीनारायण ने सवाई जयपुर में प्रतिलिपि की थी। .: .. ३३७६. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० ८५ 1 ले. काल सं० १८६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७८१ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पचायती मंदिर भरतपुर । Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३२ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ३३७७. प्रति सं० १७ पत्र० १४२ । प्रा० ८३६३ हच जे० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ७ प्राप्ति स्थान दि०जैन सवाल पंचायती मंदिर सलवर । ३३७८. प्रति सं० १८० १११ ० १३८ बुदी १३ । पूर्ण वेष्टन सं० ६४ २०४ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर। ३३७६ प्रति सं० १६ । पत्र० ११७ | से० कालसं० १६६८ मंगसिर बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५ / २०४ प्राप्ति स्थान दि० छैन पंचायती मन्दिर धनवर | ३३८०. प्रति सं० २० सं० ६०-१०० प्रा० १२४६ इच से काल मपूर्ण वेष्टन सं० ८४ ।। प्राप्त स्थान दि० जैन मन्दिर कोटयों का नैणवा ! — ३३८१. प्रति सं० २१ ० १२० वा० १३५६१ इञ्च ले०काल सं० १६०५ । पूर्ण वेष्टन सं० ५७ । प्राप्ति स्थान- तेरहपंथी दि० जैन मन्दिर नंगा | ३३८२. गायकुमारचरित्र - दुष्पदन्त । पथ ८२ । ० १० १ ४ ४] इव । भाषा - अपभ्रंश दिषद नरिव । २० काल है । ले० काल सं० १६२५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २५६ | प्राप्ति स्थान दिए जैन मन्दिर दीवान जी कामा — ३३८३. प्रतिसं० २ ० १ १ ६ ० १५६४ फाल्गुण चुदी १४ । ६ । स० ३२ | प्राप्तिस्थान- दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा १ विशेष निमन्त्रनाये इश्वाकशे गोलारान्त्रये साधु वीरोग पंचमी व्रतो छापनं लिखायितम् 1 ३३८४ प्रतिसं० ३ वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय ०ि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष यादि सन्त भाग नहीं है। ० काल १९६२ भादवा ० ३४० प्रा० १० X ४] इस से०का X वपूर्ण । I ३३८५. मिचरिउ महाकवि दामोदर पप० ६२ पण विपरा०कान X ले०काल X। मपूर्ण दि०जैन मंदिर तेरी दोसा ३३८७. दोपालिका चरित्र - X। विषय-चरित्र । र० काल x । ० काल X दि०जैन मन्दिर अजमेर । विशेष— ५२ से आये पत्र नहीं है । -- ३३८६. ष्ठशलाका पुश्य चरित्र - हेमचन्द्राचार्य संस्कृत विषय परिष २० का X ले० काल X 1 यपूर्ण वेष्टन सं० ६६ सेरपंथी वि० जैन मन्दिर बसवा पत्र [सं० ४ पूर्ण । वेष्टन विशेष-मुनिशुभकीर्ति लिखितं । ३३८८. दुर्गमबोध सटीक X | पत्रसं० ४० संस्कृत विषयका र० काल X ले० काल X जैन मन्दिर श्रादिनाथ बूंदी | प्रपूर्ण ० ११५ इछ । भाषाबेस [सं० २६ प्रापि स्थान- पत्र० १६-११७ भाषाप्राप्ति स्थान- ० ६x४१ इव भाषा-संस्कृत । ० ५२४ प्राप्ति स्थान- भट्टारकीप ० १४४६ इन्च भाषावेष्टन सं० १३ प्राप्ति स्थान दि० Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] ३३८६.बुर्घट काव्य ४ । पत्रसं०६ । आ. ११३ ४ ५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयकाव्य । २० काल X । ले०काल ४ । वेष्टन सं० ३१४ । पूर्ण । प्रारि स्थान- दि. जैन मंदिर, लश्कर, जयपुर। ३३६०. धन्यकुमार चरित्र-गुणभद्राचार्य । पत्र सं. ४० । पाए ११४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषप-चरित्र । र०काल x 1 ले. काल x पूर्ण । वेष्टमसं० ६८ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३३६१. प्रतिसं० २ । पत्र सं०६३ । श्रा० ११४४ इंच । ले० काल सं० १५६५ ज्येष्ठ सुदी १४ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २१८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष-देवनाम नगर में पार्श्वनाथ चैत्यालय में थी सूर्य सेन के राज्य में ब श्री रावत बैरसम्म के राज्य में बाकुलीवाल गोत्र वाले सा० फौरात तथा उनके घंशजों ने प्रतिलिपि करायी थी। ३३६२. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ५२ । प्रा० ११ x ४ इञ्च । लेकाल सं० १५६५ । पूर्ण । घेष्टन सं० ७६/३२ । प्राप्ति स्थान-पार्वनाथ यि जन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवन् १५६५ वर्षे ज्येष्ठ सुदी ११ बृहस्पतिवासरे श्री मूलराधे नंद्याम्नाये बलात्कारमाणे सरस्वतीगच्छे कुदकु'दाचार्यान्वये भट्टारक थी पर.नंदि देवारतत्प? भ० श्री शुभचन्द्र देवास्तदाम्नाये रूहेलपात्रान्वये कांधा बाल गोत्र सा० चे सद्भार्या चोख सिरि सा० नायू द्वि. नाह तुतीय गागा। नाथू भार्या सर,श्री दि नेमा तृ० भुभू । नाल्हा मार्या नारगर्दै। गंगाभार्या गौरादें एतेषां माये सा० नाथू इदं शास्त्र लिखाप्य मंडलाचार्य श्री धर्मचन्द्रार्य दत्त.... यह पुरसक इन्दरगढ़ मंदिर की है। ३३६३. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० ४४ । आ० १०x४१ इन्च । ले. काल सं० १६७६ भादवा सुदी २ बेन सं० १२६१ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर लश्कर जयपुर। विशेष – जहांगीर के राज्य में चम्पावती नगर में प्रतिलिपि हुई। प्रशस्ति विस्तृत है । ३३६४. प्रति सं० ५। पत्र सं० ५० । आ० x ४ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । २०काल ४ । ले० काल सं० १५८२ ज्येष्ठ सुदी १० । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान-दिगावर जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष-हसनपुर नगर के नेमिजिन चैत्यालय में श्रुतवीर ने प्रतिलिपि की । ३३६५. प्रति सं०६ । पत्र सं० ४१ । प्रा० ११४५ इंच । ले०काल सं० १६०५ माह बुदी है। वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर लस्कर, जयपुर । विशेष-लेखक प्रशस्ति विस्तृत है। तक्षक गढ़ में सोलंकी राजा रामचंद के राज्य में मादिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई। ३३६६. धन्यकुमार चरित्र-सफलकोति पत्र सं ५६ । प्रा० ११४ ४१ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल X । लेकाल सं० १६७३ । पूर्ण । वेष्टन संभ ६५२ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । ३३९७. प्रति सं० २ । पत्रसं० ५३ । ले०काल ४ । पूर्ण। वेष्टन सं० ४०३/४७ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर। Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३४ ] [ ग्रन्थ सूची-पचम भाग ३३६८. प्रविसं० ३ । पत्र सं० २५ । लेकाल X अपूर्ण । वेष्टन सं० ४०४/४८ 1 प्राप्ति स्थान--सभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर । ३३६. प्रति सं०४ । पत्रसं० ४३ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४०५/५० । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । ३४००. प्रति सं०५ । पत्रसं० २.३५ । ले०काल X । अपूर्ण । चेष्टन सं० ४०६/४६ । प्राप्ति स्थान–संभवनाथ दि० जैन मंदिर उदयपुर । ३४०१. प्रति सं०६ । पत्र सं०७० । प्रा० ११ x ५१ इञ्च । ले• काल x । वेष्टन सं० १५८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लपकर, जयपुर । ३४०२. प्रतिसं०७। पत्रसं० ५३ । आ०१०४६ इन्च । ले. काल सं० १८६७ । पूर्ण । वे० सं०३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-दी में पं. नन्दलाल ने प्रतिलिपि की । ३४०३. प्रति सं० ८ । पत्र सं० ४१ । पा० १.१४४३ इञ्च । ले. काल सं० १६६७ पूर्ण। बेष्टन सं०८८ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। विशेष-संपावती में ऋषि श्री जेता जी ने प्रतिलिपि करवायी। ३४०४. अतिसं०६। पञ्च सं० २० । प्रा० १३४५ इञ्च । खे० काल सं० १९३६ । पूर्ण । वेष्टन सं०६० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर पाश्वनाथ दी। विशेष-वृन्दावती में नेमिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की गई। ३४०५. प्रति सं०१०। पत्र सं० ४२ । प्रा० १२४६ इञ्च | ले० काम X । पूर्ण । वेपन सं०११७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बू दी । ३४०६. प्रति सं० १११ पत्र सं०६-४० । प्रा० १२४५३ इञ्च | ले०काल स. १७४० माघ मुदी ४ । पूर्ण । वेपन सं० २१३ । प्राप्ति स्थान-पार्श्वनाथ दि जैन मन्दिर इन्दरगढ़ । ३४०७. प्रति सं० १२ । पत्रसं० ३७ । आ०१२४५ इञ्च । ले०काल सं० १७९८ फागुण सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) विशेष –५० केशरीसिंह ने सवाई जयपुर में लिखा । अन्तिम प्रशस्ति-पाति साह श्री महमद साह जी महाराजाधिराज थी सवाई जयसिंह जी का राज में लिखो शांगा साहू के देहुरी जी मध्ये पं० वालचंद जी के शास्त्रम् उनासो छ जी । ३४०८. प्रतिसं०१३ । पत्रसं०४७ । श्रा० १.१ x ५ इंच । ले० काल सं. १८५८ जेष्ठ. बटी १३ । पूरणं । वेष्टन सं० ८५ । प्राप्ति स्थान - दि० जनमन्दिर बोरसली कोटा। विशेष -५०. शम्भूनाथ ने कोटा में लिखाया । ३४०६. प्रतिसं०१४ । पत्रसं०६० १ ले. काल सं० १७५२ वैसाख बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-कनाडा नगर में प्रतिलिपि हुई। ३४१०. प्रतिसं १५। पत्र सं०३० । पा० ११४५ च । ले. काल सं० १८१२ श्रावण सुदी २ । पूर्ण । बेष्टन सं०५७-३०। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दौसा । विशेष-देवपुरी में प्रतिलिपि हई । Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] ३३५ ३४११. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० ४२ । आ० १११ x ४ इश्च । लें काल सं. १६३५ पूर्ण । बेष्टन सं० १२४-५७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । प्रशस्ति - संवत् १६३५ वर्षे प्रासोज बुदी ४ शनी श्री मूलसंधे सरस्वती गच्छे बलात्कारगरणे भट्टारक श्री कुदकुदाचार्यान्वये भट्टारक श्री सकलकत्ति तत्पट्टे भ० श्री जसकीति तर शिष्य मालाचार्य श्री गृणचंद्र तह शिव प्राचार्य श्री रताप तद वच बना हरिदास व पनार्थ । ३४१२. प्रति स १६ । पत्र सं० २५ । या० १२३४ ६ इञ्च । ले०काल सं० १८७१ । पूर्ण । व० सं० ४३.२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का झंगरपुर । विशेष-लिखी भरतपुर माह मिती जेठ वदी १ धार वीसपतबार संवत् १८७१ । ३४१३. प्रति सं० १५ । पत्र सं० ४५ । मा० ११.४४३ इञ्च । लेकाल सं० १७२८ पूर्ण । बेशन सं०४८-३० । प्राप्ति स्थान कि जैन मन्दिर कोटडियों का हुगरपुर । प्रशस्ति-सं. १७२८ वर्ष श्रावण वदी ४ ! शनी रामगड मध्ये लिखीतं । भ. विजय नीति की यह पुस्तक, ऐसा लिखा है। ३४१४, धन्यकुमार चरित्र-० नेमिदत्त । पत्र स० २४ 1 आ० १०.४४, इव । भाषा-संस्कृत 1 विषय-चरित्र । २० काल X । ले०काल सं० १७०२ चैत्र सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१३ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । ३४१५. प्रति सं० २। परसं० २३ । पा. १०४६इश्च । लेकाल. - । पूर्ण । वेष्टन सं० ८५। प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर राजमहल टोंक । ३४१६. प्रतिसं०३ । पत्रसं० २० । आ० १२४५ इञ्च । पे०काल सं० १५.९६ बैशाख सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१६ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि० अन मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति जीर्ण है। ३४१७. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २४ । प्रा० ११:४५३ इञ्च । ले० काल सं० १७२६ आसोज बुदी १४ । वेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष - बालकिशन के पुत्र जोसी नाथू ने कोटा में महावीर त्यालय में पं० बिहारी के लिए प्रतिलिपि की। ३४१८. प्रति सं० ५। पत्र सं. २६ । ना. ६३४५ इन्च । ले०काल सं० १७६३ माघ बुदी ५ । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर लपकर जयपुर । विशेष-झलायनगर के पाधवनाथ चैत्यालय में ब्र. टेकचन्द्र के शिष्य पाण्डे दया ने प्रतिलिपि की | ३४१६. प्रतिसं०६। पत्र सं० ४३ 1 आ० ८४४३च । ले० काल सं० १७२४ मंगसिर चुदी ५ । वेष्टन सं० १६१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर। विशेष-होडौली नगर के पार्वनाथ चैत्यालय में श्री आचार्य कनककीति के शिष्य पं. रायमल्ल ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की। ३४२०. प्रति सं०७ । पत्रसं० ४१ । पा. १३४४३ इंच। ले. काल सं० १७७१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ दी। विशेष--अंबारती में ग्रंथ लिखा गया था। भ० नरेन्द्रकीति को माम्नाय में हमीरदे ने प्रथ मिलवाया। Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३६ ] [ ग्रन्य सूची-पंचम भाग ३४२१. प्रति सं०८। पत्र सं०२७ । प्रा० १०x४३ इन। ले. काल सं० १७०३ पौष बुदी १२ पर्ग। बेष्टन सं० ७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टीक) जाणं । विशेष-बहा मतिसागर ने स्वयं अपने हाथों से लिखा 1 ३४२२. प्रति सं०९ पर सं०१८ 1 प्रा० १०.४५ इञ्च । ले. काल सं० १६६८ पूर्ण । वेष्टन सं०१५८-७० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर । प्रशस्ति--संयत् १६६८ वर्षे कात्तिक मुदि २ री प्रतापपुरे श्री नेमिनाथ चैत्यालये भट्टारक श्री वादिगण तत्सीय प्राचार्य श्री जयकीति तशीष्य ब. सदराज पठनार्थ उतेश्वर गोत्रे सा० छांचा भार्या भावका तदोपुर रा. संतोष तस्य भार्या जयती दि० पुष थी वंत सस्थ मार्या करमाइती एतं स्व ज्ञानावर्णी कर्म क्षयार्थ । ३४२३. धन्यकुमार चरित्र-भ० मल्लिभूषण । पत्रसं० २० । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-वरित्र । २० काल xले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० २३६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर पाश्यनाथ चौपागवूदी 1 विशेष प्रति प्राचीन है। ३४२४. घन्यकुमार धरित्र-x. पत्र सं०५। आ०१२४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल x लेकालX अपूर्ण । वेष्टन सं० १७८/५३ । प्राप्ति स्थान पार्श्वनाथ दि. जैन मंदिर इन्भरगढ़ (कोटा) । ३४२५. धन्यकुमार चरित्र-खुशालचन्द काला। पत्र सं० ४० । श्रा० ११४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषम-चरित्र । २० काल X । लेकाल सं० १६५७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४५१ । प्राप्ति स्थान --मदारकीय दि.जैन मन्दिर अजमेर । ३४२६. प्रतिसं० २ । पश्च सं० ४२ । प्रा० ११:४८ इञ्च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५१ प्राप्ति स्थान -..भद्रारकीय दिजैन मन्दिर अजमेर । ३४२७. प्रति सं०३। पत्र सं०६१। प्रा०१.१४५ इञ्च । से०काल xपूर्ण । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-तेरहपंथी दि० जैन मंदिर शावा। विशेष-अतिम पद्य निम्न प्रकार हैं -- चंद कुशाल कहै हित लाय, जे ज्ञानी समझ निज' पाय । भूघातम लो लानत भ्रात, प्रमुभ कर्म सब ही मिट जात । प्रारंभ के तथा बीच २ के कई पत्र नहीं है। ३४२५. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ५२ । प्रा०६:४५ इञ्च । ले० काल सं० १९७६ । पूर्ण । देष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-प्रप्रवाल दि जेन मन्दिर नैरणवा । ३४२६० प्रति सं० ५ । पत्र.सं० ३५ । आ० १२:४६ इञ्च । लेकाल सं० १८१६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कोटयों का (नरणवा) : ३४३०. प्रति सं२.६१ पत्र सं० ४७ । आ० ११ X ५ इश्च । ले०काल सं० १९०३ । पूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान-दि.जैन मदिर, पंचायती दणी (टोंक)। Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एव चरित ] [ ३३७ ३४३१. प्रति सं० ७ । पत्रसं० ३१ | आ० ११X५ ६ । ले० काल X पूर्ण । वेष्टन सं० ६१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) ३४३२. प्रति सं० पत्र स० १६ । य० १०३ ४ ५ इंच | ले० काल X | अपूर्ण बेष्टन सं० २३८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर राजमहल टोंक । ३४३३. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ६६ ॥ प्रा० १०३ X ५ इंच । ले० काल सं० १०६२ फागुन हृदी ७ पूर्ण वेष्टन सं० प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर राजमहल टोंक विशेष : :- श्रमीचन्द के लघु भ्राता श्रावनन्दजी ने राजमहल के चन्द्रमम चैल्यालय में ब्राह्मण सुखलाल वाम टोडा से प्रतिलिपि करवाई । ३४३४. प्रति मं० १० । एत्र सं० २० ॥ श्र० १४X७३ इंच । ले० काल सं० १९०७ भादवा ख़ुदी ६ । पूर्ण वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मंदिर श्री महावीर बूंदी | ३४३५. प्रति सं० ११ । पत्र [सं०] १३ | श्र० १०७ ६ च । ले० काल स० १९५५ । वेष्टन सं० २२२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर नागदी बूंदी | ३४३६. प्रति सं० १२ । पत्र सं० २६ । प्रा० ६३ x ४१ इ च । ले० काल स० १८७४ सावन सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४० । प्राप्ति स्थान — दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । विशेष नेमीचन्द्र ले गुमानीराम से करौली में प्रतिलिपि कराई । ― ३४३७. प्रति स ०१३ | पत्र सं० ४१ | आ० ६३x६ च । ले० काल सं० १७०० शाख सुदी १ । पूर्ण वेष्टन सं० ७३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर करौली । विशेष त्रावती नगरी में प्रतिलिपि हुई । -9 I ३४३८. प्रति सं० १४ । पत्र स० ८५ । भा० ६x४२ इंच | ले० काल सं० १८१९ माघ शीर्ष सुदी १३ । पूर्ण । सेप्टन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । ३४३६. प्रतिसं० १५ । पत्र [सं० ५५ | या० १३ X ६ इश्व । ले० काल सं० १८८७ प्रवाद सुदी ८ पूवेष्टन स० १६० । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर करौली । 1 - ३४४०. प्रतिसं० १६ | पत्र सं ० ३४ । ले० काल Xx । पूर्वी । वेष्टन स े०१७ | प्राप्ति स्थान - ० जैन पंचायती मंदिर हींग विशेष- करौली में प्रतिलिपि हुई । मन्दिर कामा दरवाजे का ग्रन्थ है ३४४१. प्रति सं०१७ | पत्र ७२४ १ ले काल x स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर डीग | धपूर्ण वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति ३४४२. प्रति सं० १८ । पत्र ० ४० । ० ११x६ इ च । ले० काल सं० १६२१ फागुन बुद्धी ३ | पूर्वी । ० स ० ३१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) | ३४४३. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० ३५ | ० १२१x६ १३ । ले० काल० X | पुलं । ष्ट सं० ४० प्राप्ति स्थान दि०जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । ३४४४. प्रति सं० २० । पत्र सं० ५४ | आ० १०x६ इव । ले० काल सं० १९१२ | पूर्ण वेन सं० २५ प्राप्ति स्थान- दि० जैन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३५ ] [ ग्रन्थ-सूची- पंचम नाग ३४४५. प्रति सं० २१ प ० ३४ प्रा० १४४२३ इ४ ०काल X पूर्ण येत सं० ४४ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर | ३४४६. प्रतिसं० २२ । ०६३ ० १०५६ इव । ले० काल सं० १६०७ वैशाख सुदी २ पूर्णां वेटन सं० ५७ प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर । पत्र सं० ६६ | ० ६१४४३ इश्व | ले० काल सं० १८४१ । पूर्ण । दि० जैन अग्रवाल मन्दिर अलवर | ३४४७. प्रतिसं० २३ वेष्टन सं० ८५ । प्राप्ति स्थान ३४४८ प्रतिसं० वेष्टन सं० ५४ १०५ | प्राप्ति स्थान २४ लेखन काल x दि० जैन पंचायती मंदिर अलवर | ३४४९. प्रति सं० २५ ३ स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर अनवर । ० ३८ | ले० काल X | पूर्ण हुन सं० ५५/१०४ | प्राप्ति ३४५० प्रति संख्या २६ पत्र स० ३६ । ले० काल x पूर्ण । वेष्ट सं ० ३६७ | प्राप्ति स्थान – ० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ३४५१ प्रति सं० २७०५२ लेखक काल X पूर्ण वेष्टन ० २६ प्राप्ति स्थान - दि. जैन तेरहपंथी मंदिर बसवा | - ३४५२. धन्यकुमार चरित्र वचनिका XI पत्र [सं० ३४ | हिन्दी विषय परि २० का X से० काल X पूर्ण । वेष्टन सं० भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर - ★ ३४५३. धन्यकुमार चरित्र भाषा - जोधराज पत्र [सं० ३७ भाषा - हिन्दी विषय चरित्र २०फा० १६१० ० काल x स्थान दिन जैन मंदिर भादवा (राज० ) पूर्ण ३४५४. धःकुमार चरित्र भाषा । पत्र संख्या २९ मा विषयपत्रि २० फाले० काल सं० १८६४ माह मुदौ १२ स्थान- दि० जैन मंदिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । । ० १०४६३ पंच भाषा१५५६ प्राप्ति स्थान मा० ९४६ इंच । वेष्टन स० ११५ प्राप्ति ११६ च भाषा - हिन्दी पूर्ण वेग्टन सं० १८ प्राप्ति । । | ३४५५. धन्यकुमार चरित्र भाषा -X पत्र संख्या हिन्दी विषय करिव २० काल x 1 पूर्ण । ले० काल सं० १८६ दि० जैन पंचायती मंदिर कामा । ॥ ३४५६. धर्मदत्त चरित्र - दयासागर सूरि पत सं० ६-६७ । श्र० ९५३ । इंच । भाषा - हिन्दी विषय चरित्र । २० काल x 1 ले० काल x । धपूर्ण । श्रेष्टन सं० ३५५ | प्राप्ति स्थान दि. जैन मंदिर बोरसी कोटा । १०८ ० ७ x ७ इंच भाषावेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान ३४५७. धर्मदत्त चरित्र - माणिक्यसुन्दर सूरि । पत्र सं० १० । श्र० ११४४ इंच भाषा - संस्कृत | विषय - चरित्र । काल X | ले० काल स० १६६६ आसोज सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर राजमहल टोंक । विशेष माणिक्यसुन्दर यूरि घाचायें मेस्तु सूरि के शिष्य थे। लिखितं गुणसागर सूरि शिष्य ऋषि नाथू पठनार्थ जसराखापुर मध्ये । Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३३६ ३४५८. धर्मशर्मास्युदय - महाकवि हरिचन्द । पत्र संख्या ६६ ॥ श्र० ११४४ इंच | भाषासंस्कृत | विषय -काव्य । २० काल x | ले० काल सं० १५१४ । पूर्ण | वेष्टन सं० २०६ / १४ । प्राति स्थान - दि. जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष प्रतिप्राचीन है। पत्र केवी से काट दिये गये है (ठीक) करने को । प्रशस्ति भवत् १५१४ वर्षे श्राबाद सुदी ६ गुरो दिने धोवाविले धूले श्री चन्द्रप्रभ चल्पालये श्री मूलसंघे बलात्कार गणे सरस्वती गच्छे श्री कु कु'दाचार्यान्यये भट्टारकीय श्री पद्मनदिदेवा तत् शिष्य श्री मदन कीर्तिदेवा तत् शिष्य श्री नवरणानंदिदेवा तन्निमित्त इंद पुस्तक बडनातीय श्रावके, लिखाप्यदत्त' । समस्त अभीष्ट भवतु | भ० श्री ज्ञानभूषा तत् शिष्य मुनि श्री विशालकीति पठनार्थ पं० पाहूना समर्पितं । भ० श्रीशुभचन्द्रदेव तत् शिष्य व० श्रीपाल पठनार्थं प्रदत्त 1 ३४५०. प्रति सं० २ । पत्र संख्या ११२ । वेष्टन संख्या ३१२ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसली ० १०x४ इंच 1 ले० काल । पूर्ण । कोटा | ३४६० प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ६४ । प्रा० १० X ४ २६ । ले० काल X | अपूर्ण । जीणं । वेन सं० ७५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपथी दौसा 1 विशेष – ४६ पत्र तक संस्कृत टीका (संक्षिप्त) दी हुई । ३४६१. धर्मशर्माभ्युदय टीका- यशः कीर्ति पत्रसं० १९२ । ग्रा० १३३ x ५ इञ्च । भाषा - संस्कृत | विषय - काव्य । र० काल X | ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३० । प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन भट्टाकीय मन्दिर अजमेर | विशेष धर्मनाथ तीर्थंकर का जीवन चरित्र वर्णन है । ३४६२. प्रति सं० २ । पत्रसं० ७४ । ले० काल x । भ्रपूणं । वेष्टन सं० ११७१ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | ३४६३. प्रति सं० ३ । यत्रसं० १११ । ले० काल सं० १९३७ । सावरण सुदी ७ अपूर्ण । वेष्टन सं० ११७२ | प्राप्तिस्थान भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर | विशेष-- प्रजमेर के पावजिनालय में प्रतिलिपि हुई । २१ सगं तक की टीका है । ३४६४. प्रति सं० ४ बेष्टन सं० २२२ । प्राप्ति स्थान पत्रसं० १५८० १२३४६ इव । ले० काल x । प्रपूर्ण दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ३४६५. प्रति सं० ५ । पत्रसं० १०३ | आ० १०४४) इव । ले० काल x पुणं । वेष्टन सं० १५१ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन श्रादिनाथ मन्दिर बूंदी | विशेष - टीका का नाम संदेहांत दीपिका है । १०३ से याने पत्र नहीं है । ३४६६. नलोदय काव्य- कालिदास । पत्र सं० ३३ । आ० १०५ इव । भाषा विषय - काव्य | १० काल X | लेकाल x अपूर्ण वेष्टन सं० २२ - २२४ । प्राप्ति स्थान मन्दिर नेमिचन्द टोडारायसिंह (टोंक) । ३४६७. नलोदय टीका - XI पत्र सं० १ - २३ काव्य । र० काल x | ले० काल X। अपूणं । वेष्टन सं० लश्कर, जयपुर 1 संस्कृत । दि० जैन ग्रा० १११ × ५३ भाषा संस्कृत विषय७६० प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-टीका महत्वपूर्ण हैं । ३४६८ मलोदय टीका-रामऋषि पत्र सं. ७ । भाषा-संस्कृत विषय-काव्य पर काल सं. १६६४ । ले० काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ७८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डोग। विशेष-अंतिम चकै राम ऋषि विद्वान बुद्ध कालात्मक जा सुधी। नलोदयीमियां टीका शद्धा यमक बोधिनी । रचना स० । ४६६ वेदांगरस चन्द्राग्यो वौं मासे तु मात्रये । शुक्ल पक्षेतु सप्तम्घा गुरौ पुष्ये तथोद्र नि ! ३४६६. नलोदय काथ्य टीका-रविव! पत्र सं०३७ । याः १०४५ इञ्च । भाशा-सकृत । विषय-काव्य । २० काल । काल x।पुर । वेतन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (दी)। विशेष -रामपि कृत टीका की टीका है। ३४७०. प्रतिसं०२। पत्र २० ३६ ले. काल सं० १७५१ । पूर्ण । वे० सं १९१। प्राप्ति स्थान-१० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-प्रवांबती में नेमिनाथ चैल्यालम में भ० जमकीति की आज्ञानुसार दोदराज ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ३४७१. प्रति सं० ३३ प ३१ । प्रा. १११४६ इञ्च । थेटन सं० २६४ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष- इति वृद्ध व्यासमज मित्र रामाषदाधीच विरचितम्यां रविदेव विरचित महाकाव्य नसोक्ष्य टोकायां यमकको या नलराज ब्रह्म नाम चतुर्थः आश्वासः समाप्तः । ३४७२. नायकूमार चरित्र-मल्लिरपरि। पत्र सं० २३ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । तिपय - चरित्र । २० का काल सं० १६३४ । पूर्ण 1 वेन सं. ३८५१२७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है-संवत् १६३४ वो फागुन बुदी ११ भोमे श्री शांतिनाथ चैल्यालये श्री भाकाळासरे नीमच। विद्यााणे भट्टारक श्री रामसेनापये भ. श्री भुवनकीर्ति प्राचार्य श्री जयसेन तत् शिष्य मु० कल्या-कीति वा श्री वस्ता लिखितं । संवत् १९८४ वर्ष मार्ग शीर्ष बुदी ५ खौ श्रीशीलचन्द्र तत् शियाशी वाई पोहोना तथा ब्रह्म श्री मेघराज तत् शिष्य ब्रः सव्रजी पठनार्थ इदं नागकुमार चरित्र प्रदतं । ३४७३. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३३ । प्रा० १० x ४ इञ्च । ले। काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २५४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन सवाल मन्दिर उबयपूर । विशेष-ममनिकीति के गुरु माता श्री सकलभूषण के शिष्य श्री नरेन्द्रकीर्ति के पटनार्थ लिखा गया था। ३४७४. प्रति सं०३ 1 पत्र सं० २४ पा० ११:४५ इन्च । र०काल । ले०काल स'. १६५४ । पूर्ण । वैप्टन सं० १५८ । प्राप्तिस्मान-दि. जैन म गल मन्दिर उदयपुर । ३४७५. प्रति सं० ४ । पत्रसं० २३ । प्रा० १११४४ इञ्च । ले० काल सं. १६९० । पूर्ण । वेष्टण सं० १६६ । प्राप्ति स्थाम-दि जैन मंदिर लश्कर जयपुर। Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] ३४७६. नागकुमार चरित्र - विबुधरत्नाकर । पत्र [सं० २६ । ० १११ × वेष्टन सं० १३६, १६ भाषा संस्कृत । विपय चरित्र । २० काल x । ले० काल x । पूर्ण स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर, इन्दरगढ़ ( कोटा ) ) -- [ ३४१ ६ इव । प्राप्ति ३८५७ प्रतिश०२० २१X५ इञ्च । ले०काल सं० १८०३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर वोरसली कोटा । विशेष-गांडा में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी । ३४७८. प्रति सं० ३ पत्र सं० ५२ ॥ श्र० ११४४१ इंच । ले० काल सं० १९६१ फागुण सुदी १५ । पूर्ण न सं० ३४ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल मंदिर, नैणवा । विशेष-१० रत्नाकर ललितकीर्ति के शिष्य थे । ३४७९. प्रतिसं० ४ ० ४७ ० १३:४५ इव । ले० काल सं० १८७५ चैत्र सुदी ६। पूर्ण वेष्टन सं० ५८ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर नगदी बूंदी | विशेष – ब्राह्मण चिरंजी ने उगियारा में प्रतिलिपि की थी। पं० निहालचन्द ने इसे जैन मन्दिर में रावराजा भीमसिंहजी के शासन में चढाया श्री ३४८०. नागकुमार चरित्र - नथमल दिलाला । पत्र सं० ८७ । प्रा० १९४५३ इञ्च | भाषा - हिन्दी पथ | विषय - चरित्र । २० काल सं० १८३७ माह सुदी ५ ले० काल सं० १८७८ सावन सुदी । पु । वेस्टन सं० १५८ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । ८ विशेष- नेमिचन्द्र श्रीमाल ने करौली में गुमानीराम से प्रतिलिपि करवाई थी । ३४८१. प्रति सं० २ । पत्र संख्या १०६ | श्र० ११X५ इश्व | ले० काल सं० १६६१ फाल्गुन सुदी पूर्ण वेटन सं० १६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बंदी | ३४५२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४८ ॥ श्र० ११३ x ५ | ले० काल x । द्यपूर्ण । बेष्टन सं० ५६ / ६६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दौसा । विशेष अन्तिम पत्र नहीं है । ३४८३. प्रति स० ४ पत्र० १०७ | आ० ११४ ५१ । ले० काल सं० १८७६ साबरण सुदी १३ । पू । वेष्टन सं० ६१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दोसा | 1 विशेष – पोलीलाल की बहने प्रतिलिपि कराई । . ३४८४. प्रतिसं० ५ । पत्र ७५ । झा० ११३ X ५ इव ले०काल सं० १८७७ द्वि ज्येष्ठ मुदी दि० जैन मन्दिर ही दौसा । ३ पूर्ण | बेटन सं० ६ प्राप्ति स्थान विशेष – जसलाल तेरहपंथी ने पन्नालाल साहू बसवा वाले से देवगिरि (दौसा) में प्रतिलिपि करवाई । ३४८५. प्रतिसं० ६ । पत्र [सं० ८०० ११६ X ५६ इव । ले० काल X: पूर्णं । चेष्टन सं० ६२/८१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बड़ा बीस पंथी दोसा | ३४५६. प्रतिसं० ७ । पत्र सं० ४६-६६ । ० १०३५ । ले० काल X। श्रपूर्णं । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बडाबीस पंथी दौसा । विशेष – चिम्मनराम तेरहपंथी ने दौसा में प्रतिलिपि की थी। Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३४८७. प्रति सं०पत्र सं०१४। प्रा० १२४५३ इञ्च । ले० काल सं. १८३६ प्र. जेष्ठ सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन ०६४। प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष-१५३७ छंद है। समय मुसहकार : दार। प्रय सुलिस पूरन कियो हीरापुरी मझार । नथमलने निजकर थकी प्रथ लिख्यौ घर प्रीत । भूलचूफ जो मामें लखौ तो सुध कीजो मीत ।। प्रति ग्रंथकार के हाथ की लिखी हुई है। ३४०८. प्रति सं० हा पत्र सं० ११ । मा० १२४६ इञ्च । ले. काल सं० १९७७ आषाढ फुदी ३। पूग । अष्टन सं०४८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर बयाना। विशेष-करौली में गुमानीराम से मथ लिखाकर बयाना के मन्दिर में विराजमान किया। ३४८६. प्रति सं०१०। पत्रसं० ७७1 लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६। प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३४६० प्रतिसं०११। पत्र सं० ५३ । अपूर्ण । वेष्ठन सं० ३६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ३४६१. नेमि चरित्र-हेमचन्द्र । पत्र सं० २६ । या० १०३४४२ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- चरित्र । २० काल X । ले० काल x : प्रपूर्ण । “वेष्टनसं० २३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, नदी। विशेष-२६ से भागे पत्र नहीं है । प्रति प्राचीन है । त्रिषष्टि शलाका चरित्र में से है। ३४६२. नेमिचन्द्रिका भाषा-x। पत्र सं० २० । १x६। भाषा-हिन्दी पद्य । विषय--चरित्र । २० काल सं० १८८० ज्येष्ठ सुदी ११ । ले. काल सं० १८८६ माय बुदी ८ । पूरणं । बेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर सौगाणी करौली । ३४९३. नेमिलिन चरित्र-. नेमिदत्त । पत्र सं० ६२ । प्रा० १२४५१ इन्च । भाषासंस्कृत । विषन -चरित्र । र० काल ४ । काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं ४२७ । प्राप्तिस्थान-भ० वि. जैन मन्दिर अजमेर । ३४६४. प्रति सं० २१ पत्रसं० १७५ । पा.१.१४४३ इञ्च । ले० काल X । पुरीं । वेष्टन सं० १२२६ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३४६५. नेमिदूत काव्य-महाकवि विक्रम । पत्र संख्या १३ । प्रा० १.१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय कान्य । २० काल x | लेखन काल सं० १६८६ कार्तिक बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५२। प्राप्ति स्थान-दिन जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, मन्दी । विशेष—इति श्री कवि विक्रम भट्ट विरचित मेघदूतां तत्पाद समस्यायुक्त श्रीमन्नेमिचरितामिधानां कास्य समाप्त । १६८६ वर्षे कात्तिकाशित नभ्यां प्राचार्य श्रीमदरत्नकोत्ति तच्छिष्येण लि. विजयहाण । पुस्तक पं० रतनलाल नेमिचन्द की है। Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] ३४९६. प्रति सं० २ । पत्रसं० २४ । आ० १२:४७ इञ्च । लेकाल सं० १९८६ आसोज सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष · प्रति हिन्दी अनुवाद सहित है। ३४९७. प्रति सं०३ । पत्रसं० १५ । आ० ११४५३। से०काल सं० १६८५ कातिक बुदी १ । वेष्टन सं० १५३ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान—दि जैन मं० लश्कर, जयपुर । ३४६८. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १४ । पा. १०१ x ४ इञ्च । ले०काल ४ । वेन सं. १५४ । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर लपकर जयपुर। २४६९. नाममा चरे-.४ । पत्रसं० १०६ । प्रा० १०४ ५ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-चरित्र । र० का X । ले काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दबलाना (बू'दी) विशेष-प्रति हिन्दी गद्य टीका सहित है ३५००, नेमिनाथ चरित्र--x। पत्र सं०६६ । भाषा-संस्कुत । विषय-चरित्र । २० काल । ले० काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ६१६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३५०१. नेमिनाथ चरित्र-x। गत्र सं० १०३ । भाषा- संस्कृत । विषय चरित्र । र कालXI ले. काल X । अपूर्ण वेधन सं० ५.७ । प्राप्ति स्थान- दि० जनपंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है तथा नेमिनाथ के अतिरिक्त कृष्ण, वसुदेव व जरासिन्ध का भी वर्णन है। ३५०२. नेमिनिरिण-- बाग्मट्ट । पत्रसं० १३ । मा० ११४५ ६४ । मापा- संस्कृत । विषय-काव्य । र० काल X । ले०काल सं० १८३० वैशाख बुदी १०। पूर्ण । वेष्टन मं. १०७, ५७ । प्राप्ति स्थान . दि. जैन पार्श्वनाथ मदिर इन्दरगढ़ (कोटा) "विशेष रामपुरा में गुमानीरामजी के पटनार्थ प्रतिलिपि की गई। ३५०३. प्रति सं०२ । पत्रसं०६६ । पा. १२:४५ इञ्च । लेक काल सं० १५२६ कातिक बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन स० ३०१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ३५०४. प्रति सं०३ । पत्रसं० ६-६१ । आ० १०४ ६ इञ्च । ने० काल सं० १७६८ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २३७। प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-संवत् १७६८ वर्षे कात्तिक बुद्दी , भूम पुरे श्री उदयपुर नगरे महाराणा थी अगासिंहजी राजयी लिखतद खेतसी स्वपनार्थ । ३५०५. प्रति सं०४ । पत्र सं० ८६ । प्रा०६.४५६ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ५७/४० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर सौगाणी करौली। ३५०६. प्रतिसं० ५। पत्रसं० १०८ । प्रा०x४ च । ले. काल सं० १७१५। पुणे । वेष्टन सं० २७२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर भभिनन्दन स्वामी बू दी। विशेष - सं० १७१५ मेरपाट उदयपुर स्थाने श्री आदिनाथ चैत्यालये साहराज राणा राजसिंह विजयराज्ये श्री काष्ठासंचे नन्दीतटगच्छे विजयगणे भट्टारक रामसेन सोमकीति; यश कीति उदयसेन त्रिभुवन कीति रत्नमषरण, जयकीति, कमलकीति भवनकीति, नरेन्द्रकीति । Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४४ ] १० गंगादास ने लिखा । ३५०७. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ७० वेष्टन सं० ४०५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर मोरसली कोटा | विशेष संवत् १६७६ ब्रह्मश्री बालचन्द्र ३५०८. प्रतिसं० ७ पत्र [सं० ५३ ख़ुदी ७ ही वेष्टन सं० १५५ | प्राप्ति स्थान ३५०६. नंषध चरित्र टीका काव्य २० का X से संस्कृत जैन मन्दिर, लश्कर, जयपुर। ३५.१०. नैषधीय प्रकाश संस्कृत विषय काव्य २० का X जैन मन्दिर लकर जयपुर । x । काल १० जैन पंचायती मन्दिर बसवा । प्रा० १२ X ४ इश्व । ले० काल सं० १६७६ । पूर्ण विशेष वसुवा ग्राम में प्रतिलिपि हुई — [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग निखितं । प्रा० १०५ च – दि० जैन मंदिर लकर जयपुर । विशेष प्रति जी एवं अपूर्ण है। । ३५११. पद्मचरित्र - x 1 पत्र [सं० ४ ० १३४४ व भाषा-संस्कृत विषयचरित्र १२० काल x | ले० काल X | पूर्ण । देष्टन सं० २४२/७४ | प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर | ३५१२. पचचरित्र - विनयसमुद्रवाचक गरिए । प० १५० १११x४] इच भाषा - हिन्दी विश्वचरिष ० काल X। वे० काल X पूर्ण बैटन सं० २५४ प्राप्ति स्थान--- दि० नगद मंदिर उदयपुर विशेष प्रति प्राचीन है । ३५१३. पादिमहाकाव्य टोका-प्रह्लाद पत्र सं० २३३ न काल से १०६८ चैत्र ४ पत्र सं० २६ । बा० १३ x ५ ] [] भाषाअत सं० ७५३ प्राप्ति स्थान दि० नरसिंह पांडे । पत्र सं० ८ ० १०x४ । भाषासे०का X पूर्ण वेष्टन सं० २६६ प्राप्ति स्थान दि० ले० काल सं० १०४२ ४ | ३५१५. परमहंस संबोध चरित्र - X प्राकृत | विषय - चरित्र । २० काल X | ले० काल x जैन मंदिर बॉयलो कोठा । भाषा-संस्कृत विषय - वेष्टन ०३ प्राप्ति स्थान दि० इति श्री पद्मनंचाचार्य विरचिते महाकाव्ठीका सूत्र संपूर्ण । तस्य धनपालस्य शिष्यस्तेन शिव्येण नानाप्रहलादेन श्री पद्मनदिन सूरे आचार्य कृते कारण टिप्पणकं प्रकटं शानदं । ३५१४. परमहंस संबोध चरित्र - नवरंग ० १०० १०४ संस्कृत परिष। १० फालX से० काल X पूर्ण दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । भाषाबेहन ४० २६९ प्राप्ति स्थान पत्र सं० २६० १०३x४१ इंच भाषा । पूणं । वैटन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान - दि० ३५१६. पवनंजय चरित्रभुवनकोत पण सं० २४ ० ११x४] इस हिन्दी | विषय - चरित्र । २० काल X | ले काल X। अपूर्ण । वेष्टन सं० २८२ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३४५ ३५१७. पाण्डवचरित्र-० जिनदास । पत्र सं० १-३६ । प्रा० १०x४१ इव । माषासंस्कृत । विषय--पुराण । र०काल X । ले. काल X । अपूर्ण । ये० सं० २५३ । प्राप्ति स्मान-दि. जैन मन्दिर बलाना (दी)। विशेष—य का अपर नाम नेमिपुराण भी है। ३५१८. पाण्डय चरित्र देवप्रमसूरि । पत्र सं० ३६१ । पा० १२ x ४१ इञ्च । भाषा--- संस्कृत । विषय-चरित । र० काल x ने काल सं० १४५४ । पूर्ण । ३० सं०१ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है--- संवत् १४५४ वर्षे ज्येष्ठ सुदी ७ सप्तमी शुक्रवारे श्री पाण्ड्य चरितं वयरमणेन लिखितं मद्वाहटीय गच्छे श्री सूरिप्रभसूरीणां मोग्यं । ३५१६. पारिजस्त हरस-पंडिताचार्य नारायण । पत्र सं० १२ । श्रा: ६६x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--काव्य । २० कार X काल सं० १८६५ । पूर्ण । वेष्टन सं०५०। प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दबलाना (बू'दी) । विशेष-अंतिम पुष्पिका निम्न प्रकार है इति श्रीमत् विकुलतिलकश्रीमन्नारायण पंडिताचार्य विरचिते पारिजात हरणे महाकाव्ये ततीर्य स्वास: । श्री कृष्णार्पणमस्तु । इन्द्रगढ़ में देवकरण ने प्रतिलिपि की थी । ३५२०. पाश्र्वचरित्र-तेजपाल । पत्र सं० १.१ । प्रा० १.४५ इछ । भाषा-अपना। विषय-चरित्र । र०काल सं० १५१५ कात्तिक बुदी ५ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३५४ । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि० नमन्दिर अजमेर । विशेष—अंतिम पत्र नहीं है। आदिभाग गरणवयतवसागरज वारिज सायरू, गिरत्रमवाराय सुहरिणलउ । पररावियि तिथंकर कइयण सुहृयरु रिसङ्घ रिसीसर कुल तिलउ । देविदेहिण प्रोच रो सिवयरो कल्याए। मालापरो । भारणा जेरण जिउ पिर प्रणहिलो कम्मट्ठ दुवा । सबोसीय पास जिरिणदु संघ वरदो कोच्छं चरित तहो ॥१॥ तीसरी सधि की समाप्ति निम्न प्रकार है -- इय सिरि पासवरित रइये कइ तेजपाल साणदं अमरिणयं सुहद्द धूलि सिवराम पुत्तए जजरगाह मारणमहणे पासकुमारे वितिगेहे शिवक्रीला वण्णगए तइयो सधी परिसम्मतो । ३५२१. पाश्वपुराण-प्रा० चन्द्रकोति । पत्र सं० १२५ । घा० ८ x ६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषम-चरित्र । ६० काल X । ले०काल सं० १९२६ वंशाख बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४५३ । प्राप्ति स्थान-मादि जैन मन्दिर अजमेर । Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३५२२. पार्श्वनायचरित्र-भ० सकलकोति । पत्र सं० ११६ । प्रा० १.१ x ४१ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय-चरित्र । र०कालX । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०१३३ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । ३५२३. प्रति सं० २। पत्र सं० २३ । प्राः १२३ ४ ५४ हश्च । ले० काल ४ । पूर्ण । पेष्टन सं० १०२४ 1 प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३५२४. प्रति सं० ३। पत्रसं० १६२ । या० x ५न । ले. काल स०१८४७ ज्ये बुदौ ५। पूर्ण । वेष्टन सं० १५४४ । प्राप्ति स्थान---भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३५२५. प्रति सं०४। पत्रसं० १८ । श्रा० १२४६ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ६ । प्राप्ति स्थान:-दि० जैन मन्दिर पाश्र्वनाथ चौमान दी। विशेष-२३ सर्ग हैं। ३५२६. प्रति सं० ५। परसं० १५१ । प्रा० १२४१ इन्च 1 ले. काल सं० १९०६ मंसिर सूदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं०५७। प्राप्ति स्थान ...दि० जैन मन्दिर नागदी दी। विशेष-टोडरमल वाकलीवाल के वंशजों ने ग्रय लिखवाया था कीमत ४॥. रु. ३५२७. प्रति सं०६ 1 पत्रसं० ११२। ग्रा० १३४५ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । देहन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ३५२८. प्रति सं०७। पत्र सं०७ । आ०१०४६३ इच। लेकाल-X । पूर्ण । वेष्टन सं०८५१२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर भादवा (राज.)। ३५२६. प्रति सं० । पघसं० ३० से ७० । श्रा० १० x ६१ इञ्च । ले. काल x । मपूर्ण । येष्टन सं० १४४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन प्रवाल मंदिर उदयपुर । ३५३०. प्रति सं०६। पत्र सं० १६ । प्रा० १० x ६६इन । ले० काल X । अपूर्ण वेष्टन सं० ६४४ । प्राप्ति स्थान --दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष-प्रति तृतीय सर्ग तक पूर्ण हैं | ३५३१. पार्श्वनाथ चरिच---X । पथ सं० २७ । प्रा० १.१४४१ इच। भाषा-संस्थात (गद्य) । विषय-चरित्र । र० काल स. १६२० ज्येष्ठ सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८३ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर दबलाना (बू दी। ३५३२. पार्श्वनाथ चरित्र-..x। पत्र स. ११२ । प्रा० ११ x ४३इन । भाषासंस्कृत । विषय चरित्र । २७ काल X । ले०काल सं० १८२७ । पूर्ण । बेष्टन स० ११९ । प्राप्ति स्थान- खडेलबाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । ३५३३. पाशवपुराण-भूधरदास । पत्र संख्या १०५ । प्रा० x ४ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय--पुराण । र०काल सं. १७२९ आषाड सुदी ५। ले०काल सं० १८६२ चैत्र सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४७१ । प्राप्ति स्थान---भ. दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-सांखूणमध्ये लिपिकृतं पं० विरधीचन्द पटनायें । ३५३४. प्रतिसं० २। पत्र सं० २६ । प्रा० १.४ ५ इञ्च । ले. काल सं० १९५४ । पूर्ण। वेष्टन सं० ३५२। प्राप्ति स्थान-भद्रारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३४७ ३५३५. प्रति सं०३ । पत्र सं० १२६ । ग्रा6 EX५ इञ्च । ले० क.लX । पूर्ण । वेष्टन सं० १५३३ 1 प्राप्ति स्थान · भट्टारकीय दि. जैन मंदिर प्रजमेर । ३५३६. प्रतिसं०४। पत्र सं० ५७ । ले० काल सं० १८८१ वैशाख सुदी १ । पूर्ण । वेषन सं० १५४२ । प्रादि स्थान-भट्टारकीय दि० जन मन्दिर अजमेर । ३५३७. प्रति सं०५। पत्र सं० ८३ । प्रा० १२३४५३ च । ले. काल सं १८४६ | पूर्ण 1 वेष्टन सं० ३१३ । प्राप्ति स्थान - दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । ३५३८. प्रति स०६। पत्र सं० १२६ । प्रा०६ x ४ इञ्च । ले. काल सं० १८४७ पोष सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन स २६०, १०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का डूगरपुर । विशेष-नौतनपुर ग्राम में आदिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। ३५३६. प्रति सं०७ । पत्र सं०६३ । प्रा० ११४५ इन । ले०काल सं० १८६४ । पूर्ण । देष्टन सं० १६१-७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ३५४०. प्रति सं० । पत्र सं० १०० । प्रा० १२.४५ इञ्च ।ले. काल सं० १९३२ घेत सुदी १० । पूर्ण । वे० स० ५४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । ३५४१. प्रतिसं०१ पत्रसं०७७ । प्रा० १२३४५१ इय । ले० काल सं० १८५५ वैशाख सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं०५७ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष—रामबक्स ब्राह्मण ने रूपराम के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ३५४२. प्रतिसं० १० । पत्र संख्या ६४ | प्रा० ११४५६ इंच । ले०कास सं० १८३९ । पूर्ण । बेष्टन सं० ४३१२४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर, भादया (राज.)। ३५४३. प्रति सं० १११ पत्र सं० ६५ । प्रा० १२४ ५३ इन्च । ले. काल सं. १८२५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्तिस्थान-दिव जैन मन्दिर भादवा (राज.) । विशेष-नालसोट में प्रतिलिपि हुई थी। ३५४४. प्रतिसं० १२ । पत्रसं०६१। ले० काल सं० १८१६ । पूर्ण । जयपुर में प्रतिलिपि हुई। प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर भादवा (राज.) । ३५४५. प्रतिसं० १३ । पत्रसं० १०६ । ले०काम स० १८४६ माघ सुदी ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ६० । प्राप्ति स्थान-तेरहपंथी दि. जैन मन्दिर बसका । ३५४६. प्रतिसं० १४ । पत्रसं०७४ । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थान---तेरहपंथी दि जैन मन्दिर यसवा । ३५४७. प्रति सं० १५ 1 पत्र सं० ११५ 1 ले०काल ४ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति • स्थान--सरपंथी दि. जैन मंदिर असवा । ३५४८. प्रति सं० १६ । पत्र सं० ७५ । मा० १२४५ इञ्च । ले. काल सं० १७६४ फागुन बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १९२२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । विशेष----यती प्रयागदास ने जयपुर में प्रतिलिपि की । Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४८ ] [ प्रन्थ सूचो-पंचम माग ३५४६. प्रति सं० १७ । पत्रसं० ६६ । प्रा० १२१x६ इञ्च । लेकास । पूर्ण । वेष्टन सं०३३-१६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा। ३५५०. प्रति सं० १८ । पत्र सं० ६५ । प्रा० १२, ५ ६ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १११ । प्राप्ति स्यान—दि जैन मंदिर रक्षपंथी दौसा । विशेष-चिमनलाल तेरहपथी ने प्रतिलिपि की । ३५५१. प्रति सं० १९ । पत्रसं० ६७ । प्रा० ११३ ४५ इच । ले. काल सं० १९३२ । पूर्ण । बेन सं. ४० । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । विशेष-नन्दलाल सोनी ने प्रतिलिपि की थी ३५५२. प्रति स २० । पत्र सं०७६ । आ. १३४७ इञ्च । ले० काल सं० १६०० सावया सुदो १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष लल्ल लाल अजमेरा ने अलवर में प्रतिलिपि की थी। ३५५३, प्रतिसं० २१ । पत्रसं० १६ । लेकाल सं० १८३७ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३६२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर दीवानजी कामा 1 ३५५४. प्रति सं० २२ । पत्र सं० ८५ । प्रा० ६३४५.३ इञ्च । ले० काल सं० १७६२ । पूर्ण ।वेष्टन सं० २५. । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा ।। ___३५५५ प्रतिसं० २३ । पत्र सं० २०६ । आ० ८३४४१ हव । लेकाल सं १८६६ प्रासोज सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर सोगानी करौली । ३५५६. प्रतिसं० २४ । पत्रसं० । मा १०.४५ इञ्च । ले. काल सं० १८१४ मंगसिर बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैनपंचायती मन्दिर करौली। विरोष-डराज के पुत्र मगनीराम ने पांडे लालचन्द से करौली में लिखवाया। ३५५७. प्रति सं० २५ । पत्र सं० १४ 1 ग्रा. १०० ५१ दश्च । ले. काल सं. १८४३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीवानजी चेतनदास पुरनी डोग ।। ३५५८. प्रतिसं० २६ । पत्रसं०७३। आ० १२:४६ इञ्च । लेकाल सं. १८७० पूर्ण । वेष्टन सं० ७५ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष-जीवारामजी ,कासलीवाल ने तुरतरामजी व उनके पुत्र लिमनसिंह कुम्हेर वालों के पठनार्थ वर में प्रतिलिपि करवाई थी। ३५५६. प्रति सं० २७ । पत्रसं०८७ । लेकालसं १८५५ । पूर्ण ! वेष्टन सं० ५७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैनपंचायती मन्दिर हन्डावलों का डीग । विशेष-प्रागदास मोहावाले ने इन्दौर में कासीरावजी के राज्य में प्रतिलिपि की थी। ३५६०. प्रतिसं०२८। पत्र सं० ६४ 1 ले. काल सं० १९७४ आषाढ वदी १०। पूर्ण । बेपन पं.१४। प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । ३५६१. प्रति सं० २६ पत्र सं० १०२ । प्रा० १२४५१ इन। ले. काल x पूर्ण । वेहल सं०३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिरदबलाना बूदः । Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] ३५६२. प्रतिसं० ३० । पत्रसं० ७६ । प्रा० १२३४३६३ इंच । ले०काल सं० १८५४ आसोज बुदी १ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २६-७३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ । ३५६३. प्रति सं० ३१ । पत्रसं० ६३ । प्रा० १०.४ ६ इन्छ । ले० काल ४ ! पूर्ण । वेष्टनस ० ६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। ३५६४. प्रति सं० ३२ । पत्रसं० ११७ । प्रा० १० x ५ प । ले०काल सं. १८८४ पूर्ण । वेष्टनसं० २२७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कांटा। ३५६५. प्रतिसं०३३ । पत्र सं. १६ । प्रा. १x६, ३ । बाल x I पूर्ण । वेष्टन सं० १६२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ३५६६. प्रतिसं० ३४ । सं० ११४ । ले० काल ४ । पूर्ण। वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन खंडेलवाल मन्दिर नलवर । ३५६७. प्रति सं०३५ । पत्र सं० १४१ श्रा० १२३४७ इञ्च । ले० काल सं० १९५७ । पूर्ण । वेष्टन्च सं० ४.८० । प्राप्तिस्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर। . ३५६८. प्रतिसं० ३६ । पत्र स ६६ । ले० काल स'. १९५८ । पूर्ण । वे० सं० ५/१४४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ३५६६. प्रतिसं० ३७ । पत्र सं० १५ । या० १२४५६ इञ्च । लेकाल सं १८९७ प्राषाढ बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०५ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ३५७७. प्रतिसं० ३८ । पत्रसं० ५६ । लेकाल सं १८४५ पौष बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान- दिन पंचयती मन्दिर अलवर । ३५७१. प्रतिसं० ३६ । पत्र सं० १२६ । ले। कास सं० १८१४ भादवा सुदी १४ । पुर्ण । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मदिर भरतपुर । विशेष-पांडेलालचन्द ने प्रतिलिपि की थी। ३५७२. प्रतिसं० ४० । पत्रसं० ६६ । ले० काल से० १८६५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर जयपुर । ३५७३. प्रति सं० ४१ । पत्र सं० ११ । ले काल सं० १८०६ । पुर्ण। वेष्टन सं० ३१६ । प्राप्ति स्थान-- वि० जैन पंचायती मंदिर मरपुर । ३५७४. प्रति सं० ४२ । पत्रसं० १६ । पा० १०४५ इञ्च ! ले०काल सं० १५५४ । पूर्ण । वेपन सं० ६१ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष-सं० १८८८ मंगसिर सुदी ५ के दिन नथमल खंडेलवाल ने इस प्रथ को चन्द्रप्रभ के मंदिर में भेंट दिया था। ३५७५. प्रति सं० ४३ । पत्रसं० १०८ । या०६x६ इन्च । ले०काल सं० १८२५ । पूर्ण । बेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-दिजैन मन्दिर वर । ३५७६. प्रति सं०४४ । पत्र सं• ६६ । प्रा० १.१४ १५ च । ले. काल x। पूर्ण । चेष्टन सं० १३७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना। Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५० ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ३५७७. प्रति सं० ४५ पत्र सं ८१ । प्रा: ११३४५ इञ्च । ले० काल सं० १८३४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर दीवानजी कामा। ३५७८. प्रति सं० ४६ । पत्र सं० १२ । या० १२६४६ इञ्च । ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं०२। प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती दीवानजी कामा । ३५७६. प्रति सं० ४७ । पत्र सं० २०४ । प्रा० १०७ इञ्च । ले. काल सं० १६५३ मंगसिर मुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन ०५४ । प्राप्ति स्थान— दिन मन्दिर नागदी दी। विशेष-यठालाल शर्मा ने प्रतिलिपि की। ३५८०. प्रति सं० ४८ 1 पत्र सं० ५३ । प्रा० १२३४६३ इञ्च । ले. काल सं० १८६६ पौष मुदी १२। पूर्ण । वेष्टन स० २२. प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंथी मंदिर नगवा। विशेष—लिखाइतं साहाजी श्री भैरूरामजी मंगवाल लत्पुत्र चिरंजीव कवरजी श्री लालजी पटनार्थ । यह नथ १८७३ में तेरापंथी के मन्दिर में चढ़ाया था। ३५८१. प्रति सं० ४६ । पत्र सं० ७२ । प्रा० ११४७ इञ्च । ले० काल सं० १९५६ पूर्ण । वेष्टन सं० १०० । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर श्री महावीर दी । ३५८२. प्रतिसं०५०। पत्रसं०५६ । प्रा० १.१४५ इञ्च । लेकात x 1 पूर्ण । वेष्टन सं. ११६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर। ३५८३. प्रति सं०५१ । पत्र सं. ७७ । प्रा० १२ x ५, इश्च । ले. काल सं० १९४० मंगसिर सूदी ३ । पूर्ण । बेष्टन सं०३१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कोटयों का मेवा। विशेष-नया में बाह्मण सीताराम ने प्रतिलिपि की थी। ३५८४. प्रति सं० ५२। पत्र सं०५९ । मा० १.४६ इञ्च । ले. काल सं० १६१४ धावा गुदी! । पूर्ता । वेष्टन सं०२४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोठयों का नैववा। विशेष साह पन्नालाल अजमेरा ने प्रतिलिपि की श्री। ३५८५. प्रतिसं०५३ । पत्र सं०८६ | पा० १२ x ५३ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०३६:१८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) ३५८६. प्रतिसं०५४। पत्र सं० १५४ । प्रा० १२४५३ इञ्च । ले. काल सं० १८८५ । पूर्ण 1 वेष्टन २०३७/१८ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन पंचायती नन्दिर दूनी (टोंक) विशेष-सर्वसुख गोधा मालपुरा वाले ने दीवान अमरचन्दजी के मन्दिर में प्रतिलिपि की थी। ३५८७. प्रति सं० ५५ । पत्र सं० ४४ । ले. काल X । अपूर्ण। वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर खंडेलवालों का, मावां (उरिणयारा) विशेष-जन्म कल्याणक तक है। ३५८८. प्रति सं०.५६ । पत्र सं० ८५ । आ६३४६१ इञ्च । से० काल X ।' पूर्ण । वेष्टन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान-दि.जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष-पद्य सं० ३३३ हैं। मंवत् १९७६ मासस्य शुक्लपक्ष, राजमहल मध्य कटारया मोजीराम चन्द्रप्रभ चैत्यासये स्थापितं । Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] ३५८६. प्रति सं० ५७ । पत्रसं०७० । ले०काल सं० १९५७ सावरण बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान – दि जैन मन्दिर राजमहल टोंक। विशेष-लिखित पं० लखमीचन्द कटरा अहीरों का फिरोजाबाद जिला अागरा । ३५६०. प्रति सं०५८। पत्र सं० १३३ । मा० १०.४५ इन। ले०काल सं. १८४६ सावण सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष-सक्षकमुर में व्यास सहजराम ने प्रतिलिपि की थी। ३५६१. प्रतिसं० ५६ । पत्रसं० ६३ । आ० ११.५ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ३५६२. प्रतिसं०६०। पत्र सं० १२५ । प्रा० ११३ x ५१ इव । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११०/६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ३५४३. प्रति सं० ६१ । पत्र सं०६१। आ० ११३४७१ इंच । ले० काल मं० १६०४ फागुन बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५०-८० 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-टोडारायसिंह के थी सांवला जी के मन्दिर में जवाहरलाल के बेटा बिसनलाल ने अतोथापन के उपलक्ष में भादवा सुदी १४ सं० १६४८ को चढ़ाया था। ३५६४, प्रतिसं०६२ । पत्र सं० ११६ 1 प्रा० १०:४४३ इञ्च । लेकाल । अपूर्ण । वेष्टन सं०१७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) । ३५६५. प्रति सः ६३ । पत्रसं०६८ । आ० १२ x ५६ इञ्च ले० काल सं० १९२८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५ । प्राप्तिस्थान - दि. जैन मंदिर तेरहपंधी मालपुरा (टोंक) । विशेष-धनराज गोधा रूपचन्द सुत के पटनाथं लिखा गया था। ३५६६. प्रति स०६४। पत्र सं० ३-१२० । प्रा०६x६ व ले. काल सं० १८८५ । जीणं शीरम् । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिरते रहपंथी मालपुरा (क) ३५६७. प्रति सं० ६५ । पत्र सं० ५२1 प्रा० १२४८ इञ्च । लेकाल सं० १९५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३ । प्राप्ति स्थान-दि जन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक)। ३५६८. प्रतिसं०६६ । पत्रसं० १३५ । आ. १०१४४, इञ्च । ले. काल सं० १९८६ । पूर्ण । बेष्टन सं० ४४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर, पार्श्वनाथ चौगान बू'दी । ३५६६. प्रति सं०६७ । पत्र सं० ५५ । पा. ११४७ इञ्च । ले. काल सं० १८६६ । पूर्ण । बेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूंदी। विशेष-बूदी में प्रतिलिपि हुई थी। ३६००. प्रतिसं०६८ । पत्र सं०८३ । आ० १३४५३ इञ्च । ले०कास सं० १८५३ । पूर्ण । मेष्टन सं० १२४ । प्राधिस्थान--दि. जैन मन्दिर प्रादिन विशेष-खंडार में लिक्षमणदास मोजीराम बाकलीवाल का बेटा ने विज पहायो । ३६०१. प्रतिसं० ६६ पत्रसं० १०१ । मा० १३४५च। काल सं० १८३१ भाषाढ बुद्दी १। मपूर्ण । वेष्टनसं० १ । प्राप्तिस्थान—दि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष-दासणीती के जीवराज पांड्या ने लिखा था । Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३६०२. प्रति सं०७० । पत्रसं० ७८ । प्रा० १२४५ इन्च । ले० काल सं. १८५१ प्राषाढ बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं०७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर आदिनाथ बू दी। विशेष -रणथंभौर में नाथूराम ने स्व पठनार्थ लिखा था । ३६०३. प्रति सं० ७१ । पत्र सं० १७ । प्रा० १२३४६३ इन्च । ले. सं. १६७४ । पूर्ण । दे० सं० २१ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष--इन्दौर में पं० बुद्धसेन इटाबा वाले ने प्रतिलिपि की थी। ३६०४. प्रति सं०७२ । पत्रसं० १४८ । पा० ६४५ इञ्च 1 से०काल सं० १८३३ । पूर्ण। वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। ३६०५. प्रति १२ पसं. INR : १६६३ । । ष्टन सं० ३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । ३६०६. पार्श्वपुराण-४। पत्र सं० २५७ । भाषा-हिन्दी (गद्य) 1 विषय -पुराण । २० काल ४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६३। प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपथौ मन्दिर। बसवा । ३६०७. प्रद्युम्नचरित-महासेनाचार्य । पत्रसं०६६ । पा.११४४१ इंच । भाषासंस्कृत । विषय --चरित । र० काल - । ले काल सं० १५३२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५८ । प्राप्ति स्थानखण्डेलवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष-भट्टारक ज्ञान भूषण के पठनार्थ लिखी गयी थी। ३६०८. प्रति सं० २१ पत्रसं० १२६ । प्रा. १०४४३ इञ्च । ले०काल सं. १५८६ । पूर्ण । घेष्टन सं० १६२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष छौसर ने न• रतन को भेंट दिया था । प्रशस्ति-संवत् १५८६ वर्षे चैत्र सुदी १२ श्री मूलसरे बलात्कारगणे सरस्वती गच्छे श्री कुम्द. कुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री जिनचन्द्र तत्पट्ट भ. प्रभाचन्द तदाम्नाये खंडेलवालान्वये वाकलीवाले गोत्रे सं० केल्हा तद्भार्या करमा ....... ....... । ३६०६ प्रतिसं०३। पत्र सं०६४ । प्रा० १२३४५१ च । ले० काल सं० १८४१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७१ । प्राप्ति स्थान- दि.जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ३६१०. प्रद्युम्नचरित्र | सोमकोति । पत्र सं. १७२ । आ. १०x४३ इंच । भाषासंस्कृत । विषय - चरित्र । २० काल सं० १५३१ पौष सुदी १३ बुधवार 1 ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन से १५३५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । ३६११. प्रति सं० २। पत्र सं० १५६ । प्रा० १.१४४१ इन्च । ले० काल X । पूर्ण। वेष्टन सं ४५६ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३६१२. प्रतिसं० ३. पम १७३ । प्रा. १०x४: इच । ले०काल सं १९१० पौष बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२:३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगढ (कोटा) । Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३५३ विशेष-वप्राख्य पत्तनस्य रामपुर मध्ये श्री नेमिजिन चैत्यालये प्रासांवर मनस्य व्याघ्रान्वये षटोड गोत्रे मा. श्री ताराचदजी श्री लघु भात सा जगरूपजी कियो कारापित जिन मन्दिर तस्मिन् मदिरे चतुर्मासिक कृतं ....... ... 1 ३६१३. प्रतिसं० ४। पत्र सं० २३७ । ना० १२४५ इंच । ले० फाल सं० १८१० कार्तिक सुदी १४ पूर्ण । वेष्टन सं० ३०४ । प्राप्ति स्थान-दिव जैन मंदिर बोरसली कोटा । ३६१४ प्रति सं०५। पत्र सं० १६५। ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मदिर डीग । ३६१५. प्रति सं०६1 पत्र सं० १६२। ना० ११ x ४३ इञ्च । र० काल सं० १५३१ । से० काल स. १६७५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १९८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ३६१६. प्रसि स त्र सं २०३ । ले. काल सं० १६६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर हण्डावालों का डीग । विशेष-अलवर में लिखा गया था। ३६१७. प्रति सं०८। पत्र सं० २२.। प्रा० ११४५ इंच । ले. काल सं० १६१४ माह सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२४ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर पाश्र्वनाथ चौगान बूदी । विशेष-बट्याली में प्रतिलिपि कराई। मुनि श्री हेमकीत्ति ने संशोधन किया। प्रशस्ति भी है । ३६१८. प्रति सं० । पत्रसं० १५५ । प्रा. Ex५ इञ्च । लेकाल सं० १८२० मंगसिर बुदी १२ । पूरी । वेष्टन सं० ३३६ । प्राप्तिस्थान—दि. जैन मन्दिर दबलाना (बू दी)। विशेष-दबलाना में प्रतिलिपि हुई। ३६१६. प्रध म्नचरित्र-शुभचन्द । पत्र सं० १७ । प्रा० १०.४५ । भाषासंस्कृत । बिषय ... चरित्र । र.० कास र । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टनसं० ३० । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष- केवल अन्तिम पत्र नहीं है। ३६२०. प्रद्य मन लीला वर्णन-शिवचन्द गरिए । पत्र सं० २६१ । भाषा-संस्कृत । विषय-- चरित्र । २० काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६०३ । प्राप्तिस्थान—दि जन पचायती मंदिर भरतरापुर । ३६२१. प्रद्युम्नचरित्र-४ । पत्रसं० ४२ । ग्वा० १०:४४१ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय - परित्र । २० कालर । ले०काल ४ | अपूर्ण । वनसं० १६१ । प्राप्ति स्थान-भटारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३६२२. प्रद्य म्त चरित्र-X । पत्र सं० ७६-२१५ । प्रा. १४४७ इञ्च । भाषा - हिन्दी गध । विषय चरित्र । र० काल X । ले०काल स. १६५७ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २०७। प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। विशेष---प्रारम्भ के ७५ पत्र नहीं हैं । ३६२३. प्रद्युम्न चरित्र-४ । पत्र सं० १८७ । आ० १३ X ६ इन्च । भाषा-हिन्दी पछ । विषय-चरित्र । र काल X । ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०७६ । प्राप्ति स्थान-दि० अन मंदिर श्री महावीर दी। Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५४ ] ३६२४. प्रथम्न चरित्र - X पत्र सं० ३३५ र०का X ले० काल X पूर्ण पेम सं० १७० भरतपुर । ३६२५. प्रद्यम चरित्र टोका X | पत्रसं० ७५ । आ० १४ X ७ इश्व (गद्य) विषय – चरित्र । २० काल X | ले०का X व वेटन सं०] ११५ दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी | [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग भाषा हिन्दी विषय जीवन परिष । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर 1 ३६२६. प्रद्युम्न चरित्र रत्नचंद्र गरि । ले० काल सं० १८३४ पत्रसं० १०५ | प्रा० १०४५ इन्च पूर्ण वेष्टन सं० १२७-२२ विषय- चरित्र । र०काल दिन जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । भाषा - हिन्दी प्राप्ति स्थान ३६२७. प्रद्युम्न चरित्र वृत्ति देवसूरि । पत्र सं० २ से १०४ । भाषण संस्कृत । विषयधरिव २० कास X ले०काल X। पूर्ण वेत सं० ६११ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । I भाषा संस्कृत प्राप्ति स्थान ३६२८. प्रद्युम्न चरित भाषा हिन्दी इस । विषय – चरित्र । र०काल सं० १४११ । ले० काल x । पू । वेष्टन सं० १९८ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । - विशेष- वि० जैन अतिशय क्षेत्र की महावीरजी द्वारा जनवरी ६० में प्रकाशित। इसके संपादक स्व० पं० चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ एवं डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल एम. ए. पी. एच डी हैं। । ३६२६. प्रतिसं० २ । पत्रस० ४० १० अपूर्ण न सं० ७७ प्राप्ति स्थान ० १२६३६ । ले० काल सं० १८८१ वैशाख चुदी पंचायती दिजैन मन्दिर कामा । विशेष -- खोज एव अन्य प्रतियों के आधार पर सही र०काल सं० १४११ भादवा सुदी ५ माना गया है जबकि इस प्रति में २०काल सं० ११११ भादवा सुदी प्रति जीर्ण है । दिया है। बीच के कुछ पत्र नहीं हैं तथा ३६३०. प्रद्युम्नचरित्र - मन्नालाल । पत्र सं० २५६ श्र० १३४७ (गद्य) | विषय - चरित्र । २० काल सं० १९१६ ज्येष्ठ ख़ुदी ५ । ले० काल X। पूर्ण प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ३६३१. प्रद्य ुम्न चरित्र भाषा - ज्वालाप्रसाद बख्तावर सिंह ८ इंच भाषा हिन्दी (गद्य) विषय-परि २० काल सं० १९१४ सं० ३० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) । भाषा - हिन्दी वैन सं०४७६ । पत्रसं० २११ | या० ११३X ले०काल X पूर्ण वेष्टन विशेष – प्रथ की भाषा प्रथम तो ज्याला प्रसाद ने की लेकिन सं० १९९१ में उनका देहान्त होने से चन्दनलाल के पुत्र बख्तावरसिंह ने १६१४ में इसे पूर्ण किया । मूलपच सोमकीर्ति का है। ३६३२. प्रति सं० २ । पत्रसं० ३०३ | ग्रा० १२X४ इञ्च । ले० काल स० १६६१ पूर्ण वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान अग्रवाल दि० जैन मन्दिर, नैरावा । I ३६३३. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० २११ ० १२८ ले० काल X पूर्ण वेष्टनसं० १४७ / १२७ प्राप्ति स्थानवास दि० जैन पंचायती मन्दिर धलवर । Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काय्य एवं चरित ] [ ३५५ ३६३४. प्रति सं०४३पत्र सं० २६३ । लेवाल स१६६१ । पूर्ण । नेकटन सं० १४८:५० प्राप्ति स्थान-बण्डेलवाल दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ३६३५. प्रति सं० ५। पत्र सं. १६७ । पा. १५४८६ इञ्च । ले० काल' X । पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अलबर । ३६३६. प्रति सं०६। पत्र सं० १७६ । या. १३ x ८ इञ्च । लेकाल सं० १९६४ आसौज बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर, फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष—सबत १६१५ में पन्नालाल जी ने प्रारम्भ किया एवं १६१६ में बख्तावरसिंह ने पूर्ण किया ऐसा भी लिखा है। ३६३७. प्रति सं०७। पत्र सं० २५७ । लेकाल सं० १९४६ सावरण बुदी ८ । पूर्ण । वेपन सं० १५ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ३६३८. प्रद्य म्नचरित्र भाषा-खुशालचन्द । पत्र सं० ३० । प्रा० १२१४८ इञ्च । भाषा: हिन्दी (गद्य)। विषय-चरित्र । र० काल ४ । ले०काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ४७८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ३६३६. प्रद्युम्नचरित्र भाषा-X । पत्र सं० ३६४ । पा. १३४८ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-चरित्र । र०काल X । ले. काल सं० १९४१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान - दि जैन मन्दिर भादवा राज। विशेष- इन्दौर में प्रतिलिपि हुई । ३६४०. प्रशम्न प्रबंध-भ० देवेन्द्रकीति । पत्रसं० २३ । प्रा० १०४६ च । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय-काव्य । २० काल सं. १७२२ चैत सूदी ३ । ले०काल सं० १८१५ काती बुदी ६। पूर्ण । वेष्टन सं० ३६८ ६६ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष देवेन्द्रकीर्ति निम्न याम्नाय के भट्टारक थे--- श्री मूलसंघे भट्टारक सकलकीति तत् शिष्य भुवन कौति तत्पट्ट शानभूपण तत्पट्ट विजयकीति तत्पट्टे भट्टारक शुभचन्द तत्प? भ० सुमति कीर्ति तत्प? गुणकीति तपट्टे वादिभूषण तत्पट्टे रामीति तत्प. पानंदि सूरि स. प. देवेन्द्रकीति........... " | आदि अंत भाग निम्न प्रकार है-- आदि भाग दोहा। सकल भव्य सखकर चदा नेमि जिनेश्वर राय। यदुकुल कमल दिवस पति प्रणमु तेहता पाय । जगदंबा जम सरस्वती जिनवाणी तुझ काय । अविरल बाणी याप जो भू भूठी मुझमाय ! प्रतिम भागतसपटकमल कमल बहु नीय देवेन्द्रकीति गच्छइसरे । प्रद्युम्न प्रबंध रच्यो तिमि भवियप भए जो निशद्योसरे ।।४३।। सवत सतर बावीस मुदि यंत्र तीज बुधवार रे । माहेश्वरमाहि रचना रची रहि चन्द्रताय ग्रह द्वार रे ॥४४॥ Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्य सूची-पंचम भाग सुरथ वासी संघपति क्षेगमजी सूरजी दातार रे । तेह प्राग्रह घी प्रद्य म्न नो ए प्रबंध रच्यो मनोहार रे ।।४५।। मनोहार प्रबंध ए गुथ्यो करी विवेक । प्रद्य म्न गुणि मुत्रे करी स्तवन कुसुम अनेक ।। भवियण गुण कंटे घरो एह अपूर्व हार । घिरे मंगल लक्ष्मी घणी पुण्य तरणो नहीं पार ।। भणे भरणावे सांभलो लिखे लिखावे एह । देवेन्द्र कीति गछपति वहे स्वगे मक्ति सह तेह ।। इति श्री प्रद्य म्न प्रबंध संपूर्ण श्री दशरण देशे अरणगर ग्रामे पं० खुश्यालेन प्रतिलिपि कारित । संघ का अपर नाम प्रद्य म्न प्रबंध भी मिलता है। ३६४१. प्रति सं०२। पत्र सं.३९ । पा.१.४४. इथ। ले० काल स. १८१२ फागुरुप खुदी । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १३८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। विशेष-- भट्टारक श्री शुभचन्द्र ने रागपुरा में प्रतिलिपि की थी । ३६४२. प्रतिसं०३ । पत्र सं० ५७ । प्रा० १४४ इञ्च । ले० काल सं० १८०२ पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान दी । विशेष- ब्रह्म श्री फतेचन्द ने लिखवाया था। ३६४३. प्रबोधचंद्रिका-x। पत्र सं०-३२ । प्रा०१०x४. इन्। भाषा-संस्कृत। विषय-काव्य । १० बाल- । लेक काल सं० १८९४ कात्तिकः बुदी २। अपुर्ण । वन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी बूदी। ३६४४. प्रबोध चंद्रोदय-कृष्ण भिथ । पत्र सं० २६ । प्रा० १.४५.इश्व । भाषासंस्कृत विषय--काव्य । २० कालx। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १८८। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। ३६४५. प्रभंजन चरित्र-x पत्र सं० २ से ४२ । प्रा० X६ इञ्च । भाषा--संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल X । ले. काल । अपूर्ण । वेष्टनसं० १२६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर नागदी वू'दी। ३६४६. प्रभंजन चरित्र--- । पत्रसं० २१ । ग्रा० १२४५ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषयचरित्र । र०काल ले. काल सं०१६२३ प्रासौज सुदी १ वेहन सं० १५० । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष-ग्रा० श्री लखमीचन्द्र के शिष्य पं. नेमिदास ने स्वयं के पठनार्थ लिखवाया। ३६४७. प्रश्न षष्टि शतक काव्य टोका-टीकाकार पुण्य सागर । पत्र सं०७४ । १० ११ x ४ इञ्च । भाषा-सस्कृत | विषय-काव्य । टीका सं०१६०० । लेकाल स० १७१४ सावन सूदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा । Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] { ዳይ ३६४८, प्रीतिकर चरित्र-सिंहनदि । पत्रसं० १६ । प्रा० ११३४६ इञ्च । भाषासस्कृत | विषय - चरित्र । र० काल x । ले०काल स० १६१७। पूर्ण। येष्टन सं० २८ 1 प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि• जैन मन्दिर अजमेर । ३६४६. प्रीतिकर चरित्र-० नेमिदत्त । पत्रसं०३० । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषासात । नियरि int: । ५ ० ५५०४ पूर्ण । वेष्टन सं० २६५ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३६५०. प्रतिसं० २। पत्र सं० १ से २५ तक । या० १०२४४३ इन्ध । लेकालX । पूणे । बेष्टन सं० १३६० । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजगेर। ३६५१. प्रति सं०३। पत्रसं० २३ । प्रा० ६ ५ ६ द्रश्च । ले माल सं० १९०७ फागुण सुदी ११। पूर्ण | बेष्टन सं० २५३ । प्राप्ति स्थान-पाश्वनाथ दि. जैन मरिंदर. इन्दरगड (कोटा)। ३६५२. प्रोतिकर चरित्र- जोधराज गोदीका। पत्र सं० २३ । मा०६३ x ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र । र० काल सं० १७२१ फागुण सुदी ५। ले. काल सं० १८८७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६६ । प्राप्ति स्थान--भद्रारकीय वि० जैन मन्दिर अजमेर । ३६५३. प्रति सं०२१ पत्रसं० १० । प्रा० ११४६ इञ्च । ले०काल ४ । यपूर्ण । वेष्टन सं०७० | प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर, तेरहप श्री मालपुरा (टोंक)। ३६५४. प्रति सं०३ । पत्र सं० ३० । प्रा० ११३४५६ इञ्च । लेकाल सं० १८८५ । पूर्ण वेष्टन सं०५० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक)। . ३६५५. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ६५ । मा० ११४५३ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टम सं० ८२ । प्राप्ति स्थान-पंचायती दि० जैन मन्दिर अलवर । ३६५६. प्रतिसं० ५ । पत्र सं० ४५ । ले० काल सं १७६१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२० । प्राप्ति स्मान-दि. जैन पंचायती मन्दिर मरतपुर । विशेष-जोधराज मनीराम के पुत्र चांदवाल ने भोजपुर में लिखा । ३६५७. प्रति सं०६। पत्र सं० ३३ । ले०काल सं० १९०२ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३२१ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर ।। ३६५८. प्रति सं०७ । पत्र सं० ६६ । प्रा० ३४५ इञ्च । ले०काल सं० १७८४ फागरण बुदी ५ 1 पूर्ण । वे०सं० ४४ । प्राप्ति स्थान-दिजैन पंचायती मन्दिर बनाना। ३६५६. बसंतयर्णन-कालिदास । पत्रसं० । १७ । या०९ x ४६५ । भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । २० काल X । ले० काल सं० १८६६ सावण सुदी १० । पूर्ण । . सं. १४३० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । ३६६०, बारा पारा महाचौपईबंधन रूपजी । पत्रसं० १८ । भाषा--हिन्दी । विषय - चरित्र । २० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०८:१४३ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष-चौबीस तीर्थकरों के शरीर का प्रमाण, घरगं श्रादि का पद्यों में संक्षिप्त वर्णन है। Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५८ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग . यादि अंत भाग निम्न प्रकार है :-- -औनमः सिद्धम्प । बारा पारा चौपई लिख्यते । प्रथम वृषभ जिन निस्तबूजे जुग प्रादि सार । भव एकादश कजला भव्य उतारण पार ।।?।। इह प्रथम जिनंद दुख दावानल कंद भव्यकज बिकाशनचन्द सुधकाथिव धारणाचन्द ।। २ ।। सरस्वती निवलीनम जेह ज्ञान अपार । ममा जेथीफली कविजन लाभ सार ॥३॥ 'श्री मूलसंघ सहामणों सरस्वतीगच्छे सार । बलारकर शूभगरण भण्यों थी कूदक्द सारि ।। ४ ।। इस से प्रागे भ. पद्मनंदि, सकलकीति भुवनकीति, ज्ञानभूषण, विजयकीति शुभचन्द्र, सुमतिकीति गुरषकीति की परम्परा और उसके बाद वादीभूषण नेह अनुक्रमि रामकीरतिज' सार । पयनदि निवलीस्तव चेल रहित सुखकार । तेहना शिष्यज उजलों करि मार मार विचार । ब्रह्मरूपजी नामिभण्यों सूरणज्यों सज्जनसार ।। समंतभद्र देमेज कवि गुणभद्र गुराधार वेहनागुण मनाहि धरि कवि बोलु सुखकार । अन्तिम चध्दसूरज ग्रह तारा जारण रामयश नाक निर्माण रसार लगिये चोपे रहो आसांबर कंठिकरी कहो ।।६३ ।। सतर उक्त बीस हा सही सात्री सत्रण सिचोए कहीं ब्रह्मरूपजी कहे प्रमाण सुरणतां भरता पंचकल्यारा ।। इति महाचौपई बंधे ब्रह्मरूपजी विरबिसे अष्टकाल स्वरूप कथानाम तृतीय उल्लासः । इति बारा पारा महाचौपई बंधे चमाप्तः । . स्वयं पटनाय स्वयं कृतं स्वयं लिखितं । महिसारणा नगर आदि जिन चल्यालये कृता । इसमें कुल तीन उल्लास है १. कालत्रय स्वरूप २. चतुर्थ काल वर्णन स्वरूप ३. अष्टकाल स्वरूप बान । ३६६१. भद्रवाह चरित्र-रत्ननंदि । पत्रसं० २४ । प्रा० ६४५३ इञ्च । भाषा-संकृत । विषय-चरित्र । र०कालxले०काल सं० १८४३ । पुर्ण । वेष्टन सं० १२३३ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३५६ ३६६२. प्रति सं० २ । पत्र सं० २१ । आ० ११४५ इश्च । ले. काल सं० १६२७। पूर्ण । वेष्टन सं० ११४० । प्राप्तिस्थान-भट्टाकीय दि जैन मन्दिर अजमेर। । । विशेष-कहीं २ कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हैं। ३६६३. प्रति सं० ३। पत्रस० २६ । आ. १०४६ इञ्च । लेकाल' X । पूर्ण । देष्टन सं० ३५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। ३६६४. प्रतिसं०४ । पत्र सं० २०१ । प्रा० ६४५. इच । लेकमाल सं० १८०८ । पूर्ण। वेष्टन सं०५१। प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वमी दी। : ३२६५. प्रति सं० ५। पत्र सं० २४ । गा० ११३४५३ इन्च । लेकाल स० १८३२ फागुण सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७१ । प्राप्ति स्थान ... दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी । ३६६६. प्रतिसं० ६ । पत्रसं० २५ । या. १०३४५. इञ्च । न कान ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिरनदूनी (टोंक) ३६६७. प्रति सं० ७१ पत्रसं० २६ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले. कालसं० १८२५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८० । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर अलवर ।” ३६६८. प्रति सं०८ । पत्रसं० २७ । प्रा० १२४५, इञ्च । ले० काल सं० १८१६ फागुण बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर कामा। ३६ तिसं ! पर 2' ! ' .xx ए। ले०काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० १५० । प्राप्ति स्थान-- दि० दैन अग्रवाल मंदिर उपयपुर। ३६७०. प्रति स०१०। पत्र सं० ३३ । प्रा० ११४४३ इञ्च । पूर्ण ले०काल - । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। . ३६७१. प्रतिसं० ११ । पत्रसं० २.१६ । आ० १९४५३इच । ले. काल सं० १७६० माघ सुदीन १३ । पूर्ण । वेष्टनसं०७५२ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ३६७२. भद्रबाहु चरित्र भाषा-किशनसिंह पाटनी । पत्र सं० ४३ । प्रा० १२ x ५ इञ्च । भाषा--हिन्दी (पद्य) विषय--चरित्र । र० काल सं० १७८३ माघ बुदी ८ । ले० काल सं० १९८२ माह सुदी १२ । पूर्ण वेष्टन सं० १४८२ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि जैन मंदिर अजमेर । विशेष-किशनसिंह पाटनी चौथ का बरवाड़ा के रहने वाले थे। ३६७३. प्रति सं० २ । पत्र सं० १६ आ. १३४७ इन्च । ले० काल सं० १९०५ पौष सुदी ५ । पूर्ण वेन सं० ४१ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावार्टी (सीकर) ३६७४. प्रति सं० ३ । पत्र सं०४७ । प्राvax६३ इञ्च 1 ले०कात । पूर्ण । वेष्टन सं०७३-४२ । प्राप्ति स्थान--- दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ३६७५. प्रति सं० ४ । पत्रसं० २८ ! प्रा० १२३ ४७ इञ्च 1 लेफाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । . ३६७६. प्रति सं०५ । पत्र सं० ३६ । ले. काल सं० १९७५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३६७७. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० १६ । प्रा० १०१४५ इञ्च । ले. काल स. १९७६ भादवा बुदी १२ । पुर्ण । वेयन सं० १ । प्राप्ति स्थान-६० अन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान बू दी। ३६७८. प्रति सं०७। पत्र सं० ३५ । प्रा १०४६६ञ्च । लेकाल सं० १९५० । पूर्ण। वेष्टन सं०८ । प्राप्ति स्थान-- दि. जन अबवाल मन्दिर नैणना । ००। पूरा ३६७६. प्रतिसं०८। पत्र सं० ३२ 1 आ०६x ५ इञ्च । ले. काल सं० १९ वेष्टन सं०१। प्राप्ति स्थान--दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर नैररावा ।। विशेष-लोचनपुर शुम ग्राम में सिंधराज जिनधाम । बुद्धि प्रमाण लिख्यो मुझे पिये थी जिमनाम ॥ १ ।। साइ करो मुझि ऊपरै, दोषहरो भगवान । सरण नगण आदिकसह घराऊं श्री जिनवारिण। पन्नासरण बनाय के मा बिनती एह । देव धर्म ध्रुत साधु को चरण नमू धरि नेह 1 । सभव है पन्नालाल ने प्रतिलिपि की थी। ३६८०. प्रतिसं०६ पत्र सं० २८ । प्रा. १०४७ इञ्च । ले०काल सं० १९.२ । परम् । बेष्टन सं०४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का नेसाया। विशेष—महाराजाधिराज श्री रामसिंहनी का राज में बूंदी के परगणे नैणवा मध्ये । ३६८१. प्रति सं०१० । पत्र सं० २६ । प्रा० ११४७ इन्च । लेकाल सं० १९६२ । पूर्ण । वेष्टन १०। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बघेरवालों का (उणियारा) ३६८२. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ४३ । प्रा० १०४७ इञ्च । ले०काल १८५२ । पूर्ण। वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक) ३६८३. प्रति सं०१२। पत्र सं० ३१ । आ० १२४८ इञ्च । ले०कास x पूर्ण । वेष्टन सं. ६१:५६ । प्राप्ति स्थान-- दिन पाश्वनाथ मन्दिर इन्दरगड (टोंक) विशेष---भेलीराज ज्ञानि साबड़ा चम्पावती वाले ने माधोराजपुरा में प्रतिलिपि कराई थी। ३६८४. प्रतिसं० १३ । पसं० ४१ । प्रा० १०४४ ३ इञ्च । र० काल स. १७८३ माघ बुदी ८ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६ । । प्राप्ति स्थान- दि जैन पचायती मन्दिर अलवर । ३६८५. प्रतिसं० १४ । परा० २० । श्रा० १२:४७३ इञ्च । ले० कास x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर वैर। विशेष-५६५ पद्य है। ३६८६. प्रतिसं० १५ । पत्र सं० ५७ । प्रा. १३४५ ३ इञ्च । ले. काल सं० १८१३ प्रासोज सुदी १० । । पूर्ण । बेष्टन सं० ४२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है-शुभ संवत् १८१३ वर्षे प्रासोज मासे शुक्कपओ दशम्पां रविवासरे खण्डेलवालान्वये गिरधरवाल गोत्रे श्रावकपुनीत थी उदरामजी तस्य प्रभावनांगकारक श्री रामलजी तस्य पुत्र Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३६१ द्वय ज्येष्ठ पुत्र लीलापती लघुसुत बनारसीदास पौत्र राधेकृष्ण एतेषां साहजी श्री चुरामणिजी तेनेदं शास्त्र लिखापितं । बोहा -- चूरामनि ने ग्रन्थ यह निजहित देत विचार । लिखवायो भविजन पढो ज्यो पार्व सुखसार ॥ ३६८७. प्रति सं० १६ | पत्र ०८ | ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १०५ | प्राप्ति स्थान - दि०जै मन्दिर विशेष-उपगूहन क्या ऋषि मण्डल स्तोत्र, जैन शतक (सं० १७६१) बीस तीर्थंकरों की जड़ी मादि भी है। ३६८८ प्रतिसं० १७ । पत्रसं० ४१ । आ १० x ५ इव । ले० काल सं० १८५७ प्रपाठ सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२ - ६० । प्राप्ति स्थान–दि० जैन मंदिर तेरहपंथी दौसा + विशेष चिमनलाल तेरहाची दौसा ने प्रतिलिपि की थी । ३६८६. प्रतिस० १८ । पत्र सं० ४४ । ले० काल १८२७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर तेरहतथी बसका । विशेष – कामागढ़ में भोलीलाल ने प्रतिलिपि की थी । ३६६० प्रतिस० १६ | पत्र सं० ४१ | आ० १२४५ इव । ले० काल सं० १८५२ वैशाख सुखी १ | अपूर्ण । वेष्टन सं० २७ ९ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा | विशेष- चूहों ने खा रखा है। ३६६१. भद्रबाहु चरित्र भाषा - चंपाराम पत्र सं० ४३ । श्रा० १०३ × ५ इञ्च । भाषा - हिन्दी (ग)| विषय -- चरित्र | २० काल सं० १०६४ सावन सुदी १५ । ले० काल सं० १९२६ मंगसिर बुदी १४ । पू । सं०६५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष - ब्राह्मण पुष्करणा फोराम जात कांकला में प्रतिलिपि की थी । संवत् १९२८ भादवा सुदी १४ को श्रनन्तत्रतोद्यापन के उपलक्ष में हरिकिसन जी के मन्दिर में चढाया था। ३६९२. प्रति सं० २ । पत्र ० २३ ॥ घ० ११ ४६ इव । ले० काल x पू । ष्टन मं० ५६ । प्राप्ति स्थान- वि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी | ३६६३. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ७१ । आ० १० X ६१ इश्व । ले० काल सं० १६४४ । पूर्ण । बेटन सं० १५४ ५४ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर, इन्दरगड (कोटा) ३६६४. प्रति सं० ४ । पत्रसं० ५६ । ग्रा० ६६४६ इ । ले० काल सं० १९२३ याषाढ सुत्री १४ । पू । वेष्टन सं० ४२ ५५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ इन्दरगढ (फोटा) प्रा० १३x६ इञ्च । ले० काल सं० १८६६ । पूर्ण । बोरसली ( कोटा ) । ३६६५. प्रति सं० ५ १ पत्रसं० ३४ | विटन सं० १४५ | प्राप्ति स्थान — दि० जैन मंदिर ३६६६. भद्रबाहु चरित्र भाषा - X गद्य | विषय - चरित्र । र०काल x । ले० काल सं० दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी पत्र सं० ८५० X ३ इञ्च । भाषा - हिन्दी १८१७ | पूर्ण । वेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान -- Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३६१७. भद्रबाहु चरित्र सटीक--X । पत्र सं० ४१ । प्रा० १२४७१ इञ्च । भाषा-हिन्दी गध । विषय- परिन । र० काल x ! ले. काल सं० १९७७ माघ सुदी ८। पुणं । वेष्टन सं० १४० । प्राप्ति स्थान—दि. जैनमन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष–रत्नन्दि कृत संस्थत की टीका है। ३६१८. भविष्यदत्त चरित्र-श्रीधर । पत्रसं० ६५ । ग्रा० १०:४५ इञ्च । भाषाअपन श । विषय-चरित्र । २० काल x। ले०काल सं० १६८५ ज्येष्ठ सुदी ५ । पुर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । ३६६६. प्रतिसं० २। पत्र सं० ८१ । ले० काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १९८1 प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । ३७००. प्रतिसं०३ 1 पत्र सं० २१ । ले० काल सं० १६१३ भादवा सुदी ५ । पूर्ण । बेग्टन सं० २०१। प्राप्ति स्थान-- भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष--तक्षकमहादुर्ग में मंडलाचार्य ललितकीतिदेव की प्रास्ताय में सा. हीरा भौंसा ने प्रतिलिपि करवायी थी। ३७०१. प्रति सं०४। पत्र सं०६३। ले० काल १६५३ । पुर्ण । वेष्टन सं० ४६/६७ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । प्रशस्ति संवत् १६४३ वर्षे धावण बुदी ५ तिथौ रविवासरे श्री चन्द्रावतीपूर्या श्री प्रादिनाथ चैत्यालये थी मूलसंधे सरस्वतीगच्छ बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचानिये भट्टारक श्री सकलकीत्तिदेवा तस्पट्ट भ भूवनकीतिदेवा तत्प? भ० ज्ञानभूषणदेवा तत्पट्ट श्री विजयीतिदेवा तत्प? भ० श्री शुभचन्द्रदेवा स्तस्पट्ट भ. श्री सुमतिकोलिदेवा सत्प? भ. श्री गुणकीति तत् शिष्य ब्रह्म मेघराज पठनार्थ । सिरोजवास्तव्ये पखार ज्ञाती चौधरी मांडतद्भार्या अडा तयो पुत्र धर्मभारघुरघरावत दानशील पूजादिगुण संयुक्ता चौधरी वापराज तद्भार्या भानमती ताम्या ज्ञानावर्णी कर्मक्षयार्थ श्री भविष्यदत्त पंचमी चरित्रे लेसिस्वायत्तं ॥ ३७०२. प्रति सं०५। पत्रसं० ५५ । मा. १०३४५३ च । ले०कास सं० १७३१ मंगसिर बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं०५ । प्राप्ति स्थान-वि. जैन मंदिर प्रादिनाथ दी। विशेष पं० लक्ष्मीदास ने म्ब पठनार्थ लिखा था । ३७०३. प्रति सं०६ । पत्रसं० २६-४८ । प्रा० १२४५३ इञ्च। ले. काल X । अपूर्ण । वेधन सं०७०४. प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर। ३७०४, प्रति सं०७। पत्र सं०८८। प्रा०१०१४४ ई-श । ले. काल सं० १५५६ श्रावण खुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) प्रशस्ति-संवत् १५५६ वर्षे श्रावण मासे कृष्णपक्षे प्रति पत्तियों बुध दिने मंधारे मन्दिरे श्री पाश्वनाथ चैत्यालये श्री मूलसंन्ने सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भ. श्री सफलकीति बत्प? भ० भुवनकीति तत्पट्टे भ० श्री ज्ञानभूषण तच्छिण्य मुनि श्री गुणभूषण पठनार्थ बाई शांतिका मदनश्री जानावरणीय कर्मक्षयार्थ लिखापितं भविष्यदत्तं चरित्र ।। Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३६३ ३७०५. प्रतिसं० ८ । पत्रसं० ८६ । था० ११ × ५ इन्च । ले० काल सं० १६५६ पु । वेष्टन सं० ३१७ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । प्रशस्ति-पं० १६५६ काली सुदी ५ गुरुवारे पक्ष देशे भेदकी पुर नगरे राजाधिराज मानस्यंध राज्ये प्रतिलिपि हुई थी । पत्र सं० ५० १ ० १२३ ४ | ०खाल X। पूर्ण । वेष्टन सं ३७०६. प्रतिसं० २४६ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) | ३७०७ प्रतिसं० १० । पत्र सं० २०६६ । आ० १२४४३ इञ्च । ले० काल x । पूर्ण । न सं० ३२२ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ३७०८. प्रति सं० ११३ पत्रसं०] १-७५ । ले० काल सं० १६१० । पूर्ण वैवन सं० १९ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर डोग । ३७०६. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ६७ । ले० काल स० १४८२ वंशाख सुदी १० पूर्ण वेष्टन सं० ७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर बसवा १ विशेष – प्रशस्ति निम्न प्रकार है। - संवत् १४८२ वैशाख सुदी १० श्री योगिनीपुरे साहिजादा मुरादखान राज्य प्रवत्तमाने श्री काष्ठासंघे माथुरान्वये पुष्कर गणे आचार्य श्री भावसेन देवास्तत् पट्टे श्री गुणकीति देवास्तत् शिस्य श्री यशःकीति देवा उपदेशेन लिखापितं । ३७१०. प्रतिसं० १३ | पत्र सं० ६३ | ० १२४५३ इव । ले० काल सं० १६३९ वैशाख सुदी ६ । पू । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर भादवा (राज ० ) । इव । लेन्काल X। अपूर्ण ३७११. प्रतिसं० १४ । पत्र सं० १-८८ | श्र० ११३४४३ वेष्टन सं० ८४ प्राप्ति स्थान - अग्रवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष - ८५ पत्र से आगे के पत्र नहीं है। प्रति प्राचीन है । ३७१२. भविष्य दत्त चरित्र - X | पत्रसं० १६ । घा० १०३ x ५ । भाषा - संस्कृत । विषय - चरित्र | २० काल x । ले० काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० १५३ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) पत्रसं० ४२ । ० १०x४८ इश्व । सुदी १४ । ले० काल सं० १७६४ वैशाख भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | ३७१३. भविष्यदत्त चौपई- श्र० रायमल्ल भाषा - हिन्दी | विषय - चरित्र | १०काल सं० १६३३ काती सुदी ८ । पू । श्रेष्टन सं० १२४५ | प्राप्ति स्थान ३७१४. प्रति सं० २ । पत्र ५० । श्रा० १२५५३ इव । ले० काल सं० १६५५ काती सुदी १४ । पूर्ण वेष्टन सं० ३०८ | प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | ३७१५. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ७० । ० ५३X६ इस । ले० काल सं० १८४५ ।। वेन सं० १०५ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर राजमहल, टोंक | विशेष – महात्मा ज्ञानीराम सवाई जयपुर वाले ने प्रतिलिपि की । लिखायितं पं० श्री देवीचन्द जी राजारामस्यथ के खेडा मध्ये | Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६४ ] | ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३७१६. प्रति सं०४ । पत्र सं०४४ । घा० १००x४३ इञ्च । ले. काल स. १८३०। पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान-वि० जन मन्दिर यादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) । लेखक प्रशस्ति-मिति भादवा बुदि ११ वर दीतवार सवत् १८३० साके १६६५ प्रवर्तमान भट्टारक श्री १०८ श्री सुरेन्द्रकीत्ति जी प्रवृतमान मुलस घे बलात्कार गरो सुरसती गच्छे. याम्नाये श्री कुदकुन्दाचार्ये लिखिना साहा माथूराम सोनी जाति सोनी । लिखतु रूडमल गोवा । श्री आदिनाथ के देहुरा। ३७१७. प्रति सं० ५। पत्र सं० ५३ । प्रा० १० x ४० इञ्च । से० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५०६ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष- ईश्वरदास साह ने प्रतिलिपि की। ३७१८. भुवन भानु केवली चरित्र ४ । पत्रसं० ३७ । प्रा० १०४ ४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल ४ ले काल स० १७४७ । पूर्ण । बेप्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना दी। विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार हैइति श्री भवनभानु केवलि महानारित्र वराम्यमय रामाप्तं । संवत् १५४७ वर्षे शाके १६१२ मिति फागुण बुदि १ पंडिजोत्तम श्री श्री लक्ष्मी विमलमणि शिष्य पंडित शिरोमरिण पंडित श्री ५ श्री रगविमलगणि शिष्य अमर विमल गणि शिष्य गणि श्री रत्नविमल ग. पटनाथ भगवतगढ़ नगरे पातिसाह श्री और गसाह विजैराज नवाब अस्तबागी नामे राजश्वी सादूलसिंहजी राजे लिखतं । ३७१६. भोजप्रबंध-६० वल्लाल । पत्रसं० ४० । प्रा० १३ x ६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय - काश्य । र०काल सं० १७५५ 1 ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८३ । प्राप्ति स्थान---- भट्टारकीय दि० जन मन्दिर अजमेर । ३७२०. प्रति सं०२। पत्र सं०७५ । प्रा० १०.४५ इन्च । ले०काल सं० १९६६ । के.सं. २६० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ३७२१. भोज चरित्र- भवानीदास ध्यास । पत्रसं० ३५ । प्रा० १०४४ च । भाषाहिन्दी। विषय-काव्य । २० काल X । से काल सं० १५२५ । वेष्टन सं०६७२। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेषाढ़ जोधारण सतोल बाम आई बिलाडे। पीर पाठकल्याण सुजस गुण गीत गवाडे । भोज परित तिण मुकह्यो कविपण सुख पावे । व्यास भवानीदास कवित्त कर बात सणावे ।। सुणी प्रबंध चारण प्रते भोजराज बीन कथो। कल्यारषदास भूपाल को धर्म ध्वजाधारी कयो । इति श्री भोज चरित्र सम्पूर्ण । सबत् १८२५ वर्षे मित कातिग बुदि.४ दिने बाबीढारे लिखितं । पंचायक विजेयण श्रीमन्नागपुरे श्री पार्श्वनाथ प्रसादात् । Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] ३७२२, भोजप्रबंध--X । पत्रसं० २० ! था० EX४ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय--- काव्य । २० काल X । ले०काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० ८५ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर दक्लाना (बूदी) । ३७२३. मोजराजकाव्य-x। पत्र सं०१ । प्रा०१०x४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० कालX | ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ३३३ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर। ३७२४. मरिणपति चरित्र हरिचन्द सूरि । पत्र सं० १८ । भाषा-प्राकृत । विषय-चरित । र० काल सं० ११७२ । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ४६२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ३७२५. भयगरेहाचरित्र-xi पसं० ७ । प्रा० ११४४१ इन्न । भाषा-हिन्दी (पद्य) विषय-कथा । र० काल x । ले० काल सं० १६१६ काती बुदी २ । पूर्ण। वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (दी)। ३७२६. मलयसुन्दरीचरित्र-जयतिलक सूरि । पत्र सं० ६७ । भाषा - संस्कृत । विषय-- परित्र । र० कालX । ले. काल सं० १४६० माघ सुदी १ सोमदिने । पूर्ण। वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर बसया । ३७२७. मलयसुदरी चरित्र भाषा-अखयराम तुहाडिया। पत्रसं० १२४ । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-चरित्र । र काल X । ले० काल सं० १७७४ कार्तिक बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टनसं०६० । प्राप्ति स्थान-दि जैन तेरहपंथी मन्दिर बसया । विशेष-प्रारंभ - रिषभ प्रादि चौबीस जिन जिन सेयां मानन्द । नमस्कार त्रिकाल सहित फरत होय मुखकंद ।। ३७२८. मल्लिनाब चरित्र-म० सकलकीति । पत्र सं० २७ । प्रा० ११३४५९ च । भाषा-- संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल - । ले० काल सं० १८३२ । पुणे । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३७२६. प्रति सं० २ । पथ सं० ३८ । आ. १.४४ शुञ्च । ले० कालः४ । पूर्ण। वेष्टन सं. २७८ । प्राप्ति स्थान-भद्रारकीय दि० जैन मन्दिर यजमेर । ३७३०. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४१ । या० ११४४३ इञ्च । ले. काल x | पूर्ण 1 वेष्टन स०७३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरराली कोटा । ३७३१. प्रति सं०४। पत्रसं० ४१ । आ० १०४४६ इञ्च । ले०काल सं १६२३ ग्रामोज बुदी १४ पूर्ण । वेष्टन सं० २५५, २४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष-दीमक लगी हुई है। प्रशस्ति निम्न प्रकार है..संवत् १६२३ वर्षे अाश्वनि १४ शुक्र श्री मूलसंधे भट्टारक श्री सकलकीति सरपट्ट भ० श्री भुवनकोनि तत्प भ० ज्ञानभूषण तत्प? भ० विजयकीर्ति तत्प? भ• शुमचन्द्र तत्पट्टे में० श्री'सुमतिकीति स्तदास्नाये Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग गिरिपुर बास्तश्य हुंबडजातीय का साइया भार्या सहिगलदै तयोः मुत सम्यक्वपानीय प्रक्षालित पापकदम अङ्गीकृत द्वादशयनियम । दानदत्ति संतपत विविधपात्र विहित श्री शत्रु जयेताजीयेत तुगी प्रमुख तीय पात्र समस्त गुणगरपादेयः को जाय तदभार्या शीतेवगील संपन्ना दानपूजापरायणालावण्य जलपर्वता वचनामृतवापिका श्राविका गोरा चाम्नी द्वितीय भार्या महरषदेतयों पुत्र को सामलदास एते: ज्ञानाबरणी कर्म क्षयार्थ ७० कर्णसागराय थी मल्लिनाथ चाय लिखाप्यप्रदत्त । ३७३२. प्रतिसं० ५। पत्रसं०७६ । लेकाल १९२२ पापा, सुदी २ 1 पूर्ण । चेष्टन सं. २२२। प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर । विशेष-भरतपुर में पन्नालाल बजारमा ने लिखवाई थी। ३७३३. मल्लिनाथ चरित्र-- सकलभूषण । पत्र सं० ४१ । प्रा० ११३४५३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-चरित्र । २० का X । ले. काल सं० १८०८ फाल्गुन बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३३ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी (दी)। ३७३४. मल्लिनाथ चरित्र भाषा–सेवाराम पाटनी। पत्रसं० ५६ | प्रा० ११४७३ इश्च । भाषा-हिन्दी विषय-चरित्र । र० काल सं० १५५० भादवा बुदी ५। लेकाल १८८४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष- कामा में सदासुख रिषभदास ने प्रतिलिपि की थी। प्रारम्भ (नमः) श्री मल्लिनाथाय, कर्ममल्लविनाशने । अनन्त महिमासाय, जगत्स्वामनिनिशं ।। पद्य मल्लिनाथ जिनको सदा यो मनबचकाय । मङ्गलकारी जगत में, भव्य जीवन सूखदाय ॥ मङ्गलमय मङ्गलकरण, मल्लिनाय जिनराज । ग्रारभ्यो मैं पथ यह, मिद्धि करो महाराजि ॥२॥ हिन्दी गद्य का नमूना समरत कार्य करि जगत गुरु नै ले करि इन्द्र बड़ी विभूति सूपूर्ववत पुर ने ले आवता हुआ। तहां राज प्रांगण के विर्ष बडा सिंहासन पाइ हर्ष करि सर्वाङ्ग भूषित इन्द्र बस्तो हुई। अन्तिम प्रशस्ति रामसुख परभातीमल्ल, जोधराज मगहि बुधिमल्ल । दीपचन्द गोधो गुणवान इनि चारया मिलि कही बखानि ॥१।। मामनाथ चरित्र की भाषा, करो महा इह अति विख्यात । पढे सूमै साधरमी लोग, उपज पूण्य पाप क्षय होय ॥२।। तब हमने यह कियो विचार, बचनरूप भाषा अतिसार । कीजे रचना सुगम अमार, सब जन पढे सुनै सुखकार ॥३१॥ मायाचन्द को नंदन जागि, गोतपाटणी सुखकी खानि । सेवाराम नाम है सही, भाषा कवि को जानौ इहि ॥४॥ Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काथ्य एवं चरित ] अल्प दुद्धि भेरी प्रति घणी, कवि जन सुविनती इस भरणी। भूल चूक जो लेहु सुधार, इहि अरज मेरी अवधार ॥५॥ प्रथम वास घोसा का जानि, डीगमाहि सुखवास बखानि । महाराज रणजीत प्रचंड, जाटवंश में असिबलवंड ॥६॥ प्रजा सबै सुखसों अति बगै, पर दल इति भौतिनही लसै। न्यायवंत राजा प्रति भलौ, जवतो महि मंडल खरो। संवत अष्टादशशत जानि, और पचास यधिक ही मान ॥ भादौंमास प्रथम पक्षि माहि, पांच सोमवार के माहि । तब इह ग्रंथ संपूर्ण कियो, कविजन मन वांछित पाल लियो ।। ३७३५. प्रति सं०२ । पत्र सं० २६ से ६४ । ले० काल सं० १८५७ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । ३७३६ प्रति सं०३। पत्र सं० ५६ । प्रा० १०६४६ च । लेकाल सं० १८५० भादवा बुद्धी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवान जी कामा । विशेष—सं० १८५० भादवा बृदी ५ सोमवार डीग सहर में लिख्यो सेवाराम पाटनी मयाचन्दजी का ज्ञानावरणी कर्मशयार्थ । प्रति रचनाकाल के समय की ही है । तिथि तथा संवत् एक ही है। ३७३७. प्रति सं० ४ । पत्रसं० ८४ । प्रा० १०४५६ इन्थ । ले०काल सं० १८८३ फाती भुदी 55 । पूर्ण । वेष्टन सं०७८ । प्राप्ति स्थान- दि० जन पचायती मन्दिर कामा । विशेष –कामा में सदाशुख कासलीवाल ने प्रतिलिपि की। महाराजा सवाई बलवंतसिंह जी के शासनकाल में फोजदार नाथूराम के समय में लिखा गया था। ३७३८. महाबीर सत्तावीस भध चरित्र-४। पत्र सं. ३ । प्रा० x ३३६५ । भाषाप्राकृत । विषय-चरित्र 1 १० कान X । लेकाल XI पूर्ण । वेष्टन सं० २३७ । प्राप्ति स्थान दि० जन मंदिर राजमहल' (टोंक)। विशेष-जिननल्लभ कचि कृत संस्कृत टीका सहित है। ३७३९. महीपालचरित्र-वीरदेव गरिए । पत्र सं० ११ । प्रा० ११ x ४ इञ्च । भाषाप्राकृत । विषय-- चरित्र । २० काल X । ले. काल सं० १७३६ । पूर्ण। वेष्टन सं० २०० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा। ३७४०, महीपाल चरित्र-चारित्रभूषण । पत्र सं० ५० । आ० १.४४ इश्व । भाषा- .. संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल सं० १७३६ श्रावण सुदी २ । ले० काल सं० १८४२ माघ सुदी। पूर्ण । वेष्टन सं० १०५६ । प्राप्ति स्थान- भ० दिख जैन मन्दिर अजमेर । विशेष—अजमेर में प्रतिलिपि हुई। ३७४१, प्रति सं०२। पत्र सं० ३६ । पा० १२४५ इञ्च | ले०काल X । पुर्ण । वेष्टन सं. ६१ । प्राप्ति स्थान-म० दि जैन मन्दिर अजमेर । Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६८ ] [ ग्रन्थ सूची--पंचम भाग ३७४२. प्रति सं०३ पत्र सं०४८ । आ. x५ इञ्च । लेकाल सं० १८९५ भादवा बुदी १० । पूर्ण । वेहन सं०४८०। प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष .. पं० मोतीलाल ने प्रतिलिपि की थी। ३७४३. प्रति सं०४ । पत्रसं० २६।०१२x६, इच। ले.काल सं० १७८३ साबण बुदी ७ । पूरणं । देष्टन सं०७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटथों का नगवा । विशेष-उरिणयारामध्ये रामपुरा के गिरधारी ब्राह्मण ने जती जीवणराम के कहने से लिखाया था । ३७४४. प्रति सं०५। पत्र सं० ४२ । बा० १०३४६ इञ्च । ले. काल सं० १९३३ । पूर्ण । वेष्टनसं०७५ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मंदिर राजमहल टोंक । ३७४५. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ३६ । प्रा० १०३४४ इन्न । से० काल सं० १८२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४० । प्राप्ति स्थान-पाश्र्वनाथ दि. जैन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। ३७४६. प्रतिसं०७ । पत्र सं० ४० । आ० १०४५३ इञ्च । ते. काल सं० १८५५ कात्तिक दुदी १३ । पूर्ण । वेष्ठन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । विशेष-कोटा नगर के रामपुरा शुभ स्थान के पं० जिनदारा के शिष्य हीरानन्द के पठनार्थ पं. लालचन्द ने लिखा था । .. ३७४७. महीपाल चरित्र भाषा-नथमल बोसी। पत्र सं० ६६ । प्रा० १.४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-चरित्र । र०काल सं० १९१५ आसोज बुदी ४। ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं.४ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। विशेष-दुलीचन्द दोसी के सुगौत्र तथा शिवचन्द के सूपुन नथमल ने यय की भाषा की थी। ३७४८, प्रति सं० २ । पत्रसं० ४३ । प्रा. १३४ 5 इश्च । ल० काल सं० १८१८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। विशेष-प्रतापगढ़ नगर में प्रतिलिपि हुई थी। ३७४६. प्रतिसं०३ । पत्रसं० ६१ । आज ११४७ इञ्च । ले० काल x। पूरणं । वेष्टन सं० १। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अग्रवालों का नगवा । ३७५०. प्रति सं० ४। पत्र सं० ६८ । प्रा० ११४७ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर श्री महावीर दी। ३७५१. प्रति सं० ५। पत्र सं० १३३ । घा० १२४५ इञ्च । ले. बाल सं० १९३४ श्रावण बुदी १२ । पूर्ण । प्रश्न सं० ३३२-१२७ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर।। ३७५२. प्रति सं०६ । पारसं०४८ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले० काल सं० १९५६ । पूर्स। वेष्टन सं० ११५-५६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर। ३७५३. प्रति सं०७। पत्र सं०७२ । प्रा०६४७१ इच। ले. काल ४ग । वेष्टन सं० ८। प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ३७५४. प्रति सं० ८ । पत्रसं० ६१ । प्रा० ११४७ इञ्च । ले० काल सं० १९४८ आसौज बुदी ह। पूर्ण । वेष्टन सं०५७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३६९ ३७५५. प्रतिसं०६। पत्र सं०५७ । प्रा० १३४७१ इञ्च । ले० काल सं० १९७६ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १७० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर नागदी (बूदी) । ३७५६. महोभट्ट काट्य–महोभट्ट । पत्र सं०७२ । प्रा०६१४४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पर्श्वनाथ इन्दरगडू (दी) ३७५७. मुनिरंग चौपाई-लालचन्द । पत्र सं० ३३ । भाषा-हिन्दी 1 विषय-चरित्र । र० काल ४ । लेकाल x। पूर्ण । बेष्टन सं० ६३५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर। ३७५८. मेघदूत-कालिदास । पत्रसं० २६ । Ex४, इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषम- . काव्य । र० काल X ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६६ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ३७५६. प्रति सं० २ पत्र सं. १७ । प्रा० EX४ इञ्च ! ले. काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं. १६०३ । प्राप्ति स्थान—भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३७६०. प्रतिस०३ । पत्र सं० १५ । प्रा०१२४५३ हश्च । ल. काल X । वेष्टन सं० १३४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी । ३७६१. प्रतिसं०४ । पत्रसं० १० । प्रा० ११३४४३ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण वेष्टन सं० ६३. । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर अभिनन्द स्वामी, दी। ३७६२. प्रति सं०५ । पत्र सं०१४ । प्रा० .१२ x ४ इञ्च 1 ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ६६ । प्राप्ति स्थान-दिक जैन मन्दिर अभियन्दन स्वामी, बूदी। ३७६३. प्रति सं०६। पत्र सं० १७ । आ. १.४४६च । ले. काल ४ । पूर्ण वे० से. ७८ | प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ३७६४. प्रति संख्या ७ । पत्र सं० ८ | प्रा. Ex ४ इञ्च । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं २२१ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर दलाना बूदी। ३७६५. प्रतिसं० । पत्र सं० १७ । प्रा० १०३४.४१ इञ्च । लेकाल सं० १८१६ फागुण बुदी १३ । अपूर्ण । वेष्टमसं० ३०६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ३७६.६. प्रति स ६ । पत्र सं० ३५ । प्रा० १०.४५ इञ्च । ले०काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० ३०८ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष---संजीवनी टीका सहित है। ३७६७. तिस १० । पत्र सं० २८ । प्रा० ८१४४ इन्च । ले० काल सं० १६८७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान----दि • जैन मन्दिर दबलाना (बू दी) विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है--संवत् १६७ वर्षे बैशाख मारो शुक्लपक्षे एकादश्यां तिथी भौमवासरे वू दीपुरे पतुविशति ज्ञातिना शारंग घरेण लिखितं इदं पुस्तकं । Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७० ] [ ग्रन्थ सूचो पंचम भाग ३७६८, प्रतिसं० ११ । पत्रसं० १७ । प्रा० १२ x ४ इञ्च । ले०काल स. १८१९ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३४ । प्रापित स्थान-दि जैन मंदिर पोरसली कोटा ।। ३७६४, प्रतिस०१२ पत्रसं०४७ । लेकाल: । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५२० । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-संस्कृत टीका सहित है। ३७७०. प्रति सं०१३ । पत्रसं० २३ । प्रा० १०१X४. इञ्च । ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १८४-७७ ।प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का, हंगरपुर। विशेष-प्रति प्राचीन एवं टीका सहित है। ३७७१. मेघदूत टीका (स जीवनो)-मल्लिनाथ सूरि । पत्र सं० २-३३ । प्रा०६३x २१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । र०काबX ।ले० काल सं १७४७ । अप वेष्टन सं. १४५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर। विशेष ग्रन्धानन्थ सं० १७०० प्रशस्ति निम्न प्रकार है-संवत् १७४० वर्षे मंगसिर सुदीप दिने लिखितं शिष्य लालचन्द केन उदैपुरे । ३७७२. मृगावती चरित्र-समयसुन्दर । पत्र सं० २-४६ । प्रा० १०४ ४३ इन्च । भाषाहिन्दी (पद्य)। विषय - चरित्र र० काल सं०१६६६ले. काल सं. १६५७ फागुण सूदी । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर बयाना। विशेष प्रति जीर्ण है। ३७७३. मुगावती चरित्र । पत्रसं०३२। पा० १.४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयधरित्र । २० काल X । ले०काल X । यपूर्ण । वेष्टन सं० ११५-६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा। ३७७४, यशस्तिलक चम्पू-श्रा० सोमवेव । पत्र सं० ४०४ । प्रा. ११.४५ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-काव्य । २० काल सं० E८१ (क) वि० सं० १०१६ । ले काल सं० १८५४ । पूर्ण । देष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान- मट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३७७५. प्रतिसं०२ । पत्रसं० २४४ । ले. काल ४ । पूर्ण । बेष्टा सं० २७ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३७७६. प्रतिसं०३।पत्र सं० २६४ । आ. १२३४५ इञ्च । ले. काल सं० १८७६ पौष सदी ४ । पूरणं । वेष्टन सं० २। प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर आदिनाथ व दी। विशेष-महात्मा फकीरदास ने संधारि में प्रतिलिपि की थी। ३७७७. प्रति सं० ४१ पत्रसं० २७० । प्रा० १२४५ इन्च । ले. काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दीवानजी कामा । ३७७८. प्रतिसं०५। पत्रसं० ३६२ । प्रा० १२४५१ हच । ले० काल सं० १७१६ कार्तिक सुदी ६। पूरणं । वेष्टन सं० ३१६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा 1 विशेष-सरबाड नगर में राजाधिराज श्री सुर्वमहल के शासन काल में श्रादिनाथ चैल्यालय में श्री कनकीर्ति के शिष्य पं० रायमल ने प्रतिलिपि को थी । संस्कृत में कठिन शब्दों का अर्थ भी है। Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं घरित ] ३७७६. प्रति सं०६ । पत्र सं० २०१-२८२ । आज ११४५३इच । ले० काल सं० १४६० पैशास्त्र बृदी १२ ।अपूर्ण । वेष्टन सं० ३२४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर दीवानजी कामा। विशेष--मिचन्द्र मुनिना उद्दत हस्ते लिखापित पुस्तकमिदं ।। ३७८०. यशस्तिलक टिप्पण-.x पत्रसं० ३५३ । प्रा० १२४८ इञ्च । भाषा-संस्कृत । (गद्य) विषय--काव्य र० काल X । ले काल सं १९१२ । अषाढ सुदी १३ । पूर्ण । येष्टन सं० १२१ । प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३७६१. यशस्तिलक चम्पू टोका-शु तसागर । पत्रसं० ३० । प्रा० ११ X ७८ इञ्च । भाषा- संस्कृत । विषय - काव्य । र० काल X । ले० काल सं० १६०२ ज्येष्ठ सुदी ३ । पूर्ण वेष्टन सं. १०१। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर विशेष-सवाई मानसिंह के शासन काल में जयपुर के नेमिनाथ चैल्यालय में लश्कर) विजयचन्द की भार्या ने अष्टाह्निका यतोद्यापन में पं० भांभूराम से प्रतिलिपि करवाकर मन्दिर में भेंट किया। ३७८२. यशोधर चरित्र-पृष्पदंत । पत्र सं० ७२ । प्रा. ११४५३ इञ्च । भाषाअपभ्रश 1 विषय-चरित्र । २० काल X । ले• काल X । पूर्ण । थेष्टन सं० १२५५ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष—स. १६३६ में चांदमल सोगानी ने बताया था। ३७८३. प्रति सं०२। पत्र सं० ८६ । प्रा० ११ X ४इश्च । ले० काल सं० १५९४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४८८ । प्राप्ति स्थान ... दि० जैन संभयनाथ मंदिर उदयपुर । प्रशस्ति- सजन १५६४ फागुण सुदी १२ । श्री मूल संथे सरस्वती गच्छे कुदकुदाचार्यान्वये थी धर्मचन्द्र की प्राम्माय में खण्डेलवाल हरसिंह की भायां याशरकती ने आचार्य श्री नेमिचन्द्र को ज्ञानावरणी क्षयार्थ दिया। ३७८४. प्रति सं०३ । पत्रसं० १०७ । डा० १२४४३ इन्च । लेकाल सं० १५५६ पूर्ण । वेष्टन सं० ३८६।३२ । प्राप्ति स्थान --दिस जैन सम्भवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है-सबत् १५५६ व ज्येष्ठ बुदी : भौमे श्री मूलसंघे सरस्वती गच्छे श्री कुद कुदाचार्यान्वये भट्टारक श्री सकलकीति देवालपट्टे भट्टारक थी भुवनकीति देवातत्प? भ० श्री ज्ञानभूषण देवा तद्भातृ आ० श्री रत्नकी तिदेवा तत् शिष्य ब्रह्मरत्न सागर उपदेशन श्रीमती गंधार मन्दिरे श्री पार्थनाथ चल्ल्यालय हुबड ज्ञातीय श्वी धना भायां परोपकारिणी द्वादशानुप्रेक्षा चितन विधायिनी शुद्धशील प्रति पालिनी माजी नामी स्वश्वे य श्रेस श्री यशी महाराज चरित्रं लिखाप्य दत्तं शालाधरणी कर्म क्षयार्थ शुभ भवतु । कल्बामा भूयात् । ३७८५. यशोधर चरित्र टिप्पणी-प्रभाच पत्र सं० १२ । प्रा. ११४४ इञ्च । भाषा सस्कृत 1 विषय – चरित्र । २० काम X । ० काल स १५७४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४८७ । प्राप्ति स्थान-जैन दि० मन्दिर सम्भनाय बदवपुर । प्रशस्ति--सवत् १५७४ ज्येष्ठ सुदी ३ बुध श्री हंसपत्तने श्री वृषभ चल्यालये श्री मूलसंधे श्री भारती गच्छे श्री कुदकुदाचार्यान्वमे भ० श्री पयनदि त.प. देवेन्द्रकीति त. भ. विद्यानदि रात्प? भ, मल्लिभूषण त. प. भ. लक्ष्मी चन्द्र देवानां शिष्य श्री ज्ञानचन्द्र पठनार्थ श्री सिंहपुरा जाने श्रेनिठ मासा श्रेण्ठि माधव सुता वार हरखाइ तस्या पुत्र जन्म निमित्त लिखापित्तं । Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३७८६. यशोधर चरित्र पीठिका-४ । पत्र सं० १८ । प्रा० ११४ ६ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल x लेकाल सं० १६८६ । पूर्ण । वेष्टम सं० २६५। प्राप्ति स्थान-अग्रवाल दि०. जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६८९ श्रावण वदी ११ दिने थी मूलराधे भट्टारक श्री पानंदी तह गुरुम्रता ईल ब्रह्मचारी लाइयका तत् शिष्य ब्रह्म श्री नागराज ब्रह्म लालजिष्णुना स्वहस्तेन पठनार्थं । ३७८७. यशोधर चरित्र पीठबंध-प्रभंजनगुरु। पथसं० २०२ । ग्रा० ६४४ इन्च । भाषा-संस्कृल । विषय-चरित्र । र०काल x। ले०काल सं० १६४४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४८४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६४४ फागुण सुदी ११ सोमे श्री सूरपुरे श्री आदिनाथ चैत्यालये व. कृष्णा पं० रामई प्रास्यां लिखापितं । अन्तिम पुष्पिका-इति प्रभंजन गुरापचरित (रचिते) यशोधरवरित पीठिका बंघे पंचम सर्गः । ३७८८, यशोधरचरित्र-बादिराज । पत्रसं०२-२२ । प्रा०११४५ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल ४ । ले.काल सं० १६६२ । अपूर्ण । टन सं० ३२७ प्राप्ति स्थान-- अग्रवाल दि. जैन मंदिर उदयपुर।। विशेष - संवत् १६६२ वर्षे माह सुदी १३ । शनी श्री मूलसंचे सरस्वती पो बलात्कारगणे धी कुन्दकुन्दाचार्यान्च ये भट्टारक थी वादिभूषण तत् शिष्य पं० वेला पठनार्थं शास्त्रमिद साहराम लखितमिदं । लेखक पाठकयो शुभं भवतु । ३७८६. प्रतिसं० २ । पत्रसं० २० । आ० EX४ इंच । ले०काल सं० १५८१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८५ । प्राप्ति स्थान—संभवनाथ दि जैन मन्दिर, उदयपुर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है-- संवत् १५६१ वर्षे धावरण बुदो ७ दिने श्री मुलमने सरस्वती गच्छो कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री पद्मनंदि तत्प? भट्टारक श्री जिनचन्द्र देवा तदाम्नाये गोलारान्डान्वये पं० श्री घनश्याम तत्पूत्र पंडित सुखानन्द निजाध्ययनार्थमिद अथ लिखापितं ।। ३७६०. यशोधर चरित्र-यासयसेन । पत्रसं०५१ प्रा० १०१४४ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । २०काल X । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन स०६४६ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जन मन्दिर, अजमेर । ३७६१. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ७ । आs १०० x ४ इञ्च । ले. काल सं० १८०३ । पुर्ण । वेष्टन सं०१४२। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष - जयपुर नगर में महाराज सवाई ईश्वरसिंह के राज्य में प्रतिलिपि हुई । ३७६२. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० १७ । या० १.३४४३ इन्च । लेकाल ४ । वेपन सं०७६३ । हा पूर्ण । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लपकर, जयपुर । Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३७३ ३७९३. यशोधरचरित्र -- पद्मनाभकायस्थ । ० ६० । ० १० X ४ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल X 1 ले०काल सं० १८६५ पौष सुदी ५ । पूर्णं । नेष्टन सं० प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर प्रजमेर । १५५१ | ३७६४. प्रतिसं० २ | पचनं० ७६ । ले० काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० २७६ प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर 1 ३७६५. प्रति सं० ३ पत्रसं० ४१-७० | श्र० ११३ ४३ इञ्च । भाषा संस्कृत विषय - चरित्र । र० काल X | ले० काल सं० १६४९ फागुण सुदी । नेष्टनस ० १४६ | अपूर्ण | प्राप्तिस्थानदि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ३७६६. यशोधर चरित्र - पद्मराज पत्र सं० १ ४० श्र० १२x४३ । भाषा - संस्कृत विषय – चरित्र | र०काल X | ले०काल X वन सं० ७४२ । श्रपूर्ण प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर | ३७६७.शोर । पत्र सं० १८ ॥ श्र० ९१X५ इव । भाषा -- संस्कृत विषय पथि । र०काल x । ले० काल सं० १६७५ आसोज सुदी १३ । पूर्ण । देष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बडा वीस पंथी दौसा । विशेष – पांडे रेसा पठनार्थ जोशी भ्रमरा ने प्रतिलिपि की । ३७१८. प्रतिसं० २ | सं० २० । ० १६१ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष – लेखतं पद्म विमल स्वकीय वाचनार्थं x ५ इञ्च । ले० काल X। पूर्ण । देष्टन सं० ३७६६. प्रतिसं० ३ | पत्र० १३ । प्रा० १०५ इंच । वेष्टन सं० १४७ पूर्ण प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष-कहीं २ कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये गये हैं । ३८००. यशोधरचरित्र - सोमकीर्ति । पत्र सं० २० । ० ११४ इछ । भाषा – संस्कृत । विषय— चरित्र : २० काल x 1 ले० काल सं० १६५८ । पूर्ण वैटन सं० ४८६ प्राप्ति स्थान – दि० संभवनाथ जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष – प्रशास्ति निम्न प्रकार है संवत् १६५८ वर्षे चैत्र सुदी ३ भौमे जवाछा नगरे राजविराज श्री चन्द्रभागराज्ये श्री यादिनाय त्यालये काष्ठासंघे नन्दीतटगच्ले श्री रामसेनान्वये म० सोमकीलि भ० यशः कीर्ति त० भ० उदयसेन त०म० त्रिभुवनकीर्ति त०प०भ० रत्नभूषण याचार्य श्री जनसेन श्री जयसेन शिष्य कल्याणकीति तत् शिप्य ब्र० कचकिंग लिख्यते । ३८०१. यशोधर चरित्र - सकलकीति । पत्र सं० २२ । ० ६ x ४ । भाषा - संस्कृत | विषय - चरिव २० काल x 1 तेव्काल x । पूर्णं । वेष्टन सं० १९४२ | प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर प्रजमेर | ३८०२ प्रतिसं० २ | सं० २६ । श्र० १२४५ इञ्च । ले०काल । पू । बेष्टन सं० १५६ | प्राप्ति स्थान- मट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७४ [ ग्रन्थ सूची-पश्चम भाग ३८०३. प्रतिसं०३ । पत्रसं० ६१ । मा० १.१४४६ इच। ले० काल स० १८४६ । पूर्ण । बेष्टनसं० २८ । प्राप्ति स्थान-- अग्रवाल दि जैन मन्दिर, उदयपुर । विशेष –उदयपुर नगरे श्री तपागच्छे । ३८०४. प्रति सं०४। पत्र सं०३८ । प्रा० ११ x ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय - चरित्र । र० काल ४ । ले० काल सं० १६४४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६८ । प्राप्ति स्थान–प्रश्वाल दि. जैन मन्दिर उदयपुर । ३८०५. प्रति सं०५। पत्र सं० ५५ । प्रा० १०x४ इञ्च । ले० काल सं० १६४१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ । प्राप्ति स्थान-अग्रवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष- प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६४१ वर्षे पौष सुदी ७ भौमे ईलदुर्ग मध्ये लिखत चेला श्री धर्मदास लिखतं गढराय संध जीवनाथ वास्तव्य हेंबड ज्ञातीय कोठारी विजात भार्था रचा सूत जे संग जीवराज इद पस्तक ज्ञान कर्मक्षयार्थ मुनि जयभूषण दत्त लिखापितं । ३८०६. प्रतिसं०६। पत्रसं०३६ । प्रा० १०३४ ३३ इन्च । र काल X । ले०काल सं० १६७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६२-१३६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर। प्रशस्ति-सम्बत् १६७६ वर्षे कार्तिक सुदी ३ लिखित पुस्तक रामपुरा ग्राम श्री प्राधिनाथ चैत्यालये श्री मुलसघे सरस्वती गन्ने कुदकुदाचार्यान्वये श्री ५ सकलचन्द तत्पटे गच्छ भार धुरंधर भ० श्री पुरनचन्द तव शिप्प ब्रह्म चरा बागड देशे."वास्तब्ग हँड ज्ञातीय सा. भोजा माय सिरधा भात भीया प्रचीडा बहा बुचरा कर्मक्षयार्थ इदं यशोधर पुस्तक लिखागित । शुभं भवतु । ३८०० प्रति सं०७। पत्र सं० ३४ । प्रा० १०३४६ इंच । ले. काल पूर्ण । वेष्टन x। सं०५१-४२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर भादवा (राज.) । ३८०८. प्रति सं० ८ । पत्र सं० ८२ । प्रा० १३५ ५३ इञ्च । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं. २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर वैर । ३८०६. प्रति सं० पत्रसं०१२।०१२४५ इंच । विषय-चरित्र । र०काल x | ले वाल: पुर्ण । वेष्टन सं० १०३/१८ । प्राप्ति स्थानन्याश्वनाथ दि० जैन मन्दिर इंदरगढ़ { कोटा ) । ३८१०. प्रतिसं० १० । पत्रसं २४ । प्रा०९x४५ इञ्च । ले०काल सं० १९५० । पूर्ण 1 12मतः १०१:१६ । प्राप्ति स्थान-पाश्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। ३८११. प्रति सं० ११ । पत्रसं०६९ । प्रा० १०१ ४४१ च । ले. काल सं० १८८० । वेष्टन सं० ६८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक)। विशेष-टोडानगरे श्री श्याम मन्दिर पं० शिवजी रामाय चौ० शिववरसेन दत्तं । ३७१२. प्रतिसं०१२। पत्र सं० ८० । प्रा. १११४४ इञ्च । ले. काल स. १८२१ चैत बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ११ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नागदी बंदी। Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३७५ ३८१३. प्रतिसं० १३ । ०३५ । प्रा० १२ १ ४ ६१ इ । ले० काल सं० १५५६ पूर्णं । भेष्टन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान- तेरहमंत्री दि० जैन मन्दिर नैरावा । विशेषः सं० १९३० में भादवा सुदी १४ को घासीलाल ऋषभलाल बंद ने तेरहाथियों के मन्दिर काव्य एवं चरित ] मैं चढाया । ३८१४. प्रतिसं० १४ । पत्र सं० ४४ | श्र० १० X ५ इन्च | ले० काल सं० १९११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ बूंदी | विशेष - बूंदी में प्रतिलिपि की गई थी । ३८१५. प्रतिसं० १५ । पत्र सं० ४० । या० ११ X ५ इव । ले० काल सं० १७५५ द्वि० ज्येष्ठ मुदी १ | पूर्ण वेष्टन सं० २३४ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी । विशेष - नूतनपुर में मुनि श्री लाभकीति ने अपने शिष्य के पठनार्थं लिखा । ३८१६. प्रति सं० १६ । प० ५४ | आ० X ४ इञ्च । वे० काल सं० १८७७ प्र० पेष्ठ बुटीक पूर्ण संस्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बुंदी | संवत् १८४७ का वर्षे ज्येष्ट कृष्णपक्षे अष्टम्यां शुक्रवासरे श्री नेमिराम चैत्यालये वृन्द्रावती मध्ये लिखितं पं ङ्गगरसीदासजी तस्य शिष्यत्रय सदामुख, देवीलाल, सिवलाल तेषां मध्ये सदासुखेन लिपि स्वहस्तेन । ३८१७. यशोधर चरित्र x 1 पत्र सं० २२ । ० ११x४३ इव भाषा - संस्कृत विषयचरित्र । र०काल X | ले० काल X | पूर्ण बेष्ट सं० ४१२ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर प्रजमेर | I J पुत्रसं० २ से २० ग्रा० १११४५ इव भाषा – संस्कृत | १९१५ फागुन बुदी १० । पूर्ण वेष्टन सं० १५६१ । प्राप्ति ३८१८. यशोधर चरित्र - X विषय - चरित्र | २० काल X | ले० काल सं. स्थान- मट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । ३८१६. यशोधर चरित्र - X 1 पत्रसं० ४१ ० ११३ X ५ इव । भाषा - संस्कृत । विषय- चरित्र र० काल X | ले० काल x | पूर्ण वेष्टन सं० २०७१ प्राप्ति स्थान- भट्टारकी दि० जैन मंदिर अजमेर | ३८२०. यशोधर चरित्र - X | पत्रसं० २० ॥ श्र० ११४९३ इव भाषा संस्कृत विषयचरित्र । २० काल x । ले०काल x । पूर्ण वेष्टन सं० ३४० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी | ३८२१. यशोवर चरित्र X | पत्रसं० १५ | आ० ११x६ इव । भाषा-संस्कृत । विषयचरित्र । र०काल x । ले० काल X। पूर्ण । वेष्टनसं० ३४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी | विशेष - दबलाणा में प्रतिलिपि बुई । ३२७ श्लोक है । : : प्रारम्भ – प्रणम्य वृषभं देवं लोकलोक प्रकाश अंतस्तत्वोपदेष्टार जगत पुज्य निरजन ॥ अंतस्त्रि जगतपूज्यान्नष्ट घाति चतु प्रणमयि । सदा सांवान विश्व विघ्न प्रशांतप ।। २ ॥ अन्तिम - यस्याद्यापिच सिध्योग पूर्ण देवोमही तले । जगत मन्दिर मुहतं कीर्तिस्तंभी विराजते ॥ ३२६ सो व्याघ्री सुत्रत सभ्यतः भव्यानांभक्ति कारिणा । पस्य तीर्थे समुत्पन्नवशोघर महीभुज ।। ६२३ ।। Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३८२२ यशोधर चरित्र-। पत्र सं० १३ । मा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयचरित्र । र० काल' x । लेकाल सं० १६२६ आलोज दी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८ । प्राप्ति स्थानदि० जन मन्दिर दवलाना (बूदी) । ३८२३. यशोधर चरित्र: । पत्र सं० ११० । आ०११४५ इन्च । भाषा-संस्कुल । विषयचरित्र । र० काल ४ । ले०काल सं० १८५५ चैत बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर नागदी बूदी । ३८२४. यशोधर चरित्र-विक्रमतुत दवेन्द्र। पत्र सं० १५५ । मा० १.१४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य)| विषय-कथा । र० काल स. १६८३ । ले० काल सं. १७३१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३८-१६५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हुगरपुर । ३८२५. प्रति सं० २। पत्रसं० १७१ । मा० १० x ४३ इञ्च । ले० काल सं० १८३१ । पूर्ण । वेष्टन सं०५७-३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डुगरपुर । विशेष- प्रतापगढ़ में लिखा गया। ३८२६. यशोधर । पत्रसं. २२ । प्रा० ११:४५ इश्व । ले०काल सं० १६७० । पूर्ण । वेष्टन सं० १४५-६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर, कोटड़ियों का डूंगरपुर । दोहा-संवत् सोरह से अधिक सत्तर सावन मास । सुकलसोम दिन सप्तमी कही कथा मृदुभास ॥ अडिल्ल--अगरवाल वर वस गोसना थान को। गोइल गोत प्रसिद्ध चिन्हना ध्वान को ।। ___ माताचन्दा नाय पिता भैरों भन्यों । परिहान (द) कही मनमोहन अगन गून ना गन्यों ।। ६३ ॥ विशेष-ग्रन्थ में दो चित्र है जो सस्कृत ग्रन्थ के अाधार पर है। ३८२७. प्रति सं० २। पत्र सं० ३९ । प्रा० ११ x ६ इन्च । भाषा--हिन्दी । विषय---- चरित्र । २० काल सं० १६७० सावन सुदी ७ । से काल सं० १८५२ अषाढ सुदी ७ । पूर्ण । बेष्टन सं० ४२। २५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का टूगरपुर। ३८२८, प्रति सं०३।पत्र सं. २५ । प्रा० १२४८ इञ्च । ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं०६६।२० प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ३८२६. प्रतिसं०४ । पत्र सं० ४२ । लेकाल सं० १६४३ यासोज सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६७। १७८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मदिर अलवर। ३८३०. प्रति सं० ५ । पत्र मं० ३४ । ले० काल सं० २६११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६८ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पनायती मन्दिर अलवर। ३८३१. प्रति सं०६ । पत्रसं० ४६ । लेकाल स० १६२६ आसोज सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६/१५ । प्राप्ति स्थान--दि जैनपत्रायती मंदिर अलवर। ३८३२. प्रतिसं०७। पत्र सं०४२ । पा. १० x ५ इन्च । ले. काल सं० १७६५ प्रषाढ मुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं०५३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बयाना । Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३७७ विशेष-चूड़ामणि के वंश में होने वाले सा. मुकुटमणि ने शास्त्र लिखबाया । ३८३३. प्रति सं०८ । पत्र सं० २२ । ले. काल सं० १८९७ चैत सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं. ५४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बवाना । ३८३४. अतिसं० ६ । पत्र सं० ४५ । ग्रा० ११४५३ च । ले० काल सं० १८१० । अपूर्ण । बेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर वैर । ३८३५. प्रति सं०१० । पत्रसं० ४६ । लेकाल सं० १५२० पौष सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन स० ४३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बसवा । ३८३६. यशोधर चरित्र भाषा-खशालचन्द काला। पत्र सं०६१ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-चरित्र । २० काल सं० १७८१ कार्तिक सुदी ६। । ले० कान X । पुर्ण । ० सं० १४८१ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३८३७. प्रतिसं०२। परसं० ५१ । प्रा० १२४८ इञ्च । ले. काल १६६० 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मंदिर नंगवा । विशेष-सवाई जयपुर में प्रतिलिपि कराई थी। ३८३८. प्रतिसं०३। पत्रसं०७३ । ० x ४ इन्च । ले०काल X । अपूर्णे । वेष्टन सं०४४ 1 प्राप्तिस्थान--दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर नैणया । विशेष-७३ से प्रागे के पत्र नहीं है। ३८३६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ८३ । प्रा० Ex४१ इंच । लेकाल< । अपूर्ण विष्टन सं. १२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का नवा । ३८४०. प्रतिसं० ५। पत्रसं० ४६ । लेकाल x । पूर्ण । बेष्टनसं० १३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर कोटड़ियों का नेत्रा । ३८४१. प्रतिसं० ६ । पत्र सं०.८४ । प्रा० १०x४१ च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल टोंक । ३८४२. प्रति सं०७ । पत्रसं० सं०३६ । प्रा० १३४ ५ इन्च । ले० काल सं०१८३० । पूर्ण । वेष्टन सं० ११ प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर श्रीमहावीर बूंदी। ३८४३. पत्र सं० ५८ । आ. ११४५३ इव । ले. काल सं० १६७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। ३६४४, प्रत्तिसं०६ । पत्र सं० ४६ ! आ. १.३४८ । इञ्च । ले० काल स. १६२५ फागुन सुदी ५ । वेष्टन सं० ६४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) । ३८४५, प्रति सं० १० । पत्रसं०७३ । प्रा. १०.४५ च । ले. काल सं० १९४५ । वेष्टन सं० २४२ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ कोटा । ३८४६. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ४५ । ले०काल सं० १८०० वैशाख वुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं०५७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३६४७. प्रति सं० १२ । पत्र सं०५५ । प्रा० १०१४५. इच। ले. काल सं०१८१६ । वेहन #० ८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बैर । ३८४८. प्रति सं० १३ । पत्र सं० ३४ । ले. काल सं० १८१२ सावन सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर करौली। विशेष-स्वामी सुन्दर सागर के व्रतोद्यापन पर पाण्डे तुलाराम के शिष्य पाण्डे माकचन्द ने प्रतिलिपि की थी। ३८४६. प्रति सं० १४ । पर सं० ६६ । प्रा. १०.४ ५३ इञ्च । ले. काल सं० १८१७ माददा सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । ३८५०. यशोधर चरित्र भाषा–साह लोहट । पत्र सं० २-७६ । प्रा० x ४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) | विषय-चरित्र । र० काल सं० १७२१ । लेकाल सं० १७५६ आसोज मुदी १३ । पुर्ण। येशन सं०१७०। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। बिशेष-मुनि शिव बिमल ने इन्द्रगह में प्रतिलिपि की थी 1 कवि ने बुदी में ग्रन्थ रचना की थी। इसमें १३६६ पद्य है। ३८५१. यशोधर चरित्र भाषा-x। पत्रसं० ३९ । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय -चरित्र । २० काल X । से० काल ४ । अपूर्ण । येष्टन सं० १६ (क)। प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर मावा। ३८५२. यशोधर चरित्र भाषा-X1 पत्र सं० १०-४५ । प्रा० x ६१ इञ्च । भाषा-हिन्दी प० । विषय-चरित्र । २० काल xले. काल x अपूर्ण । बेष्टन सं० ८५-६० । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर बड़ा बीसपंथी दौसा । ३८५३. यशोधर धौपई -४ । पत्र सं० ६२ । ग्रा०६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयचरित्र । र० झालx। ले. काल x। पूर्ण । वे.सं.१८६। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी बूदी 1 विशेष-गुटका साकार है। ३८५४, रघुवंश--कालिदास । पत्रसं० १०८ । प्रा० १०३ x ४ इञ्च । भाषासंस्कृप्त 1 विषय -काव्य । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४७६ । प्राप्ति.स्थानभट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ३८५५. प्रतिसं० २। पत्रसं० १०६ । या १११४४३ इच । लेकाल सं० १७२७ माघ बुदी ५ । पूर्ण । बेष्टन सं० ६७० । प्राप्ति स्यान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३५५६. प्रति सं०३। पत्र सं० २२ से १०४ ।. प्रा. १०x४१ इन्च । ले. काल X । मपूर्स । वेष्टन सं० २३२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ३८५७. प्रति सं०४। पत्र सं०६७ । मा० ११४५ इन्च । ले० काल स० १८३... | पूर्ण । देष्टन सं. ८६-४६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर कोटडियों का (गरपर 1 प्रशस्ति- संवत् १५३.वर्षे मास वैशाख वदी ३ गुरुवासरे देवगढ़ नगरे मल्लिनाथ चैत्यालये श्री मूलसंघे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुदकुदाचार्यान्वये भट्टारक. श्री अमरचन्द्र तत्प? भ. Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३७९ श्री हर्षचन्द्र तत्पट्ट म० थी शुभचन्द्र तत्प? भ० अमरचन्द्र तत्पट्टे भट्टारक श्री रतननन्द तत्पट्टे भट्टारक श्री १०८ देवचंद्र जी तत् शिष्य 5. फतेचन्द जी रघुवंश काव्य लिखापितं । ३८५८. प्रति सं त्र से० ६. : 01 इ । आश सं० १७६६ अगहन सुधी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४.७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दबलाना बू दी। विशेष—लुण्हरा नगर में प्रतिलिपि हुई । ३८५६. प्रति सं०६। पत्रसं०१६ । प्रा०६X४ इञ्च । ले०कास ४ । पुणं । वेष्टन सं. ७६ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मंदिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ३८६०. प्रतिसं०७। पत्र सं०२-२७२ । ग्रा० १०x४, इश्च । से. काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० १७:२२० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष प्रति प्राचीन है लगभग सं० १६०० की प्रतीत होती है। ३८६१. प्रति सं०८ । पत्र सं० ११३ । प्रा० १.१४५३ इच । लेकाल सं० १८५१ । पाषाढ़ सुदी ४३ पूर्ण । थेटन सं० ३२२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दबसाना दी)। विशेष—इन्डगन मध्ये महाराजा श्री सन्मतिसिंह जी विजयराज्ये लिपिकृतं । ३६६२. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ६१ । लेकाल सं० १६६३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मदिर दबलाना (बू दी)। ३८६३. प्रति सं० १० पत्र सं० ३८ । प्रा० १०३४५६ इभ । ले. काल x ! अपूर्ण । वेष्टन सं० ३४० । प्राप्तिस्थान—दि जैन मन्दिर दबलाना (दू दी) ३८६४. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ३० । अ० १११४४६ इञ्च । नेपाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २३५ । प्राप्ति स्थान · दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ३८६५. प्रति सं० १२ । पत्रसं० १४ पा० १०१ x ४३ इञ्च । ले. काल पूर्ण । वेष्टन सं० १२१ (१) । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष-द्वितीय सर्ग तक है । ३८६६. प्रति सं० १३ । पत्रसं० ८ । प्रा. १०३४७ इञ्च । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १) प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर माग विशेष ---द्वितीय सर्ग तक है । ३८६७. प्रति सं०१४ । पत्रसं० १२५ । प्रा० १२ १५ हश्च । ले. काल x । वेष्टन सं. ६२८ । प्राप्ति स्थान- दिव मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष - प्रति प्राचीन है। ३८६८. प्रति सं०१५ । पत्र सं० १४२ । प्रा० ११४५ इञ्च 1 ले. काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० २२५ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) । ३८६६. प्रति सं० १६ । पत्रसं०४-१३ । सेखन काल सं० १७१५अपूर्ण । वेष्टन सं० २२७ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष—प्रारभ के ३ पत्र नहीं हैं। Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३८७०. प्रति सं० १७ । पत्र सं०७२ । प्रा.८.४५ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७२ । प्राप्ति स्थान- दिन मन्दिर पंचायती दुनी (टोंक)। ३८७१. प्रति सं०१८। पत्र सं० १६० । ले० काल सं० १७६० फागुण सुदी ११ । पूरणं । बेन सं०५२ । प्राप्ति स्थान दिन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । विशेष रणछाडपुरी में प्रतिलिपि हई थी। ३८७२. प्रति सं० १६ । पत्र सं० २१ । लेखन काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ७६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर हण्डा बालों का डीग । ३८७३. प्रतिसं० २०। पत्र सं० २२ । से०काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । विशेष-मस्लिनाथ कृत संस्कन टीका सहित केवल ८ वा अध्याय है । ३८७४. प्रति सं०२१। पत्र सं० २६ । प्रा० १.४६ इञ्च । लेकाल x । पूर्ण । बेष्टत सं० १५५ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी।। विशेष-४ सर्ग तक है। ३८७५. रघुवंश टोका-अल्लिनाथ सरि । पत्र सं०६१ से ६० | प्रा० १.४ ४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-- काव्य । र०काल x लेकालX । अपूर्स । वेष्टन सं०१३-२२३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष-टीका का नाम संजीवनी टीका है। ३८७६. प्रतिस०२ पत्र सं०१४ । प्रा०१० x ४ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर यादिनाथ बदी। ३८७७. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १६२ । आ० ११ x ५३ इञ्च । ले० काल सं० १५४६ माघ मुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं०६४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी । विशेष—मायु सणदराज दादूपंथी ने बृन्दावती में प्रतिलिपि की थी। ३८७८. प्रति सं०४ । पत्र सं० १६५ । पा० ११३४५. इञ्च । ले० काल सं० १८७९ श्राबरण बुदी २ । वेष्टम सं० २६५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ३८७६. प्रति सं०६। पत्र सं०६० । प्रा० १०x४५ इक्ष । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ८७-१२। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष-द्वितीय सर्ग तक है। ३५८०. प्रति सं०७ । पत्र सं० २८१ । प्रा० १.१४४३ इन्छ । लेकाल सं० १७१५ कार्मिक वदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० १८५प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । प्रशस्ति-सवत् १७१५ वर्षे शाके १६८० प्रवल माने निगते श्री मयें कातिग मासे शुक्लपक्षेपंचम्या तिथौ बुधवासरे बंशपुर स्थाने वासपूज्य चल्यालये श्रीमत् काष्ठासंघे नंदीतटगच्छे विद्यागणे भट्टारक श्री रामनाम्वये भद्रारक श्री त्रिभुवनकीति भ. रत्नभूषण स० भ० जयकत्ति त०भ० कमलवीति तत् पट्टोभरसा भटारक श्री ५ भूवनकोनि तदाम्नाये पंचनामधर मंडलाचार्य प्राचार्य श्री केशवसेन तत्पर्य मंगलाचार्य श्री Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं धरित ] विश्वकीति तस्य लघु भ्राता प्राचार्य रामचंद्र ब. जिनदास ७० श्री बलभद्र बाई लक्ष्मीमति पंडित मायाराम पंडित भूपत समन्दितान् श्री बलभद्र स्वयं पश्नार्थ लिस्त । ३८८१. प्रतिसं० । पत्र सं० ५०। ले. काल ४ | पुर्ण। वेष्टन सं०७१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर हुषा शालों कः ।। ३८८२. रघुवंश टीका–समय सुन्दर । पत्र सं० ३६ । प्रा० १०x४१ इश्च । भाषासंस्कृत । विषय-काञ्च । र०काल सं० १६६२ । ०काल x | अपूर्ण । येष्टन सं० १४३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) । ३८८३. रघुवंश टीका-X । पत्र सं० २-६४ । प्रा ११ x ५१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । र काल x | ले काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० १४७-६७ । प्राप्ति स्थान-दिन जन मन्दिर कोटारियों का डुगरपुर । ३८८४. रघुवंश कास्य धृति--सुमति विजय । पत्रसं० २१८ । शा० १०४ ४ इञ्च । माषासंस्कृत । विषय-काव्य । र० काल X । ले. काल Xi पूर्ण । वेष्टनसं० १५३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बदी। अन्तिम प्रशस्ति-इति श्री रघुवो महाकवि कालिदासकृती पंडित सुमतिविजय कृतायां सुगमान्यप्रोधिकायामेकोमविशति सर्ग समाप्ता । थीमन्मदिविजयाख्यानां पाठकानाम भूधर । शिष्य :पुण्यकुमारेति नामा सपुण्यवारिधिः ॥१॥ तस्याभवत् विनेयाश्च राजसारास्तु वाचकाः । सज्जनोक्तक्रियायुक्ताः वैराग्यरसर जिता ॥२॥ शिष्यमुखासु तेषां तु हेमधर्मा सदालयः । शिष्टदिष्टा गुणाभिष्टा बभूव साधुमंडले ॥३॥ संप्रतं तद्विनयमच जीया सुधी धनादेह: । पाठकवादिवृ देन्द्राः श्रीमद बिनयमेरवः ॥४॥ सुमतिविजयेनेव थिहिता सुगमान्त्रया । बृत्तिलिबोधार्थं तेषां शिष्येण धीमता ॥५|| विक्रमाख्ये पुरे रम्ये मीष्टदेवप्रसादतः । रघुकाव्यस्य दीकायं कृता पूर्णा मया शूमा ।।६।। निविग्रहं रसशशिसंवत्सरे फाल्गुन सिनकादश्यां तिथौ संपूर्ण कीरस्तु मंगल सदा कतु हीमान ।।७।। ग्रंथाथ १३००० प्रमाण प्रारम्भ--प्रणम्य जगदीशं गुरु सदाचारनिरमलं । .. वामांगप्रभव ज्ञात्वा वृत्ति मन्वादि दायेयं ॥ सुमतिविजयाख्येन त्रियते सुगमान्वया । टीका श्रीरघुकाव्यस्य ममेयं शिशुहेतवे ।।२।। Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८२ ] [ ग्रन्थ सूत्री-पंचम भाग ३८८५. प्रति सं० २। पत्र सं० १४६ । प्रा० १२ x ५६ इञ्च । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २३५ । प्राप्ति स्थान पार्श्वनाथ दि० जन मन्दिर इन्दरगढ़ कोटा । ३८८६. रघुवंश काव्य धृत्ति-गुरविनय । पत्रसं० ४१ । प्रा० १४६ इञ्च । भाषा-- संकृत। विषय-काव्य । र०काल x | ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं. १३३४ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-तृतीय अधिकार तक है। ३८८७. रघवंशसत्र-xपर सं०६२। ग्रा० १.४४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयकाव्य । र० का X । ले० काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ४५६ । प्राप्ति स्थान-~मट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । ३५. रत्नपाल प्रबन्ध-अ० श्रीयति । पत्र सं० ६२ । प्रा०६१४४३ इञ्च । भाषाहिन्दी प० । विषय-चरित । र० काल सं० १७३२ ३ लेकाल सं० १८३० । पूर्ण । बेष्टन सं० ३३७-१३२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटरियों कागरपुर । ३८. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५६ । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६-११ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर। ३८६७. साधनाद--कवि माधुरामा पत्र सं० १५ । मा०६४५६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय--काव्य' । र० काम्न ४ । ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ३८७-१४४ । प्राप्लि स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का टूगरपुर । ३८६१. राक्षस काव्य ४ । पत्रसं०५ । प्रा. ११४५ इंच। भाषा-संस्कृत । विषयकाव्य । २० काल X । ले० काल XI वेष्टन सं० ३०६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ३८६१.(क) प्रति सं. २ । पत्र सं० ५ । प्रा० १०६ ४६ इञ्च। भाषा-संस्कृत । विषय - कान्य । र० काल x। ले०काल x। बेष्टन सं० ३१२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ३८६२, प्रतिसं०३ । पत्र सं० ४ । प्रा० १.१x६ च । भाषा-संस्कृत | विषय -काव्य । २० काल x 1 ले० काल ४ । वेष्टन सं० ३१३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ३८६३. राघव पांडवीय-धनंजय । पत्र सं० २६६ । प्रा० १२४६६'च । भाषासंस्कृत । विषय---काव्य । र०काल X । ले० काल सं० १८१३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मदिर आदिनाथ दूदी। ग्रंथ वा नाम द्विसंधान कास्य भी है। विशेष-- चंपावती नगर में प्रतिलिपि हुई थी। चाटसु मध्ये कोटिमाहिल देहरे आदिनाथचंत्यालये द्विसंधान काव्य की पुस्तक पंडितराज-शिरोमरिग पं. दोदराज जी के शिष्य पंडित दयाचंद्र के व्याखान के ताई लिखायो मान महात्मा कहूँ ।। प्रति संस्कृत टीका सहित है। ३८६४. राधय पाण्डवीय टीका-नेमीचन्द । पत्र सं० ४०६ । आ०११४४३ इन्च । माषासंस्कृत | विषय -झाग्य । र० काल X । ले. काल स. १६५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२३० । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि.जैन मन्दिर, अजमेर । Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३८३ विशेष- शेरपुर नगर में राजाधिराज श्री जगन्नाथ के शासन में खंडेलवाल ज्ञातीय गाडया गोवाले डाकी भार्या लाडमदे ने यह ग्रंथ लिखवाया था । पाण्डुलिपि में द्विसात काव्य नाम भी दिया हुआ है । ३८६५. प्रतिसं० २०१८ | प्रा० १२४५ इन्च । ले० काल सं० १८२३ । पूर्ण | बेष्टन ० ३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष - जयपुर में प्रतिलिपि की गई थी। ३८६६. राघवपाण्डवीय टीका चरित्रवर्द्धन । पत्र सं०] १४ - १४५ | आ० १०x४३ इव । भाषा - संस्कृत | विषय - काव्य । र० काल x । ले० काल x । श्रपूर्ण वेष्टन सं० ३२६ । प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । '' ३८६७. राघव पांडवीय- कविराज पंडित । पत्रसं० ५० । आ० १० X ४१ इव । भाषा - संस्कृत विषय - काव्य । र०काल x | ले०काल x | पूर्ण | बेहन सं० ६७१ । प्राप्ति स्थानमट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | विशेष- इति श्री हलधरणीप्रसूत कादंबकुलतिलक चक्रवत्ति वीर श्री कामदेव प्रोत्साहित कविराज पंडित विरचिते राघवपाण्डदीये महाकाव्ये कामदेव्यांके श्रीरामयुधिष्ठिर राज्यप्राप्ति नाम त्रयोदशः सर्गे । पंच सं० १०७० | ३८. राघव पांडवोय टोका- X | पत्रसं० १-४५ । आ० ११ x ४ इञ्च 1 भाषासंस्कृत | विषय -काव्य । र० काल x | लेकाल x 1 श्रपूर्णं । वेष्टन सं० ४८१ / १८ | प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । ३८६६. वरांग चरित्र तेजपाल । पत्रसं० ५६ | श्र० ११४४३ इञ्च । भाषा प्रपभ्रंश । विषय - चरित्र 1 र० काल X | ले० काल X | पूर्णं । वेष्टन मं० ११६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली | विशेष – प्रति प्राचीन है । ३६००. वरांगचरित्र - भट्टारक बर्द्ध मानवेय । पत्रसं०७ ● ० X ५ । भाषा – संस्कृत | विषय - चरित्र । र० काल X 1 ले० काल सं० १८१२ पौष सुदी २ | पूर्ण । बेन सं० १२०१ । प्राप्ति स्थान — भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । : ३६०१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५५ । प्रा० ११३ ४ ५ इञ्च । ले० काल x । अभू । बेटन सं० २४४ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ३६०२ प्रतिसं० ३। पत्र सं० ५५ । आ० ११ X ५ इञ्च । ले० काल सं० १६८० पूर्ण बेटन सं० १५ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर 1 विशेष- प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६८० वर्षे श्री मूल संघ सरस्वती गच्ले बलात्कार श्री कुन्दकुन्दाचार्यात्व भ० श्री गुणकीति तत्पट्ट म० वादिभूषण तत्व म० रामकीर्ति तत् गुरूभ्राता पुण्यधाम श्री गुणभूषण वसंग चरित्रमिद पठनार्थं । Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३६०३. प्रति सं० ४ । पत्रसं० ८१ । प्रा० १२४४३ इच । लेकाल सं० १६६० ज्येष्ठ सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान—दि. जन मन्दिर भादवा (राज.)। विशेष... राजमहल नगर में महाराजा मानसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी। ३६०४. प्रति सं०५। पत्र सं. ५६ । प्रा० १२१४५ इञ्च । लेक काल सं० १८६६ सावन वुदी १३ । पूर्ण । वे० सं०६१/५२ । प्राप्ति स्थान - दिन मन्दिर सीयाणी करौली विशेष—करौली में लिखा गया था। ३६०५. प्रतिसं०६ । पत्रसं० ७६ । प्रा ११४४१. इव । ले० काल सं० १८२३ । पूर्ण । वेष्टन सं०१३ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर कैरोलो। विशेष-सोमचन्द और भोजीराम सिंघल अग्रवाल जैन ने करौली में प्रतिलिपि करवायी थी। ३९०६. प्रतिसं०७। पत्र सं० ५७ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष दयाराम के पठनार्थ लिखी गई थी। ३६०७. प्रतिसं०८ । पत्र सं० ६८ । ले. काल सं० १८१४ आषाढ बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टनसं. १३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-० लालचन्द जी बिलाला ने प्रतिलिपि की थी। ३६०८. प्रतिसं०६। पत्र सं० ७५ । आ० ६४५ इञ्च । ले. काल सं०१५३८ भादवा दी ५। पूर्ण । वेपन सं.७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दबलाना (बूदी) । विशेष-गोठडामामे चन्द्रप्रभ चैत्यालये लिखितं व्यास रूपविमल शिष्य माम्यविमल । ३६०६. प्रतिसं०.१०। पत्र सं० ६२ । प्रा० ११३४४३ इञ्च । ले. काल सं० १५४६ आश्विन बुदी ११ । वेष्टन सं० १६४ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष-सं० १५४६ वर्षे याश्विन बुदि ११ मुमवासरे लिखितं माथुरावय कायस्थ श्री गोईद तत् पुत्र श्री गूजर श्री हिरं जयपुर नगरे । जलवानी सुलितान अहमद साहि तत्पुत्र सुलितान ममइसाहि राज्य प्रवत्तमाने । ३६१०. प्रतिसं०११पत्र सं० ४२ । प्रा० १३ x ५ इञ्चाले काल १६०० वैशाख वदी ५ । पूर्ण। वेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लपकर, जयपुर। विशेष—सांगानेर में राव सांगा के राज्य में लिखा गया था । ३६११. प्रतिसं०१२। पत्र सं०७० । प्रा० १२४५ इन्ध । ले० काल सं. १८४५ आषाढ़ बुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०१६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-जयपुर प्रतिलिपि हुई थी। ३६१२. प्रति सं०१३। पत्रसं० ३२ । प्रा० १२४५३ इकच । ले. काल ४ । पूर्ण । वेधन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-प्रशस्ति बाला पत्र नहीं है । ३९१३. वरांग चरित्र-कमलनयन । पत्र सं० १२१ । आ०९-५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। दिपय-काव्य । र०काल xले. काल सं. ११३८ कात्तिक वदी ७ । पूर्ण । वेपन सं.६१ प्राप्ति स्थान-१० दि. जैन मंदिर अजमेर । Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] विशेष-थ प्रशस्ति निम्न प्रकार है जाति बुढेलेवंस पटु, मैनपुरी सुखवास । नागएधार कहावले, कासियो तमु तास ।। नंदराम इक साहु तह, पुरवासिन सिर मौर । है हरचंद सुदास तह, बैद्य क्रियाघर और । तिनही के सुत दोय हैं, भाष तिनके नाम । क्षितपति दूजो कंजहग, धरै भाव उर साम । लघु सुत कीनी जह कथा भाषा करि चित ल्याय । मङ्गल करौ भवीन को, हूजे सब सुखदाय । एन समै घरतं चलिक दरवास कियो तु पराग मझारी । होगामल सुत लालजी तासो तहा धर्म सनेह बाहा अधिकारी। तह तिनको उपदेशहि पायकै कोनी कथा रुचि सौं) सुविचारी। होहु सदा सब को मुखदायक राम वरांग को कीरति भारी । दोहा संवत नवइते सही सतक उपरि फुनि भाषि । यूगम सप्त दोउघरी अंकयाम गति साद्धि । इह विधि सब गन लीजिये करि विचार मन बीच । जेठ सुदी पूनौ दिवस पूरन करि तिहि खींच ।। इति लिपिकृत पं० सांखूणिस्य अमीचन्द शिश्य झूगराज बाराबंकी नवाबगंजमध्ये संवत् १९३८ का कात्तिक कृष्णा ३६१४. वरांग चरित्र--पांडे लालचन्द 1 पत्रसं० ६६ । श्रा० १२३४६३ इन्छ । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-चरित्र 1 र० काल रां० १८२७ माह सुदी ५ । ले. काल सं० १८८३ माघ सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०३०। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर सौगाणी करौली ।। विशेष-ब्रजलाल ठोल्या ने गुमानीराम से करोली में प्रतिलिपि करवाई थी। ३६१५. प्रति सं० २ । पत्र सं० ८५ । आ० ११३४५३ इच। ले० काल सं० १८३५ प्राषाढ़ सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर करौली। ३६१६. प्रति सं०३ । पत्रसं० १०४ । प्रा० ११४५१ इच । ले. काल सं० १८३३ वैशाख सुदी ७ । प्रपूर्ण । वेष्टन सं० ४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पं वायती मन्दिर करौली । विशेष-१०३ वा पत्र नहीं है । मोतीराम ने अपने पुत्र प्रारणसुख के पढनार्थ बुधलाल से नगर रूदावल में लिखवाया था। ३६१७. प्रतिसं०४। पत्र सं०६३ । प्रा० ११३४ ६ इञ्च । लेकाल सं० १८८३ भादवा बुदी ६ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलबर । विशेष- अलवर में प्रतिलिपि की गई थी। ३६१५. प्रतिसं० ५। पत्रसं० १०१ । श्रा० x ६ इञ्च । ले. काल सं० १८७५ बैशाख मुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७ । प्राप्ति स्थान----दि जैन पंचायती मंदिर बयाना। Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ r ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-पांडे लालचन्द पांडे विश्वभूषण के शिष्य थे तथा गिरनार की यात्रा से लौटो समय हिंडौन तथा श्री महावीरजी क्षेत्र पर यात्रार्थ पाये एवं नथमल बिलाला की प्रेरणा से ग्रथ रचना की । इसका पाँ विवरण प्रशस्ति में दिया हुआ है। ३६१६. वड्डमाण (वर्द्धमान) काध्य-जयमित्रहल । पत्रसं० १-५५ । ग्रा० १०४४३ इञ्च । भाषा-अपभ्रश । विषय-काव्य । २० झालX । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा। विशेष-पंचम परिच्छेद तक पूर्ण है। ३६२०. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४६ । श्रा० ११x ५ इञ्च । ले. काल सं० १५४६ पौष बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८० । प्राप्ति स्थान दि०जन मंदिर दीवालजी कामा । विशेष—गोपाचल दुर्ग में महाराज मानसिंह के राज्य में सवाल ज्ञातीय साधु नाइक ने प्रतिलिपि करवाई थी। ३६२१. वर्द्धमान चरित्र-श्रीधर पत्रसं०७८ । प्रा०११६x४१ इञ्च । भाषा-अपभ्रश । विषय-चरित्र । र० काल X । ले. काल X । अगुर्ण । वेष्टन सं.१९/१३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) विशेष -१५ वा परिवछेद का कुछ अश नहीं है। ३६२२. वर्तमान चरित्र-प्रशग। पत्र सं० १११ । प्रा० १.१४४, इच। भाषासंस्कृत | विषय-चरित्रा र० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । बे० सं०५६ । प्राप्ति स्थान -दि। जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष...प्रति प्राचीन है। ३६२३. वर्द्धमान चरित्र-मुनि पद्मनन्दि । पत्र सं० ३५ । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल X । ले०काल x पूर्ण । येन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी। विशेष—इति थी वर्द्ध मानकथावतरे जिनरात्रिखतमहात्म्पप्रदर्श के मुनि पचनन्दिविरन्विते मनः सुखनामांकित श्री बर्द्धमान निर्वाश गमन नाम द्वितीय परिच्छेदः समाप्तः । ३९२४. बर्द्धमान चरित्र-विद्याभूषण । पत्रसं० २३६ । श्रा १०४५३ च । भाषासंस्कृत । विषय-चरित्र । र काल x | लेकाल X पूर्ण । वेष्टन सं०६०३५ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर। ३६२५. बद्धमान चरित्र सकलकोत्ति । पत्र सं० १४५-२१०१ श्रा० १२४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -चरित्र । २० काल X । ले० काल सं० १६५६ जेष्ठ सुदी २ । अपूर्ण । बेष्टन मं० ३२२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष—मालपुरानगरे माधवसिंह राज्ये चन्द्रप्रभ चैत्यालये......... ....... लिखितं । प्रति जीणं हो चुकी है। ३६२६. प्रति सं०२। पत्र सं० १०३ । ग्रा० १२१४६ इञ्च । लेकालx। पुरणं । वेतन सं०३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ नौगान बदी। Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३८७ ३६२७. प्रति सं० ३१ प ०५-११ । प्रा० ११X५ इव । ले० काल x 1 अपूर्ण वेष्टन सं० ३०४ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ३६२८. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १३२ । ग्रा० १०३x४३ इश्व । ले० काल सं० १०५६ चैत्र सुदी १५ । पूर्ण । न सं० १६४:२१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ ( कोटा ) | विशेष – इन्द्रगढ मध्ये महाराजा शिवदानसिह के राज्य में ज्ञान विमल ने प्रतिलिपि की थी । काव्य एवं चरित ] ३६२६. बलि महानरेन्द्र चरित्र - X | पत्रसं० ६६ | भाषा-संस्कृत 1 विषय-जीवन चरित्र । २० काल X | ले० काल x । पू । बेन सं० ५९४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३६३०. विक्रम चरित्र - रामचन्द्र सूरि । पत्रसं० ५६ | श्र० १० X ४१ इश्व । भाषासंस्कृत विषय - चरित्र । २० काल स० १४८० । ले०काल ४ । पूर्ण सं० १६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । ३६३१. विक्रम चरित्र चौपई- भाऊ कवि । पनसं० २५ । श्रा० १०x४१ च । भाषाहिन्दी | विषय - चरित्र | २० काल x ०काल सं १५८८ । पूर्ण वेष्टन सं० २८२ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर दबलाना बू' दी । विशेष आदि अन्त भाग निम्न प्रकार है प्रारम्भ दूहा - नमो नमो तुम्ह चन्डिका तुम गुन पारन हु ति । एकचित्त लिउ सुमरता सुख सम्पति पामति । तइहेज महिषासुर बधिउ देत्यज मोडयामान | जार शंभु निशंभुना तई हरिया तसु प्राण । अन्तिमभाग संवत् पर अकासिंह तिथि बलि तेरह हुति । मंगसिर मास जाण्यों रविवार जते हुति । ast तरङ्ग पसाउ संचदुत प्रबन्ध प्रमाण । उवा भाई भाई वातज यात्रा ठाण । इति विक्रमचरित्र चौपई । ३६३२. विजयचन्द चरिय - % । पत्र सं० विषय - चरित्र । २० काल X | ले० बहल 1 श्रपूर्ण मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। ग्रा० १० X ४७ इव । भाषा - प्राकृत वेष्टन सं० २६५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन ३६३३. वृषभनाथ चरित्र - सकलकीति | पत्र नं० १४६ | श्र० १२ x ६ च । भाषासंस्कृत विषय - चरित्र । २०काज X | लेकाल स ० १८३६ फागुण सुदी १५ पूर्ण । वेष्टन सं० १२७३ | प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | ३६३४. प्रतिसं० २ । पत्रसं०] १८६ | ० १०४४ इस । ले०काल सं १७६३ आसोज सुदी १४ | अपूर्ण | वेष्टन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान - महारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष - सासवाली नगर मध्ये राज्ञः श्री मानसिंघास्यमत्रिणो धर्ममूर्तयः सा श्री सुखरामजी श्री बखत रामजी थी दोलतरामजी तेषां महायेन लिखितं । मुनिधर्मविमल ने प्रतिलिपि की घी । Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८८ ] [ ग्रन्थ—सूची-पंचम भाग ३६३५. प्रति सं०३ । पत्रसं० ३०६ । आ० १.३ ४४२ इञ्च । ले० कास सं. १६७५ । पूर्ण। घटन सं०७१८ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जन, मंदिर अजमेर । विशेष-संवत् १६७५ मंगसिर सुदी ३ के दिना आदिपुराण सा. नानी माँसो बेगौ को घटापित बाई भनीरानी मौजाबाद मध्ये। ३६३६. प्रति सं०४ । पत्रसं० ४८/८० | प्रा० १०६४५१ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० ४४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बर । ३६३७. प्रतिसं०५ । पत्र सं० ६-४७ एवं १०३ से १३७ । आ० ११४५ इश्व । ले०काल XI अपूर्ण । वेष्टन सं० ४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर वैर । ३६३८. प्रति सं०६। पत्र सं० १८६ । प्रा० ११४ ५ इञ्च । ले० काल सं० १७६६ । पूर्ण । बेशन सं० २०६११३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-सं० १७६६ कार्तिक सुदी ११ को उदयपुर में श्री राणा जगतसिंह के शासन काल में श्वेतारर पृथ्वीराज जोधपुर वाले ने प्रतिलिपि की थी। प्रथाग्रन्या । ४६२८ । रोडीदास गांधी ने ग्रन्थ भेंट दिया था। ३६३६. प्रति सं०७। पर सं० १०६ । आ. १.४६१ इञ्च | ले०काल सं० ११०-५२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का, डूंगरपुर । ३६४०, प्रतिस०८ । पत्र सं० १७१ । आ. १. ४४१ इन्ध । ले. काल स. १७४१ प्राषाढ बुदी । पूर्ण । बेष्टन सं० १४५ । प्राप्ति स्थान-दि• जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ३९४१. प्रति स ६ । पत्रसं० १४ । या० ११:४५ इञ्च । ले०काल सं० १५७५ । पूर्ण । वेशन सं० १०१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का नगवा । विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है-संवत् १५७५ वर्षे आश्विन मासे कृष्णपक्षे पंचम्या तिथी श्री गिरिपुरे पोथी लिखी। श्री मलस'चे सरस्वतीगम्छे बलात्कारगणे श्री कूदकूदाचार्यान्वये भ. विजयकोति तत् शिष्य प्रा. हेमचन्द पठनार्थ प्रादिपुराणं श्री सधेन लिखाप्य दत्त । ३६४२. प्रति सं०१०। पत्रसं० १३४ । श्रा०१० x ५ इन्च । लेकाल ४ । पूर्ण: योटन सं०५३ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का नगवा । विशेष-१३४ से आगे के पत्र नहीं हैं । ३९४३. प्रतिसं० ११ । पत्रसं० २५७ । पा० १०४ ६१ इञ्च । ले० काल सं० १८२२ पासोज सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०५ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ..विशेषजयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ३६४४. विवृदभूषणकाव्य-X । पत्रसं० १५ । पा० १०x४१ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । र०काल x | ले. काल X । पूरणं । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन बोरसली कोटा। ३६४५. शतश्लोक टीका-मल्लभद्र । पत्र सं० ११ । प्रा० ११.४५ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल x ले० काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० २४७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३५९ ३६४६. शांतिनाथ चरित्र- X । पत्रसं० १२८ । प्रा० १.१४४ इन। भाषा-संस्कृत गद्म । विषय-चरित्र । र. काल X । ले० काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान -दि० जन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष-श्वेताम्बर प्राम्नायका ग्रंथ है । १२८ से प्रागे पत्र नहीं है। ३६४७. शांतिनाथचरित्र-अजितप्रभसूरि । पत्र सं० १२६ । प्रा १७४४३ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल सं० १३०७ । लेखन काल X पूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ३३४८. प्रसिसं० २ । पत्र सं० १८६ ] या ११४४१ इन्च 1. ले. काल सं० १८५१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४०१ । प्राप्ति स्थान-दिजन मन्दिर बोरसली कोटा। ३६४६. शांतिनाथ चरित्र-पारणंद उदय । पत्रसं० २७ । ० १०२ ४४३ इञ्च । भाषा: हिन्दी (गद्य) विषय-चरित्र । र० काब स १६६८ । लेकाल सं. १७६६ श्रावण बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२७ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दबलाना बू दी। .. ३६५०. शांतिनाथ चरित्र--भावचन्द्र सूरि । पत्रसं०.१३८ । आ. १०४ ४ ४ । भाषासंस्कृत (गद्य) । विषय-चरित्र । र० साल X । ले. काल १५३५ भादवा बुदी । पूर्ण । वेष्टनमं० १५८ । प्राप्ति स्थान-- दिन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर। विशेष-भावचन्द्र सुरि जयचन्द्र सूरि के शिष्य तथा पाश्र्वचन्द्र सूरि के प्रशिष्य थे । ३६५१. प्रति सं० २१ पत्रसं० १२८ . १७२ । प्रा० १.१४५१ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ३६५२. शांतिनाथ चरित्र-सकलकीति । पत्र सं० १.३ । प्रा १२४५ इच । भाषासंस्कृत । विषय-चरित्र । २० कालX । लेकाल सं० १८६८ भादत्रा सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं. १२५१ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-अजमेर नगर में नेमीचन्द जी कासलीवाल ने प्रतिलिपि करायी थी। ३६५३. प्रतिसं० २। पत्र सं० १६७ । प्रा० १.४ ४३ च । ले. काल सं० १८७० आषाढ सुदी ११ । पूर्ण । ने० सं० ७१३ । प्राप्ति स्थान--म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-महारोठ नगरे महाराजाधिराज महाराजा मानसिंह जी राज्ये प्रवर्तमाने मिडत्याशाखे महाराज श्री महेसदास जी थी दुर्जनलाल जी प्रवर्तमाने खंडेलवाल जातीय ला सिभुदास जी ने प्रतिलिपि कराई। ३९५४. प्रति सं०३। पत्रसं० १६७ । प्रा० १०४४३ इञ्च । ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १५७८ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मंदिर अजमेर । ३६५५. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० १५६ । प्रा० १०५ ४ ४१ इञ्च । ले. काल ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८४ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३६५६. प्रतिसं०५ । पत्र सं० १२४ । आ० १२४६३ इन्च । ले०काल १८५६. कार्मिक बुद्धी १२ ! पूर्ण । वेष्टन सं० १०५१ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर, अजमेर । Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६० ] [ ग्रन्थ सूची- पंथम भाग ३६५७. प्रति सं० ६ एस० १२५ ० १० X ४ई इस ले० का ० १०२६ पौष वदी ११ । पूर्ण वेष्टन पं० २५५ प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष – ओमराज गोदीका के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। ३२५५ प्रति सं० ७ पत्र सं० १५३ ० १०४३ सं० १००/ ४९ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का दुगरपुर । प्रशस्ति - संवत् १६६० वर्षे आपा सुदि १२ शुक्र सागवाड़ा शुभस्थाने श्री आदिनाथ चैत्यालये श्री मूलचे सरस्वतीच्छे बलात्कार श्री कू वकुं दाचायन्विये मंडलाचार्य श्री गुणचंद्र तत्पड़ मंडलाचार्य श्री जिनचंद्र मं० श्री सकलचन्द तदाम्नाये स्थविरामाये श्री मविभूषण प्राचार्य श्री हेमकीति तत् विष् वाई कनकाए बारसं चौतीस श्री शांतिनाथ पुराण ब्र० श्री भोजा ने लिखापि दत्तं । ले०काल १६६० पूर्ण ३६५६. प्रति सं० ८ पत्र सं० ६-१६६ : ० ११x४ ३ ४ ५ ६ 1 ले० कालसं० १९१० । पूर्ण हुन ०३७२।१५ प्राप्ति स्थान संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर। विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है E १६१० वर्ष शाके १४७५ प्रवर्तमाने मेदामध्ये जालस्थाने मादीस्वर मेस्यालये लेखक सहजी लिलत श्री मूलचे सरस्वती म बलात्कारले कुदकुदाचार्यान्विये भट्टारक श्री पद्मनंदि तत्पट्ट म० श्री सकलकीतितरपट्टे भवनकीति तत्पट्टे भट्टारक श्री ज्ञानभूषण तत्पट्टे श्री विजयकीति तत्पट्टे म० श्री शुभचन्द्र दाम्नाये बहा श्री जिदास तत्र पाट व० श्री शांतिदास तत्पाट ६० श्री हंसा तस्य शिष्या बाई धनवती बाई श्री सतमती परकमल मधुनतावस्था चेली बाई धनवती कर्मार्थ पहना इदं पुस्तकं ति । ११ ३६६०. प्रति सं० । पत्र सं०] १४४ वेष्टन ० ४१६ प्राप्ति स्थान- सम्भवनाच दि० जैन प्रशस्ति १५१४ वर्षे भादवा सुदी बजे श्री मूलचे भी गिरिपुरे श्री आदिनाथ चैत्यालये जातीय सरजा गोत्रे हरा गोगा भार्या मारावयदे तस्य पुत्री रमा तस्य जमाई गांधीवाद्या भार्या गावी श्री जातिनाथ चरित्र विखाप्य दतं सकनकी तप भ० श्री भुवनकीत तत्प गुणकीर्ति भट्टारक श्री पद्मनंदिभि बं० प्रमरायं प्रदत्त' पुस्तकमिदं । हबह 1 कर्म क्षया शुभं भवतु कुंदकुंदाचार्यान्विय भट्टारक श्री भ० ज्ञानभूषण तत् शिष्य चाचार्य श्री नेमिचन्द्र श्री सु किनारों पर दीमक लग गई है किन्तु ग्रन्थ का लिखा हुआ माग सुरक्षित है। ३६६१. प्रतिसं० १० ० ११ X ४ इस ले०कास सं० १५६४ । पूर्ण । मंदिर उदयपुर । ० ४० से १२० १३ X ५ इन्च ले० काल X प्रपूर्ण [सं०] १७२ प्राप्ति स्थान-सम्भवनाथ दि० जैन मंदिर उदयपुर । विशेष प्रति प्राचीन है। ३६६२. प्र०११ पत्रसं० १९९० ११५ च । वेमसं०] १५१ प्राप्ति स्थान दि० जैन सवाल मंदिर उदयपुर । विशेष – ग्रन्थ में १६ अधिकार हैं । ग्रन्थाग्रन्थ स ० ४३७५ है । से० काल x । पूर्ण ३६६३. प्रति सं० १२० १० १४० प्रा० १०४ इले० काल पूर्ण वेष्टन सं०११० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर आदिनाथ बूंदी। Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३६१ ३६६४. शांतिनाथ चरित्र-मुनिदेव सूरि । पत्र सं० ११८ । पा१०१४४ इञ्च । भाषा-- संस्कृत । विषय -चरित्र । र० काल X । ले०काल सं० १५१३ । पूरणं । वैष्णन सं० ११८ । प्राप्तिस्थान-खण्डेलवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुरः । ३६६५. शांतिनाथ चरित्र भाषा-सेवाराम । पत्र सं० २३० : आ. ११४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-चरित्र । र० काल सं० १५३४ श्रावण बुदी ८ । ले० काल सं० १९५७ पूर्ण । वेष्टन सं०६-८ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष देश ढूढाहड़ आदि दे सबोधे बहुदेस्ट, रची रची ग्रन्थ कठिन टोडरमल्ल महेश। ता उपदेश लवाम लही सेवाराम सवान, रच्यो ग्रन्थ रुचिमान के हर्ष हर्ष अधिकान ।। २६ ।।। सदर अष्टादस शतक फुनि चौतीस महान । सावन कृष्ण अष्टमी पूरन कियो पुरान। ... अति अपार सुखसो बसे नगर देय्याद सार, धावक बसे महाधनी दान पूज्य मतिधार ।। २४ ।। ५.. . ३६६६. शालिभद्र चरित्र-पं० धर्मकुमार । पत्रसं० १५ 1 प्रा० १०३४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । वि - RTI रन X Fre: पुरीं । देर रं० २०२। प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर लश्कर जयपुर। ३६६७. शालिभद्र चौपई-जिनराज सरि । पत्रसं० २८ । भाषा--हिन्दी । विषय-चरित्र । २० काल स.१६७८ असोज बुदी ६ । ले० काल सं० १७६६ चैत वुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं०. ६४० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३६६८. प्रति सं० २ । पत्र सं० २५ । ले. काल सं० १७६९ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५०० । प्राप्ति स्थान-दि जैन पचायती मंदिर भरतपुर । ३६६६. प्रतिसं०३। पत्रसं० २१ । लेकाल सं० १७६६ । पूर्ण । वेष्टन सं०५६१ । प्राप्ति स्थान- दि० जन पंचायती मंदिर भरतपुर । ३६७०. प्रति सं०४ । पत्र सं०१६ । प्रा० ११४४१ इञ्च । लेकाल सं० १८७८ । पूर्म । वेष्टनसं १९३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कामा । ३६७१. शिशुपालवध--माघ कवि । पत्र सं० १६ । आ० १२४४३६च । भाषा-सस्कृत । विषय-काव्य । र काल X । ले० काल x । पूर्ण । वेथून सं० १५६७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष-४ सर्गक हैं। ३६७२. प्रतिसं० २ 1 पत्र सं० ७० । प्रा० १.४ ५ ६-श्व । ले०काल x । अपूर्ण । येशन सं० १४४३ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-अन्तिम पत्र नहीं हैं। प्रति प्राचीन है। Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३९७३. प्रतिसं०३। पत्र सं. ३६-१८२ । पा० ११३-५ इञ्च 1 ले० काल X । यपूर्ण । बेन सं० ६० । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मंदिर अजमेर । ३६७४, प्रतिसं० ४ । पत्र सं० ३०७ । प्रा० ११४६ इञ्च । ले० काल सं० १९८० । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान दि जैनमन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष-लश्कर के मन्दिर में पं० केशरी सिंह के शिष्य ... " ने देवालाल के पढ़ने के लिए प्रतिलिपि की थी। ३६७५. प्रतिसं० ५। पत्र सं० १०६ । आः १२३४५ इंच लेकाल सं० १८३६ । वेष्टन सं० २६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लस्कर, जयपुर । विशेष-जयपुर नगर में थी ऋषभदेव चैत्यालय में प० जिनदास ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ३६७६. प्रतिसं०६। पत्र सं ५ । प्रा० १०३- ५ इञ्च । लेकाल X । प्रथम सर्ग पूर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी दी। ३६७७. प्रतिसं०७। पत्रसंग्रा . १०४७ इच। ले. माल x 1 अपर। वेष्टन सं० ३४.१६ प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर दूनी (टोंक) । ३६७८. प्रतिस०८। पत्रसं० ६ । प्रा० १०x४, इन । ले०काल x पूर्ण । धेष्टन सं० १८८-७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का गरपुर । ३६७६. शिशुपालवध टीका-मल्लिनाथ सूरि । पत्रसं० २२ । प्रा. १३x ६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -काव्य । २० काख ४ । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, ब्रु'दी।। ३९८०. श्रीपाल चरित्र-रत्नशेखर । पत्र सं० ३८ । प्रा. ११X४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-कथा । र० काल सं० १४२८ । लेखकाल सं० १६६६ चैत । सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१४ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मंदिर, अभिनन्दन स्वामी, बूं दी । विशेष--सं० १६६६ वर्षे चैतसित त्रयोदस्या तिश्री गुरु दिने । गणिगण गंघसिंधु राममणे गणेन्द्र यरिण श्री रूपचन्द शिष्य मुक्ति चंदरणा लिनेखि । पुस्तक चिरजीयात । लिखितं धनेरीया मध्ये । ___३६६१. प्रति सं०२ । पत्र सं० १४ । ले० काल सं० १८८४ असौज सुदी १ ३ पूर्ण । वेष्टन सं० ६३४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-हिन्दी (गुजराती मिश्रित) अर्थ सहित है। ३६८२. प्रति सं०३ । पत्र सं० ११ । ले. काल सं. १८७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६०३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ३१८३. श्रीपालन्यरित्र--पं० नरसेन । पत्र सं० ३७ । बा.११४५ इन्च । भाषा-अपभ्रंश । विषय-चरित । २.० काल X 1 ले०काल X । पूर्ण । वेधन सं० ७७ । प्राप्ति स्थान... मट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ३६५४. प्रति सं०.२। पत्र सं. ४६ । या० १०x४ इयच । भाषा-अपभ्रंश । विषय - चरित्र । २० काल x 1 लेकाल X । पूर्ण । वेपन सं० १११ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन भन्दिर दीवानजी कामा। Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ३६३ ३९८५. श्रीपाल चरित्र-जयमित्रहल । पत्र सं०६० । प्रा० ११ x ४३ इञ्च । भाषाअपनश | विषय-चरित्र । १० काल x: । ले० काल सं० १६२३ भाषाढ़ बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-भैरवदास ब्राह्मण ने प्रतिलिपि की थी। ३९८६. श्रीपाल चरित्र-रइधू । पत्र सं० १२५ । प्रा० १०३४४ इञ्च । भाषा-अपभ्रंश । विषय -काव्य । र० काल X ले. कारन सं० १६०६ प्रासोज बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर यादिनाथ बूदी। विशेष- शुक्रवासरे कुरुजांगल देसे श्री सुपथ शुभस्याने सुलितान श्री सलेमसिंह राज्य प्रवर्तमाने श्री काष्ठासंधै मायुरान्वये पुष्कर गणे उभयभाषाप्रवीण तपोनिधि भट्टारक श्री उद्धरसेनदेवा तत्पट्ट भ. श्री श्रमसेनदेवा तत्पट्टे श्री गुणकीत्ति देवा सत्पट्टे भ० श्री यशोकीत्तिदेवा तत्पदें श्री मलयकीसिदेवा तत्पट्टे - भ० श्री गुणभद्रसूरीदेवा तत्पट्टे भानुकीर्तिदेवा । ३६८७. श्रीपाल चरित्र-सकलकत्ति । पत्र सं० ३५ । मा ११४५ इश्व | भाषा-संस्कृत। विषय-चरित्र । र० काल सं० १५ वीं शताब्दी। ले० काल सं० १६६४ । पूर्ण । वेष्टम सं० २०५-८४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । प्रशस्ति-सयत १६६४ वर्ष महासुदि १० सोमे श्री मूलसंधे सरस्वसीगछे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये मटारक श्री सकलकोतिस्तदन्मय भटारक श्री रामक्रोत्तिस्तत्पटे भट्टारक श्री पनदि स्तदाम्नाये ब्रह्म श्री लाउथका तसिष्य मुनि श्री धर्मभूषण तत्सिष्य ब्रह्म मोहनाय श्रीईटर पास्तथ्य हूंबड ज्ञातीय गंग्य गोचे लप सांख्ययां तबोली आखिराज भार्या उत्तमदे तयो सुतः लापा तथा लजी एतं स्वज्ञानावरणीय कर्म क्षयार्थ श्रीपालास्ये चरित्र लिखाप्य दत्तं । ३९८८. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४६ 1 श्रा० ११:१४ इञ्च । ले. काल सं० १८३१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवान जी कामा । . ३६८६. प्रति सं० ३ । पत्र स० ४५ । प्रा० १११४४६ इञ्च । ले. काल सं० १७६८ । वेष्टन सं० २०० । पूर्ण । प्राप्ति स्थान ..दि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर। विशेष प्रशस्ति अच्छी है । ३९१०, प्रति सं०४ । पत्र सं० ३६ । प्रा० ११४५ इन्च । ले० काल सं० १६४: । पूर्ण । येशन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) । विशेष-प्रधायय सं० १८४१ प्रशस्ति निम्न प्रकार है स. १६४५ वर्षे श्राबरण सूदी ८ शनिवासरे बडोद शुभस्थाने श्री मलस वे सरस्वतीगन्छे बलात्कार मणे श्री नेमिजिनचेत्यालये म० अमयनंदिदेवाय तत्सिष्य प्राचार्य श्री रत्नकीति पठनार्थ। श्रीपालचरित्र लिखितं जोसी जानार्दन । ३६६१. प्रति सं० ५। पत्रसं० ३२ । प्रा० १२४५३ इञ्च । लेकाल स. १८७५ श्रावण सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०७३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) । विशेष-टोडा भगर के श्री सविला जी के मन्दिर में पं० शिवजीराम के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। प्रति जीर्ण है। Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६४ ] [ ग्रन्थ सूची-पश्चम भाग ३६६२. प्रति सं०६। पत्रसं० ५३ 1 आ० १० x ५३ इञ्च। ले०काल सं० १९३९ । पूर्ण । वेशन सं० ३१ प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटयों का नैरावा। ३६६३. प्रति सं०७1 पत्रसं० ३८ । आ०१२X४ इञ्च । ले०काल सं० १७७३ माघ मुदी ४ । पूर्ण । बेन सं० २१४१ प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नागदी दी। विशेष-पं० मयाराम ने परानपुर के पार्श्वनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। ३९६४. श्रीपाल चरित्र-० नेमिदत्त । पत्रसं०६६ । आ०१३ र ४१ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय - चरित । र०काल सं० १५८५ आषाढ सुदी ५ । ले० काल ४ । पूर्ण 1 थेष्टन सं० १४३६ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । । ३६६५. तिसं०२। पत्र सं० ६० । प्रा० ११ X ५३ इञ्च । लेकाल सं० १९०५ मंगसिर सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२८६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । ३९४६. प्रति सं०३।पत्र सं०६९। प्रा० १२ x ५ इंच 1 ले. काल सं० १९३२ सावन बुदी १२ । पूर्व । पाटन सं. १९प्रापि मान-मटारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । ३६६७. प्रतिसं०४ । पत्र सं० ५५ । प्रा० १२ x ५ इञ्च । ले०काल सं० १८१६ । पूर्ण । वेष्टन सं०१७। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर वर । ३४६८ प्रति सं ५। पत्रसं०५३ । ले० काल सं०१८१५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७५ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष- भरतपुर में श्रादिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की गई थी। ३६६६. प्रति सं०६। पत्र सं० ६६ । प्रा०६३४४३ इञ्च । ले. काल सं० १८८५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दबलाना दी। ४०००. प्रतिसं०७ । पत्र सं० २५ । प्रा० ६.४ ५३ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० १०५-१७५ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाय टोडारायसिंह (टोंक) । ४००१. प्रतिस० । पत्र सं० १३५ । मा० १०४४३ इन्च । ले. काल सं० १८७६ जेष्ठ मृदी। ५ । पुर्ण । वेष्टन सं० ४०:२१ । प्राप्ति स्थान- दि जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) ४००२. प्रति सं०६ । पत्र सं० ६६ । लेखन काल X । पूर्ण । वे०सं० १४७ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर नागदी, बूदी। ४००३. प्रति सं० १० । पत्र सं० ४७ । पा० १२३४६ इञ्च । ले. काल सं० १६०५ । पूर्ण । वे० सं०१०। प्राप्ति स्थान- दिन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, ब्र'दी। विशेष--पं. सदासुखजी एवं उनके पत्र चिमनलाल जी को बू'दी में लिखवाकर भेंट किया था। ४००४. प्रतिसं०११। पत्र सं० ५५ । प्रा० ६४५ इञ्च । लेकालxपूर्ण । वेष्टन सं० ७७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी,दी। विशेष-सिद्धचक्र पूजा महात्म्य भी इसका नाम है। ४००५. श्रीपाल चरित्र- सागर । पत्रसं० १८। भाषा-संस्कृत विषय-चरित्र। र० काल X । लेकाल x। पूर्ण। बेष्टन सं० ॥३४1 प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मदिर भरतपुर । - संस्कृत । विषय-नमिष्टर Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ २९५ ४००६. श्रीपाल चरित्र - x । पत्र सं० ११ । ०१० X ५३ इव । भाषा – संस्कृत । विषय— चरित्र । २० काल ४ । ले० काल सं० १२१० सावरा सुदी ६ पूर्ण स्थान - दि० जैन मंदिर फतेहपुर मेोखावाटी (सीकर) बेटन सं० १५० प्राप्ति I ४००७. प्रति सं० २३ पत्र सं० १ से २१ । भाषा-संस्कृत | विषय - चरित्र । २० काल X 1 काल X | अपूर्ण । वेष्टन सं० ७०६ । प्राप्ति स्थान -- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४००८ प्रतिसं० ३ | पत्रसं० २११ ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ६६९ । प्राप्ति स्थानदि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ४००६ प्रतिसं० ४ । पत्रसं० ५३ | या० १० X ६३ इंच । ले०काल X। अपूर्णं । वेष्टन सं० ३० / १६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) 1 । ४०१०. प्रतिसं० ५ ० १०८ ० १२७ । भाषा–संस्कृत विषयअपूर्ण वेन सं० ७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर खंडेल चरि २० का X ले काल X वायों का धावा (उयिरा) । विशेष-शीष के बहुत नोट- पुण्यास्ववयाकोश के फुटकर पत्र हैं और वह भी धपूर्ण है। से पत्र नहीं है। १०८ से आगे भी पत्र नहीं हैं। - ४०११. श्रीपाल चरित्र - परिमल । प० १३० । ० १०x६३ इंच भाषा - हिन्दी पद्म विषय-नरि २० काल सं० १६५१ आषाढ बुदी ५ ले काल सं० १८१० बासोज सुदी ६ पूर्ण वेष्टन सं० १४८४ । प्राप्ति स्थान–भ० वि० जैन मन्दिर अजमेर | विशेष – कवि प्रागरा के रहने वाले थे तथा उन्होंने वहीं रचना की थी। ४०१२. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ६१ | आ० १३८ इंच । ले० काल सं० १९११ श्रावण बुदी ५ पूर्ण ० सं० १ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर शेखावाटी (सीकर) | विशेष प्रति बच्छी है। - ४०१३. प्रतिसं० ३ १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५८ प्राप्ति विशेष – मोहम्मदशाह के ४०१४. प्रति सं० ४ बुदी २ । पू । बेन सं० ६३ ० २६० १३५० इच। ले० काल सं० १६६६ प्राषाढ सुदी स्थान - वि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) राज्य में दिल्ली की प्रति से जो मनसाराम ने लिखी प्रतिलिपि की गई। पत्र ० ८५ बा० ११३ × ६३ इव। ले० काल सं० १९१७ भादवा प्राप्ति स्थान — दि० बैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) | ४०१५. प्रतिसं० ५ पत्र सं० १८०० १०७ इस मुवी १२ पूर्ण जीर्ण शीखं वेन सं० १४१ प्राप्ति स्थान दि० जैन । । । । ४०१६. प्रतिसं० ६ पत्र [सं०] १२० भा० X ४ पूर्ण वे० [सं०] १४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दोसा । विशेष – दौसा में प्रतिनिधि हुई थी। ४०१७. प्रति सं० ७ पत्र सं० १२५ वेष्टन ० १२२ / ३७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बडा वीसपंथी दौसा । ले०काल सं० १६९६ फागुण मन्दिर तेरहपंत्री दौसा | । ० काल सं० १९२६ । ० १०६ द ले० काल सं० १८८५ पूर्ण Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ४०१८. प्रतिसं०८ । पसं. १६ । लेकाल सं० १७७४ फागुण सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं. २३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बडावीस पंथी दौसा। विशेष-जादौराम टोंग्या ने प्रतिलिपि की थी। ४०१६. प्रति संहपत्र सं० १६७ | मा०१०x४३ इश्च। ले० काल सं० १८२० कार्तिक बुदी २। पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचामती मन्दिर करौली 1 विशेष-हेडराज के बरे पुत्र मगनीराम ने करोली नगर में बुधलाल से लिखवाया था। प्रति जीणं है। ४०२०. प्रति सं० १० । पत्र सं० ११७ । मा० १३ x ६३ इञ्च । ले०काल सं० १८५६ मंगसिर सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ । प्राशिस्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । विशेष---गुमानीराम ने करोली में प्रतिलिपि की थी। ४०२१. प्रति सं० ११ । पत्र सं० १६० । आ० ८ x ६ इन्च । ले. काल ४ । पूर्ण । श्रेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । ४०२२.प्रति सं० १२१ पत्र सं० १६१ । आ. १५५१ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । श्रेष्टन सं. ३१/४३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन सौगाणी मन्दिर करौली । ४०२३. प्रति सं० १३ । पत्र सं० १५० । प्रा० १०४४ इज । ले० काल सं० १८८३ । पूर्ण । वेसन सं० ४३ । प्राप्ति स्थान—दि.जैन सौगाणी मंदिर करौली 1 विशेष—बयाने में प्रतिलिपि हई तथा खूशालवन्द ने सौगाणी के मन्दिर में चलाया । ४०२४. प्रतिसं०१४ । पत्र सं०६५ 1 लेखन काल सं० १९५७ धावण शुक्ला ६ । पूर्ण । वेष्टन सं०१०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । ४०२५. प्रतिसं० १५1 पत्र सं० १२६ । प्रा. ११४७ इञ्च । ले काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं.३१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर कामा । ४०२६. प्रतिसं० १६ । पत्रसं० १३० । मा० १२४७३ इञ्च । लेस काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १४३। प्राप्ति स्थान--दि० जन छोटा मंदिर बयाना । विशेष-पन्नालाल बोहरा ने प्रतिलिपि की थी। ४०२७. प्रति सं०१७ 1 पत्र सं० ११७ । ग्रा११४६ । ले० काल सं० १९१८ भादवा मुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० ४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना। विशेष-बयाना में लिपि कराकर चन्द्रप्रभ मन्दिर में चढ़ाया। ४०२८. प्रति सं०१८ । पत्र सं० १५५ । प्रा० १०x४१ इश्व । ले. काल सं १७९६ सावस सुदी ५ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बैर । ४०२६. प्रतिसं० १९ । पत्रसं० १८ । प्रा० १२४६ इञ्च । ले. काल सं० १८०४ प्रथम यंत सुंदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०| प्राप्ति स्थान--दि जैन पंचायती मन्दिर बयाना। विशेष--अग्रवाल जातीय नरसिंह ने प्रतिलिपि की श्री । कुल पद्य स० २२६० है। ४०३०. प्रतिसं० २० । पत्र सं०१०३ । ले० काल सं० १८८० माघ बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन २१ । प्राप्ति स्थान- दि जैन पंचायती मंदिर बयाना । PV ..... 2 40 Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं धरित ] विशेष प्रागरा में पन्नालाल ने प्रतिलिपि की थी। ४०३१. प्रतिसं०२१ । पत्र सं० १२३ । प्रा० ११४५ इच। ले. काल सं० १८८६ फागुण बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं०५०२ प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लक्कर जयपुर। विशेष-महुवा में साद पटेलर मुन्शी के बाके बिजारो नारा से लिखवाया था। ४०३२. प्रतिसं० २२ । पत्र सं० २०५ । । ले० काल XI पूर्ख। वेष्टन सं० ५८० । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४०३३. प्रति सं० २३ । पत्र सं० १०० । ले. काल १८४४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५८१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-भीमराज मोहित ने भरतपुर में प्रतिलिपि की थी। ४०३४. प्रति सं० २४। पत्र सं० १४५ । ले० काल सं० १८२६ । पूर्ण । वेष्टन सं०५८२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-भरतपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ४०३५. प्रति सं० २५ । पत्र सं० ६७ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५८५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष प्रति प्राचीन है। ४०३६. प्रतिसं० २६ । पत्र सं० १०१ । प्रा० १२१४७ इञ्च । ले. काल सं० १६०३ जेष्ठ सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं०१०। प्राप्ति स्थान---अग्रवात दि० जैन मन्दिर पंचायती अलवर । ४०३७. प्रति सं० २७ । पत्रसं० १४२ । प्रा०९३४६५ इञ्च । लेकाल सं० १८७२ । गणं । वेष्टन सं० ५६ प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल पञ्चायती मदिर अलवर । ४०३८, प्रति सं० २८ । पत्र सं० १२१ । ले० काल सं० १८९१ । पूरणं । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर, दीवानजी भरतपुर । विशेष बलवन्तसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि हई दी। ४०३६. प्रति सं० २६ । पत्र संख्या ११० । मा० १२४७ इन्च । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० १४१ । प्रारित स्थान-दि. जैन खण्डेलवाल पंचायती मंदिर अलवर । ४०४०. प्रति सं० ३० । पत्र सं० १३१ । प्रा०६१ ६३ इच। ले० काम ५ । पूर्ण । बेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान दिजैन मन्दिर, चौधरियों का मालपुरा (टोंक)। ४०४१. प्रति सं०३१ । पत्रसं० १४३ । आ०६५ x ५३ इकन । ले० काल सं० १८५७ फागुगा बुदी १४ । पूरणं' । बेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान–दि० जैन मन्दिर चौघरियान मालपुरा (टोंक) विशेष-५० रामलाल ने पं० चोली भुवानीवास से शाहपुरा में करवाई भी । ४०४२. प्रतिसं० ३२ । पत्रसं० ११६ । प्रा० १२४६ इञ्च । ले० काल X1 पूर्ण । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर, राजमहल टोंक। विशेष-२२०० चौपई हैं। ४०४३. प्रति सं० ३३ । पत्र सं० १६४ | आ. १२४६३ इञ्च ।, लेल काल में० १८७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पंनायती दूनी (टोंक) 1, .. Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६८ ] [ प्रन्थ सूची- पंचम भाग ० काल X विशेष – रावराजा श्री चौदसिंह जी के शासनकाल दूणी में हीरालाल भोभा ने प्रतिलिपि की । ४०४४, प्रतिसं० ३४ । पत्र [सं० ५७ से १११ । आ० ० ११६ अपूर्ण वेष्टन ०४८ २५ प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) । ४०४५. प्रतिसं० ३५ । पत्रसं०१२४ ० ६६ × ६३ इव । ऐ०काल सं० १८६० काली सुदी ४ पूर्ण वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटयों का नैरना । विशेष – साह नंदराम ने झांबा में ग्रंथ लिखा । सं० १६६५ में साह रोडलाल गोपालसाह गोठडा वाने ने मावा में कोटयों के मंदिर में चढ़ाया | ४०४६. प्रति ३६०१०४० १२३ X ६३ इञ्च । से०काल x पूर्ण । वेन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बृदी । ४०४७. प्रति सं० ३७ पत्र स० १२६ ॥ श्र० १२x६ इव । ले० काल सं० १६७२ | पूर्ण वेष्टन सं० १५५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर श्री महावीर बूंदी। विशेष- चुन्दावती में लिखा गया था। ४०४८ प्रतिसं० ३८ । पत्रसं० ६७ । ० १०४ ६३ इन्च लेकास सं० १९०६ । पूर्ण वेष्टन ०५८ प्राप्ति स्थान- तेरहपंथी दि० जैन मन्दिर, गया । । ले० काल सं० १६०२ । पूर्ण + ४०४६. प्रति सं० ३६ । पत्र सं० ९४ | आ० १२ × ६ वेष्टन ०७०/४८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर भादवा (राज० ) 1 विशेष- प्रति शुद्ध एवं उत्तम है । फागी में प्रतिलिपि हुई थी । ४०५०. श्रीपाल चरित्र-चन्द्रसागर । पत्र [सं० ५० प्रा० १० हिन्दी गद्य विषयचरि २० काल सं० १८२३ ले० काल सं० १९४४ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष प्राविभाग- सकस शिरोमणि जिन नमू तीर्थंकर चौवीस पंचकल्याणक जेहला पास्ता शिवपद ईश || १ || वृषभसेन प्रादेकरि गौतम अन्तिम स्वामि । उसे बावन उपरि सपगृरु परिणाम ||२|| जिन मुख लीजे उपनी सारदा देवी सार । विवरण प्रखमी करी, प्राये बुद्धि विसाल ||३|| सुरेन्द्रकीति गुरु गछपती कीति तेह् अवदास | तेह पाट प्रतिराजता सकलकीति गुण क्षात तस पद कमल भ्रमर सभ चन्द्रसागर चितधार । श्रीपाल नरेन्द्र त क गरिन रसाल ॥ अन्तिम भाग - काष्टा संघ सोहाम उदयानस जिममाण | गट नदी तट रामसेन थाम्नाय बलाल ।। X ६ इन्च भाषापूर्ण । वेष्टन सं० ८१ । Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काध्य एवं चरित ] : तद अनुक्रमे हुवा गपति विद्या भूषरण सुरि राय । तेह पाटे अति दीपता थीथी भूषण यतिराय ।।२१।। त्रोटक-तेह पाटे अति सोभता चन्द्रकीनि कीति अपार । वादी पद गंजन जन केशरी सिंह सम मनधार ।।२२।। " पति नारा: 8 भतार ! लक्ष्मीसन अति दीपता जेह पाटे अनुसार ।।२३।। . चाल-तेह पाटे अति दीपता इन्द्रभूषण अवतार । । मुरेन्द्र कोत्ति गुरु गच्छपति तेह पाटे अग्रतार । कीति देश विदेश में जारण आगम अपार । तेह पाटे सुरियर सही सकलकीनि गूणधार ।।२४।। ऋोटक-गुराधार ते सकल कौत्ति ते रिवर विद्यागण भंडार । लक्षण द्वात्रिंशलफास्या कला दोहोत्तर तनु धार ।।२५।। . व्याकर्ता तक पुरारा सागर यादी मद ते विचार । गण अनंत तेह राजता ते कोई न पावै पार ॥२६॥ चाल-व्या तेह पद कमल सोहामगु मधुकर मम ते जारिप । अहा चन्द्र सागर कहे काल ग्याल मन आणि । व्याकर्ण तर्फ पुराण न ले न्हीं जाणु भेद । मुझ मति अल्प ज्यु कहत हुँ कवि गुण: अगम अभेद ।।२।४11 । त्रोटक-श्रीपाल गुणा ते अति पए मुझं मति अल्प अपार । । .. कविता जन हौसि न कीजे तुम्हें गुण तणी भंडार ॥२८|| बाल कर मति जीय ए में ए रचना रची अपार । '...' जे मणे ते वलि सांभले ते लहे सौम्य भंडार २९il बाल सोजन्या नगर' सोहामण दीसे ते मनोहार । सासन देवी ने देहरे परतापुरे अपार। सफलकत्ति विहां राजता छाजता गुरण भंडार ।। ब्रह्म चन्द्रसागर रचना रची तिहा बेसी मानाहार ॥३॥ . बोदक-मनोहार नगर सोहामरा दीस ते मा कडमाल । श्रावक तिहां वलि शोभता मेवाडा नामें विख्यात ।।३१। '' पूजा करे ते नित्य प्राते बखाण सृरणों मनोहार। नागकुमार जिम दीपता थावक श्राविका तेह नारि ।।३२॥ ." चाल--प्रय संख्या तम्हे जारराज्यो पंचदश सत प्रमाण । "ह ऊपर वलि शोमता साठ बत्तीस ते जागिण ।। द्वाल बीस ते सोभती मोहनी भवियर लोक । '' सांभसता गुम्न ऊपजनास विधन ते शोक ।।३३ Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०० ] चरितं । त्रोटक शोक ना जाय चित्रा पामे रिद्धि भंडार । पुत्र कलन सुभ सपने जमकीति होइ अपार ।। ३४ ।। मन प्रतीते जुळे सोचले जे पूजे ते मनोहार । मनवांछित फल पामीदस्थ मुगति लहे धरतार ॥३५॥ चाल - संगत मत मष्टादश य विशति भवधार दिवसा पूरा भयो ए ग्रंथ शुभ सार ॥ श्रीपाल गुण अगम अपार केवलि सिद्ध चक्र भवतार | तुम गुण स्वामी प्रापण वर इच्छा नहिं सार ॥ -सेवक अवधार ज्यो दीयो अविचल थान । या पन्द्रसागर कहे सिद्धचक्र महामाम ॥२॥ माघ मास सोहामणों मवल परण मनोहार । श्री सोमवीर इति श्री श्रीपास चरित्रे भट्टारक श्री सकलकीति तत् शिव्य श्री ब्रह्मन्दसागर विरचिते श्रीपाल [ ग्रन्थ सूची पंचम भाग मालच देश सलपुर में मुनिसुव्रतनाथ चैत्यालय में पंडित नेमिचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। ४०५१. श्रीपाल चरित्र - X | पत्र सं० १२ भाषा - हिन्दी (पद) विषय २० काल X। ०काल X अपूर्ण वेटन सं० ७६ प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहवी मन्दिर बसवा ४०५२. श्रीपाल चरित्र - X | पत्र संख्या ११५ ॥ भ० | । विषय- चरित्र १० काल X से०मान X पूर्ण वेष्टन सं० १० मन्दिर करौली । विशेष - प्रति गुटका आकार है । ११५ से आगे के पत्रों में पत्र संख्या नहीं है । इन पत्रों पर पंच मंगल, हैं जिनसहस्रनाम तथा एकीभाव स्तोत्र आदि का संग्रह है । X ६३ इंच भाषा हिन्दी पद्य प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती ४०५३. श्रीपाल चरित्र - X पत्र सं०] १५ से ३० पा० ११ ५३ इच भाषा। १ इश्व हिन्दी गथ विषय-चरित्र १० काल x | ले० काल X | अपूर्ण नेष्टन सं० ७९ प्राप्तिस्थानदि० जैन पंचायती मन्दिर करौली ४०५४. श्रीपाल चरित्र x ० २७० १३४७ विषय- चरित्र २० काल x ०काल सं० १२३६ । पूर्ण वेष्टनसं० ७१ मन्दिर श्री महावीर बूंदी। I ४०५६. श्रीपाल चरित्र - X विषय-चरित्र २० काल से० काल सं० स्थान- दि० जैन मन्दिर र भाषा हिन्दी म प्राप्तिस्थान दि०जैन ४०५५. श्रीपाल चरित्र -X | पत्र सं० २६ । मा० १२x भाषा हिन्दी (गद्य) । विषय- चरित्र २० काल x 1 ले० काल सं० १६६१ । पूर्ण वेष्टन सं० ३३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मंदिर नेरवा । | पत्र सं० ४७ | या० ६ x ६ई इश्व । भाषा - हिन्दी गद्य । २०४१ साल सुदी १३ पूर्ण न सं० ४३ Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करण शुतां परितः । विशेष-- सग्रही श्रमरदास ने प्रतिलिपि की थी। कथाकोष में से कथा उद्धत है। ४०५७. श्रीपाल चरित्र - X १०४१०८६ इंच भाषा - हिन्दी गद्य विषय- चरित्र २० काल X ने० काल सं० १९९२ भादवा सुदी १ प्रपूर्ण वेष्टन सं० ४८१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । 1 विशेष रिचन्द विदायका ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। ४०५८. श्रीपाल चरित्र-- X | पत्र सं० विषम चरित्र र काल X | ले० काल X। पूर्ण नदी बूंदी ३५ ॥ या० १० X ७६ भाषा - हिन्दी गद्य । वेष्टन सं० ३८ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर ४०५६. श्रीपाल चरित्र ४ । पत्र सं० ५८ । भाषा - हिन्दी | विषय-जीवन चरित्र । २० काल X | ले० काल सं० १९२६ । पूर्ण वेष्टन सं० ५७६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ४०६०. श्रीपाल चरित्र - x | पत्र [सं०] ३६ । प्रा० विषय- चरित्र । २० काल । ले० काल सं० १६२२ वा बुदी ५ स्थान- वि० जैन भवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष - कुल पद्य स ० ११११ है । [ ४०१ संवत् अठारे सतस सावण मास जयंग | कीसन पक्ष की सप्तमी रवीदार सुभचंच ।। ११०८ ॥ सकल दीपाल तादिन पूरण जिस पर पोपाप्रो दुधजन मन हरख विशाल ॥११०२ ।। नगर उदयपुर रूपड़ो सकल सुखां की धाम | तहां जिन मन्दिर सोनही नानाविव अभिराम ।१११० ।। ताहा पारिस जिनराज को अन्दर प्र सोहंत X ५ इव । भाषा - हिन्दी । पूर्ण वे० सं० २३० प्राप्ति J तहां लिखो ए ग्रन्थ ही बरतो जग जयवंत ।। ११११ । इति श्रीपाल कथा संपूर्ण । ४०६२. श्रीपाल प्रबंध चतुष्पदी ०कास सं० १९८९ ॥ पूर्णं । वेष्टन सं० ६८७ नगर मीटर मध्ये श्री रिखबदेवजी के मन्दिर श्रीमत् काष्टाच नंदितगच्छे विद्यागले प्राचार्य श्री रामसेन तत्पट्टे श्री विजयसेस तत्पदृट्टे श्री भ० श्री हेमन्द्रजीत भ० श्री क्षेमकीति तत् सिष्य पं. मत्राला विश्व सं० १९२३ साल खुदी ५। I प्रारम्भ में गौत्तम स्वामी का लक्ष्मीस्तोत्र दिया है। आगे श्रीपाल चरित्र भी है। प्रारम्भ का पत्र नहीं है। ४०६१. श्रीपाल चरित्रलाल पत्र सं० १४२ । भाषा - हिन्दी विषय र २० काल सं०] १८३० । काल सं० १५५१ पू वेष्टन ०६८ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । - पत्रसं० ४ भाषा - हिन्दी विषय X | २० काल X । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०२ ] ४०६३. श्रविरिश म० शुभचन्द्र । पत्रसं० १३७ । संस्कृत विषय परिष। २०काल X। ले० काल सं० १६०७ भादवा सुदी २ प्राप्ति स्थान- म०दि० जैन मन्दिर अजमेर विशेष—जोशी श्रीधर ने अम्बावती में प्रतिलिपि की थी। [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ० १० X ४३ इञ्च । भाषा - पूर्ण वेष्टन ०६१। ४०६४. प्रति सं० २ पत्रसं०] १०१ । ले० कास X प्रपूर्ण वेटन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । ४०६५. प्रति सं० ३ ० १००० १०४४) ले वाल X पूर्ण । इञ्च । । । नेन सं० १२२३ प्राप्ति स्थान — उपरोक्त मन्दिर । ४०६६, प्रति सं० ४ पत्रसं० १५० १२३४५३ इछ । ले० कालसं०] १८३६ । पूर्ण वैष्टन सं० ३२३ । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । ४०६७. प्रति सं० ५ १ पत्र सं० ७४ । श्र० ११३ X ४३ इञ्च । ले०काल सं० १८१६ | भादवा सुदी १४ । पूर्ण वेष्टन सं० १३८२ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । विशेष-गुलाबचन्द खाबड़ा ने महारोठ नगर में प्रतिलिपि को थी। ४०६८. प्रति सं० ६ । पत्रसं० ७६ ॥ श्र० १०३४५ इञ्च । ले० काल X 1 पूर्णं । वेष्टन सं ० ५० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी। पत्र सं० १४८ ०११९४ जे०काल सं० १८४५ पूर्ण दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। ४०६६. प्रतिसं० ७ १२२ प्राप्ति स्थान विशेष-कोटा नगर के खुस्मालाडपुरा स्थित शान्तिनाथ चैत्यालय में ग्रा० विजयकोचि तत्शिष्य सदासुख चेला रूपचन्द पंडित ने प्रतिलिपि की थी। ४०७० प्रतिसं० ८ पत्र [सं० ६० बुदी ५। पूर्ण वेष्टन सं० ८७ प्राप्ति स्थान विशेष -- सवाई जयपुर में सागर ने ४०७१. प्रतिसं० ९ पत्रसं० १०५ बैटन सं० ७५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) । विशेष- प्रति जीर्ण है । ४०७२ प्रति सं० १० बेटन सं० ४७ प्राप्ति स्थान- उपरोक मंदिर । आ० १३४५ इश्व । ले०काल सं० १८०२ फागु दि० जैन मन्दिर मागदी बूंदी। प्रतिलिपि की थी। भा० ११३ X १३ इश्व ले०काल X। पूर्ण । पत्रसं० ६७ या ११० काल सं० ११२३ । पूर्ण | विशेष दौसा के तेरहपंथियों के मंदिर का मंच है। ४०७३. प्रतिसं० १९० १४० पा० १० X ७ ले० काल सं० १७८२ वैशाल बुद्धी ४। पूर्ण । वेष्टन सं० ११७ / १५ प्राप्ति स्थान दिन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ (कोटा) 1 ४०७४ प्रतिसं० १२ । पत्र [सं०] १३४ | मा० ७x४] इ ले० काल सं० १७२७ कार्तिक सुदी ११ पूर्ण । वेष्टन सं० २१३ । प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा 1 Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ४०३ प्रशस्ति-सवत् १७२७ वर्षे महामांगल्य कार्तिक मासे सृकुलपक्षे तिथी एकादशी आदित्यवासरे श्री मूलसंघे सरस्वतीगछे बलात्कारगणे कुदकुदाचार्य तदारनामे भट्टारक श्री सकलकीति तत्मिाप्य पंडित मनोरथेन स्वहस्तेन हुबउ ज्ञातीय स्वपठनार्थ कर्मक्षयार्थं । ४०७५. प्रति सं० १३ । पत्र सं० ६८ । पा. ११४४३ इञ्च । ले०कान X । पूर्ण । बेष्टन सं० ३६८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ४०७६. प्रति सं० १४ । पथ सं०६८-६९ । मा० ११४४ इञ्च । ने. काल सं० १६६४ मंगसिर बुदी १३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४०० । प्राप्ति स्थान- दि जैन मंदिर बोरसली कोटा । प्रशस्ति- सवत् १६६४ वर्षे मंगसिर नदि १३ रखी श्री मूलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री सरोजनगरे सुपार्श्वनाथचैत्यालये भद्रारफ श्री नरेन्द्रकीति तव शिष्य पं. धूलचन्द तत् शिष्य पं. मालमचन्द। ४०७७. प्रति सं०१५। पत्र सं० ६४ । प्रा० ११४४ इञ्च । लेकाल स.x । अपूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ४०७८. प्रतिसं० १६ । पत्रसं० १२८ । ले०काल सं० १८२४ चैत्र सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं. २३२ । प्राप्ति स्थान दि. जैन पचायती मंदिर भरतपुर । विशेषआशाराम ने भरतपुर में प्रतिलिपि की थी। ४०७६. प्रति सं०१७ । पत्र सं० १८२ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं...। प्राप्ति स्थान-दि० जैन बडा पंचायती मन्दिर डीग । ४०६०. प्रतिसं०१६ । पत्रसं० ७७ । प्रा० १०५ x ५३ च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं० १९५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ४०५१. प्रति सं०१६ । पत्र सं.४४ | मा० ११४५ इ'म । लेकाल: । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । ४०५२. प्रतिसं० २० । पत्रसं० २२-१४२ । पा.१०x४१चा मे०काल सं० १६६२ । मपूर्ण । वेष्टन सं० २३५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ४०५३. प्रतिसं० २१। पत्रसं० १२१ । आ. ६x४६च । लेकाल सं० १६६५ वैशास मूदी ३। पूर्ण । वेष्टन सं० २६३ । प्राप्ति स्थान--दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-ब्रह्म श्री लाज्यका पठनार्थ । ४०८४. प्रति सं० २२ । पत्रसं० ११ । प्रा० १२ x ४१ इञ्च । लेकाल - । अपूर्ण । वेष्टन सं० ८३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष—प्रति प्राचीन है । बीच के कुछ पत्र नहीं हैं । इसका दूसरा नाम पानाभ पुराण भी है। ४०८५. श्रेणिक चरित्र भाषा-भ० विजयकोति। पत्र सं० ६२ 1 मा० १२३४८ इच। भाषा-हिम्दी पद्य । विषय-चरित्र । र०काल सं. १८२७ । ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० २३॥ प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ vor ] प्रशस्ति गढ अजमेर सकल सिरदार पट नावौर महा अधिकार ॥ नितो भवभाष ॥ सारव गच्छ तर सिंगार । बलात्कार गर जानुसार ।। पट अनेक मुनि सो घप सही ।। तसु पट महेंद्रकीति समुद नीति पर धारि भया तसु पट भूवन पम्प चिरं जीया ॥ विजयकीर्ति भट्टारक जाति । इह भाषा कीनि परशारण || संवत् महारासय सतवीस । फागुण सुबी साते सु अधोस ।। बुधवार इह पूरा भई । स्वति नक्षत्र वृद्धजपामु थई | गोत पाटनी है मनिराव | विजयकीर्ति भट्टारक धाय || उसु पट धारी श्री मूनि जानि बडणाया तमु गोत्र पिखानि ॥ त्रिलोकेन्द्र कीति रिवराज । निति अति साय प्रतम काज ॥ विजयमुनि सिध्य दुतिय सुजाण श्री बैरा देश तमु भार ॥७२॥ धर्मचंद भट्टारक नाम, ठोल्या गोत वण्यो अभिराम । मलयखंड सिहासन सही कारंजय पट सोभा लही प्र । कुन्दकुन्द मुग्यय सही रत्नकीत्ति पट विद्यानंद ४०८६. प्रतिसं० २ पत्रसं०] १२८ २७४ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ - ४०५८ प्रतिसं० ४ बुदी ७ । पूर्णं । वेष्टन सं० १२७६ ४०८६. प्रतिसं० ५ ख़ुदी १४ | 1 वेन सं० २७६ विशेष- प्रति नवीन है । ४०८७ प्रतिसं० ३ पत्र सं० ७१ ० ५५ X ७ से० काल सं० २०११ पूर्ण श्रेष्टन सं० ४९ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर माविनाथ बूंदी | [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग श्र० ११५] [इ] | ले० काल X पूर्ण ३० नं० चौगान बूंदी। विशेष - जबगढ़ में प्रतिलिपि पत्रसं० ग्रा० २] X ४ | प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । पच सं० था० १० X ४ व काल० १६२६ सावर । । । ले० प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ធ្ងន់ थी I ० का ० १८६४ फागुण अपूर्ण वेष्टन ०४७-२५ प्राप्ति स्थान ४०६०. प्रति स ० ६ पत्र [सं० ७७ प्रा० १० X ४ ले० काल सं० १८८४ बुदी ३ | पूर्ण वे० सं० ११ । प्राप्ति स्थान - उपरोक्त मन्दिर | विशेष-पद्य सं० २००० है । ४०६१. प्रति सं० ७ पत्र [सं० ६३ से ११७ 1 ० १२३४६इ ले०फाल सं० १८७६ दि० जैन मन्दिर पंचायतीनी (टोंक) । विशेष- दूनी में रावजी श्री चांदसिंह जी के राज्य में माणिकचन्द जी संघी के प्रताप से ओझा हरीनारायण ने प्रतिलिपि की थी। Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ४०५ ४०६२. प्रति सं० ८। पत्र स. १०१ । आ०११ X ५३ इञ्च ! ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर राजमहल (टोंक) 1 ४०६३. प्रति सं० १। पत्रसं० १५२ १ ० ११४५ इञ्च । विषय-चरित्र । लेकाल सं० १८६.१ फागुग्ण बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३ । प्राप्ति स्थाम-दि जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष-संधोक (संतोप) रामजी सौगाणी तत् श्रमीचन्द अभचन्दजी राजमहल मध्ये चैत्यालय चन्द्रप्रभ के में ब्राह्मण सुखलाल वासी टोडारायना प्रतिलिपि नरक वटामा । ४०९४. प्रतिसं०१७ । पत्रसं० १३० । आ० x ४३ इञ्च । ले०काल सं० १८७९ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१८ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर गजमहल (टोंक)। विशेष-तक्षकपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ४०६५. प्रतिसं० ११ । पत्र सं०६१ । ग्रा० १५४७ इञ्च । ले. काल सं० १६०१ भादवा बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान-- -दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । ४०१६. प्रति सं० १२१ पत्र सं०७८ । प्रा० १२४८ इच 1 ले करन X । अपुर्ण । वेष्टन सं. २६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। . ४०६७. प्रति सं० १३ । पत्र सं० १५३ । ग्रा १०१४५ इञ्च । से० काल सं० १८६४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८६ ! प्राप्ति स्थान---दि० जैन पंचायती मंदिर अलवर । ... ४०९८. प्रति स० १४ । गत्रसं० १२६ । आ० १०३ ४ ७ इंच । ले० काल स० १९२७ प्रासोज ढुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० १० । प्राप्ति स्थान-दि० अग्रवाल पायती जैन मन्दिर अलवर । ४०६६. प्रतिसं० १५ । पत्रसं० ६६ । प्रा०६६४६ इञ्च । लेकाल सं० १६३० चैन दी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर। ४१००. प्रति सं० १६ । पत्र सं०६५। प्रा० १२४७३ इञ्च 1 लेकालसं० १६१८ आषाढ सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर बयाना। विशेष-बयाना में धनराज बोहरा ने प्रतिलिपि की थी। ४१०१. प्रतिसं० १७ । पत्र सं० १२७ । ले. वात सं० १६१३ । पूर्ण । वेग सं० ४४ । प्राप्ति स्थान दि. जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । ४१०२. प्रति सं०१५। पत्र सं० १०८ । प्रा० १३.४ ५ इञ्च । ले. काल सं० १६३१ भादवा सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । विशेष- शमशाबाद (ग्रामरा) में ईश्वर प्रसाद ब्राह्मण में प्रतिलिगि की थी। ४१०३. श्रेणिक चरित्र भाषा-दौलतराम कासलीवाल 1 पत्रसं० २५ । भाषा-हिन्दी। विषय-अरित्र । १० काल X । ले फाल सं० १८५८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ४१०४. श्रेणिक चरित्रा-दौलतीसेरी । पत्र सं० १७२ । पा०: १:१४ इश्व । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-चरित्र । २० काल सं० १८३४ मंगसिर सुदः .७ 1 ले९. काल सं० १६६१ । पूर्ण । वेष्टन सं०६०। प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर मागदी बृदी।. . ..: Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०६ ] विशेष – कल्दार में सं० १९६२ में लिया गया था। ४१०५. असिक प्रबन्ध कल्याणकीति । पत्र सं० ५७ । भाषा - हिन्दी पद्य विषय-चरित्र । २०काल सं० १७७५ धासोज सुदी ३ चिंत वदी १३ । पूर्ण वेष्टन सं० १४४ प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) प्रा० १० x ६६ । ले०काल से १६२० प्रादिभाग--- ॐ नमः सिद्धेभ्यः -- श्री वृषभाय नमः | दोहा कर सन्मति शुभ मती चोबीस भी जिनराम । अमर खचरनि करि सेवित पाय || १॥ 1 - wwP से जीन चरण कमलनसी हृदय कमल बरी नेह जिन मूल कमल भी उपति न गुण रत्नाकर गौतम मुनि ते मध्यि केता ग्रही रख श्री मूणसच उदयाचल, वाग्वादिनी गु गेहू ॥२॥ वयण रयल अनेक । प्रबंध हार विवेक १॥३॥ प्रभाचंद्र रविराय । श्री तस पद कमल दीवाकरु नमू श्री पद्मनंदी सुखकार । यादिवारण केसरि अकलंक एह अवतार ||५|| नौज गुरु देव कीरति मुनि प्रणम् चित धर नेह ॥ मंडलीक महा शीक नो प्रबन्ध र नमी देवकीरति गुरु पाय | जिन कल्याण कीरति पूरी बरे रच्यो रे ! ए कि गुण मरिहार | जिन वागड विमल देश शोभते रे || तिहाँ कोट नयर सुखकार || जिन वनपति विमल से धरणा रे ॥ 'धनवंत चतुर दयाल ॥ जिन० जिन० तिहों आदि जिन भवन सोहाम रे रामकीरति शुभकाय ||४|| गुण गेहु ॥ ६॥ भारि ॥ ९ ॥ लाल लो० ॥ भावि० ॥ लाल सो ॥ भावि० ।। १० लाल लो || ॥ भावि० ॥ [ प्रन्थ सूची- पंचम माग 1 लाख लो | तशिका तोरण विशाल | जिन भावि ॥ ११ ॥ उत्सव होथि गावि माननी रे ॥ लाज सो ॥ बाजे ढोल मृदंग कंशल | जिन० ॥ नावि० प्रादर ब्रह्मसिंघ जी तरोरे ॥ लाल लो ॥ तहां प्रबंध रखो गुणमाल ॥ जिन० ॥ भावि० ॥ १२ ॥ संतत सतर पंचोतरि २ ।। लाल सो० ॥ प्रासो खुदि भीज रथि ॥ जिन० भावि० ॥ ए सोमलि गाय लिखि भावसु रे । लाल लो ॥ ते तह मंगलाचार | जिनदेवरे भावि जिन पद्मनाम जान्यो । १३॥ Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित j [ ४०७ इति श्री श्रेणिक महामंडलीक प्रबन्ध सपर्ण । अन्तिम. मनोहर मलसंघ दीपतो रे ।। लाल लो।। सरस्वती गछ शृगार || जिन भावि ।४।। पटोधर कुदकुद लोमतोरे ॥ लाल लो ॥ जिणि जलचर कीधा कुदहार ।।जिन. भावी० ॥५॥ अनुक्रमि सकल कीरतिह वरि ॥ साल लो० ।। श्री शान भूष सूभकाम ॥ जिन. भावि० ॥ ६॥ विजय कीरति विजय मुरी रे ।। लाल लो ।। तस पट शुभचंद्र देव ॥ जिन ।। भवि०॥ शुभ मिती सुमतिकीरति रे॥ लाल लो० ॥ श्री गूणकीरति कल मेव ।। जिन. भाथिका श्री वादि भूपण वादी जीयतो ।।लाल लो। रामकीरति गछ राय ।। जिन || भवि०॥ तस पर कमल दिवाकर रे।। लाल लो ।। जेनो जस बहु नरपति गाय || जिन० भाचिः ॥७॥ मकल विद्या तणे पारिध रे ।। लाल लो।। गछपति पननंदि राय ।। जिन || भावि०८| एसहू गछपति पदनमी रे || लाल लो। प्रशस्ति--स'बत् १८२८ का मासोत्तम मासे चत्रमासे कृष्णपक्षे तिथि प्रोदसी वार प्रहस्पतवार सूर्यपुरिमध्ये चंद्रप्रभ पत्यालये श्रेणिक पुराण संपूर्ण । श्री मूलस'चे वलात्कारगणे सरस्वतीगछ कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री नरेन्द्रकीति जी तत्प? भट्टारक श्री विसालकीर्ति जी तत्पट्टे भट्टारफ श्री राजेन्द्र कीत्ति तत्पट्टे भट्टारक श्री रलेन्द्रकीत्ति स्वहस्तेन लिपि कृते कम्मंशयार्थ पठनार्थ । ४१०६. प्रति सं०७। पत्र सं० १७१ । प्रा० १०४७ इश्य । लेकाल स. १६५६ । पूर्ण । देषन सं०४१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर श्री महावीर दी। ४१०७. श्रेणिकचरित्र--लिखमीदास । पत्र सं० ८५ । प्रा० ११ x ५१ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-चरित्र । १० काल' सं. १७४६ । ले०काल स. १९४१ । पुखं । वेषन सं० १२० । प्राप्ति स्थानमा दिन मंदिर अजमेर । ४१०८, प्रति सं०२। पत्र सं०६८ । आ. १२x६ इश्च । ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७० । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर करौली । Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०८ ] [ प्रन्थ सूचो-पंचम भाग ४१०६. प्रति स०३। पत्रसं० १०५ । ले० काल X । पुस । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन बड़ा पंचायसी मन्दिर डीग । ४११०. प्रतिसं०४ । पत्र सं० १०३ । आ० ६४५३ इन्च । ले. काल सं० १८६४ असोज सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (गेक) । ४१११. प्रति सं० ५। पत्र सं० ६७ । आ० १० x ५ इञ्च । ले. काल ४ । पूर्ण । बेष्ट्रन सं० २३६ । प्राप्ति स्थान ----दिल जैन मन्दिर दबलाना (चूदी)। ४११२. प्रति सं०६ । पत्र सं०५६ । या १२४५३ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ५२। प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ४११३. प्रतिसं०७। पत्र सं० १२१ : प्रा०६१x६३ इश्च । ले. काल सं० १८७६ आषाक सुदी २ । पूर्ण । येष्टन सं० ३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलबर । ४११४. प्रतिसं०८। पत्र सं० ६५ । आ० ११४५६ इन्छ । ले० काल सं० १८२२ प्र. सावण बुदी १ । पूर्ण । बे० सं ३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर बयाना। विशेष अन्तिम भाग।सोरठा--- देस बढाहर मांहि राजस्थान प्रांबावती । भूप प्रभाव दिपाहि राजसिंघ राज तिहा ।।११।। दोहा ता समीप सांगावती धन जन करि भरपूर । देवस्थल महिमा घणी मला ग्रहस्त सतुर 18२।। पंडित दशरथ सुभग सुत मदानन्द तसु नाम । ता उपदेश भाषा रची भविजन की विसराम ||३|| संवत सतरास कपर तेतीस ज्येष्ठ सुदी पक्ष । ' तिथि पंचम पूरण लही मङ्गलबार सुमन ।।६४|| ' फेर लिखि गुणचास में लखमीदास निज बोध । भुल्यो क्यो सबध कोड बुधजन लोज्यो सोधि ॥६५॥ इति श्रेणिक चरित्र संपूर्ण । बलिराम के पुत्र सालिगराम बोहरा ने बयाना में चन्द्रप्रभ रत्यालय में यह प्रथ ऋषि बसंत से हीरापुरी (हिंडौन) में लिखवाकर चढाया । सालिगराम के तेला के उद्यापनार्थ चढाया गया। ४११५. प्रति सं०.६ । पत्र सं० २६ । या० १२३४६, इश्च । ले. काल सं० १८८७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान---- दि. जैन पंचायती मन्दिर कामा । ४११६. प्रतिसं०१०। पत्र सं० १४८ । आ०५१४५३ इञ्च । ले० काल सं० १५०० माह बुदी ४ । पूरीं । वेष्टन स. ६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग ।। विशेष-प्रति गुटकाकार है । रचना पंडित दशरथ के पुत्र सदानन्द की प्रेरणा से की गई थी। Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ४०६ ४११७. प्रति सं० ११ । पप सं० १४४ । प्रा० १२४४ इञ्च । ले०काल सं० १८६० पूर्ण । वेष्टन सं०७६-८ । प्राप्ति स्थान .-दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा। ४११८. प्रति सं० १२। पत्रसं० १४२ । प्रा० ६४५ इञ्च । ले० काल सं० १८२६ पौष सुदी ११ । पूर्ण । वेगसं. ११६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मंदिर भादवा (राज.)। विशेष—कोठीग्राम में सुखानन्द ने प्रतिलिपि करवाई थी। ४११६. सगर चरित्र-दीक्षित देवदस । पत्रसं० १८ । प्रा० १२ x ८ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल X । लेकाल। पूर्ण । वेष्टन सं० १०६१ । प्राप्ति स्थान-म. दि जैन मन्दिर अजमेर । ४१२०. प्रति सं०२। पत्र सं०१० काल x पूर्ण । वेषन सं०१०१२। प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ४१२१. सीताचरित्र-रामचन्द्र (कवि बालक)। पत्र सं० १०५ । प्रा० १२४५. इन। भाषा--हिन्दी (पञ्च) । विषय -चरित्र । र० काल सं० १७१३ मङ्गसिर सुदी ५ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । ४१२२. प्रति सं० २। पत्रसं० १२४ । पा. १२४५३ इञ्च । से० काल सं.० १७४६ । पूरणं । वेष्टन सं०७१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी । विशेष सांगानेर में प्रतिलिपि की गई थी। ४१२३. प्रति सं०३ । पत्र म.११५ । मा०१२४८ इंच । ले० काल सं० १९२३ ज्येष्ठ सुदी ७ । पूर्ण । दे० स ० २३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । ४१२४. प्रति स० ४ । पत्र सं० १२६ । आ० १२४६ इंच.। ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मंदिर बर । ४१२५. प्रतिसं०५ । पत्रसं० १४७ । या० १०.४५३ ६च ।ले०काल सं० १८४१ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन साडेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष---.४६ वा पत्र नहीं है। ४१२६. प्रतिसं०६। पत्र सं० २३८ 1 प्रा०५४५. इंच । ले. काल सं० १७६० मंगमिर बुदी १४ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर भादवा (राज.) । ४१२७. प्रति स०७ । पत्र सं० २३८ । प्रा०६x६ इन। ले०काल सं० १७६० मंगसिर दी १४ । पूर्ण वेष्टन सं० ११४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मदिर भादवा (राज.) विशेष-जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी । ४१२८. प्रति सं० ८ । पत्रस० ११५ । लेकालX । पूर्ण। वेष्टन सं० ७१ ५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा । विशेष-सदासुख तेरापंथी ने प्रतिलिपि कराई थी। ४१२९. प्रति सं०१। पत्र सं० १६१ । प्रा० १२x६ इञ्च । खे०काल सं० १७५६ माघ सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं०६-२२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दौसा । Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१. ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग विशेष-दीपचन्द छीतरमल सोनी ने प्रारम पठनार्थ प्रतिलिपि कराई। ४१३०. प्रति सं०१०। पत्र सं० २६६ । पा० X ५३च । ले० काल X । पूरणं। वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीनानजी कामा । विशेष- प्रति जीर्ण है । गुटका साइज में हैं। ४१३१. प्रति सं० ११। पत्रसं०११-१२८ । या० ११:४ ५३ इन्च । ले० काल ४ । अपूर्ण । । बटन सं० २७५। प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष दोहा कियो ग्रथ रविप्रेरणनै रघुपुराग जियजान । व प्र सने कामोसमय-३ घर आन ॥३०॥ कहै चन्द कर जोर सीस नय अंत । सकल परभाव सदा चिरनन्दि जं। यह सीता की कथा सुन जो कान दे । गहै आप निज भाव सकल परदान थे ॥३१।। ४१३२. प्रति सं०१२१ पत्र सं० ६७ । प्रा० ११४५१ इन्च । ले० काल सं० १७७७ । वंशाख सुदी २ पूर्ण । वे० सं० ५। प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बयाना। विशेष • बयाना में प्रतिलिपि, की गई थी। ४१३३. प्रति सं०१३। पत्रसं० १६० । लेकालX । अपुर्ण । वेशन सं०१० । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर अयाना । ४१३४. प्रति सं०१४ । पत्र सं० १०६ । प्रा० १२३ ४ ५३ ५। लेकाल X । पुणं । वे० सं०६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मम्बिर बयाना । विशेष--लोक सं० २५०० । ४१३५. प्रति सं० १५ । पत्रसं० १६४ । लेकाल सं० १७८४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७२ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर पंचायत भरतपुर । विशेष ---गुटका साइज है तथा भांफरी में प्रतिलिपि हुई थी। ४१३६. प्रति सं० १६ । पत्र सं० १२८ । ले० काल सं० १८१६ । पूर्ण । बेहन सं० ५७३ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ४१३७. प्रति सं० १७ । पत्र स० १२६ । ले० काल सं० १८१४ । पूर्ण। वेष्टन सं० ५७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर भरतपुर । ४१३६. प्रति सं० १९ । पत्र सं०६७1 ले. काल सं०१८४६ । पुर। वेष्टन सं०५७५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४१३६. प्रति सं० १६ । पत्र सं० १९: 1 Esex७ इच। ले०काल सं० १८७७ प्रासीज बुदी १० । पुरण । वेष्टन सं०४८ । प्राप्ति स्थान–अग्रवाल दि. जैन पंचायती मदिर अलवर । Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ४११ ४१४०. प्रति सं० २०। पत्र सं० १०१..१३२ । प्रा० १ ४ ६ इंच । ले० काल स० १६२६ । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष – राजमहल में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। ४१४१. सुकुमालचरिउ-मुनि पूर्णभद्र (गुरगमन के शिष्य) । पत्र सं० ३७ । प्रा० ६४५ इश्व । भाषा-अपभ्रश । विषय - चरित्र । र० कालX । ले०काल सं० १६२२ भादना बुदी ५। पूर्ण । वेसन सं०७६ । प्राप्ति स्थान-मदारकीय दि० जनमन्दिर अजमेर । ४१४२. प्रति सं० २ । पत्र सं०४७ । मा० ६४५ इच । लेकाल XI पूर्ण । वेष्टन सं०६५६ । प्राप्ति स्थान-भ दि जैन मन्दिर अजमेर । ४१४३. प्रति सं० ३ । पत्र सं. ३९ । आ. ४६४४ इञ्च । लेकाल ।पूर्ण । बेष्टन सं० १२६ 1 प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दबलाना (दी)। विशेष-इसमें ६ संथियां हैं। लेखक प्रशस्ति वाला अन्तिम पत्र नहीं है। ४१४४, सुकुमालचरित-श्रीधर । पत्र सं० १-२१ । मा० ११४५ इंच । भाषा-अपभ्रंश । विषय-काय । र०काल X । ले० काल: । अपुर्ण । बोष्टन सं०१८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर तेरहपंधी दौसा । जीर्ण जीणं । ' विशेष प्रति प्रानान है। परम में से हैं। ४१४५. सुकुमालचरित्र-भ० सालकोत्ति । पत्र स० ४४ । मा० १२ ५५ च । भाषासंस्कृत | विषय --चरित्र । र०काल: । ले० काल स. १५३७ पौष सूदी १०। पूर्ण । वेष्टन स.१८९ | प्राप्ति स्थान-भ दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है- .. संवत् १५३७ वर्षे पौष सुदी १० मूलसंघे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छ कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री पधनंदिदेवा तत्प? भ. शुभचन्द्रश्या सस्पट्ट भ० जिनचन्द्रदेवा तत् शिष्य मुनि श्री जैनन्दि तदाम्नाये खंडेलवालान्वये श्रेष्ठि गोत्रे सं० वील्हा भाषेवी तत्पुत्राः सं० या पाच वादू भार्या इल्हु तत्पुत्र सा० गोल्हा बालिराज, भोजा, चोया, चापा, एतेषां मध्ये कालिराजेन इदं सुकुमाल स्वामी नथ लिखाप्यत । ५० प्रासयोग पटनार्थं निमित्त समर्पित । ४१४६. प्रति सं०२। पत्र सं० ४६ । मा० १०३४ ४ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषयचरित्र । २० काल X । ले. काल सं० १८२० चैत्र बुदी २ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थानमा दि. जैन मंदिर अजमेर । ४१४७. प्रति सं०३ । पत्र स ६६ । ले. काल सं० १७३१ । पूर्ण । वेष्टन स० ८३६ प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ४१४६. प्रति सं०४। पत्र सं० ४७ । पा.१२४५५ इश्श ! ले. काल X । अपूर्ण । श्रेष्टन सं. ६२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी। ४१४६, प्रतिसं०५ । पत्रसं० २० । प्रा० १०x४३ इञ्च । से काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. २१४। प्राप्ति स्थान-दि.जैन मन्दिर दबनाना (नदी) Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१२ ] [ प्रन्थ सुधी-पंचम भाग ४१५०. प्रति सं० ६ । पत्र सं० २३-४३ ! श्रा० १०४४३ इन्च । ले० काल सं० १७८७ सावरण बुदी ८ । अपूरणी । वेष्टन सं० ११३ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मंदिर दबलामा (बूदी) विशेष-लाखेरी ग्राम मध्ये... " ..") ४१५१. प्रतिसं०७। पत्र सं० १००। प्रा. १X४ इञ्च । ले० काल स. १५७८ वैशाख सुदी ४ । पूर्ण । वेटन सं० ६० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) विशेष-हरिनारायण ने प्रतिलिपि की थी। धर्ममूर्ति जैन धर्म प्रतिपालक साहजी सोलाल जी अजमेरा बासी टोडा का ने दुनी के आदिनाथ के मन्दिर में चढाया था । ४१५२. प्रतिसं० । पत्र सं० १४ । प्रा० ६१४४३ इंच । ले. काल सं० १८७६ भादवा बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर दूनी (टोंक) विशेष-हरीनारायन से सोहनलाल अजमेरा ने प्रतिलिपि करवाई थी पंडित श्री शिवजीराम तत् शिप्य सदासुखाव इंद पुस्तक लिख्यापित्तं । यजमेरा गोत्र साहजी श्री थी मनसारामजी सत्सुव साह शिवलालेन । ४१५३. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० ४८ । आ० ११ x ४ इन्च । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ५२। प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। विशेष-बिमलेन्द्रकीतिदेव ने लिखाया था। ४१५४. प्रति सं०.१०। पत्र सं० १६ । प्रा० ११ x ५ इञ्च । ले० काल सं० १६०६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६-१२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । विशेष-दो प्रतियों का मिश्रण है । संवत् १६०६ वर्षे माघ शुक्लपक्षे पंचभ्यां तिथौ मुरुवासरे श्री मूलसवे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगरणे कुदादा....."शयाथ लिम्वाप्प दत्त । ब्रह्म ' दत्त आचार्य श्री हेपकीति तत् शिष्य ब्रह्म मेघराज प्रेमी शुभ भवत । लि. धर्मदास लिम्नापितं महात्मा लिखमीचन्द नाथूजी मुत खरतर गच्छे । ४१५५. प्रति सं० ११ । पत्रसं० ६७ । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २२४-४४ प्राप्ति स्थान-- भट्टारकीय दि० जैन समवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति प्राचीन किन्तु जीर्ण है। ४१५६. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ५४ । ले० काल स० १५८७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०:४२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन सम्भवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष—प्रन्याग्रन्थ स. ११०० है । प्रशस्ति-रावत् १५८७ बर्षे भादवा सुदी १० भृगौ अद्ये ह देलुलिग्राम वास्तव्ये मेदपाट ज्ञातीय शवदोसन लिखिता।. बाद में लिखा हुआ हैं श्री मूलमधे म० श्री. शुभचन्द्र तत् शिध्य मुनि बीरचन्द्र पठनार्थ । स० १६४१ वर्षे माहनुदी १ शनी भट्टारक श्री गुगणकीति उपदेशात्.""। Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] [ ४१३ ४१५७. प्रति सं० १३ पत्रसं० ५६ ० १०३ X ४३ एच ० कान X पूर्ण वेष्टन[सं०] ११२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर उदयपुर । । ४१५८. प्रति सं० १४ पत्रसं० ४४ ० १२X४३ इञ्च । जे० काल X पूर्ण । । वेष्टन [सं० २२५ प्राप्ति स्थान दि० जैन वाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-- नवम सर्गे तक पूर्ण है । अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है- भट्टारक यी सकलकीर्ति निरचिते याचार्य श्री विमलकीति तत् शिष्य ब्रह्म गोपाल पठनार्थ । शुभं भवतु । ४१५९. प्रति सं० १५ । पत्र सं० ३९ सं० २०८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मान मन्दिर उदयपुर । ० १०३ X ४१ इन्च लेकास X पू बेष्टम ४१६०. सुकुमाल चरित्र - नाथूराम दोसी । पत्रसं० ६१ भाषा - हिन्दी (गद्य) | विषय - चरित्र । र० काल सं० १९९८ । ले० काल प्राप्ति स्थान दि० जैन मंडेलवाल मंदिर उदयपुर । ४१६१. प्रति सं० २ । ०७१ ० १० ० X पुस्से वेस्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ४१६२. प्रतिसं० ३ पत्र सं०७२ मा १३ x वेष्टन सं० १०२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा । ०काल सं० १९५६ पु । - ४१६६. सुकुमाल चरित्र धवनिका -- X हिन्दी एव विषयचरिष। १० काल X ० दि० जैन मंदिर श्री महावीर बूंदी x ४१६३. सुकुमाल चरित्र भाषा -- गोकल गोलापूर्व । पत्र सं० ५२ । प्रा० ११४५१ इव | भाषा - हिन्दी गद्य विषय-चरित्र २० काल सं० १८७१ कार्तिक ख़ुदी १ ले०काल सं० १६३८ पूर्ण वेष्टन सं० ८७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी विशेष-प्रतिम पुष्पिका ० १३३ X ४ इञ्च । पूणं । वेष्टन सं० १२१ । इहि प्रकार इह्नि शास्त्र की भाषा का संशेष रूप मंद बुद्धि के अनुसार गोलाव गोकल ने की। ४१६४ प्रतिसं० २ । पत्र संख्या ६३ पा० ११ X ७३ ले काल X पूतं वेष्टन सं० १७० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ४१६५ प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ४५ । ग्रा० १३ x ७ इव । ले० काल सं० १३५७ | पूर्ण । वेष्टन सं० १९ । प्राप्ति स्थान — दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर नररावा । पत्र संख्या ७२ x पूर्ण बेष्ट X ४१६७. सुकुमा चरित्र वचनिका हिन्दी (गद्य) | विषय - चरित्र । र० काल x (ले० काल सं प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेरं । विशेध चन्द्रापुरी में प्रतिलिपि हुई थी। १३४५ इंच | भाषा बा० संख्या १२४ प्राप्ति स्थान -- I पत्र । व सं० ७७ श्र १० ४७ १६५५ ग्रासोज बुदी ७ पूर्णं । भाषा० १२७२ । Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ४१६८. सुकुमाल चरित्र भाषा-४ । पत्रसं० ६२ । भाषा - हिन्दी । विषय-जीवन चरित्र । २० कालx | लेकाल सं० १९५३ । पूर्ण। बेष्टन सं० ५५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। ४१६६. सुकुमाल धरिश भाषा--- । पत्रसं० ६० 1 भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र । २० काल X । ले० साल | पूर्ण । वेष्टन सं० ११७१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर हण्डालालों का, डीग । ४१७०. सुकुमाल चरित्र-X । पसं० ५३ । प्रा०१२४५३ इञ्च | भाषा-संस्कृल । विषयचरित्र ! २काल ४ लें काल णं ! देनस ३२७ । प्राप्तिस्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर नजमेर। ४१७१. सुकुमाल चरित्र-४ (पत्रसं० ११ । आ० १०३४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषयचरिन । २० काल X । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान–वि. जैन अप्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-...११ से आगे के पत्र नहीं है। ४१७२. सुकुमाल चरित्र-X । पत्र सं० ६२ । प्रा. ११४५1 भाषा-सस्कृत । विषयचरित्र । र० काल X । ले०काल X । वेष्टन सं० २०१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ४१७३. सुकुमाल चरित्र... ४ । पत्र सं० ४६ । प्रा. ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-रित्र । २० काल Xले काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० १३७ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती मन्दिर करौली । ४१७४. सुकुमाल चरित्र - म० यशःकीति । पत्र सं० ५८ । प्रा. ११४७ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय -चरित्र । २० काल ४ । ले. काल सं० १८८५ मंगसिर सुदी ५ रविवार । पूर्ण । बेष्टन संग ४२६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । मुनिस्वर नागचन्द्र वत्सर में मार्गसिर शुक्ल मास । पंचमी रविवार सुयोगे पर्ण ग्रन्य करयोभास । विद्यमान नहीं मुललेश कविस्व कला माहि मान । स्वपर जीवलणे हित कारणे करयो प्रबंध बखान । गधनायक भये तपस्वी ज्ञानसना भण्डार । यशकीर्ति ए कया प्रबंध वर्णम कहह्यो हितकार ॥ x मैदपाट वर देशपति ये नगर सल बर सार । उत्तम वरण बस तिहां श्रावक पाले श्रावकाचार । वृहत् न्यात नागदा हुमड गुरुमुखी श्रावक बेह। धर्म दिगम्बर पाले उत्तम दान पा करे तेह । आदिनाथ जिन मन्दिर सोहैं तहां रहे सुखै नीबारा । सकल संघ नो आदर जानि चरित्र कहयो उल्लास । सावला ग्राम में प्रतिलिपि हई थी। Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित [ ४१५ ४१७५. सुखनिधान - जगन्नाथ पत्र सं० ४४ 1 आ० १०३४४ ३ इश्व | भाषा-संस्कृत विषय-काव्य २० काल x ० काल सं० १७९७ पूर्ण वेष्टन सं०६६२ प्राप्ति स्थानमारकीय दि० जैन मन्दिर मेर ४१७६. सुदंसण चरिउ नयनन्दि । पत्र सं० १-६६-१०६ ॥ श्र० १० २x४१ इव । भाषाअपभ्रंश | विषय - चरित्र । २० काल से ११०० । ले० काल X | अपूर्ण । वेष्टन सं० २६० प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । I ↓ ४१७७. सुदर्शन चरिषभ सकलकांति । १०२४१ २० काल x | ले० काल सं० १६७२ चैत सुदी ३ संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । । ४१७८. प्रति सं० २ वेष्टन सं० २५० प्राधि स्थान I भाषा --- संस्कृत विषय चरित्र २६०/४१ प्राप्ति स्थान प्रशस्ति संवत् १९७२ वर्षे सुदी भौमे भी मूलसंगे सरस्वतीगच्छे बलात्कारमये कुन्दकुन्दाचार्याव भट्टारक गुणकीतिदेव तत् भ० वादिभूषणदेव तरट्टे भ० थी रत्नकीविदेवा प्राचार्य श्री जयकीदि तत् शिप्य ब्रह्म श्री समराजाय गिरिपुर वास्तव्य पट्टयाच्छा मार्या सुजादे तयो पुत्र पं० काहानजी भार्या कसुबदे ताभ्यां दर्शनचरित्र स्वाभाव कर्माथार्थ व - ० ११४ अपूर्ण ४१७६ प्रतिसं० ३ । २२६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ नौगान बूंदी । । सं० पत्रसं० ३३-४४१ श्रा० ११४५ इञ्च । ले० काल X | पूर्ण 1 दि०जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ०६३ ३ ० ११४५ इश्व | ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ४१८०. सुदर्शन चरित्र - मुमु विद्यानंन्दि पत्र सं०७३ । संस्कृत विषय बरित्र । १० काल X ले० काल सं० १६२५ चैत्र शुक्ला | - । प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर | ४१८१ प्रतिसं० २ । पत्रसं० ७७ । प्रा० १०x४ इंच ले० काल सं० १८७३ | पूर्ण | वेष्टन सं० १२५ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी। विशेष वृंदावती नगर में श्री नेमिनाथ चवालय में श्री डूंगरसी के शिष्य गुना मे प्रतिलिपि की थी। ०९८५ च भाषा पूर्ण वेष्टन सं० ८२ ॥ ४१८२. प्रति सं० ३ पत्र सं० १२५० ११३४५इन्छ । ले०काल x । नेन सं० ७५० पूर्ण प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर MA ४१८३. सुदर्शनचरित्र दीक्षित देवदत्त (जैनेन्द्रपुरात ) । पत्र सं० १०५ | भाषा-संस्कृति । विषम चरित्र । २० काल X ० काल X। पूर्ख। वेष्ट सं० २३५ प्राप्ति स्थान दि०जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । इति श्रीमन्मुख दिव्य मुनि श्री केशवनंद्यनुक्रमे श्री भट्टारक कविभूषण पट्टाभरण श्री ब्रह्मर्ष सागरात्मजश्री भ० मिन्द्रण उपदेशात् श्रीदीक्षित देवदत्त कृते श्रीमखिनेन्द्र पुराणान्तर्गत श्रीपवनम स्कार फलव्याय श्री सुदर्शन मुनि मोक्ष प्राप्ति मनो नाम एकादशोधिकारः । ४१६४. प्रति सं० २०८७० काल सं० १६४० साख सुदी १० पूर्ण वेष्टन ५० २३१ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ४१८५. सुदर्शन चरित्र-० नेमिदत्त । पत्र सं० ७६ । पा. १०३४ ५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय...-चरित्र ।र०काल X । से०काल X । पूर्ण | वेष्टन सं० ६६२ प्राप्ति स्थान-भा दि० जैन मन्दिर अजमेर । ४१८६. प्रति सं०२। पत्र सं० ६३ । आ०११:४५ इञ्च । ले०काल सं० १६०५ भादवा सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं०-२३५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा) विशेष—इदं पुस्तकं ज्ञानावरणी कर्मक्षयार्थं पुस्तकं श्री जिनमन्दिर चहोडित रामचन्द्र सुत भवानीराम अजमेरा वास्तव्य बू'दी का गोठड़ा अनार सुखपूर्वक इन्द्रगढ़ वास्तव्यं । ४१८७. प्रति सं०३। पत्र सं. ८८ । प्रा० १०४४। ले०काल सं० १६१६ भादवा सूदी १२ । वेष्टन सं० २०५। प्राप्ति स्थान—दि जैन मं० लएकर, जयपुर । विशेष-प्रशस्ति अच्छी है। ४१८८. सुदर्शनचरित्र भाषा–पशः कीर्ति । पत्रसं० २८ 1 प्रा० १०३४८ इञ्च । भाषा-- हिन्दी (पद्य) । र० काल सं० १६६३ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २८५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष- प्रारंभ प्रथम सुमरि जिनराय महीतल सुरासुर नाग खग । भव भव पातिक जाय, सिद्ध सुभति साहस' बर्ड ।।१।। रोहा। इन्द्र चन्द्र पौ चक्कवै हरि हलहर फमिनाह । तेज पार न लहि सके जिनगुण अगम अथाह ।।२।। चौपई-- सुमरी सारद जिनवर वानि, करी प्रणाम जोरिकरि पान । मूरख सुमरै पंडित होय, पाप पंक कहि घातै सोय ।।३।। जो कवि ऋवित कहै पुरान, ते मानेहि सो देव की प्रानि । प्रथम सुमरि सारय मन पर, तो कछु कवित बुद्धि को परं ॥४॥ हसचडी. कर वीमा जासू, सिद्ध बुद्धि लघु जान्यौ तासू । मुक्तामनि मई मांग संवारि, कग्यो सूरज किरन पसारि ।।५।। धवनहि कुडल रतननि खचे, नौनिधि सकति प्रापनी रचे । छटेखरा कंठ कठ सिरी, विना सकति प्रापनी परी ।।६।। उजलहार अनुपम हिये, विधना कहै तिसोई किये । पा नूपर उजल तन चीर, कनक कांति मय दिपं शरीर ।।७।। सोरठा--- ... विद्या और भंडार जो मांगे सो पावही । कित पायौ संसार जायहि बर तेरो नहीं ||८|| दोहा-: मन वच क्रम गुरू चरण नमि परहित उदति जे सार । करह समति जैनंदको होइ कवित्त विस्तार । Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काव्य एवं चरित ] चौपई गुरू गौतम गणघरदे आदि, द्वादशांग अमृत भास्याद । सुमति गुप्त पालन तप धीर, ते बंदी जो ज्ञान गम्भीर ॥१०॥ गणधर पदपावन मुरणकंद, मट्टारक जसकीत्ति मुनिन्द । तापर प्रगट पहुमि जग जासु, लीला किबो भीन को वास ॥११॥ नाम सुखेमकीर्ति मुनिराह, जाके नामु दुरित हरि जाय । ताहि पत श्रुत सागर पारण, त्रिभुवनकीति कीर्ति विस्तार ॥१२॥ ताहि समीप सुमति कछु लही, उत्तम बुद्धि मेरे मन भई । नैनानन्द प्रादि जो कही, तसी विधि बांची चौपई ॥१३॥ असिम पाठसोरठा- छंद भेद पद भेद हो तो कह जान नहीं। साको कियो न खेद, करम निज मस्तिस itori दोहा अगम प्रागरो पवरूपुर उठ कोह प्रसाद । तरे तरङ्गि नदी बहे नीर अमी सम स्वाद ॥१६॥ चौपई भाषा भाउ भली जहि रीत, जानै बहुत गुरणी सौ प्रीत । नागर नगर लोग सब सुखी, परपीडा कारन सब दुखी ॥२००। धन कर पूरन तुग प्रवास, सबहि नि:सेक धर्म के दास । छवाधीस हमाल वंरा, अकबर नन्दन बैर विध्वंस ॥१॥ तखत बखत पूरो परचंड, सूर नर नृप मानहि सब दंड । नाग काम गुन प्रायु वियोग, रचि पचि ग्रायु विधाता योग ॥२॥ जहांगिर उसमा बोजे काहि, श्री सुलतान दीस साहि । कोस देस मन्त्री मति गूह, छत्र चमर सिंघासन रूद्ध ॥३॥ कर असीस प्रजा सब ताहि वरन कहा इति मति प्राहि । संवत सोलहस उपरत, सहि जानहु बरस महंत ॥२०४।। सोरठा- माघ उजारी पाख, पुरवासूर दिन पञ्चमी । बंध चौपई भाषा, नही सत्य सासरती ॥२०५।। वोहा- कथा सुदर्शन सेठ की परे सूने जो कोय । पहिले पावै देव पद पाछे सिवपुर होय ॥२०६१) इति सुदर्शन चरित्र भाषा संपूर्णम् ४१८९. सुभाहु चरित्र-पुण्यसागर । पत्र सं० ५। पा. १00X४३ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-चरित्र । २० काल सं० १६७४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३७ । प्राप्ति स्थान-म. दि. जैन मन्दिर अजमेर । Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भागः विशेष-अन्तिम संवत सोल चडोतर वरसइ बेसलमेर नयर सुभ दिवसद । श्रीजिन हंस सुरि गुरु सीसइ पुन्यसागर उवाय जगासइ।। श्री जिन माशिक सूरि प्रादेसह सुबाहु चरित्र भरणीउ सब लसई । पास पसाइए हरिषि घुणतां रिधि सिधि थाउ नितु भरणतां ।। ॥ इति सुबाहु वरिम सपूर्णम् ॥ ४१६०. सूभौम चरित्र-रश्नचन्द्र । पत्रसं० ५६ । श्रा० ११ x ४२ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषम-चरित्र । र०काल सं. १६८३ भादवा सुदी ५ । लेकालx | पुणे । वेटन सं०२४६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ४१६१. प्रति सं० २। पत्र सं० २६ । प्रा० १२३४६ इञ्च । ले. काल सं० १५३८ ज्ये सुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ४१६२. सुलोचना परिमादि : पसं. ८; ११४५ इच । भाषा संस्कृत । विषय-चरित्र । र० काल x 1 ले०काल सं० १७६५ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३७ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) । ४१६३. सुषेण चरित्र ४ । पत्र सं० ४४ । ना० १०४६१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयचरित्र । र० काल X । ले०काल १६०६ ग्राषाढ मुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन मंदिर गागदी दी। विशेष-कोटा में लिखा गया था ४१६४. संभवजिन चरिउ--तेजपाल । पत्रसं० ३२से ५१ । भाषा अपभ्रश । विषय-- चरित्र । रत्काल XI ले. काल.X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान—दि जैन बडा पंचायती मन्दिर डीग। ४१६५. इनमच्चरित्र.- अजित। पत्रसं० १४ | ०१०:४४! इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय - चरित्र । र०काल ४ । लेकास सं० १६०४ पौष सुदी ११ । पूर्ण विष्टनसं० ८ ! प्राप्ति स्थान --दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष-टोडागड़ में रामचन्द्र के शासन काल में प्रतिलिपि हुई थी। ४१६६. प्रति सं० २१ पत्र सं०७४ । आ० १३४५. इञ्च । ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा ! ४१६७. प्रति सं० ३ । पत्रसं० १०६ । ले० काल X । पूर्ण ।बेष्टन सं० २३३ । प्राप्ति स्थान दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । . . ४१९८. प्रतिसं०४ । पत्रसं० ८३ । प्रा० १२४ ५ इञ्च । ले० काल १६१७ पौष बुदी ६ । पूर्ण । थेष्टन सं० १२६ ! प्राप्ति.स्थान- दि० जन, मादिर बोरसली कोटा । ....... विशेष--फागुईं वास्तव्ये कंबर श्री चन्द्रसोलि राज्य प्रवर्तमाने शांतिनाथ चैत्यालय खण्डेलवालान्वये प्रजभेरा नात्र संधी सरन क बंशजों ने प्रतिलिपि की थी। !... . . . .. ... Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काय एवं अरित । [ ४१६ ४१६६. प्रतिसं० ५। पत्र सं० ६५ । पा. १०६४४१ । ले० कालसं० १६१ प्राषाढ बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्तिस्थान--- दि जैन मंदिर लशकर, जयपुर । विशेष.-अलवर मह में लिपि की गई थी। ४२००. प्रतिसं० ६ । पत्र सं०७५ । प्रा. १३४ ६१ इञ्च । ले० काल सं. १८१७ बैशाख सुदी १० 1 पूर्ण : मेगा सं० २१:१६ । शान्ति स्थान--दि० जैन मौगानी मन्दिर करौली । विशेष-कल्याणपुरी (करौली) में चन्दप्रम के मन्दिर में लालचन्द के पुत्र खुधालचन्द ने प्रतिलिपि की थी। ४२०१. प्रति सं०७ । पत्र सं० १४ । प्रा० १२६४५ इञ्च । लेकाल सं० १६३७ । पूर्ण । वेष्टनसं० १११ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन साण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ४२०२. प्रति सं०८ । पत्र स० ४-३६ । ले०काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० ५४/३८ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन सभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष प्रति प्राचीन है। ४२०३. हनुमच्चरित्र--अ० जिनदास । पत्रसं० ४१ । ग्रा० १२३४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय- चरित्र 1 र०काल ४ काल सं०१५१२। पूर्ण । बेष्टन सं० २६७ । प्राप्ति स्थानदि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ४२०४. हनुमान चरिका-अ. शानसागर । पत्रसं० ३५ । आ० १०४४ इंच । भाषाहिन्दी। विषय - चरित्र । र०काल स. १६३० यासोज सुदी। ले० कान सं० १६४६ । पूर्ण। वेष्टन सं. १८५/४० 1 प्राप्ति स्थान--सभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति जीणं है रचना का अंतिम भाग निम्न प्रकार है श्री ज्ञानसागर ब्रह्म उचरि हनमंत गुमराह अपार । कर जोडी करि वीनती स्वामी देज्यो गुग्ण सार ।। सम्बत् सोलत्रीस वर्षे अश्वनीमास मंझार । शुक्ल पक्ष पंचमी दिन नगर पालुवा सार । शीतलनाथ भुवन रच्यु' रात भलू मनोहार । श्री राघ गिरुउ गुणनिलु स्वामी संल' करयु जयकार । हुँबड न्याति गुनिल साह अकाकुल भाग । अपरादेउ घर ऊपन उ श्री ज्ञानसागर ब्रह्म सुजाण । इससे आगे के अक्षर मिट गये हैं। ४२०५. हनुमच्चरित्र--यशःकीति । पत्र सं० १११ । भषा-हिन्दी पद्य । विषय-चरित्र । २० काल सं० १८१७ । ले. काल x 1 पूर्ख । वेधनसं० ४०५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर कोटडियों काढूंगरपुर । ४२०६. हनुमान चरित्र--X पत्रसं० ११० । भाषा-सस्कृत । विषय-चरित्र । २० काल xले०काल' X । अपूर्ण । वेष्टनसं० ५५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक)। Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२० ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ४२०७. हरिश्चन्द्र चौपई-कनक सुन्दर पक्ष सं० १२ भाषा हिन्दी विषय परिण २० काल X | ले० काल x | पूर्ण वेष्टन सं० ६४६ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष – हरिश्चन्द्र राजा ऋषि राशी वाय लोचनी चरित्रे तृतीय खंड पूर्ण । ४२०८. होली चरित - पं० जिनदास सं० २१० ११३ x ३ संस्कृत विषय भरित २०काल सं० १६०० से० काल सं० २०१४ ज्येष्ठ सुदी ३ सं० ५१४ प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-प्रजबगढ़ मध्ये लिखितं प्रा० राजकीर्ति पठनार्थं नि० सवाईराम । ४२०८. प्रति सं० २० ४० ६६इ १३ पूर्ण वेष्टन सं० ६७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) I विशेष – अजमेर में लिखा गया पौ ४२१०. होलिका चरित्र - X विषय-चरित १० काल X ] ले० काल X चौगान बूंदी भाषापूर्ण नेष्टन पत्र सं० ३ ० | | वे० सं० १६१ पूर्ण ले० काल सं० २०४६ ने सुबी ६ । । X ६३६ भाषा-संस्कृत प्राप्ति स्थान दि० न पार्श्वनाथ Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय - कथा साहित्य २२२.०० १४ x ४ - संस्कृत विषय कथा र०काल X से हाल सं० १४६६ मा सु ११ रविवार अपूर्ण १२६ प्राप्ति स्थान दि० प्रेम मंदिर दीवानगी कामा । ४२१२. अठारहाते का चौटालिया साहू लोहट भाषा हिन्दी विषय-कथा २० का १८ वीं शताब्दि ले०का स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । - ४३१३. श्रठारह नाते की कथा – देवालाल । पत्रसं० ४ । प्रा० ११५ x ५ इव । भाषा - हिन्दी (०) विषय कथा र० काल X ते० काल X। पू वेष्टनसं० ४४७ प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर सश्कर जयपुर 1 ४२१४. अठारह नाते की कथा श्रीवंत संस्कृत विषय कथा र०काल x वे० काल x पूर्ण संभवनाथ त्रि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष अंतिम पुष्पिका इति श्रीमद्वर्माश्यति तधिय श्रीवंत विरचिता भ्रष्टादश परस्पर सम्बच्च कमा समाप्त । पत्रसं० २०१०४५। X पूर्ण बेहत सं० १५६६ प्राप्ति ४२१५. अनन्तचतुर्दशीवतकथा - बुशालचन्द भाषा - हिन्दी (पद्य) विषयकमा २० काश X ले० कास X स्थान – दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा । ४२१६. प्रतिसं० २० प्रा० ११५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। पत्र [सं० ५ ० ११ X ४ इन्च भाषावेष्टन सं० २०६ / १०५ प्राप्ति स्थान - पत्र [सं० ७ पूर्ण विशेष- भाद्रपद सुदी १४ को अनन्त चतुर्दशी के व्रत रखने के महात्म्य की कथा । भाषावेष्टन सं० I । प्रा० ११४४ इछ । वेष्टन सं०] १८-२ प्राप्ति ० काल x पूर्ण वेष्टन सं००७ । ४२१७. अनन्त चतुर्दशीव्रतकथा - X पत्रसं० ५ ० १४४३ इश्व (पद्य) विषय कथा १० का X ले० काल सं० १८२१ पौष बुदी ५ पूर्ण | प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । I ४२१८. अनंतव्रतकथा- भ० पदानन्दि पत्र० ६ विषय कथा २० काल X ले काल X पूर्ण वेष्टन सं० २४ आदिनाथ बूंदी | ४२१६. प्रतिसं० २ ० १ ० काल x पूछें बेटन सं० २३ प्राप्ति स्थानदि० जंग रही मन्दिर बनवा । भाषा - हिन्दी देन सं० १५१६ । ० ११०४ । माषा-संस्कृत । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर । भाषा संस्कृत । ४२२०. अनन्तव्रतकथा -- x 1 पत्र सं० ४ ० १२ x x विषय कथा २० काल X ले०का स० १८८१ सावा युदी १२ पूर्ण पेन सं० १५२६ प्राप्ति स्थान- मट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर। Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२२ ] [ ग्रन्थ सूची पंचम भाग - ४२२१. अनन्तयतकथा-मानसागर । पचलं. ४ । प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-कथा । २०काल.X 1 ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं० १११ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मंदिर बयामा। ' विशेष---ऋषि खुशालचन्द ने प्रतिलिगि की थी। ४२२२, अनन्तव्रतकथा ब्र० शतसागर। पत्र सं०४ । प्रा० ११:४५ इञ्च । भाषा--- संस्कृत । विषय-कथा । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण वेटन सं०२३६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ४२२३. अनिरुद्धहरण (उषाहरण)-रतभूषरा सूरि । पत्र सं० ३२ । प्रा० ११४४३ इन् । भारदिपी। विपर-का। .. ! रो. सं. १६६६ । पूर्ण । वेष्टन x। प्राप्ति स्थान-दि० जन स भवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष—पादि अंत भाग निम्न प्रकार हैंप्रारंभ--दूहा परम प्रतापी परमत् परमेश्वर स्वरूप । परमठाय को लहीजे अकल प्रक्ष अरूप । सारदादेवी सुन्दरी सारदा रोहन नाम । धीजिनवर मुन्न धी उपनी अनोपम उमे उत्तमा ठाम ।। अण " नत्र कोडि जो मुनिवर प्रान महंत । तेह तणा चरण कमल नम जेहता गुण छ अनंत । देव सरस्वती गुरु नगी कहूँ एक कथा विनोद । भचियरग जन सहुँ साभलो निज मन धरी प्रमोद । उषा हरण जंजन कहि जे मिथ्याती लोक । अणिमधि हरिकारि ग्रागयो तहती वचन ए फोक ।। 'शुद्ध पुराण जोह करी कया एक एक सार । भबियण जन सह सांभलो अभिरुचि हरेरण विचार॥ बात कथा सङ्गु परहरो परहरी काज निकाम ।। 'गह का रस सांभलो चित्त घरो एक ठाम ।।५।। मध्यमाग-- ऊपी बोलि मंबरी बारिण, सामल सखी सुसुम्बनी खाण । लखी लिखी तु देखाडि सोक, ताहरी म सायति सघली फोक ॥१७॥ परे जिन वीस तणा जे बंश अनि बीजा रूप लख्या परसस 1 भमि गोचरी केस रूप नगमि तेहनि एक सरूपः ॥५८।। द्वारावती नगरी को ईस जेनि बहुजन नामि सीस । वजय विक्षात, नेमीश्वर केरो ते तात ॥५६॥ एहं प्रावि हरिवंशी जेह कपटि लिख्या पांडवना देह ।। संह माही को तेहानि नबिगमि, लली तुकामुमति नमी ।।६०॥ . Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४२३ मरासिंघ केरो सुत युवा, अनि जो अजोउ ते ते नवा । रूप लखी देज्या ज्या तास केहि सहयी नवि पोहचि प्रास । मसुदेव केरा सुन्दरपुत्र, जिणे घर राख्या धरना सत्र । सून्दर नारायण विराम रूप देखाग्या ते अभिराम ।।६।। मन्तिमश्री गिरनारि पाडियो सिद्ध तरशु पद सार । सुख अनंता भोगवे अकल अनंत अपार ।।१।। उषा थि मा चितम्यू' ए संसार असार । घडी एक करि मोकली लीधो संयम भार ।।२।। लिग छेदु नारी तण, स्वगिहिरा सुरदेव।। देव देवी क्रीडा था करि पूजी श्री जिनदेव ।।३।। अशिस्थ हरणज सांभलो एक चित्तसह अाज । जिनपुराण जोई रब्यु जिची सरि बहुकाज ।।४।। श्री जानभुषण ज्ञानी नमुजे ज्ञान सणो भंडार । तेह तणा मुख उपदेश थी रच्यो अरिणरुवहरण विचार 1५11 सुमतिकीरति मुनिवर नमुजे बहुजननि हितकार । मास तत्व नित चितवि जिन शासन शृगार ॥६॥ दक्षिण देशा नो गद्धपति श्री धर्मचन्द्र यति राय । नेहणा चरण कमलन की कथा कही जदुराय ।७।। देय सरस्वती गुरुनमी कहुं अरिणरुष हरण विचार । रत्नभूसरण सुरिवर कहि श्री जिन शासन सार ॥६॥ करि जोडी कहूं एटलु तव गुरगश्वो मुझ देव ।। विजू कामि मांगु नहीं भवे भने तुम्हारा पद सेव ।।६।। रचना इ बहुरस कहु या सांभलो सहुजनसार । श्री रत्नभूषण सूरीसर कहि बस्तो तम्ह जयकार ॥१०॥ इति श्री अनिरुध हरण श्री रत्नभूषा सूरि बिरजित समाप्त प्रशस्ति संवत् १८१६ वर्षे भादवा सुदी २ भोमे सेगला ग्राम श्री प्रदीपवर चैत्यालये श्री मूलसंघे सरस्वती गच्छे बलात्कारगणे कुदकुदाचर्यान्वये भट्टारका श्री सकलकीयान्वये भट्टारक श्री वाविभूषण तत्प? भट्टावा श्री रामकीति तपट्टे भट्टारक पमनंदि वेदा सद्गुरू भ्राता मुनि श्री मुनिचन्द्र तव शिष्य मुनि श्री नानचन्द्र तत् शिष्य परिण लाधाजीना लिखित । शुभं भवतु । ४२२४. अनिरुवहरण कथा-७० जयसागर । पत्रसं० ४६ । प्रा०६३४४ इञ्च । भाषा-- हिन्दी । विषय-कथा । २० काल स. १७३२ । ले काल सं० १७९६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४६ ४६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष-अंतिम भाग निम्न प्रकार है। Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 424 ४२४ । [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग अनिरुध स्वामी सुगतिगामी कीबू तेह अखाण जी। भवियरण जन जे भावे भरणरो पामे सुख खाण जे ।।१।। अल्प थत हैं काहन जाण देज्यो मुझ ने शानजी । पूर्ण सूरि उपदेशे कीधो भनिरुध हरण सरधानजी ।।। कविजन दोष मां मुझते दीज्यो कहूँ हूँ कि मान जी। होनाधिक जे एहा होये सोधज्यो सावधानजी ॥३॥ मूलसंघ मां सरस्वती गच्छे विद्यानंद मुनेंदजी । तस पट्टे गोर मल्लिभूपरण दोडे होय अनदजी ।।४।। लक्ष्मीचन्द्र मुनि श्रुत मोहन वीर चन्द्र तस पाटेजी। ज्ञानभूषण गोर गौतम सरिखो सोहे वंश ललाट जी । प्रभाचन्द तस पाटे प्रगटथो हुँबड चागी विडिल विक्षात जी । वादिचन्द्र तल अनुक्रम सोहे वादिचन्द्रमा क्षात जी ।।। तेह पाटे महीचन्द्र भट्टारक दीठे नर मन मोहे जौ । गोर महिचन्द्र शिष्य एम बोले जयसागर ब्रह्मचारजी। अनिरुध नामजे नित्य जपे तेह पर जयजयकार जी। हांसोटे सिंहपुरा शुभ ज्ञाते लिख्यू पत्र विशाल जी। जीवर कीतातणे वचने रचियो जू ये हाले जी ॥२॥ दूहः -अनिरुध हरराज मैं करयु दुःख हरण ऐसार । सांभला सुख उपजे कहे जयसागर ब्रह्मचारजी ।। इति थी मटारक महीचन्द्र शिष्य ब्रह्म थी जयसागर विरचिते अनिरुद्धहरणाख्यानो अनिरुद्ध मुक्ति गमन धरणं नो नाम चतुर्थोऽधिकार संपूर्णमस्तु । ___ संवत् १७६६ मा वर्षे श्रावणमासोत्तम मासे शुभकारि शुक्लपक्षे द्वितीया भृगुवारारे श्री परतापपुर नगरे हुँबड ज्ञातीय लघु शाखायां साह श्री मेघजी तस्थात्मज साह दयालजी स्वहस्तेन लिखितमिदं पुस्तकं ज्ञानावर्णी क्षयार्थ । ४२२५, प्रतिसं०२ । पत्र सं० २७ । ले० काल सं० १७६० चैत बुदी १ पूर्ण । वेष्टन सं. २५०/६६ । प्राप्ति स्थान - संभवनाथ दि जैन मन्दिर उदयपुर । ४२२६. प्रति सं०३ । पत्र सं० ३६ । प्रा० ११४४ इच । मे०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३३१1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरमली कोटा । ४२२७. अपराजित प्रथ (गौरी महेश्वर वार्ता)। पत्र सं० २ । भाषा- संस्कृत । विषयसंवाद । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३८/३६२ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर । ४२२८. अभयकुमार कथा--X । पत्र सं०६ । आ० १०४७ इच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कथा । र० काल X । ले. काल x | पूर्ण । बेष्टनस० ० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी बूदी । Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४२५ अन्तिम-अभयकुमार तजी कथा पढि है सूणि जो जीय । भादिक मुग्य भोगि के शिवसुख लहै सदीव । इति अभयकुमार कान्य । ४२२६. अभयकुमार प्रबंध-पदमराज । पत्रसं० २७ । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-कथा । र०काल सं० १६५० । लेकाल x अपूर्ण । वेतन सं० ! प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर बसवा। विशेष संवत् सोलहसइ पंचासि जैसलमेरू नयर उललासि । खरतर गछनायक जिन हरा तस्य सीस गुणवंत संस । श्री पूण्यसागर पाठक सींस पदमराज पभाइ सुजगीस । जगप्रधानजिनचंद मुरिंगद विजयभान निरूपम मानन्द । भगाइ गुणइ जे चरित महंत रिद्धिसिद्ध सुखते पामन्ति । ४२३०. अवंती सुकुमाल स्वाध्याय-२० जिनहर्ष । पत्र सं० ३ । प्रा० ११४४३६च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । र० काल सं० १७४१ । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ११॥ प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मंदिर बोरसली कोटा। ४२३१. अशोक रोहिणी कथा-X । पत्र सं० ३७ । प्रा० १० x ५ इन्च । भाषा संस्कृत । -कथा। र०कास ४ । ले. काल x पूर्ण । वेपन सं० २६५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर बोरसली कोटा 1 ४२३२. अष्टावक कथा दीका-विश्वेश्वर। पत्र सं०४८ । आ०१०x४ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय -कथा । २० काल । ले. कास XI पूर्ण 1 वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष - संवत् १७२ "माह मारी कृष्ण पक्षे तिथि २ लिखित सारंगदास । ४२३३. प्रष्ट्रांग सम्यक्त्व कथा--ब्र० जिनदास । पत्र सं० ५५ । प्रा6txइश्व । भाषा-हिन्दी। विषय-कथा । र कालX । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं. १६६/१४ । प्राप्ति स्थान-दिस जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर ।। ४२३४. अष्टाह्निकावत कथा-x 1 पत्र सं०६ । प्रा. १०१ x ४३ इञ्च । भाषासंस्कृति । विषय--कथा । र०काल X । ले० काल सं० १७८१ फागुण बुदी १०। पूर्ण । वेष्टन सं० ४३६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि.जैन मन्दिर अजमेर।। विशेष--40 रूपचन्द नेयटा नगरे चन्द्रप्रम चैत्यालये। ४२३५. अष्टारिका व्रत कथा-X | पत्र सं० ११ । मा.१०४५इन् । भाषासंस्कृत। विषय ...कया । २० काल x । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २५७ । प्राप्ति स्थानमदारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। ४२३६. अष्टालिका त कथा-४ । पत्रसं० ११ । प्रा० १.४५ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । रकाल X1 ले०काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० २३६ । प्राप्ति स्थान · भट्टारकीय दि. चन मन्दिर अजमेर । Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ४२३७. अष्टाह्निकावत कथा-X । पत्र सं० १८ । प्रा०६x४, इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०५ । प्राप्ति स्थान-गट्टारकीय दि० जन मन्दिर अजमेर । ४२३८. अष्टालियत कथा-Xपन सं० १४ । प्रा. १०४ ४९ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६८४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ४२३६. अष्टाह्निकावत कथा-x। पत्र सं० ६ । प्रा० १०१x६इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० कार ४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटयों का नेगया । ४२४०. अष्टाह्निकावत कथा-म० शुभचन्द्र । पत्र सं ८ । पा. १० x ५ इञ्च । भाषा -संस्कृत । विषय-कथा । र० काल काल। ष्टा १५९ । कू । प्राजिस्थानदि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ४२४१. प्रतिसं० २। पत्र सं०५ | प्रा० ११३४५६ इच । ले. काल सं० १८३० । पूर्ण । वेष्टन सं० २३४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष-जयपुर नगर में चन्द्रप्रम चैत्यालय में पं० चोखचंदजी के शिष्य पं० रामचन्द्र जी ने कथा की प्रतिलिपि की थी। ४२४२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४ । या. ११६४३३ इरन । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३५ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर, लश्कर जयपुर । ४२४३. प्रतिसं०४ । पत्रसं० १७ । प्रा० १० x ५६च | ले. काल सं० १८६४ । पूर्ण । वेधनसं० ३०५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी थी। विशेष-लश्कर में नेमिनाथ चैत्यालय में झाभू राम ने प्रतिलिपि की। ४२४४. अष्टाह्निकावत कथा-न. मानसागर । पत्र सं० ५० | प्रा. १०४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-कथा । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३० । प्राप्ति स्थान-भद्राकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ४२४५. प्रति सं० २। परस० १० । प्रा०६३४६ इञ्च । ले०काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१६-११७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ४२४६. प्रतिसं०३ । पत्र सं०४ । आ० १२४६ इञ्च । लेकाल सं० १८६५ । पूर्ण । बंप्रन सं० २८६ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर पबलाना (वदी)। ४२४७. प्रतिसं०४ । पत्र सं० ३ । आ० १२४५३ इन्न । ले०काल X । पूर्ण । वेपन सं. ५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पाश्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ४२४८. अक्षयनवमो कथा-४ । पत्रसं०७ । प्रा०८४४ इन्च । भाषा-संस्कृत । बिषयकथा । र०कालX । लेकाल सं० १५१३ पासोज सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं.१२४ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर नामदी बूदी। Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४२७ विशेष स्कंध पुराण में से है। सेवाराम ने प्रतिलिपि की थी। ४२४६. प्रावित्यवार कथा-पत्रसं० १०। भाषा - हिन्दी। विषय-कथा । रकाल' X । ले० काल X । । वेष्टन सं०४४५ 1 प्राप्ति स्थान—दि० अन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-राजुल पच्चीसी भी है। ४२५०. प्रतिसं० २। पत्रसं० १० से २१ । ले. काल । पूर्ण । वेष्टन स. ४४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४२५१. श्रादित्यबार कथा..-पं० गंगावास । पत्रसं० ४१ । प्रा०६x६ इच । भाषा। विषय-कथा। र. काल सं० १७५० (शक सं० १६१५) ले०काल सं०१०११ (शक सं०१६७६) पूर्ण । बेष्टन सं० १५२५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मंदिर यजमेर । विशेष-प्रति सचित्र है। करीब ७५ चित्र हैं। चित्र अच्छे हैं। ग्रंथ का दूसरा नाम रविव्रत कथा भी है। ४२५२. जति स . . क; X५ इश्च । लेकाल सं० १८२२ । पूर्ण । वेष्टन सं०१७ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बू दी। ४२५३. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० । श्रा० १.१४५६छ । ले०काल सं० १८३९ । पूर्ण । वेष्टन सं०१८ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। ४२५४. अतिसं० ४ । पत्र सं० १८ । प्रा० १० x ७ च । ले० काम - । पूर्ण । वेष्टन सं. १-२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोटजियों का सगरपुर । विशेष प्रति सचित्र है तथा निम्न चित्र विशेषत: उल्लेखनीय है..... पत्र १ पर—प श्वनाथ, सरस्वती, धर्मचन्द्र तथा गंगाराम का चित्र, बनारस केराजा एवं उसकी प्रजा पत्र २ पर मतिसागर थेति तथा उसके ६ पुत्र इनके अतिरिक्त ४६ चित्र और हैं। सभी चित्र कथा पर आधारित हैं उन पर मुगल कला का प्रभुत्व है। मुगल बादशाहों की वेशभूषा बतलायी गयी है। स्त्रियां लहगा, अोधनी एवं कचिली पहने हुये हैं कपड़े पारदर्शक हैं अंग प्रत्यंग दिखता है , आदि भाग प्रशाम् पास जिनेसर पाय, सेवत मुख संपति पाय । बंदु वर दायक सारदा, यह गुरु चरन नमन मुग सदा । कथा कहूं रविवार जक्षणी, पूर्व प्रथ पुराणे भणी। एक चित्त सुने जे सांभले तेहने दुख दालिदह टले । अन्त भाग देश बराड विषय सिणगार, कार'जा मध्ये गुणधार । चंद्रनाथ मन्दिर सुखकंद, भव्य कुसुम भामन वर चंद्र ॥११॥ मूलसष मतिवंत महत, धर्मवंत सुरवर अति संत। तस पद कमल दल भक्ति रस कूप, धर्मभूषण रद रोने भूप ॥११॥ Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूथो-पंथम भाग विशाल कीर्ति विमल गुरण जाता, जिन शासन पंकज प्रगट्यो मान । रात पद कमल दल मित्र, धर्मचन्द्र धूत्र धर्म पवित्र ॥ ११२ ॥ तेनो पंडित गग दास, कथा करी भविष्य उल्हास | शाके सोलासत परसार, सुदि आषाढ बीज रविवार ॥ ११३ ॥ अल्प बुद्धि भी रचना करी, क्षमा करो सज्जन चित परो । भरणे सुरणे मावे नरनारि, तेह घर होमे मंगलाचार ।। १४ ।। ति धर्मचन्द्रनुचर पंडित गंग दास विरचिते श्री रविवार या संपूर्ण । ४२५५. प्रादित्यव्रत कथा - भाऊकवि पत्र सं० १० भाषाहिन्दी विषय कथा र० काल X से० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ६१४ प्राप्ति स्थान — भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर पजमेर। प्रा० १०x४ इन्च ४२८ ] विशेष—इस का नाम रविव्रत कथा भी है । ४२५६. प्रति सं० २ । पत्र [सं० ६ पूर्ण वेष्टन मं० २०६ प्राप्ति स्थान I ० ९३ X ४] इ के काल सं० १७०० माह बुदी दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बुदी विशेष – रामगढ़ में ताराचंद ने प्रतिलिपि की थी। ४२५७. प्रति सं० ३ । पनसं० ६ श्र० १०३x४ इश्व । ले-काल ४ । पूर्ण । देष्टन सं० २०८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। ४२५८. प्रति सं० ४ पत्र [सं०] ११ मा० ९x४ इ ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६२ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी | विशेष – पं० सदासुख ने नेमिनाथश्यालय में लिखा था। ० का ० १२०८ वैशाख सुदी ४२५४. प्रतिसं० ५ पत्रसं०] १५ ग्रा०] १९४ । ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं० १२६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी | ४२६०. प्रतिसं० ६ पत्रसं०] १३ । आ० १२३ x ५ इस काल पूर्ण देन सं० ६७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ४२६१. प्रतिसं० ७ । गण सं० १८ ० सं० १८५० प्राबाद सुदी १४ पूर्ण नेष्टन । । [सं० ४४३ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । I विशेष मिश्र को बीनती तथा लघु सूत्र पाठ भी है। भरतपुर में लिखा गया था। ४२६२. प्रादित्यवार कथा - ब्र. नेमिवत्त पनसं० १७ हिन्दी (गुजराती का प्रभाव विषय कथा २० काल X ते० काल | - । स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर भजमेर | विशेष प्रादि प्रम्त मा निम्न प्रकार हैआविभाग पूर्ण श्री शांति जिनवर २ मते सार । 'तीर्थंकर जे सोल. वांछित फन बहुदान दातार । ० १०५ इन्च भाषा । बेटन सं० ५२१ प्राप्ति Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य । ४२६ सारदा स्वामिरिण वली तबु बुद्धिसार म सरोइ माता । श्री सकलकीर्ति गुरु प्रणामीने श्री भुवनकीति अवतार . दान तरण फल बरणवू ब्रह्म जिण दास कहिसार ब्रह्म जिणदास कहिसार ।। बाल्लिभाग--- थी मूलसंघ महिमा विरमलोए, सरस्वती गच्छ सिणगारतो । मल्लिभूषण अति मलाए श्री लक्ष्मीचन्द मूरिराय तो। तेह गुरु चरणकमल नमीए, ब्रह्म ने मिदत्त मणि चंगतो। ए अतथे भवियणकरिए, तेल हिमी अभंगतो ।। ३०॥ मनयछित संपदा लहिए, ते नर नारी सुजाणतो । इम जागो पास जिणतणो, ए रविस्त करो भवि माणतो। ए व्रतभावना भावे तेहीं, जयो जयो पाव जिरणदतो। शांति करो हम शारदाए सहगुरु करो भार/दतु। वस्तु-- पास जिगवर पास जिवर बालब्रह्मचारी। केवलणारणी गुणनिलो, भवराम्द्र तारण समरथ । तसु तरणो अदित व्रत मलो जे करि भडीयरण सार। से भव संकट भंजिकरि सुख गामिइ जगितार ।। इति थी पार्श्वनाथदितवारनी कथा समारत । ४२६३. आदितवार कथा-सुरेन्द्रकीति । पत्र सं० १३ । भाषा-हिन्दी । विषय-कधा । २० काल सं० १७४४ । ले. काल सं० पूर्ण । वेष्टन सं० ४४४ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष -राजुल पच्चसी भी है। ४२६४. पाराधना कथा कोश--- । पत्र सं०६८ | मा०x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कया। र० काल x 1 ले. काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं०४७ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ४२६५, पाराधना कथा कोश-X । पत्र सं० २५ । प्रा० ११४५ इन्च । भाषा-- वटन सं० ७२० । प्राप्ति स्थानमा दि० जन मंदिर अजमेर। विशेष-पाराधना संबंधी कथायों का संग्रह है। ४२६६. पाराधना कथा कोश-पत्र सं० १०४ । मा० १०४६ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषय-कथा ! २० काल ४ ।ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ४२६७. अाराधना कथा कोष-X । पत्रसं० १६८ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल XI ले काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३० ] विशेष प्रति प्राचीन है । । ४२६८. धाराधना कंथाकोश- बस्ताबस ७ इंच भाषा हिन्दी विषय कथा २० काम सं० १९९६ १२ ।। गुणं । वेष्टन सं० १४ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल ४२६६. प्रतिसं० २ प ० २६२ ० का प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४२७०. आराधना कथाकोश ब० नेमिदत्त एणसं० २५७ ० ११४५ इ - | | भाषा संस्कृत विषय कप २० काल X का पूर्ण न सं० ४३० प्राप्ति स्थान-पट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । → रतनलाल पत्रसं० २१२० १०३ ० का पंचायती मंदिर ० १९३२ णास सुदी अलवर ० १९०३ पूर्ण पेन सं० ४४० ४२७१. प्रतिसं० २ ० २ ० ११३४ काल X पूर्ण वेष्टन सं० १३९५ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ४२७२. प्रतिसं० ३ पत्र सं० २६० ले० काल सं० १८११ चैत ख़ुदी ५ पूर्ण वेटन सं० २६३ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर विशेष- भरतपुर में लिपि की गई थी। 1 ४२७३. आराधना कथाकोश - श्रतसागर संस्कृत विषय कथा र० काल ८ ० काल X पूर्ण जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। ---- विशेष - पात्र केशरी एवं कलंकदेव की कथायें है । ४२७४. प्राराधना कथाकोष - हरिषेण । । पत्रसं० भाषा संस्कृत विषय कथा र०काल सं० २८६ ० काल x स्थान- दि० जैन मन्दिर लस्कर जयपुर । [ प्रन्थ सूची- पंचम भाव पत्रसं० १५ | आ० बेत सं० १४० ३३८ । पूर्ण ४२७५. आराधनासारकथा प्रबंध --प्रमाचन्य । पत्र सं० भाषा-संस्कृत विषय कथा २० काल X ले० काल सं० १६०० स्थान दि०जैन वा मन्दिर उदयपुर । पूर्ण १२३४५३ इव । भाषाप्राप्ति स्थान दि० ० १२४५१ इव । वेटन सं० १६८ प्राप्ति २०० प्रा० १०५ इव । वेष्टन सं० २६१ प्राप्ति ४२७६. प्रतिसं० २०१-६२ ० ११५ इव ते० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ७२० प्राप्ति स्थानभ० द०जैन मन्दिर लश्कर जयपुर | ४२७७. रामना चतुष्पदी - धर्मसागर । पत्र सं० २०१४ | भाषा - हिन्दी पद्य । विषय - कथा | र० काल X | ले० काल सं० १६६५ श्रासोज सुदी ६ । पू । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) ४२७८. एकादशी महात्म्य - X पण सं० १०० ११४५ इन्च भाषा-संस्कृत । विषय कथा ० काल x ०काल सं० १९२१ पूर्ण वेष्टन १५६ प्राप्ति स्थान- जैन मन्दिर नागदी बूंदी । विशेष स्कंद पुराण में से है। Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कश साहित्य ] [ ४३१ ४२७९. एकादशी महात्म्य-X । पत्र संख्या १०१ । श्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय महात्म्य । 10 काल x | लेखन काल सं० १८५२ वैशाख सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान-दि- जन मन्दिर नागदी (दी)। ४२८०. एकादशी व्रत कथा-X ।।पत्र सं ७ । प्रा० ३४.४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-कथा । र०काल X । ले' काल पूर्ण । वेष्टन सं० १४७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष—इसका नाम 'सुग्रसऋषिकथा' भी है। ४२८१. ऋषिदत्ता चौपई-मेघराज । पत्रसं० २२ । ग्रा. १०x४१ इच। भाषाहिन्दी पह) । विषय-कथा । र काल सं० १६५७ पौष सुदी ५ । लेकाल सं० १७६६ ग्रासोज सूद पूर्म । वेष्टन सं० ३१६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दबलाना बूदी। ४२८२. ऋषिमण्डलमहात्म्य कथा-४। पत्र सं० १० । आ० १२३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काखX ।ले०काल x। पूर्स । वेष्टन सं० २३७ प्राप्ति स्थान.. दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ४२५३. कठियार कानपुरी चौपाई-मानसागर ।। पत्र सं० ५। आ. १.४४, इच । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-कथा । २० काच #. १७४७ । ले० काल सं. १८४० । पूर्ण । बेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दिख जैन मंदिर बोरसली कोटा । ४२८४. कृपण कथा-कोरचन्द्रसूरि । पत्रसं० २। प्रा० १२४ ५ इ० । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय--कथा । २० काल - । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०७:१०४ । प्राप्ति स्थान . दि. जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । विशेष-अन्तिम-- दाभंतो तब स्त्रि जथयो नरक सातमि मरीनिगयो। जंपि वीरचन्द्र सूरी स्वामि एम जारिण मन राखो गग ।।३२॥ ४२८.५. कथाकोश- ४ । पत्र सं० ४१-१८ । आ०१०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - कथा । र० काल- । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०३३८,१६७ । प्राप्ति स्थान - संभवनाथ दि. जैन मंदिर उदयपुर । ४२८६. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ८ । ले. काल सं० १७२। पूर्ण । वेष्टन सं० १६०१५६४ । प्राप्ति स्थान संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । ४२८७. कथाकोश-चन्द्रकोति। पत्र संख्या १५-६६ । प्रा० १००x४६च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । र० काल ४ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान- . दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-अन्तिम भाग निम्न प्रकार है-.. श्रीकाष्ठसंघे विबुधप्रपूज्ये श्रीरामसेनान्वय उत्तमेस्मिन् 1...... विद्याविभूषायिध मृरिरासीत् समस्ततत्वार्थकृतावतार ॥७१. . . .:::: Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [प्रन्थ सूची-पंचम भाग तत्पादप केरुहवंचरीक: श्रीभूषणमुरि वरो विभालि । सनष्ट हेतु व्रत सत्कांच । श्रीचन्द्रकीतिस्त्विमकांचकार ।।७२।। इति श्री चन्द्रकीरचते थीमाको अंगासागरातोपासायनिन नामसप्तमः सर्ग ॥७॥ ४२५८. कथाकोश-अ० नेमिदत्त । पत्र सं०२२० । मा०१२x६ इन्च । भाषा-संस्कृल । विषय - कथा । २० काल:X.1 ले. काल सं० १७५३ । पूर्ण। वेष्टन सं० १०२। प्राप्ति स्थान—दि. जैन मंदिर दीवानजी कामा। ४२८९ प्रतिसं०२। पत्र संख्या १७३। प्रा. ११ x ४ .लेखन काल सं० १७९३ धावण मुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-मालपुरा में लिखा गया था। ४२६० प्रति सं० ३ । पत्र सं० २५७ । प्रा० ११४५ इंच । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन संग ६० । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बोरसली कोटा । ४२६१. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १४४ -२१६ । प्रा० १०x४३ इञ्च । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १८७ । प्राप्ति स्थान -दि. जन भन्दिर दबल्लाना (ब'दी)। ४२६२. कथाकोश-भारामल्ल । पत्र सं० १२६ । प्रा० १३४५, इच। भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय- क्या । र० काल X । ले०काल सं० १९५३ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल पंचायती मंदिरं अलवर । ४२६३. कथाकोश-मुमुक्ष रामचन्द्र । पत्र सं० ४४ । आ० १.४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय --ऋथा । ८० काल X । ले० कास ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर नागदी, दूंदी। ४२६४, कथाकोश- ससागर । पत्र सं. ९६ | ग्रा० १२४५३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कया । र० काल x। ले० काल सं० १८२० पौष सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६.१ । प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन मन्दिर अजमेर । ४२६१. कथाकोश-हरिषेण । पर सं० ३५० । आ. ६४५ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषयकथा । २० काल X । से काल X । पुरीं । वेष्टन सं. ८० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीम दि० जैन मन्दिर मजमेर । ४२६६. कथाकोश-x। पत्र सं० ७८ । आ. १.१४७ इन्च । भाषा---हिन्दी (पद्य)। विषय-कथा । २० कालX । ले०काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं०१४ । प्राप्ति स्थान-दि.जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष-१, २ एवं २८ यां पत्र नहीं है। ४२६७. प्रति सं० २ पसं०७६ । प्रा०११.४५ इच । ले. काख सं. १९११ । अपूर्ण। वेष्टन सं०१५। प्राप्ति प्यान-दि जैनमन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-४७५१ तक पत्र नहीं है । Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] निम्न कथाओं एवं पाठों का संग्रह है । कथा का नाम १. आदिनाथजी का सेहरा- ललितकीति- र० काल X हिन्दी पत्र १ । विशेष बाहुनि रारा भी नाम है। भाषा टीका सहित - - २. ३. चौवीस ठाण ४. रत्नत्रय कथा ५. अनन्तस्रत कथा ६. दशलक्षण व्रत कथा ७. प्रकाश पंचमी कथा ८. जये जिनवर कथा ६ जिन गुण संपत्ति कथा १०. सुगंधदशमी कथा११. रविव्रत कथा१२. निर्दोस कथा— १३. कर्मविपाक कथा - — १४. पद १५. समोसरन रचना१६. पट दर्शन १७. रविव्रत कथा - १८. पुरंदरविधान कथा१९. निःशल्य ष्टमी कथा२०. सौ कथा -- २१. पंचमीवत कथा — कर्ता का नाम हरिकृष्ण पांडे 35 सवित हेमराज अकलंक हरिकृष्ण . SP " विनोदीलाल ब्रह्ममुलाल X भाऊ कवि हरिकृष्ण " देवेन्द्रभूषण सुरेन्द्रभूषण । । कथा, मादित्यव्रत एवं भावाद्वादशी कथा | t X । - X। प्राकृत हिन्दी पत्र से २६ तक X १ - x हिन्दी पत्र २६ से २१ तक । २० काल सं० १७६६ हिन्दी | पत्र २६ से ३१ तक | २० काल x हिन्दी पत्र मं० ३१ से ३४ तक । ० काल सं० १७६५ २० काल १७६२ । हिन्दी हिन्दी पत्र सं० ३४३६ पत्रस० ३६ से ३६ हिन्दी पत्र सं० ३६-४१ L पत्र ४१ से ४६ तक पण ४५ से ५३ तक पूर्ण ४२६८. कथाकोश- x । पत्र सं० २७६ विषय - रुया । २० कार्ड X ले० काल X घपूर्ण देहूपंथी मंदिर दौसा | । २० कास सं० १७६८ २० काल X हिन्दी २० काल x हिन्दी १० काल सं० १६७६ | हिन्दी | पत्र ५३-५४ २० काल सं० १७७१ हिन्दी पत्र ५४ अपू २० का X हिन्दी पत्र ५४ से ५० पत्र ५८-५२ पत्र ५० से ५३ । २० काल १६६८ [ ४३३ पत्र ६३ पर पत्र ६३ से ७१ तक २० का १७६० फागुन सुदी १० पत्र ७१-७२ र० काल X | पत्र ७२-७३ र० काल x 1 पत्र ७३ से ७५ २० काल सं० १७५७ पौष वृदी १० । पत्र ७५-७६ ४ ४२६२. कथासंग्रह - X १ पत्रसं० ५३ ० कथा २०कात X। तै काल X पूर्ण वेष्टन सं० ३४९ मन्दिर अजमेर | । आ० १२ X ११ इव । भाषा - हिन्दी । वेष्टन सं० १३ प्राप्ति स्थान दि० जन । - । भाषा संस्कृत विषय प्राप्ति स्थान- मट्टारकीय दि० जैन विशेष निम्न कथाओं का संग्रह है - पुष्पाञ्जली सोलकरण, मेघमाला, रोहिणीत लब्धिविधान, मुकुटससमी, सुगंधदयमी, दशलक्षण Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३४ ] [ गन्थ सूची-पंचम भामः ४३००. प्रति सं० २ । पत्र सं० ८ । प्रा. १०x४१ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७३५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-40 सुमतिसुन्दरगणिभिरलेखि श्री रिणीनगरे । भन्यकुमार, शालिभद्र तथा कनककुमार की कथाए हैं। ४३०१. कथा संग्रह-। पत्रसं० १२४ से २०५ । मा० ११३४ ४३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । र०काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४४। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ४३०२. कथा संग्रह-X । पत्रसं० ८ह । प्रा०१०x४. इच । भाषा-संस्कृत । विषयकथा । र काल X । ले०काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दबलाना (राज.) ४३०३. कया संग्रह-। पत्र सं...."| भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । वेनसं. ४६२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । १. अष्टाहिनका कथा-भ० सुरेन्दकीर्ति । संस्कृत २. पुष्पाजलिव्रत कथा-श्रुतसागर। ॥ ३. रत्नत्रय विधानकथा- I , ४३०४. कथा संग्रह-x। पत्रसं०२८। मा० १०४६: इच । भाषा-हिन्दी । विषयकथा । . काल X । ले०काल सं० १९४१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन अग्रवाल मन्दिर, उपयपुर। विशेष-भारामल की चार कथाओं का संग्रह है। ४३०५. कथा संग्रह--X ! पत्र सं० ३७-५६ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा। र०काल र । लेकालX । अपूर्ण । वेष्टन स. १५६/१०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ४३०६. कथा संग्रह-४ ।। पत्र सं० ५६ । प्रा० १२४ ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा । र०काल x | ले. काल x अपुर्ण । वेष्टन सं०१५८/१०७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर। विशेष—निम्न कथानों का संग्रह है। १-अष्टाहिनका कथा- संस्कृत अपूर्ण २-अनन्तव्रत कथा भ. पचनदि ३-लब्धि विधान पं. अभ्रदेव ४-- रुक्मिणी कथा छत्रसेनाचार्य ५-शास्त्र दान कथा ६--जीवदया भाषसेन ७–त्रिकाल चौबीसी कथा पं० अभ्रदेव ४३०७. कथा संग्रह-x। पत्र सं० २१ । भाषा-प्राकृत । विषय--कथा । र० काल x। ले० काल x 1 पुर्य । वेष्टन सं० ५६१। प्राप्ति स्थान दि०जन पंसायती मन्दिर भरतपर। अभ्रदेव Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४३४ ४३०८. कथा संग्रह-विजयकोसि । पत्रसं० ५५ । प्रा० १०६x४, इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कथा। काच सं० १९२७ सावरा बृदी ५ । ले०काल सं० १९२५ । पूरणं । वेष्टन सं. ६४५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष कनककुमार, धन्यकुमार, तया सालिभद्र कुमार की कथाएं चौपई बंध छंद में है । ४३०६. कलिचौदस कथा-भ० सुरेन्द्रकीति । पत्रसं० ५ । प्रा० ११४ ५ञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-कथा । र० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२ । प्राप्तिस्थानदि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ४३१०. कातिक पंचमी कथा । पत्रसं०५ 1 ग्रा० १०x४१ इञ्च ।भाषा-संस्कृत | विषय - कथा । २० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६४।२०२ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-प्रति प्राचीन है । १७ वीं शताब्दी की प्रतीत होती है। ४३११. कार्तिक सेठ को चोढाल्यो x । पत्रसं. ४ । पा.१०x४, इव । भाषा-हिन्दी विषय-कथा । २. काल ४ । सेवकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर ददलाना दी। ४३१२. कार्तिक महात्म्य-x। पत्र सं० ८। प्रा. ४५३इच । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा (जनेतर) 1 र०काल ४ । लेक काल सं० १८७२ कार्तिक मुदी २ । पूर्ण । वैष्टन सं० ८.१७ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक) विशेष पदमपाराण से ब्रह्म नारद संवाद का वर्णन है। ४३१३. कालक कथा- भाषा-.प्राकृत 1 विषय-कथा 1 र० काल ले.काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ४४०-३१/२६३.८३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-दो प्रतियों के पत्र हैं। फुटकर है। ४३१४. कालाकाचार्या कथा-श्री माणिक्यसूरि । पत्रसं० ४ । प्रा० १० x ४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषम-कया । र०काल -ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं. ४१६ । प्राप्ति स्थानमहारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर 1 ४३१५, कालकाचार्य कथा-समयसन्दर। पत्रसं० ११ । प्रा० ११४५ इन। भाषाहिन्दी। विषय -क्रया । र० काल Xले०काल सं० १७१५ बंशाख बुदी १ । वेष्टन सं० १२६ । पूर्ण । प्राप्तिस्थान--दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। विशेष-देलवाड़ा में प्रतिलिपि हुई थी। ४३१६. कालकाचार्य प्रबंध... जिनसुखसूरि । पत्र सं. १६ | भाषा-हिन्दी । विषयकथा ।र०काल x 1 लेकाल १९६६1 पूर्ण । वेष्टन सं. ७३९ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मंदिर मरतगुर। विशेष—प्रति जीर्ण हैं। ४३१७. कुदकुदाचार्य कथा-- । पत्र सं० २ । भा० १०.४४ इन्छ । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-कथा । र०काल x | सें. काल x। पूर्ण। वैधन सं०५५ प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर श्री महावीर बन्दी। Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-अन्त में लिखा है-इति कुदकुदस्वामी कथा । या कथा दक्षणम् एक पंडित छावणी माझसे पयो तक अनुसार उतारी है। ४३१६. कौमुदी कथा-x। पत्र सं०४६-१०४ । मा० ११ x ५' इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल X । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दौसा । ४३१६. कौमुदी कथा-४ । पत्रसं०६०। भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र०काल x । ले०काल स १७३६ । अपूर्ण । वेष्टन स. ६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पचायती मंदिर डीग । ४३२०. कौमुबो कथा-४ ।पत्र सं० १३६ । पा. १०४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयकया । र०काल x | ले. काल सं० १८२६ माह मुदी ५ । पूर्ण । बेष्टन सं० २६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पाश्वनाथ मन्दिर चौगान (बूदी)। विशेष-राजाधिराज श्री पातिसाह अकबर के राज्य में चम्पानगरी के मुनिसुग्रतनाथ के चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी । सं० १६९२ को प्रति से लिखी गयी थी। ४३२१. गजसिंह चौपई-राजसुन्दर । पत्रसं० १६ ! प्रा० १०.!x ४ इज । भाषा-- हिन्दी (पद्य)। विषय कथा । र०काल सं० १५५६ । से काल x . पूस । बेनस ४ | श्ररित स्थानदि. जैन सण्डेलवाल मन्दिर उदयगर । विशेष—प्रत्येक पत्र पर १७ पंक्तियां एवं प्रति पंक्ति में ३५ अक्षर हैं । मध्य भाग .- नगर जोइन आथियो कुमर जे पावा हेठि। नारी ते देखइ नहीं, जोबइ दस दिसि देठि । १५६ ।। मनिचितइ कारण कियउ केरिण हरीरा बाल । पगजोतइ सहूँ तेहता धारि बुद्धि सुविसाल । १५७ । नरहि घरतना पढ़ो बैठया मारी माहि । पंखी माही बाइस राही जोवड पगहू जाहि । १५८ ।। वज प्रांखें अंजनाकरि चाल्यउ ननर मझारि । पग जोवतउ नारी तरणी पहुतउ वेस दुबारि १५६ ४३२२. गुरासुन्दरी चउपई-कुशललाम । पर सं० ११ । प्रा० १०.४४१ इञ्च । भाषाराजस्थानी। विषय कथा । २०कास सं० १६४८ । ले० काल सं० १७४६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७०। प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर दीवानजी कामा। ४३२३. गौतम प्रच्छा-X । पत्र सं० ६७ । प्रा० ६x६ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषयकथा । र०काल x + ले काल सं० १८१० । पूर्ण विष्टन सं०३८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर नगवा । ४३२४. चतुर्दशी कथा-डालूराम । पत्र सं० २१ । प्रा० ६x४ इन्च ! भाषा-हिन्दी। विषय-कथा । २०काल सं०.१७५५ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६७३ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ४३७ पत्र सं० १ पत्र [सं० १ ० 1 ४३२५. चंदराजानी हाल- मोहन - मोहन ० १३x४ इस भाषा हिन्दी । वे० काल X पूर्ण । बेष्टन सं० २०६६६० प्राप्ति स्थान दि० जैन कथा साहित्य ] विषय-कथा २० काल X संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ४३२६. चंद्रप्रभ स्वामिनो विवाह-म० नरेन्द्रकीति सं० २४ घा० ११४४३ भाषा – रजस्थानी | विषय-कथा २० काल सं० १६०२ | ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान- वि० जैन मन्दिर बोरसी कोटा | प्रादि भाग मध्य भाग प्रतिम भाग सकल जिनेश्वर भारती मीने गणधर लहीय पसाउ । सोए श्री चन्द्रप्रभ कर नमित नरामर गाय ते बीबासोए ।। १॥ बइने बोलावे मात लक्षमणा देवी मात उठोरे जिनेश्वर कहिए एक बात ||१|| सामीरे देखीजें रे पुत्र साहिजे सदा पवित्र । रजलु' भदासे व निरमल गात्र । विक्रमराव पछी संवत् सोल वय सवत्सर जाण बंगाख यदी मली सप्तमी दिन सोमवार सुप्रमाल गुजरदेश सोहमलो महीसान नगर मुसार विवाद ल र मगरली आदिश्वर भवन मार श्री मूलसंघ गपति शुभचन्द्र भट्टारक सार । तत्पदकमल दिवाकर, श्री सुमतिकीरति भवतार ॥ गुरु भ्राता तस जोंगइ श्री सकलभूषण सुरी देव नरेन्द्रकीरती सुरीवर कहे, कर जोडि ते पद सेव । जे नरनारी भावें सूर, भगेंद सु यह गीत । ते पद पायें साम्वता श्री चन्द्रप्रतीति ॥ इति श्री चन्द्रप्रभ स्वामिनो विवाह संपूर्ण ब्रह्म श्री गोतम लखीतं 154 ४३२७. चन्दनमलयागिरी चौपई-भद्रसेन पत्रसं० २० कथा । १० काल १७६ीं शताब्दी । ले० काल स० १७९० जेठ सुदी १३ पूर्ण स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का दुगरपुर I । पठना ब्रह्म श्री रूपचन्दजी | भाषा हिन्दी पद्य विषयवेष्टन सं० १/१ प्राप्ति ― - प्रशस्ति- संवत् १७८० मासोमा जेठ मासे शुक्ल पक्षे त्रयोदाम्य तिथी भौमवासरे इर्द मुस्तक निखापितं कारजा नगर मध्ये श्री चन्द्रम अंथालये लेखक पाठकको शुभं प्रति सचित्र है तथा उसमें निम्न चित्र हैं Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग पत्र१पर १. राधाकृष्ण २. राजा चन्दन रानी मलयागिरी ३. महल राजद्वार ४. राज्य देच्या संवाद ५. राजा चन्दन कुल देवता से बात पूछ छ ६. रानी मलियागिरी राजा चन्दन ७. रानी मलियागिरी और राजा चन्दन सायर के तीर ! | 1:1 पार्श्वनाथ के मन्दिर पर १०, सायर नीर गोउ चरावे , ११. चोवदार सोदागर १२. रानी बनखंड में लाई बोनव १३. रानी मलयागिरी एवं चोरदार १४. १५. मलियागिरी को लेकर जाते हुए १६. रानी मलयागिरी एवं सौदागर १७. वीर, गायर नदी नीर अमरालु १८. राजा चन्दन स्त्री १६. राजा चन्दन पर हाथी कलश ढोलवे २०. राजा चन्दन महल मर जाय छै २१. राजा चन्दन प्रानन्ध नृत्य करवा छै २२. राजा वन्दन भलो छ २३. नीर सायर मीला छ रानी मलियागिरी २४. राजा पन्दन रानी मलियागिरी सौदागर भेंट कीधी २५. राजा चन्दन के समक्ष सायर नीर पुकार कर 2 २६. चन्दा मलियागिरी ] । । । । । । । । । । । । । । । । । । | ४३२८. चंदनषष्ठीवत कथा-खुशालचन्द । पत्र सं० ६ । आ० १२४४१ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-कथा । र० का । ले. काल सं०१८२८ । पूर्ण । श्रेष्ठतसं० १४५ । प्राप्ति स्थान—दि. बैन मन्दिर नागदी बूदी। ४३२६. चंपावती सोलकल्याणदे-मुनि राजचन्द । पत्र सं०६ । प्रा० ११४५ हश्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय -कथा । र०काल सं० १६८४ । ले० काल ४ | अपूर्ण । वेष्टन सं०५१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ४३३०. पारमित्रों को कथा---X । पत्र सं० ६६ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-कथा। र०काल X। ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०६२। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दोरसली कोटा। Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४३६ ४३३१. चारुदस कथा-- x। पत्रसं० ५। आ० ११४४, इकच । भाषा - संस्कृत । विषय-कथा। र०काल ४ । ले० काल - ।। पूर्ण । वेष्टन सं० ८८ । प्रान्ति स्थान अग्रवाल दि. जन मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति प्राचीन है। ४३३२. चारुदत्त सेठ (मोकार रास-ब्र० जिनवास । पत्रसं० २५ । प्रा०१.४५ इश्च । भाषा-हिन्दी। विषय-कथा। र० काल x | लेकाल सं० १७५४ । पूर्ण। धन सं०३०३ । प्राप्ति स्थान संभवनाथ दि. जैन मन्दिर, उदयपुर । ४३३३. चारुदत्त प्रबन्ध-कल्यापकीसि । पत्रसं० । १३ । प्रा. १०३४५ इन्छ । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय-कथा । २० काल सं० १६८२। ले. काल सं० १७६५ । पूर्ण । वे. सं० २७० । प्राप्ति स्थान- दिन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । ४३३४. चित्रसेन पयावती कथा-गुणसाधु । पत्र सं० ४४ । भाष्य - संस्कृत । विषय.... कथा । २० कारन संवत १७२२ । ले०काल सं० १८६८ प्रासोज सूदी ३ । पूर्ण । बेष्टन सं० ५८८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है। ४३३५. चित्रसेन पद्मावती कथा-पाठक राजबल्लभ पत्र सं०.२३ । प्रा०६.४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल सं० १५२४ । ले. काल X । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १९२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) । ४३३६. प्रति सं०२ । पन सं. ५२ । आ०१०x ।। ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं०३०१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नागदी बूदी। विशेष—कुल ५०७ पद्य हैं । पं० हीरानन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। ४३३७. प्रतिसं०३ । पत्र सं०३ । आ. १.४४ इश्च। ले०काल सं०१६५१ फागुएरा बुदी १.! पूर्ण । वेष्टन सं० २३२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लस्कर जयपुर । विशेष-प्रशस्ति अच्छी है। ४३३८, चित्रसेन पद्यावती कथा-- ४ । पत्र सं० २१ । भाषा-संस्कृत । विषय-कया। र काल सं० १४२८ । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ६३६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। ४३३६. चेलणासतोरो खोडालियो-ऋषि रामचन्द। पत्र सं०.४ । भा०६x४३च । भाषा-राजस्थानी । विषय-कथा ! र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । घेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दबलाना (दी) ४३४०. चोबोली लीलावती कथा--जिनचन्द । पत्र सं०१५ । ग्रा. ११४४० च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कथा । र०काल सं० १७२४ । ले०काल सं० १.८४६ । पूर्ण । वे०सं०३६६। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ४३४१. चौबीसी कथा..x पत्रसं०७। प्रा० १.४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय -- कथा । र०कालX ।ले. काल x। पूरणं । वेतुन सं० २४३ । प्राप्ति स्थान ... दि० जम मन्दिर लश्कर, जयपुर। Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४० ] ४३४२. चौथोसो व्रत कथा - X । पथ | विषय - कथा । र० काल x । ले० काल नागदी बूंदी 1 ४३४३. जम्बूकुमार सज्झाय - Xपत्रसं० १ ० १०३x४ । भाषा - हिन्दी । विषय – कथा । २० काल X 1 ले काल X पूर्ण । बेन सं० २४२ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर, बोरसली कोटा | [ प्रत्थ सूची- पंश्चम भाग पत्र सं० ८७ । प्रा० १४X७ इव । भाषा - हिन्दी पूर्ण वेधून सं० ३२ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर । ४३४४. जम्बूस्वामी अध्ययन-पद्मतिलक गरिए । पत्र सं० ६३ भाषा - प्राकृत विषय - कथा । र० काल X। ले० काल सं० १७८६ कार्तिक बुदी २०० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना बूंदी | विशेष- सुन्दरमणि कृत हिन्दी टव्वार्थ टीका सहित है । ४३४५. जम्बूस्वामी कथा - x । पत्र सं० ५ । श्र० १०३४४१ इश्व । भाषा - हिन्दी (गद्य) | विषय - कथा । ९० काल X | वे काल । अपूर्ण वेटन सं० २६७ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर दबलाना (बूंदी) ४३४६. जम्बूस्वामी कथा - X। पत्रसं० ३१ । ० विषय - कथा । २० काल x । ले-काल X। पूणं । वेष्टन सं० ७६ जैन मन्दिर उदयपुर विषय – कथा | २० काल X 1 ले काल सं० स्थान – दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) प्रशस्ति संवत् १५०० वर्षे जेष्ठ बुदि श्री देवेन्द्रकीर्तितदिष्य विद्यानन्दि तद्दीक्षित न प्र० ८ ३ १३ । पूर्ण ४३४७. जम्बूस्वामी कथा-पं० दौलतराम कासलीवाल । पत्र सं० २ से २७ ॥ श्र० ११३८ इच। भाषा - हिन्दी गद्य विषय कथा । र० काल X | ले-काल ४ । प्रपूर्ण वेष्टन सं० ५५ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) 1 विशेष – पुण्यास्रव कथाकोश में से है। प्रथम पत्र नहीं है । ४३४८. जिनदत कथा - X। पत्र सं० २५ । आ० ११ X ४ इश्व भाषा संस्कृत | वेष्टन सं० ८२ । प्राप्ति १५०० जेठ बुदौ ७ पूर्ण ४ १ इव । वेष्टन सं० ११४५ इव । भाषा - हिन्दी (पद्य) प्राप्ति स्थान--- खण्डेलवाल दि० महामोह्तमान भुवनांभोज माननः । संतु सिद्ध पंगना सङ्ग सुखिनः संपदे जनाः ॥१श यदा पत्ता जगद्वस्तु व्यवस्थेयं नमामि तां । जिनेन्द्रवदनांभोज राजहंसी सरस्वती ॥२॥ मिपाग्रहाहिनादष्ट सद्धर्मामृतपानतः । आश्वासयति विश्वं ये तार स्तुदे यतिनायकान् ॥२१॥ वो गंवार मन्दिरे श्री भट्टारक श्री पद्मनन्दि तच्छिष्य हरदेवेन कर्मक्षयार्थं लिखापितं । "श्रेष्ठ अर्जुन सुत झूठा लिखापितं म० श्री ज्ञानभूषणस्तत्पट्ट भ० श्री प्रभचंद्राणां पुस्तकं | ये शब्द पीछे लिखे गये मालूम होते हैं । प्रारम्भ- Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] प्रतिम कृत्वा सारतरं तपो बहुविधं शताश्चिर रिका कम्पं नास्वमवापुरेत्पनरत दत्तो जिनादितः । वाली सुखसागरांतर विज्ञाय सर्वेपिते। न्योन्यं तत्र जिनादि बंदनपराः प्रीताः स्थिति तम्यते ॥१८॥ सर्ग हैं। ४३४६. जिनदत बरित गुणभद्राचार्य । पत्र सं० ४७ संस्कृत विषय – चरित २० काल X से० काल सं० १९३० । पूर्ण स्थान---भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष – इसका नाम जिनदत्त कथा दिया हुआ है । [ ४४९ ४३५० प्रतिसं० २ पत्र ०३८ मा० १०x४३ इञ् । ते० काल सं० १६६० पूर्ण बेटन सं० ३९९ प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ० १२७१ इन्च भाषादेन सं० २२८ । प्राप्ति ४३५१. जिनदत्त कथा भाषा x पत्र० ५८ । प्रा० १२४७ इंच भाषा - हिन्दी | । । | विषय-कथा २० काल X ० का ० १९६२ । पूर्ण वेष्टन मं० २२९ । प्राप्ति स्थान दि० न मन्दिर, बोरखती कोटा | - ४३५२. जिन रात्रिव्रत महात्म्य-- मुनि पद्मनन्दि पत्र [सं० ३६ ० ११ X १ इ । भाषा-संस्कृत विषय कथा २० काल X ले० काल सं० १५६४ पौष ख़ुदी २ । पू । वेष्टन सं० ६७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । I विशेष द्वितीय सर्ग की पुणिका निम्न प्रकार है इति श्री बनवासि कप मतरे निराजितमहात्म्य दर्शके मुनिधीपनंदिविरचिते मनः सुखाय नामांकित श्री वर्धमानागमनं नाम द्वितीय सर्गः ॥२॥ - ४३५३. जिन रात्रि विधान X | पत्र सं० १५ । ग्रा०] १० X ४] इव । भाषा संस्कृत । विषय - कथा । २० काल x । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । 0 ४३५४. ज्ञातृधर्म कथा टीका- पत्रसं० ६६ ० १० X ४३ इन्च भाषा प्राकृत X | । । संस्कृत विषय का र०का X से०काल सं० १९७४ मंसिर बुदी १ पूर्ण वेष्टन सं । । । । । १०२/०४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर भाववा (राज० ) । विशेष - वणपुर मध्ये नयशेखर ने प्रतिलिपि की थी । X | । इंच । ४३५५. ढोला मारूणी चौपई- पत्र सं० १४ ० १२ x २ माषाराजस्थानी (च) विषय कथा २० काल X ले० काल x बेत सं० ५७ प्राप्ति I अपूर्ण स्थान- दि० जैन मन्दिर तेरहपथी दौसा | ४३५६. रणमोकार मंत्र महात्म्य कथा - X पण सं० ६८१ ० १३ ७३ भाषा - हिन्दी गद्य विषय कथा २०कांत × । ले० काल X। पूर्ण सं० १३३ प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ ] विशेष – सचित्र प्रति है । चित्र सुन्दर है । ४३५७. ताजिकसार - X कया । र०काल X। ले० काल X मन्दिर अजमेर | - [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग पणसं० ६ ० १०४ इंच भाषा साकृत विषय| । । -- पूर्ण १५८८ प्राप्ति स्थान- मट्टारकी दि०जैन वेग सं० ४३५८. त्रिकाल चौबीसी कथा - पं० अभ्रदेव भाश-संस्कृत विषय कथा २० काल x 1 ले काल x पूर्ण । बेनसं० २४० दि० जैन मन्दिर तस्कर जयपुर । पत्रसं० ५ ० १० X ४ ए ४३५६, त्रिलोकदर्पण कथा - खडगसेन । पत्र सं० १८४ । श्रा० ११३५ हिन्दी विषय विज्ञान कथा १० काल सं० १७१३ चैत्र सुदी ५ ले० काल x पूर १४४ | प्राप्ति स्थान दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । प्राप्ति स्थान--- ४३६०. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १५१ । घा० १२X४] इसे काल स० १७७७ आसोज सुदी १४ । पूर्णं । श्रेष्टन स० ४६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष – केशोदास ने प्रतिलिपि की थी। जानकर मध्ये इस प्रति में रचना काल सं० १७१८ सावण सुदी १० भी दिया हुआ है... | भाषायेन सं० ४३६१. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १७९ ॥ श्रा० १०३४५ इवं । ले० काल सं० १८४६ प्रासीज सुदी ६ गुरुवार पूर्ण बेन सं० १११ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर राजमहल टोंक । 1 ४३६४. प्रति सं० ६ गुदी ६ पूर्ण बेष्ट सं० १११-८८ विशेष सूरतराम चौकटाइत - ४३६५. प्रतिसं० ७ । पत्र पूर्ण बेष्ट ० ६६ प्राप्ति स्थान ४३६२. प्रतिसं० ४ पयसं० १५० | आ० १०९५३ इत्र । ले० काल सं १८६३ सावए बुदी ७ पूर्ण वेष्टन सं० ७८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमान टोंक । विशेष- ब्राह्मण सुखलाल ने राजमहल में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। ४३६३. प्रति सं० ५ पत्र० ९२ प्रा० १२ X ६०काल सं० १७६३ मंसिर सुदी १४ पूर्ण जेष्टन सं० ५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । ० १५७ | आ० १२५ इख ले० काल स० १८३२ कालिक प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह टोंक । भौंसा चाकसू वाले ने प्रतिलिपि की थी। [सं०] १६८ । ग्रा० १० X ४३ इञ्च । ले० काल सं० १८३० दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। ४३६६. प्रतिसं० ८ ० ११३ ११६ ० काल सं० १७५७ अपूर्ण वेष्टन ०६६। प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंथी मंदिर बसवा । ४३६७. प्रतिसं० ६ । पत्रसं० १४२ । ग्रा० ११ x ६३ । ले० काल X | पूर्ण बेन सं० २२ प्राप्ति स्थान दि० जैन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । L ४३६८. प्रतिसं० १० । पत्र सं० ११४ । ले० काल X पूणं । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान- बाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कया साहित्य ] [ ४४३ . .. ४३६६. प्रति सं० ११ । पत्रसं० १६५ । श्रा० १०४४३ हञ्च । लेकाल सं० १८०० ] पूर्ण । वेष्टन सं०६६-४० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटसियों का डूगरपुर । ४३७०. प्रति सं० १२।पत्र सं १८४ । मा० x ५ इञ्च । लेकाल सं० १८२२ आषाढ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं०५३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष- मानन्दराम गोधा ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। ४३७१. प्रति सं० १३ । पत्र सं० १२४ । ले. काल सं० १८२४ सावन बुदी ८ । पूर्ण। धे.सं. ३७३ । प्राप्ति स्थान दि० जन पचायती मन्दिर भरतपुर । ४३७२. प्रति संख्या १४ । पत्रसं० ७६ । ले०कास ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४३७३. त्रिलोक सप्तमी व्रत कथा-अ० जिनदास । पत्र सं०७ । प्रा. ११४४ इव । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । र०काल | लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं० ३१३१२४ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि० जैन मंदिर उदयपुर । ४३७४. दमयंती कथा-त्रिविक्रम भट्ट । पत्र सं० १२१ । मा० ६x४५ इञ्च । भाषासंस्कृत (गद्य) । विषम---कथा । र०काल x ! ले०काल सं० १७५७ धावण सुदी २। पूर्ण । वेष्टन सं. १८४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) । विशेष-- इन्द्रगढ़ में भूनि रत्नविमल ने प्रतिलिपि की थी। ४३७५. दर्शनकथा-काराम । पत्र.सं.३७ । प्रा. ११x६ इञ्च । भाषा–कया। २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३९८ । प्राप्ति स्यान-भट्टारकीय दि० जन मन्दिर मजमेर। ४३७६. प्रति सं० २। पत्र सं० ३७ । आ० १०१४५३ च । लेकालसं० १९३६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर ।। ४३७७. प्रति सं० ३ । पत्रसं० २ से २५ । प्रा० १३१ X ७ इञ्च । लेकाल X । प्रपूर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-१,१० एवं ११ या पत्र नहीं है । ४३७८. प्रति सं०४ । पन्त्र सं० २८ । आ० १२१४७१६च । ले०कास सं० १९४२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६७-७३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर, कोटड़ियों काढूंगरपुर । ४३७६. प्रति सं०५ । पत्रसं० २७ । मा० १२१४८ इञ्च । ले०काल सं० १९४३ । पूर्ण । वेष्टनसं०१ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर भादवा (राज.)। ४३८०. प्रति सं०६। पत्र सं० २२ । ले. वाल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । ४३८१. प्रति सं०७ । पत्र सं० २८ । ले० काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं• २७ । प्राप्ति स्थान–दि जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा। ४३८२. प्रतिसं०८ । पत्रसं० ३४ । प्रा० १०३४७ इञ्च । से काल X । पूर्ण । वेष्टन म. १००। प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मंदिर कामा। Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४४ ] [प्रन्थ सूची-पंचम भाग ४३८३. प्रति सं० ६ । पत्र सं० ५५ ५ प्रा० १२३४५६६च । से काल सं० १९०७ । पूर्ण । वेष्टन सं०७७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन छोटा मन्दिर बयाना। ४३८४. प्रति सं०१०। पत्रसं० ३८ । आ० १०४६ इञ्च । लेकाल स. १६२ पासोज पदी ८ । अपूर्ण । वेष्टन सं. ४४ । प्राप्ति स्थान--सौगाणी दि. जैन मंदिर करौली। विशेष-प्रथम पत्र नहीं हैं। ४३८५. प्रतिसं०११। पत्र सं०५८ । प्रा० x ५इश्व । ले० काल सं. १६५६ सावन सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन स०७२ 1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर करौली। विशेष-चिरजीलाल व गूजरमल वैद ने करौली में प्रतिलिपि की थी। ४३८६. प्रतिसं०१२ । पत्रसं० ४१ । आ० १०२४५३ इञ्च । ले०काल सं० १९२७ चैत्र सुदी १०। पूर्ण । वेष्टन स.७२ १९५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष-पत्र सं २३ और ३१ को दो प्रतियां और हैं । ४३८७. प्रप्तिसं० १३ । पत्र सं० २८ । प्रा० ११४७१ इन । लेकाल सं० १६६१ कात्तिक सूदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। ४३८८. प्रति सं०१४ । पत्र सं० ४६ | प्रा..४६३ इश्व । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन पं. ११७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूदी। ४३८६. प्रति सं० १५ । पत्रसं० २४ । प्रा० १३ ४ ७ इञ्च । ले. काल । पूर्ण । येष्टन सं०१०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी । ४३१०. प्रति सं०१६। पत्रसं०३२ । प्रा. १०४७ इन्च । लेकाल सं० १६६१। पूर्ण । वेष्टन सं० ७६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर, नागदी बू'दी। ४३६१. प्रति सं०.१७ । पत्रसं० २३ । प्रा० १२३ ४ ८ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३७ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर लरकर जयपुर । ४३६२. दशलक्षण कथा-४ । पत्रसं० ३। या १० x ४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र०काल x | ले. काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं० ६७ । प्राप्ति स्थान-भट्ठारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ४३६३. वशलक्षण कथा-X । पत्रसं० ४। प्रा० १०३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र०काल x । ले० काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० २३३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ४३६४. दशलक्षण कथा-हरिचन्द । पत्र सं. १० । प्रा० ११४४१ इञ्च । भाषा-अपम्रश । विषय - जथा । र काल सं० १५२४ । ले. काल X पूर्ण । वेष्टन सं० १४८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष आगे तीन कथाए और दी हुई है प्रारम्भ-ओं नमो वीतरागाय । वंदिवि जिण सामिया सिन मुह गामिय पथमि दह लखणामि कहा। Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] साराय सुह कारण भवशिहितारण भवियहाशि सुणह भत्ति यहा ॥ अंतिम सिरि मूलसंघ बलत धारमणि । सरसइ गच्छवि संसार मरिण । यहच'द पोम नंदिसुवर, मुहचन्दु महार उप पबुधरं ॥ जिणचन्द सूरि गिजियडयरणं, तह पट्ट सिहकीति विसुर्गण मुनि खेमचन्द सूरि मयमोहहणं, श्री विजयकीति तयखीस तेणं ।। अज्जिय सुमदरासिरे पयणमियं पंडित हरियंदु विजयसाहियं ।। जिण पाइह चोइहरयं । विरहय दहलक्खण कह सुबयं ।। उवएसय कहियं गुरागलयं । पंदहसद चउबीस मलयं । भादव सृदी पंचमि अइ दिमलं । गुरुवार विसारयणु खतु अमलं ।। गोवागिरि दुग्ग दागइयं । तोमरहं वंस किल्हण समयं । पर लवृकंतु वसहितलं । जिपक्षास सुधम्म पुरणं हमालय मज्जावि सुसीला गुण सहियं । गंदरण हरिपार बुद्धि रिस हियं ।। दहु जे पढहि पढाबहियं । याहि बखारग हि दखसहियं ।। ते पावहि मुरार सुक्खवर। पाछे पुणु मोखलच्छिय पर। धत्ता सासय सुहरन भवशिहिवत्त परम परिसु पाराहिमणा । दह धम्मह भाउ पुरण सय हाउ हरियंद रामसिय जिरणवरणा ॥ इति दस लावणिक कथा समाप्त । इसके अतिरिक्त मौनव्रत कथा (संस्कृत) रत्नकीति की, विद्याधर दशमीवत कथा (संस्कृत) तथा नारिकेर कथा (अपभ्रंश) हरिचन्द की और है। ४३६५. दशलक्षरण कथा:-० जिनदास । पत्र सं०१६ । प्रा०५:४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-कथा । र काल ५ । ले० काल सं० १६४७ । पूर्ण । वेष्न सं० ५४७ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ४३६६. दशलक्षण कथा । पत्र सं०६। भाषा-हिन्दी । विषय-कथा। रफाल x। ले० काल सं० १९६८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१३ । प्रान्ति स्थान--- दिन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-व्रत कथा कोष में से ली गई हैं। पुष्पांजलि कथा और है। ४३६७. दान कथा-भारामल्ल । पत्र सं०६ । प्रा० ११४५ इन्च । भाष-हिन्दी । विषयकथा । र०काल X । ले. काल XIपूर्ण । वेष्टम सं० ३६६६८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभवनाय मन्दिर उदयपुर । ४३६८. प्रति सं० २१ पत्र सं० १० । ले. काल x पूर्ण। वेष्टन सं० ४००/६६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ४३६६. प्रति सं० ३। पत्र सं०३० 1 प्रा. ११४७१ च । ले० काल सं० १९४३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर बधेरयालों का प्राशं (उणियारा) विशेष-सीलोर ग्राम में प्रतिलिपि की गई थी । ४४००. प्रति स०४। पत्रसं० ५८ | प्रा.७ ५५ इञ्च । ले. काल x । पूर्ण । बेहतसं० १७ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर कोटथों का नणवा । ४४०१. प्रतिसं० ५। पत्र सं० २६ । ग्रा० १.१x६ इञ्च । ले. काल सं० १६३६ । पूर्ण। वेशन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान --दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर नपत्रा। ४४०२. प्रति सं०६। पत्रसं० २-३४ । ले०काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० ५५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन तेव्हांथी मन्दिर नैणया। ४४०३, प्रतिसं०७ । पत्र सं० ३२ । मा० x ६ इञ्च । ले० काल सं० १९३७ । पूर्ण । बेपन सं०३। प्राप्ति स्थान--दि जैन अनवाल मन्दिर नगवा । ४४०४. प्रतिसं० - ३ पत्र सं० ३२ । लेकाल सं० १९३७ । पूर्ण । वेष्टन सं०५ । प्राप्ति स्थान-- दिन अग्रवाल मन्दिर नैणया । ४४०५. प्रतिस'०६ । पत्र सं० २७ । प्रा० EX६ इच : ले. कास १८६१ । पूर्ण । देष्टन सं० ७७ । प्राप्ति स्थान-वि. जैन मन्दिर नागदी बदी। ४४०६. प्रतिस० १० । पत्र सं० २४ । आ० ११४७ इञ्च । से० काल X । अपूर्ण । बेष्टन संक ६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बू दी। ४४०७. प्रतिसं० १११ पत्र सं० ३० । आ० १०३ ४७३ इञ्च । ले. काल सं० १९३७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ दी। ४४०८. प्रति सं० १२ । पत्र सं० २६ । प्रा० EX६ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण वेष्टन सं. १५१ । प्राप्तिस्थान--दि जैन मंदिर श्री महावीर बदी। ४४०९. प्रति सं० १३ । पत्र सं० २६ । प्रा० १०३४७१ इञ्च । ले०काल १९३७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर श्री महावीर बू दी । ४४१०. प्रति सं०१४ । पत्र सं० ३० । प्रा० ८१x६ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. १५७ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर श्री महावीर दी। Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] ४४११. प्रतिसं० १५ । पत्र सं० २२ बा० ११३६३ | १३. पूर्ण सं० ७११०४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर | विशेष – १८ पत्रों की एक प्रति और है । ४४१२. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० २६ | ० १०३ X ६ इश्व | ले० काल सं० १६५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दीपानजी कामा । ४४१३. प्रतिसं०] १७ । पत्र सं० २० से० काल सं० १६२२ पूर्णा बेत सं० १२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन तेरी मन्दिर बसवा । ४४१४. प्रति सं० १८ | पत्र सं० २४ । ले० काल सं० १६२६ पूर्णं । वेष्टन सं० १२४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरापंथी मंदिर बसवा । 1 । ४४१५. प्रति सं० २६० २६० १२३ प्र । काल X पूर्णं न सं ५३५ प्राप्तिस्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ० X ६ ४४१६. वान कथा -X | पत्र ०६४ भाषा-हिन्दी विषय कथा। २० काल X ते० काल सं० १९२४ । पूष्ट सं० २०८ प्राप्त स्थान दि०कंग मंदिर भादवा (राज0) विशेष – निशि भोजन कथा भी दी हुई । ४४१७. दानशील कथा- भारामल्ल । पत्र सं० ७० | भाषा हिन्दी | विषय-कथा । २० काल X | ले० काल X | पूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान - दि०जैन मंदिर दीवानजी भरतपुर । विशेष- कमर में लिखा गया था । ४४१८. दानशील संवाद - समयसुन्दर । पत्र पूर्ण [ ४४७ । ०काल १११० माह बुदी | हिन्दी विषय कथा १० काल X ले० काल दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष कोट ग्राम में प्रतिलिपि हुई थी। ४४१६. दानी की कथा - Xपत्र विषय - कथा । र०काल X ले० काल X पूर्ण जैन मन्दिर कोटडियों डुंगरपुर । ४] इव भाषा-सस्कृत विषय कथा १० का स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर धजमेर । ४४२२. द्वादशव्रत कथा --- x कथा । र०काल X वे०का सं० २०४५ जैन मन्दिर अजमेर | सं० पूर्ण ४४२०. द्वावशेवत कथा-पं० अश्वदेव पत्र [सं० ६ ॥ भा० ११३ x ४६ भाषासंस्कृत विषय – कथा । र० काल x । लै०काल x । पूर्ण । वेष्टन २३६ | प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर सरकर, जयपुर । ४४२१. द्वादशव्रत कथा (प्रक्षयनिधि विधान कथा ) – X X ले०का x पूर्ण ०७० x ४ इश्व भाषाबेन सं० २६१ / १७४ | प्राप्ति स्थान । । ५ ० १०४४ इस भाषा हिन्दी प ॥ सं० २२० - १३२ । प्राप्ति स्थान दि० बेन ० ६० X ४ वेष्टन सं० २०४ प०३८ १०४ न ० २५६ प्राप्ति भाषा-सस्कृत विषयप्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-अजयगढ में प्रतिलिपि हुई थी। ४४२३. विवाहार-लावग्यसमय । पत्रसं० १ । भाषा-हिन्दी । विषम-कमा । २० काल XI लेकाल: । पूर्ण । वेष्टन सं. २०६/१६१ । प्राप्ति स्थान -६० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रादि अंत भाग निम्न प्रकार हैआदि भाग पाय प्रणमीम सरसति वरसति बचन बिलास । मुनिवर केवल घरगार सुमहिम निवास । तुरे गायमु केवल धरे ते मुनिवर निवप्रहार ऋषिराज । सीहतरपी परि संयम पाली जिराइ सारा सयिकाज । कवरण दीपपुर मातपिता कुण किमाए प्रगटु नाम । कहिता कविरा सुमायो भविया भाव धरी अभिराम ॥ अन्तिम सिरि वीर जिणेसर सासनि सोहई सार । मंगलकर केवलनाणी शिप्रहार लरे द्विद प्रहार । केवल केरु' सुपिइसार चरित्र जेरणइ धार त्याह उतारि काश करी पवित्र । विध पुरन्दर समय रतन गुरु सुन्दर तसु पाय पामी। सीस लेन लावण्यसमय इम जपइ जयशिव गामी। इति द्रिढ प्रहार । ४४२४. दीपमालिका कल्प... । पत्र सं०६ । प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र काल X । लेकाल सं० १७७३ ज्येष्ठ गुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर 1 ४४२५. दीपावली कल्पनी कथा-४ । पत्रसं० २५ । प्रा० ११४४ इन्च । भापा--- हिन्दी (गश) । विषय-कथा । २० काल ४ । लेकाल सं० १६३६ । पूर्ण। वेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अम्बाल मन्दिर उदयपुर । ४४२६. देवकीनीढाल-X । पत्रसं० ५८ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-कथा । र०काल X । ले. काल x | अपर्ण । वेष्टन सं०३५२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर दबनाना (दी)। ४४२७. देवीमहात्म्य--X । पत्रसं०६ । प्रा० ८४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल?x । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन मं० ४२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी। विशेष ---जनेतर साहित्य है । मार्कडेय पुराण में से ली गयी है। ४४२८. धनाचउपई-मतिशेखर । पत्रसं० १४ । मा १०६x४ इश्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-कथा ! 'र० काल सं० १५७४ । ले० कालसं० १६४० । पूर्ण । येष्टनसं० ११२/६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दीसा । Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [४४६ সাম— पहिल परणमीय पय कमल वीर जिरादह देव । भविम सुरणी पन्ना तरणो वरिय भएपउ खेवि जिणवर चिह परिभासीउ सास रिण निम्मल चम्म । तिह धुरि पंससिउ जिह तूटइ सदि कम्म ॥२।। पत्र पर वय वचन मनि हरषिवो निसिभरि धनसार । नीसरियो मागलि करी, सहयइ परिवार ॥६५|| गामि २ परि २ करइ जिउ काम वरांक । तऊन पूरउ हुव परउ, घिग घिग कर्म विपाक । अन्तिम पाठश्री उबएस गछ सिणगारो, पहिलाउ स्वरपप्पह गणधारो। गुण गोयम अवतारे ।। जख एब सूरिद प्रसीउ, तासु पट्टि जिणि जगि जसु लीयो । संयम सिरि उरिहारो॥२७।। अनुक्रमदेव गुप्ति सूरीच, सिद्ध मूरि नमहि तसु सीस । ___ मुनिजन सेविय पाय। तासु पट्टि संयम जयवंतज, गछनायक महि महिमा बताउ । कक्कमरि गुरुराय ॥२८॥ सयहन्धि व्यापी पतिण गणहारी, गुणवतशील सुन्दर बाणारि । वरीय जेरिण अणंगो। तासु सीस मतिशेखर हरषिहि, पनरहसय यादोत्तर पर्ससहि। कीयो कथित अति चंगो ॥२६॥ एह चरित घना नउ भाविहि, भगाई गुणई जे कहइ कहावइ । जे संपत्ति देइ दान । ते नर मन वंछिय फल पायई । धरि बइठा सवि संपद प्रावइ । विलसद नवई रिधान ॥३०॥ इति चना चउपई समाता। संवत् १६४० ...... बुदी ६ शनिवारे । खेतइ रिपनो भाइई लिख दीइ ।। ४४२६. धर्मपरीक्षा कथा-देवचन्द्र । पत्रसं० २८। प्रा० १२४५ इंच । भाषा-संस्कूल । विषय कथा । र. कालx1ले. काल सं० १६५५ फागन सुदी २१ वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान - दि जैन मन्दिर लपकर, जयपुर । विशेष-जगन्नाथ ने प्राचार्य लक्ष्मीचन्द के लिए प्रतिलिपि की थी ४४३०. कथा-४ । पत्रसं०८-१३० । प्रा० ७४५ इच । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । २० कालxले. काल सं० १८५२ बैशाख बुदी । पूर्ण । वेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मदिर प्रादिनाथ दी। । Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५० ] [ ग्रन्थ सूची-पश्चम भाग ४४३१. धर्मवद्धि मंत्री कथा–बखतरास । पत्र सं० १७ । प्रा० ८.X८ इञ्च । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय-कथा । २० काल सं० १९६० पासोज बुदी I ले. काल सं० १८७४ सावण सुदी २। पूर्ण । बेन सं० ६६५ । प्राप्ति स्थान—भट्टारकीय दि० जन मन्दिर अजमेर । विशेष-धर्मयुक्त बुद्धि को मंत्री के रूप में सलाहकार माना गया है। ४४३२. नरकनुढाल-गुरगसागर । पत्रसं० २। या० १०४४ दश्च । भाषा-हिन्दी। विषय-कया । र० काव' x I ले. काल•X । पूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ४४३३. नलवमयंती चउपई-x। पर सं० ५६ । प्रा०६x४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-कथा । र० काल । ले०काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० ११७ 1 प्राप्ति स्थान–दिक जैन मन्दिर दबलाना दी। ४४३४. नलवमयंती संबोध-समयसमुन्दर । पत्रसं० ३० । प्रा०x४१ इञ्च । भाषाहिन्दी विषय-कथा । र० काल सं०१६७३ । ले. काल सं० १७१८ मंगसिर सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं. १६६५ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर, अजमर । विशेष—अजयगढ़ में प्रतिलिपि नई थी। रचना का अन्तिम भाग निम्न प्रकार है संवत सोलसिंहसरइ मास वसंत ग्रएंद । नगरं मनोहर मेडतो जिहाँ वासपूज्य जिणंद । वासुपज्य तीर्थकर प्रसाद गध, खरतर गह गहइ । गछराय जयप्रधान जिनसिंधरि सद्गुरु जस लहर । उवाय इम कहई समयसुन्दर कीयो अग्रह नेतसी। चपई नलदमयंती किरी चतुरमारास चित्त वसी । इति श्री नल दमयंती सम्बन्ध मापसदेव कृत सातकोटी स्वर्ग वृष्टि । ४४३५. नलोपाख्यान--X । पत्रसं० ४७ । प्रा० १२४७१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा। र. काल। ले० कालx [ अपूर्ण । वेष्टन सं० ५२५ । प्राप्ति स्थान-भद्रारकीप दि० जन मन्दिर अजमेर। विशेष- राजा नल की कथा है । ४४३६. नागकुमारचरित्र-मल्लिषेण । पत्रसं० २२ । प्रा० १०३४५ इन्च । भाषासंस्कृत । विपय-कथा । र० काल X । ले० काल सं० १६७५ पासोज मुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान-भट्रारकीय दि. जैन मन्दिर प्रजभेर। ४४३७. प्रति सं०२। पत्रसं० २६ । प्रा० ४४ ६ञ्च । ले० काल सं० १८३० चैत्र सुदी ५। अपूर्ण । वेष्टन सं० ६८२ । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय थि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-इसका अपर नाम नागकुमार कश्रा भी है । ४४३५. प्रति सं०३। पत्रसं०३८ 1 या १४४० श्च । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३४८ 1 प्राप्ति स्थान..-भट्टारकीय दिदैन मन्दिर अजमेर । Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४५१ ४४३६. प्रति सं०४। पत्र सं० २७ । पा० १२४ ५ इन्च । ले० काल X । पूर्ण। बेष्टन सं० २८७/१४८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति प्राचीन है। ४४४०. प्रतिसं०५ । पत्र सं० २-१५ । प्रा० ११ x ४ इञ्च । ले. काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० २५६१४४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ४४४१. प्रति सं०६। पत्र सं०३-२७ । लेकाल सं० १६१६ । अपूर्ण । बेष्टन सं० २५४ / १३३ 1 प्राप्ति स्थान-वि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति-संवत् १६१६ वर्षे गुरु कोटनगरे श्री चन्द्रप्रभ चैत्यालये भट्टारका श्री शुभचन्द्र शिष्य मुनि धीरचन्द्र ण ज्ञानावरमी बर्मक्षयार्थ स्वहस्तेन लिखिन शुभमस्तु । ब्रह्म धर्मदास । ४४४२. प्रतिसं०७ । पत्र सं० २-२० 1 प्रा. १०x४ इञ्च । लेकाल X । अपूर्ण । बेसन सं० २३६-१२६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ४४४३. प्रतिसं० । पत्र सं० २०। ले. वाल १६०७ । अपूर्ण । वेष्टन सं०४७:१२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर। विशेष--प्रशस्ति प्रपूर्ण हैं । "ब्रह्म नेमिदास पुस्लकमिदं ।" ४४४४. प्रति सं. ६ । पत्र रा. २८ | मा १०४४३ इञ्च । ले. काल सं० १७१४ । पूर्ण । वेष्टन मं०१० । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १७१४ वर्षे भादौ मासे कृष्णपक्षे ५ बुधे श्री मूलसंघे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे कुदकुदाचापर्यान्वये तत्प? मट्टारक थी पद्मकीर्ति तत्प? श्री सकलकीति साधु श्री द्वारकादास ब्रह्म श्री परमस्वरूप अनातग़मेरस लिखितं । ललितपुर ग्रामेणु मध्ये श्री पार्श्वनाथ चैत्यालय शुभं भवतु । ४४४५. नागश्रीकथा-० नेमिदत्त । पत्रसं० २०१आ० १०३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय कथा । २.० काल ४ ले० कान X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । ४४४६. प्रति सं० २। पत्रसं० ४१ । प्रा० १०३४५६ इच। ले. काल सं० १६०८ । पूर्ण । श्रेष्टन सं० २२१२ । प्रादि स्थान-दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का, टूगरपुर। प्रशस्ति-संवत् १६०८ वर्षे पौष सुदी १४ तिर्थी भृगु दिने श्री धनोबेन्दुगे श्री प्रादिनाथ चैत्यालये भूलसं भारतीनच्छ बलात्कारगणे श्री कुदकुदाचार्यान्वये भ० पद्मनंदिदेवा तत्पन भ० देवेन्द्रकीतिदेवास्तत्प म० श्री विद्यामंदिदेवा तत्पट्ट भ. श्री भारतिभूषणदेवा तत्प? पं० श्री लक्ष्मीचंददेवा तत्पट्टे म० श्री वीरचवदेवा श्री जिनचन्देन लिखापितं । ४४४७. प्रति सं० ३ । पत्रसं० १६ । प्रा० १०५ ५६ इश्च । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १२३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पार्श्वनाथ मंदिर चौगान बूदी । ४४४८. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १८ । प्रा० १०४४ इञ्च । ले० काल सं० १६४२ माह सुदी ४। पूर्ण । बेष्टन सं०२४१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-प्रशस्ति सुन्दर है। ४४४६. निझरपंचमी विधान- x पत्र सं० ३१ प्रा. ११४५२ ६ञ्च । भाषा-अपभ्रंश । विषय-कथा । २०काल ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११। प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा। ४४५०. निर्दोषसप्तमी कथा ब्रह्म रायमल्ल । पत्र सं० २ । प्रा० १२४५३ इश्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-कथा । र० कालX । ले. काल पूर्ण । वे० सं० ५१-१५६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) अन्तिम जिनपुराण मह म सुण्णी , जिहि विधि ब्रह्मरायमल मण्यो ।।५।। ४४५१. निशिभोजनकथा-किशनसिंह । पत्रसं० २-१५ । या. १४ ५ ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । २० काल सं० १७७३ सावन सुदी ६ । ले० काल सं० १६१८ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बयामा। बिशेष-ग्रादि अन्त भाग निम्न प्रकार हैप्रारम्भ माथुर बसंतराय बोहरा को परधान । संगही कल्याणराव पाटनी बख़ानिये । रामपुर वास जाको सुत सुखदेव सुधी। ताको सुत कृष्णसिंह कविनाम जानवे । तिहि निशमोजन त्यजन व्रत कथा सुनी ता कीनी चौपई सूयागम प्रमानिये 1 मूलिचूकि अक्षर जु घरे ताको बुध जान सौधि पढ़ी विनती हमारी मानिये । छप्पय प्रथम नागथिय चरित्र देव भाषा मय सोहै सिंघनंदि शिष्य नेमिदन करता दुध जोहै। ता अनुसार जु रची वचनिका दसरथ पंडित । व्रत निशभोजन वजन कथन जामै गुण मंडित । चौपई बंध तिह अन्थ को कियो किशनसिंह नाम कवि जो पदय सुनय सरधान कर अनुक्रम शिव लह मबि ।।५।। दोहा संवत सपैस अधिक सत्तर तीन सुजान । श्रावन सित जटवार भृग हर पूर्णता ठान ॥६॥ कथा माहि चौपई च्यारसे एक बखानी इकतीसापन छप्पन छोय नव बोधक जानी। Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] सब एक ठौर किये चारसे सत्रह गर्निये सुज गति लघु व्याकरण न भनिवे बढ घट वरन पद मात्र जो होय लखविमो दीनती कर सुद्ध पजे वश कर जोर करें कांति ॥ रचना दूसरा नाम 'नामश्रीकथा भी है। तज्ञ ४४५२ प्रतिसं० २ । पत्र० २६ ० १०५ ष जे०शाल सं० २०१२ फागुन मुद्दी १३ । पूर्ण वेष्टन सं० २०६ (घ) प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ०४२ मा० ९x४३ इ० का X पूर्ख न सं० ४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैनपंचायती मन्दिर करौली । ४४५३. प्रति सं० ३ ४४५४. प्रति सं० ४ पत्र सं० ३२ 1 ० ९६ इव । ले० काल सं० १६४० पूणं । वेष्टन ०७२ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टॉक) ४४५५. प्रति सं० ५ । पत्र सं० २२ । य० १२४५ इंच । ले० काल सं० १९७६ भादवा बुदी २ । पूर्णे । वेष्टन सं० ८६ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर र । [ ४५३ ४४५६. प्रति सं० ६ | पत्रसं० २६ | ले०काल सं० १९०५ - वैशाख बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६० । प्राप्ति स्थान — दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर | ००२०१६ वेटन सं० ९१ प्राप्ति स्थान ४४५७. प्रति सं० ७ पत्र ० १७ दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर | ४४५८ प्रति सं० ८ प ० ३१ प्रा० १०३५ पूर्ण वेष्टनसं० ८६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटडियों का वैणवा । ० काल सं० १०४० बुदी १३ । ४४५६. प्रति सं० ६ । पत्रसं० २३ । ले० काल सं० १८४४ पूर्णं । म सं० ५७९ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १३ । प्रा० १०३x६३ ४४६०. निशि भोजन कथा – भारामल्ल | पत्र सं० भाषाहिन्दी विषय कथा २० काल X से० काल सं० १९५२ पूर्ण वेटन सं० ३३० प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर दीवजी कामा । ४४६१. प्रति सं० २ । पत्र [सं०] १२ । श्र० १३४८ इथ 1 ले० काल सं० १९५२ । वेष्टन सं० ४६ / २५ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर पंचायती दूती (टोंक) । र०कान X श्री महावीर बूंदी। ४४६२. प्रति सं० ३ पत्र ०१७ सा० १०X३३ ० काल सं० १६०२ पूर्ण वेष्टन सं० ४२ प्राप्ति स्थान- तेरहपथी दि० जैन मन्दिर नैणवा । ४४६३. प्रति सं० ४ | पत्र सं० १३ । ले०काल X | अपूर्णं । वेष्टन सं ० ४३ । प्राप्ति स्थानतेरहवी दि० जैन मन्दिर नैरावा । ४४६४. प्रतिसं० ५ ले०काल सं० १९५० ० १२० १२४६ ६ भाषा हिन्दी पथ विषय-कथा पूर्ण वेष्ट सं०] १६६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५४ ] [ ग्रन्थ सूची पंचम भाग ० २ १४ । प्रा० १२५७ इन्च । ले०का सं १९२७ । पू । दि० जैन मंदिर श्री महावीर बूंदी ४४६५ प्रतिसं० ६ वेष्टन ०१७० प्राप्ति स्थान ४४६६. प्रति स ० ७ । पत्र सं० २१ । ले० काल सं० १९६१ । पूर्ण वेष्टन सं० ७६ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी। बूंदी। ४४६७. प्रतिसं० ८ पत्र नं० २६ झा० ७ x ४ इंच ले०काल सं० १९१८ गहन बुदी ६ । पूर्ण वेष्टन सं० ११६ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, सं० १३० १० X ७ ले काल से १९३५ सावन बुदी प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पानाथ चौगान बूंदी | मिश्रण है । ४४६८ प्रतिसं० १३ । पू । वेष्टन सं० २१३ विशेष दो प्रतियों का ४४६६. प्रतिसं०] १० पत्रसं० २१०७ X ५० काल सं० १९६१ पूर्ण बेष्ट सं० १२३ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी | विशेष – चंदेरी में प्रतिलिपि हुई थी। ४४७० प्रतिसं० ११ पत्र सं० १४ ० १०३ ७३ इन्च | ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० १०७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर यादिनाथ बूंदी | ४४७१. प्रति सं० १२ । पषसं० ७ ० ११५ ० x पूर्ण वेष्टन सं० ४०१/२० प्राप्ति स्थान संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । ४४७२ प्रति सं० १३०० काल X पूर्ण ० ० ४०२/१०० प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर उदयपुर । x | । ४४७३. निशिभोजन कथा - पत्र सं० १९ मा० ९३२३ इस भाषा हिन्दी - (पद्य) विषय कथा २० काल x । ले० काल सं० १९५७ । पूर्ण बेत सं० ८१ प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर कोटयों का नैरावा । 1 ४४७४. नंदीश्वर कथा- शुभचन्द्र पत्रसं० पत्र सं०११ पा० १०x४३ ६ भाषासंस्कृत विषय कथा २० काल । ले० काल । पू । वेष्टन सं० २० प्राप्ति स्थानx x । वाल पंचायती दि० जैन मन्दिर असर । विशेष – इसे श्रष्टाका कथा भी कहते हैं । ४४७५. नंदीश्वर व्रत कथा पत्र मं० ६ ० १२३४५३ इव भाषा-संस्कृत । ॥ । । विपय कथा | २० काल X 1 ले० काल X | पूर्णं । वेष्टन सं० ३१२ प्राप्ति स्थान - अग्रवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर | ४४७६. नंदीश्वर व्रत कथा - x x । पत्रसं० २६ । प्रा० संस्कृद विषय-पन्या २० का x काल सं० १८२७ ज्येष्ठ बुदी २ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। | ० विशेष -- जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी । १०३ ५५ इन्च भाषा। प्रपूर्ण बेन ०२१२ । Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य J [ ४५५ ४४७७. नन्दीश्वर कथा--X । पत्रसं० ८ | पा०१०x४३ इंच । भाषा-संस्यूत । विषय-कथा । २० कारा X । ले०काल ४ 1 पुर्ण । वेष्टन सं० २०६/८४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का टूगरपुर । ४४७८. पंचतंत्र-X । पत्र सं०२.६३ । आ०१०३४४१ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयकथा । र० काल X । ले० काल X । अपुग । वेष्टन सं० ९५८ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर प्रजमेर । ४४७६. प्रतिसं०२ । परसं० १०६ । प्रा० १६४४ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३३ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ४४८०. पंचमीकथा टिपग-प्रमाचन्द्र।पत्र सं०२-२० । आ० १०x४.इश्च । भाषा-अपभ्रंश, संस्कृत । विषय-कथा। २. काल । ले०काल ५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक)। ४४८१. पंचपरवी कथा-ब्रह्म विनय । पत्र सं०६ । प्रा० १०३४ ५३ इंच । भाषा-हिन्दी प०॥ विषय-कथा । र० काल सं० १७०७ सावण सुदी २ । ले०काल X । पुरणं । वेष्टन सं० १८२ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-रघुनाथ ब्राह्मण गुजर गौड ने लिपि की थी। अन्तिम सतरासै सतोतर कहीं सावरण वीज उजाली सही । मन माहै परियो आनंद, सकल गोठ सुखकरी जियाद । मलसंघ गछ मंडलसार, महाबली जीत्यो जिहपार . जसकीरत समै गछपती, सोभै दिगंबर नवै नरपति : साथ सिंघाडो रहै अतूप, सेवा करे बडेरा भूप। . महानती प्रणव्रती धार, सेबै चरण फिरत है लार ।। तास शिध्य विरणमें ब्रह्मचार, करी कथा सब जन हितकार । थोड़ी बृद्धि रणीकी चालि, जावं गोत वाकलीवाल । पानन्दपुर आनंद थानि, मला महाजन धरम निधान ।। देव शास्त्र गुरु माने आण, गुणग्राहक रु सकलसुजाण । पांच परवी कथा परवान, हितकर कहीं भतिक हित जानि । मन बच तन सुद्धर सिर धान पद सून पावै निरवारा ॥ ४४८२. पंचास्यान-विष्णुदत्त । पत्र सं० १८६ । प्रा० १० x ५ इन्च 1 भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र०काल ले. काल सं० १५५५ । पूर्ण । वे० सं० १६/१२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पंचायती दुनी (टोंक)। विशेष-सहजराम व्यास ने तशकपुर में प्रतिलिपि को श्री। द्रोणीपुर (दूनी) में पाश्वनाथ के मन्दिर में नेमीचंद के पठनार्थ लिखा गया था 1 Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५६ ] [ ग्रन्थ सूचो-पंचम भाग ४४८३. पंचालीनी व्याह-गुणसागर सूरि 1 पत्र सं०१1 प्रा. EX४ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषप-कथा । र०काल x | ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० २५८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। विशेष–२५ पद्यों में वर्णन है । अन्तिम सातारण मी हालमद पंचालीनो व्याह । ___कहि श्री गुणसागर सूरि जी गजपुर माहि उछाह । ४४५४. परदारी परशील सज्झाय-कुमुदचन्द । पत्र सं० १ । प्रा० १०४ ४३ इन्च । भाषा-हिन्दी। विषय–कया । २० काल X । ले० काल सं० १७६७ । पूर्ण। बेष्टन सं० २४३ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । ____४४८५. परदेसी राजानी सज्झाय-x। पत्र सं० १ १ आ. १.४ ४३ इभा । भाषाहिन्दी। विषय-कथा । २० काल x 1काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २४४ । प्राप्ति स्थान-दि मन्दिर बोरसली कोटा । ४४८६. पर्षरत्नावलि उपाध्याय जयसागर । पत्रसं० २० । प्रा० ११४५ च । भाषासंस्कृत । विषय-वत कथा । र०काल सं० १७४ । ले० का स. १५५१ पौष सुदो ४ । पूर्ण। वेष्टन सं. १२५ । प्राप्ति स्थान - दि जैन मंदिर बोरसली कोटा । विशेष-कोटा के रामपुरा में वासुपूज्य जिनालय में पं. जिनदास के शिष्य हीरानंद ने प्रतिलिपि की। ४४८७. पल्य विधान कथा--XI पत्र सं०७। प्रा० १०3x ४ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल ४ ले०काल - । पूर्ण । वेष्टन सं. ८ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक)। . ४४५८. पल्यविधान कथा-खशालचन्द काला। पत्र सं० १५६ । प्रा० १०४७ इंच । भाषा--हिन्दी (पद्य)। १० काल सं० १७८७ फागुण बुदी १.। ले०काल सं० १९३८ सावण सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३ । प्राप्ति स्थान-पंचायती दि० जैन मन्दिर अलवर । विशेष-अक्षयगढ़ में प्रतिलिपि की गयी। ४४८६. पल्यविधान तोद्यापन कथा-श्रुतसागर । पत्रसं० ५८ | प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-कथा । र०काल x ले०काल सं०१८२६ काती सुदी५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६८९ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय वि० जैन मन्दिर अजमेर 1 ४४६०. पल्यात फल-X । पत्रसं. ११ । प्रा०११४४ इञ्च । भाषा संस्कृत। विषय-कथा । र• काल ४ । ले० काल X । पूर्ण विष्टन सं० ६६३ । प्राप्ति स्थान–भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। ४४९१. पुण्यात्रव कथाकोश--मुमुक्षु रामचन्द्र । पत्र सं० १४८ । पा० १.१४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा र०काल x ले०काल सं०१८४० वैशाख सुदी। पर्ण । वेतन सं० १०७२। प्राप्ति स्थान-भट्रारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कया साहित्य ] [ ४५७ ४४६२. प्रतिसं०२ पत्रसं० १३५ । मा० x ५ इन्च 1 ले०काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० १०५५। प्राप्ति स्थान-हारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ४४६३. प्रति सं०३। पत्रसं० ११४ । प्रा० १३. ५ इञ्च । ले. काल सं० १९०६1 पूर्ण । वेष्टन सं.२०३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी चूदी। विशेष-दी में प्रतिलिपि हुई थी। ४४६४. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १५६ | प्रा० १२३ ४ ५१ इञ्च । लेकाल सं० १८३६ ज्येष्ठ बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष जयपुर नगर के लश्कर के मन्दिर में साह सेवाराम मे पं० केशव के लिए प्रतिलिपि की थी। ४४६५. प्रति सं० ५। पत्र सं० २४८ । प्रा. १० x ४३ इञ्च । ले० कानसं० १८६४ चेत सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८२ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ४४६६. प्रति सं०६ । पत्रसं० १०३ । प्रा० १२४५ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४२६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। ४४६७. प्रतिसं०७ । पत्र सं० २३८ । ग्रा० १० x ४३ इञ्च । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०६२-३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ४४६८, प्रतिसे०८ । पत्र सं० १८७ । मा० १०३४४, इश्च । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० १२६ । प्रारित स्थान-- दि. जैन मंदिर दीवानजी कामा । ४४६४. प्रति सं० पत्रसं० १४८ । आ. ११४५ इञ्च । ले० काल x अपूर्ण । बेष्टन सं. १२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा ४५००. प्रतिसं० १० । पत्र सं०.... | प्रा० १३४५३ इच। ले० काल सं० १५६० बंशास्त्र सुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर | विशेष--प्रशस्ति निम्न प्रकार है स्वस्ति श्री मूलसं सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुदकुंदाचार्याचान्वये भ० सकलकीति तपट्ट भट्टारक श्री भुवनकोति तग म० श्री ज्ञानभूपण तत्प? भ. श्री विजयकीति तत्प? श्री शुभचन्द्र प्रवर्तमाने संवत् १५६० वर्ष वैशाख मुरी ४ शुक्र ईडर वास्तव्ये हूबड़ ज्ञातीय साह लाला भार्या श्राविका दाडिमदे तयोः पुत्री बाई पातलि नया इंटर वास्तव्ये ह बड ज्ञातीय दो देवा लघु भ्राता दो हासा तस्य भार्या श्राविका हासलदे एतान्या पुण्यासवश्राविकभिधान ग्रन्धं ज्ञानावरणादिकर्मक्षयार्थ ब्रत तेजपालार्थ लिखापितं शुभं । ४५०१. पुण्यानक्कथाकोश भाषा-चौतलराम कासलीवाल-x | पत्र सं० १४७ । प्रा० १.३४४ इन । भापा हिन्दी गद्य । विषय-कथा । २० काल सं० १७७७ भादवा बुदी ५ । ले०काल सं १९५५ मंगसिर बुदी १२ पूर्ग । वेष्टन सं० १५४५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-कवि की यह प्रथम कृति है जिसे उन्होंने अपने आगरा प्रवास में समाप्त किया था । ४५०२. प्रतिसं० २ । पत्रसं० २०० से ३८८ । प्रा० १०३४७१ इञ्च । लेकाल X । अपूर्ण। वेष्टन सं० ६६५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय 'दि जैन मन्दिर प्रजभेर। Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ४५०३. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० २०० । प्रा० ११४७ इञ्च ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टम सं. १६१६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। ४५०४. प्रति सं०४। पत्र सं० २४४ । प्रा०१०४६१ इञ्च । ले०काल सं० १९५१ प्राषाढ बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५५ ५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी दी। विशेष-पुस्तक हेासी की है। यहा । प्रतिनिधि दुई थी। ४५०५. प्रति सं० ५। पत्र सं२१० प्रा० १.४५ इञ्च । ले०काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर श्री महावीर (बू दी) ४५०६. प्रति सं० ६ । पत्र सं० १२५-३६४ । प्रा. EX६ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर राजमहल (टोंक) ४५०७. प्रति सं०७ । पत्रसं० २४३ । प्रा. १०३४८१ इञ्च । ले० काल सं० १९३४ पासोज सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पाश्वनाथ मंदिर टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-भैरलाल पहाडिया चूरु वाले ने प्रतिलिपि की थी। ४५०८. प्रति सं० ८ । पत्र सं० ३३७ । प्रा० १०३५६ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०८ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती दूनी मन्दिर (टोंक) विशेष—अन्तिम पृष्ठ प्राधा फटा हुआ है। ४५०६. प्रति सं० । पत्रसं० २१६ | प्रा० १०५ ९६३ इञ्च । ले० काल सं० १६०५ भादवा सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १२० । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) ४५१०. प्रति सं० १० । पत्र सं० २२३ । प्रा० १३४६ इञ्च । ले. काल सं० १५२३ बैशाख बुदी ७ । पूर्ण । धेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान - दि० जन मन्दिर चोधरियान मालपुरा (टोंक) ४५११. प्रति सं० ११ । पत्रसं० ३५६ । प्रा० १.४ ६ इञ्च । लेकाल सं० १८२३ । पूर्ण । वेशन सं २६ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) ४५१२. प्रति सं० १२। पत्र सं० २३७ । प्रा. ११४६ इन्च । ले०काल । अपुर्ण । वेशन सं०७६ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर कोटडियों का नंगवा विशेष --गुटका रूप में है लेकिन अवस्था जीर्ण है। ४५१३. प्रतिसं० १३ । पत्रसं० २४६ । प्रा० ११ x ५ इञ्च । लेकाल सं० १६३२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०१ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मंदिर भादवा (राज.) ४५१४. प्रति सं० १४ । पत्र सं० १२५ । लेकानX । अपूर्ण । श्रेष्ठन सं० ४ 1 प्राप्तिस्थानदि जैन बडा पंचायती मन्दिर डीग । ४५१५. प्रति सं० १५ । पत्र सं० २६१ । ले० काल सं० १८७० ज्येष्ठ बुदी३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती बड़ा मंदिर डोग । ४५१६. प्रति सं० १६ । पत्र संख्या १५१ : ले०काल सं० १.८८२ पासोज सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०६२। प्राप्ति स्थान-दि. जैन तेरहपंथी मंदिर असवा । Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४५६ पना । ४५१७. प्रतिसं०१७ । पत्र सं० ३५२ । पा० १२ x ५६ इञ्च । ले० काल x । पूर्ण। वेष्टन सं०१०३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष – बयाना में प्रतिलिपि हुई थी। ४५१८. प्रतिसं०१८ । पत्रसं. ३२६ । ग्रा० १.४७ इञ्च । ले. काल सं० १८६६ प्राषाढ़बूदी २ । पूर्ण । देप्टन सं०६६-१२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दौसा । विशेष-धारणा निवासी गोपाललाल गोधा ने प्रतिलिपि की थी। ४५१६. प्रतिसं० १६ । पत्रसं० ३२५ । प्रा० ११४५३ इञ्च । ले०काल सं० १७८८ मंगसिर युदी । पूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर चेतनदास पुरानी डीग । विशेष--लोहरी में लिखा गया था। ४५२०. प्रति सं०२०। पत्र सं० १५७ । प्रा० १२१४७१ इञ्च । ले. काल x अपूर्ण । वेष्टन सं ३५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ४५२१. प्रति सं० २१ । पत्रसं० १-३६ । प्रा० १२४५ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०४५ : प्राप्ति स्थान--जिनहिन भगाना । ४५२२. प्रतिसं० २२ । पत्र सं० २८४-३८४ । ले०कास सं० १८७० चैत सुदी ६ । अपूर्ण । वेष्टनसं० ४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बयाना । विशेष-जीवारामजी मिश्रा वैर वालों ने प्रतिलिपि कराई भी। ४५२३. प्रति सं०२३। पत्र सं० २८० । आ० ११४५३ इञ्च । ले. काल ४ । पूर्ण । घेष्टन सं० ४४६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-ग्रन्थ प्रशस्ति अपूर्ण है किन्तु महत्वपूर्ण है । ४५२४. प्रति सं० २४ । पत्रसं० १८३ । प्रा० १२३४७१ इञ्च । लेकाल सं० १९२६ पौष बुदी ५1 पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन लोटा मदिर बनाना । ४५२५. प्रति सं० २५ । पत्र सं० २३६ । ले. काल सं० १९६६ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर भरतपुर । ४५२६. प्रति सं० २६ । पत्र सं० २६५ 1 लेकाल सं० १८१३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष बेनीराम चांदवाड ने ग्रन्थ लिखवाया था। ४५२७. प्रति सं० २७ । पत्र सं० १५६ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ४५२८. प्रति सं० २५ । पत्रसं० १३४ । ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३२४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। ४५२६ प्रतिसं० २६ । पत्र सं० १०६ से २२३ । ले० काल x अपूर्ण । बेष्टन सं० ३२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ४५३०. प्रतिसं० ३० । पत्र सं० १२६ । ले काल १८६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४५३१. प्रति सं० ३१ । पत्रसं० २.१ । या० १३ x ५३ इश्य । लेकाल सं० १८७१ आषाढ सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० । प्राप्ति स्थान--दि जैन अचवाल पंचायती मन्दिर, अनवर । ४५३२. प्रति सं० ३२। पत्र सं० २८० 1 ले०काल सं० १८६६ आपाह सुरी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं०४७/४.४ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पञ्चायती मंदिर अलवर । ४५३३. प्रति सं०३३ पत्र स० २१ । ले० काल - । पूर्ण । बेन सं. ४:/५ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन पंचायती मंदिर प्रलवर । ४५३४, प्रतिसं०३४ । पत्रसं० २६०।०१२४ इश्च । दे०काल सं०१५५७ चैत्र शुक्ला २। पूर्ण । वेष्टन सं० १४४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन खंडेलवाल पंचायसी मदिर अलवर । ४५३५. प्रति सं०३५ । पत्र सं० ५०६ । आ० ११३४५ इञ्च । ले० काल सं० १८५२ । पूर्ण । वेटन रा०२१२-८५ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ४५३६. प्रति सं० ३६ । पत्र सं० ३८५ 1 प्रा० १३१४ ६३ इञ्च । ले० कास सं० १८८४ आसोज सद्धी १० । पूर्ण । येष्टन सं० ३५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष--फतेहपुर वासी हरकंठराय भवानीराय अग्रवाल गर्ग ने मिश्च राधाकृष्ण से सासनी नगर में प्रतिलिपि करवाई थी। ४५३७, प्रति सं०३७ । ।त्र सं० १-१८६ । आ० ६x४१ इञ्च । लेकाल ५ । अपूर्ण । वेष्टन सं. १७६ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर दबलाना (दी) । ४५३८, प्रतिसं०३८ । पत्र सं० ३३६ । प्रा० ११४७६ । ले० काल सं० १६५३ सावरण बुदी ३ । पूरम् । बेष्टन सं० १--७५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगढ (कोटा) । ४५३६. प्रति सं० ३९ । पत्रसं० २३४ । आ० १०३४४ इञ्च । ले० काल सं० १८४६ । पूर्ण । वेतन सं०६५:४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का हूगरपुर । विशेष—शेरगढ नगर में याचारजजी श्री सुखकीतिजी बाई रूपा चि. सन शिष्य पंडित मानक चन्द लिखी। ४५४०. पुण्यात्रवकथा कोश-४ । पत्रसं० ३२७ । प्रा० १२१४५१ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषव-कथा । र० काल X । ले० काल सं० १८१६ वैशाख सुदी ७ । पूर्ण । येष्टनसं० १७६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर करौली। ४५४१. पूण्यानवकथा कोश-X । पत्र सं०८४५ । मा० ७.४३२ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं०१८७० भादों सुदी ५। पूर्ण । वेपन सं०४१/५८ । प्राप्ति स्थान-दि.जैन सौगारणी मन्दिर करौली। विशेष-लकडी का पुट्ठा चित्र सहित बडा सुन्दर है । ४५४२. प्रणासघ कहा-पं० रइधू । पत्र सं० ३-८१। भाषा-अपश। विषय-कथा । र०कालले. काल XI प्रपूर्ण । वेष्टन सं० ११७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा । विशेष-सीम लगने से अक्षरों पर स्याही फिर गई है। Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कया साहित्य ] [ ४६१ ४५४३. पुरंदर कथा—भावदेव मूरि । पत्र सं०७ । आ० ११३ ४ ४ ४ । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कथा । २० काल X । लेखन काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०३.६ । प्राप्ति स्थानदि जैन मंदिर बड़ा बीसपंथी दौसा। ४५४४, प्रतिसं० २। पत्र सं० १३ । ले०काल सं० १६०५ । पूर्ण । श्रेष्दन सं० ६४१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर मरतपुर । ४५४५. पुष्पांजलि कथा सटीक-X । पत्र सं०४। प्रा० १०:४८ इञ्च । भाषाप्राकृत-संस्कृत । विषय-कया। र०काल x ले०कारन x | पुर्ण । वेष्टन सं० १२६० । प्राप्ति स्थानमद्रारकीय दि० जन मन्दिर अजमेर । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित जीर्ण है। ४५४६. पुष्पांजलि विधान कथा-X । पत्रसं० ११ । ग्रा० ११४४. इच । भाषासंस्कृत । विषय-बाथा । र० काल X । ले० काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान—अग्रवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । ४५४७. पुष्पांजलि व्रत कथा---खुशालचन्द । ५.सं. १३ आ.४७ इञ्च । भाषाराजस्थानी (ईशारी) पद्म । विषय-कथा । र०कासXI ले०कालX । वेष्टन सं० १२४ । प्राप्ति स्थान.दि० जैन मन्दिर छोटा दीवानजी बयाना । विशेष--धानसराय कृत रत्नत्रय पूजा भी दी हुई है। ४५४८. पुष्पांजली व्रत कथा-गंगादास । पत्र सं० ८ । आ० १०१४५३६ च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । २० कार x ! ले०काल सं० १८६८ फागुण सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं०७५) १०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ४५४६. पुष्पांजलि वत कथा-मेधावी । पत्रसं० ३१ । प्रा० १०x४३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । र०काल १५४१ । ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ४५५०. पूजा कथा (मैंडक की) ७० जिनदास । पत्रसं० ६ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-कथा । र० काल x।ले. काल x । पूर्ण । बेन सं० ३०५-१०६ । प्राप्ति स्थानसंभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति प्राचीन है। ४५५१. प्रत्येक बुद्ध चतुष्टय कथा-४ । पत्र सं० १५ । प्रा० १.४४३ इन्च। भाषासंस्कृत । विषय-कथा । २० काल X । ले०काल सं० १७०३ भादवा । पूर्ण । वेष्टन सं० १९५। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ४५५२. प्रद्य म्न कथा प्रबन्ध-भ० देवेन्द्रकीत्ति । पत्र सं०५५ । भाषा-हिन्दी । विषय-- कथा । र०काल सं० १७६२ चैत सुदी ३ । ले०काल सं० १८१२ | पूर्ण । वेष्टन सं० २५८:१०३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का हूगरपुर । गुटका साइज है । मलारगढ में आरगद ब्राह्मण ने प्रतिलिपि की थी। Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६२ ॥ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ४५५३. प्रियमेलक चौपई... X । पत्रसं०६०। प्रा० ५४४ इञ्च | भाषा-हिन्दी। विषय-कया । र. काल x ले०काल x | अपूरण । वेष्टन सं० ३७४ । प्राप्ति स्थान—संभवनाथ दि. जन मन्दिर उदयपुर । विशेष—गुटका है। दान कथा में प्रियमेलक का नाम पाया है एक दान कथा और भी दी हुई है। ४५५४. प्रियमेलक चौपई-समयसुन्दर । पत्र सं० ६ । प्रा० १.१४४३ इञ्च । भाषाराजस्थानी (प)। विषय-कथा। र० कालस० १६७२। ले०काल स. १६५७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर तेरहपंथी दौसा। मंगलाचरण-- प्रणम् सदगुरनाम सरसी शामली। दान धरम दी पाप, कहिसि कथा कौतक भणी । घरमा माहि प्रघाना, देतां रूडा दीसियइं। दीधन बरसी दान, अरिहंत दीक्षा अबसरई ।। सोरठिया दोहा उत्तम पात्र तउ एह, साधन इंदी जर सूझ त । सायिइ लाछि अच्छेह, अटलिक दान अउ पापियइ ।। अति मीठा आहार. सरवरा देज्यो साधना है। सुख हिस्थत श्रीकार, फल बीजा सरिषा फलई ॥४॥ प्रथिवी मांहि प्रसिद्ध, सुपिइ दान कथा सदा । प्रियमेलक अप्रसिद्ध, सरस घरण सम्बन्ध छई। शुरणउ मिखाई जड़ सेवए सुरणुता जेउ बस्यई। उमाण सहि अगलित्र के मुझमचनि को रस नहीं। x राग यमराजी ढालछठी जलालीयानीतिरा अवसरि तर सीथ दुरि, रूपवंती करइ अरदास । जीवन मोराजी कुली री काया तावड पाकर उरि । पापिणी लागी मुनई प्यास ॥१॥ पाणीरि पापड हुँ तरसी थई खिरण एक मंइ नख माय जीण। कंठ सूकइ काया तपइरि जीभई बोल्यउ न जाय ।। दूहा कथा बाट मूकी विहर कातरहितकुमार । नगर कुमर ते निरखता निरखी त्रिए द्वे नारि ।। के इक दिन रहता थका विस्तरी सगलइ बाद । कुमरी क्रिया विष तपस्या कर परमारथ न प्रीछना।। बोल एक बोल नहीं दिव्य रूप वृष देह । पन्न पान को प्राणि घई नउते खापड तेह ।। Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] राजामती प्रावी रली माचर एह नउ सप्त । जिम तिम बोली ज़ेद जईचिट पट लागी चित्त ॥ अन्तिम प्रशस्ति संवत सोल बहुसरि मेड़ता नगर मझार । प्रियमेलक तीरथ चयइरी कीधी दान अधिकार ।। कवर उझावक कोतकीरि जेरालभेरा जाए । चतुर जोडावी जिरण ए चउमई मूल प्राग्रह मुलताण ॥ इण चौउपई एह विशेष छरि सगवट सगसी ठाम । बीजी चउपई बहु देख जोरि नहि सगटनु ना ।। श्री खरतर गह, रोहता श्री जिणचन्द्र भूरीस । शिष्य सकलचन्द्र सुभ दिमारि समयसुन्दर तसु सीस ।। जयवंता गुरू राजिया श्री जिनसिंह भूरि राय । समयमुन्दर तसु संनिधि करी इम भाई उयमाय ।। भएता गुणतां भावमुसाम लता मु विनोय । समयसुन्दर कहइ संपजर पुण्य अधिक परमोद ।। सर्वगाभा-२०३० । इति श्री दानाधिकार प्रियमेलक तीर्थ प्रबधं सिंहलसुत च उपई समाप्त ।। रांवत् १६८० वर्षे मार्ग सिर सुदी १४ दिन लिखतं अराधमान लिस्रतं । (बाई भमरा का पाना) । ४५५५, पुण्यसार चौपई-पुण्यकत्ति । पत्रसं०७ । मा० १०४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । २० काल सं० १६६० मंगसिर सुदी १० । ले० काल सं० १७०० । पुर्ण । वेष्टन सं० २५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष- यह सांगानेर में रखा गया एवं जाठरण ग्राम में लिखा गया था। ४५५६. बुधाष्टमी कथा-- । पत्र सं० ३ । आ० १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा । र०काल XI ले० काल सं० १८४० भादवा बुदी ७ । पूणे । वेष्टन सं०४१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी बू'दी। विशेष-जनेतर साहित्य है। ४५५७. वैतालपंचविंशतिका- शियवास। पर सं० ३६। प्रा० १०४४ इन्न । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । र० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४३५ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ४५५८. प्रतिसं०२। पत्र सं०४२ । प्रा० १०x४इन्च । लेकालXI पूणे । वेष्टन म०३०५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-२५ कहानियों का संग्रह है। ४५५६. बैतालपच्चीसी-४। पत्रसं० २० । ग्रा० १०४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय- कथा। र० काल X । ले०काल ४ । पुर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय वि. जैन मंदिर अजमेर । Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६४ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग ४५६०. प्रति सं० २। पत्र सं० ७ । प्रा० ११४४१४ । ले काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. २१३ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (वू दी) विशेष प्रति प्राचीन है। ४५६१. बकचोर कथा--(धनदत्त सेठ की कथा) नथमल । पत्र सं० ३३ । भाषाहिन्दी । विषर कथा। र०काल सं० १७२५ आषाढ सुदी ३ । ले०काल सं० १९१९ । पूरणं । वेष्टन सं०६१ प्राप्ति स्थान-दि० जन तेरहपथी मन्दिर बसवा । ४५६२. मक्तामरस्तोत्र कथा-४ पत्र सं० १२ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र०काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेहर१२/५०४ . सति स्थान...नि. जंग गहमान मंदिर उदयपुर । ४५६३. भक्तामरस्तोत्र कथा-विनोदोलाल । पत्र सं० २२७ । प्रा० x ६१ इंच । भाषा- हिन्दी (ग. प.) । विषय-कथा । र. काल सं० १७४७ सावण सुदी २। ले. काल XI पूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन अग्रवाल मंदिर नंगवा। ४५६४. प्रति सं० २ । पत्र सं० २०६ । प्रा० १२४५३ इञ्च । लेकाल सं० १८६० ज्येष्ठ सुदी २। पूर्ण । वेपन सं०६०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । विशेष -बसवा में प्रतिलिपि हुई। ४५६५. प्रति सं. ३ । पषसं० १६३ । प्रा० १०६ - ६ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेटन सं०६४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर श्री महावीर बूदी। ४५६६. प्रति सं०४ । पत्र सं० २०४ । मा० ११४५ इञ्च । ले० काल x 1 पूर्ण । बेष्टन सं० ८३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी । ४५६७. प्रतिसं०.५ । पत्र सं० १०८ । प्रा० ११३ ४ ५६ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । देष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) । ४५६८, प्रतिस० ६ । पत्र सं० फुटकर पत्र । प्रा० १०३४ ६ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान - अग्रवाल पंचायती दि० औन मन्दिर अलवर । ४५६६. प्रतिसं०७। पत्र सं० १८७ । पा० १२ x ७६ञ्च | लेखन काल सं० १९१४ सावन बुदी १२ । पूर्ण । वे०सं०७३ । प्राप्ति स्थान-अग्रवाल पंचायती दि. जैन मन्दिर अलवर। ४५७०. प्रति सं० ८ । पत्र सं० ३१८ । ले० काल सं० १८६६ चैत सुदी ११ । पूर्ण । धे० सं० १४४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-लालजीमल के पठनार्थ प्रतिलिपि की गई थी। ४५७१, प्रतिसं०६ । पत्रसं० १५२ । आ०१३४६ इञ्च । ले०काल सं० १८३६ चैत बुदी ६। पुणे । वेष्टन सं०१०। प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचारती मन्दिर बयाना । विशेष - श्लोक सं० १७६० । प्रधान प्रानन्दराव ने प्रतिलिपि की थी। ४५७२. प्रतिसं०१० । पत्रसं०४१ । ०१०४५ च । लेकाल x अपूर्ण । वेष्टन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान---पंचायती दि० जैन मंदिर कामा । ४५७३. प्रतिसं० ११ । पत्र सं० १३८ । प्रा० ११४५१६च । लेकाल सं० १६०५ | पूर्ण । वेष्टन सं०४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी सीकर । Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४६५ विशेष-4 खेमचन्द ने प्रतिलिपि की थी। सं० १९२६ में अनन्त चतुर्दशी के व्रतोद्यापन में साहनी सदाराम जी के पौत्र तथा चि० अमीचंद के पुष जोखीराम में नथ मन्दिर फतेहपुर में विराजमान किया । ४५७४. प्रति सं० १२ । पत्रसं० १७८ । प्रा० १.४६ इञ्च । लेकाल सं० १८५४ कात्तिक सुदी ११। पूर्ण । वेपनसं० २५/२८ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन सौगाणी मंदिर करौली। विशेष-~~२ प्रतियों का मिश्रण है। ४५७५. प्रति सं० १३ । पत्र सं० १.२ । ०६:४६ इंच । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०३८-२१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ४५७६. प्रति सं० १४१ पसं० सं० २१३ । प्रा० १२४ ५३ च । ले. काल सं० १८०२ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २४ प्राप्ति स्थान-दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ४५७७. प्रति सं० १५ । पत्रसं० १६६ । मा० १३३४ इञ्च | ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०१० । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ४५७८. भक्तामर स्तोत्र कथा-नथमल। पञ्च सं० ६१ । आ०६४५७हन्छ । भाषाहिन्दी पद्य । विषय कवा । र काल सं० १८२६ जेठ सुदी १०। ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्त स्थान- जैन पावती मन्दिरौली। विशेषकरौली में लिखी गई थी। ४५७६. प्रति सं० २१ पत्रसं० ५२ । आ० ११ x ५३ इञ्च । ले. काल सं० १८२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खंडेलवाल पंचायती गन्दिर अलवर । विशेष--कल्याणपुर में बाबा रतनलाल भौंसाने प्रतिलिपि की थी। ४५८०. प्रति सं० ३ । पत्रसं० १६८ । लेकाल सं० १९२१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान- दिन स्त्रडेलवाल पचायती मन्दिर अलवर । ४५६१. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ४७ । प्रा० १०.४६ इञ्च । ले०काल सं०१८३० फागुन मुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२३ । प्राप्ति स्थान -दि० जन पंचायती मन्दिर करौली । विशेष - बंगालीमल छाबडा ने करौली में प्रतिलिपि करवाई थी। ४५८२. भद्रबाहुकथा हरिकिशन । पत्र सं० ३६ । प्रा० १२ x ५. इच । भाषा - हिन्दी पद्य । विषय -कथा । र० काल X । ले कान सं० १९७५ सावण सुदी ३ । पूर्ण । बेप्टन सं० १४७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर श्री महावीर दी। ४५८३. भरटक कथा-X1 पसं० १३ । प्रा० ११४४ इन्च । भाषा संस्कृत गद्य । विषय-कथा । र०कारन । ले०काल x पूर्ण । वेष्टन स०१४। प्राप्ति स्थान—दि जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-२७ कथाए हैं। ४५८४. भविसयत्सकहा-धनपाल । पत्र सं०२-८1 पा. ११४५ इञ्च । भाषाअपभ्रश । विषय-कथा । र काल X ।ले काल X । अपुर्ण । धे०सं०६५७ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि.जैन मन्दिर अजमेर । Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६६ ] ४५८५ प्रतिसं० २ । पत्र सं० १३० आ० १० X ४३ इव । ले० काल X बेन सं० २० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर माविनाथ बूंदी। [ प्रस्थ सूची- पंचम भाग अपूरणं । ४५८६. भविष्यदत्त कथा-४० रायमल्ल । पत्रसं० ५० ० ६ x ४ ख भाषाहिन्दी विधव कथा । T २० काल सं० १६२३ कार्तिक मुदी १४ ले०का सं० १०२६ मा बुदी २ । । पूर्ण वेष्टन सं० २५ प्राप्ति स्थान पंचायती दि० जैन मन्दिर बयाना । ४५८७ प्रतिसं० २ । पत्र सं० ४६ । प्रा० १०६ इव । ले० काल सं० १८६४ । पू । वेष्टन सं० १०१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटयों का भैरवा ४५. भविष्यदल कथा - x 1 पत्र [सं० ३१ भा० ११३ x ६३ इस भाषा हिन्दी विषय- कथा र०कात x । ले० काल X अपूर्ण सं० १२३ प्राप्ति स्थान दि० जैन प्रवान पंचायती मंदिर अलवर | विशेष- २१ से आगे पत्र नहीं है । ४५८. मधुमालती कथा X प प० विषय कथा २० काल X ले० काल सं० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह ४५१०. मनुष्य मवदुर्लभ कथा X संस्कृत विषय कया । र०काल X। ने० काल X पूर्ण वेष्टन सं० २७५ जैन मन्दिर बोरसली कोटा । - - ० २८-१५६० १८३५ वैशाख बुदी १३ - ४] भाषा राजस्थानी कथा अपूर्ण पेन सं० २५० प्राप्ति स्थान ४५११. मलयसुन्दरी कथा-जयतिलकसूरि पत्र सं० २-५९ पा० १२४ । भाषा संस्कृत विषय कथा र०का X मे० काल सं० १५२० वेष्टन सं० ७६५ प्राप्ति ― x ५ इन्च पूर्ण विशेष - ४० से भागे पत्र नहीं है। प्रति प्राचीन है । ४५६३. महायक्षविद्याधर कथा -- ब्र० जिनदास । पत्र सं. १० भाषा - हिन्दी विषय कथा २० काल ४ ले० काल X पूर्ण । स्थान- संडेलवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । २५९४ महावीरनिर्वाण कथा विषय-कथा | र०का X १० फाल X पूर्ण पार्श्वनाथ जोगान बूंदी X ४५१५. माघवानस कामकंदला चौपई- कुशललाभ पत्र सं० २०१०३ x ४३ इञ्च । भाषाप्राप्ति स्थान दि० स्थान - दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष - 'थ सं० ८३२ । संवत् १५२० वर्षे माघ वदि मंगले लिखितं वा. कमलचन्द्र प्रसादात् रा. गावाना ग्रामे श्रीरस्तु शुभमस्तु । | ४५६२. मलयसुन्दरी कथा -- X विषय-कथा र०का X ले काल सं० x मन्दिर तेरहषी दौया भाषा - हिन्दी वेष्टन सं० ७ पसं० ४० आ० ११४४१ इंच भाषा संस्कृत पूर्ण वेष्टन सं० ३० प्राप्ति स्थान दि० जैन पत्र० ५ प्रा० ७ ४५ इस वेटन सं० २०१ प्राप्ति स्थान W प्रा० १० X ४३ इव । ३० सं० १८ प्राप्ति | भाषा संस्कृत दि० जैन मन्दिर पत्र ०२-१२ | आ० १०x २०काल सं० १६१६ फागुण सुदी १४० काल सं० २०१४। दि० जैन मन्दिर दबाना । Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४६७ विशेष -नाई ग्राम मन्ये लिखतं । ४५६६. प्रतिसं०२। पत्र सं० ३१ । प्रा.Ex५१ इञ्चले. काल सं० १८०३ चैत्र बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर दबलाना (बू दी) ४५६७. माधवानल चउपई-- पत्र सं० ८ । आ०६३४५६ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्म । विषय-कथा । र०काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७०६ । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीय दि. जैन भन्दिर अजमेर । विशेष-- जगजीवन कुशल ने प्रतिलिपि की थी। ४५६८. मुक्तावली ब्रत कथा-सुरेन्द्रकोत्ति । पत्रसं० ५ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । विशेष --सुरेन्द्रकीत्ति सकलकीत्ति के शिष्य थे। ४५६६. मेघकुमार का चोठाल्या-गणेस । पत्र सं०२। आ० १०४४ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-वथा । र काल x I ले. काल X । पूर्ण । वेष्टम सं०१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। ४६००. मौन एकादशी व्रत कथाब्रह्म ज्ञानसागर । पत्रसं० १३६-१६६/३१ पत्र । आ. ११४५६च । भाषा-हिन्दी (पद्य) | विषय-कथा । र०काल ४ । ले. काल सं० १९६६ । अपूरण । वेष्टन सं. ५५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा। विशेष-दौलतरावजी तेरापंथी की बह ने लिखा था। ४६०१. मृगचर्मकथा-४ । पत्र सं० ४ । आ० ११५४५३ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा । र०काल X । लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १६३/२२५ 1 प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष -गिरधरलाल मिथ ने देवड़ा में प्रतिलिपि की थी। ४६०२. मगापुत्र समाय-xपत्र सं०१ । प्रा०१०x४ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषयकया। र० काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २४१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ४६०३. यशोधरकथा-विजयकोति । पत्र संख्या १७ । प्रा० ६.xx1 इंच । भाषा--- संस्कृत | विषय-कथा । २० काल X । ले०काल सं० १५३६ आषाढ सुदी १३ । पूर्ण । बेष्टन सं० १४८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ४६०४. रतनाहमीररी बात- । पत्रसं० २४-५१ : प्रा० x ४ इञ्च । भाषा-राजस्थानी गद्य । विषय-कथा। २. काल x ले०काल X । पूर्ण वेष्टन सं० ५५० | प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-बड़े ग्रन्थ का एक भाग है । ४६०५. रत्नपाल चउपई-भावतिलक । पत्रसं० १२ । पा० १०x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । र० काल सं० १६४१ । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २५३ । प्राप्तिस्थान-दि जैन मन्दिर राजमहल टोंक। Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष प्रति जीर्ण है। ४६०६. रत्नत्रयव्रतकथा--देवेन्द्रकीति । पत्रसं०६ । प्रा०१२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-कथा ! र काल X । लेकाल X । पूर्ण : वेष्टन सं० १५६६ । प्राप्ति स्थान - मट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । ४६०७. रत्नत्रयकथा प्रभाचन्द्र । पत्रसं. ८ | या ११४४१ इन्च भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० काल x | लेकाल X 1 पूर्ण । वेषन सं०६६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ४६०८. रत्नत्रयकथा--X । पत्र सं० ४ । ग्रा० ११४४१इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- कथा । २० काल X । ले० काल सं० १८८० मंगसिर बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०७ । प्राप्ति स्थानभधारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। ४६०६, रत्नभयकथा-X । पत्र सं५ । ११४८ इच। भाषा-संस्कृत। । विषयकथा । र०काल - ले. काल सं० १९३६ आसोज सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२१४ । प्राप्ति स्थान--शहारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । ४६५०. रत्नत्रयकरा- । पसं० । ०६४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा । र०कास ४ । ले० काल x | पुर्ण । वेष्टन सं० १५२७। प्राप्ति स्थान-भारतीय दिन मन्दिर अजमेर । ४६११. रत्नत्रयकथा दवा टीका सहित । पत्रसं० २१ श्रा० ११३४५१ इञ्च । भाषा---- संस्कृत । विषय कथा। र०काल x | ले. काल सं० १८७१ ज्येष्ठ सूदी। पुर्ण । वेष्टन सं० ६०-२०० । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक) ४६१२. रत्नत्रयकथा-x पत्रसं०६ । ग्रा. ११४५ इश्व | भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । २० कालX । ले० काल X । अपूर्ण। देष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान दि. जैन तेरहाथी मन्दिर मालपुरा (टोंक) ४६१३. रत्नत्रयविधानकथा-व० श्रुतसागर । पत्र सं० ६। मा० ११.४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० कालX । लेकालX । पुर्ण । बेष्टन सं० २३८ ।प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर 1 ४६१४. रत्नत्रयविधानकथा-पद्यनंदि । पत्र सं०७ । प्रा० ११४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा 1 २० काल X लकाल X । पूर्ण । धेष्टन सं० ३२७११३४ प्राप्ति स्थान--दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ४६१५. रत्नशेखर रत्नावतीकथा । पत्र सं० १६ । प्रा० ११ X ४१ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-कथा । र काल x ३ ले. काल X । पूर्ण 1:वेष्टन सं० २१२ । शान्ति स्थान दि० जन मंदिर अभिनन्द स्वामी बूदी । ४६१६. रयणागरकथा-४ । पत्र सं० २४ । आ. १.४४ इञ्च । भाषा-अपनश 1 विषय-कथा। र० काल । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०५।१५ प्राप्ति स्थान--दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर। Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४६६ ४६१७. रविवारकथा - रद्दषु । पत्रसं० ४ । भाषा - अपभ्रंश | विषय - कथा । र० काल × । ले० काल X | पुस । वेष्टन सं० २० प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ४६१८. रविवार प्रबन्ध- ० जिनदास पत्रसं० ५ । ग्रा० ११४४ इन्च भाषा - हिन्दी । विषय-कथा । २० काल X 1 ले० काल सं० १७३४ । पूर्ण वेन सं० ६८ प्राप्ति स्थान - दि० जैन प्रवाल मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत १७३४ वर्षे आसोज सुदी १० श्री राजनगरे श्री मूलचे श्री आदिनाथ चैत्यालये मट्टारक श्रीमतिस्तान्नाये मुनि श्री धर्म भूषण तत् शिष्य ग्रह बाजी लिखितं ब्रह्मरायमाण पठनायें | ४६१६. रविव्रतकथा - सुरेन्द्रकीर्ति विषय-कदा २० काल सं० १७४४ । ले०का X मंदिर बोरसली कोटा । आदिभाग सं० १५० ६८५ इन्च भाषा - हिन्दी पद्य । पूर्ण वेटन सं० २५० प्राप्तिस्थान दि० जैन प्रथम सुमरि जिनवर चोवीस चौदह वेपन मुनि ईस सुभक्ति गुरु देवेन्द्रकीति महन्त ॥ अन्तिम भाग मेरो मन इक उपजी भाव, रविव्रत कथा करन को चाद । मैं तुक हीन जु अक्षर करों, तुम गन पर कवि नीकर्क धरों || सुरेन्द्रति पंडित कहाँ रवि मुन रूप अनूप राब सुतु कवि सुधार लीजै, चूक मुथाक अब मह गोपाचल गाम नौ, सुभधानं बखानी । संवत विक्रम प गई, भलो सत्रह से जानी ॥ तो ऊपर चवालीस जेठ सुदी दत्तनी जानो चार जो मंगलवार हस्त नक्षत्र जु परियो तब । हरि विबुध कथा सुरेन्दर रचना सुव्रत पुनजु अनन्त || ४६२०. रविव्रतकथा विद्यासागर पत्र० ४ कथा । १० काल X | लेफान X पूर्ण वेष्टन ०३६-१६८ मेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) प्रारम्भ ० १४४ इथ भाषा हिन्दी । विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर S पंचम गुरु पद नमी, मन धरी जिनवाणी । व्रत महिमा कहु प्रसार शुभ आणंद प्राणी ॥ सूरज दिसि सोहे सुदेश, काश्मीर मनोहार धारणारसी तेह मध्य सार नगर उदार ॥१॥ न्यायवंत भरपति विहा सप्तांगे सोहे । पुस्याल नाम सोमणो गुणी जनमन मोहे || www Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७० । [ ग्रन्थ सूचो-पंचम भाग तेह नयरे धन करणे करी धनबंत उदार। मतिसागर नामे सु श्रेष्ठी शुभमति भंडार ।।२।। अन्तिम-.. विधि जे व्रत पालि करि मन भावज यागइ । समकित फले सुरग गति गया कहे जिन इम यागी॥ मन बन काया शुद्ध करी प्रत विध जे गालई । ते नरनारी सुख लहे मणि माणक पावई ॥३५॥ श्री मूलसंधे मंडण हतो मछ नायक सार। अभयचंद्र सूरि वर जयो बहु भन्याधार ।। तेह पद प्रणमीने कहे अति सुललित वाणी । विद्यासागर वेद मुगौ मनि पाए'द प्राणी ॥३६।। इति रविवत कथा संपूर्ण ४६२१. रक्षाबंधनकथा--. ज्ञानसागर। पत्रसं० ३ । पा. १०.४५। भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय - कथा 1 रस काल - ले०काल स० १८७६ पौष सुदी ८ । वेष्टन सं०३८ । प्राप्ति स्थान-मदारकीय दि.जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-40 देवकरसाने मौजमाबाद में प्रतिलिपि की थी। ४६२२. रक्षाबंधनकथा-.विनोदीलाल। पत्र सं० २६ । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय---- कथा । र० काल X । लेकाल सं० १६१७ । पूर्ण । वेहन सं०५७८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। ४६२३. रक्षाबंधनकथा-X । पत्र सं०७ । प्रा० १३, ४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय - कथा । र० काल x । ले०काल x । पूर्ण । बेष्टन सं० ६३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पाश्वनाथ मन्दिर चौगान दी। ४६२४. रक्षाबंधनकथा-- । पत्र सं० ३ । प्रा०६:४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा । २. काल X । ले०काल सं० १८७७ प्राषाढ़ बुदी १० पूर्ण । वेष्टन सं० ११६२ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । ४६२५. रक्षाबंधनकमा-x। पत्रसं० ५ । प्रा० ११३ ४ ५ इच। भाषा-हिन्दी । विषय- कथा । र० काल x । ले काल सं० १८५७ कार्तिक सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११५७ । प्राप्ति स्थान-ट्राकीय दि० जैन मन्दिर अजनेर । __ ४६२६. रक्षाविधान कथा-सकलकीति । पत्र सं० ४ । प्रा० ११६४५३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । र काल X । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६६ । प्राप्ति स्थान दि० जन मंदिर अजमेर । ४६२७. प्रतिसं०२। पत्रसं०४ा० १२४५ इंच ले०काल सं० १८१७ माघ सूदी १। पूर्ण । वेष्टन सं० २१३ 1 प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वमी दी। Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४७१ ४६२८ प्रतिसं० ३ पत्र सं० २० X ४ इस ले०काल । पूर्ण वेटन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर भोरसली कोटा । I ४६२९. रात्रिविधानकथा x | पत्रसं० २ भाषा संस्कृत विषय कथा । र०काल X ले० काम अपूर्ण वेष्टन सं० २०३५० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का, डूंगरपुर | ४६३०. रक्षयान रत्ननंदि । पत्रसं० ५ ० १०३५ इव । भाषा संस्कृत । विषय - कथा | र०काल x । ले०काल सं० १७०४ । पूर्ण । वेष्टनसं० १६५ | प्राप्तिस्थान - दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ४६३१. राजा विक्रम की कथा - X पत्र सं० ३६ । मा० १०x४ इञ्च भाषा - हिन्दी | | प०विषय कथा १०का X ले०काल जैन मन्दिर बटा दीसपंथी दोसा | पूर्ण वेष्टन सं० १००-१ प्राप्ति स्थान दि० विशेष धागे के पत्र नहीं हैं। ४६३२. राजा हरिचंद की कथा - X पसं० २३ | विषय- कथा | र०काल X मे० काल २८ टन सं० २०५ बोरसली कोटा | -- ४६३३. रात्रिभोजन कथा -- ब्रह्म नेमिदत्त | पत्र सं० १६ । प्रा० ११x४३ इ । भाषासंस्कृत विषय कथा । र०काल X ले० काल स० १६०७ पूर्ण वेष्टन सं० २८ प्राप्ति स्थानदि० जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति निम्न प्रकार है ४६३५. प्रतिसं० ३ ० ८५३ इन्च भाषा हिन्दी । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर संवत् १६७७ वर्षे कार्तिक सुची ११ गुरौ श्री मूलचे चार्यान्ये भ० श्री शुभद्र तट्टे भ० सुमनिकीर्तिदेया तप तत्पट्टे भ० श्री रामकीर्तिदेवास्तदाम्नाये ब्रह्म श्री मेघराज तत् शिष्य शिवजी पठनार्थं । ४६३४. प्रतिसं० २०६० १२ X ५३ वेष्टन सं० २५१ प्राप्ति स्थान पत्रवाल दि० जैन मंदिर उदयपुर । । | । १३ । पूर्ण । ष्टन सं० १४३ tod सरस्वती गच् बलात्कारगणे श्री कुंदकुंदाभ० श्री गुणकीर्तिदेवा तत्वट्टे वादिभूषण ० १२ मा० १०५४ ६ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष भट्टारक देवेन्द्रकीति ने पं० जिनदास को प्रति दी थी। से० काल सं०] १७६३ । पूर्ण ले० काल सं० १८२६ फागुणा बुढी ४६३६. रात्रिभोजन कथा - भ० सिंहनंदि । पत्रसं० २१ । श्र० भाषा-संस्कृत विषय कथा र०काल- X ले० काल X दि० जैन पंचायती मंदिर करौली । पूर्ण वेटन सं० ५५ १२३ x ६ इंच | प्राप्ति स्थान विशेष - पत्र १६ से भक्तामर एवं स्वयंभू स्तोत्र हैं । ४६३७. रात्रिभोजन चौपई-सुमतिहंस पत्र [सं० ११० १०५४३ इंच हिन्दी पञ्च विषय कथा १० काल सं० १७२३ । ले०का । पूर्ण वेष्टन ० १२१ | - । X स्थान- दि० जैन मन्दिर तेरहमंत्री दौसा । । भाषाप्राप्ति Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७२ ] अन्तिम रात्रि भोजन दोष दिखाया, दीनानाथ बताया जी |१|| श्रवल नाम तिहाँ रहवाया, दिन दिन तेज सवाया जी ॥२॥ [ प्रन्थ सूची- पचम भाग श्रादिभाग- धन २ जे नर ए व्रत पालइ नव २ नूर सदाशियां मालइ सतर सर तेवीस परस हे जद हीवडड हरती । मंगसिर यदि छट वर बुध दिवस चपई कीधी वसई जो ॥३॥ भोजन त्यागी टालइ जी । बिलसह सीख विसाल जी। - श्री खरतर गल गगन दिदा श्री जिए हर सुरिंदा । चारि जिन लबधि मुगोंदा, उदया पूनिम चंदाजी । श्री सुमति हंस गुजगीरा जी। पद उवा र निसि दी भारी विसवासी। विमलनाथ जिनेश प्रसाद जाय तारा सुभसाद जी रिद्धि वृद्धि सदा धार संघ सकल चिर नंद जी अमरसेन जयसेन नरिदा थापर परमानंदा जी जयसेना राणी सुलकंदा जल साथी रवि पदाजी शिरोमणि गुण गाया गया रद्द मनि माया जी । जीभ जनम सफली की काया मल्हि सुगुण महादा जी ॥४॥ सुबुधि बचिन निधि समृद्धि सुखसंपद श्रीकर। पासनाह परापणवतो व जस हब विसतार ॥ श्री गुरु निधि नहीं रमणी भोजन पाय । कहिस्यु शास्त्र विचार सु भगवंत म व उपाय || ४६३८. रात्रिभोजनत्याग कथा -अ तसागर । पत्रसं० २२ । संस्कृत विषय कथा । १०फाल ४ ०काल सं० १७५८ उयेष्ठ बुदी ५ पूर्ण स्थान- मट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ०१०x४ इश्व | भाषावेष्टनसं० १४६२ प्राप्ति । । ४६३९. राममशरसायन-केशराज पत्र० ९४ प्रा० १०३४४) इच प० | विषय - कथा | र०काल स० १६८० प्रासोज सुदी १३ । ले० काल सं० १७३० । ८५-९३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पथी दौसा | । भाषा - हिन्दी पूर्णे । वेष्टन सं विशेष प्रारम्भ का फटा हुआ है व ११ प से प्रारम्भ किया जाता है। जंबूद्वीप क्षेत्र भरत मत लकानगरी थानिक निरमल । निरमल बानिक पुरी लंका द्वीप तर राक्षस जुङ । भजित जिनवर सराइ बारह भूप धन बाहन हुई । महारक्ष सुत पाटि थापी अजित स्वामी हाथिए । चरण पामी मोक्ष पद पर मुनिवर साथिए ।॥११॥ Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कपा साहित्य.] [ ४७३ राक्षस राजा राजकरी वस्राउ अवसर जाणी। तप संयम तराउ अवसर जागी। पुण्य प्राणी देव राक्षस सुत भरसी। राज मापी ग्रही संयम लही मोक्ष सोहामणी ।। असंख्याता दुपा भूपति समइ दशया जिन तणा। कीत्ति धवल नरेंद्रनी कर राय आडवर धराइ ॥१८॥ अन्तिम संवत्र सोलं असीईरे, आछउ आसो मास तिथि तेरसि । छतरपुर माहि पारणी अति उल्हास, सीता याव रे धरि राग ढाल।। विद्वय गछि गछ नायक गिरड गोतम नउ अवतार । विजयवा विजय ऋषि राजा कीधज धर्म उद्वार ।। धर्म मूनि धर्म नउ धोरी धर्म तो भडार । खिमा दया गूरण केरउ सागर सागर क्षेम उदार HERI श्री गुरु गध मुशीर मोटी बहन वंश । चउरासी गाल में जारणी तउ प्रगट पराइ' परसंस ॥१२॥1 तस पटोधर गुगाकरि गाज गुण सागर जयवंत । कइनूतन कलप तरु कलि में सूरि शिरोमरिंग संत ॥१३॥ ए गुरुदेव लगौ सुपसाइ ग्रंथ नदिउ भूप्रमाण । प्रध गुणे गिरि मेरु सरीखउ नवरस मांहि बखाण ||४|| एवं वासवि ढाल सुवति वचन रवन मृविसाल । रामयशो रे रसायण नामा मय निउ सरसाल ।। कवि जन त कर जोडि करे रेपडित सुभरदास । पांचा मागे तउचिव जण प्रणा प्रध्यास । अक्षर भंगे वाल जु भंगे राज भंग जोइ । वाचतारे चमन ने भगे रस नहीं उपजइ कोह।।७१| अमर जाणी टालज जांणी कागज जाणी एह । पांचा पारे वाचतां थो आजि सिइ अति नेह ।।१८।। जत्र लग सायर नउ जल यां जब ला सूरिज बद । केशराज कहैं राब लगि नय करउ आनंद IIEI कानडा रामलक्ष्मण ने रावण सती गीतानी चरी। कही भापा चरित साखी बचन रचन करी खरी ।। संघ रग विनोद वक्ता अने श्रोता राख मणी । केशराज मुनिद जपे सदा हर्ष बामणी ॥३०॥ Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७४ 1 [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाष १६४०. रामकोला प्रय-समयसुन्दर । पत्र सं० १-७६ । प्रा० १०४४ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य)। विषय-कथा। र० काल X । ले० काल अपुरी । वेष्टन सं० १७४ । प्राप्ति स्थानदिजैन मन्दिर दबलना (दी)। ४६४१. रूपसेन चौपई-X । पत्र सं० २२ । प्रा० १० x १ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-कथा । रकाल x । ले. काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० १६१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-२२ से प्रागे पत्र नहीं लिखे हुये हैं। ४६४२. रूपसेन राजा कथा--जिनसूरि । पत्र सं० ४३ । प्रा०६३४४१ इञ्च । भाषासंस्कृत विषय - कथा । र काल xले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं० २१३ । प्राप्ति स्थान दि. जन मन्दिर बोरसली कोटा । ४६४३. रोटतीमकथा-X । पत्र सं०१ । प्रा० ११ x ५०इच । भाषा-रास्कृत । विषय-कथा । २० काल X । ले० काल x। पूर्ण । वे० सं० १२५६ । प्राप्तिस्थान-मट्टारकीय दि. जन मन्दिर अजमेर। ४६४४. रोटतीज कथा-४ । पत्रसं० २१ प्रा० १.१४ ५ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय कथा । र वाल x + ले काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान–भट्टारकीय दि जैन मंदिर अजमेर । ४६४५. रोटतीजकथा-- x 1 पत्र सं०३ । प्रा० १.४४२ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषयकथा । र०काल ले. काल x । पुष । वेष्टन सं० २३६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर पाशवनाथ चौगान बूदी । ४६४६. रोटतीज कथा-४ । पत्र सं० ३ । आ. ३ x ४ इञ्च । भाषा--संस्कृत । था । र०काल x | ले. काल XI पूर्ण । वेपन सं०५६ । प्राप्ति स्थान-- दिन सौगाणी मन्दिर करौली । ४६४७. रोटतोज ब्रत कथा-चुन्नीराय वैद । पत्र सं० १२ । प्रा० ७.४३१ इञ्च । भाष:हिन्दी। विषय-मया । र०काल सं० १६०६ भादवा दी३ । ले० काल X| पूर्ण । वेष्टन सं. ४८ | प्राप्ति स्थान.-दिन पंचायती मन्दिर करौली।। विशेष- संवत सत गुनईससे ता ऊपर नव जान । भादों सुद वितिया दिना बुद्धवार उर पान ॥६॥ एक रात दिन एक मैं नगर करौली मांहि । चुन्नी वैदराय ही करी कथा सुखदाय ॥६४।। ४६४८ रोटतीजकथा--गुगनन्दि । पत्रसं० २ । प्रा० १०६४ ४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र०कालX । लेकाल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति सन–दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी तू दी। ४६४६. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ६ । प्रा० ७ ४ ५ ६३ । ले० काल सं० १६५३ । पूर्ण । वेशन सं०११ । प्राप्ति स्थान...दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बदी। . Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ x कथा साहित्य ] ४६५०. रोहिणी कथा ले०का विषय-कथा २० काल X जैन मन्दिर अजमेर | ४६५१. प्रतिसं० २ ३ पत्रसं० १५ । ले०काल सं० १८७३ पौष बुदी १३ । पूर्णं । वेष्टन सं ० १२७१ प्राप्ति स्थान- मट्टारकी दि० जैन मन्दिर अजमेर } ४६५२. रोहिणी व्रत कथा- भानुकीति । पत्र सं० ४ भाषा-संस्कृत विषय कथा र०का x सेकालX पूर्व दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । [ ४७५ ० ९४ इन्च भाषा - हिन्दी ( गय) | प्राप्ति स्थान–भट्टारकी दि० X पत्र०१६ x पूर्ण वेष्टन सं० १३७० ४६.३. रोहिणी व्रत कथा - 2 पत्रस० ११ | मा० १०३४४३ इन्च (ग) विश्वका २० कान X ले०का सं० १८८४ वंशास सुदी १० पूर्ण बेटन प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | ४६५४. रोहिणी व्रत प्रबंध - प्र० वस्तुपाल ० सं० १६५४ ०काल X पूर्ण वेटन सं० १५/१३१ मंदिर उदयपुर । रागमहार - 'तिम कुहा विशेष प्रति प्राचीन है एवं पत्र चिपके हुए हैं। प्रादि अंत भाग निम्न प्रकार हैं। प्रारंभ वस्तु चंद यातु पूज्य जिन नमू ते खर । सीकर के बारमो मन वंचित बहु दान दातार सार ए अण वरण सोहामणो सेव्यां दिपि मूल हार ऐ । बालब्रह्मचारी वो सत्तरि काय उन्नत सहुजन सुपूज्य राम मांदनु नि विजयादेवी मात कुक्षिनिरमत जस पवार जालीम कठिन कल सुविचार | विधन सब दूरि नि मंगल वति सार ॥१॥ तह पद पंकज प्रणमीनि रास करू रसाल । रोहिणी व्रत तो मियो सुराज्यो बाल गोपाल ॥१॥ सारदा स्वामिनि बली मूद सह गुह लागू पाय विधन सवि दूरि नि जिम भजन विजन सह सांसो क सजन सभांति निर्मला दुर्जन पत्रसं०] १४ भाषा हिन्दी विषय-कया। प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि० न F आ० १०३ X x इथ सं० २४२ । प्राप्ति स्थान निर्मल बीनती पाडि लोडि || 20 मति मावि ॥ २॥ कर जोडि । 'पुत्री धार्थिका जेतारे स्त्रीलिंग करो विशास खरमि गया सोहामा पापा देव पद बास १ पुत्रपाठे संयम मोरे बाबु पूज्य हसू सार । स्वर्ग मोक्ष दो पामीया तप सासते लार ॥१॥ भाषा - हिन्दी सं० १९६४ । Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७६ ] [ अन्य सूची पंचम भाग रोहिणी कथा व्रत सांभलोरे श्रेणिक राजा जारिण। नमोस्तु करी निज थानकि गयो भोगदि राख निरवाण १३॥ गर नारी जे बत करि भावना मावि चंग । 'अशोक रोहिणि वथि ते लहि उपज्य पुण्य प्रसंग ॥४॥ साबली मयर सोहामा राय देश मभारि । रास करोति रूबडो कथा सणि अनुसारि ।।३।। वस्तु मूलसंघ मंडरा २ सरसती गच्छ सणगार । बलात्कार गरणे आपला शुभचन्द्र सार यतीश्वर । तस्य पटोधर जागीवि मुमतिकीरति सार सुखकर । तस्य पद पंकज मधुकर गुणकीरति सृविसाल । तस्य चरणे नमी सदा बोलि ब्रह्य वस्तुपाल | दोहा विक्रमराय पछि सुरणो संवम्छर सोलसार। रोवनो ते जागीद प्रापद मास सुखकार ।।१।। श्वेत पक्ष सोहामणो रे तृतीयानि सोमनार । श्री नेमिजिन भुवन भलु रास पुरूह जोतार ।।२।। पद्धि गरिंग जे सामलि मनि प्राणी बहु भाव। ब्रह्मवस्तुपाल सधु कहि तेहनि भव जल नाव।३॥ इति रोहिणी व्रत प्रबंध समाप्त । ४६५५. लब्धिविधान कथा-पं० अम्रदेव । पत्रसं० ११ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा। र०काल Xले. काल सं०१६७७१ पूर्ण । वेष्टन सं० ४०७:१२१ । प्राप्ति स्थान-सभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है -- संवत् १६७७ वर्षे मासोज मुदी १३ शुक्र श्री मूनसंचे सरस्थतीगच्छे बलात्कारगणे कुदकुदाचाग्धिये मद्रारक थी रामकीतिदेवास्तदाम्नाये व श्री मेघराज लत् शिष्य व सवजी पठनार्थ । श्री इल्ला प्राकारे श्री पाश्वनाथ त्यालये कोठारी जनी भार्या जमणदि तयो सुत कोठारी भीमजी इयं लब्धि विधान कथा लिख्यतं न श्री मेघराज तत् शिष्याय दत्त । ४६५६. लस्धिविधानयत कथा-किशनसिंह । पत्र सं० १७ । प्रा० १० ४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी प | विषय-कथा । २०काल सं० १७२ फागुण सुदी छ । ले०काल सं० १९१० घदी। पूर्ण 1 वेष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-फतेहपुर में लिखा गया था। ४६५७. प्रति सं० २ । पत्रसं० २६ । ग्रा०६x४३ इञ्च । पूर्ण । देष्टन सं० ५० । प्राप्ति स्थान-दि०जैन पचायत मंदिर.करौली। Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४७७ इञ्च । | ४६५८. प्रति सं० ३ । पत्रसं० २२ । प्रा० १३४४३ से०का X पूर्व न० ३३ प्राप्ति स्थान दि० जैन सोगाली मन्दिर बरौली । - ४६५६. लक्ष्मी सुकृत कथा - X विषय कवा २० काल X ले० काल X। पुर्खे पंचायती मन्दिर चलवर 23 विशेष-कनक विजयगरि ने प्रतिलिपि की श्री । ४६६०. व मान स्वामी कथा : मुनि श्री पद्मनन्दि ४] भाषा संस्कृत विषय कथा २० काल X। ले० काल सं० सं० १२० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। सं०७ आ० मेटन सं० ११० १० X ४१ इन्च प्राप्ति स्थान ४६६४, प्रति सं० ४ पचसं०] १२० प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर डीग । ४६६१. व्रतरुवाकोश-भूतसागर पत्र सं० ८७ या १२३ x ३ भाषासंस्कृत | विषय - कथा | २० काल X | ले०काल X। पूर्णं । वेष्ठन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर दीवान जी काम | पत्र सं० २१ । आ० ११३ X १५३० फाल्गुन सुदी ५ वेष्टन विशेष- २४ त कषायों का संग्रह है अंतिम पत्यत्रतविधान कय पूर्ण है। ४६६२. प्रति सं० २ ० १४४० १०५ इव । ले०कास X पूर्ण वेष्टन सं० ५६ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी 1 - भाषा संस्कृत । दि० जंन असवाल ४६६३. प्रति सं० ३ १ पत्रसं० ७२ । प्रा० १२५ । ले० काल X। वेष्टन सं० १७० पूर्ण प्राप्ति स्थान दि०जंग मं० लश्कर, जयपुर | विशेष प्रथम ७ पत्र नवीन लिखे हुए हैं तथा ७२ से भागे पत्र नहीं है। - ४६६५. व्रतकथाकोश - देवेन्द्रकोति । पत्र सं० ७६ | आ० १२३ x संस्कृत विषय कथा ५० काल x ० काल x पूर्ण वेष्टन सं० २०७४ | - 1 । X । भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । । से०का १७६० चेत वदी ११ पूर्ण पेष्टन सं० ५। ४६६६. – प्रति सं० २ । पत्र मंगसिर बुदी । पूर्ण न सं० १८१ । ४६६७ प्रतिसं० ३ ० पूर्ण । वेष्टन सं० १९-५२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ३ इस | भाषा प्राप्ति स्थान सं० १३३ । ० १०३४६ इश्व 1 ले० काल सं० १८८६ प्रीित स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर | २६२ ० १२४ सै०काल सं० १८७३ । ४६६६. व्रतकथाकोश मल्लिभूषण पत्र [सं० १६९ संस्कृत विषय कथा २० x ० का ० १२०९ चैत्र चुदी १४ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। ४६६८, व्रतकथाकोश - ० नेमिदत्त | पत्र सं० १६० । ० ११९५ इन्छ । भाषासंस्कृत विषय - कथा २० काल X | ले० काल सं० १८५३ । पूर्ण भट्टारकी दि० जैन मन्दिर अजमेर । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान ० १२५५३ भाषापूर्ण वेष्टन ० १०७ ॥ Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७८ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ४६७०. व्रतकथाकोश-मु० रामचन्द्र। पत्र सं० ११० । प्रा० ११३४५ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय कथा कोण । र० काल x। ले. काल सं०१७५३। पूर्ण । वेष्टन सं०१५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ, चौगान वूदी। ४६७१. व्रतकथाकोश-सकलकोति । पघ सं० ४६ । डा. १२४५१ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । १० काल X । ले. काल सं० १७६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०१ । प्राप्ति स्थान | दि० जैन खंडेलवाल मंदिर उदयपुर । विशेष-लिले प्रथीराज पं० खेतसी साह दत्तं । सं० १७६६ सापाद बुदि ३ बुचे उदेपुर राणा जगतसिंह राज्ये । ... .. ४६७२. सतकथाकोश-40 अभ्रदेव । पत्र सं० १०४ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा 1 र० काल X । लेकाल सं० १६३७ । पूर्ण। वेष्टन सं० २६४-१३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-दीमक ने खा रखा है । प्रशस्ति-संवत् १६३७ वर्षे मंगसिर मुदी ७ रवी । देव महावजी लिखतं मोठ घेदी पाटणी । उ० श्री जयनादी पनार्थ । ४६७३, व्रतकथाकोश-X । पत्र सं० ८० । मा० ११३x ५ xञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र. काल X । ले. काल सं० १५२६ भादवा बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३८ । प्राप्ति स्थान-गद्वारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष--कथानों का संग्रह है । ४६७४. व्रतकथाकोश -x | पत्र सं० २१२ । या०x४३६१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल ४ । नेपाल सं० १८३२ आषाढ़ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टमसं०४६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-माह्मराम जी गुजर गौड़ ने अजनगर में प्रतिलिपि की थी। ४६७५. स्वतकथाकोष-४ । पत्र सं० १०६ । प्रा. १८४७, इस भाषा-संस्कृत। विषय-कथा । २० बालं ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २३० । पूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। विशेष-विभिन्न कथाओं का संग्रह है 1 ४६७६. प्रतकथाकोष-x। पत्र सं०५५ । प्रा० ११४५ इश्च । भाषा-संस्कुत । विषयकथा । र० बाल Xले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०४०-२३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । - विशेष-निम्न अत कथानों का संग्रह है१. अष्टाह्निका ब्रत कथा । सोमकीति। २. अनंत अत पथा ललितकीति । ३. रलत्रय.कथा ४. जिनरात्रि कथा Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४७९ ५. याकाश पंचमी कथा दशलक्षणी कथा ७. पुष्पांजलि व्रत कथा ६. द्वादश व्रत कथा ६. कम निर्जरा व्रत कथा १०. षट्स कथा ११. एकावली कथा १२. द्विकावली बल बया विमलकीर्ति । १३. मुक्तावलि कथा सकलकीवि। १४. लधि विधान कथा पं० अन । १५. जेष्ठ जिनवर कथा श्रुतसागर । १६. होली पर्व कथा १७. चन्दन षष्ठि कथा १८. रक्षक विधान कथा ललितकीति । ४६७७. व्रतकथाकोश-.४ । पत्रसं० १२५ । प्रा० ११ x ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा। र० काल x I ले. काल स० १८५१ पौष बुद्धि १ । पूर्ण। चेष्टन सं० २१४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (छोटा) 1 ४६७८. व्रतकथाकोश--X । पत्र सं०६ । प्रा० १३३४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल X । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११२ । प्राप्ति स्थान दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष - ६ पत्र प्राधा लिखा हुआ है आगे के पत्र नहीं लिखे गये मालूम होते हैं । ४६७६. व्रतकथाकोश-X । पत्रसं० २.८२ । प्रा० १.१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल x | लेकाल X । पुणं । वेष्टन सं० २६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। निम्न कथानों का संग्रह हैं१. नंदीश्वर कथा रत्नपाल अपूर्ण २. षोडशकारण कथा ललितकीर्ति ३. रत्नत्रय कथा ४. रोहिणी व्रत कथा ५. रक्षा विधान कथा ६. धनकलश कथा ७. जेष्ठ जिनवर कया ५, अक्षय दशमी कथा ६, षट्रस कथा शिवमुनि १०. मुकुट सप्तमी कथा सकलकीति . प्रयो Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५० । [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग x ११. श्रुतं स्कंध कथा १२. पुरन्दर विधान कथा X १३. पाकाश पंचमी कथ १४. कजिकाव्रत कथा ललितकीर्ति १५. दशलाक्षणिक कथा ललितकीति १६. दशपरमस्थान कथा १७. द्वादशीव्रत कथा १८. जिन रात्रि का १६. कमनिर्जरा कथा २०, चतुर्विशति कथा अभ्रकीति २१. निर्दोष सप्तमी कथा X ४६८०. व्रतकथाकोश-X । पत्रसं० १६२ । प्रा०६४६ इञ्च । माषा-संस्कृत | विषय का। र०काल x | ले०कास ४ । अपूर्ण । वेष्ठत सं० ४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पार्श्वनाथ मंदिर बांगान दी। ४६८१. व्रतकथाकोश-४ । पत्र सं०१५ | प्रा० ११:४५१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-वाया। र०काल X । लेकालसं० १७७० माघ सुदी धन सं०१२ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पारवा चौगान मंदिर दी। ४६८२. व्रतकथाकोश-X । पत्र सं० फुटकर । भाषा-संस्कृत । विषय - कथा । र० काल ४ । लेकाल x x ! अपूर्ण । वेष्टन ३७५।१३६ प्राप्ति स्थान-दि० जन सभवनाथ मंदिर उदयपुर । ४६८३. व्रतकथाकोश--खुशालचन्द । पत्रसं० २६ । प्रा०६x४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पथ)। विषय - कथा । र काल स. १७८७ फागुण दुदी १३ । ले०काल X । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १९६ ! प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-निम्न काथानों का संग्रह है अाकाश पंचमी, सुगंबदशमी, श्रावण द्वादशी स्त, मुक्तावलीत, नंदूको सप्तमी, रत्नत्रय कथा, तथा चतुर्दशी कथा। ४६८४. प्रति सं० २। पत्र सं० १६१ । आ. १०.४५ इञ्च । ले० कान सं० १९१४ कार्तिक सुदी १० । पूर्ण । बेप्टन सं० १४०-७२ 1 प्राप्ति स्थान- दिन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह टोंक) ४६८५. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० १२२ । वा. ११४५१ इञ्च । ने. काल १८५५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मंदिर राजमहल (टोंक) विशेष -टोडा में भट्टारक्ष श्री महेन्द्रकीति की साम्नाय के दयाराम ने महावीर चैत्याल में प्रतिलिपि की थी। ४३८६. प्रतिसं० ४ । एत्र सं०६८ । आ० १.१४५ । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्तिस्थान- दि जैन मंदिर राजमहल (टोंक) विशेष–२३ कयामों का संग्रह है। Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४६१ ४६८७. प्रतिसं० ५। पत्र सं० १३२ । या० १०४ ६ इञ्च । ले०काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान-निक जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) ४६८८. प्रति सं०६ । पत्र सं०७४ । ग्रा० १२४७१ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० १५८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी । ४६८ह. प्रतिसं०७१ पत्र सं० १३५ । प्रा० १०.४५१'इन । ले०काल X। अपूर्ण । वेष्टन सं० ७२.४८ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन तेरहपंथी मंदिर दौसा। विशेष-पागे के हों । ४६१०. प्रति सं०८।पसं० १४२ । या. ११४४३ इञ्च । ले०काल १९०८ । पूर्ण । पेश्नसं०७२।३६ । प्राप्ति स्थान –दि जैन मन्दिर भादवा (राज.) विशेष-जयपुर में नाथलाल पाया ने प्रतिलिपि की थी। ४६६१. प्रति सं०६ । पत्र सं० ११६ । ले० काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० ७९३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ४६६२. प्रति सं०१० । पत्र संख्या ११० । पा. १२ x ५१ च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा। र०काल ४ । लेखन काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना बुदी। विशेष-सूलकर्ता श्रुतसागर है 1 ४६६३. प्रति सं० ११। पत्र सं08| प्रा० १२x६ इंच । लेकाल सं० १६०० पौष सुदी २। पूर्ण । वेष्टन सं० २६५ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-जहानाबाद सिंधपुरा मध्ये लिखावतं साहजी " ४६६४. प्रति सं० १२। पत्र सं० २९६ । प्रा० १x६१ इन्च । लेकाल ४ । भपूर्ण। वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बुदी। विशेष- इस कथा संग्रह में एक कथा पत्र ६४ से ६ तक पल्यव्रत कथा धनराज कृत है उसका प्रादि अन्त निम्न प्रकार हैंश्रादिभाग प्रथम नमो गणपति नमो सरस्वती दासा । प्रगमी सदगुर पाव प्रगट दीयौं ग्यांन विख्याता ।। पंच परम गुरु सार प्रसवि कथा अनोएम । भावी थत अनुसार विविध मागम में अनुपम ।। थु तसागर ब्रह्म जु कहीं पल्य विधान कथानिका । भाषा प्रसिद्ध सो कह सूरणी भव्य अनुक्रमनिका ।। दोहा द्वीप माही प्रसिद्ध अति, जंबूदीपवर नाम । भरत क्षेत्र तामै सरस, सोहे सुख की घाम ।। Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची पंचम भार्ग अन्तिम भाग विक्रम नृप परमाणि, सतरास चौरासी ओर्ण । मास प्राषाढ शुक्ला पक्षसार । दशमी दिन अरू श्री गुरुवार ।।२५८॥ पाचारिज चिह' दिसि परसिधि । चंदकीर्ति महीयल जससिद्धि । ता सिप हर्षकीर्ति मीवसी, सोहे बुद्धि बृहस्पति सी ॥२६६।। श्रुतसागर भाषित व्रत एह, पल्य माम महियल सुखदेह । साकी भाषा करो धनराज, पंडित भीवराज हितकाज ॥२६॥ रहो चिजय मकस्नसंघ गछपति जती समाज । वक्ता थोता विविधजन एम कहै धनराज ॥ इति श्री श्रुतसागरकृत प्रतकथाकोश भाषायां प्राचार्य श्री चन्दकीति तत् शिष्य भीवसो कृत पल्य प्रतकथा संपूर्ण । ४६६५. प्रति सं० १३ । पत्र सं० ११५ । लेकाल - । पूर्ण । वेष्टन सं० ६९२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर। विशेष-महात्मा राधेलाल कृष्णगत वाले ने प्रतिलिपि की थी। ४६६६. प्रतिसं० १४ । पत्रसं० ४४ । प्रा० ११६४ ७ इञ्च । ले०काल सं० १९८२ । पूर्ण । देपन सं०११३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना। विशेष-मुख्यतः निम्न कमायों का संग्रह है । मुकुटसप्तमी, अक्षयनिधि, निर्दोष सप्तमी, सुगन्ध दशमी, थावण द्वादशी, रत्नत्रय, अनंतचतुर्दशी, अादि व्रतो की कथाए है। ४६६७. प्रतिसं०१५। पत्र सं० १२३ । प्रा०९४५१ इञ्च । ले०काल 'सं.१८७१। पूर्ण । देखन सं० ३२५-१२३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का दूगरपुर । विशेष-जोधरात्र ने प्रतापगढ़ में लिखा था। ४६१८. प्रतकथा कोशx पत्र सं०७-१८ । ग्रा०१०x४ इच। भाषा-हिन्दी। विषयकथा। १०काल X । ले० काल X । अपूर्ण | वेटन सं० २८५-१२० । प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर। ४६६६. लकथारासो--X । पत्र सं० १४ । प्रा० १३४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी गध । विषय-कथा । र०काबले. काल सं० १८६८ जेष्ठ सुदी १० । पूर्ण । वेष्टनसं० २१२ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान बू दी। विशेष प्रानन्दपुर नगर में लिखा गया था। Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य 1 [४८३ ४७००. ब्रतकथा संग्रह--XI पत्र सं० ११ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा 1 २० कालX । ले. काल x 1 अपूरणं । वेष्टन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । ४७०१. प्रतिस०२। पत्र सं० ६-७३ । प्रा० ११४५ इच । ले का x 1 अपूर्ण । वेष्टन चं.७१८ । प्राप्ति स्थान-वि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ४७०२. व्रतकथा संग्रह-X । पत्र सं० १४ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयकथा । र०कालx।ले० काल सं० १८.५। पूर्ण । वेष्टन सं०११८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर पोरसली कोटा । विशेष—मुख्य कथाएं निम्न हैं१. शोलनत कथा-मलूक । र० काल सं० १८०६ । कह मसुको सुरगो संसार हूँ मूर्ख मत्त दीण अपार । आसोजा सुद पाठ कहो, थाकचल लाग सोसही ।। जोडी गांव सातड़ा ठाग, सम्मत अठाराछ क माह । कुडी वा सो दूर करो, याकी सुध सुनो रही घरो॥ २. सुगंध दशमोगत कथा-मकरंद । र० काल १७५८ । ससे पठानवे श्रावण तेरस स्वेत । गुरुवासरपुरी करी सुणयो भषिजन हेत । कथा कही लघु मतीनी पट्ट पद्मावती परवार ।। पाठय गायं मकरंद ने पंडित लेहो संभाल ।। ३. रोहिणीव्रत कथा-हेमराज । र० काल १७४२ । रोहणी कथा संपूर्ण भई, ज्यो पूरय परगासी गई । हेमराज ई कही विचार, गुरू सकल शास्त्र अब धार ।। ज्यो त फला .....में लही, सोधिधि अथ चौपई लही। नगर वीरपुर लोग प्रवीन, दया दान तिनको मन लीन ।। ४. नंदीश्वर कथा-हेमराज । यह बल नन्दीश्वर की कथा । हेमराज परगासी यथा ।। सहर इटावो उत्तम यान । श्रावक कर धर्म सुभ ध्यान ॥ सुने सदा जे जैन पुरान! गुरो लोक को रास्ने भान ।। तिहिछा सूनो धर्म सम्बन्ध । कीनी कथा चौपई बंध ।। ५. पंचमी कथा-सुरेन्द्रभूषण । २० काल सं० १७५७ । नव पत करे भान सो कोई। ताको स्वर्ग मुक्ति पद होइ । Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६४ [ अन्य सूची-पंचम भाग सत्रहसे सत्तावन मानि । संवत पौष दसै बदि जानि । हस्तिकांतपुर में पट्ट सची। श्री सुरेन्द्रभूषण तह रची। यह व्रत विधि प्रतिपाल जोइ । सो नर नारि अमरपति होइ ।। विशेष-सीगोली साम में प्रतिलिपि हुई थी। ४७०३. व्रत कथा संग्रह-X । पत्र सं० प्रा०१०४५३ च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कथा। र. काल x | लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान-दि० जम मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-निम्नलिखित कथाए हैं। १. दशलक्षव्रत कथा-हरिकृष्ण पांडे । र० काल सं० १७६५ । पत्र सं. २ तक । अन्तिम अंसी कथाकोश में कही, तैसी पथ चौपई लही। सरह पर पैसठ मांनि, संवत मादन पंचमि जानि ।। तापरि यम सरौं लोग विस्यात। दयाधर्म पाले मुभगाल ॥ सब यावग पूजाविधि कर। पात्रदान दै सुकृत लुनै ।।३५॥ मन मैं धर्म वृधि जव भई। हरिकृष्ण पांडे कथा भर ठई ।। यो इह सुन भाव धरि कोय । सोतो निह अमरापति होइ॥३६|| इति दशलक्षण व्रत की कथा सपूर्ण । मनंतब्रत कथा-x x ।पष सं० ३ से ४ ३. रतनत्रय कथा हरिकृष्ण पांडे । २० काल सं० १७६६ साबन सुदी ७ । पत्र सं०४ से ७ ४. आकाशपंचमी कथा-, ।पत्र ७ से १ ५, पंचमीरास कथा-. x x । पत्र सं०३ ६. आकाशपचमी कथा-४ । २० काल १७६२ चैत सुदी २ । पत्र ३ ४७०४. वसुदेव प्रबंध-जयकीत्ति । पत्र सं० १४ । प्रा० ११४५ इन्च । भाषा-हिन्दी पत्र । विषय ---कथा । र०का । लेकाल सं० १७३५ ज्येष्ठ सुदी १०। पूर्ण । वेष्टन सं०६३1 प्राप्ति स्थान दि.जैन अबवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-आदि अन्त भाग निम्न प्रकार है २. Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] आदि भाग दूहा -- अन्तिम भाग दूहा भों नमः सिद्धेभ्यः । राग सोरठा । || १ || ह । इन्द्रवरण सहयोपजा देव पंच परमेष्टी जे असाकरीविनी से वसुदेवप्रबंध रभसे पुन्द तो फत्र देवशास्त्र गुरु मन घरी प्रसिद्ध समृद्धि एह ||२॥ हरिवंश कूम सोहामा श्रमक दृष्टि राय । सौरीपुर सोहिये को बासक सम शुभगाय ||३|| श्री जागजी सरस्वती गच्छेजाजी । गुणकीरति गुणग्रामणी बंद्र वादिभूषण पुण्यधामजी ॥ १३॥ ब्रह्म हरखा गुण अनुसरी कहा पाण्यान यो यो वादसी लगियो सुख संतान ॥१ कोट नगर कोडामणी वासे श्रावक पुण्यवंत। यादि देव धर्म समुद्र समसंत ॥ ति जिनवर सेवाकरी असुदेव तम फल एह जयको रति एम र परो धरमी नेह ॥ इति श्रीवसुदेव भाख्याने तृतीय सर्गे संपूर्ण तत् शिष्य व श्री वाघजी लिखितं । | ४७०७ विवरणी चौपई- पारसदत वेष्टन ४७०५. प्रति सं० २ । पत्रसं० १४ । प्रा० ११X५ इश्व । ले० काल सं० १६७५ | पूर्णं । न सं० १८१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ४७०६. विक्रमलीलावती चौधई- जिनचन्द्र पत्र सं० १७ हिन्दी विषय कथा २० काल सं० १७२४ श्रापा सुदी ७ ले० काल सं० पेटन सं० ७४९ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । 1 विशेष- लिखितं चेला खुशाल बीजन लिपी कृता दरीबा मध्ये | २० काल X ले० काल t० १७८५ पूर्ण मंदिर भरतपुर। संवत् १७३५ वर्षे ज्येष्ठ डुदी १०० श्री कामराज [ ४८५ घा० १० X ४१ इव १७६८ माघ सुदी ८ ४७०८. विल्हा चौपई- कवि सारंग पत्र सं० ४२० १०४ इन्च पद्य विषय कथा १० सं० १६३६ । ले० काल । पूर्ण वेष्टन सं० १२२ दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । भाषापूर्णं । - पत्र सं० १४ भाषा - हिन्दी विषय कथा । ० ६३० प्राप्ति स्थान दि०जैन पंचायती भाषा - हिन्दी प्राप्ति स्थान Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०६ ] प्रारम्भ अन्तिम e दोहा-: श्लोक सामि सारदा, सकल कला सुपसिद्ध । बुद्धि ॥१॥ सुसर अलाप मारत हस्ति बजावद बीरा। , दिन दिन अति आद भर, सयल मुरासर लीग || २ || यदि कुमारी बाज लमि ब्रह्म रुद्र हरिभात। अलस अनंत अगोचरी सुयश जगविख्यात ॥ ३॥ कासमोर गुलमंडी, सेवक पुरद्द घास। सिद्धि बुद्धि मंगल करइ, सरस बबन उल्हास ॥४॥ श्री सद्गुरू पसाउ र समनुपम नाय जास पसाइ पामीर, मन वंचित सविकाम ||५|| नारी नामि ससिकला तेह तस्सु भरतार | कवि विल्हा गुण व सील सर्वि सुख संपज सो संपत्ति हो । यह भवि परिभत्रि सुख लहर, सीम तो फल जोइ ४७॥ तरां सील प्रभावि आपदा टाली पाप कलंक सील तराइ अधिकार ॥६॥ कवि सुविलासिया सुराज्यो की संक ||८|| एकदिनी पई भराइ एक मनांवर । तास परे निधि विस्तारद्द निसुता सुख संपत्ति कर frरही ता विरह दुख ल मनगमती रस रमणी मिलइ ॥ 'समझई श्रोता चतुर सुजाण । मूरिख म णहइ भाग बजाए ॥ सुमाणामि गोठ की, लाडु विहं परे अहूरा पूरा करइ पूरा ग्रामो रे ॥४॥ [ ग्रन्थ सूची- पंचम भा असूखनाराध्य सुखतरमाशव्यते विशेषज्ञः । शानलविदा ब्रह्मनि जति ५॥ वर पर्वत श्रत वनचरः सह । या संसर्गः सुरेन्द्रभवनेष्वपि ॥६॥ मूर्खजनसंसर्ग पंडितोजी नर शत्रु मा मूर्ती हितकारक "बानरेण हतो राजा मित्रा पौरेण रक्षितः ॥७ Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य । [ ४८७ चौपाई--- हंस कोई मय करसिउ तथा । मति अनुसारि संधि कथा । उछु अघि अक्षर जेह। पंडित सुधर कर सो तेह ।।८।। वहीं-- धीमन्नाद गद्रवर विद्यमान जयवंत। ज्ञानसागर सूरी अच्छइ गुहिर महागुणवंत ॥ तास गछि अति विपुल मति पद्मसुन्दर गुरुसीस। कविसार'ग इणि परि कहइ प्रांणी मनह जगीरा ।। ए गुण ज्यालइ वरि ऊरि सइल सोल। सदि प्रासाठी शेतपदा को कवित कल्लाल। पुष्य नखिल वारु गुरु....." अमृत सिद्ध ।। श्री जवालपुरि प्रगट कोतिग कारण विद्ध । सज्जा अणु सांभलई खंति मनि पारण । रिद्ध वृद्धि पामई सही कुशल खेम कल्याण ॥ बीच बीच में स्थान चित्रों के लिए छोड़ा गया है । ४७०६. विष्णुकुमार कथा-४ । पत्रसं० ५ । प्रा० x ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र०काल ४ । ले कास सं० १८२४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ४७१०. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ । मा० ११४ १ इञ्च । ले०काल x | पूर्ण। वेष्टन सं. प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) ४७११. शालिभत चौपई- ४ । पत्रसं० २२ । प्रा. ११४५: इश्व । भाषा- हिन्दी पद्य । विषय - कथा । र० काल X । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलबर । ४७१२. शालिभद्र चौपई-जिनराज सरि । पत्र सं० २६ । श्रा० १०४४ च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-कथा । र०काल सं० १६७८ । ले. काल ४ । पूर्ण । ग्रेशन सं० २५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ नोटा। ४७१३. शालिभत्र चौपई -- मनसार । पत्र सं० २७। भाषा-हिन्दी। विषय-कथा । र: काल सं० १६०८ श्रापाद्ध बुदी ६ । ले० काल सं० १७६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थानसंभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष-श्री सागवाडा में आदिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपिहाई थी। अन्तिम सोलहसम प्रोतिर बरस्य प्रातू वदि छठि दिवसइजी। Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८६ ] श्रीजिनसिंह सूरि सीप मतसार भविवरण उपगारदजी श्री जिनराज वचन अनुसार चरित का रविनारदजी || ४७१४. शालिभद्र चोपई विजयकोसि पत्र ०४६ ० १०१x६ इच भाषाहिन्दी विषयका २०काल सं० २०२० से० काल १९७२ । । । पूर्ण बेटन सं० २०३ प्राप्ति नजर विशेष दान कथा का है। ४७१५. शालिभद्र धना चोवई सुरति सागर | पत्र भाषा हिन्दी विषय कथा २० काल X ०काल सं० १६२६ ३१२ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । - विशेष- बुरहानपुर में प्रतिलिपि की थी। ४०१६. शालिभद्र पन्ना चौपई मनसार पत्रसं० २० प्रा० १०३९४ इख भाषासे० का १७४२ शके १६१० पूर्ण वेष्टन हिन्दी पद्य निक २० १६०० प्रसो ६ सं० ७०३ प्रति स्थान दि० जैन मन्दिर कर जयपुर। विशेष सेठ में चढाया था । [ ग्रन्थ सूची पंचम भाग - ४७१७. शोलकथा-माराम पत्र ३१ ० ६४६ इव भाषा - हिन्दी (पद्य) विषय-कथा २० का ४ ले० काल सं० १२४४ भादवा स ुदी १३ पूर्ण वेन स० १२१२ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर | ४०१६. प्रति सं०३ १२७५ प्राप्ति स्थान ४७१८. प्रतिसं० २ । प० ३४ ० १०x४] इव । ले-काल X | पूर्ण वेष्टन सं ७४४१ प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर। जी सोनी संवत १९५० भाषा सुदौ २ की वडा घडा की शियो ० २०० १०५४ इंच त्रसद ११ पूर्ण चेटन सं० पत्रसं० ५० ० ८६ इच से काल X पूर्ण बेन सं० दिन मन्दिर मेर ४७२०. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ४४ । ले० काल सं० १६५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३० । प्राप्ति स्थान- दि जैन तेरहांची मन्दिर बसवा । --- ४७२१. प्रतिसं० ५०२२०१३) I पूर्ण । वेष्टन सं० ७० / १८७ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष - पत्र सं० २६ और १३ की दो प्रतियां और हैं। काल सं० १९६२ चैत्र बुदी ६ । ४७२२. प्रतिसं० ६४०० काल सं० १९०६ । पूर्ण वेष्टन सं० ५५३ प्राप्ति स्थान- वि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४७२३. प्रतिसं० ७ पत्र सं० ५२ प्रा० ११६ इसे काल X वेटन सं ७। प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर बैर । ४७२४. प्रति सं० सं० २१० १२३x६इ काल X। पूर्णे वेटन सं० ६८ प्राप्ति स्थान दि० अंन छोटा मंदिर बयाना । Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४६ ४७२५. प्रति सं० ९ । पत्र सं० ५३ । ने० काल सं० १८६३ । पूर्ण । वेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान-दि जैन छोटा मन्दिर बयाना । ४७२६. प्रति सं० १०। पत्र सं० ३२ । प्रा० १०.४६, इञ्च । ४ । ले०काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं० ३३३ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ४७२७. प्रति सं०११। पत्रसं० ३७ । श्रा० ११x६१ । १० क ल ४ । लेकाल सं. १८९० कातिक सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन ग.७३ । प्राप्ति स्थान--दि० जनाभर भादवा (राज.) विशेष मारवणराम सेटी ने प्रतिनिधि करपायी थी ! ४७२८, प्रति सं०१२। पत्र सं०५३। ले० काल x। अपुलं । वेन सं०७.४६। प्राप्ति स्थान - विक जैन मंदिर बगवा । ४७२६. प्रतिसं० १३ । पत्रसं० २-३६ । प्रा० १०:४६ इञ्च । ले पाल सं० १६२८ 1 पूर्ण । पेष्टन सं० ७० । प्राप्ति स्थान-वि० जन तेरह पंथी मन्दिर नैणवा । ४७३०. प्रति सं० १४ । पत्रसं० ४८ । प्रा० १२३ ४ ५ इच। लेवान x । पूर्ण । बेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक। विषय -तनसूत्र अजमेरा स्वाध्याय करने के लिये प्रति अपने घर लाया ऐसा निम्न प्रकार से लिखा है "तनराम्य अजमेरो लायो वाचवा ने गरु सं० १९५४ । ४७३१, अतिसं०१५ पत्र सं० २५ । प्रा. १३४८ इञ्च । र काल X। ले०काल सं. १९५३ । पूर्ण । वेष्टन ४५:२५ । प्राप्ति स्थान –दि. जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक)। ४७३२. प्रतिसं०१६ । पत्र० ३२ । श्रा०६x६ इञ्च । र काल: । लेकाल सं० १६१० पूर्ण । वेष्टन मं०७२ १२३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष—केकड़ी में गरोशलाल ने प्रतिलिपि की थी। पद्य सं०५४७ ४७३३. प्रति सं०१७ । पत्र सं० २१ । प्रा० १२x६ इञ्च । ले. काल सं० १९५५ । पूर्ण । घेसं० १९.७६ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेर-५६६ पद्य संन्या है । ४७३४. प्रति सं०१८ । पत्र सं०१२ । प्रा.११४५ इञ्च। ले० कालX । पूर्ण । वेवसं ४० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, दी। ४७३५. प्रति सं०१६ । पत्र सं० २२ । प्रा० १२३४ इच। ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ५३६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लपकर जयपुर। ४७३६. शीलकथा--X । पत्र सं०१०। ग्रा० १.४५दृश्च । भाषा-हिन्दी। विषय-कला। र०कालX ।ले. काल xपर्ण वेपन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर भादवा (राज.) विशेष-प्रति जीर्ण है। Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ४७३७. शीलकथा--- । पत्र सं०१४। आ०७१४५. इश्च । भाषा-हिन्दी । विषपकथा। र० काल x ।ले. काल x प्रा। वेतन ४६ । प्रालियान .. दि जैन होटा मन्दिर बयाना । ४७३८. शीलकथा-भैरौलाल । पत्र से० ३६ 1 प्रा० १२३ ४५६ इञ्च । भाषा - हिन्दी पद्य । विषम--कथा । र०काल X । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायसी मन्दिर करौली । पील कथा यह पुरण भई। भरोलाल प्रगट करि महि ।। पदै सुनौ अब जो मन लाई । जन्म जन्म के पातिग जाई ।।४।। सील महात्तम जानि भवि पालहु सुख को वास हृदै हरख बहु धारिक लिखी जो उत्तम नाम ।।४६।। इति श्री शीलकथा संपुर्ण लिखते उत्तमचन्द व्यास मलारणा का । ४७३६. शोलतरंगिणी~ (मलयसुन्दरी कथा) अखयराम लुहाडिया। पत्रसं०८८ । प्रा. १०.४५९इश्च । भाषा-हिन्दी (प.)। विषय-कथा । २० कार x ले. काल सं० १८६ सायन खुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०५०७। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष प्रारम्भ के ५.३ पत्र नवीन हैं । आगरा में प्रतिलिपि हुई थी। ४७४०. प्रति सं० २१ पत्र सं० ७७ । प्रा० १०० x ५ इञ्च । लेकाल. ४ । अपूर्ण । वेन सं०५०८ ।। प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-अन्तिम पत्र नहीं है। ४७४१. शोलपुरंदर चौपई-४ । पत्रसं० १० । ग्रा० १०४४३ इन्च । भाषा-हिन्दी (प.) । विषय-कथा । रकालX । लेकाल सं० १७२५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०८ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर बवलाना (दी।। विशेष-मुनि अमरविमलमरिण ने बीकानेर में प्रतिलिपि की थी। ४७४२. शीलसुन्दरीप्रबंध-अयकीर्ति । पत्र सं० १६ । प्रा० ११३ ४ ५ एञ्च। भाषाहिन्दी (पद्य) | विषय - कया। र०कायX । ले०काल सं० १६६०। पूरणं । नेष्टन सं० २४२ । प्राप्ति स्थान अग्रवाल दि जैन मंदिर उदयपुर । ४७४३. शीलोपदेश रत्नमाला-जसकीत्ति । पत्र सं० ११ । प्रा. ११४४ इंच भाषा-- प्राकृत । विषय-बाया । र काखX । ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १२० । प्राप्ति स्थान दि. जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर । विशेष-गुजराती भाषा में दिया है । जसकीति जयसिंह सरि के शिष्य थे। ४७४४, शोलोपदेश माला-मेरसुन्दर । पत्र सं० १६६ । प्रा० x ४५ इभ । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । ए०काल X । ले० काल ०१-२६ भादवा बुदि ३ । पूर्ण । येष्टन सं० २३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, दी। Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फया साहित्य ] ४७४५. श्रीपाल सौभागी, प्रात्यान-वादिचन्द्र । पत्रसं० २२ । प्रा० ११४ ४ इन्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-कथा । र०काल सं० १६५१ । ले. काल सं० १७६० कार्तिक बुदी ६ । पुणे । वेष्टन सं० २४६.७८ । प्राप्ति स्थान--सभवनाथ दि जेन मन्दिर उदयपुर। विशेष –उदयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। प्रति अत्यन्त जीणं है । ४७४६. प्रति स०२ । पत्रस ३० । प्रा० १०१४५ इच। ले० काल सं० १७५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ४७४७, प्रतिसं० ३ । पत्रसं० २ -३१ । या० ११४४ इञ्च । ले. काल सं० १८१६ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३४७ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जंग मन्दिर बोरसली कोटा।। ४७४८. बतावतार कथा-४ । पत्रसं० ५। पा० ११४४१ इत्र । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काखX । ले० काल X । पूर्छ । वेष्टन सं० ४४८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ४७४८ क. प्रतिसं० २ । प्रा० १६४५३ इञ्च । ले. काल सं० १८६३ ज्येष्ठ बुदी ३ । पूर्ग । वेष्टन स० ४४६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर लश्कर जअधुर । विशेष-महाराज सवाई रामसिंह के राज्य में जयपुर में लश्कर के नेमि जिनालय में पं० झांभूराम ने प्रतिलिपि की थी। ४७४६. श्रेणिक महामांगलिक प्रबन्ध-कल्याणकीति । पत्र सं० ३६ । पा. ११४४३ इश्च । भाषा हिन्द्री ( प्रश्न }। विषय -कथा । र० काल सं० १७०५ । ले. काल सं० १७३१ । पूर्ण । वेष्टन स० १५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर। ४७५०. पटावश्यक कथा- पत्र सं०६। या. १०x४१ इंच। भाषा हिन्दी । विषय कथा । र० काल ४ । ले०काल X । अपूर्ण। वेष्टन सं० १९४१ प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। विशेष-अन्तिम पत्र नहीं है । ५ कया तक पूर्ण हैं । प्रति प्राचीन है। ४७५१. संगर प्रबन्ध-पा० नरेन्द्रकोति। पत्र सं०१०। प्रा० ११ x ५ इञ्च । भाषाहिन्दी (गद्य । विषय कया । २० कालX ले. काल x पूर्ण । वे० स०१४। प्राप्ति स्थानदि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । ४७५२. सदयवच्छ सालिंगा चौपई --X । पत्र सं० १२ मा १४६, हन । भाषाहिन्दी । विषय कश।काल x लेवाल X । नपुर्ण । वेष्टन सं०७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवान चेान दास पुरानी डीग । विशेष—त्र ६ तक है प्रागे चौबीस बोल है वह भी अपूर्ण है। ४७५३. सप्तव्यसन कथा-सोमकोति। पत्रसं० १०२। आ०११४५३ इञ्च 1 भाषासंस्कृत । विषय-कथा । र०काल सं. १५२६ माघ मुदी १। से काल स० १८३६ अगहन सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं०५ २६ । प्राप्ति स्थान -- दिजंग पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोगा। विशेष-लाखेरी नगर मध्ये लिखितं बाबा श्री ज्ञानविमल जी तत् शिष्य रामचन्द्र । Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६२ ] ४७५४. प्रतिसं० २ । बेटन सं० ७५ प्राप्ति स्थान - सूची- पंचम भाग [ प्राथ पत्र सं० ११२ । ०६३X६ ३श्व । ले० काल से १८८३ । पूर्णं । दि० जैन पंचायती मन्दिर वनी । ग्रन्थान्थ २०६७ श्लोक प्रमाण है । ४७५५. प्रति सं०३ । सं० २/११३ । ० १०x४ इश्व । ले० काल स० पूर्ण । वेष्टन सं० ३५२ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १७३८ । विशेष-संवत् १७३८ वर्षे प्रथम चैत्र बुदी १ रवि दिने ब्रह्म श्री धनसागरेण लिखितं स्वयमेव पठनार्थ | ४७५६. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० ६६ । प्रा० ११४५३ इव । ले० काल सं० १६६० ज्येष्ठ सुद्दी १५ । पूर्ण । वे स २०५ | प्राप्ति स्थान - दि० जन अप्रत्राल मन्दिर उदयपुर | विशेष-रत विप्रकृष्ट है- संवत् १६६० वर्षे ज्येष्ठ मासे शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथौ भौमे भेलला महास्थाने श्री चन्द्रप्रभ चैत्यालये श्री मूलचे सरस्वनीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुंदकुंदाचार्यान्वये भ० श्री सकलकीर्तिदेवा भ० श्री भुवन कीर्तिदेवा भ० श्री ज्ञागभूषणदेवा भ० श्री विजयकीर्तिदेवा भ० श्री कीर्तिदेवा भ० श्री वादिभूरणपदेवा भ० श्री रामकीर्तिदेवा भ० लिखितं । शुभ भवतु शुभचन्द्रदेवा भ० श्री सुमतिकीर्ति भ० श्री पद्मनदि तत् शिष्य ब्रह्म रूडजी स्वयं ४७५७ प्रतिसं० ५ पत्र सं० ७६ | आ० ११४४३ इछ । ले०काल स० १६०५ । पूर्ण वेष्टन सं० १४४-६६ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूँगरपुर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६०५ समये अश्विन बुदी ३ बुधवासरे श्री तीर्थराज प्रयाग ग्रामे राम साहिराज्ये । ४७५८. प्रतिसं० ६ x 1 पत्र सं० ६३ । मा० १२४५ इश्व | लं०काल सं० १६१६ । पूर्ण । बेष्टन सं० १४४ ६६ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर कोटडियों का डुगरपुर || विशेष- प्रशस्ति निम्न प्रकार है प्रशस्ति- संवत् १६१६ वर्षे आमा बुदी ८ भीमे पूर्व भाद्रपद नक्षत्रे श्रीमत् कष्टाने नंदीतटगच्छे विद्यागणे श्रीराम सेनान्वये श्री वादीमकु भस्यविदारणी पंचानन भट्टारक श्री सोमकीर्तिदेवा तत्प श्रवोदशत्रकार चरित्रप्रतिपालक भट्टारक श्री विजयसेनदेवा तत्प मट्टारक श्री विद्वजकमल प्रतिबोधन मार्त्तण्डावतार भट्टारक श्री कमलकीतिदेवा तप को धारणवीररस्वती श्रृंगारहार षद्भाषानिवास भट्टारक श्री रत्नकीर्तिदेवा तत्पट्टे चरित्रचूडामणि भट्टारक श्री महेन्द्र सेना तत्पटांवर धद्यप हिम करोयम् सरस्वती काभरणा भूषित सर्वागिकलाप्रवीण सदे परदेशाला प्रतिष्टोदय भट्टारक श्री विशालकोति प्राचार्य श्री सिंकीर्तिदेवा तत् शिष्य ब्रह्म श्री मोजराज भट्टारक श्री महेन्द्रसेन शिष्यनी आका जीवा तया सही व्यगतम्य पुस्तकं लिखापितं ज्ञानावरण कर्मार्थं ब्रह्म भोजराज पनार्थ । ' ४७५६. प्रति सं० ७ । पत्रसं० १४२ । या० १०३ x ४] इव । ले० काल सं० १९५६ । पूर्ण न सं० २४३-६७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष – उदयपुर में प्रतिलिपि हुई थी । Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४६३ ४७६०, प्रतिसं० ८ । पत्र सं० ७६ । आ० १.१४ ५ ६ञ्च । ले० काल सं० १८५२ 1 पूर्ण । वेटन सं०७५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पचायती मन्दिर अलवर । विशेष-शेरगढ़ में दबाचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। ४७६१. प्रति सं०६। सं० १७ । प्रा० १०x४ इञ्च । ने. काल सं १७५१ माह सुदी १। पूर्ण । वेष्टन सं० ४२६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर बोरसली कोटा। ४७६२. प्रति सं० १० । पत्रसं० १७ । प्रा० ११४४६ च । काल सं० १७८५ पौष सुदी १० । पूर्ण । वेपन सं०७७६ । प्राप्तिस्थान---दि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोबा) विशेष --वृन्दावन ने प्रतिलिपि करवाई थी। ४७६३. प्रतिसं० ११ । प. स. ११३ । पा० x ६ च । ले० काल सं० १९२५ फागुण बुदी ५ । पूर्ण । वेटन स. १८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर नागदी बू दी। ४७६४. प्रतिसं० १२ । पत्र सं १८ श्रा० १२४५३ इञ्च । ले०काल सं० १८२४ । पूर्ण । वेशन सं० २१२ । प्राप्ति स्थान-दिजैन मदिर नागदी, बूंदी। विशेष-१० गुलाब चदजी ने कोटा में प्रतिलिपि की थी। ४७६५. प्रति सं० १३ । पत्र सं० २५ । प्रा० १३ ४ ५६ इञ्च । ले. काल x । पूर्ण । वेष्टनसं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दिक जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, वूदी। विशेष--निम्न प्रशस्ति दी हुई है मिति यासोज शुक्ला प्रतिपदा सोमवासरान्वितं लिखितं ना कोटा मध्ये लिसापित पंडित्तोत्तम पंडितजी श्री १०८ श्री शिवलालजी तत्शिष्य श्री रत्नलालजी तस्य सघुनाता पंडितजी थी वीरदीलालजी तत् शिष्य श्री नेमिलाल दबलाणा हालान । ४७६६. प्रति सं० १४१ पत्र सं० १०८ | प्रा० ६x४ इञ्च । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २२८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष–पत्र बड़े जीर्ण शीर्ण है तथा १०८ से आगे नहीं है । ४७६७. प्रति सं० १५ । पत्र सं० ३२ । पा०६४ ५३ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन रां० १३० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी दी। ४७६८. प्रतिसं० १६। पत्रसं० ३५ । ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं०७०३ । प्राप्ति स्थान--. दि. जैन पचायली मन्दिर भरतपुर । ४७६६. सप्तव्यसन ऋथा-भारामल्ल । पत्रसं० ७५ 1 प्रा० १२४६६ इञ्च । ले०कास सं. १८२५ । पूर्ण । वेष्टनरा० ४.५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ४७७०. प्रति सं० २१ पत्र सं० १०१ । प्रा० ११३४६ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टनस. ८६-११६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ४७७१. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १६५ । पा. ११४५३ च । ले०काल सं० १८६१ । पूरणं । वेपन सं० १५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९४ ] विशेष- राजमहल नगर में सुखलास शर्मा ने सेजपाल के लिये लिखा था ४७७२ प्रति सं० ४ पत्रसं०] १०७ ० ११४५ इले० काल X पूर्ण हुन सं० १३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर यौधरियान मानपुरा (टोंक) ४७७३. प्रति सं० ५ । पत्र सं० १२६ | या० ११४७ इञ्च । ले० काल सं० १९६१ । । ० सं० २२३ प्राप्ति स्थान दि०जैन मन्दिर नागदी बूंदी। विशेष – चंदेरी में प्रतिलिपि हुई थी। ४७७४. प्रति सं० ६ वेन सं० ६७४ प्राप्ति स्थान ४७७५ प्रति सं० ७ वेष्टनसं० २० । प्राप्ति स्थान ४७७७ प्रतिसं० ६ वेन ० १३३ । प्राप्ति स्थान - [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग । ० ११४० १३३०३ इच्च लेकास x दि०जैन मन्दिर फोहरी (मीर ! इश्व ४७७६. प्रति सं ८० १००० १२३४६ ३ इव ले०का सं० १९५८ । पूणं । बेष्ट सं० ५७ । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । पत्र [सं०] ११३ प्रा० १३३४६ । लेकाल० १२६७ पूर्ण पाती र करौली । प ० १२४ ० १० X ७ ० १९६१ पूर्ण दि० जैन मंदिर श्री महावीर बूंदी। n पूर्ण । ४७७८. प्रतिसं० १० सं० ८१ धा० ११४५ इ० फालसं० १९७१ यासोज बुदी १० सं० ३६ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर नैणा । विशेष गुरुजी गुमानीराम ने कपुर में प्रतिलिपि की थी। ४७७९. सप्तव्यसन पथा - X 1 पत्र नं० ७५ भाषा हिन्दी विषय कथा २० काल X ०का XX अपूर्ण बेन सं० ५४ प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहवी मन्दिर मालपुरा (टोंक) ४७८० सम्यक्त्व कौमुदी धर्मक्रोति । पच० ३३ ० १०५ च भाषा संस्कृत । | विषय-कमा २० काल सं० १६०० मावा बुटी १० ले०का सं० १६६५ पूर्ण वेष्टन सं० २०-१२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूँगरपुर । अन्तिम श्री देवर वनाकारण बने। कुस्तीवि बुरहान नाम रवितो ग्रन्थ सशिष्य स्वथ्य बुद्धिना ||४|| अष्टपि र वर्षे भाद दशम्यां गुरुवारोयं सिद्धोहि नन्तात् ॥५॥ सदर सुवासितं किचिद जाना प्रसादतः । तर शोध कृपया सभ सवेधं सहजो गुणः । विश्देश्वर पूजितपादयो गोष्ट मनी। दिव्य नरेश्वर संत मानवेश्वर ॥७॥ Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४६५ सायकत्वकामती इति श्री सम्यक्त्वकौमुदीनथे उदितोरूप महारज सुबुद्धि मंत्रीश्रेष्ठी भहंदास सुवर्ण चुर चौर स्वर्गगमनवर्णन नामः दशमःसंचि ॥ ४७८१. सम्यकत्व ।। पत्रसं० १८३ । मा १२X४६च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । र काल X। ले० काल सं० १८०६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर पाश्र्वनाथ चौगान दी। ४७८२. प्रतिसं० २। पत्र सं० १४३ । प्रा० ११x१२ इञ्च । भाषा-संस्कृतः । विषय कथा। र०काल X । ले० काल सं० १८८५ वैशाख वदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) 1 ४७८३. प्रति सं० ३। पत्र सं० १२५ । मा० ११ x ४ इञ्च ! ले०काल सं० १६७३ श्रावण सुदी ३ । पूर्ण । बेपन सं० ७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष—प्रशस्ति अपूर्ण है। ४७८४. प्रति सं० ४ । पत्रसं० १६२ । प्रा.१२ x ५ इञ्च । ले० काल सं० १९२६ असोज सुदी २। पूरी न सं० रानिया ... जैन मंदिर, राजमहल (टोंक) । लेखक प्रशस्ति-श्री मूलसंचे सरस्वतीनछे बलात्कारगणे श्री कुदकु'दाचार्यान्वये भट्टारक धर्मचन्द्र जी जत् सि. ब्रह्म गोकलबी तत् ल भ्राता ब्रह्म मेघजी लीखिता। श्री दक्षिणदेशमन्धे अमरापुर नये । श्री शांतिनाथ चैत्यालये। ४७८५. प्रति सं०५ | पर सं०१२० । ग्रा० १२ x ४ । ले. काल सं. १७४६ पूर्ण । घेण्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। विशेष... श्री जिनाय नमः संवत् १७४६ वर्षे मिति आश्विन कृष्णा पंचम्यां भौमे । लिखितं सांवलराम जोसी वणहथ मध्ये । लिबापित पांडे वदावन जी। ४७५६. प्रति सं०६ । पत्र सं०६० । प्रा० १२३ x ६ इञ्च । लेकाल सं० १८५१ चैत्र सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक)। विशेष-सीताराम ने स्वपठनार्थ घाटसू नगर में प्रतिलिपि की थी। ४७८७. प्रति सं०७ । पत्र स. १४४ । प्रा० ११ ४४४ इञ्च । लेकाल सं० १६३४ प्रासोज बुदी ८ । येष्टन सं० ८७ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष- धर्मचन्द्र की शिष्यणी आ० मशिक ने लिखवाकर थीहेमचन्द्र को भेंट की थी। ४७८८. प्रति सं०८ । पत्र संख्या ५६ । प्रा० १.१ x ४१ इञ्च । लेकाल सं० १६६६ पौष बुदी १४ । वेष्टन सं० ८८ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लपकर जयपुर । विशेष-पं• केशव के पटनार्थ रामपुरा में प्रतिलिपि हुई थी। ४७८६. सम्यवत्व कौमुदी-जोधराज गोदीका। पत्र सं० ६२ । प्रा० ११ x ५१ ईञ्च । भाषा-हिदी (प) । विषय कथा । र०काल स. १७२४ फागण बुदी १३ । ले. काल सं० १८६८ कातिक बुदी १३ । पूर्ण । वष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीच दि० जैन मन्दिर अजमेर । Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ लूची-पंचम माग ४७६०. प्रतिसं० २। पत्र संख्या ४८ । ले० काल सं० १९८५ कातिक बुदी । पूर्ण । वेष्टन संख्या १५८ । प्राप्ति स्थान- मट्टारकीय वि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष-किशनगढ़ में लुहाडियों के मन्दिर में पं० देवकरण ने प्रशिलिपि की थी। ४७६१. प्रति सं०३ । पत्र सं० १५६ । मा० ११ ४७, इञ्च । ले० काल १६१० । पूर्ण । वेष्टन सं०१६२० । प्राप्ति स्थान -भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर १७९. निमा ६३ : १०४६ इन्च । ले. काल सं० १५२७ । पूर्ण । ये० सं० ७५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी । ४७९३. प्रतिसं० ५। पत्र सं० ६४ । प्रा० ११ X ७ इञ्च । ले० काल सं० १९२३ पूरी। वेष्टन सं० ३३.१६ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर पवायती दूनी (टोंक) । बिशेष दूनी में प्रतिलिपि की थी । सं.१९३१ में पांच उपवारा के उपलक्ष में अभय बंद की बहु ने चड़ाया था । ४७६४. प्रति सं०६। पसं०६३ । प्रा.१०.x:इश्च । ले० कान सं० १९३३ भादवा बुदी १३ । पुराः । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान –दि. जैन मन्दिर कोटयों का नैस्प वा । ४७६५, प्रतिसं०७ । पत्र सं०५४ । आ० १३ x ६ इञ्च । ले. काल सं० १९५६ माह सदी ५ । परणं । वेशन सं. ८२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटयों का नवा । ४७६६. प्रति सं०८१ पत्र सं० ७७ । प्रा० १.१ x ४१ इञ्च । ले० काल सं० १७५७ कात्तिक दी १२ । पुर्ण । २० सं०३१-१४४ । प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष ---दयाराम भावसा ने घासीराम जी की पुस्तक से फागुई के तेरह पंथियो के मन्दिर में प्रतिलिपि वो थी। ४७६७. प्रति सं०। पत्र सं० ७७ प्रा० १२४५,इश्च । से०काल सं० १८३५ वैसाख । सुदी ११ । अपूर्प । वेष्टन सं० ५१२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लेकर जयपुर । ४७६८. प्रतिसं०१० । पत्र स. ६३ । पा०११४४ इच। लेकाल सं० १८६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६१२१ प्राप्ति स्थान -दि० जैन पारनाथ मन्दिर इन्दरगड़ (कोटा)। विशेष टोडा का गोठडा मध्ये लिखितं । ४७६६ प्रति सं० ११ । पत्र सं०७२ : ले. काल सं० १८८० । पूर्ण । बेष्टन सं०६३ 1 प्राप्ति स्थान- दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ कोटा । ४८००, प्रति स०१२। पत्र सं० ५१ । ले. काल सं० १८८४ चैत्र सुदी १५ । पूर्स । बेधन सं० ६४ । प्राप्ति स्थान-द जैन पार्वनाथ मदिर इन्दरगड़ (कोटा)। ४८०१. प्रतिसं० १३ । पत्र स० ४१ । या० १६४५. इच । ले०काल सं० १८६६ कातिक सुदी १० । पूर्गा । वेष्टन सं० ११५ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर हमरगढ़ (कोटा) । विशेष--रोत्तमदासजी अग्रवाल के पुत्र ताराचंद ने प्रतिलिपि कराई थी। Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४९७ ० १३६ इच ले० काल X पूछे देष्टन [सं०] दर ४८०२. प्रति सं० १४ पत्र [सं०] ५१ ५ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर X ४ इन्च से० काल सं० १६४१ पूर्ण | प्रा० ४८०३. प्रतिसं०] १५ एषसं० ८५ वेष्टन सं० ५३ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर | ४८०४. प्रति सं० १६ । पत्र सं० ६२ । ० १२४७ इंच ० काम सं० १६५१ साबण बुदी १२ । पूर्णं । वेष्टन सं० २१/१४४ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ४८०५. प्रतिसं० १७ पम सं० ४४ जे० काल सं० १८९२ पौष बुटी ३२ (क) / १४५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर प्रबर पूर्ण वेष्टन सं I ४८०६. प्रति सं० १८ सं० ३२ (ल) १७५ प्राप्ति स्थान ४००७. प्रति सं० १६ पत्र [सं०] २५ ले० काल सं० १८८४ पूर्ण वे०स० ५६९ प्राप्ति स्थान-: पंचायती मंदिर भरतपुर । । पत्र[सं०] ७७ ले काल सं० १८७७ पौष सुदी १५ पूर्ण न दि० जैन पंचायती मन्दिर अनवर ४८०८. प्रति सं० २० । पत्र सं० ४१ । ले० काल सं० १५३० । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर ४८०६. प्रति सं० २१ । पत्र सं० २ । ले०काल सं० १७६६ । पूर्णं । वेष्टन सं० ५७१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष - मनसाराम ने प्रतिलिपि की थी। ४८१०. प्रति सं० २२ । पत्र सं० १११ । ग्रा० x ५ इन्च वे० काल सं० २०४१ पूर्ण वेष्टन सं० प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर बयाना । | ४६११. प्रतिसं० २३०६३ ० १०३ ४ ६इ ने० काण X पूर्ण। । । पेटन सं० २४ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर बनाना । ४८१२. प्रतिसं० २४ । पत्र ०३८ । ले० काल X। अपूर्ण वेष्टन सं० २५ प्राप्ति स्थान- पंचायती दि० जंन मन्दिर बयाना ४८१३. प्रतिसं० २५ पत्रसं० ५७ प्रा० १३४५३ च पू वेष्टन सं० १७० प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर की ४८१४. प्रतिसं० २६ । पत्र सं० १०१ । या० X ४३ इश्व । ले०फाल सं० १९१० कार्तिक वदी ३ पूर्ण सं० ६०७ प्राप्ति स्थान दि० जैन सोमाणी मंदिर करौली । विशेष- करौली में लिखा गया था । ४८१६. प्रति सं० २८ पत्रसं० ४५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन तेरहपथी मन्दिर बसवा | ४८१५. प्रति सं० २७३ पत्रसं० ५६०१२४६ इश्व । ले० काल सं० १८६० फागुन मुदी १० पूर्ण वेटन सं० ६८-३० प्राप्ति स्थान दि० जन होगा मन्दिर करौली विशेष सेवाराम श्रीमाल ने गुमानीराम से करौली में प्रतिलिपि करवाई थी। ते० काल सं० १०५६ पूरी वेष्टन सं० ८४ Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष लोनंदराम लुहाडिया ने प्रतिलिपि की थी। ४८१७. प्रति सं० २६ । पत्रसं. :: प्रा० १६ : काल पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी होग। ४८१८. प्रति सं०३० । पत्रसं० ५४ । प्रा० १२४७ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । भ्रष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष-हीग नगर में प्रतिलिपि की गई थी। ४८१६. प्रति सं०३१ । पत्र सं०७० । ग्रा० १२४६ इच । ले० काल सं० १९११ । पूर्ण । बेष्टन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान. . दि. जैन मंदिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । ४८२०. प्रति स० ३२१ पत्र सं०६५ । या०६४६६६च । ले. काल स० १८५६ पौष मुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं०३३ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । विशेष-संवाराम ने दौसा में प्रतिलिपि की थी। ४८२१. प्रतिसं० ३३ । पत्रसं० ७१ ३ मा १३४४ इञ्च । ले. काल सं० १८६१ द्वि० चैत्र बुदी ८ । पूरणे । वेष्टन सं० १५-२४ । प्राष्टि स्थान-दि. जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा। विशेष----देवगरी (दौसा) निवासी उदचन्द लुहाडिया ने प्रतिलिपि की थी। ४६२२, प्रतिसं० ३४ । पत्रसं० ६८ । आ० १२ x ६६च। ले०काल सं. १८६१ भादवा बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन स० ३७-७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपथी दौसा । विशेष-अभन महाराजाधिराज महाराजा श्री सवाई पृथ्वीसिंह जी का में दीवान प्रारतिसिंह खिदूको सुसाहिब ग्वुस्यालीराम बोहरो । लिखी सरूपचंद खिदूका को बेटो पिरागदास जी खिन्दूको। ४८२३. प्रतिसं०३५ । पत्र सं० ५८ | प्रा० १३४६३ इञ्च 1 ले०काल स. १८४८ | पूर्ण । वैप्टन सं० २०८ 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष-भीलोडा ग्राम में प्रतिलिपि हुई थी। ४८२४. प्रति सं०३६। पत्र सं०६७। या० १२४५% इच । ले. काल X । पूर्ण | बेष्टन सं० ७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ४८२५. प्रतिसं०३७ । पत्र स. ८३ 1 भा. १.४६६च । ले. काल सं०१५५२ । पूर्ण । वेष्टन स०७३ 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर राजमहल टोंक। विशेष-राजमहल में प्रतिलिपि हुई थी। ४८२६. सम्यक्त्व कौमुदी भाषा-मुनि दयाचंद । पत्र सं० ६१ । प्रा० ११ x ५३ इश्व । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-कथा । र०काल सं० १८००। ले. काल सं० १५०२ पापाढ बूदी ४ । पणं । वेप्रत सं०६७-६१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बड़ा वीसपंथी दौसा। ४८२७. सम्यक्त्व कौमुदी-विनोदीलाल । पत्र स० ११२ १ मा० १२४८ इच। भाषाहिन्दी (पद्य)। विषय-कथा । २० काल सं० १७४६ । ले० काल में० १९२८ । पूर्ण । वेष्टम स० ११५॥ प्राप्ति स्थान-- दि. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ४६९ ४८२८. सम्यक्त्व कौमुदो-जगतराय । पत्र सं० १०२ 1 प्रा० १०३४४: इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-कथा । र० काल ४ । ले० काल सं० १७२२ वैशाख सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवान जी कामा । विशेष----प्रशस्ति में लिखा हैकाशीदास ने जगतराम के हित गथ रखना की थी। ४०२६ गतिसं० २१ पत्रमं, ११५ । ना० १२४ ६ इन्च । ले० काल सं० १८०३ 1 पूर्ण । बेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर चेतनदास दीवान पुरानी टीग। ४८३०. सम्यक्त्व कौमुदी कथाX । पत्र सं० ६३ । प्रा. १०x४, इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-कथा । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०५७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर। ४८३१. सम्यक्त्व कौमुदी कथा--- । पत्रसं० ८८ । प्रा० १० x ४३ इञ्च । भाषासस्कृत । विषय-कथा । र० काल ४ । ले. काल पूर्ण । वेष्टन सं० ६६५ । प्राप्ति स्थान-- भट्रारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । ४८३२. सम्यक्त्व कौमुदी कया - X । पत्र सं० १२२ । प्रा० १०२४५१ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय - कथा । र० काल ४ । ले. काल सं० १८५३ माह सुदी १३ । । पूरसे । वे० सं० ६६२ । प्राप्ति स्थान—भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ४८३३. सम्यक्त्व कौमुदी कथा-x | पत्रसं०१४ मा०११४४५ इञ्च 1 भाषासंस्कृत । विषय-कथा । र०काल X । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १५६३ । प्राप्ति स्थानभद्रारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । ४६३४. सम्यक्त्व कौमुदी कथा-X । पत्र सं० ८६ 1 प्रा. १० x ६३ इञ्च । भाषासंस्कृत ! विषय-कथा 1 १० कालxले. काल स.१८१२ परष सुदी ७ । पूर्ण। दे० सं० ४०२। प्राप्ति स्थान---भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ४८३५. सम्यक्त्व कौमुदी कथा-४ । पत्र स० १३५ । प्रा० १२४५ इंच । भाषासंस्कृत । विषय कथा । २० काच ४ ले. काल सं० १६५६ । चैत्र सुदी ५ । पूर्ण । देष्टन सं० २३-१३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोटष्टियों का नगरपुर । विशेष -प्राचार्य सकलचंद्र के भाई पं. जसा की पुस्तक है । ४०३६. सम्यक्र था- पत्र सं०६२ । प्रा० १०x४१६च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल X1 लेकाल सं० १६८८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३-५५ । प्राप्ति स्थानदिन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । - प्रशस्ति-सवल १६९८ वर्षे चत्र सुदि १३ दिने लिपी कृतं पूज्य श्री १०५ विशालसोममूरि शिष्य सिंहसोम लिपि कृतं । ४८३७. प्रति सं०२। पत्र सं० १२६ । प्रा० १३४७ इंच। ले० काल सं० १९८५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११४-५५ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त । Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ४८३६. सम्यक्रम या-। पत्रसं० ५१ । प्रा० ११२४४१ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । र०काल'xले०काल x | अपुर्ण । वेष्टन सं० १५४ । प्राप्ति स्थानदि० जन अग्नवाल मन्दिर उदयपुर । ४८३६. सम्यकत्व कौमुदी कथा । पत्रसं० १३४ : प्रा० ११ x ४१ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-कथा । र. काल x I ले. काल सं० १९३७ प्रासौज वदी १३ पूर्णे । वेष्टन स. १६२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर करौली। विशेष-वैष्णव जानकीदास ने डालचंद के पठनार्थ करौली में प्रतिलिपि की थी। ४८४०. सम्यक्त्व कौमुवी कथा-X । पत्र सं० १००। ६. x ५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । २०काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेटन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-पंचायती दि । ४.४१. सम्यक्त्व कौमुदी कथा-X ।पघसं०१-३४, ६६ भाषा-सस्कृत । विषय-धर्म । र०काल ४ । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २४१ । प्राप्ति स्थान—दि जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४८४२. सम्यक्त्व कौमुदी कथा-४ । पत्रसं० १६ । प्रा० १.४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । र कालX । लेकाल' x अपूर्ण । बेष्टन सं० १७८ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ४८४३. सम्यक्त्वकौमुदी कथा-४ । पत्र सं० १०७ । आ० १० x ४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-कथा । र०काल x। ले०काल सं०१७५५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६७ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। प्रशस्ति-.. संवत् १७५.५ वर्षे पौष मासे शुक्ल पक्षे त्रयोदश्यां तिथौ भौमवासरे श्री हीरापुरे लिखित सकलगणि नगेन्द्रगरिंग श्री ५ रत्नसागर तत्विष्य गणिगणोत्तम सगति श्री चतूरसागर तच्छुिष्य गणि मालकार गरिए श्री रामसागर तत्छिध्य पंडित सूमतिसागरेण । ४४८४. सम्यक्त्वकौमुदी-x ! पत्रसं० ११३ । प्रा० १२ x ५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-कथा । र० काल ४ । ले०काल सं० १७४६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दवलाना बू दी। विशेष-संवत् १७४६ वर्षे मिती कार्तिक शुक्ला तृतीयायां ३ भौमत्रासरे लिखितमिदं चौवे रूपसी खीवसी ज्ञाति सिनावह वणारा मध्ये लिखापतं च पाहहया मयाचंद मांधो सुत । ४८४५. सम्बक्त्यकौमुदी कथा--। पत्र सं० ४० । या० ११४५ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० १०७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक। विशेष-लिखितं ऋषि कपुर चन्द नीमच मध्ये । प्रति प्राचीन है । ४८४६. सम्यक कथा-४ । सं०२-६२ । श्रा०१०x४० इञ्च । भाषा-- संस्कृत । विषय-कथा । र०काल ४ । ले० काल सं० १८५६ फागुण सुदी ३ । अपूर्ण । बेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान- दिन मन्दिर कोट्यो का गावा। Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ५०१ विशेष- प्रति हिन्दी गद्य टीका सहित है। महोपाध्याय गेषविजयजी तत् शिष्य पं० कुशलविजय जी तत् शिष्य ऋद्धिविजय जी, शिष्य पं० मुत्रन विजयजी तत् शिष्य विनीत विजय गण लिखितं । - ४४४७. सम्यवत्व -X । पत्रसं० १४३ । प्रा० ११X४ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल X । ले. काल x । पुष । वेधन सं० १३६-२११ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिह टोंक। ४६४८. सम्यक्त्व कौमुदी कथा-x। पत्र सं० १९ । मा०x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा 1 र० काल X । ले०काल सं० १७२१ फागुन वदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. १२३ 1 प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बू'दी। विशेष-साह जोधराज गोदीका ने प्रतिलिपि करवायी श्री। ४६४६. सम्यक्त्व कौमुदी कथा-X । पत्रसं० ५५-१११ । प्रा० ११ ४ ४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय -कथा । र काल X । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टनसं० १४५ । प्राप्ति स्थान दि जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान, दी। ४८५०. सम्यक्त्व कौमुदी कथा-४ । पत्र सं० ५५ । आ. ११३ ४.५ इञ्च । भाषासंस्कृति । विषय-कथा । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान, दी। विशेष प्रति प्राचीन है। ४८५१. सम्यक्त्व कौमुदी कथा-४ । पत्रसं० ५४ । आ०९x४ इञ्ज । भाषा-संस्कृत । विषय -कथा । र काल ४ । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पाश्वनाथ मन्दिर चौगान चूदी। ४८५२. सम्यक्त्व लीलाविलास कथा-विनोदीलाल। पत्र सं० २२६ । आ० ६१४७६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कथा । २० काल । ले. काल सं० १९५३ । पूर्ण । वेष्टन सं०१२८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बृदी। ४८५३. सम्यग्दर्शन कथा-४ । पत्र सं० १२६ । प्रा० १.१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । रत काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६१ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर 1 ४:५४. सिद्धचक्र कथा-शुभचन्द्र । पत्रसं० ५। पा ११३४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कया । १० काल । - ले०काल सं० १९०६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन छोटा मंदिर बयाना । ४८५५. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ । मा० १२ ४४६ इञ्च । ले० काल सं० १८४२ । पूर्ण । बेष्टन सं० २५३ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर चौगान दी। ४८५६. सिद्धचक्र कथा-श्रुतसागर । पत्र सं० २३ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-कथा। र०काल ४ । ले० काल सं० १५७६ चैत्र सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०२ ] [ अन्य सूची-पश्चम भाग विशेष.....ार्या ज्ञानपीने प्रतिलिपि करायी थी। ४६५७. सिद्धचक्र कथा-भ० सुरेन्द्रकोति । पत्र सं०५ । आ. १५ x ६ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय-कथा । र काल X । ले. काल सं १८७६ । पूर्ण । बेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थानदि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) विशेष प्रशस्ति में निम्न प्रकार भट्टारक परपरा दी है देवेन्द्रकीर्ति महेन्द्रकीति क्षेमेन्द्रकीति और सुरेन्द्रकीति। ४६५८. सिद्धचक्रवत कथा-नेमिचन्द्र पत्रसं. १९८ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० कालX । ले. काल x पणे । वेष्टन सं०७७-३० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ विशेष- अन्तिम पुष्पिका निम्न द्रकार है इति विद्वदर श्री नेमिचन्द्र विरचिते श्री सिद्धचक्रसार कथा संबंधे श्री हरिषेण चक्रधर वैराग्य दीक्षा बर्णनो नाम सप्तमः सर्ग ।।७।। ४८५६. सिद्धचक्रव्रत कथा --नथमल । पत्र सं० २६ । भाषा-हिन्दी गद्म । विषय -कथा । र०कालx। लेक काल सं० १८८९ । पुर्ण । वेष्टन सं० २००१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी बुदी .. . विशेष—जादूराम छाबड़ा चाकसूबाला ने बोली में प्रतिलिपि करवाई थी। ग्रन्थ का नाम श्रीपाल चरित्र है तथा अष्टाहिका कथा भी है । ४८६०, प्रतिसं०२ । पत्र सं० १३ । आ १२१४ इञ्च । ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं ३५० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ४६६१. प्रति सं०३। पत्रसं०७। पा१२७३ इञ्च । ले०काल सं.१९४२ कार्तिक प्रा० १२४७३ इञ्च । लेकाल सं० १९४२ कार्तिक सुदी ५ । अपूर्ण । येष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान ---दि जैन पचायती मन्दिर करौली। ४८६२. सिंहासन बत्तीसी-ज्ञानचन्द्र। पत्र सं० २६ । प्रा० १०.४४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १८१ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर वलाना दी। ___४८६३. सिंहासन बत्तीसी-विनय समुद्रा. पत्र सं० २६ । आ० १०४४ इञ्च । भाषाहिन्दी (गद्य) । विषय · कथा । २० काल सं० १६११ । ले०काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं०७४२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दबलाना (दी) विशेष—इसमें ४१ पद्य है। रचना का प्रादि अन्त भाग निम्न प्रकार है--- आदि भाग-- श्री सारदाई नमः । श्री गुरुभ्यो नमः । संयल मंगल करण आदीस । मुनयण दाइलि सारदा सुगुरु नाम निय । चितधारिय नीर राइ दिक्रम तराउ । सत्तसील साहस बिचारीय ॥ Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ५०३ सिहासन बत्तीसी जिनउ सिद्धसेन गराधारि।। भाख्यु ते लबलेस लहि दायद विनइ विचार ॥१॥ दहा-- सिहासन सौहरण सभा तिणि पूतत्नी वसीस । मोजराइ भागनि करई विक्रमराइ सतीस ।।२।। ते सिंहासन केहनउ किरिण प्राप्यु किम भोजि । लाघउ केम कथा कही ते संभलज्यो बोज ॥३॥ अन्तिम पास संलानी गुणे वारिट्ठ केसी गुरु सरिखा जगि जिट्ठ। रयणयह सूरीसर जिसा अनुक्रमि कल्बु गरिगुरण निसा ॥३७॥ तासु पाटि देवगुपति गुरुचंद,तेहनइ पाटहि सिद्ध सुरिदं ॥ तहनई पद पंजक जिम भारण, जे गुरु गफ आगुरणे निहाण ॥३८॥ सपइ विजयवंत कान्वु सूरि, तस पसाइ भइ याणंद सूरि । अंतेबासी तेहनउ सदा, हर्ष समुद्र जिसो निधि मुदा ॥३६।। तसु पयक्रमल कमल मध भृग, विनय समुद्र वाचकमन रंग ॥ संबद सोलह वरराइ ग्यार, सिंधाराण बत्तीसी सार ॥४०॥ लेइ बोध उ एह प्रबंध मटमती मंद चौउपद बंधि। गणतो गुराता हुइ कल्याण अवित्रल वीकनीयर अहिठाण ॥४१॥ इति सिंघासणवत्तीसी कथा चरित्र संपूर्ण ४८६४. सिंहासन बत्तीसी-हरिफूला। पत्र सं० १२३ । आ० १२४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पा) 1 विषय-कया। र०काल सं० १६३६ 1 ले०काल सं० १८०६ । पूरणं । वेष्टन सं०१०। प्राप्ति स्थान--दि. जैन खण्डेलवाल सेरहपंधी मन्दिर दौसा। प्रारम्भ---मंगला चरण। पारादी श्री रिषभप्रभु जुगलाधर्म निवारि । कथा कहों विक्रमतरणी, जास साकर विस्तार ॥ साकी बरत्या दान थी दान बडौ संसारी। बलि विशेष जिण सासरमा बोल्या पंचप्रकार ।। अभय सुपात्र दोन चिहुँ प्राणी मोख संजोग । अनुकंपा धरि तर्कुचित एत्रिहूं दाने भोग।। पत्र ७२ पर कथा ६ हितसारारे नयरी, भोज निरसरु । सिंधाराण रे माने सुभ मठूतं वरु ।। तब राधारे दशभी बोलऊ मही । विक्रम समरे होवे तो असे सही ।। Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०४ ] [प्रन्थ सूची-पंचम भाग वैसे सही इम सुअरी पूर्व भोज ततस्त्रिण पूतली । फिम हयो विक्रम राय दाता भग ते हरखे चली ।। नयरी अबतीराय विक्रम सभा वैठो सन्यदा । घन खंड योगी एक पायौ कह बनमाली तदा। अन्तिम प्रशस्ति निम्न प्रकार हैं:-- श्री खरतर रे गवाहर गुरु गोयम समो, निति उठी रे थी जिनच सुरि पय नमो। तमु गछरे संप्रति गुरण पाठक तिलौ। बड बादीने श्री विजयराज वसुधा निलो ।। वसुधा निलौ तसु सीस औले संघने आग्रह करी । दे सैस बाल खडेह नपरी सदा जे पाणंद भरी । संवत् सोलह सौ छत्तीस में बीत ग्रासू वदि कथा । तिहि कयि सिंघासस बसीसी कही हीर सुखी यथा । पण चरित रे दुहा गाहा चौपई। : . . सह अंकशे वावीस से वावीसधई ॥ स्वामू बली संघ से मुखि मान ट्रोलिय प्रापरणी। जे सासत्र शाक हवं मिलतौ तेह निरतौ थापणं एचरित सांभलि जेम मानव दान यापी निज कर ध्ये पुण्य पसाय सुखी था रिधि पाम बहू पर। इति श्री कलियुग प्रधान दानाधिकार श्री विक्रमराय श्री भोजनरिंद सिंघासरण बित्तीसी चौपई संपूर्ण । लि. श्री जिनजी को खानाजाद नान्होंराम मोधो वासी सरतगढ़ को, पढत्या दनै श्री जिनाय नमः बच्या । भुल्यौं चक्यो सुधारि लीज्योजी मिती द्वितीय भादवा सुदी १० दीवार सं० १८०६ का । लिखाई ब्रह्म श्री श्री रूपसागर जी विराज वैराटमध्ये । गर्भ भवत् । ४८६५. सिंहासन बत्तीसी-x। पत्र सं० २१ । प्रा० ११६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-कथा । २० काल X । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५८५ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मंदिर अजमेर । ४८६६. सिंहासन बत्तीसी-X । पत्र सं० १६ । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । र० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६६ । प्राप्ति स्थान --दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४८६७. सिंहासन बत्तीसी-४ । पत्रसं० १२३ । प्रा० ५४४२ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । २० काल x। ले०काल स. १६५४ चत बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १९८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी (बू दी) विशेष -चंपापुरी में लिखा गया था। ४८६८. सिंहासन बत्तीसी-x। पत्र सं० १० । माः १.४४ इञ्च । भाषा--हिन्दी पद्य । विषय-कथा । २० काल X ।ले. काल X पूर्ण । वेष्टन सं० ३२। प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी, मालपुरा (टोंक) Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ५०५ ४८६६. सकमार कथा- पत्रसं० । प्रा.१०.५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषमकथा। र० काल X । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। ४८७०. सुकुमालस्वामी छंच-० धर्मदास । पत्र सं० ३ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषाहिन्दी 1 विषय-कथा । र० फाल ४ । ले. कास सं० १७२४ सावण बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२५/४५ प्राप्ति स्थान—दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष- शिवराज ने कोट महानगर में प्रतिलिपि की थी। अ. धर्मदास सुमतिकीति के शिष्य थे । ४८७१. सुखसंपत्ति विधान कथा- ४ । पत्र सं० २। प्रा० १०१४४३ इञ्च । भाषाप्राकृत । विषय कथा । र० काल X । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३० । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष प्रति प्राचीन है। ४८७२. सुखसंपत्ति विधान कथा-। पत्रसं० २। पा० EX४ इञ्च । भाषा--प्राकुत । विषय-कथा । र• काल x । काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १८१। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ४५७३. सुगन्धवशमो कथा-रामचन्द्र । पत्रसं०६ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल X । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १४३ । प्राप्ति स्थान-दिव जैन मन्दिर, मागदी दी। विशेष प्रति हिन्दी दव्वा टीका सहित है। ४८७४. सुगन्धवशमी कथा-खुशालचन्द्र । पत्र सं० १२ । या० ११x६ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय - कया । २० काल - । ले. काल सं० १६१५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३४/६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर पाश्वनाथ इन्दरगढ (कोटा) ४६७५. प्रति सं० २ । पत्र सं० ११ । प्रा० १०१४५३ । ले० काल सं० १९१२ प्राजोज बुयी ८। पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) विशेष-लिखित सेवाराम बघेरवाल इन्दरगड मध्ये 1 ४८७६. प्रतिसं०३। पप्रसं०१३ । प्रा० १०x४१ इञ्च । ले. काल सं० १९४४ भादवा सुदी १०। पूर्ण । दहन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । विशेष-पुन्दरलाल वैद ने लिखी थी। ४८७७, प्रति सं० ४ । पत्रसं०७ । भा० १२३४७१ इञ्च । ले. काल सं० १९२७ भादवा खुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरीनी डीग । विशेष-डीगयाले मोतीलाल जी बालमुकन्दजी जी के पुत्र के पठनार्थ भरतपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ४८७८. प्रति सं०५। पथ सं० १३ । प्रा०१४ | काल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं०५५ । प्राप्ति स्थान-दि०जैन सौगाणी मन्दिर करौली। Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०६ ] ४८७६ प्रतिसं० ६ पत्र [सं०] १५ २४१: प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा | —— ४८८०. सुगंधदशमी कथा - XI पत्र सं० ४ ले० काल X | पूर्ण । वेप्टन सं० ५०६ प्राप्ति स्थान विशेष -तक विचार भी है। ४८८१. सुभाषित कथा - X १० कान X से काल X D विषय मन्दिर बोरसली कोटा । - [ प्रत्थ सूची- पचम भाग ० ९६ से काल X पू । वेष्टन सं० विशेष- इससे प्राणे पत्र नहीं है । रत्नन्चल कथा तक है। वादें' भाषा हिन्दी विषय दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ०१०१०११४४ भाषा-संस्कृत । अपूर्ण वेष्टन सं० २०३ प्राप्ति स्थान दि० जैन X पूर्ण ४८२. सुरसुन्दरी कथा -X | पत्रसं० १७ । आ० १०x४९ इन्च भाषा - हिन्दी | विषय-कृपा २० काल X ० काल ७४४ प्राप्त L मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ४८८३. सेठ सुवर्शन स्वाध्याय - विजयलाल । पत्र सं०३ । श्रा० ११३ X ४१ इ । भाषा - हिन्दी विषय कथा २० काल सं० १६०२० काल सं० १७१७ भाषा दी ६ पूर्ण दे० सं०] १७२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष सूर्यपुर नगर में लिखा गया था। ४८८४, सोमवती कथा - पत्र ० ६ २० काल X | जे० काम पूर्ण वेटन सं० ४० विशेष महाभारते भीष्म युधिष्ठर ४८८५. सौभाग्य पंचमी कथा २० काल सं० १६५५ ० का ० १६६० मन्दिर भरतपूर | विशेष हिन्दी टिप्पण सहित है। 1 — काल ० ११४५ इस भाषा संस्कृत विषय कथा प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी। में से है। -- पत्र० १० । पत्र सं० १० । भाषा संस्कृत विषय कथा न मं० ६८२ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायत ४८८६. संघ - X पत्र० ३ ७-१० 1 । बुलविषय - कथा २० फालX | ले० का x अपूर्ण जैन मन्दिर उदयपुर । प्रा० १०४ इञ्च भाषा हिन्दी (पथ) । वेष्टन सं० २५० प्राप्ति स्थान प्रवाल दि० I प्रणम्य श्रीमहावीरं वदमानपुर दरम् स्वात्मारायच संवादसुन्दरम् ||१|| । ४८८७. संवादसुम्दर । प० ११ विषय – कथा | २० काल X | ले-काल x । पूरी पार्श्वनाथ श्रीमान दी। ० १०४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | टन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर विशेष शारदापद्मपति संवाद, गंगादारिक्ष्यथ संवाद लोकलक्ष्मी संवाद, सिंह हस्ति संवाद, गोधूमचरएक संवाद पञ्चेन्द्रिय संवाद, मृगमदचन्दन संवाद एवं दानादिचतुष्क संवाद का वर्णन है। प्रारम्भ- Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [५०७ ४८८८. स्थानक कथा--XI पसं६६ । प्रा. ११ x ४ इन्च । भाषा-सस्कृल । विषम-कथा । र०काल x ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं०३३०। प्राप्तिस्थान--दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। अन्तिम पुष्पिका-इति श्री एकादश स्थाने करुणदेवकथानक स पूर्ण । ११ कथायें हैं । ४८५६. हनुमंत कथा-ब्रह्म रायमल्ल । पत्र. ३६ 1 प्रा० १०३ ४ ६: इश्च । माषाहिन्दी प. | विषय कथा । १० काल सं० १६१६ । लेकाल स. १६०५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर तेरहपथी दौसा । विशेष-ज्ञानचंद तेरापंथी दौसा वाले ने प्रतिलिपि की थी। ४८६०. प्रतिसं० २ । पत्रसं० २७ । प्रा०१०x४, इन्छ । मेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. १७० । प्राप्ति स्थान--दि. जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर। ४८६१. प्रति सं०३ । पत्र सं० ५६ । प्रा० १२ x ५ इञ्च । ले काल सं० १९५० । पूर्ण । वेष्टन सं० ७७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी । विशेष-जैन पाठशाला जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ४८६२. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० ७.। आ० ११४५५ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर प्रलबर । ४८६३. हरिश्चन्द्र राजा को सज्भाय -X । पत्रसं० १ । प्रा० १.४४३ इञ्च । भाषाहिन्दी 1 विषय-कथा । र० काल x 1 ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२५ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर दबलाना (यूपी)। ४८६४. हरिषेण चक्रवर्ती कथा -- विद्यानन्दि । पत्रसं० ५ । आ० ११४४३ इञ्च । भाषासंस्कृत। विषय-कथा । २० काल X । ले०काल X । पूर्ण । जीणं । वेष्टन सं० १८३ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ४८६५. होली कथा । पत्र सं० ३ । प्रा. ११.४५१ इञ्च । भाषा संस्कृत विषयकथा । र० कालX लेकाल x । वेष्टन सं. १७९ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपूर । ४८१६. प्रति सं० २१ पत्रसं० ४ । प्रा० ११४५ इंच । ले. काल X । वेष्टन सं० १८० । प्राप्ति स्थान-उपरोक मंदिर । ४८६७. प्रति सं०३ । पत्रसं० ५ । प्रा० ६x४. इन्ध । से०काल सं० १६७५ 1 घेष्टन सं. १५१ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर, लश्कर जयपुर । विशेष-मोजाबाद में रामदास जोशी ने प्रतिलिपि की थी। ___४८६८. होली कथा-४ । पत्रसं० ३ । प्रा० ११ X ५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयकमा । २० बाल x से० काल सं० १८७८ पौष बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं०१५७ । प्राप्ति स्थानमा दि. जैन मन्दिर अजमेर । Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०. ] [ ग्रन्थ सूची-पश्चम भाग ४ . होमोमा । सं. ३ । १११x६ञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र०कात्र ४ । लेक काल सं० १८९० । पूर्ण । वेष्टन सं०१७७-७५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर कोटडियों का दुगरपुर । ४९0०. होली कथा-मुनि शुभचन्त। पत्रमा १४ । प्रा०x४१ इन्च । भाषा--- हिन्दी (पद्य) | विषय-कथा । र०काल स. १७५५ । लेकाल . १८६४ । पूर्णं । वेष्टन सं०६३। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष- इति श्री धर्म परीक्षा प्रति वृत प्राचारिज शुभचन्द्र कृत होली कथा संपूर्ण । प्रशस्ति निम्न प्रकार है श्री मूलसप भट्टारक मत, पट्ट पामेरि महा गुणवंत । नरेन्मकीर्ति पाट सोहंत, सुरेन्द्रकीति भट्टारकवंत ॥११६॥ ताके पाटि धर्म को थभ, सोहै जगतकीति कुलथंभ । क्षमावंत शीतल परिनाम, पंडित कला सोहै गुण धाम ॥११॥ ता शिष्य याचारिज मेष. लीया सही सील की रेख। मुनि शुभचन्द्र नाम प्रसिद्ध कवि कला में अधिकी बुद्धि ।।११।। ताके शिष्य पंडित गुराधाम, नगराज है ताको नाम । मेधो जीवराज अन जोगी, दिव चोखो जसो शुभ नियोगी ।।११६।। देस हाडौती सुबर्स देस, तामें पुर कुजड कही........। ताकी शोभा अधिक अपार, नसियां सोहै बहुत प्रकार ।।१२।। हाहायशी महा प्रचण्ड, श्री रामस्यंध धर्म को मांड। ताके राज खुशाली लोग, धर्म कर्म को लीहा राजोगा ।।१२१॥ तिहां पौरा' छूतीसू क्रीडा कर, आपणो मार्ग चित्त में धरै । श्रावक लोग बरा तिहथान, देय धर्म गुरू राखे मान ॥१२२ । श्री चन्द्रप्रभ चैतालो जहाँ, ताकी सोभा को लग कहां । तहाँ रहे हम बहोत स्नु श्याल, श्रावक की देख्या शुभ चाल । सात उदिय कियो शुभकर्म, होली का बनाई परम ।। भाषा बंध चौपई करी, संगति भली ते चित में धरी ॥१२४।। मुनि शभचन्द करी या कथा, धर्म परीक्षा में छी जथा। होली कथा सन जो कोई, मुक्ति तणा, सुख पावै सोय ।। संघस सतरासै परि जोर, वर्ष पचायन अधिका और ॥१२६।। साक गरिण सोलाछबीस, चंत सूदि सात फट्टीस । ता दिन कथा संपूरण भई, एक सो तीस चौपई भई ।। सायदिन में जोडी पति, दोन्यू दिसा कुशलात ॥१२७।। संघत १८६४ में साह मोजीराम कटारया ने राजमहल में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि कराई थी। ४६०१. होली कथा--छीतर ठोलिया। पत्र सं० १० । प्रा० ७३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी प० । विषय-कथा । २० काल सं० १६६० फाल्गुण सुदी १५ । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा साहित्य ] [ ५०६ ४६०२. प्रति सं० २ । पत्र सं० ८। ग्रा० ११३४४३ इन्ध । ले०काल सं० १८८० फागुण मुदी है। पू । हा ६१.२ प्रारिम्यान-दि० जन मन्दिर राजमहल (टोंक)। ४६०३. होलोपर्वकथा- पत्रसं०३ 1 प्रा०६x४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषयकथा । F० काल X । लेकाल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० ६०८ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ४६०४. होली पर्व कथा-४। परसं० २ । मा० १७३४४३ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत । विषय -- कथा । र• काल X । ले०काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० ६६२ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर। ४६०५. होलोरज पर्वकथा--X । पत्र सं० २। प्रा० १२४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र०काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २८३/११५ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि. जैन मंदिर उदयपुर । ४६०६. होलीपर्वकथा-४ । पत्रसं० ३ । श्रा० ११३४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-कथा । २० काल । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन मं० ४१ । प्राप्ति स्थान-- म. दि. जैन मन्दिर अजमेर। ४६०७. होलोरेणुकापर्व-पंडित जिनदास । पत्रसं० ४० । पा० ११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय...कया। र०काल सं० १५७१ ज्येष्ठ सुदी १०। ले०कालसं० १६२५ मंगसिर बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-खडेलवाल ज्ञातीय साह गोग्रोत्पन्न श्री पदारथ ने प्रतिलिपि करवायी। फागुई वास्तव्ये । ४६०८. प्रति सं० २ । पत्रसं० ३६ । प्रा० १०३४४. ले. काल सं० १६१५ फागुण सुदी १ । थेष्टन सं० १७६ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-क्षकगढ़ में महाराजा थी कल्याण के राज्य में प्रतिलिपि हुई थी। ४६०६. हंसराज बच्छराज चौपई-जिनोदयसरि । पत्र सं० २८ । आ. १०३४ ४१ इन्च । भाषा---हिन्दी (पद्य) | विषय-कथा। र० काल x।ले०काल सं० १५७६ पासोज सूदी। पूर्ण। वेष्टन सं० ३४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दमलाना (लू दी) विशेष—मिझल ग्राम में प्रतिलिपि हुई थी। ४६१०. हंसराज बच्छराज चौपई-x । पत्रसं० २-१८ । प्रा० १. x ४१ इन्छ । भाषा-हिन्दी (पद्य) विषय-कथा । र०कालx । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०७०३। प्राप्ति स्थान-भ.दि. जैन मन्दिर प्रजमेर । Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-- व्याकरण शास्त्र ४९११. अनिटकारिका--- ४ । पत्र सं० १६ । श्रा० १.६४ ४३ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण ! २० काल X । ले० काल सं० १७५४ पौष बुदी ६ । पूर्ण । बेन सं० १४६४ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ४६१२. अलिटकारिका-X । पत्र सं० ३ । ग्रा० १०x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल ४ । ले० काल X । अधूर्ण । वेष्टन सं० २५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर। ४६१३. प्रतिसं० २। पत्र सं० ४ । पा. १०२४४३ इञ्च । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ४६१४. अनिष्टकारिका-४ । पत्र सं. ४ । पा० ११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । र. काल x iले. काल सं० १८५२ प्राषाढ़ शुक्ला ८ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-श्रीचंद ने प्रतिलिपि की थी। ४६.१५. अनिटलेटकारिका--x पत्र सं.३ । श्रा० १०x४६च । भाषा-संस्कृत। विषय--व्याकरण । र, काल Xले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २३१, ५८५ । प्राप्ति स्थानसंभवनाथ दि. जैन मन्दिर, उदयपुर। विशेष-भट्टारका श्री देवेन्द्रकीति के शिष्य ५० मोहन ने प्रतिलिपि की थी। प्रति संस्कृत टीका सहित है। ४६१६. प्रति सं० २ . पत्र सं० ३ 1 ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २३२१५८४ । प्राप्ति स्थान भवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर । ४६१७, अनेकार्थ संग्रह-हेमराज । पत्र सं० ६५ । भाषा-संस्कृत । विषय व्य करण । '२० काल x ले. काल X । अपूरणं । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान-समननाथ दि जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है श्री मन संधे. भट्टारत श्री सकलकीति त. भ. श्री भुवन नीति त० भ० श्री ज्ञानभूषण देवास्तशिष्य मुनि अनतकीति । पुस्तकमिदं श्री गिरिपुरे लिखायितं । ४६१८. अव्ययार्थ ४ापत्रसं०४ । ०१.०x४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषयःव्याकरण । ० काल ४ । ले० काल सं. १८६८ । पूर्ण। वेष्टन सं० २७५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर। ४६१६. प्रन्ययार्थ-- ४ । पत्रसं० ५ । प्रा० १०१ ४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय --- व्याकरण । २० काल X । ले० काल' X । पूर्ण । वेष्टन सं० १९९1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर राजमहल (टोंक)। Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्याकरण शास्त्र ] [ ५११ ४६२०. पाण्यात प्रक्रिया-अनुभूति स्वरूपाचार्य । पत्रसं० १० मा०. १७४५ ५श्च । भाषा-सस्कृत । विषय--व्याकरण । र काल x | ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० २६८। प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पाश्र्वनाथ चौगान बुदी। '४६२१. प्रति सं०२। पत्रसं० ६३ । प्रा०EX५ इञ्च । ले० काल सं० १८७६ फागुन मदी ५ । पूर्ण । वेटन सं० ११८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी। . विशेष-सवाईमाधोपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ४६२२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३० । प्रा. ११४४ इन्च । ले०काल xi अपूर्ण । चेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बू दी। ४६२३. उपसर्ग वृत्ति ...... ! पत्रसं० ४ । आ० १०२ ४ ४, ५ । भाषा-संस्कृत 1 विषय - व्याकरण । २० काल X । ले० काल x। वेष्टन सं० २५८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ४६२४. कातन्त्ररूपमाला-शिवकर्मा । पत्र मं० ६५ । भा० १.३४४३ पश्च । भाषासंस्कृत । विषय- व्याकरण । र०काल । लेकाल x। अपूर्ण । वेष्टन सं०८५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी दी। विशेष-६५ मे मागे पत्र नहीं हैं। ४६२५. प्रति सं० २। पत्र सं० २८ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले० 'काल' । पूर्ण । वेष्टन मं. २१८ । प्राप्ति स्थान-दिजैन मन्दिर बोरसली कोटा। ४६२६. कातन्त्रविक्रमसूत्र-शिववर्मा । पत्र सं० ८ ! प्रा० १.१४४३श्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ध्याकरण । र० काल X । सेम्फाल सं० १६८१ । पूर्ण । देष्टन सं० २६७ । प्राप्ति स्थान-भ. दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष-अयचूरि सहित है। ४६२७. प्रति सं० २। पत्रसं० ५ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२५/५७२ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि० जैन मन्दिर, उदयपुर। .. विशेष-अन्तिम प्रशस्तिइति श्री कातन्त्रसूत्र विक्रमसूत्र समाप्त । पं० अमीपाल लिखितं । प्रति संस्कृत टीका सहित है। ४९२८. कातन्त्रतरूपमाला टीका-दौसिंह । पत्र सं०७३ । आ. ११४४. इन। भाषा--संस्कृत । विषय-व्याकरण । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६६-१४१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर कोटड़ियों काई'गरपुर । ४९२६. कातन्त्ररूपमाला वृत्ति-भावसेन । पत्रसं० ६६ । प्राय १०३४४. इन्च । भाषासंस्कृत । विषय--व्याकरण 1 र काल X । ले० काल X । 'पूर्ण । वेष्टन सं० ५७ । प्राप्ति स्थान भ. दि जैन मन्दिर अजमेर । .४६३०. प्रति सं०२। पत्रसं० ११७ । प्रा०१४-५इस। ले०काल सं० १५५५ । पूर्ण। वेन रा० ३०६:५७० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभयनाथ मन्दिर उदयपूर । . Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-प्रक्ति शुद्ध एवं सुन्दर है । प्रशस्ति-शंवत् १५५५ वर्षे भाषाढ बुदी १४ भौमे श्री कोटस्थाने श्री चन्द्रप्रभ जिनचयालये श्रीमूलमं सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचामान्वये भट्टारक श्री पचनदिदेवा तत्पट्टे भ० श्रीसकल कीत्तिदेवा तत्प मदारक श्री भुवनकीर्तिदेवा तत्प भ० श्री ज्ञानभूषणदेवा तशिष्य ब्रह्म नरसिंह जोग्य पदनार्थ गांधी परक्त ज्ञानावणी कर्मक्षयार्थ रूपमालाख्य प्रक्रिया लिखितं । शुभं भवतु । ४६३१. प्रति सं० ३। पत्रसं० १३८ । आ० १२४५ इञ्च । ले. काल सं०१६३७ । पूर्ण । वेष्टन सं०४२७:५७१ । प्राप्ति स्थान–दि जैन संमवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष-पागे पत्र फटा हुआ है। प्रशस्ति-निम्न प्रकार है स्वस्ति संक्त १६३७ वर्षे मार्गसिर पदि चतुर्थी दिने शुक्रवासरे थीमन काष्ठासंधे नन्दितट गच्छे विद्यागणे भ. रामसेनान्वये भ० सोमकीति भ. महेन्द्रसेन भ. विशालकीर्ति तत्पष्टे धरणीधर भ. श्री विश्व भूषण वधी हीसत्र श्री ज्ञानसागर • शिवाबाई कमल श्री बा जमयंती समस्तयुक्त श्रीमद मरहठदेशे अगदाल्हादनपरे थी पार्श्वनाथ चैत्यालये श्री भ• प्रतापकीलि गुर्बाज्ञापालण प्रवीण बघेरवाल ज्ञातीय नाटल गौत्र जिनाता पालक सा माउत भार्या मदाइ तयोः पुत्र सर्व कला संपूर्ण ........" ४६३२. कारकखंडन-भीष्म । पत्र सं० ५० प्रा० ११४४१ इन्च । भाषा-संस्वात। विषयव्याकरण । २० काल. ले. काल ४ । पूर्ण । येष्टन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। विशेष अन्तिम पुष्पिकाइति श्री भीष्म विरचिते मलबंधक कारकखंडन समाप्त । प्रति प्राचीन है। ४६३३. कारकविचार--- । पत्रसं०६1 या०६x४ इच । भाषा संस्कृत । विषयव्याकरण । २० काबX ।ले. काल सं० १९८८ । पूर्ण । वेष्टन सं०१३४। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर राजमहल टोंक। विशेष--मालपुरा में प्रतिलिपि हुई थी। ४६३४. कारिका.-.x । पत्रसं० । भाषा संस्कृत। विषय-व्याकरण । र काल x | ले. काल सं० १८८५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७५.६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर मरतपुर । ४६३५. काशिकावृत्ति .. वामनाचार्य। पत्र सं. ३५ । पा. १४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय - व्याकरण । २० काल x | ले० काल सं० १५६७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०२६५७ ।। प्राप्ति स्थान–दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । प्रशसिर...संवत् १५ आषाहादि ६७ वर्षे शाके १४३२ प्रवर्तमाने नाश्मन बुदि मासे कृष्णपक्षे तीया तिथी मृभुवासरे पुस्तकमिदं लिखितं । ४६३६. कृदंतप्रक्रिया-- अनुभूति स्वरूपाचार्य । पत्र सं० १६ । प्रा० ११४७ इच। भाषासंस्कृत । विपय-व्याकरण । र०काल x ) ले काल स.१९०४ पूर्ण । वेष्टन सं० २७४। प्राप्ति स्थान--दि.जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्याकरण शास्त्र ] [ ५१३ ४९३७. क्रियाकलाप-विजयानन्द | पतं५ । आः १०४५६च । भाषा-संस्वृत । विषय -- व्याकरण । र० काल ४ । लेखकाल ४ । पूर्ण। वेष्टन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पारनाथ मंदिर, इन्दरगढ़ (कोटा)) ४६३८. चतुष्क वृत्ति टिप्पण-५० गोल्हण । पत्रसं० २-६२ । श्रा. १३४४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र०काल x लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं०४०८/२६.1 प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभवनाथ मन्दिर, उदयपुर। विशेष—प्रति प्राचीन है । अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है। इति श्री पंडित गोल्हण विरचितायो चतुष्क वृत्ति टिप्परिणकायां चतुर्थवादसमाप्तः ४९३६. चुरादिगरण-X । पत्र सं०७। प्रा० १०१४५ इच। भाषा-संस्कृत 1 विषयव्याकरण | २० काल X । लेकाल x | वेष्टनसं० ६७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर। ४६४०. जैनेन्द्रव्याकरण-देवनंदि। पत्र सं० १३२ । मा० १२४७३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-व्याकरण । र० काल x।ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५७६ । प्राप्ति स्थानम. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष—मथ का नाम पंचाध्यायी भी है । देवनन्दि का दूसरा नाम पूज्यपाद मी है। ४६४१. प्रति सं० २। पत्र स. २०१। श्रा० ११४ ४३ इञ्च । ले० काल - । अपूर्ण । वेष्टन सं. ११२ । प्राप्ति स्थान--भ० दि. जैन मंदिर अजमेर । ४६४२. प्रति सं० ३। पत्रसं० २६ । प्रा० १३४८ इञ्च । । ले०काल सं० १९३५ माध बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर थी महावीर बूदी। . ४६४३. तत्वदीपिका-x। पत्रसं० १८ । प्रा० ११३४४३ इन्न । भाषा---संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेय-सिद्धान्त चन्द्रिका की तत्वदीपिका भ्याख्या है। ४६४४. तद्धितप्रक्रिया-अनुभूतिस्वरूपाचार्य । पत्र सं० ६५ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-व्य-करण । १० काम X । ले० काल X । पूर्ण। चेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर दबलाना (वू दी) ४६४५. तद्धितप्रक्रिया----महीमट्टी। पत्र सं०६६ ! मा. ६x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषम-प्य करण । र• काल X । ले० काल सं० १८६५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१ । प्राप्ति स्थान.--- दि० जैन मन्दिर दवलाना (बूदी) । ४६४६. तद्धितप्रक्रिया-४ । पत्र सं० १६-४२ । आ. १०४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र० काल X । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन पन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बदः । Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१४ ] [ प्रत्थ सूची- पंचम भाग । 1 | । ४९४७ प्रति सं० २०७१ ० ९३x४३ इच । ले० कात X पूर्ण वेष्टन ०. ६० प्राप्ति स्थान–६० जैन मंदिर बोरखली कोटा । ४६४८. तर्कपरिभाषा प्रक्रिया- श्री चिन्न भट्ट । भाषा संस्कृत विषयाकरण २० काल X मे० कास स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ४६४६. धातु तरंगिणी - हर्षकीत्ति पत्रसं० ५६ विषय - व्याकरण र काल सं० १६६३ । ले० काल सं० १७४६ स्थान- दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी 'दी । ४६५०. धातुतरंगिणी - X 1 विषय - व्याकरण | र० काय x | ले०काल सं० प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर अजमेर । विशेष- स्वोष टीका है। रिगीमध्ये स्थलीदेशे । महाराज श्री अनुसाह राज्ये लिखितं ॥ पत्र चिपके हुए है। ४६५२. धातुपद पर्याय - व्याकरण | र०का x ० काल X मन्दिर अजमेर | पत्रसं० ४६ ॥ श्र० १०x४५ इश्श्च । X पूवेन ०८६/४६ प्राप्ति ४६५२. धातुनाममाला - X 1 पत्र सं० १२ X | पत्र सं० १२ ० ११३ X ४३ विषय- व्याकरण र०बाल X वे० काल x 1 पूर्ण वेष्टन सं० २६५ १०६ जैन मंदिर कोटडियों का डुंगरपुर । ० १०४ ख भाषा–संस्कृत । पूर्ण । वेष्टन सं० २६३ । प्राप्ति ०५२ ० १०३x४३ इच। नाषा-संस्कृत । १६०२ मंगसिर सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२१६ । 1 पत्र सं० ६ पूर्ण व्याकरण | २० काल X काल सं० १७२१ ० ३५ न सं० ११०० ४६५५. धातु राठ- हर्षकोत्ति | पत्रसं० १५ । विषय- व्याकरण | र०काल सं० १६१३ । ले०काल सं १७८२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर धावा बूंदी। इञ्च । भाषा संस्कृत | प्राप्ति स्थान दि० पत्र सं० १७ प्रा० १४४ ४१५३. धातुपाठ - पाणिनी । | भाषा-संस्कृत । विषय - व्याकरण | र०काल X' । ले० काल सं० १६२४ वैशाख बुदी ss पूर्ण । वेष्टन सं० १८४ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर गोरसी कोटा । विशेष पं० शिवदास सुत थी नावेन लिखित । ४६५४. धातुपाठ - शाकटायन । पत्रसं० १३ । ग्रा० ११X५३ | भाषा-संस्कृत । विषयपूर्ण वेष्टन सं० ३० प्राप्ति स्थान- दि० जैन या 1 भाषा-संस्कृत विषय --- प्राप्ति स्थान-भ. दि० जैन मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति निम्न प्रकार है विशेष शाकटायन व्याकरण में से है संवत् १७२९ शाल बुदी १२ व श्री बाउंड नगरे श्री आदिनाथ चैपाल श्री मूलचे सरस्वतीगच्छ्रे बलात्कार गणे श्री कुंद क्रुदाचार्यान्विये भट्टारक श्री वादिभूषण देवास्तपट्टे भ० श्री रामकी ि देवास. श्री पनविदेवास्तभ श्री देवेंद्रकीतिदेवास्तदाम्नाये प्राचार्य श्री कल्याणकीर्ति तद्विप्याचार्य श्री त्रिभुवनचन्द्र शाकटायन व्याकरणापाठानावरणकर्मार्थं शुभभवतु । श्रा० १०x४३ इञ्च भादवा सुदी ४ पूर्ण भाषा संस्कृत 1. वेष्टन स० १३४ | Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्याकरण शास्त्र ] [ ५१५ विशेष-तम खंडेलवाल सद्ध शे हेमसिंहाभिषः सुधी : तस्याभ्यर्थन पाथेय निर्मितो नंयताश्चिरम् । ४६५६. धातपाठ-X । पत्र सं०१८। प्रा०११४४] इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरख । र०काल x | ले०काल सं० १५८० पासोज सुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन स० १४२५ । प्राप्ति स्थान-- भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-भट्टारक लक्ष्मीचन्द के शिष्य पं० शिवराम के पटनार्थ लिखा गया था। ४६५७. धातपाठ-x। पत्रसं० १० प्रा० १०.x ५ इश्व । भाषा-संस्कृल । विषयध्याकरण । र०काल X । ले०काल x । पूरणं । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह · टोंक)। विषय-केवल चुरादिगण है । ४६५८. धातु शब्दावलो-x। पत्र सं० ३० । पा.७१४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-व्याकरम् । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २१५-८६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मदिर कोटडियों का डूगरपुर । ४६५६. धातु समास-x। पत्र सं० २८ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय व्याकरण 1 र०काल X । ले०काल सं० १८६१ । पूर्ण। वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर 1 ४६६०. निदाननिरुत्त --- । पत्रसं० ३ । प्रा. १०x४, इव । भाषा-संस्कृत । विषयभयाकरण । र काल ४ । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थान -खण्डेलवाल दि० जन मन्दिर उदयपुर । ४६६१. पंचसंधि---- । पत्र सं० १४ । प्रा०८:४४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । र०काल ४ । लेखन काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०५८ । प्राप्ति स्थान-अग्रवाल दि. जैन मन्दिर उदयपुर। ४६६२. पंचसंधि- पत्र सं०४१ श्रा०८x५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-व्याकरण । र काल X । लेकाल सं० १८१६ ग्राषाढ़ बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर दवलाना दी। विशेष-संग्रह ग्रथ है । भाग्य विमल ने प्रतिलिपि की थी। ४६६३. पंचसंधि-x। पत्रसं०७ । प्रा० ६.४५ इच। भाषा-संस्कृत ! विषयध्याकरण । २० काल x 1ले बाल X । पूर्ण । वेष्टनसं० २३९ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर दबसाना (बु दी)। ४६६४. पंचसंधि-४ । पत्र सं० १४ । प्रा० १.४५ च । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । र०काल X । लेकाल सं० १९०१ 1 पर्ण । वेन सं०२१ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर दबलाना बू दी। Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१६ ] विशेष - प्रति जीर्णावस्था में है । ४६६५. पंचसंधि X० १३० ११३ X व्याकरण । ५० काल x ० काल X भपूर्ण से० सं० १२४ दबलाना दी। ४६६६. पाणिनी व्याकरण - पाणिनी। पत्रसं० ७४७ संस्कृत विषय व्याकरण १० काल X ले०काल x मपूर्ण स्थान- सम्भवना दि० जैन मंदिर उदयपुर । विशेष-बीच में कई पत्र नहीं है। प्रति प्राचीन है। इसका नाम प्रक्रिया कौमुदी व्याख्यान समनप्रसाद नामक टीका भी दिया है। संस्कृत में प्रसाद नामी टीका है। प्रभाथ १५६२५ । [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ४६६६. प्रतिसं० २ । सुदी १२ टन सं० २७० विशेष साहिविहाब दे ६ इन्च भाषा सस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ४२६७. पातंजलि महाभाष्य पातंजलि पत्र० २६३ । प्रा० ९४] इम माचासंस्कृत विषय व्याकरण २०काल । ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं० २३७ प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर प्रभिनन्दन स्वामी दी। T 1 - ४९६८. प्रक्रिया कौमुदी - रामचन्द्राचार्य पत्र सं० १२० ११४४ भाषासंस्कृत विषय व्याकरण २० काल X लेखन X अपूर्ण मेन सं० ७१२ प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मन्दिर अलमेर । आ० १२X४ इञ्च । भाषा - वेटन सं० २६५/ ५९५ प्राप्ति ० १०५ । श्रा० १२X४३ इञ्च । ले० कालरा १७१३ मंगसिर प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मंदिर अजमेर। लिखितं भवानीदास पुत्र रणछोडा । ४६७०. प्रक्रिया की | पत्र इव । x ०५३ से ११७० १०३४३ भाषा---- संस्कृत विषय-व्याकरण २० काश X ले०का X अपूर्ण वेष्टन सं० १७ प्राप्ति स्थान | | | । भ० दि० जैन मंदिर अजमेर | - ४९७१. प्रक्रिया कौमुदी विषय—व्याकरण २० काल X जैन मन्दिर दबलाना बुंदी | विशेष- पाणिनि के अनुसार व्याकरण है तथा प्रति प्राचीन है । ४६७२. प्रक्रिया कौमुबी X पत्रसं० १७९ ॥ प्र० X | पत्र सं० १७९ । प्रा० १० X ४ इञ्च । भाषा संस्कृत विषय- व्याकरण । र० काल x । ले० काल X पूर्ण बेष्टन सं० ६७१ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । - Xपत्र सं० १७६०६६४३ भाषा-संस्कृत इञ्च । । ले० कार X अपूर्ण देन सं० २५७ प्राप्ति स्थान दि० ४९७३. प्रक्रिया संग्रह - X | पत्रसं० १६६ | आ० ११३५ इश्व । भाषा संस्कृत विषयव्याकरण | र० कास X ० काल सं० १६२४ पूर्ण नेष्टन सं० २१४ प्राप्ति स्थान प्रवास दि० जैन मंदिर उदयपुर । ४६७४. प्रक्रिया व्याख्या - चन्द्रकीति सूरि । पत्र ० २५-१५६ भाषा संस्कृत विषय व्याकरण २० काल X ले०का X पूर्ण स्थान- दि० जैन मन्दिर चौधरियान भालपुरा (टोंक) । L - ० १५ X ७ इछ । वेधून सं० ४४ प्राप्ति Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ध्याकरण शास्त्र ] [ ५१७ ४५७५. प्रबोध :---बाल नलि। पत्रसं० १५ । प्रा० १२ x ७ इञ्च । भाषासंस्कृल । विषय व्याकरण । र०कास x | लेकालx। पूर्ण । वेपन सं. २५३-१०२ । प्राप्ति दि जैन मन्दिर कोटडियो का दुगरपुर । ४६७६. प्रबोध चन्द्रिका-४ पत्र सं० २० । ग्रा. ११:४ ५ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय - व्याकरण । र काल X । ले० काल सं० १८८० । पूर्ण । बेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थानदि० जैन पार्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ । विशेष-संवत् १८८० शाके १७४५ बाहल स्याम पक्षे तिथो ६ षष्ट्या शनिवासरे लिखतं मुनि मुख विमल स्वात्म पटनार्थ लिपि कृतं गोठडा ग्राम मध्ये श्रीमद् लाछन जिनालय । ४६७७. प्रसाद संग्रह-x। पत्र सं०१८-१०, ५-३३ । प्रा० १२४५ इन्च । भाषा - सस्कृत । विषय-व्याकरण । २० कालX । लेकालX 1 अपुर्ण । वेष्टन सं० ३३/३ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ४६७८. प्राचीन व्याकरण-परिणनि। पत्र सं०५६ । प्रा० .x४३ । भाषासंस्कृत । विषय-व्याकरण । र. काल x ले काल सं०१८२७ अषाइ सुदी। पूरणं । वेष्टन सं०६६६ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ४६७६. प्राकृत व्याकरण--चंड कषि। पत्रसं० २६ 1 प्रा. १०x४२ इन्च । भाषाप्राकृत । विषय--- व्याकरण । २० काल X । ले०काल सं० १८७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६८। प्राप्ति स्थात-दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बू'दी। ४६५०. प्रति सं० २ । पत्र सं० १४ । प्रा. १०१ ४४५ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३४४ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर । ४१८१. लघुसिद्धांत कौमुदी-भट्टोजी दीक्षित । पत्र सं० ८२ । प्रा० ६४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-व्याकरण । र० काल x लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५१५ । प्राप्ति स्थानभद्रारकीय दि. जैन मन्दिर प्रजमेर । ४६८२. प्रति सं०२। पत्रसं० ५६४ । मा० १२४५ इञ्च । ले. काल X । पूर्य । वेष्टनसं ११६६ । प्राप्ति स्थान--मद्रारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। ४६८३. प्रसि सं०३ । पत्र सं०१६ । श्रा० १.४५ इञ्च । १० काल x। ले०काल xn अपूर्ण । वेष्टन सं० १६४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना बूदी । ४९८४. प्रतिसं०४ । पत्र सं०५६ । श्रा० १२४५३ इञ्च । ले. काल पूर्ण । वेष्टन सं. ७५ । प्राप्ति स्थान दिल जैन पंचायती मन्दिर कामा। ४६८५. महीमट्टी प्रक्रिया-अनुभूति स्वरूपाचार्य । पत्र सं० ५६ । मा० ११३४४ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय-व्याकरण । २० कालX । ले. काल० सं० १६०० । पूर्ण। येहार सं०६२। प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नागदी चूदी। ४६८६. महीभट्टी व्याकरण-महीभट्टी। पत्रसं० ८१ । या० ६५४ ६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय- व्याकरण । २० काला XI ले०काल X । अपूर्ण। वेष्टन सं० ११७-२८६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर टोडारायसिंह। Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१८ ] [ ग्रन्थ सुखी-पंचम भाग ४६८७ प्रति सं० २ । पण सं० २० घा० १०६ ०कास X अपूर्ण वेष्टन सं० ७४ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर कामा - ४६८८. प्रति सं० ३ । प० ११ से ५२ । आ० ११ X ५ इञ्च । ने० फाल x 1 अपूर्ण । येन जंग सं० १०२ । प्राप्ति स्थान दि० मन्दिर राजमहल टोंक । ४६८८. राजादिगरण वृत्ति - X विषय- व्याकरण । २० काल X ले० काल X दि० जैन मन्दिर, उदयपुर । ४६६०. रूपमाला - भावसेन त्रिविद्यदेव | विषय र २० काल x से० काल X दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ४६६१. रूपमाला - X । X | पत्रसं० व्याकरण २० काल X ले० काल X पूर्ण जैन मन्दिर अजमेर | पत्र० २२० १२X४] इथ भाषा-संस्कृत बेटन सं० २०६ प्राप्ति स्थान- वा पत्रसं० ४६ | आ० १०३ ४४१ इव । भाषापूर्ण बेष्टन सं० १५२ प्राप्ति स्थान ५० । आ० १०५ इश्व भाषा-संस्कृत विषयनेन सं० २१७ प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि० ४६६२. रूपावली -- x । एत्रसं० १०८ । प्रा० १०x४३ इश्व भाषा संस्कृत विषय - व्याकरण । २० काल X | ले० काल X | अपूणं । वेष्टन सं० ६३ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर राजमहल, टोंक। - ४६६३. लघुउपसर्गवृत्ति - x | पत्रसं० ६ | आ० १०३४४ ३ इश्च । भाषा-संस्कृत | विषय- व्याकरण २० फाल X ले० काल ४ । पूर्ण वेष्टन सं० २५० प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर प्रा० १३४४ ४६६४. लघुजातकटीका-भट्टोत्पल । प० ६० । भाषा संस्कृत | विषय - व्याकरण १२० काल X। ले० काल सं० १४६५ आषाढ मासे ७ शनौ । पूर्णं । वेष्टन सं० २०३ / ६६६ ॥ प्राप्ति स्थान सम्भवनाथ दि० जैन मंदिर उदयपुर । ४२१५. लघुनाममाला हवंकीति प ००१०३५ पूर्ण वेष्टन सं० ए० विशेष- बसवा में प्रतिपि हुई थी। ० ४२ भाषा संस्कृत विषय व्याकरण र०काल प्राप्ति स्थान दिन तेरहवी मंदिर बसवा | इति श्री मनोजपुरीयतपागच्छीय भट्टारक श्री हर्षीत सूरिविरचितायां साखीयानिवानिया लघु नागमालाप्त संवत् १८३५ वजे शाके १७०० मिती भादवा शुक्ल पक्षे बार दीलवार एकै नै संपूर्ण कियो । जीवराज गां । ४६६६. लघुक्षेत्र समास - X | पत्रसं० ३२ | श्र० ११x४३ इंच मात्रा प्राकृत संस्कृत । विषय व्याकरण १०काल X ० काल सं० १६०२ पासोज गुदी ११ । पूर्ण वेष्टन सं० १७५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करोली । - -- ४६१७. लघुशेखर ( शब्देन्यु ) x 1 पत्रसं० १२४ ॥ श्र० ११५ इव । भाषा-संस्कृत । विषय - व्याकरण | र०काल X | ले० काल X | वेष्टनसं० ६६६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर | Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्याकरण शास्त्र ] ४९६८. लघुसिद्धांत कौमुदी वरदराज पत्र [सं० ६३ ० ११४४३ संस्कृत विषय व्याकरण १० काल X | लेकाल] X पूर्ण बेन सं० १०३२ भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। ४६६६. प्रति सं० २ वेष्टन सं० २१५ प्राप्ति स्थान । पत्रसं०] १६८ | श्रा० १०x४ इञ्च । ले०काल सं० १६३६ । पूर्णं । दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । R ५००० प्रति सं० ३ ०२४-१३ प्राप्ति स्थान ५००१. वाक्य मंजरी - व्याकरण । र०काल XX ले० का बोरसली कोटा । पत्र [सं० ३२ मा ११ X ५ इस से० काल X अपूर्ण दि०जैन मंदिर कोटडियों का टूगरपुर । [ ५१९ भाषाप्राप्ति स्थान - X | पत्रसं० ३० । या० ९x४ इश्व | भाषा-संस्कृत । विषय० १८२५ पूर्ख वेटन सं० ७१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर ५००२. विसर्ग संधि- X | पत्रसं० १२ । व्याकरण २० काल x ०काल x पूर्ण दबलाना बूंदी ०६३ x ५ इव । भाषा संस्कृत विषयवेटन सं० १२१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ५००५. शब्द भेदप्रकाश - महेश्वर । पत्र सं० २ २० प्रा० १२३ ४६ व सं० १५५७ संस्कृत विषय—व्याकरण २० का X स्थान- दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष – प्रशस्ति निम्न प्रकार है ० ११५ ५००३. शाकटायन व्याकरण- शाकटायन । पत्रसं० ७७१ भाषासंस्कृत । विषय-व्याकरण र०काल X। ले०काल सं० १६८१ । पूर्ण वेष्टन सं० ५६ प्राप्ति स्थानदि० जैन प्रवाल मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति – निम्न प्रकार है- संवत् १६८१ वर्षे जे सुदी ७ गुरु समातोयं ग्रन्थ ५००४. शब्दरुपावली - X एत्रसं०] १३ भाषा-संस्कृत विषय-व्याकरण । २० काल X | लेकाल] X 1 पूर्ण बेटन सं० ७५५ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ww पूर्ण वेष्ट सं० ११२ ४००७. बट्कारक विवरण पत्र० ३ विषय - व्याकरण २० काल । वै०कास X पूर्ण जैन मंदिर अजमेर | भाषाप्राप्ति संवत् १५५७ वर्षे थापाड बुदी १४ दिने लिखितं श्री मूणसंये भट्टारक श्री ज्ञानभूषण गुरुपदेशानु जातीय श्रेष्ठ जस्ता मार्ग पां पुत्री श्री धर्मणि । ५००६. षट्कारक - विनश्वरनंदि प्राचार्य | पत्र सं० १७ । श्र० ११ x ४३ ६-५ । भाषा संस्कृत विषय व्याकरण १० काल X ले० काल शंक ० १५४१ अपूर्ण सं० १७१८ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) 1 विशेष-प्रतिम पुष्पिका इति श्री महान योद्धापगम्य पटुकारक समाप्ता विनश्वरनंदि महा विरचितोय सम्बन्ध । १५४१ कर्णाटक देने गीरसोपानगरे आचार्य श्री चंद्र श्रीमत् भट्टारक श्री सकलचन्द्र शिष्य महा श्री वीरवावेग तिथि पोद्धफरक ।। ० ११३ x ४३ भाषा संस्कृत । बेन सं० ११६५ प्राप्ति स्थान–२० वि० Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० ] ५००८. षट्कारिका Xपत्र विषय - व्यकरण र० काल X | ले० काल X मन्दिर लश्कर जयपुर । ५००६. षट्कारिका - व्याकरण | र० काल X | ले० काल उस्कर, जयपुर ५०११. सप्तसमासलक्षण - X | विषय—व्याकरण २०कास X | लेमान X जैन भवनाथ मन्दिर उदयपुर । ५०१२. संस्कृत मंजरी वरदराज विषय- व्याकरण | र० कान X ले० काल सं० स्थान- दि० जैन मन्दिर श्रादिनाथ (बूंदी) 1 ५०१०. षष्टपाद - X 1 पत्र सं० २ । प्रा० ११X५ इव । भाषा-संस्कृत विषय-व्याकरण । र०काल X | जे० काल पूर्ण वेष्टन सं० २६० प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मंदिर अजमेर | विशेष कृदन्त प्रकरण है । ५०१४. संस्कृत मंजरी - विषय व्याकरण २० कोल x जैन मन्दिर अजमेर PE सं० ५ । घा० ११४५३ पूर्ण वेष्टन सं० २२० पत्र सं० ५० ११४५३ इथ भाग –संस्कृत विषय| पूर्ण बैटन सं० २१६ : प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर X [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग इञ्च भाष-संस्कृत । प्राप्ति स्थान दि० जन ०काल ५०१३. संस्कृत मंजरी ४ । पत्रसं० १० | आ० ८३ X ४] इश्व | भाषा-संस्कृत विषयव्याकरण । र०काल X | लेकाल X 1 पूर्ण । येष्टन सं० १०३३ । प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिरजमेर। पत्र सं० २ श्र० ११ x ५ इंच पूर्ण वैटन सं० ४२३ / ५७७ भाषा संस्कृत | प्राप्ति स्थान – दि० पत्रसं०] ११ ० ११४६ इंच भाषा संस्कृत । १८६६ भादवा बुद्दी ८ पूर्ण वेष्टन ०८२ प्राप्ति पत्र सं० ४ ० १०३ X ४३ भाषा संस्कृत । पूर्ण वेटन सं० २३७ प्राप्ति स्थान - महारकीय दि० ५०१५. संस्कृत मंजरी - विषम-व्याकरण । २० काल ४ वे०का जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बूंदी | x ५ इन्च ५०१६. संस्कृत मंजरी - X। पत्र सं० १३ । ० व्याकरण । २० काल X ले० काल सं० १०११ पूर्ण वे० सं० १४० पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बूंदी । पत्रसं० ४ । यह० १० X ४३ इंच १ भाषा संस्कृत । ० १९५६ पूर्ण वेष्टन सं० १४५ प्राप्ति स्थान -- दि० ५०१८. संस्कृत मंजरी - x व्याकरण २०काल Xx से०का सं० १९३५ राजमहल टोंक | ५०१९. संस्कृत मंजरी - X पत्रसं० ६ ० ११४४ इय व्याकरण | २० बाल X | ले० काल सं० १९६६ काङ्क्षी सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) - भाषा संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान- दि० जैन ५०१७. प्रतिसं० २ [सं०] १२ ० ८५ इव । से० काल X पूर्ण वेष्टन सं० १६० प्राप्ति स्थान- उपरोक्त पत्र० ७ सा० ११ x १ च भाष-संस्कृत विषयपूर्ण वेटन सं० ८८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर भाषा संस्कृत विषय२४६ । प्राप्ति स्थान - Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्याकरण शास्त्र ] [ ५२१ ५०२०. प्रति सं० २। पत्रसं० ४ । ले. काल स० १८४७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पाश्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) विशेष--लायरी में प्रतिलिपि हुई थी। ५०२१. समासचक्र--- । पत्र सं०८ । मा०३-४ इश्व' । भाषा संस्कृत । विषय-- व्याकरण 4 र० काल X । ले० का । पूर्ण । बेचार. आदि स्थान--भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। ५०२२. समासप्रक्यिा XX । पत्र सं० २६ । पा० १०३४ ४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र०काल X । लेकाल X ।पुर्ण । वेष्टन सं० १३१७ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५०२३. समास लक्षण-.-.X । पत्रसं०१1 प्रा० १.४४ इच । भाषा-संस्कृत विषयव्याकरण । २० काल ४ ।ले. काल । वेष्टन सं. ३५१-५६० । प्राप्ति स्थान दि जैन संभवनाथ मन्दिर अजमेर। विशेष-संस्कृत टीका सहित है। ५०२४, सारसिद्धान्त कौमुदी-X । पत्र सं० २३ । प्रा० १०३४४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण 1 २० काल - । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १८६-७७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ५०२५. सारसंग्रह---X । पत्र सं. ४ । पा. १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । २० काल X । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ४२४-५७३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । ५०२६. सारस्वत टीका-x। पत्र संख्या ७९1 प्रा० १०३४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -व्याकरण । २० काल X । लेखन काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २३८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) । ५०२७. सारस्वत चन्द्रिका-अनुभूतिस्वरूपाचार्य । पत्र सरा ४४ । प्रा० ११४५२ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय...व्याकरण 1 र०काल x | ते. काल । प्रपर्ण । वेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष- प्रति संस्कृत टीका सहित है। ५०२८. सारस्वत टीका-पुजराज । पत्रसं० १५३ । मा० १०x४ इ'च । भाषासंस्कृत । विषय-व्याकरण । २७ काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन ०२४३.५६६ । प्राप्ति स्थान-स'भवनाथ दि. जैन मंदिर उदयपुर । विशेष---गुजराज का विस्तृत परिचय दिया है। नमदवनसमर्थस्तत्त्वविज्ञानपार्थः । सुजनविहिते तापः श्रीनिधि/तादोषः । अवनिपतिशरण्यात् प्रोदधीमे च मंत्री। मफरलमलिकाख्या श्रीगयासाद्वायत् । Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२२ । [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग पतिव्रता जीवनधर्मपत्नी पत्यामकूनामबुटंबमान्या। श्रीपुजराजाल्यमगत पुत्र मुज चेतेस्तेपवारितः पवित्र ॥१४॥ २४ पद्य लक परिचय है। अन्तिम पद्य निम्न प्रकार है योयं रुचिर परिवो गुरविचित्रेरगि प्रसभं । दिग्दंताबल दंतावली बलक्षशस्तनुते ।।२३।। सायं टोकांव्यरचयदिमा शाह सारस्वतस्य । व्यतिपशूनां सभुपकृताय पुजराजा नरेन्द्रः ।।२४।। गंभीरार्थचित विवृत्त स्वीयसूत्र पवित्रभेनः । मभ्यस्यत इह मुदाप्त प्रसन्नाः ॥२४॥ श्री श्री पुजराजकृतेयं सारस्वत टीका संपूर्ण । व. गोपालेन अ. कृष्णाय प्रदत्त' । नथा अथ ४५०० । प्रति प्राचीन है। ५०२६. प्रति सं०२ । पत्र सं०७२ । प्रा० ११३ x ६ इञ्च । लेकाल X । टन सं. ४०० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष प्रति बहुत प्राचीन है। ५०३०. सारस्वत दीपिका वृत्ति—चंद्रकीत्ति । पत्र सं० १६० । आ० १०x४, इच। भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण । पूर्ण । ०काल X । ले० काल सं० १८३१ ग्रासोज बुदी है। वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर पानाथ चौगान बूदी । विशेष---महात्मा मानजी ने सवाई जयपुर के महाराज सवाई पृथ्वीसिंह के राज्य में लिखा था। ५०३१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४१ । प्रा० १०३ x ४ इञ्च । ले. काल X । अपूर्ण । वेधनसं० १०५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-४१ से आगे पत्र नहीं हैं। ५०३२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २२१ । आः ६३४४३ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । बेन सं० ४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दबलाना (दू दी)। ५०३३. प्रतिसं०४ । पत्र सं० २०२ । प्रा०६x४: इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६१/१०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । अन्तिम पुष्पिका-इति श्री नागपुरीय तपागच्छाधिराज' भ० श्री चन्द्रकीतिमूरि बिरचितायाँ सारस्वत ब्याकरण दीपिका सम्पर्ण । ५०३४. प्रति सं० ५। पत्र संख्या १८२ । प्रा० ११३४५१ च । ले. काल सं० १८५१ पौष बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १९४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ । ५०३५. सारस्वत धातुपाठ-अनुभूतिस्वरूपाचार्य । पत्रसं७७ । प्रा० १०६x४१ इव । भाषा-संस्कृत । विषय--व्याकरण । २० काल'x | लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्ठन सं० ४३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। ५०३६, सारस्वत प्रकरण--X । पत्रसं० १७-७५ । श्रा० ११४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । 70 काल x | लेकालX । अपूर्ण । वेष्टन सं. ३३३-१९८1 प्राप्ति स्थान दिल जैन मन्दिर कोटडिवों का ईनरपुर । Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्याकरण शास्त्र ] [ ५२३ ५०३७. सारस्वत प्रक्रिया-अनुभूतिस्वरूपाचार्य । पत्र सं० १०१ । प्रा० १.४४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -व्याकरण । २० काल X । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५२४ । प्राप्ति स्थान-भदि जैन मंदिर अजमेर । विशेष—इस मन्दिर में इसकी ११ प्रतियां और हैं। ५०३८. प्रति स०२ । पत्र सं०७४ । प्रा० १२४ ५ इञ्च । ले. काल सं० १९४३ । वेष्टन सं० ६०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ५०३६. प्रति सं०३ । पत्र सं० ३२ । या० १११ x ५३ इञ्च । ले० काल सं. १८७७ । वेष्टन सं० ३६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ५०४०. प्रतिसं० ४ । पत्र सं०५० से १३६ । ले०काल सं० १७२८ । अपूर्ण । वेष्टन संक ८२५६८ । प्राप्ति स्थान--संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है.... संवत् १७२८ वर्षे पौष मासे कृष्ण पक्षे पंचम्यां तिथी बुधवासरे देवग। राज्य श्री हीरसिंघराज्ये मट्ट श्री कल्याण जी संनिधाने लिखितमिद पुस्तक रामकृष्णेन दागडगच्छेन वास्तव्येन भट्ट मेवाडा शातीय ....... लिखितं । ५०४१. प्रति सं० ५। पत्र सं० २४ । श्रा० ११४७ इन्च । लेकालX । अपूर्ण । देष्टन सं०६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर मागदी बू दी। ५०४२, प्रतिसं० ६ । पत्र सं०६६ । प्रा० ११६४७ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। ५०४३. प्रतिसं०७ । पत्रसं० ३३-६६ | प्रा० १२४५३ इञ्च । लेकाल ४ । प्रपूर्ण । देष्टन सं० २५७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। ५०४४. प्रति सं० । पत्र सं० ५१ । प्रा० १०x४ च । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २५५ । प्राप्ति स्थान... दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष-६१ से मागे पत्र नहीं है । प्रति प्राचीन है। ५०४५. प्रति सं० । । पत्र सं १२ । ग्रा० ३४ ४६ इञ्च । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. १६६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी ।। ५०४६. प्रतिसं० १० । पत्र सं० ८७ । प्रा०.११४ ५ इव । ले० काल सं० १८७० । पूर्ण । वेष्टन स० ५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान दी। ५०४७. प्रति सं० ११। पत्र सं. पत्र सं० १३ । प्रा० १३६ x ५२ इच । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २१७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान वूदी। ५०४८. प्रति सं० १२ । पत्र सं० १० । प्रा० १.१४७ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान-- उपरोक्त मन्दिर । ५०४६. प्रतिसं०१३। पत्र सं. ५.७ | आ०१०४५ इञ्च । लेकाल X1 पूर्ण । वेष्टन सं०७। प्राप्ति स्थान-दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर सावा । Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५०५०. प्रति सं० १४ । पत्रसं० १२८ । आ. १२४५ इञ्च । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर बोरसली कोटा । ५०५१. प्रति सं० १५ । पत्र सं० ४५ । श्रा०६x४१ इञ्च । ले० काल सं० १८६५ । पुर्ण । बेशन सं० १९८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ५०५२. प्रति सं०१६। पत्र सं० ६४ । श्रा० ११:४३: च । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ३१९ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ५०५३. प्रति सं० १७१ पत्रसं० २५ । प्रा० १०1४५ इश्व । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३०७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ५०५४. प्रतिसं० १९ । पत्र सं० ३० । पा. ११३ x ६३ इञ्च । ले० काल सं० १९०६ पासोज दी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष—कामा में बलवन्तसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी। ५०५०. प्रतिसं० १९ । पत्र सं०६५ । प्रा० १०४ ५३ इञ्च । ले. काल सं० १८९२ फागुरस बद्दी १३ । पुर्ण । वेष्ठन सं०७१ । प्रापिद स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर कामा। ५०५६. प्रति सं० २० । पत्रसं० १२ । ले० काल सं० १८६४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ५०५७. प्रति सं० २१ । पत्र सं० ४५ । या०६१४४३ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । चेष्टन सं० १९७ । प्राप्ति स्थान-पाश्र्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़। ५०५८. प्रति सं० २२ । पत्र सं० १०६ । प्रा० १०.४५३ इञ्च । ले०काल सं० १८४० । पर्ण । वेष्टन सं० २०७। प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ५०५६. प्रति सं० २३ । पत्रसं० १८ । श्रा० ११४४३ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । ५०६०. प्रतिसं० २४ । पत्र सं० २-६५ । ले. काल सं० १८५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३० । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ५०६१. प्रतिसं०२५ । पत्र सं० १५.५८ । प्रा० १०३ ४ ४३ इच। ले०कास्न X । यपूर्ण । बेधन सं० २४१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दवलाना (दी) ५०६२. प्रति सं० २६ । पत्र सं०६३ । प्रा० १०x४ इंच ले० काल X| अपूर्ण । वेष्टन सं०४२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दबलाना (दी)। ०६३. प्रतिसं०२७ । पत्र सं० १३६ । लेकाल सं० १७७३ पूर्ण । वेष्टन सं०४६ । प्राप्ति स्थान-उपरीक्त मन्दिर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है-- संवत १७७३ वर्षे चैत्र मासे शुभे शुक्लपक्षे तिथौ तृतीयायां ३ भगृवासरे लिखित रूडामहात्मा गढ अबावती मध्ये लिखाइतं प्रास्मार्थे पठनार्थ पाना १३६ श्लोक पामा १ में १५ जी के लेने श्लोक अक्षर बत्तीस का २००० दो हजार हया । लिगाई रुपया ||I) बांचे जीने श्रीराम श्रीराम श्रीराम जी । Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्याकरण शास्त्र ] [ ५२५ । ५०६४. प्रति सं २८० ४६ ० X ४ इञ्च ले० काल । पूर्ण वेष्टन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान—उपरोक्त मंदिर | विशेष - प्रथम वृत्ति तक है । ४ ५०६५. प्रति सं० २६ पत्र सं० १ ० वेष्टन सं० ७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) । विशेष- विवर्ग सन्धि तक है। द्रव्यपुर (मालपुरा ) में प्रतिलिपि हुई थी ५०६६. प्रतिसं०] ३० पत्र [सं० १०५ ० ९३ X ४३ इन्च वेष्टन सं० ४ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) | ० काल सं० १६६० पूर्ण । ५०६७. प्रतिसं० ३१ पत्र सं० ४४ ० १० X ६ छ । ने० काल x पूर्ण वेष्टन मं० ६३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ ढोडारायसिंह (टोंक) | ०काल X पूर्णं । । ५०६८ प्रतिसं० ३२ पत्र [सं० ७५ ० ११३ x ५ लेखन काल सं०] १६३८ पौष बुदी] [35] पूर्ण वे० [सं० ६५-३२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का दुगरपुर प्रशस्ति-संवत् १६३८ वर्षे हृदी १५ मुथी मूल सरस्वतीच्छे बलात्कारगणे सामवाडा पुरोतमस्थाने श्रीयादिनाथालये श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री पचनन्दिदेवा त भ० श्री कीर्तिदेवानपट्टे भ० श्री भुवनकीर्ति देवा तत्पट्टे भ० श्री ज्ञानदेवास्वत् भ० श्री विजयकीर्ति देवास्तत्पट्टे भ० श्री शुभचंद्रदेवास्तत्पट्टे भ० श्री सुमतिकीति देवास्त भ० श्री गुणकीसि गुरुपदेशात् स्वात्म पनार्थं सारस्वत प्रक्रिया लिखित स्वज्ञानावर्ती क्षयार्थी स्वपठनार्थं । श्री शुभमस्तु । ५०६६. प्रतिसं० ३३ । पत्र सं ० ६० प्रा० ११ X ४ इन्च | ले० काल सं० १६६४ । पूर्ण वे० सं० २०२-१४२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूँगरपुर ले काल x । पूर्ण । ५०७० प्रतिसं० ३४ पत्रसं० ३६-६७ ग्रा० १२४६ दि० जैन मन्दिर कोटडियों का गर वेष्टन सं० २५१-१०३ प्राप्ति स्थान ५०७१. प्रतिसं० ३५ पत्र सं० ६६ ० ११X५ इंच । ले० काल X | पूर्ण वेष्टन [सं० ११-४९ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का पुर ५०७२ प्रतिसं० ३६ । पत्र सं० ५४ । ले० काल X | पूर्ण वेष्टन सं० ४६३ प्राप्ति स्थान – दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । - विशेष-छोटी २ पांच प्रतियां और है। ५०७३. प्रतिसं० ३७ १० १४७ सं० २२६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । ५०७४, प्रति सं० ३६ पत्र ०८७० ११४ ३ प्र ले०का सं० १९३५ । पू० १४५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर (राजमहल) टॉक विशेष – विद्वान दिलसुखराय तुपसदन ( राजमहल ) मध्ये लिखितं । ५०७५. प्रति सं० ३२ पत्र सं० ५१ ते० का स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर ण्डावालों का डीप विशेष- प्रथम वृत्ति तक हैं । पूर्ण वेष्टन ० ४३ प्राप्ति ०६४ इन्च । ले०का X प्रपूर्ण वेष्टन Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५०७६. प्रति सं० ४० । पत्र सं०७१-१५३ । प्रा० १०५४४५ इन्च । लेकाल ४ । वेष्टन सं० ७१५ । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान-दिक जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ५०७७, सारस्वत प्रक्रिया-x। पत्रसं० ५। प्रा० ८.४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र०काल X । लेकाल X | अपूर्ण। वेष्टन सं० ४६-१४७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिह (टोंक) । ५०७८, सारस्वत प्रक्रिया-x। पत्रसं०१३ । मा० ८१४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-व्याकराग । र०काल x ले काल X1 पूर्ण । वेष्टन सं०४७ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर राजमहल टॉक। विशेष - पंचसंधि तक है। ५०७६. सारस्वत प्रक्रिया-- । पत्रसं० १० । मा० ११४४, इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल X । ले०काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर अभिनन्दा स्वामी बूदी। ५०१०, सारस्वत प्रक्रिया वृत्ति-महीभट्टाचार्य । पत्रसं० ६७ । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । २० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान—दि० जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । ५०६१. सारस्वत वृत्ति--- ४ । पत्रसं० ६३ । श्रा० १०१ ४ ४३ व 1 भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र०कालXले. काल सं० १५६५ फागरण' सुदी । पूर्ण । बेष्टन सं०११२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दबलाना (दी) । विशेष-जोधपुर महादुर्गे राय श्री मालदेव विजयराज्ये । ५०६२. सारस्वत व्याकरण-x। पत्र सं.२० । आ०११ X ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र काल x । लेकाल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ८०.४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बड़ा श्रीसपंथी दौसा। विशेष-शब्द एवं धातुयों के रूप हैं। ५०५३. सारस्वत व्याकरण वीपिका-मट्टारक चन्द्रकीति सूरि। पत्र सं० १२८ । आ०११X४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र० कास X । ले०काल सं०१७१० भादवा बुदी १० । पुर्ण । वेष्टन सं० ३४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर 1 ५०८४. प्रतिसं०२ । पत्र सं० ५३ । प्रा० ११४४ इञ्च । ले . काल X । अपुर्ण । वेष्टन सं० ३४८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपूर । ५०८५. सारस्वत व्याकरण पंच संधि-अनुभूति स्वरूपाचार्य । पत्रसं० ६ । आ० १०४ ४ इन्च । भाषा -संस्कृत । विषय - व्याकरण । र०पालX । लेकाल x पूर्ण । वेष्टन सं०३६६ ।। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ५०८६, सारस्वत वृत्ति-मरेन्द्रपुरी। पत्र संख्या ७० । प्रा० ११४४३ च । भाषासंस्कृल । बिषय-व्याकरण । र० काल ४ । लेकालX । वेष्टन सं० ३६८ | प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लएकर जयपुर। Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ध्याकरण शास्त्र ] [ ५२७ ५०८७. सारस्वत सुत्र-४ । पत्रसं०७ । प्रा० १२.४५ इञ्च । भाषा-संस्थत । विषयव्याकरण । र० काल X । लेकाल सं० १७२० । पूर्ण । वेष्टन सं० १६११५६५ । प्राप्ति स्थानसंभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर । यन्तिम पुष्पिका इस प्रकार है. इति श्री भारतीकृत सारस्वत मूत्र पाठ संपूर्णम् । प्रशस्ति -- संवत् १७२० वर्षे पौष सुदी ४ बुघे श्री कोटनगरे यादोश्वरचैत्यालये भी मूलसंघे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री पद्मनंदिदेवा तत्प? भ• श्री देवेन्द्रकीतिदेवा तदाम्नागे प्राचार्य श्री कल्याएकीति तशिष्य अ० तेजपालेन स्वहस्तेन सूत्र पाठो निस्थितः । ५०. सारस्वत सन-प्रनभतिस्वरुपाचार्य । पत्रसं०५ मा १०x४इन । भाषा ल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २३० । प्राप्ति स्थानभद्रारकीम दि जैन मन्दिर अजमेर । ५०८६. प्रति स०२ । पत्रसं० ३ । ले. काल सं० १८८३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३१ । प्राप्ति स्यान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५०१०. प्रतिसं०३ । जसं १६ । मा० १२३४३ . ले कारः सं. ४६-१८५ । वेशन सं०३७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ५०६१. सारस्वत सूत्र-X । पत्रसं० ११ मा ४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । २० काल X ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११०१ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । ५०६२. प्रति सं०२। पत्रसं०६ । प्रा०१०x४, इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषयनाकरण । र०काल X । ले० काल - I पूर्ण । वेष्टन सं० ११८ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जन मन्दिर अजमेर। ५०६३. प्रति सं० ३। पत्र सं० ३६ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ५०१४. प्रति सं०४। पत्र सं०३८। ले. काल x अपूर्ण । वेहन सं० २२० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-३८ मे प्रागे पत्र नहीं है। ५०१५. सारस्वत सूत्र पाठ-४ । पत्र सं० ४ । प्रा० १०३४४३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-व्याकरमा । र० काल X । ले० काल सं० १६६१ । वेष्टन मं० ६१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष संवत् १६६१ वर्षे भाद्रपद सुदि १० दिने लिखितं प्राकोला मध्ये चैत्रा कल्याण लिखितं । ५०९६. सिद्धांत कौमुदी--- । पत्र सं० १३५ । या० १०३४४३५ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३४५ । प्राप्ति स्थान-दिक जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ५०९७, प्रति सं० २१ पत्रसं० १८२ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१८:१५६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२८ ] [ प्रथ–सूत्री-पंचम भाग ५०६८. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० १४ । आ. १.४४ इञ्च । ले. काल सं० १५५७ । पूर्ण । थेटन सं० ४३४ 1 प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर।। प्रशस्ति-सं० १५५० वर्षे प्राश्वनि मासे शुक्लपक्षे त्रयोदश्यां तिथौ रविवासरे घरो ४६३ भाद्रपदे नक्षत्रे घरी ४० व्याघात योगे धरी १७ दिनहरावलयं लिखितं श्री सिरोही नगरे 'राउ श्री जगमाल विजय राज्ये परिणाये कछोलीवालगमाने यापयाण श्रीरामांगमितत्पद् भ. श्री गुणसागरगरिस्तत्पद्र श्री विजयमलमूरीणां शिष्य मुनि लक्ष्मीतिलक लिखितं । ५७६६. सिद्धांत कौमुदी (कृतन्द प्रावि)-X । पत्रसं० १-६ । आ० १२४ ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल X । लेकाल X1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर कामा । ५१००. सिद्धांतचन्द्रिका–रामचन्द्राश्रम । पत्रसं० ५६ । प्रा० ११३४५३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-व्याकरण । २० काल X । ले०काल । पुर्ण । वेष्टन सं०६६४ । प्राप्ति स्थानटारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५१०१. प्रति सं०२। पत्र सं० ८६ । प्रा० ११३४५३ इञ्च । ले० काल सं० १८२८ द्वितीय आषाढ सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६७७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । ५१०२. प्रतिसं०३। पत्र सं०६८।०१०४६ इञ्च । ले० काल सं० १८८४ । पूर्ण । बैशन सं० २६५ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर ।। ५१०३. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १२८ । आ. १.४५ इच । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३६३ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५१०४. प्रति सं० ५। पत्र सं० ५६ । प्रा० १०३४४१ इन्च । ले०काल सं० १८४७ माघ सुदी ५। पूर्ण । बेष्टन सं० १००६ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५१०५. प्रति सं०६। पत्र सं०६४ । ग्रा० १११४४३ इञ्च । ले. काल सं०१७८४ मंगसिर सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन मं० १३१८ 1 प्राप्ति स्थान - भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५१०६. प्रति सं०७। पत्र सं०६०। प्रा०१०x४१ इञ्च । ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन स०५२/३३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटष्टियों का डूगरपुर । ५१०७. प्रति सं० ८। पत्र सं० ६६ । पा० १०x४१ इञ्च। ले० काल सं० १५५५ । पूर्ण । वेशन सं०५१ २५४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष---मुनि रत्नचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। ५१०८, प्रतिसं०६। पत्र सं० ४५ । ग्रा०x४५ इञ्च । ले०काल सं० १८६१। पूर्ण । वेधन सं० १६० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगळ (कोटा) ५१०६. प्रति सं०१० । पत्र सं०११ । ग्रा०१०४५ इन्च ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २२८ । प्राप्ति स्थान पार्श्वनाथ दि. जैन मंदिर इन्दरगढ (कोटा) विशेष-सिद्धान्तचन्द्रिका की तत्वदीपिका नामा व्याख्या है। ५११०. प्रति सं० ११ । पत्रसं० १०२ । आ० ११४४इश्च । ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं. ५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर देबलाना (दी) Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्याकरण शास्त्र ] [ ५२६ विशेष—१०२ से आगे के पत्र नहीं है। ५१११. प्रतिसं० १२ । पत्र सं०६१ । प्रा० १०x४१ इन्च । ले० काल सं० १७६६ मंगसिर सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। ५११२. प्रति सं० १३ । पत्रसं० ३६ । आ० ११४५ रुन्ध : ले. काल X । पूणे । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पाश्वनाथ चौगान बूदी। __५११३. प्रति सं० १४ । पत्रसं० २-६० । प्रा० ११४४३ इञ्च । ले. काल X 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ८६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बू दी। ५११४. प्रतिसं०१५। पत्र सं० ७२ । प्रा० १३४५ इञ्च । लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २०७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान बूंदी। ५११५. प्रति सं० १६। पत्रसं०१६।।कार ११ । भास सं. वैशाख सुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० २५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कार जयपुर । ५११६. प्रति सं० १७ । पत्र सं०५० । श्रा० ११४ ५ इश्व । लेकाल ४ । वेष्टन सं० २६१ प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लपकर जयपुर । ५११७. सिद्धांतचन्द्रिका-X । पत्र सं० २५ । प्रा०1४३ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषषव्याकरण । काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३१ । प्राप्ति स्थान---भ० दि जैन मंदिर अजमेर। ५११८ प्रति सं० २ । पत्रसं० ५५ । प्रा० १०३४५ इञ्च लेकाल X । अपुर्ण । बेष्टन सं० १५५२ । प्राप्ति स्थान - भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५११६. प्रति सं०३ । पत्र सं०७२। लेकाल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान-म० दिन मन्दिर अजमेर । ५१२०. प्रति सं० ४। पत्रसं० ४३ । प्रा० १२४५३ इच। लेकाल अपूर्ण । वेष्टन सं० १५९५ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । ५१२१. सिद्धान्तचन्द्रिका पत्र सं० २२ । प्रा० १०३४ ४२६ । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २१३ । प्राप्ति स्थान-भट्ठारकीय दिल जैन मंदिर अजमेर।। ५१२२. सिद्धान्त चंद्रिका-४ पत्र सं० २७ । प्रा० ११ x ५ इन्च । भाषा-संस्कृत ! विषय-व्याकरण । २० काल x लेफाल X । पुर्ण । बेष्टन सं० २५०-१०१ प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर कोदलियों का डूंगरपुर । ५१२३. सिद्धान्त चन्दिका-X । पत्र सं ८ आ० १२१४४० इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र० कालX । ले० काल 1 पूर्ण । वेष्टन सं. ३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर करौली। ५१२४, सिद्धान्त चन्द्रिकाx। पत्र सं० ४६ । मा० ११३४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । रकालX Iले कालX । पर्ण । वेषन सं० २१८1 प्राप्तिस्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर, जयपुर । Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५१२५. सिद्धान्त चरित्रका टीका-सदानंद । पत्रसं० १५२ । प्रा० ६३ x ४ च । भाषा-संस्कृत । विषय - व्याकरण । र काल- ४ । ले० काल सं० १८७२ माह सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं. ३२८ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मंदिर यजमेर। ५१२६. प्रति सं० २ । पत्रसं० ६ । पा० १० x ५३ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं. १८६ । प्राप्ति स्थान – दि जैन मंदिर दबलाना थी। ५१२७. सिद्धान्त चन्द्रिका टीका-४ । पत्र सं० ११३ । प्रा० १२ ४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- व्याकरण । र काल'x। ले०काल स.१८७५ । पूर्ण । वेष्टन सं०६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ दी। ५१२८. सिद्धान्तचन्द्रिका टीका-हर्षकीति । पत्रसं० १०७ । प्रा० १०x४२ इंच । भाषा -संस्कृत । विषय- व्याकरण । २० कालxले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३७1 प्राप्ति स्थान... दि० जन मन्दिर राजमहल (टोंक) । ५१२६. सिद्धहेम शब्दानुशासन-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं० १६ । मा० १०३४४. च । भाषा–संरकृत । विषा---याकरणपाल x . कास. १६.५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रति पप १५ पंक्ति तथा प्रतिक्ति ६. अक्षर | अक्षर सुक्ष्म एवं सुन्दर है। प्रशस्ति-निम्न प्रकार हैं सवत् १६१५ वर्षे भाद्रपद मुदी १ शनी श्रीमुलसंशभ० श्री शुभचन्द्रदेवा तव शिष्योपाध्याय श्री सकल भूषणाय पटनार्थ । इल' प्राकार वास्तव्य हुवड ज्ञातीय गंगाउआ गोत्र डोभाडा कर्मसी भार्या पूननिस् सा. मेघराज भार्या पांची ताभ्यां दत्तमिदं शास्त्र । ५१३०. सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञ वृति-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं०७१ । प्रा०६x४ इञ्च । भाषा ---संरकुन । विषय -व्याकरण र०काल x | ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २१४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। ११३१. प्रतिसं० २। पत्रसं० १४ । भा० १२४४ इन्ध । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं. २११/५९६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर जदयपुर । ५१३२. सुबोधिका--- । पत्रसं० ४ से १५४ । पा. १० ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय व्याकरण । र०काल X । लेकाल सं० १६४८ ज्येष्ठ सुदी १३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३३८ । प्राप्तिस्थानभट्टारकीय दि० जन मन्दिर अजमेर । ५१३३. सूत्रसार-लक्ष्मणसिंह । पत्र सं० २५ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । र०काल x 1 लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं० १४३१ । प्राप्तिस्थान-भट्रारकी जन मन्दिर अजमेर । ५१३४. संस्कृत मंजरी --X । पत्रसं. ६ । आ. १.३४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । रक्षालX । ले० काल सं० १८२० ज्येष्ट बुदी । पूर्ण । वेष्टन सं३०४ प्राप्ति स्थान-- दि जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष...केशरीसिंह ने प्रतिलिपि की थी। Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय--कोश ५१३५. अनेकार्यध्वनि मंजरि-क्षपणक पत्रसं० १० । प्रा० १४४ भाषा-पंस्कृत । विषय-कोश । र० फाल X । लेकाल स० १८५६ फागुन सुदी १४ । वेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन पापर्वनाथ मन्दिर चौगान बू दी। ५१३६. अनेकार्थध्वनि मंजरी-X । पत्र सं० २७ । प्रा० ६x६३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय--कोश । २० काल X 1 ले०काल सं० १९०४ । पूर्ण । वेटन सं० १८५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ५१३७, अनेकार्थध्वनि मंजरी-X । पत्र सं०। प्रा० x ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कोश । २० काल x | लेकालx। पूर्ण वेधन सं० । प्राप्ति स्थान-दि०जन मन्दिर बोरसली कोटा। ५१३८. अनेकार्थध्वनि मंजरी-X । पत्र सं०१५ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -कोप । र० काल X । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१६ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ५१३६. अनेकार्थ लाममाला भ० हर्षकीति ।। पत्रसं० ५६ । प्रा० ६४ ४ इञ्छ । भाषा--- संस्कृत | विषय-कोश । २० काल - । ले. काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० २२५ । प्राप्तिस्थान–दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष-दाहिने ओर के पत्र फटे हुये हैं। ५१४०. अनेकार्थ नाममाला-४ पत्र सं० १३ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कोष । र क ल X । काल सं० १६४१ 1 पूर्ण 1 बेएन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है--- संवत् १६४१ वर्षे बैशाख सुदी ५ गुरौ श्री मूलसंधे सरस्वतीगम्छे भ० सुमतिकीति सत्प? मट्टारक श्री गुरणकीति मुरुपदेशात् भट्टारक श्री ५ पद्मनंदि तव शिष्य ब्रह्म कल्याण पठनार्थ । ५१४१. अनेकार्थ मंजरी-जिनदास X पत्र सं० १७ । प्रा० ८X४ इञ्च । भाषा - हिन्दी (पद्य) । विषय-कोश । र० काल x 1 ले. काल स. १८७६ सावन बुदी ७ । पूर्ण 1 बेष्टन सं० १३०१ । प्राप्ति स्थान-भट्रारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । ५१४२. प्रति सं० २१ पत्रसं० १० । ग्रा० १३४४ इंच । ले०काल । पूर्ण । वेष्टन संग १०६ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष--प्रारम्भ तुव प्रभु जोति जगत में कारन करन मभेद । विघ्न हरन सब सुख करन नमो नमो तिहिदेव । Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३२ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग एक वस्त यनेक है जगमगाति जग धाम । जिम कंचन तें किकनी ककन कुडल दाम ।।२।। उचरि सके न संस्कृत नौ समझ न समरथ । तिन हित गांद सुमति भाख अनेक अरथ ॥ अन्तिम- इति श्री अनेकार्थ मंजरी नाम भा० नंद कृत । ५१४३. अनेकार्थ मंजरी-x। पत्रसं० २१ । प्रा०x४ इञ्च । भाग-सस्कल । विषमकोश । २० काल x । ले० काल x। पूर्ण । वे० सं० २००। प्राप्ति स्थान-वि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावारी (सीकर) ५१४४. अनेकार्थ मंजरी-X । पत्रसं० १५ । आ. १० x ४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-कोश । २० काल। ले०काल सं० १७८४ माह सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७३ । प्राप्तिस्थानदि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ५१४५. अनेकार्थ शब्द मंजरी । पर सं० ४ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- कोश । कालX ।ले०काल ४ । पूरी । वेष्टन सं० २१०।६२१ प्राप्ति स्थान दि जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर। ५१४६. अभिधान चितामरिख नाममाला-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं० ५१ । आ० १०x४ इच। भाषा-सस्कृत । विषयन्कोश । २० काल X । ले० काल x। अपूर्ण । वेष्टत सं० २८१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ५१४७. प्रति सं० २ । पत्र सं० १८० । प्रा०६x४१ इञ्च । ले० काल सं० १६५१ । वेष्टन सं०६ । प्राप्लि स्थान-दि. जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-इसे हेमीनाम माला भी कहते है। प्रति स्वोपज्ञ टीका सहित हैं प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६५१ वर्षे माघ सुदी ६ चन्द्रवासरे लिखितं मुनि श्री कृष्णदास । मुनि श्री वर्तमान लिखित श्री अणिहिल्लपुरपत्तनमध्ये लिखितं । भंद्र भवतु सामत्तपागच्छे उपाध्याय श्री ७ शांतिचन्द्र लिखापित ५१४८. प्रति सं० ३। पत्र सं० ५७ । प्रा० १२४४३ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेपन सं० ६३-३६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का ढूंगरपुर। विशेष-कठिन शब्दों के अर्थ दिये हुये हैं। ५१४६. प्रति सं०४ । पत्रसं० १३७ । प्रा० १०३४४ इञ्च । लेकाल - । पूर्ण । बेष्टन स. १७७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष-दूसरा पत्र नहीं है । जोशी गणेशदास के पुत्र तुलसीदास ने नागपुर में प्रपिलिपि की थी। प्रति सटीक है। ५१५०. प्रतिसं० ५। पत्रसं० ११-१६२ । प्रा०६x४१ इन्च । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टनस. २१०१६४ प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-सारोद्वार नाम की टीका वाचनाचायं वादी श्री वल्लभ गरिंग की है जिसको सं० १६६७ में लिखा गया था। ५१५१. प्रतिसं०६ । पत्र सं० ११ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६४ । प्राप्ति स्थानदि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोश ] [ ५३३ ५१५२. अभिधासनार संग्रह- पत्र सं०६४ । प्रा० १०४६ इथ। भाषा-सस्कृत । विषयकोश । र० काल X । ले०काल सं० १९४० माघ सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन मन्दिर श्री महावीर दी । ५१५३. अमरकोश-अमरसिंह । पन्न सं० ११ । प्रा० ११३४४३ च । भाषा-सस्कृत । विषय-कोश । र०काल x | ले० काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० १३३० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-इम मन्दिर में अमरकोश की प्रतियां धौर है। ५१५४. प्रति सं० २ । पर :। प्रा: १.४४ च । लेमाल #. १७२१ । पूर्ण । वेष्न सं०१६२६ । प्राप्ति स्थान-म.दि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-प्रति सटीक है। ५१५५, प्रति सं०३ । पत्र सं० १८७ । लेकाल । अपूर्ण। वेष्टन सं० १६३० । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-प्रति सटीक है। ५१५६. अलि सं०४ । पन०१७४ । मा०६x६१ इन्च । ले. काल XI पूर्ण । चेष्टन सं० २२६-११ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडिवों काहूंगरपुर । विशेषज्योतिषसार अन्य प्रऔर है जिसका वे० सं० २३०-९२ है पत्र सं० भी इसी में है। ५१५७. प्रति सं०५। पत्र सं० ७७ । या.१०४५श्च । लेकालx। पूर्ण । वेष्टनसंग १११ प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ५१५८. प्रति सं०६ । पत्रसं० २-६० ! प्रा०८४४, हच । ले. काल X । पूर्ण । चेन सं. १५१-६८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मंदिर कोटड़ियों का डूंगरपुर। ५१५६. प्रतिसं०७ । पत्र सं० १० । प्रा० ११४ ४ इञ्च । ले. काल सं० १८४३ माघ बुदी ५ ! अपूर्ण । वेष्टन सं० २०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ५१६०. प्रति सं०८ । पत्र सं० २-१४ । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४४२ १ प्राप्ति स्थान--दिल जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ५१६१. प्रति सं०६। पत्र सं० १८ । श्रा० ११४४: इच। ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली। ५१६२. प्रति सं० १० । पत्र सं० ४२ । प्रा. १४५३ इञ्च (ले० काल - । दूसरे कांड तनः पम् । बेधन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान-दि०जैन पंचायती मन्दिर कामा।। ५१६३. प्रतिसं०११। पत्र सं०३३ । प्रा० x ४१ इच। ले०काल सं० १.२३ । पूर्ण। वेष्टन सं० ६३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मन्दिर कामा। ५१६४. प्रति सं० १२ । पत्र सं० १५ । लेकाल X । पूर्ण विष्टन सं० ४६८ । प्राप्तिस्थानदि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३४ 1 [ अन्य सूची-पंचम भाग ५१६५. प्रति सं०१३ । पत्र सं० ५१ । पा. ११४४३ इश्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर प्रलयर । विशेष-सागारधर्मामृत पत्र ३६ अपूर्ण तथा दर्शन पाट पत्र २४ इसके साथ और है । ५१६६. प्रति सं० १४ । पत्र सं. ३ - ६६ । प्रा० ६१४४३ इञ्च । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं०४१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बैर । ५१६७. प्रतिसं० १५ । पत्र सं. ६२ । मा० १०३ ४५३ इञ्च । ले०काल सं० १८५० चैत बुदी १४ । पूर्ण वे० सं० १६१ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ । ५१६८, प्रति सं० १६ । पत्रसं० २६ । आ. १०३४ ५ इञ्च । ले०काल सं० १८९६ ज्येष्ठ दुदी २। पूर्ण वेष्टन सं० १६२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ । विशेष-केवल प्रथम काण्ड ही है। ५१६६. प्रति सं०१७। पत्र सं०४३-८३ । प्रा० १.४५ च । लेकाल' X । अपूर्ण । देष्टन सं०३४६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दबलाना (बू'दी)। ५१७०. प्रतिसं० १८। पत्र सं० १०३। प्रा० १०२४५ इन्च । ले० काल। अपूर्ण। वेष्टन सं० १७५ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) मिशेष .इस मनियार: ५१७१. प्रति सं० १९ । पत्रसं० २७ । श्रा०६४५३ इञ्च । ले. काल सं० १८७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटयों का नावा। ५१७२. प्रतिसं० २०१ पत्र सं० ११-३४ । प्रा० १०३४४३ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । धेष्टन सं० १२१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ५१७३. प्रतिसं० २१ । पत्रसं० १९ । प्र.० १.४६३ इश्च । लेकाल सं० १९६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८३३ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-५० सेवाराम ने थावक गुमानीराम रावका से सवाई माधोपुर में प्रतिलिपि करवाई थी । ५१७४. प्रति सं० २२। पत्र सं० ३२ । श्रा० ११४६ इञ्च । ले काल सं० १९३७ । पूर्ण। वेष्टन सं । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर नागदी दी। ५१७५. प्रति सं० २३ । पत्र स० ३.०.८५ । प्रा० ६x६ इञ्च । ले. काल सं० १८६६ । मपूर्ण । वेष्टन मं० २६५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-बूदी में प्रतिलिपि हुई थी। ५१७६. प्रति सं० २४ । पत्र सं० १६५ । प्रा० १६x४१ इञ्च । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टनसं. १८३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। ५१७७. प्रतिसं० २५ । पत्र सं० २३ । प्रा० ११३४५३ इश्च । ले. काल सं० १९७३ । येष्टन सं० २२१ । प्रथम काण्ड तक । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। विशेष-जयपुर में प्रतिलिपि की गई थी। इस मन्दिर में ८ प्रतियां और हैं। Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोश ] [ ५३५ ५१७८. प्रति सं० २६। पत्र सं० १३० । पा. १०.४५ इञ्च । ले. काल सं० १९४४ चैत्र बुदीन सं लिप ...-दिल जैन मनिदर लश्कर जयपुर । विशेष-- जयपुर में लश्कर के मन्दिर में पंडित केशरीसिंह ने अपने शिष्य सालचन्द के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ५१७६. प्रति सं० २७ । पत्रसं० १६६ । प्रा० १२४५ इञ्च । ले०काल अपूर्ण । वेष्टन सं. २५० । प्राप्ति स्थान- दि जैन मंदिर पाश्वनाथ चौगान बूदी । प्रति टीका माहित है। ५१८०. प्रतिसं० २८ । पत्र सं०६० । प्रा० १२४५६न । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं. ८० । प्राप्ति स्थान--दिजैन मन्दिर आदिनाथ बदो। विशेष-द्वितीय खण्ड से है । टीका सहित है । ५१८१. प्रति सं० २६ । पत्रसं० सं० १६ 1 या० १२:४५३ हश्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ५१८२. उद्धारकोश-दक्षिणाभूति मनि । पत्रसं. १८ । आ० ११४८ इच। भाषासंस्कृत । विषय-कोष । र० काल x 1 ले फाल सं० १८३७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५४६ । प्राप्ति स्थानम. दि. जैन मंदिर अजमेर। विशेष- इति दक्षिणामूति मुनिना विरचिते उद्धारकोशे सकलागमसुरि दशदेवी सप्तकुमार नवग्रह शिष्यदेविध्यान दियो नामसप्तमकल्पः । ५१५३. एकाक्षरीनाममाला-x पत्र सं०२। मा0X४ हश्च । माषा-संस्जत । वषय--कोश । र०काल x 1 ले. काल x। अपूर्ण ! वे० सं० ११६० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष- दूसरा पत्र फटा हुआ है । ५१८४. प्रति सं० २। पत्रसं० २ । प्रा० १०६x४३ इञ्च । ले. काल सं० १९७१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०८ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५१८५ प्रति सं०३ । पत्र सं० २ । प्रा० १०३४५ च । लेकाल सं० १६८१ । वेष्टन सं. ३०५ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष --सांगानेर में प्रतिलिपि की गयी थी। ५१८६. प्रति सं०४ । पत्र सं० २ । प्रा० १२४५ इच । से० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०७०। प्राप्ति स्थान ....दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी खू'दी। ५१५७. एकाक्षर नाममालिका-विश्वशंभु। पत्र सं० ४ । प्रा० ११४४३ इञ्च । भाषा--. संस्कृत । विषय-कोश | 2० काला X । ले. काल ४ । वेष्टन सं० ३०१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर । ११५५. प्रति सं०२। पत्रसं० ९ । मा० १.१४५ 'इञ्च । ले० काम x पूर्ण । वेटन सं. ३०२ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३६ ] ॥ अन्य सूची-पंचम भाग ५१५६. प्रति सं०३। पत्रसं०७ । आ० १०.४५ च । लेकाल १८५५ ज्येष्ठ बुदी छ । वेष्टन सं० ३०३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ५१६०. एकाक्षरनामा-४ । परसं० ६ । आ. १३:४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयकोश । र काल x I ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ११५११। प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। ५१६१. त्रिकाण्ड कोश-पुरुषोत्तमदेव । पत्र सं० ४६ । प्रा० १०१४५३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय--कोश । २० काल x | ले. काल X । वेष्टन सं० ३०० । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ५१६२. धनंजयनाममाला -कवि धनंजय । पत्र सं० १३ । श्रा6 Ex ४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-कोश । र० काल x ले. काल सं० १०६। पुर्ण । वेष्टन सं० १४५। प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । ५१६३. प्रति सं० २ । पत्रसं० १६ : प्रा० ११४४३ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६२८ । प्राप्ति स्थान--भट्टारकोय दि. जैन मंदिर अजमेर । ५१६४. प्रति सं०३ । पत्र सं०१५। आ.१०४५ इञ्च । ले०काल सं१८५१ पौष बुदी १। पुर्ण । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर पाश्वनाथ इन्दरगढ । ___५१६५. प्रति सं०४ । पत्र सं०३-१६ । ग्रा. ७४५ इन्च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३६४--१४० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ५१६६. प्रति सं० ५। पत्रसं० २४ । प्रा० १३४४५ इन्च 1 ले. काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० २६८-१०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोष्ठियों काहूँगरपुर । ५१६७. प्रति सं०६। पत्र सं०१३। ग्रा० १०४५ इञ्च । ले०काल सं० १८४४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४-४४ । प्राप्तिस्थान--दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । प्रशस्ति-सं. १८४४ का मासोत्तम मासे शुक्लपक्षे तिथी ७ भोभवासरे लिपीकृतं तुलाराम । शुभं भवत् पठनार्थ पंडित सेवकराम शुभं भवतु | ५१९८. प्रति सं०७। पत्रसं०१८ | प्रा० १०५ ४ इञ्च । ले. काल सं०१६ वेष्टन सं० २३७-६३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । प्रशस्ति-वत् १६४६ वर्षे मंत्र सुदि २ गुरु श्री मुलांचे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भ० रलकोति देवा त• मंडलाचार्य भ• थी जपाकोसिदेवा तत्पमा श्री मुणचन्द्र राजे तत्प? मंडलानार्य श्री जिनचन्द्र गुरुपदेशात् सागवाडा नगरे हुबह शातीय भागलीया व0 सित्र जी। ५१६६. प्रति सं० ८ । पत्र सं० २० । प्रा० ११४४ इञ्च । ले० काल सं० १५८७ पासोज दुदी १० । पुर्ण । वेष्टन सं० २४८। प्राप्ति स्थान दि० जैन प्रमबाल मन्दिर उदयपुर । ५२००. प्रति सं०६। पत्रसं० १५ । प्रा०६३x ६ इच। ले०काल सं० १८१४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ३१ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन सौगाणी मन्दिर करौली । ५२०१. प्रति सं०१०। पत्र सं० १ से ४६ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर डीग । Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोस ] [ ५३७ ५२०२. प्रतिसं० ११ । पत्रसं० ११ । प्रा० १२३ x ५३ | ते फाल x पूर्ण । वेष्टन सं० ७ । प्राप्ति स्थान- छोटा दि० जैन मंदिर बयाना | ५२०३. प्रतिसं०] १२ पत्रसं० १३० १०३ ५ इ सेकास X पूष्टन सं० ८ । प्राप्तिस्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बवाना | ५२०४. प्रति सं० १३ । पत्र सं० २४-३२ । भा० १२३४६इ ले० काल पूर्ण ।. बेटन सं० ६६ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर कामा । ५२०५. प्रति सं० १४ पत्र संख्या १३० १२५ ०काल x बेटन सं० २१३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। — । | ५२०६. प्रतिसं० १५ पत्र [सं०] १० प्रा० १५३ इस वे० काल सं० २०६६। वेष्टन सं० २१५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर | ५२०७ प्रतिसं० १६ । पत्रसं०] १५ । प्रा० १०५ इले०का सं० १६१६ घसोज सुदी ७ वेष्टन सं० २१७ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर विशेष पं० दूगर द्वार प्रतिलिपि की गई थी पं० डूंगरेगा। सम्वत् १६१६ वर्षे पाश्विन मुदी सप्तम्यां लिखितं प्रा० ५२०८. प्रति सं० १७ पत्र सं० १७ वेष्टन सं० २२ प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर दबलाना ९x४] इच ले०काल सं० १८१४ पूर्ण (बू दो) | ५२०६. प्रतिसं० १०० १६० ६३ x ५ इव । ले० काल सं० २०७५ पूर्ण वेष्टत सं० २४४ प्राप्ति स्थान- दि० जंग मन्दिर दबलाना बूंदी | ५२१०. प्रतिसं० १६ | पत्र सं० १८ | आ० १० X ४ इञ्च । ले० काल x । पूपं । वेष्टन सं० ३४३ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी | विशेष - मालपुरा में लिखा गया था। ५२११. प्रतिसं० २०० १५० १०३४५ इच ले०काल । पूर्ण नेष्टन सं० ५४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्रीमहावीर दी। ५२१२. प्रति सं० २१ । पत्र सं० १७ ॥ श्र० ९३ ९४ हश्व | ले० काल X | अपूर्णं । नेष्टन सं० ३६३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी हे०काल सं० १७५० ५२१३. प्रतिसं० २२ ० ४६-१०१ । मा० १०३४४ इख श्रावण बुदी ११ । अपूणं । वेष्टन सं० ८६ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर आदिनाथ बूंदी | ५२१४. प्रतिसं० २३ । पत्र सं० १२ १ ग्रा० X ४ इञ्च । ले० काल सं० १७३७ पूर्ण बेनसं० ९४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान, बूंदी | I विशेष – १०१०१७ वर्ष मासोतममासो पोषमासे कृष्णपक्षे सप्तनी तिथौ पुनाली पामे मुनि सुगा हवं पठन विद्या हणलेखिता । I ५२१५. प्रतिसं० २४३ पत्र सं० १ प्रा० ११४४ इच से० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरमली कोटा । Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२८ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ५२१६. प्रतिसं० २५ । पत्र [सं०] १३ ०कास X पूर्ण । तेन सं० २०२ प्राप्ति स्थान- दि० जैन चावती मन्दिर भरतपुर । ५२१७. प्रतिसं० २६ प [सं०] ३२३ प्राप्ति स्थान दि० जैन प्रति प्राचीन है । विशेष ५२१८ नाममाला - नन्वदास । पत्र सं० २० । भाषा हिन्दी | विषय - कोश | र० कान वेप्टन सं० ४६७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर x । लेखन काल सं० १८४६ । पूर्ण भरतपुर । ५२१६. नाममाला-हरिदत्त २१-३ विषय- कोश १० काम X जे० काल x पूर्गा वेष्टन सं० १०४ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगड फोटा ० ५० ० १०४०काल X यपूर्ण वेष्टन वाल मन्दिर उदयपुर । ―― ५२२० नाममाला - बनारसीदास पत्रसं० १ ० १२४५ इंच भाषा हिन्दी पद्य । ० १०६१ प्र० पंत बुंदी ५ पूर्ण विषय कोश २०काल सं० १६७० आसोज सुदी १० से० वेष्टन लं० १५५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर कशैली | ५२२१. प्रतिसं० २ | पत्रसं० १२ । ० १०५ इञ्च । ले० काल X 1 पू । वेष्टन सं० ११४ स्थान दि०जैन मन्दिर दौसा। विशेष - नाममाला तक पूर्ण है तथा अनेकार्थं माला अपूर्ण है । ५२२२. नामरत्नाकर X ० ६१ । मा० ६x४३ होम २० सं०] १७८६ ले०का X वेष्टन सं०] १७५ मन्दिर बजमेर | । पत्र सं० पूर्ण - ५२२३. नामलिंगानुशासन-प्रा० हेमचन्द्र संस्कृत विषय कोश १० काल X से ०कास X पूर्ण जैन मन्दिर अजमेर | ५२२५. नामलिगानुशासन वृति-- x संस्कृत विषय कोश | २० काल X | लेकालX खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । - च भाषा हिन्दी विषय३ । | - प्राप्ति स्थानम० दिन पत्र ०८६ वेष्टन सं० २४४ ५२२४. प्रति सं २ प ० १२० प्रा० १०३ ४१ इ वे० फाल X पूर्ण वेष्टन सं० १३९२ | प्राप्ति स्थानम० दिन मन्दिर अजमेर। या० १५६ भाषाप्राप्ति स्थान- भ० द० ० १३ । आ० १०x४३ पूर्ण वेष्टन सं० २ प्राप्ति स्थान भाषादि० जैन ५२२६. नामलिगानुशासन अमरसिंह पत्र [सं०] १४४ ० १२४५६' भाषा I संस्कृत विषय कोष । र० काल X | ले०काल सं० २००५ श्रासोज सुदी १४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ११५ । प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर जमेर विशेष कालाडेरा में साह दौलतराम ने श्री धनन्तकीर्ति के शिष्य उदपराम को भेंट में दी थी। ५२२७. प्रतिसं० २ । प० ११४ | श्र० ६ x ४ इञ्च । ले०काल सं० १८२७ वैशाख सुदी ३ पूर्ण वेष्टन ० १४५२ प्राप्ति स्थान- भ० वि० जैन मश्विर भजमेर। Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोश ] [ ५३६ विशेष-तृतीय खंड तक है। ५२२८. पारिपनीलिंगानुशासन वृत्ति-x1 पत्रसं० १६ । प्रा० १०६x४ हस! भाषा-संस्कृत । विषय-कोश । र० काल - । ले. काल सं० १६६ .......। पूर्ण । वेष्टन सं० २७१ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५२२६, मान मंजरी-नन्दवास पत्रसं०२० मा०४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयकोप। र०काल x 1 ले. काल सं. १८५६ । पर्ण । श्रेपन सं० ११ । प्राप्ति स्थान-वि जैन मन्दिर राजमहल टॉक। ५२३०. लिंगानुशासन (शम्द संकोरर्ण स्वरूप)-धनंजय । पत्र सं० २३ । भापा-संस्कृत । विषय-कोष । र०काल x 1 ले. काल X । अपूर्ण । बटन सं०८०:५६८ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-इति श्री धनंजयस्थ कतौ निघंटसमये शब्दांकीर्णस्वरूो निरूपणो द्वितीय परिद समाप्तः । मु. श्री कल्याण कीर्तिमिद पुस्तक । प्रति प्राचीन है। ५२३१. पर-xपत्र सं०१०। भाषा-संस्कृत। विषय-कोश । र०काल x।ले. काल - । पूर्ण । येन सं० ८१/५६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेर- प्रति प्राचीन है। लिपि मुक्ष्म है। पं० सुरचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी । सं० तेजपाल की पुस्तक है। ५२३२. वचन कोश - बुलाकोदाल । पत्र सं० २५२ । प्रा० १५१४४३ इछ 1 भाषा-हिन्दी (पञ्च) । विषय- को ग । र० काल सं० १७३७ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर श्रीमहावीर दी। ५२३३. प्रति सं० २ 1 पत्र सं० २८२ । प्रा. १४५१ इञ्च । लेकाल सं १८५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७१ - १११ । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ५२३४. वैदिक प्रयोग--xपत्र सं०१। आ६x४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय र०काल ४ । ले० काल स० १५५७ आषाढ वदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० ११७ । प्राप्ति स्थान - अग्रवाल दि जैन मंदिर अयपुर। विशेष पं. जेमा लिखितं । ५२३५. शब्दकोश--धर्मदास । पत्र सं० ६ । आ.६४६इश्च । भाषा - संस्कृत विषय - कोश । र० कास X । ले० काल x। पूर्ण । वेटन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष-प्रारम्भ-- सिद्धौपधानि भवदुःखमहागदानां, पुण्यात्मना परमकरसायनानि । प्रक्षालनक सनिलानि मतोमलानां, सिद्धोदने प्रवचनानि चिर जयन्ति ll Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४० ] [ प्रन्थ सूची पंचम माम ५२३६. शब्दानुशासनवृत्ति-x। पत्र सं० ५७ । प्रा० ११२४३१ इञ्च । भाषा-प्राकृतसंस्कृत । विषम व्याकरण । २०काल x । ले. काल । पूर्ण । वेष्टन सं० २११ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। ५२३७. शारदीयनाममाला-हर्षकीति । पत्र सं २५ । प्रा० १०x४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कोश । र० काल X । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं १३५४ । प्राप्ति स्थान-भट्ठारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। ५५३५, सिद्धांसरस शब्दानुशासन-x। प०३७ । आ. १०,४ ४१ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-कोश । र० काल ४ । ले० काल सं० १८८४ वैशाख बुदी ६ । पूर्स । वेष्टन सं० ६४० । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५२३६. हेमीनाममाला-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं० २-४१ । प्रा० १०३४४ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-कोश । र०काल X । ले. काल X। अपूर्ण । वेष्टन सं० १२८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बू'दी)। Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय--ज्योतिष, शकुन एवं निमित्त शास्त्र ५२४० अरहंत केवली पाशा-४ । पत्रसं० ६ । प्रा० x ५ इच। भाषा-संस्कृप्त । विषय-शकुन शास्त्र । र० काल ४ । ले. काल सं० १६७६ माष बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं १८८ । प्राप्ति सन-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ५२४१. अरहंत केवली पाशा-X । पत्र सं० ४१ । मा०८ ४ ६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-शकुन शास्त्र । र० काल ४ ले काल सं० १९१७ । पूर्ण । वेटन में० २६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर श्री महावीर दी। ५२४२. अरिष्टाध्याय-x। पत्रसं० ७ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषयज्योतिष । २० काल ४ । ले०काल x । वेष्टन सं० १३४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ५२४३. अष्टोत्तरीदशाकरण-X । पत्रसं० ४ । प्रा० १११४५, इश्च । भाषासंस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल' X । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ११२८ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। ५२४४. अहर्गरण विधि--४ । पत्र सं० २१ या११४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-ज्योतिष । र०काल ४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३० । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ५२४५. अगस्पर्शन- ४ । पत्रसं० १ । मा०६१४४३ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । २० काल X । ले०कास सं० १८१६ । वेष्टन सं० ३३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ५२४६. अंगविद्या-४ । पत्रसं०१। श. ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । र काल Xले.काल X । वेष्टन सं० ३२८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लश्कर जयपूर । ५२४७. नंतरदशावर्णन-। पत्रसं० १०-१५ । प्रा० १०४५६ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र०काल x 1 ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २५१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दबलाना बूदी)। ५२४८, प्राशाधर ज्योसिन थ-प्राशाघर । पत्र सं०२ । बा० १२x ४ इश्च । भाषासंस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल X Vलेकाल X । पूर्ण । ये० सं० १९४/५५२ 1 प्राप्ति स्थानसंभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष-यन्तिम भाग निम्न प्रकार हैं। आसीदृष्टि संनिहितादिवासी, श्रीमुद्गलो ब्रह्मविदांवरीष्टः । सस्यान्वयो बेद विदावरीष्ट श्रीभानुनामारविवत् प्रसिद्धः ॥१६॥ तस्योत्पन्नप्रथमतनयो विष्णुणामा मनीषी। वेदे शास्त्र प्रतिहसमतिस्तस्य पुत्री बभूवः । Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४२ ] [प्रन्थ सूची-पंचम भाग श्रीवत्सास्यो धनपतिरसौ कल्पवृक्षोपमान । तस्यैकोभूतं प्रवरतनयो रोहितास्यासविद्वान् ॥१७॥ तस्याह्यभूनुगणकाजभानु राशाधरो निरापदांबुरक्तः । सदोतमांग करते सन्चेदं चकार दैवज्ञ हिताय शास्त्र ।। इत्या शाघरोज्योतिग्रंथ समाप्तः । ५२४६. कष्ट विचार–x । पत्र सं०२ । प्रा० १११४५ इन्च । भाषा-हिन्दी। विषयज्योतिष । र० काल X । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०५१३ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर। विशेष—जिस वार को बीमार पडे उसका विचार दिया हया है । ५२५०. कालज्ञान-X । पत्र सं० १६ । प्रा० १०४७च । मापा-संस्कृत । विषमनिमित्त शास्त्र । र०काल ले. काल x । पुर्ण । वेष्टन सं० २१५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर राजमहल टोंक। विशेष प्रति सटीक है। ५२५१. कुतूहलरत्नावली-कल्याण । पत्र सं० ६ । श्रा०१२४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र. काल x | ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २१३/६५४ । प्राप्ति स्थानदि० जन सभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ५२५२. केशवी पद्धति--श्री केशव देवज्ञ । पत्र सं० ५२ । प्रा. ११ X ५१ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-ज्योतिष । र०काल - ले. काल X । पूर्ण । वेप्टन सं० २०३ । प्राप्ति स्थान—पश्विनाथ दि. जैन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा । ५२५३. प्रति सं० २ । पत्र सं. ६ ३ मा० १३ ४ ५ इञ्च । लेकाल सं० १९७८ चैत बुदि ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन 'पार्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। केवल प्रथम संग है। ५२५४. कोणसूची-x | पत्र ०२। आ०१२४ इञ्च । भाषा संस्कृति । विषयज्योतिष । २० काल x | लेकाल। अपूरणं । घेष्टन स. १६६/५५१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर। ५२५५. गरगपति मुहर्त-रावल गणपति । पत्रसं० १.७ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा - संस्कृत । सिंचय-योतिष । २० काल - । को काल सं० १८५१ पाषाड सुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२१ । प्रापित स्थान .. दिन मन्दिर दबलाना (पी)। . ५२५६. गणितनामनाला-हरिदास । पसं० ७ । श्रा० १०१ ४२ ईन्छ । भाषासंस्कृत । विषय-ज्योतिष । '१० काल X । लेकाल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थानदि० जन गांदर अभिनन्दन स्वामी; बूदी। विशेष -सूर्य ग्रह अधिकार तक है। . ५२५७. गमें मनोरमा - गर्गऋषि । पत्रसं०८ : प्रा०६४ ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय ज्योतिष । र०काल लेकालx । पुर्ण । वेष्टन सं०७। प्राप्ति स्थान --भ. दि.जैन मन्दिर अजमेर। Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निमित्त शास्त्र ] ५२५८. गर्भचयवृत-X । पत्रसं० १४ । प्रा० ११४४३ इच। भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २३२ । प्राप्ति स्थान-अग्रवाल दि जैन मन्दिर उदयपुर । ५२५६. गुण्यतित विचार-x। पत्र सं० ६ । या. ११४५ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय-ज्योतिष । र काल x । ले० काल X । पूर्ण । देष्टन सं० १००। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल टोंक। ५२६०, गौतम पृच्छा -४ । पत्र सं० १० । भाषा प्राकृल-संस्कृत । विषय-शकुन शास्त्र । रचना काल ४ । ले० काल सं० १७८० । पूर्ण। वेश्न सं० ५०३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर नरतपुर । ५२६१. ग्रहपंचवर्णन-xपघसं० २ । या० १०४५ च । भाषा-सस्कृत । विषय-ज्योतिष र०काल x 1 ले०काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० २०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दवलाना (दी) ५२६२. ग्रहभाव प्रकाश-४ । पत्र सं०५। प्रा० १३६ x ५'च । माषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र०काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १९८.५५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । ५२६३. ग्रहराशिफल--X । पत्र सं० २ । भाषा सस्कृत । विषय-ज्योतिष । र०काल ४ । ले० काल सं० १७६६ । पूर्ण । वेष्टम सं० १९५. ५५३ । प्राप्ति स्थान-समवनाथ दि० जन मदिर उदयपुर। ५२६४, ग्रहलाघव-गणेशदेवज्ञ । पत्र सं० २१ । प्रा. १० ४ ५ इञ्च । भाषासस्कृत । विषय-ज्योतिप । र०काल X । ने. काल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं० ६६३ । प्राप्ति स्थान--भ. दि जैन मदिर अजमेर1 ५२६५. प्रति सं० २। पत्र सं० १३ । ले. काल सं० १९३० । पूर्ण 1 वेष्टन सं० २७१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी विशेष-- पुस्तक डूगरसी की है । एक प्रति अपूर्ण और है। ५२६६. पहलायव- देवदत्त (केशव प्रात्मज)। पत्र सं० १३ । प्रा०x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय----ज्योतिष । २० काल x । ले०काल X । पूर्ण। वेष्टन संग १६८। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ इन्दरगढ़ । ५२६७. ग्रहलाघव-X । पत्रसं०१६ । प्रा० १.१४५३६च । भाषा-संस्कृत विषय--- ज्योतिष । र० काल x । ले०काल x । पूर्ण । वेपन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बू दी। ५२६८. प्रति सं० २-४ । पत्र सं० ३ । आ० ११३४५३ इञ्च । ले. काल X । वेष्टन स० ६८४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ५२६६. ग्रहणविचार--- । पत्र सं० २ मा० ११३ ४ ५१ च । भाषा-हिन्दी । विषयज्योतिष । का । ले० कालX । वेष्टन सं०६८३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मदिर लश्कर. जयपुर । Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૧૪૪ ] १२७०. चमत्कार चिंतामणी - नारायण पत्र सं० विषय- ज्योतिष | १० काल X 1 ले० काल X भाषा संस्कृत स्थान- मट्ठारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५२७२. चमत्कार चिन्तामणि X ! पत्रसं० ११ । संस्कृत विषय ज्योतिष २० का X | ने० काल X। वेष्टन सं० मन्दिर लस्कर जयपुर । ५२७३ प्रति सं० २ । पत्रसं० ६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ५२७१. प्रति सं० २ । प० । श्रा० X ४ इश्व । ले० काल सं० १८३४ मंगसिर सुदी ३। पू । न सं० १९९० प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर विशेष – अजयगढ़ में पं० गोपालदास ने प्रतिलिपि की थी। विशेष – विभिन्न राशियों का फल दिया हुआ है । ५२७५. चन्द्रावलोक ज्योतिष १० काल X ले० काल स्थान- म० दि० जैन मंदिर अजमेर । । X ११ पूर्ण ५२७४. चमत्कारफल - X | पत्र सं० ६ या० १०४५ इन्च भाषा – संस्कृत विषय। | -- ज्योतिष | बास X पूर्ण वेष्टन सं० २४ प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मन्दिर दबलाना (दी) ० ६४५ इञ्च । ले० काल X | पूर्ण | बेष्टन सं० २३ । ی [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग मा० ११३ X १३ इव । वेष्टन सं० २०६६ प्राप्ति आ० ११३४५ इक्ष्य भाषा२३ । प्रापि स्थान दि० जैन पत्र [सं० १२ । ० ६x४ ०१००६ कार्तिक बुदी २ पूर्ण ५२७९. चौघडिया निकालने की विधि - x 1 भाषा हिन्दी वियोतिष १० काल X लेकान X दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । पूर्ण इञ्च भाषा संस्कृत विषय - ] | नेष्टन सं० १४०२ प्राप्ति | ५२७६, प्रति सं० २ । पत्रसं० १ ११३ श्र० ११३६ इव । ले० काल X | वेष्टन सं ७०० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ५२७७. चन्द्रावलोक टीका-विश्वेसर अपरनाम गंगाभट्ट संस्कृत | विषय -ज्योतिष गुर० काल x 1 ले काल सं० १८२५ | पूर्ण पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष बलवन्त सिंह के राज्य में प्रतिलिपि हुई थी । पत्र सं० १२० भाषावेष्टन सं० ७६१ । प्राप्ति ५२७८. चन्द्रोदय विचार - X | पत्रसं० १ २७ । प्रा० ६५ ६न्छ । भाषा - हिन्दी । विषय ज्योतिष ए० काम ४ । ०काल X बेटन सं० २१ प्राप्ति स्थान दि० न wwm छोटा मंदिर बयाना | पत्र सं० ४ । प्रा० न सं० १३६ १० X ७ इन्च प्राप्ति स्थान ५२८०. छींक दोष निवारक विधि - x । पत्र सं० १ । । भाषा - हिन्दी | विषय - ज्योतिष | २० काल काल X पूर्ण वेष्टन सं० ६७३ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर | x । ० । भरतपुर । Page #606 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निमित्त शास्त्र ] [ ५४५ ५२८१. जन्मकुण्डलो-xपत्र सं०७! प्रा० १०४५३ च । भाषा-संस्कृत। विषयज्योतिष । र० काल-x। ले० काल ४ । पूर्ण। वेष्टन सं० ३६४-१४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर। ५२८२. जन्मकुण्डली ग्रह विचार-४। पत्र सं. १ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय.. - ज्योतिष । २० काल xले०काखX । पूर्ण । ये० सं०३६ । प्राप्ति स्थान -- खंडेलवाल दि. जैन मन्दिर उदयपुर । ५२८३. जन्म जातक चिन्ह-४ । पत्र सं०६ । ग्रा. ७.४६इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र काल X ।ले. काल सं० १९४६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३००। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पाश्वनाथ, चौगान दी। विशेष—सागवाडा का ग्राम सुदारा में प्रतिलिपि हुई थी। ५२८४. जन्मपत्री पद्धति--x। पत्रसं० ४ । प्रा. १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष 1 र. काल X । लेकालX । पूर्ण। येष्टनसं ७ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर आदिनाथ द्दी1 विशेष दयानन्द ने प्रतिलिपि की थी। ५२५५. जन्मपत्री पद्धति-x। पत्रसं०१० 1 प्रा०१०x४१ च । भाषा--संस्कृत । विषय -ज्योतिष । र०काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बोरराली कोटा । ५२८६. जातक-नीलकंठ । पत्र सं० ३६ । प्रा० १.४६ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय - ज्योतिष । र० काल x। लेकाल X पूर्ण। वेष्टन सं० २७७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बू'दी। ५२८७. जातकपद्धति–केशव देवश । पत्र सं० १६ । प्रा० ११३४४. इथे । भाषा-संस्कृत । विषम--ज्योतिष । र०कालx। ले. काल सं० १७८६ चैत सुदी पूर्ण । वेन सं. ६७४ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जन मन्दिर अजमेर । ५२८८. प्रति सं० २। पत्रसं० १४ । प्रा० १०३४४३ इञ्च 1 ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर ।। ५२८६. जातक संग्रह.---X । पत्रसं० ६ । प्रा.६x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- ज्योतिष । र०काल XI काल सं० १६४८ । पूर्ण । वेष्टन स० १४०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५२६०. जातकामरण ..द्विराज देवज्ञ। पत्र सं० ८३ । प्रा.८.४५ च । भाषासंस्कृत । विषय- ज्योतिष । २० काल x ।ले. काल सं. १८६ । पूर्ण । बेष्टन सं० १९८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी । विशेष-दूगरसीदास ने नेमिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। प्रथ का नाम जातकमाला भी है। Page #607 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४६] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग I ५२६१ प्रतिसं० २०५१ ० ११३४५३ इन्च ०काल सं० २००२ मंगसिर बुदी ३ । पूष्ट १६६ । प्रतिस्थान – दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) ५२६२. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० १३ । श्रा० १२x६६ । ले० काल सं० १८७६ भादवा बुद ११ पूर्ण वेष्टन सं० १९७ ५० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का 'गरपुर 1 ४३ इन्च भाषा संस्कृत विषयपूर्ण । विष्ट सं० १४०३ । प्राति ५२६३. जातकालंकार- ४ पत्र [सं० २७ मा० ई ज्योतिष | र७ काल × । ले० काल सं० १९०३ चैत सुदी स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर यजमेर। ५२६४. प्रति सं० २ पत्र [सं० २००५ १ । पूर्ण । ० सं० १०६६ । प्राप्ति स्थान - भ० द० जैन मंदिर अजमेर । ० सं० १९१६ सावन वृदी ५२९५ प्रतिसं० ३ | पत्र ० १४ | झा० ११३५ इव । ले० कास X पूर्ण वेटन सं० २४१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। 1 ५२६६. जोग विचार - X | पत्रसं० १९ । भाषा संस्कृत विषय ज्योतिष । २० काल X काल ४ । पूर्णं । वेष्टन सं० ३६७- १४२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर | ५२२७. ज्ञानलावणी.. X | पत्र सं० २-६ । श्र० १०४४ इव । भाषा संस्कृत । विषय-योतिष | २० काल X से० काल पुणे वेष्टन सं० ४५२ / २६३ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन संभवनाथ मन्दिर - ५२६८. ज्ञानस्वरोदय- चरनवास पत्र सं० १२ । ० ६x४ इंच । भाषा - संस्कृत | विषय- शकुन शास्त्र २० काल X ले० काल X वपूर्ण वेप्टन सं० ४४ प्राप्ति स्थान दि० जन मंदिर आदिनाथ स्वामी, मालपुरा (टोंक) -- ५२६६. ज्योतिविद्याफल - X पत्र० ३ भाषा-संस्कृत विषय ज्योतिष र०काल x | ले०काल X। पूर्णं । वेष्टन सं० १९६ / ५५४ प्राप्ति स्थान दि० जैन भवनाथ मन्दिर उदयपुर । ५३०० ज्योतिषग्रंथ भास्कराचार्य । पत्र सं० १२० १०४ इन्च भाषा संस्कृत विषय ज्योतिष र० काल X ते ०काल बेन सं० १६५ प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर मागदी बूंदी। ५३०१. प्रति सं० २ । पत्र सं ० ३३४२० । ० वेष्टन सं० १०१-४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष – ज्योतिषोत्पत्ति एवं प्रश्नोत्पत्ति प्रध्याय हैं । x ४३ इश्व । ले०काल० x । पूर्ण ५३०२. ज्योतिषग्रंथ XI पत्र [सं० ४ ० १०६ इच भाषा - हिन्दी विषयज्योतिष । २० काल X ले० काल X अंवेष्टन स० ३ प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंची मंदिर दोसा | - ५३०३. ज्योतिप्रथ- x ले० काल X। पूर्ण सं० १६५ पत्र सं० १६ । आ० ११ X ५ इंच | भाषा संस्कृत 1 प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ५३०४ प्रतिसं० २ ०२-१० बा० १०४ ४] इ ले काल X प्रपूर्ण वेष्टन सं० ४४ । प्राप्ति स्थान दिन प्रग्रवाल मन्दिर उदयपुर । Page #608 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निमित शास्त्र ] [५४७ ५३०५. ज्योतिषग्रन्थ भाषा-कायस्थ नत्थुराम । पत्रसं० ४० । आ० १२४६ इञ्च । भाषा--हिन्दी । विशेष- ज्योतिष । २० काल x | लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ... पाश्मिलाला---पोशष। पत्रसं० ७६ । प्रा० ८x५ इञ्च | भाषा-संस्कृत। विशेष-ज्योतिष २० काल X लेकाल सं० १८०९ । पूर्ण । वेष्टन सं०२२६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, दी। ५३०७. ज्योतिष रत्नमाला-श्रीपतिभट्ट । पत्र सं० ८ - २३ । प्रा० १०४५ इन्च । भाषासंस्कृत । विशेष-दोतिष । र०काल ४ । ले० काल - पुर्ण । वेष्टन सं०५१ प्राप्ति स्थान-दि० जंन मन्दिर आदिनाथ बूदी। विशेष-हिन्दी टीका सहित हैं। ५३०५, प्रति स०२ । पत्रसं० ११० । याx४, इच। ले०काल सं० १९४७ । पूर्ण । देवन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ५३०६. प्रति सं०३ । पत्र सं० ३२ । पाल १२४४१ इन्च । ले० काल सं० १७८१ माघ बुदी १३ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ बूदी। ५३१०. प्रति सं०४ । पत्र सं० ७४ | श्रा० १०१४५३ इच । ले० काल सं० १८४८ ज्येष्ठ सुटी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान --दि० जन मंदिर दबलागा (दी) विशेष--- प्रति हिन्दी टीका सहित है। ५३११. ज्योतिष रत्नमाला टोका-६० बेजा मूलकर्ता पं० श्रीपतिभट्ट । पत्र सं० ११६ । प्रा० ११.४५ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय ज्योतिष । १० काल ४ ले काल स० १५१६ । पूर्ण । वेष्टन सं. १३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर, आदिनाथ बू'दी। अन्तिम पुष्पिका · ज्योतिषरत्नमावाविप्रधरा श्रीपतिमध्येय तस्मासुटीका प्रकटार्थ युक्ता दिनमिमिवाइवाणवीजागोधात्रये धान्य इति प्रसिद्धो गोत्रयभूमाखिलशास्त्रवेला सोमेश्वर चं गुरु हस्तू वजा बालावबोध सचकार दीको । इति श्री श्रीपति भद्रा विनिता ज्योतिष पंडित वैजाकृत टीकायां प्रतिष्ट प्रकरणानि शर्त प्रकरण समाप्त । प्रशस्ति-संवत् १५१६ प्रवर्तमाने पटाद्वयोर्न मध्ये सोभन नाम संवत्सरे ।। संवत १६५१ वर्ष चत सुदी प्रतिपदा १ मंगलबार पानी कोटात मध्ये लिखितं अनजर राज्ये लिखित पारासर गोत्र पं० सेमचंद यात्मज पुत्र पठनाई मोहन लिखितं । ५३१२, ज्योतिष शास्त्र-हरिभवसूरि । पत्र सं० ५६ । प्रा० ११३ ४ ५१ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय-ज्योतिष । र० का X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६४ । प्राप्ति स्थानभ० दि जैन मन्दिर अजमेर । ५३१३. ज्योतिष शास्त्र-चितामरिण पंडिताचार्य । पत्र सं० २६ । प्रा. ११ ४७ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र०काल X । ले. काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ५०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का इगरपुर । Page #609 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४८ ] [ ग्रन्थ सूचो-पंचम भाग ५३१४. ज्योतिष शास्त्र-x। पत्र सं०१०। प्रा० १० x ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- ज्योतिष । र०काल X ।ले. काल x अगूर्ण। बे सं० १२४७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर अजमेर । ५३१५. ज्योतिष शास्त्र ४ । पत्र सं० १३ । ना० १०४४३ इञ्च । भाषा-संस्कुत । विषय -- ज्योतिष । र०काल xले काल - । पूर्ण । देष्टन सं. १११६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। ५३१६. ज्योतिष शास्त्र-xपत्रसं०६। प्रा. ९x४, ईच । भाषा--संस्कृत । विषय-- ज्योतिष । र०काल XI ले०काल xपुरणं। वेष्टन सं० १०६६ । प्राप्ति स्थान-10 दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५३१७, प्रति सं०२। पत्र सं०१६ । प्रा०६x४ इन्च । २० काल X । लेकालx अपूर्ण । वेष्टन सं० ४३६ । प्राप्ति स्थान--भ० दि जैन मन्दिर अजमेर। ५३१८. प्रतिसं०३ । पत्र सं० ११ । प्रा. ११४५१ इञ्च लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६१ । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर प्रजमेर । ५३१६. प्रति सं० ४। पत्र सं० १६ । प्रा०x४. इन्न । ले०काल सं० १९३१ धावाप सुदी । वेष्टन सं० ३३० . मा स्थान.--- . मंदि: ५। ५, 'पुर ! ५३२०. प्रति सं० ५। पत्र सं० ५। ग्रा. ११४४ इञ्च । लेकाल x | पुर्ण । वेष्टन सं० २६१ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि० जैन मंदिर उदयपुर । ५३२१. प्रतिसं०६। पत्र सं० ८ । आ.१०३४३ इञ्च । ले०काल सं. १८८५ काजी सूदी ४। पुर्ण । श्रेष्टन सं० ३०३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दवलाना व दी) । विशेष-२ प्रतियों का सम्मिश्रण है। नागढ़ नगर में प्रतिलिपि हुई थी। ५३२२. ज्योतिषसार-नारचन्द्र । पत्र सं० ७ । श्रा० ११४ ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र०काल ४ । ले. काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर नागदरी, दी। ५३२३. प्रतिसं०२। पत्र सं०१४ 1 या ११५ x ५ इञ्च । लेकाल x पूर्ण । वेष्टन सं० ११३१ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जन मन्दिर अजमेर । ५३२४. प्रति सं०३ । पत्र सं०७ । प्रा० ११४५. इश्च । लेकाल सं० १८१८ । पूर्ण । देष्टन सं० २०२ । प्राप्ति स्थान-.वि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ५३२५. ज्योतिष सारणी- 1 पर सं० २६ घा. १०.४५ देध । भाषा-संस्कृत। विषय-ज्योतिष। र कालxले. काल सं० १८८५ भादवा सुदी १२। पूर्ण । वेष्टनसं० १२३५ । प्राप्ति स्थान--भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५३२६. ज्योतिषसार संग्रह-मुंजादित्य । पत्रसं० १६ । प्रा० F X ३३ बच । भाषासंस्कृत | विषय-ज्योतिष । २० काल XI ले० काल सं० १५५० आषा सुदी २ । पूर्ण । वेपन सं० १४५३ । प्राप्ति स्थान- म०दि जैन मन्दिर अजमेर । Page #610 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष शकुन एवं निर्मित शास्त्र ] ५३२७. ताजिकसार हरिभद्रगरण पत्र सं० ४० विषय ज्योतिष २० काल X ० काल सं० १८५४ पूर्ण I / जैन मन्दिर बोरसी कोटा । - स्थान दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष दो प्रतियों का मिश्रण है । - ५३२८. प्रतिसं० २ । पत्र संख्या ३२ | ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २७६ | प्राप्ति - ५३२२. ताजिक प्रथ- नीलकंठ विषय-करोषि ९० काल X 1 ले० काल X अभिनन्दन स्वामी व दो । पत्र पूर्ण ५३३०. ताजिकासंकृति विद्याधर पत्र० १२ । विषय- ज्योतिष १० काल X ले० काल सं० १७६३ । पूर्ण जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ! विशेष दिवस दोपाल के पूरा थे। ५३३४. दिन प्रमाण ★ ज्योतिष | १० काल ले० का जयपुर | सं० २१ । प्रा०५ भाषा-संस्कृत वेष्टत सं० २९६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर [ ५४६ -- ० १२४५ इस भाषा - संस्कृत | वेष्टन सं० २४० प्राप्ति स्थान- दि० ५३३१. तिथिदीपकयन्त्र - X | पत्रसं० ६५ । विषय - गणित (ज्योतिष) । र०काल X | ले० काल x । पूर्ण जैन मन्दिर दवलाना (बूंदी) | ५३३२. तिथिसारिणी- पत्र सं० ११० १० * विषय-ज्योतिष २० काल X जे काल X पूपं वेटन सं० ६७३ मंदिर अजमेर | । ५३३३. विनचर्या गृहागम कुतूहल - भास्कर । पत्रसं० ७ भाषा-संस्कृत विषय ज्योतिष २० का X ले० काल स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर | X पूर्ण पत्र सं० १ प्रा० बैटन सं० २२६ ५३३५. घडिया मुहूर्त पत्रसं० ८ ज्योतिष र० काल से० काल सं० १०६३ श्रावण बुदी २ दि० जैन मन्दिर बलामा बूंदी। विशेष—इति श्री शिवा लिखित दुगडयो मुहूर्त्त । - ६ X ६ इश्व । भाषा संस्कृत । वेष्टन सं० २८० प्राप्ति स्थान - दि० आ० १०५ इन्च भाषा हिन्दी । | वेष्टन सं० २३ | प्राप्तिस्थान - दि० इश्व | भाषा-संस्कृत x ४३ इच प्राप्ति स्थान - भ० दि० जन श्र० १० X ४१ इञ्न । वेष्टन सं० ५४८ प्राप्ति १० x ४ इन्च भाषा संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर सरकार, ० ६४ ४ ५ वेष्टन सं० २०७ पूर्ण भाषा-संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान ५३३६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४ । ले० काल सं० १८२० श्रावण बुदी पूर्ण वेष्टन सं० २०६ प्राप्ति स्थान - ० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) | ५३३७. दीपावली । पत्रसं० २०१४ इञ्च भाषा - हिन्दी विषय ज्योतिष । २० काल X से काल सं० १८०३ जेठ सुखी १ पूर्ण वेष्टन सं० १७/२६४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। Page #611 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५० ] विशेष - साहीसेडा में लिखी गई थी । ५३३८. द्वादश राशि संक्रातिकल - X। संस्कृत विषय ज्योतिष १० का X वे० काल X दि० जंत मन्दिर कोटडियों का इंगरपुर । | । । ५३३६. द्विग्रह योगफल -- x | पत्र संख्या १ ० ११३ x ५ इ । भाषा-संस्कृत । विषय- ज्योतिष ५० काल x लेखन कात x पूर्ण वेष्टन सं० ३२५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लकर, जयपुर ५३४०. नरपति जयचर्या - नरपति | पत्र सं० ५३ ॥ भ० १०x४५ इ' । भाषा-संस्कृत विषय-ज्योतिष र काल सं० १५२३ चैत सुदी १४ मेन सं० ३५६-१३९ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । काल X पूर्ण ५३४२. नारबाद ज्योतिष-नारचन्द -नारचन्द संस्कृत विषय ज्योतिष । २० काल x । ले० काल स्थान-म० दि० जैन मन्दिर मजमेर 1 [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग पत्र सं० ७ । श्र० ११ ४४३ इञ्च । भाषापूर्ण वेन सं० ५०० प्राप्ति स्थान ५३४१. सामफल पत्र सं० २०१०४३ ज्योतिष | र० काल x । ले० काल x । वेष्टन सं० ३१७ प्राप्ति स्थान जयपुर। विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार हैसंवत् १३४७ वर्षे खास महाराजि श्री विभद्र जी जिइ २३४४. प्रति सं० ३ ६७५ | प्राप्ति स्थान- भ० दि० माया संस्कृत विषयदि० जैन मन्दिर लश्कर, ० १०३४४३ पत्र स० १४ । पत्र स० १४१ | भाषा१६४७ पूर्ण वेष्टन स ० १०६७ प्राप्ति सं० |· विदिदि० प्रति लोधी पातिसाह श्री अकबर बिजइराजे मेतामध्ये । पत्र सं० २३ ० १ जैन मन्दिर अजमेर । ५३४३. प्रतिसं०२१ पत्र सं० ३ । आ० १० X ४] एच 1 लेन्काल सं० १६६६ कार्तिक बुदी १३ । पूर्ण बेष्टन सं० १९२१ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । I ०फान X पूर्ण वेष्टनसं० | । ५३४५ प्रतिसं० ४ पत्र सं० २१ ले०का अपूर्ण वेष्टन ० ७६५ प्राप्ति स्थान दि०जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष – देवगढ़ में प्रतिलिपि हुई थी । ५३४६. प्रति सं० ५ ० २२ । ० १०३४५ इथ ले० कास । पूर्ण । देष्टन सं० १३८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) | 4 विशेष - एक पूर्ण प्रति और है । ० १० X ४ इन्च ० ५३४७ प्रति सं० ६ पत्र सं० २०७२ चेष्टन सं० ७६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर आदिनाथ बूंदी | विशेष प्रति सटीक है । ५३४८. प्रति सं० ७ पत्र सं० २२० x ४ इंच ले० काल सं० १७४६ फाल्गुन ७ । पूर्ण । येन स ० १६६ । प्राप्ति स्थान - पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ ( कोटा ) | अपूर्ण Page #612 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निर्मित शास्त्र ] [ ५५१ O ५२४६. प्रतिसं० ८ पत्र सं २ श्र० ११ ले० का ० १७१६ यासो सुडी १३.८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का इंगरपुर । पत्र सं ० १ १२० १०३+४३ ५३५०. निमित्तशास्त्रज्योतिष २० का ० नाल x मन्दिर लश्कर, जयपुर। ५३५१. नीलकंठ ज्योतिष- नीलकंठ विषय ज्योतिष र० काल X। ले० काल मन्दिर लश्कर जयपुर । ५३५२. नेमितिक शास्त्र सद्रबाहु पत्रसं० ५७ ० ११ ३४४ इन्च विषय- ज्योतिष । रकाल X। ते०काल सं० १९८० पचायती मन्दिर कामा ज्योतिष मंदिर कामा । नया रास्कृत अपूर्ण वेष्टन सं ० ७३३ प्राप्ति स्थान दि० जैन - टोडारायसिंह (टोंक) [सं० विशेष-सं० १९९६ का पूर्ण 1 ५३५३. पंचदशाक्षर-नारद पत्रसं०४ प्रा० २ X ४ इन्च भाषा संस्कृत विषयज्योतिष २० का X। ले० काल X। पूर्णे । येन सं० ७५० । प्राप्ति स्थानमट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर | ५३५४. पंचांग- ४ । पत्र सं० ५६ ० ११७ इंच भाषा संस्कृत विषय२० का X ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ७२ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती - ग्रा० ४ भाषा-संस्कृत । न ० ६७९ प्राप्ति स्थान दि० जैन भाषा-संस्कृत | टन सं० ३७ प्राप्ति स्थान दि० जन विशेष—० १९४६ से ४१ तक के है ४ प्रतियां है ५३५५. सं० १६६० पत्र सं० १२ ग्रा० १० ५३ इन्च भाषा संस्कृत विषमज्योतिष २० का X ० फाल X पूर्ण पेन सं० १६० प्राप्ति स्थान - दि०जैन मंदिर बोरसली कोटा । ५३५६. पंचाय–पत्र ०२ प्रा० X ६ इन्च २० काल X ले० काल x मटन ५४ प्राप्ति स्थान दि० Ju ५३५७. पंचाग - X ० १२०७६४५ इव भाषा - हिन्दी विषय ज्योतिष । र०काल X। ले० काल x पूर्ण बेष्टन सं० १५१ प्राप्ति स्थान दि० जैन । । मन्दिर नेमिनाथ पंचांग है । महाचन्द्र प० ६ ० X ३३ भाषा-संस्कृत ५३५८. पंचाशत् प्रश्न विषय ज्योतिष १० फान X ले० काल सं० १०२४ आसोज खुदी १४ पूर्ण वेष्टन सं० ४२३ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जंग मन्दिर अजमेर । ५३५६. पंवराह शुभाशुभ X पत्र सं० २०१३ X ४ ज्योतिष । र०काल X काल X वेष्टन सं० ३२२ प्राप्ति स्थान ४३६०. पत्यविचार - पत्र सं० ३ x । | ज्योतिष १० काल X सेकास X मन्दिर अजमेर | पूर्ण वेष्टन आ० = ० सं० २१० x भाषा संस्कृत विषय ज्योतिष । जैन तेरहवी मंदिर दौसा| - - भाषा संस्कृत विषय दि० जैन मन्दिरं बोरसी कोटा। ५ इन्च भाषा हिन्दी विषय | । प्राप्ति स्थानम० दि० जन Page #613 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५२ ] ५३६१. पय विचार - X | पत्रसं० २ ज्योतिष ए०कास X ले०काल x अपूर्ण वेष्टन सं० लश्कर, जयपुर | विशेष चित्र भी है। ५३६२. प्रति सं० २ । पत्र सं० २ । आ० ११X५ इश्व | ले० काल । पू । वेष्टन सं० ३१९ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ५३६३. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० १ । प्रा० ६ x ५ इव । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० २२१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। ज्योतिष २० का जैन मन्दिर अजमेर । — ५३६४, पाराशरी टीका -- x | पत्र सं० ७ । ० EX५ इश्व | भाषा-संस्कृत विषयपुन ०२४०२ प्रतिस्थान—बहारकीय दि० काल [ ग्रन्थ-सूची - पंचम ० ११ x ५ इन्च भाषा-संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर ३१५ ५३६५. पाशा केवली विषय- निर्मित शास्त्र । २० काल दि० जैन मन्दिर लम्कर, जयपुर। — गमुनि पत्र सं० २३ । बा० १०३८५३ इञ्च । भाषा संस्कृत x | से० काल सं० १८४३ पूर्ण वेष्टन सं० १३ प्राप्ति स्थान- विशेष-नेमिनाथ जिनालय लश्कर, जयपुर के मन्दिर में भालूराम ने प्रतिलिपि की थी। ले० काल सं० १६०१ ५३६६. - प्रति सं० २ । पत्र सं० १० प्रा० १०३ X ५ इञ्च पूष्ट ० ५३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लाकर जयपुर । भाग - ५३६७. प्रतिसं० ३। प० ११ १००x४३ इस सं० १३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । - ले०का X पूर्ण न ५३६८. प्रति सं० ४ ० ६ ० ४४४ इले० काल सं० १८२३ पूर्ण बेटन सं० १२३ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ५३६६. प्रति सं० ५ पत्र० १० से०काल x पूर्ण बेष्टमसं० २६-५५५ प्राप्ति स्थान- दि० जैन भवनाथ मंदिर उदयपुर । ५३७०. प्रति सं० ६ पत्रसं० पा० १४४ । ले०का पूर्ण न ० २८५ पपूर्ण प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसलो कोटा। I ५३७१. प्रतिसं० ७ । पत्रसं० १४ । ० १२४४ । ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसाली को | ५३७२. प्रति सं० पत्रसं० १६ | आ० ११४ ४३ इश्व । ले० काल सं० १८१७ प्रासोज सुदी २ पूर्ण वेव सं० १०/४५ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इंदरगढ़ (कोटा) - x । । । ५३७३. पाशाकेवली । पत्र सं० ४ पा० १० x ५ इन्च निमित्त शास्त्र । २० कान X ले० काल सं० १८२४ यो बुदी १४ पूर्ण । 1 श्रासोज । I प्रावि स्थान- भट्टारको दि० जैन मन्दिर बड़मेर। विशेष पंडित परमसुख ने चोमू नगर में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। भाषा संस्कृत विषय वेष्टन ० ११११ । सं० Page #614 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निमित शास्त्र ] [ ५५३ ५३७४. प्रति सं० २ । पत्रसं० १६ । लेकाल' सं० १९४७ पोप बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन स० १११२ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर । ५३७५. प्रतिसं०३। पत्र सं० १० । प्रा०९५४४ इञ्च । ले०काल सं० १९२८ आषाढ सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४४। प्राप्ति स्थान--भट्टारकीय दि जैन मंदिर अजमेर । ५३७६. प्रति सं०४. पत्र सं०६ । आज १२४५६ इञ्च । लेकाल स० १९३७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान –दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-६० जौहरीलाल मालपुरा वाले ने प्रतिलिपि की थी। ५३७७. प्रतिसं०५३ पत्र सं०.६ | प्रा० १०३४४१६। ले० काल सं० १८३३ । पूर्ण । वेष्टन सं. १६७ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ५३७८. प्रतिसं०६। पत्र सं. ८ । प्रा. ४५ इथ। ले०काल सं० ११११ । पुर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बूदी। ५३७६. प्रतिसं०७ । पत्रसं० १० । प्रा० १३ ४४१ इन । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. २६६-१०६ । प्राप्ति स्थान--दिस जन मन्दिर कोटडियों का एंगरपुर। ५३८०. प्रति सं० ८ । पत्रसं० २२ । प्रा. ११४४, इञ्च । ले० काल सं० १६६७ । पूर्ण । जीणं । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलबर । ५३८१. पाशावली भाषा-४ । पत्र सं० ४ । प्रा०६३ x ४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-निमित्त शास्त्र । र०कालले काल X ।पूरणं । वेष्टन सं०६३३ । प्राप्ति स्थान--म दिक जैन मन्दिर अजमेर। ५३०२. पाशाकेवली भाषा-X । पत्रसं० ६ । प्रा० ६४४ इञ्च । माषा-हिन्दी । विषयनिमित्त शास्त्र । रमाल X । ले०काल X । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १४२२ । प्राप्ति स्थान--भ दिन मन्दिर अजमेर । ५३८३. पाशाकेवलो भाषा। पत्रसं० ६ | भाषा-हिन्दी । विषय-निमित्त शास्त्र । २० काल । ले० काल सं० १९२६ । पर्ण । वेष्टमसं०४३० । प्राप्ति स्थान पंचायती दि० जैन मन्दिर भरतपुर। ५३८४. प्रतिसं०२। पत्रसं०१५ । लेकाल स० १८१३ । पूर्ण । वेश्नसं०४३१ । प्राप्ति स्थान–पचायती दिख जैन मन्दिर भरतपुर । विशेष --टोडा में लिपि हुई श्री। ५३८५. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २४ । ले०काल सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पचानती मन्दिर भरतपुर । ५३२६. पाशावली-x पत्र संख्या ११। ग्रा० ५X४ इन्च भाषा-हिन्दी । विषयनिमित्त शास्त्र । र० फाल x । ने काल X । पूर्ण । वेष्टन संख्या ४३ 1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन छोटा मंदिर बयाना। Page #615 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५४ ] [ ग्रन्थ सूची-पचम भाग ५३८७. पाशाकेवली-x। पत्र सं० ११ । प्रा०५१४४ इन्च । भाषा-हिन्दी विषयनिमित्त शास्त्र । र० काल xले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५२ । प्राप्ति स्थान---दि० जन छोटा मन्दिर बवाना। ५३८५, पाशाकेबली-। पत्रसं० ८ । प्रा० १०१ x ४ इन्च | भाषा-हिन्दी पच । विषय - शकुन शास्त्र । र०काल-x ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १६४। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर पारखनाथ चौगान दी। ५३८६. पाशाकेवली-x। पत्र सं० १२ । आ० x ५६च । भाषा-हिन्दी। विषय-ज्योतिष । र काल x। ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोड़ियों का हूगरपुर | ५३६०. पुरुषोत्पत्ति लक्षण--x । पत्र सं० १ । प्रा० १०. xv, इन । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष 1 र०काल X । ले० काल । वेष्टन सं० ११२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ५३६१. प्रश्नचूड़ामणि-X1 पत्र सं०२१ । प्रा० x ४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-ज्योतिष | २०काल x ।ले. काल सं० १९८३ चैत्र बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३०४ । प्राप्ति स्थान-म० दि जैन मन्दिर अजमेर । ५३६२. प्रश्नलार-४ । पत्र सं०१० । प्रा० १.४ ५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र०काल xले. काल X । पूर्ण । वेपन सं० १५९२ । प्राप्ति स्थान-भ दि० जन मन्दिर अजमेर। ५३६३. प्रश्नावली-श्री देवीनंद । पत्र सं०३ 1 आ० १२ x ५ इञ्च । भाषा--संस्कृत । विषय-शकून शास्त्र (ज्योतिष) । र कालXI ले०काल सं० १९२२ । पूर्ण 1 पेटन सं० ६२ 1 प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर अजमेर । ५३६४. प्रश्नावली-x 1 पत्रसं० १३ । भा०१०१४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषयनिमित्त शास्त्र । र०काल X ले०काल ४ । वेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर | ५३९५ प्रश्नोत्तरी-x। पत्र सं० ४ । ग्रा०६४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-शकुन शास्त्र । र०काल X1 ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) 1 विशेष पहिले प्रश्न किया गया है और बाद में उसका उत्तर भी लिख दिया गया है । इस प्रकार १६० प्रश्नों के उत्तर हैं। पत्रों के ऊपर की छोर की ओर पक्षियों के-मोर, बतक. उल्ल, खरगोश, तोता, कोयल आदि रूप में है। विभिन्न मण्डलों के चित्र हैं। ५३६.६. प्रश्न शास्त्रx | पण सं० १५ । प्रा० ११४ ५ इन्च । भाषा-संस्कृत। विषयज्योतिष । २०काल ले०काल सं. १६५० पौष मुदी। बेष्टन सं. ३२६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । Page #616 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निमित्त शास्त्र ] [ ५५५ ५३१७. बत्तीस लक्षण छप्पय-गंगादास । पत्रसं० २ । प्रा० १० x ५ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय शकुन शास्त्र । र०काल x | ले काल x। पूर्ण । वेपन सं० १७६-१७० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ५३६८. बसन्तराज टीका-महोपाध्याय श्री भानुचन्द्र गरिन् । पत्रसं० २०० । आ० १०१ ४५ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय शकुन शास्त्र । र काल x । ले. काल सं० १८५६ श्रावण बुदी ७ । वेष्टन सं० २५५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुरः । विशेष—प्रशस्ति-श्री शत्रु जयकरमोदनादि मुकृतकारि महोपाध्याय भानुचन्द्रगरिंग । विरचितायां बसनाराज टीकाय नथ प्रभायक कथन नाम विशतितमो वर्गः । ५३९६. बालबोध ज्योतिष - - । पपसं०१४ । प्रा. X४ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-ज्योति । 'र०काल X । ले०काल X । अपूर्ण । बैटन सं० ३९६-१४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भरपुर । ५४००. बालबोध--मुजादित्य । पत्रसं० १४ । प्रा. x५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र काल x ! ले० काल X1 पूर्ण । वेष्टन सं० १०६७ । प्राप्ति स्थान ---दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५४०१. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ११ । प्रा० ७: x ४१ इञ्च । ले. काल सं० १८२० । पूर्ण । वेहन सं० १७१ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। ५४०२. प्रति सं०३ । पत्रसं० १७ । प्रा० ६४६ इञ्च । लेकाल सं० १७९८ पासोज सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर दबलाना (दी)। विशेष-लिखितं छात्र विमल शिष्य वाली वाम' मध्ये । ५४०३. ब्रह्मतुल्यकररा-भास्कराचार्य । पत्र सं० १२ । मा० १.४ ४ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-ज्योतिष । रन्काल । ले. काल सं० १७४४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मदिर बोरमली कोटा। प्रशस्ति-संवत् १७४४ व चैत्र सुदी २ शनी लिखतं मगि नंदलाल मोडदेशे मुईनगर मध्ये पात्माथी लिखितं । ५४०४. भडलो--X । पत्रस० ५६ । डा. ६४४३ इंच । भाषा-सस्का । विषय-ज्योतिष । . र०कालx। लेकाल X। पूर्ण | बेटन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान--दि० जन छोटा मन्दिर बयाना । विशेष -भडली बात विचार है । ५४०५. भडली -- ४ । पत्र सं० १ । आरु ९४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-ज्योतिष । र०काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-३५ पद्य हैं। ५४०६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १२ । प्रा० १०१x६ इंच । २० काल X । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३२ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मन्दिर अजमेर । Page #617 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५४०७. भली-x पत्रसं० २२ ४२ । मा० ६x६ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषयज्योतिष । र०काल X । ने. काल स० १८३० भादवा बुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन भन्दिर रसली कोटा। ५४०८. भसली पुराण-- । पत्रसं० १३ । प्रा० ११३ - ६. इश्च । भाषा हिन्दी प० । विषय-ज्योतिष । २०काल X : ले. काल सं० १८५८ वैशाख बुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० १४२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ५४०६. भडलो वर्णन । पत्रसं० १६३ भाषा-हिन्दी । विषय X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २०५। प्राप्ति स्थान दि० जन पंचारती मंदिर भरतपुर । ५४१०. भडलीवाक्यपृच्छा-४ । पत्र० ४। या० १०.४५ च । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-ज्योतिष निमित्त । र. काल X| ले०काल सं. १६४४ पौष सदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३८७ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर। विशेष-लिखतं जोसी सूरदासु अजुन सुत । ५४११. भडली विचार-x। पत्र सं०६भा० ११x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयज्योतिष । र०कास ४ । ले० काल X! पूरणं । वेष्टन स० १४७-२५०। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारागसिंह (टोंक)। ५४१२. भरली विचार-x पत्रसं० ४० प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयज्योतिष । र.काल x । ले०काल सं० १८५७ । पूर्ण । ० स०२०१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर 'फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)' ५४१३. भइली विचार-x। पत्र सं०५। प्रा० १.४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी प० । विषयज्योतिष । Toकाल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन स० ५४५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर। ५४१४ भद्रबाहु संहिता-भद्रबाहु । पत्र स० १६ । प्रा० ६x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय- ज्योतिष । र०कालX लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन स १२०० । प्राप्ति स्थान-. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५४१५. प्रतिसं० २। पत्रसं० ६५ | प्रा. ८४६ । ले कालx। पूर्ण । वेष्टन स० ५२६ । प्राप्ति स्थान -भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५४१६. प्रति सं० ३। पत्र स'०६६ । प्रा० १२ x ६ इञ्च । ले०काल x । पूर्ण । बेष्टन सं. ५४३ 1 प्राप्ति स्थान दि० जेन मन्दिर लश्कर जयपुर । ५४१७. प्रतिसं०४। पत्र सं०६२। या० १३४५१ इन्च । ले०काल स० १८६९ श्रावण बदी १३ । पूर्ण । वेष्टन स ५५ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-रूपलाल जी ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि करवाई थी। २४१८. मावफल-X पत्र स०१५ आ० ११४४ इञ्च । भाषा-सस्कृत | विषय - ज्योतिष । र०काल ४ । लेकालस. १९६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६-११ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टौंक)। Page #618 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निमित शास्त्र ] [ ५५७ ५४१६. भाविसमय प्रकरण-पत्र सं. 5 | भाषा प्राकृत संस्कृत । विषय-X) रचना काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन स० ४६० । प्राप्ति स्थान---दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ५४२०. भुवनवीपक–पद्मप्रभसूरि । पत्र स० १४ । प्रा० १०४.४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र काल X 1 ले०काल स० १५६६ भादवा बुदी ६ । पूर्ण । टन स० १२४६ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार । ५४२१. प्रतिसं०२ पास १२ । ग्रा०१०x४१ इथ। ले० काल ४ । गणं । वेष्टन सं० ५। प्राप्ति स्थान- दि. जन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ५४२२. भुवन दीपक-X । पत्र सं० १.। या० १.१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । ५४२३. भुवनदीपक टीका---पत्र सं० १९ । प्रा. १०x४, इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बोरराली कोटा। ५४२४. भुवनदीपक वृत्ति-सिंहतिलक सूरि । पत्र सं० २५ । प्रा० १००x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--ज्योतिए । २० काल x। ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान—दि जन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष- रस युग गुणेन्दु वर्ष १३२६ शास्त्रे भुवनदीपके वृत्ति। युवराज दाटकादिह विशोध्य बीजापुरे लिखिता ॥१॥ ५४२५. भुवन विचार-X । पत्र सं० २ । सा० १०३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र०कालX । ले० काल XI पूर्ण । वेष्टन सं०५३। प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर खंडेलवाल उदयपुर। विशेष प्रति हिन्दी अर्थ सहित है। ५४२६. मकरंव (मध्यलग्न ज्योतिष)-४ । पत्र सं०६। भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र०कालXIले. काल x । पूर्ण । कृन सं०८६:५६२ । प्राप्ति स्थान–दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर। ५४२७. मुहूर्ताचतामरिण-निमल्ल । पत्र सं० २६ । प्रा० १०३४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र० काल X । ले०काल सं० १८७५ 1 पूर्ण । वेष्टन मं० १४४७ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५४२८. महतचितामणि-वैवज्ञराम । पत्र सं० ६७ । भा० ११४५ इन्च । भाषा-- संस्कृत 1 विषय-ज्योतिष । र काल सं० १६५७ । लेकास x | पूर्ण । वेष्टन सं. १९३1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। ५४२६. प्रति सं० २ । पत्रसं० १८ । प्रा० १३ x ६१ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ 1 प्राप्ति स्थान--उपरोक्त मन्दिर । Page #619 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५८ ] [प्रन्थ सूची-पंचम भाग ५४३०. प्रतिसं०३। पत्रसं०८५ । प्रा० १०३४५ इञ्च । ले०काल सं० १८५१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दबलाना (दी) २४३१. प्रतिसं ४, ५१० ५। ३४४३ इञ्च । लेकाल सं० १८७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २००। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्दनाथ इन्दरगढ़ । विशेष-संबत् १८७६ शाके १७४४ भासानाम मासोतम श्रावणमासे शुभे शुक्लपक्ष १ भृगुवासरे चिरंजीव सदासुख लिपिकृतं करवाराख्य शुभेनामे । ५४३२. प्रति सं०५। पत्र सं०७४ । प्रा० ७१४४, हन । ले० का सं० १८७८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३५:१२६ । प्राप्ति स्थान –दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । ५४३३. प्रति सं०६ । पत्र सं०६६ ! पा० ७१ x ४३ इञ्च । ले० काल - । अपूरणं । वेष्टन सं० ३३६ : १३० । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर । ५४३४, मुहतचितामरिण - - । पत्र सं९ १०३ । प्रा० १०४४३ । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । १० काल X । ले० काल सं० १८५५ ज्येष्ठ चुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १११५ । प्राप्तिस्थान-- भ. दि जैन मन्दिर, अजमेर। विशेष --मारणकचन्द ने किशनगढ़ में प्रतिलिपि की थी। ५४३५. प्रति सं० २। पत्रसं०३६ । ग्रा० ११४५ इञ्च । ले०काल XI अपूर्ण । वेष्टन सं० १४० । प्राप्ति स्थान-दि. ऊन मन्दिर राजमहल (टोंक) । ५४३६. प्रति सं०३। पत्र सं० ४० । ग्रा० ११.४५ इन्च । ले० काल x वेष्टम सं० ३२२॥ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर ! ५४३७, मुहूर्तपरोक्षा-४ । पत्र सं० २। प्रा० ११:४५ । भाषा-संस्कृत । ले. काल सं०१८१६ मगसिर । पूर्ण । वेष्टन सं०११२६ । प्राप्ति स्थान--.भ.दि० जैन मंदिर अजमेर । ५४३० तत्व-४ । पत्रसं० २ । भाषा-संस्कृस । विषय-ज्योतिष । र० कालx1 से० काल X । यपूर्ण । वेष्टन स. १६७.५४८ । प्राप्ति स्थान ---दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ५४३६. महन्मुक्तावली-परमहंस परिव्राजकाचार्य । पत्रसं० ७ । प्रा० ६x४६ इन्च । भाषा । सस्थत । विषय-ज्योतिष । २० काल - । ले० काल ५ । पर्ण । वेष्टन स०१४४८ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । ५४४० प्रति सं० २। पत्रसं० १० । ले. काल सं० १८७७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४५० । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५४४१. प्रति सं० ३ । पत्रसं० ११ । लेकाल सं० १८७७ । पूर्ण । बेष्टन सं० ४५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है तया नखनऊ में लिखी गई थी। ५४४२. प्रति सं० ४ 1 पत्रसं० १३ । आ० x ४ इञ्च । लेकाल सं० १८४८ । पूर्ण । वेष्टन सं०१६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) Page #620 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष शकुन एवं सनिमि शास्त्र ] ५४४३ प्रतिसं० ५ पत्रसं० ८ घा० १०४ ६इ ले०काल प्राप्ति स्थान दि० अंन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बूंदी [ ५५ पूर्ण वेष्टन सं० १७५ ५४४४ मत मुक्तावलि x ० १ प्रा० १०४ भाषा संस्कृत विषयज्योतिष । १० काल x | से० काल x । पूर्णं । वेष्टन सं० ३३५ प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ५४४५. मुहतं मुक्तावलि - पत्रसं० १२० १३४४३ भाषा संस्कृत विषय ज्योतिष र० काल x | लेकाल० १८५४ पूर्ण वेष्टन सं० २४७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ भीनान बूंदी। I - ५४४६ मुहूर्त मुक्तावलि - ज्योतिष र० काम x । सेवकाल ★ बोरसली कोटा । पत्र सं० १२० १२४ इस भाषा संस्कृतपूर्ण वेष्टन सं० ३४९ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ५४४७. मुहूर्त मुक्तावलि - x [सं०] ३७०८५ इन्च भाषा-संस्कृत विषयज्योतिष । २० काल X। ले० काल सं० १९२० प्रथम आषाढ सुदी १० पूर्ण वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर दबलाना (बुदी) I ५४४८. महत्तं विधि - ४ । पत्रसं० १७ । आ० ११४५ इंच । भाषा संस्कृत विषय ज्यातिष | र०काल x । ले०को पूर्ण वेष्टन सं० २१९ प्राप्ति स्थान दि० न मन्दिर राजमहल (टोंक) I विशेष-प्रति प्राचीन है । - ५४५०. मेघमाला -- शंकर पत्रसं० २१ ज्योतिष । ० X ० सं० १८६१ पूर्ण राजमहल (टोंक) - ५४४६ महास्त्र - X १० १०० १०३५ इ० x । लेकास सं १८८५ वेष्टन सं० १९७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष - विशालपुर में प्रतिलिपि हुई थी । श्र० १०३ X १३ । भाषा - संस्कृत विषयवेटन सं० ६६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर विशेष-प्रतिम प्रशस्ति निम्न प्रकार हैइति श्री शंकर मेघमालायां प्रथमोध्यायः ॥ इति श्री पार्वती सदा सरिता संपूर्ण मिति प्राषाढ शुक्ल पक्षे मंगलवारे सं १८६१ आदिनाथ चैत्यालये ८० पंडित चन्द की परते सुखजी साजी की सु उतारी है। - ५४५१ मेघमाला -- x 1 पत्र सं० 1 भाषा संस्कृत । विषम-ज्योतिष । २० काल X । ले-काल पूर्ण । वेष्टन सं० ४२२ १५६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर | ५४५२. मेघमाला ( भरली विचार ) -- x । पत्र० ६ १ ० ९४ ६श्व | भाषा-संस्कृत | विषय ज्योतिष र०काल ले० काल सं० २००२ प्रपूर्ण वेष्टन सं० १३४ प्राप्ति स्थान दि० जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ५४५३. मेघमाला प्रकरण - X पत्र सं० विषय - निमित्त शास्त्र । २० काल x । ले० काल x पूर्ण दि० जैन स भवनाथ मंदिर उदयपुर । १४ । ० १२४५ इव भाषा संस्कृ वेप्टन सं० २६२ - ५६३ । प्राप्ति स्थान Page #621 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-भडलीविचार जैसा है। ५४५४. योगमाला....x । पत्र सं० । ग्रा० १०x४ इन्च । भाषा-सस्कृत । विषय-- ज्योतिष । र० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दबलाना (दी) ५४५५. योगातिसार–भागीरथ कायस्य कानूगो । पत्र सं० ३५ । मा० १०४५ इन्च । भाषा हिन्दी । विषय -ज्योतिष । र० काल ४ । ले. काल सं. १८५० आसोज सुदी १ । पूर्ण । वे० सं० १११४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष --मन वित्तौडका देधा मा-या मोलाई मगर में प्रतिलिपि की थी। ५४५६. योगिनीदशा -X । पत्र सं० ६ | ग्रा० १११ x ५६ इन्च । भाषा- संस्कृत । विषयज्योतिष । र काल X ।ले. काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ११२६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। ५४५७. योगिनोदशा-४ । पत्रसं० ८ । प्रा०६६x४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र० काल x । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५४० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डुगरसुर। ५४५८. रत्न त्रुडामणि-४ । पत्र सं०७ । प्रा० ११३ ४४ इन्ध ! भाषा-संस्कृत । विषयज्योतष । सकल ले०काल ४ | पूर्ण । वेष्टन सं० २००-४६४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ५४५६. रत्नदीपक -- । पत्र सं० ११ । पा. १७३४४ ३ ३ । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र०काल X । लेकाल सं० १८७६ कातिक सुदी ७ । पूर्ण । वेहन सं २०१ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) ५४६०. रत्नदीप-x। पत्र सं०८ । प्रा.८.४६ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल ४ । ले०काल ४ । पूर्ण । वेहन सं०३१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) । ५०६२. रत्नदीपक--X: पत्र सं०७ । प्रा० १३४५ इच। भाषा--सस्कृत | विषयज्योतिष । २० काल ४ । ले०काल सं० १८५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर। ५४६२. प्रतिसं० २। पत्र सं०६ पा० ११ ४ ५ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३४१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दोरससी कोटा। ५४६२. प्रतिसं०३१ पत्र सं०७ । या. १७१-७१ च । लेकाल' X । अपूर्ण बेष्टन सं. १७ । प्राप्ति स्थान-दि० रैन मन्दिर दबलाना (दो) ५४६४. रत्नमाला-म पत्र स०५६ । प्रा. १०४४ इंच 1 भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । २० काब.X । ले० काल सं० १४८६ । पूर्ण। बेष्टन सं० ४७७ । प्राप्ति स्थान-दि. जन स भवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष अन्तिम पुष्पिका निम्न द्रकार है Page #622 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निमितशास्त्र ] [ ५६१ प्रशस्ति-स्वास्ति संवत् १४८६ वर्षे कार्तिक बुदी ११ एकादश्यां लियौ भौमवासरे अथेह खाजू रिक पुरे वास्तव्य भट्ट मेदपाटेशातीय ज्योतिषी कडूमात्मज रंगकेन यास वादादि समस्त प्राणां पठनाय नम शिशूनां पठनाय परोपकाराय रत्नमाल फलग्रन्थस्य भाष्य लिलेख । ५४६५. प्रति सं० २। पत्र सं० १३० । ले. काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ४७५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन स भवनाथ मन्दिर उदयपुर । ५४६६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १६-६ । प्रा० ११४५ इंच । ले. काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० २३० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) विशेष प्रति प्राचीन है। सधि के अन्त में निम्न प्रकार उल्लेख है शश्वद् वाट्यप्रमाणप्रवणपटुमतेः वेदवेदांगवेत्त : सूनुः श्री लूणिगस्याचुतः भरणरतिः श्री महादेवनामा तत् प्रोक्त रत्नमाला रुचिरविवरणे सज्जनानां भोजयानो दर्जनेन्द्रा प्रकरणमगमत् योग संज्ञा चतुर्थ । ५४६७. रमल-X । पत्रसं०३ । प्रा० १०४५१६च । भापा-हिन्दी । विषय- ज्योतिष । र० काल X । ले०काल स० १८७८ । पूछ । बेष्टन सं० १००० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। ५४६८. रमल प्रश्न--- पत्र सं० २ । भा०६x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र० काल x। ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ३२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ५४६६. रमल ज्ञान-x। पत्र सं० १९ । पा. १४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । २० काल ४ । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लकर, जयपुर। ५४७०, रमल प्रश्नतंत्र-दैवज्ञ चितामणि । पत्र सं० २३ 1 प्रा. ४५. हश्च । भाषासंस्कृत | विषय -ज्योतिष । र०काल x 1 ले०काल X । पूर्ण । बेपम सं० २१७। प्राप्ति स्थान -दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। ५४७१. रमलशकुनावली-x। पत्रसं० ५ । मा० १०४ ५ इच। भाषा - हिन्दी। विषय-ज्योतिष । र० काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्तिस्थान - दि० जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान बुदी। ५४७२. रमल शकुनावली-xपत्र सं० ७ । प्रा० ६१४४ इश्च । भाषा-हिन्द । विषय-ज्योतिष । र०कल x | लेकाल सं० १८५३ । पूर्ण । बैष्टन सं० ६०-४६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर कोटडियों का हंगरपुर । - अन्तिम-इति श्री मुसलमानी शकुनावली संपूर्ण । संवत् १८५३ का मिती चैत बुदी १२ सुखकीरत वाचनार्थ नगर मेलखेडा मध्ये । Page #623 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६२ ] [अन्य सूची-पंचम भाग ५४७३. रमल शास्त्र-x पत्र सं० ३५। प्रा०६:४७ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय - ज्योतिष । र काल X । ले०काल पं० १८६६ वैशाख बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१४ । प्राप्तिस्थानभट्टारकीय दि. जैन मदिर अजमेर। विशेष - लिखितं तिवाडी विद्याधरेन ठाकुर श्रीभ रुजक्सजी ठाकुर श्री रामबक्सजी राज्ये कलुग्वेडीमध्ये। ५४७४, रमलशास्त्र-x।पत्र सं० २५ । पा. १४४ इच। भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । र काल x 1 मे काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३३४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ५४७५. रमलशास्त्र - । पत्रसं० ४५ । प्रा. ११४ ७ इंच। भाषा - हिन्दी । विषयज्योतिष । २० काल X । ले०काल x 1 पूर्ण। वेष्टन सं० ५०४ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर कोटडियों का हुगरपुर । विशेष- --प्रश्नोत्तर के रूप में दिया इधा है। ५४७६. राजावली--X । पम सं० ११ । प्रा० १३४५१ इंच । भाषा---संस्कृत । विषयज्योतिष । र०कास x। ले०काल मं०१७२१ माघ मदी। पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। इति संवत्सर फलं समास । ५४७७. राजावली-x। पत्रसं० १६ । प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषय--- ज्योतिष । काल x | लेकाल सं० १८३८ श्रावण बुदी २ । पूर्ण । देष्टन सं० २३२ । प्राप्तिस्थान-दि. जन पार्श्वनाथ मन्दिर बन्दरगढ़ (कोटा) विशेष-इति षष्ठि ६०) संवत्सरनामानि । ५४७८. संवत्सर राजावलि-x1 पत्रसं० ५ । आ०६x४, इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - ज्योतिष । र०काल x | लेकालxपूर्ण । वेटनसं० ५४३ । x प्राप्तिस्थान- दिन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर। ५४७६. राहफल-X । पत्रसं० ६ । प्रा. १०x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष। र०काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३६ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीग दि० जैन मंदिर अजमेर। ५४५०. राशिफल ... X । पत्र सं० ५। पा.६४ ४ इन्च । भाषा संस्कृत । विषयज्योतिष । र०काल x ले. काल X । अपूरणं । मेष्टम सं० ३११ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । ५४८१. राशिफल-.x। पत्र सं० २। प्रा० १.४५ इञ्च । माथा-हिन्दी । विषयज्योतिष । र० काल x 1 ले०कास सं. १८१६ सावन सुदी ३। पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर दबलाना (दी)। Page #624 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निर्मित शास्त्र ] झा० १५५ ५४८२. लघुजातक भट्टोत्पलपत्र सं० ६-४५ विषय - ज्योतिष १० काश X ले० काल सं० १००६ भादवा सुदी ३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। ५४८३. लघुजातक प०६० ११३८४ भाषा-संस्कृत विषय ज्योतिष । । च । - र०काल X | ले० काल सं० १७१७ द्वि ज्येष्ठ सुदी ५ पूर्ण । वेष्टन सं० १९८६ । प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | ५४८४. लग्नचन्द्रिका - काशीनाथ पत्रसं० ३३ । आ० १० X ४ ३ ३ च पूर्णनेन स०६७ प्राप्ति स्थान विषय प्रयोनि०मा अभिनन्दन स्वामी दी। ५४८४ प्रतिसं० २। वेष्टन सं० २०८ प्राप्ति स्थान ५४०६. प्रतिसं० ३ पूर्ण वेष्टन सं० २३२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ददशाना (बुदी) | विशेष - गोठडा में प्रतिलिपि हुई थी । [ ५६३ भाषा संस्कृत इश्ध । । अपूर्ण बेटत सं ० १७६ ॥ ५४८७. प्रति सं० ४ वेन सं० २५२ प्राप्ति स्थान ५४८८. प्रति सं० ५ सं० ४८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) | पत्र [सं० ३२ । ० ३ x ४ इंच जे०का स० १८५२ पूर्ण । दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी। लषकर, जयपुर 1 पत्र ०५ ० ९३ x ४३ इले०का ६० १६७८ । । १ - पत्र [सं० ७४ ॥ श्र० १० X ४ इव । ले० काल x । अपूर्ण दि० जैन मन्दिर दबाना (बूंदी)। ५४६०. वयं तंत्र- नीलकंठ ज्योतिष | र काल X | ले० काल x मन्दिर अजमेर | । । भाषा - संस्कृत | दि० जैन मन्दिर पसं० २४ 1 भा० ११ X ५३ इश्व | लेकाल । पूर्ण वेष्टन ५४८६. प्रति सं० ६ । प० १२ | आ० ७३६६ इंच ले० काल X पुणं वेष्टन ० १६२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दबलाना (बूंदी) | । पूर्ण पूर्ण । च भाषा-संस्कृत विषय पत्र सं० ६ ० ११३५ वेटन सं० १०६२ बेटन सं० १०६२ प्राप्ति स्थानम० दि० जैन | पत्रसं० २ २ काल ४ वेष्टन ५४६३ वर्षफल - | ज्योतिष | र० काश X | ले काल X : मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ५४६४ वर्षभावफल - X ज्योतिष र०का x 1 ले० काल X | अजमेर 1 ५४६१. प्रतिसं० २०३६० १२X४ इस से० का ० १६५४ पूर्ण F वेष्टनसं० ३४२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ५४६२ वर्षफल - वामन विषय- ज्योतिष १० काल x - ० १० X ४३ इंच भाषा संस्कृत ०७१३ अपूर्ण प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर - I पत्र सं ० ६ । श्रा० ११३४५ इश्व | भाषा सस्कृत । विषयपूर्ण वेष्टन सं० १०७-१५० । प्राप्ति स्थान दि० जैन पत्र सं० २०९६४६ भाषा संस्कृत विषय1 ग्रा० इंच | | - । । । पूर्ण वेष्टन सं० ४०५ प्राप्ति स्थान भ० दि० जैन मंदिर Page #625 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६४ ] ५४६५. विवाह पडल- ४ ज्योतिष | र०काल X ते० काल स० १७१३ दि० जैन मंदिर उदयपुर विशेष - प्रत्रिम प्रशस्ति । इति श्री विवाह पडल ग्रंथ सम्पूर्ण शिक्षा मूर्ति विनवसागरे सबद १७२३ ५४६६. वृत्व संहिता - परम बिद्यराज पत्र सं० १४३ । ग्रा० ११ X ४३ इन्च भाषासंस्कृत विषय ज्योतिष २० का ० काल X पूर्ण वेष्टन स० २२० प्राप्ति स्थान 1 मंदिर ― पत्र स० २४ । या० १०४३ पूर्ण वेष्टन स ं० १५२ ५४६७. बृहज्जातक । पत्र ०१-१० आ० ११३४५ ३ च भाषा-संस्कृत विषयज्योतिष | २० काल × 1 ले० काल x । अप्पू । वेष्टन स े० ७०६ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ५४६८. वृहज्जातक - X। पत्रसं० ४२ । आ० ११ X ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय- ज्योतिष । र० काल X | ले० काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ३०२ । मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। प्राप्ति स्थान दि० जैन ५४६९. प्रतिसं० २ । पत्रसं०] १० मा० १०५ इ ते काल X अपू 1 वेष्टन सं० ३०३ | प्राप्ति स्थान उपरोक्त मन्दिर । । ५५००. बृहज्जातक (टीका ) - वराहमिहर पत्र भाषा संस्कृत विषय ज्योतिष २०काल X लेकर X स्थान- दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी ५५०१. शकुन दर्शन - X ज्योतिष (शकुन शास्त्र) र०काल छोटा मन्दिर बयाना । लिखिते सकल पडित शिरोमणि पं० श्री जसवंत सागर श्री महावीर प्रसादात् शुभं भवतु । व ५५०२. शकुनविचार - X शकुन शास्त्र Toकात X से० फाल x मन्दिर अजमेर | [ ग्रन्थ सूची- पन्चम भाग मा संस्कृतप्राप्ति स्थान खण्डेलवाल [ पत्र सं० १६ । शा ० ६x४ ६ से० काल x पूर्ण सं० १७ ५५०४. शकुन विचार- X र० काल X 1 ले०काल X पूर्ण भरतपुर । ०८० १२५५३ इव । पूर्ण वेटन सं० २९४ प्राप्ति पत्र० ३ ॥ वेष्टन सं० ७७१ I ० ५ ०६४ भाषा-संस्कृत विषय श्व । वेष्टन सं० १७५ प्राप्ति स्थानम० दि० जैन पूर्ण ५५०३. शकुन विचार - x । पत्र सं० १ । श्र० ११ x ५ इव । भाषा-संस्कृत विषय – ज्योतिष २० का X ले० काल X: वेष्टन सं० ६१९ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । । भाषा - हिन्दी | विषय - प्राप्ति स्थान दि० जैन P भाषा-संस्कृत | विषय - शकुन शास्त्र । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर ५५०५. शकुन विचार - X | पत्रसं० २ १०१ भाषा संस्कृत विषय - शकुन । २० काल X लै० काल X | अपूर्ण' । वेष्टन सं० ७०८ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #626 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निमित्त शास्त्र ] [ ५६५ ५५०६. शकुन विचार-x । पन्न सं० १ । भाषा-संस्कृत । विषय - ज्योतिष । र०काल x लखम काल X । पूर्या । वेषन सं० १६२/५५६ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि. जैन मन्दिर उपयपुर। विशेष- याचार्य श्री कल्याणकीति के शिष्य मुनि भुवनचद में प्रतिलिपि की थी। ५५०७. शकुम विचार-x । पत्र सं०३। प्रा०६४ ४ इच । भाषा: हिन्दी। विषय - ख्योतिस । र०काल - । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७०८ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीच दि० जैन मंदिर अजमेर। ५५०८. शकुन विचार-x1 पत्रसं० १२ १ मा १२६४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषयज्योतिष । र० काल - । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५०/२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर दुनी (टोंक)। ५५०६. शकुनावली राम स्वामी प्रा . १११४ इत्त ' भाषा-प्राकृत । संस्कृत । विषय-निमित्त शास्त्र र. काल X1 ले०काल x । वेष्टन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान --दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ५५१०. प्रति सं० २ । पत्रसं०३ । प्रा० ११४५६ञ्च । ले० काल X । वेष्टन सं० १३३ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर लश्कर जयगुर । ५५११. शकुनावली-X । पत्रसं० ६ । प्रा०६:४४, शश्च । भाषा-संस्कृन । विषयज्योतिष । र० कान X 1 ले०काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० २७०-१०६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का हूगरपुर । ५५१२, प्रतिसं० २। पत्रसं० ८ । आ० १०४७१ इञ्च । ले काल सं० १८८७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५४/१३६ । प्राप्ति स्थान–दि. जैन मंदिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ५५१३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४। प्रा० ४५ इञ्च । लेकाल सं० १८७५ । पूर्ण । वेष्टन सं. ४६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । ५५१४. शकुनावली-x। पत्र सं० १४१ मा० ११४५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषयज्योतिष । र० काल X 1 ले० काल सं० १९६२ चैत सुदी ११ । वेष्टन सं० ६३६ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ५५१५.. प्रतिसं० २। पत्रसं० १६ । प्रा० १०६४५ च । ले. काल । वेष्टन सं० ६४० । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मंदिर। ५५१६. प्रति सं०३ । पत्रसं० । पा० १०३४५ इश्च 1 से. काल X । वेष्टन सं० ६७१ । प्राप्ति स्थान --दि० जैन मन्दिर, लस्कर, जयपुर । ५५१७. प्रति सं०४ । पत्रसं० २। प्रा० १०३४५६ इञ्च । लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं. २०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ५५१८. । पत्रसं० ४ । या० ७४५ इञ्च । ले. काल सं० १८२० सावण बुधी । पूर्ण । वेष्टन सं० २०९ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। विशेष-गोटडा में प्रतिलिपि हुई थी। Page #627 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५५१६. शीघ्रबोध -- काशीनाथ । पत्रसं०८-२६ । प्रा० ३४५ च । भाषा-संस्कृत । विषय- ज्योतिष । र० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०३१ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मन्दिर अजमेर। ५५२०. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १० । प्रा० १०४४१ इञ्च । ले० काल ४ । पुणं । येष्टन सं० ४६० । प्राप्ति स्थान-मादि. जैन मन्दिर अजमेर । ५५२१. प्रति सं०३। पत्रसं० ३६ । प्रा० १०x४६ इन्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५४ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५५२२. प्रति सं० ४। पत्र सं० ४३ । मा० ६३४५६ इञ्च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष - गुटका साइज में है। ५५२३. प्रति सं०५ पत्रसं०५८ | प्रा.६x४. इन्न । ले. काल सं० १९८६ वैशाख बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं०९८८ । प्राप्ति स्थान-भदि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-किशनगढ़ में प्रतिलिगि हुई थी। ५५२४. प्रतिसं०६। पत्र सं०१५ । आ.६x४३ इञ्च । ले०काल १६०३ । पूर्ण। देशन तं० १११८ 1 प्राप्ति स्थान-भ.दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५५२५. प्रतिसं०७। पत्र सं० ३५ । प्रा. ११६४५ इञ्च । ले० काल X । वेपत सं० ३२४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ५५२६. प्रतिसं०८ । पत्र सं०८-६१ । प्रा०७४५३ च । ले काल X । अपूर्ण । येष्टन सं०७८ । प्रान्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर चेतनदास दीवान पुरानी डीग ।। ५५२७. प्रतिसं० ६ । पत्र भं० ५६ । आ० १३.४७, इञ्च । लेकाल सं० १८६० भाददा बुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं०७१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । विशेष—सा० नथमल के पठनार्थ बवाना में प्रतिलिपि की गई थी। ५५२८, प्रतिसं०१० पत्रसं०३६ । मा. १४४ इञ्च । ले. काल सं०१८४५ चैत्र शुक्ला ११ । पूर्ण । वेष्टन स. २४२ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर राजमहल (टीक)। ५५२६. प्रतिसं० ११। पत्र सं० ६६ ! या १४४ इव । ०काल सं० १८५५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर।। ५५३०. प्रति सं० १२ । पत्र मं० १३ । पा.८४५ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण 1 वेष्टन सं. २६० । प्राप्ति स्थान:-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, वूदी। ५५३१. प्रति सं०१३ । पत्रसं० ११ । ग्रा. १४५१ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. २४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। ५५३२. प्रतिसं०१४ । पत्रसं० ३० प्रा०x११ इञ्च। ले०काल सं० १८२० वैशाख मुदी ।। गर्श । देव सं० १६५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी। Page #628 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुम एवं निर्मित शास्त्र ] [ ५६७ ५५३३. प्रति सं० १५ प १५ । ० १०३ X ४३ इख से० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ७ प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा | विशेष- हिन्दी में टा टीका है । ५५३४. प्रति सं० १६ पत्र सं० २० प्रा० १०४४ इञ्च ०काल सं० १७४७ पूर्ण ० ३४८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसभी कोटा । ५५३५ प्रतिसं० १७ पत्रसं० १६ । ० १०४४ इव । ले०काल x 1 पूर्ण वेष्टन सं० ३५६ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना (बुदी) | ५५३६. प्रतिसं० १८० २३ ० ११४] इस ले० काम X पूर्ण वेष्टन ० ३०६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दबाना (बूंदी) | ५५३७ प्रतिसं० १६ । पत्र संख्या २१ । ग्रा० १०३ X ५३ इंच | ले० काल X। पूरणं । वेष्टन सं० २०६ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ 1 - ५५३८ प्रतिसं० २०। पत्र सं० २१-३२ । प्रा० ८३x४ इव । ले० काल X अप्पू । वेष्टन सं० २१६ - ६६ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूंगरपुर । ५५३६. षट्पंचाशिका - भट्टोत्पल । पत्रसं० ४ । प्र० ८४४१ इव । भाषा–संस्कृत | विषय ज्योतिष २० का ० १८५२ ० काल पूर्ण सं० १३०५ | प्राप्ति स्थान – ४० दि० जैन मंदिर अजमेर | ५५४० प्रतिसं० २०४० १२X४ इञ्च ले०का सं० १८२२ प्राषाढ ६२ पूर्ण वेटन सं० १९९१ प्राप्ति स्थान म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष प्रश्न भी दिये हैं। ५५४१. प्रतिसं० ३ । पत्र ० २२ । प्रा० x ४] इव ते० काल X। पूर्ण वेष्टन सं० १०७० प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष प्रति संस्कृत वृत्ति सहित है। - ५५४२. प्रति सं० ४ प ० २ ० ० १०३४४३ । ० काल X। बेष्टन ६० इञ्च । ७०४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लकर, जयपुर । ५५४३ प्रतिसं० ५ । पत्र सं० २ ० ११४५३ इ । ले०काल सं० १८२५ मंगसिर मुदी ७ | वेष्टन सं० २० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ५५४४ प्रतिसं० ६ सं० २०१०४ इले० काल । पूर्णे । येष्टन सं० ४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पोरसली कोटा । विशेष – शेरगड में पं० हीरावल ने लिखा था —- ५५४५. प्रतिसं० ७ पत्र सं० ८ ० १९६४५३ इंच ले० कास X पूर्ण वेष्टन सं० । श्रा । 1 । २०४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ इन्दरगद | विशेष लिखितं मुनि धर्म विमलेन सीमवाली नगर मध्ये मिती काशिक बुद्धी संवत् १७६० गुरुवासरे स Page #629 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ सुधी-चम HE ५५४६. षड्वर्ग फल- । पत्र सं० १३ । श्रा० ११३४५२ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २० काल x । लेकाल सं० १९०३ फागुण बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं०११२७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५५४७. षष्ठि योग प्रकरण-x। पत्र सं० ८ । आ०१०३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिप । र० काल ४ ।ले०काल X । वेष्टन सं० ३३२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। ५५४८. षष्ठिसंवतत्सरी-दुर्गदेव । पत्र सं० १३ । ग्रा० १.४४ इन्च । भाषा-संस्कृत, हिन्दी। दिषय-ज्योतिष । र काल x | ले. काल सं० १६६५ मंगसिर सुदी ११। पूर्ण । वेटन सं. १६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है १६६५ वर्षे मंगसिर सुदी १५ शनिवारे, मांडणा ग्रामे लिखवतां श्रीलक्ष्मीविमल गाणे । ५५४९. षष्ठि संवत्सरफल-x1 पत्रसं०२ । या०६x४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । २० काल x ले. बाल x। चेन सं. ३२७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लस्कर, जयपुर। ५५५०. सप्तवारघटी-x। पत्र सं० १५० । प्रा. ११४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय ज्योतिष (गणित)। र०काल ले. काल । पूर्ण । बेन सं० ३६४ । प्राणि दि जैन मंदिर बोरसली कोटा । ५५५१. समरसार-रामचन्द्र सोमराजा-पत्रसं०५। प्रा० १२४ ६ इञ्च । भाषासंस्कृत विषय-ज्योतिष । र० काल x। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १९७ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बदी। ५५५२. साठसंवत्सरी-४ । पत्र स०७ । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । १० काल x। ले० काल X । पूर्ग । वेटन सं०१७१२ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-संवत्सर के फलों का वर्णन है । प्रशस्ति निम्न प्रकार है सांवत् १७१२ वर्षे बैशाख बुदी १४ दिनोसागपत्तने श्री आदिनाथ चैत्वालवे ब्रह्म भीरारूयेग लिखि गमिदं । ५५५३. साठ संवत्सरी-४ । पत्र सं० २७ । प्रा० १०.४ ४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय--ज्योतिष । र०काल ४ ले०काल x पूर्ण । बेन सं. २२३-६१ । प्राप्ति स्थान-दिजैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष -संवत्सरी वर्णन दिया हुआ है । प्रति प्राचीन है । भ० विजयकौति जी की प्रति है । ५५५४. साठि संवत्सरी-X । पत्रसं०६ मा १०x४५ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय -- ज्योतिष । र०कालx० काल x। पूर्व । वेष्टन सं० ३८१-१४३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । Page #630 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निमित्त शास्त्र ] [ ५६६ ५५५५. साठ संवत्सरी-x। पत्रसं० ११ । भाषा-हिन्दी। विषय-ज्योतिष । र,० काल - । ले० काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ६८:५३४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ५५५६. साठिसंवत्सरी-- । पत्रसं०१० । ग्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-ज्योतिप । २० काल' x । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं०४७-xप्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डुगरपुर । ५५५७. प्रतिस०२। इत्र सं० ४ । आ० १२४७ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण | बेष्टन सं० ४८८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ५५५८. साठिसंवत्सरग्रहफल---पण्डित शिरोमणि । पत्र सं० २१ । आ० १२३४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- ज्योतिष । र० काल X। ले० काल XI बेष्टन सं० ६११ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ५५५९. सामुद्रिक शास्त्र-४ । पत्र सं० १० । ग्रा० १.१४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - लक्षण शास्त्र । २० काल X । ले०काल X। पूर्ण। वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान-भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर ।। विशेष-शरीर के प्रांगो पांगों को देखकर उनका फल निकालना । ५५६०. सामुद्रिक शास्त्र --X ६ ०.२] x ४इ । भाषा-संस्कृत । विषय-लक्षण शास्त्र । १० काल ५ । ले. काल सं० १६०२ भादवा बुदी ६। पूरणं । बे० सं०६७६ । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । ५५६१. सामुद्रिक शास्त्र--- । पत्रसं० ८। आ०११ x ४६ च । भाषा--हिन्दी विषय-लक्षण शास्त्र । र०काल X । ले० काल सं० १७६५ चैत्र । पूर्ण । वेष्टन सं० १०३६ । प्राप्ति स्थान-भ.दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५५६२. सामुद्रिक शास्त्र--- । पत्र सं० ५६ । प्रा. ८४४ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषयलशरण शास्त्र । २०काल X । लेकाल X । वेष्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन छोटा मन्दिर बयाना। विशेष-प्रति हिन्दी अर्थ सहित है। ५५६३. सामुद्रिक शास्त्र -४ । पत्रसं० २४ । आ०११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयलक्षण शास्त्र । र० काल x मे काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ११६४ । प्राप्ति स्थान-म दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५५६४. सारसंग्रह-४। पत्रसं० २.1 आ०६६x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत 1 विषयज्योतिष । २० काल X । ले० काल सं० १८९८ । पूर्ण । बेष्टन सं० १००२ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जन मन्दिर अजमेर । ४५६५. सिद्धांत शिरोमरिण-भास्कराचार्य । पत्रसं० ७ । या० १०४४ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय-ज्योतिष । र०काल X ।ले. काल । पूर्ण । वेष्टन सं०५४७ । प्राप्ति स्थान-भ० दिक जैन मंदिर अजमेर । Page #631 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७०1 [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग ५५६६. सूर्य ग्रहण- X । पत्र सं० १ । पा० x ५ इन्च भाषा-संस्कृत । विषय - ज्योतिष । र०का । ले. कान x पूर्ण । वेटर सं.५.१-४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर। ५५६७. संकटदशा-४ । पत्रसं०१०। प्रा० १०x४३ इञ्च । भाषा-सस्कृत। विषयज्योतिष । २० काल x । ले० काल सं १८२६ । पुर्ण । वेन सं०१-२८२ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर जैमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ५५६८. संवत्सर महात्म्य टीका-XI पत्रसं० | भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । र काल x । . काल X । अपूरणं । येष्टन सं०६६। प्राप्ति स्थान–सम्भवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर। विशेष-संवत्सर का पूर्ण विवरण है। ५५६६. संवत्सरी-x। पत्रसं०१७ | प्रा. ६x४ इश्च । भाषा-हिन्दी (गद्य)। विषयज्योतिष । र० का X । ले. काल सं० १९२४ ज्येष्ठ सुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। विशेष—सांवत् १७०१ रो १८०० तक के सौ वर्षों का फल दिया है। गोरडा ग्राम में साविमल के के शिष्य भाग्यविमल ने प्रतिलिपि की थी। ५५७०. स्त्री जन्म कुडली-x। परसं० १ । आ० १० ४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--- ज्योतिष । र०काल X । ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन रा २३६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर गोरसली कांटा। ५५७१. स्वर विचार-X । पत्रसं० २ । प्रा० ११४५३ इश्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-निमित्त शास्त्र । र० काल x ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान दि० जन पंचायती मन्दिर बयाना। ५५७२. स्वप्न विचार - पत्र सं० १ । प्रा० १३४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय - निमित्त शास्त्र । र०काल X । लेकालxपूरी । वेष्टन सं० २००। प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष-स्वप्न के फलों का वर्णेन है। ५५७३. स्वप्नसती टीका-गोवर्द्धनाचार्य। पत्रसं० २६५ । प्रा०x४ इच। भाषासस्कृत । विषय-निमित्त शास्त्र । र०काल ४ ले०काल सं० १६८० पौष सुदी २ पूर्ण । वेष्टन सं० २६४ । प्राप्ति स्थान---वि जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ५५७४. स्वप्नाध्याय-X । पत्रसं०५। ठा०६४ ४ इञ्च । भाषा-संस्थत । विषय---- निमित्त शास्त्र । र० काल XI ले०काल सं. १८६८ पौष बुदी ६ । पूस्यं । वेष्टन सं०३६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन छोटा मंदिर बयाना। विशेष-धयाना में प्रतिलिपि हुई थी। ५५७५. स्वप्नाध्यायो-४ । पत्ररां० २-४। ग्रा०११४४ इञ्च । -भाषा-संस्कृत । विषयनिमित्त शास्त्र । १० साल X । ले. काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं०२१६/६४६ । प्राप्ति स्थान--दि० जन संभवनाथ मंदिर उदयगुर। Page #632 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष, शकुन एवं निमित शास्त्र ] १ ५५७६. स्वप्नाध्यायो-- । पर सं० ११ : प्रा० x ४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयनिमित्त शास्त्र । र०काल X । ले०काल XI पूर्ण । घेष्टन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बू दो। विशेष-१४६ श्लोक हैं। ५५७७. स्वप्नावली-........ । पत्र सं० २१ । प्रा० १० x ५१ इञ्च । भाषा-संस्कृति । विषय-निमित्त शास्त्र । २० कालX । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ५५७८. स्वप्नावली--X । पत्रसं० ३ । मा०१०४५३ इञ्च। भाषा-सस्कृत । विषयनिमित्त शास्त्र । र०काल X । ले० काल - । पूर्ण । वे० सं० १७३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ५५७६. स्वरोदय--। पत्रसं०८ | प्रा .-४ इञ्च। भाषा-संस्कृत। विषय निमित्त शास्त्र । २० काल x। ले०काल x | पुरा । वेष्टम स०१४२३ । प्रान्ति स्थान--महारफीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-नारिका के स्वरों संबंधी ज्ञान का विषय है। ५५८०. स्वरोदय-x। पत्र सं० ५। प्रा० ११:४४ इक्ष । भाषा-संस्कृत । विषयनिमित्त शास्त्र । र०काल X । ले०काल सं० १७८५ बैशाख सुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०५८ । प्राप्ति स्थान--भ. दि. जैन मंदिर अजमेर । ५५८१. स्वरोदय टोका-४ । पत्र सं० २७ । आ० ११३ ४ ५ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-निमित्त शास्त्र । र०काल X || ले. काल सं० १८०८ बंशाख बुदी १४ । पूर्ण । घेष्टनसं० २४१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बू'दी । ५५८२. स्वरोदय –X । पत्र सं० १८ । प्रा० १०x४३ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय--- निमित्त शास्त्र । २०काल x ! ले० काल x। पूर्ण । वेधन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दलाना (दी)। ५५८३ स्वरोदय --- X । पत्र सं० १८ । प्रा० ३४३३ श्च । भाषा... सरकृत । विषयनिमित्त शास्त्रारकालX ले० काल सं० १७१५ अगहन बुदी १३ । अपुर्ण । देष्टन सं०७१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर दबलाना (दी) 1 विशेष --१२ से १७ पत्र नहीं हैं । पयन विजय नामक मंथ से लिया गया है । ५५८४. स्वरोबय-४ । पत्रसं०३२ । प्रा०२x६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयनिमित्त शास्त्र । र०कालX । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० २३.०६२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का टूगरपुर। ५५८५. स्वरोदय-X । पत्र सं० २७ । प्रा०७:४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-निमित्त शास्त्र । र० काल ४ । लेकाल सं १९०५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२४-१२२ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मंदिर कोटडिवों का हंगरपुर । इति पवनविजयशास्त्र ईश्वर पार्वती संवादे तस्य भेद स्वरोदय संपूर्ण ।। Page #633 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५५८६. स्वरोदय-मुनि कपूर चन्द । पत्रसं० २७ । प्रा० ८४४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-निमित्त शास्त्र। र०काल X । लेकाल सं० १९२३ चैत सूदी। पूर्ण । वेष्टन सं०७३८ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष- कृष्ण असाही दशम दिन शुक्रवार सुखकार । संवत वरण निपुग्णता नंदचंद धार । ५५८७, स्वरोदय-चरपदास । पत्र सं० १५ । आ. Lax६१ इञ्च । भाषा-हिन्दी (प) । विषय-निमित्तज्ञान । र०काल x | ले. काल सं० १९२५ । पूर्ण । वेटन मं० ३३८ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर दबलाना ('दी)। विशेष-राजीत के शिष्य चरणक्षस दूसर जासि के थे। ये पहिले दिल्ली में रहे थे। गोरीलाल ब्राह्मण दबलाना वाले ने प्रतिलिपि की थी। ५५८. स्वोरदय-प्रहलाद । पत्र सं० १४ । प्रा०EX४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयनिमित्त शास्त्र । र काल Xले. काल सं १८५६ । पूर्ण । वेष्टन स० ३३९ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) । विशेष-जती दूदा ने यात्रा में प्रतिलिपि की थी। पादित भाग निम्न प्रकार हैआदिभाग गज बदन मुक्रमाल सुन्दर त्रिय नयण । एक मुख दंत कर पर सकल माला। मोदक संघ सो वाहारग। सूपये ससि सुस्वर सुल पारणी। सुर सर जटा साखा मुकी कंठ । अरबंग गोर गजबालगो देवो कुण्ड सुभवाणी। अन्तिम-पाठक देत बखानी भाषा मन पवना जिहि दिढ करि राखौ। परम तत्व प्रहलाद प्रकास जनम जनम के तिमिर विनारी । पढ़े सुने सो मुकत कहाव गुरु के चरण कमल सिरनार्थ ।। ऐसा मंत्र तंत्र जग नाही जैसा ज्ञान सरोदा मांही । दोहामिसर पाठक के कहे पाई जीवन मूल । मणमूल जीव तह सदा अनुकूल । इति श्री पवनजय सरोदा नच। राप्रकाश--x पप सं०८ | भाषा-संस्कृत विषय-ज्योतिष । २०काल x। ले. काल सं० १९१४ । पूर्ण । प्रारित स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों काढूंगरपूर। ५५६०. होरामकरंद--४ । पत्र सं०५८ । श्रा०X४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषयज्योतिष। र०काल ४ । ले०कास र । पूर्ण । वेष्टन सं० १००५ । प्राप्ति स्थान-म० वि० जैन मन्दिर अजमेर। ५५६१. होरामकरंह-गुणाकर । पत्र सं०४६ | भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । २०काल । ले काल x | अपूर्ण । बेष्टनसं० ११७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । Page #634 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय - आयुर्वेद ५५६२. प्रजी मंजरी - न्यामतर्खा । पत्रसं० १२ । ० १२४ ६ इन्च । भाषा - हिन्दी । विषय - आयुर्वेद । २०काल सं० १७०४ । ले० काल सं० १८२३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३३ | प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर अजमेर | विशेष- कृति का अंतिम पाठ निम्न प्रकार है संवत् सतरंसी चतुर परिवा अगहन मास । संपूर्ण ममरेज कहि कह्यो प्रजी नाम ॥६८॥ सब देसन में मुकुटमणि बागडबेस विख्यात है सहर फतेपुर प्रतिसए परसिद्धि प्रति विख्यात ॥६॥ क्यामखान को राज जहां दाता सूर सुज्ञान । न्यामतखां न्यामते निपुण धर्मी दाता जान ॥ १००॥ तिनि यह 'कीयो ग्रंथ प्रति उति जुवित परधान । प्रजी तास यह नाम धरि पढ़ें जो पंडित आनि ॥ १०१ ॥ वैयकशास्त्र कौं देखि करी नित यह कौयाँ बयान | पर उपकार के कारण मो यह ग्रंथ सुखदान ॥ १०२ ॥ पर उपगार को सुगम कीयो मोरू महीधरराज । तालगि पुस्ता थिर रहै सदा इति श्री जी नाम य संपूर्ण । सं० १०२३ वैशाख बुँदी है। लिखतं नगराज महाजन पठनार्थं । जि महाराज ॥१०३॥ ५५६३. अमृतमंजरी -- काशीराज । पत्र सं० ४ ० ११३४५ इञ्च । भाषा संस्कृत ॥ विषय- आयुर्वेद | र०काल X | ले० काल x । पूर्ण वैष्टन सं० ४३२ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | विशेष -- हरिदुर्गे (किशनगढ़) मध्ये श्री चन्द्रग्रम चैत्यालये । ५५६४ प्रतिसं० २ । पत्रसं० ४ । ग्रा० ६x४ इ । ले० काल X। पूर्ण । नेष्टन सं० २०८८४ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर | ५५६५. अमृतसागर - महाराजा सवाई प्रतापसिंह । पत्रसं० २३१ । आ० मई X५३ इश्व । भाषा - हिन्दी पथ | विषय - आयुर्वेद । L र० काल X। ले० काल ४ । पूर्ण वेष्टन सं० १० ८ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटडियों का इंगरपुर । ५५६६. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १४ | आ० १०४ ६ ३० । ० काल x 1 पूर्ण वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी | विशेष स्त्रियों के प्रदर रोग के लक्षण तथा चिकित्सा दी है । ५५६७ प्रतिसं० ३ | पत्र सं० १६४ | प्रा० ८३X६ इव । ले० काल सं० ५४२ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । x पूर्ण । वेष्टन Page #635 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-अमृतसागर नथ में से निम्न प्रकरण हैं। अजीर्ण रोग प्रमेह रोग चौरासी प्रकार की वाय, रक्त पित्त रोग । ज्वर लक्षरण, शल्य चिकित्सा, प्रतीसार रोग, सुदरोग, वाजीकरण, अदि। ५५६८. प्रति सं०४ । पत्र सं० २६८ ! आ० १३४६ इंच 1 ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटयों का नेगबा । विशेष-पत्र सं० २६८ से आगे के पत्र नहीं है। ५५६६. प्रति सं. ५। पत्रसं० २८७ । प्रा० १२४७ इञ्च । ले. काल सं० १६०५ चैत बुदी ३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खण्डेलवाल पंचायती मंदिर अलवर । विशेष-मथ में २५ तरंग (अध्याय) है जिनमें प्रायुर्वेद के विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला गया है। ५६००. अवधूत-X । पत्र सं० १३ । मा० १०x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयअायुर्वेद । २०काल ४ ! ले. काल ४ । पूरर्ष 1 वेष्टन सं० १८०। प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ५६०१. प्रांख के तेरह वोष वर्णन- ४ । पत्र सं० ६ । पा० ६ ४ ६ इन्च । भाषाहिन्दी । म -आयुर्वेद । ८० कल ८ X । पूर्ण 1 वेष्टन सं० २०५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना बूदी)। विशेष--गुटकाकार है। तीसरे पत्र से आयुर्वेद के अन्य मुस्खे भी हैं। दिनका विचार चौघडिया भी है। ५६०२. श्रात्मप्रकाश--ग्रास्माराम । पत्र सं० १५० । प्रा० १३१x६ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-ग्रायुर्वेद । र०काल X । ले. काल सं० १९१२ बैशाख सुभी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२० । प्राप्ति स्थान-दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा)। ५६०३. प्रायुर्वेद ग्रंथ-x। पत्र सं० ३५ । प्रा० ११६ x ५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ग्रायुर्वेद । र०काल ४ । खखन काल । अपूर्ण । वे० सं० २१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दबलाना (दो)। ५६०४. प्रायुर्वेद ग्रंथ-x। पत्र स०६८ । अर० x ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयपायर्वेद। रकाल' । ले. काल x अपूसरी व० सं० २७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दबलानर (बू दी)। विशेष-प्रायुर्वेद के नुस्खे हैं । ५६०५ 1-पत्रसं० १ । भाषा संस्कृत | विषय-वंद्यक । रचना काल ४ । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ७६२ 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ५६०६, आयुर्वेद ग्रंथ-५ । पत्र सं० २३ । मा० १०४४ इच । भाषा-संस्कृत । विषयआपदा र काल x | ले. काल X । प्रणं । वेष्टन सं० १७०-१७६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिह (टोंक) ५६०७, प्रायुर्वेद ग्थ-X । पत्र सं० १६ । मा० १० x ४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पायुर्वेद । र०काल - । ले० काल X । अपूर्ण । वेपन सं० ४५/- प्राप्ति स्थान–अग्रवाल दि. जैन मन्दिर उदयपुर । Page #636 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रायुर्वेद ] [५७५ विशेष-बेन सं. ८ में समयसारनाटक एवं पूजादि के फुटकर पर हैं। ५६०८. प्रायुर्वेद नथ-४ । पत्रसं० ८७ । पा० ६३४४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयश्रायुर्थेद । र०कास x | लेकाल X 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० १७३० । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५६०६. आयुर्वेद के नुस्खे ४ । पत्र शं० १६ । प्रा० ११३ x ५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-अायुर्वेद । र.काल x 1 ले०काल ४ । वेटन सं० ८१४ । अपूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। विशेष—पत्र फुटकर हैं। ५६१०. आयुर्वेद के नुस्खे- ४ । पत्र सं० ८ । आs७X६ इञ्च !. भाषा-हिन्दी । विषय - प्रायवेट । र बाल ले. काल x। पयां । वेष्टन सं०१८ । प्राप्ति स्थान-- दिन मन्दिर राजमहल (टोंक)। ५६११. श्रायुर्वेद निदान- ४ । पत्रसं० २२ । आ० ११४४६ इत्र । भाषा-संस्कृाल । विषय---प्रायुर्वेद । र० काल X । ले० काल x 1 अपूर्ण । देष्टन सं० ५४६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर कोटडियों का हूगरपुर। ५६१२. आयुर्वेदमहोदधि-सुखदेव । पत्रसं० ४०३ ! भाषा- संस्कृत । विषय - यायुर्वेद । र० काल X । ले० काल सं० १८८८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४०३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर। ५६१३. आयुर्वेदिक शास्त्र- X । पत्र सं० ८४ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी ग० । विषय-प्रायुर्वेद । २० काल X । ले० काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं०५६ । प्राप्ति स्थान-विजन मन्दिर नागदी बुदी। ५६१४. औषधि विधि-- ४ । पत्र सं० ४-२४ । प्रा० ६x४३ इञ्च । भाषा - हि दी । विषय-ग्रायुर्वेद । र काल XI ले०काल सं० १७६३ मादवा सुदी २ । अपूर्या । देवन सं० ३५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दंबलाना (बूदी)। ५६१५. ऋतुचर्या-बागभट्ट । पत्रसं०८ । पा० ११४६३ इच। भाषा-संस्कृत । विषयआयुर्वेद । र काल X । ले• काल x ! अपूर्ण । वेष्टन सं० ४४ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा)। ५६१६. कर्मविपाक-वीरसिंहदेव । पत्र सं० १२ । आ६x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद । र० काल X । ले० काल स० १८५३ ज्येष्ठ पुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७५ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर। विशेष-इति श्री तोमरवंशवतंससूरि प्रभूत श्री वीरसिंहदेवविरचिते बीरसिंहावलोक ज्योति शास्त्र कर्म विपाका प्रायुदेदोक्त प्रयोगोभिश्रवाध्यायः । ५६१७. कालज्ञान-X । पत्र सं० २५ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषयआयुर्वेद । र०काल ४ । लेकाल सं० १९१० । पूर्ण । बेन सं० २६२ । प्राप्ति स्थान - दि जैन मन्दिर अजमेर। Page #637 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७६ ] ५६१८. कालज्ञाम - X आयुर्वेद । २० काल ४ । ले०काल सं० दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी विशेष व्यास गोविंदराम चाट ने कोटा में लिखा था। ५६१६. कालज्ञान - X। पत्रसं० ८ । प्रा० ११X५ आयुर्वेद २० काल । ले०काल X | यपूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । नागदी बूंदी | [ ग्रन्थ सूची- पचम भाग १०२८ संस्कृत विषय १८०२ सावन बुदी ३ पूर्ण । येष्टन सं० १९३ | प्राप्ति स्थान ५६२०. कालज्ञान - X [पत्र [सं०] ११० १९३४ भाषा-संस्कृत विषय| इव । आयुर्वेद र काल X ते कात X पूर्ण वेष्टन सं० २१५ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ | - ० १०६५१ इन्च ५६२१. प्रतिसं० २०२३ बुदी ६ पूर्ण वेष्टन सं० २१५ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर दर विशेष – चिरजीव सदासुख ने प्रतिलिपि की थी । ५६२२. कालज्ञान X सं०] १२ बा० १०८४२३ | । पूर्ण पेन सं० १२६ आयुर्वेद २० काल X ०काल सं० १८५० मन्दिर कोटडियों का हूँगरपुर । विषय - न्य । भाषा - संस्कृत प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर - लिपितं नकुजाह्मण हालिया नगर मारवाद मध्ये संवत् १८०० मिली आावण बुदी २ शुकवारे । ५६२५. कालज्ञान भाषा आयुर्वेद ॥ २० काल । ले०काल x मन्दिर चौगान बूंदी | । ले०का ० १६०० मंसिर ५६२३. प्रति सं० २ १ पत्र सं० २-१३ ॥ श्र० १० २४४३ इव । ले० काल x । श्रपूर्ण वेन सं० ३०६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । भाषा-संस्कृत विषय— प्राप्ति स्थान दि०जैन ५६२४. कालज्ञान भाषा - लक्ष्मीवल्लभ | पत्र सं० १३ । बा० ११x४३ इश्व | भाषा -- हिन्दी विषय धर्वेद १० काल x ० का ० १८६१ वैशाख गुरी । पू० १५५२ । प्राप्ति स्थान ४० दि० जैन मन्दिर अजमेर । - x 1 पथ० १३ । मा० १x४ इंच भाषा - हिन्दी विषयपुणं । वेष्टन सं० १६२ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन पार्श्वनाथ विशेष - ७ वें समुद्देश तक है । ५६२७. कृमि रोग का ध्योश- ४ | ० १ विषय - प्रायुर्वेद २० काल X | ले०काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० ६२ राजमहल (टोंक) । x । । ५६२६. कालज्ञान सटीक पत्र सं० २३ । ०८३४४२ इन्च भाषा संस्कृत-हिन्दी विषय प्रायुर्वेद र० काल X ले० काल वेष्टन ० ४४७ प्राप्ति स्थान नारकीय दि० जैन मन्दिर मे । पूर्ण ० १०४६ इन्च प्राप्ति स्थान — भाषा - हिन्दी । दि० जैन मन्दिर Page #638 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रायुर्वेद ] [ ५७७ ८. मीनिमिसा . x पत्र सं० ६ । प्रा० ११४५ रुञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयआयुर्वेद । २०काल x । ले० काल X । पूगी । वेष्टन सं० १५५३ । प्राप्ति स्थान- मट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । ५६२६. गुणरत्नमाला-मिथभाव। पत्र सं० ४-८५। प्रा० ११४४१ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-आयुर्वेद । २० काख ४ । ले०काल । पूर्ण । बेष्टन सं० १२८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन परवनाथ मन्दिर इन्दरगड़ । ५६३०. चन्द्रोदय कप्प टोका-कविराज शङ्खधर । पत्रसं० ६। पा० १०४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - आयुर्वेद । र० काल X । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० १७० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। ५६३१. चिकित्सासार-धीरजराम। पत्र सं० १२६ । प्रा० १२ x ५६ इञ्च । भाषा-- संस्कृत । विषय --प्रायुर्वेद । र० काल ४ । ले०काल सं० १८६० फागुण बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं०१० । प्राप्ति स्थान-दि० जन भट्टारकीय मन्दिर अजमेर । । विशेष-अजयगढ नगर में प्रतिलिपि हुई थी। अजमेर में पट्टस्थ भट्टारक भुवनकीति के शिष्य पं० चतुर्मुजदास ने इसकी प्रतिलिपि की थी। ५६३२, जोटा की विधि-४ । पत्र सं० १ । आ० १०३४७ इञ्च । माषा-हिन्दी 1 विषयथायुर्वेद । र०काल ४ । ले० काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० ८६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। ५६३३. ज्वर त्रिशती शाङ्गधर । पत्र सं० ३३ । प्रा०६x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-प्रायुर्वेद । र०काल X । ले०काल सं० १९८६। पूर्ण । वेष्टन सं० २६१ । प्राप्ति स्थान-दि जन भद्रारकीय मन्दिर अजमेर । विशेष-कृष्णगढ़ में देवकरण ने प्रतिलिपि की थी। ५६३४. ज्वर पराजय-XI पत्र सं० १६ । पा. १०x४ इथ । भाषा-संस्कृत | विषयआयुर्वेद ! २० काल ४ ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०७। प्राप्ति स्थान-भ० दि. जैन मंदिर अजमेर। ५६३५. दोषावली-- । पत्रस०२-४ । प्रा०१.४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयआयुर्वेद । २० काल ४ । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३६-२१ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ५६३६. द्रव्यगुरा शतक -x। पत्रसं० ३३ । प्रा०६३-४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद । २० काल X । लेकाल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ४५४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५६३७. नाडी परीक्षा- । पत्र सं० ४ । प्रा० ११४५३ ईच' । भाषा-संस्कृत । विषयप्रायुर्वेद । र० काल X । ले. काल सं० १६१६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४४ । प्राप्ति स्थान मादि० जन मन्दिर अजमेर। Page #639 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७८ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ५६३८. प्रति सं० २ । पत्र० ८ ० ६४४४ इव । ले० काल X अपुरो । वन सं ५ प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर विशेष- पहिले संस्कृत में बाद में हिन्दी पद्य में अर्थ दिया हुआ है । ५६३६. प्रति सं० ३ । पत्रसं० ३ | या० - X ५ इव । ले० काल सं० १०६४ | पूर्ण वेष्टन सं० ८४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बलाना (बूंदी) । ५६४०. निघंटु X पत्र० १६८० १३ x ४ आयुर्वेद २० काल XX पूर्ण बेत सं० २०३४ जंग मन्दिर अजमेर । ५६४१. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ३ से १२७० १० X ४] इच ले० काल X अपूर्ण वेष्टन सं० ५६ प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर बजमेर | १२३४५ इव । ले० काल X। पूर्णं । वेष्टन सं० ५६४२. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० ६५ । श्रा० १३१४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५६४३. प्रतिसं० ४ पण सं०० ग्रा० ९x४ इन्च से०का १७५५ प्रथम ज्येष्ठ मुदी २०३२८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ५६४४ प्रति सं० ५३ पत्रसं० ७० प्रा० १६४६ इव । ले०काल सं० १८६८ माघ बुदी १०। पूर्ण वेष्टन सं० ७६ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) | ५६४५. निघं - X | पत्रसं० ४६ । आयुर्वेद । २० काल x ० काल x पूर्ण मन्दिर इन्दरगढ़। I इन्च भाषा संस्कृत विषयप्रापि स्थान भट्टारकीय दि० ०६३ × १३ इंच भाषा - संस्कृत विषय -- न सं० २१२ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ ५६४६. प्रतिसं० २३ पत्र सं० ४६ । प्रा० १० X ४ इव । से० काल सं० १७५३ कार्तिक सुदी ७ । पूर्ण । बेन सं० २२१ । प्राप्ति स्थान — उपरोक्त मन्दिर । ५६४७. निघड टीका -X | पत्र सं० ५-१३ ० ११६५२ भाषा संस्कृत | । इव । | विषय- मायुर्वेद २० काज ४ । लेखन काल अपूर्ण वेष्टन सं० २५६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दखलाना (बूंदी) | - ५६४८. निदान - X। पत्र से १६ | श्रा० ११४७ इव । भाषा संस्कृत विषय आयुर्वेद । २०कान X से X पूर्ण वेष्टन ० २१६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल (टॉक) विशेष-पं० दिनमुख ने नृप (राजमहल) में प्रतिलिपि की थी। ५६४६. निदान भाषा श्रीपतभट्ट पत्र ८२० ३४४ इन्च भाषा - हिन्दी । सं० । (पद्य) | विषय - आयुर्वेद | र०काल सं० १७३० भादवा सुदी १३ । ले० काल सं० १५१० ग्रासोज बुदी ५ ०४४६ प्राप्ति स्थान ४० दि० जैन मन्दिर अजमेर विशेष-प्रथाकार परिचय - गुजराती प्रौदीच्यकुल रावल श्रीगोपाल || श्रीपुरुषोतमा सुतायुर्वेदविका ॥ Page #640 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेद ] [ ५७६ तासो सुत श्रीपतिभिषक हिमतेषा परसाद । रख्या नथ जग के लिये प्रभु को पासीरवाद ।। ५६५०. पथ्य निर्णय....x। पसं०१ । प्रा०१०१X५इच । भाषा--हिन्दी । विषयअायुर्वेद । र० काल X । ले०काल X । पुर्ण । वेष्टन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मदिर पार्श्वनाथ चौगान बुदी। ५६५१. पथ्य निर्णय-- । पत्रसं० ८४ । या. १२४५३ । भाषा-संस्कृत । विषय--प्रायुर्वेद ले० काल X । अपूर्ण । देष्टन सं०४३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पावनाय मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) ५६५२. पथ्यापथ्यनिर्णय-X । पत्र सं० १६ । प्रा० १०६४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--प्रायुर्वेद । २० काल X । ने०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ६६७ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मंदिर अजमेर । ५६५३. प्रति सं०२६ पत्र सं०१७ । प्रा.१.४५ इञ्च । ले० काल सं० १८७१ चैत्र सुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० ३४३ । प्राप्ति स्थान दिजैन मंदिर लश्कर जयपुर। ५६५४. प्रति सं०३। पत्रसं. १ । या० ११३४५१ इन्च 1 ले. काल - I पूर्ण । वेष्टन सं० २२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) । ५६५५. प्रतिसं०४। पत्र सं० २१ । ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पाश्वनाथ मंदिर इन्दरगड (कोटा)। ५६५६. पथ्यापथ्य विचार-X । पत्र सं० ५२। प्राEX४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-पायुर्वेद । २०काल X । ले०काल सं० १५.४ । पूर्ण । थेटन सं० २१०। प्राप्ति स्थान.-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष .. कृष्णगड मध्ये लिखापितं । ५६५७. पथ्यापथ्य विबोधक .. वैद्य जयदेव । पत्र सं० २०२ । आ०५:४६३ इञ्च । भाषासंस्कृत । यिषय आयुर्वेद । र० काल X । ले० काल सं० १९०४ वैशाख सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५६५८, पंचामृत नाम रस-X । पत्रसं० १० । प्रा० १२४५३ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय - आयुर्वेद । र०काल x । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०४३४1 प्राप्ति स्थान -10 दि० जैन मंदिर अजमेर। विशेष-१० पत्र मे आगे नहीं हैं। ५६५६. प्रकृति विच्छेद प्रकरण-जयतिलक । पत्रसं० ३ । प्रा०३४४३ च । भाषासंस्कृत । विषत्र-आयुर्वेद । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२४३ 1 प्राप्ति स्थान-भ. दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५६६०. पाक शास्त्र -XI पत्रसं० १२ । पा० १०:४५ च । भाषा संस्कृत । विषय - आयुर्वेद । रस काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १९५-६० । प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का हूगरपुर। विशेष—विविध प्रकार के पाकों के बनाने की विधि दी है। Page #641 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८० ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग ५६६१. बाल चिकित्सा-X । पत्रसं० २० । प्रा० १०४५.२ इंच । माषा-संस्कृत । विषय - द । १०कालxसे.काल x पुणे । वेतन सं० १०५/५.। प्राप्तिस्थान-द० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ५६६२. बालतंत्र-X । पत्रसं० २६ । प्रा० ११४६ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय --- प्रायूर्वेद । र. काल ४ । नेपाल स. १७५६ । वेष्टन सं०४३१ । प्राप्ति स्थान - मट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। ५६६३. बालतंत्र भाषा-40 कल्याणदास। पत्र सं०८६ | प्रा. १२४५१ इत्र । भाषा-हिन्दी। विषय-प्रायुवेद । र० काल X । ले० काल सं० १८.९ अषाढ सुदी १४ । पुर्ण । वैष्टन सं० ५२० । प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५६६४, बंधफल-xोपत्र ०१ ।.या० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत 1 विषयआयुर्वेद । २० काल X ।ले. काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० ३७ 1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ५६६५. बंध्या स्त्री कल्प-- । पत्र सं० १ । प्रा० १०१४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयआयुर्वेद । २० कालX । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२३ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर दबलाना (दो)। विशेष-सतान होने श्रादि की विधि है। ५६६६. भावप्रकाश-भावमिश्र । पत्रसं० १४३ । पा. १३४६इन । भाषा-संस्कृत । विषय-प्रायुवेद । र० काल ४ ।ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०१३ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मंदिर नागदी दी। विशेष-प्रथम खंड है। ५६६७. प्रतिसं०२। पपसं० २३० । प्रा. १४ ४६५ इञ्च । ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-मध्यम खंड है। ५६६८. भायप्रकाश- पत्र सं०६ । आ. १३१x६६ इञ्च । भाषा संस्कृत | विषयआयुर्वेद । र०काल x । ले० काल x अपूर्ण । वेष्टनसं० २२६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगड़ (कोटा) ५६६६. भावप्रकाश--X । पत्र सं० २-६५ । भाषा-संस्कृत | विषय-प्रायुर्वेद । २० काल x | ले. काल X । अपूर्ण 1 दे० सं० ५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपथी मन्दिर बसवा । ५६७०, माधवनिदान-माधय । पत्रसं० २१० । या० ११३४८ इञ्च । भाषा-संस्तुत । विषय- । र०काल X ।ले०काल सं० १६१६ आसोज सुदी २ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि. जैन मंदिर अजमेर।। ५६७१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ७८ ।प्रा० १०३ x ४४ इन्छ । लेकाल सं० १७१० । पूर्ण । बेष्टन सं०४४५ । प्राप्ति स्थान-भ. दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष प्रति टव्वा टीका सहित है। Page #642 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मायुर्वेद ] [ ५१ ५६७२. प्रतिसं०३। पत्र सं० १२६ । मा० १०x४६ इञ्च । ले. काल सं० १८५५ ।पूर्ण । वेष्टन सं० ५२९ । प्राप्ति स्थान-म दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५६७३. प्रति सं० ४ । पत्रसं० १२८ 1 पा० १२३४६ इ । ले० कार X । पूर्ण । वेष्टन सं. १५६६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५६७४. प्रतिसं०५ | पत्र सं० ४६ ! पा. १.४४ इन्च । ले०काल सं०१५२२ वेष्टन सं० ३५६ । प्राप्ति स्थान- दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। ५६७५. प्रतिसं०६ । पत्र सं० १११ । प्रा० १०४ ४ इञ्च । ले०काल सं० १८७४ ज्येष्ठ सुदी ३ । पुर्ख । बेष्टन मं० १३३। प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी। ५६७६. प्रति सं०७॥ पत्र सं०५६ । आ० १२४५३ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पंचायती दूनी (टोंक) ५६७७. प्रति सं०८। पत्र सम । आ० १०x४ इञ्च । ले. काल सं० १६२२ ज्येष्ठ सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा । .. विशेष-ऋषि मापाचंद ने शिवपुरी में प्रतिलिपि की थी। ५६७८. प्रतिसं० ६ । पत्रसं० २६ 1 प्रा. ८.४३ इञ्च । ने काल X । अपूर्ण । चेष्टन संग ६८० । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर लपकर, जयपुर । ५६७६. माधव निदान टीका-वैद्य वाचस्पति । पत्रसं० १३६ । प्रा. १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विपय- आयुर्वेद । र० कार x। ले० काल सं० १८१२ माघ सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं. ५७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर यादिनाथ बू दी। विशेष... दयाचन्द ने चंपावती के आदिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। ५६५०. मत्र परीक्षा-X । पत्र सं. २ । प्रा. १२४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयमायर्वेद । र काल । लेखन काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ५४३ । प्राप्ति स्थान.भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर। ५६८१. सूत्र परीक्षा - X । पत्र सं० ४ । प्रा० १०१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद । र. काल X । ले०काल सं० १९८० पौष सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११६६ । प्राप्ति स्थान--भ० दि. जैन मंदिर अजमेर । ५६८२. मूत्र परीक्षा-X । पत्र सं ५। श्रा० ३४४५ इञ्च । भाषा-- संस्कृत विषयवैद्यक । २० काल X । ले. काल सं० १७८४ । पुर्ण । ३० सं० ३१२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी।) ५६८३. योगचितामणि हर्षकोतिर । पत्रसं० १६० । प्रा० ११३४५३ इञ्च । भाषासस्कृत । विषय -प्रावुर्वेद । र० काल । ले. काल स१८८८ पूर्ण । वेष्टन सं० १५६४ । प्राप्ति स्थानभट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५६८४. प्रति सं० २। पत्र सं० ५० । प्रा० १२५६ दश्च । से कालः ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०४२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर कामा । Page #643 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८२ ] [ ग्रन्थ सूचो-पंचम भाग विशेष --प्रति टीका सहित है। ५६५५. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ५१ । प्राs =४५५ इञ्च । ले०काल स. १८७३ । पूर्ण । बेष्टन सं० २७० । प्राप्ति स्थान--दिस जैन मन्दिर अमिनन्दन स्वामी, मूवी । विशेष-वृन्दावती ग्राम में नेमिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। ५६८६. योगचितामरिग-४। पत्रसं० ६६ । प्रा० १२३४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - आयुर्वेद । २० कान X T EX । पूर्ग । देशन र.. 11:। शनि स्थान-दि. जैन मंदिर कोटजियों वा डूगरपुर । ५६८७. योगचितामणि टीका--प्रभरकीति । पत्र सं० २५६ । पा. Ex४, इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-मायुर्वेद । २० काल x | ले काल सं० १९२७ मंगसिर सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३०६ प्राप्ति स्थान--भ० दि० जन मन्दिर अममेर। ५६८८. योगतरंगियो-त्रिमल्ल भट्ट । पत्र सं० ११४ । आ. १.४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय -. आयुर्वेद । र० काल ४ । लेकाल सं० १७७४ आषाढ सुदी १ पूर्ण । बेष्टन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान ---भ दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५६८६. योगमुक्तावली- पत्रसं० प्रा० १०५ ४४: इश्च । भाषा-संस्कृत । विशेष-नायूर्वेद । लेकाल x । पुर्ण बेन सं. ५ । प्राप्ति स्थान-भ० मन्दिर अजमेर । ५६६०. योगशत . "X । पत्रसं०१३ । प्रा. १३x ४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयअायुर्वेद । र०काल X| ले०कास सं. १७२९ कार्तिक बुदी ६ । पर्ण । वेष्टन सं० १२४४ । प्राप्ति स्थानभ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष—पचनाइ में पं० दीपचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। ५६६१. योगरार-x । पत्र सं० 1 प्रा० १०१४४१ | भाषा - संस्कृत । विषययोगशास्त्र । २० काल x ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १७० । प्राप्ति स्थान -म दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५६६२. योगशत-x।। पत्र सं० १४ । प्रा० १२४५३ हश्च । भाषा -संस्कृत । विषय-- प्रायुर्वेद । र०काल x। ले०काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० ११०५ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । ५६६३. योगशत-X । पत्र स०२-२२ । प्रा० १०४ ४ इञ्च । माणा-संस्कृत । विषययायुर्वेद । र काल * | ले. काल सं० १६०६ । अपुरण । वेष्टन सं०६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर राजमहल (टोंक) विशेष प्रति प्राचीन है तथा जीर्ण है । आधे पत्र में हिन्दी टीका दी हुई है । टीका-श्लोक १९ भाता जु० । व्याल्या. वास ३ गिलोय किरमाली। कादो करि एर' को तेल टं ४ माहि पालि पीवरणाबा समस्त शरीरको वातरक्त भाजइ । वासादि क्वाथ रसांजनं व्याख्या-रसवति चौलाई जड़ । मधु । चावल के घोबण माहिधालि पीवणीया प्रदरू भाजइ । Page #644 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रायुर्वेद ] [ ५८३ ५६६४. योगशत टीका-x। पत्र सं० ३० । प्रा. ११४४ इन्च । भाषा-सरकत । विषय-आयुर्वेद । रत्नाल x । लेकाल सं० १७७६ कार्तिक सुदी १० वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थानदि० जनमन्दिर आदिनाथ वदी। विशेष-प्रारम्भ-- श्री वर्तमान प्रतिापत्य मधर्म समंतभदाय जनाय देतो: श्री पूर्णसेन मुखबोधनार्थ प्रारयते योगशतस्य टीका । अन्तिम- तपागको पुन्यास जी श्री तिलक सौभाग्य जी केन लिखपित भैसरोडदुर्ग मध्ये । ५६६५. योगशत टीका - .XIपत्र सं० ३१ । प्रा० १०३४५ इञ्च । भाषा-सस्कृत ! विषयआयुर्वेद । र० काल x | ले० काल सं १८५४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१६ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मंदिर पार्श्वनाथ इन्दरगढ़। विशेष-१८५४ बैशाखे सिते पक्षे तिथौ द्वादश्यां दानविमलेन लिपि कृतं नगर इन्दरगढ़ मध्ये विजये राज्ये महाराजा जी थी सुनमानसिंह जी ५६६६. योगशतक-बन्धन्तरि । पत्रसं० १९ । पा.४६५२ इन्च । भाषा-सस्कृत । विषय - आयुर्वेद पर०काल X । लेकालX । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १०७५ । प्राप्ति स्थान-भदि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष—नेमीचंद ने लिखवाया था । ५६६७. प्रतिसं० २ । पत्रसं० १८ । ने०काल १६४३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०७६ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५६६८. योगशतक-x। पत्र सं० १५ । प्रा० x ४१ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषययायुर्वेद । र०काल x ले० काल सं० १८७३ फागुण सुदी ४ । पूर्ण प्रवेष्टन सं० ४४२ । प्राप्ति स्थान-- भट्टारकीय दि० जन मन्दिर अजमेर।। विशेष-चेला मोहनदास के पटनार्थ कृष्णगढ़ (किशनगढ़) में प्रतिलिपि हुई थी। ५६६६. योगसार संग्रह (योगशत)--। पत्र सं० ३१ । मा० ५५ ३३ इच। भाषा--- सस्कृत । विषय---आयुर्वेद । र काल x 1 ले०काल सं० १२० । पूर्ण वेष्टन सं० ५२८ । प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन मंदिर अजमेर । ५७००. रत्नकोश-उपाध्याय देवेश्वर । पथ सं० २६७ । प्रा० ११४८ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पायुर्वेद । रखकाल । ले. काल सं० १९२१ अपगढ़ सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२७७ । प्राप्ति स्थान --भ० दि० जन मंदिर अजमेर। ५७०१. रचितामणि-४ । पत्र सं० १६ । प्रा० x ४ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय - आयुर्वेद । र काल X 1 ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४५ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ५७०२. रसतरंगिणी-भानुदत्त । पत्र सं० २४ । प्रा० ११४५१ञ्च । भाषा संस्कृत । विषय - अायुर्वेद । १० काल x | ले. काल सं० १९०४ वैशाग्न दुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं. १२६३ । प्राप्ति स्थान -म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । Page #645 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५७०३. प्रति सं० २१ पत्र सं०३१ । प्रा. ११४६ इञ्च । ले. काल सं० १८५२ । पूर्ण । देष्टन सं० २०२१ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-व्यास श्री सालिगरामजी ने ब्राह्मण हरिनारायण गूजर गौड़ से प्रतिलिपि करवायी थी। ५७०४. रसतरंगिणी-वेणीदत्त । पत्र सं० १२४ । मा० १.१४५३ इश्व । भाषा संस्कृत । विषय-ग्रायुर्वेद । र०काल X । ले. काल सं०१९५५ भादो बदी ५। पूर। वेष्टन सं० २०४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, दी। ५७०५. रसपद्धति-४। पत्रसं० ३६ । आ. ११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृन । विषयमायुर्वेद । र०काल x | लेकाल सं० १५२६ वैशाख बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं०८४ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर प्रादिनाथ दी। विशेष--ब्रह्मा जैन सागर ने आत्म पठनार्थ लिखा । ५७०६. रस मंजरी--भानुदत्त । पत्र सं० २५ । घा० १०x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १८३ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ५७०७. रसमंजरो-शालिनाथ । पत्रसं०४४। प्रा० ११४४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद । र० काल ४ । ले० काल सं० १८२६ ज्येष्ठ बुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० ४४४ । प्राप्ति स्थानमा दि.जैन मंदिर अजमेर । ५७०८. रसरत्नाकर-नित्यनाथसिद्ध । पत्रसं० ७१ । मा० १०४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पायुर्वेद । २० काल X। ले०काल सं० १९७१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५१ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेरं । ५७०६. प्रति सं० २ । पत्र सं० २-१६ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयआयुर्वेद । र० काल X| लेकाल' x । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३६६/२०७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । ५७१०. रसरत्नाकर-रत्नाकर। पत्रसं०४८ । प्रा. १२ x ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-यायुर्वेद । र०का XI ले०काल x 1 अपूरणं । वेष्टन सं० २३३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा)। ५७११. रसरत्नाकर-x। पत्रसं०६८ । आ० १०x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयश्रायुर्वेद । र०काल X । ले० काल - । अपूर्ण । वेष्टन सं० २०३ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। . . . ५७१२. रामविनोद --नयनसुख । पत्रसं० १०० । प्रा० ५४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयप्रायूर्वेद । र०काल x ले०काल सं० १८०८ फागुग्ग सूदी ७। पूर्ण । वेष्टन सं०५२७। प्राप्ति स्थानभ दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष- दीपचन्द ने प्राणी नगर मध्ये लिखितं । Page #646 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेद ] [ ५८५ ५७१३. रामविनोद-रामचन्द्र । पत्रसं० १६३ । पा. ८. x ४, इच। भाषा-हिन्दी (पद्य) विषय -वैद्यक । र काल X । लेकाल सं० १८२७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२२२ । प्राप्तिस्थानभ० दि० जैन मंदिर प्रजमेर 1 ५७१४. प्रति स०२। पत्रसं०६३ । मा० १.१४४१३८ । र. काल X । लेकाल x पूर्ण । बेष्टन सं० १३५६ । प्राप्ति स्थान-.भ. दि. जैन मंदिर अजमेर । ५७१५ प्रति सं०३। पत्र सं०१६। प्रा० १२४६ इन्च। ले०काल सं० १८.८ द्वितीय वैशाख बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर राजमहल (टोंक) । ५५११. प्रति सं०४। पत्र सं० ११४ । मा० १११४५ इञ्च । ले. काल सं० १७३० । पूर्ण । वेष्टन सं० २८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। विशेष-संवा १७३० वर्षे आसोज सुदी १० रविवार नक्षिय रोहिगी पोयी लिली साहुदा बेटा फकीर वेटा लालचन्द ज. बाल दिराम जाती बोरखंक्या श्वासी मोजी मीयां का मुन्डौ । राज माधोसिंह (दिल्ली) हाड़ा बूंदी राब थी भासिंहजी दिली राज फातिमाही औरंगसाहि राज प्रवर्ततं । ५७१७. रामविनोद--X । पत्र सं० ५६ । ग्रा० १०४४ इश। भाषा-संस्कृत । विषयआयुर्वेद । र०काल X ।ले. बाल X । पूर्ण । वन सं० ११३:११ । प्राप्ति स्थान- अग्रवाल दि. जैन मंदिर उदयपुर। ५७१८. संघनपश्यनिर्णय-- । पत्रसं० १६ । पा० १२४५६ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय-मायूर्वेद । र०काल ४ । ले. काल सं० १८६० बातिक बुदी। पूर्ण । पेष्टन सं० ४३५ । प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-मोतीराम ब्राह्मण ने गोपीनाथ जी के देवरा में लिखा था। ५७१६. लंबनपग्य नियंत्र--- । पत्रसं०१२ । मा०११X ८ इश्च । भाषा-सस्कृत । विषय-पआयुर्वेद । र० काल X । ने.काल स. १६४५ वैशाख वदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४६६ । प्राप्ति स्थान-म० दिन मन्दिर अजमेर । ५७२०. वैद्यक ग्रंथ-x। पत्र सं० ८७ । ना. १३ X ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी 1 विषय - प्रायुर्वेद । र०काल x | लेकाल x | पूर्ण । वेष्टन सं०१४३ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर। ५७२१. वैद्यक प्रथ-X । पत्रसं० ४२ । प्रा० x ६३ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषयआयुर्वेद । २० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २२६-६१। प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ५७२२. वैद्यक प्रथ-४ । पत्र सं० २ । प्रा० १.४४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयप्रायुर्वेद । र० काल XI ले काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ प्राप्ति स्थान-दि० डन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष—पायुर्वेदिक नुसने दिये हुये हैं । Page #647 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५७२३. वैद्यकग्र'थ-४ । पत्र सं०४ । या०१०:४४१ इच्च । 'भाषा सस्कृत । विषय - मायुः । १० काल - । ले० काल - । पूर्ण । बेष्टन सं० १५-६२२ । प्राप्ति स्थान -दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर। विशेष-क्रम सं० १६६२३ से २४६३० तक पूर्ण अपूर्ण यैद्यक गधों की प्रतियां है । ५७२४. वैद्यक नुस्खे-X । पत्र सं० ४ । घा० ५१४४१ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयबराक । र० काल । लेकालX । पूर्ण वनसं० १२४६ । प्राप्ति स्थान- भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५७२५. वैद्यक नुस्खे-x। पत्र सं० ४ । भाषा सस्कृतः । विषय - आयुर्वेद । २० काल । लेकालX पूर्ण । म सं०४००। प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का है गरपुर । ५७२६. प्रति सं० २ । पत्र में...। ले०काल X । पुरणं । वेषन ०४०१ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ५७२७. वैद्यक शास्त्र-X । पत्र स० २८३ ! या०१२x ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-आयुर्वेद । र० काल X । ले. काल सं० १८८२ चैत बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७११ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जन मन्दिर अजमेर । ५७२८. वैद्यक शास्त्र.-४ । पत्रसं० १६ ग्रा० १११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - पायुर्वेद । र काल स.x | लेकाल X । पुर्ण । वेव सं० २२७ । प्राप्ति स्थान- दिन पार्श्वनाथ मन्दिर बन्दरगढ़ (कोटा) ५७२६. वैद्यक समुच्चय-- । पत्र सं०५१ । ग्रा०६४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी 1 विषयवैद्यक । २० फाल X । ले० काल १६६० फागुण सुदी १५ । पूर्ण । वैहन सं० १७८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर दबलाना (दी) विशेष-दिनिकामंहले पालत्रसाममध्ये लिखितं । ५७३०. वैद्य कसार-xपसं० २ | मा० १x६१ इन्च । भाषा-सस्कृत | विषयमाथुद । १०काल X । ले०काल स. १६५३ कातिक सुदी। पूर्ण । वेष्टन सं. ३७-२१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैग भन्दिर कोटडियों का डूगरपुर। ५७३१. वैद्यकसार-हर्षकीति । पत्रसं० १५ से १६१ । प्रा० १२ x ५६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय- ग्रायुर्वेद । र० काल ४ । ले०कान सं० १८२५. चैत्र बुदी ३ । अपूर्ण । बेष्टन सं० १७७ । प्राप्ति स्थान-भ० दिन मन्दिर अजमेर। ५७३२. प्रति सं० २ । पत्रसं० ३५ । मा० १०४४३ च । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. २५२ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५७३३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १७५ । प्रा० १११४५.इन । ले०काल x वेष्टन सं. ३४२ । प्राप्ति स्थान----दि. जैन मन्दिर लश्कर, जमपुर । विशेष-प्रशस्ति मिटा रखी है। ५७३४. वैद्य जीवन-लोलिम्बराज । पत्रसं० ५१ । आ०१x६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-1 विषय-आयुर्वेद । लेकाल सं० १९१२ । पूर्ण। येष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जन मन्दिर अजमेर । Page #648 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रायुर्वेद ] ५७३५. प्रति सं० २ । पत्र सं० २७ । श्रा०x४१ इश्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२४० । प्राप्ति स्थान-. दिजैन मन्दिर अजमेर । ५७३६. प्रति सं० ३ । पत्र सं०८ । ले० काल X। पूरां । वेष्टन सं० १२४१ । प्राप्ति स्थान-भ दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५७३७. प्रति सं०४ । पत्र सं० १५ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले० काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६४-६०। प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटडियों का टूगरपुर। ५७३८. प्रति सं० ५ । पत्र सं० १२ । प्रा० ११४४३ च । ले. काल X । पूर्ण । वेतृतसं० १५६४ । प्राप्ति स्थान -भ०वि० जैन मन्दिर अजमेर । ५७३६. प्रति सं० ६ । पत्रसं० १६ । प्रा० ११६४५, इच । ले० काल X । पुरणं । वेष्टन सं० ६५४ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर । ५७४०. प्रतिसं०७ । पत्र सं० ५३ । आ० १०१४ ४३ इञ्च । ल. काल सं० १७५३ कातिक बुदी ७ । पूर्ण । वेपन सं० २२२ । प्राप्ति स्थान-पाश्र्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़ । ५७४१. प्रति सं० ८ । पत्र सं० १७ । ग्रा० ११३४५१ इञ्च । ले० काल सं० १८८७ मंगसिर सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं. २२३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ । ५५१२. प्रति सं | Ric : इन्न । से काल सं० माघ सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (जूदी) । ५७४३. प्रति सं० १० । पत्र सं० १३ । प्रा० १.१ x ४३ इञ्च । ले० काल सं० १८०१ पौष मुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दबलाना (बुदी)। विशेष - खातोली नगर में प्रतिलिपि हुई थी। ५७४४. प्रतिसं० ११। पत्र सं० १२ । प्रा० १२ x ५६ इन्च 1 ले काल सं. १६७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पाश्र्वनाथ मन्दिर चौगान दी। ५७४५. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ३६ 1 ग्रा० १०४५ इन्च । ले०काल सं० १८८३ । पूर्ण। वेष्टन सं० २३४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान लूदी । विशेष - हिन्दी अर्थ सहित है । ५७४६. प्रतिसं० १३ । पत्रसं० १२ । प्रा० ११४४. इश्च 1 ले०काल सं० १८०६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३२ प्राप्ति स्थान-दि० जंन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। ५७४७. प्रतिसं० १४ । पत्रसं० २३ । प्रा० ११४ ४२ इञ्च । लेकाल स० १८२३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष—साहपुरा के शांतिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। ५७४८. प्रति सं०१५ । पत्र सं० २ से १६ । मा०१०x४ इञ्च । ले. काल सं० १७१७ । मपूर्ण । वेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) । Page #649 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रश्थ सूची- पंचम भाग ५७४६. वैद्यजीवन टीका - हरिनाथ । पत्र सं० ४४ । आ० ११४४ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय आयुर्वेद १० का X ले० कास X पूर्ण वेन सं० १२३२ प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर | XES ] ५७५० प्रतिसं० २१ पत्र सं० ३७ ॥ श्र० १२४५ इन्च | लेकाr X पुणं । वेष्टन सं० ९५५ | प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। × ५७५१ प्रति सं० ३ । गणसं० ४१ । आ० ११ X १३ 'चं भाषा संस्कृत विषय| आयुर्वेद १० काल का X पूर्ण वेष्टन सं० ४०० प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर | ५७.१० १०३१ पूर्ण वेष्टन सं० ४१० प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५७५३. प्रति सं० ५० ११० १०३२५ ए ०काल x बेटन सं० २३६ । प्राप्ति स्थान मेन मन्दिर लवकर, जयपुर। ५७५४. प्रतिसं० ६ ० ३१ ० १०३५ इ से० काल x बेटन सं० २४० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। - ५७५५. वैद्यजीवन टीका - रुद्रभट्ट । विषय— धर्वेद - आर०का X ले० काल० प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | पत्रसं० ४५ ॥ था० ११४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । सं० १८५५ ज्येष्ठ बुदौ ३ । पूर्णं । वेष्टन सं० ११६३ । ५७५६. प्रतिसं० २। पत्र मं० ४२ येन सं० ११९७ प्राप्ति स्थान- भ० दिन मन्दिर अजमेर। ५७५७. देवक प्रश्न संग्रह - X विषय—यादा X मे० काल X दि० जैन मंदिर जगेर सेकास सं० १८८१ प्रथम भाषाद बुदी 55 पूर्ण विशेष प० देवकरण ने किशनगढ़ में नेमिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी । पत्र सं० १०० ११३५ इन्च भाषा सं पूर्ण न सं० १०९३ प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय ५७५८. वैद्य मनोत्सव केशवदास पत्र [सं० ३४-४७१ मा० संस्कृत विषय युर्वेद २० काल X से काल X। पूर्ण स्थान- दि०जैन मंदिर कोटडियों का गरपुर । ६३ - इख । भाषान सं० २६६-१४० । प्राप्ति ० ३ ० ११५ ५७५९. प्रति सं० २ ३३- १११ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) | । ले० कान X सपूर्ण वेटन सं० ५७६०. वैद्य मनोत्सव - नयनसुख पत्र सं० १५ ०.१३४४३ इञ्च भाषा हिन्दी विषय – प्रायुर्वेद काल सं० १६४९ भाषाट सुदी २ ले० काल सं० १३०० भादवा सुदी १ पूर्ण T - म सं० २०७७ प्राप्ति स्थानमारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। वेष्टन सं० १०२९ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५७६१ प्रति सं० २०११ ० १०×× एच ले-काल सं० १५६१ पूर्ण Page #650 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रायुर्वेद ] [ ५८६ ५७६२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४८ । प्रा० १x६ इञ्च । ले० काल सं० १८१२ भाषाद बुदी । पूर्ण । बेम सं० ५०६ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५७६३. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १३० । प्रा०६४४१ इञ्च । से०कास सं १८३५ । पूर्ण । बेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-गुटका साइज में है। ५७६४. प्रति सं०५। पत्रसं०२६। या०१०x४च1 ले. काल सं० १५६७ माह बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७६ । प्राप्ति स्थान ---भट्टारकीय दि० जंन मंदिर अजमेर । ५७६५. प्रति सं०६। पत्र सं०३७ । प्रा०६x४ इञ्च। ले० काल सं० १५५ मंगसिर बूदी।ग । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष ...५० क्षेमका किशन सिसिपि भी। ५७६६. प्रति सं०७ । पत्रसं० १७ । प्रा० १०.४५३ इन्च । ले०काल सं. १८५१ ज्येष्ठ सूदी । पूर्ण । बेन सं. २४ । प्राप्ति स्थाल-दि० जैन मन्दिर राजमहल (टक) विशेष – लिग्दी कुरवाली रामपुरा मध्ये पडित झुगरसीदास । ५७६७. प्रति सं० ८ । पत्र सं० १९ । प्रा० ११३४६ इंच लेक काल XI पूर्ण । वेष्टन सं. १०३ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दबलाना (बदी)। ५७६८. वैद्यरत्न भाषा- गोस्वामी जनार्दन भट्ट । पत्र सं०३० प्रा० ५४४५३ इञ्च । भाषा-सस्कृत | विषय-प्रायुर्वेद । २० काल X । ले० काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष-लिखितं साधु जैकृष्णमहतजी थी प्रवीदासजी भांडारेज का शिष्य किशनदास ने लिखी हाड़ोती शेरगढ़ मध्ये । ५७६९. धंद्यरत्न भाषा–x ! पत्र सं० ४७ । श्रा० १०४५३ इञ्च । माषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-- आयुर्वेद । र०काल X । ले. काल ४ । पूर्ण। बेष्टन सं० ४१६ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मंदिर अजमेर। ५७७०. वैद्यवल्लभ-X1 पत्रसं० २६५ । आ० ६x४ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषयशायर्वेद । र०काच x | ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान-मदारकीय दि जैन मंदिर अजमेर। विशेष--प्रति हिन्दी टवा टीका राहित है। ५७७१. प्रति सं० २। पत्र सं० २५ । प्रा० १०:४५ इश्य । ले काल ५ । अपूर्ण । बेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर पाचनाय इन्दरगढ़ (कोटा) ५७७२. वैद्य वल्लभ-हस्तिरुचि। पत्र सं० ५६ । प्रा०६x४१ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद 1 र काल स० १७२६ । ले०काल सं० १९११ । पूर्ण 1 वेष्टन सं०६५। प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष- अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है--- Page #651 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६० ] इति मुरादिसाहि गुटिका स्तंमनोपरि--- श्रीमतपागरणां भोजभासनक नभोमरिं । प्राज्ञोदयरूचिनामा वभूव विदुपासणी ॥ रास्यानेक महा शिष्या हितादि रूचयो वरा - इति श्रीमतपागच्छे महोपाध्याय विचि तत् विव्य हस्तिभि कविशेषयोग निरूपणो नामा श्रष्टमोऽध्यायः । जगन्मान्याश्वाध्याय पदस्यचारका प्राय तेषां शिना हस्तिरूचिता सा बल्भोष षः । रस ६ नवन २ मुनिन्दु १ वर्षे सं० १७२६ काराय विहितोयं ॥ ०३३० । ५७७३. वैद्यबल्लभ - x भाषा संस्कृत विषयआयुर्वेद । २० काल X ले० काल x । पूर्ण वे० सं० ३२६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बूंदी। ५७७४ प्रतिसं० २ पत्र सं० २३ बेन सं० २० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ५७७५. वंद्यवल्लभ टीका x वय वैद्यकाल ४. सेफाल सं० १९०६ स्थान-म० दिन मन्दिर अजमेर । विशेष प्रति हिन्दी टीका सहित है। -- [ क्रथ सूची- पंचम भाग - ० ३ ४ अभिनन्दन स्वामी बूंदी | ०३९ । प्रा० १३४५३ इञ्च भाषा - हिन्दी शाख सुदी १ वेष्टन सं० १३५७ प्राप्ति ० का ० १२५० पूर्ण ५७७६ प्रतिसं० २ । पत्र मं० १४ ० ९३४ इन्च ०कास X पूर्ण न सं० ४४३ । प्राप्ति स्थान ग० दि० जैन मंदिर अजमेर। नवा शिवं प्रथमतः प्रणिपत्य चंडी वायुदेवता तदनुता पदं गुरुश्च संग्रह्यते किमपि यत्सुजनास्तदत्र विद्या तु मदनुरहेण ॥१. ५७७७. बंद्यविनोद- ४ । पत्रसं० ६६ ० १०५ इञ्च भाषा-संस्कृत विषयआयुर्वेद का X काल सं० २००६ ज्येष्ठ शु. १५ प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । D पूर्ण न सं० १६६ विशेष- लिखितं पं० देवकरण हरिदुर्ग (किशनगढ़) मध्ये ५७७८. बंगसेन सूत्र - बंगसेन पत्र सं० ४७५ विषय-प्रर्वेद २० काल X। ले०काल सं० १७६५ स्थान - पाश्र्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़ | विशेष प्राविभाग एवं अंतिम पुष्पिका निम्न प्रकार हैप्रारंभ - ० १२x६ इस बुदी ३ पूर्ण न भाषा – संस्कृत । ० ७० प्राप्ति 1 Page #652 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रायुर्वेद ] [ ५६१ पुष्पिकाइति श्री चंगलेन ग्रथिते चिकित्सा महार्णवे सकल वैद्भक शिरोमणि अंगसेन नथ सम्पूर्ण । ५७७६. शाधिर-- । पत्रसं० १० । प्रा० १० x ४१ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयआयुर्वेद । र० काल X 1 ले०कास X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४२ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-हरिदुर्ग (किशनगाह) के लुहाड़ों के मन्दिर में पं० देवकरण ने लिखा था। ५७८०. शा घर दीपिका-प्रादमल्ल । पत्र सं० ६४ । प्रा० १२३४८ इञ्च । भाषा-- संस्कृत । विषय- प्रायुर्वेद । २० काल X । ले० काल सं० १९२१ चैत मुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२३१ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष.. अजमेर नगर में प्रतिलिपि हुई थी। ५७८२. शङ्गधर पद्धति-शाङ्गधर। पत्रसं० १५१ । ग्रा० १०.४५ इञ्च । भाषा . संस्कृत । विषय-प्रारद । र०काल X । ले. काल X । अपूर्ण। वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान- . दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ५७८२. शाङ्गधर संहिता--शाङ्गधर । पत्र सं० ३१ 1 प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-यायुर्वेद । २०काल - । ले० काल । अपूर्ण । येष्टन सं० २२० । प्राप्ति स्थानः .. दि जैन मन्दिर अजमेर । ५७८३. प्रतिसं०२। पत्र सं०१३ । मा०६x४ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेपन सं० १३०२ । प्राप्ति स्थान-भदि० जन मन्दिर अजमेर । ५७८४ प्रतिसं०३ । पत्र सं० १२५ । पा० ११४४ इञ्च । ले. काल X । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान- दि.जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ५७८५. प्रतिसं०४। पत्र सं० १७० । प्रा० ११४४ इञ्च। ले० काल सं. १८२७ पापा बुदी १३ 1 वेष्टन सं० ३३७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ५७८६. प्रति सं०५। पत्रसं० ५७ ! ले. काल x। पूर्ण । बेन सं०४१ 1 प्राप्तिस्थानदि० जैन पंचायती मंदिर तृण्डावालों का डीग ।। ५७८७. प्रतिसं०६। पत्र सं० ४२ से १६ । प्रा० १०१४४१ इञ्च । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १८३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पाश्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ कोटा । ५७६८. श्वासभैरदरस-४ । पप सं० २-१५ । भाषा-संस्कृत । विषय-मायुर्वेद । २० काल x । लेकाल। अपूर्ण । वेन रां८ । प्राप्ति स्थान-तेरहपंथी दि० जने मन्दिर बमवा । ५७८१. सन्निपातकलिका--४। पत्रसं० १७ । आ. १०२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -अायुर्वेद । र०काल ४ 1 ले० काल सं० १९६३ मंगसिर सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३३ । प्राप्ति स्थान---'भट्टारकीय वि. केन मन्दिर अजमेर । ५७६०, सन्निपातकलिका-४। पत्रसं० २३ । आ०८४३३ इञ्च । भाषा--संस्तृत । विषय-प्रायुर्वेद । २० काल 'X । लेकाल। अपूर्ण । वेष्टन सं० ४४० । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर Page #653 -------------------------------------------------------------------------- ________________ xt२ ] [ ग्रन्थ सूची--पंचम भाग विशेष-१६ व २० वा पत्र नहीं है। ५७६१. सन्निपातकलिका..xपवसं० । १.४४ इन्न भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद । २० काल X । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पाश्र्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा)। ५७६२. संतान होने का विचार-X । पत्र सं०७ । प्रा०८४५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषय-प्रायद । र काल X । ले०काल | अपूर्ण । वेष्टन सं० २१६-८७ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का हूँगरपुर । ५७६३, स्त्री द्रावण विधि--.x । पत्र सं०७। प्रा०७४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय अाधुयें । र. काल ४ ले. काल X । बेष्टन सं०८१७ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ५७६४. स्वरोदय-मोहनदास कायस्थ । पत्रसं० १२ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषाहिन्दी । विपय – अायुर्वेद । र० काल सं० १६८७ मंगसिर सुदी ७ । ले० काल - । वेष्टन सं० ६१२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्वार जवपुर । विशेष—इसमें स्वर के साथ नाड़ी की परीक्षा का वर्णन है—कवि परिचय दोहा कथित मोहनदास कवि काइथ कुल अहिठान । घी गर्म के कुल ढिग कनोजे के प्रस्थान । नैमवार के निकट ही कुरस्थ गांव विख्यात । तहां हमारो वाम् निश्री जादौ मम तात । मंवत् सोरह स रच्यो अपरि अप्सी सात, विक्रमते बीते इस मारग सुदि तिथि सात ।। इति श्री पवन विजय स्वरोदये गंध मोहनदास कायथ अहिान विरचिते भाषा मेघ निवृत्ति प्रवृत्ति मार्ग खंड ब्रह्मांड ज्ञान तथा शुभाशुभ नाम दक्षिण स्वर तन भत्र विचार काल सावन संपूर्ण । ५७६५. हिकमत प्रकास-महादेव । पनसं० ५६१ । भाषा संस्कृत । विषय-वद्यक । २० काल X । ले०काल सं० १९३१ । पूर्ण वेष्व सं०७६६1 प्राप्ति स्थान-पंचावती दि. जैन मंदिर Page #654 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-अलंकार एवं छन्द शास्त्र ५७६६. अलकार चंडिका-अप्पथदीक्षित । पत्र सं०७६ । प्रा० ११४५३ रन । भाषासस्कृत । विषय-अलंकार । र० काल X । ले. काल X| अपूर्ण । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर प्रादिनाथ दी। ५७६७. कवि कल्पद्रम-कवीन्दाचार्य । पत्र सं०६ । मा० १०३ ४ ४३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय - अलंकार । र काल ४ । ले०काल ४ । पर्ण | वेष्टन सं० २७२ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ५७६८. कुवलयानन्द-अप्पयदीक्षित। पत्र रां०७७ । प्रा.१०.४५ईच। भाषा-संस्कृत। विषय-रस-सिद्धान्त । र०काल । ले० १ ५४माण नदी ६ हार सं.२.4। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष-सशकर के इसी मन्दिर में 40 केशरीसिंह ने प्रथ की प्रतिलिपि करवाई थी। ५७६६. प्रतिसं०२ । पत्र सं० १० । था. ६x४१। ले. काल XI वेटन सं० २११ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लष्कर, जयपुर । विशेष-कारिका मात्र है। ५८००. प्रति सं०३ । पत्रसं० ५३ । प्रा० १०५ x ५३ इश्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल X. पूर्ण । बेपन सं० १३८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी। विशेष-ग्रथ का नाम अलंकार चन्द्रिका भी है। ०१. प्रति सं०४ । पत्र सामा० ११४५। ले० काल x । देशन स० २०८। प्राप्ति स्थान-दिल जैन मन्दिर लरकर जयपुर । ५८०२. प्रति स०५। पत्र सं० १४ । पा० x ५। ले. काल XI वेष्टन सं० २०६। प्राप्ति स्थान दि० जग मंदिर लश्कर, जयपुर । ५८०३, प्रति सं०६। पत्र सं० १२ । प्रा०६३ x ५ इ 1 ले०काल सं० १८२२ प्राधान छुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (दी)। ५८०४. छंदकोश टीका-चंद्रकोत्ति। पत्र सं० १७ । प्रा. १०x४ इञ्च । भाषाप्राकुत-संस्कृत । विषय-छंद शास्त्र। २०काल x | ले. काल x। पूर्ण । वेपन सं० ३१५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बूदी। ५८०५. छंबरश्नावलि-हरिरामदास निरंजनी । पत्रसं०-१७ । आ० १२ x ५ च । भाषा-हिन्दी । विषय-छंद शास्त्र । र०काल सं० १७६५ । ले. काल सं०१९०६ सावण सुदी। पूर्ण वेष्टन सं०१४३३ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष--अथ तथा ग्रंथकार का वर्णन निम्न प्रकार है। Page #655 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६४ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग ग्र य छंदरत्नावली सारथ याको नाम । भूपन बरतीत भरयो कहै दास हरिराम ।।१०।1 रांनतसर नव मुनि शशि नभ नवमी गुरूमान । डीडवानाद की पत हि नथ जन्म थल जानि ।। ५८०६. प्रतिसं०२। पत्र सं० २४ । प्रा०५४ ५१ इञ्च । ले० काल सं० १९३५ ज्येषु सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५८०७. प्रति सं० ३। पनसं० २-२५ । पा०६४ ६ इ'छ । ले. काल र । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मंदिर बयाना । विशेष-५-१०५ पद्य तक है। ५५०८. छबवृत्तरत्नाकर टीका-पं० सल्हरण। पत्र सं० ३६ । भाषा-सस्कृत । विषय- छंद शास्त्र । र०काल X । ले०काल स०१५६५ । पूर्ण । वेष्टन सं०७६ ६०८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंभवनाथ मदिर उदयपुर । ५८०६. प्रतिम-इति पंडित श्री सुल्हण विरचितायां छयोवृत्तौ षट् प्रत्याध्यायः षट समाप्तः ।। सवः १५६५ वर्षे भादपद गासे कृष्णपक्षे १ प्रतिपदा गुरौ श्री मूलसंधे । ५८१०. छंदानुशासन स्वोपज्ञ वृत्ति-हेमचन्द्राचार्य । पथसं १० । ग्रा० १४ x ५ इञ्च । भाषा-संस्कन । विषय-छन शास्त्र । २०फाल x।से काल सं० १५६० । अपुरणं । वेष्टन सं०३३२. २६७ | प्राप्ति स्थान—दि जैन संभवनाथ गन्दिर उदयपुर । विशेष अंतिम ठिपका निम्न प्रकार है इत्वाचार्य श्री हेमचन्द विरचितायां स्वोपज्ञ इंदानुशासनवृत्ती प्रस्तारादि व्यापर नाम षष्ठोध्याय समाप्त । प्रशस्ति-मंवत् १५६० वर्षे कार्तिकमासे महमागान पुसाक लिखितं । महात्मा श्री गुणनंदि फठनार्थ । ५८११. छांदसीय सूत्र-भट्टकेदार । पत्रसं० ६ । ग्रा० ११ x ४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय- न शास्त्र । '२.०काल X ।ले. काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० २२७ । प्राप्ति स्थान दि० जन अग्रवाल मन्दिर रक्ष्यपुर। ५८१२. नंदीय छंद-नंदिताय । एत्र सं ८ । आ०१०x४ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषयखुद शास्त्र । 7.41 x ले काल सं० १५३८ पासोज बुदी ६ । पुरा । वेष्टनसं०४३ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष-१४ माचाए हैं। ५८१३. पिगलशास्त्र--नागराज । पत्र सं० ११ । प्रा० १०३४४इच । भाषा-प्राकृत । विषय-द शास्त्र । र.काल x ले काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ३४२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर प्रमिनन्दन स्वामी बूदी । Page #656 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अलंकार एवं छन्द शास्त्र ] [ ५६५ ५८१४. पिंगल सारोद्धार-x। पत्रसं०२०। प्रा०८२ x ५ इ । भाषा-संस्कृत । विषय-छंद शास्त्र । र०कान x ले०काल सं० १६६१ । पूर्ण । वेष्टन सं०१७३-१३३ । प्राप्ति स्थानदि जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष-जयदेव ने प्रतिलिपि की थी। ५८१५. पिंगलरूपदीप भाषा-X । पत्र सं०६ । प्रा०६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-छंद शास्त्र । र०काल सं० १७७३ भादवा सूदी। ले०काल सं० १८८६ । पूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पाण्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा)। विशेष-सोरठा-द्विज पोखर तेन्य तिस में गोन कटारिया। मुनि प्राकृल सौ न तैसी ही भाषा रची ।।५४।। दोहा बावन बरनी चाल सब जैसी मोम बुद्ध । भूलि-भेद जाकी कह्मो करो कवीश्वर सद्धि ।।५।। संवत् सतरं सै वरष उर तिहत्तर पाय । भादी सुदि द्वितीय गुरु भयो. प्रथ सूखदाय ।।६।। इति श्री रूपदीप भाषा नथ संपूर्ण । संवत् १८८६ का चैत्र सुदी ७ मंगलवार लिखिलं राजाराम । ५६१६. प्राकृत छंद ... पत्रसं०९ । मा० ११४५ हच भाषा-प्राकृत । विषष--छद । र० काल X । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ११३४ । प्राप्ति स्थान-म० दि जैन मन्दिर अजमेर। ५८१७. प्राकृत छन्दकोश-x। पत्र सं०७ । प्रा० १२४४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-छन्द । १० काल X । ने. कान X । वेष्टन सं० ४५८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर ५८१८. प्राकृत लक्षण-चंड कवि। पत्रसं० २०। या० १०.४४ इन्च । भाषा - संस्कृत। विषय-छन्द शास्त्र । २० काल X ।ले०काल x। पूर्ण । थेष्टन सं० १२५७ । प्राप्ति स्थान-मन दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५८१६. बडा पिंगल . .X । पत्र सं०३७ । पाot.x४१ इच । भाषा संस्कृत । विषयछन्द । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७२-१६२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ५८२०. भाषा भूषण-जसवंतसिंह। पत्र सं० १५ । प्रा०६x४३ इञ्च । भाषा - हिन्दी (यद्य) । विषप–मलंकार शास्त्र । २०काल x | ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं. २ प्राप्ति स्थान-दि० इन मन्दिर राजमहल टोंक। विशेष- अन्तिम पाठ निम्न प्रकार है लक्षिन तिय अरु पुरुषके हाव भाव रस घाम । भलंकार संजोग ते भाषा भूषण नाम ॥ भाषा भूषरण अथ को जे देखे चित लाइ । विविध प्ररथ सहित रस सभुझे सब बनाइ ॥३७. इति श्री महाराजाधिराज धनवंधराधीश जसवस्यंध विरचिते भाषा भूषण सपरणं । Page #657 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५८२१. रसमंजरी—मानु । पत्ररां० २१ । प्रा० १०४ ३६ इन्च । भाषा -- संस्कृत । विषय -रस अलंकार । र०कास - ।. कार्ग : देश नं. २ प्राप्ति स्थान-- दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रति प्राचीन है। ५८२२, रूपवीपक पिंगल-४। पत्रसं० १० प्रा०x४. इच। भाषा-हिदी। विषय-चन्द शास्त्र । २० काल सं० १७७३ भादवा सुदी २ । लेकाल सं० १६०२ सावरण बुदी ६ । पूर्ण। वेष्टन सं० १०१५। प्राप्ति स्थान-मदि० जैन मंदिर अजमेर । इसका दूसर" नाम पिंगल रूप दीप भाषा भी है। ५८२३. वागभट्टालंकार वागभट्ट पत्र सं० २१ । प्रा० ११४५इश्च । भाषा-संस्कृत। विपय- अलकार । र०कालले०काल स. १९०४ वंशाख सूदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२५७ । प्राप्ति स्थान-भ. दि जैन मंदिर अजमेर । विशेष-इसकी एक प्रति और है । वेष्टन सं० ४६१ है। ५८२४. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३१ । पा० १०४४३ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. ११२४ । प्राप्ति स्थान--भ. दि. जैन मन्दिर प्रजमेर । ५६२५. प्रतिसं०३१ पत्र सं० १४ । ग्रा० १०४५१ इच। ल० काल सं० १७६७ चैत सुदी । वेष्टन सं० २०५ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ पौगान बूदी 1 विशेष · पंडित शालचन्द ने तक्षकपुर में लिखवाया था। ५८२६. प्रतिसं० ४। पत्रसं. २८ । श्रा०१०x४३ इञ्च । लेकालx । पूर्ण । बेष्टन सं. १३१ । प्राप्ति स्थान- - दि. जैन मन्दिर नागडी दी। ५८२७. प्रतिसं०५। पत्रस० ३१ । श्रा० ६x४ इञ्च । ले. काल सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर बोरसली कोटा । विशेष-भिखापित पडित जिनदारोन स्वपठनार्थ । ५८२८. प्रति सं०६ । पत्र सं० १६ । प्रा० १२४४ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२६,५५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ५८२६. प्रति सं०७। पत्रसं० १० । ले० काल सं० १५६२ आषाढ बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं. ३२५/२५८ । प्राप्ति स्थान--उपरोक्त मतिर । ५८३०. प्रति सं०८ । पत्र सं० ७ । आ. १०४४३ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८५/७७ । प्राप्ति स्थान-वि जैन मन्दिर कोटड़ियों का हंगरपुर । ५८३१, प्रति सं० । पत्र सं० १७। मा० ११३४५३ इञ्च । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं. ४५१ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपूर । विशेष-प्रनि संस्कृत व्याख्या सहित है। ५८३२. प्रति सं०१०। पत्र सं० ११ 1 प्रा० १११४५३ इच। ले. काल x | अपूर्ण । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर लश्कर जयपुर। .. Page #658 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अलंकार एवं छन्द शास्त्र ] [ ५९७ ५८३३. प्रति सं० ११० १०० ११३५ इन्छ । ले० काल सं० १०११ भाषा बुदी १ धपूर्ण वेष्टन सं० ४५५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ले०हान X धपूर्ण बेन सं० - ५८३४ प्रतिसं० १२०८६ मा० ११४५ इञ्च १३४ प्राप्ति स्थान दिन भगवान मंदिर उदयपुर । ५८३५. प्रति सं० १३ । पत्रसं० २३ । प्रा० १०३ ५४ इञ्च । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ५८३६. प्रतिसं०] १४ प पं० २१४ प्राप्ति स्थान दिन नाव मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रांत संस्कृत टीका सहित है । ५८३७. वाग्भट्टालंकार टीका-जिनवर्द्धन सूरि पसं० ४ संस्कृत विषय अलकार १० काल x । ले० काल x पूर्ण वेटन सं० भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ० २३ प्रा० ११४५ इन्च ते० काल X पूर्ण वेष्टन ५६३८. वाग्भट्टालंकार टीका वर्द्धमान रिपत्रसं० २० संस्कृत विषय सकार २०काल X ते झाल ४ पूर्ण देन सं० ४५२ मन्दिर लम्कर, जयपुर । ० - ५८३६. वाग्भट्टालंकार टोका- वादिराज (पेमराज सुत) इच भाषा-संस्कृत विषय धसकार र०का सं० १७२६० पूरा ४५३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष टीका का नाम कविचद्रका भी दिया है। ५८४०. वाग्भट्टालंकार टोका - x | पत्र स ३ । विषय-कार र०काल । फाल । पूर्ण वेष्टन सं० १२६८ मन्दिर अजमेर | ० ११३४ ५ भाषा११५८ । प्राप्ति स्थान--- ब० १९४३ भाषाप्राप्ति स्थान दि०जैन पत्र स० ५६०१२४५ सं १८४२ भादवा सुदी ५। ० १०३४५ इंच | भाषा-संस्कृत | प्राप्ति स्थान भट्टारकीय दि. जैन १०४४३ इंच भाषा-संस्कृत ३२२ प्राप्तिस्थान – दि० ५६४१. वाट्टालंकार टीका-पत्र स. २७ मा० विषय प्रलंकार | र०का X ० काल स. १७५१ पूर्ण वेष्टन जंन प्रग्रवाल मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति - निम्न प्रकार है । स. १७५१ वर्षे माघमासे शुक्लपक्षे तिथी दशम्यां चन्द्रवासरे श्री फतेहपुरमध्ये लि. ले पाठकयो शुभं । प्रति सुन्दर है । ४०४२. वाग्भट्टालंकार वृत्ति - x पत्र सं० ५७ मा १०५ इंच भाषा-संस्कृत | । । । विषय— अलंकार शास्त्र र०काल ले.काल x अपूर्ण वेष्टन स. ५१० प्राप्ति स्थानम. दि. जैन मन्दिर अजमेर 1 i पत्र ५८४३.. वाग्भट्टालंकार वृत्ति - ज्ञानप्रमोद वाचकगरि इस भाषा – संस्कृत विषय- अलंकार । २. काल स. १६८१ । ले काल x स्थान- दि. जैन मन्दिर प्रादिनाम बुंदी | ५७.१२४३ । पूर्ण ३ १४२ । प्राप्ति स. Page #659 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५८४४. वृतचन्द्रिका-कृष्णकधि । पत्र स. २-४४ । प्रा. ६x६ इंच । भाषा हिन्दी (पद्य) । विपत्र-छंद शास्त्र । र.काल । ले. काल स. १८१६ । अपूर्ण । वेष्टन स. ३५३ । प्राप्ति स्थानभ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष -पुष्पिका निम्न प्रकार है। इति श्री कृष्णकवि कलानिधि कृत वृतचन्द्रिका मात्रावर्ण वृत्त निरूपणं नाम द्वितीय प्रकरण। मात्रा छंद एवं वर्ण छंद अलग २ दिये है। मात्रा छंद २१६ एवं वरी छंद ३८० हैं। ५८४५. वृत्त रस्माकार .. :: . . Ex . आषा-प्राकृत । विषयछंद शास्त्र । र०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन स. १६६ | प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) ५:४६. यस रत्नाकार.. मद्र केदारपत्र स० । आ. x४ इंच। भाषा-संस्कन । विषय- छंद शास्त्र । र०काल x | लेकाल सं० १८१६ माह मुदी १० । पूर्ण । वेष्टन स. १२४२ । प्राप्ति स्थान-म. दि.जैन मन्दिर अजमेर। ५८४७. प्रति सं० २ । पत्रसं० सं० ८। या० १० x ४ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११११ । प्राप्ति स्थान-भ. दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५८४८, प्रतिसं०३। पत्र सं० ११ । प्रा० १०.४५ । ले०काल सं० १७७६ सावरण बुदी । पूर्ण । वेष्टन २०११६० । प्राप्ति स्थान -भ दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५८४६. प्रति सं०४१ पत्रसं० । आ० १०४५ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ६६४ । प्राप्ति स्थान---भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५८५०. प्रति सं० ५। पत्रसं० ४ । प्रा० १०१ ४४ इञ्च । ने. काल ४। पूर्ण । वेष्टन संक २६४-१०५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का ईगरपुर ।। ५८५१. प्रतिसं०६। पत्र स० १८ । प्रा. १०३४४१ हाम्न् । ले. काल । पूर्ण । वे० सं० १९६-८० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का कैंगरपुर । ५८५२. प्रतिसं०७ । पत्र सौं० २४ । प्रा० ११५ x ५ इश्च 1 ले० काल x । वेष्टन स. ४५६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लपकर, जयपुर । ५८५३. प्रतिसं० । पत्रसं०१० । ग्रा. ११३४५१ च । ले. काल सं० १९३८ ज्येष्ठ बुदी४। वेष्टन सं०४५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-सवाई जयपुर के मादिनाथ चैत्यालय में विद्वान् कृष्णदास के शिष्य जिनशास के पठनार्थ लिखा गया था। ५८५४. प्रतिसं० ९ । पत्रसं०३ । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६८ । प्राप्ति स्थान - दि० जन तेरहपंथी मन्दिर बरावा । ५८५५, अतिसं० १० । पत्रसं० १२ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७२, ६०६ 1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मंदिर उदयपूर । विशेष-यह प्रतियाँ और हैं जिनके वेटन सं०७३.६१० से ७८/६१६ हैं। Page #660 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अलंकार एवं छन्द शास्त्र ] [ ५९६ T ५८५६. प्रतिसं० ११ पत्र सं० ५७ ० ११४५ इंच ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । ५८५७. प्रति सं० १२ | पत्र सं० १४ | आ० १०५५ इव । ले० काल सं० १८२६ मंगसिर मुदी ४ । पूर्णं । येष्टन सं० २५६ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा | ५८५८ प्रतिसं०१३ सुदी २ बेटन सं० ६/१२ विशेष - दुम्बर प्रदान किया था । | पत्र [सं०] १४ | द्या० १२ X ५३ इच। ले० काल सं० १६४० माघ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) | हुम्बद जातीय बाई जी श्री बाई ने भट्टारकवादिचन्द्र के शिष्य ब्रह्म थी कीत्तिसागर को ५८५६. प्रतिसं० १४ ए०१६ ०१० ५ इञ्च लेकान सं० १७२० पूर्ण सं०] ८० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बुंदी ५८६०. प्रतिसं०] १५ पत्र सं० २० आ० ११ x ६३४ । जे०काल x पुणे वेष्टन ० ११७ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूंदी | ५८६१. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० ४ या० १०३ X ४३ इ० कान X अपूर्ण वेष्टन ० १२२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबाना (बुंदी) | - ५८६२. वृत्तरत्नाकरात्रि ११ संस्कृत । विषय छन्द शास्त्र । २० काल X | ले०काल सं० १८१६ । पू । वेष्टन सं० ६९ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी। विशेष— भानपुर में रिषभदास ने प्रतिनिधि की थी। । ५८६३. धूसरत्नाकर टीका पं० सोमचन्द्र पत्र ०१४। भाषा विषय छंद शास्त्र ५० काल सं०] १३२५ । ०काल x । पू । वेष्टन ७१ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष – रचनाकाल निम्न प्रकार है । श्री विक्रमफल मंदकर कृपीटयोनि कृपीटयोनिवि संध्ये ( १३२५) समज सिवि वृत्तिरियं मुख्य बोधा करी । ५८६४. वृत्तरत्नाकर टीका-जनार्दन विबुध संस्कृत विषय छंद शास्त्र २० काल X ले० काल X। दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूंदी | विशेष - प्रशस्ति इति थी जनार्दन विबुध विरचितायां भावार्थ दीपिकायां वृत्तरत्नाकर टीकायां प्रस्तारादिनिरूपण नामा षष्टो अध्याय । ० काल X। पूर्ण वेटन ५६६६. वृत्तरत्नाकर वृत्ति-समयसुंदर पत्र [सं० ४२ । ० १०५ च भाषासंस्कृत । विधय-छंद शास्त्र र०काल X से काल XI पूर्ण वे० सं० २०५ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी १ [सं० २८० १११ पूर्ण वेष्टन सं० ११६ भाषाप्राप्ति स्थान ५८६५. प्रतिसं० २ १ ० ३३ ०६ सं० २१० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी। Page #661 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०० । [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग : अन्तिम पुष्पिका-इति वृतरत्नाकरे केदार शैव विरचिते छंदसि.समयसुन्दरोपाध्याय विरचिते सुगम वृत्तो षष्टोऽध्याय ॥७५०॥ ५८६७. प्रति सं०२१ पत्र सं० ३० 1 श्रा० १० x ४ इञ्च । ले. काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) । ५८६८. वृत्तरत्नाकर बृत्ति-हरिभास्कर । पत्रसं० ३७। प्रा० ११४५१ इञ्च | भाषासंस्हात । विषय - छर शास्त्र । र० काल X । ले०काल सं० १८४७ पौष सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान-दि०'जैन मन्दिर मोरसली कोटा । ५८६६. शब्दालंकार दीपक–पौडरीक रामेश्वर । पत्र सं०१८ । या० १.१४४३ च । भाषा - संस्कृत । विषय--अंलकार । र०कालx | ले. काल सं० १९२७ चैत्र सुदी १५ । वेष्टन सं० २१० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ५८७०. श्रतबोध-कालिदास । पत्र सं०६ । श्रा० ११४४ इंच । भापा-संस्कृत । विषय-छंद शास्त्र । २० कालX ले० काल सं० १८६८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४१८ । प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मंदिर अजमेर । ५८७१. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ५ । प्रा० EX४ इञ्च 1 ले कास्य ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १२६५ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५८७२. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २ । प्रा० १.३४४१ इन्ध । ले०काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं. ६६६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अजमेर। ५८७३. प्रति सं०.४ । पत्र सं० ४ । लेकाल. ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर मरतपुर । ५८७४. प्रति सं०५ । पत्र सं० ६ । प्रा० १०१४४ इञ्च । ले. काल सं० १८४४ । पूर्ण। बेष्टन सं० ३७०-१४१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । ५८७५. प्रतिसं०६ । पत्र सं०७ । प्रा० x ५ च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६७-१०६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कौडियों का हूगरपुर। ५८७६. प्रतिसं०७ । पत्र सं० ६ । प्रा० x ५१ इञ्च । भाषा-सस्कृत | विषय -छंद । २. काल X । ले०काल सं० १८३५ । पुर्ण । बेष्टन सं० २४८-१९ । प्राप्ति स्थान-दि० बन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर। विशेष-सागपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ५८७७. प्रति सं० ८ । पत्रसं० ४ । प्रा० १.१४ ४३ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ५८७६. प्रतिसं० १ । पत्रसं० ६ । आ०१०४ ४ इन्च । ले० काल सं० १८६५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४८ । प्राप्ति स्थान -दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) । विशेष—इन्दरगन में प्रतिलिपि हुई थी। Page #662 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अलंकार एवं छन्द शास्त्र ] [ ६०१. - - - - - ५०७६. प्रति सं० १० । पत्रसं० ४ । प्रा० १०४ ४६ इञ्च । लेकालX । पूर्ण । येष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना (दी)। विशेष-भ० पेन्द्रकीति ने प्रतिनिधि की थी। ५८८०. प्रति सं० ११ । पत्र सं० ३ । प्रा० १०३५४६ इन 1 ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१० । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दबलाना (दी} . . ५५८१. प्रति सं० १२ । पत्र सं० २ । आ० १.१ . ५ इञ्च । ले०काल सं० १८८२ । पूर्ण । बेष्टन सं०८६ । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर दवलाना (दी) 1 विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है . संयन् १९८२ आषाढ़ मासे शुक्ल पक्षे तृतीवायां गुस्वासरे सवाई जयपुर मध्ये हरचन्द लिपिकृत वाचकानां ।। ५८८२. प्रतिसं०१३। पत्र सं० ५। पा० १०:४५ इञ्च । ले०काल सं० १८७७ । येष्टन सं० २०७ । प्राप्ति स्थान - दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ५८८३. प्रतिसं०१४ । पपसं०६। या०६१४४३ इन्च । ले. काल सं० १९७७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११० । प्राप्ति स्थान - दि जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर। ५८६४, प्रति सं १५१ पत्र सं० १५ । पा० ६x६ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०५९ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी मालपूरा (टोंक) ५८८५. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० ४ । प्रा०८:४६ इञ्च । खे काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) ५८८६. प्रति सं०१७ । पत्र सं०४ । मा०६४६ इच । ले०काल ४ । पूर्ण । मेष्टन सं. ६५ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर कोटयों का नावा । ५८८७. प्रति सं०१८ । पत्र सं०४ । प्रा. १०४६ च । ले. काल x | पूर्ण । बेष्टन सं. ३१:१६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर पचायती दूनी (टोंक) ५८८८. प्रति सं० १६ 1 पत्रसं० ३ । प्रा० १०६x४३ इन्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २८४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मदिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी । ५५८६. श्र तबोध टीका-मनोहर शर्मा । पत्रसं० १४ । प्रा० ७३ - ४ इञ्च 1 भाषा-- संस्कृत । विषय-चन्द शास्त्र । र० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २३५ । प्राप्ति स्थान-- भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ५८६०. श्रुतबोध टीका-वरशर्म । पत्रसं० १२ । प्रा० ११४६ दश्च 1 भाषा - सस्कृत । विषय-छन्द शास्त्र । १० काल ४ । ले. काल सं० १९३३ वैशाख सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १.१२ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर बढ़ा बीसपंथी दौसा । ५८६१. श्च तबोध टोका-हर्षकीति। पत्र सं० २० प्रा० ११३४४३ इञ्च । भाषा- संस्कृत। विषय - इन्द्र शास्त्र । र०काल X । ले. काल सं० १६.१ भादवा सुदी ७ रणं । वेष्टन सं. २६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) ५५० Page #663 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०२ ] [ ग्रन्थ सूत्रो-पंचम भागः ५८६२. शृंगारदीपिका-कोमट भूपाल । पत्र सं० ६ । श्रा० १०x४ इञ्च । भाषासंस्कृत। विषय- २स अलंकार। २०काल x। ले. काल ४ । पूर्ण । वेपन सं० १०१। प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दवलाना (बू'दी) ५८१३. संस्कृत मंजरी-x। पत्र सं० ६ । पा० १०x४ इञ्च । माषा---संस्कृत । विषय---- छन्द । र० काल x। ले० काल x | पूर्ण । वेष्टनसं० २४५-६५ 1 प्राप्ति स्थान-दि.जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । विशेष--प्रति प्राचीन है। Page #664 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-नाटक एवं संगीत X ५५९४. इन्द्रिय नाटक---- 1 पत्र सं० १६। प्रा० ५२४७३६च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय--ताटक । २० काल सं० १९५५ : ले. काल ४ ! पूर्ण । वेष्टन सं० १५० । प्राप्ति स्थान–दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष-नाटक की रचना अथकार ने अपने शिप्य तिलोका पाटनी, राजबल्लभ नमीचन्द फुलवन्द पटवारी खेमराज के पुत्र प्रादि की प्रेरणा से प्राषाढ मास की अष्टाह्निका महोत्सव के उपलक्ष में सं० १९५५ में केकष्टी में की थी। रचना का आदि अन्त भाग निम्न प्रकार है। प्रादि भाग परम पुरुष प्रमेस जिन सारद श्री वर पाय । यथा शक्ति तुम ध्यानते नाटक कह बनाय ।। X इक दिन मनमंदिर विष सुधिधि धारि उपयोग । प्रकट होय देखहि विविध इन्द्रीन को अनुयोग ।। अन्तिम भाग जिय परत त्रिय भेद बताई। शुभ र अशुभ बुद्ध यू गाई । नाटक अशुभ शुभई दोय जानू । शुद्ध कथन अनुभव हिमा ।। सो नाटक पूरण रस थाना, पडित जन उपयोग लगाना । उतपत नाटक की विध जाा। विद्या शिष्य के प्रेम लखानु । अष्टाह्निक उत्सद जिन राजा । साह मास का हुआ समाजा। शुल्क तिथि ग्यारस मुज पासा । प्राये शिष्य नाटक करि प्रासः ।। मोत पारशी नाम तिलोका, राजमल्ल नेमीचन्द कोका। फूलबन्दजी हैं पटवारी, कहे सब नाटक क्यों कहो सुखकारी ॥ सेमराज मुत बैन उचारी, इन्द्री नाटक हे उपकारी। धर्म हेतु यह काज विचारयो, . नाना अर्थ लेय मन धारयो । Page #665 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०४ ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग लाज त्याग उद्यन इस काजा, ला भेद वदन अरामाजा। पारन क्षमा करो वृधि कोरी, हेर अथ कु ल्याय घटोरी।। नीर बूद मधि सीप समाई, केम मुक्त नहीं हो प्रभुनाई। कर उपकार सुचारहु कीरा, रति एह नहि तुम धीरा ।।७।। कवि नाम अरु गाम बताया, अई दोष चौपई पर गाया। मंगल नृपति प्रजा सब साजर, ए पुरण भयो समाजा ।।८।। नांदो निरजीयो साधी, अन्त समाधी भिलो सतकर्मी। धर्मधासना सब गक्षदायी, _रहा अन्वड यु होव बहाई ।। उगगीसो पचान विर्व नाटक भयो प्रमाल । गांव के कडी धन्य जहां रहे सदा मतिमान ।। ५८६५. ज्ञानसूर्योदय नाटक- वादिचन्द्रसूरि । पत्रस. ३७ । प्रा०८४५३। भाषा-- संस्कृत विषय-नाटक । २० काल सं. १६४८ मात्र सुदी ८ । सं० काल सं० १८०० । पूर्ण । वेहन सं. १२९४ । प्राप्ति स्थान--भ० दि० जंन मन्दिर, अजमेर । ५८९६. प्रति सं० २ । परां० ४३ । प्रा० ११४५. इञ्च । लेकाल ४। पूर्ण । वेष्टन सं. १२५६ । प्राप्ति स्थान--..म० दि० जैन मदिर अजमेर । ५८६७. प्रति सं०३। पषतं०३१। प्रा० १२४५३ इन। ले०काल सं० १९२८ आषाढ सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन रां०५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-केशरीसिंह ने प्रतिलिपि की थी। ५८६८. प्रतिसं० ४ । पत्रस० ३६ । व्या० १२४५ इञ्च । ले०काल सं० १७६२ कार्तिक सुदी ३। पूर्ण । देष्टन सं० २४१ । प्राप्ति स्यान--दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ५९. प्रति सं०५ । पम सं० ३३ । प्रा० ११४५ इन्च । ले० कान सं. १७३० पासोज बुदी ५। पूर्ण । वेटन सं० ५२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर दूनी (टोंक) विशेष-यावर नगर में शांतिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की गयी थी। ५६००. प्रति सं०६ । पत्र रा०६६ । श्रा०६x४ च । ले. काल सं० १८७४ माघ बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३४ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मंदिर, करौली। विशेष-गुमानीराम के सुपुष जीमनराम ने लिखकर करौली के मन्दिर में चढ़ाया था। Page #666 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाटक एवं संगोत ] [ ६०५ ५६०१. ज्ञानसूर्योदय नाटक भाषा--भागचन्द । पत्रसं०६ । प्रा० १०.४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्म)। विषय----नाटक । र. काल सं० १९०७ भाश्या सुदी ७ । ले० काल सं० १९२६ ज्येष्ठ सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन स० ६२ । प्रारित स्थान-भ० दि जैन मंदिर यजमेर । ५६०२ प्रति सं० २ । पत्रसं.. ६.१ । आ० १० x ५ च । ले. काल सं० १६१६ । पूर्ण । देष्टन सं० ३५५ । प्राप्ति स्थान- वि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ५६०३. प्रतिस०३ । पत्र. ५१ : काल सं० १६५२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन बहा पंचायती मन्दिर डीग। . ५६०४. प्रतिसं०४ । पत्र सं० १०४॥ प्रा. १२४५ इच । ने.काल सं० १९१५ भादवा 'सदी ३१ पूर्ण । वेष्टन सं० १० 1 प्राप्ति स्थान- दि.जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग। ५६०५. प्रति सं० ५। पारा ५५ । ग्रा० १०३४६ इञ्च । ले० काल १९२६ । पूर्ण । वेटन सं० ३३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर बयाना। ५६०६. प्रति सं० ६। पत्रसं० ८३ । ग्रा० ११४५. इञ्च । ले० काल सं० १६३७ जेष्ठ सुदी २1 पूर्ण । वेग सं० ११ । धादिः स्थान---दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर विशेष-पालमग्राम में श्रावक अमीबन्द ने प्रतिलिपि की थी। लाला रिसवदास के पुत्र रामचन्द्र ने लिखवाबा था। ५६०७. प्रतिसं०७ 1 पत्र स० ८४ । प्रा० १०४६ इच। लेकाल सं० १९४१ बैशाख सुदी १४ । पूर्ण : वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर श्री महावीर स्वामी दी। ५६०८. प्रति सं० । पत्रसं०५४ मा० १२३४८ इञ्च ।ले. काल सं० १९३६ वैशाख बुदी ५ । वेष्टन सं० २६.१०८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ५६०६. प्रति सं० । पत्र सं० ७२ । पा० १३.८ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. १०३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर। ५९१०. प्रतिसं० १० । पत्र सं० ५६ । आ० १०:४७ इञ्च । ले० काल - । पूर्ण। वेष्टन सं० १०४ । प्राप्ति स्थान--दि जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर। ५६११. प्रति सं० ११ । पनसं० ६३ ले बाल सं. १६१४ । पूर्ण। बेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मंदिर हण्डावालों का डीग । ५६१२. ज्ञानसूर्योदय नाटक पारसवास निगोत्या। पत्र सं०७६ प्रा० ११:४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय- नाटक । १०काल रं०१६१७ वैशाख बुदी ६ । ले. काल ४ । अपूर्ण । वेटन 'सं०५३८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लयकर, जयपुर। ५६१३. प्रतिसं० २। पत्र सं०५० । श्रा० ११३४ ८१ इञ्च । ले०काल X । प्रपूर्ण । 'बेपन सं०५३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। . . . ५६१४. प्रति सं०३ । पत्र सं० १०५ ! या० ६x६ इन्च ले० काल सं० १६१५ । पूर्ण : विष्टन सं० ५.२ प्राप्ति स्थान-दि: जन पंचायती मन्दिर कामा। ... ५६१५. प्रति सं०४ । पत्र सं० ४० [.या०.१२३ ४ ७ इञ्च । लेकमेल सं १९३४ । पूर्ण। बेटन सं० २४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर चौधरियान मालपुरा (ठौंक)।...... Page #667 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५६१६. प्रति सं०५ | पत्रसं०४७ । पा० १२४५३ इन्च । लेकाल सं० १९३६ (ना०२-४१८८२)। पूर्ण । वेष्टन सं०११४-८७ । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष-राजा सरदारसिंह के राज्य में प्रतिलिपि हुई थी। २६१६. प्रति सं०६। पत्र सं०३५ । श्रा० ११.८ इञ्च । ले. काल सं० १९३६ फागुण बुदी ७ । वेष्टन सं० २२३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । ५६१८. ज्ञान सूर्योदय नाटक--X । पत्रसं० ६७ । भाषा-हिन्दी । विषय-नाटक | र० काल र । लेक काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २८:१७३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायतो मन्दिर मलबर। ५६१६. प्रतिसं० २१ पत्र स० ५७ । ले. काल - । पूर्ण। धेष्टन सं० ३०११६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पत्रायती मन्दिर अलवर । ५६२०. प्रबोध चंद्रोदय नाटक-कृष्णमिश्र । पत्रसं० ७० । प्रा० १३६ ४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विशेष... नाटक । र. काल X । लेकाल मं० १७९५ । पाँ। बेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-योनित रामदास कृत संस्कृत टीका सहित है । बीच में मूल तथा ऊपर नीचे टीका है। सं० १७६५ व लिपिकतं बधनापुर मध्ये अविराम पठनार्थ प्रहोल (पोहित) उराम । ५६२१. प्रति सं०२। पत्र सं० ६८ | अ० ११४५३ इच । ले० काल x पूई । वेष्टन सं. १। प्राप्ति स्थान -दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। विशेष इति श्रीमदभट्ट विनायकात्मज दीक्षित रामदास विरचित प्रकाशाख्ये प्रवोष चन्द्रोदय नाटक व्याख्याने जीवन्मुत्तिः निरूपणं नाम षष्टाक । ५६२२. मदनपराजय - जिनदेवसरि । पत्रसं० ५२ । प्रा०१०-५ इन्ध । भाषा संस्कृत । विशेष-नाटक । २० काल X । ले० काल सं १९२८ प्रामोज सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५४२३. प्रति सं०२ वषसं०७४ । प्रा११४५ इच। ले०काल सं० १८४१ वैशाख मुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६८ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष प्रति हिन्दी टीका सहित है। ५६२४. प्रतिसं० ३। पत्रसं० ४६ | आ० ११४४ इन्च । ले. काल सं० १६०७ फाल्गुन बुदी ५ सोमवार । पूर्ण । वेष्टन सं०१३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ५६२५. प्रति सं०४ ... । पत्र सं० ३५ । आ. ११४४६ इञ्च । ले. काल सं. १८०० ज्येष्ठ सुदी १२ । श्रेष्टन सं०६४ । प्राप्ति स्थान -.-दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष-लवारा नगर के चन्द्रप्रभ चैत्यालय में पं० भ० महेन्द्र कीति ने प्रतिलिपि कराकर स्वयं ने संशोधन किया था ! ... ! ५६२६. प्रति सं० ५। पत्र मं० ३७ । मा० ११४५ इञ्च । से०काल सं० १६२६ मंगसिर चुदी ४३ पूर्ण । वेश्न सं १७४ प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर। विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है Page #668 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाटक एवं संगीत ] [ ६०७ १९२१ श्री रवी बलात्कार कुंदकुदानावय भ० पचनन्दिट्टे भट्टारक सकलकीर्ति उता वनकीति तता मट्टारक ज्ञानभूषणदेवा तत्पट्टे भट्टारक तत्पष्ट विजयदेवात् मट्टारक चन्द्रदेव तत्पट्ट भट्टारक सुमतिकीर्तिदेवा आता प्राचार्य श्री सकलभूषण शुरुपदेशात्र शिष्य प्र० हरखा पदार्थ मीलोडा वास्तव्य हुबडजातीय दो. मुसा भार्या बा. प्रतिनि यो त धर्मभारपुरंधर जिनपूजापुरदर पाहाभययशास्त्रदान वितरकतत्पर जिनशासन गार हार दो संकर भाव समये एतेषां मध्ये दो. शंकररतेन स्वज्ञानावरणी कर्म क्षयार्य श्री मदन पराजय नाम शास्त्र लिखाप्य दत्त त्रा. शिवाय तत् शिष्य पंडित वीरभाग पटना। प्रा० १० X ४] इ ५६२७. प्रति सं० ६ पत्रसं०] १२ ख़ुदी । पूर्ण वेष्टनसं० १६७ । प्राप्ति स्थान काम सं० १६६० बैशाख दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। प्रशस्ति - संवत् १६६० वर्षे मिती वैशाख मासे शुक्ल पक्षे नवम्यां तियाँ रविवासरे श्री मूलसंधै याम्ये सरस्वतीच्छे कुंदकुंदाचाये मंडलाचार्य श्री नेमिचन्द्र जी पट्टे मंडलाचार्य श्री यशकीर्ति सच्छिष्य ब्रह्म गोपालदास स्टेनलिपिकृतमिदं मदनपराजयाह्वयं स्वात्मपठनार्थ कृसनगढ मध्ये | ५६२८. प्रतिसं० ७ पण सं०] ५१ ३०३२६ प्राप्ति स्थान -- — मा० १० x ५ इन्च लेकास सं० १८४२ चैत वृदि दिन मन्दिर पाश्र्श्वनाथ चौगान बूंदी। ० १०३ ४ ५ दश । ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ५६२६. प्रति सं० ८ प ० ३१ १३७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी | } ५६३०. प्रतिसं० १ पत्र ०८२० X ४३ । ले० काल x पूर्ण बेटन सं० १३८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। ५६३१. प्रतिसं० १० । पत्र [सं० ५९ ० कान पूर्ण सं० ५५-३५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डुंगरपुर 1 वखतराम साह । पत्र सं० १८३ । भाषा हिन्दी । विषयफा०] १९१२ पासोज सुदी १३ पूर्ण ५६३२. मिथार खंडन नाटक नाटक २०फाज सं० १८२१ पोष सुदी ४ १४६ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ५६३३. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १०२ ॥ श्र० १०३४ ६०क० १८५७ चाचाद सुदी १५ पूर्ण बेत सं० २६-६७ स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) | विशेष तक्षिकपुर में पं० शिवजीराम ने सहजराम न्यास से लिखवाया था। ५६३४. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० १८ । आ० ९ ४ ६ इंच । ले० काल X अपूर्ण वेष्टन सं १२२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक) । ५६३५. प्रतिसं० ४ पत्र सं० १६ से ११२०६६इ ले काल सं० १८४५ अपूर्ण सं० १९२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिरे राजमहल टॉक 1: ५३६. प्रतिसं०] [५] एवं सं० १०१ पा० १० X ४ इका० १०८८ पूर्ण । वेटन सं० ५६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पंचायती दूनी (टोंक) | विशेष-दूनी के जैन मन्दिर में सं० १९३६ में हजारीलाल ने चढाया था। 11 Page #669 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०८ ] ५६३७ प्रतिसं० ६ । पत्रसं० ११ सं० ७३ | प्राप्ति स्थान महायागुमानीराम देवग्राम वासी ने सलकपुर में प्रतिलिपि की थी। सुदी । पूर्ण विशेष - [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग १०५ खोज दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) | — ५६३८ प्रतिसं० ७ पत्र सं० ३६ । ग्रा० १३x४३ इव । ले० काल x । अपू । वेष्टन सं० ६५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी। - ५६३६. प्रतिसं० ८०५८० ११३४३ इ० काल । अपूपेन सं० २०० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। ५६४०. प्रतिसं० २०४५० १२५ इन्च ०काल X अपूर्ण ट सं० २३० प्राप्ति स्थान मन्दिर बोरसली फोटा । । दि० जैन ५९४१. प्रतिसं०, १० प० १२७ ० ९२X४९ इच ले०कास X पूर्ण वेष्टन सं० १४६ ६७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर ५४२. प्रति सं० ११. ० ६३ । ० १२३४ ६४ इञ्च । ले० काल X | पूर्ण । वेप्टन [सं०] ४३३० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटियों का बेरपुर ५६४३. प्रतिसं० १२ । पत्रसं० ११५ । आ० ११ x ५ इव । ले० काल सं. १८६१ प्राप ख़ुदी ५। पूर्ण बेष्ट सं० ६०-५७ प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा | बेटन सं० ५० प्राप्ति स्थान दि० विशेष- शुद्ध एवं उत्तम प्रति है। ५९४४ १३ सं० २०० १२० ६ ० सं० १९५७ जेठ १५ पूर्ण वा पंचायती मन्दिर अलवर ५२४५ मियात्यखं नाटक पसं० २५०१२ विषय-नाटक र०काल X | ले० काल सं० १६५५ । पूर्ण जी । वेष्टन सं० २०७८ स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । पूर्ण ५६४६. हनुमन्नाटक-मिश्र मोहनदास प संस्कृत विषय नाटक २० का ४ से० काल X दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी विशेष प्रति सटीक है । दी। ० २७० १३६ वेष्टन सं० २०० X ५६४७. तालावरज्ञान पत्र सं० ६ प्रा० ११ संगीत | र०काल X 1 ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ४२२ । मन्दिर उदयपुर | भाषा - हिन्दी गय प्राप्ति भाषाप्राप्ति स्थान ४५ इ भाषा संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान- दि० जन संभवताय ५६४८. रायमाला X पत्र० ५ । श्र० १० X ४ इश्व । राग रागनियों के नाम २०काल- ४ | से० काल X बेच्न सं० २१२ । जैन मंदिर तस्कर, जयपु प्रतिम प्रशस्तिदति श्री भावभट्टसंगीतरामायणवाप्ति विरचितेष्यधिति शतपधस्य प्रथम अति प्रभावः हिति पद तालाः । भाषा संस्कृत । विषय प्राप्ति स्थान दि० - Page #670 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माक एवं संगीत [६०६ ५६४६. रागरागिनी (सचित्र)-x। पत्र सं० ३० । प्रा० १० x ७३ इञ्च । विषयसंगीत 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३-२ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । विशेष-३० राग रागनियों के चित्र हैं । चित्र सुन्दर हैं। ५६५०. रागमालर- । पत्र सं० ५ । भाषा-हिन्दी । विषय-संगीत । र०काल ४ । ले. काल - । पूर्ण । वेष्टन सं०४१ । प्राप्ति स्थान दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ५६५१. सभाविनोद (रागमाला)-गंगाराम । पत्र सं० २४ । प्रा० x ४ इञ्च । भाषा-हिन्दी .पद्य)| विषव-सगीत । र०काल x । ले० काल X । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १२८४ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-आदिभाग-- गावत नाचत यापही डोरु में सब प्रग । नमो नाथ पैदा कहै सीस गंग अरधन ।।१।। दृष्टिन पावै अगम अति मनस्य की गम नाहि । विपट निकट संगही रहै बोल घटवट मांहि । अंतिम-पट राग प्रभाव कवित्त गरत ते थानी बिन विरद किरत जात । माल कोश गाये गुनी अगन जरातु हैं। हिंडोर की पालापत हिटोर श्राप मोटा लेत दीएक गाये गुनी दीपक जरातु है। श्री मैं इह गुन प्रबट बखानत है शु को। रूप हसो होत फिरि हुलसात है गंगाराम कहै मेघराग को प्रमाव इह मेघ बरसातु है। इति धी सभाविनोद रागमाला ग्रंथ स पूर्ण । ५६५२. सगीतशास्त्र-४ । पत्र सं०६१-६५ । प्रा. १२४ ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषव-संगीत । र०काल xले. काल X| अपूर्रा । बेशम ० ४६४/६१७ । प्राप्ति स्थान दिन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ५६५३. संगीतस्यरभेद--X । पत्र सं०४ । पा० १२ x ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-संगीत । र०काल लेकालx। अपूर्ण । वेष्टन सं० ४६५/६१६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । Page #671 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय -- लोक विज्ञान ५६५४, चन्द्रप्रशस्ति - x | पत्र रा० २६ । प्रा० १३. x ५ च । भाषा-संस्कृत । विषयलोक विज्ञान । र काल' X । लेकाल सं० १५०३ । पूर्ण । वेटन सं० १७७१५३६ । प्राप्ति स्थानसंभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रति पतले कागज पर है । एक पत्र पर २७ पंक्तियां हैं। अन्तिम पुरुिपका निम्न प्रकार है-इति चन्दपण्णती गुत्र । यथायथ २००। अंतिम-श्री गंधारापुर्यां प्रापबाट् ज्ञाति मुकुटमनिष्ट । जोगाकः संघपनि: समल्लसद्धर्मकर्ममतिः ॥१॥ तस्यानुरक्त चित्तादयिताडारहीनगुणकलिता। तेनमोनाया मुबिनयो लषाभिध, समजाति समृद्ध ः ॥ भ्रात नगरराज गुरिण पाम्क्ट गौरीप्रभूति बहुकुटुबयुतः । राणीजाति रया गुज्यानिः पृण्यानुवधि जातेः ॥३॥ प्रथित तया बाण गगन गण भासन भासमानतानुमतां । श्री जयचन्द्र गुरुणामुपदेशे नावगत तच्च ॥४॥ निजलक्ष्मी सुक्षेत्रे निक्षेत 'मातृद्धितोत्साह । लक्षान मितं वयं विक्रोश लेखयात्रषः ॥५॥ लेण्यशिस्य श्रीमचन्द्रप्रज्ञप्तमांगभूमिदं । लोचन ख निधि मिनारचे १५०३ विदुषां सततोययोगिस्तात् ॥६॥ कीअतस्तो राजहसाबदिक दल पृष्करे । यात्रताद्रिद विद्वद्वाच्यं नंदतु पुस्तकं ॥७॥ ५६१५. जम्बूदीप पण्पत्ति-X1 पत्र सं० १३१ । प्रा० १०x४३ इञ्च । भाषा-शक्त । विषय-लोकविज्ञान । र काल XI ले. काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ६३ । पूसा । प्राप्ति स्थानदिक जन टेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष--प्रति प्राचीन है। ५६५६. प्रतिसं० २ । इत्रसं. १६६ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन ४ । प्राप्ति स्थानदि० जन पंचायती मंदिर भरतपुर । ५६५७. जम्बूद्वीप संघयरिण-हरिभद्र सूरि । पत्र सं० ६ । प्रा० १०४५ इंच । भाषाप्राकत । विषय-गणित । र काल X । ले काल सं० १९०७ आसोज सुदी ७ । पूर्ण । बेष्टन सं० ६८१२२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मदिर नेमिनाम टोडारायसिंह (टोंक) 1 विशेष - संस्कृत टब्बा टीका सहित है। ५६५८. तिलोय पत्ति - प्राचार्य यतिवृषभ । पत्रसं० ३१६ । प्रा. १२:४७१ इव । भाषा-प्राकृत । विषय-लोक विज्ञान । र० काल । ले० काल सं० १८१४ माघ सुदी । पूर्ण । श्रेष्ठन सं० २११। प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर दीवान जी कामा। Page #672 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लोक विज्ञान ] विशेष-६० मेघावी कृत संस्कृत में विस्तृत प्रशस्ति है । कामा में प्रतिलिपि हुई थी। ५६५६. प्रतिसं०२। पत्र सं० ३४६ । प्रा०११४५ इञ्च । लेकाल सं० १७१६ वैशाख बुदी ६। पूर्ण । श्रेष्टन सं० १३४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर दीवान जी कामा। विशेष-- अग्रवाल जातीय नरसिंह ने प्रतिलिपि की थी । पत्र सं० ३४०-३४६ तक मेधावीकृत संवत् १५१६ की विस्तृत प्रशस्ति दी हुई है। ५६६०. प्रति सं०३। पत्र सं० २७ । प्रा० ११४६३ इञ्च । ले. काल सं० १७५० । पूर्ण । वेष्टन सं०५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा। ५६६१. त्रिलोक दीपक-वामदेव । पत्र सं० ८६ । भाषा-संस्कृत ! विषय-लोक विज्ञान । र०काल x 1 ले. काल सं० १७६५ सावन सदी १ । पूर्गा । वेष्टन सं.२८५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-प्रति सचित्र है। ५१६२. प्रतिसं०२। पत्र सं०८२ | प्रा० १२४७, इच 1ले. काल सं० १७३४ कार्तिक खुदी १० । पुर्ण । घेणन सं० २१। प्रापिद स्थाल—दि जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष-भ० रनकीर्ति ने प्रतिलिपि की थी। प्रति सचित्र हैं। १४. तिलपत्र सं० २३-७२ । आ०१२x६ इञ्च । लेकाल । अपर्ण । वेशन सं०५१ । प्रतिमान- विटामि । विशेष – संदृष्टियां हैं। ५९६४ अतिसं०४ पत्र सं० १-३२ | ले. काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । ५६६५. प्रति सं० ५। पत्र सं० १०१ । प्रा० १३४ ६ इंच 1 से काल सं० १५७२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान--दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष. पत्र ४० पर एक चित्र भी है अभ्यन्तर परिषद् इन्द्र के रनिवास का चित्र है। यरुणकुमार सोमा, यम, यादि के भी चित्र हैं। ५१६६, त्रिलोक प्रज्ञप्ति टीका-x। पत्र सं० २५ । प्रा० ११४५ । भाषा-प्राकृत संस्कृत । विषय-लोना विज्ञान । र० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान-म. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष प्रति अच्छी है। ५६६७. त्रिलोक वर्णन-जिनसेनाचार्य । पत्र सं० १६ - ५६ ! भाषा-संस्कृतः । विपय - सोक विज्ञान । २० काल x। ले० काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ६१३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-हरिवंश पुराण में से है। ५६६६. त्रिलोक वर्णन--। पत्रसं० १० । प्रा० ११४४३ इञ्च । माषा-प्राकृत । विषय--लोक वर्णन। र०काल X । लेकाल सं० १५३० ग्राषाढ सुदी ७। पूर्ण 1 वेधन सं० १६६ । प्राप्ति स्थाम—दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) : Page #673 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१२ ] . [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५६६६. त्रिलोकसार-नेमिचन्द्राचार्य। पत्रसं०६६ । प्रा. ११४४, इचा भाषा-प्राकृत । विषम-सिहाकालःशल 26 वेस्टन स०४७५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर विशेर --प्रशस्ति इस प्रकार है – सं० १६६१ वर्षे मूलसंचे भट्टारक धी वादिभूषण मुरुपदेशात् तत् शिष्य श्री बर्बमान पठनार्थं । ५६७०. प्रति सं० २ । पत्र सं० १७ । ले. काल - । अपूर्ण । वेष्टन सं० १४:१८१ 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । ५६७१. प्रति सं३ । पत्रसं० ७६ । मा० ११४४ इन्च । ले. काल सं० १६९७ पौष सुदी १० । वेष्टन सं० २५१६३० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष -- श्री निरिपुर नगरपुर नगर) में श्री आदिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। ५६७२. प्रतिसं०४। पत्र सं० २६ । ग्रा० १.४४ इञ्च । । ले० काल x | पूर्ण । बेष्टन सं०१७१। प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। .. ५६७३. प्रतिसं० ५। पत्र सं० ३-१५ । प्रा० १०:४४ इञ्च । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६० । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बू दी। विशेष-१४ यंत्रों के चित्र दिये हुए हैं। ५६७४. प्रति सं०६ । पत्र सं० १८ । प्रा० १०.४४३ इञ्च । से. काल सं० १६८२ बैशाख सूदी १५ । पूर्ण । बेष्टन स० ३७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादिनाथ -बुदी) । विशेष ब्रह्मचारी केशवराज ने ग्राम सालोडा में प्रतिलिपि की थी। ग्रति हिन्दी अर्थ सहित है। ५४७५. प्रतिसं०७। पत्र सं० २२ । ग्रा० ११.४१ इञ्च । ले. काल सं० १५१८ काती सुदी ३ 1 पुरयं । ० रा ६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर मादिनाथ दी। विशेष प्रशस्ति-संवत् १५१८ वर्षे कात्तिक सुदी ३ मगलवारे देवसाह नयरे रावत भोजा भोकल राज्ये श्री मूलधे बलात्कारगरणे सरस्वतीगच्छे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री जिनचन्द्रदेवा तस्य शिष्य महात्मा शभचन्द्र देव लिखापित श्री श्री नेमिनाथ चैत्यालये मध्ये । बरिणफ पुत्र माहराजेन बारले । ५६७६. प्रतिसं०८ पत्र सं० १-२० । आ० १२४५६ इञ्च । लेकाल ४ । वेष्टन सं०७४८ । अपर्ण । प्राप्ति स्थान. दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ५६७७. प्रतिसं० । पत्रसं० २७ । प्रा० १४४७ इञ्च । ले. काल सं० १९३२ मंगसिर बुदी १२ । पूर्ण । बेखन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर तेरहपथी नेण्या। विशेष- चन्दालाल वैद ने स्वयं अपने हाथ से पढने को लिखा था। ५६७८. प्रतिसं० १० । पत्र सं० ६० | प्रा० १२४५३ इन्च । ले० काल सं० १८४६ । पूर्ण । देखमसं० १५७ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगढ़ । विशेष-- प्रति संस्कृत टीका सहित है । साह रोड सभद्रा का बेटा मनस्या ने ज्ञान विमल की प्रति से उतारा था। ५६७६. प्रतिसं०११ । पत्र सं० १०५ । प्रा० ६३४४ इञ्च । ले०काल सं० १७०६ पासोज दीपुर्ण । बटन सं० १४११ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगड (कोटा) Page #674 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लोक विज्ञान ] ५६८०. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ८४ | प्रा० १३४ ६४ इञ्च । ले० काल सं० १७८६ पौष सुदी ११ । पूर्ण । वन सं० १४८/२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा)। ५६८१. प्रति सं०१३ । १५ सं०२८ । प्रा० १३४५ इञ्च । ले. काल ४ । पूर्ग । वेष्टन सं. ११८1 प्राप्ति स्थान-दि० जम मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-६३ शलाका के चित्र हैं। ५१८२. प्रतिसं०१४ । पत्रसं० २८ । श्रा० १०६x४३ इंच । ले. काल सं० १५३. चत बुदी५ । पुरणं । चेहनतं० २०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष · खण्डेलवाल ज्ञातीय पाटनी गोत्रोलान्न सं० तोल्हा भार्या तोल्ही तथा उनके पुत्र खेतो पात्र जिनदास टीला, राधा नोट्टा ने कभक्षय निमित्त प्रतिलिपि करवाई थी। ५६८३. प्रतिसं०१५। पथ स० ५१ । प्रा०५:४३ इञ्च । ले०काल सं० १५२७ चैत्र खुदी १३ । पूर्ण । वे० सं०१४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ५६८४. प्रति सं० १६ । पत्रसं० २६ । प्रा० १०५४४५ च । ले माल x | पूर्ण । वेष्टन सं.1 प्राप्ति स्थान- दिन मन्दिर दीवानजी कामा । ५६८५. प्रतिसं० १७ । पत्र सं० ७२ । प्रा० १२३४५ इच । लेकाल सं० १६०६ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान—दि० जन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष-- प्रति टीका सहित है किन्तु सब पत्र अस्त व्यस्त हो रहे हैं । ५६८६. प्रति सं० १८ । पत्र सं०५३ । प्रा० ११३४४३ इञ्च । ले. काल मं० १५४४ । पूर्ण । वेशन सं०११३ । प्राप्ति स्थान अग्रवाल वि जैन मन्दिर उदयपुर । ५१८७. त्रैलोक्यसार संदृष्टि-४ । पत्र सं० फुटकर । भाषा-प्राकृत । विषय-लोक विज्ञान । र०काल ४ । ले० काल XI अपूर्ण । वेष्टन सं० २८४-८५/२०५-२०६ । प्राप्ति स्थान—वि० जन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर ।। ५६८८. त्रिलोकसार-x। पत्र सं० १७४ । प्रा० ११३४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- लोक विज्ञान । र० काल X । ले. काल स० १६५६ पौष बुदी ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर आदिनाथ बूदी। . विशेष-प्रशस्ति संवत् १६५६ पौष वदि चतुर्थी दिवसे बृहस्पतिवारे श्री मूलसंचे नंद्याम्नाये बलात्कारगी सरस्वती गच्छे श्री कुन्यवृन्दाचार्यान्वये भट्टारक धी पधनंदिदेवा तत्प? भट्टारक श्री शुभचन्द्रदेवा तत्प? भ. श्री जिनचद्र देवा तत्पट्ट भ० श्री प्रमाचन्द्रदेवा तत्प? भ० श्री चन्द्रकीत्तिस्तदाम्नाये खंडेलवासान्वये रा बड़ा गोत्र अंचावती मध्ये राजा श्री मानसिंच प्रवतभाने साह धणराज तद्भार्ये प्रथम पासिरि द्वितीया महाशि प्रथम मार्मा......। ५६८६. प्रति सं० २ । पत्रसं० ६-८९ । मा० ११३४५२ इन्च । ले. काल संX । अपूर्ण । वेटन सं० ४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । ५१६०. प्रतिसं०३। पत्रसं० २-३१ । प्रा० १०४५ इञ्च । लेकाल सं० १७५१ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) Page #675 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५६११. प्रति सं०४। पत्र सं०१२३। प्रा० ११५ इञ्च । लेकालपूर्ण 1 वेष्टन सं० २५७। प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। ५६६२. प्रति सं० ५। पत्र सं० ६ । पा० १०४५३ च । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टना। १४१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । ५६६३. त्रिलोकसार सटीक-४ । पत्र सं० १.१ प्रा० १२४८ इञ्च । भाषा-प्राकृत-- संस्कृत्व । विषय-लोक विज्ञान । र काल x ले. काल x | अपूर्ण । वेटन सं०१६ । प्राप्ति स्थानदित जैन अग्रवाल मादिर उदयपुर । ५६६४. त्रिलोकसार भाषा-४ । पप सं० ३१ । प्रा० १x६ इञ्च । भाषा हिन्दी गद्य । विषय-भू विज्ञान । र०काल x | लेकाल सं० १८१६ ज्येष्ठ सूदी। अपूर्ण । वेष्ट सं०७१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) विशेष-मालवा देश के सिरोज नगर में लिखा गया था। ५९४५. प्रति सं०२। पत्रसं० ३४-४३ । प्रा० १२४६३ञ्च । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २७५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर दबलाना (बू दी) ५९९६. प्रतिस०३। पत्रसं० ६ । प्रा० ११४४३ इञ्च । लेकाल x । अपूर्ण । वेष्टन सं. २४५ । प्राप्ति स्थान --दि जैन मंदिर बोरसली कोटा। ५६६७. प्रति सं०४। पत्रसं० २१ । प्रा० १०४४ इन्ध । लेकाल x । पूर्ण। वेष्टन सं. १२० ।प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरहाथी हौसा । विशेष—त्रिलोकसार में से कुछ चर्चाए हैं। ५६१८. त्रिलोक सार-x । पत्र सं० ११५। प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-लोक विज्ञान । Toकाल x 1 ले. काल ४ । अपूरणं । वेष्टन सं० १२२.१७ । प्राप्ति स्थान:-- दि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष---- ११५ मे पागे के पत्र नहीं है । ५६६६. त्रैलोक्यसार टीका-नेमिचन्द्रगरिन् । पत्र सं० २२ । मा० १०४४ इश्च । भाषा--- संस्कृल । विषय लोक विज्ञान । र०काल X| लेकाल सं० १५३१ आषाढ सुदी १३ । वेष्टन सं० १८५ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर सश्कर, जयपुर। ६०००. प्रति सं० २। पत्र सं० ३८ | या० १.१४५ इञ्च | लेकाल X । बेल्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लस्कर, जयपुर । ६००१. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० ८६ । श्रा० ११. x ४ इञ्च । ले. काल स १५८३ भादवा सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८२१ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर वएकर, जयपुर । विशेष-चंपावती नगरी में सोलंकी राजा रामचन्द्र के राज्य में प्रतिलिपि हुई थी। ६००२, प्रतिसं०४। पत्र सं०७१ । श्रा० १०१५४३ इञ्च । ले०काल स. १५४० फागुन सुदी ३ । वेष्टन सं०१८३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लपकर जयपुर । विशेष-जोशी श्री परसराम ने प्रतिलिपि की थी। Page #676 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लोक विज्ञान ] ६००३. प्रति सं० ५ । पत्रसं० १५ : प्रा० १.१४४१ इच। ले०काल सं० १८८३ प्रासोज बुदी ६ । वेष्टन सं० १८४ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। .. ६००४. त्रिलोकसार टीका-माधवचन्द्रत्रिविध । पत्रसं० १४६ । प्रा० १३ ४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषम लोकविज्ञान । २०काल X । लेकाल सं० १५८८ सावरण सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२-.... । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । प्रशस्ति-सवत् १५८८ वर्षे थावरण सुदि चतुर्दशी दिने गुरुवारे श्री मूलसांथे सरस्वती गझे बलात्कार गणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री पद्मनंदिस्तत्प? भ* श्री सकलकीर्ति देवास्तत्प? भट्टारक श्री भुवनकोति देवास्त पट्टो म० श्री ज्ञान भूषण देवा......... ! सं० १८२१ फागुण मुदी १० को पं० सुखेण द्वारा लिखा हुशा एक विषय सूची का पत्र और है। ६००५, प्रतिसं० २। पत्र सं० २२८ । आ० १०x४ इन्छ । २०काल सं० १५५१ फागुण सुदी १३ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २०३ । प्राप्ति स्थाने-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष खंडेलवाल ज्ञातीय बाकलीवाल गोत्रोत्पश्न साह लाखा भार्या लखमी के वश में उत्पन्न नेता व नाथू ने ग्र'च की लिपि करवायी थी। ६००६. प्रति सं० ३। पत्रसं० ६६ । र० काल X । ने० काल X । पूर्ण । थेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान-पंचामती दि. जैन मन्दिर डोग। ६००७. प्रतिसं० ४ । पत्र सं० ६० प्रा० १२ x ५३ इन। भाषा-संस्कृत । विषयलोकविज्ञान । २०साल xले. काल सं० १७१५ फागुण बदि ५। पूर्ण । वेष्टन सं०१५४ । प्राप्ति स्थान--पंचायती दि० जैन मन्दिर करोली । विशेष -२ प्रतियां नोर हैं । नरसिंह अग्रवाल ने प्रतिलिपि की। ६००८. प्रतिसं० ५। पत्र सं० २६-११७ १ श्रा० १२३४७ इन्च । ले० काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० ७३६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुरः ।। ६००६. प्रति सं०६। पत्रसं० १४५ । प्रा० १३४५१ इच । ले०काल गं. १९२१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७३ । प्राप्ति स्थान- दि० जग अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६०१०. प्रति सं०७ । पत्र सं० १६५ । प्रा० १११४५ इञ्च । ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ७८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-दो प्रतियों का मिश्रण है। ६० से प्रागे दूसरी प्रति के पत्र है। यह पुस्तक प्राचार्य त्रिभुवनचन्द के पठने की यो । प्रति प्राचीन है । ६०११. त्रैलोक्यसार टीका-सहस्रकीति । पत्र सं०५७ । भाषा-संरतुल । दिपय-लोक विज्ञान । २० काxले. काल:१७१३ । पुणे। वेष्टन सं० २२। प्राप्ति स्थान-पंचायती दि. जैन मंदिर डीग। . ६०१२. त्रिलोकसार चर्चा-४ । पसं० ६३ 1 प्रा० १३४८ इश्व.1 गाषा-प्राकृत । विषय-चर्चा । रकाल । ले. काल । पूर्ण | बेपन सं० १५२१। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अजमेर। Page #677 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६ ] [ अन्य सूचो-पंचम भाग ६०१३. त्रैलोक्य दीपक-बामदेव । पत्र सं५१ । प्रा० २०४१२ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-लोवा-विज्ञान । र० काल x | ले० काल सं० १७२१ फाल्गुन सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं १७६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष-प्रति बड़े आकार की है। कोटा दुर्ग में महाराज जगतसिंह के राज्य में महावीर चैत्यालय में जगसी एव सांवल सोगाशी से लिखवाकर भ० नरेन्द्र कीति के शिष्य बालचन्द को मैट की थी। प्रति सचित्र है। ६०१४. त्रैलोक्य स्थिति वर्णन -X । पत्र सं० १२ । प्रा० १२ x ५६ इन। भाषाहिन्धी गद्य । विषय-लोक विज्ञान । र० काल - । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ । प्राप्ति स्थानदि० जैन गन्दिर पाश्यनाथ चौगान दी। ६०१५. त्रिलोकसार--सुमतिकीर्ति । पत्र सं० १५ । ग्रा० १२४ ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्म । विषय- लोभमान । रमाल सं.. १५ तुरी १ : ले० काल' सं० १८५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१२ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जन मन्दिर अजमेर । ६०१६. प्रति सं०२। पत्रसं० १३ । पा० १०४५ इञ्च । ते०काल सं० १७६३ प्रापाड सुदी १५ । पूर्ण । वेष्वन सं० ४० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दबलाना (दी।। ६०१७. प्रति सं०३ 1 पत्र सं० ११ । आ०१० x ४३ इञ्च । ले० काल सं० १७६२ फाल्गुन मुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ६०१८. प्रसिसं०४। पत्र सं० २-४५। प्रा०६३X ४५ इञ्च । लेकाल ४ । अपूर्ण । वसनसं० १३७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। ६०१६. प्रतिसं०५१ पत्रसं० ११ । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ४१०-१५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । ६०२०. त्रिलोकसार-समतिसागर । पत्रसं०१२६1 भाषा संस्कृत । २० कालx। ले०कास सं० १७२४ वैशाख सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं०८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन तेरहपंथी मन्दिर बसया । ६०२१. त्रिलोकसार वचनिका-- x पसं० ३७६ । आ०१२x६,इच । भाषालिली गद्य विषय-लोकविज्ञान । २० काल । लेकालx} पर्ण । वेशन सं० १८२.६२ । प्राप्ति स्थान--पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़ कोटा। ६०२२, त्रिलोकसार पद-X । पत्र सं० १ १ प्रा० २८ x १३ इञ्च । विषयलोक विज्ञान । २.० कार x | लेखन काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २७३-१०६ । प्राप्ति स्थान–दिक जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । विशेष—कपड़े पर तीन लोक का चित्र हैं। ६०२३. त्रिलोकसार-XI पत्र सं५ । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा हिन्दी। विषय - लोक विज्ञान । र०बाल ले. काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० १७२-७३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोट्टडियों का झंगरपुर ।। ६०२४. त्रिलोकदर्पण -- खडगसेन । पत्र सं० १४६ । प्रा० १२ x ५३ इञ्च । भाषा---- हिन्दी पद्य । विषय-लोक विज्ञान । र काल सं० १७१३ । ले०काल सं० १९६६ । परी । वेष्टन सं०११५१। प्राप्ति स्थान - दिन मन्दिर पचायती दुनी (टोंक) । Page #678 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लोक विज्ञान ] [ ६१७ ६०२५. प्रतिसं०२। पत्रसं० २७० । प्रा० १.४५ इच। ले०काल सं. १८१८ पौष मुदी २। पूरणं । वेष्टन सं० १४०७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार । ६०२६. प्रति सं० ३। पत्रसं० १२१ : मा. १२४५३ । ० .४ पौर बुदी १ । पूर्ण । वेष्टनसं० ३१७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दवलाना (बूदी)। ६०२७. प्रतिसं०४ । पनसं०६०। मा० १.४६६ इन्ध । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर नागदी बूदी । विशेष --६० से प्रागे पत्र नहीं हैं । ६०२८. प्रतिसं० ५। पत्र सं० ११२ । आ० १०४५ च । ले. काल सं० १७६८ बैशाख बुदी ७१ पूर्ण । वेष्टन सं० १४४ । प्राप्ति स्थान-पचायती दि० जैन मन्दिर करीली। इसका दूसरा नाम त्रिलोक चौपाई, त्रिलोकसार दीपक भी है। विशेष—सं० १७६८ वर्षे वैशाख मासे कृष्णा पक्षे सप्तभ्यां गुस्वासरे श्री मूलरांचे बलात्कार गरणे सरस्वती गछे कुदकुन्दाचार्यान्वये ब्रजमंडलदेशे कछवाहा मोत्रे राजा जैसिंघ राज्ये कामवनमध्ये । भट्टारक श्री विश्वभुषणदेवास्तत्पट्टे भट्टारक श्री देवेन्द्रभूषणदेवास्तत्पी भट्टारक श्री सुरेन्द्रभूषणदेवास्तत्सिष्य पंडिल राजा रामेरा सकलकर्मभयार्थ श्रीमत्यलोक्यसारमात्रा अथोयं लिखितं । प्रथ ढिलावटीपुर सुभस्थाने तत्र निवास का सोगानी जाति साहजी मोह्नदास तस्य भार्या हीरा सत्पुत्र द्वौ जो जगरूप तस्य भायों अनंदी तत्पुत्र भोगीराम द्वितीय जगरूपस्थ भ्राता वलूए तेषा मध्ये साह जगरूपेण लिखापितं स्वज्ञानावर्णी क्षयार्थ। श्रीमस्त्रिलोकदीपक नाम प्रथ नित्यं प्रणमति । सर्व ग्रंथ संख्या ५००६ । ६०२६. प्रतिसं०६।। पत्र संख्या ३२० । ०६x६ इस । भाषा-हिन्दी । विषयलोकविज्ञान । ले० काल सं० १७३२ । पूर्ण । वेष्टन संख्या ८८२ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन भन्दिर भजमेर। ६०३०. प्रतिसं०७। पर सं० १५० । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पञ्च) । लेकाल सं० १८४१ । पूरर्ग । बेष्टन सं०५। प्राप्ति स्थान-तेरहपंथी दि. जैन मंदिर नगवा। ६०३१. त्रिलोकसार भाषा - X । पत्र सं० २५२ । प्रा० १३४६१ हश्च । भाषा-हिन्दी। विषय-लोक विज्ञान । र० काल सं० १८४१ । लेकाल सं० १६४७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मंदिर यजमेर । ६०३२. त्रिलोकसार भाषा-४ । पत्र सं० ३५० । आ०१०४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी गा। विषय-मिलोक बर्णन । र०कालx। ले-काल स.१८७४ मंगसिर बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन #०००। प्राप्ति स्थान----दि. जैन मन्दिर पारवनाथ दूनी (टोंक) । विशेष—लिखतं महात्मा जयदेव वासी जोवनेर लिस्थौ सवाई जयपुर मध्ये । कटि कुवरी करवे डाडी, नीचे मुख पर नयण । इरा संकट पुस्तक लिस्यो, नीकै रस्त्रियो सयण ।। Page #679 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१८ ] ६०३३. त्रिलोकसार माया - महापंडित टोडरमल । हूडारी गद्य विषय तीन लोक का वन र० काल X ० काल X स्थान- दि० जैन पत्रायती मन्दिर भरतपुर विशेष – भरतपुर में विजयपाल चांदवाड ने लिखवाया था। - [ प्रन्थ-सूची पंचम भाग पत्र सं० २५२ । भाषा राजस्थानी न ० ३८१ प्राप्ति पूर्ण 13 प्रतिभुं २०१६ इव । ले०काल X। आप बेष्ट्रन सं० २५ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मंदिर नेणया । www ६०३५. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० २८७ ॥ श्र० १२ X ७ इव । ले० काल सं० १५६१ । पूरा बेष्टन सं० १३९ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी | ६०३६. प्रति सं० ४ ० २३५ श्र० ११४० इव । ले० काल स० २८५३ श्रासोज ख़ुदी ५ | पूर्ण | न सं० १२ / ६१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर | ६०३७. प्रतिसं० ५ । पत्र सं० २८५ ॥ प्रा० १०३ X ७ इन्च । वे काल X पूर्ण वेष्टन गं० १०४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । ६०३८. प्रतिसं० ६ ० ३०० १४४८ इ से० काल सं० १९७३ पापा सुदी ११ । पूर्ण वेष्टन सं० १०४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर मेखावाटी (मीकर) 1 विशेष – वजारीलाल रुस्तमगढ़ जि० एटा थाना निखीली कला में प्रतिलिपि हुई थी। - ६०३६. प्रतिसं० ७ । पत्रसं० ४१८ । प्रा० ११३ X ७३ इञ्च । ले० काल सं० १९२३ ग्रासोज बुदी । पू । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान --- दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) | विशेष-सवाई जयपुर में लिखा गया था । प्रति सुन्दर है । ६०४०, प्रति सं० [सं० २५१ मा १२३ ६ इन्च लेकाल सं० १९०३ ज्येष्ठ बुदी ४ । पू । वेष्टन सं० ६८ । प्राप्ति स्थान — दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ६०४१. प्रति सं० १० २५० भा० १२४६६४ । भाषा - हिन्दी विषय-लोक विज्ञान २० काल X वे० काल सं० १८१६ आसोज सुदी १२ पूर्ण वेष्टन सं० ११२ प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर भाववा ६०४२. प्रतिसं०] १० पत्र सं० २६४ ॥ १२६ ०२-१७ प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूँगरपुर । ० ० १८०३ । Lima या प्रशस्ति श्री सधे सरस्वती देवत्रकारगणे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये पट्टे म० श्री नेमिचंद्र जी तरपट्टे म० श्री रत्नचन्द जी तत् शिक्षा पं० रामचन्द्र सदारा नगरे गाजिनचैत्यालये साह जी श्री बाजी व्यवस्था तत् भार्यां सोनाबाई इदं पुस्तक दत्तं । ६०४३. प्रति सं० ११०२५६ ॥ प्रा० १४७४६ ले०काल X। प्रपूर्ण वेष्टन सं० २१ प्रति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। विशेष – आगे के पत्र नहीं हैं । ६०४४. प्रतिसं० १२ । पत्र सं० ३०८ ० १५x७ इञ्च । ले० काल सं० १६०२ भादवा बुदी १ । पू । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । Page #680 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लोक विज्ञान ]. - विशेष मानपुरा में लिखा गया था। पत्र स० ५२ लोक वर्णन ६०४५ फुटकर सर्वय्या - ०काल Xx पूर्ण वेष्टन स० ४२४-१६० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का 'गरपुर | । । पत्रसं० ६०४६. भूकंप एवं भूचाल वरन X १० १ गद्य 1 र० काल x । ले० काल X। श्रपूर्ण । देष्टन सं० २०२ फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) | ६०४७. संघापरिण - हेमसूरि पत्र स० ४८० हिन्दी विषय लोक विज्ञान । र०का X ले०काल x पूर्ण स्थान- दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) | विशेष - प्रति हिन्दी टव्वा टीका सहित है x । का X | से०काल व ० १०३४४ व । प्राप्ति स्थान विशेष प्रशस्ति संवत् १४३९ वर्षे वैशाख सुदी ३ । — ६०४८. क्षेत्रन्यास - X | पत्र सं० ३ । आ०१० X ६ ६ भाषा - हिन्दी | विषयलोक विज्ञान। र०काल X से०काल x पूर्ण वेष्टन सं० २१३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । ६०४९. क्षेत्र समास टोक विज्ञान मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी। [ ६१९ । भाषा - हिन्दी दि० जैन मन्दिर । पत्र ० २३० १०x४ ६४ सं १४३६ पूर्ण वेष्टन स० २८० 1 " भाषा प्राकृत - x ४३ बेन सं० १३४९ प्राप्ति भाषा प्राकृत प्राप्ति स्थान विषयदि० जैन Page #681 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय -- मंत्र शास्त्र ६०५०. प्रात्म रक्षा मंत्रx। पत्र सं०१ । प्रा. ११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय मंत्र शास्त्र । ९० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३४ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ६०५१. ओंकार वनिका- - । पत्र संख्या ५। प्रा० १२१४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-मंत्र शारत्र । २. काल X । लेखन काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १६/१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा (राज)। ६०५२. गोरोचन कल्प-- । पत्र सं.१। आ. १.४५ इच । भाषा-हिन्दी । विषय-मंत्र । १० काल x | लेकालXI पूर्व । वेष्टन सं० ३८३-१४३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ६०५३. घंटाकर्ण कल्प-४ । पत्र सं० १० । भाषा-सस्कृत हिन्दी । विषय - मंत्र शास्त्र । २० काल ४ । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन स० ४२१-१५८ । प्राप्लि स्थान—दि जैन मन्दिर कोड़ियों का टूगरपुर। ६०५४. घंटाकर्ण कल्प-x। पत्र स०६ । आ० १२४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । विषय-मंत्र शास्त्र । र० काल x 10 काल x। पूर्ण । बेष्टन स० २५५-१०२ . प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर काटरियों का डूगरपुर । विशेष-१३ यम दिये हुए हैं। यंत्र एवं मंत्र विधि हिन्दी में भी दी हुई है। ६०५५. घटाकरगं कल्पxपत्र सं० ११। ग्रा.१०३४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयमंत्र शास्त्र । १० कालX । ले०काल स० १८५० चैत सुदी १ । पूर्ण । बेष्टन सं० ४२४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष- सवाई जयनगरे लिखितं । ६०५६. घंटाकरण मंत्र- x । पत्र सं ६२ । या०६.४३३ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय-मंत्र शास्त्र र काल x | ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १००। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटयों का नैरगवा । ६०५७. घंटाकरण मंत्र विधि विधान–x । पत्र सं० ६ । पा. १२ ४६: इश्च । भाषासंस्कृत । विषय-मंत्र शास्त्र ! १०काल X । ले० काल सं० १८१४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७७-१०१ । प्राप्ति स्थान दिजैन गन्दिर कोटड़ियों का हुगरपुर । ६०५८. जैन गायत्री-X । पत्रसं० १ । या० १.१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयमंत्र शास्त्र । र०काल x I ले०काल ४ । वेष्टन सं०४२७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। Page #682 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंत्र शास्त्र ] [ ६२१ -- - ६०५६ ज्ञान मंजरी-x। पत्र सं० २६ । ग्रा०१०x४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयमंत्र शास्त्र । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० २०१/२२३ । प्राष्टि स्थान—दि० जन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । विशेष-त्रिपूर सुन्दरी को भी नमस्कार किया गया है। ६०६०. त्रिपुर सुन्दरी यंत्र-x । पत्र सं० ३ । मा० १० ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-मन्त्र शास्त्र । २० काल X । लेकाल x 1 पूर्ण। वेष्टन सं० ४२५ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष-यंत्र का चित्र दिया हुआ है। ६०६१. त्रैलोक्य मोहन कवच -। पत्र सं३ । प्रा. १०६x४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-मन्त्र शास्त्र । र० काल X । ले०काल ४ | वेष्टन सं० २८६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर लश्कर जयपुर। ६०६२. त्रैलोक्य मोहनी मंत्र-x। पसं० ३ । प्रा० ८ x ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-मन्त्र । र काल X । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर यभिनन्दन स्वामी, दी। ६०६३. नवकार मंत्र गाथा-X । पत्र सं० १ । प्रा०x४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-मंत्र । र० काल । लेकाल: । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान खण्डेलवाल दि. जैन मदिर उदयपुर । विशेष--.३ मन्त्र और हैं । अन्तिम मन्त्र नवकार कथा का है। ६०६४. पूर्ण बंधन मन्त्र--- । पत्र सं०७ । प्रा०१०४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयमन्त्र । २५० काला X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५४६- X । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटाष्टियों का डूगरपुर। ६०६५, बावन धीरा का नाम--- I पत्र सं०२। पा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-मन्त्र शास्त्र । र० काम X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लष्कर, जयपुर। ६०६६. बालत्रिपुर सुन्दरी पद्धति-४ । पत्र सं० ६ । प्रा० १.४५ इभ । भाषासंस्कृत | विषय --- मन्त्र शास्त्र । २० काल X । ले० काल सं० १८७६ फाल्गुण सुदी ८ । पूर्ण । वन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । ६०६७. बीजकोष- - । पत्र सं०४०। प्रा०८.४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-. मन्त्र शास्त्र । र० काल x । लेकाल सं० १६६३ । पूर्ण। वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ६०६५. भैरव कल्प-- । पत्रसं० ५८ । मा० ११४ ५ इश्च । भाषा-सस्कृत । विषयमन्त्र शास्त्र । र०काल x 1 ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११५ । प्रान्ति स्थान—दि जैन पंचायली मन्दिर अलवर। Page #683 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२२ ] ६०६९.०२३ ० १२५ इच भाषा संस्कृत विषय-मन्त्र शास्त्र र०कात X ०काल सं० २०९१ जेष्ठ वृदी ३ पूर्ण वेष्टन सं० १८० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान, बुदी | ६०७० प्रतिसं० २०२३ ० १४x७३ १२० १०२ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर प्रदर ६०७१. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २४ । श्रा० ११४४३ इञ्च । से० काल सं० १६५५ । पू । देन सं० ३६५ - १४० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर कोटडियों का हूँगरपुर । प्रशस्ति - संवत् १६८५ वर्षे माह माने कृष्ण पक्षे २ दिने श्री भूल संचे मोडी ग्रामे पार्श्वनाथ चैत्यालये भ० सकलचन्द्र ताई भ० सुबचन्द तदान्नाये व० श्री जेसा तत् शिव्य आ० जबकति लिखितं । ६०७२. मातृका निघंटु महीधर पषसं० ४। या० ११ x ५ इंच भाषा संस्कृत । विषय-मशास्त्र । र०का X | ले०काल X पूर्ण बेष्ट सं० ६१५ प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर लश्कर, जयपुर - [ प्रम्य सूची पंचम भाग ६०७३. मोहिनी मंत्र - X 1 पत्रसं० २३ ० ५४४ इंच भाषा मन्त्र २० फाल] X ०काल X पूर्ण बेटन [सं०] १८३ प्राप्ति स्थान नापदी बूंदी 1 ६०७४, मंत्र प्रकरण सूचक टिप्पण - भावसेन चैवेद्यदेव इञ्च । भाषा सस्कृत विषय- मन्त्र । र० काल X ले काल X प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का बूंगरपुर । 0 अन्तिम इति श्री परवादियज कैंसर वेदवादिविध्वंसक मायसेन विधदेवेन दिनसहित मन्त्र प्रकरण सूचक टिक परिसमाप्तं श्री नेशनन्दि मुनिना विखापितं । i - ले० काल सं० १९२१ माह मुदी ६०७६. मंत्र शास्त्र - x | पत्रसं० शास्त्र | र० काल X ले० काल X पूर्ण कोटडियों का इंगरपुर. विशेष मुदादेवी का मन्त्र है। - ६०७५ मंत्र यंत्र X ०२ । ० १२४५ इञ्च भाषा संस्कृत विषयमंत्र शास्त्र । २० काल x । ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ६३१ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर लेकर, जयपुर। 1 संस्कृत विषय --- दि० जैन मन्दिर पत्र [सं०] ६ पा० ११ x ५ पूर्ण वेष्टन सं० ५०१ X । - । ० X ६ ६ १ भाषा हिन्दी । विषय-मन्त्र वेटन सं० ५४४ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर I ६०७७. मं शास्त्र- पत्रसं० ६ भाषा हिन्दी संस्कृत विषयमन्य शास्त्र २० काम X | । । X | ने० काल x । पूर्ण सं०] [५६३ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ६०७८. मंत्र शास्त्र - X पत्र सं० २ ० शास्त्र १०० काल x पूर्ण वेन सं० २१२ उदयपुर ११९४ व प्राप्ति स्थान भाषा संस्कृत विषय-मन्त्र दि० जैन मंदिर सभवनाम ६०७६. मंत्र संग्रह - XI पत्रसं०] १५ । सा० १२४५ इंच विषय-मत्र शास्त्र '२० फाल X से काल स ं० १९०५ पूर्ण बेष्टन सं० ४२१ दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर | भाषा हिन्दी, संस्कृत । प्राप्ति स्थान - Page #684 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंत्र शास्त्र ] प्रशस्ति-संवत् स्पाद जयनगरे मूलसंधे सारदा गच्छे सूरि श्री देवेन्द्रकीति जी तस्य शिष्य रामकोशि जी पं० लक्ष्मीराम, मन्नालाल, रामचन्द, लक्ष्मीचन्द, अमोलकचन्द, श्रीपाल पठनार्थ । ६०५०. मायाकल्प-४ । पत्र सं० २। भाषा-संस्कृत । विषय-मंत्र-शास्त्र। र काल x | ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६३ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६०६१. यक्षिणीकल्प-मल्लिषेण । पत्र स०६। भाषा-सस्कृतं । विषय----मंत्र शास्त्र । र० काल X 1 ले०काल सं० १७६८ वैशाख सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । ६०८२. यंत्रावली-अनुपाराम । पत्रसं०७० 1 प्रा०६x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयमंत्र शास्त्र । २० काल ४ । ले० काल XI अपूरणं । वेष्टन सं० ३०५। प्राप्ति स्थान---दि० जैम मंदिर अभिनन्दन स्वामी, दी। प्रारम्भ दक्षिाभूत्तिगुरु' प्रणम्य सदीरित श्रीतांडवस्थां । यंत्रावली मंकमयी प्रवस्तांख्य व्या कुर्महे सज्जनरंजनाय ।। शिवतांडव टीकेयमपाराम संज्ञिता। यंत्रकल्पगन ममयी दत्तोहीभीष्ट रातति ।।२।। ६०८३. विजय यंत्र-- x; पत्र सं० १ । ग्रा० ४४४१ च । विषय-यंत्र : र०काल x 1 से काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मंदिर लरकर, जयपुर । विशेष-कपडे पर अङ्क ही अफ लिखे हैं । कोरों पर मंत्र दिए हैं। ६०८४. विजयमंत्र-X । पत्र सं० ! या tx५, इञ्च । भाषा, संस्कृत । ले. काल सं. १९४१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३७ । प्रापित स्थान-दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान चूदी। ६०५. विद्यानुशासन-मल्लिग। पत्र सं० १०२-१२६ 1 प्रा० ११४४ इन्च । गापासंस्कृत । विषय-मंत्र शास्त्र । २० काल X1 ले० काल x 1 अपूर्ण। देण्टन सं० ४३७:२१५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन सभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६०८६. विविध मंत्र संग्रह-४ । पत्र सं० १२० । भाषा-संस्कृत। विषय-मंत्र शास्त्र । र० काल ४ । ले. काल - । पूर्ण । बेष्टन ० ४१५-१५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष-विविध प्रकार के मंत्र तंत्र सचित्र हैं तथा उनकी विधि भी दी हुई है। ६०८७. शान्ति पूजा मंत्र--- । पत्र सं० ६ । ग्रा० १०३४ ४६ इञ्च । भापा-- संस्बृत्त । विषय-मंत्र शास्त्र । र०काल xले०काल ४ । वेष्टन सं० ४४४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मदिर लश्कर, जयपुर। ६०८८. षट प्रकार यंत्र-x । पत्र सं०३ । प्रा० १०४ ५ इन्च । भाषा-न्दी । विषय-मंत्र । र०कास x।ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६०। प्राप्ति स्थान-भदारकी दिक जैक मन्दिर यजमेर। Page #685 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२४ ] [ प्रस्थ सूचो-पंचम भाग ६०८६. संवर्जनावि साधन-सिद्ध नागार्जुन । पत्र सं० ८६ । प्रा०६x४२ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-मंत्र शास्त्र । २०काल x ले काल X1 अपूर्ण । वेष्टन सं०५। प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर नागदी बूदी । अन्तिम पुष्पिका-इति श्री सिद्ध नागार्जुन विरचिते कक्षयुटे संवार्जनादि साधनं पचदशा पटतं । ६०६०. सरस्वती मंत्र-४ । पत्र सं० १ । प्रा० १०.४५ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय - मंत्र । र०कालxले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ४४०। प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ६०६१. संध्या मंत्र-गौतम स्वामी । पत्रसं० १ । प्रा० १०२४५ इछ । भाषा संस्कृत । विषय-मंत्र शास्त्र । र०काल X । लेकालx। पूर्ण । वेष्टन सं० १११ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-मंत्र संग्रह है। ६०६२. यंत्र मंत्र संग्रह-निम्न यंत्र मंत्रों का संग्रह है १ वृहद् सिद्ध चक्र यंत्र- ५। पर सं० १ । प्रा० २२३ ४२२३ इश्व। भाषासंस्कृत | विषय - गंत्र आदि । २० काल X । लेकाल सं० १६१६ फागुण सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं०१ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी नैरावा । विशेष--प्रशस्ति निम्न प्रकार है खंवत् १६१६ वर्षे फाल्गुन सदी ३ गुरुवासरे प्राश्वनि नक्ष श्रीमूलसवे मंद्याम्नाये बलात्कारगरो सरस्वतीगच्ने श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये मडलाचार्य श्री ३ धर्मकीत्तिस्त् शिष्य ब्रह्म थी लाहड नित्य प्रणमति वातेन हव सिद्धचक्र यंत्र लिखितं । ६०६३.२ चितामणि यंत्र बडा-। पत्र सं.१३ या१८४१८ इश्व । भाषा-संस्कृत। विषय-यंत्र । र काल x। ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान—दि जैन तेरहपंथी मन्दिर नंगवा । विशेष-कपडे पर है। ६०६४. ३ धर्मचक यंत्र-४ । पत्र सं०१। प्रा० २५४२५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। १० काल X । ले० काल स० १६७४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी नणबा। विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है --- संवत् १६७४ वर्ष वैशाख सुदी १५ दिने श्री॥१॥ नागपुर मध्ये लिखापितं । शुभं भवतु ।। कपड़े पर यंत्र है। ६०६५. ४ ऋषि मंडल यंत्र-X । पत्रसं० १ । आ०२१४२३ इञ्छ । भाषा-संस्कृत । विषय-यंत्र । र०काल X1 ले०काल सं० १५८५ । पूर्ण । वेष्टन स०४ । प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर मणवा। विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार हैश्री श्री श्री शुभचन्द्र सुरिभ्योनमः । अथ संवत्सररेस्मिन श्री नप विक्रमादित्य गताब्दः संवत् १५८५ Page #686 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंत्र शास्त्र ] [ ६२५ घर्षे कात्तिक वदि ३ शुभदिने श्री रिपि मंडल यंत्र ब्रह्म प्रज्जू योग्यं पं० प्रहूंदासेन शिष्य पं० गजमल्लेन लिखितं । शुभं भवतु । कपडे पर यंत्र है। ६०६६. ५ अढाई द्वीप मंडल-- ५ । प्रा० ४२४४२ इञ्च । पूर्ण । प्राप्ति स्थान--दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर नैरणवा । विशेष—यह कपडे पर है। ६ नंदीश्वरद्वीप मंडल-x1 यह पत्र २४४२४ इञ्च का है। प्राप्ति स्थानदि. जैन तेरहपंधी मन्दिर नैरणवा । विशेष--इसमें अंजनगिरि प्रादि का प्राकार पुराने मडल से सं० १९०६ में बनाया गया है। Page #687 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषम ... अंगार एवं काम शास्त्र ६०६७. अमंगरंग....कल्याणमल्ल । पत्र सं० ३०। प्रा० १२४५१ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय--काम शास्त्र । 'र० काल X Iले. काल सं० १९०७ 1 पुरी । वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थानभन्द्रारकीय दि जैन मन्दिर अजमेर । ६०६८. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३३ । या० १०४५.१ इच। ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. २५१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बू दी। विशेष—मुल के नीचे गुजराती भाषा में अर्थ दिया हृया है। ६०६६. प्रतिसं०३। पत्र सं०४३ । ले. काल सं० १७६७। पूर्ण । वेष्टन सं०७०५ 1 प्राप्ति स्थान दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपर । ६१००.कोकमंजरी-पानंद । पत्र सं० २८ 1 प्रा.१०.४५ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषयकाम शास्त्र । रत काल X ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ६१०१. कोकशास्त्र-कोकदेव । पत्र सं०८ । आ.१०४४ इश्व । भाषा-हिन्दी। विषयकाम णास्न । २० काल X । लेकालx1 पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-- दि० जन मन्दिर दबलाना (बूदी) विशेष-- रणथंभौर में राजा भैरवसेन ने कोंकदेव को बुलाया और कोकशास्त्र की रचना करवायी थी। ६१०२. कोकसार-x । पत्र सं० ३६। या०१०४६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषयकाम शास्त्र । र० काल X । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २३७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दग्गढ (कोटा) विशेष भामुद्रिक शास्त्र भी दिया हुआ है । ६१०३. कोकसार । पत्र सं० प्रा० १.४ इञ्च । भाषा हिन्दी ले० काल x अपूर्ण । वेशन सं२१६६३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर कोटडियों का दुगरपुर । ६१०४. प्रेम रत्नाकर--X । पत्र सं० १३-४७ तक । या०६x४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-शृगार 1 र० काल ४ । ले. काल सं० १८४८ जेष्ठ मुदी ११ । अपूर्ण । दे० सं० १०८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करौनी। विशेष—इसकी पांच तरङ्ग है । प्रथम तरङ्ग नहीं है । ६१०५. बिहारी सतसई-बिहारीलाल । पत्र सं० १४८ | प्रा०६६४६ इञ्च। भाषाहिन्दी पद्य । विषय--गार । र० काल सं० १७८२ कात्तिक दी ४ । ले० काल' सं १८८२ पौष बूदी। पुर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) विशेष--विहारी सतसई की इस प्रति में ७३५. दोहे हैं। Page #688 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रृंगार एवं काम शास्त्र ] ६१०६. प्रतिसं० २१ पत्र स. २-४० । प्रा०६४४, इच। ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। ६१०७. प्रतिसं० ३ । पत्र स०७० । ले०काल X । अपूर्ण । बेष्टन स० ७६८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६१०८. बिहारी सतसई टीका.... X । पत्र स २७ । प्रा०६४ ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-श्रृंगार वर्णन । २० काल ४ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन स० ३५३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली बोटा। विशेष -पहिले भुल दोहे फिर उसका हिन्दी गद्य में अर्थ तथा फिर एक एक पद्म में अर्थ को और स्पष्ट किया गण है। ६१०९. मामिनी बिलास-प० जगन्नाथ । पथ सं०३ से २२ । भाषा-संस्कृत । विषमकाम मात्र । र० काल ४ लेक काल सं० १९७६ | अपूर्ण । वेष्टन सं०७६०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ६११०. प्रतिसं० २। पत्र सं० २४ । प्रा० ११ x ४ इञ्च । ले. काल सं० १८-३ माह सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-सरोजपुर में चितामणिपाश्वनाथ चैत्यालय में पं. चूलचंद में स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ६१११. भ्रमरगीत -मुकुददास । पत्र सं० ३२ । प्रा०६६x४, इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय --विरह (वियोग शृंगार) । र० काल X । ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थात-दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष-७५ पद्य हैं । २५ बे पत्र में उषः चरित्र है जिसके केवल १४ पद्य हैं। ६११२, मधुकर कलानिधि-सरसुति । पत्र सं०४० । प्रा० १०.४५३ इन्छ । भाषाहिन्दी विषय-श्रृगार । २० काल सं० १८२२ चैत सुदी १ । ले. काल X । पूर्ण । वेपन सं० ५७३ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-अंतिम प्रशस्ति तथा रचनाकाल संबंधी पद्य निम्न प्रकार हैं । इति श्री सारस्वत सरि मधुकर कलानिधि संपूर्णम् । संवत् अठारह से बायीस पहल दिन चैत सुदी शुक्रवार शं उल्हास्यो सही। श्री महाराना माधवेश मन के विनोद हेत सुरसति कीनो यह दूध ज्यों में नही ।। ६११३. माधवानल प्रबन्ध-गणपति । पत्र सं० ५२ । ro १६४४ इञ्च । भाषा-- हिन्दी प. | विषय-कथा (श्रृंगार रस)। २० काल सं० १५६४ श्रावण बुदी ७ । ले. काल सं० १६५३ जेट सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७१ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर नागदी दी। ६११४. रसमंजरी-४ । पत्र सं०७ । प्रा० १०३४४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी (प.) । विषयशृगार रस । २० काल x | ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ५७१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। Page #689 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६११५. रसमंजरी--भानुदत्त मिश्र । पसं० ४१ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- गार । र • काल। ले०काल ४ । पुर्ण । वेष्टन सं० ५८६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-गोपाल भद्रकृत रसिक र जिनी टीका सहित है। ६११६. प्रति सं०२। पत्रसं०७४ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं. ५६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-भट्टाचार्य वेसीदत्त कृत रसिकर जिनी व्याख्यासहित है। ६११७. रसगज--मतिराम । पत्र सं० १७ । था. ६x६ इन्च । भाषा-हिन्दी पध । विषय--शृगार । र०काल x । ले. काल स. १८६६ फाल्गुण सूदी ४ । पूर्ण 1 वेष्टन सं०४२ प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक)। ६११८. रसिकप्रिया-महाराजकुमार इन्द्रजीत । पत्र सं० १३८ । प्रा० ६ x ६ इन्च । भाषा-हिन्दी विषय- गार रस। र०काल x | ले. काल सं०१७५६ । पलं । वेस प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर ।। ६११६. प्रतिसं० २ । पय सं०६-६४ । ले० काल सं० १७५७ मंगसिर सुदी १२ । अपूर्ण । श्रेष्टन सं० ६१ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । ६१२०, प्रति सं०३ । पत्रसं०७१ । श्रा०६ x ५ च । लेकाल सं० १८४५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १९१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूदी।। ६१२१. गार कविस-४ । पत्र सं०५ । प्रा० ११४६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-शृंगार । २० काल X । ले०काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ५६४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ६१२२. शृंगार शतक-भर्तृहरि । पत्र सं० १ । प्रा० x ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-शृंगार रस । र०काल ४ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं ३, १६७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिह (टोंक)। विशेष--१०२ पश्य हैं। ६१२३. प्रतिसं०२। पत्र सं० १२ । मा० १०.४५ इश्व । ले०काल X । वेष्टन सं० ४६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ६१२४. प्रतिसं०३। पत्र सं० २० । प्रा० ११४५ इन्च । से०काल X । वेष्टन सं०४६०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष प्रति टिप्पण सहित है। ६१२५. प्रतिसं०४१ पत्रसं० ४० । प्रा० १०० x ५ इञ्च । ले०काल x वेटन सं. ४६४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। विशेष-श्लोक सं० ५५ है। Page #690 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रृंगार एवं काम शास्त्र ] ६१२६. सुन्दर श्रृंगार - महाकवि राज । पत्र सं० ३२ । ० हिन्दी पद्य विषय श्रृंगार २० काश X | ले० काल सं० १००३ पूर्ण स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूंगरपुर । लिखीत | यह सुंदर सिंगार की पोथि रच विचारि कधी होइक लघु लीग्यो सुरूवि सुधारि ।। इति श्रीमत् महाकविराज विरचित सुंदर सिगार संपूर्ण संवत् १८६२ वर्षे शाके १७४८ मा [ ६२८ x ५ इश्व । भाषाबेष्टन सं० १६१-०१ प्राप्ति च मासे शुक्ल पक्षे तिषौ २ शनिवासरे सायंका ६१२७. प्रतिसं० २० पत्र सं० ७ । श्र० १० X ५ सं० २६३-१४० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का हंगरपुर । इंच । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन ६१२८ प्रतिसं० ३ | पत्रसं० २४ । ०६६ x ४५ इम्ब । ले० काल X । पूर्णं । वेष्टन सं० ३७२ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर दबलाना बूंदी। विशेष-- प्रति प्राचीन है । ६१२९. प्रतिसं० ४ ०११-६२ ० ७६ येन सं० ६२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पाहसाथ टोडारायसिंह (टोंक)। वेवन काल पूर्ण 1 ६१३०. प्रतिसं० ५ पत्र ० २५ ग्रा० १०x४३ इच ले०काल सं० १७२८ वेष्टन ० ६१३ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष-प्रांत में सुरदास कृल बारहमासा भी है ग्रन्थ की प्रतिनिधि मानपुरा में हुई थी। ६१३१. सुन्दर गार-सुन्दरदास पत्र [सं० ४७ | भा० ११५ विषय-गार १० काल X ले० काल सं०] १८५२ भाषा - हिन्दी प्राप्ति स्थान पूर्णा । वे०सं० ५७२ दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष- नेमिनाथ त्यालय में पं० विजयराम ने पूरा किया था। ६१३२. प्रति सं० ६ पत्र० ४२ प्रा० ६९५ इथ | से० काल । मपूर्ण । वेष्टन सं० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी। Page #691 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • विषय -- रास, फागु वेलि ६१३३. अजितनाथ रास-द्र० जिनदास । पत्र सं०४० । आ. १२४४६ इञ्च । भाषाहिन्दी (पद्य)। विषय-रास । २० काल X । ले०काल x 1 प्रखं । बेष्टन सं० २२४ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष-आदि अन्त भाग निम्न प्रकार हैप्रारंभ-वस्तु छंद 'अजित जिनेसर, अजित जिनेसर । पाय प्रणामि सुतीर्थकर अति निरमला मन बांछित फलदान मुभकर । गराधर स्वामी नमस्कर सरस्वति स्वामिरिण ध्याऊ निरमर । श्री सकलकीरति पाय प्रगमि त्रिभुवन कीरति भवतार । रास · करिमृहुं निरमलो ब्रहा जिरणदास तरिगसार भास यशोधर भवियण भावेइ सुगरख चंग मनिधारे ग्रानन्द । यजित जिणेसर चारित्रसार कह गुणचन्द ।। अन्तिम श्री सकलकीरति गुरु प्रणमीने मनि भवन कीति भवतार । रोस कीघो में निरमल .. अजित जिणेसर सार .. . . पढई गुणइ जे सांभलइ मनि धरि अविचल भाव । तेहनइ रिद्धि परगणा पाम शिवपुर दामी ।। जिण सासगा अति निरमलु भत्रि भवि देउ मुझसार ।। ब्रह्म जिरिणदास इम वीनवेइ श्री जिपवर मुगति दातार । इति श्री अजित जिलानाथ रारा समाप्त । ६१३४. अमरदस्त मित्रानंद रासो-जयकोत्ति । पत्र सं० २७ । प्रा० १२ x ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय - रासा साहित्य । २० काल सं० १६५६ । ले. काल x | पुर्ण । वेष्टन सं० १३४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर तेरहाथी दौसा । विशेष प्रति नवीन है। Page #692 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास, फागु बेलि ] [ ६३१ ६१३५. आदिपुराण रास० जिनदास पत्रसं० १५० मा० १०९६२ ३४ भाषाहिन्दी पद्य विषय पुराण २० काल १५ वीं शताब्दी ने० काल सं० १८३१ दना बुदी १२ पूर्ण वेष्टन सं०] ११०-५६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक) I विशेष - भट्टारक नागोर के श्री जयकीत्ति तत् शिष्य याचार्य श्री देवेन्द्रकीति के समय आदिनाथ चैत्यालय अजमेर में प्रतिलिपि हुई थी । ६१३६. प्रतिसं० २ । पत्र ०८ श्र० १२x६३ इञ्च । ले०काल X | अपूर्ण । वेष्टन सं० ४२८ - १६१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का इंगरपुर । ६१३७. आदिनाथ फागु भ० ज्ञानभूषरण | पत्र० ३ १५ भाषा हिन्दी निषय काबु साहित्य र काम X ते काल मन स्थान- दिन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष आचार्य नरेंद्रकीर्ति के शिष्य ब्र० शिवदास ने लिपि की थी। ६१३८. प्रति सं० २ । पत्र सं० २९ ० १३५४६ इञ्च । ले० काल स० १८६८ । पूर्ण । वेष्टन ०६२ प्राप्ति स्थान दि०जैनवाल मंदिर उदयपुर 1 प्रशस्ति निम्न प्रकार है--- संवत् १८६८ फार बुधी १४ रविवासरे श्री सल्बर नगरे मूलसंधै सरस्वती गच्छे कुरंदकुदाचार्याये भट्टारक थी १०८ श्री श्री चन्द्रकौति विषज्येतत् शिष्य पंडित श्री गुलाबचन्द जी निचितं 1 पत्र रा०२८० १२५ सं० ३०१४५७ प्राप्ति स्थान दि०जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । ६१३९. प्रति सं० ३ ० काल x पूर्ण वेष्टन विशेष- कुल ५०१ पच हैं। ६१४०. प्राषाढभूतरास- ज्ञानसागर पत्र० १२ । विषय कथा २० काल X काल X 1 पूर्ण वेष्टनसं० ६३ बोरसी कोटा। ० ११ x ४ इञ्च । ०४८२ प्राप्ति - ० X ४ व भाषा ६१४१. इलायचीकुमार रास- ज्ञानसागर । पत्र [सं० १० हिन्दी पद्य विषय कथा २०० १७१६ आसोज सुदी २ ० काल सं० १७२८ जेष्ठ मास । पूर्ण । जेन सं० २५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसी कोटा । । । ० १०.४४३ इन्च भाषा - हिन्दी प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर संवत् १७१९ सावरसे शेषपुर मन हरये । आसोज सुपी द्वितीया दिन सारे हस्तनक्षत्र बुधवा भ्यान सागर कहे । | । ६१४२. प्रति सं० २ । पत्र सं० १४ पा० ११५४ इञ्च ले० काल X पूर्ण वेष्टन । । सं० ३३२ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा | ******* ६१४३. प्रा रास विषय- २० काल X स्थान - दि० जैन मंदिर दबलाना X 1 पत्र सं० १४ । X 1 पत्र सं ० १४ । प्रा० १० X ४ इश्व । भाषा - हिन्दी (पद्य) | विश्वाल सं० १९०७ माघ बुदी २ (बूंदी) । पूर्ण वेष्टन सं० ३७ प्राप्ति Page #693 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६१४४. अ'जना सन्तरी सतीनो रास-x1 पत्र सं. ५-१७ । पा. १०x४ इन्च । भाषा--हिन्दी पद्य । विषय-कथा । २० कालX । ले. काल सं० १७१३ फागुन बदि७ । अपूरणं । वेष्टन सं० ४६६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोठाड़ियों का डूंगरपुर । ६१४५. प्रबिकारास- - । पत्रसं० ३। प्रा० ११ x ४१ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । २० काल ४ । ने० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०२६८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । ६१४६. कर्म विपाकरास-० जिनवास । प्रा० १०.४५१ इन्च भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-रास । र० काल X । ले०काल पूर्ण । बेष्टन सं०६९-४२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोरियों का हूंगरपुर । ६१४७. करफुउनोरास- ब्रह्म जिः दास । पत्र सं० २१ । प्रा० १०४४३ इन्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-कथा । २० काल x ले०काल सं० १९२१ । पूर्ण । वेष्टन सं०७। प्राप्ति स्थानदि. जैन मदिर राजमहल (टोंक)। विशेष-सवत् १९२१ वर्षे भट्टारक श्री १०८ धर्मचंद्र जी तत्सीस ब्र. गोकलजी लिखीत तन लघु प्राता ब्र. मेधजी पठनार्थ । ६१४८. गौतमरास-४ । पत्रसं०३ । प्रा० १.१४४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयकथा ! २० काल ४ लेप १५.५ : पूर्व । तसं० १३२१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर अजमेर भण्डार । ६१४६. चतुर्गति रास-त्रीरचन्द । पत्रसं० ५ । प्रा० x ४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-चारमतियों का वर्णन । र०काल x | ले. काल सं० १५१४ पूर्ण । वेष्टन सं०१०३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ६१५०. चारुदत्त श्रेष्ठोनो रास-म. यश:कोति । पत्रसं० ३-४२ । प्रा०६x६ इञ्च । भापा-हिन्दी । विषय-कथा ।र०काल सं० १९७५ ज्येष्ठ सूदी १५ । लेकाल सं० १९७६ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २२३:५५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन सभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-श्री मूलसंघे बलात्कारगरणे भारतीगच्दै कुदकुदाचार्यान्वये मुरीश्वर सकलकीर्ति मुवनकोति तत्प? ज्ञानभूषण तत्पट्ट विजवकीर्ति तत्प? शुभचन्द्र तत्प? सुमतिकीर्ति तत्पट्ट गुणकीति तत्पट्टे चादिभूषण तत्प? रामीति तत्प? पद्मनंदि तत्पट्ट देवेन्द्रकीति तत्पट्ट खेमेन्द्रकीर्ति तत्प? नरेन्द्रकीति तत्प, विजवकीति नेमिचन्द्र जी भ० चन्द्रकीति पर्ट कीतिराम इन्हीं के गच्छपति यश कीति ने खडग देश में धूलेव गांव में यादि जिनेश्वर के धाम पर रचना की थी। बबेला में भ० यशः कीति के शिष्य स्खुशाल ने प्रतिलिपि की थी। ६१५१. चिपचिन्तन फागु-X । पत्रसं० ३८ । प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-चिन्तन । र० काल.X । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० १८० । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६२५२. चंपकमाला सती रास -४ । पत्रसं० । प्रा० ६३४४१ञ्च । माषा-हिन्दी (पद्य) | विषय-कथा । र०काल x ले. काल ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर दबलाना (दी)। Page #694 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास, फागु वेलि ] [ ६३३ ६१५३. जम्बूस्वामोरास–ब्रह्म जिनदास । पत्र सं०७३ । प्रा० १०x४३ इञ्च । भाषाराजस्थानी पद्य । विषय-बाथा । र० काल X । लेकाल सं० १९२१ पौष बुदी १२ । पूर्ण । धेष्टन सं०६। प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। विशेष-सयान १९२१ वर्षे पोस बदी ११ शुक्रवासरे श्री मूलसंधै सरस्वतीगछे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री १०८ रनचन्दजी तत्पट्टे भट्टारक जीश्री १०८ देवचन्द्रजी तत्पट्टे भट्टारक श्री १०८ चम्मचन्द्र जी तत् शिष्य ब्रह्म गोकल स्वहस्ते लखीता । स्त्र ज्ञानावणी कर्म क्षयार्थ । ५१५४. जम्बूस्वामी रास-लयविमल । पत्र सं० २४ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-कया । र०काल X । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन मं० ३३३ । शप्ति स्थान--दिक जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ६१५५. जिनदत्तरास-रत्नभूषण। पत्र सं० ३० | प्रा. १०३४५६ञ्च 1 भाषा-हिन्दी (पद्म)। विषम-कथा । र०काल X । ले. काल X । पूरा । वेष्टन स० १६६ 1 प्राप्ति स्थात-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष—पादिमाग निम्न प्रकार हैं सकल सुरासुर पद नमि नम्रते जिनवर राय गणधरजी गोतम नमू, बहु मुनि सेवित पाय ॥१॥ सूखकर मारिंग वाहनी, भगवती भवनी तार । लेह तणा चरण कमल नमजे वेणा पुस्तक धार ॥२॥ श्री ज्ञानभूषण ज्ञानी नमू, नमूसुमति कीर्ति सुरिंद । दक्षण देशनो गछपति नम, श्री गुरु धर्मचन्द ॥३॥ एह तरणा चरण कमल नमि, कहं जिनदत्तचरिउ विचार । भवियण जनसहू सांभलो, जिम होय हरिष अपार 1॥४॥ अन्तिम भागमूलसंघ मरसतीगछि सोहामणो रे, कांई कूदकु दयति राय। तिणि अनुकारी ते बलात्कारगणी, जाणीएरे ज्ञान भूषण नमि पाय ।।१।। श्री सूरियर रे सुमति की रति पदनमीरे नमी श्री गोर धमचन्द्र । श्री जिनदत्त रास करिवा मनि उपम्रो रो, काइ एक दिवासी मानद ।। देवि सरस्वती गुरू नीमि कीधी रास सार । डपो होइ ते साधज्यो पूरो करज्यो सुविचार । श्री हाँसोट नगरे सुहाम थी आदि जिनंद भयतार । तिणि नयरे रचना रची श्री जिन सासनि शूगार। Page #695 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग पामो मास सोहामरणो शुदि पंचमी बुधवार । ए रचना पूरी करी साभलो भविजन सार ॥३॥ श्री रत्नभूषण सरिवर कही जे वांचे जिनदतए रास । जिनदतनी परि सुख लही पोहोचि तेहनी प्रास ।।४।। मरिण भागवि ए सही शिखि लिस्रावि गस । तेह धरि नवनिधि सपजि पूजतां जिन पाय ॥५॥ भवियरा जन जे सांभलि रास मनोहर सार । श्री गम्षण सूरीवर कही तेह घरि मंगलाचार ||६|| ६१५६. प्रति सं० २। पत्र सं०४० । ग्रा. ११४४३ इञ्च । ले. काल सं० १६६५ । प्रशं। वेष्टन १.३६१-१२६ । प्राप्ति Een--12. जन अधिकारियों का हूगरपुर । विशेष-संवत् १६६५ वर्षे फाल्गुण मासे कृष्णपक्षे १२ बुधवारेण लिखितमिदं जिनदत्त रास । ६१५७. जीवंधर रास--ब्रह्म जिनदास । पत्रसं० ७५ । पा.११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र । र०काल x | लेकाल X । अपूर्ण। वेष्टन सं० ३१८/६२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष एक अदित प्रति प्रौर है। ५१५८. प्रतिसं० २१ पत्र सं०८० । ले० काल सं० १८६५ । पूर्ण । वेष्टनसं० ५०/५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन सभवनाश्च मंदिर उदयपुर । विशेष-मेवाडदेश के गेगसा ग्राम में यादिनाथ चैत्यालय में सं० १८९५ में प्रतिलिपि हुई थी। ६१५६. जोगोरासा-जिनवास । पत्रसं०३। प्रा०११४४ इच । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय--अध्यात्म । १० काल x ले० काल X । पूर्ण 1 वेष्टनसं० २५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पाश्यनाथ मन्दिर इन्दरगट (कोटा) ६१६०. प्रति सं० २ । पत्रसं. २ । प्राः १०३४ ४६ हच्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दखलाना (दी)। ६१६१. दानफलरास-ब्र० जिनदास । पत्रसं०६ । प्रा० ११४७६च । भाषा: हिन्दी पद्य । विषय -कथा 1 र०काल X । ले०काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान दि० जन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-नृव्धदत्त एवं विनयवती कथा भाग है । अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है । इति श्री दान फलचरित्रे ब्रह्म जिनदास विरचिते सुब्धदत्त विनयवती कथा रास । १८२२ वर्षे श्रावण बुदी ११ सिथौ पंडित रूपचन्दजी कस्य वाचनार्थाय । ६१६२. द्रौपदीशील गुणरास-पा० नरेन्द्रकोत्ति । पत्र सं० १३ । प्रा. ११४५६च । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-कथा । र० काज ४ । ले०काल सं० १६२० । पर्ण । वेष्टन सं. १८५ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । Page #696 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास, फागु बेलि ] [ ६३५ भाषा ६१६३. धन्यकुमार रास-प्र० जिनदास पत्रसं० २६ या० ११४५ ह । हिन्दी (पद्य) | विषय - रास । र० काल X | ले० काल x । पूर्ण । वेष्टनसं० २०३ । प्राप्ति स्थानदि० जैन वाल मन्दिर उदयपुर । ६१६४. प्रतिसं० २ । पत्र० ३३ ते ०काल सं० १६४५ | पूर्ण वेष्टन सं० २३/५१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६१६५. धर्मपरीक्षारास ब्र० जिनदास पत्रसं० ३.२० प्रा० १०x४ इञ्च । भाषा० काल सं० १६३५ | अपूर्ण वेन सं० १४ प्राप्ति स्थान हिन्दी विषय कथा १० x दि० जैन मन्दिर दवलाना (बूंदी) । विशेष – प्रशस्ति निम्न प्रकार है । संवत् १६५९ वर्षे ज्येष्ठ सुदी १० स्वस्ति श्री मूलसंबे सरस्वतीगच्छे बतात्कारग भी कुम्दकुन्दाचायये भट्टारक श्री पद्मनंदिदेवास्तत्पट्टे भ० श्री सकलकीत्तिदेवा तत्पट्टे भ० श्री भुवनकीर्तिदेवा तत्पट्टे भ० श्री ज्ञानभूषणदेवा तत्प] श्री विजयको सिदेवा लट्टे श्री शुभचन्द्रदेव तत्पट्टे श्री सुमतिकीतिदेवास्तत्पट्टे म० श्री गुणकीतिदेवास्तवाम्नाये जिनदास तट्टे व श्री शांविदास तत्पट्टे ० श्री हेमराज पट्टे व श्री ट्रक बारूदीये धर्मपरीक्षा रास ज्ञानावरणीय कर्मशार्थ पंडित देवीदास पठनार्थ | - । । । ६१६६. धर्मपरीक्षारास सुमतिकीति पत्र सं०] १०३ । पा० ११४७ इन्च भाषा हिन्दी पद्य विषय - धर्म । २० काल सं० १६२५ ले० काल सं० १८३५ अपूर्ण वेटन सं० ४०४ । | प्राप्ति स्थान–दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । I ६१६७. प्रति सं० २। पत्र सं० २९ सं० २६४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा | ० १०६ इवले-काल X पूर्ण वेष्टन ६१६८. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १७५ । श्र० १०५ इश्व । ले काल सं० १७३२ चैत्र बुदी ४ पूर्ण वेटन सं० १७० / १११ प्राप्ति स्थान दि०जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष – पहमदाबाद में प्रतिलिपि हुई थी ६१६९. धर्मरासो- ४ । पत्र . १० भा० १०३४५ इन्च भाषा - हिन्दी पच । सं० । ३ । विषय- धर्म र काल x । ले० काल X। पूर्ण वेष्टन सं० ५६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्रादिनाथ बूंदी | | ६१७०. ध्यानामृत रास-प्र० करमसी पत्र सं० ३२ आ० १०५ इव । भाषाहिन्दी | विषय - कथा । र०काल X। ले० काल सं० १६१६ । पू । ० सं० २११-११५ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर कोटडियों का मेंगरपुर ६१७१. नवकाररासव० जिरणदास विषय-कथा । १० काल X लेकान X पूर्ण दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष – रामोकार मंत्र सम्बन्धी कथा है । — पत्रसं० २ ० १०३४४३ भाषा - हिन्दी | वेष्टन सं० १९९२ प्राप्ति स्थान मट्टारकीय Page #697 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३६ ] प०६ ६१७२. नागकुमार रासव्र० जिनदास हिन्दी पद्य विषय-रास साहित्य १० काल १५ वीं शताब्दि ० ६३ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ६१७३. प्रतिसं० २ । पत्र [सं० ३१ प्राप्ति स्थान दियपुर। ६१७४ नेमिनाथरास - पुण्यरतनमुनि विषय-कथा २० काल सं० १५८६ ० कॉम X जैन मन्दिर अजमेर । विशेष— यदि श्रन्त भाग निम्न प्रकार है । आदि भाग अन्तिम पाठ [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग चा० ११४४ ' ० १५२६ पूर्ण ०काल सं० २०१५ पूर्ण वेष्टन सं० ५२/१३० । सारद पत्र प्रामी करो, नेमिलगा गुण हीइ म्ररेवि । रास भणु रलीयामाउ, गुण गुरुबउ गाइगू संथेवि ॥ १ ॥ हूँ बलिहारी जादव एक रस उरई बालि । अपराध न मइ की कीमउ, काइ छोड़ नवयोवनवान ॥२॥ सोरीपुर खोहामण्ड राजा समुद्रविजय नउ ठाम । शिवादेवी शीि तसु तराणी, अनोप रूपइ रंभ समारा ||३|| - भाषावेष्टन सं० पत्रसं० ३ ० १०८४३ ४'च भाषा - हिन्दी । पूर्ण वेन सं० ७३२ प्राप्ति स्थानम० दि संजम पाल्यउ सातसई बरस सहसन पूरउ पूरउ ग्राउ । सादी मामी की पहुंता विरराम ।। ६६ ।। संवत पनरछियासि रास रचित आणी मन भाइ राजगल मंडण लिउ गुरु श्री नदिवर्द्धन सूरि सुपसाई ||६७|| प्रह उठीन प्रणमीय श्री यादवमंडन गिरिनारि । मनबंछित फल ते ते सहर हरिषिद जो गावइ नरनारि ॥ ६८ ॥ समुदविजय तन गुण लिउ सेव कर जर र द पुष्प रतन मुनिवर भर श्री सुसन नेवि जिद ।।६६ ॥ श्री नेमिनाथ रास समापता । ६१७५ प्रतिसं० २ पत्र सं० २ । श्रा० X ४ ६श्व । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं ४६० प्राप्ति स्थान भट्टारकी दि० जैन मन्दिर जमेर। ६१७६. नेमिनाथ विवाह लो- खेतसी । पत्र सं० १२ । श्र० ११४४३ इञ्च । भाषा - हिन्दी पद्मविषय - विराह व २०का ० १६२१ साले० काल सं० १७२३ कार्तिक खुदी १४ । पूर्ण देन सं० १०८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर मेलावाटी (सीकर) ६१७७. नेमिनाथ फागु - विद्यानंदि । पत्रसं० ४० ० १०x४३ इन्च भाषा - हिन्दी पद्य विषय - फागु २० काल सं० १८१७ माघ सुदी ५ । ले० काल x । पूर्ण वेष्टन सं० ५/३३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष प्रति बहुत सुन्दर है तथा ७६३ एव हैं। Page #698 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास, फागु वेलि ] [ ६३७ ६१७८, प्रतिसं० २। पत्र सं० ५४ । पा० २४४३ इञ्च । लेकाल सं० १८३१ माघ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ६१७६. नेमीश्वररास--व० जिनदास । पत्र सं० १९५ 1 आ० ६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-रास साहित्य । २० काल x लेकाल X । अपूर्ण । बेषत सं० १५३/८३ । प्राप्ति स्थानदि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । ६१८०, परमहंस रास-अ० जिनदास । पत्रसं०३८ । भा० १०१४४१ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-रुपक काव्य । र. काल XI ले. काल सं० १९२६ ज्येष्ठ सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं. १६५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । ६१८१. पल्यविधान रास-म० शुभचन्द्र । पत्र सं०५ 1 आ. १०३४ ४ इञ्च । भाषाहिन्दी पच । विषय-कथा । २० काल ४ । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। प्रारम्भ श्री जिनवर कर मानरा करी, पल्य विधान रे भाई कहिस्य कर्म विपाक हर। ए पुण्य तणु निघान रे भाई, योत्परि उपवास, पल्व तशा चेलां च्यार छह छकार ।। पाप पंक दूर करि करता मक सोह ठार ।।१।। भाद्रवा मास वदि ६ वही सूर्य प्रभ उपवासो। भाई उपवास पल्प तगुफल तस्य सर्व सुरासुर दासार ॥२॥ अन्तिम एरिंग परमारथ साधो, माया मोह में वाधो । शुभचन्द्र भट्टारक बोलि, शुद्धो धर्म ध्यान धरी बाधो ।। पल्य ५ वस्तु । छटोमद्वत २ मुगति दातार भगतो सिब सूख संपजि। उपजि अग पाणंद कंद हो अनंत पल्प उपवास फल सकल विपुल निर्मल अानंद कंदह । भट्टारक शुभचन्द्रमणि जे भरण सिंबली रास । अमरखेचर संकट निवार लक्ष्मी होई तस दास ॥१॥ इति पल्य विधानरास समाप्त । संवत् १६६० श्री मूलचे फामा बदि ५ दिने उदयपुरे पं० कानजि लिखितोयं रासः ब्र० लाल जी पठनाथ। ६१८२. प्रति सं० २। पत्र सं० ६ । प्रा० १०:४४३ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । Page #699 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३८ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ६१८३. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० ६ । आ० १० ४ ४ इश्व । ले० काल x पूरा | श्रेष्टन सं० ३२२/१२२ । प्राप्ति स्थान दि०जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । - ६१८४. प्रति सं० ४ । पत्र संख्या ६ ले० काल X। पूर्ण वेष्टन सं० ३२३ / १२३ । प्राप्ति स्थान- दि० न संभवनाथ मन्दिर उदयपुर विशेष पहिले पत्र के ऊपर की ओर 'नागद्रा राम्रा जाति का रासभूषका हिन् दिया है। यह ऐतिहासिक रचना है पर अपूर्ण है। केवल अन्तिम २२ वा पद है। अन्तिम श्री ज्ञान भूषण मुनिवरि प्रमुनियां की रास में सारए हमुच जिवर कहीय वशि श्रीव माहि रास रत्रु प्रति रूवडू हवि भरि मसिसी भगावेने सांभले ते लहिसीह इति नागद्वारा सम्पूर्ण । ६१८५. पाणीगालन रास-ज्ञानभूषा पत्र [सं० ४ हिन्दी (प) विषय विधान १० काल X ले० काम X दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । पूर्ण ६१८७. प्रयुम्नरासो- ब्रह्मरायमल्ल विषय-कथा २० काच स ० १६२८ । ०काल X दि० जैन मंदिर बड़ा बीस पंथी दोसा | जो नर नारे । फल विचार । ६१८६. पोषहरास ज्ञानभूषण पत्र सं० २०६० १०५४ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय-कथा | २० काल X से कास X अपूर्ण | | संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ३० सं० २७३ प्राप्ति स्थान- दि० जैन विशेष गढ़ हरसौर में ग्रन्थ रचना हुई थी । ६१८८. बुद्धिरास - X [पत्रसं० १ विविध २० काल x । काल X पूपं दबलाना (बुदी ) | विशेष – इसमें ५६ प हैं ० १० X ४ वेष्टन सं० ३५७ । । -- .. पत्रसं० २० पा० ११४६ इन्च पूर्ण बेटन सं० ४४ X ० ६x४३ इञ्च बेष्टन सं० २६४ पतिम पथ निम्न प्रकार है सालिभद्र गुरु संकल्प हुए ए सवि सीस विधान ॥ पाव से सिय संपवाए तिस परि नवय विधान ॥ ५६।। भाषाप्राप्ति स्थान प्राप्ति भाषा - हिन्दी (पद्म) विषय स्थान – ० जैन मन्दिर भाषा - हिन्दी । प्राप्ति स्थान दांत बुद्धिरास संपूर्ण ६१८. बाहुबलिवेलि वीरचन्द सूरि प० १०० ११४ ४३ इ भाषा --- हिंदी (पद्य) विषय-कधा । र०काल X ले०काल सं० १७४४ । पूर्ण वेष्टन सं० १७ प्राप्ति स्थानदि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ६१६०. बंकरास - ब्र० जिनदास पत्र [सं० ६ | था० ११४५ इव । भाषा - हिन्दी (पवित्रा र०काल x | से० काल x पूर्ण वेष्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । Page #700 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास, फागु वेलि ] [ ६३६ विशेष-उपा० श्री गुणभूषण तत् शिष्य देवसी पठनार्थ । ६१६१. भद्रबाहुरास-म०जिनदास । पत्रसं० १० । प्रा० ११३४४३ च । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-कथा । १० काल ले. काल । पूर्ण । वेष्टन सं० १६२। प्राप्ति स्थान—दि जैन अनचाल मंदिर उदयपुर । ६१६२, प्रति सं० २ । पत्र सं० ११ । प्रा० ११ ४ ५ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १८८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६१९३. भविष्यवत्तरास-ब्रह्म जिनवास । पत्र सं० ८५ । प्रा० १०४४२ इञ्च । भाषा-- हिन्यो (पा) । विषय-कथा । र० काल X । ले० काल सं० १७३६ आसोज बुदी । । पूर्ण । बेष्टन संभ १६। प्राप्ति स्थान--दि० जन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । ६१६४. भविष्यदत्तरास विद्याधरणसूरि । पत्र सं० २१ । आ० ११४.४३ इञ्च । भाषाहिन्दी पञ्च | विषय-कघा । र काल २३ अमाद रामी : होम पूरी न सं० ७६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा ६१६५. सुनि गुगरास बेलि-50 गांगजी । पत्र सं० १० । प्रा० ६x४६ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्म । र० काल x 1 ले० काल सं० १६१४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बोरसली कोटा। ६१६६. मृगापुवेलि–x । पत्र सं० २ वा० १०४४६ इन्छ । भाषा-हिन्दी । विषय-- कथा । र०काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दबलाना (बूंदी)। ६१६७. यशोधर रास--0जिनदास । पत्र स०२८। प्रा० ११४५६४ । भाषा-हिन्दी पद्म । विषय-रास (कथा) । र०काल x ले. काल X । पुर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बू दी। ६११८. प्रतिसं०२। पत्र सं०२४ ! आ०११ ४६ इञ्च । ले. काल सं० १८१७ । पूर्ण । बेष्टन सं० २०२-६३ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर कोटडियों का हंगरपुर । ६१६६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ४४ । पा. १०.४४३ इञ्च । लेकाल स० १८२२ । पूर्ण । वेष्टन सं०५६-३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का हूगरपुर । . प्रशस्ति-सं० १८२२ वर्षे पौष मासे शुक्ल पक्षे सोमबासरे कुशलगढ़ मध्ये श्री पाश्र्वनाथ पालये श्री मूलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुदकुदाचार्यान्वये बागड़ पट्टे भ. श्री १०८ रतनचन्द जी तत्पम श्री १०८ देवचन्द्र जी तत्पष्ट्र भ. श्री १०८ धर्मचन्द्र जी तत् शिष्य पंडित सुखराम लिखितं । श्री कल्याणमस्तु ।। ६२००. प्रति सं०४। पत्र सं० २५ 1 या १० x ४३ इञ्च । ले० काल स. १७२६ । पुर्ण । वेष्टन सं० १५२-६६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का हंगरपुर । ६२०१. रत्नपाल रास-सरवन्ध पत्र सं.३०1 ग्रा6X४:व। भाषा-हिन्दी पद्य विषय-रास । २० काल स०१७३६ ले०काल X । पूरणं । वेष्टन सं० २९५-११५ । प्राप्ति स्थान.. दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । Page #701 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [प्रन्थ सूची-पंचम भाग ६२०२. रामचन्द्ररास --ब्रह्म जिनदास । पत्र सं० ३८० । मा० १०.४४३ इञ्च । भाषाराजस्थानी । विषय-राम काव्य । २० काच सं० १५०८ । ने. काल सं० १९२५ । पूर्ण । वेष्टन सं०१ । प्राप्ति स्थान.. दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बदी। विशेष संवत् १५ अठारोतरा भागसिर मास विसाल शुक्ल पक्ष चउरिव दिने, हस्त नक्षत्र रास कियो तिसा गुणमाल । वस्तु बंध-रास क्रियो २ अतिसार मनोहार । अनेक कथा गुणी पागलो, रात तणो रास निरमल, एक चित्त करि सांगलो भाय धरी मन माहा उजल, श्री सकलकीति पाम प्रामीने ब्रह्म जिनदारा भरणसे सार पढ़े गुणे जो सांभले तहिने द्रव्य अपार । इति श्री रामचन्द्र महामुनीश्वर रास संपूर्ण समाप्त। भाववा गांव में प्रतिलिपि की थी। विशेष-इसका दूसरा नाम राम राम रामसीताराम भी है। ६२०३. रामरास- जिनवास । पत्रसं०४०५ । प्रा. १२x६ इञ्च । भाषा-राजस्थानी विषय-रामकाच्य । २० काल सं १५०६ । ले०काल सं. १७४० । श्रेष्टन सं० ६-६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर कोटडियों का दंगरपुर । प्रशस्ति-संवन् १७४८ शाके १६१३ वर्षे ग्राषाढ पद मासे शुक्रन पक्षे त्रयोदशी तिथी रविवासरे प्रजापति संवत्सरे लिखित रामराम स्वामीनो श्री देउलयामे शुभस्थाने श्री मूलसंधे सेनगणे पुष्करगरणेनाम्ना श्रीवृषभसेनाधस्य पट्टावली श्री जिनमेन भट्टारक तत्प? भट्टारक श्री समन्तभद्र साह श्री अर्जुन सुत रत्नकेश लिखितं भाइ श्री जयवंत सा. मालाप्रशाद कुरवे जन्म बस ज्ञाती बबेरवालान् गोत्र साहुल । विशेष-इसका दूसरा नाम रामसीतारास। रामचन्द्र रास भी है। ६२०४. रामरास-माधवदास । पत्रसं० ३६ । प्रा० १०३४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी पत्र विषय -कथा। र. काल X। ले०काल सं० १७६८ वैशाख सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थानदि जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ६२०५. रुक्मिणिहरणरास--रत्नभूषणसूरि । पथ सं० ३-६ । मा० ११ x ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विवय-कथा । र०काल x । ले०काल सं. १७२१ । अपूर्ण । बेष्टन सं० २४१/७५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-ग्रन्थ का अन्तिम भाग एवं प्रशस्ति निम्न प्रकार है। नाबरण बदि रै सुन्दर जागी कि बली एकादशी रास सूरथ भोहि रे एह रचना रची जिहां प्रादि जिन जगदीश जे नर ए निरे भरिणसि भणावसि तेहनि घर मंगलाचार श्री रत्न भूषण मुरीवर इम कहिमी प्रादि जिणंद जयकार । इति श्री रुक्मिणी हरण समाप्ता। Page #702 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास, फागु वेलि ] [ ६४१ प्रशस्ति-वन १७२१ वर्षे बैशाख मृदी १३ सोमे श्री सागवाडा सुभस्थाने श्री आदिनाथ चैत्यालये थी मूलसंधे सरस्वती गच्छ बलात्कार गणे कुदकुदाचार्यान्वये भ० थी पद्मनदिदेवा तत्पट्ट देवेन्द्रकीति तदाम्नाये श्री मुनि धर्मभूषण तत् शिव ब. बाघजी लिखितं । ६२०६. रोहिणीरास-अजिनदास । पत्रसं० २४ । प्रा० ११४४५ इञ्च । भाषाराजस्थानी । विषय-रास । र० काल X । ले०काल स० १६८२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८५-१११ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । प्रशस्ति-संवन् १६५२ वर्षे कार्तिक मासे शुक्ल पक्षे चतुर्थी सोमवासरदिने लिखितोयं रास। श्री मूलसंधे भट्टारक श्री ज्ञानभूषण तत्प? भट्टारक श्री प्रभाचन्द्र तत्प? भ० वादिचन्द्र तत्प? श्री महीचन्द्रको शिष्य घासीसाह पठनाथ । ६२०७. बर्द्धमान रास-बर्द्धमानकवि। पत्र सं० २३ । पा. १०x४१ इञ्च । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय-कया। र० काल सं० १६६५ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। ६२०८. विज्जु सेठ विजया सती रास - रामचन्द । पत्रसं० २-५ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय - कथा । र०कास सं० १६४२। ले. कान सं० १७४५ । अपूर्ण । वेष्टन सं. १०२-६ । प्राप्ति स्थान ---दि० जन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । ६२०६. व्रतशिष्मालो-दिनाराम . पर... २६ । ना. ६.३ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कथा । १०काल सं० १७६७ । ले० काल सं०१८६१। पूर्ण । वेष्टन सं०४२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरह पंथी दौसा । विशेष-बाह्मण भोफ्तराम ने माधोपुर में प्रतिलिपि की थी। ६२१०. प्रति सं०२। पत्र सं० २४ । पा.१.४६ इञ्च । मे० काल सं० १८९४ मगसिर बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । ६२११. शिखरमिरिरास-- । पत्रसं० १३ 1 प्रा० १.३४५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी। विषय- माहात्म्य । २०कालXI ले. काल सं० १९०१ श्रावण सुदी १४ । पूर्ण | बेष्टन सं० ४८० । प्राप्ति स्थान-20 दि. जैन मन्दिर अजमेर । ६२१२. शीलप्रकासरास-पविजय । पत्र सं० ४६ । प्रा० १०४४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-सिद्धान्त । र० काल सं० १७१७ । ले० काल सं० १७१६ । पूर्ण । गेष्टन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दहलाना (बू दी)। ६२१३. शीलसुर्दशनरास-४ । पत्र सं० १५ । प्रा० १०३४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कया । र० काल X । ले० काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोल्यों का नगवा । ६२१४. श्रावकाचाररास-जिरादास । पत्र सं० १३६ । था. ११४४१ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-प्राचार शास्त्र । र०काल सं० १६१५ भादवा सुदी १३ । ले०काल सं. १७८३ माह सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४-२८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा वीस पंथी दौसा। Page #703 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४२ ] [ ग्रन्थ सूजी- पंथम भाग विशेष – श्रीमत काष्ठा संगे भग्रहमति बारी साहू प्रदेसींध भार्या मप्र यदेभी लहोडा (लुहाडिया ) गोत्रे सुत थानसिंह कर्मशवार्थं सांभांगरपुर मध्ये श्री मल्लिनाथ चैत्यालये पं० न्यास केशर सागर लिखीआमोर का रमा ३२ || ) साडा ऋण बैठ्या ज्या | ६२१५. श्रीपाल रास-६० जिनवास पसं० ३७ ० १०३४४३ इन्च भाषा राजस्थानी विषय-काव्य । र०काल X ले० काल सं० १६१३ मंगसिर बुदी १२ वेष्टन सं० ३०२ प्राप्ति स्थानदि० जैन सवाल मंदिर उदयपुर । विशेष-संवत १६१३ वर्षे मंगसिर बुद्धि १२ सनी लयतं बाई यम पठनार्थं । ६२१६. प्रति सं० २ । सं० २२० ११३५३ । ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० १०१ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । ६२१७. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ३६ । ग्रा० १० १४४३ इख । ले० काल सं० १८८२ फागुन सुदी १ । पूर्ण । वेन सं० ५७-३६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटडियों का रंगरपुर । प्रशस्ति-संवत् १८२२ वर्षे फासून सुदी ५ दिन गुरुवासरे नगर भीलोडर मध्ये शांतिनाथ चैत्यालये भ० श्री रानचंद सत्पट्टे म० श्री देवचन्द्र तत्पट्टे म० श्री १०८ श्री धर्मचन्द तत् शिष्य पं० सुखराम लिखितं । ६२१८. श्रीपालराम ब्रह्म रायमल्ल पत्र सं० १२ ४० आ० ६ X ४ इन्च भाषाहिन्दी पद्य विषय रारा २० काल सं० १६३० । ० काल X। अपूवेन सं० ७५ प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर पाटोडारायसिंह (टोंक) ६२१६. प्रति सं० २०२१ ० १० X ४३ इन्च । ते० काल सं० १७५८ सावस सुदी ६ । पूर्ण । बेन सं० ४५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर इन्दरगड (कोटा) ६२२०. श्रीपालरास - जिनहर्ष पत्र सं० ३१ । भाषा - हिन्दी ( प ) | विषय - चरित्र । र० काल सं० १७४२ चैत्र वुदी १३ । ले० काल सं० १८१२ पूर्ण वेटन सं० ७२० । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष - कुंभ में लिखा गया था। ६२२१. प्रतिसं० २ । ०४६ काल पूर्ण वेष्टन सं० ७२८ प्राप्ति स्थानदि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६२२२. प्रति सं० ३ पत्र ०५६ काल सं० १६६२ । पूर्ण वेष्टन सं० ५०३ प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर ६२२३. अतकेवलिरासव्र०जिनदास | पत्र सं० ३६ शा० हिन्दी विषय वा २० काल X जे०काल सं० १७६१ फाल्गुन सुदी ७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसली, कोटा । ६६५ इ पूर्ण भाषावेष्टन सं० ३७२ । ६२२४. रिक प्रबन्ध रास- बहासंघजी पत्र [सं० ६३ मा० १०३४५ इय भाषा--- हिन्दी गद्य विषय कथा २० काल सं० १७७४ ले० काल ० १८१३ । पूर्ण वेष्टन सं० ४३६१६५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । Page #704 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास, फागु वेलि ] [ ६४३ ६२२५. श्रेरिएकरास --ब्रह्म जिनदास । पत्रसं० ६२ । प्रा० ६४५ इश्च । भाषा-हिन्दी। विषय ... रक : ५० । प्र हन रां. २९८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति - संवत् १७७० प्रवर्तमाने अपाड़ सुदी २ गुस्वासरे भ: श्री सकलकीति परम्परान्वये श्री मूलसंवे सरस्वतीगच्छे भ० श्री विजयकीति विजयराज्ये श्री अमदाबाद नगरे श्री राजपुरे श्री हुंबड वास्तव्य हुंबडशाती उस्वर गोत्रे साह श्री ५ धनराज कसनदास कोटडिया लखि । ६२२६. प्रति सं०२ । पत्रसं० ५५ । प्रा. १०४४, इञ्च । ले०काल सं० १७६० भादवा सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६२२७. प्रतिसं०३ । पत्रसं० ४ । श्रा० १०.५५ इञ्च । ले०काल सं. १७६८ पासोज सुदी १। पूर्ण । वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान –दि जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-पत्र ३८ से पोषघरास दिया हुआ है । ले. काल सं० १७६६ काती मुदी १५ है। ६२२८. श्रेणिकरास-सोमविमल सूरि। पत्र सं० २६ । प्रा० १०x४ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-कथा। र०काल सं० १६०३ । ले. काल x अपूर्ण। वेपन सं० । ६६-६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बड़ा वीस पंधी दौसा। विशेष--२६ से प्रागे के पत्र नहीं हैं। प्रशास्ति दी हुई है। प्रारम्भ सकल ऋद्धि मंगल करण, जिण चवीस नमेदि । ब्रह्मा पुत्री सरसती माय पय पणमेबि ।।१।। गोयम गरगहर नइ नमु विधन विरणासण हार । सोहम स्वामि नमु सदा, जसु शाखा विस्तार ।। सार सदा फल' गुरु तणा, दुइ अविचल पट्ट । अनुक्रमि पंचावन्न मइ, जसु नामिई मट्टगट्ट ।।३।। हेम विमल तसु दीपतु, श्री हेम विमल भूरिद । तेह तरणो चलणे नमी, हीयह धरी पारणंद ।।४।। चंद परिचंडती कला, लभइ जेइ नइ नामि । सोभाग हरिष सूरिंद वर, हरषिउ तासु प्रणामि ॥५॥ मूरख अक्षर जं कदइ, ते सवि सुगुर पसाय । वर्ण मात्र जिरिंग सीखविउ, तेहना प्रणमुपाय ।। वस्तु सफल जिणवर २ चलए बंदेवि। देवि श्री सरसति तरणा पाय कमल बहुभत्ति जुत्तउ प्रणमी गोयम स्वामि वर सुगुरुदाय, पय कमलि रतउ श्रेणिक राजा मुनिलु निर्मल बुद्धि विशाल । रन्धि सुरासहूं तेह तरण सुरिणज्यो प्रति हरसाल ॥ Page #705 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग अन्तिम तप नछ नायक गणधरु एहा, सोम सुन्दर सूरि राय । तस पटि गड्रपति वेद मुंएमा, सुमति सुन्दर सुरि पाय ।। तसु शास्त्रा मोहा करू एमा रत्नशेखर सुरिद । सस पट गयगा दीपावता एमः लिखिभी सागर रिचंद ।। सुमति साधु सुरीपद एमा, अजमाल गुरु पाट । सोभागी सोहामणी एठाए महा, जसू नामिद गह गटस् हेम परिइ जगवल्लहु एग्गए मा थे. हेमविमल सूरि । सोभाग हरस पाट पर मा. नामि संपद भूरि मु।। सोम विमल सूरि तास पाटि मा, पामी सु मुह ए साय । श्री वीर जिनबर मघी एमा गायु श्रेणिक राज ।। भुवन आकाश हिम किरण मा संवत् १६०३ इरिग अहि माणि सु। भादव मास सोहामा एमा, पंडेवि चडिउ प्रमाणि। कुमरपाल राय थापीउएमा कुमर गिगुर सारसु । सांति जिद सुपसाउ लए मा, रतु रास उदार सु ।।७। चुपई दूहा बस्तु गात मा, सुवि मिलीए तु मान सू । वसइ असी पागला एमा, जाणु सहुइ जाण । अधिक उछउ मइ भगाउ एमा जे छुइ रास मझारि ।। ते कवि जन सोधी करी, आगम नई अनुसारि ||७६ जे नर नारी गाई सउ सुगसिईपाणी रंग। ते सुन्न संपद पामह स ए मा, रग चली परिचंग । जा लग इ मेरु मही धरु ए, मा जा लगि हससि तार । .... चउ जपु ए मा मंगल जय २ कार ||८|| ६२२९. षट्कर्मरास-ज्ञानभूषण । पत्र सं० १० । प्रा० ८. x ५ इच। भाषा-हिन्दी (पर)। विषय-कथा । २० काल ४ । ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं०४८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर। ६२३०. प्रति सं० २ । पत्र सं०४ । प्रा० १२ x ५ इंच । २० काल - I ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर यादिनाथ चूदी। ६२३१. सनत्कुमार रास-ऊदौ । पत्र सं० ३ । प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयकथा। र०काल सं० १६७७ सावण सुदी १३ । लेकाल सं० १७६२ । पूर्ण । वेष्टनसं० ३११/१२। प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष-रचना का अादि अन्त भाग निम्न प्रकार है। प्रारम्भ मुख कर राती सर नमु सद्गुरु सेव करू' निसदीस । तास पसाय प्रशासरु सिद्ध सकल मननी जगीस । Page #706 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास, फगु धेलि ] [ ६४५ सनत्कुमार सहामणउ उत्तम गुण मरिगनउठाण । चक्रीसर चयउ सही चतुर पर्ण सोहै सपराण। Xx X अन्तिम सोलहसइ मत्तरोत्तरइ सावण सुद रोरस अवधार : उत्तराप भो सपथी विरत थकी कीधउ उद्धार ।।८२॥ . पासचन्द गुरु पाय नभी हरष घरीए रचीयउ रास । ऋषि ते ऊदो हम कहै भाइ तिहाँ बरि मंगल लछि निवास ॥५३॥ इति श्री सनत्कुमार रास समाप्तेति । संवा सरी यास मेम मुझ । वीरमजी सुप्रसाद थी लिखतं जटमल राम । ६२३२. सीताशोलपताकागुण बेलि -प्राचार्य जयकीति । पथसं० ३१ । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा 1 र० काल सं० १६०४ । ले. काल सं० १६७४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५३/१४१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । यह मूल पांडुलिपि है। विशेष-आदि अन्त भाग निम्न प्रकार है..... प्रारंभ-राग पासावरी सकल जिनेश्वर पद युगल, प्रानि हृदय कमलि धरु तेह । सिद्ध समूह गुण अरोपम मनि प्रणमवि परवी एह ॥१।। सूरीधर पाठक मुनी राहु आनि भगवती भुवनाधार सरस सिद्धांत समूहनि जिन मुला प्रगटी प्रतार ॥२॥ प्रति लो वनादि माघर होय अनि अमृत मिष्टा विस्तार । पारद उल्लाहि सहय बन्दवि बेल्ल ज्ञान की कहि कवीसार खीता समरण जिनवर वारी आनि सह लोक प्रति कहि वार पर पुरुष ज्यो मि इच्छयो होय तो अगन्य प्रकट करे सांच । . इम कही जब कपलावीयुतब अगम्य गई जल थामि । जय जय शब्द देव उचरि पूजि प्रणमी सीता तणा पाय । सुद्ध थई गुरु की दीक्षा लेइ सप जप' करी धर्म ध्यान । समाधि रान्यासि प्राणनि तजी स्वर्ग सोलमि थयो इन्द्र जाणि । Page #707 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्य सूची-पंचम भाग । सागर बायीस तम् अायतु लही सुख समुद्र मोवंत । .. धागलि मुगस्य वधु वर थई सुभ अवंत गुण क्रीडत ॥३१।। वहा-: सकलकीरति प्रादि सह गुरएकीति गुणमाल । वादिभुषण पट्ट प्रगटियो रामकीति विशाल ॥१॥ ब्रह्म हरखा परसादयी जयकीति कही सार । कोट नगरि कोडामगि प्रादिनाथ भवतार ॥२॥ संवत् सोल चज उत्तरि सीता तशी गुण वेल्ल । ज्येष्ठ सुदि तेरस बुधि रत्ती भरणी कर' गेल ॥३॥ भाय भगति भरिण सुरिण सीता सती गुण जेह । जयकीरति सूरी कही सूख सूज्यो पलाहि तेह ॥४।। . सुद्ध थी सीता शील पताका। .. गुरण बेल्ल याचार्य जयकीति विरचिता। संवत् १६७४ वर्षे पाषाक सुदी ७ गुरौ श्री कोट नगरे स्वज्ञानावरणी कर्मयार्थ प्रा० श्री जयकोतिना स्वहस्ताभ्यां लखितेयं । ६२३३. सीताहरणरास- जयसीगर। पत्रसं० १२६ । पाsex५ इच। भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-कथा ! र०काल सं० १७३२ वैशाख सुदी २। लेकाल सं० १७४५ वैशाख सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं०२३० । प्राप्ति स्थान—दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष—इस के कुल ८ अधिकार हैं। अन्त में रामचन्द्र का मोक्ष गमन का वर्णन है । ग्रंथ का प्रावि अन्त भाग निम्न प्रकार हैप्रारम्म सकल जिनेश्वर पद नमूसारद समरू माय । गणधर गुरु गौतम नमुजे त्रिभुवन वंदित पाय ।।१।। महीचन्द गुरु पद नमी रामचन्द्र घर नारि । सीता हरसा जहू कह सांभल ज्यो नरमारि ॥२२॥ अन्त में अन्य प्रशस्ति निम्न प्रकार है रामचन्द्र मुनि केवल थइनो सिद्ध थयो भवतार जी। ते गुण कहते पार न पावे समरता सौख्य अनार जी ||१| मूलसंघ सरसलि वरगच्छ्रे बलात्कारगण सारजी। विद्यानंदि गुरु गोयम सरसो प्रणमूवारोबार जी ॥२॥ गंधार नगरे प्रत्यक्ष प्रतिशय कलियुगे 2 मनोहारजी। तेह तो पाट मलिभूषण विद्यामा वहिपार जी ॥३॥ लक्ष्मीचन्द्र ने अनुक्रमे जाणो लक्ष्मण पंडित कायजी । बीरचन्द्र भट्टारक वाणी सभिलतां सुखधाम जी ॥४॥ शानभूषण तस पाटे सोहै ज्ञान तणो भंडार ली। लाई वंसे उद्योतज कीधो भव्य तणो प्राधार जी ॥५॥ Page #708 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास, फगु वेलि ] [ ६४७ प्रभाचन्द्र गुरू सेहने पट्टे वाणी प्रमी रसाल जी। वादिचन्द्र बादी बहु जीत्या घर सरसति गुणपाल जी ।।६।। महीचन्द मुनिजन मनमोहन वारणी जहे यिस्तार जी । परवादीना मान मुकाया ग न करे लगार जी ।।७।। मेरुचन्द तस पाटे सोहे मोहे भविषरण मन्न जी। ध्याख्यान वाणी प्रमीय समाशी सांभला एके मन्नजी ।।। गोर महीचन्द्र शिष्म जयसागर रच्यू सीता हरण मनोहार जी। नर नारी जे भए सुचासे तस घरे जय जय कार जी।। - ह'बड बम रामा संतोषी रमादे तेहनी नार जी। तेह तरणोपुर काम गुलक्षणः गहिन ने मनोहारी तेह तम्रो आदर सीता हरण ए की मन उल्लास जी। साभलतां गातो सुख होसी सीता सील विसाल जी ॥११॥ . संवत् ससर, वत्रीसा बरसे वैशाख मुदि बीज सार जी। .. बुधवारे परिपूर्णज रच्यु सरत नयर मझार जी ।।१२।। प्रादि जिणेसुर तरणे प्रसादे पद्मावती पसाय जी। सांभलता गाता ए सहुने मन मां आनन्द थाय जी ॥१३॥ महापुराण तणे अनुसारे कीधू के ममोहार जी। कविजन दोस म येसो कोई सोध ज्यो तमे सुखकार जी । १४|| मुझ मालसूने उजमचढ्य सारदा ये मति दीध जी। तेह प्रसादे पथ एकीयो श्याम दारोज सतीष जी ॥१॥ सीता सील सगो ए महिमा गाय सह नरमार जी। भाव धरी जे गाले अनुदिन तस पर मंगलवार जी ।।१६| भाव धरी जे भणे सुशे सीता सील विसाल । जयसागर इम उच्चरे पोहचे तस मन पास । इति भट्टारक महीचन्द्र शिष्य प्र. जयसागर विरचिते सीताहरणल्याने श्री रामचन्द्र मुक्ति गमन वर्णन नाम पहोत्रिकार समाप्ता । शुमं । प्रथाय थ २५५० लिखत संवत् १७४५ वैशाख सुदी १ गुरौ। ६२३४. प्रति सं० २१ पत्र सं०६६ । या० ११४५ इञ्च । ले. काल सं० १८२२ । पूर्ण । बेष्टन सं० १६६-८१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का हूंगरपुर , . . ६२३५. सुकौशलरास-बेरणीदास । पत्र सं० १७ । प्रा० १०१X४३ च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-चरित्र । र०काल । ले. काल स. १७२४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११८-५७1 प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर कोटडियों का डूंगरपुर । अन्तिमश्री विश्वसेन गुरू पाय नमी, वीनवी ब्रह्म वेणीदास । Page #709 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग परम सौख्य जिहां पायीइ, तेषु मुगति निवास ॥ इति सकोणत्र रास समाप्ता , प्रशस्ति-संवत् १७१४ वर्षे श्री माघ वदी ५ शुक्र धीग्रहमदाबाद नगरे श्री शीतलनाथ चैत्यालये थी काष्टासंचे मंदीतर गच्छे विद्यारगो पाम सेनान्वये भ० श्री विद्याभवरणदेवास्तस्पट्ट भ. श्री भूषण देवास्तत्पढ़े भ. श्री चंदकीतिदेवास्तत्पटे मा श्री ५ राजकीतिस्तच्छिष्य ब्र० श्री देवसागरेन लिखापित कर्मक्षयार्थ। ६२३६. सुदर्शनरास- जिनदास । पत्रसं० ४-१७ । प्रा० ११६४५ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-रास कथा । २० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २१५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष—40 नेभिदास की पुस्तक है पंडिस तेजपाल के पठनार्थ लिली गयी थी। ६२३७. प्रति सं० २ । पत्रसं० १६ । प्रा० १०१४४३ इञ्च । से०काल सं १७२६ माह सुदी २। पूर्ण । धेष्टन सं० ३.८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । ६२३८. प्रतिसं०३। पत्र सं० २-२० । पा० १.१x६ इञ्च। ले. काल X । अपूर्ण । येष्टन सं० ६२ ३८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष-प्राचार्य रामकीति जी ने ईलचपूर में प्रतिलिपि की थी। ६२३९. सोलहकारण रास- जिनदास । पत्र सं० ८ । प्रा०१०४६ इन्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-रास । र० काल X I ले०काल x पूर्ण वेष्टन सं० ३२६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६२४०. प्रति सं० २। पत्र सं०६ । प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी पच । विषय-कथा । र०काल Xले काल' ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०३६१-१३६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर। ६२४१. प्रति सं०३ । पत्र सं०१०। प्रा०११४५१ इन्च । ले. काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५७ १३६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का रंगरपुर । ६२४२. स्थूलभद्रनुरास-उदयरतन । पत्रसं० ६ । प्रा० x ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-रास । २० काल x | लेकाल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १५६० । प्राप्ति स्थान-गट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ६२४३. हनुमंतरास- ग्र० जिनवास । पत्र सं० ४१ । प्रा. १०४४२ इञ्च । भाषा - हिन्दी पश्च । विषम-राण । २० काल X । ले० काल सं. १७०५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८१-४४ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर कोटड़ियों का डूगरपुर । __ प्रशस्ति-संबल १७०५ वर्षे माद्रपद कदि द्वितीया बुधे कारजा नगरमध्ये लखीतं । श्री मूलसंघे सरस्वतीगन्छे बलात्कारगणे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भ. देवेन्द्रकीति म. धर्मचन्द्र तत्पट्टे भ. श्री धर्मभषए त.प. भ. देवेन्द्रकीति त प. भ. कमुदचन्द्र त. प. भ. श्री धर्मचन्द्र तदाम्नाये व्यसलवाल जाति पहर सोरा गोत्रे शा. श्री. रामा तस्य पर शा. श्री मेघा तस्य मार्या हीराई तथो पुत्र शा. नेमा तस्य भार्या जीवाई Page #710 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास, फयु बेलि ] [ ६४९ तयोः पुत्र शा. श्री गीता द्वितीय पुत्र था. भोजराज तस्य भार्या योनाई तयोः पुत्र शा. श्री मेघा ऐतेषां मध्ये श्री भोजा साक्षेख भट्टारक श्री पद्मनन्दि तद्रिस्य अ. श्री वोरनि पठनार्थ ज्ञानावरणी कर्मक्षवार्थ हनुमान रास खिति शुभं भयात्. ६२४४. प्रति सं० २ । पत्र ०६७ शा० ११४५ इस ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० २७३ । प्राप्ति स्थान दि० जन प्रवास मंदिर उदयपुर 1 ६२४५. हनुमंत कथा रास-प्र. रायमल्ल । पत्र सं० ४१ ० १२८ भाषाहिन्दी (पद्य) विषय राय र० काल सं० १६१६ वैमास बुदी ६० काम सं० १९६१ पूर्ण वैप्टन सं० २६ प्राप्ति स्थान दि० जैन प्रप्रबाल मन्दिर नैवा । विशेष-उगाही करके मिती काठी मुदी १ ० १६६१ को जयपुर में लिखा गया। ६२४६. प्रति सं० २०४२ । डा० १२x६ इञ् सं० १०१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) 1 ६२४७. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० १३३ । श्र० १३ X ७ इञ्च । ले० काल सं० १८६८ । पूर्ण | बे० सं० १३३ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष – फागी में प्रतिलिपि की गयी थी । ६२४८ प्रतिसं० ४ वेष्टन ० ५३ प्राप्ति स्थान विशेष प्रयोक्स ने फागी में प्रतिलिपि की थी। पत्र[सं०] ३४ धा० १२६ दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) । - — प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) लेशान X1 पूर्ण वेष्टन ६२४६. प्रतिसं० ५ । पचसं० १०५ । ग्रा० x । ले०काल X | अपूर्ण वेष्टन सं० ५६ । ६२५०. प्रतिसं० ६ ५७ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर । ले० काल सं० १८६० पूर्ण ० १ ० X ले० काल X पूर्ण जी नेन सं० पंधी मालपुरा (टोंक) 1 ६२५१. प्रति सं० ७०८३० काल १९२५ । पूर्ण वेटन सं० ४० प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । से०का स० १८८९ प्रासोज वदी ११ पूर्ण वेष्टन सं० २० ६२५२. प्रति सं० सं० ५३० । प्राप्ति स्थान- ६ि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष- भरतपुर में लिखा गया था। ६२५३. प्रतिसं० स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६२५४. प्रतिसं० १० पत्रसं० ४४ वेष्टन सं० २३८ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर विशेष- प्रति जो है । ६२५५. प्रतिसं० ११ । पत्र सं० ८४ ॥ श्र० ८ X ६ इञ्च । ले काल x । पूर्वं । वेष्टन ० ६१५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दीवानगी कामा । [सं०] १४ काल सं० १९५४ पूर्ण वेष्टन ० ५३१ प्राप्ति घा० १५५ इव । ले०काल सं० १७५२ पूर्ण दीवान जी कामा । Page #711 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-गुटका के प्राकार में है । पत्र ७६ तक हनुमान चौपई रास है तथा प्रागे फुटकर पद्य हैं । ६२५६. प्रति सं० १२ १ पसं० ४५ । प्रा० ११३४६३ इञ्च । ले. काल सं० १९१८ भादवा सुदी १२ । पुणं । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन छोटा मंदिर बयाना । ६२५७. प्रति सं० १३ । पत्रसं० ६७ । प्रा०८ x ५३ इञ्च । ले०काल सं० १८१२ चैत बुदी १४ । पुर्ण । देष्टन सं०६५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती पिदर लगाना ! विशेष-वैर ग्राम मध्ये लिखितं । अतिम पाठ नहीं है । पन स० १७० है पत्र स० ६-७० तक पंच परमेष्टी गुण स्तवन है। ६२५८. प्रति सं० १४ । पत्र सं० ५६ | प्रा० १०५५ इञ्च । ले० काल स० १८२६ ! पूर्ण । वेष्टन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर करौली। विशेष- हीरापूरी में लालबन्द ने लिखा श। ६२५६. प्रति सं० १५ । पत्र सं०४०। प्रा० १०x१ इञ्च । से. काल X । अपूर्ण । वेधन सं. ३३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-२५.२६ वा पत्र नहीं है। ६२६०, प्रति सं०१६। पत्र सं० ४७ । आ.tx. इञ्च । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ६२६१. प्रति सं० १७ । पत्र सं०४३ । आ०११४५ इञ्च । ले० काल सं० १९६२ वैशाख बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६९/३४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर भादवा (राज.)। ६२६२. प्रति सं०१८ । पत्र सं०५६ । प्रा० १.४६३ इञ्च । ले. काल सं० १९२८ आसोज वदी । पूरणं । वेष्टन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान-सौगागी दि० जैन मंदिर करौली। विशेष---बंगालीमल ने देवाराम से करौली नगर में प्रतिलिपि करवाई थी। ६२६३. प्रति सं० १९ । पत्र सं०७० । प्रा० १२४४ इश्च । लेकाल सं०१८३७ । पुर्ण । वेष्टन सं० ४४६-३१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेषगांव स्वामी मध्ये लिखित । पं. जसरूपदास जी। ६२६४. प्रति सं०२०। पत्रसं० ७६ । आ०७.४५१ इन्च । ले०काल सं १९१५। पूर्ण । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-दि०जन खंडेलवाल मंदिर उदयपुर । - - .: --- Page #712 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-- इतिहास ६२६५. उत्सव पत्रिका-- ४ । पत्र सं० २ । मा० ११४४३ इन्न । 'भापा-हिन्दी 1 विषयपत्र लेखन इतिहास । र०काल ५ । ले०काल स. १९३० । पूर्ण वेधन सं० २१८ 1 प्राप्ति स्थान-दि. जन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बुदी। विशेष-सागत्वपुर की पत्रिका है । ६२६६. कुन्दकुन्द के पांच नामों का इतिहास-४ । पत्र सं०६ । प्रा० ११४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय- इतिहास । २० कालX Iले. काल १९६६ । पूर्ण । वेष्टन सं०६०/६१। प्राप्ति स्थान:-दि. जैन मन्दिर भादवा (राज) विशेष-इन्दौर में प्रतिलिपि हुई थी। ६२६७. कुलकरी-४ । पत्रस० २४ । मा० १०४५१ इञ्च । भाषा--संस्कृत । विषयकुलकरों का इतिहास । २० काल x ले. काल सं० १९०५ कात्तिक सुदी। पुर्ण । वेष्टन सं० १२०५७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोरडियों का हूगरपुर । विशेष---उदयपुर में लिखा गया था। ६२६८, मुरावली-४। पत्र सं० २६ । प्रा. १३४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय--- इतिहास 1 र० काल x | ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८५ । प्राप्ति स्थान - भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर। ६२६६. गुर्वावलीसमाय-x। पत्र सं० १०॥ श्रा० १.४४६श्च । भाषा-प्राकृत । विषय-इतिहाम । र० काल X । ले. काल x + पूर्ण । वेष्टन सं० ४२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ६२७०. जातरास-भारामल्ल । पत्रसं० २४ 1 भाषा-हिन्दी । विषय-इतिहास । र०काल । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन बडा पंचायती मन्दिर डीग । विशेष-संधाधिपति देवदत्त के पुत्र भारामल्ल थे । ६२७१. चौरासी गोत्र विघर--- । पत्र सं० ८। भाषा-हिन्दी। विषय -इतिहास । र० काल X । ले०काल १८६६ 1 पूर्ण । बेष्टन सं० १०८ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। ६२७२. प्रतिसं० २। पत्र संख्या ६ । आ० ११४६ इञ्च । ले०कालX । पूर्ण । वेष्टन सं० ८४ । प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष-चौरासी गांव के अतिरिक्त अंश, गांव व देवियों के नाम भी हैं। ६२७३. 'चौरासी जयमाल (माला महोत्सव)-विनोदीलाल । पत्र सं० २ । आ० ११४५ इञ्च । भाषा हिन्दी । विषय-इतिहास । १०काल X : ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । Page #713 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५२ ] ६२७४ चौरासीजाति जयमाल - X एव विषय इतिहास २० काल X। जैन मन्दिर फतेहपुर मेलावाटी (सीकर) काल x ६२७५. चौरासी जाति की विहाडी - x १ पत्रसं० ३ हिन्दी विषय इतिहास २० काल x ०काल X दि० जैन मन्दिर कर जयपुर । विशेष- चौराखी जातियों की देवियों का वर्णन है। ६२७६. जयपुर जिन मंदिर यात्रा पं० गिरधारी १० काल X भाषा - हिन्दी विषय या वर्गात (इतिहास) ५३६ । प्राप्ति स्थान - महारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर । 1 ६२७७. तीर्थमाला स्तवन -- x | विषय - इतिहास । २० काल X | ले०काल X। मन्दिर उदयपुर — - ७ । पूर्ण | हिन्दी विषय इतिहास १० काल स्थान – दि० जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । विशेष – रचना निम्त प्रकार है [ ग्रन्थ सूची- पंचमभाग प्रा० ७३४५ इश्छ । भाषा - हिन्दी वेष्टन सं० १०१ प्राप्ति स्थान दि० ० १० २४५ इ ंच ! भाषा अपूर्ण वेटन सं० ६७५ प्राप्ति स्थान से पत्र सं० १३० १३६ । काल सं० १६०८ पू वेष्टन सं० विशेष सं० १५२९ ६२७८. निर्वास का माघ बुदी ६ दिने शुक्रवारे लिखित | भावा विषय - इतिहास २० काल से काल मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) 0 पत्रसं० ३ । था० १० पूर्ण । वेष्टन सं० १३२ । इश्व । भाषा - हिन्दी पद्य प्राप्ति स्थान - दि० जैन ।। ११५६च भाषा - प्राकृत । पूर्ण वेष्टन सं० ११-१६ प्राप्ति स्थान दि० जैन I ६२७१. प्रतिसं० २०२० ११३६ इच ले०काल X पूर्वं पेटुन ० ३६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करोली | ० ११४५३ इन्च | ६२८० निर्वाण कांड भाषा- भैया भगवतीदास पत्र० ५ भाषा - हिन्दी पथ | विषय - इतिहास । १० काल सं० १७४१ । ले०काल x । पूर्णं । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर तेरहृपंथी दौसा । विशेष- प्राकृत निर्वाण काण्ड की भाषा है । ६२१. पद्मनंविगच्छ की पट्टावली- देवाब्रह्म पर सं० ७ का X पूर्ण प्रा० ११४४ न ० ३४२ / ४१२ बिकसी भव्य पंकज दर्श इवि गुरु इन्द्र समान ए जाखीएजु नदीनाथ सुनापति पुत्र विकट कुशित हथि विस बाखीएजु अज्ञान किं चनिकंदन कुं एह ज्ञान कि भानु वरवाणी एजु । देवजी का वाणी रवि गछ नामक पचनंदि जग मानिये ॥१॥ व्याकरण छंद मलक्षिति काव्य सुतर्फ पुराण सिद्धांत परा नवतेज महाव्रत पंचसमिति किं ग्राइपरे चरणा भ्रमरर । ओर ध्यान कि ज्ञान गुमान नहि तजि लाभ लीम तरुणा श्रीवरा । रामकीत पट्टोघर पद्मनंदि कहि देवजी ब्रह्म सेवो सुनरा ॥ २ ॥ भाषाप्राप्ति Page #714 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इतिहास ] [ ६५३ बादि गजेन्द्र तिहां ज भीड जिहां पद्मनंदि मृगरंजन गजे । कौरव किंचक स्वाहाजु लडि ज्यहां भीम महा भड हाथ न वजे । रामकीति के पट्टपयोज प्रबोदनकु' रविराज सुरजे। देवजी ब्रह्मादि गच्छनायक सारदागच्छ सदा ए छाजे ॥३॥ वादि कमत फणि दरवागापति वादिकरी समिह नयो है। वादि जलद रामिरण ए गुरु वादिय बद को भेद लयो है । राय श्री संघ मिलि पमनंदि फुरामकीर्ति को पट्ट दयो है । ब्रह्म को देवाजी गुरुजी या इन्द्र नारद प्रणाम कियो है ।।४।। राजगुरु पद्मनंदि समोवर मेघ कछु महि पावतम् । ताको निरंतर चाहत चातक तोकपाट जिन धावतहि। मेघ निरन्तर रक्त निरतु भारथि दानकि गाजतुहि । भो दान समिमुख सामतु गौर कल्याण मुनि गुग गावहि ।।५।। श्रीमूलसंघ सरणमार पद्यनंदि मट्टारक सकनकीति गुरुसार । अवनकोति भवतारक शानभूषण गुरुवंग विजवकीर्ति सूमचन्द्र । सुमतिकीर्ति गुणकीति वंदो भवियण मनरंगह तमपट्टे गुरु जाणिय । श्रीवादीभूषण यति राय पुजराज इमि उच्च गुरु सेविचरपति पाय ॥६॥ पंचमहायतसार पंचसमिति प्रतिपालि । गुप्तित्रय सुखकार मोह मोहा दूरि टारिन । पंचाचार विचार भेद विज्ञान' सुजाणे । पागम न्याय विचारसार सिद्धांत बसाणे । गुणकीति घट्ट निपुण श्री वादिभूषण बंदो सदा । पृजराज पंडित इम उच्चरे गुरुवरण सेवो मुदा। सबल निसारण घनाघन गजित माननी लाद जु मङ्गल गायो। विद्या के तेज रदे घरि हेत कु उरवादिपाय बंदन यायो। मेघराज के नाद जसि गुजरात तात जुगमानी को माल गमायो। वदे धर्मभूषण पद्यनंदि गुरु पाटण माहि जुसामो करायो। एकरतांवर पिर रहे करणी कथनी एक उर धरे । एक लोभ के कारण चारसा से एक मंत्र धारि । म्येहमत फिरिहि एक स्वादिक नाम विकलडरि। यहे धर्मभूषण पद्मनंदि निकलंक कु भुप प्रणाम करिहि ॥ इसके आगे निम्न पाठ और हैं नेमिपच्चीसी कल्याणकीति हिन्दी चौबीस तीर्थकर स्तुती , ६२८२. पट्टायली-X । पत्रसं० ५ । प्रा० १०४४ इन्च । भाषा--हिन्दी गद्य । विषयइतिहास । र० काल x | लेकालx। पूरणं । वेष्टन सं०४८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी दी। Page #715 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाम विशेष-श्वेताम्बर पट्टावली है। संवत् १४६१ जिनवर्द्धन सूरि तक पट्टावली दी हुई है । ६२८३. प्रतिसं०२। पत्र सं० २४ । ०६१४५ इञ्च । ले. काल सं. १९३० सावन बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं०१३६ र जानि स्थान.... मिगिनाथ नोडासासिन (टॉक) विशेष-श्वेताम्बर पट्टावली है । ६२८४. प्रतिष्ठा पट्टावली-४। पत्रसं०१ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दो । बिषय-इतिहास । र०काल xले. काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० १९१ । प्राप्ति स्थान- ...दि. जैन मंदिर राजमहल (टोंक) ६२८५. भट्टारक पट्टायली-x। पत्र सं ४ । प्रा० १.१४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय- इतिहास । र० काल Xले. काल ४ | वेष्टन सं० ६७४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर जयार । विशेष सं० १०४ भद्राबहु से लेकर सं० १५८३ भ० देवेन्द्रकीति के पट्ट तक का वर्णन है। ६२८६. भट्ट बली--पत्र सं० ३० । मा० x ४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय- इतिहास । र० काल X । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ४३४ । प्राप्ति स्थान-संभवनाथ वि० जैन मन्दिर उदरपुर । विशेष-संवत् १६६७ से सं० १७५७ तक के भट्टारको वर्णन है। ६२५७. 'भद्रारक पदावलो-४ । पत्र सं० २-८। प्रा.१०x४पश्च । भाषा-हिन्दी। विषय -इतिहास । र०काल X । ले० काल X । पूर्ण । वे० सं० ३८०-१४३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर कोटडयों का डूंगरपुर। ६२८८. भट्टारक पडावलो- । पत्रसं० १५ । पा० १०४७६ञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयइतिहास । १० काल xले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५०-१११ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर। .. ६२८६. मुनिपट्टावली-x। पत्र सं० ५५ । मा० ११४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी। विषयइतिहास । र काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५४८ । प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मंदिर अजमेर। विशेष-संवत् ४ से संवत १८४० तक की पट्टावलि है। ६२६०. प्रबंधचिन्तापरिण--राजशेखर सूरि। पत्रसं०६० । प्रा. १४४४ इन। भाषासंस्कृत गद्य । विषय - इतिहास । र काल x | ले. काल सं० १४०५ ज्येष्ठ सूदी७ । पर्ण । वेष्टनसं. १२४ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष --दिल्ली (देहली) में मुहम्मद शाह के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी। ६२६१. प्रबंध चिन्तामरिण - प्रा० मेहतुग। पत्रसं०४६ । प्रा० १४४ ४ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय - इतिहास । १० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान-- दि.जैन भन्दिर दीवानजी कामा । ६२६२. महापुरुष चरित्र-प्रा० मेरूतुंग । पत्रसं०५२ । प्रा. १४४४ रञ्च । भाषासंस्कृत | विषय-काय (इतिहास) । १० काल X । लेकाल x | पर्ण । वेष्टन सं० १२१। प्रान्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दीवानजी कामा । Page #716 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इतिहास ] विशेष प्रति प्राचीन है। ६२६३. यात्रा वर्णन-४ । पत्र सं० ११ । आ० ११४७१च । भाषा-हिन्दी । विषमवीन । र०काल सं० १९०६ । लेकाल X । पूरणं । वेष्टन सं०५६-४८ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर मिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष-गिरनार, महावीर, दौरासी, सौरीपुर आदि क्षेत्रों की यात्रा का वर्णन एवं उनकी पूजा बनाकर अर्ध आदि चढ़ाये गये हैं। ६२६४. यात्रावली-x। पत्र सं०४ । ०१०१ x ४१ इञ्च। भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-इतिहास । र. काल x । ले०काल सं० १९३२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १९८ । प्राप्ति स्थानद. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। विशेष-- १६३२ भादवा सुदी १ की यात्रा का वर्णन है । ६२६५. विक्रमसेन चउपई-विक्रमसेन । पत्र स०१७ | आ०१.०x४ इञ्च । भाषाहिन्दी (पद्य)। विषय-इतिहास । र० काल सं. १७२४ कार्तिक । ले० काल सं० १७५६ मंगसिर सुदी ११ । पर्ण । वेपन सं० १२९६ | प्राप्ति स्थान-.-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । ६२६६. विरदावली-..xपत्र सं०५1 प्रा०५०x४१ च । भाषा-हिन्दी । विषयइतिहास । र०काल X । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष- इसमें दिगम्बर भट्टारकों की पट्टाबली दी हुई है। ६२६७. विरदावली-४। पत्र सं०७ । ना० १० x ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयइतिहास । १० काल X । ले. काल सं० १८३७ मार्गशीर्ष सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-सूरतिविदर (सूरत) में लिखा गया था। ६२६८. बृहद् तपागज गुरावली-x। पत्र सं० १४ । प्रा० १.१ ४ ४६ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषम-इतिहास । र० कासX । लेकाल सं० १४६२ चैत्र मुदी ५। पुणे । बेष्टन सं. १२३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन असदाल पंचायती मन्दिर प्रलवर। विशेष-१४६६ तक के तयागच्छ गुरुपों का नाम दिया हुआ है । मुनि सुन्दर भूरि तक है। ६२६६. वृहत्तयागच्छ गुर्वाधली-मुनि सुन्दर सूरि । पत्र संख्या ३ से ५५ । माषासंस्कृत । विषय-इतिहास । र० काम X लेकाल सं० १४६० फागुन सुदी १० । अपूर्ण है वेष्टन सं० ४६१ । प्राप्ति स्थान पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६३००, शतपदी-x। पत्र' स. २१-२४ । मा० १२ x ४३ इव । भाषा-संस्कृत । र०काल । ले०काल | विषय-इतिहास । वेष्टन ०.७०५ | अपूर्ण । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर विशेष...श्वेताम्बर आचार्यों के जन्म-स्थान, जन्म-सक्त तथा पट्ट संवत् प्रादि दिये हैं। ग', ११३६ से १४५४ तक का विवरण है। Page #717 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५६ ] ग्रिन्थ सूची-पंचम भाग ६३०१, श्वेतांबर पट्टायली-x। पत्र स० ५। प्रा० १.४ ४ इश्च । भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय इतिहास । र०काल लेकालX । पूरणं । वेष्टन स० ३००। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। विशेष--महावीर स्वामी से लेकर विजयरत्न सूरि तक ६४ साधुनों का पट्ट वर्णन है। ६३०२. श्रतस्कंध-व० हेमचन्द्र । पत्र स. १०। प्रा० १.४४। इञ्च । भाषा-प्राकृत। विषय-इतिहास । र० काल X । लेकाल x : वेष्टन स०७४ : प्राप्ति स्थान-शास्त्र भंडार दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६३०३. प्रति सं० २ । पत्र स० ५ । प्रा० १.१४४३। भाषा-प्राकृत । विषय इतिहास । र०कालले कालXI वेष्टन स०७५ । प्राप्ति स्थान-शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ६३०४. प्रतिसं०३। पत्रसं० ५ । या. ११४५ इञ्च। ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं. २५७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष--पं० सुरजन ने प्रतिलिपि की थी । ६३०५. प्रतिसं०४ । पत्रसं० ५ १ ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं० २७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर उदयपुर । ६३०६. श्रुतस्कंध सूत्र-X । पत्रसं० २१ 1 प्रा. १०१४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषयइतिहास । र०वाल X 1 ले. काल सं० १६६८ चैत्र सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं०५० । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर बर।। विशेष - चंपावती नगर में ऋषि मनोहरदास ने प्रतिलिपि की थी। ६३०७. श्र तावतार- पत्र सं० ५। प्रा० ११ x ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--- इतिहास । र काल X । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मंदिर दूनी (टोंक)। ६३०८. श्रतावतार -x। पत्रसं०४ । प्रा० १२४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयइतिहारा । २० काल x । ले०काल सं० १७०६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८४११६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष---प्रशस्ति निम्न प्रकार है-- ववत् १७०६ वर्षे मार्गशीर्ष मासे शुक्लपक्षे सप्तमी दिवसे अहिमदाबाद नगरे प्राचार्य श्री कल्याण कीति तत् शिप्य ० श्री तेजपाल लिखितं । ६३०६. श्र तावतार-X । पत्र सं०४ । आ० ११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयइतिहास ! र कालX1 ले०काल XI पूर्ण । बेष्टन सं०४१७/५०८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । ६३१०. भट्टारक सकलकोतिनुरास - ब्र० सामान । पत्र सं० ११ । प्रा० ११ ४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-इतिहास । र०काल x 1 ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१४/४१० ! प्राप्ति स्थान--स भवनाथ मन्दिर उदयपुर । Page #718 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इतिहास ] [ ६५७ विशेष—अन्तिम माग चवीस जिणेसर प्रसादि श्री भुवनकोति नवनवलि नादि। जयवता सकल संघ कल्याण करए। हति थी भट्टारक सकलकीर्तिनुरास समाप्तः। श्राविकाबाई पूतलि पठनार्थ । ६३११. सम्मेदशिखर वर्णन-४ । पत्र सं० ४ । प्रा. १२३ ४ ५: च । भाषा-हिन्दी । विषय-इतिहास । २० काल X ले०काल सं० १९६२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष--- प्रारभ में लघु सामायिक पाठ भी दिया है । ६३१२, सम्मेदशिखरयात्रा वर्णन-पं. गिरधारीलाल । पत्रसं० ७ । प्रा० १२x ११ इंच | भाषा-हिन्दी । विषय-इतिहास। र०कास सं० १८६६ भादवा बुदी १२। ले०कालx. पूर्ण । वेष्टन सं०६१४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार । ६३१३. सम्मेद शिखर विलास -रामचन्द्र । पत्र सं०७ । आo + X ५ इञ्च । भाषाहिन्दी। विपय- इतिहास । र०काल xले. काल सं० १९०४। पूर्ण । वेतन सं०५३/८। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर भादवा (राज.) । विशेष-प्रेमराज रावका ने प्रतिलिपि का था। ६३१४. संघ परणट्टक टीका - २० जिनवल्लभ सूरि । पत्र सं० २० 1 श्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय इतिहास । २० काल x । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ६३१५, प्रति सं०२। पत्रसं० २१ । लेकाल x। पुर्ण । वेष्टन सं०४८ । प्राप्ति स्थानउक्त मन्दिर । ६३१६. संघपट्टप्रकरण । पत्र सं०७। प्रा० १०३४४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयइतिहास । २० काल x ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन पं०७४१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर अजमेर भण्डार। ६३१७. संवत्सरी-X । पत्रसं० ४ । पा.१०३४५ च । भाषा हिन्दी । विषय-इतिहास । र०काल X । ले० काल सं० १८१७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३११ । प्राप्ति स्थान-भट्टा रफीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। ___ विशेष-सं० १७०१ से लेकर सं० १७४४ तक का वर्णन है। लिखितं प्रार्या नगीना समत १५१७ वर्षे Page #719 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय --विलास एवं संग्रह कृतियां ६३१८. आगम विलास-चानतराय। पत्र सं० ३६२ : प्रा० १.x६ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषम- संग्रह । र काल सं० १७८४ । ले० काल सं० १८३९ । पूर्ण । वेश्न सं०५६-३७ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर कोटडियों का दूगरपुर । विशेष—कृष्टयागढ़ में श्वेताम्बर श्री कन्हीराम भाऊ ने प्रतिलिपि की थीं। इसका दूसरा नाम धानत क्लिास भी है। ६३१६. कवित्त-x.1 पत्र सं० ६ । प्रा०६:४४. इच 1 माषा-हिन्दी पद्य 1 विषयसभाषित। र० काल x ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २८। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बू'दी) ६३२०. कवित्त-बनारसीदास पसं०१ मा०:०४४ स! भाषा-दिन्टी । विषयफटकर 1 र०काल x |ले. काल x | अपर्ण | बेन सं० २१२ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर पालना (दू दी) विशेष-दो कवित्त नीचे दिये जाते हैं - कंचन भंडार पाय नैक न मगन हजे । पाव नत्र योवना न हूने ए बनारसी। काल अधिकार जाग जगत बनारा सोई। कामनी कनक मुद्रा दुहुंकू बनारसी। दोउ है विनासी सदैव तू है अविनासी। जीव याही जगतबीच पइड्रो बनारसी। याको तू संग त्याग कूप सू निकास भागी । प्राणि मेरे कहे लागी कहत बनारसी। किते गिली बैठी है डाकिरणी दिल्ली । इत मानकरी पति पंडम सु। पृथ्वीराज के संगी महाहित हिल्ली । हेम हमाऊ अकबर बञ्चर । साहिजिहा सुभी कोनी है भल्ली । साहि जिहा सुखी मन रंग। Page #720 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विलास एवं संग्रह कृतियां ] [ ६५९ सउ विरची सान्हि और ग मिल्ली। को दायु की बहाली व किते....." ६३२१. प्रति सं० २। पत्र स'०१ । प्रा० १०x४ इञ्च । ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन स. २०३१ प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दबलाना (बूदी) विशेष-समयसार नाटक के कवित्त हैं। ६३२२. कवित्त-सुन्दरदास। पत्रसं०३ । प्रा० १०३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-सुभाषित । र०काल X । ले०काल सं० १८७४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ, चौगान भूदी । विशेष—पं० रतनचन्द के पठनार्थ लिखा गया था। ६३२३. कवित्त एवं स्तोत्र संग्रह- X । पत्रसं० ६० । मा० ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी काव्य । विषय-संग्रह । र० फाल X । ले०काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० ७११ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । . विशेष-भजगोविन्द स्तोत्र, नवरत्नकवित्त, गिरधर कुडलियां हैं। ६३२४. गुणकरंख गुणावली-ऋषिदीप । यत्रसं० ३१ । प्रा०१० ४ ४१ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-सुभाषित । र० कालसं० १७५७ । ले० काल सं० १८१७ । पूर्ण। वेष्टनसं० ६७४ । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर। विशेष...मिती ग्राषाढ वदी ११ सं० १८१७ का श्रीमंत श्री सकलसरि शिरोमणि श्री मंडलाचार्य श्री १०८ श्री विद्यानंद जी तन शिव्य पं० श्री अवराम नी लिपिक । शिष्य सूरि श्री रामकीति पठनार्थ । ६३२५. चमत्कार षट् पंचाशिका -महात्मा विद्याबिनोद 1 पत्र सं० ४ । प्रा० ११६४५३ इञ्च 1 भाषा संस्कृत विषय -विविध । २० काल x 1 ले० काल x पुणे । वेष्टन सं० १७८१८६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ६३२६. ग्रंथसूची शास्त्र भंडार दबलाना--- । पत्रसं०६। प्रा०२७४५ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय -- मची। २० काल x 1 ले०काल ११९ ज्येष्ठ सदी ७ । पूर्ण । वेहन सं०३३१ स्थान-दि. जैन मन्दिर दखलाना (बूदी) विशेष--वही की तरह सूची बनी हुई है । ६३२७. चम्पा शसक-श्वम्पाबाई। पत्र सं० २३ । प्रा० १.४२ । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय- संग्रह। र०काल X । ले. काल सं० १९७५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८२६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लपकर, जयपुर । ६३२८. चेतनविलास -परमानन्द जौहरो। पत्रसं० १७० 1 प्रा० १२४७९ इञ्च । भाषाहिन्दी गरा--पद्य । विषय-विविध । र ० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष—धकार के विभिन्न रचनात्रों का संग्रह है । अधिकांश पद एवं चर्चायें हैं। ६३२६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १७३ । प्रा० १२४८ इंच। ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टम सं० २७६ । प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन मन्दिर अजमेर । Page #721 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची- पंचम भाग ६३३०. चौरासी बोलपत्र रुन्दी (म)। विषय-धर्म २० करन X से शाल X। पूर्ण वेष्टन सं० १७६-७५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ६६० ] ६३३१. जैन विलास - भूधरदास पत्र० १०५ विषय- विविध २० कान X ले० काल सं० १८६९ माघ बुदी ७ दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । विशेष— भूधरदास के विविध पार्टी का संग्रह है। मिट्ट राम ने ६३३२. ढालसागर - गुणसागर सूरि विविध २० का X वे० काल सं० १६९९ पूर्ण मन्दिर बसवा । अस्ति निम्न प्रकार है संवद १६२६ वर्षे कार्तिक मासे शुक्र मासे चतुर्दश्यां तिथौ देवली मध्ये लिखितं । ६३३३. ढालसंग्रह - जयमल पत्र सं० ३६ काल X अपूर्ण बेन सं० २०७ / ६६३ प्राप्ति स्थान निम्न पाठों का संग्रह - १. परदेशीनी डाल श्ररितम्--- जयमल जयमल २. गोलोनी परि इतिमरगलानी चरित्र समता । २. चरित्र 'जय मल ६३३४. दृष्टान्त शतक- । विषय- विविध १० X ले काल सं० स्थान- वि० जैन मन्दिर वोरमली कोटा । विशेष—गोपी पंडितजिनदासजी की ० ८५ इव पूर्ण वेष्टन सं० २७ पत्र [सं०] १२८ पेनसं० १० -- J हिन्दी १० काल सं० १८७७ अपूर्ण । संवत पठार से सतोत्तरं रे बुद तेरस मास अघाट | सिंघ प्रदेशीरानी एक ही सूत्र भी काटो रे ॥४६॥ पूज धनाजीप्रसाद थी रे तत् सिष भूवरदास । सास सिमल कहे रे छोटे सवार नापसोरे इति परदेशीनी सिद्ध समाप्ता । ग्रंथ को प्रतिलिपि की थी। भाषा हिन्दी पद्म प्राप्ति स्थान भाषा हिन्दी पद्य विषय प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती भाषा हिन्दी विषय- फुटकर २० काX दि०जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । हिन्दी ले० काल सं० १०१५ पूर्ण हिन्दी अपूर्ण पत्र सं० २३० २०३४ इस भाषा संस्कृत १९४२ फागुण बुदी ११ पूर्ण वेष्टन सं० १६५ प्राप्ति ६३३५. दौलत विलास दौलतराम । पत्रसं० २७ । श्रा० १२४७ इश्व । भाषा - हिन्दी पदविषयसंग्रह २०काल X ले० काल सं० १९६४ आषाढ सुदी १० पूर्ण वेन ०६३। प्राप्ति स्थान दि० जैन प्रवास पंचायती मन्दिर र । 1 ६३३६. दौलत विसास- दौलतराम पल्लीवाल पत्र सं०] [४३ भाषा - हिन्दी पद्य विषय संग्रह २० काल x । ले०काल X। प्रपूर्ण स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर | मा १२३७३ च वेटन सं० ४१ / ११६ प्राप्ति Page #722 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विलास एवं संग्रह कृतियां ] विशेष दौलतराम की रचनाओं का संग्रह है । ६३३७. धर्मबिलास द्यानतराय पत्र संख्या १७२ ० १४५७६ पद्य विषय-संग्रह । र० काल सं० १७६१ । ले० काल सं० १९३७ आसोज ख़ुदी ५। पूर्ण । प्राप्ति स्थान दि० ननाथ मन्दिर टारायसिंह (टोंक) | विशेष- रामगोपाल ब्राह्मण ने केकटी में लिखी थी। - - ६३४०. प्रतिसं० ४ बेटन सं० २२ । प्राप्ति स्थान ६३३८. प्रतिसं० २ ३ पत्र सं० ४८ श्रा० ११४४ इश्व । ले० काल सं० १७८६ पौष बुदी १० पूर्ण वेष्टन सं० १ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर मोरसी कोटा । ६३३६. प्रति सं० ३ पत्रसं० १४० १ ० १३४५ इव । ले० काल X | अपूर्ण वेष्टन सं० ७१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक) | [ ६६१ पत्र सं० २८७ । आ० १२X४३ इव । ले० काल सं० १८५८ पूर्ण दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी। । भाषा - हिन्दी वैप्टन सं० २९ २ । ६३४१. प्रतिसं० ५ सुदी ५ पूर्ण वेष्टनसं० ६६१ विशेष - जयपुर नगर के पत्र सं० २५५ । आ० ११x४१ इञ्च । ले० काल सं० १८८३ मंगसिर प्राप्ति स्थान ४० दि० जैन मंदिर अजमेर । काला डेहरा के मन्दिर में विजेराम पारीक सांभर निवासी ने प्रतिलिपि की थी। ६३४३. प्रतिसं० ७ ए ०३६७ स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । विशेष- भरतपुर में लिया गया था। ६३४२. प्रति सं० ६ पत्र सं० २९१ । प्रा० ४४६ इस । ले० काल X वष्टुन स ६६ प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहवी मन्दिर नैवा । वेशात X पूर्ण । वेष्टन सं० २० प्राप्ति ६३४४. प्रति सं० ८ पत्र [सं० २०० बुदी २ पूर्ण वेष्टन सं० ७ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मंदिर । विशेष – १४६ फुटकर पच तथा धन्य रचनाओं का संग्रह है। ६३४५. प्रति सं० १ पसं० २०३० ११ x ५३ इञ्च । काश X पूर्ण । । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । १२x६३ इंच से० काल सं० १६२० साधाव ६२४७. प्रति सं० ११०२७८ बेन सं० १३ । प्राप्ति स्थान ६३४६. प्रति सं० १० । पत्र सं० २५० से० काल सं० १८७८ । पूर्ण । वेटन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर हण्डावालों का भीग । ० १२३०३ इच। ले० काल X। पूर्ण दि० जैन पंचायती मंदिर कामा । ६३४८. प्रति सं० १२ पत्र सं० २३१ ० १०३x६ इन्च ले० काल x । पूर्णं । बेन सं० १३० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । बेटन सं० ५६ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । ६३४६. प्रति सं० १३ पत्र [सं० २६३ ० १०३५० काल सं० २०१५ पूर्ण Page #723 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६२ । [ ग्रन्थ सूची-पश्चम भाग विशेष-मभाना में केशोदास कासलीवाल के पुत्र हिरदैराम ने चन्द्रप्रभ घंत्मालय में ग्रंथ लिखवाया था। ६३५०. प्रति सं० १४। पत्र सं० २६७ । ले. काल सं० १८०४ ज्येष्ठ मुदी ६ । पूर्ण । वेष्टम सं० ३३७ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-प्रति जीर्ण है। ६३५१. प्रति सं० १५ । पत्रसं० १६५ । लेकाल सं० १८६७ । पूर्ण । वेष्टन से० ३३६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। विशेष-नानकराम ने भरतपुर में लिखी थी। ६३५२. प्रति नं० १६ । पत्र सं० २६६ | ले. काल सं० १८७७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४०६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६३५३. प्रति सं० १७ । पत्र सं० २७६ । काल सं० १८७७ सावन सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं०४१० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपूर । विशेष-परमानन्द मिथ ने धमत्ति दीवान जोधराज के पठनाथं प्रतिलिपि की सावन बुदी ७ को। ६३५४. प्रति सं० १८ । पत्रसं० ७८ । प्रा० १२३ ४७ इच । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १९३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । ६३५५. प्रति सं० १६ । पत्रसं० २०१ । मा० ११३४७ इञ्च । ले०काल x। पूर्ण । बेस्टन सं० १०१ प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ६३५६. प्रति सं० २० । पत्रसं० १५१ । प्रा० १२६-७३ इश्च । ले०काल सं० १६१२ माह मुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०५६/८१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर अलवर । ६३५७. प्रतिसं० २१ । पत्र सं० १७० । या० १२३४८ इन्च । ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ६३५८. प्रति सं० २२ । पत्रसं० २५ । प्रा०६४६ इञ्च । ले. काल. सं० १९५५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७८ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर नागदी वू दी । ६३५६. प्रति सं० २३ । पत्र सं० २०३ । प्रा० ११३४७३ इञ्च । ले०काल सं० १९३३ आषाउ सुदी १५ । पूर्ण । बेष्टन सं० ८२-२३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । विशेष - जयपुर में प्रतिलिपि की गई थी। ६३६०. प्रति सं०२४ । पत्र सं० १५१ । प्रा० १२४६ इञ्च । लेकाल सं० १८६६ ज्येष्ठ सूदी ११ । पूरणं । वेष्टन सं० १०१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर तेरहपंथी दौसा । विशेष--मादूलाल तेरापंथी ने चिमनलाल तेरापंथी से प्रतिलिपि करवाई थी। ६३६१. अप्ति सं० २५ पत्र सं० ३८ । प्रा० १०३४८ इञ्च । क्षे.फाल X । अपूर्ण। वेष्टन सं० १२८-५४ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । Page #724 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विलास एवं संग्रह कृतियां ] [ ६६३ ६३६२. नित्यपाठ संग्रह-x। पत्र सं० २५ । या १०४६१ इन। भाषा-सस्कृत । विषम-पाठ संग्रह । ले. काल X । पूर्ण । चेष्टन सं० ५५ । प्राप्ति स्थान-दिक अन मन्दिर कोटयों का नेणवा। विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है - भक्तामर स्तोत्र, तत्वार्थ सूत्र, सहस्रनामस्तोत्र, एवं विषापहारस्तोत्र भाषा । ६३६३. पद एवं ढाल-x। पत्र सं०७-२६ । प्रा० १० x ४३ इन्च । भाषा-हिन्दी। विषय--पद । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । बैष्टन सं० १७३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। विशेष-निम्न रचनाओं का मुख्यतसंग्रह है...नेमि व्यालो-हीरो हिन्दी । २० काल सं० १८४० । विशेश-दी में नेमिनाथ चैत्यालय में नथ रचना की थी। सज्झाय-जमल , विशेष कवि जमल ने जालोर में घय रचना की थी। रषि जमल जी कह जालोर में हैं, सृतर भाष सो परमारण हैं। पद---जयराज हिन्दी पद पदमराज गांग । ६३६४ पद संग्रह-खुशालचन्द । पत्र सं०९ । मा०६:४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयपद । १० काल x ! ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोट्यों का नेणवा। ६३६५. पद संग्रह--चैनसुख । पत्रसं० १ । आ० ११ x ८ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषयपद । र०काल ४ । ले०काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० ४६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जंग मंदिर लश्कर, जयपुर। विशेष—इसका नाम प्रारम विलास भी दिया है । ६३६६. पद संग्रह-देवाब्रह्म । पत्रसं० २६ । आ० १२४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पद संग्रह ! र०काल x | ले०काल X । पूर्वी । वेष्टन सं० १५१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान दी। विशेष-देवाब्रह्म कृत पद, विनली एवं अन्य पाठों का संग्रह है। ६३६७. प्रतिसं० २। पत्र सं० ३६ । प्रा० १०४ ६३ इञ्च । ले. काल - । पूर्ण । बेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ६३६८. पद संग्रह .. देवाब्रह्म । पत्रसं० ५० । पा० ७ ८ ६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विश्यपद संग्रह । र काल x 1 ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ६३६६. पद संग्रह (गुटका)-पारसदास निगोत्या । पत्र सं० ६६ । मा०८१x६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय--पद । र० काल X ।ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर श्री महावीर दी। Page #725 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६४ ] विशेष-पुटका सजिव है। ६३७० पद संग्रह - हीराचन्द भजनों का संग्रह | र० काल x । ले०काल x मन्दिर भादवा (राज० ) विशेष -- - ८० पदों का संग्रह है । ६३७१. पद संग्रह - X पद २० काम X ० काल X पू (कोटा) - पत्रसं० ३७ घा० १२५६० पूर्ण वेष्टन सं० ५७/४६ पत्र सं० १२२ । प्रा० ५३५५ च । भाषा - हिन्दी पद्य विषयवेष्टन सं० ३७६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसी विशेष – विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह है। ६३७२. पद संग्रह । पत्र सं० २ से ६० । ० १०३ x ५ इव । ले०काल X 1 पू । वेष्टन [सं०] १९२ प्राप्त स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष प्रथम पत्र नहीं है। विभिन्न कवियों के पदों का वर्णन है। [ प्रश्य सूची-पश्वम भाग ६३७३. पद संग्रह पत्र सं०५- ३४ | श्र० ६ X ७ इच ले० काल X। पूर्वं । वेष्टन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसी कोटा | भाषा हिन्दी विषय - प्राप्ति स्थान - दि० जैन ६३७४, पढ संग्रह पत्र सं० २० प्रा० ६४ ४ छ। ले० काम X पूर्ण देन सं० ७८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोट्यों का मेवा । विशेष – किशनचन्द आदि के पद हैं। ६३७५. पद संग्रह किशनचन्द हर्वीति, जगतराम, देवीदास, महेन्द्रकीर्ति, मूरदास मात्र के पदों का संग्रह है। पूर्ण वेष्टन सं० ७३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोट्ययों का नैणवा । ६३७६. पद संग्रह[सं० २४० ६४५३ से०काल X पूरी बेटन सं० १२६ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर नागदी, बूंदी। विशेष-ग्रंथ जीर्ण अवस्था में है तथा लिपि खराब है। ६३७८. पत्र संग्रह ० ६२० ३३ ३ १० पूर्ण वेष्टन [सं० ७८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर आदिनाथ - ६३७७. पद संग्रह पत्र० ५७०५ ४ ४ ०काल X पूर्ण वेष्टन सं० ७३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरही मेणवा । ६३७६. पद संग्रह पत्र ० ६६० १२० १ १६२१ । प्राप्ति स्थान ५० दि० जैन मन्दिर अजमेर | विशेष – विभिष कवियों के पदों का संग्रह है। ६३५० पद संग्रह पत्र सं० ६ ४७ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | ० काल सं० २०६६ मंत्र बुदी बी । ० कात X पूर्ण वेष्टण सं० ० ९३x४ इच वे० काल x पूर्ण न सं० ६३८१. पत्र संग्रह पचसं० ६८ ० १०३४ इंच ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० २९७ प्राप्ति स्थान दि० जंग मंदिर बोएससी कोटा । Page #726 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विलास एवं संग्रह कृतियां [ [ ६६५ ६३८२. पद संग्रह। पत्र सं०६३ । भाषा-हिन्दी पद्य । प्रा० १०x४ इंच । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-ब्रह्म कपुर, रामयसुन्दर, देवा ब्रह्म के पदों का संग्रह है। ६३८३. पद संग्रह । पत्रसं०६० । भाषा-हिन्दी पद्य । ले. काल पूर्ण । वेष्टन सं० ४५१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष—दौलतराम देवीदास प्रादि के पदों का संग्रह है। ६३८४. पद संग्रह । पत्र सं० १६२ । भाषा-हिन्दी पछ । ग्रा० ११४६ इन्च । ले. काल । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बर। बिशेष-मुख्यत: निम्न कवियों के पदों का संग्रह हैगवलराम, जगराम, द्यानतराय प्रादि । ६३८५. पद संग्रह । पत्र मं० १६ । माषा-हिन्दी पद्य । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७१ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा। विशेष-निम्न कवियों के पद एवं रचनाएं मुख्यतः संग्रह में हैयशोदेवसूरि पूरिसा दाणी पास जी भेटण अधिक उल्हास हे प्रभु तावर मनमूख जोडवे अमत लयाग विकाम ।। गुणभद्रसूरि नमस्कार महामंत्र पत्र राजकवि उपदेश बत्तीसी समयसुन्दर वीलसग तेरा पाया सरसा। गुरगसागर कृष्ण बलिभद्र सिज्झाय । मेषकुमार सिजमान्य। अजित देवभूरि पंचेन्द्रिय सिमाय। पंचबोल चौबीस तीर्थकर स्तवन । महमद जीवमृत सिज्झाय। महमद पद पद निम्न प्रकार हैभूलो मन भ्रमरा काई भ्रमै भमै दिवसन राति । मायानो बांध्यो प्रागीयो भ्रम परिमल जाति । कुंभ काचो काया करिसी तेहना करो रे जतन्न । विरासतां बार लाग नहीं निमल रास्त्रो मन्न । अस्यां डूगर जेबडी मरिबो पगना हेठि। घन चीन काई मरो करिधी देवनी बढि । कोना छोरु कोना बाछरु कोना माय ने बाप । प्राणी जावो छ एकलो साथ पुण्य व पाप ॥३॥ मूरिख कहै धन मारो धोखे धान न खाय । वस्त्र बिना जाइ ठिस्यो लखपति लाकड माहि। Page #727 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग लखपति छत्रपति सब गये गये लाखां न लाख । गरज करी गोरख बैसते भये जल बलि राख ।।६।। भव सावर भव दुस्त्र भरयो तरित्री छ तेह् । बिच में बीहक सबल ई नर में धमो मेह । उतर नथी प्राण चालिबो उतरि वोछ पार । आग हारम बंगसियो सैंबल लीयो लार ।। मैहमद कहै वस्त्र बौहरी ये जो क्यू चाल पाथि । लाहा अपरगा गाहि ल्य लेखा साधि हाथ ।। ६३८६. पद संग्रह-X । पपसं०२२ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-हिन्दीले० काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० ५३-X । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । ६३८७. पद संग्रह-x। पत्रसं०१ । प्रा० १२४६ इश्च । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० २२७-११। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष--नवल, भूधर, दीपत्तन्द, उदयराम, जादवराम, जगराम, धनीति, दास वसंत, लालचन्द गोधा, थांनत बुधजन, जिनदास, घनश्याम, भागबन्द, रतनलाल प्रादि कवियों के पद हैं । ६३८ः, एक संगह--:. .६ । ह . . पू : वेष्टन सं० ४२०-१५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ६३८६. पद संग्रह---X । पत्र सं० १ । प्रा० ६ x ४१ इञ्च । लेकाल x 1 पूर्ण । वेन सं०१६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपूर । विशेष-नयन विमल, विमल विजय, शुभचन्द्र, ऋषभस्तवन, ज्ञान विमल । गोडी पाश्यनाथ स्तवन रममा संवत् १६८२ हैं।। ६३६०. पद संग्रह-X । पत्र सं० ८ । आ६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । लेकालx। अपुर्ण । वेतन सं० १६४ 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर वलाना (बूदी) । विशेष-बनारसीदास जोधराज अादि कवियों के नीति परक पद्यों का संग्रह है। ६३६१. पाठ संग्रह-x। पत्र सं०७० या ११X ५२ इन्छ । भाषा-हिन्दी पद्य। विषय-संग्रह । २० कानX । ल० काल x 1 पूर्ण | बेष्टन सं० १११ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलबर । ' विशेष-विभिन्न पार्टी का संग्रह है। ६३६२. पाठ संग्रह- पत्र सं० २० । प्रा० १२४५ इश्व | भाषा-प्राकृत-संस्कृत । ले० काल ४ । पूर्ण । वेपन सं० ३.७६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर. जयपर । विशेष-भाव पुजा, चैत्य भक्ति, सामायिक प्रादि है। ६३६३. पाठ संग्रह--XI पत्र सं० १२७ से १७६ । भाषा-संस्कृत । ले० काल | अपूर्ण । वेष्टन सं० ६१२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६३६४. पाठ संग्रह--XI पत्रसं०१२ । भाषा-हिन्दी ले०काल पूर्ण । वेष्टन सं०४४७ । प्राप्ति स्थान----दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #728 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विलास एवं संग्रह कृतियां ] विशेष-त्रिभुवन गुरु स्वामी बी धीनती, भक्तामर स्त्रोत्र भाषा, कल्याण मन्दिर स्तोत्र भाषा. पंच मंगल प्रादि पाठ है। ६३६५. पाठ संग्रह-X । पत्र सं०५८-११३ । पा० १२१४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६४ १ प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ६३९६, पाठ संगह---XI पत्र सं० २३६ । ले० काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बैर। विशेष--निम्न पाठों का संग्रह हैआदिपुराण जिनसेनाचार्य संस्कृत पत्र १८४ अपूर्ण । उत्तरपुराण गुणभद्राचार्य पट पाहृड कुन्दकुन्दाचार्य प्रावृत कर्मकाण्ड ने मिचन्ट्राचार्य कलिकुण्डपुजा चौबीस महाराज पूजा .. हिन्दी ६३६७. पाठ संग्रहः-x1 पत्रसं० १५ । प्रा० १२:४६५ इन्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। लेकाल: । पूर्ण । वेष्टन सं०१८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष-तत्यार्थ सुत्र, भक्तामर स्तोत्र एवं गोम्मट स्वामी पूजा हिन्दी) आदि हैं। ६३६८. पाठ संग्रह ..-X । पत्रसं० २१ । ग्रा०५१०x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृर-हिन्दी। ले० कालX । पूर्ण । वेष्टन सं०६६१। प्राप्ति स्थान--दिल जन मन्दिर भादवा (राज.) विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। १. भक्तामर स्तोत्र २-कल्याण मन्दिर स्तोत्र -दानशील तय भावना कुलक (प्राकृत) हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है। ६३६६. पाठ संग्रह -XI पत्रसं०११० प्रा०८४६ इञ्च । लेकालX1 पूर्ण । वेष्टन सं. ५५/६७। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर मादत्रा (राज) विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। १- नरक वर्णन पत्र ५ २- समवशरण वर्णन १३ १- स्वगं वर्णन ४-- गुणस्थानवर्णन ५.- नौसठ ऋद्धि नर्णन १७ ६- मोक्ष मुख वन १६ ७- द्वादश श्रुत वर्णन १७ ८- अकृत्रिम चैत्यालय वर्णन ६४००. पाठ संग्रह-४ । पत्रसं० १६० । पा० ६४५ च । भापा-हिन्दी।से काल पूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर मागदी दी। विशेष-भिभिन्न पाठों का संग्रह है। Page #729 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८ ] [ ग्रन्थ सूत्री-पंचम भाग ६४०१. पारस विलास-पारसदास निगोत्या। पत्र सं. २७७ । या० ११:४८ इच । भाषा-हिन्दी। विषम-पारसदास की रचनाओं का संग्रह। र०काल ४ । लेकालर I पूर्ण । वेधन सं० ५०५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६४०२. पार्श्वनाथ कवित्त-भूधरवास । पत्रसं० ३ । ग्रा० १.१४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्फुट । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन स. १००६ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मंदिर अजमेर । ६४०३. बनारसी विलास-सं० कर्ता जगजीवन । पत्रसं० १४ । प्रा० १०४६इश्व । भाषा-हिन्दी । विषय-राग्रह । सग्रह काल रा. १७०१ । ले०काल सं० १९५६ । पूर्ण । चेष्टन सं० १५७१ । प्राप्ति सम.... -दि० बर: दि अमर विशेष-बनारसीदास की रचनाओं का संग्रह है। ६४०४ प्रति सं०२। पत्र सं० १३३ । ग्रा० ६.४७ इञ्च । ले०काल सं. १५२६ वैशास्त्र सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३३ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मंदिर अजमेर । ६४०५, प्रति सं०३। पत्रसं० ११६ । आ० १२४५ इञ्च। ले. काल सं० १७४३ । पूर्ण । बेष्टन सं०११७७० । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगड (कोटा)। ६४०६. प्रति सं०४। पर सं०२-१०६। या. ११४४ इञ्च । लेक काल । अपूर्ण । वेशन सं० ३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर दवलाना (कोटा)। ६४०७. प्रति सं० ५। पत्र सं० १६२ । ले० काम ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ । प्राप्ति स्थान--दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६४०८. प्रति सं० ६ । पत्रसं० १३५ । प्रा० ११ x ७६ इञ्च । ले०काल स. १७४३ श्रावण सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं०४७ । प्राप्ति स्थान-दि० मन्दिर चेतनदास दीवान पुरानी डीग । ६४०६. प्रति स०७। पत्र सं० १३१ । ग्रा. १२४५श्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दीवान जी कामा। ६४१०, प्रति संख्या पत्रसं०७८ । आ०१४४८१ इञ्च । लेकाल सं० १८८४ अषाढ सूदी १२ | पूरी 1 वेष्टन सं० १० । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा। विशेष यामबन (कामा) में प्रतिलिपि हुई थी। ६४११. प्रति सं० ६ । पत्र सं० १५ । लेवाल सं० १८६३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । ६४१२. प्रति सं०१०। पत्र सं० १४७ । या० १०x४३ इञ्च । ले०काल सं० १९६० फागुन बूदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-कोटा मगर मध्ये वासपूज्य जिनालये पंडित जिग्णदास उपदेशात् लिखापित खंडेलवालान्वये कासलीवाल गोत्रे धर्मज्ञ साह जैत रामेण स्वपश्नार्थ । ६४१३. प्रतिसं० ११ । पत्र सं० ४६ । या० १.४५ च । ले० काल सं० १७८७ ग्राषाढ बूदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३९ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर दबलाना (दी)। Page #730 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विलास एवं संग्रह कृतियां ] [ ६६६ ६४१४. प्रति सं०१२। पत्रसं० १४८ । आ. ६४ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पञ्चायती मंदिर बयाना । विशेष- - १२४ 'त्र के प्रागे झपचन्द के पदों का मग्रह है। ६४१५. प्रति सं० १३ । पत्र सं० ५४ । आ० १३३ x ६३ इथे । 'ले. काल सं० १६०० फागूण दी । पूर्ण । वेष्टन सं०४६ । प्राप्ति स्थान--वि० जैन मन्दिर कोस्थों का नरपवा । विशेष साह पन्नालाल अजमेरा ने प्रतिलिपि की थी। ६४१६. प्रति सं०१४ । पत्रसं० १६४ । प्रा० १० X ७ इच। ले० काल सं० १८०५ । पूर्ण । वेपन स ह । प्राप्ति स्थान... दिन मन्दिर बघेरवालों का प्रांया (उरिणयारा)। विशेष-मरसिंन्नदास ने लिखा या । समयसार नाटक भी है। ६४१७. प्रति सं०१५। पन सं०६१ मा०१०४४ इन्च । ले० काल सं० १८८५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि० जेन मन्दिर श्री महावीर वूदी। ६४१८. प्रति सं० १६ । पत्रसं० १०२ । प्रा० x ५ इञ्च । ले०काल सं० १८५७ कात्तिक बृदी ६ । पूर्ण। विशेष--श्योलाल जी ने गन्नालाल साह से प्रतिलिपि कराई थी। ६४१६. प्रतिसं०१७। पत्र सं०६६ | आ०१३४६ञ्च । ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १४८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। ६४२०. प्रति सं० १८ । पथ सं० ६५ । आ० १२४ ४ इन्च । ले० काल सं० १८५४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५२ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूथी। ६४२१. प्रति सं० १६। पत्र सं० ७६-८० ग्रा० १५५१ इञ्च । ले०काल सं० १७३८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६-५२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ६४२२. बुद्धि विलास-मस्तराम साह । पत्र सं० मा० १०४५ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य 1 विषय-विविध । र०काल सं० १६२७ । लेकालX । वेष्टन सं० २७ । । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ६४२३. बुधजन विलास-बुधजन । पत्रसं० १०० प्रा० १२४ x ७१ च । भाषा - हिन्दी पद्य । विषय -मुभाषित । र० काल सं० १८६१ काती सुदी २ । ले० काल सं० १६५५ ज्येष्ठ सुदी ६ । पूर्ण । देवन सं०४९८1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर, लश्कर जयपुर । विशेष- सवाई जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ६४२४. प्रति सं० २। परसं०७१ । र० काल स. १८७६ कार्तिक सुदी ५। ले. काल सं० १९२४ । पूर्ण । येप्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६४२५. प्रति सं३। पत्रसं० ८४ । ले. काल सं० १९२४ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६४२६, प्रतिसं०४। पत्रसं०७४ । प्रा० १२१४६ इञ्च । लेकालx। पूर्ण । वेष्टन सं. २७. प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा । Page #731 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० ] ६४२७. ब्रह्म विलास - भैया भगवंसोदास । पत्र सं० १३३ | हिन्दी विषय संग्रह २० काल X ते० काल सं० १९१७ यासांज खुदी ५ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) | विशेष - गोपाचल (ग्वालियर) में प्रतिलिपि हुई थी । M ६४२८. प्रति सं० २ । वेष्टन सं० १४७ प्राप्ति स्थान [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ० १४X७ च । भाषापूर्ण वेष्टन सं० ३१ । - . ] [सं०] १६९ । ले० काल सं० १८७९ १० आसोज सुदी । पूर्णे | दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर ६४२६. प्रति सं० ३ सं० १५० । प्राप्ति स्थान दि० ६४३०. प्रति सं० ४ स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ६४३१. प्रतिसं० ५ पत्र० ९४ १० काल १७५५ । ने० काल सं० १०२५ पूर्ण सं० १०३ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-सुलसीराम कासलीवाल वेरका ने भरतपुर में महाराजा बलवंतसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि की थी। भरतपुर वासी दीवान गजसिंह अपने पुत्र माधोसिंह गौत्र वैद्य के पठतार्थ लिपि कराई । ६४३२. प्रतिसं० ६ ० १०२०१२ ० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ११५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना | ७ पत्र से० १४० से० का ० १८१४ कात्तिक सुदी १५ । पूर्ण वेष्टन जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । पत्र सं० १०१ ले० काश X पूर्ण वेष्टन सं० १५६ प्राप्ति ६४३३. प्रतिसं० ७ । पत्र सं० १४४ | प्रा० १२ X ७१ इव । ले०काल सं० १९२६ पोष दो ११ । पूर्णं । येन सं० ५ प्राप्ति स्थान – दि० जैन पंचायती मंदिर बयाना । विशेष ठाकुरचन्द ने माधोसिंह के पठनार्थं प्रतिलिपि की थी। ६४३४. प्रति सं० [सं०] १५०काल X। प्रपूर्ण वेष्टन सं० ५२ प्राप्तिस्थान--- दि० जैन पंचावती मंदिर बयाना । ६४३५ प्रतिसं० सं० २३४ सुदी पूर्ण वेनं सं० ६१ । प्राप्ति स्थान विशेष कामा निवासी ऋषभदास के की थी। प्रा० x ६ इञ्च । ले० काल मं० १८८२ प्राषाढ़ दि० जैन पंचायती मन्दिर काशा | हुए सदासुखजी कासलीवाल ने सन १८८२ में प्रतिलिपि ६४३६. प्रतिसं० १०३ पत्र [सं०] १०० श० १६४६ इच ले० कास सं० १९८२ फागुण सुदी ५ पूर्ण वेष्टन सं० १६६ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दर । गिरधारीलाल ने प्रतिलिपि की थी। विशेष- नेवा में ब्राह्मा ६४३७. प्रति सं० पत्र सं० १०७ ०१४४६ ६ ११ सुदी ४ पूर्ण वेष्टन सं० १३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष देवकीनन्दन पोद्दार ने प्रतिलिपि की थी। ० का ० १६६६ पौष ६४३८. प्रति सं० १२ पत्र सं० २२०० १२५ इन्च ले० काल सं० १९१७ भादवा २। पूर्ण ० ६४ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ६४३६. प्रतिसं० १३ पत्र सं० १५० पा० १२७ ० का ० १९४१ मादवा ख़ुदी १४ । । ० १७ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर | । Page #732 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विलास एवं संग्रह कृतियां ] [ ६७१ ६४४०, प्रति सं० १४ । पत्रसं० २०० । आ०११४४ इञ्च । ले०काल । अपुगे । वेन सं. ३४३ । प्राप्ति स्थान-दिन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-२०० से अागे पत्र नहीं हैं। ६४४१. प्रति सं० १५ । पत्रसं० १२२ । प्रा० १०.४५३ च । ले. काल सं० १९६६ । पुरणं । वेष्टन सं० १०३ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर ।। विशेष- लेखक प्रचारित निम्न प्रकार है। उदयपुर सैर बसौं सुभथान , दीपै उसम सुरग समान । ब्रह्म विलास ग्रथो भष, लोखीयो ता माही जिन खास 1 लिखाषित साहा श्रेणीचन्द, ज्ञान चीतोड़ा नाम प्रसिद्ध । वाचनार्थ भन्य जीवनताई, मेलो जिन मन्दिर भाई । रांवत् प्रशदश शत जान, ता ऊपर नीन्याण बखान । अगहन सुदी दशमी सार पुरो लिस्खो रजनी पतिवार । ६४४२. प्रतिसं०१६। पत्र सं० २३३ 1 पा०७१४५ श्च । ले० काल सं० १८१७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२७६ । विशेष- नन्दराम विलाला ने प्रतिलिपि की थी। ६४४३. प्रतिसं० १७ । पत्र सं० १३७ । प्रा० १२४५६ इञ्च । ले० काल सं० १८५८ । पूर्ण । बेन सं० १०२। प्राप्ति स्थान--भ. दि० जन मन्दिर तेरहपंथी दौसा। विशेष. -गानूसाल तेरहपंथी ने चिम्मनलाल तेरहपंथी से प्रतिलिपि करवाई थी। ६४४४. प्रति सं०१८ । पत्रसं० २२८ । आ०६६x४३ च । लेए काल रां० १८३४ कात्तिक सुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० २१७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बोरमली कोटा ... ६४४५. प्रतिसं०१६ । पत्र सं० १८५ । प्रा.१०.५१ इन । लेकाल. १९०४ पासोज सुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं० २२२ । प्राप्ति स्थान.-दि जैन मन्दिर बारसली कोटा ६४६४. प्रतिसं०२०। पत्र सं० १२५ । पा. १२:४६न । ले० काल सं०-१६१३ भादवा सुदी २ । वेष्टन सं० १२३। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी विशेष-चंद्यपुर में लिखा गया था। ६४४७. प्रति सं० २१ । पत्र सं०५७ - ११४ । आ० ११४४ इंच | ले. काल सं० १८५२ आषाढ वुदी ७ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी नैणवा। ६४४५. प्रति सं० २२ । पत्र सं० २११ । प्रा० १४७ इञ्च । लेकाल सं० १५५४ ज्येष्ठ सुदी ८ । पूर्ण 1 बेटन सं० ८७-६० । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर वा बीसपंथीं दौसा । विशेष-रतनचन्द पाटभी ने दौसा में प्रतिलिपि की थी। ६४४६. प्रति सं० २३ । पत्रसं० ५५ । प्रा० ११४६ इञ्च । ० काल सं० १५८७ वैशाख मुदी १० । पूर्ण । वेटन स०१६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर, करौली । .. ५४५०, प्रति सं० २४ । पत्र सं० २४४ । प्रा० १२५५३इन । से काल सं० १८५४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर दीवान वेतनदास पुरानी डीग । ' Page #733 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७२ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष---डोग में प्रतिलिपि की गई थी। ६४५१. प्रति सं० २५ । पत्र सं० २१६-२४६ । प्रा० १२४५१ इञ्च । ले० काल सं० १७६६ मासौज सुदी। अपूर्ण । वेष्टन सं०७३ । प्राप्ति स्थान-दि.जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । ६४५२. प्रतिसं०२६ । पत्र सं० १३२ । प्रा० १२:४६६ इश्व । ले०काल सं० १८६१ । पूर्ण । वेष्टम सं०१२। प्राप्ति स्थान-दि. जन अग्रवाल मन्दिर नगवा । ६४५३. प्रति सं०२७ । पत्रसं० २०६। मा०११x६ इच। ले०काल सं. १७६२ द्वितीय ज्वेष्ट गुदी । पूरी । वेहन सं०५१६ । प्राप्ति स्थान--म.दि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष—प्रति सुन्दर है। ६४५४. प्रतिसं० २८ । पथ सं०१४६ । पा.११४५ इञ्च । ले० काल सं० १८४० । वेष्टन सं० ६४३ । प्राप्ति स्थान-भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर । ६४५५, प्रतिसं० २६ । पत्र सं० ११७ । प्रा०१०१४५, इश्व । ले-काल सं. १८४५ । पूर्ग। वैष्टन सं० १५६-७१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोडियों का डूगरपुर । ६४५६. प्रति सं० ३० । पत्र सं० १५५ । प्रा० १.३४५ इञ्च । २० काल सं० १८१२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४-२०। प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर कोटडिपों का डूगरपुर । ६४५७. प्रति सं० ३१ । पत्रसं० १०१। आ. १०३४७ इञ्च । ले० काल सं० १८७३ भादवा बुधी ८ । परणं । वेष्टन सं०४७ । प्राप्ति स्थान -दि० जन पंचायती मन्दिर अलवर । ६४५८. प्रतिसं० ३२ । पत्र सं० २३५ 1 आ० ७१४५३ इञ्च । ले० काल सं० १९४१ माघ बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान – दि. जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर । ६४५६. प्रति सं० ३३॥ गपसं० १६ । आ० १२३४७ इञ्च । ले० काल सं० १९७७ सावन गुदी ५ । पूर्ण । वेन सं.२ । प्राप्तिस्थान-दि.जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर असवर । विशेष-जिल्द सहित गुटकाकार है। ६४६०. प्रति सं० ३४ । पत्र सं० २०८ | आ० १२५५ इञ्च । ले०काल सं० १९२३ । पूर्ण । . वेष्टन सं०२। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्री महावीर दी। ६४६१, प्रति सं० ३५ । पत्र सं० २६५ । प्रा. १४५ इञ्च । ले० काल सं० १५१७ । पूर्ण । देखन सं० २८१ । प्राप्ति स्थान--दिल जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ६४६२. प्रतिसे० ३६। पत्र सं०१६६ । प्रा० १२४५ इच। ले. काल स० १७६६ भादवा मयी २ । पुर्ण । वेष्टन सं०४२ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर बैर । विशेष --चौबे जगतराम ने प्रतिलिपि कराई थी। ६४६३. भवानीबाई केरा दूहा-XIपत्र सं०२-७ | प्रा०१०४५ च । भाषा-राजस्थानी विषय-स्पट । २० कालX । ले. काल सं० १९८२ चैत्र सुदी १२ । पूर्ण । वेपन सं० २४१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। Page #734 -------------------------------------------------------------------------- ________________ famre एवं संग्रह कृतियां ] [ ६७३ ६४६४. भूधर विलास - भूधरदास । पत्र सं० ४६ | श्र० ११x६ इच। भाषा - हिन्दी पच विषय संग्रह २० काल x 1 से लX पूर्ण वेष्टन सं० १४३ प्राप्ति स्थान दि० * जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी। — ६४६५. प्रति सं० २ १ वेष्टन सं० ७ प्राप्ति स्थान ० ६२०१२ x ७३ । ० काल सं० २००९ पूर्ण दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ले०का सं० १९५१] पूर्ण वेन सं० १६५ प्राप्ति ६४६६ प्रतिसं० ३३ प ०६३ स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ६४६७ प्रतिसं० ४ पत्रसं० ६ ० ११ x ५३ इले०काल सं० १६०५ मंगसिर सुदी ६ पूर्ण वेष्टन सं० ७८ प्राप्ति स्थान दि० बैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष- मिश्र रामदयाल ने फरक नगर में प्रतिलिपि की थी । ६४६८. मनोरथमाला गीत- धर्मभूषण । पत्रसं० ५ । भाषा - हिन्दी | विषय - गीत प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ संग्रह का X ते० काल X। पूर्ण वेष्टन सं० ७०/४७७ मन्दिर उदयपुर । ६४६६. मरकत विलास - मोतीलाल । र०काम x ० काल १२८५ चासो बुदी ७ पूर्ण दीवानजी भरतपुर 1 विशेष – प्रति सुन्दर है । पद्य विषय- स्फुट र०काल x मंदिर तेरहवी दौसा | । पत्र सं० २६ ० काल X ६४७०, माणकपव संग्रह- मारणकचन्द पत्र [सं० २-५० हिन्दी (पद्य) विषय-पद र०काल X ० का ० १२१८ फागुण सुदी २ प्रपूर्ण २२२ प्राप्ति स्थान दि० जन प्रग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष - प्रथम पत्र नहीं है । ६४७१. मानवावनी १४७२. मानविनय प्रबंध - X विषय-स्फुट १०काल X ले० काल X भजमेर | पत्र सं० १४८ बेन सं० ३७ पूर्ण पूर्ण पत्र स. ७ वेष्टन स । भाषा - हिन्दी | विषय - धर्म प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर विशेष — कौनों पर फटा हुआ है । ६४७३. यात्रा समुच्चय---X पत्र सं० ४ विविध | Toकाल X | ले काल x । पूर्णं । वेष्टन सं० लश्कर, जयपुर | आ० ११x६३ इंच भाषावेटन सं० आ० १२८४३ च भाषा पुरानी हिन्दी वेष्टन सं० २७ प्राप्ति स्थान दि० जैन ० १०४ इंच भाषा पुरानी हिन्दी ४९३ प्राप्ति स्थान-म०दि० जैन मन्दिर मा १५४ इंच भाषा-संस्कृत विषय५४६ । प्राप्ति स्थान - दि०जैन मन्दिर ६४७४, रत्नसंग्रह - नन्द्रमल पत्र स. ६६ आ. ११३८ च गाथा - हिन्दी गद्य काल स. १९४६ मंगसिर सुदी १ ०कान सं० १९६७ त बुदी ४ पूर्ण सं० १२ प्राप्ति ५। ॥ वेष्टन । स्थान- दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) Page #735 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७४ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग विशेषप्रारम्भ-दोहा प्रथम वीर सन्मति चरण, दूतीया सारदा माय । नरसन संग्रह करन, ज्यौं भवचन मसि जाय ।। अथ समह विचारते, सिनही के अनुसारि। मन नु+ इम काम्ने, पठल सुनत भत्र पार ॥२॥ अन्तिम-- शुभ सुधान मुहबतपुरा, जिला अलीगढ़ जान । जैसी थावक जनन की, जन्म भूमि मुझ मान |1|| मंड यासी श्रावक, जैसवाल कुल भांन । बंश इक्ष्वाक सु उपजे मोलानाथ प्रधान 16|| चौपई.-- सुत गोपालदास है तास, पुत्र युगल तिनके हम ज्ञास। अनुज गणेशीलाल बरवानि, दूजा भगवंता गुरु मानि ।। उर्फ लकव नन्नूमल कह्यो, जन्म सुफल जिन बच पढि भयो । भूल चूक धीमान राम्हार, अन्यमती लखि दया विचार॥ सोरठा रतन पुज हुनि लीन, पढ़ो पढ़ाली राजन जन । कर्म बंध हो औन, लिस्रो लिखावौ प्रीतिघर ।। अव पपूर्ण कीन, संवत् सर विक्रम सनौ । युगल सहस में हीन, अर्घ शतक चव में मनी ।। गोतछंद .. मंगसिर जुगुक्ला पंचमी बुधवार पूर्वाषाढ के । दिन कियो पूरण रतन संग्रह शुभ मुबखानि के || अनमान अरु परिमान सारे हैं श्री जिनवानि के। अपनी तरफ से कुछ नहीं मैं लिखा भविजन जानि के ।। ॥ इति थी रतन संग्रह समाप्त ।। लिखतं लाला परशादीलाल जनी साकिन नगले सिकंदरा जिला प्रागरा पोस्ट हिम्मतपूर मिती चत कृष्णा ४ शनिवार सं० १९६७ विक्रम । रामचन्द्र बलदेवदास फतेहपुर वालों ने जैन मन्दिर में चढ़ाया हस्ते पं० हीरालाल पासोज सुदी ५ सं० १६६७ । ६४७५. लक्ष्मी विलास-६० लक्ष्मीचंद । एत्रसं० १२० । प्रा० १२३ ४७ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय ---संग्रह । र० काल x ले० काल सं० १६१८ । पूर्ण । वेष्टन सं०१२० । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बदी। विशेष-वैष्णव मत के विरोधी का खपवन किया गया है ६४७६. विचारामृत संग्रह-४ । पत्र स. १३ । ग्रा० १.१४४, इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-संग्रह । र काल x ले. काल म. १८६१ । पूर्ण । वेष्टन रा. २२० । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर बोरग़ली कोटा । Page #736 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विलास एवं संग्रह कृतियां ] [ ६७५ ६४७७. विचारसार षडशीति-५ । पत्र स'. ३ । आ. १०:४२ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्फुट । र काल x | लेकाल सं० १६४० । पूर्ण : बन स.७४ । प्राप्ति स्थान--भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर । ६४७८. विनती संग्रह-देवना । पत्र स० ७३ । ना० १० x ६ च । भाषा - हिन्दी । विषय-स्तुति । रoकाल ५ । ने०काल र । अपूर्ण । वेष्टन स'. २८७ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। ६४७६. विनतो संग्रह --- | पत्र सं० ३-१० । मा० १.४४ इंच । भाषा-हिन्दी । विषयपद । र०काल X । ले०काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० ४६३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । वशेष- ठों का संग्रह है-- १---चाउनोस तीर्थक र विनती-जयक्रोति । हिन्दी । पत्र ३ ५. प्रादि अन्त भाग निम्न प्रकार हैप्रारंभ सफल जिनश्वर प्रगामीया सरसती स्वामीरस समरिमाय । वर्तमान चबीसी जेह नव विधान बोलेहु तेह । अन्तिम काष्ठासंघ नदी तट गच्छ यती त्रिभुवनकीर्ति सूरिश्वर स्वच्छ । रत्नभूधरण 'रवितल गछपति सेन शुभकर मोहमती । जय कीति सूरि षद घार हर्ष घरि करयु एही विचार । भरिग सुगिजे भवीनणसार, ले निश्चतरसी संसार ।।२।। इति नव विधान चवीसी तीर्थकर वीनती संप्रग । २ परमानन्द स्तवन संस्कृत २५ श्लोक ३ बाहुबलीचंद बादिचन्द्र हिन्दी प्रारम्भ कोसल देश अयोध्या सोहि, राजा वृषभतण मनमोहि । धरि हो दीसि अनोपम राणी, रूप कलाघाती इन्द्राणी । जसोमति जाया भरतकुमार, बाहुन्छली सुनंदा मल्हार । नीलजसा नाटिक विभंग, बन्यु वैरागह चित्तिनिरंज्य । अन्तिम सिद्ध सिद्ध युगती भरतार, बाहुबली कस्सहु जयकार । तुझ पायै लागि प्रमाचन्द्र, वाणी बोलि वादिचन्द्र ।।६।। इति बाहुबली छंद संपुर्ण । ४ गुणत्तीसी भावना मन्तिम भोगमलाजे नरलाहि हरषि उदेइदान । समफित विणा शिवपद नहीं जिहां अनंत सुखठाम || Page #737 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची पंचम भाग ए गुणत्रीसी भावना भएकि सुधु विचार । जे मन माही समरिसी ते तरसी ससार ॥३१॥ इमिगती संपूर्ण ६४८०. विनती संग्रह-देवाब्रह्म-।पत्र सं० १६ । प्रा.८.४५ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय- स्तवन । २० काल XI ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६४ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर लश्वर, जयपुर । विशेष-तीर्थकों की विनतियां हैं । ६४८१. विनती एवं पद संग्रह-देवाग्रह्म । पत्र सं० ११३ । या० १०४४३ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-स्तवन । र०काल x । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३०४ । प्राप्ति स्थान-- दि० जून मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष- पद एवं भजनों का संग्रह है। ६४८२. विनती पद संग्रह.--: । पत्र सं०४ । आ० १२४६ हश्च । भाषा-हिन्दी। विषयपद स्तवन । र०काल X । ले०काल X । पुर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लकर, जयपुर। बिशेष-. कपूर, जिनदास जगराम आदि के पद हैं। ६४८३. विनती संग्रह- । पत्र सं० ६ । प्रा० ११३ x ५१ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-- स्तोत्र । १० काल x । लेकालXI पूर्ण । वेष्टनसं० १२२-५७ । प्राप्ति स्थान-दि.जैन मन्दिर कोटड़ियों का दूंगरपुर । विशेष- भूधर कृत विनतियों का संग्रह है। ६४८४. विवेक विलास-जिनदत्त सूरि । पत्र सं० १५-७० । या. १०.४५ इञ्च । भाषा-हिन्द । विषय विविध । र०कालX । लेकालxपूर्ण । वेष्टन संग २१५ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ६४८५. वृद विलास--कविवृन्द । पत्र सं० १५ । आ० १०x४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय कवि द की रचनाओं का संग्रह । २० काल x | ले०काल सं १८४२ चैत्र सुदी २५ पूर्ण । वेष्टन सं० १४३२ । प्राप्ति स्थान-१० दि. जैन मन्दिर अजमेर । ६४८६. शास्त्रसूची-X । पत्र सं०१०। भार-हिन्दी। विषय-सूची। र० काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१२-१५४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों काडूगरपुर । ६४७. शिखर विलास--लालचन्द । पत्रसं० ५७ । प्रा० १०४६३ इञ्च । भाषा--- हिन्दी पद्य 1 विषय-महात्म्य वर्णन । र०काल सं० १८४२ । लेकाल:सं० १३४७ । सं। वेपन सं. + ४०/१०० 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अलबर । ६४८८. श्लोक संग्रह-Xपत्र सं०६ । प्रा० १०४४१ इञ्च । भाषा संस्कृत विषयफुटकर। र० काल X । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३३५। प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। Page #738 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विलास एवं संग्रह कृतियां ] [ ६७७ ६४८६, श्लोक संग्रह:-XI पत्र सं० २४ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ४४०-१६५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का हंगरपुर । विशेष—विमित्र मंथों में से श्लोक एवं गाथाए' प्रश्नों के उत्तर देने के लिए संग्रह की गई है। ६४६०. श्रावकाचार सुचनिका-४ । पत्रसं०५ आ०११४४ इन्च । भाषा-हिन्दी । यषय--सूची । २० काल x : काल X । पूर्ण । धन सं० १४८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। विशेष-श्रावकाचारों की निम्न सूची दी है। १, रत्नकरण्ड श्रावकाचार समन्तभद्र लोक सं० १२५ २. श्रावकाचार वसुनन्दि ३. चरित्रसार चामुण्डराय ४. पुरुषार्थसिद्धयुपाय अमृतचन्द ५. श्रावकाचार अमितिगसि ६. सागारधर्मामृत प्राशावर १२६२ ७. प्रानोसरोपासकाचार सकलकीत्ति ॥ १४६५ ६४६१. यम विलास-x। पत्रसं०१०। भाषा-हिन्दी। विषय-संग्रह । १० काल XI से काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६.६२. शील विलास-x। पत्र सं० २०। प्रा० १२६४५१ इम्प । भाषा संस्कृत । विषय-सुभाषित ! २० फाल X । ले० काल सं० १८३० चैत्र सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२१६ । प्राप्ति स्थान-भद्रारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर । ६४९३. पशिति-X । पत्रसं० १० प्रा० १०x४, इच। भाषा-संस्कृत । विषयविविध । र. काल x । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३८1 प्राप्ति स्थान--भ दि जैन मन्दिर अजमेर। ६४६४. षट्त्रिंशतिका सूत्र-४ । पत्र सं० १-७ 1 आ०११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-फुटकर । र०काल ४ । लेबकास X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १८२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर। ६४६५. प्रति सं० २। पत्र सं० ५ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १८३/४२३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष- तेजपाल ने प्रतिलिपि की थी। ६४९६. षटपाठ-x पत्र सं० ४६ । प्रा० १२४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य)। विषयसंग्रह । २० काल X । ले०काल सं० १९३६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खंडेलवाल पंचायती मंदिर अलवर। विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैदर्शन पच्चीसी, बुधजन छत्तीसी, वचन बत्तीसी तथा अन्य कवियों के पदों का संग्रह है। Page #739 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७८ ] ६४६७. सम्भाष एवं बारहमासा - X हिन्दी निर्णय स्फुट २० काल X जे० काल X जैन मंदिर बोरमली कोटा । 1 ६४६८. सर्वधा - सुन्दरदास पत्र० ६ ० १०३६ इच भाषा - हिन्दी विषयर०काल X ले० काल X पूर्ण वेष्टन[सं० २ प्राप्ति स्थान दिन छोटा मन्दिर अवाना। विशेष- २७ सर्वा तथा ३३ प हसाल छंद के हैं । पत्र [सं० ७ ० पू० सं० २६० ६४EE. सारसंग्रह सुरेन्द्र भूषण विषय-पूजा २० काल X ले काम मन्दिर चौगान व दी ww [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ] पत्र] [सं० १ ० १०x४ इंच भाषापूर्ण बेन सं० २४० प्राप्ति स्थान दि० ६५००. सुखबिलास - जोधराज कासलीवाल । पत्रसं० २४२ । आ० १३४८ इव । माया हिन्दी पथ | विषय सूक्ति संग्रह र०काल सं० १८५४ मंगसिर सुदी ५ । ले० काल x ३ पूणं । वेन सं० २३ २१ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर वर ६५०१. प्रति सं० २०७७ १ ० १३५० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ३२/६० प्राप्ति स्थान दि०जैनमन्दिर भादवा (राज०) | ६x४ एवं भाषा-संस्कृत प्राप्ति स्थान- दि० जैन पार्श्वनाथ विशेष रुवि की विभिन्न रचनाओं का संग्रह है। ०६४० ६४५ ६५०२. संग्रह - X भाषा हिन्दी विषय-संग्रह ०काल X। ले० काल X। पूणं । चेष्टन सं० ५८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पंचायती दूनी ( टोंक ) । विशेष जैन एवं जैनेतर विभिन्न ग्रंथों में से मुख्य स्थलों का संप है। ६५०३. संग्रह ग्रन्थ- x ३ पत्रसं० ७ । प्रा० १०x४] इथ | भाषा संस्कृत विषय - संग्रह २० फाले० काल x पूर्ण न सं० ३१० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान दी। विशेष - विविध विषयों के श्लोकों का संग्रह है । ६५०४ संग्रह ग्रन्थ- X वेष्टन ०६४ प्राप्ति स्थान १. मदनपराजय २. जानरवरोध अन्तिम एन० १५० १०x६३ इ ले०काल सं० १२२० । दि० जैन मन्दिर मागदी बूंदी | हिन्दी अपूर्ण चरणदास रणजीत हिन्दी । पू । ८० काल सं० १८६६ । ― सुखदेव गुरु की दया सु साथ तथा सुजान । चरणदास रजीत ने कह्यो सरोदे ज्ञान || बहरे में मेरी जनम, नाम रणजीत बसानो मुरली को सुत जान जाति दुसर पहचानो ।। Page #740 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विलास एवं संग्रह कृतियां ] [ ६७६ बाल अवस्था मांहि वहुर दली में प्रायो । रमति मिले सुखदेव नाम चरणदास कहायो ।। इति ज्ञान सरोदो संपूर्ण सं० १८६६ को साल में बनायो । गुलोय में प्रतिलिपि हुई। ३. बारह भावना ४. अन्नात्रिम बंदना ५. बच पंजर स्तोत्र ६. श्रुतवोध टीका त्रि ८. प्रस्ताबिक श्लोक १. दशलक्षरण मडल पूजा १०. फूटकर श्लोक ११, चतुर्गति नाटक--अलूराम । प्रादि भाग अरिहंत नमू सिरनाय पुनि सिद्ध सकल सुखदाई । अनारज के गुन गाऊ पद उपाध्याय सिरनाऊ । सिरनाय सकल उपाधि नासन सर्व साधू नमू सदा । जिनराय भाषित धर्म प्रणम् विघन व्यापं न हूँ कदा । य परम मंगल रूप चवपद लोक में उत्तम यही । जब नटत नाटक जगत जीय केयक पर तक्षक सही। शन्तिम ई विधि जीव नटवा नाच्यो, लख चौरासी र म राख्यौ । इक इक भेष न माही, नाचि काल अनंत गुमाहि ।। बीत्या अनंतकाल नाचते उधमध्य पाताल में। ज्यों कर्म नाच नचावत जिय नट त्यों नचत बेहाल में । अव छांडि कर्म कुसंग वजिय नचि ज्ञान नृति बेहाल में । थिर रूप डालूराम गहि ज्यो होय सिव के सुख अम्ने । १२. बाईस परीषह हिन्दी। वि० लाल ने पार्श्वनाथ मन्दिर में प्रतिलिपि की थी। ६५०५. संग्रह स्थ-x। पत्र सं० २ । आ० ११४५ इञ्च । ले फाल: । पूर्ण । बेष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पाश्वनाथ चौगान ब'दी। विशेष---चौदह कला, पच्चीस क्रिया आदि का वर्णन है। ६५०६. स्फुट पत्र संग्रह- ४ । पत्र सं० १५। पा० ८३४६३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-सूगाषित । र०काल X । लेकालर । पुर्ण । वेष्टन सं० ३३८-१३२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मदिर कोटहियों का डूगरपुर । Page #741 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम माग ६५०७, स्फुट पाठ संग्रह-XI पत्रसं०५६ । प्रा०६४४ इंच 1 भाषा-हिन्दी । विषयसंग्रह । २० काल X । ले. काल सं०१८२० । अपूर्ण । वेष्टनसं०४४। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवान जी कामा। विशेष—विविध पाठों एवं कथानों का संग्रह है। ६५०८, स्ट' संग्रह-X । , २२ । भाषा--हियौ । विषय-सांग्रह । र० काल ४ । ले०काल ४ । पूर्ण । बेष्टन ४४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष—निम्न पाठ हैं। बाईस परोषह वर्णन, कवित्त छड़छाला, उपदेश बत्तीसी तथा कृपया पीसी हैं। Page #742 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय --नीति एवं सुभाषित ६५०१. प्रभर बावनी--केशवदास (लावण्यरत्न के शिष्य) । पत्र सं० १५ । ग्रा० १०x ४१ इंच । भाषा हिन्दी पञ्च । विषय-सुभाषित । र०काल सं० १७३६ सावमा सुदी ५ गुरुवार । ले काल सं. १८६६ वंशास्त्र बुदी ५ ५ पुर्ण । वेष्टन सं०७४ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जन छोटा मन्दिर बयाना । विशेष-पत्र स० १३ से राजुल नेमी बारहमासा केशवदास कृत (से० १७३४) दिया हुया है। शीतकाल सर्वया भी दिया हुना है। अक्षर बावनी को याद अन्त भाग किस प्रकार... श्रादि भाग मोकार सदा सस्त्र देवन ही जिन सेवत पंछित इच्छिल पार्व। सावन अक्षर मांहि शिरोमणी योग योगीसर इस ही ध्यावे । ध्यान में ज्ञान में वेद पुराण में कीरति जाकी सबै मन भाव । केशवदास को दीजिये दौलत भावम् साहिब के गुण गावै ॥६॥ यादव कोटि बस दूरदंत के राजतिराज त्रिखंडमुरारी। होतत्र कोउन मेटि सबै जब देवपुरि खिन माहि उजारी । जोर सरासर जोर कर छवी राति के लेखन लागतकारी । पाल जंजाल कहा करो केशव कर्म की रेख टर नहि टारी १५० अन्तिम वाव अक्षर जोय कर भैया गाऽपध्यावहि मैं भस्म आवै । सतरसौत छत्तीस को श्रावण सुदि पांचै भगुवार कहावं । सुख सौभाग्यनी फौतिन की हुवं बावन अक्षर जो मुरण गायें । 1 लावण्यरन मुरु भुपसावर केशवदास सदा सुख पावै ।। इति श्री केशवदास कृत अक्षर दावनी संपर्ण । ६५१०. अक्षरबावनी-x पत्रसं० १४ । प्रा० १३४७ इन्च । भाषा-हिन्दी 1 विषयसुभाषित । २० काल x | ले०काल x | पूर्ण । वेषन सं० २१६। प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-पत्र से धागे अध्यात्म बारहखडी है। ६५११. प्रङ्क बत्तीसी--बन्द । पत्र सं०३। आ०१०x४६ इन्च । भाषा -हिन्दी । विषयसुभाशित । र०काल स. १७२८ । ले०काल X । पूर्ण वेटन सं० २६० । प्राप्ति स्थान -दि.जैन मन्दिर पाश्वनाथ इन्दरगढ़ (कोटा) विशेष-मादि अन्त भाग निम्न प्रकार है Page #743 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८२.] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग प्रारम्भ बोमंकार अपार है जाको धरिये ध्यान । सबै वस्तुकी सिद्धि र अरु घट उपजे ज्ञान । कथा काग्निनि कनक सों मति बांध त हैन । ए दोऊ है अति बुरे पन्ति नरक में देत।। अन्तिम क्षिनक मांझ करता पुरुष करन और सौ और । जनम सिरानी जात है छोडि चन्द जग और ॥३५॥ संवत सत्रह से अधिक बीते बीयर पाठ। काती बुदि दोहज को कियो चन्द इह पाय ॥३६॥ पारवनाथ स्तुति भी दी हुई है। ६५१२ इन्द्रनंदिनीतिसार-इन्द्रनंदि । पन सं०६ । मा १२४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय..नीति । २०कालXI कालX । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६०/७१ प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६५१३. प्रतिसं० २। पत्र स०७ । ले०काल XI पू । बटन स० २६१/41 प्राप्ति स्थान-दि जैन गंभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६५१४. प्रति सं०३ । पत्र स०७ । लेकाल X । पूर्ण। वेष्टन स० ३६२/६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६५१५. उपदेश बावनी--किशनदास । पत्र सं० ११ । प्रा० १०५४५ च । भाषाहिन्दी पच । विपय-सुगाषित । र. काल सं० १७६७ पासोज सुदी १०ले. काल सं० १९५० । पूर्ण । वेष्टन सं० २१४, ८६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर कोटडियों का हूगरपुर । विशेष - श्रीय संघराज लोकांगछ सरिताज गुरु, तिनकी कृपा ज कविताइ पाइ पावनी । संवत सत्तर सतराहे विजय दशमी को, नथ की समापत भद है मम भावनी।। साथ बीस ग्यांनमा की जाइ श्री रतनबाई, तज्यो देह तापें एह रची पर बावनी। मत कीन मति लीनी तत्वों ही रूची दीनी, वाचक किशन कीनी उपदेश बावनी ।। ६५१६. उपदेश बीसी-रामचन्द ऋषि । पत्र स० ३ । आ० १०३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सभाषित | र०काल सं० १९०८ बैशाख सुदी ६ । ले० काल सं० १८३६ चैत्र बुदि । पर्या। वेस्टन स. १६४। प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। Page #744 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निती एवं सुभाषित [ ६५३ अंतिम--. संमत अटारनीस पाठ, वैसाख सद कहै छै छ। युज जैमलजी रा प्रताप, सीवरी माई कहै कैरीष राबचन्द । छोडो रे छोडो संसार नो फंद, तू चेत रे ।। (दीवरा पेठ तुरकपुर माहे सीखी छ । दसकन सरावक देला कोठारी रा है। ६५१७. ज्ञानचालीसा-४ । पत्र सं० २२ । श्रा० x ४३ इन्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-सुभाषित । २० काल x । ले०काल सं० १९१५ बैशाख बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११२५ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ६५१८. ज्ञान समुद्र-जोधराजा । पत्रसं० ३७ । आ० १०१४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-सुभाषित । र०काल सं १७२२ चैत्र मुदी ५ । ले० काल सं० १७५२ चैत्र बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं. ३६२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना (दूदी) विशेष- हिण्डोली ग्राम में प्रतिलिपि हुई थी। ६५१६. चतुर्विधदान कवित-व्रह्म ज्ञानसागर । पत्र सं० ३ । प्रा०६६x४३ शश्च । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-स्भाषित। र०काल x | ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १-१५० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-दान, प-न्द्रिय एवं भोजन सम्बन्धी कविल हैं। ६५२०. चाणक्य नीति-चाणक्य । पत्र सं० २० । मा०७१x१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-नीति शास्त्र । र०काल-ले०काल सं० १८६६ । पूर्ण । वेटन सं०७.1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर टोडागसिंह (टोंक) ६५२१. प्रति सं० २ । पत्र में० २४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन तेरहांची मन्दिर बसदा । ६५२२. प्रति स. ३ । पत्र सं० १६ । प्रा० १०४ ४३ इञ्च । ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६३ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मंदिर कोटयों का मरणवा । ६५२३. प्रति सं० ४ । पत्र सं०७ । प्रा० ५ X४ इश्च । । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८३ 1 प्राप्ति स्थान - दि० जन मन्दिर कोटड़ियों का हूनरपुर। ६५२४. प्रतिसं०५ । पत्र सं० ११ । प्रा० १.३४५ इञ्च । ले०काल X । भपूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा 1 विशेष-११ से प्रागे पत्र नहीं हैं। ६५२५. प्रतिसं०६। पत्र सं० १२ । प्रा० ११४४३ इञ्च । ले०काल सं० १५९२ 1 पूर्ण । वेधन सं० १५२/६० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति संवत् १५६२ वर्षे आश्वन बुदी १ शुभे लिखितं चाणायके जोशी देइदास । शुभमस्तु । नीचे लिखा है Page #745 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८४ ] [ सूची-पंचम भाग प्राचार्य श्री जय कीर्ति तत् शिष्य ब्रह्म संवराज इद पुस्तकं । ६५२६. प्रति सं०७ । पत्र सं० १०। मा० १२४५ इच। ले. काल x पूर्ण। येष्टन सं० ८८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी बूदी। विशेष-वृहद एवं लघु चारणक्य राजनीति शास्त्र है। ६५२७. प्रति सं० ८ । पत्र सं. ७८ । आ० ४.४४ इञ्च । लेकाल २०१७५४ आषाढ खुदी १२ 1 पूर्ण । वेष्टन में० १६६ । प्राप्ति स्थान --- दि जैन मन्दिर नागदी बुदी । ६५२५. प्रति सं० सं० १५ । प्रा० १०० ४५ इन्च । ले. काल सं०१९७३ पौष सुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६५२६. प्रति सं० १०। पत्रसं० ३-२३ । ना० १०४५६ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२६-१२२ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर कोटडिनों का झंगरपुर । ६५३०. जैनशतक-भूधरदास । पत्र सं० ६-४० । प्रा० ६ x ४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-समाधित । र०काल सं० १७८१ । ले० काल सं० १९२८ । अपूर्ण । वेष्टन सं०६६ प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ६५३१. प्रतिसं०२। पत्र सं० २ मा ११४ ६ इञ्च । ले० काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं.४३२-२३८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६५३२. प्रति सं०३ । पत्र सं० सं० १४ । ग्रा० १० x ५६ इञ्च । लेकाल सं० १८४७ प्राषाढ बुदी ३ । पूगी । वेष्टन सं० २६८ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-लिखामित सेरगढ़ मध्ये लिखि हरीस्यय टोंग्या श्री पार्श्वनाथ चैत्याल लिसापितं । पंडित जिनसास जी पठनार्थ । ६५३३. प्रति सं०४ । पत्रसं० १७ । प्रा. १०४५ इञ्च | ले. काल सं० x । पुर्ण । वेष्टनसं० ३११ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ६५३४. प्रति सं०५ । पत्र सं० १८ । प्रा० १.४५ इश्व । लेकाल सं० १९४०। पूर्ण विष्टन सं०३-२। प्राप्ति स्थान–वि. जैन पंचायती मन्दिर दनी (टोंक) , विशेष-श्री हजारीलाल साह ने अष्टमी, चतुर्दशी के उपवास के उपलक्ष में दूनी के मन्दिर में चढाई थी। ६५३५. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० १८ । प्रा० १३४७ इञ्च। ले० काल सं० १६४४ भादवा बदी ५। पूर्ण । वेशन सं०११०। प्राप्ति स्थान--दि० जेन पंचायती मन्दिर दनी (टोंक) विशेष.-पूस्तक किसनलाल पांडया को है। ६५३६. प्रति सं०७ । पत्र सं० २० । प्रा० ११४४३ इन्च । ले. काल सं० १६३६ द्वितीय सावण बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५१ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर कोटयों का नणवा । विशेष- अग्रवालों के मन्दिर की पुस्तक से उतारा गया है। ६५३७. प्रति सं० ८ । पत्र सं० १८ | प्रा. ६X५५ इञ्च । लेकाल सं० १९३५ । पूर्ण । देवन सं०३३ । प्राप्ति स्थान-दि.जैन मन्दिर नागदी दी। Page #746 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीति एवं सुभाषित ] [ ६८५ ६५३८. प्रतिसं०६ । पत्र स'०३-१६ । श्रा० १०४६ इञ्च । ले. काल सं० १९१० । अपूर्ण । वेषन स० २६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पाश्वनाथ मन्दिर बूदी। विशेष-नगर भिलाय में प्रतिलिपि ई थी। ६५३६. प्रतिसं०१०। पत्रसं० ३१ । आ. १० x ५ इञ्च । ले० काल: । पूर्ण वेष्टन सं० १५४ । प्राय सबान- दिनारयानमा महिला नजान ली। विशेष . इसके अतिरिक्त धानतराय बृत नरवाशतक भी है। ६५४०. प्रतिसं० ११ । पत्र सं० १६ । ग्रा० ११ x ५३ श्च । से०काल ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ६५४१. प्रतिसं० १२ । पत्र सं० १२ । या० १३ X ६ इञ्च । ले०काल सं० १८१८ । पूर्ण । जीणं । वेष्टन रा० ७२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पापर्वनाथ मंदिर टोडाराबसिंह (टोंक) . ६५४२. प्रति सं०१३ । पत्रसं० १८ | प्रा. १०.४५६ इञ्च ! ले. काल ४ ! पूर्ण । वेष्टन सं० १०८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ६५४३. प्रति सं० १४ । पत्रसं० १७ । प्रा० ११४ ६ इञ्च । ले०काल सं० १७८७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६५-१२१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारासिंह (टोंक) ६५४४. प्रति सं० १५ । पत्र सं० १७ । प्रा० ५४४ इञ्च । लेकाल सं० १८४३ । पूर्ण 1 वेन सं. १६५-७२ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर कोटड़ियों का डूंगरपुर 1 ६५४५. प्रतिसं० १६ । एत्रसं० १२ । प्रा० १२४ ८ इञ्च । ले०काल स. १६४६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा) ६५४६. प्रति सं० १७ । पत्र सं० ८१ । ले०काल सं० १७६१ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । विशेष-गुटका में है। ६५४७, प्रति सं० १८ । पत्र सं०८ ! प्रा० १०३४५ इच। ले०काल ४ । वेष्टन सं० ६५२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ६५४८, प्रतिसं० १६ । पत्रसं० १२ । आ० ६४७ इञ्च । ले०कान सं० १६६६ । पुर्य । वेधन सं०६७० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६५४६. प्रति सं० २० । पत्र सं० १८ । पा० ११ x ५ इन्च । ले०काल सं० १८५६ । वेष्टन सं. ७२५ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ६५५०. प्रति सं० २१ । पत्रसं० १५ । मा० १२४५ इञ्च । ले०कास स. १८८५ साबण मुदी १३ । वेष्टन सं० ६०९ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-दीवान संगही अमरचन्द खिन्दुका दसवात हबचन्द अग्रवाल का। ६५५१. जन शतक दोहा-४ । पत्र सं० २ । या० १०२४४३ इञ्च । भाषा हिन्दी पद्य । विषय-सुभाषित । र०काल ले. काल ४ । पूर्ण। बेष्टन सं० १६६। प्राप्ति स्थान-दि जैन पार्श्वनाथ मंदिर चौगान दूदी। Page #747 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८६ ] ६५५२. देशना शतक - X विषय-कुमारिका x ० का जैन वाल मंदिर उदयपुर । विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार हैश्रीमच्छे उपाध्याय श्री लालचन्द मित्रतं । सं० १७६१ वा सुदी २ सोम श्री उदयपुरेद्र भूयात् । ०४ हिन्दी X | पत्र वेन सं० ७० प्राप्ति स्थान विद्या भपण समुद्र जल भयो भोकारा | उत्तर पथ मे देवगत पार नहीं पृथ्वीराज २६।। कीयु कीजे साजना भीउन भाजे ज्यांह | ६५५३. दोहा शतक - काल X। पूर्ण जाकंठ पयोहरा दूध न पाणी त्यांइ ॥ ५॥ किहां कोयल किहो व वन फि ददुर किहां मेह बिसारिया न फिरे गिखां तस्गा सनेह ॥ ६१ ॥ करण काठी तु भादवे मोती मामो जरित । तृण बहुउद्देशीका विडीया निरत ॥७१॥ विषय - सुभाषित | र०काल x मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी | पत्र सं० ० १७६१ । ले० काल ६५५५. धर्मामृत सूक्ति संग्रह -X fare सुभाषित | र०काल X ते कास X पंचायती मन्दिर करौली । ६५५४. दृष्टान्त शतक कुमुमदेव पत्र ० ६ ० १० X ४३ इव भाषा–संस्कृत - | | पूर्ण वेष्टन सं० १२८ प्राप्ति स्थान दि० जैन . I संस्कृत विषय नीति जैन वाल मंदिर उदयपुर १८ | आ० १० X ४३ पूर्ण वेष्टन सं० १२३ शिव्य वा. भी सं (सो) भागी तत् शिष्य ६५५६- नवरत्न वाक्य - X पत्र सं० १ ० १ सुभाषित ५० काम X ले० का X पूरा वेष्टन सं० २३५ दलाना बूंदी) विशेष – विक्रमादित्य के नवरत्नों के वाक्य हैं। [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग इव । भाषा – प्राकृत । प्राप्ति स्थान दि० (य) त्रिषण का दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा | ६५५७. नसीहत बोलपत्रसं० ५० १२३ सुभाषित १० काल X ने काल X पूर्ण मन्दिर अजमेर वेष्टन सं० १३५६ पत्र० ७ ० १०८४३ भाषा-संस्कृत पूर्वं वेष्टन ० ५९ प्राप्ति स्थान दि० जन वामृतप्रा० सोमदेव १०का ४ ० काल X ६५५८. नीति मंगरी- XI पत्र० ६ ० १२ २३ सुभाषित । २० काल X। ले० काल x । पूई । वेष्टनसं० ६६९ | प्राप्ति लश्कर, जयपुर 1 ६५५६. नीति ४३ इव भाषा संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ५३ इस भाषा हिन्दी विषयप्राप्ति स्थान- भ० वि० जैन — पत्र [सं० २० प्रा० पूर्ण बेटन सं० १४७ भाषा हिन्दी प० विषयस्थान - दि० जैन मंदिर १२४४ ६ भाषाप्राप्ति स्थान दि० Page #748 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नौति एवं सुभाषित ] [ ६८७ ६५६०. नीति श्लोक-४। पत्र सं० १-११,१७ । प्रा०१३-४ इ'छ । भाषा-संस्कृत । विषय-नीति । र काल x | लेकाल ४ | अपूर्ण । वेष्टन सं० १.१ प्राप्ति स्थान-दिल जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ६५६१. नीतिसार-पा० इन्द्रनन्दि । पत्रसं० ८ । आ० १२४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-नीति २०काल x ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । लेखक प्रशस्ति-संवत्सरे वस वारण यमि सुधाकर मिते १७५८ वृद्रावतीनगरे थी पाश्र्वनाथ चैत्यालये थी मुलसधे नंद्यालाये बलात्कारग? सरस्वतीगन्छ मुदकुदाघार्यान्वये भ. श्री नरेन्द्रकीतिरतचिन्द्रष्य प्राचार्यधयं ५ श्रीमद्रयभूसण शिष्य पंडित जी ५ तुलसीदास शिष्य बुध तिलोकचद्रेरणेदं शास्त्र स्वपठनार्थ स्वयुजेन लिखित । ६५६२. अतिसं०२। पत्र सं० १२ । भा० १०६x४२ इन्च । मे काल सं० १८५० चष मास सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७ ! प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लपकर, जयपुर । ६५६३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १४ । प्रा० ६ x ५६ इञ्च । ले०काल •X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६५६४. प्रति सं०४ । पत्रसं०६1 आ० ११३४५६ । ले०काल सं १९७१ । पूर्ण । येष्टन सं० २०० । प्राप्ति स्थान---भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ६५६५, नंद बत्तीसी--नंदकवि । पत्रसं० ४ । प्रा० १०x४३ इंच । भाषा-संस्कुत । विषय-- नीति । २. काल ४ । ले०काल सं० १७८१ मावन सुदी १०। पूर्ण । वेष्टन सं०१३। प्राप्ति स्थानदिजैन लेरहपंथी मन्दिर दौमा । विशेष---नीति के लोक हैं। ६५६६. परमानंद पच्चीसी-x | पत्र स०२। प्रा१०x४, इव । भाषा-संस्कृत विषय-सुभाषित । २० काल X । ले०काल x : पूर्ण । वेष्टन सं० १२-४४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ६५६७. पंचतन्त्र--विष्णुशर्मा 1 पत्र सं०६१ । प्रा०१०x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-नीति शास्त्र । र०काल | ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन रा० १७६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ६५६८. प्रति सं०२। पत्र सं०१८ । ग्रा०१०x४६च । लेकालX । प्रपर्ण । धेष्टन सं० २६६/५८४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । .६५६६. प्रतिसं०३ । पत्रसं० २३ । या० १२४ ६ इञ्च । ले. काल सं० १८५६ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष सहभेद तक है। ६५७०. प्रति सं०४ । पत्र सं० १०२ । प्रा० १०३४ ४ इश्च । ले. काल x 1 सपूरणं । वेष्टन सं० २७७ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । Page #749 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८८ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-१०२ से आगे पत्र नहीं हैं। ६५७१. अतिसं०५। पत्र सं० १२३ । आ.१०४५ इञ्च । ले०काल सं० १९४४ प्राषाह सुदी ६। पूर्ण । वेष्टन सं०५०! प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजहमल (टोंक) । विशेष-दौलतराम बघेरवाल शास्त्र घटायो पंचाख्यान को सहर का हामलक हाडौती सहर कोटा को लाइपुरो राज राणावतजी को देहरो श्री शांतिनाथजी को प्राचार्य श्री विजयकीर्ति ने घटायो पंडिता नानाछता । ६५७२. प्रतिसं०६। पत्रसं० २३ । प्रा०१२x६ इञ्च । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं. ७३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूदी। ६५७३. प्रति सं०७ । पत्रसं० ११२ । प्रा. १० x ४ इञ्च । ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं० १२ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मदिर। ६५७४. पयाख्यान (हितोपदेश)-x। पत्र सं० ८३ । पा. १० x ५ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय -नीति शास्त्र । र०काल x । ले. काल सं० १८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८२/३.1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ इंदरगढ़ (कोटा) विशेष-ऋषि बालकिशन जती ने करघर में प्रतिलिपि की थी। मिः भदै प्रथम तन्त्र तक है। ६५७५. प्रज्ञाप्रकाश षट्त्रिंशका रूपसिंह । पत्रसं० ४ । प्रा०६३४३ इच। भाषासंस्कृत । विषय-भाषित । २० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२४ । प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ६५७६. प्रश्नोत्तर रत्नमाला-प्रभोधहर्ष । पत्र सं० ३१ आ. १२४४ इञ्च । भाषासंस्कृत ! विषय- सुभाषित । र० काल X । ले. काल सं० १६१६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८५८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर। प्रशस्ति - संवत् १६१६ वर्षे पौष खुदी २ दिने स्वस्ति श्री अहमदाबाद शुभ स्थाने मोजमपुर श्री यादिजिन चैत्वालवे लिखितं । न० सकराजस्वेदं । ६५७७, प्रश्नोत्तर रत्नमाला - अमोघहर्ष । पत्र स'०४ । प्रा० १०३ ४५ इश्च । भाषासंस्कृत । विषय-मुभाषित : र०कालX । लेकाल सं० १६१७ फाल्गुण बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं०७८ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-- बागडदेश के सागवाष्ठा नगर में थी आदिनाथ जिन चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। ६५७९, प्रतिसं० २१ पत्र सं० २ । प्रा० ११४४३ इञ्च ! ले०काल X । वेष्टन सं० ७८ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ६५७६. प्रश्नोसर रत्नमाला-बुलाकोदास । पत्रसं० २ । मा० १०x४३ इस । भाषासंस्कृत । विषय-मुभाषिन । र०काल X । ले०काल x ! पूर्ण । देष्टन सं० ११० । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर पाश्र्वनाथ चौगान बेदी।। ६५८०. प्रश्नोत्तर रत्नमाला--विमलसेन। पत्र सं० २ । आ. xv३ इञ्च । भाषा-- संस्कृत | विषय-सुभाषित । । १० काल x । ले०काल x 1 बेटन सं०१८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर। Page #750 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीति एवं सुभाषित ], ६५८१. प्रश्नोत्तर रत्नमाला - विषय सुभाषित र० काल X से० काल X - | | 1 मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। विशेष—प्रति जीर्ण शीर्ण है । । ६५८२. प्रस्ताविक श्लोक - X। पत्र [सं० २२ श्र० ११४ | विषय सुभाषित र० काल X | ले० काल सं० १८८० मंगसिर सुदी २ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । पत्र सं० ५७० १६ पूर्ण | ६५८३. प्रस्ताविक श्लोक - X पत्र सं० २४ | हिन्दी विषय - सुभाषित १० काल X जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । 1 ले-काल X पूर्ण [ ६८९ भाषा–संस्कृत | नेम सं० १०४ प्राप्ति स्थान दि० जैन । - - इस विशेष सूक्तिमुक्तावली का पद्यानुवाद है । १ ७ € पूर्ण ६५८८. बावनी- ब्र० मारएक विषय - सुभाषित | र०काल X | जे काल X संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष—प्रन्तिम भाग ६ । ६५८४ प्रस्ताविक श्लोक - x । पत्र सं० विषय सुभाषित २० काल X ले०काल x पूर्ण मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी श्र० ६X ५ इत्र भाषा – संस्कृत । बेटन सं० ५४ प्राप्ति स्थान दि० जन भाषा संस्कृत । वेष्टन सं० ४४ । । - X | पत्र सं० २ । आ० १०x४ इश्व | भाषा-संस्कृत । ६५८५. प्रस्तावित श्लोक विषय - सुभाषित र० काल x । ले०काल सं० १०६६ पूर्ण वेष्टन सं० २६ प्राप्ति स्थान दि० जैसवाल मन्दिर उदयपुर । ब्रह्मचारि मरणकद्दम बोलइ 1 संघ सहित गुरु चिरजीबहु || इससे भागे ज्ञानभूषण की बेलि दी हुई है। । ० १०३४४१ इस भाषा संस्कृत वेष्टन सं० ४८९ प्राप्ति स्थान दि० I ६५८६. बावनी- जिनहर्ष । पत्र सं० ४ । मा० १०५ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय ---- सुभाषित र० काल सं० १७३८ । ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं० १७२ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। L ६५८७. बावनी - वयासागर | पत्रसं० २ । ग्रा० २X४१ इव । भाषा - हिन्दी | विषयसुभाषित २० काल x ०कास X पूर्ण देन सं० २०६६ प्राप्ति स्थान- भ० दि० मन्दिर अजमेर। संवत् चंद्र समुद्र कथा निधि फागुण के यदि तीज श्री दयासागर बावन प्रक्षर पूरा की पत्र सं० २-३ । श्र० ६ x ४ इञ्च । भाषा - हिन्दी । पूर्ण वेष्टन सं० ४६२ / २०१ प्राप्ति स्थान - दि० या । कवित्त तेवीया ॥१६॥ Page #751 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६० j [ ग्रन्थ सूची-पंचमभाग अन्तिम भाग-निम्न प्रकार है। सेवकरि सहु संघ सदा जस महिमा मेरु समान । श्री ज्ञानभपण गुरु सइहाथ इथ थाकतु कीजई जान । यमीयपाल साह कर जो ना बोलइ एएा परिमास । स्वामीइ वेलि बलीवलीग तलज गु उत्तम मरोदि उवास ।। इति वेलि समाप्ता । ६५६६. बधजन सतसई-बुधजन। पत्र सं०३१ । आ०११४५१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सभाषित । २०काल सं० १८८१ ज्येष्ठ बुदी ६१ ले. काल सं० १९०६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १११० । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ६५६०. प्रतिसं० २ प सं० ३० । ग्रा० १.१x६३ इञ्च । ले. काल सं० १९३६ चैत सुदी है। पर्ण । येन सं.२१६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर जोरसली कोटा। विशेष-मुकाम चन्द्रपुर में लिखा गया है। ६५६१. प्रतिसं०३ । पत्रसं० २३ । आ. ११३४८ इन्च । लेकालX । पूर्ण । वेहनसं० १८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर अलवर । ६५६२. प्रतिसं० ४। पर सं० २-५ । ले. काल सं० १९५८ । पूर्ण । येष्टन सं. ६ | प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ६५६३. प्रतिसं० ५। पत्र सं० २४ । । लेकाल सं० १९४५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०० । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पचायली मंदिर अलवर । ६५६४. प्रति सं०६ । पत्रसं० ३० । श्रा० ११४७ इञ्च । ले० काल सं० १६६१ । पूर्ण । वेशन सं०४। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर श्री महावीर दी। ६५६५. प्रति सं०७। पत्र स०२६ । या. १०३४७१ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । बेपन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर करीली । ६५६६. प्रतिसं० । पत्र सं० २८ श्रा० ११४५ इञ्च । ले. काल x । पूर्ण। बेष्टन स० ११२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ६५६७. प्रति सं०६ । पत्रसं० १०७ । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर दीवानजी भरतपुर । विशेष--गुट के रूप में है। ६५६८. बुधिप्रकाश रास-पाल। पत्र सं० ३ । प्रा० १०४ ४ इन्च | भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-सभाषित । र.कालXIले० काल X।पूर्ण । बेष्टन सं० १६१। प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर। उद्धरण-- भूखो मति चाल सीयाले । जोमर मति चाल उन्हाले ।। Page #752 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीति एवं सुभाषित ] बांमरण होय पण खावो । क्षत्री होय रिग में भागो जाय ॥२०॥ कामय हो र यो मूर्त । एती वाहीन तोलें ॥२१॥ भानुविसार तो विचार । प्रान माइग्रा संसार || भरपा रजकरो परिवार संजुता ॥२२॥ इति वृधप्रकाश राम संपूर्ण । _६५९६, भर्तृहरि शतक - भर्तृहरि । पत्र सं० ३३ । आ० १०३x४३ संस्कृत विषय सुभाषित २०० काल सं० १८९६ पौष गुदी ७ पूर्ण प्राप्ति स्थान — भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष – १३ व १४ को ६६०१. प्रतिसं० ३ स्थान- उपरोक्त मन्दिर । ६६०० प्रतिसं० २ । पत्रसं० १२ । ५ श्र० १०५ इव । ले० काल x 1 अपूर्ण बेन सं० १२०० प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर । नहीं है। पत्रसं० २० से० काल X पूर्ण सं० १२०२ । प्राप्ति [ ६९१ इश्व | भाषा वेष्टन सं० ६७२ ॥ ६६०२. प्रतिसं० ४ ० २७ ०६४ इन्च । ले०काल सं० १७२९ । पूर्ण वेष्टनसं०] १३२८ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | ६६०३. प्रतिसं० ५३ पत्र सं० २-४५० काल X अपूर्ण वेन सं० ७७ प्राप्ति स्थान- दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा ६६०४. प्रतिसं० ६ । पत्र संख्या ३५ । ले० काल X। पूर्ण वेन संख्या ७५ प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर हम्डावालों का डीग । विशेष संस्कृत टीकसहित हैं। ६६०५. प्रतिसं० ७ । पत्र सं० २० ॥ श्र० १२४६ इञ्च । ले०काल x । पूरा वेष्टन स १२६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर प्रादिनाथ बूंदी। - विशेष तक शय है। ६६०६. प्रतिसं० पत्र सं० ३५ आ० २ X ५ इन्च से० काल सं० १८०४ । पूर्ण वेष्टन सं० २३५ प्राप्ति स्थान दि० जैन पानाथ मन्दिर चौगान बूंदी। विशेष— मूल के नीचे गुजराती में अर्थ भी है। ६६०७. प्रतिसं० १ पत्र सं० २१ बुदी पूर्ण वेष्टन स० १० प्राप्ति स्थान विशेष – गोठडा ग्राम में रूप विमल के ० ११४५ इञ्च ले० काल सं० २०६६ वैशाख दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) शिष्य माग्य विमल ने प्रतिलिपि की थी । Page #753 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६६०५. प्रति सं०१०। पम सं० २४ । प्रा. ११४४ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३६ । प्राप्ति स्थान --- दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। ६६०६, प्रति सं०११। पत्र सं०३२ । प्रा० १२४७१ इश्च । ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) ६६१०. भर्तृहरि शतक भाषा--XI पत्र सं० २६ ! प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-नीति । र० काल X । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर आदिनाथ दी विशेष-गीति शतक ही है। ६६११. भर्तृहरि शनक टीका-४ । सं०पत्र २६ 1 मा० १११४५३ इञ्च । भाषा--- संस्कत । विषय-नीति । १० काल x। लेकाल स. १८५६ । पूर्ण । वेष्ठनसं. २३१ । प्राप्ति स्थानदि जैन पाश्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) विशेष-भत हरि काव्यस्यटीका थी गठकेन विदधेभ्यनसार नाम्ना । कटीका--x । पत्रसं० ४६ । भाषा-सस्कृत । विषय-सुभाषित। र०काल X । ले०कान x ! पूर्ण । थेटनसं० ७५८ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर ! ६६१३. भर्तृहरि शतक भाषा---सवाई प्रतापसिंह । पत्रसं० २३ । प्रा० १३४ ५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । र. काल X । ले० काल स. १८६२ । पुर्य । वेष्टन सं० ४५१ । प्राप्ति स्थान . भादि जैन मन्दिर अजमेर। ६६१४, मनराज शतक-मनराज । पत्र सं०७ । प्रा० १२ x ५ इञ्च । भाषा -हिन्दी । विषय-सभाषित । र०कालX । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६८/२५७ प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभव नाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष- अन्तिम भाग--- समय सुजावन समय धन समय न बारबार । सलिल बहेति सुरतिकरि इह क्षुदवाति गयारि । समयादेतुमसंकि लधि सुप्रीलि जु कसी। एहनी गुणी थिरु नहि चपल गजकन्नह जसीं । पंडित कू' मुख देखि अधिक हुसि साज करती । प्रधम तरणा धारे महि दास जिम नीर भरती। इम जाणि समुन'कुसुय इह जग जुट्टिसि नवि भली । श्रीमानु कही नसि सगलो हो कहु कोई सघर चली ।। कुल ३-४ पद हैं। ६६१५. मरण करंडिका-X । पत्र सं० १३० । प्रा०१०४५ इञ्च । भाषा-सस्कृत (पा)। विषय-सुभाषित 1 10 काल x | ले. काल सं० १६२७ । पूर्ण। घेष्टन सं० ८ । प्राप्ति स्थान–दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर 1 विशेष-सं० १६२७ भादवा सुदी ३ गुरी दिने सागवाड़ा ग्रामे पुस्तिका लेखक श्री राजचन्द्रण। Page #754 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीति एवं सुभाषित ] [ ६६३ । | ६६१६. राजनीति समुच्चय-चारणवथ प०६० १०१x४३६ भाषासंस्कृत विषय नीति र०काल X वे० काल X पूर्ण वेष्टन सं० २६१ प्राप्ति स्थानम० वि० जैन मंदिर यजमेर भण्डार । ६६१७. प्रतिसं० २००काल X पूर्ण येन सं० २०० प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर मजमेर भण्डार । - ६६१८. राजनीति सबैधा देवीदास पत्रसं०] १०० राजनीति | ए०काल XI काल सं० १८३२ वेष्टन जैन तेरहची मन्दिर बराया। आदि ग्रन्त भाग निम्न प्रकार हैं प्रारम्भ श्रतिम X नीतिही धर्म धर्म सकल सीचि नीति आदर सभाति वीषि पायो । नीति तं प्रनीति छ नीतिही सुख लूट नीतिहीत कोश फल बकता कहाइयो । नीति ही राज राजे नीति होते पाया ही नीति होल नोजखंड माहि जल गाइयो । छोटन को बड़ो करें बड़े महा वडे घर' ताराबही को राजनीति ही सुहाइयो । X जब जब गाइ परी दासन को देवीदास जब तब ही श्राप हरि जून कोनी है। जैसे कष्ट नरहरि देव तु दर्शनान ऐसो कौन अवतार दयारत भीनी है। माहानि पेट स्वरूप घर पर ठौर सोती है उचित ऐसी ओर को प्रवीन है। प्रहलाद देतु जानि ता घर के बा आपु पावर के पेट मैं ते अवतार तीनो है ।। १२२ ।। इति देवीदास कृत राजनीति सर्वया संपूर्ण । भाषा - हिन्दी (पद्य) | विषय - ० ६४ प्राप्ति स्थान दि० ६६१९. राजनीति शतक - X पत्र विषय - सुभाषित २० काल ले० काल पूर्ण - मन्दिर लश्कर, जयपुर | ― - ०५ ० ११४५ इन्च भाषा संस्कृत वेष्टन सं० २०६ प्राप्ति स्थान दि०जैन - ६६२०. लघुचाणक्य नीति ( राजनीति शास्त्र ) - चाराश्व । पत्र सं० ११ पा० । ११५ । भाषा संस्कृत विषय राजनीति । २० काल X ० काल X पूर्णं वे० सं० १४३ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर चौगान बूंदी। 1 Page #755 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम गभा विशेष-बुद राजनीति शास्त्र भी हैं। ६६२१. लुकमान हकीम को नसीहत--X । पत्रसं०७५ मा० १२३४५६ इन्च । भाषाहिन्दी। विषय-सभाषित । र०काल x। ले०काल सं० १९०७ श्रावण सुदी ८ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर छोटा बयाना। विशेष... प्रथम पांच पत्र तक लुकमान हकीम की नसीहते हैं तथा इससे आगे के पत्रों में १०० प्रकार के मूखों के भेद दिये हुए हैं। ६६२२.. बज्जवली-पं० बल्लह । पत्र सं०१८ | प्रा. १४३४४ इन्च । भाषा-त्राकृत्त । विषय- सभाषिता । २. काल x लेकाल ५ । पूर्ण । देष्टन सं० १३६१ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ६६२३. विवेक शतक - -थानसिंह ठोल्या। पत्र सं० ६ । प्रा० १०३४६१ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-सुभाषित । र काल X । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ 1 प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मन्दिर कौली । ६६२४, बृन्द शतक-कवि वृन्द । पत्र सं० ४ । प्रा १०३४६३ इच । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय ...सुभापित । र० काल x । लेकाल। अपर्ण । वेष्टन सं० ५६ प्राप्ति स्थान- दि. जैन पार्श्वनाथ मंदिर टोडारायसिंह (टोंक) ६६२५. सज्जन चित्त बल्लभ मल्लिषेण । पत्रसं० ३। आ०१०x४३ इञ्च । भाषा. सांस्कृल । विषय-सुभाषिन । र.. काल X । ले० काल x पूर्ण । वेष्टनसं० ३०६ । प्राप्ति स्थानभः दि० जैन मन्दिर अजमेर । ६६२६. प्रतिसं२। पत्रसं० ३ | या १२५ इञ्च । लेकाल सं० १८०६ कातिक बुदी । गणं । वेग्टन सं. १५६ प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीवाजी कामा। ६६२७. सज्जन चित्तन बल्लभ-x । पत्रसं०३ । ग्रा..X४३ इञ्च । भाषा-संस्कृति । विषय-शुभापित । र०काल' x । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६.७ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जंग मन्दिर जमेर। ६६२८. सज्जन चित्त वल्लभ भाषा - ऋषभवास । पत्रसं०१२ । प्रा० १२४४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य विषय - सुभाषित । र०काल । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान —दि जैन मन्दिर श्री महावीर दी। ६६२६. सज्जनचित्त वल्लभ भाषा-हरलाल । इत्रसं०२२ । ग्रा०१०x४क्ष। भाषा-हिन्दी (मा) । विषय-- सुभाषित ! काल सं० १९०७ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टमसं. ५२-८४ । प्राप्ति 'स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर अलबर।। विशेष---लेखक करौली के रहने वाले थे तथा वहां से सहारनपुर जाकर रहने लगे थे। ग्रंथ प्रशस्ति दी हुई हैं। ६६३०, प्रतिसं० २। पत्र सं० १६ 1 आ० ११३४७ इञ्च । ले काल सं० १९३८ । पूर्ण । वेशन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान---दि अन खडेलबाल मन्दिर उदयपुर । Page #756 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीति एवं सुभाषित ] ६६३१. सप्तव्यसन चन्द्रावल -- ज्ञान भूषण। पत्र सं० १ । हा० १२४४ इन । भाषाहिन्दी । विषय -सुभाषित 1 र०काल ४ । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० २१०-६५८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६६३२. सद्भाषितावली (सुभाषितावलो)-सकलकत्ति । पत्र सं० २६ । ग्रा० १२४ ६ इञ्च । भापा-संस्कृत । विषय-सुभाषित । र०काल X । ले: काल सं० १७०२ फाल्गुन वृक्षी ७ ] पूर्ण । वेशन सं०७१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लरकर, जयपुर । विशेष-महाराजसिंह के शासनकाल में साह पाबू ने अम्बावती गढ़ में लिपि की थी। ६६३३. प्रति सं०२। पत्र सं०२३ । पा.१०:५६ इञ्च । ले० काल सं०१७ । पुर्ण । वेखनसं०७२ । प्राप्ति स्थान-.दि. जैन मंदिर लपकर, जयपुर। विशेष-चम्पावती महादुर्ग में प्रतिलिगि हुई लेखक प्रशस्ति बहुत विस्तार से है। ६६३४.प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३४ 1 ले. काल सं० १६१० । पूर्ण । वेतन सं० १७ । प्राप्ति स्थान----दि० जैन पचायती मंदिर हण्डाबालों का डीग । ६६३५. सभाषितावली- ४ । पत्र सं० १६ । ग्रा० ११३४५६ इञ्च । भाषा--- संस्कृत ! विषय-सुभाषित । २० काल X ! लेकाल ४ ! पूर्ण । वेष्टन सं०६८६ । प्राप्ति स्थान- . दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर ।। ६६३६, सद्भाषितावली-४ । पत्रसं० १-२५ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-सुभाषिन । र०काल x | लेकाल XI पूर्ण । बेष्टन सं० ३४८ 1 प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६६३७. सद्भाषितावली-४ पत्र सं० ४२ । पा०६४५ च । भाषा संस्कृत । विषयसुभाषित । ०काल Xले० काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० २६८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर दीवानजी कामा। ६६३८. सद्भाषितावली-४ । पत्र सं० २६ । ग्रा० ११४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय - सभापित । २० काल x ! ले० काज X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर भादवा (राज) ६६३६. सबभाषितावली-x। पत्रसं० २५ । भाषा-संस्कृत । विषय-सुभाषित । र० काल । ले काल । पूर्ण । वेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन बड़ा पंचायती मन्दिर डीग । ६६४०. सद्भाषितावली भाषा—पन्नालाल चौधरी-- । पत्र सं० ११६ । प्रा० ११३ इस भाषा-हिन्दी (ग)। विषय - सुभाषिल । र० काल सं०१६३१ जेष्ठ सदी । लेकाल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० १५८ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ६६४१. प्रति सं० २ । पत्रसं० १०२ । ग्रा० १३:४७ इञ्च । ले-काल सं. १६४६ । पूर्ण । वैपनसं०६५। प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर श्री महावीर दी। ६६४२. प्रतिसं०३। पत्र सं० ६१ । प्रा० १३ x ७३ इञ्च । ले. काल सं० १९५२ । पूर्ण । देपन सं०३७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर नैणवा । Page #757 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूचो-पंचम भाग ६६४३. प्रति स० ४। पत्र सं० ६६ । प्रा० १२४७१ इञ्च । ले० काल सं० १९४५ । मूर्ण । वेष्टनसं० २७३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर श्री महाबीर दी। विशेष- इन्दौर में लिखा गया था। ६६४४, सभातरंग --- । पत्रसं० २७ । प्रा०१०x४, ईच। भाषा-संस्कृत । दिषयसुभाषित । र०काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २८७ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६६४५. सारसमुच्चय-- X । पत्रसं० १० । प्रा० ११४५ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषयसुमापित । र०काच X । ले०काल सं. १८८० । पुणं । वेष्टन सं० १४ प्राप्ति स्थान-भ० दिन मन्दिर अजमेर । ६६४६. सारसमुच्चय-x। पत्रसं० २२ । प्रा०१०१४५ च । भाषा-संस्कृत । विषयसुगाषित । २० काल x । लेकाल सं० १६५२ कार्तिक शुक्ला १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४२ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ६६४७. सारसमुच्चय--X । पत्र सं० १६ । प्रा० १०३ ४ ५३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-सुभापित । २० काल-ले० काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ३२८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६६४८. सिन्दूर प्रकरण-बनारसीदास । पत्रसं० २४ । प्रा० १२३ ४ ५३ इञ्च । भाषाहिन्दी पच । विषय:- सुमानित । र०ा XI लेकालX । पुर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थानदि० जन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ६६४६. प्रति सं० २१ पत्रसं० १२ 1 प्रा. ६x६ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । श्रेष्टन मं० ७० । प्राप्ति स्थान-वि० जन मन्दिर सौगानी करौली । विशेष...१८ पत्र से सगयसार नाटक बंधधार तक है पागे पत्र नहीं है । ६६५०. प्रतिसं०३ । पत्रसं० ५-२१ । प्रा०१० ६इच । ले० काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० ७८ । प्राप्ति स्थान --दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । ६६५१ प्रतिसं०४। पत्र सं०१३। प्रा० १०x११ इञ्च । ले० काल सं० १६०८ चैत सुदी १२ । पूर्ण । बेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन छोटा मन्दिर क्याना। विशेष-गणेशीलाल बैनाडा ने पुस्तक चाई थी। ६६५२. प्रति सं० ५। पत्र सं० १४ । प्रा. १०४ ६ इन्च । ले. काल सं० १८६१ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ६६५३. प्रति सं०६ । पत्र सं० १८ | प्रा११४४३:इन्छ । लेकाल - । अपूर्ण । श्रेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति स्थान ...दि जैन मंदिर राजमहल (टोंक) । ६६५४. प्रतिसं०७। पत्र सं० २-२२ । आ०७४ ४३ इन्च। ले०काल सं० १८० । पूर्ण । वेष्टन सं०६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर कोश्यों का नैणवा । ६६५५. प्रतिसं०८।पत्र सं० १५ । श्रा० ११३४५१ । ले० काल x। प्रपूर्ण । बेन सं० २३४.८३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर। Page #758 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीति एवं सुभाषित ] [ ૨૭ ६६५६. प्रतिसं० [सं० २१ प्रा० ११४४ इंच से काल X पूर्ण वेन सं प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर करौली विशेष – प्रति नवीन है । ० १४४ इस ६६५७. प्रतिसं० १० । पत्र सं०२-११ सुदी १५ । अपूर्ण चंदन सं० ८६ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) | विशेष – प्रथम पत्र नहीं है । संवत् १६६ वर्षे भादवा सुदी १५ सोमवासरे श्री बागरा मध्ये पातिवाह की साहिजहां राज्ये लिखितं साहू रामचन्द्र पठनार्थ विजितं वीरवालां । ६६८०१०१६ स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर गुण्डावालों का डीग । ६६६०. सुगुर शतक - जोधराज सुभाषित र०का सं०] १८५२ ० काल x रथी मालपुरा (क} ६६५६. सिन्दूरप्रकरण भावा- पत्र०४१ ० ११४५३६ भाषा - हिन्दी (गद्य) विषयसुरचित २० काल X ले०का X पूर्व वेष्टन सं० १२ प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर नवा । 1 -- पत्र ० ६ पूर्ण काल सं० १७१७ पूर्ण वेष्टन स० २४ प्राप्ति ६६६१. सुबुद्धिप्रकाश थानसिंह पत्र [सं० ७६० ११५ भाषा हिन्दी पद्य। विषय सुभाषित र०कान सं० २०४७ फागुन बुदी ६ ले० काल सं० १६०० पेष्ठ खुदी १३ । पूर्ण वेटन सं० ६३ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर करौली । 1 - ले०काल सं० १६६६ भादवा पत्रसं०] १७ पूर्ण - ० ११५ इव भाषा-हिन्दी विषय न मं० ७३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर I ६६६२ प्रति सं० २ । पत्र सं० १९८० १६४६ व १० काल सं० १२०० कालिक सुदी १ पूर्ण न सं० ५० प्राप्ति स्थान दि० र्जन पचायती मन्दिर बयाना । ६६६३. सुभाषित - X सुभाषित फाल X ले०का X | लश्कर जयपुर । ६६६४. प्रति सं० २ । पत्र ० २५० १०३५ । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ६५९ प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मंदिर अजमेर | ०१४४३ ' पेन सं० ४७० - भाषा-संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ६६६५. प्रति सं० ३ । पत्रसं० १६ ॥ श्र० ८ ४४ इश्व । ले-काल X। पूणं । येन सं० ४६५ प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर | ६६६७. सुभाषित प्रश्नोत्तर रत्नमाला - ० ज्ञानसागर इन्च भाषा संस्कृत विषय सुभाषित | २० काल X। ले० काल x प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ६६६६. सुभाषित दोहा - X 1 X | पत्र सं० २-४२ । ० ६४४ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय- मापि १० काल X ले० काल X पूरी बेटन सं० २७८ प्राप्ति स्थान दि०जैन सुभाषित | । मन्दिर दीवानजी कामा । – जस० १४१ ० १०५ पूर्ण वेष्टन सं० २६१ । Page #759 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९८ ] [अन्थ-सुच्ची-पंचम भाग विशेष--..-सुषित प्रश्नोत्तरमारिणश्यमालामहामथे ३० श्री ज्ञानसागर संग्रहीते वतुर्थोऽधिकारः । ६६६८. सुभाषित रत्नसंदोह-अमितिति । पत्र सं० ११४ । प्रा. ७.४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-सुभाषित । २० काल x 1 ले० काल सं० १५६५ कार्तिक सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं. १२०३ । प्राप्ति स्थान.---.भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ६६६६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ७५ | प्रा० ११३४४३ इञ्च । ले. काल सं० १५७४ मंगसिर सुदी १ 1 पूर्ण । धेष्टन सं० ७४६ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । ६६७०. प्रति स०३ । पत्रसं० ७१ । प्रा० १०.४४१ इञ्च । ले०काल सं० १५६० । पूर्ण । वेष्टन सं०७०६ । प्राप्ति स्थान-भ. दि जैन मन्दिर प्रजमेर । ६६७१. प्रति सं० ४ । पत्र सं०६५। आ० १२४५३ इञ्च । ले० काल स० १९४७ । पूर्ण । धेश्टन सं० १६०० । प्राप्ति स्थान-मा दि. जैन मंदिर प्रजमेर। ६६७२. प्रति सं०५। पत्रसं० ४६ । ले. काल सं० १८२७ ज्येष्ठ बुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । मिशेश-या। राम ने भरतपुर में प्रतिलिपि फरवाई थी। ६६७३. सुभाषिताथली-सकलकीति 1 पत्र सं० ४२ । पा० ६४५ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय--सुभाषित' । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६३ । प्राप्ति स्थान---भ० दि० जैन मंदिर अजमेर। विशेष-ग्रथ का नाम सुभाषित रत्नावली एवं सद्भाषितावली भी है। ६६७४. प्रति सं० २। पत्र झं० २३ । प्रा० ६x४ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४२६ 1 प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर। ६६७५. प्रतिसं० ३। पत्र सं०५१ 1 ग्रा० ११४५ इञ्च । ले०काल सं० १६६७ भादवा बुदी ५। पुस । वन सं० १४६५ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मन्दिर प्रअमेर । विशेष...-मडलाचार्य यश:कीति के शिष्य अ० गोपाल ने प्रतिलिपि की थी। ६६७६. प्रति सं० ४ 1 पत्र सं० २६ । ग्रा० १०१ x ४३ इञ्च । लेकाल. X । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १९३ । प्राप्ति स्थान-- भ.दि. जैन मन्दिर अजमेर। ६६७७. प्रतिसं० ५। पत्र सं० २२ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले. काल सं० १८३२ चैत सुदी १.। पूर्ण । वेष्टन स०१०४१ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष--सिकंदरा में हरवंशदास लुहाड़िया ने प्रतिलिपि करवाई थी। ६६७८, प्रतिसं०६ । पत्र सं०१८ । प्रा०६४ ५६च । ले०काल x । पूरणं । वेष्टन सं० ११०२। प्राप्ति स्थान---भ. दि. जैन मंदिर मजमेर । विशेष-प्रति जीर्ण है। ६६७६. प्रतिसं०७। पत्र सं० २३ । प्रा०११:४५३ इञ्च 1 ले. काल x। पूर्ण। वेष्टन सं. १६६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। Page #760 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीति एवं सुभाषित ] [ ६६८ ६६८०. प्रतिसं०८ । पत्रसं० २१ । आ० १०३४४३ इश्च । ले०काल सं० १५५४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी चू दी। प्रशस्ति -संवत् १५८४ वर्षे आसोज सुदी १५ बुधवार लथत श्री मूलसंधे महामुनि भट्टारक श्री समलकीति देवातस्पटेभ. श्री ५ वयनकोत्ति भ्रात आचार्य श्री ज्ञानकीति शिष्य प्राचार्य श्री रत्न शिष्य मा० श्री यशकीर्ति तत शिध्य ब्रह्म विद्याधर पठनार्थ उपासकेन लिखाप्य दत्तं । ६६८१. प्रति सं०६ । पत्रम. १४ । प्रा० ६४५३ इञ्च । ले०काल सं० १०५६ जेठ सुदी १ । पूर्ण । वेपन सं० ४१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन भन्दिर थी महापौर दी। ६६८२. तिसं० १० । पत्रसं० ६ । प्रा० ६४४१ इञ्च । ले० काल सं० १७४८ माघ शुक्ला ८। पूर्ण । वन सं० ६ । प्राप्ति स्थान---दि जैन मन्दिर आदिनाथ दी। विशेब-५० मनोहर ने आत्म पठनार्थं लिखा था। ६६८३. प्रति सं० ११ । पत्रसं० ४० । प्रा० १२४५ इञ्च । लेकाल । पूर्ण। वेष्टन स. १०। प्रारि: स्थान-दि० जैन मन्दिर पाश्र्धनाथ चौगान दी। ६६५४. प्रति सं० १२ । पत्र सं० २-३७ । प्रा० १०४४ इञ्च । ले० काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ६६५५. प्रति सं० १३ । पत्रसं० ४१ । प्रा० १२४५३ इञ्च । लेकाल सं० १७१८ भासोज बुदी। पूरणं । वेष्टन सं० ३०७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-मोजमावाद में ऋषभनाथ चैत्यालय में पडित भगवान ने स्वयं के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ६६८६. प्रतिसं०१४ । पत्र सं० २२ । प्रा. EX५३ इञ्च । ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन संक १८३-७७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ६६८७. प्रति सं० १५ । पत्र सं० १० । प्रा० १२४५३ इञ्च । लेकाल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ८०। प्राप्ति स्थान—दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। विशेष-प्रति जीर्ण किन्तु प्राचीन है । प्रति की लिखाई सुन्दर है। ६६८८. प्रति सं० १६ । पत्रसं० २५ । प्रा०६१x६ इञ्च । ले. काल सं० १८७६ मंगसिर बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) ६६६६. प्रति सं० १७ । पत्र सं० २४ । प्रा० ११६४५१ इञ्च । ले०काल सं० १८२२ माघ बुदी 55. पूर्ण । वेष्टन सं०५०। प्राप्ति स्थान - दि. जैन पंचायती मन्दिर दीवान जी कामा। विशेष- प्रतिलिपि दिल्ली में हुई थी। ६६६०. प्रतिसं० १८ । पत्रसं० ७६ । ले०काल सं० १७२२ चैत बुदो ४। पूर्ण। वेष्टन सं० ४७। प्राप्ति स्थान-दि. जैन तेरहपथी मंदिर बसवा । विशेष-दौसा में प्रतलिपि हुई थी। ६६६१. प्रतिसं० ११ पत्रसं०१७। प्रा. १०४५६'च । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं. १९१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलना (दी) Page #761 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६६९२. प्रति सं० २० । पत्रसं० ३३ । या x४१ इञ्च । ले०काल सं० १८३१ वैशाख ब्दी ५ । पूर्ण । वेष्टन स. ४३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। विशेष -- भट्टारक धर्मचन्द्र के शिष्य ब्रह्म मेघजी ने प्रतापगढ़ नगर में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में प्रतिलिपि की थी। ६६६३. सुभाषितरत्नालि-x। पत्र सं० १७ । प्रा० EX४ इश्च । भाषा- संस्कृत । विषय-- सुभाषित। २० काल X । ले० काल सं० १७५८ आषाद सुदी २। पूर्ण । वेष्टन सं० १९७ | प्राप्ति स्थान--भ० दि० जन मन्दिर अजमेर । विशेष--पं० सुन्दर विजय ने प्रतिलिपि की थी। ६६६४. सुभाषिताक्ली-कनककीत्ति । पत्र सं०३३ । प्रा० १११ ४५ इञ्च । भाषासंस्वृत्त । विषय-सुभाषित । र० कालX ।ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११० । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा । ६६६५. सुभाषितावली-- । पत्रसं० १४ । श्रा० १०४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कुत । विषय-सुभाषित । २०काल X । लेकाल ४ ।। पर्ण । वेष्टन सं० ४०। प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर। ६६६६. सुभाषितावली--X । पत्र सं० ८ । प्रा. EX४ इञ्च 1 भाषा - संस्कृत । विषय-- सुभाषित । र काल X । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ४६०-२८६ । शप्ति स्थान-दि० जन स भवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६६९७. प्रति सं०२ । पत्र सं० ८ । ले० काल xपूर्ण । वेष्टन सं० ४६१-२८४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६६९८. सुभाषितावली-दुलीचन्द । पत्र सं० १७ । पा० १३४ ८३ इच । भाषा - हिन्दी पद्य | विषय -सुभाषित । र० काल सं० १९२१ ज्येष्ठ सुदी १ । लेकाल सं० १९४६ भादवा बुदी १४ । पुर्ण । वेष्टन सं०६२। प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर। ६६६६. प्रति सं०२। पत्रसं० ७५ । र०काल सं० १९२१ । ले०काल सं० १९५२ । पुणे । वंशन सं. ५४११ प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। ६७००. सभाषिताबली भाषा-खुशालचंद । पत्रसं० २-८५ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय--सुभाषित । र०काल सं० १७६४ सावण सुदी १४ । ले०काल स० १६०२ चैत सूदी ५ । पर्ण । वैन सं०६२। प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष ग्रन्तिम पाठ निम्न प्रकार है बीत राग देवजू कह्यो सुभाषित सय । च्यारि ग्यान धारक गणी रच्यो सुभाषजी। इन्द्र धरणीन्द्र चक्रवर्ति आदिक सेवतु है तीनलोक के मोह को सुदीपक कहायजी ।। साघु पुरुषू' के वैन अमृत सम मिष्ट अन धर्म बीज पावन सुभाषि फलदायजी Page #762 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीति एवं सुभाषित ] [ ७.१ राजिन हितकार जामे सुख है अपार ऐसो ज्ञान तीरथ अमोल चितलायजी। दोहा -- मारास च..श्रावण मास मझार । सृदि चवदसि पूरण भयो इह श्रुत अति सुस्वकार सबलसिंह पंवा तगी नंदन राजाराम । तीन उपदेस में रच्यो थुति स्मशाल अभिराम ॥ इति सुभाषितावलि ग्रथ भाषा सुशालचन्द कृत समाप्तम् । ६७०१. प्रति सं०२। पत्र संख्या ३३ | प्रा०५४४, इश्च। ले०काल सं० १८१२ आसोज दुदौ ११ । पूर्ण । बेष्टन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन सौगारगी मन्दिर करौली । ६७०२. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० ६३ । आ० १०४ ५१ इञ्च । ले०काल स० १८६६ पौष बुदी २ । पूर्ण । वेष्टल सं०१२१। प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करीली। विशेष-हबीलचन्द मीतल ने करौली नगर में पार्षनाथ के मन्दिर में प्रतिलिपि कराई थी। ६७०३. सुभाषितार्णव-शुभचंद्र । पत्रसं० ११३ । मा० ६४४१ इच। भाषा-सस्कृत । विषय-सुभाषित । र० काल ४ । ले० काल सं० १८६६ सावन मुदी १३ । । पूर्ण। वेष्टन सं० ६२-५० । प्राप्ति स्थान दि० जन सौगानी भन्दिर करौली । ६७०४. प्रति सं० २ । पत्रसं० २५७ । ले० काल सं० १९३० । पूर्ण । । वेष्टन सं० ५३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६७०५. प्रति सं० ३ । पत्रसं० ४१ । ग्रा० १०६x४३ इञ्च । ले. काल १७४४ । पूर्ण वेष्टन सं० १६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६७०६. सुभाषिताएंव-X । पत्रसं० ४५ । पा० ११३४ ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - सुभाषित । १० कान X । ले०काल सं० १७८४ माघ सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर दूनी (टोंक) ६७०७. सुभाषितावि --X । पत्रसं० ४६ । प्रा० १२ x ४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--सुभाषित । २० काल X । ले० काल सं० १६०७ भादवा खुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं०७३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर ।। विशेष-चम्पावती महादुर्ग में प्रतिलिपि हुई । लेखक प्रशस्ति बहुत विस्तार पूर्वक है। ६७०५. सूक्ति मुस्तावली-प्राचार्य मेहतुग। पत्रसं० ३ । आ० १४४.४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय काथ्य । र काल x ! ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान - दि० जन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष—महापुरुष चरित्र का मूलमात्र है । ६७०६. सूक्तिमुक्तावली-पा० सोमप्रभ पत्र सं० ८ । प्रा०६३५४२ इन् । भाषा-संस्कृत । विषय-सुभाषित । २० काल x । लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान–० दि. जैन मन्दिर अजमेर। Page #763 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष—दो पंतियां और है । ६७१०. प्रति सं० २ । पत्रसं० ८ । आः १०१.४४ इञ्च । लेकाल । पूर्ण । वैप्टन सं. ११५७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर अजमेर | ६७११. प्रतिसं० ३ । पत्र सं०७ । प्रा० १०- ४ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । देवन सं. १३४० । प्राप्ति स्थान-भदि जैन मन्दिर अजमेर । ६७१२.. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० २८ । प्रा० १०४ ५ इञ्च । लेकाल सं० १७८८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८९ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार । ६७१३. प्रति सं० ५। पत्रसं० ८ । to Ex ४६ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६८ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मदिर अजमेर । बाटीका सहित है तथा प्रति जार्य है । ६७१४. प्रतिसं०६ । पथ सं० १६ । प्रा० १०४५ इञ्च । लेक काल x । पूर्ण । बेपन सं० १८७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ६७१५. प्रति सं०७ । पत्र सं० ११ । आ०६४४ इञ्च । ले. काल x। पुर्ण । वेष्टन स. १४२८ । प्राप्ति स्थान--भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ६७१६. प्रति सं० ८। पत्र सं०६ । श्रा० ११३४५३ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेधन सं० १.१ प्राप्ति कागल... दि. और मन्दिर अजमेर । १७१७. प्रति सं०६ । पत्र सं० १० । प्रा. ११४.४३ इन्च । लेकास सं० १८११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२७४ । प्राप्ति स्थान-भा दि. जैन मंदिर अजमेर । ६७१८. प्रतिसं०१०। पत्रसं० १५ । आ० ११४४ इञ्च । ले. काल x । अपर्ण । वेष्टन सं० २३७/२३२ प्राप्ति स्थान--दि. जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर। ६७१६. प्रतिसं० ११ । पत्र सं० ७ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले० काल सं० १७७८ | अपूर्ण । थेष्टन सं० २५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६७२०.. प्रतिसं० १२१ पत्र सं० १५ । आ. ११.४५ इच। ले. काल सं० १६४७ । पूर्ण । वेष्टनस० १०० । प्राप्ति स्थान --दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है.... संवत् १६४० वर्प याया बुदी ६ दिने लिखित शिथ्य वटीला १० नाथू के पांव गोइन्द शुभं भवतु कल्याणमस्तु । .. ६७२१. प्रति सं० १३ । पत्रसं० १३ । प्रा० १०३४५ इञ्च । ले०काल स. १७२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २११ । प्रादि स्थान--दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष-संवत् १७२६ में सावण सुदी १० को श्री प्रतापपुर के प्रादिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की गई थी। ::. . . ६७२२. प्रतिसं०१४ । पत्र सं० १६ । प्रा० १० x ५३ इछ । ले० काल ४ । अपूर्ण। वेष्न सं० १५५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन अग्रगद मन्दिर उदयपुर । Page #764 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीति एवं सुभाषित ] ६७२३. प्रतिसं० १५। पत्र सं० ११ । प्रा० १०५ x ५३ इञ्च । ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टनसं०६४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन भन्दिर लश्कर, जयपुर। - ६७२४. प्रति सं०१६ । पत्रमं० २० | प्रा. १०३४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयसुभाषित । र० काल X । ले० काल सं७१७२८ चैत्र सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष—मोहम्मद शाह के राज्य में योरपुर में चिन्तामरिण पार्श्वनाथ के चैत्यालय में हारिक्षेम में स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ६७२५. प्रतिसं० १७ । पत्र सं० १४ । प्रा. १२x२ का सं० १९९४ मग श्रावण सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन रां० १२ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष-११-१२ वा पत्र नहीं हैं। ६७२६. प्रति सं० १८ ! पत्र स० १५ । पा० १०:४५३ इञ्च । ले. काल x । पूर्ण । वे० सं० ६३ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर सश्कर, जयपुर। विशेष-१५ से भागे नहीं लिखा गया है। ६७२७. प्रतिसं० १९ । पत्रसं० १२ । मा० १२४६ च । लेकाल सं० १९४६ । पूर्ण । बेष्टन सं०६१० 1 प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६७२८. प्रति सं० २० । पत्रसं० २-१५ । प्रा० ५६४३३ इंच । लेकात x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ७१६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ६७२६. प्रतिसं० २१ पत्र सं. १ । घा. ६x६ इञ्च । ले० काल सं. १८८७ । पूर्ण। वेष्टन सं० ३२५-१२२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का भरपुर । ६७३०. प्रति सं०१२। पत्रसं० १२ । मा० १०x४३ इन्च। ले०काल सं० १७३१ श्रावण शुक्ला १ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३७८ - १४२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटचियों का हूगरपुर। ६७३१. प्रति सं०१३ । पत्रसं० १२। प्रा० १७१४४३ इञ्च 1 ले०कास x पूर्ण । वेप्टन सं० १२६-५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ६७३२. प्रतिसं०१४ । पत्र सं० १४ । आ. १.३४४३ इञ्च । ले. काल X। पूर्ण । बेन सं. १५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कीटा। विशेष-भट्टारक शुभचन्द्र शिध्य मुनि श्री सोमकीर्ति पठनार्थं स्वहस्तेन लिखितं । ६७३३, प्रतिसं०१५। पत्र सं० १४ । प्रा० १.४५ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २९१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। ६७३४, प्रतिसं० १६ । पत्रसं० १० प्रा० १०१ ४ ५ इञ्च । ले०काल सं १६०३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । लेखक प्रशस्ति-संवत् १६०३ वर्षे शाके १४६८ प्रवर्तमाने महामांगल्य भाद्रपदमासे क्लिप दशम्या तिथी रविवासरे तक्षक महादुर्गे राजाधिराज सोलंकीराज श्री रामचन्द्र विजयराज्ये श्री ऋषभ जिन चैत्यालये श्री मलसंचे बलात्कारगरणे सरस्वतीगच्छे.......... मंडलाचार्य धम्म वदाम्नागे खण्डेलवालान्वये Page #765 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०४ ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग बंद गोरे ....... .....साह षोषा तस्य पौत्र सा. होला तार्या जीवणी इदं शास्त्रं लिखाप्य मुनि श्री कमलकी तिथे दत्तं । ६७३५. प्रतिसं०१७। पत्र सं०५। पा०१३ ४ ५ इञ्च । ले. काल सं. १८८६ । पूर्ण । श्रेहन सं० १०५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ६७३६. प्रति सं० १८ । पत्र सं० ३५ । या०६:४५३ इञ्च । ले० काल सं० १७६५ । पूर्ण । घेशन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर। विशेष - मेडता में प्रतिलिपि हुई थी। ६७६७. १६ प २६ ग्रा०EX४ इञ्च । वे काल x I पूर्ण । वेष्टन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ६७३८. प्रति सं०:२० । पन सं० १३ । धाः १०४ ५ इथ । ले० काल x । पूर्ण । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा । विशेष-प्रति जीर्ण है। ६७३६. प्रतिसं० २१ । पत्र सं० १६ । प्रा०५३४४३ इञ्च 1 ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष-दो प्रतियां और हैं। ६७४०. प्रति सं० २२ । पत्र सं० ११ । प्रा० १.१४४३ इञ्च । ले० काल सं० १६६८ काती सुदी ११ । पूरी । वेष्टन सं०६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजीनामा। विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। ६७४१. प्रतिसं०२३ । पत्र सं०१७। प्रा० १३.५ इमाले०काल सं० १९५५ काती सूदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३७ । प्रापिद स्थान-दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । ६७४२. अतिसं० २४ । पत्र स० २२ । मा० १०x४३ इन्च । ले० काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं. ७६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर दीवानजी कामा । विशेष ---प्रति हर्ष कीर्ति वृत सस्कृत टीका सहित है। ६७४३. प्रति सं० २५ । पत्रसं० १६ । ग्रा० १०४४ च । ले०काल सं० १६६६ । पूर्ण । येष्टन सं. १२२,२४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पाश्र्वनाथ इन्दरगढ़ कोटा। विशेष प्रति हरकीति कृत संस्कृत टीका सहित है। रायत् १६६६ वर्ष फागुण बुदी अमावस्यासोमे पाटण नगरे लिखितेयं टीका ऋषि लक्ष्मीदासेन ऋषि जीवाय वाचनार्थ । इन्दरगड का बडा जैन मन्दिर । ६७४४. प्रति सं०२६ । पत्रस.३६ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-सुभाषित । र० काल X । लेकाल सं०१८२७ । पूर्ण । वेश्न सं० १२१/२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरमद (कोटा) विशेष-करवाई ग्राम में प्रतिलिपि हुई थी। Page #766 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोति एवं सुभाषित ] [ ७०५ ६७४५. प्रतिसं० २६ । पत्र सं० १० । प्रा० १२४५ इन्च । भाषा -संस्कृत । विषय -सुभाषित । र० कालx। ले०काल सं० १७८१ । पूर्ण । वेष्टन सं०४८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) ६७४६. प्रति सं० २७ । ५ स. १० । पा० १०६५ च । नेकालxi पूर्ण । वेष्टन सं. ११५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (दी) । ६७४७. प्रति सं०२८ । पत्रसं० १ . प्रा. १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-सुभाषित। र० काल X । लेकाल X । पूर्ण । थेवन सं० ५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दवलाना (बूदी) विशेष ध्यान विमल पठमार्थ । ६७४८. प्रतिसं० २६ । पत्रसं० १० । बा० १०४४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-सुमाषित । र० काल X 1 ले. काल सं० १५६२ माघ बुदी ३ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ५८८६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर भादवा (ग़जः) विशेष-~-प्रति जीणं है । धीर भट्टारक के लिए प्रतिलिपि की गई थी। ६७४६, प्रतिसं० ३० । पत्र सं० ।। प्रा० १०x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--सुभाषित । र०काल X। ने० काल स१६६६ कात्तिक बुदी १४ । पूर्ण । देशनसं० २२२ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष - ग्रहमदाबाद में लिखा गया था । ६७५०. प्रतिसं०३११ पत्र सं०३-१५ । आ०१०१४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषयसुभाषिन । २० काल x 1 ले. काल सं०१९०४ । पूर्ण वेष्टन सं० २५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। विशेष -- मूल के नीचे संस्कृत में टीका भी है । वृन्दावती में नेमिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। ६७५१. प्रति सं० ३२ । पत्रसं० ३० । ०६४५ इन्च । ले० काल सं० १९५५ । पूरणं । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर पानाथ चौगान व दी। ६७५२. प्रति सं० ३३ । पत्र सं० २५ । था० १० ४७६ इन्च । ले. काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ८३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ, चौगान बूदी। ६७५३. प्रति सं० ३४ । पत्र स०७६ । श्रा० १.४५ इन। ले०काल सं० १७१७ कात्तिक दुदी १४ । पूर्ण । देशन स०१०। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ दूदी। विशेष-मौजगाबाद में लिखा गया था । ६७५४. प्रतिसं० ३५। पत्र सं० १७ । प्रा० ६४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय -सुमाषित । र०काल X । ले. काल सं.१८७६ भादवा बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० २११ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ६७५५. प्रतिसं०३६। पथ सं०१३ । प्रा०१०१-४१ इन्च । भाषा-संस्कृत 1 विषय-सूभा. षित । र०काल-xले. काल सं० १९५५ पाषानु बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर राजमहल (टोंक) Page #767 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०६ ] झन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-कोटा स्थित बासुपूज्य चैत्यालय में संभवराम ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी। ६७५६. प्रति से० ३७ । पत्र संख्या २१ । ले०काल सं० १७६५ पौष वुदी है। पूर्ण । वेष्टन सं० २०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन भन्दिर भरतपुर । विशेष-सुन्दरलाल ने सूरत में लिपि की थी। ६७५७. प्रतिसं०३८ । पसं० २७ । लेकाल सं० १८९२ चैत्र मुदी ४। पूर्ण । वेपन सं. २०६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-भरतपुर में लिखी गई थी। ६७५८. प्रति सं० ३६ । पत्र सं० १६ । ले०कान सं० १८२५ आषाढ सदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८७ । प्राप्ति स्थान-दिजैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-सूत्रों पर दूदा कृत हिन्दी गद्य टीका है । केसरीसिंह ने प्रतिलिपि की थी। ६७५६. प्रति स० ४० । पत्र सं० ११ । लेकाल सं १६५२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर भरतपुर । ६७६०. प्रति सं० ४१ । पत्रसं० ३२ । ले. काल सं० १८७२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७१८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-प्रति हर्षकीति कृत संस्कृत टीका सहित है। ६७६१. प्रति सं० ४२ । पत्र सं० ६६ । प्रा० ६x४. इच 1 लेवाल सं० १९५२ । पूर्ण । वेष्टन सं०५५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन छोटा मन्दिर बयाना । ६७६२. प्रतिसं० ४३ । पत्रसं० १३ । आ. ११३४५ इञ्च । ले. काल स० १८४७ माह सदी ८। पूर्ण । बेधन सं० २३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बेर । ६७६३. सूक्तिमुक्तावली टीका-हर्षकोत्ति । पत्र सं० ३५ ३ आ. १०x४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-मुभाषित । २० काल X । ले. काल सं० १७६० प्रथम साबरण सुदी ५ । पूर्ण। वेष्टन सं. ४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरमद कोटा। विशेष-अमर विमल के प्रशिष्य एवं रलविमल के शिष्य रामविमल ने प्रतिलिपि की थी। ६७६४. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४५ । प्रा० १०२४४६ इञ्च | लेकाल सं० १७५० माघ बुदी ११ पूर्ण । वेष्टन सं०१४८ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष- शाकंभरी वास्तव्ये श्राविका गोगलदे ने रत्नकीर्ति के लिए लिखवाया था। ६७६५. प्रति सं० ३ । पर सं० २६ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४३ । प्राप्ति स्थान-: दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६७६६. प्रति सं० ४ । पत्रसं० ४२ । प्रा० १२४५ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण। धेष्टन सं० २८ 1 प्राप्ति स्थान-दिन छोटा मंदिर वयाना । विशेष- नागपुरीयगच्छ के श्री चन्द्रकीति के शिष्य श्री हर्षकोति ने संस्कृत टीका की है। । Page #768 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीति एवं सुभाषित ] [७०७ ६७६७. सूक्ति मुक्तावली भाषा-सुन्दरलाल । पत्र सं० ४६ । पा. १९४४३ इञ्च । भाषाहिन्दी (गद्य)। विषय-समाषित । र. काल सं० १७६६ ज्येष्ठ बुदी २। ले० काल सं० १६३५ । पूर्ण । वेटन सं. १ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर। विशेष-रचना संवत् के निम्न संकेत दिये हैं "रस युग सरा शशि' ६७६८. सुक्तिमुक्तावली भाषा-सुन्दर । पत्रसं० ४५ । प्रा० १३ ४ ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पच । विषय-सुभाषित । र कास X1 ले० काल x | पूर्ण । बेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर श्री महावीर बू दी। ६७६९. सूक्तिमुक्तावली टीका-४। पत्र सं० २-२४ । भाषा-संस्कृत । विषयसुभाषित । र० काख ४ । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०७५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६७७०. प्रतिसं० २ । पत्र सं० २६ । प्रा० ३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - सुभाषित । २० काल X । ले० काल सं० १८३६ ज्येष्ठ बुदी ३ । पूर्व । वेष्टन सं० ६८५ । प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन मन्दिर मजमेर। ६७७१. मूक्तिमुक्तावली भाषा-४ । पत्र सं०६६। प्रा० १११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । (गद्य) । विषय-सुभाषित । र०काल X । ले०काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १५२:१६ । प्राप्ति स्थानदि जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा) ६७७२. सूक्ति मुक्तावली बनिका--- । पत्र सं० ४३ । प्रा० १०३४६, इच । भाषासंस्कृत हिन्दी । विषय-सुभाषित । २० काल ४ । ले० काल स० १६४५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८८ । प्राप्ति स्थान—दि० जन पार्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ (कोटा) ६७७३. सूक्तिसंग्रह- XI पसं० १० । भाषा-संस्कृत । विषय- सुभाषित । र० काल । से०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६७७४. सूक्ति संग्रह-X । पत्र सं० २७ । प्रा० १०४ ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयसुभाषित । र० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । बेष्टा सं० ३२७-१२२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर। ६७७५. संबोध पंचासिका -- । पत्र सं० १३ । आ० ११३४५६ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-सुभाषित । १० काल ४ ।ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २०६। प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर बोरसली, कोटा । ६७७६. संबोध संतारगनु दहा-वीरचन्द । पत्रसं०६ । पा० ६x४१ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-सुभाषित । र० काल ४ । ले० काल सं० १८३७ कात्तिक बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं०७०। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। Page #769 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०. ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६७७७. हरियाली छप्पय--गंग। पत्र सं० ५। प्रा०६x४३ इंच। भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-सुभाषित । र०कालले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०१०६-५० । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूगरपुर । ६७७८. हितोपदेश-वाजिद । पत्रसं० १-२१ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-नीति शास्त्र । २० काल X । लेकाल X । अपूर्ण। बेष्टन सं० २५५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दवलाना (दी)। ६७७६. हितोपदेश-विष्णुशर्मा। पत्र स. ३-६०। बा० १०१४५ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-नीति एवं सुभाषित । र०काल X । लेकाल सं० १८५२ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३६०। प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। विशेष प्रति हिन्दी टीका सहित है । ६७८०. प्रति सं०२। पत्र सं०५५ । प्रा. 3x५ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय कथा। २० काल X । ले० काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० २०० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। ६७८१. हितोपदेशचौपई-X । पत्रसं० । आ. ६x ४ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-सुभाषित । र०काल X ।ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १५०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बुदी । Page #770 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय-स्तोत्र साहित्य ६७८२. प्रकलंकाष्टक-प्रकलंकदेव । पत्र सं०५-८ । प्रा० १२४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र काल x । लेकालxअपूर्ण । वेष्टन सं० ४५५/४३७२१ प्राप्ति स्थान दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-एक प्रति वेष्टन सं०४५६४६८ में और है। ६७८३. प्रति सं०२। पत्र सं० २ । सा० १३.४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल ४ ।ले. काल X । पूरणं । वेष्टन सं० ४१० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिरलश्कर, जयपुर । ६७८४. प्रतिसं०३ । पत्र सं० ३३ ग्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-संस्तुत । विषय - स्तोत्र । २० कालX ।ले. काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १२३ । प्राप्ति स्थान—दि० जन मंदिरबोरसली कोटा । ६७८५. कलकाष्टक भाषा-जयचन्द छाबड़ा। पत्र सं० ११ । प्रा. ११९४८ इञ्च । भाषा हिन्दी पच । विषय -स्तोत्र । र० काल X । ले० काल सं० १६२९ फाल्गुण सूदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६-३२ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ६७-६. प्रति सं०२। पत्र सं० । लेकाल सं० १९३०। पूर्ण । वेष्टन सं०३७-३२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ६७५७. प्रकलंकाष्टक भाषा-सदासुखजो कासलीवाल । पत्र सं०१४ । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र ! २०कास सं० १९१५ सावन सुदी २। ले० काल सं० १९६२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२४ । प्राप्ति स्थान दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ६७८८, प्रति सं० २१ पत्र सं० १० । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ४२५ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर। ६७९६. प्रति सं०३ । पत्र सं०६ । ले० काल ४ । पुर्ण । वेष्टन सं० ४२६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-~प्यारेलाल व्यास ने कमर में प्रतिलिपि की थी। ६७६०. प्रतिसं०४ । पत्र सं० १६ । प्रा० EX६ इञ्च । ले.काल सं १९३८ श्रावण सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लक्कर, जयपुर । ६७६१. प्रति सं० ५। पत्र सं० ११ । आ० १२३४७३ इञ्च । ले. काल सं० १९२६ श्रावण सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर बयाना। विशेष - सं० १६३२ में हिण्डौन में प्रतिलिपि करवाकर यहां मन्दिर में चढ़ाया था। ७२. अति सं०६ष सं०१६ । मा० ११४५१ इन्च। .काल x अपूर्ण । वेष्टन सं०११। प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर दीवानजी कामा। Page #771 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६७६३. प्रति सं०७। पत्र सं० । प्रा०१३ ४७३ इञ्च । ले० काल सं० १९४१ कार्तिक दुदी। पूर्ण । वेष्टन सं०४३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर करौली। ६७६४. प्रकलंकदेव स्तोत्र भाषा-चंपालाल बागडिया। पत्रसं० ५४ । प्रा० १०३ ४७ इच। भाषा-हिन्दी पद्य । विपय-स्तोत्र | २० काल सं० १९१३ । ले० काल सं० १९२४ ! पूर्ण । वेष्टन सं. ४२ । प्राप्ति स्थान दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बूदी। विशेष-परमतखंडिनी नामा टीका है । श्री चंपालाल जी बागडिया झालस पाटन के रहने वाले थे। . प्रारम्भ श्री परमारम' प्रणम्य करि प्रणउ श्री जिनदेव वानि । ग्रंय रहित सद्गुरु नमो रत्नत्रय अमलान । श्री अकलंक देव मुनीसपद मैं ममिहो सिरिनाय । ज्ञानोद्योतम अर्थमुभ कह कथा सुखदाय ।। अन्तिम-- धावरण कृष्णा सुतीज रवि नयन ब्रह्म ग्रहचन्द्र । पूरण टीका स्तोत्र को कृत अकलंक द्विजेन्द्र ।। सिद्ध सूरि पाठक बहुरि सर्व साधु जिनवानि । अरू जिनधर्म नमौं सदी मंगलकारि अमलान । मारोठ ग्राम में पाश्वनाथ चैत्यालय में विरदीचंद्र ने प्रतिलिपि की थी। ६७१५.अजितशांति स्तवन-नन्दिधेरण पत्र सं४ । आ०x४३ इ । भाषा प्राकृति । विषय-स्तोत्र । र० काल ४ । ले. काल सं० १७९० पासीज बुदी २। पूर्ण । बेष्टन सं १५२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना (दो) ६७६६. अजित शांति स्तवन-४ । पत्र सं० ३ । प्रा० १०x४१ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत । विषय- स्तोत्र । २० काल X । ले० काल x 1 अपुर्ण । वेष्ठन सं० ३३१ । प्राप्ति स्थान-भ० दि. जैन मन्दिर जमेर । : . विशेष-द्वितीय एवं सालों तीर्थ कार अजितनाथ और शांतिनाथ की स्तुति है। ६७६७. अजित शांति स्तवन-X । पत्रसं० ३ । पा. १०x४५६च । भाषाप्राकृत । विषय-स्तोत्रं । २० काल X । ले. काल. X । पूर्ण । वेष्ठन सं० ४८७ । प्राप्ति स्थानभ. दि० जैन मन्दिर अजमेर । ६७९८ अट्ठीतरी स्तोत्र विधि- ४ । पत्र सं०४ । भाषा हिन्दी । विषय--स्तोत्र 1 काल सन्खन, बाल x अपर्ण। येष्टन रोड ६२५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६७६९. अध्यात्मोपयोगिनी स्तुति-महिमाप्रभ सूरि । पत्र सं०४ । प्रा० ११X४ इञ्च । भाषा-हिन्दी (प)। विषय-स्तोत्र । र० काल x | ले. काल x पूर्ण 1 वेष्टन सं० ५० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन बंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । Page #772 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ६०००. प्रपराजित मंत्र साधमिका-x संस्कृत विषय रतोष । र०का x | लेकाल x जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। TIMA ६८०१. अपामार्जन स्तोत्र - X प सं० विषय-स्तोत्र २० काल X से० काल सं० १७७६ दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । अन्तिम MAJ । पचसं० १ ० १२२०५ पूर्ण १२ । र ६८०२. प्रसजन्भाय कुल - X | पत्र सं० २ X। ले० काल X ।। पूर्ण बेष्ट ० ६५७ प्राप्ति स्थान ६८०३. आनंद श्रावक संधि श्रीसार । पत्र [सं०] भाषा - हिन्दी गुजराती विषय-स्तवन । र०काल सं० १६५७ । वेष्टन । ०१२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर वोरखती कोटा । । प्रारम्भ ― इस भाषा -- वेष्टत सं० ४३१ प्राप्ति स्थान दि० ६८०६. आदिनाथ मंगल - नयनसुख हिन्दी विषय-स्तोत्र । १० काल X ले० काल X पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दर (फोटा) विशेष पन्तिम भाग निम्न प्रकार है ० ० ४५३ इञ्च भाषा संस्कृत | सं० २३३-६२ प्राप्ति स्थान ० भाषा प्राकृत विषय स्तोत्र । २० फाल दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर 4 ६८०५. प्रादित्य हृदय स्तोत्र - X | पत्र सं० ८ विषय -- स्तोत्र । र० काल x ले० काल सं० १९२८ । पूर्ण । मन्दिर दीवन चेतनदास पुरानी टीम वर्द्धमान जिनवर चरला नमता नव निधि होई संधि कम प्राणंदनी, भिज्यो बहु कोई ॥ १॥ [ ७११ १४ । प्रा० १०३ ले० काल सं० १८३० संवत् रिगि सिधिरस सि तिगापुरी मई कोधो चौमास ए संबंध कोयौ रतिया मग्गी, सुरण माथाई उल्हास ||२|| रतन ह्रप गुरु वाचक माहरा हेमनन्द सुखकार । हेमकीरति गुरु बांधव कहइ प्रभवाद मुनि श्रीयार ॥१२॥ ॥ इति श्री आणंद धावक संधि संपूर्ण । ६८०४ प्रादिजिन स्तवन – कल्याण सागर । पत्रसं० ५ भाषा हिन्दी विषय वन | १० का X ले० काल x 1 पूर्ण वेष्टन सं० ७२१ स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । । प्राप्ति * 1 x ४३ इष श्रावण सुदी ३ । श्रा० १०३ X ६४ इञ्च । भाषा-संस्कृत ष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान — दि० जैन । पत्र ० ६ ० ११४५३ इन्च भाषापूर्ण वेष्टन सं० २५८ प्राप्ति स्थान दि०जैन आदि जिनं तीरथ सुनो जिसके अनुसवारि विरित्त ध्यायो । भाग भयो नव जोग मिल्यो जगरामजी कुनी सुनायो। दो उपदेश लगो हमें कुगुधभाव घरे जीव में ठहरायो कहै सुख सुनो भवि होय श्री आदिनाथ जी को मंगल गायो । ८६ ।। Page #773 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६८०७. प्राविनाथ स्तवन–मेहउ 1 पत्र सं०३। या० ८० x ४ इश्च । भाषा-हिन्दी। विषय-स्तोत्र । र० काल स. १४६६ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६ । प्राप्तिस्थान–दिक जैन मन्दिर दयलाना (दी)। विशेष-मुनि श्री माणिक्य उदय वाचनार्थ । राउपुर मंडन श्री आदिनाथ स्तवन । ६८०८. प्रादिनाथ स्तुति-x। पत्र सं० २ । प्रा० १०४ ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-स्तयन । १० काल X ।ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ३१३। प्राप्ति स्थान-१० दि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष—भन्यवान आदिनाथ की स्तुति है। ६८०६. प्रारिनाथ स्तोत्र । पत्रसं० १३ । प्रा० १०x४ इझ्न । भाषा-हिन्दी । विषयस्तोत्र । र०काल ५ । ले० काल सं० १६०२ भादवा छुदो ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१० । प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-इति श्री शत्रजयाधीश श्री नाभिराय कुलावतंम श्री युगादिदेवस्त्रयोदश भवः स्तवन संपूर्ण मिति मई भवत् ॥ श्री श्रमण संघस्याम्लिवर नंदतु । सं० १६०२ वर्षे भावना बुदि ११ सोम दिने मन्नाद्दतीक्गछे पूज्य भट्टारक श्री पद्मसागर बुरि तत्पट्टधी नयकोत्ति तत्प? श्री महीसुन्दर सूरि तत्पट्टालं कार विजयमान श्री ४ सुमयसागर को श्री जयसागर लिखत श्राविका मल्ही पठनार्थ । ६८१० प्रानन्द लहरी-शंकराचार्य । पत्र सं० ३ । प्रा० ८१४६ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय-स्तोत्र ।२० काल x 1 लेकाल x 1 पूर्ण । येन सं० २०७। प्राप्ति स्थान - दि० जन मन्दिर राजमहल (टोंक) ६८११. प्राराधना--XI पत्र सं० ५। आ० ११ x ४६ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषयस्तोत्र । र०काल x काल x 1 पूर्ण । वेपन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर। विशेष-टचा टीका सहित है। ६.१२. पाहार पचखाए । पत्रसं०६। ग्रा०१०x४३ इञ्च । भाषा - प्रान्त । विषयस्तोग। र काल x | ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ४८८1 प्राप्ति स्थान-० दि० जैन मन्दिर अजमे ६८१३. उपसर्गहर स्तोत्र -x पत्र सं०१। था० १.१ ४५ च । भाषा-प्राकृत। विषय-स्त्रोन । २० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेपन सं० ४४१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ६८१४. उपसर्गहर स्तोत्र-.x। पत्र सं० १। प्रा० १० x ४३ इच। भापा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल X । लेकालX । पूर्ण । वेहन सं० ३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर . ६८१५. एकाक्षरी छंद-४ । पत्र सं० ३ । प्रा० x ५३ इञ्च । 'माषा हिन्दी । विषयस्तोत्र । र०काल X । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० २०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर। Page #774 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७१३ ६८१६. एकादशी स्तुति - पत्र० १ ० १० X ४ छ। भाषा हिंदी विषय- स्तवन २० काल X | फाल X पूर्ण वेष्टन सं० २२७ प्राप्ति स्थान दि०जैन ले० मन्दिर दबलाना (बूंदी) ६८१७. एकीभाव स्तोत्र - वादिराज | पत्रसं० ६ श्र० १०x४ इन्च भाषा - संस्कृत । विषय-स्तोत्र र०काल X से० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ६०१ प्राप्ति स्थान म०दि० जैन । | । मन्दिर अजमेर | ६८१८. प्रतिसं० २। पत्र ०७ ग्रा० ६० काल पू सं० १४२७ प्राप्ति स्थान- २० वि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है । ६८१२. प्रतिसं० ३० ४० १० X ४० काल x पूर्ण वेष्ट सं० ४६६ प्राप्ति स्थान भ० दि० जैन मंदिर अजमेर - ६८२०. प्रति सं० ४ ६५ प्राप्ति स्थान दि० जैन ६८२१. प्रति सं० ५ । से० काल x पूर्ण न ० ८६ 1 - - पत्र० ४ ग्रा० १०x४ इन्च सेन्काल x पूर्ण वेष्ठन सं० मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। पत्र सं० २३ ० १०४ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । भाषा संस्कृत-हिन्दी गद्य ० ११४५३ इव । से०का ० १९४२ | पूर्ण मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। ६८२२. प्रतिसं० ६ । पत्रसं० ८ वेष्टन सं० २५ प्राप्ति स्थान दि० जैन ६५२३. प्रति सं० ७ । वेष्टन सं० २६ प्राप्ति स्थान ६८२४. प्रति सं । पत्रसं० ४ श्र० १० २४४३ इश्व | भाषा संस्कृत | ले०काल X पूर्ण वेष्टन सं६ प्राप्ति स्थान – उपरोक्त मन्दिर । पत्रसं० ८ । आ० १०३ X ४० x पूर्ण का दि० जैन मन्दिर बोरसी कोटा | 3 I विशेष प्रति हिन्दी टीका सहित है ६८२५. प्रति सं० २ पत्रसं० ४ ०१० X ४३ का X X | पूर्ण सं० १७५-५० प्राप्ति स्थान दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर इधर (कोटा) | विशेष निर्वाण काण्ड गाथा भी दी हुई है। ६८२६. प्रतिसं० १० पत्रसं० ४ ० १२०५ इंच | ले० काल X। पूर्णं । वेष्टन सं० २०१६४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का गरपुर । ६८२७. प्रतिसं० ११० १०० ११४५ इञ्च ले०काल X पूरा [न] [सं०] १०१ १४० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर, मेदिनाथ टोडारायसिंह (टॉक) । ६८२५. प्रतिसं० १२ १० ७ ० ११५ ० काल सं० १७४४ पूर्ण वेष्टन सं० ६६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष- प्रति संस्कृत टीका सहित है । Page #775 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१४ ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग ६८२६. प्रति सं० १३ । पत्रसं०२ । प्रा० १३१x६ इञ्च । से माल X । बेष्टन सं० ४२१ । प्राप्ति स्थान-जन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६८३०. एकीभाव स्तोत्र टीका X । पत्र सं० । डा. ६१४६ इञ्च । भाषा---संस्कृन । विषय-स्तोत्र । र० काल ४ । लेकाल सं० १६३२ आसोज सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राठि स्थान-दि० जन गन्दिर फनपर शेखावाटी ( सीकर ) । ६८३१: एकोभान स्तोत्र टीका X । पत्र सं० १६ । प्रा० १०२४४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय-स्तोत्र । २० काल Xले. काल ४ । वेष्टन सं०३६१। प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर । ६६३२. प्रति सं०२। पत्रसं०८ । ग्रा०११४५३ इञ्च । ले. काल X 1 वेष्टन सं० ३६४ 1 प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष- श्लोक १७ तक की राजस्थानी भाषा टीका सहित है। ६८३३. एकीभाव स्तोत्र भाषा-x। पत्र स ११ । प्रा० १३४५ इभ । भाषा - हिन्दी प० । विषय-स्तोत्र | र०काल X । ले० काल स. १७६४ मंगसिर सूदी ११। पूर्ण । वेष्टन स. २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर आदिनाथ, दी। विशेष फर्मप्रकृतिविधान एवं सहस्रनाम भाषा भी है। ६.३४. एकीभाव स्तोत्र भाषा-X । पत्र सं० ३१ । भाषा-हिन्दी। विषय-स्तोत्र। र०काल x | ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ४११-१५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । विशेष-संबोब पंचासिका भाषा भी है। ६८३५ एकीभाव स्तोत्र भाषा-भूधरदास । पत्र स० ४ । आ. १.४५ च । भाषा-हिन्दी पडता विषय-स्तोत्र । २० कालxले. काल ४ । पूर्ण | बेष्टन स'०७० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर गावनाथ चौगान, तू दी। ३६. एकीभाव स्तोत्रवृत्ति-भागचन्द्र सूरि। पत्र सं० ८। या.१०x४१ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल x ले काल X । वेष्टन सं. ३८५। प्राप्ति स्थान-- दिन मन्दिर लगवार, जयपुर । ६८३७. ऋद्धिनवकार यंत्र स्तोत्र.-.X1 पत्रसं०१ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल । लेखनकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० ७११ । प्राप्ति स्थान--पंचायती दि जैन मन्दिर, भरतपुर । ६८३८. ऋषभदेव स्तवन-रत्ना पत्र सं. १ । मा० १०x४ च । भाषा-हिन्दी विषय-स्तुति । र. काल सं० १६६६ । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २०५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर, दबलाना (बूदी)। विशेष-विक्रमपुर में अन्ध रचना हुई थी। ६८३६. ऋषिमण्डल स्तोत्र-गौतम स्वामी। पत्र सं० १६ । प्रा०१६ x ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोम । र०काल ४ । ले० काल सं० १८६३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पाश्र्वनाथ चौगान, दी। Page #776 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [७१५ विशेष प्रति टना टीका सहित है। उरिणयारे में प्रतिलिपि हुई थी। ६८४०, प्रति सं० २। पत्रसं० ७ । प्रा० १३४७३ इञ्च : ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ४२ । प्राप्ति स्थान-म० दिन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान, दी। ६८४१. प्रतिसं०३। पत्र सं०४ | आ X४ इच। भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०कालxले. काल स०१५८० भादवा बुदी २ । पूर्ण । बेष्टन सं० १०८६ । प्राप्ति स्थान-म. दि. जैन मंदिर, अजमेर । ६८४२. प्रतिसं०४। पत्रसं० २ । या० १०४४३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X । लेकाल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १८८ । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर, अजमेर । ६८४३. प्रतिसं०५। पत्रसं०५। मा० १४३१ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X । ले० काल सं० १७६४ माघ बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०३७ । शान्ति स्थान –भ दिs जैन मन्दिर, अजमेर। विशेष-लिखितं सिकन्दरपुर मध्ये । ६८४४, प्रतिसं०६३ पत्रसं०६ । आ०११४४३ इञ्च । भाषा :-संस्कृत । विषय-स्तोत्र। र फाल X । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० २४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अप्रवाल मंदिर, उदयपुर । ६५४५. प्रतिसं०७ । पत्र सं०७ । भाषा-संस्कृत। विषय स्तोत्र । १० कालx। ले०काल सं. १७२५ माह सूदी ११ । पूर्ण । वेष्टग सं० ४१६-१५६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर, कोटडियों का हूँगरपुर । विशेष---देवगढ़ मध्ये श्री मल्लिनाथ चैत्यालये श्री मूल संचे नंद्याम्नाय भ० शुभचन्दजी तदाम्नापे 4. जसराजजी ब्रह्म मावजी लिखितं । ५४६. प्रति सं०८। पत्र सं० ४ । मा० १०६x४, इव । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र : र०काल X । लेखन काल x। पूर्ण । वेष्टन सं०८। प्राप्ति स्थान-खण्डेलवाल दि. जैन मन्दिर, उदयपुर। ६८४७. प्रति सं०६। पत्र सं०६ । प्रा० १.१४४६च । भाषा-संस्कृत । विषय - स्तोत्र । र०काल x । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७४/४६ । प्राप्ति स्थान पाश्वनाथ दि जैन मंदिर, इन्दरगढ़ ( कोटा )। ६.४८. अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ स्तवन-भाव विजय वाचक । पत्र सं० ५। या० १०४५ इच । भाषा हिन्दी-(पद्य) । विषय-स्तोत्र । २० काल X । ले. काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० १५४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर, देवलाना ( बूंदी ) । विशेष-- इसमें ४४ छन्द हैं तथा मुनि दया विमल के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। ६८४६. अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ स्तवन-लावण्य समय । पत्र सं० ३ । आ० १०२४४३ इच । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-स्तवन । र०काल x | ले. काल XI पुर्ण । वेष्टन सं० २६० । प्रान्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर, दबलाना (बूदी)। Page #777 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्य सूची-पंचम भाग १८५०. करुणाष्टक-पद्मनन्दि । पत्र सं० १ । प्रा० १०३ x ४३ इञ्चा भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र.. काल ५ । से० काल ४ । बेष्टन स० ४२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ६८५१. कर्मस्तवस्तोत्र-.xपत्रसं०६ । प्रा० १०x४, इच । भाषा-प्राकृत । विषयस्तोत्रर०काल । ले०काल X । पुणे । वेष्टन सं०१३। प्राप्ति स्थान--दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति हिन्दी टब्बा टीका सहित है।। ६८५२. कल्यारण कल्पद्र म--वृन्दावन। पत्र सं० २३ । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । १० काल X । लेकाल १९६४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। विशेष-संकट हरण वीनती भी है। ६८५३. कल्याणमन्दिर स्तवनावरि---गुणरत्नसूरि । पत्र सं० १२ । प्रा० १६४६३ इव । भाषा-संस्कृत । विपन--सोध। १०कालX । ले. काल १६३२ काती बुदी ५ । पूरा । वेष्टन सं० १५.३ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । ६८५४. कल्याण मन्दिर स्तोत्र-कुमुदचन्द्र । पत्रसं० ६ । प्रा० १४ ४ इञ्च । भाषासंभ । विग.-- : : । । पूर्ण । वेष्टन सं० ६०४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-प्रति टवा टीका सहित है। ६८५५. प्रति सं० २। पत्रसं० १६ । आ० १.४४३ इञ्च । ले. काल सं० १७०० । पूर्ण । वेष्टन सं०७०५ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष प्रति टना टीका राहित है। पंडित कल्याण सागर ने अजीर्णगढ़ (अजमेर) नगर में प्रतिलिपि को थी। ६८५६. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ३ । प्रा० १.३४ ४३ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । श्रेष्टन सं. २३३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर प्रजमेर । ६५५७. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १४ । या० १०x४३च । ले. काल X । पूर्ण । चेष्टन सं. २५३ । प्राप्ति स्थान-10 दि० जैन मन्दिर अजमेर । ६८५८. प्रति सं० ५ । पत्रसं० ४। प्रा० १०४५ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १६५ 1 प्राप्ति स्थान-भ०दि० जैन मंदिर अजमेर । ६८५६. प्रति सं०६ । पत्रसं०६ । प्रा० EX५ इञ्च । ले० काल सं० १८२३ प्रथम चैत्र सुदी पा। वेतन सं०५२। प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। विशेष प्रति हिन्दी टम्बा टीका सहित है। प्रति पत्र में ६ पंक्तियां एवं प्रति पंक्ति में ३१ मक्षर हैं। संवत् १५२७ में प्रति मंदिर में चदाई गई थी। Page #778 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ७१७ ६८६०. प्रतिसं०७ । पत्रस० ११ । प्रा० ११४५ इच। ले०काल' | पुर्ण । वेटन सं. ६६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी। विशेष ... मूल के नीचे हिन्दी टीका है । ६८६१. प्रतिसं० ८ । पत्रसं०५। प्रा०११-४ इव । ले० काल पूर्ण । वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान - दि. जेन मन्दिर मागदी बूदी । विशेष-प्रति प्राचीन है एवं सम्बृत टीका राहित है। ६८६२. प्रतिसं०६। पत्रसं०४। श्रा० १०४ ४ इच। ले. काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० १०० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) ६८६३. प्रति सं० १० । पत्र सं०४ । प्रा० १०४४. इञ्च । ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ६३ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर दखलाना चूदी) ६८६४. प्रति सं०११। पत्रसं०२५। आ०.४६ इञ्च । लेकाल सं० १८६६ चैत्र बुदी ३। पर्य। वेपन सं. २०५ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर राजमहल (टोंक) विशेष-पं० गुमानीराम ने बसंतपुर में श्री सुमेरसिंहजी को राज्य में मिथ रामनाथ के पास पठनार्थ जिताया। ६८६५. प्रतिसं०१२। पत्र सं०२। मा०८४५ इञ्च । ले०काल x । पूर्ण । वेशन सं० ५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ६८६६. प्रति सं०१३ । पत्र सं०६। पा.१०x३१ इञ्च । ले. काल सं० १८१४ वैशाख सदी १३ । पुरा । वेष्टन सं0 | प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बडा बीस पंथी दौसा । विशेष-दयाराम ने देवपुरी में प्रतिलिपि की थी। ६८६७. प्रतिसं०१४ । पत्र सं०३ । प्रा० १.४४ इञ्च । लेकाल x अपुर्ण । वेष्टन सं० १०१-९ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर बडाबीसपंथी दौसा । विशेष—प्रागे के पत्र नहीं हैं। ६८६८. प्रतिसं० १५ । पर सं० ५ । प्रा० १०४४३ इ-च। ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११४-६ । प्राप्ति स्थान-.दि.जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दौसा। विशेष—संस्कृत टीका सहित है पुण्यसागर गरिराकृत । स्तोत्र को सिद्धसेन दिवाकर द्वारा रचित लिखा हुआ है। ६८६६. प्रति सं०१६ । पत्रसं० ५। ना० १०x४ इच। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२। प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा। विशेष-प्रति प्राचीन है तथा कमलप्रभ भूरि कृत संस्कृत टीका सहित है। ६८७०. प्रति सं० १७ । पत्र सं० ४ । पा० ११४ ४ इञ्च । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ४२। प्राप्ति स्थान--दि जैन खडेलवाल मंदिर उदयपुर। ६८७१. प्रतिसं०१८ । पत्र सं० ५। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५०७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #779 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१५ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष - प्रति सटीक है। ६८७२. प्रति सं० १९ । पत्रसं०३ । ३० काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ७१३ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६८७३. प्रति सं० २० । पत्र सं०६। मा० ६६५४३ इन्च । ले. काल X । बैष्ठन सं० ६७.७ । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६८७४. प्रति सं० २१ । पत्र सं०७ । या० ११:४५ इञ्च । ले० काल सं० १७५७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७४ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष प्रति व्याख्या सहित है। ६८७५. प्रति सं० २२ । पत्र सं० ४ । प्रा. १०x४इश्च । ले० काल ४ । पुर्ण । वेष्टन सं०. ३७१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लरकर, जयपुर । विशेष-२६ से आगे के श्लोक नहीं हैं। ६८७६. प्रति सं० २३ । पत्रसं०३ । आ० १३:५६ इश्व । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ४०४ । प्राप्ति स्थान...दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ६८७७. प्रतिसं० २४ । पत्र सं० ५ । प्रा० १०१४४६ इन्ध । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ३६८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६८७८. प्रति सं०.२५ 1 पत्रसं० २ । या० १०४४३ इन्च । भाषा--संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २. काल X 1 से कालx। पूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसाली कोटा। ६८७६. प्रतिसं०२६। पत्रसं० १० । पा० १०x४ इञ्च । भाषा-सांस्कृत, हिन्दी। विषय - स्तोत्र । र०काल ले. काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० २०। प्राप्ति स्थान--दि० जनमन्दिर दबलाना (बूदी) विशेष-प्रति हिन्दी अर्थ सहित है । ६८८०. कल्याण मन्दिर स्तोत्र टीका - हर्षकीर्ति। पत्रसं० २१ । प्रा० मई ४४ इञ्च । भाषा-संस्का । विषय-स्तोत्र । २० कालXI ले. काल सं० १७१७ पासोज सुधी ४ 1 वेष्टन सं० ३८४ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर एकर, जयपुर । ६८८१. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १६ । आः १.३ x ३ इञ्च । ले. काल सं० १८२७ कार्तिक सुदी १४ । पुर्ण । वेष्टा सं०३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष-बुध केशरी सिंह ने स्वयं लिखी थी। ६८८२, कल्याण मन्दिर स्तोम टीका-चरित्रवर्द्धन। पत्र संख्या ८ । प्रा० १०३४५ इच । भाषा--संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दखलाना (दो) ६८८३. कल्याण मन्दिर स्तोत्र टीका ..X । पत्र स०७ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषासंस्कृत विषय-स्तोत्र । २० काल X ।ले०कास XI पूर्ण । वेष्टन स०१६० । प्राप्ति स्थान - भ. दिन मन्दिर अजमेर । Page #780 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ६४. कल्याणमन्दिर स्तोत्र टीका - X भाषा संस्कृत विषय-रोग र०का X ले० काम सं० १०१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दाना (बूंदी) विशेष – हिण्डोली नगरे लिखितं । - X ४ ६८८५. कल्याणमन्दिर स्तोत्र टीका- X पर्ष सं० २० आ० भाषा संस्कृत विषय स्तोत्र र० काम X ने० काल सं० १७८१ सावा बुद्दी ७ पूछें वेष्टन सं० ३२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दबलाना (बूंदी) ww ६८८६. कल्याणमन्दिर स्तोत्र टीका पत्र० २९१ ० हिन्दी गद्य विषय रतोष ५० काल X1 ले० काल x पूर्ण केन स० २६१ 1 जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बुदी । [ ७१६ पत्र० ५ १०० ९६४४३ इथ १७१५ मा सुदी १२ पूर्ण बेष्ट सं० विशेष-पत्र १६ से धागे द्रव्य संग्रह की टीका भी हिन्दी में है। हिन्दी विषय स्त्री २० काम X मंदिर लश्कर जयपुर । ) ६८७७. कल्याणमन्दिर स्तोत्र टीका X, पत्र ० ३ ० भाषा संस्कृत, हिन्दी विषय २० काल सं० x ० का ० X पूर्ण प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष- हिन्दी टीका सहित है। ६८८८. कल्याणमंदिर भाषा बनारसीदास पत्रसं० २ । प्रा० x ५ इन्च भाषा ०काल पूर्ण वन सं० ५१२ प्राप्ति स्थान दि० जैन - विशेष - प्रांत में बनारसीदास कृत तेरह काठिया भी दिया है। ६४५ इंच भाषाप्राप्ति स्थान- वि० - १० x ४३ इव । बेन सं० १८०-७७॥ ६८८. कल्याणमंदिर स्तोत्र भाषा -- x । पत्र सं० ९ । आ० १०३५ इश्च । भाषासंस्कृत हिंदी विषय-रोज २० का । ले० काल सं० १८२५ कार्तिक खुदी १२ पूर्ण वेष्टन सं० २० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोली, कोटा विशेष- नन्दग्राम में लिखा गया था । ६०६०. कल्याणमन्दिर स्तोत्र भाषा - श्रथयराज श्रीमाल । पत्रसं० २१ । आ० ११४४ इञ्च भाषा - हिन्दी गद्य विषयस्तो र० काल सं० X | ले० काल X | पूर्ण ष्ट सं० २३३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ६८६१ प्रति सं० २ । बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १० ६८६२. प्रति सं० ३ वेष्टन सं०] ११० । प्राप्ति स्थान ० २२ मा० १२४४३ च ० का ० १७२२ चैत्र प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी, दौसा पत्रसं० ३२ प्रा० १०x४ दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। मे काल पूर्ण । मा० ४ इन्च भाषा - हिन्दी सं० २०६५ सावन बुदी ७ ६८१३. कल्याणमन्दिर स्तोत्र वचनिका पं० मोहनलाल पत्रसं० ४० । । विषय स्तोत्र १० काल ९० १९२२१० काल वेष्टन सं० १३१३ प्राप्ति स्थान- म० दि० जैन मन्दिर मे पूर्ण Page #781 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६८१४. कल्याणमन्दिर स्तोत्र वृत्ति-देवतिलक । पत्र सं० १२ । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल १७६०। पूरी । वेष्टन सं०७२५ । प्राप्ति स्थान-पंचायती दि. जैन मंदिर, म सनुर । विशेष-टोंक में लिपि हुई थी। ६८६५. कल्या मन्दिर स्तोत्र वृत्ति-गुरुदत्त । पत्र सं० २० । या १२ x ४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र। २० काल x। ले. काल सं० १६४० मंगसिर सुदी १५ । वेष्टन सं० ३८७ } प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६८९६. कल्याण मन्दिर स्तोत्र वृत्ति-नागचन्द्र सूरि । पत्र सं० १६ । प्रा० ११:४४४ इश्च । भापा-संस्कृत । विषय--स्तोत्र। र०काल x | लेकाल सं० १६०४ वैशाख बुद्दी ३ । वेशन सं० २१ । प्राप्ति.स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपर । ६८६७. कल्याण मन्दिर स्तोत्र वृत्ति-X । पत्र सं० २२ । प्रा० ११ x ४३ इ'च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र। २० काल x 1 ले. काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० २१८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दलाना (बूदी) । विशेष--२२ से आगे के पत्र नहीं है। ६५१८. क्षेत्रपालाष्टक-x। पत्र सं०६। पा० १०२४४१ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय स्तोत्र । र • काल ४ लकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३३१ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर, अजमेर । ६८६६. कृष्णबलिभद्र सज्झाय-रतनसिंह । पत्र सं० १ । प्रा० १०३ x च । भागा-हिन्दी । विषय- स्तुति । र० काल x। ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (दी)। ६६००. गर्भषडारचक्र-देवनंदि। पत्र सं. ५ । ग्रा० ४४ हच । भाषा-संस्कृत । विषय हो । 'रकान X । ले. काल सं० १८३७ । पूर्ण । भेटन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान-म० दिन मन्दिर, यजमेर।। ६६०१. प्रतिसं०.२ । पत्रसं०३। ०११-४३ इन्च । ले. काल x । पूर्ण वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-भ.दि जैन मंदिर अजमेर । ६६०२. प्रति सं. ३ । पत्रसं० १४ । या० १.१४६ इञ्च । ले०काल ४ ! अपूर्ण । वेष्टन सं. २७ । प्राप्ति स्थान दिए जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ६६०३. प्रति सं०.४। पत्र सं० ४ । प्रा० १११४४ इच। ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. १७-४६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोडियों का इगरपुर । ६६०४: गीत गोविंद...:अयदेय। पत्र ४-३७ । ग्रा० १२४५ इन्च । भाषा-संस्कृप्त । विषय-स्तोत्र । र०काल लेखकाल स. १७१७१.प्र.पूर्ण । वेपन सं० ११० । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा।.. . Page #782 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७२१ स्तुति ६६०५. गुणमाला-ऋषि जयमल्ल । पत्र सं०६ । प्रा० ११३ ४ ५ इञ्च । भाषा हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र० काल ४ । ले०काल x पूर्ण । वेपन सं. २६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पाश्र्वनाथ इन्दरगढ़ (कोटा) । विशेष --निम्न पाठ और हैं। महावीर जिनथुद्धि स्तवन समयसुन्दर चित संभू की सज्झाय भूधरदास जवकार सज्झाय चौबीस तीर्थकर स्तवन बंभरणवाडि स्तवन शांति स्तवन गुणासागर ६६०६. गुरावलो स्तोत्र--X । पत्र सं० १०१ या X ४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० झाल - । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ६६०७. गुरु स्तोत्र --विजयदेव सूरि । पत्र सं० २ । प्रा० १० x ४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-रलवन । र०काल x ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३६-४००। प्राप्ति स्थान .. दि. जैन मन्दिर संभवदाथ उदयपुर। विशेष--इति श्री विजयदेव मुरि स्वाध्याय संपूर्ण । ६६०८. गोपाल सहस्र नाम. x । पत्रसं०६१ । प्रा० ४६४४५३ञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-थीमा स्तोत्र । र०काल लेकाल: । पूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान दि. जैन छोटा मंदिर बयाना । ६१०६. गोम्मट स्वामी स्तोत्र-x। पत्र सं. ६ | प्रा. १० x ७ इञ्च । भाषासंस्कुत । विषय-स्तोत्र । २० काल ४ । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. २१८.८७ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ६६१०, गौडीपाश्र्वनाथ छंद-कुशललाम । पत्रसं० १ । प्रा० १२ x ४ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-स्तोत्र । र काल X ।ले. काल X । पुणं । वे० सं० ३६४:४७२ प्राप्ति स्थान—दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६९११. गौतमऋषि सम्झाय-X । पत्रसं० १ 1 प्रा० १०x४६ इञ्च । भाषा - प्राकृत । विषय-गोत । २० काल X । ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दखलाना ('दी) विशेष-लिखितं रिषि हरजी । बाई चांपा पटनार्थ । ६६१२. गंगा लहरो स्तोत्र-भट्ट जगन्नाथ । पत्र सं० ६ । प्रा०x४३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल X । ले०काल सं० १८२५ ज्येष्ठ बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर बोरसली कोटा । Page #783 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२२ ] [ प्रन्थ सूची-पंधम भाग विशेष—गिरिपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ६६१३. चश्वरीदेवी स्तोत्र---। पत्रसं० ६ । प्रा० ११:४५: इञ्च । भाषा-संस्थाल । विषय-स्तोत्र । र काल x | ले. काल सं. १८७६ । पर्गा । वेष्टन सं० १३८८ । प्राप्ति स्थान-- म. दि जैन मन्दिर अजमेर । ६६१४. चतुर्दश भक्तिपाठ । पत्रसं० ३० । प्रा० १०४ ६५ इञ्च । माषा - संस्थत । विषयस्तोत्र । २० काल x 1 ले० काल सं० १६०४ मंगसिर सुदी ८ । 'पूर्ण । बेष्टन सं० २३:१५ । प्राप्ति स्थान-~-दि. जैन पत्तावती मन्दिर दूनी (टोंक) ६६१५. चतुर्विध स्तवन- ४ । पत्रसं०५। मा० १०.४४. इन । भाषा-संस्कृत । विषय - कात्र । र० काल x | ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर अलवर। ६६१६. चतुर्विशति जयमाला---- माधन रिद प्रती । पत्र सं० १ । प्रा० १३. x ६ इन्च । भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २०काल | लेकाल X । पूर्ण | बष्टन सं० ४१४ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६९१७. अविशति जिन नमस्कार-- । पत्र स०३ । मापा-संE | विषय--नवम् । काल x लेकाल सं० X । पूर्ण । पुन स. ६६७ । प्राप्ति स्थान–दि. जैन मन्दिर भरतपुर । ६६१८. चतुविशति जिम स्तन-X ।पन्न सं० १ । श्रा० १०३ ४ ५ इच । गाया --- प्राकृत । विपत्र-स्तवन । र काल x । ले०काल सं० १४३५ । पुर्ण । वेपन स०१५-६१७ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ६६१६. चतुविशति जिनस्तात---X । पत्र सं०४ | भाषा-मम्कन । जिपय-स्तवन । २०काल लेवाल . १६६२ । पुर्ण । नेग सं० ६६० । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर गापुर। ६६२०. चतुर्विशति जिन स्तोत्र टीका---जिनप्रभसूरि-1 पसं० १ १ ० १ ० ४.५ इन्छ । भाषा-मन्चत । विषय-स्तोत्र । २० काल X । ले०काल x 1 गुर्ग । वेष्टन सं० २३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, थी। विशेष-दीच में लोक तथा ऊपर नीचे संस्बृत में टीका है। गणि वीरविजय ने प्रनिलिपि की थी। ६६२१. प्रति सं०२ । पत्रम०१। प्रा० १२४४ इश्च । ने. काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३५६:४६७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६६२२. चतुर्विंशति जिन दोहा-४ । पत्र सं० २ । आ० १.४४ इञ्च । भाषा--हिन्दी। विषय --स्तवन । र काल ४ । ले०काल सं० १९२६ माह सुदी २ पूर्ण । बेशन सं० १३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर राजमहल (टोंक) ६६२३ चतुर्विंशति स्तवन-x। पत्रसं० २-१३ । भाषा-संस्कृत | विषय -- स्तवन । र०काल ४ | ले. काल ४ । पूर्ण । चेप्टन मं०७६७ । प्राप्ति स्थान ..-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #784 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य } [७२३ ६६२४. चतुर्विशतिस्तवन---पं० जयतिलक । पत्र सं०१। प्रा० १२४४ इन। भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । १० काल X । लेकाल x । पूर्व । वेष्टन सं० ३६६/४७४ । प्राप्ति स्थानदि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६६२५. चतुर्विंशति स्तुति-शोमनमुनि। पत्रसं० ६। मा० १०४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विधय-रतोत्र । र० काल X । ले०काल सं० १४१३ पासोज दुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५ । प्रारित स्थान - दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष-इति वर्द्धमान स्तुतिः । मध्य देशस्य संकाशन्नग निवासी देवर्षिसुनः सर्ददेवस्तस्यात्मजेन शोभन मुनिना विहिता इमाश्चतुविशति जिनस्तुतयः सदग्रज पंडित धनपाल विहिता विवरण मुसरेण अयमगि हायमकडनरूपाणां तासांस्तुतीनां ले शतोऽग्नि । संवत् १४८३ वर्षे आवनि मा. व. ४ । ६६२६. चतुविशति स्तोत्र-पंगा । प १५ १.६ER ! मह - संस्कृत | विषय - स्तोत्र । २० काल xले. काल X| पूर्ण । वेटनसं०६०। प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर आदिनाथ बदी। विशेष- प्रति सटीक है । ५० जगन्नाथ भ. नरेन्द्र कीर्ति के शिष्य थे । ६६२७, चन्द्रप्रभु स्तबन--यानन्दघन । पत्र सं०२। भाषा-हिन्दी। विषय-स्तवन । र०काल ५ । ले० काल पूर्ण । वेष्टन नं.७० । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६६२८. चित्रबंध स्तोत्र--- ।पत्र सं०५ । प्रा० १०x४ इञ्च । भाषा--मस्कृत । विषयस्तोत्र । ०काल । स० काल'X । पूर्ण । वेष्टन सं०११२० । प्राप्ति स्थान - भद्रारकीय शि० जन मन्दिर अजमेर। विशेष-स्तोत्र की रचना को नित्र में मीभित किया गया है । ६६२६. चित्रबन्ध स्तोत्र--- । पत्र सं० २। प्रा० १०३:४३ इच। भाषा---प्रावन । विषय -सोत्र । ० काल x | ले. काल । देष्टन सं० ३७४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ६६३०. चित्रबन्ध स्तोत्र-x। पत्रसं० २ । प्रा० १०x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -- स्तोत्र । र०काल ले. काल X । वेष्टन सं०४३० । प्राप्ति स्थान--वि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। विशेष ... महाराजा माधसिह के राज्य में प्रादिनाथ चैत्यालय में जयनगर में पं० केशरीसिंह के परनाथ प्रतिलिपि हुई श्री । प्रशस्ति अच्छी है । ६६३१. चिन्तामणि परवनाथ स्तोत्र-X । पत्र सं० १ । प्रा० १२३४६५व । भाषासंस्कृत विषय-रतोत्र । २० कालले० कायX । वेपन सं० ४१५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६६३२. चेतन नमस्कार -x पन सं०३ । प्रा० x ४ इश्च । भाषा हिन्दी । विषयस्तोत्र । १० कारन X 1 ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २१५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर औरसली कोटा। Page #785 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२४ ] [ ग्रन्थ सूची-चम भाग ६१३३. चैत्यबंदना-४ । पत्रसं०४। पाक १०x४१ च । भाषा-प्राकृत । विषयस्तधन । र० काल X ।ले. काल XI पूर्ण । बेष्टन सं० ४६० । प्राप्ति स्थान-भट्टारकीय दि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष प्रति संस्कृत व्वा टीका सहित है। ६६३४. चैत्यालय बीनती----दिगम्बर शिष्य । पत्रसं० ३ । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तवन । २० काल X । ले: काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । अन्तिम पद्य दिगम्बर शिष्य इम भरोह ए बीनतीमइ करीए । यो प्रभु मो अनिवास सफल कीरती गुरु इम भणे ए । विशेष-हिन्दी में एक नेमीश्वर वीनती और दी हुई है। ६६३५. चौरासी लाख जोनना विनती-सुमतिकोति। पपसं० ६ । प्रा० १.३४४६ इन्छ । भाषा -हिन्दी पद्य । विषय-स्तोत्र । १० कालX । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन मं० १६३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । श्री मूलसंघ महंतसंत गुरु लक्ष्मीचन्द । वीरचन्द विबुधवंत ज्ञानभूषण मुनींद ।। जिनवर वीरती जो भणे मभ परी पानंद । भुगती मुगती कर ते लहे परमानंद ।। मुमतिकीति भावे कहिए ध्याजों जिनवर देव । ससार माहीं नहीं प्रवरयो पाम्यो सिवपद हेत! इति चौरासी लक्ष जानना धीनती संपूर्ण । ६६३६. चौबीस तीर्थकर धीनती-देवाब्रह्म । पत्र सं० १९ । बा० १२४५३ इश्व । भाषाहिन्दी । विषय स्तवन । र० कालx।ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० २४८ । प्राप्ति स्यान-दि जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ६६३७. चौबीस तीर्थकर स्तुति- पत्र सं० २ । पा० १.३४५ हश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल X । ले०काल ४ । वेष्टन सं० ३५८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। . ६६३८. चौबीस तीर्थकर स्तुति (सधुस्वयंभू)-- । पत्र सं० ३ । प्रा० ८४६३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०कालले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११४५ । प्राप्ति स्थानभ. दि. जैन मंदिर अजमेर । __ERE. चौवीस महाराज की विनती–चन्द्रकवि । पत्र सं०६-२३ । ०६४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तवन । २० काल ४ लेकाल सं० १८६० आसोज सुदी १५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४० । प्राप्लि स्थान--दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना। Page #786 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ६६४०. चौयोस महाराज की बीनती विषय-विनती २० का X ले० काल X पंचायती मन्दिर भरतपुर । करवाई थी । विशेष कठिन छन्दों का अर्थ दिया हुआ है। प्रति प्राचीन है इसके अतिरिक्त निम्न पौर है१- जिनेन्द्रपुरा दीक्षित देवदत भाषा संस्कृत १० फोल X से काल १८४० पूर्ण विशेष ब्रह्मचारी करुणा सागर ने कायर रामप्रसाद श्रीवास्तव घटेर वालों से प्रतिलिपि २ ३ - ༣༥ [ ७२५ हरिचन्द्र संधी पत्र सं० २५ । । भाषा - हिन्दी | वेष्टन सं० २०१ प्राप्ति स्थान दि० -- पूजा फल X। सुदर्शन परिधी भट्टारक जिनेन्द्रभूषण । विशेष-श्री गौरीपुर वटेश्वर से तरकरी देहरे में श्री पं० केसरीसिंह के लिए श्रुतज्ञानावरणी कर्मार्थ बनाई थी । पपूर्ण ६६४९. चौसठ योगिनी स्तोत्र - XI पत्रसं० २ । या० १०३४४३ भाषा-संस्कृत | विषय - स्तोत्र | २० काल । ले० काल सं० १८७२ कार्तिक सुदी ११ वेष्टन ०४३८ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष- लिपिकार पं० राम ६६४२. चौसठ योगिनी स्तोत्र -- x । वजसं० २ श्र० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - स्तोत्र १० काल X ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० १०३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी | विशेष- ऋषि मंडल स्तोत्र भी है । ० २३९६८ ६६४३. चन्द्रप्रन छंद--प्र० नेमचन्द एस० ४६ भाषा - हिन्दी । विषय - स्तवन । २० काल सं० १८५० । ले० काल x । पुणं । वेष्टन सं०७१/४२ । प्राप्ति स्थान - दि० वंग मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । इति श्री जय प्रकरणं संपूर्ण । ६६४४. छंद देतरी पारसनाथ लखमी वल्लभ गरिए । पत्रसं० ६ भाषा - हिन्दी । विषय स्तोत्र १० काल X नेहाल X अपूर्ण वेटन सं० ७१४ प्राप्ति स्थान – दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६९४५. जयतियण प्रकरण- प्रभवदेव पत्र [सं० ३ । ग्रा० १०x४ इख भाषाप्राकृत विषय स्वन २० काल ले० काल X अपूर्ण बेटन सं० ४५३ / २६५ प्राप्ति स्थान। । । 1 दि०जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । । अन्तिम- एवम दारियजलदेव ईम म्हवण भट्टसव प्ररण लिय । गुण तुम्ह अगीकरिय वृद्धि || एम पी पासवाह शंभरापुर विइ | मुस्विर श्री अभयदेव बिन सादिय || Page #787 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग .-.x। पत्र मं०३ । प्रा०११-इन । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र० काल 1 ले०काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर दौमा ६९४७. जिनपाल ऋषिकाचौढालियर-जिनपाल । पत्र सं०३। प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय -स्तुति । र० काल X| लेकाल सं० १८६५ । पूर्ण । बेपन सं० ३५३ । प्राप्ति स्थान-दि- जैन मंदिर दबलाना (बुदी) । .६१४८. जिनपिजर स्तोत्र-कमलप्रभ। पत्र सं०३। भाषा-संस्कृति । विषय-स्तोत्र । २० कालX । ले० काल पूर्ण । श्रेप्टन सं०६८९ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ६६४६. जिनपिंजर स्तोत्र । पत्र सं०१। भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । १० काल x। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६८५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६६५०. मिपिजर स्तोत्र-X । पत्रसं०५ । आs X५ इञ्च । भाषा-सांस्कृत । विषयस्तोत्र । २० कालX ले० काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरवपंथी दौमा । १. जिजार स्तोत्र -.. सं... श्रा० X४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-लोन। १७ काल ले. काल । पुणे । वेष्टन सं० १७३:४८ । प्राप्ति स्थान-पाश्यनाथ कि जैन मंदिर इन्दरगड (कोटा) विशेष परमानद स्नोत्र भी। ६६.५३, जिमरक्षा स्तोत्र पत्र ०५। ०६३इव। भाषा-संस्कृत । विषय - स्तोत्र । 70 काल । काल: । पूर्ण । वेष्टन सं०१७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मंदिर बयाना । ६६५३. जिनवर दर्शत स्तघन-पचनन्धि । पत्र सं० ४ । आ० x ४ इन्च । भाषाप्राकृत । विषय ---मात्र । काल । लेवान। वैप्टन ०६० | प्राप्ति स्थान—दि० जैन मंदिर । लसर, जयपुर। ६६५४. ज़िनशतक सोत्र । १० काल ४ ! ले० काल पापर्धनाय भोगान, दी। । पत्र सं०१७ | या०८४३ इञ्ज । भाषा-संस्कृत । विषय - । पुणं । बोष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान–२० जना मन्दिर ६६५५. जिन शतक--X । पत्रख० २६ । आ०१२४५ हन्छ । भाषा-संस्कृत । विषयस्त्रोत्र । २० साल x 1 रे काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर दीवानगी कामा। ६६५६. जिनसमवशरमंगल-नथमल । पत्र स. २४ । प्रा० १०.४५च्च । भाषाहिन्धी। विषध--स्तवन । र काल सं० १८२१ वैशाख सुदी १४। ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान—थि जैन पवायती मंदिर बनाना । Page #788 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [७२७ विशेष-नधमल ने यह रचना फकीरचंद की सहायता से पूर्ण की थी जैसा कि निम्न पल्स से पत्ता लगता है चन्द फकीर सहायतै मूल अंथ अनुसार । समोसरन रचना कथन भाषा कीमी सार।। २०१।। .. पद्यों की सं० २०२ है। ६९५७. जिनदर्शन स्तवन भाषा-X । पत्र में०२। आ०६x४१ इञ्च । भाषा : हिन्दी (प) । विषय-स्तवन । र० काल X ।ले० कालX । पूर्या । वेष्टन सं०१५१ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मंदिर दबलाना (दी) विशेष-मूलकर्ता पचनंदि है। ६६५८. जिनसहस्रनाम-प्राशाघर । पत्रसं० ४ ! अ. x ४ इन्च । भाषा - सस्कृत। विषय- स्तोत्र । र० काल x लेकाल X । पूर्ण। बेष्टन मं० ६४७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जन मन्दिर अजमेर । ६९५६. प्रति सं० २। पत्र सं० २५ । मा० १३४६ इञ्च । लेकाल सं० १८९५ कार्तिक मुदी ६ । पूर्ण । वेटन स० ४८२ । प्राप्ति स्थान - Hof जैन मन्दिर अजमेर । विशेष- रति संस्कृत टीका सहित है। ६६६०. प्रतिसं०३ । पत्र सं०१ । प्रा० १०३४ ५ इन्च । भाषा-संस्त । लेकाल' । पूर्ण । धेष्टन सं० ३६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लपकर, जयपुर। ६६६१. प्रति सं०४ । पत्र सं० ८ । प्रा० १०९४४१ इन्च । ले० काल म० १६०६ (शवा । पूर्ण । वेष्टन सं १९७ । प्रालि स्थान-अन्नवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । ६६६२. प्रति सं० ५। पत्र सं० प्रा०१०४ इञ्च । ले. काल X । अपूर्ण । एन मुं०५। प्राप्ति स्थान-पाश्वनाथ दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) ६६६३. प्रति सं०६ । पत्रसं० १५ । मा० १२४५ इञ्च । ले० काल ४ । पूरी 1 वेष्टन सं० ३०१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। टीकाकार रन्न कीति णिज्य यशकीति। पासको लिए लिली थी। प्रति प्राचीन है । ६६६४. प्रति सं०७ । पत्र सं० १० । ग्रा० १६:५४ इन्ध । ले०काल ४ । पूरणं । देन सं. ३०६ । प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मंदिर । ६६६५. प्रति सं० ८ । पत्र सं०६ । आ०१०४ ४ इन्च । ले० काल । पूरा । वेष्टन रं० २८३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना (दो) ६६६६. जिनसहस्रनाम-जिनसेनाचार्य । पत्र मं०७ प्रा०६६४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोष । र०कालX । ले० कालX । पूर्ण । वे० सं० ३०३ । प्राप्ति स्थान.-म० दिन मन्दिर अजमेर। Page #789 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६६६७. प्रतिसं०२। पत्रसं० ६ । ७ ११४५ इच। ले. काल १२३४ । प्राप्ति स्थान-भ. दि.जैन मन्दिर अजमेर । । पूर्ण । वेष्टन सं. ६६६८ प्रति सं०३। पत्र सं० १३ 1 आ. ६४४ इञ्च । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७१ । प्राप्ति स्थान-म० दि जैन मंदिर अजमेर । ६६६६. प्रति सं० ४ । पत्रसं० १६ । प्रा० ११४४१ इञ्च । ले० कास X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । । ६६७०. प्रतिस०५। पत्र सं० ११ । प्रा. ८४४ इश्च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३०५ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । ६६७१. प्रति सं० ६ । पत्रसं० ३६ । ले० काल x। पूर्ण । बैष्टन सं० १९३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष--भक्तामर नादि स्तोत्र भी है। ६६७२, प्रति से०७ । पत्रसं०३८ । ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान -- दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष -दो प्रतियां और हैं। ६६७३. प्रति सं० ८ । पत्रसं० १० । मा० १०३ ४ ४६ । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ६६७४, प्रतिसं०। पत्र सं० ११ । पा. ११४४, इञ्च । ले० काल सं० १९०५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर नागदी दो । ६६.७५. प्रति सं० १० । पत्र सं० १२ । प्रा०६१४४ इञ्च । लेकाल सं० १९३७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४१ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर पार्वनाथ चौगान बूदी । ६९७६. प्रतिसं० ११ । पत्र सं० ११ । आ० ८४६३ इंच । ले. काल x | पूर्ण । बेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान . दि जैन मंदिर भादवा (राज.) ६९७७. प्रति सं० १२ । पत्र सं० ६ । प्रा० १०३ ४ ४३ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं. ८७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) ६६७८. प्रति सं० १३ । पत्र सं० २५ । या० ६३ ४ ५ इन्च 1 लेकाल ४ । पूर्ण । वेन सं. ६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटयों का नंगया। ६६७६. प्रतिसं०१४। पत्र सं० २१-२५ । आ० १२३४५३ इञ्च । ले० काल । अपूर्ण । बेष्टन सं० ७.१४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ६६८०. जिन सहस्रनाम टोका-अमरकोति XI पत्रसं०६५। प्रा० १२,४ ५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र 1 र० काल x | ले. काल X । पूणं । वेष्टन सं० १२८८ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष-मूल्य ७ F० दस पाना लिखा है । Page #790 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य [ ७२६ ६६८१. प्रतिसं० २। पत्र सं० ७५ । प्रा० १०१४५१ च । ले०काल सं० १९६२ मंगसिर बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ६६८२. प्रतिसं० ३ । पत्र सं०७७ । प्रा०६४५ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ६९५३. प्रतिसं०४ । पत्र सं० १५३ । प्रा०६x४, इश्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६ । प्राप्ति स्थान..-दि. जैन मंदिर या कामा। ६९८४. प्रति सं०५ । पत्र सं० २-2 | मा० १२४५३ इच । मेफाल सं. १७४२ मंगसिर बुदी १४ । अपूर्ण । बेन सं० ३२६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ६६८५. जिनसहल नाम टीका-श्रुतसागर । पत्रसं० १४७ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । र काल X । खे० काल सं० १६०१ ग्रासोज सूदी ६. पुरणं । वेष्टन सं० ३६३ । प्राप्ति स्थान--भ० दि० जन मन्दिर अजमेर । ६६८६. प्रति सं० २ । पत्र सं० १०१ । प्रा० १३ x ५५ इञ्च । लेकाल सं० १५६६ । पूर्ण । वेष्टन सं०७६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १५६६ वर्षे पौन बुदी १३ भौमे परम निरनथाचार्य श्री त्रिभुवनकोयु पदेशात् श्री सहन नाम लिनापिता ! मंगलमस्तु । ६९८७. प्रति स०३ । पत्र सं० ११० । प्रा० १२१ ४६ इन्थ । लेकाल x। पूर्ण । वेधन सं०१४७ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर आदिनाथ दी। विशेष-प्रलि प्राचीन है। ६६८८. प्रति संख्या ४ । पत्रसं० १०६ । श्रा० ११४४४ इन्च । लेकाल ४ । पूरी । वेष्टन सं०२४० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। ६६८६. प्रति सं० ५ । पत्र सं० १७३ । प्रा. १२ ४ ५ इञ्च । ले. काल 1 पूर्ण । वेष्टन सं. ३६०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ६६६०. प्रतिसं०६। पत्रसं० १३७ । आ०११४५१६च । लेकालX पूरा । वेष्टन सं. १३३-६१ १ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ६६४१. जिनसहस्त्र नाम वचनिका-४ । पत्र सं०२८ । ग्रा०१०x४ इच । भाषाहिन्दी । विषय-स्तोत्र 1 र० बाल x ।ले. काल ज्येष्ठ सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्रान्ति स्थानदि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ६९६२. जिनस्मरण स्तोत्र-.-४ । पत्रसं० । भाषा-हिन्दी । विषम--स्तोत्र । र०काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दिक जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । ६९६३. जनगायत्री-x। पत्रसं० ५ । प्रा. ८४३१ईच । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र० काल x | लें काल सं० १९२७ कार्तिक बुदी ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १०१६ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । Page #791 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३० ] ६६६४. ज्वाला मालिनो स्तोत्र X | पत्र सं० २० प्रा० विषय - स्तोष 1 २० काल X | ले० काल X 1 पूर्ण वेष्टन सं० जैनमंदिर अजमेर । ६९९५. ज्वालामालिनी स्तोत्र - X | पत्र [सं० २ विषय तो रफान X से काल । पूर्ख बेटन सं० ४५ तेरपंथी दौसा ६६. तकाराक्षर स्तोत्र - X विषयस्पोष २० का X ले०काल सं०] भ० दि० जैन मन्दिर जभेर । पत्र सं० २ १८२२ । पूर्ण ० [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग X ३३ भाषा - संस्कृत | १४३६ । प्राप्ति स्थान- ४० दि० विशेष ज्ञानचंद तेरापंथी ने प्रतिनिधि की थी। ६६६६. त्रिकाल संध्या व्याख्यान - २१ पत्र सं ०२ । विषय स्तोष र० काल X ०कास X पूर्ण वेष्टन सं० १५४ I बोरसली कोटा । ० ११४ इस प्राप्ति स्थान १०३४१ ह वेन सं० २५४ - - विशेष- प्रत्येक पद तकार से प्रारंभ होता है । ६६९७ तारण तरण स्तुति (पंच परमेष्ठी जयमाल ) -- ३ पत्र सं० २०६५ इन्छ | भाषा – हिन्दी पञ्च | विषय - स्तोत्र | र० काल ४ । ले० काल ★ पूर्ण वेटन सं० ५३० x | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर कोटडियो का डुंगरपुर । । ६६६८. तीर्थ महात्म्य (सम्मेद शिखर विलास ) - मनसुखशय पत्र सं० ११०। ० १०२६ भाषा हिदी विषय महात्म्यस्तो र काल सं० १७४५ प्रासोज सुदी १० । ०काल सं० १६१० ग्रासोज सुदी २ पूर्ण वेष्टन सं० ७८ X दि० जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दौसा ! प्राप्ति स्थान भाषा संस्कृत ॥ दि० जैन मन्दिर ० ११४४ इन्च प्राप्ति स्थान भाषा संस्कृत । प्राप्ति स्थान - - ७००० मरण पार्श्वनाथ स्तवन--- पत्र स० ३ भाषा प्राकृत ० काल ४ । ले०काल । पूस वेटन स े० ६७२ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर विषय स्तवन । भरतपुर । भाषा संस्कृत | दि० जैन मन्दिर ७००१. दर्शन पच्चीसी – गुमानीराम पत्र सं० ११ । प्रा० ७ X ६ इंच भाषा - हिन्दी पद्य विषय - स्तवन र कान X ले० कास X वेष्टन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर | । पूर्ण विशेष - मारतिराम ने संशोधन किया था। ७००२ प्रति सं० २ । पत्रसं० ६ | श्र० १२४६३ इंच | ले० काल X | पूर्ण । ष्ट सं १२७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर प्रवर ७००३. वर्शन स्तोत्र - न० सुरेन्द्र कीर्ति । पत्र सं० १ ० १०३ ५३ छ । भाषासंस्कृत विषय स्तोत्र : २० बाल X | जे० कालवेष्टन सं० ६२६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लस्कर, जयपुर | --- Page #792 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७३१ १ ७००४. द्वात्रिशिका (युक्त्यष्टक)--X । पत्रसं० ३ । प्रा० १०१ x ४ इशभाषासंस्कृत | विषय-स्तोत्र। र०कास x | ले. काल x । पूर्ण । बेन सं.१४०। प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मंदिर दीवामजी कामा । ७००५. नन्दीश्वर तीर्थ नमस्कार-x। पत्रसं० ३। भाषा-प्राकृत । विषम-स्तवन । र० काल x I ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ६६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ७००६. नवकार सवैया--विनोदीलाल । पसं० १२ प्रा. ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-स्तोत्र । र काल X 1 ले काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० २४६-९८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । ७००७. नवग्रह स्तवन- x 1 पत्रसं० १३ । प्रा०१०x४ इश्च । भाषा-प्राकृल, संस्कृत । -स्तोत्र । रसकाल x | ले. काल x। अपर्या। वेन संख२ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर दबलाना (बदी) विशेष-३ से तक पत्र नहीं है । प्रति संस्कृत टीका सहित है। ७००८. नवग्रह स्तोत्र-भद्रबाहु । पत्र सं० १ । या. ६.४ ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल x। ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०२३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर पांवनाथ चौगान युदी। ७००६. नवग्रह स्तोत्र-x। पत्रसं० १ । प्रा० १.४ ४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र.. काल X । काल ४ । वेपन सं० ४२२ । प्राप्ति स्थान--दिर जैन मंदिर लश्कर, जवपुर । ७०१०. नवग्रह पार्श्वनाथ स्तोत्र-x। पत्र सं० १ । प्रा० x ४ इञ्च । माषा प्राकृत। विषय-स्तोत्र। र. काल XI ले०काल x वेष्टन सं० ४४३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ७०११. निर्धारण काण्ड भाषा-भैया भगवती दास । पत्रसं० २ । प्रा० १०.४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-इतिहास। र०काल सं० १७४१ । यासोज सुदी १०। पुर्ण । मेष्टन सं०६०१। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ७०१२. प्रति सं०२। पत्र सं०२ 1 ग्रा०Ex५६ इञ्च । ले० काल x वेष्टन सं० ६६२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ७०१३. नेमिजिनस्तवन-ऋषिवर्द्धन । पत्रसं० १ । पा.१०३ x ५ इंच। भाषासंस्कृत | विषय-स्तोत्र । र० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन बदडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ७०१४. नेमिनाथ छंद-हेमचंद्र । पत्रसं० १६ । मा० x ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-स्तोत्र । र काल X । ले०काल सं. १८८१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५३ ६३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर। विशेष-बोरी मध्ये संभवनाथ चैत्यालये लिखितं । Page #793 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७०१५. नेमिनाय नव मंगल-विनोदीलाल । पत्रसं० ८ । भाषा-हिन्दी । विषय स्तवन । रकाल सं० १७४४ । ले०काल स०१९४०1 पर्ण । वेट्टन सं०४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। ७०१६. पद्मावती गोत-समयसुन्दर । पत्रसं० २ । प्रा०४५ इश्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-स्तोत्र । १० काल x 1 ले कालxपूरी। बेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-३४ पद्य हैं 1 ७०१७. पद्मावती पंचांग स्तोत्र-x । पत्रसं० २६ । प्रा०४४ इन्च । भाषा-संस्कृत। विषय-स्तोत्र । २० काल x । ले०काल सं० १७९२ पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ७०१६. पद्मावती स्तोत्र- ४ । पत्र सं० ५६ । आ. ३ x ३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र काल X । ले०काल सं० १८८० । पूर्ण । वेष्टन सं० २६२ । प्राप्ति स्थान—भ. दि जैन मन्दिर अजमेर । ७०१६. पद्मावती स्तोत्र-X । पत्र सं० ४ | प्रा० १११४ ४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३२ । प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन मन्दिर मजमेर। ७०२०. पद्मावती स्तोत्र- पत्रसं० २४१ प्रा. ६x४३ इच । भाषा-संस्कृत ! विषयस्तोत्र र०काल - । ले० कान X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१३ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मन्दिर अजमेर। ७०२१. पद्मावती स्तोत्र-४। पत्र सं० ४ । प्रा० ११४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल X । लेखकाल X । पूर्ण । येष्टन सं० १०० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर अजमेर। ७०२२. पद्मावती स्तोत्र-x। पत्र सं० २ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल: 1 से कालX । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर भरतपुर । ७०२३. पमावती स्तोत्र--- । पत्रसं० १० । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल x। ले. काल' X । पूर्ण । नेष्टन सं० ३५४ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७०२४. प्रति सं० २१ पत्र सं० १.। ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७०२५, पद्मावती स्तोत्र-X । पत्र सं०७२ । आ.१०३४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-स्तोत्र । र०काल x | ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० १४६/७२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पाश्वनाथ मन्दिर इन्दरमह (कोटा) विशेष.-यंत्र साधन विधि भी द. हई हैं। Page #794 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य 1 [ ७३३ ७०२६. परमज्योति (कल्याण मन्दिर स्तोत्र ) भाषा-बनारसीदास । पत्र सं० ४। प्रा० १२४५ इञ्च । भाष'-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । २० काल x 1 से काल - । पूर्ण । वेष्टन सं. ६०४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर लपकर जयपुर । ७०२७. परमानन्द स्तोत्र-x। पत्रसं०३१ मा० १x६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र काल x | ले०काल x। पूर्ण । वेन सं. ३५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना। ७०२८. पात्र केशरी स्तोत्र-पात्र केशरी । पत्र सं०५ । बा. १२४.५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X । ले०काल X| पूर्ण । वेष्टन सं० ३७० । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ७०२६. पात्र केशरी स्तोत्रटीका -x ।पत्र सं० १४ । प्रा० १२४४ इश्व । भाषासंस्कृत । विषय- स्तोत्र । र० काल XI ले काल सं० १६८७ धासोज बुदी । पूर्ण । वेपन सं० ३५५।४३४ मत स्थान · तिन मंशवनाश गन्दिर उदार । ७०३०. प्रति सं० २ । पत्र सं० १४ । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३५६/४३५ प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर। ७०३१. पार्वजिन स्तुति-४ । पत्र सं० १ । प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र० काल ४ । ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संडेलवाल मंदिर उदयपुर। ७०३२. पार्श्वजिन स्तोत्र-जिनप्रभ सूरि । पत्रसं० ४ । प्रा. ३ x ४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल ४ । ले०काल X । पूरां । वेष्टन सं० १४४१ । प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-इति जिनप्रभ हात पारसी भाषा नमस्कार काव्यार्थ । ७०३३. पाश्वजिन स्तोत्र-X । पत्र सं० ३ । प्रा० ११४५६ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल XI ले कालX 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-भ०दि जैन मन्दिर अजमेर। ७०३४. पाश्वदेव स्तवन-जिनलाभ सुरि। पत्र सं० १७ । भाषा---हिन्दी । विषयस्तवन । र०काल ४ । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७०३५, पाश्र्वनाथ छंद-हर्षकीति-X । पत्र सं० ४। प्रा. १३४४३ ईच। भाषाहिन्दी । विषय-स्तोत्र । र०काल ले.काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष–२० छंद हैं। तेरीवल जा सोभा पाउ वीनतडी सूरणंदा है। क्या कहूं तोमू सगत्मा बहोती तोसु मेरा मन उलझदा है। सिद्धि दीवासी तिह रहवासी सेवक बल संदा है। पंजाब निसाणी पासवप्राणी गुण हर्षकीर्ति गवंदा है ।। Page #795 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्य सूची-पंचम भाग ७०३६, पाश्र्वनाथ छंद----लन्धरूचि (हर्षरुषि के शिष्य) । पत्र स. २ । या० १०.४४ इंच । गागा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र ! र० काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५५ । प्राप्ति स्थान:-- जन गांदरबला की, ७०३७, पाश्र्वनाथजी की निशानी-जिनहर्ष । पत्रसं० ४ । आ०११४५ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-स्तुति । र०काल X । लेकाल x । पूर्ण । बेष्टनसं०२४१/४०६ । प्राप्ति स्थानदि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । अन्तिम पंद्य निम्न प्रकार है। । तहां सिद्धादावासीय निरवावा सेवक जस विलदा है। घुघर निसारणी सा पास बखाणी गुण जिरणहर्ष सुरवंदा है ।। ७०३८. प्रति.सं०२। पत्र सं १५ । प्रा०७.४४ इश्च । ले. काल सं० १७६७ । पूर्ण । वेखन रा० १२६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, यूदी। ७०३६. पाश्वस्तवन- ४ । पत्र सं० १ । श्रा० १०x४६ इंच । भाषा-सस्कृत । विषय-- स्तोत्र । २.०काल x ले काल' X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११८५ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर। ७०४०. पार्श्वनाथ स्तावनः- ४ । पत्रसं०१। आ० ११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । र०काल x | लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं०१०४-६ । प्रान्ति स्थान--दि जैन मन्दिर बड़ा बीमपंथी दौरा। ७०४१. पापाथ स्तवन-x पत्र सं० १ । प्रा०१०x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तवन । २० काल x ०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ३६०/४६८। प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । ७०४२. पाश्र्वनाथ स्तवन-पत्र सं३ । प्रा० ११४४ इञ्च | भाषा-सस्कृत । विषय - स्तोत्र । र० का x 1 ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६०५ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-कहीं। २ करित' शब्दों के अर्थ दिये हैं । ७०४३. पार्श्वनाथ (देसंतरी)स्तुति पास कवि । पत्रसं०३ । भाषा-संस्कृत । विषयस्तवन । १० कालXI ले०काल सं० १७६८ । पूर्ण । वेष्टन सं०७। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी बसवा । विशेष-रचना का आदि अन्त भाग निम्न प्रकार है। आदि भाग-- सुवचन सपो सारदा मया करो मुक्त माय । तोमु प्रमन सुवचन तणी कुमणान श्री झाच काय ।। कालिधारा लरिषा किया रक थकी कविराज । महिर करे माता मुने निज सुत जाणि निबाज ।। Page #796 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] अन्तिम भाग जसको जगदीस इस श्रय भवरण प्रखंडित प्रभूतरूप अप मुकुट फरि मरिण सिर मंडित । धरण सह प्या उदधि मंत्र जिता । प्रकट साल पाताल सरग कीरति सुहाई । परवा पतनपुरा प्रभु येशु पुरी। प्रणमेव पास कविराज इम तवीसो चंद देवंतरी ॥ संतरी छंद संपूर्ण । वृति श्री पार्श्वनाथ ७०४४. पार्श्वनाथ स्तोत्र - X पत्र सं० ४ ० ११३४७३ इन्च भाषा संस्कृत I । । विषय—स्तो २० काल X ले० काल सं० १८६३ माघ सुदी १५ पूर्ण वेष्टन सं० १११ स्थान - दि० जैन मन्दिर श्रभिनन्दन स्वामी बूंदी | प्राप्ति विषय लश्कर, जयपुर | । ७०४५. पार्श्वनाथ स्तोत्र - X 1 पत्र सं० १ ० १३३४६ ह • स्तोत्र । र० काल X | लेकाल X ! वेटन सं० ४१६ । प्राप्ति स्थान — ७०४६. प्रतिसं० २ । पत्र सं० २ श्र० ११४५ ६५ । ले० काल X वेष्टन सं० ४३२ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ७०४८. पार्श्वनाथ स्तोत्र - पद्मनंदि । पत्र सं० ८ संस्कृत विषय स्तोत्र १० काल X जे० काल X पूर्ण जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) विशेष – पत्र ३ से सिद्धिप्रिय तथा स्वयंभू स्तोत्र भी है । ७०४९. पार्श्वनाथ स्तोत्र- पद्मप्रभदेव पत्र सं०१ प्रा० १०३४ ६ विषय-स्तोत्र १० का X वे० काल X पुणे बेटन सं० १५ प्राप्ति स्थान बोरसली कोटा | ७०४७. पार्श्वनाथ स्तोत्र (लघु) - x। पत्र ०९ ० १०५४ भाषासंस्कृत विषय स्तोत्र र० काल x व्हाल सं० १९९२ साल गुदी १२ पूर्ण पेन सं० २२६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) I ७०५०. प्रतिसं० २ । २० काल X। ले०काल सं० १५२२ पत्रसं० १ । आ० वेटन सं० ६१० [ ७३५ ७०५१. पोषह गीत - पुण्यलाभ विषय-तोत्रर०का X ले० काल X (बूंदी) | भाषा - संस्कृत | दि० जैन मंदिर १२४५ इश्व । भाषा संस्कृत प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ० १०३ ४ ४ ३ ३ । भाषा वेष्टन सं० ६२ प्राप्ति स्थान- दि० विशेष-पत्र पर चारों ओर संस्कृत टीका दी हुई है। कोई जगह खाली नहीं है। ० पत्र सं० १ पूर्ण वेष्टन सं० ६६ भाषा-संस्कृत | दि० जैन मदिर विषय स्तोत्र | लश्कर, जयपुर। १०३ X ४३ भाषा - हिन्दी | च । । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर Page #797 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्य सूची--पंचम भाग ७०५२. पंच कल्याणक स्तोत्र-X । पत्र सं०६ 1 प्रा० x ४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र ! २० काल X ।लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० १३२२ । प्राप्ति स्थान--भ० दि० जैन मंदिर अजयर। ७०५३. पंच परमेष्ठी गुण-x। बेष्टन सं०७ । प्रा. ११४४१ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल X । लेकाल XI पूर्ण 1 वेष्टन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मदिर लशकर, जयपुर। ७०५४, पंच परमेष्ठी गण वगन-x। पत्र सं० २०। प्रा०x४३ च । भाषासंस्कृत-हिन्दी । विषय-स्तवन । र०काल x | लेकाल x पूर्ण । वेष्टन सं० १७०-४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष... इसके अतिरिक्त कर्म प्रकृलियां तथा बारह भावनाघों आदि का वरान भी है। ७०५५. पंचमंगल-रूपचन्द । पत्र सं० या १०x४३ इच। भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-स्तवन । १० काल X । लेक काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ७०५६. प्रति सं०२ । पत्रसं०५ । मा० १.४६,इश्च । र०कालX । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं० ८४६२ श्रान्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भाददा (राज.) ७०५७. प्रति सं३। पत्रसं०६ । प्रा०१०x४, इच। ले०काल सं० १८१७ मंगसिर बूदी १। पूर्ण । वेष्टन सं० ३१६ प्राप्ति स्थान-दि० अंन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। ७०५८, प्रति सं०४ । पत्रसं० ५-१३ : सा. ११ ३४ ५: इन्छ । ले०काल X । अपूर्ण । देष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। ७०५६. प्रति सं० ५ । पत्र सं० १२ । प्रा० ६४४ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । देण्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी। ७०६०. प्रति सं०६। पत्र सं० ५। ग्रा० १०३४५ इञ्च । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ बूदी । ७०६१. प्रति सं०७ । पत्रसं० ८ । आ० ६४५६ इञ्च । ले०काल । पूर्ण । श्रेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान--- दि०. जन छोटा मंदिर बयाना । ७०६२. प्रतिसं०८ । पत्र सं० ११ 1 पुर्ण । ले कास ४ । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । विशेष एक प्रति और है। ७०६३ प्रतिसं०६। ०७ | ग्रा०.४७ इन्च । लेकाल ४ । पूर्ण । घेटन सं. १४४/६८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगह । (कोटा) ७०६४, पंचवटी सटोक। पत्र सं० ३। प्रा० १२४४२ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र०काल xले०काल X । पूर्ण । बेष्टन सं०५० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर मयकर जयपुर । Page #798 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७३७ विशेष--चौबीस तीर्थकर एवं सरस्वती स्तुति सटीक है। ७०६५. पंचस्तोत्र.... X । पत्रसं० २१ । ग्रा० ११४४१ इस । भाषा-सस्कृत | विषय - स्तोत्र । १० काल ४ । ले० काल ४ । गणं। वेष्टन सं० ७५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ७०६६.पंचस्तोत्र-५। पत्र सं० ७३ । प्रा०२.४५ च। भाषा-संस्कत । विषमस्तोत्र । र० का X से०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष-प्रति टीका सहित है । ७०६७. पंचस्तोत्र व्याख्या | पत्रसं०११। भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०कालX ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०३६४४१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ७०६८, पंचमीस्तोत्र-उवय । पत्र सं०१। प्रा० १०x४५ इच। भाषा-हिन्दी। विषयस्लोत्र । र०काल x | ले० काल x। पूर्ण । बेन ०६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर ददलाना बूदी। विशेष अन्तिम पद्य निम्न प्रकार है नेमि जिणवर नमित सूरवर सिंध वधूवर नायको। पारद पाणी भजन प्राणी सूख संतति दायको । वर विबुध भूषण विगत दूपण श्री शंकर सौभाग्य कवीश्वरो। तस सीस जपद उदय इणि परि सयलि संधि मंगल करो । इति पंचमी स्तोत्र। ७०६६. पंचक्खाग- पत्रसं०१ प्रा०१०४४३ इञ्च। भाषा-प्राकृत । विषय-स्तवन । र०काल x | ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० २३१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बलाना (दी) ७०७०. प्रबोधबावनी --जिन रंग सूरि । पत्रसं० ८ । भाषा-हिली । विषय-स्तोत्र । १० काल सं० १७८१ । ले० काल x। पूर्ण । वेष्टनसं० ४७५ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७०७१. बगलामुखी स्तोत्र-X । पत्र सं० ३ । प्रा० x ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२४८ । प्राप्ति स्थान-भर दि जैन मन्दिर अजमेर । ७०७२. बारा पारा का स्तवन---ऋषभो (रिखब)। पत्र सं० ५ । प्रा० १०५ ४४ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषय - स्तुति । २० काल सं० १७५१ भादवा सुदी २। लेकाल x | पूर्ण। वेष्टन सं०६१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दबलाना बूदी। : विशेष-अन्तिम कलश निम्न प्रकार है भलत बन कीघो नाम लीधो गोसम प्रश्नोत्तर सही। संवत् सतरे इंदचंद सु भादवा सुदी दोयज मही । Page #799 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३८ ] तयच्च तिलक समान सद्गुरु विजयसेन सूरि तगू नागरसुत विभो इम बोले पाप थालोव आपण ॥७५॥ इति की बास द्वारा को रतन संपूर्ण ७०७३ मतामर स्तोत्र संस्कृत विषय स्तोष १० का दि० जैन मन्दिर अजमेर | 1 ७०७४ प्रति सं० २ पत्र ०६०४४० X पूर्ण वेष्टन सं १४४४ प्राप्ति स्थान४० दि० जैन मन्दिर अजमेर | मानतुरंगाचार्य पत्र [सं० ६ X मे० काल अपूर्ण 1 [ प्रत्थ-सूची - पंचम शय विशेष हिम्पी व्वा टीका सहित है। प्रति प्राचीन है। ७०७५. प्रतिसं० ३ । [सं०] १०६५ प्राप्ति स्थान- भ० ० जैन मन्दिर अजमेर । ० ११ x ५ भाषान सं० १०६ प्राप्ति स्थान प्र० पत्र स० १५ 1 ० १०४ इन्च से०कॉल X पूर्ण वेष्टन | । । विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है। ७०७६. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० ६ श्र० १० x ५ इव । ले० काल सं० १८७० माह सुदी १३ । पूर्ण न ० ३५२ प्राप्तिस्थान दि०जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विदेशी है ७०७७ प्रतिसं० ५ F ० १ ० ११३५० सं० २०१७ | पूर्ण बेन० २५३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कर जयपुर। प्रति दिला सहित है। पं० तिलोकचन्द ने प्रतिलिपि की थी। प्रतिसं० ६ ० २७०६४ विशेष ७.७८ का सं०] १०१२ पोष सुदी ख़ुदी ५ टन १० ८१ प्राप्ति स्थान दि०जैन मंदिर लश्कर जयपुर विशेष—अनि उटीक है १० लालचन्द ने अपने लिये थी। - ७०७६. प्रति सं० ७ । पत्रसं० ८ ० ८ X सं० ६५२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष प्रतियां और है । ७०८० प्रतिसं० ८ पत्र [सं० ८ या० ६३ x ५३ ले काल x पूर्ण वेष्टन सं० १०० प्राप्ति स्थान दि० जंन छोटा मन्दिर बयाना विशेष दो प्रतियां और है। इख । ले० काल x 1 पूर्ण ७०८२ प्रति सं० १० वेष्टन ० १६७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक) ७०८१. प्रतिसं० १ पक्ष सं० पा० ६ ० का X पूर्ण प्रेम सं १०२४७ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगड (कोटा) सं०] ६ बा० ११४५ ० का ० १९६५ पूर्ण ७०८३. प्रतिसं० ११ । पत्र० ८ श्र० १० ३४४ दश । ले० काल सं० १७२० मंगसिर बुदी १। पूर्ण । वैन सं० १६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष – मानावे रामचन्द तत् शिष्य श्री राभवदास के पठनार्थं गोपाचल में प्रतिलिपि हुई थी। ७०८४ प्रतिसं० १२ | पत्र सं० २३ । प्रा० १२४६ इव । काल X पूर्ण । वैन सं ३२५ प्राप्ति स्थान दि०जैन मंदिर बोरमसी कोटा। Page #800 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७३६ विशेष प्रति कथा तथा टल्या टीका सहित है । ७०८५. प्रति स० १३ । पत्रस० ७ 1 या० १०५ X ५ इच। ले. काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ४/२ । प्राप्ति स्थान--द० जैन पंचायतों मादर पू. ) ७०६६. प्रति सं० १४ । पत्रस १६ । प्रा० x ६ इञ्च । ले: काल X । पूर्ण । येष्टन सं० ११। प्राप्ति स्थान--ग्रनकाल दि. जन पचायती मन्दिर अलबर । विशेष-प्रारम्भ में प्रादित्यबार कथा हिन्दी में प्रोर है। ७०८७. प्रति सं० १५ । पत्र सं०६ । प्रा. ७४६ इन्च 1 ले. काल स. १६५१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७१-७३ । प्राप्ति स्थान -- दि जैन मन्दिर कोटड़ियों के। डूगरपुर । ७०८६. प्रति स. १६ । पत्ररां० ७ । प्रा० Ex४ इञ्च । ले०काल ४ । पूरणं । वेष्टन सं. ६४.३६ प्राप्ति स्थान-दि० जन मभिर कोटडिया का हूगरपुर । विशेष-हिन्दी ब गुजराती टव्वा दीका सहित है । ७०८६. प्रतिसं० १७ । पत्र सं० २१ । मा० १०:४७ इन्च । से०काल सं० १६५१ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोथ्यों का नणवा । विशेष-- मुख्यत: निम्न पालों का संग्रह और भी है-तत्वार्थ सूत्र, कल्याण मन्दिर, एकीमाद। बीच के ११ से १६ पत्र नहीं हैं। ७०६०. प्रतिसं० १८ । पत्रसं० २-२४ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टग सं०६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन तेरहावी मन्दिर बनवा । विशेष प्रति हिन्दी टीका महित हैं। ७०६१. प्रति सं०१६। पत्रस० ५। प्रा०६x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । ले०काल ४ । अपुर्ण । वष्टन सं० ४७६ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपूर । ७०६२. प्रति सं २० । पसं. २-१६ । प्रा० ११४६६श्व । ले०काल X । अपुर्ण । वेपन सं. ४३३ । प्राप्त स्थान.... दि० जैन सभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष –प्रनि संस्कृत टीका सहित है। ७०६३. प्रति सं० २१ । पत्र सं०१६ 1 प्रा० १.४४ इच। ले०कास X । पूर्ण । वेष्टम सं० १११ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष – कहीं कहीं हिन्दी में शब्दों के अर्थ दिये है । ७०६४. प्रति सं० २२ । पथसं०५। मा०११४४ इंच। ले० काल सं० १७५८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष-घटा करणं यंत्र भी है। ७०६५. प्रति स०२३ । पत्रसं०१२ या०८४४ इञ्च । ले० काल सं० १९८० पर्ष । वेष्टन ५४ ८८ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मंदिर भादवा (राज.) विशेष-भादवा में भंवरलाल चौधरी ने लिपि की थी। ७०६६. प्रति सं० २४ । पत्र सं० ११ । प्रा. ११४७ इन्च । ले० X । पूर्ण । बेष्टन सं० ३८,६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर भादवा (राज.) Page #801 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४० ] [ प्रत्य सूची पंचम भाग विशेष-प्रति हिन्दी अर्थ सहित है। ७०६७. प्रतिसं० २५ । पत्र सं०८ | १०८४५ इञ्च । लेकास x पूर्ण । वेष्टन सं० १८८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष-- एक प्रति और है । ७०६८. प्रति सं० २६ । पत्र सं० ६ । प्रा० ७१४५३ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. १६१ । प्राप्ति स्थान.-दि० जन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष-उगास्वामि कुन तत्वार्थभूत्र भी है जिसके ३२ पृष्ठ है । प्राच्युराम सरायगी ने मदनगोपाल सरावगी से प्रतिलिपि कराई थी। ७०६८ प्रतिसं०२७। पत्र सं०५ | प्रा० ५४५ इञ्च । ले०काल x । पूरणं । वेष्टन सं. ८८-१३४ प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-कहीं २ कठिन शब्दों के अर्थ दिये हैं। ७१००, प्रति सं० २८ । पत्र सं० ८ । श्रा०८:४४ इञ्च । ले०काल सं० १९५८ चैत्र बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्तिस्थान---वि० जैन खंडेलवाल पंचायती मंदिर अलवर। विशेष--इस प्रति में ५२ पद्य हैं। प्रति स्वरक्षरी है। नन्तिम चार पद निम्न प्रकार हैं नाथः परः परमदेव वचोभिदैयो । लोकरयेपि सकलार्थ वदस्ति सर्च । उन्मरतीव भवतः परिघोषयेतो। नदुर्गभीर मुरदुदभयः सभाय ।।४।। कृष्टिदिक्षः सुमनसां परितः प्रपातः । प्रीतिप्रदा सुमनसां च मधुप्रताना, प्रीती राजीसा सुमनां सुकुमार सारा, सामोदा पदम राजि नते सदस्था ॥५॥ सुप्ता मनुष्य महुसामपि कोटि संख्या, भाजां प्रभाप्रसर मन्वहु माहुसंति । तस्मंस्तमः पटल भेदमशक्तहीनं, जैनी तनु ा विरशेष तमो पहूंली ॥५१ । देवत्वदीय शकलामलकेवलाव, बोधाति गाद्म नियनवरत्नमणि । घोषः स एव पति सज्जन तानुमेने, गंभीर भार मरितं तव दिव्य घोषः ।।५२|| ७१०१. प्रतिसं० २१ । पत्र सं०७ (ले० काल सं० १९७६ । पूर्ण । वेपन सं०७३३ प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-संस्कृत टीका सहित मिजापुर में प्रतिलिपि हई। भंडार में ५ प्रतियां और हैं । Page #802 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७४१ ७१०२. प्रतिसं० ३० । पत्र सं० ९ । ग्रा० १० X ४३ इव । ले० काल सं० १८७२ फागुण सुदी १५ । पूर्ण वेष्टन सं० १२९ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी । ७१०३. प्रति सं० ३१ । पत्र सं० २५ । प्रा० १९४७ इव । ले० काम सं० १९६४ । पूर्ण येन सं० १५७ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी | प्रति ऋद्धि मंत्र है। ¡ विशेष – ४० मंत्र यंत्र दिये हुए ७१०४. प्रति सं० ३२ । पत्र सं० वेष्टन सं० २२१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन १० ग्रा० १०४ व २० काल सं० १९०८ । पूर्ण । मन्दिर पाश्र्श्वनाथ चौगान बूदी । ७१०५. प्रतिसं० ३३ । पत्र ०६ | वेष्टन सं० २२४ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मंदिर । ० १०६४६३ इञ्च । ले० काल सं० १६०४ । पूर्ण । विशेष बूंदी में नेमिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। संस्कृत में संकेतार्थ दिए हैं। ७१०६. प्रति सं० ३४ । पत्रसं० ५ । ले० काल X पूर्ण उपरोक्त मन्दिर | विशेष- प्रति प्राचीन एवं जीर्ण है । ३ प्रतियां और हैं । - वेष्टन सं० २२५ प्राप्ति स्थान ७६०७ प्रतिसं० ३५ पत्र ०८ या० न सं० १२० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी विशेष स्वलाक्षरों में लिखी हुई है। श्लोकों के चारों ओर भिन्न २ प्रकार की रंगीन बार्डर है। ० १३५ इन्च | बेहन सं० ११६८१ ४ ० काल सं०] १८२४ पूर्ण । ७१०८. भक्तामर स्तोत्र भाषा ऋद्धि मंत्र सहित - X एच० ७ भाषा - हिन्दी (पद्य) विषय स्तोत्र एवं मंत्र शास्त्र १० काल X। तै०काल X: पूर्ण प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर धजमेर । ७१०६. भक्तामर स्तोत्र ऋद्धि मंत्र सहित - x | पत्र सं० २६ ॥ श्र० भाषा-संस्कृत-हिन्दी | विषय - स्तोत्र र काल x । ले० काल सं० १९२८ । अपूर्ण प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष प्रति जीर्ण है । १३४७३ इञ्च । वेष्टन सं० २२ ७११०. प्रति सं० २ । पत्र सं० २५ प्रा० १०६ इन्च ले० काल X पूरी बेष्टन सं० १६२ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ७१११. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १ २५ । या० ९४६३ । ले० काल X। प्रपूर्ण । न. सं० १३४ - ६२ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का 'गरपुर ७११२. प्रति सं० ४ १ ० २३ ० १०५६ प ० काल X पूछे वेष्टन ० १३५.६२ प्राप्ति स्थान- उपरोक्ष मन्दिर । 1 ७११३. प्रति सं० ५ एन० ४० प्रा० १४६ इश्व ले० काल X पूर्ण वेटन सं० ३८६-१४४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का हूँगरपुर । ७११४. प्रतिसं० ६ पत्र सं० २४ या० १०३६० फाल X पूर्ण नेटनसं २३/४१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर पाएगा इन्दरगड (कोटा) D Page #803 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४२ ] । अन्य सूची-पञ्चम भाग ७११५. प्रति सं०७ । पत्र सं०४५ । आ० १०x४ इन 1 ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन स. २८४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (दी) ७११६. प्रतिसं० ८ । पत्रसं० १-२६ । प्रा० १०४४३ इञ्च । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३७० । प्राप्ति स्थान-द जैन मन्दिर दबनाना (दो) . ७११७. प्रति सं०६) पत्र सं० ५२ । प्रा०६x६ इञ्च । ले०काल ४ । अपूर्ण । येष्टन सं० ३४१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । ७११८. प्रति सं०१०। पत्र सं. ८६ । ग्रा०६:४४ इश्च । ले काल सं० १८४६ भादवा बुदी १४ । पूर्ण । वाटन सं. ७३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटयों का नग्गवा । ७११६. प्रति सं० ११ । पय सं० १६ । श्रा०६:४४ इञ्च । ले०काल सं० १७६२ फाल्गुन सुदी १ । पूर्ण । बटन सं० ३ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मंदिर नागदी चूी। ७१२०. प्रति सं० १२ । पत्र सं० २७ । प्रा० १०:४७१ इञ्च । ले०काल ४ ! पूर्ण । घेष्टन सं०६०। प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर श्री महावीर बदी। विशेष-चोबे जगन्नाथ देशवाले ने चन्द्रपुरी में प्रा. लिपि की थी। ७१२१. भक्तामर स्तोत्र ऋद्धि मंत्र सहित- XI पत्र सं० २४.६६ । प्रा० ४४४ इञ्च । भाषा-स्कुस । विषय-स्तोत्र । र०कालXकाल x 1 अपुर्ण । बेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर यादिनाय बूदी। ७१२२. भक्तामर स्तोत्र ऋद्धि मंत्र सहित -४ । पत्र सं. २२ । प्रा० ११६४५ च । भाषा-संस्कुल - हिन्दी । विषय-स्तोत्र । २० काल x ले. कास - । अपूर्ण । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर यादिनाथ बुदी । ७१२३. भक्तामर स्तोत्र ऋद्धि मंत्र सहित- - । पत्र संख्या ५ । प्रा० ६x४३ १४ । भापा-सांस्कृत । विषय-मत्र स्तोत्र 1 र० काल X । ले. काल ४ । वेष्टन सं०६६० । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। .. ७१२४. भक्तामर स्तोत्र टोका-अमरप्रभ सूरि । पत्र सं० १० । भाषा-सस्कृत । विषयसोन । २० कान X । ले० काल सं० १८१२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर रसपुर। . ७१२५. प्रतिसं०२.१ पत्र स. २८। ले. काल सं० १८८८। पूर्वं । वेष्टन सं० ७४४ । प्राप्ति स्थान- जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। विशेप-पत्र सं० १६. से जीवाजीव बिचार है। ७१२६. प्रति सं० ३ । पत्र रा ८ | to Ex ४ इन्च । लेकाल X । पूर्ण। बेष्टन स'. ४८ । प्राप्ति स्थान-दि०. जैन मन्दिर बर । _ विशेष-ठीका का नाम सुखबोधिनी है । केवल ४४ सूत्र हैं । प्रति श्वेताम्बर अाम्नाय की है। ७१२७. भक्तासार स्तोत्र टीका- ४ । पनस. २६ । प्रा०१०१-४ इन्त । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४७ । प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन मन्दिर प्रजनर । Page #804 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [७४३ विशेष-टीका का नाम सुख बोधिनी टीका है । ७१२८. प्रति सं० २। पत्रसं० १ । rs १११४५१ इञ्च । लेकाल' । अपूर्ण । वेष्टन सं. १५३ । प्राप्ति स्थान - भ. दि. जैन मंदिर अजमेर । ७१२६. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० १६५ । प्रा०६x४इञ्च । ले काल. X । पूर्ण । बेपन सं० १३२५ 1 प्राप्ति स्थान -10 दि० जैन मन्दिर अजमेर। ७१३०. प्रति स०४ । पत्र सं०६७। श्रा०x४, इव । लेकाल.x।प्रपर्ण । ग्टन स. १६६ । प्राप्ति स्थानमा दि० जैन मन्दिर अजमेर । ७१३१. प्रति सं० ५। पत्र सं० १२ । प्रा० १०x४ इश्च । लेकाल सं० १६६७ । पूर्ण । देशन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-14 जननदर बलाना (दी) विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६६७ वर्षे ग० थी गढ़ थी जिणदास शिग्य ग. हर्ष विमल लिखितं नरायणा नगरे स्वयं पठमाई । ७१३२. प्रति सं०६। पत्र सं० १२ । प्रा०६१४६१ इञ्च । सेल्काल सं० १९३२ कासी बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ७१३३. प्रतिसं०७ । पत्रसं० ५ । प्रा० १.१४४३ । ले. काल - । अपूर्ण । वेष्टन सं०७१२ । प्राप्ति स्थान- विजन मंदिर लश्कर, जयपुर। ७१३४. प्रतिसं०८। पत्र सं० १६ । प्रा० ११४७ इञ्च । ले० काल ५ । पूर्ण 1 बेएन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। ७१३५. प्रति सं०६ । पयसंक ४१ । प्रा० १०३४४३च । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं. २०। प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पाशवनाथ चौगान दी। विशेष-हिन्दी टीका भी दी हुई है। ७१३६. प्रति सं०१०। पत्र सं० १५ । प्रा० १०x४: इश्च । से काल X । अपूर्ण । वेष्ठन सं.२६४ । प्रादि स्थान-दि जैन मंदिर दबलाना (बूदी) ७१३७. प्रति सं० ११ । पत्र सं० २१ । प्रा० ११४५३ इन्च । ले० कास स. १८५० अगहन बुदी पुणं बंधन स. १८१/४२। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर इन्दरगा (कोटा) विशेष -. लाखेरी ग्राम में प्रतिलिरिहुई थी। ७१३८. अतिसं० १२ । पत्र सं० १४ । प्रा० १०४६ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन मं० ५२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पाशवनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ७१३8. प्रति सं०१३ । पत्रसं० २६ । प्रा० १२४६ इञ्च । ले. काल x. I पूर्ण 1 वेधन सं० १३/३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवान पंचायती मन्दिर पालवर । विशेष--मरों के चित्र भी दे रहे हैं। ७१४०. प्रतिसं०१४ । पत्र सं० ८० | प्रा० ६.५ इक्ष । ले०काल x अपस। वैपन सं० ११९ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन छोटा मन्दिर बयाना । Page #805 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४४ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग विशेष-गुटकाकार में है। ७१४१. प्रतिसं०१५। पत्र स०३८ । प्रा०६x४३ इन्ध । ले. काल सं० १९५० ज्येष्ठ बुद्धी १४। पूर्ण । बप्टन सं०७५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन छोटा मन्दिर बयाना । विशेष प्रति हिन्दी टीका सहित है। ७१४२. प्रति सं० १६ । पत्र सं० ४० । मा० १३४७३ इंच । ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ६६ । प्राप्ति स्थान--दि.जैन पंचायती मन्दिर कामा। ७१४३. प्रतिसं०१७। पत्रसं० २४ । आ०११४७ इञ्च । लेकाल सं० १९६६। पूर्ण । वेष्टन सं०५६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष—प्रति सुन्दर है। ७१४ सं०१८ । पसं० २४ । प्रा.१०४४ इच। ले०काल X । पूर्ण । बेष्टन सं. २६३-११५ । प्राप्ति स्थान-दिजैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर । ७१४५. प्रतिसं० १६ । पत्र सं० २७ । प्रा०६:४६: इञ्च । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ७१४६. प्रतिसं०२०। पत्र सं. २४ । लेकाल'। पूर्ण । वेष्टन सं० ४५८ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७१४७. भक्तामर स्तोत्र बालावबोध टोका-४ । पत्र सं० २-३५ । प्रा० १२४५ इन्छ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। विषय-स्तोत्र। र० काल x | ले. काल सं० १८४४ आषाढ बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४३ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर प्रादिनाथ वदी। ७१४८. भक्तामर स्तोत्र वालावबोध टोका-४। पत्र सं० ११ । आ० १२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषम स्तोत्र । २० काल x | ले० काल सं० १८३६ । पूर्ण । वेष्टन स० ३५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बलाना (दी) ७१४६. भक्तामर स्तोत्र भाषा-प्रखैराज श्रीमाल । पत्र सं० २४ । प्रा० १०४५१ इञ्चः। भाषा-संस्कृत हिन्दी ! विषव-स्तोत्र । र० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २०५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा ।। ७१५०. प्रति सं० २ । पत्र सं० १३ । ले काल । पूर्ण । बेधन सं० ६७ । प्राप्ति स्थानदि० जैन पचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । ७१५१. भक्तामर स्तोत्र भाषा-नथमल बिलाला 1 पत्र सं० ५२ । ग्रा० १०४५ इञ्च । भाषा--हिन्दी । विषय-रोत्र । २० काल सं० १८२६जयेष्ठ सुदी १० । ले०काल सं० १९८४ कातिक सुदी २। पूर्ण । वेष्टन सं० १५८ ! प्राप्ति स्थान--भ.दिजैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ७१५२, प्रति सं०२। पत्रसं०५०।०११४५३इन्ध । ले० काल सं० १८५५ । पूर्ण । देष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मंदिर राजमहल (टोंक) विशेष प्रति ऋद्धि मंत्र सहित है । तक्षकपुर में प्रतिलिपि हुई थी। Page #806 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७४५ ७१५३. प्रति सं० ३। पत्रसं० २-४४ । आ० ११ x ६ इञ्च । ले. काल X| अपूर्ण । वेष्टन सं०१४ ३४ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दौसा ७१५४. भक्तामर स्तोत्र भाषा-- जयचंद छाबड़ा । पत्र सं० ३१ । श्रा० ८३४५६ इंच । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र०काल सं. १८५७ कार्तिक वदी १२ । ले. काल X । पूर्ण। देष्टन सं० ६६७ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष - लालसोट बासी40 बिहारीलाल श्राह्मण ने प्रतिलिपि की थी। ७१५५. प्रति सं० २। पत्र सं० २६ । सेक काल स. १६०६ । पूर्ण । वेष्टन सं०३८ । प्राप्ति स्थान-दि. जन पंचायती मंदिर भरतपुर । ७१५६. प्रति स० ३। पत्र सं० २० । प्रा० १३४८६ इञ्च । ले० काल सं० १९५५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर। ७१५७. प्रति सं०४ । पत्र सं० २३ । प्रा० १३४८ - 1 ले०काल० सं० १६०८ ।। पूर्ण । वेष्टन सं०१७२ । प्राप्ति स्थान.... दि० जैन खडेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष-दीवान बालमुकन्दजी के पठनार्थ प्रतिलिपि की गयी थी। एक दूसरी प्रति १० पत्र की चोर है। ७१५८. प्रतिसं०५। पत्र सं० २० । प्रा० ११४५३ इञ्च । ले. काल सं० १९६४ मंगसिर बुदी १०। पूर्ण । वेष्टन स. १२८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ७१५६. प्रतिसं०६ । पत्र सं०३८ : प्रा० ११ X ४३ इंच । लेवाल सं० १९५४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३८५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ७१६०. भक्तामर स्तोत्र भाषा-- । पत्र सं० ४ । या० १.१ ४४३ इञ्च । भाषा-- हिन्दी (पद्य)। विषय - स्तोत्र । २०काल ४ । ले. काल ४ । पूरी । वेष्टन सं० २.४ 1 प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मंदिर अजमेर । मादि भाग-चौपई अमर मुकुटमणि उद्योत । दुरित हरण जिन चरणह ज्योत। नमहु त्रिविवयुग यादि अपार । भव जल निवि पर तह पाचार ।। अन्तिम भक्तामर की भाषा भली । जानिपयो विधि सतामिली। मन समाध जपि करहि विचार । ते नर होत जयश्री सारु ।। इति थी भक्तामर भाषा संपूर्ण । ७१६१. भक्तामर स्तोत्र भाषा-४ । पत्र सं० ५० 1 भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र काल xले०काल x | पूरण । वेष्टन सं० १६४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष--अन्तिम पत्र नहीं है। ७१६२. भक्तामर स्तोत्र भाषा टोका-विनोदीलाल । पत्र सं० १७३ । आ६ x ५३ इश्य । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र०काल सं. १७४७ सावरण बुदी २ । ले० काल १८४३ सावरण दुदौ ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६५ । प्राप्ति स्यान-दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ (कोटा)। Page #807 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची पंचम भाग विशेष-- प्रति कथा सहित है। ७१६३, प्रतिसं० २ । पत्रसं० २३० । लेकाल सं० १८६५ फागुन सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं०५ । प्राप्ति स्थान- वि० जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । विशेष- कुम्हेर नगर में लिखा गया था । ७१६४. प्रतिसं० ३। पत्र सं. १७३ । लेकाल x | अपूर्ण । बेष्टन सं० । प्राप्ति स्थान--- दि जैन मन्दिर दीघानजी भरतपुर । ७१६५. प्रतिसं०४। पत्र सं० १३० । ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं०४१ । प्राप्ति स्थान- दि. जन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । विशेष - १९२६ में मन्दिर में चढाया था। ७१६६. प्रति सं०५। पत्र सं० २३६ । ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं०६५ 1 प्राप्ति स्थान--दि० जन तेरहपंथी मन्दिर वसबा । ७१६७, प्रतिसं०६। पत्रसं० १३८ । प्रा० १२४८ इञ्च । ले० काल सं० १६६६ । पूर्ण । येन सं. १७३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खंडेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ७१६८. प्रति सं०७। पत्र सं० १८३ । प्रा०१३ ४७ इञ्च । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेप्टन सं० १४२ । प्राप्ति स्थान -दि० जन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ७१६९. प्रति सं० । पत्रसं० १८३ । आ० १२४७ इञ्च । ले काल स. १५७९ । पुर्ण । वहन सं०६३। प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर बयाना । ७१७०. प्रति सं०है। पवसं० १७४। ले०काल X । अपूर्ण । बेष्टतसं० १३ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । विशेष-८५ से भागे पत्र नहीं हैं। ७१७१. प्रति सं०११ पत्रसं० २२६ । आ. १२१४७ इच । ले०काल स. १८९५ । पूर्ण । वेष्टन स० ५४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा। ७१७२. मक्तामर स्तोत्र टीका-लब्धिवर्द्धन। पत्रसं० २१ । प्रा० १०.४५ इञ्च । ले० काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं० ७३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ७१७३. भक्तामर स्तोत्र भाषा टीका-हेमराज। पत्र सं०७६ । प्रा०६ x ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र०काल x I ले०काल सं० १७७० । पूर्ण । देश सं० १५०४ । प्राप्ति स्थान-भ.दि. जैन मन्दिर अजमेर । भक्तामर टीका सदा पढ़ सुनजो कोई । हेमराज सिव सुख लहै तन मन वंद्रित होय । विशेष-मुटका प्राकार में है। ७१७४.प्रतिसं०२। पत्र सं०१४ । मा०७१X४ इञ्च । ले०कालx1अ परर्ष । वेष्टनसं. । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष-हिन्दी पद्य माहित है। Page #808 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तरेन साहित्य ] [ ७४७ ७१७५. प्रति सं०३ । पत्रसं० ४ । प्रा० x ४ इञ्च । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं. १२३-५७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष - हिन्दी पच टीका है। ७१७६. प्रति सं०४ । पत्र सं० ५ । प्रा०१० ४ इञ्च । । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) विशेष-हिन्दी पद्म हैं। ७१७७. प्रतिसं०५ । पत्र सं० २८ । ले०काल सं० १८६६ ज्येष्ठ शुक्ला ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. १५४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-जोधाराज कासलीवाल ने लिखवाई थी । हिन्दी पद्य हैं। ७१७८. प्रतिसं०६। पत्र सं० ११२ । आ० ४३ ४ ५१ इञ्च । लेकाल सं० १८३० माघ बूदी४१ पुगे । वेष्टन सं० १२० । प्राप्ति स्थान -दि. जैन छोटा मन्दिर बयाना । विशेष-वाटिकापुर में लिपि की गई थी। प्रति हिन्दी गद्य टीका सहित है | गुटकाकार है। ७१७६. प्रतिसं०७ । पत्र सं० ८६ । प्रा० ६४४२ इञ्च । लेकाल X । पू । वेष्टन सं०३४५। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवान जी कामा । विशेष-हिन्दी गध एवं पद्य दोनों में अर्थ है। ७१८०. प्रतिसं०८। पत्र सं० २६ । या० १०४४१६ 1 ले०काल सं०१७२७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर दीवानजी कामा । विशेष-हेमराज पांड्या की पुस्तक है । ७१८१. भक्तामर स्तोत्र भाषा टीका --X । पत्र सं० २० प्रा० ११३४५ इञ्च । भाषा-.-संस्कृति, हिन्दी विषय-स्तोत्र। र०काल ४ ले० काल सं० १८४४ मंगसिर सुदी है। पूर्ण । वेन सं० १९७ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मदिर अजमेर विशेष—पं० चिमनलाल जे दुलीचंद के पटनार्थ किशनगढ़ में प्रतिलिपि की थी। ७१५२. भक्तामर स्तोत्र टोका-गुणाकर सूरि । पत्र सं० ८५ । भाषा-संस्थात । विषय-- स्तोत्र । र०काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेतन सं० ६०५ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७१५३. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५४ । लेकाल x पूर्ण । वेन सं. ३१ । प्राप्ति स्थानदि. जैन बड़ा पंचायती मन्दिर डीग । ७१८४. भक्तामर स्तोत्र वृत्ति कनक कुशल । पत्र सं० १५ 1 या० १.४४ इन्च । माषासंस्कृत | विषय - स्तोत्र । २० कासर । ले० काल सं० १६८२ ग्रासोज सुदी १। पूर्ण । वेष्टन सं० २६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर चौगान यूदी । विशेष—बैराठ नगर में विजयदशमी पर रचना हुई थी। नारायना नगर में नयनरुचि ने प्रतिलिपि की थी। ७१८५. भक्तामर स्तोत्र वृत्ति-रत्नचन्द्र । पत्र सं० २४ । पा० ११:४५ इश्च । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल XI ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्ठन सं० १२९१ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर । Page #809 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४८ ] [ प्रस्थ सूची-पंचम भाग ७१८६. प्रतिसं०२पपसं० ४६ । मा० ११४५६'च । लेकाल सं० १७५७ अगहन सुदी ७ । पूर्ण । बेष्टन सं० २७४-१४२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ७१८७. प्रति सं. ३1 पसं० ४६ प्रा०१३x इश्च। ले० काल सं० १५३४ पौष ब्रदी ह । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष-सिद्धनदी के तट ग्रीवापुर नगर में श्री चन्प्रभ के मन्दिर में करमसी नामक श्रावक की प्रेरणा से वथ रचना की गयो । प्रतिलिपि कामा में हुई थी। ७१८८. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० १४-४३ । लेकाल सं०१८२५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर कामा । विशेष प्रति जीर्ण है। ७१५६. भक्तामर स्तोत्र वृत्ति-ब्र० रायमल्ल । पत्र सं० ५७। प्रा० x ३१ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल सं० १६६७ आषाद सुदी ५। ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. १३९३ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ७१६०. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ४७ । पा. १० x ४३ इञ्च । ले०काल सं० १७४६ भादवा सदी ६१ पूर्ण । वेपन सं० १४१५ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर।। ७१६१. प्रति सं० ३। पत्रसं० ६४ ।या. १०४४६ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टनसं. ३४८ । प्राप्ति स्थान-ग० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ७१९२. प्रति सं० ४ । पत्र सं०४२ । प्रा० १०४४ हन । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टनसं० १६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष-भट्टारक धर्मचन्द्र के शिष्य ५० मेघ ने प्रतिलिपि की थी। ७१९३. प्रतिसं० ५। पत्र सं० ३७ । प्रा० १३४४३ इञ्च । ले० काल सं० १७८३ माह सुदी ५। पर्ण । वेष्टन सं०५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटयों का नैरणदा । ७१९४. प्रतिसं०६।। पत्र संख्या ४५ । प्रा. ११४४ इञ्च । ले. काल सं० १७५१ सावन सदी ५ । पुर्ण । वेहन संख्या ३८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष--बगरू ग्राम में सवलसिंहजी के राज्य में पं. हीरा ने यादिनाथ चैत्यालय में लिपि की थी। ७१६५. प्रति सं०७ । पत्र सं० ४३ । प्रा० १०३ ४ ४३ इञ्च । लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन स० ४६ । प्राप्ति स्थान-- विजन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष वदनादिमध्ये पं० तुलसीद्वादसी के शिष्य ऋषि प्रहलाद ने प्रतिलिपि की थी। ७१६६. प्रति सं० ८। पत्र सं० ४२ । प्रा०६x४१ इन्च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४५ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ७१६७. प्रति सं०६।पत्र सं० ३६ । प्रा०६x६ इञ्च । ले० काल सं० १८९६ घंत्र बुदी १३। पूर्ण । देष्टन सं० १५८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दबलाना (बदी) विशेष विमल के पठनार्थ प्रतिलिपि कराई थी। ७११८. प्रति सं० १० । पत्रसं० ३४ । आ० ७१४४ इन्च । ले. काल सं० १७८२ वैशाख बदी १२। पुर्ण । बेहन सं०७४ । प्रान्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना बदी।। Page #810 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोश साहित्य ] [ ७४६ ७१६६. प्रति सं० ११ पत्र स. ३६ । प्रा० १०१ x ४३ इञ्च । ले. काल सं० १८३५ कार्तिक सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८३ । प्राप्ति स्थान-६ि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। ७२००. प्रतिसं० १२ । पत्र सं०४१। प्रा० १०१४ ४ इञ्च । ले. काल सं० १८१७ माघ बुदी १३ । पूर्ण । वेष्ठन स. ८४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-नाथराम ब्राह्मण ने लिखा था। ७२०१. प्रति सं० १३ । पत्रसं० २-३७ । ले० काल सं० १७३६ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर डीग । विशेषकामा में प्रतिलिपि हई थी। ७२०२. प्रतिसं०१४ । पत्र सं० ३३ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले० काल सं० १६७२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४१ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन अग्रवाट मन्दिर उदयपूर । ७२०३. प्रतिसं०१५। एत्र सं० २४ । पा० ११४५३ इञ्च । ले० काल सं० १७१३ । पूर्ण । वेशन २०७४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर दीवानजी कामा। ७२०४, प्रतिसं० १६ । प ११ । ले . > I पूर्ण . २६ प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७२०५. भक्तामर स्तोत्र वृति- - । पत्र सं० ४४ । पा० x इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X ।ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२९७ । प्राप्ति स्थान- भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । ७२०६. प्रति सं० २। पत्र सं०७० । मा० १.४५ इश्च । लेकाल X । अपूर्ण । येष्टन सं. १२५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर यादिनाथ बूदी। विशेष-कथा भी है। ७२०७. प्रति सं०३। पत्र सं० २४ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले. काल ४ ! पुर्ण । बेष्टन सं.' ६१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी।। विशेष–पुस्तक पं० देवीलाल चि० विरबू की छ। ७२०८. प्रति सं०४। पत्रसं० २५ । ले० काल x। पूर्ण । वेटन सं० ४१८। प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-टीका सहिल है। ७२०६. भक्तामर स्तोत्र वृत्ति-४। पत्र सं० १६ । भाषा-संस्कृत । १० काल - । ले. काल - पूर्ण । वेटन सं० ४३५ । प्राप्ति स्थान-१० र पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७२१०. प्रतिसं०२। पत्र सं० ८ । लेकाल४ अपुर्ण । वेष्टन सं.४३७ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष---प्रति प्राचीन है तथा ३९ वी काव्य तक टीका है। ये पत्र नहीं हैं। ७२११. भक्तामर स्तोत्रावरि-४। पत्र सं० २-२६ । प्रा. Ex५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोष । र०काल X । ले. काल सं० १६७१ । अपूर्ण । बेष्टन स. ३११/४२४-४२६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । Page #811 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५० ] [ मन्थ सूची-पंचम भाग विशेष--अन्तिम पुष्पिकाइति श्री मानतुगाचार्यकृत भक्तामर स्तोत्राव चूरि टिप्पणक संपूर्ण कृतं । प्रशस्ति-- कहतमपुर वास्तव्य चौधरी वसावन तत्पुत्र चौधरी सूरदास तत् पुत्र चौधरी सौहल सुन्न वन अर्गलपुर वास्तव्य लिखित कायस्थ माथुर दवालदास तत्पुत्र सुदर्शनेन । संवत् १६७१ । ७२१२. भक्तामर स्तो त्रायरि-x । पत्र १११ । या. १०४४३ इच। भाषानोत्र । र०कालले काल - I पूर्ण । वेष्टन सं० २६२-१०५ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर कोटडियों का हूंगरपुर । विशेष-श्वेताम्बर प्राम्नाय का अथ है । ४४ काब्य हैं । ७२१३. भगवती स्तोत्र--x।पसं०३ । ग्रा6.x५३इप 1 भाषा-हिन्दी । विषम-- स्तवन। रकाबx। ले०काल x। पूर्ण । वैन सं० २२। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बारसली कोटा । ७२१४. भा गोबिन्द स्तोत्र- ४ । पत्रसं० १ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल' x । ले० काल ४ । वेष्टन सं० ४६६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन भन्दिर लश्वर, जयपुर । ७२१५. भयहर स्तोत्र (गुरुगीता)-। पत्रसं० ५। या ५४३३६च । भाषा-सांस्कृत। विषय-स्तोत्र । २० कालX । ले० काल X ।पूर्ण । वेष्टनसं०५४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर अयाना । ७२१६. भवानी सहस्त्रनाम स्तोत्र- x । पत्रसं० १३ । प्रा०६४५६ प । भाषासंस्कृत । विषय--स्तोत्र । र०काल x । लेकाल x । पूर्ण । बष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थानमा दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-- अन्तिम दा पत्र में गमरक्षा स्तोत्र है। ७२१७. मवानी सहस्त्रनाम स्तोत्र-x। पत्रसं०२-२८ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २०काल x । लेकाल सं० १७६७ पौष सदी ७ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन तेहपंथी मन्दिर वसवा । विशेष:-भादसोडा में प्रतिलिपि हुई थी। ७२१९. भारती लय स्तवन-भारती। पत्रसं०७। मा० १०x४३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय -- स्तोत्र । र० काल X ।ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लवकर जयपुर.। . विशेष प्रति संस्कल टीका सहित है। ७२१६. (यत्ति) भावनाष्टक-X ।पत्र सं० १ । प्रा० १३३ x ६ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय - स्तोत्र । र०काल x ले०काल X । पूर्ण । वेन सं०४११ । प्राप्ति स्थान—दि.जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ७२२०. भावना बत्तीसी-प्राचार्य अमितगति । पत्रसं० २१ प्रा० १३३४६ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । र काल x। लेकाल x । वेष्टन सं०४०३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। Page #812 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोम साहित्य ] ७२२१. भाव शतक-नागराज स्तवन । २० काल X ले० काम x पूर्ण जयपुर । विशेष - 85 पथ हैं । ७२२२. प्रतिसं० २३ पत्र सं० ५ । ग्रा० १० X ४ इञ्च । से० काल x । वेटन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष-१०१ प है भ प्रशस्ति मच्छी है। [ ७५१ I सं० १७ । ग्रा० १०३x६ इव । भाषा-संस्कृत विषयवेष्टन सं० २२० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, ७२२३. भूपाल चतुर्विंशतिका - भूपाल कवि । पत्रसं०४ काल Xले काल पूर्ण वेटन सं० ६६७ प्राप्ति स्थान ६४३ इञ्च उ प्रति । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। | | 1 विषय - स्वोज । -P ― भाषा-संस्कृत प्र० दि० जैन मन्दिर अजमेर | ले०काल - ७२२५ प्रतिसं० ३ । पत्र [सं० ४ । प्रा० ११४४ इब्च । ले० काल । पूर्णं । वेष्टन सं० ९२ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी | ७२२६. प्रतिसं० ४ । पत्र ०४ ० १०३४४ इञ्च ले० काल सं० १६०७ । पूर्ण । वेशन ० ४१ प्राप्ति स्थान दि० जैम खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । संवत् १६०७ वर्षे धावा वदि श्री मूलचे बलात्कारगो मट्टारक सकलभीतिदेवा तदान्नाये ० जिनदास ब्रह्म वाघजी पठनार्थं । ७२२७. प्रति सं० ५ । पत्र सं० १५ १ ० ११६४५ इश्व | ले० काल सं० १७५७ । वेष्टन सं ० ३५६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष तुलसीदास के साथ रहने वाले तिलोकचन्द ने स्वयं लिखी थी। कहीं २ संस्कृत टीना भी है. 1 ७२२८. प्रतिसं० ६ । पत्रसं० ६ | आ० १०३५ इश्व । ले०काल X | वेटन सं० ३६२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । वा टीका सहित है। विशेष । पूयं । वेष्टन सं० ७२२९. प्रतिसं० ७ पत्र ०४ या० १०३ x ५ इव ले० काल X1 बेटन सं० २६२ ॥ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर | ७२३०. प्रति सं० ८ पत्र ० ३ ० १३१६ ० काल । बेन सं० ४०१ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर | हिन्दी | विषय- स्तोत्र र० काल X | ले० काल x पूर्ण मन्दिर दीवानजी कामा । ७२३१. भूपाल चतुविशतिका टीका–भट्टारक चन्द्रकोसि ६ इंच भाषा-संस्कृत विषय— स्तोत्र | २० काल X | ले० काल पूर्ण वेष्टन सं० १०९ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) पत्रसं० १० । श्र० ९२ X सं० १९३२ कार्तिक बुटि २ । ७२३२. भूपाल चौबीसी नावाप्रखयराज पत्र नं० १६ ० ११४५३ भाषा। इञ्च । वेष्टन सं० २३५ । प्राप्ति स्थान दि० जैम Page #813 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५२ 1 [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७२३३. प्रति सं० २ । पत्रसं० १२ । प्रा० ११४६ इञ्च । ले०काल सं० १७३३ काती खुदी ५। पूर्ण । देष्टन सं० ५९३ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष प्रति प्राचीन है इसकी प्रति सांगानेर में हुई थी। ७२३४. प्रति सं०३। पत्र सं०१२ । प्रा०११४४३ च । लेकालX । वेष्टन सं०६७३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लपकर, जयपुर। ७२३५. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० २७ । प्रा. १०३४४३ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०१२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ७२३६. प्रति सं०५ । पनसं० २-१७ । श्रा० ११:४५३ इञ्च । ले० काल सं० १७२३ चैत्र बुदी १। अपूरणं । वेष्टन सं० ४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बड़ा बीसपंथी दौसा । विशेष-ईश्वरदास ठोलिया ने संग्रामपुर में जोशी प्रानन्दराम से प्रतिलिपि कराई थी। ७२३७. भूपाल धौबीसी भाषा . ४ । पत्र स. २ । प्रा०x४, इश्च । भाषाहिन्दी । विषय-स्तोत्र । र.काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०३५ । प्राप्ति स्थान-भ. दि जैन दर अजमेर। ७२३८. भैरवाष्टक -x । पत्र सं० १४ । प्रा० १२४६३ इन। भाषा-संस्कृत, हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र० काल x | ले. कास XI पूर्ण । बेस्टन सं० ३७/१७ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर भादवा (राज.) ७२३६. मंगल स्तोत्र- पत्र सं० २ । प्रा. १०x४, इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयधर्म । र० काल X| ले. काल X । पूर्ण। वैप्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान–दि. जैन मन्दिर कोथ्यों का नणवा। ७२४०. मणिभद्रजी रो छन्द-राजरत्न पाठक । पत्र सं० २ । ग्रा० ४६ इञ्च । भाषाहिन्दी पशु । बिषय-स्तोत्र । र०काल ४ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७५/१४२ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर कोटडियों का दंगरपुर । सगर वाडापुर मंडपो अतुलवली अशरण शरण राजरत्न पाठक जयो देव जय जय करा ७२४१, मल्लिनाथ स्तवन-धर्मसिंह। पत्रसं. ३ । प्रा० १.४४६च। भाषा--हिन्दी । विषय-स्तवन । र०काल सं० १६०७ । लेकाल । पूर्ण । वेटन सं० ३३५-४०६ । प्राप्ति स्थान-- दिल जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष- अन्तिम भाग निम्नप्रकार है। श्री रतन संघ गणीन्द्र तमपट केशवजी कुलचंद ए। तस पटि दिनकर तिलक मुनिवर श्री शिवजी मुशिद ए॥ धर्मसिंह मुनि तस शिष्य भी धूपया मलि जिद ए ॥५१॥ सवत नय निधि रम शशिकर श्री दीवाली श्रीकार ए। शृगार मरुधर नपरसुन्दर बीकानेर मंझार ए| श्रीसंघ बीनती सरस जारणी कीबो स्तवन उदार ए। Page #814 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोग साहित्य ] श्रीजन सेवक जनन सदाशिव सुखकार ए। इति श्री मल्लिनाथ व संपूर्ण भार्या जवादे पठनार्थ । | ७२४२. महामहर्षिस्तवन- पत्र सं० २ मा० १०x४३ भाषा-संस्कृत X | । इश्व | विषय - स्नोष । र०काल X | ले० काल X। वेटन सं० ३५७ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ७२४३. महर्षि स्तवन - x | पत्र सं १ । पूर्ण वेष्टन सं० ३७७ सो र०का X ले काल जयपुर: विशेष प्रति संस्कृत ७२४४. महर्षि वन स्तोम । २० काल Xx दीवानजी कामा । 1 ७२४५. महाकाली सहस्रनाम स्तोत्र - x 1 पत्रसं० २६ । आ० ६९४ संस्कृत विषय स्तोष १० बाल X ले०काल सं० १७८४ । पूर्ण वेष्टन सं० ८०४ म० वि० जैन मन्दिर अजमेर । । विशेष गुटका साइज में है। ७२४६. महाविद्याचकेश्वरी स्तोभ - X संस्कृत विषय स्तोष । २० काल X। ले० काल. X जैन मंदिर पार्श्वनाथ इंदरगढ़ (कोटा) 1 - या सहित है। X पत्र० ८ ० १२५ इंच भाषा-संस्कृत विषयपूर्ण वेटन सं०] १८६ प्राप्ति स्थान दिजैन मंदिर ० १०५ भाषा-संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर विषय-मंत्र शास्त्र २० का X ले० काल X पार्श्वनाथ मन्दिर इस्वरगढ (कोटा) पत्र० १२० पूर्ण वेष्टन सं० १२० ७२४७. महाविद्या स्तोत्र मंत्र - XI पत्र सं० ३ | ० १०३४४ पूर्ण वेष्टन [ ७५३ ७२४८. महावीर स्तवन- जिनवल्लभ सूरि स्तोष । १० काल ले०काल पूर्ण बेष्टन सं० १२१ भरतपुर । च । भाषाप्राप्ति स्थान इति थी स्याद्वाद सुन श्री महावीर जिनस्तवन संपूर्ण ७२५०. महावीरनी स्तवन- सकलचन्द्र पत्रसं० २ विषय- स्तयन ए०काल X ले०काल x पूर्ण वेटन सं० ३ बोरसती कोटा | ४३ भाषाप्राप्ति स्थान दि० भाषा-संस्कृत । ० १०५ प्राप्ति स्थान दि०जैन पत्र ०४ भाषा प्राकृत विषय प्राप्ति स्थान दि०जैन पंचायती मंदिर विशेष-पं० बोसा ने पं० वं के पडनार्थं विधी ७२४६. महावीर स्तवन- विनयकीति ० ३ ० १०४ इंच भाषा हिन्दी । विषय स्वन १० काल X लेकास X पूर्ण वेष्टन सं० ३३५-४०५ प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर अन्तिम भाग - ० १०४४ इन्च भाषा हिन्दी प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर Page #815 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५४ ] [ अन्य सूचो-पंचम भाग ७२५१. महावीर स्तोग वृत्ति—जिनप्रभसूरि । पत्रसं० ४ । या. १०१४४ इञ्च । भाषा--- संस्कृत । विषय-स्तोव । र काल x ले०काल पूर्ण । देष्टन सं० १७३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बु दी। ७२५२. महावीर स्वामीनो स्तवन-x। पत्र सं०१ । आ. १.४४३ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय स्तोत्र २० कालxले. काल सं० १९४० चैत्र सुदी १ । पूरणं । वेष्टन सं०२। प्राप्ति स्थान- दि. जैत मदिर बोरमली कोटा। विशेष .. पोरङ्गाबाद में लिखा गया था। ७२५३. महिम्न स्तोग-पुष्पदंताचार्य । पत्र सं० । आ०६३४४ इञ्च । भाषा--संस्कृत । विषय---स्तोत्र । र० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५२। प्राप्ति स्थान---भ० दिक जैन मन्दिर भजन ७२५४, प्रतिसं०२। पत्र सं०६ । प्रा. ११x१ इञ्च । लेकालx पूर्ण । वेष्टन सं. ३३८ । प्राप्ति स्थान --भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष-प्रति जी है। ७२५५. प्रति सं०३ । पत्रसं०७। प्रा०६४५ इञ्च । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं. १५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (दी) ७२५६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० २-६ । ६१४४३ इन्च । लेकाल x | अपूर्ण । वेष्टन मं०२७२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर बलाना (ब्दी) ७२५७. प्रति सं० ५ ! पत्रसं० १० । आ० ११४६१ इत्त । ले०काल X । पूर्ण । वेटन सं. १९४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन संदिर अभिनन्दन स्वामी दी। ७२५८. मानभन्न स्तवन-मारणक । पत्र स०५ | प्रा. १०४४३ इच । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । २. कालX ।ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन स. २५० । प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ (कोटा) ७२५६. मात्तण्ड हृदय स्तोत्र-x । पत्रसं० २ 1 प्रा० १०३ x ६ इञ्च । भाषा संस्कृत ।' विषय-वैदिक साहित्य । र० काल ४ । लेकाल सं० १८८६ फागुण सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३१० । प्राप्ति स्थान-भ. दि.जैन मन्दिर अजमेर । ७२६०. मनि मालिका-४ । पत्रसं०२ । प्रा०६३ ४ ४ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषयस्तवन । र०काल ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २६३ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष- प्रति प्राचीन है। ७२६१. मलगासज्झाय-विजयदेव । पत्र सं० १ । ग्रा० १०.४४ ६च । भाषाहिन्दी। विषय-- स्तुति । र०काल ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । Page #816 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७५५ ७२६२. मांगोतुगी सज्झाय-अभयचन्द्र सूरि । पत्र सं० ३ । प्रा० १० x ४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पञ्च) 1 :-स्तवम् । २.क: गल : पूर्ण । वेष्टनसं० १४२ । प्राप्ति स्थान. दि. जैन मन्दिर दखलाना ( दी) । ७२६३. यमक बंध स्तोत्र-X । पत्र सं० २। प्रा० १२ X ८ इञ्च । भाषा-संस्कृत । स्तोत्र । र०काल x । ले-काल x । पूर्ण । बेष्टन सं० ।२०२ प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर नागदी दी। विशेष-टीका सहित है। ७२६४. यमक स्तोत्र- X । पत्रसं० ६ | प्रा. १०४५६ इञ्च । भाषा – संस्कृत । विषय - स्तोत्र । २० काल । ले०लका ४ । वेष्टन सं० १०। प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) विशेष – पार्श्वनाथ स्तबन यमक अलंकार में है । ७२६५. यमक स्तोत्राष्टक -विद्यानंदि । पत्र स०६ 1 प्रा० ११ x ८ इ'ध । भाषासंस्कृत | विषय-स्तोत्र । र०काल X1 ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं० २४४ । प्राप्ति स्थानम. दि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष--प्रति संस्कृत टीका सहित है । प्रहंत परमेश्वरीय यमक स्तोत्राट्रक है । ७२६६. रामचन्द्र स्तोत्र-x। पत्र सं०१ । पा० १२ x ४ इञ्च । भाषा--संस्कृत। विषय--स्तोत्र । र काल ४ । से० कालx । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६५-४७३ 1 प्राप्ति स्थानदि. जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । ७२६७. रामसहस्त्र नाम-X । पत्र सं० १७ । प्रा० ६x४२ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X ।ले. काल सं० १८०६ वंशात्र बुदी पूर्ण । वेष्टन सं० २१०। प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। लिस्त्रितं चिरंजीव उपाध्याय मयारामेण श्रीपुरामध्ये वास्तव्य । ७२६८. रोहिणी स्तवन-x। पत्र सं० २ । प्रा० १०:४४३ इन्च । माषा-हिन्दी (पद्य) । विषय - स्तोत्र । २० काल - ले. काल ४ | अपूर्ण । बेष्टन सं० ३६० । प्राप्ति स्थानदि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ७२६९. लक्ष्मी स्तोत्र-पत्रमदेव । पत्र सं० १ । प्रा० १३३४६ इन । भाषा-संस्कृत ! बिषय-स्तोत्र । र० काल ४ । ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ४०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर । ७२७०. लक्ष्मी स्तोत्र-पाप्रमदेव। पत्रसं०७१ ।या. १०१४४३ इन्च । भाषा-संस्कृतं । विषय-स्तोत्र । र०काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४२ । प्राप्ति स्थान—दि. अन मन्दिर लश्कर जयपुर। ७२७१. लक्ष्मी स्तोश-X । पत्र सं० २ । प्रा०७३ x ४ इन्ध 1 भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र०काल x ले. काल xपूर्ण । वेष्टन सं० १२५० । प्राप्ति स्थान-५० दि० जैन मन्दिर अजमेर । Page #817 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५६ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ७२७२. लक्ष्मी स्तोत्र - X | पत्र सं० १ | श्र० ६ x ४३ इव । भाषा संस्कृत विषयस्लोष | र०काल X ०काल पूर्ण वेष्टनसं० ७४८ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | ७२७३. लक्ष्मी स्तोभ गायत्री - X पत्रसं० २ भाषा-संस्कृत विषय स्तोष र०काल X | जे० काल सं० १७६७ पूर्ण वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन तेरहपंथी मंदिर बसवा | विशेषीकेश की थी। ७२७४, लक्ष्मी स्तोत्र टीका -x । पत्र सं० ४ 1 भाषा-संस्कृत २० काल x सेकाल [सं०] १८६० भाववादी १२ पूर्ण वेन सं० २० प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष- भरतपुर में लिखा गया था। | ७२७५. लक्ष्मी स्तोत्र टोकाX | पत्रसं० ७ ० ११५४] विषय - स्वोज रात काल X पूपै वेष्टन सं० १९७ प्राप्ति स्थान बोरसी का विशेष - सरोज नगर में पं० मूलचन्द ने लिखा सं० १८४.... । - ७२७६. लक्ष्मी स्तोत्र टोका- ४ पत्र सं० ४ ० ८५३ विषय - स्तोत्र 1 र० काल x । ले०काल । पुणं । येनसं० २०४ | X राजमहल (टोंक) ७२७७.शांतिपत्र पत्रसं० १ ० १०४ स्तोत्र र०का X वाल x पूर्ण वेष्टनसं० १५० कोटा | । ७२७९, लघुस्तवन टीका - भाव संस्कृत विषय विधान २० काल स० १५६० I स्थान दि० जैन मन्दिर लस्कर जयपुर । - 1 ७२७८. लघु सहस्रनाम - X पत्र० ४२० १२५३ इन्च भाषा संस्कृत विषयतो २० काल X ते काल x पूर्ण वेप्टम सं० ४६६ प्राप्ति स्थान- भट्टारकीय वि० जैन मन्दिर पजमेर। -- माषा-संस्कृत । दि० जैन मन्दिर भाषा -: - संस्कृत | प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर भाषा संस्कृत विषय— प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरस शर्मा | पत्र सं ० ३-३६ । ० १११ x ५६ छ । भाषा - ले०काल सं० १७७० प्रपूर्ण वेटन सं० ७५१ प्राप्ति विशेष संचावती में नेमिनाथ वैश्यालय में मजगतकी के वियदोदराज ने अपनी ज्ञान वृद्धि को ४०४१ कि जगतकीर्ति के शिष्य पं० दोदराज के लिए प्रतिनिषि ७२५० लघु स्तवन टीका x र० काल X | ले० काल x । पूर्ण वेष्टन ० ६२ बसवा | के लिए टीका की प्रतिलिपि अपने हाथ से की थी इसी के साथ संत् १७७० बें गृह पर विस्तृत प्रशस्ति है, जिसमें लिखा है की गई थी। पत्र [सं० ४ भाषा-संस्कृत विषयस्यो । प्राप्ति स्थान मन्दिर ७२८१. लब स्तोत्र विधि - ४ । पत्र सं० ७ भाषा-संस्कृत विषय स्तोत्र । १० काल x | काल X पूर्ण । वेन सं० ६६३ | प्राप्ति स्थान – दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #818 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ७२८२. लघुस्वयंभू स्तोश - देवनंदि । संस्कृत | विषय - स्तोत्र । र० काल X | ले० काल जैन मन्दिर अजमेर । ७२८३ प्रतिसं० २ र० काल X। ले० काल X। चौगान छू दी । हैं । विशेष – दशलक्षण धर्म व सोलहकारण के भी कवि ७२८४ लघुस्वयंभू स्लोश टीका - X भाषा-संस्कृत विषयस्तोष | २० काल X | काल स० १७८४ कार्तिक वृदि ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७७ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । पसं० ३३ I पत्र सं० ७ । ग्रा० ७९५ ३श्व | भाषा - संस्कृत विषय स्तोत्र | पूर्ण । वेष्टन सं० २५८ । प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ ७२८५. बज्रपंजर स्तोत्र यंत्र सहित - x । पत्र [सं०] १ वेटन सं० ७७-४३ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विषय- सावन । २०काल जैन मंदिर श्री महावीर बूंदी | ७२८७. वक्ष मान विषय—रोत्र । र० काल X बडा पंचायती मन्दिर डीग [ ७५७ भाषा पत्र सं० ५ । ० १० X ४३ इच । । पूर्णं । येन सं०६०३ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० । ७२८६. वंदना जखडी - XI पत्रसं० ६ ० १२X४ इच । ले० काल सं० १६४२ वेष्ट सं० १७१ पूर्ण विलास स्तोत्र - जगद्भूषा । प० ४ से ५ भाषा-संस्कृत ले काज X पूर्ण वेष्टन सं० २२ (क) प्राप्ति स्थान दि० विशेष – ४०६ पद्म हैं। भट्टारक श्री ज्ञानभूषण पट्टस्थितेन श्री भट्टारक जंगभूषणेन विरचितं मान विलास स्तोषं । ४०१ श्लोक निम्न प्रकार है। एतां श्री मानस्तुति मतिविलसद्व मानारागा व्यक्ति नीता भदस्या वसति तनुपिया श्री जगभूषणेन । यो धीते तस्य कायाद् विगलति दुरितं श्वासका प्रणाशो, विद्या हुआ नया भवति विद्य खिता कीर्तिदद्दामलक्ष्मी ||४०१ ।। ७२८६. वसुधारा स्तोत्र - X स्तोत्र | २० काप X। ले० काल x अजमेर | पूर्ण भाषा - हिन्दी (ग)। प्राप्ति स्थान दि० う ७२८८. वर्द्धमान स्तुति - XI पत्र सं० १ । भाषा - हिन्दी | विषय - स्तवन । र० काल X । ले० काल X। पूर्णं । वेष्टन सं० ६४४ प्राप्ति स्थान- वि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७२६०. वसुधारा स्तोत्र - X | विषय-पूजा २० x ०काल X पंचायती मन्दिर पूछें वर ०८ ० ७३४ इन्च भाषा संस्कृत विषयवेष्टन सं० १४९२ प्राप्ति स्थानम० दि०जैन मन्दिर पत्र सं० ५ । प्रा० वेष्टन सं० १२४ १०x४३ इव । भाषा–संस्कृत | प्राप्ति स्थान दि० जैन वाल Page #819 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाम __७२६१. वसुधारा स्तोत्र--- । पत्र सं० ४ । पा. १२४ ६ इन्च । भाषा--- संस्कृत । विषयस्तोत्र । र०काल x ले. काल x। अपूसां । वेष्टन सं० ७३५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ७२६२. विचारषनिशिकास्तबन दीका-राजसागर । पत्रसं० ६ । प्रा० १०४४१ इञ्च । भाषा-प्राकृत हिन्दी। विषय-स्तोत्र । र० काल x | ले०काल सं०१६८१ । पूरणं । वेष्टन सं० २१२। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दखलाना (बूदी)। ७२६३. विद्या विलास प्रबन्ध- प्राज्ञासुन्दर । पत्र सं० १७ । ग्रा०१०४४ इञ्च । भाषाहिन्दी (पद्य) । । विषम-स्तोत्र । र काल सं० १५१६ । ले०काल x | पूर्ण। वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दखलाना (खुदी)। ७२६४. विनती प्रादीश्वर-त्रिलोककोत्ति । पत्र सं० २ । आ० ४१४३३ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-स्तवन । र०कालX ।ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०१। प्राप्ति स्थान-म. दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष प्राविजिनवर सेविये रं लाल । धूलेवगढ़ जिनराज हितकारी रे। त्रिभुवनवांछित पूवरे लाल । सारं प्रातमकाज हितकारी रे। प्रादिजिनवर " . ७२६५. विनती संग्रह-देवानह्म। पत्रसं० ११ । घा११४५ इन्च। भाषा-हिन्दी पथ । विषय स्तवन । १० काल X । लेस काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर मादिनाथ 'दी। ७२६६. प्रति सं०२। पत्र सं० २२ । ग्रा.१२४५३इश्च | ले. काल x | पुर्ण । वेष्टन मं० ५८-७१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दौसा । विशेष—बिनतियों का संग्रह है। ७२६७. प्रतिसं०३। पत्र सं. ३१ । लेकाल X । पूर्ण। वेष्टन सं० ४०४। प्राप्ति स्थान ..दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ७२६८. विद्यापहार स्तोत्र - महाकवि धनंजय । पत्र सं०७ । प्रा० १०x४३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र। र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६१ । प्राप्ति स्थान-म.. दि० जैन मन्दिर अजमेर। . ७२६६. प्रतिसं० २१ पत्र सं० ७ । मा० १०३ ४ ५ इन्च । ले कान ४ । पूर्ग । वेष्टन सं. १५.1 प्राप्ति स्थान-भदि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-- स्तोत्र टीका सहित है । ७३००. प्रसि सं० ३। पत्र सं० ३। आ. १.१४४३ इञ्च । ले०काल x। वेष्टन सं. ३५५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपूर । Page #820 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७५६ ७३०१. प्रतिसं० ४ ० ३ ० १३३४६ ६४ ०काल x ३ वेष्टन सं० ४१५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ७३०२. प्रति सं० ५। पद्मसं० ४ ० १०x४१ इन्च ले काल x पूर्ण न सं० १५ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर प्रभिनन्दन स्वामी, बूंदी | | । । पत्र | । । ७३०३. प्रतिसं० ६ ० ० १०३५० कान X पूर्स बेष्टन सं० ३२४ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बूंदी | विशेष- प्रति हिन्दी टीका सहित है। जिनदास ने स्वयं के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी । ७३०४. प्रति सं० ७ । पत्र सं० १ ० १०४ इव । ले० काम ३७० प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ७३०५ विषापहार स्तोत्र भाषा -X | पत्र० ८ ० १०३४५३ | भाषा - हिन्दी गद्य विषय रतनेश र०काल X ले०कील यपूर्ण वेटन सं०७३ प्राप्ति स्थान- दि० न मन्दिर बोग़पंथी दौसा ७३०६. विषापहार स्तोत्र टीका- नागचन्द्र० १३० १३६ भाषासंस्कृत विषय स्तोष। २० काल X ले० काल सं० १९३२ काती सुदी ३ पू वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) अपूर्ण वेष्टन सं० ७३०७ प्रति सं० २ । पत्रसं०] १२ | आ० १० X ४) इश्व | लेकाल X। वेन सं० ३८३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ७३०६. विषापहार स्तोत्र टीका प्रमाचन्द पत्र सं० १६ स्तोष | र काल x | ने० काल मं० १७११ पूर्ण वेष्टन सं० ४१७- १५६ मन्दिर कोटदियों का गरपुर ७३०८. प्रति स ० ३ पत्रसं० १७ प्रा० ११३४३ इन्च । से० काल X। वेष्टन सं० ३६२ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर लटकर, जयपुर । विशेष – आचार्य विशालकोत्ति ने लिखवाई थी । संस्कृत दि० जैन मन्दिर बताना (बूंदी) - विशेष – ६ वां तथा १० मे आग पत्र नहीं हैं । - ७३१०. विषापहार स्तोत्र टोका x । पत्र सं० १५ | आ० ११x६ इव । भाषा-संस्कृत | पथ | विषय - स्तोत्र | र०काल X | ले० काल सं० १७०१ । पूर्ण । बैटन सं० १०८२ । प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष- विजयपुर नगर में श्री धर्मनाथ चैत्यालय में प्रतिनिधि हुई थी। ७३११. विषापहार स्तोत्र टीका - X | पत्र सं० १० | श्र० १०३ ४५ इश्व । भाषाविषय स्तोत्र १० काल X | ले०का सपूर्ण वेष्टन मं० ३३० प्राप्ति स्थान- हिन्दी गद्य विषयस्तो र०काल X दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी (बूंदी) भाषा-संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन भाषा ७२६२. विषापहार स्तोत्र भाषा प्रखयराज पत्रसं० २०० १०५४ ०काल सं० १९५२ । पूर्ण न सं० २४ प्राप्ति स्थान Page #821 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६० ] [ ग्रन्थ सूची-पश्चम भाग ५११३. प्रति सं.,३। -२० मा १२४४३ इञ्च । लेकाल सं० १७२३ चैत्र सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ X । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पंधी, दौसा । विशेष--साह ईश्वरदास ठोलिया ने ग्रात्म पठनार्थ यानन्दराम से प्रतिलिपि करवाई थी । ७३१४. प्रति सं०३। पपसं०१५ । या०११४५६ इञ्च । ल वाल सं. १७२० मंगसिर सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दीवानजी (कामा) ७३१५. विषापहार भाषा-अचलकोत्ति । पत्र सं० ३२ । भाषा-हिन्दो। विषय-स्तोत्र । र०काच x लेकाले । पूरणं । वेष्टन सं० ४७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पचायती मदिर भरतपुर । ७३१६. वीतराग स्तवन-x। पत्रसंग्रा० १२४४ इच। भाषा-संस्कृत । विषयस्तवन । र०काल XI ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सः ३९८-४७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयगुर । ७३१७. धीरजिमस्तोत्र-प्रमयसरि । पत्रसं० - भाषा-प्राकत । विपय-स्तवन । २०काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेटनस ३६२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७३१८, बीरस्तुति----X । पत्र सं० ४ १ मा० ८४४: इश्व । भाषा-प्राकृत । विषय-स्तोत्र । २० काल X । ले० काल सं० १८४५ । पूर्ण । बेष्टन सं० २२३ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-द्वितीयांगम्य धीरस्तुति सुगडांग को षष्टमो अध्यायः । हिन्दी टन्वा टीका सहित है। ७३१६. वृहशांति स्तोत्र-X । पत्रसं. १ । या० ११४५ इञ्च । भापा सस्कृत । विषयस्तोत्र । २. काल X ।ले. काल ४ । पुरणं । वेष्टन सं०३८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खडेलवाल मन्दिर उदयपुर ७३२०. वृषभवेव स्तवन-नारायण । पत्र संख्या ३ । सा०७४४ इच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-वन । र०काल X । लेकाल सं० १७५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११५ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैच गन्दिर, दशलाना बूदी) ७३२१. वृषम स्तोत्र-पं० पद्मनन्दिर । पत्र स ११ । पा. १०:४ ५ इश्च । भाषासंस्कृत विषय-स्तोत्र । र० काल X । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन स० ३५४ । प्राप्ति स्थान-दिल जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष ..श्री पद्मनन्दि कुन दर्शन भी है । प्रति संस्कृत छाया सहित है । ७३२२. वृहर शांतिपाठ ४ पप सं० २१ प्रा० १० x ४३ इश्व । भाषा संस्कृत । विषय - स्तोत्र । र०काल - । ले० काल X । पूर्ण । बेन सं. २०३ । प्राप्ति स्थान -- दि. जैन मंदिर चोरसली कोटा। ७३२३. शत्रुजय गिरि स्तवन—केशराज । पत्र सं० १ । पा.१०.४४.इन । भाषाहिन्दी। विषय-स्तवन । .र. कालX ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं०६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (बुदी) Page #822 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७६१ विशेष - श्री विजयगच्छपति पधसागर पाठ श्री गुरुणसागरु । केशराज गावर सवि सुहादह सहगिरवर सुखकर ।।३।। इति श्री मात्र जय स्तवन । ७३२४. शजय तीर्थस्तुति-ऋषभक्षास 1 पत्रसं० १ । प्रा० १०४४६ इञ्च । भाषाहिन्दी ! विषय - स्तुति । २० काल स.x । ले. काल X । पूरणं । वेष्टन स०७० 1 प्रापिद स्थान-- दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) विशेष-निम्न पाठ और हैअइमाता ऋषि समाय पाणंदचंद हिन्दी स्तवन (१० कालस०१६६७) चंद्रपुरी में पार्थनाथ चैत्यालय में रचना हुई थी ७३२५. शत्रु जय भास-विलास सुन्दर । पत्र सं० १३ मा० १०५ x ५ हश्च । भाषाहिन्दी । विषय-स्तोत्र । र० काल सं० X । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संसेलबाल मन्दिर उदयपुर । ७३२६. शत्रुजय मंडल-सुहकर । पत्रसं० १ । आ. १.४ ४३च। भाषा-संस्कृत । विषय-प्रावृत्त । र० काल X । से०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर दबलाना (तुदी) ७३२७. शत्र जय स्तवन-xपत्रसं०४ । भाषा-संस्वृत । विषय- स्तवन । २० कालx . ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७२७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७३२८. शांतिकर स्तधन-X । पत्रसं०२ । ग्रा० १०४४ इच । भाषा-प्राकृन । विषय-स्तोत्र । र० कार X । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ७३२६. शांतिजिन स्तवन-गुणसागर x 1 पत्र सं०१ । प्रा० १०x४ इभ । भाषाहिन्दी (पद्य । विषय-स्तोत्र । २. काल x । लेखन काल x। पूर्ण । श्वेटन सं. ३५४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दखलाना (ब्रू दी) ७३३०. शांतिजिन स्तवन । पर सं० ३-८ । प्रा. १०x४ इश्व । भाषा-प्राकृत । विषयस्तोत्र । र० काल ४ | ले. काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० २६५ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर दवलाना (दी) विशेष--मूल के नीचे हिन्दी में अर्थ भी दिया है। ७३३१. शांतिनाथ स्तवन-उदय सागरसूरि । पत्र सं० १ । प्रा० १०३४ ४३ इन्च। भाषाहिन्दी। विषय -स्तोय ।। र० काल x 1 ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) विशेष-सीमधर स्तवन धुजमलदास कृत और है। Page #823 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६२ ] [ अन्य सूचो-पंचम भाग ७३३२. शांतिनाथ स्तवन-पानंदि । पत्रसं १ । प्रा० १२ x ४ इन्छ । भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । १० काल X ले. काल x 1 पूर्ण। येष्टनसं०३६१-४६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ७३३३. शांतिनाथ स्तवन-मालदेव सुरि । पत्र सं० १७ से ४७ । भाषा-संस्कृत । विषयस्तवन । र० काल X । ० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६१७ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष—प्रारम्भ में दूसरे पाठ हैं । ७३३४, शांतिनाथ स्तुति- पत्रसं०७। भाषा-संस्कृत । विषय-स्तवन । २०काल X । ले० कान ४ । पूरा । वेष्टन सं० ७१७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७३३५. शांतिनाथ स्तोत्र-x। पत्र सं०१२। प्रा० १०x४.१ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र। र काल x । ले० काल X । पुर्ण । वैष्टन सं० ७५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर, दबलाना (बी) । विशेष—प्रति संस्कृत दीका सहित है । श्लोकों के ऊपर तथा नीचे टीका दी हुई है। ७३३६. शांतिनाथ स्तोत्र-- । पत्रसं० ४ । प्रा० १०३४६४ इन्च । भाषा--संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०कार ! लेकर । वर्ण । रानाति स्थान --दि. जैन मंदिर कोठ्यों का नावा । ७३३७. शाश्वतजिन स्तवन-X । पत्र सं०२ या० १० x ४ इन्च । भाषा-प्र-कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । दे० सं० १३५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (दी) ७३३८, शिव मन्दिर स्तोत्र टीका-४ । पघसं०२ से २५ । ग्रा० ८४४ इन्च । भाषासंस्कृत । विपर-स्तोत्र । र० काल X । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २५७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। ७३३8. शीतलनाथ स्तवन-रायचंद ।पत्र सं०१ । प्रा० १०४४ इच। भाषा-हिन्दी। विषय-स्तवन । र०काल । ते कात X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७२१ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर लपकर जयपुर। ७३४०. श्रीपालराज सिउभाय .. खेमा । पत्र सं० २ ! ग्रा० ११०x४, इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-रसोन । र०काल X । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० २७३ । प्राति स्थान.....दि जैन मंदिर दबलाना (बूदी) ७३४१. श्वेताम्बर मत स्तोत्र संग्रह-४ । पत्र सं0 ६ । प्रा० ११४५ इन । भाषाप्राकृत । विषय-स्तोत्र । २०काल ४ निकाल X। पूरणे । घेटन सं० ६१५ । प्राप्ति स्थान दिक जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष- म जनस्तोत्र, भगहर स्तोत्र, लधुजांति स्तोष, अजितकाभिा स्तोत्र एवं मंत्र प्रादि हैं। Page #824 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ७३४२. शोभन स्तुति - स्वपन | र० काल X | ०काल X | पूर्ण बोरसली, कोटा । विशेष चौबीस तीर्थंकर स्तुति है। ७३४३. श्लोकाथली - X ६० ६ । ० स्तोष र० काल X ० काल सं० १८२० कयेष्ठ बुदी ६ दि० जैन मन्दिर कोटडियों का गरपुर । - ★ । १ । । पत्र ०६ भा० १०x४३ इन्च वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति ७३४५ षट्पदी - शंकराचार्य पत्र सं० विषय - स्तवन । २० काल x ० काल X 1 पूर्ण मन्दिर लाकर जयपुर F - [ ७६३ भाषा - हिन्दी विषयस्थान दि० जैन मंदिर पूर्ण विशेष - श्री मंडलाचार्य श्री रामकोरत जो पटनाथ ग्राम उगडमध्ये ब्राह्मण भट्ट -- ७३४४. षट त्राणमय स्तवन – जिनकोति । पत्रसं० ३ । भाषा - संस्कृल | विषय - स्तवन । [१०] कॉल X सेकस X धपूर्ण वेष्टनसं० ६९५ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। विशेष – केवल तीरारा पत्र ही है । x ५ इव । भाषा संस्कृत विषयवेष्टन सं० २०४६ प्राप्ति स्थान । । १ ० ११५ इ । भाषा संस्कृत । वेष्टन सं० ५७५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन ७३४६. षष्टिशतक-भंडारी नेमिचन्द्र प० । ० १० X ४ प्राकृत विषय स्तोत्र १० फाल] X ले० काल मं० १६०५ सुदी १ पूर्ण प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर पजमेर। भाषासं० ३१६ ७३४७. सकल प्रतिबोध-दौलतराम पत्र [सं० १० १० X ६ ए भाषा हिन्दी विषय - स्तोत्र | २० काल x ३० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं ३७७-१४२ । प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डुंगरपुर । ७३४८. सज्झाय - समयसुन्दर - पत्रसं० ५ द्या० १०३४५ इव भाषा - हिन्दी । विषय - स्तोत्र । २० काल x । ले०काल पूर्ण वेष्टन सं० ६५६ प्राप्ति स्थान -म० दि० जन मन्दिर जमेर | ७३४६. सप्तस्तवन X पत्रसं० १५ । श्रा० X ३ इव । भाषा-संस्कृत विषय - स्तोत्र । ०काल X काल X पूर्ण वेष्टनसं० ४६६ प्राप्ति स्थानम० वि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष – निम्न स्तवन है उबाहर सीजपोल कल्याणमंदिर स्तवन, अजितशांतिस्तव, हिमांत स्तन, गोतमाष्टक | । 1 ७३५०. समन्तभद्र स्तुति-समन्तभद्र । पत्र सं० २६ ० ६x४ इस भाषा संस्कृत। विषय स्तोत्र र० कान X ले० काल सं० १६१२ ज्येष्ठ सुदी ५ सं० १०१ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । पूर्ण विशेष-प्र० रायमल्ल ने ग्रंथ की प्रतिनिधि की थी। Page #825 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६४ । [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७३५१. समन्तभद्र स्तुति--XI पत्र सं०६३ । पाX५ इन्च । भाषा -प्राकृत-सस्कृत । विपर-प्रतिकारण एवं स्तोत्र । र काल । लेकाल सं० १६६७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३ । प्राप्ति स्थानदि० जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष-संवत् १६६७ वर्षे पैशाख सुदी ५ रवी श्री मुलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भ० श्री गुणकीतिदेवास्तरपट्ट भ० वादिभूषण गुरूपदेशात् ब्रह्ममोपालन श्री देवनन्दिना ईद षडावश्यक प्रदसं शुभं भवतु । इरा 'अ' का दूसरा नाम पद्धावण्यक भी है प्रारम्भ में प्रतिक्रमण भी है। ७३५२. समन्तभद्र स्तुति-- । पत्रसं० ६१। प्रा० १२४५१ च । भाषा-संस्कृत। विषय- हतोत्र । र०काल ४ ! ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०३६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर। विशेष-.२ पत्र अंध विभंगी के हैं तथा प्रतिक्रमरण पाठ भी है। ७३५३. समन्तभन्न स्तुति-x। पत्र सं० ३६ । प्रा० १०३४४ इच । भाषा संस्कृत। विषय-स्तोत्र । २० काल X । ले०काल सं० १६६४ पौष बुदी ६ । वेष्टन सं० ३५९ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लपकर, जयपुर। विशेष-प्रति.संस्कृत टीका सहित है । ५० उदयसिंह ने नागपुर में प्रतिलिपि की थी। ७३५४. समवशरण पाठ-रेवराज । पत्रसं०६० | प्रा. १०.४७ हश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तवन । र० काल x। लेकाल सं० १६५६ कात्तिक सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४८। प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ७३५५. समवशरण मंगल-मायाराम। पत्र स. २६ । भाषा-हिन्दी। विषय-स्तोत्र 1 र०काल स १८२१ । लेन काल सं० १८५४ सावन बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-भरतपुर में प्रतिलिपि की गई थी। ७३५६, समवसरण स्तोत्र-विष्णुसेन। पत्र सं० ८ । मा० ५ x ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्ताय । र०कास x ले०काल सं० १५१३ मंगसिर बुदी १३ । पूर्ण । वेपन सं०५० । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। ७३५७. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ४ । पा. १३१x६१६ञ्च । ले०काल सं० १९२७ माघ सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लपकर, जयपुर । ७३५८. समवशरण स्तोत्र--- । पत्रसं०६। प्रा०x४३ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६४ । प्राप्ति स्थान-भ० दि. जैन सन्दिर अजमेर। ७३५६. समवशरण स्तोत्र--- । पत्रसं०६ । भाषा-प्राकृत । विषय-स्तोत्र। र० कालXI ले० काल x गण । वेष्टन शं० ६१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपर। Page #826 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ७३६०. समवसरण स्तोत्र । वे० काल X स्तोम । र०का स्वामी बूंदी। 1 पूर्ण [ ७६५ पत्रसं० ६० १० X ४ भाषा-संस्कृत विषय 1 न सं० २३३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर अभिनन्दन - ७३६१. समवसरण स्तोत्रविषय - स्त्रोत्र र० काल X। ले० का स्थान- दि० जैन मन्दिर श्रादिनाथ बूंदी। पत्र [सं० ६ प्रा० ० १०२५ आषाड बुद्दी विशेष-दब्बा टीका राहित है । ७३६२. समवसरण स्तोत्र ०६ भाषा संस्कृत विषम क्सोन १०काल X ले०का पूर्ण सं०६५/४३६ प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ७३६३. समवसरण स्तोत्र विदयस्तोत्र र० का ४ । ले०का | । मन्दिर दीवानजी कामा ७३६, सम्मेद शिखर विषय-स्तवन र०का x ० काल X लश्कर, जयपुर। 1 पत्र सं० ११ । श्रा० ११४४३ इञ्च । भाषा – संस्कृत X पूर्ण वेम सं० १०८ प्राप्ति स्थान दि०जैन । - X। पूर्ण भाषा संस्कृत १२५३ पूर्ण वेष्टन सं० १६ प्राप्ति है। १० का ० १७५१ एवं काल सं० १७६१ ७३६५. सरस्वती स्तवन - XI पत्र० २ भाषा-संस्कृत ० काल x पूर्ण बेटन सं० ७१० प्राप्ति स्थान ७३६६. सरस्वती स्तोत्र - अश्वलायन विषय - स्तोत्र । १० काल x । से० काल x पूर्ण मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । पत्र सं० ६ । वेष्टन ० ५६५ भाषा हिन्दी । प्रा० ६४६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर - विषय स्वन २० फाल ४ | विशेष-वन के पूर्व पूलिभद्र मुनि स्वाध्याय उदयरस दी हुई है। 1 प्रति रामपुर ग्राम में हुई थी। MM दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । वह हिन्दी की रचना ७३६६. सरस्वती स्तोत्र- x । पत्र सं ० ३ । आ० विषय-स्तोत्र र० कॉX ले० काल x पूर्ण न स ० ५५ नाथा दी। । पत्र [सं० २ । ग्रा० ८ ४४ । भाषा संस्कृत । वेन सं० ३६२/४७० । प्राप्ति स्थान दि०जैन ७३६७. सरस्वती स्तुति – पं० श्राशावर । पत्रसं० १-६ । आ० १२X४ श्व। भाषासंस्कृत | विषय - स्तोत्र । २० काल x 1 से ० काल X 1 श्रपूपं । वेष्टन सं० १६६/४६५ | प्राप्ति स्थानदि० जंग संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । 1 ७३६८. सरस्वती स्तोश X पण सं० १ ० १०३९४] इख भाषा-विषयस्तोम | २० कान X ले०का X पूर्ण वेष्ठन सं० २६४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर खरकर, जयपुर। ११५ x ५ इञ्च । भाषा संस्कृत | प्राप्ति स्थान दि० मन्दिर -- विषयस्वन २० का ७३७०. सर्वजिन स्तुति पत्र सं० ६ भाषा-संस्कृत ले ० काल × । पूर्णं । वेष्टन सं० ६४८ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । Page #827 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७३७१. सलुगारी सम्झाय---बुधचंद । पत्रसं० २। पा० x ४३ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-स्तोत्र । र० काल ४ । ले. काल सं० १८५१ प्राषाढ बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७१ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष--लिखतंग बाई जमना। ७३७२, सहस्त्राक्षी स्तोग---X ।पत्रमं०२- पाच । भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल X । लेकालसं० १७६२ पासोज सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १६५/४६६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ७३७३. साधारण जिन स्तवन-भानुचन्द्र गरिए । पत्र स० ६ । प्रा० x ४३ इञ्च । भाषा -संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०कालX । ले०काल सं० १७७० चैत सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टनसं० ३२६ । प्राप्ति स्थान-भ.दि. जैन मन्दिर अजमेर | विशेष--प्रति संस्त्रुत टीका सहित है। ७३७४. साधारण जिन स्तवन-X । पत्रसं० १ । आ. ६४३१ च । भाषा-संस्कृत । विषय स्लोब । र०काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६। प्रारित स्थान-दि जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ७३७५. साधारण जिन स्तवन वृत्ति-कनककुशल । पत्र सं०३ । प्रा०६४ ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -स्तवन । र० काल x | लेकाल सं० १७४५ माघ बुदी ५। पूर्ण । वेष्टनसं० २७० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दवलाना (बूदी) ७३७६. साधु वन्दना-प्राचार्य कुवरजी। पत्रसं० । प्रा० १०:४५ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय स्तुति । २० काबx। ले०काल स० १७४१ अषाढ बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मन्दिर बर । विशेष - अाम्हणपुर में प्रतिलिगि की गई थी। ७३७७. साधु वन्दना-बनारसीदास । पथ सं०३ । भाषा-हिन्दी । विषय- स्तवन । २७ काल x ।ले. काल X । पूर्ण । वन सं०५०५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर भरतपुर । ७३७८. सिद्धगिरि स्तवन-खेमविजय । पत्रसं०२ । ग्रा० १०४५इन । भाषा-संस्कृत। विषय-स्तवन । १० काल x | ले०काल स. १८७६ प्रथम त सुदी २ । पुगं । वन सं० १४-२०४। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिह (टोंक) ७३७६. सिद्धचक्र स्तुति-x I पत्रसं०१। श्रा० १०x४ इच। भाषा-प्राकृत । विषयसवन । र काल x। ले०काल । पूर्ण । वेष्टन स'० २२६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर स्वलाना (दो)। ७३८०. सिद्धभक्ति-x। पत्र सं० ३ । या. १०४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषमस्तोत्र । र कालxले. काल x । पूर्ण । वेटनसं० १५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दबलाना (दी) . . Page #828 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] ७३८१. सिद्धिदण्डिका स्तवन - X | पत्र सं० १ । अ० X ४३ विषय-स्तवन ९० काल X ले० काल X पूर्ण मन्दिर नदिमा टोखरासिंह (टॉक) विशेष - १३ गाथाएं हैं। ७३८२. सिद्धिप्रिय स्तोत्र देवनन्वि पत्र ०२ प्रा० ११४५ विषय स्तोष र० काल X मे० काल पूर्ण देन सं० २४३ मन्दिर अजमेर | 1 I ७३८३ प्रतिसं० २ पत्रसं०] १४ ले काल सं० १६३२ पूर्ण २४५ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । विशेष- प्रति संस्कृत टीका सहित है। - | व ७३८४ प्रतिसं० ३ पत्रसं०] १२ ले फाल x पूर्ण वेष्टन सं० २४६ प्राप्ति स्थानउपरोक्त मदिर | विशेष कल्याण मन्दिर एवं भूपाल ७३८५ प्रतिसं० ४ पत्र [सं०] १२ उपरोक्त मन्दिर । विशेष—प्रति राटीक है । ७३८६. प्रति सं० ५ पवनं० २ ले०का X पूर्ण वेटन सं० २५१ प्राप्ति स्थान--- उपरोक्त मन्दिर । ७३८८ वेष्टन ०६४२ [ ७६७ । भाषा प्राकृत । देन सं० २ १५४ प्राप्ति स्थान दि० जैन भाषा-संस्कृत । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन ७३८७ प्रतिसं० ६ पत्र सं० १० ० काल X। पूर्ण पेनसं० २९६ प्राप्ति स्थानउपरोक्त मंदिर | विशेष प्रति टीका सहित है। विशेष – प्रति संस्कृत टीका सहित है । खोत्र भी है। मे काम X पूर्ण न ० २४८ प्राप्ति स्थान प्रतिसं० ७ ० १३० १०५३ ले काम सं० १९०३ पूर्ण प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर। ७३९०. प्रति सं० २० ४ १० सं० ६१ प्राप्ति स्थान ७३६१. प्रति [सं०] १० । पत्र जैन पंचायती मन्दिर भार विशेष- टीका राति है। ७३१२. प्रति सं० ११ १७३ प्राप्ति स्थान ७३८६. प्रतिसं० ८ पत्र सं० ४ प्रा० १०४४ इञ्च । जे० काल सं० १६८० सावण सुदी पू० १०६ प्राप्ति स्थान विशेष प्रति वा टीका सहित है। ४० वि० जैन मन्दिर समेर । ० ६ जैन मन्दिर र ०१० X ४० काल सं० २०५६ बाट सुद दि० जैन पंचायती मन्दिर (कामा) ० ६ । ले० काल x । देष्टन सं० ५१० प्राप्ति स्थान दि० ० १४० पुर पूर्ण 3 एन सं Page #829 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६८ ] [ ग्रन्थ सूचो-पंचम भाग विशेष- प्रति संस्कृत व्याख्या सहित है। ७३९३. प्रति सं० १२ । पत्र सं.३ मा०१११४५ इञ्च । ले०काल x पूर्ण 1 वेष्टन सं० ३७१ । प्राप्ति स्थान–दि.जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ७३६४, प्रति सं० १३ । पत्रसं०३ । श्रा० १३३ x ६ इञ्च । से०काल । पूर्ण । वेष्टन सं. ४१३ । प्राप्ति स्थान--दि.जैन मंदिर लश्कर, जयपूर । ७३६५. प्रति सं० १४ । पत्र सं० ८ । प्रा० १०१४५३ इञ्च । ले० कान X । पूर्ण । बेष्टन सं० ३२० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) विशेष-प्रति संस्तृत टीका राहित है । ७३६६. प्रतिसं० १५ । पत्रस०१३ । लेकाल- पूर्ण । वेष्टम सं० ४६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । विशेष – हिन्दी अर्थ सहित है। ७३६७. प्रति स १६ । पत्र सं०७ । या० १.४५ इश्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। विशेष--इन्दौर नगर में लिखा गया । प्रति संस्कृत टीका सहित हैं। ७३६८. सिद्धिप्रिय स्तोत्र टीका--प्राशाधर । पत्रसं० १० । आ०११४४१एच । भाषासस्त । विषय -स्तोत्र । र०काल XI ले. काल सं० १७०२ ज्येष्ठ सुदी १२ । येष्टन सं० १९२ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर दीवानजी कामा। ७३६६. सिद्धिप्रिय स्तोत्र टोका-४। पत्र सां० ११ । श्रा०६६x४१ इश्च । भाषासंस्कृत ! विषय-स्तोत्रर०कालX ।ले० काल X । पूर्ण । वेश्नसं० १२२७ । प्राप्ति स्थ दि जैन मन्दिर अजमेर । ७४००, सिद्धिप्रिय स्तोश टीका-x। पपसं०६ । प्रा०१२४५१ इन्च । भाषासंस्कृत | विषय-स्तोत्र । र०काल X । ले०काल सं० १७६० फागुन सुनी। वेष्टम सं० ३६३ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मन्दिर लश्वर जयपुर । विशेष-प्रति टोंक मध्ये लिखी गई थी। ७४०१. सिद्धिप्रिय स्तोत्र भाषा-खेमराज । पत्रसं० १३ 1 श्रा० १२४४., इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-स्तोत्रं । १० काल X । ले०काल सं. १७२३ पौष सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० ११ ॥ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा । विशेष-साह ईश्वरदाग ठोलिया ने आत्म पटनार्थ प्रानन्दराम से प्रतिलिपि करवाई थी। ७४०२. सोमंधर स्तुति -- X । पत्र स० १२ । प्रा०६x६३ इञ्च। भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र। २० काल x । ले. काल। पूरणं । वेष्टन सं. २७/५१ । प्राप्ति स्थान-..दि. जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) Page #830 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७६६ ७४०३. सीमंधर स्वामी स्तवन-५० जयवंत । पत्र सं० ३ । प्रा० १.४४ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-स्तुति । र०काल ४ । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं०३४०/४०७ । प्राप्ति स्थान-दि. जन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर। विशेष-रचना का अन्तिम भाग निम्न प्रकार है साधु शिरोमणि जागीइ थी विनत्रमंडन उवझायरे । तास सोस गुण आगलो बहला पंडित राय रे ।। ग्रासो मुदी ५ नेमिदिनि शुक्रवार एकांति रे । कागल जयवंत पंडितिइ लिखी उमा भिमणसिह रे ।। इति श्री सीमांधर स्वामी लेख समाप्तः। श्री गुग्गसोभाग्य सूरि लिखितं । इसी के साथ पंडित जयवंत का लोचन परवेश पतंग गीत भी है। प्रति प्राचीन है। ७४०४. सीमंधर स्वामी स्तवन-x | पसं० ४ । प्रा. ११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय - स्तोत्र । र० काल X1 ले०काल X! पूर्ण । वेष्टनसं० ४३.। प्राप्ति स्थान-दि० जन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ७४०५. सुन्दर स्तोत्र-। पत्र सं० १० । प्रा० १०४४ इन्च । भाषा संस्कृत । विषय - स्तोत्र । र०काल x। ले०काल सं० १६५२ । पूर्ण । वेष्टन सं०१७। प्राप्ति स्थान -दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है__ मंवत् १६५२ वर्षे श्रावण सुदी ११ रबिधारे विक्रमपुर मध्ये लिपिकृतं । प्रति संस्कृत टीका सहित है। ७४०६. सुप्रभातिक स्तोश ... X पत्र सं० २ । या० १३३४ ६ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल - । ले. काल X । पुर्ण । वेष्टन सं० ४१६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ७४०७. सुप्रभातिक स्तोश- ४ । पत्र सं० १। प्रा० १३१४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० कालX ।ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१७ 1 प्राप्ति स्थान -दि० जन मंदिर लश्कर, जयपुर। ७४०८. सुभद्रा सज्झाय-x। पत्र म०१ । प्रा० १०x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयस्तवन । २० काल x। लेकाल x। पूर्ण। वेष्टन सं० २८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बोरसली कोटा। ७४०६. सोहं स्तोश-X । पत्रसं०१ । प्रा० १.१४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र०काल X 1 माल ४ । पूणे । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पाश्रनाथ चौगान, दी। - ७४१०. स्तवन-गुणस्तरि । पत्र सं० १ । प्रा१०.४४३ इकम । भाषा-हिन्दी। विषयस्तुति । र. काल सं० १६५२ । ले०काल x । पूर्ण । श्रेष्ठन सं० २२२। प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दखलाना (बू'दी) Page #831 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भार विशेष---प्रयवंतीपुर के पानन्दनगर में ग्रंथ रचना हुई। ७४११. स्तवन-५ ।पत्र सं.२ । ०१०.४४ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तवन । र० काल ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२/१४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ७४१२. स्तवन -पारणंद । पत्र में ३-१० । भाषा-हिन्दी। विषय- स्तवन । र० काल । ले. काल X । अपूर्ण । वेटनसं० १७ । प्राप्ति स्थान दि० जन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । विशेष—इसके अतिरिक्त मंदिपेण गौत्तम स्वामी आदि के द्वारा रचित स्तवन भी है। ७४१३. स्तवन पाठ-x। पथसं. ८ । आ०१x६३ इन्च 1 भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र० काल X । ले०काल X। पुर्ण । वेष्टन सं० २८/१५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) ७४१४. स्तवन संग्रह-- ४ । पत्र सं०८ | प्रा०६४४१ इन्च । भाषा हिन्दी-संस्कृति । विषय-स्तवन । २० काल X । से० काल X । पूर्ण। वेष्टन मं० ३७०-१४१ । प्राप्ति स्थान---दि जैन मंदिर कोठरियों काडूगरपुर । ७४१५. स्तोत्र पाच (थंत्रण)- 1 पत्र सं० २ । बा १०x४१ च । भाषा-हिन्दी । विषय- स्तोत्र । २० काल X । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० २११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ७४१६. स्तुति पंचाशिका-पाण्डे सिंहराज । पत्र सं० २-८ । प्रा० १०५४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० कालX । ले०काल सं० १७७६ | पूरी । वेष्टन सं० ३१५ । प्राप्ति स्थानम. बिजैन मन्दिर अजमेर । ७४१७. स्तुति संग्रह -x पत्रसं० १ । भाषा-हिन्दी विषय-स्तवन । र०काल x। से काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७४१८. स्वति संग्रह-x पत्र सं० २-६६ । भाषा-संस्कृत | विषय -संग्रह । २० काल । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ७०८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७४१६. स्तोगा--- । पत्रसं० ६३ ग्रा०८४४१ इञ्च ! भाषा-संस्कृत। विषय-वैदिक साहित्य । र० काल x | ले. काल ४ । पुर्ण । वेष्टन सं० १०४७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जन मन्दिर अजमेर। ७४२०. स्तोत्र-X । पत्रसं०१६। भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल - । काल । अपर्ण । वेधन सं०४७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर ण्डावालों का डीए । विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है । ७४२१. स्तोत्रा चतुष्टय टीका-पाशाधर । पत्र सं०३३ । ग्रा० ११४५ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । र काल ४ । ल० काल x पूर्ण । वेष्टन सं०५०६ । प्राप्ति स्थानमा दि. जैन मंदिर अजमेर । विशेष-ऋतिरियं बादीन्द्र विशालकीति भट्टारक प्रिय सून यति विद्यानंदस्य । Page #832 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७७१ ७.२२. प्रति सं०२। पत्रसं० ३१ 1 या १२४५ इच । ले०काल x 1 पूर्ण । येष्टन सं० ४१८/४३९ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष--अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार हैइत्याशाधर कृत स्तोत्र टीका समाप्ता । कृतिरियं वादीन्द्र विशालकीति भट्टारक प्रियशिष्य यति विद्यानंदस्य यदभी निर्वेदस्योवृषः । बोधेन स्फुरता यस्यानुग्रहतो इत्यादि स्तोत्र चतुभ्य टीका समाप्ता । ७४२३. स्तोश शयी-x। पत्रसं०१० । प्रा० १.१४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय - स्तोत्र । २० काल X । ले० काल X । टन्न सं० ३७१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। विशेष-सिद्धिप्रिय, एकीभाव एवं कल्याण मन्दिर स्तोत्र है। ७४२४ स्तोत्र पाठ-४ । पत्र सं० ८ । था० १०.४४ इश्व । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय -- स्तोत्र । र० काल X। ले० बाल ४। पूर्ण । वेहन सं० ३१३-११७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष-उपसर्गहरस्तोत्र, भयहर स्तोत्र, जितनाथ स्तवन, लधु शांति आदि पाठों का संग्रह है। ७४२५. स्तोत्रय टीका---X । पत्रसं० २५ । आ० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोष । २० काल ४ । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्त स्थान--40 दि० जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-निम्न स्तोत्र टीका सहित है। १. भक्तामर स्तोत्र २. कल्याण मंदिर स्तोत्र तथा ३. एकीभाव स्तोत्र । ७४२६. स्तोत्र संग्रह- - । पत्रसं० ८८ । मा० १०३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । २० काल x । ले०काल सं० १६०५ पासोज बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०७२५ । प्राप्ति स्थान-- भ० दिन मन्दिर अजमेर । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है-- भक्तामर, कल्याणभंदिर, भूपालचौबीसी, देवागम स्तोत्र, देवपूजा, सहस्त्रनाम, तथा पंच मङ्गल ( हिन्दी )। ७४२७. स्तोश संग्रह-X । पत्रसं०६ । प्रा० १०३४ ५ ६ञ्च । भाषा -संस्कृत । विषय-- स्तोत्र । र० काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४६ । प्राप्ति स्थान---म० दि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-भक्तामर एवं सिद्धिप्रिय स्तोत्र संग्रह हैं। सामान्य टिप्पण भी दिया हुया है । ७४२८. स्तोश संग्रह- पत्रसं०१० । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र. काल X । ले०काल ४ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १०१ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष—निम्न स्तोत्रों का संग्रह है। एकीभाव वादिराज संस्कृत विषापहार धनंजय भूपालस्तोत्र भूपाल Page #833 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७२ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग ७४२६. स्तोत्र संग्रह-x पत्र सं० ४ प्रा० १०x४३ इंच । भाषा संस्कृत । विषय - स्तोत्र । र काल x | ले०काल x पूरी । वेष्टन सं० ११९४ । प्राप्ति स्थान--.दि. जैन मन्दिर अजमेर। विशेष—पार्थनाथ एवं महावीर स्तोत्र हैं। ७४३०, स्तोश संग्रह-४ । पत्र सं. ४७ । पा० ११४४ ६ । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र . २० काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४२० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर अन्नमर। विशेष-भक्तामर, कल्याण मंदिर, तत्वार्थ मूत्र एवं ऋषिमंडल स्तोत्र हैं । ७४३१. स्तोत्र संग्रह-xपत्र सं०४। आ.१४४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-सांग्रह। २७ कालX । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टम सं०२३१। प्राप्ति स्थान-विजैन मंदिर पाश्वनाथ चौगान दी। विशेष - निम्न पाठों का संग्रह है। (१) नवरत्न कवित्त (२) चतुर्विंशति स्तुति (३) तीर्थंकरों के माता पिता के नाम (४) भज गोविद स्तोत्र (५) शारदा स्तोत्र । ७४३२. स्तोत्र संग्रह-४। पत्र सं० ४१ । प्रा०८४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- स्तोत्र । र० काल x | ले० काल ४ | पुरणं । वेष्टन मं०६३ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष - निम्न स्तोत्रों का संग्रह है सहस्रनाम सोय जिनसेनाचार्य संस्कृत कल्वारामंदिर, कुमुदचन्द्र भक्तामर । मानतुनाचार्य एकीभाव , वादिराज ७४३३. स्तोत्र संग्रह- पत्र सं०७ । प्रा०१.३ ४ ५ इच । भाषा-हिन्दी । विषय : स्तोत्र । र० काल ४ । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन ० ६२५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-एकी भाव भूधरदास कृत तथा परमज्योति बनारसीदास कुत हैं। ७४३४. स्तोत्र संग्रह-X । पत्रसं०५ । ग्रा० १०१x ४० इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषयस्तोत्र। र०काल x | ले. काल x | वेष्टन सं० ४४५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष-चक्र श्वरी एवं क्षेत्रपाल पद्मावती स्तोत्र हैं। ७४३५. स्तोत्र संग्रह-xोपत्र सं० १५ (१६.-३०) । छा..X६ इञ्च । भाधा-संस्कृत । विषय--स्तो। २०कास x। ले०काल x वेहन मं० ६६९ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ७३३६, स्तोत्रसंग्रह-X पत्रसं०३ । प्रा० १०२४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय स्तोत्र । र०काल- । ले०काल x। पूर्ण । वेपन सं०४३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । Page #834 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७७३ विशेष-महालक्ष्मी, चक्र श्वरी एवं ज्वालामालिनी स्तोत्र । ७४३७. स्तोत्रसंग्र-४ । पत्र सं. ७ । ग्रा० १०.४४% इंच । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । २० कास । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन ० ४३७ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष---ज्वाला मालिनी, जिनपंजर एवं पंचागुली स्तोत्र हैं। ७४३८. स्तोत्र संग्रह-४ । पत्रसं० १६ । प्रा० ११३ ४ ५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - स्तोत्र । र० कालX । ले. काल XI पूर्ण । येष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। १. भूपाल चौबीसी भूपाल कवि पत्रस०६ २. विषापहार स्तोत्र धनंजय "६-११ ३. भावना बत्तीसी अमितगति ७४३६. स्तोत्र संग्रह---X । पत्र सं० ३ । वा० १०३४४३ इञ्च। भाषा-संस्कृत । विषय - स्तोत्र। काल ४ । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६६ । प्राप्ति स्थान-.दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष--लघु सामायिक, परमानन्द स्तोत्र एवं गायत्री विधान है। ७४४०. स्तोत्रसंग्रह- । पत्रसं० ५-४० । श्राः ५६४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय - स्तोत्र । र० काल XI ले०कास ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३१७-११८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर। विशेष-जैन संकार वर्णन भी है। ७४४१. स्तोत्र संग्रह-X । पत्रसं० १७ । आ० ५३४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । र० कास ४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६७ से १६ तक-४८ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष-तीन प्रतियां है । ऋषि मण्डल स्तोत्र, पद्मावती स्तोत्र, किरातबराही स्तोत्र, त्रैलोक्य मोहन कवच मादि स्तोत्र हैं। ७४४२. स्तोत्रसंग्रह--- 1 पत्र सं० ८७ 1 आ० x ५१ इञ्च। भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय-स्तोत्र। र०काल ४ । ले०काल सं० १७१२ पूर्ण । वेष्टन सं० १०२ । प्राप्ति स्थान दिल जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष—प्रति जीर्ण है। संवत् १७६२ मिती ज्येष्ठ सुदि चतुर्दशी लि० पंडित खेतसी उदयपुरमध्ये । ७४४३. स्तोत्र संग्रह-X । पत्र स०२१ । प्रा० ५ ५ ५ इच । भाषा संस्कृत । विषय -- स्तोत्र । र० काल ४ । लेस काल X । पूर्ण । वेष्टन म ७ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर नागदी दी। विशेष- परमानन्द, कल्याण मंदिर, एकीभाव एवं विपापहार स्तोत्र है। Page #835 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७४४४. स्तोत्र संग्रह-x। पत्र सं० २३। ग्रा० १० x ४३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र कर. काल x 1ले. काल x पूर्ण । वेष्टनसं० ५२ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर कोथ्यों का नेशवा 1 विशेष—निम्न पाठों का संग्रह हैसरस्वती स्तोत्र संस्कृत ज्ञानभूषण क्षेत्रपाल स्तोत्र दशलक्षण स्तोत्र महावीर समस्या स्तवन बर्द्धमान स्तोत्र पानाथ स्तोत्र मंत्र सहित पार्श्वनाथ स्तोत्र चितामगि पार्श्वनाथ स्तोत्र चन्द्रप्रभ स्तोत्र मंत्र सहित बीजाक्षर कृषि मंडल स्तोत्र ऋषि मंडल स्तोत्र गौतमस्वामी ७४४५. स्तोत्र संग्रह--X । पत्र सं० ७ । प्रा० ११ x ६३ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । रचनाकाल X I ले काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर कोल्यों का नैणवा । विशेष—निम्न स्तोत्रों का संग्रह है : पाश्वनाथ स्तोत्र स्तोत्र पद्मप्रभदेव क्षेत्रपाल स्तोत्र पार्श्वनाथ स्तोत्र राजसेन चन्द्रप्रभ स्तोत्र लघु भक्तामर स्तोत्र नमो जोति मुनि त्रिकालं विसिघं । नमो नरविकार नरागंध गयं ।। नमो तो नराकार नर माग वाणी । नमो तो नराधार आधार जाणी॥ ७४४६. स्तोत्र संग्रह-x। पत्र सं० १६ । मा० १०३४४ इन्च भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल । ले. कालX । अपुर्ण । वेष्टन १९५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा 1 विशेष-कल्याण मंदिर, विषाहार एवं लक्ष्मी स्तोत्र यपूर्ण है। Page #836 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तोत्र साहित्य ] [ ७७५ ' ७४४७, स्तोत्र संग्रह-x। पत्र सं० १८ । मा० ६x४ इञ्च भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय-रसोत्र। र०कालx। ले० कालX । अपुर्ण । वेष्टन सं० १ । प्रारित स्थान--दि. जैन मन्दिर दवलाना (बूदी) विशेष-मुख्यतः निम्न स्तोत्रों का संग्रह है। भयहर स्तोत्र, अजितशांति स्तोत्र एवं भक्तामर स्तोत्र मादि। ७४४८, स्तोत्र संग्रह-X । पत्र .६ । प्रा० १.४५ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय- रतोष । २० काल - ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूंदी) विशेष-निम्न स्तोत्रों का संग्रह है। स्वयंभू स्तोत्र समन्तभद्र महावीर स्तोत्र विद्यानंद नेमि स्तोत्र ७४४६. स्तोत्र संग्रह-४ । पनसं०६ । मा०६४ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषयस्तोत्र । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मंदिर दबलान (बू दी) विशेष- निम्न स्तोत्रों का संग्रह है--- स्वयंभू स्तोत्र. भूपालचतुर्विशति स्तोत्र, सिद्धिप्रिय स्तोत्र एवं विषापहार स्तोत्र का संग्रह है। ७४५०. स्तोत्र संग्रह-४। पत्र सं० २१ से ३६ । भाषा-प्राकृत । विषय-स्तोत्र । २० काल x लेखन काल X । अपुरणं । वेटन सं० ६७१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर। विशेष—गुजराती में अर्थ दिया हुअा है। ७४५१. स्तोत्र संग्रह-x। पत्र सं० १६ । भाषा--हिन्दी-संस्कृत । विषय---स्तोत्र । र०काल x।ले० काल स. १६४६ । पूर्ण । देष्टन सं० ११३1 प्राप्ति स्थान--दि० जैन पचायती मंदिर भरतपुर । विशेष नवकार मंत्र, जिनदर्णन, परमजोति, निवारण का भाषा, भक्तामर स्तोत्र एवं लक्ष्मी स्तोत्र हैं। ७४५२. स्तोत्र संग्रह---X । पत्र सं०१४ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल ले० काल X । पूरणं । वेष्टन सं० ३५.७१ प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-एकीमाव, विपापहार, कल्याण मन्दिर एवं भूपाल चौबीसी स्तोत्र है। ७४५३. स्वयंभू स्तोत्र-समन्तभद्र। पत्र सं० २५ । बा० १२४५ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । २० काल X । ले. काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० ४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवावजी जयपुर । ७४५४. प्रतिसं०२पर सं० ४६ 1 आ०६.xxइश्च । ले. काल सं १८१६ मंसिर दी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३५ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । Page #837 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-प्रारम्भ में सामायिक पाठ भी हैं । ७४५५. स्वयंभू स्तोत्र (स्वयंभू पञ्जिका)--समन्समद्राचार्य । पत्र सं० ११ । प्रा० १२३ ४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । बिषव-स्तोत्र । र० काल X 1 ले. काल सं० १७६२ । वेष्टन सं० ६३० । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर लपकर, जयपुर । विशेष-इसमें टीका भी दी हुई है । टीका का नाम स्वयंभू पंजिका है । वर्षेन भागवीतेन्दु कृते दीपोत्सबे दिने। स्वभपंजिका लेखि लक्ष्मणारन्येन धीमता ।। ७४५६, स्वयंभू स्तोत्र दीका-प्रभाचन्द । पत्र सं०६१ । प्रा०६x४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । र०काल XIले. काल स. १५२० । पूर्ण । वेष्टन सं० ८५ । प्राप्ति स्थानम. दि. जैन मदिर, अजमेर । विशेष---प्रय का नाम क्रियाकलाप टीका भी है । ७४५७. प्रति सं० २ । पत्रसं० १५२ । प्रा० ११४४ इंच। लेकाल सं० १७७७ । पूर्ण । बैटन १० २६ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मंदिर अजमेर । ७४५८. प्रति सं०३ । पत्रसं० ४६ । प्रा. १२३४५६ इञ्च । लेकाल सं०१७०२ । पूर्ण । धन सं० २४१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा। विशेष - अलवर में प्रतिलिपि की गई थी। ७४५६. प्रति सं०४ । पत्रसं० ६६ । मा० ११४४३ इञ्च । लेकाल सं० १६६५ भादवा बुदी ७। पूर्ण । बेष्टन सं०१४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवाजी कामा । विशेष-रोहतक नगर में प्रा० गुणचन्द ने प्रतिलिपि करवायी थी। ७४६०, स्वयंभू स्तोत्र भाषा - द्यानसराय। पत्र सं० ४६ । प्रा० १२४५१ इन्च । भाषाहिन्दी । विषय- स्तोत्र । र० साल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६२३ । प्राप्ति स्थान-भ. दि० जैन मन्दिर, अजमेर । ७४६१. हीपालो-रिष । पत्र सं० १ । या० १०x४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र० काल ४ । लेकाल XI पूर्ण । वेष्ठन सं० २७४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (वू'दी) विशेष.. साध्वी श्री भागा समाय भो। - - 0: Page #838 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय -- पूजा एवं विधान साहित्य ७४६२. प्रकृत्रिम चैत्यालय जयमाल-भैया भगवतीदास । पत्र सं० । प्रा० ६x४ च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-पूजा । र काल सं० १७४५ भादवा सुदी ४ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०१२ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष-प्रकृत्रिम जिन चैत्यालयों की पूजा है । ७४६३. अकृत्रिम चैत्यालय पूजा-चैनसुख । पत्रसं० ३६ । प्रा० १३४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय पूजा । र काल सं० १९३० । ले। काल' सं० १९६४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५५६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर सपकर, जयपुर । ७४६४. अकृत्रिम चैत्यालय पूजा भल्लिसागर । पत्र सं० २० । प्रा. १०.४४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-पुजा । र० काल X । ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं० २८५ । प्राप्ति स्थान-- दि.जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ७४६५. अकृत्रिम चैत्यालय पूजा-- ४ । पत्रसं० १७७ । प्रा० १२९४७ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्म । विषय--पूजा । र०काल रां० १८६० । से काल सं०१९११ । पूर्ण । घेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ७४६६. अकृत्रिम जिन चैत्यालय पूजा-लालजीत । पत्रसं० २२६ । प्रा० १३४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । २० काल सं १८७० कात्तिक सुदी १२ । ने० काल सं० १९८६ वैशाख सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४२ । प्राप्ति स्थान—दि० जन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर । ७४६७. प्रति सं०२ । पत्रसं० १२६ । प्रा० १०२४६ इञ्च । ले० काल सं० १८७७ । पूर्ण । बेष्टन सं० १०५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचावती मन्दिर बयाना । विशेष-लक्ष्मणदास बाकलीवाल' खुमैरवाले ने महात्मा पन्नालाल जयपुर वाले से आगरा में प्रतिलिपि करवाई थी। ७४६८. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १५६ । ले० काल ४ । पूर्ण । देणुन सं० १८ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मंदिर हण्डावालों का डीग। विशेष—प्रागरा में प्रतिलिपि की गई थी। ७४६६. प्रति सं०४। पत्र सं० १५५ । प्रा० १३ ४७१ इञ्च । ले० काल सं० १९२८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी हो । ७४७०. प्रति सं० ५। पत्र सं० १४७ । ले. काल सं १९०५ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । प्रतिम प्रशस्ति पूजा प्रारम्भ ढ्यो, काशी देश हर्ष भयो, भेल पुर ग्राम जनजन को निवास है। Page #839 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७९ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग अकीर्तम मन्दिर है रसा चारि सं अठावन । जेतिन को सूगाठ लालजीत यो प्रकास है। ७४७१. प्रति सं०६ । पत्र स० १६७ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेहन म० ३२७ । प्राप्ति स्थान- दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर। ७४७२. प्रति सं०७ । पन सं० १७८ | प्रा. २२४६ इश्व । लेकालXI पूर्ण : बेन सं. ५१-३२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर, कोटडियों का डूगरपुर । ७४७३. प्रति सं० ८ । पयसं० १६१ । ग्रा० ११:४६ इञ्च । ले० काल सं० १९५१ साधन सुदी १२ । पूर्ण 1 बेष्टन सं० १०५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष--श्रावक केदारमलजी न फतेहपुर में सोनीराम भोजन से प्रतिलिपि कराई थी। ७४७४. अक्षयदशमी पूजा-X । पत्र सं०८। प्रा० १०५४ इञ्ज । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर चोरमली कीटा। विशेष-गुताली गुजा भी है। ७४७५, प्रहाई द्वीप पूजा-X) पत्र सं० १७६ । प्रा०८४४६ इञ्च । भाषा-सस्कृत। विषय-पूजा । २० कान X । से काल सं० १९१५ ज्येष्ठ सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५:३७१ प्राप्ति स्थान-दि० अंन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ (कोटा) ७४७६. अढाई द्वीप पूजा-डालूराम । गत्रसं० २-३७ । प्रा० १५४८ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय--पूजा । २० काल सं० १८८७ ज्ये। मुनी १३ । ले० काल सं०१९३१ प्राधाड मुदी ६ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर बवाना । विशेष - ईप्वरी प्रसादशर्मा समशाबादवालों ने प्रतिलिपि की थी। ७४७७, प्रतिसं०२। पत्र सं० ११३ । प्रा०१२x६ च । ले कान सं० १९३१ । पूर्ण । मेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) ७४७८. प्रतिसं० ३ । पय सं० १११ । श्रा० १२३४४३ इज। ले० काल सं० १९६३ । पूर्ण । देष्टन स० ५२३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष-छोटे दीवानजी के मन्दिर की प्रति से रिषभचन्द बिन्दायक्या ने प्रतिलिपि की थी। ७४७६. अढाईद्वीप पूजा-म० शुभचन्द्र । पत्र सं० २६८ ! ग्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । लेकाल सं० १९२४ सावण बुदी । पूर्ण । वैयन सं० ३५१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लरकर, जयपुर । ७४-०. अतिसं०२। पत्रसं०६७। पा.११४७ इञ्च । ले० काल सं० १५६० ग्राषाढ़ सदी १५ । पुष । बटन्न सं० १७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर तेरहपंथी दीसा । विशेष. १ से २८ तथा ६५ ६६ पत्रों पर शून्दर रंगीन बेलें हैं। बस्तसाल साधी ने दौसा में प्रतिलिपि करवाई थी। ७४८१. प्रतिसं०३। पन० ३७३ । ले०काल सं० १८७४ | पुर्ण । बेष्टनसं० २५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पचायती गदिर कामा। Page #840 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] विशेष - जोधराज कासलीवाल कामा ने प्रतिलिपि कराई श्री । ७४८२ प्रतिसं० ४ पत्र सं० २४३ ग्रा० १३७ वेष्टन सं० १६६ प्राप्ति स्थान दि० जैन सवाल पंचायती मन्दिर अलवर | - ७४८४ श्रढाईद्वीप पूजा - ४ । पत्र सं० २६ । आ० वन सं० २५२ राजमहल (टोंक) ७४८३. अढाईद्वीप पूजा लालजीत । पत्रसं० १६७ | श्र० १३४६ इव । भाषा - हिन्दी (पद्य) विषय पूजा २०काल X। मै०काल सं० १००० भादों सुदी बेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान दिन पंचायती मन्दिर फरोली । पूर्ण विशेष – हाई द्वीप पूजा के पहिले और भी पुजाएं दी हैं । - [ ७७६ ७४८६ प्रतिसं० ३ ० २१५ ११ । पूर्ण | वेष्टन सं० १४/३३ । प्राप्ति स्थान काम सं० १९९१ पूर्ण ७४८५. प्रतिसं० २ पत्र संख्या १४० १२६ इन्च लेकास X पूर्ण वेष्टन सं० २१/४६ प्राप्ति स्थान दि० जैन बीमारी मन्दिर कथैली। ११४५ इञ्च । भाषा–संस्कृत । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर मा० १२७ का ० १६०२ ख़ुदी दि० जैन सौगाणी मन्दिर करौली । ७४८७ प्रतिसं० ४ ०२४० प्रा० २३६ इन्च ०काल सं० १६८० पौष स ुदी १५ पू । वेष्टन सं० १११ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर करांनी विशेष-- रामचन्द्र ने नानगराम से करौली नगर में दीवान बुपसिंग जी के मन्दिर में प्रति लिपि करवाई थी ७४६८ प्रति सं० ५ । पत्र सं० १०४ : ० २०३४७ इश्व । ले०का सं० १८५२ । पूर्णं । वेष्टन सं० ११२ । प्राप्ति स्थान दि० तसलवाल मंदिर उदयपुर । विषय-पूजा २० काल X ०काल X पूर्ण नागदी बूंदी। ७४८६. प्रति सं० ६ । पत्रसं० १५४ । ले० काल X पूर्ण बैटन सं० ७० प्राप्ति स्थानदि० जैन पंचायती मंदिर हन्टावालों का डीग । ७४६० धनंत चतुदशी पूजा श्री नूषरणयति पत्र [सं० २४ भाषा संस्कृत विषय --- । । - | पूंजा । र०काल X | ले० काल x । पूर्णं । वेष्टन सं० ५२ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर ण्डवों का डीन ७४९१. श्रन्तचतुर्दशी पूजा - शान्तिवास पत्र[सं०] ११० १२४५ इ। भाषासंस्कृत विषय-पूजा काल X से काल सं० १७६७ बंगाल सुदी ५ वेष्टन स० ६१४ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष - नारायण नगर में भ० जगत्कीति के शिष्य बुध दोदराज ने अपने हाथ से प्रतिलिपि की थी। ७४६२. अनन्त चतुर्दशी पूजा - X | पत्रसं० १४ ० १०६ इछ । भाषा संस्कृत । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर वेष्टन १२८ Page #841 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५० ] [ प्रन्थ सूची-पंचम माग ७४६३. अनन्तचतुर्दशी पूजा-X । पत्र सं० १८ । प्रा० ११:४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-पुझा। र० काल X । ले• काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर पाश्र्वनाथ चौगान दी । ७४६४. श्रमाचतुर्दशी व्रत पूजा-x। पत्र सं० २७ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय - पूजा । र०काल x । ले० काल x। पुरण । वेष्टन सं०१३७०। प्राप्ति स्थान-भ. दि जैन मन्दिर प्रजभर । ७४६५. अनन्त चतुर्दशी व्रत पूजा--विश्वभूषण । पप्रसं० १४ । श्रा० ६३४४२ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा। र० काल x 1 ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३६८ । प्राप्ति स्थान -भ० दि० जन मन्दिर, अजमेर । ७४६६ अनंत जिनपूजा-पं० जिनवास । पत्रसं०२६ । प्रा० ११४५ इञ्च 1 भाषा-संस्कृति । विषय-पूजा । र०काल X । ले०काल सं०१८२३ सावरण मुदी५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ | प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर टोडारायसिष्ट्र (टोंक) ७४६७. अनन्तनाथ पुजा-श्रीभूषण । पत्रसं० १३ । प्रा० १०४४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल ४ । ले० काल सं० १८२४ मंगसिर बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०४१८ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर अजमेर । ७४६६. प्रति सं० २१ पत्रसं० १६ । ले. काल सं० १८७६ भादवा बुदी ८ । पूर्ण वेष्टन सं० ६५३ । प्राप्ति स्थान ----दि० जैन मंदिर अजमेर भण्डार । ७४९६. प्रति सं०३। पत्रसं०१६ । ग्रा० १२४५६ इञ्च । ले०काल सं० १८७६ भादवा बुदी ८ । पुर्ण । वेष्टन सं०६५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अजमेर । ७५००. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० १-२२ । ले०काल X । अपूरणं । वेष्टन सं० १.१ प्राप्ति स्थानदि० जैन तेरहपंथी मन्दिर बसना । ७५०१. अनन्तनाथ पूजा-रामचन्द्र । पत्र सं० ५ । आ० ६३४८३ इञ्च । माषा-हिन्दी (पद्य) 1 विषय-- पूजा । २० काल X । ले०काल सं० १९६१ । पूर्मा । वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर उदयपुर । ७५०२. अनन्तनाथ पूजा-X । पत्रसं० २४ । ग्रा.१०x४३ च 1 भाषा-हिन्दी पद्य । विनय-पूजा । र कालX । ले० कालX । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १००७। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अबमेर भण्डार। ७५०३. अनन्तनाथ पूजा--X । पत्र सं० १२ । प्रा० १३ ४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र.. काल सं० १८५३ भादवा बुदी ७ । ले० कालX । पूरी। वेष्टन सं० १०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्वनाथ चौगान, यूदी। ७५०४. अनन्तनाथ पूजा-x। पत्र सं० १८ । पा० १०४५ इञ्च । भाषा-संस्चत । विषय-पूजा । र०कालXI लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४७ । प्राप्ति स्थान दिजैन मंति अभिनन्दन स्वामी (खुदी)। Page #842 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ७८१ ७५०५. अनन्तनाथ पूजा- । पनसं० २७ । प्रा० ६४५१ इच । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा। १० काल x। ले०काल सं० १८६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर दबलाना (दी) ७५०६. अनन्तनाथ पूजा.-४ । गत्र सं० ३१ । प्रा० १०१४४२ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा 1 र• काल X । ले० काल सं० १६२५ मादबा बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३७ । प्राप्ति स्थान--दिक जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, (दी) विशेष - माय नेमीयारको मन्दिर र मुन जाह दिनी की प्रेरणा से ब्राह्मण गिर · वारी ने प्रतिलिपि की थी। ७५०७. अनन्तनाथ पुजा-X । पत्र सं० ३३ । प्रा०६x६ इ । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा। र० काल । लेकाल सं० १९०६ । पूर्ण । वेष्टन सं०४६/३८ । प्राप्ति स्थान दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगड (कोटा) ७५०८. अनन्तनाथ पूजा मंडल विधान-गुणचन्द्राचार्य । पत्र सं० २५ । पा० १२३४६३ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल x। ले० काल सं० १६३० । पूर्ण । वेपन रा० २५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, (बुदी) ७५०६. प्रतिसं० २ । पत्रसं० २६ । प्रा० १२४५ इञ्च । ले०काल सं० १६३० । पूर्ण । वेष्टन सं. १४६ 1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी बूदी ७५१०. प्रति सं०३ । पत्रसं० ५९ । मा० १०४४ इश्च । ले०काल x पूर्ण । बेपन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल' (टोंक) ७५११. प्रतिसं०४। पत्र सं० २ से २७ । प्रा० ११४७ इञ्च । ले. काल सं० १९२१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४१५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) ७५१२. प्रतिसं०५। पत्र सं० ४१ । या० ११४५ इन्न । मे०काल ४ । पुर्ण । बेष्टनसं० ४८ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी (दी) ७५१३. प्रति सं०६। पत्र संख्या २६ । पा. १० x ५ इञ्च । ले०कास सं० १८७६ पूर्ण । षेष्ठन सं० १२८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ७५१४. प्रतिसं०७ । पत्रसं० ४२ । पा० ८३ ४ ५ इञ्च । ले० कमल स. १९२० । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान वूदी । विशेष-श्री शाकमामपुर में रचना हुई थी। नेमीसुर चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। ७५.१५. अनन्त पूजा विधान । पत्र सं० ३ । प्रा० ११ x ५३ इञ्च । भाषा----संस्कृत । । र. काल ले०कास ४ । अपूर्ण । वेशन सं०५५:२९२ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ७५१६. अनन्त व्रत कथा पूजा--ललितकीत्ति । पत्रसं० ८ । प्रा० ११४४३१ । गानासंम्वास । दिषय - पूजा । र०बाल ४ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्ट सं० १९२२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर मेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) Page #843 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८२ ] [ ग्रन्थ सूची पंचम भाग ७५१७. अनन्ताय पूजा पाण्डे धर्मदास पत्रसं० २७०८४५ इन्च भाषासंस्कृत विषय पूजा र०काल X। ले०काल मं० १६६३ । पूर्ण वेष्टन ०३२४ प्राप्ति स्थानदि० जैन सवाल मन्दिर उदयपुर ७५१८. अनन्वव्रत पूजा - सेवाराम साह | पत्रसं० ३ १ विषय-पूजा २० काल x | ले० काल सं० १९४७ पूर्ण X मन्दिर लश्कर ७५१६. प्रति सं० २ । पत्र [सं० ३ । था० ११X५] इव । ले०काल x । पू । नेष्टन सं ५५१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ७५२०. अनन्तवत पूजा - X | पत्रसं० १४ । विषय पूजा २० काल X | लेकाल] X मन्दिर अजमेर | पूर्ण वेष्टन सं० - — ७५२१. अनन्त पूजा - X विषय - पूजा र० काल x । ले०काल x भजमेर भण्डार । ७५२२. अनन्त पूजा - Xपत्र सं० १४ विषय पूजा र०कान ते० काल सं० १८०० सावा स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर। पत्र [सं० ७ | । जंग मन्दिर नागदी बुदी | ७५२४. अनन्तव्रत पूजा --- x 1 सं० २३ | । । विषय-पूजा २० काल x काल सं० १९०= | पूर्ण १ पूर्वं । वेष्टन सं० ७५२३. अनन्त पूजा - Xपत्रसं० २० प्र. १२५ पूजा र०काल | . काल सं० १६६४ पूर्ण वेदन सं० २५/१५ मन्दिर दूनी (क) विशेष १४ पूजायें है। जयमाल हिन्दी में हैं ― - ७५२७. अनन्तवत पूजापूजा | २० काल X [ ले काल X पूर्ण ङ्ग गरपुर । x ७५२८. अनन्तव्रत पूजा विषय-पूजा २० काल X मे०फान सं० | । ले० फाल सं० स्थान दि० जैन मन्दिर राजस्थान (टोंक) ० ६ ० ६५० ★ ० ११ × ५ १९९ ०१७ न सं० ५१५ । ० ५३४ इन्च १४५० । प्राप्ति स्थान या० ११ x ५ खुदी १४ पूर्ण भाषा-संस्कृत | प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन ० ३ वेष्टन ४ ६ इव । भाषा - हिन्दी । प्राप्ति स्थान दि० जैन २ क भी हिन्दी में है। ७५२५. अनन्त व्रत पूजा X | पत्रस०] १८ | भाषा संस्कृत विषय - पूजा र० काल X | से० काल X 1. पू येथून सं० ३२ प्राप्ति स्थान – दि० जैन तेरी मर बसवा । ६ ६ ०६६ ७५२६. अनन्तवत पूजा ८० १२० १३६ भाषा-संस्कृत विषय-पूजा र० काल X ते ०कान x | पूर्ण वेष्टन सं० ११३ मंदिर बोरसी कोटा 1. इव भाषा संस्कृत विषय डच प्राप्ति स्थान दि० जैन पापती । पत्रसं० १२० १० x १८८१ भादवा सुदी १८०१ भादवा मुझे भाषा - हिन्दी । दि० जैन मन्दिर भाषा संस्कृत | न सं० १९० प्राप्ति ० १५८४ ९ प्राप्ति स्थान । भाषा - संस्कृत, हिन्दी | प्राप्ति स्थान दि० इन्च । प्राप्ति स्थान दि०जैन भाषा संस्कृत विषयदिन मंदिर कोटडियों ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत पूर्ण वेष्टन सं० २४३ प्राप्ति ८। । Page #844 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] विशेष-प्रति जीर्ण है। ७५२६. अनन्तता पूजा-X । पत्र सं०६ । प्रा०६४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र० का X । लेबल सं० १९६६ सावरण सूदी १० । पूरणं । वेतन सं०७४-१०६ । प्राप्ति स्थान-- दि.जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ७५३० अनन्तयत पूजा-X । पत्रसं० १-२१ । प्रा०७१x६३ इञ्च | भापा-हिन्दी पच । विषय- पूजा । र०काल x | ले. काल x । पूर्ण । वाटन सं०१४-२८६ । प्राप्ति स्थान-द्रिक जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-प्रन्तिम पत्र नहीं है। ७५३१. अनन्तवत पूजा उद्यापन- सकल कीत्ति । पत्र सं०१८ । पा.१०x ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय पुजा। र" काल ४ । ले. काल सं०१९ असोज सुदी। पूर्ण । वेष्टन मुं० १३७२ । प्राप्ति स्थान---भदि जैन मंदिर अजमेर । ७५३२. प्रति सं० २ । पत्र सं० ४१ । लेकाल सं० १९२६ मंगसिर सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३७६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ७५३३. अनन्तरा पूजा विधान भाषा-X । पत्रसं० ३२ । प्रा० ५३४ ६६ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-पूजा । '२.० फाल ४ । संसार । पूर्ण । वदनसं. १५३६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मंदिर यजमेर मण्डार। ७५३४. मन्तवत विधान..-शान्तिदास-x। पत्रसं० २४ । प्रा० १०.४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी १ । विषय-पूजा । १० काल X । ले० काल सं० १९३५ । पूणं । वेष्टन सं०५४.२४ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दौसा । विशेष—शियबक्स ने दौसा में प्रतिलिपि की थी। ७५३५. अनन्तक्तोद्यापन-नारायण । पथ सं० ५०। प्रा०६x६ इन्च । भाषा... संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल x। ले०काल सं० १९५५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । ७५३६. अनन्तवसोद्यापन-४ । पत्रसं० २ से ३२ । प्रा० ११५५ इञ्च । भाषा कांस्कृत । विषय-पूजा। र०कासले. काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० ३५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन सौयानी मंदिर करौली। विशेष-. प्रथम पत्र नहीं है। ७५३७. अनन्तवतोद्यापन पूजा-४ । पत्र सं० ११ । प्रा० ११४४ इञ्च ! भापा-संस्कृत । विषय-पूजा । र काल X । कास X । पूर्ण । वेष्टन सं० २१६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर, नागदी नदी ७५.३८. अभिषेक पाठ--x | पत्र सं० ४ । प्रा० ८३४७ इन्च । भाषा-संस्कृत । विद्या - पुजा । र०का ।ले. बाल X । पूरणं । बहन सं० ६४७ । प्राप्ति स्थान- दिन मन्दिर लश्कर जयपुर। Page #845 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७५३६. अभिषेक पाठ-.-X । पत्रसं०७१ मा० १.१४५ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-- पूजा। र०काल - ले. काल सं० १६०१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी (बूदी)। विशेष - धूताभिषेक पाठ है।। प्रशस्ति-संवत् १६०६ वर्षे मार्ग सुदि नक्ष्मी वहस्पतिवासरे उत्तराभाद्रपद नक्षत्रे घृत गुरा पात्म पठनार्थ लिखितं पं० ज्योति श्री महेस गोपा सूत । ७५४०. अभिषेक पाठ-x। पत्र सं.४७ । पा. १० x ८ इन्च । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा। र०काल लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन खंडेलवाल मंदिर उदयपुर। ७५४१. अभिषेक पूजा--X पत्र सं० ३ । आ. १.४५३. इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- पूजा । र० काल x | लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ७५४२. अभिषेक पूजा-विनोदीलाल । पत्रसं० ५ । प्रा० x ५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषव-पूजा । र०कालX । ले०काल x वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ७५४३. अभिषेक विधि । पसं० ४ । पा. १०३ ४ ५ ६च । भाषा-संस्कृत | विषयविधान । २० काल x । ले० काल । वेष्टन सं० ५८३ । प्राप्ति स्थान-द. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ७५४४. अष्टन्तव्य महा-अर्ध- । पत्र सं० १ । मा० ८४६ च । भाषा-हिन्दी विषयपूजा । २० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६४ । प्राप्ति स्थान--- दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर। ७५४५. अष्टाह्निका पूजा--सकलकीत्ति । पत्र सं. १६ : प्रा० ११ X४३ इश्च । भाषासंस्कृता । विषय-पूजा । र० काल x | ले. काल x | पूर्ण । वेटन सं० १६२:५९ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगड (कोटा) ७५४६. अष्टाह्निका व्रतोद्यापन-शोभाचन्द । पत्र सं २० । मा० ११३४४ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय पूजा । २० काल X । ले काल सं० १८१७ चैत सुदी १ । पुर्ण । वेष्टन सं० ४१ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ७५४७. अष्टालिका पूजा--४ । पत्रसं० २० प्रा०६x६३ इथ । भाषा-संस्कृत । विषय पूजा । र०काल स. १६७६ कातिक बुदी है। ले काल x। पूर्ण । येहन सं० ११४७ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर।। विशेष-दो प्रतियों का मिश्या है। ७५४८. उजा-र । पत्रसं०१५ । प्रा०८ x ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र काल X। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार। Page #846 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ७८५ ७५४६. अष्टाह्निका पूजा--- I पत्रसं० १३ । प्रा० १० x ५ इव । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा । २० काला X । खे० काल XI पूर्ण । श्रेष्टन सं० १३८३ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर प्रजमेर मवार । ७५५०. अष्टाह्निका पूजा-X । पत्र सं० १६ । आ० १.१४४ इञ्च । भाषा---संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x 1 ल० काल सं० १९२० । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थानः-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बू दी। ७५५१. अष्टाह्निका पूजा-X । पत्र सं० ३ । प्रा० ११४४ इन्ध । भाषा - संस्कृत । विषय -- पूजा । र० काल । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३७३३३ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ७५५२. अष्टाह्निका पूजा उद्यापन-शुभचन्द्र । पत्रसं० १२ । प्रा० ११ x ५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । २० काल'x। ले. काल सं० १८५६ । पूर्ण । बेपन सं० ७७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन खडेलवाल मंदिर उदयपुर । ७५५३. अष्टाह्निकापूजा-म० शुमचन्द्र । पनसं० ४ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृात । निष्पन- पूजा । 'र. का X । ले० काल X । पुर्गा । वेष्टन सं० १९.४ । प्राप्ति स्थान -दि० जन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । ७५५४. प्रतिसं० २१ पसं० ६ । ले. कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५४ । प्राप्ति स्थानदि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७५५५. अष्टातिका पूजा-सुमतिसागर । पत्र सं० ८। भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र०काल X । ले०काल सं० १८५८ चैत सुदी ६ । पूर्ण। वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७५५६. अष्टाह्निका पूजा-धानतराय। पत्रसं० १६ । भाषा-हिन्दी । विषय - पूजा । र०काल x 1 ले० काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १२८ । प्राप्ति स्थान -दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७५५७. अष्टाह्निका पूजा-४ । पत्र मं० १४३ । श्रा० ८४६ इन्न । भाषा--हिन्दी 'पद्य) । विषय- पूजा । र०काल ४ । ले. काल सं० १९५४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर तेरहपंथी दौसा । विशेष...२ रु० १५. याना लगा था। ७५५८. अष्टाह्निका मंडल पूजा-X । पत्र सं० ६ । श्रा० १०४७ इछन । भाषा-हिन्दी (पथ)। विषय-पूजा । र० काल x । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६ । प्राप्ति स्थान—दि. जन तेरहपंथी मन्दिरदौसा ! ७५५९. अष्टाह्निका प्रतोद्यापन पूजा-पं० नेमिचचंद्र | पत्रसं० ३५ । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूमा । २० काल X । ले० काल X : पूर्ण । वेष्टन सं० १३१ । प्राप्लि स्थान—दिक अंन मन्दिर पचायती दूनी (टोंक) Page #847 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७५६०. अष्टाह्निका पूजा-४ । पत्रसं० २७ । या• ८,४६ इश्च । भाषा--हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । रक काल । लेकाल सं० १८८६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान-दि० जन तेरहपथी मन्दिर मालपुरा (टोंक) ७५६१. अष्टान्हिका पूजा-४ । पत्र मं. १: ! आ०१:४७ इच । . काल सं० १६ ! ले० काल सं० १८८५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर तेरहाथी मालपुरा (टोंक) ७५६२. अष्टालिका पूजा--- । सं० २२ । मा० १०१x६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन तेरहपथी मन्दिर गया। ७५६३. अष्ट प्रकारी पूजा-४ । पत्र स० ४ । भाषा-हिन्दी। विषय- पूजा । र० काल x | लेकाल ५ । पर्ग । देशन स०६८८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपूर ।। ७५६४. अकारो पजा जयमाल-X । यत्रसं० ११ । भा० १३४६ इच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र०काल X । ले० काल सं० १८६४ । पूरणं । येष्टन सं० १९८। प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। ७५६५. असाझाय विधि । पथ सं० २ । भाषा-हिन्दी । निपय पूजा । र काल । ले०काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० ६७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ७५६६. प्राकार शुद्धि विधान -- देवेन्द्र फोत्ति । पत्रसं० ६ । प्रा० ११३ x ५ इञ्च ।भाषासंस्कृत । विषय-विधान । र० काल X । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ३६१-१४८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोड़ियों का डूगरपुर । ७५६७. माठ प्रकार पूजा कथानक-X । पत्र सं० ८५ । भाषा-प्राकृतः । विषय -पूजा । २० काल - । ल काल स. १८७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६.४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ७५६८. प्रादित्यजिन पूजा-केशवसेन । पत्रसं० ८ । श्रा० ११४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० फालx | लेकाल सं० १९४६ । पूर्ण । श्रेष्टन सं०५३६ । प्राप्ति स्थान–दिक जैन मन्दिर कोड़ियों का डूगरपुर । ७५६६. प्रादित्य जिनपूजा-म० देवेन्द्रकीसि । पत्रसं० १७ 4 मा० १०४६ इच। भाषासंस्कृत । विपय जा । २० बाल X । लेकाल ४ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० ५२५ । प्राप्ति स्थान-दिक जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । विशेष-इसका दूसरा नाम आदित्यनार श्रत विधान भी है। ७५७०. प्रति सं०२। पत्र सं०१६ । ग्रा० १०४४३ च । लेकाल सं० १६१९ श्रायण सदो पुर्ण । टन सं०१२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन छोटा मन्दिर बयाना । विशेष-भूगलचन्द थावक ने प्रतिलिपि की थी। ७५७१. श्रादित्यवार व्रतोद्यापन पूजा-जयसागर । पत्रसं० १० 1 भाषा-संस्कृत । विषय.-जा । ०कालx। ले०काल स १८१६ । पूर्ण । वेपन सं०५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #848 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] ७५७२. श्रादित्यव्रत पूजा- - XI पत्र सं० १२ । विषय- १शा २० काम X ले० कास सं० १५३६ बेठ बुदी दि० जैन मन्दिर वरसी फोटा । विशेष- पं. श्रालमचन्द ने लिखा था | ७५७३. श्रादित्यव्रत पूशा-- x 1 १० X ले० काल X। पूर्ण विषय - मन्दिर अजमेर | पत्रसं० ४ 1 न ० ६१२ ७५७४ इन्द्रध्वज पूजा-म० विश्वभूषण पत्र सं० १११ । संस्कृत विषय पूजा र०का Xले काल X चूर्मा वे० सं० १५६ घालवायली मन्दिर उदपुर -- र०काल ४ भरतपुर । ७५७९. ऋद्धिमंडल पूजा शुभचन्द पूजा - शुभचन्द | ००१०१६ जेठ सुदी ११ पूर्ण ० १०३४४ इञ्च पूर्ण वेष्टन सं० ५१ विशेष—ध का लागत मूल्य १३४) है। ७५७८. इकवीस विधि पूजा-- x पत्र० १३ भाषा ० काल x । ले० काल सं० १८७८ । पूर्णं । वेष्टत मं० ६५१ मन्दिर भरतपुर प्रा० ११३४५ इञ्च ले० काल सं० १००३ फागु इञ्च । । ७५७५ प्रतिसं० २०११० ख़ुदी २ पूर्ण वेष्टन सं० १२७ प्राप्ति स्थान दि० पंचायती मन्दिर दूनी (क) ७५७६. प्रति सं० ३ ० ११२० ११७ ले० काल सं० १९८५ पूर्ण | पत्रसं० वेष्टन सं० १०३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा । ७५७७. इन्द्रध्वज पजा विषय-पूजा रफान X ले० काल X फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) × । पत्र [सं० ६० आ० १२७३ | भाषा-संस्कृत । पूर्ण वेष्टन सं० १५७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर — भाषा-संस्कृत ० १०४५१ ख प्राप्ति स्थान भट्टारको दि०जैन ७५८०. ऋषि मंडल पूजा - विद्याभूषरण संस्कृत विषय १ २०कास X ले० काल । जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । पत्र सं० १८ । पत्र सं० १८ वेटन स० १० - [ ७८७ भाषा संस्कृत । प्राप्ति स्थान ० १२४६ इव । भाषाप्राप्ति स्थान दि०जैन + - गुजराती विषय पूजा प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती ७५८१. ऋषि मंडल पूजा - गुरानन्दि । पत्रसं० २१ । ० १०४५ संस्कृत विषय १० काल X | ले०काम सं०] १९११ बेन सं० २०२ दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ भोगान बूंदी | 64 आया - संस्कृत विषय पूजा | प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर पत्र सं० २० प्रा० ११४५ इञ्च । भाषापूवेन सं० १८३ प्राप्ति स्थान- दि० इ। भाषाप्राप्ति स्थान विशेष- बूंदी में नेमिनाथ वैत्यालय में पं० रतनलाल ने प्रतिलिपि की थी । ७५६२. प्रतिसं० २ । पत्रसं० २ २४ ० ११४५ इवले०का x पूर्ण वेटन सं० ५१० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर कोटडियों का हूँगरपुर | Page #849 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८८ ] [ ग्रन्थ सूचो-पंचम भाग ७५८३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २० । प्रा० १०३४५३ ३श्च । ले. काल x 1 घेष्टन सं. ४३३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लशकर, जयपुर । ७५८४. ऋषिमंडल पूजा भाषा-दौलत मौसेरी । पत्र सं० १२ 1 या०१२३४६ इच। भाषा-हिन्दी पद्य | विषय -पूजा ! २० काल सं० १६०० । ले०काल X । पूर्ण । वेवून सं० १५६ । प्राप्ति स्थान-६० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ७५८५. प्रति सं०२। पत्रसं० १५ । पा०x४१ इन्च । लेकाल पूरी । वेष्टन सं०८ । प्राप्ति स्थान-दिल जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) ७५८६. ऋषिमंडल मा--x ४१ इ. : भाषा-संस्कृत । गा। र०काल x | लेकाल XI पूर्ण। वेष्टन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी। ७५८७. ऋधिमंडल पूजा-X। पत्र सं०५। भाषा संस्कृत । विषय - पूजा । र० काल x। लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७१३६६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-६ प्रतिया और हैं जिनके बेष्टन सं०३८/३६७ से ४३,३७२ सक हैं। ७५८८. ऋषिमंडल पूजा- .x। पत्र सं० १७ । प्रा. ११४७ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-गूजा । र० बाल x 1 ले. काल सं० १९२२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर नागड़ी बू दी। ७५८६, ऋषिमंडल पूजा--x.। पत्रसं० २ । भाषा-सस्कृत । विषय-पूजा । र. काल । ले०काल x 1 पूर्ण | बेहन से०७२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७५६०. ऋषिमंडल पूजा भाषा--- । पत्रसं०१३ । मा० १०४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० कार x | ले. काल सं० १८६४ फागुण बुदी ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १२३२ । प्राप्ति स्थान-भ. दि० जैन मन्दिर अजमेर । ५७५६१. ऋषिमंडल यंत्र पूजा-४ । पत्रसं० १४ । प्रा० ११३४ ४३ इच । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । १० काल । ले० काल x 1 पूर्ण 1 वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर प्रादिनाथ वू दी। ७५६२. ऋषिमंडल स्तोत्र पूजा-४ । पत्र सं० १७१ प्रा० ११४७१ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूत्रा। २० काल x । ले. काल x | पूर्ण । वैटन सं०४८६ । प्राप्तिस्थान--दिक जैन कोटड़ियों काडूगरपुर । विशेष-प्रतापगढ़ में पं. रामसान ने प्रतिलिपि की थी। ७५६३. अकुरारोपरण विधि-प्राशाघर । पत्रसं०६ । श्रा० ९x४६ इञ्च । भाषा-- , संस्कृत । विषय - प्रतिमा विधान । र०काल X । ले०काल X : पूर्ण । बेष्टन सं० ३८३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर अजमेर।। ७५६४. प्रतिसं०२। पत्रसं०६ । मा० १.४४ इज। भाषा-संस्कुल । विषय-प्रतिष्ठा विधान । २० काल । ले० काल X| वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । Page #850 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ७८९ ७५६५. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ६ । प्रा०५४६३ च । र०काल । ले० काल सं० १९४६ । पूर्ण । वेष्टन स. १६४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, यूदी । ७५६६. प्रकुरारोपण विधि-इन्द्रनन्दि । पत्रसं० १५६ । प्रा० १२ x ६ इंच | भाषासंस्कृत । विषय-विधान । २० काल x | लेकाल सं० १९४० वैशाख शुक्ला ४ पूर्ण । वेष्टन सं० २६७. ११७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । SR. कमलजदार तोमारन--.: सं० १० । प्रा० १.४६ ह । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । २० काल काल x | पूर्ण । वेष्टन सं०५२३-। प्राप्ति स्थानदिजैन मंदिर कोटडियों का हूगरपुर । ७५६८. कर्मवर उद्यापन -x । पत्रसं०१ । प्रा० ११४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा। र काल x | ले०काल सं० १८८४ । पूर्ण । वेष्टन गं० ११३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर राजमहल (टोंक) ७५६६. कर्मदहन उद्यापन-विश्वभूषण । पत्र सं० २६ । डा. १०३४४ इश्व 1 भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । २० काल ४ । लेकालX । वेष्टन सं० २६० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। ७६००. कर जा-टेकचंद । पत्रसं०१७ । मा० ११ x ७इच। भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पआ । २७ काल ४ ।काल ! पूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मंदिर नागदी वूदी। ७६०१. प्रति सं० २। पत्र सं० १३ । प्रा० ११४७ इञ्च । ले: काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२०। प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर नागदी बूदी। ७६०२, प्रतिसं० ३ । पत्र सं० १८ । मा० १० X ७ इञ्च । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं. १०८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ७६०३. प्रति सं०४ । पत्रसं० २३ । प्रा०६४ ६ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ७३-१०७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ७६०४. प्रति सं०५ । पत्र सं० ५७ । मा० १०३४४ इञ्च ले. काल ४ ! पूर्ण । वेष्टन सं. ७२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १७.५ प्रति०। पत्रसं० २२ । ले०काल सं० १९६२ । पुरणं । रेष्टन मुं०५१७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७६०६. प्रति सं०७। पत्रसं० १६ । प्रा० १२ x ६ इंच । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० १४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) ७६०७. प्रति सं०८ । पत्रसं० ३० । या०६४७ इञ्च । ले०काल सं १८८६ । पूर्ण । बटन रा० ३६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी मालपुरा (टोंक) ७६०८. प्रति सं०६। पत्रसं० २५ । प्रा० ६४ ७ इन्च । लेकाल सं १८८२ श्रावाप ब्रदी ३ । पर्ण । वेहन में २७ । प्राप्ति थान-दि० जैन तेन्हाथी मन्दिर मालपुरा (टोंक) Page #851 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६० ] [प्रन्थ-सूची-पंचम भाग विशेष--- रामसाल पहाड़िया ने प्रतिलिपि की थी। ७६०६. प्रति सं० १० । पत्र सं० २१ । प्रा० १०४ ४५ इन। ले०काल सं० १६२७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७ । प्रापित स्थान-दि. जैन मंदिर कोट्यों का नैरावा ।। ७६१०. प्रतिसं०१११ पत्र सं० ३०१ या.१११४५१ इञ्च । ले० फाल सं० १९५५ । पूर्ण । बेष्टन सं०५६९ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ७६११. प्रति सं०१२ । पत्रसं० ४१ । आ. १२३४ ९ इञ्च । ले. काल सं० १९५६ चैत सुवी ५ । पुणे । वेष्टन सं.५२८ | प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ७६१२.प्रति सं०१३ । पत्रसं०६६ । ले०काल सं० १८८५ पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान- विजन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष--सदासुख रिषदास द्वारा प्रतिलिपि कराई गई थी। ७६१३. प्रति सं० १४ । पत्र सं० २२ । पा० ११ X ४ इञ्च । लेकाल x पूर्ण । वेटन सं० ३८७ । प्राप्ति स्थान-भ, दि० जैन मन्दिर अजमेर । ७६१४. कर्मवहन पूजा-शुभचन्द्र । पत्र सं० १८ ।मा० १०४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल ५ । ले० काल सं० १६३८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ७६१५. प्रति सं०२ । पचास १५ । प्रा० ११ x ६ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं० १८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी दी। विशेष---हरविंशदास लुहाडिया ने सिकन्दरा में प्रतिलिपि की थी। ७६१६. प्रति सं०३। पत्र सं० १० । प्रा० ११:४४ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४ । प्राप्ति स्थान -- दि. जैन मन्दिर प्रादिनाथ चूदी । ७६१७. प्रति सं०४ । पत्र सं। १२ । आ. ११४५ च । लेकाल स. १७६० वैशाख बुदी ५ । पूर्ण । बेन सं०६ । प्राप्ति स्थान-दिजर मन्दिर तेरहपश्री गालपुरा टोंक) विशेष—प्रा० जानकीति ने नगर में प्रतिलिपि की थी। ७६१८. प्रति सं०५ । पास. १७ । ना० ११४५ इश्व ! भादा-सत। विषय - पूजा । र०काल x। ले०काल सं० १६७३ । पूर्ण । वेष्टन स. १६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (दी) विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है। सावत् १६७३ वर्ष प्रासोज सदी १११ सागवाडा नगरे श्री आदिनाथ चैत्यालये श्री मूलसंधे सरस्वती माझे मलाचार्य श्री रत्नकीति तत्म महनामायं श्री यश:क्रीति तत्प भ० महानन्द्रा ल० म० भ० श्री जिनचन्द्र म सकलचन्द्रान्वये म० श्री रत्नचन्द्र विराजमान हु बहु ज्ञालीय संस्खेश्वर गांचे सा. सागा भार्या सजागदे तत्पुत्रों सा फाला भार्या का सारथी भार्या इन्की तसुत्र बलभदास स्वस्वज्ञानाबरणी कर्म क्षणार्थ अ. श्री ठाकरा कर्मदहन पूजा लिखपने दत्त । ७६१६. प्रति सं०६। पत्र स० २२ । प्रा० १.१४ ६. इञ्च । ले• काल सं० १९१९ प्राषाढ सूदी १३ । पूर्ण । वन स० ११४ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना। Page #852 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ७६१ ७६२०. प्रति सं०७ । पत्र सं० १७ । ले०काल सं० १६६५ भाषाढ सुधी १० । पूणे । वेष्टन सं. १८६-६७८ । शप्ति स्थान--दि जैन संगवनाथ मन्दिर उदयपुर । ७६२१. प्रति सं० ८ । पत्र सं० १७ } प्रा० ११३ ४ ५ इञ्च । ले. काल सं० १७२१ । पूर्ण । वेम सं० १५६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ७६२२. प्रति सं०६ 1 पत्र सं० १५ । प्रा० १२ x ५६ । लेकात X । पूरी । वेष्टन सं. ६५ । प्राप्ति स्थान-दि० अन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ७६२३. प्रति सं०१०। पत्र सं० १६ । प्रा. ११४५ च । ले० काल सं०१७३१४। पूर्ण । वेष्टन स. २७४ । प्राप्ति स्थान----दि जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष-भाओल नगरे लिञापित ललितकीति प्राचार्य । ७५२४. प्रति सं० ११ । पत्र सं० १४ । से० काल x । पूर्ण । येष्टन सं० २८० । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ७६२५. कर्म दहन पूजा-x। पत्र सं० १२ । प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषा-स्कृत । विषय-पूजा । रयाल ४ । ले० साल सं० १८८० सावरण बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ७६२६. प्रति सं०२। पत्र सं. १ । प्रा. ११४५ इन्च लेकाल सं. १८२८ ! पुरंग । बेष्टन सं० ३५५ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर । ७६२७. प्रतिसं०३ । पय मं० १२ । प्रा० १२४५३ । ले०काल सं० १८९२ साबण मदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२० । प्राप्ति स्थान...भ.दि. जैन मन्दिर अजनेर । ७६२८. प्रति सं० ४ । पत्रसं० २३ । प्रा० १.१४ इञ्च । ले०कास । पूर्ण । वेष्टन सं० १५१८ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ७६२६. प्रति सं० ५१ पत्र सं. २३ । आः १०१४४ इश्च । ले० काल X । पूर्ण । बेप्रत सं० १९२५ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० अन मन्दिर अजमेर। विशेष-मूल्य ४॥ - । लिखा है। ७६३०. प्रतिसं०६ । पमरा० १२ । प्रा. ११४४ इञ्च । ले०काल x | पूर्ण । वेपतसं. ३३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा । ७६३१. प्रतिसं०७ । पत्रसं० १४ । प्रा० १२४४ ५ । ले. काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० २१५। प्रारित स्थान-दि० जैन मन्दिर नागवी दी। विशेष-प्रति प्राचीन है। ७६३२. प्रति सं० । पत्र सं० २२६ से २७० 1 ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दिल जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष --यशोनदि की पंचपरगे की पूजा भी आगे दी गई है। ७६३३. प्रतिसं० । पत्रसं० ११ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं.०.६०। प्राप्ति स्थान-- दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #853 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७६३४, प्रति सं० ११५ १५ सं०६ । ले० काल ४ ! अपूर्ण । वेष्टन सं० १८७३४० । प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ७६३५. प्रति सं० १०। पर सं० १७ । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं १८६/३३६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । विशेष-प्रणास्ति निम्न प्रकार है। संवत् .५८२ वर्षे यासो कदि ५ भूमे गुर्जरदेश बीजापुर शुभस्थाने श्री शांतिनाथ चैत्यालये श्री मूलसंघे नंदिसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुदाचार्यान्वये भट्टारक श्री पचनदिस्त पट्टे भ० श्री सकल कीतिदेवा तपट्टे म० श्री भुवनकोत्ति तदाम्नाये भ• श्री जान मूष रास्ता भश्री विजयी देवाराम भ. श्री भुभ चन्द्रश्वास्तदाम्नाये चन्द्रावती नगरे नागदहा ज्ञातीम साह दाना भार्या पाच सुत पंडित राजा पनार्थ । ७६३६. प्रति सं० १२ । पत्रसं०१७। प्रा० १२४५, इश्च । ले०काल सं० १-१६ आषाढ सुदी। पूर्ण । वेहन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर बैर । विशेष- महादास अग्रवाल ने प्रतिलिपि करवाई थी। ७६३७. प्रति सं०१३ । पत्र सं० २७ । श्रा० ११३४४३ इच। लेकाल सं० १६१३ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६। प्राप्ति स्थान-- दि. जैन सौगाणी मंदिर करीली। ७६३८. प्रति सं० १३ । ० १७ । [ . कई १८४१ । पूर्ण । वेष्टन सं०१८० । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। ७६३६ प्रति सं०१५ । पत्र सं० १७ । ग्रा० १२४५ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । श्रेष्टन सं. १०२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (दी) ७६४०. प्रतिलंग१६ । पत्र सं०१६ । आ६x६ इञ्च । लेकाल १९५० । पूर्ण । वेष्टन सं०१७। प्राप्ति स्थान -दि० जन अग्रवाल मन्दिर नंणवा । विशेष-मरणया में प्रतिलिपि हुई थी। ७६४१. कर्मदहन पूजा विधान-- X । पत्रसं०३० । मा० १०४६६च 1 गाषा-- हिन्दी (पद्य) 1 विषय-पूजा । ५० कास x | ले.काल सं० १९३३ । पूर्ण । तेष्टन सं०८६३१ । प्राप्ति स्थान .. दि. जैन मन्दिर तेरहांथी दौसा । ७६४२. प्रति सं०२ । पत्र सं २७ । प्रा० १०४६ इंच । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ६०.३१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर संहपश्री दौसा । ७६४३. कर्म निर्जरणी चतुर्दशी विधान-४ । पत्र सं० १०४ । प्रा० १०६४४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - एजा । र• काल र । ले०काल सं. १६२८ 1 पूर्ण । बेटा सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दि० अन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। विशेष-सक्त १६२८ कई ज्या वृधीशनी श्री मूलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भ० श्री पद्यनंदिदेवास्तत्त्प? भ० राकलकोतिस्तत्पष्टै भ० श्री भुवनकीतिदेवा स्तत्प? श्री विजयकीति देवास्तत्पट्टे भ. श्री शुभचन्द्ररतत्तप? भ० श्री सुमतिकीतिदेवास्तदाम्नाये गुरु श्री अभवचन्द्रस्तशिष्य श्री देवदास पटनार्थ पोमीना वास्तव्य हंबडरगतीय श्रे. बाघा भायी बनादे। तयो सूत श्रे. गोंविंद भार्या गुरादे । माता गोपाल भार्या गगादे एतेषां मध्ये थी गरादे ......... Page #854 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ७६३ ७६४४ कलशविधि - ४ । पत्र सं०६ । प्रा० १०३४५ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा। र०काल x। ले. काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ३७७ । प्राप्ति स्थान-मट्टारकीम दि. जैन मंदिर अजमेर ७६४५, कलशारोहण विधान-x। पत्रसं० १२। भा० ५४६ इंश्च । भाषा-संस्कृत । विषय मिण ! र मान५ । २० काल ११४ । पर्गा । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष -पं० रतनलाल नेमीचन्द की पुस्तक है। ७६४६. कला विधि- पत्रसं०१४ । प्रा०५-६ इञ्च । भाषा-सस्कृत | विषयविधान 1 र०काल X । नेक काल ४१ पूर्ण । वेष्टन सं० ३८६.-१४६ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोटसियों का डूंगरपुर । ७६४७. कल्याण मन्दिर पूजा-देवेन्द्रकोति । पत्र सं. ६ | प्रा. ११३ x ४ इञ्च । भाषा -संस्कृत ! विषय पूजा । र० काल X । ले० काल सं० १८६१ । पूर्ण । वेष्टन स. १०५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-१० मदासुख ने जम्बू स्वामी चैत्वालय में पूजा की थी। ७६४८. कल्याण मंदिर पूजा-X । पत्र सं० १२ 1 प्रा० १० x ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x ले. काल स० १६३८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर । ७६४६. कलिकूपर पूजा-४। पत्रसं० ३ । ग्रा. १०.४५ इच। भाषा संस्कृत । विषयपूजा । र०काल X । ले०काल x 1 पूर्ण । बेपन सं० १२३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर अजमेर भण्डार। ७६५०. कलिकुण्ड पूजा--X । पत्र सं० ६ । प्रा० १०x४३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषयपूजा । २०काल ४। ले०कान X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार। विशेष – पद्मावती पूजा भी दी हुई है । ७६५१. कलिकुण्ड पूजा-- । पत्रसं०३ । प्रा० ६१४६ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषयपूजा । २०काल X लेकाल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ६५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ७६५२. कलिकुण्ड पूजा--- । पत्रसं० २ । श्रा० १४ - ५ इञ्च । भाषा - संस्कृत | विषयपूजा र०काल x | लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४-५०। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोटडियों का हूगरपुर। ७६५३. कांजी प्रतोद्यापन-रत्नकोति । पत्र सं० ४ । प्रा० १०३४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय पूजा । र काल । लेकाल सं० १८६८ आसोज दी है। पूर्ण । वेष्टन सं. ५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । विशेष-40 चिदानन्द ने लिखा था। Page #855 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७६५४. कंजिकावतोद्यापन-मुनि ललितकीति । पत्र सं०६ । ० १० x ४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयः-पूजा । र काल X 1 ले० कास सं० १७६२ अषाढ सुदी १० । पूर्ण । श्रेष्टन सं० ३८० । प्राप्ति स्थान-.. दिभ० जैन मन्दिर अजमेर । ७६५५. प्रति सं०२। पत्रसं०५ । प्रा० ११:४४ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्य । र०काल - । ले०काल X । पुणं । बेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर प्रादिनाथ बूदी। विशेष—महाराज जगतसिंह के शासन काल में सवाईमाधोपुर में अमरचंद कोटेबाले में लिखा था। ७६५६. कुण्ड सिद्धि-X ।पत्र सं०६ । प्रा. ११४५ हज । भाषा-संस्कल । विषयविधान । र०काल x | लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० २३२ । प्राप्ति स्थान--- दिन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बूदी 1 विशेष-- मंडप कुण्ठ सिद्धि दी गयी है । ७६५७. कोकिला व्रतोद्यापन-५ ।पत्रसं० १२ 1 प्रा०६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल x | ले०काल सं०१७०४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१२ । प्राप्ति स्थान दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-गुटका नं. १ में है। ७६५६. गणधरवलय पूजा-सकलकीति । पत्र सं० ४ । भाषा संस्कृत 1 विषय - पजा । र०काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्ठन सं० २-३१६ । प्राप्ति स्थान--- दि जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । विशेष-प्रति प्राचीन है। ७६५६. प्रति सं० २ । पत्रसं० ४। ले. काल सं० १६७३ अषाढ सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३-३१७ । प्राप्ति स्थान --दि० जन मन्दिर दबलाना (बूदी) विशेष—प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १६७३ वर्षे पाषा वुदी ६ गुरौ श्री कोटशुभस्थाने धी आदिनाथ चैत्यालय प्राचार्य श्री जयकोतिना स्वज्ञानवरणी कर्मक्षयार्थ स्वहस्ताम्या लिखितेयं पूजा । श्री हरखाप्रसादत् । 4. श्री स्सबराजस्येदं । ७६६०. प्रति सं०३। पत्रसं०६ । आ० १२४ ६ इञ्च । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ७२०। प्राप्ति स्थान--- भ० दि. जैन मंदिर अजमेर । ७६६१, प्रति सं०४। पत्रसं० १२ । प्रा० १०x४ इञ्च । भाषा-संस्कुत । विपय-पूजा । र०कालX । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान--दि.जैन मंदिर बोरमली कोसा। ७६६२. गणधरवलय पूजा--X । पत्र स. ५। ग्रा०१० x ४ च । भाषा-प्राकृत । विषय-पूजा । १०काल X1 ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०१-११७ । प्राप्ति स्थानजैन मंदिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ७६६३. गणधरबलय पूजा४ । पत्र सं० । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल x। ले काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १,३२० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । Page #856 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ७६५ ७६६४. गणधरवलय पूजा विधान-X। पत्रसं० १० । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय - पूजा । र०कालxले. काल सं. १८८७ श्रावण बुधी ५ । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) ७६६५. गिरनार पूजा-हजारीमल । पत्र सं० ४३ । श्रा० १११४८ इञ्च । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय --पूजा । २० काल X ले० काल x ! पूर्ण । बेष्टन सं० ११४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पडेलवाल मन्दिर उदयपुर। ७६६६. प्रति सं.२ पत्र सं०८८ । ग्रा१.X६. इज । ले. काल सं० १९३७ ज्येष्ठ सदी १२ । पूर्ण । वेपन सं०२३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन अग्रवाल मन्दिर नगवा । विशेष-हजारीमल के पिता का नाम हरिकिशन घा । वे नश्कर के रहने वाले थे। वहां तेरहपंथ सैली थी । दौलतराम की सहाय से उन्हें ज्ञान प्राप्त हुया था; वे वहां से सायपुर आकर रहने लगे ये गोयल गोत्रीय अग्रवाल थे। ७६६७. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० १२ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७३ । प्राप्ति स्थानदि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७६६८. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० ४२ । प्रा० १.१४७३ इञ्च । ले० काल सं० १६३२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी। ७६६६. गुरावली पूजा-शुभचन्द्र । पत्रसं० ३ । श्रा० १० ४ ४ इच । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल x ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर। ७६७०, गुरावली समुच्चय पूजा---X । पत्र स०२। प्रा० १२ x ५६ इच । भाषासंस्कृति । विषय - पूजा । २० काल x | ले. काल ४ । पूर्ण । बेष्टन स०१०। प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) ७६७१. गुर्वावली (चौसठ ऋद्धि) पूजा स्वरूपचन्द विलाला। पत्रसं० ३०१ प्रा. X५. इकम । भाषा हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल सं. १९१० । ले० काल ४ । अपर्ण । वेष्टन सं. १२४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष—अन्तिम पत्र नहीं है। ७६७२. प्रतिसं०२ 1 पत्र सं० ४५ । मा० १०४६ इञ्च । लेकाल सं० १९२३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर अयाना । ७६७३. गुरु जयमाल-10 जिनवास । पत्रसं० ४ । पा.१०४ ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पजा । र..काल लेकाल x पूर्ण । वेष्टन सं० १९७-८० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का टूगरपुर । विशेष हिन्दी गद्य में अर्थ भी दिया है। ७६७४. गोरस विधि-- । पत्र सं० २। प्रा०१०३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयविधि विधान । र०काल ४ । ले-काल ४ । पूर्व। वेष्टन सं० २०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान दूदी। Page #857 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६६ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ७६७५. गृहशांसि विधिवरि १२ भाषा संस्कृत विषय-विधान । २० काल X | ले० काल सं०] १८५६ । पू । देष्टन सं० ६७४ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७६७६. क्षरणवति क्षेत्रपाल पूजा - विश्वसेन पत्र सं० ६ श्र० १२x६ इन्च | भाषा--- संस्कृत विषय-पूजा । २० काल X | ले० काल सं० १८६१ मंगसिर सुदी १४३ पूर्णं । वेष्टन सं० २१७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक) ७६७७. क्षेत्रपाल पूजा - x 1 पत्रसं० १३ । ग्रा० १०४४ दश्च । भाषा- संस्कृत 1 विषयपूजा । २० काल X | ले० काल सं० १८५१ आसोज सुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८५ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार । ७६७८. प्रति सं० २ । पत्र सं ० ५ । आ० १०५६ इञ्च । ले० काल x । पूर्णं । वेष्टन सं ० १२० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर कोटडियों का डूंगरपुर ७६७६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ११ । आ० १०x६ ६ । ले० काल सं० १६८४ । पूर्ण । सं० ३४४ - १३२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर 1 पत्रसं० २ । प्रा० १०६ ४५ इव । मन्दिर दबलाना (बूंदी) ले० काल x । पुणं । वेष्टन सं० ७६८०, प्रति सं० ४ २२० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन ७६८१. चतुर्दशी व्रतोद्यापन पूजा -- विद्यानंदि । पत्रसं० १२ | आ० ११३ X ५ इव । भाषा-संस्कृत | विषय - पूजा । २० काल X | ले० काल X। पूर्ण सं० ५० । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । प्रारंभ- अन्तिम- सकलवनंपूज्य व मानजिनेन्द्र । सुरपतिसेवं तं प्रणम्यादरे || त्रिमलवत चतुर्दश्या शुभोद्योतनं । भविकजन सुखार्थ पंचमरयाः प्रवश्ये ॥१॥ शास्त्राचे पारगामी परममतिमान मंडलाचार्थमुख्यः । श्री विद्यनन्दीनामानिखिल मुनिथिः पूर्णमूर्तिप्रसिद्धः ॥ या संप्रधारी विकुदमरी हर्ष सदानंद | सानो राम नामा विविरमुमकरोत् पूजनामा विधे । श्री सिंहभूपस्य मंत्री मुख्यो गुणी सताम् । श्रावस्ताराचंद्रास्यस्तेनेद कृत समुद्धतं ||२॥ तर सर समुद्दिश्य पूर्वशास्त्रातुवृति । बोद्योतनमेतेन कारितं पुण्यत ||३|| ७६८२ प्रतिसं० २ । पत्र सं० ११ । श्रा० ११X५ इश्व । ले० काल । पूर्ण वेष्टन सं ० १३४६ | प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । Page #858 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधाम साहित्य ] [ ७६७ ७६८३. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १० । ले. काल सं० १८०० भादया बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५० । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ति अिन पजा-x पत्र सं० ११५ | ग्रा० १२x ५६ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-पूजा । रस काल ४ । ले०काल सं० १९४८ 1 पूर्ण । वेप्टनसं० १६२४ । प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ७६८५. प्रति सं० २। पत्र सं० २८ । पा० १३४ १६ इन्च । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १९४ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ७६८६. चतुविशति जिन शासन देवी पूजा-x। पत्रसं० ३-६ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र काल ४ । ले. काल ४ । अपूरणे । वेष्टन सं० ३८२३७३ । प्राप्ति स्थान-दिस जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ७६८५. चंदनषष्ठीदात पूजा-विजयीत्ति। पत्र सं० ४ । प्रा० १२४४३ इंच । भाषासंस्कृत । विषय--पूजा । र. फाल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४४ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर नागदी, बूदी 1 ७६८८. चन्दनषष्ठीपूजा-पं० चोखचन्द । पत्र सं० ६ । प्रा० १२४५६ इ'च । भाषा-- संस्कृत । विषय पूजा । २० काल X । ले०काल X। पूर्ण । वेष्टन सं०६६। प्राप्ति स्थान--दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ७६८६. चन्दनषष्टीग्रत पूजा-४। पत्र सं० ८ । प्रा० १२३४६६। भाषासंस्कृत । विषय--पूजा । र० झाल ४ । से० कान X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर करौली। ७६६०.चमत्कार पूजा-राजकुमार। पत्रसं०५ । ग्रा० १२३ ४ ५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी (पद्य) । विषय-पूजा । र०काल x | ले. काल सं० १६६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२६ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। विशेष-चमत्कार क्षेत्र का परिचय भी आगे के दो पत्रों में दिया गया है। ७६६१. अतिसं० २। पत्र सं० ३ । मा० १२ x ६ इश्च । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । १० काल ४ | से०काल सं० १९६४ ! पूर्ण । वेष्टम सं० ५७७ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ७६९२. चमत्कार पूजा---X । पत्रसं०२।प्रा०६८५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय पजा। २० काल । ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर नागदी दी। ७६६३. चारित्र शुद्धि पूजा-श्रीभूषण । पत्र सं० १४ । भा० १०३ ४ ५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय पूजा विधान । र० काल ४ । ले. कालX । पूर्ण । बेष्टन सं० ३६०। प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी ७६६४. प्रति सं०२ । पत्र सं० ११४। ले काल सं० १८१६ माघ सुदी ११ : पूर्ण । नम सं. ६६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #859 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६८ ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग विशेष-दक्षिण स्थित देवगिरि में श्री पाश्वनाथ चैत्यालय में अन्य रचना की गई थी। पांडे लालचन्द ने लिपि कराकर भरतपुर के मन्दिर में रखी गयी थी। ७६६५. चारित्र शुद्धि विधान भन्शुभचन्द्र । पत्रसं० १० । श्रा० ५.४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय ----पूजा । र काल X । लेकाल सं० १६०३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८२४ । प्राप्ति स्थानदि० जैन अजमेर भण्डार। विशेष-गुटका में संग्रहीत है । ७६६६. प्रति सं० २। पत्रसं० ३२ । या० १४४१ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ४२५ ।रान्ति स्थान ..... जिं , माकर अजमेर । ७६६७. चिन्तामरिण पार्श्वनाथ पूजा-शुभचन्द्र । पत्रसं० २-१४ । प्रा० ११ ४ ५. इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर नागदी दी। ७६६८. प्रतिसं०२ । पत्र सं०७ । प्रा० १.४५ इञ्च। ले० काल सं०१६०८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५०२। प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । प्रशस्ति-संवत् १६०० वर्षे चैत्रमासे कृपापक्षे ५ दिने वाम्बरदेणे सिरपुरवास्तव्ये श्री प्रादिनाथ चैत्यालये लिखितं श्री मूलसंवे भ० विजवकोतिस्वत्प? भ० श्री शुभचंद्रदेवा तत् शिष्य पं० सूरदासेन लिखापितं पटनाथं प्राचार्य मेहकीति । ७६६६. प्रति सं०३ । पत्रसं० ११ । आ. १.४५, इञ्च । ले. काल सं० १८६१ सावन सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ बूदी। ७७००, चिन्तामणि पाश 1. x । पत्र सं० प्रा० ११X ५ इछ । भाषासंस्कृत । त्रिषग्र-पूजा । र०काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२०५ । प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मन्दिर अजमेर ! ७७०१. चिन्तामरिण पार्श्वनाथ पूजा-४ । पत्र सं० ११ । प्रा० १०४४ इंच । भाषासंस्कृत । विषय ----पूजा। २. काल X । ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नौसली कोटा। ७७०२.प्रति सं० २। पत्र सं० २. | मा० ३४४.इच । लेकालX । अपूर्ण । वेसन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान–दि जैन सौगामी मंदिर करौली। अन्तिम पत्र नहीं है। ७७०३. चतुविशति पूजा-भ० शुमचन्द्र। पत्र सं० ३-३६ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र०काल - । ले. काल १६६० । भलणं । वेष्टन सं० ३०३ । प्राप्ति स्थान--- दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १९६० वर्षे आषाड मुदी गुरुवारे श्री मूलसंधे भट्टारक श्री वादिभूपरण गुरुपदेशात् तत् शिष्य श्री वर्स मानकेन लिखापितं कर्मक्षयार्थ । Page #860 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ७६६ ७७०४. प्रतिसं०२ । पत्र सं०५८ । ले० काल सं० १९४० कार्तिक मुदी ३ पूर्ण । वेष्टन रा० ७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ७७०५, चतुविशति जिन पजा-XI पत्रसं०५-५८ । प्रा०६४७ ईच। भाषा संस्कुल । विषय पूजा । र० कालX ले. कालसं० १८६७ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर नेमिनायटोडारायसिंह (टोंक) ७७०. नविशति तीर्थकर पजा-४ । पत्र में ४७ । प्रा० ११३४५६ इञ्च । भाषा--- संस्कृत ! विषय -- पूजा । र० काल X । ले• काल रां० १८९६ प्रापरा सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६८ | प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ७७०७. प्रति सं० २। पत्रसं० ४६। प्रा० १०६४५ इञ्च । लेकाल X । वेष्टन सं० २७३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लपकर, जयपुर । ७७०८. चतविशति जिन पूजा-४। पत्रसं० २६ 1 आऽ १.१४४६ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय ... पूजा । र० काल X । लेकाल सं० १६३४ ज्येष्ठ बुदी ४ । पूरणं । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान दी।। ७७०९. चतुर्विशति तीर्थकर पूजा--X । पत्रसं०६८ | पा. १०३४ ४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X। ले०काल X । प्रणं । वेष्टन सं० २७९ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर छौशन बूथी। ७७१०, चतविशति जिन पूजा x । पत्र स' ४१ । या पूजा । २० काल X । ले० कास ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर नागदी दी। विशेष-४१ से भागे पत्र नहीं है। ७७११. प्रतिसं०२ । पत्रसं० ४४ । प्रा० १.४५ इञ्च । ले०काल सं० १६५७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ७७१२. चतुविशति तीर्थकर पूजा-x। पत्रसं० १३७ । या०८:४६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-गूजा । २० काल X । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) ७७१३, चतुविशति जिन पूजा--X । पत्रसं० ५० । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० ६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । ७७१४. चतुविशति पंच कल्याणक समुच्चयोद्यापन विधि—शोपाल । पत्र सं. १३ । मा०११४४१ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल ४ । ले० काल सं० १६६५ पूर्ण । वेष्टन सं० ३१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-इति अध भीमानहान्ब्रह्म गोपाल कृत चतुशिति पंच कल्याणक समुच्चयों द्यापन विधि । ७७१५. चतुर्दशी प्रति मासोपवास पूजा-X । पत्र स०१८ । आ. ११ .x१ हश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं. १६६ । प्राप्ति स्थानदि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चीमान थी। Page #861 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 500 ] [ ग्रन्थ सूची-पचम भाग ७७१६. चौबीस तीर्थकराष्टक-X । पत्रसं० २०। मा०६४ ४ ४ । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय -पूजा । र० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६० । प्राप्ति स्थान -दि० जैन पारबनाथ मन्दिर चौगान बूदी। ७७१७. चौबीस तीर्थकर पजा-बहलाचरलाल । पत्र सं० ८१ प्रा. १२x७ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषय-पूजा । १० काल सं० १५६२ फागुण बुदी ७ । ने० काल सं० १९२३ कातिक सुदी १४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान-दिः जन पंचायती मंदिर बयाना ।। ७७१८. प्रति सं० २ । पत्र सं० ६७ । आ० ११४५ इञ्च । ले०काल १९०३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) ७७१६. प्रति सं०३१ पत्र सं०५७ । ले० काल सं० १९५६ । पूर्ण । वेशन सं० ५५ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष - प्रतिलिपि किशोरीलाल भरतपुर वाले ने कराई थी । तुलसीराम जलालपुर वाले ने प्रतिलिपि की थी। ७७२०. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ६० । आः ८१४६२ इंच । ले०काल सं० १६५७ वैशाख बुदी १। पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ७७२१. चौबीस महाराज पूजन-चुन्नीलाल । पत्रसं० ४७ । भाषा-हिन्दी । विषय पूजा । १० काल स१८२७ । लेकाल सं० १९१५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ७७२२. प्रतिसं० २ । पत्रसं० १०२ । आ. ११४ ५ च । ले०काल सं० १६३० । पूर्ण । श्रेष्टन सं० १२३ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर बडा बीसपंथी दोसा । विशेष –प्रति नबीन है। ७७२३. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ४६ | ले. काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० ६१ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । ७७२४. प्रतिसं०४। पत्र सं. ६५ । अ० १०४६१ इञ्च । ले०काल सं० १९३५ । पूर्ण । वेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष - चुन्नीलाल करीबी के रहने वाले थे। पूजा करौली में मदनगोपाल जी के शासन काल में रची गई थी। प्रतिलिपि कोट में हुई थी। ७७२५. प्रतिसं०५। पत्र सं०६२। ले०काल सं० १९१७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान..-दि जैन पंचायती मन्दिर अलवर । ७७२६. धौबीस तीर्थकर पूजा--जवाहरलाल । पत्र० सं० ४८ । श्रा० १३४८ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र०कल स. १६६२। ले. काल स. १६६२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन छोटा मदिर बवाना । Page #862 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [८०१ ७७२७. चौबीस तीर्थकर पूजा- देवीदास ५ । पत्र सं० ४३ से १३ 1 भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । १० काल सं० १.२१ सावन सुदी १ ले. काल x । परणं । वेधन सं०६९-२४० । प्राप्लि स्थान—दि जैन मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक) अन्तिम संमत अष्टादस धजा उपर इकईस । सावन मृदि परिक्षा स रविवासर घरा उनीस ।। वासन धरा गोग सगाम नाम मुद् गौडौ । जैनी जम बस वास औंडद्धे सोपुर लोडौ ।।। सायथ सि राज भान परजासवथ बत् ।। अंह निरभ करि रची देव पूजा धरि सवतु ।।१।। गोलारारे जानियो वम खरी याहीत । सोनविपार सु बैंक तमू पुनि कासिल्ल सुगोत । पुनि कासल्ल सुगोन सीक-सीक हारा खेरौ ।। देस भदावर माहि जो सु वरन्यौ तिन्हि केरौ। केलि गामके बसनहार संतोर सुभारे ।। कवि देवी सुपुत्र दुगुडै गोलारारे । सेवत श्री निरगंथ गुर अरु श्री अरिहंत देव ॥ परत सुनत सिद्धान्त थत सदा सकल स्वमेव । तुक अक्षर घट बड का अरू अनर्थ सूहोई। अल्प कयि पर कर लिमा घरलोजैधि सोइ ।। इति वर्तमान चौबीसी जिमपूजा देवीदाम कुन समाप्त ।। ७७२८. चौबीस तीर्थकर पूजा-मनरंगलाल । पत्र सं० ४२ । प्रा० १२:४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय पूजा । २० काल स. १८८५ मगसिर सृदी १० । लेकाल सं. १६१४ । पूर्ण । वेपन स. ५२४ प्राप्ति स्थान-दि० जै मन्दिर लश्कर जयपुर । ७२६, प्रति सं० २। पत्र सं०५० । प्रा० १२ x 1 ले०काल सं.१९६५। पूणे । वेष्टन सं०५२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर। ७७३०. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ४५ । ले० काल सं० १६०५ | पूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर हण्डावालों का डीग ।। ७७३१, चौबीस तीर्थकर पूजा-रामचन्द्र । पत्रसं० ८१ । प्रा०११४ ६ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-पुजा । ९०काल x | लेकाल स. १६७३ चैत सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२८ । प्राप्ति स्थान - दि. जन मन्दिर अजमेर मण्डार । विशेष-मेरोजपुर के जयकृष्ण ने लिस्वनाया था। इसकी दो प्रतियां और है। ७७३२. प्रति सं० २१ पत्र सं० ३२ । प्रा० ११४५६ इञ्च । लेकाल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० १६२ । प्राप्ति स्थान-दि०जन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । Page #863 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०२ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ७७३३. प्रति सं० ३ पत्रसं०] ७५ प्रा० १०४ इन्च ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० १७ प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ७७३४ प्रतिसं० ४ पत्र ० ५४ प्रा० १०३६३ से० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ८० प्राप्ति स्थान दि० जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ७७३५. प्रतिसं० ५ ० ६ २ । पूर्णं । वेष्टन सं० २ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर दर 1 विशेष महादास ने प्रतिलिपि की थी। ―T ० ११४५३ काल सं० २०१२ मंगसिर सुदी ७७३६. प्रतिसं० ६ ० ४७ ० का ० १८ पूर्ण वेष्टन सं० ८४ प्राप्ति I स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७७३७. प्रतिसं० ७ प ० १२६ ले०काल सं० १०५ पूरा वेष्टन सं० म० प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष – सं० १९९५ में लिखाकर इस ग्रंथ को चढ़ाया था। ७७३८. चौबीस महारज पूजन- हीरालाल । पत्रसं०] १५ भाषा हिन्दी विषय-पूजा । र०काल X 1 ले० काल x पूरबेटन सं० १ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७७३६. चौबस तीर्थंकर पूजा--- रामचन्द्र विषय-पूजा २० काल x ले०का ० १५६५ पूर्ण हिन्दी पंचायती मन्दिर नागदी बूंदी। पत्रसं० ७७ प्रा० न सं० २०५ ११४७ इव । भाषाप्राप्ति स्थान दि० जैन ७७४० प्रति सं० २०६२० १२३६३ इले० काल सं० १९५५ पूर्ण वेन सं० ४१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर कामा ७७४१, प्रतिसं० ३ । पत्रसं० ५१ । श्र० ११x६३ इश्क्ष | से० काल सं० १९११ । पूर्ण वेष्टन सं० ८५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर श्री महावीर बूंदी | ७७४२ प्रतिसं० ४ । पत्र सं० ७३ । ० १०७ इञ्च । ले० काल x । पूर्ण वेष्टन सं० १०३ प्राप्ति स्थान उपरोक्त मन्दिर | ७७४३. प्रतिसं० ५ पत्रसं० १३३ । प्रा० ११५६ इन्द्र | ले० काल सं० १८२८ ज्येष्ठ सुदी २ पूर्ण वेष्टन सं० ३९१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानी (कामा) ७७४४. प्रतिसं० ६ । पत्रसं० १०-६० । ले०काल । अपूर्ण । वेष्टनसं० १६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन पंचावती मन्दिर बयाना विशेष – प्रारम्भ का पत्र नहीं है। - ७७४५ प्रतिसं० ७ पत्रसं० ८७ | ले० काल X 1 पूर्णं । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थानदि० जैन बडा पंचायती मन्दिर डीग । ७७४६. प्रतिसं० ८ ० ८०० १६ ले काल X अपूर्ण बेष्टनसं० ७१ । प्राप्ति स्थान दि० दंन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग 1 Page #864 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ७७४७. प्रतिसं०६। पत्रसं० १२० । प्रा० ७१४६३ इन्च । ले०काल सं० १९१३ । पूर्ण । वेष्टन सं०। प्राप्ति स्थान. उपरोक्त मन्दिर । विशेष-डीग में प्रतिलिपि हुई थी। ७७४८. प्रति सं०१०। पत्रसं०६६ । आ .x७ इश्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन स. ६६ । प्राप्पि स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष - गुटका जैसा प्राकार है । ७७४६. प्रतिसं० ११ । पत्रसं० ४१ । ग्रा० १२XE इव । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० ६६। प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष- मुटकाकार हैं। ७७५०. प्रतिसं० १२ । पत्र सं० ४४ । प्रा० १०४६३ इञ्च । ले० काल सं० १६०४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मंदिर । विशेष –चार प्रतियां प्रौर हैं। ७७५१. प्रति सं०१३ । पत्रसं०५४ । मा० १३ x ७ इञ्च । ले०काल सं० १९४६ । पूर्ण । वेष्टन सं०४५ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर नैरणवा । ७७५२. प्रतिसं० १४ । पत्र स ६१ । ले० काल सं० १८६६ । पूर्ण । बेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान - दि० जन तेरहपंथी मन्दिर नैणवा । विशेष-ब्राह्मण भैहराम उरिणयारा वाले ने चतुं भू जजी के मन्दिर के सामनेवाले मकान में प्रतिलिपि की थी। माहजी अमोदरामजी अग्रवाल कामल गोत्रीय ने प्रतिलिपि करायी थी। ७७५३. प्रतिसं० १५ । पत्र सं० १४६ | प्रा. १x६ च । लेकाल सं० १८२५ । पूर्व । देष्टन सं०४1 प्राप्ति स्थान . दि. जैन मन्दिर चौधरियान शलपुरा (टोंक) विशेष—साहमल्ल के पुत्र कुघर मंशाराम नगर निवासी ने कामवन में प्रतिलिपि कराई थी। ७७५४. प्रतिसं०१६। पत्रलं०१०३ । प्रा०५.४५३ इञ्च । लेकाल सं. १८५४ साधन बुदी १२ । पूणे । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान दि० जन तेरहपंधी मन्दिर मालपुरा टोंक) ७७५५. प्रति सं० १७ । पत्रसं० ४७ । प्रा० १० x ६ इच । ले० काल सं० १९२४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मंदिर नैणवा ७७५६. प्रति सं० १ । पत्र सं० १२ । प्रा० १०४ ६३ इञ्च । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर नैणवा । ७७५७. प्रति सं० १६ । पत्र सं० १५३ । प्रा० ७४५३ इञ्च । ले. काल सं० १८२५ । पूर्ण। वेष्टन सं०१७ । प्राप्ति स्थान दि जैन खंडेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ७७५८, प्रति सं०२० । पत्र सं० १०४ । प्रा० ११४५ इन। ले० काल सं० १९०५ । पूर्ण । वेटन सं० ३६८ 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर ददलाना (दी) विशेष-इन्द्रगढ में प्रतिलिपि हुई थी। ७७५६. प्रति सं० २१ । पत्र सं०७१ । ले. काल सं० १८६६ 1 पूर्ण | बेन सं० ३६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर देबलाना (दी) Page #865 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-देवेन्द्र विमल न कुन्दनपुर में प्रतिलिपि कराई थी। ७७६०, प्रति सं० २२१ पत्रसं ८८ । प्रा. Ex७ इन्च । ले. काल सं० १९७१ । पूर्ण । बेन सं० २५५ । प्राप्ति स्थान-.. दि. जैन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) ७७६१. प्रति सं० २३ । पत्रस ५६ । श्रा० १५ x इच :लका - • पूरी । वेष्टनसं० १४७/८७। प्राप्ति स्थान-दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दगद (कोटा) ७७६२. प्रति सं० २४ । पत्र सं० ११ १ मा० ११६४५३ इञ्च । ले०काल सं० १९६० पूर्ण । बेष्टन सं० १६६। प्राप्ति स्थान-दि जैन खडेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर। विशेष-२ प्रतियां और है जिनकी पत्र क्रमशः ६० और ६१ है। ७७६३. प्रतिसं०२५।। पत्र सं० ७८ । या. १x६ इन्च । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर चौपरिगान मालपुरा (टोंक) ७७६४. प्रतिसं० २६ । पत्र सं० ५४ । आ० x ६३ इन्न । ले०काल सं० १६१२ मंगसिर खुदी । पूर्ण। बेष्टन स०१५। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर कोटयों का नैरावा । विशेष--लोचनपुर नगवा में प्रतिलिपि की गयी थी। ७७६५. प्रतिसं० २५ । पत्र सं० ५० । प्रा० १०४६३ इश्व । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटयों का नगवा । ७७६६. प्रतिसं० २८ । पत्र स०७६ । प्रा० ११४५३ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं३। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बझेर वालों का प्राया (उणियारा)। ७७६७. प्रतिसं० २६ । पत्र स० ८६ । ले०काल सं० १६०१ । पूर्ण । वेष्टन मं० १२ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर बघेरवालों का यावा । विशेष प्रावां में फतेसिंह जी के शासन काल में मोतीराम के पुत्र राधेलाल तत्पुत्र कान्हा नोरखंड्या बधेरवाल ने प्रतिलिपि की थी। ७७६८. प्रतिसं०३० । पत्र सं०६५ । प्रा०-१०४५१ञ्च । लेकाल-सं० १९६४ | पूर्ण । देशन सं० ४। प्राति स्थान -दि० जैन मन्दिर खण्डेलवालों का पानां (उणियारा) ७७६६. प्रतिसं०३१ । पत्र सं०-६० । प्रा०६x६३ इन्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०१४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर करौली । ७७७०. प्रति सं०३२ । पत्रसं०७१ - आ. १११४५ इन्च ले. काल सं०-१९२६ कार्तिक सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं०२४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ७७७१. प्रति सं० ३३ । पत्र सं० ८० । सा० ११४५१ इञ्च । ले. काल सं०-१६५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लशकर जयपुर । ७७७२. प्रति सं० ३४ । पत्रसं० ७३ । प्रा० १२१४५ इञ्च । ले० काल सं० १९६८ । पूर्ण । बेष्टन सं० २५२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ७७७३. प्रति सं०३५। पघसं० ७५ । प्रा. १०४५ इञ्च । ले. काल सं. ४ । पुर्ण । वेष्टन सं० ११५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) । Page #866 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८०५ ७७७४. प्रतिसं०३५ । पत्र सं०७६ । आ०६४७ इन्च । ले०काल सं. १५२१ पासोज सूदी १ अपुर्ण बेधन सं०-१५२ । प्रतिस्थान-दि० जनन्दिर राजमहल टीक। विशेष-प्रथम पत्र नहीं है। ७७७५. अतिसं०३६। पत्रसं० ५२ । मा०१२x६ इश्व । ले०काम सं० १९०७ अषाढ बदी ११ । पूर्ण । बेन सं० ६६/११२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ७७७६. प्रतिसं०३७ । पत्र सं० ४६ । प्रा० ११३४७ इञ्च । ले. काल सं० १६०५ मंगसिर बुदी है । पूर्ण 1 वेष्टन सं० ११५ -५१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष-वैष्णव रामप्रसाद ने तक्षकपुर में प्रतिलिपि की थी। ७७७७. प्रतिसं० ३८ । । पत्रसं० ४६ । आ० १२१४६६ च । लेकाल X । पूर्ण । येष्टन सं०-२८/१६ 1 प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ७७७८, प्रति सं० ३६ । पत्र सं० ६६ । ले. काल x। अपूर्ण । बेष्टन सं० ४०४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का हूंगरपुर । ७७७६. प्रति सं०४०। पत्र सं०७० । मा० १२४६ इञ्च । ले० काल सं० १७४ । पूर्ण । वेष्टन सं०-- १८५७ । प्राप्ति स्थान-द. जैनमन्दिर भादवा (राज.) ७७८०. प्रति स०४१ । पत्र सं०६८ ! प्रा० ११४५ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ६७-५८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर भादवा (राज.)। ७७८१ प्रति सं०४२ । पप्रसं० ५१ । श्रा० १२४५३ इञ्च । ले. काल ५ । पूर्ण । बेष्टन संक१३३-३० । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर तेरपंथी दौसा। ७७८२. प्रति सं० ४३ । पत्र सं० १८ । श्रा० ४.६ इञ्च । काल सं० १८८२ चैत सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन मं० १५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर तेरहपंथी दौसा। विशेष-पत्र ३से पागे अन्य पूजाए भी हैं। ७७५३. प्रतिसं० ४४ । पत्रसं० ६१ ! या० ५६४५३ च । ले. काल x । अपूर्ण । देष्टन सं०४४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर तेरहपथी दौसा । ७७८४. प्रतिसं० ४५ । पत्र सं० १०६ । प्रा० १२४५ इञ्च । से० काल सं० १८६० ग्राषाढ सुदी । पूर्ण । वेष्टन सं०७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा। विशेष-पत्र स. ६० से १०६ तक चौबीस तीर्थकारों की बिनती है। ७७६५. शिसं०४६। पत्रसं०५६ । मा०६x६६च। ले. काल स० १९१४ पौष मदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१-७२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा। ७७८६. प्रति सं० ४७ । पात्रसं० ६१ । मा० ११४५ इन्च । ले माल सं० १८५१ वैशाख सुदी ७ । पूर्ण । वेपन सं०४४-६० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर तेरहमी दौसा। विशेष-दौसा में प्रतिलिपि हुई थी। ७७८७. प्रतिसं०४८ । पत्र सं०७५ । प्रा०५:४६ इञ्च । ले काल म० १९२६ । पूर्ण। वेधन सं० १२० । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर वटा बीसपंथी दौसा। Page #867 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०६ ] [ ग्रन्य सूची-पंचम भाग विशेष-स्योबक्स ने प्रतिलिपि की थी। ७७८८. प्रतिसं०४६। पत्र सं०८५ । प्रा०१०.४६ इश्च । ले० काल सं० १९०८ ज्येष्ठ सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६१ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष-एक प्रति और थपूर्ण है। ७७८६. चौबीस तीर्थकर पूजा-श्रीलाल पाटनी। पत्रसं० ५७ । प्रा० १०.४६ इश्च । भाषा-हिन्दी पद्य । र०काल सं० १९७८ । ले. काल x पुणं । वेष्टन सं० २७२ । प्राप्ति स्थान दि. जन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान दी । ७७६०, चौबीस तीर्थकर पजा वृन्दावन । पत्रसं० २ । प्रा०१०४५३ इन्च । भाषाहिन्दी। विषय -पूजा। २० काल सं०१८४७ । ले०काल १९२६ भादवा सुदी १३ । पूर्ण । बेष्टन सं० ११५४ । प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन मन्दिर अजमेर । ७७६१. प्रति सं०२ । पत्रसं० ६६ । प्रा० ११३४६ इञ्च । लेकाल' सं० १८५५ । पूर्ण । देखतसं०११० । प्राप्ति स्थान—दि जैन संडेलवाल मंदिर उदयपुर । ७७६२, प्रतिसं०३ । पत्र सं०६४ । प्रा० ११:४५ इञ्च । ले काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १४५/१०५ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगड (कोटा) '७७९ त म. . . ना .x". । ले. काल सं० १९३० । पूर्ण । वोटन स०१२८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर बड़ा बीसपंथी दौसा। ७७६४. प्रति सं०५। पत्र सं०७४ । प्रा०६x६ इञ्च । ले०कास सं० १९०७ वैशास्त्र सूदी १२। पूर्ण । वेष्टन सं० २२ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) ७७६५. प्रति सं०६। पत्र सं० ६४ । आ० ११४५ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन स. ५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी भालपुरा (टोंक) विशेष-अन्तिम पत्र नहीं हैं। ७७६६. प्रतिसं०७। पत्र स० १८१। ले. काल सं० १८६५। पूर्ण । वेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-इसकी ४ प्रतियां और हैं । ७७६७. प्रति सं०८। पत्रस०८५। प्रा० १०४५:११ । लेकाल सं. १९१३ त बंदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ७७९८. प्रति सं०६ । पत्र सं० ४७ । प्रा० १२४८ इञ्च ! ले०काल सं० १६८३ प्र० चैत्र सुदी ६ | पूनां । वेष्टन सं० १७५ । प्राप्ति स्थान—दि जग मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ७७६६. प्रतिसं०१० । पत्र स० १०८ । श्रा० १२१४८ इञ्च । लेकाल सं० १९२६ ३ पूर्ण । वेष्टन सं० १२३ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नागदी यू'दी। विशेष-एक प्रति और है। ७८००. तिसं०११ । पत्र सं०७७ । प्रा० १२४६ इञ्च । लेकाल सं० १९१२ । पूर्णे । वेष्टन सं०८-५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । Page #868 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य] [ 5०७ विशेष—इसकी दो प्रतियां और हैं। प्रशस्ति--संवत् १९१२ माह सुदी १३ लिखापितं माराय जंचन्द मंत्रीलाल श्रीनगर परना नाखि श्री शापमपुर में हस्ते नौगमी अ पुनमचन्द तथा गांदि पूनमचन्द लिखितं समादि प्रागमेरचन्द । ७८०१. प्रति सं० १२ । पत्र सं० १०६ । प्रा० १.४५1 ले०काल सं० १९२१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ, चौगान बूदी । ७८०२. प्रति सं० १३ । पत्र सं० ५३ प्रा० १०४ ६३ हश्च । ले० काल सं० १९४१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष-रका में प्रतिलिपि हुई थी । साह पन्नालाल वैद दीयाले ने अभिनंदनजी के मन्दिर में प्रथ चढाया था। ७६०३. प्रति सं० १४ । पत्रसं० ६२ । मा० १३४७३ इञ्च । ने. काल X । पूर्ण । वेपन सं. ४५५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ___७०४. प्रति सं० १५ । पत्र सं०६१ : प्रा० १३४८ इश्च । ले० काल. सं. १९६४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५५६ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ७८०५. प्रति सं० १६ । पप्रसं०३७ । प्रा० १२६४७६ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण । येष्टन सं. । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर बवाना। विशेष-मल्लिनाथ तीर्थंकर की पूजा तक है । एक प्रति पीर है। ७८०६. प्रति सं०१७। पत्र सं० ६२ 1 या १०४७ हश्च । लेकालx।पूर्ण । बटन मं १४० । प्राप्ति स्थान--दि जैन अग्रवाल पंचायतो मन्दिर अलवर । विशेष - दो प्रतियां और हैं। ७८०७. प्रतिसं० १८ । पत्रसं० १०१ । ग्रा. ११४६इच । ने. काल सं० १९१५ । पूर्ण । वेधनसं०३६४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दबलाना (दी) ७.०८. प्रति सं० १९ । पत्रसं० ५४ । श्रा० १.३४६१ इञ्च । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बघेरवालों का प्रावां (उरिणयारा) ७८०६. प्रति सं २० । पत्रसं० ५२ । लेकाल X। अपूर्ण । वेष्टन सं० ५५ । प्राप्ति स्थानदि० जन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । विशेष-महावीर स्वामी की जयमाल नहीं है। ७८१०. प्रतिसं० २१ । पत्र सं० ५६ । प्रा० ११४६ इच । ले०काल X । पूर्ण । वेष्न सं० ७२ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर पार्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ७८११. प्रति सं०२२ । पत्रसं० १०१। प्रा० १३४५६ मा । ले० काल सं० १६६४ चैत्र सुदी १५ । पूर्ण 1 बेष्टन सं० ३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बडा बीसपंथी दौसा । विशेष-सवाई जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ७६१२. प्रति सं०२३ । पत्रसं०४० । प्रा० १२३४८ इच। ले. काल सं० १६०० वेष्टन ३३.५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर भादवा (राजा) Page #869 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७५१३. प्रति सं० २४ । पत्र सं० ५६ । प्रा० १२४५ इञ्च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन ७०१६ । प्रतिस्थान--1३. जैन पंचायत मंदिर करौली। विशेष—एक प्रति और है। ७८१४. प्रति सं० २५ । पत्रसं०५७ । प्रा०११x६, इश्च । ले०काल सं० १५५१ सावन बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५/३६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन सौगाणी मन्दिर करौली । ७८१५. प्रतिसं० २६ । पत्रसं० ४६ । प्रा०१३४६ इन। ले० काल सं० १९११ पौष सुदी ४। पूर्ण । वेष्ट्रन सं० २६/३७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन सौगाणी मन्दिर करौली। विशेष-एक प्रति और है। ७८१६. प्रति सं० २७ । पत्र सं०६८ मा०११४७ इञ्च । ले. काल सं० १९६३ । पूर्ण। वेष्टन सं०५८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटयों का नराबा। विशेष—कीमत ३) रुपया धेरवालों का मन्दिर सं० १९६४ । ७८१७. प्रति सं०२८ । पत्रसं० ७१। या०१०४६: इव । लेकाल सं० १९३३ काती सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्नवाल मन्दिर नगवा । विशेष-एक प्रति और है । ७८१८. प्रति सं० २६ । पत्रसं०४४ । मा०१३:४७१ इञ्च । ले०काल x । पूर्ण । पेष्टन सं०१०३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायनी मन्दिर दूनी (टोंक) ७८१६. प्रति स०३०. पत्रस०५८। प्रा०१२४६१ इन्च । लेकाल सं० १५६७ । घेष्टन स. ६:३। प्राप्ति स्थान-दिजन पचायत मन्दिर दूनी (टोंक) विशेष-श्री हजारीलाल कटारा ने दशलक्षण वतोद्यापन के उपलक्ष में सं० १९४३ भादवा सुदी १४ को दूनी के मंदिर में बधयां शा। ७८२०. प्रतिसं० ३१ । पत्र ग ७७ । आ०११x६३ इञ्च | लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर श्री महाबीर व दी। ७६२१. प्रतिसं० ३२॥ पत्रस. ५६ । आ०१० ४६: इञ्च । लेकाल स. १९२१ फागुन बुदी ३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान दि जैन मन्दिर थी महावीर बूथी । विशेष-५५ मे ५८ लक प्रत्र नहीं है। ७८२२. चौबीसतीर्थकर पूजा -सेबग । म०७१ । प्रा० १.४४इच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूमा । २० काल X । ले० काल म० १७७५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६६ । प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ७८२३. प्रतिसं० २। पत्र स०४६ । मा०:४६ इञ्च । लेखकाल सं० १५६१। पूरमं । वेपन सं० १६८७३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोर्सयां का डूगरपुर । ७८२४. चौबीस तीर्थकर पूजा सेवाराम । पत्र सं० ४५ । प्रा. १०१ ४ ५ इच । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय-जा । २० काल स०१८५४ मगमिर वुदी ६ । ले०काल . १५५४ पौष सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन स० १०५ । प्राप्ति स्थान--दि जैन खडेलवाल मन्दिर उदयपुर । Page #870 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] विशेष तिन प्रभु को सेगजु हौ बखतराम इनाम । शाहगोत्र थावकमुधी गुगा मंडित कवि राम ।। तिन मिथ्यात खंडन रच्यो लखि जिनमत के नथ । बुध विलास दूजो रच्यो मुक्ति पुरी के पथ । लिन को लघु सुत जानियो सेवागराम सुनाम | लखि पूजन के नव बह रच्यो नथ अभिराम। ज्येष्ठ भ्रात मेरो कदि जीवनराम सुजानि । प्रभु की स्तुति के पद रचे महाभक्तिबर प्रानि । तामैं नाम धरयो जु है जगजीवन गुगा यानि । तिन की पाय सहाय को कियो नथ यह जानि ।। एक प्रलि और है। ७८२५. प्रति सं० २१ पत्र सं० ६२ । प्रा० ११ x ४१ इञ्च । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर बोरसनी कोटा। ७८२६. प्रतिसं०३। पत्र स०६५ । आ०११४४१ इन्च। ले०काल सं.१९१७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३८ । प्राप्ति स्थान , दि० जन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) ७८२७. प्रतिसं०४। पत्र सं०११ । आ०x४ इन्च । ले०काल सं० १८८४ कात्तिक सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०-८३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बदरा बीस पथी दौसा। विशेष-हुकमचन्द बिलाला निवाई बालों ने प्रतिलिपि की थी। ७८२८. प्रति सं०५ । पत्रसं०४२ । या०१२४५१ इञ्च । ले. काल सं. १८६२ भादवा बुद्धी २ । पुर्ण । वेन सं.४०-८१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बडा बीसपथी दौसा। विशेष - चिमनगम रापथी गे प्रतिलिपि की थी। ७८२६. प्रतिसं०६ । पत्र सं. ५६ । या १०५ इञ्च । ले. काल सं० १६.१ । पूर्ण । वेष्टन सं०१८ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ रोडारायसिंह (टोंक) ७८३०, प्रति सं०७। पत्र सं०६०। प्रा. ११४४ इञ्च । ले. काल रा १६२८ । पूर्ण । वेष्टन सं०६८ । प्राप्ति स्थान --दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक) विशेष-40 दिल पख ने राज महल में प्रतिलिपि की थी। तेलो मेल्बी श्री शिवचन्द जी त बुदी ७ सं० १९२२ के चन्द्रप्रभ चैत्यालय में चढाया था । ७८३१ प्रतिसं० ८ । पत्र सं० ५२ । प्रा० ११४७१ इन्च 1 से काल सं० १९५८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७६ । प्रारित स्थान-दि० जन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, धूदी। विशेष वदी में प्रतिलिपि हुई थी। ७८३२. प्रति सं०६ । पत्र सं० ५३॥ प्रा० ११५ x ५ -७ । ले. काल सा० १९२२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) Page #871 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१० ] [ अन्य सुधी-पंचम भाग ७५३३. प्रति सं० १० । पत्रसं• ६४ । ग्रा० १०३४५ इंच । ले. काल स० १८५५ । पूर्ण । देष्टन सं० २४७ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ७८३४. प्रतिसं०११ पत्र सं० ५२ । प्रा० ११४५, इन। ले०काल सं० १८५६ श्राषाढ़ खुदी २ । पुरंग वेष्टन सं०२५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपूर । ७८३५. प्रतिसं० १२। पत्रसं० ४३ । प्रा० १०.४७ इन्च । ले. काल सं० १८२६ माह सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर आदिनाथ बूदी । ७८३६. प्रति सं० १३ । पत्र सं० ४३ । आ० ११४७: इञ्च । ले. काल सं० १६५७ 1 पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी। ७८३७. प्रतिसं० १४ । पत्र सं० ६.५५ । प्रा० १२४५१च । ले-काल सं० १९६० । पुरणं । वेष्टन सं० १६३ । प्रारित स्थान--दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान, दी। ७८३८. प्रति सं० १५। पत्र सं० ३७ । प्रा० १०४६३ इञ्ज । ले० काल सं० १९५७ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जेन मन्दिर नागदी, बूदी। ७८३६. प्रति सं० १६ । पत्र सं. ५६ । मा० ११, ४५६ इन्च । ले काल स० १८६३ पासोज सदीपूर्ण । बेन सं०६३-८५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ७८४०, प्रति सं० १७। पत्र सं० ८४ । प्रा० ५४६३ इञ्च । ले०काल स० १६०३ माह सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं०५३ । प्राप्ति स्थान--सौगाणी मदिर करौली। ७८४१. चौबीस तीर्थकर पूजा-हीरालाल । पत्रसं० ८३ । श्रा० १०४७ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय--पूजा । २० काल X । ले०काल सं० १९२६ चैत्र सुदी ३ । पूर्ण। वेष्टन सं० १८५ । प्राप्ति स्थान---खण्डेलवाल पंचायती मंदिर प्रलबर । ७८४२. चौबीस तीर्थंकरों के पंच कल्याणक-४! पत्र सं० १६ । आ० ८४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) विषय-पूजा । र०काल X । लेवाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३ ३ प्राप्ति स्थानजैन मन्दिर बैर। ७८४३. चौबीस तीर्थकर पंच कल्याणक- । पत्र सं० १३ । मा० १२४५ इञ्च । शषा-हिन्दी । विषय -पुजा । २० काल X ।ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४० । ३०३ । प्राप्ति स्थान संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ७८४४. प्रविशति तीर्थकर पंचकल्याणक पुजा-जयीत्ति । पत्रसं० १२ । मा. १.३४४१ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १४ ॥ प्राप्ति स्थान-दि. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । अन्तिम देवपल्ली स्थितेनापि सुरिणा जयकीर्तिना । जिनकल्याणकानां च, पूजेयं विहिता शुभा। भट्टारक श्री पद्मनंदि तत् शिष्य ब्रह्म रूपसी निमितं । Page #872 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [८११ विशेष प्रति प्राचीन है। ७८४५. चौसठ ऋद्धि पूजा--स्वरूपचन्द्र । पत्रसं० २८ । आ० १२४ ८ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा। र०काल सं० १६१०। ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन भग्रवाल मन्दिर उदयपुर । त स०२। पत्रसं० ३३ । मा० १.४७३ च । ले० काल-XI पूर्ण । बेष्टन सं. १६० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बू दी। ७८४७. प्रति सं० ३ 1 पत्र सं० २४ । प्रा० १९३४ ६ इञ्च । ले. काल सं० १९३६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर वू'दी। ७८४८. प्रतिसं०४ । पत्रसं०५। आ. ११४७ इञ्च । ले० फाल सं० १६५७ 1 पूर्ण । वेष्टन सं०१७७ । प्राप्ति स्थान-.दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष पुस्तक साह धन्नालालजी चिरंजीलाल जी नेगवा वालों ने लिखा कर नैरगदा सुद्धग्राम के मन्दिर भेंट किया । महनताना २) हीगलू २=) ७८४६. प्रतिसं० ५ पत्र सं० ५० । आ०८४६३ इञ्च । लेकाल सं० १९२३ । पूर्ण । जीर्ण वेष्टन सं०७१ । प्राप्ति स्थान दि. जैन सौगाणी मन्दिर करौली। ७८५० प्रतिसं० ६ । पत्रसं० ३० । ग्रा० १३४८इञ्च । ले०काल सं० १९६४ । पूर्ण । पेष्टन सं. १२४ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मंदिर बड़ा बीस पंथी दौसा । ७८५१. प्रतिसं०७। पत्र सं०४७ । था. ६४६ इन्च ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६४ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर बड़ा बीस पथी दौसा । ७८५१. प्रति सं०८ । पत्रसं० २० । प्रा० १३ x 'च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. १०५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा। ७८५२. प्रति म । पत्रसं० ३५ ॥ श्रा० ११४ ५ इञ्च । ले. काल सं० १९६३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६/२० । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायली मंदिर दूनी (टोंक) विशेष-प० पन्नालाल के शिष्य सुन्दरलाल ने बसुवा में प्रतिलिपि की थी । ७८५३. प्रतिसं० १० । त्रसं० २०। प्रा० १४ x ६,इन । लेकाल सं० १९५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर श्री महावीर दी। ७८५४. प्रति सं०११ । पत्रसं०१८ | लेकाल सं० १९८० ! पूर्ण । वेष्टन सं० ४८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीवामजी भरतपुर । ७८५५. प्रति सं० १२ । पत्रसं० ३४ ।मा० १२:४७६ इञ्च । ले० काल सं० १९६१ । पूर्ण। बेष्टनसं०५५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ... ७८५६. प्रति सं० १३ । पत्र सं० २६ । प्रा० १३ x ८६ इञ्च । लेकाल सं० १९८६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर ७८५७. प्रति सं० १४ 1 पत्र सं० ४३ । प्राsex६१ इन्च । ले. काल स. १६७२ सावन सुदी १५ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३१६ ।प्राप्ति स्थान-दि जैन पार्श्वनाथ मंदिर चौगान बू दी । Page #873 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१२ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-मंडल का चित्र भी है। ७८५८. प्रति सं० १५ । पत्र सं० ५८ । आ० १.१४४ इञ्च । ले० काल x 1 पूलं । बेष्टन सं० ३१६ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ७:५६. प्रति सं० १६ । पत्र सं० २६ । प्रा० १३४५, इञ्च । ले० काल सं० १९७४ । पूर्ण ! वेष्टन स. ८४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर । विशेष-एक प्रति और है जिसमें २४ पत्र हैं। ७५६०. प्रतिसं०१७। पत्र सं. ३६ । ले०काल सं. १८४० पूर्ण । वेष्टन सं. २ । पारित स्थान-दि. जैन पंचायली मंदिर हण्डावालों डीग ७८६९. प्रतिसं० १५ । पत्र स. २५ । मा० १२४८ इञ्च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ३७ प्राप्ति स्थान-दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक) ७८६२. प्रतिसं०१६ । पत्र सं०५६ | या १०४७ इञ्च । ले०कालx। पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्रारित स्थान- दि जैन तेरहपंथी मन्दिर मालपुरा (टोंक) ७८६३. प्रति सं० २० । पत्र सं० ३६ । प्रा० १११ ४७ इञ्च । ले० काल सं० १९५० आसोज बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० ५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन तेरहपंथी मन्दिर मालपुरा (टोंक) विशेष.- हीरालाल के पुत्र मूलचंद सौगाणी ने मन्दिर मंडी मालपुरा में लिखा था । ७८६४. प्रति सं० २१ । पत्र सं० ४६ । ग्रा० ११४६ इञ्च । ले. काल सं० १६३६ कातिक बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०४ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक) ७८६५. प्रति सं०२२ । पत्र स०५-४१ । प्रा० x ६ इञ्च । ले. काल सं० १९३४ माह सूदी ५। अपूर्ण । वेन सं. १६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह टोंक) ७८६६. अम्बूद्वीप प्रकृत्रिम चैत्यालय पूजा--जिनदास । पत्र सं० ३ । प्रा० १२४७ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पजा 1 र० काल सं० १५२८ माघ सुदी ५ । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ११७। प्राप्ति स्थान -- दि. जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष-रचना सम्बन्धी श्लोक प्राधाचार द्रव्येके वर्तमानजिनेशिना । फाल्गुग्गे शुक्लपंचभ्यां पूजेयं पं. रचिलाममा । ७८६७. प्रति सं०२ । पत्र सं० ४२ । भा० १२४६५ च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०४०। प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर वर । विशेष-लक्ष्मीसागर के शिष्य पं० जिनदास ने पूजा रचना की थी। ७८६८, जम्बूदीय पूजा-4 जिनदास । पत्रसं० ३२ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल- । ले. काल सं०१०१६ माघ बुदी ११। पूर्ण । वेष्टन स०२२ । प्राप्ति स्थान दि.जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #874 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] विशेष—० जिनदास सक्ष्मीसागर के शिष्य थे । ७८६९. जम्बूस्वामी पूजा - X विषय-पूजा रहा X मे० काल सं० १५१० तेरहृतंथी मंदिर दौसा । ७८७०. जम्बूस्वामी पूजा जयमाल ० १९१२ पूर्ण पेन सं० ३४ X + ० का डीग । - X पूर्ण ७८७३. जलयात्रा विधान - X विषय विधि विमान काल x ० काम x मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बृदी । ० २७० १२४७ इन्च भाषा हिन्दी (पद)। पूर्ण मेनसं० ८२ प्राप्ति स्थान दिन पत्र सं० १० प्राप्ति स्थान ७८७१. जयविधि – ०६० ११४५३ ७ भाषा-संस्कृत विषय पूजा । १०काल x ०काल ० १६२१ । पू । वैन सं० ११८ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बूंदी | विशेष—यूजप श्री जुनिगादि का दाग पट्टे सामावादान्वये का श्री १०८ राजेन्द्र निपि कृतम् सं० १९२१ सागवाडा नगरे ७८७२. जलयात्रा पूजा विधान विषय-पूजा र०का x ले काल x मन्दिर अजमेर | [ ८१३ भाषा संस्कृत विषय-पूजा २०हास दि०जंग पंचायती मन्दिरवालों पवसं० २०१०३४५-संस्कृत वेन मं० ९४० प्राप्ति स्थान म० दि० जैन पत्र सं० ३ ० १०३x४] इथ भाषा सकृत पूर्ण वेष्टन सं० २३२ प्राप्ति स्थान दि०जैन एव सं० ५ पूर्ण वेटन ७८७४. जलयाचा विधि - X। पत्र सं० २०१०६ भाषा-संस्कृत विषयविधान र०काल X ले० काल X। पू । बेष्टम सं० ३४६-१५२ प्राप्ति स्थान- वि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । 1 ७८७५. जलहर तेला उद्यापन - X | पत्र सं० ११ । श्र० ७ X ४ इञ्च भाषा संस्कृत विषय-पूजा १० काल X वे० काल X न सं० ६६१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर सक्कर जयपुर । पूर्ण ७६७६. जलहोम विधान - ४ विधान २० काल X ० का ०१६३८ मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष-तूबर में लिखा गया था। ७८७७. अलहोम विधान - X विषय-विधान २० काल X 1 ले० काल x जैन मंदिर कोटडियों का डूंगरपुर । पत्र सं० ४ । पू । वेष्टन ० १०६ भाषा-संस्कृत विषय २४५-१३२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन ० ११७ ६६ | भाषा-संस्कृत ० ४२७ - ६१ । प्राप्ति स्थान - दि० प ० ५ या ८७ इन्च भाषा-संस्कृत ७८७८ जनहोमविधि - X विधान २० काल ४० काल सं० १९४० । पूर्ण वेटन सं० ५४२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूंगरपुर । SI Page #875 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१४ ] [ प्रन्थ सूची-पश्चम भाग ७८७६. जिनगुरण संपत्ति ब्रतोद्यापन पूजा X । पत्रसं०६। प्रा० १२४ ६ इन्च । भाषासस्कृत । दिषय - पूजा । र० काल ४ । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ७२१ । प्राप्ति स्थान-मा दि. जैन मन्दिर प्रजमेर । ७८८०. प्रति सं०२। पत्रसं० ८ । प्रा० १०३४५ इञ्च । से. काल XI पूर्ण । वेष्टन सं. ३८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अजमेर मण्डार । ७८८१. प्रति सं०३ । पत्रसं० सं०५ । आ० १.४५ इञ्च । लेकाल सं० १८६० मादया बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर प्रादिनाथ बूदी । ७८८२. प्रति सं० ४ । पत्रसं० ७ । आ. १० x ५इञ्च ! ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ८३-४६ । प्राप्ति स्थान- दिन मन्दिर जेमिनाथ टोडोरायसिंह (टोंक) ७८६३, प्रतिसं०५। पत्रसं०६ । मा० ११४५ इञ्च । ले०कास X । अपूर्ण बेष्टनसं०६६ प्राप्ति स्थान--दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर मालपूरा (टोंक) विशेष – केवल प्रथम पत्र नहीं है । ७८८४. जिन पजा विधि-जिनसेनाचार्य । पत्रसं० ११ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषासांस्कृत । विषय पूजा । र० काल X । ले. काल सं० १८८५ कार्तिक सुदी है । पूर्ण । वेष्टन सं०४१-२७ । प्राप्ति स्थान-पार्श्वनाथ जैन मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) । विशेष-लिखागि भ. देवेन्द्र कीति लिपि कृत महात्मा शंभुराम । ७८८५. जिन महाभिषेक विधि-पाशाधर । पत्र सं० २४ । प्रा० १.४४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-विधान । र. काल x ले०काल स. १८३७ मंगसिर बदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८३ । प्राप्ति स्थान दिजैन मंदिर बोरसली (कोटा) । विशेष—सूरत मध्ये लिसापितं आचार्य नग्न श्री नरेन्द्रकीति । ७८८६. जिन यज्ञकल्प- प्राशाधर । पत्रसं० १३५ । प्रा० १२४५१ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय विज्ञान । र०काल सं० १२८५ । सेकास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। विशेष-भावगढ़ में प्रतिलिपि हुई थी। प्रति प्राचीन एवं संस्कृत में ऊपर नीचे संक्षिप्त टीका है। ७८८७. प्रति सं० २ । पत्र सं०६४ । प्रा० १३४ ६ इच। ले०काल सं० १८५६ पौष सुदी १४ । पूर्ण । वेन सं. ५ ३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टौंक) । ७८८८ प्रति सं०३ पत्र सं. ६७ । ले० काल १५१६ श्रावण बदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान- वि० जैन पंचायती मन्दिर (बड़ा) डीग । ७८८६. प्रतिसं०४ । पत्र सं० १४७ । मा० १२४५ इन्च। लेकाल सं० १७४७ । माघ सुदी २ । पूर्ण । वेष्टनसं० ११७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर दूनी। विशेष-कहीं सस्कृत टीका तथा शब्दों के प्रर्य भी दिये हए हैं। Page #876 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गूगा एवं विधान मानिता [ ८१५ ७८६०. जिन सहस्रनाम पुजा-सुमति सागर । पत्रसं० २८ । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय -पूजा। र०काल X । ले० काल सं० १८१२ माघ बुदी १४ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २३६ ।। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा। ७८६१. जिनसंहिता-भ० एकसन्धि । पत्र सं० २१६ । आ० ११:४४ इञ्च | भाषासंस्कृत विषय-विधान । र काल x I ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। ७८६२. जैन विवाह पद्धति -जिनसेनाचार्य । पत्रसं० ४६ । प्रा० १११४८ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र० काल ५ । ले०काल सं० १६५२ बैशाख सुदी २। पूर्ण । वेष्टन सं० ३०४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी (कामा) विशेष-प्रति हिन्दी टीका सहित है । टीका काल सं० १९३३ ज्येष्ठ बुदी। ७८६३. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ३५ । मा० १०३४५१ इन्च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन में १२१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर बनाना । विशेष-प्रति हिन्दी अर्थ तथा टीका सहित है। ७८६४. प्रति सं० ३ । पत्रसं० २८ । या० १२:४७ इञ्च । ले०काल सं० १९३३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-बीच में संस्कृत श्लोक हैं तथा ऊपर नीचे हिन्दी टीका है। ७८१५. प्रतिसं०४। पत्ररां० २८१ पा.१२४७ इच। लेकाल सं० १६६३ पूर्ण । वेष्टन सं० ५२ 1 प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर श्री महावीर बूदी । ७८६६. प्रतिसं०५ । पत्रसं० २६ ! प्रा० ११४५, इश्च । ले काल सं० १९६८ | पूर्ण । वेष्टन सं० २१-१२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष—पंडित फतेहलाल विरचित हिन्दी भाषा में अमं भी दिया हुआ है। ७८६७. प्रतिसं०६। पत्रसं० ४६ । धा० १२४७ इञ्च । लेकाल सं० १९३३ । पूर्ण । वेन मं० १०६१५ । प्राप्ति स्थान-वि• जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगड (कोटा) ७८९८. प्रतिसं०७ । पत्रसं० ४४ । भा० ११३४८ इञ्च । ले०काल x । पूरणं । वेष्टन संक १३९ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ७EET. जैन विवाह विधि-x । पत्रसं० ३। पा० ११४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-विधि विधान । र० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टनमं० ११४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ७६००, जेष्ठ जिनवर व्रतोद्यापन--X । पत्रस'० ६ । आ०१०३४५ इन्च भाषा संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । ले०काल ४ | पूर्ण। वेष्टनसं० २७४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ७६०१. तपोग्रहरण विधि--X1 पत्र सं० १ । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र०काल x ले०काल ४ । पर्श । बेन सं० ६७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #877 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१६ ] [ ग्रन्थ सूचो-पंचम माग ७६०२. तीन चौबीसी पूजा--। पत्रस ८ । प्रा० ११४ ५ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय पूजा । १० काल X । ले. काल । पूर्स । बेष्टनसं० ३६२ । प्राप्ति स्थान- दि.जैन मन्दिर अजमेर। ७६०३. तीन चौबीसी पूजा-४ । पत्रसं० ७॥ प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषा---हिन्दी। विषय पूजा । र० काल X । ले०कारन X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार। ७६०४. तीन चौवीसो पूजा–त्रिभुवनचन्द । पय सं० ६ । श्रा० ११४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x . ले. काल स. १८०१ अघाड बुदी ७ । पूर्व । वेष्टन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा ७६०५. तीन चौबीसी पूजा - वृन्दावन । पत्र सं० १४२ । आ. १.४७३ इञ्च । भाषाहिन्दी पश्च । विषय-पूजा । २० काल x | लेकाल स० १८७० । पूर्ण । वेष्टनसं० १११ । प्राप्ति स्थानदिः जन पटेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ७९०६. प्रति सं० २ । पथसं० ८८ । ले० काल सं० १९४२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १९२ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ७६.०७. तीन लोक पूजा-टेकचंद । पत्रसं० २६२ । प्रा० १२३४६१ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय -पजा। र०काल सं० १८२८ प्रषा: बुदी ४ । से०काल सं० १९५६ फाल्गुण सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन स० १४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-4 नीमलाल जी ने दी में प्रतिविपि कराई थी। ७६०८.प्रतिसं०२ पत्र सं० ३२५ । आ. १४४८, इश्व । ले काल सं० १९७१ । पूर्ण । वेष्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर चोरियान मालपुरा (टोंक) विशेष-चौधरी मांगीलाल वकील ने प्रतिलिपि करवाई थी। ७९०६. प्रसि सं०३ । पत्र स. १७५ । प्रा. १६x६ इञ्च । ले०काल सं० १९६७ माह बुदी २ । पूर्ण । वन सं० २६१ प्राप्ति स्थान --दि. जैन अग्रवाल मन्दिर नैरावा । विशेष-पं० लक्ष्मीचन्द नगवा वाले का पथ है। स१९६८ में उद्यापनार्थ चढ़ाया पन्नालाल चम स्थान (१) बेटा जचन्द का । ७६१०. प्रति सं० ४ । पत्रसं० १४४ । प्रा० १२:४६, इञ्च । ले०काल सं० १६३८ आषाढ बंदी. १। पूर्ण । चटन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन नेरहपथी मन्दिर नरणवा । ___७६११. प्रति स० ५। पत्र म० ५०५ ले०काल स. १९१२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मदिर भरतपुर । ७६१२. प्रति सं०६। पत्रक० ३०८ । आ. १३४७३ इञ्च । ले० काल सं० १९३४ चत सुदी २। पूर्ण । बेनसं०६२। प्राप्ति स्थान -दि. जैन पंचायती मंदिर करौली । ७६१३. तीन लोक पूजा-नेमाचन्द पाटनी । पत्रसं० ६५० । प्रा० १३:४३ इन। भापा-हिन्दी । विषय--पूजा । २० काल x | ले. काल स. १६७६ मंगासर सुदी १५ । पूर्ण । येनस. १६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर थादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) Page #878 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य [८१७ विशेष-घश्नालाल सोनी के पुत्र मूलचन्द सोनी ने प्रादिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि करवाकर भेंट की थी। ७६१४. तीस चौबीसी पूजा-म० शुभचःद्र । पत्र सं० ७४ । पा. १०४४ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र० काल x। ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १३७८ 1 प्राप्ति स्थान-- भा दि. जैन मंदिर अजमेर । ७६१६. प्रति २० ६ :x४, इच । लेकाल सं० १७२८ बैशाख सुदी १४ । पूर्ण' । वेष्टन सं० २००१ प्राप्ति स्थान- भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-ग्रन्था-ग्रन्थ सं० १५०० । ७६ १६. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ५५ । ले० काल सं० १८४६ । पूर्ण । वेष्टनसं० ८८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-सुखरामजी बसक बाले ने प्रतिलिपि की थी। लिखत दयाचन्द वासी किशनकोट का बेटा फतेहचन्द छाबड़ा के पुत्र सात केसरीसिंह के कारण पाय म भरतपुर में रहे। ७६१७. प्रति सं० ४ । पत्र सं० ३९। से. काल सं १७९६ माघ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं. ५२ । प्राप्ति स्थान दि० जेन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष – प्रति का जापर्णोद्धार हुना हैं । ७६१८. प्रति सं० ५। पत्रसं० ६१ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८३ 1 प्राप्ति स्थान दि. जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ७६१६. प्रति सं०६ । पत्र सं० ३-४५ । प्रा० १०३ ४ ५ इञ्च । ले० काल सं० १६४४ ॥ अपूर्ण । वेष्टन सं० १७२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । प्रशस्ति निम्न प्रकार है सा वत् १६ ग्राषाहादि ४४ वर्षे प्राश्वन सुदी ७ गरी श्री विद्यापुरे शभस्थाने ७० तेजपाल • पदमा पंडित मांडण चातुर्मासिक स्थिति चासशतिका पूजा लिखापिता । व तेजपाल पठनाथ मुनि धर्मदत्त लिस्त्रितं किवद गीक गच्छ। ७६२०. प्रति सं० ७ । पत्र सं० २-४७ । ले. काल X । अपूर्ण । बेन सं० ३७६।२६७ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । ७६२१. प्रतिसं० ८ । पत्र में० १०७ । प्रा० ८४८ इच। ले. काल स १८४५ भादों सुदी ११ पूर्ण । बेटन ०.८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर चेतनदास दोबान पुरानी डीग । विशेष-गुटका साइज है ! लालजी मम्म ने दीर्घपुर में लिखा था। ७६२२. प्रतिसं० ६ । पत्रसं० १०। पा. १०४५ च । लेकाल----। अपूर्ण। वेष्टन सं० ३६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ७९२३. प्रति सं० १०। पत्र सं० ७२ । श्रा० १०४५३ इञ्च । लेकाल-X 1 पूर्ण । देवन सं० २४८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, दी। Page #879 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८] [ ग्रन्थ-- सूची- पंचम माग ७६२४. प्रतिसं० ११०४२० ११३३ इस काल सं० १७५० त्र बुदी । पूर्ण वे ०५५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर आदिनाथ 'दी विशेष-मालपुरा नगर में पार्श्वनाथ चैत्यालय में पं० योदराज के पदार्थ लिखा गया था | ७६२५. तीस चौबीसी पूजा - पं० साधारण । पत्रसं० ३४ । आ० १२३४७ इन्च । भाषा संस्कृत, प्राकृत विषय पूजा २० काल सं० x पे काल सं०. १८५२ ग्रासोज सुदी १३ । पूर्णं । वेष्टन सं० प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । ७६२६. तीस चौबीसो पाठ - रामचन्द्र हिन्दी पथ विषय-पूजा र० काल सं० १८०२ चैत पूर्ण वेष्टन[सं०] ११५ प्राप्ति स्थान विशेष ईश्वरीप्रसाद शर्मा ने प्रतिनिधि की थी। - उपरोक्त मन्दिर | ७६२७. प्रतिसं० २ । यत्र ०६५ मा० १४० ० १२२६ भादव सुदी ११ । पूणं । वेष्टन स० ११६ । प्राप्ति स्थान विशेष- लाला कल्याण ने मिश्र श्री प्रसाद श्यामलाल से प्रतिलिपि कराई थी। ७२२८. तीस चौबीसी पूजा-वृन्दाबन पत्र [सं० १९७ बा० ११३५३ हिन्दी पद्य विषय-पूजा २० काल - X ले०का सं १८२६ कार्तिक सुदी १३ २०-२१८ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह टोंक 1 o विशेष – १०४ का पत्र नहीं है । ७९२६. प्रतिसं० २०२०६० १० X ५ ० १४ । पूर्वं । वेष्टन सं० १२५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष का साइज में है। ० १२१४७३ इञ्च भाषा पत्रसं० ७६ दी ५ ले०का सं० १६०८ सावन वदी दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी सोकर - ७६३२ प्रतिसं० ५ वेष्टन सं० २६० प्राप्ति स्थान सुदी ११ । पूर्ण ७६३०. प्रतिसं० ३ ० ११० या १२६ इच ने० काल १० १६१० आसोज सुदी ५ । पू । न सं०४१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । गाना में प्रतिनिधि हुई थी। विशेष 1 ७६३१. प्रतिसं० ४ पत्र० १० प्रा० ११४६ इच से० काल पूर्ण वेष्टन सं० २०१ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ टोडारायसिंह टॉक | - - भाषाटन सं० ० १८२५ ७६३३. प्रतिसं० ६ पत्र सं० १०७ ० ६६ × ६३ चलेका सं० १९८६ मा वेष्टन मं० २७:१६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का दूंगरपुर । विशेष प्रतापगढ़ में पंडित रामपाल ने जिता था । पत्र सं० १०९ ० १०७ इ० काल सं० १९५८ पूर्ण दि० जैन मन्दिर वोरसली कोटा | ७८३४. तोस चौबीसी पूजा- पषसं० ० १६३६ विषय - पूजा २० काल X | ०काल सं० १९८५ कार्तिक बुदी १० पूर्ण प्राप्ति स्थान अजमेर भण्डार । भाषा - हिन्दी वेष्टन सं० १३६७ । Page #880 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ २१९ ७६३५. सीस चौबीसी पूजा-X । पत्रसं० ६ । भाषा-हिन्दी । विषय पूजा । र०काल x। ले. काल । अपूर्ण । तेवन सं० ३७७ २६८ | प्राप्ति स्था-दि. जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर ।। ७६३५. एस द्वोप पूEL-लालव । सं१६८ । श्रा० ११:४८ इटल । भाषाविषय-पूजा। र० काल स १८७० । ले. काल स.१८६७ पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थानदिजैन मन्दिर अजमेर भण्डार । विशेष—कृष्णम मध्ये लिखिपितं । ७६३७. प्रतिसं०२। पत्र सं० ११५ । प्रा० १४४६ इञ्च । भाषा हिन्दी । विषय-पूजः। २०काल सं० १९७० । ले०काल सं० १९१६ । वैशाख बुदो १० । पुर्ण । बेष्टन सं०१५६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक | ७६३८. प्रतिसं०३ । पत्र सं० २१७ । पा० १२४६ इञ्च । लेखकाल सं० १६६०1 पूर्ण । वेष्टन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन तेरह पंश्री मन्दिर नैणवा । विशेष-भट्ट रामचन्द्र ने नगवा में प्रतिलिपि की थी। पानीलाल जी के पुत्र सांबलरामजी भाई सोदान जी चि० फूलचन्द श्रायक नगवा वाले ने प्रतिलिपि करवाई थी। ७६३६. प्रति सं०४। पत्र स०१७५ । प्रा०१६x६ इच । ले. काल सं० १९०३ । पूर्ण । वेष्टन स. ६६ । प्राप्ति स्थान ---दि० जैन मन्दिर श्री महाबीर, ब्रू'दी। ७६४०. प्रतिसं० ५। पत्र सं० २०२ । प्रा० १०x४, इच। ले०काल सं १९०६ पूर्ण । वेष्टन सं०६७ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मंदिर भादवा राजस्थान । विशेष--मारो में भूयाराम ने प्रतिलिपि की थी। ७६४१. प्रति सं०६। पत्र सं० २०९ । प्रा० १०४ इन्च । ले. काल सं० १९२४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर, खुदी । ७६४२. प्रति सं०७ । पत्र सं० १६३ । लेकाल १९६४ । पूर्ण । वेष्टन स. ७१। प्राप्तिस्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग । ७६४३. प्रति सं०।८। । पत्रसं० १६६ । प्रा० १३४७३ इञ्च । ले० काल सं० १६६७ । पौष सुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० २५१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । विशेष - प्रति उत्तम है। ७६४४, प्रति सं० । पत्रसं० १४७ । आ१३३४८१ इन्च । ले० काल सं० १९२३ । आसोज सुदी २ । पूर्ण । येशन सं० १४८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी सीकर । ७६४५. तेरह द्वीप पूजा स्वरूपचन्द । पत्रसं० ११७ । प्रा० ११:४७३ इञ्च । भाषाहिन्दी | विषय-पूजा । २० काल-X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४:५८ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर भादवा । ७६४६. तेरह द्वीप विधान-X ।। पत्र सं० ५५ । प्रा० १०x४, इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल x (ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नागदी, (बूंदी)। Page #881 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० । [ ग्रन्थ सूची पंचम भाग ७६४७. तेरह द्वीप पूजा विधान-४ । पत्र सं० १३६ । प्रा० १२३४८: इञ्च । भाषाहिन्दी पन 1 विषय- पूजा । २काल X ।ले. काल सं० १६६१ भादवा वदी १३ पूर्ण । वेष्टन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी सीकर ।। विशेष--परशादीलाल पद्मावती पुरवाल ने सिकन्द्रा (प्रागरे) में प्रतिलिपि की थी। ७६४८. त्रिकाल चौधोसी पूजा--४ । पत्रसं० ११ । प्रा. ११X ५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय पूजा । र० काल X 1 ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं। प्राप्ति स्थान-भ० दि० जन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) । ७६४६. त्रिकाल चतुविशति पूजा-त्रिभुवनचन्द्र । पत्रसं० १४ । मा० ११३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -पूजा । २० काल x। ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं०६५। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ७६५०. त्रिकाल चतुर्विशति पूजा-X । पत्र सं० ११। प्रा० १२४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र०कास ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६.१८ । प्राप्ति स्थान-मा दि जैन मंदिर टोडारायसिंह (टोंक)। ७६५१. त्रिकाल चतुविति पूजा- पत्रसं० १६ । श्राईx४ इन्छ । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । येष्टन सं० १०६१७२ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष-तक्षकपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ७६५२. त्रिकाल चतुविशति पूजा-४। पत्र सं० २२ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल - I कालX । पूर्ण । वेष्टनसं०८६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष--भक्तामर स्तोत्र तथा कल्याण मन्दिर पूजा भी है। ७६५३. त्रिकाल चतुविशति पूजा-४ । पत्रसं० १३ । पा० १०x४ इञ्च । भाषा-मस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X 1 ले०काल X| पूर्ण । वेष्टन सं० २२२ । प्राप्ति स्थान-दि• जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। ७६५४. त्रिकाल चतुर्विशति पूजा-भ० शुभचन्द्र। पत्र सं० ५६ । मा० १३४ ६ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा । र०कालx ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४७ । प्राप्ति स्थान .. दि. जैन सोगाणी मंदिर करौली। ७६५५. त्रिकाल चौबीसी पूजा--- । पत्र सं० १० । आ६X६ इञ्च । भाषा - हिन्दी पद्य । विषय- पूजा। र०काल X । ले.काल x | पूर्ण । वेष्टन सं.२०६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। ७६५६. त्रिपंचाशत् क्रियायतोधापन--X । पत्र सं० ४ । प्रा० १०६x४३ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र०कालX । लेकाल सं०x। पूर्ण 1 बेष्टन सं०६८३। प्राप्ति स्थानम. दि. जैन मन्दिर अजमेर । Page #882 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ६२१ ७६५७, त्रिपंचाशत कियावतोद्यापन--- । पत्र सं० ६ । प्रा. १०४६३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय पुजा । र० काल ४ । लेखन काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५१८ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ७६५८. त्रिांचाशत क्रियानतोद्यापन-४। पत्र सं० ४1 प्रा. १२.४४१ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६६ । प्राप्ति स्थानदि जैन मंदिर अजमेर भण्डार। ७९५६. त्रिपंचाशत् क्रियावतोद्यापन X । पत्र सं०६ । आ॥ १.४७१ इन । भाषासंस्कृत । विषम-पूजा । र० काल XI ले काल । पूर्ण । येष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ७६६०. त्रिपंचासत् क्रियाब्रतोद्यापन-X । पत्रसं० ५। प्रा० ११३४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले. काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० १६८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी। ७६६१. त्रिलोक विधान पूजा-टेकचन्द । पत्रसं० ३०३ । प्रा० १३४८ इञ्च । भाषाहिन्दी पच । विषय-पूजा । र०काल स १८२४ । ले०काल स०१९४२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि० जम मन्दिर श्री महावीर बूदी। ७६६२. त्रिलोकसार पूजा- नेमीचन्द । पत्रसं० ६६१ : मा० १४४८१६ञ्च । भाषा-- हिन्दी पा । विषय-पूजा । २० काल X । ले०काल सं० १९८४ चैत सुदी १३ । वेष्टन सं० ३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) ७९६३. त्रिलोकसार पूजा-महाचन्द्र । पत्र स. १६६ । प्रा० १.१४७ इच। भाषाहिन्दी । विषय- पजा । To काल स. १९१५ कातिक बूदी ८ । लेकाल स. १६२४ कार्तिक पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष पं० महाबन्द्र सीकर के रहने वाले थे । ममेद शिखर की मात्रा से लौटते समय प्रतापगड़ में ठहरे तथा वहीं ग्रन्थ रचना की थी। ७६६४. प्रतिसं०२ । पत्र सं० १७२ । प्रा० १०१ x ७ इञ्च । ले० काल मं० १९२४ कार्तिक सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर प्रलवर । विशेष-भट्टारक भानुकीति के परम्परा में से पं० महाचन्द थे । ७६६५. प्रति सं० ३ । पत्रसं० १६६ । प्रा० १०६४ ६३ इच । ले० काल सं० १९२५ । पूर्ण। वेष्टन स. १६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खंडेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ७६६६. प्रतिसं०४ । पत्र सं० १८१ । प्रा० १३४८ इञ्च 1 ते काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३५९ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ___७६६७. त्रिलोक पूजा-- शुभचन्द 1 पत्र सं० १६६ 1 प्रा. ६x६ इञ्च । भाषा- संस्कृता । विषय-पूजा । र०काल x। ले० काल सं० १६४२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०। प्राप्ति स्थान --दि. जैन पार्श्वनाथ मंदिर चौगान दी। Page #883 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७६६८. प्रतिसं०२। पत्र सं० १३१ । ग्रा० १२३४५ इञ्च । से०कान सं० १८३० । पूर्ण । बेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर वैर । ७६६९, प्रतिसं० ३१ पत्रसं० १४७ । प्रा० १२४७३ च । ले० काल स० १६१२ । पूर्ण। वेष्टन सं० २०० । प्राप्ति स्थान - दि जैन पंचायली मन्दिर अलवर । ७६७०. प्रति सं० ४ । पत्रसं० १२६ । ले०काल स० १६६३ । पूर्ण । वेष्टन सं०२०१ । प्राप्ति स्थान--दिजैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर अलबर। ७९७१. प्रति सं०५ । पत्र सं० ४२ । प्रा. १२४५ इञ्च । ले. काल ४ । पूर्ण 1 वेष्टन सं. ३३० । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति प्राचीन है। ७६७२. त्रिलोकसार पूजा-सुमतिसागर । पत्र सं० ६२ । प्रा० १२:४६५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय पूजा । र०काल X । लेकाल स० १८५३ । पूर्ण । वेष्टनस० १२०-४७ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-उचन्द ने स्यौजीराम वीजावर्गीय स्खू टेटा से द्रव्यपुर (मालपुरा) में प्रतिलिपि कराई थी। ७६७३. प्रतिसं० २। पत्रसं० १०१ । ले०काल सं० १८६४ । पूर्ण । वेष्टन सं०७१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर, भरतपुर। विशेष-गुटका माइज है। ७६७४. त्रिलोकसार पूजा-X । पत्रस० १० । प्रा० ११४८ इन्च । भाषा-हिन्दी पर्छ । विषय- पूजा । र०काल xले काल x | अपूर्ण । वेष्टनसं० २४३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पानाथ मन्दिर चौगान दी। विशेष-नित्य पूजा सग्रह भी है । ७९७५. त्रिलोकसार पूजा-४ । पत्रसं० ८। प्रा० १२४६३ च । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । र० काल x | ले०काल x । पूरणं । वेष्टन सं० १७३-७३ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर कोटडिवों का डूगरपुर । विशेष-जयमाला हिन्दी में है। ७६७६, त्रिलोकसार पूजा पा सं० २२२ । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय -पूजा । २. काल X । ले० काल सं० १९५८ । पूरर्म । वेष्टन सं० १६०-७८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर नाडियों का डूगरपुर । ७६७७. त्रिलोकसार पूजा-- । पत्र स० १०२ | पा० १३३४६४ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत। विषय-पजा ।र०काल सं० १९२१ । मे०काल x ! पुर्ण। येशनसं० १३६ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। ७६७८. त्रिलोकसार पूजा-४ । पत्र सं० १०३ । प्रा० EX५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र. कालX । लेकाल स. १५६१ । पूरणं । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन पंचायती मंदिर दूनी (टोंक) Page #884 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८२३ ७६७६. किलोकसार पूजा--- x 1 पत्र सं० १३१ । प्रा०८४६ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय-पूजा। र० काल X । ले० काल सं० १८८८ फागुण बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन खंडेलवाल पंचायती मंदिर अलवर। ७६.८०. प्रैलोक्यसार पूजा--- ! पत्र सं० ७६ । आ. ११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय --- पूजा । र०काल x ! ले० काल सं. १८८७ मंगसिर बुदी ३) पूर्ण । वेष्टन सं०८६। प्राप्ति स्थान--भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ७६८१. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १३२ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन मं० १० । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर अजनेर भण्डार । विशेष-ऊपर वाली प्रति की नकल है । ७६८२. लोक्यसार पूजा--X । पत्र सं० २१। प्रा० १२४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृन । विषय-पूजा । र० काल X । लेकाल सं० १८८७ कार्तिक बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं०७२२ । प्राप्ति स्थान- भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ७९८३. श्रेपन किया उद्यापन । पत्रसं० ५। पा.१.१४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय.. पुजा । २० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार। ७६८. अपन क्रिया व्रतोद्यापन- X । पप सं० प्रा० १०३४४ इन्च । भाषा---- संस्कृत 1 विषय पूजा । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४६ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ७६८५. प्रति सं०२। पत्र सं०६ 1 ० ६३४४ इन्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ३५२ । प्राप्ति थान-उपरोक्त मन्दिर । ७६८६. श्रेपनक्रियावत पूजा-देयेन्द्रकीर्ति । पत्र सं०६। श्रा० ११४५ इन 1 भाषासंस्कृत । विषय-पूजा। र०काल x ले० काल सं० १७६० वैशाख बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६७ । प्राप्ति स्थान–दिक जैन तेरहपंथी मन्दिर मालपुरा (टोंक) विशेष--प्राचार्य जानकीर्ति ने अपने शिष्य भानु केशी सहित वासी नगर में प्रतिनिधि की थी। ७६८७. त्रिश्च्चतुर्विशति पूजा-शुभचन्द्र। पत्रसं० ७८ 1 श्रा० १०४४ इञ्च । भाषासंस्कुत 1 विषय-पूजा । र० काल ४ । ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०६८२ । प्राप्ति स्थान –भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर। ७९८८, प्रतिसं० २ । पत्र सं०५४ । आ० ११६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा। २० काल X । ले० कान ४ । पूर । वेष्टन सं० ४२४ । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । ७६E९. दश दिक्पालाचन विधी-X । पत्र सं०२। मा० १०x४ इन्च । भाषा संस्कृत.। विषय-पूजा।३० काल ४ । लेकाल सं०X । पूरणं । वेष्टन सं०३४२-१३२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटडियों काहूँगरपुर । Page #885 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२४ ] [ प्रस्थ सूची-पंचम भाग ७६६०. दशलक्षण उद्यापन पूजा-x। पत्रसं० ४१ । ०७५५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा ।२० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १९२ । प्राप्ति स्थान-भर दि जैन मन्दिर अजमेर । ७६६१. दशलक्षण धापन पूजा--X । पत्रसं० १५ । भाषा-संस्कृत । विषय --पूजा । २० काल X । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७८ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ७६६२. दशलक्षण उद्यापन पूजा-x। पत्रसं०१-५। प्रा० १२४५३ च । भाषासंस्कृत । विषय -पूजा । २० काल X । ले० काल X । अपूर्ण। येन सं० ७३६ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ७६६३. दशलक्षरण उद्यापन पूजा-x। पत्र सं० ४५ 1 प्रा. ११४५३ च । भाषाहिन्दी पद । विषय-पूजा । २० काल X 1 ले. काल सवत् १९३३ सावन सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३८७६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बड़ा वीसपंथी दौसा। ७९४४. शलक्षग उद्यापन जा.-x | पम सं०२०। प्रा०१०१५९ इञ्च । भाषासंस्कृत विपा-पूजा । १० का वाड -१३ : पूर्ण । वेष्टन सं० १००। प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर नागदी बू दी। ७६६५, दशलक्षण अयमाल -x। पत्र सं० १४ । प्रा० ११४४१ इ । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । २० काल ४ । ले० काल स० X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१-७ । प्राप्ति स्थानभ० दि० जन मंदिर अजमेर । ७६६६. दशलक्षण जयमाल - पत्र सं० ५। पा. ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । लेकाल सं० X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर दबलाना दी। ७६६७. दशलक्षरण जयमाल पूजा --माय शर्मा। पत्रसं० १२ । प्रा० १०°४४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय पुजा । २० काल X । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन स. ११४ 1 प्राप्ति स्थानदिन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ७६८. प्रति सं०२। पत्र सं०६ । आ० १०.४५ इञ्च । ले०काल संox | पूभ । देष्टन सं० ६८१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-संग्रामपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ७६EC. प्रति सं०३ । पत्र सं० ६ । आ० १०१४५३ इंच । लेकाल x 1 पूर्ण । बेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ८०००. प्रतिसं० ४। पत्र स. ६ ।या. ११४४ इन। लेकाल X । पूरणं । बेष्टन सं. १८५ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ८००१. प्रतिसं०५। पत्रसं०१1 या० ११४४३ इञ्च। ले०काल X । पूर्ण । वेपन सं. १७०। प्राप्लिस्थान--दि.जैन मन्दिर बोरसली कोटा । प्रति संकृत टम्बा टीका सहित है। ८००२. प्रतिसं० ६ । पत्र स. १० । ले. काल सं० १७५४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२ (क) । प्राप्ति स्थान- दिन पचायती मंदिर डोग। Page #886 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८२५ विशेष-नूनपुर में विमलनाथ के चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी । गाथाओं पर संस्कृत टीका दी हुई है। ८००३. प्रतिसं०७ । पत्रसं० २२ । प्रा० १२४६ इञ्च । लेकाल सं० १६४५ । पूर्ण । वेष्टन सं०७८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान दी। ८००४. प्रति सं० ८ । पत्र सं० १३ । प्रा. १०३४५ इञ्च । ले० काल सं० १८४६ । पूर्ण । वेष्टन स० ३२० । प्राप्ति स्थान—दि जैन पाश्वनाथ मन्दिर चौगान बू दी । विशेष- सवाई प्रतापसिंह जी के राज्य में प्रतिलिपि हुई थी। ८००५. दशलक्षण जयमाल ४ । पत्रसं० ६ । पार १२४४, इञ्च । भाषा प्राकृत । विषय पूजा । २० काल ४ । ले०काल सं० १७२१ कार्तिक बुद्धी २१ पूर्म । वेष्टन सं० १३३ । प्राप्ति स्थानभ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १७२१ वर्षे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे द्वितीया दिवसे श्रीमत परमपूज्य श्री श्री १०८ धी भूषण जी तत्पष्टे मंडलाचार्य श्री ५ धर्मचन्द्र जी तदाम्नाये लिहितं पाण्डे उचा राजगढ़ मध्ये ।। ८००६. दशलक्षण जयमाल - । पत्र सं० १६ । प्रा० ३४ इञ्च । भाषा प्राकृत विषय पूजा । २० काल x (ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ६९६ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ८००७. दशलक्षण जयमाल x । पत्रसं० १३ । मा० १२:४५: इन्च । भाषा-प्राकृत । विषय पूजा । २०काल । ले०काल X । पूर्ण । वेष्ट्रन सं० १२६८ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। २००८, दशलक्षण जयमाल x। पत्रसं० २० । प्रा० १४४ इन्च । भाषा-प्राकृत। विषय-पूजा । र०काल X । ले०काल सं० १६१५। पूर्ण । वेष्टन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना। विशेष-रत्नत्रव जयमाल भी है। हिन्दी अर्थ सहित है। ८००६. दशलक्षण जयमाल ४ । पत्र स०५ । भाषा प्राकृत । विषय पूजा । १० कालx. ले काल | अपूरणं । वन सं० ३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपथी मंदिर बसवा। विशेष- प्रति संस्कृत टीका सहित है । ८०१०. दशलक्षण जयमाल x पत्र स० ८1 प्रा० १२४५ इञ्च । ममा प्राकृत । विषय धर्भ । २०माल x | ले. काल X । पूर्ण । वेटन सं०३५ । प्राप्ति स्थान-दि० चैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष - गाथाओं के ऊपर हिन्दी में छापा दी हुई है। ८०११. दशलक्षण जयमाल x । पत्रसं० + । प्रा०६४५ इञ्च भाषा प्राकृत । विषयपूजा । २० काल ल काल सं० १५४१ श्रावण खुदी ११। पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थानदिन मन्दिर बोरसली कोटा । Page #887 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष --शालचन्द ने कोटा में लिखा था। ८०१२. दशलक्षण जयमाल-ररथ् । पन सं० ४ से११ । प्रा०१०x४३ इन। भाषाअपभ्रंश विषय पूजा । र०काल x ले०काल X । अपूर्णे । वेपन सं. ५३-१२५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिह टोंक) । १०१३. प्रति सं० २। पत्रसं०८ । आ. Ex४३ इञ्च । ले०काल सं० X । पूर्ण। वेष्टन सं०५४-६७ । प्राणिः स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ८०१६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० १४ । ले० काल सं० १८५२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष--हिन्दी टीका सहित है। ८०१५. प्रति सं०४। पत्र सं०५ । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं०५५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-भरतपुर में मुनि कल्याण जी ने प्रतिलिपि लिन्त्री थी। २०१६. प्रतिसं० ५। पत्र सं०१४। था१:४४ इ लेक कल x !! पूर्ण । येष्टन पुं० ३१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बड़ा बीसपंथी दौसा । .१७. प्रति सं० ६ । पत्रसं० १२ । भा० ११४५ इञ्च 1 ले काल ४ । । पूर्ण । श्रेष्टनसं. १.२ । प्रादि स्थान--दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। विशेष -- संस्कृत टवा टीका सहित है। ८०१८. प्रतिसं०७। पत्र सं० ११ 1 ग्रा० १.४४१ इञ्च । ले०काल x। अपूर्ण 1 वेनसं० १२० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बदी।। विशेष.... हिन्दी टीका सहित है । अन्तिम पत्र नहीं है। १०१६. प्रतिसं० ८ । पत्र सं० ८ । प्रा० १२४६ इञ्च । ले०काल सं० १८५२ प्रथम भाषया दी । पूर्ण । बेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान.....दि जैन मन्दिर राजमहल टोंक। विशेष--हिन्दी में अर्थ दिया हुया है । ८०२०, प्रतिसं०६। पत्र सं० १० । आ० १२४६ इच। ले. काल सं० १७८८ । पूर्ण । वेशन सं०७८:४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष--प्रति हिन्दी छाया साहिल है । तुगा में श्री चन्द्रप्रभ चैत्यालय में पं० मोहनदास के पठनार्थ लिखी थी। ८०२१. प्रतिसं० १० । पत्रसं० ८ । आ१०१४४२ इन। ले. काल सं० १८०० काती सुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर दवलाना दी । विशेष-सीसवालि ना मध्ये लिखित । ८०२२. प्रति सं०११ पसं०५ । मा० x ५ इञ्च । ले०काल ४ । देशन सं० २११ । पुर्ण । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बनाना (बू'दी)। ५०२३. प्रतिसं०१२ । पत्र सं० १२ । ले०काल X । पुर्ण । वेष्टनसं० ३१ । प्राप्ति स्थानदि.जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा! Page #888 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] विशेष ८०२४. प्रति सं० १३ नेन सं० ३२ । विशेष प्रति टीका सहित है। -- -बलुग्रा अनुधा में चन्द्रभश्यालय में प्रतिलिहि हुई। प ० १० से०काल सं० १६०४ भादवा बुदी ३ पूर्ण ८०२५. प्रतिसं०] १४ । पत्र० १० स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८०२७. प्रति सं० १६० १७ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८०२६. प्रतिसं० १५ । एत्र० १६ ० काल X पूरी बेटन सं०७३ (ब) प्राप्ति स्थान उपरोक्त मन्दिर । ८९२९. दशलक्षण जयमाल - X विषय-पूजा १० काल X वे० काल X1 पूर्ण लश्कर, जयपुर । ० काल X पूर्ण वेष्टनसं० ७३ (म) प्राप्ति ८०२८ दशलक्षरण जयमाल - पत्र सं० २० । ० धर्म १० काल । ले०काल सं० १८८४ साबसा सुधी ६ भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ले काल सं० १२३७ पूर्ण पेन सं० । ७३ (स)। पत्र० ३५ वेष्टन सं० ११६ ८०३१. दशलक्षण जयमाल -- x | पत्र ० काका स०] १९६५ पूर्ण वेष्ट मन्दिर भरतपुर । X ८०३४ दशलक्षरण धर्मोद्यापन विषय-धर्म २० काल X 1 ले० काल XI पूर्ण अजमेर | विशेषतया टीका सहित है। - X | | ८०३०. दशलक्षण जयमाल पत्र [सं० २६ । आ० पद्य विषय पूजा २० काल X वे० काल मन्दिर अजमेर। । पूर्णे । बेटन सं० ३२२ १२५ इंच भाषा - प्राकृत । विषयपूर्ण बेटन सं० १० प्राप्ति स्थान- सं० सं० ३१२ [ ८२७ I ० १३४ ५ ६ प्राप्ति स्थान | पत्र सं० १२ । वेष्टन सं० ५२२ ११३४५ २८ । भाषा हिन्दी | विषय - पूजा प्राप्ति स्थानम० वि० जैन पंचायती | भाषा अपभ्रं दि० जैन मन्दिर । च भाषा हिन्दी प्राप्ति स्थान दि०जैन ८०३२. दशलक्षण पूजा जयमाल - पत्र सं० १४ । पा० •x । पत्र सं० १४ । प्रा० १२ × ५ इव । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-पूजा । २० काल X 1 ले० काल X | पूर्ण । वेष्टनसं० ३१७ | प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। ८०३३. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ३७ | ० १० X ६० इव । ले० काल सं० १६४७ | पूर्णं ॥ वेष्टन सं० २१० प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । विशेष- ब्राह्मल गूजर ने बूंदी में लिखा था । ०६३ X ५ इव । भाषा-संस्कृत प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर Page #889 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ८०३५. दशलक्षण उद्यापन विधि-.४ । पत्र सं० २५ । आ०६४५४ इञ्च । भाषा-- संस्कृत विषय पूजा । २० काल ४ । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ३११ । प्राप्ति स्थान-दि जेन मन्दिर पाएनकाय चौगान दी। ८०३६. दशलक्षण पूजा-धानतराय । पत्र सं० ७ । आ. ७:४५: इच। भाषा - हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र० काल x 1 ले० काल । पर्ण । वेष्टन स. १६० । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी सीकर । ८०३७. प्रति सं०२। पत्र सं०५। प्रा० १२४७ इञ्च । ले० काल सं. १९४७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२३ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मंदिर लशकर, जयपुर । ८०३८. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ५ । प्रा० १.४६ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाजान दी। विशेष-दूसरे पत्र से भक्तामर भाषा हेमराज कृत पूर्ण है। ८०३६. दशलक्षन पूजा विधान-टेकचन्द । पत्र सं० ४२ । प्रा० १३४७ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-पूजा । २० काल ४ । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०७१। प्राप्ति स्थान-दिल मन्दिर नागदी, बदी। ८०४०. दशलक्षण मंडल पूजा-डालूराम । पत्र सं० २५ । प्रा० ११४५ इन्च । भाषाहिन्दी। विषय-पूजा । र काल सं० १८२१ । ले० काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० १०.१६२ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर भादवा राज। ८०४१. प्रतिसं० २ । पत्रसं० ३० । प्रा० १२.४८ इश्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. १०८। प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । ८०४२. दशलक्षण विधान पूगा-X । पत्रसं० २६ । प्रा० १०३ ४ ५ इश्व ! भाषा-- संस्कृत । विषय -पूजा । २० काल X । स० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टम सं० ५८ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। १०४३. दशलक्षण विधान पूजा x पत्र सं० २५ । ग्रा० ११४८ इञ्च । भाषा हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल X । लेकाल सं० १९१० । पूर्ण । वेष्टन सं० ८२/६३ । प्राप्ति स्थान-दिक जैन मन्दिर भादवा (राज.)। विशेष-मारोठ नगर में प्रतिलिपि की गई। ८०४४. दशलक्षण ब्रत पूजा--X । पत्रसं० २१ । आ० ११४५ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। २. काल ४ I ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६४ । प्राप्ति स्थान..--भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर। ८०४५. दशलक्षण श्रत पूजा x | पत्र सं०१६ । मा०६४४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय--पूजा । र० काल x । ले०काल X । पूर्ण। वेष्टन सं०१३७७ । प्राप्ति स्थान-भदि जैन मन्दिर अजमेर । ८०४६. दशलक्षण पूजा-विश्व भूषण पत्र सं३० । प्रा० ११४६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-जा । २० काल सं०-१७०४ । ले० काल सं०-१८१७ मंगसिर सूदी ११ । पूरणं । येन सं. ११६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मंदिर बवाना । Page #890 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ १२६ विशेष - चूरामन बयाना दाले ने करौली में ग्रन्थ की प्रतिलिपि कराई थी। १०४७. प्रतिसं० २ । पत्र रा० १६ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०१२ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर पंचायती भरतपुर। ८०४८. दशलक्षण ब्रतोद्यापन पूजा-सुमतिसागर । पत्र सं० १८ | प्रा० १०.४४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- पूजा । २० काल । लेकाल X ।पूर्ण । वेष्टन सं० ३७० । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । २०४९. प्रति सं० २। पत्रसं० १४ । आ०१०१४५१ इञ्च । ले० काल ४ । पूर्ण 1 बेष्टन सं० १६९-७३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर ।। ८०५०. प्रति सं०३। पत्र सं० ६ । आ० १५४४ इञ्च । ले० काल सं० १८४४ पूर्ण । बेष्टन सं०५१२ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर। ८०५१. प्रति सं०४ । पत्रसं० १८ । प्रा० १०४६ इंच । ले० काल सं० १६३८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ८०५२. प्रतिसं०५ । पत्र सं० २० । मा० १४४४ इञ्च ! कात X । पूर्ण । वेष्ट नस० ६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी। विशेष-सवाई माधोपुर में झावरापाटन के जनी ने प्रतिलिपि कराई थी। ८०५३. प्रति सं०६ । पत्र सं० २१ । प्रा० १०.४५ इन्च । से० काल x । पू । वेष्टन सं०७२ । प्राप्ति स्थान दिजैन मन्दिर मागदी (दी) ०५४. प्रति सं०७ । पत्र सं० १७ । पा० १३४५ इव । लेकाल सं० १९३३ । पूर्ण । बेष्टम सं०५७ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ०५५. प्रति सं०८ । पत्र सं० १४ । पा. १०४६ च । लेकाल सं० १८६७ भादवा मुदी ५ । पूर्ण । वेटन सं० २५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूदी । विशेष-सुमति सागर श्री अभयनन्दि के शिष्य थे। ८०५६. प्रति सं०६ । पत्र सं० २८ । श्रा० १२४६ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५८ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर राजमल (टोंक) विशेष-गुलाबचन्द ने प्रतिलिपि की थी। २०५७. प्रतिसं० १० । पत्रसं० २८ । ले०काल सं० १७६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर भरतपुर । ____८०५८, प्रति सं० ११ । पत्र सं० २४ । प्रा० ८३४६५ च । ले. काल सं० १६५२ । पूर्ण । बेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान--दि जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर अलपर। २०५६. प्रति सं० १२ । पत्रसं० १२ । प्रा० १२४.७ इन्च । ले० काल ४ । पूना । वेष्टन सं० २। प्राप्ति स्थान-दि जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा । विशेष--भागे पोडश कारण उद्यापन हैं पर अपूर्ण है। Page #891 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३० ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग ५०६०. प्रति सं०१३ । पत्रसं० ११ । प्रा० १०४५ इञ्च । लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०४ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष---प्रशस्ति श्री अभयनन्दि गुरु शील सुसागर । सुमति सागर जिन धर्म धुरा ।।७।। ८०६१. दशलक्षण व्रतोद्यापन पूजा-सुधीसागर । पत्र सं० २५ । प्रा० ६४५ इंच ! भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल xले० काल X । पूर्ण । थेष्टन स० २७६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) ८०६२. दशलक्षण तोधापन.-x। पत्र सं० १५ । पा० ११:४५ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । ले० काल सं० १८० आषाढ सुदी ८ | पूर्ण । बेष्टन सं० १३५१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर, अजमेर । ८०६३. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १० । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५२ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर अजमेर भण्डार । ८०६४. दश लक्षण प्रतोद्यापन-x | पत्र सं० १२ । प्रा० ११३४६ च । भाषासंस्बृत । -एजा - काल एं। वेष्टन सं०१३४६ । प्राप्ति स्थानम. दि. जैन मन्दिर अजमेर भण्डार । विशेष-लिखितं ब्राह्मण फौजुराम । ८०६५. दशलक्षण प्रतोद्यापन पूजा-म० ज्ञानभूषण। पत्र सं० ३७। भाषा-सस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । ले. काल सं० १८१६ सावन सुदी ११ । पुर्ण । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष- भरतपुर के पंचों ने करौली में प्रतिलिपि कराई थी। ८०६६ दशलक्षण सलोषापन पूजा -रइधू । पत्र स०२६ । पEX६ इञ्च । भाषाअपभ्रश । विषय - पूजा । १० कान x । ल. काल ख. १९५२ । पूर्ण । वेष्टन सं. १८२ । प्राप्ति स्थान--दि जैन पंचायती मंदिर अलवर । विशेष- प्रतियां और है। ८०६७. दशलक्षण प्रतोद्यापन-x । पन सं० ३० । प्रा० १.१४६ इश्व । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । कालXI ले०काल सं० १९४६ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर कोठ्यों का नेणावा । ८०६८. दश लक्षण बलोद्यापन-X ।पत्र सं० २५ । प्रा०१०४६ इञ्च । भाषा: हिन्दी (पद्य) । विषय - पूजा । र, काल x काल स. १८५० भादवा सुदी। पूर्ण । बेष्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंश्री मन्दिर नैररावा । ८०६६. दशलक्षण बसोधापन -४ । पत्रसं०४६ । प्रा० १०४६ इञ्च । माषा-हिन्दी । विषय-पूजा। २. काल x | लेकाल सं० १९५२। पूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्ति स्थान--दि० जन अग्रवाल मन्दिर नणया । Page #892 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [८३१ ८०७०. दशलक्षण व्रतोद्यापन-x ! पत्रसं०३० । प्रा० १०३४६. इञ्च । मापा-हिन्दी। विषय-स्तुति । र०काल ४ । लेकाल सं० १९५० । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२ । प्राधिस्थान--दि० जन अग्रवाल मन्दिर नणया। विशेष-लिखी माली कंदरलाल ने लिखाई घासीराम । चि. भंवरीलाल मारबाडा ने अग्रवालों के मन्दिर में चढाई थी। ८०७१. दशलक्षण ब्रतोद्यापन-X । पत्रसं० १६ । प्रा० १०४५३ इञ्च । भाषा- संस्कृत । विषय--पजा । २०कालxले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान, दी। २०७२, दशलक्षण पूजा उद्यापन-x। पत्रसं० २१ । प्रा०८४५३। भाषा-मस्कृत । विषय--पूजा । २० काल X । ले० काल सं० १८४४ सावण सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष - प्राचार्य बिजयकीर्तिजी तत् शिष्य सदासुख लिपिकृतं । २०७३. दशलक्षण पूजा उद्यापन- X । पत्र सं० २३ । प्रा० १०६४४१ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा। र० काल X । लेकाल सं० १८१७ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १३३/३१ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर पाश्चनाथ इन्दरमह (कोटा) । विशेष-भिति चैत्र सुदी २ भृगुवासरे युदायती नगरे सुपाश्चत्यालये लिखत स्वहस्तेन लखित शिवविमल पठनार्थ सं० १८१७ । २०७४. वशलक्षण पूजा उद्यापन-४ । पत्रसं० ५ । मा ८:४४, इकच । भाषासंस्कृत्त । विषम-पूजा । १० काल - । ले० काल X । यपूर्ण। बेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) ८०७५. दशलक्षण पूजा-४ । पत्रसं०६। प्रा० १११४५ उच्च । भाषा-संस्कृत विषयपूजा । र. काल ४ । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। विशेष प्रति प्राचीन है। ८०७६. दशलक्षण पूजा-XI पत्रसं०११ । प्रा० १०१x६. इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x | लेकाल सं० १८५० श्रावण सुदी ६ । पुर्ण । वेष्टन सं० १०५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगात दी। ८०७७. दश लक्षण पूजा - XI पत्र सं० १९ | आ० १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृति । विषय-पूजा । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेधन सं०६४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी) ८०७८. दशलक्षण पजा-X । पत्रसं०६। प्रा०११४५ इत्र । भाषा-प्राकृत । विषय-पूजा । १०काल ले. कालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर दबलाना (दी) Page #893 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्य सूची-पंचम भाग ८०७६. दशलक्षण पूजा-x 1 पत्रसं० २८ । मा० ११४७ इञ्च । भारा हिन्दी (पद्य) । विषय-पूजा । र०काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७० । प्राप्ति स्थान-दि० जन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ८०८०. दशलक्षण पूजा-४ । पत्रसं० ५६ । या० ११४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय पूजा । २० काल X । ले० काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० १५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ इन्दरमन (कोटा) विशेष-दो रुपये तेरह पाना में खरीदा गया था। ८०५१. वश लक्षण पूजा - x पत्र सं०४५ । या० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृन्त । विषय-पूजा। र०कालX ले०काल सं. १९०३ । पूर्ण । वेष्टन सं०३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मंदिर दौसा । ८०६२. देशलक्षण पूजा--X । पत्र सं० ५५ । भाषा-संस्कृत । विषय पूजा । र०काल ४ । ले०काल X । अपूर्ण । बेपन स. १६ । प्राप्ति स्थान - दि. जन पचायती मन्दिर भरतपुर । ८०५३. दशलक्षण पूजा-४ । पत्र सं० ६७ । आ०६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय पूजा । र० काल - । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। ५०८४. बश लक्षणीक अंग- ४ । पत्र सं० १। मा० १.४४. च । भाषा संस्कृत । विषय पूआ । २० काल ४ । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरसली कीटा। ८०८५. द्वादश पूजा विधान--X । पत्र सं० 51 प्रा. १३४ ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x ।ले०काल x अपूर्ण । येष्टन सं० १६१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर आदिनाय दूधी। विशेष-- रो मागे पत्र नहीं हैं। ८०८६. द्वादश वत पूजा-देवेन्द्रकीति । पत्र सं० १४ । ना० १०३४४३ इञ्च । भाषा-- संस्कृत । विषय - पूजा । २० काल x 1ले. काल x । पूर्ण । वेपन सं. ३७६ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मंदिर अजमेर माहार । ____८०८७ द्वादश व्रत पूजा-भोजदेव । पत्रसं०१८ । प्रा० १०:४४ इश्च । भाषा... संस्कृत । विषय-पूजा । र काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टम स० २८३ । प्राप्ति स्थान - दि.जैन मन्दिर अभिनदिन स्थामी दी। ८०८. द्वादश व्रतोद्यापन-x। पत्र सं० १६ । आ० १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--स्तोत्र। २०काल x | लेकाल स. १८५६ कार्तिक खुदी ५ । पूर्ण। बेष्टन सं० २६-१३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायांसह (टोंक) विशेष - टोडारायसिंह में लिखा गया था। Page #894 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ २३३ ०५६. दादांगा .... पर सं प्रा .८४६:च । भाषा-संस्कृत । विषयपुजा। र० काल x । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ११४८ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर अजमेर भण्डार। ८०६०. दीपावलि महिमा-जिनप्रमसूरि पत्र सं० २१ । भाषा-संरकृत्त । विषय--पूजा । १० काल ४ । ले काल ४ । पूर्ण। वेष्टन सं० ६२३ 1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८०६१.दीक्षापटल-- ४ । पत्र सं०७।०६x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--- विधान ! २० कालX । ले काल सं० १९२७ । पूर्ण । वेष्टनसं० २५८ । प्राप्ति स्थान-माथि जैन मन्दिर अजमेर । ८०१२. दीक्षाविधि-x पत्र सं०३। ग्रा०११४५ इज । भाषा-संस्कृल । विषय-विधि विधान । २० काल xले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टनसं० ९ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर पारनाथ चौगान बूंदी। ८०६३. दीक्षाविधि-x | पत्रसं०१४ । प्रा०१०४५ इच। भाषा-संस्कृत | विषयविधान । २०काल X । ले. काल सं० १५३४ ज्येष्ठ सूदी। पूर्ण। वे० सं० १३ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । ८०६४. दुखहरण उद्यापन-यशःकोति । पथ स ६ । श्रा० १०४६ इथे । भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा । २० काल x । ले० काल सं० १९३८ । पुर्ण । वेष्न सं० ५३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटष्टियों का डूगरपुर । ८०६५. बेयपूजा--x। पत्र सं०४ । डा.८४५.हच। भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । र० काल X । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लपकर जयपुर । ८०६६. देवपजा-xपत्र सं०१५। भाषा-हिन्दी पद्य | विषय-पूजा । र०कालx ले०काल ५ । पूर्ण । बेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ८०६७. देवपूजा-४ । पत्रसं० ३३ । प्रा० १०४५ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र० काल X । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ५१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर तेरपंथी मालपुरा (टोंक) ८०६५. देवपूजा-पत्रसं० ११ । मा०६x६ इञ्च । भाषा हिन्दी पद्य । विषय-पूजा। र० काल X । ले०काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १७६-१४२ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर। विशेष-हिन्दी अर्थ सहित पूजा है । ८०६६. देवपूजा भाषा-40 जयचन्द छाबड़ा । पत्र सं० २५। भाषा - हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र० काल X । लेकाल सं० १६१६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर दीवानजी भरतपुर । २१००. देवपूजा भाषा-देवीदास । पत्र सं० २३ । आ. १२३४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पर्छ । विषय-पूजा । र०काल सं०xले. काल पूर्ण । वेष्टन सं० ४८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा । Page #895 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३४ ] [ अन्य सुधी-पंचम भाग विशेष-पत्र २१ से दशलक्षण जखड़ी है (अपूर्ण) । ८१०१. देवशास्त्र गुरु पूजा-द्यानतरस्य । पत्र सं०६ । मा० १.१४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी विषय-पूजा । र०काल X । ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ११५३ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जन मन्दिर अजमेर। ८१०२. देवगुरुशास्त्र पूजा जयमाल भाषा--४ । पत्रसं० ३० । आ० १२६४७१ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्म । विषय..-पूजा। र०काल X । ले. काल सं० १९.० । पूर्म । वेष्टन सं० ११० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । ५१०३. देवसिद्ध पूजा-.-.X । पत्र सं० १५ । आ० १२ x ४ च । भाषा-संस्कृत विषयपूजा । १० फास - itail: । पूर्ण : मेटन सं० ७१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगड (कोटा)। ८१०४. धर्मचक्र पूजा---गसेन । पत्रसं० ३१ । ०११ x ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x • ले०काल सं० १९२३ फागुन बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं०१०। प्राप्ति स्थान -दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा)। विशेष-पं० भागचन्द ने प्रतिलिपि की थी। ८१०५. धर्मचक्र पूजा-यशोनन्दि । पत्र सं० ४३ । आ०६x४ इञ्च ।माषा संस्कृत । विषय -पमा । २० कालX । ले० काल सं....१८१६ माघ बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं०३७ । प्राप्ति स्थानदि.जैन मन्दिर बर। विशेष-मिट्टराम अग्रवाल ने यह मेष महादास के लिये लिखाया था। ५१०६. धर्मचक पूजा-४ । पत्रसं० २ । प्रा० १०३४४: इच। भाषा-संस्कृत । विषय पूजा । र० काल X । ले काल सं०-१८१८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७१ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जन मन्दिर अजमेर। ८१०७. धर्मस्तम - वर्द्धमानसूरि । पत्र सं० ३७ । भाषा-संस्कृत । विषय x 1 २० काल । लेखन काल x। पुर्ण । वेष्टन संध ५६६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष—इत्याचार्य श्री बर्द्धमानसरिकृते याचारदिनकरे उभयत्रस्तंभे बलिदान कीत्तिनो नाम पटप्रिंशत्तमो उद्देश। १०६. घातकोखंड द्वीप पूजा-४ । पत्र सं० २० । प्रा० १२४५१ इश्व । भाषासंस्कृत . विषय- पजा । र० काल X । ले० काल ४ । वेष्टन सं० ६३४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर। १०६. ध्वजारोषरविधि-x। पत्रसं० ७। प्रा०५४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र काल: । लेकाल सं० १९५८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५२७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । ८११०. ध्वजारोपरराविधि-x। पत्रसं० १२ । प्रा० १२ x ५ इश्व | भाषा संस्कृत । विषय-विधाम । २० काल ४ । ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २००-११७। प्राप्ति स्थान-दिना मन्दिर कोटडियों का जूगरपुर । Page #896 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] ८१११. ध्वजारोपयविधि - X विषय-विधान सरकर जयपुर । ८११२. ध्वजारोपण विधि - X | पत्रसं०] १८ | विषय-विधान २० काल x । ते० काल सं० १९४७ पूर्ण जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। | लेक ४ पत्र सं० २०३ | । की गयी है। आ० २०० [ ८३५ ११५ इव । भाषा संस्कृत पाप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर विशेष- समीचन्द सागलपुर नम्र वालों ने प्रतिलिपि कराई थी। ८११३. ध्वजारोपणविधि - X ३ पत्र सं० ३ ॥ ० १०३४४) इश्व | भाषा-संस्कृत | विषय-विधान २० X | ले० कान X पूर्व येष्टन सं० १५० प्राप्ति स्थान दि०जैन र०काल मंदिर बोरसली कोटा । 1 । पूजाए है। । ८११४. नवकार पूजा-पत्र सं० २२ प्रा० १०४५ इन्च भाषा संस्कृत विषय। । । पूजा । १० काल X | ले० काल सं० १८६१ पू वेष्टन सं० १३३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूदी ० ६६३ इव । भाषा-संस्कृत | वेष्टन गं० १६१ प्राप्ति स्थान दि० विशेष - श्रनादि मंत्र पूजा भी है। ८११५. नवकार तीसी पूजा x सं० २०४३ भाषा संस्कृत । -x | ई X विषय - पूजा । र० काम X ०काल सं० २०१७ मादी १० पूर्ण न सं० ४२१ प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । इञ्च । विशेष निखित निमन सागरेश। समोकार मंत्र में पैंतीस पबक्षर है मौर उसी साधार पर रचना ८११६. नवकार पेंतोसो पूजा --X | पत्रसं० २१ । आ० ११३४५ इंच भाषा-संस्कृत विषय - पूजा | र०काल x | ले० काल X | पूर्णं । येन सं० २५५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी वुदी | ११६. नवग्रह पूजा - X पूजा । [२०] कॉल x | ले० काल X 1 पूर्ण भण्डार 1 ८११७. नवकार पैंतीस व्रतोद्यापन पूजा-सुमतिसागर विश्व पूजा १० काल x ० काल सं० १८१६ माषाढ सुदी ५ पूर्ण स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । पण सं० ६ वे० ३५६ ८११८. नवग्रह पूजा - X | पत्रसं० ५ । श्र० ११३५ इश्व भाषा संस्कृत विषय -- पूजा | २० काल X | ले० काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० ३६५ | प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर भण्डार । विशेष – रवि सोम एवं राहु केतु आदि नवग्रहों के घनिष्ट निवारण हेतु नो तीर्थकरों की पत्र सं० १५ भाषा संस्कृत वेष्टन सं०५२ प्राप्ति ० ११४५ इव । भाषा-संस्कृत विषयप्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर Page #897 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३६ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग ८१२०. नवग्रह पूजा-४ । पत्रसं० प्रा० १०३४५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-- पूजा । २० काले० काल स. १८८० सावरए सुदी १.1 पूर्ण । वेष्टन सं० १५४ । प्राप्ति स्थान-. मदि० जैन मंदिर अजमेर । २१२१. नवग्रह पुजा-४ । पत्र सं०४ मा०१0४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । १० काल x ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। ८१२२, नवग्रह पूजा । पत्र सं०७ । प्रा० १०xvइन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय - पूजा । र० काल ४ । ले०काल सं० १८६२ । पूणं । वेष्टन सं० १५७/५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पाश्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ (कोटा) ८१२३. नवग्रह पूजा । पत्र सं १५ । प्रा० १.३४४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - पूजा। २० कालx ले०काल सं० १८६६ माघ बुद्धी १२ । पूर्ण । बेष्टन सं० १६०/५४ । प्राप्ति स्थान.-.दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) ५१२४. नवग्रह पूजा-X । पत्र सं०७ या. ८४६३ च । भाषा-संस्कृत | विषय - पूजा । 'र०काल I ले० काल x 1 पूर्ण वेष्टन सं० ३११-११७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर। विशेष- पद्मावती जाप्य भी है । ८१२५. नवग्रह पूजा-X । पत्रगं. ६ । प्रा० ११४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपुजा । र०काल ।ले. काल सं० १६२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० x । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दी। १२६. नवग्रह पूजा-X1 पत्रसं० ३ । मा०६४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल X । ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं० २६४-३५२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन भनाथ मन्दिर उदयपुर । ८१२७. प्रति सं० २ । पत्र सं० ३ । ले०काल X 1 पूर्ण । वेष्टनसं० २९५:३८१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ___८१२८. नवग्रह पूजा-४ । पत्रसं० ५। आ० १२४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृति । विषमप्रधा। र०कालX । ले० कासx | पूर्ण । बेष्टन सं०६६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर करौली। ८१२६. नवग्रह पूजा-४ । पत्रसं०१३ । प्रा० १२ x ६ इञ्च । भाषा-सस्कृत। विषय--पूजा । र काल x | लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं०६५ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) विशेष-शांतिक विधान भी दिया हुना है। ११३०, नवग्रह पूजा..-X । पत्र सं.२३ । प्रा० १०४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत 1 विषय-- पजा । र०काल - । ले. काल सं० १९६५ । पूर्ण । वेष्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन अबवाल मन्दिर मेगावा। Page #898 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] ८१३१. नवग्रह पूजा-X । पत्रसं० ७ । प्रा० ६४६३इच । भाषा-संस्कृत । विषय - पूजा । र० काल X । ने० फाल सं० १९४८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७६ (अ) । प्राप्ति स्थान-दि० जन स्त्रंडेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर। ८१३२. नवग्रह पूजा--मनसुखलाल । पत्रसं० १६ । ना० ४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र०काल X। ले०काल सं० १९३५ । पूर्ण । वेष्टनसं० १८७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ८१३३. प्रति सं०२। पत्र सं० १८ । पा. ११४७ इव 1 ले०काल X। पूर्ण । वेहन सं. १७४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन खंडेलवाल मंदिर उदयपुर ।। ८१३४, नवग्रह पूजा-x पत्र सं० १७ । आ. १०४ ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयपूजा । र०काल x | ले. काल सं० १२३४ कार्तिक दुदी १३ । पूर्ण । वेन सं. २०३ ! प्राप्ति स्थानभ दि जैन मन्दिर अजमेर । ८१३५. नवग्रह पूजा --X । पत्रसं० । प्रा० १०४५३ इञ्च । माषा--हिन्दी पद्य । विषयपूजा । र०काल X । लेकाल x। पूर्ण । बेधुन सं० ७३ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान • दी। ८१३६, नवग्रह पुजा-४ । पत्रसं० २८ । ग्रा. ७४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषयपूजा । २० कालX । ले०काल सं० १९७६ भादवा चुदी १३ । पूर्ण । देष्टनसं० १९४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान वदी । विशेष--गुटका साइज में है। ८१३७ नवग्रह पूजा--x पत्रसं०१०। मा० ७४४ इश्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-- पूजा । र०बाल x। ले० काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० १८६२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ८१३८. नवग्रह अरिष्ट निवारण पूजा-X । पत्र सं० ४१ । प्रा०६४६१ च । भाषाहिन्दी पता । विषय- पूजा । र० काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेटन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खंडेलवाल पंचायती मंदिर अलबर 1 विशेष-निम्न पूजाओं का और संग्रह है ... नंदीश्वर पूजा, पार्श्वनाय पूजा, रत्नत्रय पूजा । (संस्कृत) सिद्धचक्र पूजा, शीतलनाथ पूजा। सुगन्ध दशमी पूजा, रत्नत्रय पूजा । ८१३९. नवग्रह पूजा विधान-XI पत्र सं० १० । पा० ११४५३ञ्च । भाषा-हिन्दी पन्छ । विषय-पूजा । र०काल ४ । लेकाल सं० १९११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१२ । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान ब्रूदी । १४०. नवग्रह विधान--- । पत्र सं०२० । श्रा० ८३४६ च । भाषा- हिन्दी पद्य । विषय-पूना । र० काल x । ले० काल सं० १९५७ । पूर्ण । वैष्णन मं० १६० । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर थी महावीर दी। Page #899 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३८ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ८१४१, न्हवरा विधि-ग्राशाधर । पत्र मं० ३० । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय - पुजा । र०कालxले काल x 1 पूर्ण । वेन सं. ३१२-११७ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर बोटड़ियों का डूंगरपुर । १४२. म्हावरण पाठ भाषा-बुध मोहन । पत्रसं० ४ । आ. १०४४१ इंच । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-पूजा । र०काल ले.काल XI पूर्ण । वेष्टनस' ०३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल (झोंक) विशेष प्रतिम पाट निम्न प्रकार है थी जिनेन्द्र अभिषेक पाठ संस्कृत भाषा सकलकीति माने शिव्य रच्यो धरि जिनमत यासा। ताको प्रथं विचारिपारि मन में हलसायो। बुध मोहन जिन न्हवन देसभाषा में गायो । इति माषा न्हावरण पाठ संपूर्ण । ८१४३. नाम निर्गय विधान-X । पत्र सं० ११ । श्रा० १०४५, इंश्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-विधान । र काल । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ । प्राप्ति स्थान - दिल जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष --दच बोल और दिये हैं। ८१४४. नित्य पूजा - - ४ । पत्रसं० २० । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । न०काल ५ । लेकालX । पूर्ण । बेन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन छोटा मंदिर बयाना । ८१४५, नित्य पूजा -XI पत्रसं० ६२ । प्रा०६३४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x | ले. काल स० १९५४ । पूर्ण । देष्टन सं०७। प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर श्री महावीर बूदी। E१४६. नित्य पूजा -- ४ । पत्र सं० २० । आ. ६४५ इञ्च । भाषा हिन्दी । विषयपूजा। ए० काल x। ले. काल' X । पुरणं । वेष्ठन सं०१७२ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मंदिर दीवानजी वामा । ११४७. नित्य पूजा। पयसं० १२ । पा० ११ x ५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषयपूजा । र०काल x । ले० साल X । येष्टन सं० ४२ 1 प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर मालपुर। (टोंक) ८१४८. नित्य पूजा-X । पत्रसं० २ से १२ । भाषा - हिन्दी (पद्य) । विषय-पूजा । र० कान x। लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११ प्राप्ति स्थान -दि जैन तेरहपंथी मंदिर बसवा । ८१४६, नित्य पूजा -- । पत्र सं० ५० । या०८४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल: । लेकाल x पूर्ण । वेष्टन सं० १८० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दी। ८१५०. नित्य पूजा-४ । पत्र सं० ३३ । आ. x ६ इंच भाषा-हिन्दी-संस्कृत । विषय- पूजा । र०कालX । ले. काल सं० १९६६ । पर्ण 1 बेमन सं०६७। प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर पार्वनाथ चौगान दी। Page #900 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८३९ ८१५१. नित्यपूजा पाठ-प्राशाधर । पत्र सं० २० । प्रा० ११३४७१ इन। भाषासंस्कृत । विषय पूजा । २० काल X । ले० काल X । पूर्म । वेष्टन सं० १५१० । प्राप्ति-स्थान-दि. जैन मन्दिर कोड़ियों का डूंगरपुर । विशेष-मूल रचना में प्राशाधर का नाम नहीं है पर लेनका ने गाशाचर विरचित पूजा नथ ऐसा उल्लेख किया है। ८१५२. जा पाठ-X । पत्र सं० ६-२५ । या. ६x६ इञ्च । भाषा-संस्थात, हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल X । ले०काल X । अपूर्ण । धेष्टन सं० २४४ । प्राप्ति स्थान–दिक जैन मंदिर बाजमहल (टोंक)। ८१५३. नित्य पूजा पाठ संग्रह--X । पत्रसं० २२ । ग्रा० ६३४ इञ्च । भाषा--हिन्दी पञ्च । विषय-पूजा । २० काल X 1काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० ८६ । प्राप्ति स्थान –दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना। ८१५४. नित्य पूजा भाषा---पं० सदासुख कासलीवाल-पत्र सं० ३१। आ० १३३४८. सच । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-गूजा । र०काल सं० १९२१ माह सुदी २। ले०काल सं० १९८६ कातिचा बुद्धी ८ 1 । पूर्ण । वेपन सं० ४६१ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयगुर । ८१५५. प्रति सं०२ । पत्रसं० ३६ । प्रा० ११४.७ इञ्च । ले० काल सं० १९४१ । पूर्ण । वेष्टन रा० १६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर श्री महावीर, दी। विशेष-नयनापुर में प्रतिलिपि हुई थी। ८१५६. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३६ । प्रा० १२४५३ इञ्च । लेकाल सं० १६२८ भादवा बुदी + । पूर्ण । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान--दि० जन छोटा मन्दिर बयाना । ८१५७. प्रति सं० ४ । पत्रसं० ५० । या० ११३४ ६ इञ्च । संकाल सं० १९४० ! पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ८१५८. प्रति सं० ५ । पत्रसं०५६ श्रा० १०३४८ इश्च । ले. काल सं० १९३६ ज्येष्ठ सुदी ७ । पूर्ण । वेटन सं० १६:५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । ८१५६. अतिसं०६। पत्रसं० ३४ । प्रा० १२३४६ इत्त । ले०काल सं०१६४६ । पर्ण । वेडनसं० ११४.६४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगड़ (कोटा)। ८१६०. नित्य पूजा भाषा-X । पत्रसं० १५ । आ० १०६४ ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पश्च । विषय--पुजा । र० काल - । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४७ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा। ८१६१. नित्य पूजा पाठ संग्रह- X । पत्र सं० ६० । प्रा० ११३:४६ इह । भाषा- . हिन्दी, सम्वत । विषय-पूजा पाठ । र०काल ४ । ले० काल सं० १६४७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३८-५२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। Page #901 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४० ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम माग ८१६२. नित्य पूजा वचनिका-जयचन्द छाबष्टा । पत्रसं० ५२ । प्रा० ८५४७३ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय--पूजा । र० काल X । ले० काल सं० १६३५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३८ । प्राप्ति स्थान दि० जन अग्रवाल पंचावती मंदिर अलवर। ५१६३. नित्य पूजा संग्रह - ४ । पत्र सं० ७५ । प्रा०६४१२२ इन्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-पूजा। र०काल X । ले० कालX । पूर्ण । बैटन सं० १४३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर। ८१६४. नित्य नियम पूजा-x। पत्र सं०१४ । प्रा० १०१४७१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । "हिन्दी। विषय पूजा। र०काल । ले० काल । सं० १९४२ पौष बुदी ७। पुर्ण। वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान दि जैन पार्श्वनाथ मंदिर चौगान दी। विशेष--श्री कृष्णलाल भट्ट ने लोचनपुर में लिखा था । ८१६५. नित्य नियम पूजा-- 1 पत्रसं० १४ । प्रा० १२ x ७ इञ्च । भाषा-हिन्दीसंस्कृत । विषय - पूजा। र० काल x ले०काल X । अपूर्ण वहन सं० १३३ । प्राप्ति स्थान-दि जन छोटा मंदिर बयाना । विशेष-प्रतिदिन करने योग्य पूजाओं का संग्रह है । ८१६६. नित्य नियम पूजा- पत्र सं०४३ । प्रा० १२४८ इञ्च । भाषा-सांस्कृत हिन्दी । विषय --पूजा । २० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर श्री महायार दी। विशेष--४३ से पाने पत्र नहीं है । ५१६७ नित्य नियम पूजा- x पत्रसं० १९ । प्रा०६३४५३ हन । भाषा हिन्दीसंस्कृत । विषय पूजा । र०काल | ले० काल x | पुणं । वेष्टन सं० ५४ प्राप्ति स्थान दि. जैन पाश्र्वनाथ गंदिर इन्दरगढ़ (कोटा)। ___ ८१६८. नित्य नियम पूजा - ४ । पत्रसं० ५७ । प्रा० १२४६ इन्च । भाषा संस्कृत । विषयपुजा । र०काल X । ले०काल १० १६५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर बन्दरगढ़ (कोटा) । विशेष-व्रतों की पूजाए भी है। ५१६१. नित्य -X । पत्र सं०४८ । आ.११४५१ च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। विषय-पूजा । र०कालx।।ले. काल X । पूर्ण । वष्टन सं० ११२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ८१७०. नित्य नियम पूजा--- । पत्र सं० १० । प्रा० ११ x ५३ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय- पूजा । र० काल X । ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं०५८२ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ८१७१. नित्य नियम पूजा-प सं० २४ । भाषा-संस्कृत ! विषय-पूजा । र० काल ४ ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन पंचायती मंदिर मरतपुर । Page #902 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [८४१ ८१७२, नित्य नियम पूजा--Xपत्र सं० २२ । भाषा-सस्कृत । विषय-पूजा । र०काल XI ले. काल सं. १८२२ । पूर्ण । वेष्टन सं ३१ प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष--मायाराम ने प्रतिलिपि की थी। ८१७३. नित्य नैमित्तिक पूजा-४ । पथसं० १०६ । या. ७४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । हिन्दी ! विव-पूजा । ले०काल सं० १६६८ पूर्ण ! वेणत सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान, (दो)। विशेष-बजरंगलाल ने दूदी में लिया था। २१७४. निर्दोष सप्तमी व्रत पूजा-व० जिनदास । पत्रसं० २१। या०१०४५ दश्च । भाषा--हिन्दी पद्य । विषय-पूजा। र० कालX । ले. काल X। पूरणं । बेष्टन स० २६० । प्राप्तिस्थान- दिन अग्रवाल मंदिर उदयपुर 1 ८१७५. निर्दोष सप्तमी यतोद्यापन-X । पथसं० १६ । प्रा. ११४४ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । ले. काल सं०१७४६ । पूर्ण । वेटन सं० ४३५/३५४ । प्राप्तिस्थान--दि० जैन स भवनाथ मन्दिर उदयपुर । ८१७६. निर्धारण कांड गाथा व पूजा-उदयकोत्ति-पत्र स० ४। ग्रा. ८४ ३१ इञ्च । भाषा-प्राकृत. संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । लेकाल सं० १९२३ । पूर्म । वेष्टन स. १८६ । प्राप्ति स्थान-दिन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ८१७७. निर्धारणकाण्ड पूजा -४ । पत्रसं० । प्रा० १२४७१ । भाषा हिन्दी। विषय-पुजा । १०काल सं० १८७१ भादवा बुदी ७ । लेक काल । पूर्ण । पेष्टन सं० ५१८ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष-अंत में भव्या भगवती दास कृन निवारण काण्ड भाषा भी है। इस भण्डार में ३ प्रतियां और भी हैं। ८१७८, निर्वाण कल्याण पूजा -X । पत्रसं० १५५ प्रा. ११४५ इञ्च । भाषासंस्कृति । विषय-पूजा । र काल X । ले० काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० १३५३ । प्राप्ति स्थानम. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष : भगवान महावीर के निवारण काल्याणककी पूजा है। ८१७६. निर्वाण क्षेत्र पूजा-x। पत्र सं० १२ । प्रा०६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र०काल सं० १८५१ भादों सुदी १ । ले०काल सं० १८८६ जेठ बुदी १० । पूर्ण । वेष्टुन सं० ५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मदिर करौली। विशेष-नानिगराम अग्रवाल से देवीदास श्रीमाल ने करौली में लिखवाई थी। ८१८०. निर्वाण क्षेत्र पूजा--- । पत्र सं० १७ । पा० १ ४ ५ प । भाषा-हिन्दी पद्य । वियय-पूजा र०काल x ।ले. काल सं० १८८५ चैत ददी ६ । पुरपं । बेष्टनसं० ३६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन सौगानी मन्दिर करौली। विशेष-लल्लूराम अजमेरा ने अलवर में प्रतिलिपि की थी। Page #903 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४२ ] [ प्रन्थ सूचो-पचम भाग ८१८१. निर्धारण क्षेत्र पूजा-४ । पत्रसं० १२ । प्रा० ११ x ४ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय- पूजा । र०काल सं० १८७१ । ले० काल स० १९३० । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर बड़ा वीस पंथी दौसा। ८१८२. निर्वाण क्षेत्र पूजा-४। पत्र सं० ६ । पा. १x६ इञ्च । भाषा हिन्दी । विषय -पूजा । र० काल - । ले. काल सं० १८६२ मा बुदी ७ । पूर्व। १६ । प्राप्ति--- स्थान-६० जैन मन्दिर भादवा राज० । ८१८३. निर्वाण क्षेत्र पजा-४ । पत्रसं० ११ । श्रा० ११४७३ इन्छ । भाषा-हिन्दो । विषय--पूजा । र०काल सं० १५७१ । ले०काल सं० १९६९ । पूर्ण । वेष्टन सं०५२४ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ११८४. निर्वाण क्षेत्र पूजा XI पत्र सं० १६ । मा० १३४४३ इञ्च । माषा-हिन्दी पथ । विषय-पूजा । २० काल सं० १८७१ भादवा सुदी ७ । ले०काल ४ । पूर्ग । वेपन सं० ६२४ । प्राप्तिस्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। १८५. निर्माण क्षेत्र मंडल पूजा-X । पत्रसं० ४४ १ मा० १२४४६ च । भाषाहिन्दी पच । विषय-पूजा। र. काल सं० १६१६ कातिक बुदी १३ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं. १.३ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बू'दी । ८१५६. निर्वाण क्षेत्र मण्डल पूजा-४ । पत्र स० २२ । था० ११५ x ५१ च । भाषा-हिन्दी पच । विषय-पूजा । १० काल । ले० काल XI पूर्ण : बेष्टन स० ४८४ । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर लस्कर, जयपुर । ८१७. निर्वाण मंगल विधान- जमराम । पत्र सं० २६ । प्रा० १३४५६ इन्च । भाषाहिन्दी । विषय-पूजा । र काल सं० १८४६ । ले. काल सं० १८७१ पर्ण । वेष्टन सं० ११४ । प्राप्तिस्थान—दि. जैन मन्दिर वोरसली कोटा। १८८. प्रतिसं०२। पत्र सं० ३६ 1 प्रा० ११३४६ इक्ष । ले० काल सं० १८८६ भादौ सदी १२ । पूर्ण । बेन सं० ८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन सैरहपंथी मन्दिर मालपुरा (टोंक)। विशेष-पत्र ३४ से आगे श्रीजिन स्लवन है। ८१८६. प्रतिसं०३ । पत्रसं० २२ । प्राsex६इच । ले०काल सं० १९५५ । पूर्ण । बेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर दी। १६०. नन्दि मंगल विधान-४ । पत्रसं०८ । ग्रा० १.४६१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । २०काल X । लेकालx। पूर्ण । बेष्टनसं० २६८-११७ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मंदिर कोटड़ियों का डूगरपुर। ___८१६१. मंदोश्वर जयमाल-XI पत्रसं० ८ । आ० १०३४५ इञ्च । भाषा--प्राकृत | विषयपूजा ।र०काल X । से०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०६४ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जा मन्दिर अजमेर। Page #904 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] - [८४३ ८१६२. नंदीश्वर जयमाल-४। पत्रसं०७ । प्रा० x ४ इश्च । भाषा-प्राकृत । विषयपुजा । र० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण। देष्टन सं० १३२४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर अजमेर भण्डार । विशेष-प्रशस्ति संस्कृत टीका सहित है। अष्टाह्निका पर्व की पूजा भी है। ८१६३. नंदीश्वर द्वीप पूजा-४ । पत्रसं० १६ । भाषा हिन्दी । विषध-पूजा । २० काल स० १७६ कातिक बृदी ५ ।ले. काल सं० १९४१ । पूर्ण । वेष्टन सं०७/३३२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर। ८१६४. नंदीश्वर द्वीप पूजा---x ! पत्र सं० ७३ । या-५ । भाषा-। विषय-पुजा । र०काल X । मे०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ८१६५, नबीश्वर द्वीप पूजा-। पत्रसं० ११ । भाषा संस्कृत । विषय-पुजा । २० काल X । ले०काल सं०१८६० । पूर्ण । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपथी मन्दिर बसका । ८१६६. नंदीश्वर द्वीप पूजा-X । पत्र सं० ५२ । प्रा० ७६x४. इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल ४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५०/७५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर भादवा (राज) ८१६७. नंदीश्वरद्वीप पूजा-X । पत्र स० १५ । भाषा-हिन्दी (पड़ा)। विषय---पूजा । र०काल सं०१८६६ 1 ले०काल सं० १. । परर्ण । श्रेष्टन स०२५ । प्राप्ति स्थान:-दि० जैन तेरहपथी मन्दिर बसवा । विशेष-वीर नगर में प्रतिलिपि हुई थी। १६. नंदीश्वर द्वीप पूजा उद्यापन-४ । पत्र सं० १० । ग्रा०६६x६: इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय -पूजा । र०काल X । लेकाल सं० १७३० । पूर्ण । वेष्टन ६० २६४ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन पाश्चनाथ मन्दिर चौमान दी। ८१६६. नंदीश्वर पंक्ति पूजा-म० शुभचन्द्र । पत्रसं०५-२२ । श्रा० ११४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-गूजा । र०कास ४ । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टनसं० २८० ३४७ । प्राप्ति स्थानदि० जैन संभवनाथ मदिर उदयपुर। २००. नन्दीश्वर पंक्ति पूजा---X । पत्रलं० ६ । भाषा–सांस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । ले०काल X । पूर्ण । श्रेष्टनसं० ४५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८२०१..-नंदीश्वर -४ । पत्र सं ८ । ग्रा- १०४५ञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । बेग्टन सं० २७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। ८२०२. नंवीश्वर पंक्ति पूजा-४ : पत्रसं० ११ । प्रा० १०४७ इञ्च 1 भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा। १० काल X ।ले. काल सं० १९०१ पासोज बुदी १। पूर्ण । वेष्टन सं०७७ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा। Page #905 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४४ ] [प्रन्थ सूचो-पंचम भाग ८२०३. नंदीश्वर पंक्ति पूजा----X । पत्र रा० १३ प्रा० १२४४ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-पुजा । र०काल x 1 ले०काल X । पूर्ण । देष्टन सं० ३५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बू'दी। ८२०४. नंदीश्वर पंक्ति पूज्या--- I पत्रसं०५ । प्रा० ११४५ इच । भाषा-सस्कृत । विषय--पूजा। २० काल XI से काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ३६० । प्राप्ति स्थान—भ दि० जन मन्दिर अजमेर। २०५. नंदीश्वर व्रतोद्यापन-४ । पत्रसं० ४ । प्रा० १५४ ४ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-जा । र० काल ४ । ले० काल सं० १८४४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५१३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । २०६. नदीश्वर द्वीप पूजा-४ । पत्रसं० १० । प्रा० १०६x४ इन्च । माषा-संस्कृत । विषय-पुजा। र० कालX ।ले०काल सा १९०५। पूर्ण । वेष्टमसं० ३०१ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान बूदी। १७. मंदीर पूजा मत पत्र ३६ । प्रा० १२४ ८ इन्न । भाषा हिन्दी पञ्च । विषय-स्तोत्र । २० काल सं० १९८५ सावन सुदी १ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं १२६ । प्राप्ति स्थान-६. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ८२०म. प्रतिसं०२। पनसं० ४१ । प्रा० १२३४६१ च । लेकाल x पूर्ण । वेष्टन सं. १०। प्राप्ति स्थान भ. दि.जैन अग्नवाल मंदिर उदयपुर । २०६. प्रति सं०३ । पत्रसं. ५७ 1 ग्रा० १११४५ इन्च | ले०काल सं० १६०४ सावण सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५ । शान्ति स्थान-दि जैन तेरहपंथी मन्दिर मालपुरा (टोंक) ८२१०, प्रति सं०४ । पत्र सं० ४३ । पा० १०३४४ इच। ले० काल - । पूर्ण । बेष्टन सं० ५०६ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । २११. नंदोश्वर पूजा-डालूराम । पत्र सं० १८ । प्रा० ११३४७ इञ्च । भाषा हिन्दी । विषय-पूजा । २० बाल सं० १८७६ । लेकाल सं० १९४१ । पूर्ण । घटन सं० १७५ । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन खडेलवाल भन्दिर उदयपुर। ८२१२. प्रति सं० २। पत्रसं०१४ । या० १२.X८ इञ्च । ले०काल सं० १९३४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खंडेलवाल भन्दिर उदयपुर । E२१३. प्रतिसं०३। पथ सं० २। प्रा० १२९४८ इञ्च । ने०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं. १७८ । प्राप्ति स्थान ... दि. जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष--धानतराय कृत है। ८२१४. प्रति सं० ४ । पत्रसं० १५ । या० १२४७१ इञ्च । ले०कास सं० १६१७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२५ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन स्वडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ८२१५. प्रति सं०५१ पत्र सं० १४ । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थानदिन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । Page #906 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [८४५ ५२९६. सि सं. ६ । असं २६ । प्रा. १७४६३ इञ्च | लेकाल रां० १९६२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन खंडेलवाल मंदिर उदयपुर । बिशेष-मामेट के ब्राह्मण किशनलाल ने प्रतिलिपि की थी। ८२१७. प्रति सं०७ । पत्र सं० १६ । श्रा० १२१४६३ च । ले० काल सं० १९८३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१७.६७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ८२१८. नंदीश्वर पूजा-रलनंदि । पत्र सं० १६ । आ०११४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत्त । विषय-पूजा । रवाल x। ले. काल X । पूर्ण । बेष्टन स० १६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर दबलाना दी। ८२१६. नंदीश्वर पूजा-X । पत्र सं० १२ । श्रा० ११४५५ । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । २० कालxले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जनमन्दिर अजमेर। ८२२०. नंदीश्वर पूजा-४ । पत्र सं० ५। प्रा० १.३४५ इन्च । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय- पूजा । र०काल x । ले० कास x पूर्ण । वेष्टन २०१८७७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जंग मन्दिर अजमेर । १२२१. नंदीश्वर पूजा--X । पत्रमं० २ । आरु १२४५३ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय - एजा। र. काल Xले-काल X । पूर्ण | बेन सं०११। प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर मादिनाथ स्वामी मानपुग (टोंक)। ८२२२. नंदीश्वर पूजा-४। पत्र सं०७ । प्रा०१०४५ इञ्च । भाषा संस्कृत | विषय-पूजा । र० काल' - । ले० काल सं० १८२१ मंगसिर बुदी १४ । पूर्ण । बेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर दालाना दी। विशेष-सुरोज नगर में पार्श्वनाथ चैत्यालय में प्रतिलिगि हुई थी। ५० पालमदास ने जिनदास के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। २२३. नंदीश्वर पूजा-- । पत्रमं०१ । भाषा-संस्कृत ! विषय -पूजा । २० काल ४। ले०काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ६२७ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८२२४. नंदीश्वर पूजा-X । पत्र स०३। ग्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय - पूजा । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६-१०८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ८२२५. नंदीश्वर पूजा-४ । पत्रसं० ६० प्रा० १०४ इच। भाषा-हिन्दी। विषय - पूजा । र० का X । ले०काल X । पुर्ण । बेष्टन सं० ३६८ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर बोरमली कोटा । २२६. नंदीश्वर पूजा (बड़ी)-x | पत्र सं० ६७ । प्रा० = ४७ इञ्च। भाषा-हिन्दी पश्च । विषय-पूजा । १० काल । ले० काल पूर्ण । वेष्टन सं० १८६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। Page #907 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्य सूची-पंचम भाग २२७. मंटोश्चर पसा विधान- पत्र सं० ४५ । पा. ११४८ इन्च । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल x। ले०काल स. १९३५ सावरण बुदी ४। पूर्ण। वेहन सं० ४६। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष-- इस पर वेष्टन संपच्या नहीं है। ८२२८, नंदीश्वर द्वीप उद्यापन पूजा-xपत्र सं० १७ । प्रा०८४४ इन्च । भाषासंस्कृत। विषय-पूजा। र०कालX । लेकाल' सं० १८५७ चैत बुदी। पूर्ण । वेष्टन सं०७६-४६ । प्राप्ति स्थान--दि०. जैन मन्दिर टोडारायसिंह (टोक) । विशेष--५० शिवजीराम की पुस्तक है तक्षकपुर में प्रतिलिपि की गयी थी। ८२२६. नन्दीश्वर द्वीय पूजा-पं० जिनेश्वरदास । पत्र सं० ६७ | श्रा० १३ x ८ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय पूजा । र. काल: । ले. काल सं. १८२१ । पूर्ण । वेष्टन सं. ४८/१०२ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा (राज.) । ८२३०, नंदीश्वर द्वीप पूजा-लाल ।। पत्रसं० ११ । आ. १०४६. इन्छ । भाषा - हिन्दी पछ । विषम-पूजा। र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर नैणवा। ८२३१. नन्दीश्वर द्वीप पूजा-विरवीचन्छ । पत्रसं० ४४ । प्रा० ८४६ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषम-पूजा । २. काल सं० १६०३ । ले०काल स०१९०४ । पूर्ण । येष्टन सं० १०६, १३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर भादवा (राज.) । विशेष-विरधीचन्द मारोठ नगर के रहने वाले थे। ८२३२. नन्दीश्यर द्वीप पूजा--- । पनस० ३३ । भाषा हिन्दी । विषय-पूजा । र०काल XI ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६७ । प्राप्ति स्थान -दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष -दौलतराम कृत बहाला तथा नित्य पूजा भी है । ८२३३, नैमित्तिक पूजा सग्रह-- । पत्रसं० ५२ । प्रा० ११४४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x | ले. काल ५ ।पूर्ण: वनस. १३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर आदिनाथ स्वामी मालपुर (टोंक) । विशेष-निल प्रजानों क संग्रह है दण लक्षण पूजा, मुल संपत्ति पूजा, पंचपी वत पूजा, मेघमाला व्रतोद्यापन पूजा, कर्मचूर व्रतोद्यापन पूजा एवं अनंत त पूजा 1 १२३४. नैमित्तक पूजा संग्रह-- । पप सं० ६१ । प्रा० १२६४६१ च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । २० काल . । ले०काल ४ । पूर्व । वेष्टनसं० १२० । प्राप्ति स्थान--- दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष-दश लक्षण, रत्न एवं सलल कारण आदि पूजा हैं। ५२३५. पक्ति माला-४ । परा ८६ | भाषा-हिन्दी । विषय-पुजा । २० काल x . ले०काल सं० १७५६ । अपूर्ण । वन सं०६३ । प्राप्ति स्थान-द. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #908 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [८४७ विशेष-बीच २ के पत्र नहीं हैं । संख्या दै. हुई है । ८२३६. पंचकल्याणक उधापन-गुजरमल ठग । पत्र सं०७४ । ना.४५ ३० । भाषा-हिन्दी (पद्य), विषय-पूजा । र० काल XI ले काल। पूणे । वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर कोटयों का नैरावा। ८२३७. पंच कल्याणक उद्यापन- । पत्रसं० ३१ । प्रा० १.४४ पशु । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषा-पूजा । र०कालX । ले० काल सं० १९४० । पूर्ण । वेष्टन सं०८७ । प्राप्ति स्यान-दि. जंन मन्दिर कोल्यों का नेगवा । ८२३८. पंच कल्याणक पूजा-टेकचंद । पत्र सं० ३३ । प्रा० १२३४५६ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-पजा । र काल xले०काल सं० १९८५ । पूर्ण । चेष्टनसं० ६०० । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर लगकर जयपुर । ८२३६. प्रतिसं० २ । पथ सं० २२ । ले० काम सं० १९२२ । पर्श । वेष्टन सं०७६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । ८२४०. प्रतिसं०३। पत्र सं० १६ । श्रा० ११४७ इन्च । क्षे० काल X| अपूर्ण । देष्टन सं. ३०। प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। ८२४१. पंचकल्याणक पजा-प्रभावद। पत्रसं० १३ । प्रा०१०४७ इश्च । भाषा-- संस्थत । विषय-पूजा । र० काल x 1 ले०काल सं० १९३८ । पुणे । बेष्टनसं० १७.१२ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । विशेष-लिखितं नम्र सलूवरमध्ये । लिखापितं पंडित जी श्रीलाल चिरीब । शुभ संवत् १९३८ वर्षे शाके १८.३ प्र मास पौष युदी १२ । ८२४२. पंच कल्याणक पूजा-पं० बुधजन । पत्रसं० ३४ । आ० १०४६ इन्न । भाषाहिन्दी गय । विषय-पुजा । र०काल x 1 ले०काल सं० १९३३ अषाद सुदी २ । पूर्ण । बेष्टन सं०६०-३४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन बडा बीसपथी मन्दिर दौसा। विशेष—णिवक्स ने प्रतिलिपि की थी। १२४३. पंचकल्याणक पूजा-रामचन्द्र। पत्र सं० १९ । मा०६४५ इन्च । भाषा हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल ४ ले० काल सं० १८२२ ज्येष्ठ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन स. १४४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष-कुभेर नगर में प्रतिलिपि हुई थी । चौबीस तीथंकरों के पंच कल्यागाक का वर्णन है। ८२४४. पंच कल्याणक- वाविभूषण (भुवनकोति के शिष्य) । पत्र सं० १९ । प्रा. १०.४४, च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र०कास ४ । लेखकाल मं० १७१३ । पूर्ण । वेपन सं. ५५। प्राप्ति स्थान--दि जैन वंडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ८२४५. पंच कल्याणक पूजा-सुधा सागर । पत्र सं० १५ । आ० १२५३ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । लेकालX । पुरणं । वेष्टन म ५५ । प्राप्ति स्थान-. दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। Page #909 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४८ ] [प्रन्थ सूची-पंचम माग ८२४६. प्रतिसं० २। पत्र सं० १६ । सा०७३४५६ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान ब्रदी । विशेष-प्रथम ५ पत्रों में पाशाघर कृत मंच कल्याणक माला दी हुई है । ८२४७. प्रति सं० ३ । पत्र सं० २४ । पा० १०३ x ४१ इन्च । लेकास सं० १८४४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६२। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष -- सदासुख ने बोटा के लाडपुरा में प्रतिलिपि की थी। लोकानास ग्रहोत्तमे सुनियो जातः प्रदीपस्सदा । सद्रत्नत्रय रत्नदर्शनपर: पापे धनी नाशकः । श्रीमछी श्रवणोत्तमस्यतनुजः प्रागवाट संशोभयो। हंमाख्वाय ततः प्रयच्छतु सतान' श्री सुबासागर । ८२४८. प्रतिसं०४ पसं.२१ । प्रा०९.X६ इञ्च । लेकाल सं० १९०३ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष-गुजराती ग्राह्मण हीरालाल ने प्रतिलिपि की थी। ८२४६. प्रति स० ५। पत्र सं०१२। लेकाल सं०१९०२ । पूर्ण । वेष्टन सं०५४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन तेरहपंथी सदा । ८२५०. प्रति सं० ६ । पत्रसं० २१ । ले. काल सं० १९२० । पूर्ण । बेष्टन सं० ५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैग तेरहपंथी मंदिर बमवा । ५२५१. प्रति सं०७ । पत्र स० २१ । प्रा० १.१४५ इञ्च । ले० काल सं० १७८. पोप सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा । ८२५२. पंच कल्याणक पूजा-सुमति सागर । पत्र सं० १५ । प्रा० ११४६१ इंच । भापा-संस्कृत । विषम'--पूजा । २० काल ।ले० काल सं. १८१७ कातिक खुदी ११ । पूर्ण । येष्टन सं. ११० । प्राप्ति स्थान- दि जैन पंचायत। मंदिर बयाना । विशेष---महाराष्ट्र प्रदेश में बल्ल मपुर में नमीश्वर चैत्यालय में अन्य रचना हुई थी । लालचन्द पांडे ने करौली में भूरामल के लिये प्रतिलिपि की थी। ८२५३. प्रति सं०२। पत्र स० १४ । प्रा० १३१४६४ इन्च लेकात x पूर्ण । बेष्टन सं. ५०-४४ । प्राप्ति स्थान दिः जन साँगाणी मन्दिर करौली। ४२५४. प्रति सं० ३ । १स १६ । ले०काल X । पूर्ण । बेष्टनसं० १२३ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८२५५. पंच कल्याण पूजा चन्द्रकीत्ति । पत्रसं० २६ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल x | ले० काल ४ । पुणे । वेपन सं० १२४ । प्राप्ति स्थान-दि. जन पंचायती मन्दिर भरतपुर। ८२५६. पंच कल्याणक पूजा-X । पत्रसं० १६ । प्रा० ११३४४३ इच । भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा । र०का x काल । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर मादिनाथ बूदी। Page #910 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [८४६ ८२५७. पंच कल्यापक पूजा-x पत्र सं० २४ । प्रा.१.४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -पूजा । ० काल x I ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर भभिनन्दन स्वामी दी। ८२५८. पंच कल्याणक पूजा-X । पत्रसं० १७ । प्रा० ११.४५ इञ्च । भाषा -सस्कृत । विषय - पूजा 1 रस काल Xले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। ८२५६. पंच कल्याणक पूजा-XI पत्र सं० १८ । आ०१०:४५ इञ्च । भाषा--संस्कृत । विषय-पूजा। र०काल ४ । ले. काल X पूर्ण । वेटन सं० ८३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। ८२६०. पंच कल्यारणक पजा-X । पत्र सं० १५ । भा० १०४७१ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र०काल । लेकाल' X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान–दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । २६१. पंच कल्यारएक पजा-र । पत्रसं० २५ । प्रा० १०४४. इक्रम । भाषासंस्कृत । विषय---- पूजा । र.काल x | लेकाल सं० १९०१ श्रासोज बुदी १० । पुर्ग । बेष्टम सं० ३२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बोरसली कोटा । ८२६२, पंचकल्याणक पूजा-xपत्र सं०१४ । प्रा० x ६ इश्य । भाषा संस्कृत । विषय पूजा । २७ काल - । ले. काल सं० १८१७ बैशाख मुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७८ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । १२६३. पंच कल्याणक विधान-मट्टारक सुरेन्द्र कौति ४ । पत्रगः ४६ । प्राsex४ इथ । भाषा - संस्कृत 1 विषय-पूजा । र०काल XI ने काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० २३४ । प्राप्तिस्थान दिन जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ८२६४, पंच कल्याणक पूजा-x। पत्रसं० १८ । पा० ११४७, इन। भाषा-हिन्दी । विषय -पजा । र० कालX । ले० काल X पूर्ण । वेष्टन सं० १२२४ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ८२६५. पंच कल्यास पूजा-x1 पत्र सं १३ । ग्राम १०x४ इश्य । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा २० बाल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७३ । प्राप्ति स्थान भादि जैन मंदिर अजमेर। E२६६. पंचकल्याणक पूजा--X । पत्र सं०२० । प्रा० १०'४५४ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र०काल X । ले०कास ४ । पूर्य । वेन सं. ४७९ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर ८२६७. पंच कल्याणक पूजा--X । पत्रसं०३७ ! प्रा० १०५६ इञ्च । भाषा हिन्दी पद्य । विषम-पूजा । र०काल X । ले०काल सं० ११७ भादवा बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं०१०। प्राप्तिस्थान--दि जैन तेरहपंथी मन्दिर नणवा । Page #911 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५२६८. पंच कल्याणक पजा-X । पत्रसं०१६ । श्रा. ६४६ इभ । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र०कान X । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। १२६६. पंच कल्याणक पूजा---- । पत्र० सं० १३ । प्रा० ७१४४१ १ञ्च । भाषा-हिन्दी । पय । विषय-पजा । र०काल X । ले. काल X । अपूर्ण । तेष्टन सं० १० । प्राप्ति स्थान-दि० जम मंदिर बनाना (बूदी)। विशेष -- कल्याणक तक ही पजा है। आगे लिखना बन्द कर दिया गया है। १२७०. पंच कल्याणक पूजा-X । पत्रसं० २१ । ग्रा० ६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय -पजा। र० काखX । ले०काल सं० १९४४ । पूर्ण । वेशन सं० ४६३:३०४। प्राप्ति स्थानदि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । १२७१. पंच कल्याणक पूजा–x1 पत्र सं० २२ । भाषा-हिन्दी । विषम-पूजा । २० काल X । ले० काल सं० १६०५ कातिक बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जनः पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-दो प्रतियां प्रौर हैं। १२७२. पंचकल्याणक पजा.-४ । पत्र सं. ६ । प्रा०१०x४.१ । भाषा हिन्दी। विषय- गजा । काल X । लेकाल स. १६८२ । पूर्ण । बटन म ६२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । ८२७३. पंच कल्याणक पूजा जयमाल- 1 पथ सं० १० । या० १०४८ इन्छ । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र०काल ले.काल x । पूर्ण । बेन स.८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा (राजस्थान)। ८२७४. पंच कल्याणक पजा-X । पत्र सं० १५ । प्रा० १२४५ इ-४ । भांगर-हिन्दी । विषय-पजा' । २० बाल X । ले०कास सं. १८३६ । पूरी । देष्टन सं०६६-६.! प्राप्ति स्थान .-दिक जैन मन्दिर भादवा (राजस्थान) । २७५. पंच कल्याणक पजा-X । पसं०३५ । आ० ७४७ इञ्च । मापा-हिन्दी। विषय- पूजा । २० काल ४ ।काल K । पूर्ण । वेटन सं० १२ । प्राप्ति स्थान....दि. जन पचायती मंदिर करौली। विशेष—प्रति गुटकाकार है। .२७६. पंच कल्याणक पजा--XI पत्रसं० ३४ । आ. १.४४ इश्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । १०कालX । ले० काल सं० १९८४ । पूर्ण । वेष्टन स० ३४३ १.३२ । प्राप्ति स्थान दि जैन मंदिर कोटड़ियों का हुगरपुर । . ५२७७. पंच कल्याणक पूजा--X । पत्र सं० २७ । आ. ६४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पच । विषय---पूजा । २० कालX । ने. काल सं० १९०६ । पूरणं । वेष्टन सं० २१३ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर पार्वनाथ चौगान दी। Page #912 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८५१ ८२७८. पंचकल्याणक पूजा - पसं० १७ ० ६३६ भाषा - हिन्दी, विषय-पूजा २० काल X ले० काल X। पू वेष्टन सं० १३४ | प्राप्ति स्थान वि० जैन प्रती मन्दिर ८२७६. प्रति सं० २०० १६० १२४७ इन्च । ०काल प्रपूर्ण वेटन सं० १४४ | प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । ८२८० कल्याणक विधानहरीकिशन - भाषा हिन्दी गद्य विषय पूजा र०काल सं० १८८० अषाढ सुदी १६२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी। - ८२८१. पंच कल्याण व्रत टिप्पण - XI पत्र विषय-पूजा विधान २० काल- X ० काल x पूर्ण दि० जंग मन्दिर कोटडियों का ढूंगरपुर । --- पत्रसं० २९ ० १४७ १५ । ले०काल x | पूर्ण न सं० विषय पूजा २० काज - x ८२८२. पंचज्ञान पूजा-पत्र ०५ भाषा हिन्दी से० काल - X। पूर्ण न ० ६६४ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायत मन्दिर भरतपुर । [सं० ४ आ० X भाषा - हिन्दी । वेष्टन सं० ४२० प्राप्ति स्थान ८२८५ पंच परमेष्ठी पूजा- यशोनन्दि संस्कृत विश्व पूजा । २०कान X ले० काल सं० १८५२ भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । I ८२८२. पंचगुरु गुरणमाला पूजा - न० शुभचन्द्र पत्र [सं० १६० ११४३ भाषा - संस्कृत विषय पूजा १२० काल X | ले० काल X | पूर्णां । वेन सं० ५२ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर बोरमली कोटा | ८२८४. पंच परमेष्ठी पूजा - भ० देवेन्द्रकीर्ति 1 पत्रसं० ७ संस्कृत विषय-पूजा । ५० काल X ०काल २० १६३८ । पूर्ण स्थान जैन मन्दिर कोटडियों का इ गरपुर । । X 1 ०६४६ इच। भाषान ० ५१ प्राप्ति पत्र सं० ३२ । ग्रा० ११५ पूर्ण ८२८६. प्रति सं० २ । पत्र सं० २५ श्र० १२३४५] इन्द्र मे०का बुदी १३ टन मं० १४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी विशेष- पं० शिवलाल के पडनार्थ रामनाथ भट्ट ने मालपुरा में प्रतिलिपि की थी। प्राप्ति स्थान - ० १८८७ माघार मलपुरा (टोंक) । ८२६७ प्रतिसं० ३ । पत्र स० ३१ आ० १३५) इच ने० काल X पूर्ण । वेष्टन ० १५७ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन खण्डेलवाल पंचायती मन्दिर अलवर | २८ प्रतिसं० ४ पत्रसं० ३६ प्रा० १७ इस ले० काल X पूर्ण देन सं० ०५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर | ८२८६ प्रतिसं० ५ । पत्रसं० ४० आ० ११x६३ इव । ले० काल सं० १८१७ भादवा सुदी ५ पूर्ण वेष्टन [सं० प्राप्ति स्थान दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । विशेष - उदयराम के पुत्र रूरो ने ग्रंथ की प्रतिलिपि बयाना में करायी थी । Page #913 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम माग ८२६०. प्रति सं० ६ । पत्र सं० २६ । ले. काल सं० १८५६ जेठ सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १९ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पचापती मंदिर भरतपुर । ८२६१. प्रति सं०७। पत्रसं० २५ । प्रा० ११३४४३ इञ्च | ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०८८ । प्राधि- स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसनी कोटा । ८२६२. प्रति सं० ।। पत्र सं०३८ । या १०३४६ इन्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ११६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर करौली। ८२६३. प्रति सं०६ । पत्र सं० २८ | प्रा. ११४५३ इश्व । ले. काल स० १८३५ जेठ सदी । गणं । वेष्टन सं० ३५१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। ८२६४. प्रतिसं० १० । पत्र सं० २७ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले०काल x पूर्ण । प्रेष्टन सं. ६३८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर सपकर,जयपुर । १२६५. प्रतिसं० ११ । पत्र सं०३७ । ग्रा० १०.४५ दश्च । ले० काल सं० १९०५ । पूर्ण । बेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बूदी। ८२६६. प्रतिसं० १२ । पत्र सं० २७ । प्रा० १०३४७१ इञ्च । ले०काल x। पुर्ण । वेष्टन २०१०४ । प्राप्ति स्थान . दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ८२६७. पंच परमेष्ठी पूजा-भ० शुभचन्द्र । पत्रसं० २४ । आ० ५६४४९इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा। पर । से मात दशः ४५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा । अंतिम प्रशस्ति श्री मूल संचे जननंदसंघ । तया भवड़ी विजादिकीति । ततपट्टधारी शुभचन्द्रदेव। कल्यानमात्मा कृताप्तपूजा । १२ । विशेष-श्री लालचन्द्र ने लिखा था। ५२६८. पंच परमेष्ठी पूजा-टेकचन्द । पत्र सं०७। प्रा. Ex६: च । भाषाहिन्दी पख । विषय-पूजा। र० काल x। ले. काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० २२८११ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डुगरपुर । E२६६. प्रति सं० २ । पत्रसं० ३३ । प्रा. ११४५३ इञ्च । लेकाल सं० १८६६ । पूर्स । वेशन सं० २६ । प्राप्ति स्थान दि. जैन खंडेलवाल मंदिर उदयपुर । ६३००, प्रति सं०३ । पत्र सं० १५ । प्रा० १२४६ इञ्च । ले० काल सं. १८५६ । पूर्ण । वेतन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान–दिक जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-उदयपुर में नगराज जोशी ने प्रतिलिपि की थी। ८३०१. प्रति सं०४ । पत्र सं० ३३ । ले० काल सं० १८५५ । पूर्ण । वेष्टन स. ३७८/३०७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ८३०२. प्रति सं० ५ । पत्र सं० ३३ । प्रा० ११४४ इञ्च । लेकाल मं०-१८५५ । पूर्ण । बेष्टन सं०४४६-३१० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपूर । Page #914 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८५३ ८३०३. प्रति सं०६। पत्र सं० १२ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन स. १२२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८३०४. प्रति सं०७ । पत्र स० ३४ । प्रा.१६x४२ इन्च । ले. काल XI पूगं । वेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर। ८३०५. प्रति सं० ८ । पत्रसं० १५ । प्रा० १२४७ इञ्च । लेकास सं०-१९३५ फागुण सुदी ६। पूर्ण । वेष्टन सं०५० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर श्रीमहावीरजी (दी)। विशेष- ईसरदावासी हीरालाल भावसा ने लिनवाया था। ८३०६. पञ्च परमेष्ठी पूजा-डालूराम । पत्रसं० ४० । पा० १०३४५३ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय - पूजा। र० काल सं० १८६२ मंगसिर बुदी ६ । मे०काल सं० १९४८ कार्तिक बुदी २ । पूर्ण । देष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पाश्वनाथ मंदिर दोडारायसिंह (टोंक)। १३०७. प्रतिसं० २१ पत्र सं०३.inax लेकम सं. १५ोल दी १०। पुर्ण । वेष्टन सं०४४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन तेरहपंथी मंदिर मालपुरा (टोंक)। ८३०८. पतिसं०३ । पत्र सं०३० । पा० १२.४८ इञ्च । लेकाल सं० १९६१ आषाढ़ सुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं०४८७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लश्कर जयपूर । ८३०६. प्रतिसं०४ । पत्र सं० २२ । ग्रा० १४४७१ इञ्च । लेकाल सं० १९६१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान-दि जन तेरहपंथी मंदिर नणया । ८३१०. प्रति सं० ५। पत्रसं० ४७ । मा० १०६४५६ इन्च । लेकाल ४ । पूर्ग । बेधुन सं० २५४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर पाश्र्वनाथ इन्दरगढ़ (कोटा)। ८३११. प्रतिसं०६ । पत्र सं०४१ । प्रा० १x६ इञ्च । ले०काल सं. १८७६ थावरण बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा (राज.) । विशेष--भादवा में प्रतिलिपि हुई थी। ८३१२. पंच मंगल पूजा-पत्र सं० ३४ । ग्रा. ११४१११ इन्च । भाषा हिन्दी । विषय - पूजा । र० कालX । ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २८४-१११ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ८३१३. पंच परमेष्टी पूजा-बुधजन । पत्र सं० १९ । मा० १०४६.५ इञ्च । भाषा हिन्दी। विषय-- पूजा । र०काल ४ाले० कान ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन से रहपंथी मन्दिर दौसा । ८३१४. पंच परमेष्ठी पूजा-४ । पत्र सं० १३ । प्रा० ३४५६ इच। भाषा- संस्कृत । विषय--पूजा। र०काल X ।ले० काल सं०-१८६६ । पूर्ण । वेपन सं० ३८५-१४४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर कोटड़ियों का हूंगरपुर। ८३१५. पंच परमेष्ठो पूजा । पत्रसं०१६ | प्रा० ११ ४ ५ इच। विषय-पूजा । भाषासंस्कृत । र० काल' X । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३९५-१४६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर कोड़ियों कागरपुर । Page #915 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ५३१६. पंच परमेष्ठी पूजा x पत्रसं० ४० । भाषा-संस्कृत । र काल x ले. काल सं. १९५८ । पूर्ण । वेटन सं० ११५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-'भावती नगरी में प्रतिलिपि की गई थी। ८३१७. पंच परमेष्ठी पूजा - । पत्रसं० २५ । भाषा--- संस्कृत । विषय-पूजा । ले०काल१८५७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८३१८. पंचपरमेष्ठी पूजा X । पत्रसं० २-५ प्रा० १०x४३ इन्च भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । लेकाल सं० १६६५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३५६ । प्राप्ति स्थान -- दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है। नागराज लिखतं । संवत् १६६५ वर्षे माषाढ़ मासे कुष्णपक्षे पंचभीदिने गुरवासरे लिन तं । ८३१६. पंचपरमेष्ठी पजाxपय सं४। प्रा०१५५इश्च । भाषा-सस्कृत विषमपूजा । र काल ४ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २७६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन भग्नवाल मंदिर उदयपुर । ८३२०. पंच परमेष्ठी पूजा X । पत्र सं० २ । भाषा-संस्कृत । विषय - पूजा । २० काल X । ले०काल X । पुरी। बेष्टन सं० ३७६-३०८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ८३२१. प्रति सं०२ । पपसं० ४। ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७६-३०६ । प्राप्ति स्थान- दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्राचार्य सोमीन ने प्रतिलिपि की श्री। ८३२२. पंच परमेष्ठी पूजा - । पत्र सं० १६ । प्रा० १०.५, इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय- पूजा । २० काल X । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० १४.५ । प्राप्ति स्थान ..-दि जैन मंदिर दवलामा (दी)। विशेष-देवेन्द्र विमल प्रतिलिपि की थी। ८३२३. पंच परमेष्ठी पूजा । पत्रसं० २६ । आ० ५१ . ५ इञ्च । भाषा संस्कृ । विषय -- पूजा । र०काल x | ले०काल ४ । पूर्ण न स. १६४ । प्राप्ति स्थान-विजैन मन्दिर आदिनाथ ढू दी। ८३२४. पंच परमेष्ठी पूजा X । पत्रस. ३६ । प्रा० १११४ ५.१ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-पजा । र०काल X । ले० काल X । श्रपूर्ण । बेष्टन म'. ७ । प्राप्ति स्थान दिजन मन्दिर प्रादिनान स्वामी मालपुरा (टोंक) । ६३२५. पंच परमेष्ठी पूजा-xपत्र सं० ३५ । प्रा०६:४६: इश्च । भाषा - हिन्दी । विषय- पूजा । २० काल x | ले. काल सं० १८७४ भादवा सूदी ५ 1 पूर्ण । वेष्टन सं०११४६ । प्राप्ति स्थान-५० दि जैन मन्दिर अजमेर । ८३२६. पंच परमेष्ठी पूजा X । पत्रस० ३६ । ED EX४ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय... पूजा । र काल सं० १८६८ मंगसिर सुदी ८ । लेकाल सं०-१८८६ ज्येष्ठ बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३०० । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर। Page #916 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८५५ ८३२७ पंच परमेष्ठी पूजा - । पत्रसं० २८ । प्रा०६x६ इञ्च । भाषा- संम्बृत्त । विषयपूजा । २० काल--४ । ले०काल X । पूर्णं । वेष्टन सं० ११३७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ८३२८. पंच परमेष्ठी पुजा x पत्र सं०४ । प्रा० ११४५० च । भाषा-हिन्दी। विषय पुजा । २० काल x 1 ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १०३। प्राप्ति स्थान--म. दि० जैन मन्दिर अजमेर। ८३२६. पंच परमेष्ठी पूजा-४ । पत्रसं० १३ । प्रा० १:४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र ० काल ४ । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टनसं० ३१५६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर भावजा (राज.) ८३३०. पंच परमेष्ठी पूजा-x। पत्रसं० ३३ । प्रा. १.४६३ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्य) । विषय-पजा । र०काल ले०काल पूर्ण । वेष्टन सं०१२६ । प्राप्ति स्थान-दि० भतेरहपंथी मदिर दौमा । विशेष-प्रति चूहों ने खा रखी है। . १३३१. पंच परमेष्टी पूजा.X । गत्रसं०४२ । ना १०.४५ इञ्च । भाषा- हिन्दी पर । विषय-पूजा । र०काल x | लेकमाल ४ । अपूरमं । वेपन सं० १५ । प्राप्ति स्थान - दि जैन बडा बीसाथी मन्दिर दौसा। ८३३२. पंच परमेष्ठी पूजा-x। पत्रसं० ३७ । श्रा० ११४६ इन्च । भाषा हिन्दी पर्छ । विषय-पजा । र० काल ४ । लेकाल सं० १.१८ । परम् । बेष्टन मं० १२५ 1 प्राप्ति स्थान...दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलबर। ८३३३ प्रतिसं० २। पत्र सं०४६ । मा० ११३४५६ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । बेम सं० १२१ । प्रादि स्थान----दि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । ८३३४. प्रति सं० ३ । पत्रसं० ४४ । ग्रा. +४६ इञ्च । ले०काल सं० ११५.६ कार्तिक बृदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४७ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ८३३५. पंच परमेष्ठी पूजा--- । पत्रसं० ५० । पा० १२:४७३ इञ्च । माया हिन्दी पन्छ । विषा-विधान । र काल ४ ! ले०काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ७२ । प्राप्ति स्थान दि जैन अग्रवाल पचायती मन्दिर अलवर। E३३६. पंच परमेष्ठी पजा---४ । पत्रस ३६ । प्रा० ११x६ हश्च । भापा [दी पच । विषय -पूजाः । र०काल सं० १८६२ । लेकाल सं० १९२६ । पूर्ण : वेष्टनस. १५६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन खंडेलवाल पंचायती मन्दिर अलपर । विशेष--प्रलबर में प्रतिलिपि की गई थी। एक प्रति और है जिसकी पत्र सं २ है। ५३३७. पंच परमेष्ठी पूजा-४ । पत्रसं० ५२ । प्रा. ६x६२ इन्च । पः- - दी। विषय--पुजा। र०काल सं० १८६२ मार्गशीर्ष दुदी ८ 1 ले. काल X । पूर्ण । वेष्टनमः २२.१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) Page #917 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५६ ] [प्रन्थ सूची-पंचम भाग ८३३८. पंच परमेष्ठी नमस्कार पूजा-४ । पत्रसं० ७ । प्रा० x ४ इश्व । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा। रकाल - । ले० काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ३६१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन अनवाल मन्दिर अदपपुर । ८३३६. पंचबालयती तीर्थकर पूजा-x | पर सं० १०। प्रा.८४४, इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-पूजा। र०काल - । लेकाल x । पूर्व । वेश्त सं० ५६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्वर जयपुर। ८३४०. पंचमास चतुर्दशी व्रत पूजा- पत्र सं०८ । पा.६१४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -पूजा ! काल ४ । ले० काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर राजमहल (टोंक) १३४१. चिमास चतुर्दशी व्रतोद्यापन-भ० सुरेन्द्रकीत्ति । पत्र सं० ५। प्रा० ११:४५ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय - पूजा । २० काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बदी। ८३४२. प्रति सं०२ । पत्रसं०६। प्रा. t३४४१ इञ्च । ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं. ८१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। ८३४३. पंचमास चतुर्दशी बलोद्यापन--X । पत्रसं० ५ । प्रा० १०.४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । २०काल X । ले काल x । पूर्ण । वेष्टन स -१०:३४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन सौगाणी मन्दिर करौली। ३४४. पंचमास चतर्दशी प्रतोद्यापन-..xपत्रसं०८ | प्रा० १०.x६} इच। भाषासंस्कृत । विषय - पूजा। र० काल x . ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं. ५१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर करीली। ३४५. पंचमास चतुर्दशी व्रतोद्यापन विधि- x पसं. ४७ मा १०४४१ हश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २०.काल ले० काल स. १८८६ सावरग सुदी १३ । पूर्ण । बेटन सं० १२० । प्राप्ति स्थान - दि. जैन पंचायती मन्दिर कशैली। विशेष-जलाल मोकलचन्द बंद ने पंचायती मन्दिर के लिए बालमुकुन्द से प्रतिलिपि करचाई थी। ८३४६. पंचमी विधान-x पत्रस १३ । प्रा० ११५७ ईश्च । भाषा-सस्कृत । विषयपूजा। र० काल X । ले० काल । पूर्ण। बेष्टन सं० ११२ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ८३४७. पंचमी व्रत पूजा - कल्याण सागर । पत्र सं. ६ । प्रा०१.१६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय -पूजा। र०कालले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूदा । अन्तिम पाठ तीर्थकरा सकलल कहितंकरास्ते । देवेन्द्र दहिता सहिता गुणोघं । Page #918 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [८५७ वृंदावती नभशता वशतां शिवानी कुर्वतु शुद्ध वनितासुत वित्तजानि ॥१॥ जगति विदति की रामकीतष शिष्यो जिनपतिपदभक्ती हर्षनामा सुधरि । रचित उदयसुतेन कल्याण भूम्ने विथिरूप भबनी सा मोक्ष सौख्य ददातु ॥२॥ ८३४८. पंचमी व्रत पूजा--। पत्र स० ३ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा । र०कान xले०कास ४ । पूयं । वेष्टन सं० ३५६ । प्राप्ति स्थान .. दि. जैन मन्दिर प्रजमेर भण्डार । ८३४६. पंचमी व्रतो पूजा–x । पत्र सं. ६ । प्रा० ११४५ इंच। भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र० काल X । से० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४४ । प्राप्ति स्थान–दिक जैन मंदिर राजमहल (टोंक) २३५०, पंचमी व्रत पूजा-- । पत्र सं० ५ । प्रा० १.३४४ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x । ले०काल ४ ! दुल . ! प्राप्त स्थान-- पैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी दी। विशेष- महाराज श्री जगतसिंह विजयराज्ये कोटा वासी अमरचन्द्र ने सवाई माधोपुर में लिखा था। ८३५१. पंचमी व्रत पूजा--- । पत्रसं० ७ । प्रा० १० x ६ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-- पूजा । र०काल x ले०काल 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान –दि. जैन पाश्र्वनाथ मन्दिर चौगान ब्रू दी। ३५२. पंचमी वत पजा-x। पत्र सं०७ । श्रा० १११४५, इव । भाषा संस्कृत । विषय पूजा। र० काल x 1 ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ३५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूदी। ८३५३. पंचमी व्रत पूजा-र । पत्र सं०६। आ०१२:४५. इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय -पूजा । र० काल ४ । लेखकाल स० १८५५ पौष सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन स० ८५ ६५ । प्राप्ति स्थान-दित जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष चाटसू में इंगरसी कासलीवाल बासी फागी ने प्रतिलिपि की थी। ८३५४, वचमी प्रतोद्यापन -हर्ष कत्यारा । पम सं. 2 | प्रा० १२:४६ इव । भाषासंस्कृत । विषय पुजा । र० काल X । लेकाल x | पुर्ण 1 वेष्टन सं० १०१। प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर करौली । ९३५५. पंचमी व्रतोद्यापन-x। पत्र सं० ८। प्रा० ११४४ इन्ध । भाषा संस्कृत। विषय-पूजा । १० काल x | ले०काल पूणं । वेष्टन सं०३५१ । प्राप्ति स्थान-भ. विजन मन्दिर अजमेर । Page #919 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ८३५६. पंचमी तोचापन-x। पत्रसं० ५ । मा० १०३४६ इन्च । माया संस्कृत । विषय पूजा र याल' - । ले०कास । पूर्ण । वेष्टन सं०७३७ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष- महात्मा रिबलाल किशनगढ़ वाले ने अजमेर में प्रतिलिपि की थी। ८३५७. पंचमी व्रतोद्यापन--X । पत्रसं०६ । प्रा० ८४४१ इ । भाषा-सस्कृत । विषमपजा । २० काल X । ले फाल x। पूर्ण । अष्टन सं० २०६ । प्राप्ति स्थान- दि जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ८३५८. पंचमी व्रतोद्यापन--X । पनसं०७ ! या० १.१४५१ इञ्च । भाषा-संस्तृत । विषय पूजा । र०कालX । ले०काल x | पुगे । वेष्टमसं० १७/३४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन सौगाणी मन्दिर करौली। ३५६. पंचमी प्रतोद्यापन--- ४ । पत्र सं० १० प्रा० ६x४१ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय पूजा । २० कालX । ले०कारखX । पूर्ण । बटन सं. ६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर करौली। ८३६०. पंचमी व्रतोद्यापन पुजा-नरेन्द्रसेन । पत्रस. ११ । ग्रा० ११४४. च । भाषा-संस्वृत्त । विषय-पजा । र०काल X । -ले० काल X। पूर्ण । वेषन सं०३७-१६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर मिनाय टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष....ज्वाला मासिनी स्तोत्र, पूजा एवं आरती है। ज्वालामालिनी चन्द्रप्रभ की देशी हैं। पूजा तथा भारती नररोग कुन भी है जिनका नाम मनुजेन्द्र सेन भी है। ५३६१. पंचमी व्रतोद्यापन पूजा-हर्षकोति । पत्रसं० ७ । प्रा० १३४ ६ इञ्च । भाषासस्कृत । विषय-पूजा । २० काल । ले. काल सं० १८०५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर क्लाना (दी) ३६२ प्रतिसं०२ । पर सं०६। र० कासxले० काल सं० १८३१ । पूर्ण । वेष्टन सं. ६। प्राप्ति स्थान-दि. जैन पचायती मन्दिर भरतपुर । १३६३. पंचमी व्रतोद्यापन विधि- । पत्र' सं०1७1 प्रा. १.४६ इश्व । भाषासंरकत । विषय पूजा । १० काल X । ले काल सं० १८७४ माघ सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७६ । प्राप्ति स्थान- दिल जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) बिशेष-एक प्रति और है। ५३६४. पंचमेन यूजा-शुभचन्द्र । पत्रसं० १४ । प्रा० १२३७३३ञ्च । 'माषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X • ले. काल सं० १९१४ फागुण बुदी १४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान-विजन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर। विशेष.. नधीशापुरा त्रासी बंसतलाल ने लिखी थी। ५३६५, पंचमेरु पूजा-पं० गंगादास्त । पत्र सं० १३ । मा० १०४४६ इञ्च । भाषासंस्कृत विषय- पूजा। र०काल X । ले. काल X । पूरणे । वेष्टन सं०२४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। Page #920 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] E८५६ १३६६. पंचमेश पूजा--भ० रत्नचंद । पत्र सं०५। पा० १२४५. इ-। भाषा-संस्कृत । विषय गूजा । र० काल ५ । ले०काल सं० १८६० पौष सुदी १ । पूर्ण । थेटनसं० ४१ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर प्रादिनाथ बूदी । विशेष - सवाई माधोपुर में जगतसिंह के राज्य में लिखा गया था । ५३६७. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ । प्रा० १११४६३ इञ्च । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं. १३४ । प्राप्ति स्थान – दि. जैन मन्दिर, नागदी बू दी। ८३६८. प्रति सं० ३। पर सं० ५ । श्रा० १२४५ इन्च । ले० कास स. १८३८ । पूर्ण । बेहन सं० १४२ । प्राप्ति स्थान .. दि जैन मन्दिर नागदी बू दी। ८३६६. प्रति सं०४। पत्रसं०६ । लेकाल स १८५६ । पर्स । नेष्टन सं०५१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन तेरहपंथी मन्दिर प्रसवा । विशेष - दोनों ओर के पुढे सचित हैं । ५३७०. पंचमेरु पूजा-XERसं० २ । प्रा० १. ४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काप्त X । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३७२ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ८३७१. पंच जा-X1 पत्र सं.२-६ । प्रा०x४ इन्ध | भाषा संस्जत । विषय-पूजा । र० काल X । ले. काल x। अपूर्ण । बेष्टन सं.९३ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर दूनी (टोंक)। ३७२. पंचमेरु पूजा-टेकचन्द । पत्रसं०७। प्रा- ११५४५६ञ्च । भाषा-हिन्दी पद्ध। विषय पूजा । २० काल ४ । ले माल X । पूर्ण । वेपन सं० २४५ । प्राप्ति स्थान ---दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगढ़ (कोटा)।। ५३७३. पंचमेरु पूजा-डालराम | पत्र सं० २४१ आ. ११४६ इञ्च । भाषा हिन्दी पच । विषय-पूजा। र० काल सं० १८७६ । लेकाल सं. x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ११६-८६ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ८३७४. पंचमेरु पूजा-दयानतराय। पत्रसं० ३। प्रा० ७.४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय -पूजा । २० काल xले. काल १९४२ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६७ । प्राप्ति स्थान ..वि. जैन मन्दिर लएकर जयपुर । ८३७५. पंचमेरु पूजा-भूधरदास । पत्रसं० २-५ । ना०८:४४ इन्न । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-गजा 1 २० बाल ४ । ले० याल - । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२:१२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर द्वनी टोंक) ।। .. २३७६. प्रति सं०७ । पत्र सं० ३ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३० । प्राप्ति स्थानदि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८३७७. पयमेरु पूजा-सुखानंद । पत्र सं० १६ । प्रा० १०:४७ इन्च । भाषा - हिन्दी पद्य । विषय -पूजा । र० काल x 1ले० काल स. १६३२ कार्तिक बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान-दि. जन अग्रवाल प'चायती मन्दिर प्रलवर । Page #921 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष - श्री रसिकलान जी अरूपगढ वाले ने स्यौदवस से प्रतिलिपि करवायो । ८३७८. पंचमेरु पूजा-४ । पत्र सं० ३६ : प्रा०६४ ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषयपूजा । र काल - 1 ले० काल १८७७ । पूर्ण। बेहुनसं० ५३८ । प्राप्ति स्थान-ग. दि. जैन मन्दिर अजमेर। ८३७६. पंचमेरु पूज्य--४ । पत्रसं० ३३ । भा० १२४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय- पूजा । २० बाल x । ले. काल सं० १९७१। पूर्ण । वेतन सं०४ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन अग्रवाल मन्दिर नरगवा । विशेष-मोतीलाल भौसा जयपुर वाले ने प्रतिलिपि की थी। ३५०. पश्चमेरु पूजा--४ । पत्र सं०1८: १०:६६ : भामा--भी दियपूजा । २० काल X ।ले० काल सं० १९३५ । पुर्ण । वेष्टन सं० २७१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बू दी। ८३.१. पश्चमेरु पूजा विधान-x। पत्र सं० ४४ । प्रा०६x६ इञ्च । भाषा-मस्त्रात । विषय-पूजा । र० काल ४ ।ले. काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० २४८ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा । - ८३८२. पञ्चमेर पूजा विधान-टेकचन्द । पत्रसं० ५६ । प्रा० ११३४५ इन्च । भाषा-हिन्द विषय-पजा ।२० काल ४ । ले०काल सं० १९५४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७६ । प्राप्ति स्थान-दिक बैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ८३८३. पंचमेरु मंडल विधान-x। पर्स४५ 1 प्रा०९.४७ इच। भाषा-हिन्दी। विषय-पजा । र० काम X ।ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन गं० २०८। प्राप्ति स्थान दि० बैन मन्दिर योरसली कोटा। ६३८४. पंचमेरू तथा नन्दीश्वर द्वीपा पूजा-थानमल । पत्र सं० ११ । प्रा० ८३४६ भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा विधान । र०कालX । ले०काल ४ । परम् । वैधन सं० ६५४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लस्कर जयपुर । ८३८५. पञ्चामृताभिषेक---४ । पत्रसं० ६। प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । 70 काल्य । ले०काल सं० १८७० । पूर्ण । वेष्टन सं०६१। प्राप्ति स्थान-दि. जन पंचायती मन्दिर दनी (टोंक) । विशेष-५० शिबजीराम ने महेश्वर में प्रतिलिपि की थी। ८३६६. पद्मावती देव कल्प मंडल पूजा-इन्द्रनन्दि । पप्रसं० १६ । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र०काल ४ । ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २३८७, पद्यावती पटल-४ । पत्रस० ३२ । प्रा०७३४ ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - पजा । र०काल X1 ले काल । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-भा दि. जैन मन्दिर अजमेर। Page #922 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] शेट ८३८६ पद्मावती पूजा टोपण पत्र सं० २७० ९४५३ इंच भाषा संस्कृत | विषय-पूजा २० काल से० काल सं० १७४९ पूर्ण वेष्टन ० ३१०-११७० प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का परपुर ८३८६ पञ्चावती पूजा - X | पत्र सं० २ ० १२x६ इव । भाषा - संस्कृत विषयपूजा र०कास X ले० काल सं० १८६७ पू वेष्टन सं० १५२६ प्राप्ति स्थान- वि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार [ ८६१ ८३६०. पद्मावती पूजा । - x । पत्र सं० २६ ॥ श्र० ८ ५६ भाषा-संस्कृत विषयपूजा र० काल X | ले० काल × । पूर्ण । वेष्टन सं० १३७३ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार | ८३६१. पद्मावती पूजा -X | पत्रसं० २२ । विषय-पूजा २० कान X से काम X पूर्ण वेष्टन सं० मन्दिर अजमेर | ० ९४ ६ | भाषा-संस्कृत । २०९३ प्राप्ति स्थानम० दि० जैन I ८३२. पद्मावती पूजा -X | पत्रसं० २२० X ४३ इस भाषा - संस्कृत | विषय -- पूजा ९० का X वे० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ११४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) | विशेष - जैनेवर पूजा है । ८३६३. पद्मावती पूजा । पत्रसं० १४० १११ इ भाषा-संस्कृत विषयपूजा । २० काल X। वे काल सं० १९९८ पू वेष्टन सं० २१ प्राप्ति स्थान दि० जन प्रग्रवाल मन्दिर नसावा | ८३६४. पद्मावती पूजा - X | पत्र सं० २६ । आ० ७३ ४ ५ इञ्च । भाषा-सस्कृत विषयपूजा १० काल X | ले०का X पूर्ण येन सं० १५६ प्राप्ति स्थान दि० न मन्दिरवाटी (सीकर)। ८३५. पद्मावती पूजा संस्कृत विषय-पूजा १० का x मन्दिर कोटडियों का हूंगरपुर विशेष- वांक्षागीत (हिन्दी) और है । विधान - 8 । पत्र सं० २२ । ० १०३४५ काल X पूर्ण बेनसं० ५४० प्राप्ति स्थान दि०जै दज । WIATA ८३६६. पद्मावती पूजा स्तोत्र - X पत्र सं० २ ० विषय-पूजा स्तोत्र र०का X से काल x । पूर्ण बेग सं० पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। ई इ १०३४६३ भाषा-संस्कृत। २२१ प्राप्ति स्थान० जैन ८३९७. पद्मावती मंडल पूजा -X प० १३० १०४४३ भाषा-संस्कृत विषय-पूजा २० काल X। वे काल X पूर्ण वेष्टन सं० १२६७ प्राप्ति स्थानम० दिन मन्दिर अजमेर | Page #923 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग , ८३६८. पद्मावती त उद्यापन--- । पत्रसं० ७४-६५ 1 भाषा संस्कृत । विषव-पूजा । २० काल - । लेकाल । पुर्ण । वेष्टन सं० ४१३-१५४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ८३६६. पत्य विचार-X । पत्र सं० १ भाषा-संस्कृत । विषय --पूजा। र० काल x 1 लेखन काल X । पूर्ण । वरन सं०७६८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । __८४००, पल्य विधान-- । पत्र सं. १।प्रा० १२४५ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । र०काल x ले. कास X । पूर्ण । वेष्टन स० ६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। ८४०१. पल्य विधान--४ । पत्र सं०६ । आ. ६x४ इश्न । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र० कालXI ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५८४ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ८४०२. परुय विधान पूजा-विद्याभूषण। पत्रसं० ६ । प्रा० १०४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १६४ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर दबलाना (बू दी)। ८४०३. पल्यविधान पूजा-x। पत्र सं. ७। आ० ११३४६ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० काल x ले०काल सं० १८८१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३४४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अजमेर भण्डार । २४०४. पल्य विधान पूजा-X । पत्रसं०४ प्रा० १०:४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वष्टन सं० १३४८ । प्राप्ति स्थान-मदि० जन मन्दिर अजमेर । ८४०५, पल्य विधान पूजा--- । पत्रसं० ८ । प्रा० ११४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय- पूजा । र० काल X । ले०काल स. १८६० आश्विन बुदी १४ । पूर्स । येष्टन सं० १५३ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर प्रादिनाथ धू दी। ८४०६, पल्य विधान पूजा-भ० रत्ननदि । पत्र सं० ८ । था० ११४५ च । भाषासंस्कृत । विषय - पूजा । २० काल - काल स० १६५० । पूरण । टन सं० ३६१ । प्राप्ति स्थान-- भः दि० जैन मन्दिर अजमेर । ८४०७. प्रति सं० २ । पत्र सं० १५ । या० १२४५ इश्व । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५६०। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर भादग (राजस्थान । ८४०८. प्रति सं०३ । पत्र स. ११ । प्रा० ११४४ च । ले०काल सं० १६२७ । पूर्ण । येष्टग सं० २७६, ३४३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-सं० १६२७ वर्षे भादवा बुदि सातमिदिनो सागवाडा शुभस्थाने श्री आदिनाथ चैल्यालये सातिम वृहस्पतिवारे. श्री मूल सधे प्राचार्य श्री यशकीर्ति प्राचार्य श्री गुणचन्द्र ब. पूजा स्वहस्तेन लिखितं । Page #924 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य [८६३ ८४०६. प्रतिसं० ४। पत्रसं० ७ । आ. EX६ इश्च । भाषा-सस्कृत | विषय - पूजा । र० काल X । ले०काल सं० १८५६ श्रावण सुदी ६ | पूर्ण । वेष्टन सं०५४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर यादिनाथ वू दी। ८४१०. प्रतिसं०५। पत्रसं०११ । प्रा०११४४१ । लेकाल सं० १६४० श्रावण सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान-- दिजैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष--मालपुरा में प्राचार्य श्री गुणचन्द्र ने ६० जयपद से लिखया था। ८४११. प्रति सं०६। परसं० ११ । प्रा० १०४४ इञ्च । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० २२० । प्राप्ति स्थान:-दि. जैन मंदिर राजमहल (टोंक)। विशेष-प्रति प्राचीन है। ८४१२. पल्य विधान-शुभचन्द्र । पय स०५ । आ० १.१४४३ इच। भाषा संस्वत । विषय-पूजा । र०काल । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन स० ४६० । प्राप्ति स्थान--भ दि० जैन मन्टिर अजमेर । ८४१३. प्रति सं०२। पत्र सं०७ । प्रा० ११४५ इञ्च । ले. कास सं. १६०८ ज्येष्ठ सदी है । पूणे । वेटन सं०६५ । प्राप्ति स्थान- - दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष- पंडित जीवधर ने प्रतिलिपि की थी। ८४१४. प्रतिसं०३ पत्रसं० । १०.४४३इच । ले० काल x | अपूर्ण वेहन . ३५५ । प्राप्ति स्थान--दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष--प्रति प्राचीन है। ८४१५, प्रति सं०४१ पत्र सं० ७ । श्रा०११४४ इन। ले०काल x । पर्ण। वेटन सं० ६२१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ८४१६. प्रतिसं० ५ । पत्र सं० ११ । प्रा० १०४५५ च । ले० काल सं० १६५६ । पूर्ण । वेशन सं० २०० । प्राप्ति स्थान दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपूर । विशेष-प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ४२ अक्षर हैं। उद्यापन विधि भी दी हुई है। ८४१७. प्रति सं०६ । पन सं० १० । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २७४ । प्राप्तिस्थान-उपरोक्त मन्दिर । ८४१८. प्रति सं० ७ । पत्रसं० ६ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २७७ ३४४ । प्राप्तिस्थान दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-- गुरु श्री अभयचन्द्र शिष्य शुभं भवतु । दवे महारावजी लिखितं । ८४१६. प्रति सं० ८ । पत्र सं०६ । ले. काल सं० १६४३ ज्येष्ठ बुदी ४ । पूर्ण । बटन सं. २७८३४५ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष- प्रथम पत्र पर एक चित्र है। जिसमें दो स्त्रियां एव एक पुरुष खडा है । आगे वाली स्त्री के हाथ में एक कमल हैं। मेवाड़ी पगड़ी लगाये पुरुष सामने खड़ा है। वह भी एक हाथ को ऊचे याये हए है। मोदगियों के छोर लंवे तीखे निकले हर हैं। Page #925 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६४ ] । एय हामी पंचम भाग. ८४२१. पल्प विधान व्रतोद्यापन एवं कथा-श्रुतसागर । पत्र सं० १८८ । प्रा० ८.४५३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा एवं कथा । २० काल ले. काल संवत् १९८० । पूर्ण । बेष्टन सं. १०६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक)। ८४२१. पल्य प्रत पूजा.-४। परसं० २ । ग्रा. १०४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा । र०काल ४ । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ३७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अजमेर, भण्डार। ८४२२. पञ्चपरवी पूजा-वेणु ब्रह्मचारी। पत्र सं० ७ । भाषा - हिन्दी। विषय-पूजा । र०काल x 1 ले० काल X पूर्ण । धेष्टन सं. ४८८ । प्राप्ति स्थान दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष--प्रारम्भ में जान बत्तीसी प्रादि हैं। धोज पंचमी अष्टमी एकादशी तथा चतुर्दशी इन पांच पों की पूजा है । ८४२३. पाश्र्वनाथ पूजा–देवेन्द्रकोति । पत्र सं० १५ । प्रा० ८४६३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र० कालxले०काल सं० १९२८ । पूर्ण । वेष्टन सं०११४३ । प्राप्ति स्थानम. दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष-अमरावती में प्रतिलिपि हुई थी। ८४२४. पाश्र्वनाथ पूजा - वृदांवन । पत्रसं० ३ । घा० १२४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । २० काल X । लेकाल सं. १६३२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ९४२५. प्रति सं० २। पत्र सं०४ । पा. ८१४६ इञ्च 1 लेकाल x पूरी । वेष्टन सं०६१। प्राप्ति स्थान --दि. जैन छोमर बयाना । ८४२६ पिडविशुद्धि प्रकरण-.x | पत्रसं: ५। प्रा० १.४४ इछ । भाषा-संस्कृत । विषय विधान । र० काल । लेकाल x अपूर्ण । बेष्टन सं०५०० । प्राप्ति स्थान-० दि जैन मन्दिर अजमेर । ८४२७. पिण्डविशुद्धि प्रकरण-। पत्र सं. ८ । प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत विषय- गुजा । २. काल X । लेकाल स० १६.१ अाषा बुधी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३२ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर नमिताय टोडारायसिंह (टोंक): विशेष---पं० सप्तिकलश ने महिानगर में प्रतिलिपि की थी। ८४२८. पुण्याहवाचन-प्रशाधर । पत्र सं०७ । प्रा०४७ इञ्च । भाषा .. संस्कृत । विषय-विधान । (काल x लेकाल। परणं । वेष्टन स. ५३६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का इंगरपुर। ८४२६. पुण्याहवाचन-- ।पत्र सं०६। मा० १.४६ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय - विधान । र०काल ४ले. कालX । पूर्ण । बटन सं० ३४७-१३२१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटलियों का रंगरपुर । Page #926 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८६५ ८४३०. पुण्याहवाचन--X । पत्रसं० ८ । प्रा० १२:४६ च । भाषा-संस्कृत विषयविधान । २७ काल x । से०काल सं० १८१४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६८७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। ८४३१. पुण्याहवाचन-X पत्रसं० ८ १ प्रा०८३४६ इश्व | भाषा संस्कृत । विषय विधान । र० काल - । ले०काल सं० १८६४ चैत सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० X । प्राप्ति स्थान- दिन मन्दिर महल बोक) ८४३२, पृथ्याह वाचन-X1 पत्रसं०७। प्रा० १०२.४१ इञ्च । भाषा सस्कृत । विषय - न । २० काल x | लेकाल सं० १९८१ । पूर्व । वेष्धन सं० २७१। प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। विशेष-पं० केशरीसिंह ने शिष्य ने पं. देवालाल के लिए प्रतिलिपि की थी। ८४३३. प्रति सं०२ । पनसं० ६ । पा० ११४५ इश्च । ५काल सं० १५७३ । पूर्ण । वेटनसं २७२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ८४३४. पुण्याहवाचन-४ । पत्र सं० २८ । आe ex५ इक्ष । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र० काल ४ । लेकाल सं० १८९५ पौष बुदी११ पूर्ण । वेष्टनसं० १४२ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर पाश्र्वनाथ चौगान दी। E४३५. पुरंदर व्रतोद्यापन -सुरेन्द्रकोति । पत्रसं० २ । ना० १२४६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र० काल स १८२७ । से० फाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८८ । प्राप्ति स्थानदि जैन पंचायती मंदिर दूनी (टोंक) विशेष नेमीचंदजी के पठनार्थ प्रतिलिपि हई थी। ५४३६. पुरन्दर वनोद्यापन-x | पसं० ३ । प्रा० १०.४५ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल x ०काल सं० १९१३ । पूर्ण । वेपन सं.१८८ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बू दी। ८४३७. पुण्यमाला प्रकरण-x। पत्रसं० २२ । प्रा० १२४४ इक्ष । भाषा - प्राकृत । विषय-विधान । र काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२१/२५६ । प्राप्ति-स्थान -दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-- केशवराज की पुस्तक है । प्रति प्राचीन है। ८४३८. पुष्पांजलि जयमाल-४। पत्रसं० ७ ! प्रा० १.१४५, इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा । र काल । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११७ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ८४३६. पुष्पालि पूजा-द्यानतराय । पत्र सं० ७ । ०६x६ इञ्च । भाषा - हिन्दी पद्य । विषय -पूजा । १० काल x | ले. काल X । पूर्ण । वेपन सं० ५०८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर कोटडियों का डूगरपुर । Page #927 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रस्थ सूची-पंचम भागः ८४४०. पुष्पाञ्जलि पूजा-भल महीचन्द । पत्र सं० ५। पा० १२४५, इश्च । भाषा-~संस्कृत । विषय पूजा । रवाल X । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पारवनाथ मन्दिर चौगान बूदी। ८४४१. पृष्पाञ्जलि पूजा--भ० रत्नचन्द्र । पत्रसं० १७ । आ. १.४५ इच। भाषा .. संस्कृत । विषय-पूजा । रश्काल X । ले०काल सं० १८५८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७६ । प्राप्ति स्थानम. दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-पट्टण सहर मध्ये शिपिकृतं । ८४४२. प्रतिसं० २ । पत्रसं०६ । प्रा० १०४४५ १४ । ले. काल X । पूर्ण । बेष्टन सं. ४७७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मंदिर अजमेर। ५४४३. पुष्पाञ्जलि पूजा--- । पत्र सं. १ प्रा. ११४४३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय पूजा । र० काल x I ले० काल X । पूर्ण । चेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर बोरसली कोटा। .८४४४. पुष्पाञ्जलि पूजा-X । पत्रस० ६ । प्रा. ११३४५२ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । फाल X कलर । पूर्व पटन. १५ । प्राप्ति स्थान—दि.जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरस (टोंक) E४४५. पुष्पाञ्जलि व्रतोद्यस्पन-गंगादास । पभ सं०५ | आ०१२४७३'च भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र० काल ४ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोडियों का डूगरपुर । ८४४६. प्रति सं० २। पत्रसं०६ 1 मा० १०.४५ इन। ले०काल सं० १७५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १.१ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष-इदि भट्टारक श्री धर्मचन्द्र शिष्य पं० गगादास कृत थी पुष्पांजलि प्रतोद्यापन संपूर्ण । संवा १४५३ वर्षे शाके १६१८ प्रवर्तमाने आश्विन मासे कृष्णापक्षे दशमी तिथी शनिबासरे लिखिता प्रसिरिय । संपनीज मदुरादास पठनार्थ । श्री अमदाबाद मध्ये लिखितं । पं० कुशल सागर गरिण। ८४४७. प्रति सं०३ । पत्र स'०१३ । प्रा०६x४ इञ्च । ले०काल सं० १७६ चैत बुदी ।। पूर्ण । वेष्टन ० १० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर यादिनाथ मालपुरा (टोंक) ८४४८, प्रति सं०४ । पत्रसं० १० । आ६x४ इञ्च । लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं. ३१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा । ६४४४. प्रति सं०५। पम सं० १६ । ग्रा०८४४ इच। ले. काल x। पूर्ण । वेधन संक १२ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) ८४५०. प्रति सं०६। पत्रसं०५ । प्रा० १२४५३ इच । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. २०७। प्राप्ति स्थान--दि० जैन पाक्नाथ मन्दिर पौगान बदी। Page #928 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ १६७ ८४५१. पुष्पांजलि व्रतोद्यापन टीका-४ । पत्रसं०४ । प्रा० १२४५२४ । भाषासंस्कृत 1 विषय पूजा । १० काल ४ । ले०काल सं० १६६१ सादन' दुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३४७ । प्राप्ति स्थान -भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ८४५२. पूजाष्टक-"ज्ञानभूषण। पत्र सं. ५४ । प्रा० १२४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २०काल X । लेकाल०१५२८ । पूणे । बेष्टन सं०४४८/३७१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । अन्तिम पुरुपका इति भट्टारक श्री पुवनकीर्ति शिष्य मुनि शानभूषण विरचितायां स्वकृलाष्टक दशक टीकायां दिनज्जन बल्लभा संज्ञायां नंदीश्वर द्वीप जिनालयाचनप्रर्णगीय नामा देशमोधिकारः। प्रशस्ति श्रीमद् विक्रमभूपरराज्य समयातीते । संवर १५२८ वसुद्वीन्द्रिय क्षोणी संमितहायने गिरिपुरे नाभेयचैत्यालये । अस्ति श्री वनादिकीति मुनियस्तस्यांगिरं । सेवितास्यो शाने विभूसणामुनिना टीका शुभेयं कृता । ८४५३. प्रति सं०२१ पत्र सं० ३० । पा० १०४४३ इन्च । लेकाल । अपूर्ण 1 वेप्टनसं० ४४६/ २८६ प्राप्ति स्थान--- दि. जन सभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष—प्रति जीर्ण है एवं अन्तिम पत्र नहीं है। ८४५४. पूजाष्टक -हरषचन्द । पत्रसं० ३ । भाषा-हिन्दी। विषय पूजा । १० काल X । से० फाल X। पूरणं । बेष्ट्रन सं० ६६५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ८४५५. पूजाष्टक . ४ । पत्र में ४। पा० ११४६ इन्च । भाषा -हिन्दी विषयपूजा। रत्काल X । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ६२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर। विशेष-- प्रादिनाथ पूजाष्टक, ऋषभदेव पूजा तथा भूधरदास फूल गुरु वीनती है । ८४५६. पूजा पाठ.. X । पत्र सं०४ । भाषा संस्कृत विषय- पूजा । र काल ।से काल X । अपग । एस. ४४ ४५० । प्राप्ति स्थान-दि। जनसंभवनाश मन्दिर उदयपुर । विशेष प्रति प्राचीन है। ८४५७, पूजापाठ संग्रह ४ । पत्रसं० १४ । प्रा० १२४५३ इव । भाषा - हिन्दी । विषय - पूजा। २०४ ।ले०काल सं. ११३८ । पूर्ण । वेन सं. १४५६ । प्राप्ति स्थान-भ०दि० जन मन्दिर अजमेर। ८४५८. पूजापाठ संग्रह-X । पत्र सं० ७० । प्रा० ६४५ इन्च । 'भाषा-संस्कृत । विषय - पूजा । र०काल ४ । ले०काल x 1 पूर्ण । बेष्टन सं० १४५४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर अजमेर भण्डार। विशेष--दशलक्षण पूजा तथा षोषकारण पूजा भी हैं। ८४५६. पूजापाठ संग्रह-X । पत्र सं०५३ । प्रा० ७४५ इञ्च । भाषा हिन्दी । विषयपूजा । र०काल x। ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं. ५२/८८ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर भादवा (राज.)। Page #929 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८ । [प्रन्थ सूची-पंचम भाग ८४६०. पूजापाठ संग्रह- - । पत्रमं० २१६ । श्रा0 ex७ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । २० काल ल कालX । पूर्ण । वेष्टन सं० ६७ । प्राप्ति स्थान–दि जैन तेरहपंथी मंदिर नपका। विशेष - सामान्य नित्य नैमित्तिक पूजामों एवं चौबीसी तीर्थकर पूजारों का संग्रह है । ८४६१. पूजापाठ संग्रह । पत्रस० २-५० । ग्रा० १२४६३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषयपूजा एवं स्तोत्र । ले० काल x । पूर्ण । वेटन सं० ४८२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर कोटडियों फा हूगरपुर। विशेष नवग्रह स्तोत्र एवं अन्य पाठ हैं। ८४६२. पूजापाठ संग्रह-x। पत्र सं० ७० | प्रा०६३ X५६च । भाषा-संस्कृरा । विषयपूजा पाउ । र काल ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६०-१४७ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर बोटडियों का डूगरपुर । विशेष –विभिन्न पूजाएं एवं स्तोत्र है । ८४६३. पूजापाठ संग्रह-४ । पत्रसं० ३७ ! आ६४९३ इन्च । भाषा संस्कृत | विषय-- संग्रह। र०काल x ले०काल X ।अपूर्ण । वेष्टनसं० २३२-१२। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर। विशेष-जिन सहस्रनाम (जिनसेन) सरस्वती पूजा (अ० जिनदास) एवं सामान्य पूजायों का संग्रह है। ८४६४. पूजापाठ संग्रह-४ । पत्रसं० १८ | आ० Ex७ इञ्च । भाषा - हिन्दी संस्कृन । विषय-संग्रह । र०काल X । ले० काल सं० १६६५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३८ । प्राप्ति स्थान...दि० जैन मन्दिर कोटडियों का इगरपुर । ८४६५. पूजापाठ संग्रह-४। पत्रसं० ४८ । मा० १०४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत : विषय-पूजा १४ । कालX । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७-५ । प्राप्ति स्थान.- दि. जैन मन्दिर कोटडियों का हंगरपुर । विशेष.--.२७ पूजा पाठों का संग्रह है। ८४६६. पूजापाठ संग्रह-४ । पत्र सं० १०६ । आ०७४ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत। विषय -पूजा स्तोत्र । र काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेपन सं० २३७-१२५ । प्राप्ति स्थान:-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों को एंगरपुर । विशेष- -भकामर स्तोत्र मापा टीका तथा मंत्र ऋद्धि यादि सहित हैं। ८४६१७. पूजा पाठ संग्रह-४ । पत्र सं० १३२ प्रा० ५.४५३ इच । भाषा- संस्कृत । विषय- पुजा पाठ । र, काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२६-१२७ । प्राप्ति स्थान-दिजैन मन्दिर कोड़ियों का डूंगरपुर । विशेष-विभिन्न प्रकार के स्तोत्रों एवं पूजा पाठों का संग्रह है। . १४६८, पूजा पाठ संग्रह--XI पसं० १६ । प्रा०५४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय -पूजा पाठ । र०काल x। ले. काल । पूर्ण । टन सं० २०७-१४। प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर कोटडियों काहूँगरपुर । Page #930 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [८६६ ५४६६. पुजा पाठ संग्रह-X । पन सं० ७० । आ. ८४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय - पूजा पाठ । १० काल: । ले० काल X । पूर्ण । बेहत सं० ४३०-१६३ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ८४७०. पूजा पाठ संग्रह । पत्रसं० ५६ | प्रा० ७४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषयपुजा पाठ। र काल X । ले० काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ४३६ -१६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटडियों का टूगरपुर। ८४७१. पुजा पाठ संग्रह-४ । पत्र सं० १११ । आ० १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-संग्रह । र०कालले काल XI पुर्ण । वेष्टन सं०५११ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ८४७२, पूजा पाठ संग्रह--- । पत्रस० २३ । आ० १२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-संग्रह । २० काल X । लेकाल सं० १६१५ फाल्गुण बुदी १२ । पूर्ण । धेष्टन स. १२५ । प्राप्ति स्थान-वि० अन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी सीकर । ८४७३. पूजा पाठ संग्रह-x। पत्रसं० ५६ । प्रा० १३५४८ इञ्च : भाषा-सस्कृत-हिन्दी विषय--पूजा । र०काल X । ले०का ० १९६५ पाष दुरी १० 1 पूर्ण । वेष्टनसं० ११३ । प्राप्ति स्थानजैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष .. भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा द्वारा लिखाया गया है । ८४७४. पूजा पाठ संग्रह-४ : पत्र सं० १०। प्रा० ६x६ इन्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-पूजा। १० काल X । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०६६ । प्राप्ति स्थान----दि० जैन पचायती मन्दिर करौली। विशेष-सामान्य पूजा पाठों का संग्रह है। ८४७५. पूजा पाठ संग्रह-X । पत्रसं० ६२ । ग्रा०५३४.५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयसंग्रह । र० काल XलेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १५५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर करलिी। ८४७६. पूजा पाठ संग्रह-X । पत्रसं० ६ से ४८ । प्रा. ७.४५३ इन्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-पजा। र०कालX ।२० काल x | अपूर्ण | देतृत सं० ७७ । प्राप्ति स्थान दिन पंचायती मन्दिर करौली। विशेष--गुटका साइज है। ५४७७. पूजा पाठ संग्रह--X । पत्रसं० ३५ । प्रा० १३ ४७१ इन्च । भाषा-हिन्दी संस्कृतः । विषय-पूजा । र० कास ४ । ले. काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ४१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पायती मन्दिर करौली। विशेष—निमित्त नैमितिक पूजामों का संग्रह है। ५४७८. पमा पाठ संग्रह-x पत्रसं०५२ । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा । २. कारx. ले काल। थपूर्ण । वेष्टन सं० २६२ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #931 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७० ] [प्रस्थ सूत्री-पंचम भाग ८४७९. पूजा पाठ संग्रह-४। पत्र सं० १७२ । भाषा-हिन्दी । विषय - पूजा । र०काल ४ । ले०काल X । पुणं । वेष्टन सं० ६१ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मंदिर । ८४८०. पूजा पाठ संगह-X । पत्रसं० ७२ । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-पूजा । र काल ४ । । से०काव X । पूणे । वेष्टन स. १४ । प्राप्ति स्थान--उपरोक्त मन्दिर । ८४८१. पूजा पाठ संग्रह- - । पत्र स० १०६ । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । लेकाल - । पूर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान--दिल जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ५४०२. पूजा पाठ संग्रह ---४ । पत्र सं० १०७ । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । विषय -संग्रह । र• काल | लेकालXI पूर्ण । घाटमसं०४७ । प्राप्ति स्थान.-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर ।। ८४८३. पूजा संग्रह-४ । पत्रसं० १४२ । या० १०४६ हन्छ । भाषा-हिन्दी सस्कृत । विषय-पूजा पाठ । र०काल x काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३८० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर वोरसली कोटा। ८४८४. पूजा पाठ संगह-X. प ६३ । मा. पा-हिन्द । दियपुजा । लेकाल सं १८५४ । पूणे । वेष्टन सं० ३६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर बरसली कोटा । विशेष-दुलीचन्द के पठन मं बु दी नगर में लिखा गया है। ५४८५. पूजा पाठ संगह x । पत्रसं० १५४ । प्रा० ४५ इञ्च । भाषा संस्कृत, हिन्दो । विषय-पूजा पाठ। लेकाल x पूर्ण । बेष्टन सं० ३७ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-सामन्य पाठों का संग्रह है। ८४८६. पूजा पाठ संग्रह --X । पत्र सं०६५। पा. १०३४४: इस । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय - पुजा पाठ काल X ।ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १७७ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर दबलाना (बूदी) विशेष... प्रति जीरंग है ८४८७. पूजा पाठ संग्रह ..... । पत्रगं० २२६ । प्रा० ७:४५ इन्च 1 भाषा - हिन्दी-संस्कृत । विषय-पुजा। र०काल । ले०काल - । पुर्ण । वेष्टन सं०७२ । प्राप्ति स्थान-दि० जेन पारवनाथ मन्दिर इन्दरगाह (कोट) ८४८८. पूजा संग्रह-र । पत्र सं० ६ । पा० X६इ। भाषा-हिन्दी विषय-पूजा। र०काल x 10. काल: । पुणे । बेष्टन स. ५५ । प्राप्ति स्थान दि. जैन पाश्र्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) 'विशेष-गूर्वावलि पूजा एवं क्षेत्रपाल पूजा है । ५४८६. पूजा पाठ संग्रह - - । पत्र सं० १०४ । प्रा० ७३४ ६ इव । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । विषय-पूजा पाठ। १० काल x ले. काल - I पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा) Page #932 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८७१ ८४६०. पूजा पाठ संग्रह-- पत्र सं०४६ | प्रा० १३ ४ ६ इन्न । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । विषय-संग्रह । र०कालX ।ले काल X । अपूर्ण | बेष्ठन सं०७२ । प्राप्ति स्यान- दिन तेरहपंथी मन्दिर मालपुरा (टोंक) ८४६१. पूजापाठ संग्रह- पत्र सं० ११ । मा०-४ । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । तिपय - संग्रह । २० काल X । ले. काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर मालपुरा (टोंक) ८४६२. पूजा पाठ संग्रह- पत्र सं० ३ से २०३ 1 प्रा. ७.x४३ इच । भाषा-हिन्दी, संस्कृत 1 विषय-पूजा पाठ र०काल X 1 ले०काल । पूर्ण 1 बेष्टन स. १४३ -२८५ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ८४६३. पूजा पाठ संगह-४ पत्र ० १४६ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विशय-ग्रह । र काल - । ले०काल ४ । अपूर्ण । बेष्टमसं० १३० (ब) र । प्राप्ति स्थान-दि. जैन गन्दिर मिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-निम्न पाठ है१. महाशान्तिक विधिः-४ । संस्कृत। ले०काल सं० १५२३ बैशाख खुदी । यस० १-८१ नेनवा गत्तने सुरवाए अलाउद्दीन राज्य प्रवर्तमाने । २. गणधर बलव पूजा--X ।पूर्ण । ले० काल सं० १५२३ पत्र स. २-१४० से ११२ तक पत्र खाली हूँ। ३. माला रोहरण-४ । संस्कृत। पत्र १४१-१४३ ४. कलकुण्ड पूजा-x। पत्र १४४-१४५ ५. अष्टाह्निका पूजा-४। पत्र १४६-१४७ ८४६४. पूजा पाठ संगह-X।पत्रसं० २४४ । प्रा० ७३४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । विषय संघह । र०काल x । ० काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० १३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर भिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ८४६५. पूजा पाठ संगह-X । पत्र सं० ७२ । पा. ११४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्क्रत । विषय-पूजापाठ । २० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । वेधन सं०६७। प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ८४६६. पूजा पाठ संग्रह--X । पत्रसं० ५-६६ 1 प्रा. ८४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पच । विषय-संग्रह । २० काल-X । ले०काल सं० १९५१। अपूर्ण । वेष्टन सं०६१। प्राप्ति स्थान-- दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक) । ५४६७. पुजा पाठ संग्रह-X । पत्र में० ६०-१८१ । प्रा०६४५ इन। भाषा-हिन्दी, संस्कृत | विषय-पूजा पाठ । र काल X । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं०७१। प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ८४९८, पूजा पाठ संग्रह --X । पत्रसं० १२७ । आ. १.४५ इन्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृति । विषय-पूजा। र०काल - (ले० काल सं० १९५८ | पूर्स । वेष्टन सं०२। प्राप्ति स्थानदि जैन अग्रवाल मन्दिर मैरणवा । विशेष --रणवा में प्रतिलिपि की गयी थी। Page #933 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ८४६९. पूजा पाठ संग्रह ०२१६० ५४४ ० भाषा हिन्दी, संस्कृत विषय पाठ । २० काल x । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन तेरी मन्दिर नेवा । ८७२ ] ८५००. पूजा पाठ संग्रह-२०६६३४ भाषा - हिन्दी, संस्कृत । विषय - पूजा पाठ र० काल x । ले० काल X पूर्ण । वेष्टन सं० ७१ प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर नैात्रा । ८५०१. पूजा पाठ संग्रह विषय-पूजा पाठ १० काल X ले०का मन्दिर मेराया पत्र सं० १३०० ६८५ पूर्ण वेन सं० ७२ ८५०२. पूजा पाठ संग्रह-पूजा पाठ २० काल X से काल X | पूर्ण मन्दिर गुवा । । पत्र सं० १३६ । ० ५४४ इस भाषा हिन्दी विषय - वेष्टन सं० ७४ प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंची ८५०३. पूजा पाठ संग्रह - X 1 पत्रसं० ४० ॥ श्र० संग्रह २०का X ० काल पूर्ण ०७५ नैणवा । - विशेष पूजा पाठ संग्रह है। ८५०४. पूजा पाठ संग्रह x विषय-पूजा पाठ १० मास X पे०काल x तेरहपंथी मन्दिर नैवा विशेष – सामान्य पूजा एव पाठों का संग्रह है । ८५०५. पूजा पाठ पत्र [सं०] ६१ । था० १०४५ इस भाषा - हिन्दीसंस्कृत विषय - पूजा एवं स्तोत्र २० काल x | ले०काल सं० १६११ फागुण सुद्री ५ पूर्ण वेष्टन सं ७२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोयों का संग्रह ना ८५०७. पूजा पाठ संग्रह विषय-पूजा पाठों का संग्रह | २०काल । लं०काल मन्दिर कोट्यों का नैरावा भाषा हिन्दी, संस्कृत प्राप्ति स्थान दि० जैन ५ इव । भाषा - हिन्दी विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहवी मन्दिर ०७० ० ६२ व भाषा हिन्दी संस्कृत पूर्ण वेष्टन सं० ६४ प्राप्ति स्थान दि० जैद 4 ८५०६. पूजा पाठ संग्रह ०६१ श्र० १०४५ इन्च संस्कृत विषय पूजा पाठों का संग्रह २० कान X ले०काल सं० १६७ माघ मृदी ५ पूर्ण ७२ प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर कोटयों का नैरगया । ० १८७ तूर ८५०६. पूजा पाठ संग्रह - पत्र संस्कृत | विषय - संग्रह | र० काल x । ले०काल x मंदिर राजमहल (टोंक) । ० ८५०८. पूजा पाठ संग्रह-- x पत्र सं० १४४ | विषय - पूजा २० काल X ले० काल X अप्पूर्ण चेष्टन सं० ६० कोटया का नावा | 1 भाषा हिन्दीस ० ६४ ] इ । भाषा संस्कृत, हिन्दी । वेटन सं० ७४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन ९४४) इस भाषा - हिन्दी पद्य । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर सं० २ २ ४ ६० १८९७ इव भाषा - हिन्दीअपूर्ण वेष्टन सं० २१४ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन Page #934 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] बिशेष – नित्यनैमित्तिक पूजा ८५१०. पूजा पाठ संग्रह विषय-संग्रह १० काल X। ने० काल राजमहल (टोंक) | ८५१२. पूजापाठ संग्रह पत्रसं० ३४० ११४५ विषय-पूजा स्तोम प्रावि का संग्रह ले० काल X वपूर्ण वेष्टन सं० २५१ मंदिर राजमहल (टोंक) | विशेष-पंच स्तोत्र, पूजा, तत्वार्थ सूत्र, पंच मंगल आदि पाठों का संग्रह है । ८५११. पूजापाठ संग्रह- X ०५१०११३५४ भाषा-संस्कृत विषयपाठ संग्रह २० काल XX पूर्ण बेन सं०] १६६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक) | ८५१३. पूजापाठ संग्रह विषय-पूजा २० काल x । ले०काल X श्री महावीर हृदी | - ८५१८. पूजापाठ संग्रह पाठों का संग्रह है। ४ पत्र सं० २४ । पत्र सं ० ४ श्र० ९४५ इव । भाषा प्राकृत- संस्कृत । X। पूर्ण वेष्टन सं० २४० प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर विषय-पूजा स्तोत्र १० कान X स्थान- दि० जैन मन्दिर धादिना ८५१४. पूजापाठ संग्रह विषय - संग्रह | ले० काल सहस्रनाम एवं स्वयंभू स्तोत्र । पत्र सं० ७० प्रा० ११४६ इन्च भाषा - हिन्दी-संस्कृत । । पूर्ण । वेन सं० २०६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी | विशेष-दी में प्रतिलिपि हुई थी। निम्न पाठ एवं पूजायें हैंमंगलपाठ, सिद्धपूजा, सोलहकारण पूजा, भक्तामर स्तोत्र, तत्त्वार्थसूत्र ८५१५. पूजापाठ संग्रह - X सं० २०८०१६ भाषा संस्कृत विषयपूजा १० काल २१ ०काल XX पूर्ण वेष्टन सं० १७२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर मादी बूंदी ८५१६. पूजापाठ संग्रह - XI पत्र सं० ८० प्रा० १०३४८ इञ्च भाषा संस्कृत-हिन्दी | विषय-संग्रह ० काल अपूर्ण वेटन सं० १९६३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी विशेष- नित्य नंगितिक पूजा तथा स्तोत्र हैं । ०५६ - ८५१७ पूजापाठ संग्रह ० १०४ इख भाषा संस्कृत-हिन्दी विषय-पूजा स्तोत्र २० काल X काल X पूर्ण वेष्टनसं० ७५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नाबदीदी ! विशेष नित्य पूजापाठ एवं तस्वार्थ सूत्र है । - का दी। विशेष नित्य पूजा पाठ संग्रह हैं। - ०६४६ पत्र [सं० ४७ ० १८५७ जेठ सुदी १ पूर्ण [ ८७३ — पत्र सं० २-३२०२३४७६ भाषा-संस्कृत हिन्दी | अपू । वेष्टन सं० १०६ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर ८५१६. पूजा पाठ संग्रह - XI पत्रसं० ६-६६ । आ० विषय-चंद्र र०काल X ले०का X अपूर्ण वेटन सं० १४९ आदिनाथ बूंदी। भाषा-संस्कृत-हिन्दी प्राप्ति स्थान दि० जैन - भाषा हिन्दी संस्कृत | वेष्टन सं०] १२ प्राप्ति . १२x६ इश्व भाषा संस्कृत-हिन्दी | प्राप्ति स्थान दि० मन्दिर Page #935 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७४ ] विशेष – सामान्य पूजा पाठ संग्रह है। ८५२०. पूजा पाठ संग्रह विषय-पूजा कान X श्रादिनाथ वृदी | विशेष – २५ पूजा का संग्रह हैं। ८५२९. पूजा पाठ संग्रह -X | र० काल x ० काल सं० १९१८ जेठ सुदी ६ आदिनाथ वृदी। विशेष-- शिवजीलाल जी ने लिखवाया था । पत्रसं० ५१ प्रा० १२७३ इव भाषा संस्कृत-हिन्दी । ले०काल x पूर्ण बेटन मं० ५३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर विशेष-पूजा एवं स्तोत्र श्रादि पाठों का संग्रह है। ८५२३. पूजा पाठ संग्रह - x 1 पत्रसं० ३५ विषय-पूजा स्तोष २० का काल X पूर्ण मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूंदी। १. गंच युगल २. साधु बन्दना ३. परम प्रयो ४. विपापहार ८५२२. पूजा पाठ संग्रह 1 पत्रसं० १२० आ० १२४६ भावा संस्कृत विषयपूजा स्तोध | र०काल X | ले० काल ४ । पूर्ण न सं० ६६३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूंदी | ५. भक्तामर स्तोत्र ६. ऋषि मंडल स्तोभ ७. रामचन्द्र स्तोत्र चौसठ योगिनी स्तोत्र पत्रसं० पूर्ण ८५२५. पूजा पाठ संग्रह पत्र सं० ११६ विषय राग्रह ० काल सं० १६०० बेगास गुदी ६ पूर्ण मन्दिर परवान मात्रपुर्ण (टोंक) | I ८. ९. क्षेत्रपाल पूजा १०. क्षेत्रपाल स्टोन is i [ प्रन्थ-सूची पंचम भाग ६९ । श्र० १०४५ इव । भाषा पूजा स्तोत्र | न सं० २० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ८५२४. पूजा पाठ संग्रह सं० १-हिन्दी-संस्कृत विषय पूजाले कान पू० १०२ १०२ प्राप्ति स्थान दि० जैन छोटा मन्दिर बवाना । विशेष निम्न पूजा पाठों का एक एक का अलग अलग ग्रह है गुटका कार में पुस्तकें हैंचन्द्र पूजा क्षेत्र पूजा, गुरु पूआ, भामर स्तोत्र, चतुर्विशति पूजा (रामचन्द्र) नित्य नियम पूजा एवं भक्तामर स्तोव । प रूपचन्द्र । बनारसीदास | 77 अचलकीर्ति मानतु X X शांतिदास | x । ० x ६ वेष्टन मं० ३ ० १०३४) इव । भाषा-संस्कृत | वेष्टन सं० ३४८ प्राप्ति स्थान दि० जैन -- 3: - संस्कृत " --- छ। भाषा हिन्दी पद्य प्राप्ति स्थान दि० बैन सं०] १६ । कृत २० पत्र १-१६ तक २२ Page #936 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८७५ नवरहवा ११. न्हवरप - ४ । संस्कृत ।२३ १२. क्षेत्रपाल - मुनि शुभचन्द । हिन्दी पद्य । २४ क्षेत्रापरल को विनती लिख्यते :जनको उचात भर सनकालियान । सांति गुरति भव्य जन सुखकारी ।। जैन० ।। टेर घुचरियालो केस सिंदूर तेल छवि को । मोतियां की माला झावी उन्यो भानू रवि फो ।।१।। सिर पर मुकट कुण्डल कानां सोहती। कठी सोहे घुगधुगी हीय हार मोहती ।।२।। मुख सोहे दांता न तंबोल मुख नुवती । नेणा रेखा काजल की तिलक सिर सोहतो ॥३॥ बाजूबंध भी रस्वा प्रौच्याने पोचि लाल की। नवग्रह यांगुल्या ने पकडयो डोरि स्वान की ॥४॥ कटि परि घूघर तन्यौं लाल पाट को । जंग घनघोर वाले रमे झमि भाट कौ ॥५॥ पहरि कडि मेखला पग तलि पावड़ी । ___ चटक मटक वाजे खुटया मोहै भाबड़ा ।।६।। छड़ी लिया हाथ में देहुरा के वारण । पूजा कर नरच रखवाली के कारण ।।७।। नृत्व कर देहुरा के वारंएकज लाप के। सान तौड़े प्रभु पाम जिन गुरण बगाय के ||| पहली क्षेत्रपाल पूजै तेल कांवी वाकुलां । गुगल तिलोट गुल पाठौं द्रव्य मोकला 180 रोग सोग लाप धाडि मरी कौं भगाय दे। बालकां की रक्षा करै अन धन पूत दे ॥१०॥ गीत पहली गाय जो रझाय क्षेत्रपाल कौ। __मुनि सुभचन्द गायो गीत भैरूलाल कौ ॥११।। १३. चतुर्विशति पुजाष्टक - ४ । संस्कृत । पत्र सं०२५ १४. वंदेतान जयमाल माघनंदी। संस्कृत । पत्र सं० २६ १५. मुनिश्वरों की जयमाल - 50 जिणदास । हिन्दी । पत्र स० ३२ १६. दश लक्षण पूजा x । संस्तृत। १७. सोलहकारण पूजा १८, सिद्ध पूजा वनारसीदास । हिन्दी। पत्र सं०३७ " Page #937 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २८. पद थी चितामम्मिा स्वामो सांचा साहिब मेरा। सोक हर तिहुँ लोक का उठ लीजल नाम सधेरा !! २०. रत्नत्रय विधान - ४ । संस्कृत पत्र सं० ४१ २१. लक्ष्मी स्तोत्र पद्मप्रभदेव । २२. पूजाष्टक लोहट। हिन्दी ॥ ४६ २३. पंचमेरु पूजा भूधरदास । २४. सरस्वती पूजा - ज्ञान भूषण । विशेष- शिवलाल ने वैसाख सुदी ६ रविवार सं १८७८ में मालपुरा नगर में भौसों के बास के मन्दिर में स्वपठमा प्रतिलिपि की थी। २५. तत्वार्थसुत्र उभार स्वामी। संस्कृत। २६. सहस्रनाम आशीधर । २७. विनती - रूपचन्द । जय जय जिन देवन के देवा, सुरनर सकल कर तुम सेवा । - रूपचन्द । हिन्दी। ७५ भव मैं जिमबर दरसरण पायो । .- कनककीत्ति बंदो श्री जिनराय मन धन काय करेजी। ३०, विनती - रायचन्द । हिन्दों। , आज दिनम धनि खे लेख्या, श्री जिनराज भला मुख पेस्या । ३१. विनली - ब्र० जिनदास । प्रारम्स- स्वामी तू प्राधि जिद करी विनती श्राप तणी । अन्त- श्री सकलकीरति गुरु यदि जिनवर बीमती । ते भरगी ए ब्रह्म भगतो जिनदास' मुक्ति वहांगण ते भरे।। ३२. निशा वाटभाषा . - भैवा भगवतीदास । हिन्दी । पत्र सं०७९ विशेष.. पं. शिवलाल जली वाकलीकाल शिष्य प्राचार्य माणिकचन्द ने मालपुरा में नौसे के वास के मन्दिर में सवाई जयसिह के राज्य में प्रतिलिपि की थी। ३३. प्रारती - द्यानतराय : हिन्वी। पत्र सं७६ ३४. पंचमवधावा - x । पश्च बधाबा म्हा के जीव अति भाया तो। भवै हो अरिहंत सिद्ध जी की भावना जी ।। ३५. विनती - कुमुदचन्द्र । हिन्दी। पत्र सं० ८१ प्रारम्भ---दुनियां झामर झोल बिलूधी। भगवंत भगति नहीं सुधी।। Page #938 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८७७ अन्तिम –नहीं एक की हुई घणा की भरतारी, नारी कहत कुमदचन्द कोरण संगि जलसी धरण पुरिषा नारी ॥ ३६. पंचमगलि वेलि - हर्षकीति । हिन्दी। पत्र सं० ८३ र० काल सं० १६६३ ३७. नींदडली किशोर । हिन्दी । पत्र सं० ८६ ३८. विनती -- भूधरदास । हमारी कहगा ले जिनराज हमारी। ३६. भक्तामर भाषा -- हेमराज हिन्दी 1 पत्र सं० ४०, वीनती रामदास ४१. बानती अजराज ४२. जोगीरामा ४३. पद ... प्रजैराज, बनारसीदास, एवं मनरय ४४. लहरी - मुन्दर । हैल्यो हे यो संसार असार । ४५, रविवार कथा - भाऊ । ४६. शनिश्चरदेव की बाथा - X । हिन्दी गद्य । पत्र सं० ११२ ४७. पार्श्वनाथाष्टक - विश्वभुषण । संस्कृत । ११३ ४८, खण्डेलवालों के गोत्र । ४ । ४६. बघेर वालों के गोत्र---५२ ५०. अग्रवालों के गोत्र--१८ ठ संग्रह-.x। पत्र सं०६० प्रा० १२४ ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-पूजा । ले० काल १९४३ । पूणे । वेष्टन सं० २ । प्राप्ति स्थान- वि० जैन मन्दिर बघेरवालों का पावां (उणियारा) विशेष- निमित्त नैमित्तिक पूजा पाठों का संग्रह है। लोचमपुर में प्रतिलिपि हुई थी। ५५२७. पूजापाठ संग्रह-X । पत्रसं० ६३ । या. ६४८ इञ्च । भाषा हिन्दी । विषय - गजा पाठ । २०कालx ले काल | पुर्गा | वेष्टन सं. ८६/६२। प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर भादवा (राजा) विशेष—पंच मंगल, देवपूजा वृहद् एवं सिद्ध पूजा प्रादि का संग्रह है। ८५२८. पूजापाठ संग्रह-~X ।पत्र सं० ५१ । ग्रा०:१२४६ इंच। भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पजा। र० काल x । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ५५२६. पूजा पाठ संग्रह---X । पत्र सं० ३-४१ । मा० १०३४५६ इञ्च । भाषा - हिन्दी। विषम- पजा। र०काल x. ले० काल X । अर्स। । प्राप्ति स्थान-दि० जुन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर। Page #939 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पचम भाग ५५३०. पूजा पाठ संग्रह-X । पत्र २० ८८ । आ० १०३४६५ इञ्च । भाषा-संस्कृति, हिन्दी । विषय--पूजा । २० काल । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७५। प्राप्ति स्थान-दि० जैन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर। ८५३१. पूजा पाठ संग्रह-x। पथसं०७६ पा० १२४८ इञ्च । भाषा-सस्कृत-हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल x । ले० काल x पूर्ण । घेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-वि० जन अग्रवाल मंदिर उदयपुह । ८५३२. पूजा पाठ संग्रह-X । पत्रसं० १०५ । पा० ११३४५: हश्च । भाषा- संस्कृत । -पजा। र०काल x । लेकालX । पूर्ण । वेतन सं० २७० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयगुर । ८५३३. पूजा पाठ संग्रह--X । पत्रसं० ४३ । प्रा० ११३४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी सस्कृत । विषय-पूजा । १० काल x | लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१३ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष-नित्य उपयोग में आने वाले पूजा पाठों संग्रह है। ८५३४. पूजा पाठ संग्रह-X1 पत्र सं० १३३४ 1 आ० १२४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय-पूजा । र०काल ले०काल x 1 पुर्ण । वैष्ठन सं० ७६६ 1 प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष—इसमें कूल १५२ पूजा एवं गाठों संग्रह है। प्रारम्भ में सूची दी हुई है । कहीं २ बीच में से कुछ पाट बाहर निकले हुए है। नित्य नैमित्तिक पूजागों के अतिरिक्त वत पूजा, व्रतोद्यापन, पंच स्तोत्र, व्रत कथा प्रादि का संग्रह है । काष्ठासंघ के भी निम्न पाउ है: अनन्त पूजा : श्री भूषण का संघीकृत, प्रतिष्ठाकल्प काठा संघ का, प्रतिष्ठा तिलक काष्ठा संघका, सकलीकरण विधि काठा सघ श्री, ध्वजा रोपण काष्ठा सघ, होम विधान काष्ठा संघ का, वृहद ध्वजा पोपण काष्ठा संघ का। उमा स्वामी कृत पूजा प्रकरण भी दिया है । पत्रसं० ३१२ पर १ पत्र है जिसमें पूजा किस ओर मुंह करके और कैसे करना चाहिए इस पर प्रकाश डाला गया है । यह ग्रंथ लकड़ी की रंगीन पेटी में विराजमान है. लकड़ी के सुन्दर दर्शनीय पू. जिनमें सुन्दर वेल बूटे तथो पार्श्वनाथ व सरस्वती चित्र है इसी संदूक में है । ग्रंथ के लगे हुए सहित ५ गुट्टे हैं । २ कागज के सचित्र पुट्ट भी दर्शनीय है । ८५३५. पूजा ग्रह-X । पत्रस०२७ । प्रा. EX६ इंच। भाषा-हिन्दी। विषयपुजा । २० बाल X । ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ६४१ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजात्रों का संग्रह है। ५५३६. पूजा पाठ सग्रह-४ । पत्र सं० ४४ । आ. ११६४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पजा पाठार. काल x I 'काल सं० १६११ । बेष्टन सं० ६०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । Page #940 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ५७ पूजा एवं विधान साहित्य ] ५५३७. पूजा पाठ संग्रह-X पसं० २-४६ । प्रा०५:४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय-गूजा पाउ । २.काल X । ले०काल X । अपूर्ण । थेष्टन सं० ३७५ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । ८५३८, पूजा पाठ तथा कथा संग्रह-X1 पसं०२१६ । भापा-हिन्दी संस्कृत । विषय पूजा पाठ । र० काल ४ । ले० काल ४ ! अपूर्ण । वेष्टन सं० १०० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-विविध कथायें पूजा एवं स्तोत्र ग्रादि है। ८५३६. पूजा पाठ विधान--X । पत्रसं० १६ । भाषा-संस्कृति । विषय -पूजा । र० काल ४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१३:३७५ 1 प्राप्ति स्थान- दि०जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर। ८५४०, पूजा प्रकरण --XI पसं०१३ । डा. ६४४ इञ्च । भापा-संस्कृल । विषय-पूजा । २०काल X । ले०काल सं० १८८६ चैत सदी ६ । पुर्ण । वेष्टम रां० १४ । प्रारित स्थान-दि. जंग पंचायती मंदिर सूनी (टोंक) विशेष---गुरुजी गुमानीराम ने प्रतिलिपि की थी। ८५४१. पज्य पूजक वर्णन-X । पत्र सं० ६ । मा० १०x४३ इञ्च । भापा-हिन्धी गाय । विषय- पूजा । १० कालX । लेकालX ।पूर्ण । वेष्टनसं० २१४। प्राप्ति स्थान-दिस जैन मन्दिर पार्वनाथ चौगान दी। ८५४२. पूजा विधान-.५० प्राशाधर । पत्र सं० २५ । भाषा-संस्कृत | विषय - पूजा । र० काल x 1 से. काल ४ । पूर्ण । बेष्टन ०१/३१४' । प्राप्ति स्थान-..दि. जैग सभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष--प्रति जीर्ण है। ८५४३, प्रति सं०२। पत्र सं० ४५ । प्रा ११४५ इञ्च । ले०कास x पूर्ण । बेष्टन सं. ७६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान दी। ८५४४, पूजा विधान-X । पत्र सं० ६ । प्रा० १५६ इंच । भाषा--हिन्दी मद्य । विषय-- विधान । २०काल x । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। "विशेष--षट् कमोपदेश रत्नमाला में से है। ८५४५. पूजाविधान--X। पत्रसं० ५६ । आ. १४६ इंच 1 भाषा-संस्कृत । विषय-विधान ! र ०काल ४ । ले.काल XI पूर्ण । वेष्टन स ५० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ८५४६. पूजासार--- । पत्र सं० ८१ । आ० १२६४ ६ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषयपूजा । २० काल ४ । से०काल सं० १६६३ बैशान बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टमसं० १०२५ । प्राप्ति स्थान--- भ. दि.जैन मंदिर भजमेर । ८५४७. पूजासार--- । पन मं०६० प्रा० १२४५६ इलय । भाषा-सस्कृत | विषयपुजा । र०काल । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टम सं० २७५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पार्श्वनाथ मंदिर चौगान दी। Page #941 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ८५४८. पूजासार समुच्चय- पत्र सं० १३ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल । ले०काल स०१९०७ कार्तिक सूदी ५ । पूर्ण । वेष्न सं० ११७६ । प्राप्ति स्थान-20 दिन मन्दिर अजमेर भण्डार । ८५४६. पूजासारसमुच्चय-x। पर सं० १०१ । श्रा० १२३४५३ इञ्च । माषा । र० काख ४ । ले०काल सं० १९६१ ज्येष्ठ बुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२१ । प्राप्ति स्थान • दि० जैन मंदिर मादिनाथ बू दी। विशेष-- मथुरा में प्रतिलिपि हुई थी। संग्रह अथ हैं । अन्तिम पुध्यिका इति श्री विद्याविद्यानुवादोपाराकाध्ययन जिनसंहिता चरणानुयोगाकाय पूजासार समुच्चय समाजम् । ८५५०. पूजा संग्रह-यानतराय । पत्रसं० १४ आ० १२३४७, हश्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पुजा । र०काल । लेकाल सं० १६१६ । पूर्ण । वेष्टनसं०५५२ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लपकर जयपुर । विशेष---निम्न पूजाओं का संग्रह हैदशलक्षण प्रत पूजा, अनन्त प्रत पूजा, रत्नत्रय अत पूजा, सोलहकारए पूजा। ८५५१. पूजा संग्रह-धानतराय । पत्र सं० ११ । प्रा. ४५१ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा । र० काल X । ले० काल सं० १९५४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ८५५२. पूजा संग्रह-X । पत्र सं० १८ । प्रा. ११४५१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय - पूजा । र० काल X । लेकाल सं० १८८० सावरण खुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०४ । प्राप्ति स्थानभ० दि जैन मन्दिर अजमेर । ८५५३. पूजा संग्रह-x। पत्रसं० ३६ । श्रा० ६३४८१ इन्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय - पूजा । १० कालX । ले० काल सं०१६४७ फागुण सुदी १० । पूर्ण । वेधन सं०६६४ । प्राप्ति स्थानभ० वि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-पडित महीपाल ने प्रतिलिपि की थी। ८५५४. पूजा संग्रह-x। पत्र सं० १० । प्रा० X ६ छ । भाषा-हिन्दी । विषय-- पूजा । र० काल X । लेकाल X ! पूर्ण । वेष्ट्रनसं० ५६२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष-सोलह कारण, पंच मेरु, अष्टाह्निका आदि पूजात्रों का संग्रह है।। १५८५. पूजा संग्रह-। पत्र सं० १५ । आ० १२४८ इञ्च । भाषा - हिन्दी। विषमपजा। र०कालX । ले०काल सं० १६६१ । पुस । वेष्टनसं०५५७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । विशेष—निम्न पूजानों का संग्रह हैअनन्त दूत पूजा सेवाराम Page #942 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८८१ प्शलक्षण पूजा पंचमेरु पूजा रलाय पूजा अष्टाह्निका पूजा शांलिपाठ द्यानतराय भूधरदास द्यानतराय द्यानतराय ८५५६. पूजा संग्रह-X । पत्र सं०१०। श्राEX६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषमपूजा । र०काल X । ले० काल सं० १६५३ । पूर्ण । वे० सं० ६५३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । • ८५५७. प्रति सं० २ । पत्रसं०६ । ग्रा० ४३४४३ इन्ध । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ८५५८. प्रति सं० ३१ पत्र सं०६ । आ. १०२४७ इञ्च । ले. काल सं० १६६३ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष-द्यानतराय कृत दशलक्षण पूजा तथा भूधरदास कृत पञ्च मेरू पूजा है। ८५५६. एजा संग्रह-X । पत्र स० ३६-६३ । पा. १२३४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x Iv काल । पूरम् । वेष्टन सं० ७५५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजामों का संग्रह है । ८५६०. पूजा संग्रह-शांतिवास । पत्रसं० २-७ 1 प्रा० ६४४ इच। भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । २० काल ४ । ले० काल ।अपूर्ण । बेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना दी। विशेष-अजितनाथ, सभवनाथ की पूजाएं पूर्ण एवं वृषभनाथ एवं अभिनन्दननाथ की पूजायें अपूर्ण हैं । ८५६१. पूजा संग्रह-। पत्र सं० ३४-१४६ । प्रा० १२४५१ च । भाषा-हिन्दो । विषय-पूजा। र० काल x। ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान –दि० जन मन्दिर बैर। ८५६२. पूजा संग्रह---X । पत्र सं० १४३ । या. ७१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। विषय-पूजा । र० काल x । ले. काल सं० १९२० । पूर्ण। वेष्टन सं० ५० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा। विशेष–चौबीस तीर्थकर पूजामों का संग्रह है। ८५६३. पूजा संग्रह-४ । पत्रसं० ५६ । मा० ११६४६६ ई. । भाषा - हिन्दी । विषयपूजा । २० कान्दु । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा। Page #943 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ८५६४. पूजा संग्रह-४ । पत्र सं० ५५ । प्रा० १२४६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । र०काल - ले. काल ४ । पूर्ण । कृत सं० ४१ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन भन्दिर चेतनदास पुरानी होग। विशेष---वृक्षाका कृति को ताक पूजा २५ सम्मेद शिखर पूजा का संग्रह है। ८५६५. पूजा संग्रह-xr पत्र सं० २७ । प्रा. ११४४३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषयपूजा । र०काल x | ले०काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानाजी कामा । ८५६६. संग्रह-X । पत्र सं २७६ | ग्रा० १२४७ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । लेकाल४ । पूर्गा । वेन सं. १४५ । प्राप्ति स्थान दि० जन अग्नवाल पंचायती मन्दिर अलवर। विशेष-नैमित्तिव पूजाओं का संग्रह है। १५६७. पूजा संग्रह-x। पत्र सं० १२६ | आ० १३४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी-पद्य । विषय--पूजा । २० काल X । ले. काल सं० १६६७ । पुर्ण । वेष्टन सं० १८६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खंडेलवाल पंचायतो मन्दिर प्रलवर । विशेष—मुख्यतः निम्न पूजाओं का संग्रह है । जो विभिन्न वेष्वनों में बचे हैं । सुगन्ध दशमी पूजा, रत्नत्रयव्रत पूजा, सम्मेदशिखर पूजा, (२ प्रति) चौसट ऋद्धि पूजा (२ प्रति) चौबीसतीर्थकर पूजा-रामचन्द्र पत्र सं० १४४ । निर्वाण क्षेत्र पूजा (३ प्रति) अनन्तग्रत पूजा (४ प्रति) सिद्धचक पूजा । ८५६८. पूजा संग्रह--X । पत्रसं० X । ग्रा११:४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपृजा । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन खे० पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष-मुख्यतः निम्न पूजाओं का संग्रह है। थ सस्कंध पूजा संस्कृत पत्र १३ पत्चकल्याणक पूजा २२ ऋषि मंडल पूजा रत्नत्रय उद्यापन पजा सार कर्मध्वज पूजा ८५६६. पूजा संग्रह---XI पत्र सं० ७१ । ग्रा. ७.४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र० काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १८८ । प्राप्ति स्थान--दिस जन पंचायती मन्दिर अलवर। विशेष-निम्न पूजायों का संग्रह है। पंच कल्याणक पूजा संस्कृत पत्र १३ रोहिणी तोद्यापन पूजा , १३ Page #944 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८८३ साईद्वय द्वीप पूजा सुगंध दशमी रत्नत्रय यत पजा ८५७०, पूजा संग्रह-x। पत्र सं० १४० । प्रा०३४६६ इच । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल x ले. काल सं० १९६७ । पूर्ण । वेष्टन सं १८० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन ख. पचायती मन्दिर अलबर । विशेष-अलवर में प्रतिलिपि हुई थी। ८५७१. प्रतिमा म न पा ही ३ । पूर्ण । वेष्टनसं० ११ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । ८५७२. पूजा संग्रह -- । पत्रसं० ४२ । प्रा० x ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य | विषय - पूजा । २० काल X । ले. काल सं० १८९५ अगहन मुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन पाश्वनाथ मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक) ८५७३. पूजा संग्रह-५ । पत्र सं०१७ । प्रा० ६ x ५ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय- पूजा। र० काल X । ले०काल सं० १९३६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०० । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर नागदी, धी। ८५७४. पूजा संग्रह-४ । पत्र सं०४० ! ग्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र० काल x ले० काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदा (दी)। विशेष---शांतिपाठ, पार्वजिन पूजा, अनंतमन्न पूजा, शांतिनाथ पूजा, पञ्चमेरु पूजा, क्षेत्रपाल पूजा एवं चमत्कार की पूजा है । ८५७५. पूजा संग्रह-X । पत्र स० ४१ । प्रा०११४४१ इञ्च । भाषा- संस्कृत । विषयपूजा । र० काल X । लेकाल: । अपूर्ण । बेप्टन स० ४६ । प्राप्ति स्थान—दिन मन्दिर नागदी बूदी। ८५७६. पूजा संग्रह-४ । पत्रसं० २२ । पाsx५१ इच। भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र०काल X ।लेकाल X । पूर्ण । वेधुन सं० १०५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर श्रीमहावीर बू दी। ८५७७. पूजा संग्रह ....X । पत्रसं० । प्रा. १३४६ इञ्च । भाषा- संस्कृत । विषय-पूजा 1 र० काल X । ले० काल सं० १८६० पौष सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ (बुदी)। विशेष-अक्षयनिधि पूजा सौख्य पूजा. णमो पैतीसी पूजा है। ८५७८. पूजा संग्रह-X पत्र सं० ४७-१४८ । प्रा० ११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र कालX । काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर आदिनाथ (बू'दी)। Page #945 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम माग विशेष-तीस चौबीसी पूजा शमनन्द एवं षोडपकारण पूजा सुमति सागर की है । ८५७६. पूजा संग्रह -- । पत्र सं० २४ । आ० १०४ ६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा। र०काल X ।ले. काल सं० १९४४ । पूर्ण । बहन सं०प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी नगवा । विशेष--नैणवा में प्रतिलिपि की गयी थी 1 दशलक्षणा पूजा, रत्नत्रय पूजा आदि का सत्रह है। ८५८०.२ ह-x। पत्र सं० १७६ । आ०६x४ इच । भाषा-सस्कृत । विषयपजा। र०काल x | लेकाल x। पूर्ण । बेष्टन सं०६१1 प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी नगवा । ८५८१. पूजा संग्रह-x। पत्र सं० ११-२२७। ग्रा० १३४७६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रन्कार रुकाल: नही . .१३ति स्थान-दि. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष- पूजात्रों का संग्रह है । ८५८२. पूजा संग्रह----XI पत्रसं० १०० 1 आ० १११x६५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य 1 विषयपूजा। र० काल X । ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान. दि. जैन भन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर।। विशेष-विविध पुजाओं का संग्रह है। ८५८३. पजा संग्रह-x। पत्र सं०५२। ग्रा०५४५३ इञ्च । भाषा-सस्कृत-हिन्दी । विषय-पूजा 1 से काल में १८५४ बैसाख सुदी १ । पूर्ग 1 वेष्टनसं० ८० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली। विशेष-उदसागर के पटनार्थ चिम्मनलाल ने प्रतिनिपि की थी। पंचपरमेष्टी पूजा यशोनदि वृत भी है। ८५८४. पजा संग्रह-x। पत्र सं० १८ । प्रा० १३ x ७३ इञ्च । भाषा-हिन्द.-संस्कृत। विपय-पजा । र०काल x। लेकाल सं० १९४२ आश्विन सूदी १०। पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पचायती मन्दिर करौली। विशेष- चुन्नीलाल ने प्रतिलिपि की थी। ८५८५. पूजा संग्रह-X । पत्र सं० ३-५७ । प्रा०६४५ इञ्च । भाषा संस्कृति । विषयपजा। र०काल xले. काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० ३६२। प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष-नित्य नैमितिक पूजाए हैं। ८५८५. पूजा संग्रह-x। पत्र सं० ७६ | प्रा० १२४५ इन । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र०काल । ले० काल सं. १८५६ । पूरणं । वेष्टन सं० ५०(ब) । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। विशेष--निम्न पूजायों का संग्रह है । रत्नत्रय पूजा, दशलक्षण पूजा, पंचमेश पूजा, पंचपरमेष्ठी पूजा । Page #946 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८८५ ८५८७. पूजा संग्रह-X । पत्रसं०३५ । प्रा० १०x४ इन्च । भाषा-संस्कृत। विषयपुज! ! कानले हाल ४ ! पूर्ण । वेष्टन सं० १५४ । प्राप्ति स्थान खंडेलवाल दि० जैन मदिर उदयपुर । विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजाओं का संग्रह है। १५८६. पूजा संग्रह । पत्र सं० ६.। भाषा-हिन्दी। विषय -मजा। र०काल ले. काल सं० १६४० । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ । प्राप्ति स्थान -दि० जैन खडेलवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष--नित्य नैमित्तिक पूजाए तथा भाद्रपद पूजा संग्रह है। रंगलाल जी गदिया साहपुरा वालों ने जयपुर में प्रतिलिपि कग कर उदयपुर में नाल के मंदिर चढाया था। ८५८६. पूजा संग्रह-४ । पत्र सं० ६२ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी (पद्य) विषयपुजा 1 र०काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन तेरहपथी मन्दिर दौसा। ८५६०. पूजा संग्रह-४ । पत्रसं०७० । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा। र०काल X । ले०काल सं० १९८६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा । ८५६१. पूजा संग्रह--X । पत्र सं० ११ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल x | ले०काल X1 पूर्ण । वेष्टन सं० ७३० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर भरतपुर । ८५१२. पूजा संग्रह-X । पत्र सं० १६ । भाषा-संस्वृत-हिन्दी । विषय-पूजा । र०काल । ले०काल ४ । पूर्ण 1 बेष्टन स० ४७० । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८५६३. पूजा संग्रह -x । पत्र सं० ७५ । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा। र०काल X । ले०काल x 1 गणं । येष्टन सं० ८। प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचापती मन्दिर मरतपुर । विशेष-छह पूजाओं का संग्रह हैं । ८५६४. पूजा संग्रह -X । पत्र सं० ३४ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल । काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती मन्दिर । ८५६५. पूजा संग्रह-X1 पत्रसं० ४८ । भाषा-हिन्दी। विषय--पूजा । २. पाल x | से काल x 1 पूर्ण । बेनमं० १४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरनगर । २५६६. पूजा संग्रह-४ । पत्र सं.५३-१०३ । भाषा-संस्कृति । विषय-पूजा २० कान x I ले. काल X । पूर्ण । श्रेष्टन सं० ५६ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायनी मन्दिर भरतपुर । १८६७. पूजा संग्रह-x। पत्रसं० ४० । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २७ काल । ले० काल सं० १८६७ । पूर्ण । वेष्टन सं०७०। प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपर। विशेष-नित्य नमितक पूजाए हैं । ८५६८. पूजा संग्रह--XI पत्र सं० १६७ । भाषा-हिन्दी-संस्थत 1 विषय-पूजा । २० काल ४ । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #947 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५६ ] [ ग्रन्थ सूची- पश्चम भाग ६५६६. पूजा संग्रह - X पत्रसं०] ५ से १५ भाषा हिन्दी संस्कृत विषय पूजा २० काज X | ले० काल X। पूर्ख टन ०६७ प्राप्ति स्थान दि०जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८६००. पूजा संग्रह - XI से काम x पूर्ण वेष्टन ०६८ ६०१. पूजा संग्रह - X र० काल X। ० काल । पूर्णं । पत्रसं०] १४ । श्र० ११४५ इव भाषा संस्कृत विषय-पूआ वेष्टन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा | ८६०२. पूजा संग्रह -X | पत्रसं०] १७८० २४५३ इव भाषा - हिन्दी संस्कृत । विषय-पूजा र०काल X ले०साल सं० १८३३ भादवा हृदी ७ । पूर्णं बेटन सं० ३५६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली (कोटा) विशेष- अन्त में नबाई सोनकर का सं० १७२० है । तथा कर्मबुद्धि की चौपई है । मानव देश के सुसनेर नगर के जिनालय में भालमचन्द्र द्वारा लिखा गया था। ८६०३. पूजा संग्रह - X र०काल X। ले० काल X: पूर्ण (ter) 1 पत्र सं ० ७० भाषा हिन्दी संस्कृत विषय पूजा र० काल X प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष – निम्नलिखित पूजाए हैं अनंत पूजा अक्षयदशमी पूजा, कलिकुण्ड पूजा, शान्ति पाठ (आाशावर) मुक्तानि पूजा, जलयात्रा पूजा, पंचमेरु पूजा तथा कर्मदहन पूजा । पसं०] १८ मा० ७५ इन्च भाषा संस्कृत विषय पूजा। वेष्टन० ३६० प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मंदिर बोरसली ८६०४. पूजा संग्रह - X विषय - पूजा | र०काल x । ले० काल० से स्थान- दि० जैन मंदिर बोरसली ( कोटा ) । विशेष – ४० पुजाओं का संग्रह है सिद्ध भरि विधान प्राकृत विशेष उल्लेखनीय है । विशेष—यूजाओं का संग्रह है। ८६०५. पूजासग्रह - २० काल x लेखन काल x बोरसली कोटा । विशेष ० १५६ । ग्रा० ६ X ५ इञ्च १६६१ भादवा बुदी ३ । पूर्ण ८६०५. पूजा संग्रह - X | पत्रसं० ७-७४ | श्र० १० X ६ ख २ भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र० काल X | ले०काल X । पूर्णं । न सं० ३६३ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर वोरसली (कोटा)। । भाषा - हिन्दी संस्कृत वेष्टन सं० ३६२ । प्राप्ति चितामरिण पार्श्वनाथ- शुभचन्द्र गुरुपूज- रतनचन्द - सामान्य पूजा पाठ का संग्रह है। ― पत्र सं० ०० ग्रा० १०x४] इव भाषा - हिन्दी विषया पूर्ण वेष्टन सं० २२३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर Page #948 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] ८६०७ पूजा संग्रह - X विषय-संग्रह २० काल X। ले०काल X राजमहल (टोंक) [ ८८७ पत्र० २ ० २०६३ इछ भाषा हिन्दी-संस्कृत | इश्व | | पूर्ण वेन सं० ११० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर – विशेष- विभिन्न प्रकार की ३८ पूजाओं एवं पाठों का संग्रह है। ८६०८. पूजा संग्रह - x ०६३ न सं० २३१ ० ९x४३ इच प्राप्ति स्थान विशेष- मुख्यतः निम्न पूजाओं का संग्रह है रत्नत्रय पूजा, कर्मदहन पूजा, ०कास x ०कास X पूर्ण भाषा प्राकृत विषय पूजा दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक) ८६११. प्रतिष्ठा कल्प - प्रकलंक भाषा संस्कृत विषय विधान १०कास XI दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) प्रारंभ (प्राकृत) ( ) (अपूर्ण) ० १२० ११४४३ इ माया हिन्दी I ८६०२. पूजा संग्रह पूजा | २० काल X | ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १३७-६२ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का गरपुर । विशेष- पंचमेट द्यानत एवं नंदीश्वर जयमाल भैया भगवतीदास कृत है । ८६१०. प्रतिमा स्थापना - X 1 पत्र सं० २१ ० ११४४३ इख । भाषा प्राकृत विषय-विधि र०काल X | लेखकाल X पूर्ण वेष्टन ० १५१० । प्राप्ति स्थान — दि०जैन मन्दिर कोड़ियों का इंगरपुर । विशेष श्री ग्राम श्री वालेदा नगरमध्ये शिखिपति मुखराम | 기 ८६१२. प्रतिष्ठा तिलक-प्रा० नरेन्द्रसेन संस्कृत । विषय-विधान । २० काल x । ले० काल X 1 पूर्ण दि० जैन मन्दिर कोटडियों का टूरपुर देव - x | पत्र सं० १५२ ॥ श्र० ११३३४५ इञ्न । काल X पूर्ण वेष्टन सं० ११० प्राप्ति स्थान- अदित्या न गणाधीरात पच ऐदं युगि मानाचार्य तथि मत्यागमा १ अब भी नेमिचन्द्राय प्रतिष्ठा शास्त्र मार्गतः प्रतिष्ठापास्तदा राजानां स्वयं भंगिना ||२|| इन्द्र प्रतिष्ठा ०२७० १२६ इन्च भाषावेष्टनसं० ३१-१८ प्राप्ति स्थान विशेष-मुनि महाराज श्री १०८ भट्टारक जी श्री मुनीन्द्रकीनि जी की पुस्तक निचितं ज्ञानी बलरांधी रूपया यमु कस्तूरचंद पुत्र चो ८६१३. प्रतिष्ठा पद्धति -- ० २६ या० १०४ विधान । २० काल X | ले० काल सं० १८२४ कार्तिक सुदी १२ । पूर्ण । दि० जैन मंदिर प्रजमेर भण्डार । इच भाषा विषय ०४७५ प्राप्ति स्थान Page #949 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८८ ] [ ग्रन्थ सूची-पचम भाग ८६१४. प्रतिष्ठा पाठ-प्राशाघर । पत्रसं० १९ । मा० १२३४६ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल XI ले काल सं० १८६४ । पूरऐं । वेष्टन सं०६८६ । प्राप्तिस्थान-भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर। ८६१५. प्रतिसं०२ । पत्र सं० २३ । ले. काल स० १८९५ 1 पूर्ण विष्टन सं० ५१ ! प्राप्ति स्थान—दि जैन संभवनाथ मंदिर उदयपर। विशेष –मंडल विधान दिया है। संबन १८६५ के बैशाख खुदी ६ दिने सोमवासरे श्री दक्षिण देणे श्री गिरवी ग्रामें चैत्यालये श्री मूलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भ. यश कीति देवा त. ५० भ० सुरेन्द्रकीर्ति तत्प? गुरु माता प कुशालचन्द लिखितं । १६१६. प्रति स०३ । पत्र सं० २० । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४३६१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ८६१७. प्रतिसं० ४ । पश्रसं० ६५-१६५ । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन से० ३५:३६० । प्राप्ति स्थान-दि० जन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ___८६१८. प्रति सं० ५ । पत्रसं० १३ । प्रा० १२३४८१ इञ्च । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०१८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ८६१६. प्रतिसं० ६। पत्र सं० ७७ । ले. काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन बड़ा पंचायती मन्दिर डीग । विशेष-- प्रति जीर्णं है। ८६२०. प्रतिष्ठा पाठ-प्रभाकरसेन । पत्र सं० ४२-८५ । प्रा64x६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-विधान । र०काल ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ७४० । प्राप्ति स्थानदि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ८६२१. प्रतिष्ठा पाठ-४ । पत्रसं० २७ । प्रा० ११४५. इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-विधान । र०काल X ।ले. काल सं० १६१३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८६-१४ प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिष्ट्र (टोंक)। विशेष-शांतिसागर प्रहाकारी बी परतक से विदुष नेमिचन्द्र ने स्वयं लिखा था। ८६२२. प्रतिष्ठा पाठ..-X । पत्रसं० १३३ । प्रा० १२४५१ इञ्च । भाषा-सस्कल । विषयविधान । 70 काल x | लेकाल x। यपुर्ण । बेन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष—प्रारम्भ एवं बीच के कितने ही पत्र नहीं हैं : ८६२३. प्रतिष्ठा पाठ टीका (जिनयज्ञ कल्प टीका)-परशुराम । पत्रसं० १२६ । प्रार १२x६ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-विधान । २०कालX ।ले. कालाअपरा । वेष्टन सं.३५/२। प्राप्ति स्थान—दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयप र । विशेष–१२ पंक्ति और २४ प्रक्षर हैं। Page #950 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८९ ८६२४. प्रतिष्ठा पाठ वचनिका-X । पत्रसं० ११६ । ना० ११४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय--विधान। १० काल X । लेकाल सं० १९६६ बैशाख बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० ११४ । प्राप्ति स्थान-वि० जन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। विशेष—नटवरलाल शर्मा ने श्रीमान् माहाराजाधिराज श्री माधवसिंह के राज्य में सवाई जयपुर नगर में प्रतिलिपि की थी। ८६२५. प्रतिष्ठा मंत्र संग्रह-X । पत्र सं० १० । पा. १२४७ ३-४ । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र० काल X । लेकालX । पूर्ण । बेष्टन सं० ३१४-११७॥ प्राप्ति स्थान-दि.जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर। विशेष–प्रतिष्ठा में ताम याने वाले मंत्रों के विधान सचित्र दिये हुये हैं । ८६२६. प्रतिष्ठा मंत्र संग्रह--X) पत्रसं० ७ । पा.११४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। विषय-विधान । र• काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१५-११७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर कोटडियों का भरपर । विशेष–पहिले विभिन्न व्रतोद्यापनों के चित्र, सीर्थकर परिचय, गुणस्थान चर्चा एवं त्रिलोक वर्णन है इसके बाद मंत्र हैं। ८६२७. प्रतिष्ठा यंत्र-x । पसं० ८ । प्रा० १२४७, इच। भाषा-संस्कृत । विषयविधान । र० काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं १६५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर भभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-..४५ यंत्रो का संग्रह है। ६२८. प्रतिष्ठाविधि-प्रशाघर। पत्र सं०७। प्रा. १२४४१ईच भाषा-संस्कृत। विषय-विधिविधान । र०काल X । ले०काल XI पुरीं । वेष्टन सं० १७८ । प्राप्ति स्थान -दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। __८६२९. प्रतिष्ठाविधि-x। पत्र सं० २। भाषा-हिन्दी । विषय-प्रतिष्ठा । २० काल x। ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ८६३०. प्रतिष्ठासार संग्रह-प्रा० बसुनंदि । पत्र सं० २६ 1 प्रा० ११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-विधान । २० काल X 1 ले. काल सं० १६३.१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४८ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर अजमेर भण्डार । विशेष-मंडलाचार्य धर्मचन्द्र के शिष्य प्राचार्य श्री नेमिचन्द्र ने प्रतिलिपि करवायी थी। ८६३१. प्रति सं० २। पत्रसं० २६ । प्रा० १०३४४५ इञ्च । ले० काल सं० १६७: । पूर्ण । वेष्टन सं०६३४ । प्राप्ति स्थान-- दिजैन मन्दिर अजमेर भण्डार। प्रशस्ति-निम्न प्रकार है संवत् १६७१ वर्षे श्री मूलसंभवे भट्टारक श्री गुरणसेन देवाः वार्याका बाई गौत्तम श्री तस्य शिष्य पण्डित श्री रामाजी जसवन्त बघेरवाल ज्ञानमुखमंडण चमरीया गोत्री। १६३२. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० सं० १२ से २२ । पा० १०४५३ इञ्च । ले०काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं०७४१ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। Page #951 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ८६३३. प्रति सं० ४ 1 पत्र सं० १८-२५ । पा० १४ इञ्च | ले. काल X । गुर्ण । बेष्टन सं० ११५ (क्र० स०)। प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर लपकर जयपूर | विशेष-प्रथम १७ पत्र नहीं है। ८६३४. प्रतिसं०५1 पत्रसं०२७ । प्रा० १२४५१ इससे काल स०१८६१ ज्येष्ठ बंदी ३ । अपूर्ण । वेष्टन सं०११० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ८६३५. प्रतिसं०६। पत्र सं०३०। प्रा० ११४६३४च । ले०काल सं० १९४८ । पूर्ण । बेपन सं. ७३ प्राप्ति स्थाम.- न मभिरकम दासानी । विशेष- पं. रतनलाल जी ने बू'दी में प्रतिलिपि की थी। ८६३६. प्रति सं०७ । पत्र सं०३६ । आ. १३ ४७ इञ्च । ले. काल । पूर्ण । वेष्टन सं. १०४ । प्राप्ति स्थान-- दि जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी। १३७. प्रति सं०८ पत्र सं० २४ । मा०१२x६ इचले. कालपर्ण छन सं. ३०४-११५। प्राप्ति स्थान--- दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ८६३८. प्रतिसं०६ । पत्रसं० ३६ । ले०काल सं० १८७७ फागुण सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६। प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का 'डीम ४६.३६. प्रतिष्ठासारोद्वार (जिनयज्ञ कल्प)-प्राशाधर । पत्र सं० ३ - १२१ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । 'र० काल X । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टनसं० २२६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ८६४०. प्रोवध लेने का विधान-X । पस०२। आ. ११४५ इश्व । भाषा हिन्दी। विषय-विधान ! २० काल X । ले काल सं० १९४७ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १६५-१६१ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ८६४१. ब्रह्मपूजा--X । पत्रसं०७। प्रा० ५३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-पुजा । र. काल । ले० काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० १०४६ । प्राप्ति स्थान-भदि जैन मन्दिर अजमेर । ८६४२. बारहसौ चौतीस व्रत पूजा-शुभचन्द्र । पत्र सं० ७१ । प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा विधान । र० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १३६॥ प्राप्ति स्थान-- दिन मणिर अजमेर । २६४३. बारहसौ चौतीस यत पूजा-श्रीमूषरण। पत्रसं०७६ । प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल ४ । ले० काल सं० १८५३ प्राषाढ बुदी ६ । पूणे । वेष्टन सं० ४५० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर विशेष-सवाई जयनगर के ग्रादिनाथ चैत्यालय में सबाई राम गोधा ने प्रतिलिपि की थी। ६४४. बिम्ब प्रतिष्ठा मंजुल-४ । पत्रसं०१। प्रा०५४६ इञ्च । भाषा-संस्थल । विषय-विधान । र०काल । लेकाल' X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०८/११७ । प्राप्ति स्थान-.दि जैन मन्दिर । कोड़ियों का दुगरपुर।। विशेष-मंडल का चित्र है। Page #952 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८६१ १६४५. बीस तीर्थकर जयमाल-हर्षकीति । पत्र स. २। प्रा० ११४ ५. इन। भाषाहिन्दी । विषय-पूजा । २० काल - । लेकाल १८५१ । पूर्ण । वेष्टनसं० ६३५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर लशकर जयपुर । ६६४६. बीस तीर्थकर पूजा-जौहरीलाल । पत्र सं० ४५ । प्रा० १३:४८ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय- पूजा । र० काल सं० १९४६ सायन सुदी ४ । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ८६४७, बीस तीर्थकर पूजा-थानजी अजमेरा। पत्र सं०७३ । आ० १२३४७१ इन्च । भाषा - हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल सं० १९३४ असोज मुदी है। लेकाल सं० १९४४ मंगसिर बुदी १३ । पूर्ण । बेधन सं० ४५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लाकर (जयपुर)। विशेष ---अन्तिम पृष्ठ पर पद भी है। ८६४८. बीस तीर्थकर पूजा-x। पत्रसं० ४। प्रा०६४६ इञ्च । भाषा हिन्दी पद्य । विषव-पूजा । र० काल X ।ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर लश्कर (जयपुर)। ८६४६. बीस तीर्थकर पूजा- पत्रसं० ५७ । भाषा - हिन्दी पद्य । विषय पूजा । २० काल X । ले० काल सं० १९४२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर बसथा । ६६५०. बीस विदेह क्षेत्रपूजा--चुन्नीलाल । पत्रसं० ३६ । प्रा० १२४६ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा | र० काल X । ले० काल सं० १६३६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११० । प्राप्ति स्थान दि० जन पंचायती मन्दिर करौली । ८६५१. बीस विदेह क्षेत्र पूजा -- शिखरचंद । पत्र सं०४१ । प्रा०६:४८३ इञ्च । भाषाहिन्दी विषय-पूजा। रकाल सं १९२८ जेठ सदी । ले. काल सं० १९२९ वैसाख सदी ७ । पूर्ण । वेष्टनसं०५२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन सोगारणी मंदिर करौली। ___८६५२, बीस विरहमान पूजा--४ । पत्रसं० ४ । प्रा० १०४६ इ-न । भाषा संस्कृत । विषयपूजा। र०कालX । ले० काल सं० १६.३८ फाल्गुन बुदी १ । गूर्ण । श्रेष्टन सं०५२४ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष-विदेहक्षेत्र बीस तीर्थकरों की पूजा है । ८६५३. भक्तामर स्तोत्र पूजा-नंदराम । पत्रसं० २५ । प्रा० १३, ४५ इञ्च । भाषाहिन्दी। विषय-पूजा। र०काल सं० १९०४ वैसाख सुदी १०। ले० काल सं०१६०४ कार्तिक सुदी १० । पर्ण | चेन सं. ११५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मन्दिर क्याना। विशेष-योजीराम बयाना वाले से बक्सीराम ने प्रतिलिपि कराई थी। ८६५४. भक्तामर स्तोत्र पूजा-सोमसेन । पत्र सं०१३ । प्रा० १०४५इच। भाषासंस्कृत । विषय-पुजा । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० ३८२ । प्राप्ति स्थान-म० दि० अन मन्दिर अजमेर । ८६५५. प्रति सं० २ । पत्र सं० १७ । या. ११४४३ इश्व । से० काल सं० १९२८ फाल्गुण सुदी १४ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ११४४ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । Page #953 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग ८६५६. प्रति सं०३ । पत्र सं० १४१ प्रा. ११४४ इञ्च । लेकालसं० १७५१ चैत बुदी५। पूर्ण । वेष्टन सं०१५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर प्रादिनाथ बूदी। विशेष-करवर नगर में पं० मायाचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। ८६५७. प्रतिसं० ४ 1 पत्र सं० १० । मा० ११४५ श्च । सै काल सं १६०४ श्रावण सुदी १ । पूर्ण । वेष्टनसं० ५२१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का हूगरपुर। ८६५८. प्रतिसं० ५। पत्रसं० १२ । अ० १२४५ इञ्च । ले०काल +। पूर्ण । वेष्टन सं० १६७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर श्री महावीर दी। ८६५९. भक्तामर स्तोत्र पूजा-X । पत्रसं०१२ । भा० ११४५१ इन्च । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । र काल ४ । ले. काल सं० १९२० । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६२ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर अजमेर। ८६६०. भक्तामर स्तोत्र पूजा-X । पत्र सं० १६ । प्रा०६२x६ इंच भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र०काल ले. काल सं० १८१४१ पूर्ण । धन सं०३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जना सौगाणी मंदिर करौली। ८६६१. भक्तामर स्तोत्र पूजा-X। पत्रसं० १० 1 प्रा. ६x४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २०काल x Iले०काल सं० १५२७ ज्येष्ठ सुदी७ । पूर्ण । वेष्टनसं० ३२.1 प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ८६६२. भक्तामर स्तोत्र पूजा-x 1 पत्र सं० । प्रा. ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । ले० काल सं० १८६० पौष बुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३४ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । भण्डार । विशेष-अजमेर में प्रतिलिपि हुई थी। ८६६३. भक्तामर स्तोत्र उद्यापन पूजा--केशवसेन । पत्रसं० १७ । प्रा०९३४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र• कास । ले० काल सं० १८८७ । पूर्ण । बेष्टन सं० ४३-२४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) विशेष-मथुरा निवासी चंपालाल जी टोंग्या को धर्म पत्नी सेराकवरी ने भक्तामर प्रतोद्यापन में चढाया था। ८६६४. भक्तामर स्तोत्र पूजा-x 1 पत्रसं० ११ । प्रा० १०४४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले०काल सं० १८४० । पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ८६६५. भुवनकोति पूजा-X । पत्रसं० २ । प्रा० १३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपजा। र०काल ४ ।ले. काल मं० १८६० । पूर्गा । वेष्टन सं० १६११ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जन मन्दिर अजमेर । विशेष - भट्टारक भुवनफीति की पूजा है। Page #954 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [८६३ ८६६६. महाभिषेक विधि- - । पत्र सं० ३३ । श्रा० ११४४३ इक्ष । भाषा - संस्कृत । विषय - गुजा विधान । २० काल x | ले. काल x | पूर्ण । बेष्टन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर अभिनन नामी दी। ८६६७. महाभिषेक विधि:-| पथसं० २-२३ । प्रा० १०३ ४ ४१ इन। भाषा - संस्कृत । विषय-विधि विधान । र०काल X । ले०काल सं० १६३५ पौष बुदी १४ 1 अपूर्ण । बेष्टन सं० ३१५ । प्राप्तिस थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी (कामा) विशेष--सारमंगपुर में प्रतिलिपि हुई थी। सं० १६४५ में मंडलाचार्य गुणचन्द्र तत् शिष्य ब्रजेसा ० स्याणा ने कर्मक्षयार्थ पं. माणक के लिये की थी। ८६६८. महावीर पूजा-वृन्दावन । पत्र सं० ५ । प्रा० १०३४५ इंच । भाषा-हिन्दी पद्ध। विषय-पूजा । र०काल X।।ले. काल x 1 पुर्ण । वेष्टन सं०४८ | प्राप्ति स्थान-दि. जैन बड़ा बीसपंथी मंदिर दौसा। ८६६६.म शांतिक विधि-XI पत्रसं० ६५ । प्रा० १.१४६१ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा | र० काल ४ । ले० काल x णं । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १६७०. मासान्त चतशी व्रतोद्यापन-x पत्र सं० २६ । या. १०.XL: हन । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र०काल ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन स० १२२ । प्राप्ति स्थान-दि. जन पंचायती मदिर करौली। ८६७१. मासांत चतुर्दशी व्रतोद्यापन-X । पत्रसं० १६ । मा० १७३४५३ च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा। र० काल । ले०काल सं० १८७२ बैशाख सुदी २ । पूणं । वेष्टन सं० २०:३४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन सौगाणी मन्दिर करीली । ___ ८६७२. मासांत चतुर्दशी व्रतोद्यापन--- ।पत्रसं० ११1 पा० १०४६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । २० काल ४ । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान बूंदी। ५६७३. मांगीतुगी पूजा-विश्वमूबरण । पत्र सं० ११ १ मा० ११४५६ इच। भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । २० काल ८० १६०४ ! ले काल। पूर्ण । बेष्टन सं० २७७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ८६७४. मुक्तावली व्रत पूजा- पत्र सं०२ 1 श्रा०६३४४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषयपूजा । २०कालले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६४-६५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-भट्टारक सकलकीति कृत मुत्तावली गीत हिन्दी में ओर है। ८६७५. मुक्तावली व्रत पूजा--४ । पत्रसं० १६ । भाषा-संस्कृत । विषण - पूजा 1 काल X1 ले० काल स० १९२५ । पूर्ण । बेष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । Page #955 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ८६७६. मुक्तावलि ब्रतोधापन-X । पत्र स० १२ । मा०६४६, इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा ! एकल X ।ले. गाल x ! पूर्ण ! मापन Te ५०७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर। ८६७७. मुक्तावलि अलोद्यापन-X । पत्रसं० १४ । प्रा ४। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । ले०काल सं० १८९६ ज्येष्ठ सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टनसं० १०-३६ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष--गुमानीराम ने देवगोंद वास्तव्य में प्रतिलिपि की थी । ८६७८. मुक्तावलि ब्रतोद्यापन .X । पत्रसं० १४ । प्रा. ११६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषय-पूजा । २काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टनसं०८०-१५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर नमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष-५० शिवजीराम के शिष्य सदासुख के यठनार्थ लिखी गई थी। ८६७६. मेघमाला व्रतोद्यापन पूजा-X । पत्रसं० ४ । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा संस्कृत। विषय-पूजा । र०काल X । लेकाल । पूर्ण । वेष्टनसं० ३५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर करौली। ८६८०. मेघमालिका प्रतोद्यापन- पत्र सं०६ । मा० १०४६ इन्च 1 माषा-संस्कृत । विषय--पूजा। र० काल X । लेकाल ४ । अपूर्ण । बेष्टन सं०५३३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर। ८६८१. मेघमाला प्रत पूजा-४ । पत्रसं० ३१ । मा० ११:४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र. काल X। ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टत सं० ३५८ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी ब्रु'दी। ___ ८६८२. मेघमाला व्रत पूजा x। पत्र स०४ । प्राः १०४५ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल: ।ले. काल X । पूर्ण । वेहन सं० ३०-१२ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ८६८३. याग मंडल पूजा-x। पत्रसं० ४ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । २० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेटनसं० १४६ । प्राप्ति स्थान --दि० जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान दी। ८६८४. याग मंडल विधान–१० धर्मदेव। पत्र सं०४० | rocx. इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-विधान । २० काल X । ले. काल स० १६३६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२०-१२० । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ८६८५. याग मण्डल विधान-x | पत्र सं० २५-५३१ आ. १.४७ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा 1 र० काल X 4 ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८ । प्राप्ति स्थान दि० जन मन्दिर नागदी दी। ८६८६. योगोन्द्र पूजा - XI पत्रस० ४ । प्रा० ११४५५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- पूजा । र० काल X । लेकाल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १४१२ । प्राप्ति स्थान-म० दि जैन मन्दिर अजमेर । Page #956 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] | ८६८७. रत्नत्रय उद्यापन - केशवसेन। पत्र [सं०] १२ । श्रा० १०३४ ६४ भाषासंस्कृत विषय पूजा । २० काल X। ले० काल सं० १८१७ ज्येष्ठ बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसनी कोटा विशेष – पं० प्रासमबन्द के शिष्य जिनदास ने लिखा पर ६८८. रस्न उद्यापन पूजाविषय-पूजा र० काल x ०काल सं० १०५० स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । पत्रसं० १ र बुदी २ ० १०९६३ पत्र सं० ३६ १६४९ प्रासा बुदी १४ पूर्ण ८६६१. रत्नत्रय जयमाल - x । पत्र सं० विषय-पूजा र०का से० का १०५ पूर्ण लाल मंदिर उदयपुर । ० ११३४४३ इच। भाषा संस्कृत । वेष्टन सं० १३६६ प्राप्ति पूर्ण ८६८६. रत्नत्रय उद्यापन पूजा - X पद्य विगव-पूजा २० का X से० काल सं० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोट्यों का लेवा | - विशेष- - नैरगना में धन्नालाल जी छोगालालजी धानोत्या याव वालों ने प्रतिलिपि कराई थी । ८६६०. रत्नत्रय उद्यापन विधान X पव० ३२ पा० ११४७ इंच भाषा - हिन्दी विषय- १० काल X | जे० काल x वेष्टन सं० १०६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी पूर्ण विशेष प्रति टब्बा टीका सहित है। ८६६४. रत्नत्रय जयमाल पूजा २०काल X ते ० काल X पूर्ण I ८६६२. रत्नत्रय जयमाल - X | पत्र० १० पा० विषय-पूजा र०काल x वे० काल सं० १०७२ वैशाख सुदी १४ स्थान – दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष हुआ है। ८६६३. रत्नत्रय जयमाल -- x | विषय-पूजा र०कान X ले० काल सं० १५०५ मन्दिर अजमेर | १५ | । । भाषा हिन्दी वेन सं० ४० १४ ॥ श्र० ११४५ : इञ्च । भाषा संस्कृत | बेन सं० १५३ प्राप्ति स्थान न पत्र सं० ८ वेष्टन ६० ६७७ X ४) इच भाषा-संस्कृत पूर्ण वेष्टन सं० ११२ प्राप्ति :लचन्द ने बयाना में प्रतिलिपि की थी श्लोकों के उत्तर हिन्दी में घर्थ दिया पत्र सं ० ४ । ० १०३ X ५ इव । भाषा - प्राकृत | पूर्ण सं० ६२६ प्राप्ति स्थान -भ ०दि० जैन ० ८x४ इश्व । भाषा प प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मंदिर मे । भाषा प्राकृत । पत्रसं० ४ । या० १०३ ४ ४ इव वेष्टन सं० २७७ प्राप्ति स्थान दिन मंदिर ८६६५. रत्नत्रय जयमाल - x । विषय-पूजा र०काल x ० काल x पूर्ण पार्श्वनाथ चौगान बूंदी 1 इच ८६६६. रत्नत्रय जयमाल - X 1 पत्र० ६ ० १०x४ भाषा या संस्कृत विषय - पूजा । १०काल x 1 ले० काल सं० १५०५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३ | प्राप्ति स्थानदि०जैन पंचायती मन्दिर करौली । 1 Page #957 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६६ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ८६६७. रत्नत्रय जयमाल-४ । पत्रसं० ५। भाषा प्राकृत । विपय-पूजा । र०काल ४ । ले काल x 1 यपूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान दि० जन तेरहपंथी मन्दिर उदयपुर । ८६९८. रत्नत्रय जयमाल X । पत्रसं० ११ । प्रा० ५३४६१ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र काल X । से०काल सं० १६६३ आषाड बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं०६९३ । प्राप्ति स्थानम. दि. जंच मन्दिर अजमेर । विशेष-मांगीलाल बडजात्या कुचामण वाले ने प्रतिलिपि की थी। ८६६६. रत्नत्रय जयमाल भाषा-सयमल । पत्र स० १० प्रा० १२४७) भाषाहिन्दी । विषय-पूजा । र०काल x | ले०काल सं० १९२५ फागुण सुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लशकर जयपुर। ८७००. रत्नत्रय पजा-म० पानन्दि । पत्र सं०१६ । आ११४४ इन भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । र०काल x | ले. काल X । पूर्णे । वेष्टन सं० ३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा। ८७०१. रत्नत्रय पूजा-४ । पत्रसं०१४ । प्रा०११४७६ इन्च । भाषा-सस्कृत । विषयपुजा । र०कालले०काल ४ । पूर्ण । बेधन सं०१४७ । प्राप्ति स्थान-भ. दि जैन मन्दिर अजमेर । ८७०२. रत्नत्रय पूजा-X । पत्र सं० १२ । प्रा० १२३४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषयपुआ 1 र०काल -लेकाल: । पूर्ण । वेष्टन सं०३६८ । प्राप्ति स्थान--भ.दि० जैन मन्दिर अजमेर। ८७०३. रत्नत्रय पूजा-- पत्र सं० १५ । मा० ८४६९ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा। र०काल X । ले. काल x पुर्ण । वेष्टन सं. ११५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा। ८७०४. रत्नत्रय पूजा .. ४ । पत्र सं. ५ । मा०१२४६२ इञ्च । भाषा संस्कृत | विषयपूजा । र. काल x | लेकाल। पूगा । धन सं० १६५-११० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाय टोडारायसिंह (टोंक) ८७०५. रत्नत्रय जा । पत्र सं० २२ । प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा। र०काल | लेकाल. १८२३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । विशेष-सवाई जयपुर में लिखा गया था । ८७०६. रस्लत्रयपूजा- पत्रस०१६ । प्रा.८४५१६श्च। भाषा-संस्कृत | विषय- पूजा। र०काल x | लेकाल x | गर्म । वेष्टन सं०६४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर राजमहल (टोंक) ७०७. रत्नत्रय पुजा .-XI पसं०१६ । भा०.४५ इर। भाषा-संस्कृत । विषयपूजा। र०काल: । ले०काल स० १८७६ । पूर्ण वेहन सं०१० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) Page #958 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ८९७ ८७०८. रत्नत्रय पूजा-x। पत्र सं०६ । प्रा०१०१-५१ इन्च । भाषा-सस्कृत । विषयपूजा । र०काल ५ । ले० कालx | पूर्ण। वेष्टन सं०१६/३४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन सौगाणी मंदिर करौली। 5७०६. रत्नत्रय पूजा--X । पत्रसं० २६ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । लेमाल । पुर्ण । धनसं० 81 प्राप्ति स्थान दि० जन पंचायती मंदिर डीग । विशेष-दोहा शतक-रूपचन्द कृत तथा विवेक जखडी-जिनदास कृत हिन्दी में और है। ८७१०. रत्नत्रय पूजा-X1 पत्र सं०४-२५ । भाषा--- संस्कृत । विषय पूजा । र०काल X । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. ६०:३१३ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर। ८७११. रत्नत्रय गाइ... ! समा १०३ । ४: इरू । भाषा-प्राकृत । विषय-पूजा । र० काल x | ले० काल सं०४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४७६ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर अजमेर भण्डार । ५७१२. रत्नत्रय पूजा-X । पत्र सं० १६ । प्रा० १२४७ इञ्च | भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा। र० काल X । लेकालX । पूर्ण । येष्टन सं० ११० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ८७१३. रत्नत्रय पूजा जयमाल-४! पत्र सं० १७ । भाषा-अपभ्रश विषय-पूना । र० काल ४ । लेकाल १७६१ कार्तिक सुदी १.1 पूर्ण । वेष्टन स० १३ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती मंदिर मरतपुर । ८७१४. रत्नत्रय पूजा-टेकचन्द । पत्र सं. २६ । प्रा० १४४६:च । भाषा-हिन्दी। विषय पूजा । र० काल X । लेकाल सं० १९२६ फागुण सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन तेरह पंथी मन्दिर नगवा । ८७१५. प्रति सं० २ । पत्रसं० ३५ । या. १३३४५६ इञ्च । ले० पान सं० १६७२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन सण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । ८७१६. रत्नत्रय पूजा-द्यानतराय । पत्र सं०८ । प्रा० ११४५ इच । भाषा-हिन्दी पध । विषय-पूजा । र० काल x । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर तेहपंथी भालपुरा (टोंक)। ८७१७. प्रति सं० २। पत्रसं० ६ । प्रा० १०x४३ इंच । ले० काल सं० १६६१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०३ । प्राप्ति स्थान -- दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ७१८. रस्नत्रय पूजा भाषा-x | पसं०१२ | प्रा० ११1x4 इन। भाषा-हिन्दी । विषय पूजा । २० काल X । जे. काल सं० १९४६ । पूर्ण । वेष्टन सं. ११५६ । प्राप्ति स्थानम. दि. जैन मंदिर अजमेर । ८७१६. रत्नत्रय पूजा-४ । पत्रसं० ४६ । आ. Ex५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल X । लेकाल सं १९४० । पूर्ण | बेहत सं०१०। प्राप्ति स्थान---दि० जैन अग्रवाल मन्दिर नैरावा। Page #959 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ७२०. रत्नत्रय पूजा-४ । पत्र सं० २० । प्रा० १२४५ इन्च । भाषा-हिन्दी पच । विषय-पूजा । २० काल x । ले०काल सं० १९०७ । पुर्ण । बेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक)। ८७२१. रत्नत्रय पूजा-४ । पत्रसं ३० । प्रा० ११४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । २० कालX । ले. काल X । मेन सं० १३.६ । शान्ति न. दि जैन मन्दिर भावथा (राजस्थान) । ५७२२. रत्नत्रय पूजा–X । पत्र सं० ३६ । प्रा० ११४८ इञ्च । भारा-हिन्दी । विषयपूजा। र० काल ४ । से०काल सं. १६३२ मांग सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११६ । प्राप्ति स्थानदि.जैन मन्दिर तेरहपंथी दौसा। विशेष-दौसा में प्रतिलिपि हुई थी। ८७२३. रत्नत्रय पुजा--x। पत्रसं०१६। आ०१.X६ इश्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषयपूजा । र० बाल X । ले० काल सं० १९३४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर श्री महावीर दी। ___७२४. रत्नत्रय पूजा- पत्र सं० २३ 1 भाषा-हिन्दी। विल्य-पूजा । ले०काल ४ | पूर्ण । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ६७२५. रत्नत्रय पूजा विधान-x। पत्र सं० १६ । प्रा० १०x४, ञ्च । भाषासंस्कृत । विषय -पूजा । २० काल-X । ले. काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० ६५१ । प्राप्ति स्थानभ० दिन मन्दिर अजमेर । १७२६. रत्नत्रय पना विधान–पत्र सं० १६ : प्रा० प ५ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० काल---४ । लेकाल--- । पूर्ण । वेष्टन सं०६ । प्राप्ति स्थान–दि. जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) । ८७२७. रत्नत्रय मंडल विधान --~। पत्र सं० ३६ | प्रा. १५४५३ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य 1 विषय-पजा । र०काल ४ । ले. काल सं० १९५० चैत्र सुदी। पूर्ण । वेखन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर तेरहपथी मालपुरा (टोंक)। विशेष-फूलचन्द सौगाणी ने प्रतिलिपि की थी। ८७२८. रत्नत्रय मंडल विधान- । पत्रसं०१०। प्रा५३७६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल ४ । ले०काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० ७३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन सण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर। ८७२६. रत्नत्रय विधान (वृहद)-४ । पत्र सं०६ । प्रा० १०३४७ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र०काल x 1 ० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १.५ । प्राप्ति स्थानदिन यनवाल मन्दिर उदयपुर । ८७३०. रत्नत्रय विधान-X । पत्र सं०२४ । प्रा० १२४६१ इन्च । भाषा-हिन्दी पर । विषय-यजा । २० काल ले. काल सं० १६३० पौष बुदी १३ । पूर्ण । बेपन सं० १७७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। Page #960 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य } [ ER विशेष · स्योत्रक्स श्रावक ने फतेहपुर में लिपि कराई थी 1 ४७३१. रत्नत्रय विधान-x1 पत्रसं० ११। प्रा० १०:४५ इन्स। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २०काल X । लेकाल सं० १८१३ पासोज बुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० १८ । प्राप्तिस्थान--दि जैन मंदिर फोहपुर शेखावाटी (सीकर)।। ८७३२. रत्नत्रय विधान-x। पत्र० सं० ४५ । प्रा० ११४५ इञ्च । भावा-हिन्दी । विषय-पूजा । र०काल X । ले• काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ८३, ६४ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा (राजस्थान)। ८७३३. रत्नत्रय विधान-x । पत्रसं०१ ।प्रा० १३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३६:३८७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ७३४. रत्नत्रय विधान-x। पत्रसं० ३९1 प्रा० १०४६ इन्च | भाषा-हिन्दी । विषय--पूजा । र० काल X । ले काल सं० १९४३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१५ । प्राप्ति स्थान–दिक जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बुदी । ८७३५. रत्नत्रय विधान-x। पत्र सं० ४७ । प्रा० १२४६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा । २० काल X । ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर नागदी बूदी। ७३६. रत्नत्रय विधान..। पत्रसं०३। प्रा० १३४५ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । २० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन स. १६६.१८७ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह। ८७३७, रत्नाय प्रतोद्यापन-X । पत्र सं० १२ । प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । -पूजा । २० काल x लेखकाल पूर्ण । वेसन सं० २९२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ८७३८. रस्नाय व्रतोदयापन-४ । पत्रसं० १५ । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल ४ । ले० काल सं० १५५६ भादों सुदी ३ । पूर्ण । बष्टन सं० २६/१५१ प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक)। ८७३६. रविवत पूजा-म० देवेन्द्रकीति । पत्र सं० १ । प्रा० ११:४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा। र०काल x 1 ले०काल सं० १८५० । पूर्ण । बेष्टन सं० ३८८ । प्राप्ति स्थानभ.दि. जैन मंदिर अजमेर । ८७४०. प्रति सं० २। पत्र सं०६ । आ० १०४५ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० २५४ । प्राप्ति स्थान–दि. जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान दी। ८७४१. रविनत पूजा--X ! पत्रसं० १० प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषयपूजा । र०काल x लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २२१ । प्राप्ति- स्थान--दि. जैन मन्दिर राजमहल टोंक। Page #961 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ८७४२. रविदात पूजा एवं कथा—मनोहरदास । पत्र सं० २० । दा० ५३४४६ ह। भाषा -हिन्दी । विषय पूजा एवं कथा । र०कास'X । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ८७ । प्राप्तिस्थान---दि० जन मन्दिर दीवान चेतनदास पुरानी ढीग । ८७४३. रवित्रतोद्यापन पूजा-रत्नभूषण । पत्रसं० ८ । मा० १०४६ । भाषासंस्कृत 1 विषय -पूजा । र०काल ४ । ले०काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० २४० । प्राप्ति स्थान दि० जन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बुदी । E७४४. प्रति सं०२। पत्र सं० १३ । प्रा० १०.४६२ इञ्च। ले-काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० १५४ : ६६ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ५७४५, रविधतोद्यापन पूजा-केशवसेन । पत्र सं०६ । प्रा० १२४५२ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले-काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १००। प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर पंचायती करौली। ८७४६. रेवा नदी पूजा-विश्वभूषण। पत्र सं० ६ । प्रा० ११४५३ इन्च । भाषा-संस्कृत । ध-पूजा । र० काल ४ । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-रेवा नदी के तट पर स्थित सिद्धवरकूट तीथं की पूजा है ८७४७. रोहिणी प्रत पूजा-४ । पत्र सं०६ । प्रा० ११४४६ इन्ध्र । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन मं० १३४५ । प्रारित स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर। ८७४८. रोहिणी अत पूजा---X । पत्र सं० ४1 मा० १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल ४ । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन स० ३५५ । प्राप्ति स्थान--भ० दि० जन मन्दिर अजमेर। ___E७४६. रोहिणी व्रत पूजा । पत्र सं० २१ । प्रा. Ex५३ च । भाषा - हिन्दी (पद्य)। विषय - पूजा । र०काल - । ले-काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २७८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान, बूदी। विशेष-मूल पूजा सकलकीति कृत है। ८७५०. रोहिणी व्रत मंडन विधान-- । पत्रसं० ३०। प्रा० ..x५ इञ्च । भाषासंस्कृत हिन्दी । —विषय पूजा। र०कालले कालX । पूरी । वेष्टन सं० २८७ । प्राप्ति स्थान:दि. अन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी। १७५१. रोहिशी वतोद्यापन- वाविचन्द्र। पत्रसं० २१ । प्रा० १०x४ इञ्च । भाषा---- संस्कृत । विषय पूजा । २० काल: । ले०काल सं० १७१३ मंगगिर सूदी ५। । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२। प्राप्ति स्थान--दि० जैन अन्नवाल मन्दिर उदयपुर । Page #962 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [६०१ ५७५२. रोहिणी व्रतोद्यापन-X । पत्र सं० १६ । ग्रा० ६४६ इञ्च । भाषा-संस्कृति । विषय-पुजा । र० कास्त X । ले० काल सं० १८६८ । पूर्ण । बेष्टनसं० ११ । प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर पार्वनाथ नौगान दी। ८७५३. रोहिणी प्रतोधापन-- । पत्रसं० १५ । प्रा० ११४ ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुजा । र०कालले काल सं० १८९५ । पूर्ण । वेष्टनसं. २५०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष प्रति जीर्ण है। ८७५४. रोहिणी गातोद्यापन पूजा-४ । पत्र सं० २० । प्रा० १.१४५ इञ्च । भाषासंस्कृत-हिन्दी विषय-जा। र०कालX । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० १९४ । प्राप्ति स्थान दिन मंदिर राजमहल (टोंक) ___८७५५. रोहिणी व्रतोद्यापन-केशवसेन-x। पत्र सं० १७ । पा. १४४५ पञ्च । भाषासंस्कृत । विषय पहा । काल ४ : ले. कारण । मान १३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर बोरसली कोटा । ८७५६. प्रति सं० २१ पत्रसं० १३ । प्रा० १२४५३ च । ले० काल | पुर्या । वेष्टन सं० २७५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । १७५७. प्रतिसं०३ । पत्रसं० १० । प्रा० १०३४४३ इञ्च 1 ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ८७५८. प्रति सं०४ । पत्रसं० १६ । प्रा० १७३४५६ञ्च । लेकाल X पूर्ण । वेष्टन सं० ११ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पौधरियान मालपुरा (टोंक) ८७५६. प्रति सं० ५। पत्रसं० ४ । आ० ११ x १७ हश्च । लेs काल ४ । पूर्ण । येष्टन सं. २५५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी । ८७६०, लघु पंच कल्याणक पूजा-हरिभान । पत्रसं० १७ । प्रा० १३ ४७१ इन्च । भाषाहिन्दी । विषय-पूजा । र कान सं० १९२६ । ले. काल सं० १६२८ मार्गशीर्ष बुदी । पूरणं । वेष्टन सं. ४२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली । विशेष - मीकालाल छाबड़ा की बहिन मूलोबाई ने पंचायती मन्दिर करौली में सं० १९८१ में चढाई थी। १७६१. लघुशांति पाठ-सरि मानदेव । पत्रसं० १ । आ. १.४४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तवन । र०काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२०। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लपकर जयपुर। विशेष-प्रारम्भ में पार्श्वनाथ स्तवन दिया हुआ है, जिसे घण्टाकरण भी कहते हैं । ८७६२. लघशान्ति पाठ-४ । पत्र सं०३ । प्रा० १०x४ इञ्च । भाषा-स्बृज । विषयपूजा । र काल ४ । ले० काल X । पुर्ण । वेष्टन सं० १६८/४३ । प्राप्ति स्थान-दि जन पन्दिर पार्श्वनाथ इधरगढ़ (कोटा) Page #963 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्य सूची-पंचम भाग ५७६३. लघुशान्तिक पूजा-पानन्वि । पत्र सं०३८ । आ. ११३४५३ हश्च । भाषासंस्कृतः । विषय-जा । र०काल ४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मंदिर कोट्यों का नावा। ८७६४. लधुशान्तिक विधि-४ । पत्र सं० १७ । प्रा० १०:४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र काल - । ले०काल सं० १५४८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लष्कर जयपुर । विशेष-प्रशस्ति-- सवत् १५४८ वर्षे चैत्र बुदी १० गुरु दिने श्री मूलसंघ नद्याम्नाये स० गच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भ० पद्मनन्दिदेवा तत्पष्टै भ. श्री शुभचन्द्र तत्पट्टे मश्री जिनचन्द्रदेवा तत् शिष्य भ. रत्नकोतिदेवास्तव शिष्य' ब्रह्म गोट्रराज ज्ञानावरणी कर्मक्षयार्थं लिखापितं । ज्ञानवान ज्ञानदानेन निर्भयो ऽभयदानतः । अभयदानात् सुखी नित्यंनिधी भैषजं भवेत ८७६५. लघु सिद्धचक्र पूजा-~म शुभचन्न । पत्रसं० ४६ । ग्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-- संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल ४ । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २४५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ५७६६. लघस्नपन विधि-x। पत्रसं०५ या०५३इन्छ । भाषा-सांस्कृस । विषयविधान । र०काल x। लेकाल x गर्म । वेप्रत सं० ४५ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) २७६७. सब्धिविधनोधापन पूजा-४ । पत्रसं० ११ । प्रा०११४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । ले० काल सं० १६१० । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४/२४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मंदिर दूनी (टोंक) ८७६८. लब्धिविधान ति। पत्रसं०१०या० १०.४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-जा । र०काल X । ले०काल स० १८६८ फागुण बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५-१०५ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ७६६. लब्धिविधान-x। पत्र सं०४-११ । आ. १.१४४१ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूना । काल X । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । प्राप्ति स्थान--40 दि० जैन मन्दिर अजमेर। ८७७०, लविधविधान उद्यापन-x। पत्र सं| प्रा. ११४४१ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X। लेकाल । पूर्ण । पेष्टन सं०५३२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर। ८७७१. लब्धिविधान उदयापन पाठ । पत्रसं० १२ । मा० ६१४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय पूजा एवं विधान । र०काल । ले० काल सं० १६०५ भादया सुदी। पूर्ण । वेष्टन सं० १९६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) । Page #964 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पजा एवं सिरन साहा ] ८७७२. लधि विधान पूजा-हर्षकीति । पत्र सं० २ । प्रा०१०x४ इन्ध । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । द० फाल । ले०काल x I पूर्ण । वेष्टन सं० १४२ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ७७३. लब्धिविधान पूजा-४ । । पत्रसं० १३। ग्रा० ६६x४३ इंच : भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । लेकाल सं० १८८६ भादवा बुदी १०। पूर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान-दिलजन पंचायती मंदिर बयाना । ८७७४. लम्बि विधानाध्यापन पाठ-४ । पत्रसं०७ । प्रा० १०२४५३ इञ्च । भाषासंस्कृत । र०काल x | लेकाल ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०१६/३४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन सौगानी मंदिर करौली। ८७७५. वर्तमान चौबीसी पूजा-चुन्नीलाल । पत्रस० ७१ । पा० १२१४७१रव । भाषाहिन्दी पद्य ! विषय-पूजा । २० काल ४ । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर करौली। ८७७६. बर्तमान चौबीसी पूजा-४ । पत्र सं० १११ । प्रा० १०३४६३ इञ्च । भाषा - हिन्दी पद्य । विषय-पूजा। र० काल X । ले: काल सं० १६१७ पौष वुदी १३ । पुर्ण । वेष्टन सं० १३७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी दौरान । १७७७. वर्धमान पजा-..सेवकरास। पत्र सं०२ । भा०.१x६१ इन। भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा। २० कान x ले० बाल १९४६ । पर्ण । वेपन सं० ६६६ । प्राप्ति स्थान ..दि लश्कर जयपुर। ८७७८. वसुधारा–x पत्रसं० ३ । आः ६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय-विधि विधान। २० काल ४ । वे काल सं० १७५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८६-१२६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर मिनात्र टोडारायसिंह (टोंक)। १७७६. वास्तुपजा विधान-X। पत्र सं०८/११। प्रा० १३४४ इश्व । भाषा-संस्थत । विषय-विधान । २० काल X । ले०काल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० ४३७,३८८ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर संभवनाय उदयपुर । ८५८०. वास्तुपूजा विधि-x। पत्रसं० ६ ! श्रा० ६३४ ६ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय - पूजा । १० काल: । लेकाल सं० १९४४ भादवा सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२१३ । प्राप्ति स्थानभ.दि. जैन मन्दिर अजमेर । ८७८१. वार धि-x | पत्र सं०७ । ग्रा० ८४६१ इञ्च । भाषा-विधान । विषयविधान ! २० काल x । काल X । पूर्ण । वेष्टनस० २६६/११७ । प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ८७८२. वास्तु विधान-X । पत्र सं०६ । प्रा०६४५ इञ्च ! भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र० कालx। ले०काल . । अपूर्ण । वैएन' सं० २२७/६०प्राप्ति स्थान-विजैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । Page #965 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ५७.३. विदेहक्षेत्र पूजा-४ । पत्रसं. ३८ । ग्रा० १११४८ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । र. काल X। ले. काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ६७ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर खंडेलवाल उदयपुर । ८७५४. विद्यमान बोस यिरहमान पूजा--जौहरीलाल । पत्रसं०८ । प्रा० ७.४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा। र०काल X । ले. काल x अपूर्ण । बेष्टन संग ५७३ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ८७८५. विधमान बीस तीर्थकर पूजा-अमरचन्द । पत्र सं० २८ । मा० ११४५६ इञ्च । भाषा हिन्दी | विषय-पूजा । र० काल सं० १९२५ फाल्गुण मुदी ६ ले. काल सं० १६२५ । पूर्ण । बेष्टन सं०१८४ । प्राप्ति स्थान:-दि. जैन साहिरनवाल पंचायती मन्दिर अलघर । ५७८६. प्रतिसं० २।। पत्र सं० २६ । लेकाल स० १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७ । प्राप्ति सद-दि-चतीरपुर । ७८७. विमानपंक्ति पूजा-x। पत्रसं० ४ । प्रा. ११४४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र. काल ४ । ले०काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३३८/३३४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । ८७८८, विमानपंक्ति पूजा-५ । पत्रसं० । । प्रा० १.४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय पूजा । र. काल x 1 मे काल स० १९३८ । पूर्ण । पेष्टन सं० ३०६/११७ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ७८६. विमानपंक्ति पूजा-X1 पत्रसं० ७ । प्रा० १०३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० काल X । लेकाल X । पूर्ण । येष्टन सं० ५० (अ) । प्रारित स्थान—दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ८७६०. विमान पंक्ति धतोदयापन--प्राचार्य सकलभूषण । पत्र सं० ६ । प्रा० ११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । ले०कास ४ । पुरणं । बेन सं. ३२५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अत्रवाल मन्दिर उदयपुर । ८७६१. प्रति सं० २ । पत्र सं०६ । प्रा. ११४५ इञ्च । र० काल x ।ले. कालx. पूरणं । वेष्टन स०२७४ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-प्राचार्य नरेन्द्र कीति के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। ८७६२. विमान शुद्धि पूजा--X । पत्रसं० ५१ । प्रा० १०४६३ च । भाषा - संस्कृत । विषय-पूजा । र तत्काल । लेकाल सं०१८२७ । पुर्ण । वेष्टन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान---दि० जन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान (बू'दी)। विशेष - सोले ग्राम में लिखा गया था। ८७६३. विमान शुद्धि शांतिक विधान-चन्द्रकीर्ति । पत्र सं० १४ । पा. ८४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र० काल X । ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७३ : ११७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटडियों का टूगरपुर । Page #966 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ६०५ ७४. विवाह पटल - X १५० ११० १०५४ इन्च भाषा-संस्कृत विषयविधान २० काल X | ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगढ़ (कोटा) | २७६५. विवाह पटल - Xपत्र [सं० २७ भाषा-संस्कृत विषय विधान १०काल X । । ले०काल सं० १७८७ द्वि० भादवा सुदी १ पूर्ण वेष्टन सं० ४५ प्राप्ति स्थान दि० बंद तेरहवी मन्दिर बसवा | विशेष- प्रति हिन्दी टीका सहित है। ८७९६. विवाह पटल - X विधान १० काल X ले० काल सं० जैन मंदिर अजमेर । पत्र सं० ७ १९९१ ८७६६. विवाह विधि विधान १० काल x ने० काल । । संभवनाथ मंदिर उदयपुर । पूर्ण ८७९७. विवाह पटल - X ० ६ ० १०४३ विधान २० काल X से काल X। पूर्वबेष्टन ० १०६० मन्दिर अजमेर | ० १०३२४] इच वेष्टन सं० १७१ भाषा संस्कृत विषय प्राप्ति स्थान- भ० दि० भाषा संस्कृत विषय प्राप्ति स्थान- भ० दि० जन विशेष - श्री हरिदुर्ग मध्ये लिपिकृतं । ८७६८. विवाह पद्धत - X ० १२०६३२ इचासंस्कृत विषयविधान १० कान X से काल सं० २०५७ श्रावण बुदी २ पूर्ण वेष्टन सं० २६० प्राप्ति स्थानदि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान बूंदी। पत्रसं० २७ प्रा० १५३ इन्च X। अपूर्ण वेष्टनसं० २२१ / ६६७ । | ०१. वेवी एवं भ्रष्टपाका स्थापन नवग्रह पूजा - इन्च भाषा-संस्कृत विषय विधान २० काल । ले० काल x प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूँ गुरपुर । ०२. निर्णय X ०४० पा० १३५३ विधि विधान १०कास X से काल सं० १९५२ । पूर्ण वेष्टन ३२२ पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। - ८०० प्रतिसं० २ पत्र सं० १ ११ ले काल x अपूर्ण वे० २२२ / ६६४ प्राप्ति स्थान दि० जंन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । भाषा संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन पत्र मं० ० ११६ पूर्ण वेष्टन सं० २०२-११७ । भाषा संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ०३. वत पूजा सग्रह - X पत्र सं० २०६ । प्रा० १०३२५ ए भाषा संस्कृत | व्रत | इश्व | 1 विषय-पूजा र०का X मे०काल सं० १५०९ आवण सुदी ५ पूरी दि० जैन मंदिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। वेदसं० ८१ प्राप्ति स्थान ८८०४. व्रत विधान -X | पत्र ० १६० १०३x४३ भाषा संस्कृत । इञ्च । – विषय-विधान २० काल X ते० काल X पूर्ण वेष्टन सं० २०४९ प्राप्तिस्थानम० दि० जैन मन्दिर अजमेर | Page #967 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-व्रतों का ब्योरा है। ८८०५. व्रत विधान-X । पत्रस०४-१५ । आ०१०x४१ इन्ज । भाषा संस्कृत । विषयविधान । र०काल X । ले०काल सं० १८६२ । अपूर्ण । बेष्टन सं० ७५.। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। विशेष:-५० केसरीसिंह ने जयपुर में प्रतिलिपि कराई थी। ८८०६. प्रत विधान.-४।पत्र सं० १८ । आ. १.४५ इच। भाषा-संस्कृत । विषयपुजा । १० काल x ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २८१1 प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर पायनाम बौगान दी। ८८०७. व्रत विधान–x । पत्र सं० ४ 1 प्रा० १२४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयविधान । र० कान ५ । लेकाल । परमं । वेष्टन सं० ५४६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लरकर जयपुर। ८८०८. खत विधान पूजा--अमरचन्द । पत्रसं० ४२ । पा०४७ इञ्च । भाषा: हिन्दी। विषय--पूजा । २० काल ४ । ले०काल X । पूर्णं । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर अयामा । विशेष-प्रारम्भ का पाठ बन्दी थी जिनराय पद, ग्यान बुद्धि दातार । दत पूजा भाषा कहों, यथा सुथ त अनुसार । अन्तिम पाठ . -. तीन लोक मांहि सार मध्य लोक को विचार । ताके मध्य दीपोदधि असंख प्रमानजी। सब द्वीप मध्य लस जंबू नामा दीप यह ताकी दिशा दस तामै मरत परवान जी । तामै देस मेवात है बसत सुबुद्धी लोग नगर पिरोजपुर झिरकी महान जी। जामे चत्य तीन बने पूजत है लोग घने बसत श्रावग वहां बड़े पुन्थवान जी ॥१॥ मुलसंधी संधलरी सरस्वतीगच्छ जिसे गणसी बलात्कार कुन्दकुन्द यानजी । ऐसो कुलमाना है वंश में चंखेलवाल गोत की लहाड़या स्त्र करौ जिनवानी जी। किसन हीरालाल सृत अमरचन्द नित वाल को स्थाल व्रत कुटुंद वो बखान जी । या में भूख-चूक होय साध लीज्यो प्राग्य लोग मेरो दोष खिमा करो खिमा बडो गुण या उर प्रानो जी ।।२।। -. - . . '- Page #968 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ १०७ ८८०६. अतसार-x। पत्र सं० ६ । प्रा० १०३४५. ध । भाषा-संस्कृत । विषयव्रत विधान । र काल x | ले. काल सं० १८१६ । पर्ण । वेष्टन स. १७५ । प्राप्ति स्थान---दि जैन मन्दिर लश्वार जयपुर । ८.१०. व्रतोद्यापन संग्रह-X । वेष्टन सं० ३६-१८ । प्रारित स्थान-दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डुगरपुर। विशेष -- निम्न संग्रह है१. जिनगुण सम्पत्ति अतोद्यापन सुमति सागर । संस्कृत २. कर्मदहन पूजा विद्याभूषण । ३. षोडशकारण प्रतोद्यापन मुनि ज्ञान सागर। ४. भक्तामर स्तोत्र मंडल स्तवन ५. श्रुत स्वध पूजा वीरदास । ६, पञ्च परमेष्टि पूजा विधान अशोनन्दि । ७, रत्नत्रयोद्मापन पूजा म. केशवसेन। ८, पञ्चमी व्रतोद्यापन पूजा १. कजिका व्रतोद्यापन याःकीति । १०, रोहिणी व्रतोद्यापन ११. दशलक्षण तोद्यापन १२, पल्य विधान पूजा अभयनन्दि। १३. पुष्पाकिजली व्रतोद्यापन १४, नवनिधान चतुर्दश रत्न पूजा लक्ष्मीसेन । १५. चिन्तामणि पार्श्वनाथ पजा विद्याभूषण। १६. पंच कल्याणक पूजा १७. सप्त परमस्थान पूजा १५. अष्टाह्निका प्रत पूजा बा सागर। १६. अष्ट कर्मचूर्ण उद्यापन पूजा X २०. कबल चन्द्रायण पूजा गिनसागर २१. सूर्यवसोद्यागन पूजा व. ज्ञानसागर २२ वन विधि २३. बारही चौबीसी श्रतोद्यापन २४. तीस चौबीसी प्रतोद्यापन म. विद्याभूषण । २५. अनना चतुर्दशी पूजा भ० विश्वभूषण । २६. विवाशत कियोद्यापन ८५११. व्रतोद्यापन पूजा संग्रह-४ । पत्र सं० १२-६६ । पा. १०४५ इभ । भाषासंस्कृत | विषय-पूजा। र०काल | ले. काल १८२१ । पूर्ण। वेष्टनसं०६३ । प्राप्ति स्थान-दि. जन मन्दिर बोरससी कोटा । Page #969 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग रत्नमन्दि कृा पल्य विधानोद्यापन, नदीश्वरनतोद्यापन, सप्तमी उद्यापन, पतक्रिया उद्यापन जिनगुण सम्पत्ति प्रतोद्यापन, बारह ब्रतोद्यापन, षोडशकारण उद्यापन, चारित्र ब्रतोद्यापन का संग्रह है। ५६१२. व्रतों का ब्योरा-४ । पत्रसं० १२ । प्रा. ७४५ इश्च । भाषा--- हिन्दी। विषयविधान । १० काल - . ले काख ४ । पूर्ण । वेहन सं० २४१ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगड (कोटा) ८८१३. बृहद् गुरावली पूजा-स्वरूपचन्द । पत्र सं० ८२ । श्रा० ६३४५४ इश्च । भाषाहिन्दी पख । विषय पूजा । र०काल सं० १९१० सायन सुदी ७ । ले-काल सं० १९३५ । पूर्ण । वेटन सं. १७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर रीली । विशेष—जीवनलाल गिरधारीलाल के तृतीय पुत्र किशनलाल ने नगर करोली में नेमिनाथाय चत्वालय में प्रतिलिपि करवायी थी। १४. प्रतिसं०२ पत्र सं० २८ । या० १५४५ इञ्च । लेकाल सं० १९१० 1 पूर्ण । वेपन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी दी। ८८१५. वृहत पुण्याह वाचन-४ । पत्रसं०५ । या० १२४४३ इञ्च । भाषा--संस्कृत । विषय-विधि विधान । लेकाल सं. १८९४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६३ ६० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) ८८१६. वृहद् पूजा संग्रह-X। पत्रसं० २१६ । प्रा०६४ ६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-प्राकृत । विषय-पूजा । र०काल X। ले०कास सं. १८२१ फागुन बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं०६७ । प्राप्ति स्थान:दि. जैनपंचायती मन्दिर करौली। विशेष-नैमित्तिक पूजायों का संग्रह है। ८८१७. वृहद् पंच कल्याणक पूजा विधान-x 1 पत्रसं० २२ । मा० ६३४४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय -पूजा । र० काल X । लै काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २५० । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बू'दी। E८१८. वृहत् शांति पूजा--X: पत्र सं० १२ : प्रा० ३४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल - । ले-काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० १३१२ । प्राप्ति स्थान-म०दि. जैन मन्दिर अजमेर । ८८१६. बृहद् शान्ति विधान-धर्मवेद । पत्र सं० ३६ । प्रा० ११४५ इन । भाषासस्कृत । विषय-विधान । र काल ४ । लेकाल सं० १८१२ चैत्र सुदी १२। पूर्ण । वेष्टन सं० ४३५ । प्राप्ति स्थान-दि.जैन मन्दिर लचकर जयपुर। विशेष-बगरू ग्राम के आदिनाथ चैत्यालय में ठाकुर वासिंह के राज्य में झांभूराम ने प्रतिलिपि की थी। १८२०. बृहत शान्ति विधान-XI पत्र सं. ५ । प्रा० १.४४ इञ्च । भाषा-संस्कृति । विषय-विधान । र कालx 1 ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ३०१ । शप्ति स्थान-दि. जैन पाश्वनाथ मन्दिर चौगान बू दी। Page #970 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ६०९ ८८२१. बृहद् शान्ति विधान-X । पत्रसं० ३ । प्रा० १११४४३ इञ्च । मापा-संस्बुत । विषय--पूजा । २० काल X । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन मं० १६६ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर बोरराली कोटा । ५.२२. वृहद् शान्ति विधि एवं पूजा संग्रह-४ । पत्र सं० २६ । प्रा० १०१४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० कालX । ले. काल X । पूर्ण । देष्टन सं०३९ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। ८८२३. बृहद् षोडशकारण पूजा--X । पत्रस' ४५ । प्रा० १०३४४३ इञ्च। भाषा - संस्कृत । विषय-पूजा । र काल X । लेकालX । पूर्ण । वेष्टनसं० २७४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दीवानजी कामा । २४. वहद बोडशकारण पूजा-X । पत्रसं० १५ । प्रा०१०:४४इसाय । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x । लेकाल सं० १८१८ सावण सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६७ । प्राप्ति स्थान-भः दि जैन मन्दिर अजमेर । ८८२५. वृहद सम्मेद शिस्तर महात्म्य --मनसुखसागर। पत्रसं० १३७ । मा० १२:४५ इन्छ । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-पूजा । र० काल X । ले०काल सं० १९३० माघ सुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२१६ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मन्दिर अजमेर । ८८२६. बृहद् सिद्धचक्र पूजा - म० भानुकोति पत्र सं० १४६ ! आ ११४५ इश । भाषासंस्कृत । विषय- पूजा । २० काल ४ । लेकालपूर्ग ।त. १४ शनिट स्थान - जैन मंदिर लश्कर जयपुर । विशेष-प्रशस्ति- अच्छी है । जयपुर नगर में लश्कर के मन्दिर में पं. केशरीसिंह जी के शिष्य झाडूराम देवकरण ने प्रतिनिधि की श्री। ८८२७. शत्रु जय जद्धार-नयनसुन्दर । पत्रसं० ६ । प्रा०६१४४२ इञ्च । भाषा हिन्दी । विषय-पूमा ! र काल x 1 ले० काल ६० १८१५ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १९१५ । प्राप्ति स्थान दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ८८२८. शास्त्र पूजा- पत्रसं० ५३-६३ : प्रा० ७३४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी विषयपजा। र०काल x ! ले०काल सं.x। पूर्ण । वेष्टन सं०६८-५५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर भादवा (राजस्थान)। ८८२६. शास्त्र पूजा-xपत्र सं० ७ । प्रा० १.४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा । र०काल X । ले. काल सं. १८६५ 1 पूर्ण । वेष्टन सं०६८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पाश्यनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। ८८३०. शांतिकाभिषेक-४ । पत्र सं० १४ । प्रा० १०.४४२ इंच | भाषा-संस्कृत । विषय - पूजा । २० काल ४ । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ४३६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लवकर जयपुर । Page #971 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ±१० ] ८८३१. शांतिकाभिषेक - XI पत्र० ३६ ० पूजा १० काल X ० काल सं० २०२० कार्तिक दी ५ पूर्ण जैन मन्दिर कोटयों का नेगुवा । विशेष—गुवा में प्रतिलिपि हुई थी । ८८३२. शान्ति पाठ पं० धर्मदेव विषय-पूजा १० काम X | ले० का X जैन मन्दिर अजमेर | ८८३३. शान्ति पाठ - X पूजा २० काल X ० का ० १९६१ भण्डार मन्दिर लश्कर, जयपुर । ० २ पत्र सं० २१ मेन से० पूर्ण ३४. शांतिक पूजा विधानविषय-पूजा २० काल X ० काल । पू पार्श्वनाथ चौगान बूंदी। ० ६६ - [ ग्रन्थ सूची- पंचम माथ १४४६ भाषा-विषय वेष्टन सं० ३७ प्राप्ति स्थान दि० न ० ६६५ पत्र ० ५ वेष्टन [सं० २० श्र० ११४५ इन्च भाषा संस्कृत प्राप्ति स्थान- भ० दि० १६० भाषा संस्कृत हिन्दी विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन शास्त्र ८८३५ शांतिक विधान- धर्मदेव गत्रसं०४७ मा० ८x४३ इन्च भाषा-संस्कृत विषय - दिवान । २० काल x । ले० काल सं० १८५९ चैत्र वदी १० । पू । वेष्टनसं० ११७७ प्राप्तिस्थान- म० दि० जैन मन्दिर अजमेर | - ८३६ प्रतिसं० २०३७ प्रा० १०३४५ ४ ०काल सं० १८६४ माह बुदी ६ पूर्ण वेष्टन ०२५-११ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष – टोडारायसिंह में पं० श्री वृदावन के प्रशिष्य एवं सीताराम के शिष्य श्योपीराम ने प्रतिलिपि की थी। ८६४१. शांति । | पूजा र० काल X ० काल स० १५५१ प्राषाढ सुदी १२ स्थान- दि० जैन मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । पूजा X1 पत्र ० ४ ० | ० १०४४३ च भाषा संस्कृत प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ८८३७. शान्तिक विधि - X पत्रसं० २ भाषा संस्कृत विषय निधि २० का X ०काल पूर्ण वेष्टननं० X प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ८८३८. शांतिव पूजा | पत्र सं३ । ० १० X ४ इन । भाषा - संस्कृत | विषय - पूजा १० काल x ०काल वेन सं० १५९८ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | X । ८८३९. शान्तिचक्र पूजाप सं० ७ ० ९६x४३ च भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा र०का ४ खे० काल स० १९४८ पू० १६२ प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बदी । ६८४०. शांति पूजा X सं० ४० ११३६३ भाषा संस्कृत | इन्च । विषय - पूजा | २० काल x । ले-काल x । पूर्ण । देष्टन सं० ३५ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर कोणों का गाना । | । इव भाषा संस्कृत विषय वेष्टन सं० ४४-५१ प्राप्ति । । । पूर्ण Page #972 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] विशेष- राजमहल नगर में श्री चन्द्रप्रभ चैत्यालय में सुखेन पंडित ने प्रतिलिपि की थी। ८८४२ शांति पूजा पत्र० ३ वेष्टन सं० ४८ ० १०५ इंच प्राप्ति स्थान पूजा २० काल । ले काल x पूर्ण कोटा | ८६४३. शांतिचक्र विधि- X पूजा २० काल x सेकास X पूर्ण कोटा | पत्र० ४ पेटत सं० २८ पत्र० ५ ८८४५ शांति मंडल विधान - संस्कृत विषय-पूजा २० काल X: ऐकाज सं० १८६४ पूर्ण दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर इन्दरगड (कोटा) | पा० ११४४ प्राप्ति स्थान ८८४७ शान्तिनाथ पूजा -X | पत्र नं० १३ | विषय-पूजा काल X से काल x । पूर्ण वेष्टन सं० मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ४४ शांतिल मंडल पुष्ट सं० ४। आ० ११X५३ इञ्च । भाषासंस्कृत 1 विषय - पूजा । र० काल X से काल सं० १६४८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५०६ प्राप्ति स्थान-दि० ग मन्दिरकोटका धरपुर ५०. शांति होम विधान- प्राशा थर संस्कृत | विषय - विधि विधान । २० काल X | ले० स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली 1 ८८५१ प्रतिसं० २ पत्रसं० ५ ८० प्राप्ति स्थान - वि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । | ६११ ८८५२. शीतलनाथ पूजा विधान - विषय मा र कालX का पूर्ण अजमेर | -- | भाषा-संस्कृत | विषय - दिन मंदिर बोरसली 1 । भाषा-संस्कृत विषयदि० जैन मन्दिर बोरसली ८८४६ प्रतिसं० २ पत्रसं० ४ ०काल सं० २००८ वाढ बुदी १०. पूर्ण वैन सं० १५६/५७ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर । - → ०४८, शांतिनाथ (वृहद् ) पूजा - ० शांतिदास पत्र [सं० १६ ग्रा० १२४८ इव । भाषा - संस्कृत । विषम-पूजा । र०काल X। ले० काल x पूर्ण । वेष्टनसं० ३६२ - १४० १ प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर कोटडियों का दूंगरपुर ० १०३५३ इव । भाषासं० १५० ५७ प्राप्ति स्थान ४६. शान्तिमंत्र - X। पत्र सं ० ४ । प्रा० १०x४३ इव । भाषा-संस्कृत विषयविमान १०काल X सेकास सं० १९३८ पूर्ण सं० २४१ / १३२ प्राप्ति स्थान- दि० जन मन्दिर कोटडियों का 'गरपुर । पत्रसं० २ वेष्टन सं० १३०० - ० ७६ इन्च भाषा संस्कृत १७० / ७३ प्राप्ति स्थान दि० जैन पत्र [सं० ४० १२४५३ इञ्च । भाषाकाल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १०३ | प्राप्ति ० ११४६३ इस ले० काल । पूर्ण बेन सं० ० ११४५ इव । भाषा-संस्कृत | प्राप्ति स्थान दि०जैन मन्दिर Page #973 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२] [ ग्रन्थ सूखी-पंचम भाग -- x । । । । ८८५३. शुक्ल पंचमी व्रतोद्योपन पत्र सं० ११ ० १२८४ इंच भाषा संस्कृत । विषय-पूजा २० काल X ले० काल X [न] सं० २२९ / २५१ प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष भट्टारक याविभूषण के शिष्य प्र० देवा के पनार्थ प्रतिलिपि हुई थी प्रति प्राचीन है। - ८८५४. शुक्ल पंचमी व्रतोद्यापन - X । संस्कृत विषय पूजा १० काल X। ले०काल Xx मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान, (बूंदी) । ५५. शुक्ल पंचमी प्रतोद्यापन विषय-पूजा २० कान X लेखन काल सं० १९९८ जैन मन्दिर कोटडियों का मूंगरपुर । पूर्ण ५६. शुक्ल पंचमी धतोद्यापन - X । चलोद्यापन - X 1 संस्कृत विषम-पूजा १० काल x ले० काल X जैन मंदिर कोटडियों का हूंगरपुर। पूर्ण ० १०० ११३४५६ इच । भाषावेष्टन नं १७० प्राप्ति स्थान दि० जन पत्र सं० ६ ० १०६३ वेष्टन सं० १९७ पूर्ण ८४. अतस्कंध पूजा - ज्ञानभूषण विषय-पूजा १० का X ले काल सं० १६६१ स्थान - दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूंदी | ८८५७. शुक्लपचमी तापन विषय-पूजा १० काल X ले० काल X पूर्ण कोटडियों का हूंगरपुर । ८८५० श्राद्ध विधि रत्नशेखर सूरि पत्रसं० १२८ संस्कृत । विषय विधि विधान २० काल सं० १५०६ । ले० काल x पूर्ण स्थान - दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ८८५६. श्रावक व्रत विधान - प्रश्नदेव | संस्कृत विषय-विधान । २० काल X ' ले० काल स० प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर भनेर । I पत्र सं० ७ । प्रा० ११३४५६०श्व | भाषावेष्टन सं० १९८/८० प्राप्ति स्थान - दि० पत्र सं० ७ बेटन सं० ५२१ भाषा-संस्कृत | प्राप्ति स्थान दि० ० १०x६ इञ्च । भाषा - संस्कृत । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ० १०४३ भाषा। वेष्टन सं० ६५-२०० + प्राप्ति पत्रसं० १५ । ० १०६ इच। भाषा१७६५ माघ सुदी ११ । पूर्ण वेष्टन सं० ४०२ । ६६६०. भूत पुत्र I २० काल X | ले० काल x । पूर्ण ८८६१. पूजा 1 A पत्रसं० ११५ इस भाषा संस्कृत विषय-पूजा। न ० ३६३ । प्राप्ति स्थान- भ० द० जैन मन्दिर अजमेर | पत्र० ४ ० १०३४३ भाषा-संस्कृत विषय पूजा र०काल X | ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६६ प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ८८६२. श्रुत पूजा X ० ४ - | पत्र सं० २० काल X ० x पूर्ण वेष्टन सं० ६१७ I पत्र० ६ ज्येष्ठ सुदी २ । ० ११९५ इन्च भाषा संस्कृत विषय - पूजा। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ८८६३. श्रुत पूजा - ४ । पत्रसं० ४ । ग्रा० १०×५ इव । भाषा - हिन्दी पद्य | विषय - पूजा । १० कान X ले० काल पार्श्वनाथ चौगान बूंदी | । पूर्ण देन सं० २२१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ० १०६१ भाषा संस्कृत। पू । येन सं० १०४ प्राप्ति Page #974 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ९१३ ८८६५. श्रुतस्कंध पूजा-त्रिभुवनकोति। पत्रसं० ३। भाषा-सस्कृत । विषय-पूजा । १० काल ले. काल ४ । पर्ण। वेष्टन सं०४१३१८ । प्राप्ति स्थान- दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ८८६६. प्रति सं० २ । पत्रसं० ३ । ले० काल स०४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५.३१६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ८८६७. ध तस्कन्ध पुजा-भ० श्रीमवरण । पत्र सं० १९ । पा. १५४४ इच । भाषासंस्कृत । विषय- पूजा । र० काल x | लें काल सं० १७३१ । पूर्ण । वेष्टन स० ५१४ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर। विशेष-बहारादरमध्ये पं० भोमजी लिखितं । ८८६८, श्र तस्कन्ध पगा-बर्द्धमान देव। पत्रसं०७ । प्रा० १०४५ इश्च । भाषासंस्कृत । विषय पूजा । र० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टमसं० ४४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ८८६६. श्र तस्कन्ध पूजा-४ । पत्रसं० ६ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा 1 र०काल ४ ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १५८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान व दी। ८८७०. श्रुतस्कन्ध पूजा-४ । पत्र सं० ४ । आ० ३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । २० काल X । लेकालX । अपूर्ण । वेष्टन सं०५० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर। विशेष—एक प्रति पौर है। ८८७१. शु तस्कंध पूजा-५ ।पत्र सं०५ । मा० ११:४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल x 1 ले काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। ८E७२. ध तस्कंध पुजा- पत्र सं०३। प्रा०१३४५: इडच । भाषा-प्राकृत ! विषयपूजा। र० काल X । ले०काल सं० १६७१ ज्येष्ठ सूदी देष्टन सं. २७-६० । प्राप्ति स्थान--दित जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष-पं० शिवजीराम में अपने शिष्य चैनसुख : नेमीचन्द के 'पढ़ने के लिए रोडा में प्रतिलिपि की थी। ८८७३, ना-x। पत्रसं. 51मा० ११४५ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । २० काल X। ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बू दी। ८५७४. श्रुतस्कंध पूजा-४ । पत्रसं० १०। प्रा० १०.४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र०काल x • काल x। पूर्ण । वेष्टनसं.६६ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) Page #975 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ८५७५. श्रत स्कंध पूजा विधान-बालचन्द । पत्र सं०३५ । आ० १११४५ इञ्च । भाषा-- हिन्दी पद्य । विषय-कया । र०काल X । ले० काल सं० १९४५ ज्येष्ठ बुदी ६ । पूर्ण । वेपन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर दी। १८७६. श्रत स्कंध मंडल विधान- हजारीमल्ल-X1 पत्रसं० २७ । प्रा० १३४५६च ! भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा। र०काल' x | लेकाल सं० १९३२ । पूर्ण । बेधन सं०७८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर श्री महावीर चूदी। विशेष-हजारीमल्ल साहिपुरा के रहने वाले थे। ८८७७. श्रु त स्कंध मण्डल विधान--४ । पत्रसं० १ । प्रा० २६ x ११३ हच । भाषासंस्कृत विषय-पूजा । २० काल ४ । ले. काल x I पूर्ण । वेष्टन सं १६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर दनी (टोंक)। विशेष मण्डल का नक्शा दिया हुआ है। ८८७८. षोडशकाररा जयमाल-XI पत्रसं०१४ । प्रा० ११४४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल x | ले०काल १७८० श्रावण मुदी ३ । पूर्ण । वेष्टनसं० ६१६ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर अजमेर । ८८७६. षोडशकारण जयमाल-x। पत्रसं० १७ । भाषा-संस्कृत | विषय --पूजा। र० काल x .ले०काल सं. १८३२ प पूर्ण । वष्टन सं. ४८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर। विशेष-ऋषि रामकृष्ण ने गरतपुर में प्रतिलिपि लिखी थी। १९८०. षोडशकारण जयमाल-x। पत्र सं० ६ । आ०१२४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषय -पूजा । २७ काल XI ले०काल सं० १७८२ भादवा बुदी १४ । पुर्ण । वेष्टन सं० १२२८ । प्राप्ति स्थान-म०दि. जैन मन्दिर अजमेर । १. षोडशकारण जयमाल-x । पत्रसं० ४१ । प्रा० १३४५ इव । भाषा-प्राकृत । विषय-पूजा । र०काल ४ । ले०काल सं० १६४० भादवा बुदी १० । पूर्ण । वेष्टनसं० १.४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अजमेर विशेष—गौरीलाल बाकलीवाल ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की थी । टब्वा टीका सहित है। २. षोडशकारण जयमाल-४ । पत्रसं० १० । भाषा-प्राकृत । विषय-पूजा । र० काल X । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर मरतपुर । विशेष-- संस्कृत में टीका है । E९८३. बोडशकारण जयमाल-x।पत्र सं० १२ । ग्रा० ११४४ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले० काल सं० १७१५ माह सुदी १३ । पूर्ण । वेटन सं० १२२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) । . ८८४. षोडषकारण जयमाल-रइधु । पत्रसं० १२ । भाषा--अपभ्रश । विधयपुजा र काल x । लेकाल सं० १०५३ । पुरष । वेष्टन संX । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #976 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ६१५ विशेष-गुमानीराम ने भरतपुर में प्रतिलिपि की थी। १८५५. प्रति सं०२। पत्र सं० २७ । प्रा० ११४५६ इञ्च ले. कालX । पुरखें । वेष्टन सं. ३४/२८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर। विशेष-कहीं २ संस्कृत में शब्दार्थ दिये है। ८८८६. षोडशकारण जयमाल वृसि-- पं० शिवजीदरुन (शिवजीलाल)। पत्रसं० २६ । १२३४७१६च । भाषा-प्राकृत सस्कृत । विषय-पूजा । र० काल 1 ल काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं. ५१६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ८८८७. षोडशकारण पजा--X । पत्र सं० २४ । प्रा० ११४४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २७६ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ८८८८. षोडशकारण पूजा-४ । पत्र सं० १२ । प्रा० १२३४५६ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय पूजा ! र काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मंदिर करौली। ८८८६. षोडशकारण पूजा मंडल विधान-टेकचन्द-४ । पत्रसं० ४१ । पा० १२४५ इश्च । भाषा-हिन्दी (पद्म) । विषय-पूजा। र० काल X । ले. काल X पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्लि स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ८८६०. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५३ । प्रा. ११x६३ इञ्च । ले०काल सं० १९५६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्लि स्थान-दि० जैन मन्दिर मिनन्दन स्वामी, बूंदी। 5८६१. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० ५२ । लेकाल सं० १६७३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६३-१४८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ८८६२. पोडशकारण प्रतोद्यापन-शानसागर-XI पत्र सं० २३ । प्रा० १२:४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० काल x । ले०काल सं० ११३८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२८ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर कोड़ियों का डूगरपुर । ८५६३, षोडशकारण पतोद्यापन पूजा-सुमति सागर । एत्रसं० ३२ । प्रा. ११४६३ इन । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले० काल सं० १८१७ भादवा मुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०३ । प्राप्ति स्थान--दि जैन छोटा मंदिर बयाना। विशेष-अन्तिम पार निम्न प्रकार है अवन्ति नाम सृदेशमध्ये विशालशालेन बिभ्राति भूतले । सुशान्तिनाथस्तु जयोस्तु निल्यं, मुजेनकेया परदेव तत्र ॥१॥ श्रीसंघथूले विपुलेयदूरे ब्रह्मी प्रगद्दे वलथालिने गणे। तत्रास्ति यो गोतम नाम घेया त्वये प्रशांतो जिनचन्द्र सूरि ॥२॥ श्रीपद्मनन्दिर्भवतापहारी देवेन्द्रकीतिमुवनैककीति । विद्यादिनदिवरमल्लिभूषः लक्ष्म्यादिचन्द्रो भवचन्द्रदेव ।।३।। Page #977 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग तत्प? ऽभयनन्दिसो रत्नकीति गुरणाग्रणी । जीयाद् भद्रारको लोको रस्नकोति जगोत्तम ॥४॥ सुमति सागरदेव चक्र पूजा मद्यापहां । खंडेलवालान्यमे यः प्रह्लादो हादवान्सुधी ।।५।। कपिरोयपूजाया मूलसंघविदाग्रणी। सुमतिसागरदेव श्रद्धाषोडशकारणे ॥६॥ इति षोशकारण प्रतोद्यापनपाटा। पंचाशदधिः श्लोकैः षट्शतै प्रमितं महत् ।। तीर्थकृत्परपूजाया सुमतिसागरोदितः ॥७॥ ५८६४. प्रति सं० २ । पत्रसं० २७ । से काल x ! पूर्ण 1 वेश्नसं० ४ । प्राप्ति स्थान-- दि. जैन छोटा मन्दिर बयाना । RE६५, प्रति सं०३ । पत्र सं० २१ । प्रा० १२४५% छु । लेकाल सं० १०६७ फागुण धुदी १२ । पूर्ण । वेष्टनसं० २१-१०३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष--अभयचन्द्र के शिष्य मुमतिसागर ने पूजा बनाई । अभयचन्द्र की पूरी प्रणस्ति दे रखी है । टोडा में श्याम चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी। नाथूरामजी लुहाडिया ने नासिरदा में मन्दिर चाया था। ८८६६ प्रति सं० ४ । पत्र सं० २६ । सेवालX । पूर्ण । वेष्टन सं० ५८ । प्राप्ति स्थानदि.जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । EE७. षोडशकारण प्रतोद्यापन । पत्र सं० २१ । आ. १६४५३ दृश्य । भाषा- संस्कृत । विषय- पूजा । र० काल X । ले. काल सं० १७५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५४ । प्राप्ति स्थान-विजन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ८८१८. सकलीकरण विधान-४ । पत्रसं० ३ । आ० १०४४ इन्च । भाषा-प्रस्कृत। विषय पूजा । र० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टनस ० ३८४ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर १६. सकलीकरण-४ । पत्रसं० २ । प्रा० १२३४ ६ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । २० काल ४ । ले०काल - I पूर्ण । वेष्टन सं० ६८८ । प्राप्ति स्थान--भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर। ६००, सकलीकर--x 1 पत्र सं० ३ । प्रा० ११X६ इश्य । भाषा-संस्कृत । विषयविधि विधान । २० काल - । ले०काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० ५३७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । १९०१. सकलीकरण-x 1 परसं० ४ । प्रा०-१०४६६६च । भाषा संस्कृत । विषयविधान । र० काल x। ले० काल - । पूर्ण । वेपन सं० १०३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन प्रादिनाथ मन्दिर दी। ८९०२. सकलीकरण विधान ४ । पत्र सं० ३ 1 आ० १.१४५ मञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र०काल Xले० साल पुर। वेष्टन स० ४२८ । प्राप्ति स्थान- दिम मंदिर लश्कर, जयपुर। Page #978 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ६१७ लीकरण विधान-X । पत्र सं. २ । प्रा० १.३४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र०काल x लेफाल X। अपूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) । ५६०४. सकलीकरण विधि-X । पत्र सं०१ । पाक १२४५ इन्च भाषा-हिन्दी। विषयविधान । र काल ४ । लेकाल x। पूरणं । वेष्टन सं० १९२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन नेमिनाथ मंदिर टोडारायसिंह (टोंक) । ०५. सकलीकरण विधि-X पत्रसं० ३। भाषा-संस्कृत । विषय-विधान । र०काल । । लेकाल सं० १९८४ ।पुर्ण । वेष्टन सं० ३४८-१३२। प्राप्ति स्थान:-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । ८६०६. सकलीकरण विधि-x। पत्र सं. ३४ । भाषा संस्कृति । विषय-विधान । २० काल X 1 ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान विशेष- अन्त में शान्तिक एजा भी है। ८६०७. सकरलीकरण विधि--.x । पत्र सं० ४ । प्रा० x ५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय -विधान । र०काल । लेकाल सं.१९११ । पूर्ण । वेष्टनसं० २५६ । प्राप्ति स्थान.. दि जन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान (बूदी) । ८६०८. सकलीकरण विधि-४ । पत्रसं० ३ 1 पा० १०३४५ दश । भाषा - संस्कृत । विषय-मंत्रशास्त्र । र०बाल X । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १३८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पाश्चनाथ मन्दिर चौगान (ब्रूदी)। ८६०६. प्रतिसं०.२ । पत्र सं० ३ । लेकाल x। पुरणं । बेष्टन सं० १६७ । प्राप्तिस्थान-दि० जन सर्वनाथ मन्दिर चौगान (बू दी)। ८११०, ससर ---X । पत्र सं० २। भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र०कालx । ले. काल सं० १८००। पूर्ण । वेष्टन सं० ३४ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८६११.सप्तर्षि पूजा--विश्वभूषण । पत्रसं० ४६ । बा १३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । लेकाल X । अपूर्ण 1 बेष्टन सं० १३७१ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जन मन्दिर अजमेर । ९६१२. प्रतिसं० २। पत्रसं० १४ । ले० काल सं० १८५२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ८६१३. प्रति सं०३। पत्र सं० ७ । ले. काल X । अपुर्ण । वेष्टन सं० ६२ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर भरतपुर । ८६१४. प्रति सं०४ । पत्रसं० ३ से ६ तक । ले. काल सं० १८५२ । अपूर्ण । वेन सां०३६ 1 प्राप्ति स्थान--दि० जैन पचायती मंदिर भरतपुर । १५. प्रति सं०५। पत्रसं० १० । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टनसं० १४ । प्राप्ति स्थानउपरोक्त मंदिर भरतपुर । Page #979 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग 893 HEREGN - ०१ ८६१६, प्रति सं०६ । पत्र सं० १० । ले• काल x । पूर्ण । वेष्टनसं० ६५ । प्राप्ति स्थानउपरोक्त मन्दिर भरतपुर : ८६१७. प्रति सं०७ । पत्र सं० १२ । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ 1 प्राप्ति स्थानदि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । ८६१८. प्रति सं०८ । पत्र सं० १७ । ले० काल ४ । पूर्ण वेष्टन सं० ५३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । 1-X । पत्रसं०३ । आ० १११X'इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषयपुजा । र०काल ४ । ले. काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान--स. दि. जैन मन्दिर अजमेर। ८६२०, सप्तर्षि पूजा--X । पत्र सं० ११ । प्रा. ६४६५ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले० काल सं० १९३६ भादवा बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७७ । प्राप्ति स्थान-..म्वं पंचायती मन्दिर उदयपुर । ८६२१. सप्तर्षि पूजा-X । पत्रसं० ६ । आ. ११४४, इश्च । भाषा-संस्कुत । विषय -पूजा । र० काल-X ।ले०काल सं० १७६८ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १६१:५८ । प्राप्ति स्थानदि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगद (कोटा)। विशेष-संवत् १७६८ भट्टारक श्री १०८ जगत् कीति शिष्येण दोदराजेन लिखितं । ८६२२. सप्तर्षि पूजा-मनरंगलाल । पत्र सं० ३१ प्रा. १२४८ इञ्च 1 भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र काल X । ले०काल सं० १९५८ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २०८ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर नागी (दु'दी)। २९२३. प्रतिसं० २ । पत्रसं०४ । आ० १३४७१ च । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं०११३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ८६२४. सप्तषि पूजा -स्वरूपचन्द । 'पत्र सं० ११ । प्रा० ६x६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी विषय-पूजा । र० काल सं० १६०६ । ले काल X । पुर्ण । वेष्टन सं० १७८ । प्राप्ति स्थान--स्त्रक पंचायती मन्दिर अलवर । विशेष-एक अन्य प्रति १२ पषों की और है। ८६२५. सप्तपरमस्थान पूजा-गंगादास । पत्रसं०१ । या. १२४६६च । भाषासंस्कुल । विषय पूजा । र० काल X । ले० कालX । पूर्ण । वेष्टनसं० १६० र । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर टोडारायसिंह (टोंगा)। ८६२६. सप्तपरमस्थान पूजा-X । पत्र स०४ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्वनसं०३५६ । प्राप्ति स्थान--म. दि. जैन मन्दिर अजमेर । ८६२७, समवसरण पूजा-पन्नालाल । पत्रसं०७४ । प्रा० १२४८ इंच । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र० काल सं. १९२१ ग्रासोज बुदी ३ । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १५ 1. प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) । Page #980 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ १६ विशेष--८४५ पद्य हैं। ८६२८. प्रति सं०२। पत्रसं०१८ । प्रा० ११:४५३ इन्च । ले० काल सं. १९३३ वैशाख बुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । २६. प्रतिसं०३। पत्रसं० १४० । ग्रा० १२:४६ इश्च । ले०काल सं० १९२६ ज्येष्ठ सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं०११३ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन पंचायती मन्दिर बयाना। विशेष-4 लाभचन्द ने मथा में घाटी के मन्दिर में प्रतिलिपि की। ८९३०. प्रतिसं०४। पत्र सं० १४३ । पा०१०१५ इञ्च । ले०काल सं० १९२६ याबाट दी २ । पूर्ण । वेष्टन सं०६२। प्राप्ति स्थान--दि. जैन छोटा मन्दिर बयाना। ८६३१. प्रतिसं०५३ पत्र सं ६६ ! प्रा० ११३४८ इञ्च । ले०काल सं० १९८३ । पूर्ण । थेष्टन सं० ५४० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर लपकर जयपुर । ८९३२. समवसरण पूजा-रूपचन्द । पत्रसं० ६७ । प्रा०१३ x ६ इश्च । भाषा-संस्कृत। विषम-पूजा । र० काल X । लेकाल सं० १८८४ सावन मुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५:१७ प्राप्ति स्थान....दि. जैन पंचायती मन्दिर दनी (टोंक)। ६३३. प्रति सं० २। पत्रसं० १६४ । प्रा० १.३४७ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ग । वेष्टन सं०५१। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ८६३४. समवशरण पूजा - विनोदीलाल लालचन्द । पत्रसं० ४६ । आ. १३१x६४ इञ्च । भाषा-हिन्दी विषय-पूजा । र०काल सं० १८३४ माह बुदी ८ । लेकाल x पूर्ण । वेपन सं० १०२६ । प्राप्ति स्थान--भ. दि. जैन मंदिर अजमेर । ८६३५, प्रति सं० २ । पत्र स. ६२ 1 प्रा० १०४४ ५ इञ्च । काल ४ । पूर्ण । देाटन सं. १३९६ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जून मन्दिर अजमेर । विशेष-और भी पाठ संग्रह हैं। ८९३६. प्रति सं० ३। पत्र सं० ५४ । प्रा० १२३४६ इञ्च ले. काल सं० १९९८ चंत सुदी १५:पूर्ण । वेष्टन सं० १२६७ । प्राप्ति स्थान - ५० दि० जैन मंदिर अजमेर । ८९३७. प्रति सं०४। पत्र सं० १३२ । प्रा० १.४६३ इंच । लेकाल सं० १९२३ । पूर्ण । देष्टन सं०६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना । विशेष-और मी पाठों का संग्रह है। ३८, प्रति सं०५।। पत्र सं० ११६ । प्रा० ११४५ हश्च । ले काल सं० १८८६ भादवा बुदी २। पूर्ण । वेष्टन सं० १०३/७० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादबा। विशेष- देवली ग्राम के उदराम ब्राह्मण ने प्रतिलिपि की श्री। ८६३६. प्रति सं०६ । पत्रसं० ३४ । लेकाल सं० १८२ पूर्ण । वेष्टन स० ७६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १४०. प्रति सं० ७ । पत्रसं० १६ । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं० १२७ । प्राप्ति स्थान -दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । पसम Page #981 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० ] ' [ ग्रन्थ सूची-पचम भाग ८६४१. प्रति सं ८ । पत्रसं० ४१ । प्रा० १३३४८ इञ्च । लेकाल सं० १९३६ । पूर्ण । वेष्टन सं०४५ । प्राप्ति स्थान-- दि जन पंचायती मंदिर करौली। विशेष-स्यौलाल श्रीमाल के पुत्र गेंदालाल सुगनचन्द ने लिखवा कर करौली के नेमिनाथ चैत्यालय में चलाया था। ८६४२, प्रति सं० १ । पत्रसं० १४२ 1 प्रा० ५३४६३ इञ्च । लेकाल सं० १९५७ । पूर्ण । वेष्टन सं०४२ प्राप्ति स्थान दिल जन मन्दिर चौधरियान मालपरा (टोंक। विशेष-खाजूलाल जी छाबड़ा ने मालपुरा में प्रतिलिपि करवाई थी। ८६४३. प्रतिसं० १० । पत्र सं० १४२ । पा०४३४५३ इञ्च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन ६० ४३ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मंदिर चौधयिान मालपुरा (टोंक) विशेष-लासजी कनहरदास पद्मावती पुरवाल सकूराबाद निवासी के बड़े लड़के थे। ८६४६. प्रति सं० १११ पत्र स. १०४ । प्रा० १२३४६१ इन्च । लेकाल x । पूर्ण । येधन सं० १३७ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर अलवर । ८९४५. प्रति सं०१२। पत्र सं० ३४। आ० १२१४७ इञ्च । लेकाल सं० १६६३ । पूर्ण । वेष्टन स. १५७ । प्राप्ति स्थान दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर। विशेष-लालजीन भी नाम है। १९४६. प्रति सं०१३ । पत्रसं० ११५ । श्रा० ११३४५ इञ्च । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. १६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खंडेलवाल मंदिर उयदपुर । ___E६४७. प्रति सं० १४ । पत्र सं०७८ । ले० काल सं० १९२४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७० । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-लिखितं गुरु उमेदचन्द लोकागच्छ का अजमेर मध्ये सुखलालजी हरभगतजी अजमेर के हस्ते लिखाई थी। १६४८. प्रति सं० १५ पत्रसं० ७१ । प्रा. १४४ ६ इञ्च 1 ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी बूदी। ८६४६. प्रति सं० १६ । पत्रसं० | या०६३४५६ इञ्च । ले. काल सं० १८४५ मंगसिर बुदी ५ । पूर्ण । श्रेष्टन गं० १६५ । प्राप्ति स्थान --दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूदी । ८९५०. प्रति सं० १७ । पत्रसं०५२ १ मा० १.३४५ इञ्च । ले०काल - । पूर्ण । चेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर श्री महावीर दी। . ८६१५. प्रति सं० १८ । पत्रसं० ४३ । प्रा० १४४७ इञ्च । ले०काल सं० १८७८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८६-११३ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ८६५२. प्रति सं० १६ । पत्रसं० १२३ । श्रा०६१४६ इञ्च | लेकाल सं० १९१४ ! पूर्ण । वहन सं०३० प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर वैर । E९५३. प्रतिसं०२०। पत्रसं०८६ । ग्रा० ११x६ इञ्च 1 ले०काल सं० १९४३ श्रावण बुदी १३ । पूर्ण । येष्टन सं० १३० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) Page #982 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य । [६२१ विशेष-माई चन्दहंस जैसदाल लाइखेडा (प्रागरा) ने कलकत्ता अगरतल्ला में प्रतिलिपि की थी। ८६५४. प्रति सं० २१ । पत्रसं० ५४ । प्रा० १३४८ इञ्च । ले. काल सं. १९१६ सावन बुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) ८६५५. प्रति सं० २२॥ पत्रसं० ७१ । प्रा० १.६४७१ इन्च । ले०काल सं० १९२६ । पूर्ण । वेषन सं० १६० । प्राप्ति स्थान---दि. जैन खंडेलवाल पंचायती मन्दिर प्रलवर । विशेष-१२ पत्र की नित्य पूजा और है । ८९५६. समवसरण पूजा भाषा--.X| पत्रसं० १७ । प्रा० १२४८ इञ्च । भाषा - हिन्दी (पद्य) । विषय-पूजा । २० काल XI से काल सं० १९४८ पौष बुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०५६ । प्राप्ति स्थान --दि जैन मन्दिर पारवनाथ इन्दरगड (कोटा) ८६५७. समवसर पूजा-X ! ५ . २: । मा ६६x६ ३५। भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X । ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा । १९५८. समवसरण पूधा-X1 पत्र सं०३६ । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । २० काल । ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर ।। ८९५९. समवशरण पूजा--XI पत्रसं० १७. प्रा. ११४५ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषमपूजा । २० कालाले० कालX । पूर्ण । बेष्टन सं० २८१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लपकर जयपुर। ८९६०. समवसरण पूजा-: । पत्र सं० १७० । आ. ४५ इञ्च । माषा हिन्दी । विषय-पूजा। २० काल ४ । ले. काल सं० १९२३ । पर्ण । वन सं०३९ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष--बूदी में लिखा गया था। ८९६१. समवसरण पूजा- पत्र सं० ३३ । ग्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । र०काल ४ । ले० काल । पूर्ण । धेष्टन सं० ३५७ । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वागी बू दी। १९६२. समवसरण पूजा-४ । पत्रसं० ६१ | आ» ११४५ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । र०काल x ले० 'काल ४ । पूर्व । वेष्टन सं०११३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा (राज.) ८६६३, समवसरण विधान--पं० हीरानन्द-- ४ । पत्र सं० २४ । प्रा० ११४४ इन्छ । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय-पूजा। र० काल सं० १७०१ । लेकाल सं० १७४१ पौष मुदी ४ । पूर्ण । बेटनसं०५०। प्राप्ति स्थान- दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा विशेष-वनहर्ट नगर में जोगी सांबलराम ने प्रतिलिपि की थी। ५९६४, समवसरण पूजा- पत्रस० ३४ । पा.११४५ इश्च । भाषा-हिन्दी विषयपूजा। र०काल x। ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं.१९३ । प्राप्ति स्थान-भ. दि.जैन मंदिर अजमेर। Page #983 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ ] [अन्ध सूची-पंचम भाग ८९६५. समवसरण पूजा--X पत्र सं० १०० । आ० १२४३ इन्च । भाषा-हि-दी पद्य । विषय-पजा । २०कालX ।लेकाल सं०.१६७२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पापाथ चौगान बूदी। विशेष-~और भी पाठ हैं। ८६६६. समवसरमा की प्राचुरी-XI पत्रसं०४ । प्रा० १.१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा । र० काल X । ले•काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मक्षित बोरसली कोटा। ८६६७. समवसरण चौबीसी पाठ--थानसिंह ठोल्या। पंत्र सं० २६ । प्रा० १०६४ इन्छ । माषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र. काल सं० १८४० ज्येष्ठ सुदी २ । ले०काल सं० १८४६ माघ बुदी २१ पूर्ण । वेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर करौली । विशेष—करौली में रचना हुई । सेवाराम जती ने प्रतिलिपि की थी। ८६६८. समवसरण मंगल चौबीसी पाठ-XI पत्र सं० ५१ । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-पूजा । २. काल सं० १८४८ जेठ बुदी २। लेकालX । पूर्ण। वेहन सं०११। प्राप्ति स्थान- दि. जैन पंचायती मन्दिर करौली। विशेष-इसके कर्ता करौली निवासी थे लेकिन कहीं नाम देखने में नहीं पाया। खुद सं० ४०५ हैं। श्रावक के उपदेश सौ सतसंगति परमाया । । थान करौरी में माषा छंद बनाया ।। ८९६६. समवसरण रचना-४ । पत्र सं०५१ । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी गछ । विषय-पूजा एवं वर्णन । २० काल x ले० काल X । अपुरा । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी दी। विशेष-समवसरण के अतिरिक्त नकं स्वर्ग मोक्ष सभी का बर्णन है। ९७०. समवश्रत पूजा- शुभचन्द्र । पत्र सं० २६ । प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा-सांस्कृन । विषय-पूजा । २० काल । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी बुंदी। १९७१. समवश्रत पूजा-X । पत्र सं० ४२ | प्रा. ३-६३च । भाषा-संस्कृत विषय - पूजा । १० काल X । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । प्राप्ति स्थान-म० दि. जैन मन्दिर अजमेर। ___E६७२. सम्मेदशिखर पूजा-में० सुरेन्द्रकोति। पत्रसं० ५। पा० ११:४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल xले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २७६ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ८९७३. सम्मेदशिखर पूजा-- । पत्र सं० १७ । भाषा-संस्कुल । विषय-पूजा। र काल X । ले कास ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान-दि० जन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । • ६६७४. सम्मेदशिखर पूजा-गंगादास। पत्र सं० १२ । प्रा० ७१४.५३ इञ्च । भाषःसंस्कृत । विषय-पूजा । १० कार x ले० कालX । पूर्ण । देष्टन सं० १४१-६८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कोटडियों का भरपुर । Page #984 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ १२३ पत्र सं० १७ ०९३६इ ले० काल सं० १८८६ पूर्ण दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली पूजा एवं विधान साहित्य ] ८६७५ प्रतिसं० २। वेष्टन सं० ६० प्राप्ति स्थान ८७६ प्रति सं० ३ पत्र ० ६ ० १०३८७ इन्च ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ५२ / १२५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ८६७७ प्रति सं० ४ पत्रसं० २५ । ०७३ X ५३ इंच । ले०काल सं० १८८५ फाल्गुन सुदी ७ पूर्ण वेष्टन सं० ३७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर सोचारणी करौली । - ८७. सम्मेदशिखर पूजा सेवकराम हिन्दी विषय-पूजा २० काल सं० १९९१ मा बुदी ५ प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना । प० २२० १०२४६६ भाषाले० काल सं० १९११ पूर्ण वेष्टन सं० ११५ विशेष - नाई के मन्दिर में मुखलाल की प्रतिलिपि की थी। ८९७६. सम्मेदशिखर पूजा - संतदास । पत्र सं० ३ | विषय-पूजा २० काल x ० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ५७९ लश्कर जयपुर । ८६८० सम्मेदशिखर पूजा - हजारीमल्ल । पत्रसं० २४ । प्रा० १२४५ इव । भाषाहिन्दी पद्य विषय पूजा र०काल XI ले फाल सं० १९३२ । पूर्ण वेटन सं० ६१ प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर श्रीमहावीर बूंदी। 1 विशेष – मथुरादास ने साहपुरा में प्रतिलिपि की थी। राहसमल विनती करे हे किरपानिधि देव आवागमन मिटाये परजी यह सुन लेव ॥ ८१. सम्मेदशिखर पूजा - ज्ञानचन्द्र पत्र [सं० १४ हिन्दी पद्य विषय-पूजा र०काल सं० १९६६ चैत सुदी २ । ले० काल १५२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। प्रारम्भ-शिवर समेद से बीस विनेश्वर सिद्ध भये । और मुनीश्वर बहुत वहां से शिवमये ॥ बेदू मन वच काय नमू शिर नायके । सिष्टें श्री महाराज सर्व इन आयके || अन्तिम उन्नीस ग्राम के मांही । संवत विक्रम राज चंत सुदी दोयज दिन जान कराही || देश पंजाब लाहोर शुभ स्थान ॥ पूजा शिवर रवी हरवाय ० १०३४ प्राप्ति स्थान मा सं० । भाषा - हिन्दी । दि० जैन मन्दिर - 5 X | भाषा ६६ व १९८६ | पूर्ण वेग्टन सं० नमें ज्ञानचन्द्र शोध नमाय ।। इसके अतिरिक्त निर्धारण क्षेत्र पूजा शानचन्द्रकृत और है जिसका र०काल एवं लेखन काल भी नही है। Page #985 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग . विशेष - दी नगर वासी गंदीलाल के पुत्र संतलाल छाबड़ा ने प्रतिलिपि करके ईश्वरीसिंह के शासनकाल में भेंट की थी। ८९८२. सम्मेदशिखर पूजा--जवाहरलाल । पत्र सं० २७ । ०६४७१ इञ्च । भाषाहिन्दी पच | विषय -पुजा । र. काल सं.१८६१ वैशाख सुदी । ले काल सं० १९५६ । पुरणं । वेष्टन हां. १५१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूदी ! विशेष---कवि सुधपुर के रहने वाले थे । मुक्तागिरि की यात्रा कू गये और अमरावती में यह ग्रन्थ रचना करी । अमरावती नगरी विर्ष पूजा समकित कीन। छिमाजी सब जन तुम करो मोहि दोस मत दीन ।। पं. भगवानदास हरलाल वाले ने नन्द ग्राम में प्रतिलिपि की थी। पुस्तक पं० रतनलाल नेमीचन्द को है। RE३. प्रति सं० ३ । पत्रसं० २६ । प्रा० ११४६ इञ्च । लेकाल सं० १६५६ । पूर्ण। देखन सं.२०७। प्राप्ति स्थान—दि. जैन मंदिर नागदी, बदा । विशेष-२-३ प्रतियों का मिश्रण है। E९८४. प्रति सं०४। पत्र सं०१४ । प्रा० ११३४६ इञ्च । ले. काल x । पूर्ण । देषन सं० २८६/१११ । प्राप्ति स्थान----दि. जैन मन्दिर कोटरियों का डूगरपुर । ६९८५. प्रति स० ५। पत्र सं. १८ । प्रा० ११४५ इव । ले० काल सं० १९५४ वैशाच बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन स ० ५८० । प्राप्ति स्थान--वि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । १९८६. प्रति सं०६ । पत्र सं० १५ । प्रा० १०४६ इन्च । ले०काल सं०-१९४३ ग्राषाढ़ सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६५ । प्राप्ति स्थान--दि० जन खडेलवाल मन्दिर उदयपुर । ६९८७. प्रति सं०७ । पत्र सं० २२ । ले. काल स. १६१४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १९/२९४ । प्राप्ति स्थान- दि.जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । __EEEE. प्रति सं०-पत्रसं० १७ । ले० काल x | पुर्ण । वेष्टन सं० ३५४- २६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मंदिर उदयपुर। ९८९. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० १२ । प्रा० १२३४७ इश्व । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. १७६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। 8. प्रतिसं० १० ।पत्र सं० १७ । या० ११४६ इश्च । ले० काल स. १९२६ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक) । विशेष-अमरावती में रचना हुई। मुन्नालाल कटारा ने हजारीलाल शंकरलाल के पठनार्थ व्यास रामवस से दनी में प्रतिलिपि करवाई थी। संवत् १९४३ में हजारीलाल कटारा ने अनन्तनत के उपलक्ष म दूनी के मन्दिर में चढ़ाई। ११. प्रति सं० ११ । पत्र सं. १२ । ग्रा० १२४५ इञ्च । ले. काल सं० १८९१ । पूर्ण । देष्टन सं० १०८ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवानजी (कामा)। Page #986 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ६२५ २. प्रतिसं० १२ । पत्र सं० १९ । ग्रा.१.४६५ इश्च । लेकाल सं० १९२६ । पूर्ण । वेष्टम सं० ३५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रयाल मन्दिर नैणवा । विशेष-निम्न पालों का सत्रह और है - नवग्रह स्तोत्र, पार्श्वनाथ स्तोत्र, भूपाल चतुर्विशतिका स्तोत्र । ८६६३. प्रति सं० १३ । पत्रसं० १६ । प्रा० १०३४७ इच । ले. काल x | पूर्ण । वेष्टनस' • ४३ । प्राप्ति स्थान-दि जैन तेरहपंथी मन्दिर मालपुरा (टोंक) । ८६६४. प्रतिसं० १४ । पत्र सं० ७ । लेकाल सं० १६२६ आषाढ़ सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं. १३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष-लालजी लुहाडिगा भरतपुर वाले ने प्रतिलिपि करवाई थी। ८६६५. सम्मेद शिखर पूजा-भागीरथ । पत्र सं० २८ । भाषा-हिन्दी । विषय -पूजा । र०काल X । ले. काल सं० १९३७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर। ८६६६. सम्मेव शिखर पूजा-धानतराय-४ । पत्रसं० १८ । आ० १०४६ इञ्च । भाषाहिन्दी (पस) । विषय-चरित्र । र०काल सं० १३५ । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २५ । प्राप्ति स्थाल-दि. जैन मन्दिर कोव्यों का नगणवा । ___E९६७. सम्मेद शिखर पूजा-युधजन । पत्र सं० १६ । प्रा० १०४६६ इक्ष । भाषा - हिन्दी (पद्य) । विषय-पूजा । र०काल X । ले०काल x I पूर्ण । बेष्टन सं० ७८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन खंडेलवाल मन्दिर उदयपुर। CREE, सम्मेद शिखर पूजा-रामपाल । पत्र सं० ११ । प्रा० १x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र०काल सं० १८५६ । ले०काल ४ । पूरणं । वेष्टन सं० २५७-१०२ । प्राप्ति स्थान-- दिजैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । अन्तिम-मूलसंघ मनुहार भट्टारक गुणचन्द्र जी। सस पट सोहे सार हेमचन्द्र गछपती सही ।। सकलकीति प्राचारज जी जानी। लिन के शिष्य कहे मन आनो। रामपाल पंडित मन ल्यावे। प्रमु जी के गुण बहुविध गावे ।। सहर प्रतापगढ़ जानो रे भाई । घोडा टेकचन्द तिहा रह्याई ।। सम्मेद शिखर की यात्रा प्राये । ता दिन ये पूजा रचावे ।। संमत अठारासै साल में और छियासी जाय । फागुण दुज शुभ जानिये रामपाल गुण गाय । लिखितं पं० रामपाल स्वहस्सेगा । Page #987 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . [ अन्ध सूचो-पचम माग जुगादीके सूगेह में पंडित बरवान जी ।। रताचन्द ताको नाम बुद्धि को निधान जी ताको मित्र रामपाल हाथ जोर कहत है। हेस्याण मौकू दीजिये जिनेन्द्र नाम लेत है। CREE. सम्मेद शिखर पजा-लालचन्द पत्र सं०१३ । प्रा०६४५ इच। भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा । र०काल सं० १९४२ फागुण सुदी ५ । ले. काल सं० १८४५ बैशाख बुदी 55 । पूर्ण । वेष्टन सं०४ । प्राप्ति थान-दि. जैन मन्दिर तेरहपंथी नैशवा । विशेष-लालचन्दं भ० जगत्कीति के शिष्य थे । अन्तिम-प्रशस्ति निम्न प्रकार है काष्टासंघ और माधुरगच्छ पोकरगरप कहो शुभगच्छ । लोहाचार्म आमनाय जो कही हिसार पद मनोक्षा सही ॥३२॥ मदारक सत्कीति जानि, भव्य पवोज प्रकाशन भान । तासु पट्टा महीन्द्रकीर्ति लयो विद्यागुण भंडार जु भयो । देवेन्द्रकीति तन्पद नखान, शील पिरोए मिनाहा: तिनके पट्ट परम गुणवान, जगत्कीति भट्टारक जान । __ + शिख्य नालचन्द सुधी भाषा रची बनाय।। एकत्रित सुन पढे भव्य शिवकू जाय ।।३५॥ संवत् अठारास भयो व्यालिस ऊपर जान । पांचे फागुण शुक्लकुपूरण ग्रथ बखान ।।३६।। रेवाही सहर मनोज बस श्रावक भष्म सब । आदित्व ऐश्वर्य बोग तेतीस पट्ट पुरण भयो । इति श्री सम्मेदशिखरमहात्म्ये लोहाचार्थानुसारे भट्टारक जगत्कोति तत् शिष्य लालचन्द विरचित भराट वर्णनो नाम एक विशति नमः सर्गः । . १०००. प्रति सं० २ । पत्रसं०६० । आ. १२x६ इञ्च । ले० काल सं० १६१३ । पूर्ण। वेष्टन सं०१०। प्राप्ति स्थान—दि. जैन छोटा मंदिर बनाना। १००१, प्रतिसं० । ३ पत्रसं० ३६ ! प्रा० x । ले०काल सं० १६७० फागुण मुवी ६। पुर्ण । वेषन सं० १६२ दि० । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरमह कोटा। ९००२. प्रति सं० ४। पत्रसं० २६ । ले०काल सं०. १८४३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५१ । प्राप्ति स्थान....दि० जैन मन्दिर हण्डावालों का डीग । । ६००३. प्रतिसं० ५। पत्र सं. ४ । प्रा० १३४४१ इञ्च । ले कास सं० १९०६ पापाळ सुदी ५। पूर्ण । वेष्टनसं० ४८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिरफतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष-जगतकीर्ति के शिष्य ललितकीति के शिष्य राजेन्द्रकीति के लघु भ्राता के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी । जगह २ प्रति संशोधित की हुई हैं। . . Page #988 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ १२७ ०४७ प्रा० १०१५ च ० काल सं० १६५४ धातो प्राप्ति स्थान- ० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी सीकर। विशेष-रेवाड़ी में प्रथ रचना हुई। देवी सहाय नाश्नी वाले ने प्रतिलिपि की थी। ले०का ० १२१५ पौष पूजा एवं विधान साहित्य ] ६००४. प्रतिसं० ६ सुदी १५ पूर्ण वेष्टन सं० २७ १००५. प्रतिसं० ७ पपसं० ४४ प्रा० ११३५३ सुदी पूर्ण वेष्टन सं० ० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर फतेहपुर शेखावाटी विशेष— अन्तिम प्रशस्ति - इति श्री सम्मेदशिखरमहात्म्ये लोहाशयनुसारे भट्टारक श्री जग तत् शिष्य लालचन्द विरचिते भडकूनोनाम दिनका संपूर्ण जीवनराम ने फतेहपुर में की भी। २००६. प्रतिसं० ८ ० ५० प्रा० ६५ इन्च काल x पूर्ण वेष्टन सं० २२० ११४ | प्राप्ति स्थान- दि० जैन सभवनाथ मन्दिर उदयपुर । सं०] ६६ प्रा० १४७ इछ। ले० काल सं० १५८६ प्रपूर्ण ६००७. प्रतिसं० न सं० । ३४७ | प्रशप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर, दीवानजी कामा । ६००८ सम्मेद शिखर महात्म्य पूजा - मोतीराम | पत्रसं० विषय-पूजा र०का सं० २०४१ भादों सुदी ६०काल सं० १८४ ४६५ | प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६००६, प्रति सं० २ । प० ७२ । ले० काल भ० १९२० । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ०१०. सम्मेद शिखर पूजा-- x पत्रसं० ७ विषय-पूजा र० काल X 1 ले काल मं० १७९३ पूर्ण मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी | ४२ | भाषा - हिन्दी पद्य सुदी ४ पूर्ण वेष्टन स० ० १०३२४६३ इव । भाषा - हिन्दी गद्य वेष्टन सं० ६५ । प्राप्ति स्थान दि० जैन ०११. सम्मेद शिखर पूजा -- x पत्र सं० १२ । विषय-पूजा २० काल X ले० काल सं० १९४४ असोज बुदी ६ स्थान -म० दिन मंत्र मंदिर सजमेर । ० १२४५ इव भाषा हिन्दी पूर्ण वेष्टन सं० १९९५ प्राप्ति ६०१२ सम्मेद शिखर पूजा - X पसं० २०० १२३५३ पद्य विषय पूजा र०का X वे० फालX जैन मन्दिर अजमेर । भाषा - हिन्दी अपूर्ण न सं० १९९० प्राप्ति स्थान—० दि ६०१३. सम्मेद शिखर पूजा - Xपत्र ०८०८६ इया भाषा-हिन्दी विषय पूजा । र०काल X | लेकाल मं० १६४६ ग्रासोज बुदी १२ । पूर्गा वेष्टन सं० १२६६ | प्राप्ति स्थान० दि० जैन मंन्दिर अजमेर | २०१४. सम्मेद शिखर पूजा - X1 प ० १० प्रा० १०५३ द्रव विषय-पूंजा १०काल २० १०२१ ले० काल सं० १९०० पूर्ण वेस्ट सं० ९० दि० जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। भाषा हिन्दी पथ प्राप्ति स्थान Page #989 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२८ ] ६०१५ सम्मेद शिखर पूजा - विषय- पुजा १० काल X ० का ० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर ६०१६. सम्मेद शिखर पूजा -X विषय-पूजा र०काल x बैकाल X मंदिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) [ प्रत्थ सूची- पंचम नाग पत्र सं० १६० १२८६ ख भाषा - हिन्दी पद्य १६१२ पूर्ण वेष्टन सं० ६५ प्राप्ति स्थान दि० पत्र० पूर्ण ६०१७. सम्मेद शिखर पूजा -X | पत्र सं० १६ | श्रा० ते काल सं० १९४२ कार्तिक सुदी १ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । विषय-पूजा २० काल X | X। X १०२० सम्मेद शिखर पूजा - विषय पूजा १० काल X ले० काल सं० x कोटा राया। ६०२१. सम्मेद शिखर पूजा - १७७० x पूर्ण वेष्ट ० १२० १० पा० ७३४४३६ भाषा - हिन्दी, । । वेटन सं० १२० प्राप्ति स्थान दि० जैन १८ ६०१८. सम्मेद शिखर पूजा -X ० ११४४३ इन्च विषय-पूजा २०फाल X ले० काल सं० १९९३ पूवेन सं० ११८ दि० जैन मन्दिर बा बीस पंची दौसा । । | । ६०१६ सम्मेद शिखर पूजा - पत्र सं० ६४० १०३६ च X विषय- या र० काल X से काल सं० २६०४ पू वेष्टन सं० २४-६२ दि० जैन मंदिर भादवा ( राज० ) | - ३X६ इव । भाषा - हिन्दी पद्म । पूर्ण वेटन सं० ७१-१२४ ॥ भाषा - हिन्दी प्राप्ति स्थान भाषा - हिन्दी । । प्राप्ति स्थान पत्रसं० ४३ ०६५ इन्च भाषा - हिन्दी पद्य वेष्टन [सं०] १२ प्राप्ति स्थान–दि० जैन मन्दिर पूर्ण पत्रसं० भाषा हिन्दी विषय-पूजा २० काज सं० प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । २०२२ सम्मेद शिखर महात्म्य पूजा - मनशुखसागर पत्र [सं०] १०० मा० १२४६ भाषाहिन्दी पद्य विषय पूजा १० काल । ००१६६६ जेठ सुदी १५ । बेटन सं० २००-८२ प्राप्ति स्थान दि०जैन मंदिर तेरहपंथी दोसा 1 विशेष [- ज्ञानचन्द छाबडा ने प्रतिलिपि की थी। ९०२३. सम्मेद शिखर महात्म्य पूजा- मनसुखसागर ०६३ मा १०३६ भाषा हिन्दी पद्य विषय पूजा १० का काल सं० ११०७ पूर्ण बेटन सं० ४५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर श्रीमहाबीर बूंदी। ६०२४. सम्मेद शिखर महात्म्य वीक्षित देवदत्त | पत्रसं० ७६ ० ११२४६३ छ । भाषा संस्कृत विषय पजा एवं कथा १० काल x ० काल सं० १५५१ पूर्ण पेष्ट सं० २६० प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मन्दिर भजमेर । १०२५. प्रतिसं० २ । पत्र सं० १०६ । ग्रा० १२४४६ इंच । ले० काल X पूर्ण पेटन सं०] १६-४० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का डूंगरपुर Page #990 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ६२९ ६०२६. सम्मेव शिखरमहात्म्य-X । पत्रसं० २१ । आ० ८४६ इव । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र. काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्ति क्यान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगढ़ (कोटा)। ६०२७. सम्मेवाचल पूजा उद्यापन-x1 पत्र सं० ८ । प्रा० १३.४६१ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । २० काल XI से मालX पूर्ण । वेष्टन सं० १.३। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। ९०२८. सम्यक्त्व चितामरिण-X1 पत्र सं० १२२६ । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र० काल X| लेकाल x 1 अपूर्ण । वेष्ठन सं० २७८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयपुर ९०२६. सरस्वती पूजा--- । पत्र सं०७ । पा. १९४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपुजा । र०काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। ६०३०. सरस्वती पूजा–संधी पन्नालाल । पत्र सं० ११ । मा १३३४ ८ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषम पूजा। र. काल सं० १९२१ ज्येष्ठ सुदी ५। ले पस' पजा। र. काल सं० १९२१ ज्येष्ठ सदी। ले. काल सं० १९८५ ग्राषाढ दी है। पूर्ण । वेष्टन सं०४६० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर ।। विशेष-रिषभचन्द बिन्दायक्या ने लश्कर के मन्दिर के लिये जयपूर में प्रतिलिपि की थी। १०३१. सर्व जिनालय पूजा (कृत्रिमाकृत्रिमचैत्यालय पूजा )-माधोलाल जैसवाल । पत्र सं० १६ । बा० ८४७ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । २० काल x । कास । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर चौवरियान मालपुरा (टोंक)। ६०३२. सहस्रगुरण पूजा-म० धर्मकोति । पत्रसं० ६१ । प्रा. १२३४ञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-पूजा । र०काल x I ले काल सं० १८७६ मांगसिर बुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं०१७। प्राप्ति स्थान---दि जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है -- इति भट्टारक श्री ललितकीतिस्तशिष्य भट्टारक श्री धर्मकीतिविरचित श्री सहस्रगुण पूजा संपूर्ण । लिस्पतं महात्मा राधाकृष्ण सवाई जयपूर मध्ये बासी कृष्णपदका । मिति मंगसिर बदी सं.१८७६ 1 १०३३. प्रति सं० २। पत्र सं० ७२ । प्रा. ११:४७ इञ्च । ले०काल सं १९३१ बैशास्त सुदी १ । पूणे । वेष्टन सं० ४६५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ६०३४. सहस्रगुरिणत पूजा-४ । पत्रसं० ६१ । प्रा० ११३४ ६६ञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल X । काल सं० १८८६ भादवा बुदी ५ । पूर्ण । वेष्टनसं० १३४२ । प्राप्तिस्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ९०३५. प्रतिसं० २ ! पत्र सं० ४६ । लेकाल सं० १८८६ पासोज सुदी। । वेष्टन सं. १३४३ । प्राप्ति स्थान--म.दि.जैन मन्दिर अजमेर भण्डार। Page #991 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ अन्य सूची-पंचम भाग ६०३६. सहस्रगुणित पूजा-म० शुभचन्द्र । पत्र सं० १२७ । प्रा०५१४४ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषम-पूजा । २० काल: । ले० काल सं० १७५१ ज्येष्ठ बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं०७६३ प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। बिशेष--पा० कल्याणकीर्ति के शिष्य 4 कबीरदास के पटनार्थं गुटका लिखा गया था । १०३७. प्रतिसं० २ । पत्र सं०५२ । लेकाल सं. १६६८ । पूर्ण बेष्टन सं० ६ । प्रालि स्थान -दि जैन पंचायती मन्दिर डीग । विशेष-मानसिंह जी के शासन काल में पामेर में प्रतिलिपि हुई थी। बाई किसना ने द्धिका असोद्यापन में चदाई थी। ९०३८. सहस्त्रग्रणित पूजा-x | पत्रसं० ११-७२ । प्रा० १०x१ इञ्च । भाषा-सस्कृत। विषय-पूजा 1 र० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । घेष्ठनसं० ३२० । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ६०३६. सहस्रगुरणी पूजा- खङ्गसेन । पत्र सं०६७ । आ० १२४.४ इञ्च । भाषा-हिन्दी 1 विषय-पूजा । र०काल X ।ले. काल सं० १७२८ । पूर्ण। वेष्टन सं० २४६ । प्राप्ति स्थान-वि० जैन मन्दिर लाकर जयपुर। विशेष प्रशस्ति अच्छी दी हुई है। १०४०. सहस्त्रनाम पूजा-धर्मचन्द्रमुनि-x । पत्र सं० ५० । प्रा० १२४६३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० काल ४ । ले०काल सं० १९६१ चैत मदी३ । पुर्ण । धन सं० १२५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा । विशेष-मबाई माधोपुर में प्रतिलिपि की गई थी। १०४१. सहस्रनाम पूजा-धर्मभूषरण । पत्रसं० ८५ । प्रा० ११ ४ ६ भाषा-संस्कृत । विपदपूजा । ले०काल - । पूर्ण । वेष्टन सं०७२ 1 प्राप्ति स्थान--दि० जन छोटा मन्दिर बवाना । ६०४२. सहस्रनाम पूजा-चैनसुख । पत्र सं० ३६ । पा. १३४६३ च । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा। र०काल X । ले०काल सं० १९६३ । पूर्ण । वेष्टनमं० ५५ । प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर लश्कर, जयपुर। ६०४३. सायद्वीप पूजा-विष्णुभूषण । पत्र स० ११६ । ग्रा० १२४५३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय -पूजा । र० काल X 1 ले०काल सं. १६६१ । पूर्ण । वेनसं० ५७६ । प्राप्ति स्थान . दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर । ९०४४. सार्द्ध वयद्वीप पूजा-शुभचन्द्र । पत्र सं० १३० । आ० १०४५ इञ्च । भाषा-- संस्कृत विषय-पूजा । र काल । ले०काल सं० १८६८ सावन सुदी १ । पूर्ण । बेष्टन सं० ५४ । प्राप्ति स्थान--भ० दि० जन मन्दिर अजमेर ।। ६०४५. प्रति सं० २। पत्रसं०६३ । पा० १०४५३ इञ्च । न० काल X । पूर्ण । वेटन सं० १८६ । प्राप्ति स्थान-भ दि० जैन मन्दिर प्रजभेर । १०४६. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० ३०० । मा० ११x६ इन 1 नकाल x ! पुणे । बेष्टग मं. ३८८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बरसती कोटा। Page #992 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ९३१ २०४७ प्रतिसं० ४ । पत्र सं० १२४ । ले० काल सं० १८२६ प्राषाढ सुदी १ । पूर्ण वेष्टन सं०] ११६ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर विशेष- आशाराम ने भरतपुर में लिखा था। २०४८ प्रतिसं० ५ प ० ६६ ले० काल सं० १०६४ व्येष्ठ मुवी ११ पूर्ण वेष्टनसं ११७ प्राप्ति स्थान उपरोक्त मन्दिर | ६०४६. प्रति सं० ६ । पत्रसं० २५६ | लेकाल सं० १९६३ । पूर्ण । वेष्टनस ० ११८ | प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मंदिर | ९०५०. प्रतिसं० ७ वेप्टन सं० ११ प्राप्ति स्थान ०५१. प्रतिसं० ८ पत्रसं० १४४ । ले०काल x । पूर्णे । न सं० ४ | प्राप्ति स्थानदि० जैन पंचायती मन्दिर हुण्डावालों का डीग । ० १०८ ० ११४५ इ० काल सं० २०७० | पूर्ण दि० जैन मन्दिर बैर । ०५२. सायद्वीप पूजा-सुधा सावर| २० काल x ० का ० १९५५ फागुता बुदी ५ पूर्ण तेरहपंची मन्दिर बसवा । सं० १८ वेष्टत सं० ५६ - भाषा संस्कृत विषय-पूजा प्राप्ति स्थान दि०जैन - माया संस्कु विका २०५३. सार्द्धं द्वयद्वीप पूजा -X | पत्रसं० २०६ X० काल x पूर्ण वेटन सं० ७५ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ६०५४ सार्द्धद्वय द्वीप पूजा -X पत्र० १० १२७ । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा १० फाल X वे० काल सं० १८६५ पूर्ण सं० १११ प्राप्ति स्थान दि०जैन । | मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) । । | । विशेष प्रथ संवत्सरस्मिन भूपति विक्रमादित्य ताद संवत् २०६५ मिली फार ख़ुदी ६ वार आदित्यवार | श्री कष्टाचे माधुराम्यये पुष्करगणे हितारपट्टे भट्टारक श्री त्रिभुवनकीर्तिदेवात्पट्टे भट्टारक श्री क्षेमकीतिदेश तत्पट्टे भट्टारक भी सहमकीर्तिदेव तत्पट्टे मट्टारक श्री महीचन्ददेव तत्पट्ट भट्टारक देवेन्द्रकीतिदेव तत्पट्टे भट्टारक जगतकीविदेश तत्पट्टे भट्टारक ललितकीति वर्तमाने पिडि निमत | अग्रवालज्ञाते सहर वा मूरति धर्मावतारं सुभावक पुन्यप्रभावं पश: लाला दुनीन् तत्पुत्राला गम तत्पुत्र लाला सामल तत्पुत्र गंगादास सर बहालसिंह ने चाईद्वीय पुजा लिखायवा दत्त तेन ज्ञानावर्णी निमित्तार्थ शास् स्थापित । ० राम ने प्रतिलिपि को यो तथा उनके शिष्य सुखराम ने धर्मपुरा के पार्श्वनाथ या चितुं । ६०५५. सार्द्धं द्वय द्वीप - X | पत्र सं० २०२ । प्रा० १०३६ इन्च भाषा-संस्कृत विषयपूजा र० काल X से काल अपूर्ण वेष्टन सं० १९९ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर बयाना | विशेष मं० १६२९ या १६६१ की प्रति से प्रतिनिधि की गई है। पं० ब्राशाराम ने भरतपुर में प्रतिलिपि की थी । Page #993 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ ] [ प्रग्य सूची-पंचम भाग ― २०५६. साहय द्वीप पूजा x पत्र सं० १६२ । ० १३४७३ इन्च भाषा संस्कृत। विषय पूजा २० काल X से० काल सं० १९०१ पूर्ण बेष्ट सं० १४० प्राप्ति स्थान दि० जन वाल पंचायती मंदिर दर ०५७. प्रति सं० २०१२३ प्रा० १०३४५ इन्च मे० काल x पूर्ण वैन सं १४९ । प्राप्ति स्थान—उपरोक्त मन्दिर । । | | २०५८ प्रतिसं० ३। पत्र ० ३१५ मा ११३५३ ३ ० का ० १०७३ । पूर्ण वेष्टन १५० प्राप्ति स्थान- उपरोक] मन्दिर । ६०५६. प्रति सं० ४ । पत्र सं० १३ । श्रा० ११३ x ६६ इन्च । ले-काल सं० १८७६ पौष सुदी ११ पूर्ण वेष्टन सं० १५१ प्राप्ति स्थान- उपरोक्त मन्दिर ६०६०. सिद्धकूट पूजा -X पत्र० १० पुजा २०काल X ००१००७ ज्येष्ठ सुदी ५ जैन मन्दिर प्रादिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) 1 ०६१. सिद्धक्षेत्र पूजा- दौलतराम विषय- पूजा । १० काल सं० १८६४ । ले०काल x पंचायती मन्दिर फांना विशेष-प्रतिम पव ० पूर्ण पत्रसं० ८५ पूर्ण ० १०६७ इन्च भाषा हिन्दी वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संवतसर दस भाठ सत नब्बेवार सुमोर सुनीसुतक्षेप भलो रविवार सिर मोर ।।४४ ॥ तादिन पूजा पाठ करि पसु जे देव । ते पा सुख स्वातं निजमातम रस पीव ॥१४५॥ सोभानन्द सुनन्द हो नंदन सोहनलाल | ताको नंद सुनन् है दौलतराम विसाल ॥४६॥ २०६४. सिद्धक्षेत्र पूजा - X पसं०] १६ पुजा २० काल Xफाल सं० १९३६ पूर्ण अग्रवाल या १२०६६ भाषा-संस्कृत विषयवेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान - वि० पत्रसं० ४० प्रा० ११४५ इश्व २०६२. सिद्धक्षेत्र पूजा - प्रकाशचन्द भाषा - हिन्दी विषय-पूजा २० कास सं० १९९२ से०फाल सं० १२४५ ।। पूरेनसं० ५८ प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) ६०६३. सिद्धक्षेत्र पूजा -X पत्र० १५० १०३६ भाषा हिन्दी विषय पूजा र०कास x ०काल सं० १२३६ धासोज सुदी १५ । पूर्ण वेष्टन सं० ७६ प्राप्ति स्थान दि० न तेरह्थी मन्दिर नेरावा । बा. १०६ इन्च भाषा हिन्दी पद्य विषयसं०] १४ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर १०६५. प्रति सं० २०१८ नेहाल स० ११३८ । पूर्व वेष्टन[सं०] १४ प्राप्ति स्थान- दि० जैन अथवा मन्दिर नैवा । Page #994 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ६३३ विशेष-लोचनपुर (नगणवा) में प्रतिलिपि हुई थी। २०६६. सहसपूमा-X । पस०१८ । प्रा० १३४५३इच। भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । र० काल X।से. काल सं० १९३६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१० । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर पाश्र्धनाय चौगान दी। ९०६७. सिद्धक्षेत्र पूजा---४ । पत्र सं०६ । प्रा० ११४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय - र०काल XI ले. काल x । पुर्ण। देवन सं० ५२० । प्राप्ति स्थाम–दिक जैन मंदिर लस्कर जयपुर। ९०६८, सिद्धक्षेत्र मण्डल पूजा-स्वरूपचन्द । पत्र सं० १९ । प्रा० ११X८ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-पूना । र०काल X । . काल सं० १९१६ । पूर्ण । बेधन सं० ५५१ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । ६०६६. सिद्धचक्र पूजा-पं० प्राशाधर । पत्रसं० ३ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय-पूजा। २० काल X । लेकालX । पूर्ण । वेष्टम सं० ६८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। ६०७०. सिद्धचक्र पूजा-धर्मकीति । पत्र सं• १३६ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल x।ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । प्राप्ति स्थान—दि जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा । ६०७१, सिद्धचक्र पूजा-ललिसकौति । पत्रसं० ६६ । प्रा० १३४८ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । २० काल ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७२ । प्राप्ति स्थान--दिजैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)। ९०७२. सिद्धचक्र पूजा--भ, शुभचन्द्र । पत्रसं०७०] भाषा-संस्कृत 1 विषय-पूजा । र०काल ४ । सेकास सं० १८२४ मंगसिर बुधी १३ । पूर्ण । देष्टन सं०७२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन सोगानी मन्दिर करौली। विशेष-पत्र अलग अलग हैं। ९०७३, प्रतिसं० २१ पत्रसं०६८ 1 ग्रा०४६ इन्च । ले० काल सं० १९२६ शाके । पुर्ण । येशन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान--दि जैन पंचायती मन्दिर करोली। ___०७४. प्रति सं०३ । पत्र सं० १० । लेकाल X। पूर्ण । वेपन सं० १५८ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ०७५. प्रतिसं०४ । पत्रसं० । आ. १.४४१ इञ्च । ले. काल स. १५८३ कातिक मंदी १० । पूर्ण वेष्टन सं०६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दीवानजी कामा। ___६०७६. प्रतिसं०५1 पत्रसं० २३ । ग्रा० १२३४८२ इञ्च । ले०काल सं० १९८५ ज्येष्ठ नुदी ११वयं । येशनसं०४६८ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । १०७७. प्रति सं०६ । पत्र सं० १६ । प्रा. ११४५ इञ्च । ले. काल - । अपूर्ण । बेस्टन मुक ३४६ 1 प्राप्ति स्थान--दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयपूर । विशेष-समपरमसमय पूर्णभावं विभावं, Page #995 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९३४ ] [ ग्रन्थ सूची-पश्चम भाग जनितसुशिवसारं यः स्मरेत सिद्धचक्र।। अखिल नर सुपूज्यं सौभचन्द्रावि सेव्य । भजति ....... .................... । ६०७८. सिद्धचक्र पूजा-संतलाल । पत्रसं० १३१ । प्रा० १३४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी पा । विषय -पूजा । र० काल ४ । लेकाल सं० १९६१ पूर्ण । वेधन सं०५८ । प्राप्ति स्थान-दिक ॐन मन्दिर श्रीमहावीरजी दी। विशेष-इन्दौर में प्रतिलिपि हुई थी। १०७६. प्रति सं०२। पत्र सं० १०५ । प्रा० १२३४७ इन्च । ले०काल सं० १९०६ आषाड सृटी ११ । पूर्ण । श्रेष्टन सं० ४१ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर राजमहल (टोंक)। . . विशेष--अजमेर वालों के नौवारा में जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। १०८०. प्रति सं०३ । पत्रसं० १-१७३ । प्रा० १३४८ च । ले०काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० १५७ २ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर नेमिनाय टोडारायसिंह (टोंक)। ६०८१. प्रतिसं०४। पत्र सं. १४३ । ग्रा० १३४८ इश्च । ले० काल सं० १९८७ कार्तिक तुदी ३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५८ र । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) । ६०८२. प्रतिसं०५। पत्र सं० २५१ । मा० ८४६१ च । ले. काल X। पूर्ण । वेष्टन सं.. ५। प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पौधरियान मालपुरा (टोंक) । ... ६०८३. प्रति सं०६। पत्र सं० १५३ । प्रा० १३४८ इञ्च । ले. काल पूर्ण । वेन सं०८०७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । . विशेष—पत्र सं० १२४ से प्रागे २६ पृष्ठों में पंचमेह एवं नंदीश्वर पूजा दी गयी है। ०४. सिद्धचक्र पूजा---X । पत्र सं० ६१ । प्रा० १२४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र० वाल X । ले० काल सं० १९८१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६३ । प्राप्ति स्थान -दि० जन स० पंचायती मन्दिर अलवर। . १०८५. सिद्ध पूजा--- । पत्र सं० ४ । प्रा० १७:४६१ इ । भाया-संस्कृत । विषयपूजा । र९ काल X। ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ७२३ । प्राप्ति स्थान--- भ०दि जैन मन्दिर अजमेर | १०८६. सिद्ध पूजा-र । पत्र सं०७ । प्रा० ११५ इन्च । भाषा-संस्कृत 1 विषय - पूजा ।. २०काल X । ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक) । . .. ... १०७. सिद्धः पूजा-४ । पत्र.सं. २ । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल x। के काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३८१४३७४ । प्राप्ति स्थान-दि जैन स भवनाथ मंदिर उदयपुर । __६०८८. सिद्ध पूजा भाषा--X । पत्रसं० ५ । प्रा० ८४.५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-पूजा । २० काल x ।ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० २०० । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मंदिर राजमहल' (टोंक)। Page #996 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ६३५ १०८६. सिद्ध भूमिका उद्यापन-बुधजन । पत्रसं०४। प्रा० १२३४७ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-पूजा। १० काल सं० १८०६ । लेकाल सं० १८६३ । पूर्ण । वेष्टन सं०५२७ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर कोटरियों का हूगरपुर । ६०९०. सुगन्ध दशमी पूजा---४ । पत्रसं० ८ | प्रा. ६४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल - । लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन सेरहपंथी मन्दिर मालपुरा (टोंक)। ६०६१. सुगन्ध दशमो व्रतोद्यापन-x 1 पत्र सं० १० । प्रा० ८४६३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय- पूजा । र काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ५६६ । प्राप्ति स्थान-द जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । 208२. प्रतिसं०२। परसं०१० । मा०८x१० । ले० काल x। पुस । एन सं. ५७० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। ०६३. सूतक निर्णय--सोमसेन । पत्र सं० १६ । आ० ६४५ च । भाषा संस्कृत । विषय-विधान । २० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२६ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर पानाथ चौगान दी। ०६४, सूतक दर्शन-४ । पत्रसं०१। या. ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - विधान शास्त्र । २० काल X । ले० काल' X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। ६०६५. सोनागिरि पूजा- पत्रसं० ८ । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । ले० काल ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २४ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ९०९६. सोनागिरि पूजा-४ । पत्रसं० ८ । प्रा० ६x४३ इच। भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । २० काल x | ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६२ । प्राप्ति स्थान---दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना। ६०६७. सोनागि -X । पत्र सं०५। ना. ६४८ इंच। भाषा-हिन्दी। विषय . पूजा । २०काल सं० १९८० फागुण बुदी १३ 1 ले० काल सं० १६५६ । पूर्ण । वेष्टन स'० ५६८ । प्राप्तिस्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । ६०६८. सोलहकारण उद्यापन-सुमतिसागर । पथसं० १९ । प्रा० १२४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० काल x ले०काल सं० १८६७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५। प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर चौधरियान मालपुरा (टोंक) । विशेष-नाथूराम साह ने प्रतिलिपि करवाई थी। २०६६ सोलहकारण उद्यापन-अभयनन्दि । पत्र सं० २७ । प्रा० १०.४४. इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल X । ले० काल सं० १८१७ बैशाख वदी १ । पूर्गा 1 वेष्टन सं० ४४ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। विशेष-सरोज नगर में मुपार्श्व अत्यालय में पं० बालमन्द के शिष्य जिनदान न लिखा । Page #997 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १००, सोलहकारण उद्यापन-४ । पत्र सं २०। प्रा०.XE इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र० काल - । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी चू दी। ११०१. सोलह कारख जयमाल-भ० देवेन्द्रकीति । पत्र स २३ । भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा । र० काल १६४३ । ले० काल १६० । पूर्ण । वेष्टन सं०५८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ११०२. सोलहकारण जयमाल-x। पत्रसं०१६ । प्रा. १.४५ इञ्च । भाषाप्राक्रस । विषय-पूजा । र काल X ।ले. काल X । पुर्य । बेष्टन सं० २१३ । प्राप्ति स्थान-भ. दि जैन मंदिर अजमेर । : ६१०३. सोलहकार जयमाल---X । पत्र सं० १० । प्रा० १.१४४ इन्च । भाषाप्राकृत । विषय-पुजा । र०काल x +ले. काल सं० १७५४ ।पूर्ण । वेपन सं. २०२। प्राप्ति स्थान-- दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बुदी प्रारम्भ-- सोलहकारण पडमि गुणगण सायरह । परावरिंग तित्थकर असुह दूक्यंकर ॥ ६१०४. सोलहकारण अयमाल-रइधू । पत्र सं०७ । प्रा. १३४६ इञ्च । भाषाअपभ्रंश । विषय-पूजा। र०काच I लेवाल X । मपूर्ण । वेष्टन सं० ५६ X । प्राप्ति स्थानदि. जैन खडाघीसपंधी मन्दिर दौसा । ६१०५, सोलहकारण जयमाल-x। पत्र सं० २२। प्रा. ६x६ इञ्च । भाषाप्राकृत-हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल x ने काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०४०। प्राप्ति स्थान--दि. जैन सौगाणी मन्दिर करौली। विशेष--गाथानों पर हिन्दी अर्थ दिया हुआ है। १०६. सोलहकारण जयमाल-x पत्र सं० २८ | प्रा. १३४६ इञ्च । भाषाप्राकृत विषय-पूजा । र०काल X । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६ । प्राप्तिस्थाम-दि. जैन मन्दिर पंचायती करौली। विशेष-रत्नकर'ड एवं अकृत्रिम चैत्यालय जयमाल भी है। ६१०७. सोलहकारण पूजा-४ । पत्र सं० ११ । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल X । लेकाल' X । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर आदिनाथ स्वामी मालपुरा (टोंक)। ९१०८. सोलहकारण पूजा-X । पत्र सं० ४२ । पा. १२४७३ इङ च । भाषा--हिन्दी । विषय--पूजा । र० काल X । से. काल सं० १९३६ आसोज बुद्दी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४ । प्राप्तिस्थान-दि० जैन मन्दिर श्री महावीर दी। विशेष-हीरालाल बडजात्या ने टोंक में लिखवाया था। Page #998 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [ ६३७ ६१०६. सोलहकारण पूजा विधान-टेकवन्द। पत्रसं०६। प्रा० x ६ इञ्च । भाषाहिन्दी । विषय-पूजा विधान ।र०काल - । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ५६१ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मंदिर लश्कर जयपुर । ६११०. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ५१ । प्रा० १०४५६ इञ्च । से काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं. ४। प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर कोट्यों का नणवा। विशेष-भट्ट शिवलाल ने प्रतिलिपि की थी। ६१११. प्रति सं०३ । पत्रसं० १७५ । आ. १.३४५६ इञ्च । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०७५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा। ६११२, प्रतिसं०४ । पत्रसं० ४६ | प्रा०१२३४६१ इञ्च । लेकाल सं० १९१७ चैत सुदी है। पूर्ण । वेष्टन सं० १३८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर नागदी दी। ११३. सोलहकारण पूजा-- । पत्रसं० २७ । प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल ! मेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २३५/३२५। प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६११४, सोलहकारण पूजा--XI पत्रसं०२-१७ । प्रा० ११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। र० काल x ले. काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। १११५. सोलहकार मण्डल पजा-XI पत्रसं० ४० । प्रा० ११४८ च । भाषासंस्कृत । विषय पूजा । र०काल X । लेकाल सं० १९११ ज्येष्ठ चुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४/६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर भादवा (राज०) विशेष—मारोठ में झंथाराम ने लिखवाया था। ६११६. सोलाहकारण मण्डल विधान-x | पत्रसं० २० । प्रा. ११४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । र०काल X । लेकाल सं० १६५४ सावण बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन स० १३६४ । प्राप्ति स्थान-भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर। ६११७. सोलहकारण व्रतोद्यापन पूजा--- । पत्रसं० १८ ! भा. १९४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा स्तोत्र । र काल ४ । ले. काल X । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १५३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर नागदी बूदी। ६११८. सोलह कारण व्रतोद्यापन पूजा-x पसं० ३२ । मा० १०४७ इन्च । भाषाहिग्दी (पद्य) । विषय-पूजा । २० काल x । ले०काल x पर्ण । वेधन सं०७५ ७८ । प्राप्ति स्थानदि. जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा । ६११६. सोलहकारण व्रत पूजा विधान--XI पत्रसं० ६ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-पूजा। र०काल ले. काल x। प्रपर्ण । वेष्टन सं० १-। प्राप्ति स्थान-- दि० जैन बड़ा बीसपंथी मन्दिर दौसा। Page #999 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३८ ] [ प्रथ-सूची-पंचम भाग ६१२०. सौख्य काख्य व्रतोद्यापन विधि-X । पत्रगं०६ । आ० १०३४५१ इश्च । भाषासंधकृत । विषप-पूजा । र० काल X। ले० काल X । पूर्ण । येष्टन सं० ६११ । प्राप्ति स्थान-भ. दि० जैन मंदिर प्रजमेर । १२१. संथारा पोरस विधि-x पत्र सं० १ । प्रा० १०४४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-विधाय । ले० काल १६४३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर दबलाना बृदी। विशेष—पठनार्थ विरागी रूपाजी। ६१२२. संथारा विधि-४। पत्र सं० १२ । आ. १.४४१४श्च । भाषा प्राकृत । विषय-बिधान । र०काल X । ले०काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४६६ । प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर। विशेष-.-टच्या टीका सहित है। ६१२३. स्तोत्र पूजा-x। पत्रसं० १ से ५ । माषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल ४ । ले. काल x ! अपूर्ण । ० सं० ७५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पन्चायती मन्दिर भरतपुर । ६१२४. स्तोत्र पूजा--- पत्र स'. ६ । भाषा: हिन्दी । विषय-पूजा । र० काल । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७२४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । ४१२५. स्नपन विधि-x। पर सं०५ । भाषा-संस्कृत। विषय-विधि र०काल- | लेफाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का हंग। । ६१२६. स्नपन विधि वृहद्--X पसं० १५५ भाषा संस्कृत । विषय-विधान । २० काल x ले. काल सं. १५२७ कातिक सदी५ । पूर्ण। येष्टन सं० २३८ । प्राप्ति स्थान---दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । ६१२७. होम एवं प्रतिष्ठा सामग्री सूची---- । पत्रसं० २० । पा. १२४५३ च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काबर । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०७-११७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । ६१२८. होम विधान--प्राशाधर । पत्रसं० ३। प्रात १०x४ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-पुजा विधान । र०कालX । लेकालपूर्ण । वेष्टन सं० ३८१। प्राप्ति स्थान-भ. दि० जन मन्दिर अजमेर । ६१२६. प्रति सं० २१ पत्र सं० ३ । ग्रा० १२४४३ इश्च । ले. काल सं० १६४० चैत मृदी सवर्ण । वन सं० २५२ 1 प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान दी। विशेष-...पंडित देवालाल ने चाटसू में प्रतिलिपि की थी। ११३०. प्रति सं०३। पत्र सं०६। प्रा० १२४५३ इञ्च । ले० काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० ३२१-१२० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । ६१३१- होम विधान--X । पत्रसं० १० । पा० १.१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १७काल x | ले. काल X । गएँ । वेष्टन सं०३७५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर अजमेर। Page #1000 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा एवं विधान साहित्य ] [६३६ ६१३२. होम विधान-~-। पत्र सं० ६ । प्रा० ५४ ६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- विधान । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११७५. 1 प्राप्ति स्थान--म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । ६१३३. होम विधान--X । पत्र सं० २३ । प्रा० १२४७ इञ्च । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय-विधान । र काल ४ । लेकाल XI पूर्ण । वेष्टनसं० ८० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । . ६१३४. होम विधान -XI पत्र सं० २-८ । भाषा-संस्कृत । विषय - विधान । र० काल X । ले काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ४३६/३८७ । प्राप्लि स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ६१३५. होम विधि-X । पत्रसं० ८ । प्रा० ११४४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयविधान । र काल X ले काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२६ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मंदिर लड़कर जयपुर। ६१३६. होम विधि-X । पत्रसं० ६३ । मा०६x४३ इन्च । भाषा-संस्कृत विषय-विधान । र०काल x | लेकाल सं० १९६०। पूरणं । वेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर पाश्र्वनाथ बगान बूदी। Page #1001 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ( महारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर ) भविष्यदत्त राम सुदर्शन शस श्रीपाल रात ९१३७. गुटका सं० १ ० ७० पा० १२x९३ इन्च भाषा हिन्दी मे सं १०३४ माह मुदी पूनसं० २३१ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर पजमेर | विशेष – विभिन्न पाठों का संग्रह है। मुख्यतः वालों की उत्पत्ति ८४ गोष तथा निम्न रास हैं । ६१३८. गुटका स० २ ० १३१ ० ११५ । भाषा संस्कृतप्राकृत काल X पूर्ण वेष्टनसं०] ४२ ॥ ६१३६. गुटका नेगाल X पूर्ण वेष्टन ० ११६ । विशेष – सामान्य पाठों का संग्रह है गुटका प्राचीन है। I 61 ब्रम सं० ३ | पत्रसं० १६८ से० काल X अपूर्ण वेष्टन ० २२७ । विशेष - पूजा पाठ संग्रह है । 11 विशेष- ब्रह्म रायमल्ल कृत विभिन्न रासाओं का संग्रह है। १४०. गुटका सं० ४ । पत्र सं० ११५ ० ६३९५ इञ्च । भाषा संस्कृत हिन्दी | १९४१. गुटका सं० ५ प ११७३ चेत सुदी ५ पूर्ण वेष्टन सं० २४१ | विशेष – हिन्दी पदों का संग्रह है। ११४३. गुटका ७ पत्र पूर्ण येथून सं० ३६३ विशेष मुख्य पाठ निम्न प्रकार है--- नाम प्रय १- मधु मालती कथा - १४२. गुटका सं० ६ वेष्टन ०२४२ । विशेष विविध पूजामों का संग्रह है। ० ८८ इव । भाषा - हिन्दी । र०काल X । ० ७६ ० ६x४३ इ भाषा हिन्दी ० का ० ० ० ० ६४३ भाषा हिन्दी का १२८ ०८:४४ भाषा-हिन्दी ले०का सं० १०००१ नाम चतुर्भुज भाषा हिन्दी मे० काल सं० १८०७ ॥ Page #1002 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [६४१ गई पं. ८.३. २-दिल्ली के बादशाहों के नाम-x। ६६४४. गुटका सं० ८ । पत्रसं० १६० । प्रा० १३४ ६ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६४। विशेष-स्तोत्र, पूजा एवं हिन्दी पदों का संग्रह है । ६१४५. गुटका सं०६ । पत्र सं० २७५ । मा० ५६४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं. १६६७ मंगसिर मुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६५ । विशेष—निम्न प्रकार संग्रह हैनाम ग्रंथ ग्रंथ का समयसार बनारसीदास सूक्ति मुक्तावली कल्याण मन्दिर स्तोत्र भाषा जकडी दरिगह ज्ञान पच्चीसी बनारसीदास कर्मछत्तीसी अध्यात्मबत्तीसी दोहरा आल कवि द्वादशानुप्रेक्षा ६१४६. गुटका सं० १० । पत्रसं० २०२ । प्रा. ६x४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । र० काल x। काल 1 पूर्ण । वेष्टन सं०५०२ ॥ विशेष---हिन्दी पदों का संग्रह है। हर्षचन्द्र आदि कवियों के पदों का संग्रह है । पद संग्रह की दृष्टि मे गुटका महत्वपूर्ण है। ६१४७. गुटका सं० ११ । पत्रसं० ४६ । rs ५४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । २० काल X । ले० काल सं० १८७६ । अपूर्ण । वेष्टन सं०५०३ 1 । विशेष--स्तोत्र एवं अन्य पाठों का संग्रह है। ६१४८. गुटका सं० १२ । पत्र सं० १०६ । प्रा० ५.४५ इञ्च । माषा-हिन्दी । ले० काल x । पूर्ण । देष्टन सं० ५०४ । विशेष-गुणस्थान चर्चा आदि है। ९१४६. गटका सं० १३ । पत्र सं० ११८ । प्रा. १०४५ ३ञ्च । माषा-हिन्दी । ने काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५०७ 1 - विशेष--निम्न पाटों का संग्रह है समयसार -- बनारसीदास महावीरस्तवन - समयसुन्दर (बीर सुनो मेरी वीनती कर जोडि है कहो मानी मात बालकनी परिविन) Page #1003 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ ] ९१५०. गुटका सं० र०का x का पूर्ण विशेष - प्रति जीयां है। पूजा पाठ संग्रह है । [ प्रभ्य सूची-पंचम भाग | ॥ । १४ पनसं० ६ ० ५०८५ ६ भाषा - हिन्दी-संस्कृत । वेटन सं० २०८ १५१. गुटका सं० १५ पत्रसं० २०० प्रा० ६३ ४ ६३इच भागा - हिन्दी-संस्कृत । । | १५१ । ले काल नं०] १०१२ पूई वेष्टन सं० विशेष स्तोत्र एवं सामान्य टव्वार्थ सहित विचारटिका म्यार्थ धर्मनाथ स्तवन, (श्रादधन) । गुटका श्वेतांबरीय पार्टीका ६१५२. गुटका सं० १६ । पत्र सं० १६८ । प्रा० ६४६ इव । भाषा-संस्कृत । ले० काल X पूर्ण वेटन ० ५५३ । विशेष – पूजा पाठ संग्रह है । गुटका जी है ! पाठों के अतिरिक्त क्षमा बत्तीसी (समय सुम्दर), जीव विचार पद संग्रह (भव सागर) सीमंधर स्तवन (कवि कमल जिम). ६१५३. गुटका सं० १७ X | पत्र सं० ३३ ॥ श्र० ५ X ३ इव । भाषा - हिन्दी | ० काल स० [१७७४ चैत सुदी ११ । पूणं । वेष्टन सं० ५५४ । विशेष – निम्न पाठों का संग्रह है १ – शत्रु जय रास २ मंडोवर पार्श्वनाथ स्तवन ३ - ऋषभदेवस्तवन ११५४. गुटका सं० १८ ० काल सं० १५७५ भादवा सुदी ३ । पूणं । वेष्टन सं ५५५ । पत्र सं० ७३ । ०२५५ भाषा-संस्कृत विशेष --- विभिन्न ग्रंथों में से पाठ है सामान्य पाठों का संग्रह है । इन्च - समयमुन्दर सुमति हेम ६१५५. गुटका सं० १६ । पत्रसं० १४४ ० ६६ | ले० का ० १८०७ पूर्ण वेग सं० ५५७ ॥ भविष्य दत्त कथा श्रीपाद राख विशेष निम्न पाठों का संग्रह है । भक्तामर एकीभाव, सूक्तिमुक्तावली नीतिक (हरि) तक (हरि) कवित्रिया (केशवदास ) ! । भाषा - हिन्दी-संस्कृत १५६. गुटका सं० ० २० पत्र सं० ६७ । भा० ११९७ इव । भाषा प्राकृत संस्कृत | ० काल पूर्ण वेष्टन ०५८ विशेष - सामायिक आदि सामान्य पाठों का संग्रह है। । १५७. मुटका सं० २० पत्र सं० १४०० ११३७३ इन्च भाषा - हिन्दी] | से० | । काल सं० १८१८ फागुण मुदी २ पूर्ण वेष्टन सं० ५५२ । निम्न पाठों का संग्रह है व्र० रायमल्ल Page #1004 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुटका संग्रह ] . [९४३ 'सुदर्शन रास . - ब्रह्मराय मात्र . . . . . . . निर्दोष सप्तमी कया प्रद्युम्न रास ___रायमल्ल रायमल्ल नेमीश्वर रास हनुमत चौपई शालिम नौपत्र जिनगज मुरि . शीलपच्चीसी म्यूलभद्र को नव रस अकलंकमिकलंक चौपई म. विजयकाति र० काल सं० १५२४ ६१५८. गुटका सं०२१ । पत्रसं०७०।०५४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले०काल स.१७६४ । पूर्ण । वेटन सं० ५६०।। विशेष-चौरासी बोल-हेमराज के नुथा पूजा-पाठ संग्रह है। ९१५६. गुटका सं० २२ । पत्र सं० १५६ । आ० ५३ x ३३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० कायx पूर्ण । वेष्टन स० ५६१ । विशेष-पदों का संग्रह है। ६१६०. गटका सं०२३।यसं० ८ । आ. X६ इञ्च । भाषा - हिन्दी । ले० काल सं....१६ । पूर्ण । वेष्टन सं०५६२ । विशेष-नेमिनाथ के नवमंगल एवं पाठ आदि हैं। ६१६१. गुटका सं० २४ । पत्रसं०४८ | आ. ७:४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ५६३ । विशेष प्रामुर्वेदिक पाठों का संग्रह है : इगते. अतिरिक्त, २४ पत्र में काल ज्ञान मटीक है । जिन्थी में अर्थ दिया हुआ है। ६१६२. गुटका सं० २५ । पत्र सं० ६२ । प्रा०५३४ ४ इञ्त । माषा-हिन्दी । लेकाल सं० १८८८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६४ । विशेष-गोम्मटसार में से चर्चायों का संग्रह है तथा पद्मावती पूजा भी दी हुई है। ११६३. गटका सं० २६ । पत्रसं० २४२ । प्रा० ६३४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । - ले. काल सं० १७१६ । पूर्ण । वेष्टनसं०५६५ ।। विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है.... भक्तामर स्तोत्र, तत्वार्थ सूत्र' एवं पूजामों के अतिरिक्त भाउ कृत रविव्रत कथा, प्र० रायमल्यात नेमिनाथ रास एवं शाविभन्न चौपई आदि का संग्रह है। ६१६४. गटका सं० २७ . पत्र स० ८४ । मा०.३४३ इन्च। भाषा-संस्कृन । ले०काल मं० १६.१ । पूर्ण। वेष्टन स०५६६1 . विशेष स्तोत्र आदि का मंग्रह है तथा अंत में कुछ मन्त्रों का भी संग्रह है। Page #1005 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४४ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ६१६५. गुटका सं० २८ । पत्र सं० २६५ । प्रा३४६१ च । भाषा हिन्दी । लेकान सं. १५८५ । पूर्ण । वेष्टन सं०५६७ । विशेष-निम्न प्रकार संग्रह है-- पत्र १-४२ प्रारम्भ में १-२० २१-४६ ७६ पत्र तक १८ पत्र तक इन्द्रजालविद्या चक्रकेवली शकुनाचली संक्रांति विचारप्रसोदू का पशकुन कोक शास्त्र संवत्सर फल सामुद्रिक शास्त्र संसार बचनिका रमल शास्त्रि आने जन्म कुण्डली यादि भी हैं। गुटका महत्वपूर्ण है। १४६ तक १५० तक १७३ तक ६१६६. गुटका सं० २६ । पत्र सं० ३७१ । ग्रा० ३४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं १७२८ । पूर्ण । वेष्टनसं० ५६८ । विशेष रचना सं० १६६७ विशेष-निम्न रचनाओं का संग्रह है। नाम ग्रंथ ग्रंथकार भाषा पाश्र्वनाथरास कपूरचन्द हिन्दी नमीसुर का रास पुण्यरत्न जनरास प्रधम्नरास प्र. रायमल्ल त्रैलोक्य स्वरूप सुमतिकीर्ति सौपई शील बत्तीसी अमल पत्रसं० ३८-५६ ६०-६४ ६५-८० ६४ पत्र १६२७ १०१-११६ पत्र स. नहीं लगी है। भविष्यदत्त कथा नद बत्तीसी निर्दोष स समी कथा यशोधर चउपई ब्र० रायमल्ल विमल कीति ब. रायमल्ल ११७-७३ १७४-११ लिपिकाल सं० १७२८ १६५-२०६ जीवनपुर मध्ये लिपिकृतं । २२०-२२६ आदित्यवार कथा भाउ कवि Page #1006 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ६४५ चन्द्रसेन " १६६३ सीतासतु भगौतीदास हिन्दी पद्य २३०-२७० आषाद सुदी ३ ज्येष्ठ जिनवर कथा ब. रायमल्ल हिन्दी १६२५ २७१-७४ सांभर में रचना की गयी थी चन्दनमलयागिरि कथा २७५-८५ - मृगीसंबाद देवराज २८६-३०१ - चैत सुदी १ रविवार वसुधरि चरित्र स्त्री भूषण १७०६ ३०२-३२१ हनुमंत कथा ० रायमल्ल पाशाकेवली ३५६-६० मालीरास जिनदास गौतम पृच्छा सीता सतु-भगोतीदास आदि भाग ॐकार नमों धरि भाऊ, मृगति बरंगरिश बरु जगराऊ । सारद पद पंकज सिर नाऊ. जिह प्रसादि रिधिसिधि निधि पाऊ !! गुरु मुनि महिंदसेन भट्टारक, भव संसार जलधि जल तारक । तासु चरण नभि होत अनंदो, बढइ बुधि जिम दुतिया चंदो।। मध्य भागसोरठा सीय न हुइ भय भीय करे रूपि रावण पणे । हरि करि कारह घिसाय भूत प्रेत वेताल निसि । ५६।। चौपर्स खम्गु उपसर्गु करइ आमा, सो सुमरइ चिति लछिमनरामा । गय रनि रवि उग्यो दिनेसू, हुइ निरास घरि गयो यो ।.५० ॥ बालु पीडत तेल न लहिये, फणि मस्त किमणि झिनसन गहिये । सतिय पयोहर को फरि छावइ वहनि परसि तनि को जाँग जीवइ ।।५।। अन्तिम बलि विक्रम नृप करत सम सुखर मुभा सुजाण । मकबर नंदण प्रति वली सयल जगति तिस प्रांण ।। ६६|| सोरठा देस कोसु गज बाजि जासु नमहि नृप छत्रपति । जहांगीर इक राजि सीता सतु मइ मनि कीया । ६७।। गुरु गुण चंदुरिसिंदु बखानिए । सकल चन्दु तिह पट्टि जगतमहि जानिए । --- Page #1007 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६ ] [ मन्थ सूची-पंचम भाग ताम पट्रि जस धाम खिमागुण मंडलो। परु हा गुरु मुणि महिंद औरण मैंणद्र म खंडणौ ॥६॥ अडिस्ल गुरु मुनि माहिदसंग भगौती, रिसि पद पंकज रण भगौती। कृष्णदास बनि तनुज मगौली, तुरिय गौ तु मनुज भगौती ।।६७।। नगरि चूडिये वासि भगौती, जन्म भूमि चिरु पासि भगौती। अग्रवाल कुल वंस लगि, पंडितपदि निरखी ममि भगौती 11 ७०॥ चौपई जग्गनिपुर पूरपति अति राजह, राई पौरि नित नौबति बाजइ। बसहि महाजन धन धनवंत, नागरि नारि पबर मतिवंत ॥७॥ मोतीटि जिनभवनु यिराजइ, पडिमा पास निरखि अघु भाजद । श्रावक सगुन मुजान दयाल, षट् जिय जानि करहि प्रतिपाल ॥७२॥ विनय विवेक देहि रिसि दान, पंडित गुना करहि सनमानू । करि करुणा निरचन धनु देही, प्रति प्रवीण जगमाहि जसु लेही ।।७३। जिह जिनहर चौ संघ निवासू, सह कवि भगत भगौतीदासू । सीता सतु तिनि को बखानी, छंद भेद पद सार न जानी ।।७४।। बोहरा पहहि पदावहि सुनि मनहि, लिखहि लिखावहि गोह । सुर नर नृप खग पदु लहइ, मुकति वरहि हरिण मोहु ।।७।। सोरठ बरसी पास मेहु बाजल तूर अनंद के । दंपति करण सनेह घर घर मंगल गाइयो ।।७६।। फुनि हां नवसतसह वसुबारिम संवत जानिये सादि सकल ससि तीज दिवस मनि पानिए । मिथुन रासि रवि जोइ चन्दु दूजा गन्यौ । पर हां कविस भगौतीदासि प्रासि सीय मतु भन्यो ।। ६७७।। इति श्री पद्म पुराणे सीता सतु संपूर्ण समापता । संवत् १७३० का दुतीक भाद्रपद मासे कृष्ण । पस्ये एकादश्यां गुरुबासारे लिप्पकृतं महात्मा। जसा सुत कलला जोबणेरमध्ये ।। मृगी संवार-(बेष्टन सं० ५६८) प्रथ मृगी संवाद लिख्यते-- N सकल देर सारद नमी प्रणामू गौतम पाइ। राम भरणी रलिया मरखो, सहि गुरु तस्सी पसाह ॥१॥ Page #1008 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १४७ अंबू द्वीप सुहावरणी, महिघर मेर उत्तंग । जहिये दक्षिण दिसा भली भरय क्षेत्र सुचंग ।।२।। मगर निरोपम तिहां बसे कललीपुर विरक्षात । देखी राजा नट नुपण, किती कहं अवदात ।।३।। मध्य भाग कोई नर एक जिमावं जाति, सह कोई वसे एकरिण पांति । परूसण हारी ब्यौरा कर, तिहकै पाय सूर्य थर हरै।।११३।। सांचा मासास नै देह पाल, माथे मारं नान्हा बाल , सासू सूसरा नै जो दमै, सा नारी बागुलि होइ भमै ॥११४॥ घरि पावै चो निरचन परणी, चिरान दो लन्न स्वामी तणी।। सूख हर्ष दुखे संताप, रति लाग तिह नौ पाप ।।११५॥ अन्तिम पाठ इहां थे मरि कहां जाइसी. त्यो भांजै सन्देह । केवली भाषा संभली, हां थे मरि सब बह ॥२४७।। जप तप संजम प्रादरौं टाल्यौ भयं दुख । मुक्ति मनोरथ पामिसौ, लहसी पहला सुख ।।२४८।। संवत सोलसै तेसद चैत्रसुदि रविवार । नबमी दिन भला भावस्यो रास रच्यो सुविचार ।।२४६।। बीजागछ मांडण पवर पास सूर देवराज । श्री धननंदन दिन दिने, देड यासीस सुकाज ।।२५०।। इति मृगी संवाद कथा समाप्तं ।। संवत् १७२३ का वर्षे मिलि बदि ५ शूकबार लिखितं पांडे वीरू कालाबहरामध्ये । घसुधरि चरित्र (वेष्टन सं० ५६८) मादि भागॐनमो वीतरागाय नमः दोहडा-- सारद सामरिण गाय नमो गणपति लागो पाय । कहिसि कथा रलियावरणी, गोतम तणा पसाय ॥११॥ जंब्रदीप राहावणी, लख जोजन थिसतार । मध्य सुदरसरण मेर है, दिखा दिसा सूखसार ।।२।। भरतक्षेत्र जन भर तहां दिखा देस सुषिसाल । वन वापी जिन भवन यति, नदी तीर सुभताल ||३|| कुसम नगर अति सोभतो कोट उतंग प्राबास । बाग बाप बहु बावडी तहां भोगी लील विलास ॥४॥ Page #1009 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४८ ] [ ग्रन्थ सूची--पंचम भाग मध्य भाग अति पाणंद हको तिणाचार, पारद दोऊ वीर आपार । प्राय पता तब तर दारि, गावै गीत सुभग नर नारि । बाजै बाजा बहु अतिसार, अगि उबटणा कर कुमारि । जल समानि जवादि अवीर, अरक उद्योत तिसो बसु धीर ।। भोजन भगति भई सुभराइ, विजन बृ'द बहुत बरगाय । मोदक मेवा मिठाइ पकवान, जीमै बाला वृद्ध जवान ।। सीतल जल सुवास सवाद, पीवत तपश और जाय विषाद ।। विपत्या इन्द्री तत्पर बैरण, नर नारी स्नेह रस नैण ।। अन्तिम भाग-- बाग बाप नदि ताल सुभ, शुभ थावग धर्म चेत । गोसो सामायक सदा, देव पूज गुह हेत। अक्षर शत न जांगाही हांसि तजो कविराव । मुगी कथा तैसी रची, लील कतहल भाव। सतरास निडोतराय कालिग सुभ गुरुवार । सेत ससमी कथा 'रची पढल सुरगत सुखसार । एकसउ तरेपन दोहडा सोरठ ग्यारह सार । इक्यासी पर एक सत सुध घउपई सुद्धार । इति मुरि चरित्र समाप्त। ६१६७. गुटका सं० ३०. । पत्र सं० ३६६ । प्रा० ६.४५ इञ्च । भाषा - संस्कृत । ले. काल x | पूरणं । वेष्टन स०५६६ । विशेष-निम्न पूजाओं का संग्रह हैश्रेपन क्रिया पूजा कर्मदहन पूजा धर्म चक्र पूजा वृहद् षोडशकारण पूजा दशलक्षण पूजा पद्मावती पूजा आदि ९१६८. गुटका सं० ३१ । पत्रसं० ४२० । आ. ६५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृल । ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ५७० । विशेष पूजा पाठ स्तोत्र कश्या प्रादि का संग्रह है। १६६. गुटका सं०३२। पत्रसं० १२५ | मा० ८४६ इश्व । भाषा-हिन्दी। ले०काल सं० १५११ । पूर्ण । वेष्टन सं०५७१ । विशेष-हिन्दी पदों का संग्रह है। मुख्य पाठ निम्न प्रकार है Page #1010 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ६४६ पारसनाथ की सहेलो-ब्रह्म नाथू नेमिनाथ का बारहमासा-हर्षकीर्ति देवेन्द्रकीर्ति जखडी ११७०. गुटका सं०३३ । पत्र सं० ३७ । प्रा०५४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । पूगी । बेष्टन सं० ५७२ । विशेष-चौबीसठाणा चर्चा यादि का संग्रह है। ६१७१. गुटका सं० ३४३ पत्र सं०११८ । या. १५४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं० १७६३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७९३ । विशेषयादवरास पुण्यरत्न भाषा हिन्दी पत्र ६-१३ दानशील नप भावना समयसन्दर इनके अतिरिक्त अन्य स्तोत्र एवं पदों आदि का संग्रह है। ६१७२. गुटका सं० ३५ । पत्र सं० १८४ । प्रा० ६x६ इञ्च । माषा-हिन्दी । लेकाल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ५७४ । विशेषबावनी छहल हिन्दी रचना सं० १५८४ ५३ पद्य स्वप्न शुभाशुभ विचार - पत्र ४६-५० चतुर्विशति जिनस्तुति - ५०-६५ बादनी बनारसीदास १७२-११० ठीहल की बायनी का अन्तिम पद्य: चौरासी आगले सोज पनरह संवत्सर । शुक्लपक्ष अष्टमी मास कातिग गुरु मासर । । हिरद उपनी बुघे नाम थीगुरु को लोह्रौ। सारव तणो पसाइ कवित संपूरण कीन्ही । तहा लगिस नाथ सुतन अग्रवाल पुर प्रगट रवि । बावनी वसुधा विस्तरी कर ककरा छील कवि ।। ६१७३. गुटका सं०३६ । पत्र सं०४२ । प्रा०६४ ६ इन्च । भाषा---हिन्दी । ले. काल- I पूर्ण 1 वेष्टन स० ५७५ । विशेष-गुणस्थान चर्चा का संग्रह है। ६१७४, गुटका सं० ३७ । पत्रसं० ५७ । मा० ८३४६ इञ्च । भाषा--- हिन्दी । लेकाल सं १७४८ पुर्ण । वेष्टन सं० ६७६१ विशेष- अबजद केवली पाशा है । सं०३८ । पत्रमं० १२ । पा० ११x६ इञ्च । माषा-हिन्दी-। ले. काल x। अपूर्ण । वेन सं०५७७ । Page #1011 -------------------------------------------------------------------------- ________________ E५० ] विशेष ११७६. गुटका सं० ३६ पत्र सं० २०६ ले०काल १०३० श्रावण सुरी पूर्ण वेष्टन सं० ५७८ ॥ - [ प्रन्थ सूची- पंचम भाग १५९ पद हैं। बीच-बीच में चित्रों के लिये स्थान छोड़ रखा है मधुमालती कथा है। ० ९x४३ इस भाषा - हिन्दी-संस्कृत विशेष पूजा पाठ संग्रह है। बीच के बहुत से पत्र खाली है। - धर्म परीक्षा ज्ञानचिन्तामणि ६१७७ गुटका सं० ४० पत्रसं० २६४ ० ५x५ इश्व भाषा - हिन्दी-संस्कृत लेकाल । । । | X पूर्णं । बेटन सं० ५७६ विशेष पूजा एवं स्सो - संग्रह है। १७८. गुटका सं० ४१ १० से ले० काल सं० १७९५ खेत सुदी १० प्रपूर्ण वेष्टन सं० विशेष निम्न पाठों का संग्रह है हिन्दी चौवीस तीर्थकर परिचय पंचाख्यान भाषा (मित्र लाभ एवं सुद्द भेद) प्रति सटीक है। " " ० JP २९४ | ०७३७ व भाषा - हिन्दी । ५८० । मनोहर सोनी मनोहरदास ६१७६. गुटका सं० ४२० ११६ ० ६ भाषा हिन्दी वे० काल पूर्ण न सं० ५०१ विशेष गुटके में पूजाएं स्तोम एवं पद्य आदि का संग्रह है। ६१८०. गुटका सं० ४३ १० १५० ० ६४ इन्च भाषा संस्कृत | ले० काल X । । । पूर्ण वेष्टन ०५८२ । विशेष – निम्न पाठों का संग्रह है सम्यक्त्वकौमुदी, वृषभजिनस्तोत्र, प्रश्नोत्तरमाला ( शंकराचार्य) नियम एवं अन्य पाठ हैं। कुछ पाठ जैनंतर ग्रंथों में से भी है । १८१. गुटका सं० ४४ ० १७८ । प्रा० ५४४ इञ्च । भाषा संस्कृत - हिन्दी । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५८३ । विशेष – पद स्तोत्र एवं पूजा पाठ आदि का संग्रह है । १०२. गुटका सं० ४५ ए ० ६८ ६३४५३ भाषा संस्कृत-हिन्दी | श्र० इख 1 । ले० काल से० १६४९ पूर्ण पेन सं०५८४ विशेष – यंत्रों एवं मंत्रों का संग्रह है। मुख्य मंत्र शत्रूचाटन, संतानोपचार, गर्भबन्धन मंत्र, वशीकरना, कोलन, मंत्र, बालक के पेटबंध प्रांतों की वशीकरण मंत्र, साहिनी मंत्र, सत्योपचार मादि मंत्र दिये हुये है । ६१८३. गुटका सं० ४६ पत्रसं० २६० ग्रा० ७४५ इन्च भाषा संस्कृत लेकात X पूर्ण । न सं० ५८५ । Page #1012 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] विशेष पूजा एवं स्वोज यादि का संग्रह है। - १८४ गुटका सं० ४७ X पूर्ण वेष्टन सं० २०६ । विशेष स्तोत्र, पूजा, अमरकोश एवं आयुर्वेदिक नुस्खे आदि का संग्रह है। ६१८५. गुटका सं० ४८ पूर्ण वेन सं० ५८० विशेष—नंददास की मानमंजरी है। १८. गुटका सं० ५१ X पूर्ण वेष्टन ०५६० विशेष ६१. गुटका सं० ५२ पूर्ण सं० ५२१ । विशेष पूजा पाठ संग्रह है धर्मतरु गीत जोगीरास द्वादशानुप्रेक्षा ६१८६. गुटका सं० ४९ । पत्र सं० ५० । या० ६ ३ ४ ४ इञ्च । भाषा - हिन्दी । ले० काल स ं० १८८५ । पूर्ण । बेष्टन सं० ५८८ । विशेष- निम्न पाठों का संग्रह है। नीतिशतक श्रृंगार मंजरी ० ४२० ३६ इव भाषा-संस्कृत-हिन्दी काल आराधाना प्रतिवोषहार पोसह रास मिध्यादुक्कड़ FI पाणीगाला रास सीखामरण रास ० ३६ ० ६x४ इस भाषा हिन्दी वेन्काल X ६१८७. गुटका सं० ५० । पत्र सं० १४२ । ग्रा० ६३ ४ ६६३ इश्व | भाषा - हिन्दी | लेकाल X पूर्ण वेष्टन सं० ५८६ । विशेष- तत्वार्थ सूत्र हिन्दी टीका सहित है। राजस्थानी भाषा है । हिन्दी पूजा एवं स्टोन संग्रह है। 27 ग्रन्थकार सकलकोति ज्ञानभूषण अ० जिरणदास पं० जिनदास जिलदास पं० जिनदास ईसर ज्ञानभूषण पत्र सं० ११० स० ५४४३ इन्च भाषा-संस्कृत ले-काल x है। गुटका जी पत्र [सं० ६२ प्रा० ११४४३ इन्च भाषा - हिन्दी । जे०काल सं० १८२० भादवा सुदी १४ । पू । वेष्टन सं० ५१२ । १०. गुटका सं० ५३ निम्न प्रकार संग्रह है ग्रन्यनाम ० ६८ धा० X १३ इव भाषा हिन्दी संस्कृत ० काल 1 भाषा हिन्दी 21 IN " :DE: सवाई प्रतापसिंह सवाई प्रतापसिंह 37 נו " 37 [ ६५१ पद्म सं० ૧૪ 1 | 1 २४ ४१ १२ १२ ३३ १३ विशेष Page #1013 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग हिन्दी । । । । । । । । । । । । । चहुंगति चुपई नेमिनाथराम अभयचन्द संबोधन सत्तावणी भावना वीरत्तन्द दोहावावनी पं. जिणदास जिनबर स्वामी विनती सुमतिकीति गुरपठारणागील ब्रह्मवद्धन सिद्धचक्रगीत अभयचन्द्र परमात्म प्रकाश योगीन्दु अपभ्रंश ज्येष्ठ जिनवारनी विनती ब्र.जिनदास ओपन कियागीत शुभचन्द्र मुक्तावलीगीत आलोचना गीत शुभचन्द्र प्राचार्य रत्नकीति वेलि पद संग्रह विभित्र कवियों के पद ६१६१. गुटका सं०५४ । पसं०६२ । या०६४५१ इच। भाषा-हिन्दी-कांस्कृत । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ५९३ । निम्न संग्रह हैअन्धनाम सत्यकार पश्च सं० विशेष गुर्वावलि हिन्दी अंगिक पृच्छा भ० गुणकीर्ति चितामांगा पाश्र्वनाथ विनती प्रभाचन्द्र भावना विनती ० जिनदास मूगालि भ.धर्मदास जिनायक ऋषिमडल स्तोत्र संस्कृत रोहिणीत कथा व ज्ञानसागर हिन्दी ६१६२. गुटका सं० ५५ । पत्रसं० ७० । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत, हिन्दी। ले० काल सं. १६५५ चैत्र बुदी २ । पूरी । वेष्टन सं० ५६४। विशेष-सबया बावनी एवं रामाषित ग्रन्थ का संग्रह है। ६१६३, गुटका सं० ५६ । पत्र सं० ११५ । प्रा०५४४३ इन्च । भाषा-हिन्दी, संस्बृत । ले.. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६५ । विशेष-स्तोत्र, जोगीरासा, नाममाला श्रादि का संग्रह है। ६१६४. गटका सं०.५७ । पत्र सं. १२५ । प्रा० ५४५ इश्व । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ५६६ । भाषा . | 1935 Page #1014 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका-संग्रह ] [ ९५३ ।। 1 ! ! विशेष-मिन डो का यह है-- नेमिनाथ रास मुनि रस्न कीर्ति भक्तामर स्तोत्र माननुग संस्कृत कल्याण मन्दिर कुमुदचन्द एकीभाव वादिराज विषायहार धनंजय नेमिनाथ वेलि ठक्कुरसी हिन्दी आदिनाथ विनती सुमतिकीर्ति मनकरहा जयमाल ६.१६५. गुटका सं०५८ । पत्रसं. २०३ । प्रा. ५१४५ इञ्च । भाषा संस्कृत, हिन्दी । ले. काल सं० १६६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६७ 1 निम्न पाहों का संग्रह हैकालावलि चन्द्रगुप्त के स्वप्न प्र. राममल्ल हिन्दी चौबीस ठाणा छियालीस ठाणा कर्मों की प्रकृतियां सत्वार्थ सूत्र उमास्वाति संस्कृत पंचस्तोत्र प्रय न राम ० रायमल्ल हिन्दी ले. काल सं १७०४ सुदर्शन रास २० काल सं०१६३७ ११४६. गटका सं०५४। पत्र सं. ११४। प्रा० ६x४ इच। भाषा-संस्कृत, हिन्दी। विषय - ग्रह । ले. काल सं० १६५७ फागुण सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५६८ । निम्न प्रकार संग्रह हैसंक्षेप पट्टावलि मूत्र परीक्षा ले०काल १० १८२६ काल ज्ञान उपसर्गहर स्तोत्र मक्तामर स्तोत्र मा० मानतुंग प्रायुर्वेद के नुस्खे ६.१६७. गुटका सं० ६० 1 पत्र सं० १५२ । प्रा. ६४५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी, संस्कृत । से०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं०५६६ । विशेष-मक्तामर स्तोत्र भाषा एवं अन्य पाठों का संग्रह है। ६१६८. गुटका सं०६१ । पत्र सं० १४० 1 पा.६४६ इञ्च । भाषा हिन्दी। ले० काल सं० १० ग्रासोज सुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६०० । Page #1015 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष-यासुर्वेद शास्त्र भाषा है। ग्रन्थ अच्छा है। अन्तिम प्रशस्ति निम्न प्रकार हैइति श्री दुजुलपुराणे वैद्य शास्त्र भाषा हफीम फारसी संस्कृत मसूत चिरंवते घुरन समापिता। ६१६६. गुटका सं० ६२ । पत्र सं० ३५ । प्रा० ७४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । २०काल ४ । ले०काल सं० १९३९ । पूर्ण ! वेष्टनसं० ७५१ । विशेष-पं० खुशालचन्द काला द्वारा रचित व्रत कथा कोष में से दशलक्षण, शिस्त्र रजी की पूजा, कथा एवं सुगन्ध दशमी कथा है। ६२००, गुटका सं०६३ । पत्रसं० १७५ 1 प्रा. ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । र०काल XI ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७५२ । निम्नपाठों का संग्रह हैधर्मबुद्धि माप बुद्धि चौपई जिनहर्ष हिन्दी र० काल सं० १७४२ शालिभद्र चौपई जिनराज सुरी चन्द्रलेहा चौपई रामबल्लभ १७२८ प्रासौज मुदि १० हंसराज गच्छराज चौगई जिनोदय मुरि ले० काल सं.१९६२। भवनकीति के शिष्य पं. गंगाराम ने प्रतिलिपि की थी। कानडरे कटियारा। मगी संवाद चौपई २०१. गुटका सं० ६४ । पत्रसं० १५६ । आ० ७४५३ इञ्च भाषा- हिन्दी संस्कृत । ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ७५३ । विशेष पूजा स्तोत्र एवं पदों यादि का संग्रह हैं ९२०२. गुटका सं०६५ । पत्रसं० १६ । प्रा० ७४५ इञ्च । भाषा - संस्कृत हिन्दी । लेकाल X1 पर्ण वेष्टन सं० ७५.५ । विशेष-व्याउसा शाबद समूह संग्रह है। धातु एवं शब्द लिखे गये है। ६२०३, गुटका सं० ६६ । पत्र सं०८४ | आ०१X६ इञ्च 1 भाषा हिन्दी । लेकाल सं. १८४४ । पूर्ण । येन स०७५६ । विशेष ---दखतरान साह द्वारा रचित मिथ्यात्व खंडन नाटक है। ६२०४. गुटका सं० ६७ । पत्रसं० १४२ । प्रा० ८३४५३ च । भाषा-हिन्दी । ले. काल x1 पूर्ण । वेश्नसं० ७५७ । विशेष-प्रायुर्वेदिक नुस्खों की महत्वपूर्ण सामग्री है 1 १२०५. गुटका सं०६८ । पत्र सं० १६५ । अ० १३४५६ इन्च । भाषा संस्कृत । ले०काल सं० १६४१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७५८ । विशेष-अनुभुति स्वरूपाचार्य की सारस्वत प्रक्रिया है। अपूर्ण Page #1016 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १९४१ वर्ष भादवा सुदी १६ सोमवासरे घनिष्ठानात्रे श्री मूलसंधे बलात्कारगणे सरस्वती थाना भ० पद्मनन्दिदेवा तत्पट्टे म० शुभचन्द्रदेव पट्टे भ• जिनचन्द्रदेव तत्पप्रभाजन्द देवा द्वितीय शिष्य रत्नकीतिदेवा मंडलाचार्य श्री भुवनकीतिदेवा वद् शिष्य श्री जयकीर्तिदेवा सारस्वत प्रक्रिया खापितं । जिस ढालूझांझरी छाका २०६. गुटका सं० ६६ X | पूर्ण वेष्टन सं० ७५१ । चीप आदि का संग्रह है । विशेष – निम्न प्रकार संग्रह है। कल्याण मन्दिर भाषा, नेमजी की विनती एवं कानड कढ़िया रानी पत्रसं० ६६ | मा० ६x४ इस भाषा - हिन्दी ले० काल २०७. गुटका सं० ७० पत्र सं० २७ ॥ श्र० ७ १३ इव भाषा - हिन्दी । काल X । पूर्ण वेष्टन सं० ७६० । विशेष – आयुर्वेदिक नुस्खों का संग्रह है। - २०८. गुटका ७१ संस्कृत हिन्दी | लेकाल X। पूर्ण वेत [सं० ७६१ । सूत्र, विशेष – तत्वार्थ स्तोष पद्मावती स्तोत्र, कथायों, मुक्तावलीरास (कवकीर्ति) सोलहकारण रास (सकलकीर्ति) धर्ममरिण, गौतमष्टच्छा आदि का संग्रह है । [ exx २०६. गुटका सं० ७२ । पत्र सं ० ६८ । ० ६४४ इञ्च । भाषा - हिन्दी प्राकृत | लेकाल ० १०५३ कार्तिक गुदी २ पूर्ण वेष्टन ० ७६२ विशेष - सामायिक पाठ एवं प्राप्तमीमांसा (मूल) आदि का संग्रह है। ६२११. गुटका सं० ७४ १८६० मगसिर बुदी १३ पूर्ण पेन सं० ७६४ । विशेष निम्न पार्टी का संग्रह है S २१०. गुटका सं० ७३ पत्र सं० ५० प्रा० ५x४ इव । भाषा - हिन्दी संस्कृत | ले० काल X पूर्ण न सं० ७६३ । विशेष-यत विधान एवं त्रिचाशतक्रिया व्रतोद्यापन तथा क्षेत्रपाल विनती है । नैमिनाथ स्तवन विनती सं० २० पा० ६४५ इव शत्रु जय मंडल, भादिनाय स्तवन (पासचन्द्र सूरि) है। रूपचन्द रामचन्द्र २१२. मुटका सं० ७५ पत्रसं० २६ प्रा० ५X३ इन्च भाष-हिन्दी ले० काल X पूप। वेष्टन सं० ७६५ । विशेष – सुभाषित गद्यों का संग्रह है पद्य सं० १९६ हैं । २२३. गुटका सं० ७६ पत्र० ५१ ० ६४३ इन्च भाषा - हिन्दी ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ७६६ । विशेष निम्न पथ का संग्रह है भाषा हिन्दी ० काल सं० हिन्दी Page #1017 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग हिन्दी : : : मरमसंबोध राजुलय पञ्चीसी विनती बालचन्द उपदेशमाला राजुलकी सज्झाय ६२१४. गुटका सं० ७७१ पत्रसं० १०३ । प्रा. ६x४ इया । भाषा-हिन्दी । ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ७६८ । विशेष--सामान्य पूजा पाठी आदि का संग्रह है। १२१५. गुटका सं० ७८ । पत्रसं० १७० । प्रा० ५३४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । ले०काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं० ७६६ । विशेष-निम्न पूजा पाठों का संग्रह है देवसिद्ध पूजा, सोलहकारण पूजा, कलिकुड पूजा, चिन्तामारण पूजा, नन्दीश्वर पूषा, गुरायली पूजा, महर नाम (जिनसेनाचार्य) एवं अन्य पूजाए। ६२१६. गुटका सं० ७९ 1 पत्रसं० १९२ । प्रा० ३६४५५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । मे०काल ! पूर्ण । वेष्टन सं०७७१। विशेष-निम्न पाओं का संग्रह हैस्तंभनक पार्श्वनाय नमस्कार संस्तुत अभयदेव नुरि अजितशांतिस्तवन नन्दिा अजित शांति स्तवन भयहर स्तोत्र माथिसप्त स्मरण मत्तामर स्तोत्र संस्कृत मानतुगाचार्य गौत्तम स्वामी रास हिन्दी र० काल सं० १४१२ नेमिनाथ रास नेमीवर फाग (श्वेतांबरीय पार्यो का संग्रह है) ६२१७. गुटका सं० ८० । पत्र सं० १४२ । पा. ८४७ इञ्च । भाषा-अपभ्रश । पूर्ण । से काल ४ । पूर्ण । येष्टन २०७७२ । विशेष–महाकवि वनपाल की मविसय बहा संग्रहीत है इसकी लिपि सं. १६४३ ज्येष्ठ मुदी ५ को हुई थी । मेदनीपुर शुभस्थानो मडलाचार्य धर्मकोति देवाम्नाये सन्देलवालाम्बये पाटनी गोत्रे प्रायंका श्री सौनश्री का पठनार्थ । ६२१८. गुटका सं० । पत्रसं० ८-१०२ । प्रा० ६४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल X । एरणं । वेष्टन सं० सं० ७७३ । विशेष-हिन्दी के सामान्य पाठों का संग्रह है। Page #1018 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [६५७ १२१६ गुटका सं०६२। पत्रसं० १२४ प्रा० ४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७७४ । विशेष--पं० श्रीपचन्द रचित प्रात्मवलोकन ग्रथ है । ६२२०, गुटका सं० ८३१ पत्रसं० २४५ । प्रा० ८४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी- संस्कृत । लेकाल सं०१६५० नंत सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७७५ । विशेष : निम्न पाठों का संग्रह हैजिनसहस्रनाम संस्कृत आशधर पंच स्तोत्र रत्नकण्ड धबकाचार समन्तभद्र तत्वार्थसूत्र उमास्वामा जीवसमास गुणस्थान चर्चा चौबीस हारगा चर्चा भट्टारक पट्टावली लण्डेलवाल श्रावक उत्पत्ति वर्णन वतों का ब्योरा पट्टावली ९२२१. गुटका सं० २४ । पत्रसं० १६ । प्रा०७४ ५ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल । पर्ण । वेष्टनसं० ७७६ : विशेष- सामान्य पाठों का संग्रह है। १२२२. गुटका सं० ८५1 पत्रसं० ४६ । आ०६३४५ इञ्च । भाषा-पुरानी हिन्दी । ने काल मा० १५८० चैत्र सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं०७७७ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रहउपदेशमाला धर्मदासगणि शौलोपदश माला जयसिंह मुनि संबोह सत्तर जयशेखर संबोध रसायण नयचन्द सुरि प्रशस्ति-निम्न प्रकार है संवत् १५८० वर्षे 'बत्र दुदी ६ तिची वा. धीसागर शिष्य मु० रत्नसागर लिखतं श्री ब्राह्मणे स्थानतः श्री हीर कृते एषा पुस्तिका कृता । ६२२३, गुटका सं० ८६ । पत्रसं० ७८ । आ० ६.४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-रामकत। ले०काल सं० १८१७ द० सावरण सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन मं० ७७८ । विशेष-निम्न प्रकार संग्रह हैआयुर्वेदिक नुस्खे हिन्दी पत्र ११२ Page #1019 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५६ ] [ ग्रन्थ सूची-पञ्चम भाग कमलप्रभ सूरि संस्कृत १५ पद्मप्रभदेव जिनपंजर स्तोत्र मांतिनाथ स्तोत्र घद्धमान स्तोत्र पाश्र्वनाथ स्तोत्र चौबीस तीर्थकर स्तवन ग्रादित्यवार कथा पाश्वनाब चिन्तामणि रास उपदेश पच्चीसी राजुलपच्चीपी कल्याण मन्दिर भाषा १८२४ २५-४१ ४५-४४६-५३ ५४-६२ रामदास विनोदीलाल बनारसीदास ६२२४, गुटका सं० ८७ । पत्रसं० ५४ । प्रा० ७ x ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । लेकाल सं० १८३४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७७६ | विशेष----मुख्य निम्न पाठों का संग्रह हैमक्तामर स्तोत्र मानतुगावार्य संस्कृत भक्तामर स्तोत्र भाषा हेमराज हिन्दी प्रादित्यवार कथा मु. सकलकीति (२० काल सं १७४४) कृएरणपच्चीसी यिनोदीलाल हिन्दी विशेष-यादित्यवार कथा यादि अन्त माग निम्न प्रकार हैप्राविभाग अर्थ प्रादित्यवार प्रत की कथा लिखतेप्रथम समरि जिनवर चौबीस, चौदही अपन जेमूनीस । सुमरों सारद भक्ति अनन्त, गुरु देवेन्द्रकीति महंत । मेरे मन इक उपज्यो भाउ, रविव्रत कथा कहत को चाउ । मै तुकहीन जु प्रक्षस करो तुम मुनीवर कवि नीकं धरी । अन्तिम पाठ-- हां जू सांयत् बिक्रमराह भले सत्रहरी मानी । ता ऊपर चवालीस जेठ सुदी दशमी जानौ । चारु जु मंगलवार हस्तुन छिन्तु जु परीयो । तब यह रविव्रत कथा मुनेन्द्र रचना सुभ करीयो । बारवार हौ कहा कहौ रवितत फल जु अनन्त । घरने प्रभु दया करी दीनी लछि अनन्त ॥१०६।। मगं गोत अग्रवाल सिह नगरी के ओ वासी। साहुमल को पूतु साहु भाऊ बुधि जुभासी । Page #1020 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ६५६ तिन जु करी रविव्रत कथा मली तुकै जु मिलाई। तिनिक बुधि मैं कीजियो सोवे पूरे गुनवंत । कहत मुनिराइजू, सकलकीति उपदेश सुनी चतुर सुजानत ।।१०७।। __ इति श्री प्रादित्यवार व्रत की कथा संपूर्ण समाप्त । लिखितं हरिकृष्णदास पठनार्थ लाला हीरामनि ज्येष्ठ बुदी ६ सं० १२३४ का । ६२२५. गुटका सं०८८ । पत्र सं० ४६ । मा+४६ हच । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७८० । विशेष प्रस्ताविक दोहा, तीर्थकर स्तुति, भट्टारका विजयीति के शिष्यों का ध्योरा, भट्टारक पट्टाअली एवं पद संग्रह आदि है। ६२२६. गुटका सं० । पत्र सं० ४-२६ । आ०८४६ इख भाषा-हिन्दी । ले०काल x। अपूर्ण । येन सं०७८१। विशेष-शृगार रस के ३६ से ३७६ तक पद्य हैं। १२२७, गुटका सं०१० । पत्र सं०६७ । आ० ८X६ इञ्च | भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल . x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ७२ 1 विशेष-सोलहकारगा भावना, पदव्य विवरण, षद्लेखा गाथा, नरक विवरण, त्रैलोक्य वर्णन, रामाश्क, मेमिनाथ जयमाल, नंदीश्वर जयमाल. 'नवपदार्थ वर्णन, नीतिसार (समय भूषण), नंदितादय छंद त्रिभंगी, प्रायश्चित पाठ प्रादि पाठों का संग्रह है। १२२८. गुटका सं०६१। पत्रसं०७६ | प्रा०७X६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । कालx. ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७८४ । विशेष-अ. रायमल्ल की हनुमंत कश है । १२२६. गुटका सं०६२। पत्र सं० १०७ । प्रा० ७३४४ इन्च भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०७८५। विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजामों का संग्रह है। ६२३०, गुटका सं०१३ । पत्रसं० ५५ । या०८४५३ इञ्च । माषा-हिन्दी 1१०काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७८६ । बिशेष-अनेक कवियों के पदों का संग्रह हैं। ६२३१. गुटका सं०६४। पत्रसं० १३० । प्रा५ ५ x ६ इच। भाषा हिन्दी-संस्कृत । ले काल x | पूर्ण 1 वेष्ठन सं. ७७ | विशेष-संस्कृत एवं हिन्दी में सुभाषित पद्यों का संग्रह है। ६२३१. गुटका सं० ६५ । पत्र सं० २-३४ । ग्रा० ५६४५ इच । भाषा-संस्कृत । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७८८ ।। विशेष-आयुर्वेद के नुस्त्रों का संग्रह है 1 ६२३३. गुटका सं०६६ । पत्र सं० १२६ । प्रा० ६x४१६च 1 भाषा-हिन्दी । लेवाल सं० १७५० ग्रासोज सुदी १।। पूर्ण । वेष्टन सं0 161 Page #1021 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग विशेष -निम्न प्रकार संग्रह है : पंचसचि (प्रक्रिया कौमुदी) समयसुन्दर के पद एवं दानशीलतमभावना नेमिनाथ बारहमासा, शानपच्चीसी (बनारसीदास) शमाछतीसी (समयसुन्दर) एवं विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह है गुटक्का संग्रह की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। २३४. गुट का सं०६७। पत्र सं० ३१२ । प्रा० ६३४५ इन्च । भाषा-हिन्दी - संस्कृत । ले०काल सं० १७०२ मा चुदी १ । पूर्ण । बेष्टन सं० ७६० । विशेष-जोबनेर में प्रतिलिपि की गई थी । निम्न रचनाओं का संग्रह है। पंचस्तोत्र, तत्वार्थ सूत्र, गुणस्थानचर्चा जोगीरासा, बड़ा कल्याणक, पाराधनासार, चूनड़ीरास (विनयचन्द्र), चौबीसठाण, कमप्रकृति (नेमिघद्र एवंमसामों को संत है। ६२३५. गुटका सं०६८ । पत्र सं० २२६ । पा. ८४४३ इन्ध । भाषा-हिन्दी । र० काल x ले०कास पूर्ण : वेग सं० ७९२ । विशेष- रायमल्ल की हनुमंत कथा है । ६२३६. गुटका सं०६६। पत्र सं० १८०। प्रा० ६४५ इञ्च । माषा-संस्कृत-हिन्दी। से काल स० १६४२ फाल्गुण सुदी १ पूर्ण । वेष्टन सं०७६३ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह हैप्रतिक्रमण पत्र सं० १-८१ गुर्दावली पत्र सं. ८२-८५ प्राराधनासार मेषकुमारगीत (पूलो) इत्यादि पाठों का संग्रह है। ६२३७. गुटका सं० १००। पत्र सं० १८५। मा० x ५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल सं० १५७६ माघ सुदी १५ । पूर्ण घेष्टन सं०७६४। विशेष-भयरोठा ग्राम में लिखा गया था । निम्न पाठों का संग्रह हैस्थूलभद्र फागु प्रबन्ध प्राकृत २७ गाथा उपदेश रत्नमाला द्वादशानुप्रेक्षा परमात्मप्रकाश योगीन्दु अपभ्रश ३४२ पद्य (ले० काल सं० १५६१ आषाड बुदी १) प्रायश्चितविधि संस्कृत दशलक्षण पूजा अपभ्रश सुभाषित सकलकीति संस्कृत ३९० पद्य द्वादणानुप्रेक्षा जिनदास हिन्दी ६२३८. गुटका सं० १०१। पत्रसं० ३१६ । प्रा० १२४ ४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल x पूर्ण । वेवन सं० ७६५ । विशेष-सामान्य पूजा पाठ एव स्तोत्रों के अतिरिक्त निम्न महत्वपूर्ण सामग्री और है Page #1022 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] पट्टाका कथा अष्टानिका रास अशी कथा चौरासीजाति की जयमाला दशलक्षण कथा आदित्यवार कथा पुष्पाञ्जलि कथा सुदर्शन सेठ कथा मृगांका पपई सम्यक्त्वकौमुदी चौरासी जाति को यदि प्रन्व भाग निम्न प्रकार है विश्वभूषण विनयकीर्ति भैरू ब्र० गुलाल प्रोसेरीलाल अन्तिम पाठ मानार्थ गुरुकीतिका शिष्य सेवक नन्द भानुचन्य ०गुलाउ दोहा - जैन धर्म त्रेपन क्रिया दयामं संयुक्त | इक्ष्वाक के कुल बस में लीन ज्ञान उतपत्त ॥ नवा महोदय नेम को जूनागढ़ गिरिनार । जात चौरासी जैनमल जुरे छोड़नी चार ॥ २३. गुटका सं० १०२ । पत्रसं० ५४ । x पूर्ण वेष्टन ७६ र० काल सं० १७८७ र० काल सं० १७८८ प्रगटे ममी सोई धर्म वर्ग करि जग्य विधान पुराण बंद दान निमित्त धनं खर अरु पढे । शुभ देहरे जंत्र सुवि प्रतिष्ठा सुभ मंत्र मंत्र सुमंत्र रखजै ॥ अथवा कोई कारण मंगल चारण विवाह कुटंब अनंत प । कहि ब्रह्म गुलाल ग सखो से प्रगटे लक्ष्मी गोई धर्म ने || इति श्री चौरासी जाति की जयमाल सम्पूर्ण । २० काल १६६३ २० काल सं० १८२५ मानतु ग्राचार्य उमास्वामी विशेष – महापुराण उप (गंगादास ) एवं अन्य पाठों का संग्रह है । ०७४ इच्च भाषा हिन्दी ने० काल [ ६१ ६२४०. गुटका सं० १०३ । पत्र सं० २६ से ८४ । मा० ६x४३ एच भाषा संस्कृत । ले०कास X पूर्ण वेष्टन सं० ६६७ । F विशेष- चारण सप्तक एवं महापुराण में से अभिकार कल्प हैं । इ । २४१. गुटका सं० २०४० २२६६३५३ भाषा हिन्दी प्राकृत-संस्कृत से० काल X पूर्ण वेन स० ७१ I विशेष - मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है । भक्तामर स्तोत्र तत्वार्थ सूत्र संस्कृत 77 Page #1023 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२ ] समयसार नाटक वैद्यमनोत्सव २४२.१०१ सं०] १०४४ सामा सुदी ५ पूर्ण बेटन सं० विशेष निम्न पाठों का संग्रह है कृपण जगावण (प्र० गुलाल) सामयिक पाठ तथा जोगारास बादि । मधुमालती कथा श्रभंगाली बात बोरविलास सावित्री कथा बनारसीदास नयनसुख २४३. गुटका सं० १०६ । पत्रस० १४६ | आ० ७४६ इव । भाषा - हिन्दी । ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० 500 | विशेष – निम्न पाठों का संग्रह है— परमात्म प्रकाश सप्तदश्यगीत दह गुलगीत भाइवनि गीत नेमिनाथ बेलि पंचेन्द्रीबेलि पद दप भरणा गीत धर्मकीर्ति गीत ३२० २४६३ भाषा हिन्दी लेकाल ७६६ । विशेष... सामान्य पाठों के अतिरिक्त निम्न पाठों का यह है योगीन्द भुवनकीति गीत विशालकीति गीत जसफीति गीत पतुर्भुजदास नथमल ६२४४. मुटका सं० २०७० २० से २६० ७४६ इच ले० काल x । अपू । वेष्टन सं० ८०१ | विशेष – निम्न पाटों का संग्रह है वैद्यमनोत्सव कथा, मृगकपोत कथा एवं चन्दनमलयगिरि कथा । २४५. गुटका सं० १०८ पत्र सं० १४ १२८ ० ५४६ इन्च भाषा हिन्दी संस्कृत ले०का | पूर्ण वेष्टन सं० २०२ । कल्याणकीर्ति ठक्कुरसी ठक्कुरखी [ प्रन्थ सूची- पंचम भाग हिन्दी ठकुरसी ब्लूचा 12 घेल्ह T हिन्दी पद्य सं० ३१६ ०काल शक सं० १८३९ हिन्दी हिन्दी गद्य ले०का शक सं० २०४५ भाषा हिन्दी २० काल (०१६६०१ Page #1024 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह [ ६६३ नेमीश्वर राजुल मीत रत्नकीति जयकीर्ति गीत 1.४६. गुम्ला १६ER १९५६x४ इश्च । भाषा - हिन्दी । ले०काल से. १७५४ बैत सदी १ पूर्ण । वेष्टन सं०८०३ । विशेष--रवित्रत कथा (भाउ) पंचेन्द्रोबेलि, एवं कक्का बत्तीसी प्रादि पाठों का संग्रह है। ६२४७. गुटका सं० ११० । पत्रसं० ४० । पा० ६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! ले काल X। पूर्ण । वेष्टन सं०८०४ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ६२४८. गुटका सं० १११ । पत्रसं० १५२ । प्रा० ८४५६ इश्व । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूरणं । वेष्टन सं० २०५ । विशेष-पूजाए, स्तोत्र, तत्वार्यसूत्र, कर्मप्रकृति विधान (हिन्दी) प्रादि पाठों का संग्रह है । १२४६. गुटका सं० ११२ । पत्र सं० ६० | प्रा. ८४४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल X! पूर्ण । बेष्टन सं० ८०६ । विशेष-गुटका जीणं है । आयुर्वेदिक नुस्खों का संग्रह है। १२५०. गुटका सं० ११३ । पत्र सं०७ । प्रा० ५४६६च । भाषा-हिन्दी । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन स० ८०० विशेष—यमबुद्धि पापबुद्धि चौपई एवं ज्योतिससार भाषा का संग्रह है। १२५१. गुटका २० ११४ । पत्रसं० ६३ । प्रा० ८४७३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं. १७६७ पौष सुदी १ । गुगणं । वेष्टन सं० ८०८ । विशेष -भूधरदास कृत पाश्चंपुराण है । ६२५२. गुटका सं० ११५ । पत्र सं० ६४ । प्रा० १०x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले काल । पूरणं । धेटनसं २०४ । विशेष-सामान्य चर्चामों के अतिरिक्त २५ ग्रामदेणों के नाम एवं अन्य स्कुट पाठ हैं। १२५३. मुटका सं. ११६ । पत्रसं० १७४ । प्रा० ५४४ इन्च । भाषा हिन्दी । लेकाल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ८१० । विशेष-बनारसीविलास, समयसार नाटक, सामाचिकपाठ भाषा तथा भक्तामर स्तोत्र आदि का संग्रह है। ६२५४. गुटका सं० ११७ । पत्रसं० १३८ । भा० १०४५ इछ । भाषा - हिन्दी । ले. काल सं० १८१२ पौष सुदी १६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८११ । विषय-बनारसीदास कृत समयसार नाटक तथा अन्य पाठ विकृत लिपि में हैं। ६२५.५. गुटका सं० ११५ । पत्रसं० ५५० । ना. ६.४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । विशेष-निम्न पूजात्रों का संग्रह है Page #1025 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग - सहस्रगुणित पूजा शुभचन्द्र संस्कृत सोलहकारम पूजा दशलक्षण धर्म पजा कलिकुण्ड पूजा कर्मदहन पूजा शुभचन्द्र धर्मचक्र पजा तीस चौबीती पूजा शुभचन्द्र इनके अतिरिक्त प्रतिष्ठा सम्बन्धी सामग्री भी हैं। ६२५६. गुटका सं० ११६ । पत्र सं० १४६ । प्रा० ८४७ इज । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ८१३ । विशेष- सामान्य पूजा स्तोत्र एवं पाठों का संग्रह है। ६२५७. गुटका सं० १२० । पत्रसं० ४१ । या ८४५१४च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टनसं० २१४ । विशेष-दर्शन पाठ, कल्याण मन्दिर स्तोत्र एवं समाधान जिन वर्णन नादि पाठों का संत्रह है। ६२५८. गुटका सं० १२१ । पत्रसं० २४ । प्रा०५३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! ले०काल X । पूर्ण । वेस्टनसं० ८१५ । विशेष-कप्टाबलि, गतवस्तु ज्ञान, श्रींकबिचार, कालणारा एवं तिथि मंत्र प्रादि । ६२५६. गुटका सं० १२२ । पत्र सं० ६६ । प्रा० ५६४४६ छन्ध । भाषा-हिन्दी संस्कृत। लेकाल सं० १८५६ । पूर्ण 1 वेष्टन स०८१६ । विशेष--नित्य पूजा पाठों का संग्रह है। ६२६०. गुटका सं० १२३ । पत्रसं० १९२ । प्रा०७४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। लेकाल सं० १८९७ ज्येष्ठ बुदी १३ पूर्ण । वेष्टन सं० ८१७ । विशेष- नाटक समयसार (बनारसीदास) तत्वार्थ सूत्र, श्रीपाल स्तुति आदि का संग्रह हैं । १२६१. गुटका सं० १२४ । पत्र सं० १५७ । प्रा० ६४३३ इञ्च । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । ले. बार x 1 पुर्ण । वेष्टन सं० १८ । विशेष----गुटके में स्तोव, अक्षरमाला, तत्वार्थभूत्र एवं पूजामों का संग्रह है। ६२६२. गुटका सं० १२५ । पत्रसं० १२६ 1 आ० ७१४४३ इंच । भाषा-हिन्दी संस्कृत । से० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०॥ विशेष-जिनसहस्रनाम (पाशाधर) एवं कुरारोपण, सकलीकरण विधान तथा अन्य पार्टी का संग्रह है। १२६३. गुटका सं० १२६ । पत्र सं० १५३ । प्रा० ५४५ इञ्च : भाषा-संस्कृत । ले० कान XI पूर्ण । वेष्टन सं० ८२१ । विशेष---सामयिक पाठ, तत्वार्थसूत्र, समयसार गाथा, अाराधनासार एवं समन्तभद्रस्ततिका संग्रह है। Page #1026 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ६६५ ६२६४. गुटका सं० १२७ । पत्रसं० १४६ 1 प्रा० ६४ इञ्च । भाषा संस्कृति । लेकाल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ८२२ । विशेष - पूजानों का संग्रह है। १२६५. गुटका सं० १२८ । पत्रसं० ४२ । ग्रा० ६x६ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल x | पूर्ण । वेपन सं० ८२३ । विशेष-सन्दरदास कृत सुन्दर शृगार है। ६२६६. गुटका सं० १२६ । पत्र सं० ६-६२ । प्रा० ५३४४ इञ्च । भाषा - संस्कृत । ले • काल ४ । प्रपुरर्स । वेष्टन सं०५२५ ! विशेष-रत्नावली टीका एवं शुकदेव दीक्षित वार्ता (अपूरण) है। ६२६७. गुटका सं० १३० । पत्रसं० ६० । श्रा० ६४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । र० काल xले कालपर्ण । वेष्टम सं० ८२६ । विशेष-हिन्दी पद संग्रह है। ६२६८. गुटका सं० १३१ । पत्र सं० २५ । प्रा० ५३४५१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० ८२७ । विशेष-हंसराज बच्छराज चौपई है। ६२६६. गुटका सं० १३२ । पत्र सं० १६ ! आ० ६४५ इञ्च । ले० काल ४ । पुर्ण। वेन सं० ८२८ । विशेष -नेमिकुमार वेलि, सामायिक पाठ, भक्तिपाठ एवं गृावलि आदि पाठों का संग्रह है। ६२७०. गुटका सं० १३३ । पत्रसे० ८६ । प्रा० ८६४६ इञ्च । भाषा - हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३०॥ विशेष---निम्न पाठों का संग्रह है कोकसार, रसराज (मनीराम) एवं फुटकर पद्य, दृष्टांत शतक, शक चिमन (गह राज कुवर सांयत सिंह) श्रादि रचनात्रों का संग्रह है। ६२७१. गुटका सं० १३४ । पत्रसं० १६८ । सा०६:४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लें • काल X । पुर्ण । वेष्टन सं० १८३३ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैमंत्र तंत्र, प्रादित्यवार ऋषा, जैनबद्री की पत्री, चौदस कथा (टीकम) । ६२७२. गुटका स० १३५. । पत्रसं० २२८ । प्रा० ५४५ इन्च । भाषा संस्कृत-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८३२ । विशेष—सामान्य पूजा पाठों का संग्रह है। ६२७३. गुटका सं० १३६ । पत्रसं० १०० । प्रा० १४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ८३६ : विशेष- सामान्य पाटों का संग्रह है। - :- -. Page #1027 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६६ ] [ ग्रन्थ सूखी-पंचम भाग ६२७४. गुटका सं० १३७ । पत्र सं०६४ । मा० ७४५३१ । भाषा- हिन्दी। ले. काल सं० १९१० वैशाख सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टनसं० ८३७ । विशेष—निम्न रचनाओं का संग्रह है--- श्रीपालरास-40 रायमल्ल प्रद्य म्नरास-व० रायमल्ल १२७५. गुटका सं० १३८ । पत्र सं० १६५ । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले-कास x । पूर्ण । वेष्टन सं० ८३८ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है - इश्वरी छंद कवि हेम स्थूलभद्र सज्झाय - पंचसहली गीत छीहल बलभद्र मीत अभयचन्द्र यूरि अमर सुन्दरी विधि चेतना गीत समयसुन्दर सामुद्रिक शास्त्र भाषा इसके अतिरिक्त ज्योतिष संबंधी साहित्य भी है । ६२७६. गुटका सं० १३६ । पत्रसं० ४६८ । प्रा० ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । विषय-पूजा संग्रह । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २३६ । विशेष—सामान्य नित्य पूजायों के अतिरिक्त धर्मचक्र पूजा, वृहद सिद्ध चक पूजा, सहस्रनाम पूजा, तीस चौबीसी पूजा, वृहद् पंचकल्याणक पूजा, कर्मदहन पूजा, गणवरवलय पूजा, दशलक्षण पूजा, तीन चौत्रीसी पूजा आदि का संग्रह है। ६२७७. गुटका सं० १४० । पत्र रा० ८४ । प्रा० ५.४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले०कास X । पूरी । वेष्टन सं० ५४० | विशेष --विभिन्न प्रकार के मंत्र एवं यंत्रों का संग्रह है। १२७८. गुटका सं० १४१ । पत्रसं० १७४ । प्रा० ७४६ च । भाषा संस्कृत । विषय-- लेकाल: । पर्ण । वन सं०५४१ । विशेष- निम्न पाठों का सत्रह हैप्रचारासो अ. रायमल्ल ज्येष्ठ जिनवर कथा निर्दोष सप्तमी व्रत कथा , ६२७६. गुटका सं० १४२ । पत्रसं० ३४ | मा० ५.४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०कास सं० १७३६ । पूर्ण। बेष्टन सं०८४२ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है - नेमिनाथ रास मक रायमल्ल Page #1028 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] पद Aw-- हेमकीर्ति बैरी विसहर सारिखौ। ६२८०. गुटका सं० १४३ । पत्रसं० ८६ । प्राo. EX५ च । भाषा संरत हिन्दी । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ८४३ । विशेष—मामान्य पूजा एवं स्तोत्रों का संग्रह है । १२८१. गुटका सं० १४४ । पत्र सं० २३ । ग्रा. ७१x६ इञ्च । भाषा संस्कृत । लेकाल x पूर्ण । येन स ४५ । विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। ६२८३. गुटका सं० १५५ । पत्र. २८ । प्रा० १०.४३ इभ । भाषा-हिन्दी । ले• काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८४६ । विशेष—गुण स्थानवर्षा है। ६२५३. गुटका सं०१४६ । पत्रसं० २४० । प्रा०६१४५ इंच | भाषा - संस्कृत-हिन्दी । ले०काल X । पूणं । वेष्टन सं० ८४७ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है कल्याणमन्दिर स्तोत्र, पंच स्तोत्र, सज्जन वित्तवल्लभ, भामयिक पाठ, तत्वार्थसूत्र, वृहन् स्वयं-y स्तोत्र, पाराधनासार. एवं पट्टावलि । ६२६४. गुटका सं० १४७ । पत्र सं० ७२ । प्रा० ६३४४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कुत। ले० काल ४ । पूर्ण । वनसं०८४८ । विशेष—सामान्य ज्योतिष के पाठों का संग्रह है। १२८५. गुटका सं० १४८ । गत्र सं० १७८ | प्रा० ६३४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । से कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८४६ । विशेष --सामान्य पाठों का संग्रह है। ६२८६. गुटका सं० १४६ । पत्र सं० ३१ । प्रा० ६x६३ इश्व । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल ४ ! पूर्ण विष्टन सं० १५० । विशेष-भक्तामर स्तोत्र, पद्मावती पूजा, एवं कथिप्रिया का एक भाग है। ६२८७. गुटका सं० १५० 1 पत्र सं०६ । प्रा०८४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले. काल सी. १९२० माघ सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८५१ । विशेष-लुकमान हकीम की नसीहते हैं । ६२८८. गुटका सं० १५१। पत्रसं० १५ । प्रा०८४४१ इश्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टनसं० ८५२ । विशेष--सोलह कारण पूजा एवं रत्नचक्र पूजामों का संग्रह है। Page #1029 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६८ ] [ धन्य सूची- पंचम भाग । ६२८६. गुटका सं० १५२ पत्र सं० ६० प्रा० ४३४३६ इन्च भाषा संस्कृत | लेकाल [सं०] १९०१ । पूर्णं । न सं० ८५३ । निम्न पाठों का संग्रह है युगादिदेव स्तोत्र जिनदर्शन सप्तव्यसन चौपाई एवं हिन्दी पदों का संग्रह है। ६२६०. गुटका सं० १५३ । पत्र सं० २३ | सं०] १८९६ | पूर्ण । वेष्टन स० ८५५ । विशेष— देवगुरुयों के स्वरूप का निर्णय है। २१. गुटका सं० १५४ पत्रसं० ५४ | ० ५ x १३ इन्च भाषा - हिन्दी संस्कृत ॥ ले० काल X | पूर्ण न ० ५५४। | निम्न प्रकार संग्रह है प्रष्टप्रकृति वर्णन पंचपरमेष्ठी पद एवं तत्वार्थ है। १२१२. गुटका सं० १५५ पत्रसं०] १९० सं० १६४२ कार्तिक सुदी १४ । पूरा | बेष्टन सं० ८५६ । विशेष – निम्न रचनात्रों का संग्रह है । भविष्यदत्त रास प्रद्युम्न रास आदित्यवार कथा श्रीपाल रासो सुदर्शन स बासली मध्ये लिखित प्र० हीरा विशेष - सामान्य पाठों का संग्रह है। ६२६४. गुटका सं० १५७ पूर्ण वेष्टन ० ८५८ ॥ हिन्दी विशेष- निम्न पाठों का संग्रह है " ० ४३५ इव । भाषा - हिन्दी | ले० काल 39 27 ६२६३, गुटका सं० १५६ । पत्रसं०] १६० । आ० ४४४ इंच भाषा - हिन्दी संस्कृत काल बेष्टन सं० ८५७ ॥ ० ८४६ इच भाषा - हिन्दी ले० काल ० रायमल्ल ब्र० रायमल्ल भाऊ ब्र० राययल्ल 37 ० ६६ मा ६५३ इय भाषा ही निकाल X पद्मावती स्तोत्र टीका मंत्र राहित कर्म प्रकृति ब्योरा तथा ष्टाक कल्प, अष्टकारी देवपूजा है । १२६५. गुटका सं० १५८० १८६ ० ८४६ इच भाषा हिन्दी । ले० काल X | पूर्ण । वेष्टन सं० ८५६ । विशेष – भैया भगवतीदास के ब्रह्मविलास का संग्रह है । ६२६६. गुटका सं० १५६ पवसं० १२६ मा० ७३६ भाषा हिन्दी । ले०काल सं० १७६७ पोष बुढी बुधवार पूर्णं । वेष्टन सं० १६० । Page #1030 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] विशेष- तश्वासू भाषा टीका एवं अ० रायमल्ल कृत नेमीश्वर रास है। ६२६७. गुटका सं० १६० । पत्रसं० २३४ ० ७४६ भाषा-संस्कृत ०काल सं० १७२५ माघ बुद्दी पूर्ण वेष्टन सं० ०६१ । विशेष निम्न पाठों का संग्रह है। सर्वार्थसिद्धि मालापद्धति नीति शास्त्र तेरह काठिया छत्तीस अध्यात्म बत्तीसी तत्वार्थ सूत्र २८. गुटका सं० १६१ ० २६० ५x४ इन्च भाषा हिन्दी संस्कृत । काल XI पूर्ण । ६२ । विशेष निम्न पाठों का संग्रह है। रत्न डरास पद्म सं० ३१२ संस्कृत हिन्दी " -- आदि प्र ेत भाग निम्न प्रकार है--- प्रारम्भ दोहा चौपई 13 [ e६e I ६२६६. गुटका सं० १६२ । पत्र सं० २४ ० ४४ च । भाषा पंस्कृत-हिन्दी । ले० काल x । पूर्णं । बैष्टन रा० ८६४ | विशेष – सामान्य पाठ, भक्तामर स्तोत्र मंत्र सहित एवं मत्र शास्त्र का संग्रह है १३००. गुटका सं० १६३ पत्रसं० १६६० ६५ इन्च भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले काल X पूर्ण वेष्टन सं० ८६३ । पूज्यपाद देवसेन यांशु चित पसाब सरस्वति देवि पाय नमी रतन गुणा व दान जसु नाम ॥ १ ॥ जंबूद्वीप मांहि अछ, भरत क्षेत्र प्रतिचंग । तामली नवरी तिहां राजा अजित नरिंद ||२|| किस नवरी के जिन वसइ वरण अठारह लोक भोग पुरंदर भोगाइ, सुख संपति सुरलोक ॥ ३॥ विशेष—ह्मविलास एवं बनारसी विश्वास के पाठों का संग्रह है। इसके अतिरिक्त रत्नदरास (र० काल सं० १५०१) एवं सुखा बहुतरी भी हैं। सरोवर वाद करी प्राराम, तिहां पाप विकरतु अभिराम विषध वृष छ तिहि वन मोहि बसन पास बस परवाहि ॥४॥ चाणक्य बनारसीदास बुधजन बनारसीदास उमास्वामी । Page #1031 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग पोह मिंदर पोलि पगार, झार श्रोण नवि लाभइ पार । चिसह रमण हर तोरणमाल, लंबानी परिझाक झमाल ॥५॥ चउरासी चउटा अतिचंग, नव नव उछा भय नवरग । कोटिधज दीसह अति घरपा, बालेसरी नीन राही का मरणा ॥६॥ मांडइ दोसी भविका पट्ट, भराया दीस सोनी दट्ट। माणिक चउक जब वहरी रह्मा, हीरइ माणिक मोती सह्या ।।७।। मुद दीया फोफलीया सोनार, नाई तेली न लहु पार । संबोली मरदठ घविटि, एक माडइनी सत फडट्टा ॥ मध्य भाग-- हाथ घलाविउमाली पाहि. वल तउ कहि काइ छइ माहि। माहाराज सीभलिज्यो तम्हे, कुमर कहइ असशमरण अम्हे ।।२८२॥ माली पीछवीउते तलइ, सूत्रधार प्राविस ते तलइ । कुमर कहिय अम्हे मालिउसु गाभि, कली पाइ थाउ भाइ कामि ॥२८३।। अन्तिम भाग-- नगर मांहि न्याय अरज हु, होटा लोक ते साचु थयउ । करी सजाइ पाले वाभरणी, हुई वाहण मणी पुराणी । यम घंटा मोकला बीकरी, बाल कुमर सबाहशज भरी । चाल्या बाहरण वायतइ भांगि, खेम कुसल पहुंता निर्वाणि । वाहण वस्तु उतारी घणी, छाधीसकोडि हिब ट्रव्यह तणी। हीर वीर धन सोवन वहु, साध्य लखिउ रण घंटा बहु । रण घटा नइ सुहग मंजरी, प्रामइ पररावइ रत्न सुन्दरी। नब नच उछन नव नव रंग, भोग भोग व अतिह सुचग । तिरण नगरी प्राध्या केवली, तिहां वाद संघ सर्व मिली। मणिचूड तिहां पूछा सिउ, कहउ वेटा नउ करम हई किस। रतननूड भउ संचल उ विचार, पात्र दान दीघउ तिणिवार । दान प्रभावह एब जि रिधि, दान प्रभावइ पामीइय सर्वसिधि ।।३०७।। दानसील तप भावन सार, दान सराउ उत्तम विस्तार । दानइ जस कीरति विस्तरइ, दान दीयता दुरत भरइ ।।३०८।। पनरइ एकोतरह नीयनृ संबंध, रत्नचूड नउ ए संबंध । बहुल वीज, भाइ वह रनी, कवित नीयनु भगुरेवती ॥३०६।। बड तप मच्छ रत्न सूरिंद उदभत कला अभिनउच'द । तास सेवइक इम उभरइ, षट् प द चरण कमल अरणसर६ ।।३१०॥ Page #1032 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ७१ सर्वसुख हुइ दूरणइ भणइ, नर नारी जेई दूगुणइ । तेह घरि लखमी सदाइ भयइ, चंद सुरज जां निर्मल तप ।।३११॥ ए मंगल एहज कल्याण, भगउ भणयह जा ससि भारत । रस्मडना चारित्रसार, श्री संघनइ करत जय जयकार ॥३१२॥ इति श्री रत्न यूजरास समाप्तं । मिति बैशाख वदि ४ संवत् १८१७ का। वीर मध्ये पठनार्थ चिरंजीवि पंडित सदाईराम ॥ सुवा बहत्तरो (बेष्टन सं० ८६३) सुवा बहतरी की कथा लिख्यते करि प्रणाम श्री सारदा, पापणी बुद्धि परमाण । सुक सप्तिक वार्तिक करी, नाई ते देवीदान ।।१।। बीकानेर सुहावनी सुम्त संपति की दोर । हिंदुधानि हिन्दु घरम, ऐसो सहर न और ॥२॥ तिहां तपै राजा करण, जंगल को पतिसाह । सायं कुचर अनुपसिंह, दाता सूर सुबाह ।।३।। तिन मोकी प्राज्ञा दई सुयमन्न होइ के एहु । संस्कृत हुंती वातिक सुक सप्तति करि देहु ।।४।। अथ कथा प्रारम्भ एक मेदुपुर नाम नगर । थि हरदत्तवाणियो बस । ते पैरे परि मदन सुन्दरी स्त्री अरु मदन बेटो। ती पैरे सोमदत्त साहरी चेटी प्रभावती नाम । सोमदत्त यापकी स्त्री प्रभावती सेती लागो रहै। माता पितारो कहियो म करें । साउ राज वै मदन - देसान ताई हरिदल एक सुवो एक सारिका मंगाई। सो पुष्पा गंधर्व रो जीव धणीरा सराय हुंनी सुवो । हुवो अर मालती गवरणी रो जीव धीरां सराय हुंती सारिका हुई। सो जुदै जुदै पिंजरे रहै। एक दिन मदन रोपार देखि शुक्र अरु सरिका मदन भाग बात कहै छ। दोहा जो दुख माल पिता तवो अथ बात जो हो । तिस पाप करता हरि देह सपछानि हो । बात मदन पूछियौ वार्ता अपूर्ण है-१२ वी बात तक पूर्ण है १३ वीं बात बहोडि तेरमै दिन प्रभावती शृगार करि रावि समै सुवानुपूछीयो थे कहो तो जावो, सुवै कह्यो । Page #1033 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७२] दोहा -.. वार्ता T सहर प्रभावती बोली मारग बहुतां दभिका किसी वृद्धि उपाई यह बाह्मण या किस प्रकार कीयो वा कहे अभिलाषा नाममा थिति लोचन नाम ब्राह्मण गांव पल तिसरे दभिका मान स्त्री तिरै कामरी अभिलाषा गरिए वे हरे मांटी हृषितो कोई मधे नहीं एक दिन भिका पडसे पाणी ने गई ती पारि भरि से पात्रता एक बटाउ जुवान सरूपदीठो बहन क्रीडा र साई आखिरी सेन दे बुलायो । घर पूछियो तू कौसा वै कही हूं भाट । श्रागे मांगा ने जात्र छौं । भिका को आजि खति माह ही रहयो । ६३०१. गुटका सं०] १६४० २ ० ६५ भाषा हिन्दी ० का ० १६८६ पौष सुदी १० पूर्ण वेष्टन [सं०] ८६५ विशेष – निम्न रचनाओं का संग्रह है। - शुद्धिप्रकाश चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न द्वादशानुप्रेक्षा लेश्या वर्गान [ ग्रन्थ सूची- पचम भाग जो भायें प्रभावती सो मोनु न सहाय मारग जाता देविका ज्यो हो वृद्धि मुहाव करि सोलु जाकर विरज बुद्धि विचारि। ब्रह्म मार्ग का जिस हो कीये प्रकास ।। २४ ।। 'रेमन' गोट ज्येष्ठ जिनवर व्रत कथा मेघकुमार गीत मनकरहा जयमाल कहि व्र० रायमल्ल अ० जिनवास छील ब० रायमल्ल पूनो बुद्धिप्रकाश कfa ल्ह पत्र सं० १६-२६ तक भूलो पंथ न जाय सीहालो जीवा पंथी न जाह उन्हालो । सावणी भादवी गाय न जाने आसोजा मौ भौयन सोजो ।। १६ ।। धरि न्हाय उतरी जे घाटे कन्या न बेची गर पाहुणे साया आदर दीजे, आपगा सारू भगति करीजे अरचीतो कम नौहि खाजे, अगर पिछाण्या की साथी न आजे । जाय दिसावरि राती न सोजे, चालतपंथी रोस न कीजे ।। १७ ।। Page #1034 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] सिजी । दानदेय समी फल लीजे, जुनो डोर ने कपड वीजे ॥१८॥ पहु न होय की मिट्टी चाले वचन थालि तुम जो राखेँ । बजि न कीजे आस पराव, प्रारंभज्यो काम त्यो नीरवहि ॥ १६ ॥ नित प्रतिदान सदाही दीदे, दुरणा उपरि ब्याज न जीर्ज धरिही रात्री हीगा कुल नारि, मुक्त उपाय संतोषास्तरी ||२०|| विसेषीय हसि हमीखाय, बीगारी बहु ज परिवरि जाय । वीरा पूल मोटी छाडी, बीरासी गय गयाडो मीठो ॥ २१ ॥ बीगारी थिए सुधार घोटो, वीशस सेवग माहर बोडो । बीसी राजु मंत्री नो थोडो, प्रचगीट न भोसिकुड ॥२२॥ बुद्धि होइ फॉर सो नर जी, मधीभा के घरिनी। हरियम को जेठडी पाणी मगानीवन सुकाल न जाशी ॥२३॥ मंत्र न कीजे हीयडी कुछ सील बीस नारी पराय चूडी । ऐसी मी सुगीरी पुन्या, लाज न कीजे मागत कन्या ||२४|| पाजीयो ब्रह्मा होय मवेद भलावी भाषण होय वाच्या होय सबाज करावो, कायथ होय, सलेखो भरगावी ॥ २३ ॥ कुल भारगौ । छोडो करमा सगजीमील सुरोज घरमा । बुधी प्रगास पढीर विचारों, वीरो न भावो कहि सहसा ||२६|| ऐसी सीख सुर्खे सहुकोय, कला सुनानी डु होष । कही देह परषोत्तम पुत्ता, करो राज परिवार संजुता ॥ ७२ ॥ संवत् १६०६ मिठी पौष सुदी १० बुधीप्रमास समाप्त लिखित पंडित रुडा, मिखामत पंडित | ३०२. गुटका सं० १६५ | पत्र सं० १३८ । श्रा० ५x५ इन्च । भाषा संस्कृत हिन्दी 1 नेकन X 1 पू सं०६६। विशेष- - निम्न रचनाओं का संग्रह है तत्वार्थ सूत्र रत्नकरण्ड श्रावकाचार भाषा १३०३. गुटका सं० १६६ । पत्र० ०काल स० १६०७ ज्येष्ठ खुदी अमावस । प्रपूर्ण विशेष- निम्न पाठों का संग्रह है प्रादिववार कथा [ ९७३ १४- ११० १ वेष्टन सं० ८६० ० ६६ × ५ ० ६३४५३ उमास्वामी सदासुखासनीवाल इस भाषा हिन्दी | भाऊकवि Page #1035 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७४ ] [ ग्रन्थ सूची पंचम भाग अनुप्रंक्षा आदिनाथ स्तवन जिनवर व्रत कथा योगदेव सुमतिकीति अ० रायमल्ल गुटका जोबनेर में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में पं० केसो के पठनार्थ लिखा गया था। ६३०४. गुटका सं० १६७ । पत्रसं० १३५ । मा० ५३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८६६ । विशेष-सामायिक पाठ, भक्तामर स्तोत्र, जोगीरास तथा भक्ति पाठ आदि रचनाओं का संग्रह है। ६३०५. गुटका सं० १६८१ पत्रसं० ६५ । पा०६३ इन । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८७० । विशेष - नित्य पूजा पाठएवं मंगल प्रादि पाठों का संग्रह है। ६३०६. गुटका सं० १६६। पत्र सं० १०० । मा० ५४४ इश्च । भाषा-संस्कृत । ले०काल । पूर्ण । थेष्टन सं० २७१ । विशेष-प्रायुर्वेद एवं मंत्रशास्त्र सम्बन्धी सामग्री है। ६३०७. गुटका सं० १७० । पत्रस० १३८ । प्रा. ७४५ इञ्च । भाषा हिन्दी-संस्कृत । ले० काल X। पूर्ण · बेष्टनसं० ८७२ । विशेष---सामान्य पूजाएं स्तोत्र ए। पाठों का संग्रह है । ६३०८. गुटका सं० १७१ । पसं० १८६ । ग्रा० ८३४ ६इञ्च । भाषा हिन्दी-संस्कृत । . ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं० १७३ । विशेष-सामन्य पूजा पाठ, आयुर्वेदिक नुस्षे, काल ज्ञान एवं मंत्र शास्त्र सम्बन्धी साहित्य है । ६३०६, गुटका स० १७२ । पत्र सं० १८ । ग्रा० ८.४६५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं० १७६८ पौष बुदी ८ पूर्ण । श्रेष्टन सं० १७४ । विशेष-निम्न रचनामों का संग्रह हैशालिभद्र चौपई हिन्दी जिनराजसूरि राजुलपश्चीमी विनोदीलाल पंचमंगल पाठ रुपचन्द Page #1036 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ६७५ गुटका संग्रह ] ६३१०. गुटका सं० १७३ ।पत्रसं० ११४ ३ श्रा० ३.४ ३६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले०काल X । पुर्ण । वेष्टन सं. ८७५ । विशेष-स्तोत्र एवं मंत्रशास्त्र का साहित्य है। ६३११. गुटका सं० १७४ । पत्र सं०३३ । प्रा. ६४३३ इंच । भाषा-संस्कृत । ले० काल X । पूर्ण । वेपन सं० ८७६ । विशेष-भक्तामर स्तोत्र एवं पूजा पाठ संग्रह है। १३१२. गुटका सं० १७५ । पत्र सं. ११०1 ग्रा. Exईच । भाषा-हिन्दी-सस्कृत । काल X । पूर्ण । बेन सं. १७७ | विशेष – त्रेपन क्रिया (हेमचन्द्र हिन्दी पद्य) पद, भक्तिपाठ, चतुर्विति स्तोत्र (समंतभद) भक्तामर स्तोत्र (मानतुगाचा) आदि का सग्रह है। ६३१३. गुटका ल०१७६। पत्रसं० २१८ । धा० ५.५ इञ्च । भाषा-संस्कृतः हिन्दी। ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन म०८७८ । विशेष-सामान्य प्रजा पाठ एवं स्तोत्रों का संग्रह है। ---- --...-.--.- ... ६३१४. गटका सं० १७७ । पत्रसं० २७२ 1 या० ५४६ इंच । भाषा-हिन्दी । लेकाल - सो० १८२७ काती गुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८७६ । विशेष.... अजमेर के शिवजीदास के पठनार्थ किशनगढ़ में प्रतिलिपि की गई थी। कामत पुराण (भद्रारक विजयकीति) तथा दानशीलतप भावना (अपूर्ण) है। ६३१५. गटका सं० १७८ पत्रसं० १८ । प्रा० ४१४३६ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । से० काल सं०१८८० धावण सुदी १२ । पूर्ण | बेष्टन सं०८१०। विशेष-पूजा स्तोत्र, चर्चाए', चौबीस दंडक, नवमंगल आदि पाओं का संग्रह है । अजमेर में प्रतिलिपि हुई थी। ६३१६, गुरका सं० १७६ । पत्र सं० ६० ! प्रा. ७४५३ हश्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ८८१ । विशेष--पल्य विधि, श्रेपनक्रियापूजा, पल्यवत दिधान, विकास चौबीसी पूजा अादि का संग्रह है। ६३१७. गुटका सं० १८० प्रपत्रसं० ४० । प्रा. ६४५ इन्च । भाषा-हिन्दी ले. काल ४ । पूर्ण । बेन सं. ८८३१ विशेष-सामान्य पूजा पाठ संग्रह है। ६३१८. गुटका सं० १८१ । पत्र सं० २६ । आ० ६x४, इन। भाषा-हिन्दी । ले० कास सं. १८७३ मा सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८५ Page #1037 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७६ ] विशेष-सामुद्रिक भाषा शास्त्र है । ३१२. गुटका सं० १८२ । पत्रसं० ७० ० ५X४३ इव भाषा - हिन्दी । लेकाल X। पूर। वेष्टन सं० ८८७ ॥ विशेष - भक्तामर स्तोत्र मंत्र सहित, एवं श्रनेकार्थ मंजरी का संग्रह है । ६३२०. गुटका सं० १८३ । पत्रसं० ४०-२४४ | ० ६ X ३ इव । भाषा - हिन्दी | लेकाल x पूर्ण वेष्टन सं० विशेष-सूक्तिमुक्तावली, पदसंग्रह तथा मंत्र शास्त्र सम्बन्धी साहित्य है । ६३२१. गुटका सं० १८४ । पत्रसं० १७८४ मंगसर सुदी पूर्ण वेष्टन सं० ८६१ । विशेष— बीज उजावलीरी शुई है । [ ग्रन्थ सूची- पंचम नाम ९३२३. गुटका सं० १८६ | ले० काल सं० १९५१ भादवा बुदी ५ पूर्ण विशेष ६३२२. ट ० १८२० २१६००६ भाषा हिन्दी ०काल ४ । पूर्ण वेष्टनसं० ८६२ । विशेष- नित्य प्रति काम में आने वाली पूजाए एवं पद हैं । धर्मोपदेशात पद्मनंदि पचविशनि नेमिपुराण सुदर्शन प्रा० ७४५ इव । भाषा - हिन्दी । ले०काल सं०- पत्रसं० २०० ॥ श्र० ६ X ५३ इञ्च । भाषा संस्कृत - हिन्दी वेष्टन स० ८९४ । पद्मनंदि पद्यनंदि ब्र० रायमल्ल ले० काल सं० १६३५ सावरण सुदी १३ । लिपि साह सांतु खण्डेलवाल । २२२४. गुटका सं० १८७ । पत्रसं० ६२ | आ० ६९५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी लि-काल X । पूर्ण पेन सं० १ विशेष-सुगालचन्द, थानतराव, यादि कवियों के गद तथा धर्म पाप संवाद, चरखा चोपई यादि का संग्रह है। ६३२५. गुटका सं० १८६ | पत्रसं० २६८ | श्र० ४४३ इव भाषा - हिन्दी संस्कृत ले० काल X पूर्ण । वेष्टन सं० ८१६ । विशेष सामान्य पूजाओं के अतिरिक्त वृन्दावनदास कृत चौबीस तीर्यकर पूजा आदि का संग्रह है। ६३२६. गुटका सं० १६६ । पत्रसं० ६४ | या ५२५४४३ इव । भाषा - हिन्दी | लेकाल x । पूर्ण सं० ८२७ Page #1038 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पटका संग्रह ] [९७७ विशेष-मंत्रतंत्र एवं आयुर्वेद के नुस्खों का संग्रह है। ६३२७ गुटका सं० १६० । पत्र सं० २५० । प्रा० ५X इव । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । लेकाल सं० १६५० फागुण वुदी ८ | पूर्ण । वेष्टन सं० ८६८ । विशेष-मुख्यतः निम्न रचनाओं का संग्रह है। प्राकृल देवसेन माराधनासार संबोध पंचासिका दशरथ की जयमाल सामायिक पाठ तत्वार्थसूत्र पंच स्तोत्र मंस्कृत उमास्वामी ६३२८. गुटका सं० १६१ । पत्र सं० २२७ । प्रा० ५३४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८६६ । विशेष—सामान्य पूजा पाठों, प्रामुर्वेद एवं ज्योतिष अादि के ग्रथों का संग्रह है। ६३२६. गुटका सं० १९२ । पत्रसं० २२८ । प्रा०६४३३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले० फाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०० । विशेष-तीस चतुविशति पूजा त्रिकालचतुर्विशक्ति पूजा आदि का संग्रह हैं । ६३३०. गुटका सं० १९३ । पत्रसं० ८२ । प्रा०५४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल सं. १६६० बैशाख सुदी । १४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६०१ । विशेष-गुरावलि, चितामणि स्तवन, प्रतिक्रमण, सुभाषित पद्म, गुरुत्रों की विनती, म० धर्मचन्द्र का सवैया अ.दि का सग्रह है। ६३३१. गुटका सं० १९४ । पत्र सं० ३२४ । प्रा.८.४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले काल सं० १९८० माघ सुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२ । विशेष-पार्श्वनाथ स्तवन, सम्यक्त्व कौमुदी कथा, प्रश्नोत्तर माला, हनुमत कवच एवं वृन्दावन कवि कृत सतसई, गृभाषित ग्रथ आदि पाठों का संग्रह है। ६३३२. गुटका सं० १६५। पत्र सं० १८८ । प्रा०५३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० सं० ६०३ । विशेष-जिनसहस्रनाम, प्रस्ताविक प्रलोक, भक्तामर स्तोत्र एवं वडा कल्याण प्रादि पाठों का संग्रह है। ६३३३. गुटका सं० १६६ । पत्रसं० ७० । श्रा० ५४४ इंच । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल. XI पूर्ण । वेष्टन सं०६०४ | विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है । Page #1039 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६३३४. गुटका सं० १९७१ पत्र सं०६६ । प्रा० ६४४१६ । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं० १८३६ भादवा बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । विशेष-जनरासो, सुदर्शन रास (ब्रह्म रायमल्ल) शीलराम (विजयदेव मुरि) एभं भविष्यदत्त चौपई प्रादि का संग्रह है। ६३३५. गुटका सं० १६८ । पत्र सं० ६६ । प्रा० ५४४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल सं० १८६३ प्रासोज सुदी १ । पूर्ण । धेष्टन सं० ६०७ । विशेष—नित्य प्रति काम में प्राने वाले स्तोत्र एवं पाठों का संग्रह है। ६३३६. गुटका सं० १६६ । पत्रसं० १६-१३६ । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल सं० १९६३ पासोज सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ 1 विशेष-ग्रालोचना पाठ, सामायिक पाठ, तत्वार्थ सूत्र आदि पार्टी का संग्रह है। १३३७. गुटका सं० २०० । पत्रसं० ५० । प्रा०५६x४३ च । भाषा-हिन्दी । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११०। विशेष—बिभिन्न महीनों में लाने वाले एकादशी महात्म्य का वर्मान है। १३३५. गुट का सं० २०१। पत्र सं०८४ | प्रा०६:४५१५श्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल रां १०१७ आषाढ शुदी १० । पूर्ण । वेटनसं० १११ । विशेष -जिनसहस्रनाम (आशाघर) एवं तत्वार्थं सूत्र (उमास्वामी) आदि पाठों का संग्रह है। ६३३६. गुटका सं० २०२। पत्रसं० ३०-७० । आ. ६४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । से० काल सं० १८२३ भादवा सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१२ । विशेष-निम्न रचनाओं का संग्रह है:संबोध दोहा हिन्दी सुप्रभाचार्य संबोध पंचासिका गौतमस्वामी गिरनारी गीत विद्यानंद लाहागीत वास्तुकर्म गीत शांति गीत सम्यक्त्व मीत अभिनन्दन गीत अष्टापद गीत नेमीश्वर गीत चन्द्रप्रभ मीत सप्तऋषि गीत विद्यानन्दि नववाड़ी विनती Page #1040 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ eve ३४०, गुटका सं० २०३०३० १५२ प्रा० ६९५ इव भाषा-संस्कृत-हिन्दी ले०का सं० । पूर्ण वेष्टन सं० ६१३ । विशेष – पंचस्तोत्र एवं दिव्यवार कथा है । २०४ ॥ पत्र सं० ५२ । ग्रा० ६३४६ इन्च भाषा संस्कृत-हिन्दी । 1 पूर्खे | वेष्टन सं० ९१५ । | ऋद्धि मंत्र एवं वचनका सहिल है। ६३४१. गुटका सं० ले० काल सं १८०१ आषाढ़ सुदी विशेष रस्तो ६३४२. गुटका सं० २०५ । पत्रसं० ६० । ० ६x४३ ॥ श्र० ६५४३ X पू० ६१६ । बारहमारा प्रादि का संग्रह है। विशेष- फुटकर श्लोक, जिन सहस्रनाम (आशाधर) मांगीतुंगी पोपई, देवपूजा, राजुल पचीसी, ६३०३. गुटका सं० २०६ । पत्र सं० २६ । ० ४ भाषा-संस्कृत ले० काल X। पूरा वेष्टन रा० ११७ ॥ विशेष – विग्य प्रति काम आने वाले पार्टी का संग्रह है। ३४५. गुटका सं० ले० काल X पुणं । वेन सं० विशेष पूजा पाठ एवं ६३४४. गुटका सं० २०७ पत्रसं० २५ । चा० ७४५ च भाषा संस्कृत | लेकालX । पूर्ण वेष्टन सं० २१६ । विशेष - तत्त्वाचं सूत्र एवं एकीभाव स्तोत्र अर्थ सहित है। -- ९३४६. गुटका सं० ले० काल सं० १७६४ पूर्ण - २०८ पसं० २३४ ० ५५३ इश्व भाषा - हिन्दी-संस्कृत | । । १९ ॥ स्तोत्र आदि का संग्रह है। विशेष - सामान्य पूजा पाठ संग्रह है । इव भाषा संस्कृत से फाल | | २०६ । पत्र सं० २०८ । ०४३४४३ इन्च | भाषा - हिन्दी-संस्कृत | वेष्टन सं० २० । ६३४८. गुटका सं० २११ । पत्र सं० से० कान X पूर्ण । ०३३ ६३४७. गुटका सं० २१० । पत्रसं० ७६ | था० ६४४३ इत्र 1 भाषा - हिन्दी-संस्कृत । ०काल सं० १८०६ ज्येष्ठ बुदी ४ । पूर्ण । चेष्टन सं० ९२१ । विशेष – मक्तामर स्तोत्र कल्याण मंदिर भाषा एवं सत्वार्थ सूत्र आदि पाठों का संग्रह है। ६४५ इव । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । १०० | झा० विशेष – निम्न रचनाओं का संग्रह है पट्टावलि, मुठमत्र, भक्तिगाठ मट्टारक पट्टावलि एवं मंत्र शास्त्र । मुनीश्वर जयमाल (जिनदास) प्रतिक्रमण सत्वार्थ सूत्र, विशेष – सामान्य पूजा पाठ एवं स्तन आदि का संग्रह है। ९३४६. गुटका सं० २१२ । पत्र [सं० १५०० ५४६३ च भाषा संस्कृत हिन्दी । ले ० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २४ । Page #1041 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८० ] [ प्रस्थ सूची- पंचम भाग ६३५०. गुटका सं० २१३ | पत्र सं० १२४ | ० ६४३ इस भाषा - हिन्दी । ले०काल सं० १८२३ भादवा बुद्री । पूर्णं । वेष्टन सं० ९२५ । विशेष निम्न रचनाओं का संग्रह है । 1- नेमीश्वर रास कृष्णजी का बारहमासा छनाल पचीसी ३५१. गुटका सं० २१४ सं० २०६६ भाषा-संस्कृत-हिंदी। से० काम X पूरणे। देष्टन सं० १२६ विशेष-सोलहफारस जयमाल गाधरवलय पूजा जिनसहस्रनाम (आशायर) एवं स्वस्त्ययन पाठ आदि का संग्रह है। ६३५२. गुटका सं० २१५० ६० वा० ६x४ इध भाषा-हिन्दी ले० काल सं० १८११ आषाढ बुदी ११ । पूर्ण वेष्टन सं० १२७ । विशेष - प्रठारह नाता का चौवाल्या (लोहट), चन्द्रगुप्त के १६ स्वप्न, नेमिराजमति गीत, कुमति साथ एवं साधु बन्दना मादि पाठों का संग्रह है रचनाओं का संग्रह है । | | १३५२. गुटका सं० २१६ प ० १६०० ६६३६ भाषा-हिन्दी ले०कडल । सं०] १७०२ मंगसिर सुदी १ पूर्ण वेष्टन सं० २ । विशेष- नासिकेत पुराण (१६ अध्याय तक एवं सीता नरित्र (कवि दालक अपूर्ण) आदि भक्तामर स्तोत्र भाषा कल्याण मंदिर स्तोष भाषा एकीभाव स्तोत्र भाषा ६३५४. गुटका सं० २१७ | पत्रसं० १५० | आ०६४६ इव । भाषा - हिन्दी संस्कृत | ले० काल सं० १७७७ पोष बुरी ७ । पू । ०२९ विशेष – निम्न स्तोत्रों का संग्रह है संस्कृत-हिन्दी मांगीतुंगी सावन कुमति की विनती ननद भोजाई का भा अक्षर बसीसी ज्ञान पचीसी जीवणराम " हिन्दी ० रायमल्ल ३५५. गुटका सं० २१८०२८२ ०६३ भाषा हिन्दी का सं० १७८६ कार्तिक बुद्दी ६ पूर्ण बेष्टन सं० ९३० ॥ 1 विशेष – निम्न रचनाओं का संग्रह है । 53 " 33 हिन्दी पत्र ३०-३५ " हेमराज बनारसीदास " सं - Page #1042 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह } परमज्योति निर्दोष सप्तमी कथा जिनाष्टक गीत आदिनाथ स्तवन कठियारा काम चउप नवकार रास अठारह नाता धर्मरासो त्रेपन क्रियाकोश कस्ता बत्तीसी यारह प्रतिमा व पदसंग्रह सप्तम्यसन गीत पार्श्वनाथ का पहला सारसमुच्चय ग्रंथ कुमाण सम्भाव विनोदीलाल नेमचन्द (जगत्कीर्ति के शिष्य ) मानसागर घोषसत्तरी ज्ञान गीता स्तोभ मोकार राम लोहट जोगीदास ३५६. गुटका सं० २१६ | पण० १७४ ० ० १७४० आसोज दुदी १० पूर्ण वेष्टन सं० ८३१ । विभिन्न कवियों के चन्द्राकी विशेष - आयुर्वेद एवं मंत्र शास्त्र से सम्बन्धित साहित्य का अच्छा संग्रह है । ३५७. गुटका सं० २२० सं० १५० पा० ६६४४३ ड ले०काल सं० १०११ । पू 1 वेष्टन सं० ९३३ । विशेष- निम्न रचनाओं का संग्रह है। हिन्दी शन्तिहर्ष (शि० जिन) FACE " 32 - J हिन्दी " " 27 ! " ० ५३४४ १ ३ भाषा हिन्दी-संस्कृत | [ ६८१ भाषा - हिन्दी-संस्कृत | संस्कृत ० काल १७४१ हिन्दी दिनकर ६३५८. गुटका सं० २२१ । पत्रसं० ६६ । प्रा० ६३x४५ इव । भाषा - संस्कृत । ले० काल x पूर्ण न सं० ९३४ । विशेष-सत्वार्थ सूत्र, ज्ञानचिन्तामरिण एवं अन्य पाठों का संग्रह है। Page #1043 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६.२] [ प्रन्थ सूचीमा भाग ६३५६. गुटका सं० २२३ । पत्रसं० २१३ । पा० ६३४४ हश्च । भाषा-संस्कृत । ले• काल सं० १६२२ अषाढ सुदी ११ । पूरी । वेष्टन सं०६३५ । विशेष--ज्योतिष साहित्य एवं सं०१५८२ से सं० १७०० तक का संवत्सर फल दिया हुआ है। ६३६०. गुटका सं २२३ । पत्र सं०७२ । भा०६x४ इश्व । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । विशेष-शकुनाबली लघुस्वयंभू स्तोत्र, षष्टिसंवत्सरी अादि पाठों का संग्रह है। ६३६१. गुटका सं० २२४ । पत्रसं० ६० | आप ७१x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० बाल सं० १७६५ फागुण बुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३७ । विशेष-निम्न रचनामों का संग्रह है तीस चौबीसी हिन्दी २० काल सं १७४६ चैत सूदी ५ श्यामकवि गोपालदास विनती इसके अतिरिक्त अन्य पाठों का भी संग्रह है। ६३६२. गुटका सं० २२५ । पत्र सं० १७५ । प्रा० ६३४५६ इच । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल सं० १६१५ माघ सुदी १) पूर्ण । वेष्टन सं० ६३८ । विशेष-निम्न रचनाओं का संग्रह हैं। संस्कृत हिन्दी हिन्दी भक्तिपाय चतुर्विशति तीर्थंकर जयमाल चतुर्दश गुरास्थान बेलि चेतन गीत लाभालाभ मा संकल्प सिद्धिप्रिय स्तोत्र परमार्थ गीत परमार्थ बौहाशतक ब. जीवंधर जिनदास महादेवी देवनं दि रूपचन्द संस्कृत हिन्दी रूपन्द ६३६३. गुटका सं० २२६ । पत्र सं. ६७ । आ. १४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल सं० १९२४ ग्राषाढ सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०६३६ । विशेष-भक्तामर स्तोत्र, विषापहार, पंचमंगल, तत्वार्थ सूत्र आदि का संग्रह है। ६३६४, गुटका सं० २८ । पत्र सं० ४६से ७६ । आ० ८४५१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल पूरणं । वेष्टन सं० १४० । विशेष-दशलक्षण पूजा, अनत इस पूजा, एवं भक्तामर स्तोत्र यादि का संग्रह है। x Page #1044 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ६८३ ३६५. गुटका सं० २२८ पत्रसं० २००६ इञ्च भाषा हिन्दी से०फाल सं० १७९६ पूर्ण पेष्टन ०९४९ । विशेष निमनका है। कर्मप्रकृति भाषा मृगीसंवाद -- श्राराधना शार परमात्म प्रकाश दोहा द्वादशानुप्रेक्षा श्रालाप पद्धति अष्टपाहुड ३६६. गुटका सं० २२६० १८६० ७३५ व भाषा प्राकृत संस्कृत । ० ० १६०० सावश बुदी १० । अपूर्ण वेष्टन सं० २४२ । विशेष - मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है- नाम ग्रंथ नेमीश्वर रास विशेष-युर्वेद के नुस्खे है। ६३६८. गुटका सं० २३१ । पत्रसं० ७० । से० काल सं० १६३८ ग्रासोन बुदी १ पूर्ण बेटन सं० २४४ । चेतनपुद्गल धमाल शील महिना वीरचन्द दूहा देवसेन भोगीन्द्रदेव पद नेमीश्वर राजमति चातुर्मास देवसेन कुन्दकुन्दाचार्य ग्रंथकार ब्र० राममल्ल वल्ह सकल भूषण लक्ष्मीचन्द हर्ष गरिए सिंहनंदि २६७, गुटका सं० २३० पत्र सं० ६८ ६३५३ इस भाषा हिन्दी से काल X। येन सं० १४३ । बनारसीदास देवराज १० सं० १६६३ भाषा हिन्दी विशेष- वृहद सम्मेद शिखर पूजा महात्म्य का संग्रह है। ३६. गुटका सं० २३२ पत्र सं० ४१५ ० ४१ ४४ इन्च भाषा-हिन्दी ले० काल ★ पूर्ण वेष्टन सं० २४५ । विशेष निम्न पाठों का संग्रह है। . 2 2 2 पत्र सं १-४६ हिन्दी ५०-७० 33 ७०-७३ ७४-६६ ० १९४७ इञ्च । भाषा - हिन्दी-संस्कृत | 6.5 प्राकृत ६६ अपा अपक्ष श 熊本 সান্ত্বন विशेष २० सं० १६४४ फागुण सुदी ४ पद्म सं० १३० पद्य सं० १६ पद्म सं० ६६ पद्म सं० ७ पद्य सं० ४ ० काल [सं०] १६५५ Page #1045 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८४. ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग सुमतिकीति बलिभद्र गीत भेषकुमार गीत नेमिराजमति बलि कृपण षट् पद पूनो ठक्क रसी १२० पद १२६ १२६ साहण बुचा ठक रसी १३०-३३ १४० बूचा १५७ पंचेन्द्रीयेलि योगीचर्या गीत म. धर्मकीर्ति भुवन कीति गीत मदनजुद्ध बूचा कवि १८४ पा सं० १५० (र० सं० १५८६ ले०काल सं० १६१६) जिरणदास | | ३४४ विवेक जकड़ी मुक्ति गीत पोषहरास शीलरग्स नेमिनाथरास पद आदिनाथविनती नेमीश्वर रास चतुर्गतिवेलि ज्ञानभूषण विजयदेव सूरि ब्रह्म रतन बूचा ज्ञान भूषण भाऊ कवि हर्षफीति ३८२ ३६५ ४१५ | 1 | ६३७०. गुटका सं० २३३ । पत्रसं० ५८ । प्रा० १३४६ च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल सं० १८६६ माव गुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६४६ । विशेष--पूजाओं एवं पदों का संग्रह है । ६३७१. गुटका सं० २३४ । पत्र सं० ४.३ । प्रा. ७४६१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६७ । हिन्दी पत्र सं. विशेष ---निम्न पाठों का संग्रह है। सीलासतु भगवतीदास शीलबसीसी राजमतिगीत बावनी छाई | | ५४-५८ Page #1046 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] अहवाल पद एवं गीत पद एवं राजमति सतु श्रादित्यवार कथा दयारास चुनडोरास रविवस कथा बीचटराम रोहिण रास जोमरण रास मनकरहारास वीर जिद दशलक्षण पत्र राजावलि विभिन्न पद एवं गीत बणजारा गीत राजमति नेमीश्वरान समयसार नाटक चतुर दराजारा गीत पुरन वंदना जलगालन विधि गुलाल ममुराबाद पच्चीसी बनारसी के पाठों का संग्रह ६३७३. गुटका भगवतीदास पूर्ण वेष्टन सं० १४७५ गुलाबचंद भगवतीदास बनारसीदास भगवतीदास ब्र० गुलाल बनारसीदास हिन्दी 13 39 " " 29 21 ד, 39 37 " 2) " 13 33 ७० तक १७६ पत्र तक । १३७२. गटका सं० २६५ । पत्र सं० २०७५ इन्च भाषा-हिन्दी ले० काल सं १७५८ / १७६० पूर्ण वेष्टन सं० १४७४ | विशेष निम्न पाठों का संग्रह है नेमीश्वर के पंचकल्याणक गीत सम्झाय, बुद्धिरासो, भाषाभूति श्रमानि पर्मरातो चादि अनेक पाठों का संग्रह है । [ esx - सं० २३६ । पत्रसं० २४ । ग्रा० ८ x ६ इन्च भाषा संस्कृत । ले०काल X विशेष निम्न पूजा पाठों का संग्रह है स्तोत्र, पद्मावती पूजा, पद्मावती सहस्रनाम, पार्श्वनाथ पूजा, पद्मावती भारती, पद्मावती गायत्री आदि पाठों का संग्रह है। Page #1047 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६.६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६३७४. गटका सं० २३७ । पत्र सं० १०० । श्रा० ६३४६ इश्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल सं० १६५५ माह मुदी १२ । पुर्मा । वेष्टन सं० १४५५ । विशेष-उपोलिग संबंधी पाठों का संग्रह है। ९३७५. मुटका सं० २३८ । पत्रसं० १२० । प्रा० .x५६ इञ्च । भाषा- हिन्दी-संस्कृत । ले० फाल स० १८४० फागुशा बुदी ७ । पुर्ण । वेष्टन सं० १४८६ । विशेष - नाटक समयसार एवं त्रिलोकेन्दु कीनि कृत सामायिक भाषा टीका है। ६३७६. गुट का सं० २३६ । पत्र सं० १२६ । आ० ८X६ इश्व । भाषा-हिन्दी-संस्तुति । ले०कास सं०१८८४ फागुण बुदी६। पूरणं । वेष्टन सं० १४८७ । विशेष---मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। नाम ग्र'थ अथकार भाषा विशेष व्रत विधान रामो दौलत राम पाटनी हिन्दी र० सं० १७६७ प्रायश्चित प्रय अकलंक स्वामी संस्कृत ज्ञान पच्चीसी हिन्दी नारी गच्चीसी वसुधारा महाविद्या संस्कत मिथ्यात्व भजन रास हिन्दी पंचनमस्कार स्तोत्र उमःस्वामी संस्कृत ६५७७. गुटका सं० २४० । पत्र सं० १४४ । प्रा० ८:४६ इच। भाषा-हिन्दी । १० काल ४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४८८ । विशेष-...पद संग्रह है। ग्रटका सं० २४१ । पत्र सं० १०६ | प्रा.५४४ इञ्च । माया-हिन्दी। र०कालXI ले काल ४ । पूरयं । येन सं १४६० । विशेष—पदों का संग्रह है। ९३७६. गुटका सं० २४२ । पत्र सं० ६८ | आ० ८४५ इञ्च । भाषा--संस्कृत । र० काल X । ले० काल स० १०२८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६१ । विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। १३.०. गुटका सं० २४३ । पत्र सं० ३०८ | या. ६४५५ इन्छ । माषा -संस्कृत-हिन्दी । र०काल x 1 ले० काल सं० १६६२ फागुण बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४६२ ।। विशेष—सागवाडा नगर में प्रतिलिपि की गयी भी । पूजा पाठ एवं स्तोत्र संग्रह है। ६.३८१. गुटका सं० २४४ । पत्रसं० १७० । आ.६३४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल सं० X । पूर्ण । वेन सं० १४६३ । विशेष पूजा पाठ संग्रह है। Page #1048 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ९८७ ६३८२. गुटका सं० २४५ । पत्रसं० ७० । श्रा० ११x६० इश्व भाषा - हिन्दी : २० काल ४ । जे० काल सं० १०२४ पौष सुदी ५ पूर्ण सं० १४६४ / विशेष भरतपुरवासी पं० हेमराज कृत पदों का संग्रह है। ६३८३. गुटका ०२४६५७१ नाषा - हिन्दी । ले० काल X | पूर्ण । वेष्टन सं० १४९५ । विशेष- हिन्दी पदों का संग्रह है ६३८४. गुटका सं० २४७ संग्रह | ले०काल x पूर्ण वेष्टन सं० १४१६ | विशेष – पूजा पाठ संग्रह है । • पत्रसं० ५० । ० ६४५३ इन्च भाषा - हिन्दी | विषय - ३८५ प्रतिसं० २४८ पत्र सं० १६४ ० १०५४ इस भाषा हिन्दी ले० का ० १६३५ आसोज सुदी ५ । पूर्वं । वेष्टन सं० १४६७ विशेष— भट्टारक सकलकीर्ति, ब्रह्मजिनदास, ज्ञानभूषण सुमतिकीति यादि के पदों का संग्रह है। पत्रसं० ११७ ० ६४५ इंच भाषा हिन्दी । ले० काश ३८६. प्रति सं० २४६ सं० १०१ पेष्ट सुदी ३ पूर्ण देन सं० १४१ ॥ विशेष- पूजा पाठ संग्रह है । ३८७. गुटका २५० ए० ४१ ० २४६ इच विषय-हिन्दी ले काल X पूर्ण । वेन सं० १४६६ | विशेष-पूजा पाठ एवं स्तोत्र संग्रह है । ३८८. गुटका सं० २५१ ० १३८ सा० १०६ इन्च भाषा हिन्दी निकाल सं०] १७१२ । फागुण सुधी १३ पूर्ण वेष्टन सं० १५०१ । विशेष- स्तयन तथा पूजा पाठ संग्रह है । भ्रष्टाका पूजा अवन्ति कुमार राम (जिनहर्ष) २० सं० १७४१ भाषा सुदी ९३६०. प्रति सं० २५३ पूर्ण बेष्ट सं०] १५०३ - । । ६३८६. गुटका सं० २५२ पत्रसं० १२७ ० ४३४ इस भाषा हिन्दी वे कास । ले० X पूर्ण बेत सं० २०२१ विशेष निम्न रचनाओं का संग्रह है । - विशेष – सामान्य पाठों का संग्रह है। पत्र० ६८ श्र० ५४५ छ । भाषा - हिन्दी । ले० काल X । । Page #1049 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हम ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६३६१. गुटका सं० २५४ । पत्रसं० २०२ । प्रा० १०x४ इश्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५०५ । विशेष--ज्योतिप शास्त्र संबंधी सामग्री है। ६३६२. गदका सं० २५५ । पत्र सं० २०.। आ०५४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १६५३ कार्तिक सुदी १० । अपूर्ण । वेष्टन सं० १५०६ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह है। वीरनाथस्तवन, उसरण फ्यन्न, गजस कुमालचरित्र, बावनी, रतनडरास, माधवानल चौगाई अादि पाठों का संग्रह है। १३९३, का सं०५६।सं । प्राइ क । भाषा-संस्कृत । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५०७ । विशेष-मंत्रतंत्र एवं रमल यादि का संग्रह है। १३६४. गुटका सं० २५७१ पत्रसं० ५७ । श्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पुर्ण । वेष्टन सं० १५०८। विशेष पूजा पाठ संग्रह है। ६३६५. गुटका सं० २५८ । पत्रसं० ७२ । पा. ४३४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । ले०काल X । गुणं । वेश्न सं० १५०१ 1 विशेष- पूजा पाठों का संग्रह है। ६३६६. गुटका सं० २५६ । पत्र सं० १७४ । प्रा० ६४५ इंच । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । येष्टन सं० १५१० । विशेष-हिन्दी के सामान्य पाठों का संग्रह । ६३६७. गुटका सं० २६० । पत्र सं० ६२ । ग्रा. ७४५ इंच । भाषा-हिन्दी । ले० कालसं० १८३८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५११ । विशेष-वध भनोत्सव के पाठों का संग्रह है। ६३६८. गुटका सं० २६१ । पत्रसं० १०० | प्रा० ६४ ५ इन्च । भाषा - हिन्दी । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १५१२ । विशेष-गुणस्थान चर्चा एवं रत्नत्रय पूजा है। ६२६६. गुटका सं० २६२ । पत्रसं० २४ । ना. ८४५३ च । भाषा-संस्कृत । ले. काल x। पूर्ण । बेन सं० १५१३ । विशेष प्राचार्य केशव विरचित षोडपकारण प्रतोद्यापनपूजा जयमाल है। १४००. गुटका सं० २६३ । पत्र सं० ७३ । ग्रा०३४४३ इञ्च । भाषा--हिन्दी । ले० काल ४ । पूर्ण । बेन सं० १५१४ । Page #1050 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] विशेष- निभ्न पाठों का संग्रह है चन्द्रगुप्त के सोलह स्वच्ण, धर्मनाथ से स्तवन (शावर) उपदेश पच्चीसी (रामदास ) शालिभद धन्ना चपई ( गुणसागर ) | ४०१. गुटका सं० २६४ पत्र [सं०] १०० प्रा० X ६ इन्च भाषा हिन्दी ० काल X | पूर्ण । वेष्टन सं० १५१५ । विशेष गुणस्थान चर्चा एवं अन्य पाठों का संग्रह है। ६४०२. गुटका सं० २६४ । पत्रसं० १२४ | आ० ७४५ इव । भाषा - हिन्दी । ले० काल सं० १८८० पौष सुदी ५ पूर्ण वेष्टन सं० १५१६ । विशेष- मुख्यतः रसालुकंवर की वार्ता है। ६४०३. गुटका सं० २६६ । पत्र सं० १३० । ० ६३४४३ इश्व | भाषा - हिन्दी ले० काल x पूर्ण बेन मं० १५१७ ॥ विशेष- विभिन्न कवियों के हिन्दी पदों संग्रह है । ६४०४. गुटका सं० २६७ । पत्र सं X पूर्ण वेष्टन सं० १५१८ । विशेष – ज्योतिष सम्बन्धी साहित्य है | [ ese वाहिली विशेष-शालिभद्र चौपाई के अतिरिक्त विभिन्न कवियों के हिन्दी गदों का संग्रह है। ४०६. गुटका सं० २६६ । पत्र सं १४४ । ग्रा० ६३४६ इञ्च । X पूर्ण वे न सं० १५२० । विशेष विभिन्न कवियों के हिन्दी पदों का संग्रह है । ६४०५. गुटका सं० २६६११०२२३ १२७ । श्र० ६ X ५ इव । भाषा - हिन्दी । ले० काल ★ पूर्ण न सं० १५१६ ० रोकाल भाषा हिन्दी सेकाल ६४०७, गुटका सं० २७० सं० २०२० ५३x४५ इश्व भाषा संस्कृत-हिन्दी ले० काल सं० १६६० पूर्ण । वेष्टन सं० १५२२ विशेष पूजा एवं ब्रह्म समभाव त मेमि निर्वाण है। प्राप्ति स्थान --- दि० जैन मन्दिर नागदी पूदी | ६४०८, गुटका सं० २७१ पत्र सं० १४० । ० ८६ इव । भाषा - हिन्दी | ले० काल x । पूर्णं । वेष्टन सं० १५२३ | विशेष सामान्य पाठ एवं आयुर्वेदिक नुस्खे हैं। ६४०६. सुटका सं० १ । पत्रसं० १९५३ ० ५४५ इव । भाषा - संस्कृत - हिन्दी | ०कास X पू वेष्टन [सं०] १६३ ॥ विशेष पूजा पाठ संग्रह है। Page #1051 -------------------------------------------------------------------------- ________________ &E ] [ ग्रन्थ सूची-पंथम माग ६४१०. गुटका सं० २। पत्रसं० २१६ । प्रा० Ex६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० कालX 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १९४ । विशेष-पूजा स्तोत्र एवं अन्य पाठों का संग्रह है। ६४११. गुटका सं० ३ । पत्र सं० २१२ । प्रा० ८४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्धी । ले०काल X । पूर्वं । वेष्टन सं० १६२ । विशेष-गुगास्थान वर्चा अादि का संग्रह है । ६४१२. गुटका सं०४ । पत्र सं० ३४ । प्रा० ६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल' X । पूर्ण । वेष्टन स. १८७। विशेष-आयुर्वेद के नुसते हैं । १४१३. गुटका सं० ५। पत्र स० ११८ | प्रा० x ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १८८ । विशेष पूजा पाठों का संग्रह है। १४१४. गुटका सं०६ । पत्रसं० ४० । प्रा० १०४५ इन्ध । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १८६ । विशेष—पुजा पाट संग्रह है। १४१५. गुटका सं०७१ पत्रसं० ७८ । प्रा० ५४४३ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल XI पूर्ण। वेष्टन सं० १५५ । विशेष-पूजा पाठ एवं पद संग्रह है । ६४१६. गृटका सं० ८ । पत्रसं० ४८ । प्रा०५.४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० १८२। विशेष-गुटका दादू पंथियों का है । दादूदयाल कृत मुमिरण एवं विनती को अंग है। ६४१७. गुटका सं०१ । पत्र सं० ७८ । प्रा० ५३४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । खे०काल x ) पूर्ण । येष्टनसं० १७५ । विशेष-सुभाषित संग्रह है। ६४१८. गुटका सं० १० । पत्र सं० १५० | मा० १x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७६ । विशेष सामान्य पूजा पाठ संग्रह है। ६४१६. गुटका सं० ११ - पत्रस'• ६२ । प्रा. ८४५३ इञ्च । भाषा--संस्कृत । ले०काल सं. १५४१ पहारगुरण धुदी १२ । पूर्ण । वेष्टन स. १७७ । १. सम्यग्दर्शन पूजा संस्कृत बुधसेन । २. सम्यक चारित्र पूजा मरेन्द्रसेन । ३. शांतिक विदि धर्मदेव। Page #1052 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ९४२०. गुटका सं० १२। पत्रसं० ११८ ।आ०७४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल ४ । पुर्ण । बेष्टनसं० १७८ । ६४२१. गुटका सं० १३ । पत्रसं० १२६ । प्रा० ६३४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल । पुर्ण । वेष्टन सं०१७६।। विशेष—सामान्य पाठों का संग्रह है। १. संतोष जयतिलक बूवराज २. चेतन पुद्गल धमालि तुचराज ६४२२. गुटका सं०१४ । पत्रसं० ६२ । ग्रा०६४६३ इञ्च । भाषा संस्कृत-हिन्दी । लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १७४ । विशेष-श्रादित्यचार कथा एवं पूजा संग्रह है। ६४२३. गुटका सं० १५। पत्र सं० २५२ । प्रा. ६४५ इन्ध । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १७३ । १. भुवनदीपक भाषा टीका सहित संस्कृत पद्मनन्दि मुरि । ने काल सं० १७६० सुमतिकीति काशीनाथ बनारसीदास २. श्रलोक्य मार ४. पीघ्रबोध ४. समयसार नाटक संस्कृत । हिन्दी पद्य PAP- 1 ६४२४. मुटका सं०१६ । पत्र सं० ४-५७ । भा० १०३४८ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६४ । विशेष-नित्य पूजा पाठ एवं स्तोत्र संग्रह है। ६४२५. गुटका सं० १७ । पत्रसं० २०८ । प्रा० EX५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६। विशेष समयसार नाटक एवं भक्तामर स्तोत्र, एकीभाव स्तोत्र आदि भाषा में है। ९४२६. गुटका सं० १८ । पत्रसं० ८-३०४ । आ० ६४८ च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६५ । विशेष पूजा स्तोत्र आदि है इसके अतिरिक्त विमलकीर्ति कृत याराधाना सार है--जिसका आदि अन्त भाग निभ्न है। प्रारम्म श्री जिनवर वाणि नमिति गुय निथ पाय प्रणमेवि । कहूं पाराधना सुविचार __ संखे पईसारोबार ॥१॥ Page #1053 -------------------------------------------------------------------------- ________________ EER ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग हो क्षपक बयण प्रवधारि । हवेई चात्थु तु भवपार । हास्यु भट कहूं तक्त भेय धुरि समाकित पालिन एह ।। मन्तिमसन्यास तणा फल जोइ। हो सारगिरपि सुख होइ । पली धावकनु कुल पामी ___ लहर निरवाण मुगतइगामी ।। जे भङ सुणइ नरनारी, तेजीह भवनइ पारि । श्री विमल कीरति कहय विचार । श्री आराधना प्रतिबोध सार ।। १४२७. गुट का सं० १९ । पत्रसं०३८ । आ० १३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल x. पूर्ण । श्रेष्टन सं० ३१ । विशेष-गुणस्थान चर्चा एवं अन्य स्फुट चर्चाए हैं। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर श्री महावीर दी। ६४२८. गुटका सं० ११ पत्रसं० ४५ | ग्रा० १०३४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ 1 विशेष पूजा पाठ संग्रह है। १४२६. गुटका सं० २ । पत्रसं० १५५ । पारु १०४६ इन्च । माषा-हिन्दी । लेकाल ४ । पूर्ण । देष्टन सं० १६४ । विशेष-निम्न पाल है:-गुणस्थान चर्चा, मार्गणा चर्चा एवं नरक वर्णन ६४२०, गटका सं०३ । पत्र सं० ४०८ । प्रा० १०४६ इच। भाषा-संस्कृत । लेकालX पूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । विशेष-पूजाओं का संग्रह है। ६४३१. गुटका सं० ४ । पत्र सं० २१२ । प्रा० १०.४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०कास सं० १६५७ । अपूर्ण । विशेष-- नित्य पूजा पाठ एवं छहदाला, ध्यान बत्तीसी एवं सिंदूर प्रकरण है। १४३२. गुटका सं० ५। पत्रस० १४१ । आ० १३३४८३ इञ्च । भाषा -संस्कृत-हिन्दी। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६८ । विशेष—नित्य नैमित्तिक पूजा तथा पाठों का संग्रह है। Page #1054 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [६३ ६४३३. गुटका सं०६ । पत्रसं० ४४ । प्रा० १०३४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं०६८ विशेष -निम्न लिखित पाठ है१. अरिष्टाध्याय (२) प्रायश्चित भाषा (1) सामायिक पाठ (४) शांति पाठ एवं (५) समंतभद्र कृत वृहद स्वयंभू रसोत्र । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर आदिनाथ स्वामी दी। १४३४. गुटका सं० १ पत्रसं० ३८ । प्रा० ७४६ इन्च । भाषा--हिन्दी ।ले काल x | पुर्ण । वेष्न सं०७६ । विशेष-निम्न पाठ है- चर्चाशतक कलयुग बत्तीसी आदि है। ६४३५. गुटका सं० २। पत्रसं० ५६ । ग्रा०६४५६ इन्च । भाषा-हिन्दी प० । ले०काल सं. १७८० फागुण वदी १० । पूर्ण । धेष्टन सं०७५ । विशेष-निम्न पाय हैं१. बिहारी सतसई पत्र १-५४ पच सं० ६७६ २. रसिक प्रिया ९४३६. गुटका सं० ३। पत्र सं०६४ । प्रा० ५४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले०काल x। पूर्ण । वेष्टल सं०७३ 1 विशेष—पद एवं विनती संग्रह है १४३७. गटका सं० ४ । पत्र सं० ७२ । आ०६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन मं०७१ । विशेष-धातु पाठ एवं चौबीसी ठारणा नर्चा है। ६४३८. गुटका सं० ५। पत्र सं०६० प्रा० ७४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७२ । विशेष-पूजा स्तोत्र संग्रह है। १४३६. गुटका सं०६। पत्रसं० ११६ । प्रा. ७४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेधन सं०६८ | ६४४०. गुटका सं०७। पत्र मं० ४७४ । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६६ । विशेष—पृजा पाठ संग्रह हैं । ६४४१. गुटका सं०८ । पत्रसं० २७२ । प्रा०७४ ६ इञ्च । माषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन मं०४६ ।। विशेष-त्रैलोक्येश्वर जयमाल, सोलहकारण जयमाल, दशलक्षण जयमाल, पुरपरयण जयमाल आदि पाठों का संग्रह है। १४४२. गुटका सं०६ । पत्र सं० ४० । पा. ७४५ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० ४५ 1 विशेष-कल्याण मन्दिर भाषा एवं तत्वार्थ सूत्र का संग्रह है। Page #1055 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१४ ] [ ग्रन्थ सूची-पश्चम भाग ६४४३, गुरक्षा सं० १० प २१८०६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ४४ ।। विशेष- गूजा पाठ स्तोत्र आदि का संग्रह है। ९४४४. गुटका सं० ११ । पत्रसं० ५५ । प्रा० ६x६ इञ्च । भाषा-संस्वात-हिन्दी । लेकाल XI अपूर्ण । वेष्टन सं० २८ । १४४५. गुटका सं० १२। पत्रसं० २९-२१७ । प्रा०६४६इ । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । मे०काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० २१ । विशेष---पूजायें स्तोत्र एवं सामान्य पाठों का संग्रह है। XX प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी । ९४४६. गुटका सं० १ । पत्रसं० ३५३ । आ. ८३४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-प्राकृत । ले० काल सं० १७१८ पुर्ण । वेष्टन सं०३६६ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह है। १. ज्ञानसार पदानन्दि प्राकृत २. चारित्रसार ३. दाढसी गाथा ४. मृत्युमहोत्सव संस्कृत ५, नयचक्र देवसेन ६. अटपाहुड कुन्दकुन्द प्राकृत ७. त्रैलोक्यसार नेमिचन्द ८. श्रुतस्कंध १. योगसार योगीन्द्र अपभ्रंश १०. गरमात्म प्रकाश ११. स्वामी कात्तिकेयानुप्रंक्षा कार्तिकेय प्राकृत १२. भक्तिपाठ प्राकृत १३. बृहद् स्वयंभू स्तोत्र समंतभद्र संस्कृत १४. संबोध पंचासिका प्राकृत १५. समयसार पीटिका संस्कृत १६, पतिभावनाष्टक १७. वीतराग स्तवन এমনৰি १८, सिद्धिप्रिय स्तोत्र देवनन्दि १६. भावना चौबीसी पहानन्दि २०. परमात्मराज स्तवन २१. श्रावकाचार प्रभाचन्द २२. दशलाक्षणिक कथा नरेन्द्र Page #1056 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह] २२. अक्षयनिवि दशमी कथा २४. रत्नत्रय कथा २५. सुभावितान २६. अनन्तनाथ कथा २७. पाशावली २०. भाषाष्टक ६४४८ गुटका सं० ३ । ले० काल सं० १७१२ पौष ख़ुदी ५ विशेष – आयुर्वेदिक नुसखों का संग्रह है । - १- समयसार नाटक २- बनारसी विलास X ललितकौति सकल की ति X पूर्ण विशेष निम्न पार्टी का संग्रह है। बनारसीदास ३ चोबीसठाणा पर्चा ४- सामायिक पा ५ मार्च सूत्र इसके अतिरिक्त अन्य पाठ भी है। ६४४७. गुटका सं० २ पत्र सं० १७२० ३x४] इच भाषा - हिन्दी । ले० काल ★ पूर्ण पेन सं० २६७ ॥ ار X X पूवेदन स० ३६४ ॥ ले० काल १७१२ पौष वदी ५ । लाहौर मध्ये लिखापितं । उमास्वामि हिन्दी पथ ० ३४६ । प्रा० ६५३ इच भाषा संस्कृत प्राकृत-हिन्दी । वेष्टन सं० ३६८ । ६- यासार प्राकृत ७- परमानंद स्तोत्र संस्कृत ८- श्राणन्दा महानंद हिन्दी ४२ प है । झाराधना सार, सामायिक पाठ, अष्टपाहुड, भक्तामर स्तोत्र ग्रादि का संग्रह और हैं । ६४४६. गुटका सं० ४ पत्रसं० ४० । ० ११४५३ विशेष – लिपि विकृत है। विभिन्न पदों का संग्रह है। or संस्कृत संस्कृत [ ex संस्कृत - 呼 "} " 1) || । भाषा - हिन्दी पद्य । ले० काल ६४५०. गुटका सं० ५ पत्र सं० ७८ प्रा० ६४ इन्च भाषा - हिन्दी-संस्कृत वे० का x । मपू । बेष्टन सं० ३६२ १ विशेष – सामान्य पाठों का संग्रह है। ६४५१. गुटका सं० ६ । पत्र सं० २० प्रा० ९९५ इञ्च भाषा - हिन्दी ले० काल X पूर्ण । वेष्टन सं० ३२३ । विशेष – कोकशास्त्र के कुछ अंश हैं। Page #1057 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९९६ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम नाग २४५२. गुटका ० ७ पत्रसं० ५६ मा ६८४३ भाषा हिन्दी संस्कृत ले०का X पूर्ण वेग सं० ३२४ । विशेष सामान्य पाठों का संग्रह है। १४५३. गुटका ० ८ पत्र ०६ ९४० ५५५ इव भाषा-हिन्दी ले० काल X अपूर्ण वेष्टन ० ३२५ ॥ विशेष – श्वे० कवियों के हिन्दी पदों का संग्रह है । ए० ६० । सं० । १४५४. गुटका सं० पूर्ण वेष्टन ०३२६ । विशेष – स्तोत्र पाठ एवं रत्रिव्रत कथा, कक्कर बत्तीसी, पत्रेन्द्रिय वेलि यदि पाठों का संग्रह है । ६ इन भाषा - हिन्दी पद्य ने० काल पत्रसं० ६० या० ६४५ इव । भाषा - हिन्दी पद्य । ले० काल ४५५. गुटका सं० १० पत्रसं० ५२ प्रा० | । X | पूर्णत सं० ३२७ ॥ विशेष पूजास्तोत्र आदि का संग्रह है। ६४५६. गुटका [सं०] ११ ० १७६० ५३४ इन्च भाषा हिन्दी ने० काल X पूरी वेन से० ३२८ विशेष-सूत्र सामायिक पाठ स्तोत्र, जेष्ठ जिनवर पूजा, तीस चौबीसी नाम यादि पाठों का संग्रह है। ६४५७. गुटका सं० १२ प ० १६१० ४३४३ भाषा ले० काल X | पूर्ण । वेप्टन सं० ३२६ । विशेष- सामायिक पाठ, पश्व स्तोत्र, लक्ष्मी स्तोत्र यादि का संग्रह है। I २४५८. गुटका सं० १३० १५३० ७५ इन्च भाषा संस्कृत मे०का X पूर्ण वेष्टन सं० २२० । विशेष सहस्रनाम स्तोम प्रतिष्ठापाठ सम्बन्धी पाठों का संग्रह है। - ४५. गुटका सं० १४ पत्रसं० १४१ ० ६४५ इख भाषा-संस्कृत से काल X पूर्ण वेष्टन [सं०] ४३१ । विशेष – सहस्रनाम, सकलीकरण, गंधकुटी, इन्द्रलक्षण, लघुस्नपन, रत्नत्रयपूजा, सिद्धचक्र पूजा | अष्टक पचनन्दीकृत, अष्टक सिद्धचक पूजा-पद्यनीकृत जलयात्रा पूजा एवं सभ्य पाठ है। + अन्त में सिद्धचक्र यंत्र सम्पन्न यंत्र सम्वयान यंत्र, पंचपरमेष्ठि यंत्र, सम्यक् चारित्र यंत्र, दशलक्षण यंत्र, लघु शान्ति यंत्र प्रादि यंत्र दिये हुये हैं । ६४६०. गुटका सं० १५० १९४०६४ भाषा-संस्कृत-हिन्दी ले० काल X पूरी । न सं० ३३२ । विशेष – रसिकप्रिया इन्द्रजीत, योगसाधत प्रभव का संग्रह है। Page #1058 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १६७ ६३६१. गुटका सं० १६। पत्र सं० ११४ । प्रा० ६४ ६ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल x। पूर्ण । वेपन सं० ३३३ ।। विशेष-- सामान्य पाठों का संग्रह है। ६४६२. गूटका सं०१७। पत्र सं० । मा० ६४७ इञ्च । माषा-संस्कृत-हिन्दी। र०काल X । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं. १८६ । विशेष – ताम, करपारण मन्दिर स्तोत्र तथा देव्य संग्रह है। १४६३. गुटका सं० १८1 पत्रसं० २१ । आ. १२४ ६३ इच । भाषा-सारकृत-हिन्दी। र० काखX ले० काल X । पूर्ण । वेष्टनस १६०। विशेष-पूजा एवं यज्ञ विधान प्रादि का वर्णन है। १४६४. गुटका सं० १६ । पत्रसं० १८६ । ग्रा० ७४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले०काल XI पूर्ण 1 वेष्टन सं० ३६। विशेष--पूजा एवं प्रतिष्ठादि सम्बन्धी पाठ हैं। ९४६५. गुटका सं० २० । पत्रसं० २८६ । प्रा० ६.४५३ इन्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५ । विशेष-पूजा पा संग्रह है । १४६६. गुटका ०२१। पत्रसं०७२ । मा०६४५ इन्च 1 भाषा-हिन्दी । लेकालx। पूग । वेष्टन सं०३४ । विशेष पूजा पाठ आदि का संग्रह है १४६७. गुटकासं०२२। पत्र सं० ८७० । मा० ६x६ इच। भाषा-संस्कृत । लेकाल ४। अपूर्ण । वेष्टन सं० २८ ।। १४६८. गुटका सं० २३ । पत्रसं० ४८ । आ० १०३४६ इन्च । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । ले०काल X । पूर्ण । देष्टनसं०८। विशेष-चौबीसी दण्डक, गूगगस्थान चर्चा मादि का संग्रह है। प्राप्ति स्यान-दि० जैन मन्दिर पार्यनाय चौगान बू'दी। ६४६६. गुटका सं० ११ पत्रसं० २-१९५ । प्रा०६:४६ इन्ध। माषा-संस्कृत-हिन्दी । ने काल । पूर्ण । श्रेष्टन सं० ३३४ 1 विशेष-निम्न पाओं का संग्रह हैं । 12) प्रतिक्रमण (२) भक्तागर स्तोत्र (३) शांति स्तोत्र (४) भोतम रासा (५) पून्य मालिका (E) शत्र'जयरारा (समयमन्दर) (७) सूत्र विधि (८) मंगलपाठ (६) कृष्ण शुक्ल पक्ष सज्झाय (१०) अनाथी ऋषि सज्झाय (११) नवकार रास (१२) बुद्धिरास (१३) नवरस स्तुति स्थूलभद्रकुत । Page #1059 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९८ ] [ प्रन्य सूचो-पंचम भाग ६४७०, गुटका सं० २ । पत्र सं० १०७ । प्रा० ६x६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३३ । विशेष-नित्य नमित्तिक पूजा पाठ का संग्रह है। पत्र फट रहे है। ६४७१. गुटका सं३ । पत्र सं० ४१ । आ० ७४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत- हिन्दी । ले०कास x। पूर्ण । वेष्टन सं०३३१ ।। विशेष पूजा पाट संग्रह है । ९४७२. गुटका सां०४। पत्र सं० १८ ! आ०६१४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ३३० । विशेष-धर्म पचीसी, कर्म प्रकृति. बारह भावना एवं परीषह आदि का वर्णन है । १४७३. गुटका स० ५। पत्रसं० ३४१ । प्रा० ८३४६ इञ्च | भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले काल सं० १८३३ बैशाख वुदी ४ । पूर्ण । श्रेष्टन सं० २१५ । विशेष-जयपुर में पं० दोदराज के शिष्य दयाचन्द ने लिखा था । निम्न पाठ हैं(१) विशाल चौबीसी विधान (२) सौख्य पूजा। (३) जिनमहस्रनाम-प्राशाधर (४) वृहद दशलक्षमण गूजा(५) षोडश कारण व्रतोद्यापन केशवसेन । (६) भविष्यदत्त कथा-ब्रह्म रायमल्ल, (७) नंदीश्वर पंक्ति पूजा। (क)द्वादश वत मंडल पूजा। (६) ऋषिमंडल पूजा-गुणनन्दि । ६४७४. मुटका tt०६। पत्रसं० १४ । प्रा. EX६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं० १९४४ श्रावण मुद्री १० । पूर्ण । वेष्टन सं० २६४ । विशेष—पारसदास कृत पद संग्रह है, तीस पूजा तथा अन्य पूजायें है। ६४७५, गुटका स०७ । पत्र सं० २१ । आ० १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० २६३ । विशेष-जेष्ठ जिनवर पूजा एवं जिनसेनाचार्य कृत सहस्रनाम स्तोत्र है। ६४७६. गुटका ०८। पत्रसं० १८० । पा० ११४६ इन्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। ले० काल X । पुर्ण । श्रेष्टन सं० २६२ । विशेष - सामान्य पूजा पा संग्रह है । १४७७. मुटका सं० ६ । पत्र सं० १९८-३०१ । प्रा० ३४४, इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६१ । विशेष-स्तोत्र पाठ पूजा आदि का संग्रह है । ९४७८. गुटका सं० १० । पत्र सं० १७१ । आ० ६४५६ इञ्च । भाषा-संस्थात । ले०काल सं• १७१७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८६ । Page #1060 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] L EEE विशेष—जा पाठ संग्रह है। ६४७६. गुटका सं० ११ । पत्र सं० १६४ । प्रा०५०x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल में १८६६ चैत बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८८ । विशेष- रामविनोद भाषा' योग शतक भाषा आदि का संग्रह है। १४८०. गटका सं० १२ । पत्रसं० १०६ । प्रा. ८४६ च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल सं० १९६८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०६ । विशेष- गृटके का नाम सिद्धान्तसार है । प्राचार शास्त्र पर विभिन्न प्रकार से विवेचन करके दशर्म का विस्तृत वर्णन किया गया है। ४८१. गुटका० १३ । पत्र सं० ५-३२ । मा० ६४४ इन् । भाषा संस्थात-हिन्दी । ले. काल X । पूर्ण । बेधन संच २८५ । विशेष-लघु एवं वृहद् चाणक्य नीति शास्त्र हिन्दी टीका सहित है। ६४८२. गुटका सं० १४ । पत्र सं० ५७ । प्राs Ex६ इञ्च । भाषा संस्कृत । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन स. २८४ । विशेष—प्रकुरारोपण विधि, विमान शुद्धि पूजा तथा सत्रु शान्तिक पूजा है । ६४८३. गुटका स० १५१ पत्र सं० ५०। प्रा. १०४६ ६श्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल X । अपूर्ण 1 वेष्टन सं० २४५ । विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजा संग्रह है। १४८४. गुट का सं० १६ । पर सं० १४५ । आ० १०४७३ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २४४ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है-- १-एकीभाव स्तोत्र २-विपापहार ३-तत्वार्थ सूत्र ४-छहढाला ५-भक्तामर स्तोत्र टीका ६-मृत्यु महोत्सव ७-मोक्ष मार्ग बत्तीसी दौलत कृत - सुपंथ कुपंथ पच्चीसी -नरक दोहा १०-सहन्ननाम । ६४८५. गुटका २० १७ । पत्र सं० ८० | प्रा. ८४६५ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । ले. काल ४ ।पूर्ण । बेष्टन सं० २२० । विशेष-नित्य पूजा पाठ व तत्वार्थ सूत्र आदि है। ६४८६. गुटका ० १८ । पत्र सं० २३ । प्रा० ६४५ इन्च । माषा-हिन्दी पच । लेकाल सं० १९२३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २१५ । विशेष की १. सहस्रनाम भाषा-बनारसीदास २. द्वादणी कथा - ज्ञानसागर Page #1061 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००० ] [ ग्रन्थ सूची पंचम भाग ६४८७. गुटका सं० १६। पत्र सं० ८०] या० ६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७४ । विशेष-परमात्म प्रकाश, पंत्र मंगल, राजुल पच्चीसी, दशलक्षण उद्यापन पाउ (श्रुतसागर) एवं तीर्थकर पूजा का संग्रह है। १४८८. गुटका सं० २० । पत्र सं० ३१२ । प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत। ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७५ । विशेष-पंचस्तोत्र तथा पूजाओं का संग्रह है। ६४८६. गुटका १० २१ । पत्र सं० ११० । श्रा० ६x६३ इन्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । ले०काल सं० १९५२ । पूणं । वेष्टन सं०६८। प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपथी मन्दिर नैणया १४१०. गुटका सं० १। पत्रसं० १०१ । प्रा०६X. इन्च । भाषा-प्राकृत । लेकालXI पूर्ण । वेष्टन सं० १५ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है-- अरिष्टाध्याय ___ प्राकृत - प्राचार शास्त्र দিলী। मा० नेमिचन्द्र १४६१, ग्रटका सं० २। पत्र सं० ११७ ना. ६४५ इकन्न । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १७ । विशेष--पूजानों एवं स्तोत्रों का संग्रह है। ६४६२. गुटका सं० । पत्रसं० २.८५ । प्रा० ६x४१ इज। भाषा-हिन्दी, संस्कृत । ले० काल x अपूर्ण । वेष्टन सं०१८ । विशेष—पूजा पाइ संग्रह है। १४६३. गुटका सं०३ । पथ सं० १४८ । आ. १.४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । लेकाल सं० १८७७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह हैश्रीपाल चरित्र भाषा हिन्दी जिन सहस्रनाम जिनसेनाचार्य संस्कृत भविष्यवत्त चोपई ब्रह्म रायमल्ल हिन्दी Page #1062 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १००१ ६४६४. गुटका सं० ४। पत्र सं. १६८ । सा. ६x४३ इव । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १६ । ६४६५. गुटका सं० ५। पत्र सं० १४६ । प्रा. ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. २० विशेष-आयुधेद, मंत्र शास्त्र आदि पाठों का संग्रह है। ६४६६. गुटका सं०६ । पत्रसं० १७६ । आ. ५३४४ इश्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले०काल सं०४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । विशेष-मायुर्वेदिक नुस्खों का अच्छा संग्रह है। ६४६७. गुटका सं०७ । पत्रसं० १३६ । पा. १४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । श्रेहनसं० ६५ । विशेष –पूजा पाठ तथा स्तोत्रों एवं पदों का संग्रह है। प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर दूनी (टोंक)। १४६८. गुटका सं० १ । पत्र सं. १८८ । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० १०६ । विशेष नित्य नैमित्तिक पूजाओं का संग्रह है। ६४९६. गुटका सं० २ । पत्र सं०७२ । या० ६x४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल x 1 पूर्ण । बेष्टन सं० १२६ । विशेष-प्रति जीणं है तथा लिपि विकृत है । मुख्य निम्न पाठ हैं । १-धुचरित परमानन्द पत्र १-५ । र०काल १८०३ माह सुदी ६ । २-सिंहनाभ चरित्र ५-६ । १७ पद्य हैं। ३-जबुक नामो ६- ७ ७ पध हैं। ४.-सुभाषित संग्रह ७-१५ । ३५ पद्य हैं । ५-सुभाषित संग्रह १६-२८। १२५ पश्च हैं । ६-सिंहासन बत्तीसी २६-७२ । ५००.गुटका सं०३१ पत्रसं०२०४ । प्रा०१X५ भाषा-संस्कस-हिन्दी। ले०काल पूर्ण । वेष्टन सं० १३० । विशेष—सामान्य पूजा पाठों का संग्रह है। कहीं २ हिन्दी के पद भी हैं। ६५०१. गुटका सं० ४। पत्र सं० ५५ । प्रा. ७४५ च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन स. १३२ । विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। Page #1063 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००२ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ६५०२. गुटका सं० ५ । पत्र० ७ २६ आ० ई६ इख भाषा-संस्कृत | लेकाल X | श्रहं । वेष्टन सं० १३२ । विशेष-तत्वार्थ सूत्र सहखनाम स्लोष आदि पाठों का संग्रह है। ० ११५ १५०३. गुटका सं० ६ X पू वेष्टन सं० १२४ । विशेष पूजा पाठ संग्रह हैं। 1 ५०४. गुटका सं० ७ । पत्र सं० ६० से १२५ ॥ श्र० ६x४ इन्च भाषा संस्कृत-हिन्दी ले० काल x अपूर्ण वेष्टन सं० १३५ । विशेष – पूजा पाठ संग्रह हैं । 1 ६५०५. गुटका सं०८०१९२०७५ भाषा-संस्कृत-हिन्दी ले० काल X पूर्ण वेन सं० १३६ । विशेष- लिपि विकृत हैं। पूजा पाठ संग्रह हैं। ६५०६. गुटका सं० पू। तेथून [सं०] १३७ ॥ विशेष - सामान्य गाय है। पट्टी ० ७५ इथ भाषा-संस्कृत-हिन्दी लेकान २०७१ २०७५ भाषा हिन्दी-संस्कृत ले हान X भी हैं । ६५०७, गुटका सं० १० पत्रसं० ६६ ० ६x४ इन्च भाषा संस्कृत-हिन्दी ले० काल X | पूर्ण वेटन सं० १३८ । विशेष - सामान्य पाठों का संग्रह है। ५०. गुटका सं० २११ पत्र सं० २२ ग्रा० ११४५ इञ्च भाषा-हिन्दी ले० काल X पूर्ण वेष्टन ० १३९ (१) मरमर स्तोत्र (५) तीरा चौबीसी पूजा एवं ६५०२. गुटका सं० १२ पत्र ०६८ ० ८२५ इस भाषा संस्कृत हिन्दी | लेकाल x पूर्ण वेष्टन सं० १४० । विशेष निम्न पूजा पाठों का संग्रह है (१) सुन्दर श्रृंगार (२) बिहारी सतसई (३) कलियुग चरि (२) कृत्रिम चैत्यालय पूजा (३) स्वयंभू स्तोम (४) बी सी पूजा (६) शिद्ध पूजा (द्यानतराय कृत) | ५१०. गुटका सं० १३ । पत्र सं० १४५ ० ६४६ इन्च भाषा हिन्दी ले०काल सं० १५०१ पूर्ण वैन सं० १४१ । विशेष चाहिपुरा में उम्मेदसिंह के राज्य में प्रतिलिपि हुई थी। सुन्दरदास विहारीदास बासा पत्र १-५७ । ५८-१२४ । १२५-२६ । २० काल सं० १६७४ हिन्दी हिन्दी . Page #1064 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] प्रारम्भ (४) कति व्यवहार पीसी (५) पंचेद्रिका ब्यौरा (६) राम कथा (७) पद्मिनी बखारण (5) कवित २. सर्वा २. सोलह स्वप्न पय ३. जिन जम्म महोत्मन षट्पद ४. सप्तन्यसन ५. दर्शनाष्टकसवैया ६. विषापहार छप्पय ७. भूपाल स्तोत्र उपय ८. बीस विरहमान समा ६. नेमिराजमती का रेखता १०. भूलना २२. प्रस्ताविक सवैया पहलू मरि गुर गणपति को महामाय के पांच ॥ जाके शुचिरत ही सर्व पाप दूर है जाय || संवत् सोलासे चोहोत्तरिया चैत दांद उरियारं श्री पण भयो वानखाना को तब कविता अनुसारि ॥ दस सब के मनमाने शब को लगे मुहाई | मैं कवि वान नाम तं जानी प्रखर की राई || यांभन जाति बधरिया पाठक बान नाम जग जाने । शेव कियो राजाधिराज यो महासंघ मनमाने ॥ १२. छप्पय १३. राजुल बारह मासा १४. महाराष्ट्र भाषा द्वादश मासा १५. राजुल बारह मासा कलि चरित्र जत्र लिन देख्यों कलि चरित्र तब कीनों कहे शुभे ने गायन परसों अमैदान कलि दीनों ॥ नन्दराम समानन्द १३७-१५० २०६ तक सुपयद बूंदी। १४५ तक IL ६५११. गुटका ० १४ । पत्रसं० १३६ । घा० ५५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० १४२ । विशेष निम्न पाठ हैं कुमुदचन्द विद्यासागर 11 11 || 11 || 11 विनोदीलाल सानुसा X X गंगकवि पत्र १२०-१३४ २५ पद्य हैं पत्र १३४-३७ चिमना विनोदीलाल पद्य स० ४ ।। ε ।। १२ ।। ७ ॥ ११ ॥। ४० ॥ २७ ।। २१ ।। ११ ४२ पद्य हैं २७ ४ प हैं १३ पद्य है [ १००३ १३ पद्म है २६ पद्य हैं हिन्दी T || Page #1065 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम माग प्राप्ति स्थान-दि० जेन खण्डेलवाल मन्दिर-पायां ६५१२. गुटका सं० १ । पत्र सं०७८ । प्रा० ११४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टम स० ३ । विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजाओं का संग्रह है । ६५१३. गुटका सं० २ । पत्र सं० ६० । प्रा० ७४४ इन। भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय - पूजा स्तोत्र । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २। विशेष- सामान्य पूजा पाठ संग्रह है। प्राप्ति स्थान-दि. जैन बघेरवाल मन्दिर-आवां ६५१४. गुटका सं० १ । पत्र सं० १५६ । प्रा०६३ x ४ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं. ४ । विशेष- सामान्य पूजा पाठ संग्रह है। ६५१५. गुटका सं० २। पत्रसं० १७८ । आ. ६४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल x ! पूर्ण । वेष्टन सं०५ । विशेष जा पाठ संग्रह है। बीच के कई पत्र वाली हैं। ६५१६. गटका सं०३ । पत्रसं०७४ । प्रा० ४x७ इञ्च । भाषा-संस्वत-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६। विशेष--पूजा पाठ संग्रह है। ६५१७. गुटका स०४ । १२सं० ८ । ग्रा० ६x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृतहिन्दी । विषय-पूजा राग्रह । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं०८। प्राप्त स्थान-दि. जैन मन्दिर, राजमहल (टोंक) ६५१८. गुटका सं० १ । पत्र सं० ७६ । प्रा० ५४४ इश्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० १७४। विशेष—प्रायुर्वेद, ज्योतिष स्तोत्र यादि का संग्रह है। स्वप्न फल भी दिया हुआ है। ६५१६. गुटका सं०२। पत्र से ११ । बा. ५४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । लेकाल XI पूर्ण । वेपन सं. १७५ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ६५२०. गुटका सं०३। पत्र स०७५ 1 सा. ६.४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १६६१ । पुर्ण । वेष्टन सं० १७६ । विशेष-चौबीस तीर्थकर पूजा गुटकाकार में है। पत्र एक दूसरे के चिपके हए है। ५२१. गटका सं०४ । पत्रसं० ८५ प्रा०६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७७ । १५२२. गुटका सं०५ । पत्र सं० ५६-१२२ । आ. ७४६ इम्म । भाषा-संस्कृत हिन्दी । ले काल ४ । पूरणं । वेष्टन सं. १७८ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह हैभक्तामर स्तोत्र, तत्वार्थसूत्र, सामायिक पाठ आदि। Page #1066 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १००४ शोभानन्द ६५२३. गुटका सं०६ । पत्र सं० २८ । प्रा० ६४५१ इञ्च । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७६ । विशेष—निम्न रचनाओं का संग्रह है-- पञ्चस्तोत्र संस्कृत सहस्रनाम स्तोत्र भाशधिर सवार्थसूत्र उमास्वामी विषापहार स्तोत्र भाषा अचलकीति हिन्दी चौबीस ठाणा गाथा प्राकृत शिखर क्लिास केसरीसिंह हिन्दी पंचमंगल रूपचन्द पूजा संग्रह बाईस गरीषद वर्णन हिन्दी नेमिनाथ स्तोत्र संस्कृत भैरव स्तोत्र हिन्दी ६५२४. गुटका ७ । पत्र सं०३-६४ । प्रा० ७४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ने काल x | अपूर्ण । पेटम सं० १८० । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह हैचौबीसती कर स्तुति देवाब्रह्म हिन्दी अठारह नाता कथा पद संग्रह खण्डेलवालों की उत्पत्ति चौरासी गोत्र वर्णन चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न अस रायमल्ल ६५२५. गुटका ०८ । पत्र सं० १२ । प्रा०६४१३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८१ । विशेष—ठोसट शालाका पुरुष वर्णन है। १५२६. गुटका सं० है । पत्र सं० २५६ । आ० ७४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १८२ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह हैशत अष्टोत्तरी कवित भैया भगवतीयाम हिन्दी द्रव्य संग्रह भाषा चेतक कर्म चरित्र अक्षर बत्तीसी ब्रह्म बिलास के अन्य गाठ Page #1067 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००६ ] वैच मनोत्सव पूजा एवं स्वोष तत्वार्थ सूत्र आयुर्वेद के मुस्से ६५२८. गुटका सं० ११ काल X पूर्ण वेष्टन सं० १०४ । गुटके में ३० पाठों का विशेष १५२७. गुटका सं० १० पत्र सं० ६५ ० ५X४ इच भाषा-संस्कृत ० काल पूर्ण वेन सं०] १८३ विशेष - सामान्य पाठों का संग्रह है। तस्वार्थ सूत्र, भक्तामर स्तोत्र प्रादि भी दिये हुए हैं । पत्र सं० १४२ ० ६४४ ६ भाषा हिन्दी संस्कृत ० तयनमुख है जिनमें स्तोष पूजाए तत्वार्थसून यादि सभी संग्रहीत हैं। ५२९. गुटका सं० १२ पत्र सं० २४-७२ मा० १२४४ इन्च भाषा संस्कृत हिन्दी ०काल X अपूर्ण वेष्टन सं० १०५ । विशेष - पाशा केवली एवं प्रस्ताविक श्लोक आदि का संग्रह है । पंच स्तोत्र तत्वार्थ सूत्र इष्टोपदेव भाषा सहस्रनाम बालाप पद्धति अक्षर बावनी उमाम्यामि ५३०. गुटका सं० १३० ६-१२ ११ से १०० प्रा० ६५ ६४ भाषा हिन्दी | ले० काल X 1 धपू । बेन सं० १०६ । विशेषायुर्वेदस्यों का संग्रह है। ६५३१. गुटका ० १४ । पत्र सं० २ ६० ग्रा० ६५ इव । भाषा संस्कृत । ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० १५७ । विशेष - पत्रसं० २-३० तक पंचपरमेष्ठी पूजा तथा आयुर्वेदिक नुस्खे दिये हुए हैं । प्रारम्भ बावन अक्षर लोक यो सब कुछ और धरेंगे चरा थिए सो अक्षर ६५३२. गुटका सं० १५ । पत्र सं० १६१ । आ० ६४६ इंच | भाषा संस्कृत - हिन्दी | ० काल X पूर्णा । न ० १०८ । विशेष वम पाठों का संग्रह है - परभावती का आदि भाग निम्न प्रकार है AMBAD इनमें [ प्रन्थ सूची- पंचम भाग हिन्दी संस्कृत हिन्दी उमास्वामि नही संस्कृत हिम्दी जिनसेनाचार्य देवसेन कबीरदास मांहि । नाहि ॥१॥ संस्कृत " हिन्दी संस्कृत संस्कृत हिन्दी Page #1068 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १००७ जो का अक्षर बोलत याचा, जह अबोल सहं मन न लगावा । बोल अबोल मध्य है सोई, जस वो है तस लखे न कोई ॥२॥ तुरक नरीकम जोन के हिन्दू येद पुरा : मन समझाया कारण कथी में कछ येक ज्ञान ||३|| ॐकार आदि में जाना, लिखक मेरे ताहि न माना । ॐकार जस है सोई, तसि लखि मेटना न होई ।।४।। कका किरण कवल में प्रावा, ससि विकास तहां संपुर नावा। परजैतहा कुसुम रस पाया जकह कहो नहि कासिम भावा ।।४।। मध्य भाग ममा मन स्यों काम है मन मनै सिधि होइ । मन ही मनस्यों कही कदीर मनस्यों मिल्या न कोई ॥३६॥1 अन्तिम भाग बावन प्रक्षर तेरि प्रानि एक अक्षर सक्या न जानि ।। " सबद कीरा कहै बूझो जाइ कहा मन रहे ।।४।। इति बावनि म्यान संपूर्ण । ६५३३. गुटका सं० १६ । पत्रसं० ३-६३ । प्रा०६४ इश्व । भाषा हिन्दी-संस्कृत । ले०काल सं० १८८८ | अपूर्ण । वेष्टन सं० २२८ । विशेष साधारण पूजा पाठ संग्रह एवं देवाब्रह्म कृत सास बहू का झगड़ा है। ६५३४. गुटका सं० १७ । पत्रसं० १४ । पा० ६४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल सं.४ । अपूरणं । वेष्टन सं० २२६ । विशेष—पूजा पाठ संग्रह है। ६५३५. गुटका सं०१८ । पत्रसं०५६ । आ०६४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले०काल सं. १८८७ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३० । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है... सप्तर्षि पूजा श्री भूषण संस्कृत अनन्त व्रत पूजा शुभचन्द्र मगधर बलय पूजा तत्वार्थ सूत्र उमास्वामि ६५३६. गुटका सं०१६ । पत्र सं० ६६ । प्रा० ११४५६च । भाषा-संस्कृत । ले०काल x1 अपुर्ण । वेष्टन सं०२३१ । विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजायों एवं पाठों का संग्रह है। Page #1069 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००८] ६५३७. गुटका सं० २० ले- काल X 1 अपूर्णं । वेष्टन सं० २३२ । चतुविशति जिन षट्पद बंघ स्तोत्र पद्मविरतुति [ ग्रन्थसूची - पंचम भाग पत्रसं० ४४ । ग्रा० ११४४ ३ | भाषा-संस्कृत हिन्दी । विशेष - मुख्यतः निम्न पार्टी का संग्रह है- धर्मकीर्ति संग्रह है। ६५३८. गुटका सं० २१ । पत्रसं० ३० । प्रा० ५X४ इश्व भाषा - हिन्दी । ले०काल X | पूर्ण । वेष्टन सं० २३४ । विशेय – ज्योतिष शास्त्र सम्बन्धी बातों का विवरण है। भडली विचार भी दिया है । ६५३६. गुटका सं० २२ | पत्र सं० २९ ० आ० १०९४३ इव भाषा - हिन्दी-संस्कृत । ले काल x 1 पूणे । न सं० २३५ | विशेष – दोहाशतक परमात्म प्रकाश ( योगीन्दुदेव ) द्रव्य संग्रह भाषा तथा अन्य पाठों का हिन्दी संस्कृत ६५४०. गुटका सं० २३ । प० १५ । ० ११४५ इव । भाषा हिन्दी-संस्कृत ले०काल भ० १८६० वैशाख बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । विशेष -- ज्योतिष सम्बन्धी सामग्री हैं । ६५४९. गुटका सं० २४ । पत्र० ७ ॥ आ० ले० काल x । प्रपूर्ण । वेष्टन सं० २५४ । ६५४२. गुदका सं० २५ ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० २५५ । ८५ इन्च | भाषा-संस्कृत-हिन्दी | पत्रसं० १६०० १४x६ | भाषा-संस्कृत-हिन्दी विशेष- -६६ पाठों का संग्रह है जिसमें पूजाऐं स्तोत्र नित्यपाठ आदि सभी हैं । प्राप्त स्थान -- दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ, टोडारायसिंह | ६५४३ गुटका सं० १ । पनसं० १९३ | या० ७ X ४ इश्व । भाषा - हिन्दी-संस्कृत | ले काल सं० १९४१ । पूर्ण सं० १२२ । विशेष - पूजा पाठ संग्रह है । ६५४४. गुटका सं० २ । प० १३ | ० ६४५ इव भाषा - हिन्दी-संस्कृत से ०काल X पूर्ण । वेष्टन सं० १२३८ । विशेष- पूजा स्तोत्र एवं हिन्दी पद संग्रह है । ६५४५. गुटका सं० ३ । पत्रसं० | श्र० ७ X ६ भाषा - हिन्दी-संस्कृत | लेकाल X | पूर्ण वेष्टन सं० १२४ र । ६५४६, गुटका सं० ४ । पत्र सं० ४४-१५० । ० ६ x ४३ इ । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X | अपूर्ण । वेष्टन सं० १२५ । विशेष – पूजमादि सतोष है । Page #1070 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १००६ ६५४७, गुटका स० ५। पत्र सं०१४६ 1 प्रा०६x४ इन्च भाषा-हिन्दी संस्कृत । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२६ र । विशेष पूजा स्तोत्र संग्रह है। ६५४८. गुटका सं०६ । पत्रसं० १२७ । प्रा० ८४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । अपूर्ण । जीरम् । बेष्टन सं० १२७ र । ६५४६. गुटका सं०७। पत्रसं० १७५ । प्रा. ८४५ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल XI अपूर्ण । वेष्टन सं० १२८ र । १.५५०. गटका सं०८। पत्रसं० ८-७५ । मा. ७४४१ इञ्च ! भाषा - हिन्दी-संस्कृत । लेकाल x । पूरां । वेष्टन सं० १२६ र । विशेष-७२ पद्य से ६६४ पथ तक वृद सतसई है। ६५५१. गुटका सं० । पत्रसं० ११७ । प्रा० ६४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी पच । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३० र । विशेष–रामचन्द्र कृत चौवीस तीर्थकर पूजा है। ६५५२. गुटका सं०१० । पत्रसं० ५.६१। मा०४६x४ हश्च । भाषा संस्कृत-हिन्दी। ले-काल XI पूर्ण । वेष्टन सं०१६० । विशेष - हिन्दी में पद रांग्रह भी है । ६५५३. गुटका सं०११ । पत्रसं० २६ । प्रा०५४४ इभ । भाषा-हिन्दी ।'पद्य ले काल XI पूर्ण 1 वेष्टन सं० १८१६ । १५५४. गुटका स १२ । पत्रसं० २-६१ । आ४३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल । अपूर्ण । वेष्टन सं० १९१ । विशेष –भक्तामर स्तोत्र, तत्वार्थ सूत्र, पद्मावती पूजा वगैरह का संग्रह है। ६५५५. गुटका सं० १३ । पत्रसं० ३३-१५१ । आ. ४६४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत्त । ले०काल X । मपूर्ण । वेहनसं० १६४x। १. पुरुष जातक २. नारिपत्रिका ३. भुवन दीपक ४२ से ६१ ४, जयपराजय ६२ से ६६ ५. षट पंचाशिका ६७ से ७३ ६. साठि संवत्सरी ७४ से १२३ ७. कूपचक १२४ से १३४ १४१ मे १४६ तक पत्र नहीं है । ९५५६. गुटका सं० १४१ पत्र सं० १०-५२ । आ. ६४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। ले०काल। अपूर्ण । वेष्टन सं. २०५। विशेष—पूजा तथा स्तोत्र संग्रह है। । । । । । । Page #1071 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६५५८. गुटका सं०१५। पत्र सं० ११२ । आः ५४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टग सं० २०६ । विशेष-तरवार्थ सुत्र, भक्तामर स्तोत्र एवं पूजा पाठ का संग्रह है। ६५५६. गुटका सं० १६ । पत्र सं० १८ । प्रा० ५६x४ञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल सं. १५६५ माह सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०७ । १-तीस चौबीसी पूजा-१-६८ २-निकाल चौवीसी पूजा - ६८-८८ तक ९५६०. गुटका सं०१७। पत्र सं० १० । प्रा० ६४५ इच। भाषा-संस्कृत । ले० काल सं. १८६२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २०८ । विशेष –भक्तामर स्तोत्र है। ६५६१. गुटका सं० १८ । पत्र सं० ११४ । प्रा० ७४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० २०६ । बिशेष-पत्र १-२१ तक पूजा पाठ तथा पत्र २२-११४१ कयायें हैं। ६५६२. गुटका ६० १६ । पत्र सं० ४८ । श्रा० ७४५ च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । २० काल X । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २१० । १५६३. गुदका सं० २०। पत्रसं० १०७ । आ० ६३४५ इन् । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २११ । ६५६४. सुटका सं० २१। पत्रसं० १६-८८ । प्रा०x४, इक्रय । भाषा-हिन्दी पद्य । ले० काल X । पूर्ण । नेष्टन सं० २१२ । विशेष-पदों का संग्रह है। १५६५. गुटका सं० २२ । पत्रसं० १४-१४८ । श्रा० ६४५१ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० २१३ । पत्र संख्या १-पूजा पाठ स्तोत्र हिन्दी संस्कृत १-शील बत्तीसी-अकमल ११२-१२१ हिन्दी ले काल सं. १६३६ पौष सुदी १४ । ३-हसनखा की कथा १२४-१३५ हिन्दी ९५६६. गुटका सं० २३ । पत्र सं० १५ । ग्रा० ६४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । लेकाल - । पूर्ण । वेष्टन सं० २१४ । विशेष—पूजा पाठ संग्रह है। Page #1072 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०११ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह ९५६७. गुटका सं० १। पर स. ५० ! ०८४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल । पूर्ण । वेष्टन स०६। विशेष-नित्मनमित्तिक पूजात्रों का संग्रह है। १५६८, गुटका सं० २ । पत्रसं० २२१ । प्रा. १२४८ इच । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १० । १-देव पूजाXI २-शास्त्र पूजा-भूधरदास । ३-शास्त्र पूजा-द्यानतराय । ४-सोलह कारण पूजा - 1 ५-सोलह कारण पूजा (प्राकृत)। ६-दशलक्षण पूजा-धानतराय । - रत्नत्रय पूजा यानतराय । -पंचमेरू पूजा-द्यानतराय । १-सिद्ध क्षेत्र पूजा । १.-तत्वार्थ सूत्र। ११-स्तोत्र। १२-जोगीरासाजिनदास। १३-परमार्थ जकड़ी । १४ अध्यात्म पैड़ी-बनारसीदास । १५-परमार्थ दोहायतक-रूपचंद । १६-बारह अनक्षा -डालूराम । १७-चाशतक -द्यानाताय । १५-जन शतक-भुधरदास । १९उपदेश तक-धानतराय । २०-पंच परमेष्ठी गुण वर्णन ठालुराम र०काल १८६५ । २१ जान चिन्तामणि-मनोहरदास ( २० काल १७२६ माइ सुदी ७) २२-पद संग्रह। २३-जखड़िया संग्रह । २४-स्तोत्र । २५-मृत्यु महोमग २६-चौपाई शादि का संसह है। ६५६६. गुटका सं० ३ । पत्र सं० २३२ । प्रा० ६४५ च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल XI पूर्ण। देव सं० ११ ।। १-चर्चा समाधान-भूधर मिथ । २-भक्तामर स्तोत्र-मानतुगाचार्य । ३-कल्याण मन्दिर स्तोत्र। ९५७०. गुटका सं०४ । पत्रसं० १८८ 1 मा०८३४५ इच। भाषा: हिन्दी-सांस्क्रुत । ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । विशेष-सामान्य पूजा पाठ संग्रह है। ६५७१. गुटका सं०५। पघसं० X । प्रा० ५६४५१ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २१ । विशेष-पद संग्रह एवं धनञ्जय कृत नाममाला है । ९५७२. गुटका सं०६। पत्र सं० ६४ । प्रा० ७४५ इच। भाषा हिन्दी । ले. काल सं. १८६६ सावरण बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । १.-समाविलास-X । २७३ पद्य है। विशेष-चि० लखमीचन्द के पठनार्थ व्यास रामबक्स ने रावजी जीवण सिंडिगावत के राज्य में दूणी शाम में लिन्ना था । ले० काल सं० १८६६ सावरण बुदी १० । २--दोहे-तुलसीदास । ६८ दोहे हैं। ३-कुण्डलियां-गिरधरराय । ४१ कुण्डलिया है । Page #1073 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१२ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ४.—विभिन्न हरद-x। जिसमें बरय छद-४०, डिल्ल छंद-२०, पहेलिया-४० एवं मकरी ५ हिय हुनाम ग्रंथ-X । ७१ छंद हैं । ६५७३. गुटका सं० ७॥ पत्रसं० । आ.६४६ इन्च । भाषा-हिन्दी गद्य । २० काल XI ले. काल x ण । वेपन सं० ४० । विशेष-पद्यावती मत्र, खण्डेलवाल जाति की उत्पत्ति तथा बंशावली, तीर्थंकारों के माता पिता के नाम, तीर्थकर की माता तथा चन्द्रगुप्त के स्वप्न है। ६५७४. गुटका सं । पत्रसं० २६४ । आ०८४७३ इञ्च । भाषा हिन्दी-संस्कृत । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७३ । विशेष-चर्चावीस ठाणा चर्चा एवं स्तोत्र पाठ पूजा प्रादि हैं। ६५७५. गुटका सं० ६ । पत्रसं० ६४ । पा. ८x१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १८१७ । पूर्ण । वेष्टन सं०७४ 1 १-श्रादित्यवार कथा--भाऊ कवि २-चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न ३ पद संग्रह-देवाब्रह्म ४ खण्डेलवालों के ४ गोत्र ५- सास बहू का भागडा--- देवा ब्रह्म ६५७६. गुटका सं० १० । पत्र सं० ६१-११६ । प्रा. Ex६ इञ्च । भाषा-हिन्दी पथ । ले०काल सं० १९४६ माघ गूदी ५। अपूर्ण । वेष्टन सं०७८ । विशेष--बनारसी विलास है। ९५७७. गुटको सं० ११ । पत्र सं० ४४ । प्रा. ७४४३ इञ्च । भाषा - हिन्दी पद्म । ले० काल x1 पूर्ण । वेष्टन सं०७६ | विशेष--पद संग्रह है। १५७८. गटका सं०१२ । पत्र सं० ३२ । प्रा०५४४ इन्च । भाषा- हिन्दी पद्य । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०५०। विशेष- भक्तामर स्तोत्र एवं कल्याण मंदिर स्तोत्र हिन्दी में है। १५७६. गुटका सं० १३ । पत्रसं० १६-४६ । प्रा० ५.४४५ इच । भाषा हिन्दी पद्य । लेकाल सं० x । अपूरी । वेष्टनसं० ८१।। विशेष- सामान्य पाठों का संग्रह है 1 दि. जैन मन्दिर दवलाना (बूदी) १५८०. गटका सं० १ । पत्रसं० २५० । आ. ७१४६ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३७६ । विशेष-प्रति जीर्ण शीगा है तथा बहुत से पत्र नहीं हैं । मुस्वतः पूजा पाठों का संग्रह है। Page #1074 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०१३ ५१. गुटका सं० २ । सं० २०८ ० ८x४ इ । भाषा - हिन्दी | लेकाल x । धपूर्ण वेष्टन सं० ३७७ ॥ I विशेष – गुणस्थान चर्चा एवं अन्य चर्चाओं का संग्रह है । । ६५८२. गुटका सं० ३ ० ४ १३०० ६३६ इव भाषा हिन्दी २० काल । - । सं० १९७३ | ले० काल X। अपूणे । वेष्टन सं० ३७६ । विशेष – मसिसागर कृत शामिभद्र चोप है जिसका रचना काल सं० १९७८ है । ६५०३. गुटका सं० ४ पत्र सं० २० १ पूर्ण वेष्टन मं० ३७३ । विशेष – धनपतराय का चर्चा शतक है । ६५६४. गुटका सं० ५ पत्रसं०] ११५ । प्रा० ६४६३ । भाषा संस्कृतले काल X पूर्ण वेष्टन सं० ३८० ॥ विशेष निम्न पायों का संग्रह है। समवशरण पूजा समवशरण रचना - जैन रासो सुदर्शन रास जोगीराम्रो - श्रीपाल रास पंचगति की वेलि १५८५ टका सं० ६ पत्र सं० १७५ । प्रा० ५४३३ इस भाषा हिन्दी संस्कृत । ले० काल सं० १७६२ पूर्ण देन सं० १०१ | विशेष पूजा पाठों के अतिरिक्त मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है हिन्दी ब्रह्म रायमल्ल जिनदास एकीभाव स्तोत्र भाषा पाडभूति मुनि का चोढाल्या ० ६४ ५ इव । ब्रह्म रायमल्ल हर्षकीर्ति रूपचन्द्र हीरानन्द कनकखोम ६५८६. गुटका सं० ७ पत्रसं० १५० । ० ८३४ इख । भाषा – संस्कृत, हिन्दी | ले० काल x | पूर्ण वेष्टन सं० ३५२ । विशेष- प्रति जीर्ण है । रामविनोद एवं धन्य मायुर्वेद नुस्खों का संग्रह है । I ६५८७. गटका सं० ८ पचसं० ७२ घा० इञ्च भाषा हिन्दी, संस्कृत ले-काल सं० १७६३ । पूर्णं । वेष्टन सं० ३८३ । विशेष – मुख्यतः निम्न रचनाओं का संघ है— संग्रह हिन्दी भाषा - हिन्दी । ले० काल X। か " श हिन्दी " " - ले० काल ० १७६३) ( ले०काल सं० १७६४ ) ( २० काल सं० १६३८ । ले० काल सं० १७६६ ) " Page #1075 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१४ } [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६५८८. गुटका सं०६। पत्रसं० १६० । प्रा०८३४६ इश्व । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १७१० पाषा सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३८४ । विशेष-निम्न रचनाओं का संग्रह हैसमयसार नाटक बनारसीदास हिन्दी (ले०काल सं. १७१) इतिहाससार समुच्चय লালাৰ (ले० काल सं० १७०८ अषाढ़ सुदी १५ ) ६५८६. गुटका सं० १० । पत्र स'० ४-५४ 1 प्रा. ८४५ इश्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३८५ । विशेष पूजा पाठ संग्रह है। १५६०. गुदफा सं० ११ । पत्रसं० ६८ । श्रा०४१४६६ इञ्च । भाषा हिन्दी, सस्वात । ले० काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ३८६ । विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। ६५६१, मुटका सं० १२। पनसं० १७ ! प्रा०५२४७३ इञ्च । भाषा-प्राकृत । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं. ३८३ । विशेष-प्रतिक्रमरण पाठ है । १५६२. गुटका सं० १३ । पत्रसं० ५.-२४८ । या. ५१४४३ इन। भाषा-सस्कृत-हिन्दी । लेकाल X । अपूरणं । वेष्टन सं० ३८८ । विशेष पूजा स्तोत्र एवं ग्रादित्यवार कथा प्रादि का संग्रह है। ६५६३. गुटका सं०१४ । पत्रसं० १२८ । ग्रा० ८३४५३ इन। भाषा-हिन्दी, सस्कृत । लेकाल सं० १७५३ पासोज बुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३८९ । विशेष-मुख्य पाठों का संग्रह निम्न प्रकार से है-- नेमिनाथ स्तवन हिन्दी (र०काल सं० १७२४) सुभद्र कथा सिंत्रो हिन्दी अतिचार वर्गान ग्रन्थ बिवेक चिजवरणी सुन्दरदास अन्तिम पद्य निम्न प्रकार है सकल सिरोमनि है नर देही नारायन को निज बर येही जामहि पइये देव मुरारी मइया मनुषउ बूझ तुम्हारी |५५।। २३ Page #1076 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ! गुटका संग्रह ] चेतसि जिनि विवेक वितरण आत्मविष्यावर शीलबावनी कृष्ण बलिभद्र विभाय बीतनran सुन्दरदास कहै भइया मनुष जु प्रस्न चरित 5 इनके अतिरिक्त अन्य पाठों ६५६४. गुटका सं० १५ पूर्ण वेष्टन सं० १६० । कर्म विपाक हनुमत कथा जम्बूस्वामी कपा श्रीपान पस कैसो त उहका वै राम विशेष – मुख्यतः निम्न रचनाओं का संग्रह हैं— कवि सुधारू विशेष – ९८५ पथ हैं । प्रारम्भ के ६ पत्र नहीं है । बनारसीदास पूर्ण । चेष्टन सं० ३९३ । भाई तुम्हाई जु पुकारी बूझ तुम्हारी || ५६|| भाषा भूषण अलंकार सबैवा सुन्दरदास मोहनदास मालकवि विजयदेव सूरि का संग्रह भी है । ALB ० रायमल्ल पांडे जिनदास ब्र० रायमल्ल हिन्दी विशेष – सामान्य पाठों का संग्रह है । 27 । पत्रसं० ३०९ | आ० ६ X ५ इश्व 1 भाषा - हिन्दी । ले० काल x | ६५६७. गुटका सं० १८० १२०० २४७ ३ " 37 तू वस्त्राजी हिन्दी 27 ६५६५. गुटका सं० १६० १७६० ६५३ इञ्च भाषा - हिन्दी संस्कृत । | ० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ३११ । विशेष – पूजा पाठ संग्रह है । 21 ६५६६. गुटका सं० १७ । पत्र सं० ७४ ॥ श्र० ७३४४३ च भाषा-संस्कृत | लेकाल X | पूर्ण वेष्टन सं० ३६२ । विशेष – सामान्य पाठों का संग्रह है । 37 " [ १०१५ ६५. गुटका सं० १६ । प० १०१ ० ६७ भाषा - हिन्दी से० काल सं० १८२८ | पूर्ण । वेष्टन सं० ३६४ । विशेष निम्न रचनाओं का संग्रह है- टीका नारायणदास अपूर्ण माया-हिन्दी ले०काल X । । हिन्दी (२० काल सं० १००७) (नरवर में लिखा गया) Page #1077 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग E५EE. गुटका सं०२० । पत्रसं० २१। मा० ६४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले काल सं १८७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६५ । विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। १६००. गुटका सं० २१ । पत्र सं० ३२१ । प्रा० ५४ ६ इस । भाषा-हिन्दी । से काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०३६६ । विशेष-निम्न रचनानों का संग्रह हैश्रीपालरास अ० रायमल्ल हिन्दी पद्य (१८१ से २५०) अन्य पाठों का भी संग्रह है । ६६०१. गुटका सं० २२ । पत्रसं० १६० । ना० ५४५ इंच । भाषा - हिन्दी, संस्कृत । ले० काल X । पूर्व । वेष्टन सं० ३६७ । विशेष---निम्न रचनामों का संग्रह हैहितोपदेश दोहा हेमराज (र०काल सं० १७२५) इसके अतिरिक्त स्तोत्र एवं पूजा पाठ संग्रह है। ६६०२. गुटका सं० २३ । पत्र सं०७४ 1 प्रा. ७३४६३ इंच। भाषा-सस्कृत । मेकाल x । पूर्ण । वेटन सं० ३१८ । विशेष-शब्दरूप समास एवं कुदरत के उदाहरण दिये गये हैं। १६०३. गुटका सं० २४ । पत्रसं० १९ । प्रा. ७४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । से० काल x । अपूर्ण । बेष्टन मं० ३९६ । विशेष—सामान्य पूजा पाठ संग्रह है। ६६०४. गुटका सं०२५ । पत्र सं०७०।०६X ७ च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल। पूर्ण । वेष्टन सं० ४७० । विशेष-मुख्यतः निम्त आयुर्वेदिक ग्रन्थों का संग्रह हैराम विनोद प० पचरंग हिन्दी (शिष्य रामचन्द्र) योगचितामगि हर्षकीति संस्कृत अन्य प्रायुर्बेदिक रचनाए' भी हैं । ६६०५. गुटका सं० २६ । पत्रसं० १२६ । प्रा. ५१४४२ इन्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल ४ । पूर्ण । वेसन सं०,४०१ ।। विशेष .. सामान्य पूजा पाठों का संग्रह है। ६६०६. गुटका सं० २७ । पत्र सं० ६ । प्रा० ५३४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४०२ । विशेष-निम्न रचनाओं का संग्रह हैसवैया हिन्दी Page #1078 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०१७ रणकपुर आदिनाथ स्तवन रतनसिंहजीरी बात १६०७. गुहका सं०२८ । पत्रस०६६ । आ०५४४ इञ्च । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । ले. काल x। अपूर्ण । वेष्टनसं० ४०३ । विशेष—विभिन्न कवियों के पदों एवं पाठों का संग्रह है। ६.६०८. गुटका सं० २६ । पत्रसं० २६ । प्रा० ७:४७९ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले०काल xi पूर्ण । बेष्टन सं० ४०४ । विशेष—सामन्य पूजा पाठ संग्रह है। ६६०६. गुटका सं० ३० । पत्रसं० ६४ । आ०६४४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत सस्कृत । लेकाल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ४०५ । विशेष—निम्न रचनाओं का संग्रह हैवसुधारा स्तोत्र संस्कृत वृद्ध सप्तति यंत्र महालक्ष्मी स्तोत्र ६६१०. गटका सं०३१ । पत्रसं० ३४ । पा० ५४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल x पूर्णत विशेष-स्वाभी बाचन पाठ है । ६६११. गुटका सं० ३२१ पत्रसं०६३ । प्रा० ४१४३३ इच। भाषा-संस्कृत । ले०काल स. १८३६ पाषा सुदी १५ । पूर्ण । वेष्टनसं० ४०७ । विशेष-विष्णुसहस्रनाम एवं आदित्यहृदय स्तोत्र हैं। ६६१२. गुटका सं०३३ । पत्रसं० १० । आotx४ इश्च । माषा-संस्कृत । ले०काल X । पुर्ण । वेयन सं० ४०० । विशेष--पूजा पाठ संग्रह है। ६६१३. गुटका सं० ३४ । पत्र सं० १५ । मा० ४३४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल ४ । मपुरणं । बेन सं० ४०६। विशेष-पदों का संग्रह है। ६६१४. गुटका स०३५। पत्र सं० ८। पा.५४३हना भाषा-संस्कुत । ले०काल x। पूरणं । वेष्टन सं० ४१०। विशेष-- मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह हैपंचपरमेष्ठी गुण संस्कृत गुणमाला हिन्दी (पद्य सं०६५ हैं) आदित्यहृदय स्तोत्र संस्कृत निर्वाण कांड भगवतीदास हिन्दी Page #1079 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१८ ] [अन्य सूची-पश्चम भाग ६६१५. गुटका सं० ३६ । पत्रसं० ४२ । प्रा० ४३४४१ इश्व ! भाषा - संस्कृत-हिन्दी । ले० काल x पूर्ण। वेधन सं० ४११ । विशेष—त्रिमंडल स्तोत्र एवं पद संग्रह है। १६१६, गुटका सं० ३७ । पत्रसं० १४। मा० ५३ ४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १८६६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१२ । विशेष पूजा पाठ एवं पद मह है-.. ६६१७. गुटका सं० ३८ । पत्र सं० २५ । प्रा०६x४ इञ्च । भाषा- हिन्दी । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं०४१३। विशेष---निम्न रचनायों का संग्रहहै-- ब्याहलो हिन्दी (१२५ पद्य है। र०काल सं०१८४३) बारहमासा वर्णन क्षेमकरण ___ प्राप्ति स्थान दि० जैन तेहपंथी मन्दिर मालपुर। (टोंक) १६१८. गुटका सं० ३१ । पत्रसं० ११६ । प्रा० ५३४४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । जोगां । वेष्टन०५६ । विशेष--निम्न पाओं का संग्रह है। १. तत्वार्थ मूत्र संस्कृत उमास्वामी २. लिनसहस्रनाम आशाधर ३, प्रादित्यवार कथा हिन्दी भाऊ ४. पंचमगति वेलि हर्षकीति इनके अतिरिक्त सामान्य पूजा गाठ हैं । ६६१६. गुटका सं० २। पत्रसं० ६४ | प्रा० x इच । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल x 1 पूर्ण 1 बेष्टन सं० ५८ । विशेष पूजा पाठ संग्रह है। १६२०. गुटका सं० ३। पत्रसं० १२० । प्रात ६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । विशेष -संशांतिक चर्चाओं का संग्रह है। ९६२१. गुटका सं०४ ।पत्र सं०१५६ । घा६४८ च । भाषा-हिन्दी । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० २२। विशेष-निम्न पाठ है-- १. बनारसी विलास के १७ पाठ (बनारसीदास) २. समयसार नाटक (बनारसीदास) विशेष--जीवनराम ने विदरखां में प्रतिलिपि की थी। Page #1080 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] X ६६२२. गुटका सं०५। पत्रसं० १६० | प्रा० ५४५ इञ्च । भाषा'-प्राकृत-संस्कृत-हिन्दी । ले. काल १६७४ भादवा बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २३ । विशेष—निम्न पाय है -- १. तत्वार्थ मूत्र उमास्वामी २. चौबीसलामा चर्चा पत्र ३२-१३१ ३. सामायिक पाठ पत्र १३२-१८३ विशेष साह श्री जिनदास के पठनार्थ नारायणदास ने लिखा था। ६६२३. गुटका सं० ६ । पत्र सं० ५५-१८१ । प्रा० ५:४५, १७च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। ले. काल सं० १७५५ कार्तिक सुदी ५ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २४ । विशेष-निम्न पाठ है। १. सुदर्शनरास ब्रह्मरायमम हिन्दी पत्र ५६ से १५ तक २. दर्शनाष्टक संस्कृत ६५-६६ ३. बैराग्य गीत हिन्दी ४. विनती ५. फाग की लहरि ६. श्रीपाल स्तुति ७. जीवगति वर्णन १०४-१०५ 1. जिनगीत हर्षकीति १०६-२०७ ६. टंडारणा' गीत १०८-१०६ १०, ऋषभनाथ विनती ११. जीवनाल राम समयसुन्दर ११२-११४ रूपचन्द हिन्दी अनन्त चित्त छांड़वे रे भगवन्त चरणा चित्त लाई १३. नाममाला धनन्जय संस्कृत ११६-१६० २४. कल्याण मन्दिर स्तोत्र भाषा - बनारसीदास हिन्दी १६१-१६७ १५. विवेक जकडी जिनदास १६८-१६१ १६. पाशवनाथ कथा अपूर्ण १८०-१८१ X X X X ६६२४. गुटका सं०७१ पत्रसं० १२८ । प्रा०७४५३ इञ्च । भाषा संस्कृत-हिन्दी । ले०काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । विशेष-पूजा पाठों का संग्रह है। ६६२५. गुटका सं० । पत्रसं० ३२४ । प्रा०८xइ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल सं० १७४६ चैत बुदी ५ । पूणं । बेष्टन सं० २६ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है-- Page #1081 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १. भविष्यदल रास ब्रह्मरायमल्ल हिन्दी र०कास सं० १६६३ । ले० काल सं० १७६५ २. प्रबोधवावनी जिनदास हिन्दी। ले० काल सं १७४६ अभिम मुनिना .. प्रदीप सावनी साधु जिनदास कृत रामाप्त । ५३ दोड़ हैं। ३. श्रीपाल सोता रायमल्ल | हिन्दी ४. विभिन्न पूजा एवं पाठों का संग्रह है। ६६२६. गुटका सं०६ । पत्रसं० ८६ | आ० ८४६२ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले०काल ४ । पुर्ण । वेष्टनसं० २७ । विशेष--विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह है। धानतराय के पद अधिक हैं। ६६२७. गुटका सं० १० । पत्र सं० ४ । प्रा० ५४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत -हिन्दी। ले०कास ४। पूर्ण । वेष्टन स०२८। विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। X प्राप्ति स्थान----दि० जैन मन्दिर बोधरियों का मालपुरा (टोंक) ६६२८. गुटका सं० १। पत्र सं० १८८ । आ. ५८४६ इञ्च । भाषा हिन्दी पद्य । लेकाल सं० १७१८ भादवा सूदी २ ।। पूर्ण । वेष्टन स०१६। विशेष-निम्न पाठ है - १. सबैया विनोदीलाल हिन्दी। २, भक्तामर भाषा हेमराज ३. निर्धारण काण्ड भाषा भैया भगवनीस ४. फुटकर दोहे ५. राजुल पच्चीसी विनोदीलाल ६. यंत्र सग्रह बत्तीसयंत्र हैं। ७. कछवाहा राज बंशावलि विशेष-११५ राजानों के नाम है माधोसिंह तक सं० १९३७ । ८. औषधियों के नुस्खे ६. चौरासी गौत्र वर्णन १०. ढोलमारू की बात हिन्दी अपूर्ण। ५२३ पद्म तक ९६२६. गुटका सं० २। ग्रा० X ६ इञ्च । भाषा- हिन्दी पद्य । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७ । विशेष—विविध जैनेसर कत्रियों के पद हैं। Page #1082 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०२१ १६३०, गटका सं३ । पत्र सं०१७ | प्रा०६x६ इन्च भापा-हिन्दी गद्य । लेकालxi अपूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । विशेष-हितोपदेण की कथायें हैं। १६३१. गुटका सं०४ । पत्र सं०४-६६ । प्रा० ७१४४३ च । भाषा-संस्कृत । ले० काल x । अपुर्ण । देष्टन सं० २७। विशेष-सामान पूजापों का संग्रह हैं। १६३२. गुटका सं० ५। पत्र सं० ६-१४ मा०४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल xI अपूर्ण । बेस्टन सं० ३८ । विशेष- नित्य पूजामों का संग्रह है । ६६३३. गुटको सं० ६ । पत्रसं० १७२ । मा० ८४६ इन्छ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टनसं० ३६ । विशेष-विविध पूजापाठों का संग्रह है। १६३४. गुटका सं०७ । पत्रसं०७४ । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत ! ले०काल X । पूर्ण । वेष्टनसं० ४० । विशेष-नित्य पूजा पाठों का संग्रह है। १६३५. गुटका सं० ८ । पत्रसं० २२ । प्रा०७४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ४१ । विशेष-नित्य पुजा संग्रह है। ६६३६. गुटका सं०६ । पत्रसं० ६६ । आ० EX६ च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल Xi पूर्ण । वेष्टन सं० ४८ । विशेष-प्रायुर्वेद के नुस्खे तथा पूजा पाठ संग्रह है। ६६३७. गुटका सं० १० । पत्रसं० १२ । प्रा०८४५ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । विशेष पूजा पाठ संग्रह है। ६६३८. गुटका सं० ११ । पत्रसं० ३ से २६० । पा. ८३४६१ इञ्च । भाषा-हिन्दीसंस्कृत । ले काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५० | विशेष-निम्न प्रकार संग्रह है । इसके अतिरिक्त अन्य सामान्य पाठ हैं । १-संबोध पंचासिका-मुनि धर्मचन्द्र । यह संबोध पंचासिका, देखे गाहा छंद । भाषा बंध दूहा रच्या, गछपति मुनि धर्मचंद ।।५।। २-धर्मचन्द्र की लहर (चतुर्विधाति स्तवन) । Page #1083 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ३. पार्श्वनाथ रास-म० कपूरचंद । र काल सं० १६६७ बैशास्त्र सुदी ५ । मूलसंघ सरस्वती गच्छ गछपति नेमीचन्द । उनके पाट अशकीति, उनके पाठ गणचन्द ।। तासु सिषि तसु पंडित कयूरजी चंद। कीनो रास चिति घरिवि आनन्द ।। रत्नबाई की शिष्या श्राविका पार्वती गंगवाल ने सं०१७२२ जेठ बदी ५ को प्रतिलिपि कराई थी। ४.पंच सहेली ---छोहन हिन्दी ५-विवेक चौपई --ब्रह्म गुलाल ६-सुदर्शन रास-६० रायमल्ल प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर कोट्यो का नैणया । ९६३६. गुटका सं० १ । पत्रसं० १४१ । प्रा९१४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय संग्रह । ले०काल सं० १८१४ पासोज वुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५ । विशेष ---मुख्यतः निग्न पाठों का संग्रह है.-- जिन सहस्रनाम संस्कृत शांतिचक्र पूजा रविवार व्रत कथा हिन्दी वार्ता बुलाकीदास भक्तामर स्तोत्र मानलुगाचार्य संस्कृत कल्याण मंदिर स्तोत्र कुमुदचंद्र एकीभान स्नोत्र वादिराज विषापहार स्तोत्र धनंजय तत्वार्थ सूत्र उमास्वामि दशलक्षण पूजा रत्नत्रय पूजा तथा समससार नाटक बनारसीदास पं० जीवराज ने यांचा नगर में स्वयंभूराम से प्रतिलिपि कराई थी। ६६४०. गुटका सं० २ । पत्रसं० १४१ । आ० ८३४६३ इञ्च । ले० काल सं० ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०७०। विशेष-चौबीस तीर्थकर पूजा है। ६६४१. गुटका सं०३ । पत्रसं० २१३ । प्रा०६x४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकालX । पूर्ण । अंटन सं०७१। विशेष –विविध स्तोत्र एवं पाठों का संग्रह है। ।। [ ! । । । । । । Page #1084 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुटका संग्रह ] [ १०२३ ६६४२. गुटका सं० ४। पत्र सं० १३० | प्रा ११४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल X । वेष्टन सं. ७५ । विशेष –पूजा स्तोत्र एवं गुण स्थान वर्षा प्रादि का संग्रह है। ९३४३. गुटका सं०५ 1 पसं० १४४ । ग्रा० ७४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० ७७ । ६.६४४. गुटका सं० ६ । पत्रसं० १६७ । प्रा० ६...३ इस । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले काल X ! पूर्ण । वेष्टन सं० ८० । ९६४५. गुटका सं०७। पत्रसं० ४२ । प्रा० ११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। १-यशोधर रास जिनदास हिन्दी - १र०काल सं० १६७६) सबत् सोलासी परमारण वरष उगुन्यासी ऊपर जाण । किसन पक्ष काती भलो तिथि पंचमी राहिल गुरदार ॥ कषि रणथंभ गढ (रगाञ्चभौर) के निकट शेरपुर का रहने वाला था। २-पूजा पाठ संग्रह संस्कृत-हिन्दी ९६४६. गुटका सं परसं० ४७ । प्रा. ७४४ इच । भाषा संस्कृत । ले. काल सं. १६६६ । पूणे । वेष्टन सं०१८ । ६६४७. गुटका सं० ९ । पत्रसं० १२८ । या. ६४४३ इन्च । भाषा - संस्कृत-हिन्दी। ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६ । १६४८, गुटका सं० १०। पत्र सं० १५ । आ. ६.x५ इश्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२ । ६६४६. गुटका सं० ११ । पत्रसं० १०-२४७ । ग्रा० ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दः पद्य । लेकाल सं० १५८५ । अपूर्ण । वेषन सं० १०५ । विशेष--गुटका प्राचीन है तथा उसमें निम्न पाठों का संग्रह है-- मध अथकार भाषा १-चन्द्र गुप्त के सोलह स्वान ० रायमल्ल हिन्दी अपूर्ण २-बारह अनुप्रेक्षा ३-विवेक जकडी जिरणदास ४-थर्मतरू गीत (मालीरास) ५-फर्म हिंडोलना हर्षकीति पद-तिज मिथ्या पंथ दुस्स कारण) Page #1085 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२४ ] [ प्रस्थ सूची-पंचम भाग पया 1 da४ पद-साघो मन इस्ली मद मातो) हर्षकीर्ति (हूं तो काई बोलू रं बोलु भव दुग्न बोलती न आवै) ६ पोथी के विषय को सूची । इसके ऊपरी भाग पर लिखा है - पोथी को टीके लिख्यते वैसाख दुतीक सुदी १५ संवत् १६४४ गळ रण बंबर मध्ये ।। पत्र १. श्राराधना प्रतिबोध सार विमलकीति २. मिछादोकड ३. उन्तीस भावना ४. ईश्वर शिक्षा १०-१३ ५. जम्बूस्वामी जकड़ी साधुकीर्ति १३-१७ ६. जलगालन रास ज्ञान भूषण १०-२० ७, पोसहपारवानीविधि तथा रास २०-२७ ८. अनादि स्तोत्र २७-२६ २२ (संस्कृत) है. परमानद स्तोत्र २१-३१ १०. सीजामणि रास सकलकीति ३१-३५ ११. देव परीष चौपई उदयप्रभ सूरि ६५-३७ १२. बलिभद्र कृष्ण माया गीत ३७-३८ १३. बलिभद्र भावना २८-४३ १४. रिषभनाथ भूल सोमकीलि ४३-४५ १५. जीववैराग्यगील १६. मंत्र संग्रह संस्कृत १७. नेमिनाथ थुति ४८ हिन्दी पध (र काल १५८०) १८. नेमिनाथ गीत ब्र. यशोधर ४१-५२ ५२.-५३ यश-कीति ७ पद्य २०. योगीवाणी २१. पद (मन गीत) २१. (क) मल्लिगीत २२. मल्लिनाथ गीत २३. जसडी सोमकीर्ति छ यशोधर ५४-५५ ५५-५६ ५६-५७ Page #1086 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०२५ पद्य संख्या २४. कायाक्षेत्र मौत धनपाल ५७-५८ २५. नेमिनाथ गीत # यशोधर ५८-६३ २६. चौबीस तीर्थकर भावना यश-कीति ६३..६५ २७. रामसीतारास ७० जिरादास ६५-६१ २५, राकौसलरास सांसु ६१-१०६ २६. जिनसेन बोल जिनरोन ३०. गीत ३१. शत्रुजरगीत १०७-१०८ ३२. पाश्र्वनाथ सावन मुनि लावण्य समय १०८-११२ ३५ (इलि श्री पाश्र्वनाथ स्तवन पंडित नरबद पटनार्थ) ३३. पंचेन्द्रिय गीत जिनसेन ३४. मेधकुमार रास कवि कनक ११३-११६ ४८ ३५. बलिभद्र चौगह अ० यशोधर ११६-१३२ १९७ (र० काल सं १५८५) संवत पनर पचासीइ स्कंत्र नयर मझारि । भवरिण अजित जिनवर तणि ए गुण गाथा सार ॥१८॥ ३६. बुधिरास १३२-३६ ४८ पछा ३७. पद ० यथोघर (प्रीतडी रे पाली राजिल इम कहिरे) ३५, पद चेतु लोई २ थिर २ कहु कोइ ३६. पद यादि अनादि एक परमेश्वर सयल जीव साधारण) ४०. पनक्रिया गीत सोमकीति १३७ ४१. रत्नत्रयगीत १३८ ४२. देहस्तगीत १४०-४१ ४३, पर रमणी गीत खीमराज १३९ १४१-१५१ ४५. वैराग्य गीत ० यशोधर ४६. प्रासपाल छंद ४७. व्यसन गीत ४८. मंगल कलश चौपई "इति मंगलचपाई समात्या ब्रह्म यशोधर लिखितं । १५१-६१ Page #1087 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२६ ] व्र० यशोधर १६३ (अगि हो अमोधम वेारेकरी उग्रसेन परि बाइ जुन बरी) ४२. पद नेमिनाथ ५०. नेमिनाथ बारह मासा एलोक ५१. पहले ५२. जीरानली स्तवन ५३. अराधनासार ५४. वासपूज्य गीत ५५. आदिनाथ गीत ५६. आदि दिगंबर गीत १७. गोल ५८. गीत ५९. गीत ६०. गीत यशःकीति (मयण मोह माया मदिमातु) १७० यशःकीति ष्टकिलागि जिसने टुटि, जनि उदक जिम भाऊ फूटि अ० यशोधर १७० (बागवाणीवर मांगु माता दि मुझ अविरल वाली रे) ० यशोधर [ग अनु जरा तलहटी रे माई गिरि सवा माहि सार) न्यू लावण्यसमय सकल की ० यशोधर ६१. मेघकुमार रा ६२. स्थूलभद्र गीत ६३. सुप्यमय दोहा ६४. उपदेश श्लोक ६५. नेमिनाथ राजिमति बेलि सिंचदास ६६. नेमिनाथ गीत १७. नेमिनाथ गीत ६८. प्रतिबोध गीत ब्र० यशोधर (यान लेई नेमि तो राणी भाउ पसु खोटि गढ गिरनार ) ६९. गीत (पार्श्वनाथ ) ७० गीत (नेमिनाथ) (तरे प्राणी सुरु जिनवाणी) (अठारह नाता रास ) व्र० यशोधर विशेष- हिन्दी में अनुवाद भी दिया है। ७३. कुबेरदत गीत १६३-१६४ १६४-६५ १६५-६६ १६६-१६० १६८ १६८-६६ १६६ १६६ १७१ १७१-७३ १७३ - १७७ १७७-१८२ १८३-८५ १०६ १८६ १८७ १०७ (समुद्र विजय तादव राजा तोरति माया करी दिवाजा) ७१. चेतना गोत समयसुन्दर ७२. अठारह नाते की कथा १०६ [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग १८७ ཊྭཱོསྐད १८८-० १२ पद्म ११ संस्कृत ११ २४ पद्य १२ ३ ३ ६ ४ २१ २१ ७८ प्राकृत गाथा ५ सं० श्लोक १७ हिन्दी पद्य हिन्दी पद्य ५ हिन्दी पच " 37 33 प्राकृत Page #1088 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बुटका संग्रह 1 [ १०२७ १९१ ७४, मीत ६० यशोधर हिन्दी पच (तोररिग अावी वोग दस्युरे पशूड़ा पारिध पेखीर) ७५. अजितनाथ गीत म यशोधर ७६. गीत १६१-६२ (प्रणम् नेमि कुमार जिरिंण संवा धरउ) ७६. नेमिगीत ० यशोधर १९२ हिन्दी पद्य (प्रसूड़ा तोरगि परिहरी) ७७ नेमिगीत १६२-६३ ने भि निरंजन निरोपम तोरगि पड़ा निहाली रे) ७८. पात्रंगीत १६३ (मूरति मोहण वेल मणीजि प्रवर उपमा कहु कुरण दीजि) ७६. नेमि गीत १६३ (पसूड़ा काररिण परहरयु रे राजिल सरसु राज) ८०. नेमिगीत १६३ (गुल्ल चढीरे निहालि निरोपमा प्रावतु नेमिकार) ५१. जैन बरणजारा रास १६३-६६ ८५. भावना मांतर १९६-२०१ ८३. सिद्ध धुल रत्नकीति २०१-२०३ ८४. राजुल नेमि लावण्यसमय २०३-५ प्रबोला ५५. यशोधर रास सोमकीर्ति (ले०काल सं० १५८५) विशेष—इति यशोधर रास समाप्त । संवत् १५८५ वर्षे सुदि १२ खो। ५६. कमकमल जयमाल २३४-३५ (निर्वाण काण्ड भाषा है) ८७. शत्रुजय चित्र प्रवाड ५८, मनोरथ माला २३६ ८९, सातवीसन गीत कल्याण मुनि २३६-४० १०. पंचेन्द्री बेलि २४०-४२ ६१. संसार सासरयों गीत २४२-४३ १२. रावलियो गीत सिंहनन्दि २४३-४४ ६३. चेतन गीत नंदनदास २४४-४५ १४. चेतन गीत जिनदास २४५ १५. जोगीरासा २४५-४७ (केवल २८ पद तक है। अपूर्ण Page #1089 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ___६६५०. गुट का सं० १२ । पत्रसं० २४७ । प्रा०६६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० १०४। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ स्वाम) मालपुरा (टोंक ___९६५१. गुटका सं० १ । पत्रसं० ५१ : प्रा० x ६ इन्च । भाषा हिन्दी । ले० काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ५८ । ६६५२. गुटका सं० २। पत्रसं०६५। प्रा०EX ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं०५७ । ६६५३. गुटका सं०३ । पत्रसं० १३ । प्रा०७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ५६ । ६६५४. गुटका सं० ४ । पत्रसं० ३० । प्रा० ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२ । विशेष-.मान् कवि कुत यादियत्वार कथा है। १६५५. गुटका सं०५। पत्र सं० २३ । प्रा०५४४ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल पूर्ण । बेष्टन सं०५१ । १६५६. मुटका सं०६ । पत्रसं० १८ । श्रा७४५३ञ्च । भाषा हिन्दी । ने काल XI पूर्ण । वेष्टन सं०५०। ६६५७, गुटका सं० ७ । पय सं० २४० । या ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी 1 मे० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०४६ । विशेष-चौबीसी ठाणा चर्चा है । ९६५८. गुटका सं०८ । पत्र सं० २७ | प्रा. ५४४ इश्च । माषा-हिन्दी पच । ले० काल- । पुर्ण । वेष्टन सं०४८ । १६५६. गुटका सं०६। पत्रसं० ३५ । प्रा. ८४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पर्छ । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ४७३ १६६०. गुटका सं०१०। पत्रसं०६४ । प्रा०८४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१ । ९६६१. गुटका सं० ११ । पत्र स० २६ । ग्रा० ६४५ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्य । ले०काल X पूर्ण । बेष्टन सं० ३० । विशेष-स्तुतियों का संग्रह है । १६६२. मुटका सं० १२ । पत्र. ६१ । ग्रा०४६ इश्च । भाषा-हिन्दीपा । ले०काल XI अपूर्ण । वेष्टन सं० ३१1 विशेष- पूजाओं का संग्रह है। Page #1090 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] ६६६३. गुटका पूर्ण वेष्टन ० ३२ ॥ विशेष – रामचन्द्र कृत चौबीस तीर्थकर पूजा है। ६६६४. गुटका १४ । पत्रसं० २२५ । द्या० X ६ इव । भाषा प्राकृत, संस्कृत-हिन्दी | ले काल X। पूर्ण । न सं० ३३ । विशेष निम्न पाठों का संग्रह है: १. जयति स्तोष २. नव तत्व समाप्त ३. श्रावक अतिचार ४. प्रादिनाथ जन्माभिषेक ५. कुसुमाञ्जलि ६. महावीर कल ७. लूख पानी विधि शोभन स्तुति ६. मरणधर याद [ १०२९ सं० १३ | पत्र सं० ६ १२४ १ ० ३x६ इव । भाषा - हिन्दी पद्य | लेकाल १०. जावू स्वामी चौपाई ११. ढोलामारुणी अन्तिम- मुनि प्रभयदेव X X वाचक कुसललाभ २०काल सं०] १६७७ ० काल १७११ चैव सुदी २ । प्रारंभ X X श्री विजयदास मुनि कमलविजय X। जीर्ण शीर्णं । पूवेनसं० ३४ । ६६६५. गुटका सं० १५ पत्रसं० २५ ० ५x४ इञ्च । - - । विशेष सामान्य पाठों का संग्रह है। - संवत् सोलह सत्तोसरह भादवा वीज दिवस मन खर जोडी जेसलमेर कारि याच्या सुख परमद मारी। समलि गहगहइ वाषक कुमल लाम इन कह रिधि वृषि सुख संपति सदा संभलता पामह सवदा ||७०६ ।। प्राकृत | पूर्ण | प्राकृत " दिविस रमति २ सुमति दातार कासमीर कमानी । ब्रह्मपुत्रिका वारा सोहर मोहरा तह परि मंजरी मुख मयंक जिमन मोहद पर पंकज प्रणामी करी । श्री मन आणंद सरस चरित श्रृंगार रम, मन परिणय परमाद > . こ け संस्कृत हिन्दी 21 भाषा हिन्दी प०। ०काल ६६६६. गुटका सं० १६ । पत्र सं० ३० प्रा० ७४५ इन्च भाषा हिन्दी पद्य । ले० काल X पूर्ण वेटन सं० ३५ । विशेष – सामान्य पूजा पाठों का संग्रह है। Page #1091 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम माग ६६६७. गुटका सं० १७ । पत्रसं० १०१ । मा० ६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । से० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । विशेष .. सामान्य पूजा पाठ है । ६६६८. गुटका सं० १८ । पत्र स. १५८ | प्रा० ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कल । ले० काल सं० १७७६ | अपूर्ण । वेष्टन स. ३७ । विशेष पूजा पाठों का संग्रह है। ६६६६. गुटका सं० १६ । पत्र सं० २७ । प्रा. Ex६ इञ्च । भाषा-हिन्दी प० । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३८ । ६६७०. गुटका सं० २० । पत्रसं० ७८ । प्रा० ७४५ इश्च । भाषा-हिन्दी प० । ले० कालसं० १८३३ । पूर्ण । बेष्टम सं० ३९ । विशेष- अक्षर घसीट हैं पढ़ने में कम पाते हैं। पद, पूजा एवं कथाओं का संग्रह है। प्राप्ति स्थान - दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ (कोदर) ६६७१, गुटका सं० १। पत्र सं० २८ । प्रा० १२४-२ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल XI पूर्ण । वेष्टत सं०१३-७४ । विशेष-मुख्यतः निम्न रचनाओं का संग्रह हैपंच स्तोत्र भाषा हिन्दी बारहखड़ी सूरत सान चितामरिंग (र० काल सं० १७२८ माघ सुदी) संवत सतरास अठाईस सार, माह सुदी सप्तमी शुक्रवार ।। नगर बुहारन पुर पाखान देस माही, ममारखपुर सेवग गुण गाई ॥ ६६७२. गुटका सं० २१ पत्र सं० ११ । प्रा०६३४६१ इञ्च । भाषा हिन्दी । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०५२। विशेष -- मुख्यतः निम्न पदों का संग्रह है पार्श्वनाथ की निशाणी, कल्याण मन्दिर भाषा, विषापहार, वृषभदेव का छंद । ६६७३. गुटका सं०३। पत्रसं० १४८ 1 प्रा. १०४७५ हश्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं. १८२६ भादवा बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं०५१ । विशेष साधारण पाठों के अतिरिक्त निम्न रचनाए और हैं - धर्मपरीभा मनोहरलाल हिन्दी (र०काल सं १७०० । लेकाल सं० १८१४) पावपुराण भूधरदास हिन्दी सहदेव करी ने प्रतिलिपि करवायी थी। Page #1092 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०३१ ६६७४. गुटका सं० ४ । पत्रसं०६४ ३ या० १०४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । ले०काल सं० X । पूर्ण । वेष्टन सं०६२ । विशेष. सेवाराम कृत चौबीस तीर्थकर पूजा एवं व्रत कथा कोष में से एक कथा का संग्रह है। १६७५. गुटका सं०५। पर सं० १३६ । प्रा० ६४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी, संस्कृत । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०७५ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह है - पद्मावती पूजाष्टक, बनारसी विकास तथा भैरव पावती कयय (मस्लिषेण) प्रादि का संग्रह है। ६६७६. गुटका सं०६। पत्रसं० २२६ । मा० ३४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल X । पूर्ण । वेष्ट्रन सं० १४१७७ । विशेष—नित्य नमित्तक पाठों का संग्रह है। ६६७७. गुटका सं०७ । पत्र सं ११२ । सा. १५४६३ इञ्च । भाषा - हिन्दी संस्कृत । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १४२/१० । विशेष पूजा पाठ एवं स्तोत्र आदि का संग्रह है। १६७८. गुटका सं० ८ । पत्र सं० १८५ । प्रा० ४३४६ इन्च । भाषा-हिन्दी- संस्कृत । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६२ ! विशेष-पूजा पाठ के अतिरिक्त सेठ शालिभद्र रास एवं मेठ मुदर्शनरास ( ० रायमल्ल ) और हैं। शालिभद्र रास फकीर र०काल सं० १७४३ प्रारम्भसकल सिरोमणी जीनवर सार, पार न पाब अगम अपार । तीन तिरलोक बंदं सदा सुर फुनी इद नर पूजत ईस । नाथ ते बस में ऊपनो अहो थी वधमान सामी नमु सीस ॥ सालिभद्र गुरण वरनर॥१ अन्तिमअहो वैस सधेरवार खंडीरमा गोत यस बेला दुहाजी होत । तास ते सुत फकीर में साली ते भेद को मंडियो राप्त मन मरणेहु चीते उपनी अहौ देखी चारित्र.धोजी परगाम ।।२२०।। अही संवत सतरास बरस तीवाल (१७४३) मास बैसाख पूशिम प्रतिपाल । जोग नीरवतर सब भल्या मिल्या गुढा मभी पूरणदास रावते अनरध राजई । अहो साली भन की पूगजी अरु सालिभत गुण वरगउ ।।२२।। Page #1093 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग सेठ सुवर्शन रासधौलपुर नगर में रचा गया था। धौलपुर सहर देवरो बणी वान देवपुर सोभैजी इन्द समाने सोव छतीस लीलाकर मवी महाजन वस धनवन्त । देव गुरु सासन सेवा कर ओ हो करेजो पूजन ते प्ररहंत जी ।।१६।। ६६७६. गुटका सं०६। पत्रसं०२५७ । प्रा०६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल सं० १७७६ वैशाख सुदी १३ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० २६३ । विशेषनिम्न पाठों का संग्रह है-- समयसार नाटक बनारसीदास हिन्दी समयसार कलशा अमृतचन्द्र सूरि संस्कृत ६६८०. गुटका सं० १० । पत्रसं० २६० । प्रा० ६x६ इश्श । भाषा-संस्कृत-हिन्दी ! ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६४ । विशेष-मुख्यतः पूजाओं का संग्रह है। ६.६८१. मुटका सं० ११ । पत्र सं० १०० । ग्रा० ६४५ इञ्च । भाषा संस्कृत-हिन्दी। ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६५ । विशेष पूजा पाठ संग्रह है ! ९६८२. गुटका सं० १२ । पत्रसं० २६७ । मा० ६४६६ इञ्च । भाषा हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण | वेहन सं० २५६ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। चतुर्दशी कथा टीकम हिन्दी ज्येषु जिनवर वन कथा : ब्र० रायमल्ल पन किया रास हर्षकीति र०काल १६८४ धर्मरासो मविष्यदत्त चौपई ० रायमल्ल ६६८३. मुटका सं० १३ । पत्रसं० २२५ । प्रा० ६x४, इव । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन स. २६७ । । विशेष---कथा स्तोत्र एवं पूजा पाठ के अतिरिक्त गुरवठाणा गीत और है। गुणधारणा गीत -ब्रह्म वर्द्धन र०काल १६ वीं शताब्दी हिन्दी Page #1094 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०३३ गोयम गणहर गिरुमा मनि धरि गूगाठाणा गुरण गाऊ। गुण गाऊ रंनिभरी रंगि मारीय गाक। पुण्य पाऊ भेद गुणकारण तरगा। मिथात पहिलाहि गुणाह काशी असद जीय अनंतुगुणा । मिथ्यात पंच प्रबार पूरयां काल अनंतु निहारई । मति हीन च्युहमति भ्रमि भूला सो धर्मते भणि लहइ अन्तिम . परम पिनन्द संपद पर घस। अनन्त गुणा कर शंकर शिवकरा। शिवकराए श्री सिद्ध सुन्दर गाउ गुए गरमठाणारा जिम मोक्ष साख्य मूखि साधु केवलणारा प्रमागरा सुभचन्द सूरि पद कमल प्रणवर मधुप प्रत मनोहर घर भाइति श्री वर्द्धन ब्रह्म एह वारिप भवियण सुख करई ॥१७॥ इति गुण ठाणा गीत ६६८४. गुटका सं०१४ । पत्र सं० ६ । आर ६१४४ इन्न । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । से काल सं० १६६१ । पूर्ण । देखन मं० २६८ । विशेष—पूजा पाठ संग्रह है। सेवाराम बघेरवाल ने इन्दरगढ़ में प्रतिलिपि की थी। ६६८५, गुटका सं० १५ । पत्र सं० २८५ । आ६३४६३ इच । भाषा-हिन्दी-संस्कृति । ले. काल। पूर्ण । वेष्टन सं० २६८ । विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। गुटका लिखवाने में १४१ - | व्यय हुया था । ६६६६. गुटका सं० १६ । पत्र सं० १०८ । आ. x५ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल । पणं। बेहनसं० २७० । विशेष-वेताम्बर कधियों के पद एवं पाठ संग्रह है। ६६८७. गुटका सं० १७ । पत्रसं० ४२ । प्रा० ४.४५: इञ्च । भाषा- हिन्दी । ले. कान x। पूर्ण । वेष्टन सं० २७१ । विशेष- ढोलामारूवाणी की बात है। एघ सं० ५०४ है। ६६८८. गुटका सं० १८१ पत्र सं० १६८ । प्रा०६१४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं. १८४३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७२ । विशेष—गरिएत छंद शास्त्र है गणित शास्त्र पर अच्छा नथ है। १६८६. गुटका सं० १६ । पत्र सं० १६१ । प्रा० ६४५ इच। भाषा-हिन्दी । ले-कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७३ । विशेष-सामान्य स्तोत्रों एवं पाठों का संग्रह है। Page #1095 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६६६०. गुटका सं०२०। पत्र सं० ६३ । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १८४८ । पूर्श । वेष्टन सं० २७४ । विशेष-गुम्यतः निम्न पाठों का संग्रह है, सामायिक पाठ भाषा-जयचन्द छाबड़ा हिन्दी र नौबीम ठाणा चर्चा । ६६६१. गुटका सं०.२१ । पत्र सं० २४ । प्रा० ६४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत 1 ले०काल XI पूर्ण । बेष्टन सं० २७५ । विशेष-ऋधि मंडल पूजा, पद्मावती स्तोत्र एवं अन्य पूजा पाठ संग्रह है। मेवाराम बघेरवाल ने मीणणा मध्ये चरमनदी तटे लिखितं । १६६२. गटका सं० २२ । पत्र सं० ११०। प्रा. १४६ इंच । भाषा-हिन्दी-संस्कृत। ले०काल सं० १६१० । पूर्ण । वेष्टन सं० २७६ । विशेष—पूजा पाठ संग्रह है तथा गुटका फटा हुआ एवं जीर्ण है। E६६३. गुटका सं० २३ । पत्रसं० ७६ । प्रा० ६४५ हञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेफाल x | पूर्ण । वेष्टन सं० २७७ । विशेष--पूजा पाठ संग्रह है ६.६६४. गटका सं० २४ । पत्र सं० १७१ । आ. १६४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत हिदी । ले. काल सं० १८५८ यासोज मृदी ११ । पूर्ण । श्रेष्टन सं० २७८ । विशेष- पूजा पाठ एवं स्तोत्र प्रादि का संग्रह है। ६६६५. गटका सं० २५ । पत्र सं० ३१७ । पा०६३४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं० १९१२ । पूर्ण । थेष्टन सं० २५६ | विशेष -मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है---- गीता तत्वसार हिन्दी पद्म सं० १६० (ले-काल सं० १९१२) सेवाराम बघेरवाल ने प्रतिलिपि की थी। भक्तिनिधि हिन्दी पद्य सं० ५४१ वेदविवेक एवं भोम का उपदेश ले-काल सं० १९१३ मंगसिर सुदी १२ । ६६६६. गुढ़का सं० २६ । पत्रसं० ६१ । प्रा०६३४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं० १९०४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८० । विशेष-भत्तामर स्तोत्र भाषा मंत्र सहित है । ६६९७. गुटका सं० २७ । पत्रसं० ७० । ग्रा० ६x४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं० १८३४ फागुण बुदी ५। विशेष-भक्तामर स्तोत्र भाषा मंत्र सहित है। Page #1096 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुटका संग्रह ] [ १०३५ ६६६८, गुटका सं० २८ । पत्रसं० १३८ । मा० ६४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल सं० १७६४ सावरण सुदी ६ । पूरणं । वेष्टन सं० २८२ । विशेष.--निम्न पाठों का संग्रह है-- भक्तामर स्तोत्र मानतुगाचार्य संस्कृत तत्वार्थ सूत्र उमास्वामी कल्याण मन्दिर स्तोत्र कुमुदचन्द्र भूपाल चतुर्विंशतिका भूपाल लघु सहस्रनाम फुल १३८ । है हैनमें प्रो मा प्रदिए । ६६६६. गुट का सं० २६ । पत्र सं० ७६ | प्रा० ६४६ इन्छ । भाषा-हिन्दी । ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८३ । विशेष - नित्य पूजा पाय के अतिरिक्त निम्न पाठों का और संग्रह हैरत्नत्रय पूजा हिन्दी योगीन्द्र पूजा क्षेत्रपाल पूजा ९७००. गुटका सं० ३० । पत्रसं० १६४ । प्रा० ८४६३ इन्च । माषा-प्राकृत-हिन्दी । से०काल सं० १६१६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २८४ । विशेष-निम्न रचनाओं का संग्रह हैसुगुरु शतक जिनदास गोधा हिन्दी पद्य पत्र र०काल सं० १८५२ । (ले० काल सं० १६१६) कराबता नगर में प्रतिलिपि हुई थी। ढाल गासार सामायिक पाठ प्राकृत सामायिक पाठ भाषा श्याम हिन्दी सो सामायिक साधसी लहसी अविचल थान । करी त्रोपई भावसु' जैसराज सुत स्याम ॥ (२०काल स. १७४६ पौष सुदी १०) विषामहार समोत्र धनजय संस्कृत सामायिक वचनिका जयचन्द छाबड़ा हिन्दी (ग) जैनबद्री यात्रा वर्णन सुरेन्द्रकीति हिन्दी मंदिर चैत्यालय आदि का जहां जहां यात्रा गये वर्णन मिलता है। भामेर घाट प्रादि का भी वर्णन किया हुआ है। लपक पंचासिका जिनदास हिन्दी (पध)जनेतर साधुओं की पोल खोली गई है। हक्कानिषेध भूधर हिन्दी - Page #1097 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ___ हिन्दी - ६७०१. गटका सं० ३१ । पत्र सं० १०-७०! प्रा०७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले कास X । अपूरणं । बेष्टन सं० २८५ । विशेष-नित्य पूजा पाठ संग्रह है । ६७०२. गुटका सं० ३२ । पत्र सं० १६० । आ. ६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी, ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २८६ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैषड्दर्शन पाखंड जैन दर्शन व १६ पाखंडमूलसंधी काष्टासंधी मिनथ पाल अजिका व्रतना अवती श्वेतांबर इबलिंग' भावलिंगी विपर्मय प्राचार्य भट्टारक स्वयंभ पिशी मागा बारङ्गमारा पूर्णमासी फल | हिन्दी साठ संवत्सरी संवत् १७०१ से लेकर १७८६ तक का फल है । हंसराज बच्छराज चौपई जिनोदय सुरि-हिन्दी-- (२० काल सं० १६८०) कवि प्रिया केशव हिन्दी ९०७३. गुटका सं०३३ । पत्रसं०१४२ । या०५४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत लेि-काल x | पुर्ण । वेष्टन सं०२८७ । विशेष-राम स्तोत्र एवं जगनाथाष्टक यादि का संग्रह है। १०७४. गुटका सं० ३४ । पत्रसं० ७६ । प्रा० ६४४३ इन्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल x पूर्ण । वेष्टन सं० २५८ । विशेष-भाऊ कवि कृत रविवार कथा का संग्रह है। ६७०५. ग्रटका सं० ३५ । पत्र सं० ५५ प्रा. ५६x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेक काल से० १८२४ । पूर्ण । देष्टन सं० २८६ । विशेष-मुख्यत: निम्न पाठों का संग्रह है। बाईस परीषह भक्तामर स्तोत्र पूजा - देव पूजा कक्का बीनती पार्श्वनाथ मंगल (ले०काल सं. १८२४) विनती पाठ संरह हिन्दी चतुर्विशति तीर्थकर स्तुति - हिन्दी Page #1098 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पोरसली कोटा १७०६. गुटका सं० १ । पत्रसं० १७ । प्रा० X ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले०काल x। पूर्ण । वन ० २४७ । विशेष- तत्वार्थ सूत्र आदि हैं । १७०७. गुटका सं० २। पत्रसं० ११-६७ | श्रा० ८४६५ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३५१ । विशेष—तत्वार्थ सूत्र आदि सामान्य पाठ एवं पूजामों का संग्रह है । सुरेन्द्रकीति विरचित अनन्तयत समुच्चय पूजा भी है। १७०८. गुटका सं० ३ । पत्रसं० १०४ । प्रा० ६x४ इञ्च । भाषा हिन्दी । लेवाल - । पूरणे 1 वेष्टन सं० ३५२ । विशेष-वेगराज कृत रचनायों का संग्रह है। १. चूनडी बेगराज । २. ज्ञान चूनही ३. पद संग्रह ४. नेम व्याह पच्चीसी ५, बारहखड़ी ६. मारद लक्ष्मी संवाद १७०६. गुटका सं०४। पत्र सं० ११-१६ तथा ११ या० .x५९ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले०काल सं० १७२२ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३५६ । १. कवि प्रिया केशवदास २. बिहारी सतसई बिहारीलास ३. मधुमालती ४. सदयवच्छयासावलिंग - । अपूर्ण । ६७१०, गुटका सं० ५ । पत्रसं०७ - १८५ । प्रा. ९४५: इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १८०९ । अपुरा । वेष्टन सं०३५८ । विशेष-निम्न पाठ मुख्य हैं । १. श्राबकासिचार चउपई-पासचन्द्र सूरि । ले०काल सं० १८०४। २. साधुबंदना--X । ८८ पद्य हैं। ३. चाइनीसा-जिनराजसूरि । ४. गौडी पापर्धनाथ स्तवन-x। ५. पद संग्रह-x। विशेष-गुटका नागौर में कर्मचन्द्र वानिया के पठनार्थ लिना गया था। Page #1099 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३८ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग ६७११. गुटका सं०६ । पत्र सं०५-२२ १-८० । प्रा०६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। ले० काल सं० १७६१ । अपूर्ण । वेष्टन सं. ३५७ । १. रात्वार्थ सूत्र--उमास्थामी । भाषा-संस्कृत । २. भक्तामर स्तोत्र-मानतग । ले० कान १७६४ । ३. पचायती राणी रास-x हिन्दी । ४. गौतम स्वामी समाय-X ।" ५. स्तवन ६. चित्तोड बसने का समय (संवत् १०१) ७. दान शील तप भावना-४ । हिन्दी । ले० काल १७६१ । ८. मझाय--- । हिन्दी । है. पदमध्या की बीहालो-x | हिन्दी लेक काल १७६३ । १०. ढोलामारू चौपई-कुशललाभ । हिन्दी । ६७१२. गुटका सं० ७१ पत्र सं० ४० । भा० ६४६ इन्च । भाषा संस्कृत । ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३६५ । विशेष- ज्योतिष संबंधी साहित्य है। ६७१३. गुटका सं० ८। पत्रसं० १०० । प्रा० X ६ इञ्च । भाषा--हिन्दी । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६६ । मुरव गाठ निम्न प्रकार हैं। १. बिहारी सतसई - विहारीलाल । पद्य सं०७०६ २. नवरत्न कवित्त ३. परमार्थ दोहा रूपचन्द । ४. योगसार योगीन्द्र देव ६७१४. गुटका सं०६। पत्रसं० १२६ 1 आ० ७३४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ३६७ । विशेष- सामान्य पूजा पाठ एवं स्तोत्रों का संग्रह है। ६७१५. गुटका स० १० । पत्रसं० ६० । या ६४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी - संस्कृत । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २७० । विशेष-पूजा संग्रह के अतिरिक्त गुलाल पच्चीसी तथा भाऊ कृत रविव्रत कथा है । लिपिकार तेन राग है। ६७१६. गुटका सं० ११ । पत्र सं० २१६ । प्रा. ६x६ इञ्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी। ले०काल सं० १६३५ फागुन सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७६ । प्रशस्ति-श्री मूलसंघे भट्टारक श्री धर्मकीति तत्प? म० शीलभूषण तत्प? भ० ज्ञानभूषण तदाम्नाये जे रवालान्वये प्रधान श्री दुर्गाराम द्वितीय भ्राता कपुरचन्द तदभायाँ हरिसिंहदे तत्पुत्र श्री लोदी तेनेदं पुस्तकं लिखाप्य दत्त श्री ब्रह्म श्री बुद्धसेनाय । Page #1100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०३६ पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है। मुख्यत: पंडितवर सिंघात्मज पं० रूपचन्दकृत दशलाक्षणिक पूजा तथा भाउ कृत रवित्रत हैं। ६७१७. गुटका सं० १२ । पत्र सं० १०० । प्रा० ७३४५३४ 1 भाषा-हिन्दी । ले. काल x। पूर्ण । बेप्टन स० ३७७ । विशेष-बनारसीदास, भूधरदास, मोहनदास प्रादि कदियों के पाठों का संग्रह है। ६७१८, गुटका सं० १३ । पत्र सं० १४० 1 पा ६x४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० । पूर्ण । वेष्टन सं० ६७६ । १, गौतमरास-विनयमल । २० काल १४१२ । २. अजितनाथ शांति स्तवन-भेरुनंदन । ३. मारावाहवनि सज्झाय-X । ४, आषाढ भृल धमाल--- | २० काल सं० १६३८ । ५. दान शील तप भावना-सययमुम्दर ६७१६. गुटका सं०१४ । पत्रसं० १५८ । प्रा० ६x६ इञ्च । साषा-हिन्द । सेफाल । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०५ । विशेष—ान्य पूजात्रों के अतिरिक्त चौबीस तीर्थकर पूजा गी दी हुई है। ६७२०. गुटका सं० १५। पत्रसं० ६४ । प्रा० ६४६३ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०३८४ । विशेष-मंत्र तंत्र संग्रह है । ६७२१. गुटका सं० १६ । पत्र सं० ११८ । पा० ८३४६३ च । भाषा-हिन्दी ले. काल सं० १७७१ द्वि० आसाह बुढी १ । पुर्ण वेष्टन सं० ३८३ । १. स्वामी कात्तिकेयानुप्रेक्षा - कात्तिकेय । हिन्दी टीका सहित २. प्रीतिकर चरित्र - जोधराज ६७२२. गुटका सं० १७ । पत्रसं०४६ । प्रा०७४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले० कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०३८२ । विशेष—विभिन्न पाठों का संग्रह है। १७२३. गुटका सं० १८ । पत्रसं०५०। पा०६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल x 1 पुर्ण । वेष्टन सं०३९६ । १. भत्तामर स्तोत्र--मानतुग । २. दशलक्षणोद्यापन-४।। ९७२४. गुटका सं० १६ । पत्र सं० ५६६ । प्रा० ३४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १८१६ पासोज बृदी ७ । पूर्ण । धेष्ठन मं० ३८७ । १. पादपुराण-भूधरदास । पत्रसं० १-१५५ २. सीता चरित्र-कविबालक। १८६-३४८ ३. धर्मसार.-x। १-६० तक 1 Page #1101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४० ] [प्रस्थ सूची-पंचम भाग प्राप्ति स्थान- खण्डेलवाल दि. जैन पंचायती मन्दिर अलवर १७२५. गुटका सं० १ । पत्र सं० १३८ । प्राsex५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं. X । पूर्ण यन सं० २०२। विशेष-बनारसीदास कृत समयसार एवं नेमिचन्द्रिका का संग्रह है। ६७२६. गुटका सं० २ । पत्रसं० १०२ । श्रा० ६.४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल x। पूर्ण । वेष्न सं० २०.३ । विशेष-पूजाओं का संग्रह है। ६७२८. गुटका सं०३ । पत्र सं० ११३ । प्रा० ७६४७ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल - । अपूरणं । वेष्टन सं० २०४ । विशेष—योम्मटसार, त्रिलोकसार, क्षपणासार आदि सिद्धांत प्रथों में से चर्चाए हैं। ६७२६. गुटका सं० ४ । पत्र सं० ८० ! प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा- हिन्दी । लैंकाल सं० १५८२ | पूर्ण । वेष्टन से० १०५ । विशेष-स्तोत्र एवं पूजा संग्रह है। ९७३०. गुटका सं० ५। पत्र सं० १४० । प्रा. १०३४७ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । विशेष-स्फुट चर्चानों का संग्रह है। ९७३१. गुटका सं० ६ । पत्रसं० ८१ । प्रा० ७१४५२ इन्च । भाषा-हिन्दी। ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०७ । विशेष-निम्न पाठों का मुख्यतः संग्रह है१. दर्शन पाठ व पुजाए आदि २. धर्मबावनी- चंपाराम दीवान । र०काल सं १८८४ । पूर्ण। चंपाराम वृन्दावन के रहने वाले थे। ६७३२. गुटका सं०७ । पत्र सं० २८ । प्रा० ७४५ च । भाषा - हिन्दी । लेकाल । पणं । वेष्टन सं० १०८ । विशेष-विभिन्न पदों का संग्रह है। १७३३. गटका सं० ८ । पत्रसं० ७८ | श्रा० ८४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले काल XI पूरणं । वेवन सं० १०१ ।। विशेष पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है। ६७३४. गटका सं० पसं२३७ । प्रा. ८४५१ इञ्च । भाषा हिन्दी-संस्क्रत । लेकाल सं० १७३४ भादवा सुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११०।। विशेष-समयसार तथा बनारसी विलास का संग्रह है। नोट-३७ छोटे बड़े गुटके और है तथा इनमें पूजा स्तोत्र एवं कथानों का भी संग्रह है। Page #1102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०४१ प्राप्ति स्थान-दि. जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर ६७३५. गुटका सं० १ । पत्रसं० १५ । प्रा० ११४ ६ इंच भाषा-हिन्दी । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० १५६ । विशेष-हिन्दी कवियों की विभिन्न रचनायों बन संग्रह है। मुख्य पाठ है:१. ध्यान बतीती। (२) नमीश्वर की लहरी । ३. मंगलहरीसिंह 1 (४) मोक्ष पैड़ी-बनारसीदास ५. पंचम गति बेलि । (६) जैन शतना-भूधरदास ७. आदित्यवार कथा-माल। ६७३६ गुटका सं० २। पत्र सं० २७ । प्रात १०४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत - हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । देष्टनसं० १६.! विशेष---नित्य नियम पूजा तथा रविव्रत कथा है। ६७३७. गुटका सं० ३ । पत्रसं० १४६ । घा. १.४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १६१ । विशेष-मुख्य निम्न पाठ हैं-- १. यशोधर चौपई २. जम्बूस्वाम, चौपाई पाण्डे जिनराम ४, पुरंदर चौपई ४. बंकचूल की कथा पद्य ५७२ (मपूर्ण) ६७३८. गुटका सं० ४ । पत्र सं० ४३ । आ० १०१४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन मं० १६२ । विशेष- समसार कलश को हिन्दी टीका पाश्चे राजमल कुत है। १७३६. गटका सं० ५ । पत्रसं० १५ । प्रा० ६४५५ इन्च । भाषा - हिन्दी । लेकाल पूर्ण । वेष्टनसं० १६३ । १ अनित्य पचामिका २. समयसार नाटक बनारसीदास ३. द्रव्य संग्रह भाषा पर्वत धर्मार्थी ४. नाममाला मपूर्ण ६७४०. गुटका सं०६। पत्र सं० २२२ । प्रा० ३४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । से.कास सं० १८०४ भाषाढ बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६४। १. जिनसहस्रनाम जिनसेनाचार्य २. पूजा संग्रह २५ पूजायें हैं। ३. मादित्यचार कथा भाऊ Page #1103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६७४१. गुटका सं०७ । पत्र सं० १४० । ४३३३ । भाषा-सस्कृत हिन्दी । १०.इस सं. १८६२१ पूर्ण । वेष्टन सं० १६५ । विशेष—जैन शतक (भूधरदास),पार्श्वनाथ स्तोत्र, पंच स्तोत्र एवं पूजानों का संग्रह है। १७४२. गुटका ०८ । पत्रसं० २५ । पा.११४६ इञ्च । भाषा-प्राकृत-हिन्दी । लेकाल x। पूर्ण । वेहन सं०१६६ । विशेष-इसके अधिकांश पत्र खाली है द्रव्य संग्रह माथा एक जैन शतक टीका है । ९७४३. गुटका सं०१। पत्र सं० ७३ । पा. १४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं० १६१६ माहबुदी। पूर्ण । श्रेष्टन सं० १६७ । विशेष—निम्न पार है। १. पूजा संग्रह । (२) पंच मंगल-रूपचन्द । २. बारहखड़ी मूरत । (४) नेमिनाथ नवमंगल-लासचन्द रकाल सं० १७४४ । ४. नेमिनाथ का बारहमासा-विनोदीलाल । ९७४४. गुटका सं० १० । पत्रसं०२३७ । प्रा०६७ भाषा-हिन्दी ले०काल - पुर्ण । वेपन सं० १६८1 विशेष-निम्न पाठ है१. प्रीत्यंकर चौपई नेमिचन्द्र २. राजामन्द की कथा ३. हरियश पुरारिष २०काल सं० १७६६ प्रामोज सुदी १० १७४५. गुटका सं० ११ । पत्रसं० ८६ । प्रा० ७४४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल X 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । विशेष-सामान्य पूजानों का संग्रह हैं । ४३ से भागे पत्र स्नाली हैं। ९७४६. गुटका स० १२ । पत्र सं० ६४ । प्रा०६x४ च । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । अपरम् । वेष्टन सं. १७०। १ आदित्यवार कथा अपूर्ण . २. शनिश्चर कथा ३, विष्ण पंजर स्तोत्र १७४७. गुटका स० १३ । परसं० १२८ | प्रा० ६४४. इन। भाषा - हिन्दी । ले० काल ४ । प्रपूर्ण । वेष्टन सं० १७१ । ६७४८. गुटका सं० १४ । पत्रसं० ११६ । आ० ५३४ ४३ इञ्च । भापा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७२ । . विशेष-प्रतिष्ठा पाय ( हिन्दी ) । संवन् १८.६१ ( जयपुर ) तक की प्रतिष्ठानों का वर्णन तथा श्रावक की चौरासी क्रिया आदि अन्य पाठ भी हैं। Page #1104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०४३ ९७४६. शुटका सं० १५ । पत्र सं० ६६ । प्रा. ५४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल x 1 अपूरणं । वेष्टन सं० १७३ । विशेष-भक्तामर सटीक ( श्ये०) । महापुराण संक्षिप्त-गंगाराम । विवेक छत्तीसी तथा चैत्य बंदना। ६७५०. गुटका सं०१६ । पत्र सं०५० । पा० ४४४ ६ञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल । अपूर्ण वेष्टन सं० १७४ । विशेष—जिन सहननाम, परमानन्द स्तोत्र, स्वयं भूस्तोत्र एवं समाधिमरण अादि का संग्रह है। ६७५.१. गुटका सं० १७ । पत्र सं०३४ । प्रा०४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७५ । विशेष-सम्मेदाचल पूजा गंगाराम कृत, गिरनार पूजा तथा मांगीतुगी पूजा प्रादि का संग्रह है। ६७५२. गुटका सं० १८ । पत्र सं० ११५ । आव ७३४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल X । पूर्णं । वेष्टन सं० १७६ । विशेष-गोम्मटसार, क्षपणासार, लब्धिसार में से पं० टोडरमल एवं रायमल्ल जी कृत चर्चाओं का संग्रह है। ६७५३. गुटका सं० १९ । पत्रसं० ८६ । प्रा० ६४४ इच। भापा-हिन्दी-संस्कृत । मे काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १७७ । विशेष-नित्य नियम पूजा संग्रह है। ९७५४. गुटका सं० २० । पत्र सं० २० । प्रा. ८४६च । भाषा -हिन्दी । लेकाल सं० १६६५ आसोज सुदी २ । पूर्ण । वेपन सं. १७८ । विशेष—इष्ट पिचावनी रघुनाथ कृत तथा ब्रह्म महिमा प्रादि कवित्त हैं । ६७५५. गुटका सं० २१ । पत्र सं. ६६ । प्रा० ८४७ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल XI पूर्ण । वेष्टन मं० १७६ 1 विशेष-नित्यनियम पूजा मंग्रह, सूरत की बारह खडी, बारहभावना प्रादि का संग्रह है। १७५६. गुटका सं० २२ । पत्र सं० २४८ ! प्रा०६१४६६ इ । भाषा-हिन्दी । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १८० । विशेष—निम्न मुख्य पाठ है१. उपदेश शतक द्यानसराय । १०काल सं० २०५८ २. संबोध अक्षर बावनी ३. धर्मपच्चीसी ४. तस्वसार ५. दर्शन शतक १. ज्ञान दशक ७. मोक्ष पच्चीसी Page #1105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४४ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग ८. कविसिंह मंवाद द्यानतराय है. दशस्थान चौवीसी विशेषतः द्यानतराय कुत धर्मविलास में से पाटहैं। ६७५७. गुटका सं०२३ । पत्र सं०६०। मा०६x६ इञ्च । भाषा हिन्दी । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन स. १८१ । विशेष-सामान्य पजामों का संग्रह है। ६७५८ गुटका सं० २४ । पत्रसं० २८ । प्रा० ५२४६२ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत ले०काल x ! पूर्ण । वेष्टन सं० १५२। विशेष--यादित्यवार कथा, भक्तामर स्तोत्र एवं तत्वार्थ सूत्र का संग्रह है। ९७५६. गुटका सं० २५ 1 पत्र सं० ४४ । श्रा० १.१४५३ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल x । पूर्ण । घटनसं०१८३ । १. तत्वार्थ सूत्र भाषा पद्य छोटीलाल । २. देव सिद्ध पूजा x १७६०. गुटका सं०२६। पत्रसं०७४ 1 प्रा०४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल x। अपूर्ण । पान सं. १८४ विशेष- -बनारसी बिलाम में से पाठों का संग्रह है। जैन शतक भूधरदास कृत भी है। इसके अतिरिक्त सामान्य पाठों एवं पूजाप्रों या संग्रह है। ६७६१. गुटका सं० २७ । पनसं० १०५ 1 सा.X६ इच। भाषा-हिन्दी । लेकालX । अपूर्ण । वेष्न सं० १५५ । विशेष- ..भक्तामर स्तोत्र भाषा, बाईम परीषह एवं कल्याण मन्दिर सोत्र भाषा आदि का संग्रह है। १७६२. गुहका सं० २५। पत्र सं० १३३ । प्रा. ११४७१ इञ्च । भाषा-संस्कृल । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८६ । विशेष--पूजा एवं स्तोत्रों का संग्रह है। प्राप्ति स्थान-दि० जैन दीवानजी मंदिर भरतपुर । १७६२. गटका सं०१। पत्र स० २८ । भाषा-संस्कृत । ले० काल x 1 पूर्ण । दशा सामान्य । वेष्टन सं०१। ७६३. गुटका स०२. पन स० २० सं०२। पत्र सं० २० । साइज XI माषा-संस्कृत। ले०काल X। पूर्ण । वेष्ठन सं०२1 विशेष.-प्रथम गटके में आये हुये पाठों के अतिरिक्त पार्श्वनाथ स्तोत्र.घंटाकर्ण मंत्र या ऋषिमंडल स्तोत्र आदि का संग्रह है। Page #1106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका साह ] [ १०४५ ६७६४. गुटका सं०३ । पत्रसं० २६१ से ३२३ तक । भाषा-संस्कृत । ले० काल ४ । पुर्ण । वेष्टन सं०३1 विशेष-स्तोत्र, तत्वाधं सूत्र प्रादि हैं। ६७६५, गुटका सं० ४ । पत्र सं० १५ । भाषा-संस्कृत । ले०काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं०१६। विशेष—देवपूजा तथा सिद्ध पूजा है। ९७६६. गुटका सं० ५। पत्रसं० ६७ । भाषा-संस्कृत 1 ने काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । विशेष-गुटका खुले पत्रों में है सधा स्तोत्र तथा पूजामों का संग्रह है। १७६७. गुटका सं० ६। पनसं० १६७ । भाषा--हिन्दी-संस्कृत । ले जान X । पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । ६७६८. गुटका सं०७। पत्र सं० २४२ । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३। विशेष-गुटके में विषय-सूची प्रारम्भ में दी गई है तथा पूजा पाठ प्रादि का संग्रह है। १७६६. गटका सं० ८ । गत्र सं० ६४ । गाषा - संस्कृत । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन स० ३५। ६७७०. गुटका सं० ९ । पत्र सं० १०६ । भाषा-हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । ९७७१. गुटका सं० १० । पत्र सं० १३५ । भाषा - संस्कृत । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७। ६७७२. गुटका सं० ११ । पत्र सं० १७३ । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं० १९२४ भादों मुदी ५ 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ३६॥ विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है । ११) पद रांग्रह ( जगराम मोदीका ) (२) समवशरण मंगल (नथमल रचना सं० १९२१ लेखन सं० १५२३) (३) जैन कत्री की चिट्ठी (नथमल ) (४) फुटकर दोहा (नथमल ) (५) शेमीनाथजी का काहला (नयमल) (६) पद संग्रह (नथमल ) (७) भूधर विलास (मूधरदासजी) १८) बनारसी विलास (बनारसीदाराजी) 1 आशाराम ने प्रतिलिपि की थी। Page #1107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४६ ] [ ग्रन्थ सूचो-पंचम भाग ६७७३. गुट का सं० १२ । पत्रसं० ५८ । भाषा-हिन्दी पद्य । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०४०। विशेष-(१) सभाभूपरण मंथ-(मंगाराम) पद्य संख्या ६४ । रचना काज-१७४४ । (२) पद संग्रह - हेतराम) विभिन्न राग रागनियों के पदों का संग्रह है। ९७७४. गुटका सं० १३ । पत्रसं० १६० । भाषा-संस्कृत । लेकाल सं० १७७६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५ । विशेष-पूजामों का संग्रह है। ९७७५. गुटका सं० १४ । पत्र सं० ७६ । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । विशेष-(१) चौबीस ठाणा चर्या । (२) चौबीस ती कस के ६२ या वर्षा । ६७७६. गुटका सं० १५। पत्रसं० ११८ ! भाषा-हिन्दी । रकाल x | पूर्ण । वेष्टन सं०५० । विशेष-इन्द्रगढ़ में प्रतिलिपि की गई थी । समयसार (बनारसीदासजी) भी है। १७७७. गुटका सं० १६ । पत्रसं० ५२ । भाषा-हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७ । ६७७८. गुटका सं० १७ । पत्रम० १६ । भाषा-हिन्दी । ले०काल XI पूर्ण वेष्टन स । विशेष-शनिएचर की कथा दी हुई है। ६७७६. गुटका सं० १८ । पत्रसं० ८५ । भाषा-हिन्दी । मे काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २१ ॥ विशेष-बुधजन सतसई, पय व बचन बत्तीसी हैं । ६७८०, गुटका सं० १९ । पत्र सं० १६३ । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । - । लेकास X । पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । विशेष-पूजा पाठ व कथा-संग्रह है। ६७६१. गुटका सं० २०। पत्र सं० ८० । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ४ । मे०काल। ४ । पुर्ण । वेष्टनसं०२५ । विशेष- पूजा पाठ प्रादि संग्रह है। ६७८२. गुटका सं० २१ । पत्र सं० १२ । भाषा-हिन्दी । लेकाल x पूर्ण । वेष्टमसं० २६ । विशेष–रत्नकरण्ड धारकाचार भाषा वनिका है। ६७८३. गुटका सं० २२ । पथ सं० १०१ । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । विशेष--चर्चा वर्गरह हैं। Page #1108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०४७ १७६४. मुटका सं० २३। पत्रसं० २७० । भाषा-हिन्दी। ले० काल x | पूर्ण । वेष्टन सं०२८। विशेष-पूजा पाठ स्तोत्र प्रादि है । ६७८५. गुटका सं० २४। पत्रसं० ४७ । भाषा-हिन्दी। ले०काल ४ । पूर्ण । वेहन सं०२६। विशेष---अक्षर बावनी, ज्ञान पच्चीसी, वैरान्य पच्चीसी, सामायिक पाठ, मृत्यु महोत्सव आदि के पाठ हैं। ६७८६. गुटका सं० २५ । पत्रसं० ४३ । भाषा-हिन्दी। विषय-संग्रह । लेकाल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० ३१ । विशेष-चेतन कम चरित्र है । १७८७. गुट का सं० २६ । पत्रसं० २ से २६६ । भाषा -हिन्दी। लेफाल X । थपूर्ण । वेष्टलसं० ३२ मिशेष- भूधरदास, जिनदास, नबलराम, जगतराम प्रादि कवियों के पदों का सग्रह है । १७८८. गुटका सं० २७ । पत्र सं०६७ से २२३ । भाषा-हिन्दी। ले०काल x । अपूर्ण । वेष्टन स० ३४। विशेष--पद, स्तोत्र, पूजादि का संग्रह है ! १७८९. गुटका सं० २८ । पत्र स० १०३। भाषा-प्राकृत । ले०काल सं० १६०१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५ । विशेष-~परमात्म प्रकास, परमानन्द स्तोत्र, बावनाक्षर, केबली, लेश्या प्रादि पाठों का संग्रह है। ६७६०. गुटका सं० २६ । पत्र सं० २२७ । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १६३० । पूर्ण । वेधन सं० ४६ । विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजा पाठ हैं । ६७६१. गुटका सं० ३० । पत्र स० ३७५ । भाषा-हिन्दी । ले• काल ४ । पूर्ण । वेष्टन संभ ४५ विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजा पाठ, पंचस्तोत्र एवं जन शतक प्रादि हैं । ६७६२. गुटका सं० ३१ ।पत्र सं०७२ । भाषा-हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०५० । विशेष-देव पूजा भाषा-दीका जयचन्द जी कृत हैं। १७६३. गुटका सं० ३२ । पत्रसं० ३२ । भाषा-हिन्दी । ले० काल x 1 पूर्ण । बेष्टन सं० ५१ विशेष - देव पूजा तथा भक्तामर स्तोत्र है। १७६४. गुटका सं० ३३ । पत्र सं० २६ । . भाषा--हिन्दी । ले. काल ४ । पूरणं । श्रेष्टन सं० ५२ विशेष-पूजन संग्रह है। Page #1109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सुखी - पंचम भाग ६७६५. गुटका सं० ३४ । पत्र सं० २ से ३६ । ले० काल x । पूर्ण वेन सं० ५३ । विशेष - नित्य पूजा है १०४८ ] २७६६. गुटका सं० ३५ पत्रसं० ४० ११५ । भाषा - हिन्दी-संस्कृत ले० काल X पूर्ण वेष्टन ० ५८ विशेष जिन सहस्रनाम एवं पूजा पाठ है - ६७१७. गुटका सं० ३६ ०७१ विशेष – जिन सहस्रनाम स्तोत्र प्राज्ञाघर - पत्र सं० १४२ ७१८. गुटका सं० ३७ सं०] ५.५ । -- भाषा-हिन्दी ले०काल X। पूर्ण बेन०५४ षोडष कारण पूजा, पंचमेरू पूजाए हैं। विशेष – पंचमंगल - रूपचन्द्र सिद्ध पूजा श्रष्टाह्निका पूजा, दशलक्षण पूजा, स्वभू स्तोत्र, नवमंगल नेमिनाथ, श्रीमंधर जी की जखड़ी - हरष कीति । परम ज्योति, भक्तामर स्तोत्र श्रादि हैं। 1 ६७६६. गुटका सं० ३८ पत्रसं० २४० | भाषा-हिन्दी-संस्कृत ले० काल X | पूर्णं । वेष्टन सं० ५६ ॥ व्रत विशेष – नित्यनैमिनिक पूजा पाठ, सम्मेदाचल पूजा, चौदीत महाराज पूजा, पंच मंगल, पत कथा व पूजा हैं | भाषा-हिन्दी-संस्कृत वे० काल । पूर्मा o १८००. गुटका सं० ३६ पत्र सं० २२३ भाषा - हिन्दी-संस्कृत ले० काल X पूर्ण बेटन सं ० ५७ । ८०१. गुटका सं० ४० । अन्तिम पाठ विशेष – तत्वार्थ सूत्र, मंगल, पूजा, पंच परमेष्टी पूजा, रत्नत्रय पूजा, आदित्यवार कथा, राजुल पच्चीसी आदि पाठ हैं । ― पद-१-मक्सी पारसनाथ - भागचन्द्र | प्रभु का मेला है बलिभद्र । ३- मैं कैसी करु साजन मेरा प्रिया जाता गढ़ गिरनार — इन्द्रचन्द्र ४ - सेवक कू जान के - लाल । ५. जिया परलोक सुधारो किशनचन्द्र । ६- आगे कहा करसी भैया जब प्राजासी काल रे - बुधजन | विशेष – सत्रा श्रृंगार है । भाषा करी नाम समाभूषन गिरंभ कह लीजिए । याने रागरागिनी की जात समे -यह ले तान तालग्राम मुरगुनी सुनि रोकिए । गंगाराम विनय करत कवि कोन सुनि दरनत भुले सो सुधारि कीजिए । Page #1110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • गुटका संग्रह ) दोहा सहसत संबद्ध सरस चतुरश्रमिक कातिक सुदि विधि अष्टमी वार सर सांगानेर सुमान में रामसिंह सहा कविजन बचपन में राजति सभा समाज ॥६३॥ गंगाराम वह सरख कार्य कोनो बुधि प्रकास । श्री भगवंत प्रसाद तें इह सुभ सभा विलास ||६४ ।। नृपराज । इति सभा शृंगार प्रथ संपूरन । चालीस | रजनीस ॥६२॥ प्राप्ति स्थान – दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर 1 १८०२. गुटका सं० १ पत्र सं० १२-१४३ भाषा - हिन्दी वेष्टन सं० ३३४ | विशेष—दों का संग्रह है मुख्यतः जग्गाराम के पद है अंत में हरचंद संधी कृत चौपोस महाराज की बीनती है। प्रातम आलम बिन सुख और कहा रे। कोटि उपाय करौ किन कोउ, विन ग्यानी नहीं जात लहारे । ले०का X। पू भव विरकत जोगी सुर हैंगें, जिहि थिरवि चिराचिर हारे । बरतन करि कहो कैसे कहिये, जिसका रूप अनुपम हारे । जिहिं दे पाये दिन संसारी, जग अन्दर निचि जात बहारे । जिहि देवल करके पांडव ने घोर तपस्या सकल सहारे । जिहि दे भाव रथ उर कोना, जो पर सेती नांहि फस्यारे । को दीप नर तेही धन्य है जिस दानी सदा रूप चहारे । प्रातम || २. तपोधोतक सत्तावनी, द्वादशानुप्रेक्षा, पंच मंगल [ १०४९ ९८०३. गुटका सं० २ । प० ४३ । भाषा प्राकृत - हिन्दी । ले० काल x वेन सं० ३०६ । विशेष – निम्न पाठ हैं । १. द्रव्य संग्रह हिन्दी टीका सहिद टीकाकार वंशीधर है ! । पूखे । ९८०४. गुटका सं० ३ पत्रसं० ७६ भाषा संस्कृत ले० काल सं० १९०७ पूर्ण वेष्टन सं० २०४ विशेष- नित्य नैमित्तिक ५२ पूजाओं का संग्रह है । इनमें नवसेना विधान, दस दान, मतमंतार दर्शनाष्टक आदि भी हैं। Page #1111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ८०५. गुटका सं०४ । पत्रसं० १६० । भाषा-हिन्दी । ले०काल्न स१६२६ । पुर्ण 1 वेष्टन सं० २७४ । विशेष-७५ पाठों का संग्रह है जिनमें अधिक स्तोत्र संग्रह हैं 1 कुछ विनती तथा साधारण कक्षाएँ हैं। कुछ उल्लेखनीय पाठ निम्न प्रकार हैं। १. कलियुग कथा...-रचयिता, पाटे केशव, जान भूषण के उपदेश से । भाषा हिन्दी पद्य । २. कर्म हिडालना-रचयिता-हर्षकीति । भाषा-हिन्दी पद्य । पद साधो छोडों कुमति अवेली, जाके मिथ्या संग सहेली। साधो लीज्यो मुमति अकेली, जाके समता संग सहेली। यह सात नरक....... यह अभयदायक ||१|| यह आगे कोध यह दररान निरमल जिन भाषित धर्म अपराने ।।२।। यह मौत तनो व्यवहार चित चैती ज्ञान संभार । यह कवल कीरति गति भाव भघि जीवन के मन भाव। पत्र १४७ मालीरासा भन तरू सींच हो मालिया, तिह चरु चारु मुढाल । चिई हाली फल जय जवर, ते फल रात्रय काल रे । प्रानी त काहे न चेत रे ॥शा काल कहै मुनि मालिया, सींच जु माया गवार । देखतही को होठा होड है, मीतर नहीं कुछ सार रे।। काया कारी हो कन करे बीज सुदेशन नोप । सील सुकरना मालिया, धरम कुरो होम रे प्राणी । गहि वैराग कुदाल की, खोदि सुचारत कूप । भाव रहट वृत्त बोलि छट कांधे त जूपरे ।।१७।। धरम महा तरु विरघ सो, बहु विस्तार करेप । अविनामी सुख कारने, मोख महाफल देव रे । कहै जिनवास सुराखियो हसंत बीज सुभाल । मन वांछित फल लागती, फिल ही भव भव कालरे ॥२६।। पत्र १६३ से १८१ तक पत्ती मे काट कर ले जाये गये है। Page #1112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०५१ निम्न पाठ नहीं हैं-- ऋषभदेव जी की स्तुति, बहतरि सीख, अष्ट गंध की विधि यंत्र, नामावली, महस', सरोगा; दिल्ली की जन्म पत्रिका। यह पुस्तक सं० १९३१ में वठलीराम रामप्रसाद कासलीवाल बर वाले ने भरतपुर के मंदिर में १८०६. गुटका सं० ५। पत्रसं० २०२ । माषा-संस्वात-हिन्दी । लेकाल सं० १८८२ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६७ । विशेष - नित्य पूजा पाठ हैं। पत्र १०३ से १६६ तक बहुत मोटे अक्षर हैं । षोडष कारण तथा दशलक्षण जयभाल हैं। प्राकृत माथाओं के नीचे संस्कृत अर्थ है । ३५ पाठों का संग्रह है। ६८०७. गुटका सं० ६. पत्र सं० ७५६ । भाषा-हिन्दी । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७२। विशेष—१२० पाठों का संग्रह है । अक्षर सुन्दर तथा काफी मोटे हैं । प्रारम्भ में पूजा प्राकृत तथा विनोदी लाल कृत मंगल पाठ हैं। प्रारम्भ में विषय सूचना भी दी हुई है । नित्य नैमित्तिक पाठों के अतिरिक्त निम्न पाठ और है भजन-जगतराम, नवलजी, जोधराज, वानसराय जी आदि के पद तथा टोष्टरमल कृत दर्शन तथा शिक्षा छन्द । १६.८. गुटका स०७ । पत्रसं० ६६ । भाषा - हिन्दी । ले०काल X । पुर्ण । वेष्टन सं. २६५ । विशेष-निम्न संग्रह हैं पार्श्वनाथ स्तोत्र. रिद पजा. भक्तामर स्तोत्र. संस्कृत तथा भाषा, कल्याण मन्दिर स्तोत्र, भाषा द्वादशानुप्रेक्षा, त्रिलोकसार भाषा-रचना सुमति कीति, २० काल १६२७ । छहढाला-द्यानतराय । २० काल १७५६ । . समाधिमरण ९.०९. गुटका सं०८ । पत्रसं० ३१६ । भाषा - हिन्दी ।ले० काल सं० १०५५ पूर्ण वेष्टन सं. २६६1 विशेष-४६ पाओं का संग्रह है । सब नित्य पाठ ही हैं। जोधराज जी कासलीवाल कामा वालों ने लिखाई । अक्षर बहुत मोटे - एक पत्र पर पाठ लाइन हैं तथा प्रत्येक लाइन में १३ अक्षर हैं। एक टोडर मल कृत दर्शन भी है जो गद्य में है। ६८१०. गुटका सं०६ । पत्र सं० १७० । भाषा-हिन्दी। से. काल सं० १७८५ । पूर्ण । बेष्टन सं० २६३ । विशेष-निम्न संग्रह है-- (१) तत्वायं सूत्र टीका-पत्र १०२ तक । रचयिता-अज्ञात । (२) अनित्य पच्चीसी-भगवतीदास (३) ब्रह्मविलास-भगवतीदास–पत्रसं०६६ । र० कास सं० १७५५ । Page #1113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६१. गुटका ७ १ । लाइ ६६ । गापा-हिन्यो । लेकाल । अपूर्ण । थेष्टन सं. २६४ । विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजा पाठों का संग्रह है। मोक्ष णास्त्र के प्रारम्भ में भगवान का एक सुन्दर चित्र है । चित्र में एक ओर गोडी डाने हाथ जोडे मुनि तथा दूसरी ओर इन्द्र है। १८१२. गुटका सं० ११। पत्रसं० १७८ 1 भाषा-संस्कृत । ले०काल X । पूर्ण । बेष्टन सं. २१५ । विशेष-भरतपुर में लिखा गया था। पद्यावती स्तोत्र, चतुःषष्टि योगित्री स्तोत्र, लक्ष्मी स्तोत्र, परमानन्द स्तोत्र, मोकार महिमा, यमक वंच स्तोत्र, कष्ट नाशक स्तोत्र, प्रादित्यहृदय स्तोत्र आदि पाठी का संग्रह है। ६८१३. गुटका सं० १२ । पत्रसं० ४२३ । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं० १८०० । पूर्ण । बेष्टन सं० १७८ । विशेष--- (१) पय पुराण-खशाल चन्द । पत्रसं. १३६ । र०काल १७८३ । पूर्ण । (२) हरिबंश पुराण-खुशालचन्द । पत्रसं० १०१ । (३) उत्तरपुराण-खुशालचन्द । पत्र सं० १८३ । २० काल सं० १७६६ | ६८१५. गुटका सं० १३ । पत्र सं० ३४६ । भाषा-हिन्दी । ले० काल < । पूर्ण । वेष्टन सं० विशेष-गुटके में निम्न पाठ हैं । १. ब्रह्माविलास भगवतीदास । २. पद ४ ३. बनारसी विलास बनारसीदास। पत्र सं० १३३ ले-काल सं० १७१३ मंत्र सुक्ला १० । पत्र सं० १३४ से १३६ पत्र सं० १४१-२०६ तक । से काल सं० १८१८ कार्तिक सुदी ६ । पत्र सं०१ से १२७ तक पत्र सं०१ से १७ तक मुख्य रूप से हर्षचन्द के पद हैं। बनारसीदास। ४. समयसार नाटक ५. पद संग्रह पर सुन्दर है निजनन्दन ठलरावे, वामादेवी निजनन्दन हुल रावे। चिरंजीवो त्रिभुवम के नायक कहि कहि कंठ लगावै ।।१।। नील कमल दल अंगमनोहर मुखयुतिनन्द डरावं उन्नतभाल विसाल विलोचन देखत ही वनि यावै ॥२॥ मस्तक मुकुट कान युग कुण्डल जिलक ललाट बनाये। उज्जल उर मुकताफल माला, उडगन मोहि तिहराव ।।३।। Page #1114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुमका संह ] [ १०५३ सुन्दर सहस अट्टोत्तर लक्षन अंग गुन सुभग सुहाये। भूस्ख महास दंतति उज्जल प्रानन्द अधिक बढ़ावै ॥४॥ जाकी कीरत तीन लोक मैं सुरनर मुनि जन गाये।। सो भन हरषचन्द बामा दे, ले ले गोद खिलाये ।।५।। अन्य पार संग्रह है-पत्र सं० ३५ १८१६. गुटका सं०१४। पत्रसं० १३५ । भाषा-हिन्दी - संस्कृत । ले. काल सं० १८०७ | . पूर्ण । वेष्टन सं० १२० । विशेष-जगतराम कृत १६५ पदों का संग्रह है । ६१ पत्र तक गद हैं। इसके बाद सिद्ध चक पूजा है। १८१७. गुटका सं० १५ । पत्रसं० २४६ । भाषा-हिन्दी । लेकास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०७। विशेष-पूजा भजन तथा. पद प्रादि का सुन्दर संग्रह है। ६८१८. गुटका सं० १६ । पत्र सं० ३४३ । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १९८८ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । १६. गुटका सं० १७ । पत्रसं० २६५। भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०:। विशेष-पूजारों तथा बाथानों आदि का संग्रह है। १८२०. गुटका सं० १८। पत्र सं० ४० | भाषा-हिन्दी । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२। विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ९८२१. गुटका सं० १९ । पत्रसं० ३१ । भाषा-हिन्दी । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं.१०३ । विशेष--सामान्य पाठों का संग्रह है । ९८२२. गुटका सं० २० । पत्रसं० ५६ । भाषा-हिन्दी पच 1 ले काल x पूर्ण । बेस्टन सं०४०३ । विशेष-हरिसिंह के पद हैं। १८२३. गुटका सं० २१ । पत्र सं० ३६ । भाषा-हिन्दी। ले०काल 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ४०५ । विशेष-समाधि मरण तथा जिन शातक प्रादि हैं । ९८२४. गुटका सं० २२ । पत्रसं० २०० । भाषा हिन्दी । ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन विशेष-त्रुधजन, हेतराम,भूधरदास, भागचन्द, विनोदीलाल, जगतराम आदि के पदों का संग्रह है। १८२५. गुटका सं० २३ 1 पत्र सं० से १६० । भाषा-हिन्दी । ले० बाल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ३१७ । विशेष-मुख्य पाठ निम्न प्रकार है१. कलियुग की कया हिन्दी काशव पाण्डे २. बारहखडी, अठारह नाते की कथा कमलकीति Page #1115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग पुनो ३, रामदास पचीसी रामदास ४. मेष कुमार सिज्झाय ५, कनित्त जन्म जल्याणक महोत्सत हरिचन्द इस में २६ पद्य हैं। ६. सूम सुमनी की कथा, परमार्थ जवाड़ी रामकृष्ण ६८२६. गुटका सं० २४ । पत्र सं० ३० से २०६ । भाषा-प्राकृत-हिन्दी । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेनसं० ३६८। विशेष-मुख्य पाठ ये है। पंचेद्रिय बेलि उक्चरसी। भाषा-हिन्दी। रचना काल सं० १५८५। ले०काल ४ । अपूर्ण । प्रतिक्रमण । प्राकृत । रचना काल ४ । ले०काल x। पूर्ण । मनोरथ माला मनोरथ । भाषा-प्राकृत । रचना काल x। पूर्ण । द्रव्य संग्रह नेमिचन्द्राचार्य । भाषा-प्राकृत । लेकालXI पूर्ण । २७. गुटका सं० २५ । पत्र सं० ५४ । भाषा-हिन्दी। लेकाल X। पूर्ण । वेष्टन सं० ३६६ । विशेष.-राजूल पचीसी विनोदीलाल, मिनाथ राजमात का रेखता-विनोदीलाल ६५२८. गुटका सं० २६ । पत्रसं० ८३ । लेकाल सं० १८६० । पूर्ण । वेष्टन सं०४००। विशेष --नित्य पूजा पाठ हैं। १८२६. गुटका सं० २७ । पत्रसं० ४० । भाषा हिन्दी । ले० काल x | पूर्ण । बेष्टन सं० ४०१ । विशेष-दूराम कृत पद हैं। ९८३०. गुटका सं २८ । पत्र सं० ६७ । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल सं० १८१४ । गूगा । वेष्टन सं०४०२ । विशेष-नित्य पाठ तथा स्तोत्र संग्रह है । गूजरमल पुत्र मेघराज मोजमाबाद वाल की पुस्तक है । १८३१. गुट का सं० २६ । पत्र सं० ५० । भाषा-हिन्दी । ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०३५६। विशेष - मामान्य पाठ हैं। १८३२. गुटका सं० ३० । पत्रसं० ४८ | भाषा-हिन्दी-संस्कृत, I ० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १५१ । विशेष-तत्वार्थ सूत्र एवं पूजा संग्रह है। Page #1116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुटका संग्रह ] । १०५५ १८३३. गुटका सं० ३१ । पथ सं० १० से ४, । भाषा-हिन्दी संस्कृत । लेकाल 1 अपुरा । वेधन म० ३५२। विशेष-स्तोत्र संग्रह है। ६८३४. गुटका सं० ३२ । पत्र सं० १४ 1 भाषा-हिन्दी- संस्कृत । ले० काल X । पूर्ण । थेष्टन सं०३५३ । विशेष पूजा पाठ संग्रह है। १८३५. गुटका सं० ३३ । पत्र सं० ४६ से १४३ । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टनसं० ३४६ । विशेष-धार्मिक चर्चाएं हैं। १८३५. गुटका सं०३४ : पारस | भाषा - हिन्दी-सांस्कृत । ले काल । अपूर्ण । योष्टन सं. ३५० । विशेष-नवमंगल (विनोदीलाल) पद्मावती स्तोत्र (संस्कृत) चक्रवरी स्तोत्र (संस्कृत) १८३७. गुटका सं० ३५ । पत्र सं० २३ । भाषा हिन्दी । ले० काल सं० १९६६ । गुर्गा । श्रेष्टन सं० ३४५ । विषय-बनारसीदास कृत्त जिन सहस्रनाम स्तोत्र है। ६८३८, गुटका सं० ३६ । पत्रसं० २० । भाषा-हिन्दी । १० काल ४ । ले० काल x | पूर्ण। वेष्टन सं०३४६ । ___९८३६. गुटका सं० ३७ । पत्रसं० १६ से । १२ । भाषा-हिन्दी । से०काल x पूर्ण । वेष्टन सं०३४ । विशेष-- श्वेताम्बरीय पूजाओं का संग्रह है। १०८ पत्र से पंचमतपवृद्धि स्तवन ( समयसुन्दर) वृद्धि गोतम राम है। १८४०. गुटका सं०३८ । पत्रसं० १६ । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टनस'० ३४२ । विशेष-दशलक्षण पूजा तथा स्वयम्भू स्तोत्र भाषा है । ९८४१. गुटका सं० ३६ । पत्रसं० २५ । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० १४३ । विशेष.-कोई उल्लेखनीय पाठ नहीं है । ९८४२. गुटका सं० ४० । पत्रसं० ४८ । भाषा हिन्दी । वे०काल X पूर्गा । वेष्टनस ० ३४४ । ९८४३. गुटका सं०४१। पत्रसं० १६ से ७० तक । भाषा-हिन्दी । ले काल ४ । प्रपुर । वेष्टन सं० ३३६। Page #1117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६८४४. गुटका सं० ४२ । पत्र सं० ७४ । भाषा-हिन्दी । ले. काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० ३४० विशेष-५ पूजात्रों का संग्रह है। १८४५. गुटका सं० ४३ । पत्र सं० ४७ । माषा-हिन्दी । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ३४१ । विशेष-धार्मिक चर्चाए हैं। ६४६. गुटका सं० ४४ । पत्र सं०७ से ५७ । भाषा-हिन्दी। ले० काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० ३३५ । विशेष-- ब्रह्मरायमल्ल कृत सोलह स्वप्न किसनसिह कृत अच्छादना पच्चीसी तथा मूरत की बारहखड़ी है। ९८४७. गुटका सं० ४५ । पत्रसं० ७२ । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं० १८०६ मंगसिर सुदी है। पूर्व । बेन सं० ३३६।। विशेष-सामान पाठ है। ९८४७. गुट का सं०४६ । पत्र सं. १८८ । भाषा हिन्दी । लेकाल ४ । पूर्ण । वेपन सं० ७७२1 विशेष—पूजा पाठ एवं पद संग्रह है। ९८४८. गुटका सं० ४७ । पत्र सं० २०४ । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. विशेष- छोटे २ मजन हैं। ९८४६. गुटका सं० ४८ । पत्र सं० ३३ रो ६.। भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल मपूणं । वेष्टन सं० ६६२ 1 ६८५०. गुटका सं० ४६। पत्र सं० २० । भाषा-प्राकृत। ले० काल x अपूर्ण । वेष्टन सं.६३१ । १८५१. गुटका सं० ५० । पथ सं० ६५ । भाषा-हिन्दी । विषय-संग्रह । लेकाल ४ । अपूर्ण । चेटन सं० ५२१ । विशेष-विनोदीलाल कृत पद तथा नित्य पूजा पाठ हैं। १८५२. गुटका सं०५१। पत्र सं०६० | भाषा-हिन्दी । विषय-संग्रह । २० कालxt ले०काल स० १६४४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५२५ । विशेष-सामान्य पाठ हैं। १८५३. गुटका सं० ५२ । पत्र सं०५ से २२१ । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०कालx. प्रयुर्ण । वेष्टन सं० ५०१। विशेष—निश्य पूजा पाठों का संग्रह है। उल्लेखनीय पाठ निम्न प्रकार हैं । चतुर्विशलि' देवपुजा-संस्कृत जोगीरास-जिनदास कृत Page #1118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०५७ सज्जनचित्तबल्लभ-- थु तस्कंध-भ० हेमचन्द्र। नवग्रह पूजा-संस्कृत ऋषि मंडल, रत्न त्रय पूजाचिन्तामगि जयमाल–राइमल माला--इसमें बहुत से देशों के तथा नगरों के नाम मिनाये गपे हैं। ९८५४. गुटका सं०५३ । पत्र सं० १६-६३ । भाषा-हिन्दी । ले. काल x। पूर्ण । बेष्टन सं०४६६ विशेष-पूजा संग्रह-दशलक्षण जयमाल आदि है । १८५५. गुटका सं० ५४ । पत्र सं० ५०। भाषा-संस्कृत-हिन्दी। ले०काल X । अपूर्ण । वेधन सं०४६७ | ९८५६. गुटका सं० ५५ । पत्रसं० ४१ । भाषा-हिन्दी। से०काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४६८ विशेध–नित्य पूजा, स्तोत्रादि भी हैं । ९८५७. गुटका सं०५६ । पत्र सं० २५ । भाषा-हिन्दी । लेकाल ४ । अपूर्ण। वेष्टन सं. ६६७ । ९८५८, गुटका सं० ५७ । पत्र सं० १८० । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल सं० १८६४ । पूर्ण। वेष्टन सं० ४६३। विशेष-नित्यपूजा पाठ स्तोत्र यादि संग्रह है। ५६. गुटका सं० ५८ । पत्रसं० १७-११३ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल सं० १८२४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०४६४। विशेष--पूजाओं का संग्रह है। १८६०. गुटका सं०५६ । पत्र सं० १-२४ । भाषा - संस्कृत-हिन्दी । लेकाल - । पूर्ण । वेष्टन सं० ४९५। विशेष—पूजा पाठ आदि का संग्रह है । लालचन्द के मंगल नादि भी हैं। ६८६१. गुटका सं०६०। पत्र स० ४४। भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल सं० १५५६ । भादवा सुदी ५ । अपुर्ण । वेष्टन सं० ४६१। विशेष-निम्न संग्रह है--नित्य पूजा, चारित्र पूजा-नरेन्द्रसेन । ७६२. गुटका सं० ११ । पत्र सं० ६६ रो १६३ । भाषा-हिन्दी-संस्कृत ! ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८२ ६८६३. गुटका सं० ६२। पत्रसं० ३४ । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं० १८८१ माघ बदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८५ । Page #1119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५८ 1 [ अन्य सूची-पंचम भाग ___१८६४. गुट का सं०६३ । पत्र सं० १७-६५ । भाषा--हिन्दी। लेकाल X । पूर्ण। वेप्टन सं०४८६। विशेष-भक्तासर स्तोत्र, कल्याण मन्दिर स्तोत्र भाषा स्तोत्र मावि है । ६८६५. गुट का सं० ६४१ पत्र सं० ५८ । भाषा-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०४७३। ९८६६. गुरुका सं० ६५ । पत्र सं० ४४ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टम सं०४८. । विशेष-को प्रकृति, चतुर्विशति तीर्थकर वासीठस्थान, वादन ठाणां की चौपई, परमशतक (भगवती दास) मान बत्तीसी (भगवतीदास) का संग्रह है। १८६७. गुटका सं० ६६ । पत्रसं० २६१ । भाषा-पंस्कृत-हिन्दी । ले०काल सं० १५६३ मंगसिर वदी २ पूर्ण । वेष्टन सं० ४७१ । विशेष-सुभापितवलि, सारसमुच्चय, सिंध की पापड़ी, योगसार, द्वादशाभूशक्षा, चौबीस ठाणा, कर्मप्रकृति, भाव संग्रह (ध तमुनि) सुभापित शतक, गुणस्थान चर्चा, अध्यात्म बावनी ग्रादि का संग्रह हैं। १८६८. गुटका सं०६७ । पथसं०। ६६ । भाषा-प्राकृत-संस्कृत-हिन्दी । मे०काल ४ । पूर्ण | बेएनसं० ४७२ । विशेष- . पूजा संग्रह हैं। १८६९. गुटका स० ६८ । पश्व सं० १८ । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । लेकाल X । पुस । बेष्टन सं. ४६५ । विशेष-सामायिक पाठ, पूजा पाठ, स्तोत्र आदि का संग्रह है। १८७०. गुटका स० ६६ । पत्र सं० ३८। भाषा-संस्कृत्त । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५६ । ९८७१. गुटका सं०७० । पत्रसं० ३६० । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४६२ । विशेष-पूजा पाठ एवं पद संग्रह है। ९८५२. गुटका सं० ७१। पत्र सं० १६४ । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं०४६४ । विशेष—षमभक्ति, भावना बत्तीसी, पाणंदा । गीतडी प्रादि पाठों का संग्रह है । १८७३. गुटका सं०७२ । पत्र मं०३४० । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल -। पूर्ण । वेष्टन सं० ४५६ । विषय-सूची कर्ता का नाम विशेष घंटाकर्ण मंत्र संस्कृत (पद्य ७) देवपूजा ब्रह्मजिनदास शास्त्र पूजा ,, भाषा Page #1120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०५६ भूधरदास दौलतराम चरनदास समयसुन्दर १०७ भानुकीति रचना १६७२ ले०काल १५२८ जिनशतक अठारह नाता का बौढाल्या भक्षर बावनी वैराग्य उपजावन अंग दानशील तप भावना भैरवपूमा लोहरी दीवार कथा भइली वचन निपट के कवित्व ज्ञानस्वरोदय सबद पद व स्तुति संग्रह सामुद्रिक आदित्यनार कथा जीवको सिज्झाय पद ध भजन संग्रह सनदास पथ २४७ र० काल सं० १६७० भाउ कवि १८७४. गुटका सं० ७३ । पत्रसं० ७२ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं. ४५०। विशेष-भक्तामर ऋद्धि स्तोत्र मंत्र सहित, सूरत की बारहखड़ी, पूजा संग्रह, भरतबाहुबलि रास (२८ पद्य) प्रादि पाठ हैं। ६८७५. गुटका सां०७४ । पत्र सं० ३७ । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण 1 थेष्टन सं. ४५२ । विशेष-पूजा संग्रह है । ९८७६. गुटका सं० ७५। पत्र सं० १०१ । भाषा-हिन्दी । ले• काल' X । पूर्ण । वेष्टन सं०४०।। ६८७७. गुटकर २०७६ । पत्र सं० २३ । भाषा-हिन्दी । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१६ । विशेष---शान चिन्तामणि 'मनोहरदास' जन बारहखड़ी, 'सरत' लषु बारहखड़ी 'कनक कीति' । वैराग्य पच्चीसी, प्रमपच्चीसी, अलियुग कथा, जैन शतक, राजुल पच्चीसी, बहत्तर सोख प्रादि हैं । ९८७८. गुटका सं०७७ । पत्र सं० १५० । भाषा-X ।ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं. 500। विशेष—नित्य पूजा पाठ संग्रह है। Page #1121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६० ] [ प्रस्थ सूची- पश्चम भाग ६८७६. गुटका सं० ७८ पत्रसं० ७० भाषा-हिन्दी ले० काल X पूर्ण देन सं० विशेष – चौरासी गोत्र श्रादि का दर्शन हैं । ८८०. गुटका सं० ७६ | पत्रसं० १५६ | भाषा संस्कृत हिन्दी । ले० काल X | पूर्ण । वेष्टन सं० ७६६ । ८०१। २८०१. गुटका सं० ८० पत्र सं०७० भाषा-संस्कृत-हिन्दी ले काल X पूर्ण वेष्टन सं० ७६७ । विशेष साधारण पाठ एवं पूजाए हैं । ६८८२. गुटका सं० ८१ वेन सं० ७९६ १८८३. गुटका सं० २०६६ भाषा-संस्कृत-हिन्दी ले० काल सं० x पूर्ण वेष्टन ०७८ । विशेष -- स्तोत्र व पूजा पाठ संग्रह है । ८८४. गुटका सं० ८३ । पत्रसं० ७७ भाषा-संस्कृत-हिन्दी ले काल x 1 पूर्णं न सं० ७६० । विशेष --- पूजा, स्तोत्र यादि का संग्रह है । ६८८५. गुटका सं० ८४ पत्रसं० ८७ । भाषा - हिन्दी । ले०काल सं० १८१८ | पूर्ण । बेच सं० ७९१ । विशेष-पत्र ६२ तक जैन शतक (भूधरदास) तथा ६३ - ८७ तक वलभद्र वृत नखसिख वरन - दिया हुआ है। ६८८६ गुटका सं० ८५ पत्रसं० २२६ भाषा-संस्कृत-हिन्दी वे० काल x पूर्ण येन सं० ७० ६ । विशेष पूजा संग्रह है। वेष्टन सं० ७८७ ॥ पत्रसं० १५० भाषा संस्कृत हिन्दी । ले-काल x | अपूर्ण ८८७ सुटका सं० ८६ पत्र० ४६ भाषा संस्कृत-हिन्दी ले० काल x । पूर्ण । 1 नेष्टन सं०] ७५१ । १८८८ गुटका सं० ६७ पत्र० ११४ भाषा संस्कृत-हिन्दी लेकास X पूर्ण वन ०७८८ । विशेष-पद, रोष एवं पूजाओं का संग्रह है । गुटका सं० ८८ पत्रसं० २७० 1 भाषा-संस्कृत - हिन्दी । ले० काल X । पुखं । विशेष – पार्टी का असंह है। ६६००. गुटका सं० ८ पूर्ण वेष्टन सं० ७८४ विशेष – पूजा संग्रह है। ० १५५ भाषा-संस्कृत-हिन्दी । वे काल सं० १६२१ | Page #1122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] ६८९१. गुटका सं० ६०० १६२ भाषा हिन्दी ने०का स० ७८५ । विशेष पूजा संग्रह है । ९८९२. गुटका सं० बेटन सं०] ७५० शिष्ट सं० ७७८ नगाद भोजाई गीत - श्रानन्दवर्द्धन । दिगम्बरी देव पूजा- पोसह पांडे | काम विधि रतनसूरि मीणा पार्श्वनाथ स्त्रोत्र भानुमाति स्थूलभद्र रासो उदय रतन । कलावती सती सभा तथा भैरू संवाद १८६३. गुटका सं० ६२ । पत्र सं० १४२ । भाषा - हिन्दी । ले०काल X पूर्ण वेष्टन सं० ७७६ । । । x । सं० ७७६ ॥ २१० १५० भाषा - हिन्दी सेन्काल सं० १८२१ । पूर्णं । ति जिनवर साल बील स्तवन जसकीति । उपमानविय साधुकीति सिकाय जिन । - विशेष - पद संग्रह सिज्माय, अबुंदावल तीर्थ स्तवन, संवत् १८२६ पौष ख़ुदी ११ से १८३१ माघ बुदी तक की यात्रा का खौरा, मोडी पार्श्वदाय स्तवन सिद्धाचल स्वय २८६४. गुटका सं० ६३ । पत्र ० १ से १६१ भाषा - हिन्दी । ले० काल X | पूर्ण । विशेष पूजा पाठ संग्रह है। १८६५. गुटका सं० ६४ पत्र [सं० २० । भाषा - हिन्दी । ले० काल x । अपूरणं । वेष्टत [ १०६१ पूर्ण पेटत विशेष - ज्ञानकल्याण स्तवन तथा चर्चा है । सं० ७७४ । ६८६६. गुटका सं० ६५ । पत्र सं० ८४ | भाषा - हिन्दी । ले० काल X पूर्ण श्रेष्टन सं० विशेष - दानशील तप भावना आदि पाठों का संग्रह है। समय सुन्दर सिद्धाचल स्तवन, ग्रानन्द कारण मन्दिर भाषा बनारसीदास रास, गौतम स्वामी रास, विजयभद्र पार्श्वनाथ रसबन विजय वाचक जमातीसी समय सुन्दर । ६८६७. गुटका सं० २६० २२६ भाषा - हिन्दी | Roकाल पूर्ण न विशेष - छोटे र पक्षों का संग्रह है । ८. गुटका सं० ६७ भाषा-संस्कृत-हिन्दी ले०का X अपूर्ण बेष्टनसं० ७७५ । विशेष-पूजा पाठ सादि है । Page #1123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६२ ] १. भक्तामर स्तोष २, पद १८६६. गुटका सं० १ पत्रसं० ३१२ ० ६६६ भाषा संस्कृत-हिन्दी ले०काल X पूर्ण वेष्टन मं० १५० । विशेष निम्न पाठों का संग्रह है 1 पद - प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर ( बयाना ) विशेष - जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। अठारह नाते का चौढाल्या तीन चोवीसी के नाम तथा चौपाई - प्रतिलिपि की थी। नमजी की डोरी पांवापुर गीत सालिभद्र चोग विशेष अन्तिम पद्य निम्न प्रकार है लक्ष्मणदास राजमति सुनु हो रानी घनश्याम जरथ दूर गयो जब चेती लोहट मेघकुमार दीव नन्दू की सप्तमी कथा श्रादित्यवार इति श्री तोस चीपई नाम ग्रंभ समाप्ता ० माशु राम जिनराजसूर ० काल सं० १६७० चासो मुदी १ जयपुर के पार्श्वनाथ चैत्यालय में प्रतिनिधि हुई थी। विराम मो । हिन्दी भाऊ 39 " " नाम बोई ग्रंथ में रम्यो नाम हम विस्याम | जैसराज सुत ठोलिया जोबिनपुर सुभवान। सत्तरासै उनचास में पुरण ग्रंथ सुभाष चैत्र उजासनी पंचमी विजैसिंह नृपराय । एक बार जो सरभहै अथवा करखी पाउ नरक नीच गति के विष रोपे कीली गाढ | रूपसम्पजी विजेरामजी विना कामली के ने हिन्दी [ प्रश्थ सूची- पंचम भाग 13 " १३ संस्कृत हिन्दी ४ अंतरे ३ अंतरे ६६-६० पत्र ए०० १७४६ जे० काल सं० १८०६ ७६ ७६ १०८ ०काल सं० १००३ मादमा बुदी ११ । कासनी के ने प्रतिलिपि की थी। हिन्दी १०२ १०३ ११६ Page #1124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०६३ १२५ धन्ना उपई नित्य पूजा पाठ नेभिश्वर रास धन्ना सज्भाय अ० रायमल्ल त्रिलोकप्रसाद हिन्दी १८२ ले०काल सं०१००१ पूगी संवाद २० काल सं० १६६३ २०१ संबल सोलस सटेबैत्र सुदि रविवार । नवमी दिन काला भावस्वो रास रच्यो सुविचार । विजागच्छ मांडणपुर वारा सूरदेव राज । श्री घनंदन दिने हुई सुसीस मुकाज । इति मृमी संवाद संपूर्ण । चौरासी जाति की उत्पत्ति श्रीपाल गरा ज. रायमल्ल २३२ पंम मंगस्त रूपचन्द जन्म कुण्डली १. साह रूपचन्द के पौत्र सथा टेकचन्द के पुत्र की सं० १८२५ का २. साह 'टेकचन्द की पुत्री (मानयाई) की सं० १८२६ की। प्रद्य म्न रासो ० रायमल्ल २० काल सं० १६२६ ले०काल सं० १९०७ पं. रडमल ने प्रतिलिपि की थी। भविष्यदत्त कथा ब्रह्मा रायमल्ल हिन्दी ३१२ अपूर्ण ६९००, गुटका सं० २ । पत्रसं० १६६ । प्रा०६३४४ इच । भाषा-संस्कृत । ले० काल ४ । पुणे । वेष्टन सं० १४८ । विशेष- सामान्य पूजा पाठों का हांग्रह है। ९.०१. गुटका सं० ३। पत्र सं० ८० । प्रा०६:४४ इन्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० कान । अपूर्ण-जीणं 1 वैप्टन सं० १४६ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ६६०२, गुटका सं० ४। पत्र सं० ७३ । प्रा० ६४५१ इन 1 भाषा-संस्कृत-हिन्दी । काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० १४७ । विशेष-निम्न पूजात्रों का संग्रह है-- वृहद सिद्ध पूजा शुगनन्द गंस्कृत अष्टालिवा पूजा . Page #1125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६४ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ६६०३. गुटका सं०३५ २०६७ इन्च भाषा - हिन्दी ले काल X पूर्ण वेष्ट सं० १४५ । । विशेष- निम्न पाठों का संग्रह है । वृन्दावन स्तुति महंत देव मंगलाष्टक स्तवन मरहूड़ी जम्बूस्वामी पूजा ले " १९०८. गृहका सं० १० X। चपूर्ण वेष्टन सं० १३७ ॥ हिन्दी 19 ९२०४. गुटका सं० ६ पत्रसं० २० मा० X ३ इथ भाषा-संस्कृत-हिन्दी ल X पूछें बेन सं० १४३ । विशेष- - जैन गायत्री विधान दिया हुआ है । विशेष पूजाओं का संग्रह है। कल्याणमन्दिर स्तोत्र भाषा जिनसहस्रनाम स्तोत्र भक्तामर स्तोत्र 33 " | ६६०५. घुटका सं० ७ । एष सं० ८४ ० ७४५ इव भाषा संस्कृत-हिन्दी पत्र | । काल x | पूरणे । वेष्टन सं० १४० विशेष - सामान्य पाठों का संग्रह है । जम्बूस्वामी पूजा 1) ०६. गुटका सं० ८०२४० ५x४३ इन्च भाषा-कृत-हिन्दी ले० काल X पूर्ण न ० १४२ । विशेष – सामान्य पाठों का संग्रह है । ०७. गुटका सं० ६ पत्र हो० २३०७३४६ भाषा-हिन्दी-संस्का X [अपूर्ण वेष्टन सं० १४० ॥ विशेष - सामान्य पूजा एवं अन्य पाठों का संग्रह है बनारसीदास जिनसेनाचार्य पत्र १-१६ १७-१६ १६- २५ २६-२६ सं० ७.१४०० ४३५ इञ्च भाषा - हिन्दी | लेकाल १९०६. गुटका सं० ११ । पत्र सं० ८१ । श्रा० ५ X ३ इञ्च । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । ले० काल X | पूरखे । वेष्टन सं० १३८ | विशेष- मुख्यतः निम्न पार्टी का संग्रह है हिन्दी संस्कृल हिन्दी मातु गाचार्य १०. मुटका सं० १२ । पत्र सं० १० । झा० ६३४५ इश्व | भाषा - हिन्दी | लेकाल x पूना सं० १३६ । विशेष निम्न पाठों का संग्रह है- जगत राम १-१३ Page #1126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०६५ चमत्कारजी पूजा हिन्दी रोटतीज ग्रत कथा चुनीलाल बैनाडा १५-२६ र० काल सं० १६०९ विशेष--कवि करौली के रहने वाले थे। ९६११. गुटका सं० १३ । पत्र सं० ८१ । प्रा० ८६४५३ इन्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० १३४ । विशेष---निम्न पुजाओं का संग्रह हैचौबीस महाराज पूजा रामचन्द्र पंचमेरु पूजा ७३-८१ ९६१२. गुटका सं० १४ । पत्रसं० १०१-१६६ । प्रा० ६३४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले कालः । अपूर्ण । बेष्टन सं० १३५ । विशेष पूजाओं का संग्रह है ६६१३. गुटका सं० १५ । पत्रसं० ४८ । प्रा० ७४६ इन्छ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले. काल सं० १८५१ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३३ 1 विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैपंच नवकार प्राकृत भक्तामर स्तोत्र मंत्र साहिल संस्कृत ऋषि मंडल स्तोत्र १२-१७ श्रीपाल को दर्शन हिन्दी १७-२० नवलादेव जी २०-२२ महा सरस्वती स्तोत्र संस्कृल २३-२४ पथावती स्तोत्र २४-२६ कल्याण मन्दिर स्तोत्र कुमुदचन्द्र चितामणि स्तोत्र संस्कृत नेमि राजुल के बारह मासा हिन्दी ४२-४६ पाश्र्वनाथ स्तोत्र लक्ष्मी स्तोत्र पभप्रभदेव বন गुणसूरि हिन्दी ले०काल सं० १८५१ ९६१४. गुटका सं० १६ । पत्रसं० २६ । प्रा७१४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०१३२ । विशेष-देवाना के पदों का संग्रह है। । । । । । । । Page #1127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६६] [ ग्रन्थ सूत्री-पंचम भाग १६१५. गुटका सं० १७ । पत्र सं० ३२ । प्रा० ७३४ ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १३१ विशेष- मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है१. भक्तिमाल पद बलदेव पादली हिन्दी चौबीस तीर्थकरों का स्तवन है। २. पद पदों की संकपा है। ६९१६. गटका सं० १८ । पत्र सं० ६६ । प्रा०५४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। लेकाल सं. १८२३ द्वितीय चैत बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३० । विशेष-तत्वार्यसूत्र की चतुर्थ अध्याय सक हिन्दी टीका है। ६६१७. गटका सं० १६ । पत्र सं० १२७ । आ६३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । विशेष पूजा एवं स्तोत्र तथा मामान्य पार्टी का संग्रह है। बीच के तथा प्रारम्भ के कुछ पत्र नहीं है। १९१८. गुटका सं० २० । पत्रसं० ३७४ । प्रा० ६४३३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल ४ । पूर्ण । बेधन सं० १९८ । विशेष--निम्न पाठों का संग्रह है। तत्वार्थ सूघ के प्रथम सूत्र की टीका कमक्रकीति हिन्दी सामायिक पाठ टीका स्वदासुखजी , १६. गुट का सं० २१ । पत्र सं० ३६ । श्रा० ३४७ इञ्च । भाषा हिन्दी । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२७ । विशेष-स्बानी हरिदास के पदों का संग्रह है। पत्र २३ तक हरिदास के १२६ पदों का संग्रह है। २३ पत्र से २६ दें पत्र सक विठ्ठलदास के ३८ पदों का संग्रह है । २६ पत्र से ३६ पत्र तक बिहारीदास का पद रहस्य लिखा हृमा है। १६२०. गुटका सं० २२ । पत्र सं० ११४ । मा० ३४६ च । भाषा-संस्कृत-प्राकृत-हिन्दी। ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ । विशेष-मुख्यत: निम्न पाठों का संग्रह है। ग्रंथ ग्रंथकार भाषा विशेष पहा प्रतिक्रमण प्राकृत पद महमद १-४ प्रारम्भ भूत्यो मन' शमरारे काइ मर्म विवसनि राति । मायानी यांच्या प्रापीयौ भमं प्रमलजाय ॥१।। Page #1128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [१०६७ अन्तिम महमद कहै वस्त्र बहरीयो जो कोई प्राव रे साथ । मापनो लोभनी वाहिते लेखो साहिन हाथ ॥७०।। भूल्यो कल्याण मंदिर स्तोत्र कुमुदचन्द्र भक्तामर स्तोत्र मानतुगाचार्य, कलियुग की कथा प्रारती दीपचंद चौबीस तीर्थंकर प्रारती मोतीराम वराग्य षोडश धानवराय चौबीस तीर्थकर स्तुति उदर गीत छीहल आदिनाथ स्तुति अचलकीति अनुप्रेक्षा नेमिराजुल गीत गुरगचन्द्र प्रारम्भ के ७ पद्य नहीं हैं । ८ यां पद्य निम्न प्रकार है प्रवधू प्रारम मंजन साला हरि गवे खेलत संग जिन राय रे । करजु गह्यो प्रभु नेम को हरि करि प्रगुलि लपटाई हो ।। देव तहां जप जप कर बाजे दुंदुभिनाद रे । पुष्प वृष्टितहां प्रति भई बिलख भई कर वाहुरे ।। अन्तिम पुर सुलताप सुहावरणी जहां बस सराबग लोगजी। पुर परियन मानन्ध स्यों कर है विविधरस भोगी जी ।।७१॥ फाटा संघ सुहावरणा मथुरा गच्छ अनूपरे । शीलचन्द्र मुनि जानिये सब जतियन सिर भूपजी ।।७२।। तासु पट जस कौति मुनि काटा संघ सिंगार रे । तासु शिस गुणवंद मुनि विद्या गुणह भंडारू रे ॥७३॥ मन वच क.या मावस्यों पढहि सूनहि नर नारि रे। रिद्धि सिद्धि सून संपदा तिन चरणन पर वारि रे ।।७४।। इस से प्रागे के पद नहीं हैं। द्वादशानुप्रेक्षा सूरत हिन्दी Page #1129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम माग अन्तिम हंसा दुर्लभी हो मुकति सरोबर तीर । इन्द्रिय बाहियाउहो पोक्त विषयह' नीर ।। अति विषयनीर पियारा लागी बिरह वेदन व्याकुले । बारह प्रेक्षा सुरति छाडी एम भूलो घायले । अब होउ एतनु फहक तेता बुद्ध बंसद जम्मण । संज्ञा समरणउ आप सरनाउ परम रयनत्तय गुणु ।।१२।। इति द्वादशानुप्रेक्षा समापिता । प्रादिनाथ स्तुति बिनोदीलाल हिन्दी खिचरी कमलकीति प्रारम्भ संजम की प्रभु सेज मंगाऊ स्यावाद को गदुवा । पानी हो जिन पानी मंगऊ चरचा चौविध संघकी। प्रारज जाय अजवाइन लाई, पीपर कोमल जावरी । धनिया हो जिन पद को लाइ मूढ महामद छांडिये । श्रीरज को प्रभु जीरो लाई सन्त्र यिसयारसु चेक्षणा । सुकल ध्यान की सूठ मंगा कर्मकांड ईधनु परणे । हिन्दी अन्तिम श्री आदिनाथ जिनराज" "श्रावग हो तहां चतूर सूजान । धर्म ध्यान गण आगरी कीजे............. परमारथि जानि । यह विनती जिनराज की चहूँ संघ के.......... 'कल्याण । थी कमल कोति मुनिहर कही.... इति खिचरी समाप्ता सोलहसती की सिझाय प्रेमचंद क्षेत्रपाल गीत सोभाचंद भक्तामर स्तोत्र भाषा हेमराज ले०काल सं. १८२८ बैशाख वद्रो विशेष-जतीमान सागर ने जती सेवाराम के पठनार्थ पिंगोरा में प्रतिलिपि की थी। श्री महावीर जी के प्रसाद से । गणपति स्तोत्र संस्कृत बारहखड़ी सुदामा हिन्दी वीर परिवार स्थूल भट मिझाय गुरगवर्द्धन गरि पत्राजी की बीनती Page #1130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०६६ शत्रुजय स्तवन समयसुन्दर हिन्दी सत्वार्थ सूत्र उमास्वामी संस्कृत भक्तामर स्तोत्र मानतुग लक्ष्मी स्तोत्र चौसठ योगिनी स्तोत्र वृषभदेव चंदना प्रानद ऋषि मंडल स्तोत्र सस्कृत पोसह कारण गाथा गौतम पृच्छा जिनाष्टक ९६२१. गुटका सं० २३ । पत्रसं० ४८ | या० ५३४४. इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकालX । पूर्ण । वेष्टत सं०६२। विशेष-पूजाओं तथा अन्य सामान्य पाठों का सम्रह है। ६६२२. गुटका सं० २४ । पत्रसं० ७६ 1 प्रा० ७४५३ इश्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल X । पुरणं । धेन सं. ११ विशेष-मख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है१. बाहुबलिछंद कुमुदचन्द हिन्दी २० काल सं० १४६७ विशेष-कुल २११ पद्य हैं रचना का प्रादि अत भाग निम्न प्रकार हैयादि का पाठ पत्र १३) प्रथमविपद प्रादीश्वर केरा, जेह नामे छटे भय फेरा । ब्रह्म सुता समरू मति दाता, गुण चरण पंडित जगविदत्ता ॥२॥ भरत महीपति कृत मही रक्षण, बाहुबलि वलवंत विचक्षरण । तेह भनो करमु नवछंद, सांभलता भणता प्रानद ॥३॥ देह मनोहर कौशल सोहै, निरषतां सुरतर मन माहे । तह माहि राजे अति सुन्दर, साकेता नगरी तब मदिर | मध्य पाठ विकसति कमल अमल दलपंती, कोमल कमल समुज्जल कंती 1 बनवाडी श्री राम सुरंगी अंब कदंबा ऊबर तुगा ॥४२॥ करणा केतकी कमरख केली, नव नारंगी नागर वली । अगर नगर वरु तंदुक ताला, सरल सुपारी तरल तमाला १४३|| बदनि बकुल बादाम विजोरी, जाई जुई, जंबू जंभीरी । चंदन चंपक चार चारोनी, वर वासंति बर सोली ॥४४11 Page #1131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७० ] [ अन्य सूची-पंचम भाग अन्तिम पाठ संवत चौदस में सदसटो, ज्येष्ठ पालक पंचमः तिथि हटे। कवीवर वारे घोघा नपरे, अति उतंग मनोहर शुभ परे ।।२०७॥ अष्टम जिनवर ने प्रासादे सांभलियो जिनगाना सुखारे । रलकीर्ति पदवी गुरण पुरे, रचियो छंद कुमुद शशी सूरे ॥२०८।। सोभलतां भनर्ता प्रानंद, मव प्रातप नामे सुख कंद । दुख दरिद्र बहु पीडा नाले, रोग शोक नहि प्राव पास ।।२०६॥ शाकिनी डाकिनी करे चकरं भूत प्रेत जावे सहू पूरं । रोग भगंदर विपासे, सुख संपति भविजन परकासे २१॥ कलस-- उत्कट बिकट कठोर रोर गिरि भंजन रात्यवि । विहित कोह संदोह मोहतम प्रोध हरण रवि । विहित रूप रति भूप चारु गुण कूप विनुत कधि 1 धनुष पांच सै पचीस वरत सहेय सनू छवी ।। संसार सारि ल्यागं गतं विवुद्ध वृद बंदित चरण । कहे कुमुदचन्द्र भुजबल जयो सकल संघ मंगल करण ॥२११।। इति बाहुबलि छंद संपूर्ण । २. नेमिनाथ को छंद हेमचन्द्र हिन्दी - थी भूषण के शिष्य) विशेष—यह रचना २०५ पचों की है। रचना का प्रादित भाग निम्न प्रकार हैप्रारम्भ विदेह विमल वेषं स्तंभ तीर्थस्य नायकं । गीराध नौतमं वीरं छंद प्रारंभ सिद्धये ॥११॥ छंद बाल--- प्रथम नमोह जिन मुखजेह बज बज नादे सकल विदेह । वदन सुखंदे निर्मल कंदे विभुवन वदे भात सुचंदे ॥२।। झलकति झल्ले झगमग गल्ले, चतुर मुजाय गण गण चल्ले । कमंडल पोथी कमल मुहस्ती मधुर वचेना शुभ वाचती ।।३।। मध्य साग राय मनोहर घारिनी नारी पतिवरतानो व्रत धर नारी । समरीराय निज चित्त मझारी, इम अनुभवता सूख संसारी ||८|| गधी विनात पेत्त पत्रारी, सोम मुखी सोमांति मोरी । नेत्र जीति चकित चकोरी, साहन की गज गमन विहारी ।।६।। Page #1132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०७१ मल पत्ति हीडे जोबन भारी, पैष पवति विषय विकारी। विधि पानि रिती भी गातिलः अहिारी॥१०॥ अन्तिम पाठ काष्ठा संप विख्यात धर्म दिगंबर घारक । तस नंदी तटगच्छ मरा विद्या भवितारक । गुरु गोमम कुल गोत्र, रामसेन गछ नायक । नरसिंघ पुरादि प्रसिद्ध द्वादश न्याति विधायक । तद अनुक्रमे भागु भन्या गछ नायक श्री कार । श्री भूषण सिष्य कहे हेमचन्द विस्तार ।।२०।। ३- राजुल पच्चीसी विनोदीलाल ४-नेमिनाथ रेखता ५-गजुल का बारहमामा विनोदीलाल ६-वलिभद्र बीमती मुनिचन्द्र सूरि ७ बारह खडी +-अनित्य पंचाशिका त्रिभुवनचन्द्र १-जैन शतक भुधरवास ६६२३, गुटका सं० २५ । पत्र सं० १३५ । प्रा०५३ ४७३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-सस्कृत । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६६ | विशेष-पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है। १६२४. गटका सं० २६ । पत्रसं० ११४ । पा. ७४५९ इञ्च । भाषा - हिन्दी-संस्थत । लेकाल । पूर्ण । बेन सं... विशेष-पजामों का संग्रह है । ६९२५. गुट का सं० २७ । पत्र सं० २१-१२१ । प्रा० ६४६ इन्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टनसं० ८७ ।। विशेष-यायुर्वेद के नुस्खे है । २६. गुटका सं० २८ । पत्र सं० ३६-३२० । ग्रा० ६४७ इञ्च । भाषा--हिन्दी। विषय - संबह 1 र०कालX । ले० काल X । अपूर्ण 1 वेष्टन सं० ८५ । विशेष-पूजा तथा स्तोत्र संग्रह है भ्रमर कोष एवं प्राधिस्य कथा संग्रह आदि है। EE२७. मुष्टका सं० २६ । पत्र सं० ३-२०६। प्रा०६४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयसंग्रह। ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. विशेष-वृन्दावन कृत कवीसी पूजा है । तया सुखसागर कृल अष्टालिका रासो भी है। Page #1133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७२ ] २८. गुटका सं० ३० पत्र सं०७८८७ हथ विषय-संग्रह २०शान X ले० काल सं० १८९३ माघ सुदी १५ । पूर्ण वेष्टन ०६४ निम्न पाठों का संग्रह है प्रध पद्मनंदि पच्चीसी भाषा हा विमान समयसार नाटक स्तोत्रत्रय भाषा तत्वसार चोवीस दण्डक आदि पाठ चेतन परिष श्रावक प्रति कमरण सामायिक पाठ तत्वार्थ सूत्र सामायिक पाठ भाषा चरचा शतक विलोक वर्णन प्राचार्यादि के गुण वर्णन पट्टावली ग्रंथकार जगतराम संग्रह सिद्धांतसार दीपक पंच इन्द्री चोपई चर्चा समाधान भगवतीवास बनारसीदास चावतराय भैया भगवतीदास उमास्वामि जयचन्द द्यानतराय नथमल भूवरदास भूवरदास मुटके के अन्त में निम्न पाठ लिखा हुआ है- भाषा विशेष हिन्दी, संस्कृत र० काल सं० १७२२ फागु सुदी १० हिम्दी " 37 15 चांदर ग्राम सुजाण महावीर मन्दिर जहां नन्दराम प्रस्थान ॐ पाठ घंटे पई || ६॥ सुनयन में जुभाई जैसिंह महालसिंह हरपरसाद अभिनन्द यदि जानियो । रोसनचन्द गंगादास ग्रासानन्द मलचन्द सज्जन धनेक तिहां पढे सरधानियाँ । #1 " प्राकृत हिन्दी संस्कृत हिन्दी हिन्दी [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग भाषा-संस्कृत-हिन्दी । 71 हिन्दी आगे लिखा है कि १२४६ तक तो t सामनाम रही लेकिन सं० १३१६ के शान भट्टारक प्रभा चन्द्र जी ने फीरोजसाह पातिसाह के जोग की वस्त्रांगीकार करणा इद्रप्रस्थ मध्ये यकृत्रिम चैत्यालय बन " भ 27 र० काल सं० १६६.३ सं०] १२४८ तक है। Page #1134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] चोपई संयत् दारास भावे जान. माघ शुक्ल पूर्णमासी बखान सोमवार दिन गोठ, पुरणपाठ वियो प्रति श्रेष्ठ । १२. गुटका सं० ३१ पत्र सं० २७० [सं० x पूर्ण वेटन सं० विशेष मुख्यतः निम्न पार्टी का संग्रह है ग्रंथकार ग्रंथ द्रव्य संग्रह भाषा नक्षत्र एवं वार विचार पंच स्त्रोत्र एवं तत्वार्थ सूत्र तथा पंच मंगल पाठ ज ा भाइयों की कृपा सेती लियो रामनी पाठ नन्दलाल के पढ़ने कू सुनो जातिय ॥ या भूलचुक होइ ताहि सोध सुध कीजो मोहि अल्प बुधजान छिमा उर धानियो || २ || अनन्त व्रत कथा जिनस हसनाम । आदित्यवार कथा विशेष – विभिन्न नक्षत्रों में होने वाले फलों का वर्णन है । लघु प्रादित्यवार कथा पूजा संग्रह जैन शतक पूजा संग्रह शील कथा निशि भोजन कथा अठारह नाता जैन विलास पदसंग्रह चौबीस महाराज पूजा, मुनि ज्ञानसागर जिनसेनाचार्य सुरेन्द्रकीर्ति मनोहरदास भूपरदास भारामल ० १२५७ इव भाषा हिन्दी ले० काल भाषा हिन्दी संस्कृत हिन्दी संस्कृत " हिन्दी 41 हिन्दी rt हिन्दी [ १०७३ " हिन्दी विशेष । ।।। अचलकीति भूधरदास बनारसीदास, जगराम कनककीर्ति हर्षचन्द्र जसराम, देवाया, विनोदीलाल, धानतराय, वृन्दावन ३५ पद्य Page #1135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७४ ] [ अन्य सूची-पश्चम भाग १६३०. गुटका सं० ३२ । पत्रसं० २३१ । प्रा० १.४६३ च । भाषा-हिन्दी । ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ८२ । विशेष-जानों का संग्रह है। ९६३१. गुटका सं०३३ । पत्र सं०७-२९५ । प्रा० १०४६६६ञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल ४। पूर्ण 1 वेष्टन सं० ७६ । विशेष-मुख्य पाठों का संग्रह निम्न प्रकार है । ग्रथ ययकार भाषा कल्याण मन्दिर स्तोत्र संस्कृत शास्त्र पूजा द्यानतराय हिन्दी मादित्ववार कथा नवमंगल सालचन्द्र अनन्त व्रत कथा मुनि ज्ञानसागर भक्तामर तथा अन्य स्तोत्र संस्कृत जिन महस्रनाम जिनसेनाचार्य पूजा संग्रह संस्कृत, हिन्दी पादिश्यवार कथा सुरेन्द्रकीति हिन्दी र०काल सं० १७४४ जैन शतक मूबरदास र०काल सं० १७११ चौबीस महाराज पूजा यन्दावन 1 । । । । । । । ६६३२. गुटका स० ३४ । पत्रसं० २६३ । प्रा० १०४६ इञ्च । भाषा - हिन्दी-सस्कृत । ले० काल सं० १६१२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७५ । विशेष-मुख्यत: निम्न पाठों का संग्रह हैग्रंथ गथकार भाषा विशेष माल्यारण मन्दिर भाषा बनारसीदाम हिन्दी भक्तामर स्तोत्र मानतुगाचार्य संस्तुत भक्तामर भाषा हेगराज लक्ष्मी स्तोत्र पमप्रभदेव संस्कृत तत्वार्थ सूत्र उमास्वामी पूजा संग्रह नित्य पूजा, षोडष कारण, दशलक्षण, रलत्रय, पंचमेरू, नंदीश्वर द्वीप एवं चोवीस तीर्थकर पूजा रामचन्द्र कुत हैं। आदित्ववार कथा हिन्दी हिन्दी भाऊ Page #1136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०७५ पंचमंगल रूपचन्द हिन्दी नेमिनाथ के नवमंगल विनोदीलाल २० काल सं० १७०४ सामायिक पाठ संस्कृत व्रत कथाए' खुशालचन्द हिन्दी जिन सहस्रनाम संस्कृत ६६३३. गुटका सं०३५। पत्रसं० २८० । आ० १२४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं. १७६५ चैत बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं०६४ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैपाण्डव पुराण बुलाकीदास र०काल सं० १७८४ सीता चरित्र कविबालक (रामचन्द्र) ६६३४. गुटका सं० ३६ । पत्र सं०६८ । प्रा० ८४६३ इन्च | भाषा-हिन्दी । से०काल । पूर्ण । देष्टन सं० १६ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह है। सूरत की वारदसड़ी हिन्दी पत्र १-१३ मादित्यवार कथा माऊ भूधरदास, अगतराम १६-१७ चौबीस महाराज पूजा बुन्दावन प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर, वयाना । ६६३५. गुटका सं० १ । पत्रसं० १९६ । प्रा० ५६४४३ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । देष्टन सं० १५१ । विशेष—मुख्य पाय निम्न प्रकार हैंबारहखड़ी नवमंगल रविव्रत कथा भाऊ वाईस परीषह वर्णन लावणी जिनदास पद लाभ नहि लीया जिनन्द भजिक अव अजब रसीलो नेम रूडागुरुजी लावणी र०काल १८७४ पद खान मुहम्मद Page #1137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग सोरठा करषा तोसौं कौन करिबो कर काम भवथर हर । करत बीमती बलभद्र राजा । करत टंकार हुकार बर बक्यो तीन लोक भय चक्रलं जाग्या । बाई कर अगुली कृष्ण हिण्डोलियो नेमनरनाथ राजाधिराजा ॥२॥ तौसी स्वामी नम पुखवर भरवो मान दुर्जन गरयो कंप नारि बास गया। हिरन रोझ सार'ग हरित्रास झड़कत फिर एबंध गजराज बह दुक्ख पाया ॥३॥ संतती दंतती अजरतो अमरतो सुद्धतो बुद्धतो ज्ञानबंता ।। माई सिवादेवी के उदर उपनियो चित्त चिन्तामनी रतनबंता ॥४|| तोसो स्वामी जिन नाग सिज्यादली नेम जिम लि बली बाई कर अगुली धनुष साजा । ब्रह्म ब्रह्मापुरी इन्द्र आसन टरी कपियो सेष जब संस बाजा ||५|| तोसी छपन कोटि जादौ तुम मुकुट मनि तीन लोक तेरी करत सेवा खान महमुद करत है बीनती रासिले शरण देवाधिदेवा ॥६॥ तोसी कौन करबो कर काम भय थर हर करत बीनती बलभद्र राजा ॥७॥ इनके अतिरिक्त जगतराम, भूधरदास, द्याननराय, सुखानन्द प्रादि के पदों का संग्रह है। भूधरदास का जन शतक भी है। १९३६. गुटका सं०२ । पत्र सं० २७४ । प्रा० ६४५३ इन्च । भाषा-हिन्दी। ले. काल सं० १८५० भादवा बुदी ६ । अपूरणं । वेष्टन सं० १५० । विशेष-मुन्य पाठ निम्न प्रकार हैंशाङ्गधर टीका हिन्दी ले. काल सं० १८५० भादवा सुदी ६ । अपूर्ण । विशेष प्रति हिन्दी टीका सहित है। बैर में प्रतिलिपि हुई थी। मब्जद प्रश्नावली हिन्दी Page #1138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] श्रजीणं मंजरी यंत्र वल्लभ चोबी महाराज पूज शास्त्र पूजा विशेष – मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है - गुरु पूजा बीस तीर्थंकर जखदी पंचमेश पूजा त्रेपन क्रिया कोष बारडी शनिश्चर की कथा कलियुग की कथा मैनाम ले० काल सं० १८५० ३७. गुटका सं० ३ | पत्र सं० १३३ ॥ श्र० १० १४७ इव । भाषा - हिन्दी । ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० १४९ । लोलिम्बराज - मोकार की चौप आदिनाथ स्तुति राजुल बारहमासा राजुल पच्चीसी रेखला रवन कथा रामचन्द्र पदसंग्रह जैन पच्चीसी ० विनास हकीति सुखानन्य ० गुलाल 21 J: „ सुरेन्द्र कीर्ति हिन्दी संस्कृत २० काल सं० १६६५ कार्तिक सुदी ३ सूरत हिन्दी हिन्दी ग गांडे केशव , पद्य विशेष पांडे केशवदास ने ज्ञान भूषण की में रखा से रचना की थी। भैया भगवतीदास विनोदी लाल हिन्दी प विशेष – निम्न पाटों का संग्रह है हिन्दी परा नवल, जगतराम नवल " " きま JP 23 け [ १०७७ PI से० काल सं० १८५१ 12 पत्र सं १७ ५० काल सं० १७४४ हिन्दी (पद्य) 1 6 २३ २३ २८ ** ११८ १३१ १३१ ३८. गुटका सं० ४ ० ५० ० ७६ ६च भाषा हिन्दी संस्कृत लेकाल X पूछे। वेष्टन सं० १११ । विशेष-पंच मंगल रूपचन्द के एवं तत्वार्थ सूत्र श्रादि प ठ हैं । १४० १४१ ל, १३. गुटका सं० ५० १०-६५०५६ भाषा-हिन्दी का X पूर्ण वेष्टन सं० ११० । I ל १७७ पत्र १०-१४ १६ Page #1139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७८ ] बारह भावना श्रादित्यवार कथा बारहखडी राजुल पच्चीसी अक्षर बावनी नवमंगल पद धर्म पच्चीसी चाहनाने की कथा विनती विनोदीलाल देश वहाँ बनारसीदास श्रचलकीर्ति अमल कौन जाने कल की खबर नहीं इह जब में पल की। यह देह तेरी गरम होपसी चंदन चरची ॥ सतगुरु तें सीखन मानी विनती अमल की भक्तामर स्तोत्र तत्वार्थ सूत्र पंच मंगल जिन महसनाम नवले सुरेन्द्र कीर्ति विशेष मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है- मानतु चार्य उमास्वामी पत्र लक्ष्मी स्तोत्र विनली पितामर स्तोत्र सूरल लालबन्द विनोदीलाब द्यानतराय ध्यान वरन बावनी MAAJ -- रूपचन्द जिनसेनाचार्य इनके अतिरिक्त देवा ब्रह्म विनोदीलाल, मूधरदास मादि के पदों का संग्रह है। , मारक, रत्नकीर्ति पद्म प्रम वृन्द हर सुख संस्कृत ६६४०. गुटका सं० ६ प ११२ । प्रा० ७१X५ इञ्च । भाषा संस्कृत | ले० काल X पूर्ण वेष्टनसं० ९९| 35 हिन्दी संस्कृत हिन्दी संस्कृत हिन्दी 32 13 S T पद्म 11 J 가 " श [ ग्रन्थ सूची पंथम भाग ० काल सं० १७४४ (२०काल सं० १७५८ ) ३३ ५६ ६६४१. गुटका सं० ७ पत्रसं० २२ श्र० ७४५ इव भाषा-संस्कृत-हिन्दी । से० काल X पूर्ण वेष्टन सं०६८। विशेष नित्य पाठ संग्रह है। • ४५ ४८ ६२ ६२ २५ Page #1140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०७६ ९४२. अटका सं०८। पत्रसं० ५२ । प्रा०x४, इछु । भाषा-हिन्दी । ले.साल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६७ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैअठारह माते की कथा मचलकीर्ति हिन्दी आदित्यवार कथा इसके अतिरिक्त नित्य पूजा पाठ भी है। ६६४३. गुटका सं०६ । पत्रसं० १०८ । प्रा०६४६ हश्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । विशेष-निम्न पाठों का सम्रह हैजैन शतक भूधरदास हिन्दी र० काल सं० १७८१ शील महात्म्य वृन्द नित्य पूजा पाठ एवं नवल, बुधजन, भूघरदास आदि के पदों का संग्रह है। ६६४४. गुटका सं० १०। पत्र सं० ४२ । आ०८४४ इटच । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४ | विशेष—नित्य नैमित्तिक पूजा पाठों का संग्रह है। ६६४५. गुटका सं० ११ । पत्रसं० ६५ । प्रा. ६:४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६५ । ६६४६. गुटका सं० १२ । पत्र सं० ८ से ८८। प्रा०६:४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले० काल ४ । अपूर्ण । वैष्न सं०६३ । विशेष - मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह हैआदित्यवार कथा विनोदीलाल हिन्दी (प) जखडी बीस बिरहमान हर्षकीर्ति विशेष-इनके अतिरिक्त नित्य नैमित्तिक पूजाए भी हैं। ६९४७. गुटका सं० १३ । पत्र म० १०४ । प्रा० ८४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ८८ | विशेष—निल्य नैमित्तिक पाठ संग्रह एवं जवाहरलाल कृत सम्मेद शिखर पूजा है। ९९४८. गटका सं० १४ । पत्रसं० ३०० | प्रा. ४५६ इ.। भाषा-हिन्दी-सस्कृत 1 ले० काल X । पूर्ण । पेरुन सं० ५५ । विशेष-बीच के पत्र सं०७१-२३३ तक के नहीं हैं। मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। बारहखडी सूरत हिन्दी राजुन बारहमासा विनोदीलाल । पूर्ण Page #1141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग ६६४६. गुटका सं० १५ । पत्रसं० ३७ । प्रा० १३४५१ इन्न । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ८४ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है । नेमि नव मंगल विनोदी लाल हिन्दी (पद्य) र०काल सं०१७४४ सावण सुदी ६। बारह भावना भगवतीदास रविवत कथा सुरेन्द्रकीति र०काल सं० १७४४ जेठ बुदी १०। बारहखडी सूरत इनके अतिरिक्त नित्य पाठ और हैं। ६६५०. गुटका सं० १६ । पत्र सं० १४० । श्रा० ११४५३ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत । ले० काल x पूरन ti विशेष-.. मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है-- पंच मंगल प्राशाघर संस्कृत अहंद भक्ति में से है। सज्जनचित्त बल्लभ मल्लिग हिन्दी अथ सहित पर अपूर्ण। ले०काल सं० १८९७ श्रावक प्रतिज्ञा नंदराम सोगाणी हिन्दी पत्र सं०१८ द्रव्य संग्रह नेमिचन्द्राचाम प्राकृत चौबीस ठाणा चर्चा प्रतिष्ठा विवरण हिन्दी ऋषि मंडल स्तोत्र संस्कृत वनपंजर स्तोत्र प्रारम्भ-परभेष्ठी नमस्कारं सारं रवपदात्मकं । प्रान्गरक्षा करं वीरं वळपिंजर स्वराम्यहं ।। योगसार योगीन्द्र देव अपभ्रंश याहार वन इनके अतिरिक्त भक्तामर स्तोत्र, चौबीसी के नाम पट्टावलि, सूतक निर्णय, चौरासी गोत्र, सामायिक पार, बारह भावना, विषापहार, बाईस परिषह, एवं निवारण काण्ड आदि पाठों का संग्रह है। ६९५१. गुटका सं० १७ । पत्रसं० ६ । प्रा० ११४५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । लेकाल सं० x पूर्ण । वेष्टनसं० ५६। विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है..... पादिश्यवार कथा हिन्दी अन्य पाठ Page #1142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०४१ अपूर्ण ६९५२. गुटका सं० १८ । पत्र सं०७ । प्रा० ७X५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५३ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैज्ञानांकुश संस्कृत १-५ मृत्यु महोत्सव योग पाठ ६६५३. गुटका सं० १६ । पत्रसं० २६ । आ० EX६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १६०७ । अपूर्ण । वेष्टन सं०५०।। विशेष—निम्न पाओं का संग्रह हैबुधजन सतसई बुधजन हिन्दी जयपुर के जैन मन्दिर चैत्यालयों का वर्णन ० काल सं० १९०७ अन्य पाठ संग्रह ९६५४. गुटका सं० २० । पत्र सं० १२४ । प्रा० ६४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४ । विशेष-निम्न पाठों संग्रह का हैभक्तामर सवैया हिन्दी १९-४२ चरचा शतक द्यानतराय ४३-८१ जंन शतक भूधरदास ८१-१२४ १६५५. गुटका सं० २१ । पत्र सं०७४-१०६ । प्रा० ५:४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल सं० १९०१ । अपूरणं । वेष्टन सं०४२ । विशेष--मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह हैजैन संध्या संस्कृत १-५ थपूर्ण सोम प्रतिष्ठापन विधि चरचा शतक चानतराय हिन्दी ७७-१०६पूर्ण १९५६. गुटका सं० २२। पत्रसं० २६७ । प्रा०६४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल सं १९०७ । पूर्ण । । वेष्टनसं० ४१ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैश्रावक प्रतिक्रमण प्राकृत-हिन्दी पत्र १-६६ लेकाल सं० १९०७ सामायिक पाठ प्राकृत-संस्कृत ६७-१०४ तत्वार्थ सूत्र टीका संस्कृत-हिन्दी १०५-२०७ Page #1143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८२ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग १५ सामायिक पाठ भाषा २०८-२३३ तस्वसार भाषा द्यानतराय हिन्दी ५-१५. पंच मंगल प्रायाधर : सज्जन दिन वल्लभ मल्लिा संस्कृत १६-२० हिन्दी अर्थ सहित है। व्रतसार २८-३० लधुसामायिक किशनदास ३१-३४ १६५७. गुटका सं० २३ । पत्रसं० ११५ । मा० x ४ इन्च । माषा-संस्कृत-हिन्दी । ले. कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४० । विशेष-निम्न पदों का संग्रह है :स्वयंभू स्तोत्र संस्कृत समन्तभद्र अष्ट पाहुड भाषा हिन्दी ६६५८. गुटका सं० २४ । पत्रसं० ३३-१४७ । श्रा० ५३४३३ इञ्च । माषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। E६५६. गुटका सं० २५ । पत्र सं. ८६ [ प्रा० ५.४४ इञ्च | भाषा हिन्दी संस्कृत । ले०कास ४। पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ९६६०. गुरका सं० २६ । पत्र सं० ८५ । मा० ४५३ इञ्च । माषा-संस्कृत । ले काल सं० १८.... ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह हैएकीभाव स्तोत्र संस्कृत वादिराज देवसिद्ध पूजा प्रात्म प्रबोध ९६६१. गुटका सं० २७ । पत्रसं० ६५ । आ० ६३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले०काल XI अपूर्ण । वेष्टन सं० २४ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। एकीभाव स्तोत्र तत्वार्थ सूत्र जिनसहस्रनाम स्तोत्र प्रमरकोश वादिराज उमास्वामी जिनरोताचार्य .: अमरसिंह संस्कृत संस्कृत Page #1144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०६३ १९६२. गुटका सं० २८ । पसं० २० । प्रा० ६४३३ इञ्च । भाषा संस्कृत प्राकृत । लेकाल X पूर्ण । वेष्टन सं० २२ । विशेष—मूलाचार प्रादि ग्रन्थों में से गाथाओं का संग्रह है। ६६६३. गुटका सं० २६ । पत्रसं० १४० । मा० ६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल X ।पूर्ण । येष्टन सं० २१ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह है। भाऊ धादित्यवार कथा संबोध पंखासिका बुधजन १००-१०७ - इसके अतिरिक्त पूजाओं, भक्तामर एवं कल्याणमन्दिर प्रादि स्तोत्र पाठों का संग्रह है। ६६६४. गुटका सं० ३० । पत्र सं० ३८ । पा. ४६४३३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैपार्श्वनाथ स्तोत्र कल्याणमन्दिर स्तोत्र कुमुदचन्द दर्शन एकीभाव स्तोत्र वादिराज १९६५, गुटका सं० ३१ । पत्र सं०७३ । प्रा० ६ x ४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले०काल ४ । पूर्ण । वेटन सं० २० । विशेष गुटका जीर्ग है । सामान्य पाठों का संग्रह है। ६६६६. गुटका सं० ३२ । पत्रसं० १२ । ग्रा. ७१४ ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १६१० पूर्ण । वेष्टन सं० १३ । विशेष--निम्न पार्टी का संग्रह है - चेतनगारी विनोदीलाल पत्र १-२ शिक्षा मनोहरदास नेमिनाथ का बारहमासा विनोदीलाल राजुल गीत शांतिनाथ स्तवन (२०काल सं० १७४७) भविष्यदत्त रास ० रायमल E- २ र०काल सं० १६३३ Page #1145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८४ ] प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बैर ( बयाना ) ९१६७. गुटका सं० १ ० १६४ प्रा० ८४ इञ्च भाषा हिन्दी से०काल सं० १७२० : पू । वेष्टन सं० ५६ । विशेष-- निम्न गाठों का संग्रह है चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न ० रामस्त हिन्दी ले०काल सं० १७२० मानन्दराम मे प्रतिलिपि की थी एवं कुशला गोदीका ने प्रतिलिपि कराई थी। श्रीपाल स्तुति रविवार कथा जदी बारह अनुप्रेक्षा निमित उपादान बीस तीर्थंकर जकड़ी चन्द्रप्रभ जकडी पद भाऊ रूपचन्द बनारसीदास इनके अतिरिक्त नित्य पूजा पाठ चौर है। षोडषकारण पूजा सूर्योद्यापन ऋषिमंडल पूजा हिन्दी JP ० जयसागर 27 12 सुशास बनारसीदास जाको मुख दरस है भगत को नैनन को थिरता बनि बढी चंचलता दिनसी मुद्रा देखि केवली की मुद्रा याद आवे जे जाके मार्ग इन्द्र की विभूति दीसी एसी । जाको जस जगत प्रकास जग्यो हिरदान सोही सूधमती होई इदी सो मलिनसी कहत बनारसी महिमा प्रगट जाकी सोहै जिनकी सवीह विद्यमान जिनसी ॥ " 1> [ प्रन्थ सूची- पंचम भाव ६६६८. गुटका सं० २ । पत्रसं० १०१ । भाषा - हिन्दी (पद्य) 1 ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५ । १२६९. गुटका सं० ३३ पद दरगाह कवि०२६। १९७०, गुटका सं० ४ पत्र सं० २०२ ०६७ इन्च भाषा-संस्कृत-हिन्दी ले० काल सं०] १८१३ पूर्ण वेष्टन ० ३२ । विशेष – मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है सुमतिसागर संस्कृत ور १७२० קן १७२५ | | 1 पत्र १८ - २० २६-३७ ३७-५५ Page #1146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका सांग्रह ] [ १०८५ त्रिशंश्चतुर्विशति पूजा शुभचन्द्र रणमोकार पतीसी सुगति सागर रलय अताधायन १२०-१३२ धुत स्कंध पूजा १३२-१३५ भक्तामर स्तोत्र पूजा १३५-१४६ गररावर दलय पूजा शुभचन्द्र १४१-१४६ पंच परमेष्ठी पूजा यगोनंदी संस्कृत १५०-१५५ पंच कल्याणक पूजा १८६२०२ १९७१. गुटका सं०५ । पत्रसं० १७६ । ग्रा० ७४५ इन्च । भाषा हिन्दी । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१ । १९७२. गुटका सं० ६ । पत्र सं० १६५ । ग्रा. ६४५ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल x 1 पूर्व । वैत पं०२३५ । विशेष-पूजा एवं स्तोत्र पाठों का संग्रह है। प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर कामा ( भरतपुर ) ९६७३. गटका सं० १ । पत्रसं० १२० । प्रा० ५४ ४ इन्च । माषा-हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । देष्टन सं० ११२ । विशेष--मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। यादित्यवार कथा, तेरह काठिया, गच्चीसी 1 ६६७४. गुटका सं० २ । पत्र सं० १७० 1 ग्रा. ७४५ इन्च । भाषा-हिन्दी। ले०काल x पूर्ण 1 वेहन सं० ११३ 1 विशेष-हिन्दी पदों का संग्रह है। ६६७५. गुटका सं०३ । पत्र सं० १०८ | पा० ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल ४ | पूर्ण । वेष्टन सं० ११०। विशेष-स्फुट पाठों का संग्रह है। ६६७६. गुटका ४ । पत्रसं० १०८ । प्रा. ७४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १११ । विशेष-पूजा संग्रह है। १९७७. गुटका सं०५। पत्र सं० ७७ । प्रा० १२ x ५ इञ्च 1 भाषा प्राकृत-हिन्दी ।ले काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १०८।। विशेष--गुमास्थान पीठिका दी हुई है। ७८. गुटका सं०६।पत्र सं० २१० 1 प्रा०६x४ इञ्च । भाषा-प्राकृत-हिन्दी लेकाल पुर्ण । वेष्टन सं० १० । विशेष-स्फुट पूजा पाठों का संग्रह है। Page #1147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८६ ] [प्रन्थ सूची-पंचम भाग भाऊ - ६६७६. गुटका सं०७। पत्रसं० २१० । या०६:४४ दृक्ष । भाषा-हिन्दी । काल सं. १८९४ । पूर्ण । वेश्न सं०१५। विशेष---मुख्यत: निम्न पाठों का संग्रह है। सम्भेदशिखर पूजा जवाहरलाल हिन्दी चौबीसी नाम यादित्यवार कथा नित्य पाठ संग्रह १९८०. गुटका सं०८ । पत्रसं० ८७ । प्रा० ७४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन स १४ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह हैनित्य पाठ संग्रह, प्रादित्यवार कथा (भाऊ) परमभ्योति स्तोत्र आदि । ६६८१. गुटका सं०९ पत्र स० १६ । प्रा० ११४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल < । अपूर्ण । वेष्टन सं० ८५ । विशेष पूजा पाठ संग्रह है। ६६८२. गुटका सं० १० । पत्र सं० १८ । प्रा. ७१४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ने०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६ । विशेष---मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है -- १. तत्वार्थ सूत्र हिन्दी टीका सहित । २ ज्ञानानन्द प्रावकाचार । ३. निर्वाण काण्ड प्रादि । १९८३. मुटका सं० ११ । पत्र स. ६-१६ । मा० ७४५३ इञ्च । भाषा संस्कृत-हिन्दी । ले० काल - । अ पूर्ण । वेष्टन सं०७२ । विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। ६६.८४. गुटका सं०१२ । पत्रसं०१३२ 1 ना. ६x६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकालXI अपूरणे । वेष्टन सं०७३ ।। विशेष .. निल्य पूजा पाठ संग्रह है। ९९८५. मुटका सं०१३ । पत्र सं०६०। ग्रा.१.४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल सां० १९८६ । अपूर्ण । वेष्टन सं०६६। विशेष : नित्य पुजा पाठ, तत्वार्थसूत्र, भक्तामर स्तोत्र, आदि का संग्रह है । सूरत की बारहखड़ी भी है। सं०१४ । पत्र सं. ६-१६ | पा.७४५६ इंश्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल X । अपूर्ण । श्रेष्टन सं०७० । विशेष - बारहमासा वर्णन है। Page #1148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १० १९८७. गुटका सं० १५ । पत्रसं० १०० । प्रा० ७४६ इन्च 1 भाषा-हिन्दी । लेकाल सं. १९०३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५१ । विशेष-मुख्यत: निम्न पाठों का संग्रह है-- लघु चारावय नीतिशास्त्र भाषा काशीराम हिन्दी विजेष .. १० काल सं १७०४ कृष्ण रुक्मिणी विवाह २२० । दावलीला १६ गम १९८८गुटका सं०१६। पत्र सं. २०८ | ग्रा० ८४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-किन । ले-काल । पूर्ण । धन २६ । विशेष- स्फुट पाठों का संग्रह है। BEER. गटका सं०१७ । पत्रसं० ३५३ । प्रा० १२४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले कान X । पूर्ण । देष्टन सं० २०1 विशेष –पत्र २८ तक संस्कृत में रचनाए हैं । फिर ३२५. पत्र तक सिद्धांतसार दीपक मापा है । वह अपूर्ण है। ECEO. गुटका सं० १८ । पत्रसं० २८० : प्रा० ४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १४ । विशेष---विविध पूजाए हैं। EEE१. गुटका सं० १६ । पत्रसं० १६५ । प्रा० १२४७३ इञ्च । भाषा-हिनी-मन । ले०काल पूर्णे । वेष्टन सं०११। विशेष-३४ पूजा पाठों का संग्रह है। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दीवान जी कामा (भरतपुर) REE२. गुटका ० १ । पत्रसं० १६० । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं. ३४४ । विशेष-पूजाओं का संग्रह है। ६६६३. गुटका सं० २१ पत्र सं० १५५ । आ. ७४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-मस्का । लेकाल ४ | अपूर्ण । वेष्टन सं० ३५६ । विशेष--नित्य पूजा पाठ संग्रह तथा तत्वार्थ सूत्र आदि हैं । RE६४, गुटका सं०३। पत्रसं० १५५ । आ०७४५ इच । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । अपूरणं । वेष्टन सं० ३.४६ ।। विशेष-नित्य काम पाने वाले पाठों का संग्रह है। REE५. गुटका सं० ४। पत्र सं० १२३-१०५ पुनः १-५६ । प्रा० १०४६३ इञ्च । भाषा... संस्कृत । ले-काल x अपूर्ण । बेष्टन सं. ३४२ । विशेष-पूजा तथा अन्य पाठों का संग्रह है। Page #1149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८८ ] [ अन्य सूची-पंचम भाग ६६६६. गुटका सं०५ । पत्र सं० ४०५ । आ. Ex६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्तुत । ले० काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० ३४३ । विशेष -विविध पाठों स्तोत्रों तथा पूजामों का संग्रह है। R६६७. गुटका सं० ६। पत्र सं० २३५ । प्रा०६x६ इञ्च । भाषा--हिन्दी । लेकाल सं० १५५६ । ग्यपूर्ण । वेष्टन सं० ३३९ । विशेष---फुटकर पद्य है। भविष्यदत्तरास तथा पंचकल्याणक पाठ भी हैं । बीच में कई पत्र नहीं हैं। ६६६८, गुटका सं०७। पत्र सं० ५३-१६२ । प्रा. Ex ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० ३४० । विशेष-भविष्यवत रास तथा श्रीपाल रास हैं । प्रति जीणं है। &६६६. गुटका सं० ८ । पत्र सं० १४१ । आ० ६x४ इश्च । माषा-हिन्दी । लेकाल सं० १६४३ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३३८ । विशेष-हिन्दी के विविध पाठों का संग्रह है। मालोचना जम्माल ब्राजिनदास हिन्दी नेमीपवर रास १००००. गुटका सं० ६ । पत्र सं० ३८५ । प्रा० ८३४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३३१ । विशेष-निम्न रचनाओं का संग्रह हैपद गुणचन्द्र हिन्दी बारात यशःकीर्ति सामुद्रिकशास्त्र संस्कृत गुरु शिष्य प्रश्नोत्तर मदन जुझ बुचराज हिन्दी रचना काल सं० १५८६ जिन सहस्रनाम जिनसेन संस्कृत पूजा संग्रह गरपधर वलय पूजा ज्वालामालिनी स्तोत्र धाराधनासार देवसेन रवित्रत कथा हिन्दी श्रावकाचार धर्मचक्रपूजा संस्कृत तत्वार्थसूत्र उमास्वामी ऋषि मंडल स्तोत्र । । । । । । । । । । । । । । भाऊ Page #1150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] चेतनपुल धमाल पद पद (राजमति) पूजा चूनड़ी ससिवारास नेमीश्वरस कोल्हा महाद्वीप विशेष- रचनाकार संबंधी पद्य भिन्न प्रकार है अबधु वधू परीक्षा (अवानुषं क्षा) रोस की पाथडी जय जय स्वामी पापडी पंडित गुण प्रकाश चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न मनकरहारास बटोला हिंदोला पंचेद्रियबेलि वृचराज बल्ह (वृचराज) वृचराज पदमवन कथा कथा संग्रह परमात्मप्रकाश पाशो के बली धन्यकुमार चरित्र ब्र० रायमल्ल ० दीप विशेष प्रदीप टोटा भीमसेन के रहने वाले थे । ० धर्मदास हिन्दी पल्हण नल्ह भैरवदास ठक्क रसी मलकीति जसकीति योगीन्द्र हिन्दी 19 " 下 रमौर की तलहटी जी रखपुरु साधय वासु । नेमिनाथु को देहूरोजी बंभ दीप रवि रासु यह संसारु प्रसार किव होतं भवपारु । हो स्वामी ||२५|| हिन्दी 37 " " 17 अपभ्रंश " ▸▸ " " チノ [ १०८६ रइव अपभ्रंश १०००१. गुटका सं० १० । पत्र सं० १०३ | ०६३x६३ इञ्च । भाषा संस्कृत-हिन्दी । ले० काल x संपूर्ण वेष्टन सं० ३३० विशेष- मुख्यतः निम्न पूजाधों का संग्रह है- गणपरवलय पूजा, वीस चौबीसी पूजा, धरणेन्द्र पद्मावती पूजा योगन्द्र पूजा, सप्त ऋषि पूजा, जलयात्रा, व हवन विधि श्रादि हैं । Page #1151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १०००२. गुटका सं० ११ । पत्र सं० ४६ । प्रा० ८४७ इन्छ । भाषा-हिन्दी । ले०काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० ३२८ । विशेष-द्यानतराय, भूधरदास, जगतराम आदि के पद हैं। १०००३. गुटका स० १२। पत्र सं० ४-६३ । प्रo ex६इ । भाषा-हिन्दी ले. काल X । अपुर्ण । वेष्टन सं० ३२६ । विशेष-हर्षकीति, मनराम, द्यानत आदि की पूजायें तथा जिनपंजर स्तोत्र आदि पाठों का संग्रह है। १०००४. गुटका सं० १३ । पत्रसं० २२६ । प्रा० ६३४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ३०६ । विशेष पूजा पाठ संग्रह, भूपाल स्तोत्र, पंच परमेष्टी पूजा, पंच कल्याणक पाठ (रूपचन्द ऋत) भक्तामर स्तोत्र एवं तत्वार्थ सूत्र आदि का संग्रह है। १०००५. गटका सं० १४ । पत्र सं० ११६ । प्रा० ७४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २८८ । १०००६. गुटकासं० १५ । पत्रसं० ४२ । या०७४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल । मपूर्ण । वेष्टन सं० २५ । विशेष-स्तोत्र एवं पद संग्रह है। १०००७. ग्रटका सं० १६। पत्र सं० २१-२५६ । प्रा० ६४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल X । अपूर्ण वेष्टन सं० २५६ । विशेष--गुटका जीर्ण है । पूजाओं का संग्रह है । १०००८. गुटका सं० १७ । पत्र सं० २७३ । प्रा० ५३४४३ इञ्च । भाषा--हिन्दी । ले०काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० २८७ विशेष--बीच के अधिकांश पत्र नहीं हैं । हिन्दी पाठों का संग्रह है । १०००६. गुटका सं० १८ । पत्र सं० ३६ । प्रा० ६x६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कुत । ले० काल सं० १७८३ पूर्ण । देष्टन सं० २८३ ।। विशेष-आदित्यनार कथा ( भाऊ कवि ) तथा राजलपच्चीसी ( लाल विनोदी) एवं पूजा पाठ संग्रह है। १००१०. गुटका सं० १९ । पत्र सं० १६ । प्रा० २x६ हश्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल सं० १७५३ पौष बुदी ६ । अपूर्ण वेटन सं० २८४ । विशेष-भक्तामर स्तोत्र, कल्याण मन्दिर स्तोत्र, तत्वार्थ सूत्र हिन्दी टीका आदि का संग्रह है। १००११. गुटका सं० २० । पत्र सं० १२५ । प्रा० ७४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं. १७५.८ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७७ ।। विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। नेमिनाथ रास - ले. काल सं० १७५८ अंदन मलयागिरि कथा - लेफाल सं० १७५८ गुटका पढने में नहीं आता। अक्षर मिल से गये हैं । Page #1152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घुटका संग्रह ] [ १०६१ १००१२. गुटका स० २१ ० १२५ ० ७४४ इन्च भाषा हिन्दी ने काल सं० १७४६ । पूर्ण । वेन सं० २७६ । विशेष-पदों का अच्छा संग्रह है। इसके अतिरिक्त हनुमत रास, श्रीपाल राय मादि पाठ भी है। १००१३. गुटका सं० २२ । प० २४४ | ० ६६३ इञ्च भाषा - हिन्दी-संस्कृत 1 लेकास X पूरी बेष्टन सं० २६१ । विशेष- विविध पाठ पूजाओं का संग्रह है । १००१४. गुटका सं० २३ । पत्रसं० ३५४ ॥ श्र० ७ X ६ इव । भाषा - हिन्दी | लेकाल X अपूर्ण वेटन सं० २५० । विशेष- संद्धांतिक चर्चाएं हैं। १००१५. गुटका सं० २४ पत्रसं० ६७ ग्रा० १०५ व भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल सं० १७६४ श्रपूर्ण वेष्टन सं० २५७ । विशेष निम्न पाठों का संग्रह है। एकीभाव स्तोत्र एवं कल्याणमन्दिर स्वोष भाषा । १००१६. गुटका सं० २५ । पत्रसं० ४४ प्रा० ६५ ६च । भाषा - हिन्दी । ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० २०२ । १००१७. गुटका सं० २६ । सं० ७० प्रा० ६५ ६श्च । भाषा - संस्कृत । ले-काल X पूर्ण वेष्टन सं० १७१। विशेष - स्तोत्र श्रादि पाठों का संग्रह है । प्राप्ति २० । स्थान - दि० जैन पंचायती मन्दिर हण्डावालों का डीग (भरतपुर) भाषा हिंदी-संस्कृत १००१८. गुटका सं० १ एत्रसं० २० वेष्टन सं० २३ । पूजा पाठ हैं । १००१९. गुटका सं० २ पत्रसं०] १२३ भाषा हिन्दी संस्कृत काल x पूर्ण वेष्टन सं० २७ । विशेष – सामान्य पाठों का संग्रह है । १००२०. गुटका स० ३ पत्रसं० ७७ भाषा संस्कृत ले काल X पूर्ण वेष्टन [सं० ०काल X पूर्ण । - विशेष उत्वा मूत्र एवं पूजा आदि हैं। १००२१. गुटका सं० ४ । पत्र सं० २४ । भाषा - हिन्दी संस्कृत । ले० काल X 1 पूर्णं वेष्टन सं० २ ॥ विशेष – पूजा संग्रह हैं । १००२२. गुटका सं० ५। पत्र सं० १५६ से २१३ । भाषा - हिन्दी । ले० काल X। अपूर्ण बेष्टन सं० [सं०] ११ । विशेष – पध्यात्म बत्तीसी प्रक्षर बावनी आदि है। Page #1153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६२ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम नाग १००२३. गुटका सं० ६ पत्र सं० १८२ । भाषा - हिन्दी । ले० काल X | अपूर्ण । वेष्टन विशेष सम्बोध मक्षर बावनी धर्म पच्चीसी तथा धर्मविलास यानवराय कृत है एवं तत्वसार सं० ३५१ भाषा है । १००२४. गुटका सं० ७ ० ४० ते १०३ भाषा हिन्दी । ले० काल सं० १६०७ ॥ । । । अपूर्ण वेष्टन सं० २७ । विशेष पूजा संग्रह है। १००२५. गुटका सं० ८ पत्रसं० २ से ११४ | भाषा - हिन्दी । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० विशेष - बस्तराम, जगराम आदि के पदों का संग्रह है । ३८ । २१ । स० ३० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन बड़ा पंचायती मन्दिर डीग १००२६. गुटका सं० १० १०३ भाषा-हिन्दी ले०कास X पूर्ण वेष्टन सं० विशेष- हिन्दी पदों का संग्रह है। १००२७. गुटका सं० २०२६१ भाषा-हिन्दी-संस्कृत ले काल X पूर्ण येन 1 विशेष पूजा पाठ है । १००२८. गुटका सं० ३ पत्रसं०] १०० भाषा हिन्दी संस्कृत ले० काल x पूर्ण । बेष्टन सं० २६ । विशेष- प्रति जी है, नाममाला, पूजा पाठ आदि का संग्रह है । १००२६. गुटका सं० ४ । पत्र सं० १९९ | भाषा - हिन्दी । ले० काल X। अपूणं । वेष्टन सं ० २७ ॥ २८ । विशेष धर्म विलास में से पद लिखे हुए हैं। १००३०, गुटका सं० ५ । पत्रसं० ६० भाषा-संस्कृत | से० काल X पूर्ण वेष्टन सं० बेटन सं०] १४ । - विशेष- जिन सहस्रनाम, प्रतिष्ठा सारोद्वार ग्रादि के पाठ है । १००३१. गुटका सं० ६ पत्र सं० २४७ भाषा हिन्दी संस्कृत ले० काल X - वेष्टन सं० १५ विशेष-बनारसी विलास, समयसार नाटक तथा पूजा पाठ यादि का संग्रह है। १००३२. गुटका सं० ७ पत्र सं० १२० । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । ले० काल X। पूर्णे | विशेष – पूजा पाठ है । Page #1154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह [ १०६३ १००३३. गुटका ० ८। १५ सं० १७४ । भाषा-अपना -संस्कृत । ले. काल ४ । पपूर्ण । वेष्टन सं० २५ । विशेष-कथा तथा पूजा पाठ संग्रह है । प्राप्ति स्थान-- दि० जैन मन्दिर चेतनदास दीवान. पुरानी डीग १००३४. गुटका सं० १ । पत्रसं० ७२ । प्रा७ १०४ ६३ श्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल x। पूर्ण वेष्टन सं० १७. विशेष-चौबीस तीर्थकर पूजा तथा भक्तामर स्नोत्र मंत्र सहित है । १००३५. गुटका सं०२। पत्रसं० १६६ । प्रा० ३४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं० १७५५ देशात सभी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६ । विशेष-श्रीपाल चरित्र भाषा (परिमल्ल) पन किया, त्रिलोकसार प्रादि रचनाए हैं। १००३६. गुटका सं० ३ । पत्र सं० २५ । घा० ११४७६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल । पूर्ण । जीणं । वेष्टन सं०४४ । विशेष-- सायं सूप एवं सामाद पूजा पाठ संग्रह है। १००३७. गुटका सं० ४ । पत्र सं० ३६ । प्रा० १.१४ ६३ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल X । पुर्ण । वेष्टन स. ४६ । विशेष-पूजाओं का संग्रह है। १००३८. गुटका सं० ५। पत्रसं० ४२ । ग्रा० १६x६५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । ले. काल सं० १८५८ चैत्र बुदी २ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८ । विशेष-सहरी रामदास बिनती पद संग्रह १००३९. गुटका सं० ६ । पत्रसं० २४५ । ०६४५१ इञ्च । भाषा - हिन्दी । ले० काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ४६ । विशेष-समयसार नाटक, खनारसी विलास लथा मोह विवेक युद्ध आदि पाठ हैं । १००४०. गुटका सं० ७ । पन सं० १३४ । या. ६४ ६ इन्च । भाषा - हिन्दी । ले० काल - । पूर्ण । वेष्टन सं० ५११ विशेष जगतराम के पदों का संग्रह है । अन्त में भक्तामर स्तोत्र भाषा तथा पंच मंगल पाठ है। " १००४१, गुटका सं०८। पत्रसं०६० । प्रा०७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले०काल सं० १६०० अपूर्ण । वेष्टन ० ५२ । विशेष-ज्योतिष सम्बन्धी पद्य है। Page #1155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १००४२. गुटका सं०६पत्रसं० ४४ । प्रा. ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०५३। विशेष--मर्तृहरि शतक तथा अन्य पाठ हैं लेकिन अपूर्ण हैं । २२ से आगे के पत्र नहीं हैं। प्रागे शृगार मंजरी सवाई प्रतापसिंह देव विरचित है जिससे कुल १०१ पद्य हैं तथा पूर्ण है। १००४३. गुटका सं० १० । पत्रसं० ६० । पा० ५४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल X। पूर्ण । येष्टन सं० ५४ । विशेष--गुटका नवीन है । हिन्दी पदों का संग्रह है। १००४४. गुटका सं० ११ । पत्र सं० २२-५४ । आर ५४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । अपूर्ण । देष्टनसं० ५५ । विशेष-जन शतक एवं भक्तामर स्तोत्र आदि का संग्रह है। १००४५. गुटका सं० १२ । पत्र सं०-५४ । प्रा० ७४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृतः । लेकाल ४ । अपूर्ण । बेष्टन स. ५६ । विशेष-लक्ष्मी स्तोत्र, ऋषिमंडल, जिनपंजर प्रादि स्तोत्रों का संग्रह है। १००४६. गुटका सं० १३ । पत्र सं० ६५ । प्रा० ५४४ इन्च । भाषा--हिन्दी। ले०काल सं. १८२३ । पूर्ण । वेष्टन सं०५७ । विशेष-चेतन कम चरित्र (भगवतीदास) पद-जिनलाभ सूरि, दादाजी स्तवन, पार्श्वनाथ स्तवन आदि विभिन्न कवियों के पाठ हैं। १००४७. गुटका सं० १४ । पत्रसं० २३२ । प्रा० ६४५ इच। भाषा-संस्कृत । से० कास x । पूरणे । वेष्टन सं०५८ । विशेष-षोडश कारण, तीन चौबीसी, षोडश कारण मंडल पूजा, दशलक्षण पूजा-सहस्रनाम धादि का संग्रह है। १००४८. गुटका सं० १५१ पत्र सं० ५१ 1 ग्रा. ७४५३ इञ्च । माषा-हिन्दी । ले०काल x। पूर्ण 1 बेदन सं०५६ । विशेष-हिन्दी के विविध पाठों का संग्रह है। १००४६. गुटका ०१६। पत्रसं० ६० । या० ८४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले० काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० ६० । विशेष—पंध स्तोत्र, तत्वार्थ सूत्र, सिद्ध पूजा, षोडशकारण तथा दशलक्षण पूजा का संग्रह है। १००५०. गुटका सं० १७। पत्रसं० ४४ । श्रा० ७६४५ इश्व । भाषा---हिन्दी । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६१। विशेष-सामान्य हिन्दी पदों का संग्रह है। १००५१. गुटका ० १८ । पत्र सं० १४४ । पा. ८४५ इंच । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६२ । विशेष-पूजा संग्रह, समाधक, बारहमासा, नेमिनाथ का ब्याहला, संवत्सर फल, पाशा केवली पाठों का संग्रह है। Page #1156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] १००५२. गुटका सं० १६ ! पत्र सं० ४६ । आ. ७४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । ले० काम सक १८२४ । पूणे । वेष्टन सं० ६३ । ६५ पच २. पदस्थ ध्यान लक्षण ७४ पय ३. बारह भावना ४. दोहा पाहुड योगीन्द्रदेव विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है । सेवाराम पाटनी ने कुम्हेर में प्रतिलिपि की थी। १००५३. गुटका सं० २०। पत्रसं० २० । प्रा० ७४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल सं० १८.३ पोप सुदी ११ । । पूर्गा । वेष्टन सं० ६७ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह हैभक्तामर स्तोत्र मानतु'गाचार्य सस्कृत जम्बूरवागी पूजा हिन्दी प्राणीडा गीत मंगल प्रभाती बिनोदीलाल १००५४. गुटका सं० २१ । पत्रसं० ८४ । प्रा० ६४४१ इंच भाषा-हिन्दी । ले०काल सं. १७६७ पूर्ण 1 वेष्टन सं० ६८ । विशेष-मुख्यत: निम्न प्रकार संग्रह है-- फुटकर सर्वया हिन्दी सिद्धांत मुगा चौबीसी कल्याणसास कल्याण मन्दिर भाषा बनारसीदास बारहखड़ी कालीकवच विनती नेमिकुमार भुयरदास पद नेमिकुमार हू'गरसीदास १००५५. गुटका सं० २२। पत्र सं०७६ 1 प्रा० ६३४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी- संस्कृत । ले०कास x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं०७७ विशेष –पूजा पाठ, जिनदास कृत जोगीरास, विषापहार स्तोत्र, भामुकीति कुत रविव्रत कथा (र० काल सं० १६८७) क्षेत्रपाल पूजा संस्थत एवं सुमति कुमति की जखडी विनोदीलाल की है। १००५६. गुटका सं० २३ । पत्रसं० २५१ । प्रा० ३४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७६ । विशेष--करीब ७८ पाठों का संग्रह है। प्रारम्भ में ७२ मी दी हुई हैं । मुख्य पाठ निम्न हैं१. अठारह नाता-- कमलकीति । (२) घंटाकरण मंत्र । (३) मंगलाचरण हीरानन्द । (४) गोरख बारोटतीज कथा (६) चेतनगारी (७) सास-बहु का झगड़ा-देवाब्रह्म । (८) सरत की बारहखड़ी आदि । Page #1157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १००५७. गुटका सं०४ । पत्रसं १० | प्रा. ८४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल सं० १८८७ माह् सदी ५। पूर्ण । बेष्टन सं० ८० । विशेष–पुरणस्थान चर्चा तत्वार्थ सूत्र हिन्दी अर्थ (अपूर्ण) सहित है। पं० जयचन्द जी छाबडा ने प्रतिलिपि की थी। १००५८, गुटका सं० २५। पत्र सं० १७० । प्रा७६४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं० १७८५ द्विः बशाल सुदा ३ । पूणे । वेष्टन सं० ८५ । विशेष-निम्न पाठ हैं१. श्रेपन त्रिया कोश-किशनसिंह 1 ले०काल सं. १७८५ । पूर्ण । १६२ पत्र तक। २. ८४ आसादन दोष-हिन्दी । १००५६. गुटका सं० २६ । पत्र सं० ६२ । प्रा० ३४६३ रन्छ । भाषा-हिन्दी । ले • काल x अपूर्ण । वेष्टन सं० २६ । xxxx Xxx पत्र १५ तक । र०काल सं. १७७० फागुण बुदी २ । पत्र २८ तक रिकाल सं. १७७० चैत्र बुदी ८ ११२ पद्य है। पत्र ३५ तक । र०काल सं० १७६८ पत्र ४३ तक । र० काल स०.१७०२ चैत सुदी १४ पत्र ४६ तक । रकाल सं० १७७२ पत्र४६ तक। ५ ५६ तक। पत्र ६२ तक । र०काल सं०१७६६ । प ६३ तक। १. रत्नकरण्ड थावचार भाषा x २. समाधि तंत्र भाषा ३. रमणसार भाषा ४. उपदेश रत्नमाला ५. दर्शनसार ६. दर्शन शुद्धि प्रकाश ७. अकर्म बंध विधान ८, विवेक चौबीसी है. पंच नमस्कार स्तोत्र भाषा x १०. दर्शन स्त्रोत्र भाषा रामचन्द्र ११. शुभतवादी जयाष्टक १२. चौरासी आसादना १३. बत्तीस दोन सामायिक १४, जिन पूजा प्रतिक्रमण १५. पूजा लक्षण १६. कषायजय भावना १२, वैराग्य बारहमासा प्रश्नोत्तर चौपई १८. जयमाल १६. परमार्थ विशतिका २०. कलिकाल पंचासिका २१. फुटकर बचनिका एवं कवित्त x xxx xxx ६७-७२ तक ७१ ., Page #1158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फुटका संग्रह ] 1१०६७ --- - - - १००६०, मुटका सं० २७ । पत्रसं० १०६ । प्रा०६३४५६ इन्च | भाषा-संस्कृत-हिन्दी। लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६१ । विशेष-नित्य पूजा पाठ संग्रह है। १००६१. गटका सं० २८ । पत्रसं०६२ । प्रा० ७४५ इख । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३ । विशेष-तत्वार्थ सूत्र, पूजा पाठ संग्रह, लक्ष्मी स्तोत्र एवं पर्यों का संग्रह है। १००६२. गुटका सं० २६ । पत्रसं०७० । आ० ७४४३ इच। भाषा-हिन्दी । ले०काल सं० १९६० । अपूर्ण । वेष्टन सं० १४ । विशेष- सैद्धांतिक चर्चा, कृत्रिम अकृत्रिम चैत्य बंदना, बारह भावना, अपन भाव एवं प्रौषधियों के नुसखे हैं । १००६३. गुटका सं०३० । पत्र सं० २३२ । प्रा. ७१४४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं०६५।। विशेष-निम्न पाठ हैं चतुर्विशति पूजा, भक्तामर, सहस्रनाम, राजुल पच्चीसी, ज्ञान पच्चीसी, पार्श्वनाथ पूजा, अनंत अस कथा, सूवा बत्तीसी, ज्ञान पच्चीसी एवं पद (हरचन्द) हैं। १००६४, गुटका सं० ३१ । पत्रसं०३८ । प्रा०६४ ४ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० १६ । विशेष१. रविव्रत कथा सुरेन्द्र कीर्ति र०काल सं० १७०४ । २. पद ब्रह्म कपूर प्रभुजी यांकी मुरत मनड़ो मोहियो । १००६५. गुटका सं० ३२ । पत्र सं० ३२१ । या० ६४४, हथ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०१८ विशेष--निम्न पाठों का संग्रह है१. तत्वार्थ सुत्र उमास्वामी । संस्कृत । २. भक्तामर स्तोत्र मानतुग। " ३. भक्तामर पूजा विश्वभूषण। श्रीकाष्ठसंधे मुनि राम सेनो नंदी तटाल्यो गुरु विश्वसेन । तत्पट्टधारी जनसौख्यकारी विद्याविभुषो मुनिराय वभूव । तत्पादपद्यार्चन शुद्धभानुः श्रीभूषणे वाकिंगजेन्द्रसिंह। भट्टारकाधीश्वर सेव्यमाने दिल्लीश्वरेणापितराजमान्यः ।। Page #1159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६८ [ ग्रन्थ सूची-पंचम माग तस्यास्ति शिष्यो व्रतमारधार शानाब्धि नाम्रा जिनसेवको य । तेन न य प्रपूर्वपूजा भक्तामरस्यात्मज विशुद्ध जैवैः ।। इति भक्तामर स्तोत्रस्य पूजा पुन्य अनादनो । १००६६. गुटका सं० ३३ । पच सं० ३५६ । पा० ६३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल सं० १८३७ वैशाख सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० १००। विशेष-निम्न संग्रह है-- यत्त विवरण । प्रतिक्रमण । दश भक्ति । तत्वार्थसुत्र । बृहत् प्रतिक्रमण । पंच स्लोत्र । गर्भपडार स्तोत्र-देवनन्दि । स्वनावली-वीरसेन । जिनसहस्रनाम-टिनसेन । रविवत कथा-भाऊ । १००६७. गुटका सं० ३४ । पत्र सं० २००१ मा ६४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत, हिन्दी । ० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०१ । विशेष-६० पाठों एवं पदों का संग्रह है । प्रारम्भ के ४ पत्र लेक पाठों की सूची है। मध्य पार ये हैं-चेतन जखडी बाई मेघश्री जखडी-कविदास । रोगापहार स्तोत्र मनराम । जखड़ी साहा लूबरी वर्णन । ऋक्का-मानरामा जन्म-पत्रिका यशालचन्द की पत्र १५७ स्वति श्री गणेश कुल देव्या प्रसादात। जननि जन्म सौख्यानां वर्तनी कुलसंपदा । पदवी पूर्घषुन्याना लिख्यते जन्म पत्रिका ॥ अथ शुभ संवत्सरेस्मिन श्री नृपति विक्रमादित्य राज्ये संवत् १७५६ वर्षे शाके १६२१ प्रवर्तमाने महामांगल्यप्रदुत्तमात्रोतममासे पोषमासे शुभ शुक्लपक्षे सूर्य उत्तरायणे हेमऋतौ पुण्यस्तिथी एकादशी शुक्रवार घटी ४० भरणीनक्षधे घटी............."उमाभादेश संवादे पादौ विशोत्तरी थी भ्रगु दशा मध्य जन्म गौरी जात के अशोतरी श्री शुक्र दसामध्ये जन्म सनि संध्या सनि पाचके, माता पिता आनन्दकारी प्रात्मा दोष विवजितं संघने अर्क गतांस दिन २२ । भोग्यांस दिन दिन प्रमाण घटी २६ । रात्रिप्रमाण घटी २४॥ अहो शनि प्रमाण घटी ६० । सांगानेरि बास्तन्य' साह जी श्री रामचन्द बैनाड़ा गोत्रे तस्पत्र चिरंजीव दयाराम ग्रहे भार्या पत्र जन्म मास वर्ष ८ मास १२ वर्षे १२ वर्ष ६ वर्ष ६ वर्ष १३ शुभं भवत् । कष्टजयधर्म करणं। कांता भयग्रहा वस्त्र स्वर देवहीणी । दालिद्र दुख दाइड मलई प्रपीपिसे सकल लोक विरुद्ध वर्दी केमद गुरणा पायंत्र ईम लापी॥१॥ प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर करौली १००६८ गटका सं० १। पत्रसं० १४८ । प्रा० ७३४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल सं० १५१४ । भादों सुदी५। पूर्ण । अतसं०२५ । विशेष—नित्य एवं नैमित्तिक पूजाओं का संग्रह है । १००६६. गुट का सं०२। पत्र सं० १२४ । प्राय १.४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० २६ । विशेष-पूजा स्तोत्र, पाठ एवं पदों का संग्रह है। Page #1160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १०६६ १००७०, गुटका सं०३। पत्र सं० ७८ । ग्रा० ४१x६ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०७८ । विशेष—पद विनती आदि हैं। १००७१. गुटका सं० ४ । पत्रसं०७४ । मा० ४३ x ३३ इञ्च । माषा-हिन्दी-संरकृत । ले काल X । पूर्ण । बेष्टनसं०१२ । विशेष-जिनसेन कृत सहस्रनाम तथा रूपचंद कृत पंच मंगल पाठ हैं। १००७२. गुटका सं० ५ । पत्र सं० १४ । या० ५४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल x I पूर्ण । वेष्टन मं० १०६ । विशेष-सामान्य पूजा स्तोत्र एवं पाठ हैं। १००७३. गुटका सं०६। पत्रसं० २३ । प्रा० ५४४१ इंच । माषा-हिन्दी । ले०काल सं० १८४२ कात्तिक बुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० १०६ । विशेष-निम्न पाठ हैं(१) सूरसगाई-सूरदास । पद्य सं० ५ (२) बारहमासा-मुरलीदास' । १२ अगहन अगम अपार सखी री या दुख मैं कासों फहूँ। एक एक जीय में एसी श्रावत है जाय यमुना में बहु ।। बहू यमुना जरु पात्रक सीस करवत सारि हों। पंथ निहारत ए दिन बीते को लगि पंथ निहारि हों। निहार पंथ अनाथ में भई या दुख मैं कासों का। भनत मुरली दास जाय यमुना में बहु ।।६।। अन्तिम मनत गिरवर सूज हो देवा गति मकति कसे पाइये । कोटि तीरथ किये को फल बारामासा गाइये। (३) चौवनी लीला---XI (४) कविश–नागरीदास । पत्रसं० १२० । Page #1161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०० ] [ अन्य सूची पंचम भाग (५) पंचायध्याई-नंददास । पत्रसं०१२७ । इति श्री भागवतपुराणे दशमस्कंत्र राज क्रीडा वर्णन मो नाम पञ्चाध्याय प्रथम अध्याय पूर्ण । इसके बाद २६ गद्य और हैं। अब हरनी मन हरनी सुन्दर प्रेम बीसतानी । नददास के कंठ वसो सदा मंगल करनी। संवत् १८४२ वर्षे पोयी दरवार री पोथी थी उलारी। १००७४. गुटका सं०७ । पत्रसं० २२४ । प्रा०६x६३ इञ्च । भाषा हिन्दी । लेकाल सं. १७६६ चैत सुदी १२ । पूर्ण । श्रेष्टन सं० १३६ । विशेष-धर्मविलास का संग्रह है। १००७५. गुटका सं० ८ 1 पत्रसं० ४४४ । प्रा. ९x१३ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत। ले०काल सं० १.१० ज्येष्ठ सुदी २। पुरणं । वेपन सं०१४य । विशेष-दिल्य मित्तिक एवं मंडल विधान प्रादि का है। १००७६. गुटका स०६। सं० ११७ । आ०६:४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल सं० १८४ भादों वदी है। पूर्ण । वेष्टनसं०१६५ । विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजा पाठ स्तोत्र आदि का संग्रह है। प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर सौगाथियों का करौली १००७७. गुटका सं० १। पत्र सं० २६ । प्रा. ६.४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०७३।। विशेष-भक्तामर स्तोत्र आदि हैं। १००७८. गुटका सं० २। पत्र सं० १२-१२८ । पा० ६१४४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। से०काल x । अपूर्ण । बेधुन सं०७४ । विशेष-सामान्य पूजामों का संग्रह है। १००७६. गुटका सं०३ । पत्रसं० १० से ६२ । प्रा० ६X६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल X| अपूरणं । धेष्टन सं० ७५ । १००८०. गुटका सं०४ । पत्र सं० २४ से ११५ 1 प्रा. EX६ इश्च । माषा-संस्कृतप्राकृत 1 ले काल x अपूर्ण । वेष्टन सं०७६ । विशेष--निमित्त एवं नौमित्तिक पूजा पाठ संग्रह है। १००८१. गुटका सं० ५। पत्रसं० ६ से ४५ । मा० ४१४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले०काल ४ । अपूर्ण । श्रेष्ठम सं०७७ । विशेष-अन्तिम पुष्पिकाइति सदैवछसालिगा की बात संपुरमा । Page #1162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११०१ १००८२. गुटका सं० ६ पत्रसं० ३ से १२०६४३ भाषा हिन्दी-संस्कृत । से काल X 1 अपूर्ण देष्टन सं० ७८ ॥ विशेष पूजानों के अतिरिक्त लघु रविग्रत कथा, राजुल पच्चीची, नव मंगल और रविवत कथा (अपूर्ण) है। १००८३. गुटका सं० ७ १ ० ११ से ८०० ६३६ इन्च भाषा-संस्कृत ०काल X । प्रपू वेष्टन सं० ७६ । विशेष एवं पाठों का संग्रह है । १००८४. गुटका सं० ८ पत्र सं०६८ से ३०६ | आ० ६ ६ । भाषा संस्कृत | ले० काल X | पूर्ण । वेष्टन ०८० । विशेष - सामान्य पूजा पाठ हैं। — लि० काल X સ્ २००८५ गुटका सं० ६ पूर्ण वेष्टन [सं० ८१ । विशेष - पूजा, स्तोत्र एव विनतियों का संग्रह है । १०००६. गुटका सं० १० ०कास ०१०४० मंत्र बुदी ८ पत्रसं० ४७ से १४१ ० ६३४ मापा - हिन्दी-संस्कृत १००८७. गुटका सं० ११ पत्र सं० ४ ७७ । ०६५ इश्व 1 भाषा-संस्कृत - प्राकृत 1 ले० काल X| अपूर्ण । वेष्टन सं० ८३ । १. मोक्ष शास्त्र १० २२ से १५५ ०६४४३ भाषा हिन्दी पूष्ट सं०६२। १००८. गुटका सं० १२० ४ ० ५६ इन्द्र भाषा - हिन्दी ले० काल पूर्ण सं०६४ । २००८ गुटका सं० १३ । प० ४१० x ६ छ भाषा-संस्कृत-हिन्दी ० काम० १७८१ पासोज बुद्दी ४ । पूर्ण वेटन सं० ८५ विशेष – निम्न पाठों का संग्रह है। २. रविवार कथा २. स्वामी कथा उमास्वामी X पाण्डे जिनदास संस्कृत १७८५ हिन्दी ले० काल सं० | र० काल सं० १६४२ भादवा बुदी ५ । ले० काल सं० १८२८ । १००६०. गुटका सं० १५० २ से ३६८ ॥ श्र० ८ x ६३ इंच | भाषा-संस्कृत-हिन्दी | ले० काल X। अपूर्ण । बेन सं० ८७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर तेरहपंथी बसवा १००६१. गुटका सं० १ पत्र [सं० x भाषा हिन्दी ले०का X। पूर्ण वेष्टनसं० ७३ । विशेष – निम्न पाठों का संग्रह है Page #1163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०२ ] पद सं० ७२ । चन्द अब मोरी प्रभु सू प्रीति लमी अनेक कवियों के पदों का संग्रह है। रचना सुन्दर एवं उत्तम है । १००६२. गुटका सं० २ । पत्र [सं० x विशेष- निम्न पाठों का संग्रह है। मेघकुमार गीत बन्ना ऋषि सिज्माय सुमति कुमति संवाद पांचो गति की बेलि माली रासो १३० । समय सुन्दर हर्षकी ति विनोदीलाल हकीर्ति [ प्रत्थ सूची- पंचम भाग हिन्दी भाषा हिन्दी ले० काल x । पूर्ण । बेष्टन (२० काल सं० १६८३) हिन्दी JF " 17 जिनदास १००६३ गुटका सं० ३। पत्रसं० २४२ । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । ले०काल X | पूर्ण " वेटन ०२ विशेष – पूजा पाठों का संग्रह है । राजुल पच्चीसी तथा राजुल नेमजी का बारहसामा भी दिया है। १००६४. गुटका सं० ४ पत्रसं० ३० । भाषा - हिन्दी । से० काल X | अपूर्ण । वेष्टन सं ०७४। विशेष – बनारसी विलास में से कुछ संग्रह दिया हुआ है । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बड़ा बीपंथी दौ १००२५. गुटका सं० १ पत्रसं० १५० ग्रा० x ६ इच। ले०काल X। अपूर्ण वेष्टन सं ० विशेष – सामान्य पूजा पाठों का संग्रह । गुटका भीगा होने से अक्षर मिट गये हैं इसलिए अच्छी तरह से पढ़ने में नहीं यासकता है। १००६६. गुटका सं० २०६५ इव । भाषा - हिन्दी संस्कृत । ले० काल X ३ अपूर्ण वेष्टन सं०१३१ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर तेरह थी दौसा १००६७. गुटका सं= १ । पत्र सं० १८४ । ग्रा० १२७३ भाषा - हिन्दी- प्राकृत | ले० काल सं० १६६६ फागुर बुदी । ८ । पूर्ण वेष्टन सं० १३६ । विशेष निम्न पाटों संग्रह है। ज्ञान पच्चीसी, पंचमंगल, द्रव्य संग्रह, श्रेपन क्रिया, दासः गाचा, पात्रभेद, षट् पाहुल गाया, उत्पत्ति महादेव नारायण (हिन्दी) श्रुत ज्ञान के भेद, शियालीसा, षट् द्रश्य भेद, समयसार, दर्शनसार सुभाषितावलि, कर्मप्रकृति, गोम्मटसार गाथा | Page #1164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११०३ १००६८. गुटका सं०२। पत्रसं० २४६ । प्रा० ८४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । x ले०काल ४ । अपूर्ण । वेहन सं० १४० । विशेष पूजानों के संग्रह के अतिरिक्त तत्वार्थसूत्र परमात्म प्रकाश, अष्ट छतीस्त्री, शील रास परमानन्द स्तोत्र, जोगीरासो, सज्जननिसवल्लभ तथा सुप्पय योहा, प्रादि का संग्रह है। दो गुटकों की एक में सी रस्ता हैं। १००६६. गुटका सं०१४ । पत्रसं० ३ से १०५ । प्रा० ८४६ । भाषा-संस्कृत । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६ । विशेष-पंच कल्याण पूजा एवं सामाधिक पाठ हैं। १०१००. गुटका सं० ४ । पत्रसं० २२५ । ग्रा० १०४६ इञ्च । भाषा-प्राकृत । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टनस० १३८ । विशेष-गुणस्थान चर्चा है । गुटका जीर्ण है। प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर भादवा (राज.) १०१०१. गुटका सं०१। पत्रसं० १५६ । ग्रा० ७३४. इञ्च । भाषा'-हिन्दी । ले० काल सं० १७५६ पोप बुदी १ . पूर्ण । वेष्टन सं० ११२ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह है.समरसार बनासरीदास हिन्दी सुदामा चरित्र संज्ञा प्रक्रिया संस्कृत। १०१०२. गृटका सं०२। पत्रसं० २४८ । प्रा० ७४७५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टनसं० १३० । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है-- समाधिसन्त्र भापा पर्वत धर्मार्थी द्रव्य संग्रह मापा (ले०काल सं० १७०० आषाढ सुदी १५ । जोबनेर में प्रतिलिपि हुई थी। १०१०३. गुटका सं०३ । पत्रसं० x बेष्टन सं० १३१॥ विषय-भीग जाने के कारण सभी अक्षर धुल गये हैं। १०१०४. गुटका सं० ४। भाषा-हिन्दी-। ले० फाल.X । पूर्ण । घेष्टन सं० १३३ । विशेष— फुटकर पद्यों में धर्मदास कृत धर्मोपदेश श्रावकाचार है । १०१०५. गुटका सं०५ । पत्रसं०६४। प्रा०८४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर आदिनाथ शमी मालपुरा । Page #1165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०४ ] प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर (अशिष्ट) १०१०६. गुटका सं० १ पसं० १०६ भाषा हिन्दी-संस्कृत के० काल x पूर्ण वेष्टन [सं० २०६ ॥ विशेष सामान्य पाठों का संग्रह है। १०१०७. गुटका सं० २०६५। भाषा - हिन्दी ले० काल X पूर्ण वेष्टन | | । । १३४ । भाषा - हिन्दी-संस्कृत 1 ले०काल सं० १९५० सं० २०४ | पत्रस० १०१०८. गुटका सं० ३ भादवा सुदी २ पूर्ण । वेष्टन सं० २०८ | विशेष—कोई उल्लेखनीय पाठ नहीं है। १०१०६. गुटका सं० ४ पत्रसं०] १४५ भाषा हिन्दी संस्कृत ले०का X 1 पूर्ण । वेन सं० २०३ । १०४१.६२४ भाषा - हिन्दी-संस्कृत व्हाल X चपूर्ण agri० १९४ ॥ १०१११. घुटका सं० ६ सं० ३४ भाषा-संस्कृत ०० १९५२ पूर्ण वेष्टम सं० १६५ ॥ विशेष – तत्वार्थ सूत्र भक्तामर स्तोत्र आदि पाठ है। 1 १०११२. गुटका सं० ७ पत्र सं० ८० भाषा हिन्दी से काल सं० १९२११ष सुदी ११ । वेष्टन सं० २००१ विशेष तर्फ बर्खेन, मृत्यु महोत्सव, गुणस्थान वर्णन, व्रतों का वन द्यर्थप्रकाशिका से लिया गया है । आदित्यवार की कथा भी हैं। १०११३. गुटका सं० ८ पत्र सं० १४१ । भाष- हिन्दी-संस्कृत । ले-काल x । पूर्णं । वेन सं० २११ | - विशेष – सम्यक्त्व के ६७ भेद, निर्धारण काण्ड, भक्तामर स्तोत्र सटीक (हकीर्ति) नवमंगल, राजुल पीनी (विनोदीलास) सुरत की अठारह नाता, मोक्ष पंडी पद संग्रह है। प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर - १०११४. गुटका सं० १ पत्रसं० ७३ पूर्ण वेष्टन सं० २२१ । विशेष निम्नं पाठों का संग्रह - १. पंच बघावा (हर्षकीर्ति) २. आदिनाथ मंगल (रूपचन्द २. खण्डेलवाल जाति उत्पत्ति ४. सरस्वती पूजा ५. कक्का ६. पद मनराम भूलो मन भ्रमरा भाई [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग प्रा० ७५ इन्च भाषा हिन्दी । ले० का X भाषा हिन्दी " ip JP ۲ Page #1166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११०५ १०११५. गुटका सं० २ । पत्रसं० ८-१०३ । प्रा०६१४६३ इन्छ । भाषा-हिन्दी । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२२ । विशेष-मुख्यतः निम्न पारों का संग्रह है१. जिनस्तवन-गुणसागर हिन्दी २. बड़ा फक्का । ३. बारहमासा-खेतसी । ४. राजुल पच्चीसी-विनोदीलाल-लालचन्द । ५. विनती-दीपचन्द । ६. पद-हुपंकीति ७. सीलरथ----शुभचन्द (१५ पद्य) । ८. बटोई गीत । ६. पद-रूपचन्द। १०. विनती--कनककीति । ११, भक्तामर स्तोत्र। संस्कृत १२. छोटा मंगल-रूपचन्द । हिन्दी १३. नेमिनाथ की लहुरि १४. पद-सुन्दर । १५. करम' घटा-कनकक्रोति । १६. पद-जीवा ते तोमर भय वादिगमायो-कनककीति । १७. संबोध पचासिका-द्यानतराय । १५. प्रारती संग्रह। १६. पद-भूधर, धानतराय, भागचन्द । २०. पद-मति चेतन खेलो फागुण हो । ग्रहो तुम चेतन-जगजीवन । जिनराज वरप मन ........"| भुधर । २१. चौबीस तीर्थकर जमाल--विनोदीलाल । २२. निर्वाण काण्ड ( भैय्या भगवतीदास ) २३. बारह-अनुप्रेक्षा। २४. बारह-भावना । २५. प्राणीडा गीत । २६ सं० १८७३ की सीताराम जी की, सं० १७९४ की फलेराम की, सं० १८०३ की बाई खुश माला की-यादि-जन्म-पत्रियां भी हैं। मुनि मायाराम ने दौसा में चि० दीपचन्द की पुस्तक से प्रति की थी। Page #1167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०६ ] यसूची-पंचम भाग हिन्दी १०११६. गुटका सं० ३ । पत्र सं० १५० । प्रा० ६x६३ इश्व । भाषा-हिन्दी । मे० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० २२३ । विशेष-निम्न संग्रह है। १. पद-मनराम २. भक्तामर भाषा-हेमराज है. नाटक समयसार-बनारसीदास ४, नेमीश्वरास-१० रायमल्ल सं० १६१५ ५, श्रीपाल स्तुति ६. चितामणि पाश्वनाथ ७. पंचमति वेलि-हर्षकीति १०११७. गुटका सं० ४ । पत्रसं० १४१ । प्रा० ७४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल x I पूर्ण । वेष्टन सं० २२४ । विशेष—निम्न प्रकार संग्रह है १. सीता चरित्र- रामचन्द्र । पत्रसं० ११६ तक हिन्दी पद्य । २० फाल सं० १७१३ । ले० काल सं० १८४१ । मोतीराम अजमेरा मौजाद के ने सवाई जयपुर में महाराज प्रतापसिंह के शासन में लिखा था। २. जम्बू स्वामी कया-पाण्डे जिनदास । र० काल सं० १६४२ । लेकाल सं० १८४५ । सं० १९६६ में लश्कर के मन्दिर में चढ़ाया था। १०११८. गुटका सं०५। पत्र सं० २६७ । प्रा. +X७ इञ्च । भाषा-हिन्दी। लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २२५ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह है१. जिन सहस्रनाम भापा २. सिन्दूर प्रकरण ३. नाटक समयसार-भाषा-हिन्दी। ४. स्फुट दोहा--भाषा हिन्दी। ७१ दोहे १०११६. गुटका सं०६। पत्र सं० ५२ । प्रा० ६३४५१ च । भाषा-हिन्दी । ले. काल x 1 अपूर्ण । वेष्टन सं० २२६ । विशेष-पट्टी पहाड़े तथा सीधावणं समाना प्रादि पाटों का संग्रह है। १०१२०. गुटका सं० ७ । पत्र सं० १६१ । आ०७४५३ इन्च । भाषा ४ । ले० काल ४ । अपूर्ण । येष्टनसं० २२७ ।। विशेष-मुख्यतःनिम्न पाठों का संग्रह है पट्टावली–बलात्कार गण गुर्वावली है । Page #1168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११०७ पटिकम्मए, सामयिक, भक्ति पाठ, पञ्च स्तोत्र, वन्देतान जपमाल, यशोधर रात-जिरणदास, प्राकाश पंचमी कया-ब्रह्म जिनदास, अठाईस मूल गुण रास-जिणदास, पाणी गालण राम-अ० जिनदास । प्रति प्राचीन है। १०१२१. गुटका सं० ८। पत्र सं० २७ । मा० ५३४१३ इन्च । भाषा हिन्दी । ले० काल अपूर्ण । वेष्टन सं० २२८ । विशेष-नित्य पूजा पाठ संग्रह है। १०१२२. गुटकार सं०६ पत्रसं० १४६ / ०१०४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल X । अपूर्ण । वेपन सं० २२६ । विशेष—विशेषतः पूजा पाठों का संग्रह है। पद- जिन बादल चष्टि प्रायो, भया अपराध क्या किया-विजय कीति समभिनर जीवन थोरो-रूपचन्द । जगतराम आदि के पद भी हैं। पूजा संग्रह, सात सत्व, ११ प्रतिमा विचार-त्रिलोक चन्द्र-हिन्दी (पच) पापपुराण-भूधरदास । १०१२३. गुटका सं० १० । पत्र सं० ३४६ । प्रा० ७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १६९८ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २३० । विशेष---मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है पडिकोपा, श्रु त स्कन्ध--ब्रह्म हेम, भक्ति पाठ संग्रह, पट्टाबलि, (मूल संध) पंडित जयमाल, जसोधर जयमाल, सुदसरण की जयमाल, फुटकर जयमाल । १०१२४. गुटका सं० ११ । पन सं० १४३ । प्रा० ५३ ४ ५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७७७ 1 विशेष--मुख्यतः निम्न कवियों के पदों का संग्रह है किशन गुलाब, हरखचन्द, जगतराम, राज, नवल जोधा, प्रभाती लालचन्द विनोदी लाल, रूपचन्द, सुरेन्द्रकीर्ति, नित्य पूजन, मंगल, जगतराम। नित्य पूजन भी है। सम्मेदशिखर पच्चीसी-मकरण--र०काल सं० १९३६ रविवार कथा-भाऊ कवि भक्तामर भाषा-हेमराज सभी पद अनेक राग रागिनियों में हैं। १०१२५. गुटका सं० १२ । पत्र संEE मा० ६४४३ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ७७८ । विशेष-नित्य पाठ एवं स्तोत्रों के अतिरिक्त कुछ मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैस्तवन-ज्ञानभूपण पद-भानुक्रीति Page #1169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०८ ] [ प्रन्थ सूची-पश्चम भाग पद-पं नाभू पद- मनोहर पद-जिनहर पद-विमलपम बारहमासा की विनती–पांडे राज भुवन मूषणपद-चन्द्रकीति आरती संग्रह १०१२६ गुटका सं० १३ । पत्र सं०६६ । प्रा०५६ ४२३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७७६ । गुटका प्राचीन है। विशेष—मुनीश्वर जयमाल-4. जिणदास हिन्दी नन्दीश्वर जयमाल-सुमतिसागर हिन्दी चतुर्विशति तीर्थकर जयमाल हिन्दी गुरु स्तवन—पारेन्द्र कीति सामयिक पाठ संस्कृत सहस्रनाम-पाषाधिर संस्कृत नित्य नैमित्तिक पूजा संस्कृत रत्नत्रय विधि पूजा १०१२७. गुटका सं० १४ । पत्र सं० २६ । प्रा० X ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टत सं० ७५०। विशेष-निम्न संग्रह हैपार्श्वनाथ स्तोत्र प्रादित्यवार कथा ( अपभ्रंश) मानवावनी-मनोहर (इसका नाम संबोधन बावनी भी है) सवैया बावनी--मला साह बावनी-दूगरसी x १०१२८, गटका सं० १५ । पसं०१८४ । ०६४५इच । भाषा-हिन्दी । ले० काल पूर्ण । वेष्टन सं० ७८१ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैसामायिक पाठ भक्ति पाठ तरवार्थ मूत्र—मादि का संग्रह है । Page #1170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रा ] १०१२६. गुटका सं० १६ । पत्र सं० १७० । प्रा. Ex६ इश्च । भाषा--हिन्दी। ले०काल X। पूर्ण । वेष्टन सं०७८२ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैमदन जुज्ज-खुचराज-काल १५५६ । हिन्दी मार बावनी-मनोहर हनुमान कथा-ब्र रायमल्ल र०काल १६१६ । टंडाना गीत दशलक्षण जयमाल देवपूजा, गुरु पूजा-शास्त्र पूजा सिद्ध पूजा सोलह कारण पूजा कलिकुड पूजा चितामरिश पूजा जयमाल नेमीवर पूजा शांति पूजा गणधर वलय पूजा सरस्वती पूजा शास्त्र पूजा गुरु पूजा १०१३०. गुटका सं०१७। पत्र सं०४२ । पा० ६३४४५ इश्च । वेष्टन सं०७६३ । विशेष-मानमंजरी-नन्ददास । लेकाल सं०१८१६ दः जीवनराज पज्यिा का। इसके आगे औषधियों के मुस्खे तथा बनारसीदास कृत सिन्दुर प्रकरण है। १०१३१. गुटका सं०१८ । पत्र सं० १०२ । प्रा०६x४२ इञ्च । भाषा--हिन्दी-संस्कृत । वेशन सं० ७८४ । विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजा पाठ संग्रह है। १०१३२. गुटका सं० १६ । पत्र सं० १६-९६ । प्रा० ६४४३ इन्च 1 वेष्टनसं० ७८५ । राजुल पच्चीसी लालचन्द पंच मंगल रूपचन्द्र पूजा एवं स्तोत्र १०१३३. गुटका सं०२० । पत्र सं० ४-६७ । माषा-हिन्दी-संग्रह । वेष्टन सं७७८६ 1 बधाई विशेष—पद-सर्वसुख हरीकिशन, सेक्ग, जगजीवन, रामचन्द नवस, नेमकीति, द्यानत, कर्मचरित, १३ पद्य हैं। Page #1171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १११० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १०१३४. गुटका सं० २१ । पत्रसं० १२६ । प्रा०५४६ ५२ । भाषा-हिन्दी-संग्रह। वेष्टनसं० ७८७ विशेष-नित्य पाठ संग्रह एवं विनती यादि हैकल्याण मन्दिर भाषा मेमजी की विनती १०१३५. गुटका सं० २२ । पत्र सं० ६६ । प्रा०६:४४६ १७ । भाषा-हिन्दी-संस्कुस । वेष्टन सं०७०८। कोकशास्त्र प्रानन्द अपूर्ण १०१३६. गुटका सं० २३ । पत्र सं० १६ । प्रा०६१४४३ इन्च । भाषा-हिन्दी । वेष्टन स०७८६ । विशेष-पूजा संग्रह है। १०१३७. गुटका सं० २४ । पत्रसं० ७४ । प्रा०६४५ इञ्च । श्रेष्टन सं० ७६० । विशेष—निम्न पाठों का संग्रहहै-- १. रविवार कथा २. जोगीरासा जिगणदास ३, ज्ञान जकड़ी जिनदास ४. उपदेश चलि पं. गोविन्द पडित गोम्यंद प्रचल महोछव उपदेशी बेलीसार । आधर्म सचि ब्रह्म हेतु भरगी कीधी जासि ने भवपार ।। ५. जिन गेह पूजा जयमाल ६ बाहुबलि देति - शान्तिदास ७. पद ब्रह्म राजपाल ८. तीर्थंकर माता-पिता नाम वर्णन हेमलु ३० पद, र०काल सं० १५४८ है. कवि परिचय है मनिहीन अयानो प्रक्षिर कानो जोड़ि । जो यह पद पहावा भविजन लावइ खोडि ।। कवितामर कहायो नारी कवीशूरु पुत् । कानो मातुम जानो पंद्रहसय अहसाला । वरसा सुगति सुबाला सीतु नो यसराला ।। वस्त डारनी रूमप सोला भलिहइ गाऊ । गोल पूर्व महाजन हेमलु हर तसु नाउ ।। तिसकी माता देल्हा गिला नाउ जिनदास । जो यह कावि पद स्पो कछु पुन्य को प्राशु ।। १०. मुक्तावनी जीत ११. प्राराधना प्रतिबोध सार दिगम्बर १२. राम सीता गीत-बल्य श्री धर्द्धन १३. द्वादशानु प्रेक्षा-अवधू १४. सरस्वती स्तुति-ज्ञानभूषण-हिन्दी Page #1172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] पूजा १५ कलि १६. मांगीतुंगी गीत १०. जंतू कुमार बीत १८. रोहिणी गीत हिन्दी श्रुतसागर हिन्दी १०१३५. गुटका सं० २५ १ ० ४ ६८० ६६३ टन सं० ७६१ । १. शतक संवत्सरी विशेष प्रारम्भ के - प्रारम्भ के ३ पत्र नहीं हैं। सं० १७०० से १७६६ तक १०० वर्ष का वर्षफल दिया गया है। 1 महात्मा भवानीदास ने लवारण में प्रतिलिपि की प्रशस्ति निम्न प्रकार है- सं० १७८५ वर्षे शाके १६४० प्रवर्तमाने मिति पाठ सुदी बार गुरुवासरे सपूर्ण दिल्ली तखतपति साहू श्री महमदसाहि । श्रबेर नगर महाराजा श्री सवाई जयसिंहजी लवाण ग्रामे महाराजाधिराज भी बांका बहादुर श्री रामजी राज फलं व्यं । हिन्दी २. चितोड़ की गजलप्रारम्भ के चार पत्र नहीं है। ३. शंकर स्तोष ४. कर्म विपाक सं० ७६२ । कत्रिने ५६ पञ्च्चों में चित्तौड़गढ का वर्णन किया है। प्रारंभ के ३७ पथ नहीं हैं । रचनाएं ऐतिहासिक हैं। शंकराचार्य सूर्याव १, मनोरथ माला २. जिन घमाल... अभयचन्द सूरि खरतर जती कवि ताक भोज एसा । संवत् सतरा ताल, श्रावण मंगसिर साल ॥ यदि पान वारसी ते रोक की न्हीं गजल परियो ठीक। ३. धर्म रासा ४. संबोध यंचासिका 2. साधु गीत ६. जकड़ी कवि सेतान ७. पद म धर्मतर सर्वा ६. पहले वर्णन १०. डाइसी गाथा १०१३. गुटका सं० २६० ४१-१२० ग्रा० ६४५ इन्च भाषा - हिन्दी वेष्ट । । । प्राकृस संस्कृत अपूर्ण महादीप, देवन्दर कबीरवास, वील्ट्री, ११ [ ११११ ०काल से १७४८ साह अम्बल मनोहर रूपचन्द ४५ पद्म ४५ पद्म संस्कृत में हैं। सुन्दर (संस्कृत) बीरा विरहमान गाया २५ मंत्र Page #1173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १११२ ] [ प्रन्थ सूची- पंचम भाग १०१४०. गुटका सं० २७ । पत्रसं० २ २३ | श्र० ७४५ इन्च भाषा - हिन्दी । अपूर्णं । वेष्टन [सं०] ७६३ ॥ विशेष – गुटका प्राचीन है। भोज चरित्र हैं पर लेखक का नाम नहीं है ) इसमें रतन सेन और पावती की भी कथा है। १०१४१. गुटका सं० २८ पत्र०४-२४४ मा ६३ ५ भाषा-संस्कृत-हिन्दी अपूर्ण । वेष्टन सं० ७६४ विशेष – मुख्यतः नित्य नैमित्तिक पाठ पूजा का संग्रह है। पत्र खुले हुए हैं। १०१४२. गुटका सं० २६ । पत्रसं० १५-११८ १ ० ५४४ इश्व । भाषा - हिन्दी अपूर्णं । बेटन सं० ७६५ । विशेष-भूधरदास, दागतराय व दुधजन यादि कवियों के पदों का संग्रह है। १०१४३. गुटका सं०] ३० सं० १८४९ | पूर्णं । वेष्टन सं० ७६६ । पत्र [सं० ६ विशेष लक्ष्मी स्तोत्र, शान्ति स्तोत्र यादि देवेन्द्रकीति के पं० नोनंदराम ने किशनपुरा में प्रतिलिपि की थी। - १०१४४. गुटका सं० ३१ । पत्रसं० १६ | श्र० ३ ३ ४ ४ ३ ६ च । भाषा - हिन्दी संस्कृत | पूर्ण । बेष्टन सं० ७६७ । विशेष- नित्य पाठ करने योग्य स्तोत्र पूजा एवं पाठों का संग्रह है। ० ७९.६ १०१०५. सूटका सं० ३२ पूर्ण वेष्टन सं० ७६ विशेष- इसमें कठुवाहा राजाओं की बजावली है महाराजा सहि जी तक १८७ पीढ़ी नाई हैं । श्रागे बंशावली की पूरी विगत भी दी है। १०१४६. गुटका सं० ३३ । पत्रसं०] ११ ० ६३ भाषा हिन्दी सस्कृत पूर्ण वेटन ० ६x४३ इन्च भाषा-संस्कृत से काम पत्र० ७ ० ५४ ३ भाषा - हिन्दी-संस्कृत | विशेष – नित्य पूजा पाठों का संग्रह है। १०१४७. गुटका सं० ३४ पत्र सं ० ४ ० ४३४ इञ्च भाषा - हिन्दी-संस्कृत | पूर्ण वेष्टन सं० 500 विशेष प्रौषधियों के हैं तथा कुछ पद भी हैं। पूर्ण वेष्टन सं० ८०२ । १०१४८. गुटका सं० ३५० ७० प्रा० ५६ x ४ इख भाषा - हिन्दी-संस्कृत पूर्ण न सं० ८०१ । विशेष-पद स्तोत्र एवं अन्य पाठों का संग्रह है। गणेश स्तोत्र (१७२५ का काल ) १०१४९. गुटका सं० ३६ । पत्रसं० २०६२।०६३४३ १. मुनीश्वरों की जयमाल २. पंचम गति वेलि ३. पद संग्रह हिन्दी हर्षकीर्ति भाषा संस्कृत-हिन्दी १० काम सं० १९८३ Page #1174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १११३ १०१५०. गुटका सं० ३७ पत्र ०८२ श्र० ५X४३ इञ्च । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । पूर्ण बेटन सं० ०३ १. पद संग्रह २ पूजा पाठ संग्रह ३. शनिवार की कथा विक्रम ने काल १८१६ ५१ प काल १०१६ ४. सूर्य स्तुति-हिन्दी विशेष - हीरानन्द सौगाणी ने प्रतिलिपि की थी। ५. नवकार मंत्र - सालचन्द- - ले० काल १८१७ ६. सुरज जी की रसोई ७ चोपई कवित ६. सउझाय १० पद १०१५१. गुटका सं० ३८ पत्रसं० ४१-८६ । ० ६६४४३ इव । भाषा - हिन्दी | | वेष्ट विशेष नित्य पूजा पाठ संग्रह है। । । - । १०१५२. गुटका सं० ३६ पत्रसं० २००९ इस भाषा हिन्दी-संस्कृत पूर्ण वेष्टन सं० ८० विशेष- बाल सहेली शुक्रवार की तरफ से चढ़ाई गई नित्य नियम पूजा की प्रति सं० १९७८ पूर्ण । १०१५३. गुटका सं ४० चतुविंशतिपूजा - जिनेश्वरदास | पसं० ८७० ६७ इव भाषा - हिन्दी ने काल सं० १९५६ | पूर्ण विधिकाल १६२१०८०६ । । । । सं० विशेष – (जिनेश्वरदास सुजानगढ के थे।) प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) १०१५४. गुटका सं० १ ० ८८ पा० ६५३ भाषा - हिन्दी ले कान X - १. पद संग्रह २. विनती (सही जगत गुरु ) ३. पद संग्रह ४. हे पद ५. पद संग्रह ६. स्वप्न बत्तीसी विशेष- ३४ पद्म है। नाम भी दिया है । X भूधरदास सुन्दरदास भगौतीदास पत्र १-४ पत्र ४-५ पत्र ५-१० पत्र १०-११ पत्र १२-६२ पत्र ६२-६५ ७. पद संग्रह पत्र ६६-६८८ विशेष – विभिन्न कवियों के पद हैं। पदों का पच्छा संग्रह है। पदों के साथ राम रागिनियों का Page #1175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १११४ ] [ ग्रन्य सूची-पंचम भाग १०१५५. गुटका सं० २। पत्र सं० ११२ । प्रा० ५१४४५ इश्च । भाषा हिन्दी । ले० काल x। पूर्ण। विशेष-निम्न पाओं का संग्रह है--- १. जैन शतक भूधरदास पत्र १-२७ ॥र०काल सं०१७८१ २. कवित्व छप्पय पत्र २८-३७ ३. विषापहार स्तोत्र अचलकीति पत्र ३६-४२ ४. पूजा पाठ ४२-५२ ५. कमलामती का सिझाय ५२-५६ ३२ पत्र हैं। कथा है। ६, चौबीस दंडक दौलतराम ७, सिखरजी की चौपई केशरीसिंह हिन्दी ६४-६९ ४५ पद्य हैं। ८. एकसौ यष्टोत्तर नाम हिन्दी ७०-७१ ६. स्तुति धानतराय हिन्दी ७२-७३ १०. पाश्वनाथ स्तोत्र द्यानतराय हिन्दी ७३-७४ ११, नेमिनाथ के १० भव ७५-७७ १२. रिषभदेव जी लाकशी दीपविजय ७७-३ ६२ पद्य हैं । र०काल सं० १८७४ फागुन सुदी १३।। विशेष-उदयपुर के भीवसिंह के शासन काल में लिखा था। १३, पद संग्रह हिन्दी पत्र ८४-६० १४. सवय्यां मनोहर ११-१६ १५. प्रतिमा बहोत्तरी चानतराय हिन्दी १६-१०५ १६. नेमिनाथ का बारहमासा विनोदीलाल १०६-११२ १०१५७. गुटका सं०३ । पत्रसं० १८३।०७४५ इन्च । भाषा-हिन्दी । लेकालX | पूर्ण । वेष्टन सं० । १. पंच मंगस रूपचन्द हिन्दी पत्र १-१४ २. बीस विरहमान पूजा पत्र १४-२१ ३. राजुल पच्चीसी पत्र २२-३१ ४. आकाश पंचमी कथा न. ज्ञान सागर पत्र २१-४३ ५. नेमिनाथ बारहमासा विनोदीलाल पत्र ४४-५२ ६. श्रादित्यवार कथा भाक कवि पत्र ५३-७६ ७. निर्वाण पूजा पत्र ७६-20 ८. निर्वाण काण्ड पत्र ८०-८३ ६. देव पूजा विधान पत्र ८३-१०८ १०. पद संग्रह पत्र १०६-१३ विशेष-विभिन्न कवियों के पद हैं । लिपि विकृत है इसलिये अपाख्य है। Page #1176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका सग्रह ] [ १११५ १०१५८. गुटका सं० ४ । पत्र सं० १२२८ । प्रा० ५३४४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १६१७ जेठ वृधी २ । पूर्ण । विशेष--इसमें ज्योतिष, प्रामुर्वेदिक एवं मंत्र शास्त्र सम्बन्धी साहित्य का उत्तम संग्रह है । लिपि बारीक है लेकिन स्पष्ट एवं सुपाठ्य है। पं० जीवनराम ने फतेहपुर में प्रतिलिपि की थी। १. नाडी परीक्षा-X । संस्कृत । पत्र १ अपूर्ण २. गृह प्रवेश प्रकरण--X । हिन्दी । पत्र २ अपुर्ण ३. आयुर्वेदिक नुसथे---X ।हिन्दी। पत्र ३-५ ४. नेत्र रोग की दवा---X । हिन्दी । पत्र ६-८ ५. सारणी सं० ६५-६६ की-X । हिन्दी । ८-१२ ६. कर्म कला-x 1 संस्कृत । १३-१४ ७, सारणी सं० १७८२ से १८१२ तक संस्कृत । १४-२१ ८. निषेक-X । संस्कृत । २२-२४ ६. निपेकोदाहरण-X । हिन्दी गद्य । २५-३४ १०. मास प्रवेश सारणी, पत्र ३५-५२ । ११. ग्रहण वराम शकसंवत् १७६२ से १८२१ तक पत्र ५६-६२ । १२, १८ प्रकार की लिपियों के नाम........... हंस लिपि, भुतलिपि, यशलिपि, रादारा लिपि, उडी लिपि, पावनी लिपि, मालवी लिपि, नागरी लिपि, लाटी लिपि, पारमी लिपि, प्रनिमित्त लिपि, चारादी, मौलवी, देशाविशेष । . इनके अतिरिक्त-लाटी, चोटी, माहली, कानडी, गुरी, सोरठी, मरहटी, कांकरणी, खुरासणी, मागधी, सिंहली, हाडी, कीरी, हम्मीरी, परतीस, मसी, भालकी, महापोची और नाम गिनाये हैं । १३. पुरुष की ७२ कलायें, स्त्री की ६४ कला, वृत्तादि भेद (हिन्दी) नुसथे - ..६४ पत्र तक १४. सारिणी सं० १८७५ शक संवत् १७४० से १९२५ तक १६५ तक १५. आयुर्वेदिक नुसखे - हिन्दी-पत्र १६६.२०६ तक एवं अनेकों प्रकार की विधियां । १६. . विभिन्न नयों से पत्र २०७-२४७ हिन्दी में। १७. ग्रहसिद्ध श्लोक-महादेव । संस्कृत । २४८-२४६ १८. उपकरणानि एवं घटिका वर्णन -अंकों में । २५०-३५५ १६. गोरखनाथ का जोग-x | हिन्दी 1३५६-३७७ २०. दिममानकरण--x | हिन्दी । ३७८-३८२ २१. दिनमान एवं लग्न आदि फल प्रकों में । ३८३-४२६ २२. लग्न फल मादि-x। संस्कृत । ४३०-५८२ २३. ज्योतिष सार संग्रह-X । संस्कृत । ५८२-६१८ Page #1177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ द १११६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग २४. गिरधरानन्द-X । संस्कृत । पत्र ६१६-६७६ ले०काल सं० १८९५ मंगसिर बुदी १२ । विशेष-पं० जीवणराम ने चूरू में प्रतिलिपि की थी। २५. तिथिसारणी लक्ष्मीचंद । संस्कृत । ६८०-६६६ र०काल सं० १७६० । विशेष--ये जयचंद सूरि के शिष्य थे । २६, कामधेनु गारणी-कों में । ६६७-७१६ २७. सारोद्धार-हर्षकीति सूरि । संस्कृत । ७१७-७५५ २८, पल्ली विचार-X । संस्कृत । ७५६-७६० २६. प्राणन्द मणिका कल्प–मानतुग । संस्कृत । ७६१-७६५ विशेष-अन्तिमपुष्पिका-श्वेताम्बराचार्य श्री मानतुग कृते श्री मानतुंग नंदाभिथानो पर ब्रह्मसागरे उत्पन्न मणि संकेतस्थान लक्षणोनामत्वमानंद मरिणका कल्प समाप्तः । ३०. केशवी पद्धति भाषा उदाहरमा--X । संस्कृत । पत्र ७६६-६३७ ३१. योगिनी दशाफल-X । संस्कृत । पत्र ८३८-८६६ ३२. षड् वर्गफल-X । संस्कृत । पत्र ८६७-६०३ ३३. मुष्टिका ज्ञान-X । संस्कृत । १०४ ३४. आषाही पूर्णिमाफल-श्री अनूपाचार्य संस्कृत ६०५ ३५. बस्तुज्ञान--X । संस्कृत । १०६-१०६ ३६. रमल चितामरिण-। संस्कृत । ६१०-६६६ २७. शीघ्रफल-मकों में । ९६७-६६५ ३८. शलमंत्र, मेधस्तंभन गर्भबंधन, वंशीकरण मंत्र प्रादि-X । संस्कृत । पत्र ९६६-६९७ यंत्र भी दिया हुआ है। ३६. ताजिक नीलबाठोक्त पोडश योग--x । संस्कृत । पत्र ६१८-१००५ ले काल सं. १८६६ माघ बुदी ७ विशेष-पं० जीवणराम ने चूरू में लिखा था। ४०, अरिष्टाध्याय-४ । संस्कृत । पत्र १००६-१००८ (हिल्लाज जातके वर्ष मध्ये) ४१. दर्गभंग योग--X । संस्कृत । १००८-१०१०। ४२. घोरकालानंतच- । सस्कृत । १०१०-१०११ ४३. तिथि, चक्र तिथि, सौरभ, योगसोरभ, बाटिका, वाल्लि, गृहफल, शोघ्रफल-प्रकों में । १०१२ से १०४३ ४४, आयुर्बेदिक नुसखे-x | हिन्दी । १०४४-१०५७ ४५. विजययंत्र परिकर-x । संस्कृत ।१०५८-१०६१ ४६. विजय यंत्र प्रतिष्ठा विधि संस्कृत १०५८-१०६१ Page #1178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ १११७ गुटका संग्रह ] ४७. पन्द्रह अंक यंत्र--संस्कृत । १०६५-६६ ४६. पन्द्रह अंक विधि एवं यंत्र साधन-- संस्कृत-हिन्दी। १०६६-६९ ४६. सुभाषित-हिन्दी । १०७०-१०५ ५०. सूतक श्लोक-संस्कृत ! १००८-८९ ५१. प्रात संध्या-संस्कृत । १०६४-१६ ५२. ब्रास्वरूप-भट्टारक सोममेन । संस्कृत । १०६०-६३ ५३. अरिष्टाध्यायधनपति । संस्कृत । १०६७-११०८ ५४. कर्म चिताध्याय-। संस्कृत । ११०१-११५ ५५. राशिफल (जातका भरणे)-X । संस्कृत । १११६-३६ ५६, शुद्ध कोष्टक--- ! संस्कृत । ११३७-११४५ ५७. ट्रिम्पए-x1 हिन्दी । ११४४-११५३ ५.८. झायर्वेदिक नुसखे-x। ५६. चन्द्रग्रहण कारक मारक क्रिया--X1 हिन्दी । ११७०-११७३ ६०. आयुमै दिक नुर.- हिन्दः । ११ ६१. गणपति नाममाला-४ । संस्कृत । ११९०-१२०४ ६२. रत्न दीपिका-चडेश्वर । संस्कृत। १२०५-१२११ ले-काल सं० १६१७ । विशेष-फटेहपुर में लिखा गया ! ६३. महुरा परीक्षा-x 1 संस्कृत । १२१२-१२१४ ६४, सारपी-X । संस्कृत । १२१५-१२२८ १०१५६. गुटका सं० ५। पत्रसं० १७५ ।प्रा० १.४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी 1 ले. काल XI १. पूजा संग्रह--x हिन्दी। २. तत्वार्थरून-उमास्वामी । संस्कृत । ३, पार्श्वनाथ जयमाल-xहिन्दी। ४. पांडे की जयमाल-जल्ह। हिन्दी। ५. पुण्य की जयमाल-x | हिन्दी। ६. भरत की जयमाल--- I हिन्दी। ७. न्हवरण एवं पूजा व स्तोत्र-x I हिन्दी-संस्कृत । ८. अनन्त चौदश कथा--जानसागर । हिन्दी-संस्कृत १. भक्तामर स्तोत्र -मामतुग । संस्कृत १०. नेमिनाथ बारहमासा-x।हिन्दी ११. सिक्झाय-मान कवि हिन्दी। १२. पार्श्वनाथ के छंद---X । हिन्दी । ४७ पञ्च हैं। Page #1179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १११८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंश्चम भाग १३. पद एवं विनती संग्रह-X । हिन्दी । १४. बारहमासा-- । हिन्दी। १५. क्षमा छत्तीसी-समयसुन्दर । हिन्दी । १६. उपदेश बत्तीसी-राज कवि । हिन्दी। १७. राजमती चूनरी-हेमराज | हिन्दी । १८. सर्वया-धर्मसिंह । हिन्दी। १६. बारहखड़ी-दत्तलाल । २०, निर्दोष सप्तसी कथा-रायमल्ल 1 ले काल सं० १८३२ फाल्गुण सुदी १२ । विशेष-चूरू में हरीसिंह के राज्य में बखतमाल ने प्रतिलिपि की थी। १०१६०. गुटका स० ६। पत्रसं० १३० । प्रा० १२४७ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल सं० १९२६ पौष बदौ २ । पूर्ण । विशेष-पंडित महीचन्द के प्रशिष्य पं० माणिकचन्द के पठनार्थ लिखा गया था। सामान्य पाठों का संग्रह है। पादित्ववार की छोटी कथा भानुकीति कृत है जिसमें १२४ पद्य हैं-अन्तिम पाठ निम्न प्रकार है रस भुति सौरह संत यदा बाथा रची दिनकर की। लदा यह व्रत कर वे सुख लहै. भानुकीरत मुनि अस कहै ।।१२४॥ १०१६१. गुटका सं०७। पत्र ०१-६+१-७१+१५ +१८+txt1५५+२४४२ १+१+५+२+२+२+३+३+४+२+२४४ - १२६ । ले० काल सं० १८५७ । पूर्ण । १. भक्तामर स्तोत्र मानतुगाचार्य संस्कृत पत्र १-६ २. तीन चौबीसी पूजा ঘুমদার ले०काल सं० १८५७ भादवा बुदी ५ । ३. चिन्तामणि पावताय पूजा संस्कृत ४. कर्मदहन पूजा शुभचन्द्र संस्कृत ५. जिनसहनमाम जिनसेनाचार्य ६. सहस्रनाम पूजा धर्मभूपरण १-१ ७, मिचक्र पूजा देवन्द्रकीति ८. भक्तामर सिद्ध पूजा লনা १-१३ ६. पंचकल्याणक पूजा संस्कृत १०. विश विद्यमान तीर्थकर पूजा १-२ ११. अष्टाह्निका पूजा संस्कृत १२, पंचमेक की भारती द्यानतराय १३. अष्टाह्निका पूजा संस्कृत हिन्दी Page #1180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] १४. गुरु पूजा १५. धारा विधान १६. अठाई का रासा १७. रत्नत्रय कथा १८. दशलक्षरण व्रत कथा १२. सोलहकारण यस २०. पखवाडा २१. सम्मेद शिखर पूजा हेमराज X विनयकीर्ति जनसागर x सकलकति जती तुलसी X हिन्दी १, बाला वर्षानिका ار 27 ३. दर्शन कथा ४. दर्शन गोत्र 21 १०१६२. गुटका सं० ८ । पत्र सं० ३८ | आ० x ६ इश्व | भाषा - हिन्दी पद्य | लेकाल सं० १९६९ पौष बुदी ३ पूर्ण विशेष – आरामल्ल कृत दान कथा है । विशेष धानतराय कृत अक्षर बावनी की गद्य भाषा है । X विशेष— बुधजन कृत छाला की गद्य टीका है । " १०१६३. गुटका सं० ६ पत्रसं० ४२ श्र० ८ × ६० इञ्च । भाषा - हिन्दी गन से० काल । पूर्ण बेष्टन X हिन्दी संस्कृत विशेष-वाचाये जिसमे विवाह की हिन्दी भाषा है। भाषाकत पं० फतेहलाल | धावक पन्नालाल ने लिखवाया था । भारामल्ल X १०१६४. गुटका सं० १० पत्रसं० ४९ था० ७४४ इस भाषा संस्कृत से काल पूर्ण । विशेष-कामर स्तोत्र ऋषि यंत्र सहित केचित्र दिये हुये हैं परणाम्यान बनिया ( सिकन्दरा) आागरे वाले ने लिखा था । [ १११९ । १ - । १०९६५. गुटका सं० ११ ० ११६ ० १४६३ इंच भाषा हिन्दी सेक ० १९९७ प्रथम आसोज सुदी ७ पूर्ण विशेष रामचन्द्रकृत चोवीस तीर्थकर पूजा है। नारायण जावावासी ने लश्कर में लिखा था। १०१६६. गुटका सं० १२ । प० ७५ ॥ ० × । पूर्ण । ६X७ इञ्च । भाषा - हिन्दी | ले० काल विशेष निम्न पाठों का संग्रह है १.२ १-२ १-१ १-३ १-४ १-२ १-२ १-४ हिन्दी ग० हिन्दी प संस्कृत inf १.४४ ४५ पत्र १-१४ पत्र १५-३० Page #1181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२० । [ प्रन्य सूची-पंचम माग १०१६७. गुटका सं० १३ । पत्र सं० ४५ । मा० x ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेफाल सं० १९६५ । पूर्ण । मिशध-राम लामा पोल पथा है। परसादीलाल ने नगले सिंक्रन्दरा (आगरे) में लिखा था । १०१६८. गुटका सं० १४ । पत्र सं० ११७ । प्रा०८३४६३ इच । भाषा-संस्कृत । लेकाल सं० १९२० पौष बुद्धी ३ । पूर्ण । विशेष-पंडित रूपचन्द कृत समवसरण पूजा है । १०१६६. गुटका सं० १५ । पत्रसं० १२८ । प्रा०६४७ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल सं० १९६६ । पूर्ण । विशेष पूजा एव स्तोत्र संग्रह है । पीताम्बरदास पुत्र मोहनलाल ने लिखा था । १०१७०. सुटका सं० १६। पत्रसं० ८१ । आ० x ६ इश्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले काल x। पूर्ण । विशेष-तत्वार्थ सूत्र, सहस्रनाम एवं पूजानों का संग्रह है। १०१७१. गुटका सं० १७ । पत्रसं० २७ । ग्रा० ७.४१६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ने कालx। पूर्ण। विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है । १. कल्याण मन्दिर माषा बनारसीदास हिन्दी २. भक्तामर भाषा हेमराज ३. एको मात्र स्तोत्र संस्कृत ८-१२ अपूर्ण ४, सामायिक पाठ १२-२६ ५. सरस्वती मत्र संस्कृत पद्यावती स्तोत्र बीज मंत्र सहित १०१७२. गुटका सं० १८ । पत्रसं० ८० । मा० ३४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल सं० १६६६ ज्येष्ठ सुदी १२। पूर्ण । विशेष-स्तोत्र एवं पूजानी का संग्रह है। १०१७३. गुटका सं० १९ । पत्र सं०७३ । प्रा०६:४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल सं० १८८१ । पूर्ण । विशेष-मुख्यत: निम्न पाठों का संग्रह है । १. समोसरण पूजा लालजीलाल हिन्दी र०काल सं० १८३४ विशेष-छोटे राम ने लिखा था। २. चौबीस जिन पूजा देवीदास . हिन्दी इनके अतिरिक्त सामान्य पूजामें और है। हिन्दी Page #1182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११२१ १०१७४. गुटका सां० २० । पत्र सं० ३१ । प्रा० ५३४४ इश्व । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १८१६ माह सुदी १२ । पूर्ण । विशेष-घरणदास विरचित स्वरोदय है । १०१७५. गुटका सं० २१ । पत्रसं० १२० 1 प्रा० ६४६३ इञ्च । भाषा-पूजा पाठ । ले० काल सं० १९५१ भादवा सुदी ४ । पुणे । विशेष पूजा एवं विभिन्न पाठों का संग्रह है। १०१७६. गुटका सं० २२। पत्र सं० १६ । ग्रा० ७४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल सं० १६४० पौष बुदी ११ । पूर्ण । विशेष-उमास्वामी कृत तत्वार्थ सूत्र है । लासाराम श्रावक ने लिखा था । १०१७७. गुटका सं० २३ । पत्र सं० ३६ । आ०७४ ५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले०काल सं० १९६२ मंगसिर बुदी ५ । पूर्ण । विशेष-भत्तामर स्तोत्र, तत्वार्थ सूत्र एवं जिनसहस्रनाम जिनसेनाचार्य कृत है । परशादीलाल ने सिकन्दरा (आगरा) में प्रतिलिपि की थी। १०१७८. गुटका सं० २४ । पत्रसं०६ । प्रा० ७४५३ इश्व । भाषा-संस्कृत । लेकाल XI पूर्ण । विशेष-भक्तामर स्तोत्र है। १०१७६. गुटका सं० २५ । पत्र सं० ३-१३४ । पा ७४५६ इञ्च । भाषा संस्कृतहिन्दी । ले० काल मं० १९१३ । पूर्ण । विशेष-सामायिक पाठ, दशलक्षण पूजा, एवं देव शास्त्र गुरु की पूजा हिन्दी टीका सहित है । तत्वार्थ सूत्र अपूर्ण है। १०१८०. गुटका सं० २६ । पत्र सं० १३३ । प्रा० ७४६५ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ने०काल सं० १६८१ भादवा सुदी ८ पूर्ण । विशेष पूजा पाठ संग्रह हैं। १०१८१. गुटका सं० २७ । पत्र सं० ६५ : प्रा. ७४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १८५७ जेठ शुक्ला १५ । पूर्ण । विशेष-मनसुख सागर विरचित यशोधर चरित है । मूलकर्ता बासबसेन हैं । मुनि बसु वसु शसि समय गत विक्रम राज महान् । जेष्ट शुनाल एयंत तिथ, पूरण मासी ज्ञान ।। चित शुध सागर सुगुरु दीनों रह उपदेश । लिखो पढो चित दे सुनो वाढे धर्म विशेष ॥ Page #1183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२२ ] [ प्रन्य सूची-पचम भाग १०१८२. गुरका सं० २८1 पत्रसं० १८६ । प्रा० ७४५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल x पूर्ण । विशेष-निम्न पाठों का संप्रेह हैं । १. भक्तामर स्तोत्र मानतुगाचार्य संस्कृत २, तत्वार्थ सूत्र उमास्वामी ३. जिनसहस्रनाम जिनसेन ४. भैरवाष्टक ५. ऋपि मंडल स्तोत्र ६. पाश्र्धनाथ स्तोत्र ७. कल्याण मन्दिर स्तोत्र भाषा बनारसीदास हिन्दी पद्य ८. भक्तामर स्तोत्र भाषा हेमराज ६. भूपाल चौबीसी भाषा जगजीवन १०. विषापहार भाषा प्रचसकीति ११. एकीभाव स्तोत्र भश्वरदास १०१५३. गुटका सं० २६ । पत्र सं० ५० । प्रा० ७४५३ इन्छ । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकालXI पूर्ण ! विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। १००५४. गुटका सं० ३०। पत्र सं० ४२ । प्रा. ८४६, इश्व । भाषा-हिन्दी । ले० फाल सं० १९६६ श्रावण शुक्ला १२ । पूर्ण । विशेष-भारामल्ल कुत दर्शन कथा है । १०१५५. गुटका सं० ३२ । पत्र सं० ६३ | प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल सं० १९५३ श्रावण युदी ११ । पूर्ण । विशेष पूजा पाठ संग्रह है। १००८६. गुटका सं० ३३ । पत्र सं० १७७ । प्रा. ७४५ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल X । पूर्ण। विशेष --गूजा, स्तोत्र एवं कथाओं का संग्रह है। १०१८७. गुटका सं० ३४ । पत्रसं० ३३ । प्रा० ६४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं. १६६६ । पूर्ण । विशेष- चर्चानों का संग्रह है। १०१५८. गुटका सं० ३५ 1 पत्र सं० १.३७ । प्रा० ६.३४६ इञ्च । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । ले०काल सं० १७६५ कार्तिक सुदी ७ । पूर्ण । विशेष-उल्लेखनीय पाठ Page #1184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] । ११२३ १. क्षेत्रपाल पूजा–बुघटोटर। हिन्दी । १-३ २. रोहिणी प्रत कथा-बंशीदास, ६-१४ ।ले. कान सं० १७६५ । विशेष-प्राचार्य कीतिसूरि ने प्रतिलिपि की । ३. तत्वार्थ सूत्र बाल बोध टीका सहित-X । हिन्दी संस्कृत । २६-६७ ४. सहस्रनाम-पाशावर । संस्कृत । ६८-८२ ५. देवसिद्ध पूजा ४। ८३-११२ ६. श्रेपन क्रिया प्रतोद्यापन --विक्रमदेव । संस्कृत ११२-२२ ७. पंचमेरु पूजा--भहीचन्द । संस्कृत । १२५-१३३ ८, रत्नत्रय पूजा X । संस्कृत । १४५-१६६ विशेष—कासम बाजार में प्रतिलिपि हुई । १०१६६. गुटका सं० ३६ । पत्र सं. ३२८ । प्रा० ६x४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृति । ले० कालX । पूर्ण । १. नेमिनाथ नव मंगल X । हिन्दी २. रत्नत्रय व्रत कथा---ज्ञानसागर । हिन्दी ३. पोटश कारण कथा -- मेरुदास । र०काल १७६१ । ७४ पद्य हैं। ४. दशलक्षण कथा ज्ञानसागर ।, ५. दशलक्षण रास-विनयकीति । । ३३ पद्य है। ६. पुष्पांजलि प्रत कथा-सेवक । हिन्दी । पत्रसं० ५२-६४ ७. अष्टाह्रिनका कया-विश्वभूषरग । ६४-७८ ८. रास-विनयकौलि । . ७१-८४ ६. आकाशपंचमी कथा-घासीदास ५-१०१ २० काल सं० १७६२ यासोज बुदी १२ । १०, निर्दोष सप्तमी कथा x। १०१-११० । ४२ पद्म हैं । ११. निशल्याष्टमी कथा--जानसागर । हिन्दी । ११०-१२० । ६४ पद्य हैं। १२. दशमी कथा--ज्ञानसागर। ।१२१-१२६ । १३. श्रावण द्वादशी कथा--ज्ञानसागर। हिन्दी । १२६-१३२ । १४, अनन्त चतुर्दशी कथा-मद्रास । , १३२-१४१ । २० काल मं० १७२७ पासौम सुदी १० । विशेष-कवि लालपुर के रहने वाले थे। १५. रोहिणी व्रत कथा-हेमराज हिन्दी । १४१-१५४ २० काल पं० १७४२ पौष सुदी १३ । १६. रसीव्रत कथा-० विश्वभूषण । हिन्दी । १५४-५७ । १७. दुधारख कथा-विनयकीतिर १५७-१५६ १८. ज्येष्ठ जिनवर ब्रत कथा-खुशालचन्द । हिन्दी । १५६-१७१ । Page #1185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १६. बारहमासा--पांडेजीवन । हिन्दी । २८५-१६० । २०. पद संग्रह x १९१-२१५ । २१. शील चूनडी- मुनि गुणवन्द । हिन्दी । २१६-२२५ । २२, ज्ञान चूनडी-भगवतीदास २२६-२३० । २३. नेभिचन्द्रिका ४ । २३१-२७८ । र०काल सं० १९८०1 २४ रविनत कथा XI , २७६-३०८ । १०१६.०. गुटका सं०३७ । पत्र सं० ५६ । पा० ६४४ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले०कास ४ । पूर्ण। विशेष-भक्तामर स्तोत्र *द्धि मंत्र सहित एवं हिन्दी अर्थ सहित है : पवारण दनि सोई भाषा भी है। १०१६१. गुटका सं० ३८ । पत्रसं० २४ । मा० ६३४४ हञ्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल पूर्ण। विशेष-दृत बंध पद्धति है। १०१६२. गुटका सं० ३६ । पत्रसं० ३१६ । प्रा० ४६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत्त । लेकाल सं० १९६१ बंशाख सुदी १५ । पूर्ण । विशेष-नबाबगंज में गोपालचन्द वृन्दावन के पोते सोहनलाल के लड़के ने प्रतिलिपि की थी। ५५ स्तोत्रों का संग्रह है। जिल्द लकड़ी के फेम पर है जिसमें लोहे के वकसुए तथा खटके का ताला है 1 पट्टों में दोनों ओर ही अन्दर की तरफ कांच में जड़े हुए नेमिनाथ एवं पद्मप्रभ के पदमासन चित्र है। चित्र अन्वेताम्बर प्राम्नाय के हैं। प्रारम्भ के पत्रों में दोनों ओर मिलाकर ४६ वेलबूटों के सुन्दर चित्र हैं। चित्र भिन्न प्रकार के हैं। इसी तरह अन्तिम पत्रों पर भी पेड़पौधों मादि के १६ सुन्दर चित्र हैं। १. ऋषिमंडल स्तोत्र-पोतमस्वामी। संस्कृत । पत्र तक २. पदमावती स्तोत्र-x। संस्कृत । १८ तक ३. नवकार स्तोत्र--- । २० तक ४. अकलंकाष्टक स्तोत्र-x। " २३ तफ ५. पद्मावती पटल-X । संस्कृत । २७ तक ६. लक्ष्मी स्तोत्र-पदमप्रभदेव , २८ तक ७ पार्श्वनाथ स्तोत्र---राजसेनी ३१ तक मदन मद हर श्री वीरसेनस्य शिष्य, सुभग बचन पूरं राजसेन प्रणीतं । जयति पमिति नित्यं पार्श्वनाथाकाय, स भवत्त सित्र सौख्यं मुक्ति श्री शांति वीम ।। बिगत व्रजन यूथं नौम्यहं पार्श्वनाथं ।। Page #1186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] 5. भैरव स्तोत्र-४ । संस्कृत । ३२ तक । ६ पद्य हैं। ६. बद्धमान तात्र-x हिन्दी । ३४ तक । ८ पद्य हैं। १०. हनुमत्कवच--X । संस्कृत । ३८ तक । विशेष- अन्तिम पुष्पिका निम्न प्रकार है-- इति श्री सदर्शन संहितापां रामचन्द्र मनोहर सीताया पंचमुखी हनुमत्कवच संपूर्ण । ११. ज्यालामालिनी स्तोत्र--- । संस्कृत । ४२ तक । १२. वीतराग स्तोत्र - पद्मनंदि ४४ तक । विशेष- पध हैं। १३. सूर्याष्टक स्तोत्र-X । संस्वत । ४४ पर १४. परमानन्द स्तोत्र-४ । संस्कृत । ४७ तक । २३ पथ हैं । १५. शांतिनाथ स्तोत्र-४ । , ४६ तक । पञ्च हैं। १६, पास्वनाथ स्तोत्र-x। ५३ तक । ३३ १७. शांतिनाथ स्तोत्र--X । ५५ तक । १८ । १६. पद्मावती दण्डक-x। ५६ तक । ६, १९ पद्मावती कवच-x। ६१ तक। २०. आदिनाथ स्तोत्र--- । हिन्दी ६२ सकपा है। प्रारम्भ--संसारसमुद्र महाकालरूपं, नहीं वार पारं विकारविरूपं । जरा आय रोमावली भाव रूप । तदं नोहि सररणं नमो आदिनाथं ॥ २१. उपसर्गहर स्तोत्र-x। प्राकृत । पत्र ६४ तक । २२. चौसठ योगिनी स्तोत्र-XI संस्कृत । ६५ २३, नेमिनाथ स्तोत्र-पं० शालि । । । ६७ २४. सरस्वती स्तोत्र-x हिन्दी। ६६ तक। पद्य है। २५. चिन्तामणि स्तोत्र--x1 संस्कृत । ७० तक । २६. शांतिनाथ स्तोत्र-- संस्कृत । पत्र ७१ तक। २७. सरस्वती स्तोत्र-XI , ७४ तक । १६ पद्य है। विशेष-१६ नामों का उल्लेख है। २८. सरस्वती स्तोत्र (दूसरा)-x। संस्कृत । ७६ तक । १५ ॥ २६. सरस्वती दिग्विजय स्तोत्र- संस्कृती ३०, निवारण काण्ड गाथा--X । प्राकृत। २ तक ३१. चौबीस तीर्थंकर स्तोत्र-X । संस्कृत । १३ तफ । विशेष-मन्तिम Page #1187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग मकल गुता निधानं यंत्रमेनं विसुद्ध हृक्य कमल कोसं चामता वैध रूपं । जयति तिलक गुरो शूर राजस्य शिष्यं बदत सुख निधानं मोक्ष लक्ष्मी निवास ।। ३२ रावलादेव स्तोत्र-X1 हिन्दी । ८४ तक । थी रावलादेव कह जुहारा, स्वामी करु सेवक निज सारा । तविश्व चिन्तामणि एक देवा, करं सदा चौसठ इन्द्रसेवा ॥१॥ सेवा कर लक्षण नाग राजा, सारं सदा सेवक ना कोई काजा। पाटा तणा दुखना मूल तोड़, घटो घटी राकट ती विझोर्ड ॥२।। जे ताहरो नाव जगत जाणं, वलि वलि महिमा हे मवाएँ । जो बूडता पोहण माझ घ्यावे, ते कसरी सकट पारीजा ॥३॥ जे दूधस्यों को तरीपात बाजे, जे वितरा वितरी दोष दाम। जे प्रेत पीम प्रभु तुम, ध्यावं । जे जसरि संकट पारि नावे ।।४।। जे काल किंकाल ये सांच लीज, जे भूत वैताल पैमाल कीजै । जे डाकणी दुष्ट पडिलाज घ्यावं, ते ऊतरि संकट पार जावै ।।५।। जे नाग विर्ष विषझाल मूर्फ, तिण विरं झूमिया झाड़ सूकं । ते तिसौ डस्या प्रभुतुक ध्यावं, ते ऊरि संकट पार जावै ।।६।। जे द्रव्य होगा मुख दीन भास, . जे देह खीए। दिनरात सांस। जे अग्नि माम पडियाज घ्याचे, ते ऊतरि संकट पार जादै ।।७ । जे चक्षु पीड़ा मुख बंब फाई, जे रोग रुघ्या निज देह ताई । जे वेदनी क्रष्टनी कष्ट पडिपाज ध्यावे, से ऊतरि संकट पार जाने ।।८।। जे राज विग्रह पडियात थर्ट, ___ फिरी फिरी पार का देह कूट । ते लोह वंध्या प्रभु तुझ ध्यागै, ते ऊतरि संकट पार जाये Page #1188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११२७ श्री पामासा हम एक पूरी, दुःकमरखा कष्ट समय चूरी। सुभ कर्मजा संपदा एक प्रापो, कृपा करि सेवक मुझ पापो ।।१०।। इति श्री रावल देव स्तोत्र संपूर्ण । ३३-सर्वजिन नमस्कार--x।सं० । पत्र | (सर्ण चैत्य शंदना) ६४-नेमिनाथ स्तोत्र -X । संस्कृत । पत्र ११ तक । २० पद्य हैं। ३५-मुनिसुव्रतनाम स्तोत्र-X । संस्कृत । १३ तक । ३६-नेमिनाथ स्तोत्र--- । संस्कृत । १६ तक । ३७-स्वप्नावली-देवनादि । संस्कृत । १०० तक। १८-कल्याण मन्दिर स्तोत्र-कुमुदचन्द । संस्कृत । १०० तक । ३६-विषापहार स्तोत्र-धनंजयं । संस्कृत।१२१ । ४०--भूपाल स्तोत्र-भूपालकवि। संस्कुत । ४१-भक्तामर स्तोत्र ऋद्धि मत्र सहित-X । संस्कृत । ४२-भगवती प्राराधना-- । संस्कृत । २८ पद्य हैं। ४३-स्वयंभू स्तोय (बड़ा) समंतभद्र । संस्कृत । ४४- स्वयंभुस्तोत्र (लघु)-देवनन्दि। संस्कृत । पत्र १९० तक । ४५-सामयिक पाठ-X । संस्कृत । पत्र २१७ तक । ४६-अतिक्रमण-x प्राकुत-संस्कृत । पत्र २४१ तक । ४७--सहननाम--जिनसेन । संस्कृत । पत्र २६३ तक। ४८-तत्त्वार्थसूत्र--उमास्वामी । संस्कृत । पत्र २६३ तक | ४६-श्री गुरु चितामणि देव -- । हिन्दी । पत्र २८७ । ५०-चिन्तामणि पानिाथ स्तोत्र-पं० पदार्थ । संस्कृत । पब २६ । ५१-पानाथ स्तोत्र--पनदि । संस्कृत । पत्र २६५ । ५२-पार्श्वनाथ स्तोत्र-४ । संस्कृत । २६७ तक । ५३ -ब्रह्मा के ६ लक्षण-X । संस्कृत । २६७ । ५४-फुटकर श्लोक-X । संस्कृत । २९६ । ५५-घंटाकरण स्तोत्र व मत्र-X । संस्कृत । ५६-सिदि प्रिय स्तोत्र-देवनादि । संस्कृत । ३१० । ५८-लक्ष्मी स्तोत्र--X । संस्कृत ! ३१६ । १०१६३. गटको सं०४०। पत्र सं० १४१ । प्रा०५४४ इञ्च | भाषा-संस्कृत-हिन्दी। ले० काल । पूर्ण । विशेष- सामान्य पाठों का संग्रह है। Page #1189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ सूखोपंचम भाग १०२९४. गुटका सं० ४१ । पत्रसं० २२७ पा० ५X४३ हच भाषा हिन्दी लेकाल ११२८ ] x । पूर्ण । विशेष मुख्य पाठ निम्न है १- शालिभद्र चोपई — सुमति सागर हिन्दी पत्र २० - १४० । २०६० २ राजमती की नदी- हेमराज हिन्दी १५२-१७३ । प्रारम्भ- - अन्तिम श्री जिनवर पद पंकज, सदा नमो पर भाव हो । सोरीपुर सुरपति छन, अति हो अनुपम कांग हो । काष्ठासंघ सुहावनी, मथुरा नगर अद हो । हेमचन्द मुनि ये सब जतीयम सिर भूप जी ॥४७६१२ सास पट जसकीति मुनि का संघ सिंगार हो । सास शिष्य गुणचन्द्रमुनि विद्या गुणह भंडार हो ।1७० काल सं० १९१६ चंव बुदी १ । इहां बदराग हीवडी घरी, निसग्रह और निरधारे। हेम भएँ ले जारीयो ते पात्रे भवचार हो ||८|| इति राजमति की चुगडी पूर्णम् । ३, नेमिनाथ का बारह मासा पांडेजी पंत २०१५. गुटका सं० ४२ पत्र० १०५ ० ४३४३३ इन्च वाया। । | - हिन्दी । ले० काल X। पू । हिन्दी पत्र २११-२२५ ॥ विशेष पद एवं विनती संग्रह है। लिपि अच्छी नहीं है। १०१९.६. गुटका सं० ४३ पसं० ४० मा० ६४४ इन्च भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ० का पूर्ण विशेष पार्श्वनाथ स्तोत्र, देवपूजा, बीस विरहमान पूजा वासुपूज्य पूजा (रामचन्द्र) एव विपायहार स्तोत्र आदि का संग्रह है। १०१६७. गुटका सं० ४४ ० ६२-११७ ० ४२ भाषा-हिन्दी ले० का X | अपूर्ण १. नेमिनाथ का बारहमासा - पांडेजीवन | हिन्दी । ७४-६६ - विनोदीवाल | ॥ ६६-११२ ११२-११७ २, " ३. पद संग्रह - X। हिन्दी १०११८. गुटका सं० ४५ पत्र [सं० ३३ ० काल । पूर्वं । श्र० ६ X ५ इञ्च । भाषा–संस्कृत | देवसिद्ध पूजा, भक्तामर स्तोत्र, सहबनाम (जिनसेन कूल) है। Page #1190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुटका संग्रह ] [ ११२६ १०१६६. गुटका सं० ४६ ।पत्रसं० २६ । प्रा० १०४७ इञ्च । भाषा - हिन्दी । लेकान्त x। पुणं । विशेष-भक्तामर स्तोत्र भाषा (हेमराज) बाईस परीषद, पद एवं विनती, दर्शनपच्चीसी (बुधजन) समाधिभरण (धानतराय), तेरह काठिया (बनारसीदास) सोलह राती (मेघराज), बारहमासा (दौलतराम) चेतनगारी (विनोदीलाल) का संग्रह है। १०२००. गुटका सं० ४७ । पत्रसं० २४ । प्रा० ५.४४, इ । भाषा - संस्कृत-हिन्दी । लेकाल - । पूर्ण । विशेष-देवपूजा, निर्वाणकाण्ड, चौबीस दण्डक (दौलतराम) पाठ का संग्रह है। १०२०१, गटका सं० ४८ । पत्रसं० ५६ । प्रा० ७४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले. काल सं० १८६६ माघ शुक्ला १३ । पूर्ण । विशेष १. विमलनाथ पूजा, अनन्सनाथ पूजा (ब्रह्म शांतिदास कृत) एवं सरस्वती पूजा जयमाल हिन्दी (ब्रह्म जिनदास कृत) हैं। अज्ञानतिमिरहरं, सज्ञान गुणाकर पढई गुणइ जे भावधरी। ब्रह्म जिनदास भागह, दिवुह पपासइ, __ मन वलित फल बुघि धनं ॥१३॥ १०२०२. गुटका सं० ४६ । पत्रसं० ३६ । प्रा० ६३४६३६ञ्च । भाषा-हिन्दी। ले० काल सं० १९३२ । पूर्ण। विशेष-भगवतीदास कृत चेतनकर्मचरित्र है। १०२०३. गुटका सं० ५० । पत्र सं० ५६ । प्रा०६४५ इञ्च । भाषा- - संस्कृत । ले० काल ४। पूर्ण । विशेष--देवपूजा, भक्तामर स्तोत्र, पद्मावतीसहस्त्रनाम धरणेन्द्र पूजा, पद्मावती पूजा, शांतिपाठ एवं ऋषि मण्डल स्तोत्र का संग्रह है। १०२०४. गुटका सं०५१ । पत्र सं० २-१२४ । प्रा० ६३४५६ इन्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं० १६०२ श्रावण सुदी १५ । पूर्ण । विशेष - निम्न पाठों का संग्रह है। १. श्रीपाल दरस-x | हिन्दी । पत्र१-२ । २. निर्वाण काण्ड माशा-X । प्राकृत । ३-४। ३. विषापहार स्तोत्र-हिन्दी पद्य । ५-६ । विशेष-१२ से १८ तक पत्र नहीं है । ४. सीता जी की बीनली-४ 1 हिन्दी। १९-२० । ५. कलियुग बत्तीसी-xहिन्दी । २१-२४ । ६. चौबीस भगवान के पद.हिन्दी । २५-५६ । ७. नेमिनाथ विनती-धर्मचन्द्र । ६०-६४ । Page #1191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११३० ] 4. हितोपदेश के दोहे - X हिन्दी ६१-७२ । ६. टारह माता वन- कमलकीति | हिन्दी । ७५-८० । १०. चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न -X | हिन्दी ८०-८२ । ११. हंतों के गुण वन X हिन्दी ८३-२४ । १२. नेमिनाथ राजमती संवाद - ब्रह्म ज्ञानसागर | हिन्दी | ६३-६४ । १३. पंचमंगल चन्द हिन्दी १४- १०४ । २४. विनती एवं पद संग्रह - X १०२०५. गुटका सं० ५२ x पूर्ण - हिन्दी १०५ - १२४ । पत्र० १२ विशेष- चर्चाओं का संग्रह है । १०२०६. गुटका सं० ५३ । वसं० १०१ | ० ७६ इश्व । भाषा - हिन्दी | लेकाल सं० १९७१ १५ पूर्ण विशेष – चम्पाबाई दिल्ली निवासी के पदों का संग्रह है जिसने अपनी बीमारी की हालत में भी पद रचना की थी और उससे रोग की शांति हो गई थी। यह संग्रह चम्पावत के नाम से प्रकाशित हो चुका है। १० २६ । प्रा० ६४५ भाषा - हिन्दी | लेकाल इन्च १०२०७. गुटका सं० ५४ । X पूर्णं । विशेष सामान्य पाठों का संग्रह है। ★ पूर्ण १०२०८. गुटका सं० ५५ प ० १८१ ० ६६५ भाषा-संस्कृत-हिन्दी ले० काल सं० १९३१ । पूर्ण । विशेष – २० पूजाओं का संग्रह है। बड़ी पंचपरमेष्ठी पूजा भी है। । प्रा० ५३४३ इन्च भाषा - हिन्दी-संस्कृत १०२०६. गुटका सं० ५६ पत्र सं० १६१ २०काल सं० १९१४ श्रावण सुदी २ पूर्ण [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग ० ०४५२ इव भाषा संस्कृत लेकाल विशेष - सामायिक पाठ, श्रावक प्रतिक्रमण, पंच स्तोत्र आदि का संग्रह है । १०२१०. गुटका सं० ५७ पत्रसं० १८३ सं० १०१७ पौष गुदी १३ । पूर्ण । विशेष- चौबीस तीर्थंकर पूजा रामचन्द्रकृत हैं। १०२११. गुटका सं० ५६ 1 पत्र सं० ५४ | ० ६४५ इन्च । भाषा - हिन्दी । ले० काल विशेष निम्न पाठों का संग्रह है--- १. पागा केवली - XI संस्कृत १-१७ २. पद संग्रह - x हिन्दी १८४४ ० ५३ X ४३ इक भाषा संस्कृत काल विशेष-पद एवं स्तोत्र तथा सामान्य पाठों का संग्रह है। १०२१२. गुटका सं० ६० । ० ५१-१५३ ० ६३४३ इन्च भाषा - हिन्दी-संस्कृत | पत्र | । | ले० काल सं० १९२७ मंगसिर बुदी १३ पूर्ण Page #1192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] ३. पांच परवी कथा- ब्रह्म विक्रम ४५-५३ ४. चौवीसी नीर्थकर पूजा--बस्तावरसिंह । १-१५३ १०२१३. गुटका सं० २१ । पत्र सं० १९८ । प्रा०५३४४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकालX । पूर्ण । विशेष-स्तोत्र एवं अन्य पाठों का संग्रह है। १०२१४, गुटका सं० ६२ । पत्रसं० १० । प्रा० ५४५३ इन्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १८५६ आषाढ बुदी १४ 1 पूर्ण । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। १. शालिभद्र चौपई मतिसागर हिन्दी २. पद हिन्दी ४५-५५ ३. गोराबादल कथा जटमल र० काल सं० १६८० फागुण सुदी १२ । पद्य सं० २२५ विशेष-जोगीदास ने प्रतिलिपि की थी। १०२१५. गुटका सं० ६३ । पत्र सं० १३६ । प्रा० ५३ ४ ५ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल X । पूर्ण । विशेष----पूजा एवं स्तोत्र आदि का संग्रह है । १०२१६. गुटका सं० ६४ । पत्र सं० १०७ । ग्रा० ५६x४१ इञ्च । भाषा - हिन्दी । ले०काल स० १८७६ असोज बुदी १३ । पूर्ण। विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। १, आदित्यवार कथा भाऊकवि हिन्दी १-२२ २. मानगीत हिन्दी २७-२६ ३. बूढा' चरित्र जतीचन्द र०काल संवद १८३६ विशेष–वृद्ध विवाह के विरोध में हैं। ४. शालिमद्र चौपई मतिसागर हिन्दी ४४-१०७ १०२१७. गुटका सं० ६५ । पत्रसं० १६५ । प्रा० १०४५ इश्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल X । पूर्ण विशेष-पूजायें, स्लोत्र एवं चेतनकर्मचरित्र (भगवतीदाग) का खंग्रह है। प्रारम्भ में षटलेण्या, प्रादित्यवार प्रतोद्यापन का मंडल, चिन्तामणि पाश्र्यनाथ पूजा का मंडल, कल्याणमन्दिरस्तोत्र की रचना, विषापहार स्तोत्र की रचना, कर्म-दहन मंडल पूजा, एकीभाव रचना. नंदीश्वर द्वीप का मंडल आदि के चित्र हैं। चित्र सामान्य हैं। १०२१८, गुटका सं० ६६ । पत्र सं०६ । मा०८३४७ इञ्च। भापा-हिन्दी । लेकाल x | पूणे। विशेष-- जलमालन विधि है। Page #1193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११३२ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १०२१६. गुटका सं०६७ । पत्रसं० १२ । आ० १४७ इच्च । भाषा - हिन्दी। ले०काल सं० १६६४ । पुर्ण। विशेष-दौलतराम कृप्त छहाला है । १०२२०. गुटका सं०६८ । पत्रसं० ५५ । पा० ३४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल x | पूर्ण । विशेष-पद संग्रह है। १०२२१. गुटका सं०६६ । पत्र सं० ४१ । मा० ५३४५१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल X । पूर्ण । विशेष-भक्तामर स्तोत्र एवं दौलतराम के पद हैं । १०२२२. गुटका सं०७०। पत्र सं० १२ प्रा. ८४६ इश्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण। विशेष—बिम्ब निर्माण विधि है। १०२२३. गुटका सं० ७१। पत्रसं० ३५ । प्रा० ६४६३ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले काल XI पूर्ण। विशेष-भक्तामर स्तोत्र एवं निवारण काण्ड आदि पाठ हैं। १०२२४. गुटका सं०७२ । पत्र सं० १२ । प्रा. ६४४ इन्च । भाषा--हिन्दी । ले. काल X । पूर्ण । १०२२५. मुटका सं० ७३ । पत्र सं० १४ । श्रा० ६३४४२ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले०काल x । पूर्ण । विशेष--गामारय पाठ संग्रह है। प्राप्ति स्थान - दि. जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर १०२२६. गुटका सं० १ । पत्रसं० ५० ५ भाषा-हिन्दी । पूर्ण । वेष्टन सं० १००। विशेष-मुख्यतः निम्न पाों का संग्रह है-- जम्बूस्वामी वेलि वीरबन्ध हिन्दी पद्य जिनांतररास चौबीस जिन चौपई कमलकीति विनती कुमुदचन्द्र वीर विलास वीरचन्द ले-काल सं. (१६८६) भ्रमर गीत वीरवन्द (र० काल सं० १६०४) प्रादीश्वर विवाहली हिन्दी पद्म पाणी गालनरो रास ज्ञानभुषण Page #1194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] रुक्मिणिहरण द्वादश भावना गौतमस्वामी स्तोत्र नेमिनाथसमवशरण फुटकर पद रत्नभूषण बादिचण्ड इ- मुख्यतः निम्न पार्टी का संग्रह है נו २. जैनक ३. दृष्टांत पच्चीसी ४. मधु विन्दु चौप ५. अष्टोतरी शतक ६. चौरासी बोल ७. सूरत की बारहखड़ी ८. बाईस परीषह कथन E. धर्मपच्चीसी गंगादास वीरचन्द १०२२८. गुटका सं० ३ ले० काल सं० १६७८ । पूर्ण वेष्टन सं० ३० ॥ I १०२२७, गुटका सं० २०११-७२ ० २+४ भाषा-हिन्दी जेल सं० १९०६ । मपूर्ण बेन सं० १७ । विशेषत्रिभुवनबीमती ससाणु वहाँ निनाद बीनती चैत्यालय बंदना अष्टक चौपाई महीचन्द रत्नभूषरण विशेष मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है-१. नक्काबसीसी भूवरदास भगवतीदास हिन्दी भगवतीदास 17 개 〃 सूरत भगवतीदास भगवतीदास १०. ब्रह्म विलास भगवतीदास बनारसी विलास (बनारसीदास) के अन्य पाठों का संग्रह है । " हिन्दी १० (१०काल सं० १७४०) इस रचना में ६२ पद्य हैं। पत्रसं० ३७-१४६ । म० १०३X६ इश्व | भाषा - हिन्दी-संस्कृत | 37 (२०फाल सं० १६७७) 19 " IF हिन्दी पद्य (२०काल सं० १७२४) 31 " " " [ ११३३ हिन्दी एवं Page #1195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११३४ ] १०२२१. मुटका सं० १ १७१८ मगर बुदी १४ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान- दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर विशेष- पाहुड की संस्कृत टीका राहित प्रति है। अपूर्ण वन सं० १०२३०. गुटका सं० २ । पत्र सं० ४०-८२ । भाषा संस्कृत-हिन्दी । ले०काल सं० १६७० ॥ विशेष- मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है लघ्नु' लघु तत्वार्थ सूत्र दानतपापीस भावना गीत ऋषिमंडल स्तवन संधोध पंचासिका ० ६२ ० ९x९६४ भाषा प्राकृत से काल सं० ७. जिनमंगल ८. मेवाडीनां गीत्र ब्रह्म वामन भतिसागर ४. कथूल कथा ५. विषय सूची ६. चोवीसी सीकर स्तवन विद्याभू विशेष – पभदेव थी अजित सकल संभव अभिनन्दन | सुमति पद्म सुपार्श्व श्रीचतुर चन्द प्रभ वंदन ॥ अधारह पुराणों की नामावली विशेष – पुन: पत्र १०. गुरुराशिगत विचार ३० मत्रों का वर्णन है। से चालू हैं T गुटका जीर्ण है । हिन्दी | I १०२३१. गुटका सं० ३ ० १८-२६० पा० ११३७३ इव भाषा-संस्कृत। पत्र ले ० ०काल सं० १६४३ असोज बुदी । प्रपू । बेष्टन सं० विशेष-गुटका बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसमें हिन्दी एवं संस्कृत की अनेक अज्ञात एवं महत्वपूर्ण रचनाएं हैं ट में संग्रहीत मुख्य रचनाओं का विवरण निम्न प्रकार है ० सामग्र प्रकार पत्र सं० ५६ १. सीमंबर स्तवन C २. स्त्री लक्षण ३. श्री रामचन्द्र स्तवन ११ ११ ११-१३ १६-१७ [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग पत्र १७ १५ 37 १ संस्कृत हिन्दी 37 संस् 17 धनालिखतं भाषा विशेष हिन्दी पद्य सं० ३१ >> हिन्दी पद्य सं० १० संस्कृत हिन्दी संस्कृत (ज्योतिष) पद्य सं० १०३ Page #1196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] ११. निरंजनाष्टक १२. पश्वविधान कथा जीवन्धर विशेष जीवनधर यशकीवि के शिष्य थे । १५. जीवनी पालोचना १६. महाव्रतीनि चौमासानुदंड (पद्य गद्य) विशेष-संवत् १६....व पाचार्य श्री विनयकीर्ति सशिष्य व्र० श्री धन्ना खितं । १३. निती व्र ० जिनदास हिन्दी १४. गुणावेलि विशेष - वसुर्मास में मुनियों के दोषपरिहार विधान है । १७. चिन्तामणि पार्श्वनाथ पूजा शुभचन्द्र ७-११ २६ २५. गुरु विरुदावली सा पुरुष भगावलि २७. भक्तामर स्तोत्र सटीक २८. दर्शनप्रतिमा का ब्योरा २९. चंद संग्रह ३०. षट् कर्म छंद ३१. ग्रादिनाथ स्तवन ३९. वलभ रास १ ३-४ गंगादास ८० यशोधर (ऐतिहासिक विवरण है) संवत् १६०९ मे १६६९ तक की संवत्सरी दी गयी है । २१.६० नाम २१ २२. वर्धनाम २१ २३. तीस पीवीसी नाम २१-३४ २४. क्रांतिफल २६ (श्री विनयीति ने पत्रा के पदनार्थ लिखा था) विद्याभूषण २६-२८ २६-३० ४-६ ६ ३१-३६ ३८ ३५-३६ २६ ११-१३ १३-१४ १४-२१ ३६ ४०-४८ विशेष चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तोत्र भी है। प्रशस्ति-संवत् १६११ वर्षे भरि ग्रामे श्री काष्ठाचे श्री मुनिसृत भावार्य श्री विजय कांति शिव्ये व्र० घना केन पनार्थ । १०. नीतिसार १६. राज्जन चित्तवल्लभ २०. सावित्री संस्कृत #7 १७ हैं। पद्य ०काल सं० १६१६) 31 हिन्दी संस्कृत संस्कृत 37 हिन्दी 38 संस्कृत fsમ્મી संस्कृत संस्कृत हिन्दी संस्कृत [ ११३५ हिन्दी हिन्दी संस्कृत हिन्दी Page #1197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग संस्कृत संस्कृत संस्कृत ४३ ४४-४७ विशेष-स्कंध नगर में रचना की गयी थी। ३३- बीस तीर्थकर स्तवन ज्ञान भूषण ३४. दिगम्बरों के ४ भेद ३५. प्रतसार ३६. दश धर्म वसन ३७. श्रेसिक कथा ३८. लविधि विधान कथा 40 अभ्रदेव ३६. पुष्पांजलि कथा ४०.जिनरानि कथा ४१. जिनमुखावलोकन कथा सकलकीर्ति ४२, एकावली कथा ४३. शील कल्याणक प्रत कथा ४४. नक्षत्रमाला अन कथा ४५. अत कथा ६३. विधान करनेकी विधि ६४. प्रवृत्रिम चैत्यालय विनती ६५. ग्रालोचना बिधि ६६-७७ भक्तिपाठ संग्रह ७८, स्वयंभू स्तोत्र समंतभद्र ७६. तस्त्रार्थ सूत्र उमास्वामी ८०. लघु तत्वार्थ सूत्र ४६-५१ ५१-५२ ५२-५३ ५३-५४ ५४-५५ संस्कृत संस्कृत ७६ तक विशेष---सं० १६१६ माह दि ५ को पता ने प्रतिलिपि की। ५ अध्याय हैं । ८१, प्रतिक्रमण (श्रावक) संस्कृत ८२. लघुआलोचना ८३. महायती मालोचना ८४. सीजामा रास - ७ हिन्दी ८५. जीवधर राम त्रिभुवनकोति ७-६३ विशेष-रकाल सं० १६०६ है इसकी रचना कल्पवल्ली नगर में हुई थी। अन्तिम पद्य निम्न प्रकार है श्री जीवंबर मुनि तप करी पुस्तु शिव पद ठाम त्रिभुवनकीरति इम वीनवि देयो तम गुण ग्राम ॥८१।। ८६, पाशाकेवली मर्गमूनि संस्कृत ५७. यति भावनायक ८८, जीराबलि वीनती हिन्दी K : Page #1198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११३७ ८६. कर्मविपाक रास अ. जिणदास ६९ हिन्दी (खेकाल सं० १६१६) १०. नेमिनाथ रास विद्याभूषण १००-१०४ हिन्दी विशेष-देवपल्ली स्थान में विनयकीति के शिष्य पन्ना ने प्रतिलिपि की थी। ६१. श्रावकाचार प्रतापकीर्ति १०४-७ हिन्दी (र०काल सं० १५७५ मंगसिर सुदी २) १२. यशोधर रास सोमकोति १०७-१३ हिन्दी १४, भविष्ययत्त रास विद्याभूषरप ११४.२० (र०काल सं० १६०० श्रावण सुदी ५) १५. उपासकाध्ययन प्रभाचन्द्र ले०काल सं०१६०० मगसर बुदी ६ ६६. सामुद्रिक शास्त्र १२०-१२४ संस्कृत लेकाल सं० १६१६ मंगसिर बुदी ११ ६७. शालिहोत्र १२४-२५ संस्कृत १८. सुदर्शनरास प्र० जिनदास १२५-२६ हिन्दी पद्य ले०काल सं० १६१६ मंगसिर बुदी ४ ६६. नागश्रीरास १२९-३२ लेकाल सं० १६१६ पौष सुदी ३ (रात्रि भोजन रास) " १२ भोजन रास) १००. श्री १०१. महापुराण विनती गंगादास १३७-३६ ले०काल सं० १६१६ पौष बुदी १०२, सुकौशल रास गंगुकवि १३६-४१ १०३. फ्ल्प विचार वार्ता - १४१ १०४ पोसानुरास १०५. चहुगति चौपई १४३ १०६. पार्श्वनाथ गीत अनिलवण्य समय १४३ राग अथरस दीनानाथं त्रिजगनाथं दशंगणधर रचि साथ । देहनबहाथं पारिश्वनाथं तु तारिभव पाथं रे ।। १०७. ग्यारहप्रतिमा वीनती बजिणदास १४३ १०८ पानीगालन रास १०१, यादित्यवतरास ११०. माखसा मूछ कथा १४५-४६ ६४ पद्य हैं १११. गुणठाणा चौपई बीरचन्द Page #1199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १११८ ] ११२. रस्नभयवीन ११४. त्रिकासार १४६ सु जीव रामय मन मांहि घरीनि कहि चारित्र सार अ० जिरणदास १४८ - ४८ सकलकीत १४८-४९ ११५. आराधना प्रतिबोध सार ११६. गुरणतीसी सीवना ११७. मन्त्रादकरण (मिध्यादुकड) ११८. संताणु भावना ११६. मिकुमार गीत (हमची नेमनाथ ) १२०. कलियुग चौप १२१. कर्मविपाक चौपई ० जिवास १२५. चौबीस अतिशय विनती *** " वीरचन्द १५०-५१ अंतिम पर विध प्रकार है- रि श्री विद्यानंद जय श्री मनिष मुनिषद | तस पठ महिना निलु गुर श्रीचन्द मन्द तेह कुल कमल दिव संपती जंयति जथि वीरचन्द | सुतां भरतां ए भावना पामीइ परमानन्द ॥ ८७॥ मुनि १५१ लावण्य समय १५२ १५२-५३ १२२. गुरासी १५३ १२३. ज्योतिष शास्त्र १५४-५६ १२४. जम्बूस्वामी रास प्र० जिरपदास १५६-६६ वर विनती १६६-६७ १६७ १२६ १२७. लघु बाल देखि शांतिवास १६७ विशेष – शांतिदास कल्याणकीति के शिष्य थे। अंतिम पञ्च निम्न प्रकार है [ ग्रन्थ सूची- पंचम नाग हिन्दी ३२ पद्य हिन्दी पद्य ०काल सं० १६१६ माह सुदी १४ हिन्दी १७ प० १५८ पद्य है । हिन्दी ५५ पच भरत नरेश्वर मावीया नाम्पु निजवर शीस जी । स्तवन करी हम जंपए हूँ किंकर तु ईस जी | ईस तुमने छांदीराज मनि द्यापीठ हिन्दी २० काल सं० १५६४७८० हिन्दी ७३ प० ६४ प० संस्कृत इम ही मन्दिर गया सुन्दर ज्ञान भवने व्यापीउ । थी का कीरति सोम मूरति चरण सेज निर्माण कर शांतिदास स्वामी प्रालि र पुत्र तह ती । " " हिन्दी १००६ पद्य हैं । २७ पद्य " हिन्दी २६ पद्य " Page #1200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११३६ " १२८. तीन चौबीसी पूजा विद्याभूषण १६८ ७१ संस्कृत ले०काल सं० १६१६ ज्येष्ठ बुदी १३ १२६. पल्य विधान पूजा १७१-७३ संस्कृत १३०. ऋषिमंडल पूजा १७३-७४ संस्कृत ले०काल सं० १६१७ आषाढ सुदी ११ १३१. यहइंकलिकुण्ड पूजा १७८-७९ संस्कृत १३२, कर्मदहन पूजा शुभचन्द्र १७६-८४ ले०काल सं० १६१७ आपाह बुदी ७ १३३. गाधरवलयपूजा -- १८४-८५ १३४. सककलीरण विधान .. १८५-८६ १३५. सहस्रनाम स्तोत्र जिनसेनाचार्य १५६-८८ ले०काल सं० १६१७ यापाइ सुदी ११ १३६. बृहद् स्नपन विधि १९८-१४ संस्कृत ले०काल सं० १६१७ सावण सुदी १० प्रशस्ति-निम्न प्रकार है संबत् १६१७ वर्षे श्रावण सुदी १० गुरौ देवपल्या श्री पार्श्वनाथ सुवने श्री काप्ठासंचे भट्टारक श्री विद्याभूषण प्राचार्य श्री ५ विनमकीर्ति तच्छिष्य ब्रह्म धन्ना लिखतं पटनार्थ । १३७. लघुस्वपन विधि - १६४-६६ १३८ -४१ सामान्य पूजा राठ - १६६-२०० १४२. सोलहकारणपाखंडी २०० १४३-१४७ नित्य नमित्तिक पूजा -- २००-५ ले०काल सं० १६१७ १४८. रत्नत्रय विधान नरेद्रसेन २०५-६ संस्कृत (बड़ा अयं समावणी विधि) इति भट्टारक श्री नरेन्द्रसेन विरचिते रत्नत्रयविधि समाप्त । अ० धन्ना केन लिखितं । १४६. जलयात्रा विधि संस्कृत ले०काल सं० १६१७ भादवा बुदी ११ प्रशस्ति--सं० १६१७ वर्षे भादवा बुदी ११ श्री काष्ठासंथे म. श्री रामसेनान्वये । मट्टारक श्री विश्वसेन तत्प? भट्टारक श्री विद्याभूषण प्राचार्य थी विनयकीति तच्छिष्य थी धन्नास्येन लिखतं । देवपल्या श्री पार्श्वनाथ भुवने लिखितं । १५०. जिनधर स्वामी बीनती सुमसिकीति २०६-६ हिन्दी श्रीमूलसंघ महंत संल गुरु श्री लक्ष्मीचाद' । वीरचन्द विषुध बंधन्याय भूषण मुनिन्द । जिनवर मीनती जे भणि मनिधरी पाणंद । भगति सुगति मुनियर ते लहि जिटा परमानंद । Page #1201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४० ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग मुमतिकीति भधि भरिण ये ध्यावो जिनवर देव । संसार माहि मवतयु पाम्बु सिवपरु देव ॥२३॥ इति जिनउर स्वामी विनती समाप्त । १५१. लक्ष्मी स्तोत्र सटीक - २०७-२०८ संस्कृत १५२. कर्म की १४८ प्रकतियों ३००-१० हिन्दी का वर्णन १५३. विनती पार्श्वनाथ २१०-११ पद्य सं०१४ जय जगगुरु देवाधिदेव तु त्रिभुवन तारण । रोग शोक अपहराधरि सवि संघद कारण। रागादिक अंतरंग रिषु तेह निवारण । तिहु प्ररण सल्य जे मयण मोह भड़ देवि भंजण । चिन्तामरिण श्रीयपास जिनवर प्रनवर शृगार । मनह मनोरथ पूराए वांछित फल दातार ॥ १५४, विद्यमभ गीत x २११-१२ हिन्दी १५५. बाईस परीषह मान - २१२-१: ले०काल सं० १६३२ बैशाख सुदी १० प्रहलाबपुर में ब्र. धन्ना ने अपने पठनार्थ लिखा था। १५६. षट्काल भेद वर्णन - २१५ १५७. दुर्गा विचार १५८. ज्योतिष विचार विशेष-इसमें यापस बिचार, शकुन विचार, पल्ली विचार छींक विचार, स्वप्न विचार, अंगफडक विचार, एवं वापस घट विचार आदि दिये हुए हैं। १५६. अकलंकाष्ठक २१६-१७ १६०. परमानंद स्तोत्र २१७ १६१. ज्ञानांकुश शास्त्र २१७-१८ १६२ श्रुत स्कंध शास्त्र १६३. सप्ततत्व वार्ता २१६-२० १६४. सिद्धांतसार - २२०-२२ १६५-६८ कमों की १४८ प्रकृतियों का वर्णन जैन सिद्धांत वर्णन चौबीसी ठाणा चर्चा, सीर्थकर प्रायु वर्णन २२३-३४ ले०काल सं० १६१८ पासोज सुदी १ १६६. सुकृमाल स्वामी रास धर्मरुचि २५१-६५ हिन्दी संस्कृत संस्कृत Page #1202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ११४१ गुटका संग्रह ] अन्तिमभागवस्तु रास मनोहर २ किधु मि सार । सुकुमालनु अति रुपड सुरगता दुखदालिद्र टालि अति ऊजल ! भयो तह्यो भबिजज्य अनेक कथा इस वर्ष बीलोह जल 1 श्री अभयचन्द्र शुरू प्रणमीनि ब्रह्मधर्म रुचि मरिपसार । भरिण गुरिपज सोभलि ते पामि खुख अपार । इति श्री सृकुमाल स्वामी राम समाप्त । १७०. थी नेमिनाथ प्रबंध लावण्य समय मुनि २६५-७० हिन्दी १७१. उत्पत्ति गीत १७२- भरसंगपुरा गोत्र छंद १५३. हनमंत रास व जिपदास २७३-२८९ अन्तिम पाठयस्तु-रास कहा २ सार मनोहर सहितयुग सार सहोजल । हनुमंत बीनु निर्मल अंजल। भ्रांति केडबा प्रतिषणी भवीयरणासुराशासार अजल श्री सकलकारति गुरु प्रणमीनि भवनकीरति भवसार । ब्रह्मजिरणदास एणी परिभणी पद्धता पूण्य अपार ।।७२७॥ ७२७ पद्य हैं। १७४. जिनराज बीनती २६२ १७५, जीरावलदेव बीनती ले०काल सं० १६३४ संवत् १६२२ वर्षे दोमडी ग्रामे लिखितं । १७६. नेमिनाथ स्तवन २६१ ३६ पद्य १७७ होलीरास अ० जिणदास २९६ ले०काल सं० १६२५ बैत सुदी ५ १७५. सम्यक्त्व' रास प्र. जिरणदास २६६-२६७ ले०काल सं० १६२५ पौष सुदी २ १७६. मुक्तावली गीत सकसकीर्ति २९७ लेकाल सं० १६२६ पौष बुवी १३ ৫০. ৰূমনাথ ভঁৰ २६८ ले० काल सं० १६४३ आसोज दुदी ३ । १०२३२. गुटका० सं०४। पत्रसं० १३० । भाषा-हिन्दी। लेकाल सं० १८३३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३८६। विशेष---निम्न दो रचनामों का संग्रह है--- " Page #1203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४२ 1 अन्य सूची-पंचम भाग पनक्रिया विधि-दौलतराम । भाषा-हिन्दी । पूर्ण । २० काल सं० १७६५ भादवा सुदी १२ । ले० काल सं० १८३३ । प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १८३३ वर्षे मासोत्तमासे शुभज्येष्ठ मासे कृष्ण पक्षे पांडित्रा शुक्रवासरे श्री उदयपुर नगरे मध्ये लिखित साह मनोहरदास तोलेशलालजी सूस श्री जिनधरमी दौलतराम जी सीष ग्रय करता जणारी प्राज्ञा थकी रारधा ग्रानी तेरेसंथी देवधरम गुरु सरया शास्त्र प्रमाणे वा में गुरु भक्ति कारक । २. श्रीपाल मुनीश्वर चरित ब्रह्म जिनदास हिन्दी (ले०काल सं० १८३४) १०२३३ गुटका सं० ५। पत्रसं० १८० । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३८५ विशेष-मुख्यत: निम्न रचनाओं का संग्रह हैकवित्त मानकवि हिन्दी ऋषि मंडल जाब संस्कृत देव पूजाष्टक अन्य साधारण पाद हैं। १०२३४. गुटका सं० ६ । पत्रस'० १६६ । प्रा० ११४८ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल X पूर्ण । वेष्टन स. ३८४ । विशेष—निम्न प्रकार संग्रह हैपूजा पाठ, पद, विनती एवं तत्वार्थसुत्र प्रादि पाठों का संग्रह है। बीच बीच में कई पत्र खाली हैं। १०२३५. गुटका सं०७ । पत्र सं० १८५ । प्रा. ७४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल x I पूर्ण । देष्टन सं० ३८३ । मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं विशेष—सामायिक पाठ, भक्ति पाठ, आराधनासार, पट्टायलि, द्रव्य संग्रह, परमात्म प्रकाश, द्वादशानुप्रेक्षा एवं पूजा पाठ संग्रह है। १०२३६. गुटका सं०८ । एत्रसं० १४०। प्रा०६४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल X। अपूर्ण । वेष्टन सं० ३८२ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह हैगुरणस्थान चर्चा प्राकृत तत्वाअंतत्र सार्थ हिन्दी (मद्य) भाव विभभी नेमिचन्द्राचार्य प्राकृत प्राश्रव त्रिभंगी पंचास्तिकाय हिन्दी हिन्दी गद्य टीका सहित है | | Page #1204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] १०२३७. गुटका सं० । पत्रसं० २१-१३१ । प्रा० ६४५ इञ्च । भाषा-संस्थात-हिन्दी। लेकाल सं० १७८१ । अपूर्ण । बेन सं० ३८१ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। अनन्तनाथनत राम जिनदास हिन्दी भक्तामर स्तोत्र प्राचार्य मानतुग संस्कृत दान चौपई समय सुन्दर बाचक पार्श्वनाथजी छंद संबोध (ले०काल १७८१) बाहुवलिनी निपद्या (ले०काल १७८१) रवित्रत कथा जयकीलि सोलहकारग कथा ब्रजिनदास पाणीमालन रास ज्ञानभूषण १०२३८, गुटका सं० १० । पत्रसं० ४६-६६ | आ० १४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । ने०काल सं० १७८१ । अपूर्ण । बेष्टन सं० ३८७ । विशेष - निम्न रचनाओं का संरह हैहनुमंत कथा ० रायमल्ल हिन्दी थपूर्ण जम्बू स्वामी चौपई पाँडे जिनदास मगी संवाद अपूर्ण १०२३६. गुटका सं० ११ । पत्रसं० ४२० । प्रा० १०४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं० १९२० काती सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७६ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैअनन्तव्रत कथा ० जिनदास हिन्दी पत्रसं० सोलहकारण रासा दशलक्षण व्रत कथा चारुदत्त प्रबंध रास गुरु जयमाला पुष्पांजलि पूजा संस्कृत प्रनन्त श्रत पूजा शांतिदास हिन्दी पुष्पांजलि रास अजिनदास महापुराण चौपई गंगदास अकृत्रिम चैत्यालय लक्ष्मण विनती काष्टासंघ विख्यात सूरी श्री भुपण शोभताए चन्द्रकीति रि राय तस्य शिष्य लक्ष्मण वीनती करू'ए ।। " . : : Page #1205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४४ ] का निराकरता रास मायागीत त्रिलोकमार पीप होली भास सिन्दूर प्रकरण भाषा विशेष – १४ प है। उदयपुर नगर में प्रतिलिपि की थी। बनारसीदास सुदर्शनरा रात्रि भोजनराम्र दानकथा रास दानकथा रास अकलंक यति रात नामावलि छंद नूर की शकुनावली वीरचन्द प्रशस्ति निम्न प्रकार है- मेवाडदेशे संवत् १७८५ वर्षे फागुण मासे शुक्लपक्षे प्रतिपदातिथी सोमवासरे पूर्व भाद्रपदन] साफा नामि गोवा श्री उदयपुरगगरे महाराणा श्री संग्रामसिह जी विजयराज्ये श्री मूलवंदे श्री संभवनाथ चैत्यालयेभ० श्री विजयकीति जी झाम्नाने श्री हूमड ज्ञातीय वृद्धि शास्यायां सुभावः पुम्य प्रभाव श्री देवगुरु भक्तिकारक श्री जिनाशाप्रतिपालक द्वादसत्राधारक लिखापितं वालेसा देवकी तत्सुत एक विज्ञति गुण विराजमान वाले सा श्री रतन जो पठनार्थं । व्र० जिनदास हिन्दी बारह व्रत गीत ग्यारह प्रतिमा रास कोटा नगर में रचना की गई थी। मिया टुकड जयमाल जीवडा गीत प्र० नारात् (विजयीति का शिष्य) सुमतिकोति ५० जिनदास दर्शन वीनती भारी राम जिणंद गीत बणजारा गीत अ० जयकीति अ० कामराज नर [ प्रम्थ सूची- पंचम भाग हिन्दी (९० काल सं० १६२७ माघ सुदी १) हिन्दी १७७ ० जिनदास " हिन्दी ( ले०काल सं० १७८५) पत्र सं० २४३ २८५ (ले० काल सं० १७८७) २६५ कथा लुपदल साहकी ) साहू धनपाल की दान कथा है। हिन्दी (२०काल सं० १९९७) हिन्दी प्रांख फड़कने संबन्धी विचार हिन्दी पत्रसं० ३५३ ३६१ Page #1206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११४५ चेतन प्राणी गीत कायां जीव सुवाद गीत ब्रह्मदेव - संस्कृत थी मूल संघे गड्रपति रामकीति भवतार । तस पट कमल दिवसपति पद्मनंदि गुणधीर । तेहणा चरण कमल नमी गंगदास ब्रह्म पसाये । काया जीव सुवादडो देवजी ब्रह्मगुण गाय । पोषह रास शानभूषण हिन्दी ज्ञान पच्चीसी बनारसीदास गोरखकवित्त गोरखदास जिनदस कथा रत्न "पूषगा संवत् १८२० में उदयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। १०२४०. गुटका सं० १२। पत्र सं० ११० । आ.७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७८ । विशेष-मुख्यतः तिम्न पाठों का संग्रह है। क्षेत्रपाल पूजा ऋषिमंडज पूजा संस्कृत मांगी तुगीजी की यात्रा अभयचन्द सूरि हिन्दी विशेष—इसमें ४२ पद्य हैं । अन्तिम पंक्तियां निम्न प्रकार हैं भाव में मविपण सांभलोरे भणे अभयचन्द सूरी रे । जाङ्ग ने बलभद्र जुहारिजो पापु जाइ जिमि दूरि रे। योगीरासा जिनदास कलिकुहपार्श्वनाथ स्तुति । - १०२४१. गुटका सं० १३ । पत्रसं० ६.। आ० ५६४५३ ३ । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले काल X । अपूर्ण । घेष्टन सं० ३७७ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। कलिकुड स्तवन, सोलतारणा पूजा दशलक्षण पूजा, अनन्तन्त्रत पूजा। मन्य पूजा पाठ संग्रह है। १०२४२. गुटका सं० १४ । पत्रसं० २०६ । पा० ६४५ इञ्च । भगा-हिन्दी । ले. कालx। पूर्ण । वेष्टन सं० ३७६ 1 ___ मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है..... विरह के फुटकर दोहे लालकवि हिन्दी Page #1207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४६ ] [अन्य सूची-पंचम माग नित्य पूजा बुधरासा , ले०काल सं० १७३७ प्रारम्भ का पाठ निम्न प्रकार है प्रशमीइ देव माय, पांचाइण कमसी। समशिए देव सहाय जैन सालग सामणी। प्रणमीइ गण हर गोम सामणी । दुरियणासे जेने नानि सद्गुरु वेसिणिरो कीजे । अन्त में संवत् १७३७ मंगसर सुदी ११ सैगडी फिलाणजी खीमजी पठनार्थं । राजा यशोधर चरित्र- हिन्दी काया जीव संवाद गरित हिन्दी अंतिम भाग निम्न प्रकार है गंगदास ब्रह्म पसाये राणी काय जीव सुवादडो । देवजी ब्रह्म गुण गाय राणीला । इति काथा जीव सुवादजीघ संपूर्ण । मी पाड का लाल जी कलाजी स्वलिखिता। संवत् १७१२ वर्षे प्राषाढ वदी ११ गुरौ श्री उज्जेणी नगरे लिखता । यशोधररास ब्रह्म जिनदास श्रीणिकरास से काल सं० १७१३ माघ सदी ५ विशेष-अहमदाबाद नगर में प्रतिलिपि हुई थी। जिनदत्तरास हिन्दी पर्छ । १०२४३. गुटका सं० १५ । पत्र सं० ११ । प्रा. ८४७ इच । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल सं० १७३० । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३७२ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। अनन्तवत रास व जिनदास हिन्दी जिनसहस्रनाम स्तोत्र , पाशाधर संस्कृत ले.काल सं० १७१६ प्रद्य म्न प्रबंध , हिन्दी १०२४४. गुटका सं०१६ । पत्रसं० ३६ 1 श्रा० ६४४ ह । भाषा-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ३७३ ।। विशेष-नंदीश्वर पूजा जयमाल ग्रादि है। Page #1208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११४७ १०२४५. गुटका सं० १७ । पत्र सं० ८-८४ | श्रा० ६x४३ इञ्च । भाषा संस्कृत-हिन्दी। ले०काल ४ । अपूर्ण 1 वेष्टन सं० ३७४ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह है। प्रतिक्रमरण पाठ संस्कृत राजुल पच्चीसी हिन्दी सामामिक पाठ हिन्दी १०२४६. गुटका सं० १८ । पत्रसं०५६ । प्रा० ८४५ इन्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७५ । विशेष--मनोहरदास सोनी कृत धर्म परीक्षा है । १०२४७. गुटका सं० १९ । पत्र सं० ३-५३ । प्रा० ६४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल x अपूर्ण । पेष्टनसं० ३७ । विशेष-पूजा पाठ तथा विनती एवं पदों का संग्रह है। १०२४८. गुटका सं० २० । पत्रसं० ७५ 1 आ० ६४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। ले. काल x । मपूर्ण । वेष्टन सं०३६८ । विशेष - मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। भक्तिपाठ संस्कृत बृहद् स्वयंभू स्तोत्र गुर्वायलि नेमिनाथ की विनती हिन्दी १०२४६. गुटका सं० २१ । परसं० २०७ । माषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल ४ । पूर्ण । वेधन सं० ३६९ । विशेष—मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है । हनुमतरास व जिनदास हिन्दी जम्बूस्वामीरास पोषहास शानभूषण संबोध सनाणु दूहा वीरचन्द नेमकुमार वीरचन्द ले०काल सं० १६३८ सुदर्शनरास ब्र जिनदास हिन्दी धर्मपरीक्षारास न जिनदास लेखकाल सं० १६४४ अजितनाथ राम हिन्दी १०२५०. गुटका सं० २२ । पत्र सं० २२८ । प्रा० ६३४६ इञ्च । भाषा-प्राकृत । लेकाल X । अपुरीं । बेहतसं० ३६७ ॥ विशेष--प्रारम्भ में पूजा पाठ हैं। तत्पश्चात् जम्बूद्वीप पाणसि दी हुई है। यह तेरह उण तक है। Page #1209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४८ ] [ पन्थ सूची- पंचम भाग १०२५१. गुटका सं० २३ । पत्र सं० ६४ | ० ८५ इन्च भाषा - हिन्दी गद्य । से काल X अपूर्ण न सं० २६६ विशेष – गुणस्थान चर्चा एवं समाधि मरण का १०२५२. गुटका सं० २४ । पत्रसं० ८६ ले० कास X पूछें। बेन सं० २६४ । विशेष – मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है भाऊ श्रादित्यवार कथा विषापहार भाषा कस्वारण मंदिर भाषा सर्वे जिनालय पूजा X | अपू । वेष्टन सं० ३६५ ॥ विशेष-माचार संग्रह हैं । श्र० ५९४ इञ्च । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । अचलकीर्ति बनारसीदास श्रादित्यवार कथा श्रीपाल स्तुति भक्तामर भाषा विनती १०२५३. गुटका सं० २५ पत्र सं० १५ । ग्रा० ६३x४ इन्च । भाषा प्राकृत ले० काल हिन्दी भाऊ कवि महाराम हेमराज कनककीर्ति け संस्कृत १९० पाएं हैं। १०२५४. गुटका सं० २६ पत्र ०२०-१२३ श्र० ७६ भाषा-हिन्दी ले० फाल X पूर्ण वेष्टन सं० २०४ । विशेष- मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं। हिन्दी ले०काल सं० १०१० हिन्दी 1 ले० काल सं० १८०८ १०२५५. गुटका सं० २७ पत्रसं० १० से १५० पा० ११३४७३ इन्च भाषा। | हिन्दी से काल X पूर्ण बेष्टन सं० २०५ 1 १०२५६. गुटका सं० २८ पत्र सं० १४८ ० १०३१ इन्च भाषा संस्कृत । ले काल X 1 [मपूर्ण वेष्टन सं० २०६ । 0 विशेष निम्न पाठों का संग्रह हैसामायिक पाठ सटीक हिन्दी गद्य । ले० काल सं० १८२३ डारी पद्य पद्य सं० २४०५ हैं।। कर्म विपाक भाषा विचार सम्यक्त्वकौमुदी -- जोधराज गोदीका | हिन्दी गद्य | से० काल सं० १०३२ महाराजा हमीरसिंह के शासन काल में उदयपुर में प्रतिलिपि हुई । । | । १०२५७. गुटका सं० २१ पत्र सं० २६६ प्रा० ७३४५ इन्च भषा हिन्दी ने० काल [सं०] १२३ वेष्टन सं० २०७ । Page #1210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११४६ हेमगज विशेष---निम्न पाठों का संग्रह हैनाटक समयसार - बनारसीदास . २०कास सं० १६९३ । हिन्दी पंचास्तिकाय भाषा हीरानन्द भक्तामर भाषा १०२५८. गुटका ३० । पत्रसं० १७६ । प्रा० १२४६ इञ्च । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २८८ । रत्नत्रय पूजा संस्कृत बिशेषनरेन्द्र के पठनार्थ प्रतिलिपि कराई थी। मादित्यवार कथा अर्जुन प्राकृत कल्पागास्तोत्र वृत्ति विनयचद्र संस्कृत १०२५८. गुटका सं० ३१ । पत्र सं० ७०। प्रा० १.४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले०काल x ! अपूर्ण । वेष्टनसं० २८६ । १०२६०. गुटका सं० ३२। पत्र से ० ८६ । प्रा० १२४ ८इच । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल सं० १७६०। पूर्ण । वेष्टन सं० २६० । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह हैसरस्वती स्तवन एवं पूजा-शानभूषरण संस्कृत मुनीश्वर जयमाल पाण्डे जिनदास हिन्दी सम्यक्त्वकौमदी जोधराजगोदिका , १०२६१. गुटका सं० ३३ । पत्र सं० ४० 1 आ० ६४५ इंश्च । भाषा-हिन्दी। लेकाल ४ । अपूर्ण 1 घेष्टन सं० २६३ । १०२६२. गुटका सं० ३४ । पत्र सं० १०० ! या ६४५ इञ्च । भाषां--हिन्दी । ले० काल अपूर्ण । बेष्टनसं० २६४ । विशेष-निम्न मुख्य पाठों का संग्रह हैपाम्र्वनाथ जी की विनती मुनि जिनहर्ण हिन्दी ... योगसार क्षेमचन्द्र , ले. काल स० १८२४ मात्मपटल जिनसहस्रनाम जिनसेनाचार्य संस्कृत परमात्माप्रकाश योगीन्द्र देव अपनश १०२६३. गुटका सं०३५ । पत्रसं० ६३ 1 या X७ इञ्च । भाषा-हिन्दी। ले०काल सं. १६८१ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । विशेष-धुजा पाठ संग्रह है। १०२६४. गुटका सं० ३६ । पत्रसं० ४३ । प्रा० ६x४३ इच। भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० २१७ ॥ Page #1211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५० ] [ अंथ सूची-पंचम भाग विशेष--पूजा पा एवं सामायिक पाठ आदि का संग्रह है। १०२६५. गुटका सं०३७ । पत्र सं० १०४ । श्रा० ४,४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कल । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २९८ । विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। १०२६६. गुटका सं० ३० । पत्र सं० १६ । प्रा. ५४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी-स-वृत्त । ले०काल X । पूर्गा । वेष्टन सं० २६ । विशेष----पूजा पाठ संग्रह है। १०२६७. गुटका सं०३९ । पत्रसं० ३-२३० । प्रा०५६x४ इञ्च । भाषा--हिन्दी पद्म । से०काल X । अपुर्ण । बेष्टन सं० ३०० । विशेर-बनारसीदासकृत नाटक समयसार है। १०२६८, गुटका सं०४०। पत्रसं० ३०० प्रा०८:४७ इञ्च | भाषा-संस्कृत-हिन्दी। ले काल सं० १६५९ बैशाख बुदी १४ । वेष्टन सं. ३३१। विशेष—मुख्य पाठ निम्न प्रकार है परमात्म प्रकाश, थ्य संग्रह, योगसार, समयसार भाषा (राजमल्ल-बागरा में सं० १६८६ में प्रतिलिपि हुई थी ) एवं गुणस्थान चर्चा आदि हैं। १०२६६. गुटका स० ४१ । विशेष समयसार मृत्ति है । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३३२ । १०२७०. गुटका स० ४२ । पत्रसं० १४०। प्रा० ४३४ ६ इन्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३३३ । विशेष-अमर घसीट हैं। १०२७१. गुटका सं०४३ । पत्रसं० २५ । मा ६४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण : वेष्टनसं० ३३४ । विशेष पूजा पाठ संग्रह है। १०२७२, गुटका सं० ४४ । पत्रसं० २२६ । प्रा० ८४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं १८३३ । पूरी । वेष्टन सं० ३३५ । विशेष-निम्न रचनात्रों का संग्रह हैसमयसार नाटक-बनारसीदास हिन्दी पोपहरास ज्ञानभूषण १०२७३. गुटका सं० ४५। पषसं० १२० । प्रा० ५४५ इञ्च । भाषा हिम्मी । ले० काल x | पूर्ण । वेष्टरसं० ३३६ । विशेष-बारहखड़ी ग्रादि पाठों का संग्रह है। Page #1212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११५१ १०२७४. गुटका सं०४६ । पत्र सं० ४१ । प्रा ६४५ इन्छ । भाषा-हिन्दी । ले. काल x 1 अपूर्ण । बेवन सं० ३३७ । विशेष—पद एवं स्लोत्रों का संग्रह है । १०२७५. गुटका सं० ४७ । पत्र सं० १५५ । प्रा० ५६४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । से काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३८ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। मधु विदु चौपई भगवतीदास हिन्दी (पद्य) (र० काल सं० १७४०) सिद्ध चतुर्दशी मम्यवत्व पच्चीसी (ले०काल सं० १८२५) ब्रह्मबिलारा के अन्य पाठ १ ६. काना : । । ३४५ । पा० ६४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । ले०काल सं० १८१२ बैशाख सुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० ३३६ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। गुणस्थान एवं लोक चर्चा, पंचस्तिकाय टब्वा टीका । तत्पशान तरंगरिण-ज्ञानभूषण की भी दी हुई है। उदयपुर नगरे राजाधिराज महाराजा श्रीराजसिंहजी विजयते संवत् १५१२ का बैशाख सुदी १० १०२७७. गुटका सं०४६ । पत्र सं० ६० ५ श्रा० ६४४ इभ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ल काल ४ । पूर्ण । वेष्टन स० ३४० । १०२७८. गुटका सं०५०। पत्र सं० ६३ । मा० १०४७ इच। भाषा-संस्कृत-हिन्दी । लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४१ । विशेष पूजा, स्तोत्र एवं सामायिक यादि पाठों का संग्रह है। १०२७६. गुटका सं०५१ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। फक्का बत्तीसी हिन्दी बणजारो रासो नागराज ७ पद्य है पंचमगति बेलि हर्षकीति पंचेन्द्रिय बेलि इनके अतिरिक्त पद, विनती एवं छोटे मोटे पदों का संग्रह है घेल्ह १०२८०. गुदका स० ५२। पत्र सं०१३४1 प्रा० २०४७ इश्व भाषा-संस्कृत-हिन्दी। ले कासX । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४३ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। जिनसहस्रनाम जिमसेमाचार्य संस्कृत Page #1213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५२ ] दशलक्षण पूजा क्षमावशी पूज‍ पूजा पाठ संग्रह बृहदचतुविशति तीर्थकर पूजा चौरासीजाति जयमान भोल बत्तीसी नितामणि पार्श्वनाथ वृहद पूजा स्फुट पद नरेन्द्रसेन ० जिनदास प्रकूमल विद्यासागर भानुकीति एवं महेन्द्रकीति संस्कृत ││ १०२८२. गुटका सं० १ ले काल x । पूरी । वेन सं० ५५३ । संस्कृत हिन्दी हिन्दी - — 17 १०२८१. गुटका सं० ५३ पत्रसं० १५१ या० ११४४३ । भाषा-संस्कृत काल X पूर्ण बेटन सं० २४४ । विशेष – विभिन्न प्रत्थों के पाठों का संग्रह है। १०२८२. गुटका सं० ५४ पत्र सं० ५० ० ६४४३ इव भाषा संस्कृत ले० काल X। पू । वेष्टन सं० ३४५ । विशेष – पूजा पाठ संग्रह है। प्राप्ति स्थान — दि० जैन मन्दिर कोटडियों का 'गरपुर [ ग्रंथ सूची- पंचम भाग १०२८४. गुटका सं० २ पत्रसं० X वेष्टन सं ० ५५२ । विशेष – निम्न पाठों का संग्रह है I より १. नेमि विवाहली - X | हिन्दी पद्य । २० काल सं० १६६१ । २. बीबी स्वन – ४ । २. पक्रिया विनवीताल हिन्दी पद्य ४. महापुराण की चौपाई गंगदास हिन्दी प ५. चिन्तामणि जयमाल x हिन्दी पथ ! ० १०० । ० १०६ इव । भाषा हिन्दी संस्कृत | १०२८५. गुटका सं० ३ । पश्न सं० ६२ । ० ५४६ इ । भाषा - हिन्दी संस्कृत । ले० काल अपूर्ण वेष्टन सं० ५५१ | विशेष-- कल्याणमन्दिर स्तोत्र, भक्तामर स्तोत्र आदि स्तोत्र, मैनासुन्दरी साय एवं पद संग्रह है। " १०२०६. गुटका सं० ४ एम ० ८० प्रा० ४ X ४ इच। भाषा - हिन्दी ले फाल x पूर्ण बेधन सं० ४६९ । विशेष—प्रायुर्वेद के मुस्लों का संग्रह है। Page #1214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] १०२८७. गुटका सं० ५। पत्रसं० १४ । वेष्टन सं० १६ । विशेष-निम्त पाठ हैं१. प्रतिक्रमण सूत्र-x । भाषा-प्राकृल । २. स्तुति संग्रह -X । भाषा-हिन्दी । ३ स्त्री सम्झाय -x भाषा-हिन्दी। १०२५८. गुटका सं०६ । पत्रसं० ६६ । प्रा०१X६ इश्च । भाषा संस्कृत-हिन्दी। लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४८५ । विशेष -निम्न थाठ हैं१. बारहखड़ी-X । हिन्दी । पत्र१-७ २. बारहमासा-४ । हिन्दी 1 ३. अनित्य पंचाशिका-त्रिभुवनचन्द । हिन्दी । ४. जनशतक-X । भूवरदास । हिन्दी। ५. शनिश्चर देव कथा-४ । । १०२८६. गुटका सं०७। पत्र सं० ४५ । प्रा.८.४६ इञ्दी भाषा-संस्कृत । लेकाल x पूर्ण । वेष्टन सं० ८८४ । विशेष-निम्न स्तोत्रों का संग्रह है--- १. शिवकवच-४ । संस्कृत । २. शिवछन्द-x. , । ३. वसुधारा स्तोत्र-x | संस्कृत । ४. नवग्रह स्तोत्र-४ । । । ५. सूर्य सहस्रनाम-x 1 ,, ६. सूर्य कवच---XI १०२६०. गुटका सं०८। पत्रसं० १ । भाषा-हिन्दी । ले०काल सं० ४ । पूर्ण । अष्टन रां० ४८० । विशेष-नेमिनाथ के नत्र मंगल हैं। १०२६१. गुटका सं० ६ । पत्रसं० १६ : ०५१४४ इञ्च । भाषा संस्कृत । ले० काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०४७६ । विशेष-संध्या पाठ यादि हैं। १०२६२. गुटका सं० १० । पत्र सं० १६० । आ. ६x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४७८ । विशेष-नित्य पूजा पाठ, स्तवन, चिन्तामणि रतोत्र, कम प्रकृति, जीव समास आदि का वर्णन है। Page #1215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५४ । [ अन्य सूची-पंचम भाग स्नेह परिक्रम-नरपति । हिन्दी । विशेष-नारी से मोह न करने का उपदेश दिया है। नेमीपवर मीत--x १०२६३. मुदका सं० ११ । पत्रसं० २०० । आ० ६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-प्राकृत। लेकाल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७७ । विशेष-मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं१. कजिकावतोद्यापन-ललितकीति । संस्कृत । २. सप्त भक्ति-x। प्राकत । मालपुरा नगर में प्रतिलिपि हई थी। ३. स्वयंभ लेन-...: । संस्कृत। ४. तत्वार्थ सूत्र-मास्वामि । ५. लघुसहस्रनाम-x। ६. इष्टोपदेश-पूज्यपाद । १०२६४. गुटका सं० १२ । १५सं०४०। प्रा०५४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत 1 ले काल सं० १७८१ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७६ । विशेष-मंत्र शास्त्र, विषापहार स्तोत्र (संस्कृत) तथा यंत्र ग्रादि हैं। १०२६५. गुटका सं० १३ । पत्र सं० १८० । प्रा० ७४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्न स. ४५५ । विशेष—निम्न पाटों का संग्रह है। १. भद्रबाहु गुरु की नामावली-x। विशेष--संबत् १५९७ से १६०७ पौष सुदी १५ तक । गोपाचल में प्रतिलिपि हई थी। मदारक पद्मनंदि तक पट्टावली दी है । २. मच्छुभेद मूलसधे संघ ४ गच्छ १६ भेद नामानि नंदि संधे मंदि १ चन्द्र २ कीति ३ भूषण ४ देवसंघ देव १ दसे २ नाग ३ तुग ४ सेनघ सचे सिंह १ कुभ २ पासन ३ सागर ४ श्रेणी संघे सेन १ भद्र वीर ३ राज ४ श्री नदि संघे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री देवसंघ पुस्तकमच्छे देसीगणे श्री सेनसंवे पुष्करगच्छे सुरस्थगणे श्री सिंहसंत्रे चन्द्रकपाटाचे कानुरमणे ३. सामायिक पाठ ४ भक्तिपाठ ५ तत्वार्थ सूत्र ६. भक्तामर स्तोत्र ७ स्तोत्रसंग्रह ८ नंदेवान को जयमाल । ९. संबोध पंचासिका रइध । अपनश । ले०काल सं० १५६७ Page #1216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११५५ प्रशस्ति-संवत् १५६७ बर्षे कातिकमासे कृष्णपक्षे मंगल त्रयोदश्यां सुसनेर नगरे श्री पद्म प्रम चैत्यालये श्री मूलसंघे सरसतीगच्छे बलात्कारगणे थी कुदकुदाचार्यान्वये भट्टारका श्री पद्मनंदि देवास्तत्प? भट्टारफ श्री सकलकातिदेवास्तत्प? भट्टारक भुवनकीतिदेवातत्प? भट्टारक श्री ज्ञानभूपरमदेवास्तद् व हद गुरुभ्रातृश्री रलकीतिस्थघिराचार्यदेवातशिष्याचार्य श्री देवकीर्तिदेवा तशिष्या दार्थ थी शीलभूषण च्छिष्य ५० खेमचन्द पठनार्थ स्वज्ञानाचरणी कमक्षार्थ परोपकारायग्राचन्द पडावश्यक ग्ध स्वहस्तनालास प्राचार्य श्री गुरुचद्रेयं । शुभ भवतु ब. खेमचन्द पण्डित प्रात्मर्थी फूषडावश्यक की पोथीदी थी। कल्याणमस्त संवत् १६६१ वर्षे शाके सागवाडा नगरे प्रादिनाथ चैत्यालये मंडलाचार्य श्री सकलचन्द्र रण इदं पुस्तकं पण्डित वीरदासेरण गहीतं ।। १०. जिन सहस्रनाम संस्कृत ११. पद संग्रह हिन्दी १३. पंच परमेष्टी गीत यशकीर्ति १३. नेमिजिन जयमाल विद्यानन्द १४. मिथ्या दुक्कड़ 5.जिनदास १५. विनती १०२६६. गुटका सं० १४ । पत्रसं० १०१ । ग्रा० ४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७४ । विशेष-नीति के श्लोक हैं । १०२६७. गुटका सं० १५ । पत्र सं० २६ 1 ग्रा० ४४४ इन्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन स० ४७३ ४। विशेष-विनती एवं पद प्रादि है। १०२६८. गुटका सं० १६ । पत्र सं० १०२ । आ० ५४५१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । अपूरणं । वेष्टन सं० १७२। विशेष-..-मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं१. नवमंगल लाल विनोदी २. लेश्यावली हर्षकीलि र०काल सं० १६८३ ३. पद संग्रह बखतराम, भूषण प्रादि के हैं। १०२६६. गुटका सं० १७ । पत्र सं० ५२ । प्रा० ६३४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले. काल x पूर्ण । वेष्टन सं० ४७१ । विशेषपट्टी पहाड़े लथा स्तोत्र एका मंत्र प्रादि हैं। १०३००. गुटका सं० १८ । पत्रसं० २३३ । प्रा० ५४५ इन्च । माषा-हिन्दी । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४७० । विशेष-मुख्य पाठ निम्न प्रकार है१. क्षेत्रपालाष्टक विद्यासागर Page #1217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५६ ] २. गुरु जयमान ३. पट्टावली विशेष – ब्रह्म रूपसागर ने बारडोली में प्रतिलिपि की थी। १०३०१. गुटका सं० १६ । पत्रसं० २४० ले० काल x । पू । वेटन सं० ४६६ । विशेष – नित्य नैमिसिक पूजा पाठ संग्रह है। प्रति प्राचीन है । १०३०२. गुटका सं० २० । X पूर्ण वेष्टन ०४६८ । विशेष—धायुर्वेद के नुसखों का संग्रह है । - २. मुनिमालिका अन्तिम--- जिनदास x १०३०३. गुटका सं० २१ पत्र० ७७ ० ६३४३ भाषा संस्कृत-हिन्दी । ले० काल X। पूर्ण न सं० ४६७। विशेष मुख्य निम्म पाठ हैं १. गौतमस्वामी रास २. चौबीस दण्डक इति श्री मूनिमालिका संपूर्ण पद संग्रह - ० २२५ मा० ७४४३ इय भाषा हिन्दी ० काल विनयप्रभ [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग गजसागर ले० काल सं० १७५७ चारित्रसिंह प्रा० ५x४३ इख भाषा संस्कृत प्राकृत हिन्दी र०काल सं० १४१२ ले०का सं० १७१९ से काल सं० १६३२ संवत् सोल बोस ए श्री विमलनाथ सुए साथ दीक्षा कल्याणक दिने गूंथी थी सुनिमाल ॥१२॥ श्री रिीपुरे रलिया मली थी शोसल जिराचन्द । सूर विजय रार्ज तदा संघ अधिक आनंद ॥ ३३॥ श्री मतिभद्र सुगुर त सु पसाये सुखकार 1 मनुहर श्री मुनिमालिका गा गए परिमल पूर ।। ३४ ।। महामुनीसर गांवता सुर तह सफल विहारा भ्रष्ट महानिधि घरं फलं सदा सदा कल्याल || विमलगिरि, दुर्गादास आदि के २०३०४. गुटका सं० २२० १३१ ० ५३४ ६ इन्च भाषा-हिन्दी ले० काल ★ पूर्ण वेष्टन सं०० ४६६ । विशेष निम्न पाठों का संग्रह है। Page #1218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११५७ प्रारती संग्रह, विजया सेठनो वीनती, सुभद्रा बीनती, रत्लगुरु वनिती, निर्वाण काण्ड माषा, चन्द्रगृप्त के सोलह स्वप्न, चौबीस तीर्थकर बीनती, गर्भवेति-देवमुरार नारेमास गरभ में रह्यो ते दिन प्राणी विसरि गयो। देवमुरार जो श्रीनती कहीं ___मापेन पाई प्रभु याये लाहि ॥७॥ बलभद्र' बीनती, जिनराज बीनती, विनती संग्रह आदि हैं। १०३०५. गुटका सं० २३ । पत्रसं० ११२। प्रा० x । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । लेकाल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० ४६५ । विशेष-निम्न लिखित पाठ हैं१. पंच कल्याणक रुपचन्द हिन्दी २. दिल्यावार कथा भानुकोति ३. धन-लसरास प्र.जिनदास मंत्र तथा यंत्र भी दिये हैं। १०३०६. गुटका सं० २४ । पत्र सं० २१ । या०६४६ इन्च । भाषा-संस्कृति । लें काल । पूर्ण । वेष्टन सं. ४६४ । विशेष-केथल पूजाए हैं। १०३०७. गुटका सं० २५ । पत्र सं० ८७ । प्रा० Ex५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल सं० १८१३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६३ । विशेष-निम्न पाठ हैं१. भइली विचार ज्योतिष विशेष-पाचोता में लिया गया था। २. सम्मेद विलास देवकरण हिन्दी अन्तिम लोहाचार्य मुनिंद मुधर्म बिनीत है। तिन कृत गाथा बंध सनथ पुनीत है ॥ साह तने प्रबुसार सम्मेद विलास जु। देवकरण विनवं प्रभु को दासजु ॥ श्री जिनवर कू सीस नमावं सोय । धर्म बुद्धि तहां संचरे सिद्ध पदारथ सोय । ३. जीनदया चंद ४, अंतरीक्ष पार्श्वनाथ छंद भाव विजम ५. रेखता मांड़का भूधर Page #1219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५० ] ६. भूमा ७. अंदमार ८, चंद ६ राग रत्नाकर १०. ज्ञानार्थं व नारायणदास केशवदास राधाकृष्ण शुभचन्द ४५५ । १०३०८. गुटका सं० २६ । पत्र सं० ८५ । भाषा - हिन्दी । ले० काल X। पूर्ण । सं० ४५२ । विशेष- -मुसा पाठ निम्न प्रकार है -- वृषभनाथ लावली मयाराम विशेष – इसमें पुत्रेष नगर के वृषभनाथ (रिखदेव का वर्णन है भूतेव पर चढाई यादि का वर्णन है । १०३०६. गुटका सं० २७ । पत्र सं० ५० । ० ५३x६ इख भाषा संस्कृत हिन्दी ले०का X पूर्ण वेष्टन सं० ४६१ । विशेष मुख्यतः निम्नगाठ है १. वृषभदेवमी छंद २. सुभाषितसंग्रह २. शान्तिनाथ की लावणी - [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग हिन्दी X X विशेष पद स्तुतियों का संग्रह है। " हिन्दी हिन्दी १०३१०. गुटका सं० २८ भाषा हिन्दी ले०का X पूर्ण वेष्टन सं० ४५६ । विशेष – पद पूजा पाठ आदि हैं। । । । १०३११. गुटका सं० २६ पत्रसं० ६५ ० ६६४३ इन्च भाषा - हिन्दी-संस्कृत । ले०कास X पूर्ण वेष्टन सं० ४५७ ॥ हिन्दी १०३२४. गुटका सं० ३२० ले० काल X। पूर्ण । बेष्टत सं० ४५४ । संस्कृत विशेषायुर्वेद एवं ज्योतिष सम्बन्धी विवरण है। हिन्दी D १०३१२. गुटका सं० ३० भाषा - हिन्दी-संस्कृत । ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० ४५६ | । विशेष अभिषेक स्नपन पूजा पाठ एवं मंत्र विधि यादि है। १०३१३. गुटका सं० ३१ प ० ५५ । भाषा - हिन्दी | ने० काल X। पूर्ण वेष्टन सं विशेष विभिन्न कवियों के पद, स्तुति मिरधर की कुंडलिया, पिंगल विभार तथा स्तुतियां हैं। ८० । ० ७४६३ इव । भाषा संस्कृत-हिन्दी । - Page #1220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११५६ -- - १०३१५. गुटका सं० ३३ । पत्र सं० ६६ । प्रा. ४ । भाषा-हिन्दी । ले. कालX । पूर्ण ।वेष्टन सं० ४५३ । विशेष –निम्न पाय हैं१. त्रिलोकतार चौपई सुमतिसागर २. गीत सलूना कुमुदचन्द १०३१६. गुटका सं० ३४ । पत्र सं० १०० । भाषा-हिन्दी। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २५२। विशेष-निम्न पाठ हैं१. पद संग्रह.... २. विनती रिखबरेच जी धुलेय देवचन्द विशेष-बागड देश में चुलेव के वृषभदेव (केशरिया जी) की दिगम्बर विनती हैं। मंदिर ५२ शिखर हाने का विवरण है । कुल २६ पश्य है। ० रामपाल ने प्रतिलिपि की थी। ३ पंच परमेट्टी स्तुति ७० चन्द्रसागर अन्तिमदिगम्बरी ग महा सिगामार। सकलकीति गढ़पति गुणबार तास शिष्य कहे मधुरी बारिश । ब्रह्म चन्द्र सागर बसारण ॥३२॥ नयर सज्यंत्रा परसिद्ध जाण । सासन देवी देवल मनुहार ।। भणे गुणे तिह काल उदार। तह धर होसे जय-जयकार ॥३३॥ ४. नेमिनाथ लावणी रामपाल विशेष–रामपाल ने स्वयं अपने हाथ से लिखा था। ५, चौबीस क्षणाचर्चा हिन्दी ६. अौषधियों के नुसने ७. भ्रमर सिउझाय विशेष—परनारी की प्रीत का वर्णन हैं। १०३१७. गुटका सं० ३५ । पत्र सं० १०० । भाषा-संस्कृत । ले० काल सं० X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४५० । विशेष-निम्न मुख्य पाठ है१. मेघमाला संस्कृत से काल सं० १७२१ xxx Page #1221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६० ] [ अन्थ सूची-पश्चम भाग प्रशस्ति संयत् १७२१ वर्षे कोच सुदी : कोरीडा शिला ने धी शांतिनाथ चैत्यालये ब० श्री गणदास तत् शिष्य थी प्राण्येन स्वहस्तेन लिखितेयं मेघमाला संपूर्ण ।। सय १११५ से ११६२ तक के फल दिये हैं। २. ग्रह नक्षत्र विचार, ताजिक शास्त्र एवं वर्षफल (सरस्वती महादेवी वाक्म)। ज्योतिष संबंधी गुटका है। १०३१८. गुटका सं० ३६ । पत्र सं. १५० । प्रा० ५४४ इन्च । भाषा-संरवृत । ले० काल सं० १७१४ व १७२२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४६ । निम्न उल्लेखनीय पाठ है१. पूजा अभिषेक पाठ संस्कृत २. ऋषिमंडल जाप्य विधि संस्कृत ले० काल सं० १७२२ माघ सुदी १५ प्रशस्ति-१७२२ वर्षे माघ सुदी १५ शुक्र श्री मूलसंधे प्राचार्य श्री कल्याणकीति शिष्य बचारि संघ जिषाना लिखित पंडित हरिदास पठनार्थ । ३. नरेन्द्रकीति गुरु नष्टक संस्कृत ४, जिन सहस्त्रनाम संस्कृत ५. गणधर वलय भ. सकलकीति संस्कृत ले०काल सं० १७३४ प्रशस्ति--सं० १७१४ वर्षे माघ बुढी २ भीमे श्री मूलसंचे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे कुन्दकुन्दाचार्यावन्ये भट्टर श्री रामकीर्ति तत्प? भ० श्री पद्मनंदि तत्प? भ० देवेन्द्रकीति तत् गुरु भ्राता मुनि श्री देवकीति तत् शिष्याचार्य स्त्री कल्याणकीति तत् शिष्य क० चदिसंधि निष्युरणा लिखितं पं० अमरसी पठनार्थं । ६ चार यंत्र हैं-- जलमंडल, अग्निमंडल, नाभिमंडल वायुमंडल । ७. पट्टावलि हिन्दी भट्टारक पावलि दी हुई है। ८, सरस्वती स्तुति आशाधर संस्कृत १०३१६. गुटका सं० ३७ । पत्रसं० ५४ । आ० ७४७ इञ्च । भाषा -हिन्दी-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन स'० ४४८ । विशेष --ौषधियों के नुसक्षे, यंत्र मंत्र तंत्र प्रादि, सूर्य पताका यंत्र, चौसठ योगिनी यंत्र लावणीजसकलि । अन्तिम... कोट अपराध में कोना तारा क्षमा करो जिनवर स्वामी । तीन लोक नाइक साहिब राद जीच अन्तर जामी ।। जराकीति की अरज सनीने सखो रोबक तुम पाह। दीनदयाल कुषा निधि सागर प्रदिनाथ प्रभु सखदायी ।। Page #1222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११६१ १०३२०. गुटका सं० ३८ प ३२२ । चा० १५५३ भाषा-संस्कृत ले० कास X I पूर्ण बेष्ट सं० ४४७ | विशेष- निम्न पाठों का संग्रह है। १. सूक्तिमुक्तावली २. सुभाषितावसी ३. सारोदार ४. भर्तृहरि क ५. विष्णु कुमार कथा AT ६. ७. सागरचक्रवर्ति की कथा ८.सोहं स्तोत्र सोमप्रभाचार्य X भर्तृहरि X Xx X x १. महावीर बीनती - प्रभाव। हिन्दी | २. पार्श्वनाथ वीनती- वादिचत्र हिन्दी ३. सामायिक टीका - X। संस्कृत । ४. लघु सामायिक X | संस्कृत - | ५. शांतिनाथ स्तोत्र – मेरुचन्द्र संस्कृत । १०३२१. गुटका सं० ३९ पत्रसं० २०१० ९४५ ६ भाषा हिन्दी संस्कृत ले०काल x । पूर्ण वेटन सं० ४४५ । अन्तिम - डाकिनी साकिनि भूत ताल वासिले नविकराल तुझ नाम ध्यातीदमान ॥२८॥ जग मंगलकारी जिनेन्द्र प्रभाचन्द्र वादिचन्द्र जोगिन्द्र स्तम विक्रम देवेन्द्र ।।२६।। सुभाषित विशेष - गुटका महत्वपूर्ण है । वाजीकरण श्रोत्रियां यंत्र मंत्र तंत्र रासायनिक विधि, धनेक रोगों की औषधि दी हुई हैं। पं० श्यामसाल को पुस्तक है। " १०३२२. गुटका सं० ४० । पत्र सं० १४८ ० EX७ इव । भाषा संस्कृत-हिन्दी से० काल । पू । वेष्टन ० ४४१ । विशेष मुख्य पाठ निम्न हैं २० काल सं० १६४८ 37 अन्तिम व्यापारे नगरे रम्ये शांतिनाथ जिनालये । रचितं मेरुचन्द्रण पढंतु सुधियो जनाः ।। 世 Page #1223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६२ ] [ प्रन्थ सूची-पंचम भाग ६. वासुपूज्य स्तोत्र--मेश्चन्द्र । संस्कृत । ७. तत्वार्थमूत्र--उमास्वामी। , ८, ऋषि मंडल पूजा-XI " ६. त्यालय वंदना-महीन्द । हिन्दी । अन्तिम - मूलसंधे मछपति बीरचन्द्र पट्ट शानभूषण मुनींद । प्रभाचन्द्र तस पटे हसे, उदयो धन्य ते हैवड वंशे । तेह पट्टे जेणे प्रकट ज करो श्री वादिचन्द्र जगमोर अवतरयो । तेह पट्टे सुरि श्री महीचन्द्र, जेह दीठे होय आनन्द । चैत्याला भरग सि नर नार, तेह घट होसि जयजयकार । संपूर्ण । लिखितं नः मेघसागर सं० १७२४ ग्रासोज सुदी १ । १०३२३. गुटका सं०४१ । पत्र सं० १६७ १ मा०६४ ६ इंच भाषा-हिन्दी। ले०कास सं. १८६३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२२ । विशेष-मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं१. पंचाख्यान कथा-x हिन्दी। विशेष--हितोपदेश की कथा है। महा ग्राम में प्रतिलिपि हई थी। २. चंदनमलयागिरि कथा--भद्रसेन । हिन्दी। विशेष- मारोठ में प्राचार्य सकलकील ने प्रतिलिपि की थी। ३. चतुर मकुट और नन्द किरण की कथा-४ । हिन्दी। विशेष--३२७ पद्य है। रचनाकार का नाम नहीं दिया हुआ है। १०३२४, गटका सं०४२ । पत्र सं० २१० 1 आ. ६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । से. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन मं० ४४३ । विशेष पूजा पाट संग्रह है । मुख्य पाठ निम्न हैंभक्तामर भाषा-हेमराज 1 प्प सोरठ देश मभार माम मंदीवर जाणो । मलसंघ महंत तिजग मांहि बखाणो । सीत रोग सरीर तहां प्राचारिय निपनो। लेह गया समसान काष्ट मो भलो निपनो। संवत् १८ सौ तले वपन गुरु वसना लोपी करि । सोम श्री ब्रह्म बाणी वंदे चमरी पीली कर धरी ।। २. यशोधर चरित्र--खुशालचंद । Page #1224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ १९६३ १०३२५. गुटका सं०४३ । पत्रसं० ७६ । पा० ८४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं०४४४ । विशेष - नित्य तथा नैमित्तिक पूजा पाठ एवं स्तोष श्रादि हैं । १०३२६. गृटका सं०४४ । पत्रसं०४५ । पा. ५.x६५ ईच । भाषा-हिन्दी-सस्कृत । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३३-१६३ । विशेष पूजा एवं अन्य पाठों का संग्रह है । १०३२७. गुटका सं० ४ प सं० १६ । ना.. -२ का ४: एर्ण । वेष्टन सं०४३२-१६३ । विशेष—निम्न पाय हैं -- १. पद्मावती गायत्री संस्कृत पत्र २१ २. पद्यावती सहस्रनाम पत्र २३ ३. पद्मावती कवच पत्र २८ ४. घण्टा करणं मंच पत्र ३२ ५. हनुमत्त कवच पत्र ३२ ६. मोहनी मंत्र पत्र ३८ १०३२८. गुटका सं० ४६ । पत्र सं०२२१ । प्रा. ५४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले. काल सं० १८६५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४३१-१६३ । विशेष-निम्न मुख्य पात्र हैं१ आदित्य व्रत कथा-पांडे जिनदास । हिन्दी पत्र १३७ २ . मतिसायर पत्र १४४ ३. अनन्तकथा-जिनसागर । पत्र १७५ सामायिक पाठ, भक्तामर स्तोत्र एवं पूजा पाठों का संग्रह है। १०३२६. गुटका सं०४७ । पत्र सं. १७८ । ग्रा. ७४७ इन्च । भाषा-संस्कृल-प्राकृत । ले०काल सं० १८११ । पूर्ण । वेश्नसं० ४२६-१६२ । विशेष-लघु एवं वृहद् प्रतिक्रमण पाठ, काष्ठासंघ पट्टावलि प्रादि पार हैं। १०३३०. गुटका सं०४८ । पत्र सं० १८५ । भाषा-संस्कृत । ने० काल सं० १८८२ । पूर्ण । श्रेष्टन सं० ४२६-१६० । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। १. क्षेत्रपाल स्तोत्र-मुनि शोभाचन्द हिन्दी पत्र ३ २. स्नपन ३. पूजा संग्रह एवं जिन सहस्रनाम संस्कृत। पत्र ५२ ४. पुष्पांजलि व्रत कथा- जिनदास । पन ५५ ५. सोलहकारण व्रत कथा पत्र ६३ " Page #1225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६४ ] [प्रन्थ सूची-पश्चम भाग ६. दशलक्षण ध्रत कथा -- हिन्दी पत्र ६८ पत्र ७४ ७. अनन्तत रास ८. रात्रि भोजन वर्णन का वीर पत्र ७६ पत्र ५४ विशेष-श्री मूल संघे मंडशो जयो सरसीत गच्छराय । रतनचन्द पाटे हवी ब्रह्मवीर जी गुणगाय ।। ६. बाहुबलि गो छन्द-वादीचन्द्र । हिन्दी। विशेष-सम पाय लाग प्रभासचन्द । वाशि बोल्ये वादिचन्द्र ।।५८॥ १०. पारसनाय नो छन्द-x। हिन्दी। पत्र ८७ ११. नेमि राजुल संवाद -कल्याणकीति । हिन्दी पत्र १३ १०३३१. गुटका सं० ४६। पत्र सं० ३४ । भाषा-हिन्दी । ले काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२५-१६०। विशेष-तीन लोक एवं गुणस्थान वर्णन हैं। १०३३२. गुटका सं ५० । पत्र सं० १२ । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । बेटन सं० ४२३-१५६ । विशेष-निम्न पाठ है१. भट्टारक परम्परा २ बघेरवाल छंद १०३३३. गुटका सं० ५१ । पत्रसं० ५४ । भाषा - हिन्दी । लेकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१४-१५४। विशेष-पहिले पद संग्रह हैं तथा पश्चात् भट्टारक पट्टावलि है। १०३३४. गुटका सं०५२ । पत्र सं० ४०३ । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । बेण्टन सं० ४०७ १५३ । विशेष--पूजा पाउ संग्रह है। १०३३५. गुटका सं० ५३ ।पष सं०१८६। मा०३१४४ इश्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। से काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३८४-१४३ । विशेष-मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं१. प्रादित्यवार कथा वादिचन्द्र सूरि के पत्र १४७ सक शिष्य महीचन्द २. पारावना प्रतिदोघसार सकालकीति पत्र १५८ ३. प्रादित्यवारनी बेल वाया १८४॥ १११ पद्य हैं। Page #1226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११६५ १०३३६. गुटका सं० ५४ । पत्र सं० ४० । प्रा० ११४४, इव । भाषा हिन्दी । ले०काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ३६७-१४० । विशेष-गुणस्थान चर्चा, स्टोय एवं पाराधना प्रतिबोधसार है। १०३३७. गुटका सं०५५ । पत्र सं० ४६४। ग्रा० ८४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५६-१३८ । विशेष-विभिन्न प्रकार पूजा एवं सत्रों का संगत है 1 गटके में सूची दी हुई है। १०३३५. गुटका सं०५६। पत्र सं० १०० । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३५५-१३७ 1 मुख्य निम्न पाठ है१. गुणस्थान चर्चा हिन्दी पत्र १-६६ पर २ लोक्यसार ६. मापुराण दिनती गंगादास १०३३६, गुटका सं० ५७ । पत्रसं० ५६४ । प्रा० x ७ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ४ । ले० काल - I पूर्ण । बेग सं० ३५२-१३४ । विशेष-मुख्य पाठ निम्न हैं१.भक्तिपाठ प्राकृत-संस्कृत २. स्वयंभू स्तोत्र समंतभद्र ३. भक्तामर स्तोत्र (समस्या पूर्ति) भुवनकीति ४६ पद्य हैं। ४. , (द्वितीय स्तोत्र) ५. पंच स्तोत्र ६. महिम्न स्तोत्र ७. सकलीकरण मंत्र ८. सरस्वती स्तोत्र १६० पत्र पर ६. अन्नपुराँ स्तोत्र १६१ पत्र १०. चक्रेश्वरी स्तोत्र १६२॥ ११. इन्द्राक्षी स्तोत्र १२. ज्वालामालिनी स्तोत्र १३, पंचमुखी हनुमान कवच ,, १७१, १४. शनिश्चर स्तोत्र संस्कृत १८७ पत्र पर १५. पार्श्वनाथ पूजा १६. पद्मावती कवच एवं सहस्रनामx १७. पार्श्वनाथ प्रारति हिादी १५. भैरव सहस्रनाम पुजा संस्कृत २.३ , पुष्पदंत xxxxxxxxxxx १६८॥ Page #1227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६६ ] १९. भैरव मानभद्र पूजा एवं शान्तिदास स्तोष ० नवग्रह पूजा २१. क्षेत्रपाल पूजा २२. मुरावल २२. जिनामिषेक विधान २४. सष्ठ पूजा सप्तर्षि २५. पुण्याहवाचन २६. देवसिद्ध पूजा २७. विद्यादेवतान २. चतुर्विंशतिपद्मावती स्थापित पूजा २१. जिनसहस्रनाम २०. ३१- छप्पय ३२. चौबीसी ३३. लवांकुशषटपद ३४. रविव्रत कथा सुमतिमार सोमदेव X प्राशावर X जिनसेन X जिनसागर रत्नचन्द भ० महीचन्द्र ब्रह्म निदास ३५. पचकल्याण ३६. अनन्त व्रत कथा X ३७. यन्तरीक्ष पार्श्वनाथ स्तवन X भूलना ३८. मां ३६. कवित्त ४०. भवबोध X सुन्दरदास X X काष्टारांची भ० भरेन्द्रन X श्रीपण शुभचन्द X संस्कृत [ प्रत्य सूची पंचम भाग 2/ " ri 15 २५४ संस्कृत २६१ संस्कृत गद्य २६७ " हिन्दी र० काल सं० १६७६ 71 J २७४ " संस्कृत २८० २६२ भ हिन्दी २४६ 21 " 17 REE ३०७ १३४ ३४३ ३७४ ३७६ २८२ ૪ ४१० विशेष पूजा स्फोष पद एवं अन्य पाठों का संग्रह है गुटके में पूरी सूची दी हुई है। १०३४१. गुटका सं० ५६ वेष्टन सं० २५०-१३२ । । विशेष – निम्न पाठों का संग्रह है। १. रत्नत्रय विधान २. बृहद्स्पन विधि— ३. गुरु अष्टक ४. कर्मदहनपूजा ५. जलयात्रा विभि ܘ ܟ ܐ ४७० ४५० 37 " " 13 " " हिन्दी ४३१ पत्र पर ४६१ כג ४१. भगवद् गीता ४९१-५६५ १०३४०. गुटका सं० ५८ पत्रसं० ३७७ १ ० ४८४३ इव । भाषा - हिन्दी-संस्कृतप्राकृत | से० काल X पूर्ण वेष्टन सं० २५१-१३३ । " 15 " " Page #1228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११६७ - नयनसुख ॥ ६. पल्य विधान संस्कृत ७. जिनदत्तरास - शंक संवत् १६२५ सर्चगति नाम संवत्सरे भाषा सुदी, गुस्वारे लिखितं कारंजामाहिनगरे श्री पार्श्वनाथ चैत्यालये भट्टारक श्री छत्रसेन गुरूपदेशात् लिखितं वाया बाइन लेहविलं । ८, लघुस्नपन विधि- न ज्ञानसागर। संस्कृत । १०३४२. गुटका सं० ६० । पत्र मं० ४ । वेष्टन स० ३३४ - १२८ । विशेष—निम्न पाठ हैं१. दानशीलतप भावना हिन्दी पद्य ले. काल १७६५ २, प्राषाढ भूतनी चौपई - x ३. बंधक पथ ले० काल १८१४ ४, मूकौशल रास ५, प्रद्युम्नरास प्रशस्ति-.-संयत् १८१४ वर्षे शाके १६७६ प्रवर्तमाने मासोत्तय मासे शुभकारीमासे पार्शवनमासे शुक्लपक्षे तिथि ५ चंद्रवारे श्रीमत् काटासंधे नन्दितटगराष्ट्र विद्यागणे भ० श्री रामसेनान्वये तदनुक्रमेण भ. श्री समतिकीति जी तत्पष्ट पा० श्री रूपसेन जी तत्प आ० विनयवाति जी तत शिष्य श्री विजयसा जी पं. केशव जी पंडित नाथ जी लिखित 1 १०३४३. गुटका सं० ६१ । पत्र सं० १९६ । प्रा०६४६ ३१ । भाषा-हिन्दी । ले. काल x । पूर्ण । वेपन सं० २६०.११४ । विशेष-निम्न पाठ हैं१. मेशिक चरित्र ईगा वैद र०काल स० १६६१ भादवा बदी १३ २. जसोधर चौपई लक्ष्मीदास ३. सम्यक्त्व कौमुदी जोधराज ४. जम्बूस्वामी चोपई पोडे जिनदास र०काल सं० १६४२ ५. प्रद्युम्न कथा व० वेणीदास ६. नागश्री कथा किमानसिंह ले० काल स० १५१९ विशेष—अहिपुर में प्रतिलिपि हुई। १०३४४. गुटका सं० ६२ । पत्रसं० ३२१ । प्रा. ६x६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल-XI पूर्ण । वेष्टनां० २७६-१०८ । विशेष-निम्न पाठ हैं-- १-विनती एवं भावनाए--X 1 हिन्दी २-पंच मंगल-रूपचन्द --XI, ३-सिंदूर प्रकरण--नारसीदास । हिन्दी ५-भक्तिबोध-दासरत । गुजराती Page #1229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६८ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाय ६-लघु प्रादित्यवार कथा-भानुकोति । हिन्दी ७-आदित्यवार कया-माऊ हिन्दी । ८-जखड़ी-रामकृष्ण । हिन्दी । ६-जखडी-भूधरदास । हिन्दी । १० ऋषभदेवगीत-रामकृष्ण । हिन्दी। ११-बनारसी विसास-बनारसीदास । हिन्दी। १२-बलिभद्र विनती-x।हिन्दी । १३-छन्द-नारायनवास । हिन्दी। १०३४५. गुटका सं०६३ । पत्र सं० ३५ । भाषा-हिन्दी । ले० काल सं० १७६५ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७५ - १०७ । विशेष--देव, बिहारी, केशव आदि की रचनाओं का संग्रह है । गुटका बड़ा है बारहमासा सुन्दर कवि का मी है। १०१४, गुटका २०६४ । पन रा ४६ । प्रा. ४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । ले० काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० २२०-८७ । विशेष- निम्न पाठ हैं-- १-अनुरुद्ध हरण जयसागर। २-श्रीपाल दर्शन ३. पद्मावती छ। ४-सरस्वती पूजा १३४७. गुटका सं० ६५ । पत्र सं० फुटकर । प्रा०६x४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी पच । ले. काल--x। अपूर्ण । वेष्टन मं० २१३.८६ । विशेष- सप्तव्यसन चौपई,आदिस्यबार कथा आदि हैं। १०३४८, गुटका सं०६६ । पत्रस० ६२ । पा० ७५५५ इन्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले. काल - । पूर्ण । वेष्टनसं० १८०-७५ । विशेष-लघु चाणक्य एवं प्रादिनाथ स्तवन और धर्मसार हिन्दी में है। १०३४६. गुटका सं०६७ । पत्र सं० १०४ । प्रा० ५४५३ इन्च । भाषा-हिन्दी । । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६६-७२ । विशेष - निम्न मध हैं१-भाषा भूषण-जसवंत सिंह । २०८ पद्य हैं। २- सुन्दर श्रृगार-महाकविराज । ३-विहारी सतसई -बिहारीलाल । ले० फास सं० १८२८ । ४-मधुमालती कथा-चर्तुभुजदास । ८७७ छन्द हैं । Page #1230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह 1 [ ११६६ Hip - १०३५०, ग्रटका सं० ६८। पत्रसं० २१५ । प्रा. ८४५४ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले-काल सं० १८८६ । वैशास्त्र वदी ४। पूर्ण । वेष्टन सं० १४२-६४। विशेष—इसी वेष्टन सं० पर एक गुटका और है। १०३५१. गुटका सं० ६९ । पत्र सं० १४२ । प्रा० १x६ इन । भाषा हिन्दी-संस्कृत । ले काल सं० १८७० । पूर्ण । बेष्टन सं० १४१-६४ । विशेष-निम्न संग्रह है। १-नैमित्तिक पूजायें। २-मानतुग मानवती–मोहन विजय 1 हिन्दी । ३-सा समझरी--x 1 सं० १८०१ से १८१८ तक का वर्णन है। ४-अनंत प्रत रास-मिनसेन । १०३५२. गुटका सं०७०। पत्र सं० फुटकर पन्न । आ०७१४५३ इञ्छ । भाषा-संस्कृत । हिन्दी । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ११२-५४ । विशेष-पूजा पाठ संग्रह है। १०३५३. गुटका सं०७१ । पत्र सं० १०० । प्रा० ६x४६ हज । भाषा-हिन्दी-संस्कुत । ले० काल ४ । पुरणं । वेष्ठन सं०७२-४२१ विशेष-भक्तिपाठ के अतिरिक्त मुख्य निम्न पाठ हैं१. आदित्यवार कथा-महीचन्द 1 हिन्दी। पत्र ७८ महिमा मादित्य बत तणोए हवै जगत विख्यात । जे कर सी नर नारी एह ते पाये सुख भन्डार । मूल संघ महिमा उत्तग सुरि यादी चद्र। गट नायक तस पटेघर कहे श्री महीचन्द्र । २. महापुराण जिनसी-गदास । हिन्दी पत्र ६२। १०३५४. गटका सं० ७२ । पत्र सं० १६१ । प्रा Ex५ इन्च 1 भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले काल x । पुस । वेष्टन सं०६७-४१ । विशेष-नित्य नैमित्तिक पूजाओं का संग्रह है। १०३५५. गुटका सं० ७३ । पत्र सं० १३८ । प्रा० ६३४५ इञ्च 1 भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले० काल X । पूणे । वेष्टन सं० ८.६ । विशेष पूजा पाठ एवं स्तोत्र संग्रह है। india प्राप्ति स्थान--संभवनाथ दि. जैन मन्दिर उदयपुर १०३५६. गुटका सं० १ । पत्रसं० २२३ । भाषा-हिन्दी (पद्य) । लेकाल- । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४८३ । विशेष—अश्वचिकित्सा सम्बन्धी पूर्ण विवरण है। Page #1231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रन्थ सूची- पंथम भाग १०३५७. गुटका सं० २०७२ ० ६ इंच भाषा-हिन्दी-संस्कृत काल ★ पूर्ण वेष्टन सं०] ४४१ | विशेष – पूजा पाठ तथा विश्दावली है । ११७० ] १०२५८. गुटका सं० ३ १० १० ० ६९ इख भाषा - हिन्दी-संस्कृत [वि०काल x । सपू । येष्टन सं० ४४० । विशेष – निरम पूजा पाठ संग्रह है १०३५६. गुटका सं० ४ पत्र [सं० ७-१२२०५६ भाषा - हिन्दी से काल X अपूर्ण वेष्टन सं० २७३ । विशेष – कबीरदास के पदों का है । १०३६०. गुटका सं० ५ पत्रसं० ३० ० ६x४इ भाषा प्राकृत-हिन्दी पे० काल X अपूर्ण वन सं० २२८ ॥ विशेष – सुगाषित तथा गोम्मटसार चर्चा संग्रह है। १०३६१. गुटका सं० ६ पत्र सं० २ २३ 1 प्रा० ९x४इन्छ । भाषा - हिन्दी । ले० काल X। अपूर्ण वेष्टन सं० २५१-६४० । विशेष वंद्य रसायन ग्रंथ है। १०३६२. गुटका सं० ७ पत्र सं० ४९ । घा० ५x४ इस भाषा हिन्दी ले काल X । । - । । अपूर्ण वेष्टन २३० ॥ विशेष भिन्न पाठों का संग्रह है अनंत पूजा धनंततरास प्रति प्राचीन है। ० शांतिदास ब्र० जिरणदास I १०३६३. गुटका सं० ८ । से काल X। पूर्ण वेटन सं० २२९ । हिन्दी पत्र सं० ११३ । श्री० ८३ X १ इंच । विशेष निम्न पाठों का संग्रह है- भाषा-संस्कृत-हिन्दी । चरचा बासठ बुधवात हिन्दी स्तवन विशेष- चौबीस तीर्थकरों के पंचकल्याणक तिथि, महिमा वन, शरीर की ऊंचाई बर्खेन, शरीर का रंग तथा तीर्थंकरों के शासन व उपदेश निरूपण का वर्णन है । अन्तिम भाग अन्त एकादण पूरव चौदह और प्रज्ञापति पंच बनाएँ । चुनीका पंच है प्रथमानुयोग सुभ सिद्धान्स सु एकही जानी || प्रकीर्णक चौदह कहे जगदीस सबै मिलि सूत्र एकावत मानो । ए जिन भाषित सूत्र प्रमाण कहे युवलाल सदाचित मानो ॥ ६२ ॥ Page #1232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह | दोहा कहें देव शास्त्र गुरु नमी करी ए जिन पुण्य महान । मुझ बुद्धि सूजे की माल दूधि सुखदान ॥११॥ भविजन पायें पहरयों एक प्रश्ख हार । यशः कांति गुरुनाम कर सक संवत् दिश साल में शुद्ध फागुणना सुभमास । दामिदिन पूरण भया परचा वास भास ॥ ३॥ पढे सुखे जे भावथी भविजन को सुख कर्णं । लाल कहे मुझ भव भव यो प्रभु हो जो तुम चरण ||४|| संपूर्ण इति वरचा वास २. सार संग्रह ३. शान्तिहोम विधान अन्तिम पुष्पिका ४. मंगलाष्टक ५. वृषभदेव लावणी समाप्तं भ० यशःकौति लाल ( भट्टारक महः कीर्ति के शिष्य लाल ) गुजरात देश में चोरीवाङ नामक स्थान के आदिनाथ की लावणी है । उनकी प्रतिष्ठा का संतु निम्न प्रकार है इसके अतिरिक्त नित्यमिति संस्कृत उपाध्याय व्योमरस संस्कृत इति श्री उपाध्याय सोमरस विरचिते शांति होम विधान संवत् उरणो सा साता वरषे वैशाख मास शुक्लपक्ष । षष्ठदिन सिगासा जिनकी प्रतिष्ठा कीधी मनहरखे || पूजाओं का संग्रह है। [ ११७१ संस्कृत हिन्दी पू Page #1233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चित्र व यंत्र यंत्र कागज व कपडे पर १०३६४. १-हाथी के चित्र में यंत्र विशेष—यह चित्र कागज पर है किन्तु कपड़े पर चिपका हुमा है। यह १५ वीं शताब्दी की कला का द्योतक है। हाथी काफी बड़ा है । उस पर देव (द्र) जैठा है। सामने बच्चे को गोद में लिये हुए एक देवी है संभव है इन्द्राणी हो । ऐसा लगता है कि भगवान के जन्मोत्सव का हो। चित्र में लोगों की पगडियां उदयपुरी हैं। १०३६५. २-पंच हनुमान वीरविशेष-कपडे पर (२०४ २०६च) हाथी, घोड़े तथा हनुमानजी का चित्र है। १०३६६. ३.-श्रुत ज्ञान यंत्रविशेष-भट्टारक हेमचन्द्र का बनाया हया यह यंत्र कपड़े पर है। इसका आकार ३६४४४ १०३६७. ४-काल यंत्र विशेष—यह उत्सपिणी और अवसर्पिणी काल चक्र का यत्र कपड़े पर है। इसका प्राकार २२४२२ है । इस पर सं० १७४७ का निम्न लेख है संवत् १७४७ भादवा सुदी १५ लिखतं तेजपाल संबई अगरवाला मगंगोति बाँचे ज्यान म्हां को श्री जिनाय नमः। १०३६८. ५-तीन लोक चित्र विशेष--यह यंत्र ४०x२२ ईम के प्राकार वाले कपड़े पर है। यह काफी प्राचीन प्रतीत होता है। इसमें स्वर्ग, नरक तथा मध्यलोक का सचित्र वर्णन है। सभी चित्र १५ वीं या १६ वीं शताब्दी के। १०३६६. ६-शांतिनाथ यंत्रविशेष-१२४१२ इंच के प्राकार बाले कपड़े पर यह यंत्र है। १०३७०, ७-अढाई द्वीप मंडल रचना विशेष..यह ३६४३६ इच याकार वाले कपड़े पर है। इसमें तीर्थकरों सथा देवदेवियों प्रादि के मैकड़ों चिन। चित्र १६ वीं शताब्दी की कला के द्योतक हैं तथा श्वेताम्बर परंपरा के पोषक हैं। १०३७१. ८-नेमीश्वर बारात तथा सम्मेदशिखर चित्र विशेष—यह ७२ ४३६ इंच के आकार के कपडे पर है। इसमें गिरनार तथा सम्मेदाचल तीर्थ वहां के मंदिरों तथा यात्रियों मादि के चित्र है । चित्रकला प्राचीन है। प्राप्ति स्थान-(संभवनाथ मंदिर उदयपुर Page #1234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शिष्ट रहनायें १०३७२. अठारह नाता का गीत-शुभचन्द्र। पत्रसं० । मा० ११४५ इन्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-कया। १० काल X । ले०काल X 1 पूर्ण । बेष्टन सं० ३१८ । प्राप्ति स्थानअग्रवाल दि० जैन मन्दिर उदयपुर । १०३७३. अथर्ववेद प्रकरण-.x। पत्र सं० ५६ । डा० १.१४४ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय -द्धिक साहित्य । र० काल X 1 ले०काल सं० १८४४ भादवा बुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं०६४ 1 प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक । विशेष प्राचार्य विजयकी ति ने नन्दग्राम में प्रतिलिपि की थी। १०३७४. अनाश्व कर्मनुपादान--X । पत्रसं० २। प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । २० काल ४ । ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० ५७ । प्राप्ति स्थान-खंडेलवाल दि. जैन मंदिर उदयपुर । १०३७५. प्रादीश्वर फाग--मट्टारक ज्ञानभूषण। पत्र सं० ३६ । आ० १.१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय-फागु काव्य । र०काल ४ । ले. काल सं० १५६७ आषाढ़ सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १९१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष- म. शुभचन्द्र के शिष्य विपासागर के पठनार्थ लिखा गया था । १०३७६. प्रात्मावलोकन स्तोत्र-बीपचन्द । पत्र सं७ ६६ । पा० ११४६, इ । भाषाहिन्दी पद्य । विषय - अध्यात्म । २० काल X । ले० काल सं० १८६० । पूर्ण । बेष्टन सं०५ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा। विशेष—इसका दूसरा नाम दर्पण दर्शन भी दिया है। श्री हनूलाल तेरहाथी ने माधोपुर निवासी आह्मण भोपत से प्रतिलिपि करवाकर दौसा के मन्दिर में रखी थी। १०३७७. आदिनाथ देशनाद्वार-x। पत्र स० ५। प्रा० १०४४ इन्च । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । २० काल ४ । लेकाल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १४१४ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष--भगवान आदिनाथ के उपदेशों का सार है। १०३७५. इष्टोपदेश-पूज्यपाद । पत्र सं०४। प्रा० १.४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय अध्यात्म । २० काल X । ले०काल सं० १६४७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बुदी । १०३७६. उझर भाष्य-जयन्त भट्ट । पत्र सं० ३६ 1 प्रा० x | भाषा संस्कृत । विषयसिद्धान्त । १० झालX लेखकाल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७०४ 1 प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष-इति श्री मज्जयन्त भट्ट विरचिते वादि षटमुझर वृदन्त समाप्तमिति । Page #1235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १०३८०. उपदेश रत्नमाला-सकलभूषण । पत्र सं० ११७ । प्रा० ११:४५ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय -- सुभाषित । र०काल -सं० १६२७ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०१ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मन्दिर कामा । विशेष-प्रति जीर्ण है। १०३८१. उपदेश रत्नमाला -धर्मदास गरिण । पत्र सं० १३ । प्रा. १७४४१ इन्च । भाषा-अपभ्रश । विषय-सुभाषित । र० काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ७३३ । प्राप्ति-- स्थान-म० दि. जैन मन्दिर अजमेर । १०३८२. प्रतिसं० २। पत्रसं० २ से २३ । श्रा. १०४४३ इञ्च । ले० काल X । अपूर्ण 1 बेष्टन सं० २५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बोरराली कोटा । विशेष-प्रति प्राचीन है। प्रथम पत्र नहीं है । १०३८३. प्रतिसं०३ 1 पत्र सं० २३ । ग्रा० १११४४१३श्च । काल सं० १५६७ आषाढ़ सुदी १ । पूर्ण। वैन सं० १४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन प्रादिनाथ मन्दिर दी। विशेष -योगिनीपुर (दिल्ली) में लिखा गया था। १०३८४. प्रतिसं०४ । पत्र सं० १० प्रा०९३४४१ इञ्च । ले. काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन श्रादिनाथ मन्दिर दी। १०३८५. उपदेश सिद्धान्त रत्नमाला भाषा-भागचन्द । पत्रसं० ४० । प्रा० ११४६३ इच । भाषा-हिन्दी गय । विषय--सुभाषित । २० बाल सं० १६१४ मात्र बुदी १३ । ले०कास सं० १९४५ । पूर्ण । बेष्टन सं०२८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष-म्होरीलाल नौंसा ने चोर में प्रतिलिपि की थी। र०काल निम्न प्रकार और गिलता है। दि. जैन तेरहाथी मन्दिर जयपुर २ १६१२ । दि० जन अग्रवाल मन्दिर रखवा सं० १९२२ प्राषाढ़ दुदी है। १०३८६. प्रतिसं०२ । पत्र सं० २६ । प्राः १२४७१ इञ्च । ले. काल सं० १९५७ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर नखवा 1 १०३८७. उपदेशसिद्धान्त रत्नमाला-XI पत्र सं० ४० प्रा० १२ x ५ इञ्च । माषा हिन्दी । विषय-सुभाषित । २० काल X । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० २०० । प्राप्ति स्थान -दि. जैन पचायती मन्दिर अलबर । १०३८८. प्रति सं० २। पत्र सं. ४३ 1 ले. काल X । अपूर्ण । बेष्टन सं० १.१८० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन पंचायती मन्दिर अलवर । १०३८९. ऋषिपंचमो उद्यायन-४ । पत्र सं० १० । प्रा० १०१४४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-वैदिक साहित्य । २० काल x I ले० काल x। पूर्ण । वन सं० ११०६ । प्राप्ति स्थान-- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । Page #1236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुटका संग्रह ] [ ११७५ १०३६०. कृष्ण युधिष्ठिर संवाद- । पत्र सं० १६ । प्रा. १०४५ इच। भाषासंस्तृत । विषय-वात (कथा)। र०कासx लेकाल सं० १७८४ । पूर्ण । वैप्टन सं० १२० । । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दालाना (बू'दी) । विशेष- नि. सदासुख में प्रतिलिपि की थी । पत्र दीमकों ने खा रखा है । १०३६१. कृष्ण समरिण वेलि-- पृथ्वीराज ( कल्याणमल के पुत्र ) । पत्रसं० २-१६ । ग्रा० १x६ इञ्च । भागा-हिन्दी। विषय-काव्य । र० काल X ले०काल x | अपुर्ण । वेष्टन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान--भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-पद्य सं० २०८ हैं । १०३६२. प्रति सं० २१ पत्र सं० २३ 1 प्रा० १०४४ इन्च । ले०काल सं० १७३४ 1 पूर्ण । वेष्टनसं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन गन्दिर दबसाना दी। विशेष --श्री रंग विभल शिशुदान मिल लिखसं सं० १७३४ टिडिया मध्ये । १०३६३. कामत पुराण-भट्टारक विजयकोति। पत्र सं० ४१ । मा० १२४६२ इञ्च । भाषा-हिन्दी पञ्च । विषय-पुराण । २० काल सं० १८२६ काती बुदी १२ । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०५८ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर दौसा।। विशेष-भगवान आदिनाथ के पूर्व भवों को कई कथाएं दी हैं । १०३९४. कलजुगरास---ठाकुरसी कवि । पत्र सं० २१ । प्रा० ६५ इन्च । भाषा-हिन्दी (पद्य । विषय-विविध । र०काल सं० १८०८ । ले. काल सं० १८३६ द्वि ज्येष्ठ बुदी १३ । पुर्ण । वेष्टन सं०१७/११ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) 1 विशेष--ग्रन्थ का प्रादि अन्त भाग निम्न प्रकार है प्रारम्भ वीतराग जति नभु बंदु गुर के पांच । मनिष जन्म वह दोहिला गुरू भाथ्यो चितलाय । साध ऋषि स्वर याग माधिया कल जूग एसा पावै । साथ ऋषिस्वर सांच तो बोलिया ठाकुरसी ऋषि गावै । प्राणी कुडाररे कलजुग प्राया। मग देखियो गांव सरीखा उजर वास बसाया। राज हा वाजम सारिखा भज्ञा तो दुख पाया रे ॥३॥ अन्तिम संवत् अठारसे आठ बरस जुजु वारसंहर भक्ता रे । तिष वारस मंगलवार सावण सुद जग सार रे । प्राणी तुहार के कलजुग पाया ।। पारनंडि की बहुत जो पूजा साध देख दुख पावं । ठाकुरसी ऋषि सांची भावं चतुर नार चित प्रार्थना Page #1237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७६ ] [ग्रंथ-सूचीपंचम भाग १०३६५. कलियुग की विनती-देवा ब्रह्मा । पत्र सं० ६ । मा० ५४६ इञ्च । भाषा हिन्दी । विषय-विविध । १० काल: । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टम सं० ७३८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर (जयपुर)। १०३९६. कल्पद् म कलिका-४ । पत्रसं० १० । भाषा संस्कृत । विषय-विविध । २० काल ले०काल सं० १८८२ । पूर्ण । वेष्टन सं० ७४० । प्राप्ति स्थान–दि जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०३९७, कल्पसूत्र बखाण ............... पत्र सं० १५७ । भाषा-हिन्दी । र० काल ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१८, ६१६, ६२०, ७४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर भरतपुर । विशेष-कल्पसूत्र चतुर्थ, पंचम एवं सप्तम २ चेष्टनों में है। १०३६८. कल्याATला-पं० आशाधर । पत्रसं० ४ । प्रा० ११.४५ इन | भाषासंस्कृत । विषय-विविध । २० काल-X ।ले. काल । पूरणं । देष्टन सं० ४२-१५८ । प्राप्तिस्थान–दि जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह टोंक । विशेष-तीर्थकरों के कल्याणक की तिथियां दी हुई हैं। १०३६६. कंबरपाल बत्तीसी कंवरपाल । पत्र सं०५। पा. १०३४४३ इंच। भाषाहिन्दी । विषय-धर्म । र० काल XI ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर दबलाना (बूदी)। १०४००. कविकाव्य माम-X । पत्र सं०३-१४ । प्रा०१२-४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-सुलि । २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २१५/६५० । प्राप्लि स्यातदिन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । १०४०१. कविकाव्य नाम गर्मचक्रवृत्त-x। पत्र सं० १६ । प्रा. १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय ---स्तुति । १० काल X । ले० काल सं० १६६८ 4 पूर्ण । वेष्टन सं० १५५१२४० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । विशेष—कुल ११६ श्लोक हैं। प्रति संस्कृत टीका सहित है। ११६ फ्लोकों के आगे लिखा हैकवि काव्य नाम र चक्र बृत्त । ७ चक्र नीचे दिये हुए हैं । टीका के प्रत में निम्न प्रशस्ति है संवत् १६६८ वर्षे ज्येष्ट सूदी २ शनी जिनशतका ख्यालंकृते स्वज्ञानावी कर्मक्षयार्थ पंडित सहस्त्र वीराख्येण स्वहस्तायांलिखिता। टीका का नाम जिनशनका स्वालंवृति है। १०४०२. कवि रहस्य-पलायुथ । पत्रसं० ४ । आ०११:४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - कोश । २० काल x | ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २२० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। १०४०३. कात्तिक महात्म्य-४ । पत्रसं० ३७ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-वैदिक साहित्य । २० काल-X । ले. काल X । अग्रगणं । वेष्टन सं० २२१1 प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी धू'दी। विशेष-३७ से आगे पत्र नहीं हैं। Page #1238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवशिष्ट साहित्य ] [ ११७७ १०४०४. कालो तामा...); । पत्र : IITitxरागा-स्तुत । विषयपूजा एवं यंत्र शास्त्र । २० काल ४ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दिक जैन मन्दिर बोरसली कोटा। १०४०५. क्षेत्र गणित टीका-- । पत्रसं० १८ । प्रा० १०२४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-गणित । र० काल ४ । लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं०१६ । प्राप्लि स्थान-दि. जैन अग्रवाल मंदिर उदयगर । विशेष प्रति प्राचीन है। प्रत में निम्न प्रकार लिखा है"इति उत्तर क्षेत्री टीका संपूर्ण" १०४०६. क्षेत्र परिणत टीका--x। पत्र सं० २१ । आ०११३४५४ञ्च । भाषा-संस्कृति । विषय-गित । २० काल x | लेकाल x। पूर्ण । वेष्टन सं० २०१५ प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष—इसका नाम उत्तर छत्तीसी टीका भी है । भट्टारक श्री विजयकौति जित् ब्रह्म नारायण दत्तमुत्तरछत्तीसी टीका। १०४०७. क्षेत्र गरिंगत व्यवहार फल सहित-४ । पत्र सं० १४ । प्रा० ११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-मारिणत शास्त्र । २० काल ४ । ले० काल XI पूर्ण । वेष्टन सं० ५२ । प्राप्तिस्थान-दि० जेन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर । बिशेष-प्रत्ति रेखा चित्रों सहित है। १०४०८. क्षीरारांव-विश्वकर्मा । पत्रसं० ४१ । प्रा० ८३४६१ इञ्च । भाषा--संस्कृत । विषय-शिल्प शास्त्र । र० काल-- ।ले. काल सं० १९५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४-२ । प्राप्तिस्थान—दि जैन मंदिर कोटड़ियों का हूंगरपुर । विशेष—इति श्री विश्वकर्माकृते श्रीराणवे नारद पृच्छते शतागुण एकोनविशोऽध्याय ॥१६॥ संपूर्ण । संबल १६५३ वर्षे कार्तिक सुदी ११ रवी लिखितं दशोश ब्राह्मण ज्ञाति व्यास पुरुषोत्तमेन हस्ताक्षर नम्र हूँगरपुर मध्ये शुभं भवतु ।। १०४०६. खण्ड प्रशस्ति-४ । पत्र सं०३ । मा० १०४४३ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय-काव्य । १० काल X । ले० काल x पूर्ण । धेष्टन सं० २८८ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। १०४१०. खंड प्रशस्ति श्लोक -- । पत्रसं० २-४ । प्रा० १०४४३ इव । भाषासंस्कृत । विषय -काव्य । र० काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २५२ । प्राप्ति स्थानदिन म विर बोरसली कोटा । १०४११. गंगड प्रायश्चित-X । पत्र सं० १५ । प्रा. ११४५ इच। भाषा-हिन्दी। विषय-प्राचार शास्त्र । र. काल Xले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं. २८४ । प्रारिल स्थान-दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। Page #1239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७८ ] [ प्रथ सूची-पंचम माग १०४१२. गरिणतनाममाला-हरिदत्त। (श्रीपति के पुत्र) - पन सं० ५ । प्रा० ११४४ इस्त्र। भाषा-संस्कृत । विषय-गरिगत । १० काल xले. काल सं०१७३४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४७४। प्राप्ति स्थान–दि जैन गंगान: ण मन्दिर पटगपुर । प्रारम्भगणितस्व नाममाला वक्ष्ये गुरु प्रसादतः बालानां सुखत्रीपाय हरिदत्तो द्विजाग्रणी। श्री श्रीपतिसुतेनते वालाना वुद्धिवृद्धये । गरिंगतस्य नाममाला प्रोक्त गुरुप्रसादतः । १०४१३. गणितनाममाला-X । पत्र सं०१०। आ०११४५ इन। भाषा-संस्कृत । विषय-गणित शास्त्र । र०काल X । लेकाल सं० १९०८ मगसिर सुदी १ पूर्ण । वेष्टन सं० १४०६ । प्राप्ति स्थान-भ दि. जैन मंदिर प्रजमेर । १०४१४. गणितनाममाला-x । पत्रसं०३। या०१०x४, इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-गणित । र०कालxले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १०१७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि. जैन मन्दिर अजमेर । १०४१५.. गरिगत शास्त्र-X । पत्र सं० २६ । या. ६X५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयगणित । र० काल X । लेकाल सं० १५५० । अपूर्ण । घेष्टन सं० ४७३ । प्राप्ति स्थान दि० जन संभवनाथ मदिर उदयपुर । विशेष-संवत् १५५० वर्षे श्रावण बुदी ३ गुरौ अाह कोट नगरे वास्तव्य सूत्रा देवा सुत कान्हादे भ्रागगां पटनार्थं लिक्षितमया 1 निमित्त शास्त्र भी है। अत में है.इति गरिसत शास्त्र शोर छाया तलहरा समाप्तं । १०४१६. गणित शास्त्र-X । पत्र सं० फुटकर । प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-गरिणत । र० काल X । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३२० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मदिर उदयपुर । १०४१७. गरियतसार-हेमराज । पत्र सं० ५ । अ० ११३-४ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय - गरिगस । २० काल X । ले०काल सं० १७८४ जेन्छ मुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६२ । प्राप्तिस्थान--दि० जैन मन्दिर प्रादिनाथ दी। १०४१५. गणितसार संग्रह–महायोराचार्य । पत्र सं० ५३ । प्रा० ११४७ च । भाषासंस्कृत । विषय-गणित । र० काल x 1 ले०काल सं० १७०५ थायण सुदी २ । पूर्ण । बेष्टन सं०४। प्राप्ति स्थान-खंडेलवाल दि० जन मन्दिर उदयपुर। १०४१६. प्रतिसं० २। पत्र सं० ३६ । प्रा० १२३४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले. काल x। ले. काल । पूर्ण 1 वेष्टन संग १४८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपूर । Page #1240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवशिष्ट साहित्य ] १०४२०. गाथा लक्षण । प० १ ८ ग्रंथ । र० काल X ले०काल X। पूर्ण लश्कर जयपुर । बेटन सं० विशेष – प्रति प्राचीन है तथा संस्कृत टीका सहित है । १०४२१. गोत्रिरात्रव्रतोद्यापन - X पत्र [सं० ७ विषय- वैदिक साहित्य र० काल X से काल X पूछे दि० जैन मन्दिर भजनेर । - ० १२४४३ ११ [ ११७६ भाषा प्राकृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर ० १०x४३ इच भाषा-संस्कृत । बेटन सं० ७२७ प्राप्ति स्थान–२० १०४२२. ग्रहण राहुप्रकरण पत्र सं० ४० ११५] इच विषय ज्योतिष २० का X मे० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ७०४ जैन मन्दिर अजमेर भाषा-संस्कृत | प्राप्ति स्थान- भ० दि० १०४९३. चन्द्रोमीलन मधुसूदन पत्र सं० १२० १२४ भाषा-संस्कृत विषय - काव्य शास्त्र | १० काल X 1 ले०काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० १९३ | प्राप्ति स्थान — संभवनाथ दि० जैन मन्दिर उदयपुर । लभ्यमादमहाजानं स्वयं जेनेभा । चन्द्रोन्मीलनक शास्त्रं तस्म मध्यान्मयो वृतं ॥ रु भाषितं पूर्वं ब्राह्मणा मधुसूदने । नष्ट या ज्ञान मावि धनोकसा १० एव ज्ञानं महाज्ञानं सर्व ज्ञानेषु षोत्तमं । गोपिव्यं प्रजन्ते विदशी रपि दुर्लभं ॥ विशेष – इसका दूसरा नाम शिष्य निर्णय प्रकरण तथा शिष्य परीक्षा प्रकरण भी है । चन्द्रोमीलन जैन ग्रंथ से उद्धत है । प्रारम्भ में चन्द्रप्रभ भगवान एवं सरस्वती को नमस्कार किया है। अन्तिम १०४२४. चरव्यूह - वेदव्यास । विषय वैदिक साहित्य र०काल X। से० काल x दि० जैन मन्दिर अजमेर । इति चन्द्रोन्मीलने शास्त्रार्ण विनर्गतिषु शिष्य निर्णय प्रकरण । प्रस्तुत ग्रंथ में शिष्य किसे, कब और फँसे बनाया जाय इसका पूर्ण विवरण है । प्रति प्रचीन है। पत्र [सं०] [४] प्रा० ६४ बेन सं० १०४० पूर्ण भाषा-संस्कृत | प्राप्ति स्थान- भ० पत्र सं० २१ । श्र० १०४२५. चेतन कर्म संवाद - भैया भगवतोदास भाषा - हिन्दी पद्य विषय रुपक काव्य १० काल सं० १७३२ ज्येष्ड बुदी ७ ले०काल X ५५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर आदिनाथ बूंदी। -- १०४ ४ इञ्च । पूर्ण चेष्टन सं० १०४२६. प्रतिसं० २ । पत्र सं ० ५६ । ले० काल सं० १९३६ । पूर्ण बैटन सं० १४ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा Page #1241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम माग १०४२७. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० ५६ । लेकाल सं० १९३९ । पूर्ण । वेष्टन सं० १४ । प्राप्ति स्थान.-.दि जैन मन्दिर तेरहपंथी बसवा । १०४२८. प्रति सं० ४ । पत्रसं० १६ । प्राय १३६४ ४ इन्च । लेकाल x। अपूर्ण । वेष्टन सं० १६२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर नागदी बूदी। १०४२६. चेतनगारी--बिनोदीलाल । पत्रसं० १५ । प्रा०६x४ इन्च 1 भाषा-हिन्दी। विषय-अध्यात्म । २० काल सं० १७४३ । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं०४६ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर कामां। १०४३०. चेतन गीत--- । पत्रसं.: मा० १.१४१ इक्ष नाम-हिन्दी पद: यात्म । र. फाल ४ । लेकाल । पूर्ण । वेष्टन सं० २११-८४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का हूगरपुर । १०४३१. चेतन पुद्गल धमाल-वचराज । पत्र सं० १८ । आ० ५३४४५ इश्च । भाषाहिन्दी। विषय-पक्रकाल । २० काल x ले. काल सं० १६२६ । पूर्ण । वेष्टन सं. ६८६ । प्राप्तिप्राप्ति--१० दि० जैन मंदिर अजमेर । विशेष—या० भानुकीति के शिष्य मु. विजयकीति ने लिखा था। गुटके में संग्रहित है। १०४३२. चेतन मोहराज संवाद-खेमसागर । पत्र सं० ४६ । प्रा. १०३४४२ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय - रूपक का र० काल ४ । लेकाल सं० १७३७ । अपूर्ण । बेष्टन सं० ३५४ । प्राप्ति स्थान दि० जन अग्रवाल मंदिर उदयपुर । विशेष -भीलोडा नगर में शांतिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हई। १०४३३. चौढाल्यो-भृगु भोहित । पत्र सं० ३। श्रा० ३४४ इन्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-स्फुट । र० काल ४ । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३११ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मंदिर दबलाना बूदी। १०४३४. चौदह विद्यानाम ४ । पत्र सं० १ । प्रा० ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयलक्षण अन्य । ले० काल x | ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३७ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-चौदह विद्याओं का नाम कवित्त दोहा तथा गोरोचन छन्द (करुप) दिया हुआ है। १०४३५. चौबीस तीर्थकर पूजा-वृन्दावन । पत्र सं० ८५ । आ० ११४ ६ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-पूजा । ले०काल । ले० काल x I पूर्ण । वेष्टन सं० १५३-६६ । प्राप्ति स्थानदि जैन मंदिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । १०४३६. प्रतिसं० २। पत्र सं० ६५ । आ० १३४ ६ इन्च । ले०कास ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२४-६१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूगरपुर । १०४३७. दिपिड–पत्रसं०४। या० १३४३ इन्च । भाषा-प्राकृस । विषय-सिद्धान्त । ले०काल X । से०काल x अपूणे । वेष्ठनसं०७० । प्राप्ति स्थान--अग्रवाल दि० जैन मन्दिर उदयपर Page #1242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रवशिष्ट साहित्य ] [ ११८१ १०४३८. अम्बूद्वीप पट-- । पत्र सं० १ । प्रा० X । बेष्टन सं० २७४-१०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर इंगरपुर । विशेष-जंबुढीप का नक्शा है। १०४३६. जिनगुरग विलास-नथमल । पत्र सं० ६१ । प्रा०७१x१०६ इञ्च । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-स्तवन । र० काल सं० १८२२ पापान बुदी १० । ले० काल सं० १९२२ ग्राषाढ सदी २। पूर्ण । वेष्टन सं० २६:१५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन सौगाणी मंदिर करौली। विशेष-५२ पत्र से भक्तामर स्तोत्र हिन्दी में है। साह थी खुशालचन्द के पुत्र रतनचन्द ने प्रतिलिपि की थी। १०४४०. प्रतिसं०२।पत्र सं०५६ मा० १२१x६ इञ्च । ले०काल सं० १८२३ काती सूदी १५ । पूर्ण । अष्टन सं०३१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर बयाना । विशेष--सवाई राम पाटनी ने भरतपुर में प्रतिलिपि की थी। १०४४१. प्रतिसं०३ । पत्रसं० ६५ । आ० १३४५१ इञ्च । ले०काल सं० १८२३ भादवा बृदी १५ । पूर्ण : वेष्टन सं० २१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर दीवान चेतनदास पुरानी डीग । विशेष-नौनिधिराम ने प्रासाराम के पास प्रतिलिपि करवायी थी। १०४४२. प्रतिसं०४। पत्र सं०८६ प्रा. ८३-६ इच। ले०कास सं. १८२२ भादवा सदी १२ । वैपन सं०१८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर करीली। विशेष-दोदराज ने करौली नगर में लिखवाया था। १०४४३. जिनप्रतिमास्वरूप वर्णन छीतर काला। पत्रसं० ३८ । प्रा० १२१४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी गद्म | विषय लक्षण । २० काल सं० १९२४ बैशाख सुदी ३ । ले०काल सं० १९४५ बैशाख सुदी १४ । पूर्ण । धेट्न सं० १४७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर अमिचन्दन स्वामी, बूदी। विशेष- छीतर काला अज़मेर के रहने वाले थे । ग्राजीविका वश इन्दौर आये वहीं १९२५ में प्रथ को पूर्ण किया। सहर वास अजमेर में तहां एक सरावग जान । नाम तास छीतर कहे गोत्रज कालो मान । कोई दिन वहां सुख सो रह्यो फेर कोई कारण पाय । नमत काम प्राजीविका सहर इन्दौर में प्राय । अन्तिम नगर सहर इन्दौर में सुद्धि सहसि होय । तहां जिन मन्दिर के विषै पूरों कीनो सोय । सं० १९२३ मावन सुदी १५ को इन्दौर आये । और सं० १९२४ में अंथ रचना प्रारम्भ कर सं० १९२५ वैशाख सुदी ३ को समाप्त किया। छोगालाल लहाडिया माकोदा वालों ने इन्दौर में प्रतिलिपि की थी। Page #1243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८२] [ अन्य सूची-पंचम भाग १०४४४. प्रतिसं० २। पत्र सं० ४६ । पा० ११४६५ इञ्च । ले. काल सं० १९६० । पूर्ण । देवन सं०४०२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर बोरसली कोटा। १०४४५, जिनयिम्बनिर्माण विधि--x पसं.५७ । प्रा. ६३४३३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय:-बिंब निर्मासा शिल्प शास्त्र । र०काल X ।ले. काल x। पूर्ण । वेष्टनसं० ६१४ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर 1 विशेष-गुटका साइज है।। १०४४६. जिनबिम्ब निर्माण विधि-४ । पत्रसं० ११ । डा. १३ x ४ इश्च । भाषाहिन्दी पध : विषय---शिल्प शास्त्र । र० काल X । ले० काल सं० १६४५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ११३ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मंदिर श्री महावीर दी। १०४४७. जिनबिम्ब निर्माण विधि-~X । पत्र सं० १० । पा० १२४५३ इञ्च । भाषा य-शिल्प शास्त्र । २० कान X । ले०काल X पूर्ण । वेष्टन सं० २०-१६ । प्राप्ति स्थानदि जैन मंदिर भादवा 1 १०४४८. जिमशतिका-x। पत्र सं० १६ । प्रा० १२४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-लशरण मय । र० कालX । ले०काल x । वेष्टनसं०६९१1 प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर लश्कर, जयपुर। विशेष—अत में इति श्री जिनतिक्षायां हस्त वर्णन द्वितीय पारेदाय चूर्ण ॥२१॥ १०४४६. जोमदास-नासिका-नयनकरर्णसंवाद--नारायण मुनि । पत्रसं० २ । प्रा० १०४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-संवाद । र० कार x ले. काल सं० १७८१ आसोज बुदी । पूर्ण । वेष्टन सं० ५३५ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । १०४५०. प्रतिसं० २। पत्रसं० २ । प्रा० १.४४ इन्च । लेकाल X । पुस । वेष्टन सं. १८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा १०४५१. ज्ञानभास्कर-४ । पत्र सं २६ । प्रा० १२४४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-वैदिक शास्त्र । २० काल X । ले० काल मं० १६८५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ३४५ 1 प्राप्ति स्थान - दि० जैन गन्दिर बोरसली कोटा । विशेष—इति श्री ज्ञानभास्करे कर्मविपाके सूारुणमंनादे कालनिर्णयो नाम प्रथमं प्रकरण । सं० १६६५ वर्षे घेत सुदी ७ सोमे महेषेरण लेखि । १०४५२. ज्ञानस्वरोदय..चरनदास । पत्रसं०४३ । प्रा० ५४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी। पय-उपदेश । र०काल x । ले०काल X । पूर्ण । वेहन सं० १८१ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नागदी (बुदी) । १.४५३. ढ़ाढ़सी गाथा-४ । पत्रसं०२ । श्रा० १०६x४३ इच। भाषा-प्राकृत । विषयसिद्धान्त । र०काल लेकाल १५२१, भादबा खुदी ११ । वेष्टन सं०६५। प्राप्ति स्थान -दि० जैन मन्दिर लाकर (जयपुर)। विशेष-पं० सुखराम के लिये लिखा था। Page #1244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवशिष्ट साहित्य ] [ ११८३ १०४५४. रामोकार महात्म्य-X । पत्र सं ५ । याsx४३ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय स्तवन । २० काल X । ले०काल X । वेष्टन सं० ४२३ । प्राप्ति स्थान-६ि० जैन मन्दिर लश्कर (जयपुर)। १०४५५. तत्वज्ञान तरंगिरणी-ज्ञानभूषण । पत्रसं० ८३ । प्रा० १२३४६३ इञ्च । भाषासंस् । “पय - सिद्धान्त । २० काल सं० १५६० । ले. काल सं०१८४६ आसोज वुदी १ । प्राप्ति स्थानभ जन मन्दिर अजमेर । निशेष - अन्त में निम्न प्रकार लिखा है-- गाना कोन: की जीमीरे सम्म माया । १९८५ चैत बुदी १२ । १०४५६. तत्वसार-देवसेन । पत्र सं० १२ । आ० १०१-४ इच । भाषा-प्राकृत । विषयसिद्धान ! • काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २२२ । प्राप्ति स्थान-म. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष -प्राचार्य नेमिचन्द्र के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। १०४५७. तत्वार्थ सूत्र-उमास्वामि । पत्र सं० १३ । प्रा० ६३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । F० काल ४ । ले० काल सं० १९६५ । वेष्टन सं० ६५१ । प्राप्लि स्थान—दि जैन मन्दिर लश्कर (जयपुर) । १०४५८. तत्वार्थ सूत्र भाषा-पं० सदासुख कासलीवाल । पत्र सं० १७७ । पा० १०५४५३ इञ्च । भाषा-राजस्थानी (ढूवारी-गद्य) । विषय-सिद्धान्त । र काल सं० १९१० फागुण बुदी १० । ले०काल सं० १९५२ । अपूर्ण । वेष्टन से ० ३६५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दबलाना (दी) । १०४५६. तम्बाखू सम्झाय-पाणंद ऋषि । पत्रसं० १ । प्रा०६x४१ हद । भाषा-हिन्दी (५०)। । २० काल x। ले०काल x पूर्ण । वेश्नसं० ३१५ । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर दबलाचा (बूदी)। , १०४६०. तोस चौबीसो पूजा--सूर्यमल । पत्रसं० १६ । ग्रा० १११४६ स । भापा-हिन्दी पद्य विषय-पूजा । १० काल X । ले. काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० २७१-१०६ । प्राप्ति स्थान दिन जैन मन्दिर कोटडियों का हूगरपुर । १०४६१. दमिवरिणया-X । पत्रसं० ६ । भाषा-प्राकृतः । विषय -सिद्धान्त । र० काल ४ । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४८६ । प्राप्ति स्थान-दि० अन पंचायती मन्दिर मरतपुर । १०४६२. वस अगों को नामावली-X1 पत्रसं० ६ । प्रा० x ४ इश्च । माषा-- हिन्दी । विषय-पागम । र० कालx। ले०कालX । पूर्ण । बेष्टुन सं० ३३६ प्राप्ति स्थानमा दिन मन्दिर अजमेर । १०४६३. दशचिन्तामरिण प्रकरण--X । पत्र सं० ११ । भाषा-प्राकृत : विषय-विविध । र०काल X ।ले कालX । पूगा । वैधन सं०७२३। प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मतिर भरतपुर । Page #1245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८४ ] [ ग्रन्थ सूचो-पंचम भाग १०४६४. दश प्रकार याह्मण विचार x | पत्र संक। प्रा० ११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । १० काल x 1 ले०काल x। वेष्टन सं० ८२० । प्राप्ति स्थान--दि० जैन भन्दिर लश्कर जयपुर । १०४६५. दातासम संवाद ४ । पत्रसं० २१ । मा० १२४५३ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-संवाद । र० काल ४ ! ले०काल स. १६४८ ग्राषाढ़ बुदी १। पूर्ण । वेष्टन सं० १ । प्राप्ति स्थान- दिन पाश्र्वनाथ मन्दिर टोडारायसिंह (टोंक) । विशेष-जीर्ण एवं फटा हुया है । १०४६६. दिशानुवाई-x । पत्रसं० १ । प्रा० १०४४. इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय - सिद्धान्त । र० काल ४ । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४१४ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मंदिर अजमेर। विशेष-वाणांग सूत्र के आधार पर है। १०४६७. दिसानुवाई--X । पत्रसं० १ । प्रा. १०x४३ इन्च । भाषा-हिन्दी। विषय - फुटकर। र० काल - । से काल X । पूर्ण। वेष्टन सं० ३७१ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर दबलाना बूदी। १०४६८. दूरियरय समीर स्तोत्र वृति-समय सुन्दर उपाध्याय । पत्र सं० १४ । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । र० काल X । ले० काल १८७६ । पूर्म । वेष्टन सं० ५९५ । प्राप्ति स्थानदि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर ।। १०४६६. देवागम स्तोत्र-समंतभद्राचार्य । पत्र सं०५। ग्रा० १३४५ इन्च । भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र एवं दर्शन । २० काल: ले. कालरापर्ण । वेष्टन सं० ४२८-४३२ प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर संभवनाथ उदयपुर । विशेष--प्रति प्राचीन है। १०४७०. प्रतिसं०२। पत्रसं० १२ । प्रा. ११४५ इञ्च 1 ले०काल x पूर्ण । येष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर 1 विशेष-इसका नाम बाप्रमीमांसा भी है। प्रति प्राचीन है। १०४७१. प्रप्तिसं०३ । पत्र सं० ८ । श्रा० ११४५ च । ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं. १०५-२२ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगढ़ (कोटा)। १०४७२. प्रतिसं०४। पत्र सं० ८ । आ० ११४५ इन्च । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं. १२३ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगड़ (कोटा)। १०४७३. प्रतिसं० ५। पत्र स० ५ । प्रा० १०३४५३ इञ्च । ले. काल स० १८७७ । पूर्ण। बेष्टन सं० १२८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलवर । १०४७४, प्रतिसं०६। पत्र सं०८ । श्रा० १०४४ इश्च । ले. काल x । पूर्ण । वेष्टन सं. ६१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। , Page #1246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवशिष्ट साहित्य ] [ ११८५ १०४७५ प्रतिसं० ७ पत्रसं० ५ प्रा० १२५ इख ले० काल X पूर्ण देन सं० ६७ प्राप्ति स्थान -उपरोक्त मन्दिर । १०४७६. देवागम स्तोत्र वृत्ति भाषा-संस्कृत विषय याय २० काल x दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । १०४७२. द्वासप्तति कला काव्य विषय-लखल ग्रंथ २ X से दिन जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। प्राचार्य वसुनंदि ० काल x पूर्ण १०४७७. प्रतिसं० २ | पत्र सं० २५ | आ० ११४५ इश्व | ले०काल सं० १८५३ कार्तिक सुदी ७ । पू । वेष्टन सं० १३२ । प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर बीरसली कोटा । विशेष – जयपुर में सवाई राम दोधा ने प्रतिलिपि की थी। 1 १०४७८. द्वादशनाम - शंकराचार्य । पत्रसं० ५ पा०८ x ३ इश्छ । भाषा-संस्कृत । विषयवैदिक साहित्य १० काल X| ले० कालसं०] १८३४ साबण बुदी १३ । पूर्ण स्थान दि० जैन मन्दिर इन्दरगढ़ कोटा । वेष्टन सं० २५१ प्राप्ति पनसं० ४३ वेटन सं० ४७५ विशेष-पुरुष को ७२ कला एवं स्त्री की चौराठ कलाशों का नाम है । १०४८३. धातु परीक्षा -X X | लेकास X पूर्ण वेन सं ६२६ ० ११४५ इन्च प्राप्ति स्थान १०४८० धर्मपाप संवाद- विजयकीर्ति पत्र० ५६ । प्रा० ९३४ छ । भाषा - हिन्दी । विषय - चर्चा | र० काल सं० १८२७ मंगसिर सुदी १४ । ले०काल X | पूर्ण । वेष्टन सं० १५६५ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर । १०४८१ धर्म प्रवृत्ति (पाशुपत सूत्राणि) नारायण - X इन्च भाषा संस्कृत विषय वैदिक साहित्य । २० काल X | ले० काल X प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर ४ ० २ ० ११५ इन्च भाषा - हिन्दी । X. पूष्ट १२६ प्राप्ति स्थान विशेष इसमें २०० पथ हैं। - पद्य । Aud १०४८२. धर्मपुविष्ठिर संवाद पत्रसं० १४० १X५ इव विषय- महाभारत (इतिहास) १० काल X। वे काल सं० १७२४ पूर्ण वेष्टन सं० स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | १२७ विशेष - महाभारते शतसहस्रगीतायां L ०१२३ । पा० ११४४३ पूर्ण । बेटन सं० ११०३ । भाषा-संस्कृत । प्राप्ति अश्वमेध यज्ञं धर्मयुधिष्ठर संवादे ॥ पत्रसं०] १३ भाषा-संस्कृत विषय लक्षण ग्रंथ १० काल प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर १०४८४. प्र चरित्र - X | पत्रसं० ४६ । ०५३४४३ व भाषा - हिन्दी । विषयचरित काव्य । २०कात x ने काल x पूर्ण वेष्टन सं० १२२ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | Page #1247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८६ ] [ ग्रन्थ सूची पंचम माग १०४८५. नलोदय काव्य - X। पत्रसं० २०० १०३४४३ भाषा संस्कृत विषय - काव्य । १० काल X | ले० काल सं० १७१२ वैशाख सुदी । पूर्ण न सं० ६१५ प्राप्ति स्थानभ० दि० जैन मन्दिर अजमेर। विशेष - नलदमयंती कथा है । १०४८६. नवपद फेरी - X काल । पूर्णं । वेष्टन सं० ६५६ १०४८७. नवरत्न कविस - X | पत्र सं० १ विविध २० काल X। ०फाल x | पूर्ण वेटन सं० | । । लश्कर जयपुर । १०४८८. नवरत्न काव्यः - X पषसं० २ ० १०४ भाषा-संस्कृत विषयकाव्य र०काल x | प्रे० काल x । । पूर्ण वेन सं० २६१ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर लटकर जयपुर | १०४८२ प्रति सं० २ पत्रसं०] १ मा० १०x४३ दस से० काल X पूर्ण मेटन सं० २६२ प्राप्ति स्थान- वि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर पत्र० ६ प्राप्ति स्थान २०४६० प्रतिसं० ३ पत्रसं० १ ० ११X५ इस ले० काल X वेष्टन सं० २१३ | प्राप्ति स्थान जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर। भाषा संस्कृत विषय विविध । २० काल X | दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०४११. नारचन्द्र ज्योतिष पंथ-नारचन्द्र पत्रसं० २४ ० १२७ इन्च | भाषा - हिन्दी । विषय५३१ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर । ज्योतिष | २० काल X ले०काल सं २०५६ माह बुदी ३ पूर्ण जैन तेरहपंथी मन्दिर (बसपा) वैदिक साहित्य | र०काल X 1 ले काल X। पूर्ण अभिनन्दन स्वामी बूंदी | १०४६३. नित्य पूजा पाठ संग्रह - X विषय - पूजा र० काल X। ले०काल X | पूर्ण दलाना (बूंदी) विशेष --- हिन्दी में धर्म दिया हुआ है। केला नगर में मुनि सोगारथमल ने प्रतिलिपि की भी । - भाषा संस्कृत विषय वेष्टन सं० ४४ प्राप्ति स्थान दि० १०४६२. नारदोष पुरारा - X पत्र० ३० ग्रा० ६३५३६ | । भाषा संस्कृत विषय वेष्टन सं० २०६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पत्र० १९ धा० १०३ x ५ इन्च बेष्टन सं० २१९ प्राप्ति स्थान पत्रसं० २ पूर्ण 1 १०४६४. निर्वारण काण्ड भाषा- भैया भगवतीदास पत्रसं० ४ पा० २३४६ ॥ भाषा - हिन्दी (पद्य) विषय-स्तवन, इतिहास ० काल सं० १७४१ ०काल सं० १६५० पौष सुदी २। पूष्ट० १५१ प्राप्ति स्थान दि०जैनलाल पंचायती मन्दिर अलवर | विशेष प्रति स्वर्णाक्षरों में लिखी हुई है। मुभी रिसकलासजी ने लिखवाकर प्रति विराजमान की थी । १०४६५ निर्वाण काण्ड गाथा - विषय-इतिहास] [२०] कॉल X सेकास सं० १८२७ जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । भाषा संस्कृत । दि० जैन मन्दिर ० १०५ । भाषा प्राकृत नेन सं० २५७ प्राप्ति स्थान दि० Page #1248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवशिष्ट साहित्य ] [ ११८७ १०४६६. प्रतिसं०२। पत्रसं०३ । प्रा० १२४५६ इञ्च । ले० काल सं० १९६२ पासोज बुदी ७। पूर्ण । वेष्टन सं०५३३ । प्राप्ति स्थान—दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । १०४६७. प्रति सं०३। पत्रसं० २-३ । मा० १०३४५ इञ्च । ले०काल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५३४ । प्राप्ति स्थान--दि० जन मान्दर लश्कर जयपुर । १०४६८. प्रति सं० ४ । पत्रसं० ३ । प्रा० १०३४४३ इञ्च । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३६५ । प्राप्ति स्थान -- दि० जन मन्दिर लश्कर जयपुर । १०४६६. प्रति सं० ५। पत्रसं० २५ । पा० १०४५ इच। ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २२। प्राप्ति स्थान- दि. जैन मन्दिर बोरसली कोटा। १०५००. नेमिराजमती शतक-लावण्य समय । पत्रसं० ४ । भाषा-हिन्दी। विषयफुटकर । र०काल सं० १५६४ । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं०५५/६४१ । विशेष - अन्तिम माग निम्न प्रकार है - हम वीर हम वीर इम चलइउ रासी मनि लावण्य समय इमावलि हमवि हर्षे इवासी रे॥ संवत् पनरव उसठि इरे गायउ नामिकुमार । मनि लावण्य समइ इमा बालिइ वरतिउ जय जयकार । इति श्री नेमिनाथ राजगती शतक समाप्त । १०५०१. नेमिराजुल बारहमासा-विनोदीलाल । पत्रसं० २ । प्रा० १०३४४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-वियोग शृगार । र०काल X । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०६४८ 1 प्राप्ति स्थान-भ० दि जैन मन्दिर अजमेर । विशेष - नेमिनाथ द्वारा तोरणद्वार से मह मोड़कर चले जाने एवं दीक्षा धारण कर लेने पर राजुलमती एवं नेमिनाथ का बारहमासा का रोत्रक संवाद रूप वर्णन है। १०५०२. प्रति सं०२। पत्रसं० २। ग्रा० ६x४ इन्च । ले०काल । पूरीं । वेष्टन सं. ३४१ । प्राप्ति स्थान ..-दि० जैन मन्दिर देवलाजा (बुदी) १०५०३. पंच कल्याणक फाग-ज्ञानभुषण। पत्रसं० २-२६ । या०१०१४४१ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय-स्तयन । र०काल ४ । लेकाल x । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४६ | प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १०५०४. पञ्चकल्याणक गीत--X । पत्र सं ।०८४६५ । भाषा-हिन्धी प० । विषय-गीत । र काल ४ । ले०काल x। पूर्ण । वेष्टन सं० ३३६-१३२ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर । १०५०५. पंचवल प्रक पत्र विधान--४ । पत्रसं०१। प्रा० १२३४५६ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-वैदिक । र काल xले फाल । पूणे । वेष्टन सं० २७५ । प्राप्ति स्थान - दि. जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी। विशेष-शिव तांडव से उदत । Page #1249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८५ ] १०५०६. पंचमी शतक पद पत्र सं० १ ० १०२४४३ विषय- विविध र० काल X व०काल सं० १४६१ सावा सुदी १० पूर्ण प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) - विशेष वाला पं० फरेण निखापितं गोगाचदुर्गे गोलाशान्वये पं० बेमराज तस्वपुत्र पं० हरिगरण लिखितं । I १०५०७ पंचम कर्म - X०१६ प्रा० १०३४५ भाषा-संस्कृत विषयसिद्धांत र० काल X ले० काल X। पू । वेन सं० १६३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा | १०५०८. पंच लब्धि - X पत्रसं० ५ प्रा० सिद्धान्त । र०काल X | लेकालX घपूर्ण वेष्टन सं० १०२ टोडारायसिंह (टोंक) १०५०६. पंचेन्द्रिय संवाद - भैय्या भगवतीदास हिन्दी (१) विषय-वाद-विवाद २०काल सं० २०५१ स्थान- दि जैन मन्दिर दवलाना (दी) विशेष – १५२ प है [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग भाषा-संस्कृत। वेष्टन सं०] १८०-१५२ । ११४ ४० इव । भाषा संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नेमिनाथ पत्र सं ० ४ ले०काल X। पूर्ण A ० १०x४३ इन्ध | भाषा - बेन सं० १६१ प्राप्ति ० ९५ इख १०५१०. पंचेन्द्रिय संवाद - यशःकीर्ति सूरि पत्रसं०] १४ भाषाहिन्दी (पद्य) | विषय - पांचों दन्द्रियों का बाद विवाद है । र०काल सं० १८६० चैत सुदी २ । ०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६७ - २५८ । प्राप्ति स्थान दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । १०५११. पज्जुष् कहा ( प्रम्न कथा ) महाकवि सिंह । पत्र सं० १६ । श्रा० १०४४३ । भाषा प्रपश विषय-काव्य १० काल X से० काल सं० १५४८ कार्तिक बुदी १ । वेष्टन सं० १९९ । प्रशस्ति अच्छी है । प्राप्ति स्थान -- दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर | १०५१२ प्रति सं० २ ० १४ ० ११३४४ ह २० काल X से काल X [सं०] १२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर नागदी बूंदी। १०५१३. पद स्थापना विधि- जिनवत्त सूरि । पत्र सं० २। भाषा-संस्कृत विषयविधान | २० काल X : ले०काल सं० १८५७ । पूर्ण । वेष्टन सं० । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १०५१४. पद्मनंदि पंचविशति भाषा - मन्नालाल बिन्दूका पत्रसं० २०६ । श्रा० १३०३ इव भाषा - हिन्दी (पच) विषय प्राचार शास्त्र २० काल सं० १६.५० काल सं० १६३५ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८१ प्राप्ति स्थान- खंडेलवाल दि० जैन मंदिर उदयपुर । १०५१५ परदेशीमतिवोध - ज्ञानचन्द । पत्र सं० २१ । माषा हिन्दी २० काल । ० काल सं० २००६ कार्तिक वदी २ पूर्ण वेष्टन सं० १५५ X दि० जैन पंचागती मंदिर भरतपुर । । । । विशेष-बेराठ महर में लिखवाई थी। विषय - उपदेशात्मक प्राप्ति स्थान Page #1250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रवशिष्ट साहित्य ] | ११८६ १०५१६. परमहंस कथा थोपई प्र० रायमल्ल पत्र० ३०० १५५३ इ भाषा - हिन्दी | विषय - रूपक काव्य । र० काल सं० १६३६ ज्येष्ठ बुदी १३ । ले० काल सं० १७६४ ज्येष्ठ बुदी ११ पूर्ण सं० १०४ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मंदिर विशेष-गुटका प्राकार में है । मेर १०५१७. प्रति सं० २ पत्र सं० २४ | ० १२५ इस से० काल सं० १८४४ कार्तिक प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर बड़ा बीस पंथी दोसा | विशेष – प्रशस्ति में तक्षकपद का वर्णन है। राजा जगन्नाथ के शासन काल में सं० १५३५ में सुदी पूर्ण वेष्टन सं० २ पार्श्वनाथ मंदिर था। ऐसा उल्लेख है। पंडित दयाचंद ने सारोला में ब्रह्मजी शिवसागर जी के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी । १०५१८. पत्य विचार x स्फुट र० काल X ले० का X पूर्ण मिगाथ होड़ापसिंह (टोंक) । पषसं० ६ वेष्टन सं० ० ८४ इन्च भाषा हिन्दी विषय१४९-२७५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर विशेष – बाईस परीषद् पार्श्वपुराण 'भूधर कृत' में से और है । १०५१६. पाकशास्त्र - x । पत्रसं० ५८ था० १०३४५३ इ भाषा-संस्कृत विषयपाकशास्त्र १० काल का सं० १९१६ चैत्र सुदी १ सोमवार पूर्ण वैष्टन सं० १ प्राप्ति | X से । 1 मंद १०५२०. पाकावली X। एत्रसं० २० ग्रा० ११४४ इष्छ। शास्त्र । २० काल X। ले० काल सं० १७५१ फाल्गुण शुक्ला ६ । वेष्टन सं० दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । 0 १०५२१. पाण्डव चन्द्रिका – स्वरूपदास । पत्र [सं०] १२ । हिन्दी (एच) विषय वैदिक साहित्य २० काल X ले० काल सं० १२०३ बेटन सं० ४२२ प्राप्ति स्थानम० दि० जैन मंदिर अजमेर | १०५२३. पुण्यपुरुष नामावलि - X विषय - स्फुट । २० काल X | ले० काल सं० २००१ स्थान- भ० दि० जंन मन्दिर अजमेर । १०५२२. पाण्डवपुराण - X पत्रसं० २४६ ० ११३५ ४ । भाषा-संस्कृत १ | | विषय-पुराण । २० काल x । ले० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ४६ प्राप्ति स्थान - भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | पत्र० ३ मात्र वदि ७ भाषा संस्कृत विषय-पाक ३४१ प्राप्ति स्थान ० १११४५ इंच भाषाकार्तिक सुदी ६ पूर्ण विशेष - पं० देव कृष्ण ने अजयदुर्ग में प्रतिलिपि की थी । ० १०५ पूर्ण वेष्टन च । भाषा-संस्कृत । सं० १२०६ । प्राप्ति 1 १०५२४. पुण्याह मंत्र - X | पत्र से० १ ० ११३४५ इन्च भाषा-संस्कृत विषय। वैदिक साहित्य | र० काल X ले०काल X पूर्ण वेष्टन सं० ४२३ प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | - । प । । १०५२५. पोसहरास—– ज्ञानभूषरण पत्रसं० प्रा० १०४ इछ । भाषा - हिन्दी प० । विषय-कथा काव्य । २० काल x ०काल सं० १८०६ पूर्ण वेग सं० १६४-७२ दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूंगरपुर प्राप्ति स्थान Page #1251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६० ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १०५२६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ५ 1 प्रा० ११:४६ इन्च । ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २५७-१११ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटडियों का एंगरपुर । १०५२७. प्रचूर्ण गाथाना प्रर्थ-४ । पत्रसं० ६० । प्रा. Ex५३ इञ्च । भाषा-प्राकृत विषय-भाषित । र० काल x ले०काल सं० १७९८ । पूर्ण । वेन सं. ३४६-१३२ । प्राप्ति स्थान--दि जैन मन्दिर कोटडियों का डूंगरपुर • १०५२८. प्रज्ञावल्लरीय-X । पत्र सं० २ । प्रा० १.४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत 1 विषयकाय । र० काल ४ । लेकाल X । वेष्टन सं०७३२ । अपूर्ण । सालि स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर (जयपुर) । १०५२६. प्रतिमा बहत्तरी-धानतराय । पत्रसं० ३ । श्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी १०। विषय-स्तवन । र०काल सं० १७८१ । ले०कास । पर्ण । बेष्टन सं० ४१-१५५ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नेमिनाय टोडारायसिंह (टोंक)। विशेष—अन्तिम -- दिल्ली तखत बखत परकास, सशैसे इक्यासी वारा । जेठ सकल जगचन्द उदोत, द्यानत प्रगट्यो प्रतिमा जोत:७१।। १०५३०, प्रत्यान पूलिपूठ-४ । पत्रसं० ५४ । भाषा-प्राकृत । विषय -विविध । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६३३ । प्राप्ति स्थान—दि० जन मन्दिर भरतपुर । १०५३१. प्रबोध चन्द्रिका-बैजल भूपति । पत्रसं० २३ । ग्रा० ११४५६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय व्याकरण 1 २.० काल ४ । लेकालX । पूर्ण । वेष्टन सं० १३१५ । प्राप्ति स्थानम. दिजैन मन्दिर अजमेर। १०५३२. प्रति सं० २ । यत्रसं० २१ । श्रा० ६x६ इञ्च । ले० काल सं० १६४३ फागुण बुदी १ सोमवार । पूर्ण । वेष्टन सं० १२१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर राजमहल टक । १०५३३. प्रति सं०३ । पत्रसं० ३१ । या. ११४५ इन्च । ले: काल X । पूर्ण । वेष्टन मं०४६ । प्राप्ति स्थान-नि: जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, दी। १०५३४. प्रबोध चितामरिण-जयशेखर सूरि। पत्र सं० ४-४० ! या १०१ ४४१ इञ्च । विषय-विविप्न । २० काल x । ले० काल सं. १७२० चैत सदी १२ थपूर्ण । वेहन सं०७१० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर (जयपुर) । १०५३५. प्रशस्ति काशिका-त्रिपाठी बालकृष्ण । पत्रसं० १८ | ग्राः ६.४४ इन्छ । भाषा संस्कृत । विषय -स्फुट लेखन विधि । १० काल X । ले. काल सं० १८४१ बैशान नदी २ । पूर्ण । वेष्टन मं० ७१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान दी। १०५३६. प्रस्तुतालंकार- पत्र सं० ३ । भाषा-संस्कृत । विषय-विविध । र० काल X । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६० । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष—प्रशस्ति में प्रयोग होने वाले अलंकारों का वर्णन है। Page #1252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रवशिष्ट साहित्य ] [ ११६१ १०५३७. प्रस्ताविक श्लोक-X ITसं० १-७ । आ० १०६४५ इञ्च । भाषा-संस्कात । विषय-सुभाषित । र• काल X । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन मं० ७२६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर लश्कर (जयपुर)। १०५३८. प्रतिसं २ । पत्रसं० १-८ । प्रा० १०४५, इन्न । ले० काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ७३० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मन्दिर लक्कर (जयपुर)। १०५३४. प्रतिसं०३। पत्र सं०१-३३ । प्रा०१०१४५ इञ्च । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं.७१ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर लश्कर (जयपुर। विशेष-- कवित्त संग्रह भी है। १०५४० प्रासाद वल्लभ-मंडन । पत्रसं०४०। आ० १३४७ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-शिल्प शास्त्र । र० काल X । लेकाल स० १९५३ । पूर्ण । बेटन सं० २५१ । प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर । अन्तिम-इति श्री सूत्रधारमडनविरचिते बास्तुशास्त्रो प्रासादमंडन साधारण अष्टमोध्याय ।। इति श्री प्रासाद बल्लभ नथ संपू । हूँगरपुर में प्रतिलिपि हई थी। १०५४१. प्रिया प्रकरन-X । पत्र सं०१७-७६ । भाषा-प्राकृत । विषय-विविध । १० काल X । ले. काल मं० १८३८ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५६७ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०५४२. प्रेमपत्रिका वृहा-x। पत्र सं० २ । आ० १.४४३ इञ्च । भाश-हिन्दी। विषय-विविध । र० काल X । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं १३६ । प्राप्ति स्थान-खण्डेलवाल दि. जैन मन्दिर उदयपुर । १०५४३. प्रीतिकर चरित्र-४ । पत्र सं०४८ । पा. १३४७१ इछ । भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र । २७काल सं० १७२१ । ले० काल सं० १९४३ । पूरणं । वेष्टम सं० ५३ । प्राप्ति स्थानदि. जैन पंचायती मन्दिर कामा । ---- - - - १०५४४. फुटकर ग्रन्थ-X । पत्र सं० १ । भाषा-काटी । वेष्टन सं० २१०/६५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-काटी भाषा में कुछ लिखा है 1 लिपि नागरी है। १०५४५. खारग-X । पत्रसं० १५-२१ । प्रा० १.४५ इश्न । भाषा-पाहता विषय-- सिद्धान्त । र काल x ले० काल X । अपुर्ण । वेष्टन सं० १५ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दबलाना (दी)। विशेष-हिन्दी मय टीका सहित है। १०५४६. बराजारा गीत-कुमुदचन्द्र सूरि । पत्रसं० २ । प्रा० ६x४३ इञ्च । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय-रूपक काव्य । र०काल ४ । लेकालX । पूरणं । वेष्टन सं० ६६ । प्राप्तिस्थान-दि जैन मंदिर खण्डेलवाल उदयपुर । Page #1253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६२ ] [प्रन्थ सूची-पंचम भाग १०५४७. बारहमासा-X । पत्रसं० १ । प्रा० १०३४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य) । विषय --घिरह वर्णन । २० काल ४ । से० काल ४ । पूर्ण 1 वेष्टन सं० १० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन वण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । १०५४८. बिहारीदास प्रश्नोतर-४ । पत्रसं० ६ । प्रा० ६४४६ इश्व ! भापा-हिन्दी । विषय-विविध । र० काल X लेखकाल सं० १७६० मंगसिर सुदी ४ । पूर्ण । लेकाल १२४ । प्राप्ति स्थान--- दि जैन मन्दिर भादवा । विशेष—साह दीपचन्द के पठनार्थ प्रतिलिपि हुई थी। १०५४६. ब्रह्म वैवर्त पुराण-४ । पत्रसं० ५५ । प्रा० x ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-वैदिक साहित्य । र० काल-- । लेकाल--X1 पूर्ण । वन सं० २०७ । प्राप्ति स्थानदि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूदी। इति श्री ब्रह्मवर्त पुराणे श्रावण कृष्णपक्षे कामिका नाम महात्म्यं । १०५५०. अह्मसंत्र-x। पत्रसं०७ । प्रा० १०४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-वैदिक साहित्य । र० काल x | ले० काल ४ । पूर्ण । श्रेष्टन सं० १००१ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जैन मन्दिर अजमेर । १०५५१. भक्तामर पूजा विधान श्रीभूषण। पत्रसं० १४ । प्रा०१६x६३ इश्च । भाषा संस्कृत | विषय-पूजा । र० काल X । ले. काल सं० १८६५ फागुण सुदी १ । पूर्ण । वेष्टन सं० ८५ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन मन्दिर पार्श्वनाथ इन्दरगढ़ कोटा। विशेष-भीलवाड़ा में चि० सेवाराम बघेरवाल दुधारा वाले ने पुस्तक उतारी पं० ऋषभदास जी बघेरवाल गोत टोल्यामाले गांव में कोस २० तु गीगिरि में प्रतिलिपि हुई थी। १०५५२. भक्तामर भाषा-हेमराज । पत्रसं० ३६ । प्रा० ११४६१ इञ्च । भाषा-हिन्दी पद्य विषय स्तोत्र । र० काल सं० १७०६ माघ सुदी ५ । ले० काल सं० १८८३ फागुण सुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं०७३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पचायती मन्दिर माना । विशेष-अमीचन्द पाटनी ने प्रतिलिपि की थी । १०५५३. भर्तृहरि-मर्तृहरि । पत्रसं० ५७ । प्रा० १०१४४३इन्ध । भाषा संस्कृत । विषयसुभाषित। २० बालX । ले० काल । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६१ प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर लपकर जयपुर। विशेष-प्रति टिप्पणी सहित है। १०५५५ प्रतिसं० २ । पत्रसं० १३ । प्रा० १.३४५ इञ्च । ले काल । वेष्टन सं . ४६२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । १०५५५. प्रति सं०३ । पत्र सं०७० । आ. १०१४५३ इञ्च । ले०काल सं० १८६७ कार्तिक दी। वेष्टन सं० ४५६ । प्राप्ति स्थान–दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विशेष-लिपिकार चिरंजीव जैकृष्ण। प्रति सटीक है। Page #1254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवशिष्ट साहित्य ] १०५५६. मलेबावनी- विनयमेरु विषय सुभाषित १० का ४ । ले० काल सं० स्थान दि० जैन मंदिर बताना बूंदी | १०५५७. भागवत - X पुत्र ० २० का X ० काल अपूर्ण उदयपुर । [ ११९३ । पत्र सं० ५० १०४ इन्च भाषा - हिन्दी पब) १०६५ मा सुदी ७ पूर्ण वेष्टन सं० २५१ प्राप्ति ० वेष्टन सं० २६३ १०५५८. भगवद् गीता - X | पत्रसं० ६० धर्म | १० काल । ले०का सृ० १७३१ भावना ख़ुदी ६ जैन मंदिर दबलाना (बून्दी) विशेष मोहनदास भागजी में प्रतिलिपि की थी। काट गये हैं। १०५५६. भगवद् गीता - X 1 पत्रसं० ८० प्रा० ५३ ४ ३ ३ इव । ले० काल X। पूर्ण । वेष्टन सं० २०४४ । प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मंदिर अजमेर । विषय-पुराण ३ भाषा-संस्कृत प्राप्ति स्थान संभवनाथ दि० जैन मंदिर १०५६०. भावनासार संग्रह ( चारित्रसार ) - चामुंडराय पत्र० ६ । । भाषा-संस्कृत विषय चारि २० काल x 1 से० काल X पूर्ण वेष्टन सं० २९.४ स्थान- दि० जैन मंदिर दीवागजी कामा । ग्रा० ६३४४ इंच भाषा-संस्कृत विषय - पूर्ण वेष्टनसं० ५३ प्राप्ति स्थान – दि० विशेष-संस्कृत में कठिन शब्दों के धर्व दिये हुए हैं प्रति जी एवं प्राचीन कुछ पत्र हे १०५६२. भाषासूस - भ० जसवन्तसिंह विषय- लक्षण प्रथ र०कात X ले०काल सं० १०५३ मन्दिर लश्कर जयपुर । १०५६१. भावशतक – नागराज । पत्रसं० ३० ॥ श्र० ११४५ इव । भाषा संस्कृत | विषय- श्रृंगार र० काल X । से० काल सं० १०५३ भादवा बुदी १३ । पूर्ण वेष्टन सं० ५६० । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर । - ० ११५ प्राप्ति पचस० ११ भा० ०६०२ ११५ । भाषा - हिन्दी प्राप्ति स्थान दि० जैन १०५६३. भुवनद्वार - X 1 पत्रसं० ६४ - ११६ ० ९x४१ छ । भाषा - हिन्दी । विपयचर्चा | २० काल x । ले० काल x । पूर्ण वेष्टन सं० ७६ प्राप्ति स्थान--- दि० जैन मंदिर बोरसली कोटा । १०५६४. भूधर शतक भूधरदास पत्र० ६ भाषा हिन्दी (पद्य) विषय सुभाषित र० काल X | ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० २०० । प्राप्ति स्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । विशेष १० प है। इसका दूसरा नाम जैन शतक भी है। १०५६५. मृत्यु महोत्सव सवासुख कासलीवाल पत्र० २९ ० १२३० इच भाषा - हिन्दी (पद्म) विषय अध्यात्म २० काल सं० १९१६ ० काल सं० १९४५ पूर्ण वेन सं० ४७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर श्री महावीर बूंदी। Page #1255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११९४ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १०५६६. प्रति सं०२। पत्रसं०११। ग्रा० १२x६५ इञ्च । ले. काल ४ । पुर्ण। बेशन सं०२१ । प्राप्ति स्थान-दि जैन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । १०५६७. प्रति सं०३। लेकात ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४६। प्राप्ति स्थान -दि० जन पंचायती मदिर भरतपुर । १०५६८. प्रतिसं०४ । पत्र सं० १४ । प्रा. ८४६३४ । ले०काल स. १६४८ माघ दुदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर भादवा (राज.) १०५६६. प्रति सं० ५ । पत्र सं० १२ । प्रा० १२४५३ इञ्च । सेन्काल X । पूर्ण । वेष्टन सं. २३ । प्राप्ति स्थान--दि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १०५७०. प्रतिसं० ६ । पत्र सं० ५३ । या० ११४६३ इञ्च । लेकाल सं० १९६५ माघ बुदी ६ । येन सं० ११६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) विशेष-रत्नकरण्ड श्रावकाचार में से है। १०५७१. प्रतिसं० ७ । पत्र सं० २१ । ले माल x । पूर्ण । वेष्टन सं० १६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०५७२. प्रतिसं०८ । पत्रसं० ६ । प्रा० १४x७१ इञ्च । ले. काल सं० १९७६ । पुर्ण । वेष्टन सं. २४ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पार्षनाष चौगान, बूंदी। १०५७३. प्रतिसं० । पत्रसं. ९ । आ० १.४५ इञ्च । ले०काल x । पूर्ण । बेटन सं. ८८ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान, दी। १०५७४, पत्र सं० १० । प्रा० ११४५६ इञ्च । ले०कालX । पूर्ण । वेष्टन सं० २४२ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर पाश्वनाथ चौगान बु'दी। १०५७५. मुत्यु महोत्सव-४ । पत्रसं० २। पा० १२४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषयअध्यात्म । र०काल x लेकालx। पूर्ण । देपन सं०३६३४७१ । प्राप्ति स्थान-दिजैन संभवमाथ मदिर उदयपुर। १०५७६. मृत्यु महोत्सव पाठ---X । पत्रसं० ३ । प्रा. १०४५ इंच । भाषा संस्कृत । विषय-चिन्तन र०काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २०३ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मंदिर पाश्र्वनाथ चौगान, बूंदी। १०५७७. मरणकरहा जयमाल-X । पत्रसं० ३ । आ. ११३४ ४३ इन्न । भाषाहिन्दी । विषय-रूपक काव्य । २०काल X । ले०काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं० १७ । प्राप्ति स्थानग. दि. जैन मन्दिर अजमेर । विशेष--मनरूपी करघा (च) की जयमाल गुण वर्णन किया है। १०५७८ मदान्ध प्रबोध....X । पत्रसं० २६१। भाषा-संस्कृत। विषय-धर्म । १०काल XI काल सं० १६७६ । पूर्ण । न ० ६०० । प्राप्ति स्थान -दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । Page #1256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवशिष्ट साहित्य ] [ ११६५ १०५७६. मनमोरड़ा गीत - हर्षकीर्ति । पत्र सं०१ । ग्रा० १०x४२ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-गीत । र०काल x 1 लेकाल पूर्ण । वेष्टन सं० २२४ । प्राप्ति स्थान-- दिन मन्दिर दबलाना (बूंदी) विष - म्हारा रे मन भोरडा तू तो उडि उडि गिरनार जाई", यह गीत के प्रथम पंक्ति है। १०५८० महादेव पार्वती संवाद-X । पत्रसं० १-२६ । प्रा० १२६x६ इन्च । भाषाहिन्दी (गद्य) । विषय-वैदिक-साहित्य (संवाद)। र०काल ४ ले०काल - । अपूर्ण विष्टन सं० २२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल (टोंक) विशेष --कई रोगों की औषधियों का भी वर्णन है । १०५८१. महा सज्झाय-X । पत्रसं०१।ग्रा० १.४५ इञ्च भाषा-हिन्दी ग०। विषय-विविध । र०काल x ले०काल x । पूर्ण । वेष्टन सं. २०१। प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) विशेष सतित्रों के नाम दियेहैं । १०५८२ मानतुंग मानती धौपई-रूपविजय। पत्रसं० ३१। भाषा-हिन्दी । विषयकथा । र०काल ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६५६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०५८३. मिच्छा मुक्का--- । पत्रसं० १ 1 प्रा० १२४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयधर्म । र०काल X । ले०काल x 1 पूर्ण । वेट्टन स. १८४/४२२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । १०५८४. भौम एकादशी व्याख्यान-पत्र सं० २ । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । र० काल XI ले०काल x। पूर्ण । बेष्टन सं० ७३५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १०५८५. यत्याचार-x) पत्र सं० २। आ० १२४५ इञ्च । भाषा-संस्कुत । विषयमुनि प्राचार धर्म । र० काल X । ने० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० २६६१५५ । प्राप्ति स्थान--- संभवनाथ दि जैन मंदिर उदयपुर । १०५८६ रत्नपरीक्षा - X । पत्र सं० १-३५ । भाषा-संस्कृत 1 विषय-लक्षण मय । २० काल - । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६१४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०५८७. रयासारय चनिका-जयचन्द छाबडा। पत्र सं०७। आ० ११४८ इञ्च । भाषा-राजस्थानी (गद्य) । विषय-प्राचार शास्त्र। र०काल। ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १०२ । प्राप्ति स्थान – भट्टारकीय दि० जैन मंदिर अजमेर । १०५८८. रविवार कथा एवं पूजा-पत्रसं० । प्रा० ११४५६ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । र०काल x ले०काल x | पूर्ण । वेष्टन सं० १६२। प्राप्ति स्थान--दि० जैन मन्दिर राजमहल टोंक। Page #1257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६६ ] [ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग १०५८६. राजुल छत्तीसी–बालमुकन्द । पत्र सं० ८ । भाषा-हिन्दी । विषय-वियोग गार । २० काल X । ले०काल x | पूर्ण । थेष्टन सं० ४६८ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर भरतपुर । १०५६०. राजुल पच्चीसी-X । पत्रसं० ३ । प्रा० ६४५ इञ्च। भाषा-हिन्दी । विषय - वियोग शृगार । र०काल x | ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १४१ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर राजमहल टोंक। १०५६१. राजुल पच्चीसी-४ । पत्र सं० ६ । प्रा०६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी 1 विषयवियोग शुगार । २० काल x ले०काल | पूर्ण । वेष्टन सं०७०-४२ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर कोटड़ियों का डूंगरपुर । विशेष-- निम्न पाठ और है :मुनीश्वर जयमाल भूधरदास कृत तथा चौबीस नीर्थकर स्तुति । । १०५६२. राजुल पत्रिका-सोयकवि । पत्रसं० १। भाषा-हिन्दी । विपय-पत्र-लेखन (फूटकर)। र०काल x ले०काल X । पूर्ण । वेपन सं५६१३९ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभव-- नाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-- प्रारम्भ-- स्वस्ति श्री पगति पाय मामि गढ़ गिरनार सूठायरे मामलिया। लखितु राजुल रंगि वीनती संदेसइ परिणामरे पीयारा ॥१॥ एक बार अवारे मन्दिर मा हरइ जिम तलिय मन हेजरे सामलिया। तुम बिन सूना मन्दिर मालिया सूनी राजुल से'जरे पीयारा ॥२॥ अत्र कुशल ते मुजीना ध्यान की तुम कुशल नित मेव रे समलिया । चरणनी चाकरी चाहुताहरी दरसन दिलवहु देव पीयारा ॥३॥ x अन्तिम वेगीमालरा करी जेवा लही होल भरणे रहि कामरे 1 पारिण नसइ मइ पीउड़ा पातली दोहिलो विरह विरायरे पीवारारे ॥२०॥ माह बदि सातिम दिन इति मंगल लेत लियो लख बोलरे सामलिया। अस सोम कवि सीस साहि प्रीति राजुल मनर ग रोलरे पीयारा ॥२१॥ पूज्याराध्य तुमे प्राणिसरु श्री यदुमति चरणनुरे साभलिया। राजुल पतियां पाठवी प्रेम को गढ गिरनाप सुठामरे पीयारा ॥२२॥ एक बार पावोरे मन्दिर मारे ॥ १०५६३. रामजस- केसराज । पत्र रा ० २५२ । प्रा० १ ० ४ ४९ इञ्च । भाषा-हिन्दी (पद्य)। विषय-विविध । र० काल सं० १९८० पासोज वुदी १३ । ले०काल सं० १८७४ अषाढ सुदी ८ । पूर्ण 1 पेनसं०१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मंदिर दबलाना दी। विशेष- इसका नाम रामरस भी दिया है । अंतिम-श्री राम रसोधिकारे संपूर्ण । Page #1258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अशिष्ट साहित्य ] [ ११६७ १०५६४. रावण परस्त्री सेयन व्यसन कथा--X । पत्रसं० २४ । आ० ११.४६ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । '२० काल X ले०काल X । थपूर्णः । वेपन सं. ३२०/१३। प्रा स्थान—दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष .. १५७ श्लोषों से आगे नहीं है । १०५६५. रूपकमाला घालाबोध-रत्तरंगोपाध्याय । पत्रसं० १०। प्रा. १० x ४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-विविध । २०काल x ले०काम सं. १६५१ । पूर्ण । वेष्टन सं०७३४ । प्राप्ति स्थान-म० दि० जन मन्दिर अजमेर । विशेष सं० १६५१ वर्षे थावरण बुदी ११ दिने गुरुवारे श्री मुलताणमध्ये ५० थी र गवर्द्धन गरिरावराणां शिष्य पं. थिरउजम्स शिष्येण लिखितो जालावबोध । १०५६६. लधियस्त्रय टीका-अभयचन्द्र सूरि । पत्रसं० २६ । प्रा० १४ x ५३ च । भाषा- ।। षिय- व्याकरण । र०काल ५ । लेकाल x | पूर्ण । वेष्टन संच १६६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १०५६७. लधुक्षेत्र समास वृत्ति- रत्नशेखर । पत्रसं० २६ । प्रा० १०३४४३ इञ्च। भाषासंस्कृत । विषय-लोक विज्ञान । र०काल x लेकाल x पुणे । श्रेष्टन सं. १०६ । प्राप्ति स्थानवि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । १०५६८. लब्धिसार भाषा-पं० टोडरमल । पपसं० १५ । पा०१५-७ इञ्च । भाषाहिन्दी (गच) | विषय-सिद्धांत । २० काल X मे०काल X| अपूर्ण । वेषुन सं० २१८ । प्राप्ति स्थानदि. जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । १०५88. लीलावती...भास्कराचार्य । पत्र सं. २१ । मा ११४५ इश्च । भाषा-संस्कृत। तिष-गरिगत। २० काल x। ले०काल । पुर्ण । वेटन सं० १०७ । प्राप्ति स्थान दिन मन्दिर लश्कर जयपुर । १०६००. प्रतिसं० २। पत्रसं०१० । आ० १०.४५६ इञ्च । ले०काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं०१८ । प्राप्ति स्थान-उपरोक्त मन्दिर । विशेष-१० से आगे के पत्र नहीं हैं। १०६०१ लीलावती- x पत्रसं० ३३ । प्रा० x ४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष-गणित । र०काल X । ले० काल x पूर्ण । वेष्टन सं०८४ । प्राप्ति स्थान--भ० दिन मन्दिर अजमेर । १०६०२. लीलावती-x। पर सं० २० । श्रा०६x ५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । यिन्यज्योतिष-गरिणत । र०काल X । लेकाल। अपूर्ण । वैद्यन सं० ४७३ । प्राप्ति स्थान--दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । १०६०३. लीलाक्ती-X । पत्रसं० ६७ । प्रा. १०३-४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष-गणित । र०काल X । लेकालX । अपूर्ण । वेटन सं० २३४ । प्राप्ति स्थान- दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगढ़ (कोटा) Page #1259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६८ ] [अन्य सूची-पंचम भाग १०६०४. लीलावती भाषा-लालचन्द सूरि । पत्रसं० २८ । प्रा० ११४५३ इन्छ । भाषाहिन्दी (पद्य) । विषय-ज्योतिष-गणित । र०काल सं० १७३६ अषाढ बूदी५ । ले०काल सं०१९०१ पुणे । वेष्टन सं० ६३ । प्राप्ति स्थान-दि० जन प्रोटा मन्दिर (बयाना) विशेष-प्रथ का भादि अन्त भाग निम्न प्रकार हैप्रारम्भ शोभित सिन्दूर पूर गज सीस लीका। नूर एक सुन्दर विराज भाल चन्द जु सूर कोरि कर जोरि अभिमान दूरि छोरि प्रणमत जाके पर पंकज अनन्दन । गौरीपूत सेवै गोउ मन बित्यो, पार्य रिद्धि सि सिद्धि होत है प्रखंष्टजू । विधन निवार संत लोक कूसुधार ऐसे गणपति देव जय जय सुखकंदजू ।।१।। वोहा गणपति देव मनाय के सुमरि बात सुरसति भाषा लीलावती करू' चतुर सुरणो इक चित्त ।।२।। थी भास्कराचार्य कृत संस्कृत भाषा सप्तसती ।। लीलावती नाम इस कपरि सिद्ध ॥३॥ अन्तिम पाठ संपुरण लीलावती भाषा में भल रीति । जयु कीधि जिणदिन मुई तिको कहै धरि प्रीति ।। सतरासं छत्तीस समै वदि अषाढ बस्लान । पात्रम तिथि बुधवार दिन अथ संपरा जान ।। गुरु मा पाउरासी गच्छ गच्छ खरतर सुवदीत । महिमंडल मोटा मनुष्य पूरी कर प्रतीत ।।११।। गछनायक गुणवंत अनि प्रकट पुन्य अंकूर । सोभागी सुन्दर बरण श्री जिनचंद सुरिंद ॥१२॥ सेवग तासु सोभागनिधि खेम साख मुखकार । शांति हर्ष वाचक भन्यो अस सोभाग्य अपार ।।१३।। शिष्य तास सुविनीत मति लालचन्द इण नाम । गुरु प्रसाद कीबो भली प्रथ भण्या अभिराम ।।१४।। भला शास्त्र यद्यगि भला तो परिण चित्त उल्टास । गणित शास्त्र भूरि अन्ति लगि कीयो विशेष अभ्यास ॥१५॥ बीकानेर बाटो सहर चिहु दिस में प्रसिद्ध । घरघर कचन घन प्रबल घरघर ऋद्धि समद्धि ॥१६॥ Page #1260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपशिष्ट साहित्य ] [ ११६६ घरघर शुन्दर नारि सुन झिमिग कंचन देह । फोकल ग्रंका कामनी नित नित बंछती नेह ।।१७।। गढमद मिदर देहरा देखत हरषत नैन । कवि प्रौपम ऐसी कहै स्वर्ण लोग मनु ऐन ।।१८।। राज तिहां राजा बडो श्री अनोपसिंह भूप। राष्ट्रवंश नृए करण सुत सुन्दर रूप अनूप ।।१९।। इलामें गौ माता काट: लघुत्रय में विद्याभणी कियो शास्त्र अभ्यास |॥२०॥ सप्तसती लीलावती भरणी बहुकीय अभ्यास । लालचन्द सू' विनय करि कीच असी अरदास ॥२१॥ भाषा लीलावती करौ मथ सुगम ज्यु होइ । देस देश में विस्तर भणी चतुर मह कोह ।। नथ सातसै सात टहरायो करि ठीक । मूल शास्त्र जिनरी कियो कह्यो न मच अलीक ।।२२।। इति लीलावती भाषा लालबन्द सूरि कृत संपूर्ण । संवत् १९०१ मिती असाढ बुदी ११ मंगलवारे लिखतं श्रावग पाटणी उकार नलपुर मध्ये निमी छ । श्रावग उदासी सोगारणी वासी जैपुर भाई के नन्दराम बाननार्थ । श्रावक गोत्र बाकलीवाल मूलाजी कनीराम वीरचन्द लिखाय दीदी ।। १०६०५. लीलावती टीका-देवज्ञराम कृष्ण । परसं० १४८ 1 या. १०४४३ इञ्च ] भाषा-संस्कृत । बिषय-ज्योतिष, गणित । र. काल X । लेकाल सं०१८३७ अषाढ खुदी ४ । पूर्गा 1 वेष्टनपं० १२५ । प्राप्ति स्थान-म दि० जैन मन्दिर अजमेर । विशेष-सवाई जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। १०६०६. प्रतिसं० २ । पत्रसं० १०६ । प्रा० ६४४ इञ्च 1 से काल सं० १६०६ (शक सं०) । पर्गा । धन सं० १९८ । प्राप्ति स्थान-दि जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर । विशेष-इति श्री नृसिंह देवज्ञात्मज लक्ष्मण दैवज्ञ सुत सिद्धांत वि० देवा रामकृष्णेन विरचित लीलावती वृत्ति । १०६०७. लेख पद्धति-X । पत्र सं० ७ । प्रा० ११३४४ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषयविविध । २० कालX । ले०काल x पूर्ण । वेष्टन सं० १३६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसखो कोटा। विशेष-पत्र लेखन विधि दी हुई है । १०६०८ वृन्द विनोद सतसई---वृन्दकवि । पत्रसं० ४८ । प्रा०११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी. (पा) । विषय-शृंगार रस । र०काय X । लेकालX1 पुर्शा । वेष्टन सं० १७३ । प्राप्ति स्थानदि जेन मन्दिर गमन (क) 30 Page #1261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२०० ] [ अन्य सूची-पंचम भाग १०६०६- वृषभदेव गौत- ब्रह्ममोहन । पत्रस २ । भाषा-हिन्दी । विषय-पद । र०काला ले० काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६६/४७८ प्राप्ति स्थान--दि जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष--अविम पाठ निम्न प्रकार है वारि धारि विधान हारे संसार सागर तारीणी पुनि धर्मभूषण पद पंकज प्रणामी करिमोहन ब्रह्मचारिणी १०६१०, बज उत्पत्ति वर्णन-X । पत्र सं० ३ । भाषा-संस्कृत । विषय-विविध । र०काल X| लेकाला वेष्टन सं० ६१५ । पूर्ण बेष्टन ६१५ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर। १०६११. वज्रसूची (उपनिषत)-श्रीधराचार्य । पत्र सं० ४ प्रा. ११४४ इच्च । भाष-संन्नात ! विषय-वैदिक शास्त्र) । राल । लेवाल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ४१६:५०६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन संभवनाथ मंदिर उदयपुर । १०६१२. वरुण प्रतिष्ठा-X1 पत्र सं०१६ । ग्रा.१०x४ इन्च । भाषा-संस्कत । विषयविधान । लेकाल सं० १८२४ कार्तिक बुदी ८ । पूर्ण । वेष्टन सं. ११०५ प्राप्ति स्थान-भदि० जन मन्दिर अजमेर. 1 १०६१३. वाकवार पिड कथा-४ । पत्रसं० २१ । प्रा०६४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विपय-कया। र० काल ४ । लेकाल x / पूर्ण । वेष्टन सं० ९६७ 1 प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर अजमेर । १०६१४. बाजनेय संहिता-४ । पत्र सं० १ से १७ । भाषा-संस्कृत । विषय-प्राचार शारत्र । २०काल x ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं०७५१। प्राप्ति स्थान --दि जैन पंजायती मंदिर भरतपुर । १०६१५. वाजनेय संहिता--X । पत्रसं० ३०६ । भाषा-संस्कृत । विषय-प्राचार-शास्त्र । र०काल X । लेकाल सं० १६४६ । अपूर्ण : वेष्टन सं०७०-७०१ । प्राप्ति स्थान--दि० जन पंचायती मन्दिर भरतपुर । विशेष--बीच २ के बहुत से पत्र नहीं है । १०६१६. वाच्छा कल्प-X। पत्ररां० २५ । ०६:४३ इच । भाषा-संस्कृत । विषय-वैदिक साहित्य । २०काल X । लेकालX पूर्ण । वेपन सं० १०४५ । प्राप्ति स्थान-भ. दि० जन मन्दिर अजमेर । १०६१७. वास्तुराज-राजसिंह । पत्रसं० ४७ । प्रा० ८ ६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयवास्तु शास्त्र । र०काल X । ले०काल सं० १९५३ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४४६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर कोटडियों का दंगरपुर । अन्तिम-इति श्री थास्तु शास्त्रे वास्तुराज सूत्रधार राजसिंह विरचिते शिखर प्रमाण फथनं नाम दशमेध्याय || संवत् १६५.३ वर्षे भुगमास सुदी १५ एवौ लिखितं दशोरा ब्राह्मण ज्ञाति व्यास पुषोत्तमे हस्ताक्षर नग्न डूंगरपुर मध्ये। Page #1262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रवशिष्ट साहित्य ] [ १२०१ १०६१८. वास्तु स्थापन--X । पत्रसं० १८ । प्रा. EXY इच। भाषा-संस्कृत । विषयवास्तु शास्त्र । र०काल' X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन २२८३८६ प्राप्ति स्थान-दि० जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । १०६१६. वास्तु शास्त्र-XI 4 पत्र सं० १-१७ । प्रा० २६४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-वास्तु शास्त्र । २० काल X । से०कात । प्रपूर्ण । वेष्टन सं० ७४५ । प्राप्सि स्पान-दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । १०६२०. जिजामा क्षेत्रपाल गीन- नेमिनाम ! प्रत्रसं० १ । प्रा. १२४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । र काल X। ले-काल । पूर्ण । बेट्नसं० ३६७:४७५ । प्राप्ति स्थानदि० जन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-अन्तिन-- नित नित मावि बचावणा चन्द्रनाथ ना भुवन मझार रे । धवल मंगल गाइया गोरडी तहां वरत्यो जय जयकार रे ।। इरिण परि भगति भली करों जिम विधन तण दुख नासि रे । इति नरेन्द्र कीरति चरणे नमी इम बोलि . नेमिदास रे । १०६२१. विवग्ध मुलमंडन-धर्मदास । पत्रसं० २२ । प्रा० ११४५ इन्च । भाषा-संस्कृति । विषय-काव्य । र०कास ४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन मं० १२२१ । प्राप्ति स्थान-म० दिन मन्दिर अजमेर । विशेष-प्रति टया टीका सहित है। १०६२२. प्रतिसं० २१ पत्रसं० ५ । प्रा० ६x४३ इञ्च । ले०काल ४ । पूर्ण । बेष्टन सं. ११७ । प्राप्तिस्थान-भ० दिन मन्दिर अजमेर 1 १०६२३. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० १३ । से० काल सं० १७४० जेष्ठ सुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान-भ. दि. जैन मन्दिर अजमेर । १०६२४. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० ४२ । आ. Ex४३ इञ्च । लेकाल सं० १८०० पोष बुदी ८। पूर्ण । वेष्टन सं० १४२६ । प्राप्ति स्थान--म० दि० जन मन्दिर अजमेर । १०६२५॥ विवध मुखमंडन टोका-विनय सागर । पत्र सं० १०८ मा १.४४ इञ्च । भाषा-सस्कृत । विषय-काव्य । २०काल X । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० २२४ 1 प्राप्ति स्थानभ० दिन मन्दिर अजमेर । विशेष--टीका काल अक* रसराकेश वर्षः तेजपुरे वरें। मार्ग शुक्ल तृतीयायां खावेषा विनिर्मिता ।। इति खरतरागच्छालंकार श्री जिनहर्ष सूरि तत् शिष्य श्री विनयसागरमुनि विरचितायां विदग्ध मुखमंडनालंकारटोकायां शब्दार्थमंदाकिन्यां महेलादि प्रदर्शको नाम चतुर्थोध्याय । Page #1263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२०२ ] [ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग १०६२६. जनपथ पत्र सं० १०२ । ० ११३७३ इन्च | भाषा - हिन्दी गद्य । विषय- सुभाषित | र०काल सं० १६३६ मात्र सुदी ५ | ले०काल सं० १९६७ पीप सुदी ५। पूरणे। नेन म० ४६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ टोडारायसिंह (टोंक) १०६२७. वीतराग देव चैत्यालय शोमा वर्णन - x | पत्रसं० ६ | श्रा० १२०५ इञ्च । भाषा - हिन्दी गद्य विषय- चैन्य बंदना | र०काल x | ले काल x । पूर्ण वेष्टन सं० ४६६ । प्राप्ति स्थान – दि० न संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । विशेष-म० सवगज की गांधी। १०६२८. वेलि काम विडम्बना- समयसुन्दर पत्रसं० १ ० ६६x४ भाषा - हिन्दी । र० काल ४ । ले काल । मपू । विषय- वेलि । बेन सं० ७१७ | प्राप्ति स्थानदि० जैन मन्दिर लपकर जयपुर । १०६२६. वैराग्य शांति पर्व (महाभारत) - x विशेष - वनारसीदास कृत चितामरिण पार्श्वनाथ भजन भी है। "चितामणिसांचा सालि मेरा" ० २ १४ । प्रा० ६४५ इ । भाषा संस्कृत | विषय - वैदिक शास्त्र । र० काल x । ले०काल सं० १९०५ अनुगं । बेन स० २३३ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मंदिर दबलाना (बूंदी)। विशेष--लिखी तंतु वाडशी कृष्णापुर नंदगांव मध्ये १०६३०. श्रृंगार बैराग्य तरंगिणी - सोमप्रमाचार्य । पत्रसं० ६ ॥ भा० १२३४५६४ । भाषा-संस्कृत | विषय - सुभाषित । २० काल x | ले-काल X 1 पूर्ण वेष्टन सं० १०२ । प्राप्तिस्थान- दि० जैन पंचायती मंदिर करौली । विशेष - ४७ श्लोक है। अकबराबाद में ऋषि बालचंद्र ने प्रतिलिपि की थी। १०६३१. शंकर पार्वती संवाद - X पत्र० ७ ० १०x४३ इन्च भाषा–संस्कृत । विषय – समाद | २० काल X | ले०काल सं० १९३० । पूर्ण । येष्टन सं० २०१ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक) । १०६३२. शतरंज खेलने को विधि - पत्र सं० ७ । भाषा - हिन्दी-संस्कृत । विषय- विविध । २० काल X | ले० काल x अपूर्ण वेष्टन सं० ७०० प्राप्ति स्थान - दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । 1 विशेष - ४ पत्र नहीं हैं । ७१ दाव दिये हुए हैं। हाथी, घोड़ा, ऊंट, प्यादा श्रादि का प्रमाण दिया हुआ है । १०६३३. शत्रुंजय तीर्थ महात्म्य - घनेश्वर सूरि । पत्रसं० २ २३८ । भाषा-संस्कृत । विषय - इतिहास - शत्रु जय तीर्थ का वर्णन है । र०काल Xx | ले० काल X अपूर्ण वेष्टन सं० ४ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन तेरहपंथी मंदिर बसवा । १०६३४. शब्द मेव प्रकाश - विषय – कोष | २० काल X | ले० काल सं० भ० दि० जैन मन्दिर अजमेर | पत्र सं० १७ । ० ११x४ ६६ । भाषा - संस्कृत | १६२६ जेष्ठ सुदी १ । पूर्ण वेष्ठन सं० २८८ । प्राप्ति स्थान विशेष-मडलाचार्य धर्मचन्द्र के शिष्य नेमिचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी। Page #1264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवशिष्ट साहित्य ] -:-: १७६३५. शब्दानुशासन-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं०७ । प्रा. १०१४४३ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय ..व्याकरण । र० काल X । लेकाल। अपूर्ण । वेष्टन सं० १.१३ प्राप्ति स्थान - म.दि जैन मन्दिर अजमेर । १०६३६. प्रतिसं० २ । पत्र सं० ५६ । प्रा० १३४५६ इञ्च । ले०काल सं० १५१४ । पूर्ण । वेष्टन सं० ४२८ । प्राप्ति स्थान-भदि जन मन्दिर अजमेर ! प्रति सटीक है। विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवा १५१४ वर्षे ज्येष्ठ सुदी ३ गुरिदिने पुनर्वसुनभयं वृद्धियोगी श्री हितार पे रोजापत्तने तत्र नन्यविजयपुर मृग्श्रामगधी बहलोल सार राज्य प्रवत्त मान श्री काष्ठाम में माधुरान्वये पुप्पगरणे भट्टारक श्रीहेमकीतिदेयास्तत्प? भट्टारक श्री कमल कीनियेवाः तस्य गुरु माता मुनि श्री धर्मचन्द्रदेवारतच्छिष्य श्री प्रभाचन्द्र देवः तस्य शिष्यो मुनि श्री शुभचन्द्र देवः थी धर्मचन्द्र; शियिणी क्षानिकापुप्यश्री नस्या गिष्यगी क्षांतिकाज्ञानश्री मनातवंगजातसाधु उद्धरा पुत्रः पं० मीहासंशः । एतेषांमध्ये प्रमोनबंध । वणल गोत्रं परम नायक साधु भूननामा तस्य भार्या विनयसरस्वती साधु मीघाजी नामी तयो पुत्राश्चस्वारः प्रथम पुत्र चतुधिदानबितरण कल्पवृक्षः माधु छानसंज्ञस्तत् मार्या साधुरणी पोलहणती तयो पुचिरंजीबी लुग्गाभिधः शिनीय पुत्र साधु राजुनामा। तद्भार्या साघुनी लुणी नाम्नी । तृतीय पुत्र साधुदेवाक्ष्यः तस्य भार्या साधुनी जीन्हाही । चतुर्थ पुत्र साधु सेवराज तस्य मार्या मोहणही। एतेषांमध्ये परम श्रात्रफेन साधु छाजुनाम्ना इमं प्राकृन बृत्ति पुस्तकं निज द्रव्येण लिखाप्य पंडित श्री मेधावि संशाय प्रदत्त निजशानावरणकमक्षयाय शुभम् मुनषक पाटकयोः । १०६३७. शारङ्गधर संहिता-वामोदर । पत्र सं० ३१५ । प्रा. ६x४ च । भाषासंस्कृत । विषय - आयुर्वेद । र० काल X । ले०काल सं० १६०७ बैशाख गुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन सं०४४ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मंदिर राजमहल (टोंक )। विशेष- लाल कृष्ण मिश्र ने कानी में प्रतिलिपि की थी। १०६३८. शील विषये वीर सेन कथा-X । पप सं० ११ । प्रा० ६.x४ इन्च । भाषासंस्कृत । विषम-काया । लेकास ४ । पूर्ण । येन सं० १८ । प्राप्ति स्थान —दि० जैन मंदिर बलाना (बूदी) । १०६३९. श्रमण सूत्र भाषा-४ । पत्र मं०७। मा० १.४७६ इञ्च । भाषा--हिन्दी। विषय-सिद्धांत । र० काल X । ले०काल ४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १० । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बोरसनी कोटा। १०६४०. षट कर्म वर्णन-४ ।पत्र सं०१०। प्रा० ११४५ इच। भाषा-संस्कृत। विषय-वदिक शास्त्र । १० काल x | लेकाल X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३५८ । प्राप्ति स्थान—दि. जैन मन्दिर अजमेर भण्डार । १०६४१. भुतपंचमी कथा-धनपाल । पत्र में० ४४ । प्रा० १०३४३ इन्च । भाषाअपभ्रश | विषय-कथा । र० काल x 1 लेककाल सं० १५०१ फागुण सुदी ५। पूर्ण । वेष्टन सं०६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन तेरहपंथीम दिर दौसा। विशेष-लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है । संवत् १५०१ वर्षे फाल्गुन सुदी ५। शुक दिने तिजारा Page #1265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२०४ ] [ प्रन्प सूची-पंचम भाग नगर वास्तव्य थी मूलसंथे मायुरान्वये पुष्करगणे श्री सहसकीर्ति देवाः तत्प? श्री गुणफीति देवा: तत्प? थी यशः कीनि देवाः तत्पट्ट प्रतिष्टाचार्य श्री मलयकीति देवा: नेपामाम्नाय । १०६४२. संख्या शब्द साधिका--X । पत्र सं. २ । पा० १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-गगिन । र० काय ४ । नेककारुन सं. : प्र म - मन्दिर लएकर जयपुर। १०६४३, संकल्प शास्त्र-x । पत्र सं० १२ । प्रा० १०x४३ च । भाषा-संस्कृत। विषय-वैदिक साहित्य | रकाल x 1 मे.काल x I पूर्ण । बेन सं० ११०४ । प्राप्ति स्थानभः दि जैन मंदिर अजमेर । १०६४४. संध्या बंदना-। पत्र सं०४ | मा ४२१ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयवैदिक साहित्य । २० काल x । ले०काल सं० १९२६ । पूर्ण । बेटन सं० १०१८। प्राप्ति F म. दि० जन मन्दिर अजमेर । १०६४५. सज्जनश्चित वल्लभ-मल्लिषेण । पत्र सं०६। प्रा० १०४४३ इन। भाषासंस्कृत | विषय-रामापित । र०काल x ले०काल ४ । पुर्ण । बटन सं० २४२ । प्राप्ति स्थानदि जैन मन्दिर दयलाना (दी)। विशेष-मुल के नीने हिन्दी में अर्थ दिया है । किन्तु गुजराती मिश्रित हिन्दी है । १०६४६. सत्तरी कम प्रन्य-XI पत्र सं० २६ । भाषा-प्राकात । विषय-सिवान्त । २० काल ४ । लेकाल: । मपूरणं । वेपन सं० ६३२ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पंचावती मंदिर भरतपुर । १०६४७. सत्तरिरूपठाण-पत्र मं० २ मे १२ । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धांत । र०काल x। लेकालX । अपूर्ण । बटन सं० ६४२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १०६४८ समाचारो-पथ मं० ३९-८३ । भाषा-संस्कृात । विषय-विविध । र काल ४ । ने०काल म० १८२७ । अपूर्ण । वेष्टन सं० ५२६ । प्राप्ति स्थान --दि. जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर । १०६४६. प्रति सं० २ । पत्र सं० ११३ । ले०काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० ६२५ । प्राप्तिस्थान- दि जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १०६५०. सर्वरसी--X । पत्र स० ३९ । प्रा० ६४६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषयसंप्रह। र०काल x 1 ले०काल ४। पूर्ण । वेष्टन सं० २६६ । प्राप्ति स्थान--दिजैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी बूथी। १०६५१. सर्वार्थसिद्धि भाषा-जयचन्द छाबड़ा । पत्रसं० २६२ । मा०१४, ४७१ इञ्च । भा-राजस्थानी (दशाये गध)। विषय-सिद्धान्त । ०काल सं० १८६५ चैत सुदी५ । ले० काल सं. १९३२ । पूर्ण । वेधन सं० १३१ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन छोटा मन्दिर बयाना। १०६५२. साठि-x | पत्र सं० १२ । मा० १.१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयज्योतिष । २० काल ४ । ले० काल सं० १८११ चैत बुदी १० । पूर्ण । वेष्टन सं० २०२ । प्राप्ति स्थानदि. जैन मन्दिर इन्दरगढ़ । विशेष-रूपचन्द ने लिखा था। Page #1266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवशिष्ट साहित्य ] [ १२०५ १०६५५. सामुद्रिक शास्त्र-४ । ५५सं० १६ | प्रा०x४ इञ्च । भाषा-संस्कृप्त । विषय-लक्षरण ग्रन्थ । २० काल x | ले. काल x । अपूर्ण । बेएन सं० १८१ । प्राप्ति स्यान-दि. जैन पार्श्वनाथ मन्दिर चौगान दी। १०६५४. सामुद्रिक शास्त्र-x । पत्रसं० १७ । प्रा० १.४४३ इच। भाषा-लक्षरणग्नय । र काल । ले. कान म: १५८६ । पूर्ण । वेष्टन सं० २११ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर चौगान ब्रूदी। विशेष-जनाचार्य कृत है । १०६५५. सामुद्रिक शास्त्र--- । पत्रसं० १० । प्रा. १४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत्त । विषय-लक्षण ग्रन्थ । र० काल X । ले कारन X । पूर्ण । वेष्टन सं० १३१ । प्राप्लि स्थान--दिक जेन मन्दिर प्रादिनाथ बदी। १०६५६. सामुद्रिक शास्त्र-x | पत्र सं २०। भाषा-हिन्दी। विषय-नक्षमा प्राय । २० काल x । ले० काल सं० १८६९ वैपाग्य बदी ७॥ पूर्ण । वेष्टन सं० २० । प्राप्ति स्थान-दि जैन पंचायती मन्दिर दीवानजी, भरतपुर । १०६५७. सामुद्रिक शास्त्र (स्त्री पुरुष लक्षण)-x। पत्र सं. ४ | भा० १०४४ च । भाषा-संस्कृत । विषय - सामुद्रिक शास्त्र । २० काल ४ ले० काल ४ । वेष्टन सं० १४०। प्राप्ति स्थान दि. जैन मन्दिर वारा। १०६५८. सामुद्रिक शास्त्र (स्त्री पुरुष लक्षण)-४ । पत्र सं० ३६ । प्रा० ८४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय - सामुद्रिक (नक्षमा सत्य) । २० काल X I ले० काल स. १८५० काती सुदी ७ । पूर्ण । वेष्टन सं० १६४ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मदिर राजमहल टोंक । विशेष-तक्षकपुर में प्रतिलिपि हुई थी। १०६५ रूप लक्षण-x । पत्रसं० १६ । प्रा.x५ इञ्च 1 भाषा-संस्कृतहिन्दी 1 विषय-सामुद्रिक 1 २० काल X । ले० काल सं० १७९२ भादबा सुदी ४ । पूर्ण । वेष्टन मं० १४१३ । प्राप्ति स्थान--म० दिन मन्दिर अजमेर । विशेष- इस प्रति की जोबनेर में पंडित प्रवर टोडरमल जी के पटनार्थ लिपि की गई थी। १०६६०. सार संग्रह- महावीराचार्य । पत्र सं० ५१ । प्रा० ११४५६ इस । भाषा-संस्कृत । विषय -गणित । र० काल X 1 ले. काल सं० १९०६ । वेष्टन सं० १०६ । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर लमफर (जयपुर)। विशेष-- महाराजा राममिह के राज्य में लिखा गया था । इसका दूसरा नाम मरिणतमार संग्रह है। १०६६५. सारस्वत प्रक्रिया--परिवाजकाचार्य । पत्रसं० १२ । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । र०कान x। ले०काल x अपूरणं । वेष्टन सं०६८/५८.। प्राप्ति स्यान-दि. जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । Page #1267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२०६ ] [प्रन्थ सूची-पंचम माग १०६६२. सिद्धचक्र पूजा-शुभचन्द्र। पत्र सं० १०८ । भाषा-संस्कृत | विषय -स्तोत्र । २० काल ४ । ले०काल x। मपूर्ण । वेष्टन सं० ५६/३१४ । प्राप्ति स्थान--दि० जना मन्दिर संभवनाथ उदयपुर। विशेष- इसका नाम सिद्ध यंत्र स्तवन भी दिया है । १०६६३. सुदृष्टितरगिनी भाषा-टेकचन्द । पत्र सं० ४२६ । प्रा० १४२४७ इन्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-मुभाषित । २० काल मं० १९३८ सावण सुदी ११ । ले. काल सं० १९०७ बंषास्त्र सूदी १४ । पूर्ण । वेष्टन सं० १७४ । प्राप्ति स्थान-दि० जन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-सवाई जयपुर में ब्राह्मण जमनालाल ने वि. सदासुखजी तथा पं० चिमनलाल जी बूदी वालों के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। प्रधानथ १६२२२ पंडितजी की प्रशस्ति: प्राचार्य हपंकीर्ति-मं० १६०७ प्राचार्य श्री हरिकीतिजी संवत् १६६६ के साल टोडा में हमा, ज्यांकी वान छत्री हाल मौजुद । रयाक शिष्य रामकीति, तशिप्य भवनकीति, टेकचंद, पेमराज, सुखराम, पघकोत्ति दोदगज पंडित हए । तशिष्य छाजूराम, ततशिष्य पं.दयाचंद, नाशिष्य ऋषभदागत.शि. सेवाराम, द्वितीयगरसीदास, तृतीय साहिबराम एतेषां मध्ये पं. इंगरसीदास के शिष्य सदासुन शिवलाल मणिग्य रतनलाल, देवालाल मध्ये वृहत् शिष्येन लिपीकृता । पं. चिमनलाल पठनार्थ । मा हश्रा बू'दी के खेडे पंडित शिवलाल। बाग बरणाया तसि जिनने तलाब ऊपर न्यारा । सब दुनिया में शोभा जिनकी रूपया देव उभाग। जिनका शिप्य रसनलाल पौत्र नेमीचंद प्यारा॥ संवत् १६०७ के मई ग्रंथ लिखाया सारा । जाग दुकाना कटला का दरवाजा बणाया नागदी माई ।। १०६६४, प्रतिसं०२। पत्र सं० ५२४ । प्रा. ११४ च । ने.काल सं० १९६८ । पूर्ण। वेष्टन सं०८० । प्राप्ति स्थान --दि० जैन मंदिर पायर्वनाथ इन्चरगत । विशेष- ईमरलाल पांदवाड ने प्रतिनिपि' की थी। १०६६५. सूक्तावली-४ । पत्र सं० १-५५ । प्रा. १०x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृन । विषयशुमापित । २० काल x ले० कान X । बेष्टन सं०७२१ । प्रपूणे । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लश्कर जयपुर। १०६६६. सूयं सहस्रनाम- - । पत्र सं० ११ । पा. ७१४३३ इच। भाषा-संस्मत । विषय-स्तोत्र । र० काल ४ । ले०काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ११०७ । प्राप्ति स्थान-भ० दि० जन मंदिर प्रजमेर 1 विशेष-मविष्य पुगरा में से है। Page #1268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रवशिष्ट माणिय ]. .::. ::: :...... .... : [ १२०७ १०६६७. स्तोत्र पूजा संग्रह-४ । पत्र सं०२ मे ४१ । मा. ११४५६ इच। भाषाहिन्दी पद्य । विग-पूजा स्तोत्र । २० काल x ! ले०कास मं० १८४७ । थपूर्ण । बेष्टन सं० ५० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी दी। विशेष-प्रारम्भ का केवल एक पत्र नहीं है । १०६६८ स्थरावली चरित्र-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं० १२७ । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । १० काल x 1 ले०काल सं० १८७६ जेठ सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५८६ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १०६६६ प्रतिसं०२। पत्र सं० २ से १५० । ले०काल ४ । अपूर्ण । बेपन सं० ५६६ | प्राप्ति स्थान-द. जैन पंचायती मंदिर भरतपुर । १०६७०. हिण्डोर का दोहा-४ । पत्र सं० १ । प्रा० १०.४५ इश्च । भाषा-हिन्दी। विषय - गुटप.र । २० काल X । ले. काल ४ । पूर्ण । येष्टन सं० ८१८ | प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर लपकर जयपुर । 11 समाप्त। Page #1269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका अकारादि स्वर ग्रंथ नाम लेखक , भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या प्रकल के चरित्र हि. ३१४ ' अक्षर बावनी--दौलतराम हि० १०५४ अकलक निकल क चौपई-भ.विजयकीति अक्षर बावनी-द्यानतराय हि०१७, १९१९ अक्षर वाला अकलंक यति रास---. जयकीति हि० ११४४ अक्षर माता-मनराम अकलकाष्टक-ग्रकलकदेव सं. ७०९ प्रगलदसक कथा- जयशेखर सूरि सं० ४२१ ११२४, ११४० । अग्रवालों के १५ गोत्र हि. ९७७ अकलंकाष्टक भाषा जयचन्द छाबड़ा हि ७०६ अजितनाथ रास- जिनदास हि. ६३०,११४७ अकलकाष्टक भाषा सदासुख कासलीवाल हि ५०६ अजिमणांना प्रकलंक देव स्तोत्र भाषा-चंपालाल बागडिया . अजित शांति स्तबन-मन्दिरा प्रा० ७१० हि ७१ : अजित शांति स्तवन -- सं० ७१० प्रकृत्रिम चैत्यालय जयमाल-भया मगवतीदास अजिन शांति स्तवन-मेरूनंदन हि० १०३६ हि० ७७७ अकृत्रिम चैत्यालय पूजा-चैनसुख हि० ७७७ । अजीर्ण मंजरी-न्या मत खां हि० ५७३ यकृत्रिय चैत्यालय पूजा--मल्लिसागर सं० ७७७ अजीर्ण मंबरी-वंद्य पद्मनाभ हि. १०७७ अकृत्रिम चैत्यालय पूजा लालजीत हि०७७६, ७७८ प्रहाई का रासा-विनयकीति हि० १११६ अकृत्रिम त्यालय पूजा हि० १००२ प्रधाईस मूलगुरु रास-ब्र जिगदास हि. ११०७ अकृत्रिम चैत्यालय विनती लक्ष्मण हि० ११४५ अठारह नाता–प्रचलकीनि हि. १०७३, १०७८, १०७९ प्रकृत्रिम चैत्यालय विनती सं० ११६६ अठारह नासा कथा हि० १००५ अक्षय नवमी कथा सं० ४२६ अठारह नाते की कथा प्रा० १०२६ अक्षय दशमी कथा-ललितकीति सं० ४७६ अठारह नाते की कथा-कमलकीत हि १०५३, अक्षय दशमी पूजा सं० ७७८ अक्षय निधि दशमी कथा सं. १६५ अठारह नाते की कथा-देवालाल हि ४२१, अक्षर बत्तीसो अठारह नाते की कथा श्रीवंत स. ४२१ अशर बत्तीसी-भैया भगवतीदास प्रारह नाता का गील-शुभचन्द्र हि० ११७३ अक्षर बावनी अठारह नाता का चौढाल्याहि १०५६ अशर बावनी हि० १०६१ अठारह नाता का बौढ़ाल्या-सोहट हि. ४२६, अक्षर बावनी-मबीरदास १०,६८११.६२ अक्षर बावनी-केशवदास हि. ६८१ अठारह पुराणों को नामावली हि० ११३४० अक्षर बावनी हि ६८१ | अट्ठोत्तरी स्तोत्र विधि हि० ७१. Page #1270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२१० । । ग्रंथानुक्रमणिका १९७२ ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या । नय नाम खेखक भाषा पत्र संख्या पढ़ाई ढाप पूजा सं०७:८ यनत जिन पूजा : पं. जिनदास सं०७० अढ़ाई द्रोप पूजा जासूराम हि , अनः पूजा : न शान्तिदास हि० ११७० घढाई द्वीप पूजा भ. शुभचन्द्र स , अनन्तनाथ कथा - सं०६५ प्रकाई द्वीप पूजा लालजीत हि ७६ | अनन्तनाथ पूजा : • शान्तिदास हि. १९२६ अढ़ाई बीप मंडुल ६२५ । अनन्तनाथ पूजा : श्रीभूषण अढाई द्वीप मकल रचना .. . रामचन्द्र हि. . अतिचार वर्णन हि९.,१०१४ सं० ७८१ अथर्ववेद प्रकरण अनन्तनाथ पूजा मंडल विधान : गुणचन्द्राचार्य अध्यात्म कल्पद म मुनि सुन्दर सूरि सं० अनंतम्रत कथा सं० ७५१ प्रध्यात्म तरंगिणी प्रा. सोमदेव सं १८० अनन्त पूजा विधानप्राध्यात्म पैडी बनारसीदास हि० १०११ अनन्त यत पूजा हि० १०१७ अध्यात्म बत्तोसी : मुनि ज्ञानसागर . ४२२ बनारसीदास हिं० ६६६ | १०७३ १०७४ हि० १४१ १० जिनदास हि. ११४३ अध्यात्म बारहखड़ी : दौलतराम कासलीयाल : भ. पद्मनन्दि सं० ४२१, हि० - १८० ४३४ १०१ :पथ तसागर सं०४३४ अध्यात्म बावनी : ललित कीति सं० ४७८ अध्यात्म रामायण - सं १८१ हि. ४५४ अध्यात्मोपनिषद : हेमचन्द्र : सं० १८० : हरिकृष्ण पाण्डे हि० ४३३ अनन्त व्रत कथा पूजा : ललितकीति सं० अध्यारमोपयोगिनी स्तुति : महिमाप्रमसूरि : अनन्त व्रत पूजा : पाण्डे धर्मदास स. ७८२ सेवाराम साह हि०७२ मनगार धर्मामृत : पं० माशापर : सं. स० हि० ७५२ अनंगरंग : कल्याणमल्ल स. ७३ अनन्तकथा : जिनसागर : अनन्त व्रत पूजा उद्यापन : म. सकलकीर्ति अनन्तचतुर्दशोकथा : भैरुदास हि०६६१ अनन्त व्रत पूजा : व. शांतिदास सं ११४३ मनन्तचतुर्दशी व्रतकथा : खुशालचंद " : शुभबन्द्र सं० १००७ हि. ४२१ : : सेवाराम हि ८५० मनन्तचौदश कथा : ज्ञानसागर हि० १११७ अनन्त व्रत पूजा विधान भाषा-हि. ७८३ मनन्त चतुर्दशी पूजा : श्री भूषणयति : भनन्त व्रत विधान : शान्तिदास हि० ७८३ अनन्त व्रत राम - हि० ११६४ " , शान्तिदास सं०७७१ :ब्र० जिनदास हि० ११५७, अनन्त चतुदर्शी व्रतपूजा : विश्वभूषण हि. ७५० ७१ ११२३ र ७७६ Page #1271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] ग्रंथनाम लेखक अनन्तदत रास जिनसेन अनन्तश्नोवान नारायण पूजा अनाथी पनि सभाम ا. अनादि स्तोत्र अनाश्य कर्मनुपादान प्रनिट कारिका अनित्य पंचाशत: त्रिभुवनचन्द भनित्य पचासिका अनित्य पंचासिका त्रिभुवनचन्द भाषा पत्र संख्या ग्रंथ नाम ११६६ १७८३ श्रनित्य पच्चीसी : भगवतीदास अनिरुद्धहरण जयसागर — 21 अनेकार्य मंजरी जिनदास क्रि० मं० figo मं० प्रा० म हि fgo हि अनुप्रेक्षा ध अनुप्रेक्षा योगदेव अनुप्रासह अनुभव प्रकाश दीपचन्द कासलीवाल हि प्रfo अनुयोगद्वार सूत्र प्राकृत अनेकार्थध्वनि मंजरी पक सं० - fro हि० प्रनिरुद्धहरण (उपहार) रत्नभूषण सूरि हि fige ༄༠ ६७४ १५१ हि० अनेकार्थं नाममाला भ० हर्षकीति स० 11 हिο हिο सं० अनेकार्य शब्द मंजरी अनेकार्थसंग्रह हे पराज पराजित 'थ (गौरी महेश्वाबार्ता) सं० अपराजित मंत्र साधनिका अपामार्जन लोग सं० सं० "1 ११६८, ४२३, ४२४. བྷ॰ सं० " ६६७ १०२४ ११७३ ५१० ० १०४१ ११५१. १००१ १०५१ १८१ १ १३१ ५३१ ر लेखक परमद नाशी धनु दाखल सवन भयकुमार कथा प्रभिधानसारसंग्रह अभिनन्दन गीत अभिषेक पाठ अभिषेक पूजा विनोदीलाल अभिषेक विधि अमरकोश अमरकोश: श्रमसह अभयकुमार प्रध श्रभयपातरी बात अभिधान चितामरिण नाममाला हेमचन्द्राचार्य ― .. ५३१ |पर्थ संदृष्टि ५३२ । अल प्रवचन - X ५३३ ५१० ४२४ ७११ अरिष्टव्यस्य धनपति ७११ । प्ररिहंतों के गुण वर्णन अमृतमंजरी काशीराज : अमृतसागर सवाई प्रतापसिंह : [ १२११ ४२२ : धमदत मित्रानंद राम्रो १०६० अमरविधि भ्रमरुक शतक अमितगति श्रावकाचार भाषा मागचन्द हि०प० सं हिο 7 भाषा पत्र संख्या १०७६ १०६१ प्रा० सं० घरहंत केवली पाशापरिष्टध्याय fze fgo हि• हि० हिन् ५३२ ५३३ ६७८ ७८३, ७.४ हिο ७८४ सं ७८४ सं० १०७१ ५३३ सं० ५३४, ५३५, १०८२ जयकीति हि • ६३० हि० ९६६ सं० ૪ सं० ६० ५७३ ५०, ५७४ १८५ धर्मपुर निन्दा निर्णय X प्रकाशिका - सदासुख कासलीवाल राज गद्य १७ १ सं० हि सं० ४२४ ४२५ ६६२ हि० हि मं 20 सं० *** प्रा० १०००, १११५५४१. १९३ सं० १११७ हिन् ११३० Page #1272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२१२ ] [ ग्रंथानुक्रमणिका . पंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या , अंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या अलंकारचन्द्रिका : ग्रापय दीक्षित सं० ५६३ अटालिन का पूजा : सकल कीनि सं० ७८४ अलंकार सबंया : कूबलाजी हि १०१५ | मष्टाहिनका पूजा : शुभचन्द्र सं०७८५ अवधू परीक्षा (अध वानुभक्षा) हि०१०८९ तोापन : शोभाचन्य' सं० ७८४ प्रवधूल साहि. ७५ अवन्तिकुमार रास : जिनहर्ष हि०१ ७ | " , उद्यापन : शुभचन्द्र सं० ७६५ अवती मुकुमाल स्वाध्याय : पं. जिनहर्ष ४२५ __" " - सुमतिसागर ७८५ अध्ययार्थअश्व चिकित्सा ११६१ गद्यानतराय ७८५, अशोकरोहिणी कथा ८८१ अष्टक: पद्मनन्दि संहि० ७८६ अष्टकर्मचूर उद्यापन पूजा इनका रास. अष्टकम चौपई : रत्न भूषण , सुखसागर हि० १०७१ प्रष्ट कर्म प्रकृति वर्णन- मष्टाहिनका वन कथा - मं० ४२५, ४२६ अष्ट कर्म बंध विधान : भ• शुभचन्द्र ४२५,४२६ प्रष्ट हुन्छ महा अर्ध 4. ज्ञानसागर अष्ट प्रकारी पूजा हि. प्रष्ट प्रकारी पूजा जयमाला--- भ० सुरेन्दकीति अष्ट प्रकारी देव पूजा सं० ४३४ प्रष्ट पाहुष्ट : कुन्दकुन्दाचार्य सोम कीर्ति सं० १८३, ६६४,६६५ अष्टाहिन का प्रतोद्यापन पूजा:पं. नेमिचन्द्र प्रष्ट पाहुद्ध भाषा हि. १०५२ अष्ट पाहड भाषाः जयचन्द छाबड़ा राज० १८ अष्टालिनका व्याख्यान: हृदय रंग स० प्रष्टोत्तरीदशा करण- स. प्रष्ट सहस्त्रती : प्रा० विधानन्दि सं. २४८ अष्टोत्तरी शतक भगवतीदास हि. प्रष्ट सहस्थी (टिप्पण)-- यसभाय नियुक्ति - प्रा. अष्टापद गीत ६७८ असउभाय विधि अष्टावक्र कथा टीका : विश्वेश्वर सं. असिउभाय कुल ७११ अष्टांग सम्यक्त्व कथा :ब्र.जिनदास असोदू का शकुन ६४४ हि. ४२५ अहर्गणविधि ५४१ अष्टाहिनका कथा : विश्वभूषण हि. १६१ ११२३ अहिंसा धर्म महात्म्य अष्टाहिनका रास : विनय कौति द्वि० १६१,११२३ अकफल अष्ट्राहिनका पूजा हि ७, | अ अक बत्तीसी : चन्द ६८१ १०६३, १९१८ । अकरारोपण ४२६ ५४१ १६४ Page #1273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] [ १२१३ सं. ar ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | पंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या अकरारोपण विधि सं. प्रागम विलास : धानतराम हि० ६५८ अंकुरारोपण विधि : प्राशाधर ७५० श्राचार शास्त्र प्रा० १००० ७८६ प्राचार सार वनिका : पन्नालाल चौधरी अंगपष्णत्ती अगविद्या याचारांग मूत्रवृत्ति प्रा. अंग सार्शन . -- अचार्य गुण वर्णन - सं. १ नजना चरित्र सुवनकीर्ति ३१४ प्राचार्यादि गुण वर्णन - हि. १०१२ अजपा रास :- हि मजितजिन पुराण : पण्डिताचार्य अरुणमरिण प्रजना सुन्दरी चपई : पुण्यसागर डि. ३१४ मं० २६४ जना सु-दरी मतानो रान पाठ प्रकार पूजा कथानक- प्रा० ७८६ अन्त कुन दशांग दृत्ति भावंद श्रावक संधि : श्रीसार हि० ७११ अन्तगह दसायो - प्रा० २ भारदा हि० १०५८ प्रतर दशा घर्णन - स. ५४१ | प्रारदा : महानंद EX अन्तरिक्ष पाश्यनाथ स्वयन : भावविजय वाचक पान्दमणिका कल्प : मानन्ग हि. ७१५ प्रात्मपटल हि. ११४६ __ -- लावण्य' समय प्रात्मप्रकाश प्रात्माराम हि०५७४ हि०७१५ | प्रात्मप्रबोध सं. १०१२ अतरीक्ष पाश्वनाथ छंद : भावविजय हि० ११५५ | आत्मप्रबोध : कुमार कवि सं० १८१,१८४ अंबरचरित्र प्रारमरक्षामंत्र अंबिका रास हि० ६२३ | प्रात्मशिष्याणि : मोहनदास हि १०१५ प्रषिकासार : द्र० जिणास हि ११३८ प्रात्मसंबोध प्रकार शुद्धि विधान ; देवेन्द्र कान्ति श्रात्मानुशासन : गुणभद्राचार्य सं० प्रारमानुशासन टीका : पं० प्रभाचन्द्र प्राकाश पंचमी कथा : घासीदास हि ११२३ सं० १८४,१८५ : ब्रह्म जिनदास हि० ११०७ | यात्मानुशासन भाषा- हि. १८५ व ज्ञानसागर 4. टोडरमल हि. १८५, १८६, १८७, १८, १५१ : ललितकीति प्रात्मानुशासन माषा टोका सं० हि. १८५ सं० ४७६,४८० पारमावलोकन : दीपचन्द कासलीवाल : हरिकृष्ण पाण्डे हि. १८६,६५७ ४३३ श्रात्मावलोकन स्तोत्र : दीपचन्द हि. १९७३ आंख के १३ दोष वर्णन - हि. ५७४ अदिजिनस्तवन : कल्याण सागर हि. प्रख्यात प्रक्रिया : अनुभूतिस्वरूपाचार्य आदित्यजिन पूजा: केश बसेन सं. ७८३ ५११ : भ. देवेन्द्रकीर्ति प्रागमसारोद्धार : देवीचन्द ७८६ १६४ Page #1274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ थानुक्रमणिका १२१४ ] प्रथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या , ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र सख्या मादित्य व्रत कथा :पांडे जिनदास हि ११६३ . आदिनाय चरित्र 1 5 . महति सागर ; ग्रास्त्रिाय जम्माभिरेक . प्रा. १०२६ हि. ११६३ ' यादिनाथ के दस भव आदित्यवत पूजा सं. ७५७ आदिनाथ देशनावार प्रा० ११७३ आदित्यनत रास सिक ११३७ प्रादिनाथ फागु : भ शानभूषण हि प्रादित्यवार कथा-- हि. ४२७ आदिनाथ मंगल : नयनसुख हि ०११ ९५५, ६६१, ६६५, १०७४ | । रुपचन्द हि १९०८ ! प्रादिनाथ की वीनती : किशोर ४५ मादित्यवार कथा : अपना प्रा. ११४६ मादित्यबार कथा : अर्जुन हि. आदिनाथ विनती। ज्ञानभूषण १८४ :पंगगावास हि. ४२७ / प्रादिनाथ विनसी : सुमतिकीति ब नेमिदत्त हि ४२ प्रादिनाथ स्तवन हि० ११६८, : भाऊ हि० ४२८,१०१८, । '। प्रादिनाथ स्तवन : सेमचन्द हि. १८१ ११४८, ११३१, ९७३, १४४, १६८, । | प्रादिनाथ स्तवन- पासचन्द सूरि हि. १५५ १०६०, १०१२, १०४१, १०४२,' यादिनाथ स्तवन-मेहउ हि० ७१२ १०४४, १०४१, १०५६, १०६२, प्रादिनाथ स्तबन : सुमतिकीति सं० १७४ १.८३, १०५६, १११४, ११६८, प्रादिनाथ स्तुति : अचलकीति हि १०६७ १०७४, १.७५, ग्रादित्यवार कथा : भानुकोति हि० १११८, पादिनाथ स्तुति : कुमुदचन्द्र हि ४५ आदिनाथ स्तुति : विनोढीलाल हि० १०६८ १०२८, ११५७, ११६८, : मनोहरदास हि. १०७३ आदिनाथ स्तोत्र हि. ११२५ : महीचन्द सं० १९६४, प्रादिपुराण : ० जिनदास राज० २६७ : विनोदीलाल दि. १०७६ आदिपुराण : पुष्पदन्त अपभ्रश २६६ : मु. सकल कीति हि. ९५८ ! यादि पुराण : भ० सालकीति स. २६६,२६७ : सुरेन्द्रकीर्ति हि० ४२६, | आदि पुराण भाषा : पं दौलतराम कासलीवाल १०७३, १०७४, १०७८, १०४६ ग्रादित्यवाथा संग्रह २६८, २६६, २७० मादित्यवार पूजा व कथा- स.हि. १६१ । प्रादि पुराण महात्म्यमादित्यवारनी वेल कथा हि ११६४ | यादि पुराण रास : ० जिनदास हि० ६३१ आदित्यवार यतोद्यापन पूजा : जयसागर । प्रादिसप्त स्मरण fee६५६ सं. ७८६ | प्रादीश्वर विवाहलो : धीरचन्द हि० ११३२ आदित्य हृदय स्तोत्र सं०७११, । ग्रानन्द रास १०१७,१०५२ आनन्द लहरी : शंकराचार्य प्राधिनाथ गीत हि. १०२६ प्राप्त परीक्षा : विद्यानन्दि सं० २४८ Page #1275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] ग्रंथ नाम लेखक श्रास मीमांसा : आ० समन्तभद्र प्राप्त-मीमांशा माथा जयचन्द छाबड़ा राज० प्राप्तस्वरूप विचार आयुर्वेद ग्रन्थ आयुर्वेि प्रायुर्वेद के गृहखे- आयुर्वेद महोदधि: सुखदेव युर्वेदिक शास्त्र ाना " सं० ५७४ हि० ५७४ ५७५ मं० २७५ हि० ५७५ ६५३ ६५६, २५७, ६०, १०९३, १११५, १११६, १११६ आलोचना : ५७५ | श्रालोचना गीत : शुभचन्द्र ५७५ | १२ ७१२ ४२६ ४३० ४३० ४३० ४३० ४३० ४३० 24 आराधना अरावना कथा कोश आराधना वख्तावरसिंह रतनलाल हि० आराधना " ब्र० नेमिद सं० सं० आराधना चतुष्पदी धर्मसागर प्रारावना पंजिका देवकोति आराधना प्रतिबोधसार भाषा पत्र सख्या ग्रंथ नाम लेखक सं २४८ २४९ १५५ आराधनामार विमलकीलि घावनासार सकलकीर्ति श्राराधनामार टीकापं जिनदास गंगवाल सं० आराधना श्रत सागर सं० 21 अराधना हरिषेण धाराधना सार कथा प्रबंध : प्रभाचन्द सं ० हिο = F सं० हिन् श्राराधनासार - आराधनासार आराधनासार : श्रमितिगलि श्राराधनासार देवसेन हि सं० सं० सं० हिन् आराधना प्रतिबोवसार विमलकीति हि० आराधना प्रतिबोधसार सकलकी ति २४६, १५० २५० १११० १०२४ | £? | माराधनामार टीका नदिगरिए नासा भाषा लीबन्द हि० श्राराधनासार भाषा टीका- - प्रा० हि० श्राराधनासार वचनिका : पन्नालाल चौधरी हि अनसूत्र सोमसूरि आलाप पद्धति देवसेन # | पालोचना पाठ आलोचना विधि [ १२१५ भाषा पत्र संख्या हिन् ६६१ १०२६ हिο ६२ ६३ [सं० २५०, २५१ १६.०२, १००६ वि० सं० १६६ हि० ६५२ श्रीलोचना जयमाल : ० जिनदास हिन् १८६ Rose १८६ ११३६ ३ हिο — याद-भूतरास ज्ञानसागर : आसपाल छंद : माहारदर्शन प्रा० ६१, ६७७ ६८३, १०८८ श्राहार पचवाण सं० श्रावश्यक सूत्र : ० आवश्यक सूत्र निपुंक्ति ज्ञान विभवसूरि सं० साथ विभंगी प्रfo थाश्रव त्रिभंगी : नेमिचन्द्राचार्य प्रा० | प्रशावर ज्योतिस्थ प्रशाधर मं० पाठी पूर्णिमा फल : श्री अनुपाचार्य सं० बाढ़ भूलनी चौपईबाद भूति प्रमालि STTO सं० सं० आपाढभूत धमाल - हि० हि० ९१ २५१ भाषाभूति मुनिका सोढाया: कनकसोम ११६४, ११३८ हि० ६५० सं० १२५११४२ पं० हिन् fg. हि fro ६२ १२ ६२ ६२ fge हिन् अफ प्रा० ३ ११४२ इ ५४९ १११६ ११६७ ६८१ १०२० १०१३ ६३१ १०२५ १०८० ७१२ Page #1276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२१६ ] लेखक पंथ नाम प्रासादना कोदा : प्रासपाल छंद मौकार की दोपई भैया भगवतीदाय कार बचनिका श्रौषधियों के नुस् पौषधि-विधि पौषभ सप भाषा सं० fre हि० हि० सं० हिο कावन सूत्र : इक्कीस ठाणा प्रकरण : नेमिचन्द्रवायें: " इंद्रनन्दिनीतिसार इन्द्रनन्दि इन्द्रमदोत्सव इन्द्रलक्षण : इन्द्रिय नाटक इन्द्रियविवरण: इश्वरी : कवि हेम इष्ट इसीसी इष्ट छत्तीसी : बुधजन इष्ट विभावनी : रघुनाथ इष्टोपदेश: पूज्यपाद हिο हि fig. を懇 हिव इकवीस विधिपूजाइतिहास सार समुच्चयं लालदास हि० इन्द्रजाल विद्या : हिन् इन्द्रध्वज पूजा भ० विश्वभूषण सं० सं ० इष्टोपदेश भाषा: ईश्वर शिक्षा : ईश्वर का सृष्टिकर्तृत्व न सफर भाष्य : जयन्त भट्ट उत्पत्ति गीत प्रारू पत्र संख्या पत्र संख्या मं० हि प्रा० इलायची कुमार रास ज्ञान सागर हि० इश्क चिमन महाराज कुंवर सिंह सं० fge fge figo हि ६३ १०२५ o १०७७ ६२० ܝ ܟܕ ५७५ ११६१ ६३ ४ ७८४ १०१४ ૪૪ ७८७ ७६७ ६८२ ६.३ Ref ६६५ १६६ ग्रंथ नाम बेलक उत्पत्ति महादेव नारायण - उत्तम चरित्र उत्तरपुराण गुणभद्राचार्य उत्तर पुराण: पुष्प-दन्त उत्तर पुराण सकलकति रामायण ६०३ १२० ६३१ : सं० सं० १९७३ हिन् ११४२ उत्तर पुराण भाषा उत्तर प्रकृतिवन : उत्तरध्ययन टीका : हि हिο ११०३ ह्रि० ९३,६६९ हिन् १०४३ सं०] १३,१२० | ११५४,११७३ १००१ १०२४ २५१ [ चानुक्रमणिका : . उत्तराध्ययन सूत्र - प्रा० उत्तराध्ययन सूत्र शालाक्योष टीका प्रा० सं० उत्सव पत्रिका : हिन् निरूपण ह्रि उदर गीत छीन हिο उद्धार कोश दक्षिणामूर्ति सुनि सं उन्तीस भावना : हि० / उपकरणानि एवं घटिका वर्णन : हिन् उपदेश पस्चीमी रामदास उपदेश बत्तीसी राजकवि : उपदेश बावनी : किशनदास उपदेश बीसी : रामचन्द्र ऋषि उपदेश महला उपदेश भासा धर्मदास गरिण उपदेश रत्नमाला- उपदेश रत्नमाला : धर्मदास गरि प्रा० उपदेश रत्नमाला . सकल भूषण सं० : हि०. उपदेश बेलि पं० गोविन्द उपदेश तक दागतराय हि उपदेश सिद्धान्त रत्नमाला भागचन्द्र उपदेश श्लोक : उपदेश सिद्धान्त रलमाना हिο उपदेश सिद्धान्त रत्नमाला : नेमिचद्र भण्डारी प्रा० स० मावा पत्र संख्या हि ११०२ ३१५ f50 स० [२७०,२७१ अमश २७२ २७२ २७२ २७३, २७४, १०५२ २७४ स० वाचन्द ि पन्नालाल हिं० हिο प्रा० सं० ㄨ हि ६५१ १०६७ ५.३५. १०२४ १११५ fro Exa, Ene हि fro १११८ हिन् ६८२ EXE ६५६ ૧૭ हिं० प्रto प्रा० २६०.१०६६ ६५,११७४ ६.४, १५ १११० १०११, १०४३ १५.९६,११७४ शि० १०२६ ११७४ ६५ Page #1277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | नथ नाम लेखक उपदेशसिद्धान्तरस्नमाला-पाण्डे लालचन्द एकीभाव स्तोत्र - भूधरवास भाषा पत्र संख्या हि० ७१४, - 10 ७५ MK हि Risexi उपचान, विधि स्तवन-साधकीति हि०१०६१ । एकीभात स्तोत्र-वादिराज सं. ७१३, उपसर्ग वृत्ति सं०५११ ७ ७१,७७२,७७५,१०२२,१०८२,१०८३ उपसर्गहर स्तोत्र प्रा० ७१२ । एकीभाव स्तोत्र टीका सं. ७१४ उपसर्गहर स्तोत्र सं०७१२,६५३ । एकीभाव स्तोत्र भाषा हि०७१४,१६१ ६८० ११२५ उपाधि प्रकरण सं. २५१ । एकीभाव स्तोत्र भाषा-हीरानन्द हि १०१३ उपासकाचार-पवनन्दि सं० १९४ | का | एकीभाव स्तोत्र वृत्ति-नागचन्द्र मूरि उपासकाचार - पूज्यपाद सं० ऋतुचर्या-वागभट्ट प्रा० उपार का दशांग २७५ सं० ऋतु संहार-कालिदारा उपासकाध्ययन-प्रभावन्द्र ११३७ ३१५ ऋखि नवकार मंत्र स्तोत्र सं० ७१४ उपासकाध्ययन-विमा श्रीमाल ऋषभदेवगीत-राम कृष्ण पभदेय स्तवन जपासकाध्ययन टिप्पण ऋपमदेव स्तवन-रतसिंह मुनि उपासकाध्ययन विवरण ऋषभनाथ विनती १०१६ उपसकाध्ययन श्रावकाचार--श्रीपाल हि० ऋषिदत्ता चोपई-मेघराज उपासकाध्ययन सूत्र भाषा टीका--प्रा. हि. ऋषि पंचमी उद्यापन उचाई सूत्र प्रा. अकृषि मंडल जाप्य एकपरिट प्रकरण. प्रा० ऋषि मंडल जान्य विधि एकसौ अडतालीस प्रकृति का ब्यौरा सं० | अपि मंडल पूजा सं ८८२ एकसौ पाटोत्तर नाम १०८४, ११३६, ११४५ एकाक्षरी छंद 'ऋषि मडल पूजा-गुरगनन्दि हि० ७८७,६६ एकाक्षरी नाममाला सं०५३५ अपि मंडल पूजा- शुभचन्द्र सं. ७८७ एकाक्षर नाम मालिका : विश्व भ्र स. ५३५.५३६ ऋषि मंडल पूजा-विद्याभूषण सं. ७८७ एक.क्षर नामा | ऋषि मंडल भाषा-दौलत प्रौसेरी हि ७८८ एकादशी महात्म्य. सं० ४३७.४३१ ऋषि मंडल महात्म्य कथा सं० ४३१ एकादशी व्रत कथा ऋषि मंडल यंत्र सं० ६२४,७८८ एकादशी स्तुति--गुरपहर्ष ऋषि मंडल स्तवन सं० ७८८ एकावली कथा एकावली कथा-ललित कीति ४७६ ऋषि मंडल स्तोत्र सं०७७३ एकावली व्रतकथा विमलकीति सं० ४७६ ६५२,१०१८,१०४४.१०६५,१०,११२२,११२६ एकीभाव स्तोत्र : वादिराज सं०६५३ | ऋषि मंडल स्तोत्र-गौतम स्वामी सं० ४८,७१४ ६६६, १०११,११२० । ७१५,११२४ ___sxxi - -- - .. प्रा. Page #1278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२१८ ] ग्रंथ नाम कक्का मनराम कक्मा बसीसी लेखक कक्का वीनती कवा राज वधावन -41 क कथाकोण-चन्द्र कीनि कथाको दिन ८१, ११५, ११३२. ११५१ १०३६ १०२० कथाकोश-भारामल्ल कथाकोश मु० रामचन्द्र कथाकोश - तसागर कथाकोश - हरिषेण कथाकोश भष कंजिका तोटाचन नतिकीति सं० कठियार कानडरी चौ-मानसागर हि मृत पुराण - भ० विजयकीर्ति हि कथा संग्रह कथा संग्रह कथा संग्रह - विजयकीति कथा संग्रह - जयकीर्ति कमकमल जयमाल कमलचन्द्रायण व्रतोद्यापन कमलामती का सफाय कम्मण विधि - रतन सूरि कर्मचिताध्याय हि० १०६८ ११०४, ११०५ हिन् ९६२, कर्मचूर उद्यापन कर्म छत्तीसी बनारसीदास कर्मदहन पूजा हि Fig. हि सं० पत्र संख्या | पंथ नाम हि० हि० सं० fão सं० सं. सं० " हि० ४३३ स० [४३३, ४३४ प्रा० हि ० fire हिο सं० १११२ १९५४ स० ४३१.२०१ २७४, Prox ४३१ ४३२ Yax १०-१ १०२७ ७८६ १११४ १०६१ १११७ ७८ हिन् ६४१ प्रा० ८६७ १४८, १११, ११३९, ११६६ " 19 11 लेखक कर्मदन उद्यापन विश्वभूषण कर्मदहन उद्यापन पूजा— कचन्द्र कर्मदहन उद्यापन पूजा - शुभचन्द्र कर्मदहन उद्यापन पूजा विधान फर्मध्वज पूजा कर्मनिर्जरा [ प्रयानुक्रमणिका — कर्म निर्जरणी चतुर्दशी विधान ர் कर्म प्रकृति हिन् Fig. ००२ सं कथा अमितकीति सं० ४७९, Yeo ७६२ €€= १०५० २१३ कमों की प्रकृतियां fgo कर्मप्रकृति नेमिचन्द्राचार्य प्रा० कर्मको १४ प्रकृतियां हिन् कर्म प्रकृति टीका - अभयचन्द्राचार्य सं कर्म प्रकृति टीकाम सुमतिकीर्ति एवं ज्ञान भूषण सं० ८ विजया बनारसीदास हि० कर्म प्रकृति वर्णन कर्म प्रकृति विधान कर्म विपाक - बनारसीदास कर्म विपाक कर्म विपाक कर्म विपाक सूर्याव कर्म विपाक कथा हरिकृष्णा — भाषा पत्रसंख्या सं० ७८१ हि० ७८६,७६० वीरसिह देव म० सफलफीति कर्म सिद्धान्त मां कर्मस्तव स्तोत्र कर्म होना हकीति ०७६०, ७६१ ७६२ सं० हि० डि हिο २१३ हि० प १०१५ सं ५७५ हि• fro fr प्रा० कर्म विपाक चौपई कर्म विपाक भाषा कर्म विपाक सूत्र कर्म विपाक सूत्र --- देवेन्द्र सूरि कर्म विपाक सूत्र पोवई कर्म विपाक रास हिन् कर्म विपाक रास - जिनदास हि० प्रा० हि प्रा ६,६६० ११४० प्रा० हिο ७ ܐ ५ 5 ११११ ४३० ११३८ વ १० ६३२ ११३७ १० १०२३ १०५० Page #1279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] [ १२१६ ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | मथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या करकण्टु चरित्र--- मुनि कनका मर अप० ३१५ । कल्यास मन्दिर सं०७१८,७१९ करकण्ठ चरित्र - म शुभचन्द्र सं० ३१५ | कल्याण मन्दिर स्तोत्र भाषा हि १०४४ करकण्टनोरास- जिनदास ६३२ करुणाष्टक - पद्मनन्दि सं० ७१६ । कल्याण मन्दिर स्तोत्र भाषा-प्रसयराज श्रीमाल कल्पद्र म कलिका सं० ११७६ कल्पलता टीका-समयसुन्दर उपाध्याय कल्याण मन्दिर स्तोत्रवचनिका-१० मोहनलाल कल्पसूत्र- भद्रवाह स्थामा प्रा० 'कल्याण मन्दिर वृत्ति-देवतिलक स. ७२० कल्पसूत्र बखाण हि० ११७६ कल्याण मन्दिर वृत्ति - गुरुदत सं० ७२० कल्पसूत्र-बालावबोध प्रा. हि कल्याण मन्दिर वृत्ति-नागचन्द्रसूरि सं० ७२० ११ कल्याण मन्दिर पति कल्पसूत्र टीका हि०११ कल्याणमाला-ग्राशावर सं० ११७६ कल्पसूत्र वृत्ति: प्रा० सं० ११ कल्याण मन्दिर स्तोत्रवृत्ति-विनयचन्द्र कल्पार्थ--- प्रा० सं. कल्पाध्ययन सूत्र प्रा. ११: | कलजुगरास- उपकुरसी कवि हि० ११७५ कल्पावरि प्रा० १२ | कलयुग बत्तीसी ६६३ कल्याण करूपम-वृन्दावन हि०७१६ कलश विधि कल्याण मन्दिर--कुमुदचन्द्र सं० ७७२,७७३ कलशारोहण विधान ७६३ ७७५,९५३ कलशारोहण विधि सं०७२० कल्याण मन्दिर स्तोत्र-कुमुदचन्द्र सं० १०२२ कला बली सती खिज्झाय १०३५, १०६५, १०७४, १०५३, ११२७ | कलिकाल पंचासिका कल्याण मन्दिर पूना-देवेन्द्रकीति सं० ७६३ कलियुग कथा-पांडे केशव हि० १०५० १०५३,१०५६,१०६७, १०७७ कल्याण मन्दिर भाषा हि०६३ कलियुग चरित्र-वारण हि० १००२ ६५५, १११०, १०३० कलियुग चौपई हि० ११३८ कल्याण मन्दिर भाषा-बनारसीदास हिं० ६४१, कलियुग बत्तीसी ९५८, १६०, १०१९, १०६४, २०७४, कलियुग की विनसौ-देवा अहा हि. १९७६ १०६१, १०६५, ११२२, ११२४, ११४५ कलिकुट पूजा हि० ७६३,६५६, कल्याण मन्दिर स्तवनावरि-गुणरत्नहरि ___६६४, ११११ सं० ७१६ । कलिकुड पार्श्वनाथ स्तुति हि० ११४५ कल्याण मन्दिर स्तोत्र कलि बौवस कथा -भ० सुरेन्दकीति हि. ४३५ १०११. १०१२ । कलि व्यवहार पच्चीसी-मन्वराम हि. १००३ कल्याणमन्दिर टीका-हर्षकीति सं० ७१८ | कंवरपाल बत्तीसी-कंवरपाल हि ११७६ कल्याण मन्विर-चरिचवम सं०७१८,७१९ कबल चन्द्रायण पूजा सं० १०७ Page #1280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२० ] [ प्रन्थानुक्रमणिका 2 . . ५१२ मंथ नाम लखा भाषा पत्र संकाय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या कविशालगायम -- कवीन्द्राचार्य सं०५६३ कार्तिक पंचमी कथा कविकाव्य नाम सं. १९७६ कातिक महात्म्य कबिकाव्य नाम गर्भ चक्रवृत्त सं. ११७६ कार्तिक महात्म्य कवि रहस्र-हलायुध सं० ११७६ कातिक सेठ को चौटाल्यो हि ४३५ कवित्त हि० ६५८ कानड काठपारानी चौपई कवित्त-बनारसी दास हि० ६५८ | कानहरे कटियारा कवित्त-बुधराब बूदी हि० १००३ | कामधेनु सारणी कवित्त--मानकवि हि० ११४२ | कामणिकाय योग प्रसंग कवित्त--सुन्दरदास हि. ११६६ कार्य क्षेत्र गीत-धनपाल स० १०२५ कवित्व छुपय हि० १११४ काया जीव संवाद- देवा ब्रह्म हि० १११६ कवित्त जन्म कल्याणक महोत्सव-हरिचन्द काया जीव संवाद गीत-ब्रह्म देवहि११४५ हि. १०५४ कारक खंडन- भीष्म मं० ५१२ कवित नागरीदास हि १०६ कारक विचार कवित्त व स्तोत्र संग्रह हि. ६५६ ' कारिका ५१२ সিসি सं०१७ | कालक कथा प्रा० कविप्रिया- केशवदास सं०६४२,१०३७ 'कालकाचार्य कथा-समयसुन्दर हि. ४३५ कपिसिहविवाद-द्यानतराय हि० १.४४ कालकाचार्य कथा-माणिक्य मूरि स. ४२५ कष्ट नाशक स्तोत्र सं० १०५२ कालकाचार्यप्रबंध-जिनमुखमूरि हिल ४३५ कष्ट विचार हि ५४२ कालज्ञान सं० ५४२, कष्टावलि सं०६६४ ५७५, ५७६,६५३ कषाय जय भावना कालज्ञान भाषा-लक्ष्मीवल्लभ हि०५७६ काषाय मागणा १२ कालज्ञान सटीक कांजिकाव्रत कथा-सलिलकीर्ति कालयंत्र कांजी प्रतोद्यापन-रस्वकीर्ति জালালি हि. है, मुनि ललितकोति कालीकवच दि. कानन्य रूपमाला--शिवधर्मा सं. कालीतत्व ११७७ कातन्त्र स्पमाला टीका-दौयसिंह सं. ५११ | काव्य संग्रह कातन्त्र रूपमाला वृत्ति-भाव सेम सं० ५१२ | काशिका वृत्ति-वामनाचार्य ५१२ कातन्त्र विक्रम सुत्र-शिवधर्मी ५११ क्रियाकलाप-विजयानन्द कार्तिकेयानुप्रक्षा-स्वामी कार्तिकेय प्रा० | क्रियाकलाप टीका-प्रभाचन्द्राचार्य सं० १६०,१९१ ६.१०० कार्तिकेयानुप्रेक्षा टीका-शुभचन्द्र सं० १६१,१६२ | क्रियाकोश भाषा-किशनमिह दि. १०० कातिकेयान प्रेक्षा भाषा जयचन्द्र बड़ा राज १०१,१०२,१०३.१०४ १६२,१९३,१९४ | क्रियाकोश भाषा : दुलीचन्द हि० १०४ सं० सं० Page #1281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रन्यानुक्रमणिका ] लेखक ग्रंथ नाम क्रियापद्धति किमसार भद्रबाहु किरातार्जुनीय भारवि कुण्डलियां विरपरराय कुण्डसिद्धि Bh कुतूहल रत्नावली कल्य । ग् देव स्वरूप वर्णन कुंदकुंदाचार्य कथा कुन्दकुन्द के पांच नामों का इतिहास कुबेरदल गीत (बारह नाता रास) कुमति को विनती कुमतिसम्भाव कुवलयानन्दमय दीक्षित कुलकरी दृष्टी चिकित्सा सुमाञ्जलि हि० हिο हि ० कुमारपाल प्रवन्ध-हेमचन्द्राचार्य सं० कुमारसंभव - कानि [सं० कुमारसंभव - सटीक मल्लिनाथ रि फूट प्रकार भाषा पत्र संख्या ग्रंथ नाम सं० १०४ कोकसार प्रा० १०४ कोकिला व्रतोद्यापन सं० ३१६,३१७ । कोण सूची १०११ | हि० कौमुदी कया सं ७६४ कृत्रिम घत्रिम चत्यवंदना हिं ५४२ कृदन्त प्रक्रिया अनुभूतिस्वरूपाचार्य सं० ह कृपा कथा भीरचन्द्र यूरि ४३५ कूपचक्र केवली केशर चन्दन निर्णय केशवी पद्धति केशव देवश केशवी पद्धति भाषोदाहरण कोकमंजरी - श्रानन्द कोकशास्त्र सं शं० हिन् हि० कोकशास्त्र प्रानन्द कोकशास्त्र —कोक देव कोकसर कोक शास्त्र के घ हि सं० सं० सं० हि० प्रि सं० लेखक fa हि· हि. fgo fro हिο १०२६ ६८० १८० ३१७ ३१७,३१८ कृपण जगावरण- ब्र० गुलाल कृपण पच्चीसी विनोदी लाल ६५१ कुपण षट्पद — ठक्कुरसी - कृमिरोग का ब्यौरा ३१८ #A ६५१ ५७७ १०२२ खटोला - प्र० धर्मदास १२ खण्ड प्रश देस सु १००६ खण्डेलवालों की उत्पत्ति हिं १०७ हि० ० ६६ ja ५४२ सं० १११६ ६२६ - [ १२२१ भाषा पत्र संख्या हि fro G सं० figo डि कृष्ण बलिभद्र सभाय हिं० कृष्ण बलिभद्र सम्झाय रतनसिंह हि कृष्णजी का वारहमासा - जीवनराम हि कृष्ण युधिष्ठिर संवाद कृष्णा की विवाह वृषण भ्रमण बेलि पृथ्वीराज कृष्ण शुक्ल पक्ष राजका ख स खण्डेलवालों के ८४ गोत्र देशवालों के ५४ गोत्र १४४ खण्डेलवाल भाव उत्पत्ति ૨૪ | १११० खिचरी कमलकीर्ति ६२६ खीचड़ रास ६२६ । खडन खाद्य प्रकरण ६६५ खड प्रशस्ति काव्य हि हि १८० सं० १९७५ हि० १००७ हि० १२७५ हि० १६७ हि १०६९ ११.७७ हिं० १००५ aa स्व. खण्डेलवाल जाति की उत्पत्ति वाली EX ७९४ ५४२ ४३६ १०२७ * 22 .२ २५.८ १०४ ५७९ १०१५ २० हि० १०१२ हि० १०१२ हिο ८७७ ह० ९५७ हि.० हि ० स० सं० १०६५ ६८५ २५१ २१८ Page #1282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२२ ] [ अन्धानुक्रमणिका 10 प्रा० ० ० प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या । नव नाम लेखक भाषा पत्र संख्या संड प्रशस्ति श्लोक सं० ११७७ गर्भचक्रवृत संख्या परिणाम प्रा०१२ गर्भ बंधन सं. १९१६ | गर्भषडारचक्र—देवनन्दि सं० २० १०१८ गर्ग मनोरमा-गर्ग ऋषि सं० ५४२ | गरुड पुराणा गज सृकुमाल चरित्र सहप्रतिक्रमण सूत्र टीका-रलशेखर गरिए गज सुकुमाल चरित्र-जिनसूरि हि. ३१८ सं० १०५ मंगसिंह कुमार परित्र-विनयचन्द्र सूरि गृह प्रवेश प्रकरण हि० १११५ सं० ३१६ गृह शान्ति विधि -- मान सहि मार ७९६ गजसिंह चौपई–राजसुन्दर हि ४३ | गाथा लक्षण गणधरवलय पूजा . गिरिधर की कडनिया १९५५ १००७, १००८, ११३६ गिरधरानन्द गाधरवलय पूजा हि ७६४ | गिरनार पूजा १०४३ गणधरवलय पूजा गिरनार पूजा-हजारीमल हि ७६५ मरगघरवलय पूजा गिरनार बीनती गणधरवलय पूजा विधान गिरनारी गीत --विद्यानन्दि १७८ मगधरवलय पूजा-शुभचन्द्र हि १०८५ गीत-प्रतिशत गणधरवलय पूजा-म० सकलकीर्ति स. ११६०, | गीतमणीति १०२६ ७६४ गीत-विनोदीलाल ६१ गणपरबाद -विजयदास मुनि हि १०२६ गीत मोविन्द-जयदेव ७२० गणधर विनती हि० ११३८ गीत सलूना-कुमुदचन्द ११५६ गणपति नाम माला सं० १११७ गीता लत्वसार १७३४ गणपति मुहुर्त-रावल गणपति सं गुरणकर ण्ड गुणावली-ऋषि दीप हि. ६५६ गणपति स्तोत्र स० १०६८ गुणघटित विचार गणसुन्दरी व उपई-कुशललाभ राज ४३६ गुरगासागीत-ब्रह्म वर्द्धन ६५२, गरिएतनाममाला-हरिदास ११७८ गुरगाणा चौपई-वीरचन्द ११३७ गणित शास्त्र हि १०३३, गुण्ठागा वेलि-जीवावर ११३५ गुरगतीसी भावना गणित सार–हेमरान हि० ११७८ गुरगतीसी सोवना गरिणःसारवस्तु संग्रह- महावीराचार्य सं० ११७८ । गुणदोष विचार गणेश स्तोत्र सं० १११२ | गुणमाला १०१७ गतवस्तुशान सं० २०४० गुणमाला-ऋषि जयमल्ल हि. गर्भचक्रवृत ५४३ | गुणरत्नमाला-मिश्रभाव हि सं. हि सं० Page #1283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रधानुक्रमणिका ] ॥ १२२३ क सक हि० ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संस्था, न थ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या गुणर्मा चरत्र - माणिक्य सुन्दर सूरि गुरु स्तोत्र–बिजयदेव सूरि हि० ७२१ गुलाल मथुरावाद पचीसी- हि० १५५ गुरा विलास-नथमल विलाला गुर्वावलि हि०६५२, गुमा वेलि भत धर्मदास ६६०, ११४७ गुणस्थान क्रमारोह सं० १३ | गुर्वावली (चौसठ ऋद्धि) पूजा--स्वरूपचन्द दिलाला १३ गुणस्थान गाथा प्रा० हि गुशास्थान चर्चा सं० १२, १३, , गुर्वावली सजाय प्रा. ६५१ १६०, ६६७, १८,०६, ६१०, १०५८, | गोत्रिरात्र यतीथापन सं० ११७६ गोगल सहस्त्रनाम सं०७२१ गुणस्थान चर्चा प्रा. ११४१ गोम्मट सार-नेमिचन्द्राचार्य प्रा० १५.१६ गुग्गस्थान चौपई - व. जिनदास हि. १४ | गोम्मटसार भाषा-पं० टोडरमल राज० १८, १६ गुश स्थान पीठिका १०५५ । गोम्मटसार कर्मकाण्ड टीका-नेमिचन्द्र गुणस्थान मार्गरणा चर्क प्रा० सं० गरपस्थान मार्गणा वर्णन नेमिचन्द्राचार्य गोम्मटसार चर्चा हि ग० १७ प्रा० गोम्मटसार धूलिका . सं. गुरास्थान रचना गोम्मटसार टोका-सुमतिकौति सं० गुणस्थाने वर्णन गोम्मटसार (कर्मकाण्ड) भाषा :हेमराम गुरगस्थान वृत्ति---मशेखर ६५.१ | गोम्मटसार पूर्वाद्ध (जीवकाण्ड)-सं० गुरावली पूजा १५६ गोम्मटसार पूर्वाय भाषा-५० टोडरमल गुरावली पूजा : शुभचन्द्र राज० १५,१९ गुगवली समुच्चय पूजा ७६५ | गोम्मटसार जीवकाण्ड बृत्ति (तत्व प्रदीपिका)गुरावली स्तोत्र ७२१ सं० २१ गुरु अष्टक-श्री भूषण सं. ११६६ | गोम्मटसार (पंच संग्रह) वृत्ति-अभयवन्द्र गुरु जयमाल-द्रजिनदास हि. ७६३, गोम्मटसार वृत्ति-केशववरणी सं. गुरुषदेश थावकाचार-डालूरामः हि० १०४,१०५ | गोम्मटसार संदृष्टिमा० नेमिचन्द्र प्रा. २१ गुरु पूजा-० जिनदास हि. १०७७ गोम्मट स्वामी स्तोत्र सं० गुरु पूजा-हेमराज हि ११११ । गोरस कवित्त-गोरखवास ११४५ गुरु राशि मत विचार ११३४। गोरख यक्कर गुरु धिनती संक १७७ गोरखनाथ का जोग हि. गुरु विरुदावली-विद्याभूषण ११३५ | गोरस विधि गुरु शिष्य प्रश्नोत्तर १०८८ | गोराबादल कथा--जटमल गुरु स्तरन-नरेन्द्र कीति हि. ११०८ ! गोरोचन काल्प हि० प्रा. १५ गुरावली सं ११३१ Page #1284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२४ ] [ ग्रन्धानुक्रमणिका ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | मंथ नाम लेखक गौडी पार्थ गथ छुद - कुशल लाभ हि० ७२१ | प्रसिद्धश्लोक-महादेव गौडी पार्श्वनाथ स्तवन हि० १०३७ माषा पत्र संख्या सं० १११५ म.9APानमन गौतम ऋषि राज्भाय yo .२१ गौसम पृच्या सं० २१,२२ घोरकालानतचक्र सं० १११६ घण्टाकरसंकल्प ४३६, ५४३,६४५, १०६६ हि० ६२०, गौतमपृच्छा सूत्र . प्रा. हि २१ घण्टाकर्णमंत्र गौतमरास हि. ६३२ । हि० ६२० १०४४,१०५८, ११६३,१०१५ हि गौतम रास-विनयप्रभ : १०३६ घण्टाकर्णविधिविधान सं० ६२० गौतम स्वामी चरित्र-धर्मचन्द्र घण्टाकरणस्तोत्र व मंत्र सं० ११२७ ३२० गौतमस्वामीरास हि० ९५६ गौतगस्वामीरास-विजयभ्रद हि० १०६१ च उदर गुणगीत हि. १६२ गौतमस्वामीरास-विनयम चउबोली की चौपई चतरु गौतमस्वामी समाय १०३८ गोतम स्वामी स्तोत्र-बादिचन्द्र ११३८ घउनीसा-धिनराज सुरि [ हिं० १०३७ गंगड ग्रायश्चित हि. ११७२ चउससगी पयन गंगालहरी स्तोत्र-भट्ट जगन्नाथ सं. ७२१ चाडसरण वृत्ति १०५ गंधकुटी ... .. सं. ११६ | चक्र केवली प्वारा प्रतिमा रास हि ११४४ चक्रेश्वरी देवी स्तोत्र ७२२ ग्यारह प्रतिमा कान. " हि. . ९८१ | चतुर्गतिरास-वीरचन्द - हिक ग्यारह प्रतिमा वीमती-जिनदास हि० ११३७ | वसुगति देलि - हर्षकीति हि० - ६८४ ग्रन्थ विवेक चितवणी-सुन्दरदास हि. १०१४; चतुरचितारणी-दौलतराम ..हि. १०५ ग्रन्थ सूची शास्त्र भण्डार दबलाना-हि० ६५९ चतुर्दश भक्ति पाठ सं०७२२. ग्रहणवान . .. हि. १११५ |चत झोंकथा-टीकम हि० १०३२ ग्रहण विचार : . . . . सं. ५४३ चतुर्दशीकथा-डालूराम . . हि ४३१ प्रहपंचवर्णन . ': चतुर्दश गुणस्थान देलि - जीवधर प्रभावकाश सं. ५४३ । हि. २ प्रहराशिफल सं. ५४३ चतुर्दशी चौपाई-चतुरमल हिन्दी १०५ ग्रहराशिफल सं० १११७ चतर्दशी प्रतिमासोपवास पूजा- सं० | ଓe & ग्रहण राव प्रकरण सं० ११७६ चतुर्दशी प्रलोद्यापन पूजा-विद्यानन्दी ग्रहलाघव---गोश दैवज्ञ सं. ५४३ प्रहलाघव-देवदत्त सं० ५४३ । Page #1285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भानुरूपरिणका ] [ १२२५ HMM COMME. ० " mod . 7 और संभ ४७६ ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र सख्या गंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या चतर या जारा गोत : भगवतीदास हि. १८५ चतविशति स्तोत्र - पं. जगन्नाथ संक ७२३ चतुर्माप बयाख्यान-- हि १०५ चतुर्विशति स्तोत्र-समन्तभद्र सं. १७५ नास व्याख्यान : समवसुन्दर उपाध्याय 'चतुः शरण प्रकोरगक सूत्र- सं. २२ सं० १०५ चतुःषष्ठि योगिश्री स्तोत्र- ० १.५२ १०६ चष्क वृत्ति टिप्पण-पं गोल्हण सं० ५१३ चतुर मुकुट-चन्द्रकिरण की कथा- हिं० ११६२ | चतुष्कशरण वर्णन प्रा.हि. १०५ चसुविधमान कवित्त-ब्रह्म ज्ञानसागर हि० ६८३ . चतुः सरप्रज्ञप्ति प्रा०२२ चन्धि सबन--- सं. ७२२ । चन्दनमलयागिरि कथा हि०६२ चर्विणवि जयमाला-माधन्द्धि प्रती सं० ७२२ १०६. चतुविशति जिन दोहा-- हि ७२२ चन्दन मलयागिरीकया-चन्द्र सेन हि०१५ चतुर्विशति जिन नमस्कार-- स. चन्दन मलयागिरि कथा-भद्रसेन हि० ११६२ चशिति जिन पूजा चन्दन मलयागिरी चौपई-भद्रसेन हि ४३७ चन्द पाठ पूजा-६. पवार स. चयिति जिन शासन देवी पूजा – सं० ७६७ प.दन षष्टी व्रत कथा-खुशालचन्द हि. ४३८ चतुर्विशति जिन षट् पद बंध स्तोत्र-धर्मकीर्ति चन्दन बाठी व्रत कथा . शृतसागर सं. हि. १००८ | ' चन्दन पप्ठि व्रत पूजा--विजयकीर्ति सं. चतुविशति जिन स्मननप्रा० ७२२ सं. ३२० वत्रिशति जिन स्तुति हि०७२३. | चन्दना चरित्र -म. शुमचाष्ट्र १४६, १०६१ चन्दराजानीडाल-मोहन वतुविशति जिन स्तोत्र टीका-जिनाभ सूरि । चन्द्र गुप्ल के १६ स्वप्न हि. १८० सं. ७२२ | १८६,१०१२, ११३० चतुविशति तीर्थकर जयमाल हि० ११७८ ' चन्द्र गुप्त के सोलह स्वप्न मा रायमल्ल चतुविशति तीर्थकर बासी स्थान- हि० १०५८ चतुविशति तीर्थ कर स्तुति १७२.१८६,६८,१००५, १०१२, चतुर्विपति पूजा-- सं १०५६ १०२३, १०८४,१०५६. ११३० मनुत्रिशति पूना-जिनेश्वरदास हि० १११३ चन्द्रग्रहण कारक मारक क्रिया १११७ चतुर्विशति पूजा भ० शुमचन्द्र मं० ७६८ चन्द्र दून काव्य---विनयप्रभ ७६१ चतुविनि पूजाट--- चन्द्रप्रभ काध्य भाषा टीका हि० ३२२ चतुर्विशति पंच कल्याणक समूश्चयोशागत विधि | चन्द्रयभगीत हि व गोपाल सं० ७६६ चन्द्रप्रभ जकडी-खुशाल हि. १०८४ चतुर्बिणनि स्तवन चन्द्रप्रभ षरित्र---यशकीति अपनश ३२० चतुर्विशति स्तवन–६० जयतिलक सं० ७२३ | चन्द्रप्रभ चरित्र-धीरनन्दि सं० ३२० ३२१ चतुविशति स्तुति -- शोभन मुनि सं० २३ । चन्द्रप्रभ चरित्र - सकलकीलि सं. ३२१ Page #1286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रंथानुक्रमणिका मथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या : नथनाम खेखक भाषा पत्र संख्या चन्द्रप्रभ चरित्र-श्रीचन्द अपभ्रम ३२१ चा शतक चन्द्रप्रभ चरित्र भाषा-हीरालाल हि० २७६, | चर्या शतक-- धानतराय हि. २३ ३२२, २४, २५, १०११, २०१३,१०१२.१०८१ चन्द्रप्रम छन्द - नेमचन्दः ७२५ च शतक टीका-वायूलाल दोजी हि० २७ चन्द्रप्रभ पुगग्न - जिनेन्द्र भुषण ७५ बर्षा शतक ठोका...रजीमल हिन्दी २६,२७ चन्द्रप्रम पुरा . - शुभद्र सं० २७४ | चर्चा समाधान- भूधरदास हि २७ न्यप्रमुग्तवन-.-धानधन २८, २९,१०७२ चन्द्रप्रभ सोत्र सं०७४ | चर्चा समाधान - भूधर मिश्र हिन्दी २६ चन्द्रप्रभ म्वामिनो विवाह.-म नरेन्द्र को ति १०११ दाज ४३७ चर्चा सागर-पं. चम्पालाल हिग. . चन्द्रप्रज्ञप्ति सं०६१. चर्चा रागर बच निका चन्द्रलेहा चौपई-रामवल्लभ हि० १५४ असार--धनालाल सन्दाकी-दिनकर हि १८१ चर्चासार-40 शिवजीलाल चन्द्रावलोक सं० ५४४ चर्चा सार संग्रह-भ सुरेन्द्रभूषण. सं. चन्द्रावलोक टीका-विश्वेसर (गंग:भद्र) सं० ५४४ चन्द्रोदय कप टीका - कविराज शखधर स. ५७७ | चर्चा संग्रह प्रा. सं० हि० ३१ चन्द्रोदय विचार हि. ५४४ ] चर्चा सग्रह हि. १५१३, चन्द्रोन्मीलन -- मधुसूदन सं. ११७६ । खमत्कार चिनामगि -जारायण सं. ५४४ | चरशी व्यूह-येद श्याम सं. ११७६ चमत्कार पूजा - राजकुमार हि ७६७ | चहुगति चोपई हि. १५२. चमत्कार पूजा सं० ७६७ ! चमत्कारफल सं० ५४४ : चाणक्य नीति-चागमय सं०६५३ चमत्कार षट्र पंचामिका-महाश्मा विद्या विनोद सं०६५६ चार कषायः समाय-पत्रसुन्दर चम्पाशत-चम्पाबाई हि०६५६ चार मित्रों की कथा म. ४३८ चारित्र पूजा - नरेन्द्रसेन चरखा चौपई सं० १०५७ सं० २२,२३ चारित्र शुद्धि पूजा-श्री भूषणा -भ. सुरेन्द्रकीति बानि शुद्धि विधान-म० शुभचन्द्र स० चचीकोश चारित्र मार चर्चा अन्ध चारिक सार-चामुण्डराय सं० १०६ बर्घा नामावली चरित्र सार-वीरनन्दि प्रा० १०६ चर्चा पाठ यरित्र सार निका- मन्नालाल दि. १०६ घरमा बा48-मुधलाल हि. ११० नरदत्त कथा वर्षा बांध दि० २३ | च.रदत्त चरित्र-दीक्षित देवदत्त सं० ३२२ m हि A Page #1287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नयानुक्रमणिका ] [ १२२७ प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | नय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या चारुदत्त प्रबन्ध-कल्यण कीति हि ४३९ । घूनही चारूदत प्रबध रास-ब्र० जिनदास हि. ११४३ । नड़ी-देगराज चारुदत्त संठ रास (णमोकार रा)- जिनदास । धुमारास ---मंगवतीदास हि०६८५ चूमडोसस-विनयचन्द्र बारुदत्त श्रेष्ठीनीरास-भय कीर्ति चेतनकर्म गरिन हिन १०४७ हि३२ | चेतनकमरिय-भया भगवतीदास हि १००५ चारों गति का चौढ लिया-- १०७२,१०१४, ११२६, ११३१ पाकिमतीभाडी २५१ | चेतनकर्मसंवाद - भैया भगवतीदासह ११७१ चिकित्सासार–घोरजराम सं० ५७७ । चेतनगारी हि १०६५ चिनीड की गजल--कवि खेतान हिल चेतनगी-विनोदीलाल हि- ११५०, चितौड़ बसने का समय चिदविलास दीपचन्द कासलीवाल चेतनगीत हि० ११८० हि. १९४,१९५ चेतनगीत -० मिनदास हि०६२ चिद्रप चिन्तन फागु १०२७ चित्रवध स्तोत्र वेतनगीत-नंदनदास १०२७ चित्रवध स्तोत्र प्रा० ७२३ चेसनजस्त्रही १०६८ सचित्र यंत्र चेतन नमस्कार हि. .७२३ चित्रसेन पावती कथाः गुणसाधु सं. चेतन पुद्गल धमाल-बूचराज दि. १६१ चित्रसेन पावती कथा: राजवल्लम सं. १०८६.११५० चिन्तामणि जयमाल हि० ११५२ पेरन पुदगल धमाल-बल्ह हिल १५३ मिना-शि जयमाल :रयमहल हि० १०५७ मेतमप्रारमी गोन्न हि ११४५ चिन्तामणि पार्श्वनाथः विद्यास गर हि. ११५२ वेतनमोहगज संवाद-खेमसागर हि. १९८० चितामरिण पाचनाय पूजा सं० १११५ चेतनग्लिास-परमानन्द जौहरी हि. ६५६ चिन्तामणि पाश्चनाथ पूजा-म० शुभचन्द्र चेनामीत--समय सुन्दर सं० ७१८,११.५ विन्तामरिण पार्श्वनाथ विनती : प्रभाग्यम्द हि० १५२ चेतावनी अन्य-रामचरण हि० १६५ चितामरिण पाश्र्वनाथ स्तोत्र म० ७१३ चेलया सप्तीरो चोहालियो-ऋषि रामचन्द्र तिमणि पाश्र्वनाथ स्तोत्र-40 पदार्थ स. ११२७ राज ४३६ चिन्तामण पूजा ! त्मवेदना प्रा. ७२४ चिनामरिण यंत्र स. ६२४ चितामणि स्तवन सं० ६७७त्यालय वन्दना---महीयन्दै चितामणि स्तोत्र सं० १०६५ १.७७,११२५ | चैत्याल बीती-दिगम्बर शिष्य दि. ७२४ चुरादिगण सं. ११३ । चैत्यालयों का वर्णन Page #1288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२८ 1 [ ग्रंथानुक्रमणिका . प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | प्रथ नाम लेखक माषा पत्र संख्या चौधहिया निकालने को विधि सं ५४४ | चौवीस वारणा संस्कृत ३४,६५३ बौढाल्यो-भृगु प्रोहित १० ११८० ६६०,९६३.१०५८ चौदस क्या-टीकम हि- ६६५ ! चोवीस ठाण गाथा प्रा१००१ चौदह गुरणस्थान चर्चा हिन्दी ३२ चौवीस ठरला मर्चा हि०३८,६५७ चौदह गुणस्थान वचनिका-प्रखपराज श्रीमाल ___LE५,१०१६.१०२८,१०४६,११५६ राज. ३२.६३ | चोवीस ठाणा चर्चा ...तमिचन्द्राचार्य प्रा. मग चौदहमुपधान वर्णन-नेमिचन्द्राचार्य प्रा० २४,३५,३६,३७,१०८० चौवीस ठाणा पीठिका चौयह मार्गमा टीका हिन्दी चौवीस तीर्थ'कराष्टक हिम चौदह विद्या नाम ११८० चौबीस तीर्थ कर पुजा-बख्तावरसिंह हि. ११३१ चौबोली लीलावती कथा-जिनचन्द हि० ४३९ चोवीस सीथं कर पूजा-बख्तावरलाल हि.... चौरासी प्रासादन दोष हि १०६६ पौबीस तीर्थ कर पूना-जवाहरलाल हि. ५०० चौरासी प्रामाइना चौबीस तीर्थ कर पूजा-चुन्नीलाल हि ५०० चौरासी गोत्र चौबीस तीर्थ कर पूजा-देवोदास हि. ८०१ चौरासो गोत्र वर्णन चोवीस तीर्य कर पूजा-मनरंगलाल हि. ०१ चौबीसकर पूजा-रामचन्द्र हि. ८०१ चौरासी गोत्र विवरण २०२,८०३. ८०४, ८०५ चौरासी जयमाल (माला महोत्सव)-विनोदी लाल चौबीस लोय कर पूजा-हीरालाल हि. ८०२, चौरासी जाति की उत्पति चौबीस तीर्थ कर पूजा--श्रीलाल पाटनी हि ८०१ चौरामी जाति जयमाल चौबीस तीर्थ कर पूजा-पावन चौरासी जाति को जयमाल- गुलाल दि० २०६ ८.७,८० चौवीस तीर्थ कर पूजा- सेवा हि. ८० चौरासी जाति जयमाल-न० जिनदास हि. १९५२ चौतीस तीर्थकर पूजा-सेवाराम हि ८० चौरासी जाति की पिहाडी ८०४८१०.१०३६ चौरामी बोल जौबीस तीर्थ कर भावना-यशकति दि१०२५ ११३३.६६० । नौबीस तीर्थ कर पूजा-रामचन्द्र न. १००१ चौरासी लाख जोनना विनती-समतिकीट हि०७२४ | चौबीस सीध कर पूजा-वृंदावनदास हित ६६ बोवनी लीला हि- १०६६ ११८० चौबीस प्रशिप बीननी हि० ११३८ | चौबीम तीर्थ कर पूजा-सेवाराम हि १०३१ चौदह गुण-21 चर्चा ...मोचिदवास दि. ३४ चौबीस तीर्थ करों के पंचकल्याणक हि० -१० बौबीस ..न भाई-कमलकीत हि. ११३२ | चौबीस तीर्थकर चकल्याणक -जयर्काति चौबीस जि. पुजा-वोदास हि ११२. | Page #1289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रधानुक्रमणिका ] ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम चौबीस तीर्थ कर भवान्तर 같이 २७४ हिन् १०६ चौबीस कर मात-पिता नाम बीस तीर्थ कर दोनती देवाब्रा हि० ७२४ पोतीस महाराज की बीन चन्द्र कवि हि० ७२४ - चोवीस महाराज की वीनती - हरिश्चन्द्र चोवीस तीर्थकर वन - — चौबीस तीर्थ कर स्तुति - देवा चौदीन ती कर ज चौबीस दण्डक चौीस तीर्थ करस्तवन- विद्याभूषण हि० ११३४ नोत्रीस तीर्थंकर स्तुति सं० ७२४ छप्पय वीर्य कर स्तुति (लघु स्वयंभू) सं० ७२४ चहावा हि० १००५ सं० १४१५ | चौबीस भगवान के पद चौबीस महाराज पूजा - रामचन्द्र चौसठ योगिनी स्टोन चौबीस रूपवन चौबीस महाराज पूजन वृदावन चौबीस दण्डक - गजसागर हि० १९५६ प्रा० १०७ चोवीस दण्डक धवलचन्द्र चौबीस दण्डक - सुरेन्द्रकीर्ति सं० १०७ चौवीस इण्डकभाषा - पं० दौलतराम हि० १०० १०० १११४, ११२६ ० ११२३ हि० १०६५ १०७७ हि० ०२५ हि० ७२१ ६५८ चोवीसी कथा चोवीसी व्रत कथा चोब सी चौसठ शुद्ध पूजा-स्वपचन्द्र कथा— प्रत्रकीति हिन् १५ १०७२ : हि० १०७३, १०७४ सं० २०६१ हि० १५५२ ०४३९ ૪૨૨ हि० ४४० ४८० स० हिन् [ १२२९ भाषा पत्र संख्या हि० १०११ सं० ७२५, ११२५ चंपकमाला सती रास हि० ०३२ चपावती सील कल्याणदे - मुनिराजचद हि० ४३८ छ ११ -१२ | चौंसठ ठारणा चर्चा चौसठ योगिनी तो तीसी प्रत्थ छनाल पच्चीसी लेखक चाला दीनतराम छहढाला — दौलतराम पल्लीवाल छहढाला - धानत राय - छहढाला- बुधजन छांदसीय सूत्र - भट्टकैदार पिलीस ठा दिवालीस ठाणा चर्चा दिपालीस गुल वन छींक दोष निवारक विधि ची विचार छेद भिख - ३६ सं० हि० ६८ हि० १००३ हि० १०५, २ हि० १२६ हि० १९३२ हि० १९६ हि० १०५१ १११६. हि० १९६ ११२८ सं० ५६४ हि० ६५३ हिन् सं० १०८ सं० ૪૪ ६० २६४ प्रा० ११५० छ - केशवदास छंद नारायण स छंदकोश टोका - चन्द्रकीति प्रा०सं० ०१३ छः रत्नावलि - हरिराम दास निरंजनी हि० ५९३ नरस्नाकर टीका- गं० दानुशासन स्वोपज्ञ पूत्ति स० ५६४ हि० ११५० हि० ११६५ सं० छंद देसतरी पारसनाथ लक्ष्मी वस्तभ ग हि * ૨ ७२५ Page #1290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ धानुकमणिका ग्रंय नाम लेखक भाषा पत्र संस्था | पंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या बदमार.-नारायणदास दि० ११५८ | जम्बू स्वामी का पांडे जिनदास हि १.१५ पद संग्रह-गंगादास जम्बु स्वामी चरिच-महाकवि वीर अपः ३२२ जम्बू स्वामी चरित्र-म० सालकीति सं० ३२२, सनी-दरिम जकरी-मोहर हि. ११११ १०४६,११६७ जकडी-रूपचन्द हि० १०८४ | जम्बू स्वामी चरिष-5 मिनदास सं० ३२३ जखडिया संग्रह हि. १०११। जम्बू स्वामी चरित्र-पांडे जिनदास हि. ३२४ जखड़ी .. हि. १०२४ जखड़ी - कविसास हि १०१८ जम्बू स्वामी चरित्र-नाथूराम लेमेचू हि ३२५ अबड़ी-रामकृष्ण हि० ११६८ जम्बू स्वामी चरित्र- प्रासं० ३२५ जखड़ी-भूधरवास हि० ११६८ ! जाब स्वामी चौपई कमस विजय हि० १०२६ जवडी बीस विरहमान हवंकीति हि. १०७६ | जम्बू स्वामी जकडी-साधुकीति हि० १०२४ जलाडो साहण लूबरी वर्णन दि. १०१८ जाबू स्वामी पूजा जगन्नाथ अष्टक - हि.१०३६ जम्बू स्वामी पूजा जयमाल सं० १३ जन्म कुन्डली म० ५४४ जम्बू स्वामी पूजा जम्बू म्व:मी पूजा-जगतराम हि. १०६४ अन्म कुटपी ग्रह विचार सं० ५४५ : जम्बू स्वामी पूजा-वृन्दाबन हि १०६४ जन्म जातक चिह्न जम्चू स्वामी रास--4. बिनदास जन्म पत्रिका-जुशाल बन्द जम्बू स्वामी रास-नश्मिल जन्मरत्रो पद्धति जम्बू स्वामी रास - द्र. जिरणदास हि ११३८, अनि स. ८१३ ११४७ अम्युकुम सजाय हि .४० जग्नु स्वामी वेलि-वीर चन्द हि० ११३२ जम्बूद्वधिम चैत्यालय पूजा-- जिनदास जयकीति गीत जम्वू ईप पट . सं० १९८१ अअकुमार चरित्र--बकामराज सं. ३२६ जय जय स्वामी पाथडी-पाहणु हि० १०८६ अम्वू प णत्ति प्रा० ६१० जय तिसरा प्रकरण-अभयदेव प्रा. ७२५ जम्बू द्वार पूजा-पं० जिमदास सं. जम लिहप्ररण स्तोत्र-मुनि प्रभयदेव मा० १०२६ नम्न दोग संघरहरिभद्र सूरि प्रा० ६१. जम्न् स्वामी अध्ययनपसिलक मरिण . जय पराजय सं० १.०६ ...: । प्रा. ४८० | जयपुर जिन मन्दिर यात्रा-पं० गिरधारी जरबू स्वामी कथा . हि. ४४० हि०६५२ जस्व स्वामी फा-दौलतराम कासलीवाल | जयपुर के जैन मन्दिर- हि. १००१ हिं. ४४० : जयपुराण-ब कामराज सं. २७६ Page #1291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] [ १२३१ 4 U प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या ! नथ नामः लेखक भाषा पत्र सख्या जलगालन राम-ज्ञान भूषण दि. १०२४ जोगिपगमारा...मानस्य राम जलगालन निधि - 5• गुलाल ०१५ जलगालन विधि | ज्योतिष रत्नमाला-केशव स. ५४७ जयमाल दि. १०९६ ज्योतिष रत्नमाला टीका-पं. वैजा ५४५७ जलयात्रा पूजा | ज्योतिष विचार सं. ११४० जलवाया पूजा विधान र ८१३ जोति विद्याफल सं०५४६ बलयात्रा विधान ज्योतिष शास्त्र जलयात्रा विधि नं १३, | ज्योतिष शास्त्र-हरिभद्रसूरि सं ५४७ ११३६, ११६६ ज्योतिष शास्त्र.---चितामणि पंडिताचार्य जलहर तेला उद्यापन सं. ८१३ जल होम विधान सं०१३ ज्योतिष शास्त्र जल होम विधि ८१३ ज्योतिष सार सं. १९६० जसकीति गीत ६६२ ज्योतिष नारचन्द्र सं०५४८,११८६ जसहर चरित-पुष्पदन्त अप० ३२६ ज्योतियार भाषाजसं धर चौपई-लक्ष्मीदास ज्योतिषसार संग्रह ११४३ जसोधर जयमाल हि. ज्योतिषसार शग्रह--मुजादित्य सं० ५८५ ज्येष्ठ निबर कथा-थ तसागर सं० ज्योतिष सारणी--- ज्येष्ठ जिनवर कथा-सालित कीति सं. स्वर त्रिशती-शानघर संग ५.७ ज्यर पराजय म. ज्योट जिनबर कथा-हरिकृष्ण पाहे ज्वालामालिनी स्तोत्र ७३० १.८८११२५ ज्येष्ठ बिनवर कथा-करायमल्ल जातक नीलकण्ठ । ५४५ जातक पद्धति–केशवदैवज्ञ सं० ५४५ ६७२ ज्येष्ठ जिनवर पूजा हि जातकाभरण-ढिराज वैयक्षः सं०५४५. जातक लकार सं०५४६ ज्येष्ठ जिनवर व्रत कथा--खुशालचन्द जिनकरूपी स्थविर प्राचारविरहित | जिन कल्याणक ..पं. मामाघर स. . ११.२ जिन गौत-हर्षकीति .हि. १.१६ । ज्येष्ठ गिनवर व्रतोद्यापन सं०८१५ जिनगुग विलासः-नथमल, हि० १९८१ ज्येष्ठ जिनवरनी विनती-ब्र: जिनदास अप जिन मुख सम्पत्ति कथा-- ललितकीति हि. ४३३ . ९५२ | जिन गुण सम्पत्ति प्रतोद्यापन--सुमरिसागर ज्योतिष गथ-नारचन्द्र सं. ११-६ स. १०७ ज्योतिष - भास्कराचार्य सं. ५४६ : जिन गुण संपत्ति प्रतोद्यान पूना-सं. १४ ज्योतिष ग्रंथ हि. ५:६ जिनगेह पूजा जयमाल -- ४७१ सं० Page #1292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ १२३२ [ अमानुक्रमणिका म. ४७८, ग्रंथ नाम लेखक - भाषा पत्र सस्था | मंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या जिन जन्म महोत्सव षट्पद-विद्यासागर | जिनविम्व निर्माण विधि सं० ११८२ हि १७०३ : जिनविम्व निर्माण विधि हि० ११८२ जिनदत कथा-रलभूषण हि ११४५ जिनमहाभिषेक विधि-प्राशाधर सं०१४ जिनदत कथा जिनमुखावलोकन कथा-सकलकीति मं० ११३६ जिनदत्त चरित --गुणभद्राचार्य सं० ३२७, | जिन मंगल सं० ३६६, ४४१ जिन्यज्ञ कल्प -माशाधर ८१४ जिनदत्त कथा भाषा हि. ४४१ स. जिनरक्षा स्तोत्र जिनराज बीनती जिनदत्त चरित्र---पं० लाखू . अपभ्रंश ३२६ जिन रात्रि कथा सं० जिनदत्त चरित्र-रत्नभूषण सूरि हि. ३२७ जिनरात्रि विधान जिनदत्त चरित्र-विश्वभूषण हि० ३२७, जिनरात्रि नत महात्म्य-मुनि पयनन्नि ५२८ ४४१ जिनदत्त चरित्र भाषा-कमलनयन हि ५२६ जिनरात्रि कथा-ललित कीर्ति स० जिनदत्तरास-रलभूषण ४६० जिनवर दर्शन स्तबन-पयनन्दि प्रा० । जिनदत्तरास .... हि. ११४६, | जिनवर व्रत कथा-30 रायमल्ल हि. ६७४ जिनक्त सात बोल स्तवन-जसकीति जिनदर्शन मस्तव्यसन चौपई... जिनदर्शनस्लवन भाषा ७२७ जिनवर स्वामी बिनती-सुमति कौति हि० ६५२ जिनदर्शन स्तुति स. ७२६ जिनशतक सं०७२६ जिनधमाल जिनशतक भूधरदास हि. १०५६ जिनपाल ऋषि का चौढालिया-जिनपल जिनतिका जिनसमवशरण मंगल-नथमल हि० २६ जिनजिर स्तोत्र-कमलप्रम सं० जिनसहल नाम सं. १०२२ जिनपूजा प्रतिक्रमण हि० जिनपूजा विधि-जिनसेनाचार्य स. ८१४ | जिनसहन नाम-प्राशावर गं०६५७ जिनप जर स. १०१४ ६४, ६६८, १०१८ १०४८, ११४६ लिनदर्शनम्तवन भाष! हि. १२७ | जिनमहरू नाम - प्रागाधर सं०७२४ जिनपजर स्तोत्र-कमल प्रभसूरि सं०६५८ ' जिन सहन नाम- जिनसेनाचार्य सं० ७.४, जिनप्रतिम स्वरूप हि १०८ । ७२८. ६५६, १०००, १०४१, १०४२, १०६४, जिनप्रतिमा स्वरूप भाषा-छीतरमल काला ७३, २०७४, १०७८.१०८२.१०८८,१०६६, १११८, ११२२,११४६, ११५१ जिनप्रतिमा स्वरूप वर्णन-हीतर काला जिनसहस्र नाम-जिनसेनाचार्य संत ७२४ ७२८ सं Page #1293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्यानुक्रमणिका ] ] [ १२३३ ग्रंथ नाम लेखक भावा पत्र संख्या अप ૨૩૦ भाषा पत्रसंख्या ग्रंथ नाम लेखक सिनाम टीका — प्रमरकीति सं०७२८,७२६ | ओवरबर परिवर जिनसह नाम वर्षानिका जीवनभर भरि दौलतराम कासलीवान जीववर प्रबन्ध भ० यशकीति हि० जीवन्चर नियमाला हिन् हि० ३३० ३३० जिनसहस्रनाम टीका- लसागर सं जिनसङ्खनाम जिनसेनाचार्य सं० ३३० ३३१, ३३२, ૬૪ ११३६ ९४२ १०६ १०६ ४० ७२६ ७२९ ६५६, १००० १०४१, १०४२, १०६४, १००२, १०१०१६ ११२२, १११०, ११४९ ११५१, ११७, १७४, ११७८ जिनसहस्रनाम स्तोत्र - बनारसीदास हिन् जिनसङ्घसमाम पूजा-सुमति सागर सं० हि जिनसेन थोल जिमसेन 1 - निवसंहिताम० एकचि निस्तवन- गुए सार निए स्त्रीम जिनवर स्वामी बनती fe १२११ जिनाष्टक हि० ६५२१०१ १०१६ जिनांत ररास वीरचन्द हि० ११३२ जीभदांत नासिका नयन कर संवाद - नारायण मुनि - सं० fg सुपतिकत जीवदया मूषा जीवनी आलोचना जीवम्बर चरित्र - शुभचन्द्र - हिन ११८२ जीरावल देव पोनती fge जीरावल वीनती igo अरावली fig वन जीव उत्पत्ति सझाय हरमूरि हि जीवको सम्भाव जोगति वर्णन हर्षकीर्ति जीवडर गीत जीवडास रास समसुन्दर जीवतत्व स्वरूप जीव दयाभावसेन हि Fig हिο हि 0 जीवम्बर-निवास जीवन्बररात त्रिभुवनकी जीव विचार १०५५ जन दिवार स० सं० हि० 俺の सं० ८१५ १०२५ | जीव विचार सूत्र ८१५ जीव वैराग्य गीत । ११०५ जीवसमास ७२ जीवसमास विचार r जीवसारसमुच्चय जीवस्वरूप जीवस्वरूप वर्णन जीवाजीव विचार जनगायत्री ११४१ ११२७ १०२६ २२ प्रा० जीव विचार प्रकरण ято जर शिवार प्रकरण-नातिसूरि प्रा० | जनगायक विधान जैनपोसी- नवल प्रबोधिनी दि० भाग की चिट्टी नथमल जनवरी की प हि ० ङ्घি 120 सं०हि० हि हि• प्रा०सं० สูง जैनवनजारा राग जैन विलास - भूधरदास STIO सं० प्रा० ято सं० fige हिन fro fao figo हि १०५९ १०१९ ११४४ १०१६ ३६ ૪૩૪ हि० ११५७ ११३५ जनविवाह पद्धति जिनसेनाचार्य सं० २२९ विवाह विधि 1 जनवद्री यात्रा वर्णन सुरेन्द्रकीति हि० - नराम fgo & १०२४ ६५७ ४० १०६ ફ્ ४० ३६ ६२० ७२ε २०६४ १०७७ १०६ १०४५ ESK १०३५ ९४४ ७८१०१३ १०२७ १०७३ ६६० ८१५ ०८१,१११६ Page #1294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३४ ] ग्रंथ नाम जैन-तक लेखक हिन् जनशतक- भूवरदास १०४२, १०६०, १०७१, १०३३, १०७४, १०५२ १०८१, १११४, ११३३, ११५३ हि ६८५ जैनक दोहा जैन धात्रक आम्नाय - समताराम हि० १०० जैन सदाचार मार्तण्ड नामक पत्र का उत्तर जैन संख्या जैतेश्व व्याकरण - देवमन्दि जोगीरासा जोगसरास जोगीरासा - जिनवास ८७७ ५१, १०११, भूलना भूलना -तानुसाह दंडारणा योत दंडारणा गीत मांग सुत झ भाषा पत्र संख्या ग्रंथ नाम हि १०४७ १०५.७ जोग विचार हिο जोरा की विभि कुमार गोव हि जंबू स्वामी चौपाईप जिनवास हि० जंबुक नामो हिο 24 ठ 10 हिन् सं० सं० हे० ७४, १०२७, ११०३ fa १०८ १००१ ५१३ ९६० हि० 15° हि० २०१३, १०५६ १०५, १११० सं ० ५.४६ 91 ЯТО ६८५ ६३४ ५७७ ११११ স্থি· १०११ हिο ११०६ वासी गाथा सी ढाडसी माथा लेखक - ११५८ साधकुमार | १००३ होला मारणी चौपाई ढोलामारु की बात ढोलामारी री बात उसी गाथा ठाउसो गाथा दादसी गाथा भाषा ढाल गणसार ढालसागर गुणसागरसूरि हालसंग्रह - जम्मल डिया मत उपदेश दो मार चोपई-कुशललाभ ४१ । [ प्रस्यानुक्रम शिक्षा भाषा पत्र संख्या द मोरपीसी मतिसागर मीकार महिमा ११४३ १००१ रामोकार मंत्र महात्म्य कथा भीकार महात्म्य णमोकार लेभियर दामोदर STTO Ятс प्रा० हि० प्रा० fa हिन् हिन हि fre हि राज० हि० fro सं० सं० हि० सं० हिο अप० चरित - गुष्पदन्त अपभ्रंश तकाराक्षर स्तोत्र सं० तत्वकौस्तुभ – पंपालाल पांडया हि तरबज्ञान वरगिडी-म० जानभूषण तत्वदीपिका सं० हि. ४१ ११८२ १६४ ११०२ ११११ १०३५ ६६० ६६० १११ १०२६. १०३२ १०२० १०३३ १०६५ १०५२ ४४१ ११५३ ६- १ ३३२ ३३२ ३० ४१ Ye १११ ५.१३ Page #1295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] [ १२३५ १०४३ ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या नथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या तत्वधर्मामृत तत्वार्थसूत्र भाषा-महाचन्द्र हि ५१ तत्वश्वकागिनी टीका २०२ लत्वार्थ सूत्र भाषा---पं. सदासुख कासलीवाल तत्व वर्णन हि ५३,५४ तत्वसार १०१२ तत्वार्थसूत्र भाषा-साहिवराम पाटनी तत्वसार—देवसेन ११८३ तत्वार्यसूत्र भाषा टीका हि०६६ तत्वसार--झानतराय तत्वार्थसुत्र भाषा पद्य-छोटीलाल हि० १०४४ १०७२ तत्वार्थसूत्र भाषा (बचनिका)-जयचन्द छाबड़ा तत्वरार माषा १०८२ राज. ५४,५५ तत्वानुशासन---रामसेन | तत्वार्थ मुत्र भाषा (बचनिका)—पन्नालाल संघी तत्वार्थबोध मना __Y: राजस्थानी ५४ तत्वार्थरलप्रभाकर-भ प्रभाचन्द्र सं० तत्वार्थसूत्र मंगल तत्वार्थ राजवातिक भट्ट अकलंक वं. तत्वार्थसूत्र दृत्ति सं०६० तस्वार्थवृत्ति- योगदेव सं. तत्वार्थपूत्र सार्थ हि० ११४२ तत्वार्थश्लोकसातिमा---ग्रा०विद्यानन्दि तत्वार्थगूत्र संग्रह सं०६३ सं० तद्धितप्रक्रिया-अनुभूति स्वरूप पाचार्य सं० ५१३ तत्वार्थसार-अमृतचन्द्राचार्य सं० ४३ | त द्धितप्रत्रिया- महीभट्टी सं० तत्वार्थसार दीप-० सालकीति सं० ४४ নীয় বিধি सं०८१५ तत्वार्थ मूत्र सं०६५७ तपोयोतक सत्तावनी प्रा. १०४९ ६७७,६९६,१०११, १०६७ तदीपिका-विश्वनाथाश्रम २५२ तत्वार्थ मूत्र-उमास्वामी सं०४४ तर्क परिभाषा--केशच मित्र २५२ ४५, ४६, ४७, ४८, ४६, ५०, ८७६, ६५३, ६६६ | तर्क परिभाषा प्रकाशिका-चेन्नभट्ट सं० २५२ ६७३, ६ER, ११०५, १००६, १०१८, १०१९ सर्फ परिभाषा प्रक्रिया-चिनभट्ट सं. ५१४ १०२२, १०३५, १०७२, २०५२, १०५८, १११७, | तर्क भाषा सं० २५२ ११२२, ११२७.११३६, ११५४, ११५३ तर्कभाषा वात्तिक २५२ तत्वार्थ सूत्र टोका राहि० १००१ तकसंग्रह -अन्नभट्ट सं. २५२,२५३ तत्वार्थ सूत्र टोका-गिरिधरसिंह हि ५२ ताजिक ग्रन्थ-नीलकंट ५४६ तत्वार्थ सूत्र टोका-श्र तसागर सं०५०५१ ताजिकालंकृति--विद्याधर तत्वार्थ सूत्रबलाब बोध टीका हिसंक ११२३ ताजिक नीलकंठोक्तषोड़शयोग तत्वार्थ सूत्र भाषा . ताजिक सार ५५,५६,५७, ५८, ५६ ताभिक सार-हरिभद्रगणि सं० १०६५ तारणतरण स्तुति (पंचपरमेष्ठी जयमाल) तत्वार्थ सूत्र माषा कनक कीतिः हि. ५१,५२ ह. तत्वार्थसुत्र भाषा-छोटेलाल ५३ तालस्वरज्ञान . "4म. ८ ४४२ सार Page #1296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३६ ] [ ग्रन्थानुक्रमणिका ५१६ ८१६ हि० or . हि. प्रा० . ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या मय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या तिथि दीपक यंत्र हि० ५४६ तेरहकाठिया हि. १०५५ तिथि मत्र सं०६६४ तेरहकाठिया-बनारसीदास हि०६६६ तिथि सारणी लक्ष्मीचन्द ११२९ तिथि सारिणी मं ५४६ | तेरहद्वीप पूजा-लालजीत तिलोमपत्ति --प्रा० अतिवृषभ प्रा० ६१० । तेरहवीप पूजा-स्वरूपचन्द हि । तीन चौवीसी पूजा सं ८१६ तेरहदीप विधान सं० १९ तीन चौबीसरी पूजा ८१६ तेरहद्वीप पूजा विधान हि ८२० तीनचौबीसी पूजा त्रिभुवनचन्द सं. ८१६ रहपंथखंडन-पन्नालाल दूनीवाले हि. तीनचौबीसी पूजा.- वृन्दावन तोनलोक चित्र लीनलोक पूजा-टेकबन्द ह. ८१६ तीनलोक पूजा- नेमीचन्द पाटनी हि ८१७ दग्निवालिया दयारास-गुलाबचन्द तीर्थमहात्म्य (सम्मेद शिखर विलास)-मनसुखराय दण्डक संहि दण्डकप्रकरण-जिनहंस मुनि तीर्थ करमाता-पिता नाम वर्णन-हेमल दण्डकप्रकरण-वृन्दावन हि दण्डकवर्णन तीर्थ करों के माता-पिता के नाम हि० १०१२ दण्डकस्सयन--गजमार प्रा. ११३ तीर्थमालास्तवन ६५२ दमयन्ती कथा-त्रिविक्रम भट्ट सं०४४३ तीर्थबंधनागालोधन कथा रा० दर्शन कथा--भारामल्ल हि. ४४३ तीर्थकरस्तुति ४४, १९१६, ११२२ सीसचौबीसी दर्शनपच्चीसी - मुमानीराम हि ७३० तीस चौबीसी-- श्याम कवि १८२ दर्शनपच्चीसी-बुधजन तीसचौमीसीनाम ११३५, दर्शनप्रतिमाकाब्यौरा हि ११३५ दर्शनविशुद्धिप्रकरण- देव भट्टाचार्य सं० ११४ तीसचीबीसी पाठ-पं० रामचन्द्र हि. दर्शनवीनती हि. ११४४ तीसचौबीसी पूजा हि दर्शनशतक - द्यानतराय १०४३ १०१० दर्शनशुद्धि प्रकाश तीनच 'बीसी पूजा-विधाभूषण सं. ११३८ दर्शनसप्तति प्रा. ११४ तीसचौबीसी पूजा-वृन्दावन हि. १८ दर्शन सप्ततिका तीसचौबीसी पूजा-शुभचन्द्र सं०६४, दर्शनसार दर्शनसार - देवसेन प्रा. २५३, तीसचौबीसी पूजा-पं साधारण सं०प्रा० ८१८ तीसचौबीसी पूजा-सूर्यमल हि ११८३ दर्शनस्तोत्र-भ० सुरेन्द्रकीति सं० सीसचौबीसीश्वतोद्यापन सं००७ दर्शनस्तोत्र भाषा-रामचन्द्र . प्रा० ११४ Page #1297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] प्रथम लोखा दर्शनाष्टक दर्शनाष्टका - विश्वासागर दश चिन्तामणि प्रकरण दर्शाद लाखनविधि दशधर्मवन दशपरमस्थान कथा ललितकीति सं० दस प्रकार विचार दशभक्ति दमामकथा ज्ञानसागर दशरथकीजयमाल उद्यापन पूजा दशलक्षणउद्यापन पूजा दशलक्ष र उद्यपान विधि दशलक्ष कथा-मीसेरीलाल 11 MAA हिन् दश उद्यापनपाठश्रतसागर से० H भाषा पर संख्या सं० १०९ हि० १००३ हि ११०३ सं० ८२३ ११३६ ४८० - दशलक्षण पत्र दशलक्षरण जयमाल रहधू दशलक्ष धर्मपूजा दशलक्षण धर्मवर्णन दशलक्षण धर्म वर्णन स० दशलक्षधर्म वर्णन – - मद्यापन सं ० हि० हि दशलक्षण कथा - ज्ञानसागर दंगल कथा हरिचन्द दशलक्षण कथा दशलक्षण कथा - ब्र० जिनदास हि० दपाल माथा f.. सं० ४७८,४८० हि० सं हिο fge दशलक्षरण कथा – ललितकी ति दशलक्षण कथा हरिकृष्ण पाण्डे हि० दशलक्षण जयमाल ४३३ हि० ८२४ ८२५०२७ २८ २६३, ११०२ दशलक्षण जयमाल पूजा - भावशर्मा अप० सं० प ११८४ १०१८ ११२३ । ६७७ १००० ८२४ ८२४ -२० ९६१ ११२३ ४४४ ४४४ ४४५ ૪૬ श्रप० सं० figo सं० सं० हि० लेखक ८२६ *** ११२ ११३ ११४ E-P ६८५ प्रथ नाम दशलक्षण पूजा दशलक्षण पूजा लानतराम दशलक्षण पूजा विधान टेकनन्द हि० दशलक्षण पूजा विश्वा सं० - - दशलक्षरण पूजा वारण पूजा दशलक्ष भावना पं० साख कासलीवाल दशलक्षरास विनयकीति -- राज० मंडल पूजा- अनुराम हि० हिन् हि० हि गलविधान पूजा दशलक्षण विधान पूजा दशलक्षरण व्रत कथा [ १२३७ भाषा पत्र संख्या ०४८,६६० हि० ८२६,५८१, १०११, ८२५ ६२८ fg सं दशलक्ष व्रत कथा हिन् दशलक्षण व्रत कथा - श्र०जिनदास हि० दशलक्षण व्रत पूज - दशलक्षण प्रतोद्यापनर दशलक्ष व्रतोद्यापन हिο सं० दशलक्षण प्रतीद्यापन पीसागर सं० प्रा० ८२४, ८२५ | दशलक्षण प्रतोद्यापन सं० दशलक्षण व्रतोद्यापन -- भ० ज्ञान भूषरण सं० दशलक्षरस्तोत्र दमनक्षीक दशनाक कथा-रेद्र दशलक्षरण व्रत पूजा लक्ष व्रतोद्यापन दशलक्षण व्रतोद्यापन दशलक्ष व्रतोद्यापन दशलक्षण प्रयोशापन पूजा-सुमतिसागर स० हि सं० हि हिं० अप० प्रा०सं० सं० सं० सं० दशलाक्षणिक पूजा पं० रूपन्द हिन् ८३२ ११४ ८२८ ११२३ ८२८ परख २११६, ११६४ REL ११४३ ८२८ ८२८ ८३० ८३१ ८११ ८२६ ८३० ८३० ८३० ८३० ८३१ لای وا ८३२ čer १०३९ Page #1298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३८ ] [ प्रस्थानुक्रमणिका Is ००० अथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या ! ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या दशवकालिक सूत्र ६२ दानडी की कथा हि० ४७ दशस्थान चौबीसी-मानतराम लि १०४४ | दानलपशील भावना-- ब्रह्मला मन हि० ११३४ दसन'गों की नामावली ११५३ दानफसरास-द्रजिनदास दसवान १०४६ दानलीला हि. १०६७ दम्य गुण शतक सं ५७७ ' दानशीलतप भावना द्रध्यपदार्थ २५४ द्रव्यसमुच्चय-कंजकीर्ति सं० ६२ दानशीलतप भावना--मुनि असोग प्रा. ११५ द्रव्यसंग्रह | दानशीलतप भावना-श्री भूपरम हि. ११६३ | दानशीलतप भावना-समयसुन्दर, हि०९४६, द्रव्यसंग्रह- नेमिचन्द्राचार्य प्रा०६२ १०३६, १०५६ ६३, १०५४, १०८० दानशीलभावना-भगोनीदास हि० ११४ द्रव्यसंग्रह टीका प्रा०हि० ६५ दानादिकुल वृत्ति - सं० ११५ द्रव्यसंग्रह टीका संहि०६५ | द्वादशनाम-शंकराचार्य सं० ११८५ द्रव्यसंग्रह टीका-प्रभाचन्द्र ६४ | द्वादशमासा-चिमना भाषा महा० १००३ द्रव्यसंग्रह भाषा हि०६५ : द्वादशानुपेक्षा हि० १४१, ६६, ६७, १००८, १०७३, ११०३ : ६६०,१३,१०४६, १०५१,१०५८, द्रव्यसंग्रह भाषा-40 जयचन्द छाबड़ा १११०, ११४२ राज. ६७.६८ | वादशानुनक्षा-कुन्दकुन्दाचार्य प्रा. २०३ द्रस्यसंग्रहभाषा-पर्वत धर्मार्थी गु. ६६, | द्वादशानुक्षा-गौतम २०३ १०४१ | द्वादशानुप्रेक्षा-पं० जिनदास हि द्रव्यसंग्रह माया-मया भगवतीदास हि. १००५ द्वादशानुप्रेक्षा... ईसर द्रव्यसग्रह भाषा टीका हित ६५ वादनानुपक्षा--जिनदास द्रव्यसंग्रह भाषा टीका-बक्षीधर हि०६७ | द्वादशानुपंक्षा- जिनदास द्रव्यसंग्रह वृत्ति-ब्रह्मदेव संस्कृत द्वादशपूजावियान द्रव्यसंग्रह सटीक प्रा०हि वादशभावना-सादिनन्द्र द्रासग्रह सटीक-बंशीधर प्रा. १०४३ हाणराशिसंक्रान्तिफल दातासूम सवांद ११०४ | द्वादशवत कथा-40 अभ्रदेव ४४७ दानकथा-भारामल्ल ४४६ (अक्षय निधि विधान कथा) दानकथा--भारामहल हि द्वादशवतकथा-ललितकीति ४४७ दनशील कथा-भारामल्ल द्वादशवत पूजा-- देवेन्द्र कीर्ति दानवील संवाद-समयसुन्दर ४४७ द्वादशावत पूजा-भोजदेव दानकथा रास ११४४ द्वादशवतमंडल पूजा दानचौपई-समयसुन्दर वाचक हि. ११४३ ! द्वादशवतोद्यापन प्रा० ६५१ 40 a or oram २२ ५५० न कर Page #1299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रन्धातुक्रमणिका ] ग्रंथ नाम लेखक द्वादशीष था - श्र० ज्ञानसागर द्वादशांग पूजा सं० द्वात्रिंशिका (नुक्त्यष्टक) सकिय हि● दिगम्बरीदेव पूजा— पोसह पांडे हि จ दिनप्रमाण विनमन कर रग दिशानुवाई दृष्टांतपचीसी – भगवतीदास हटतिशतक दृष्टान्तशत क दिगम्बरों के ४ भेद सं० दिन गुहाम कुतुहल भास्कर सं० सं० द्विग्रहयोगफल दिजगतसार द्विजवदनमपेटा कुसुमदेन महार लावणसमय भाषा दीपमालिकाकल्प दीपमालिकाचरित्र दीपावली कथा दीपावलि महिमा - जिनप्रभसूरि दीक्षापटल दीक्षाविधि दुखह्' उद्यापन यशकीति दुधषागृह दुधारस कथा - विनय कीर्ति योग दुर्गमबोधसटीक दुर्घटकाव्य दुर्गाविषार हि० सं० हि० हि fro fize सं० सं सं० सं० सं० हि० सं० हि सं सं सं० सं० सं० हिο सं० สิ่ง स सं० विरसमीर स्तोत्रवृत्ति समय सुन्दर सं० देवकीनीहाल डि० देवपरष चौपई - उदयप्रभसूरि दि० पत्र संख्या १२२ ८३३ ७३१ ११८५ १०६१ ११३६ ५४६ ८३३ ८३३ ८३२ ३३ २४६ ११२३ १११६ ३३२ 쭈쭈꾸 ११४० ग्र व नाम देवपूजा ११८४ ४४८ १०२४ लेखक देवपूजादेवपूजा - ब्रह्म जिनदास -- देवपूजा भाषा पं० जयवन्डा हि० देवपूषा भाषा देवीदास देवपूजाप्टक ५४३ देवशास्त्रगुरु पूजा fe. १११५ | देवरु पूजा जयमाल माया हि० ११०४ देवसिद्ध पूजा ११३३ ६६५ ६ ६० ६८६ ५५० ११५ २५४ ४४८ ४४८ ३३२ ४४५ [ १२३६ भाषा पत्र संख्या हि० ८३३ १०३६ १०५० ८३३. १०४७ दोहरा - आलूकवि दोहापायोगीद्रदेव दोहाबावनी- पं० जिरगदाम दोहा शतक लं G ध हिο सं १०४४, १०२, ११२२, ११२८ देवागमस्तोत्र - समन्तभद्राचार्य સ્ ११०४ देवागमस्तोत्र वृत्ति - प्रा० सुनन्दि सं० ११८५ देवीमहात्म्य सं० ४ म देशनामतक ६८६ बेहस्तगीत १०२५ दोषावली [सं०] ८३४,१५६, दोहे --तुलसीदास हि द्रौपदीशीलगुणराम आ० नरेद्रकीति हि० दौलत विलास - दौलतराम हिन् दौलत विलास - दौलतराम पल्लोबान हि० ८३३ ११४२ ८३४ ८३४ प्रा० हि हि० ५४२,५७७ हिन् ग्रा० हिο fre मनकलश कथा—सलितकीति सं० धनजय नाममाला – कवि धनंजय सं० वनाऋषि काय-हर्षकीति हि चन्नावउप हिο धम्माच उप - मतिशेवर Fig ९४१ २०६५ E ६८६, १००८ १०११ ६६४ ६६० ६६० ४७६ ५३६, ५३७, ५३८ ૦૩ १०६३ ४४८ Page #1300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४० ] गंधानुक्रमणिका ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या : पंथ नाम लेखक भाषा पत्रसंन्या धन्नाजी की घीनली हि. १०६८ | | धर्मपच्चीसी हि० ९६८, धन्ना सझाय-त्रिलोकीनाथ हि० १०६३ १०५६, १०६२ धन्यकुमार चरित्र - गुणभद्राचार्य सं० ३३३ | धर्मपच्चीसी-छानतराय हि०१०४३ धन्य कुमार चरित्र--सकल कीति सं० ३३३, धर्मयच्चीसी-बनारसीदास हि १०७८ धर्मपच्चीसी-भगवतीदास धन्यकुमार चरित्र-द्र नेमिदत्त सं० ३३५,३३६ धर्मपरीक्ष:-प्रमितिगति सं० ११५,११६ धन्यकुमार चरित्र-भ. मल्लिभूषण सं. ३३६ | धर्मपरीक्षा कथा-देवचन्द्र सं०४४१ धन्यकुमार चरित्र-खुशालचन्द काला हि० ३३६, धर्मपरीक्षा भाषा - दशरथ निगोत्या दि. १२१ धर्मपरीक्षा भाषा--बाबा दुलीचन्द हि० २२१ धन्यकुमार चरित्र-रइधू अपभ्रश १०१ धर्मपरीक्षा भाषा-मनोहरदास सोनी धन्यकुमार चरित्र बचानका हि० ३३८ धन्यकुमार चरित्र भाषा--जोधराज हि० ३३ ११८, ११६, १२० अन्यकुमाररास -६० जिनदास दि. ६३५ १५०, १०३०, १९४७ घरगेन्द्र पूजा सं० १९२६ धर्मकथा चर्चा हि०६८ । धर्मपरीक्षा भाषा-- सुमलिकति हि १२१, धर्मकीर्ति गीत हि. ६६२ धर्मकुदृलियां-बालमुकुन्द हिं० ११५ 'धर्मपरक्षा रास'-- ब्र. जिनदास हि० ६३५, धर्मचक्र पूजा सं०६४८, । १६.६६६।१०८६ धर्मपरीक्षा वचनका-पन्नालाल चौधरी धर्मयक्र पूजा-खड्गसेन सं० धर्मचक्र पुजा-यशोमन्दि | धर्मपाप संवाद धर्मदक यंत्र धर्मपाप संवाद-विजयीति धर्मचन्द्र की लहर ( चतुर्विंशति स्तबन ) हि० ११८५ चर्मपंचविशलिका-5: जिनदास प्रा. हि० १०२१ १२२ धर्मच ची धर्म प्रवृत्ति (पाशुपत सूत्राणि) नारायण धमंडाल ११८५ धर्मतत्व सर्वया-सुन्दर ११११ | धर्मप्रश्नोत्तरी १२२ धर्मतरुगीत–० जिनदास ६५१ धर्मबावनी-बंपाराम दीवान १०४० धर्मतगीत ( मालीरास.)-जिरणदास धर्मबुद्धि कथा ४४६ __ हि० १० ३ । धर्मबुद्धि पापबुद्धि चौपई हि. धर्मत्त चरित्र-दयासागर सूरि हि० ३३८ धर्मबुद्धि पापबुद्धि चौपई-जिनहर्ष हि ६५४ धर्मदत्त चरित्र-मारिणक्यसुन्दर सूरि सं० ३३६, धर्मबुद्धिमंत्री कया - बखतराम हित ४५० धर्मनाथस्तवन-पानंदधन हि० १४२ | धर्ममंडन भाषा--लाला नथमल हि० १२२ धर्मनाथ रो स्तवन-मुखसागर हि०९८६ | धर्म युधिष्ठिर संवाद सं० १९८५ ११४७ Page #1301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धानुक्रमणिका ] श्रथ नाम धर्मरत्नाकर - जयसेन परसायन-पनन्दि धर्मरावा धर्मरास लेखक धर्मरासो जोगीदास धर्मविलास धर्मविलास द्यानतराय - — ध्यानवर्णन ध्यानसार भाषा सं - प्रte हिο हि० द्वि० fro हिन् धर्मवृदय महाकवि हरिचन्द्र सं धर्मशर्माप्रदय टीका यश कीर्ति सं धर्मवध्यान निरूपण सं० १८४ १०३२चानुपय ६८१ धातु परीक्षा ११०० धातुपाठ ६६१ भालुवाङपाणिनी - ६५१ १०४६, १० धर्मस्तम्भ - मान सूरि धर्मसार धर्म सार - पं० शिरोमरिश दास धर्मसंग्रह भावनाचार-पं० धर्मसंग्रहसार कीति धर्मामृक्तिसंग्रह धर्मोपदेश धर्मोपदेश - रत्नभूष‍ धर्मोपदेश रत्नमाला नेमिचंद प्रा० धर्मोपदेश धावकाचार पं० जिनदाय सं धर्मादिश धावकाचार धर्मदास हि० परदेश श्रावकाचार० नेमिदत सं० ३३९ ३३ १२३ सं० ८३४ हि० ११६० हि० १२३, १२४ सं० १२३ १२४ ६८६ १२५ १२५ १२५ १२६ १२६, ११०३ १२५ १२६ सं० पत्र संख्य १२२, १२३ १२२, ११११ ६३५ स० हि रां धर्मोपदेशसिद्धान्त रत्नमाला भागबन्द धर्मोपदेशामृत पचनि ध्यानबत्तीसी सं० हि fg. 이 ० ६९२ १२६ ૩૬ सं० पथ नाम लेखक ध्यानामृनरास - ब्र० करमसी वजारोपण विधि १०४१ १००८ ૨૨૨ पावकखद्वीप पूजा धातुतरंगिणी- -हर्षकीति धातुनाममाला धातुपाठ शाकटायन धातुपाठ - हर्ष की ल धातुपाठ मातु वन्दावली -- धातुसमः स विधान धुचरित्र - परमानन्द चरित्र नक्षत्रफल नक्षत्रपालान कथा नीज एवं बार विचार नत्र सिख वर्णन --- वलभद्र न ननदमोजाई का झगडा नन्दबत्तीसी - नन्द कवि -- नन्द बत्तोसी विमलकीर्ति . | १२४१ नन्दीश्वर पूजा नन्दूप्तमी की कथा नमस्कारमहात्म्य भाषा पत्र संख्या हि० ६३५ सं० ८३४ ८३५ ५१४ सं० मं० स० ยิ่ง सं० स० सं० सं० सं० संब सं० सं हिन् हि हिन् सं० सं ० भोजाई गीत-- भानस्य वर्द्धन हि० हिन् सं. ० हि० हि० हिन् सन्दिमंगल विधान सं० नन्दीश्वर जयमाल सं० नन्दीश्वर जयमाल - सुमतिसागर हि० नन्दीश्वरतीर्थ नमस्कार प्रा० हिο हिन् स० ५१४ ५१४ ११६५ ६६३ ५१४ *** ५१४ ५१४ ५.१५. ५१५ १११९ १००१ ११८५ *** ११३६ १०७३ १०६० १०६१ ༤-༠ Εξυ ex ८४२ LE ११०८ ७३१ ९५६ १०६२ १२६ Page #1302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४२ ] [ ग्रंथानुक्रमणिका २५५ ६६९ d / EMARK प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | अथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या नमक-देवसेना सं० २५४, | नवकार सहाय हि० ७२१ नवकार मवैया-विनोदोलाल । मयचक भाषा-निहाल चन्द हि० २५५, ! कारस्तोत्र ११२४ २५६ / नवग्रहरिट निवारण पूजा हि ८३७ नयचक्रभाषा वनिका-हेमराज हि. नवग्रह पूजा १३६, ८३७, १०५७ नरकदुख वन-भूधरदास १२६ नवग्रह पूजा-मनसुखलाल हि. ८३७ चरकदोहा नवग्रह पूजा हि०८३७ নানান नव ग्रह पूजा विधान हि. ५३७ नरकविवरण हि० नवग्रह स्तवन प्रासं० ७३१ नरकनुहाल-गुणसागर हि० नवग्रह स्तोत्र-भद्रबाहु सं० ३१ नरपति जयचों -बरपति सं. ५५० नवग्रहपाश्वनाथ स्तोत्र स. ७३१ नरसंगपुरा गोत्र छंद नवग्रहस्तोत्र सं. ११५३ नरेन्द्रकीतिगुरु अष्टक ११६० नवतत्वगाथा नलदमयंती चउपई नवसत्व माथा भाषा--पन्नालाल चौधरी हि. ६८ नलदमयंती संबोध-समयसुन्दर नवतत्व प्रकरण प्रा० नलीमार व्यान ४५० मयतत्वप्रकरण टीका-पं० भानविजय नलोदय काव्य ११८६ संहि० ६६ नलोदय काव्य-कालिदास ३३६ | नक्तत्वशब्दार्थ प्रा. ६० नलोदय काव्य टीका ३३६ नवतत्वसमास प्रा० १०२६ ननोदय काध्य टीका-राम ऋषि नयतत्व सूत्र प्रा० नलोदय काव्य टीका-रषिदेव सं० २४० | नवनिधान चतुर्दश रत्न पूजा-लक्ष्मीसेन नवकार-प्रर्थ सं० नवकार पूजा सं० २३५ नवादफेरी सं० १९६६ नवकार पैतीसी पूजा नजपदार्थ वर्णन नत्रकार पतीसी व्रतोद्यापन पूजा-सुमतिसागर नवमंगल हि. ९७५ स० ८३५ नवमंगल-लालचन्द हि. १८७४ नदकार बालावबोष हि० १२७ | नवमंगल विनोदीलाल हि. १०७१, नवकार मंत्र ७७५ १०७८, ११५५ नवकार मंत्र--लालचन्द १११३ | नवरत्नकवित्त नवकारमंत्र गाया नवकाररास हि. ६८१, नवरत्त काव्य सं० ११८६ ६६७ | नवरत्न काय नवकाररास- जिणदास हि० ६३५ | मघरस स्तुति--स्थलभद्र ९६७ ३४० १२६ प्रा. ६५६ Page #1303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] [ १२४३ ० ० are m UGU arr . ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या । ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या नवलादेवज हिं० १०६५ ] नाममाला-धनन्जय मं० १०११, नववादीविनती हि०७८ १०१६ नवसेनाविधान १०४६ नाममाला--नन्द दास नसीहत-तुकमान हकीम नाममाला-हरिदस नसीहतबोल नाममाला बनारसीदास न्यायग्रथ सं० २५६ | नामरत्नाकार न्यायचन्द्रिका-भट्टकेदार सं० २५६ नामनिर्णयविधान हि न्यायदीपिका -धर्मभूषा सं० २५६ | नामलिंगानुशासन... ग्रा० हेमचन्द्र सं. ५३८ न्यायदीपिका माया वचनिका-संघी पन्नालाल | नामलिंगानुशासन बत्ति ५३८ मं० २५६ नामलिंगानुशासन-प्रमरसिंह सं० २५ न्यायबोधिनी म. २२७ | नामावलिइंद-ब. कामराज न्यायविनिश्चय--अकलंकदेव सं० २५७ नारचन्द्र ज्योतिष-नारचन्द म० ५५०,५५१ न्यायसिद्धान्तदीपक टीका-शशिधर सं. २५७ नारदीय पुराण सं० १९८१ नापसिद्धान्त प्रमा मसी २५ | मारपत्रिका सं० १००६ न्यायावतार वृत्ति सं० २५६ | नारी पच्चीसी न्हवण एवं पूजा स्तोत्र हि०सं० १११७ | नासिकेतपुरामा न्हावरणविषिप्राशावर निघंटु न्हावणपाठ भाषा-बुधमोहन हि० ३८ | | निघटु टीका ५७८ नागकुमारचरित्र---मल्लिषेण स. ३४०, | | नित्यकर्म पा संग्रह १२७ ४५०, ४५१ | नित्यनियम' पूजा नागकुमारचरित्र नागकुमारचरित्र-विबुधरत्नाकर सं० ३४१ | नित्यनियम पूजा ८४० नागकुमारचरित्र-नयमल बिलाला हि ३४१. | नित्यनियम पूजा संग्रह ३४२ | नित्यनैमित्तिक पुजा ८४१ नागकुमार रास -5. जिनदास हि. ६६ ११३६ नागधी कथा - किशनसिंह | नित्यपाठ संग्रह नागधीरास (रात्रि भोजन रास )-ब्र० जिनदास | नित्य पूजा सं. १३८ हि० ११३७ | नित्य पूजा हि. ८३८ नागश्री कथा--ब्र नेमिदस ___ सं० ४५१ / नित्यपूजा पाठ-ग्राशाधर सं०३६ नाडीपरीक्षा सं० ५७७, नित्यपूजा पाठ स०३ ५७८, १११५ । नित्यपूजा संचह नाम व भेद संग्रह ल्लिक ७० | नित्यपूजा भाषा-प. सदामुख कासलीवाल नाममाला हि. १०४१, १०६२ । नित्यपूजा पाठ संग्रह हि०सं० ES Hn. Ji ८४०, ८४१ or d pr Page #1304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४४ ] [ ग्रंथानुक्रमणिका हि हि. ۴مه 4. ०० ره گه falo २०३। 4. م 4. ० له ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र सस्या | अथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या नित्यपूजा संग्रह सं० २४० | निर्वाणकाण्ड पुजा निक्ष्मजा नचनिका--जयचन्द छाबड़ा हि ५४० निर्वाशाक्षेत्र पूजा हि० ८४१,४२ नित्यपूजापाठ संग्रह सं० ११८६ निर्वाणक्षेत्र मंडल पूजा हि. ८४२ निदान निर्धाण मंगल विष-न-अबराम हि ८४२ निदान भाषा-श्रीपन भट्ट हि ५७८ / निशस्याष्टमी कथा--ज्ञानसागर हि० ११२३ निदाननिरु सं० ११५३ निशान कथा हि० १०७३ निपट के कवित्व हि० १०५९ निशिभोजन कथा-किशनसिंह हि० ४५२,४५३ निमित्त उपादान-बनारसीदास हि १०६४ निशिभोजन भारामल्ल हि ४५३,४५४ निमित्तशास्त्र मं० ५५१ निःशल्य अष्टमी कथा हरिकृष्ण ४३३ नमित्तकशास्त्र - भद्रबाहु स० ५५१ निक नियमसार टीका - पाप्रभमलधारिदेव सं०७० | निषकोदाहरण नियमसार भाषा-जयचन्द छाबडा हि नीतिभंजरी नियमानलिसुत्त प्रा. नीतिवाक्यामृत-आ सोमदेव निरजंनाष्टक सं. ११३५ नीतिशतक-स० प्रतापसिंह निर्जरानुप्रेक्षा नीतिशातक-भर्तृहरि निझरपंचमीविधान नीतिश्लोकनिर्दोषसप्तमी कथा ६.१ नीतिशास्त्र--चाणक्य ११२३ नीतिसार ११३५ निर्दोषसममी कथा-ब्र० राय मल्ल हि० ४५२, मोतिसार---प्रा० इन्द्रनन्दि ४८०,६४३, १४४,६६६,१११८ नीतिसार-चारणक्य १६६ निर्दोषसलमी कथा हरिकृष्ण हि० नीतिसार-समय भूषण ४३३ नीलकण्ठज्योतिष- नीलकण्ठ म० निदोषसप्तमी व्रत पूजा-जा जिनदास हि० ८४१ नींदडली...किशोर निघोषससमी व्रतोद्यापन सं० निर्वाणकल्याप पूजा नूरकी शकुनाबलि-दूर हि नेत्ररोग की दवा १११५ निर्वाणकाण्ड-भया भगवतीदास हि० १०१७, । नेमकुमार-वीरचन्द ११४७ नेमजी की डोरी-बानाथू १०६७ निर्वाणकाण्ड गाथा प्रा. ११२५, नेमजी की विनती ११२६, १९८६, ११८७ निर्वाणकाण्ड गाथा प्रा०६५२ नेमव्यापच्चीसी-देवराज निर्वाणकाण्ड भाषा-भैया भगवतीदास हिं० ६५२ नेमिकुमार गीत -मुनि लावण्य समय हि. ११३८ ७३०, १०२०, ११८६ | निर्वाणकाण्ड गाथावपूजा-उदयक्रीति नेमिचन्द्रिका हित १०४० प्रा०सं० ८४१ | हि. . स० . म. D सं. . D ८४१ . ग Page #1305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] [ १२४५ स० ग्रंथ नाम लेखक भाषा पर संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या मिचन्द्रिका भाषा ने भिनाथराजमलीसंवाद-० ज्ञान सागर गाभिचरित्र- हेमचन्द्र हि. ११३० मिजिनचरित्र-० नेमिदत्त सं० ३४२ नेमिनाथरास (५६, नेमिजिन जयमाल -विद्यानन्द १०६० नैमिजिनस्तवन-ऋषि नद्धन नेमिनाथरास--प्रभय चन्द मितकाव्य--विक्रम ३४२ नेमिनाथरास-पुण्यरतन मुनि । नेमिनाथरास-द्र. रसन नेमिनवमगल---विनोदीलाल १०८० नेमिनाथरास-मुनि रत्नकीति नेमिनाथजी का न्याहला-नथमल हिं० १०४५ देमिनायरास- रायमल्ल नेमिनाथ मीत नेमिनाथरास--विद्याभूषण नेमिनाथ गौत- यशोघर नेमिनाथरेखता--क्षेम हि० नेमिनाथ चरित्र नेमिनाथकीलहुरि नेमिनाथ चरित्र ३४३ नेमिनाथलावणी-रामपाल नामिनाथ छद-हेमचन्द्र ११५६ हि ७३१. १०७० नेमिनाथ कोविनती ११४७ नेमिनाथ जयमाल सं०६५६ नेमिनायविनती-धर्मचन्द्र ११२६ नेमिनाथ के दशभव हि० १११४ नेमिनाथविवाहलो-सेतसी नेमिनाथनवमंगल हि. ११२३ जेमिनाथ वेलि-राक्कुरसी नेमिनाथनवमंगल-लालचन्द हि. १०४२ ६६२ नेमिनाथ बमंगल-बिनोदीलाल हि. ७३२ नेमिनायसमवसरण- वादिचन्द्र नेमिनाथपुराण-ब्र नेमिदत्त सं० २७७,२७५ नेमिनाथस्नयन नेमिनाथ प्रबंध - लावण्य समय दि. ११४१ नेमिनाथफागु-विद्यानन्दि नेमिनाथस्तवन-रूपचन्द ६५५ नेमिनाथस्तुति १०२४ नेमिनाथबारहमासा हि० १०२६, | नेमिनाथस्तोत्र १००५, १११७, ११२८ ११२७ नेमिनाथ का बारहमासा-पांडे जीवन हि० ११२८ | नेमिनाथस्तोत्र-पं० शालि नेमिनाथ का बारहमासा-विनोदीसाल हि. १०४२ नैमिनिर्वाण-ब्र रायमल्ल १८६ १०५३, १११४, ११२८ | नेमिनिर्वाण-वाग्भट्ट नेमिनाथ का बारहमासा-हर्षको ति हि १४६ नेमिनाथ का व्याहसा हि०१०६४ | नेमिपुराण मिनाथराजिमति वेलि-सिंघदास हि० १०२६ । नेमिपुराण भाषा–भागचन्द नेमिनाथराजमति का रेखता--विनोदीलाल | नेमिराजमतिगीत १५० हि. १००३,१०५० | नेमिराजमतिवेलि-ठक्कुरसी हि. १५४ ६५३ ११३३ १०१४, ३४३ indi Page #1306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४६ ] [ ग्रंथानुक्रमणिका is is F V F 1 ६२५ प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | प्रथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या नेमिराजमतीशतकलावग्य समय हि. ११८७ নীং লাল ८४२ नेमिराजुलगीत---गुणचन्द्र हि. १०६७ नेमिराजुल का बारहमासा दि. १०६५ नंदीश्वर द्वीप पूजा नेमिराजुल बारहमासा-विनोदीलाल हि० ११८७ नंदोश्वरद्वीप पूजा नेमिराजुलसंवाद--कल्याणकोति हि० ११६४ नंदीश्वरद्वीप पूजा उद्यापन नेमि विवाहलो नंदीश्वर प्रतोद्यापन ८४४ नेमिस्तोत्र ७७५ नंदीश्वर पूजा नेमीश्वरगीत नंदीश्वरद्वीप पूजा-टेकचन्द ११५४ नंदीश्वर पूजा-डालूराम ने मिष्वर के पंचकल्याणक गीत नंदीश्वर पूजा रत्ननन्दि नेमीश्वरफाग हि १५६ नंदीश्वरद्वीप पूजा-पं० जिनेश्वरदास सं. नंदीश्वरद्वीप पूजा-लाल नेमीनारबारातचित्र हि. नंदीश्वरद्वीप पूजा-विधीचन्द्र हि. नेमीवरराजमलि---सिंहनन्दि १८३ नंदीश्वरद्वीप उद्यापन पूजा नेमीश्वरराजुलगीत- रत्नकी ति। नंदीश्वर पूजाविधान सं० नमीश्वररास हि०१०६८ नेमीश्वरराम ..... दाम नदीश्वरदीप मंडल नमीश्वर रास-बहाद्वीप हि० १०८४ नंदीश्वरपंसि पूजा--म० शुभचन्द्र सं. नेमीश्वररास-भाऊकवि हि. १८४ नंदीश्वरपंक्ति पूजा हिसं. ८४४ नंदीश्वरपंक्ति पूजा १८ नेमीश्वररास- रायमल्ल हि १४,६६६, १७६३, ११०६ नेमीश्वरकीलहरी हि० १०४१ नेमीसुर का रास .. पुण्धरले १४४ पविषय मुत्त प्रा. ७५ नैमित्तिक पूजा संग्रह ८४६ पखबाड़ा-जती तुलसी हि. ११११ नमित्तिक पूजा संग्रह ८४६ | पच्चक्तासा भाष्य प्रा २०३ नषध चरित्र टीका | पट्टावलि हि. ६५३, नैषधीयप्रकाश-नरसिंह पांडे ६५४, ६५७, १०७२, ११०६, ११४२, ११५६, नंदिताय छंद नदीपछद .. नंदिताब्य प्रतिष्ठापट्टावली नंदीश्वर कथा-शुभचन्द्र भट्टारकपट्टावली नंदीश्वर बन कथा मुनि पट्टावली हि ४५५ पडिकम्मरण हि. ११०७ नंदीश्वर कथा- रत्नपाल ४७६ | पडिकोणा हि. नंदीश्वर कथा-हेमराज हि ४५३ | पतंजलि महाभाष्य-पतंजलि सं. ५१६ 4. ३४४ ४५४ ४ ६५४ ४ ११०७ Page #1307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] प्रभ नाम पत्र परीक्षा पथ्य निर्णय पथ्य निय - पद – गुणचन्द्र पद - जिनसा सूरि पद ठक्कुरसी ― सं ० पाप निर्णय सं० पथ्यापथ्य विचार सं पथ्यापथ्य विदोषक वंद्य जयदेव सं० पद-करवीदास हि पद-सागु पद-धुवा लेखक विद्यानन्द - पद प्र० दीप, देव सुन्दर कबीरदास, बीडी पद दीपचन्द - पद- द्यानतराय पत्र- बनारसीदास पद - बल्ह (राज) पद - पद पद - भूषरदास पद ब्रह्मकपूर राम, जगराम जगतराम, द्यानतराय पद - रूपचन्द पद- बनारसीदास पद- मनरथ पद - प्र० यशोधर भावा पद-हर्ष कोति पद-सुन्दर पद – भूधर पदककीर्ति सं हि ० पद - विजयकीन पद - जगतराम ५७६. पत्र रूपचन्द ११७० पद: - गरि १०८६ १०६४ हिन् ३८४ हि ४ fg 0 fas हिन् fze fg हि fཎྞཾ༠ हिο हि. हिन् fro पत्र संख्या | ग्रंथ नाम ११०२ १०२० ०५. ८०० १०८४ १०८६ १०६२ १०१० १०६० ८७५, १०९७ ८७६ ११०५ ८७७ ८७७ १०२५, १०२६, १०२७ fige ११०५ हिο ११०५ fg. ११०५ हिο ० ११०५ हिन् हि हिο २५० पद - ज्ञानतराय ५७६ पद – भागचन्द ५७९. ५७९ ५७६ हि.० ६८४ ११११ खेलक पद एवं हाल पदमकुमार परसीदास पद ब्रह्म-राजपाल पदमा की बीहालो पदसंग्रह पदसंग्रह किशन गुलाब पत्र सह- हरचन्द पद सग्रह – जगतराम पद संग्रह नवल जोवा पत्र संग्रह - प्रभाती. लालचन्द पदसंग्रह चन्द पदसंग्रह - सुरेन्द्रकीर्ति पद संग्रह - मंगल पदसंग्रह - भानुकीति पदसंग्रह - पं० नाचू पद सग्रह - मनोहर पदसंग्रह – जिन पदसंग्रह विमल प्रभ पदसंग्रह पकीति पदसंग्रह — खुशालचन्द पदसंग्रह चैनसुख पदसंग्रह देवा वा पदसंग्रह - पारसदास निगोत्वा पद संग्रह - हीराचन्द पदसंग्रह पद ग्रह पदसंग्रह [ १२४७ भाषा पत्र संख्या ११०४ ११०५ ११०६ ११०७ ११०७ ११०७ १८३ ६६.३ हिन् fg. fr हिο हिन् figo हिο हि० हि० हिं० Fo हि हिन् fro हि० fro हिन् हिन् हि० हिο हि हिन् हिन् हिन् हि० fg. हिन हिन् 180 fa 160 हिο १०६५ १११० १०१८ १०५३, ११०९ ११०७ ११०० ११०७ ११०७ ११०७ ११०७ ११०७ ११०७ ११०८ ११०८ ११०८ ? ? @ka ११०८ ११०८ ६३३ ९६३ ६६३ ६६३ ६६४ ६६४ ६६५ * Page #1308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४८ ] ] ग्रंथानुक्रमणिका ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | नय नाम खेखक भाषा पत्र संख्या पद संग्रह-जगतराम, भूधरदास हिं० १०७६ | पद्मनन्दि पंचविशति टीका सं० १३१, पानतराय, सुवानन्द, नवल हि० १०७७ पद संग्रह- जगराम गोदीका १०४५] पद्मनन्दि पच्चीसी भाषा--जगतराय हि० १३२ पद संग्रह-नश्रमल १०४५ | पद्मनन्दि पच्चीसी भाषा-...मन्नालाल खिन्द्रका पदसंग्रह-हेतराम हि १०४६ राज. १३२, पद संग्रह-भूधरदास ११८८ पद संग्रह --जिनदास हि० १०४७ | पद्मन न्दि महाकाव्य टीका-प्रहलाद सं० ३४४ पद संग्रह-नवलराम १०४७ पञ्चमन्दि श्रावकाचार--पयनन्दि पद संग्रह-जगतराम पयनन्दि स्तुति सं० १००० पद संग्रह-पारसदास RE पपुराण-सुशालचन्द काला हि० २८४, पद संग्रह-बनारसीदास हिन्दी १०७३ २२५, १०५२ पद संग्रह-जगराम हिन्दी पभपुराए-जिनदास स. २७६ पद सग्रह-कनवकीति हिन्दी १७७३ / पापुराण-भः धर्मकीर्ति सं. २० पद संग्रह-हर्षचन्द्र हिन्दी १०७३ | पुराण-..-रविरणाचार्य सं० २७८, २७६ । ह..-बल हिन्दी १०७३ पभराम पुराण-भ० शुभचन्द्र सं० २७८ पद संग्रह-द्यानतराय पद्मपुराण-भ० सोमसेन सं० २५० पद संग्रह-देयाब्रह्म हिन्दी १०७३ | पद्मपुराण भाषा-दौलतराम कासलीवाल पद संग्रह-विनोदीलाल हिन्दी १०७३ हि. २८०, पद संग्रह हि. १०१२, २८१, २८२, २८३, २८४ पद्मावती कान सं. ११२५ पद संग्रह--भव सागर पद्मावती गायत्री सं. ११६३ पद संग्रह---वेगराज | पद्म घती सहस्रनाम पर संग्रह-भ० सकलकोतिहि .६८६९८७ पद्मावती कवच अजिनदास, शामभूषणा, रामतिकीति पद्मावती गीत-समय सुन्दर हि. ७३२ पद संग्रह--- स्वामी हरिदास हि० १०६६ पद्मावती स्तोत्र सं० ७३२ पद संग्रह सिजाय पद्मावती छंद दि. ११६८ पदस्थ ध्यान लक्षण १०१५ पभावती दण्डक पदस्थापना विधि-जिनदत्त सूरि सं० १९८८ पद्मावती देवकल्प मंडल पूजा-इन्द्र नन्दि पद्म चरित्र पद्म चरित्र-बिनयसमुद्र गरिप हि. ३४४ | पद्मावती पटल ८६०, पनवरित टिप्पण-श्रीचन्द मुनि सं. २७८ पद्मनन्दि मनछ की पट्टावली-देवाब्रह्म हि० ६५२ | पद्मावती पूजा सं. १४८, पद्यनन्दि पंचविंशति-पद्मनन्दि सं० १२८, ६६७. ११२६ १२६, १३० १३१, ६७६ | पद्मावती पूजा-टोपण सं. ८६१ ६६० Page #1309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... :- - ग्रन्थानुक्रमणिका ] [ १२४६ सं० our.. rom ६ . ग्रंय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या पद्मावती पूजाष्टक हि ५२, ६६०, ६६२, १६४, पथावती पूजा विधान १००८, १०४७, १०८६,११०३, पमावती पूजा स्तोत्र ११४२,११४६, ११५० पद्मावती मंडल पूजा परमात्म प्रकाश टीका सं० २०५ पडद्यावती पंचांग स्तोत्र परमाश्म प्रकाश टीका अप०सं० २०६ पद्मावती मंत्र | परमात्म प्रकाश टीका- जीवराज पद्मावती व्रत उद्यापन हि० २०५,९०६ पद्मावती राणी रास हि १०३८ परमात्म प्रकाश टीका-पाण्डवराम सं० २०४ पघावरी सहस्रनाम सं० ११२६ परमात्म प्रकान टीका--ब्रह्मदेव यर०सं० २०५ पावती स्तोत्र सं० ७७३, परमात्म प्रकाश भाषा ६.५५, १०२७, १०५२, १०६५, ११२४ | परमारम प्रकाश भाषा-दौलतराम कासलीवाल पद्मावती स्तोत्र पूजा सं. १८५ हि. २०७,२०८ पद्मिनी बस्तारण परमात्म प्रकाश भाषा- बुधजन हि० . २०६ पन्द्रह अंक यंत्र सं० १११७ | परमात्म प्रकाण भाषा-पांडे हेमराज हि. २०६ पन्द्रह प्रक विधि सं० १११७ परमात्म प्रकाश वृत्रि सं. २०६ पन्द्रह पात्र चौपई -मा भगवतीदास हि १२७परमात्म प्रकाश परदारो परशील सज्झाय—कुमुदचन्द्र ० ४५६ परमात्मराज स्तवन सं०६४ परदेशी मतिबोध-झान बन्द हि. ११०८ परमात्म स्वरूप सं० २०८ परदेशी राजानी सज्झाय हि ४५६ परमानन्द पच्चीसी परमज्योति परमानन्द स्तोत्र सं० ७३३, परमज्योति (कल्याण मन्दिर स्तोत्र) भाषा--- ७७३, ६६५, १०२४, १०४३ १०४७, बनारसीदास हि. १०५२, ११०३, ११२५, ११४० ८७४ परमार्थ गीत-रूपचन्द हिल ९८२ परमज्योति स्तोत्र सं० १००६ परमाचं जकडी परम शतक-भगवतीदास हि १०५८ [परमार्थ अकडी-- रामकृष्ण परमहंस कथा चौपई-१० रायमल्ल हि० ११०६ परमार्थ दोहा—रूपचन्द परमहंस रास-त्र जिनदास हि ६३७ परमार्थदोहा शतक-रूपचन्द हि । ६८२, परमहंस संबोध चरित्र नवरंग सं १०११, परमहस संबोध चरित प्रा० ३४४ परमार्थ वितिका १०६६ परमात्मपुराण-दीपचन्द कासलीवाल परमार्थ शतक-मगवतीदास २०३ हि०२०३,२०४ पररमणी गीत १०२५ परमाक्ष्म प्रकाश-योगीन्द्रदेव अप० २०४, पर्वरत्नावली-उपा. जयसागर सं० २०६, परिकर्म विधि .. . . - - मं० Page #1310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५० ] पंथ नाम परिकर्माष्टक पत्यविचार वार्ता ान हि० परीक्षामापनदि सं सं० परीक्षा मुल लघुवृति ) { परीक्षामुख भाषा जयचन्द छाबड़ा राज० पत्यवत पूजा सं० पल्यत्रत फल पहमविचार लेखक विधान कथा पत्यविधान कथा खुशालचन्द्र काला हि० पत्यविवान व्रतोद्यापन कया लसागर सं सं० पत्य विधि पल्यगत विधान भाषा पत्र संख्या प्रथ नाम -- पाकादली पाठ सं पाठ संग्रह पाठ संग्रह पाठ स पाठ संग्रह पाठ संग्रह ७४ २५७ २५७ २५७ ८७४ ४५६ हि० ५५२ १५२, ०६२, ११९ हि० ११३७ सं० ६६२, ११६७ ४५६, ११३५ ४५६ पपविधान पूजा ६२ पत्यविधान रास म० शुभचन्द्र हि० पल्लीविचार पवनंजय चरित्र - भुवनकीर्ति पाक शास्त्र विधान तोद्यापन एवं कथा श्रुतसागर स० सं ० स० सं० सं० fg. सं० सं० हि प्रा० सं० स० ४५६ ६२. ११२६ ६३७, ६१८ * ९७५ १७५ १११६ ३४४ ५७६. ११६८ ११०९ ६६६ ६६६ ६६७ ६६७ ६६७ सं०० ६६७ fig हिन् ११०२ [ प्रत्थामुक्रमणिका लेखक पाणिनी व्याकरण- पाणिनी पाणिनीय लिंगानुशासन वृत्ति पानीगालनरास हि० पाणीमालारास प्र० जिनदास पाणीयाल नरास - ज्ञानभूषण हिο पाण्डवचन्द्रिका – स्वरूपदास पाण्डववरिष० निदास - पाण्डव चरित्र - देवभद्रसूरि पाण्डव पुराण पाण्डव पुराण - ब्र० जिनदास पाण्डव पुराण – देवप्रभसूरि पाण्डव पुराण- बुलाकीदास पाण्डव पुराण यशःकीति पाण्डव पुराण - भ० शुभचन्द्र पाण्डव पुराण - श्रीभुषण पाण्डव पुराण पत्र संख्या ५१६ ५३६ ११३७ ११०७ ६३८, ६५१, ११३२, ११४३ द्वि० ११८६ सं० ગ્ ३४५ पाण्डव गीता पांडे को जयमाल तल्ह पात्र केशरी स्तोत्र - पात्र केशरी पात्र केशरी स्तोत्र टीका पात्र भेद भाषा सं० सं० हिο सं० सं० सं० सं० हि० निका- पन्नालाल चौधरी ११=६ २८७ २८७ २८८, २८. १०७५ अपभ्रन २८७ सं० २०६, २०७ सं० २०५, २०६ पादयचरित्र तेजपाल पार्श्वजिन स्तुति पार्श्वजिन स्तोत्र - जिनप्रभमूरि पार्श्वदेव स्तवन- जिनलाभसूरि पार्श्वपुराण- चद्रकीति ફ્િ मं० हि सं० हिο पारस्त्रीसूत्र Яto पारसनाथ की सहेली-प्र० नाथू हि० पारसविनास पारसदास गोया हि० पाराशरी टीका स पारिजातहरण-पंडिताचार्य नारायण सं० अपभ्रंश २९० १३६ १११७ ७३३ सं० हि० ७३३ ११०२ ३४५ ३४५ सं० ७३३ ७३३ ७३३ ०२६०,३४५ ७५ ४६ ६६८ ५५२ Page #1311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] [ १२५१ हि. प्रय नाम लेखक भाषा पत्रसंस्था | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्रसंख्या पावपुराण-पद्यकीति अपभ्रश २६० | पार्श्वनाथ स्तवन-विजय वाचक हि० १०६१ -गूधरदास हि० ३४६,२४७, पार्श्वनाथ स्तुलि-बलु हि ४५ ३४८, ३४९, ३५०, ३५१, ३५२.६६३, | पार्श्वनाथ स्तोत्र स. ७३५, १०३०,१०३६, ११०७ ७७४, १०४२, १०४४, १०६५, १०८३, पार्चपुराण-रइबू अपनश २६० ११०८, ११२२, ११२५ पाशीपुराण-वादिचन्द्र सं० २९० | गाश्यनाथ स्तोत्र-द्यानतराय हि १११४ पार्श्वनाथ मष्टक-विश्वभूषण ५७७ पार्श्वनाथ स्तोत्र-पद्मनन्दि सं०७३५,११२७ पार्श्वनाथ कथा--जिनदास हि० १०१६ पार्श्वनाथ स्लोर-पयनमदेव से० ७३५,६५० पार्वनाष कवित्त-भूधरवास हि०६६E | पानाथ स्तोत्र-राजसेन सं० ११२४ पार्श्वनाथ गीत - मुनिलावण्यसमय हि० ११३७ पाशा केली हि० ५५२,५५३ पाश्र्वनाथ चरित्र-म. सकलकीति सं० ३४६ १४५, ६६५, १००६, १०८६, १०१४, ११३० पारवनाय चिन्तामणिदास ६५८ | पाशा केवली - गर्ग मुनि सं० ५५२, पार्श्वनाथ के छद पार्श्वनाथ छेद-इर्षकीति ७३३ [पाशाकेवली भाषा हि०५५३,५५४ पार्श्वनाथ छंद-लब्धरुचि पाड़ दोहा-धोगपन्नमुनि अपभ्रश २०८ पार्श्वनाथजी छुद संबोध पांचपखी कथा - ब्रह्म विकम हि० ११३१ पार्श्वनाथ जयमाल १११७ पांचोंगति की बेलि-दूर्षकीति हि ११.२ पावनाय की निसाणी १०३० | पावापुर गौस-नखराज १०६२ पार्श्वनाथजी की निशानी-जिनहर्ष हि पिंगल रूपदीप भाषा पार्श्वनाथ पूजा सं० पिंगल विचार पिगल शास्त्र-नागर.ज प्रा० ५९४ पार्श्वनाथ पूजा – देबेन्द्रकीति सं०६४ पिंगल सारोद्धार ५६५ पार्श्वनाथ पूजा-वृन्दावन पिंडविशुद्धि प्रकरण प्रा० ८६४ पार्श्वनाथ मंगल पिंडविशुद्धि प्रकरण पाश्वनाथरास-कपूरचन्द पुपपासव कहा-पं० रहषु अप० १०२२ पुष्यासत्र कथा कोश-मुमुक्षु रामचंद्र पार्श्वनाथ विनती सं० ४५६,४५७ पार्श्वनाथ विनती-मुनि जिनहर्ष हि. पुष्पानव कथाकोण भाषा-दौलत राम कासलीवाल पार्श्वनाथ का सहेला हि०४५७,४५८ पार्श्वस्तवन सं. ४५६,४६० पार्श्वनाथ सावन पुण्य की जयमाल हि० हि. १११७ पार्श्वनाथ (देसंतरी) स्तुति-पासकवि पुण्य पुरुष नामावलि सं० ११८६ ७२४ पुण्यफलपार्श्वनाथ स्तवन ६७७, | पुण्यसार चौपई-पुष्यकीति १०२५ पुण्याह मंत्र--- सं० ११५१ दिल [८५ हि. पन བ Page #1312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५२ ] [ प्रधानुक्रमणिका KKA ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या । ग्रंय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या पुण्याहवाचन - नाश.धर | पुष्पांजलि अत कथा - ललितकोलि स .६ पुन्यम लिका सं०६३ पुष्पांजलि प्रत कथा-सेवक हि० ११२३ पुरंदर कथा-भावदेव सुरि पूज्य पूजक वर्णन ८७६ पुरंदर विधान कथा पुजा कथा (मेंढक की)- जिनदास पुरंदर विधान कथा-हरिकुष्ण हि ४३३ हि ४६१ पुरन्दर नौपई हिर १०४१ पूजापाठ ८६७ पुरन्दर व्रतोद्यापन--सुरेन्द्रकोति सं. ८६५ पूजापाठ संग्रह ८६७ पुरपरयण जयमाल पूजापाठ संग्रह हि०८७७ पुरारासार (उत्तर पुराण)-भ सकलकोति पूजापाठ संग्रह संहि. म६८ स०२६०,२६१ ८६६, ७०, ८७१, ८७२, ७३, पुरारणसार-सागरसेन सं० २६१ ८७४, ८७५, ८७६, ८७७, ८७८, ९७६ पुरुष जातक सं. २००६ | पूजापाठ तथा कथा संग्रह हि० सं० ८७६ पुरुषार्थ सिद्ध पाय-अमृतचन्द्राचार्य सं० १३३, | पूजापाठ विधान सं०८७६ पूजापाठ विधान-५० असायर सं० पुरुषार्थ सिद्धयुषाय भाषा १३ । पूजापाठ संग्रह ६८६,६८७ पुरुषोतति लक्षण सं२ ५५४ पूजा प्रकरण सं० ८७६ पुष्पमाला प्रकरण प्रा. ८६५ पूजालक्षण पुष्पांजलि कथा मं० ११३६ पूजाष्टक-लोहट हि० .७६ पुष्पाञ्जलि कथा - प्रा० गुणकीति हि पूजाष्टक-- ज्ञानभूषण सं० ८६. पुष्पांजलि जयमाल पूजाष्टक-हरख चन्द हि ८६७ पुष्पांजलि पूजा-यानतराय हि पूजासार सं. ८७६,८८२ पुष्पांजलि पूजा-भः महीचन्द पूजासार समुच्चय सं०८० पुष्पांजलि पूजा --रमचन्द्र पूजा संग्रह पुष्पांजलि श्रतोद्यापन-गंगादास सं. पुष्पानि व्रतोद्यापन ई का - गंगादास सं० २९६ | पूजा संग्रह - धानतराय हि०० पुष्पांजलि पूजा स. ११३ | पूना मंग्रह हि.सं. ८८१, पुष्पांजलिरास-ब० जिनदास हि. ११४३ ८८२,८८३, ८८४, ८८५, ८८६, ८८७ पुष्पांजलि प्रत कथा - जिनदास हि० १ गुणं बंधन मन्त्र दि. ६२१ गुरुपांजलि व्रत कथा-थ तसागर सं०४३४ पोषह गीत- पुण्यलाभ हि ७३५ पुष्पांजलि त कथा--खुशालचन्द राज० ४११ पोषहरास-ज्ञान भूषण पुष्पांजलि व्रत कथा- गंगादास सं० ४११ ६५१,६८४, ११४५, ११४७, ११५०, ११८६ पुष्पांजलि व्रत कथा- मेधावी स. ४११ पोसहकारण गाथा हि० १०६६ पुष्पांजलि कथा सटीक प्रा०सं० ४६१ पोराह पारवानी विधि तथा र हि० १०२४ पुष्पांजलि विधान कथा स. ४६१ | पोसानुरास हि० ११३७ हि १०६६ NUNU सं० Page #1313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] [ १२५३ १०६० १०८५, ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या पंचइन्द्री चौपई - भूधरदास हि १०४२ / पंचपरमेष्ट्रो गीत-यशकीति हि ११५५ पंचकल्याणक-रूपचन्द हि० ११५७ | पचपर भेष्टी गुण पंचकल्याणक उद्यापन-गुजरमल ठग ! पंचपरमेष्टी गुणवर्णन सं०७३६,१२७ पंचकल्याणक गीत ११८७ | पत्रपरमेष्टी गुणवर्णन -- डालूराम हि १०११ पंचकल्याण पाठ-रूपचन्द पंचपरमेष्ठी नमस्कारपूजा पंचकल्याणक पूजा सं० ८५२ पंचपरमेष्टीपद सं. ९६८ पंचकल्याणक पूजा पंचपरमेष्ठी पूजा-भ. देवेन्द्रकीति म० ६५१ पंचपरमेष्ठी पूजा-यशोनन्दि ५१,८५२ पंचकल्याणक पूजा-टेकचन्द ८४७ पचपरमेष्ठी पूजा-भ. शुभचन्द्र सं. ८५१,८५२ पंचकल्याएका पुजा-प्रम पद पंचपरमेष्ठी पूजा-टेकचन्द पंचकल्याणक पूजा-बुधजन ८५२, ८५३ पंचकल्यासाक पूजा-रामचन्द्र हि० ८७ पंचपरमेष्ठी पूजा-- डालूराम हि ८५३ पंववाल्यापक पूजा-वादिभूषण सं० ८४७ पंचपरमेष्ठी पूजा-बुधजन हि. ८५३ ष चकल्याणक पूजा सुधीसागर सं०८४३,८४८ पचपरमेष्ठी पूजा संहि० ८५४, पंचकल्याणक पूजा--मुमतिसागर मं० ८४६ २५५ पंचकल्याणक पूजा---चन्द्रकीति सं०८४८,८४६ पंचपरमेष्ठी पूजा-यशानन्दी सं० १०८५ पंचकल्याणक विधान-भ. सुरेन्द्रकीति पंचपरमेष्ठी स्तुति-अ० चन्द्रसागर हि. ११५६ हि०५५०,८५१ पंचपनीकथा-बह्वविनयं पंचकल्याणक फाग-ज्ञानभूषण संहि० ११५७ पञ्चपली पूजा-वेगु ब्रह्मचारी हि० ८६४ पंचकल्याणवत टिप्पण हि ५१ पंचपरावर्तन वर्णन हि ७१, १२७ पंचकल्याणक विधानहरिकिशन हि०५१ पंचपरावर्तन टीका पंचकल्याणक विधान-भ. सुरेन्द्रकीति पंचपरावर्तन स्वरूप सं०७१ ८४६ | पंचपादिका विवरण-प्रकाशास्मज भगवत पंचकल्याणक स्तोत्र सं. पंकवखारा पंचप्रकार संसारवर्णन सं० १२७ पंचगुह गुणमाला पूजा-भः शुभचन्द्र पंचबवावा-हफीति ११.४ सं० पंचबालयती तीर्थकर पूजा हि० ८५६ पंचज्ञान पूजा पंचमास चतुर्दशी व्रतपूजा पंचतंत्र-विष्णुशर्मा मं० ६८७,६६८ पंचमास चतुर्दशीव्रतोद्यापन-भ. सुरेन्द्रकीर्ति पंचदल अंकपत्र विधान सं० ११८७ सं०८५६ पंचदशाक्षर-नारद सं०५५१ | | पंचमाम चतुर्दशीव्रतोद्यापन विधि सं० ८५६ पंचनवकार प्रा० १०६५ / पंचमेरू की पारती-धानतराम हि० १११७ पंयनमस्कार स्तोत्र --उमास्वामी सं० १८६ | पंचमेरू तथा नन्दीश्वर द्वीप पूजा-थानमल पंचनमस्कार स्तोत्र भाषा हि. १०६६ ह प्रा० Page #1314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५४ ] [ ग्रंथानुक्रमणिका wror हि. प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या । नथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या पंचमेह पूजा दि. १०४८, | पंच स्तोत्र भाषा ५०६५ पंच हनुमानबीर चित्र पंचमेरु पूजा-डालूराम हि० ११२३ | पंचम कर्म नथ ११८७ पंचमेरु पूजा-द्यानतराय हि. १०११, पचम गति वेलि १०४१ ११२३ | पंचमगति वैलि-हर्षकीति हि०८७७, पंचमेरु पूजा-भूधरदास हि. ९७६,८८१ १०१३, १०१८, ११०६, पंचमेरु पूजा-सुखानन्द हि० १०७७ १११२, ११५२ पंचमे पूजा ६० पंचमतपवृद्धि स्तवन-समयसुन्दर हि० १०५५ पंचमेरु पूजा विधान पंचमी कथा--सुरेन्द्र भूषण पंचमेह पूजा विधान-टेकचन्द | पंचमी कथा टिषण-प्रमाचन्द्र प्रपन्सं० ४५५ पंचमेरु मंडल विधान पंचमी व्रत कथा सुरेन्द्र भूषण हि ४५३ पंच मंगल पचमी प्रत पूजा-कल्याण सागर सं० ८५६,८५७ पंचमंगल-माशापर पंचमी विधान सं०८५६ १०१२ पंचमी श्रतोद्यापन--हर्षकल्याण सं० ८५७ पंचमंगल-रूपचन्द हि० ७३६. पंचमी व्रतोद्यापन पूजा-नरेन्द्रसेन स० ८५८ ५७४, १००५, १०४२, १०४८, | पंचमी प्रतोद्यापन पूजा - कृर्षकीति सं. ८५८ १०६३, १०७९, १०७७, १०७८, J पंचमी व्रतोद्यापन विधि ८५८ ११०६, १११४, ११३०, ११६७, पंचमीपातक पद ११८८ पंचमंगल पाठ-रूपचन्द हि०७४ पंचमी स्तोत्र - उदय पंचमंगस पूजा हि. ८५३ पंचाख्यान पंचलब्धि सं० ११८८ पंवारूपान-विमुदत्त पंचवटी सटीक सं० पंवास्यान कथा पंचसहेली गीत-छोहल पंचाख्यान भाषा पंचामृत नाम रस ५७६ पंचसंग्रह-नेमिचन्द्राचार्य प्रा. पाभूताभिषेक पंचसंग्रह वृत्ति--सुमतिकीति प्रा.सं. ७१ पंचायप्याई-नंददास हि० ११०० पंच सधि ( प्रक्रिया कौमुदी) हि. १५६ | पंचाबीनी व्याह-गुणासागर भूरि हि० ४५६६ पंच स्वधि सं० ५१५,५१६ | पंचाशप्त प्रश्न-महाचन्द्र सं० ५५१ पंचसंसार स्वरूप निरुपण सं०७१ | पंचास्जिवाय हिं० ११४२ पचस्तोत्र सं० ७३७,६५३, पंचास्ति काय--प्रा० कुन्दकुन्द प्रा० ७१,७२ ६५७, ६६७, ६७७, ६६६, १०००, पंचास्तिकाय टव्वा टीका १००५, १७०६, १०४२, १०४७, | पंवास्तिकार टीका-अमृतचन्द्राचार्य प्रा०सं० ७२, १०६४,१०६८ पंच स्तोत्र एवं पाठ स० १०७३ | पंचास्तिकाय बालावबोध संहि० ७३ 9 0 0 Page #1315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रन्थानुक्रमणिका ] [ १२५५ 2 . हि सं० ग्रंप नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | अथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या पंचास्तिकाय भाषा--बुधजन हि ५४ प्रतिक्रमण टीका-प्रभाचन्द्र सं० २०६ पञ्चास्तिकाय भाषा---पासे हेमराज हि०प० ५३, | प्रतिक्रमण पाठ प्रा०हि. २०६ प्रतिक्रमण पाठ स. ११४७ पंचास्तिकाय माषा-हीरानन्द कि०५० प्रप्रिक्रमए सूत्र प्रा० २०६, २१०, ११५३ पंचांग ५५१ प्रतिज्ञा पत्र पंचांग ५५१ प्रतिमा बहत्तरी-यानतराम हि. १३६, पंचेन्द्रिय गोत-जिनसेन हि० १०२५ १११४, ११६० पंचेन्द्रियका ब्योरा प्रतिमा स्थापना प्रा०८८७ पञ्चेन्द्रिय वेलि प्रतिष्ठा कल्प -अकलक देव सं. ८८७ ३, १०२७ प्रतिष्टा सिसक-प्रा. नरेन्द्र सेन सं. ८८७ पंचेन्ट्रियबेलि-ठकुरसी हि०१२, प्रतिष्ठा पद्धति ८८७ ९८४, १०५४, १०८६ | प्रतिष्ठापाठ पंचेन्द्रियवेलि-धेल्ह १०४२ पंचेन्द्रिय संवाद-भैया भगवतीदास हि. ११८ प्रतिष्ठा पाय--प्राशाधर सं० ८८८ पंचेन्द्रिय संवाद --यश कीति सूरि हि० ११६८ प्रतिष्ठा पाठ-प्रभाकर सेन पंडितगुण प्रकाश-नल्ह प्रतिष्ठा पाठ संहि. पंडित जयमाल ११०७ प्रतिष्ठा पाठ टीका-परशुराम सं० पंक्तिमाला प्रतिष्ठा पाठ वनिका पंथराह शुभाशुभ | प्रतिष्ठा मंत्र संग्रह प्रक्रिया कौमुदी-समचन्द्राचार्य सं० | प्रतिष्ठा मंत्र संग्रह सं०हि प्रक्रिया व्याख्या -चन्द्रकीति सूरि सं. प्रतिष्ठा मंत्र मह प्रक्रिया संग्रह | प्रतिष्ठा विधि -- माशावर संब ८६ प्रकृति विच्छेद प्रकरण-जयतिलक सं० ५७६ प्रतिष्ठा विवरण प्रज्ञापना सूत्र ( उपांग) प्रा. प्रतिष्ठासार संग्रह-पा० यसुन्दि सं० ८५० प्रज्ञाप्राकाश षत्रिशका-रूपसिंह सं. प्रज्ञावल्लरीय सं ११६० प्रतिष्ठा सारोद्वार-प्राशाधर प्रचूर्ण गाथाना अर्थ प्रा० १९६० प्रत्यान पूलि पाउ प्रतिक्रमण प्रा०सं० २००, प्रत्येक बुद्ध चतुष्टय कथा मं० २०६ प्रद्य म्न कथा-द्रवेणीदास हि. ११६७ प्रतिक्रमण सं० १६० | प्रद्य म्न कथा--सिंहकबि प्रप० ११५८ प्रद्य म्न कथा प्रवध-भ. देवेन्द्रकीति हि० ४६१ ११२७, ११३६ | प्रद्युम्न चरित्र ३५३ प्रलिकमण-गौतम स्वामी प्रा० २०६। 1 av 1 50f स० १०६० ६८८ म. ० Page #1316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५६ ] [ प्रन्थानुक्रमणिका ३५२ प्रय नाम लेखक - भाषा पत्र संख्या | थ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या प्रद्य म्न चरित्र--महासेनाचार्य सं० ३५२ प्रमाणनयतत्वालो कालंकार वृति-रत्नप्रभावार्य प्रद्य म्न चरित्र-सोमकीति सं० २५८ ३५३ प्रमाणनय निरर्षय-श्री थासायर गणित २५८ प्रद्युम्न चरित्र-शुमचन्द्र ३५३ प्रमाण निर्णय-विधानन्दि सं० २५८ प्रद्युम्न चरित्र टीका पमाण परीक्षा-विधानन्दि प्रभुम्न' चरित्र-रत्नचन्द्र गणि । प्रद्युम्न चरित्र-सपारु . . ३५३ प्रमाण परीक्षा भाषा--जयचन्द छाबड़ा हि० २५६ १०१५ प्रमाण प्रमेय कलिका--नरेन्द्र मेन सं० २५६ प्रद्य म्न चरित्र-मन्नालाल हि ३५३ प्रमाण मंजरी टिप्पणी २५६ प्रद्युम्न चरित्र वृत्ति-देवसूरि सं० ३५४ प्रमेय रत्नमाला - अनन्त वीर्य प्रद्य म्न चरित्र भाषा-..ज्वालाप्रसाद बख्तावरसिंह स० २५६ : प्रा० ० ० . .. ३५५ प्रवचनसार-दकुदाचार्य २१० प्रद्युम्न चरित्र-स्तुशालचन्द हि. ३५५ प्रवचनसार टीका प्रा० २१० प्रद्युम्न प्रअन्ध प्रवचनसार टीका -५० प्रभाचन्द सं. प्रद्य म्न प्रबन्ध-भ० देवेन्द्र कौति हि. ३५५ प्रवचनसार भाषा २११ अद्य म्न रास प्रवचन सार भाषा बचानका-हेमराज सं० २११ प्रद्य म्न रासो-ब्र रायमल्ल हि०३८ १४३, १४४, ६५३, ६६६, ६६६, १७६३ प्रद्य म्न लीला वर्णन-शिवचन्द गरिण सं० ३५३ प्रश्चनमार वृत्ति-अमृतचन्द्र सूरि हिल २१३ प्रबन्ध चिन्तामणि- राजशेखर सूरि ० ६५४ प्रबचनसारोद्धार संहि. २१३ प्रबन्ध चिन्तामणि-प्रा. मेरुतुग सं०६५४ प्राज्याभिधान लघुवृत्ति सं० १६६ प्रदोध चन्द्रिका. प्रश्नचूडामरिण सं०५५४ प्रबोध चन्द्रिका बैजल भूपति प्रश्नमाला ___ हि ७७ प्रबोध चन्द्रिका प्रश्नमाला भाषा १११० प्रश्नमाला वचनिका प्रबोध चन्द्रोदय नाटक-कुष्ण मिश्र सं. प्रश्नषष्टि शतक काव्य टीका-पुण्यसागर सं० ३५६ प्रश्न सार प्रबोव चितामणि-जयशेखर सूरि ११६० प्रश्नावली-श्री देवी नन्द प्रबोष बावनी-मिनदास प्रश्नोत्तरी प्रबोध बावनी-जिनरंग सूरि हि० ७३७ प्रश्नशास्त्र प्रभजन चरित्र सं० ३५६ [ प्रश्नोसरमाला प्रमाणानयतत्वालोकालंकार-वादिदेव सरि सं० २५७ | प्रश्नोत्तरमालिका : ya १७७ Page #1317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रधानुक्रमणिका ] १२५७ 11T1G ६५६ १४१ सं. मथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या नयन लेखक भाषा पत्र संख्या प्रश्नोत्तर रत्नमाला हि० १३७ | प्राणोड़ा गीत हि० १०६५ ६५० प्रातः संध्या प्रश्नोत्तर रत्नमाला.-प्रमोधहर्ष सं० प्रायश्चित नथ प्रासंहि १४१ | प्रायश्चित ग्रन्थ--- अकलंक स्वामी सं० १८६, प्रश्नोत्तर रत्नमाला-बेलाकीदास सं० प्रश्नोसर रलमाला-विमलसेन सं. १४१, २१४, प्रश्नोत्तर रत्नमाला सं०६८९ प्रायश्चित गाट प्रश्नोत्तर रत्नमाला वृत्ति ... प्रा. देवेन्द्र सं० १३७ प्रायश्चित मापा ६२३ प्रश्नोतर श्रावकाचार-भ. सकलकोति प्रायश्चित विधि सं० २१४ सं० १३७ १३०, १३९, १४० प्रायश्चित शास्त्र--मुनि वीरसेन सं. प्रश्नोसर श्रावकाचार भाषा वचनिका संहि. १४१ प्रायश्चित समुच्चय-- नन्दिगुरु २१४ सं. प्रश्नोत्तरी प्रायश्चित समुच्चय वृत्ति-नंदिगुरु सं. १४२ प्रश्नोत्तरोपासकाचार-बूलाकीदास हि. प्रासाद वल्लभ-मंडन १४४ त्रियमेलक चौपई हि प्रिय मेलक चौाई-समयसुन्दर राज० ४६२ प्रश्नव्याकरणसूत्र प्रा. प्रिया प्रकरण ११६१ प्रश्नव्याकरणसूत्र वृत्ति-अभयदेव गणि प्रीत्यंकर चौपई-मिचन्द्र प्रा०सं० प्रीतिकर चरित्र प्रशन शतक-जिनवल्लभ सूरि सं० । प्रीतिकर चरित्र-जोधराज प्रशस्तिकाशिका-त्रिपाठी बालकृष्ण सं० ११ १०३९ प्रसाद संग्रह प्रोतिकर चरित्र-० नेमिदत्त ३५७ प्रस्ताविक दोहा ६५६ प्रीतिकर चरित्र-सिंहनदि प्रस्ताविक श्लोक ६६६ प्रेम पत्रिका दहा हित ११६१ प्रस्ताविक श्लोक प्रेम रलाकर प्रोषध विधान हि. . प्रस्ताविक सवैया १००३ प्रस्तुतालंकार ११६२ प्राकृत कोश ५६५ प्राकृत छंद फाग की लहर प्राकृत लक्षण-चंडकवि ५६५ फुटकर ग्रन्थ प्राकृत भ्याकरण-चन्द्र काय प्रा० ५१७ फुटकर दोहा- नथमल हि. १०४५ प्राचीन व्याकरण-गाणिनि ५१७ फुटकर वचनिका एवं कवित्त प्राणायाम विधि १०६५ 1 फुटकर सवैया हि०६१६ प्रा० ܝܺ ܦ݁ܫܶܣܶ ܦ݁ܢܳܐ ܣܰܬ݁ܰ P ܇ HD फ ܐܶܬ݁ indi . Page #1318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५८ ] [ ग्रंथानुक्रमणिका प्रय नाम लेखक सं. बखारा बगलामुखी स्तोत्र बरवालों के ५२ गोत्र-- बधेरवास छंद बटोई मौत बड़। पिंगल बणजारा गीत भाषा पत्र संख्या | अथ माम लेखक भाषा पत्र संख्या व्या हलो हि १०१% अवाज्योति स्वरूप-श्री बराचार्य स. २१४ ब्रह्मतत्यकरण-मास्कराचार्य प्रा० ११६१ ब्रह्म के लक्षण सं० ११२७ ब्रह्म पूजा सं०१० ब्रह्म बावनो-निहालबन्द हि. १४३ हि. ११६४ ब्रह्म महिमा हि. १०४३ अध विलास- भैया भगवतीदास हि०६७० ६७१, ६७२. ६६८, १०५१, १०७२, ११३३ ९८५ [ ब्रह्म बिलास के अन्य पाठ - भैया भगवतीदास बसाजारा गोत-कुमुदचन्द्र सूरि ११६१ ] ब्रह्म वैवर्त पुराण सं० ११६२ बाजारो रासो-नागराज हि ११५१ | ब्रह्म सूत्र सं. ११६२ बसीस दोष सामयिक १०६६ बाईस अभक्ष्य वर्णन हि० १४२ बत्तीस लक्षण छप्पय-गंगादास हि० ५५५ | बाईस परीषह बनारसी विलास-जगजीवन १७४४, ११२४ ६६६, ६३३ | बाईस परीष --भूधरदास हि. १४२ ६६५, १०१२. छाईस परीषह कथन-भगवतीदास हि० ११३३ १०१८, १०३१, दाईस परीषह वर्णन १०४५, १०५२, ११६८ ११४० बारह अनुप्रेक्षा १०२३ बभरा गीत हि. ६२ १०२३ बलिभद्र कृष्ण माया गीत बारह अनुप्रेशा-लूराम बलभद्रगीत-अभयचन्द्र मूरि हि०१६ बारहखडी बलिमद गीत-सुमति कीति । ९८४ बलिभद्र चौपई १०२५ | बारहखडी--कमल कीलि १०५३ बलिभद्र भावना १०२४ बारहखड़ी-कनक कीति १०५४ बलभद्ररास-ब. यशोधर बारहखडी-दत्तलाल बलिभद्र विनती ११६८ बारहखड्डी-वेगराज हि १०३७ बलिभद्र वीनती-मुनिचन्द्र १०७१ / बारहखड़ी-सुदामा हि. १०६८ बलि महानरेन्द्र चरित्र १८७ बारहखड़ी --- सूरत हि. १०३० बसन्तराज टीका-भानुचन्द्र गरिण १०४२, १०४३, १०५६, १०७५, १०७७, १०७८ सं १०७८, १०७६, १०८०, १०९५ बसंत वान-कालिदास सं. ३५७ बारह सावना हि २१४ बहसर सीख हि. १०५६ । १०४३, १०६५, १०६७ Page #1319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] [ १२५६ १०७६ .. .. .. .. ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या बारह भावना व परिषह हि. १६८ बावनी-अनारसीदास बारह भावना-नबल बावनी-गरसी बारह भावना- भगवतीदास हि १०८० | बापती-जिनहर्ष ६८६ बारह मासा बावनी-दयासागर ६८९ १७६४,१११४, ११५३, १९६२ बावनी- मासाक ६८६ बारहमासा--प्रेतसी हि. ११०५ बावनी छपई ६५४ बारहमासा-पांडेजीवन हि ११२४ बावनी-मतिशेखर १०२७ बारहमासा .. दौलतराम हि ११२६ बावनी-हमुख बारहमासा-मुरजीदास हि० १०६६ बाराठ मामरणा बोल बारहमासा वर्णन हि० १०८६ बारहमासाचन--क्षेमकरण हि. १०१० । बाहुबलि छंद-नामचन्द्र बारहमासा की बीनती-पांडै राजभुवन भूषण बाहुबलिनो छदवादीचन्द्र हि ११०८ | बाहुबलिनी निषधा बारहमासी पूर्णमासी फल हिक १०३६ | बाहुबलि बेलि-वीरचन्द गरि बारह व्रत-यश कीति बाहुबलि वेलि – शान्तिदास बारह वत गीत-४० जिनदास हि० ११४४ | बिन्ध निर्माण विधि बारहस चौबीसी व्रतोद्यापन सं० विम्ब प्रतिष्ठा मंडल बारहसौ चौतीस व्रत पूजा- शुभचन्द्र सं० । बियालीस वारणी हि ७७ बारहसौ चौतीस प्रत पूजा-श्रीभूषरण सं० बिहारीदास प्रश्नोत्तर हि. ११६२ बारा पारा महा चौपई बंध- रूपजी बिहारी सतसई-बिहारीलाल हि०६२६ ६२७,१००२,१०३७, १०३८, ११३८ बिहारी सतई टीका हि०६२७ बारा पारा का स्तवन-ऋषभो हि वीजउजायलीरी थुई बाल चिकित्सा बोज कोष बालतंत्र सं० धीस तीर्थ कर अकद्धी हि० १०८४ बालतंत्र भाषा-० कल्म सादास सं. बीस ती कर जकडी-हर्षकीति हिल १०७७ बाल त्रिपुर सुन्दरी पद्धति सं० ६२१ बीस तीर्थकर जयमाल-हर्पकीर्ति हि. ८६१ बाल प्रबोध विशति का-मोतीलाल पन्नालाल बीस तीर्थ कर पूजा--जौहरीलाल हि ११ बालबोध-मंजादित्य ५५५ बीस तीर्घ कर पूजा-थानजी अजमेरा हि १ बालबोध ज्योतिष दीस तीर्थ कर पूजा हि १०.२ बामनाक्षर बीसतीथ कर स्तवन-शानभूषण सं० ११३६ बावन ४णों की चौपई बीस विरहमान गाथा हि. ११११ बावन वीरा का नाम बीस विरमान पूजा सं०८६१ बावनी १८८ बावनी-छोहल ११२८ ० ० WEF G. ० . ०० १०४७ Page #1320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रन्यानुक्रमणिका अंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंश नाम लेखक भाषा पत्र संख्या बीस विरहमान सययो-विद्यासागर हि० १००३ भक्तामर सटीक बीस विदेहक्षेत्र पूजा--शिखरचन्द्र हि. ८६१ भक्तामर सन्त्रमा बीस विदेहक्षेत्र पूजा---चुन्नीलाल ___८६१ भक्तामर सिद्ध पूजा-ज्ञानसागर सं३ १११८ बुद्धि प्रकाश-टेकचन्द हि० १४२ भत्तामर स्तोत्र-मागत भाचार्य सं. ७३८ ७३६, ७४०,७४१, ७४२, ६७४, १५३, ६५६, बृद्धि प्रकाश-कवि धेल्द १०११, १०१२, १०२२, १०३५, १११७, १११८, बुद्धि प्रकाश रास -पाल ११२२, ११२४, ११२७, ११४३ वृद्धि रास भक्तामर ऋद्धिमंत्र- अर्थ सहित सं. ११२७ १८५, ६६७ भक्तामर स्तोत्र (ऋद्धि मंत्र सहित) सं. सद्धि विनाम-बलराम मतामर स्तोत्र (ऋषि यंत्र सहित) सं० बुधजन विलास-बुधजन भत्तामर स्तोत्र कथा-विनोदीलाल हि. ४६४ बुधजन सतसई भक्तामर स्तोत्र कथा सं. ४६४ ७४२ D dhai भक्तामर स्तोत्र कथा-जयमल हि०४६५ बुधिरास भक्तामर स्तोत्र टीका-अमरप्रभसूरि सं० ११४६ । भक्तामर स्तोत्र टीका ७४३ बुधाष्टमी कथा बूढ़ा चरित्र-जतीचन्द ११३१ | भक्तामर स्तोत्र पूजा १०३६ बोध सत्तरी १०५५ बंकचूल की कथा १०४१ | भक्तामर स्तोत्र पूजा-मंदराम ८६१ ११३४ भतामर स्तोत्र पूजा -सोमसेन सं. ८६१ बंक चूलरास-ब० जिनदास हि. ६३८ | मत्तामर स्तोत्र पूजा बंकचोर कथा (धनदस सेठ की कथा)-नयमन मक्तामर स्तोत्र उद्यापन पूजा-केशवसेन ४६४ २६२ बंधतत्व-देवेन्द्र सुरि प्रा. ७७ भक्तामर स्तोत्र बालावबोध टीका सं. बंधफल सं. ५८० भक्तामर स्तोत्र भाषा-अखयराज हि. बंध्या स्त्री कल्प हि० ५८० भक्तामर स्तोत्र भाषा-नथमल बिलाला सं. ८९२ ५४५ भक्तामर स्तोत्र भाषा-जयचन्द छाबडा हि. भक्तामर पूजा-विश्वभूषण सं० १०१७ | मकामर स्त्रोत्र भाषा टीका-विनोदीलाल मक्तामर पूजा विधान–श्री भूषण हि ११६२ भक्तामर भाषा--हेमराज हि०८७७ | भक्तामर स्तोत्र भाषा टीका-सम्धिवद्धन १०२०, ११२०, ११४८, ११४६, ११६२, ११६२ । Page #1321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नयानुक्रमणिका ] [ १२६१ ७४७ प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या भक्तामर स्तोत्र भाषा-हेमराज हि० ७४६, | भगवती आराधना भाषा-पं सदासुख कासलीबाल ७४७, ९५५, राज. १४६ ६८०.१०६८, १४७ ११२२, ११२६ । भगवती स्तोत्र भक्तामर स्तोत्र भाषा (ऋद्धि मंत्र सहित) भगवतीं सुत्र ७७ हि०७४ भगवती सूत्रवृति ७४२ भगवद गीता भक्तामर स्तोत्र भाषा टीका-गुणाकर सूरि ११६३ | भज गोविन्द स्तोत्र भक्तामर स्तोत्र वृत्ति-कनक कुशल सं० भट्टारक पट्टावली भक्तामर स्तोत्र वृत्ति-पत्नचन्द्र सं० ७४७ ७४८ भष्ट्रारक परम्परा १९६४ मक्तामर स्तोत्र युति-50 राममल्ल सं० ७४७ भडली मडली भक्तामर स्तोत्रावरि ७४६ भक्तामर स्तात्रावरि भरली पुराण भक्तामर स्तोत्र सटीक-हर्षकोति भडलो वर्णन भक्तामर स्तोत्र सटीक भडली विचार भक्ति निवि भरली वाक्य पृच्छा ५५.६ भडली वचन १०५६ भक्ति पाठ भडली विचार हि. ११५७ गद्रबाहु कथा-हरिकृष्ण भक्ति पाठ भद्रबाहु गुरु की नामावली ११५४ भक्ति पाठ संग्रह (७७) सं० ११३६ भद्रबाह चरित्र-रत्ननन्दि ३५८ मक्तिमाल पद-बलदेव पाटनी हि ३५६ भक्ति बोध-दासदत मु० ११६७ भद्रबाहु चरित्र भाषा-किशनसिंह पाटनी भगवती आराधना सं० ११२७ ३५६ भगवती प्राराधमा-शिवार्य प्रा० १४५ भद्रबाहु चरित्र भाषा-चम्पाराम हि. भगवत पाराधना (बिजयोदया टीका) अपराजितारि भद्रबाहु चरित्र सटीक भद्रबाहु चरित्र-श्रीधर १४६ भगवती आराधना टीका प्रा०सं० भद्रबाहु रास-अजिनदास ६३२ भगवती प्राराधना टीका-नन्दिगरिए भद्रबाहु संहिता-भद्रबाहु प्रासं० १४६ ३६२ ३६३ Page #1322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६२ । [ प्रयानुक्रमणिका ७५० 130 प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ माम लेखक भाषा पत्र संख्या मयहर स्तोत्र २५६ | नमरगीत-वारचन्द हिं० ११३२ भयहर स्तोत्र (गुरु गीता) भ्रमर सिज्माय ११५६ भरटक कथा भागवत १११३ भरस की जयमाल भागवत महापुराण २६१ भरत बाहुबलि रास हिर १०५१ भागवत महातुराण भरि शतक हि० १०६४ । भागवत महापुराण भावार्य दीपिका प्रथम स्कंध) भर्तृहरि शतक-महरि सं०६६१, श्रीधर २६२ भागवर महापुराण भावार्थं दीपिका (द्वि० स्कंथ) ११९२ श्रीधर २६२ मन ऋरि शतक भाषा भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (तृ० स्कंध) भत हरि शतक दीका ६१२ श्रीधर २९१ महरि शतक भाषा--सपाई प्रतापसिंह भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (५० स्कंध) ६१२ श्रीधर २६२ भले दावनी--विनयमेरु भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (षष्ठ स्कंध) भवदीपक माषा -जोषराज गोदीका हि० २१४ थीधर २६२ भव वैराग्य शक द्रा० भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (सप्तम स्कंध) भवानी बाई केरा दूहा राज श्रीधर २१२ भवानी सहस्त्रनाम स्तोत्र संग मविसयत्तकहा-धनपाल भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (अष्टम स्कघ) अप० श्रीधर २६२ भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (नवम स्कंध) भविष्यदत्त कथा- रायमल्ल हि. ४६६ धीधर २६२ ९४२, ६४४, भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (दशम स्कघ) १६८, थीधर २६२ भविष्यदत्त चौपई हि०१८ भागवत सहापुराण भावार्थ दीपिका (एकादश स्कंत्र) थीबर २६.१ भविष्यदत्त चौपई- रायमल्ल दि. ३६३ भागवत महापुराण भावार्थ दीपिका (द्वादश स्कध) श्रीधर भविष्यदत्त रास-40 रायमल्ल हि० १४० भामिनी बिलास --५० जगन्नाथ सं. ६६८,१०२०, १०८३ भारती राग जिणंद गीत भविष्यदत्त रास-5. जिनदास हि १३९ भारती लघु स्तवन-भारती ७५० भविष्यदत्त रास-विद्याभूषण सूरि हि. ६३६ मारावानि सज्झाम १०३६ ११३७ भाव त्रिभंगी-मिचन्द्राचार्य भ्रमरगीत--मुकुंददास हि ६२७ | ६७२ Page #1323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नधानुक्रमणिका ] [ १२६३ २१५ .. . .. १४७ . .. ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या माव दीपक भाषा १४७ | भुवन भानु केवली चरित्र . सं० ३६४ भावदीपिका भुकंप एवं भूचाल वर्णन भावकाश - भाव भित्रं स. . | भूवर विलास-- भूधरदासहि . ६७३, भावप्रदीपिका भावफल भू राल चतुविशतिका-भूपाल कवि सं० ७५१, भावना बत्तोसी हि १०५८ ७७१, ७७५, भावशतक- नागराज सं. १४७, १०३३,११२७ ७५१,१११२ भूपाल चतुर्विंशतिका टोका-मचन्द्र ति सं०७५१ भावसंग्रह-देवसेन प्रा. १४८ भूपाल चौबीसी मोष। अखयराज हि भायसग्रह --वामदेव ६५१, ७५२ भावसंबह-श्रु तमुनि प्रा० १४६, १०५८ शुपाल चौबीसी भाषा-- जगजीवन हि ११२२ भावसंग्रह टोका सं० १४८ भूपान स्तोत्र छप्पय-विद्यासागय हि १००३ भानाष्टक सं० ७५० भैरवाष्टक __संहि: ५५२, भावना चौबीसी-पभनन्दि सं०६४ भैरवा हल्प भावना बससी-अमित गति ७५० | भैरवा पशावती कल्प-भा मस्तिषेण सं० ६२२ भावना विनती-ब्रजिनदास हि. ६५२ भैरवा पावती कवच-महिलषेष हि० १०३१ भावनामार संग्रह-चामुण्डराय सं० ११६३ भैरवा पूजा हि. १०५९ भावि समय प्रकरण सं० ५५७ भैरवा स्तोत्र सं. ११३५ भाषाष्टक भैरवा स्तोत्र-शोमाचन्द भाषा परिच्छेद-विश्यनाथ पंचानन भट्टाचार्य भैरू संवाद भोज परित्र हि. १११२ भाषा भूषण-- असवन्तसिंह दिन | भोज चरित्र-भवानीदास च्यास २६४ ११६०, ११९३ | भोज प्रबन्ध-पं. बल्लाल सं० भाषा भूषण टीका–नारायणदास हि १०१५ | मोज प्रबन्ध भुवनकीति गीत हि. ६६२ | मोज राज काव्य सं० भुवनकीर्ति पूजा सं. २ भुवन द्वार हि. ११६३ भुवन दीपक १०.k भूवन दीपक-पञ्च प्रम सूरि | मकरंद ( मध्यलग्न ज्योतिष ) सं ५५७ भुवन दीपक टीका ५५७ | भक्सी पारसनाथ - भागधन्द हि १०४८ भुवन दीपक वृत्ति-सिहतिलक सरि सं० ५५७ मणक रहा जयमाल हि. ११६४ भुवन विचार मरिण पति चरित्र--हरिचन्द मूरि प्रा० ३६५ भुवन दीपक भाषा टीका-पयनन्दि सूरि | मरिणभद्र भी रो छन्द-राजरत्न पाठक हि० ७५२ सर ६११ मतमतांसर दर्शनाष्टक सं० १०४६ मं. ३६५ hot R R ab Page #1324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रथानुक्रमणिका ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या । अथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या मदनजुम-बूचराज हि. ९८४, ! मल्लिनाथ मीत - यशोधर हि० १०२४ १०८८, ११०६ | मल्लिनाथ चरित्र -म. सकलकीर्ति ० १६५ मदनपराजय --जिनदेव मूरि सं०६०६, | मल्लिनाथ चरित्र-सकल भूषण स० ३६६ ६०७ मल्लिनाथ चरित्र भाषा-सेवाराम पाटनी मदाधि प्रबोध सं० १९६४ हि० ३५६, मधुकर कलानिधि-सरसूति हि ६२७ मधुमालती हि. १०३७ मल्लिनाथ पुराण सं० २६३ मधुमालती कथा हि० ४६६ मस्लिनाथ पुराण भाषा-सेबाराम पाटनी मधुमालती कथा-चतुर्भुज हि. ६४०, हि० २६३ ६६२,११६८ मल्लिनाथ स्तवन-धर्मसिंह ७५२ मधुविन्दु चौपई महषि स्तवन ७५३ मधुविन्दु चौपई --भगवतीदास । महाकाली सहस्त्रनाम स्तोत्र ७५.३ मनकरहा जयमाल महा दण्डक सं० २६३ महादण्डक-विजयकोति मनकरहा रास २६३ मनकरहा रास-प्रदीप महादेव पायंती संवाद हि. १९६५ मच गीत महापुराण हि० १०४३ मनराज शतक- मनराज महापुराण --जिनसेनाचायं गुणभद्राचार्य मन मोरड़ा गीत-हर्षकीति सं० २६३.२६४ मनुष्यभव' दुर्लभ कथा महापुराण चौपई-गंगदास हि०.६६१, मनोरथ माला हि. १०२७ २६४, ११४३, ११५२ मनोरथ माला-साह अचल हि० ११११ महापुराण बिनती--गंगादास हि ११३६, मनोरथ माला-मनोरथ प्रा० मनोरथमाला गीत-धर्म भूषण मयण रेहा चरित्र महापुरुष चरित्र-पा० मेस्तुंग स० ६५४ मरकत विलास-मोतीलाल ६७३ महाभारत स. २६४ मरण करडिका महाभिषेक विधि संग ५६३ मरहडी--- वृन्दावन हि १०६४ महायक्ष विद्याधर कथा-50 जिनदास हि० ४६६ महालक्ष्मी स्तोत्र सं० १.१६ मलय सुन्दरी कथा-जय तिलक सूरि महान ती पालोचना सं० ३६५, महाव्रतीनि चौमासामुदण्ड हि० ११३५ महाविद्या स. २६० मलय सुन्दरी चरित्र भाषा-अखयराम लुहाड़िया । महाविद्या चक्रेश्वरी स्तोत्र सं०७५५ हि ३६५ ] महाविद्या स्तोत्र मंत्र मल्लि गीत--सोमकीति हि. १०२४ महावीर कलश प्रा० १०२६ ११६५ ६ . Page #1325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्र'धानुक्रमणिका ] ग्रंथ नाम लेखफ महावीर जिनवृद्धि स्ववन महावीर निर्वाण कथा महावीर पूजा - वृन्दावन महावीर वीनतीजादिचन्द्र महावीर सलावीस भव परिष भाषा समयसुन्दर हि० सं० हिन् fige प्रा० महावीर समस्या स्वपन सं० महावीर स्तवन- जिनवल्लभ सूरि प्र० महावीर स्तवन-विनयकीर्ति fze महावीर स्तवन चन्द्र महावीर स्वामीगो स्वशन महावीर स्तोत्र वृति- जिनग्रम सूरि सं० fige महावीर स्तवन- समवसुन्दर महावीर स्तोत्र - विधानन्दि महासरस्वती स्पोन सं० सं० महा शांतिक विधि - पत्र सख्या | ग्रंथ नाम पत्र सख्या - हि हिο महासती समाय महिम्न स्तोष-पदंताचार्य महोपाल चरित्र — वीरदेव गरिए प्रा० महीपाल परित्र चारित्र भूषण सं० महरा परीक्षा मृग चर्म कथा मृगापुत्र बेलि मृगापुत्र सरकाय मृगावती चरित्र - समय सुन्दर मृगांक लेखा चौपई-मानुचन्द मी संवाददेवराज मृगी संवाद चोप ७५३ ७५४ ex ६४१ ७६७५ १०६५ सं ६३ हि० ११९५ ७५४ ३६७ ३६७, * २६० ३६६ महीपाल चरित्र भाषा नथमल दोसी हि० महीभट्ट काव्य महीभट्ट सं० महीभट्टी प्रक्रिया प्रनुभूति स्वरूपाचार्य सं० ५१० महीभट्टी व्याकरण - महीभट्टी स० ५१७, ५.१८ स० सं हि‍ figo त्रि.० हि० हि० ७२१ ४६६ ८२३ हि ११६१ ३६७ ७७४ ७५३ १११७ ४६७ E ४६७ ३७० १६१ ६४४. ९८२, १०६३ १५४ मृत्यु महोत्सव से क मृत्यु महोत्सव भखरा मूछ कपा पत्र संख्या सं० 2e8, १९२, १०११, १०४०, १०८१ मृत्यु महोत्सव भाषा सदासुख कासलीवाल हि मारक पद संग्रह -- माणकचन्द मातृका निबंदु - महीषर माधवनिदान - माधव माधवानल चौपई सकारात माधवानल प्रबन्धपति भानगीत ― - भाषा माधवनिदान टीका वारपति सं० माधवानल कामरुन्दला चौपई—कुल लाभ राज० हि डि. हिο हि· भागतु मानवती - मोहन विजय हि० मानव मानवती चोपई रूपविजय हि मान बनोसी भगवतीवास हि० मान बावनी मान बावनी मोहर मान बावनी- मनोहर - सं० हि० हि० सं० मान भद्र स्तवन- मारक मान मंजरी - नन्ददास सं० १२६५ हिο हि हिο हि हिन् हिं० मान विनय प्रबन्ध माया कल्प मायागीत मायागीत प्र० नारायण मार्गला चर्चा मागंणा स्वरूप मागंणा सत्ता त्रिभंगी - नेमिचन्द्राचार्य प्रा० मा हृदयस्तोत्र सं सं० ११६३, १९६४ ??&* ११३७ 153 ६२२ ५८६. 보드 ५८१ हिन् हि० हि० प्रा०सं० ४६६ ४६७ £55 ६२७ ११३१ ११५८ ११९५ १०५८ ६७३ ११०८ ११०६ ७५४ ५३९४ ११०९ *૨ ६२६ **** ११४४ ६६२ ७८ ७८ ७५४ Page #1326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६६ ] [ यानुकमणिका प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या मालीरासा मुक्तावली व्रत पूजा सं०८६३ मालीरास-जिनद्रास हि. ६४५, मृत्तावली प्रमोद्यापन सं०६४ मुक्ति गीत मास प्रवेश सारणी मुक्ति स्वयंवर - वेणीचन्द हि० १५० मासान्त चतुर्दशी व्रतोद्यापन मुनि गुणरास बेलि-त्र. गांगजी हि० ६३६ मांगीतुगी गीत--प्रमयचन्द सरि हि. ११११ - मुनि मालिका मांगीतुगी चौपई मुनि मालिका-चारित्रसिंह हि० ११५६ मांगीसुगी पूजा हि० १०४६ मुनिराज के छियालीस यन्तराय-भैया मगवतीदास मांगीतुगी पूजा--विश्वभूषण सं० । ३३ मांगीलीभी की मात्रा --- द रि मुनिरंग चौपई-लालचन्द हि ३६६ हि. ११४५ मुनिव्रत पुगण- कृष्णदास सं० २६५ मांगीतुगी सज्झाय-अभयचन्द्र मूरि हि ७५५ मुनिसुव्रत नाथ स्तोत्र सं० ११२७ मांगीतुगी स्तवन हि०६८० मुनीश्वर जयमाल-जिनदास हि ८७५, मित्रलाभ-सुहृदभेद ६७६,११०८ मिश्या दुक्कर हि. ११६५ मुनीश्वर जयमाल-पाण्डे जिनदास हि ११४६ मिथ्या दुक्कड़- जिनदास हि. १५.१, मुष्टिका ज्ञान सं० १९१६ मुहर्त चिंतामरिण-विमल ५५७ हत बितामरिष-देवझराम मिथ्या दुष्कड़ जयमाल मिध्यात्व खंचन-बस्तराम १४६ ५५८ मुहर्त परीक्षा ५५८ मुहूर्त तत्व मिथ्यात्य खंडन नाटक मुहूर्त मुक्तावली-परमहंस परिव्रजाकाचार्य (१० स ११.४ सं० . मिथ्यात्व दुक्कड़ (मिला दोकड़) मिथ्यात्व निषेष १४९. हि. ६.५२ मिथ्यात्व भजनरास १८६ मुकुट सप्तमी कथा-सकलकीति सं० मुक्तावली गीत मुक्तावली गीत हि० १११० मुक्तावली गीत-सकलकीति ११४१ मुक्तावली रास-सकलकोति मुक्तावली व्रत कथा-सुरेन्द्र कीति हि. ४६७ मुक्तावली अत कथा-सकल कीति सं० मुहूर्त विधि ५५६ मुहर्त शास्त्र ५५६ मूत्र परीक्षा सं० ५८१ मूत्र परीक्षा मल गुरम सज्झाय-विजयदेव हि ७५४ मलाचार प्रदीप-सालकीति मं० १५१ मलाचार भाषा-ऋषभदास निगोत्या राज १५१, १५२ मूलाचार मूत्र-बट्टकेराचार्य प्रा० १५० मुलाधार वृत्ति—सुनन्दि सं० १५१ मेषकुमार गोस-पूनो हि. ६०, ३४,६७२,१०६२ Page #1327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्धानुक्रमणिका ] [ १२६७ ११३४ प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | नथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या मेघकुमार गीत-समयसुन्दर हि. ११०२ | मंगलकलश चोपई हि० १०२५. मेघकुमार का चौडाल्या-गणेश ४६७ मंगलाचरण ---होरानन्द १० १०१५ मेषकुम म... कमिमा दि .१५ | मंगल पाठ मेषकुमार रास-पूनो १०२६ मंगल प्रभाती-विनोदीलाल मेषकुमार सिज्झाय-पूनो हि० १०५४ | मंगल स्तोत्र सं. ७५ भेषदूत-कालिदास मंगल-हरीसिंह हि. १०४१ मेषदून टीका--मल्लिनाथ सूरि । ३७० मंडोवर पार्श्वनाथ स्तवन --सुमप्ति हेम मेघमाला हि- ६४२ मंत्र प्रकरण सूचक टिप्पण-भावसेन त्रैवेद्य देव सं०६२२ मेघमाला प्रकरण मंत्र यंत्र सं. ६२२ ११५६ मत्र शास्त्र मेघमालिका प्रतोधापन ६४ मत्र शास्त्र हि०सं० ६२२ मेघमालिका प्रतोद्यापन पूजा मंत्र संग्रह हि०सं० ६२२ मेय स्तंभन मंत्र संग्रह संहि. १५०, मेवाडीनां गोष १०२४ मैना सुन्दरी सम्झाय ११५२ मोक्ष पच्चीसी-धानतराय मोक्ष पाहुड-कुदकुंदाचार्य प्रा० २१५ मोक्ष पैडी ११०४ | यक्षिणो कल्प-मल्लिषरण सं०६२३ मोक्ष पैडी- बनारसीदास हि १०४१ यति भावनाष्टक मोक्षमार्ग प्रकाशक -५० दोसरमल राज० १५३, १५४, १५५ यत्याचार ११६५ मोक्षमार्ग बत्तोसी-दौलतराम यत्याचार वृत्ति-सुनन्दि यम विलास मोक्षमार्ग बावनी-मोहनदास यभक बंध स्तोत्र मोक्षस्वरूप १०५२ मोहबिबेक युद्ध यमक स्तोत्र मोहिनी मंत्र यमक स्तोत्राष्टक-विद्यानन्दि सं. ७५५ यशस्तिलक चम्पू-पा० सोमदेव सं०३७० मौन एकादशी व्याख्यान यशस्तिलक चम्मू टीका-श्र तसागर सं. मौन एकादशी व्रत कथा- ज्ञानसागर यशस्तिलक टिप्पण यशोधर कया-विजयकीर्ति । मंगलाष्टक- यश:कीति सं० १९७१ यशोधर चरित्र ११४६ मंगलाष्टक--वृन्दावन हि. १०६४ | यशोघर चरित्र-पुष्पदन्त अप० ३७१ सं० 2. १५७ हि स० ३७१ हि Page #1328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६८ ] [ अन्धानुक्रमणिका ० र सं मंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या यधर चरित्र-टिप्पणी प्रभाचन्द्र ३७१ | योग पाठ सं० १०५१ यशीघर चरित्र- वादिराज सं. ३७२ |योगमाला यशोधर चरित्र-वासवसेना ३७२ योगशत ५८३ यशोधर चरित्र-पद्यनाम कायस्थ सं० योगशत टीका यशोधर चरित्र-पद्मराज योग पातक-धन्वन्तरि ५८३ यशोधर परित्र-प्रा. पूर्ण देव योग शतक भाषा यशोधर चरित्र-सोमकीति सं०३७३ | योग शास्त्र-हेमचन्द्र २१५ यशोधर चरित्र-सकलकोति योगसत-अमृत प्रभव योगसार १०५८ यशोघर चरित्र-खुशालचन्द हि० ३७७, योगसार-क्षेमचन्द्र ११४६ ३७५, ११६२ यशोधर चरित्र--मनसुख सागर हि० ११२१ योगसार- योगीन्द्र देव अप० २१५, यशोधर चरित्र-साह लोहट हि० ३७८ २१६, ६६४, १०३८, १०८० यशोधर परित्र--विक्रम सुत देवेन्द्र सं. ३७६ | योगसार वनिका ३७६ | हि० २१६ यशोधर चरित्र पीठिका सं० ३७२ | योगसार संग्रह यशोधर चरित्र पीठबंध-प्रमजन गुरु सं० ३७२ । योगातिसार-भागीरथ कायस्थ कानगो यशोधर चौपई हिः ३७८, हि ५६. ६४४,१०४१ । योनिनी दशा यशोधर रास- जिनदास हि. ६३६, ! योगिनी दशाफल योगीचर्या ९८४ यशोवर रास-सोमकोति हे. १०२७, योगीरासा--जिनदास ११४५ योगीयाणी-यशःकीर्ति १.२४ यांग मंडल पूजा सं० योगीन्द्र पूजा सं ८६४ याग मंडल विधान -पं० धर्मदेव योगीन्द्र पूजा हि० १०.५ यादवसस-पुण्परत्न १४६ योगेन्दुसार-अयजन २१६ यात्रा वर्णन सं. ६ यात्रावली यंत्र संग्रह हि सं० १०२०, यात्रा समुच्चय ११६० युगादि देव स्तोत्र ६६८ यंत्रावली-प्रनपासम सं० ६२३ योग चितामणि-द्वर्षकीर्ति ५८१, १०१६ योग चितामणि टोका--अमरकीति सं० ५८२ योग तरंगिणी-त्रिमल्ल भट्ट रक्षक विधान कथा-ललितकीति सं० ४७६ योग मुक्तावली सं० ५८२ | रक्षास्यान- रत्ननन्दि सं० ४७१ १९४ ८६४ ६५५ यंत्र ५८२ Page #1329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] [ १२६६ म १९ ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | नथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या रक्षा बंधन कथा-ब० ज्ञानसागर हि ४७० | रत्नदीप सं० ५६० रक्षा बंधन कथा--विनोदीलाल हि० ४७० रत्नदीपक रक्षा विधान कथा- सकलकीति में०४७०, रत्नदोपिका -- चंडेश्वर ७६१,३८० |रलय उद्यापन ८८२ रघुवंश - कालिदास सं०३७८, रत्नत्रय कया-ज्ञानसागर । १११९, ११२३ रघुवंधा टीका--मल्लिनाथ सं० ३०० स्नत्रय कथा - ललितकोति . ० ४७८, रघुवंश टाका-समयसुन्दर ४७६, ६६५ रघुवंश काव्यवृत्ति-सुमसि विजय संग ३८१ रत्मत्रय कथा-मु. प्रभाचन्द्र रघुवंश काव्यवृत्ति-गुण विनय सं० ३८२ रत्नबध कथा-देयेन्द्र कौति रघुवंश सूत्र सं० रत्नत्रय गीत १०२५ रमाकपुर प्रादिनाथ स्तवन रतनचूद्ध रास हि०६८ रत्नत्रय जयमाल GE रतनसिंहजी री बात हिं० २०१७ रलश्रय जयमाल प्रा.० २६५, रतना हमीररी बात राज ४६७ रहनकरण श्रावकाचार-पा० समन्तभद्र रतनयमबमाल भाषा-नथमल हि सं० १५५, रत्नत्रय पूजा सं. ८६३, १५७ ८८७.१८८, ६६६.१०२३,१०३५ ८५७ | रत्नत्रय पूजा--द्यानतराय . हि. ८१. रत्नकरण्ड श्रावकाचार टीका--प्रमचन्द सं० १५६, ८९७,८९८, १०११ १५६ | रत्नत्रय पूजा-टेकचन्द रत्नकरण्ड श्रावकाचार भाषा हि०१०९६ रत्नत्रय पूजा-भ. पननन्दि सं०८९६ रत्नकरण्ड श्रावकाचार भाषा-पं सदासुख. रत्नत्रय मंडल विधान R१८ कासलीवाल राज १५७ १५८, १५६, ६७३, रत्नत्रय वर्णन रत्नकरण्ड थावकाचार भाषा वनिका-पन्नालाल | रलय विधान दूनीवाले राज १५६ ९८.८६१ रस्नकरण्ड श्रावकाचार भाषा वनिका हि० १०४६ | रत्नत्रय विधान-नरेन्द्रसेन सं. ११३६, प्रा० रत्नकीति बेलि सं०५२ रस्नकोशा रत्नत्रय विधान कथा-बचतसागर स० ४३४. रनकोश-उपा० देवेश्वर ४७० रत्नकोश सूत्र व्याख्या १६. रत्नत्रय विधान कया---पयनन्दि सं० ४६८ रत्नचूड रास ६.६६ रत्नत्रय व्रतोधापन-धर्मभूषण सं० १०८५ रत्नचूड़ामणि ५६० रत्न परीक्षा सं० ११६५ १५९ Page #1330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२७० ] [ प्रधानुक्रमणिका स० ... * ५६१ .. ४६१ स० ५८४ . हि. .. ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | अयनाम लेखक भाषा पत्र संख्या रनपाल चउपई बात--भावतिलक हि ४६७ / २वित्रत कथा-भानुकीति हि १०६५ रत्नपाल प्रबंध-4. श्रीपति भाषा० ३८२ | रविवार कथा-स अप०४६६ रत्नपाल रास-सुरचन्द रविवार कथा--विद्यासागर हि ४६६ रत्नमाला - महादेव सं० रविश्रत कथा-सुरेन्द्रकीति हि ११७७, रत्नखर रत्नावली क्या प्रा० रविवार कथा एवं पूजा रल संग्रह-नन्नूमल रविव्रत पूजा -भ० देवेन्द्र कीति सं० ___७६६ रस्नावली टीका ६६५ रविव्रत पूजा कथा-मनोहरदास हि. ८६६ रत्नावली न्यायवृत्ति-जिनओं सरि सं. २६० रविव्रतोद्यापन पूजा-रत्नभूषरस रमनः गीत-छीहल ६६२ रविनतोशापन पूजा-केशवसेन रमल ५६१ रस चिंतामरिप रमल प्रश्न ५६१ रस तरंगिरणी --भानुदत्त रमल ज्ञान रस तरंगिणो वेणीदत्त ५८४ रमल प्रश्न पत्र रस पत्ति रमल शकुनाबली ५६१ रस मंजरी ६२७ रमल शास्त्र सं. रस मंजरी-भानुदत्त मिश्र । सं. १६६, रमल शास्त्र ६२८, ५९४ रमल पितामणि रस मंजरी म० ५८४ रमल शास्त्र रस मंजरी-शालिनाथ रयण सार-कुदकुदाचार्य সা रस रत्नाकर-नित्यनाथसिद्धि ५८४ १६५ रस रत्नाकर-स्नाकर सं० ५८४ रस राज-मतिराम रयरसार भाषा रस राज-मनीराम रसरासार बचानका-जयचन्द छाबड़ा रसायन काव्य-कविराथूराम रसालुवर की वार्ता १६ रयगागर कथा आ० रसिक प्रिया-इन्द्रजीत रविवत कथा ६२८ ६६६, १०२२, १०४१, ११२४ रविवत कथा ---भ० विश्वभूषण हि ११२३ रविव्रत कथा-अकलंक हि० ४३३ राक्षस काप ३६२ रविवत कथा-जयकीति हि ११४३ रागमाला रवित्रत कथा-० जिनदास हि ४६६, रागमाला हि ६.६ राम रत्नाकर-राधाकृष्ण हि. ११५८ रविवार कथा- भाऊ हि० ४३३, रायरागिनी ८३७, ६६३,१०३६, १०५४, १०८, ११९. राघव पाण्डवीय - धनंजय सं० ११०७ | राधव पाण्डवीय टीका-नेमीचंद संप ६४४ सं ३८२ पात न Page #1331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] [ १२७१ ४७१ ३५३ ६६३ xxxx mp GGA K दि. २६५ अंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक माषा पत्र संख्या राघव पाण्डवीय दीका --परित्रवर्द्धन सं० ३८३ . । रात्रि भोजन कथा-5 नेमिदत्त सं० राघव पाण्डवीय-कविराज पण्डित सं० ३८७ रात्रि भोजन कथा--भ० सिंहदि सं० राघव पाण्डवीय टीका-कविराज पण्डित रात्रि भोजन चौपई स हित ४७१ सं रात्रि भोजन त्याग कथा-लसागर सं० ४७२ रात्रि भोजन राम-द्र. जिनदास हि. ११४४ राजनीति समुच्चय --चाणक्य सं० राजनीति सवैया-देवीदास रात्रि भोजन वर्णन - वीर हि. ११६४ राजमति गीत रात्रि विश्वान कथा सं०४७१ राजमती की चूनडी-हेमराज राम कथा-रामानन्द हि ११२८, हि० १००३ रामचन्द्र रास-ब्रजिनदास हि. ६४० राम रास-माधवदास राजमति नेमीश्वर बाल हि. ८५ श्री रामचन्द्र स्तवन हि० ११३४ राजाचन्द्र की कया—नेमिचन्द्र १०४२ रामचन्द्र स्तोत्र सजावलि रामजस-केसराज राजा विक्रम की कथा रामदास पच्चीसी-रामदास राजा हरिवंद की कथा राजादिगण वृत्ति रामपुराण-सकलकीति सं० २९५ राजावली सं० ५६२ राम पुराण-भः सोमसेन राजाबली संवत्सर सं राम यश रसायन-कोशराज राजुल गीत हि १०८३ राजुल छत्तीसी-वाल मुकुन्द हि ११९६ | राम विनोद राजुल नेमि अबोला-लावण्यसमय हि० १०२७ राम विनोद-नयनसुख ५०४ राम विनोद-रामचन्द्र ५८५ ६७६, १०००, १०५६, १०६७, राम विनोद ५८५ १११४, ११४३, ११६६ राम बिनोद-पं. पारंग राजुल पच्चीसी-लालचन्द हि० ११०६ राम विनोद भाषा १६६ राजुल पच्चीसी-विनोदीलाल हि० ६५८, | राम सहस्र नाम ६७४, १०२०, १०५४, १०७१ | राम सीता गीत-ब्रह्म श्रीवर्धन १०७७, १०७८, १०१०,११०५ राम सीता प्रबन्ध-समयसुन्दर हि ४७४ राजुल पच्चीसी पाठ हि० १०४८ | सम सीता रास-प्र.जिनदास हि. १०२५ राजुस पत्रिका-सोमकवि हि० ११९६ | राम स्तोत्र १०३६ राजुल बारहमासा-~गंग कवि हि० १००३ | रामाष्टक सं०६५६ रामुल बारह मासा- विनोदीलाल हि १०७३, / रामाष्टक १०७१, १०७७, १०७६ | रायरण परस्त्रो सेवन व्यसन कथा सं. ११६७ हि० ११२६ राजुल की सउभाय हि०५६ | रावलादेव स्तोत्र ४७२, गजुल पच्चीसी Page #1332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२७२ ] ग्रंथ नाम लेखक रावलियो गीत - मिनन्दि राशिफल राचिफल रास संग्रह - ० रायमल्ल राहुफल सं० रियमदेवजी सारणी दीप विजय हि० रिषभनाथ भूल सोमकीर्ति - सं० रुक्मिणी कथा - छत्रसेनाचार्य रुक्मिणी हरणरश्नभूषण रूप दीपक पिंगल रुप भालाभावसेन त्रिविचदेव भाषा रुपायती 'रुपसेन चौपई रुपसेन राजा कथा – बिनसूरि रेखता -- मांडका रेखता- विनोदीलाल रेवा नदी पूजा -- विश्व शेगावहार स्तोष-मनराय हि. ० ล่ हि Fige सं० रुपकमाला बालबोध रत्न रंगोपाध्यम figo हिन् सं० - हि सं० हिο रोटजीत कथा शेटतीज व्रत कथा श्रीराम वेद दि सं० पत्र संख्या पत्र संख्या रोटतीज का गुणनवि हि• रोस की पाथडी रोहिणी गीत सागर हि रोहिणी व्रत कथा ज्ञान सागर हि० रोहिणी व्रत कथा भानुकीति रोहिणी व्रत कथा - ललितकीति रोहिणी व्रत कथा - सं ० रोहिणी व्रत कथा वंशीदास रोहिणी व्रत कथा -हेमराज रोहिणी रास सं० हिन् हि fig. हि १०२७ ५६२ ५६२ १४ ५६२ १११४ १०१४ ४३४ ६४०, १९३३ ११९६ ५६६ ५१८ ५१६ ४७६ ग्रंथ नाम लेखक रोहिणी रास-१० विनदास रोहिणी व्रत पूजा रोहिणी व्रत पूजा [ यानुक्रमणिका भाषा पत्र संख्या राज ६४१ रोहिणी व्रत पूजा - केशवसेन रोहिणी व्रत मंडल विधान रोहिणी व्रतोद्यापन वादिन्द्र रोहिणी व्रतोद्यापन रोहिणी व्रतोद्यापन पूजा रोहिणी स्तवन ल लक्ष्मी विलास पं० लक्ष्मीच लक्ष्मी सुकृत कथा लक्ष्मी स्तोत्र AAAAA ९६. १०५२, १०६९, लक्ष्मी स्तोत्र - पद्मप्रभदेव हि ० हि०सं० सं० सं०हि० सं० ४७६ हिं० ११५७ हि० १०७७ सं० ६०० १०३८ ४७४ ४०४, १०६५ ४७४ १०५६ ११११ ५२ ४७५ प्रा० ४७१ क्षेत्र समास वृष्टिरशेखर ० लघु चाणक्य ४७५ सं. ७ सं० सं० हि० हिन् [सं०] सं ६७४ ४७७ ७०५, १०१४, २०१७, ११२७ พึ่ง लग्न चन्द्रिका - काशीनाथ स० लग्न फल हिο स्त्रिय टीका - अभय चन्द्रसूरि ० समालोचना सं० लघु उपसर्गवृति क्षेत्र समास प्रा०सं० लघुक्षेष समास विवरण- राजमेखरसूरि E00 सं० ७५५ ७५६, ८७६, १०६५, २०७४, १०७८, ११२४ लक्ष्मी स्तोत्र गायत्री सं० ७५६ लक्ष्मी स्तोत्र सटीक सं० ६००, ६.७१ १०१ ६०० ܘ܀ ११२३ # ११२३ लघु चाणक्य नीति शास्त्र भाषा काशीराम ६८५ ०१ मदर ७५५ ७१६. $ '¥¢ ५६३ १११५ ११६७ ११३६ ५१८ ५१८ 56. ११६७ हि ११६८ लघु चाय नीति (राजनीति शास्त्र) वाक्य सं० ६१३ हि० १०८७ Page #1333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] [ १२७३ ००००० प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या । ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या लघु जातक-भट्टोत्पल सं०५६३ लप प्लात टीका रां५१८धि विधान पूजा-हर्षकीति लघु तत्वार्थ सूत्र सं० ११२४ । लब्धि विधानोव्यापन पाठ सं० १०३ लघुनाम माला--हर्ष की नि सं०५१० लब्धि विधानोशापन पूजा मं० १०२ लघु पंच कल्याणक पूजा-हरिभान हि० २०१ | लब्धिसार हि. १०४३ लघु बाहुबलि बेलि-शांतिदास । ११३८ | सबिधसार भाषा वदनिका-- टोडरमल लघु शेखर (शब्देन्दु) लघु शांति पाठ -सुरि मानदेय लघु शोतिक पूजा ९२६ लब्धिसार क्षपणासार भाषा कवनिका-पंण्टोडरमल लघु शांतिक पूजा-पचनन्दि स राज०७६ लघु शांतिक विधि लाटी संहिता पांडे राममल्ल सं. १६० ल सहस्त्र नाम सं० लाभालाभ मन संकल्प-महादेवी सं० १०३५, ११५४ लावशी-जिनदास लघसामायिक-किशनदास लावणी--रूडा गुरुजी लघु सिद्ध वक्र पूजा-भ. शुभचन्द्र सं ०२ लाहागीत हि लघु सिद्धान्त को मुदी-भट्टोजी दीक्षित सं० ५१७ | लिपियां लघु सिद्धान्त कौमुदी---वरदराज सं. ५१६ लिंगानुशासन (शब्द संकीरणं स्वरूप) धनंजय लघु संग्रहणी मूत्र स. ५६६ लघु स्तोत्र टीका | लिंगानुसारोवार सं. ५३६ लघु स्तोत्र टीका-भाव शर्मा लीलावती-भास्कराचार्य सं० ११६७ लघु स्तोत्र विधि लीलावती भाषा - लालचन्द सूरि हिः ११६७ लघु स्नपन लीलावती टीका--देवश रामकृष्ण सं० ११६६ ल स्नपन विधि लुकमान हकीम की नसीहत दि. ६६४ ११३६ लू कामत निराकरण रास-बीर चन्द हि ११४४ लघु स्नपन विधि-प्र० जानसागर सं. लूण पानी विधि प्रा. १०२४ लघु स्त्रयंभू स्तोत्र २८२ लहरी-रामदास हि. १०६३ लघु स्वयंभू स्तोत्र -देवनन्दि सं० ७१७ लूदरी-मुन्दर हि०८७७ लघु स्वयंभू स्तोत्र टीका लेख पद्धति रां० ११६६ लब्धि विधान – म. सुरेन्द्रकीति सं० से श्या प्रा० १०४७. लब्धि उद्यापन लेश्या वर्णन हि०१७२ लब्धि उद्यापन पाठ सं. ६०२ लेश्यावली-हर्षकीति लब्धि विधान कथा-पं० अभ्रदेव सं०४३४, लोकामत निराकरण रास-सुमतिकोतिहि. १६० लोहरी दीतवार कथा-भानुकोति हि० १०५६ सन्धि व्रत कथा--किशनसिंह हि ४७६, | संघन पथ्य निर्णय सं० ५५५ सं० Page #1334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२७४ ] ग्रंथ नाम लेखक संपक पंचासिका - जिनदास वचनको बुलाकीदास वज्जवली - पं० वल्लड़ बच उत्पत्ति वर्णन हिन् प्रा० सं० नाभि चक्रवती वैराग्य भावना हि० बज्रपंजर स्तोत्र यंत्र सहित बच पंजर स्तोत्र व .ܶ वज्रसूची (उपनिषद) श्रीधराचार्य सं० वन्देवान जयमाल figo सं० वर्द्धमान परि-प्रथम वर्द्धमान बर्द्धमान वस्देतान जयमानमानन्दी वर्तमान चौबीसी पूजा- चुनीलाल हि वर्द्धमान काव्य - जयमित्र हल अप० यक्ष मान भरि बीघर ग्रुप० सं० वर्द्धमान चरित्र - सकलकोति बद्ध भान पुराण वर्तमान पुराण- कवि भाषा पत्र संख्या । ग्रंथ नाम हिο १०३५ मुनिन्दिसं० विद्याभूषण भानपुराण नवल शाह वमान स्तुति यह मान स्तोत्र सं० सं० हिο मं० हि Fig. सं० fige वर्द्धमान पुराण – घकलकोति मान पुराण भाषा वह मान पुराण माषा नवलराम हि० वमान पूरा सेवकराम हिο वद्ध मान रास-वर्द्धमान कवि हि० वर्द्धमान बिलास स्तोत्र - जगद् भूषण सं० व मान समवशरण वर्णन - प्र० गुलाल हि हिο सं० ५३६ ६१४ १२०० २१६ ३५७ १०५० १२० ११०७ ८'७५ १०३ ई ३५६ ३८६ ३८६ ३८६ ३६६ २१६ २९६ २६६. २७ २६७ २६ २१६ १०३ ६४१ ७५७ १६२ ७५७ २७७४, १. ११२५ लेखक बर्द्धमान स्वामी कथा -- मुनि श्री ब्रह्मानन्द मं० वर्ष तंत्र— नीलकण्ड वर्षफल -वामन वर्णभावकल वर्धनाम घरांग चरित्र तेजपाल धप० वरांग चरित्र - भ० वर्द्ध मानदेव प्रप० जसंग चरित्र – कमलनयन वरांग वरिष पांडेलाभन्द वरुण प्रतिष्ठा वशीकरण मंत्र वसुदेव प्रबंध - जयकीर्ति वसुधीरचरित्र श्रीभूषण त्रसुदाश वसुधरा महाविया वसुधरा स्तोत्र [ प्र'धानुक्रम रिका भाषा पत्र संख्या गीत व्रतकथा व्रतकथा - खुणालचन्द व्रतकथा कोश - श्रुतसागर व्रतकथाकोश--- देवेन्द्रकी व्रतकथाको नेमिदत्त - सं० सं० ह्रि हि० सं० सं० हिο हि● वसुनन्दि श्रावकाचार - प्र० वसुनन्दि सं० वसुनन्दियावकाचार भाषा हि० वसुनन्दिधावार भाषामदास बं सं० हि० वसुनन्दिभावका चार भाषा दीराम हि वसुनन्दि श्रावकाचार भाषा - पन्नालाल हि० वसुनन्दि खावका चार वचनका हि० वस्तुज्ञान सं० हि० सं० हिन् सं सं० ४७७ ५६० ५६३ ५६३ ११३५. 53 ३०२, ३८४ ३८४ ७५७, ७५८, १०१७ ११५७ १६०, १६१ १५२ ३८५ १२०० १११६ ૪૬૪ ६४५ २०३ E १६१ १६२ १६२ १६२ १११६ १०२५ ११३६ १०७५ ४७७ ४७७ ૪૭૭ Page #1335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका 1 [ १२७५ ५६६ in Dीत Feo ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्रसंख्या | ग्रथ गाम लेखक भाषा पत्र संख्या व्रतकथाकोश-मल्लिीभूषा | वृत रत्नाकर-भट्ट केदार प्रा. व्रतकशाको: ...मुरामचनः १०मस्ताकर नीका-4 सोमचन्द्र सं. ५६६ व्रतकथाकोश -सफलफीति सं० ४३८ । | वृक्ष रत्नाकर टीका-जनार्दन विबुध । व्रतकथाकोश-६० अभ्रदेव सं०४५८ वृत्त रत्नाकर वृत्त-उमसुन्दर सं० ५९६ इस रत्नाकर वृत्ति-हरि भास्कर सं. ६०० वृत बंध पद्धति ११२४ व्रतकथाकोण-खुशालचन्द वृक्ष समांत यंत्र १०१७ ४८१, ४८२ वृद्धि गौतमरास व्रतकथा रासो चन्द विनोद सतसई---वृन्दकवि ११६६ व्रतकथा संग्रह वृन्द विलास - कविवृन्द हिर व्रतकथा संग्रह वृन्द शसक- कवि वृन्द व्रतकथा संग्रह दृन्द संहिता - परम विधराज' बत निर्णय वृषभजिन स्तोत्र ६०५ वाषभदेव गौत-ब्रज मोहन १२०० व्रत पूजा संग्रह ६०५ | दृषभदेव का छन्द प्रतविधान ६०५ वृषभदेवनी छन्द दि. ११५८ শনি वृषभदेव लावणी-खास हि. ११७१ असविधान पूजा-अमरचन्द १०६] वृषभदेव वन्दना-अानन्द हि १०६६ व्र विधान रासो-दिलाराम हि | वृषभदेव स्तवन - नारायण हि. व्रतविधानरासो-दौलतराम पाटनी हि | वृषभ स्तोत्र-पं०पयनन्दि __ मं. ७६० प्रत विवरण हि. १०६८ वृषभनाथ परित्र--सकलकीति ग्रत समुच्चय व्रतसार सं. १६४, वृषभनाथ छन्द हि ११४१ १७,१०१२, ११३६ । वृषभनाथ लावणी-मायाराम हि. ११५८ प्रत स्वरूप-भ० सोमसेन सं० १११७ वहद कलिकुण्ड पूजा सं. ११३६ प्रतोद्यापन संग्रह सं. १०७ वृहद गुरावली सं० ११३८ व्रतोद्यापन पूजा संग्रह सं०१०३ वृहद गुरावली पूजा-स्वरूपचन्द हि००८ प्रतोद्योतन श्रावकाचार-अभ्रदेव ० १६४ वृहज्जातक वृहज्जातक टीका--बराहमिहिर सं० व्रतों का व्यौरा वृहदतपागच्छ गुरावली सं० ६५५ वृत्त चन्द्रिका कृष्णाकवि दि०५६८ | वृहद तपागच्छ गुराबली मुनि गुन्दरसुरि व्रत रत्नाकर--भट्ट केदार स. ५६८, सं० ५६९ | वहद दशलक्षण पूजा.-केशवसेन हि. ११८ ६४१ | वृष ७६० . E M -A - - . . ५६४ . . . . ... . .. Page #1336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रथानुक्रमणिका . सं० IN सं. ३०७ ४३५ ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या बृद६ पुण्याहवाचन वासुपूज्य पूजा--गमचन्द्र वृहद पूजा संग्रह सं० प्रा० ६०८ यासपूज्य स्तोत्र--मेकचन्द्र वहद पंच कल्याणक पूजा विधान वास्तु कर्म गीत ९७८ बृहद शांतिपाठ वास्तु पूजा न ६३ बृहत शांति पूजा वास्तु पूजा विधि वहत शांति विद्यान-धर्मदेव वास्तु विधान १०३ वास्तुराज-- राजसिंह बहत शांति विधि एवं पूजा संग्रह वास्तु शास्त्र १२.१ वृहद शांति स्तोत्र वास्तु स्थापन १२०१ वृष्टद षोडशकारण पूजा विक्रम चरित्र-रामचन्द्र सूरि सं० ३८७ ९४८ विक्रम चरित्र चौपई–माऊ कवि हि। यहद सम्मेद शिखर महात्म्य-मनसु । गर विक्रमलीलावती चोपई—जिनचन्द्र हि० हि. १०६ विक्रमसेन चउपई-विक्रमसेन वहद सिद्धचक्र पूजा---म भानुकीति सं० १०६ विच रषमितिका सं०६४२ बृहत सिद्ध पूजा-शुभचन्द्र सं० १०६३ वनारपट निकायचोख स. १६३ बृहद स्नपन विधि ११३६, सं० विचारपमिशिकास्तवन टीका-राजसागर वृहद स्वयंभू स्तोत्र-समतभन्न सं. प्रा हि ७५८ विचारसार षडशीति वाकद्वार. पिंडकथा १२०० विचार सूखमी वाक्य मंजरो ५१९ विचार संग्रहणी वत्ति यागभट्टालंकार · वागभट्ट ५६६, विचारामृत संग्रह सं० ६७४ ५६ विजयचन्द परिय प्रा. वाग्भट्टालंकार टोका-जिनबद्धन सुरि विजयमद्र क्षेत्रपाल मीत-प्र० नेगिदास सं० हि. १२०१ बाग्भट्टालंकार टीका-वर्द्धमान सूरि । विजय यंत्र ६२३ सं० विजय मंत्र याग महालंकार टीका-वादिराज सं०५६७ विजय यंत्र परिकर सं० १११६ वाग्मट्टालंकार वृत्ति-जान प्रमोदवाचक गणि विजय यंत्र प्रतिष्ठा विधि सं० १११६ सं०५६७ पाच्छा कल्प सं० | विज्जु सेठ विजया सती रास–रामचन्द १२०० हि. १४१ बाजनेय संहिता १२०० वार्ता-चुलाकीनास हि. १०२२ | विदग्न मुखमंडन-धर्मदास सं० २६०, वासपूज्य गीत-न• यशोधर हि० १०२६ | विदग्ध मुख मंडन टीका--विनयसागर सं० १२०१ ६६३, प्रा० ३८७ . Page #1337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रन्थानुक्रमणिका ] [ १२७७ हि०१० हि० सक प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या विदग्ध मुख मंडन - शिवचन्द सं० २.१ विनती का अंग-दादूदयाल हि०६० विमती यादीश्वर-त्रिलोककीति हि विद्वज्जन बोधक-समी पन्नालाल दूनीवाला राज १६३ विनती पाठ संग्रह १२०२ विनती संग्रह-देवा जल हि० ६४५, विद्वद्भूषण काव्य ३८८ ६५६. ७५८८ विदरभी चौपई... पारसदत्त ४८५ | विनती संग्रह 'वदेहक्षेत्र पूजा विपाक सूत्र प्रा० विद्यमान वीस तीर्थ कर पूजा-अमरचन्द विमलनाथ पुराण-१० कृष्णदास सं० २९६ ६.०४ विमलनाथ पुराण भाषा--पांडे लालचन्द विद्यमान बीस विरहमान पूजा---जोहरीलाल हि. ६६ विमलनाथ पूजा हि० ११२६ विद्यानुशासन-मल्लिा विमान पंत्ति पूजा सं००४ विवाबिलास प्रबंध-याज्ञासुन्दर हि. ७५८ विमान पंक्ति व्रतोद्यापन-पा० सकलभूषण विद्य प्रभ गीत ११४० विधान विधि १५६ - दिवा सुखि पूजा स० ६०४,६६६ विनती-पर्खमल विमान शुद्धि शांतिक विधान–चन्द्रकीति विनती-जयराज संभ विनती-ऋषमदेव - देवचन्द विरदावली विनती-कनककीति विरदावली सं०६५५ विरह दोहे- लालकवि हि. ११४५ विल्हण चौपई-कवि सारंग हिं०४५ विनती कुमुदचन्द्र ११३२ विवाह पटल स०६०५,५६४ विनती-गोपालदास ९८२ विवाह पद्धति सं०५,५६४ विनती-बजिनदास ८७६, विवाह विधि ६०५ विविध मंत्र मंग्रह विनती-दीपचन्द | विवेक चिन्तामणि-सुन्दरदास हि विनती नेमिकुमार-भूधरदास विवेक चौपई-- गुलाल १०२२ ८७७ | विषेक चौबीसा हि. ६५५ विनती-रामचन्द्र विवेक छत्तीसी हि० १०४३ विस्ती-रामदास विवेक जकड़ी-जिणदास १०९३, १०१६, १०२३ बिनती- रायचन्द | विधेक विलास-जिनदत्त सूरि संहि. १६३, विनती-रूपचन्द विनती-बन्द १०७८ | विवेकशतक-थानसिंह ठोल्या हि ६९४ १०४ संग म . १०९५, Page #1338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२७८ 1 [ অর্থানুক্ষাঙ্গি ". सं० ५८८, ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | अथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या विशालकीतिगीत-घेल्ह धीरविलास-नथमल हि १६२ विशेषसत्ता विभंगी-मिचन्द्राचाय प्रा० ५० थीरविलास-बीरबद्र हि० ११३२ विषापहार छप्पय-विद्यासागर हि० १००३ वेद विवेक __हि० १.३४ विषापहार - श्रनंजय सं०५६, वेदान्त संग्रह वेदी एवं अष्टपताका स्थापन नवग्रह पूजा १५३, ६६६, १०२२, १०३५, स १०९५, ११२७, ११२८ वेलि काम विडम्बना-समयसुन्दर हि. विषापहारीका-नागवन्द्र सं०७५६ १२०२ विपापहार टीका--प्रभाचन्द्र सं. बंताल पच्चीसी ७५६ ४६३, विषापहार स्तोत्र हि. १०३७, ११२९ ताल पंचविंशतिका-शिवदास सं. दैनिक प्रयोग विपापहार स्तोत्र माषा-अखपराज हि० ७५६ वैद्यक ग्रंथ-नयन तुष ११६७ विषापहार स्तोत्र भाषा-अनलकोति हि० ४५, वैद्यक प्रश्न संग्रह ५८ ५७६०, ६७४, १००५, १११४, वंद्य मनोत्सव-नवन सुख ११२२, ११४८ विष्णुजुमार काथा, सं० ४८७, वैद्य मनोत्सव केशवदास सं. वैद्य मनोत्सव विष्य पुराण ६८ विषापंजर स्तोत्र बंद्य मनोत्सव-नयनसुख हि. ६६२. विष्णु सहस्रनाम विसर्ग सन्धि ५१६ | वैद्य रत्न भाषा-गोस्वामी जनार्दन भट्ट विश विद्यमान तीर्थ कर पूजा १११८ सं. ५८६ विश स्थान १६४ वैध वल्लभ – गोस्वामी जनार्दन सं० वीतगग देव चैत्यालय शोभावर्णन हि १२०२ वीतराग स्तवन बंध यल्लम-हस्तिाचि सं० वीतराग स्तवन-पानन्द वैद्य वल्लभ टीका-स्ति रूचि हि० ११२५ वैध विनोद सं० वीरचन्द दूहा--- लक्ष्मीचन्द १३ | मैद्य रसायन ११७० बीर जिद १८९ लावल्लभ -लोलिम्बिाराज १०७७ वीर जिन स्तोत्र--अभयमूरि ७६० वैद्यकग्रन्य सं० ५८५ वीर स्तुति प्रार ७६० वैद्यकग्रन्थ संभ ५५६ वीरनाथ स्लवन ६८८ बैद्यकनुस्खे सं० ५८६ वीरपरिवार हि १०६८ | यकशास्त्र ५०१ ह. १०४२ . . ५६० 4. व व Page #1339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] [ १२७६ . . .. ५८६ सं० हि. प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ न म लेखक माया पत्र संख्या वैद्यकशास्त्र शत्रुजय गीत गिरिस्तवन-केशराज हि ७६० वैद्यक समुच्चय ८६ शत्रुजय मित्र प्रवाह वैराकसार शवजय तीर्थ महात्म्य-धनेश्वर मरि सं० १२०२ वैद्य कसार-हर्ष कीर्ति शत्रुजय तोर्य स्तुति- ऋषभदाम हि ७६१ बंधक जीवन --मोलिम्बराज सं० ५८६, ५८७ शत्रु जय भास-विलास सुन्दर हि० ७६१ वैद्यकटीका--हरिनाथ शत्रुजय मंडल सुट्टकर चकटीका-स्ट्रभट्ट सं. ५८८ शवू'जय मंडज हि० ९५५ वैरायउपजावन अंग-चरनदास हि० १०५९श जयं स्तवन वन्य गीत १०१६ | भानु जय राष- समय सुन्दर हिः ४२, वैराग्य भीत-२० यशोचर १०२५ बरग्यपच्चीसी हि० १०४७. शनु'जय स्तवन-समयसुन्दर हि १०९ १०५६ शनिश्चर कन्या हि. १०४२ वैशाप मारमासा जीतर चापाई हा १०४६,१०७७, १११३ वराण वर्षमाला शनिश्चर देव की कथा वैराग्यशतक प्राक ११५३ वैराग्य शतक-मानसिंह ठोल्या हि. शब्दकोदा-धर्मदास वैराग्य शांतिपर्व ( महाभारत ) शब्दभेद प्रकाश १२०२ वैराब षोडश-द्यानतराय पद्धभेद प्रकारा-महेश्वर ५१६ बंभसेन सूत्र-वंगसेन शब्दरूपावली वंदना जखडी शब्दानुशासन-हेमचन्द्राचार्य सं० शब्दानुशासन वृत्ति प्रा० सं०५४० पाकुन वर्णन ५६४ शब्दालंकार दीपक--पडिरीक रामेश्वर शकुन विचार ० शकुम विचार शतश्लोक टीका-मल्लमट्ट सं० ३८८ शकुनावली-गौतमस्वामी ५६५ शतश्लोकी टीका-विमल्ल सं०८० शाकुनावली-गौतमस्वामी सं. ५६५ शकुनावली-गौतमस्वामी शलाका पुरुष नाम निर्णय-मरत दास हि. १६५ हि० १४४, शाकटायन व्याकरण-शाकटायन सं० ११६ १८२ शत अष्टोत्तरी कवित्त-भैया भगवतीदास शाङ्ग पर सं०५१६ हि १००५ शाङ्गधर टीका शतक संवत्सरी शाङ्गधर दीपिका-मादमल्न सं०५६१ शतपदी सं० ६५५ | शाधर पति--शाङ्गीघर शतरंजक्रीडा विधि हि०सं० १२०२ | शाझंधर संहिता-शानधर शत्रु'जय उद्धार-नयनसुन्दर हि. . शारङ्गधर संहिता-दामोदर १०२३ शत्रुजय गीत हि० १०२५ Jशारदीय नाम माला -हर्षकीति सं० ५४० ० म ० ५१६ Page #1340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८० ] लेखक भाषा ग्रंथ नाम शालिभद्र चौपई - जिनराज सूरि हि शालिभद्र चरित्र – पं० धर्मकुमार शालिभद्र चौप - मतिसागर शालिभद्र चौपाई सुमति सादर खामि चोप - शास्त्र पूजा - भूचरयास मास्त्र समुच्चय शास्त्र सूची शांतिकाभिषेक शालिभद्र चौपई विजयकीति fge शालिभद्र वा भौपई सुमति सागर हि० शालिभद्र धना चपई - गुण सागर हि० वालिभद्र राव हिन् शालि डोम सं० शाश्वत जिन स्तवन शास्त्रदान कथा मनदेव शास्त्र पूजा शास्त्र पूजा -- ब्रह्म जिनदास शास्त्रपूजा शान्तराब शांतिकर हतवान शान्तिक विधि शांतिक विधिर्मदेव शांति गीत शांति पूजा २५४, २७४ ३६१ हि हि पत्र संख्या पंच नाम ४०७, ६६१,६४६, प्रा० सं० हिव डिο fzo हि रां हिο सं० १०१३, ११३१ प्रा० स० सं० fro सं० ११२८ ४८७ ४८८ ४८८ १६ १०३१ लेखक पांति चक्र मंडल पूजा विधि सं० शांति जिन स्तवन- गुण सागर हि० शांति जिन स्वत्रन SETO शांतिनाथ चरित्र स० शान्तिनाथ चरित्र ग्रजितप्रभ सूरि सं शान्तिनाथ परिष– पारदश्य हि० परि नावचन्द्रसूरि स० ११२७ ७६९ ४३४ ९०६ १०५० १०११. २०७४, १०७७ २०११ १६५ ६७६ ६०९, ६१० ७६१ १० €20 ६७ १०, ११, १०२२ | शास्त्र पूजा मंत्र [ ग्रन्थानुक्रमणिका भाषा पत्र संख्या ९११ ७६१ ७६१ ३५६ शान्तिनाथ चरित्र-सकल कोति शाखिनाथ चरित्र मुनिदेव सूरि सं० शान्तिनाथ चरित्र भाषा सेवाराम हि० शाखिनाय पुराण- सेवाराम पाटनी हि० शान्तिनाथ पूजा शान्तिनाथ पूजा - ० शांतिदास शान्तिनाथको कार शान्तिनाथ यंत्र शान्तिनाथ की जावी शवनाथ स्तवन शान्तिनाथ स्तवन - उदय सागर शान्तिनाथ स्तवन पद्ममन्दि शालिन मालदेव सूरि शान्तिनाथ स्तुति माग्विनाथ स्तोत्र - शान्तिनाथ स्तोत्र - मेरुचन्द्र शान्ति पाठ स० पुराण-ठाकुर शान्ति पुराण - सकल कोर्ति शान्ति पुराण भाषा सं० सं ० हि हिं हि० सूरि हिन् स० ११५० १००३ ७६१ ७६२ ७६२ ७६२ ७६२, ६५८, ११२५ सं० ११६१ हि १०. सं० सं० सं० शान्ति पाठ - धर्मदेव सं० शान्ति पुराख सं० शांति पुराणपं० श्रशाधर कवि सं० शान्ति हिο ३८६ ८६ ३५ह ३८६ ३१० ३६१ ३६१ सं हि० संक्र Eft ett २६६ ११७२ १९३११२८ ६१० ܕ ᄋᄋ ३०० ३०१ ३०१ ६२३ Page #1341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] [ १२८१ १ . हिं० सं० ४८३ ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या शांतिक पूजा विधान सं० ६१० शील बत्तीसी ___ हि. १८४ पातिक पूजा विधान -धर्मदेव सं ११० शोल बत्तीसी-कमल स० १०१० शान्ति मन शान्ति तवन-गुण गर हि०७२१ ११५२ शांति होम विधान-आशाधर रांक ६११ शील बावनी-मालकवि शांति होम विधान-उपा० व्योमरस सं. ११७१ | शील महात्म्य-वन्द हि १०७६ शिक्षा-मनोहरदास सं० १०८३ शील महिमा-सकलभूषण शिक्षा छंद हि० १०५१। शीलरध-शुभचन्द ११०५ शिखर गिरिरास ६४१ । शील गम ११०३ शिखर विलास-केशरीसिंह १००५ सोलरास-विजयदेव मूरि हिल शिखर बिलास-लालचन्द शिव कवच सं० शील विलास सं. शिव छन्द ११५३ गोल विषये वीर सेन कथा गिव मन्दिर स्तोत्र टीका ७६२ शील व्रत कथा-मलक शिव विधान टोका हि०सं० | शील सुदर्शन रास ६४१ शिशुपाल बय-माव कवि शील सुन्दरी प्रबन्ध-जयको ति हि० शीलोपदेस माला-जयसिंह मुनि हि० शिशुपाल वध टीका--मल्लिनाथ सूरि सं० ३६२ शीलोपदेश मात्रा-सोमतिलक सं० शीघ्नबोध-काशीनाथ मं० ५६६, शीनोपदेश रत्नमाला- जसकीति प्रा० ४६० शीत्रफल शीलोपदेश माला -- मेहसुन्दर ४६० शीतलनाथ पूजा विधान सं०६११ शुकदेव दीक्षित दार्ता १६५ सं० शीतलनाथ स्तवन –रायचन्द हि शुक्ल पंचमी अतोद्यान ७६२ शोल कथा-भारामल्ल हि. ४८८, शुद्ध कोष्टक ४५६, १०७३, ११२० शूल मंत्र शील कथा-मरोलाल हि ४६० शोभन स्तुति शील कल्याणक व्रत कथा मं० ११३६ शोमन स्तुति शील चूनडी-मुनि गुणचन्द हि. ११२४ शंकर पार्वती संवाद सं. १२०२ शील तरंगिणोरमलय मुन्धरी कथा)प्रस्त्रयरामनुहादिया शंकर स्तोत्र-शंकराचार्य श्लोकवातिका-विद्यानन्दि ८० शीलनोरास-विजयदेव श्लोकवातिका लंकार सं० शोल पच्चीसी प्रश्नोक संग्रह मं० ६७६ शील पुरन्दर चौपई ४६. श्लोक संग्रह संहि शील प्रकाश रास--पद्य विजय ६४१ | श्लोकावली सं० शील प्राभृत-कुन्दकुन्धाचार्य २१७ | स्वास भैरव रस सं० - .. . . ८० . . . Page #1342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८२ ] पंच नाम लेखक बरपट्टा श्वेता मत क्षेत्र संग्रह पद कर्मचंद्र षट्कर्मरास-ज्ञान सूत्र प विशति का सूत्र दर्शन षट् भाषा पत्र सख्या | प्रथ नाम हि प्रा० दर्शन के छिनवे पाखण्ड ि हिο षट्कर्म षट् 'कर्मोपदेश रत्नमाला - धमरकीर्ति अप० पत्र कमरदेश रत्नमाला - सकलभूषरण सं० कर्मोपदेश रत्नमाला भाषा - पांडे लालचन्द हि० १६०,१६९ कारक - विनश्वरनन्दि प्राचार्य सं० पद विवरण सं० षट् काशिका षष्ट पात्र काभेव दर्शन षट् श्रारणमय स्तवन – जिनकोति षट् त्रिशति सं० सं सं० ० सं० До रां० हिο fge प दर्शन पाखण्ड षट् दर्शन वचन यह दर्शन विचार पट दर्शन समुच्चय षड्दर्शनसमुच्चय-रिमरि ० सं० लेखक ६५६ पट् हुई प्रा० कुन्दकुन्द ७६१ चद् दर्शन समुष्यय टीका सं०हि० षट् दर्शन समुहवय टीका- राजहंस सं० चद् द्रव्य विवरण यह पदी शंकराचार्य बद् पाठ ११३५ ६४४ १२०३ १६७ १६६ ६७७ २६१. ४३३ २६२ १०३६ २६१ २६१ २६१ ५१९ ५१६ ५२० ५२० ११४० पड़ भक्ति ७६३ षडावश्यक ६७७ २११, २६२ २६२ २६२ २५६ Где 0 #to ७६३ हिο ६७७ २१५.११०२ पट्टीका हिब्ग० २१६ हरा जयचन्द छाबड़ा हि०५० २१६ पाहुड भाषा - देवीसिंह छाबड़ा हि० २१६ सं० २२०,२०१ षट् पाहुड वृत्ति - श्रुतसागर सं० यं चि० सं पद पंचाय षट् पंचाशिका ---भट्टोपल [ प्रथानुक्रमणिका भाषा पत्र संख्य प्रा० २१७. पटू प्रकार मंत्र पटू रस कथा - ललितकल षट् रस कथा - शिव मुनि षट् लेश्या गाथा पद् लेश्या वर्णन षड् लेश्या श्लोक 'प'ट् वर्ग फल षडावश्यक विवरण षड् शीतिक शास्त्र वठि योग प्रकरण षष्ठि षष्ठि शतक भंडारी ने मचन्द्र षष्ठि संघरसरी सिंवत्सरी - दुर्गादेव संवत्सर फल - सं हि• हिन् पढावश्यक षड़ावश्यक बालावदोष पठावश्यक बालाजोषमहंग हि० पडावश्यक बातावोध टीका प्रा०हि० fgo षोड़शकारण योगकारण कथा- भैयास पोकरण कथा ललित कीति पोशकारण जयमाल षोडशकारण जयमाल रघू सं० सं० Я о हिο प्रा०सं० स० सं०हि० स० प्रा० सं० सं० सं० संब हि० सं ਸਭ अप० १००६ ५६.७ ६२३ Xse ४७६ ६५६ ११११ १०२६ ५६८. १११६ १०५६ १७० ४६१९ 8:30 १७० १७० १७१ १७० ५६६ ७६३ ६८२ ५६८ ५६८ १०६४ २१२३ ४७६ £¥ ६१४ Page #1343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रधानुक्रमणिका ] [ १२८३ १२०४ मा. हि (१६ ४६१ ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र सख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या षोडशकारण जयमाल वृत्ति—शिवजीलाल सज्जन चित्त वल्लभ प्रा०सं. ११५ सज्जन चित्त बल्लभ... मल्लिा सं० १०६०, षोडशकारण दशलक्षण जयमाल रइवू अप० १७१ १२०४ षोड़शकारण पूजा सं० ११५, सम्झाय हि०९५५, षोडशकारण पूजा मंडल विधान --टेकचन्द १०३८,१११३ समाय--समय सुन्दर सज्झाय एवं बारहमासा हि ६७८ षोड़शकारए पूजा-सुमति सागर सं० २००४ सत्तर भेदी पूजा षोडशकारण भावना-पं० सदासुख कासनीवाल सतरी कर्म ग्रन्थ हित १७१ सत्तरी रूपठार १२०४ षोडशकारण व्रतोद्यापन हित ९ सतसई-वृदावन ६७७ षोड़शकारण प्रतोद्यापन-ज्ञानसार सं०६१५ सत्ता विभंगी - भा० नेमिचन्द्र षोड़शकारण अतोद्यापम पूजा-मुमति सागर । सत्ता स्वरुप ६१ सत्तागणु दूहा-बीरचन्द सदयवच्छामालिंगा १०३७, षोडशकारण व्रलोद्यापन षोडशकारण व्रतोद्यापन जयमाल प्रा. पद पवन सालिंगा चौपई षोड़श नियम समकुमार रास-ऊदौ षोडशयोग टीका ___२२० सन्तान होने का विचार हित ५६२ भ. सकलको तिनुरास-ब. सांबल हिन ६५६ सन्निपात कलिका सं५६१, ५६२ सप्त ऋषि गीत--विद्यानन्दि हि९७८ ससषि पूजा-थी भूषण सं० १००७ सप्तर्षि पूजा-- विश्वभूषण सं० ११७,६१८ सकल प्रतिबोध-दौलतराम हि सप्तर्षि पुजा-मनरंगलाल हि०६१ सकलीकरण सप्तर्षि पूजा - स्वरूपचन्द हि०१८ सप्त तत्व गीत हि९६२ सरलीकरण विधान सप्त तस्य वार्ता ११४० सकलीकरण विधान सं० ११७, सातति का सकलीकरण विधि सप्ततिका सूत्र सटीक प्रा० सकलीकरण विवि सं० ६१७ | सप्तदश बोल हि १७१ सखियारास-कोल्हा हि० १०८६ | सप्त पदार्थ वृत्ति सं० सगर चरित्र--दीक्षित देवदत सं० ४०६ सप्स पदार्थी-शिमादित्य सं० सगर प्रबन्ध-या नरेन्द्रकीति दि. ४६१ | राप्त पदार्थी टीका-- मात्र विद्येावर सं. सज्जन चित्त वल्लभ ६.६७, | सप्त परमस्थान पूजा १०५५ । सप्त परमस्थान पूजा-गंगादास सं० ६६६ सं. सं. १७१ Page #1344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८४ ] [ प्रयानुक्रमणिका प्रा. २२६ ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या 1 ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या सन्त भक्ति प्रा. ११५४ समयसार टीका-भदेवेन्द्रकीर्ति सं. २२५ सप्त भंगी न्याय सं २६२ समयसार टीका (अध्या:म तरंगिणी) भ. शुभचन्द्र सप्न भंगी वर्णन सं. २६२ में० २२२ सातव्यसन--विद्यासागर समयसार नाटर -बनारसीदास हि २२८, मप्तव्यसन कथा--सोमकीति सं० ४६१ २२६, २३०, २३१, २३२, ४३२,४६३ २३३, २३४, ६४१, ६६२, सप्तपसन क्या-भारामल्ल सं० ४६३, ४६४ १६३, ६६४,१८५.९१, सप्तव्यसन गीत सप्तव्यसन चन्द्रावल- ज्ञानभूषण हि. ६६५ १०२२, १०३२, सप्तव्यसन चौपई १०४०, १०४१, सप्तबार घटी सप्तसमास लक्षा सं०५२० १०५२, १०७२ नाम स्तवन सं०७६३ समयसार पीठिका सबद हि० १०५६ समयसार प्रचार प्रतिबोच যমান। सं०६६६ समयसार प्राभत-कुदकुदाचार्य प्रा० २२० सभाभूषरण अथ-गंगाराम हि० १०४६ समयसार भाषा--रूपचन्द हि० २२८ समाविनोद (राग माला)---गंगाराम हि० ६०६ समयसार भाषा टीका-राजमल्ल हिं० २२६,२२७ समाविलास समयसार वृत्ति-प्रभाचन्द सं० सभागार अन्य समयसार-रामचन्द्र सोमराजा सं० ५६८ १०४३ समवशरण पूजा-रूपचन्द हि० १०१३, सममित वर्णन समन्तभद्र स्तुति सम्यक्त्व कौमुदी स० ६५० समन्तभद्र स्तुति-समन्तभद्र ७६२ मम्यक्त्व कौमुदी समयभूषण-इन्द्रनन्दि | सम्यक्त्य की मुदी-धर्मकीर्ति सं०४६४ समयसार कलशा-अमृतचन्द्राचार्य सं. सम्यक्त्व कौमुदी-७० खेता सं० ४६५ २२१ सभ्यक्त्व कौमुदी-जोधराज गोदिका हि० ४६५, ४६६, ४६७, ४६८ समयसार कलशा-पाण्डे राजमल्ल हि. १०४१ सम्यवत्व कौमुदी-विनोदीलाल हि० ४५८ समयसार कलशा टीका-नित्य विजय २२२ सम्यक्त्व कौमुदी--जगतराय हि० सं. ४६६ | सम्यक्त्व कौमुदी भाषा -मुनि दयानन्द हि० ४६८ समयसार टीका (आत्म च्याति)-प्रवचन्द्राचार्य । प्रा०सं० २२३, | सम्यक्त्व कोभुवी कथा सं० ४६८, २२४, २२५ २०. Page #1345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] [ १२८५ ६७७ तक ( २३८, हि प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या सम्यक्त्व कौमुदी समवधारणा रचना समवशरण विधान- हीरानन्द हि १२१ सम्यक चारित्र पूजा-रे-साम. सरवायाग मूत्र समाचारी सं० सम्म रत्व गीत १२०४ Fাল সিয়াি ९२६ समाधान जिन वर्णन समाधितंत्र - पुज्यपाल सम्यदर्शन पूजा-बुध सेन समाघिलत्र भाषा सम्यक्त्व पच्चीसी-भगवतीदास हि० ११५१ साम्यक्त्य प्रकाश भाषा- लालूराम हि १७२ समाधितंत्र भाषा-नाथूलाल दोषी हि २३८ सम्भवत्य बत्तीसी-कंवरपाल हि १७२ समाधिसत्र भाषा-पर्वत धर्मार्थी हि मु. २३४, सम्यक्त्व रास--- अिणुदास हि० ११४१ २३५, २३६, २३७, २३८, ११०३ सम्यक्त्व लीला विलास था-विनोदोलाल समाधितंत्र भाषा--मानकचन्द हि २३५ समाधितंत्र भाषा-रायचन्द हि० २३५ समाधिमरण हि १०४३ सम्यक्त्व साप्त षष्टि भद प्रा. १७३ समाधिमरा भाषा-द्यानतराय हि० २३८ सभ्यम्दर्शन कथा समवसरण को प्राचुरी समाधिभरमा भाषा रामवशरण पाठ-रेखराज समाधिमरा साया-सदासुख कासलीवाल समवशरण मगल-मायाराम हि समवशरण स्तोत्र-विष्ण सेन सं. ७६४ | समाधिमरण स्वरूप २३६ समाधिशतक-गन्नालाल चौधरी २४० समवशरण स्तोत्र सं०७६४,७६५ समाधि शसक-पूज्यपाद हिर २३६ समवशरण मगल चौबीसो पाठ-थानसिंह टोल्या समाधिशक टीका-प्रभाचन्द्र हि. १२२ समाधिस्वरूप २३६ समवशरण पूजा-पन्नालाल समामञ्चक समवशरण पूजा-पचन्द समास प्रक्रिया समास लक्षण सं०५२१ समवशरणपूजा-विनोदीलाल लालचन्द समीणा पाश्र्वनाथ स्तोत्र-मानुकीति सं० १०६१ सम्मेद बिलास-देदकर ६२०, २१ सम्मेद शिखर चित्र सम्मेद शिखर पच्चीसी-खेमकरण हि ११०७ समवशरणगुजा-लालजीलाल हि. ११२० सम्मेद शिखर पूजा सं० १११६ समवशरण मंगल-नथमल हि १०४५ सम्मेद शिखर पूजा-जुधजन हि १२५ समयश्रत पूजा--शुमचन्द्र सं० २२ / सम्मेद शिस्त्रर पूजा-रामपाल हि० २५ १२२ २४० सं. सं. दि ५२१ . Page #1346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५६ ] [ प्रथामुक्रमणिका अथ नाम सेख माथा पत्र संस्था । अथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या सम्मेद शिखर पूजा-लालबन्द हि० १२२, | सर्द जिनालय पूजा सं० ११४८ ६२७ | सर्व जिनालय पूजा-माधीलाल जयसवाल हि. १२६ सम्मेद शिखर पूजा-जवाहरलाल हि १०८६ | सर्वरसी हि. १२०४ सम्मेद शिखर पूजा-भ० सुरेन्द्रकीति सं० २२ / सर्वार्थसिद्धि-पूज्यपाद संस्कृत सम्मेद शिधर पूजा - गंगादास सं० २२ सम्मेन शिखर पूजा-सेवकराम हि | सर्वार्थ सिद्धि माषा-पं. जयचन्द राज० २, सम्मेद शिखर पूजा---संतदास हि १२३ २३, १२०४ साम्मेद शिखर पूजा-- हजारीमल्ल १२३ सरस्वती दिग् विजय स्सोत्र सं० ११२५ सम्मेद शिखर पूजा-ज्ञानचन्द्र हि | सरस्वती पूजा हि ११०४, सम्मेद शिखर पूजा-जवाहरलाल हिल १२४, १२५ सरस्वती पूजा-ज्ञान भूषण हि ८७६ सम्मेद शिखर पूषा - भागीरथ हि १२५ | सरस्वती पूजा-संघी पनालाल हि १२६ सम्मेद शिखर पूजा-द्यानतराय हि. | सरस्वती पूजा सं० २६ सम्मेद शिखर महात्म्य पूजा-मोतीराम सरस्वती पूजा जयमाल-जिनदास हि० ११२६ २७ सरस्वती मंत्र हि० ६२४, सम्मेद शिखर महात्म्य पूजा-मनसुख सागर ११२० हि. १२८ | सरस्वती स्तवन सं० सम्मेद शिखर महारम्य पूजा - दीक्षित देवदत्त सरस्वती स्तवन–परवलापन स. २६ सरस्वती स्तुति-40 प्राथाघर सं. सम्मेद शिखर महात्म्य पूजा हि २४ सम्मेद शिखर यावा वर्शन--40 गिरधारी लाल सरस्वती स्तोग हि ६५७ । सरस्वती स्तवन-ज्ञानभूषण १११० सम्मेद शिखर वर्णन सम्मेद सिर विलास-रामचन्द्र सरस्वती स्तोत्र ११२५ सम्मेद शिखर स्तवन ७६५ सरस्वती स्तोत्र सम्मेदाचल पूज-गंगाराम १०४३ सरस्वती स्तोत्र-शानभूषण ७७४ सम्मेवाचल पूजा उद्यापन सलुपारी सज्झाय-वृधचन्द हि. समोसरत रचना-50 गुलाल हि ४३३ | सवैया–कुमुदचन्द सरवंग सार विचार-निवलराम २४६ सया-- धर्मचन्द्र __८७७ सर्वश महात्म्य सवैया - यमसिंह १११८ सर्वज्ञ सिद्धि सं. २६३ सवैया--मनोहर १११४ सर्वजन स्तुति ७६५ / सर्वया--विनोदीलाल १०२० सर्वजिन नमस्कार सं० ११२७ | सत्रया-सुन्दरदास ६७८ ७६५ २६ २६२ Page #1347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] लेखक ग्रंथ नाम सर्वेधा बावनी नासाह सं० सहस्र गुगा पूजा -म० धर्मकीर्ति सह गुणित पूजा सं० सहस गुरिक्षत पूजा - भ० शुभचन्द्र [सं० सहस्र गुग्रणी पूजा खसेन हि D सहस्रनाम सहस्रनाम - प्रशाधर J सहस्रनाम - जिनमेम सहस्रनाम पूजा धर्मचन्द्र मुनि सहन्नाम पूजा --- धर्मभूषण ... भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम सहस्रनाम चैनसुख बनाम भाषा बनारसीदास बहलाक्षो रोज सागर चक्रवर्ती की कथा सागर धमः भूत-- आशा धर सागर धर्मामृता साठ संघस साठ संवत्वरी हि साधु प्रहार लक्षण साधुगोत साबु प्रतिक्रमण सूत्र साधु वन्दनाथा० कुवरजी स० सं० ६२६ ६२१ स बना £30, 220 ११ε ०६. ११०८, ११२३ सं० ११२७ मं० ६३० सं० हि० हि० सं० ७६६,२६६ सहस्रनाम स्तोत्र - प्राणावर सं० २००५ सहलनाम स्तोत्र - जिनसेनाचार्य सं० 19:92, ६६८, १००६, ११३६ सं० ११६१ ११०८ सं० ६३०, ११३८ ३० 648 सं० १७३, १७४ १७४ Figo प्रा० हि० लेखक साबु वन्दना - बनारसीदाम ५६८, १००६ साधु समानारी साम्य भारता सामायिक प्रतिकारण सामायिक पाठ सामायिक पाठ सामायिक पाठ सामायिक पाठ — [ १२८७ भाषा पत्र संख्या igo ० ७६६, ८७४ fige fo ५६८, ११५६ ५६६, १०३६, ११३५, खाहि संबश्मर ब्रहफल पं० शिरोमणि सं० ५६४ पाठि सं० १२०४ सातवीसन गीत-कल्यास मुनि हि० १०२७ साधारण जिन वन भानुचन्द्र गरिए सं० ७६६ साधारण जिन सधन वृति कनककुशल सं० ७६६ हि० १७५ हिο ११११ २४२ सामुद्रिक शास्त्र ५०३७ १०५ *** २४४ २४०. २४१, १०३५, १०६१ सं० मं० हि० Ято सं० २४२, २४१, ९७७ ११५, ११२० ११२० मुनि २४३ सं० २४४. ९६२, ९६३, १०४७. १००२, ११४७ सामायिक पाठ टीका सदासुखजी हि० सामयिक पाठ टीका हि० हि सामायिक पाठ भाषा - जयचन्द हि० सामायिक पाठ भाषा भ० तिलोकेन्दुकीति - , हि० सामायिक पाठ भावा- पत्रालात हि० सामायिक पाठ भाषाभ्यामराम हि० २४३. २४४ १०२४ १०३२ सामायिक पाठ भाषा fge सामायिक पाठ संग्रह सं० सामायिक भाषा टीका - त्रिलोकेन्दु फोति सं० सामायिक वचनिका - जयचन्द छाबड़ा हि० सामुद्रिक हिन् सामुद्रिक शास्त्र मुं० १०६६ २४५, २४६ Y २४४ २४४ १०२५ १०६२ २४५ ६५६ १०३५ १०५८ ५६६. १०८०, ११३७, १२०५ सं ५६६. ६४४ Page #1348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८८ ] [ ग्रंथानुक्रमणिका ५२७ D ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या सामुद्रिका माता सारस्वत वृत्ति-मरेन्द्रपुरी संग ५२६ सामुद्रिक सुरूप लक्षण १०२५ सारस्वत व्याकरण सारचतुर्विशंतिका-सकलकीर्ति सारस्वत व्याकरण दीपिका-भ चन्द्रकीति सरि सार चौवीसी-पार्श्वदास निगोत्या हि० १५५ सारसमुच्चय सं० १७५, | सारस्वत व्याकरण पत्र संधि-अनुभूति स्वरूपाचार्य सं० ५२६ सारसमुच्चय-कुलभद्राचार्य सारस्वत सूत्र सं० ५२७ सारस्थत सूत्र-अनुभूति स्वरुपाचार्य सं०५२७ सार समुच्चय हिल १०५८ सारस्वत सूत्र ५२७ सार सिद्धान्त कौमुदी सं. ५२१ सारस्वत मूत्र पाठ सार संग्रह सं० ५२१, | सारोद्धार ५६६, ११७१ | सारोद्धार-हर्षकीति सार संग्रह-महावीरावार्य सं० १२०५ सार्स उपद्वीपपुजा--विष्णु भूषण ६३० सार संग्रह- वरदराज सं० २६३ | सार्द्धद्वय द्वीप पूजा-आमचन्द्र सं० ६३०, मार संग्रह-सुरेन्द्र भूषण स०६७८ ६३१ सार संग्रह प्रा० १७५ सायद्वीप पूजा-सुधासागर सं० १३१ सारणी साद्धय द्वीप पूजा मं०८८३, ९३१,६३२ सारद लक्ष्मी संबाद--वेगराज हि० १०३७ | सालिभद्र चौपई—जिनराअसूरि हि० १०६२ सारस्वत चन्द्रिका-अनुभूति स्वरूपाचार्य सं० ५२१ सावित्री कथा सारस्वत टीका ५२१ | सास बहू का भाड़ा-देवा ब्रह्म' हि १००७, सारस्वत टीका सं० ५२१, १०१२, १०६५ सांग्य प्रवचन मुत्र सं० २६३ सारस्वत दीपिका ति--चन्द्र कीर्ति सं० ५२२ | सांख्य सप्तति २६३ सारस्वत धातुपाठ-अनुभूति स्वरूपाचार्य शिखरजी की चौपई-केशरीसिंह सं० ५२२ | सिज्माय-जिनरंग १०६१ सारस्वत प्रकरण सं. सिज्झाय - मान कवि १११७ सारस्वल प्रक्रिया अनुभूति स्वरूपाचार्य सिद्ध कूट पूजा ६३२ सं ५२३, सिद्ध क्षेत्र पूजा ५२४, ५२५, ५२६, ६५४ सिद्ध क्षेत्र पूजा-दौलतराम ६.३२ सारस्वत प्रक्रिया सं. ५२६ | सिद्ध क्षेत्र पूजा-प्रकाशचन्द्र सारस्वत प्रक्रिया-परियाजकाचार्य सं १२०५ सिद्ध क्षेत्र पूजा सारस्वत प्रक्रिया चुत्ति-महीभट्टाचार्य सं० ५२६ सिद्ध क्षेत्र पूजा-स्वरूपचन्द सारस्वत दृत्ति ५२६ | सिद्ध गिरि स्तवन-खेम विजय सं० सं. सं. ५२२ ६३३ Page #1349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथानुक्रमणिका ] [ १२८९ Lav - 4 '' ०० ५४० सं० हि ० ० नथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ न म लेखक भाषा पत्र संख्या सिद्ध चक्र कथा. --शुभचन्द्र सं० ५०१ | सिद्धान्त घन्द्रिका स०५२६ सिद्ध चक्र कथा-श्रुतसागर स. ५०१ | सिद्धान्त चन्द्रिका टीका-सदाचन्द सं० सिद्ध चक्र कथा-भ. सुरेन्द्र कीति सं० ५०२ सिद्धान्त चन्द्रिका टीका-हर्षकीलि सं० ५३० सिद्ध चक्रवत कथा-नेमिचन्द्र ५०२ सिद्धान्त गुण चौबीसी-कल्याणदास हि. १०६५ सिद्ध चक्र व्रत कथा-मथमल सिद्धान्त मुक्तावली सं० २६३ सिद्ध चक्र गीत--प्रयचन्द्र ६५२ सिद्धान्त रस शब्दानुशासन सिद्ध पक्र पूजा सिद्धान्त शिरोमणि-भास्कराचार्य सं. सिद्ध सत्र पूजा--पं. प्राशाधर सिद्धान्त सागर प्रदीप ___ ८७ सिद्ध चक्र पूजा-धर्मकीति सिद्धान्तसार सिद्ध चक पूजा-ललितकीति सिद्ध चक्र पूजा-भ० शुभचन्द्र सिद्धान्तमार-जिनचन्द्राचार्य प्रा०६३ १२०६ | सिद्धान्तसार दीपक-नथमल बिलाला हि० ८५, सिद्ध पक्र पूजा-संरुलाल ८६, ७, १०७२ सिद्ध चक्र पुजा-देवेन्द्रकीति १११ । सिद्धान्तसार दीपक-भ. सकलकीत सं० २०, सिद्ध चक्र पूजा-पानन्दि ८४,८५ पितु पक यंत्र | सिद्धान्तसार संग्रह-नरेन्द्ररोन सं०७ सिद्ध चक्र स्तुति प्रा. ७६६ सिद्धिप्रिय स्तोत्र-देवनन्दि सं०३६७, सिद्ध चतुर्दशी-- भगवतीदास ११५१ ७६८,६६४, ११२७ सिद्धि दण्डिका स्तवन | सिद्धिप्रिम स्तोत्र सं०७७५ सिद्ध धूल-रएनकीन १०२७ | मिद्धिप्रिय स्तोत्र टोका-प्राशाधर सं० ७६८ सिद्ध पूजा-धानत राय हि १००२ | सिद्धिप्रिय स्तोत्र भाषा-खेमराज हि सिद्ध पूजा १३४ | सिन्दूर प्रकरण हिर १२ सिद्ध पूजा भाषा हि ९३४ सिन्दूर प्रकरण-बनारसीदास हि० ६९६,६६७ सिद्ध पंचासिका प्रकरण प्रा० ११४४, ११६७ सिद्ध प्रिय स्तोत्र-देवनन्दि सिंध की पाथडी १०५८ सिद्ध मक्ति प्रा. ७६६ | सिंहनाम चरित्र सिद्ध भूमिका उद्यापन-बुधजन हि०१५ सिंहासन बत्तीसी-ज्ञानचन्द्र ___ सं० ५.२ सिद्धहमशब्दानुशासन -हेमचन्द्राचार्य सं० ५६० सिंहासन बत्तीसी-विनय समुद्र हि० ५०२ सिरहेमशब्दानुशासन सोपज वृत्ति -हेमचन्द्राचार्य सिंहासन बत्तीसी - हृरिफूल सं. ५० | सिंहासन बत्तीसी सिद्धाचल स्तवन हिं० १०६१ | सिंहासन बत्तीसी सिद्धान्त कौमुदी स० ५२७ | सीखामा रास हि ९५१. सिद्धान्त चन्द्रिका–रामचन्द्राथम सं० ५२६ ] सीखामरिण रास-सकलकीर्ति हि० १०२४ ० ० . ५२८, Page #1350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६० ] [ थानुक्रमणिका ५०५ सं० चंय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | नथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या सीता चरित्र–रामचन्द्र (कवि बालक) हि० ४०६, [ मुखविलास--जोधराज कासलीवाल हि० १७६, ४१०,६८०,१०३६,१०७५ ११०६ ६७० सीताजी की थी। त ह -६९१मुख संपत्ति धाम कथा सीता शील पताको गुण वेलि-प्रा. जयीति | सुगृह चितामरिण देव हि. हि०२४५ सुगुरु शतक-जिनदास गोधा १०३५ सीता सतु ---भगवतीदास १४५, | सुगह शतक-जोधराज १८४] सुगंध दशमी ८५३ सीताहरण रास–जयसागर ६४६, | सुगन्ध दशमी कथा ... राजचन्द्र हि. ५०५, ६४७ । सुगन्ध दशमी कथा-सुशालचन्द्र सं. ९५२ सौमंधर स्तवन–कमलविजन सीमंतर स्तवन ११३४ सुगन्ध दशमी कथा सीमधर स्तुति सुगन्ध दशमी कथा–हेमराज हि ४३३ सीमंधर स्वामी स्तवन-40 जयवन्त हि सुगन्ध दशमी पूजा हि. ९३५ सुगाध दशमी तोद्यापन ६३५ सुमा बहत्तरी सुगन्ध दशमी व्रत कथा-भकर द हि. ४८३ सुकुमार कथा सुगन्ध दशमी अत कथा-मलयकीर्ति हि० १०८६ सुकुमाल कथा सुकुमाल चरिउ.-मुनि पूर्णभद्र अप० सुदर्शन चरित्र ... दीक्षित देवदत्त सं. ४१५ सुदर्शन चरित्र-द्र० नेमिदत्त सं. सुकुमाल चरिउ-श्रीधर अप०४११ सं. सुकुमाल चरित्र-भ सकलकीर्ति सं० सुदर्शन चरित्र-मु० विद्यानन्द ४११, सुदर्शन चरित्र--भ० सकलकीति सं० ४१५ सुदर्शन चरित्र--- नयनन्दि अप० ४१५ सुकुमाल चरित्र नाथूराम दोसी हि० ४१३ सुदर्शन चरित्र माषा---'म यशकीति हि. सुकुमाल चरित्रभाषा-गोकल गोल पूर्व सुदर्शन रास-मः जिनदास हि०६४ सुकुमाल चरित्र भाषा ४१४ ११३७, ११४४, ११४७ सुकुमाल चरित्र वयनिका सुदर्शन रास अ. रायमाल हि०६४०, सुकुगल चरित्र हि. ६४३, ६५१,६६८,६७६, १७, १०१३ १०१६, सुकुमाल चरित्र-भ० यशकीति हि० १०२२, १०३१ सुकुमाल सज्झाय-शान्तिहर्ष सुदर्शन सेठ कथा-नन्द सुकुमाल स्वामी छंद-धर्मदास हि० सुदामा चरित्र सुकुमाल स्वामी रास-धर्मरुचि सुदंसरण जयमाल सुकौशल रास ११६७ सुधि तरंगिणी-टेकचन्द १७७. सुकौशल रास-गंग कवि ११३७ सुकौपाल स-वेणीदास ६४७ सुकौशल रास-सांसु १०२५ | सुन्दर शृंगार-महाकविराज हि. सुखनिधान-जगन्नाथ ४१५ ११६८ ४१७ ११४० Corre 信信信 Page #1351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्थानुक्रमणिका ] [ १२९१ सुभाषित ६ . ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | प्रथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या सुन्दर शृगार-सुन्दरदास हि०६२९, सुभाइ चरित्र-पुण्य सागर हि. ४१७ ६६५, १००२ सुमोम चरित्र-रत्नचन्द्र सं० ४१५ सुन्दर स्तोत्र सं०६९ सुमतवादी बवाहक सुष्पय दोहा हि. १०२६, | सुमति-कुमति की जखडो-विनोदी लाल हि० १०६५ सुपंथ कुपंथ पच्चीसी हि०EEL सुमति मुमति संवाद-विनोदोलाल हि ११०२ सुप्रभातिक स्तोत्र ७६६ सुमतिनाथ पुराण-दीक्षित देवदत्त हि० ३०१ सूखुद्धि प्रकाश-थानसिंह ६६७ मुमिरण-दादूदयाल सुबोधिका ५३. सुरसुन्दरी कथा सुगद्रकथा-सिंघो | सुलोचना चरित्र-वादिराज ४१५ सुमद सज्झाय सबैस चरित्र सं. ४१८ सूक्तावली सं० १२०६ १११७ मूक्ति मुक्तावली सुभाषित | सूक्ति मुक्तावलीभाषा बनारसीदास हि १४१ सुमाषित-सकलकीर्ति सूक्ति मुन्नावली माषा-सुन्दरलाल हि. ७०७ सुभाषित कथा मूक्ति मुक्तावली वचनिकाहि ७०७ सुभाषित प्रश्नोत्तर रत्नमाला-शानसागर सूक्ति मुक्तावली--प्रा० मेरुतुग स. ७०१ सं०६६७ सूक्ति मुक्तावली - प्रा. सोमप्रभ सं० ७०१, सुभाषितरत्न संदोह-ममितिगति सं ७०२,७०३,७०४, ७०५, ७०६, ११६१ सुभाषित रत्नावली सुमाषित शतक मुक्ति मुक्तावली टीका-हरकीति सं. ०६ सूक्ति संग्रह सुभाषित संग्रह हि०सं०६५६, E६०, १००१,११५८ सूत के निर्णय-सोमसेन सुभाषिताएंव--सकलफीति सं. ६६५, सूलक वर्णन १७६, ६६८, ६६६ सूतक वन-भ. सोमसेन ७०१,९६५ सं. १७६ सुामवितावली सं०६६५. सूतक वर्णन हि० ११०४ सूतक श्लोक सुभाषितावली-कनककीति सुत्र प्राभूत –कुन्दफुन्दाचार्य ८७ सुभाषितावनी हि० १०५८ । सूत्र विधि सुभाषितावलि माषा-स्तूशालबन्द हि० ७००, सूत्रसार सूत्र सिद्धान्त चौपई सुभाषिताबली-दुलीचन्द ७०० सूत्र स्थान सुभाषितावलि भाषा-पन्नालाल चौधरी ।सुम सुमनी की कथा-रामकृष्ण हि १०५४ ६९५ 1 सुम्न जी को रसोई हि० १११३ सं० ५७ Page #1352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६२ ] [ ग्रंथानुक्रमणिका सं० ६३७ ० ० ० सूर्यक the tric xnxx पंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | थ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या मुरत की बारहखडी-सुरत हि ११३४ सोलहकारण मंडल पूजा सूरसगाई-सूरदास १०६ सोलहकारण मल विधान हि०६३७ सूर्याष्टक स्तोत्र ११२५ सोलहकारणारास - .जिनदास हि ६४८, १५३ सूर्यग्रहण सं० ५७० सोलहका रणरास-मकलकति हि ६५५, सूर्यप्रकाश - प्रा. नेमिचन्द्र सं. १७ १११३ सुर्यप्रतोद्यापन-. जयसागर १०५४ सोलहकारण ब्रत कथा सूर्यवनोद्यापन पूजा- जानसागर सं०७७ सोचहकारण व्रतोद्यापन पुजा सूर्यसहस्रनाम सं० ११५६, | सोलहकारण व्रतोद्यापन पूजा सोलहकारण पूजा विधान सूर्यस्तुति हि० १११३ । सोलह सती ---मेवराज हि० ११२६ मुवा बत्तीसी हि० १०६७ / सोलहसती की सिज्झाय-प्रेमचन्द हि० १०६८ सेठ सुदर्शन स्वाध्याय-विजयलाल हि ५०६ | सोलह स्वप्न छापय -विद्यासागर हि. १००३ सैद्धान्तिक चर्चा वि० १०६७ | सोहं स्तोत्र संद्धान्तिक चर्चा संग्रह सोनागिरि पूजा | सौख्यकास्य प्रलोद्यापन विधि सं०३८ सोमप्रतिष्ठापन विधि सं० १०१ सौख्य पूजा सोमवती कथा सं०५०६ सौभाग्य पंचमी कथा स० सोलहकारण उद्यापन -समति सागर सं० ९३५ | संकट दशा सोलहकारण उद्यापन-अभयनन्दि सं०६३५ | संकल्प शास्त्र १२.४ संक्रान्ति फल सं. ११३५ सोलहकारण कथा-व. जिनदास हि० ११४३ संक्रान्ति विचार हि. ६४४ सोलहकारण जयमाल प्रा०६३६ संक्षेप पट्टावली ६५३ सोलङ्गकारा जयमाल-रघु अप०६३६ संख्या शब्द साधिका १२०४ सोलहकारण जयमाल प्रा०हि १३६ | संगीतशास्त्र ६०१ सोलहकारण जयमाल संगीत स्वर भेद सोलहकारण पाखण्डी बै० ११३६ संग्रह सोलहकारण पूजा सं. १३६,६६४ संग्रह प्रय सोलहकारण पूजा हि० १३६,९५६ सग्रह प्रथ सोलहकारण विधान-टेकचन्द हि०६३७ | संत्रहरणी सूत्र सोलहकरण पूजा विधान संग्रहणी सूत्र भाषा ___ सोलहकारण पूजा | सग्रहणी सूत्र--- देवमन मूरि ८ सोलहकारण भावना संग्रहणी सूत्र--महिलषेण सूरि प्रान सोलहकाहरण भावना १७६ | सग्रहणी सूत्र भाषा-दयासिंह गणि प्रा०हि. ८ FO सं० सं० NA Page #1353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रमणिका ] [ १२९३ हि. . ४३३ प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक . माषा पत्र संख्या संघचूल . हि. ५०६ | संबोत्र सत्ता दहा-वीरमाद हि. ७०७, संघपरराट्रक टीका--जिनबल्लभ मुरि संबोध सलाबगी भावना-वीरचन्द हि. १५२ संघ पट्ट प्रकरण ६५७ संबोष सत्तरि-जय शेखर हिः संघण सूत्र संभवजिनचरित-तेजपाल अपनश ४१५ संघायरिण-हेममूरि संवर्जनादिसायन-सिद्ध ना ६२४ संत्रा प्रक्रिया ११०३ | सवत्सर फन सन्तारण भावना-वीरचन्द हि. ११३८ १०६४ सतोष जयतिलका-बूचराज ६६१। संवत्सर ६० नाम ११३५ संथारा पोरस विधि १६८ | संवत्सरी हि ५७०, संथारा विधि संदेह समुच्चय-ज्ञान कलश । सं० १७१ | संवत्सर महात्म्य टीका .... सं. संध्या वन्दना सं० १२०४ संध्या मंत्र-गौतम स्वामी सं० ६२४ | संवरानुप्रेक्ष:--सूरत २४६ संबोध अक्षर बावनी सवाद सुन्दर सदोष अधर बावनी --- नि: है १०४: चौथ कथा-देवेन्द्रभूषण संबोध दोहा- सुप्रभाचार्य | संस्कृत मंजरी . .... सं० संवोध पंचासिका प्रा० ७०७, ६०२ संस्कृत मंजरी-वरदराज संश्रोष पंचासिका प्रा०सं०६७७ गंसार चिनिका . . हि. संबोध पंचासिका संसार सांसरयोंगीत ६६४, ११३४ | संसार स्वरूप संबोध पंचासिका हि० ११०५ | स्तबन अणंद ७७० संबोध पंचासिका- गौतम स्वामी प्रा० १७२ / स्तवन - गुणसूरि संकोच पंचासिका हि. ६७ १०६५ संबोध पंचासिका--मुनि धर्मचन्द्र हि० १०२१ | स्तवन .. ज्ञान भूषण ... हि ११७ सबोध पंचासिका-द्यानतराय हि. १७२ | स्तवन पाठ सं. ७७० संबोध पंचालिका–बुधजन हि १०८३ | | सबल संग्रह हि० सं० ७७० संबोध पंचासिका-रइधू अप० ११५४ | | स्तुति प्रत देव-वृन्दावन १०६४ संबोध रसायन-नयचन्द सूरि हि० ६५७ | स्तुति-द्यानतराय संबोध सन्तरी १७२ स्तुति- भूधरदास ७२१ संदोष सन्तरी-जयशेखर सूरि प्रा० १७२ | स्तुति पंचासिका-पाण्ठेसिहाज सं ७७० संबोष सन्तरी प्रकरण १७२ | स्तुति संग्रह सबोध सन्तरी बालावबोध ५३०, Page #1354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६४ ] [ प्रधानुक्रमणिका हि .० ६३८ ५६. प्रय नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | पंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या स्तुति संग्रह सं ७७० स्वप्न बत्तीसी-भगौतीदास हि १११३ स्तोश चतुष्टय टीका-याशापर सं० ७७० स्वप्न विचार स्तोत्रत्रय भाषा हि १०७२ स्वप्न शुभा सुभ विचार ६४६ स्तोत्र पार्श्व हि ७० स्वप्नसती टीका-गोबर्द्धनाचार्य स्तोत्र पूजा स्वप्नाध्याय स्तोत्र पूजा . सं. १३८ स्वप्नाध्यायो स्तोत्र पूजा संग्रह हि. १२६७ स्तोत्र संग्रह प्रा० सं० ७७१ स्वाप्तावली सं० ५७० ७७५,११६५ स्वप्नावली-देवनन्दि ११२७ स्तोत्र संग्रह सं० ७५०, स्वप्नावली-वीरसेन सं० १०६८ ७७१, ७७२, ७७३, ७७४,७७५, १६० स्वयंभु स्तोत्र प्रा० समंतभद्र सं. ७७५, स्तंभनक पार्श्वनाथ नमस्कार ७७६,१००२, स्त्रो जन्म कुण्डली १०४३, १०८२, स्त्र द्रावणा विधि स्त्रो लक्षण ११४७, ११५४ स्त्री सज्झाम स्थराली चरित्र--हेमचन्द्रार्य स्वयंभू स्तोत्र--देवनन्दि सं० ११२७ स्थानक कथा स्वयंभू स्तोत्र भाषा --द्यानतराय हि ७७६ स्वयंभू स्तोत्र रेखा -प्रमाचन्द स्थान माला स्थूलभद्र गीत लावण्य समय १०२६ स्वर विचार स्वरोदय-चरणदास स्थूलभद्र को नव रास स्वरोद्रय-कपूरचन्द स्थूलभद्र फागु प्रबन्ध स्थुल भगनुरास-उदय रतन हि. ६४८, स्वरोदय-प्रहलाद ५७२ स्वरोदय-मोहनदास कायस्थ १०६१ स्वरोदय टीका स्थूलभद्र सज्झाय ६६६ स्थूलभद्र सिज्म'म-गुणवर्द्धन सूरी स्वरूपानन्द -दीपचन्द १०६८ २४७ स्वरूप सबोवन पच्चीसी स्नपन ११६३ स्नपन विधि स्वस्त्ययन पा ६८० स्वाध्याय भक्ति स्मपन वहुद स्नेह परिक्रम-नरपति ११५४ ] स्वामीकीतिकेयानुप्रेक्षा-कार्तिकेय प्रा० स्फुट पर संग्रह स्फुट पाठ संग्रह श्रमरण पाप-नय स्तवन प्रा. ७३० स्फुट संग्रह श्रमरण सूत्र भाषा हि १२०३ स्थावाद मंजरी मल्लिषेण मुरि सं. २६३ / श्राद्ध विधि-रत्न शेखर सुरि हि. ५६२ १७६ ० १७६ ६३८ ० ० ० ० ६८० ० Page #1355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्यानुक्रमणिका ] । १२६५ ०२ . प्र० १०५१ ० . मन ० सं. : 10 प्रय नाम लेखक माषा पत्र संख्या | मथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या श्रावक अतिचार प्रा० १०२६ | श्रीपाल चरित्र–चन्द्रसागर हि० ३६८, श्रावक क्रिया सं. ३१६, ४००, ४०१ श्रावक क्रिया श्रीपाल चरित्र-लाल श्रावक गुला वर्णन प्रा० श्रीपाल चरित्र भाषा श्रावक धर्म प्ररूपरणा प्रा. प्रौपाल दर्शन श्रावक प्रतिक्रमण २१७ ११२६, १०६५ श्रावक प्रतिक्रमण २१७ श्रावक प्रतिक्रमण श्रीपाल प्रबन्ध चतुष्पदी १०७२ श्रीपाल राज सिम्झाय-खेमा श्रावक प्रतिक्रमण হাoি हि ७६२ श्रीपालरास श्रावक प्रतिक्रमण हि० १०६१ श्रावक प्रतिज्ञा नन्दराम सोमाणी हि श्रीपाल रास-प्र० जिनदास ६४२, १०८० श्रावक त विधान-अभ्रदेव श्रावकाचार १६६ श्रीपाल रास-जिनहर्ष श्रावकाचार श्रीपाल रासन रायमल्ल हि० ६४२, श्रावकाचार १०८ ६४०,६४२, ६६६, ०६८, १०१३, १०१५, १०१६, श्रावकाचार-अमितिगति १०२०,१०६३ श्रावकाचार-उमास्वामी १६६ | श्रीपाल सोमानी पाख्यान-वादिचन्द्र हि. ४६१ श्रावकाचार--प्रतावकीति ११३७ | श्रीपाल स्तुति श्रावकाचार-प्रभाचन्द १०१६, १०८४ श्रावकाचार रास-पद्या हि. १६७ श्रीपाल स्तुति-महाराम हि. ११४५ धावकाचार रास-जिणदास हि०६४१ / श्रीमंधरजी की जखडी-हर्षकीकि हि० १०४८ श्रावकाचार मुनिका हि १७७ | श्रुतयोवलि राम -- जिनदास हि. ६४२ श्रावकातिचार चउपई–पासचन्द्र सूरि हि० १०३७ युत ज्ञान के भेद हि. ११०२ श्रावकाराधन-समय सुन्दर सं० १६६ श्रुतज्ञान मंत्र ११७२ श्राबणा द्वादशी कथा-ज्ञानसागर हि० ११२३ | श्रुत पूजा सं० ११२ श्रीपाल चरित्र-रस्न शेखर प्रा. | श्रुत पंचमी कथा-धनगाल अप० १२०३ श्रीपाल चरित्र-० नरसेन अप श्रुतबोध - कालिदास श्रीपाल चरित्र--जय मित्रहल अप. श्रीपाल चरित्र-रह अप. श्रतबोध टीका-मनोहर शर्मा श्रीपाल चरित्र-सालकीति श्रुतबोध टीका-हर शर्म सं० ६०१ ६४ श्रुत स्कन्ध-७० हेमचन्द्र प्रासं० १५६, श्रीपाल चरित्र-० नेमिदत्त १६४, १०५५७, ११०७ श्रीपाल चरित्र-परिमल्ल हि. ३६५, [ श्रुत स्कन्ध सूत्र सं० ११०७ ३९६,३६७, ३६८,१०१३ | श्रुत स्कन्ध कथा सं Page #1356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६६ ] [ प्रस्थानुक्रमणिका AJI -0000 : or - ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र सध्या प्रथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या श्रुत शाघ पूजा . . संस्कृत शृगार रस धुल स्कन्ध पुजा-ज्ञानभूषण सं० | शुगार देराग्य तरंगिणी-सोमप्रभावार्य श्रुत स्कन्ध पूजा-विभुवन कीर्ति सं० ११३ सं. १२१ श्रुत स्कन्ध पूजा-भ. श्रीभूषण । शृंगारशतका---भर्तृहरि श्रुत स्कन्ध पूजा-बर्द्धमान देव दात कप पितान--सद हि१४ हुक्काम कला सं. १९१५ श्रत स्कन्ध मंडल विधान-हजारीलाल हि०१४ हनुमंत कथा-वरायमल्ल हि० ५०७, धत स्कन्ध मंडल विधान सं० थत स्कन्ध शास्त्र ११४० १०१५,११०६, ११४३ थतावतार सं०६५६ हनुमा कवच सं० १७७, श्रु तावतार कथा अंशिककथा सं. ११३६ हनुमच्चरिष---प्र. अजित सं० ४१८, थेणिक चरित्र-मादहि ११६६ थाएक चरित्र -भ. शुभचन्द्र स० ४०२.४०३ हनुमच्चरित्र -ब्रजिनदाय श्रीणिक चरित्र भाषा--म० विजयफीति हनुमच्चरित्र-यशःकीर्ति हि ४०३. हनुमच्चरित्र--- जानसागर ४१६ ४०४, ४०५ हनुमत चौपई-ब्र० गयमल्ल हि०६४३, श्रेणिक चरित्र भधा-दौलतराम कासलीवाल हुनमग्नाटक-मिथ मोहनदास सं. ६०० नेशिक चरित्र भाषा-दौलत औसरी हि. ४०४ हनुमतरास धेरक प्रबन्ध -- कल्याणकीति हि० ४०६ | हनुमतराम-3 जिनदास हि०६४८, श्रमाक बि-लिखमीदाम हि. ४०७,४०८ ६४६, ११४१, १९४७ अंगिकगु :--विज प्रकीति हि ३०० हरियाली छप्पय-संग अशा या गस-२० संघजी हि०६४२ हरिवंश पुराण संक १०४२ . -4 - भ० गुराकीति हि. १५२ | | हरिवंश पुराण-खुशालचन्द हि ३१०, नीति - मामःगलिक प्रबन्ध-कल्याणकीति ३११, ३१२, ३१३, १०५२ हि० ४६१ ] हरिदश पुराण -- ० जिनदास सं० ३०६, श्रं 'एर पास ... १० जिनदास हि०६४३, ३०७ ३०८, ३०६,३१० श्रेणिक 47 ... सोमनिगल सूरि हि. ११४६ | हरिवंश पुराण--जिनसेनाचार्य सं. ३७२ शुगा कभित . हि. ६२८ / हरिवंश पुराग-दौलतराम कासलीवाल शृगर शन--मर्तृहरि सं०६२८ संक ३०४, शृगार दीपिका-कोमट भूपाल सं०६०१ शृगार मजरी-प्रतापसिंह ६५१, हरियश पुराण---यशःकीरि अप. ३०३ २०६४ | हरिवंश पुराण-शालिवाहन हि २०३ Page #1357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंथानुक्रमणिका ] [ १२९७ सं० ... हि. ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या | ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या हरिवंश पुराण-थीभूषणसूरि सं० ३०३ होली चरित-५० जिनदास सं० ४२० हरिवंश पुराण मापा-~-खड्गसेन हि० ३०३ होली पर्व कथा-श्रुतसागर सं० सं० ४७६ हरिश्चन्द्र चौपई-झनक सुन्दर हि ४२० होलीपर्व कथा म. ५०६ हरिश्चन्द्र राजा की समाय हि. होलीराम-ब जिगादास हि० ११४१ हरिषेण चक्रवर्ती कथा -विद्यानन्दि स० हवन विधि ०६ | होली रेणुकापर्व-पं० जिनदास सं० ५०४ हसनखां की कथा १०११ । हंसराज बच्छराज चौपई-जिनोदय सरि हिकमत प्रकास-महादेव हि ५०६, ६५४ हिण्डौर का दोहा १२०७ हंसराज बच्छराज चौपई हितोपदेश-विष्णु शर्मा हितोपदेश-वाजिद हितोपदेश छोपई ७०० क्षणवति क्षेत्रपाल पूजा--विश्वसेन सं० हितोपदेश की कथाए १०२१ क्षत्रचूडामसि-- वादीभसिंह सं० ३१५ हितोपदेश दोहा-हेमराज सपणासार-माधवचन्द्र विद्यादेव सं १२ हितोपदेश के दोहे हिं० ११३० हि० हियहुलास ग्रन्थ क्षपसाासार १.१२ । हिंदोला-भैरवदास हि. १०८९ |क्षमा छत्तोसी-समयसुन्दर हीयाली-रिष हुक्का निषेध-भूषर १०३५ हेमीनाममाला-हेमचन्दाचार्म सं० ५४० क्षमा बत्तीसी-समयसुन्दर होम एवं प्रतिष्ठा सामग्री सूची हि सं. क्षमावणी पूजा--नरेन्द्रसेन श्रीररणय-विश्वकर्मा ११७७ होम विधान होम विधान क्षेत्र गणित टीका १३९, क्षेत्र गरिणत व्यबहार फल सहित सं० ११७३ होम विधान क्षेत्र न्यास हि ६१६ होम विधि १३६ क्षेत्रपाल गीत - शोभाचन्द हि० १०६५ होरा प्रकाश क्षेत्रपाल पूजा होरा मकरन्द १०३५, १०९५, ११४५ होरा मकरन्द - गुणाक ५७२ क्षेत्रपाल पूजा- बुध टोडर हि. ११२३ होलिका चरित्र ४२० क्षेत्रपाल पूजः--शान्तिदास हि०७५ होली कथा ५०५, क्षेषपाल पूजा--मु० शुभचन्द हि०१५ क्षेत्रपाल स्तुति-मुनि शोमा चन्द हि. होली कथा-मुनि शुभचन्द्र क्षेत्रपाल स्तोत्र ७७४ होली कथा - छीतर टोलिया ५०८ | क्षेत्रपालष्टक ७२० Mammmmm GG 0. 0ruaru ५७२ पा म . Page #1358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२९८ ] पंथ नाम लेखक क्षेत्रपालाष्टक - विद्यासागर क्षेत्र समास क्षेत्र नाम प्रकरण -- त्र त्रिपुर सुन्दरी यंत्र विचाशत किया तोद्यापन विधान किया तो भाबा हिन् प्र०ि सं० त्रिकाण्ड कोण पुरुषोत्तम देव त्रिकाल चौबीसी कथा-पं० प्रदेष सं त्रिकाल चौबीसी पूजा ८२०. ६७७, १७५, १०१० त्रिकाल चवीची पूजा - ० ५२० त्रिकाल बीबीसी ८२० त्रिकाल चौबीसी विधान १६८ त्रिकाल संध्या व्याख्यान त्रिभंगीसार टीका विबेकनन्दि भिंगीसार भाषा त्रिलोक दीपक - वामदेव त्रिलोक प्रति टीका प्रा सं० त्रियाक्रियोद्यापन भ० विश्वभूष सं० fa सं० चन्द्रसं हिο Fe सं० सं० स० त्रिभुवन बीनती गंगादास विभंगी त्रिभंगीसार नेमिचन्द्राचार्य प्रा० पत्र संख्या | पंच नाम ११५५ | त्रिलोक वन १०४ सं figo ६१६ १०४ त्रिभंगी सुबोधिनी टीका - पं० अशाधर सं० त्रिलोक दर्पण ---खड्गसेन हि ७३० ६२१ ८२० ८२१, १५५ Co ११३३ २५६ ६० ६१ ६१ ६१ ६१ ४४२, ६१६, ६१७ ४४३ ५३६ ४३४, त्रिलोकसार सुमति कीर्ति ४३४ लेखक सं० ६११,६१६ प्रा० ६११ [ चानुक्रमणिका भाषा पत्र संख्या fgo १०७२ ६.११ ६११ ८२१ वर्णन जिनसेनाचार्य त्रिलोक वर्णन त्रिलोक विधान पुजा – टेकबन्द त्रिलोक सप्तमी वाजिनवास विलोकसार नेमिचरा पायें त्रिलोकसार सुमति सागर विलोसार वचनिका त्रिलोकसार संब प्रा० हि વસુ ન ་༠ - ४४३ ६१२, १३. ११४, १००० हि ६१६ १६१, १०५१, ११४४, ११५९ सं ० ६१६ ६१६ fro हिन् विनोकसार पट त्रिलोकसार चर्चा त्रिलोकसार पूजा - त्रिलोकसार पूजा - शुभचन्द त्रिलोकवार पूजा सुमतिसागर सं० शिलोकसार पूजा सं० त्रिलोकवार भाषा हि‍ प्रा० fro सं० हिο लोकतारमा पं० टोडरमल राज त्रिलोक सार सटीक प्रा० मिलोक सार भाषा हिन् त्रिलोकसार टीका- नेमिचन्द्र गरिए सं० त्रिलोकमार टीका - माधवचन्द वियदेव सं० १०४०, १०६३ ६१६ ६१५ ८२१ ८२१ ८२२ ८२३ ६१७ ६१८ ६१४ ६१४ ६१५ ६१५ सं० ६१५ ६१३ ११ ११२ लोकसार टीका सहस्रकीति त्रिलोकसार संहष्टि विचार- श्री ब्रह्मसूरि त्रिवर्गादार-सोमसेन त्रिषfts शलाका पुरुष न रत्र - हेमचन्द्राचार्य सं० प्रा० सं० सं ० २७६, ३२२ Page #1359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रधानुक्रमणिका ] [ १२९६ . TheE . MEE ८२३ बथ नाम लेखक भाषा पन्न संख्या | मंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या त्रिषष्ठि स्मृति सं० २७६ विश्चतुर्विशति पूजा-शुभचन्द्र सं. १०८५ शा -आरामल: श्रेपल क्रिया-हेमचन्द्र ज्ञातृ धर्म कथा दोका १०६३ शात धर्म सूत्र ___४० अपन क्रिया कोमा १८१ ज्ञान कल्याण स्तुधन १०६१ श्रेपन क्रिया कोश-किशनसिंह। शान गीता स्तोत्र वेपन क्रिषा कोश- गुलाल । १०७७ जानचा श्रेषन क्रिया गीत---शुभचन्द्र ओपन क्रिया गीत-सोमकीति १०२५ जान चालीसा श्रेषन क्रिया पूजा ६४८ ज्ञान चिन्तामणि १८१, अपन क्रिया पूजा--देवेन्द्र कीति वेपन क्रिया रास-हर्षकीर्तिहि १०३२ १०३२ | ज्ञान चिन्तामणि-मनोहरदास हि १०६, रन क्रिया प्रतोद्यापन सं० २३ ६५७, १०११, २०५६ श्रेपन क्रिया प्रतोद्यापन--विक्रमदेव सं० ज्ञान चूनडी भगवतीदास ११२३ ११२४ हि. ज्ञान चूनडी-वेगराज श्रेपन क्रिया विधि-दौलतराम हि० ११४२ ज्ञान जकडी-जिनदारा वैपन क्रिया विनती- गुलाल हि. जान दर्पण-दीपद कासलीवाल हि० १०६, पन भाव हि०१०१७ श्वेपन भाष चर्चा शान शासक-यानतराय हि १०४३ हि. असल शलाका बन ज्ञान दीपिका भाषा १०६ १००५ ज्ञान पच्चीसी हि० १८०, प्रेसट शलाका पुरुस वर्णन ९, १०४७, १०१७, ११०२ सह पलाका पुरुस भवावलि हि. ११३४ | ज्ञान पच्चीसी-बनारसीदास हि ११०, लोय मोहन कवच १४१, ६६०. ११४५ अलोक्य मोहनी मंत्र ज्ञान पंचमी व्याख्यान-कनकशाल सं० ११० त्रैलोक्य वसान ६५६ ज्ञान भास्कर सं. ११८२ त्रैलोक्यसार ११६५ ज्ञान मंजरी श्रलोक्य सार संदृष्टि ६१३ जान लावणी जान समुन्द्र - जोधराज गोदीका हि. ११७, त्रैलोक्य स्वरूप-सुमति कीति अलोक्य स्थिति वर्णन ज्ञानसार--मनन्दि त्रैलोक्यश्वर जयमाल ६६३ | ज्ञानसार-मुनि पोमसिंह प्रा. ६४४ ४१ Page #1360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३०० । । ग्रन्थानुक्रमणिका ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र ग्रंथ नाम लेखक भाषा पत्र संख्या ज्ञान सूर्योदय नाटक-वादिचन्द्र सं० १०४ | जानाराव भाषा सं० २०० ज्ञान सूर्योदय नारा --मा पहि ए -- 'जयचन्द छाबडा हि. २०१ ज्ञान सूर्योदय नाटक-पारसदास हि० ६०५ २०२, २०३ ज्ञान सूर्योदय ज्ञानार्गव मापा- टेकचन्द्र हि. २०० ज्ञान स्वरोदय-चरनदास हि ५०६, ज्ञानार्णव भाषा-लब्धि विमल गणिहि२००, १०५६. ११८२ ज्ञानानन्द नावाचार सं० १०५६ ज्ञानाराय-पा० शुभचन्द्र ज्ञानानन्द श्रावकाचार-भाई रायमल्ल १६५, १६६, २००, ११५८ राज ज्ञानार्णव मध टीका १११ ज्ञामात्र गच टीका-ज्ञानचन्द हि. ज्ञानकुश सं. १०५१ ज्ञानार्णव गद्य टीका-अत सागर सं० २७० ज्ञानांकुश शास्त्र ११४० Page #1361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं ग्रंथकार प्रधाकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची प्रथाकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० अकलंक देव . अकलं काष्टक स. १०६ शीलतरगिणी ४१० तत्वाधराजवातिक सं प्रचलकीति आदिनाथ स्तुति हि० १०६७ ज्यामधिनिश्चय सं० २५७ अठारह नाते की कथा हि. प्रतिष्ठाकल्प सं. ७ १०७३,१०१८, १७७६ प्रायश्चित शास्त्र सं. विषापहार स्तोत्र भाषा हि १४१,२१४ प्रायश्चित नथ सं० १८६ अकलंकरविवत कथा हि ४३३ १११४, ११२२, ११४६ प्रकमल मनोरथ माला हि०११११ शील बत्तीसी हि १४४. अचल साह वीनती हि. ७७ प्रखपराज श्रीमाल-कल्याण मन्दिर स्तोत्र भाषा पद हि. ८७७ हनुमच्चरित्र सं० ४१८, ४१४ चौदहगुणस्थान पंचाशिका अजितप्रम सूरि- शान्तिनाथ परित्र सं० १.१०,११५२ प्रजयराज हि० ७१६ ० अजित अर्जुन प्रादित्यवार कथा प्रा० ११४६ अनन्तवीर्य प्रमेयरल माला सं० २५६ अनन्तसूरि- न्यायसिद्धान्त प्रमा सं० २५७ अनुभुति स्वरूपाचार्य-प्रास्यात प्रक्रिया सं० भूपाल चौबीसी भाषा हिल ७५१ भक्तामर स्तोत्र माषा हि. ७४४ विपापहार स्तोत्र भाषा हि ७५६ अमर प्रभसूरी- भक्तामर स्तोत्र टीका सं. ७४२ अखंमल विनती हि० १०७ अखराम परवांपुर हि १०६२ अखयराम सुहाडिया-मलय सुन्दरी चरित्र भाषा हि० ३६५ कृदन्त प्रक्रिया सं० ५१२ तद्धित प्रक्रिया सं० ५१३ मट्टीभट्टी प्रक्रिया हि. ५१७ सारस्वत चन्द्रिका सं. Page #1362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३०२ ] [ प्रथ एवं अथकार ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम प्रथ सूजी प्रथकार का नाम ग्रंय नाम ग्रंथ सूची पत्रसं० | বস ০ सारस्वत धातु पाठ सं. स्तंभनक पार्श्वनाशनमस्कार सं० १५६ सारस्वत प्रक्रिया सं० अभयचन्द सूरि- मांगीतु गो जी की यात्रा ५२३, ६५४ हि ७५५ सारस्वत ब्याकरण पंचसंधि सं. ५२६ मांगीतुगी गीत हि सारस्वत सूत्र सं० ५२७ अनूपाचार्य ... पाषाली पूणिमाकन अभयनन्दि पल्यविधान पूजा सं०६०७ सोलहकारण उद्यापन सं. अनूपारामयंत्रावली सं० ६२३ ६३५ अप्पयवीक्षत- अलंकार चन्द्रिका सं०५६३ पं० अभ्रदेव- लधि विधान कथा सं० कुवलयानन्द रां० ५६३ अस कथा कोश स० ४७८ अपराजित सूरि- भगवती आराधना (विजयी लधि विधान कथा सं. दया दीका) स० १४५ प्रभयचन्द्र-. गोम्मटसार ( पंच संग्रह ) चतुर्विश्वत कथा मं. ४ त्तिः स. २० त्रिकाल चौबसो कथा सं० लघीयस्त्रयटीका सं० ४२४, ४३४ द्वादश वन कथा सं० ४४७ अभयवेध गणि.--- प्रश्न व्याकरण सूत्र अतोद्यातन श्रावकाचार सं० प्रासं०७६ शास्त्र दान कथा सं० ४३४ प्रभयदेव परि -- स्तमनवा पाइदनाचनमस्कार श्रावक व्रत कथा सं० सं० १५६ अभयचन्द्र- नेमिनाथ रास हित ६५२ अमरकोति जिनसहन नाम टोका सं० सिद्धचक्र गीत Eि९५२ ७२८,७२१ बलभद्र गीत हि० ६६६ योगचिन्तामणि टीका अभधचन्द्राचार्य- कर्म प्रकृति टीका सं० ७ सं५८२ घट कर्मोपदेश रत्नमाला प्राचारांगमूत्र वृति प्रा. अमरकोति अप० १६८ अभयदेव--- अयनिहुयरण प्रकरण प्रा० प्रमरचन्द विद्यमान बीस तीर्थ कर पूजा ७२५, १०२६ हि० १०४ वीर जिन स्तोत्र प्रा. अतविधान पूजा हि Page #1363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं ग्रंथकार ] [ १३०३ ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची ग्रंथकार का नाम नथ नाम ग सूची पत्र सं० पत्र सं० अमरसिंह- यमरकोश सं० ५३३, प्रागंद उदय-- शान्तिनाथ चरित्र सं. ६८९ गामलिंगानुशासन सं० पाणंद ऋषि--.. तम्बाखू सज्झाय हि. १०८२ प्रमोघवर्ष- प्रश्नोत्तर रत्नमाला मं० प्रात्माराम- प्रात्मप्रकाश हि० ५७४ प्रानन्दधन-- चन्द्रप्रभु स्तवन हि. अमृतचन्द्राचार्य- तत्वार्थसार सं० ४३ पुरुषार्थ सिद्धयुपाय सं० धर्मनाथ स्तवन हि०६४२ समयसार कला सं प्रानन्द वृषभदेव वदना हि ९२०, २२१ १०६६ समयसार टीका सं. स्तवन हि ७५० (मात्म याति) २२३ मान्दन वद्धन-- नगद मोजाई गीत हि० २२४, २२५ अमृत प्रभव-- पोगरात सं० २९६ कोकमंजरी हि ६२६ अमितिगति- धारावनासार सं० २ धातुकवि दोहरा हि. ६४१ धर्मपरीक्षा सं० ११५ अकुरारोपण विधि रा० मावना बलीसी सं०७७३ ७.८ श्रावकाचार सं. १६६ प्राशाधर अनगार धर्मामृत सं०६० सुभाषितरत्न सन्दोह सं० पाशापर ज्योति ग्रन्थ सं० प्रहामरिण प्रजितजितपुराण में श्रवधू अनुप्रेक्षा हि० १०६७, कवि अशग वर्तमान पुरागा सं० २६६, कल्याण, माला ११७६ जिनमहाभिषेक सं० ८१४ जिनयज्ञकल्प सं० ८१४ जिनकल्याणक सं० १०५ जिनसहास्रनाम सं. ७२४, ८७६, ६५७,६६४, ६७८,९७६, १८,१००५, २०१८, १०४८, ११०८, ११२०, ११४६, पंत्र मंगल १०८०, १०८२ त्रिभंगी सुबोधिनी टीका सं०६१ शान्ति पुराण सं० ३०० सरस्वती स्तोत्र सं०७६५ दानशीलतप भावना प्रा० अश्वलायनमुमि असोग आज्ञासुन्दर विद्याविलास प्रबन्ध हि. प्रातुमल्ल शाङ्ग पर दीपिका सं. ५६१ Page #1364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३०४ ] [ ग्रंथ एवं ग्रंथकार ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम प्रथ सूची ग्रंथकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सूची पत्र से पत्र सं० देवसिद्ध पूजा ११७६ उदयकीति -- निर्वाण काण्ड गाथा व म्हवरण विधि सं० ५३८ पूजा प्रासं. ८४१ नित्यपूजा पाठ सं. ८३९ उदयसरि --- देव परीषद चौपई हि पुण्याहवाचन सं० २६४ . पूजा विधान सं० ८७६ उक्य रतन- स्थूल भद्रनुरास हि० ६४८ प्रतिष्ठा पाठ सं० ८८८ स्थूल भद्र ससोहि प्रतिष्ठा विधि सं० EES प्रतिष्ठा सारोद्धार सं० उदय सागर सूरि- शान्तिनाथ स्तवन हि० ९० शान्तिपुराण सं० ३०० उपाध्याय व्योमरस - दान्ति होम विधान सं सरस्वती स्तुति सं०७६५ ११७१ उमास्वामी- तत्वार्थसूत्र सं० ४४ सिद्धि प्रिय स्तोत्र टीका ४५,४५,४८,४६,५०,१६६, सं० ७६८ ६५३, ६५७. १५८, ६६१, स्त्रोत्र चतुष्टय टीका रा. १००७. १०१६, १०२२, सागारधर्मामत सं. १०३२, १०३५, १०६६, १०७२, १०७४, १०७८, शान्ति होम विशाल संग १०८२, १०८८ १०९७, सिद्ध चक्र पूजा सं० ६११ होम विधान १३८ ११२२, ११३६, ११५४, इन्द्रचन्द्र-- पद सं० १०४८ इन्द्रजीतरसिक प्रिया हि० ६२८, उमास्वामो भावकाचार हि० १६६ ऊदौ सनत्कुमार रास हि.. इन्द्रमन्दि ग्रंकुगरोपण विधि (१८९ इन्द्रनाद नीति सार सं० भ० एकसन्धि -- जिन संहिता सं०१५ ६८२,६७ प्रोसेरीलाल- दशलक्षसा कया हि० १६१ पपावती देव पल्प मंडल ऋषभदास- असूनन्दि थावकाचार भाषा पूजा सं० ८६० सभाभूषण सं. १ सजनचित्त वल्लभ भाषा इलायुधकविरहस्य रां० ११७६ हि. ६६४ ईसर द्वादशानुप्रेक्षा हि ६५१ ऋषभदास- पात्रु जय तीर्थ स्तुति हि उवय पंचमी स्तोत्र हि० ७३७ ६४४ Page #1365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थ एवं ग्रंथकार 1 [ १३०५ ग्रंयकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सूची ग्रंथकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सची पत्र सं पत्र सं० ऋषभ बामा यारा का स्तवन हि मुनि कपूरचन्द.-- स्वरोदय हि ५७२ ७२७ कबीरदास..... अक्षर बावनी दि०११०६ ऋषभदास निगोत्या-मूलाचार भापा राज पद हि० ११११, ११७० १५१ कमलकीति प्रसारह मावा हि०१०५३, ऋषि जयमल्ल- गुरणमाला हि ७२१ १०९५, ११३० ऋविदीप-- गुरगकरण्ड गुरणायली हि जिचरी हि १९६८ ६५६ चवीसजिन चौपई हि ऋषि वर्द्धन- नैमिजिन स्तवन सं० ७६१ ११३२ कवि कनक - मंचकावर राहिल बारहखड़ी हि. १०५३ १०२५ कमलनयन जिनदत्त चरित्र भापा, कर्मधटा कनक ति जिनपंजर स्तोत्र सं. तत्वार्थसूत्र भाषा हि कमलभद्र ७२६, १५८ म् स्वामी चौपई हि० पद हि. १०७३, ११०५ कमलविजय १०२८ बारहखडी हि० १७५६ सीमंधर स्तवन हि. १४७ विनती हि० सं० ५५६, ० कर्मसी. . ध्यानामृत दि. ६३१ ११०५, ११४८ कल्याण कुतुहल रलावली सं०५४२ सुभाषितावली ५०० कल्याणकीति-- नेमिराशूल खंबाद हि० कनक कुशल- भक्तामर स्तोत्रवृति स० ७४७ चादत प्रबंध हि० ४५६ साधारण जिनस्तरन बृति बाहुबलि गीत हि. ६६२ थोलिक प्रवन्च हि० कनकशालजानपंचमी व्याख्यान ४०६.४६१ रां० ११० कल्याणदास सिद्धांत गुरुण चौबीसी कनक सुन्दरहरिश्चन्द्र चीपई बालतम्य भाषा हि०५८० कनक सोमवाषाडभूति मुनि का कल्याणमल्ल- अनंग रंग सं० ६२६ चौटाल्पा हि० १०१३ कल्याणमुनि- सात वीसन गीत हि० मुनि कनकामर- करकण्ड चरित्र अपभ्रंश, १०२७ ३१५ कल्याणसागर-मादि जिन स्तवन हि० ७११ ब्रह्मकपुरपद हि १०१७ पंचमीवत पूमा सं० ८५६ पार्श्वनाथ रास हि कंवरपाल - कंवरपाल बत्तीसी हि ६४४, १०२२ Page #1366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३०६ ] [प्रय एवं ग्रंथकार ३२६ किशोर-- ग्रंथकार का नाम अथ नाम अथ सूची ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० सम्यक्त्व बतीसी हि मागधी कथा हि ११६७ निणिभोजन कथा हि कविराज पंडित-- राघवपांचवीय टोका । भद्रबाहु चरित्र हि कयोन्द्राचायं- कवि कहप म सं. ३५६, ३६०, ३६१ लब्धिविधान व्रत कथा ० कामरान- जय कुमार चार स० हि. ४७६ प्रादिनाथ बीनती हि ४५ जयपुराण सं० २७६ नीदडली हि० ८७७ नामावलि छंद हि "११४४ कुदकुवाचार्य अष्टपादृष्ट प्रा० १८१. (स्वामी) कार्तिकेय-कार्तिकेयानुप्रेक्षा प्रा० ६८३, १६४ १६०, १६१, ६६४, द्वादशानुप्रेक्षा प्रा० २०३ पंचास्तिकाय प्रा०७१,७२ कालिदासऋतुसंहार सं० २१५ प्रश्चनसार प्रा० २१० कुमारसंभव सं० ३१७ मोक्षपाहुड प्रा० २१५ नलोदय काव्य सं० ३३९ रयरामसार प्रा० ७८ बसंत वर्णन सं० ३५७ शीलप्रभृत प्रा० २१७ मेषदूत सं० २६६ घट्पाहुड प्रा० २१८ रघुवंश सं० ३७८,498 समयसार प्राभुत प्रा० वृत्तरत्नाकर सं. ५६६ श्रतबोध सं० ६०० मूत्र प्रामृत प्रा. ८७ काशीनाथ- लग्न चन्द्रिका सं० ५६३ कुमार कवि..... मात्म प्रबोध सं० १०३ शीघ्रबोध सं०५६६,६६१ कल्याण मन्दिर स्तोत्र काशीराजअमृत मंजरी स० ५७३ सं० ७१६, ७१६, ७१८, काशीराम- लघु चाणक्य नीतिशास्त्र ७३२, ६५३, १०२२, भाषा हि १०७ १०३५,१०६५, १०६७, . किशनचन्द्र--- पद हि १०४८ १०७१, १०८३, ११२६ किशमदास उपदेश बावनी हि०६८२ म.कुमुन्दचन्द्र- प्रादिनाथ स्तुति हि. ४५ लघुसामायिक हि० १००२ गीत सलूना ११५१ किशनसिंह- अच्छादना पच्चीसी हि. परदासेरशील सज्झाय वरएजारा गीत हि पन क्रियाकोश हि ४५६, १९६१ १००, ११, १०१६ बाहुबलि छंद हि० १०६६ Page #1367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रन्थ एवं ग्रंथकार ] [ १३०७ अंधकार का नाका प्रशासची प्रकार का पत्र सं० कुमुद ।। बिनती ८७६, प्रा० केशव नाम नथ सूची पत्र सं० पोशकरण तोधापन जयमाल सं. १ रामयश रसायन हि कुल मद्राचार्यप्रा० कुखरजीकुशललाभ सर्वया हि १०३० केशराजराठिसमुन्वय सं० २३ साधु वन्दनाहि. ७६६ केशवदेवज्ञ-- गुणसुन्दरी चउपई राज. ४५६ केशब मिथ - गौडीपाश्र्वनाथ छंद हि० केशराज-- ३२१ ढोलामारुणी चौपई केशरीसिंह - केशवी पद्धति सं० ५४२ जातक पद्धति सं० ५४५ तर्क परिभाषा सं० २५२ शत्रु जय गिरिस्तवन शिखरजी की चौपई माधवानल कामकंदला चौपाई राख ४६६ पाण्डे केशवदृष्टान्त शतक सं०६५६ अलंकार सवैवाहि० शिखरविलास हि०१००५ कलियुग कथा हि १०५०, १०५३, १०७७ आदित्यजिन पूजा सं0 कुसुमदेवकुवरखाजी - केशवसेन कृष्णकवि० कृष्णदास वृत्तचन्द्रिका हित मुनिसुव्रत पुराण सं० २६५ विमलनाथ पराग संग २६६ प्रबोधचन्द्रोदय स० भक्तामर स्तोत्र उद्यापन पूजा सं०८९२ रत्नत्रय उद्यापन सं. ८६५ रवित्रतोद्यापन पूजा सं. रोहिणीसोयापन सं. कृष्ण मिश्र-- रन योद्यापन पूजा सं० भट्टकेवार वृहद दणलक्षण पूजा केशवदास छंदसीय सूत्र सं० ५६४ वृत्तरलाकर सं० ५६८ ग्यायचन्द्रिका सं० २५६ अक्षर बावनी हि० ६.१ केशव वणी-- छंद हि ११५८ कोकदेववैध मनोत्सत्र सं० ५८८ कोमट भूपालकविप्रिया हि ६४२, कोल्हा १०३६, १०३७ कंजकोतिज्योतिष रत्नमाला म. क्षपणक केशवदासकेशवदास गोमट्टसार वृत्ति सं० २१ कोकशास्त्र हि. ६२६ शृगार दीपिका सं०६०२ सखियारास हि. १६६ द्रव्य समुच्चय सं० ६२ अनेकार्थ ध्वनि मंजरी केशव Page #1368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३०८ ] [ Jश एवं गंधकार ग्रंथकार का नाम नथ नाम नथ सुनी नथकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० यशोधर चरित्र भाषा क्षेमकरबारहमासा वर्णन हि हि. ३७४, ११६३ क्षेमचन्द्र--- योगसार हि ११४६ व्रतकथाकोश हि ४६१, खगसेनत्रिलोक दर्पण कथा __४५०, १०७५ सुगन्धदशमी कथा हि धर्मचक्र पूजा हि ८३४ हरिवंशपुराण भाषा हि सुभाषितावली भषा हि. खानमुहम्मद-- खोमराज सहस्रगुरणीपुजा हि०६३० पद हि० १०७५ पद रमणीगीत हि १०२५ खेतसीप्रमन्तवतुर्दशीव्रतकथा हरिवंशपुराण भाषा हि ३१७, ३११, ३१२, ३१३, २०५२ नेमिनाथ बिवाहलो हि. खुशालबन्द बारहमासा हि० ११०५ सम्यक्त्व कौमुदी सं० ० खेता उत्तरपुराणा भाषा हि० २७२,२७३, २७४ कवि खेताल चित्तौड़ की मजल हि. खेमकरण - सम्मेदशिखर पच्चीसी हि खेमराज सिद्धिप्रियस्तोत्र भाषा चन्दनषष्ठीब्रतकथा हि ४३८ चन्द्रप्रभ जकही हि १८४ ज्येष्ठ जिनवर बनकथा हि० ११२३ धन्य कुमार चरित्र हि. खेमविजय सिद्धगिरि स्तन सं० खेमसागर-- घेतनमोहतराज संवाद, खेमा श्रीपाल राज सिज्झाय हिल पद संग्रह हि० . ६६३ पद्मपुराण भाषा हि० २०४, १०५२ पल्य विधान का हि. गंग हरियाली छप्पय हिल ४५६ संग कवि पुष्पांजलिव्रत कथा हि. राजुल बारह मासाहिः १०.३ मादित्यवार कथा हि ५० गंगादास प्रद्य म्नचरित्र भाषा हि ३५५ ४२७ Page #1369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थ एवं ग्रंथकार ] ग्रंथकार का नाम गंगाराम - गंगुकवि गजसार गजसागर - ग्रंथ नाम गणपति रावल गणपतिगणेश दैवज्ञगर्ग ऋषिगर्ममुनि--- ब्र. गांग जी- ग्रंथ सूची पत्र सं० ૧ दसंग्रह हि त्रिभुवन विमती हि० ११३३ ८५८ पंचमेरु पूजा सं पुष्पांजलि कथा सं० ४६३ पुष्पांजलि ब्रोद्यापन सं० महापुराण बोई हि २९४, ९६१, १०६३, ११४३, ११५२ शहापुराण त्रिती हि० ११३०, ११६५, ११६९ सप्त परम स्थान पूजा स० १८ सम्मेद शिखर पूजा सं० २२ ८६६ बत्तीस लक्षण छप्पय हिο ५५५ सभा सुपर ग्रन्थ हि १०४६ सभा विनोद हि० ६०६ सुकौशल राम हि० ११३७ १९३ देखक स्तवन प्रा० चौबीस दण्डक ि ११५६ माधवानल प्रबन्ध हि० गणपति मुहूर्त सं० ग्रहलाघव सं० गगं मनोरमा सं० शावली सं० ६२७ ५४२ ५४३ ५४२ ५.५२ ११३६ मुनिगुरास बेलि हि० ६२६ ग्रंथकार का नाम गिरिवरसिंह गोकल गोला पूर्व ब्र. गोपाल पं. गिरधारी लाल — सम्मेद शिखर यात्रा वर्णन हि० ६५७ जयपुर जिन मंदिर यात्रा हि० ६५२ सूत्र टीका ६ि० तत्वार्थ गोपालदासगोरखदासपं. गोल्हण - गोवद्ध नाचार्य पं गोविन्द - गोविन्ददास गौतम --- गौतम स्वामी -- ग्रंथ नाम भ० गुणकीतिगुणचन्द्र [ १३०९ ग्रंथ सूची पत्र सं० ५२ कुमाल चरित्र भाषा हि० ४१३ विशति पंचकल्या समुच्चयोद्यापन विधि सं० 022 विनती हि० ૨ गोरख कवित्त ६ि० ११४५ चतुष्क वृत्ति टिप्पण सं० ५१३ स्वप्नती टोका सं ० ५७० उपदेशवेति हि १११० सगुणस्थान चर्चा हि० ३४ द्वादशानुप्रेक्षा प्रा० २०३ ऋषि मंडल स्तोष सं० ७१४, ७७४११२४ प्रतिक्रमण प्रा० २०६ ५६५ ६.२४ शकुनावली प्रा० संध्यामंत्र मं० संबोधपंचासिका प्रा० १७२, ६७८ श्रेणिक पृच्छा हि० ९५२ नैमिराजुल गीत हि० १०६७ पद हि० १०८० शील चुनडी हि० ११२४ Page #1370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३१० ] [ 5थ एवं ग्रंथकार ७४७ ग्रंथकार का नाम प्रथ नाम प्रथ सूची प्रकार का नाम नथ नाम प्रथ सूची पत्र सं० पत्र स० एनन्द्राचा--- नगवामगंगा किसान स्तवन हि ७६६, १०६५ सं० ७८१ एकादशी स्तृति हि० ७१३ गुरपनन्दिऋषि मंडल पूजा सं गुणाकरसरि- मक्तामर स्तोत्र टीका सं ७९७,७१८ रोटतीज कथा सं० ४७४ होरामकरंद सं. ५७२ गुरगभद्राचार्य प्रात्मानुशासन सं० १५४ गुमानीराम- दर्शन पच्चीसो हि ७३० उत्तर पुराण सं० गुरुदत्त कल्याणमन्दिर स्तोत्र २७०,२७१ दसि सं. ७२० जिनदत्त चरित्र सं० गुलाबचन्द... दयाराम हि०१५ ३२६, ४४१ कृपण जगावरा हि० १६२ धन्यकुमार चरित्र सं. म.गुलाल चौरासी जाति की जयमाल हि०६१ महापुराण सं० २६३ जलगालग विधि हि. १८५ गुणरत्नमरिकल्याण मन्दिर श्रेपनक्रियाकोश हि स्तवनावरि स. ७१६ १०७७, ११५२ गुणवर्धा नसूरि- स्थूलभद्र सिज्झाय हिक वर्तमान समवशरण दर्शन हि० १६२ गुरविनय --- रघुवंश काव्य धृति सं० विवेक चौपई हि०१०२२ समोसरण रचना हि० गुणसागर-. श्रीपाल चरित्र रा ३६४, ३६५ गुजरमल ठग.. पंचकल्याणक उद्यापन हि. गुणसागर सरि- पंचासीनी माह दि. ४५६ ५४७ जिन सवन हि० ११०५ घट कर्पर- घटकर्पर काव्य सं० ३२० डाल सागर हि. ६६० घनश्याम- पद हि. १०६२ घर्भत यरो स्तवन हि धासीराम आकाश पंचमी कथा लि. ६८९ नरकनुटाल हि ४५० कवि. शकत लक्षरण सं० ५६५ शांतिजिनस्तवन हि. प्राकृत व्याकरण सं. हि शालिभद्र पना चौपई चन्दहि०१८ चडेश्वरचित्रसेन पद्मावती कथा चतर शिष्य सं०४३६ सांवलजी अकबत्तीसी हि. १८१ रत्नदीपिका सं० १११७ चउबोली की चौपई हिक गुरगसाधु Page #1371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं ग्रंथकार ] अंथकार का नाम ग्रंथ नाम य सूची प्रथकार का नाम नथ नाम नथ सूची पन्न सं० पत्र सं० मधु माल ली कथा हि पं० चम्पालाल- चर्चासागर हिः ३० १४०,६६२, ११६ पाराम दोकान--- धर्म बाघनी हि० १०४० चतुरमा चतुर्दगी चौरई हि० १०५ चरनदास--- झानस्वरोदय सं० (जाति) चन्द ... बड़ा बरित्र हि. १९३१ ५४६, ५७२, १०५६, चन्द्राधि-- चौवीस महाराज की ११२१, ११०२ विनती हि. २४ वैराग्य तपजीवन अंग चन्द्रकोतिकाकोश म०४३१ हि० १०५६ छदकोमा टीका सं० प्रा० चरित्रवर्द्धन- कल्याण मन्दिर स्तोत्र टीका सं० ७१८ न कमायाक राजा सं राघवं पाण्डवीय टीका सं. ३८३ पाइपुराण सं० २६०. चाणक्य चाणक्य नीति सं०१८ ६८४, ६८५, भूपाल चतुनिअति की राजनीति शास्त्र सं० टीका सं०७५१ विमान शुद्धि यांतिक राजनीति समुच्चय सं. ६६३ विधान सं० १०४ चन्द्रकीति चारिश्रसार स०१०६ पद हि०१० चामुण्डराय भावनासार संग्रह सं. चन्द्रकीति सूरि- प्रक्रिया व्याख्यान सं० ११६३ सारस्वत दीपिकावत्ति सं० चारित्र भूवरण--- महीपाल चरित्र सं० ३६७ - ५२२ चारिसिंह- मुनिमालिका हि० ११५६ राारस्वत व्याकरण दीपिका पं० चितामरिण-- ज्योतिष शास्त्र सं० ५४.१ ५२६ चिमना द्वादशमासा महाराष्ट्री चन्द्रसागर श्रीपास चरित्र हि० ३९८ ०चन्द्रसागर- पंच परमेष्ठी हि. १९५६ चुन्नीलाल- चौबीस महाराज पूजन चन्द्रसेनचन्दनमलयागिरि कथा हि० ८०० ___ हि १४५ (वर्तमान चौबीसी पूजा) चम्पाबाईसम्पा शतक हि० ६५६ १०३ चम्पाराम- भद्रवाह चरित्र भाषा हि बीस विदेह क्षेत्र पूजा हि ८६१ ३६१ चम्पालाल बागडिया-प्रकलंकदेव स्तोत्र भाषा रोटतीज व्रत कथा हिल ४७४, १०६५ Page #1372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [पंथ एवं ग्रंयकार थकार का नाम प्रध नाम ग्रंथ सूची प्रथकार का नाम ग्रंथ नाम प्रथ सूची पत्र स० पत्र सं० चिन्न' भट्ट- तर्क परिभाषा प्रशिक! पद संग्रह हि. १०४५ सं० २५२, ५१४ १०४६, १०५३ (देवज्ञ) चितामणि- रमलग्रश्न तंत्र सं० जगद् भूषण- बर्द्धमान विज्ञास स्त्रोत्र सं० चैनसुख- प्रकृत्रिम चैत्यालय पुजा भट्ट जगन्नाथ -- गंगा लहरी स्तोत्र सं० हि ७३७ पं० जगन्नाथ- भामिनी विलास म०६३ पद संबह हि० ६६३ । पं० जगन्नाथसहस्रनाम पूजा हि ६३० चतुर्विशति स्तोत्र सं. पं० चोखचन्द- .चन्दन षष्ठी पूजा सं० सुखनिधान मं० ४१५ ७६७ जटमल गोरा बादल कथा हि छत्रसेनाचार्य- रुक्मिणी कथा सं०४३४ छोतर ठोलिया- होती कथा लि. ५.२ - जनार्दन विधुत्र- वृत्त रत्नाकर टीका सं० छीतरमल काला- जिन प्रतिमा स्वरूप भाषा हि० १०८, ११८१ छोहल--- गो० जनार्दन भट्ट- वैद्य रस्त भाषा सं० ५८६ उदरगीत हि० १०६७ जयकोति प्रकलक यतिरास हि० पचसहेली गीत हि ६६६, १०२२ ११४४ बावनी हि० ६४६ अमरदत्त मित्रानंद समो रेमन गीत हि०६७२ हि० ६३० छोटेलालतत्वार्थ सूत्र भाषा हि. रविव्रत कथा हि ११४३ ५३, ७४४ वसुदेव प्रबन्ध हि० ४८४ जगजीवनबनारसी बिलास हि शीलसुन्दरी प्रबन्ध हिर जगतराय जगतराम सीता शील पताका गुरगबेलि हि० ६४५ मतुर्विशति तीर्थकर पंच कल्याएक पूजा सं० १. अकलंकाष्टक भाषा हि भूपाल पोपीसी भाषा हि. ११२२ सम्यक्त्व कौमुदी हि ० ४६६ जयकोति-- जन्दू स्वामी पूजा १०६४ पद १०४७, १०५३, जयचन्द छाबड़ा १०१०, १०६३ पञ्चमंदिपच्चीसी भाषा हि० १३२, १०७२ भज्जन १०५१ निर्वाण मंगस विधान हि. ५४२ अष्टपाहुट भाषा हि० १८१, १०२, १८३ प्राप्तमीमांसा २४६ कार्तिकेयानप्रेक्षा हि १६२, १६३ जगराम Page #1373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंथ एवं ग्रंथकार ] ग्रंथकार का नाम नथ नाम नथ सूची प्रकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० ज्ञानाव भाषा हि जयदेव - गीत गोविन्द सं०७२० २०१, २०१, २०३ वद्य जयदेव -- पथ्यापथ्य विबोधक सं. तत्वार्थ सूत्र भाषा हि ५७६ ५४, ५५ जयन्त भट्ट उजर भाष्य सं० ११७३ देव पूजा भाषा हि ८३३ जयमल हाल संग्रह हि०६६० द्रव्य संग्रह भाषा हिर जयभित्र हल- बर्तमान काध्य अपभ्रश नित्य पूजा बननिका हिक श्रीपाल चरित्र प्रपदंश पं० जयवन्त - सीमंधर स्वामी स्तवन हि० अगल दत्तक कथा सं० नियमसार भाषा हि ७० परीक्षामुख भाषा हि २५७ प्रमाण परीक्षा भाषा हि० २५९ भक्तामर स्तोत्र भाषा हि प्रधोब चितामणि सं० ११६० संबोह सत्तरि प्रा० १५७ जयशेखर--- आदित्यसतीद्यापन पूजा मं०७८६ पर्चरत्नावलि सं० ४५६ सूर्यवतोद्यापन सं० १०८४ अनिस हरण कथा हि० रायणसार बचनिका हि उपा० जयसागर ११६५ षट्याहुड भाषा वननिका हि. २१६ समयसार भाषा हि २२७, २२% अजयसागरसर्वार्थ सिद्धि भाषा हिल ५२, १२०४ सामायिक पाट भापा हिल २४३, १०३५, १०७२ जसिह मुनिजयतिलक सूरि- मलय सुन्दरी चरित्र सं० ३६५, ४६६ जयसेन.... जयतिलक प्रकृति विच्छेद प्रकरण जवाहरलाल सं० ५७६ पं० जतिलक- चतुत्रिशत स्तवन सं. सीताहरणा रास हि शीलोपदेशमाला हि. धर्मरत्नाकर स. १२२ चौबीस तीर्थ कर पूजा सम्मेदशिखर पूजा हि. ६२४,१०८६ Page #1374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३१४ ] [ प्रथ एवं ग्रंथकार गंधकार का नाम नथ नाम मय सूची प्रकार का नाम थ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० जसकोति - शीलोपदेश रलमाला प्रा. लावणी हि०१०७५ ४६० विधक जकड़ी हि० ६८४ जसकीतिकथा संग्रह हि १०८३ १०१६.१०२३ जिनवर स्तवन हि० विनती हि० ८७६ होली चरित्र सं० ४२० जसवंतसिंह-- भाषाभूषगा हि. ५६५ होलीरेशका पद सं० ५०४ ११६८, १९६३ पाण्टे जिनवास- आदित्य व्रत कथा हि जिनकीतिपद बागमय र तवन सं. चेतन गीत हि०१२, जिनचन्द- चौबोली लीलावती कथा १०२७ हि. ४३६ जम्बू स्वामी चौपई हि. विक्रम लीलावती चौपई ३२४, १०१५, १०४१, हि०४५५ ११०१, ११७६, ११४३, जिनचन्द्राचार्य- सिद्धान्तसार प्रा० ८३ जिनदत्त सूरि- पद स्थापना विवि सं. जोगीरासा हि. ६२४, ११० ६५१, १०११, १०१३, जिनदत्त सूरि- विवेक विलास सं. हि १०५६, १०६५, १११०, पं० जिनदास गोधा-अकृत्रिम चैत्यालय पूजा दोहा बावनी हि ६५२ सं० ११२ धर्मतरु गोत हि.६५१, जम्बूद्वीप पूजा स००१२ सुगुरु शतक हि. १०३५ प्रबोध बाबनी हि०१०२० पं० जिनदास अनन्त जिन पूजा सं. माली रासा हि० १४५, गंगवाल-- ७२० ११०२ अनेकार्थ मंजरी हि० ५३१ मुनीश्वर जयमाल हि माराधना सार टीका हि. ८७५, १६, ११०८, द्वादशानुप्रेक्षा हि० ६६० धर्मोपदेश श्रावकाचार सं० ब्रह्म जिनदास- अजितनाथरास हि० १२६, हिर १०४७ ६३०, १९४७ पार्श्वनाथ कथा हि. प्रष्ट्रांग सम्यक्त्व कचा हि. ४२५ लंपक पंचासिका हि. ग्रादिपुराण रास हि १०३५ २६७, ६३१ Page #1375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थ एवं प्रकार ] ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० अलोचना जयमाल हिन् १६६, १०१० अनन्नवत रास हि० ११४३, ११४५, ११५७, ११७० हि अनन्तयस कथा ११४३ अविकासार हि० ११३८ सरकाशपंचमी कथा हि ११०७ पठाईस मूलगुरास हि० ११०७ कर्मविपाक राम हिο ६३२. ११३७ करडुनो रास हि० ६३२ गुगास्थान चौपई दि० १४ गुरु जयमान हि०७१५. ११४२, ११२६ गुरु पूजा हि० १०७७ या प्रतिमा विनती हि० अबू चारुदत्त प्रबंध राम हि ११४३ चौरासी जाति जयमात हि० ११५२ सं ० ११३७ स्वामी चरित्र ३२३ जम्वू स्वामी रास हिन् ६३३, ११३८, ११४७ जीवनधर राम हि० ६२४ ज्येष्ठ जिनवर विनती ह १५.२ मोकार रास हि० ४३९ धकार का नाम प्रव नाम [ ग्रंथ सूची पत्र सं० १३१५ (चारुदत्त सेठ रास) दशलक्षण कथा हि ४४५, ११४३ दानफल रास हि० ६३४ द्वादशानुक्षा हि० ६७२ धन्यकुमार रास हि० धर्म पंचविशतिका धर्मपरीक्षा राम नागकुमार रास ६३५ ЯТО १२२ fge ६१५. १९४७ हिन् ६३६ नागची रास हि० ११३० निर्दोष सप्तमी व्रत पूजा हिं० २४१ नेमीश्वर रास हि० १३७ पद्मपुराण सं० २०६ परमहंस परास हि० ६२७ पाण्डवपुराण सं० २८७, २४५ पाणोगालारास हि० ♦ ? 144 पुष्पांजलि व कथा हिन् ११६३ हि० ४६१ हि० पूजा कथा दंश जून रास बारहबत गीत fgo tw भद्रबाहु रास हि० ६३६ भविष्यदत्त रास हि० ६३९ भावना विनती हि० ६५२ Page #1376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .[ ग्रंथ एवं ग्रंथकार ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची ग्रंथकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० महायक्ष विद्याधर था हरिवंश पुराण सं० ३०६, हि.४६६ ३०७, ३०८, ३०६ मिथ्या दुक्कड़ हि० १५१, होली रास हि० ११४१, ११४४ अशोपर रास हि ६३६, जिन रंग.... सिज्झाय हि. १७६१ १०२३, ११०७, ११४६ जिनरंग सूरि--- प्रजोध यानी हि० ७३७ रथियत कथा हि० ११६६ जिनराज सूरि- चउबीसा हि १०३७ रविवार प्रबंध हि०४६६ शालिभद्र चौपई हि. रात्रि भोजन रास हिक ६४३, ६५४, ६७४, ३६१, १०६२, ४२७ रामचंद्र रास हि० ६४० अ० जिनवल्लम संघ पणट्टक टीका सं. राम रास हि० ६४२ सूरि १५७ रामसीता रास हि जिनसूरि-- गजे सुकुमाल चरित्र हि. रोहिणी रास हि० ६४१ जिनदेव सरि-- मदन पराजय सं०६०६ विनती हि० ११३५ जिनपाल चौडालिया हि० ७२६ शास्त्र पूजा हि० १०७७ जिनप्रभसूरि- दीपावली महिमा सं० श्रावकाचार रात हि.६४२ ४१ जिनप्रभसूरि--- चतुर्विशति जिन स्तोत्र दीका श्रीपाल रास हि० ६४२, सं० २२ पाश्य जिनस्तोत्र सं० श्रुत केवलि रस हि श्रेणिक रास हि० ६४६ महावीर स्तोत्र वृत्ति सं० सम्यक्त्व रास हि जिनवल्लभसूरि-- सरस्वती पूजा जयमाल हि. प्रश्न शतक सं० ७६ महाबीर स्तवन प्रा. दर्शन रास हि० ६४८, ७५३ ११३७, ११४४, ११४१ जनवद्धन सूरि- वागभट्रालंकार टीका सोलहकारण रास हिल सं० ५१७ पाश्र्वदेवस्नत्रनहि हनुमश्चरित्र सं० ४१६ हनुमंत रास हि० ६४८, जिनसागर- कवलचन्द्रायण पूजा सं. ११४१, ११४७ - ९०७ Page #1377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं ग्रथकार ] [ १३१७ पत्र सं० ग्रंथकार का नाम प्रय नाम नथ सूची ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० जिनसागर- अनन्त कथा हि० ११६३, पर हि ११०८ पाश्वनाथ की विनती हिल ११४३ जिनसुख सरि- कालकानाय प्रबन्ध हि० श्रीपाल राम हि ६४२ जिनसूरि- रुपसेन गजा कथा सं० पार्श्वनाथ की निशानी ४२४ अनन्तनत गस हि. बावनी हि ११६९ जिनहर्ष सूरि-- रत्नावली न्यायवृत्ति सं० जिनसेन- जिनसेन बोल हि. १०२५ जिनहंस मुनि-- दंडक प्रकरण प्रा० ११३ पंचेन्द्रिय गीत हि. १०२५ जिनेन्द्र भूषण- चन्द्रप्रमपुराण हि. जिनसेनाचार्य- प्रादि पुराण सं० ८१४ २६४,२६५,२६६ जिनेश्वरदास - नन्दीश्वर मीष पूजा सं० जिन पूजा विधि सं० जिनसहस्रनाम स्तोत्र चतुविशति पूजा हि. सं० ७२७,७२८, ७३२, जिनोक्य सूरि- हंसराज बच्छराज चौपई ६५६, १००० १००६, हि०५०६, १५४ १०४१, १०६४,१०७३, जीवन्धर गुण ठागावेलि हि० १०७४, १०७८, १०८२, ९५२,११३५ १०८८. १०६८, १११८, ११२२, १९३९,११५१, (चौदहमुरणस्थान वेलि) जीवणराम-- कृष्पजी का बारहमासा हि १०, ११२४, जैन विवाह पद्धति २० ८१५, १११६ ब्र जीवराज- परमात्मप्रकाश टीका हि० त्रिलोक वर्णन सं० ६११ महापुराण सं० २६३ जोगीवास-- धर्मरासो हि. १८१ जिनसे नाचार्य- हरिबंश पुराण सं. २०३ जोधराज कासलीवाल सुख विलास हि. जिमहर्ष घबन्तीकुमार रास हि जोधराज गोदीका-. ज्ञान समुन्द्र हि. १९७, धन्य कुमारचरित्र भाषा अवन्त सुकुमाल हि० ४२५ स्वाध्याय ७ धर्मबुद्धि पापबुद्धि चौपई प्रीतिकर चरित्र हि ३५७, १०३६ Page #1378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३१८ ] [ ग्रंथ एवं प्रथकार नथकार का नाम नव नाम नथ सूमो अंधकार का नाम ग्रंथ नाम नथ सूची पत्र सं० पत्र सं० मजन हि. १०५१ (जलगालन रास) १०२४, मबदीपक भाषा हि ११३२, ११४३ २१४ पूजाष्टक सं०८६७ सम्यक्त्व कौमुदी भाषा पोषहरास हि ६३८, हि० ४६५, ४६६, ४६७, ६५१,६८४, ११४५, ४६८, ११४६, १९६७ ११४७, ११५०, १११ सुगुरुमातक हि० ६६७ बीस तीर्थकर पूजा सं. जौहरी लाल- बीस तीर्थकर पूजा हि षट्कमरास हि. ६४४ विद्यमान बीस बिरहमान असरकंध पूजा सं० ६१२ पूजा हि०४ सप्तब्यसन चंद्राबल हि ज्ञानचन्द--- ज्ञानाराव मद्य टीका हि ग०२०० सरस्वती पूजा हिं० २७६ परदेशी प्रतिबोध हि. ११४६ ११८ सरस्वती स्तुति सं० ७७४, सम्मेदशिरपर पूजा हि. १११०. ११४६ स्तवन हि ११०७ सिंहासन वसीसी सं० ज्ञानविभव सूरि- प्रावश्यकसूत्र नियुक्ति है प्रवाह्निका व्रत कथा हि वागभट्टालंकार वृत्ति सं० व ज्ञानसागर--- ज्ञान प्रमोद वाचकगसिभ० ज्ञान भूषण आदिनाथ फागु हि. ६३१. ११७३ आदिनाथ विनती हि अनन्तवतकथा हि ४२२, १०७३, २०७४ मनन्त चौदस कथा लि. तत्वज्ञानतरंगिणी सं. प्राषाढभूत रास हिल इलायची कुमार रास हि. चतुविध दान कवित्त हि. पशलक्षण तोधापन पूजा सं०८३० पंचकल्याणक फाग संख हि. १९८७ पाणीगालन रास हि. ६३८, ३५१ दशलक्षणकथा हि. Page #1379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्य एवं ग्रंथकार ! [ १३१६ ग्रंथकार का नाम मथ नाम ग्रंथ सूत्री प्रयकार का नाम गय नाम नथ सूची पत्र सं० पत्र सं० दशमीका हित ११२३ त्रिलोक विधान पुजा हि निशल्याष्टमी कथा हि ६२१ दशलक्षण पूर्ण जिनान नेरिराजमति संवाद हि नंदीश्वर पूजा हि ४४ भक्तीमरसिद्ध पुजा हि पंचकल्याणक 'पू हि. ८४७ मौन एकादशीव्रत हि पंचपरमेष्ठी पूजा हिर २५२ रक्षाबंधन कथा हि. पंवमेरु पूजी ०६५६ " ,, विधान हि रत्नत्रयकथा हि १११६, लघस्न मनविधि सं लुद्धिप्रकाश हि० १४२ सनत्रयपूजा हि. ६ षोडशकारण पूजा मंडल विधान हि० ११५ सुरविरंगिणी हि १७७, पं० टोडरमल - षोडपाकारण अद्यापन सं०६०७, ६१५ श्रावण द्वादशी कथा हि __REE, ११२३ सुभाषित प्रश्नोत्तरमाला सं०६६७ सूर्यव्रतोद्यापन पूजा सं १०७ हनुमान चरित्र हि. ४१६ प्रद्युम्नचरित्र भाषा हि. ३५४ चतुर्दगी कथा हि०१०३२ यात्मानुशासन माषा हिक १८५, १८६, १८७, १८८, १८६ गोम्मटसार राज १५ त्रिलोकसार भाषा राजा ज्वालाप्रसाद बख्तावरसिंहटीकम पुरुषार्थसिद्धयुपाय भाषा राजा १३४, १६५ मोक्षमार्ग प्रकाशक राज. टेकचन्म ज्ञानारपव भाषा हि. २०० छहढाला हि. १६६ कर्मदहन पूजा हि० ७८६ नीन लोक पूजा हि०१६ लब्धिसार भाषा हि १९९७ लब्धिसार क्षपसार भाषा राज 58 Page #1380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२० ] ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम टोडरमल -- टोपणठक्कुरसी .- ठाकुर- डूंगरसीडूंगरसीदास डूंगा बंद डालूराम - ढाढसी दर्शन हि० १०५१ पद्मावती पूजा सं० ८६१ कलजुग रास हि० ११७५ कृपरण षट्पद हि० ९८४ नेमिनाथ बेलि हि० ९५३, ९६२ नेमिराजमति हि० ६०४ पद हि० १६२, ९८४ ग्रंथ सूची ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम पत्र सं० पंचेन्द्रिय बेलि हि० ९६२, १८४, १०५, १०८९ शाखिनाथ पुरा हि ३०० हि० ११०८ हि० बावनी पद नेविकुमार श्रोणिक चरित्र ग्रहाद्वीप पूजा १०६५ हि० ११६७ हि ० पंचपरमेष्ठी पूजा गुरूपदेश श्रावकाचार हिन् 201 १०४ चतुर्दशी कथा हि० ४३६ - दशलक्षण मंडल पूजा हि० ८२५ नंदीश्वर पूजा हि० ८४४ पंचपरमेष्ठी बेलि हि० १०११ हिन् ८५३ ५६ पंचमेरु पूजा हिन् सम्यक्त्व प्रकाश भाषा इसी गाथा प्रा० ४१ जालका भरण सं० दुढिराज देवज्ञ - तानुसाहू कुलना हि० १००३ भ० तिलोकेन्दुकीति-सामायिक पाठ भाषा हि० (जती) तुलसीतुलसीदास - तेजवाल - त्रिभुवनकोति - त्रिभुवन चन्द- त्रिमहल (भट्ट) [ पंच एवं ग्रंयकार ग्रंथ सूची पत्र स० त्रिलोकचन्द्र-त्रिलोक प्रसाद - थानजी प्रजमेरा हि० १७२ थानसिंह ठोल्या पखवाड़ा दोहे पाचरि २४४ हि० १११६ हि० १०११ वंश वरांगचरित्र 91 संभव जिन चरिउ P" ३४५ ३८३ # जीवन्चर राम हि० ११३६ तस्कंध पूजा सं ६१३ श्रनित्यपंचाशत हि० प० श्रनित्यचासिका 口 ११५३ तीन चौबीसी पूजा १० ८१६ (त्रिकालचतुर्विशति पूजा) ६२० मुहूर्त चितामरिण सं० ५५ ७ योग तरंगिणी सं० ५८२ शतमलोको टीका सं० ८० हिं० ११०७ धन्ना सम्झाय हि० १०६३ नंदीश्वर द्वीप पूवर हि० पद ८६० पंचमेरू पूजा हि० ८६० बीस तीर्थ कर पूजा हिο ८६१ विवेक शतक हि० ६९४ वैराग्य शतक हि० २१६ Page #1381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्य एव ग्रंथकार ] [ १३२१ ग्रंथकार का नाम नथ नाम अथ सूचो प्रथकार का नाम गथ नाम ग्रंथ सूची पत्र स० पत्र सं० रामवशरण बौबीसी पाठ ज्ञानदपसरा हि१६५ हि १२२ परमात्म पुराण हि २०४ सुबुद्धि प्रकाश हि०६९० विनती हि ११०५ दत्तलाल-- बारहखड़ी हि० १११८ स्वरूपानंद हि० २४७ मुनि दमानन्द- सम्यक्त्व बौमुदी भाषा दीप विजय- रिषभदेव की लावणी हि. पष्ठि सवत्सरी सं०५६८ आराधनासार भाषा हि० क्रियाकोश भाषा हि धर्मपरीक्षा भाषा हि १२१ दयाराम वषभनाथ लावणी हि दुर्गदेव ११५८ दुलीचन्ददयासागर-.. धर्मदत्त चरित्र हि०३३८ बावनी हिर ६८६ दयासिह गरिण- मंग्रहणी सूत्र भाषा प्रा० हि ५८ दरिगह जकड़ी हि० ६४१ दशरथ निगोत्या-- धर्मपरीक्षा भाषा हि देवकरणदादूदयाल सुभिरण दि. १६० दामोदरमिचरित प्रयनश देवकीति देवचन्द्र- दामोदर शारङ्गधर संहिता सं. अ. देवचन्द - दासद्धत भक्तिबोध गुज० ११६७ दिगम्बर शिष्य- चैत्यालय बीनती हि. देवतिलक सुभाषितावली हि० ७०० सम्मेदविलास हिस माराधना पंजिका सं०६३ धर्मपरीक्षा कथा सं० ४४६ विनती रिलवदेव घूलेब हि० ११५६ कल्याणमन्दिरस्तोत्र वृत्ति सं० ७२० ग्रहलाघव सं० ५४३ सगर चरित्र सं० ४०६ सम्मेद शिखर महात्म्य सं. दिनकरचन्द्राकी हि० ६५१ देवदत्त धीक्षितदिलाराम पाटनी- व्रत विधान रासो हि. (दौलतराम) ६४१, ६८६ दीपचन्द अनुभव प्रकाधा हि कासलीवाल १८१ प्रात्मावलोकन हि. १५६, ११७३ भारती हि० १०६७ चिदविलास हि. ४६४, देवनन्दि -- ६२८ सुदर्शन चरित्र सं. ४१५ सुमतिनाथ पुराण हि गर्भपडार चक्र सं० ७२०,१०६८ Page #1382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२२ ]. [ ग्रंप एवं प्रकार ४२१ ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची प्रकार का नाम ग्रंथ नाम प्रथ सूची पत्र सं० पत्र सं० जैनेन्द्र याकरण सं० पद संग्रह हि० ६३, १०१२, १०६५ सिद्धिप्रिय स्तोत्र सं. पश्चनंदिगच्छ की पट्टावली ७६७,७६८,६८२,६४, ११२७ विनती संग्रह हि० ६५, स्वप्नावली सं० ११२७ लघु स्वयंभू स्तोत्र सं. बिनती व एद संग्रह हिल ७५७, ११२७ ६७६, ७५८ देवभट्टाचार्य- दर्शन विशुद्धि प्रकरण सं. सास बहू का झगड़ा हि देवप्रभ सूरि १०१२, १५६५ पाण्डवपुराण सं० २८७. देवासाल अठारह नाते की कथा हि देवम सूरि- संग्रहणी सूत्र प्रा. ८८ देयोचन्य- प्रागम सारोद्धार हि. २ देवराजमृगी संवाद हि० १४५, देवीदास चौबीस तीर्थ कर पूजा हि देवसुत्वर पद हि० ११११ देवसूरिप्रद्य म्न चरित्रवृत्ति सं. देवीदास राजनीति सर्वया हि देवसेन देवीनन्द प्रश्नावली सं० ५५४ याराधनालार प्रा०६१, ६७७,१३,१०८८ देवीसिंह छाबड़ा- षट्पाहुड माषा हि० पालाप पति सं० २५०, देवेन्द्र भूषण- संक: घौथ कथा हि । १६६,६८३, १००६ ४३३ तत्वसार प्रा० ४२, प्राचार्य देवेन्द्र- प्रश्नोत्तर रत्नमाला दृसि सं० १३७ दर्शनसार प्रा० २५३, देवेन्द्र (विकम सुत)यशोधर चरित्र हि० ३७६ नयवक सं० २५४, देवेन्द्र सूरि - कर्म विपाक सूत्र प्रा. १० व तत्व प्रा०५७ माव संग्रह प्रा० १४८ उपा० देवेश्वर- कलियुग की विनती हि० रत्नकोश देवाब्राह्म सं० ५५३ म. देवेन्द्रकीति- समयसार टीका सं० २२५ कायाजीव संवाद गीत हि. (भ० जगत्कोत्ति के शिष्य) ११४५ भ० देवेन्द्र कीति- प्रद्य म्न प्रइन्ध हि० ३५५, चौबीस तीर्थ कर विनती हि. ७२४, देवेन्द्रकीति--- प्राकार शुद्धि विधान सं० १०.५ Page #1383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंथ एवं ग्रंथकार ] [ १३२३ प्रकार का नाम ग्रंथ नाम नथ सूची प्रकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० प्रादित्य जिन पूजा स० चतुरचितारणी हि कल्याण मन्दिर गुजा सं० चौबीस दण्डक हि० १०७, १११४, ११२६ जम्बूस्वामी कथा हि पनक्रियावत पूजा सं० द्वादशवत पूजा सं० ५३२ पंचपरमेष्ठी पूजा सं० ८५१ पार्श्वनाथ पूजा सं० ८६४ रत्नत्रय व्रत कथा सं० जीवन्धर चरित्र हि. ४४० अपनक्रियाविधि हि. ११४२ पद्मपुराण भाषा हि. २०० रविवत पूजा सं. ९E प्रत कथा कोश सं० ४४७ सिद्ध चक्र पूजा सं. परमात्म प्रकाश भाषा हि २०७ पुण्यानब कथाकोश हि ४५७, ४५८, ४५६, ४६० बसुनदि श्रावकाचार भाषा सोलहकारण जयमाल सं. कातंत्र रूपमाला सं. दौसिंहदौलत औसेरी श्रेणिक चरिव भाषा हि ऋषि मंडल पूजा भाषा हि०७८८ श्रेणिक चरित्र हि ४०५ सवल प्रतिबोध हि० दौलतराम कासलीवाल हरिवंश पुराण हिं. दौलतराम पल्लीवाल छहवाला हि. १६६. .. अक्षर बावनी हि १०५६ प्रध्यात्म बारहखड़ी हि मादिपुराण भाषा हि २६८, २६६, २७० शिवाकोश हि० ६, दौलत विलास हि० ६६० पर हि० ११३२ बारहमासा हि० ११२६ सिद्धक्षेत्र पूजा हि. १३२ Page #1384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रंथ एवं ग्रंयकार ग्रंथकार का नाम प्रथ नाम प्रथ सूची ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम नथ सूची पत्र सं० पत्र सं० द्यानतराम-- रावर लावनी दि. पुष्पांजलि पूजा हि० ८६५ १०७८, १११६ पूजा संग्रह हि० ८० प्रालिका पूजा हि० प्रतिमा बहोत्तरी हि. ७८५८५६ ११४, १९६० मागम विलास हि० ६५ मोक्ष पच्चीसी हि भारती पंचमेरु हि ७६, ११११ रत्नत्रय पूजा हि. ०१, उपदेश शतक हि. ८१७, १०११ १०४४ वराग्य षोडश हि०१०६७ कविसिंह संवाद हि. संबोघ अक्षर बावनी हि. १०४३ चर्चाशतक हि० २३, संबोध पंचासिका हि० २४, २५, १०११, १०१३ १७२, ११०५ १००१ समाधिमरण भाषा हि. छहकाला हि० १०५१ २३८, ११२६ ज्ञान दशक हि० १०४३ सम्मेदशिखर पूजा हि. तत्वसार भाषा हि० ६२५ १०४३, १०७२, १०२ स्वयंभुस्तोत्र भाषा हिक दर्शन शतक हि. १०४३ दशलक्षण पूजा हि धनंजय कवि- धनंजय भाम माला सं. दशस्थान चौबीसी हि राघव पाण्वीय सं० देवशास्त्र गुरु पूजा दि० धर्मपच्चीसी हि. १०४३, १०६२ धर्मविलास हि० ६६१, लिंगानुशासन (शब्द संकीर्ण स्वरूप) सं० ५३९ विषापहार स्तोत्र सं. ७५८, ७७१,७७३, ६५६, १०२२, १०३५, ११२७ अरिष्टाध्याय स. १११७ कायाक्षेत्र गात हिक १०२५ भक्सियसकहा अप० ४६५, ६५६ बमपतिधनपाल पद संग्रह हि० १०७३ पंच भेरु पूजा हि० ८५६ धनवाल पार्श्वनाथ स्तोत्र हि १११४ Page #1385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्य एवं ग्रंथकार ] [ १३२५ ग्रंयकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची ग्रंथकार का नाम पत्र सं० थतपंचमी कथा अप. . धर्मदास माम सूची पत्र सं० खटोला हि. १0८९ सुकुमाल स्वामी छंद हि. धन्नालाल (भविस्या तका दूसरा नाम) चर्वासार हि० ० सामाथिकपाठ भाषा हि० भ० धर्मदास-- ० धर्मदेव TEAMM धन्वन्तरिधनेश्वर सूरि योगशतक सं० ५८३ शत्रुजय तीर्थ महात्म्य सं. E गुणवेलि हि. ९५२ यागमंडल विधान से ६६४ वृहद शांति विधान सं. BOG शान्ति पाठ सं. ११० शान्तिक विधान सं. ६१०, सहस्रगुण पूजा सं० ६२९ न्याय दीपिका मं० २५६ मनोरष गीत माला हि. - भ० धर्मकीति पद्मपुराण सं० २८० सम्यक्त्व कौमुदी सं. -- - -- धर्मकीति-- सिद्ध रक्र पूजा सं० ६३३ धर्मभूषणचतुर्विंशतिजिन षट् पद धर्मभूषणबंवस्तोत्र हि १००८ शालिभद्र चरित्र सं० धर्ममूषण - पं० धर्मकुमार धर्मचन्द्र गौतम स्वामी चरित्र सं. रत्लश्य अतोयापन सं. १०८५ सहस्रनामपूजा सं० १३० १११८ मुकुमालस्वामीरास हि. ११४० आराधना चतुष्पदी हिक ४३० मल्लिनाथ स्तवन हि धर्मदास---- नेमिनाथ विनती हि धर्माधि ११२६ संबोध पंचासिका हि १०२१ धर्मसिंहसहस्रनाम पूजा सं० ६३० धमोपदेश श्रावकाचार हि १२६, धवलचन्द्र११०३ धीरजरामविदाधमुखमंडन सं. घेल्ह२६०, १२०१ शब्दकोश सं. ५३९ उपदेशरत्वमाला प्रा ५,६५७,११७४ लाला नथमलअनन्त व्रत पूजा संक ७८२ धर्मदास सर्वया हि. १११८ चौबीस दण्डक प्रा० १०७ चिकित्सासार सं० ५७७ पंचेन्द्रिय नेलि हि० ११५१ विशालकीति गीत हि ६६२ बुद्धि प्रकाश हिं० १७२ घमण्टन भाषा हि. धर्मदास गरिण पाण्डे धर्मदास-- Page #1386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२६ ] [ ग्रंथ एवं अथकार प्रयकार का नाम ग्रंथ नाम नय सूची ग्रंथकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची पत्र स० पत्र सं० नथमल दोसी-- पहिपाल चरित्र भाषा भक्तामरस्तोत्र पूजः हि. . हि. ३६८ ८६१ नथमल बिलाला- गुण दिलास हि. नन्दराम सौगाणी-- धावक प्रतिज्ञा हि. जीवन्धर चरित्र हिन्दि गणि- भगवती याराधना टीका प्रा० सं० । प्रायश्चित समुच्चय वृत्ति सं० १४२, २१४ नन्दीयछंद प्रा० ५६४ अजितशांति स्सवन प्रा. ७१०, १५६ रस्मसंग्रह हि ६७३ संबोध रसायण हि जनबद्री की चिट्ठी हि. १०४५ ५नन्दि गुरूनागकुमार चरित्र हि नन्विताइय-- नेमिनाथजी का काला नन्दिराहि १०४५ पद संग्रह हि १०४५ नन्नूमल-- फूटकर दोहा हि १०४५ नयचन्द सूरि-- मतामरस्तोत्र कथा ( माषा सहित ) हि नयनन्दि - ४६५, ७०४ रत्नत्रय जयमाला भाषा नयनसुख---- हि ६६ वीर विलास हि. ६६२ नयनसुखसमवशरण मगल हि ७२६, १०४५ सिद्धचक्रव्रत कथा हि० नयमसुन्दर--- सिद्धांतसार दीपक हि. ८५,१०४२ नयविमल--- सुदर्शन सेठ कथा हि मृदसण चरित अपभ्रश ४१५ प्रादिनाथ मंगल हि राम विनोद हि० ५८४ वद्यमनोत्सव हि० ५०८, ६६२, १०९६ शत्र जय जद्धार हि ६ नरपति नन्द कविनन्दनवास मन्द बत्तीसी सं० ६८७ नरसिंहपाण्डे - चेतन गोत हि० १०२७ पं० नरसेननाममाला हि ५३८ कलि म्यवहार पच्चीसी नरेन्द्र - हि. १००३ जम्बूस्वामोसस हि० ६३३ नरपति जयचर्या मः ५५० नैषधीय प्रकाश सं. ३४४ श्रीपाल चरित्र अपभ्रंश ३६२ दशलाक्षणिक कथा संग नन्दराम Page #1387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नन्य एवं ग्रंथकार ] । १३२७ ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची प्रकार का नाम प्रथ माम प्रभ सूची पज ., पत्र सं० मा० नरेन्द्रकोत्ति- गुरुस्तबन हि० ११७५ कल्याण मन्दिर स्तोत्र चन्द्रप्रभ स्वामिनो विवाह वृत्ति सं. ७२० (राज.) ४३७ विषापहार स्तोत्र टीका दोपदीशील गुणरास ___(राज.) ६३४ नागराज- ।। पिशालशास्त्र प्रा. ५९४ सगर प्रबन्ध हि० ४२१ नागराज बजारा सोहि नरेन्द्रसेनप्रमाण प्रमेयकलिका सं. भावशतक सं० १४७, प्रा. नरेन्द्रसेन- प्रतिष्ठा तिलक सं. ८८७ ७५१, ११६३ (पण्ठिताचार्य) सिद्धान्तसार नागरीदास- कवित्त दि. १०६६ ___संग्रह सं०७ पं० नाथू-- पद हि. ११०८ सम्यक चरित्र पूजा सं ०माथ श्रमजी की डोरी हि. ६६०,१०५. १०६२ क्षमावनी पुजा सं. पारसनाथ की सहेली दि. २५६ नागराज पंचमी अतोनापन पूजा सं० ८५८ रत्नत्रय विधान पूजा सं. नायूराम रसायन काव्य सं० ३८२ नाथूराम कायस्थ- ज्योतिषग्रन्थ भाषा हि. नल्ह नवरंग नवलराम -- नवलशाह नाथूराम दोसी -- चर्चाशतक टीका हिः २७ पचितगुण प्रकाश हि समाधितन्त्र भाषा हि. १०८१ परमहंस संवोध चरित्र २३८ सुकुमालचरित्र हि० ४१३ वर्द्धमानपुराण भाषा २९८ नाथूराम लमे - जम्बू स्वामी चरित्र हि. वर्तमानपुरामा हि - २६६ नारचंद्र नारचन्द्रज्योतिष सं. जैन पच्चीसी हि. १७७७ ५५०, ११८६ ___ पद हि० १०४७ ज्योतिषसार सं० ५४८ बारह मावना हि० १०७८ नारद पंचदशाक्षर सं० ५५१ .५७ पंडिताचार्य नारायण-पारिजात हरण सं. सरवंगसार संत विचार हि. २४६ नारायण-- प्रमन्तवतोद्यापन सं.७८३ एकीभाव स्तोत्र वृत्ति सं. वृषभदेव स्तवन हि नवल नवलराम नागचन्द्र सरि- ७१४ Page #1388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ नथ एवं प्रधकार १३२८ ] मंयकार का नाम प्रध माम ग्रंथ सूची पंथकार का नाम अथ शाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० नारायणचमत्कार चिन्तामणि में धर्मोपदेश रत्नमाला प्रा० १२५ सूर्यप्रकाश सं. १६९ धर्म प्रवत्ति मं० ११५५ पा० नेमिचन्द्रम० नारायण .. मायागीत हि. . ११४४ पं० नेमिचन्द्र- अष्टाह्निकात्रोद्यापन नारायण मुनि जीभदांत नासिका नयन पूजा य० ७५ कर्ण संबाद हि. ११०२ कर्मप्रकृति सं० १६० नारायणदास- छंदसार हि० त्रिलोकप्तार पूजा हि ११५८ तीनलोक पूजा हि० ८१६ भाषाभूषण टोका हि नेमिचन्द्र मणि- लोक्यसार टीका सं. १०१५ निहाल चन्द- नयच भाषा हि० २५५ नेमिचन्द्राचार्य- प्राथव त्रिभंगी प्रा० ३ ब्रह्माबावनी हि. १४३ इक्कीस ठाण। प्रकरण लिस्यनाथ सिद्ध- रसरत्नाकर सं० ५८४ प्रा० ४ नित्यविजय- समयसार कलपाटीका कमप्रकृति प्रा०६ सं० २२२ मुलस्थान मागंणा वर्णन नीलकण्ठजातक सं०५४५ प्रा० १४ ताजिक ग्रन्थ सं० ५४६ गोम्मटसार प्रा० १५, १३ नीलकण्ठ ज्योतिष सं. मोम्मटसार संदृष्टि प्रा. वर्षतन्त्र सं०५६३ नूर की शकुचावली चौदहगुण स्थान वर्णन चौबीस ठाणाचर्चा प्रा० प्रा. ३१ ३४, ३५, १०० त्रिभंगीसारप्रा. ६०,६१ त्रिलोकसार प्रा० ६१२, राघवपाण्डवीय टीका सं० ३८२ चन्द्रप्रभछंद हि. ७२५ आदिन थ स्तवन हि १०मचन्द नेमिचन्द्र प्रीत्यंकर चौपई हि १०४२ राना बन्द की कथा हिक १०४२ नेमिचन्द्र भण्डारी-उपदेशसिद्धान्त रत्नमाला प्रा० सं०६५ १००० द्रव्य संग्रह प्रा० ६२, ६३, ६४, १०५.४, १०८० पंचसंग्रह प्रा०७१ भावत्रिमंगी प्रा. ७७, मार्गणा सत्तात्रिभंगी प्रा० Page #1389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं ग्रंथकार ] [ १३२६ ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची प्रकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० विशेषता विभंगी प्रा पद्मनंदि श्रावकाचार सं० पष्टीशतक प्रा७६३ अदित्यवार कथा हि ब्र०ने मिदत्त श्राराधना कथा कोश स. ४३० पदमनंदिकथाकोश सं. ४३२ भ. पदमनंदिधन्यबुमार चरित्र स० ज्ञानसार प्रा०६४ धर्मोपदेशागत सं० ६७६ वर्तमान चरित्र सं. ३८६,४७७ धर्भ रसायन प्रा० १२३ प्रनन्तयतकथा सं. ४२१, ४३४ करुणाष्टक मं०७१६ जिनवर दर्शन स्तवन सं. धर्मोपदेश श्रावकाचार सं. १२५ जिनरात्रिवत महात्म्य ने मिजिन चश्यि 0 ३४२ प्रीतिकर चरित्र सं० ३५७ रात्रिभोजन कथा सं० ४७१ प्रत्रकथा कोश सं० ४७७ सुदर्शन चरित्र स० ४१६ विजयभद्र क्षेत्रपाल गीत पार्श्वनाथ स्तोत्र सं० ७५, ११२७ भावना चौबीसीसं. १६४ रत्नत्रय पूजा सं. १६ रत्नत्रय विधान कथा सं. अ० नेमिदास-- न्यामतलांपतंजलि अजीर्ष मंजरी हि० ५७३ पतंजलि महाभाष्य सं० लघुशांतिक पूजा सं० १०२ बीत राग स्तवन सं० १६४, पवमराज अभयकुमार प्रबंध हिक वृषभ स्तोत्र सं०७६० शांतिनाथ स्तवन सं. पद्मकीति पाश्र्यपुराण अपनश २६० पद्मतिलक गरिए- जम्बूस्वामी अध्ययन प्रा० सिद्धचक्रयूजा सं०६६ वैद्य पदमनाम - अजीर्ण भंजरी हि०१०७७ पदमनाभ कायस्थ- यशोधर बघि सं० ३७३ पदमप्रभदेव- लक्ष्मी स्तोत्र स. ७५५ पद्मनंदि उपासक संस्कार सं०६७ पदमनदि पंचविंशति सं० १२८, १२९, १३०. १३१ १०७४, १०७८, ११२४ पापनाथ स्तोत्र सं. ७६५ Page #1390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३३० ] [ ग्रंथ एवं ग्रंयकार प्रकार का नाम ग्रंथ नाम प्रथ सूची नयकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र स० पदमप्रभमल नियमसार टोका ०७० मभाषितावलि हि० ६६५ पारिव समाधिशतक हि० २४० पद्मप्रभ सुर- भुवन दीपक सं० ५५७, संघो पन्नालाल- विद्वज्जनबोधक हि०१६३, ९.१ (दूनी वाला) पं० पद्मरंग- गम विनोद हि० १०१६ समवशरण पूजा हि पाराज -- यशोधर चरित्र सं० ३७३ पद्मविभय- शीलप्रकास रास हि । सरस्वती पूजा हि १२६ ६४१ परम विद्याराज- वृन्द संहिला ५६४ पद्मसुन्दर -- चारकषाय मज्झाय हि. परमानन्द घु चरिल हि १००१ १६४ परमानन्द जौहरी- चेतन विलास हि० ६५६ पद्माश्रावकाचार रास हि परशुराम प्रतिष्ठापाठ टीका सं० प्राचारसार वचनिका हि० परिमल्ल । श्रीपाल चरित्र हि० ३६५, पांड्या पन्नालाल चौवरी प्राराधनासार वनिका हि०१२ परमहंस गृह मुक्तावली सं० ५५८ उत्तरपुराण भाषा हि० परिव्राजकाचार्य... सारस्थत प्रक्रिया सं. २७४ तेरहपथावंडन हि पर्वत धर्मार्थी- द्रव्य संग्रह भाषा तत्वकौस्तुभ हि० ४१ धर्मपरीक्षा भाषा हि० समाधितंत्र भाषा गुरु २३४, २३५, २३६, २३७ जय जय स्वामी पाथडी पल्हणु नवतत्व गाथा भाषा दि० पारिणनि घ तुपाठ सं० ५९४ पाणिनि व्याकरण सं० न्याचदीपिका भाषा हि. २५६ पाण्डवपुराण भाषा हि. प्रामीम व्याकरण ५१७ परमात्म प्रकाश टीका सं. रतकर थावकाचार पाण्डबरामययानका हि. १५९ वसुनंदि श्रावकाचार भाषा पात्रकेशरी २०४ पात्रकेशरीस्तोत्र सं० Page #1391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रय एवं अधिकार ] [ १३३१ प्रकार का माम पंचनाम नथ सूची ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० पारसदत्त विदरभी चौपई हि ४५ पुष्पदन्ताशर्य- महिम्न स्तोत्र सं० ७५४, पारसदास निगोश्या--ज्ञानसूर्योदय नाटक हि. ६०५ पूज्यपाद इटोपदेश सं.६३,१६०, पद संग्रह हि० ६६३, ६६८ ११५४, ११७३ पारस विलास हि०६६८ उपासकाचार सं०६६ सार चौबीसी हि० १७५ समाधितंत्र सं०२३४ पालबुद्धिप्रकाश रास हिल समाविशतक सं० २३६ सर्वार्थसिद्धि सं० ८१ पास कवि-- पार्श्वनाथ स्तुति सं० ७३४ पासचन्द सूरि- प्रादिनाथ स्तवन हि. मेघकुमार गीत हि० १७२ श्रावकविधार चउपई हि १८४, १०२६, १०५४. १०३७ पुंजराजसारस्वत टीका सं० ५२१ यशोधर परिउ सं. ३७३ पुन्यकोति- पुण्यसार चौपई हित ४६३ मुनि पूर्णभद्र - गुकुमाल चरिष अपभ्रंश पुण्यरतनमुनि-- नेमिनाथ रास हि० ६.३६, पृथ्वीराज- कृष्णरुक्मिणी वेलि ९ि० यादव रास हि० १४६ ११७५ पुण्यलामपोषहगीत हि०७३५ ज्ञानसार प्रा० ४१ पुण्यसागर प्रजना सुन्दरी च उपई हि. पोसह पाण्डे- दिगम्बरी देव पूश हि -: ९५५ पूनो.... साल्दालंकार दीपक सं० पुरुषोत्तमदेवपुष्पदन्त प्रश्नषष्ठिशतक काव्य पौंडरीक टीका स० २५६ शमेश्वरसुबाहु चरित्र हि ४१७ प्रकाशचन्द-- त्रिकाण्डकोश सं० ५३६ प्रतापकीतिआदिपुराण अपभ्रश २६६ महाराजा सवाई उत्तर पुराण अपघ्नश प्रतापसिंह-- २०२ जसहर चरिउ अपनश सिद्धक्षेत्र पूजा हि० ६३२ श्रावकाचार हि. ११३६ अमृतसागर हि ५७३ नीतिशतक हि ९५१ भर्तृहरि शतक भाषा हि ६१२ पार मंजरी हि० १५१ समयसार प्रकरण प्रा. २२६ गायकुमार चरिउ अपनश महापुगरण अपभ्रश २६४ प्रतिबोध Page #1392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ग्रंथ एवं ग्रंथकार ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची प्रकार का नाम ग्रंय नाम नथ सूची पत्र सं० पत्र सं० प्रभंजन गुरुयशोधर चरित्र पीठबंध प्रभाथन्द्र चितामरिण पाश्वनाथ सं०३७२ विमती प्रभाकर सेन- प्रतिष्ठा पाठ सं००१८ महावीर विनती हि प्रभाचन्द्र आत्मानुशासन सं०१८४, पाराधनासार कथा प्रबंध प्रहलाद सं०४३. उपासकाध्ययन सं० ११३७ प्रहलादक्रियाकलाप टीका सं० प्रेमचंद पद्मनन्दि महाकाव्य टीका सं० ३४४ स्वरोदय हि०५३२ सोलहमती की सिकाय जनविवाहविधि हि. धर्मबुद्धि मन्त्री कथा हि ४५० पर संग्रह हि० ११५५ बुद्धि विलास हि० १४३, द्रध्यसंग्रह टीका सं. ६४ पं० फतेहलालपंचकल्याणक पूजा सं० ४७ बखतराम साहचमीकथा टिप्पण अपभ्रश ४५५ प्रतिक्रमण टीका सं० २०९ प्रवचनसार टीका सं. २१० यशोधरचरित्र टिप्पण सं० ३७१ बरुलाधर लालरत्नत्रय कथा सं० ४६८ विषापहारस्तोत्र टीका सं०७५३ बस्तावर सिंह श्रावकाचार सं०६४ रतन लालसमयसार अति सं० २२५ बनारसीदाससमाधिशतक टीका सं० मिथ्यान्व खंडन ह १४६, ६०७, १५४ चौबीस तीर्थ कर पूजा हि ८००, ११३१ आराधना कथ कोश हि. अध्यात्मपैडी हि• १०११ अध्यात्म बत्तीसी हि १६४ अनित्य पंचासिका हि० स्वयंभूस्तोत्र टीका सं० ___७७६ भक प्रमाचन्द्र- तत्वार्थरनप्रमाकर (हेमकीति के शिष्य) सं०४२ प्रभाचन्द रत्नकरण्ड श्रावकाचार टीका सं०१५६ कर्म छत्तीसी हि १४१ कम प्रकृति हि. १८३ कर्म विगक हि०८, Page #1393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं नयकार ] [ १३३३ ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम नय सूची नथकार का नाम ग्रंथ नाम नय सूची पत्र स० पत्र सं० कल्याणमंदिर स्तोत्र भाषा साधु बंदना हि० ७६६, हि० ७१६, ७३३, ७४ ८७४,६५८६८०,१०१६, सिन्दूर प्रकरण भाषा हि १०६१, १०६४, १०७४, ६६६, ६६७, ११४४, १०९५, ११२०, ११२२, ११६७ ११४८ मुक्ति मुक्तावली हि. ६४१ हादिन हि०६५ बंशीदास रोहिणी व्रत कथा हि। जिनसहस्रनाम स्तोत्र भाषा हिO RE, १०५५ बंसीधर द्रव्य संग्रह माषा टीका जान पच्चीसी हि० ११०, राज०६७,१०४६ बलदेव पाटनी-- भक्तिमाल पद हि० १०६६ तेरह काठिया हि० ६६६, बलिभद्र हि०१०४८ सामायिक पाठ सं० २४३ धर्म पच्चीसी हि १०८ बारण कलियुग चरित्र हि नाममाला हि०५२८ कवि बालक सीता चरित्र हि. १०३६, निमित्त उपादान हि. (रामचन्द्र) बालकृष्ण त्रिपाठी - प्रशस्ति काशिका सं० पद हि० ८७५, १०८४ बनारसी विलास हि बालचन्द-- राजुल पच्चीसी हि० ६५६ ९६५, १०१८, १०४५, श्रुतस्कंध पूजा विधान हि ११२६ बहुमुनि. २१४ धर्म कुडलियां हि० ११५ राजुल छत्तीसी हि. मन्दीश्वर द्वीप पूजा हि. बावनी हि १४६ बालमुकु-द-- मोक्ष पंडी हि० १०४१ रत्नत्रय पूजा हि० १०२३ समयसार नाटक हि मिरचीचन्द-- २२८, २२६, २३०, २३१, २३२, २३३, बिहारीदास२३४, ६४१, ६६२, बिहारी लाल१८५६१, ६६५, १०१४, १०१८, १०२२, १.३२,१०४०, १०४६, १०५२, १०७२. ११०३, बुधचन्द-- ११०६, ११४६, ११५० पद हि १०६६ बिहारी सतसई हि. ६२६, १००२, १०३७, १०३८, सलुणारी सज्झाय हि. Page #1394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३३४ ] [ ग्रंथ एवं पकार धंधकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची अंधकार का नाम ग्रंथ माम ग्रंथ सूची पत्र सं० ... इष्ट छसीसी हि०६३, प्रश्नोत्तर रत्नमाला सं० पत्र सं० चढाला हिं० १६६, प्रश्नोत्तरशेपासकाचार हि. तत्वार्थबोध हि० ४२ पंचकल्याणक पुजा हि. वृषराज ४७ पंचपरमेष्ठी पूजा हि० वचनकोश हि० ५३६ वाaf हिं० १०२२ चेतनपुद्गल धमाल हि. १०५६, ११८० पद हि० ६६२, ९८४. पंचास्तिकाय भाषा मदन जुज्भः हि० ६८४, हि०७४ १०८ पद हि०१०४८,१०५३ संतोष जयतिलक हि. परमात्मप्रकाश भाषा ९७१ हि० २७६ बालभूपति --- प्रबोध चन्द्रिका सं० ५१७, बुधजन विलास हि० ६६६ ११० बुधजन रातसई हि० ६६०, ब्रह्मद्वीप मे मीश्वररास हि० १०५४ १०८१ मनकरहा रासहि योगेन्दुसार हि २१६ संबोध पच सिका हि. प हि . ११११ टय्यसंग्रह वृत्ति सं० ६४ सम्मेद शिखर पुजा हि ब्रह्मा देव परमात्मप्रकाश टीका सिद्धभूमिका उद्यापन सं० २०५ हि० ६३५ ब्रह्ममोहन वृषभदेव गीत हि० १२०० क्षेत्रपाल पूजा हि. त्रिवर्णाचारि सं० १११ ११२३ मयानीदास ध्यास- भोज चरित्र हि० ३६४ न्हावरण पाठ भाषा हि० भट्टोजी दीक्षित... लघुसिद्धान्त कौमुदी सं० ५१७ कवित्त हि. १००३ मट्टोत्पल्ल- लघुजाकत टीका सं० ५१५ चरपा बासठ हि०११७० सम्यग्दर्शन सं. ६९० पट पंचाशिका सं. ५६७ पाण्डव पुराण हि० २८, भद्रबाहु स्वामी- कल्पसूत्र प्रा. १० १८१. १०७५ भद्रबाहु स्वामी II-- क्रियासार प्रा० १०४ बुधटोडर बुध मोहन-- बुधरावबुधलालबुझसेनबुलाकीदास Page #1395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थ एवं प्रकार ] प्रकार का नाम ग्रंथ नाम भद्रसेन भरतदास भर्तृहरि - भवसागर भाट कवि भागवन्द 11 ग्रंथ सूची प्रकार का नाम ग्रंथ नाम पत्र सं० नवसं २ मितिक शास्त्र [सं० ५५१ भद्रबाहु संहिता स० ५५६ चन्दनागिरी चोपई हि ० ४३७, ११६२ कापुरुष नाम निय हि० भर्तृहरि शतक सं० ६६१ १६५ ६२, ११६१, ११९२ नीतिशतक [सं० ९४२ श्रृंगारशतक[सं० ६२८ ९४२ ૪૨ कथा हिन् ४२८, ४३१, ८७७ १४३, १४४, १६३, १६० (रविवार व्रत कथा ) ६७३, १०१२, १०१८, १०२८, १०३६, १०४१, १०५६, १०६२, १०७५, १००३, १००४, २००६ १०८०, १०६८ ११०० १११४. ११११, ११४८, ११६८ नेमीश्वररास हि० १८४ विक्रम चरित्र चोपई हि० पदसंग्रह हि० प्रादिश्य भागीरथ कायस्थ भागीरथ श्रमितगतिधावकाचार हिन् ६० उपदेश सिद्धान्त रत्नमाला १५, १६ ११७४ भानुचन्द- ३८७ भानुचन्द्र गरिए - भानुदत्त मिश्र [ १३३५ ग्रंथ सूची पत्र सं० नाटक भाषा हि० ६०१ धर्मोपदेश सिद्धांत रस्तमाला हिन् १२६ निपुराण भाषा हि ६२५ नान विजय नवतत्व प्रकरण टीका सं० हि० ६६ भ० भानुकीति वृद्ध सिद्धचक पूजा सं० EOE भानुकीति २७७ पद हि० १०४५ १०५३ योगातिसार हि० सम्मेदशिखर पूजा हि ५६० आदिमवार का हि १०२५, १११०, ११५७, ११६५ (रवि कथा) पद ११०७, ११५२ रोहिणी व्रत कथा सं ४७५ सोहरी दीवार कथा स १०५९ समोगा पार्श्वनाथ स्तोम हिन् १०६१ मृगांक लेखा चौपई हिं० ९६१ बसन्तराज टीका सं० ५५५ साधारण जनतवन सं० ७६६ रसतरंगिणी सं० ५०३ रमंजरी से ५८४, ५६६, ६२५ Page #1396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३३६ ] प्रथकार का नाम ग्रंथ नाम भारती भारवि- भारामल्ल भारती लघु स्तवन सं भास्कर चार्य ग्रंथ सूची ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम पत्र सं० ७५० किरातार्जुनीय सं० ३१६ कथाकोश हिन ४३२ ६५१ आतरास हि० दर्शनकथा हि० १११९ दानकथा हि ४४६ दानशीलकथा हि० ४४७ निशिभोजन कथा हि० ४५३, ४५४ शीलकथा हिन् ४८८ १०७३, ११२०, ११२२ सप्तव्यसन कथा हि० भावचन्द्र सूरि- भावतिलकभावदव सूरिभावमिश्र भावविजय वाचक प्रत्तरिपादनाच भावविश्वर भावशर्मा - ४६३, ४६४ शान्तिनाथ चरित्र सं० 4. स्तवन हि० ७१५, ११५७ सप्त पदार्थ टीका सं० ८१ दशलक्ष जयमाल पूजा प्रा० ८२४ ७५६ भावसेम लघुरुतवन [सं०] का तंत्ररूपमाला वृत्ति सं० जीवदया सं *** भायसेन प्रवेश देव - मंत्रप्रकरण सूचक टिप्पण ६२२ ἐπέ नपाल खोई हि० ४९७ पुरन्दर कथा हि० ४६१ भावप्रकाश सं० ५८० सं० रूपमाला सं ५१५ ज्योतिष ग्रन्थ सं० ५४६ दिनचर्या गृहागम कुतुहल सं #Y भीष्म भुवनकीर्ति भुवनकीर्ति [ ग्रंथ एवं ग्रंथकार ग्रंथ सूची पत्र सं० पाण्डे राजभुवन भूषरणमुअरदास बातुपकरण सं० ५५२ लीलावती सं० ११९७ सिद्धांत शिरोमणी सं० ५६६ ५१२ कारक खंडन सं० भक्तारस्तोत्र समस्यापूर्ति ११६५ सं० 'जना चरित्र हि० ३१४ पवनंजय चरित्र हि बारहमासा की विनती ११०० દિ एकीभाव स्तोत्र भाषा ११२२ ११६८ fifa जवडी हि० जीवदया चंद हि० ११५७ जैन विलास हि० ६६०. १०७३ जैन शतक हि० १०११. १०४१ १०४२, (यूवर शतक) १०४४, १०३९, १०६०, १०७१. १०७३, १०७४ १०७९, १०८१, १११४, ११३३, ११५३, ११२३ नरकदुःख वन ६ि० १२१ पद हि० १०४७, १०५३ पंच इाद्री चौपई हि० १०७२ ८५६ ८७६,८१ पंचमेपूजा हि० पार्श्वनाथ कवित्त हि० ६६८ Page #1397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं ग्रंथकार ] [ १३३७ प्रथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची गयकार का नाम ग्रंथ नाम नथ सूची पत्र स० पत्र सं० पाश्चपुराण हि ६६३. ज्ञानचूनडी हि ११२४ १०२६, १०३६, ११०७ दानशीलतप भावना हि. भूधर, विलास हि ६६३, १०४५ द्रव्य संग्रह भाषा हि विनती हि० ८७७. दृष्टांत पच्चीसी हि. विनती नेगिकुमार दुिक धर्मपच्चीसी हि० ११३३ शास्त्र पूजा हि १०११ निर्वाण काण्ड भाषा हि हुक्का निषेध दि० १०३५ ६५२, ७३१, ८७६, भूधर मिश्र-- चर्चा समाधान हिल २७, २८, २९, १०११, १०१७, १०२०, ११०५ १०७२ भपाल कवि- भूपाल चतविशतिका गंचेन्द्रिय संवाद हि ११८८ सं० ७५१, ७७३.१०३५ पंद्रह पात्र चौपई हि. भूपालस्तोत्र सं. ७७१ भृगु प्रोहित- चौडाल्यो हि ११६० पद एवं मीत हि. १५ भैया भगवतीदास- अकुत्रिम चैत्यालय जय परमशतक हि० १०५८ माल हि०७१ परमार्थशतक हि० २०३ अक्षर बत्तीसी हि बाईस परीषद कथन हि अनित्य पच्चीसी १०५१ अष्टोत्तरी शाक हि बारह भावना हि १०५० ( शतप्रष्टोत्तरी कवित) ब्रह्मबिलाम हि ६७०, १६८, १००५, १०५१, ओंकार चौपई हि. १०५२, १०७२, ११३३, चत रबणजारा गीत हि मधुविन्दु चौपई हि० चूनडी रास हि. ५५ सनकर्मचरित्र हि १००५, १०७२, १०६४, ११२६, ११३१ मानबत्तोसी हि० १०५८ मुनिराज के ४६ अन्तराय हि. १५० सम्यक्त्व पच्चीसी हि. Page #1398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३३८ ] [ ग्रंथ एवं प्रथकार १८४ ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची प्रकार का नाम प्रथनाम पंथ सूची पत्र सं० पत्रसं० सिद्धवतुर्दशी हि ११५१ मनसुखराय- तीर्थ महात्म्य हि. ७३० पं० भगवतीवास सोतासतु हि. ६४५, मनसुखलाल- नवग्रह पूजा हि० ८३७ स्वप्नबत्तीसी हि० १११३ मनसुखसागर- यशोधर चरित्र हि भेरुदासअनन्त चतुर्दशी कथा हि. वृहद सम्मेदशिखर महा६६१,११२३ षोडशकारण कथा हि० स्म्य (पुजा) १०६, १२८ भैरव दासहिंदोला हि १०८६ मनालाल चारित्रसार व कनिका हि भैरोलाल--- शोलकथा हि० ४६. भोजश्व द्वादशश्रत पूजा सं० ८३२ मन्नालाल खिन्दूका- पद्मनन्दि पंचविषाति भाषा मकरन्दसुगन्ध दशमी व्रत कथा ११५० मडनग्रासाद बल्लभ त० ११६१ प्रद्य म्न चरित्र हित ३५४ मतिरामरसराज दि० ६२८ मन्नासाह सवैया बावनी हि मतिशेखर- गोत हि ११३४ धनाच उपई हि० ४४८ मनीराम रसराज बावनी हि० १०५७ मनोरथ मनोरथ माला हि० मतिसागर शालिमद्ग चौपई हि मनहर मधुसूदनमनरंगलाल - चन्द्रोन्मीलन सं० १२३४ तीवीस तीर्थकर पूजा पद हि. ११०८ मानबावनी हि. ११०८, मनराजमनराम - सप्तर्षि पूजा हि. ११८ सर्वया हि० १११४ मनराज शतक दि. ६६२ साधु गीत हि. ११११ अक्षरमाला दि. ४५ मनोहरशस सोनी- ज्ञान चिसामरिण हि करका हित १०१%, १०६, ६५०, १०११, पद हि० ११०६ रोगापहार स्तोत्र हिः धर्म परीक्षा भाषा हि. ११७. ६५०, १००, ११४७ रविव्रत पूजा एवं कथा मनसार-- शालिभर चौपई हि ४८७ Page #1399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रन्थ एव ग्र'थकार ] [ १३३६ प्रथकार का नाम ग्रंथ नाम प्रय सूची प्रथकार का नाम गथ नाम ग्रंथ सूची पत्र स० पत्र सं० लघु आदित्यार कथा हि महादेव प्रसिद्ध लोक सं० मनोहर शर्मामलयकीति मल्लभट्ट-- मल्लिनाथ सूरि शिक्षा हि १७८३ रत्नमाला सं० ५६७ श्रतोत्र टोका सं० ६०१ हिकमत प्रकाश सं० ५९२ सुगन्ध दशमी व्रत कथा महादेवी -- लाभालाभ मन संकल्प हिक हि १०८९ ५२ शतश्लोक टीका मं महानन्द--- प्राणदा हि. ६६५ ३८८ महाराम श्रीपाल स्तुति हि. कुमार संभव सटीक संक ११४८ मेघदूत टीका सं० ३७० महावीराचार्य- गणितसार संग्रह सं. रघुबंशा टीका सं० २८० महासेनाचार्य---- शिशुपाल बध टीका सं० प्रद्युम्न चरित सं० ३५२ ० महतिसागर-.. आदित्यवत कथा हि. संग्रहणी भुत्र प्रा० १८ स्याद्वाद मंजरी रा० २६३ महिमा प्रमसूरि- अध्यात्मोपयोगिनी हि० भंड पगावती कल्प सं. ६२२ म० महीचन्द- आदित्यवार कथा हि पक्षिणी कल्प सं. ६२३ ११६४, ११६६ विद्यानुशासन सं० ६२३ चैत्यालय बंदना हि नागकुमार चरित्र सं० ११३३, ११६२ ३४३, ४५० पंचमेरु पूजा हि० ११२३ सज्जननित्तवल्लम सं० पुष्पांजलि पूजा सं० ८६६ ६१.४, १०८०, १०८२, लवांकुश षट्पद हि मल्लिषेण सूरि मल्लिषेश मल्लिषेण मातृका निघंटु सं० ६२२ तद्धित प्रक्रिया सं० ५१३ महीभट्टी काव्य सं० भ० मल्लिभूषण- धन्यकुमार चरित्र सं० । महीधरव्रत कथाकोश सं० ४७० महीभट्टी-.. महिललागर- अकृत्रिम चैत्यालय पूजा सं० ७७७ मलूक शील रत कथा हि० ४८३ महाचन्द्र - पंचाशत प्रश्न स० ५५१ महाचन्न तत्वार्थसूत्र भाषा हि०५१ त्रिलोकसार पूजा हि २१ महेन्द्रकीति महीमट्टी याकरण सं. सारस्वल प्रत्रिया वृत्ति सं. पद हि० ११५२ Page #1400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४० ] [ प्रब एवं प्रयकार महेश्वर अंथकार का नाम ग्रंथ नाम नय सूची ग्रंथकार का नाम नथ नाम नथ सूची पत्र सं० पत्र सं० शब्दभेद प्रकाश सं० १०३८, १०६४, १०६७, १०६६, १०७४, १०७८, माघकविशिशुपाल वध सं. ३६१ १०६५. १०६७, १११६, माघनन्धि प्रती- चतुर्दिशति जयमाल सं. ११४६ __७२२. मानतुग- यासंद मणिका काल सं. बंदेतान जयमाल सं० ८७५ सूरि मानदेव- लघुशांति पाठ सं० १०१ मागकचन्द- समावितंत्र भाषा हिक मानसागर--- कठियार कानडरी चौपई समवशरण मंगल हि० शांतिनाथ स्तबन सं. गुगरत्नमाला सं. ५७७ हनुमन्नाटक सं० ६०८ भ्रमरगीत हि ६२७ ज्योतिषसार संग्रह सक माणकचन्द- माणकपद संग्रह हि. ६७३ मायाराम-- पद हि० १.७८ ० माराक- बावनी हि ६८६ मातराय--- मानभद्र स्तवन हि ७५४ मालदेव सूरि म मारिणक्यनंदि-- परीक्षामुल सं० २५७ मारिणक्यसुन्दरसूरि-गुणवर्मा चरित्र ० ३१६ मिश्र भाव धर्मदत्त चरित्र सं० ३३९ मिश्र मोहनदासमारिणक्य भूरि- कालकाचार्य कथा में मुकुंदवास-- ४३५ मुजादित्य-- माधव माघच निदान सं० ५८० माघयचा अविधवेय क्षपणासार मं. १२ मुनिदेव सूरिमाधवदासगरास हि० ६४० भरलीवासमाधोलाल जैसवाल-- सर्वजिनालय पूजा हि मेघराज ६२६ महाकवि- कवित हि० ११४२ सिम्झाय हि. १११३ मेधादी शील बावनी हि० १०१५ मांडन-- रेखता हि० ११५७ मानतुङ्गाचार्य- गतामर स्तोत्र म मेरुद्र७२८,७३६,७४०, ७४१, ७७२, ८७४,६५३.६५६, बालशेष सं० ५५५ शान्तिनाथ चरित्र सं० बारहमासा हि० १०६६ ऋषिक्ता चौपई पिक सोलहसती हि० ११२६ धर्मसंग्रह श्रावकाचार सा पुष्पांजलिबन कथा संक वासुपूज्य स्तोत्र सं. शांतिनाथ स्तोत्र सं० Page #1401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थ एवं नयकार ] [ १३४१ ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची ग्रंथकार का नाम नथ नाम नथ सूची पत्र सं० पत्र सं० प्रा० मेरुतुग-- प्रबन्ध चितामणि सं० शफीति सूरि- पंचेन्द्रिय संवाद हि ११८८ महापुरुष चरित्र सं० यशकीर्ति- कांजिका ब्रतोद्यापन सं० ६०७ मूक्तिमुक्तावली सं० गीत हि० १०२६ यह कोपिन मेरुम दनअजितशांति स्तवन हि. ६३२ चौबीस तीर्थकर भावना मेरुसुदर-- शीशोपदेशमाला सं. हि. १०२५ दुःखहरण उद्यापन सं. मेहउ.प्रदिनाथ स्तवन हिक चपरमेष्ठी गीत हित मोतीराम- चौबीस तीर्थकर भारती हि० १०६७ बारहवत हि० १०५८ सम्मेदशिखर महालय मंगलाष्टक ख० ११०१ हि० १२७ योगीवाणी हि० १०२४ मोतीलाल भ० यशकीर्ति- सुकुमाल चरित्र हि०४१४ (पन्नालाल)बालप्रबोध त्रिशतिका सुदर्शन चरित्र भाषा हि हि. १४२ भरकत विलास हि. हनुमचरित्र हि० ४१६ जीबन्धर चरित्र प्रबन्ध मोहन--- चादगजानी हाल दि. धर्मशार्माभ्युदय टीका मोहनदास- मात्मशिष्यावरणी हि चन्द्रप्रभ चरित्र पर० मोक्षमार्ग बावनी हि पाण्डवपुराण अपभ्रंश २८७ मोहनदास कायस्थ- स्वरोदय हि० ५६२ हरिवंशपुराण अपभ्रश पं० मोहनलाल- कल्याणमन्दिरस्तोत्र वनिका हि० ७१६ श्री यशसागर प्रमाणनय निर्णय सं० मोहन विजय-- मानतुग मानवती हि गरिण ११६९ ब्रह्म यशोधर- गीत पद हि० १०२६, प्रा० यतिवृषभ- तिलोयपग्णति प्रा० ६१० १०२७ ६७३ यशकोर्ति-- Page #1402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४२ ] [ पंथ एवं ग्रंथकार जयकार का नाम नथ नाम नथ सूची ग्रंथकार का नाम पंथ नाम पथ सूची पत्र सं० पत्र सं० नेमिनाथ गीत हि० १०२४ षोडशकारण जममाल अप० १७१ बलिभद्र चौपई (रास) हिक (सोलहकारण जयमाल, १०२५.१०३५ अप ६१४, ६३६ मल्लिनाथ गीत हि० १०२४ श्रीपाल चरित्र अप० ३६३ वैराग्यगीत हि १०२५ संबोध पंचासिका अप० यशोनन्दि धर्मचक्र पूजा सं० ८३४ पंचपरमेष्ठी पूगी ५१, रधुनाथ--- अष्ट पिपावनी हि ६०७, १०८५ १०४३ योगदेवतत्वार्थ वृत्ति मं०४३ ० रतन नेमिनाथ रास हि ८४ योगदेव -- अनुप्रेक्षा हि ६७४ रनकोति- कांजीवतोद्यापन योगीन्द्रदेव- दोहा पाहुइ अप० २०८, सं०६३ १०६५ मुनि रलकीर्ति- नेमिनाथ रास हि ६५६ परमात्म प्रकाश अप ने मोश्वर राजुन गीत हि. २०४, ६५२, ६६०,६६२. १३, १४, १००८, पक्ष हि.० १०७८ १०८१, ११४६ सिद्धथूल हि० १०२५ योगसार प्रमः २१३, रस्त परिण--- प्रद्युम्न चरित्र सं० ३५४ ९६४, १०२८, १०८० रत्नचंद-- चौबीसी हि. ११६६ आत्म संबोध अप० १६४ पं० रस्तचंद पंचमेरु पूजा सं० ८५६ जीधर चरित्र प्रप० पुष्पांजलि पूजा सं०६६६ मक्तामर स्तोत्र बृत्तिम दशलक्षए जयमाल अप० ७४७ 5२६ सुभौम चरित्र सं०४१५ देशलक्षण धर्म वर्णन रत्ननदि --- नंदीश्वर पूजा सं०८४५ अप० ११४ पल्ब विधान पूजा दशलक्षण प्रतोद्यापन पूजा सं० ८६२ अप० ८३० भदबाहु चरित्र सं० ३५९ धन्यकुमार चरित्र ५० रक्षाख्यान सं०४७१ १०८९ रत्नपाल - नन्द र कथा सं० ४७९ पाशवपुराण अप० २६. रत्नप्रभाचार्य- प्रमारंगनयतत्वा पुण्यासवमहा अप०४६० लोकालंकार सं० २५८ रविवार कथा अप. ४६६ रन भूषण-- धर्मोपदेश सं. १२५ Page #1403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं प्रकार ] [ १३४३ ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची जयकार का नाम प्रचनाम ग्रंथ सूची पत्र सं0 पत्र सं० रविवलोद्यापन पूजा चंद्र- चपावती सीलकल्याण सं० १०० रत्नभुषण सूरि- अनिरुद्ध हरण हि. ४२२ राजपाल पदबा . ११० अष्टकम चौपई हि. पांडे राजमल्ल- लाटी संहिता १६० समयसार भाका जिनदत्त रास हि ३२७, हि २२६, ७. ११५० ६३३,११४५ राजरत्न पाठक- मरिणमद्र जी द्वन्द निमोहमारास हिक ४०. ११३३ पाठक राजबल्लभ-- निवप्न पद्मः । कथा रत्नरंगोपाध्याय -- स्पकमाला बालाक्योध स० ४३६ हि. ११९७ राजशेखर सूरि- प्रबन्ध चिन्तामगि सं० रस्नशेखर गरिण- गृहप्रतिक्रमण सूत्र टीका । ६५४ संस्कृत १०५ राज सागर विचारषड् त्रिशिकास्तवन रत्नशेखर सूरि- श्राद्ध विधि सं० ६१२ प्रा. हि. ७५० रत्नशेखर- सघुक्षेत्र समासवृत्ति म. राम सिंह-- वास्तुराज सं० १२०० ११९७ राज सुन्दर - गजसिंह चौपई हि० ४३६ श्रीपाल चरित्र प्रा० ३६२ राजसेन पाश्र्वनाथ स्तोत्र सं० रतनसरि- कम्मण विधि हि० १०६१ ७७४, ११२४ रत्नसिंह भुमि--- ऋषभदेव स्तवन हि । राजहंस पट्दर्शन समुचय स. राधाकृष्णदैवज्ञ राम रागरस्नाकर हि ११५८ गहत चितामणि सांस लीलावती टीका सा रविदेव कृष्णनलिभद्र सज्माय हि० २२० रस रत्नाकर ५८४ नलोदय कामटीका ___ सं० ३४० पदमपुराण सं०२७८ उपदेश बत्तीसी हि. रविषेरणाचार्यराजवि राम अधि...रामकृष्ण मलोदय टीका सं३४० ऋषभदेव गीत हि. सुन्दर शुमार हि ६२६, परमार्थ जखडी हि १०५४, १९६८ समसमनी कथा हि राजकुमारराजचंद्र चमत्कार पूजा हि ७६७ सुगन्धदशमी कथा सं० ५०५ रामचंद्ररामचंद्र सूरि- रामविनोद हि विक्रम चरित्र ५५ स ३७ Page #1404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४४ ] [ प्रेय एवं ग्रंथकार मंथकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची प्रथकार का नाम प्रथ नाम नथ सूची पत्र सं० पत्र सं० रामचंद ऋषि-- . उपदेश बीसी हि०६९२ रामदास उपदेश पच्चीसी हि. बेलना सतीरोचौहालियों ___६५८, ६८६, १०५४ राय ४३९ लूहरी हि० १०६३ . विज्जु सेठ विजयासती रास विनती हि ७७.१०१३ हि० ६४१ रामपाल नेमिनाथ लावणी हि. रामच'द्र (कधि सीता चरित्र हि ४०६, ११५६ बालक) सम्मेदशिखर पूजा हि. कथा कोश मुमुक्षु रामचंद्र-~ १२५ सं० ४३२ पुण्याथव कथाकोश सं० रालबरलम सन्द्रलेहा चौपई हि०६५४ रामसेन तत्वानुशासन सं० ४२ जनकथाकोश ४७. रामानंद राम कथा हि० १००३ अनन्तनाथ पूजा हि० ७८० रायचंच विनती रामच-.. चीनी होकार मः शीतलनाथ स्तवन हि समाधितंत्र भाषा हि. ५०१, ८०२,५०३, ५०४, ८०५, १००६, १०२६, ब्रह्मरायमल्ल- चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न १०६५, १००६, ११७७, हि० ६५३, ९७२, १००५, १०२३, १०५६, तीस ची वीसी पाठ हि १०५६ चितामणि जयमाल हि. दर्शन स्तोत्र भाषा हि. १०६६ ज्येष्ठ जिनवर व्रत कथा पंच कल्याणक पूजा हि ८७ विनती हि० १५५ निर्दोष सप्तमी कथा हिक सम्मेदशिखर बिलास हि ४५२, १४३, १४४, ६५७ रामचंद्राचार्य- प्रक्रिया कौमुदी सं० ५१६ नेमि निर्वाण हि०६८३ सिद्धांत चन्द्रिका सं० नेमिश्वर रास हि. १४०, ५२८ ६६६, ६६८, १८०, ६८३, १०५३, ११०६ रामचन्द्र सोमराजा-समरसार सं०५६५ परमहसकथा प्रोपई हि. रामचरण-- . चेतावरणी व हि. १६५ ११५१ १०५७ Page #1405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं ग्रंथकार ] [ १३४५ ग्रंथकार का नाम नथ नाम गंथ सूची नथकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची पन्न सं० पत्र सं० प्रधन रासो हि० ६३३, दश लक्षरण पूजा हि. नेमिनाथ स्तमा हिर ६५५ ___९६८, १०६३ भत्तामर स्तोत्र वृत्ति सं० ७८८ भविष्यदत्त चौपई (रास) हि० ३६३, ४६६,६४०, पंच मंगल हि० ८७४, ६७४, १००५, १०४२, १०४८, १०६३, १०७५, १०७८, १०६६, १११४, ११३०, ११५०, १९६७ ६६८, १६: ०१५ १०२०, १०३३, १४४३, ESH श्रीपाल रास हि० ६४२, १४०,६४२, ६६६, १०१३, १०१५, १.१६, १०६३ सुदर्शनरान हि०६४०, ६४३, १५६, १७६, १७८, ६६८, १.१३, ब्र० रूपजी१०१६, १०२२ हनुमंत कथा ( रास) रूप विजयहि० १०७, ६४६, ६४०, ६४५, ६५६, ११०६, रूपसिंह-- रेखराजमानानंद धावकाचार लक्ष्मण परमार्थ गीत हि०६८ परमार्थ दोहा- हि. ६८२, शतक १०३८ विनती हि०४६ समवसरण पूजा सं १९१०१३,११२० बारा ग्रार महाचौपईबंध वि० ३५७ गानतुग मानबती चौपई हि ११६५ प्रज्ञा प्रकाश सं०६८८ समवशरण पाठ सं०७६४ प्रकृत्रिम चैत्यालय विनती भाः रायमल्ल रुद्र भट्ट रूड़ा गुरूजीरूपचन्द - वंद्य जीवन टीका लक्ष्मणदास- - लक्ष्मण सिंहसं० ५०८ पं० लक्ष्मीचंद लावणी हि १०७५ प्रादिनाय मंगल लक्ष्मीचन्दहि. ११०४ लक्ष्मीवल्लमछोटा मंगल हि० ११०५ अकड़ी हि १७८४, पद हि० १०६२ सुत्रधार स ५० लक्ष्मीविलास हि. ६७४ वीरचन्द दूहा हि ६८३ लिथिसारथी सं० १११६ कालज्ञात भाषा हि छंददेसंतरी पारसनाथ हि. ७२५ Page #1406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४६ ] [ ग्रंथ एवं प्रथकार ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम अथ सूची ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम पंथ सूची पत्र सं० पत्र स० लक्ष्मीसेन- नवविधान चतुर्दश रत्नपूजा रक्षाविधान कथा सं. रा००७ लब्धरुचि- पार्श्वनाथ छन्द हि० रत्नत्रय व्रत कथा 0 ४७८, ४७६,६६५ लब्धिवद्धन-- भक्तामर स्तोत्र दीका सं० रोहिणीवत कथा स० __७४६ लब्धिचिमलगरिण- ज्ञानार्णव भाषा हि पर कया संद २००, २०१ वंडस कारण कथा सं० ललितकीति- अक्षयदशमी कथा सं० ४७९ सिद्धचक्रपूजा म. ९३३ अनन्तयत कया सं०४७५, पं० लाखू जिनदत्त कहा अप० ३२७ पद हि० १.४८ प्राकाश पंचमी कथा सं० लालकवि- विरह के दोहे हि. ७८१ लाल एकाली कथा सं०४७६ कर्म निर्जरा व्रत कथा सं० ४७६ कॉजिकायत कथा सं० ४७६ जिनगुणसंपत्ति कथा हि. ४३३, ४६०, ११४४ লিনাসিরন কথা ? वृषभदेव लावणी हि ११७१ श्रीपाल चरित्र हि० ५०१ पंचमंगल हि. ११०६ नबकार मात्र हि० १११३ सम्मेदशिखर पूजा हि लालचन्द पाण्डेलालचन्द उपदेशसिद्धांत रत्नमाला हि०१५ वरांग चरित्र हि० ५८५ विमलपुरण भाषा हि ज्येष्ठ जिनवर कथा सं० दशपरमस्थान व्रत कथा सं० ४०० दशलाक्षणिक कथा सं० ४७६.४८० बायशवत कथा सं० ४७६ धनकलश कथा सं४७९ लालचन्दपुष्पांजलि व्रत कथा सं० लालच दसूरि षट्कर्मोपदेश रत्नमाला हि० १६८ सम्मेदशिखर विलास हि मुनिरंग चौपई हि० ३६६ लीलावती भाषा हि. ११६८ Page #1407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राप एवं ग्रंथकार ] [ १३४७ ग्रंयकार का नाम ग्रंथ नाम प्रथ सूची नयकार का नाम गय नाम अथ सूची पत्र सं० पत्र सं० लालजीलाल- समवशरण पुजा हि बट्टफेराचार्य- मूलाचार प्रा. १५० ११२० यंगसेन-- वंगसेन सूत्र सं०५६० लालजीतअकृत्रिम चैत्यालय जिन वरबराज लघु सिद्धान्त कौमुदी पूजा हि०७७७ सं०५११ अढाईद्वीप पूजा हि ७७६ सस्कृत मंजरी सं० ५२० तेरहदीप पूजा हि० ८१६ सार संग्रह सं० २६३ लालदास इतिहाससार समुन्न हि० वर शर्म- थत बोश्च टीका स. ६०१ १०१४ ० वर्द्धन- गुरगाणा गीत हि० लावण्यसाय-- प्रतरिक्ष पाण्यनाथ ६५२,१०३२ स्तवन हि०७१५ राम सीता गीत हिल हद प्रहार हि०४४० नेमिकमार मीत हि भ. बद्ध मान देव- दराम चरित्र सं० ३८३. ११३८ नेमिनाथ प्रबन्ध हि वद्ध मान कवि बद्ध मान रास हि० ६:४१ ११४१ वर्द्धमान बेव- श्रु तस्कन्ध पुजा सं० ६१३ नेगिराजमती शतक हि० बर्द्धमान सूरि- गृह शांति विधि सं०७९६ ११२७ धर्मरतम्भ स० २३४ पार्श्वनाथस्तवन गीत वाग्भट्टालंकार टीका सं. हि० ११२५, ११३७ राजुलनेमि अबोला हि० वराह मिहिर वृहज्जातक सं० ५६४ १०२७ वल्ह-- चेतन पुद्गल धमाल हि स्थूलमद्र गीत हि० १०२६ लिखमीदास- जसोधर चौपई हिक पं० बल्लह-- बज्जवली प्रा० ६६४ पं० बल्लाल -- भोज प्रबन्ध सं० ३६४ श्रेणिक चरित्र हिर बलु पाश्वनाथ स्तुति दि. ४५ ४०७, ४०० प्रा० वसुनन्दि देवायम स्तोत्र वृत्ति स. लोलिम्बराज- बंद्यजीयन सं० ५९६ वैद्यबहलम सं० १०७७ प्रतिष्ठासार संग्रह सं० साह लोहट- अठारह नाते का चौहा. पर लिया हि० ४२१,१५१, मूलाचार वृत्ति सं० १५१ १०६२ वसुनंदि श्रावकाचार सं० पूजाष्टक दि० ८७६ यशोधर चरित्र भापा हि० ७० वस्तुपाल- रोहिणी व्रत प्रबंध हि. Page #1408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४८ ] , ग्रन्थ एवं ग्रंथकार मंथकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सची पत्र सं० पत्र सं० वाग्भट्ट ऋतुचर्या सा० ५७५ वादीसिंह सूरि- क्षत्र चूडामणि t० ३१८१ नेमि निर्वाण सो ३४३ वामदेव त्रिलोक दीपक ०६११ वाग्भट्टालंकार बाजिदहितोपदेश हि०७०८ भावसंग्रह सं० १४८ वादिचन्द्र गौतम स्वामी स्तोय हि. ब्रह्मवामन- दानतपशील मावना हिं. ११३३ जानसूर्योदय नाटक सं० वामनाचार्य---- काशिका वृत्ति सं०५१२ वर्षफल ५६३ द्वादश भावना हि वासबसेन यशोधर चरित्रसं० ३७२ ११३३ कवि विक्रम- नेमिदूत काव्य सं० ३४२ नेमिनाथ समवशरण हि० ब विक्रम- पांच परबी कथा हि पार्श्वनाथ पुराण सं० विकमदेव २६० पार्श्वनाथ वीनती वि. विक्रमसेन पन क्रियाप्रतोद्यापन सं० ११२३ विक्रमसेन जपई हि. बाहुबलिनो छंद हि० म० विजयकीति अकलंक निकलक चौपई कथा संग्रह हि श्रीपाल सौभागी पाख्यान हिं० ४६१ प्रमागानयतत्वालोका लकार वादिदेव सूरि कर्णामृत पुराण हि. २७४, ९७५, ११७५ वंदनपाठीवत पूजा ० वादि षणवादिराज धर्मपापसंवाद हि पंचकल्याणक सं० ८४७ एकीभाव स्तोत्र सं० ७१३, ७७१,७७२ ७७२, १५३, १४२२, १०५२, १०८३ यशोधर चरित्र सं० ३७२ वागभट्रालंकार टीका सं. ५६७ सुलोचना चरित्र सं. ४१८ पद हि० ११०७ महादण्डक हि. १४६, यशोधर काथा सं०४६७ शालिभद्र चई हि. ४८८ धेशिक पुराण हि. ३००, ४०३, ४०४, ४०५ Page #1409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं ग्रंथकार ] [ १३४६ श्रकार का नाम नथ नाम अथ सूची ग्रंथकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सूची पत्र स० पत्र सं० विजयदास मुनि- गगधरवाद हि १०२६ विद्या भूषण- ऋषिमंडल पूजा स. विजयदेव मूरि- गुरु स्तोत्र हि०७२१ मूलगुण सज्झाय हि० कमदहन पूजा सं० २७ गुरु विरुदावली स० शील रास हित ९७८, चितामणि पाश्वनाथ पूजा सेठ मुदर्शन स्वाध्याय हि.५०६ पौबीसतीर्थ कर सबन विजयानंद-. क्रियाकलाप स. ५१३ हि० ११३४ विठ्ठलदास तीन चौबीसी पूजा हि विद्याधर ताजिकालं कृति स० ५४६ प्रा० विद्यामंदि-- भष्टसहस्री सौ० २४० तीस चौबीसी प्रतोद्यापन प्राप्त परीक्षा सं०२४८ सं०६०७ तस्वार्थ श्लोकवार्तिक २० पल्य विधान पूजा 40 ४३, ८० पत्र परीक्षा नेमिनाथ रास हि प्रमाण निर्णय सं० २५० प्रमागा परीक्षा सं० २५८ महात्मा गिरनारी गीत हि०१७८ विद्याविनोदचन्द्रप्रभ गीत हि०६७८ विद्यासागरन मिजिन जयमाल हि विध्यदत्त रास हि. ६३९, ११३७ बद्धमान चरित्र स०३८६ चमत्कार षटपंचासिका सं०६५६ क्षेत्रपालाष्टक हि ११५५. चितामणि पाश्वनाथ हि. विद्यानन्द मुमुक्षु विद्यामंदि रवित्रत कथा हि०४६६ सोलह स्वप्न छात्रय हि. भेमिनाथ फागु हिं० ६६६ चतुर्दशी व्रतोधापन पुजा सं०७६६ महावीर स्तोत्र सं० ७७५ यमक स्तोत्राष्ट्रक सं .विनय--- ७५५ विनयकोशिसुदर्शन चरित्र स०४१५ हरिया चक्रवर्ती कथा सं०५०७ पंचपरवी कथा हि०४५५ अलाईका रासा हि० १६१, १११६ दशलक्षण रास हिल Page #1410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३५० ] [ ग्रंय एवं प्रथकार अंधकार का नाम अप नाम ग्रंथ सूची मंथकार का नाम प्रथ नाम नथ सूची पत्र सं० पत्र सं० धुधारस कथा हि चौबीस तीर्थ कर जयमाल चौरासी जयमाल हि. विनयचन्द्र नवकार सवैया हि ७३१ नेमिनाथ नवमंगल हि। ७३२, १०४२, १०४५, १०५५, १०७८, १०८०, विनयचन्द्र सूरि महावीर स्तवन हि० ७५३ कल्याणामन्दिरम्तोत्र वृत्ति स० ११४६ चून डीसस :१६ गजसिंहकुमार चरित्र सं० २१९ गौतमस्त्रामो रारा हि १.३६, १९५६ चन्द्रदूत काव्य सं० ३२० भले बाबनी हि० १११३ पद्मचरित्र हि. विनयप्रभ विनयमेरुविनय समुद्र वाचक गरिण नेमिनाथ का बारहमासा हि. १०४२, १०८३, १११४, ११२८, १९८० नाभिराजमती का रेखता हि. १००३, १०५४, १०७७ पद हि. ४३३, १०५३ भक्तामर स्तोत्र कथा हिर ४६४, ५४५, ७४६ मंगल प्रभाती हि०१०६५ रक्षाबन्धन का हि० विनयसागर सिंहासन बत्तीसी हि ५०२ विदग्धमुख मंडन टीका सौ. १९०१ षट्कारक सं. विनश्वर नदि राजुल पच्चीसी हि. अभिषेक पूजा विमोदीलाल-- लालनंद १०५४, १०७१, १०७८, राजुल बारहमासा हि० १००३, १५७१, १०७७, समवशरण पूजा हि आदिनाथ स्तुति हि. १०६८,१०७७ मादित्यवारकथा हि १०६६ कृपण पच्चोखी हि १५८, ९७४ गीतसागर हि १८१ वेतनमारी हि १०८३, ११२६, ११८७ सम्ववत्व कौमुदी हिर ४६८ सम्यक्त्वलीलाविलास हि. ५०१ Page #1411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ एवं ग्रंथकार ] ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम नथ सभी गंथकार का नाम नयनाम नथ सूची पत्र सं० पत्र सं० मवैया हि० १०२० रविव्रत कथा हि० ११२३ सुमति कुमति की जन्वड़ी रेवा नदी पूजा स० ६०० सप्तर्षि पूजा सं० ६१७ विबुध रत्माकर- नागकुमार चरित्र सं. विष्णुक्स पंचारुयान सं ४५५ ३४१ विष्णु भूषण- सायही पुजा रां. विमलकीति- पाराधना प्रतिबोधसार ६३० हि. ६६१, १०२४ विष्णु शर्मा- पंचतंत्र सं० ६८७ दिशानी दरम्यान हितोपदेश स०७०८ ४७६ विष्णुसेन समवसरण सोत्र संग मंद बत्तीसी हि. १४४ विमलप्रभ-- पद हि ११०८ विश्वशंभु-- एकाक्षर नाममालिका विमल श्रीमाल- उपासकाध्ययन हि ६७ सं०५३५ बिमलसेनप्रोत्तर रस्नमाला सं० विश्वसेन-- क्षणवति क्षेत्रपाल पूजा ०७६.६ बिलास सुन्दर- शत्रुजय भास हि. ७६१ विश्वेश्वर-- अष्टावक्र कथा टीका सं० विवेकनन्दि- शिंगीसार ६१ विश्वकर्मा- क्षीराणंब सं० ११७ विश्वेसर (गंगाम)-- चन्द्रावलोक टोका सं. विश्वनाथ पंचानन भाषा परिच्छेद सं० २६० ५४४ भट्टाचार्य .. बीर--- जम्बूस्वामी चरित विश्वनाथाश्रम- तकदीपिका स० २५२ अपभ्रश ३२२ भ० विश्वभूषण- अनन्तभतुर्दशी नतपूजा कीर रात्रिभोजन वर्णन हि आदीश्वर विवाहलो अष्टाह्निका कथा हि० बीरचन्द ६६१, ११२३ इन्द्रध्वज पूजा सं०७०४ कर्मदहन उद्यापन सं. गुण ठाणा चौपई हि. ११३७ चतुर्गति रस हि० ६३२ जम्बूस्वामि त्रेलि हि० जिनदत्त चरित्र हि. ३२७ दशलक्षण पूजा सं० ८१८ पार्श्वनाथाष्टक सं०७७ भक्तामर पूजा सं० १०६७ मांगीतुगी पूजा सं० २६३ जिनांतर रासहि . नेमकुमार हि०११४७ बाहुबलि बेलि हि.६२८ Page #1412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३५२ ] [ ग्रंथ एवं पंथकार ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची प्रथकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० 'भ्रमर गीत हि० ११३२ पार्श्वनाथ पूजा हि लुकामत निराकरण रास हि. ११४४ मंगलाष्टक हि० १०६४ कोर बिलास हि० ११३२ मरहठी हि १०६४ सांबोधससाणू दूहा हि महाबीर पूजा हि० १३ ७०७, ११३३, ११४७ स्तवन हि० १०६४ . संवोघसत्ता भावना स्तुति अहव हि० १०६४ ६५२,११३८ वि. बृन्दविनोद चौपई हि. वीरचन्द्र सूरि- . कृपण कथा हि० ४३१ ११६६ बीरदास- थ तस्कन्ध पूजा सां०६० वृन्दबिलास हि. ६७६ बीरसिंह देव- .. कर्मविपाक कॉ० ५७५. वन्दशतक हि ६६४ धोरदेव गरिण- महीपाल चरित्र प्रा. विनती हि १०७८ ३६७ शीलमहात्म्य हि० १०७६ वीर नन्वि- प्राचारसार स०६१ वेगराज चुनड़ी हि० १०३७ .... चन्द्रप्रभु चरित्र सं. वेणीचन्द.-. मुक्ति स्वयंवर हि १५० ३२० धेरणीवत्त रसतरंगिणी सं० ५८४ चरित्रसार प्रा० १०६ प्रवेणीदास- प्रद्युम्न कथा हि• ११७ मुनि षीरसेन- प्रायश्चित शास्त्र सं. सुकौशल रास हि ६४७ १४१ वेद व्यास चरण व्युह सं० ११३१ स्वप्नावनी हि० १०६८ वेणु ब्रह्मचारी-- पंचपरवी पूजा हि० ८६४ बोल्होंपद हि० ११११ पं० वैजा ज्योतिष रत्नमाला टीका वृन्दावन कल्याण कल्पद्म हि. ७१६ वंद्य वाचस्पति - माधव निदान टीका सं० चौबीस तीर्थ कर पूजा हि० ८०६, ८०७, ८८, शंकराचार्य- आनन्द लहरी सं. ७१२ ६७६, १०७१, १०७३, द्वादशनाम रा० ११५५ १०७४ प्रश्नोत्तर रलमाला सं० जस्व स्वामी पूजा हि १०६४, ११५० शंकर स्तोत्र सं० ११११ तीन चौबीसी पूजा हि कविराज शंखधर- चन्द्रोदयकर्ण टीका सं० तीस चौबीसी पूजा हि. १८ शशिधर माय सिद्धान्त दीपक सं. दंडक प्रकरण हि० ११३ २५७ Page #1413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्य एवं ग्रंथकार ] [ १३५३ ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम नय सूची मंथकार का नाम मथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० शाकटायन- थापाठ सं० ५१४ पं० शिवजीदरून- चासार हि ३० शाकटायन व्याकरण सं० (शिवजीलाल) षोडशकारण जयमाल शान्तिदास-- अनन्त चतुर्दशी पूजा सं. वृत्ति प्रा० सं०६१५ ७७६ शिवदास वंशाल पंचविशतिका सं. अनन्तवत विधाच हि. ७८३ शिवमुनि पटस कथा गं. ४७९ मनन्तनाथ पूजा हि. शिवकर्मा कालत्र रूपमाला २० ११४३, ११२६, ११७० क्षेष पूजा हि० ८७४ कातंत्र विक्रम सूत्र सं. पूजा सग्रह हि. १ बाहुबलिबेलि दि. १११०, सप्त पदार्थी सं० २६२ शुभचन्द्र शीलण हि० ११०५ भैरव मानभद्र पूजा हि प्राचार्य शुभचन्द्र- आनार्गव सं० १६७, १९५ ११६, २०० शांतिनाथ पूजा सं०६११ भ० इमचन्द्र- ऋषि मंडल पूजा सं० शांति सूरि- जीवविचार प्रकरण प्रा. ७८७ ४० अठारहनाता का गीत शान्तिहर्ष - सुकुमाल सजायसं० १५१ हि ११७३ शङ्ग धरज्वर त्रिशनि ०५७७ अनन्त व्रत पूजा सं. शाङ्गधर पद्धति स०५६१ शा में घर सहिता सं० अष्टाहि नवनत कथा ५६१ पं० शालिनेमिनाथ स्तोत्र सं० ११२५ सं० ४२६ शालिनाथ- रसमंजरी सं. ५८४ भ्रष्टाहि नका पूजा सं. ६८१ शालिवाहन - हरिवंशपुराण हि. ३०३ शिखरचन्द - अप्टाहि नकापूजा उद्यापन बीस विदह क्षेत्र पूजा हि सं० ७५ पं० शिरोमणि - साठि सवत्सर ग्रहफल रां. अढाई द्वीप पूजा सं० : ७८ पालोचना गीत हि ६५२ पं० शिरोमणिदास-धर्मसार हि १२३ करकण्ड चरित्र सं० ३१५ शिवधन्दगरिप-प्रद्य म्न लोल: वरांन सं० ३५३ कमंदहन पूजा सं. ७६० विदग्ध मुखमंडन सं. Page #1414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " १३५४ ] बकार का नाम ग्रंथ नाम कार्तिकेया [ ग्रंथ एवं प्रथकार ग्रंथ पंथ सूची पंचकार का नाम ग्रंथ माम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० सं० १६१, १६२ गणधर वलय पूजा हि १०८५ गुरावली पूजा सं० ७२५ चतुशितिजा ०७२५ नन्दन चरित्र ३२० चन्द्र पुरा सं० २७४ चितामणि पार्श्वनाथ पूजा सं० ७६८, ११३५ जीवंधर चरित्र मं० ३२६ १६७, १०, १९९, २०० तीन पोत्रीसी पूजा सं० १११८ (शिनची पूजा सं० २०, २६४, १०६५ विशाल चतुविधति पूजा सं० ८२० त्रिलोक पूजा ० ८२१ मागील ०९५२ नंदीश्वर कथा [सं० ४५४ गंदीश्वर पंक्ति पूजा लं ० ८४ ३ पंचगुणमाला पूजा सं० =५१ पंचपरमेष्ठी पूजा सं० ર पंचमेरु पूजा सं० ८५ नाम पुराण सं० २७८ विमान गय हि० ૩૭ पत्य विधान सं० २६३ मुनि शुभचन्द्रशोभन मुनि शोभाचन्द... २०१म कवि श्यामराम- पण्ड पुशल सं० २०६ प्रद्यन्त चरित्र [सं० ३५३ बा चौतीस व्रत पूजा सं० ८६० लघु सिद्धचक्र पूजा सं० ६०२ वृहद्भिद्ध पूजा सं० १०६३ शिक चरित्र [सं० ४०२, ४०३ समयसार टीका सं० २२२ (अध्यात्म तरंगिणी ) समय त पूजा सं० २२ सहस्रगुणित पूजा १०२, १९४ मायी पूजा सं० १ 220 सिफ कथा ० ५०१ सिद्धचक्र पूजा सं० २३१. १२०६ सुभाषिताव सं० ७०१ होली कथा हि० ५०८ त्रिंशतितुि सं० ७२३ व्रतोद्यापन मटा का सं० ७८४ क्षेत्र हि० ११६२ भैरव स्तोत्र हि० १००५ तीस बीबीसी हि० ६८२ सामयिक कठ भाषा हि २८८, १०३५ चन्द्र चरित्र अपभ्रंश ३२१ श्रीचन्द वन्द मुनि - पचरिन दिया २७८ Page #1415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नथ एवं ग्रंथकार [ १३५५ प्रकार का माम ग्रंथ नाम नथ सूची अंधकार का नाम ग्रंथ नाम पंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० धीधरभगवत महापुराण थत स्कन्ध पूजा सं. भावार्थ दीपिका ( प्रथम ११३ स्वग्ध से १२ स्कन्ध तक) सप्तऋषि पूजा सं० सं० २६१, २६२ भविष्यदल चरित्र" अप पाण्डव पुराण सं० २८५ ३६२, ३६३ हरिवंश पुराण सं०३०३ यद्धमान चरित्र अप० श्रीलाल पाटनी- चौबीस तर्थक र पूजा हिक सुकुमाल चरित्र अप धाब अठारह नाते की कथा सं. श्रीधराचार्य ब्रह्मज्योति स्वरूप सं. | सं० श्रसमनि - मावसंग्रह प्रा. ७८, १४८, श्रीपतिभट्ट---- यजसुची सं० १२०० । ध तसागर-- ज्योतिष रत्नमाला सा अनम्तवत ब.था सं४२२ पाराधना कथा कोष सं० ख० श्रीपतिश्रीपाल निदान भाषा हि ५७७ रत्नपाल प्रबन्ध हि ३८२ उपासकाध्यमनश्रावकाचार उद्यापन पाठ सं० १००० कथा कोष सं. ४५२ चन्दन धष्ठि का सं० श्रीभूषणयति अनन्तचतुर्दशी पूजा स० अनन्तनाथ पूजा सं० ७५० गुरु अष्टक सं० ११३६ चरित्रशुद्धि पूजा सं० ७१७ दानशीलतप भावना हि० ११६७ पद संग्रह हि० ११५५ बारह सौ चौंतीस न पूजा सं. १० भक्तामर पूजा विधान सं० १९६२ अमृधोर चरित्र हि १४५ जिनसहरनाम टीका सं० ७२६ ज्ञानात्र गद्य टीका सं. २०० ज्येष्ठ जिनवर कथा सं० ४७६ तत्वार्थसूत्र टीका सं० ५० पल्यविधान अतोखापत कथा सं० ४५६, ८६४ पुष्पांजलिदत कथा सं० यशस्तिलक कम्पुदीका सं० रत्नत्रय विधान कथा सं० ४३४, ४६८ Page #1416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३५६ ] ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम श्रतसागरम० सकलफीति J रात्रिभोजन त्याच कथा सं B ४७२ व्रतकथा कोश सं० ४७७ षट् पहुड वृति स० २१६, २२० विश्चक कथा सं० २०१ होली पर्व कथा ०४७ रोहिणी मी हि० ११११ अनन्तपूजा उद्यापन सं० ७०३ श्रष्टान्हिका पुजा सं० ७२४ आदित्यवार का हिन् ग्रंथ सूची प्रकार का नाम प्र' नाम पत्र सं० ६५८ प्रदिपुराण सं० २६६, २६७ प्राराधना प्रतिबोधसार हिन् ११.२२१, १०.६ ११३०, ११६४ सं० २०२ सं०८ #ta गणधर वलय पूजा ७६४, ११६० चन्द्रप्रभ चरित्र सं० ३२१ जम्नुस्वामी चरित्र सं उत्तर पुराण कर्म विदाक ३९२ जनमुखावलोकन कपा सं० ११३६ तत्वार्थसार दीपक fo धrयकुमार चरित्र ४४ सं० 355 साहसं १२४ [ ग्रंथ एवं धयकार ग्रंथ सूची पत्र सं० पार्श्वनाथ चरित्र सं ६४६,३४७, १४८, १४९, ३५०, ३५१, ३५२ पुराणसार ofo २१० प्रश्नोत्तर श्रावकाचार #te १३७. १३०, १३९ मल्लिनाथ चरिश्र सं० ६६५. मुकुटसप्तमी कथा ० ४७६. हिο ११४१ मुक्तावली त मुक्तावलि यस हि० १५५ मूलाधार प्रदीप सं० १५१ यशोधर भरिव सं० २७३, ३७४ रक्षाविधान कथा सं० ४५० रामपुराण सं० २६५ वईमान पुरा सं० ३८६ सीतापति रास २२७, २१८, व्रतकथा कोश संo वृषभ नाथ चरित्र भांतिपुराण सं० २०० १२६ श्रीसचरित्र मं० २०२ सद्भाषितावली सारचतुविशति सितारदीपक ४४५ सं १५७ सं० ९२५ रां० १७५ #te ८३ हि १०२४ Page #1417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रन्थ एवं पथकार ] [ १३५७ ग्रंथकार का नाम ग्रंथ माम ग्रंय सूची ग्रंथकार का नाम पत्र सं० मुकूमाल चरित्र सं०४११, ग्रंथ नाम प्रय सूत्री पत्र सं० नित्यपूजा भाषा हि. भगवती पाराधना भाषा सुदर्शन चरित्र स० ४१५ ०६८५, सुभाषित (सुभाषितार्णव) १६०, सोलहकारण रासस ६५५, १११६ महावीरनी स्तवन हि मृत्युमहोत्सव हि. १११ रत्नकरण्ड श्रावकाचार भाषा हि १५७,१७३ षोडशकरण भावना १७१ समाधिमरण भाषा हि २३८ सामयिक पाठ टीका हि० सकलचन्द्र सकलभूषण उपदेश रत्नमाला सं० ११७४, सधारमल्लिनाथ चरित्र संत समताराम ३६६ प्रा० समन्तभद्रविमानपंक्ति प्रतोद्यापसं. १०४ षटकर्मोपदेशरत्नमाला प्रय म्न चरित हि० ३५४ जैन श्रावक अम्नाहि.१०६ माप्त भीमांसा सं० २४८ चविशति स्तोत्र मंत्र ब्र०संघजी-- देवागम स्तोत्र सं०,११८४ रत्नकरण्डवावकाचार मं० १५५, ६५७ समन्तभद्र स्तुति सं०७६३ स्वयंभू स्तोत्र १०७७५, ७७६, ६६३, ६, १०१२, ११२७, ११३६, शीलमहिमा हि० १८३ श्रोणिक प्रबन्ध रास हि १४२ सम्मेदशिखर पूजा हि ६२३ सिद्धान्तचन्द्रिका टीका सं० ५३० समय भूषणअकलंकाष्टक भाषा समयसुंदर संतदास . सदानन्द सदासुखजी कासलीवाल-- अर्थ प्रकाशिका हि०१ तस्वार्थसून भाषा हि.५३, ५४, ११, ८३ दशलक्षगा भावना हि नीतिसार ० ६५९ कालकाचार्य कथा हि ४३५ क्षमा छसीसी हि० ६६५, १०६१, १११८ क्षमा बत्तीसी हि० १४२ चेतन गोत हि १६६, Page #1418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३५८ ] [ ग्रन्म एवं ग्रंथकार थकार का नाम थ माम ग्रंथ सूची प्रकार का नाम पत्र सं० __ जीव ढाल रास हिर १०१६ सरसुति - : । दान चौपई हि० ११४३ दानशोलतप भावना हि पं० साहरण . १४६, १०३६, १०५६ .:. दान शील संवाद हि सहस्रकीति नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० श्रावकाराधन सं० १६७ मधुकर कलामधि दि. ६२७ छवृत्त रलाकर सं० ५६४ लोक्यसार टीका मं. ६१५ अष्टाद्धिका वस पूजा सं०६०७ पुराणगार सं० २६१ तरेस चौबीसी पूजा मं. प्रा०८१८ उपधान विधि स्तमन हि. . नल दमयलो सालान्न हि० ब्र० सागर ४५० पंचमनए वृद्धि हि० १०५५ सागरसेनपद्मावती गीत हि पं० साधारण ७३२ : : प्रियमेलक चौपई राज. साधुकोसि ४६२ - बेलिकाम विडम्बना हि. १२०२ महाबीर स्तबा हि० १४१ कवि सारंगमृगावती चरित्र हि० ३७. कु. सावंतसिंह-- मेघकुमार गीत हि. ७० सांवल-- जभ्यूस्वामी की जखडी हि० १०२४ विन्दरा छोपई हि० ४८५ इश्क चिमन हि० ६६५ भ० सकालकोतिनु रस सुकौसल रास ४ि०१०२५ पद हि०१८४ तत्वार्थ मूत्र भाषा हि . .. रामसीता प्रबध हि० ४७४ लांसु.. शत्रुजय रास हि० ६४२, साहा ९१७ साहिराम . . शत्रुजय स्तवन हि पाटनी १०६६ सिद्ध नागार्जुनसज्मात्य हि०७६३ सिंघदाससमय सुन्दर कल्पलता टोका सं०१२ उपध्यायचतुर्मास व्याख्यान मस्त सिंधो महाकवि सिंहदूरियरय समीर स्तोत्र धृत्ति से० ११८४ सिंहसिलक सूरि- समय सुन्दर-... रघुवंश टोका मा० ३८१ वृत्तरत्नाकर वृत्ति स० सिंहनन्दि लंबनादि सं० ६२४ नेमिनाथ राजमति बेलि हि०१०२६ सुभद्र कथा हि० १.१४ प्रद्युम्न कथा अप ११५८ भुवन दीपक दृति स० नेमीश्वर राजमति हि. Page #1419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रय एवं अंधकार ] [ १३५६ ग्रंथकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सूची प्रथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० श्रीसिकर चरित्र सं० सुधासागर दशलक्षण प्रतोद्यापन पूजा हा०३० নালিশীল ঘা। पंच कल्याणक पूजा ० ४७१ सं०८४७ रावलियो गीत हि. साद्वय द्वीप पूजा १०२७ सं०६१ पाण्डे सिंहराज- स्तुनि पत्राशिका सं० सुप्रभाचार्य- संबोध दोहा हि०५८ १७.५७ भ० समतिकीर्ति --- दिनाथ विनती हि० सुखदेव-- आधुद महोदधि मा० ५५३, ९७४ कर्मप्रकृति दीका सं. ५ सुखसागर-- अष्टान्हिका रासो दिल गोम्मटसार टीका स०१६ चौरासी लाख जोलनी सुखानन्दपचमेह पूजा हि०८५६, वितती हि०७२४ १०७७ जिनवर स्वामी विनती हि० १०७६ हि. ९५२,११३४ सबामाबारहखडी हि १०६८ त्रिलोकसार बौपई हि. हि०६७७ संदरदास- कत्रित हि० ६५६, लोवय स्वरूप हि०६४४ पद हि ११०५, १५९६ धर्मपरीक्षाभाषा हि १२१ विवेक चिंतामणि हि धर्मपरीक्षा सस हि. ६३५ पंचसंग्रह वृत्ति सं १ विवेक चितवणी हि बलिभद्र हि०६८४ लोकामतनिराकरण रास सबैका हि० ६७८, सुमति विजय- रघुवंश काव्य वृत्ति मुन्दर शृगार हि सं० ३८१ सुमतिसागर- अष्टान्हिका पूजा हि सुदरलाल सूक्ति मुक्तावली माषा हि ७५ जिनगुणसंपत्ति मुनि सुधर सूरि- अध्यात्म कल्पद्रुम १८० व्रतोद्यापना सं० ६.७ वृहसपागच्छ गुरावली जिनसहन नाम पुजा 0 मं०६५५ १५ लहरी Page #1420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६० ] [ ग्रंथ एवं प्रथकार HAPrint-- - .-.. ग्रंथकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची पत्र स० जिनाभिषेक विधान हि सामोकार पैलीसी 0 थकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० कलि चौदस कथा हि ४२५ चर्चा सं० २२ घौडोस दाहक सं० १०७ जैनबद्री यात्रा वर्गन हि० १०३५ दर्शन स्लोत्र सं० ७३० पंच कल्यागाक विधान त्रिलोकसार चौरई हि ११५४ बिलोकसार सं० ६१६ त्रिलोकसारपूजा सं० १२२ दशलक्षण व्रतोद्यापन पूजा सं० ५२६ नवकार पतीसी व्रतोद्यापन पंचमास चतुर्दशी प्रतोद्यापन स.८५६ पुरन्दर वनोद्यापन सं. पंचकल्याणक पूजा सं. ४८ षोडशकारण अतोद्यापन पूजा सं६१५,१०५४, शालिभद्र चौपई हि० ४८८ मुक्तावलीवत कथा हि ४६७ सब्धिविधान सं०४०२ सम्मेदशिखर पजा - सिद्धचक्र कथा सं०५०२ चर्चासार संग्रह स०६१ पंचमी कथा समतिहंस सोलहकारण उद्यापन सं० ६३५ रात्रिभोजन यौपई हि. सुरेन्द्र भूषण ४७१ मंडोवर पाश्वनाथ स्तवन __ हि०६४२ महकर-- अनन्तत्रत समुच्चय f. सूरत समति हेम भ० सुरेन्द्र कीर्ति- सार समयू सं० ६७८ शत्रुजय मंडल सं०७६१ द्वादशानुप्रेक्षा हि० १०६७ बारहखडी हि १०३०, १०५६, १०५६. १०७५, १०७८, १०७६, १०००, अष्टाह्निका कथा सस आदित्यवार कथा हि. ४२६, ४६६, १०७३ (रवि व्रस कथा) १०७४, १०७७, १०७८, ११ सूरदास १०६७ सूरचंद-- संबर अनुशाहि २४६ सूरसगाई हि० १०६६ रत्नपाल रास हि ६३६ Page #1421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नथ एवं ग्रंथकार ] [ १२६१ नथकार का नाम ग्रथ नाम प्रय सूची ग्रंथकार का नाम प्रय नाम मंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० सूर्यमलतीम चौबीमी गूजा हि सप्तव्यसन कथा सं० ४६१, ४६२,३६३ सूर्याव वाम विषाक सं०११११ प० सोमचद्र-. वृत्तरत्नाकर टीका स० सेदराम- पद हि० १०५४ ५६६ सेवक: पुष्पांजलि कथा हि सोमतिलक- शी लोपदेशमाला सं० सेवकराम वर्तमान पूजा हि०६०३ सोमदेवसम्मेदशिखर पूजा हि० प्रा० सोमवेध - सेवग . चौबीस तीच कर पूजा हि०८० सेवाराम पाटनी-.. मल्लिनाथ पूरा भाषा हि ३६३, ३६६ मा० सोमप्रमशोतिनाथ पुराण हि. ३०१, ३६१ सेवाराम साह- अनन्त अनपूजा हि" ७२,500 चौबीस तीर्थ कर पूजा सोमयि हि. ८०८, ५०६, १०३१ । सोभाचद क्षेत्रपाल गीत हि० १०६० म० सोमसेनसोमकवि- राजुल पत्रिका हि० ११६६ भ० सोमकीर्ति- ग्रालिकावत कथा सं. राप्तर्षि पुजा सं० ११६६ अध्यात्म तरंगिणी सं. १८० नीतिनक्यामृत स० ६८६ यशस्तिलकनन्द सं० ३७० गार वैराग्य तरंगिस्पी सं० ११०२ मूक्तिमुक्तावली ७०१, ७०२, ५०३, ७०४, ५०५,७०६, ११६१ श्रेरिणकरसस हि. ६४३ माराधना मूत्र प्रा०१३ विवरचिार सं० ११२ पद्मपुगरण स. २८० मक्तामर स्तोम पूजा सं० ८६१ रामपुराण सं० २६५ तस्वरूप में १९१७ मृतक वन सं०१७६ ६३५ नवरसहि . १६७ गुविली पूजा हि० ७६५, श्रेपनक्रिया गीत हि. १०२५ प्रधम्न चरित्र स० ३५२, ३५३ स्थलभद्र-- महिलगीत हि०१०२४ स्वरूपचन्द रिषभनाथ धूल हि. बिलाला १०२४ यशोधर चरित्र सं० ३७३ यशोधर रास हि० १०२७ चौसठ ऋद्धि पूजा हि. ११, १२, तेरहद्वीप पूजा हि० ८१६ Page #1422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६२ ] प्रकार का नाम ग्रंथ नाम स्वरूपवास — सुन्दर बास हजारीमहल हरखुलाल- हरजीमलहरसूरि- - हर सुख - हर्ष करणा हकीर्ति प्रथमो पत्र सं० सप्तवि पूजा दिए १ सिद्धक्षेत्रमंडल पूजा हि० १३३ हि ११८६ हवकीर्ति ।। हिं० २६ विधान सुन्दरदास श्रत स्कन्धमन्डल हि ९१४ सज्जनचित्त वल्लभ भाषा डिप चर्चाशतक ि जीव उत्पत्ति सभापि ३६ १०७८ बावनी हि० पंचमी व्रतोद्यापन सं० २६ ८५७ मनेकार्थ नाममाना सं० ५३१ कल्याणमन्दिर स्तोत्र टीका सं० ७१८ पंचमीत्रतोद्यापन पूजा सं ८५८ ५१४ धातुपाठ सं० वातु तरंगिणी सं० ५१४ योगचिन्तामणि सं० ५६१. १०१६ लघु नाममा वैद्यकसार सं० ०५१५ ५०६ शारदी नाममाला सं० ५४० श्रुतबोध टीका। सं० ग्र पकार का नाम ६०१ सिद्धान्त चन्द्रिका टोका सं० ५३० [ ग्रंथ एवं पंथकार ग्रंथ सूची पत्र स० ग्रंथ नाम सूक्तिमुक्तावली टीका ชิ่ง हकीति विधान पूजा सं० कर्म होलना हि ७०६ ६०३ १०२३, १०५० १०४ १०११ तुहि जिनगीत हि० अपन नियास हि० १०३२ धन्ना ऋषि काय हि० ११०२ विनाथ का बारहमासा हिन् ૪૨ पंचगति बेलि हि० ७ १०१३ १०१० ११०२, ११०६, १११२, ११५१ पंचवा हि० ११०४ पदसंग्रह हि० १०१४, १०५२११०५. पार्श्वनाथ छंद हि० ७३२ बीसतीर्थ कर खड़ी हिन् १०७७, १०७६ बीस तीर्थङ्कर जयमाल हि भक्तामर स्तोत्र हिन् मनोरडा बीत ११ ११०४ हिο PREX लेश्यावली हि० ११५५ श्रीमंधरजी की जसबी १०४८ Page #1423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंच एवं ग्रंथकार ] ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम नप सूची प्रकार का नाम नथ नाम ग्रंथ सूची पत्र स० पत्र सं० सारोद्धार हि १११६ हरिदस नागमाला सं०५३८, हर्षगरिण पदहि . १८३ हर्षचन्द्र- . पद हि० १०७३ (स्वामी हरिदास-- पद संग्रह हि० १०६६ पूजाष्टक हि ६६७ हरिनाथ वैद्य जीमन टोका सं. हस्तिरुधि- वैद्यदल्लभ सं०५८६ ५८८ हरिकृष्ण पाण्डे- अनन्नयन कथा लि हरिफूला- सिंहासन बत्तीसी हिक भाकाश पंचमी कथा हरिभन्न सूरि- जम्बुद्धीप संघवरित प्रार हरिभ गरिण--- कर्मविपाक कथा हि. ज्योतिषशास्त्र सं. ५४७ ताजिकसार सं० ५४६ लघु पंचकल्याण पूजा हरिभान ज्येष्ठजिनवर कथा हि० वृत्तरत्ना वृत्ति सं० ६०० छंदरत्नावलि हि. हरिभास्कर दशलक्षगावत कथा हि ४३३ हरिरामदास निरंजनीनिर्दोषसप्तमी कथा हि हरिषेण - निःशल्य अप्टमी वाथा हिर ४३३ हरिकिशनपुरन्दर विधान कथा हि० माराधना कथाकोश सं रत्नत्रय कथा हि० ४३३ दशलक्षगा कथा अपभ्रस हरिचन्द हीराचन्द - होरालाल हरिचन्द संघी-- कवित्त हि १०५४ चौबीस महाराज की विनती हि ७२५, हीरानंद.. १०४६ धर्मशर्माभ्युदय सं० ३३६ मणिपति चरित्र प्रा० कथाकोश सं. ४२२ पंचकल्याणक विषान हि. ८५. भद्रबाहु कथा हि०४६५ पद सग्रह हि. ६६४ चन्द्रप्रभचरित्र भाषा हि २७६, १२२ चौबीसतीर्थर पूजा हि ८०२,६१० एकीभाव स्तोत्र भाषा हि०१०१३ पंचास्तिकाय भाषा हि ७३, ११४६ मंगलाचरण हि १०१५ समवशरण विधान हि १२१ हरिचन्द - हरिचन्द सूरि षड्दर्शन समुच्चय सं० Page #1424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ प्रथ एवं ग्रथकार प्रकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूचो ग्रंथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सूची पत्र सं० पत्र सं० हेतराम - पद संग्रह हि० १०१६, गरिणतसार हि ११७८ १०५३ गुजा हि १९१६ कवि हेमईष्वरी छंद हि १६६ गोम्मटसार ( कर्मकाण्ड) हेमकीसि- पर हि०६७ भाषा हि०१६ हेमचन्द्राचार्य... अभिधानचिन्तामणि चौरासीबोल सं० १४३ नाममाला सं० ५३२ नयचक्रमापा वनिका प्रध्यामोयभिषद् सं. मन्दीश्वरवत कथा हि. ४८३ फुमारपाल प्रबन्ध .सं. पचास्तिकाय भाषा हि० परमात्मप्रकाश भाषा दि. छंदानुशासन स्वोपज्ञवृत्ति सं०५६४ त्रिषष्ठिालाकापुरुष चरित्र सं० २७६, ३३२ नामलिंगानुशासन सं० ५३८ शब्दानुशासन सं० १२०३ सिद्धहेमशब्दानुशासन सं प्रवचनसार भाषा निका हि० २११, २१२, २१३ भक्तामर स्तोत्र भाषा हि. १७४६, ७४७, ८७३, ६५८, १०, १०२० १०६८, ११०६, ११०७, ११२०, ११२२, ११२६, ११४०, ११४६, १२६१ सजमती चूनरी हि १११८ रोहणीत्रत कथा हि. सह हेमशन्दनाशासन स्त्रोपज्ञवृत्ति स० ५३० स्वरावली चन्त्रिसं० १२०७ हेमीनामाला सं. ५४० न लस्कन्ध प्रा० ६५६ ख. हेमचंद्र सुगन्ध दशमी की कथा भ हेमचन्द्रहेमचंद्र थतस्क्रन्ध हि० १०५७ पन क्रिया हि ९७५ नेमिचरित्र सं. ३४२ हेमलुनेमिनाथ छंद हि० ७२१, १.७० हेमहंसयोगसार सं० २१५ अनेकार्थ संग्रह सं० ५१० मसूरि हितोपदेश दोहा हि० १०१६ तीर्थकर माता पिता नाम वर्णन हि० १११० पडावश्यक बालाबबोध हि. १७० संघायणि प्रा. ६१६ पांडे हेमराम Page #1425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शासकों की नामावलि अकबर अकबर (जलालुद्दीन) महाराजा अजयमल्ल अजीतनिह अनुपसिंह अमरसिंह अल उद्दीन अल्लावल जान्न (रावल) आसकरण (सवाई) ईश्वरसिंह ईशबरोसिंह उदयसिंह (महाराव) उम्मेदसिंह उम्मेदसिंह औरंगसाह (राजा) करा कमसिंह (महाराजा) कल्याण कोतिसिंहदेव किलहण कुमारपाल क्याभन (राजल, गंगदास गयासुद्दीन गुमानसिंह महाराव गोवईनदास चन्द्रमाण चन्द्रसोलि '७३, १३१, १०, ३०७, (रावसजा) चांदसिंह ३२४,३३०, ४१७, ४३६, (महाराजा) जगतसिंह १६०, २५६, ७१४,५७ ५४७, ६५८, ६४५ राणा जगतसिंह ३८८, ४७० १५ राजाधिराज जगन्नाथ ३६३, १९८६ २२६ जयसिंह ६४, ६६ (महाराणा) जयसिंह ३१६ ३१६ (महाराजा) जयसिंह ८७१ (महाराजा) सवाई जयसिह २१६, ३३४,११११ ७२ जरासिंध ४२३ ३२६ जवाहरसिंह ११६ ३७२ जसवनसिंह ६२४, १११३ जहांगीर १३१, १६५, ३३३, ४१७ ६४५ ५४ जालिमसिंह ३२६, १००२ जितसिंह ३६४, ५८५, ६५६ जीवशासिंह टिगावत १०११ राजा जतसिंह ७३ (राबराजा) दलेल सिंह ५०६ (हाड़ा) दुर्जनसाल ७८, २३७ २०६ देवीसिंह ४४५ दौलतिराव महाराज २१५ नूरमोहम्मद ५७३ महाराजा प्रतापसिंह ११८ १३८ (महाराजा सवाई) प्रतापसिंह ३५, १८८, ३१६, १६६ ३२३ R AILERTAT २१९ २८६ राजा प्रतापसिंह ३७३ पृथ्वीराज ४१५ पृथ्वीसिंह ८२५, १०६४, ११०६ १२०, ११३,२८१ १६१, ६५० Page #1426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ शासको की नामावलि r सयाई पृथ्वीसिंह पुजराज पुज विजय (खान) पेरोज पेरोजसाहि फतेसिंह फलंक शाह बार (बाबर) बलभद्र बलवन्तसिंह (सवाई) बलवन्तसिंह बहलोल साह (राजा) बीठलदास रावराजा घुसिंह महाराजा मावसिंह राव भावसिंह (रावराजा) मीमसिंह भीवसिंह राजा भरवसेन ठाकूर भैरूश ४४, २४५, ५२२ (राआधिराज) मानस्यंच ३६६ ५२२ ठाकुर मानसिह ३.८ मालदेव शाहजादा मुरादखान २२५ व मोकल ८०४ मोहम्मदशाह ३०४,३६५, ६५४,७०३ ३७८ रणजीत ६५८ राणावत जी ५५० राजसिंह २०६, ३६८, ११५१ रागा रामसिंह रामचन्द्र ४१८ १२०३ रामचन्द्र (सोलंकी) ठाकुर रामबलश ५६२ ३.२ रामसिंह १०४६, १२०५ २८६ महाराजा रामसिंह २७६,५८५ (सवाई) रामसिंह ४६१ ३४१ (राजा) रामस्यंध १११४ समस्यंत्र (हाड़ा) सामंदराम ५६२ बसुदेव ४२३ ५०४ विनामना १६१ विक्रमराय ५०४ ३३४, ११११ विक्रमादित्य ३७, ६८६ :२१ विजर्यासह २२३ बिशनसिंह ३११ ६६५ वीरसिंह देश १००३ (सवत) बरसल्ल ३३३ १२८, १७४, १०३,३८६, शाहजहां २१८, ६५८. ६६७ ७२३, ८९ शिवदानसिंह ८०,२८७ ६२७ (गणा) संग्राम २६० ५६५, १०२० (महाराणा) संग्रामसिंह २७१, ११४४ ११६, १०५, ३२३,३८४ सम्मतिसिंह ३६७, ३७८,३८९,६१३ सभासिंह २६८ १३० समुद्र विजय ४२२, ६३६ १६६ सरदारसिंह मोज ४६२ मदनखिद महमदघाह महमूदसाहि महाराजसिंह महानिह मायसिह माधवेश माधोसिंह मानसिंह मामिहदेव Page #1427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शासकों की नामावलि ) [ १३६७ १०३, ३७० २६४ २१६ सलेमसाह राणा सांगा स दुलसिंह सां पथसिंह सुनमानसिंहजी सुमेरसिंह १३१, १४०,२२५, ३.३ सूर्यमल्ल ३८४ हुमायू (महाराजा) हरिकृष्ण हरीसिंह ८३ हीरसिंह १५ हमीरसिंह or 157 ५२३ ११४८ Page #1428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अदक्ष देश धकबरपुर अकबराबाद श्रक्षयगढ़ अजयगढ़ अगलपुर (आगरा) अगरतल्ला श्रचनेरा अजबगढ़ अजयगढ़ : अजयदुर्ग प्रजैनगर अजीम (अजमेर) अटेर असवर ग्राम अणि हिलपुरवत्तन अमरापुर (दक्षिण) अमरावती अम्बावती ग्राम एवं नगर नामावलि ३६३ रूपगढ़ ३१२ भगलपुर ७३, २२६, १२०२ अलापुर ४५६ अलवर १५८, १७२, १८५ *૪ ६२१ १८६ ४०४, ४.० ६, ४१, ६२, ११, १२२, १३७, १४६, १४९, १६८, २२५, २६४, २६१, ३१६, ३३६, ६६७, ३६६, ४०२, ४२०,५७७, ५२१, ६३१, ८५८,८६२, २०, २७५ ग्रहमदाबाद प्राकीदा अकोला श्रागरा ११-१ ११८, १६८, २२३, ३१६, ४४८, ४५०, ५४४, ५७७ ११८६ ४७५ ७१६ ७२५ ३५६ श्राशी ५३२ आश्दा ४१५ ८६४, ९२४ अलीगढ़ अययंतीपुर प्रवन्ति श्रष्टा नगर अहमदाबाद ७, ७६, १४, २७९.२८१, २०६, २६५, ३३५, ३३७, ३४०, ४०२, ४०५, ५२४, ६१३, ६५, ७५६ अानन्दपुर (बूंदी) श्रामेट आमेर श्रॉबेर ग्राहणपुर ८६० १२०, २२४ ७०, ७५० १, १०४, १४०. १५० १०२, १८७, २८३,३४८ ३५३, ७३६, ८४१ ८५५, ८१३, ५३, ६७४ 1७७० ६१५ ३३५ १७०, २६५, २७६, ३६५, ६४३, ६४८, ६५६, ६६८, ७०५, ११४९ ८६६ ११८१ ૫૨૭ २८,७१, ६१.१५, २०१, २२६, २३०,३०२, ३२४, ३२१, ३१५,३६७, ४०५, ४१७, ४५७, ४६०. ६७४, ६६७, ७५७, ११५० ५६४ २१८, ५७२ ४५५, ४८२ ८४५ १२०, १६१, १८६, २०४, ५०८ १३० १०३५ ११११ ७६६ Page #1429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्राम एवं नगर नामावलि ] [ १३६६ मावा २२० ७५४ ४४७, ७०६ इटावा इटारी इन्दरगह १५३, १२०, ३९८,४३६ योबेर ८०४, ९५, १०२२ प्रौरंगाबाद २७५ कठूमर कनवाडा १, ६५, ६६.८६,१०२, कनोज २१८, २१६, २४६,३३३, करवर ३४५, ३७६, ३७९,३८५, करवाड ४१६,४४३, ५०५,५८३, करबार ६००,८०३,१०३३,१०४६ करावता 1४३:५०४ , करौली ६५१,७६८.६३४, १९८१ del-भवान्त -- ६८६, ८६२, ७०४ ५५८ १०३५ ७, २६, ६७, १००, १३८, १६९, २०१, २०२, २१२, २२७, २६६, २७०, २७१, २७८, २६७, २६६, ३०६, ३२८, ३२६, ३३०, ३४१, ३४२, ३४८, ३६८, ३६७,३५५, ४४४, ४६५. ४७४, ४६७,५००,६०४, ६०५, ६५०, ६६४,७०१, ७६६,६००, ८३०, ८४१, ६०१,९०,६२०, ६२२, इनपुरी ईटडिया ईडर (गुजरात) ईलदुर्ग ईल ईसचपुर ईलाबा उज्जैनी (उजन) उग्रवास सिग्दा उणियारा १२६, ३६३, ४५७. ३७४ २१५, २३२, उदयपुर २८६ ६४८ ११० १७१,११४६ ३२२ २२५, २२६, ८५३, १०३, १०, १३५, ३००, कर्णपूरी ३६८, ३९४, ७१५, ८०३ काटक २.३६, ३५, ५१, १००, कटानपुर १२४, १५१, १६४.२०६, कलकत्ता २१६, २५८, २७१, ९८७, कल्पवल्ली नगर ३३०, ३४३, ३७०, ३७४, कललीपुर ३८८, ४०१, ४७८, ४६१, फलखेडी ४६२, ६३७, ६५१, ६७१. कल्याणपुर ६८६.७७३, ८५२, ८८५, कल्याणपुरी (करोली) १११४, ११४३, ११४४, काकुस्थपुर ११४५, ११४८, ११५१ कानपुर कामवन १३७ कामदन (कामा) ६१८ कामवन ६४७ ४६५ ११२, ४१६ २२४ २५५ उदैगढ (उदयपुर) उदैनगर एटा ५.३ Page #1430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३७२ ] [ नाम एवं नगर नामावलि कामा ५७७, ५७६, ५८३, ८१६,६२९ १२०२ ४८६, ६०३, ६६१ २, ५०, १०१, १७६, १७७, १८४, १८६, १९७, २२.७.२३०, २३६, २६८, कृष्षापुर ३२४, ३३७, ३६६, ३६७, कवडी ५२४, ६११, ६७०, ७४६, गोथ दिन ७५६, १०५१ केनवा केलिगाम केसी २९६ कांकिंदनगर २१२ वोटनगर ११८७ कामावड़ २१३ २६८ कामापुर कामावती नगर गाह कापावती काजा २१४, ४०६, ४४७, ४५१, ४८५, ५.०५. ५१२, ५२७, ६४७, ७९४,५००, ११७६ कालपी नगर कालाडेहरा काशी कासम बाजार कागली किशनकोट किशनगर ३००, ४२७,४३७, ६४८, ११६७ २२३ कोटडा ५३८, ६६१, ६४७ कोटा ७५७, १२०३ ११२३ १,७४, ६६, १०२,१३८, १४८,१५५, १७५, २२७, २५१, २५६, ३२६, ३३४, ३६८, ४०२, ८१८, ४६३, ५७६, ६६८, ६८५,७०६, ८५७, ११४४ ४०१ ५०६ किशनपुरा कुचामस्थ कृजड़ कुण्ड (गांव) कुन्दनपुर कुम्भोवती (कुम्हेर ?) कुम्हेर ५६, १४०, १६५, २६३, ४९६, १५३, ५८८,५८१, ७४७, ८५८, ६७५ कोटी ग्राम १११२ कोसी ८९६ कौशलदेश नक नगर २३५ खडगवेश ६.४ पखंचार ३०५, २५४ खतौली १८, ५३, ३४८,७४६, खाजु रिकपुर ८४७, ०६५ खुरई ५.६२ बलुश्यालापुर '७३, ३६३ खोखरा १३७, ६३६ खोहरी (डीगके पास) ३७ गजपुर ३५, ४८२, ४५८ गढ़वाल २६३ १०६९ २२५ ६३२ ३७० २५३,५५७ १५० ४०२ m कुरस्थ कुरुजांगलदेश খালাক্ত कुरामनगर कृष्सागढ २०१, ४५६ Page #1431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्राम एवं नगर नामावलि ] गधार गंधारापुर गांगरडू ३१२ गाजीका थाना गिरधरवा লিং १३६ ३३१ गिरवी गिरिपुर. ३२१, ३६२, ३७१ ग्रीधापुर ६१० घटयाली ३०३ बनेरिया ६५ घाट घाणा १०३, २६६,६६, firई सु ४२३, ६५५, १६१, धोष तिल घोषा ११९५, ११६६ चन्दनपुर E: चन्देरी ६, ३५, १२८, ३२७, ३६६, ३८८, ३६०. चन्देशी ४१५, ५१०, ६१२, ७२१, ६६७ चन्द्रपुरी, चन्द्रापुरी १०३१ चन्द्रावतीपुरी +४८, १९७१ चमत्कारजी ३३०,४३७ चम्पानगी ३१. चम्पापुरी ७६२ चम्पावती ४८३ ३१२ ७०, १३६, १५६. १७५, ११६, २४६, २५०, ४५४,७४२ २७७ गीरसोपा नगर (काटक) २६३, १९E १३३, ४१३, ७४२ गुका गुजरात गुजर देश ३१८, ३२७, ५०४ ५,१२६, १७४,२८७ गुपानी गुजर देश गुरुवासपुरी गेगना गैगोली गोठडा ३६०, ३५२,५७४, ५४७, ५८१,६१४, ६५६, ६६५, ७०१ ५१४ १६, ५०२ १, १३४. १५२, २०५, ३६२,४४२, ४६५, ५७६, ८५७, १३० चाटमू २२० ३४१, ३६८, ४१६, ਬੇਫ਼ ५७०, ६६१ चाकसू १५०, १०५, १६६ २०६, २६६, ४६६, ६७०, ११५४, ११८८ चांदनगांव महावीर चित्तौड ५५५ चिम्पासि १८४ १३६ १५०, ६७० गोपाचल २६४ ५६० चित्रकूट २१. गोजागिरी मोडदेश गोहीपार्श्वनाथ गौरगीलीय पत्तन ग्वालियर १३२, ४५८, १११६ Page #1432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३७२ ] [ ग्राम एवं नगर मामावलि 2016 the वंद्यपुर १५१,१६०,१६२, १८३, चोमू ५५२ २०४,२७६,२४५, २७६. पोरोवाड ११७१ ३२०.३२४,२६१, ३३४, योरू ३६३,३७७,४०२, ५२२, चौथ का बरवाडा ६०१.६१७,६१८, ६६६, चौरासी ( मथुरा) १५७, ६५५ ८६६, ६२६, ११०६, छत्रपुर ११६६, १२०६ बड़ा (बूदी) १६,४५६ जयसिहपुरा (जहांनाबाद) ४०१ अगदाल्हादनपुर जलालपुर अवाड़ा ३७३,३६० जगनिपुर (योगिनिपुर) जत्रालापुर ४८७ जसराणापुर जाता जपताणा १६० जालड़ा १११६ जयनगर २५२,६२३,७२,३३८१० जालोर जयनगर १४६ जहानाबाद ८४,८७,१६८,२४६,४५१ जयनगर २८१ जयपुर २,३५,४४,५०.६६.१२०, जैसलमेर १५२,१८६,२२७. २५०, २६३,४१८,४२५, १०२६ २६३,२६५,२६५, २४१, सिंहपुर सिंहपुरा १६८ २७२,२७३, २०,२८४, जोडीगांव ३०१,३२०, ३४७,३०१, जोधपुर ३८८, ५२६ ३७२,३८३, ३३,३९२, जोधाण ४०१,४०६.४२६,४४३, जोबनेर १६४,२००, २३०,२३५, ४५४,४५७, ४६१,४६१, २७१,६१७,६४६, ६६०, ६७४, १२०५ ५३४, ५३५, ५५२,५६८, भबूवा ६६१,६६२, ७५७,६०, झाडोल ८५५,९०६,९०६, ६२६, झांफरी १६८, १०४२,१०६२, झालरापाटन १४१,२५४,३१२,७१०, १०८१,११०४, ११०१, १२६ ११९६ झालावाड सवाई जयनगर ६२. भिरि ११३५ सवाई जयपुर ८१,७६१,४०,१४६, १४६ झिलाय २७,३३५,६५५ ३१२ Page #1433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्राम एवं नगर नामावलि ] [ १३७३ ४१ टोडा ५५,७४,१०३,११२.२३२ तेजपुर १२०१ २०४,३०८,३११, ३६७, तोड़ागढ(टोडागह) २७२,४१०, ३७४,३६३,४१२, ४८०, धनोट दुर्ग २४२ ५५३,६१३,६१६,१२०६ धर्मपरा टोडाभीम ६७, १०८६ धर्मपुरी टोडारायसिंह १, ५१, २६६, ४०५, धूलेव बृलेवगढ़ ७५८ रायसिंह का टोडा ___३२१ धौलपुर ३, ११०, २३४, ३१७, थंभगा पूर ७२५ ७२० थाहा १२५ हिग्गी ११६ थालेदा ८७ होग १५, २६३, ३६७, ४६८, दबलाना •४, १५३, ३५३, ३७५, ५०५, ५६६,६७२. २०३, ४६२, ५७२ बहुका ग्राम दिल्ली डीडवाना ३९५, ५७२, ३५४, ६५८, गरपुर ११, ६१२,११७७, १२०० हिलावटीपुर दार ५४ दिलिका मंडल ५८६ हूँहाहर देश (९ दाड) २६५, ३१२, ३६१, ४०६ दीघ (डीग) तक्षकपुर (टोडारायसिंह) २८, ११२, ११९, १६६. दीपपुर १६७, २३३,२६६, ३०८, दीर्घपुर (डीग) २१५, ३२१,८१७ ३३३, ४०५,४१२, ४५५, दूणी ' २२, २८, १३१, ४९४, ५०६,५६६, ६.७, १४६, १६०,२८८, ३६८ ६०६, ७४४,८०५, ६४६, ४०४, ६००,६८४, १२४. ११०६. १२०५ तक्षक महादुर्ग (टोडारायसिंह) ३६२,७०३, देखल ग्राम सरुजजिनगरे २२५ देलवाडा ४३५ तलपुर ४०० देलुलिग्राम ४१२ ताजगंज ३२४ देवगढ़ १२५, ३०१,३७८, ५२३, तिजारा ७२, १२०५, ५५०,७१३ तिवनगरी ९५८ देवगिरि (दौसा) १४, २०५, ३४१, तुगी ३६६, १०४३ देवगिरि (दक्षिणवेश) १०४३ देवगोंद ८६४ सुगीगिरि ११६२ देवग्राम तुरकपुर ६८३, ८२. देवड़ा Page #1434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३७४ ] [ ग्राम एवं नमर नामावलि ५२५ देवाम २३३ नगरचालदेश देवपल्ली १०, ६४, १३४, २४,१ देवपुरी ३३४, ७१० ३६४, ५२२, ५३२, ६१४ देवली देवसाह लंगर नागौर ४०४, ६३१.१०३७ देच्या २६१ नाथद्वारा देडली (दिस्मी २१८ नारनौल ४५, १२७ दौसा १०, ६० ,११८, १२३, नासरता ३४,६१६ १३१, १३५,१४८, १७१, निखौली कला १८०,२०७,२१६, २३५, निवाई ८०६ २४६, २६८,२६३, ३०६, नीमच ३३०, ३४१, ३६१,३६७, नुगामा ३०६ ३९५, ४०२, ४६८,५०७, मृतनपुर 3७५, ८२५ ६७१, ६६६, ७७८,७८३, नृपसदन (राजमहल) ५०५, ८१८, १०६५, नृहर्म्य (राजमहल) ११७३ नेवटा ४२५ ब्रम्पपुर (मालपुरा) १२३, १३३, ५२५, ६२२ नैणपुर १३०, २२१ द्वारावती नंगवा २,५७,१०३, १३०.१७८, होगीपुर (दणी) २१६, २३३.२३७, २८५, नगर ३०८, ३५०,३६० ३६८, नगले ६७४ ६००, ८.७,८११,१६, नधीरापुर १६, ८७१,८८४, ८६५. नन्दसाम ८४,७१६.६२४, ११७३, १२०२ ११० नमसार ५९२ नयनापुर नोलाही (नीलाई) २०५ नरवर १०१५ नौलाई ५६० नारायस्ग ७४३,७४६, ७७६, नौतनपुर (नूतनपुर) २६०, ३४७ (गह) नलपुर पचना ५८२ नलपुर पचेवर ५१० नवनामपुर १३० पंजाब १२३ नवाबगंज ३८५, ११२४ पटणस्थल (केशोरायपाटन) नसीराबाद पट्टख नाई (दबलाना के पास नामद नगर ५४८ परताणपुर ४५५ मैन Page #1435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्राम एवं नगर मामावलि 1 [ १३७५ २३७, ७४६, १०८ १२२ १४८ ३१३ २३७, ५०० ४२७ ४२७ १,२६,५३,९६, ६९,१४७, परानपुर १६४ फागुई (फागी) पवरूपुर बगरू पाखानदेश १०१. बड़वत नगर (बोत) पाचोला ११५.७ बड़याल बडौत पानीपत २६, २७ बाहटा (वरणे ठा) पार्थपूर ११७ बनारस पालम २.६०५, बम्बई पालव ६६ बगड़ पालंघपालम) बयाना पिगोरा पिरोजपुर पुलिदपुर २१, २३७ पूर्ण नगर पेरोजपुर ६०१ पोटलग्राम पोशीला ७६२ बसक प्रतापगढ़ २४, ३८,३७६, ४५२,६६, बसत्रा ७८६, १८, ११, १२५ प्रतापपुर ३३६, ४२४,७०२ प्रयाग ४६२ बसंतपुर (राजमहल के प्रहलादपुर ११४० फतेहपुर शेखावाटी) २, ८४, १०१, १५१. बहारादुर १५८, १८७,१९८, २३०, बहोडा नगर २२५, २६, २१७,१०४, बागददेश २६३,३०१, ३३१, ३४२, ३६६,४०५,४०६, ४१०, ४५९, ५६६,५७०, ६६२, ८१५, ८२६,८५१, ८६१, CE , ३८,६६,२१६, २४०, २५०, ३४१,३४४, ४६४, ८११, ८२७ पास) ३०४, ३०६,३१०, ३७४, ४०६, २७३, ६८९ फरक फईखाबाद फलटन फागी ४७६,५७३,५६७,६७४ बामोडोरा ७५८,६६, ६२७,१११५ बायपुर १११७ बारडोली ६७३ बालीग्राम ११६ बाल्मीकपुर १५० जावीद्वारे १३, १५२, १८७,२४६, बासली २०४, ३१०,३१८, ६४६, बांसवाहा ५७ बांसी ५५५ २१० ११६० Page #1436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३७६ ] [ धाम एवं नगर नामावलि बिलाडा मीकानेर १२५,६३१, ६८७,१०५१ १०५२, १९९१ ४६०, ५०३,७५२,६७१, ११६८ बीसलपुर बीजापुर बोल्ही भरतक्षेत्र माउत मावा ५५७, ७९२ १३, ३८, १८, ११८, १५४, ७३६, ८५३ बुरहानपुर बुहारनपुर - दो - ". ४ भादसोडा १०० भानपुर १,३१, ५३, ८०, ८१, भावगह २६६, २७०.२५६, ३०२, भोडारेज .३०६, ३३४,३६०.३६६ মিলী .३७५, ३७८. ३६४,४१६, भीलवाडा . ४५७, ६६३,७४१, ७८., भीलोष्ठा ग्राम - .८०७, ८०६,८१६, ८२७. भी डर ८४१, ८७०,८६५, ६२४, भुसावर ६२, ५६६ ८१४ ५८६ २२६ ६४२, १९८० ५१,४०१ # बेगमपुर मोरी बोली व्यावर भगवतगड भडरूदा नगर भदावर भयरोठा GFWW r . २३१ भेदकीपुर ७३१ भेलपुर ५०२ भेलसा ६०४ भैंसरोड्दुर्ग भैंसलारणा १७० भोजपुर मकसूदाबाद ६६. मगवाक्ष देश १, ४४, ५०, ६७, ८४, मंडनदुर्ग ६३.११२, ११६, ११६, मंडसगढ १२१, १४६.१८६, १६३ मंडलदुर्ग १६४, १६५,२०१, २१२, २२७, २३६,३१३, १२६, मंडोवर ३३५, ३६६,३९४, ३६७, ४०३, ४२५.४३०, ५०५, मथुरा (चौरासी) भरतपुर २१५ १४५ १६६ मंडा १५७, १६२,३११, ९८०, ८६३, ६१६, ११२८ १२५ ६६२, ६४०,६६८,७०६, मम्मई (बम्बई) ७५६, ७६४,७६८, ८००, ममारखपुर ८२६, ८३०,६१४,९१५, मरहठदेश १०३० Page #1437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्राम एवं नगर नामावलि मलयवेड मलारगढ़ मलारमा मलाणा डूंगर महाराष्ट्र महारौल (मारो०) महावीरजी महिम नगर महिसाणा महीसान (महिसारणा) मांगलउर नगर मांगीतुंगी मोडलपुर मांडला मागगुर माधवपुर (सवाई माधोपुर) माधोगढ माधाराजपुरा मानगढ़ मारवाड मारोट मालपुरा मालव देश मालव मंडल मालव ३०० ४६१ ४६० १०६ ६,८४८ ६७, २८६ ४०२ ३१२, २५४ ६५५ ८६४ ३२८ ४२७ १५० १५२.३९७ ८८ १०४३ १०६३ ५६८ E २५०, २०६ ६४१ ६७ ३६० २३६ ५७६ ७१०, ८१६८१८ २४६ ३७. १९६२ ४,५१,५९,६१, १०३ मालवा मालेगांव माहेश्वर मिकल मिर्जापुर मा मुक्त गरि मुमो (ब) मुरमग्राम मुलनामा पुरा मंडल मेलापुर भेडा मेध्यार देश भेदुपुर मेदनीपुर मेरुपाट मेलखेड़ा मेवार मेवाड़ा फैजपुरी मोटी योजना मोजिमपुर १२५ १५३१०२ २०७ २६६, २५०,६८६२४३, ५१२, ५३७, ५५३,६१६. ८१२, ८१६, ०५१,८६३ ८०२०११५४ ३०१, ३०६, ४००.८६, १७१ २५२, २७१, २८७ मोजाद मोजी मिया का गुन्हा मोरदका मोहा मौजपुर मौजमाबाद [ १३७७ २३५, ५६०, ६१४ ११९२ 笑 ५०६ १५७, २९, ३१९ ७४० १०३४ ६२४ ३३० ३३० ११२७ ६७४ ४६३ २१४ ५५०, ७०४ ३१. ३६० ५६१ K ९५६ とき ५६१ ११०, ६३४, ८६६. ११४४ ३६ ३८५ ६२२ ११६ ૪૨ ५८५ २६० ३४८ ८४,६८० ११६.१७४, १ ४७०, ५०७, ६१२, ७०५ ११०६ Page #1438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३७८ ] [ ग्राम एवं नगर नामावलि योगिनीपुर (दिल्ली) १८६. ३८५ योधपुर रणकपुर रणछोड़पुरी १२६, १२७ ও দু २२४ रणथम्भौर ३३० २२३ रणथंबर (रणथंभौर) रगपुर रायर नगर राजपुर राघरणपुर राजगढ़ राजनगर राजपाटिका नगर राजपुर राजमहल ७३, ७५, ८२, २२५, रुदावल कीगढी ३६३, १९७४ रहलगपुर रस्तमगढ़ १०१७ रेवाड़ी ३८. रोहतक १?" . ६२ हिर १०२३, १०५९ (गोहतक) १०२४ रोहितगढ़ १९८९ (रोहतक) ३०९ रोहितास नगर ७१२ (रोहतक) ७६५ संकानगरी १५१, ८२५ लघुदेवगिरी ३०३, ४६६ लभविजयपुर ५, ७२ ललितपुर ६.३ लवागा १०, २८, १०३, १३६, लश्कर १६९, २०७,२८१, २०४, ३५०, ३६७,४०५, ४११. ४४२, ४६५,५०८, ८०६, ६११ साइखेडा [भागम) 2, Yce लालरी २७०,३३५, ४२८ ७२, १३, १०७, लाडपुरा (कोटा) १५५. २७१, ४५२ व्रजभूमि १८७,११६, २०४.२१६, शाकंभरी (सांभर) २४७, ३४३, ३५३, ३५६ ।। शाकमासपुर ३६८, ३७४, ४६५,५५६ ।। शमशाबाद २१, १२६ शागमपुर शाहजहानाबाद ११५८ शाहपुरा शिवपुरी ११५६ शेखावाटी १७३ शेरगढ़ ४५१ २२४, ६०६, ११११ २,३५, १५०, ३६२, ४२६, ४५७, ४६१, ५५२,७१४, ६०६ ६२६, १११९ जस्थान रामगढ़ रामपुर १०३, ४१२,४६१, ५.२१. ७४३ ६८९ ३११ २१०,७०६ रामपुरा (कोटा) 9 . र र रायदेश गढ़ रायसंघ रिखबश्व रिणी नगर रिणीपुर रितिघासानगर भवनाथगढ़ १२४ २६, ४६०, ४६३,५६७, ५८१, ६८४ Page #1439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्राम एवं नवराि शेरपुर शेषपुर. गौरीपुर बटेश्वर श्रीरामनगर श्रीपतनपुर श्रीपथा श्रीपुरा सईबारी सकूरादाद संकाय (मध्यदेशस्थल) मगरवाडापुर संग्रामपुर सोने सदारा नगर सम्मेद शिखर सम्मेदाचल सरवाइ सज नगर सरोक सरोजनगर सरोजपुर सरोला सम्बर सवाई माधोपुर सहारनपुर साकेता सामू सागलपुर सागपत्तन ३०३ ७०३, १०२२ ६३१ ७२५ १० ७६ १८४ ७५५ ११५ १२. ७२३ ७५२ १५, २६५, ७५२, २४ ** ६१८ ८२१. १०७१ १०४३, ११७२ ३७० २६७ ४०३ ८३५ ७६. ६२७ २६७ ६३१, १२, ८४७ ८३, ८, १००, ११०, १२० १२३, १३५, १४० १७८.१००, १८८, २३७.२६२,२०२, ५११. ५३४.६४१७९४८२९, ८५०८५६, ६३०,११७३ EEV २०६६ ३४६ १८५ ६५१ ३६, ६५, ३०२, ३२१, ५६८ सागपुर बागलपुर मागवादा सांगानगर सांगानेर सांगावती समर (शाकंभरी) सार सामरिपुर सायपुर नागपुर सारगपुर साली सालोटा मायला सासनी सासवाली साहपुरा साहोखेटा सिकंदरपुर fg सिकंदरा (चारा ) सिद्धवरकूट सिरपुर सिरोज [ १३७६ ६०० ८३५ ३६, ४४, १०, २३५, ३०८, ३८०, ४८७, ५२५, ५३६, ५४५. ६४१,६८८. ६६२, ७६०, ८१३,८६२. रु.६, ११५५ २६३, १०२, ११, ११६,२१८. २५०, २५१,२११, ३८४, ४०६, ४६३, ५३५, ७५२, १०४११०३८ २६५, ४०८ ८२६६१,४५ ३२५ ૧૪૨ ७६५ 3 २५२, २३५ १०३१ ६१२ ૪૪ ४६० ३८७ ५०७८८५ १२४, ६१४, १२३, १००२ ५५० ७१५ ३०१, १४६,२०१ २०१. ६७४, ६१८ ७१० २०. १११, ११२० 200 ७६८ ११८, २१७, २८०, ३६२. ६१४,७५६ Page #1440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८० । [ ग्राम एवं नगर नामावलि सिरोजपुर १६६ ६५० ६३६ २६८ ५७३,५६०,५६१, ६०५ ४०४ सोलापुर ३७१ स्कंधनगर २१ स्वामो ४८४ गा) हरसोर ४४६ (श्री) हरिदेश ३०८,५६७, ५२६ हरिदुम (किशनगद) १११३ हरियाणा ३०६ हसनपुर ५४५ हस्तिकांतपुर १९५ हरित क्रांतिपुर ४५ सपत्तने १०६७ हाजीपुर १६२, ३१३ हाडौतीदेश २७१, ८८६, ११५५ हाथरस २५२ हांसोट ५५५ हिण्डोन ६३, १६०, ५५, ८१४ ___५०४ हीरापुर (हिडीन) ४०७,५०५ हीरा हिण्डौन) ४२३ हिम्मतार र हिसार ८.१ विसार (हिसार) २१६३ हिसार पेरोजपत्तन ४८५.३६.६५५ होंडोली सीकर सीगोली सीलोर सीसवाली गुजानगढ़ सुजालपुर सुदारा सुनेल सुरोज नगर मुललाण (पुर) सुवर्णपथ (सोनीपत) सुसनेर मुस्थान नगर सूईनगर सूरव (बंदरः सूरतगढ़ सूर्यपुर से गला सोजन्या गोपुर मोरठदेश मौरीपुर ५०८,५८६,६८ २०१,३३१,३४२००८ १२०३ Page #1441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुद्धाशुद्धि विवरण पत्र संख्या प्रशुद्ध पाठ शुरु पाठ 66. Ex ANXNNN देवेन्द्र बाद मगि देवन्द, जन्द्र गणि जयार्थ सभाज्य समाय प्रान निपलावति नियलावलि दियालीस हाणी बियालीस ठाणी सिद्धान्त धर्म सदान्माये तदाम्नाये चांदशी चतुर्दशी दानमीन सप भावना दानशीन नप भावना दोवन जी दीनाननी प्रतिट रिणयारा प्रति उरिण्याग प्रति मं० २,३,४.५, प्रति सं० २(क) ३(क) ४(क) ५(क) ६(क) ७(क) दीरसेनामिधे : वीरोनाभिधेः चन्द्रप्रभा चत्वालये चन्द्रप्रभ चयालये बुद्धि बि....... बुद्धि दिलास तापि में प्रतिलिपि भाषा संस्कृत भाषा-प्रात्रात १.११,१३,१५,१७,१८ amxxx २१४ महा-40 -महा लोकमत लोकामत सागर धर्मामृत सागारधर्मामृत मंगसिर मुदी १४ मंसिर गुदी ५ ब्रह्म ज्योति स्वरूप बल्ल ज्योति स्वरूप द्वदशानुमोक्षा द्वादशानुप्रेक्षा रचलिका वनिका सम्प्रक सम्यक जयतु २१६ २२२ २२२ जपतु Page #1442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८२ । [ शुद्धाशुद्धि विवरण पत्र संख्या प्रशुद्ध पाठ शुद्ध पाठ २२६६ २३० प्रकरण-प्रतिरोध समसार नाथूलाल रियाधिश संवराअनुमक्षा प्रयसहस्री समुन्न हरिचन्द्र प्रकरण प्रतिबोध समयसार নাম समात्रि संवरानुष क्षा अष्टसहस्री समुश्चय हरिमन्द्र कवि २४८ २६१ २६२ २६७ २६८ ३१३ मवि ६,७, १४ पुरत r Irr र भावा ३४८ ३५८ बढा बड़ा श्वेताम्बरनाथ श्वेताम्बराम्नाय पुस्तक भावा जानन्धर जीबंधर घन्कुमार घन्यकुमार संकृत संस्कृत तेरहपयो तेरहपंथी संकृत संस्कृत दि. जैन मन्दिर दि जैन मन्दिर बधेर वालों का बघर वालों का ग्रावा कविपण कवियण सवाई मानसिंह सबाई रामसिंह यशोधर यशोधर चरित्र-परिहानन्द जनसेन जयसेन र०कालx २० काल सं० १५८८ ले काल x १० कालx र० काज सं० १८३७ प्रति सं०७ प्रति सं. १ यशःकोति भ० यमःकीर्ति सुसाहु चरित्र सुबाहू चरित्र तजी तणी पादितवार कथा प्रादित्यवार कथा कालाका चार्य कथा कालकाचार्य कथा ३७१ r ४०१ G6 ४१७ Page #1443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुद्धाशुद्धि विवरण ] ___[ १३८३ पत्र संख्या प्रशुद्ध पाठ शुद्ध पाठ ४३७ ४४८ ४८० ४८२ ४१२ ४६४ ५०८ म. नरेन्द्र कोनि आ. नरेन्द्र कीति भाषा-कथा भाषा-हिन्दी/विषय - कथा उदयसुर उदयपुर मैंडक नथमल -XI रत्नावती कथा रत्नावली कथा श्रतसागर श्रुतसागर चुनीराम वैद चुन्नीलाल यमाहा अनदेव कजिका व्रत कथा कांजिका प्रत कथा भीवसी धनराज श्रणिक श्रेणिक वादीभ कुमस्थ कादीभ कुभस्थ प्रति पोष प्रतिष्ठोदय स्वल्य स्वल्प गच उतें इतराय ते उद्धृत कातन्त्रत रूप माला कातन्त्र रूप मासा कृमन्द कृदन्त षष्ठि संवतत्सरी पष्टि संवत्सरी कषि चन्द्रका कृविचन्द्रिका जिन पूजा पुरदर जिन पुज! पुरंदर ६१५१ रामराम रामरास रामसीताराम रामसीतारास अरोपम प्रकोपम १६.४ १६७४ मुखधाम सुखथाय बिहाडी दिहाडी तथागच्छ तपागच्छ ब्र० सागान प्र. सांवल ज्ञान ज्ञात वशेष विशेष संग्रह द्रन्य राग्रह ग्रन्थ किशनदास दाचड़किशन ५२८ ५६८ ६५२ २५-२६ 두복두 ६७१ Page #1444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८४ ] [ शुद्धाशुद्धि विवरण पत्र संख्या पंक्ति अशुद्ध पाठ शुद्ध पाठ ७११ ७१६ ७३० ७३४ ७७१ ७१७ नम्न साधमिका सानिका ४०५० ६८५० सफलकीरती भकलकीरती प्राकृत संस्कृत यमरण पाश्वनाथ थंभरण पाश्वनाथ संस्कृत हिन्दी स्तोत्रय स्तोत्रत्रय चतुविज्ञान जिन पूजा चतुविशति जिन पूजा मुद्ध अग्राम सुद्धाम्नाय पं० रत्न चतुर्ति शतिका चतुर्विशतिका दशलक्षण द्यायन दशलक्षणोद्यापन बलुआ में चन्द्रपभ बसपा में चन्द्रप्रभ शातिक शांतिक निवार्ण कांड निर्वाण कांड पंचमी वतो पूजा पंचमी अन पूजा प्रति सं०७ प्रति सं.२ उभार स्वामी मा स्वामी संस्तुत हिन्दी विद्या विधानु बादा विद्यानुवादो एमो पैतीसी सामो कार पंतीसी সাধা-বিঘাস भाषा-संस्कृत সাম্ प्रणमू सुधार प्राकृत १३६ ८४१ ५७ ५६ . 0 O r .. १४६ बसुरि १५२ 22 ६५६ १५६ ६५८ ६७० - संस्कृत मुनि सकलकीर्ति निवाणि पय प्रभसूरि अम्तिम बिहारीलाल भः सकलकोति .:: विर्थाणि पद्यनंदि सूरि मन्तिम : बिहारीदास ९९१ 1 ६१२ १००२ Page #1445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुवासुशि विवरण] - - - - पत्र संख्या मशुद्ध पाठ शुद्ध पाठ ३४-३५ महाराष्ट्र भाषा · · धादश मासा चेतक कम चरित्र - उपदेशतक ... धनपतराय बरलेशा - पाण्डे जिगराम . गंगाराम काहला सवागार द्वादश मासा সাহু মামা चेतन कर्म परित्र उपदेशशतक बानतराय पटलेश्या पाण्डे जिनदास गंगादास ध्याहला सभागार १०४१ १०४३ सूरदास २०७४ १.८४ १.१६ १०१८ १३१० ११२३ १९२० भूधरदास अ० जयसागर उपा. जय सागर चेतन पुल धमाल चेतन पूदगस्त धमाल रमण सार भाषा रयण सार भाषा स्वनाधली स्वप्नावली ममरामा मनराम पंचापध्यायी पंचाध्यायी बनासरीदास बनारसीदास .- अभिस पक्षिरु बुषटोटर बुधटोबर भधरदास भूषरवास पांटेजी पंस पाण्डे जीवन बख्तावर सिंह बस्तावर लाल लवण्य समय साधण्य समय पुरगतीसी सीवना गुरगतीसी भाषमा सोलाकारण पाखंडी सोलह कारण पक्षिरी होली भास होलीराम मिथ्या टुकर मिथ्या दुका संबोध सभा संबोष सत्ता मांडका माखम मयाराम दयाराम ११३७ ११३८ १९३९ ११५० ११७३ अथर्वरा देश Page #1446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 ] [ शुद्धाशचि विचारण - पत्र संख्या .. पक्ति ... प्रशव पाठ : शब पाठ 1173 वैद्धिक वैक्षिक गुटका संग्रह अवशिष्ट साहित्य - गर्मचक्रवृत्त गर्मचक्रवृत्त जिनमतका रध्यालं जिनशतकारज्यलंकृति / 1176 को इलाध हसायुध चन्द्रोमीलन चन्द्रोन्मीलन पज्जुष्ण कहा पज्जुपरणकहा परदेशी मतियोष परदेशी प्रतिरोष रयणसारव घनिका रसासार पचनिकर भर्तृहरि भतृहरि शतक सोभकवि सोमकवि 1192 1166 ..