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________________ [ अन्य सूची-पंचम भाग २५७. प्रतिसं०-३० । पत्रसं०-५६ । ले० काल-१९३२ । पूर्ण । वेष्टन सं०-५५ । प्राप्ति स्थान दि जैन पचायती मन्दिर हण्डावालों का, डीग । २५८, प्रतिसं०-३१ । पत्र सं०--५६ । लेकाल-x । अपूर्ण । वेष्टन सं०-६ । प्रारिल. स्थान—द जैन मन्दिर दीदान चेतनदास, पुरानी डीग । विशेष प्रति प्रशुद्ध एवं व्यवस्थित है। २५६. प्रतिसं०-३२ । पत्र सं०-१०४ । ने० काल-० १६४७ अपाढ़ बुदी ७ । पूर्ण । धन सं०-६३ । प्राप्ति स्थान दिजैन मन्दिर बड़ा बीस पंथी दौसा । विशेष-हिन्दी गद्य में टीका भी है। जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। २६०. प्रतिसं०-३३ । पत्र सं० ७७ । ले. काल सं० १९३४ बैशास्त्र सुदी । । पूर्ण । वेटन सं ३० । प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर) वशेष—लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है कास्टासि माधुरधि पुष्करगरणे लोहाचार्य प्राम्नाय भट्टारक जी श्री श्री १०८ श्री ललितकीति भट्टारकी श्री श्री १०८ श्री राजेन्द्रकोति जी तत् शिष्य पंलित जोरावर चंद जी लिखायो फतेहपुर मध्ये लिपिकृतं प्रेममुख भोजक । २६१. प्रतिसं० ३४ । पत्र सं० १२ । ले. काल--10 १६०० कार्तिक बुदी १४ । पूर्ण । प्राप्ति स्थान-द. जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी । विशेष-पाची लूलचन्द ने लिपि की थी। २६२. प्रति सं० ३५ । पत्र स० ६३ । ले० काल-सं० १९३६ । पूर्ण । वेष्टन सं०-६४ । प्राप्ति स्थान दि० जैन खण्डेलवाल मंदिर उदयपुर । २५३. प्रति सं० ३६ । पत्र सं०२६ । ले०काल-१६०३ । पूर्ण । अन सं० २२५...६१ । प्राप्ति स्थान-२० जन मन्दिर कोटड़ियों का, डूंगरपुर । २६४, प्रतिसं० ३७ । पत्र सं०-३८ । ले० काल--- सं० १६६६ कातिक बुदी ८ । पूरा । वेष्टन सं० . ५१३ । विशेष-रिषभचन्द बिन्दायक्या ने प्रतिलिपि कर लश्कर के मंदिर में विराजमान किया। प्राप्ति स्थान— यिन मन्दिर लश्कर, जयपुर । २६५. चर्चाशतक टीका हरजोमल । पत्र सं० ५६ । आ. १३. एच ! भाषाहिन्दी (पश्य तथा गद्य)। विषय-चर्चा । र काल-X । ले. काल-सं० १९३० । पूर्ण । वेषन मं०-३४ प्राप्ति स्थान-दि० जन पंचायती मंदिर बयाना । विशेष--हरजीमल पानीपत वाले की टीका सहित है। १०४ पद्य हैं। मिश्र ठाकुरदास हिण्डौन बाल ने प्रतिलिपि की थी। मिखाइत लालाजी माधोसिंहजी पठनार्थ सुखलाल काननगो का बेटा नाती हलाखी राम का, गोत्र चांदुवार दवाना वाले ने माधोदास श्रावक उदासीन चांदवाड कारगा प्राप घर से रिक्त होकर यह ग्रन्थ लिखवाकर चन्नप्रभू के पुराने मन्दिर में चढ़ाया। २६६. प्रतिसं०२ पसं०७६ । विषय-चर्चा । २७ काल .x | ले. काल-x | पुणे ।
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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