________________
११४० ]
[ प्रन्थ सूची-पंचम भाग
मुमतिकीति भधि भरिण ये ध्यावो जिनवर देव ।
संसार माहि मवतयु पाम्बु सिवपरु देव ॥२३॥ इति जिनउर स्वामी विनती समाप्त । १५१. लक्ष्मी स्तोत्र सटीक - २०७-२०८
संस्कृत १५२. कर्म की १४८ प्रकतियों
३००-१०
हिन्दी का वर्णन १५३. विनती पार्श्वनाथ
२१०-११
पद्य सं०१४ जय जगगुरु देवाधिदेव तु त्रिभुवन तारण । रोग शोक अपहराधरि सवि संघद कारण। रागादिक अंतरंग रिषु तेह निवारण । तिहु प्ररण सल्य जे मयण मोह भड़ देवि भंजण । चिन्तामरिण श्रीयपास जिनवर प्रनवर शृगार ।
मनह मनोरथ पूराए वांछित फल दातार ॥ १५४, विद्यमभ गीत x २११-१२
हिन्दी १५५. बाईस परीषह मान - २१२-१:
ले०काल सं० १६३२ बैशाख सुदी १० प्रहलाबपुर में ब्र. धन्ना ने अपने पठनार्थ लिखा था। १५६. षट्काल भेद वर्णन - २१५ १५७. दुर्गा विचार १५८. ज्योतिष विचार
विशेष-इसमें यापस बिचार, शकुन विचार, पल्ली विचार छींक विचार, स्वप्न विचार, अंगफडक विचार, एवं वापस घट विचार आदि दिये हुए हैं। १५६. अकलंकाष्ठक
२१६-१७ १६०. परमानंद स्तोत्र
२१७ १६१. ज्ञानांकुश शास्त्र
२१७-१८ १६२ श्रुत स्कंध शास्त्र १६३. सप्ततत्व वार्ता
२१६-२० १६४. सिद्धांतसार
- २२०-२२ १६५-६८ कमों की १४८ प्रकृतियों का वर्णन
जैन सिद्धांत वर्णन चौबीसी ठाणा चर्चा, सीर्थकर प्रायु वर्णन
२२३-३४
ले०काल सं० १६१८ पासोज सुदी १ १६६. सुकृमाल स्वामी रास धर्मरुचि २५१-६५
हिन्दी
संस्कृत
संस्कृत