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________________ ११४६ ] [अन्य सूची-पंचम माग नित्य पूजा बुधरासा , ले०काल सं० १७३७ प्रारम्भ का पाठ निम्न प्रकार है प्रशमीइ देव माय, पांचाइण कमसी। समशिए देव सहाय जैन सालग सामणी। प्रणमीइ गण हर गोम सामणी । दुरियणासे जेने नानि सद्गुरु वेसिणिरो कीजे । अन्त में संवत् १७३७ मंगसर सुदी ११ सैगडी फिलाणजी खीमजी पठनार्थं । राजा यशोधर चरित्र- हिन्दी काया जीव संवाद गरित हिन्दी अंतिम भाग निम्न प्रकार है गंगदास ब्रह्म पसाये राणी काय जीव सुवादडो । देवजी ब्रह्म गुण गाय राणीला । इति काथा जीव सुवादजीघ संपूर्ण । मी पाड का लाल जी कलाजी स्वलिखिता। संवत् १७१२ वर्षे प्राषाढ वदी ११ गुरौ श्री उज्जेणी नगरे लिखता । यशोधररास ब्रह्म जिनदास श्रीणिकरास से काल सं० १७१३ माघ सदी ५ विशेष-अहमदाबाद नगर में प्रतिलिपि हुई थी। जिनदत्तरास हिन्दी पर्छ । १०२४३. गुटका सं० १५ । पत्र सं० ११ । प्रा. ८४७ इच । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । ले० काल सं० १७३० । अपूर्ण । वेष्टन सं० ३७२ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। अनन्तवत रास व जिनदास हिन्दी जिनसहस्रनाम स्तोत्र , पाशाधर संस्कृत ले.काल सं० १७१६ प्रद्य म्न प्रबंध , हिन्दी १०२४४. गुटका सं०१६ । पत्रसं० ३६ 1 श्रा० ६४४ ह । भाषा-संस्कृत । लेकाल X । पूर्ण । बेष्टन सं० ३७३ ।। विशेष-नंदीश्वर पूजा जयमाल ग्रादि है।
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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