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________________ गुटका संग्रह ] [ ११४५ चेतन प्राणी गीत कायां जीव सुवाद गीत ब्रह्मदेव - संस्कृत थी मूल संघे गड्रपति रामकीति भवतार । तस पट कमल दिवसपति पद्मनंदि गुणधीर । तेहणा चरण कमल नमी गंगदास ब्रह्म पसाये । काया जीव सुवादडो देवजी ब्रह्मगुण गाय । पोषह रास शानभूषण हिन्दी ज्ञान पच्चीसी बनारसीदास गोरखकवित्त गोरखदास जिनदस कथा रत्न "पूषगा संवत् १८२० में उदयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। १०२४०. गुटका सं० १२। पत्र सं० ११० । आ.७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७८ । विशेष-मुख्यतः तिम्न पाठों का संग्रह है। क्षेत्रपाल पूजा ऋषिमंडज पूजा संस्कृत मांगी तुगीजी की यात्रा अभयचन्द सूरि हिन्दी विशेष—इसमें ४२ पद्य हैं । अन्तिम पंक्तियां निम्न प्रकार हैं भाव में मविपण सांभलोरे भणे अभयचन्द सूरी रे । जाङ्ग ने बलभद्र जुहारिजो पापु जाइ जिमि दूरि रे। योगीरासा जिनदास कलिकुहपार्श्वनाथ स्तुति । - १०२४१. गुटका सं० १३ । पत्रसं० ६.। आ० ५६४५३ ३ । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले काल X । अपूर्ण । घेष्टन सं० ३७७ । विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। कलिकुड स्तवन, सोलतारणा पूजा दशलक्षण पूजा, अनन्तन्त्रत पूजा। मन्य पूजा पाठ संग्रह है। १०२४२. गुटका सं० १४ । पत्रसं० २०६ । पा० ६४५ इञ्च । भगा-हिन्दी । ले. कालx। पूर्ण । वेष्टन सं० ३७६ 1 ___ मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है..... विरह के फुटकर दोहे लालकवि हिन्दी
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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