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गुटका संग्रह ]
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चेतन प्राणी गीत कायां जीव सुवाद गीत
ब्रह्मदेव
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संस्कृत
थी मूल संघे गड्रपति रामकीति भवतार । तस पट कमल दिवसपति पद्मनंदि गुणधीर । तेहणा चरण कमल नमी गंगदास ब्रह्म पसाये ।
काया जीव सुवादडो देवजी ब्रह्मगुण गाय । पोषह रास
शानभूषण
हिन्दी ज्ञान पच्चीसी
बनारसीदास गोरखकवित्त
गोरखदास जिनदस कथा
रत्न "पूषगा संवत् १८२० में उदयपुर में प्रतिलिपि हुई थी।
१०२४०. गुटका सं० १२। पत्र सं० ११० । आ.७४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल X । पूर्ण । वेष्टन सं० ३७८ ।
विशेष-मुख्यतः तिम्न पाठों का संग्रह है। क्षेत्रपाल पूजा ऋषिमंडज पूजा
संस्कृत मांगी तुगीजी की यात्रा अभयचन्द सूरि हिन्दी विशेष—इसमें ४२ पद्य हैं । अन्तिम पंक्तियां निम्न प्रकार हैं
भाव में मविपण सांभलोरे भणे अभयचन्द सूरी रे ।
जाङ्ग ने बलभद्र जुहारिजो पापु जाइ जिमि दूरि रे। योगीरासा
जिनदास कलिकुहपार्श्वनाथ स्तुति । -
१०२४१. गुटका सं० १३ । पत्रसं० ६.। आ० ५६४५३ ३ । भाषा-हिन्दी संस्कृत । ले काल X । अपूर्ण । घेष्टन सं० ३७७ ।
विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। कलिकुड स्तवन, सोलतारणा पूजा दशलक्षण पूजा, अनन्तन्त्रत पूजा।
मन्य पूजा पाठ संग्रह है।
१०२४२. गुटका सं० १४ । पत्रसं० २०६ । पा० ६४५ इञ्च । भगा-हिन्दी । ले. कालx। पूर्ण । वेष्टन सं० ३७६ 1
___ मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है..... विरह के फुटकर दोहे लालकवि हिन्दी