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________________ गुटका संग्रह ] [ ६४५ चन्द्रसेन " १६६३ सीतासतु भगौतीदास हिन्दी पद्य २३०-२७० आषाद सुदी ३ ज्येष्ठ जिनवर कथा ब. रायमल्ल हिन्दी १६२५ २७१-७४ सांभर में रचना की गयी थी चन्दनमलयागिरि कथा २७५-८५ - मृगीसंबाद देवराज २८६-३०१ - चैत सुदी १ रविवार वसुधरि चरित्र स्त्री भूषण १७०६ ३०२-३२१ हनुमंत कथा ० रायमल्ल पाशाकेवली ३५६-६० मालीरास जिनदास गौतम पृच्छा सीता सतु-भगोतीदास आदि भाग ॐकार नमों धरि भाऊ, मृगति बरंगरिश बरु जगराऊ । सारद पद पंकज सिर नाऊ. जिह प्रसादि रिधिसिधि निधि पाऊ !! गुरु मुनि महिंदसेन भट्टारक, भव संसार जलधि जल तारक । तासु चरण नभि होत अनंदो, बढइ बुधि जिम दुतिया चंदो।। मध्य भागसोरठा सीय न हुइ भय भीय करे रूपि रावण पणे । हरि करि कारह घिसाय भूत प्रेत वेताल निसि । ५६।। चौपर्स खम्गु उपसर्गु करइ आमा, सो सुमरइ चिति लछिमनरामा । गय रनि रवि उग्यो दिनेसू, हुइ निरास घरि गयो यो ।.५० ॥ बालु पीडत तेल न लहिये, फणि मस्त किमणि झिनसन गहिये । सतिय पयोहर को फरि छावइ वहनि परसि तनि को जाँग जीवइ ।।५।। अन्तिम बलि विक्रम नृप करत सम सुखर मुभा सुजाण । मकबर नंदण प्रति वली सयल जगति तिस प्रांण ।। ६६|| सोरठा देस कोसु गज बाजि जासु नमहि नृप छत्रपति । जहांगीर इक राजि सीता सतु मइ मनि कीया । ६७।। गुरु गुण चंदुरिसिंदु बखानिए । सकल चन्दु तिह पट्टि जगतमहि जानिए । ---
SR No.090396
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size30 MB
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